Maharashtra Crime News : प्रेमिका की हत्या कर शव को पेड़ पर लटकाया फिर पर्स और मोबाइल लेकर हुआ फरार

Maharashtra Crime News : आटो से ड्यूटी आनेजाने के दौरान किरण की दीपक रूपवते से दोस्ती हो गई. शादीशुदा होने के बावजूद दीपक विवाहिता किरण को चाहने लगा. किरण ने जब उस से शादी करने से  इनकार किया तो…

महाराष्ट्र के जिला सतारा का रहने वाला 30 वर्षीय आकाश सावले पिछले 2-3 सालों से मुंबई से सटे थाणे जिले के वाड़ेघर गांव में अपनी पत्नी किरण के साथ रहता था. दोनों ने लवमैरिज की थी. प्रेमिका से पत्नी बनी किरण को किसी प्रकार की कोई तकलीफ न हो, इस के लिए आकाश रातदिन मेहनत करता था. वह एक व्यवहारकुशल युवक था. इसलिए वह जल्दी ही बस्ती के लोगों से घुलमिल गया था. आकाश सावले जो कमाता था, सारे पैसे किरण के हाथों पर रख देता था. पति की इस ईमानदारी पर किरण काफी खुश थी. उसे ऐसा लगता था कि उस ने अपने जीवन के प्रति जो फैसला किया था, वह सही था. लेकिन उस की यह सोच कुछ दिनों बाद ही गलत साबित हो गई.

आकाश सावले जब अपने काम पर चला जाता तो घर का सारा काम निपटाने के बाद घर में अकेली किरण का मन ऊब जाता था. उस का टाइम पास नहीं होता था. वह चाहती थी कि वह भी कहीं नौकरी करे. इस से टाइम भी पास हो जाएगा और चार पैसे भी घर आएंगे. इस बारे में उस ने पति आकाश से कहा कि दोनों काम करेंगे तो उन की आय भी बढ़ेगी और उन के सारे सपने भी पूरे हो जाएंगे. किरण की यह बात आकाश सावले को ठीक लगी. यही नहीं, उस ने अपने एक परिचित के सहयोग से पत्नी को भिवंडी के एक कारखाने में काम पर भी लगवा दिया.

रविवार, 9 अगस्त, 2020 की शाम 5 बजे किरण सब्जी लेने के लिए जब घर से निकली तो फिर वापस लौट कर नहीं आई. आकाश सावले को किरण की चिंता सता रही थी. जैसेजैसे अंधेरा घना होता जा रहा था, वैसेवैसे आकाश के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. रात किसी तरह से बीत गई. किरण का मोबाइल भी स्विच्ड औफ था. सुबह होते ही बस्ती के लोगों के साथ उस ने किरण की तलाश शुरू कर दी. पूरा दिन उस ने अपने नातेरिश्तेदारों से किरण के बारे में पूछताछ की, लेकिन कहीं से भी उस की जानकारी नहीं मिल सकी.

पूरे 24 घंटों तक आकाश सावले अपने दोस्तों, जानपहचान वालों के साथ किरण की तलाश कर के जब थक गया और किरण का कहीं पता नहीं चला तो वह पुलिस को पत्नी के गुम होने की सूचना देने का फैसला किया. आकाश ने थाना कोनगांव जा कर वहां के ड्यूटी अफसर एसआई जीवन शेरखाने को सारी बातें बताईं और किरण सावले के गायब होने की सूचना दर्ज करवा दी. पुलिस ने किरण की गुमशुदगी दर्ज कर उस के हुलिया और फोटो के आधार पर अपनी जांच शुरू कर दी. शिकायत दर्ज हुए अभी 12 घंटे भी नहीं हुए थे कि कोनगांव पुलिस को एक चौंकाने वाली खबर मिली.

12 अगस्त, 2020 की सुबह लगभग 9 बजे पुलिस कंट्रोल रूम से यह खबर आई कि मुंबई-नासिक हाइवे रंजनोली नाका भिवंडी में स्थित टाटा आमंत्रा बिल्डिंग के पीछे पेड़ पर किसी युवती का शव लटका हुआ है. शायद आत्महत्या का मामला है. चूंकि यह क्षेत्र थाना कोनगांव के अंतर्गत आता था, इसलिए कोनगांव थाने के एसआई जीवन शेरखाने तुरंत अपने सहायकों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने प्रारंभिक काररवाई कर शव पेड़ से नीचे उतरवाया और शिनाख्त के लिए आकाश सावले को बुला लिया. मामला काफी जटिल और सनसनीखेज था. पुलिस ने इस की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ थानाप्रभारी आर.टी. काटकर को भी दे दी.

एसआई जीवन शेरखाने अभी अपने सहयोगियों के साथ मामले की जांच कर ही रहे थे कि सूचना पा कर थाणे के डीसीपी अंकित गोयल और थानाप्रभारी आर.टी. काटकर भी मौकाएवारदात पर आ पहुंचे थे. डीसीपी अंकित गोयल ने युवती के शव और घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी आर.टी. काटकर को कुछ दिशानिर्देश दे कर अपने औफिस लौट गए. उन के जाने के बाद थानाप्रभारी आर.टी. काटकर ने मामले की औपचारिकताएं पूरी कर युवती के शव को पोस्टमार्टम के  लिए भिवंडी के सिविल अस्पताल भेज दिया और थाने लौट आए.

थाने आ कर आत्महत्या का मामला दर्ज कर उन्होंने जांच शुरू कर दी. इस से पहले कि पुलिस टीम उस युवती की आत्महत्या की कडि़यां जोड़ पाती, मामले में एक नया मोड़ आ गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को उलझा दिया था. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों ने इस बात का खुलासा किया कि युवती की मौत आत्महत्या न हो कर एक साजिश के तहत हत्या थी, जिसे हत्यारे ने बड़ी होशियारी से अंजाम दिया था. हत्यारे ने 21-22 साल की किरण सावले की हत्या कर उस के शव को पेड़ से लटका दिया था. हत्यारे ने यह काम 3 दिन पहले किया था.

इस से स्पष्ट हो गया कि किरण की मौत आत्महत्या न हो कर एक सोचीसमझी साजिश के तहत की गई हत्या थी, यह जानकारी मिलने पर क्राइम ब्रांच भी सतर्क हो गई. क्राइम ब्रांच के डीसीपी प्रवीण पवार ने मामले की गंभीरता को समझा और जांच क्राइम ब्रांच यूनिट 3 के इंसपेक्टर संजू जौन को सौंप दी.  इंसपेक्टर संजू जौन ने एक टीम का गठन किया, जिस में उन्होंने असिस्टेंट इंसपेक्टर भूषण दामया, एसआई नितिन मुदगुन, हैडकांस्टेबल दत्ताराम भोसले, राजेंद्र धोलप, मंगेश शिरके, अजीत राजपूत आदि को शामिल कर कोनगांव पुलिस के साथ मामले की समानांतर जांच शुरू कर दी. साथ ही अपने मुखबिरों को भी जिम्मेदारी सौंप दी.

