Hindi Story : ये तन मांगे मोर

Hindi Story : कुछ महिलाएं अपने घमंडी व जिद्दी स्वभाव की वजह से अपनी गृहस्थी में खुद ही आग लगा लेती हैं. 2 बच्चों की मां लता चौहान भी ऐसी ही थी. लड़झगड़ कर पति को घर से भगाने के बाद उस ने भांजे अंकित के साथ अवैध संबंध बना लिए. इस के बाद उस ने…

19 वर्षीया काजल उस समय बेचैन हो कर अपने घर में टहल रही थी. वह बारबार अपने रो रहे छोटे भाई शिवम को चुप कराती थी, मगर शिवम बारबार मां को याद कर के रोने लगता था. हरिद्वार जिले के गांव हेतमपुर की रहने वाली काजल व शिवम की मां लता चौहान (38) गत शाम को पास के ही कस्बे बहादराबाद में सब्जी खरीदने के लिए घर से निकली थी, मगर आज तक वह वापस घर नहीं लौटी थी. उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ आ रहा था. मां के वापस न लौटने व मोबाइल के स्विच्ड औफ होने से काजल व शिवम का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था.

दोनों भाईबहन पिछली शाम से ही अपने सभी रिश्तेदारों को फोन कर कर के अपनी मां के बारे में जानकारी कर रहे थे, मगर उन की मां के बारे में सभी रिश्तेदारों ने मोबाइल पर अनभिज्ञता जताई. इस के बाद सूचना पा कर कुछ रिश्तेदारों व कुछ पड़ोसियों का भी उन के घर पर आना शुरू हो गया था. सभी दोनों भाईबहन को दिलासा दे कर चले जाते. इसी प्रकार 3 दिन बीत गए थे तथा काजल व शिवम को अपनी मां के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली. इस के बाद अब उन के रिश्तेदार काजल पर लता की गुमशुदगी थाने में दर्ज कराने पर जोर देने लगे. लेकिन थाने जाने के नाम से काजल को एक अंजाना सा डर लग रहा था.

वह 14 जून, 2021 का दिन था. आखिर उस दिन काजल थाना सिडकुल पहुंच ही गई. वह थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला से मिली और उन्हें अपनी मां लता चौहान के गत 4 दिनों से लापता होने की जानकारी दी. जब थानाप्रभारी बुटोला ने काजल से उस के पिता के बारे में पूछा तो काजल ने बताया, ‘‘सर पिछले 2-3 सालों से मेरे पिता चंदन सिंह नेगी व मां लता चौहान के बीच अनबन चल रही है. मेरे पिता फरीदाबाद (हरियाणा) में रह कर ड्राइवरी करते हैं. यहां पर 2 साल पहले मेरे फुफेरे भाई अंकित चौहान ने हमें एक मकान खरीद कर दिया था. इस मकान में हम तीनों रहते हैं. घर से चलते समय मेरी मां हरे रंग का सूट सलवार व पैरों में सैंडिल पहने थी.’’

इस के बाद काजल ने मां का मोबाइल नंबर भी थानाप्रभारी बुटोला को नोट करा दिया. इस के बाद काजल वापस घर आ गई. काजल की तहरीर पर थानाप्रभारी बुटोला ने लता की गुमशुदगी दर्ज कर ली और इस केस की जांच एसआई अमित भट्ट को सौंप दी. लता की गुमशुदगी का केस हाथ में आते ही अमित भट्ट सक्रिय हो गए. उन्होंने सब से पहले लता के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए साइबर थाने से संपर्क किया था और थाने के 2 सिपाहियों को लता चौहान की डिटेल्स का पता करने के लिए सादे कपड़ों में गांव हेतमपुर में तैनात कर दिया. उसी दिन शाम को थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला ने लता की गुमशुदगी की सूचना एएसपी डा. विशाखा अशोक भडाने व एसपी (सिटी) कमलेश उपाध्याय को दी.

2 दिनों में पुलिस को लता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स मिल गई थी. काल डिटेल्स के अनुसार 10 जून, 2021 की शाम को लता चौहान व उस के भांजे अंकित चौहान की लोकेशन हेतमपुर से सलेमपुर की गंगनहर तक एक साथ थी. इस से पहले दोनों में बातें भी हुई थीं. इस के अलावा लता के मोबाइल पर अंतिम काल अंकित चौहान के ही मोबाइल से आई थी. इस के कुछ समय बाद लता चौहान व अंकित चौहान की लोकेशन भी अलगअलग हो गई थी. काल डिटेल्स की यह जानकारी तुरंत ही थानाप्रभारी ने एसपी (सिटी) कमलेश उपाध्याय को दी. इस के बाद उपाध्याय ने थानाप्रभारी बुटोला व एसआई अमित भट्ट को अंकित चौहान से पूछताछ करने के निर्देश दिए. बुटोला व भट्ट ने जब अंकित चौहान से संपर्क करने का प्रयास किया, तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.

पुलिस ने जब अंकित चौहान के बारे में जानकारी की तो पता चला कि वह लता का सगा भांजा था. अंकित मूलरूप से बिजनौर जिले के गांव मानपुर शिवपुरी का रहने वाला था. अंकित एमएससी करने के बाद किसी अच्छी नौकरी की तलाश में था. 3 साल पहले जब लता के अपने पति से संबंध बिगड़ गए थे, तब से अंकित की लता से नजदीकियां बढ़ गई थीं. इस दौरान अंकित लता व उस के दोनों बच्चों का पूरापूरा खयाल रखता था. लता के रहनेखाने से ले कर वह उन्हें हर चीज मुहैया कराता था. यह जानकारी प्राप्त होने पर बुटोला व अमित भट्ट ने अंकित की तलाश में धामपुर व हेतमपुर में कुछ मुखबिर सतर्क कर दिए थे. विवेचक अमित भट्ट ने भी अंकित की तलाश में उस के धामपुर स्थित गांव मानपुर शिवपुरी में कई बार दबिश दी, मगर अंकित उन्हें न मिल पाया.

इसी प्रकार 9 दिन बीत गए तथा पुलिस को अंकित चौहान के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. वह 27 जून, 2021 का दिन था. शाम के 7 बज रहे थे. तभी श्री बुटोला के मोबाइल पर उन के खास मुखबिर का फोन आया. मुखबिर ने उन्हें बताया कि सर, जिस अंकित को तलाश कर रहे हो, वह इस समय यहां हरिद्वार के रोशनाबाद चौक पर खड़ा है. यह सुनते ही बुटोला की बांछें खिल गईं. बुटोला ने इस मामले में विलंब करना उचित नहीं समझा. उन्होंने तुरंत अपने साथ विवेचक अमित भट्ट व फोर्स को साथ लिया और 5 मिनट में ही रोशनाबाद चौक पर पहुंच गए. मुखबिर के इशारे पर उन्होंने वहां से अंकित को हिरासत में ले लिया. वह उसे थाने ले आए.

यहां पर जब बुटोला व भट्ट ने उस से लता के लापता होने के बारे में पूछताछ की, तो पहले तो वह पुलिस को गच्चा देने की कोशिश करता रहा. वह पुलिस को बताता रहा कि लता उस की मामी अवश्य थी, मगर अब वह कहां है, उस की उसे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन सख्ती करने पर वह टूट गया और बोला, ‘‘साहब, अब लता इस दुनिया में नहीं है. 10 जून, 2021 की रात को मैं ने अपने दोस्त अमन निवासी कस्बा शेरकोट जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश के साथ मिल कर उस की गला घोंट कर हत्या कर दी थी तथा उस की लाश को हम ने गांव सलेमपुर स्थित गंगनहर में फेंक दी थी. लता को मैं घुमाने की बात कह कर सलेमपुर गंगनहर तक लाया था.’’

अंकित के मुंह से लता की हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी बुटोला तथा वहां मौजूद अन्य पुलिस वाले सन्न रह गए. पूछताछ में उस ने लता की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

गांव मानपुर में अपने बाप हरगोविंद, मां सरोज तथा छोटे भाई अनुज के साथ रहता था. उस ने बताया कि 3 साल पहले जब लता का अपने पति के साथ विवाद हुआ था तो उस दौरान अंकित ने ही लता की काफी मदद की थी. उसी दौरान लता उस की ओर आकर्षित हो गई थी. लता और अंकित के बीच अवैध संबंध बन गए थे. इस के बाद अंकित ने लता को हेतमपुर में एक मकान खरीद कर दे दिया था. सब कुछ ठीक चल रहा था कि करीब 2 महीने पहले अंकित ने लता को उस के पड़ोसी के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया था, यह देख कर अंकित को गुस्सा आ गया था. गुस्से में उस ने लता को उसे खरीद कर दिया हुआ मकान अपने नाम वापस करने का कहा तो वह टालने लगी और 2 लाख रुपए की मांग करने लगी.

लता की इस हरकत से अंकित परेशान हो गया था और अंत में वह उस की हत्या की योजना बनाने लगा. यह बात उस ने अपने दोस्त अमन को बताई तो वह भी अंकित का साथ देने को राजी हो गया. दोनों ने इस की योजना बनाई. योजना के अनुसार 10 जून, 2021 को अंकित अमन के साथ रात 8 बजे लता के घर पहुंचा था. इस के बाद उसे घुमाने की बात कह कर वह लता को ले कर गंगनहर किनारे गांव सलेमपुर पहुंचा था. उस समय वहां रात का अंधेरा छाया था. मौका मिलने पर अमन ने तुरंत ही लता को पकड़ कर उस का गला घोंट दिया था. लता के मरने के बाद दोनों ने उस की लाश गंगनहर में फेंक दी थी. उस समय रात के 11 बज चुके थे. इस के बाद अमन वापस अपने घर चला गया था. लता का मोबाइल उस समय अंकित के पास ही था.

जब उस ने 12 जून 2021 को मोबाइल औन किया तो उस में कालें आनी शुरू हो गई थीं. तब अंकित ने उस में से सिमकार्ड निकाल कर मोबाइल व सिम को सिंचाई विभाग की गंगनहर में फेंक दिया था. इस के बाद पुलिस ने अंकित के बयान दर्ज कर लिए और लता की गुमशुदगी के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. पुलिस ने इस केस में आईपीसी की धाराएं 302 व 120बी और बढ़ा दी थीं. 2 जुलाई, 2021 को पुलिस ने अंकित को अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक आरोपी अंकित जेल में ही बंद था. थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला द्वारा गंगनहर में लता के शव को तलाश किया जा रहा था. दूसरी ओर पुलिस दूसरे आरोपी अमन की तलाश में जुटी थी.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime News in Hindi : सोनल की जान ली लिवइन पार्टनर ने

Crime News in Hindi : बर्थडे पार्टी में सोनल और निखिल कुमार की नजरें ऐसी मिलीं कि दोनों एकदूसरे के दिल में उतर गए. फेमिली वालों से विद्रोह कर सोनल निखिल के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी. इसी दौरान एक दिन निखिल ने न सिर्फ सोनल बल्कि उस की सहेली की 6 महीने की बेटी की गला रेत कर हत्या कर दी. आखिर निखिल ने जान से ज्यादा प्यार करने वाली प्रेमिका सोनल का कत्ल क्यों कियाï?

वह पार्टी में सब से अलग नजर आ रही थी. निखिल की नजरें उस खूबसूरत हसीन युवती से हट ही नहीं रही थी, वह अपलक उसे ही देखे जा रहा था. पतलीदुबली छरहरी काया, पतले संतरे की फांक जैसे होंठ, कसा हुआ बदन और गोरा रंग. सब कुछ उस युवती की सब से अलग पहचान बना रहा था. निखिल अपने दोस्त के बेटे की बर्थडे पार्टी में शामिल होने आया था. पहली ही नजर में वह युवती उस के दिल में उतर गई थी और निखिल उसे पागलों की तरह घूरे जा रहा था.

केक काटने की घोषणा होने का उसे पता ही नहीं चला. वह तब चौंका, जब उस के दोस्त अभय ने उसे कंधे से पकड़ कर हिलाया, ”खाना शुरू हो गया है निखिल, तुम कहां खो गए हो?’’

”अं…’’ वह चौंक कर बोला, ”कहीं भी तो नहीं अभय. अरे हां, क्या तुम्हारे बेटे का केक कट गया?’’

अभय मुसकराया, ”लगता है, तुम किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गए हो, केक कटे तो आधा घंटा हो गया है.’’

”ओह,’’ निखिल झेंप गया, ”भाभीजी कहां हैं, मैं बेटे यश के लिए एक गिफ्ट लाया हूं.’’

”हेमा वहां स्टेज पर है,’’ अभय हंस कर बोला.

निखिल तेजी से स्टेज की तरफ बढ़ गया. उस ने अपने हाथ का गिफ्ट हेमा के पास बैठे यश को थमा कर हेमा को हाथ जोड़ कर नमस्ते कहा और फिर अभय के पास लौट आया.

अभय किसी अन्य मित्र से बतिया रहा था. निखिल उसे इशारे से बुला कर एक तरफ ले गया. अभय को आश्चर्य हुआ, वह हैरानी से बोला, ”क्या हुआ, तुम मुझे महफिल से अलग क्यों ले कर आए हो निखिल?’’

”अभय, यार तुम्हारी इस महफिल में एक खूबसूरत फूल मुझे पसंद आ गया है. तुम बताओगे, वह गुलाबी सूट वाली युवती कौन है?’’

”अरे वह!’’ अभय ने उस युवती की तरफ देख कर मुसकराते हुए कहा, ”वह मेरी मेहमान है. मेरी पत्नी हेमा की फ्रेंड है, नैनीताल से यहां हल्द्वानी आई है.’’

”नाम क्या है इस का?’’

”सोनल.’’ अभय ने बताया, ”वैसे इसे पटाना तेरे वश की बात नहीं है. वह बहुत नकचढ़ी है.’’

”देखता हूं.’’ निखिल मुसकराया और उस ओर बढ़ गया, जिधर वह युवती खाना खा रही थी.

निखिल ने अपने लिए खाने की प्लेट ली और उसे ले कर सोनल की तरफ आ गया. वह सोनल के पास खड़ा हो कर खाना खाने लगा. कनखियों से वह अभी भी सोनल को देख रहा था.

अचानक वह घबरा गया. सोनल उस के करीब आ रही थी. वह बगलें झांकने लगा तो सोनल की मीठी हंसी उस के कान में पड़ी, ”बस, हो गए अरमान ठंडे. मैं बहुत देर से देख रही हूं, तुम मुझे घूर रहे हो.’’

”नहीं तो.’’ निखिल जल्दी से बोला, ”मैं क्यों तुम्हें घूरूंगा मिस सोनल.’’

सोनल को हैरानी हुई, ”वाह! तुम ने तो मेरा नाम भी मालूम कर लिया. क्या इरादे हैं जनाब के?’’

निखिल ने हिम्मत जुटाई, ”तुम खूबसूरत हो सोनल. इस पार्टी में तुम ही तुम नजर आ रही हो, मेरा दिल तुम पर आ गया है.’’

सोनल के गालों पर लालिमा दौड़ गई. वह नीचे देखते हुए बोली, ”तुम भी हैंडसम हो, क्या नाम है तुम्हारा?’’

”निखिल कुमार. मैं यहीं हल्द्वानी में रहता हूं.’’ अपनी बात खत्म कर के उस ने पूछा, ”नैनीताल में तुम कहां रहती हो सोनल?’’

सोनल को गहरा आश्चर्य हुआ, ”मान गई तुम्हें. तुम ने तो यह भी जान लिया कि मैं नैनीताल में रहती हूं.’’

”क्या करता, तुम अच्छी लगी तो तुम्हारे बारे में जानना जरूरी हो गया. अब बताओ, नैनीताल में कहां रहती हो, घर में कौनकौन हैं?’’

सोनल कुछ कहती, तभी हेमा को अपनी तरफ आता देख कर वह जल्दी से बोली, ”खाना खा लो, मैं 2 दिन यहीं हूं. जाओगे तो मेरा मोबाइल नंबर लेते जाना.’’

”ठीक है.’’ निखिल ने कहा और खाना खाने लगा. सोनल अपनी प्लेट थामे दूसरी तरफ चली गई.

पार्टी खत्म कर के जब निखिल निकला तो उस की जेब में सोनल का मोबाइल नंबर था, जो सोनल ने चुपचाप एक कागज पर लिख कर उसे थमा दिया था.

8 जुलाई, 2025 को दिन के डेढ़ बजे थाना सिविल लाइंस में आए एक फोन ने खलबली मचा दी. फोन एक महिला की ओर से किया गया था, ”साहब, मैं मजनू का टीला से रश्मि बोल रही हूं. यहां मेरी सहेली और मेरी 6 महीने की बेटी की किसी से हत्या कर दी है, आप जल्दी से यहां आ जाइए.’’ महिला का स्वर भर्राया हुआ था. फोन थाने में मौजूद एसआई नितिन शर्मा ने अटेंड किया था. 2 कत्ल की वारदात से वह थोड़ा विचलित हो गए. उन्होंने गंभीर स्वर में पूछा, ”तुम मजनू का टीला में कहां से बोल रही हो रश्मि?’’

”मैं एफ-54 के सेकेंड फ्लोर पर रहती हूं. वारदात मेरे इसी घर में हुई है साहब.’’ रश्मि इस बार बताते हुए रोने लगी थी.

”हम आ रहेहैं. तुम वहां किसी भी सामान को नहीं छुओगी. जिस कमरे में ये कत्ल हुए हैं, उस से बाहर ही रहना है.’’ एसआई नितिन शर्मा ने रश्मि को हिदायत दी और फोन रख कर उन्होंने अपने कक्ष में मौजूद एसएचओ हनुमंत सिंह को जा कर इस दोहरे हत्याकांड की सूचना दी. एसएचओ हनुमंत सिंह अपने साथ एसआई रंजीत कुमार, नितिन शर्मा, हैडकांस्टेबल रनवीर, विकास कुमार और कांस्टेबल सीताराम को ले कर तुरंत घटनास्थाल के लिए निकल पड़े. रास्ते से उन्होंने फोरैंसिक टीम को भी वारदात वाले स्थान पर पहुंचने के लिए कह दिया.

घटनास्थल थाने से ज्यादा दूर नहीं था. पुलिस जब एफ-54 के पते पर पहुंची तो वहां आसपास के लोगों की अच्छीखासी भीड़ जमा हो गई थी. हैडकांस्टेबल विकास कुमार और कांस्टेबल सीताराम ने भीड़ को वहां से हटाया. एसएसओ हनुमंत सिंह और एसआई नितिन कुमार वैन से उतर कर आगे बढ़े तो एक व्यक्ति उन के पास आ गया. वह रो रहा था, ”साहब, मेरी बेटी की हत्या हुई है, उस के साथ सोनल भी मृत पड़ी है.’’

”चलो, हम देखते हैं.’’ एसएचओ हनुमंत सिंह गंभीर स्वर में बोले. वह उस व्यक्ति के साथ एफ-54 के सेकेंड फ्लोर पर आ गए. सामने ही वह कमरा था, जिस में एक युवती और 6 महीने की बच्ची की रक्तरंजित लाश पड़ी हुई थी.

एसएचओ हनुमंत सिंह ने देखा. युवती और उस मासूम बच्ची का बड़ी बेरहमी से गला रेता गया था. बच्ची की लाश पलंग पर थी, जबकि युवती की लाश फर्श पर पड़ी हुई थी. पूरे कमरे में नजर दौड़ाने पर यह स्पष्ट हो गया कि युवती और हत्यारे में पहले जम कर संघर्ष हुआ है. इस के बाद हत्यारा उस का गला काटने में सफल हुआ. हत्यारे ने इस 6 माह की बच्ची की हत्या क्यों की, यह बात एसएचओ हनुमंत सिंह की समझ में नहीं आई.

उन्होंने दोनों लाशों का बारीकी से निरीक्षण किया. चूंकि फोरैंसिक टीम वहां आ गई थी. उन्होंने टीम को बारीक से बारीक सबूत उठाने के लिए कहा और कमरे से बाहर आ गए. इस दोहरे हत्याकांड की सूचना उन्होंने उत्तरी दिल्ली के डीसीपी राजा बांटिया और एसीपी विनीता त्यागी को दे दी. फिर वह मृत बच्ची के पिता के पास बाहर आ गए.

”रश्मि कहां है, जिस ने हमें फोन किया था?’’ उन्होंने प्रश्न किया.

उस व्यक्ति ने औरतों से घिरी अपनी पत्नी रश्मि को इशारे से पास बुला लिया. रश्मि का रोरो कर बुरा हाल था.

”यहां एक जवान युवती की लाश भी है, वह कौन है?’’ एसएचओ ने रश्मि से सवाल किया.

”साहब, इस युवती का नाम सोनल है. यह ए ब्लौक में रहती है, लेकिन कुछ दिनों से इस का अपने लिवइन पार्टनर से झगड़ा चल रहा था. चूंकि मेरी इस के साथ गहरी जानपहचान बन गई थी, मैं इसे अपनी सहेली मानने लगी थी. पार्टनर से झगड़े के चलते सोनल 4-5 दिन से हमारे घर में आ कर रह रही थी. यह लाश सोनल की है.’’

”इस की हत्या कैसे हुई, मेरे कहने का मतलब है कि जब यह वारदात हुई, तुम और तुम्हारे पति क्या घर पर ही थे?’’

”नहीं साहब, मेरे पति दुर्गेश अपनी दुकान चले गए थे सुबह. उन की मजनू का टीला में ही मोबाइल रिपेयरिंग की शौप है. मेरी 2 बेटियां हैं, बड़ी बेटी का नाम दीया है, वह स्कूल जाती है. छोटी अभी 6 माह की ही थी. हम ने प्यार से इस का नाम यशिका रखा था. आज मैं दीया को लाने के लिए दोपहर में स्कूल गई तो सोनल को उस की देखभाल का जिम्मा सौंप गई थी. मैं जब दीया को स्कूल से ले कर घर आई तो घर का दरवाजा बंद था. मैं ने धक्का दिया तो वह खुल गया.

”कमरे में खून से सनी मुझे सोनल की लाश दिखी तो मेरे मुंह से चीख निकल गई. मैं घबरा कर उसे देखने अंदर घुसी तो मुझे पलंग पर यशिका भी खून से तर हालत में पड़ी मिली. यशिका और सोनल का गला किसी ने काट डाला था. मैं बदहवास हालत में बाहर भागी और चिल्ला कर मैं ने पड़ोसियों को इकट्ठा किया, फिर किसी के कहने पर थाने में फोन कर दिया. मैं ने फोन कर के पति दुर्गेश को भी घर बुला लिया.’’

एसएचओ हनुमंत सिंह ने पूछा, ”यह माना जा सकता है कि सोनल की किसी के साथ रंजिश रही होगी, वह मौका देख कर यहां आया और उस ने सोनल का गला काट दिया. लेकिन तुम्हारी बेटी तो अभी 6 महीने की ही थी, उस की हत्या भला कोई क्यों करेगा.’’

”मैं क्या कहूं साहब,’’ रश्मि रोते हुए बोली, ”इस छोटी सी बच्ची ने किसी का क्या बिगाड़ा था, वह इतनी समझदार भी नहीं थी कि हत्यारे द्वारा सोनल की हत्या करने की बात किसी को बता देती.’’

”यही तो मैं भी सोच रहा हूं.’’ हनुमंत सिंह गंभीर स्वर में बोले, ”अगर हत्यारे को यह डर हो कि उसे हत्या करते हुए जिस ने देखा है, वह यह भेद किसी को बता देगा, हत्यारा ऐसी सूरत में उस प्रत्यक्षदर्शी की हत्या करता है. यहां ऐसी बात नहीं है, फिर यशिका की हत्या क्यों की गई?’’

”दुर्गेश, क्या तुम्हारी किसी से दुश्मनी वगैरह तो नहीं थी? संभव है तुम्हारा कोई दुश्मन तुम से बदला लेने घर में घुसा, तुम नहीं मिले तो उस ने तुम्हारी बेटी का कत्ल कर दिया. सोनल की हत्या इसलिए हो गई कि वह तुम्हारी बेटी के हत्यारे से भिड़ गई…’’

”नहीं साहब. मैं ने जिंदगी में दोस्त बनाए हैं, दुश्मन नहीं. मैं सीधासादा जीवन जीने वाला व्यक्ति हूं साहब.’’ दुर्गेश रुंधे स्वर में बोला, ”मेरी फूल सी बेटी का कातिल बचना नहीं चाहिए साहब, उसे गिरफ्तार कर के आप फांसी पर चढ़ा दीजिए.’’

”कातिल कोई भी हो दुर्गेश, उसे शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’’ हनुमंत सिंह ने कहा.

डीसीपी राजा बांटिया और एसीपी विनीता त्यागी वहां आ पहुंचे थे. उन्हें हनुमंत सिंह ने दोनों लाशें दिखाईं. डीसीपी श्री बांटिया ने वहां निरीक्षण करने के बाद एसएचओ हनुमंत सिंह से पूछा, ”आप ने कुछ मालूम किया, ये दोनों लाशें किस की हैं?’’

एसएचओ हनुमंत सिंह ने दोनों अधिकारियों को सारी जानकारी संक्षिप्त में दे दी.

एसीपी विनीता त्यागी पूरी बात सुनने के बाद बोलीं, ”मुझे ऐसा लगता है, यह हत्या सोनल के बौयफ्रेंड ने की है. चूंकि सोनल उस से नाराज हो कर अपनी सहेली रश्मि के घर आ कर रह रही थी, यह बात उसे अच्छी नहीं लगी. वह गुस्से में रश्मि की गैरमौजूदगी में यहां आया. सोनल और उस में झगड़ा हुआ. इसी झगड़े में उस ने सोनल की जान ले ली.’’

”लेकिन मैडम, इस 6 माह की बच्ची को उस ने क्यों मारा?’’ हनुमंत सिंह ने प्रश्न कर दिया.

”कातिल को पकडि़ए, इस का जवाब आप को उस से मिल जाएगा. आप यहां के सीसीटीवी फुटेज चैक करिए. सोनल के लिवइन पार्टनर को चैक कीजिए. इन दोनों हत्याओं का रहस्य इन्हीं में छिपा मिलेगा.’’ एसीपी विनीता त्यागी ने गंभीर स्वर में निर्देश दिया.

”ठीक है मैडम!’’ एसएचओ हनुमंत सिंह सिर हिला कर बोले.

