Short Love Story in Hindi: प्रेमिका से मौजमस्ती तो शादी क्यों नहीं

Short Love Story in Hindi: काशीपुर के सलमान को मोहल्ले की ही रहने वाली शादीशुदा सीमा खातून से प्यार हो गया था. सीमा भी उस पर इस कदर फिदा हुई कि वह सलमान की खातिर अपने पति तक को छोडऩे के लिए तैयार हो गई. वह उस से शादी की जिद करने लगी. अविवाहित सलमान तो उसे केवल मौजमस्ती का साधन ही समझता रहा. फिर एक दिन सीमा की शादी करने की जिद उस मुकाम पर पहुंची कि…

सलमान और सीमा खातून के प्रेम संबंध पिछले 2 सालों से चले आ आ रहे थे. शादीशुदा सीमा उसे दिलोजान से चाहती थी. पिछले एक साल से सलमान सीमा से किनारा करना चाहता था, क्योंकि उस के फेमिली वाले किसी और लड़की से उस की शादी करना चाहते थे. लेकिन सीमा किसी भी हालत में उस से जुदा नहीं होना चाहती थी. जब वह नहीं मानी तो सलमान ने परेशान हो कर सीमा को रास्ते से हटाने की योजना बना ली थी. मोहल्ले की ही रहने वाली नशा तसकर मेहरुन्निसा भी सीमा से अपनी दुश्मनी का हिसाब पूरा करना चाहती थी, यह बात सलमान जनता था. इस के बाद सलमान और मेहरुन्निसा ने सीमा को ठिकाने लगाने की योजना बना ली.

योजना के मुताबिक 17 अक्तूबर, 2025 की शाम को मेहरुन्निसा ने फोन कर के सीमा को काशीपुर के केवीआर तिराहे पर बुलाया. सीमा वहां पहुंच गई. इस के बाद वे तीनों कंटेनर के केबिन में बैठ कर बातें करने लगे. उसी दौरान सीमा सलमान से उस के साथ शादी करने की जिद करने लगी. समझाने पर भी जब सीमा नहीं मानी तो सलमान ने पास बैठी मेहरुन्निसा को इशारा किया. तभी मेहरुन्निसा ने सीमा के दोनों हाथ पकड़ लिए. इस के बाद सलमान ने सीमा की चुन्नी से उस की गला घोंट कर हत्या कर दी. मेहरुन्निसा सीमा को अपने हाथों से तब तक जकड़े रही, जब तक सीमा की मौत न हो गई.

सीमा के मरने के बाद मेहरुन्निसा वापस चली गई और सलमान कंटेनर में सीमा की लाश ठिकाने लगाने के लिए हरिद्वार की ओर निकल पड़ा. जब कंटेनर ले कर वह नगीना पहुंचा था तो उस ने एक जेरीकेन में कंटेनर के डीजल टैंक से 6-7 लीटर डीजल निकाल कर रख लिया था ताकि मौका मिलने पर सीमा की लाश को जला सके. फिर सलमान ने हरिद्वार की ओर कंटेनर को दौड़ा दिया. कंटेनर चलाते समय वह सीमा के शव को ठिकाने लगाने के लिए सुनसान जगह की भी तलाश कर रहा था.

रात 12 बजे के बाद उस का कंटेनर एक सुनसान जगह पर पहुंचा. इस के बाद उस ने कंटेनर को अंधेरे में एक साइड में खड़ा कर दिया. फिर अंधेरे में उस ने केबिन से सीमा की लाश नीचे उतारी. सीमा की लाश को वह खींच कर एक झाड़ी के पास ले गया. लाश के ऊपर उस ने एक दरी डालने के बाद जेरीकेन का सारा डीजल उस के ऊपर छिड़क कर उस में आग लगा दी. सीमा की लाश को आग के हवाले करने के बाद वह तुरंत कंटेनर ले कर देहरादून के लिए निकल गया.

डा. सुधांशु शुक्ला सुबह अपनी पत्नी के साथ गांव गजीवाली के जंगल में सुबह की सैर कर रहे थे. यह उन का रोज का नियम था. सैर करने के लिए वह सुबह लगभग 5 बजे अपनी पत्नी के साथ घर से निकल जाते थे. जिस क्षेत्र में डा. शुक्ला सैर करने के लिए निकलते थे, वहां यदाकदा बंदर, जहरीले सांप, जंगली हाथी, गुलदार आदि भी विचरण करते हुए दिखाई पड़ जाते थे. जंगली इलाका होने के कारण डा. शुक्ला वहां पर सदैव सतर्क हो कर पत्नी के साथ  सैर करते थे, लेकिन 18 अक्तूबर, 2025 को जब वह थोड़ी देर सैर करने के बाद एक झाड़ी के पास पहुंचे थे तो उन्हें वहां पर जलाई गई एक झाड़ी दिखाई दी. जब वह उस जली हुई झाड़ी के थोड़ा पास पहुंचे तो उन्होंने वहां पर एक जली हुई डैड बौडी देखी.

‘सुनसान जंगल में वह जली हुई डैड बौडी किस की होगी और उसे किस ने यहां ला कर जलाया होगा?’ यह सोच कर डा. शुक्ला घबरा गए. उन के साथ सैर कर रहीं उन की पत्नी भी डर गई थीं. तभी वहां से गुजर रहे लोगों को रोक कर उन्होंने डैड बौडी के बारे में बताया. कुछ ही देर में वहां पर काफी लोग इकट्ठे हो गए. सब ने देखा था कि वह डैड बौडी काफी हद तक जल चुकी थी, सिर्फ शव के दोनों पंजे तथा दोनों हाथों की कलाइयां ही जलने से बची हुई थीं. पैरों के बिछुओं से अंदाजा लगाया कि किसी शादीशुदा महिला को जलाया गया है. वहां पर उस समय दहशत का वातावरण था. अत: वहां पर मौजूद लोगों ने इस मामले की सूचना पुलिस को देने का फैसला किया. यह इलाका जिला हरिद्वार के नजीबाबाद रोड पर स्थित थाना श्यामपुर के अंतर्गत आता था, इसलिए एक व्यक्ति ने फोन द्वारा घटना की सूचना थाने में दे दी.

उस समय सुबह के 7 बजे थे. थाना श्यामपुर के एसएचओ मनोज शर्मा को जब यह सूचना मिली थी तो वह तत्काल ही एसएसआई मनोज रावत व कुछ अन्य पुलिसकर्मियों को ले कर सूचना में बताए गए पते की तरफ निकल गए. उन्होंने यह सूचना सीओ एस.एस. नेगी, एसपी (सिटी) पंकज गैरोला, एसपी (क्राइम) जितेंद्र मेहरा तथा एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल को दी थी. घटनास्थल वहां से मात्र 3 किलोमीटर दूर हरिद्वार नजीबाबाद रोड पर गांव गाजीवाली में खैरा ढाबे के पीछे झाडिय़ों का इलाका था, इसलिए एसएचओ थोड़ी देर में ही वहां पहुंच गए.

जब पुलिस वहां पहुंची तो उस समय वहां दरजनों लोगों की भीड़ थी. एसएचओ ने वहां पर जलाई गई लाश का निरीक्षण करना शुरू कर दिया. वैसे तो लाश पूरी जल गई थी, मगर लाश के पैरों के पंजे व कलाइयां नहीं जल सकी थीं. लाश के पैरों में बिछुए होने तथा पंजे में काला कपड़ा होने से श्री शर्मा को लगा कि यह लाश किसी महिला की है. अज्ञात हत्यारों ने जंगल में ला कर महिला के शव को इसलिए जलाया होगा, जिस से कि उस की पहचान न हो सके. इस के बाद श्री शर्मा ने डा. सुधांशु से इस शव के पहली बार देखे जाने के बारे में जानकारी ली थी. शव महिला का होने के कारण श्री शर्मा ने शव का पंचनामा भरने के लिए थाने से महिला थानेदार अंजना चौहान को मौके पर बुलवा लिया था.

घटनास्थल पर पुलिस की काररवाई चल ही रही थी कि सीओ एस.एस. नेगी, एसपी (सिटी) पंकज गैरोला, एसपी (क्राइम) जितेंद्र मेहरा तथा फोरैंसिक टीम भी वहां पहुंच गई थी. इस के बाद फोरैंसिक टीम व पुलिस ने शव के कई कोणों से फोटो खींचे तथा आसपास से अन्य सबूत भी जुटाए. मृतका की शिनाख्त न होने से पुलिस के लिए यह ब्लाइंड मर्डर था. महिला के इस ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी को सुलझाने के लिए एसपी (क्राइम) जितेंद्र मेहरा ने सीआईयू यूनिट प्रभारी नरेंद्र बिष्ट की टीम को भी मौके पर बुलवा लिया था.

इस मामले में मृतका की पहचान करना पुलिस के सामने सब से बड़ी चुनौती थी. पुलिस ने वहां मौजूद स्थानीय लोगों से पहले मृतका के बारे में पूछताछ की थी, मगर अभी तक पुलिस को मृतका के बारे में कोई भी जानकारी हासिल नहीं हो सकी थी. इस के बाद एसपी जितेंद्र मेहरा के निर्देश पर महिला थानेदार अंजना चौहान ने मृतका की जली हुई डैडबौडी को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

इस के बाद एसएसपी प्रमेंद्र डोवाल ने ब्लाइंड मर्डर केस की गुत्थी सुलझाने के लिए एसपी (क्राइम) जितेंद्र मेहरा के निर्देशन और सीओ एस.एस. नेगी की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में एसएचओ मनोज शर्मा, सीआईयू इंसपेक्टर नरेंद्र बिष्ट, एसआई गगन मैठाणी, नवीन चौहान, मनोज रावत, कांस्टेबल राहुल देव आदि को शामिल किया गया. एसएसपी ने वहां आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने के आदेश टीम को दिए. उन के दिशानिर्देश पर पुलिस टीम जांच में जुट गई.

जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि नजीबाबाद से हो कर हरिद्वार की ओर रास्ते में पहले पीनाक होटल व बाद में उमेश्वर धाम में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. पुलिस टीम ने दोनों स्थानों के बीती रात के कैमरों की फुटेज को चैक किया. पुलिस ने जांच में पाया कि उस रात लगभग 842 छोटेबड़े वाहन इस रास्ते से गुजरे थे. पुलिस को शक था कि किसी छोटे वाहन से मृतका को हत्यारों द्वारा यहां लाया गया होगा. इस के बाद अगले दिन भी पुलिस टीम ने हरिद्वार से रायवाला तक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक की.

वैसे तो पुलिस टीम को विशेष जानकारी मृतका के बारे में नहीं मिली, मगर एक बात सीआईयू प्रभारी नरेंद्र बिष्ट के गले नहीं उतर रही थी कि पीनाक होटल व उमेश्वर धाम की दूरी लगभग 500 मीटर है. सभी वाहन पीनाक होटल से उमेश्वर धाम मात्र 2 या 3 मिनट में पहुंचे थे. मगर एक सफेद कंटेनर घटना वाली रात को पीनाक होटल से उमेश्वर धाम 19 मिनट में पहुंचता कैमरों में दिखाई दिया था. इस बात पर बिष्ट का शक सफेद कंटेनर पर गहरा गया था.

इस सफेद कंटेनर पर शक गहराने के कारण पुलिस ने इस केस को सुलझाने के लिए इस की डोर पकड़ ली थी. इस के बाद पुलिस ने कंटेनर के रजिस्ट्रैशन नंबर यूके18 सीए 4788 के मालिक की जानकारी की. पता चला कि यह कंटेनर जिंदल वेजिटेबल कंपनी, नारायण नगर इंडस्ट्रियल एरिया, काशीपुर उत्तराखंड के नाम से रजिस्टर्ड है. एक पुलिस टीम काशीपुर जाने के लिए निकल पड़ी. पुलिस टीम ने उत्तराखंड के ही शहर काशीपुर पहुंच कर उक्त नंबर के सफेद कलर के कंटेनर के स्वामी से संपर्क किया तो उन्हें जानकारी मिली कि घटना वाली रात को कंटेनर चालक सलमान निवासी मझरा लक्ष्मीपुर, कोतवाली काशीपुर ही देहरादून मंडी के लिए ले कर गया था. इस के बाद सलमान 2 दिनों के बाद वापस लौटा था. यह भी पता चला कि इस समय सलमान कंटेनर ले कर पानीपत (हरियाणा) गया हुआ है.

पुलिस टीम ने जब सलमान के बारे में स्थानीय लोगों से जानकारी ली तो कुछ हैरान करने वाली जानकारी मिली. पता चला कि सलमान का एक भाई व 2 बहनें हैं. सलमान के प्रेम संबंध मोहल्ले की ही सीमा खातून नाम की एक महिला से चल रहे हैं. इस के अलावा गत 17 अक्तूबर, 2025 से ही सीमा खातून यहां से लापता चल रही है. सीमा खातून की गुमशुदगी कोतवाली काशीपुर की पुलिस चौकी बासकुडाव में दर्ज थी. सीमा खातून अंतिम बार मोहल्ले की एक महिला मेहरुन्निसा के साथ देखी गई थी. उस के बाद से ही सीमा लापता हो गई थी. काशीपुर पुलिस द्वारा भी सीमा खातून की तलाश की जा रही है.

इस के बाद टीम ने लापता सीमा की फोटो देखी. फोटो में सीमा का चेहरा जली हुई महिला के शरीर से काफी मेल खा रहा था. अंत में पुलिस टीम ने लापता होने वाले दिन की वीडियो काशीपुर के एक सीसीटीवी कैमरे में देखी थी तो टीम को पूरा विश्वास हो गया कि श्यामपुर के जंगल में मिला जला हुआ शव सीमा खातून का ही था, क्योंकि उस समय सीमा खातून ने काला सूट पहन रखा था. बरामद जले हुए शव के पैरों के पास भी पुलिस ने अधजला काला कपड़ा बरामद किया था. अब श्यामपुर पुलिस टीम ने कोतवाली काशीपुर में ही मेहरुन्निसा से पूछताछ करने का मन बनाया था. कोतवाली में जब मेहरुन्निसा को बुलाया गया, तब उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. पुलिस ने जब मेहरुन्निसा से सीमा के लापता होने की बाबत पूछा तो वह पुलिस के सामने शांत खड़ी रही.

इस के बाद सीआईयू इंचार्ज श्री बिष्ट ने मेहरुन्निसा को सख्ती से फटकारते हुए कहा, ”तुम या तो सीधी तरह से सीमा के लापता होने की सच्चाई पुलिस को सचसच बता दो, वरना पुलिस के सामने मुर्दे भी बोलने लगते हैं, यह तुम जान लो.’’

बिष्ट की इस धमकी का मेहरुन्निसा पर  जादू की तरह असर हुआ. उस ने पुलिस को बताया कि उस ने व सलमान ने गत 17 अक्तूबर, 2025 को सीमा की हत्या कर दी थी. फिर सलमान ने उस की लाश ठिकाने लगाई थी. मेहरुन्निसा के ये बयान दर्ज करने के बाद पुलिस की टीम सीमा के कपड़े व फोटो से उस की शिनाख्त करने के लिए सीमा के शौहर शादाब, भाई मेहंदी हसन व मेहरुन्निसा को ले कर थाना श्यामपुर आ गई थी. यहां पहुंचने के बाद सीमा के शौहर शादाब ने उस के जले हुए शव से ही सीमा की पहचान कर ली थी. सीमा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत का कारण उस का गला घोंटा जाना बताया गया था.

मेहरुन्निसा की गिरफ्तारी के बाद उसी दिन शाम को ही श्यामपुर पुलिस ने चैकिंग के दौरान रसियाबड के पास से आरोपी सलमान को उस के कंटेनर सहित गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद सलमान को थाना श्यामपुर लाया गया. थाने में मेहरुन्निसा को देख कर सलमान समझ गया कि मेहरुन्निसा ने पुलिस को सब कुछ बता दिया होगा, इसलिए उस ने पुलिस के सामने सीमा की हत्या मेहरुन्निसा के साथ मिल कर करने का जुर्म कुबूल कर लिया था. पूछताछ में सलमान ने सीमा से प्रेम संबंध से ले कर उस की हत्या किए जाने तक की सारी कहानी उगल दी. सलमान और मेहरुन्निसा से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने सलमान की निशानदेही पर डीजल की जेरीकेन भी बरामद कर ली.

एसएचओ मनोज शर्मा ने सलमान व मेहरुन्निसा की गिरफ्तारी की सूचना एसपी (क्राइम) जितेंद्र मेहरा व एसएसपी प्रमेंद्र डोभाल को दे दी. तब 24 अक्तूबर, 2025 की शाम को ही हरिद्वार के मायापुर स्थित एसपी (सिटी) कार्यालय में पुलिस अधिकारियों ने एक प्रैसवार्ता का आयोजन कर ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा कर दिया. इस के बाद पुलिस ने आरोपी सलमान व मेहरुन्निसा को कोर्ट में पेश किया था, जहां से उन दोनों को जेल भेज दिया गया. सीमा हत्याकांड की तफ्तीश एसएचओ मनोज शर्मा द्वारा की जा रही थी. श्री शर्मा शीघ्र ही आरोपियों के विरुद्ध साक्ष्य एकत्र कर के चार्जशीट कोर्ट में भेजने की तैयारी कर रहे थे. Short Love Story in Hindi

 

Love Story in Hindi: औनलाइन इश्क जरा सोचसमझ के

Love Story in Hindi: पांचवीं पास मसजिद का इमाम और 3 बच्चों का बाप शहजाद बहुत चालबाज था. उस ने उच्चशिक्षित असमिया युवती नईमा यासमीन से औनलाइन दोस्ती कर उसे न सिर्फ फरेबी इश्क के जाल में फांसा, बल्कि उस से औनलाइन निकाह भी कर लिया. एक दिन नईमा ने जब अपना मुंह खोला तो उसे ऐसी सजा दी गई कि…

असम की रहने वाली नईमा यासमीन पिछले 2 दिनों से नोएडा के वन बीएचके फ्लैट में उदास बैठी थी. उस की उदासी के कई कारण थे. उस ने मोबाइल से बैंक बैलेंस चैक किया था, जो जीरो पर आ गया था. कहीं भी कोई सेविंग्स नहीं बची थी. सारे पैसे खत्म हो गए थे. उसे अपना मेट्रो कार्ड रिचार्ज करवाने के लिए पैसे की जरूरत थी. मोबाइल का रिचार्ज भी 2 दिनों में खत्म होने वाला था. इस बारे में अपनी बहन को बताए भी काफी समय बीत चुका था. उस से कुछ पैसे अकाउंट में ट्रांसफर करने की उस ने मदद मांगी थी. यह बात सितंबर महीने की 16 तारीख दोपहर की है.

उसे जल्द ही कोई दूसरी नौकरी तलाशनी थी. दिल्ली के एनसीआर गुरुग्राम की नौकरी छोड़े 2 हफ्ते हो गए थे. वह कई दूसरी कंपनियों में अपना रिज्यूम दे चुकी थी, लेकिन कहीं से बुलावे का मेल नहीं आया था. वह पिछले साल 2024 में शादी के बाद गुरुग्राम के पीजी से शिफ्ट हो कर नोएडा में अपने पति शहजाद के साथ रह रही थी. कई बातें दिमाग में उमड़घुमड़ रही थीं. तभी कौल बेल बजने पर उस का ध्यान भंग हो गया. वह बेमन से दरवाजा खोलने के लिए उठ रही थी. तब तक 2-3 बार कौल बेल बज चुकी थी.

दरवाजे की कुंडी खोल कर अपने कमरे में जाने को मुड़ी ही थी कि पीछे से प्यार भरी आवाज आई, ”क्या बात है बेगम साहिबा!  पूछे बगैर कुंडी खोल दी! दरवाजे पर कोई और होता तो..? ऐसी भूल मत किया करो.’’

यह उस के पति शहजाद की आवाज थी, जिस का नईमा ने कोई जवाब नहीं दिया था और कमरे में चली गई थी. पीछेपीछे शहजाद भी आ गया. उस ने पूछा, ”नौकरी का कहीं से बुलावा आया?’’

”अभी नहीं,’’ नईमा उदासी से बोली.

”कोई बात नहीं, चलो जब तक कहीं से कोई बुलावा नहीं आता, तब तक तुम्हें सैर करवाने ले चलता हूं.’’ शहजाद बोला.

”मैं टेंशन में हूं और तुम्हें सैर की सूझ रही है.’’

”थोड़ा घूमोगी तभी तो तुम्हारा मन हलका होगा. आज नहीं तो कल नौकरी मिल ही जाएगी, चिंता क्यों करती हो?’’ शहजाद बोला.

नईमा को पति के बदले रूप पर हैरानी हुई. कुछ देर पहले वह उस से काफी झगड़ कर निकला था. फिर अचानक उस से प्यार जताने लगा, सैर पर जाने के लिए कह रहा है. वह बोली, ”पैसे कहां हैं?’’

”इस की चिंता मत करो…’’ शहजाद के आगे कुछ बोलने से पहले ही पास रखे नईमा के मोबाइल पर मैसेज आने की टोन सुनाई दी. वह यूपीआई द्वारा पैसे आने का मैसेज था.

टोन सुन कर शहजाद फोन की तरफ देखने लगा. वह बोला, ”यह लो, पैसे भी आ गए!’’

”नहींनहीं! इस पर नजर मत डालो. बड़ी मिन्नतों के बाद दीदी ने पैसे भेजे हैं. मेट्रो कार्ड और फोन रिचार्ज करवाना है.’’ नईमा तुनकती हुई बोली और पैसा ट्रांसफर का मैसेज पढऩे लगी.

उस में शहजाद भी झांकने लगा. अंगरेजी में लिखा मैसेज आसानी से नहीं समझ पाया. बैलेंस अमाउंट देखने से पहले ही नईमा ने मोबाइल बंद कर दिया.

”ठीक है मत बताओ, मेरी जेब में पैसे हैं. यह देखो.’’ कहते हुए शहजाद ने जेब से 500 रुपए के नोटों की एक गड्डी निकाल कर दिखा दी.

”इस में पूरे 30 हजार रुपए हैं. चलो, तुम्हें मेरठ घुमा लाता हूं. वहीं कुछ शौपिंग भी करवा दूंगा. बचे पैसे तुम रख लेना.’’

”इतने पैसे कहां से आए. अभी तो तुम्हारे पास एक रुपया नहीं था…सचसच बताना किस से कर्ज लिया है?’’ नईमा बोली.

”तुम बेकार की बातों में मत उलझो. तैयार हो जाओ, हमें जल्दी निकलना है.’’ शहजाद बोला और अपना सामान पैक करने के लिए बैग निकाल लिया.

नईमा शहजाद के इस रूप को देख कर हैरान थी. बातबात पर गालियां बकने और हाथ उठाने वाले में यह बदलाव कैसे आ गया. इस पर अधिक बात न करना ही उस ने मुनासिब समझा. उस की दिली तमन्ना को पूरा करने के लिए वह भी उस के साथ चलने की तैयारी करने लगी.

कुछ घंटे बाद शहजाद और नईम मेरठ के भीड़भाड़ वाले बाजार में थे. वहीं दोनों ने कुछ शौपिंग की. नईमा ने झिझकते हुए अपनी पसंद की एक ड्रैस ली, लेकिन नईम ने उस के लिए एक बुरका भी खरीद लिया. फिर दोनों ने एक साधारण से रेस्टोरेंट में खाना खाया.

वहीं शहजाद की मुलाकात नदीम से हुई. उस का परिचय नईमा से करवाया, ”यह मेरा खास दोस्त है. मुसीबत में मेरा साथ देता है.’’

”अच्छा!’’ नईमा इस से अधिक और कुछ नहीं बोली.

शहजाद उसे रेस्टोरेंट के बाहर तक छोड़ आया.

तब तक शाम घिरने लगी थी. नईम वापस दिल्ली लौटने को बोली. इस पर शहजाद ने अगले रोज लौटने के बारे में बोल कर अपने दोस्त नदीम घर ठहरने का आग्रह किया.

नईमा थकान महसूस कर रही थी. शहजाद के आग्रह को मान लिया. दोनों नदीम के घर की ओर चल पड़े. रास्ते में एक जूस की दुकान दिखी. शहजाद बोला, ”क्यों न एकएक गिलास जूस पी लिया जाए! जूस की यह बहुत फेमस दुकान है. तुम्हारे लिए कौन सा जूस बनवाऊं?’’

”अनार का बनवा लो,’’ वह बोली.

”ठीक है, मैं तो अनानास का लूंगा!’’ शहजाद बोला और जूस की दुकान की ओर चल पड़ा. नईमा थोड़ी दूरी पर खड़ी रही. कुछ मिनटों में ही शहजाद 2 गिलास जूस ले कर नईमा के पास आ गया. दोनों ने अपनीअपनी पसंद का जूस पीया और फिर वहां से चल पड़े. अगले रोज 17 सितंबर, 2025 को मेरठ में जानी थाने की पुलिस को सिवालखास जंगली इलाके में एक महिला की रक्तरंजित लाश मिली. लाश बुरके में थी. पुलिस लावारिस लाश की पहचान के लिए तहकीकात में जुट गई. महिला का गला रेता हुआ था.

इस की स्थिति देख कर पहली नजर में पुलिस ने अनुमान लगाया कि महिला की मौत गला रेतने से हुई होगी. किंतु हो सकता है उस की मौत के और भी कुछ कारण रहे हों. हो सकता है उस का गला घोंटा गया हो या फिर उसे जहर खिलाने के बाद मृत देह का गला रेता गया हो. कारण जो भी हो, वो तो पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल सकेगा.  शक्ल और कदकाठी से महिला उत्तर पूर्व की लग रही थी, जिस की उम्र लगभग 35-36 साल थी.

मौत के कारण की जांच के लिए लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. उस की रिपोर्ट में गला रेतने से मौत की पुष्टि हुई. किंतु उस की हफ्तों तक पहचान नहीं हो पाई. पुलिस को कोई सुराग भी हाथ नहीं लग रहा था. मेरठ की पुलिस तफ्तीश में जुटी हुई थी.

अचानक 8 अक्तूबर, 2025 को मेरठ पुलिस को एक गुमशुदा की रिपोर्ट पर ध्यान गया. दरअसल, वह रिपोर्ट मुजफ्फरनगर के चरथावल थाने में दर्ज की गई थी. करीब 35 वर्षीया नईमा यासमीन नामक महिला के बारे में बताया गया था कि वह 16 सितंबर से लापता है. गुमशुदमी दर्ज होते ही नईमा यासमीन का फोटो और पूरी डिटेल्स पुलिस के औनलाइन रिकौर्ड पर फीड हो गई. मेरठ पुलिस की नजर जब इस पर गई, तब वह चौंक गई. कारण गुमशुदा महिला की तसवीर 17 सितंबर को बरामद हुई लाश से मिलतीजुलती थी.

मेरठ पुलिस को गुमशुदा की रिपोर्ट से ही शिकायत दर्ज करवाने वाले के बारे में मालूम हो गया. वह पहले चरथावल थाने गई. वहां से रिपोर्ट दर्ज करवाने वाले का पूरा विवरण ले लिया, जो उस लापता महिला नई यासमीन का पति शहजाद है. उस के ग्राम सैद नगला मुजफ्फरनगर का रहने की पुष्टि हुई. मेरठ पुलिस तुरंत शहजाद के घर गई. पुलिस को देखते ही शहजाद घबरा गया. उस की बौडी लैंग्वेज से पुलिस समझ गई कि जरूर दाल में कुछ काला है. पुलिस ने उसे उस की लापता पत्नी की लाश मिलने की जानकारी दी.

यह सुन कर शहजाद घडिय़ाली आंसू बहाने लगा. फिर पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले गई. थाने में उस से यासमीन की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो शहजाद पुलिस के सवालों के सही जवाब देने से कतराता रहा, किंतु जब पुलिस ने सख्त रुख अख्तियार किया, तब  उस ने नईम की हत्या करना कुबूल कर लिया. उस ने यह भी बताया कि इस वारदात को अंजाम देने में उस ने अपने साथी नदीम अंसारी की मदद ली थी. दोनों ने मिल कर यासमीन की हत्या की थी. इस से पहले उस ने यासमीन को जूस में नींद की गोलियां मिला कर दी थीं. उस के बेहोश हो जाने के बाद दोनों उसे घटनास्थल तक ले गए थे.

हत्या के बाद किसी को शक नहीं हो, इसलिए उस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट थाना चरथावल में दर्ज करवाई थी. यह उस तक पुलिस के पहुंचने का कारण बन गया. जांचपड़ताल के बाद जानी थाने की पुलिस ने शहजाद और नदीम को गिरफ्तार कर वारदात का खुलासा कर दिया. पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त छुरी व रस्सी भी बरामद कर ली. इस खुलासे पर एसएसपी डा. विपिन ताडा ने पुलिस टीम को 25 हजार रुपए का इनाम दे कर पुरस्कृत किया. शहजाद ने नईम की हत्या करने का जो कारण बताया, इस में उस की मक्कारी, हैवानियत, अपनी पहली बीवी और इसलाम धर्म तक के साथ बेवफाई की हैरान करने वाली दर्दनाक दास्तान थी.

हत्या की शिकार होने वाली नईमा यासमीन और शहजाद एक बेमेल जोड़ा था. उन के बीच कुछ समय के लिए वैचारिक तालमेल बन गए थे और यही उन के बीच प्रेम संबंध और निकाह का कारण भी था. नईम यासमीन जितनी सच्ची और प्रतिभावान और पढ़ीलिखी थी, शहजाद उतना ही उस के उलट था. असम के शहर गुवाहाटी की रहने वाली नईमा ग्रैजुएट थी और दिल्ली एनसीआर में स्थित मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करती थी. दूसरी तरफ 5वीं तक पढ़ाई करने वाला शहजाद मेरठ की एक मसजिद में इमाम की छोटी से नौकरी करता है. वह शादीशुदा है और 3 बच्चों का बाप भी था. वह सोशल मीडिया का दीवाना था.

साल 2024 में उस की नईमा से औनलाइन जानपहचान हो गई थी. नईमा एनिमल वेलफेयर एनजीओ से भी जुड़ी थी. जानवरों से उसे बेहद लगाव था. साथ ही उस के पास 5-6 बिल्लियां भी थीं. इसी एनजीओ के जरिए साल 2024 में उस की मुलाकात शहजाद से हुई थी. सोशल मीडिया के जरिए दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई और फिर धीरेधीरे दोस्ती आगे बढ़ी. शहजाद ने खुद को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) का ग्रैजुएट और कारोबारी बता कर नईमा का दिल जीत लिया था. साथ ही उस ने कहा था कि उसे भी बिल्लियों से बहुत प्यार है. उस ने नईमा से वही बातें कीं, जो उसे पसंद थीं.