क्राइम ब्रांच के मुखबिरों ने 24 घंटे के अंदर ही इंसपेक्टर संजू जौन को यह खबर दे दी कि इस घटना का मुख्य अभियुक्त दीपक रूपवते डोंबिवली (पश्चिम) इलाके में घूम रहा है. खबर महत्त्वपूर्ण थी. इंसपेक्टर संजू जौन ने इस खबर को तुरंत कोनगांव पुलिस थाने से साझा किया और पूरे डोंबिवली पश्चिम में अपना सर्च औपरेशन शुरू कर दिया. नतीजा जल्दी सामने आ गया. क्राइम ब्रांच टीम और कोनगांव थाना पुलिस ने संयुक्त अभियान में दीपक रूपवते को कोपर ब्रिज के पास से दबोच लिया. पूछताछ में उस ने अपना नाम दीपक जगन्नाथ रूपवते बताया.

उस से क्राइम ब्रांच औफिस में पूछताछ की गई तो दीपक रूपवते अपना गुनाह स्वीकार करने में आनाकानी करता रहा, लेकिन जब सख्त रुख अपनाया गया तो वह तोते की तरह बोलने लगा. उस ने किरण सावले की हत्या का पूरा राज खोल दिया. 31 वर्षीय दीपक जगन्नाथ रूपवते अच्छी कदकाठी का युवक था. उस के पिता का नाम जगन्नाथ रूपवते था. जगन्नाथ रूपवते मूलरूप से महाराष्ट्र के लातूर जिले के रहने वाले थे. सालों पहले वह अपने परिवार के साथ कल्याण के गोविंद नगर इलाके में आ कर बस गए थे. रोजीरोटी के लिए उन्होंने मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर ली.

दीपक रूपवते उन का एकलौता बेटा था, जिसे घर के सभी लोग प्यार करते थे. जगन्नाथ रूपवते और उन की पत्नी चाहती थी कि उन का बेटा पढ़लिख कर काबिल बन जाए. इस के लिए वह उस की सारी जरूरतें पूरी करते थे. लेकिन नतीजा उलटा ही निकला. पढ़ाईलिखाई में उस की कोई रुचि नहीं थी. उस ने बड़ी मुश्किल से 10वीं पास की. अच्छी शिक्षादीक्षा न होने के कारण उसे कोई अच्छा काम भी नहीं मिल सका. जिस जगह दीपक रूपवते रहता था, उस जगह के आटो ड्राइवरों से उस की अच्छी दोस्ती थी. लिहाजा दीपक ने भी तय कर लिया कि वह भी आटोरिक्शा चलाएगा. दोस्तों की मदद से उस ने अपना लाइसैंस भी बनवा लिया.

लेकिन उस के मातापिता को उस का आटोचालक बनना पसंद नहीं था. वह चाहते थे कि उन का बेटा ड्राइवर बनने के बजाय किसी अच्छी नौकरी में जाए लेकिन उन के सपने सच नहीं हुए. दीपक ने मातापिता की एक नहीं सुनी और आटो चलाने लगा. आटोचालक बनने के बाद उस के मातापिता ने उस के योग्य लड़की की तलाश की तो उन की यह तलाश जल्द ही पूरी हो गई. गांव के ही एक रिश्ते की लड़की उन्हें पसंद आ गई. करीब 5 साल पहले दीपक की शादी पूरे रस्मोरिवाज के साथ हो गई थी. शादी के शुरुआती दिनों में दीपक रूपवते पत्नी के प्यार में आकंठ डूबा रहता था. लेकिन जैसेजैसे समय गुजरता गया, दोनों के बीच छोटीछोटी बातों को ले कर किचकिच शुरू हो गई. यह तब और बढ़ गई, जब वह 2 बच्चों का पिता बन गया.

दीपक चाहता था कि उस की पत्नी बच्चों को संभालने के साथसाथ पहले जैसी ही बनसंवर कर रहे. लेकिन गांव के परिवेश में पलीबढ़ी उस की पत्नी चाह कर भी उस के हिसाब से रह नहीं पाती थी. जिस की वजह से वह दीपक के दिल में अपनी जगह नहीं बना पा रही थी. दीपक रूपवते के दिल में अपने लिए बेरुखी देख कर पत्नी ने उस का दिल जीतने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रही. वह जब आटो चला कर आता, तब वह उस की मनपसंद की साड़ी पहनती, सजतीसंवरती, उस की पसंद का खाना बनाती, मीठीमीठी बातें कर उस का दिल जीतने की कोशिश करती. इस के बावजूद भी दीपक उस से दूरी ही बनाए रखता था.

दरअसल, रंगीनमिजाज दीपक अपनी पत्नी में वही छवि देखना चाहता था, जिस तरह की सुंदर, हसीन युवतियां उस के आटो में बैठती थीं. शादी के पहले दीपक ऐसी ही युवती की कल्पना किया करता था, जो उसे अपनी पत्नी में नहीं दिखाई देती थी. ऐसा रिश्ता भला कितने दिन चलता, रोजरोज की जलीकटी सुनने के बजाए एक दिन उस की पत्नी ने उस से और बच्चों से अपना रिश्ता खत्म कर उस का घर छोड़ दिया. 8-10 महीने अकेले रहने के बाद दीपक की जिंदगी में किरण सावले आई. किरण सावले और दीपक का मिलना एक संयोग था. किरण हमेशा अपने काम पर जाने के लिए बसस्टौप पर आती थी. अगर कभी उस की बस समय पर नहीं आती थी तो मजबूरी में उसे आटो से जाना पड़ता था.

उस दिन भी ऐसा ही हुआ. संयोग से उस दिन किरण के पास आटो का पूरा किराया नहीं था. ऐसे में दीपक ने उस की मदद की. दूसरे दिन जब किरण ने उसे बाकी किराया देने की कोशिश की तो दीपक ने लेने से मना कर दिया. बस यहीं से दीपक और किरण एकदूसरे के करीब आ गए. किरण ने दीपक का फोन नंबर भी ले लिया. अब जब भी किरण को समय पर बस नहीं मिलती, तो वह दीपक को फोन कर के बुला लेती. दीपक उसे उस के कारखाने पहुंचा आता था. 2-4 बार दीपक के आटो में आनेजाने पर दोनों की झिझक भी दूर हो गई. दोनों एकदूसरे से खुल कर बातें करने लगे.

दोनों ने एकदूसरे के सामने अपनेअपने जीवन के सारे पन्ने खोल कर रख दिए. दीपक ने अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में ऐसा कुछ बताया कि किरण को उस से हमदर्दी हो गई, जिसे दीपक ने किरण का प्रेम समझ लिया. अब दीपक अकसर किरण से मिलता, उस की राह देखता. उसे अपने आटो से काम पर छोड़ता और ड्यूटी पूरी होने के बाद आटो से उस के घर के पास छोड़ देता. दोनों की घनिष्ठता बढ़ी तो दोनों फोन पर घंटों बातें करने लगे. इतना ही नहीं, वे समय निकाल कर मूवी देखते, मौल में घूमते, शौपिंग करते. आखिरकार एक दिन वह समय भी आ गया, जब दीपक ने किरण से शादी का प्रस्ताव रखा तो किरण ने उसे हंसी में टाल दिया.

कहा, ‘‘मुझे तुम से शादी कर के खुशी होगी, लेकिन मैं यह नहीं कर सकती. क्योंकि मेरा पति मुझे बहुत प्यार करता है. इस के अलावा हमारा एक समाज है, हम एक दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे.’’