फोरैंसिक टीम वहां के साक्ष्य जुटा कर अपना काम खत्म कर चुकी थी. पुलिस टीम ने वहां की जरूरी कागजी काररवाई पूरी कर के दोनों लाशें पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दीं, फिर रश्मि और उस के पति से सोनल के लिवइन पार्टनर का पूरा एड्रैस ले कर उन्होंने एसआई नितिन शर्मा को सोनल के बौयफ्रैंड की जांच का कार्य सौंप कर वह थाने लौट गए. एसीपी विनीता त्यागी का अनुमान गलत नहीं था. उन्हें सोनल के लिवइन पार्टनर पर शक हुआ था. एसआई नितिन शर्मा ने जब ए ब्लौक में जा कर वह कमरा देखा, जिस में सोनल कई महीनों से अपने लिवइन पार्टनर के साथ रह रही थी तो वहां दरवाजे पर ताला लटका मिला.

उन्होंने फोन से यह जानकारी सिविल लाइंस थाने में दी तो थाने से उन की मदद के लिए एडिशनल एसएचओ रंधीर कुमार को मजनू का टीला भेज दिया गया. दोनों ने वहीं के पड़ोसियों से उस लिवइन पार्टनर का नाम और उस के व्यवहार के बारे में पूरी जानकारी जुटा ली. उस का नाम निखिल कुमार था. वह कुछ महीनों से यहां कमरा ले कर सोनल के साथ रह रहा था.  पड़ोसियों के अनुसार निखिल शराबी था और वह वक्तबेवक्त सोनल से लड़ताझगड़ता भी रहता था. उन में मारपीट भी होती रहती थी.

एक खास बात यह भी मालूम हुई कि सोनल हालफिलहाल गर्भवती थी. निखिल बच्चा चाहता था, किंतु सोनल ने उस की मरजी के खिलाफ वह बच्चा गिरा दिया था. निखिल इस बात से बहुत नाराज था. 4 दिन पहले उन में जबरदस्त झगड़ा हुआ था, तब सोनल अपना बैग ले कर अपनी सहेली रश्मि के यहां रहने चली गई थी. निखिल के पिता, 2 भाई और बहन भी मजनू का टीला में ही रहते थे. दोनों पुलिस अधिकारी उन का पता ले कर उन तक पहुंच गए. निखिल के विषय में पूछने पर उस की बहन मीनाक्षी (12 वर्ष) ने उपेक्षित स्वर में कहा, ”सर, हम उस के रवैए से उस के साथ कोई वास्ता नहीं रखते. वह हमारे लिए मर गया है.’’

”वह घर से लापता है, हमें केवल यह बताओ कि इस समय वह कहां छिपा हो सकता है?’’ एडिशनल एसएचओ रंधीर कुमार बोले.

”क्या उस ने कोई गुनाह किया है साहब?’’ निखिल के पिता मोहन राम ने पूछा.

”वह जिस लड़की के साथ लिवइन पार्टनर के रूप में रह रहा था, उस लड़की का आज दोपहर में कत्ल हो गया है. निखिल पर हमें शक है, इसलिए उस के बारे में हमें जानकारी चाहिए.’’ एडिशनल एसएचओ रंधीर कुमार ने कहा.

इस बार निखिल के बड़े भाई करण (25 वर्ष) ने कहा, ”सर, हमारा पैतृक घर उत्तराखंड के हल्द्वानी में है. वह वहां जा सकता है.’’ करण ने हल्द्वानी का पता लिखवा दिया.

”देखो, यदि निखिल आप लोगों से फोन से बात करे तो तुरंत हमें आप लोग वह फोन नंबर और वह कहां से बात कर रहा है, बताएंगे.’’ एसआई नितिन शर्मा ने कहने के बाद अपना मोबाइल नंबर उन्हें नोट करवा दिया.

इधर एसएचओ हनुमंत सिंह ने रश्मि-दुर्गेश के घर के आसपास के कई सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक किए थे. उन्हें एक सीसीटीवी की फुटेज में निखिल रश्मि के घर चोरों की तरह जाता हुआ दिखाई दे गया. यह इस बात का पुख्ता सबूत था कि निखिल ही आज दोपहर में रश्मि के घर में आया था.

एडिशनल एसएचओ रंधीर कुमार और एसआई नितिन शर्मा ने थाने पहुंच कर निखिल के लापता होने की और उस के हल्द्वानी भाग जाने की जानकारी दी तो डीसीपी राजा बांटिया के कहने पर पुलिस की 2 टीमें उत्तराखंड के हल्द्वानी और टनकपुर के बनबसा बौर्डर के लिए भेज दी गईं. पुलिस अधिकारियों को संदेह था कि निखिल नेपाल भाग कर खुद को सुरक्षित महसूस कर सकता है. इसलिए बनबसा बौर्डर के लिए एक टीम भेजी गई थी. पुलिस की तत्परता की वजह से लव क्राइम के आरोपी निखिल को 24 घंटे में ही हल्द्वानी से गिरफ्तार कर लिया गया. निखिल ने गलती यह कर दी थी. उस ने 8 जुलाई की रात को अपनी बहन मीनाक्षी को फोन कर के बता था कि वह हल्द्वानी में है और पैसा इकट्ठा कर के नेपाल भागने की तैयारी कर रहा है.

मीनाक्षी ने उस का यह फोन नंबर पुलिस को भेज दिया था. उसे ट्रैस कर के ही पुलिस ने निखिल को हल्द्वानी दबोच लिया था. उसे 9 जुलाई, 2025 को दिल्ली लाया गया.

सिविल लाइंस थाने में डीसीपी राजा बांटिया, एसीपी विनीता त्यागी और थाने की पुलिस टीम द्वारा निखिल से पूछताछ की गई तो उस ने कुबूल कर लिया कि सोनल और रश्मि की बेटी की हत्या उस ने की थी.

”तुम ने अपनी प्रेमिका सोनल का कत्ल क्यों किया? इस क्राइम स्टोरी की सच्चाई क्या है?’’ एसएचओ हनुमंत सिंह ने निखिल से प्रश्न किया.

”साहब, वह मुझ से लड़ कर रश्मि के घर रहने चली गई थी. मैं उसे बहुत प्यार करता था, उस के बगैर रह नहीं सकता था. मैं दोपहर रश्मि के घर उस वक्त गया, जब वह अपनी बेटी दीया को लाने स्कूल गई थी. मैं ने सोनल से कहा कि वह घर चले. सोनल ने मना कर दिया कि अब वह मुझ से कोई वास्ता नहीं रखेगी, वह घर नहीं आएगी, यहीं रहेगी तो मैं ने बहुत समझाया, लेकिन वह मुझ से झगडऩे लगी. मुझे गुस्सा आ गया तो मैं ने चाकू से सोनल का गला काट डाला.’’

”तुम ने रश्मि की बेटी की हत्या किस वजह से की? उस से तो तुम्हारा कोई झगड़ा नहीं था.’’ हनुमंत सिंह ने पूछा.

”साहब, मुझे शक था कि सोनल का रश्मि के पति दुर्गेश से नाजायज रिश्ता है. कुछ महीने पहले ही सोनल गर्भवती हुई थी, इस की सब से ज्यादा खुशी मुझे हुई थी. मैं सोनल से कहता था कि हम इस बच्चे को दुनिया में लाएंगे. हम शादी कर के घर बसा लें, लेकिन सोनल ने वह बच्चा गिरवा दिया.

”मुझे संदेह था यह बच्चा दुर्गेश का था और दुर्गेश बच्चा नहीं चाहता था, इसलिए उस के कहने पर सोनल ने एबौर्शन करवाया था. मुझे दुर्गेश दुश्मन नजर आता था. सोनल उसी के चक्कर मे फंसी थी, तभी मुझ से झगड़ कर के वह बारबार उस के घर चली जाती थी. सोनल की हत्या के बाद मुझे पलंग पर दुर्गेश की बेटी सोती दिखाई दी. दुर्गेश से बदला लेने के लिए मैं ने उस का भी गला काट डाला और घर भाग आया.

”मैं सोनल को मार कर पछता रहा था, मैं खुद मरना चाहता था, लेकिन फिर मैं ने विचार बदल दिया और घर पर ताला लगा कर बैग ले कर हल्द्वानी चला गया, वहां से मैं नेपाल भाग जाना चाहता था. इस के लिए मुझे पैसे चाहिए थे.

”मैं रिश्तेदारों, दोस्तों से फोन कर के पैसे इकट्ठे कर रहा था, मैं ने इसीलिए अपनी बहन मीनाक्षी को भी फोन किया था और पैसे मांगे थे. मीनाक्षी ने मना कर दिया. मैं कहीं और से पैसों का इंतजाम कर के नेपाल भाग पाता, उस से पहले ही पुलिस ने मुझे पकड़ लिया और दिल्ली ले आई. सोनल और रश्मि की बेटी यशिका की हत्या मेरे हाथ से हो गई. इस का मुझे दुख है. मैं सोनल से बहुत प्यार करता था साहब.’’

”सोनल से तुम्हारी मुलाकात कैसे हुई थी, तुम तो शराबी आवारा और निकम्मे व्यक्ति हो.’’

”साहब, मैं शराब पीता हूं, निकम्मा नहीं हूं. मैं हल्द्वानी में था, तब भी काम करता था. यहां भी मैं तिमारपुर के एक होटल में काम करता हूं. सोनल मुझे 4 साल पहले मेरे हल्द्वानी वाले दोस्त अभय के बेटे की जन्मदिन पार्टी में मिली थी. अभय की पत्नी उस की सहेली थी. वह उसी के कहने पर नैनीताल से हल्द्वानी आई थी. नैनीताल में उस के परिजन रहते हैं. मैं ने सोनल को पार्टी में देखा तो उसे दिल दे बैठा. सोनल ने भी मेरा प्यार स्वीकार कर लिया.

”वह हल्द्वानी में 2-3 दिन के लिए आई थी, लेकिन मुझ से मुलाकात होने पर वह वापस नैनीताल नहीं गई. मैं ने हल्द्वानी में सोनल को खूब सैरसपाटा करवाया. वह वहां मेरे साथ रहने लगी. हमारे अनैतिक संबंध इस बीच बन गए थे, जिस से सोनल गर्भवती हो गई.

”हम एबौर्शन करवाना चाहते थे, किंतु समय अधिक हो जाने से सोनल का एबार्शन नहीं हो सका. समय पर सोनल को एक बेटा हुआ. चूंकि हम अविवाहित थे, इसलिए हम ने अल्मोड़ा में वह बच्चा 2 लाख रुपए में एक जरूरतमंद दंपति को बेच दिया. हम 2 लाख रुपया ले कर दिल्ली आ गए.

”पहले हम वजीरपुर गांव में एक किराए का कमरा ले कर रहते रहे. फिर वहां से हम मजनू का टीला में रहने आ गए. तब से हम यहां ही रह रहे थे. मैं चाहता था कि मैं सोनल से शादी कर के घर बसा लूं, लेकिन सोनल पता नहीं क्यों मुझ से शादी नहीं करना चाहती थी.

”अब उस की मौत के बाद मैं सोचता हूं, सोनल ठीक ही सोचती थी. मैं तिमारपुर में वेटर का काम करने लगा था तो मुझे शराब की गंदी आदत पड़ गई थी. मैं बातबात पर सोनल से लड़ता भी था, इसलिए वह मेरे साथ गृहस्थी नहीं बसाना चाहती थी. आज मेरे हाथों ही वह मारी गई है साहब. मैं अच्छा प्रेमी साबित नहीं हो सका.’’ एकाएक निखिल फफकफफक कर रोने लगा.

एसएचओ हनुमंत सिंह ने रश्मि और दुर्गेश को थाने बुलाया और रश्मि को वादी बना कर निखिल के खिलाफ सोनल और यशिका की हत्या का केस बीएनएस की धारा 103(1) के तहत केस दर्ज कर लिया. दूसरे दिन निखिल को कोर्ट मे पेश कर के 5 दिन की पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. उस से हत्या में प्रयुक्त चाकू और सोनल का मोबाइल नंबर पुलिस ने जब्त कर लिया.

सोनल के घर नैनीताल में उस की हत्या की सूचना भेज दी गई थी. उस के पापा गिरीश चंद आर्या अपनी बेटी से मुंह मोड़ चुके थे, लेकिन जब उन्हें सिविल लाइंस थाना, दिल्ली से सोनल की हत्या की सूचना दी गई तो परिवार सहित वह दिल्ली आ गए. पुलिस ने सोनल की लाश पोस्टमार्टम के बाद उन के हवाले कर दी. रश्मि और दुर्गेश की बेटी की डैडबौडी पुलिस ने उन्हें सौंपी तो वह फूटफूट कर रोने लगे. उन के रुदन ने पुलिस वालों की भी आंखें नम कर दीं. एक अधूरे प्रेम कहानी का यह बहुत दुखद अंत था. Crime News in Hindi

 

 

Love Story : गलत प्रेमी जान के लाले

Love Story : मुश्ताक अहमद ने ङ्क्षहदू नाम अजीत बता कर पूजा बिस्वास को पहले अपने प्रेमजाल में फांसा, फिर उस से शादी भी कर ली. इस के बाद एक दिन उस ने पूजा के सिर को धड़ से अलग कर दिया. हत्या के समय पूजा हाथ जोड़ कर उस से रहम की भीख मांग रही थी, लेकिन उस का दिल न पसीजा. मुश्ताक ने आखिर ऐसा क्यों किया?

पूजा बिस्वास को इस बात की जानकारी हो गई थी कि प्रेमी से पति बने मुश्ताक अहमद ने दूसरी शादी अपनी बिरादरी की लड़की से कर ली है, यह बात पूजा से बिलकुल भी बरदाश्त नहीं हुई और वह बिफर कर मुश्ताक से बोली कि तुम तो बहुत धोखेबाज इंसान हो. पहले तो तुम ने धर्म छिपा कर धोखे से मुझ से शादी की और फिर अब अपनी ही बिरादरी में दूसरी शादी भी कर ली. इस बात को ले कर दोनों में कहासुनी हो गई.

इस के बाद तो इस बात को ले कर पूजा ने घर में रोज हंगामा करना शुरू कर दिया था. इतना ही नहीं, सितारगंज में मुश्ताक के घर जा कर वहां भी काफी हंगामा किया. मुश्ताक के फेमिली वालों से भी उस ने लड़ाईझगड़ा किया. यहां तक कि सितारगंज पुलिस को लिखित शिकायत भी दी. मुश्ताक के घर गांव गौरीखेड़ा (सितारगंज) उत्तराखंड में जब रोज हंगामा होने लगा तो उस के फेमिली वालों ने मुश्ताक और पूजा को घर से निकाल दिया. तब मुश्ताक पूजा को अपने साथ ले कर गुरुग्राम वापस आ गया.

गुरुग्राम आ कर अब पूजा रोज मुश्ताक से झगडऩे लगी. रोजरोज की कलह से पेशान हो कर मुश्ताक ने निर्णय ले लिया कि अब वह पूजा को हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटा कर ही रहेगा. उस ने अपने दिमाग में हत्या की पूरी योजना का खाका तैयार कर लिया. अपने खूनी प्लान के मुताबिक उस ने पूजा से कहा कि पूजा, मैं अपनी जिंदगी में केवल तुम्हें ही अपनी पत्नी बना कर रखूंगा और अपनी दूसरी पत्नी को तलाक दे दूंगा. चलो, इसी खुशी में हम लोग उत्तराखंड घूमने चलते हैं, वहां पर कुछ दिन घूमने के बाद अपनी बीवी को तलाक दे कर हम वापस गुरुग्राम आ जाएंगे.

15 नवंबर, 2024 को अपने प्लान के मुताबिक मुश्ताक पूजा को अपनी बहन के घर टैक्सी से खटीमा ले कर पहुंचा. रात को वे दोनों वहीं पर रुके. 16 नवंबर, 2024 की सुबह खूनी साजिश के तहत मुश्ताक अपनी टैक्सी से पूजा को घुमाने के बहाने नदन्ना नहर जिला ऊधमसिंह नगर ले गया. नदन्ना नहर के पास एक काली पुलिया है, जो अकसर सुनसान रहती है. मुश्ताक ने चारों ओर देखा तो दूरदूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था. उस ने काली पुलिया के पास अपनी टैक्सी रोक दी और दोनों टैक्सी से उतर कर पुलिया के ऊपर बैठ गए.

अपने प्लान के मुताबिक मुश्ताक ने थोड़ी देर तक पूजा से प्रेमपूर्वक बातचीत की. पूजा को समझाया कि वह जल्दी ही अपनी दूसरी बीवी को तलाक देने वाला है. तभी मुश्ताक पेशाब करने का बहाना बना कर पुलिया से उठ गया, जबकि पूजा सामने नहर का दृश्य देखने में मशगूल हो गई थी. मुश्ताक ने इस मौके का भरपूर फायदा उठाया. उस ने फुरती से पैंट की जेब में छिपाया हुआ चाकू निकाला और पीछे से पूजा की गरदन पर घातक वार कर दिया. उधर पूजा को इस बात का आभास तक न था. चाकू के वार से उस की गरदन से खून का फव्वारा फूट पड़ा था.

मुश्ताक ने पत्नी का धड़ से अलग किया सिर

पूजा पीड़ा से जोरजोर से ‘बचाओ… बचाओ’ चिल्लाने लगी थी, लेकिन उस समय वहां पर दूरदूर तक कोई भी इंसान नहीं था, जो पूजा की करुण पुकार को सुन पाता. पूजा ने मुश्ताक से अपनी जान की भीख भी मांगी, परंतु निर्दयी हत्यारा मुश्ताक पूजा की गरदन पर तब तक चाकू से वार करता रहा, जब तक कि गरदन उस के धड़ से पूरी तरह अलग नहीं हो गई. गरदन धड़ से अलग होने पर पूजा ने तड़पते और छटपटाते हुए दम तोड़ दिया. इस के बाद की प्लानिंग भी मुश्ताक ने अपने दिमाग में पहले से ही बना कर रखी थी, इसलिए वह अपनी टैक्सी में तेज धारदार चाकू, चादर और अन्य सामान बैग में छिपा कर लाया था.

मुश्ताक ने सब से पहले धड़ को चादर में पूरी तरह से लपेट कर एक गठरी बनाई. उसे अच्छी तरह से बांधा और नाले मे फेंक दिया. इस के बाद उस ने पूजा के सिर को एक पौलीथिन की थैली में बांधा और सिर को दूसरी जगह ले जा कर पानी में बहा दिया. मुश्ताक इस बात से अब तक निश्चिंत हो चुका था कि पुलिस अब उस का कुछ भी बिगाड़ नहीं पाएगी, क्योंकि अगर पुलिस को किसी तरह पूजा का धड़ मिल भी गया तो वह पूजा के सिर को कभी भी नहीं ढूंढ सकती है.

पूजा गुडग़ांव के एक स्पा सेंटर में काम करती थी. वह भले ही अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त रहती थी और उस के दोनों बेटे नानकमत्ता में उस की मम्मी के पास रह कर पढ़ाई करते थे, लेकिन पूजा रोज अपनी मम्मी और छोटी बहन प्रमिला से एक बार सुबह और एक बार रात को अवश्य फोन कर बातचीत कर लिया करती थी. प्रमिला भी गुरुग्राम में रह कर जौब करती थी. पूजा के विवाह के बाद प्रमिला अब अकेले रहने लगी थी. 15 नवंबर, 2024 की रात को पूजा की मम्मी का प्रमिला को फोन आया कि आज पूजा ने फोन पर बात नहीं की. उस के बाद प्रमिला ने पूजा का फोन लगातार ट्राइ करना शुरू कर दिया, लेकिन पूजा का फोन लगातार बंद आता रहा.

उस के बाद प्रमिला ने स्पा सेंटर में पता किया तो वहां पर पता चला कि पूजा 15 नवंबर से स्पा सेंटर में अपने जौब पर नहीं आ रही थी. इस के बाद प्रमिला और उस के फेमिली वाले लगातार पूजा की खोज में लगे रहे. प्रमिला ने नानकमत्ता और सितारगंज में भी अपने फेमिली वालों के साथ पूजा की तलाश जारी रखी, परंतु पूजा का कहीं कोई पता नहीं चल सका. 19 दिसंबर, 2024 को प्रमिला ने गुरुग्राम के सेक्टर-5 थाना पुलिस में पूजा के लापता होने की शिकायत दर्ज करा दी. प्रमिला ने पूजा के बारे में पुलिस को यह जानकारी भी दी कि पूजा का विवाह गांव गौरीखेड़ा जिला ऊधमसिंह नगर के अजीत के साथ हुआ था.

प्रमिला ने पुलिस को यह भी बताया कि अजीत का असली नाम मुश्ताक अहमद था, उस ने अपना धर्म व नाम अजीत बता कर धोखे से उस की बहन के साथ विवाह किया था. प्रमिला की ओर से शिकायत मिलने पर गुरुग्राम सेक्टर-5 थाने के एसएचओ सुखबीर ने अपने उच्च अधिकारियों के निर्देश पर एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया. पुलिस टीम ने अपनी जांच शुरू कर दी और सब से पहले लापता पूजा की काल डिटेल्स खंगालनी शुरू की. इस में लोकेशन सहित कई अहम जानकारियां पुलिस के हाथ लगीं.

इन्हीं में पुलिस को मुश्ताक का नंबर भी मिला. मुश्ताक उत्तराखंड का रहने वाला था, इसलिए पुलिस टीम ने सितारगंज जा कर अहम जानकारियां एकत्रित कीं. वहां पर गुरुग्राम पुलिस को पूजा और मुश्ताक के लिवइन रिलेशन व प्रेम विवाह की जानकारी भी मिली. पुलिस टीम ने मुश्ताक के फेमिली वालों से पूछताछ की तो यह पता चला कि मुश्ताक के घर वालों ने पूजा और मुश्ताक को अक्तूबर, 2024 में ही अपने घर से निकाल दिया था. सितारगंज से पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि कुछ साल पहले मुश्ताक कुटरी गांव में गाड़ी के पंक्चर लगाने की दुकान चलाता था. वह सितारगंज और खटीमा दोनों जगहों पर रह कर काम करता था. उस के बाद उस ने टैक्सी चलाने का काम करना शुरू कर दिया था. पुलिस ने मुश्ताक की हर जगह तलाश की, लेकिन पुलिस मुश्ताक को ढूंढने में नाकाम रही.

गुरुग्राम पुलिस को इस बीच मुश्ताक के अन्य ठिकानों के बारे में भी पता चला, लेकिन मुश्ताक अब तक वहां से भी निकल चुका था. इस के बाद गुरुग्राम पुलिस ने गुरुग्राम में मुश्ताक के बारे में पता किया कि वह किस की टैक्सी चलाता था, कहां पर रहता था, किसकिस से मिलता था, किनकिन से बातचीत करता था, लेकिन पुलिस के हाथ फिर भी खाली रहे. आखिरकार इस ब्लांइड केस में गुरुग्राम पुलिस ने अब उत्तराखंड पुलिस की मदद ली. उत्तराखंड पुलिस ने इस केस में अपने खास मुखबिर लगा दिए और खुद भी इस केस से जुड़ गई. उत्तराखंड पुलिस और गुरुग्राम पुलिस की संयुक्त कोशिश आखिरकार रंग लाई.

साढ़े 5 महीना चकमा देने के बाद आया पुलिस गिरफ्त में

गुरुग्राम पुलिस को यह जानकारी मिली कि फरार टैक्सी ड्राइवर मुश्ताक सितारगंज के गौरीखेड़ा में एक स्थान पर छिप कर रह रहा है. इस सूचना के मिलते ही गुरुग्राम पुलिस ने उत्तराखंड पुलिस की सहायता से मुश्ताक को गिरफ्तार कर लिया. मुश्ताक को गिरफ्तार कर गुरुग्राम पुलिस ने जब मुश्ताक से पुलिसिया अंदाज में कड़ी पूछताछ की तो वह जल्दी ही टूट गया और उस ने पुलिस को बताया कि उस ने 16 नवंबर, 2024 को ही पूजा की हत्या कर दी थी. मुश्ताक अहमद ने पूजा बिस्वास की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

पुलिस पूछताछ में आरोपी मुश्ताक ने बताया कि पूजा को यह बात पता चल चुकी थी कि उस ने नाम और धर्म छिपा कर पूजा के साथ धोखे से विवाह किया था, इस के कारण वह उस से काफी नाराज रहने लगी थी. उस के बाद मुश्ताक के फेमिली वालों ने उस का विवाह उन की बिरादरी की एक युवती के साथ कर दिया. अब मुश्ताक गुरुग्राम में पूजा से दूरियां बनाने लगा था. उस दिन तारीख थी 10 मार्च 2022. पूजा बिस्वास सुबह से ही अपनी तैयारियों में व्यस्त थी. आज उसे अपनी ड्यूटी पर गुरुग्राम जाना था. उत्तराखंड के नानकमत्ता की रहने वाली पूजा उस दिन अपने घर से रुद्रपुर जा रही थी, जहां से उस ने गुरुग्राम के लिए अपनी अगली बस पकडऩी थी.

रुद्रपुर पहुंचने से 5 किलोमीटर पहले ही उस बस का इंजन एकाएक चलना बंद हो गया, जिस के कारण ड्राइवर को मजबूरन बस रोकनी पड़ी. सभी सवारियां उतर कर टेंपो और रिक्शा ले कर अपने गंतव्य स्थानों पर जा रही थीं. पूजा को रुद्रपुर के रोडवेज स्टेशन जाना था, मगर उसे कोई आटो मिल ही नहीं रहा था. जिस के कारण वह अपना सामान सड़क के किनारे रख कर इंतजार कर रही थी. तभी दूसरी ओर से मुश्ताक नाम का व्यक्ति अपनी किराए की टैक्सी ले कर उधर से गुजरा तो उस की निगाह सड़क के किनारे खड़ी युवती पर पड़ गई.

काले घने लंबे बाल, तीखे नैननक्श, गोराचिट्ठा रंग और इकहरा बदन की पूजा पर मुश्ताक की जैसे ही नजर पड़ी तो वह एक पल के लिए ठगा सा रह गया था. अगले ही पल मुश्ताक ने सड़क के किनारे अपनी टैक्सी रोक दी और टैक्सी से उतर कर युवती के पास चला गया.

”जी, आप को कहीं जाना है क्या? क्या मैं आप की मदद कर सकता हूं?’’ मुश्ताक ने कहा.

”अरे भाईसाहब, आप के पास तो टैक्सी है. इस का भाड़ा भी काफी ज्यादा होगा. मैं तो किसी शेयर आटोरिक्शा का इंतजार कर रही थी.’’ पूजा ने हिचकते हुए कहा.