कैट लवर बन कर शहजाद ने धीरेधीरे नईमा का भरोसा जीत लिया था और फिर प्यार का सिलसिला शुरू हो गया था. सितंबर 2024 में दोनों ने औनलाइन निकाह भी कर लिया. निकाह के बाद दोनों दिल्ली में साथ रहने लगे, जिस की जानकारी नईमा की बहन को भी थी. नईमा खुश थी और अपने नए जीवन की बातें सिर्फ अपनी बहन के साथ साझा करती थी. निकाह के करीब 3 महीने बाद शहजाद ने नईमा से मुजफ्फरनगर में स्थित अपना पुश्तैनी घर दिखाने के लिए कहा. उस के कहने पर नईमा मुजफ्फरनगर पति के घर पहुंची. वहां उस के सपने टूट गए. खुद को बिजनैसमैन बताने वाला शहजाद बेहद साधारण परिवार से था और एक इमाम की नौकरी करता था. खुद मसजिद के राशन पर पलता था. उस का कोई कारोबार या व्यापार नहीं था. उस ने नईमा को झूठ बताया था.

सब से बड़ा झूठ तो उस ने अपनी शादी को ले कर कहा था. नईमा से उस ने बात छिपा ली थी कि वह पहले से विवाहित और 3 बच्चों का बाप भी है. नईमा को समझते देर नहीं लगी कि शहजाद ने उस से निकाह उस की नौकरी और सैलरी, सेविंग्स के लालच में किया था. इस सच्चाई के खुलते ही नईमा ने शहजाद का विरोध किया. बदले में शहजाद उस के साथ गालीगलौज और मारपीट  पर उतर आया. शहजाद की हकीकत जान कर नईमा यासमीन पूरी तरह टूट गई. उस ने अपना दुखड़ा बहन को सुनाया. अपनी सच्चाई का परदाफाश होते  ही शहजाद का चेहरा भी बदल गया. वह नईमा की सैलरी हड़पने लगा. उस की सारी सेविंग्स भी खत्म कर दी.

नईमा परेशान हो गई. उस ने शहजाद से पहली पत्नी और बच्चों से मिलने से मना किया. यह बात शहजाद को नागवार गुजरी. तब उस ने नईमा को ही रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया.  जिस के लिए उस ने अपने दोस्त नदीम को 12 हजार रुपए दे कर योजना में शामिल कर लिया. योजना के मुताबिक शहजाद 16 सितंबर, 2025 को शौपिंग के बहाने नईमा को मेरठ ले कर आया और रास्ते में उसे जूस में नींद की गोलियां दे कर बेहोश कर दिया. फिर दोनों उसे जंगली इलाके के एक खेत में ले गए. जहां नदीम ने रस्सी से उस का गला दबाया और शहजाद ने छुरे से गले को रेत दिया. फिर दोनों ने लाश को एक बुरके में लपेट कर फेंक दिया. फिर वापस घर लौट आए.

हफ्तों तक वे चुप्पी साधे रहे, लेकिन भीतरभीतर डरे हुए भी थे कि कहीं वे पकड़े न जाएं. इसी भय से शहजाद ने 8 अक्तूबर, 2025 को मुजफ्फरनगर में नईमा यासमीन की गुमशुदगी भी दर्ज करवा दी थी. पुलिस ने आरोपी शहजाद और उस के साथी नदीम से पूछताछ करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. Love Story in Hindi

 

UP Crime News: 8 करोड़ के लालच में अस्पताल संचालक किडनैप

UP Crime News: गोरखपुर में स्थित एक अस्पताल के संचालक अशोक जायसवाल के दिलोदिमाग से किडनैप की छाप मिटने का नाम ही नहीं ले रही थी. पहले उन के बिजनैसमैन पिता को किडनैपर्स ने मोटी रकम ले कर छोड़ा. उस के बाद उन के बड़े भाई का किडनैप हो गया. उन्हें भी मोटी रकम दे कर किडनैपर्स से छुड़ाया गया. इन दोनों घटनाओं से वह उबर पाते, उस से पहले ही 8 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए अशोक जायसवाल का ही किडनैप हो गया. क्या उन की पत्नी डा. सुषमा जायसवाल ने किडनैपर्स को यह रकम दी या फिर…

गोरखपुर मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर स्थित है थाना सिकरीगंज. गांव अबू पट्टी इसी थानाक्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. यह गांव मुसलिम बाहुल्य के रूप में जाना जाता है. गांव के अधिकांश युवा खाड़ी देशों में जौब कर के अच्छा पैसा कमाते हैं. यही देख इसी गांव का रहने वाला 35 वर्षीय कमालुद्दीन अहमद उर्फ कमालु का भी सपना ढेरों पैसे कमाने का था. अमीर बनने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहता था. छोटीमोटी चोरियां कर के उस ने जरायम की दुनिया के रोजनामचे पर अंगद की तरह मजबूती से पांव जमा कर पुलिस की नाक में दम कर दिया था.

खतरनाक असलहों और लड़कियों के शौकीन कमालु ने 3 शादियां की थीं, जिन में 2 लड़कियां हिंदू और एक मुसलिम थी. दोनों हिंदू लड़कियों में से एक कमालु की छाया बन कर हर वक्त उस के साथ रहती थी. वही उस के नाम से इंस्टाग्राम चलाती और उस के गुनाहों का बहीखाता संभालती. वह लड़कियों की तस्करी भी करता था, तभी तो उस की पुलिस से ले कर राजनेताओं के बीच में गहरी पैठ बन गई थी. इसलिए वह पुलिस के चंगुल में आसानी से फंसता नहीं था.

बात मई, 2025 की है. शाम के 5 बजे का वक्त था. कमालु अपने घर के डाइनिंग रूम में सोफे पर बैठा हुआ था. सामने लकड़ी की बनी छोटी मेज पर कांच की प्याली में चाय रखी थी, जिसे वह चुस्की ले कर पी रहा था. तभी उस के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने दाहिने हाथ में मोबाइल उठा कर नंबर को गौर से देखा, वह उस के परिचित प्रदीप सोनी का था. काल रिसीव कर वह अदब से बोला, ”बताएं सोनीजी, आज इस नाचीज की कैसे याद आई?’’

”कुछ खास काम था तुम से.’’

”मेरे से खास काम..!’’ चौंकते हुए कमालु ने सवाल किया, ”बताएं…बताएं, क्या खास काम है?’’

”एक मोटी आसामी कटने को तैयार है. बोलो, टास्क पूरा करोगे?’’

”कीमत?’’

”8 करोड़.’’

”8 करोड़.’’ सुन कर कमालु ऐसे चौंका, जैसे उसे सैकड़ों बिच्छुओं ने एक साथ डंक मारे हों.

”आसामी मोटी और बड़ी है. 8 करोड़ की रकम उस के घर में रखी है, मगर मेरी एक शर्त है.’’ प्रदीप शख्स ने कहा.

”हां, बोलो भाईजान. कैसी शर्त है?’’

”पहली शर्त तो यह कि कुछ भी हो जाए, इस में मेरा नाम सामने नहीं आना चाहिए. दूसरी शर्त टास्क पूरी होने के बाद फिरौती की रकम में से आधा हिस्सा मेरा. बोलो, मेरी दोनों शर्तें मंजूर हैं तुम्हें?’’

”हां, 100 फीसदी डील पक्की समझो. बस मुझे मेरे शिकार का पता दे दो.’’

”वह है पादरी बाजार स्थित अंशुमान हौस्पिटल का डायरेक्टर और सेना से रिटायर जवान अशोक जायसवाल. उस की पत्नी डा. सुषमा जायसवाल है. एक बेटी और एक बेटा है, जो शहर से बाहर रहते हैं. घर पर मियांबीवी के अलावा तीसरा कोई नहीं रहता है. अपनी फिटनैस के लिए वह रोज सुबह साढ़े 5 बजे साइकिल से जेल रोड बाईपास से होते हुए रेलवे स्टेडियम में जौगिंग और स्वीमिंग करने अकेला जाता है.’’

प्रदीप सोनी ने शिकार का पूरा हुलिया और उस के आनेजाने की पूरी खबर कमालु को दे दी. सारी जानकारी पा कर कमालु की खुशियों का ठिकाना नहीं था. वह इस टास्क को पूरा करने लिए जीजान लगाने के लिए तैयार था. कमालु के पास 8-10 सदस्यों का गैंग था. करुणेश कुमार दुबे उस का सब से विश्वासपात्र था. यूं कहें कि वह उस का दाहिना हाथ था. करुणेश बेलाघाट थाने के शंकरपुर स्थित चौतरा पट्टी का रहने वाला था. कमालु की तरह वह भी कम समय में अमीर बनने के सपने देखा करता था. बाद में वह कमालु के गैंग का सक्रिय सदस्य बन गया.

ऐसे किया किडनैप

अस्पताल के डायरेक्टर अशोक जायसवाल का किडनैप करने का टास्क मिलने के बाद कमालु करुणेश के साथ उस की रेकी के काम में जुट गया. पूरे 2 महीने तक रेकी करने के बाद जब उन्हें लगा कि अब टास्क पूरा करने का समय आ चुका है, तब कमालु ने इस काम को अंजाम देने के लिए अपने और साथियों श्याम सुंदर उर्फ गुड्डू यादव, जनार्दन गौड़, प्रीतम कुमार, अंश कुमार और शेरू सिंह को सक्रिय किया.

योजना तैयार होने के बाद 25 जुलाई, 2025 को शिकार को टारगेट बनाने की बुनियाद रखी. शातिर कमालु ने गिरोह के सदस्यों को 2 टीमों में बांट दिया, ताकि कोई मुसीबत आने पर सभी साथी सुरक्षित निकल कर भागने में सफल रहें. पहली टीम में उस ने श्यामसुंदर, जनार्दन गौड़ और करुणेश दुबे को रखा था. जबकि दूसरी टीम में वह खुद, प्रीतम कुमार, शेरू सिंह और अंश कुमार को रखा था.

25 जुलाई, 2025 की भोर के 4 बजे एक कार में सवार हो कर श्यामसुंदर, जनार्दन गौड़ और करुणेश दुबे कौआबाग अंडरपास पहुंचे. कार श्यामसुंदर चला रहा था. कार एक साइड में लगा कर तीनों उस में से निकल कर थोड़ीथोड़ी दूरी पर फैल गए थे, ताकि किसी को उन पर शक न हो. अंडरपास के दूसरी ओर कमालु कार ले कर खड़ा था, जिस में प्रीतम कुमार, शेरू सिंह और अंश कुमार सवार थे.

ठीक साढ़े 5 बजे साइकिल पर सवार हो कर अशोक जायसवाल कौआबाग पुलिस चौकी होते हुए अंडरपास की ओर आते दिखाई दिए. उन्हें आते हुए देख कर करुणेश, जनार्दन और श्यामसुंदर सतर्क हो गए. जैसे ही अशोक अंडरपास के पास पहुंचे, अचानक उन की साइकिल के सामने करुणेश आ गया और उन की साइकिल रोक कर पता पूछने के बहाने अपनी बातों में उलझा लिया. तब तक वहां श्यामसुंदर और प्रीतम भी पीछे से आ गए और अशोक को धक्का दे कर साइकिल से नीचे गिरा दिया.

अशोक जायसवाल साइकिल सहित नीचे गिर गए. वह खुद को संभाल पाते या कुछ समझ पाते, इतने में तीनों ने उन्हें दबोच कर कार की पिछली सीट पर डाल दिया. अशोक को बीच में बैठा कर उन्होंने उन की आंखों पर पट्टी बांध दी. टारगेट पूरा होने की सूचना जैसे ही कमालु को मिली, वह खुशी से झूम उठा और अपनी कार ले कर करुणेश की कार के पीछे लगा दी. इधर अशोक जायसवाल को घर से निकले करीब 4 घंटे बीत चुके थे. वह अब तक घर नहीं पहुंचे थे. यह देख कर उन की पत्नी डा. सुषमा जायसवाल परेशान हो गई थीं कि कभी ऐसा नहीं हुआ कि उन्हें घर लौटने में इतनी देर लगे. जौगिंग कर के वह 2 घंटे में घर लौट आते थे, फिर आज कहां रह गए. उन का फोन भी लगातार स्विच्ड औफ आ रहा था.

पति का फोन लगातार बंद आने पर डा. सुषमा को किसी अनहोनी की आशंका हुई. मन में बुरेबुरे खयालों के काले बादल उमडऩे लगे. अभी वह इन्हीं खयालों के मकडज़ाल में उलझी हुई थीं कि उन के फोन की घंटी घनघना उठी. डिसप्ले पर उभर रहा नंबर अननोन था. हिम्मत कर के डा. सुषमा ने वह कौल रिसीव किया, ”हैलो! कौन?’’

”क्या मेरी बात डौक्टर सुषमा जायसवाल से हो रही है?’’ दूसरी ओर से रौबीली आवाज कान के परदे से टकराई.

”हां, मैं सुषमा जायसवाल हूं. बताइए, क्या बात है?’’

”सुन डौक्टरनी, तेरा पति अशोक मेरे कब्जे में है. उसे जिंदा और सहीसलामत देखना चाहती है तो 8 करोड़ रुपए तैयार कर के रखना. दोबारा फोन करूंगा तो बताऊंगा कि रुपए कब और कहां ले कर आना है. और हां, जरा भी होशियारी करने की कोशिश मत करना, वरना तेरे पति को खलास कर दूंगा, रोती रहना जिंदगी भर. समझी. यह भी सुन ले, पुलिस के पास जाने की गलती कतई मत करना, वरना इस के शरीर के इतने टुकड़े करूंगा कि तेरे को जोडऩे में जिंदगी बीत जाएगी, समझी. चल, पैसों के इंतजाम में जुट जा.’’ फोन करने वाले ने सुषमा को धमकी दी. धमकी करुणेश ने दी थी.

8 करोड़ की मांगी फिरौती

पति के किडनैप होने की सूचना पाते ही डा. सुषमा घबरा गईं. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें? किडनैपर ने पति को आजाद करने के बदले में 8 करोड़ रुपयों की डिमांड की थी. ये 8 करोड़ रुपए कहां से आएंगे? काफी सोचविचार कर डा. सुषमा जायसवाल अपने बहनोई को साथ ले कर शाहपुर थाने पहुंचीं. इंसपेक्टर नीरज राय को उन्होंने पति के किडनैप से ले कर बदमाशों द्वारा फिरौती में 8 करोड़ की रकम मांगने की बात बताई.

डा. सुषमा के मुंह से किडनैपर्स द्वारा फिरौती की 8 करोड़ की रकम सुन कर इंसपेक्टर नीरज राय चौंक पड़े. यह सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को दी तो पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया और आननफानन में सीमा के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को सील करा कर बैरिकेड्स लगा कर वाहनों की जांच शुरू करने के आदेश दे दिए गए, लेकिन बदमाश पुलिस की पकड़ से बहुत दूर जा चुके थे. रिटायर्ड एयरफोर्स जवान और अस्पताल संचालक अशोक जायसवाल के किडनैप केस को एसएसपी राजकरन नैयर ने गंभीरता से लिया. उन्होंने एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी के नेतृत्व में पुलिस की 4 टीमें बनाईं और उन्हें बदमाशों को पकडऩे के लिए रवाना किया.

पुलिस के लिए यह घटना चुनौतीपूर्ण थी और वे किडनैप किए गए अशोक जायसवाल को सकुशल बचाना चाहते थे. बदमाशों ने जिस नंबर से फिरौती की रकम के लिए कौल की थी, एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी ने सब से पहले उसे सर्विलांस पर लगा दिया और बदमाशों के लोकेशन का पता लगाने की कोशिश की. साथ ही उन्होंने डा. सुषमा से यह भी कह दिया कि बदमाशों का फिर से फोन आए तो उसे अपनी लंबी बातों में देर तक उलझाए रखें. उसी शाम 4 बजे के करीब बदमाशों का फोन डा. सुषमा जायसवाल के फोन पर आया. 8 करोड़ की फिरौती की मांग पर सौदेबाजी करतेकरते बदमाश 15 लाख की रकम पर आ कर टिक गए.

पति की सलामती के लिए वह जैसेतैसे 8 लाख रुपयों का इंतजाम कर सकीं और बदमाशों के बताए गीडा थानाक्षेत्र के कालेसर नामक स्थान पर रकम पहुंचाने के लिए तैयार हुईं. दूसरी तरफ सर्विलांस के जरिए पुलिस दोनों की बातों को सुन भी रही थी. इस के अलावा डा. सुषमा ने एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी को फोन कर के किडनैपर्स से हुई सारी बात बता दी. सादे कपड़ों में पुलिस टीम ने कालेसर एरिया को चारों ओर से घेर लिया था. किडनैपर्स ने पैसे लेने के लिए यही जगह डा. सुषमा जायसवाल को बताई थी. शाम 7 बजे के करीब एक नीले रंग की कार कालेसर आ कर रुकी तो सादे कपड़ों में चारों ओर फैली पुलिस पोजीशन ले कर सतर्क हो गई. उन्हें यकीन था कि इसी कार में बदमाश अशोक जायसवाल को ले कर आए होंगे.

पलभर बाद कार में से 3 व्यक्ति बाहर निकले, जबकि कार के अंदर एक व्यक्ति बैठा नजर आ रहा था. इस के कुछ दूरी पर एक और कार आ कर खड़ी हो गई. पहली वाली कार से उतरे 3 व्यक्तियों में से एक ने चारों तरफ का जायजा लेने के बाद अपनी जेब से फोन निकाला और वह कोई नंबर लगाने के बाद फोन पर बात करने लगा. एसपी (सिटी) त्यागी को विश्वास हो गया कि ये शायद बदमाश ही हैं, जो फिरौती की रकम लेने यहां आए हैं. इसलिए उन्होंने मौके पर मौजूद पुलिस टीम को फोन कर के सतर्क किया और किसी भी तरह बदमाशों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया.

आदेश मिलते ही घात लगाए बैठी पुलिस टीम बदमाशों की ओर बढ़ी तो तीनों बदमाश खतरे को भांप कर मौके से भागने लगे. बदमाशों को भागता देख कार में बैठा व्यक्ति भी दरवाजा खोल कर कार में से निकल कर भागने लगा. वह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि अपहृत किए गए अशोक जायसवाल ही थे. पुलिस ने अशोक को सकुशल बरामद कर लिया.

भावुक हो पत्नी से लिपट गए अशोक जायसवाल

पुलिस के साथ पत्नी सुषमा जायसवाल को देख कर अशोक जायसवाल को सहसा यकीन नहीं हुआ. पत्नी को देखते ही उन की आंखें डबडबा गईं और वह उन से जा लिपटे. पति को सहीसलामत देख कर सुषमा का भी गला रुंध गया था. भावुक हो कर कुछ पलों तक दोनों एकदूसरे को अपलक देखते रहे. इधर पुलिस ने भागने वाले तीनों किडनैपर्स को कुछ दूर जा कर पकड़ लिया, जिन में 2 किडनैपर्स जनार्दन गौड़ और श्यामसुंदर उर्फ गुड्ïडू यादव भागते समय सड़क पर गिर गए थे, जिस से दोनों के पैरों में गंभीर चोटेें आई थीं. वे लंगड़ा कर चल रहे थे. पुलिस ने करीब 15 घंटों में अपहृत अशोक जायसवाल और किडनैपर्स को सकुशल पकडऩे में कामयाबी हासिल कर ली थी.

पुलिस तीनों किडनैपर्स को ले कर थाना शाहपुर पहुंची. इधर इंसपेक्टर नीरज राय ने कप्तान राजकरन नैय्यर और एसपी (सिटी) अभिनव त्यागी को सूचना दे दी थी. अशोक जायसवाल की सकुशल बरामदगी और 3 किडनैपर्स की गिरफ्तारी की सूचना पाते ही दोनों अधिकारी थाने पहुंचे और तीनों किडनैपर्स से सख्ती से पूछताछ की तो करुणेश दुबे ने बताया कि घटना का मास्टरमाइंड कमालुद्ïदीन अहमद उर्फ कमालु है. कमालु के अलावा घटना में प्रीतम, शेरू सिंह और अंश तिवारी भी शामिल थे. कुल मिला कर इस घटना में 7 किडनैपर्स के नाम सामने आए, जिन में 4 मौके से गाड़ी ले कर फरार हो गए थे.

अगले दिन 26 जुलाई, 2025 को एसएसपी राजकरन नैय्यर ने पुलिस लाइन में प्रैसवार्ता आयोजित की और तीनों किडनैपर्स को गिरफ्तार करने और अशोक जायसवाल को सहीसलामत बरामद करने की जानकारी पत्रकारों को दी. जांच में सामने आया कि परिवार की गतिविधियों पर कोई नजर बनाए हुए था, जिस की वजह से पूरे औपरेशन को बहुत गोपनीय रखा गया था. फिर तीनों को अदालत में पेश कर के 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में गोरखपुर मंडलीय कारागार, बिछिया भेज दिया. फरार चारों बदमाशों की गिरफ्तारी के लिए उन के ठिकानों पर दबिश देने लगे, लेकिन बदमाश पुलिस की पकड़ से दूर थे.

27 जुलाई, 2025 को डीआईजी डा. एस. चनप्पा ने घटना के मास्टरमाइंड कलामुद्ïदीन उर्फ कमालु के ऊपर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया. इनाम घोषित होते ही अगले दिन 28 जुलाई को कमालु रायबरेली की कोर्ट में एक पुराने केस में आत्मसमर्पण कर जेल चला गया. ऐसा करना कमालु की मजबूरी थी, उसे डर सता रहा था कि कहीं उस का एनकाउंटर न हो जाए. एनकाउंटर के डर से ही उस ने खुद को न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था. गोरखपुर पुलिस ने कमालु से पूछताछ के लिए न्यायालय में ट्रांजिट रिमांड की मांग कर दी थी.

24 अगस्त, 2025 को पुलिस की मेहनत रंग लाई और कमालु 48 घंटे की रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया गया. कड़ी सुरक्षा के बीच कमालु रायबरेली जेल से गोरखपुर लाया गया. पुलिस अधिकारियों ने गुप्त स्थान पर रख कर उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने रट्टू तोते की तरह सारा राज उगल दिया था और परतदरपरत राज खुलता चला गया. पूछताछ में कमालु ने बताया कि अशोक जायसवाल के अपहरण की सुपारी उन्हीं के पड़ोसी ज्वैलर प्रदीप सोनी ने दी थी.

उस ने आगे बताया कि गोला थाने का गैंगस्टर मोनू त्रिपाठी, तरुण त्रिपाठी का दोस्त था. क्रिमिनल्स से उस की अच्छी दोस्ती थी. यह बात तरुण जानता था. उस ने लाखों रुपए मिलने का लालच दे कर इसे भी अपनी योजना में मिला लिया था. मोनू का दोस्त करुणेश दुबे था, जो मेरा (कमालुद्दीन उर्फ कमालु) गैंग चलाता था. मोनू त्रिपाठी के जरिए प्रदीप सोनी और तरुण त्रिपाठी मुझ तक पहुंचे और अशोक जायसवाल के किडनैप सुपारी दी. पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपी कमालु को 26 अगस्त, 2025 को रायबरेली जेल पहुंचा दिया. इस के बाद पुलिस ने आरोपी प्रदीप सोनी, देवेशमणि त्रिपाठी उर्फ तरुण त्रिपाठी और मोनू त्रिपाठी को गिरफ्तार कर उस से भी पूछताछ की.

पिता और भाई भी हो चुके थे किडनैप

अशोक जायसवाल किडनैप केस में अब तक 10 आरोपी अरेस्ट किए जा चुके थे. 2 आरोपी पुलिस की पकड़ से अभी भी दूर थे. पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था और फरार चल रहे 2 आरोपियों प्रीतम और अंश तिवारी की तलाश तेज कर दी थी. अशोक जायसवाल मूलरूप से बिहार के बेतिया जिले के रहने वाले थे. वह व्यापार घराने से ताल्लुक रखते थे. उन के पिता बड़ेलाल जायसवाल एक बड़े व्यापारी थे. एक दिन में लाखों का कारोबार होता था. बात सन 1993 की है. तब बिहार में अपहरण कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा था. एक शाम बदमाशों ने अशोक के पिता का किडनैप कर लिया और फिरौती की बड़ी रकम दे कर उन्हें मुक्त कराया था.

पिता के साथ घटी घटना की छाप अभी पूरी तरह से अशोक जायसवाल के जहन से उतरी नहीं थी कि 1995 में उन के बड़े भाई मुरारी लाल का अपहरण हो गया. इस बार भी बदमाशों ने बड़ी फिरौती ले कर मुरारी लाल को आजाद किया था. बारबार परिवार में घट रही घटनाओं से अशोक जायसवाल इस कदर डर गए थे कि अब बेतिया में रहना नहीं चाहते थे. इसे इत्तफाक ही कहा जाएगा कि व्यापारी घराने में होते हुए वह व्यापार के धंधे से दूर रहे थे. इसी दौरान उन्हें एयरफोर्स में नौकरी मिल गई. साल 2000 में उन का ट्रांसफर गोरखपुर हो गया और परिवार के साथ गोरखपुर आ गए.

यहीं रह कर कई साल नौकरी की. साल 2003 में वह एयरफोर्स से रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद वह शाहपुर थानाक्षेत्र के पादरी बाजार इलाके में जमीन ले कर बस गए थे. पत्नी सुषमा जायसवाल भी बस्ती जिले के एक सरकारी अस्पताल में डौक्टर थी. समय अपनी रफ्तार आगे बढ़ता रहा. रिटायरमेंट में अशोक को अच्छीखासी रकम मिली थी और पत्नी भी सरकारी मुलाजिम थीं. दोनों को मिला कर उन के पास अच्छा बैंक बैलेंस था. वे जहां रहते थे, उसी जमीन पर उन्होंने ‘आयुष्मान हौस्पिटल’ बनाया. अस्पताल के निचले हिस्से में वे परिवार सहित रहते थे. ऊपर अस्पताल चलता था.

अशोक जायसवाल के पास जब पैसे आने लगे तो उन्होंने एक स्कूल खोलने की योजना बनाई. यह बात 2017-18 की थी. अपनी योजना को पूरी करने के लिए उन्होंने करोड़ों रुपए की पिपराइच में जमीन खरीदी. जमीन खरीद कर उसे वैसे ही छोड़ दी, ताकि वक्त आने पर उस का सही से इस्तेमाल किया जा सके. यह बात उन के करीबी जानते थे. यही नहीं, उन्होंने अपने बड़बोलेपन में अपने करीबियों और दोस्तों के बीच में यह बात फैला दी थी कि उन को और जमीन की तलाश है. मिल जाए तो खड़ेखड़े नकद खरीद लेंगे. 8-10 करोड़ रुपए तो घर के कैशबौक्स में हमेशा पड़े रहते हैं.

लालच में ज्वैलर ने रची किडनैप की साजिश

यह बात उन का पड़ोसी और बस्ती जिले का रहने वाला प्रदीप सोनी उर्फ पिंटू को भी पता चल गई. हाल में वह पादरी बाजार में किराए का कमरा ले कर परिवार के साथ रहता था. वह उन्हीं के आयुष्मान हौस्पिटल के निचले वाले हिस्से में बनी दुकानों में एक दुकान किराए पर ले कर ज्वैलरी का शोरूम खोल रखा था. अशोक ने सुरक्षा के लिहाज से अस्पताल में कई सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जिस का एक्सेस अशोक जायसवाल के मोबाइल में था तो वही एक्सेस प्रदीप के मोबाइल में भी था, जिस की जानकारी अशोक को नहीं थी. उसी एक्सेस के जरिए वह उन की हरेक गतिविधियों पर नजर गड़ाए हुए था.

पड़ोसी प्रदीप सोनी की नीयत में खोट आ गई थी. दरअसल, वह इन दिनों काफी परेशान चल रहा था. उस की परेशानी का कारण था कर्ज का लेना. प्रदीप ने यहां से पहले पादरी बाजार से जेल बाईपास रोड पर एक दुकान ली थी. वह दुकान अच्छीभली चल रही थी. जब जेल बाईपास रोड का चौड़ीकरण हुआ तो उस की दुकान टूट गई थी, जिस से उसे बड़ा नुकसान हुआ था. उस ने अशोक से 5 लाख रुपए कर्ज ले रखा था. अशोक पैसे लौटाने के लिए उस पर बारबार दबाव बनाने लगे थे. उन के तकादे से वह बुरी तरह परेशान रहने लगा था.

प्रदीप सोनी को पता चल चुका था कि अशोक जायसवाल के कैश बौक्स में 8 से 10 करोड़ रुपए नकद पैक हैं. इस के बाद उस ने अशोक जायसवाल को किडनैप कराने का प्लान बनाया और सोचा कि 8 करोड़ की फिरौती में से वह उन के 5 लाख रुपए भी लौटा देगा. इस प्लान को अंजाम देने के लिए उस ने अपने खास दोस्त देवेशमणि त्रिपाठी उर्फ तरुण त्रिपाठी और इंद्रेश तिवारी उर्फ मोनू को शामिल कर लिया और उन्हें लालच दिया कि फिरौती की रकम में से एकएक करोड़ आपस में बांट लेंगे और अपना देश छोड़ कर नेपाल में शिफ्ट हो जाएंगे, जहां मजे से जिंदगी कटेगी और पुलिस कभी उन तक पहुंच भी नहीं पाएगी.

उसी प्लान के तहत 25 जुलाई, 2025 को सुबह के समय अशोक जायसवाल का अपहरण करा लिया. लेकिन उन के ख्वाब अधूरे के अधूरे रह गए. डा. सुषमा जायसवाल की समझदारी के चलते घटना में लिप्त सभी आरोपी गिरफ्तार कर जेल भेज दिए गए. 2 आरोपियों प्रीतम और अंश तिवारी कथा संकलन तक फरार चल रहे थे. UP Crime News

 

 

MP Crime News : बेदर्दी न समझा कोमल दिल की बात

MP Crime News : सैक्स की चाहत के लिए किया गया प्रेम न केवल अनैतिक और विरोध का तानाबाना बुन लेता है, बल्कि प्रेमी युगल को नाजायज और नापाक राह पर ले जाता है. ऐसा ही कुछ 21 वर्षीय रानू मेहर और रामनिवास सोलंकी के साथ हुआ, जिस के बाद…

रामनिवास सोलंकी अपने घर की छत पर अकेला बैठा था. शाम का अंधेरा घिरने में अभी वक्त था. एकदम तन्हाई में डूबा हुआ था. सामने दूर तक गांव का नजारा वहां से दिख रहा था. उस की पतली पगडंडियों पर गाहेबगाहे उस की नजर ठहर जाती थी. वहां इक्कादुक्का लोगों का आनाजाना हो रहा था. उन में अधिकतर गांव की ओर आने वाले ही थे.