लेकिन दीपक इस से संतुष्ट नहीं था. वह किरण से प्यार करने लगा था. उसे अपना जीवनसाथी बना कर अपना घर बसाना चाहता था. उस ने किरण को कई बार शादी के लिए प्रपोज किया था, लेकिन अपने मनमुताबिक जवाब न पा कर वह उस से नाराज रहने लगा और उस ने किरण के प्रति एक क्रूर फैसला कर लिया था. घटना के दिन रात 8 बजे दीपक ने किरण को घुमाने के बहाने से अपने आटो में बिठाया. फिर वह कल्याण से भिवंडी रंजनोली नाका टाटा आमंत्रा बिल्डिंग के पीछे स्थित झाडि़यों के पीछे ले गया. वहां उस ने एक बार फिर किरण से शादी करने का आग्रह किया, लेकिन किरण ने इनकार कर दिया.

इस से गुस्सा हो कर दीपक ने किरण की ओढ़नी उस के गले में डाल कर उस की हत्या कर दी. पुलिस को गुमराह करने के लिए उस ने वारदात को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की. इस के लिए उस ने उसी ओढ़नी का फंदा बना कर शव को वहां एक पेड़ पर लटका दिया. फिर उस का पर्स और मोबाइल फोन ले कर फरार हो गया. दीपक जगन्नाथ रूपवते से विस्तृत पूछताछ करने के बाद क्राइम ब्रांच ने उसे कोनगांव थाना पुलिस के हवाले कर दिया. कोनगांव पुलिस ने उसे भिवंडी कोर्ट में पेश कर 7 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया. विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने दीपक को फिर से भिवंडी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

 

UP News : एकतरफा प्यार बना मौत की वजह

UP News : इशिका और शिवम का प्यार परवान चढ़ रहा था. इसी बीच इशिका का पड़ोसी भरत इशिका पर डोरे डालने लगा. जब भरत समझाने पर भी नहीं माना तो इशिका ने प्रेमी शिवम के साथ मिल कर उसे ऐसा सबक सिखाया कि…

बाराबंकी जिले के थाना कोतवाली नगर अंतर्गत मोहल्ला नई बस्ती पीरबटान में रहता था 28 वर्षीय भरत वर्मा. वह अपने घर में बिजली से संबंधित उपकरणों इनवर्टर और स्टेबलाइजर बनाने का काम करता था.  उस के पिता पुजारीलाल वर्मा ने एक नामी माचिस कंपनी और एक बीड़ी कंपनी की एजेंसी ले रखी थी, जिस से उन्हें अच्छी कमाई होती थी. संपन्न होने के कारण उन्होंने अपने बच्चों की अच्छी परवरिश की थी. सन 2000 में पुजारीलाल की मृत्यु हो गई. भरत की 3 बहनें और 3 भाई थे. बहनें विवाह के बाद अपनी ससुराल में रह रही थीं. भरत से 2 बडे़ भाई थे राम, लक्ष्मण और एक छोटा भाई था शत्रोहन.

बड़े भाई राम की भी सन 2009 में कैंसर के कारण मृत्यु हो गई थी. भरत को छोड़ कर दोनों भाई विवाहित थे. जवान बेटे राम की मृत्यु के बाद मां अन्नपूर्णा भी बीमार रहने लगीं और सन 2016 में उन का भी देहांत हो गया था. तीनों भाई अपनेअपने कामधंधे में व्यस्त थे. 22 अक्तूबर, 2020 को भरत घर पर था. किसी का फोन आया तो रात साढ़े 8 बजे वह घर से निकल गया. शत्रोहन और लक्ष्मण घर लौटे तो भरत घर पर नहीं था. घर के सदस्यों से पूछा तो पता चला कि किसी का फोन आया था, उस के बाद भरत चला गया था. लक्ष्मण ने भरत का फोन मिलाया तो वह बंद था.

23 अक्तूबर की सुबह यंग स्ट्रीम स्कूल के पीछे नाले के किनारे एक युवक की लाश पड़ी मिली. वहां पहुंचे राहगीरों ने लाश देखी तो किसी ने नगर कोतवाली पुलिस को सूचना दे दी. इंसपेक्टर पंकज सिंह अपनी टीम के साथ तुरंत मौके पर पहुंच गए. मृतक की उम्र लगभग 28-30 वर्ष थी. उस के सिर व गले पर किसी तेज धारदार हथियार से वार किए गए थे. गला आधा कटा हुआ था. इंसपेक्टर सिंह इस से पहले कि लाश की शिनाख्त कराते, मृतक के घरवाले वहां पहुंच गए. वह लाश भरत वर्मा की थी, जिस की शिनाख्त मौके पर पहुंचे उस के छोटे भाई शत्रोहन ने की.

इंसपेक्टर सिंह ने उस से आवश्यक पूछताछ की. शत्रोहन ने किसी पर शक नहीं जताया. उस ने कहा कि भरत शराब पीता था. शराब के नशे में किसी से विवाद हो गया होगा, जिस की वजह से यह घटना हुई होगी. फिलहाल इंसपेक्टर सिंह ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया और शत्रोहन को साथ ले कर कोतवाली आ गए. शत्रोहन की तहरीर पर इंसपेक्टर सिंह ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. इस के बाद उन्होंने भरत वर्मा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स में घटना से पहले जिस नंबर से काल आई थी, वह नंबर भी था.

उस नंबर की पड़ताल की गई तो नंबर कोतवाली नगर के ही आनंद नगर, लखपेड़ाबाग निवासी शिवम उर्फ शंभूनाथ शुक्ला का निकला. शिवम का पुलिस रिकौर्ड भी था. वह वाहन चोरी के मामले में कई बार जेल जा चुका था. इंसपेक्टर पंकज सिंह ने 24 अक्तूबर, 2020 को शिवम को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के बाद उस की प्रेमिका इशिका कश्यप उर्फ नैंसी को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया. इशिका भरत के घर के पास ही रहती थी. दोनों से पूछताछ के बाद जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—

उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के नगर कोतवाली क्षेत्र की नई बस्ती पीरबटान मोहल्ले में प्रेमा कश्यप रहती थीं. वह नगर पालिका में नौकरी करती थीं. उन के 4 बेटे थे अशोक, संतोष, राजेश व नन्हकू और एक बेटी थी पिंकी. सभी विवाहित थे. करीब 25 साल पहले पिंकी का विवाह ब्रजेश कश्यप से हुआ था. दोनों की एक बेटी थी पिंकी. घर में उसे सब नैंसी नाम से बुलाते थे. इशिका के जन्म के बाद पतिपत्नी में कुछ विवाद हुआ. यह विवाद इस नतीजे पर पहुंचा कि पिंकी पति का घर छोड़ कर अपनी मां प्रेमा के घर आ गई.

समय के साथ पिंकी की बेटी इशिका जवान हो गई. यौवन की दहलीज पर कदम रखा तो उस की काया में काफी खूबसूरत बदलाव आ गए, जिन की वजह से वह काफी सुंदर दिखती थी. विवाह योग्य होने पर पिंकी ने उस का विवाह फतेहपुर के गांव फय्याजपुरवा निवासी सुमित कश्यप से कर दिया. लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही इशिका भी अपनी मां की तरह पति को छोड़ कर हमेशा के लिए मायके में आ कर रहने लगी थी. बाराबंकी के मोहल्ला आनंदनगर, लखपेड़ाबाग में शिवम उर्फ शंभूनाथ शुक्ला रहता था. 28 वर्षीय शिवम अविवाहित था. उस के पिता का नाम गंगाचरण शुक्ला था. शिवम के 4 भाई थे, वह सब से बड़ा था.