तभी मुश्ताक ने पूछा, ”जी, मैं आप को जानता नहीं हूं, आप को मैं ने पहली बार ही देखा. मैं ने आप को पसीने से लथपथ, हैरान और परेशान देखा तो मुझ से रहा नहीं गया. आप इस गाड़ी को अपनी ही समझें. वैसे आप को जाना कहां है?’’

”जी, मुझे रुद्रपुर रोडवेज बस अड्डा जाना है, वहां से मुझे गुरुग्राम के लिए बस लेनी है,’’ पूजा ने कहा.

”जी, आप मेरी टैक्सी में बैठेंगी तो मुझे बहुत खुशी होगी.’’ कहते हुए मुश्ताक ने पूजा का सामान टैक्सी में रख दिया था. हालांकि सफर काफी छोटा था. मुश्ताक भी जानबूझ कर टैक्सी काफी आराम से चला रहा था.

तभी मुश्ताक न पीछे की सीट पर बैठी पूजा को सामने के मिरर से देखा और पूछ लिया, ”जी, आप अपना समझ कर मेरी टैक्सी में बेहिचक बैठ गईं, इस के लिए आप का बहुतबहुत धन्यवाद. क्या मैं आप का नाम जान सकता हूं?’’

”जी, मेरा नाम पूजा बिस्वास है. मैं नानकमत्ता की बंगाली कालोनी में रहती हूं. गुरुग्राम में एक स्पा सेंटर में काम करती हूं. आप का नाम क्या है?’’ पूजा बोली.

”जैसे आप इतनी खूबसूरत हैं वैसे ही आप का नाम भी है. मेरी खुशकिस्मत है कि आज अनजाने में ही सही, आप से मेरी मुलाकात हो गई. पूजाजी, मेरा नाम अजीत है. मैं गौरीखेड़ा गांव तहसील सितारगंज में रहता हूं. मेरा टैक्सी का काम है.’’ मुश्ताक ने अपना नाम छिपाते हुए कहा.

मुश्ताक ने पूजा को बसा लिया था दिल में

टैक्सी को मुश्ताक धीरेधीरे चला रहा था. बीचबीच में वह पूजा को देख भी लेता था. पूजा यह समझ गई थी कि अजीत भी उसे देख रहा है, इसलिए वह भी उसे देखने लगी. कुछ समय के लिए दोनों की नजरें टकरातीं, फिर वे दोनों इधरउधर देखने लगते थे. तभी मुश्ताक ने ट्रैक्सी में ब्रेक लगा दिया. अब मुश्ताक पूजा का सामान टैक्सी से निकालने में भी उस की मदद करने लगा था, क्योंकि रुद्रपुर का रोडवेज स्टेशन आ चुका था. मुश्ताक ने बस में सामान चढ़ाने में भी पूजा की पूरी मदद की. काफी देर तक दोनों बातचीत करते रहे.

बस जब रुद्रपुर से गुरुग्राम की तरफ चलने की तैयारी करने लगी तो पूजा मुश्ताक की ओर निहारते हुए बोली, ”अजीतजी, आप बहुत ही सुलझे हुए और परिपक्व इंसान हैं. आप का दिल बहुत अच्छा है. आप का बहुतबहुत धन्यवाद. वैसे किराए के कितने पैसे हुए?’’

”पूजाजी, एक तरफ तो आप मुझे अपना कहती हैं और दूसरी तरफ किराए की बात करने लगीं. अच्छा, अब दोस्ती आगे भी ऐसे ही चलती रहे, उस के लिए कम से कम अपना मोबाइल नंबर तो दे दीजिए.’’

पूजा ने अपना मोबाइल नंबर बताया तो मुश्ताक ने पूजा के मोबाइल पर फोन कर दिया. घंटी बजने लगी. पूजा ने मुसकराते हुए कहा, ”अजीतजी, आप का नंबर मेरे पास आ चुका है, मैं इसे सेव कर लूंगी.’’ उस के बाद बस चल पड़ी थी. उस दिन के बाद से दोनों की अकसर फोन पर बातचीत होने लगी. दोनों को अब एकदूसरे से बात कर के काफी रस आने लगा था. एक दिन में कईकई बार वे दोनों अब आपस में बात करने लगे थे. इस बीच मुश्ताक भी गुरुग्राम आ कर प्राइवेट टैक्सी चलाने लगा था. एक दिन पूजा सुबह से काफी परेशान थी कारण कि नानकमत्ता मम्मी की तबीयत काफी खराब थी, तभी मुश्ताक का फोन आ गया.

”पूजाजी, कई दिनों से आप ने कोई फोन नहीं किया, इसलिए मैं ने आप को फोन कर दिया. कैसी हो आप?’’ मुश्ताक ने पूछा.

”अजीत, घर पर मेरी मम्मी की तबीयत काफी खराब है, उन्हें यहां पर लाना है, इसीलिए काफी परेशान हूं.’’ पूजा ने कहा.

”आप इतनी ज्यादा दुखी और परेशान क्यों हो रही हैं. मेरी गाड़ी में चल कर माताजी को ले कर आ जाते हैं.’’ मुश्ताक ने कहा. यह 2022 की बात थी.

अपनी मम्मी को गुरुग्राम लाने और वापस नानकमत्ता ले जाने और इस बीच अपनी मम्मी की खोजखबर लेने के लिए पूजा ने मुश्ताक की मदद ली. इस के कारण उन दोनों में दोस्ती और आत्मीयता अब अपने चरम पर पहुंचने लगी थी.

ऐसे ही एक दिन जब पूजा अपनी मम्मी को देखने मुश्ताक की टैक्सी ले कर वापस गुरुग्राम लौट रही थी तो मुश्ताक उस से बातें करने लगा था, जबकि पूजा अपने घरपरिवार की समस्याओं के बारे में सोचने में मग्न थी. तभी मुश्ताक ने उस से कहा, ”पूजाजी, पता है आज कौन सी तारीख है?’’

”आज 14 फरवरी का दिन है.’’ पूजा ने उत्तर दिया.

”आज का दिन कितना खास होता है, लगता है आप को पता ही नहीं है.’’ मुश्ताक ने रहस्यमयी ढंग से कहा.

”मुझे तो पता नहीं, आज का दिन इतना खास क्यों होता है, आप ही बता दो.’’ पूजा ने कहा.

”आप भी बुद्धू निकलीं. अरे आज पूरी दुनिया में वेलेंटाइन डे मनाया जाता है, जिसे हिंदी में प्रेम दिवस कहते हैं. आज आप से कुछ दिल की बात कहना चाहता हूं.’’ मुश्ताक ने कहा.

”अरे मैं तो भूल हो गई, आज वेलेंटाइन डे भी है. आप अपने दिल की क्या बात कहना चाहते हो अजीत?’’ पूजा ने पूछा.

मुश्ताक ने टैक्सी सड़क के किनारे खड़ी कर दी, उस के बाद उस ने पूजा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा, ”पूजा, मैं तुम से बहुत प्यार करने लगा हूं, अब मैं तुम्हारे बिना एक पल भी जिंदा नहीं रह सकता. लव यू पूजा.’’ मुश्ताक उर्फ अजीत की आवाज लडख़ड़ाने लगी थी.

यह देख पूजा बिस्वास ने एक उचटती हुई निगाह मुश्ताक की ओर डाली और अपना हाथ झटके से खींच लिया. यह देख कर मुश्ताक मन ही मन घबराने लगा और सोचने लगा कि ऐसा लगता है पूजा मेरी बात से कहीं नाराज तो नहीं हो गई. मुझे ऐसे प्रपोज नहीं करना चाहिए था.

”देखो अजीत, ये प्यार कोई हंसीखेल का तमाशा नहीं है. सब से पहले तुम्हें मेरे अतीत को जानना चाहिए.’’ पूजा ने गंभीर हो कर कहा.

”देखिए पूजाजी, मेरे दिल में आप के लिए अब वह स्थान बन चुका है, जिसे मैं किसी भी हालत में खोना नहीं चाहता. आप का अतीत चाहे जैसा भी रहा हो, मैं तुम्हें हर हाल में अपनाना चाहता हूं.’’ मुश्ताक ने भावुक स्वर में कहा.

लिवइन में रहने लगे दोनों

उस के बाद पूजा ने मुश्ताक को बताया, ”मेरा विवाह 18 साल पहले शक्ति फार्म में रतन (परिवर्तित नाम) के साथ हुआ था, मेरा पति रतन मकान में शटरिंग का काम करता था. रतन बहुत शक्की स्वभाव का था, वह मेरे चरित्र पर हमेशा शक करता रहता था. वह शराब पीने का भी आदती थी. बाद में हमारे 2 बेटे भी हो गए. मैं ने सोचा कि बच्चों की जिम्मेदारी सिर पर आने के बाद रतन में सुधार आ जाएगा, लेकिन रतन तो न जाने किस मिट्टी का बना हुआ था. शराब पी कर वह कईकई दिन घर पर ही पड़ा रहता था.

”जब मैं उसे समझाने का प्रयास करती तो वह मुझे बुरी तरह से गालियां देने लगता था. मारपीट करने लगता था. वह केवल मेरे साथ ही नहीं, बल्कि अब बच्चों को भी बुरी तरह से पीटने लगा था. मैं ने जब यह बात अपने मम्मीपापा और भाईबहनों को बताई तो वे मुझे अपने साथ ले गए और फिर 2019 में मैं ने रतन से तलाक भी ले लिया. 2008 में मेरी शादी हुई और 11 साल के बाद मेरा तलाक भी हो गया.’’

”पूजा, आप के घर में कौनकौन है?’’ मुश्ताक ने पूछा.

”अजीतजी, मेरे घर में मेरे मम्मीपापा के अलावा हम 4 बहनें और एक भाई है. बहनों के नाम शिवली, रमा और प्रमिला हैं जबकि मेरे भाई का नाम आशीष है. और भी कुछ पूछना बाकी रह गया हो तो बताइए.’’ पूजा ने कहा.

”पूजाजी, मुझे अब आगे कुछ नहीं पूछना है, बस आप का प्यार पाना चाहता हूं. आप की जिंदगी के सारे दुख बांटना चाहता हूं.’’ मुश्ताक ने कहा.

”ये जानते हुए भी कि मेरा एक बेटा 13 साल का है और दूसरा 11 साल का हो चुका है.’’ पूजा ने कहा.

”पूजा, मैं तुम्हें अपने दिल से भी ज्यादा प्यार करता हूं. मैं जीवन भर तुम्हारा और तुम्हारे बेटों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाने के लिए तैयार हूं. तुम एक बार मेरा विश्वास कर के तो देखो!’’ मुश्ताक ने पूजा का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा.

मोहब्बत एक ऐसा रोग है, जो दबाने पर और भी अधिक भड़कने लगता है. लिहाजा पूजा भी मुश्ताक के बहकावे में आ गई और मोहब्बत के जोश में पूजा ने भी आखिर कह ही दिया, ”अजीत, मैं भी तुम से अब दिलोजान से प्यार करने लगी हूं. तुम ही अब मेरा प्यार, मेरी चाहत, मेरी दीवानगी हो, मैं अब तुम्हारी हूं और मरते दम तक तुम्हारी ही रहूंगी.’’

इस के बाद पूजा और मुश्ताक गुरुग्राम में लिवइन में रहने लगे. इस से पूजा के फेमिली वालों व बहनों को ऐतराज हुआ. उन्होंने पूजा को समझाया कि बिना विवाह किए किसी युवक के साथ रहना हमारे समाज में वर्जित है. पूजा और अजीत उर्फ मुश्ताक ने फिर 10 सितंबर, 2024 में एक मंदिर में जा कर शादी कर ली और फिर बेरोकटोक साथ रहने लगे.

पूजा अब मुश्ताक के साथ अलग फ्लैट में रहने लगी थी. इसी बीच पूजा को पता चल गया कि अजीत ङ्क्षहदू नहीं मुसलिम है और उस का असली नाम मुश्ताक है. धोखा कर के शादी करने पर पूजा और मुश्ताक के बीच कहासुनी भी हुई. जो होना था हो चुका था, इसलिए पूजा चुप हो गई. उस ने यह जानकारी अपनी बहन और मम्मी को भी बता दी थी. इस के बाद पूजा की मुश्ताक के साथ आए दिन कलह होने लगी. यह झगड़ा तब और बढ़ गया, जब मुश्ताक के फेमिली वालों ने मुश्ताक का निकाह अपने ही समाज में कर दिया था. फिर मुश्ताक ने योजना बना कर पूजा बिस्वास का मर्डर कर उस की लाश ठिकाने लगा दी.

गुरुग्राम पुलिस ने उत्तराखंड की खटीमा पुलिस के सहयोग से अभियुक्त मुश्ताक अहमद को गिरफ्तार करने के बाद उस की निशानदेही पर 30 अप्रैल, 2025 को खटीमा काली पुलिया अंडरपास से शव बरामद कर लिया. शव में सिर नहीं था. शव की शिनाख्त करने के लिए पूजा के भाई को वहां पर बुलाया गया तो शव देख कर आशीष फूटफूट कर रोने लगा था. उस ने रोते हुए पुलिस को बताया कि शव के पास जो दुपट्टा पड़ा है, वह दुपट्टा रक्षाबंधन के दिन आशीष ने ही पूजा को शगुन के तौर पर दिया था. पूजा का शव यानी धड़ काफी समय से पानी में पड़े रहने के कारण काफी सडग़ल चुका था. हालांकि शव की पहचान मृतका के भाई ने कपड़ों के आधार पर कर ली थी.

मृतका पूजा के परिजनों ने उत्तराखंड पुलिस पर लगाए आरोप, फांसी की मांग की

2 साल तक अपनी आर्थिक और दैहिक जरूरतों को पूरा करने के बाद प्रेमी मुश्ताक ने अपनी प्रेमिका पूजा की नृशंस हत्या कर दी. गुरुग्राम में काम करते समय पूजा ने जो भी पैसेरुपए कमाए, उस से उस ने अपने प्रेमी मुश्ताक के लिए सितारगंज के गौरीखेड़ा में एक प्लौट खरीदा, जहां आज मुश्ताक का मकान है. इतना ही नहीं पूजा ने मुश्ताक को सोने के जेवर और एक बाइक भी खरीदी.

मृतका पूजा के भाई आशीष और छोटी बहन प्रमिला ने उत्तराखंड पुलिस पर काफी संगीन आरोप लगाए हैं. उन का कहना है कि नवंबर 2024 में जब उन की बहन का कहीं पता नहीं चल रहा था तो वे सितारगंज कोतवाली अपनी बहन पूजा की मिसिंग रिपोर्ट लिखाने गए थे, लेकिन सितारगंज पुलिस ने उन से कोई सहयोग नहीं किया और पूजा के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर दिया. उधर गुरुग्राम पुलिस भी रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी. बाद में काफी दबाब बनाने के बाद गुरुग्राम के सेक्टर-5 थाना पुलिस में उन की रिपोर्ट दर्ज की गई.

लव जिहाद की शिकार बनी नानकमत्ता निवासी पूजा ने हत्या से कुछ दिन पहले एसएसपी को पत्र लिख कर मुश्ताक की शिकायत की थी. परिजनों के अनुसार पूजा ने मुश्ताक पर धर्म छिपाने और बाद में जबरन धर्म परिवर्तन करवाने का आरोप लगाया था. इस मामले में एसएसपी ऊधमसिंह नगर मणिकांत मिश्रा ने कोतवाल सितारगंज को निर्देशित भी किया था. इस बारे ने एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया है कि पूजा और मुश्ताक के बीच पहले भी कई विवाद हो चुके थे, जिस संबंध में मेरे कार्यालय में स्टाफ को शिकायती पत्र दिया गया था.

युवक युवती को अपने साथ रखना चाहता था, जबकि युवती उस के साथ नहीं रहना चाहती थी, जिस पर दोनों पक्षों में वार्ता भी कराई गई थी. इस के बावजूद उन के बीच विवाद होते रहे, लेकिन गुमशुदगी के संबंध में मुझे कोई शिकायत पत्र नहीं मिला. युवती के लापता होने के बाद काल डिटेल्स के आधार पर घटना की सच्चाई का पता लगाया गया.

पूजा की हत्या के आरोपी मुश्ताक के घर पर चला बुलडोजर

नानकमत्ता के बंगाली कालोनी निवासी पूजा बिस्वास की नृशंस हत्या के आरोपी मुश्ताक अहमद का सितारगंज के गौरीखेड़ा में बने घर को प्रशासन ने भारी पुलिस की मौजूदगी में 5 मई, 2025 को बुलडोजर लगा कर ध्वस्त कर दिया. 4 मई, 2025 को गुरुग्राम पुलिस गौरीखेड़ा स्थित मुश्ताक के घर पर पहुंची थी, लेकिन उस के घर पर ताला लगा था.

5 मई, 2025 की सुबह उत्तराखंड की पूरी जिले की पुलिस (ऊधमसिंह नगर), पीएसी व प्रशासनिक अधिकारी गौरीखेड़ा पहुंच गए. यहां पर गांव के आवागमन के रास्तों में बैरिकेडिंग लगा कर व भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर आवागमन बंद कर दिया गया. इसी दौरान जेसीबी मशीन से टिन शेड के बने मुश्ताक के मकान को जमींदोज कर दिया गया. भारी पुलिसप्रशासन तैनाती देख कर ग्रामीण अपने घरों में ही बैठे रहे. इस से पूर्व ऊधमसिंह नगर प्रशासन को थारू गौरीखेड़ा निवासी नारायण सिंह ने शिकायत दी थी कि मुश्ताक के पिता अली अहमद ने उस की जमीन पर कब्जा कर मकान बना दिया है और वह मेरी जमीन खाली नहीं कर रहा है.

जांच में पाया गया कि यह भूमि अनुसूचित जनजाति समुदाय के मथुरा प्रसाद की है और मकान अवैध ढंग से बनाया गया था. इस के बाद जिला प्रशासन की ओर से आरोपी को भूमि को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया था, जिस के बाद आरोपी अपने घर पर ताला लगा कर वहां से फरार हो गए गए थे. जिस के बाद 5 मई, 2025 को पुलिस और प्रशासन की टीम ने बुलडोजर काररवाई करते हुए अवैध मकान को ढहा दिया.

गुरुग्राम पुलिस ने आरोपी मुश्ताक की निशानदेही पर घटनास्थल के पास से मृतका पूजा का टूटा हुआ मोबाइल फोन बरामद कर लिया है. इस के अलावा जिस चाकू से पूजा का गला काटा गया, उसे भी पुलिस ने मुश्ताक की बहन फूलबानो के घर से बरामद कर लिया गया. पुलिस को रेड के दौरान उस की बहन व अन्य सदस्य घर पर नहीं मिले. इस मामले में गुरुग्राम पुलिस आरोपी मुश्ताक अहमद के अन्य संभावित सहयोगियों की भी तलाश कर रही थी. कथा लिखने तक मृतका पूजा के सिर को तलाशने के लिए गुरुग्राम पुलिस उत्तराखंड पुलिस के साथ लगातार सर्च अभियान चला रही थी.

पुलिस गोताखोरों की मदद ले रही थी. सिर तलाशना पुलिस के लिए काफी अहम कड़ी भी है, क्योंकि उस से मृतका महिला के शव की पहचान पुख्ता हो जाएगी, जो कोर्ट में आरोपी हत्यारे मुश्ताक को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने में एक अहम सबूत हो सकता है. Love Story

 

 

Love Crime : गर्लफ्रेड ने ली बॉयफ़्रेंड की जान

Love Crime :  एसचओ ने ग्रामीणों की मदद से शव को तालाब से बाहर निकलवाया. शव पूरी तरह नग्न अवस्था में था. शव का बारीकी से निरीक्षण किया तो पाया कि मृतक की उम्र लगभग 30 साल थी और उस के शरीर पर धारदार हथियार से गोदे जाने के कई निशान थे.

उसी दौरान एक युवक ने लाश की शिनाख्त पिडरुआ निवासी तुलसीराम प्रजापति के रूप में की. उस की हत्या किस ने और क्यों की, यह बात कोई भी व्यक्ति नहीं समझ पा रहा था. 26 वर्षीय सविता और 28 वर्षीय तुलसीराम पहली मुलाकात में ही एकदूसरे को दिल दे बैठे थे, सविता को पाने की अभिलाषा तुलसीराम के दिल में हिलोरें मारने लगी थी, इसलिए वह किसी न किसी बहाने से सविता से मिलने उस के खेत पर बनी टपरिया में अकसर आने लगा था.

तुलसीराम प्रजापति के टपरिया में आने पर सविता गर्मजोशी से उस की खातिरदारी करती, चायपानी के दौरान तुलसीराम जानबूझ कर बड़ी होशियारी के साथ सविता के गठीले जिस्म का स्पर्श कर लेता तो वह नानुकुर करने के बजाय मुसकरा देती. इस से तुलसीराम की हिम्मत बढ़ती चली गई और वह सविता के खूबसूरत जिस्म को जल्द से जल्द पाने की जुगत में लग गया. एक दिन दोपहर के समय तुलसीराम सविता की टपरिया में आया तो इत्तफाक से सविता उस वक्त अकेली चक्की से दलिया बनाने में मशगूल थी. उस का पति पुन्नूलाल कहीं गया हुआ था. इसी दौरान तुलसीराम को देखा तो उस ने साड़ी के पल्लू से अपने आंचल को करीने से ढंका.

तुलसीराम ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ”सविता, तुम यह आंचल क्यों ढंक रही हो? ऊपर वाले ने तुम्हारी देह देखने के लिए बनाई है. मेरा बस चले तो तुम को कभी आंचल साड़ी के पल्लू से ढंकने ही न दूं.’’

”तुम्हें तो हमेशा शरारत सूझती रहती है, किसी दिन तुम्हें मेरे टपरिया में किसी ने देख लिया तो मेरी बदनामी हो जाएगी.’’

”ठीक है, आगे से जब भी तेरे से मिलने तेरी टपरिया में आऊंगा तो इस बात का खासतौर पर ध्यान रखूंगा.’’

सविता मुसकराते हुए बोली, ”अच्छा एक बात बताओ, कहीं तुम चिकनीचुपड़ी बातें कर के मुझ पर डोरे डालने की कोशिश तो नहीं कर रहे?’’

”लगता है, तुम ने मेरे दिल की बात जान ली. मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं, अब तो जानेमन मेरी हालत ऐसी हो गई है कि जब तक दिन में एक बार तुम्हें देख नहीं लेता, तब तक चैन नहीं मिलता है. बेचैनी महसूस होती रहती है, इसलिए किसी न किसी बहाने से यहां चला आता हूं. तुम्हारी चाहत कहीं मुझे पागल न कर दे…’’

तुलसीराम प्रजापति की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि सविता बोली, ”पागल तो तुम हो चुके हो, तुम ने कभी मेरी आंखों में झांक कर देखा है कि उन में तुम्हारे लिए कितनी चाहत है. मुझे तो ऐसा लगता है कि दिल की भाषा को आंखों से पढऩे में भी तुम अनाड़ी हो.’’

”सच कहा तुम ने, लेकिन आज यह अनाड़ी तुम से बहुत कुछ सीखना चाहता है. क्या तुम मुझे सिखाना चाहोगी?’’ इतना कह कर तुलसीराम ने सविता के चेहरे को अपनी हथेलियों में भर लिया.

सविता ने भी अपनी आंखें बंद कर के अपना सिर तुलसीराम के सीने से टिका दिया. दोनों के जिस्म एकदूसरे से चिपके तो सर्दी के मौसम में भी उन के शरीर दहकने लगे. जब उन के जिस्म मिले तो हाथों ने भी हरकतें करनी शुरू कर दीं और कुछ ही देर में उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं.

सविता के पति पुन्नूलाल के शरीर में वह बात नहीं थी, जो उसे तुलसीराम से मिली. इसलिए उस के कदम तुलसीराम की तरफ बढ़ते चले गए. इस तरह उन का अनैतिकता का खेल चलता रहा.

सविता के क्यों बहके कदम

मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक गांव है पिडरुआ. इसी गांव में 26 वर्षीय सविता आदिवासी अपने पति पुन्नूलाल के साथ रहती थी. पुन्नूलाल किसी विश्वकर्मा नाम के व्यक्ति की 10 बीघा जमीन बंटाई पर ले कर खेत पर ही टपरिया बना कर अपनी पत्नी सविता के साथ रहता था. उसी खेत पर खेती कर के वह अपने परिवार की गुजरबसर करता था. उस की गृहस्थी ठीकठाक चल रही थी.

उस के पड़ोस में ही तुलसीराम प्रजापति का भी खेत था, इस वजह से कभीकभार वह सविता के पति से खेतीबाड़ी के गुर सीखने आ जाया करता था. करीब डेढ़ साल पहले तुलसीराम ने ओडिशा की एक युवती से शादी की थी, लेकिन वह उस के साथ कुछ समय तक साथ रहने के बाद अचानक उसे छोड़ कर चली गई थी.

सविता को देख कर तुलसीराम की नीयत डोल गई. उस की चाहतभरी नजरें सविता के गदराए जिस्म पर टिक गईं.  उसी क्षण सविता भी उस की नजरों को भांप गई थी. तुलसीराम हट्टाकट्टा नौजवान था. सविता पहली नजर में ही उस की आंखों के रास्ते दिल में उतर गई. सविता के पति से बातचीत करते वक्त उस की नजरें अकसर सविता के जिस्म पर टिक जाती थीं.

सविता को भी तुलसीराम अच्छा लगा. उस की प्यासी नजरों की चुभन उस की देह को सुकून पहुंचाती थी. उधर अपनी लच्छेदार बातों से तुलसीराम ने सविता के पति से दोस्ती कर ली. तुलसीराम को जब भी मौका मिलता, वह सविता के सौंदर्य की तारीफ करने में लग जाता. सविता को भी तुलसीराम के मुंह से अपनी तारीफ सुनना अच्छा लगता था. वह पति की मौजूदगी में जब कभी भी उसे चायपानी देने आती, मौका देख कर वह उस के हाथों को छू लेता. इस का सविता ने जब विरोध नहीं किया तो तुलसीराम की हिम्मत बढ़ती चली गई.