अचानक उस की निगाह कंधे से बैग लटकाए एक युवती पर ठहर गई. वह उस की जानीपहचानी थी और गांव से बाहर जाती दिख रही थी. वह उस के बारे में सोचने लगा, ‘रानू मायके कब आई थी? अब कहां जा रही है?…शायद ससुराल?…आई थी तब उस ने मुझे कौल क्यों नहीं की?…पता लगाना होगा कि क्या बात है?’

रामनिवास चाहता तो वहीं से उसे आवाज दे सकता था, लेकिन उस ने अपने मोबाइल से उसे कौल कर दिया. कुछ सेकेंड तक रिंग जाने के बाद कौल डिसकनेक्ट हो गई. उस ने सोचा कि शायद उस का मोबाइल बैग में होगा. उस का अनुमान सही था. देखा युवती कुछ सेकेंड में ही अपने बैग से मोबाइल निकाल चुकी थी.

अगले पल रामनिवास के फोन पर रिंग बजने लगी थी. उस ने तुरंत कौल रिसीव कर ली.

”हां जानू! तुम कब आई…बताया नहीं… मिले बगैर जा रही हो!’’

”आज ही दिन में आई थी…जल्दी लौटना है…फिर आऊंगी.’’ जवाब देने वाली युवती रानू मेहर रामनिवास के गांव की ही थी. तालाब के दूसरी छोर पर उस का मायका था. उन की पुरानी और गहरी जानपहचान थी. उन के बीच सालों से प्रेम संबंध में ताजगी बनी हुई थी, जबकि युवती पास के ही गांव में ब्याही थी. शादीशुदा हो कर भी उस का दिल और दिमाग रामनिवास के दिल में ही अटका हुआ था.

”तो फिर मिली क्यों नहीं?’’ रामनिवास ने मायूसी से शिकायत की.

”क्या करती मिल कर, तुम मेरी बात मानते ही नहीं.’’

”कैसे मान लूं, तुम अब दूसरे की हो!’’

”चलो, अब फोन काटो,’’ बोलते हुए रानू ने कौल डिसकनेक्ट कर दी.

रानू का अचानक फोन कट जाने पर रामनिवास दुखी महसूस करने लगा. सोचने लगा कि आखिर वह उस से चाहती क्या है? मई की तपिश का महीना था. उस की इच्छा हुई कि तालाब के ठंडे पानी में नहा लिया जाए. इसी के साथ उस के मन में कई तरह के खयाल आते रहे. उन में बारबार रानू का चेहरा भी घूमता रहा. उस के साथ गुजारे गए हसीन लम्हों को याद करने लगा. तालाब में तैरते वक्त उसे याद आया कि कैसे उस ने इसी तालाब में रानू को तैरना सिखाने की पहल की थी.

बात 4 साल पहले की है. बरसात का मौसम था. रामनिवास सोलंकी गांव के तालाब में तैराकी कर रहा था. कुछ देर बाद जब वह तालाब से बाहर निकला, तब उस ने देखा कि उसे गांव की ही लड़की रानू मेहर निहार रही है. वह झेंप गया, लेकिन लड़की बोल पड़ी, ”तुम तो बहुत अच्छा तैरना जानते हो… मुझे भी तैरने का बहुत शौक है.’’

”तो सीख लो, किस ने रोका है.’’

”कैसे सीखूं…कोई लड़की तुम्हारी तरह अच्छी तैराक नहीं है.’’

”मैं सिखा दूं?’’

”हां, तुम सिखा दोगे मुझे तैरना!’’ रानू बोली.

”फीस लगेगी.’’ रामनिवास गमछे से अपना अधनंगा बदन पोंछता हुआ बोला.

”क्या फीस लोगे?’’

”तैराकी सिखाने के बाद बताऊंगा.’’

”बाद में मेरी जान मांग ली तो!’’

”तुम जैसी सुंदर लड़की की भला जान कौन मांगेगा?’’

”तो क्या मांगोगे?’’

”दिल?’’

”चल हट… बड़ा आया दिल लेने वाला!’’ रानू बोलती हुई शरमा गई थी.

”तैरना सीखना है तो बोलो, अभी से ही ट्रेनिंग शुरू कर देता हूं.’’

”हांहां सीखना है न, लेकिन डर लगता है…बाबू को मालूम हो गया तो वह मेरा गला घोंट देगा!’’ रानू आशंका जताती हुई बोली.

”बाबू को मालूम होगा तब न! दोपहर में सिखाऊंगा जब बाबू खेतों पर गए होंगे. चलो आ जाओ… पानी में उतरो.’’

”दूसरे कपड़े ले कर आती हूं.’’ रानू बोल कर अपने घर की ओर दौड़ पड़ी.

कुछ मिनटों में ही रानू पौलीथिन बैग में कपड़े ले कर तालाब के किनारे लौट आई थी. चंचल रानू को संभालता हुआ रामनिवास कमर तक पानी में उतर गया था. उस ने उस के दोनों हाथों को पकड़ कर एक झटके में डुबकी लगाई, जिस के लिए रानू शायद पहले से तैयार नहीं थी. जिस से उस के नाकमुंह में पानी घुस गया था. अपना हाथ छुड़ाती हुई दोनों हथेलियों से नाकमुंह में घुस आए पानी को साफ किया. चेहरा पोंछती हुई बोली, ”ऐसे तो तुम मुझे मार ही डालोगे…सांस नहीं ले पा रही थी.’’

”इतने में घबरा गई…यह तुम्हारा पहला सबक था. उस में पास हो गई…अब अगले स्टेप के लिए तैयार हो जाओ!’’ रामनिवास प्यार से बोला.

”लेकिन अचानक से पानी में डुबो दिया था!’’ रानू बोली. उस का कोई जवाब दिए बगैर रामनिवास ने उस की कमर में हाथ डाला और उसे अपनी दोनों हथेलियों पर उठा लिया. अब उस का चेहरा आसमान की ओर था.

”अपना सिर पानी में डूबने से बचाना है और दोनों पैरों को पानी पर पटकना है…’’

रानू इस निर्देश का पालन करने लगी. कुछ देर बाद रामनिवास ने उसे अचानक छोड़ दिया. तब तक वह और गहरे पानी तक चली गई थी. सीने तक पानी में गिर पड़ी. किसी तरह उस ने खुद को संभाला और रामनिवास से लिपट गई. उसे अजीब सी अनुभूति हुई. किसी मर्द की बाहों में आना 17 साल की रानू का पहला अनुभव था. रामनिवास के लिए भी गीले बदन में रानू को पकड़े रहने का पहला अनुभव था. दोनों कुछ कम पानी में आ गए थे. रामनिवास उस की कमर और पीठ को सहला रहा था, किंतु जल्द ही रानू उस से अलग हो कर पानी से बाहर आ गई. अपने कपड़ों की थैली उठाई और पास की झाड़ी के पीछे चली गई. ओट में जा कर अपने कपड़े बदले और जाने लगी.

कपड़े बदल कर जब वह निकली तो रामनिवास बोला, ”अब और नहीं सीखना है?’’

”आज नहीं.’’ कहती हुई रानू चली गई. उस के जाने के काफी देर बाद तक रानू के शरीर स्पर्श को वह याद करता रहा.

इसी के साथ एक सच यह भी था कि रानू और रामनिवास के दिलों की धड़कनें एकदूसरे के लिए धड़कने लगी थीं.

उस के बाद दोनों का दोपहर में घंटे दो घंटे तक तालाब के पानी में तैरना सीखनेसिखाने का सिलसिला चल पड़ा. वह समय उन के लिए एकदूसरे के साथ पानी में रोमांस करने का भी था. रानू कुछ हफ्ते में ही तैरना सीख चुकी थी. वह रामनिवास की ऐहसानमंद थी कि बगैर कोई फीस दिए उस ने उस से तैरना सीख लिया है. उस के प्रति प्रेम की कोमलता के एहसास से भर गई थी. रामनिवास का भी कमोबेश यही हाल था, लेकिन उस के दिल में प्यार का मतलब रानू की कमसिन देह भर से था. वह उस मौके की ताक में रहने लगा था कि कब रानू उसे अपना सर्वस्व समर्पित कर दे.

जल्द ही उसे वह मौका भी मिल गया. एक दफा जब दोनों एकांत में एकदूसरे की तारीफ करते हुए रोमांस की बातों में मशगूल थे, तब रामनिवास ने अपनी वासना की प्यास बुझाने के लिए रानू को राजी कर लिया था. उस रोज दोनों ने साथ जिएंगे साथ मरेंगे की कसमें भी खाईं. रामनिवास ने रानू के सिर पर हाथ रख कर परिवार और गांव के समाज के विरोध का सामना कर शादी रचाने की सौंगंध ली. उन के बीच महीने 2 महीने नहीं, बल्कि 4 साल तक प्रेम संबंध कायम रहे. हालांकि उन के बारे में गांव में चर्चा भी होने लगी थी, लेकिन कोई खुल कर उन का विरोध नहीं जताता था.

इस दौरान जब भी रानू रामनिवास से मिलती, तब छूटते ही शादी की बात छेड़ देती थी…और फिर उन के बीच एक खटास की भावना भर जाती थी. हालांकि रामनिवास प्रेमिका रानू को शादी का आश्वासन दे कर नई उम्मीद से भर देता था.

इसी बीच दोनों के प्रेम संबंध की सूचना रानू के परिवार तक जा पहुंची. उस के मम्मीपापा रानू के इस व्यवहार से खफा हो गए और वे जल्द से जल्द उस की शादी रचाने की कोशिश में लग गए. पापा ने उस के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी थी. उन का प्रयास सफल हुआ और रानू की शादी पास के गांव गरोठ में रहने वाले एक युवक से कर दी गई. शादी के बाद भी विवाहिता रानू मेहर का दिल रामनिवास सोलंकी में लगा रहा.  वह चाहती थी कि वही उस का जीवनसाथी बने. जबकि रामनिवास गांव और परिवार में अपनी इज्जत बनाए रखना चाहता था. वह नहीं चाहता था कि उस के प्यारमोहब्बत के चलते 2 परिवारों के बीच तनाव का महौल कायम हो जाए.

रानू मेहर के मायके में सभी इस बात से निश्चिंत हो गए थे कि रानू का घर बस गया है. उस ने कुंवारेपन में जो गलतियां कीं, अब उस के गांव के रामनिवास से मिलने में किसी को कोई आपत्ति नहीं थी. वह बेरोकटोक रामनिवास के घर चली जाती, उस की फेमिली वालों के साथ हंसीमजाक करती. इसी तरह रामनिवास भी रानू के मायके आने के बाद उस के घर जा कर एक बार जरूर मिल आता या फिर वे अपने पुराने प्रेम को ताजा करने के लिए तालाब के किनारे घंटों समय गुजार लते थे.

दूसरी तरफ रानू मेहर इसी उम्मीद में रहती थी कि एक न एक दिन रामनिवास सोलंकी जरूर उस के साथ शादी रचाएगा. इस उम्मीद के साथ वह अपने गांव आती रहती थी और रामनिवास से शादी करने का दबाव बनाती थी. जबकि वह कई बार उस से कन्नी काट चुका था. उस के रानू से बचने का कारण भी था. बातोंबातों में वह कई बार धमकी भी दे चुकी थी. वह बोल चुकी थी कि अगर उस ने शादी नहीं की, तब पुलिस के पास चली जाएगी. रेप का मुकदमा कर देगी. हालांकि उस ने बात को संभाल लिया और बोली कि वह मजाक कर रही है. ऐसा वह उस के साथ हरगिज नहीं करेगी.

उस रोज तो बात आईगई हो गई थी, लेकिन रामनिवास के दिमाग में रेप में फंसाए जाने की आशंका के कीड़े ने काटना शुरू कर दिया था. यही कारण था कि वह उस से दूरी बनाए रखना चाहता था. वह रानू को भूलने की कोशिश तो कर रहा था, लेकिन जब वह मायके आती थी, तब उस के उस साथ गुजारे हसीन रोमांस की यादें ताजा हो जाती थीं. उस रोज भी वैसा ही कुछ हुआ था, जब रामनिवास छत पर तन्हा बैठा था और उस से मिले बगैर रानू चली गई थी. वह मन मसोस कर रह गया था. उस के ठीक एक हफ्ते बाद ही 25 मई को रानू फिर मायके आई थी. आते ही सीधे रामनिवास को फोन किया. उसे तुरंत मिलने के लिए बुलाया.

उस वक्त रामनिवास गांव से बाहर गया हुआ था. उस ने 2 घंटे बाद आने को कहा, लेकिन रानू ने मिलने की बेसब्री दिखाई और कहा कि घर से बाहर किसी एकांत जगत पर मिलना चाहती है. इस पर रामनिवास ने तालाब के किनारे रात होने पर मिलने को कहा. उस ने समय तय कर लिया और छिप कर आने को कहा.

रानू ने ऐसा ही किया. वह गांव वालों की नजरों से बचती हुई 25 मई, 2025 की रात करीब 10 बजे तालाब के किनारे ओट ले कर बैठ गई. जल्द ही रामनिवास भी वहां पहुंच गया. आते ही मजाक किया, ”जानू! तैरने चलें!’’

”मजाक मत करो, आज में बहुत सीरियस मूड में हूं.’’

”क्यों, क्या बात हुई, पति से झगड़ कर आई हो?’’ रामनिवास बोला.

पति से तो नहीं, लेकिन तुम से जरूर झगडऩे आई हूं.’’ रानू बोली.

उस के बोलने के अंदाज से रामनिवास को लगा कि उस की मजाक का उस ने गंभीरता से जवाब दिया है. वह कुछ पल के सन्न सा रह गया.

”क्यों तुम से नहीं झगड़ सकती? मैं तुम से बहुत नाराज हूं. तुम से बहुत शिकायत है…’’ रानू बिफरती हुई बोली.

”शिकायत? किस बात की?…मेरी बीवी हो जो तुम्हारी शिकायतों को दूर करूं?’’ रामनिवास भी उसी के लहजे में बोला.

”तुम्हारी यही बात मुझे पसंद नहीं आती…मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं…पहली प्रेमिका…मैं ने तुम्हें अपना सब कुछ सुपुर्द कर दिया…और तुम कहते हो मैं क्यों तुम्हारी शिकायत सुनूं?’’ रानू बोली.

”यही कहने के लिए बुलाया था?’’

”किस से कहूं अपने दिल की बात?’’

”पति से?’’

”उसे पसंद नहीं करती! तुम को मेरा पति बनना होगा, वरना मैं तूफान मचा दूंगी….अब और बहाना नहीं चलेगा? बहुत हो गया तुम्हारा आश्वासन!’’ रानू मेहर बोले जा रही थी.

”इस तरह से बात करने की जरूरत नहीं है. मेरी भी मजबूरी है. अभी तुम से शादी नहीं कर सकता. मेरा कोई ठोस काम नहीं है. मुझे गांव में ही रहना है. खेती से आमदनी करनी है. अगर कहीं दूसरे शहर में कामधंधा मिल जाए, तब शादी की बात सोची जा सकती है.’’

”आज तुम अपने वादे से भी मुकर गए.’’

”ऐसा ही समझो…इसी में हम दोनों की भलाई है. हम लोग एक ही गांव के हैं. हम लोगों का घर 10-12 घरों  के अंतर पर है. शादी कर हम लोग इसी गांव में कैसे रह पाएंगे? तुम अब शादीशुदा हो. मैं किसी ब्याहता को कैसे अपनी पत्नी बना सकता हूं. तुम्हारे मायके और ससुराल वाले हम पर मुकदमा ठोक देंगे, तब क्या होगा… कोर्टकचहरी के चक्कर में नहीं पडऩा चाहता.’’ रामनिवास ने अपने मन की बात कह दी. उस ने एक तरह से अपना फैसला ही सुना दिया कि वह अब उस के साथ शादी नहीं कर सकता.

”कोर्टकचहरी के चक्कर में तो ऐसे भी आ जाओगे…उस रोज मजाक में बोली थी, आज वैसा नहीं है…तुम पर रेप का मुकदमा कर दूंगी. सीधे जेल जाओगे.’’ रानू गुस्से में आ गई थी और वहां से जाने के लिए उठ खड़ी हुई थी.

उस की तल्ख बातें सुन कर रामनिवास का दिमाग भन्ना गया था. दिलोदिमाग में तेजाबी तूफान उमडऩे लगा था. उस ने महसूस किया कि उस के हाथपैर बेकाबू हो गए हैं. अगले ही पल रामनिवास के दोनों हाथ रानू मेहर की गरदन को दबोच चुके थे. अचानक इस हमले के लिए रानू तैयार नहीं थी. अपने दोनों हाथों से रामनिवास की पकड़ से मुक्त होने की कोशिश करने लगी, लेकिन उस की बलिष्ठ भुजाओं की मजबूती के आगे असफल रही.

कुछ सेकेंड में ही उस की गरदन झूल गई. उस की मिमियाती आवाज भी बंद हो गई. रामनिवास के हाथों की पकड़ ढीली हुई, तब रानू जमीन पर धड़ाम से गिर पड़ी. सामने गिरी रानू की लाश को रामनिवास ने 2 बार ठोकरें मारी और भुनभुनाया, ”बड़ा आई थी मुझे जेल भेजने…’’

अगले रोज रानू के अचानक लापता हो जाने पर उस के मायके वाले परेशान हो गए. उस के बारे में पता लगाना शुरू किया. उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह कभी भी इस तरह घर से बिना कहे कहीं नहीं जाती थी. गांव वालों से पूछताछ की गई. किसी ने उस के बारे में कुछ नहीं बताया. उस के पापा को बहुत चिंता हुई. उन्होंने रानू की ससुराल वालों से उस की तहकीकात की. उन्होंने उस के ससुराल में नहीं होने की पुष्टि की. उस के पति ने गरोठ थाने पर रानू मेहर की गुमशुदगी की सूचना लिखवा दी. जिस के बाद फेमिली वाले और पुलिस उस की तलाश में जुट गए. रानू के घर से लापता होने के 4 दिन बाद भी कहीं पता नहीं चला.

अचानक 29 मई, 2025 को गांधी सागर जलाशय के बैकवाटर से एक अज्ञात महिला की लाश मिली. पुलिस को शक हुआ कि लाश मृतका रानू मेहर की हो सकती है. लाश की पहचान के लिए पुलिस ने मृतका के घर वालों को बुलाया, लेकिन शव की स्थिति इतनी खराब थी कि वे उसे नहीं पहचान पा रहे थे. इसलिए पुलिस ने फेमिली वालों के डीएनए से मृतका के डीएनए की जांच करवाई. रिपोर्ट आने के बाद मृतका की पहचान हो पाई. पहचान होते ही मृतका के पापा ने गांव के ही रामनिवास सोलंकी पर हत्या की आशंका जताई, क्योंकि रानू के गायब होने के बाद से वह भी गांव से गायब था. पुलिस ने जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार कर उस से सख्ती से पूछताछ की, जिस पर आरोपी ने मृतका की हत्या करना कबूल किया.

आरोपी रामनिवास सोलंकी ने बताया कि रानू मेहर शादीशुदा होते हुए भी उस से शादी कर साथ रहने को कहती थी. जबकि वह अविवाहित था, लेकिन सामाजिक बंधन के चलते उस का रानू से शादी करना संभव नहीं था. इसलिए रानू की जिद से परेशान हो कर उस ने उस की हत्या कर दी. इस के बाद शव को पानी में फेंक दिया था. पुलिस ने आरोपी रामविलास सोलंकी पर हत्या की धाराओं में मामला दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस मामले की जांच गरोठ थाने के एसएचओ हरीश मालवीय कर रहे थे. MP Crime News

 

 

UP Crime News : दहेज का लालच जिंदा जली निक्की

UP Crime News : एक तरफ पूरे देश में दहेज हत्या के झूठे मामलों में परिजनों को फंसाने जैसे अपराधों पर बहस छिड़ी है, वहीं इसी बीच ग्रेटर नोएडा में विपिन भाटी और उस के फेमिली वालों पर 27 वर्षीय पत्नी निक्की को जला कर मारने का आरोप लगा है. क्या वास्तव में निक्की दहेज लोभियों के लालच में जलाई गई या इस के पीछे की सच्चाई कुछ और है? पढ़ें रोंगटे खड़े कर देने वाली यह कहानी.

दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा के दादरी इलाके के रूपवास गांव की रहने वाली निक्की और उस की बड़ी बहन कंचन की शादी 27 दिसंबर, 2016 में ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में एक ही परिवार के 2 भाइयों से हुई थी. बड़े भाई रोहित से भिखारी सिंह की बड़ी बेटी कंचन और छोटे भाई विपिन से छोटी बेटी निक्की की शादी हुई थी. भिखारी सिंह पायला कभी गांव के बड़े काश्तकार थे, लेकिन ग्रेटर नोएडा के विकास के साथ उन की जमीनें ग्रेटर नोएडा अथौरिटी ने अधिग्रहीत कर लीं.

मुआवजे के रूप में मिली करोड़ों की रकम ने भिखारी सिंह के परिवार की जिंदगी का कायाकल्प कर दिया. परिवार में पत्नी वसुंधरी के अलावा 2 बेटियां और 2 बेटे रोहित व अतुल थे. रोहित की 2016 में शादी भी हो चुकी है, लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण अब उस की पत्नी मीनाक्षी अपने मायके में है.

दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में रहने वाले सत्यवीर सिंह के परिवार में पत्नी दयावती के अलावा 2 बेटे हैं रोहित व विपिन. सत्यवीर सिंह अपने गांव के एक छोटे काश्तकार थे. उन की हैसियत भिखारी सिंह जैसी तो नहीं थी, लेकिन उन की जमीन का भी कुछ मुआवजा मिला था, जिस से उन्होंने गांव में अच्छा सा घर बनवा लिया. साथ ही घर के बाहरी इलाके में कुछ दुकानें बना कर किराए पर दे दीं. इस के अलावा उन्होंने एक किराना की दुकान खुद भी खोल ली. इसी दुकान पर सत्यवीर व उन के दोनों बेटे रोहित और विपिन भी बैठने लगे. उन की आमदनी के बस यही जरिया था.

निक्की (27 वर्ष) व कंचन (29 वर्ष)  की शादी दोनों सगे भाइयों से तब हुई, जब देश में नोटबंदी के बाद ज्यादातर लोगों के पास नकदी की कमी थी. इसीलिए उस वक्त दोनों बहनों की शादी सादगीपूर्ण तरीके से जरूर हुई, लेकिन नोटबंदी के बावजूद भिखारी सिंह ने दिल खोल कर पैसा खर्च किया.

बाद में हालात सामान्य होने पर निक्की के पिता भिखारी सिंह ने शादी में दिए जाने वाले सामान की भरपाई कर दी. निक्की के पति को शादी के बाद एक स्कौर्पियो कार के अलावा आभूषण, नकदी और भोग विलास की हर चीज दी. वक्त धीरेधीरे गुजरता गया. निक्की की बहन कंचन के 2 बच्चे हुए. बेटी लाव्या (7 साल) व बेटा विनीत (4 साल), जबकि निक्की का एक बेटा है जो अब करीब 6 साल का है.

विपिन कोई काम नहीं करता था,  इसलिए निक्की ने कुछ साल पहले अपनी बहन के साथ मिल कर ससुराल के घर की ऊपरी मंजिल पर एक ब्यूटी पार्लर खोला था. पार्लर का काम काफी अच्छा चल रहा था, लेकिन ससुराल वालों के दबाव में कुछ ही महीने पहले उन्हें ब्यूटी पार्लर बंद करना पड़ा.

शादी के 9 साल बाद अचानक 21 अगस्त, 2025 की देर शाम को बड़ी बहन कंचन ने ग्रेटर नोएडा के पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी कि शाम करीब साढ़े 5 बजे उस की सास दयावती और देवर विपिन ने उस की बहन निक्की को ज्वलनशील पदार्थ डाल कर जला दिया है. सास ने अपने हाथ में ज्वलनशील पदार्थ लिया और विपिन को पकड़ाया, जिसे विपिन ने निक्की के ऊपर डाल दिया. साथ ही निक्की के गले पर हमला किया. जिस के बाद उस की बहन बेहोश हो गई. जब मैं ने इस का विरोध किया तो मेरे साथ भी मारपीट की गई. कंचन ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि उस का पति रोहित भाटी और ससुर सत्यवीर मौके पर मौजूद थे.

गंभीर हालत में निक्की को पड़ोसियों की मदद से वह फोर्टिस हौस्पिटल एच्छर, ग्रेटर नोएडा ले गई, जहां हालत बिगडऩे पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां इलाज के दौरान उस की मौत हो गई. कंचन ने पुलिस को बताया कि जिस समय उस की बहन की हत्या की गई, वह मौके पर थी, लेकिन वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी.

बहन की मौत से गुस्साई कंचन ने अगली सुबह ससुरालियों पर दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए कासना कोतवाली में तहरीर दे कर पिता सतवीर भाटी, सास दयावती और दोनों बेटों रोहित व विपिन के खिलाफ बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या), 115(2) (चोट पहुंचाना) और 61(2) के तहत केस दर्ज कर दिया.

ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग के लिए निक्की की जला कर हत्या करने की खबर अगली सुबह पूरे नोएडा व एनसीआर के साथ गुर्जर समाज के बीच जंगल की आग की तरह फैल गई थी. जगहजगह निक्की के हत्यारों की गिरफ्तारी और न्याय की मांग के लिए धरनेप्रर्दशन होने लगे. हाथों में ‘जस्टिस फौर निक्की बहन’ की तख्ती और बैनर ले कर दरजनों  बसों, कारों, ट्रैक्टर ट्रौली, दोपहिया ले कर सैकड़ों ग्रामीणों के साथ परिजन कासना कोतवाली जा पहुंचे. इस दौरान उन के साथ किसान संगठन और समाजवादी छात्र से जुड़े लोग भी रहे.

मृतका की बहन कंचन का साफ कहना था कि उस की बहन को कई दिनों से परेशान किया जा रहा था. साजिश के तहत जला कर उस की हत्या की गई है. उस का पति विपिन उस से पूरी रात मारपीट करता था. वह अपनी बहन को इंसाफ दिलाना चाहती है. जिस तरह से उस की बहन तड़पतड़प कर मरी, उसी तरह से आरोपियों को भी फांसी की सजा मिलनी चाहिए.

कोतवाली प्रभारी धर्मेंद्र शुक्ल व ग्रेटर नोएडा जोन के एडिशनल डीसीपी सुधीर कुमार पर आरोपियों को पकडऩे का दबाव लगातार बढ़ रहा था. फेमिली वालों का सीधा आरोप था कि विपिन भाटी व उस के घर वाले निक्की को दहेज के लिए लगातार परेशान कर रहे थे. पिछले कुछ समय से वे निक्की पर दबाव डाल रहे थे कि जो मर्सिडीज गाड़ी भिखारी सिंह ने अपने लिए खरीदी है, वह उसे गिफ्ट की जाए तथा कामधंधा शुरू करने के लिए 35 लाख रुपए नकद दिए जाएं.

परिजनों का साफ आरोप है कि शादी के बाद से ही विपिन लगातार कुछ न कुछ मांग करता रहता था, लेकिन शादी के 9 साल बाद अब उस की मांगें पूरी करना उन के वश से बाहर हो गया था.

वायरल वीडियो से पेचीदा हुआ मामला

घटना के दौरान घर में मौजूद कंचन ने अपनी छोटी बहन के साथ मारपीट और आग के हवाले करने का वीडियो भी बनाया था. इस दौरान निक्की का बेटा भी मौजूद था. महिला को आग लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर अगले दिन जम कर वायरल हो गया. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि विपिन और मृतका की सास निक्की के बाल खींच कर मारपीट करते हैं. साथ ही एक दूसरे वीडियो में आग लगने के दौरान निक्की सीढिय़ों से उतरती हुई दिख रही है.

वीडियो में देखा जा सकता है कि आग में झुलसने के दौरान उस के शरीर के कपड़े भी जल जाते हैं. वह पूरी तरह से झुलसने के बाद बदहवास हालत में जमीन पर बैठी है. वहीं एक अन्य वीडियो में निक्की के बेटे को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उस के पापा ने मम्मा को लाइटर से जलाया.

कंचन के बयान और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद ग्रेटर नोएडा पुलिस पर दबाव इस कदर बढ़ा कि पुलिस की कई टीमें गठित कर दबिशें शुरू की गईं. परिणामस्वरूप निक्की की हत्या में नामजद चारों आरोपियों विपिन भाटी, उस के पिता सत्यवीर भाटी, भाई रोहित भाटी व मां दयावती को अलगअलग इलाकों से गिरफ्तार कर लिया गया.

लेकिन विपिन भाटी को जब पुलिस ज्वलनशील पदार्थ बरामद करने के लिए ले जा रही थी तो उस ने एक दरोगा का रिवौल्वर छीन कर भागने की कोशिश की. विपिन ने पुलिस टीम पर फायर किया तो आत्मरक्षा में पुलिस ने भी जवाबी फायर किया, जिस में पुलिस की गोली विपिन की टांग में लगी. इस के बाद विपिन पर एक अन्य केस भी दर्ज हो गया. लेकिन पुलिस हिरासत में विपिन ने जो बयान मीडिया को दिया, वह इशारा करता है कि दाल में कुछ काला जरूर है. उस ने मीडिया से कहा कि उस ने अपनी पत्नी को नहीं जलाया और मारा, बाकी लड़ाईझगड़ा तो हर फेमिली में होता है. इस से ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा.

एक कत्ल 2 कहानी से गहराता रहस्य

निक्की भाटी मर्डर केस की जांच जैसेजैसे आगे बढ़ रही है, नए सबूत, लोगों के बयान और कुछ नए वीडियो सामने आ रहे हैं, वैसेवैसे कहानी एक रहस्यमयी पहेली में बदलती जा रही है. 27 वर्षीय निक्की की मौत के बाद आरोपप्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. मायके वाले इसे साफसाफ दहेज हत्या करार दे रहे हैं. दूसरी तरफ आरोपी विपिन भाटी तथा उस के कुछ पड़ोसियों का कहना है कि दोनों के बीच तनाव की असली वजह सोशल मीडिया पर निक्की और कंचन की मौजूदगी थी.

इस केस की जांच कर रही कासना पुलिस असमंजस में है. अभी पुलिस भी मिले सबूतों के आधार पर पैसों और गाड़ी की मांग को ही हत्या की वजह मान रही है, लेकिन साथ ही पुलिस नए सिरे से जांच भी कर रही है. दरअसल, जांच टीम के सामने अब 2 परस्पर विरोधी कहानियां हैं.