शिवम आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस पर वाहन चोरी के कई मामले दर्ज थे. ऐसे ही एक मामले में वह इसी साल लौकडाउन के बाद जेल से छूट कर आया था. एक दिन शिवम अपने एक परिचित के यहां गया हुआ था, वहीं इशिका भी आई हुई थी. परिचित ने दोनों का परिचय कराया. परिचय हुआ तो दोनों में बातें होने लगीं. दोनों को एकदूसरे से बात कर के काफी अच्छा लगा. बात करने के बाद इशिका फिर मिलने के वादे के साथ वहां से चली गई. इशिका के तीखे नैननक्श और बात करने के अंदाज ने शिवम का चैन छीन लिया था. इशिका से मिलने के बाद उस के दिमाग में हर समय इशिका के ही खयाल उमड़उमड़ कर आ रहे थे.

वह बारबार सिर झटकता, दिमाग से कुछ और सोचने की कोशिश करता, लेकिन सब व्यर्थ ही जाता. इशिका उस के दिलोदिमाग पर इस कदर छा गई थी कि लाख जतन के बाद भी वह उस का खयाल दिमाग से नहीं निकाल पा रहा था. दूसरी ओर इशिका को भी शिवम पसंद आ गया था. वह स्मार्ट तो था ही, साथ ही अपनी बातों से किसी का भी दिल जीत सकता था. उस की इसी खासियत के कारण इशिका भी उसे दिल दे बैठी थी. वह जितनी बार उस के बारे में सोचती, उतनी ही बार चेहरे पर हया के बादल छा जाते और होंठों पर मुसकान सज जाती थी. जल्द ही दोनों ने एक रेस्टोरेंट में मुलाकात की. फिर अनगिनत मुलाकातों का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों एकदूसरे के नजदीक आने लगे. मुलाकातों के दौरान दोनों को एकदूसरे को समझने का मौका मिला.

एक दिन मौका देख कर शिवम ने इशिका से अपने प्यार का इजहार करने का फैसला कर लिया. दोनों एकदूसरे की आंखों में झांक कर दिल का हाल जान चुके थे, देर थी तो बस जुबां से इजहार करने की. एक मुलाकात के दौरान शिवम ने इशिका का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘इशिका, हम दोनों काफी समय से मिल रहे हैं. एकदूसरे को ठीक से जान गए हैं. हमारी सोच और विचार भी बहुत मिलते हैं. हम दोनों को एकदूसरे का साथ भी बहुत पसंद है. हमारी आंखों में भी एकदूसरे के लिए प्यार दिखता है. चुपकेचुपके प्यार करने से क्या फायदा, जब प्यार करते है तो जुबां पर लाएं भी. आज मैं तुम से प्यार का इजहार करता हूं. आई लव यू… आई लव यू इशिका.’’ कह कर शिवम बडे़ प्यार से इशिका की तरफ देखने लगा.

इशिका उस के इजहार से काफी खुश हुई और बोली, ‘‘आई लव यू टू शिवम. मैं भी तुम्हें बहुत चाहती हूं. लेकिन इजहार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी. आज तुम ने मुझे बहुत बड़ी खुशी दी है.’’ कह कर इशिका शिवम के सीने से लग गई. शिवम ने भी उसे अपनी बांहों में भर लिया. इस तरह दोनों के बीच प्यार की शुरुआत हो गई. शिवम अकसर इशिका के घर से कुछ दूरी पर आ कर उसे फोन करता और इशिका उस से मिलने चली आती. इशिका के घर के पास ही भरत रहता था. वह इशिका की खूबसूरती पर मर मिटा था. उसे इशिका बेहद पसंद थी. वह उस के आगेपीछे मंडराता रहता था. लेकिन इशिका उसे पसंद नहीं करती थी. फिर भी भरत उस के पीछे पड़ा था.

एक दिन भरत ने रास्ते में रोक कर इशिका को फूल दे कर अपने प्यार का इजहार किया, ‘‘इशिका, मैं तुम से बेइंतहा प्यार करता हूं. तुम मेरा प्यार स्वीकार कर लो, मैं तुम्हें जीवन भर खुश रखूंगा, किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा.’’

‘‘पागल हो गए हो तुम. मैं तुम्हें पसंद नहीं करती, प्यार करना तो दूर की बात है. मेरे रास्ते में भी न आया करो, न आगेपीछे घूमा करो. मैं किसी और को चाहती हूं, उसी के साथ अपनी जिंदगी बिताऊंगी.’’ कह कर इशिका वहां से चल दी. इशिका को जाते देख कर भरत बड़बड़ाया, ‘‘मैं भी देखता हूं कि तुम मुझे ठुकरा कर किसी और को कैसे अपनाती हो.’’

इस के बाद वह इशिका पर नजर रखने लगा. जब भी इशिका शिवम से मिलने घर के पास जाती तो भरत वहां पहुंच जाता और किसी बात पर शिवम से झगड़ने लगता. इशिका ने भरत द्वारा बदतमीजी किए जाने की बात भरत के घरवालों को बताई. इस पर भरत ने दोबारा ऐसी हरकत न करने का वादा लिया. लेकिन भरत इशिका को दूसरे की होते हुए भी नहीं देखना चाहता था. इसलिए वह शिवम से भिड़ जाता था. जब भरत बारबार परेशान करने लगा तो इशिका ने शिवम से कहा कि भरत को रास्ते से हटा दो. भरत उस के साथ पहले भी बदतमीजी कर चुका है. शिवम तो वैसे भी आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस ने इशिका की बात सहर्ष मान ली.

22 अक्तूबर, 2020 की रात करीब साढ़े 8 बजे शिवम ने भरत को फोन कर के मिलने के लिए बुलाया. भरत उस से मिलने यंग स्ट्रीम स्कूल के पीछे पहुंच गया. शिवम ने भरत को फिर से समझाया कि वह इशिका पर गलत नजर न रखे, इसी में उस की भलाई है. भरत भी तेवर दिखाते हुए बोला, ‘‘इशिका क्या तेरी बहन लगती है जो तू उस का इतना पक्ष ले रहा है.’’

इस बात पर शिवम को गुस्सा आ गया और उन दोनों के बीच झगड़ा बढ़ गया. तभी शिवम ने पास रखे लोहे के चापड़ से भरत के सिर व गले पर ताबड़तोड़ कई वार कर किए, जिस से भरत की मौत हो गई. इस के बाद शिवम ने लोहे का चापड़ और भरत का मोबाइल फोन कुछ दूरी पर नाले के किनारे फेंक दिया. जिस बजाज सुपर स्कूटर पर बैठ कर वह वहां आया था, उसी से वापस चला गया. पूछताछ के बाद इंसपेक्टर पंकज सिंह ने शिवम की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त लोहे की चापड़ और स्कूटर नंबर यूपी32जे 6395 बरामद कर लिया. गिरफ्तारी के समय शिवम के पास से 315 बोर का एक तमंचा और एक कारतूस भी बरामद हुआ.