धीरेधीरे उस की सविता से होने वाली बातों का दायरा भी बढऩे लगा. सविता का भी तुलसीराम की तरफ झुकाव होने लगा था. तुलसीराम को पता था कि सविता अपने पति से संतुष्ट नहीं है. कहते हैं कि जहां चाह होती है, वहां राह निकल ही आती है. आखिर एक दिन तुलसीराम को सविता के सामने अपने दिल की बात कहने का मौका मिल गया और उस के बाद दोनों के बीच वह रिश्ता बन गया, जो दुनिया की नजरों में अनैतिक कहलाता है. दोनों ने इस रास्ते पर कदम बढ़ा तो दिए, लेकिन सविता ने इस बात पर गौर नहीं किया कि वह अपने पति के साथ कितना बड़ा विश्वासघात कर रही है.

जिस्म से जिस्म का रिश्ता कायम हो जाने के बाद सविता और तुलसीराम उसे बारबार बिना किसी हिचकिचाहट के दोहराने लगे. सविता का पति जब भी गांव से बाहर जाने के लिए निकलता, तभी सविता तुलसीराम को काल कर अपने पास बुला लेती थी. अनैतिक संबंधों को कोई लाख छिपाने की कोशिश करे, एक न एक दिन उस की असलियत सब के सामने आ ही जाती है. एक दिन ऐसा ही हुआ. सविता का पति पुन्नूलाल शहर जाने के लिए घर से जैसे ही निकला, वैसे ही सविता ने अपने प्रेमी तुलसीराम को फोन कर दिया.

अवैध संबंधों का सच आया सामने

सविता जानती थी कि शहर से घर का सामान लेने के लिए गया पति शाम तक ही लौटेगा, इस दौरान वह गबरू जवान प्रेमी के साथ मौजमस्ती कर लेगी. सविता की काल आते ही तुलसीराम बाइक से सविता के टपरेनुमा घर पर पहुंच गया. उस ने आते ही सविता के गले में अपनी बाहों का हार डाल दिया, तभी सविता इठलाते हुए बोली, ”अरे, यह क्या कर रहे हो, थोड़ी तसल्ली तो रखो.’’

”कुआं जब सामने हो तो प्यासे व्यक्ति को कतई धैर्य नहीं होता है,’’ इतना कहते हुए तुलसीराम ने सविता का गाल चूम लिया.

”तुम्हारी इन नशीली बातों ने ही तो मुझे दीवाना बना रखा है. न दिन को चैन मिलता है और न रात को. सच कहूं जब मैं अपने पति के साथ होती हूं तो सिर्फ तुम्हारा ही चेहरा मेरे सामने होता है,’’ सविता ने भी इतना कह कर तुलसी के गालों को चूम लिया.

तुलसीराम से भी रहा नहीं गया. वह सविता को बाहों में उठा कर चारपाई पर ले गया. इस से पहले कि वे दोनों कुछ कर पाते, दरवाजा खटखटाने की आवाज आई. इस आवाज को सुनते ही दोनों के दिमाग से वासना का बुखार उतर गया. सविता ने जल्दी से अपने अस्तव्यस्त कपड़ों को ठीक किया और दरवाजा खोलने भागी. जैसे ही उस ने दरवाजा खोला, सामने पति को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया, ”तुम तो घर से शहर से सौदा लाने के लिए निकले थे, फिर इतनी जल्दी कैसे लौट आए?’’ सविता हकलाते हुए बोली.

”क्यों? क्या मुझे अब अपने घर आने के लिए भी तुम से परमिशन लेनी पड़ेगी? तुम दरवाजे पर ही खड़ी रहोगी या मुझे भीतर भी आने दोगी,’’ कहते हुए पुन्नूलाल ने सविता को एक तरफ किया और जैसे ही वह भीतर घुसा तो सामने तुलसीराम को देख कर उस का माथा ठनका.

”अरे, आप कब आए?’’ तुलसीराम ने पूछा तो पुन्नूलाल ने कहा, ”बस, अभीअभी आया हूं.’’

सविता के हावभाव पुन्नूलाल को कुछ अजीब से लगे, उस ने सविता की तरफ देखा, वह बुरी तरह से घबरा रही थी. उस के बाल बिखरे हुए थे. माथे की बिंदिया उस के हाथ पर चिपकी हुई थी.

यह सब देख कर पुन्नूलाल को शक होना लाजिमी था. डर के मारे तुलसीराम भी उस से ठीक से नजरें नहीं मिला पा रहा था. ठंड के मौसम में भी उस के माथे पर पसीना छलक रहा था. पुन्नूलाल तुलसीराम से कुछ कहता, उस से पहले ही वह अपनी बाइक पर सवार हो कर वहां से भाग गया.

उस के जाते ही पुन्नूलाल ने सविता से पूछा, ”तुलसीराम तुम्हारे पास क्यों आया था और तुम दोनों दरवाजा बंद कर क्या गुल खिला रहे थे?’’

”वह तो तुम से मिलने आया था और कुंडी इसलिए लगाई थी कि आज पड़ोसी की बिल्ली बहुत परेशान कर रही थी.’’ असहज होते हुए सविता बोली.

”लेकिन मेरे अचानक आ जाने से तुम दोनों की घबराहट क्यों बढ़ गई थी?’’

”अब मैं क्या जानूं, यह तो तुम्हें ही पता होगा.’’ सविता ने कहा तो पुन्नूलाल तिलमिला कर रह गया. उस के मन में पत्नी को ले कर संदेह पैदा हो गया था.

पुन्नूलाल ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पति पर निगाह रखनी शुरू कर दी और हिदायत दे दी कि तुलसीराम से वह आइंदा से मेलमिलाप न करे. पति की सख्ती के बावजूद सविता मौका मिलते ही तुलसीराम से मिलती रहती थी.

सविता और उस के प्रेमी को चोरीछिपे मिलना अच्छा नहीं लगता था. उधर तुलसीराम चाहता था कि सविता जीवन भर उस के साथ रहे, लेकिन सविता के लिए यह संभव नहीं था.

सविता क्यों बनी प्रेमी की कातिल

वैसे भी जब से पुन्नूलाल और गांव वालों को सविता और तुलसीराम प्रजापति के अवैध संबंधों का पता लगा था, तब से सविता घर टूटने के डर से तुलसीराम से छुटकारा पाना चाह रही थी, लेकिन समझाने के बावजूद तुलसीराम उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था. तब अंत में सविता ने अपने छोटे भाई हल्के आदिवासी के साथ मिल कर अपने प्रेमी तुलसीराम को मौत के घाट उतारने की योजना बना डाली.

अपनी योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए 8 जनवरी, 2024 को सविता अपने मायके साईंखेडा चली गई, जिस से किसी को उस पर शक न हो. वहां से वह 11 जनवरी की दोपहर अपनी ससुराल पिडरुआ वापस लौट आई. उसी दिन शाम के वक्त उस ने तुलसीराम को फोन करके मिलने के लिए मोतियाहार के जंगल में बुला लिया.

अपनी प्रेमिका के बुलावे पर उस की योजना से अनजान तुलसीराम खुशी खुशी मोतियाहार के जंगल में पहुंचा. तभी मौका मिलते ही सविता ने अपने मायके से साथ लाए चाकू का पूरी ताकत के साथ तुलसीराम के गले पर वार कर दिया. अपनी जान बचाने के लिए खून से लथपथ तुलसीराम ने वहां से बच कर भाग निकलने की कोशिश की तो सविता ने चाकू उस के पेट में घोंप दिया. पेट में चाकू घोंपे जाने से उस की आंतें तक बाहर निकल आईं. कुछ देर छटपटाने के बाद ही उस के शरीर में हलचल बंद हो गई.

इस के बाद सविता के भाई हल्के आदिवासी ने तुलसीराम की पहचान मिटाने के लिए उस के सिर को पत्थर से बुरी तरह से कुचल दिया. फिर सविता ने अपने प्रेमी की नाक के पास अपनी हथेली ले जा कर चैक किया कि कहीं वह जिंदा तो नहीं है. दोनों को पूरी तरह तसल्ली हो गई कि तुलसीराम मर चुका है, तब उन्होंने तुलसीराम के सारे कपड़े उतार कर उस के कपड़े, जूते एक थैले में रख कर तालाब में फेंक दिए. लाश को ठिकाने लगाने के लिए सविता और उस का भाई हल्के तुलसी की लाश को कंधे पर रख कर हरा वाले तालाब के करीब ले गए. वहां बोरी में पत्थर भर कर रस्सी को उस की कमर में बांध कर शव को तालाब में फेंक दिया.

नग्नावस्था में मिली थी तुलसी की लाश

12 जनवरी, 2024 की सुबह उजाला फैला तो पिडरुआ गांव के लोगों ने तालाब में युवक की लाश तैरती देखी. थोड़ी देर में वहां लोगों की भीड़ जुट गई. भीड़ में से किसी ने तालाब में लाश पड़ी होने की सूचना बहरोल थाने के एसएचओ सेवनराज पिल्लई को दी.

सूचना मिलते ही एसएचओ कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर मौके पर पहुंच गए. लाश तालाब से बाहर निकलवाने के बाद उन्होंने उस की जांच की. उस की शिनाख्त पिडरुआ निवासी तुलसीराम प्रजापति के रूप में की. वहीं पर पुलिस को यह भी पता चला कि तुलसीराम के पिछले डेढ़ साल से गांव की शादीशुदा महिला सविता आदिवासी से अवैध संबंध थे. इसी बात को ले कर पतिपत्नी में तकरार होती रहती थी.

लेकिन तुलसीराम की हत्या इस तरह गोद कर क्यों की गई, यह बात पुलिस और लोगों को अचंभे में डाल रही थी. मामला गंभीर था. एसएचओ ने घटना की सूचना एसडीओपी (बंडा) शिखा सोनी को भी दे दी थी. वह भी मौके पर आ गईं. इस के बाद उन्होंने भी लाश का निरीक्षण कर एसएचओ को सारी काररवाई कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के निर्देश दिए. एसएचओ पिल्लई ने सारी काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. फिर थाने लौट कर हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

एसडीओपी शिखा सोनी ने इस केस को सुलझाने के लिए एक पुलिस टीम गठित की. टीम में बहरोल थाने के एसएचओ सेवनराज पिल्लई, बरायथा थाने के एसएचओ मकसूद खान, एएसआई नाथूराम दोहरे, हैडकांस्टेबल जयपाल सिंह, तूफान सिंह, वीरेंद्र कुर्मी, कांस्टेबल देवेंद्र रैकवार, नीरज पटेल, अमित शुक्ला, सौरभ रैकवार, महिला कांस्टेबल प्राची त्रिपाठी आदि को शामिल किया गया.

चूंकि पुलिस को सविता आदिवासी और मृतक की लव स्टोरी की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए पुलिस टीम ने गांव के अन्य लोगों से जानकारी जुटाने के बाद सविता आदिवासी को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया.

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सविता से तुलसीराम की हत्या के बारे में जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने पुलिस को गुमराह करने की भरसक कोशिश की, लेकिन एसएचओ सेवनराज पिल्लई के आगे उस की एक न चली और उसे सच बताना ही पड़ा. सविता के खुलासे के बाद पुलिस ने सविता के भाई हल्के आदिवासी को भी साईंखेड़ा गांव से गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी अपना जुर्म कुबूल कर लिया सविता और उस के भाई हल्के आदिवसी से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

सविता और उस के भाई हल्के ने सोचा था कि तुलसीराम को मौत के घाट उतार देने से बदनामी से छुटकारा और बसा बसाया घर टूटने से बच जाएगा, लेकिन पुलिस ने उन के मंसूबों पर पानी फेर कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. तुलसीराम की हत्या कर के सविता और उस का भाई हल्के आदिवासी जेल चले गए. सविता ने अपनी आपराधिक योजना में भाई को भी शामिल कर के अपने साथ भाई का भी घर बरबाद कर दिया. Love Crime

Crime ki Kahani : बेटी को प्रेमी संग रंगेहाथ पकड़ा फिर कैंची से की हत्या

Crime ki Kahani : कहते हैं कि इश्क की आग में जलते प्रेमी किसी भी हद तक जा सकते हैं, लेकिन जब कभी वह बेकाबू वासना को नियंत्रित नहीं कर पाते, तब अनहोनी की आशंका बढ़ जाती है. दिल्ली के करावल नगर की घटना एक ऐसे ही प्रेमी युगल की दास्तान है, जो वासना की भेंट चढ गया. करीब डेढ़ साल पहले दीपक दिल्ली में अपने चाचा रमेश के पास रहने गया था. वहां रह कर वह कोई काम सीखना चाहता था, लेकिन इसी बीच मार्च 2020 में लौकडाउन लगने पर वह वापस अपने घर बागपत लौट आया था. इस साल मार्च में दोबारा दिल्ली जाने वाला ही था कि तभी दोबारा लौकडाउन लग गया.

अब वह यही सोच रहा था कि जितनी जल्द हो सके यह लौकडाउन खुले, जिस से वह दिल्ली जाए. जून में जब दिल्ली का लौकडाउन खुल गया तो वह दिल्ली जाने के लिए मां से जिद करने लगा, ‘‘मम्मी मैं दिल्ली जाऊंगा.’’

‘‘क्यों बेटा अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है.’’ मां बोली.

‘‘लेकिन मम्मी, लौकाडाउन तो खत्म हो गया है.’’

‘‘वहां जा कर करेगा क्या?’’ मां ने पूछा.

‘‘कोई काम करूंगा. पैसे कमा कर लाऊंगा. वैसे भी यहां भी तो खाली हूं.’’

‘‘ठीक है, इस बारे में पहले मैं तेरे पापा से बात करूंगी,’’ मां बोली.

बागपत का रहने वाला दीपक अपनी मां से दिल्ली जाने की जिद पर अड़ा था. इस बारे में उस की मां ने अपने पति से बात की तो पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मिन्नत करने पर वह मान गए. अपने मातापिता को मना कर दीपक 2 जुलाई, 2021 को दिल्ली के करावल नगर में रह रहे अपने चाचा रमेश के पास आ गया. उस के मातापिता भले ही समझ रहे थे कि उन का बेटा दिल्ली काम करने के लिए गया है, लेकिन उस के दिल्ली आने की वजह कुछ और ही थी. रमेश करावल नगर में किराए के कमरे में अकेले रहते थे. उन के पास दीपक दिन में ही आ गया था. उस दिन वह अपने काम पर नहीं गए थे. क्योंकि उन की शिफ्ट बदल गई थी.

अचानक दीपक को आया देख वह चौंक गए. परिवार में सब का हालचाल लिया, फिर सुबह जो कुछ खाना पकाया था, वह उसे खाने को दिया. दीपक खाना खा कर अपने पुराने दोस्त से मिलने को कह कर निकल गया. उस के चाचा भी खानेपीने का सामान लाने बाजार चले गए. दीपक सीधा अपनी प्रेमिका पूजा के पास गया. पूजा भी उसे अचानक आया देख चौंक गई. लंबे समय बाद दीपक को देख वह उस के गले लिपट गई. कुछ पलों बाद वह अलग हुई और अपना नया मोबाइल नंबर दीपक को देते हुए बोली, ‘‘दीपक, तुम अभी चले जाओ, अब शाम को मिलना. मैं फोन करूंगी. क्योंकि अभी पापा आने वाले हैं.’’

‘‘ सब ठीक है न?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘ हांहां, मैं ठीक हूं. ये मास्क लो, लगा लेना नहीं तो फाइन भरना पड़ेगा.’’ पूजा ने मास्क दिया.

‘ पापा अभी भी नाराज हैं?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘ हां, लेकिन मैं उन्हें मना लूंगी. ये मोहल्ले वाले ही उन को हमेशा भड़काते रहते हैं.’’

‘‘ कोई बात नहीं, मैं अभी चलता हूं. फोन करूंगा. आज ही नया नंबर ले लूंगा.’’

उस समय पूजा के पिता सत्यवीर सिंह घर पर नहीं थे. गलीमोहल्ले वाले दीपक को अच्छी तरह से पहचानते थे. वह उस के और पूजा के संबंधों के बारे में जानते थे. उन्हें यह भी पता था कि उस की वजह से पिछले साल गली में कितना हंगामा खड़ा हो गया था. उस रोज भी दीपक का पूजा के घर जाना गली के अधिकतर लोगों ने देखा. उन्हीं में से एक ने सत्यवीर को दीपक के आने की जानकारी दे दी. यह भी हिदायत दी कि उस की बेटी पूजा की करतूत अभी भी ठीक नहीं है. उसे संभालें, अच्छे से समझाएं. उस की हरकतों का असर उन के बच्चों पर भी पड़ेगा. यह जान कर सत्यवीर अपनी बेटी पर आगबबूला हो गया था. उस ने पूजा को काफी डांटफटकार लगाई.

हालांकि सत्यवीर की डांट और चेतावनी का असर पूजा पर कुछ भी नहीं हुआ. इस का कारण भी था, वह दीपक से बेइंतहा प्यार करती थी. काफी समय से उस से मिलने को बेचैन थी. उस के मन में दीपक के लिए प्यार दबा हुआ था. उस के प्यार का उफान पिता की डांट से कहां थमने वाला था. दीपक की हालत उस से कहीं अधिक बेचैनी वाली थी. अब जा कर उसे मिलने का मौका मिला था. उस ने तुरंत एक सैकंडहैंड स्मार्टफोन खरीदा और अपने चाचा की आईडी से नया सिम कार्ड ले लिया. उस के एक्टिवेट होते ही सब से पहली काल उस ने प्रेमिका पूजा को कर के अपना नया नंबर सेव करने के लिए कहा.

उन की बातें फोन पर लगातार होने लगीं. पूजा ने फिलहाल उसे घर आने से मना किया था. इसी तरह 4-5 दिन निकल गए. दीपक पूजा से फिर मिलने को बेचैन हो गया था. उसे लग रहा था कि पास आ कर भी वह पूजा से दूर क्यों है? दीपक के मन में पूजा के लिए दबी कुंठाएं अब दबने का नाम ही नहीं ले रही थीं. ऐसा ही हाल पूजा का भी था. 7 जुलाई, 2021 की रात को दीपक ने पूजा को फोन कर के मिलने की जिद कर डाली. उस का मन प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन हो रहा था.

‘‘पूजा मेरी जान, नींद नहीं आ रही है. बताओ मैं क्या करूं?’’ दीपक ने अपनी बेचैनी का इजहार किया.

‘‘क्या करूं, मैं भी मिलना चाहती हूं, लेकिन ये मोहल्ले वाले हमारी मोहब्बत के दुश्मन बने बैठे हैं.’’ पूजा मायूसी से बोली.

‘‘क्या आज रात को मुलाकात हो सकती है? अभी तो मोहल्ले वाले सो रहे होंगे.’’ दीपक ने कहा.

‘‘कोशिश करती हूं, अभी रात के 10 बजे हैं. ’’ पूजा बोली.

‘‘अभी आ जाऊं?’’ दीपक ने कहा.

‘‘अभी नहीं, डेढ़ बजे आना. तब तक गली में सन्नाटा हो जाता है. पापा भी सोए होंगे.’’ इतना कह कर पूजा ने काल डिस्कनेक्ट कर दी.

यह सुन दीपक खुश हो गया. पूजा द्वारा डेढ़ बजे बुलाने से उस के मन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी. वह तुरंत कमरे से बाहर निकला. सीधा मैडिकल स्टोर गया. कंडोम का पैकेट खरीदा. किराने की दुकान से गली के कुत्तों को चुप कराने के लिए बिसकुट का एक पैकेट भी खरीद लिया. फिर कमरे पर वापस आ कर रात के डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा. क्योंकि यह रात उस के जीवन की सब से अनोखी रातों में से एक होने वाली थी. जिसे बारबार सोच कर ही वह पागल हुए जा रहा था. दीपक और पूजा के घर में करीब 5 मिनट के पैदल की दूरी थी. दीपक के मन में वासना की इतनी बेताबी थी कि उसे डेढ़ बजे तक का इंतजार बड़ा लंबा लग रहा था. इसलिए वह रात को एक बजे ही अपने घर से पूजा से मिलने निकल पड़ा.

गली में सन्नाटा था, फिर भी इक्कादुक्का आतेजाते लोगों से नजरें बचाता हुआ पूजा के घर के बाहर जा पहुंचा. आसपास टहलते कुत्तों के सामने साथ लाए बिसकुट फेंक दिए. उस के घर के नीचे बैठ कर डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा.  रात के डेढ़ बजते ही पूजा हल्के कदमों से दरवाजे की कुंडी खोल नीचे उतरी. दरवाजा आधा खोल दीपक का कालर पकड़ा और अपने मुंह पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया. पूजा के इशारे पर दीपक आहिस्ता से उस के पीछेपीछे हो लिया. दोनों सीढि़यों से ऊपर चढ गए. सीढि़यां खत्म होते ही सामने बाथरूम था. पूजा ने बिना किसी आवाज के दीपक को अंधेरे में ही बाथरूम में जाने का इशारा किया और वह खुद अपने कमरे के दरवाजे पर लगा परदा हटा कर देखने लगी.

जब वह आश्वस्त हो गई कि घर में कोई जागा तो नहीं है, तब वह भी उसी बाथरूम में घुस गई, जहां दीपक पहले से था. दोनों ने बंद दरवाजे के पीछे बिना किसी शोर के अपनी सारी दबी इच्छाएं शांत कीं. इतने महीनों से दोनों के मन में जो हसरतें दबी हुई थीं, चुपचाप वह पूरी कर लीं. पूजा को इस बात का अंदेशा नहीं था कि उस के पिता की नींद टूट चुकी है. पिता सत्यवीर ने आधी नींद में ही उठ बाथरूम जाने के लिए कदम बढ़ाए. इस की पूजा को भनक तक नहीं लगी और न ही दीपक को एहसास हुआ. सत्यवीर ने बाथरूम का दरवाजा बाहर की ओर खोलने की कोशिश की. बंद पा कर कुछ समय रुक कर सोचने लगा कि शायद बाथरूम में पूजा हो. उस ने दरवाजे पर 2 थपकी देते हुए धीमी आवाज में कहा, ‘‘पूजा, जल्दी निकल.’’

यह सुनते ही अर्धनग्नावस्था में पूजा और दीपक सिहर उठे. पूजा डर गई. वह कांपने लगी. हड़बड़ाहट में जैसेतैसे कुछ अपने कपड़े पहने और कुछ हाथों में उठा लिए. उस में कुछ कपड़े दीपक के भी आ गए थे. उसे कुछ नहीं सूझा और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर निकल दौड़ती हुई अपने कमरे की ओर भाग चली. इसी बीच दीपक का बनियान और अंडरवीयर दरवाजे पर गिर गया. बाथरूम में अब केवल दीपक अकेला रह गया था. सत्यवीर अपनी बेटी को इस तरह से भाग कर कमरे की ओर जाते देख चौंक गया. उस के पैर पर कपड़ा गिरने का एहसास हुआ. उस ने बाथरूम की लाइट जलाई. लाइट जलते ही नीचे गिरा जेंटस का कपड़ा देख कर वह भुनभुनाने लगा.

तभी बाथरूम में दीपक नजर आया. वह नीचे झुक कर कुछ ढूंढ रहा था. केवल शर्ट पहने था. पैंट हाथ में पकड़े हुए था. यह देख सत्यवीर सन्न रह गया. उस की आंखों में बचीकुची नींद पूरी तरह उड़न छू हो गई. सत्यवीर ने देरी किए बगैर दीपक का हाथ पकड़ कर बाथरूम से बाहर खींचा. उस के कपड़े को दिखाते हुए बोला, ‘‘ यही ढूंढ रहा है, बदतमीज!’’

दीपक को बाहर निकालते ही उस के गालों पर जोरदार 2 थप्पड़ जड़ दिए. थप्पड़ खा कर दीपक तिलमिला गया. स्तब्ध हो जड़वत दीपक पर सत्यवीर ने दनादन 2-4 थप्पड़ और जड़ दिए. दीपक को जरा भी आभास नहीं था कि वह इस बार पकड़ा जाएगा. दरअसल वह पूजा के इश्क में इस कदर डूबा हुआ था और वासना की आग में जल रहा था कि इस बारे में कोई विचार ही नहीं आया था. जिस का उसे गहरा सदमा लगा था. दीपक की आंखों से आंसू निकल आए. वह सत्यवीर के पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगा, लेकिन तब तक सत्यवीर का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था.

उस ने दीपक को बगल के खाली कमरे में ले जाकर बंद कर दिया. पूजा का कमरा बाहर से बंद किया और अपने कमरे से बेल्ट ले कर आया. कमरे का दरवाजा बंद कर बेल्ट से दीपक की जम कर पिटाई करनी शुरू कर दी. उसी दौरान उस ने उस के ऊपर कैंची से भी वार किए. दीपक  छोड़ देने की भीख मांगता रहा, लेकिन सत्यवीर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. बेल्ट से हमला करने की वजह से दीपक के कई नाजुक हिस्सों पर चोट लगी जिस से वह अधमरा हो गया. सत्यवीर गुस्से में अपना आपा पूरी तरह से खो चुका था. उस ने पहले से जख्मी दीपक के हाथ पैर रस्सी से कस कर बांध दिए.

8 जुलाई, 2021 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र में लोग अधखुली आंखों से बिस्तर छोड़ अपनेअपने काम की तैयारी में जुट गए थे. कई लोग अपनी दुकानें खोलने में लग गए थे, तो कुछ लोग अपने कामधंधे के लिए निकल पड़े थे. इसी बीच करावल नगर के भगत विहार में स्थित वर्ल्ड जिम के पास एक लाश पड़ी होने की खबर फैल गई. अधनंगी औंधे मुंह लाश जिम के बाहर पड़ी थी. शरीर पर काफी निशान थे. पास खड़े लोग निशानों को देख हैरान थे. उन से खून भी रिस रहा था. कहीं खून सूख भी चुका था, लेकिन उस के पहने कपड़े खून से सने हुए और गीले थे.

उस के शरीर को देख कर कोई भी यह अंदाजा लगा सकता था की उस की मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से हुई होगी. निश्चित तौर पर किसी ने पीटपीट कर उस की हत्या की. जरूर वह किसी बदले का शिकार हुआ. देखते ही देखते जिम के बाहर लाश देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी. लोग आपस में खुसरफुसर करने लगे. इसी बीच किसी ने दिल्ली पुलिस के 100 नंबर पर फोन कर इस की सूचना दे दी. सूचना पा कर पुलिस कंट्रौल रूम की टीम वहां पहुंच गई. कुछ देर बाद स्थानीय करावल नगर थाने से थानाप्रभारी रामअवतार अपने साथ इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार और एसआई मनदीप पुखाना को साथ ले कर मौके पर पहुंच गए.