पहली कहानी यह कि निक्की भाटी को उस के पति और ससुराल वाले लगातार दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे. उस से 35 लाख रुपए की मांग की जा रही थी और यही प्रताडऩा उस की मौत का कारण बनी. दूसरी कहानी यह है कि निक्की और उस की बड़ी बहन कंचन इंस्टाग्राम पर रील्स बनाया करती थीं. यह बात उन के पति और ससुराल वालों को बुरी लगती थी. इस वजह से उन के बीच अकसर तनाव होता था, जो खूनी अंजाम तक पहुंच गया.

निक्की भाटी की ससुराल सिरसा गांव में है. उस के ससुराल के आसपास के लोगों का कहना है कि निक्की और कंचन अपने घर से छोटा ब्यूटी पार्लर चलाती थीं. इस के साथ ही दोनों बहनें इंस्टाग्राम पर मेकओवर रील्स बना कर पोस्ट करती थीं. इन रील्स में वे साधारण लुक से ट्रांजिशन कर तैयार और स्टाइलिश अंदाज में नजर आती थीं. ये रील्स उन के पतियों, विपिन और रोहित भाटी को नागवार गुजरती थीं. एक पड़ोसी ने बताया, रील्स बनाने को ले कर उन के बीच अकसर झगड़ा हुआ करता था.

बताया जा रहा है कि इसी साल 11 फरवरी को निक्की व विपिन और कंचन व रोहित के बीच जम कर झगड़ा हुआ था. इस दौरान दोनों बहनों के साथ मारपीट भी हुई थी. इस वजह से दोनों बहनें अपने मायके रूपबास गांव चली गई थीं.

लड़कियों को मायके में देख कर आसपास के लोग आवाज उठाने लगे तो पंचायत बैठाई गई. 18 मार्च, 2025 को सुलह इस शर्त पर हुई कि दोनों बहनें आगे से रील्स नहीं बनाएंगी. वे मान भी गईं, लेकिन चंद दिनों बाद दोनों ने फिर से वीडियो पोस्ट करना शुरू किया और तनाव दोबारा गहराने लगा.

विपिन भाटी के चचेरे भाई देवेंद्र ने बताया कि जिस समय घटना हुई, उस समय विपिन घर पर नहीं था. इधर, निक्की को जिस अस्पताल में भरती कराया गया था, उस अस्पताल की रिपोर्ट भी सामने आ गई है. उस में बताया गया है कि निक्की की मौत सिलेंडर फटने के कारण आग लगने से हुई है. हालांकि जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो वहां सिलेंडर फटने के कोई सबूत नहीं मिले. पर ज्वलनशील पदार्थ का डिब्बा और लाइटर मिला है. वहीं, जिस वक्त घर में निक्की को आग लगी, उस वक्त के सीसीटीवी में उस का पति विपिन घर के पास एक दुकान के बाहर खड़ा दिखाई दे रहा है. इन तमाम सबूतों ने निक्की की मौत को बुरी तरह उलझा दिया है.

मौत की जांच में आया नया मोड़

नया मोड़ लेती निक्की भाटी की मौत में निक्की के कमरे से बरामद ज्वलनशील पदार्थ और कई नए वीडियो क्लिप ने पुलिस जांच की दिशा ही बदल दी है. अब नए सिरे इस घटना की जांच की जा रही है. इस मामले की जांच कर रही पुलिस को निक्की के कमरे से ज्वलनशील तरल पदार्थ बरामद हुआ, जिसे फोरैंसिक जांच के लिए भेजा गया. इस के साथ ही 21 अगस्त की घटना से जुड़े कई छोटे वीडियो क्लिप भी सामने आए हैं.

इन की वजह से पूरी जांच की दिशा बदल गई है. एक नया वीडियो सामने आया है, जिस में सास दयावती अपने बेटे विपिन और बहू निक्की को झगड़े के दौरान अलग करती नजर आ रही है. एक दूसरा वीडियो, जिसे निक्की की बहन कंचन ने शूट किया था, उस में एक आवाज सुनाई देती है, ‘ये क्या कर लिया.’ इस बयान और वीडियो के सामने आने के बाद अब नए सिरे से केस जांच की जा रही है. पुलिस जांच के दौरान एक सीसीटीवी फुटेज भी मिला है. इस में विपिन घटना से ठीक पहले अपने घर के बाहर खड़ा नजर आया है. इस के अलावा ग्रेटर नोएडा के जारचा इलाके में पिछले साल अक्तूबर में दर्ज एक पुराने मामले की भी जांच की जा रही है, जिस में विपिन पर प्रीति नामक लड़की के साथ मारपीट करने और उसे धमकी देने का आरोप लगा था.

इस के साथ ही एक निजी अस्पताल के मेमो के अनुसार निक्की घर में गैस सिलेंडर फटने से झुलसी थी. उसे विपिन का चचेरा भाई देवेंद्र अस्पताल ले कर पहुंचा था. वहीं दूसरी ओर बहन कंचन का आरोप है कि यह सुनियोजित दहेज हत्या थी. देवेंद्र का बयान भी मामले को उलझा रहा है. उस का कहना है कि निक्की बारबार पानी मांग रही थी. उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसी बीच निक्की और कंचन के पिता भिखारी सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि उन की बेटी को दहेज के लिए जिंदा जला दिया गया.

पुलिस की जांच अब 3 बिंदुओं पर टिक गई है. पहला ज्वलनशील पदार्थ की फोरैंसिक रिपोर्ट, नए वीडियो क्लिप और कंचन के बदलते बयान. यही 3 कडिय़ां यह तय करेंगी कि निक्की की मौत गैस सिलेंडर हादसा थी या एक साजिश के तहत की गई दहेज हत्या. निक्की भाटी की डेथ मिस्ट्री उलझती क्यों जा रही है, इस का जवाब सिर्फ निक्की की मौत के सच से ही नहीं लगेगा, बल्कि निक्की की भाभी यानी भाई की पत्नी के आरोप भी इस मामले को उलझा रहे हैं.

यह मामला अब महज एक केस नहीं, परिवार के भीतर छिपी 2 सच्चाइयों की जंग का रूप ले चुका है. दरअसल, निक्की की भाभी मीनाक्षी ने कहा कि दहेज की आग ने उस की शादी को भी खत्म कर दिया है. मीनाक्षी का कहना है कि साल 2016 में भिखारी सिंह पायला के बेटे रोहित पायला से उस की शादी हुई. पिता ने दहेज में सियाज कार और 20 तोला सोना दिया. लेकिन एक्सीडेंट का बहाना बना कर कार एक हफ्ते में बेच दी गई.

इस के बाद ताने, मारपीट और अपमान का सिलसिला शुरू हुआ और इस की रफ्तार बढ़ती गई. सास और दोनों ननद उस के बाल पकड़ कर घसीटती थीं. पति भी मारपीट करता था. एक बार तो उस ने गोली तक चला दी. मीनाक्षी का आरोप सिर्फ हिंसा तक सीमित नहीं है. वह दोहरी नीति की बात करती है. वह कहती है, ”मुझे फोन रखने तक की इजाजत नहीं थी, लेकिन बेटियों के लिए पार्लर, सोशल मीडिया पर रील्स, इंस्टाग्राम, सब मंजूर था. यदि बहू के लिए नियम थे तो बेटियों के लिए क्यों नहीं? एक जैसी सख्ती क्यों नहीं?’’

मीनाक्षी के मुताबिक उस की शादी के 9 साल हो गए, लेकिन वह मुश्किल से 9 महीने ही ससुराल में रह पाई. दहेज पर पंचायतें बैठीं. एक नहीं, 100 बार पंचायत हुई. हर बार नतीजा यही कि बहू घर छोड़ दे. साल 2018 में दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज हुआ, लेकिन साल 2020 में दबाव और समझौते की राजनीति के बीच केस वापस लेना पड़ा. उसी साल पिता चल बसे. मीनाक्षी कहती है, ”जिस दिन पापा गए, उसी दिन मेरे लिए सब कुछ खत्म हो गया. मुझे बेघर कर दिया गया. मेरी सारी उम्मीदें खत्म हो गईं. तब से मैं अपने मायके में हूं.’’

मीनाक्षी के सारे आरोपों के बीच ससुर भिखारी सिंह पायला जवाब देते हुए कहते हैं, ”मेरे बेटे रोहित ने कभी मीनाक्षी पर हाथ नहीं उठाया. मेरे पास सारे सबूत हैं. हमारे दरवाजे हमेशा मीनाक्षी के लिए खुले हैं. मीनाक्षी कभी भी आ कर यहां रह सकती है.’’ वे अपने परिवार के पक्ष में खड़े दिखते हैं और मीनाक्षी की बातों को साफतौर पर खारिज करते हैं. फिलहाल ग्रेटर नोएडा पुलिस नए सबूतों और बयानों के आधार पर इस केस की जांच नए सिरे से कर रही है. कंचन व निक्की के तीनों बच्चे अपने नाना के पास हैं. परिवार अब कंचन को भी उस की ससुराल में भेजना नहीं चाहता.

विरोधाभासी सबूतों के कारण कासना पुलिस भले ही विपिन भाटी व उस के परिजनों को निक्की भाटी की दहेज के लिए हत्या करने के आरोप में जेल भेज कर उन पर मुकदमा चलाए. लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी हो सकती है कि निक्की की मौत एक सोचीसमझी साजिश है. हो सकता है यह एक हादसा भी हो.

दहेज ने ली संजू की जान, बच्ची संग जल मरी

राजस्थान के जोधपुर में ग्रेटर नोएडा जैसी दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है. यहां दहेज प्रताडऩा से तंग आ कर एक स्कूल टीचर ने अपनी मासूम बच्ची के साथ जान दे दी. पीडि़ता की पहचान 32 वर्षीय संजू बिश्नोई के रूप में हुई है. उस ने अपनी 3 साल की बेटी को गोद में ले कर पेट्रोल डाला और खुद को आग के हवाले कर दिया. बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उस ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना 22 अगस्त, 2025 की है. महिला ने जब खुद को और अपनी बेटी को आग लगाई, उस वक्त उस का पति दिलीप बिश्नोई घर पर मौजूद नहीं था. अचानक धुआं उठता देख पड़ोसी घबराए और तुरंत महिला के पापा को फोन किया. जब परिवार घर पहुंचा तो उन्होंने संजू को जलती हालत में पाया. बच्ची ने उन की आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया.

सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची. मंडोर के एसीपी नागेंद्र कुमार ने बताया कि बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि महिला का जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में इलाज के दौरान शनिवार को निधन हो गया. उस के पिता ने 24 अगस्त को स्थानीय थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई. इस में साफतौर पर आरोप लगाया गया कि उस की बेटी को लगातार दहेज के लिए प्रताडि़त किया जा रहा था. इस से तंग आ कर बेटी ने बच्ची सहित जान दे दी.

पुलिस ने पीडि़ता के पिता की शिकायत के आधार पर उस के पति दिलीप बिश्नोई, सास, ससुर और ननद के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है. पीडि़ता के फेमिली वालों ने यह भी आरोप लगाया है कि ससुराल वालों ने मिल कर संजू को आत्महत्या के लिए उकसाया. पुलिस को घटनास्थल से एक नोट भी बरामद हुआ है, जिस में संजू ने अपने ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. एसीपी ने बताया कि मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है और जांच के लिए फोरैंसिक साइंस लैब भेजा गया है. मोबाइल से कई अहम जानकारियां सामने आने की उम्मीद है.

बताया जा रहा है कि संजू बिश्नोई साल 2021 से एक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीचर के पद पर तैनात थी. 10 साल पहले उस की शादी दिलीप बिश्नोई के साथ हुई थी. उसी समय से उस का पति और ससुराल वाले उसे प्रताडि़त कर रहे थे. पिछले कुछ समय से ससुराल वालों के साथ झगड़ा ज्यादा बढ़ गया था. शनिवार को भी उन के बीच विवाद हुआ था. इस की वजह से संजू बहुत नाराज और दुखी थी. उस ने स्कूल से वापस आने के बाद अपनी बच्ची को गोद में लिया और अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली. दोनों शवों का महात्मा गांधी अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया.

गाड़ी न मिलने पर शालवी की बलि

बीहार के पश्चिमी चंपारण में बगहा जिले के चौतरवा थाना क्षेत्र के अहिरवलिया गांव में 24 अगस्त की रात दहेज के लिए एक विवाहिता शालवी देवी की हत्या का मामला प्रकाश में आया है. मृतका लगुनाहा-चौतरवा पंचायत की मुखिया शैल देवी की 23 वर्षीय बहू शालवी देवी थी.  घटना के संबंध में बताया जाता है कि मुखिया शैल देवी के बेटे अमित शाही की शादी जनवरी, 2023 में शालवी के साथ धूमधाम से हुई थी. शादी के बाद शालवी अपनी ससुराल अहिरवलिया आई, जहां कुछ दिनों तक उसे ठीक से रखा गया.

इधर, मृतका के चाचा व बेतिया के सिकटा थाने के जगीरहा निवासी तथा बलथर पंचायत के मुखिया सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि 27 जनवरी, 2023 को उन की भतीजी शालवी की शादी अहिरवालिया निवासी स्व. घनश्याम शाही एवं वर्तमान मुखिया शैल देवी के बेटे अमित शाही से हुई थी. शादी के बाद से ही चार पहिया वाहन की मांग को ले कर शालवी को बारबार प्रताडि़त किया जा रहा था. बीच में कई बार मेरे द्वारा अहिरवलिया आ कर मामले में दोनों परिवार के बीच कई बार पंचायत भी हुई. शालवी द्वारा बारबार फोन पर कहा जाता था कि आप लोग गाड़ी दे दीजिए. नहीं तो ये लोग मुझे मार डालेंगे.

2 महीने पहले अहिरवलिया आ कर अमित शाही से उन्होंने खुद कहा था कि मुझे 6 महीने का समय दीजिए, आप को मैं स्वयं गाड़ी दूंगा. अभी 2 माह भी नहीं हुए कि ससुराल वालों ने मेरी भतीजी को बड़ी बेरहमी से प्रताडि़त कर मार डाला. आरोप लगाया कि मेरी भतीजी के हत्यारों ने आंखें फोडऩे के बाद उस का हाथ भी तोड़ दिया था. संभावना है कि उस की हत्या तकिया से मुंह दबा कर की गई थी. कारण कि ससुराल का कोई भी व्यक्ति घर पर नहीं है. लोगों ने पुलिस को फोन किया. तब पुलिस ने पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लिया है.

शादी के अभी मात्र 17 महीने हुए हैं. उसे 7 माह की एक बच्ची भी है. अस्पताल में डौ. अशोक कुमार तिवारी के नेतृत्व में 3 सदस्यीय टीम डौ. अरुण कुमार, डौ. तारिक नदीम ने मृतका का पोस्टमार्टम किया. मामले में एसएचओ राहुल कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता लग पाएगा. UP Crime News

 

 

Delhi Crime News : ट्रिपल मर्डर – बेटे ने किया मम्मीपापा और भाई का कत्ल

Delhi Crime News : एक दिल दहला देने वाली वारदात ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है. इस खौफनाक घटना में एक शख्स ने बेरहमी से अपानी ही फेमिली के 3 लोगों की हत्या कर दी. घटना इतनी भयावह थी कि जिस ने भी सुना वह सन्न रह गया. खून से लथपथ लाशें देखकर लोग दंग रह गए. सवाल यह उठता है कि आखिर कौन था वह दरिंदा जिस ने पूरे परिवार को खत्म करने की साजिश रची और क्यों की यह दिल दहला देने वाली वारदात? आइए जानते हैं सनसनीखेज क्राइम की पूरी यह पूरी खबर-

यह दर्दनाक घटना देश की राजधानी दिल्ली के मैदानगढ़ी क्षेत्र में स्थित खरक रिवाड़ गांव की है, जहां 20 अगस्त, 2025 को एक ही परिवार के 3 लोगों की हत्या कर दी गई. पुलिस को सूचना मिलने पर एक घर से तीन लाशें बरामद हुईं, जिनमें 2 पुरुष और एक महिला शामिल थी. मृतकों की पहचान प्रेम सिंह (50), रजनी (45) और ऋतिक के रूप में हुई.

मौके पर पहुंचकर पुलिस ने पूरे घर को सील कर दिया और सबूत जुटाने शुरू कर दिए. जांच में सामने आया कि महिला रजनी की हत्या बड़ी ही बेरहमी से उस का मुंह बांधकर की गई थी.

दक्षिणी दिल्ली के  इस तिहरे हत्याकांड ने सनसनी फैला दी. डीसीपी ने बताया कि पीसीआर काल में जानकारी दी गई थी कि एक लड़के ने हाथ काट लिया है और खून बह रहा है. पुलिस मौके पर पहुंची तो ग्राउंड फ्लोर पर खून से लथपथ 2 शव और पहली मंजिल पर एक महिला का शव मिला, जिसका मुंह बंधा था. पुलिस को शक है कि छोटे बेटे ने ही यह वारदात की और वह फरार हो गया. छोटा बेटा नशे का आदी था. इसलिए घर में रोजाना झगड़ा किया करता था. जिससे बेटे ने धारदार हथियार और ईंटपत्थर से हमला कर तीनों की जान ले ली.

अब पुलिस ने तीनों शवों की तसवीरें ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए हैं और जांच शुरू कर दी है. पुलिस अब घर के लापता सदस्य की तलाश कर रही है. अधिकारियों ने बताया कि घर से दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने सूचना दी थी. मौके पर पहुंचने पर हत्याकांड का खुलासा हुआ. शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज ने के बाद पुलिस ने मामले की जांच तेज कर दी गई है. Delhi Crime News

Hindi Crime Story : हनीमून में बीवी लाई मौत

Hindi Crime Story : 21 वर्षीय राज कुशवाहा इंदौर में स्थित सोनम रघुवंशी (24 वर्ष) के भाई की प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी करता था. वहीं पर सोनम को राज कुशवाहा से प्यार हो गया. दोनों ने जीवन भर साथ रहने का वादा कर लिया. इसी दौरान फेमिली वालों ने सोनम की शादी राजा रघुवंशी से कर दी. फिर प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिल कर सोनम ने हनीमून के बहाने पति राजा रघुवंशी को ठिकाने लगाने की ऐसी योजना बनाई, जिस की गूंज पूरे देश में फैल गई.

सोनम रघुवंशी नहीं चाहती थी कि उस की शादी उस के प्रेमी राज कुशवाहा के अलावा किसी और के साथ हो, लेकिन उस के न चाहते हुए भी पेरेंट्स ने उस की शादी राजा रघुवंशी के साथ तय कर दी थी. शादी तय हो जाने के बाद वह बहुत परेशान थी, क्योंकि तनमन से वह प्रेमी राज की थी. इसलिए वह ताउम्र उसी के साथ रहना चाहती थी. उस ने प्रेमी को फोन कर कहा, ”राज, पापा ने मेरी शादी तय कर दी है. और मालूम है शादी की तारीख क्या है, 11 मई 2025.’’

”शादी से क्या होता है सोनम, कागज के एक टुकड़े और कुछ मंत्र पढ़ देने से कोई रिश्ता नहीं बनता.’’ राज ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा.

”राज, मैं किसी और की नहीं हो सकती. मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और अगर तुम ने मुझे नहीं अपनाया तो मैं सच कह रही हूं, मैं मर जाऊंगी. आज वो जो लड़का मुझे देखने आया था राजा रघुवंशी, वो मुझे देख कर मुसकरा रहा था. जिसे देख कर मेरे अंदर ऐसी आग लग रही थी कि एक घूंसा मार कर उस की वो मुसकान वहीं दबा दूं. पर पापा वहीं थे, इसलिए कुछ कर नहीं पाई. लेकिन मेरी बात ध्यान से सुन लो राज, अगर तुम ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं दुनिया में ऐसा तूफान ला दूंगी कि लोग मेरे नाम से भी डरेंगे. मैं सब कुछ जला दूंगी खुद को, इस दुनिया को और हर रिश्ते को.’’

”तुम मेरी थी, मेरी हो और मेरी ही रहोगी सोनम,’’ राज ने कहा.

”मैं सिर्फ तुम्हारे लिए बनी हूं राज, किसी और के लिए नहीं.’’

”चिंता मत करो और विश्वास रखो सोनम, अगर उस की परछाई भी तुम्हें छुएगी तो मैं उसे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

”मैं तुम्हें पहले ही बता चुकी हूं, पापा हार्ट के पेशेंट हैं. मैं ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा सकती, जिस का उन की सेहत पर असर हो. घर से भाग कर कहीं और जा कर रहने का खयाल तो दिल से निकाल दो.’’

”फिर तुम ही कुछ बताओ कि क्या किया जाए?’’

”मेरा आइडिया यह है कि मेरी कदकाठी की कोई लड़की तलाश की जाए. उस की हत्या कर के जला दिया जाए. मेरी स्कूटी में भी वहीं आग लगा दी जाए. यह काम किसी ऐसी सुनसान जगह पर किया जाए, जिस से कि कोई देख न सके. तब यह साबित हो जाएगा कि सोनम मर गई. फिर हम दोनों किसी और शहर में जा कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे.’’

सोनम ने कहा कि घरों में काम करने वाली किसी लड़की की तलाश आसानी से हो सकती है. लेकिन काफी तलाश के बाद भी घर में साफसफाई चौकाबरतन करने के लिए ऐसी कोई लड़की हाथ नहीं लगी, जिस की कदकाठी सोनम जैसी हो. इस से राज ने राहत की सांस ली. इस की वजह यह थी कि इस से राज और उस के परिवार की जिंदगी ही तबाह हो जाती. घर में आर्थिक साधन जुटाने के लिए वह अकेला ही था. घर का खर्च उस के वेतन में मुश्किल से चल पाता था. सोनम अगर अपने घर वालों के लिए मर गई होती तो नई परेशानी ही खड़ी हो जाती. यदि वह घर से 30 या 40 लाख रुपए ले कर भी आ जाती तो भी कब तक उस से गुजारा होता.

सेफ गेम खेलना चाहता था राज कुशवाहा

दूसरी जगह दोनों को नौकरी मिलना भी आसान नहीं था. कोई बिजनैस करने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता. इस तरह राज भी अपने परिवार के लिए एक तरह से मर ही चुका होता. राज कुशवाहा ने सोनम को समझाया कि इस तरह की दुर्घटना से तुम्हारे पापा तुम्हारी मौत का सदमा शायद बरदाश्त नहीं कर पाएंगे. अगर हार्टअटैक से बच भी जाएं तो जीते जी भी उन की मौत हो जाएगी. उस की पहली योजना घर से भागने की भी मेरी समझ से परे थी, क्योंकि उस का अंजाम भी वही होता. आर्थिक संकट से राज का परिवार ही नहीं, बल्कि राज और सोनम भी जूझ रहे होते.

यह सोच कर राज ने उस की दोनों ही योजनाओं को फेल करने में पूरा दिमाग लगा दिया. वह चाहता था कि सोनम से शादी कर के फैक्ट्री का मालिक बन जाएगा, जिस में अब तक नौकरी करता था. वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था, जिस से कि सोने के अंडे देती मुरगी उस के हाथ से निकल जाए.

सोनम की शादी की तारीख करीब आ चुकी थी. उस की चिंता बढ़ती जा रही थी. सोनम की चिंता दूर करने के लिए राज ने एक ऐसा प्लान तैयार किया, जिसे सुन कर सोनम खुशी से उछल पड़ी. उस ने कहा, ”इस का मतलब यह है कि मैं विधवा हो जाऊंगी और बिरादरी का कोई व्यक्ति विधवा से शादी करने के लिए आसानी से तैयार नहीं होगा. फिर विधवा से शादी किसी और बिरादरी के युवक से करने के लिए मेरे पापा भी राजी हो जाएंगे. यानी हम दोनों पतिपत्नी के रूप में जिंदगी बिता कर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे. बहुत बढिय़ा.’’

”लेकिन एक वादा करो,’’ राज ने कहा.

”क्या?’’

”शादी के बाद उस दुष्ट को सुहागरात की रस्म अदा करने नहीं दोगी.’’

”इस का मतलब यह कि मुझे सुहागन बनते ही यानी सुहागरात मनाने से पहले विधवा करना चाहते हो.’’ सोनम ने मुसकराते हुए कहा, ”यह पक्का वादा है, मुझे चाहे जो भी जतन करना पड़े, मैं उसे सुहागरात को हाथ नहीं लगाने दूंगी.’’

इंदौर मध्य प्रदेश का सब से बड़ा और सब से व्यस्त शहर है. यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है. यह शहर एक तरफ अपने गौरवशाली अतीत की गवाही देता है तो दूसरी ओर आधुनिकता और प्रगति का प्रतीक भी है. इस शहर का नाम इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से लिया गया है, जो अब भी शहर के मध्य में स्थित है.

राजवाड़ा, इंदौर की 7 मंजिला ऐतिहासिक इमारत मराठा, मुगल और फ्रांसीसी वास्तुकला का अद्भुत संगम है. यह शहर के दिल में स्थित है. यह महल होलकर शासकों की विलासिता और कलात्मक रुचि का प्रतीक है. यूरोपीय शैली में बना यह महल अपने भव्य फरनीचर, दीवारों पर सुंदर चित्रों और विशाल गार्डन के लिए प्रसिद्ध है. इंदौर केवल एक शहर नहीं, बल्कि अनुभवों का संगम है, जहां इतिहास बोलता है, स्वाद महकता है, शिक्षा ऊंचाइयां छूती है और स्वच्छता संस्कृति बन जाती है.

इतनी खूबियों वाले इसी शहर में देवी सिंह नाम के एक व्यक्ति निवास करते हैं. उन का एक बेटा गोविंद रघुवंशी और बेटी सोनम रघुवंशी है. उन की पत्नी संगीता रघुवंशी घरेलू काम संभालती हैं. दरअसल, सोनम रघुवंशी का मूल निवास गुना जिला है. सोनम अपने भाई गोविंद से उम्र में छोटी है. गोविंद की शादी करीब 8 साल पहले विदिशा से हुई थी और उस के 2 बच्चे हैं. सोनम का परिवार पिछले कुछ सालों से इंदौर में रह रहा है. बताया जाता है कि उन्होंने गुना से इंदौर आने का फैसला उस वक्त लिया, जब गोविंद ने व्यापार में कदम रखा. शुरुआत में गोविंद एक निजी कंपनी में नौकरी करता था. लेकिन साल 2020 के आसपास उस ने माइका (सनमाइका) के व्यापार में कदम रखा और खुद की कंपनी खड़ी की.

शुरुआत में गोविंद केवल तैयार माल खरीद कर बेचने का काम करता था, लेकिन बाद में उस ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने का फैसला लिया. अब उस की एक माइका मैन्युफैक्चरिंग यूनिट गुजरात में स्थापित है, जहां से वह माल तैयार कर विभिन्न शहरों में सप्लाई करता है. सोनम के परिवार का बिजनैस अग्रणी कारोबार में से एक था. परिवार की इंदौर में एक सनमाइका बनाने की यूनिट है. देवी सिंह को पैरालाइसिस का अटैक हुआ था, जिस के कारण वह फैक्ट्री में सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाते. सोनम रघुवंशी और गोविंद रघुवंशी दोनों भाईबहन मिल कर कारोबार संभालते हैं. सोनम अपने ही पिता की कंपनी में बतौर एचआर काम करती थी.

इसी शहर में अशोक रघुवंशी का एक परिवार है. इन के 3 बेटे और एक बेटी है. एक बेटे का नाम सचिन रघुवंशी, दूसरे का विपिन रघुवंशी, तीसरा सब से छोटा 28 वर्षीय बेटा राजा रघुवंशी और बेटी सृष्टि है. उन का ट्रांसपोर्ट का प्रमुख व्यवसाय है. राजा रघुवंशी व 2 बड़े भाई सचिन और विपिन भी संयुक्त परिवार के रूप में रहते हैं.  ‘रघुवंशी ट्रांसपोर्ट’ नामक कंपनी परिवार के सभी लोग 2007 से संयुक्त रूप से चलाते थे. इस कंपनी का मुख्य काम स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को किराए पर बसें उपलब्ध कराना है. सोनम रघुवंशी और राजा रघुवंशी दोनों के परिवार का आपस में कोई रिश्ता नहीं था. इन में से कोई एकदूसरे को जानता तक नहीं था. दोनों परिवारों की मुलाकात बहुत ही रोचक तरीके से हुई.

पहली अक्तूबर, 2024 को हर साल की तरह रामनवमी के दिन रघुवंशी समाज का सामूहिक भंडारा आयोजित हुआ था. यह कार्यक्रम इंदौर के रघुवंशी बिरादरी के लिए अपनेअपने बच्चे के लिए अपने ही समाज में लड़का और लड़की के विवाह के लिए रिश्ता तलाशने का एक बेहतरीन माध्यम है.

सामाजिक रीतिरिवाज से हुई शादी

रघुवंशी समाज के लोग रामनवमी के दिन एक स्थान पर एकत्रित होते हैं और यहां पर अपनेअपने बच्चों की जानकारी एक परची में लिख कर रख दिया करते हैं. इस में लड़के या लड़की का नाम, उम्र, पढ़ाई और काम के बारे में जानकारी लिखी होती है. एक तरह से इसे बायोडाटा कहा जा सकता है. रघुवंशी संस्थान बायोडाटा के आधार पर रजिस्ट्रैशन कर लेता है. इस डाटा को व्यवस्थित कर के रघुवंशी समाज की एक पत्रिका जारी की जाती है, जिस में रघुवंशी परिवारों द्वारा रजिस्ट्रैशन में दी गई जानकारी को प्रकाशित किया जाता है. इस पत्रिका में जिसे लड़की की तलाश है तो वो लड़की का बायोडाटा देखता है और जिसे लड़के की तलाश है, वो लड़के का.

यहां सोनम और राजा रघुवंशी के परिवार के लोगों ने भी इन दोनों का रजिस्ट्रैशन कराया था. यहीं से ही इन दोनों का परिवार आपस में मिला. दोनों के परिवार वालों को सब सही लगा. दोनों ही मांगलिक थे. कुंडली भी मिल गई, इसलिए बात शादी तक जा पहुंची. राजा रघुवंशी का एक संपन्न परिवार है. घर में सब से छोटा होने के कारण राजा रघुवंशी की शादी का सब को बहुत अरमान था. शादी समारोह को भव्य बनाने के लिए काफी तैयारी की गई. जम कर पैसा खर्च किया गया.