आवश्यक कानूनी कागजात तैयार करने के बाद पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

Love Crime : शादीशुदा प्रेमिका को ईंट मार कर उतारा मौत के घाट

Love Crime : पति से विश्वासघात कर प्रियंका प्रेमी देवेंद्र के साथ रहने लगी. लेकिन जब उस ने देवेंद्र को धोखा देने की कोशिश की तो देवेंद्र ने एक दिन…

उस दिन अक्तूबर, 2020 की 6 तारीख थी. शाम के 5 बज रहे थे. कानपुर के बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह गश्त पर निकलने वाले थे, तभी उन्हें मोबाइल फोन पर किसी अज्ञात व्यक्ति ने सूचना दी कि जरौली फेस-1 के मकान नंबर 34 में एक महिला की हत्या हो गई है. मामला हत्या का था, अत: उन्होंने सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी फिर मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय वहां मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटाते हुए थानाप्रभारी कमरे में पहुंचे, जहां महिला का शव अर्धनग्न अवस्था में पड़ा था. उस की हत्या ईंट से सिर कूंच कर की गई थी.

पूछने से पता चला कि मृतका का नाम प्रियंका बाजपेई है. वह 2 साल से अपने बच्चों के साथ किराए के मकान में रह रही थी. मृतका की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी. कमरे के अंदर खून फैला था और खून सनी ईंट शव के पास पड़ी थी. पुलिस ने ईंट साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर ली. थानाप्रभारी हरमीत सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह तथा एसपी (साउथ) दीपक भूकर भी आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा घटना के संबंध में जानकारी जुटाई. मृतका का 10 वर्षीय बेटा अमर शव के पास सुबक रहा था. एसपी दीपक भूकर ने उस से सहानुभूतिपूर्वक पूछताछ की.

उस ने बताया कि घटना के समय वह घर पर नहीं था. कुछ देर बाद जब वह घर पर आया तो मां कमरे में मृत पड़ी थी. उन के सिर से खून बह रहा था. वह घबरा गया और शोर मचाता हुआ घर के बाहर आया. फिर पड़ोसियों को जानकारी दी. मृतका की मासूम बेटी आशा तथा 5 वर्षीय बेटा प्रतीक घटना के समय घर पर थे. प्रतीक ने बताया कि मां का झगड़ा लोहा अंकल से हुआ था. उन्होंने मां के सिर पर ईंट मारी और फिर चले गए. हम मां को बुलाते रहे, वह बोल नहीं रही थी. पुलिस अधिकारी बच्चों से जानकारी जुटा ही रहे थे कि मृतका का पति मनोज बाजपेई आ गया.

उस ने दीपक भूकर को बताया कि उस की पत्नी प्रियंका बाजपेई के नाजायज संबंध देवेंद्र सिंह यादव उर्फ लोहा सिंह से थे, जो कानपुर देहात के ग्रहणपुर गांव का रहने वाला है. वह शहर में आटो चलाता है. नाजायज रिश्तों का विरोध करने पर प्रियंका उस से लड़झगड़ कर बच्चों के साथ जरौली फेस-1 में छात्र नेता विमलेश पांडे के मकान में किराए पर रहने लगी थी. यहां उस के प्रेमी लोहा सिंह का आनाजाना था. प्रियंका मनचली औरत थी. लोहा सिंह को शक था कि उस के अन्य किसी युवक से भी संबंध हैं. इसी कारण उस ने प्रियंका को मौत के घाट उतार दिया और फरार हो गया.

चूंकि पुलिस अधिकरियों को प्रियंका बाजपेई की हत्या और उस के कातिल का पता चल चुका था, अत: उन्होंने थानाप्रभारी हरमीत सिंह को आदेश दिया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजें तथा कातिल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे जल्द से जल्द गिरफ्तार करें. आदेश पा कर हरमीत सिंह ने मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भेज दिया. फिर मृतका के पति मनोज बाजपेई की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत देवेंद्र सिंह यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और उसे गिरफ्तार करने की कोशिश में जुट गए. हरमीत सिंह ने अपनी टीम के साथ सब से पहले नौबस्ता स्थित उस के किराए के मकान पर पहुंचे. लेकिन वह वहां से फरार था. फिर उन्होंने उस के गांव ग्रहणपुर में दबिश डाली. लेकिन वह वहां भी नहीं मिला.

उस के बाद टीम गजनेर, घाटमपुर तथा अकबरपुर में उस के संभावित ठिकानों पर गई. लेकिन वह चकमा दे गया. पुलिस हताश हो कर लौट आई. इस के बाद थानाप्रभारी ने मुखबिरों का जाल फैला दिया. 15 अक्तूबर को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर हत्यारोपी देवेंद्र सिंह को बर्रा बाइपास पुल के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने में जब उस से प्रियंका की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस पर सख्ती की गई तो वह टूट गया और उस ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. पुलिस पूछताछ में एक ऐसी मनचली औरत की कहानी सामने आई, जिस ने पति और प्रेमी दोनों से विश्वासघात किया था.

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले का एक कस्बा है जहानाबाद. इसी कस्बे में मनोज बाजपेई रहता था. 3 भाइयों में वह सब से बड़ा था. लगभग 14 साल पहले उस का विवाह हमीरपुर के मौदहा निवासी जगदीश तिवारी की बेटी प्रियंका के साथ हुआ था. मनोज ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. वह छिटपुट काम कर के अपना गुजारा करता था. शादी के 3 साल बाद प्रियंका ने बेटे अमर को जन्म दिया. परिवार बढ़ा तो घर के खर्च बढ़ गए. हाड़तोड़ मशक्कत करने के बावजूद मनोज उतना पैसा नहीं कमा पाता था, जितने की उसे जरूरत थी. मनोज का एक दोस्त संतोष कानपुर में आवासविकास, नौबस्ता में रहता था और हार्डवेयर की दुकान पर करता था.

पत्नी के कहने पर एक दिन मनोज ने संतोष को फोन किया, ‘‘संतोष भाई यहां कस्बे में काम ज्यादा करना पड़ता है और आमदनी बहुत कम है. ऐसा करो मेरे लायक कानपुर में कोई काम तलाश कर दो.’’

मनोज संतोष का पक्का दोस्त था, अत: उस ने बोल दिया, ‘‘तुम बेझिझक कानपुर आ जाओ. यहां काम की कमी नहीं है और पैसा भी अच्छा मिलता है. तुम आ जाओगे तो कहीं न कहीं काम मिल ही जाएगा.’’

दोस्त के बुलावे पर मनोज कानपुर पहुंच गया. संतोष ने उसे अपने ही घर ठहराया और खानेपीने की व्यवस्था की. उस के बाद दौड़धूप कर हार्डवेयर की एक दुकान पर उसे काम दिलवा दिया. मनोज ठीकठाक कमाने लगा तो उस ने दामोदर नगर में एक कमरा किराए पर ले लिया. उस के बाद वह पत्नी प्रियंका व बच्चे को भी ले आया. मनोज की गृहस्थी की गाड़ी ठीक से चलने लगी. हालांकि नौकरी में उसे ज्यादा पैसा नहीं मिलता था. लेकिन इतना जरूर मिल जाता था कि अभावों में जीना न पड़े. कानपुर में रहते प्रियंका ने एक और बेटे को जन्म दिया. उस का नाम रखा गया राहुल.