दोनों अधिकारियों ने सब से पहले लाश की शिनाख्त करने के लिए वहां मौजूद लोगों से उस के बारे में पूछताछ की. कुछ ही देर में डीसीपी भी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश 19-20 साल के युवक की लग रही थी. घटनास्थल पर मौजूद भीड़ में से एक व्यक्ति ने बताया कि लाश करावल नगर के दयालपुर स्थित रामा गार्डन में रहने वाले दीपक की है. वह अपने चाचा रमेश के साथ रहता था. मृतक की जेब से कंडोम का पैकेट भी मिला, उस के चेहरे पर भी काफी जख्म के निशान थे. कंडोम का पैकेट बरामद होने से पुलिस उस की मौत का कारण समझ गई. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए पास के शाहदरा में स्थित जगप्रवेश चंद्र अस्पताल भेज दी.

शुरुआती जांच से पुलिस को मृत व्यक्ति की पहचान की तो जानकारी मिल गई कि मृतक का नाम दीपक है. इस हत्या की वजह तलाशनी बाकी थी. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने मौके पर मौजूद कुछ और लोगों से बात कर मृतक दीपक के बारे में शुरुआती जानकारी जुटा ली थी. डीसीपी संजय सैन के निर्देश पर राजेंद्र कुमार रमेश के घर पहुंचे तब मालूम हुआ कि रमेश पहले से ही दीपक की तलाश कर रहा है. वह काफी परेशान दिखा. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार को रमेश ने बताया कि दीपक बीती रात से ही घर से गायब था. पुलिस ने रमेश से उस की किसी के साथ दुश्मनी की बात, किसी से पैसे के लेनदेन या किसी झगड़े में शामिल होने के बारे में पूछा.

इस पर रमेश ने साफ तौर पर मना कर दिया. हालांकि पुलिस ने महसूस किया कि रमेश कुछ बातें छिपा रहा है. जब उस से सख्ती से पूछा, तब रमेश ने कुछ और जानकारी दी. रमेश ने बताया कि दीपक 2 जुलाई, 2021 को ही अपने गांव बागपत से दिल्ली लौटा था. रमेश ने बताया कि दीपक का पास में ही रहने वाले सत्यवीर की बेटी पूजा के साथ अफेयर था. इस अफेयर के बारे में मोहल्ले में रहने वाले कई लोगों को पता भी था. इस पूछताछ के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद आए शव की पहचान के लिए रमेश को अस्पताल में बुलाया. लाश देखने के बाद रमेश अस्पताल में ही फूटफूट कर रोने लगा. रोते हुए बोला, ‘‘ये हत्या उसी लड़की की वजह से हुई है.’’

दरअसल उत्तर प्रदेश के बागपत का रहने वाला 18 वर्षीय दीपक, दिल्ली के करावल नगर में अपने चाचा रमेश के घर बचपन से ही रहता था. दीपक के परिवार में उस के मातापिता की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कई सालों से उन्होंने पढ़ाई के लिए दिल्ली में रमेश के पास उसे छोड़ दिया था. दीपक पढ़नेलिखने में कमजोर था, और उस का ध्यान पढ़ाईलिखाई के अलावा मटरगश्ती में ज्यादा लगा रहता था. उस की इसी मटरगश्ती वाली आदतों की वजह से उस के चाचा रमेश ने उसे 10वीं पास होने पर सेकंडहैंड स्मार्टफोन खरीद कर दिया था. ताकि उस से संपर्क बना रहे और पता लगाया जा सके कि वह कहां हैं?

साल 2019 में जब वह 11वीं क्लास में था और जिस ट्यूशन सेंटर पर वह पढ़ने के लिए जाता था, वहां उस की मुलाकात पूजा से हुई थी. पूजा दीपक से एक क्लास जूनियर थी. दोनों ही इलाके के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन उन के स्कूल अलगअलग थे. पूजा के अफेयर को अभी सिर्फ 4-5 महीने ही हुए थे कि 2020 में कोरोना की वजह से लौकडाउन लग गया. लौकडाउन के दौरान दीपक और पूजा के संपर्क का एकलौता जरिया फोन ही था. दोनों का ही लौकडाउन की वजह से स्कूल, ट्यूशन, घूमनाफिरना सब बंद हो गया था. दोनों अपनेअपने घरों में मानो कैद हो गए थे.

पूजा के पास अपना कोई फोन नहीं था, लेकिन वह घर में मौजूद फोन से अकसर दीपक को फोन कर उस से बात किया करती थी. उन की उम्र ही ऐसी थी कि वे प्यार में बंधते चले गए. दोनों का पहला प्यार दैहिक आकर्षण में भी बदल गया. एकदूसरे के लिए बेचैनियां और फिक्र दोनों होने लगी.  कोरोना की वजह से लौकडाउन के चलते बनी सामाजिक और शारीरिक दूरी ने उन की बेचैनियों को और बढ़ा दिया. ऐसे में दोनों के परिवार में शक होना आम बात थी. दीपक को दिन भर फोन पर लगा देख उस के चाचा रमेश को शक हुआ कि कहीं यह किसी बुरी संगत में तो नहीं पड़ गया. इसलिए जैसे ही सरकार ने लौकडाउन में ढील दी, तभी रमेश ने अपने भतीजे दीपक को आनंद विहार बस अड्डा से प्राइवेट बस के जरिए उस के मांबाप के घर बागपत भेज दिया.

दूसरी तरफ पूजा के पिता सत्यवीर सिंह को भी अपनी बेटी को दिन भर फोन पर लगे रहने की वजह से शक होने लगा था. उस के शक को कुछ पासपड़ोस वालों ने भी बढ़ा दिया. तब उस ने अपनी बेटी पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं. जब भी पूजा के हाथों में फोन होता वह उसे डांट देता. वह कुछ भी करती तो उस पर वह नजर रखी जाती. फिर भी पूजा अपने पिता की नजरों से बचते हुए कहीं से भी फोन का जुगाड़ कर दीपक से बात कर लिया करती थी. इन पाबंदियों और रोकाटोकी के बीच दीपक और पूजा के बीच प्रेम संबंध और भी गहरा हो गया था. पूजा पर उस के पिता द्वारा शक करने की वजह से वह अकसर रात को ही अपने प्रेमी दीपक से बातें किया करती थी.

कई बार तो दोनों पूरी रात बातें करते रह जाते थे. उन के बीच घर, परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, फिल्में, सीरियल, फैशन, कपड़े आदि हर तरह की बातें होती थीं. यहां तक कि वे सैक्स संबंधी बातें भी किया करते थे. जब दीपक अपने घर चला गया था, तब पूजा बारबार दीपक को फोन कर के दिल्ली आने को कहती थी. दीपक पूजा के लिए दिल्ली वापस आना तो चाहता था, लेकिन उस के मातापिता उसे आने से रोक रहे थे. किसी तरह दीपक ने अपने मातापिता को दिल्ली जाने के लिए राजी कर लिया था. पुलिस को जब पूजा के साथ दीपक के प्रेम संबंध की जानकारी मिली तब इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूजा और उस के पिता को भी थाने बुलाकर पूछताछ की गई.

थाने में पूजा ने अपने और दीपक के प्रेम संबंधों को स्वीकार लिया. उस के पिता ने भी अपना जुर्म मान लिया. उस ने बताया कि ऐसा उस ने अपनी बेटी की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने के कारण किया. उस ने दीपक को जब पकड़ा था, तब वह अपने बेकाबू गुस्से को रोक नहीं पाया. उस ने बताया कि उस ने कैंची से भी दीपक के ऊपर वार किए थे. जिस की वजह से दीपक के शरीर से खून निकल आया. खून लगातार बहने की वजह से दीपक बेहोश हो गया. उधर कमरे में पूजा बिस्तर में तकिए के नीचे अपना मुंह दबाए रोए जा रही थी. उसे कोई अंदाजा ही नहीं था कि दीपक के साथ उस के पिता ने क्या किया है.

कुछ ही देर में ज्यादा खून बह जाने की वजह से दीपक का दम निकल गया. जब दीपक ने बिलकुल हिलनाडुलना बंद कर दिया तो उस का गुस्सा शांत हुआ. इस के बाद वह घबरा गया. लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सत्यवीर ने बताया कि दीपक की हालत देख कर उस के दिमाग में तरहतरह के खयाल पैदा होने लगे. जिस से उस के मन में बेहद खौफ पैदा हो गया था. इस के लिए उस ने रात के 3 बजे मोहल्ले में ही रहने वाले जानकार अनुज को फोन किया. 5-6 बार फोन किया तो उस ने नहीं उठाया, लेकिन 5 मिनट के बाद अनुज का ही उस के पास फोन आया. तब उस ने उसे ये सारा किस्सा फोन पर बताया और जल्द ही घर आने के लिए कहा. करीब 5 मिनट के बाद ही अनुज अपनी बाइक पर सत्यवीर के घर आ गया.

सत्यवीर और अनुज ने दीपक को पहले उल्टेसीधे कपड़े पहनाए फिर उस के शव को सीढि़यों से नीचे उतारा और उसे बाइक पर बीच में बैठा कर अपने घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर करावल नगर के भगत विहार में स्थित वर्ल्ड जिम के बाहर डाल आए. सत्यवीर के जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस ने उसे हत्या कर लाश ठिकाने लगाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया. बाद में लाश ठिकाने लगवाने वाले दूसरे आरोपी अनुज ने थाने में सरैंडर कर दिया. जहां से उसे भी जेल भेज दिया गया. Crime ki Kahani

(कथा में पूजा परिवर्तित नाम है, कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

Love Crime : एकतरफा प्रेमी ने ली प्रेमिका की सहेली की जान

Love Crime : 10 जुलाई, 2023 को रात के लगभग 8 बजे का वक्त रहा होगा, दिव्या रोज की तरह अपनी सहेली अक्षया यादव की स्कूटी पर बैठ कर कोचिंग से घर वापस लौट रही थी. उन दोनों सहेलियों में से किसी को जरा भी अनुमान नहीं था कि मौत दबे पांव उन की ओर बढ़ी आ रही है.

उसी समय अक्षया की स्कूटी के नजदीक से एक बाइक गुजरी. उस पर 4 नवयुवक सवार थे. बाइक पर सवार उन युवकों में से 2 के हाथ में देशी पिस्टल थी. उन चारों में से 2 को पहचानने में अक्षया और उस की सहेली दिव्या ने भूल नहीं की. वे दोनों आर्मी की बजरिया में रहने वाले सुमित रावत और उपदेश रावत थे.

एक नजर चारों तरफ देखने के बाद सुमित नाम के युवक ने रुकने का इशारा कर के अक्षया को बेटी बचाओ चौराहा (मैस्काट चिकित्सालय) के पास रोक लिया.

सडक़ पर ही सुमित और दिव्या में होने लगी नोंकझोंक

अक्षया के स्कूटी रोकते ही सुमित दिव्या से बात करने लगा. कुछ ही पल की बातचीत में दिव्या और सुमित में नोंकझोंक शुरू हो गई. दोनों के बीच सडक़ पर नोंकझोंक होती देख उधर से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने महज शिष्टाचार निभाते हुए रुक कर सुमित को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सुमित ने लोगों से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी हम दोनों के बीच में आया तो उसे सीधे यमलोक पहुंचा दूंगा.

इतना ही नहीं, सुमित और उस के साथ बाइक पर सवार हो कर आए अपराधी किस्म के साथी तमंचा दिखा कर राहगीरों को बिना किसी हिचकिचाहट के धमकाने लगे. सुमित को समझाने की कोशिश में लगे राहगीर उन युवकों के हाथों में तमंचा देख डर कर दूर हट गए.

राहगीरों के दूर हटते ही सुमित दिव्या को धमकाने लगा, “सोनाक्षी, मैं तुम्हें हमेशा के लिए भूल जाऊं, ये कभी नहीं हो सकता. और मेरे रहते किसी भी सूरत में तुम्हें अपने से मुंह नहीं फेरने दूंगा. अब अपनी जान की खैरियत चाहती हो तो चुपचाप जैसा में कहूं वैसा करो, वरना तुम्हारी लाश ही यहां से जाएगी.

अपनी आगे की जिंदगी का निर्णय खुद तुम्हें लेना है, मेरे साथ दोस्ती रखना चाहती हो याा नहीं? तुम और तुम्हारी मां ने मुकदमा दर्ज करा कर मुझे जेल भिजवा कर मेरी जिंदगी को तबाह कर के रख दिया है. अब बचा ही क्या है मेरी जिंदगी में.”

“सुमित, तुम कान खोल कर सुन लो, सिर्फ मेरी मां ही नहीं मैं भी तुम से नफरत करती हूं. मैं अपने जीते जी तुम जैसे घटिया इंसान से कभी भी दोस्ती नहीं रखूंगी, ये मेरा आखिरी निर्णय है.” दिव्या ने भी उसे साफ बता दिया.

दिव्या का यह फैसला सुन कर सुमित की त्यौरियां चढ़ गईं. उस ने दिव्या को भद्दी सी गाली देते हुए कहा, “साली, तू और तेरी मां अपने आप को समझती क्या है?”

दिव्या की जान खतरे में देख कर सडक़ चल रहे किसी राहगीर ने समूचे घटनाक्रम की सूचना माधोगंज थाने को दे दी.

दिव्या पर चली गोली से अक्षया की गई जान

इस से पहले कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंच पाती, सुमित ने बिना एक पल गंवाए देशी कट्टे का रुख दिव्या की ओर कर गोली दाग दी, लेकिन दुर्भाग्यवश गोली दिव्या को न लग कर उस की सहेली अक्षया के सीने में जा धंसी. उस के शरीर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. इस के बाद वे सभी युवक वहां से फरार हो गए. मदद के लिए आगे आए राहगीर अक्षया को बगैर वक्त गंवाए आटोरिक्शा में डाल कर जेएएच अस्पताल ले गए.

यह खबर समूचे शहर में आग की तरह फैल गई. देखते ही देखते घटनास्थल पर लोगों का जमघट लग गया. मृतका स्व. मेजर गोपाल सिंह व पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव की नातिन थी और घटनास्थल के करीब ही सिकंदर कंपू में रहती थी.

इसी दौरान किसी परिचित ने फोन से इस घटना की खबर अक्षया के पापा शैलेंद्र सिंह को दे दी. शैलेंद्र सिंह को जैसे ही अपनी एकलौती बेटी के गोली लगने की खबर लगी, वह और उन की पत्नी विक्रांती देवी हैरत में पड़ गए. क्योंकि वह काफी विनम्र स्वभाव की थी तो किसी ने उसे गोली क्यों मार दी? अक्षया को गोली मारे जाने की खबर से समूचे सिकंदर कंपू इलाके में सनसनी फैल गई.

सरेराह बेटी को गोली मारे जाने की सूचना मिलने के बाद शैलेंद्र सिंह कार से पत्नी विक्रांती देवी को साथ ले कर अस्पताल के लिए निकले, लेकिन रास्ते में उन की कार सडक़ खुदी होने से फंस कर रह गई. इस के बाद वे अपने दोस्त की गाड़ी से अस्पताल पहुंचे, लेकिन बेटी का इलाज शुरू होने से पहले ही उस ने दम तोड़ दिया.

हत्यारे अपना काम करके हथियार लहराते हुए मौकाएवारदात से चले गए. तब माधोगंज थाने के एसएचओ महेश शर्मा पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंचे. वहां पहुंचने के बाद उन्होंने आसपास के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की. घटनास्थल पर 2 पुलिसकर्मियों को छोड़ कर वह जेएएच अस्पताल की ओर चल पड़े. वारदात की सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी.

खबर पा कर एसपी राजेश सिंह चंदेल, एसपी (सिटी पूर्व, अपराध) राजेश दंडोतिया, एसपी (सिटी पश्चिम) गजेंद्र सिंह वर्धमान, सीएसपी विजय सिंह भदौरिया सहित क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अमर सिंह सिकरवार भी अस्पताल पहुंच गए. वहां मौजूद मृतका के मम्मीपापा को ढांढस दिलाते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि हत्यारों पर ईनाम घोषित कर दिया गया है. सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

उधर डाक्टरों के द्वारा अक्षया को मृत घोषित करते ही एसएचओ महेश शर्मा ने जरुरी काररवाई निपटाने के बाद अक्षया की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मृतका की 16 वर्षीया सहेली दिव्या शर्मा निवासी बारह बीघा सिकंदर कंपू की तहरीर पर सुमित रावत, उस के बड़े भाई उपदेश रावत सहित 2 अज्ञात युवकों के खिलाफ भादंवि की धारा 307,34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों को पकडऩे के लिए तत्काल संभावित स्थानों पर दबिश देनी शुरू कर दी थी, लेकिन हत्यारे हाथ नहीं लगे. क्योंकि आरोपी घर छोड़ कर फरार हो चुके थे. अनेक स्थानों पर असफलता मिलने के बावजूद पुलिस टीम हताश नहीं हुई.

पुलिस आरोपियों की तलाश बड़ी ही सरगर्मी से कई टीमों में बंट कर कर रही थी, लेकिन शहर के बहुचर्चित अक्षया हत्याकांड के हत्यारे पता नहीं किस बिल में जा कर छिप गए थे. अक्षया की हत्या हुए तकरीबन 24 घंटे होने को थे, लेकिन उस के हत्यारों को पकडऩे की बात तो दूर, पुलिस को उन का कोई सुराग तक नहीं मिला था.

12 जुलाई, 2023 की सुबह का समय था, तभी एक मुखबिर ने पुलिस को बताया कि अक्षया के जिन हत्यारों को वह तलाश रही है, उन में से एक आरोपी उपदेश रावत कोट की सराय डबरा हाईवे पर अपनी ससुराल में छिपा हुआ है. यह खबर मिलते ही क्राइम ब्रांच व थाना माधोगंज की टीम ने मुखबिर के द्वारा बताई जगह पर छापा मार कर मुख्य आरोपी सुमित रावत के बड़े भाई उपदेश रावत को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अलगअलग राज्यों से किए 7 आरोपी गिरफ्तार

10 हजार रुपए के ईनामी उपदेश को पुलिस टीम ने थाने ला कर उस से अक्षया यादव की हत्या के संदर्भ में पूछताछ शुरू की. पहले तो उपदेश अपने आप को निर्दोष बता कर पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो वह टूट गया.

उस ने पूछताछ में खुलासा किया कि इस हत्याकांड में 7 लोग शामिल थे. उक्त वारदात को अंजाम देने से पहले हत्या का षडयंत्रकारी सुमित रावत 6 जुलाई को अपने दोस्तों के साथ कंपू स्थित होटल में रुका था. होटल में 7 जुलाई को विवाद होने पर वह अपने दोस्तों के साथ लाज में ठहरने चला गया था. इस वारदात से पहले तक लाज में ही ठहरा था.

यहीं पर हिस्ट्रीशीटर बाला सुबे के साथ बैठ कर दिव्या और उस की मां करुणा की हत्या की उस ने योजना बनाई थी. इन दोनों की हत्या के लिए हथियारों का इंतजाम भी बाला सुबे ने ही कराया था.

पूछताछ में यह भी पता चला कि हत्या वाले दिन से ठीक एक दिन पहले इस हत्याकांड में उस का नाम न आए, इसलिए शातिरदिमाग बाला सुबे एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के धुले में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया था. धुले में सुमित रावत व उस के सहयोगी विशाल शाक्य की फरारी की व्यवस्था बाला सुबे ने ही कर रखी थी.

योजनानुसार उपदेश और उस के छोटे भाई सुमित अपने 2 साथियों विशाल शाक्य व मनोज तोमर एक बाइक पर तथा दूसरी बाइक पर राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर ने सवार हो कर मृतका व उस की सहेली की रेकी की थी.

आरोपियों के नामों का खुलासा होने पर पुलिस ने बिना देरी किए सातों आरोपियों की कुंडली खंगाली और सभी आरोपियों सुमित रावत, उपदेश रावत,विशाल शाक्य, मनोज तोमर, राकेश सिकरवार, अशोक गुर्जर सहित बाला सुबे को अलगअलग राज्यों से हिरासत में ले लिया. मुख्य आरोपी सुमित रावत से की पूछताछ के बाद अक्षया हत्याकांड की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.

16 वर्षीय दिव्या ग्वालियर शहर के बारह बीघा सिकंदर कंपू के रहने वाले विवेक शर्मा की बेटी थी. दिव्या एक होनहार छात्रा थी. इन दिनों वह ग्यारहवीं की तैयारी कर रही थी. उस ने सुमित के बारे में अपनी मां से कुछ भी नहीं छिपाया था.

सुमित उस का 3 साल पुराना फेसबुक फ्रैंड अवश्य था, लेकिन अपराधी प्रवृत्ति का था. जैसे ही उसे सुमित की हकीकत पता चली तो उस ने उसे ब्लौक कर दिया. ब्लौक किए जाने के बाद सुमित दिव्या को फोन ही नहीं करने लगा, बल्कि उस ने प्यार का इजहार भी कर दिया.

सिरफिरा आशिक निकला सुमित रावत

दिव्या के लिए तो यह परेशानी वाली बात थी. वह उस से इसलिए नाराज थी कि पहले तो उस ने शरीफ युवक बन कर उस से दोस्ती की और जैसे ही सारी हकीकत सामने आई तो फोन पर प्यार का इजहार करने लगा. सुमित के इस दुस्साहस से नाराज दिव्या ने उसे जम कर लताड़ा और आइंदा कभी फोन न करने की हिदायत दी.

लेकिन सुमित नहीं माना. दिव्या द्वारा उस की काल रिसीव न करने पर वह उसे मैसेज करने लगा. इस से दिव्या और उस की मां करुणा को लगा कि सुमित अव्वल दरजे का बेशर्म और सिरफिरा लडक़ा है, यह मानने वाला नहीं है, इसलिए उन दोनों ने उस पर गौर करना बंद कर दिया और दिव्या अपनी पढ़ाई में मन लगाने लगी.

जब दिव्या सुमित की फोन काल और मैसेज की अनदेखी करने लगी तो सुमित उस की मम्मी करुणा शर्मा को फोन कर दिव्या से बात कराने की हठ करने लगा. करुणा शर्मा ने सख्ती दिखाते हुए बात कराने से उसे मना कर दिया तो कभी वह करुणा शर्मा के गुढ़ा स्थित सेंट जोसेफ स्कूल पहुंच कर हडक़ाने लगता था.

करुणा शर्मा पेशे से शिक्षक हैं, पति का निधन हो जाने के बाद से वह प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर अपने बेटेबेटी का पालनपोषण कर रही हैं. उन के दिव्या के अलावा एक 12 वर्षीय बेटा है.

दिव्या काफी होशियार और समझदार लडक़ी थी. उस का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और कैरियर पर रहता था. अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उस ने अपनी सहेली के साथ लक्ष्मीबाई कालोनी में कोचिंग जौइन कर रखी थी और बारह बीघा सिकंदर कंपू क्षेत्र में सुकून के साथ अपनी मां और छोटे भाई के साथ रह रही थी.

दिव्या के साथ उस की मम्मी को भी धमकाना शुरू कर दिया सुमित ने

बेहद हंसमुख और खूबसूरत दिव्या का अधिकांश समय पढ़ाईलिखाई में बीतता था. दिन में फुरसत के वक्त वह सोशल मीडिया फेसबुक पर बिता देती थी. फेसबुक का उपयोग करते वक्त क्याक्या ऐहतियात बरतनी चाहिए, उस के बारे में भी उसे जानकारी थी. इसलिए अंजान लोगों और खासकर लडक़ों से वह दोस्ती नहीं करती थी. लेकिन सुमित के मामले में वह भूल कर बैठी, जिसे वक्त रहते उस ने सुधार लिया था.

हालांकि सुमित से चैटिंग के दौरान दिव्या ने अंतरंग बातें कर ली थीं, जो स्वाभाविक भी थी, क्योंकि वह तो उसे बेहद शरीफ समझ रही थी. उसे इस बात का कतई अहसास नहीं था कि इस मासूम से चेहरे के पीछे हैवानियत और वहशीपन छिपा है, लेकिन जैसे ही दिव्या ने सुमित से दूरी बनानी शुरू की तो उस ने उस की मम्मी के साथ बदसलूकी और उन्हें धमकाना शुरू कर दिया. तब दिव्या को अपनी ग़लती का अहसास हुआ.

सुमित दिव्या शर्मा के पीछे इस कदर हाथ धो कर पड़ा था कि उस की कारगुजारियों का खुल कर विरोध करने वाली करुणा शर्मा को भी उस ने नहीं छोड़ा था. सुमित ने उन के साथ भी सरेराह उसी रास्ते पर कट्टा अड़ा कर छेड़छाड़ की थी, जहां दिव्या की सहेली अक्षया यादव की हत्या को अंजाम दिया था.

तब अंत में दिव्या ने कंपू थाने में सुमित रावत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. उस की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

बात 18 नवंबर, 2022 की है. रोज की तरह सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका करुणा शर्मा अपने नाबालिग बेटे के साथ सुबह के समय स्कूल जा रही थीं. वह जैसे ही कंपू थाना क्षेत्र स्थित हनुमान सिनेमा तिराहे के निकट पहुंची ही थी कि तभी अचानक सुमित रावत आ धमका. उस ने उन का रास्ता रोक कर सरेराह बिना किसी संकोच के उन के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी.

मां के साथ सुमित रावत द्वारा की जा रही छेड़छाड़ को देख कर बेटा बुरी तरह से खौफजदा हो गया था. करुणा ने सुमित की इस हरकत का खुल कर विरोध किया तो वह बौखला गया. उस ने कट्टा निकाल कर करुणा के सीने से लगा दिया. सुमित खुलेआम कट्टे की नोंक पर राहगीरों के सामने करुणा के साथ छेड़छाड़ करता रहा, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया.

सुमित जान से मारने की धमकी दे कर कट्टा लहराते हुए भाग गया. इस घटना के बाद करुणा ने थाने पहुंच कर सुमित के खिलाफ भादंवि की धारा 341, 354, 345, 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी. इस के बाद पुलिस ने सुमित को दबोच कर जेल भेज दिया था. करुणा शर्मा अभी तक उस घटना को नहीं भूल सकी हैं.