उधर सोनम का परिवार राजा की टक्कर का परिवार था. सोनम की शादी के भी उस के परिवारजनों को बहुत अरमान थे, लेकिन खर्च करने में काफी कंजूसी की गई और वह उत्साह सोनम की शादी में नजर नहीं आया, जिस की अपेक्षाएं की जा रही थीं. बहरहाल, 11 मई को एक भव्य शादी समारोह हुआ. सात फेरे हुए. सभी सामाजिक और धार्मिक रस्में पूरी की गईं. 12 मई, 2025 को सोनम दुलहन बन कर राजा रघुवंशी के घर आ गई. दोनों परिवार और पतिपत्नी सभी खुश थे. किसी तरह का कोई भी विवाद नहीं था. राजा रघुवंशी की ओर से दहेज की कोई मांग की ही नहीं गई थी.

सोनम 4 दिन ससुराल में रहने के बाद मायके चली गई. मायके से ही सोनम रघुवंशी ने हनीमून का कार्यक्रम भी अचानक बना लिया. सोनम ने अपने पति राजा रघुवंशी को इस बात के लिए राजी किया कि शारीरिक संबंधों के जरिए शादी को परिपूर्ण करने से पहले उन्हें कामाख्या देवी मंदिर में पूजाअर्चना करनी चाहिए. पहले तय हुआ कि दोनों असम के कामाख्या देवी मंदिर जाएंगे. फिर वहीं से कश्मीर के लिए निकल जाएंगे. सोनम अपने मातापिता के घर से सीधे एयरपोर्ट गई, जबकि राजा रघुवंशी अपने घर से 10 लाख रुपए से अधिक के गहने पहन कर निकला था. इस में एक हीरे की अंगूठी, एक चेन और एक ब्रेसलेट शामिल था.

दोनों 20 मई को पहले असम के कामाख्या देवी मंदिर पहुंचे. यह असम के गुवाहाटी शहर में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है. कामाख्या मंदिर से उन्होंने कश्मीर की जगह मेघालय जाने का प्रोग्राम बनाया. 20 मई, 2025 को ही दोनों मेघालय पहुंचे. 21 मई को राजा और सोनम रघुवंशी शिलांग पहुंचे थे और एक होमस्टे में रुके थे. 22 मई को उन्होंने एक स्कूटी किराए पर ली और सोहरारिम चले गए. शाम तक वे मावलखियात पहुंचे और एक गाइड लिया. गाइड की मदद से वे शिप्रा होमस्टे में रुके. इस के बाद गाइड को उन्होंने छोड़ दिया.

अगले दिन यानी 23 मई को सोनम और राजा रघुवंशी से उन के फेमिली वालों का कांटेक्ट बंद हो गया. दोनों के परिजन चिंतित हो गए और उन के लापता होने की खबरें आम हो गईं. सोनम का भाई गोविंद रघुवंशी और राजा का भाई विपिन रघुवंशी लापता पतिपत्नी की तलाश करने मेघालय पहुंचे. उन्होंने शिलांग की पुलिस से कांटेक्ट किया. उम्मीद के मुताबिक रिस्पौंस न मिलने पर दोनों वापस इंदौर लौट आए. इंदौर के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया से शिकायत की और बात मुख्यमंत्री तक भी पहुंच गई. यहां की सरकार ने मेघालय की सरकार से संपर्क साधा. इस बीच मामला बहुत तूल पड़ चुका था.

मेघालय सरकार की बदनामी होने लगी. यहां की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत पर्यटकों से है. इस घटना से पर्यटकों में दहशत का माहौल हो गया. पर्यटक देर शाम अपने होटल के कमरों से निकलने में डरने लगे. अफवाह यह थी कि कपल का अपहरण कर के बांग्लादेश ले जाया गया है और उन के सारे पैसे और ज्वैलरी लूट ली गई है. मध्य प्रदेश सरकार ने तो केंद्र सरकार को पत्र लिख कर मामले की सीबीआई जांच करने की सिफारिश भी कर दी. 2 जून, 2025 को फिर राजा रघुवंशी का शव वेईसावडांग झरने के पास गहरी खाई में मिला. शव बुरी तरह सड़ चुका था. राजा के भाई विपिन ने ही शव की पहचान की. वह भी उन के हाथ पर बने ‘राजा’ टैटू से. लेकिन सोनम नहीं मिली.

शुरुआत में लगा कि दोनों का एक्सीडेंट हुआ होगा, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि राजा की हत्या धारदार हथियार से की गई थी. इंदौर शहर के हर घर में इस घटना को ले कर अफसोस जताया जा रहा था, सब लोग सोनम के जिंदा मिल जाने की कामना कर रहे थे. मेघालय पुलिस सोनम को बरामद करने और मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए औपरेशन चला रही थी, जिस का नाम ‘औपरेशन हनीमून’ रखा गया. मेघालय सरकार ने एसआईटी गठित कर पुलिस की कई टीमें मामले का राज फाश करने के लिए लगा दीं.

पुलिस को जांच में पता चला कि 22 मई को राजा और सोनम शिलांग के मावलखियात गांव पहुंचे और वहां से नोंग्रियाट गांव में मशहूर ‘लिविंग रूट ब्रिज’ देखने गए. दोनों ने रात एक होमस्टे में बिताई. 23 मई की सुबह 6 बजे दोनों होटल से बाहर निकल आए. किराए की स्कूटी पर सैर के लिए निकले. इस के बाद दोनों रहस्यमय ढंग से लापता हो गए.

टूर गाइडों से मिली खास जानकारी

24 मई की रात को उन की स्कूटी ओसारा हिल्स की पार्किंग में लावारिस हालत में मिली, जो होमस्टे से 25 किलोमीटर दूर थी. 28 मई को जंगल में 2 बैग मिले. मावलाखियात से नोंग्रियात तक की यात्रा पर उन्हें ले जाने वाले गाइड भकुपर वानशाई थे. पुलिस को उन से महत्त्वपूर्ण सुराग हाथ लगे. गाइड ने पुलिस को बताया कि कपल ने 22 मई को फोन किया. उस समय शाम के करीब साढ़े 3 बजे थे, लेकिन मैं ने मना नहीं किया और उन्हें नोंग्रियात तक गाइड करने का फैसला किया. उन्हें शिपारा होमस्टे पर छोडऩे के बाद हम वहां से निकल पड़े.

एक अन्य गाइड अल्बर्ट पीडी भी उन के साथ थे. गाइड ने यह भी बताया कि 3 व्यक्ति इस कपल के साथ और थे. वे तीनों हिंदी में बात कर रहे थे. वह हिंदी कम जानता है, इसलिए समझ नहीं पाया. वानशाई ने कहा कि हम ने अगले दिन (23 मई) के लिए अपनी सेवा की पेशकश की, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें रास्ता पता है. वानशाई ने अपने पुलिस बयान में कहा कि सोनम ने उन से ज्यादातर बातचीत अंगरेजी में की. केस को खोलने के लिए पुलिस पर बहुत दबाव था, पुलिस की टीमें अपना काम कर रही थीं. वह हत्यारों तक पहुंच गई थी. हत्या के 3 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया था. इस से पहले 8 मई की रात करीब 11 बजे मेघालय पुलिस पूरे लावलश्कर के साथ कोतवाली महरौनी के ग्राम चौकी पहुंची थी.

यहां राजा रघुवंशी हत्याकांड का आरोपी आकाश कमरे में सोते हुए मिला था. मेघालय पुलिस ने आकाश से पूछा कि सोनम रघुवंशी कहां है? उसे कहां छिपाया है. आकाश ने सोनम के बारे में कोई जानकारी होने से मना कर दिया था. तब परिजनों से सोनम के बारे में पूछताछ की. उन्होंने भी इंकार कर दिया था.  आकाश राजपूत (19 वर्ष) और उस के परिजन के इंकार करने के बाद भी मेघालय और जनपद की पुलिस ने मकान का चप्पाचप्पा छाना. यहां तक कि मकान के टपरे में रखे भूसे के ढेर के अंदर तक सोनम को तलाशा था.

पुलिस की यह काररवाई करीब एक घंटे तक चलती रही. जब पुलिस को यकीन हुआ कि सोनम यहां नहीं है, तब वह आकाश राजपूत और उस के 3 साथियों को अपने साथ ले गई थी. मध्य प्रदेश की पुलिस के सहयोग से मेघालय पुलिस ने इस हत्या में शामिल 3 हमलावरों आकाश राजपूत (19 वर्ष) के बाद विशाल सिंह चौहान (22 वर्ष) और राज सिंह कुशवाह (21 वर्ष) को भी गिरफ्तार कर लिया. इन की गिरफ्तारी के बाद ही नाटकीय ढंग से सोनम ने सरेंडर किया. आधी रात के बाद सोनम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित काशी चाय जायका होटल पर पहुंची. यह होटल रात भर खुलता है.

गाजीपुर के नंदगंज थाने के अंतर्गत आता है. होटल संचालक साहिल यादव उस समय मौजूद थे. साहिल यादव से उस ने मोबाइल मांगा. अपने भाई को फोन मिलाया, लेकिन रोती रही बात नहीं कर पाई. साहिल यादव ने सोनम के भाई गोविंद से बात की, उस ने इस होटल का पता बताया. आधे घंटे के भीतर नंदगंज थाना पुलिस वहां पहुंच गई. सोनम को हिरासत में ले लिया गया. मध्य प्रदेश और मेघालय पुलिस को इस की सूचना दी गई. सोनम ने दावा किया कि उसे अगवा करने के बाद उस के साथ क्या हुआ, इस बारे में उसे कुछ याद नहीं है. उस ने कहा कि उसे अंधेरे कमरे में रखा गया था, बाहर की दुनिया से उस का कोई संपर्क नहीं था. वह जैसेतैसे वहां से निकली.

सोनम से पूछताछ के बाद पुलिस ने आनंद कुर्मी को भी पकडऩे में सफलता हासिल की. आरोपी आनंद कुर्मी (23) खिमलासा थाना क्षेत्र के बसाहरी गांव में अपने चाचा भगवानदास कुर्मी के घर में छिपा हुआ था. मेघालय से आई पुलिस टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपी को पकड़ा. डीएसपी एस.ए. संगमा के नेतृत्व में आई टीम ने आगासौद, खिमलासा और बीना थाना पुलिस के साथ मिल कर घेराबंदी की. आरोपी को पकडऩे के बाद खिमलासा थाने में पूछताछ की गई. एसडीओपी नितेश पटेल ने बताया कि आरोपी का पिता दौलतराम कुर्मी करीब 20-22 साल पहले परिवार के साथ इंदौर चला गया था. आनंद वहां जियोमार्ट में काम करता था. वह मुख्य आरोपी राज कुशवाहा के संपर्क में था. आनंद मूलरूप से भानगढ़ थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव का रहने वाला है.

पूछताछ में पता चला कि उस के पिता 4 भाई हैं. बड़े भाई हरिशंकर कुर्मी मिर्जापुर में रहते हैं. वहां 5 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. देवाराम और दौलतराम इंदौर चले गए थे. भगवानदास अपनी ससुराल बसाहरी में रह रहे थे. मेघालय पुलिस यहां से कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पांचों को मेघालय ले गई. शिलांग में ही एफआईआर दर्ज कराई गई. इंदौर से शुरू हो कर शिलांग और फिर गाजीपुर तक राजा रघुवंशी हत्या कांड फैल गया. शिलांग की अदालत से आरोपियों का 8 दिन का रिमांड मिल गया तो फिर प्याज के छिलकों की तरह परतदरपरत मामला खुलता गया.

सोनम और राजा रघंवुशी चेरापूंजी में झरना देखने जा रहे थे. वक्त बीतने के साथ ही सोनम की बेचैनी बढऩे लगी, योजना के अनुसार वह जल्द से जल्द राजा को ठिकाने लगाना चाहती थी, लेकिन सही जगह नहीं मिल पा रही थी. दोपहर 12 बजते ही पीछे से तेजी से आए तीनों किलर्स राजा से अच्छे से बातचीत करने लगे, ऐसे में राजा को भी कोई शक नहीं हुआ. दोपहर करीब डेढ़ बजे सोनम ने राजा की हत्या के लिए अपना प्लान ऐक्टिव किया. इस के तहत उस ने सब से पहले अपनी सास यानी कि राजा की मम्मी को फोन लगाया. उन के साथ मीठीमीठी बातें कीं. इस का मकसद यही था कि वह परिवार को भरोसा दिला रही थी कि सब कुछ ठीक है.

फोन पर बातचीत के दौरान सोनम ने अपने उपवास की भी चर्चा की. सास के कहने पर उन के बेटे राजा से भी कुछ देर बाद बात कराई. चेरापूंजी की करीब 10 किलोमीटर ऊंची चढ़ाई पर एक सेल्फी स्पौट बना था. उस से पहले पार्किंग स्थल था, सोनम राजा एक स्कूटी से गए थे. तीनों किलर्स ने 2 दुपहिया वाहन किराए पर लिए थे. तीनों गाडिय़ां पार्किंग में खड़ी की गई थीं. उस के बाद किलर्स राजा के पीछे चल दिए. वहां पहुंच कर पतिपत्नी मौसम का नजारा कर रहे थे. तभी सोनम ने मौका पाते ही किलर्स को इशारा किया और अपने पति राजा रघुवंशी को सेल्फी के लिए तैयार करने लगी. इतने में पीछे से एक किलर ने कुल्हाड़ीनुमा एक तेज धार वाले हथियार से पूरी ताकत से राजा पर वार कर दिया. राजा नीचे गिर गया. राजा ने उठने की कोशिश की. तभी दूसरे ने दूसरे हथियार से सामने से उस के सिर पर जोरदार वार किया.

योजना के अनुसार की थी राजा की हत्या

राजा वहीं ढेर हो गया, उस के बाद भी मिनी कुल्हाड़ी से एक वार उस पर और किया गया. उस का काम तमाम हो जाने पर और शरीर का सारा खून निकल जाने पर तीनों ने सेल्फी पौइंट पर उसे उठा कर रखा. वहां  करीब 3 फीट ऊंची ग्रिल लगी हुई थी. राजा की लाश को उठा कर नीचे गहरी खाई में फेंकने की तीनों ने कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली. तब सोनम ने आगे बढ़ कर लाश को ऊपर उठा कर खाई में फेंकने के लिए मदद की. ऐसा करने से उन के कपड़ों पर खून लग गया तो उन्होंने खून में सने कपड़े उतार कर वहीं फेंक दिए. उस के बाद तीनों पार्किंग स्थल पर पहुंचे. वहां से तीनों किलर्स वाली 2 स्कूटियों पर बैठ कर चारों निकल लिए.

पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि एक बुरका, जो विशाल ले कर आया था, सोनम को दिया. सोनम वह बुरका पहन कर अकेले वहां से निकली, ताकि बीच में जो टोल आते हैं या सीसीटीवी में उस का चेहरा  कैद न होने पाए. उस के बाद सोनम वहां से गुवाहाटी पहुंची. वहां के आईएसबीटी से वह बस ले कर पटना के लिए और फिर पटना से वह आरा पहुंच गई. आरा से वह लखनऊ पहुंची और लखनऊ से 26 तारीख को इंदौर पहुंच गई. इंदौर में राज कुशवाहा से उस की मुलाकात हुई. देवास नाके के पास एक किराए के फ्लैट में वह 8 जून तक इंदौर में रही. इस बीच राज कुशवाहा ने सोनम की सहूलियत का पूरा खयाल रखा था.

4 जून, 2025 को राजा के शव को इंदौर लाया गया. सोनम ने अपने पति राजा की अर्थी के लिए कफन और फूल मालाओं का इंतजाम कर के अपने प्रेमी राज के हाथ अपनी ससुराल भिजवाया. राजा के परिवार में सब से ज्यादा उस की मम्मी और बहन सृष्टि का रोरो कर बुरा हाल था. पूरे इंदौर में रघुवंशी समाज में रोष व्याप्त था. शोक की लहर दौड़ गई थी. इस के लिए एक दिन कैंडल मार्च का आयोजन हुआ. इस में बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित हुए.

शिलांग के एसपी विवेक सिएम ने प्रैस कौन्फ्रेंस कर कहा कि पहले राजा के कत्ल करने का प्लान गुवाहाटी में था, लेकिन यह प्लान फेल होने पर शिलांग में राजा रघुवंशी मारा गया. 3 बार कत्ल करने का प्रयास किया गया, लेकिन किलर्स असफल हो गए और चौथी बार में हत्या कर पाए. उन्होंने बताया कि राजा मर्डर केस का मास्टरमाइंड राज कुशवाहा है, सोनम ने उस का साथ दिया. पहले दिन की पूछताछ में आरोपियों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. तीनों आरोपी राज कुशवाहा और सोनम के दोस्त हैं, जिस में एक राज का चचेरा भाई था. दोस्ती के कारण तीनों आरोपी हत्या में शामिल हुए. शिलांग एसपी विवेक सिएम ने आगे कहा कि यह मामला सुपारी का नहीं है. तीनों आरोपी भी 19 मई को गुवाहाटी आ गए थे.

पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि सोनम रघुवंशी और राज कुशवाहा राजा रघुवंशी की हर हालत में हत्या करना चाहते थे. उन्होंने इस के लिए एक पिस्टल खरीदी थी. यदि कुछ भी नहीं हो पाता तो सोनम सेल्फी देने के बहाने राजा को सेल्फी पौइंट से नीचे गहरी खाई में जिंदा ही धकेल देती. पुलिस को यह भी पता चला कि राज और सोनम ने हीराबाग के फ्लैट में एक बैग छिपाया था. इस बैग में कपड़ों के बीच देसी पिस्टल, 5 लाख रुपए, सोने की चेन, अंगूठी और राजा की हत्या से संबंधित कुछ अन्य सबूत वाली चीजें थीं. मेघालय पुलिस ने पांचों अपराधियों से पूछताछ कर उन्हें जेल भिजवा दिया.

अभी इंदौर में मेघालय पुलिस की टीम एक बैग की तलाश कर रही है. यह ट्रौली बैग मेघालय से विशाल चौहान ने देवास नाका के उस फ्लैट पर पहुंचाया था, जहां पर सोनम हत्या के बाद रुकी थी. अब एक प्रौपर्टी डीलर, जिस का नाम है सिलोन जेम्स, की गिरफ्तारी हुई है. यह वही प्रौपर्टी डीलर है, जिस ने सोनम को राजा रघुवंशी की हत्या के बाद जब सोनम इंदौर लौटी थी तो इंदौर में रेंट पर फ्लैट दिलाया था. गुना का एक सिक्योरिटी गार्ड भी अब शिलांग पुलिस के शक के घेरे में है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा गार्ड बलबीर अहिरवार उर्फ बल्लू को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसी मामले में आठवें आरोपी की भी गिरफ्तारी हुई है.

प्रौपर्टी डीलर ने पुलिस को बताया कि किसी स्थान पर बैग जला दिया है. पुलिस ने  उस स्थान की भी जांच की. कुछ नमूने लिए हैं. पुलिस ने उसे मेघालय ले जा कर अदालत में पेश किया. आठवें आरोपी ग्वालियर निवासी लोकेंद्र सिंह तोमर को मेघालय पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो उस फ्लैट का मालिक है जिस में हत्या के बाद फरार हुई सोनम रघुवंशी इंदौर में छिपी थी.

सोनम की फैक्ट्री में एंप्लाई था राज

राज कुशवाहा गाजीपुर थाना क्षेत्र के रामपुर गांव का निवासी है. राज कुशवाहा के पापा 3 भाई थे. 2 भाई रामपुर सुकेति गांव में अभी भी रहते हैं. 15 साल पहले राज कुशवाहा के पिता की स्थिति अच्छी नहीं थी. वह इंदौर चले गए थे. वहां फल की दुकान लगाने लगे. परिवार की हालत सुधरने पर करीब 10 साल पहले परिवार को वहीं बुला लिया. राज कुशवाहा की मम्मी चुन्नीबाई, बड़ी बहन सुहानी और छोटी बहन प्रिया और राज कुशवाहा अपने पापा के पास इंदौर चले आए. कोरोना काल में उस के पापा परिवार के साथ गांव आ गए. उस समय राज कुशवाहा भी आ गया.

कोरोना काल में ही राज के पापा की मौत हो गई. राज कुशवाहा परिवार के साथ फिर इंदौर आ गया. यहां राज कुशवाहा  प्लाईवुड की एक कंपनी में काम करने लगा. यह कंपनी सोनम रघुवंशी की थी. सोनम के यहां पर राज प्लाईवुड का काम करता था. उस ने ज्यादा तो नहीं, लेकिन हाईस्कूल परीक्षा पास कर रखी थी. इस कंपनी में उसे अकाउंट के काम पर लगा लिया गया. एक दिन राज कुशवाहा सोनम रघुवंशी के केबिन में पहुंचा. उसे देखते ही सोनम रघुवंशी ने पूछा, ”हां बताओ, कैसे आना हुआ?’’

”मैडम, मुझे 5 हजार रुपए की जरूरत है.’’

सोनम मलिकाना तेवर में बोली, ”अभी एक हफ्ता पहले ही तो वेतन मिला है. अभी से एडवांस लेने आ गए.’’

कुछ और खरीखोटी सुनाई. राज कुशवाहा बड़ा निराश हुआ, उस की आंखें डबडबा गईं. औफिस से बाहर जाने के लिए राज कुशवाहा जैसे ही मुड़ा, सोनम की आवाज आई, ”रुपए किस काम के लिए चाहिए?’’

राज कुशवाहा ने कहा, ”मम्मी की तबीयत खराब है. उन के इलाज के लिए जरूरत है.’’ मासूम चेहरे पर बड़ीबड़ी आंखों में छलकते आंसू देख कर सोनम का दिल पसीज गया. सोनम ने दराज से 5 हजार रुपए निकाल कर राज को दे दिए. सोनम के अहसान के बोझ को सिर पर लिए डगमगाते कदमों से राज औफिस से बाहर आ गया. यहीं से उम्र में करीब 5 साल छोटे अपने कर्मचारी राज के लिए सोनम के दिल में हमदर्दी का बीज अंकुरित हो गया. दूसरे दिन फैक्ट्री की साप्ताहिक छुट्टी थी.

अगले दिन राज अपनी ड्यूटी पर समय से फैक्ट्री आ गया और अपने काम में जुट गया. अचानक कदमों की आहट उसे सुनाई दी. उस के टेबल के पास तक कोई आया. इस से पहले कि वह सिर उठा कर देखता, तभी उस के कानों में एक मधुर आवाज सुनाई दी, ”ये लो एक हजार रुपए. यह एडवांस में नहीं जुड़ेंगे. यह मेरी तरफ से अपनी मम्मी की दवाई में खर्च कर लेना. और हां, अब उन की तबीयत कैसी है?’’

इतना सुन कर राज अपनी सीट से उठ कर खड़ा हो गया. नजरें नीची रहीं. अपनी मम्मी की तबीयत के बारे में जानकारी दी. राज ने कहा, ”मैम, आप का दिल कितना बड़ा है, आप जैसे लोग समाज में अब कम ही मिलते हैं. यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता.’’

एक दिन इंदौर के खूबसूरत मार्केट में राज गया था, तभी अचानक किसी ने उसे आवाज दी. उस ने मुड़ कर देखा तो सोनम स्कूटी रोके खड़ी थी. उस ने पास की ही एक कौफी हाउस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां आओ, मैं भी पहुंच रही हूं.

उस दिन फैक्ट्री का साप्ताहिक अवकाश था. कौफी हाउस पहुंच कर दोनों आमनेसामने की सीट पर बैठे. सोनम ने कोई बात नहीं की, बल्कि अपने मोबाइल में मगन रही. वेटर 2 कौफी टेबल पर रख गया. राज नजरें नीचे किए हुए बैठा था. राज को सोनम की उस बात का इंतजार था, जिस के लिए उसे यहां कौफी हाउस में बुलाया था.

अचानक सोनम ने कहा, ”हां राज, बताओ मम्मी की कैसी तबीयत है?’’

सिर झुकाए बैठे राज ने कहा, ”अब तो काफी ठीक है.’’

”चलो, कौफी पियो!’’

राज ने कौफी का कप उठाया. उस की नजर सोनम की तरफ गई तो उस के हाथ कांप गए. बड़ी मुश्किल से कप को गिरने से रोक पाया. फिर भी थोड़ी सी कौफी छलक कर गिरी. सोनम की नजरें उस पर गड़ी थीं, उस प्यार भरी नजरों को कोई भी आसानी से समझ सकता था. कातिलाना नजरें और जादुई मुसकराहट उस के दिल में उतर गई. राज ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. इस तरह हमदर्दी के साथ प्रेम के बीज की भी बुवाई हो गई.

रातें अब ख्वाबों में और दिन उस की यादों में गुजरने लगे. प्रेम का ये अंकुर धीरेधीरे एक विशाल वृक्ष बनने को बेताब था. उस की बातें जैसे ठंडी हवा की तरह गर्म दुपहरी में सुकून दे रही हों. आंखों ही आंखों में जो बातें होतीं, वो लफ्जों से परे थीं. राज का दिल अब हर धड़कन में उस का नाम लेने लगा. वह साथ हो या न हो, उस की मौजूदगी हर पल महसूस होती. राज को अब समझ आने लगा कि ये सिर्फ आकर्षण नहीं, कुछ गहरा ताल्लुक है.

इस तरह हमदर्दी से शुरू हुआ रिश्ता अब इश्क की दहलीज पर दस्तक दे रहा था. राज के दिन अब मस्ती में गुजरने लगे. आर्थिक संकट भी दूर हो गया था, क्योंकि 20 हजार रुपए महीने की नौकरी में उस के परिवार का गुजारा करना मुश्किल होता था. अब तो ठाट ही ठाट थे. दिन गुजरते गए, प्यार की पींगें बढ़ती रहीं और फिर 2 जिस्म एक जान हो गए. साथ जीनेमरने की कसमें खाई गईं और एकदूसरे का साथ न छोडऩे का वादा किया गया.

राजा रघुवंशी हत्याकांड खुल जाने के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने  कहा कि जिन लोगों ने मेघालय को बदनाम किया है, उन्हें माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो उन के खिलाफ काररवाई की जाएगी. मेघालय के गृहमंत्री बोले, ”हमारी पुलिस को बेवजह बदनाम किया गया.’’

पुलिस के गले की फांस बन गया था यह केस

मेघालय के गृहमंत्री प्रेस्टोन टेनसांग ने अपने बयान में कहा कि मेघालय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए. ये बात शुरू से हजम नहीं हो रही थी कि यहां के स्थानीय लोग लूटपाट के लिए किसी पर्यटक की हत्या कर दें. अब हमारी पुलिस ने सब दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. इस केस में जल्दी से जल्दी तसवीर साफ होना इसलिए भी जरूरी था कि मेघालय में हर साल 11 लाख टूरिस्ट आते हैं. उन के भरोसे के लिए भी ये जरूरी था कि जल्द से जल्द इस केस का खुलासा हो. उधर सोनम रघुवंशी अपने प्रेमी राज कुशवाहा और अन्य लोगों के पकड़े जाने पर इंदौर से गाजीपुर कैसे गई, उस रहस्य का भी पुलिस ने परदाफाश कर दिया. जिस टैक्सी से सोनम इंदौर से उत्तर प्रदेश रवाना हुई थी, उस के ड्राइवर पीयूष तक भी पुलिस पहुंच गई है.

टैक्सी ड्राइवर पीयूष से भी एक घंटे तक क्राइम ब्रांच थाने में पूछताछ की गई. उधर उजाला यादव ने यह दावा किया था सोनम मुझे वाराणसी कैंट स्टेशन पर मिली थी. एक ड्राइवर और एक व्यक्ति उसे वहां तक छोडऩे आए थे. तुरंत ट्रेन न होने पर सोनम वाराणसी के बस अड्डे पर आई और उसी बस में बैठ गई, जिस में वह बैठी थी. उजाला ने बताया कि वह गोरखपुर जाने के लिए कह रही थी. उस ने एक लड़के से फोन करने के लिए मोबाइल मांगा. उस ने नहीं दिया. मुझ से भी उस ने मोबाइल मांगा, मैं ने दिया. एक नंबर डायल कर के डिलीट कर दिया. काल नहीं की.

ऐसा हो सकता है कि उस के पास कोई मोबाइल होगा. कहीं बीच में उस के पास काल आई होगी कि सभी लोग पकड़े गए हैं. गाजीपुर ही उतर जाए. गाजीपुर उतर कर उस ने वह छोटा मोबाइल नष्ट कर दिया होगा. तभी वह रात के 2 बजे चाय की दुकान पर पहुंच गई. वरना राज और सोनम का इरादा गोरखपुर से नेपाल भाग जाने का था. राज इतना शातिरदिमाग होगा, यह अंदाजा किसी को नहीं था.  ऐसा प्लान पेशेवर अपराधी भी नहीं बना पाते. यदि मामला हाईप्रोफाइल नहीं बनता तो सोनम और राज अपनी योजना में सफल हो जाते. वह तो मेघालय की पुलिस ने ड्रोन कैमरे से रघुवंशी की डेडबौडी तलाश कर ली थी.

एक तरफ राजा की मम्मी हैं, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खोया है, उन पर क्या बीत रही होगी. दूसरी तरफ सोनम की मम्मी का दर्द है, जिसे मर्डर की मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. तीसरी मां उस आरोपी राज की है, जिसे सोनम का बौयफ्रेंड बताया जा रहा है. तीनों मां का अपना अलगअलग दर्द है. राज कुशवाह की मम्मी चुन्नीबाई, बड़ी बहन सुहानी और छोटी बहन प्रिया मानने को तैयार नहीं हैं कि राज कुशवाहा राजा रघुवंशी की हत्या कर सकता है. सुहानी ने कहा, ”मेरा भाई ऐसा कर ही नहीं सकता. वह तो सोनम को दीदी कहता था.’’

जहां मृतक राजा की बहन सृष्टि अपने भाई के खोने का दर्द बयां कर रही है, वहीं आरोपी सोनम के प्रेमी राज कुशवाहा की बहन अपने भाई को बेगुनाह बताते हुए साजिश का आरोप लगा रही है. दोनों बहनों का दर्द, एक भाई की हत्या और दूसरे की गिरफ्तारी ने इस हनीमून मर्डर को और मार्मिक बना दिया है. Hindi Crime Story

 

 

UP Crime News : बीमा क्लेम के करोड़ों हड़पने वाला गैंग

UP Crime News : यूपी के जिला संभल की पुलिस ने बीमा क्लेम हड़पने वाले गैंग के 30 लोगों को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है. यह गैंग मरे हुए लोगों का भी मोटी धनराशि का जीवन बीमा करा कर बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से क्लेम ले लेता था. पिछले 8 सालों से देश के विभिन्न राज्यों में गैंग धड़ल्ले से काम कर रहा था. आप भी जानें कि गैंग किस तरह से अपने शिकार तलाशता था?