तब तक प्रियंका को शहर की हवा लग चुकी थी. वह अभावों में नहीं बल्कि मौज की जिंदगी जीना चाहती थी. प्रियंका चाहती थी कि उस के भी शरीर पर कीमती कपड़े हों और हाथ में महंगा मोबाइल फोन. गहनों की भी कमी न हो, पर्स नोटों से हमेशा भरा रहे. बड़े होते बच्चों के साथ घर के खर्च लगातार बढ़ रहे थे. बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी सिर पर आ गया था, जबकि मनोज की आय सीमित थी. अत: वह अपनी इच्छाएं कैसे पूरी करती. प्रियंका के शौक तभी पूरे हो सकते थे, जब आमदनी बढ़ती. अत: उस ने आमदनी बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार करना शुरू कर दिया.

इसी दौरान प्रियंका की मुलाकात मोहल्ले की कुछ महिलाओं से हुई, जो दादानगर की बिसकुट कंपनी में काम करती थीं. उन महिलाओं को खासा वेतन मिलता था. प्रियंका को उन से यह भी मालूम पड़ा कि बिसकुट फैक्ट्री में पैकिंग का काम आसानी से मिल जाएगा. उस ने अपने मन की बात पति से कही तो थोड़ी नानुकुर के बाद उस ने काम करने की इजाजत दे दी. उस के बाद वह अन्य महिलाओं के साथ काम पर जाने लगी. इस के बाद तो उस की दिनचर्या ही बदल गई. वह सुबह उठ कर खाना बनाती, शाम को वापस आती तो फिर चूल्हाचौका करती. प्रियंका खुद कमाने लगी तो निश्चिंतता भी आ गई. इस से उस का रूप निखर आया, वह खूब बनसंवर कर रहने लगी. उस ने अपने लिए एक मोबाइल फोन भी खरीद लिया.

इस के बाद प्रियंका की सोच में बदलाव आने लगा, वह सोचती, ‘मैं किसी की मोहताज नही हूं. घर खर्च में पति की कमाई से ज्यादा मेरा पैसा लगता है, तो मैं क्यों किसी की गुलामी करूं. मेरी किस्मत फूटी थी, जो मनोज जैसे निठल्ले आदमी से शादी हुई.’ प्रियंका के ये विचार विषबेल की तरह बढ़ते गए. नतीजतन मनोज उस के मन से उतर गया. सुबहशाम वह जब भी उसे देखती, कुढ़ जाती, ‘पति ऐसे होते हैं. यह तो बीवी की कमाई के सहारे जिंदा रहने वाला आदमी है. 2 बेटे क्या पैदा कर दिए, खुद को मर्द समझने लगा. अरे, मर्द तो वे होते हैं, जो बीवी की जिंदगी और जरूरतों का बोझ उठाएं.’

इस के बाद प्रियंका के मन में वही एक बात शोर मचाने लगती, ‘मेरी किस्मत फूटी थी, जो मनोज से शादी हुई.’

अब तक प्रियंका तीसरे बेटे प्रतीक की भी मां बन चुकी थी. बीतते समय के साथ प्रियंका के मन में मनोज के लिए कोई जगह नहीं रह गई. हसरतों को दुलहन बनाने के लिए उस ने किसी नए और मनपसंद साथी की तलाश शुरू कर दी. इसी बीच एक दिन काम से घर लौटते हुए प्रियंका की मुलाकात देवेंद्र सिंह उर्फ लोहा सिंह से हुई. वह मूलरूप से कानपुर देहात जिले के गांव ग्रहणपुर का रहने वाला था और कानपुर में किराए पर आटो चलाता था. वह शादीशुदा और एक बेटे का बाप था. पत्नी सरला के साथ वह नौबस्ता में किराए के मकान में रहता था. पहली मुलाकात ही दोनों के दिलों में प्यार का जादू जगा गई. लिहाजा उन्होंने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. मोबाइल फोन पर बातें करने के अलावा वे मिलने भी लगे. इन्हीं मेलमुलाकातों में प्यार का इजहार हुआ और दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

लोहा सिंह मनोज की गैरमौजूदगी में उस के घर भी आने लगा. न लोहा सिंह को अपनी पत्नी सरला की फिक्र रह गई, न प्रियंका को पति व बच्चों के प्रति अपना धर्म याद रहा. देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह का मनोज की गैरमौजूदगी में प्रियंका के घर आना आसपड़ोस के लोगों में शक पैदा करने लगा. वह जान गए कि प्रियंका काम करने के बहाने घर से बाहर जा कर कैसे गुलछर्रे उड़ाती है. घर में भी दरवाजा बंद कर गुल खिलाती है. पड़ोसियों से प्रियंका की आशनाई की खबर मनोज को हुई, तो उस ने जवाबतलब किया. प्रियंका ने पति की आंखों में आंखें डाल कर सब बोल दिया, ‘‘तुम हो किस लायक, जो मैं तुम्हारी वफादार बनी रहती. न तुम्हें बीवी रखने का शऊर है, न उस के जज्बात छूना आता है.

औरत का दिल कैसे जीता जाता है, यह भी तुम नहीं जानते. इंसान की 2 भूख होती है, एक जिस्म की और दूसरे रुह की. यह दोनों ही भूख तुम कभी नहीं मिटा पाए. इसलिए मेरा हक बनता था कि किसी दूसरे से अपनी जरूरत पूरी करूं और मैं ने साथी ढूंढ भी लिया और जरूरत भी पूरी कर ली.’’

पत्नी की बात सुन कर मनोज सन्न रह गया. कुछ देर बाद हवास बहाल हुए तो उस ने प्रियंका को समझाया कि वह जो कर रही है, सरासर गलत है. उसे अपनी आशिकी से बाज आना चाहिए. लेकिन प्रियंका किसी भी कीमत पर देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह से नाता तोड़ने को राजी नहीं हुई. इन्हीं दिनों प्रियंका ने बेटी आशा को जन्म दिया. मनोज ने आशा को अपनी बेटी मानने से इनकार कर दिया. उस ने प्रियंका से साफ कह दिया कि यह उस के पे्रमी लोहा सिंह की निशानी है. इस के बाद तो आशा को ले कर दोनों में झगड़ा होने लगा. झगड़ा ज्यादा बढ़ा तो प्रियंका ने पति का घर छोड़ दिया और चारों बच्चों के साथ जरौली फेस-1 में किराए के मकान में रहने लगी. यह बात मार्च, 2018 की है.

पत्नी के विश्वासघात से मनोज आहत तो हुआ. लेकिन विचलित नहीं हुआ. न प्रियंका ने घर वापसी की पहल की न मनोज उसे मनाने आया. हां, इतना जरूर था कि मनोज जबतब बच्चों से मिलने आ जाता था और बच्चों को घर के बाहर बुला कर उन से मिल कर चला जाता था. बच्चों को वह खानेपीने का सामान भी दे जाता था. मनोज ने अब दामोदर नगर वाला किराए का मकान खाली कर दिया था और आवासविकास नौबस्ता में दोस्त संतोष के साथ रहने लगा था. प्रियंका पति से अलग रहने लगी तो देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह का उस के घर आनाजाना शुरू हो गया. प्रियंका ने अड़ोसपड़ोस वालों को बताया था कि लोहा सिंह उस का पति है.