उधर अक्षया यादव हत्याकांड में संलिप्त सातों आरोपियों को अलगअलग जगहों से गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त 2 देशी कट्टे और बाइक बरामद करने के बाद मुख्य अभियुक्त सुमित रावत , उपदेश रावत, विशाल शाक्य सहित बाला सुबे को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया, जबकि अन्य तीन आरोपियों के नाबालिग होने की वजह से बाल न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन तीनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.

गौरतलब बात है कि सुमित रावत पर पुलिस के मुताबिक 2 हत्या सहित आधा दरजन प्रकरण दर्ज हैं. इसी क्रम में बाला सुबे पर 27 आपराधिक मामले, उपदेश रावत पर मारपीट और गोली चलाने के 7 मामले, विशाल शाक्य पर गोली चलाने का एक प्रकरण दर्ज है.

72 घंटे में पुलिस की आधा दरजन टीमों के द्वारा महाराष्ट्र, दिल्ली और धौलपुर से अक्षया यादव हत्याकांड में शामिल सातों आरोपियों को दबोचे जाने के बाद एडिशनल डीजीपी डी. श्रीनिवास वर्मा, एसपी राजेश सिंह चंदेल व एडिशनल एसपी राजेश डंडोतिया ने संयुक्त रूप से प्रैस कौन्फ्रैंस कर पत्रकारो को अपराधियों के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी सुमित रावत को जब पुलिस की टीम ग्वालियर ले कर आ रही थी, तभी उस ने घाटीगांव पनिहार के बीच लघुशंका के बहाने पुलिस का वाहन रुकवाया और वाहन से उतरते ही भागने का प्रयास किया. इस प्रयास में गिर जाने से उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, अत: उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 17 जुलाई को अस्पताल ने उसे डिस्चार्ज कर दिया तो न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

हकीकत यह थी कि सुमित दिव्या से एकतरफा प्यार करने लगा था और उस के इंकार करने से बुरी तरह बौखला गया था. फेसबुक की दोस्ती में ऐसे अपराध वर्तमान दौर में आम हो चले हैं, जिन का शिकार दिव्या जैसी भोलीभाली लड़कियां हो रही है. ऐसे में उन्हें और ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है.

दिव्या उस का पहला प्यार था और उस के ठुकरा देने से वह उस से नफरत करने लगा था. उस की इसी नफरत की आग ने बेकुसूर छात्रा अक्षया यादव की जान ले ली. हालांकि अक्षया की हत्या के बाद उस के मातापिता की शेष जिंदगी तो अब दर्द में ही निकलेगी.

ताउम्र ये सवाल चुभेगा कि हमारी लाडली बिटिया ही क्यों? लेकिन पुलिस के लिए यह सिर्फ एक केस नंबर रहेगा. कुछ समय बाद ये नंबर भी शायद ही किसी को याद रहे. बेटी के बदमाशों के हाथों मारे जाने के गम का बोझ तो मातापिता को ही उठाना होगा. Love Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मनोज तोमर, राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर परिवर्तित नाम हैं.

Hindi love Story in Short : अपने अस्पताल की मैनेजर से चक्कर डाक्टर पत्नी खल्ल्लास

Hindi love Story in Short : मैडिकल की पढ़ाई करने के दौरान ही राकेश रोशन और सुरभि राज को प्यार हो गया. फेमिली वालों की मरजी के बिना दोनों ने शादी भी कर ली थी. आगे चल कर दोनों ने एक आधुनिक अस्पताल बनवाया. अस्पताल में तैनात एचआर मैनेजर अलका से डा. राकेश की आंखें 4 हो गईं. इन दोनों की जुनूनी मोहब्बत में 35 वर्षीया डा. सुरभि राज ऐसी पिसी कि…

”यार अलका, आजकल मैं बहुत टेंशन में रहता हूं,’’ डा. राकेश रोशन ने अपनी प्रेमिका अलका से आगे कहा, ”लगता है सुरभि को हमारे संबंधों पर शक हो गया है. तभी तो वह आजकल मुझ से उखड़ीउखड़ी सी रहती है और हम दोनों पर नजर भी गड़ाए हुए है कि मैं कहां जा रहा हूं? तुम से कब मिल रहा हूं? हमारे बीच बात क्या हो रही है…’’

”हां, मुझे भी ऐसा लगता है कि सुरभि मैम को हमारे अफेयर के बारे में पक्की जानकारी हो चुकी है. तभी तो वह मुझे भी शक की नजरों से घूरघूर कर देखती हैं.’’ जवाब देते वक्त अलका के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं.

”अलका, बात यह है कि मैं तुम्हें दूर कर भी नहीं सकता और न ही तुम्हारे बिना जीने की कल्पना ही कर सकता हूं. मुझे तो यही लगता है कि अब सुरभि को रास्ते से हटाना ही होगा.’’

”मगर कैसे?’’ अलका ने सवाल दागा, ”तुम्हारे लिए उसे रास्ते से हटाना इतना आसान नहीं होगा राकेश, जितना आसान तुम समझ रहे हो. वो तुम्हारी पत्नी है.’’

”जानता हूं मैं. मगर उसे रास्ते से हटाने के लिए चक्रव्यूह की रचना करनी होगी. ऐसी रचना, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. फिलहाल, ससुराल वालों को हमारे खटास होते रिश्तों के बारे में भनक लग चुकी है. ऐसे में अगर मैं ने कोई कदम उठाया और उसे कुछ हुआ तो सीधा शक हम पर ही आ जाएगा, इसलिए मैं चाहता हूं कि हम उसे ऐसे ठिकाने लगाएं कि न तो किसी को हम पर शक हो और न ही कोई सबूत मिले. इस के लिए हमें जबरदस्त प्लान करना होगा.’’ कहते हुए राकेश के चेहरे पर अजीब सी शैतानी चमक थिरक उठी थी.

”हूं. तो कैसा प्लान किया जाए, जिस से सुरभि की मौत के बाद किसी को हम पर शक न हो?’’ अलका ने फिर से सवाल दागा.

प्रेमिका का सवाल सुन कर राकेश ने कुछ पल के लिए चुप्पी साध ली. फिर कुछ देर सोचने के बाद बोला, ”यही कि अपने इस खतरनाक प्लान में कुछ और भरोसेमंद लोगों को शामिल करूंगा, जो हमारे लिए हर वक्त खड़े रहते हैं.’’

”किस की बात कर रहे हो तुम? कौन है जो हमारे भरोसे पर खरा उतर सकता है? हमें कदम बहुत फूंकफंूक कर उठाने होंगे.’’

पटना के अगमकुआं का रहने वाला डा. राकेश रोशन उर्फ चंदन सिंह और अलका यह सोच कर काफी परेशान थे कि अच्छाभला उन का प्यार चल रहा था, बीच में अचानक सुरभि कहां से आ टपकी कि सारा मजा ही किरकिरा हो गया. ऊपर से पैसों का हिसाब लेने लगी, सो अलग. मेरी बिल्ली मुझ से म्याऊं कर रही है. उस की ये बातें अब बरदाश्त के बाहर हो गई थीं, इसलिए इस का कुछ इंतजाम करना ही होगा.

”तो बताया नहीं तुम ने? हमारी प्लानिंग में किसे शामिल करना चाहतेे हो, जो हमारे राज को राज बनाए रखने में हमारा साथ देगा?’’ अलका ने एक बार फिर पूछा.

”मैं ने इस योजना में अपने छोटे भाई रमेश और अस्पताल के कर्मचारी अनिल और मसूद आलम को शामिल करने का फैसला किया है मेरी जान. ये तीनों मेरे सब से खास और हमराज हैं. तीनों इतने वफादार हैं कि अपनी जान तो दे सकते हैं, लेकिन जीते जी अपना मुंह नहीं खोलेंगे.’’ राकेश ने कहा. राकेश का जबाव सुन कर अलका खुशी से झूम उठी और राकेश को खींच कर अपनी बांहों में भर लिया. यह बात घटना से करीब 3 महीने पहले यानी जनवरी, 2025 की है. प्रेमिका अलका के साथ योजना बनाने के बाद राकेश ने अगले दिन हौस्पिटल के अपने औफिस में एक मीटिंग बुलाई.

उस मीटिंग में राकेश ने अपने छोटे भाई रमेश, हौस्पिटल के दोनों कर्मचारी अनिल और मसूद आलम को बुलाया था. इस मीटिंग में उस ने अलका को भी शामिल किया था. राकेश ने गार्ड को सख्त हिदायत दे रखी थी कि केबिन में सीक्रेट मीटिंग चल रही है. किसी को भी उस के केबिन की ओर मत आने देना.

”जानते हो, आप सभी को यहां क्यों बुलाया गया है?’’ राकेश ने सभी से सवाल किया था

”नहीं, सर.’’ राकेश के छोटे भाई रमेश ने सवाल का जबाव देते हुए आगे कहा, ”हमें नहीं पता, हमें यहां क्यों बुलाया गया है.’’

”एक सीक्रेट काम के लिए हम ने यहां आप सभी को जिस काम के लिए बुलाया है, वह आप सभी के बिना संभव नहीं हो सकता.’’

”कैसा काम, सर?’’ रमेश ने फिर सवाल किया था.

”बताता हूं…बताता हूं…पहले आप सभी वादा करो कि इस मीटिंग की भनक बाहर नहीं जानी चाहिए.’’

राकेश की बात सुन क र सभी एकदूसरे का मुंह ताकने लगे और एक सुर में कहा कि इस की भनक बाहर तक नहीं जाएगी. एक पल के लिए हम सांस लेना तो भूल सकते हैं, किंतु मालिक के साथ गद्दारी कभी नहीं कर सकते. हम सभी की ओर से आप निश्चिंत रहें.

”दैट्स वैरी गुड. हमें सभी से यही उम्मीद थी.’’ राकेश ने अपनी बात आगे जारी रखी, ”दरअसल, मैं पत्नी सुरभि राज को अपने रास्ते से हमेशाहमेशा के लिए हटाना चाहता हूं. इस काम में आप सभी की हेल्प चाहिए. बताओ, आप सभी मेरा साथ दोगे?’’

राकेश की बात सुन कर सभी सन्न रह गए. पलभर केबिन में गहरी खामोशी छाई रही. फिर रमेश ने ही खामोशी तोड़ी, ”हां, साथ देने के लिए तैयार हैं, लेकिन हमें करना क्या होगा?’’

”इस योजना को इस तरीके से अंजाम देना होगा कि हम पुलिस के शक के चक्रव्यूह में कभी भी न फंसें और न ही पुलिस को कभी यह शक हो कि घटना को हम ने अंजाम दिया है.’’

”फिर तो हर कदम फूंकफूंक कर रखना होगा.’’ इस बार अनिल बोला था.

”कैसे करना होगा, इसे आप सभी तय करोगे. रही बात पैसों की तो पैसों की चिंता मत करो, पैसों का इंतजाम हो जाएगा. बस काम बिलकुल परफेक्ट होना चाहिए.’’

”सर, मेरे जानने वालों में कई हार्डकोर क्रिमिनल हैं, जो काम को बड़े सफाई से अंजाम दे सकते हैं. उन से बात करनी होगी. वे कई मर्डर कर चुके हैं.’’ मसूद आलम बोला.

”फिर देर किस बात की.’’ राकेश उतावला हो कर आगे बोला, ”अभी कांटैक्ट कर के उसे सुपारी दे दो, मसूद.’’

”थोड़ी मोहलत दे दो सर, मैं उन से बात कर के आप को बता दूंगा.’’

”तो फिर ठीक है, आज की मीटिंग यहीं खत्म करता हूं. 2 दिनों बाद फिर यहीं मिलते हैं और उस दिन फाइनल रूपरेखा तैयार होनी चाहिए, क्योंकि हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं बचा है.’’

इस के बाद सभी केबिन से बाहर निकले और अपनेअपने कामों में जुट गए. 2 दिनों बाद फिर राकेश, रमेश, अनिल, मसूद और अलका उसी केबिन में मिले, जहां पहले मीटिंग हुई थी.

”मुझे लगता है कि सभी ने अपनीअपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा दिया होगा?’’ राकेश ने रमेश की ओर देखते हुए सवाल किया.

”यस सर, प्लान तैयार हो चुका है, बस शिकार को घेरना बाकी है. जैसे ही शिकार उस जाल में आया, समझिए कि उस का काम तमाम हो जाएगा. लेकिन इस से पहले हमें यहां (हौस्पिटल) के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद करने होंगे, ताकि हमारे क्रियाकलाप उस में कैद न हो सकें, वरना पुलिस से हमें कोई बचा नहीं सकता.’’

”रमेश सर बिलकुल ठीक कह रहे हैं, सर.’’ अलका ने रमेश का समर्थन किया, ”सीसीटीवी कैमरे बंद नहीं हुए तो हमारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा और हम सभी पकड़े जाएंगे.’’

”मैं कोई भी रिस्क नहीं ले सकता. ऐसा ही होगा. यहां के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए जाएं. कोई पूछेगा तो कह देंगे कि खराब हो गए थे.’’

डा. सुरभि राज की हत्या की पूरी फुलप्रूफ योजना बन गई थी. सुरभि का देवर रमेश और मसूद आलम ने सुपारी किलर को मोटी रकम दे कर हायर कर लिया था. यह बात घटना से करीब डेढ़ महीने पहले की है. पति, देवर और पति की प्रेमिका अलका ने मिल कर इतनी बड़ी और खतरनाक साजिश रच डाली, जिस की भनक सुरभि को कानोकान तक नहीं लगी.

हां, यह सच था कि पति की इश्कबाजी और प्रेमिका के ऊपर पानी की तरह पैसे बहाने से डा. सुरभि पति डा. राकेश से परेशान भी थी और नाराज भी.

खैर, इधर सुपारी किलर सुरभि की हत्या का कौन्ट्रैक्ट लेने के बाद उस की रेकी करता रहा. वह कब घर से निकलती है? किस के साथ और किस रास्ते से हो कर जातीआती है? उस ने तकरीबन 15 दिनों तक रेकी की, लेकिन इस दौरान उसे इतना मौका नहीं मिला कि सुरभि की हत्या को अंजाम दे सके.

इधर राकेश यह सोचसोच कर परेशान हो रहा था क्योंकि टास्क अभी तक पूरा नहीं हुआ था. तब उस ने सुरभि को आतेजाते रास्ते में मारने का प्लान कैंसिल करवा दिया. फिर उस ने उसे हौस्पिटल में ही मारने का प्लान बनाया. योजना के अनुसार, घटना से करीब 20 दिन पहले राकेश ने रमेश से कह कर हौस्पिटल के सारे सीसीटीवी कैमरे खराब करवा दिए, जिस से उस में घटना की कोई रिकौर्डिंग न हो सके. उस ने खुद भी हौस्पिटल आनाजाना कम कर दिया. ताकि इस बीच कोई घटना घटे तो उस पर कोई शक न कर सके. इस दौरान डा. सुरभि रोजाना हौस्पिटल आतीजाती रही.

बात 22 मार्च, 2025 की है. रोजाना की तरह डा. सुरभि घर के कामकाज निबटा कर करीब साढ़े 11 बजे हौस्पिटल गई थी और दूसरी मंजिल पर बने अपने केबिन में बैठी जरूरी फाइलों को निबटाने में बिजी थी. हौस्पिटल मरीजों से भरा हुआ था. डा. राकेश बीमारी का बहाना बना कर घर पर आराम कर रहा था. दोपहर 2 बजे के करीब 2 युवक सुरभि के केबिन में चुपके से घुस गए. दोनों सुपारी किलर थे, जो उस की हत्या करने के पैसे ले चुके थे. अचानक अपने केबिन में 2 अनजान युवकों को देख कर सुरभि घबरा गई, ”कौन हो तुम लोग? बिना नौक किए मेरे केबिन में कैसे घुस आए? सिक्योरिटी…सिक्योरिटी…’’

गोलियों से भून डाला डा. सुरभि को जैसे ही उस ने आवाज लगाने की कोशिश की एक झन्नाटेदार चांटा उस के गाल पर पड़ा.

”चुप हरामजादी, एकदम चुप.’’ एक युवक ने अपनी कमर में खोंस कर रखा साइलेंसरयुक्त पिस्टल निकाल कर सुरभि की कनपटी पर तान दिया, ”जरा भी चूंचपड़ की या शोर मचाया तो सारी गोलियां भेजे में उतार दूंगा.’’

”मुझे मार क्यों रहे हो? मैं ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.’’ सुरभि हाथ जोड़ते हुए दोनों युवकों के सामने गिड़गिड़ाई, ”छोड़ दो मुझे…’’ वो आगे कुछ और कहती, इस से पहले युवक ने ताबड़तोड़ गोलियों से उसे छलनी कर दिया.

सुरभि अपने ही खून में सनी रिवौल्विंग चेयर पर एक ओर लुढ़क गई. वह मर चुकी थी. फर्श पर खून फैल गया था. डा. सुरभि राज मर गई है, यह इत्मीनान हो जाने के बाद दोनों युवकों ने पिस्टल से साइलेंसर निकाल कर पिस्टल अपनी कमर में खोंस लिया और फिर उसी रास्ते बाहर निकल गए, जिस रास्ते से वे हौस्पिटल में दाखिल हुए थे. लेकिन जातेजाते हत्यारे ने रमेश को फोन कर के ‘टारगेट पूरा हो गया’ की सूचना भी दे दी थी. सूचना पा कर रमेश खुशी से झूम उठा और यह बात बड़े भाई डा. राकेश को बता दी. यह खबर सुन कर राकेश भी मन ही मन खुश हो गया. फिर उस ने रमेश को अच्छी तरह समझाया कि वहां हत्या का कोई सबूत नहीं रहना चाहिए.

केबिन के फर्श पर फैले खून को इस तरह साफ कराना कि देखने से लगे कि यहां कुछ भी नहीं हुआ था. रमेश ने भाई को भरोसा दिलाया कि वैसा ही होगा, जैसा वह चाहते हैं. वगैर वक्त गंवाए रमेश ने हौस्पिटल में झाड़ूपोंछा लगाने वाली बाई बीना को फोन कर के वापस हौस्पिटल झूठ बोल कहते हुए बुलाया कि सुरभि मैडम को खून की उल्टियां हो रही हैं, आ कर उन का केबिन साफ कर दो फिर चली जाना. मालिक का आदेश मिलते ही बीना हौस्पिटल आ गई थी, जो एक घंटे पहले ही वहां से काम निबटा कर अपने घर गई थी.

ऐसे नष्ट किए मौके के सबूत

खैर, बीना हौस्पिटल पहुंची और उन के केबिन में दाखिल हुई. डा. सुरभि राज अपनी चेयर पर एक ओर लुढ़की हुई थीं. बीना को इस की भनक तक नहीं थी कि उस की मालकिन की हत्या की जा चुकी है. उस ने तो सिर्फ वही किया, जो उसे करने के लिए कहा गया था. उस ने फर्श पर फैले खून को बड़ी सफाई से साफ कर दिया. फर्श की सफाई करते हुए गोलियों के पीतल के 7 खाली खोल मिले. उन्हें नीचे फर्श से उठा कर उस ने मेज पर रख दिए और फिर दरवाजा बंद कर वापस घर लौट गई थी. उसे समझ में नहीं आया था कि वह क्या चीज थी और फर्श पर क्यों पड़े हैं.

हौस्पिटल का वार्डबौय दीपक, जो डा. सुरभि राज का सब से खासमखास और वफादार था. पता नहीं क्यों उसे सुरभि मैडम को ले कर कुछ बेचैनी सी हो रही थी. शाम के साढ़े 4 बज गए थे. उन की केबिन से कोई हरकत नजर नहीं आ रही थी तो उस ने केबिन का दरवाजा खोल कर भीतर झांका. डा. सुरभि को चेयर पर औंधे मुंह पड़ा देख कर उस के मुंह से चीख निकल पड़ी और वह उलटे पांव दूसरी मंजिल से दौड़ता नीचे हाल में आया. हाल में चीखचीख कर डा. सुरभि की हालत के बारे में सब को बता दिया.

दीपक की बात सुन कर अस्पताल के सभी स्टाफ दौड़ेभागे उन की केबिन में पहुंचे तो देखा वह अचेत पड़ी हुई थीं और शरीर खून से भीगा था. आननफानन में उन्हें एंबुलेंस से पटना एम्स ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. इधर डा. राकेश कुमार ने झूठ बोलते हुए शाम साढ़े 4 बजे अपने ससुर राजेश सिन्हा को फोन किया कि सुरभि अचानक बीमार हो गई है. उसे पटना एम्स में भरती किया गया है, आ कर उसे देख लें. बेटी के अचानक बीमार होने की खबर मिली तो वह घबरा गए. क्योंकि दिन में ही तो उन्होंने उस से बात की थी, तब उस ने किसी बीमारी के बारे में कोई जिक्र नहीं किया था. अचानक क्या हो गया उसे? वह समझ नहीं पा रहे थे.

आननफानन में वह घर से सीधा पटना एम्स पहुंचे, जहां सुरभि के भरती होने की सूचना मिली थी. जब वह हौस्पिटल पहुंचे तो पता चला कि बेटी की गोली मार कर हत्या कर दी गई है. इतना सुनते ही वह पछाड़ खा कर फर्श पर गिरे और यह सोच कर और भी परेशान हो गए कि आखिर दामाद ने उन से झूठ क्यों बोला कि बेटी बीमार है. फिर उन्होंने अगमकुआं थाने को फोन कर के बेटी सुरभि की हत्या की सूचना दी.

एशिया हौस्पिटल की डायरेक्टर डा. सुरभि राज की हत्या की सूचना मिलते ही पुलिस के हाथपांव फूल गए थे. एसएचओ रामायण राम ने घटना की सूचना एएसपी अतुलेश कुमार झा, एसपी अखिलेश झा और एसएसपी अवकाश कुमार को दे कर खुद एम्स हौस्पिटल पहुंचे. थोड़ी देर बाद सभी पुलिस अधिकारी भी हौस्पिटल पहुंच गए, जहां मृतका के पिता राजेश सिन्हा दहाड़ मार कर रो रहे थे. शहर की कानूनव्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने डा. सुरभि राज की डैडबौडी अपने कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी थी. सुरभि के पापा राजेश सिन्हा ने दामाद डा. राकेश कुमार, उस के छोटे भाई रमेश और अस्पताल की एचआर मैनेजर अलका को नामजद करते हुए पुलिस को तहरीर सौंपी.

पुलिस ने तहरीर के आधार पर तीनों के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर के आगे की काररवाई शुरू कर दी. एसपी अखिलेश झा के नेतृत्व में पुलिस फोर्स धुनकी मोड़ स्थित एशिया हौस्पिटल पहुंची और जांच की काररवाई आगे बढ़ाई तो जो पहली जानकारी मिली, उसी से पुलिस का शक भी मजबूत होने लगा. पता चला कि सुरभि की हत्या दोपहर तकरीबन 2 बजे के आसपास हुई थी और पुलिस को सूचना शाम साढ़े 4 बजे के करीब दी गई. यही नहीं, जिस केबिन में डा. सुरभि की हत्या की गई थी, फर्श पर खून का एक कतरा तक मौजूद नहीं था. बड़ी सफाई के साथ फर्श से खून को साफ कर सबूत को मिटा दिया गया था. पुलिस की निगाह सीसीटीवी कैमरे पर गई.

जब वह डिजिटल वीडियो रिकौर्डिंग सिस्टम (डीवीआर) तक पहुंची तो और भी चकरा गई. डीवीआर गायब था. इस बारे पुलिस ने जब हौस्पिटल के मालिक डा. राकेश से पूछा तो उस ने बताया पिछले 20 दिनों से डीवीआर खराब पड़ी है, उसे मरम्मत के लिए दुकान पर दिया गया है. राकेश का जबाव सुन कर पुलिस आश्चर्यचकित रह गई. पुलिस को लगा कि कुल मिला कर एक बड़ी साजिश के तहत डा. सुरभि राज की हत्या की गई थी और बड़ी सफाई से एकएक सबूत को गायब कर दिया गया.

अस्पताल के कर्मचारियों, मृतका के फेमिली वालों और सूत्रों से प्राप्त जानकारी के आधार पर पुलिस को पूरी तरह से नामजद आरोपियों पर शक मजबूत होने लगा. पुलिस डा. राकेश, रमेश और अलका को हिरासत में ले कर अगमकुआं थाने लौट आई. वहां सीओ अतुलेश झा और एसपी अखिलेश झा ने तीनों से सख्ती से अलगअलग पूछताछ की तो उन्होंने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. राकेश के बयान के आधार पर पुलिस ने हौस्पिटल से गायब डीवीआर मसूद आलम के घर से बरामद कर लिया. अब इस केस में अनिल का नाम भी जुड़ गया था. पुलिस ने मसूद आलम और अनिल को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो सुरभि का गायब मोबाइल फोन राकेश के पास से बरामद कर लिया, जिस पर गोली के निशान मौजूद थे.

यही नहीं, पांचों आरोपियों की निशानदेही पर एप्पल कंपनी का एक सिल्वर रंग का मैकबुक, एक एचपी कंपनी का प्रो बुक, 2 पैन ड्राइव, विभिन्न कंपनियों के 15 सिमकार्ड, एक ग्रे कलर की टोपी और 7 मोबाइल फोन बरामद किए. पूछताछ में पांचों आरोपियों ने डा. सुरभि राज की साजिशन हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पूछताछ में हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अवैध संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली. 35 वर्षीय सुरभि राज मूलरूप से पटना के रहने वाले राजेश सिन्हा की बेटी थी. राजेश सिन्हा की 5 बेटियां थीं, बेटा एक भी नहीं था. उन्होंने बेटियों को बेटे की तरह परवरिश कर पढ़ायालिखाया, ताकि वे खुद के पैरों पर खड़े हो कर अपनी घरगृहस्थी की जिम्मेदारियां संभाल सकें.

पांचों बेटियों में सुरभि सब से बड़ी थी. वह निहायत समझदार और पढ़ाई में अव्वल भी थी. उस का सपना था भविष्य में एक ऐसा बिजनैस खड़ा करना, जिस में पैसे तो आएं, साथ ही समाजसेवा भी होती रहे.

मैडिकल की पढ़ाई में परवान चढ़ा प्यार

बात 2015 की है. कालेज का दौर था. जिस मैडिकल कालेज में वह पढ़ती थी, उसी में राकेश रोशन उर्फ चंदन सिंह भी पढ़ता था. नोट्स लेतेदेते दोनों में गहरी दोस्ती हो गई थी. इस दोस्ती ने कब प्यार का रूप ले लिया, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें पता तो तब चला जब दोनों एकदूसरे के बिना रह नहीं पाते थे. कालेज कैंपस से अलग होते ही दोनों तड़पने लगते थे. 3 साल तक दोनों का प्यार यूं ही चलता रहा और साल 2018 में प्रेमीप्रेमिका से पतिपत्नी बन गए थे. हालांकि सुरभि के फेमिली वालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, लेकिन औलाद की खुशी के आगे दिल पर पत्थर रख कर उन्हें झुकना पड़ा था.