ओंकारेश्वर मिश्रा बीमा पौलिसी का सर्वे करने वाली फस्र्ट सोल्यूशन सर्विस कंपनी में बतौर जांच अधिकारी के रूप में काम करता था. करीब 8 वर्ष पहले की बात है. वह एक जीवन बीमा क्लेम से संबंधित जांच करने गया था.

जांच में पता चला कि जिस व्यक्ति का इंश्योरेंस क्लेम लेने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है, उस की बीमा पौलिसी मृत्यु से 3 महीने पहले ही कराई गई थी. ओंकारेश्वर मिश्रा ने और गहनता से जांच की तब पता चला कि वह व्यक्ति कई महीनों से कैंसर से पीडि़त था. उस की जो इंश्योरेंस पौलिसी की गई थी, वह नियम के अनुसार नहीं थी.

मृतक के फेमिली वालों ने मिश्राजी से सांठगांठ की. कुछ लेनदेन की बात चली. कुल मिला कर क्लेम की धनराशि के आधेआधे पर फैसला हो गया. नौमिनी को पौलिसी की राशि का भुगतान हो गया. इस तरह मिश्राजी को इस सांठगांठ से इतनी रकम हासिल हो गई, जितनी उस की एक महीने की सैलरी भी नहीं थी.

इस के बाद ओंकारेश्वर मिश्रा की बुद्धि में चेतना जागी. उस ने इस तरह के घोटाले को अपना धंधा बनाने के विचार पर मंथन शुरू कर दिया. इस के लिए उस ने अपने एक साथी अमित कुमार से विचारविमर्श किया. अमित भी इसी लाइन से जुड़ा था. दोनों ने मिल कर योजना तैयार की. वह किसी ऐसे बीमार व्यक्ति की तलाश में लग गए, जिस की मृत्यु निकट दिनों में ही संभव हो. कई दिनों के प्रयास के बाद भी ऐसा कोई मरणासन्न बीमार उन दोनों के हत्थे नहीं चढ़ा.

ओंकारेश्वर मिश्रा उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के कस्बा फुलवारिया का रहने वाला था. इधरउधर हाथपैर मारने के बाद ओंकारेश्वर और अमित को सफलता नहीं मिली. कई दिनों से थकेहारे दोनों के चेहरे पर एक दिन चमक जाग उठी. दोनों ने तय किया कि ग्रामीण क्षेत्र की किसी आशा दीदी से कांटेक्ट किया जाए.

अमित की जानकारी में एक आशा दीदी थी. दोनों ने उस महिला से संपर्क किया. वह एक सक्रिय आशा थी. उसे अपने पूरे गांव की जानकारी थी. आशा ने इन दोनों को बताया कि गांव की एक महिला कैंसर से पीडि़त है और इस समय वह मरणासन्न स्थिति में है.

गांव के ही झोलाछाप डाक्टर से दवाई ले कर उस की जिंदगी के दिन पूरे कर रहे थे. महिला 50 प्लस की उम्र में पहुंच चुकी थी.

ओंकारेश्वर और अमित ने उस के परिवार वालों से बातचीत की उन्हें समझाया कि यदि इन का बीमा कर दिया जाए तो काफी रकम उन की मृत्यु के बाद परिजनों को मिल सकती है. परिवार के लोगों ने कहा कि बीमा कराने के लिए उन के पास पैसे नहीं है. मिश्राजी इसी जुमले का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने तुरंत कहा कि पैसा हम लगाएंगे, कागज सब तैयार हम करेंगे, लेकिन आप को बीमा की आधी रकम हमें देनी पड़ेगी.

फेमिली के लोग उस की बात पर बिना किसी नानुकुर के तैयार हो गए. पूरा खाका तैयार कर लिया गया. जुगाड़ बाजी करके महिला का बीमा करा दिया गया. इन दोनों ने मिलकर बता दिया कि 5 लाख रुपए का बीमा कराया गया है.

बीमा की 2 किस्तें इन दोनों ने अपनी जेब से भर दीं. इत्तेफाक कहिए या इन लोगों का मुकद्दर, 2 महीने बाद ही महिला की मृत्यु हो गई. इन्होंने क्लेम कर के बीमा राशि निकाल ली और शर्त के अनुसार रकम आधीआधी बांट ली. वृद्धा की फेमिली भी खुश और मिश्राजी भी खुश. इस कामयाबी के बाद ये लोग इसी धंधे में लग गए.

इस के बाद ये लोग किसी बीमार मरणासन्न व्यक्ति की तलाश करते. उस का बीमा करवाते उस की मृत्यु के बाद बीमा राशि क्लेम कर के निकलवा लेते और उस का बंदरबांट कर लेते. इस तरह इन के इस धंधे में और भी लोग जुड़ते रहे और एक गैंग तैयार हो गया. सभी सदस्य भरपूर कमाई कर रहे थे. भरपूर आमदनी हो रही थी. फिर एक दिन अचानक गैंग पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. देखते ही देखते एक आलीशान मजबूत किला रूपी गैंग रेत के घरौंदे की तरह बिखर गया.

बात 17 जनवरी, 2025 की है. रात का समय था. ठंड पड़ रही थी. इस दौरान उत्तर प्रदेश के जिला संभल की एडिशनल एएसपी अनुकृति शर्मा अपनी गाड़ी से थाना रजपुरा पुलिस की रात्रि गस्त की निगरानी कर रही थीं. तभी रास्ते में एक काले रंग की स्कौर्पियो ने उन की गाड़ी को ओवरटेक किया. गाड़ी की स्पीड और ओवरटेक करने का ढंग देख एएसपी अनुकृति शर्मा को शक हुआ. उन्होंने अपने ड्राइवर को निर्देश दिया कि इस स्कौर्पियो को रोका जाए.

पुलिस ने उस स्कौर्पियो का पीछा किया. स्कौर्पियो ने स्पीड और तेज कर दी. एएसपी अनुकृति शर्मा ने भी अपने ड्राइवर को कार का पीछा करने के निर्देश दिए. पुलिस की 2 गाडिय़ां पीछे आते देख कर स्कौर्पियो का ड्राइवर घबरा गया. जैसे ही मौका लगा, एएसपी अनुकृति शर्मा के ड्राइवर ने ओवरटेक कर के स्कौर्पियो रुकवाई. उस में ओंकारेश्वर मिश्रा और अमित कुमार नाम के 2 शख्स बैठे थे.

अमित कार ड्राइव कर रहा था. उन से सामान्य नागरिक की तरह ही कुछ जानकारी पुलिस ने करनी शुरू कर दी. पहले तो वो पुलिस के सवालों को टालते रहे. इस पर एएसपी ने उन की गाड़ी की तलाशी लेने के निर्देश दिए. तलाशी में उन के पास से 16 डेबिट कार्ड, कई बीमा कंपनियों से जुड़े कागजात और 11 लाख से अधिक रुपए नकद मिले. यह सब बरामद होने पर एएसपी को मामला संदिग्ध लगा तो वह उन दोनों को कार सहित थाने ले गई.

संभल रजपुरा थाने में उन से पूछताछ का सिलसिला व्यापक होता गया. बातबात में बात बढ़ती गई. जब आगे जांच हुई तो पता चला कि यह कोई सामान्य लोग नहीं थे, बल्कि ये अंतरराज्यीय बीमा घोटाले के सरगना निकले.

पुलिस ने जब ओंकारेश्वर मिश्रा से पूछताछ की तो चौंकाने वाली बातें सामने आईं. यह गैंग फरजी बीमा पौलिसी से जुड़ा था. ओंकारेश्वर ने कुबूला कि हम बीमा पौलिसी का सर्वे करने वाली कंपनी में बतौर इन्वेस्टिगेटर काम करते हैं.

मिश्रा और अमित ने दिल्ली स्थित 2 बीमा जांच कंपनियों, ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ और ‘फस्र्ट साल्यूशंस एजेंसी’ के लिए काम किया था, जो कई बीमा कंपनियों के दावों को वेरिफाई करने का काम किया करती थीं. उन का काम पौलिसीधारक की मृत्यु के बाद नौमिनी के क्लेम की जांच करना था, लेकिन वे उल्टा काम कर रहे थे.

थाना रजपुरा पुलिस द्वारा इन दोनों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद जेल भेज दिया गया और इन से बरामद कागजात व अन्य सामग्री के आधार पर जांच चलती रही.

इन के द्वारा बताए गए अन्य साथियों पर भी पुलिस की निगरानी बढ़ गई. जगहजगह छापे मारे गए. जहां से जो आरोपी हाथ लगा उसे गिरफ्तार किया जाता रहा. यह सिलसिला कई महीने तक चलता रहा. पुलिस ने बीमा घोटाले में शामिल रहे 30 आरोपियों को 15 अप्रैल, 2025 तक गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया.

शुरू के दिनों में गिरोह के लोग बीमार व्यक्ति के फेमिली वालों से संपर्क करते थे. उन्हें सरकारी मदद का झांसा देते थे और आधार कार्ड और पैन कार्ड ले लेते थे. मरीज के इलाज की फाइल के साथ सिग्नेचर या फिर अंगूठे का इंप्रेशन ले लेते थे. गांव में कौन व्यक्ति बीमार है, किस को कैंसर हुआ है. कौन मरने वाला है, उन्हें तलाश कर उन की जीवन बीमा पौलिसी करा दिया करते थे. यह लोग गरीब और अशिक्षित लोगों को ही अपना टारगेट किया करते थे.

यह लोग अब तो किसी मरणासन्न व्यक्ति का ही नहीं अपितु मृत्यु के बाद भी मृतक व्यक्ति का बीमा कराने में कामयाब होने लगे. अब गैंग ने पूरी रकम हड़पने की योजना तैयार कर ली. ऐसा ही एक मामला संभल पुलिस की जांच में देश की राजधानी दिल्ली का सामने आया.

उत्तरी दिल्ली के शक्तिनगर निवासी त्रिलोक कुमार बीते वर्ष 19 जून को बीमारी से मौत हो गई. 25 सितंबर को उन्हें जिंदा दर्शा कर बीमा घोटाला गैंग ने बीमा की 2 पौलिसी करा दी. त्रिलोक कुमार कैंसर से पीडि़त थे. 15 जून, 2024 को वह दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में भरती हुए. 19 जून, 2024 को उन की मौत हो गई थी.

20 जून को दिल्ली के निगम बोध घाट पर उन का अंतिम संस्कार हो गया. फेमिली वालों के पास एमसीडी दिल्ली की श्मशान घाट की रसीद मौजूद थी, जिस पर मौत का कारण कैंसर लिखा था. इस के अलावा राजीव गांधी हौस्पिटल के डाक्यूमेंट्स भी थे. त्रिलोक कुमार के नाम पर कुल 2 जीवन बीमा पौलिसी एलआईसी से कराई गईं. इस में दूसरी वाली पौलिसी 20.48 लाख रुपए की थी. गिरोह ने इन की बीमा धनराशि हड़प ली.

ऐसा ही एक मामला बुलंदशहर जिले के डिबाई थाना क्षेत्र में भीमपुर गांव का सामने आया. पुलिस को सुनीता ने बताया कि उस के पति सुभाष की मौत बीमारी की वजह से पिछले साल हुई. मरने से कुछ दिनों पहले ही गांव की आशा दीदी नीलम उन के पास आई. उस ने कहा कि वह सरकार से कुछ मदद दिला सकती है.

वह सारे कागजात ले गई और वो उस ने इंश्योरेंस गिरोह को सौंप दिए. घोटाले का मामला सोशल मीडिया पर चर्चा में होने के बाद सुनीता को भी उस के पति के बीमे के कागज चैक कराने की याद आई. बाद में पता चला कि उस के पति के नाम पर लाखों रुपए की बीमा राशि निकाली जा चुकी है.

इसी तरह गाजियाबाद में लोनी थाना क्षेत्र की पूजा कालोनी में रहने वाले सौराज की 9 नवंबर, 2022 को मौत हो गई. उसी दिन पूजा कालोनी के श्मशान घाट में उस का अंतिम संस्कार हो गया. फेमिली वालों के पास इस श्मशान घाट की रसीद भी मौजूद है. इस में अंतिम संस्कार 9 नवंबर, 2022 को दोपहर साढ़े 3 बजे होना लिखा है. सौराज की मौत के बाद फरजी बीमा पौलिसी गैंग ऐक्टिव हुआ और उस के घर पहुंच गया.

मर चुके लोगों का भी गैंग ने कराया बीमा

इस गैंग ने सौराज के मृत्यु प्रमाणपत्र अन्य कागजात में हेराफेरी कर के उस की 2 जीवन बीमा पौलिसी करा दीं. एक पौलिसी मौत के 20 दिन बाद 29 नवंबर, 2022 को हुई. यह साढ़े 8 लाख रुपए की थी. दूसरी पौलिसी अन्य बीमा कंपनी से 7 दिसंबर, 2022 को हुई. यह 19 लाख 91 हजार 970 रुपए की थी.

मामला उत्तर प्रदेश के ही जिला बदायूं के गांव सिठौली का सामने आया. यहीं के रहने वाले सुरजीत सिंह की मौत एक लंबी बीमारी के बाद हो गई थी. गैंग ने उन के 2 बीमे करा दिए. सुरजीत सिंह को इसकी भनक भी नहीं लगी. गैंग ने बीमा कंपनी से क्लेम कर के फरजी तरीके से बीमा राशि हड़प ली. इस फरजीवाड़े में बैंककर्मियों की मिलीभगत की संभावना व्यक्त की गई.

घोटाले के एक अन्य मामले में सर्वेश के पति मुकेश कुमार की मृत्यु किडनी फेल होने से हुई थी. उन के नाम पर 20 लाख रुपए का बीमा था. गैंग के लोगों ने सभी दस्तावेज लेकर सर्वेश से उस पर हस्ताक्षर भी कर दिए थे. इस के बावजूद बीमे की धनराशि सर्वेश के खाते में नहीं आई. 2 जनवरी, 2025 को गिरोह ने सर्वेश के नाम पर खोले गए फरजी खाते से सेल्फ चैक के जरिए से 9 लाख 90 हजार रुपए निकाल लिए.

चौंकाने वाली बात यह रही कि सर्वेश ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा कोई खाता नहीं खुलवाया और न ही बैंक जा कर कोई चैक साइन किया. उन का एकमात्र बैंक खाता रजपुरा में था, जबकि नोएडा के सूरजपुर स्थित यस बैंक में उन के नाम से नया खाता खोल दिया गया था.

घोटाले का मामला हाईलाइट हो जाने पर बीमा राशि हड़पने की एक शिकायत जनपद संभल के थाना कुडफ़तेहगढ़ और एक थाना बनियाठेर में दर्ज हुई.

यह मामला अप्रैल 2025 का है. थाना कुडफ़तेहगढ़ क्षेत्र के गांव स्योडारा निवासी मीरावती के पति सुदामा, जो कैंसर से पीडि़त थे. इन की 2020 में मृत्यु हुई थी. इन के नाम की भी एक पौलिसी एलआईसी से कराई गई थी. इन के भी फरजी दस्तावेज तैयार किए गए. बीमा का पैसा मीरावती के खाते में

आया था.

आरोपियों ने प्रथमा ग्रामीण बैंक स्योडारा में मीरावती का खाता खुलवाया था . बैंक से चेक बुक ले कर मीरावती से खाली चेक पर अंगूठा लगवा लिया. मीरावती के खाते से कई लाख रुपए आराम सिंह नाम के व्यक्ति ने अपने बेटे पंकज सिंह के खाते में ट्रांसफर करा लिए.

हर विभाग में कर रखी थी सैटिंग

दूसरे मामले में बनियाढेर क्षेत्र के निवासी सत्यवीर सिंह की पत्नी मृतका सुकरवती को काला पीलिया था. जनवरी 2020 को उन की मृत्यु हो गई. जनवरी 2021 में उन्हें जीवित दिखा कर बीमा कराया गया.

मार्च में मृत्यु दिखा कर दूसरा मृत्यु सर्टिफिकेट ब्लौक बिलारी से ही बनवाया गया. बीमा कंपनियों में क्लेम कर के बीमा राशि प्राप्त कर ली और हेराफेरी कर के नौमिनी के खाते से निकाल ली. इन दोनों फरजीवाड़े के मामलों में नामजद आराम सिंह को नामजद किया गया.

पुलिस द्वारा आराम सिंह निवासी अल्लापुर, बिलारी को गिरफ्तार किया गया. आराम सिंह अंतरराज्यीय बीमा गिरोह का एक सदस्य निकला.

मुख्य आरोपी आराम सिंह ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए. उस ने बताया कि ओंकारेश्वर मिश्रा, सचिन शर्मा उर्फ मोनू आदि के साथ मिल कर यह धोखाधड़ी की जाती थी. यह गिरोह पिछले 8 सालों से सक्रिय था. संभल, धनारी, बबराला, बिलारी और मुरादाबाद समेत कई क्षेत्रों में इन का नेटवर्क फैला हुआ था. गिरोह ने 12 राज्यों के सैकड़ों लोगों के साथ इस तरह की धोखाधड़ी करनी स्वीकार की.

एडिशनल एसपी अनुकृति शर्मा की निगरानी में संभल पुलिस को जांच में एक व्यक्ति पंचम सिंह के 2 आधार कार्ड बरामद हुए. एक में उन की जन्मतिथि जनवरी 1955 और एक दूसरे आधार कार्ड में जुलाई 1976 दर्ज थी. दोनों आधार कार्ड का नंबर सेम था.

पंचम सिंह के बेटे विनोद कुमार को 2 आधार कार्ड इस्तेमाल करने के जुर्म में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया. क्योंकि बीमा घोटाला गैंग ने पंचम सिंह की मृत्यु के बाद उन की बीमा राशि हड़प ली थी. पुलिस ने दोनों आधार कार्ड यूआईडीआई का डेटाबेस से चेक कराए.

डुप्लीकेट आधार कार्ड में पंचम सिंह की आयु 21 वर्ष काम कराई गई थी. क्योंकि पीएम जेजेवाई (प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना) का लाभ के लिए उम्र 50 साल से कम की उम्र होनी चाहिए, जबकि पंचम सिंह 70 साल के थे. इसलिए आधार में आयु कम कराई गई थी.

पुलिस के लिए चिंता की बात यह थी कि यह सब हुआ कैसे? पंचम सिंह के बेटे विनोद ने आधार कार्ड में जन्मतिथि की हेराफेरी करने की जानकारी दी.

हैरान करने वाली बात यह थी कि आम नागरिक को अगर अपना एड्रेस चेंज कराना हो या मोबाइल नंबर दर्ज करना हो या बदलवाना हो तो लोगों को व्यक्तिगत रूप से आधार के अधिकृत सेंटर पर उपस्थित होना होता है, लेकिन पंचम सिंह ने यह कैसे करा लिया? यह सब कैसे हो गया?

पुलिस की तहकीकात में इल्लीगल तरीके से इन लोगों ने एकदम लुक लाइक पोर्टल बनाया था, जोकि आधार की तरह दिखता था. ये लोग वेब डिजाइनिंग व कोडिंग में बहुत माहिर थे.

पुलिस ने बदायूं और अमरोहा जिले से 4 लोगों को गिरफ्तार किया. जिन के पास से लैपटाप और कंप्यूटर सिस्टम के अलावा बायोमैट्रिक डाटा लेने वाले कई उपकरण बरामद किए गए, जिस में रबड़ के फरजी फिंगरप्रिंट, आइरिस कापी, फरजी पासपोर्ट, कई राज्यों के फरजी जन्म प्रमाणपत्र, मोडिफाई फिंगरप्रिंट स्कैनिंग मशीन, मोबाइल फोन, पैन कार्ड प्रपत्र, फिंगर अपडेशन, आवेदन प्रपत्र 400 से अधिक आधार संशोधन के लिए एनरोलमेंट आवेदन, 8 पासपोर्ट फोटो आदि बरामद किए गए. बीमा घोटाला गैंग की यह टीम आधार कार्ड में संशोधन करने की जिम्मेदारी खुद निभाती थी.

हिरासत में लिए गए लोगों की सूचना पर 6 लोगों को और गिरफ्तार किया गया. इस गिरोह के अन्य सदस्यों के पास से पुलिस ने 81 पासबुक, 35 चेकबुक के अलावा 31 मृत्यु प्रमाण पत्र, कई बैंकों की मोहरें, लैपटाप भी बरामद किए.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में प्रेमपाल और प्रेम सिंह फरजी तरीके से सिम देने का काम करते थे. दोनों ही युवक एक मोबाइल कंपनी के एजेंट थे. जिन के पास से भी पुलिस ने फरजी दस्तावेज बरामद किए.

इन से मोबाइल फोन और 7 भिन्नभिन्न कंपनियों के सिम बरामद किए गए. बरामद डाक्यूमेंट्स राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल के रहने वाले व्यक्तियों से संबंधित हैं जो या तो खुद जीवन बीमा की पौलिसी धारक हैं या फिर मृतक के नौमिनी हैं.

ऐसा ही एक और मामला पुलिस की जांच में सामने आया. बुलंदशहर जिले के पहासू थाना क्षेत्र के मोहल्ला चमारान कला अशोकनगर की रुखसार के पति असलम का बीमा क्लेम गिरोह ने ठग लिया. असलम गंभीर रूप से बीमार थे. गिरोह को जब यह जानकारी हुई तब गैंग के सदस्यों ने असलम का जीवन बीमा करा दिया.

रुखसार को उस का नौमिनी बनाया गया. जब उस के पति की मृत्यु हुई, रुखसार के नाम से एक फरजी खाता खोला गया और उस में बीमा की रकम डाल कर गैंग के सदस्यों द्वारा निकाल ली गई. बैंक में दिए गए मोबाइल नंबर भी गलत थे, जिस से रुखसार को कोई जानकारी नहीं मिली.

रुखसार ने बीमा कंपनी से संपर्क किया तो उसे पता चला कि उस के पति का बीमे का क्लेम पहले ही हो चुका है. रुखसार के बैंक खाते में क्लेम की रकम नहीं आई.

कई राज्यों में फैला हुआ था जालसाजी का नेटवर्क

इस मामले की जांच में सामने आया कि बुलंदशहर जिले के कस्बा अनूपशहर स्थित यस बैंक के 2 डिप्टी मैनेजरों ने फरजी दस्तावेजों पर गिरोह के सदस्य का खाता खोला था. रुखसार के क्लेम की रकम गिरोह के खाते में आई और वह निकाल कर ले गए.

जब पुलिस ने जांच की तो बैंकिंग प्रक्रियाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का पता चला. बैंककर्मियों ने खाताधारक की उपस्थिति के बिना ही खाते खोल दिए, जिस से ठगी की योजना को अंजाम दिया गया. उक्त बैंक के दोनों डिप्टी मैनेजरों को पुलिस ने जेल भेज दिया.

एएसपी अनुकृति शर्मा के निर्देश पर गैंग का खुलासा करने के बाद सभी 10 बीमा कंपनियों को एक लेटर लिखा. उन से 2 साल का डेटा मांगा. इस में सिर्फ उन पौलिसी की डिटेल्स मांगी गईं, जिन में बीमा होने और मरने में सिर्फ एक साल का अंतर रहा हो.

डेटा एनालिसिस करने के बाद एसबीआई लाइफ की 7.27 करोड़, पीएनबी मेटलाइफ की 2 करोड़ रुपए से ज्यादा, कैनरा एचएसबीसी की 7.44 करोड़ रुपए, इंडिया फस्र्ट की 10.33 करोड़ रुपए, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ की 4. कुछ ही कंपनियों द्वारा भेजे गए डेटा में 50 करोड़ रुपए की बीमा पौलिसी सस्पेक्टेड पाई गईं. बाकी बीमा कंपनियों ने कथा संकलन तक डेटा नहीं दिया था.

इन में करीब 70 फीसदी लोगों की मौत का कारण हार्टअटैक बताया है. इस से स्पष्ट होता है कि गैंग ने डाक्टरी रिपोर्ट और मृत्यु प्रमाण पत्र सब स्वयं के द्वारा तैयार किए गए होंगे. बीमा कंपनियों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बीमा पौलिसी उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, दिल्ली, बिहार, असम, वेस्ट बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में हुई थीं.

यानी इन का नेटवर्क पूरे देश में फैला था. चूंकि यह गैंग पिछले 8 सालों से काम कर रहा था और अभी पुलिस को सिर्फ 2 साल का डेटा मिला है, इसलिए अनुमान है कि फरजी पौलिसी की रकम 100 करोड़ रुपए से भी पार पहुंच सकती है. पुलिस अप्रैल 2025 तक गैंग के 30 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी.

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में मुख्य रूप से अमित ड्राइवर, ओंकारेश्वर मिश्रा के अतिरिक्त धनारी थाना क्षेत्र के गांव भैयापुर का शाहरुख खान, संजू, अरुण किशोर, हीरेंद्र कुमार, प्रेमपाल, प्रेम सिंह, बुलंदशहर जिले की थाना डिबाई क्षेत्र के गांव बाधौर की नीलम थी.

नीलम आशा कार्यकर्ता है, अन्य मुख्य अभियुक्त अमित पुत्र हीरालाल निवासी मसजिद मोहल्ला बबराला, हाल निवासी अलीपुर चोपला, थाना गजरौला, नितिन चौधरी (डिप्टी मैनेजर, यस बैंक, अनूप शहर ब्रांच) निवासी देवीपुरा मोहल्ला, बुलंदशहर, अभिनेश राघव (डिप्टी मैनेजर, यस बैंक, बुलंदशहर ब्रांच), ईस्ट इंडिया इनवेस्टिगेशन कंपनी के मालिक शैलेंद्र कुमार, नरेश कुमार तथा नरेश का बेटा आकाश यादव निवासी मोहल्ला बाजार कस्बा बिलारी जिला मुरादाबाद है. कुछ लोग अभी फरार हैं, जिन के खिलाफ अदालत में काररवाई की जा रही है.

संभल में हुए बीमा घोटाले में कई थानों की पुलिस ने काररवाई की. इस घोटाले में रजपुरा और गुन्नौर थाना पुलिस ने मुख्य रूप से अंतरराज्यीय गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया.

बीमा घोटाला गैंग के खिलाफ प्रभावी काररवाई एसएचओ (थाना रजपुरा) हरीश कुमार, एसएचओ (गुन्नौर) अखिलेश कुमार, दीपक कुमार (सीओ गुन्नौर), एडिशनल एसपी अनुकृति शर्मा और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई के नेतृत्व में हुई.

कथा लिखने तक जांच जारी थी. घोटाला कहां तक पहुंचेगा, अभी कुछ कहा नहीं जा सकता.

50 लाख के क्लेम के लिए विकलांग को कुचला

पहली अगस्त, 2024 को संभल जिले के बिसौली थाना क्षेत्र के ढीलवारी गांव निवासी राजेंद्र ने अपने भाई दरियाब जाटव की मौत के संबंध में एफआईआर दर्ज कराई थी. दरियाब 21 जुलाई, 2024 को बाजार जाने की बात कह कर घर से निकला था, लेकिन वह देर शाम तक भी घर वापस नहीं आया. संभावित स्थानों पर तलाश भी किया गया, दरियाब का पता नहीं चला.

सैनिक चौराहे से चंदौसी के आटा गांव जाने वाली सड़क पर करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर रात 10 बजे दरियाब का शव मिला सूचना मिलने पर राजेंद्र भी मौके पर पहुंचा. घटनास्थल देख कर ऐसा लग रहा था कि दरियाब की मौत सड़क दुर्घटना में हुई है.

राजेंद्र के कहने पर और लोगों ने भी अज्ञात वाहन की टक्कर से उसकी मृत्यु होना स्वीकार कर लिया. पुलिस को सूचना दी गई. मौका मुआयना करने के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण सिर में चोट और पूरे शरीर पर छिलने जैसे निशान बताए गए थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक्सीडेंट मामले की ओर इशारा कर रही थी. 2 अगस्त 2024 को राजेंद्र की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात वाहन द्वारा टक्कर मार देने से हुई मृत्यु का मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने मामले को सड़क हादसा दिखाते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी.

बीमा कंपनी टाटा एआईए को इस मामले में शक हुआ. दरियाब के नाम की एक साल पहले बीमा पौलिसी की गई थी. बीमा कंपनी ने पुलिस को सूचना दी. संभल जिले में बीमा घोटाला माफिया गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ चुका था. उस की जांच भी चल रही थी. इस घोटाले की जांच का नेतृत्व एएसपी अनुकृति शर्मा कर रही थीं. इसलिए बीमा कंपनी की शिकायत संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने एएसपी अनुकृति शर्मा को जांच हेतु सौंप दी. 9 महीने पहले दिव्यांग दरियाब की सड़क दुर्घटना की फाइल बंद चुकी थी.

बीमा कंपनी की शिकायत पर फिर से फाइल ओपन की गई. जांच में पता चला कि सड़क दुर्घटना में मौत का शिकार हुए व्यक्ति की 5 बीमा पौलिसी कराई गई थीं. एक सवाल था कि दिव्यांग दरियाब कोई काम नहीं करता था. 5 पौलिसी की किस्तें जमा करने के लिए उस के पास पैसा कहां से आता था.

जांच में सामने आया कि दरियाब दिव्यांग होने के कारण ट्राई साइकिल पर चलता था. उस का एक्सीडेंट उस के घर से करीब 27 किलोमीटर दूर हुआ था. अब सवाल यही उठ रहा था कि वह आखिर 27 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर कैसे पहुंच गया. क्योंकि घटनास्थल पर दिव्यांग की ट्राई साइकिल बरामद नहीं हुई थी.

इस के बाद पुलिस ने आगे की जांच की तो पता चला एक्सिस बैंक के एडवाइजर पंकज राघव ने दरियाब की पौलिसी की थी. पुलिस ने उस की काल डिटेल्स खंगाली. काल डिटेल्स में पंकज, हरिओम और विनोद की बात सामने आई. पुलिस ने तीनों से पूछताछ की तो पूरा मामला खुल गया.

दरअसल, हरिओम और विनोद नामक 2 सगे भाई एक्सिस बैंक में लोन लेने के लिए गए थे. वहां उन का सिविल खराब होने के कारण लोन देने से मना कर दिया. यहां उन की मुलाकात एक्सिस बैंक के इंश्योरेंस पौलिसी एडवाइजर पंकज राघव से हुई. लोन न मिलने पाने की स्थिति में तीनों की बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा तो शातिर दिमाग पंकज राघव ने पौलिसी हड़पने का घटिया प्लान तैयार किया.