प्रियंका को अब कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था, सो वह खुल कर रंगरलियां मनाने लगी थी. लोहा सिंह अपनी कमाई प्रियंका व उस के बच्चों पर खर्च करने लगा था. इधर जब लोहा सिंह रात को भी घर से गायब रहने लगा, तो उस की पत्नी सरला को उस पर शक हुआ. उस ने गुप्त रूप से जानकारी जुटाई तो उसे जल्द ही प्रियंका और लोहा सिंह की रासलीला का पता चल गया. कोई भी औरत भूख और गरीबी तो सहन कर सकती है, लेकिन पति को पराई बांहों में नहीं सहन कर सकती. सरला को भी सहन नहीं हुआ. अत: एक रोज वह प्रियंका के घर जा पहुंची. सरला ने उसे अपना परिचय दिया फिर आंखें तरेरते हुए बोली, ‘‘तुम क्यों मेरा घर बरबाद करने पर तुली हो. मेरे पति को अपने चंगुल से मुक्त कर दो.’’

‘‘मैं तुम्हारे पति को बुलाने नहीं जाती,’’ प्रियंका बेहयाई से बोली, ‘‘जैसे मक्खी गुड़ पर मंडराती है, लोहा सिंह भी मेरे पीछे मंडराता है. मेरे पास क्यों आईं, उसे रोको.’’

प्रियंका की दोटूक बात सुन कर सरला चली गई. उस ने पति को बहुत समझाया, जान तक देने की धमकी दी. लेकिन लोहा सिंह नहीं माना. उस ने प्रियंका का साथ नहीं छोड़ा. वह उस के साथ रंगरलियां मनाता रहा. दोनों के अवैध रिश्तों की सभी को जानकारी हो गई थी. इधर कुछ समय से देवेंद्र सिंह उर्फ लोहा सिंह महसूस कर रहा था कि प्रियंका उसे कम लिफ्ट दे रही है. वह जब भी मिलन की इच्छा जताता, वह मना कर देती. बात भी ठीक से नहीं करती और रूखा व्यवहार करती. उस ने प्रियंका के इस रूखे व्यवहार के बारे में गुप्तरूप से जानकारी जुटाई तो पता चला कि प्रियंका के घर 2 युवक आते हैं, जिन के साथ वह हंसीठिठोली करती है और घूमने भी जाती है.

लोहा सिंह समझ गया कि प्रियंका ने उन के साथ अवैध रिश्ते बना लिए हैं. जिस से वह उस से दूर भागने लगी है. उस ने प्रियंका को सबक सिखाने की ठान ली. 6 अक्तूबर, 2020 की शाम 4 बजे देवेंद्र उर्फ लोहा सिंह प्रियंका के घर पहुंचा. उस समय प्रियंका का बड़ा बेटा अमर व राहुल घर पर नहीं थे. दोनों सब्जी लेने गए थे. 2 वर्षीय आशा और 5 वर्षीय प्रतीक कमरे में खेल रहे थे. लोहा सिंह ने आते ही प्रणय निवेदन किया, जिसे प्रियंका ने ठुकरा दिया. तब लोहा सिंह उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. लेकिन प्रियंका विरोध पर उतर आई.

इस पर लोहा सिंह बोला, ‘‘बदचलन औरत, तूने पहले पति के साथ विश्वासघात किया और अब मुझ से विश्वासघात कर किसी और की बांहों में खेलने लगी. विश्वासघातिनी, आज मैं तुझे सबक सिखा कर ही रहूंगा.’’

कह कर लोहा सिंह ने प्रियंका को दबोच लिया. दोनों में झगड़ा होने लगा. इसी बीच लोहा सिंह की निगाह पास पड़ी ईंट पर पड़ी. उस ने लपक कर ईंट उठाई और प्रियंका के सिर पर कई प्रहार किए. प्रियंका का सिर फट गया और वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. कुछ देर बाद प्रियंका ने दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद लोहा सिंह फरार हो गया. इधर सब्जी ले कर अमर घर आया तो उस ने कमरे में मां की लाश देखी. वह शोर मचाता घर से बाहर आया और पड़ोसियों को मां की हत्या की जानकारी दी. तब किसी ने हत्या की सूचना थाना बर्रा पुलिस को दे दी.

सूचना पाते ही इंसपेक्टर हरमीत सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो हत्या का परदाफाश हुआ और कातिल पकड़ा गया. 16 अक्तूबर, 2020 को थाना बर्रा पुलिस ने अभियुक्त देवेंद्र सिंह उर्फ लोहा सिंह को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उस की जमानत नहीं हुई थी. प्रियंका के बच्चे अब पिता मनोज के संरक्षण में रह रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Social Crime : बच्चों की अश्लील वीडियो बनाकर डार्कवेब के जरिये विदेशों में बेचने वाला इंजीनियर

Social Crime : भारत में पोर्नोग्राफी अब नई बात नहीं है. आजकल ज्यादातर फोनों में इंटरनेट होता है. युवा और अधेड़ लोग काम की चीजों, फिल्मों या सीरियल्स की जगह पोर्नोग्राफी देखना पसंद करते हैं. रामभवन ने तो देखने के बजाए…

‘‘तुम्हा रा नाम रामभवन है?’’ रामभवन के बांदा स्थित घर पर आने वाले आदमी ने पूछा. ‘‘जी,

आप सही जगह आए हैं. हम से किस सिलसिले में मिलना है.’’ रामभवन ने उसे देखते हुए कहा.

‘‘मैं सीबीआई की टीम में हूं. हमारी टीम के लोग बांदा के सरकारी गेस्टहाउस में रुके हैं. आप को वहां बयान दर्ज कराने आना है.’’ सीबीआई सदस्य के बताने वाले आदमी ने जब यह कहा तो रामभवन के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं.

‘‘बयान…किस तरह का बयान दर्ज कराना है.’’

‘‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी को ले कर एक मुकदमे के सिलसिले में जांच चल रही है. जिस में आप पर भी आरोप है.’’

‘‘मेरे ऊपर आरोप है? पर मैं ने तो कुछ किया नहीं.’’

‘‘रामभवन, बहुत नासमझ मत बनो. तुम्हारी पेन ड्राइव में बहुत सारी वीडियो क्लिप और फोटो मिली हैं.’’

बांदा के सिंचाई विभाग में कार्यरत जूनियर इंजीनियर रामभवन को इस बात का अंदाजा लग चुका था कि सीबीआई उस के चारों तरफ मकड़जाल बुन चुकी है. वह सीबीआई से आए अफसर के साथ चलने के लिए खड़ा हुआ. घर के बाहर खड़ी गाड़ी में बैठ गया. वहां से ये लोग सरकारी गेस्टहाउस पहुंच गए. वहां पर अपने ड्राइवर अभय को देख कर रामभवन के दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं.

‘‘यह पेन ड्राइव तुम्हारी ही है?’’ सीबीआई के एक अफसर ने रामभवन से पूछा तो उस ने देखा पर कोई जवाब नहीं दिया.