 

शादी के बाद डा. राकेश पटना के एक निजी अस्पताल में नौकरी करने लगा था. डा. सुरभि राज भी उसी निजी हौस्पिटल में पति के साथ नौकरी करने लगी थी. दोनों साथसाथ नौकरी करते थे. उसी अस्पताल में अलका नाम की युवती भी नौकरी करती थी. वह खूबसूरत थी. तब उस की उम्र 25 साल के करीब रही होगी, जब पहली बार राकेश की नजर उस पर पड़ी तो वह उस की खूबसूरती को एकटक निहारता ही रह गया था. इस दरमियान सुरभि भी 2 बच्चों की मां बन चुकी थी.

जब से राकेश और सुरभि ने हौस्पिटल में नौकरी शुरू की थी, हौस्पिटल की बेशुमार आमदनी देख कर उन की आंखें फटी रह गईं. दोनों ने मिल कर एक अपना भी नर्सिंग होम बनाने के ठान ली. साल 2020 में दोनों ने अपने सपनों को पंख देना शुरू किया और अगमकुंआ थाना क्षेत्र के धुनकी मोड़ पर एक प्लौट खरीद कर एक बड़ा अस्पताल बनवाया, जिस नाम ‘एशिया हौस्पिटल’ रखा. अस्पताल को चलाने के लिए डा. राकेश रोशन और डा. सुरभि राज ने दिनरात जीतोड़ मेहनत की और कौन्ट्रैक्ट पर शहर के मानेजाने डाक्टरों को अपने अस्पताल में पैनल पर रख लिया. अस्पताल चल निकला और रुपयों की बरसात होने लगी.

राकेश और सुरभि ने अपने सपने जी लिए जो उन्होंने ठाना था, उसे पूरा कर लिया था. डा. सुरभि ने अस्पताल का पूरा दायित्व पति के कंधों पर छोड़ दिया और खुद वहां जानाआना कम कर दिया. राकेश का दिल अभी भी अलका के लिए धड़क रहा था. फोन पर अभी भी दोनों के बीच बातचीत होती रहती थी. अलका चाहती थी, वह भी उसी के साथ उसी के अस्पताल में काम करे. उस ने अपनी दिली इच्छा राकेश के सामने रख दी.

राकेश के दिल में अलका के लिए पहले से ही सौफ्ट कार्नर था, जैसे ही उस का प्रस्ताव आया तो वह न नहीं कर सका और उसे अपने वहां बुला लिया. यही नहीं उसे एचआर मैनेजर बना दिया. राकेश की इस दयालुता पर वह नतमस्तक हो गई थी. राकेश के दिल में पहले से जन्मे प्यार ने अंकुरित हो कर पौधे का रूप ले लिया था. अलका भी उसे पंसद करने लगी थी. यह जानते हुए भी कि डा. राकेश शादीशुदा है और उस के 2 बच्चे हैं. फिर भी अलका राकेश को अपना दिल दे बैठी और उस के दिल पर अपनी हुकूमत चलाने लगी.

4 साल तक उन का प्यार परदे के पीछे छिपा रहा. आखिरकार डा. सुरभि को कहीं से भनक लग ही गई कि उस के पति का एचआर मैनेजर अलका के बीच काफी दिनों से अफेयर चल रहा है और उस के पति अलका पर पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं. सुरभि यह यह कतई बरदाश्त नहीं कर सकती थी कि उस का सिंदूर बंट जाए. उस ने इस पर पति से सवाल किया और अलका को नौकरी से हटाने का दबाव बनाया, लेकिन पति डा. राकेश ने उस की दोनों बातें मानने से इंकार कर दिया. पति की यह बात डा. सुरभि को काफी नागवार लगी और उस ने फैसला कर लिया किवह अलका को अपने यहां से हटा कर ही दम लेगी.

सुरभि के जिद्दी स्वभाव से राकेश अच्छी तरह परिचित था. किसी कीमत पर वह अलका को अपने से दूर होने देना नहीं चाहता था. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच मनमुटाव तक हो गया और झगड़े भी होने लगे. सुरभि घर की सारी बातें मायके खासकर अपनी मम्मी और पापा को बताया करती थी. प्रेम विवाह करने पर अब उसे पछतावा हो रहा था. सुरभि किसी कीमत पर पति को मनमानी नहीं करने देना चाहती थी. इस के लिए वह घर में बैठने की बजाए नर्सिंगहोम में बैठना शुरू कर दिया. यह बात घटना से करीब डेढ़ महीने पहले की है.

सुरभि के हौस्पिटल आने से डा. राकेश की परेशानियां बढ़ गई थीं. अब न तो वह खुल कर प्रेमिका अलका से रंगीन बातें कर सकता था और न ही पैसों की मनमानी ही कर सकता था. दिन पर दिन सुरभि पति के प्रति सख्त होती जा रही थी. पत्नी का यह रूप देख कर राकेश परेशान हो गया. इसी परेशानी को दूर करने के लिए उस ने सुरभि को रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बना ली थी. उसी योजना के तहत राकेश ने हौस्पिटल के अपने खासमखास सिपहसालारों भाई रमेश कुमार, अनिल, मसूद आलम और प्रेमिका अलका के साथ मिल कर सुरभि को मौत के घाट उतार दिया था.

सुरभि की हत्या करवा कर डा. राकेश रोशन ने अपने रास्ते के कांटे को हमेशाहमेशा के लिए उखाड़ फेंका था. साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने सुरभि हत्याकांड की गुत्थी तो फिलहाल सुलझा ली थी. जांच में यह बात भी साबित हो गई थी कि डा. राकेश रोशन, रमेश, अलका, अनिल और मसूद आलम ने मिल कर ही डा. सुरभि राज की हत्या करवाई थी, लेकिन करीब 3 माह बीत जाने के बाद भी उस पिस्टल को पुलिस ढूढ नहीं पाई, जिस से उस की हत्या की गई. और न ही वो हत्यारे ट्रेस हो सके थे, जिन्होंने उस की हत्या की थी.

 

 

 

True Crime Stories : बॉयफ्रेंड संग मिलकर पत्नी ने चारपाई पर पति को पटक कर गला दबा डाला

True Crime Stories : दुलारी 2 बेटियों की शादी कर चुकी थी और बाकी बचे 2 बच्चे भी शादी लायक हो चुके थे. इस उम्र में अधेड़ उम्र का यह इश्क आगे चल कर किस खतरनाक मोड़ पर पहुंचेगा इस की उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी. फिर एक दिन…

बांदा जिले के बुधेड़ा गांव के रहने वाले शिवनारायण निषाद 18 जून, 2021 की रात गांव की में रामसेवक के घर एक शादी के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. जब वह देर रात तक वापस नहीं लौटे तो घर पर मौजूद पत्नी दुलारी की चिंता बढ़ने लगी. उस समय दुलारी घर पर अकेली थी. उस का 20 वर्षीय बेटा और 17 वर्षीय बेटी राधा गांव अलमोर में स्थित एक रिश्तेदारी में गए हुए थे. दुलारी ने पति की चिंता में जैसेतैसे कर के रात काटी. सुबह होने पर दुलारी ने अपने बेटे को फोन कर के रोते हुए कहा, ‘‘बेटा, तुम्हारे पिताजी गांव में ही रामसेवक चाचा के घर मंडप पूजन के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, लेकिन अभी तक वह घर वापस नहीं लौटे हैं.’’

बेटे दीपक ने जब पिता शिवनारायण के गायब होने ही बात सुनी तो वह भी घबरा गया. फिर वह मां को समझाते हुए बोला, ‘‘घबराओ मत मां, मैं घर आ रहा हूं. हो सकता है पिताजी रात होने पर वहीं रुक गए हों. फिर भी आप उन के घर जा कर पूछ आओ.’’

‘‘ठीक है बेटा, मैं रामसेवक चाचा के घर पता करने जा रही हूं.’’ दुलारी ने दीपक से कहा. दुलारी जब रामसेवक के घर पहुंची तो रामसेवक ने बताया कि शिवनारायण गांव के ही 2 लोगों सूबेदार और चौथैया के साथ रात 10 बजे ही वहां से लौट गए थे. यह बात दुलारी ने दीपक को फोन कर के बताई तो दीपक के मन में तमाम तरह की आशंकाओं ने जन्म लेना शुरू कर दिया. उसी दिन दीपक अपनी बहन के साथ गांव अलमोर से घर वापस लौट आया. दुलारी और घर के लोग सोचने लगे कि जब वह रामसेवक चाचा के यहां से लौट आए तो कहां चले गए. अभी तक वह घर क्यों नहीं आए? उस दिन दीपक अपने ताऊ पिता रामआसरे, मां दुलारी और परिजनों के साथ पिता को आसपास खोजने में लगा रहा.

इस के बाद परिजनों ने सूबेदार और चौथैया से शिवनारायण के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हम लोग रात में 10 बजे साथ ही लौटे थे और गांव के शिवलाखन की पान परचून की दुकान पर गए, लेकिन उस समय उस की दुकान बंद थी. तब हम लोग अलगअलग हो कर अपनेअपने घरों को वापस लौट गए थे. इस के बाद शिवनारायण कहां गया, हमें नहीं पता. शिवनारायण की 2 बेटियां, जो अपनी ससुराल में थीं, वह भी पिता के लापता होने की सूचना मिलने पर मायके आ चुकी थीं. अब शिवनारायण के घर वालों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं जन्म लेने लगी थीं. बेटे दीपक और बेटियों का रोरो कर बुरा हाल था.

इस दौरान बेटे ने अपने सभी रिश्तेदारियों में फोन कर उन के बारे में जानना चाहा. लेकिन सभी जगह निराशा ही हाथ लग रही थी. शिवनारायण को गायब हुए 2 दिन होने वाले थे, फिर भी घर वाले पुलिस के पास न जा कर इधरउधर खोजने में ही लगे हुए थे. इसी दौरान 20 जून, 2021 की सुबह गांव के सूबेदार और अन्य लोग जब यमुना नदी किनारे से जा रहे थे. तो उन्होंने हाथपैर बंधे घुटनों के बीच डंडा फंसे एक लाश पड़ी देखी. यह बात उन्होंने गांव के अन्य लोगों को बताई. इस के बाद वह लाश देखने के लिए यमुना किनारे गए. ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा होने लगी थी. गांव वालों ने वह लाश पहचान ली. मृतक और कोई नहीं 2 दिन से गायब हुआ शिवनारायण ही था.

इधर ग्रामीणों ने नदी के किनारे लाश मिलने की सूचना स्थानीय थाने जसपुरा के थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह को भी दे दी. थानाप्रभारी सुनील इस घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को देने के बाद अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर रवाना हो गए. नदी के किनारे लाश मिलने की सूचना पा कर शिवनारायण निषाद के परिजन भी रोतेबिलखते वहां पहुंच चुके थे. पति की लाश देख कर दुलारी दहाड़ें मार कर रोने लगी. सूचना पा कर बांदा के एसपी अभिनंदन के अलावा एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान, सीओ (सदर) सत्यप्रकाश शर्मा के साथ मौके पर पहुंच गए.

पुलिस नें अपनी जांच में पाया कि लाश पानी में फूल कर उतरा कर नदी के किनारे आई है. ऐसे में अनुमान लगाया कि शिवनारायण की हत्या 18 जून की रात में कर दी गई थी. क्योंकि पानी में पड़ा शव करीब 24 घंटे बाद ही उतरा कर ऊपर आता है. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने वहां से कुछ सबूत भी जुटाए. पुलिस ने लाश को देख कर यह कयास लगाया कि हत्या में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. क्योंकि पुलिस को घटनास्थल पर ऐसा कोई निशान और न ही दोपहिया व चार पहिया वाहनों के टायरों के निशान मिले, जिस से यह कहा जा सके कि हत्या इसी जगह पर की गई थी.

इसी को आधार बना कर पुलिस यह मान रही थी कि हत्या कहीं और की गई है. लाश को नदी में ठिकाने लगाने के उद्देश्य से यहां ला कर फेंका गया था. जिस समय बुधेड़ा गांव में पुलिस अधिकारी व थाने की पुलिस घटनास्थल का मौकामुआयना कर रही थी, पुलिस को वहां जमीन पर खून पड़ा भी मिला. साथ ही कुछ दूरी पर चूडि़यों के टुकड़े भी बरामद हुए थे. जिन्हें फोरैंसिक टीम ने अपने कब्जे में ले लिया. मौके पर मौजूद गांव वालों ने बताया कि टूटी चूडि़यां मृतक की पत्नी दुलारी की हैं. उन का कहना था कि मामले की जानकारी होने पर दुलारी वहां बैठ कर रो रही थी. हो सकता है उस दौरान चूडि़यां टूट कर बिखर गई हों.

लेकिन पुलिस किसी भी साक्ष्य को हलके में नहीं ले रही थी, इसलिए वहां मौजूद हर संदिग्ध वस्तु को अपने कब्जे में ले रही थी. इस दौरान हत्या से जुड़े साक्ष्यों को इकट्ठा करने के लिए पुलिस ने शव मिलने वाले स्थान से पैदल ही नदी किनारे करीब डेढ़ किलोमीटर तक छानबीन की, लेकिन वहां से पुलिस को कोई अन्य और खास सबूत नहीं मिला. पुलिस ने जरूरी साक्ष्यों को इकट्ठा करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस दौरान पुलिस ने परिजनों से शिवनारायण के घर वालों से किसी से रंजिश होने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि उन की किसी से कोई रंजिश नहीं थी.

दोपहर तक पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंट कर हत्या करने और फेफड़ों में पानी न होने की पुष्टि हुई. इस के बाद पुलिस ने शिवनारायन बेटे दीपक की तहरीर पर शिवनारायण की हत्या का मुकदमा भादंवि की धारा 302 व 201  तहत दर्ज कर लिया. रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने एसपी के निर्देश पर जांच के लिए एक टीम गठित की, जिस में कांस्टेबल शुभम सिंह, सौरभ यादव, अमित त्रिपाठी, महिला कांस्टेबल अमरावती व संगीता वर्मा को शामिल कर जांच शुरू की. थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह को शुरुआती पूछताछ में मृतक शिवनारायण के बड़े भाई रामआसरे और बेटे दीपक ने बताया कि 6 महीने पहले गांव के ही एक दुकानदार ने शिवनारायण से विवाद किया था और धमकी दी थी.

इस के बाद पुलिस ने दुकानदार और रात में दावत में साथ रहे व लाश मिलने की सूचना देने वाले सूबेदार सहित 4 लोगों को पूछताछ के लिए थाने ले गई. लेकिन पुलिस को उन लोगों से पूछताछ में ऐसी कोई बात नहीं मिली, जिस से उन पर हत्या का शक किया जा सके. जसपुरा थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह शिवनारायण निषाद के हत्या की हर एंगल से जांच कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने मृतक के घर के हर सदस्य का बयान दर्ज किया था. उन्हें जांच में पता चला कि शिवनारायण रात के 9 बजे ही दावत से अपने घर के लिए वापस लौट लिए थे. चूंकि उस समय हलकी बारिश हो रही थी, ऐसे में 45 साल की उम्र में उन के कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता था.

ऐसे में पुलिस यह मान कर चल रही थी कि शिवनारायण घर लौटे थे और उन के साथ घर पर ही कोई घटना हुई थी. उस दिन घर पर मृतक शिवनारायण की पत्नी ही मौजूद थी. क्योंकि शिवनारायण के बच्चे रिश्तेदारी में पैलानी थानांतर्गत अमलोर गांव गए हुए थे. मौके पर मिली चूडि़यों के टुकड़े के आधार पर पुलिस का शक पत्नी दुलारी पर और भी पुख्ता होता जा रहा था. उधर पुलिस को मृतक के हाथपांव के बांधने और घुटनों के बीच डंडा बांधने की बात समझ आ चुकी थी. यह हत्या के बाद लाश को उठा कर ले जाने में उपयोग किया गया होगा. इसी दौरान पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि उसी गांव के रहने वाले जगभान सिंह उर्फ पुतुवा का अकसर शिवनारायण निषाद के घर आनाजाना था.

चूंकि शिवनारायण जगभान के खेत में बंटाई पर खेती करता था. इसी दौरान जगभान का  शिवनारायण की पत्नी दुलारी से अवैध संबंध हो गए थे. जिस की जानकारी होने पर शिवनारायण और जगभान के बीच खटास पैदा हो गई थी. अब पुलिस शिवनारायण की पत्नी दुलारी और जगभान पर अपनी जांच केंद्रित कर आगे बढ़ रही थी. इसी सिलसिले में थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने जगभान के घर जा कर पता करना चाहा तो वह घर पर नहीं मिला. लेकिन उस की पत्नी ने पुलिस को बताया कि वह शाम को 6 बजे पास के एक गांव में शादी में गया था. वहां से वह साढ़े 11 बजे रात में लौट कर आए थे. उस की पत्नी ने यह भी बताया कि उन के साथ ही गांव के भोला निषाद की 4 बेटियां भी शादी में गई थीं. जहां भोला की 3 लड़कियां वहीं रुक गई थीं, जबकि एक उन के साथ वापस आई थी.

इस के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने जहां शादी थी, वहां पता किया तो लोगों ने बताया कि जगभान वहां से साढ़े 8 बजे ही निकल  गया था. फिर पुलिस ने भोला निषाद के घर जा कर पूछताछ की तो  लड़कियों ने बताया कि जगभान उन के घर 9 बजे आए थे, उस के बाद तुरंत वह वापस चले गए. अब पुलिस के सामने सवाल यह था कि जगभान जब भोला के घर से 9 बजे चला आया तो वह अपने घर साढ़े 11 बजे रात में पहुंचा था. तो इन ढाई घंटों के दौरान वह कहां रहा. इस आशंका के आधार पर पुलिस ने जगभान सिंह से ढाई घंटे गायब रहने का कारण पूछा तो वह उस का सही जबाब नहीं दे पाया.

पुलिस ने जब कड़ाई से मृतक की पत्नी दुलारी और जगभान सिंह से पूछताछ की गई तो उन दोनों ने शिवनारायण की हत्या किए जाने की बात स्वीकारते हुए हत्या का राज उगल दिया. उन दोनों ने शिवनारायण की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के जसपुरा थाना क्षेत्र के बुधेड़ा गांव के निवासी शिवनारायण गांव में रह कर खेती करता था. वह दूसरों के खेत बंटाई पर ले कर भी खेती करता था. शिवनारायण ने गांव के ही जगभान सिंह का खेत भी बंटाई पर ले रखा था. खेत बंटाई में लेने के कारण खेत मालिक जगभान शिवनारायण के घर आनेजाने लगा था. इस बीच जगभान और शिवनारायण की पत्नी दुलारी के बीच नजदीकियां बढ़ाने लगी थीं.

दोनों की ये नजदीकियां कब शारीरिक संबंधों में बदल गईं, उन्हें पता ही नहीं चला. लेकिन एक दिन शिवनारायण ने जगभान और दुलारी को साथ में देख लिया तो वह आगबबूला हो गया और जगभान सिंह को घर न आने कि कड़ी हिदायत दे डाली. इस के बावजूद भी जगभान सिंह शिवनारायण के घर आता रहा. लेकिन बारबार शिवनारायण द्वारा जगभान को घर आने से मना करने की वजह से बीते साल जगभान ने शिवनाराण को अपना खेत बंटाई पर नहीं दिया, तभी से दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था. इसी बात से जगभान और दुलारी शिवनारायण से खार खाए बैठे थे. वह इसी उधेड़बुन में थे कि किसी तरह शिवनारायण को ठिकाने लगाया जाए.

हत्यारोपी दुलारी ने बताया कि घटना वाले दिन उन का अविवाहित बेटाबेटी गांव अलमोर में अपने एक दिश्तेदार के घर गए हुए थे. उस दिन घर में कोई नहीं था. उसी दिन दोनों ने शिवनरायण को ठिकाने लगाने के लिए तानाबाना बुन लिया था. जगभान दावत से लौटने के बाद  रात के 9 बजे दुलारी के घर पहुंच गया. इधर मंडप कार्यक्रम से घर लौटे शिवनरायण ने दुलारी को जगभान के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखा तो गुस्से में उस का खून खौल गया और वह पत्नी को मारनेपीटने लगा और जगभान से गालीगलौज करने लगा. तभी दुलारी ने प्रेमी जगभान के साथ मिल कर अपने पति को चारपाई पर पटक दिया और गला दबा कर उस की हत्या कर दी. उसी दौरान उन लोगों नें लाश को ठिकाने लगाने का प्रयास किया, लेकिन गांव के लोग उस समय जग रहे थे.

ऐसे में उन्होंने शिवनारायण की लाश चारपाई के नीचे छिपा दी. इस के बाद जगभान रात के 11 बजे अपने घर चला आया. जगभान ने बताया कि रात करीब 2 बजे जब मोहल्ले के लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब वह रात के सन्नाटे में फिर से शिवनारायण के घर पहुंचा. जहां उस ने और दुलारी ने शिवनारायण के लाश के हाथपांव बांध कर दोनों पैरों के बीच डंडा डाल कर लाश को यमुना नदी में फेंक आए. इतना सब करने के बाद दुलारी और जगभान अपनेअपने घर चले गए. घर आने के बाद दुलारी ने पति के गायब होने की खबर पूरे गांव में फैला दी और जानबूझ कर पति को खोजने का नाटक करती रही. लेकिन पुलिसिया जांच में उन का जुर्म छिप नहीं सका.

पुलिस ने मृतक शिवनारायण की पत्नी दुलारी और उस के आशिक जगभान के से पूछताछ करने के बाद दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया. वहीं एसपी अभिनंदन ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को ईनाम देने की घोषणा की है. True Crime Stories

 

UP Crime News : प्रेमिका संग बनाए संबंध फिर चाकू मारकर किया कत्ल

UP Crime News : बीएससी में पढ़ने वाली सीमा एक होशियार लड़की थी. वह मोहम्मद कैफ से बहुत प्यार करती थी. इसी प्यार और सैक्स के चक्कर में वह एक दिन ऐसी फंसी कि..

‘‘सी मा, देखो शाम का समय है. मौसम भी मस्तमस्त हो रहा है. घूमने का मन कर रहा है. चलो, हम लोग कहीं घूम कर आते हैं.’’ लखनऊ के स्कूटर इंडिया के पास रहने वाली सीमा नाम की लड़की से उस के बौयफ्रैंड कैफ ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा.

‘‘कैफ, अभी तो कोई घर में है नहीं, बिना घर वालों के पूछे कैसे चलें?’’ सीमा ने अनमने ढंग से मोहम्मद कैफ को जबाव दिया.

‘‘यार जब घर में कोई नहीं है तो बताने की क्या जरूरत है? हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे. जब तक तुम्हारे पापा आएंगे उस के पहले ही हम वापस लौट आएंगे. किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.’’ कैफ को जैसे ही यह पता चला कि घर में सीमा अकेली है, वह जिद करने लगा. सीमा भी अपने प्रेमी कैफ को मना नहीं कर पाई. सीमा के पिता सीतापुर जिले के खैराबाद के रहने वाले थे. लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक प्राइवेट कंपनी में वह शिफ्ट के हिसाब से काम करते थे. सीमा ने पिछले साल बीएससी में एडमिशन लिया था. इसी बीच कोरोना के कारण स्कूलकालेज बंद हो गए. इस के बाद वह अपने पिता रमेश कुमार के पास रहने चली आई थी. सीमा के एक छोटा भाई और एक बहन भी थी.

घर में वह बड़ी थी. इसलिए पिता की मदद के लिए उस ने पढ़ाई के साथ नादरगंज में चप्पल बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. गांव और शहर के माहौल में काफी अंतर होता है. लखनऊ आ कर सीमा भी यहां के माहौल में ढलने लगी थी. चप्पल फैक्ट्री में काम करते समय वहां कैफ नाम के लड़के से उस की दोस्ती हो गई. यह बात फैक्ट्री के गार्ड को पता चली तो वह भी उसे छेड़ने की कोशिश करने लगा. यह जानकारी जब सीमा के पिता को हुई तो उन्होंने चप्पल फैक्ट्री से बेटी की नौकरी छुड़वा दी. नौकरी छोड़ने के बाद सीमा ज्वैलरी शौप पर नौकरी करने लगी. कैफ के साथ दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. अब वह घर वालों को बिना बताए उस से मिलने जाने लगी थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे.

12 जून की शाम करीब साढ़े 7 बजे सीमा के पिता रमेश कुमार अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे. सीमा उस समय शौप से वापस आ चुकी थी. रमेश कुमार ने सीमा को समझाते कहा, ‘‘बेटी रात में कहीं जाना नहीं. कमरे का दरवाजा बंद कर लो. खाना खा कर चुपचाप सो जाना.’’

‘‘जी पापा, आप चिंता न करें. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर ही रहूंगी.’’

इस के बाद पिता के जाते ही कैफ का फोन आ गया और सीमा उसे मना करती रही पर उस की जबरदस्ती के आगे वह कुछ कर नहीं सकी. शाम 8 बजे के करीब कैफ सीमा के घर के पास आया और उसे बुला लिया. मां ने शाम 5 बजे के करीब बेटी से फोन पर बात की थी. उसे हिदायत दी थी कि कहीं जाना नहीं. पिता ने भी उसे समझाया था कि घर में ही रहना, कहीं जाना नहीं. इस के बाद भी सीमा ने बात नहीं मानी. वह अपने प्रेमी मोहम्मद कैफ के साथ चली गई. पिता जब अगली सुबह 8 बजे ड्यूटी से वापस घर आए तो सीमा वहां नहीं थी. उन्होंने सीमा के फोन पर काल करनी शुरू की तो उस का फोन बंद था. यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो बेटी की चिंता में वह सीतापुर से लखनऊ के लिए निकल गई.