दोनों भाइयों ने मिल कर गरीब दिव्यांग का प्लानिंग के अनुसार दरियाब का 50.68 लाख रुपए का 5 अलगअलग बीमा कंपनियों से एक्सीडेंटल बीमा करवाया. दरियाब के भाई राजेंद्र को विश्वास में लिया. पंकज ने खुद को बचाते हुए बीमा में नौमिनी तो राजेंद्र को बनाया, लेकिन मोबाइल नंबर अपना डलवा दिया, ताकि भविष्य में मैसेज उसी को मिलें. खाते खुलवाए गए आधार कार्ड आदि सभी कागजात राजेंद्र से अपने कब्जे में ले लिए.

क्लेम के कागज तैयार कर के उस पर राजेंद्र के अंगूठे, हस्ताक्षर भी ले लिए. बीमा की किस्तें भी एक साल तक लगातार जमा करते रहे. 31 जुलाई को प्रताप, हरिओम और विनोद दरियाब को कार में बैठा कर चंदौसी लाए.

दरियाब को शराब पिलाई गई और फिर आटा गांव रोड के पास सुनसान जगह पर कार से बाहर निकल कर नशे में बेहोश दरियाब को सड़क पर डाल दिया. उस के ऊपर कार चढ़ा दी गई. कार से कुचलने के बाद भी उस की मौत नहीं हुई तो हथौड़े से उस के सिर पर वार किए गए. जिस से उस की मौत हो गई.

दरियाब की मौत के बाद 50.68 लाख रुपए के कुल बीमे में से इन लोगों ने 15.68 लाख रुपए पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले ही हड़प लिए थे. बाकी राशि उन को नहीं मिल पाई थी. दिलचस्प बात यह है कि राजेंद्र के हाथ एक पैसा नहीं लगा. राजेंद्र को प्लानिंग की कोई जानकारी भी नहीं दी गई.

इस खुलासे को अंजाम देने वाली टीम को विभाग की तरफ से 25 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की गई. गिरोह के 4 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. सड़क दुर्घटना के 9 महीने बाद 30 अप्रैल, 2025 को पूरे मामले का खुलासा संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने प्रैस कौन्फ्रैंस में किया.  UP Crime News

 

 

Romantic Story in Hindi : लिवइन प्रेमिका की कीमत एक करोड़

Romantic Story in Hindi : प्रौपर्टी डीलर गीता शर्मा और एडवोकेट गिरिजाशंकर पाल के फेमिली वालों को उन के अंतरजातीय प्रेम संबंध पर कोई आपत्ति नहीं थी और लिवइन में रहने पर कोई शिकायत भी नहीं थी. दोनों परिपक्व थे, प्रोफेशनल थे. पतिपत्नी नहीं थे, फिर भी गीता का नौमिनी बन कर प्रेमी ने एक करोड़ रुपए का इंश्योरेंस करवा रखा था. आपस में लाखों का लेनदेन करते थे. फिर क्या हुआ, जो गीता की रक्तरंजित लाश बीच सड़क पर पाई गई. पढ़ें, नए जमाने की लंबी चली प्रेम कहानी, जिस का अंत चौंका गया…

दोपहर का वक्त था. तारीख थी 18 जनवरी, 2025. रोजाना की तरह लंच करने के बाद प्रौपर्टी डीलर गीता शर्मा लखनऊ के पीजीआई स्थित नीलगिरी अपार्टमेंट में बने अपने औफिस में आ गई थी. कुछ परेशान लग रही थी. कभी मोबाइल फोन को हाथ में लेती तो कभी सामने लैपटौप की स्क्रीन पर खुले वाट्सऐप मैसेज को स्क्राल करने लगती. अंदर की बेचैनी उस के हावभाव से साफ झलक रही थी. दरअसल, गीता शर्मा कई दिनों से परेशान चल रही थी. गिरिजा न तो उस के उधार के पैसे लौटा रहा था और न ही उस का फोन उठा रहा था. उस से लाखों रुपए लेने थे. वह कोई गैर नहीं, बल्कि उस का प्रेमी था.

सालों से लिवइन में भी था. हालांकि वे अलगअलग रहते थे. जब से उस ने शादी की जिद की थी, तब से कारोबारी लेनदेन में बाधाएं आने लगी थीं. औफिस में अकेली बैठी हुई काफी समय तक वह खयालों में खोई रही. अचानक उस का मोबाइल फोन बज उठा. वीडियो काल था. स्क्रीन पर दिखे चेहरे को देखते ही एकाएक मुसकरा उठी और बोली, ” हैलो!’’

”देखो, शिकायत मत करना…नाराज मत होना. मैं गुनहगार हूं तुम्हारा. फोन नहीं रिसीव किया, मैं कोर्ट में था.’’ उधर से काल पर गिरिजाशंकर पाल था.

गीता नाराज होती हुई बोली, ”कैसे नहीं करूं शिकायत! तुम्हारे साथ लिवइन में रहते हुए मुझे 10 साल हो गए, लेकिन जब से मैं ने तुम से शादी की बात छेड़ी है, तब से तुम्हारा रवैया ही बदल गया है.’’

”देखो, तुम गुस्से में भी सुंदर दिख रही हो.’’ गिरिजा बोला.

”वह सब तो ठीक है, मेरे भाई का फोन आया था. पूछ रहा था शादी का मुहूर्त निकलवाना है.’’ गीता बोली.

”अरे वह भी हो जाएगा, थौड़ा बैंक बैलेंस बढ़ जाने दो.’’ गिरिजा का जवाब था.

”फिर टाल रहे हो!’’

”अरे नहीं मेरी जान! तुम ने भी कौन सा राग छेड़ दिया. मैं आज तुम्हें कैंडल डिनर देना चाहता हूं. एक बड़ा मुकदमा हाथ आने वाला है, इस खुशी में…’’ गिरिजा शंकर आंखें मटकते हुए बोला.

”अच्छा!’’

”आज शाम को 5 बजे मैं गांव जा रहा हूं. कल संडे है. चाहो तो तुम भी गांव चल सकती हो. रास्ते में रेस्टोरेंट में डिनर करेंगे. अगर वहीं से लौटना चाहो तो वापस हो जाना. कुछ देर तुम्हारे साथ बैठेंगे. मुझे अच्छा लगेगा!’’ गिरिजा शंकर बोला.

इस पर गीता ताना मारती हुई बोली, ”मैं क्या करूंगी गांव जा कर! वहां वही ताने सुनने को मिलेंगे. कब दुलहन बन रही हो?’’

दोनों का गांव रायबरेली जनपद में सदर कोतवाली क्षेत्र का अकबरपुर कछुबाहा, मटिया है. गीता अपने गांव जाने से कतराती थी. अपने काम के सिलसिले में लखनऊ के नीलगिरी अपार्टमेंट में कई सालों से अकेली रह रही थी. वहां गिरिजाशंकर बेरोकटोक आताजाता रहता था. उस रोज भी उन्होंने वीडियो कालिंग में गीता को शाम के 5 बजे तैयार रहने को कहा था. जवाब में गीता बोली थी, ”बड़ी बेकरारी से इंतजार करूंगी.’’

गिरिजाशंकर पाल अपनी सफारी गाड़ी से निर्धारित समय पर वृंदावन कालोनी के निकट नीलगिरी अपार्टमेंट के गेट पर पहुंच गया. उस रोज उस ने बाहर से ही काल कर गीता को बुला लिया. गीता हैरान थी कि जो कुछ दिनों से उस का फोन बारबार काट देता था. वह ठीक समय पर आ गया. हालांकि उस ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और उस की सफारी गाड़ी में साथ वाली सीट पर जा कर बैठ गई.

”बहुत जरूरी बात करनी है.’’ गीता बोली.

”कर्ज के बारे में! जल्द लौटा दूंगा.’’ गिरिजा बोला.

”मैं उस की नहीं, शादी के मुहूर्त की बात कर रही हूं.’’

”देखो, तुम ने फिर से दुखती रग पर हाथ रख दिया…’’ गिरिजा बोला ही था कि गीता तुरंत बोल पड़ी, ”तुम्हारे लिए दुखती रग है, लेकिन मेरे लिए दिल का दर्द है!’’

”जब तक मैं गले मढ़ी पत्नी से कानूनी छुटकारा नहीं पा लेता, तब तक तुम से शादी संभव नहीं है.’’

”अभी तक झूठा वादा करते रहे?’’

”कैसा वादा?’’ गिरिजाशंकर की यह बात गीता को चुभ गई.

बोली, ”तो अब मुकर रहे हो…’’

”मैं एडवोकेट हूं…सब कुछ कानूनी दायरे में करता हूं.’’ गिरिजाशंकर के इस तर्क से वह और भी मायूस हो गई. उदासी चेहरे पर झलक आई थी. वह एकदम से चुप हो गई. गिरिजाशंकर कार भगाए जा रहा था. गीता काफी देर तक गुमसुम उस का चेहरा देखती रही. उस के चेहरे पर कई तरह के भाव आजा रहे थे. उस के जरिए

गीता समझने की कोशिश कर रही थी कि आखिर गिरिजाशंकर के दिमाग में क्या चल रहा है. शाम का अंधेरा घिर चुका था. थोड़ी देर की खामोशी के बाद गिरिजाशंकर और गीता एक रेस्टोरेंट में थे. एक टेबल पर आमनेसामने. उन के सामने चाय और गीता के पसंद की सैंडविच आ चुकी थी. चाय पीते हुए गिरिजाशंकर अपने नए मुकदमे की बात करने लगा, जबकि गीता उस की बातें सुनते हुए अपने असली मकसद पर आ गई थी.

गीता बोली, ”गिरिजा, आज तुम मुझे साफसाफ बताओ कि मुझ से शादी करने की तारीख किस महीने की निश्चित कर रहे हो.’’

”गांव से लौटते ही जवाब मिल जाएगा.’’ मुंह बनाता हुआ गिरिजा बोला. गीता ने महसूस किया कि गिरिजा के चेहरे पर तनाव था.

”मैं तुम से पिछले 5 सालों से आग्रह कर रही हूं. अब पानी सिर से काफी ऊपर हो चुका है. और ज्यादा दिन तक मैं इंतजार नहीं कर सकती.’’ गीता बोली.

”समझो, इंतजार का अखिरी वक्त आ चुका है. वैसे मैं ने तुम्हारा एक करोड़ का इंश्योरेंस कर भविष्य सुरक्षित कर दिया है. जरा इस पर भी तो सोचो.’’ गिरिजाशंकर अपनी सफाई में बोला.

गीता बोली, ”वह तो ठीक है मगर!’’

”अब अगरमगर छोड़ो, चलो, तुम्हें अपार्टमेंट के रास्ते में छोड़ता हुआ अपने गांव निकल जाऊंगा.’’

कुछ समय में ही दोनों रेस्टोरेंट से बाहर निकल आए. गीता गिरिजाशंकर के साथ सफारी में बैठ गई. हालांकि गीता उस के साथ जाने के मूड में नहीं थी, लेकिन रात गहरी होने के कारण वह उस के साथ बैठ गई थी. गिरिजाशंकर मेन रोड छोड़ कर सन्नाटे की ओर सफारी को तेजी से चला रहा था. कुछ समय में ही वह लखनऊ में डिफेंस एक्सपो मैदान के सामने की सड़क पर पहुंच गया था. वहां काफी सन्नाटा था. गिरिजा ने एक किनारे कार रोक दी और कहा, ”तुम यहीं उतर जाओ. यहां से तुम्हारा अपार्टमेंट ज्यादा दूर नहीं है. मैं कैब बुक कर देता हूं.’’

उस वक्त सड़क पर इक्कादुक्का गाडिय़ां चल रही थीं. उन में बड़े ट्रक भी थे. गीता उस की कार से बाहर निकल आई थी.

”तुम सड़क के दूसरी तरफ चली जाओ. मेरे कुछ साथी सामने की बिल्डिंग से आने वाले हैं. वह भी मेरे गांव जाएंगे.’’ गिरिजाशंकर बोला और मोबाइल से कैब बुक करने लगा, लेकिन गीता ने मना कर दिया. वह बोली, ”मैं खुद कैब बुक कर लूंगी, मैं यहां की कोई नई नहीं हूं.’’

”ओके! संभल कर सड़क क्रौस करना!’’ कहते हुए गिरिजाशंकर ने अपनी सफारी वहां से थोड़ी आगे बढ़ा ली.

अगले रोज 19 जनवरी, 2025 की अल सुबह लखनऊ की वृंदावन कालोनी सेक्टर 10 में डिफेंस एक्सपो मैदान का इलाका रात को जितना सुनसान दिख रहा था, सुबह होते ही वहां का माहौल चहलपहल में बदल गया था. लोगों का मार्निंग वाक के लिए आना शुरू हो चुका था. उन में नजदीक की कालोनी में रहने वाली महिलाएं और मर्द ही अधिक थे. ट्रैकसूट में मैदान की सड़क से सटे किनारे दौड़ लगा रही एक युवती की नजर एक पेड़ की जड़ के पास गई. वह चौंक गई.

तुरंत कुछ अन्य लोगों को इकट्ठा किया. सभी पेड़ के पास गए. देखा, वहां एक महिला खून से लथपथ पड़ी थी. उस का चेहरा खून से पुता हुआ लाल था. उसे पहचानना मुश्किल था. कपड़े भी कई जगह से फटे हुए थे. तुरंत इस की सूचना वृंदावन पुलिस चौकी को दी गई. वहां के इंचार्ज एसआई विकास कुमार तिवारी सूचना मिलते ही कुछ पुलिसकर्मियों हैडकांस्टेबल आकाश गुप्ता और असिंदर कुमार यादव के साथ मौके पर पहुंच गए. मृत महिला की उम्र 35 वर्ष के करीब लग रही थी. उस लाश को अपने कस्टडी में लेने के बाद पुलिस ने उस की शिनाख्त के लिए जांच शुरू की. पहने हुए कपड़े बहे खून से शरीर पर चिपके हुए थे.

शरीर के कई जगहों पर घाव के निशान साफ दिख रहे थे. लग रहा था कि शायद वह किसी वाहन से कुचली गई हो. सड़क दुर्घटना की शिकार हो गई थी. लाश की हालत देख कर ऐसा लगता था, मानो उस पर कई बार वाहन के पहिए चढ़े हों. सूचना मिलने पर डीसीपी (पूर्वी) शशांक सिंह और एडिशनल डीसीपी (पूर्वी) पंकज कुमार सिंह भी मौके पर पहुंच गए. उस की पहचान के लिए पीजीआई थाने ने वृंदावन कालोनी और नीलगिरी अपार्टमेंट के आसपास के लोगों से पूछताछ की. जल्द ही उस की पहचान हो गई. उस का नाम गीता शर्मा था, जो नीलगिरी अपार्टमेंट में अकेली किराए पर रहती थी.

आसपास की कालोनी के कई लोग उसे जानतेपहचानते थे. आगे की जानकारी पुलिस ने जुटा ली. गीता नाम की वह महिला मूलरूप से रायबरेली के अकबर कछुबाहा (मटिया) की निवासी थी. गीता के बारे में पुलिस ने रायबरेली की सदर कोतवाली को सूचना दे दी गई. कुछ घंटे में ही उस के फेमिली वालों को इस की सूचना मिल गई. उस का भाई लालचंद पीजीआई, लखनऊ पहुंच गया. उस ने उस की पहचान कर ली. एसएचओ रविशंकर तिवारी को लालचंद्र ने बहन की मौत का कारण भी बताया. साथ ही हत्या का आरोप एडवोकेट गिरिजाशंकर पाल पर लगाया.

इस आधार पर पीजीआई कोतवाली में गीता की हत्या का मुकदमा धारा 103 (1) बीएनएस के तहत गिरिजाशंकर पाल के खिलाफ दर्ज कर लिया गया. इस की जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर धीरेंद्र कुमार सिंह को सौंपी गई. इस के बाद पीजीआई पुलिस ने सेक्टर 11-12 में पुलिस चौकी के निकट मामा चौराहे के कालिंदी पार्क से ले कर ट्रामा सेंटर के किनारे लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों को फुटेज निकाली. उन की जांच के बाद कुछ फुटेज में एक कार रात के समय ट्यूबलाइट की रोशनी में डिफेंस एक्सपो मैदान की ओर जाती दिखाई दी.

कार का नंबर पढ़ा जा रहा था. उस नंबर से कार के मालिक का पता चल गया. वह एक सफारी कार थी, जो गिरिजाशंकर पाल पुत्र राम पाल के नाम रजिस्टर्ड थी. पुलिस द्वारा गीता की लाश के पास मिले सामान की जांच की गई. उस के मोबाइल नंबर की सर्विलांस जांच से गिरिजाशंकर के मोबाइल का नंबर आया. जिस से घटना के दिन कई बार बातें हुई थीं. यहां तक कि वीडियो कालिंग का विवरण भी मालूम हो गया, जो 18 जनवरी की दोपहर से ले कर रात तक का था. रिपोर्ट भी गिरिजाशंकर के खिलाफ दर्ज कराई गई थी. इसलिए पुलिस ने देर किए बिना गिरिजाशंकर की गिरफ्तारी की पहल की. जल्द ही वह सफारी कार समेत गिरफ्तार कर लिया गया.

गीता की सड़क दुर्घटना में मौत और इस से पहले उस से हुई मोबाइल पर बात के बारे में पूछे जाने पर उस ने बगैर किसी नानुकुर के अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि गीता उस की प्रेमिका थी. उन का प्रेम संबंध लंबे समय से चल रहा था. वे शादी करने वाले थे, किंतु उस ने योजना बना कर उसे मार डाला. उस की मौत को दुर्घटना बनाने की कोशिश की, ताकि उस के नाम एक करोड़ रुपए के इंश्योरेंस की रकम को वह हासिल कर ले. वह एक एडवोकेट था, इसलिए उस ने बचाव के तरीके निकाल लिए थे. गीता की हत्या स्वीकार करते हुए उस ने जो कहानी सुनाई, वह स्वार्थ से भरी काफी रोमांचक निकली.

गिरिजाशंकर पाल 8 साल पहले एलएलबी की पढ़ाई के लिए अपने गांव से लखनऊ आ गया था. वह महत्त्वाकांक्षी और फितरती दिमाग वाला इंसान था. बातों को सुनसमझ कर वह शीघ्र ही उस पर पकड़ बना लेता था और उस के अनुरूप खुद का ढाल लेता था. उस की शादी किशोरावस्था में ही उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के बगराहा गांव के निवासी श्यामपाल की बेटी रीना के साथ हो गई थी. लखनऊ में पढ़ाई के दौरान हर रविवार को वह अपने गांव मटिया आताजाता था. एलएलबी की पढ़ाई पूरी होने के बाद उस ने लखनऊ में रह कर वकालत की प्रैक्टिस करने का मन बना लिया था.

इस के लिए रायबरेली रोड पर कल्ली पश्चिम के कस्बे में एक छोटा सा मकान किराए पर ले कर रहने लगा था. वह वकालत की प्रैक्टिस में बहुत जल्द ही रम गया. हर किस्म के प्रोफेशनल लोगों के साथ उस का उठनाबैठना हो गया. समय बीतने के साथ वह एक तजतर्रार एडवोकेट बन गया था. अपने गांवघर को तो वह करीबकरीब भूल गया था. शहरी लड़कियां उसे अच्छी लगने लगी थीं और उन में से ही किसी को जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा था. एक तरह से वह नई जिंदगी में रंग चुका था. संयोग से उस की जानपहचान प्रौपर्टी मे लगे लोगों से अधिक थी.

साल 2011 के जनवरी महीने में गिरिजाशंकर की मुलाकात गीता से कोर्ट परिसर में तब हो गई थी, जब वह किसी प्रौपर्टी की रजिस्ट्री के सिलसिले में वहां गई थी. गीता को देखते ही गिरिजा ने उसे पहचान लिया था. दरअसल, एक समय में दोनों ने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई साथसाथ की थी. उस के बाद गिरिजा लखनऊ चला आया, जबकि गीता की पढ़ाई छूट गई थी. एक ही गांव के होने के चलते उन के बीच फिर से दोस्ती हो गई. गीता ने बताया कि वह लखनऊ में रह कर प्रौपर्टी का काम करती है. गिरिजा ने बताया कि खरीदबिक्री में कानूनी मदद कर सकता है और उसे नए ग्राहक भी दे सकता है. गीता यह सुन कर खुश हो गई. इस के बाद गीता ने उसे अपने अपार्टमेंट में रात के खाने पर बुला लिया.

एडवोकेट गिरिजाशंकर जब गीता से मिलने उस के फ्लैट पर गया, तब उसे बड़े फ्लैट में अकेली देख कर काफी हैरानी हुई. वह रोमांचित हो गया. दिल की धडकनें बढ़ गईं. उस की तारीफ में बोला, ”गीता, तुम गांव की देसी गर्ल से शहर की बोल्ड लड़की बन गई हो…अच्छा लग रहा है!’’

”मुझे भी तुम से मिल कर बहुत खुशी हुई. तुम अगर साथ दो तो मैं कंस्ट्रक्शन में भी हाथ आजमा लूं.’’ गीता बोली.

”हांहां, क्यों नहीं, मैं तुम्हारे साथ हूं.’’ कहते हुए गिरिजा ने गीता का हाथ पकड़ लिया.

”देख लो, हाथ पकड़े हो, वरना हाथ मिलाने वाले तो कई होते हैं.’’ गीता मजाकिया लहजे में बोली.

”कैसी बात करती हो, मैं ने जो कह दिया, वह अटल है और अटल रहेगा. किंतु हां, मेरे वाजिब मुनाफे का भी खयाल रखना.’’

इस तरह उन के बीच प्रोफेशनल बातें होने लगीं. गीता ने गिरिजा की खातिरदारी में कोई कमी नहीं छोड़ी. दरअसल, उसे प्रोफेशनल मदद की जरूरत थी. उस की बदौलत वह अपने कारोबार को फैलाने का सपना बुनने लगी, जिस से उसे अच्छा मुनाफा होने वाला था. उन के बीच गहरी दोस्ती हो गई. उस ने बताया कि गांवघर से बाहर इसलिए निकली है कि परिवार की आर्थिक मदद करे. उस के पिता नहीं हैं. परिवार में अकेली मम्मी किरण देवी और छोटा भाई लालचंद की जिम्मेदारी उसी के ऊपर ही है.

गीता शर्मा गिरिजाशंकर का साथ पा कर खुश हो गई थी. जल्द ही उसे महसूस हो गया कि गिरिजा के सहारे वह अपने कारोबार में बहुत कुछ अच्छा कर सकती है. इस की जानकारी उस ने अपनी मम्मी और छोटे भाई को भी दे दी. गिरिजा के बातव्यवहार से गीता ने उसे अपने दिल के काफी करीब पाया. वह एक काल पर हाजिर हो जाने वाला इंसान था. उस ने कभी भी कोई मोबाइल काल मिस नहीं होने दी. मिस काल पर तुरंत कालबैक किया या वाट्सऐप मैसेज भेज दिया. गीता उस की व्यवहारकुशलता और हाजिरजवाबी से प्रभावित हो गई थी. वह अपने प्रोफेशन में माहिर मुश्किल से मुश्किल काम निकाल लेता था.

गीता को गिरिजाशंकर की मदद से नीलगिरी अपार्टमेंट में सोसाइटी का सस्ता फ्लैट मिल गया था. गिरिजा अमूमन हर रोज गीता से मुलाकात कर लेता था. धीरेधीरे गीता और गिरिजा एकदूसरे के काफी करीब आ गए थे. इस तरह दोनों गहरे दोस्त और प्रेमी युगल के बाद लिवइन में थे. उन के बीच पैसों का लेनदेन भी होने लगा. गीता का काम चल पड़ा था. उसे आमदनी होने लगी. गिरिजा की सलाह पर उस ने एक करोड़ का बीमा करवा दिया. उस का नौमिनी गिरिजा को ही बना दिया, क्योंकि उस ने उस से शादी का वादा किया था. जरूरत पडऩे पर गिरिजा गीता से रुपए उधार मांग लेता था. जब उसे लौटाने में देरी होती, तब भी गीता उस से कुछ नहीं कहती थी.

गिरिजा के पास सफारी कार थी, गीता को जहां भी जाना होता, वह उसे अपनी गाड़ी से ले जाता था. कालोनी के लोग उन के संबंध से वाकिफ थे तो गीता के फेमिली वालों को भी कोई आपत्ति नहीं थी. आपत्ति थी तो गिरिजा की ब्याहता पत्नी के मायके वालों को. हालांकि उन की जातियां भिन्न थीं. कुछ साल पहले तक गिरिजा जब भी गांव जाता तो गीता को भी साथ ले कर जाता था और वापस भी साथ लाता था. कभीकभी गीता अपनी मम्मी को लखनऊ ले आती थी. भाई भी आताजाता रहता था. किंतु कुछ महीने से गिरिजा के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया था. ऐसा तब से हुआ था, जब से गीता उस के साथ गांव जाने से मना कर चुकी थी.

गीता जब भी गिरिजा से मिलती थी, उसे शादी के बारे में जरूर कहती. आए दिन के रोकनेटोकने से वह तंग आ चुका था. वह चाहता था कि पहले कानूनी स्तर पर उस का पूर्वपत्नी से तलाक हो जाए, उस के बाद ही गीता से कोर्ट मैरिज करे. इस के अलावा गिरिजा ने गीता से लाखों रुपए उधार ले रखे थे. जिस कारण वह गीता से कन्नी काटने लगा था. यहां तक कि वह कई बार गीता की काल रिसीव नहीं करता था या कट कर देता था. गीता की मौत के कुछ दिन पहले भी गिरिजा ऐसा ही कर रहा था. बारबार गीता के फोन करने पर वह उस का जवाब नहीं दे रहा था. गीता परेशान हो गई थी.

खासकर जब से उस ने इंश्योरेंस के सर्टिफिकेट में नौमिनी की जगह अपनी मम्मी या भाई का नाम नहीं देखा था, तब से वह कुछ अधिक बेचैन रहने लगी थी. उस का मोटा पैसा भी कारोबार में फंसा हुआ था. गिरिजा अगर उसे पैसे लौटा देता, तब उस की कुछ परेशानी खत्म हो सकती थी. 18 जनवरी, 2025 की दोपहर में जब गिरिजाशंकर ने उसे फोन कर बुलाया और अपने साथ चलने की बात की, तब गीता आसानी से तैयार हो गई. उस के मन में जरा भी अनहोनी की आशंका नहीं थी. किंतु इस के विपरीत गिरिजाशंकर ने उस के खिलाफ योजना बना रखी थी. वह अपनी योजना को अंजाम देने में सफल भी हो गया, किंतु जुर्म को छिपाने में कामयाब नहीं हो पाया.

वारदात को दुर्घटना बनाने के लिए उस ने गीता को अपनी कार से पीछे से तब टक्कर मार दी, जब वह सड़क पार कर रही थी. वह जानबूझ कर उसे सुनसान इलाके में ले गया था. गीता के सड़क पर गिरते ही गिरिजा ने अपनी सफारी कार से उसे कुचल दिया. उस ने उसे कई बार रौंदा और उस की लाश को सुनसान इलाके में एक्सपो मैदान के किनारे जा कर फेंक दिया. गीता शर्मा की मौत के बाद गिरिजाशंकर घबरा गया. वह फरार होने के लिए तेजी से कार भगाने लगा, जिस से उस की कार डिवाइडर से टकरा गई. गाड़ी का शीशा टूट गया. तब उस ने गाड़ी में लगे खून की धुलाई, सफाई एवं गाड़ी की रिपेयर के लिए गाड़ी को गैराज में लगा दिया. उस के बाद उस ने होटल में जा कर देर रात तक आराम किया.

आधी रात के बाद वह होटल से अपने गांव चला गया. वहां सुबह उस ने गीता के भाई लालचंद को घर जा कर गीता की दुर्घटना के बारे में बताया. उस ने यह भी बताया कि सड़क दुर्घटना में उस की घटनास्थल पर ही मौत हो चुकी है. लालचंद्र शर्मा उसी वक्त भागाभागा लखनऊ के पीजीआई पुलिस स्टेशन जा पहुंचा. उस ने पुलिस को अपनी बहन की मौत का दोषी गिरिजाशंकर को ही बताया. उस ने यह भी बताया कि गिरिजा ने उस की बहन के साथ लिवइन में रहते हुए अपनी विवाहिता पत्नी को छोड़ रखा था. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि गिरिजा ने गीता से 13 लाख रुपए उधार ले रखे थे. इसे ले कर उन के बीच कई बार झगड़ा हो चुका था.

उस की हरकतों से गीता काफी तंग आ चुकी थी. गिरिजा ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था. उस से पूछताछ कर पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर दिया, वहां से उसे जेल भेज दिया गया था. Romantic Story in Hindi

 

 

Delhi News : बौयफ्रेंड क्यों बना कातिल

Delhi News :  22 वर्षीय कोमल और 26 वर्षीय मोहम्मद आसिफ की पिछले 4 सालों से गहरी दोस्ती थी. कैब ड्राइवर आसिफ उसे जीजान से चाहता था, इसलिए वह उसे इधरउधर घुमाता और शौपिंग कराता था. फिर एक दिन आसिफ ने कार में ही कोमल की न सिर्फ हत्या कर दी, बल्कि उस की लाश को गहरे नाले में ठिकाने लगा दिया. आखिर बौयफ्रेंड क्यों बना कातिल?

उत्तरपूर्वी दिल्ली के सुंदरनगरी के रहने वाले 26 वर्षीय मोहम्मद आसिफ का चेहरा उदास था. वह बहुत परेशान नजर आ रहा था. उस का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. वह कैब ड्राइवर था. उस की कैब बुक करने के लिए सुबह से कितने ही फोन आ चुके थे, लेकिन वह किसी की बुकिंग स्वीकार नहीं कर रहा था. उस दिन वह सुबह उठ कर वह नहाया भी नहीं था, बस बिस्तर में पड़ा हुआ कुछ सोच रहा था. उस के विचारों में कौन है, यह केवल वही जानता था, लेकिन उसी के खयालों में वह खोया हुआ था और परेशान हुए जा रहा था. उस का मोबाइल उस के पास ही पड़ा हुआ था. जिस पर उस वक्त किसी का मैसेज फ्लैश हो रहा था.

एकाएक आसिफ का ध्यान मोबाइल पर चला गया. उस ने मोबाइल उठा कर मैसेज पढ़ा, ‘यार, तुम्हें कितनी बार फोन किया है, तुम फोन ही नहीं उठा रहे हो. खैरियत तो है? हार कर मैसेज करना पड़ा है. फोन कर के बताओ, क्या बात है? —मोहम्मद जुबैर उर्फ जावेद.’

आसिफ ने काल डिटेल्स में देखा, जुबैर की 4 मिस्ड काल थीं. आसिफ को हैरानी हुई, वह इतना परेशान था कि किसी की काल आने का भी पता नहीं चला.

कुछ सोच कर आसिफ ने जुबैर को फोन लगाया. जुबैर को जैसे यकीन था कि आसिफ फोन जरूर करेगा. उस ने तुरंत आसिफ की काल अटेंड कर ली, ”हां आसिफ, कहां बिजी हो तुम, मेरा फोन भी नहीं उठा रहे हो?’’

”बस, ऐसे ही यार…’’ आसिफ धीरे से बोला.

”चलो, हम कनाट प्लेस चलते हैं, मुझे पालिका बाजार से 2 जींस खरीदनी हैं.’’

”तुम जाओ जुबैर, मेरी कहीं आने जाने की इच्छा नहीं है.’’

”क्यों? घर में पड़ेपड़े क्या मुरगी के अंडे निकाल रहे हो.’’ जुबैर झल्ला कर बोला, ”तुम्हारे कहने पर तो मैं जहन्नुम तक चलने को तैयार हो जाता हूं.’’

”कहा न जुबैर, मेरा मूड नहीं है. आज तुम अकेले चले जाओ.’’ आसिफ ने कह कर फोन काट दिया.

उस ने फोन को टेबल पर रख दिया और एक गहरी सांस लेने के बाद वह फिर खयालों में डूब गया.

कुछ ही देर हुई थी कि बाहर के दरवाजे पर आहट हुई. आसिफ दरवाजा धकेल कर अंदर आ रहा था.

”क्या हुआ है तुझे? आज तूने मुझे पहली बार कहीं चलने से इंकार किया है.’’ जुबैर अंदर आ कर कुरसी पर बैठते हुए बोला, ”तेरी तबियत तो ठीक है न?’’

”तबियत ठीक है.’’ आसिफ मरी सी आवाज में बोला.

”तो तेरा चेहरा क्यों मुरझाया हुआ है?’’

”ऐसे ही.’’

”ऐसे तो नहीं है आसिफ, कुछ बात जरूर है जो तू मुझ से छिपा रहा है.’’

”कोई बात नहीं है जुबैर, मैं ठीक हूं.’’

”तुझे मेरी कसम है, बता क्या बात है?’’ जुबैर इस बार आसिफ के हाथ को पकड़ कर जिद्ïदी स्वर में बोला.

आसिफ ने गहरी सांस ली और बोला, ”मैं कोमल को ले कर परेशान हूं जुबैर.’’

”कोमल! उसे क्या हुआ है. वह तो तेरी चाहत है, उस पर तू जान छिड़कता है यार.’’

”वह कई दिनों से मुझ से बात नहीं कर रही है जुबैर.’’

”कमाल है.’’ जुबैर मुसकराया, ”वह किसी घरेलू टेंशन से परेशान होगी, इसलिए बात नहीं कर रही है. यह कोई टेंशन का इशू नहीं है आसिफ.’’

”टेंशन का ही विषय है. कोमल मुझ से नहीं किसी दूसरे लड़के से बातें करने लगी है. मैं ने उसे ऐसा करते हुए 2-3 बार देखा है.’’

”तू कोमल से पूछ लेता कि वह दूसरे लड़के में दिलचस्पी क्यों ले रही है?’’

”पूछा है यार.’’ आसिफ धीरे से बोला, ”कोमल कहती है, मैं किसी से बात करती हूं तो तुम्हें जलन क्यों हो रही है. मैं तुम्हारी दासी नहीं हूं, जो तुम्हारे कहने पर चलूं. अब बता, मैं क्या करूं?’’

”तू एक बार कोमल से मिल कर उसे समझा दे, उस पर पहला हक तेरा है. तेरी उस से मोहब्बत 4 साल पुरानी है, वह तुझे धोखा नहीं दे सकती.’’ जुबैर ने समझाया.

”वह फिर वैसा ही जवाब देगी.’’ आसिफ ने निराशा भरे स्वर में कहा.

”देख आसिफ, हमारी डिक्शनरी में लिखा होता है जिसे चाहो, उस को अपना बनाओ. वह सिर्फ अपनी होनी चाहिए. यदि वह ऐसा नहीं करती जो उस के पर कतर दो.’’

”तू कहना क्या चाहता है.’’ आसिफ ने चौंक कर जुबैर की तरफ देखा.

”देख, तू आज कोमल से मिल कर साफसाफ पूछ ले कि उस के मन में क्या है. वह तुझे चाहती है या किसी और को. यदि वह किसी और को चाहती है तो उस का टेंटुआ दबा कर किस्सा खत्म कर दो. बेकार की टेंशन मत पालो.’’

आसिफ ने सिर झटका, ”तू कहता है तो मैं ऐसा ही करूंगा. चल, अब तू कहां चलना चाहता है.’’

”हम कनाट प्लेस जा रहे हैं.’’ जुबैर उठते हुए बोला, ”तू फटाफट तैयार हो जा, मैं बाहर खड़ा हूं.’’

आसिफ ने जल्दीजल्दी फ्रैश हो कर कपड़े चेंज किए और बाहर आ गया. कुछ देर में ही दरवाजे को ताला लगा कर वह जुबैर के साथ कनाट प्लेस जाने के लिए निकल पड़ा था.

आसिफ ने क्यों की गर्लफ्रेंड की हत्या

12 मार्च, 2025 बुधवार का दिन था. आसिफ शाम को 5 बजे ही अपनी कैब ले कर निर्माण विहार पहुंच गया था. उस ने कैब को एक तरफ पार्क कर लिया और मोबाइल निकाल कर कोमल का नंबर मिलाया. दूसरी ओर घंटी बजी. पहली बार में उस की काल अटेंड नहीं की गई तो उस ने फिर ट्राई किया. दूसरी बार में उस का फोन उठा लिया गया.

कोमल का झुंझलाया हुआ स्वर उभरा, ”क्या बात है, मुझे बारबार फोन क्यों मिला रहे हो?’’

”कोमल, आज मेरा मूड बहुत अच्छा है. मैं तुम्हें आइसक्रीम खिलाना चाहता हूं.’’

”मेरे को आइसक्रीम नहीं खानी है आसिफ.’’

”क्यों? तुम्हें तो मैंगो फ्लेवर वाली आइसक्रीम बहुत पसंद है.’’

”हां, लेकिन आज मेरी तबियत खराब है, मैं आइसक्रीम नहीं खाऊंगी.’’ कोमल का स्वर कुछ नरम हो गया.

”चलो, कुछ और खा लेना. मैं तुम्हें शौपिंग भी करवाना चाहता हूं.’’

”अरे! कहीं गड़ा खजाना हाथ लग गया है क्या?’’ कोमल ने उपहास भरे स्वर में कहा, ”तुम्हारी जेब में मैं ने इकट्ठे 5 सौ रुपए भी कभी नहीं देखे.’’

”हर समय एक जैसा नहीं रहता कोमल. आज मेरी जब में 5 हजार रुपए हैं, तुम बढिय़ा सा सूट खरीद लेना.’’

”हूं.’’ कोमल ने स्वीकार करते हुए कहा, ”कहां पर हो तुम?’’

”मैं यहीं दिल्ली के निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के सामने खड़ा हूं.’’ आसिफ ने अपनी लोकेशन समझा दी. फिर पूछा, ”कितनी देर में आ रही हो कोमल?’’

”आधाएक घंटा लग सकता है, इस वक्त प्रीत विहार में थोड़ा जाम लगा होता है, फिर भी मैं पहुंच जाऊंगी.’’

”मैं इंतजार कर रहा हूं.’’ आसिफ ने कहने के बाद फोन काट दिया. वह पुश्त से लग गया और आराम से लेट गया.

करीब 40 मिनट में ही कोमल उस की कैब के पास आटो से आ गई. वह काफी खुश नजर आ रही थी. उसे देख कर आसिफ ने कैब का दरवाजा खोल दिया. कोमल अंदर बैठ गई. आसिफ ने कैब को आगे बढ़ा दिया, वह नई दिल्ली की तरफ कैब ले जा रहा था.

”हम कहां जा रहे हैं?’’

”मैं आज तुम्हें नई मार्केट दिखाऊंगा कोमल. तुम बैठी रहो. हम बस 10-15 मिनट ने वहां पहुंच जाएंगे.’’

आसिफ ने मुसकराते हुए कहा और कैब की स्पीड बढ़ा दी. काफी देर बाद एक सुनसान सड़क का किनारा देख कर आसिफ ने कैब को रोक लिया.

”यह तुम मुझ को कहां ले आए हो आसिफ?’’ कोमल परेशान स्वर में बोली.

”घबराओ मत यार, मैं तुम्हें घर पहुंचा दूंगा. तुम पानी पी लो, गरमी कुछ ज्यादा है.’’ आसिफ ने अपनी पानी की बोतल कोमल को देते हुए कहा.

कोमल ने बोतल ले ली और ढक्कन खोल कर पानी पीने लगी. आसिक उस का चेहरा देखता रहा.

”ऐसे क्यों देख रहे हो?’’ कोमल ने मुसकरा कर पूछा.

”देखने में तुम कितनी भोली और शरीफ लगती हो कोमल.’’

”वो तो मैं हूं ही.’’ कोमल इठला कर बोली.

”हो नहीं, मेरे सामने बन जाती हो.’’ आसिफ गंभीर हो गया, ”तुम्हें मैं 4 साल से प्यार करता हूं, लेकिन अब तुम मुझे कुछ दिनों से भाव नहीं दे रही हो.’’

कोमल ने आसिफ को घूरा, फिर शब्दों को चबाते हुए बोली, ”तुम मुझे यह सब सुनाने के लिए यहां लाए हो क्या?’’

”मुझे आज तुम से फैसला करना है कोमल.’’ आसिफ गंभीर हो गया, ”मुझे बताओ, तुम मुझे प्यार करती हो या नहीं?’’

”मैं इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगी आसिफ, यह मेरे दिल पर निर्भर करता है कि मैं किसी को प्यार करूं या न करूं.’’ कोमल शुष्क स्वर में बोली, ”तुम मुझे कैब से उतार दो, मैं आटो कर के घर चली जाऊंगी.’’

”ऐसे कैसे चली जाओगी, तुम्हें मेरी बात का जवाब देना है पहले. मुझे बताओ, आज तुम्हारे को महसूस हो रहा है कि दिल जिसे चाहेगा, उसी से करोगी. अगर ऐसा है तो मुझ से 4 साल से क्या प्यार करने का नाटक कर रही थी? क्या तुम्हें मैं बेवकूफ नजर आता था?’’

”मैं ने ऐसा कभी नहीं सोचा आसिफ, तुम मेरे घर के नजदीक रहते हो, उस नाते मैं तुम से हंसतीबोलती रही हूं.’’

”नहीं, वह पड़ोस में रहने वाला प्यार नहीं था कोमल, तुम मुझे चाहती थी. मेरे एक इशारे पर मेरे साथ शौपिंग करने चल देती थी, मेरे साथ पार्कों में टहलती थी, लेकिन अब तुम्हारी नजरें बदल गई हैं. सिर्फ इसलिए कि अब तुम्हारी जिंदगी में दूसरा युवक आ गया है.’’

कोमल चुप रही.

”मैं ने कई बार तुम्हें किसी युवक से हंसहंस कर बातें करते देखा है, उसी की वजह से तुम ने मुझ से किनारा करना अब शुरू कर दिया है.’’

”यह तुम्हारी सोच है आसिफ, मेरी जिंदगी में कोई और नहीं आया है.’’

”झूठ मत बोलो कोमल, मैं ने तुम्हें अपनी आंखों से एक युवक से कई बार बात करते देखा है. बताओ, वह कौन है और कहां रहता है?’’

”बता दूंगी तो क्या करोगे तुम?’’ कोमल ऐंठ कर बोली.

”मैं उस का खून कर दूंगा, फिर तुम्हारी भी जान ले लूंगा.’’ आसिफ गुस्से से चीख कर बोला, ”बताओ, वह कौन है?’’

”नहीं बताऊंगी.’’ कोमल कंधे झटक कर बोली और उस ने कार का दरवाजा खोलने के लिए हैंडल की तरफ हाथ बढ़ाया.

आसिफ ने उस का हाथ झटक कर एक थप्पड़ कोमल के गाल पर रसीद कर दिया.

”तेरी ये हिम्मत… तू मुझ पर हाथ उठाएगा.’’ कोमल चीखी, ”आज मैं पछता रही हूं तेरे जैसे आदमी को मुंह लगा कर. तू आवारा और बदतमीज है.’’

आसिफ का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. गुस्से में वह अपना होश खो बैठा. उस ने कोमल को बगल की सीट पर गिरा दिया और दोनों हाथों से गला पकड़ कर दबाने लगा. कोमल की सांसें फंसीं तो वह जोरजोर से हाथपांव पटकने लगी. आसिफ अपने हाथों का दबाव बढ़ाता चला गया, वह तब रुका, जब कोमल निर्जीव हो गई. आसिफ के होश लौटे तो वह घबरा गया. कोमल की आंखें गले पर गहरा दबाव पडऩे से बाहर फैल गई थीं.

आसिफ ने जल्दी से मोबाइल निकाल कर जुबैर का नंबर मिलाया. दूसरी तरफ जुबैर ने फोन उठाया तो आसिफ कांपती आवाज में बोला, ”जुबैर, मैं ने कोमल को मार डाला है. उस की लाश कैब में है, अब मै क्या करूं.’’

”तू घबरा मत आसिफ, मुझे बता इस वक्त तू कहां पर है?’’

”यह दिल्ली के द्वारका का इलाका है, तू आ जा दोस्त.’’ कहने के साथ आसिफ ने अपनी कैब की स्थिति समझा दी.

”मैं आ रहा हूं आसिफ. तू कैब में ही रह, दरवाजा तब तक मत खोलना, जब तक मैं तेरे पास न आ आऊं!’’ जुबैर ने आगाह किया और फोन काट दिया.

दोनों दोस्तों ने इत्मीनान से लगाई लाश ठिकाने

आसिफ कोमल की लाश के पास बैठ गया. उस की सांसें भारी होने लगी थीं और दिल बुरी तरह घबरा रहा था. करीब एक घंटे बाद आटो कर के जुबैर आसिफ के पास पहुंच गया. अब तक रात का अंधेरा अच्छी तरह जमीन पर उतर आया था. जुबैर को देख कर आसिफ की घबराहट कम हुई. जुबैर अपने साथ नायलौन की रस्सी लाया था. कैब में घुस कर जुबैर ने कोमल की लाश के हाथपांव नायलौन की रस्सी से बांध दिए. आसिफ चुपचाप खड़ा था.

”आसिफ, हम इसे आसपास किसी नदीनाले में डाल देते हैं. यह डूब जाए, इस के लिए एक भारी पत्थर लाश के साथ बांधना होगा हमें. तुम कैब चलाते हो, सोचो यहां आसपास कोई नाला है?’’

आसिफ ने दिमाग दौड़ाया और फिर धीमे से बोला, ”नजफगढ़ में एक गहरा नाला है. हम लाश वहां फेंक सकते हैं.’’

”तो कैब चलाओ और सुनसान जगह पहुंच कर नाले के पास कैब को रोक देना.’’

”ठीक है.’’ आसिफ ने कहा और ड्राइविंग सीट पर बैठ गया. उस ने कैब स्टार्ट कर के आगे बढ़ा दी. नजफगढ़ में नाले के पास पहुंच कर एक सुनसान जगह पर उस ने कैब रोक दी. जुबैर के साथ वह कैब से उतरा. यहां गहरा सन्नाटा था.

जुबैर ने एक भारी पत्थर तलाश किया और कोमल की लाश के साथ बांध दिया. फिर आसिफ को इशारा किया. दोनों ने कोमल की लाश को कैब से निकाल कर नजफगढ़ नाले में डाल दिया.

”अब कोमल की कहानी का लव चैप्टर यहां पर समाप्त हो गया है. कल से नारमल जिंदगी जिओ. रोज की तरह कैब चलाओ, ताकि कोई तुम पर संदेह न करे.’’ जुबैर ने समझाया तो आसिफ ने सिर हिला कर इस बात को स्वीकार करने की स्वीकृति दी. अब यहां रुकना खतरा मोल लेना था. दोनों चुपचाप कैब में बैठ गए. आसिफ अब कैब को सावधानी से नंदनगरी की ओर ले जा रहा था.’’

12 मार्च, 2025 को उधर कोमल की मम्मी विमला देवी की नजरें बारबार घड़ी की तरफ जा रही थीं. रात के 9 बजने को आ गए थे, लेकिन बेटी कोमल अभी तक घर नहीं लौटी थी. और दिन तो वह 7 बजे ही ड्ïयूटी से घर आ जाती थी.

विमला देवी के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभरने लगीं. कोमल अंगदनगर में स्थित एक औफिस में नौकरी करती थी. जब घड़ी की सूइयां और आगे बढऩे लगीं तो परेशान हो कर विमला देवी ने अपने बेटे अजय को आवाज लगाई, ”अजय …ओ अजय, यहां आ.’’

अजय बाहर बैठा मोबाइल देख रहा था. वह उठ कर मम्मी के पास आ गया, ”हां मम्मी, क्या कह रही हो?’’

”बेटा, आज कोमल तभी तक घर नहीं आई है, साढ़े 9 बजने को आ गए हैं. तू जरा मालूम तो कर वह कहां रह गई है?’’

”मम्मी, कोमल बच्ची नहीं रह गई है, औफिस से लेट निकली होगी, आ जाएगी.’’ अजय ने कहा.

”तू फोन तो कर ले, कोमल को घर आने में कभी इतनी देर नहीं हुई है. मालूम करने में तेरा क्या जा रहा है.’’ विमला देवी ने अपनी बात पर जोर दिया तो अजय ने मोबाइल निकाल कर कोमल का नंबर मिलाया.

कोमल के फेमिली वाले हुए परेशान

दूसरी ओर से फोन स्विच्ड औफ होने की सूचना मिली. अजय ने 2-3 बार और ट्राई किया. कोमल का फोन स्विच्ड औफ होने की जानकारी बारबार मिलती रही.

अजय के माथे पर बल पड़ गए. वह परेशान हो कर बड़बड़ाया, ‘कोमल कहां रह गई. उस का फोन क्यों स्विच औफ आ रहा है.’

”क्या हुआ बेटा?’’ विमला देवी ने बेटे को परेशान देख कर पूछा.

”मम्मी, कोमल का फोन नहीं लग रहा है.’’ अजय परेशान स्वर में बोला, ”अब समय भी ज्यादा हो गया है, कहां रह गई यह लड़की. और दिन तो समय से घर आ जाती थी.’’

”तू जा कर पता लगा, जवान लड़की का इतनी देर तक घर न लौटना, अच्छी बात नहीं है. जमाना खराब है.’’ विमला देवी की आवाज में कंपन था.

”मैं जा कर देखता हूं मम्मी.’’ अजय ने कहा और चप्पलें पहन कर वह घर से बाहर निकल गया.

अजय अपनी बहन कोमल की 2-3 सहेलियों के नाम और घर जानता था. बर्थडे पार्टी या किसी जरूरी काम से कोमल उसे अपने साथ उन सहेलियों के घर ले जा चुकी थी.

अजय ने उन सहेलियों के घर जा कर मालूम किया, लेकिन तीनों के यहां से पता चला कोमल आज उन से न तो मिली है, न उस से फोन पर बात हुई है.

निराश हो कर अजय वहां से निकल कर कोमल के अंगदनगर में स्थित औफिस में गया. वहां ताला लगा हुआ था. अजय को वहां से भी निराश लौटना पड़ा. उस ने हर संभावित स्थान पर कोमल की तलाश की, लेकिन वह उसे नहीं मिली.

अब रात के साढ़े 12 बज गए थे. कोमल की गुमशुदगी दर्ज करवाने का इरादा ले कर अजय उत्तरपूर्वी दिल्ली के नंदनगरी थाने में पहुंच गया.

ड्यूटी अफसर ने उसे ऊपर से नीचे तक देख कर पूछा, ”क्या हुआ है?’’

”सर, मेरी बहन कल सुबह काम पर गई थी, लेकिन वह अभी तक घर नहीं लौटी है. मैं उस की गुमशुदगी लिखवाना चाहता हूं.’’

”देखो, किसी के गुम होने की रिपोर्ट 24 घंटे बाद लिखी जाती है. तुम्हारी बहन पढ़ीलिखी है, अपनी मरजी से कहीं रुक गई होगी. तुम कल तक इंतजार करो, वह घर लौट कर आ जाएगी. नहीं आई तो हम रिपोर्ट लिख लेंगे.’’ ड्यूटी अफसर ने गंभीर स्वर में कहा तो अजय चुपचाप घर लौट आया.

कोमल पूरी रात घर नहीं लौटी. फेमिली वाले पूरी रात सो नहीं पाए. दिन निकलने पर अजय ने फिर बहन की तलाश शुरू की, लेकिन कोमल का कुछ पता नहीं चला.

गहरे नाले में मिली कोमल की लाश

अजय रिश्तेदारों को साथ ले कर फिर नंदनगरी थाने में पहुंच गया. उसे वहां से उत्तरपूर्वी जिले के ही सीमापुरी थाने में जा कर बहन की गुमशुदगी दर्ज कराने की सलाह दी गई. अजय सीमापुरी थाने में पहुंच गया. वहां उस की रिपोर्ट एफआईआर नंबर 126/25 पर लिखी गई. पुलिस ने अजय से कोमल की तसवीर ले कर सभी थानों में फ्लैश कर दी, लेकिन 3 दिन बीत जाने के बाद भी कोमल का कुछ पता नहीं चल पाया. उधर 17 मार्च, 2025 की सुबह 8 बज कर 40 मिनट पर दिल्ली के द्वारका जिले के थाना छावला में सूचना मिली कि नजफगढ़ नाले (नजदीक बाड़ूसराय गांव) में एक लड़की की लाश पानी पर तैर रही है.

छावला थाने के एसएचओ राजकुमार मिश्रा अपने साथ एसआई दीपक, एएसआई बहादुर, हैडकांस्टेबल भूपेंद्र, महेंद्र, हेतराम और एटीओ सुरेंद्र कुमार को साथ ले कर घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे, वहां अच्छीखासी भीड़ जमा हो चुकी थी. नाले के पानी में एक जवान लड़की की फूली हुई लाश तैर रही थी. लड़की के हाथपांव प्लास्टिक की डोरी से बंधे दिख रहे थे. एसएचओ राजकुमार मिश्रा ने एक पुलिसकर्मी को गहरे नाले में उतारा, वह तैरना जानता था. उस ने लाश के पास पहुंच कर उसे किनारे की ओर लाना चाहा तो वह किसी चीज में अटकी हुई मिली.

पुलिसकर्मी ने नीचे टटोल कर देखा तो उसे लाश किसी भारी पत्थर से बंधी महसूस हुई. उस ने चाकू मंगवाया और लाश से बंधी डोरी को काट कर पत्थर से अलग कर दिया. फिर वह लाश को बड़े आराम से खींच कर किनारे पर ले आया. लाश को दूसरे पुलिस वालों ने बाहर निकाल कर जमीन पर लिटा दिया. एसएचओ राजकुमार मिश्रा ने लाश की जांच की तो उस जवान युवती की हत्या गला दबा कर की गई प्रतीत हुई. वह हरे रंग की नायलौन रस्सी से बंधी थी और उस की पैंट कमर से नीचे खिसकी हुई थी. युवती के शरीर पर चोट के निशान नहीं मिले.

पानी में डुबोने के लिए उस के हाथपांव और बौडी को रस्सी से बांध कर बड़े पत्थर के साथ पानी में डाला गया था, ताकि वह किसी को ऊपर सतह पर नजर न आए. लाश फूल कर हलकी हुई तो ऊपर सतह पर आ गई. मृतका की उम्र 20-22 साल के आसपास थी. उस की तलाशी में पुलिस को कुछ नहीं मिला तो उन्होंने फोरैंसिक जांच के लिए टीम को बुला लिया. साथ ही डीसीपी अंकित सिंह को भी इस लाश की जानकारी दे दी.

थोड़ी देर में उच्चाधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश का मुआयना कर के वह आवश्यक निर्देश दे कर चले गए. फोरैंसिक टीम आ कर अपने काम में लग गई थी. एसएचओ ने भीड़ को लाश की शिनाख्त करने के लिए कहा, लेकिन भीड़ में से कोई उस लड़की को नहीं पहचानता था. इस से अनुमान लगाया गया कि लाश को कहीं दूसरी जगह से ला कर यहां पर फेंका गया है.

उन्होंने कागजी काररवाई पूरी की और लाश को पोस्टमार्टम के लिए राव तुलाराम अस्पताल में भिजवा दिया. थाने में लौट कर इस मामले को दर्ज कर लिया गया. युवती की शिनाख्त जरूरी थी. इस के लिए उस के पोस्टर छपवा कर छावला तथा द्वारका क्षेत्र में चिपकाए गए, लेकिन 2 दिन बीत जाने पर भी कोई भी जानकार सामने नहीं आया. पुलिस अपने तरीके से मृतका की पहचान करने की कोशिश कर थी. उन्हें 19 मार्च को मालूम हुआ कि उत्तरपूर्वी दिल्ली के सीमापुरी थाने में एक हफ्ता पहले कोमल नाम की एक युवती के किडनैपिंग का मामला दर्ज किया था. पुलिस ने शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर ले कर फोन मिलाया तो कोमल के भाई अजय को लगा.

घंटी बजने पर अजय ने फोन उठा कर धीमे स्वर में कहा, ”मैं अजय बोल रहा हूं, आप कौन हैं?’’

”मैं छावला थाने से एसआई दीपक बोल रहा हूं. क्या आप की ओर से सीमापुरी थाने में किसी लड़की की किडनैपिंग का मामला दर्ज कराया गया था अजयजी?’’

अजय कुमार खुशी से चहक पड़ा, ”वह मेरी बहन है साहब. कोमल नाम है उस का, क्या वह आप को मिल गई है?’’

”एक लड़की की लाश हमें नजफगढ़ ड्रेन से मिली है, आप आ कर शिनाख्त करें. आप को राव तुलाराम अस्पताल की मोर्चरी में आना है, लाश अभी वहीं है.’’

”मैं 1-2 घंटे में अस्पताल पहुंच रहा हूं साहब.’’ अजय रो देने वाले स्वर में बोला और फिर काल कट होने पर वह अपने रिश्तेदारों के साथ राव तुलाराम अस्पताल के लिए निकल गया.

दोनों आरोपी ऐसे चढ़े पुलिस के हत्थे

डेढ़ घंटे बाद वे लोग राव तुलाराम अस्पताल की मोर्चरी में पहुंच गए. वहां एसआई दीपक कुमार और एटीओ (एडिशनल एसएचओ) सुरेंद्र कुमार मिल गए. उन्होंने उन्हें मोर्चरी में ले जा कर लड़की की लाश दिखाई तो देखते ही कोमल की मम्मी, दादी गश खा कर गिर पड़ीं. अजय फफकफफक कर रोने लगा. रोतेरोते ही बोला, ”यह मेरी बहन कोमल है साहब, इस की यह हालत किस ने की?’’

”हम जांच कर रहे हैं. जहां लाश मिली है, वहां के सीसीटीवी फुटेज चैक किए जा रहे हैं. आप बताएं, कोई ऐसा व्यक्ति आप की पहचान में है, जो आप की बहन का दुश्मन रहा हो?’’ एसआई दीपक ने पूछा.

”दुश्मन तो नहीं साहब, एक युवक है जो काफी दिनों से मेरी कोमल के पीछे पड़ा है. एक बार मैं ने उसे गुस्से में थप्पड़ भी मार दिया था साहब. वह मेरी बहन का पीछा करता था.’’ अजय ने बताया.

”उस का नाम बताइए,’’ एटीओ सुरेंद्र ने कौतूहल से पूछा.

”उस का नाम मोहम्मद आसिफ है. मेरी गली में ही रहता है और कैब ड्राइवर है.’’

एसआई दीपक ने यह जानकारी थाना छावला में दी तो एसएचओ राजकुमार मिश्रा ने तुरंत अपनी टीम को तैयार किया और एसआई दीपक से मोर्चरी के बाहर अजय को साथ ले कर खड़े मिलने को कहा. एटीओ सुरेंद्र और एसआई दीपक अपने साथ अजय को ले कर मोर्चरी से बाहर आ गए. थोड़ी देर में छावला थाने की पुलिस जीप वहां आ गई. उस में एसएचओ राजकुमार मिश्रा टीम के साथ मौजूद थे. उन तीनों को उन्होंने साथ लिया और उत्तरपूर्वी दिल्ली के सुंदरनगरी के लिए रवाना हो गए. रास्ते से उन्होंने थाना सीमापुरी से एक पुलिस टीम को सुंदरनगरी आने को कह दिया.

करीब एक घंटे बाद छावला थाना के साथ सीमापुरी थाने के पुलिस दल से सुंदर नगरी में अजय द्वारा बताए घर को घेर लिया. वह घर मोहम्मद आसिफ का था. उस समय वह घर में ही था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. उस का मोबाइल एसएचओ ने अपने कब्जे में ले कर जांच की तो उस की काल डिटेल्स में 12 मार्च, 2025 की शाम 5 से 6 बजे के बीच कोमल से बात करने की डिटेल्स मिल गई. यह आसिफ को शक के दायरे में ले आया. थाने में आसिफ से कड़ी पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह 4 साल से कोमल को प्यार करता था. कोमल भी उसे चाहती थी, लेकिन कुछ दिनों से कोमल किसी और लड़के से बात करने लगी थी. इस से वह कोमल से खफा था.

12 मार्च को उस ने कोमल को दिल्ली के निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन पर बुलाया तो वह आ गई. उसे ले कर वह द्वारका के इलाके में आ गया. उस ने कोमल से उस लड़के से बात करने का कारण पूछा तो वह गुस्से में बोली, ”वह जिसे चाहेगी, उस से बात करेगी.’’

उस ने मुझे बुराभला भी कहा तो मैं ने गुस्से में उस का गला दबा कर मार डाला. फिर अपने दोस्त मोहम्मद जुबैर उर्फ जावेद के साथ मिल कर कोमल के हाथपांव बांध कर एक पत्थर से बांध कर उसे नजफगढ़ के नाले में फेंक दिया. आसिफ ने अपने दोस्त जुबैर का घर दिखा दिया. वह पास में ही स्थित ओ ब्लौक, गली नंबर 2 में रहता था. उस के पिता का नाम मोहम्मद सलीम खान था. जुबैर घर में ही था.

उसे पकड़ कर थाना सीमापुरी लाया गया. उस ने भी अपना गुनाह कुबूल कर लिया. दोनों को दूसरे दिन सक्षम न्यायालय में पेश किया गया तो दोनों को जेल भेज दिया गया. कोमल का शव परिजनों को सौंप दिया गया. कथा लिखने तक पुलिस हत्या से संबंधित पुख्ता सबूत एकत्र करने में लगी थी. Delhi News