इस बीच पिपरसंड गांव के प्रधान रामनरेश पाल ने सरोजनीनगर थाने में सूचना दी कि गहरू के जंगल में एक लड़की की लाश पड़ी है. लड़की के कपडे़ अस्तव्यस्त थे. देखने में ही लग रहा था कि पहले उस के साथ बलात्कार किया गया है. गले में दुपट्टा कसा हुआ था. पास में ही शराब, पानी की बोतल, 2 गिलास, एक रस्सी और सिगरेट के टुकड़े भी पड़े थे. घटना की सूचना पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर, डीसीपी (सेंट्रल) सोमेन वर्मा और एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) सी.एन. सिन्हा को भी दी गई. पुलिस ने छानबीन के लिए फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम को भी लगाया.

इस बीच तक सीमा के मातापिता भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस ने अब तक मुकदमा अज्ञात के खिलाफ कायम कर के छानबीन शुरू कर दी थी. सीमा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि मोहम्मद कैफ नाम के लड़के पर उन्हें शक है. दोनों की दोस्ती की बात सामने आई थी. पुलिस ने मोहम्मद कैफ के मोबाइल और सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की. पुलिस को कैफ के मोबाइल को चैक करने से पता चला कि उस ने सीमा से बात की थी. उस के बाद से सीमा का फोन बंद हो गया. अब पुलिस ने कैफ को पकड़ा और उस से पूछताछ की तो प्यार, सैक्स और हत्या की दर्दनाक कहानी सामने आ गई.

12 जून, 2021 की शाम मोहम्मद कैफ अपने 2 दोस्तों विशाल कश्यप और आकाश यादव के साथ बैठ कर ताड़ी पी रहा था. ये दोनों दरोगाखेड़ा और अमौसी गांव के रहने वाले थे. ताड़ी का नशा तीनों पर चढ़ चुका था. बातोंबातों में लड़की की बातें आपस में होने लगीं.  कैफ ने कहा, ‘‘ताड़ी पीने के बाद तो लड़की और भी नशीली दिखने लगती है.’’

आकाश बोला, ‘‘दिखने से काम नहीं होता. लड़की मिलनी भी चाहिए.’’

कैफ उसे देख कर बोला, ‘‘तुम लोगों का तो पता नहीं, पर मेरे पास तो लड़की है. अब तुम ने याद दिलाई है तो आज उस से मिल ही लेते हैं.’’

यह कह कर कैफ ने सीमा को फोन मिलाया और कुछ देर में वह सीमा को बुलाने चला गया. इधर आकाश और विशाल को भी नशा चढ़ चुका था. दोनों भी इस मौके का लाभ उठाना चाहते थे. उन को पता था कि कैफ कहां जाता है. ये दोनों जंगल में पहले से ही पहुंच गए और वहीं बैठ कर पीने लगे. सीमा और कैफ ने जंगल में संबंध बनाए. तभी विशाल और आकाश वहां पहुंच गए. वे भी सीमा से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे. पहले तो कैफ इस के लिए मना करता रहा, बाद में वह भी सीमा पर दबाव बनाने लगा. जब सीमा नहीं मानी तो तीनों ने जबरदस्ती उस के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अब सीमा ने खुद को बचाने के लिए शोर मचाना चाहा और कच्चे रास्ते पर भागने लगी. इस पर विशाल ने सीमा की पीठ पर चाकू से वार किया. सीमा इस के बाद भी बबूल की झडि़यों में होते हुए भागने लगी.

‘‘इसे मार दो नहीं तो हम सब फंस जाएंगे.’’ विशाल और आकाश ने कैफ से कहा.

सीमा झाडि़यों से निकल कर जैसे ही बाहर खाली जगह पर आई, तीनों ने उसे घेर लिया. ताबड़तोड़ वार करने के साथ ही साथ उस के गले को भी दबा कर रखा. मारते समय चाकू सीमा के पेट में होता हुआ पीठ में फंस गया और वह टूट गया. 15 से 20 गहरे घाव से खून बहने के कारण सीमा की मौत हो गई. पेट में चाकू के वार से सीमा का यूरिनल थैली तक फट गई थी. 2 महीने पहले जब सीमा ने मोहम्मद कैफ से दोस्ती और प्यार में संबंध बनाए थे, तब यह नहीं सोचा था कि एक दिन उसे यह दिन देखना पड़ेगा.

लखनऊ पुलिस ने एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की अगुवाई में बनी पुलिस टीम को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की. पुलिस ने मोहम्मद कैफ और उस के दोनों साथी विशाल और आकाश को भादंवि की धारा 302 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. UP Crime News

(कथा में सीमा और उस के परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं

Ghar ki Kahaniyan : चाची के प्यार में भतीजे ने ताऊ की कर दी हत्या

Ghar ki Kahaniyan : रामपाल ने सविता से दूसरी शादी कर जरूर ली थी, लेकिन वह उस की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रहा था. इसी दौरान सविता का दिल पति के भतीजे मंजीत पर आ गया. युवा मंजीत भी चाची की चाहत का ऐसा दीवाना हुआ कि रिश्ते की सारी दीवारें टूट गईं. और फिर…

14 जून, 2021 की सुबह के 5 बजे का वक्त रहा होगा. सचिन उठते ही सब से पहले अपने घेर की तरफ चला गया. सचिन के पिता चंद्रपाल घर के पीछे बने जानवरों के घेर में ही सोते थे. घेर में जाते ही सचिन की निगाह पिता की चारपाई पड़ी, तो उस की जोरदार चीख निकल गई. चंद्रपाल की चारपाई खून से लथपथ पड़ी थी. चंद्रपाल के ऊपर पड़ी चादर तो लहूलुहान थी ही, साथ ही तमाम खून उस की चारपाई के नीचे भी पड़ा था. सचिन की चीखपुकार सुन कर आसपड़ोस के लोग भी जाग गए थे. देखते ही देखते चंद्रपाल के घेर में लोगों का जमावड़ा लग गया. चारपाई के पास खून से सनी एक ईंट भी पड़ी थी.

हालांकि चंद्रपाल की हालत देखते हुए कहीं से भी नहीं लग रहा था कि उस की सांसें अभी भी चल रही होंगी, इस के बावजूद भी सचिन पिता को अस्पताल ले गया. जहां पर डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. इस घटना की जानकारी पुलिस को अस्पताल के द्वारा ही पता चली थी. यह घटना उत्तराखंड के शहर जसपुर के थाना कुंडा की थी. सूचना पाते ही कुंडा थानाप्रभारी अरविंद चौधरी कुछ कांस्टेबलों को साथ ले कर सीधे काशीपुर एल.डी. भट्ट अस्पताल पहुंचे. सरकारी अस्पताल में ही पुलिस ने मृतक के परिजनों से घटना की जानकारी जुटाई. इस के बाद एसआई महेश चंद ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. बाद में पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर खून से सनी ईंट और अन्य सबूत जुटाए.

पुलिस केस की जांच में जुट गई. सचिन ने पुलिस को बताया कि 2 दिन पहले ही उस के पिता के साथ उस की चाची सविता की किसी बात को ले कर तूतूमैंमैं हुई थी. लेकिन उसे उम्मीद है कि उस की चाची इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकती. यह जानकारी भले ही सचिन के लिए कोई मायने नहीं रखती थी. लेकिन पुलिस के लिए यह सूत्र अहम मायने रखता था. पुलिस ने सविता को पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में ले लिया. पूछताछ के दौरान सविता ने साफ शब्दों में जबाव दिया कि वह अपने जेठ का खून क्यों करेगी. उस के जेठ तो उस के बच्चों को बहुत ही प्यार करते थे. उसी दौरान चंद्रपाल के छोटे भाई ने बताया कि सविता का चालचलन ठीक नहीं है. वह 2 दिन पहले ही अपने भतीजे मंजीत को ले कर मुरादाबाद भाग गई थी. उसी बात को ले कर चंद्रपाल ने उसे काफी डांटफटकार लगाई थी.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस समझ गई कि माजरा क्या है. इस से पहले मंजीत कहीं भाग पाता, पुलिस ने उसे भी अपनी कस्टडी में ले लिया और दोनों को थाने ले आई. थाने ला कर दोनों से कड़ी पूछताछ हुई. पुलिस ने मंजीत से इस मामले में पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस रात तो वह फैक्ट्री में काम करने गया हुआ था. ऐसे में वह अपने ताऊ की हत्या कैसे कर सकता है. इस सच्चाई को जानने के लिए पुलिस की एक टीम उस फैक्ट्री में भी गई. वहां पर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो सचमुच मंजीत की एंट्री वहां दर्ज थी. उपस्थिति वाले रजिस्टर पर उस के हस्ताक्षर भी मौजूद थे. यह सब देख कर पुलिस की जांच पर पानी फिर गया. पुलिस ने इस बारे में सविता के पति रामपाल से पूछताछ की. रामपाल ने बताया कि वह सारे दिन मेहनतमजदूरी कर इतना थक जाता है कि सोने के बाद उसे होशोहवास नहीं रहता.

उसी जांचपड़ताल के दौरान पुलिस की नजर रामपाल के दरवाजे पर पड़ी. जिस पर खून की अंगुलियों के निशान साफ नजर आ रहे थे. फिर पूरे घर की तलाशी ली गई. तभी पुलिस को बाथरूम में खून से सना एक कपड़ा भी मिला, जिस से खून साफ किया गया था. यह सब तथ्य जुटाने के बाद पुलिस ने मंजीत और सविता से अलगअलग पूछताछ की. जिस के दौरान थानाप्रभारी ने सविता से सीधा प्रश्न किया, ‘‘हमें तुम्हारी सारी सच्चाई पता चल गई है. हमें बाथरूम में वह कपड़ा भी मिल गया, जिस से खून साफ किया गया था. यह बात तो पक्की है कि चंद्रपाल की हत्या में तुम्हारा पूरा हाथ है. तुम्हारे लिए यही सही है कि सीधेसीधे सब कुछ बता दो. तुम ने चंद्रपाल की हत्या क्यों की.’’

पुलिस पूछताछ में सविता ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई. उस ने बता दिया कि उस ने ही भतीजे के साथ मिल कर अपने जेठ की हत्या की है. सविता के बाद पुलिस ने मंजीत को अलग ले जा कर कहा कि तुम्हारी प्रेमिका चाची ने हमें सब कुछ बता दिया है. लेकिन हम तुम से केवल इतना जानना चाहते हैं कि तुम ने फैक्ट्री में ड्यूटी करते हुए भी किस तरह से चंद्रपाल की हत्या की? मंजीत भी कच्चा खिलाड़ी था. उस ने भी पुलिस को सब कुछ साफसाफ बताते हुए अपना जुर्म कबूल कर लिया था. इस केस के खुलने के बाद जो चाचीभतीजे की प्रेम कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी. यह मामला उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के कुंडा थाना से उत्तर दिशा में लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित गांव टीले का है.

बहुत पहले गांव मैरकपुर पाकवाड़ा, मुरादाबाद निवासी सुमेर सिंह रोजीरोटी की तलाश में यहां आए और यहीं के हो कर रह गए. सुमेर सिंह के 4 बेटे थे, जिन में चंद्रपाल सब से बड़ा, उस के बाद विक्रम तथा रामपाल सब से छोटा था. समय के साथ तीनों की शादियां भी हो गईं. शादी होते ही सभी भाइयों ने अपनी गृहस्थी संभाल ली और अलगअलग मकान बना कर रहने लगे थे. अब से 5 साल पहले चंद्रपाल का चचेरा भाई करन अपने परिवार से मिलने आया था. करन ने यहां का रहनसहन देखा तो वह भी यहीं का दीवाना हो गया. करन के परिवार से संबंध रखने के कारण चंद्रपाल ने उसे रहने के लिए अपने ही घर में शरण दी थी. रामपाल की शादी काशीपुर के टांडा उज्जैन से हुई थी. रामपाल शुरू से ही सीधेसरल स्वभाव का था.

जबकि रामपाल की बीवी शहर की रहने वाली और तेजतर्रार थी. शादी के बाद गांव का रहनसहन उसे पसंद नहीं था. एक साल उस ने जैसेतैसे उस के साथ काटा और फिर उस ने रामपाल से संबंध विच्छेद कर लिया. उस समय तक उस की बीवी के कोई औलाद पैदा नहीं हुई थी. रामपाल की बीवी उसे छोड़ कर चली गई तो रामपाल उदास रहने लगा. इस के बाद भाइयों ने फिर से रामपाल की शादी मुरादाबाद जिले के टांडा स्वार के मानपुर की रहने वाली सविता से करा दी. सविता के साथ दूसरी शादी हो जाने से रामपाल खुश रहने लगा था. रामपाल सुबह ही मेहनतमजदूरी करने के लिए घर से निकल जाता, फिर देर शाम ही घर पहुंच पाता था. गुजरते समय के साथ सविता 2 बच्चों की मां भी बन गई. हालांकि सविता पहले से ही देखनेभालने में सुंदर थी, लेकिन 2 बच्चों को जन्म देने के बाद तो उस की देह और भी चमक उठी थी.

रामपाल के मकान के सामने ही करन सिंह अपने परिवार के साथ रहता था. उस वक्त करन का बड़ा बेटा मंजीत जवानी के दौर से गुजर रहा था. मंजीत आवारा किस्म का था. हर समय वह अपनी चाची सविता के पास ही पड़ा रहता था. उस के साथ रहने से सविता को एक सब से बड़ा फायदा था कि वह उस के बच्चों को संभालने में उस की मदद करता था. सविता को जब कभी भी अपने घर का कामकाज निपटाना होता था तो वह अपने बच्चों को मंजीत के पास ही छोड़़ देती थी. कुसगंति से मंजीत के मन में गंदगी पनपनी शुरू हुई तो चाची के प्रति उस की सोच भी बदल गई थी. हालांकि सविता उसे अपने भतीजे के रूप में ही देखती आ रही थी. लेकिन जैसे ही मंजीत का बदलता नजरिया देख कर सविता के मन में भी उथलपुथल पैदा हो गई.

उसे अब पति रामपाल का शरीर कुछ थकाथका सा महसूस होने लगा था. कई बार सविता बच्चों को मंजीत को सौंप कर उसी के सामने नहाने लगती थी, जिसे आंख चुरा कर देखने में मंजीत की आंखों को बहुत ही सुख मिलता था. सविता नहाने के बाद अपने तन को तौलिए से ढंक कर कमरे में जाती तो मंजीत की हवस भरी निगाहें उस के शरीर का पीछा करती रहती थीं. फिर एक दिन ऐसा भी आया कि सविता कमरे में तौलिए से अपने तन का पानी पोंछ रही थी, उसी दौरान उस के हाथ से तौलिया छूटा और नीचे गिर गया. सविता ने बड़ी ही फुरती से तौलिया उठाने की कोशिश की तो सामने दरवाजे के सामने ही मंजीत खड़ा देख रहा था.

‘‘अरे मंजीत, तुम यहां? तुम ने कुछ देखा तो नहीं?’’

‘‘नहींनहीं चाची, मैं ने कुछ नहीं देखा.’’

मंजीत की बात सुनते ही सविता मुसकराई, ‘बुद्धू कहीं का, पूरा सीन हो गया, लेकिन ये कुछ समझने को तैयार ही नहीं.’

एक दिन मंजीत जुलाई महीने में अपनी सविता चाची के घर पहुंचा. उस के परिवार वाले खेतों पर काम करने गए हुए थे. सविता के बच्चे सोए पड़े थे. सविता बच्चों के पास ही सोई हुई थी. उस समय नींद की आगोश में उस के अंगवस्त्र अस्तव्यस्त हो चुके थे. मंजीत ने अपनी चाची को इस हाल में सोते देखा तो उस के तनमन के तार झनझनाने लगे. उसी समय सविता की आंखें खुलीं तो उस ने सामने मंजीत को बैठे देखा. वह पहल करते हुए बोली, ‘‘मंजीत तू कब आया? तेरे आने का तो मुझे पता ही नही चला.’’

‘‘बस चाची, यूं समझो कि अभीअभी आया था. घर पर नींद नहीं आ रही थी तो सोचा चाची के पास थोड़ा वक्त काट आऊं. लेकिन यहां आ कर देखा तो आप गहरी नींद में सोई पड़ी थीं.’’

‘‘अरे नहीं, आजकल मुझे गहरी नींद कहां आ रही है. मेरी कमर में दर्द है. उसी से परेशान रहती हूं. कई बार तेरे चाचा से तेल की मालिश करने को कहती हूं, लेकिन उन के पास टाइम ही नहीं है.’’

‘‘कोई बात नहीं, चाचा के पास टाइम नहीं है तो मैं तो हर वक्त खाली ही रहता हूं. अगर आप कहें तो मैं ही आप की मालिश कर देता हूं.’’

सविता का निशाना बिलकुल सही लक्ष्य भेदने को तैयार था. मंजीत की बात सुनते ही सविता उठ खड़ी हुई. उस ने घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. फिर उस ने तेल की शीशी उस के हाथ में थमा दी और कंधे पर मालिश करने को कहा. मंजीत ने हाथ में तेल ले कर सविता के कंधों से मालिश शुरू की तो उस के हाथ धीरेधीरे कंधे से नीचे फिसलने लगे. सविता को भी उन्हीं पलों का इंतजार था. सविता की बीमारी का इलाज होना शुरू हुआ तो वह इतनी मदहोश हो गई कि उस ने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और सीने के बल चारपाई पर लेट गई. धीरेधीरे मंजीत का धैर्य जबाव दे चुका था. दोनों की रगों में खून गर्म हो कर दौड़ने लगा था. अंत में वह पल भी आ गया कि दोनों ही कामवासना की आग से गुजर गए.

मंजीत ने उस दिन जिंदगी में पहली बार किसी औरत के शरीर का सुख पाया था. वहीं सविता भी बहुत खुश थी. उस दिन दोनों के बीच चाचीभतीजे के रिश्ते तारतार हुए तो यह सिलसिला अनवरत चलता गया. दोनों के बीच लगभग 3 साल से अनैतिक रिश्ते चले आ रहे थे. लेकिन जब दोनों के बीच नजदीकियां ज्यादा ही बढ़ गईं तो उन की प्रेम कहानी की चर्चा पूरे गांव में फैल गई. इस बात की जानकारी परिवार तक पहुंची तो चंद्रपाल ने करन से वह मकान खाली करा लिया. करन ने गांव के पास ही थोड़ी सी जमीन खरीद रखी थी, वह उसी में बच्चों को ले कर झोपड़ी डाल कर रहने लगा. इस बात को ले कर पंचायत हुई. पंचायत में सविता को भी बुलाया गया था. भरी पंचायत में सविता ने अपने ही जेठ पर उसे बदनाम करने का आरोप लगाया था.

बातों ही बातों में चंद्रपाल सविता पर गर्म पड़ा तो करन ने उसे मारने के लिए घर से कुल्हाड़ी तक निकाल ली थी. जिस के बाद से चंद्रपाल उस से डर कर रहता था. उस के बाद उस ने न तो कभी मंजीत को ही टोका और न ही सविता को. उस के कुछ समय बाद ही दोनों के बीच फिर से खिचड़ी पकने लगी थी. चंद्रपाल ने कई बार रामपाल को टोका कि तेरी बीवी जो कर रही है वह ठीक नहीं है. उसे थोड़ा समझा कर रख. इन दोनों के कारण पूरे गांव में उन के परिवार की बदनामी होती है. लेकिन रामपाल तो अपनी बीवी से इतना दब कर रहता था कि उसे कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था.

मंजीत और सविता के बीच जो कुछ चल रहा था, रामपाल भी जानता था. लेकिन वह मजबूर था. उस के बाद तो सविता रामपाल पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि उस के सामने ही मंजीत को अपने घर पर बुला लेती थी. इस बार देश में फिर से लौकडाउन लगा तो दोनों ही एकदूसरे से मिलने के लिए परेशान रहने लगे थे. उस दौरान दोनों के बीच जो भी बात होती थी, वह मोबाइल पर ही होती थी. लेकिन दोनों ही एकदूसरे की चाहत में बुरी तरह से परेशान थे. जब मंजीत की जुदाई सविता से सहन नहीं हो पाई तो उस ने उस के सामने एक प्रश्न रखा. अगर तुम मुझे दिल से प्यार करते हो तो दुनिया की चिंता क्यों करते हो. मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं. लेकिन यह जुदाई अब मुझ से सहन नहीं

होती. मैं तुम्हारे लिए यह घर छोड़ने को तैयार हूं. लेकिन मंजीत हमेशा उस की हिम्मत तोड़ देता था. अगर हम दोनों घर से भाग कर शादी कर भी लें तो तुम्हारे बच्चों का क्या होगा? फिर उस के बाद तो हम समाज में मुंह दिखाने लायक भी नही रहेंगे. मंजीत इस वक्त काशीपुर की एक पेपर मिल में काम करता था. काम करते हुए उस ने कुछ पैसे भी इकट्ठा कर लिए थे. उस ने सोचा उन पैसों के सहारे वह सविता के साथ बाहर कुछ दिन ठीक से काट लेगा. सविता ने भी काफी समय से रामपाल की चोरी से कुछ पैसे इकट्ठा किए थे. 2 जून, 2021 को दोनों ने घर से भागने का पूरा प्लान तैयार किया और काशीपुर से ट्रेन पकड़ कर घर वालों की चोरीछिपे मुरादाबाद जा पहुंचे. मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर पहुंचते ही दोनों जीआरपी की निगाहों में संदिग्ध के रूप में चढ़ गए.

जीआरपी ने उन से पूछताछ की तो मंजीत ने साफसाफ बता दिया कि वह उस की चाची है. हम दोनों किसी बीमार रिश्तेदार को देखने के लिए आए हुए हैं. लेकिन पुलिस को उन की बातों पर विश्वास नहीं हुआ तो उन्होंने परिवार वालों से बात कराने को कहा. तब मंजीत ने अपनी बुआ की नातिन से जीआरपी वालों की बात करा दी. जिस के बाद पुलिस वालों ने उन्हें सीधे घर जाने की हिदायत देते हुए छोड़ दिया. रेलवे पुलिस से छूटने के बाद भी मंजीत बुरी तरह से घबराया हुआ था. उसे पता था कि इस वक्त देश बुरे हालात से गुजर रहा है. घर से जाने के बाद न तो उन्हें कहीं भी इतनी आसानी से नौकरी ही मिलने वाली है और न ही उस के बाद उस के घर वाले उसे शरण देने वाले हैं.

यह सब मन में विचार उठते ही सविता ने मंजीत के सामने एक प्रश्न किया, ‘‘मंजीत, मैं तेरी खातिर अपना घरबार, बच्चों तक को छोड़ आई. लेकिन तेरे अंदर इतनी भी हिम्मत नहीं कि तू अपने ताऊ को सबक सिखा सके. उस ने ही हम दोनों का जीना हराम कर रखा है. अगर वह न हो तो हमें घर से भागने की जरूरत भी नहीं होती.’’

सविता की बात मंजीत के दिल को छू गई, ‘‘चाची, तुम अब बिलकुल भी चिंता मत करो. मैं घर वापस जाते ही उस ताऊ का ऐसा इलाज करूंगा कि वह कुछ कहने लायक भी नहीं रहेगा.’’

सविता को विश्वास में ले कर मंजीत अपने घर वापस चला गया. घर जाने के बाद वही सब कुछ हुआ, जिस की उम्मीद थी. दोनों के घर पहुंचते ही परिवार वालों ने उन्हें उलटासीधा कहा. चंद्रपाल ने सविता को घर तक में नहीं जाने दिया था. जिस के कारण मंजीत ने उसी रात अपने ताऊ को मौत की नींद सुलाने का प्रण कर लिया था. 14 जून, 2021 की शाम को मंजीत अपने काम पर चला गया. लेकिन फैक्ट्री में काम करते वक्त भी उस की निगाहों के सामने उस के ताऊ की सूरत ही घूमती रही. उसी वक्त मशीनों में कोई तकनीकी खराबी आ गई, जिस के कारण मशीन बंद करनी पड़ी. मंजीत को लगा कि वक्त उस का साथ दे रहा है. उस ने तभी सविता को फोन मिलाया और आधे घंटे बाद ताऊ के घेर के पास मिलने को कहा. मंजीत की बात सुनते ही सविता के हाथपांव थरथर कांपने लगे थे.

उसे लगा कि आज वह जो काम करने जा रही है वह ठीक से हो पाएगा भी या नहीं. उस की चारपाई के पास ही पति रामपाल खर्राटे मार कर सो रहा था. रामपाल को सोते देख उस ने किसी तरह से हिम्मत जुटाई और धीरे से घर का दरवाजा खोल कर दबे पांव चंद्रपाल के घेर की तरफ बढ़ गई. मंजीत किसी तरह से फैक्ट्री की पिछली दीवार फांद कर बाहर आया और सीधे अपने ताऊ चंद्रपाल के घेर में पहुंचा. उस वक्त सभी लोग गहरी नींद में सोए हुए थे. सविता मंजीत के पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच चुकी थी. घेर में पहुंचते ही मंजीत ने घेर में जल रहे बल्ब को उतार दिया, ताकि कोई उन्हें पहचान न सके. चंद्रपाल भी सारे दिन मेहनतमजदूरी कर के थक जाता था.

उसी थकान को उतारने के लिए वह अकसर ही रात में शराब पी कर ही सोता था. जिस वक्त मंजीत और सविता उस के पास पहुंचे, वह गहरी नींद में सोया हुआ था. चंद्रपाल को सोते देख मंजीत ने सविता को उस का मुंह बंद करने का इशारा किया, फिर उस ने अपने हाथ में थामी ईंट से लगातार कई वार कर डाले. मुंह बंद होने के कारण चंद्रपाल की चीख तक न निकल सकी. थोड़ी देर तड़पने के बाद उस की सांसें थम गईं. इस के बावजूद भी मंजीत बेरहमी दिखाते हुए उस के चेहरे व सिर पर कई वार ईंट से प्रहार किया. जब चंद्रपाल का शरीर पूरी तरह से शांत हो गया तो दोनों वहां से चले गए. सविता के हाथों पर खून लगा हुआ था, जो उस के घर के दरवाजे पर भी लग गया था.

घर पहुंच कर सविता ने एक कपड़े से हाथों का खून पोंछा. वह कपड़ा उस ने बाथरूम में डाल दिया था, जिसे बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था. ताऊ को  मौत की नींद सुला कर मंजीत सीधा फैक्ट्री में पहुंच गया, जिस के बाद उस ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की. लेकिन पुलिस के आगे उस की सारी होशियारी धरी की धरी रह गई. चंद्रपाल के बेटे सचिन की तरफ से भादंवि की धारा 302 व 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया था. Ghar ki Kahaniyan