‘‘…रामभवन, चुप रहने का कोई लाभ नहीं है. एक महीने से अधिक का समय हो गया है. सीबीआई की टीम सारे सबूत एकत्र कर चुकी है. कई विदेशी वेबसाइटों पर वह फोटो और वीडियो हमें दिखीं जो तुम्हारी पेन ड्राइव में मौजूद हैं.

‘‘तुम जिस तरह से बच्चों को मोबाइल खेलने के लिए देते हो, उपहार और पैसे देते हो, वह जानकारी भी हमारे पास है. तुम्हारे ड्राइवर अभय से हम ने पूछताछ कर ली है.

‘‘यही नहीं, सोनभद्र के इंजीनियर नीरज यादव की वेबसाइट पर भी तुम्हारे द्वारा भेजी गई फोटो और वीडियो मिल गई हैं. तुम्हें पूछताछ के लिए गिरफ्तार किया जाता है.’’

45 साल के रामभवन को सीबीआई ने अपनी हिरासत में ले लिया. सीबीआई रामभवन को बांदा से आगे की तहकीकात के लिए चित्रकूट ले कर गई. बाद में रामभवन को बांदा की अदालत में पेश किया गया. वहां उस की पत्नी भी पहुंच गई थी. रामभवन तो अपने को बेकसूर बता ही रहा था, उस की पत्नी प्रियावती भी पति को निर्दोष बता रही थी. सीबीआई ने इस की पड़ताल अगस्त, सितंबर माह से शुरू की थी. सीबीआई टीम को बेल्जियम की एक साइट पर भारतीय बच्चों के पोर्नोग्राफी वीडियो देखने को मिले. इस की जांच करते करते सीबीआई उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और बांदा जिलों तक पहुंच गई.

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के इस इलाके में बहुत गरीबी है. गरीबी को दूर करने के लिए सरकार ने यहां तमाम योजनाएं चला रखी है. इन में कई विदेशियों की मदद से भी चलती हैं. यहां कई एनजीओ का भी आनाजाना होता है. पूरे उत्तर प्रदेश में मदद के नाम पर सब से अधिक पैसा यहीं आता है. यहां गरीबों की हालत का लाभ उठा कर उन से मनचाहा काम भी करवाया जाता है. कई बार ऐसी खबरें यहां के अखबारों में सुर्खियां बनती रही हैं. सीबीआई ने एक महीने तक यहां गहरी विवेचना की. इस जांच में सीबीआई को सोनभद्र में रहने वाले इंजीनियर नीरज यादव का पता चला. सब से पहले सीबीआई ने नीरज यादव को पकड़ा. बांदा में रहने वाले सिंचाई विभाग के इंजीनियर रामभवन का भी यहीं पता लगा.

सीबीआई ने रामभवन के करीब रहने वाले दिनेश को अपने भरोसे में लिया. दिनेश की पहचान छिपा कर सीबीआई ने रामभवन के बारे में पूछताछ की. इस मामले में सीबीआई की सब से बड़ी परेशानी यह थी कि यहां कोई वादी मुकदमा दर्ज कराना नहीं चाहता था. सीबीआई ने अपनी पहल पर ही मुकदमा दर्ज किया था. रामभवन के करीबी दिनेश की आजकल उस से बनती नहीं थी. सीबीआई को इस का लाभ मिला और दिनेश से कई राज उगलवा लिए गए. रामभवन के 3 मोबाइल नंबर, एक पेन ड्राइव सीबीआई को मिल गए. जिस में रामभवन के खिलाफ सारा काला चिट्ठा था.

रामभवन के सभी फोन नंबर उस के अपने पते पर लिए गए थे. उस के खिलाफ पुख्ता सबूत इकट्ठा करने के बाद सीबीआई ने रामभवन को गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई ने रामभवन को अपर जिला और सत्र न्यायाधीश (पंचम) की अदालत में पेश किया. शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार ने बताया कि रामभवन को रिमांड पर ले कर पूरी जांच की जाएगी. आरोप है कि वह कमजोर वर्ग के बच्चों को अपना निशाना बनाता था. इस में मजदूरी करने वाले, फुटपाथ पर सामान बेचने वाले और ठेके पर काम करने वाले बच्चे शामिल होते थे. वह उन बच्चों को कुछ लाभ दे कर आसानी से फंसा लेता था. लड़कियों को बुलाने पर लोगों के संदेह का खतरा ज्यादा होता है, इस कारण इस धंधे में लड़कों का ही ज्यादा प्रयोग किया जा रहा था.

देश में बच्चों का यौनशोषण कोई नई बात नहीं है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 में हर रोज 100 से अधिक बच्चों के यौनशोषण के मामलों की शिकायतें आती हैं. बच्चों के यौन शोषण में तमाम सख्ती के बाद भी इस में 22 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. कई बार पुलिस को इस बात का पता भी नहीं चलता था कि यह धंधा किस जगह से पनप रहा है. इस में शामिल बच्चे बेहद गरीब और दूरदराज की जगहों के होते थे जिस से उन की पहचान नहीं हो पाती थी. ऐसे में अपराधियों की जड़ तक पहुंच पाना मुश्किल काम होता था.

इस अपराध की जड़ तक पहुंचने के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने ‘औनलाइन चाइल्ड सैक्सुअल एब्यूज एंड एक्सप्लायटेशन प्रीवेंशन इनवेस्टीगेशन’ इकाई का गठन किया. इस का काम चाइल्ड पोर्नोग्राफी के पूरे धंधे को बेनकाब करना था. विदेशों में भारतीय पोर्न की डिमांड ज्यादा होती है. असल में विदेशों की पोर्न इंडस्ट्री फिल्मी दुनिया की तरह है. जबकि भारत में ऐसे वीडियो चोरीचुपके और लोगों को बहका कर बनाए जाते हैं. जो फिल्मी कहानी से नहीं दिखते. ऐसे में ये वीडियो मान कर सब से ज्यादा पसंद किए जाते हैं. सीबीआई ने जिस रामभवन को पकड़ा, उसे देख कर कोई नहीं कह सकता कि इतना भोला और सरल दिखने वाला इंसान ऐसी घिनौनी हरकतें भी कर सकता है.

रामभवन को उस के आसपास रहने वाले बच्चे ‘जेई अंकल’ के नाम से जानते हैं. जेई का मतलब जूनियर इंजीनियर होता है. रामभवन बच्चों को अपने घर पर बुलाता था. वह बच्चों को खेलने के लिए मोबाइल फोन दे देता था. बच्चे घंटोंघंटों उस के घर पर मोबाइल पर वीडियो गेम्स खेलते थे. ‘जेई अंकल’ का अपना कोई बच्चा नहीं था. पड़ोसियों को लगता था कि अपना बच्चा न होने के कारण वह दूसरे बच्चों को लाड़प्यार करता था. रामभवन अपने घर आने वाले बच्चों को उपहार और नकद पैसे भी देता था. बच्चों के परिजनों को रामभवन बताता था ‘बच्चे औनलाइन गेम्स खेलते हैं, इस में जो पैसा मिलता है वह आप सब को दे देता हूं.’

ये बच्चे गरीब परिवारों के होते थे. उन के लिए यह छोटीछोटी मदद भी बड़ी होती थी. ‘जेई अंकल’ का राज सीबीआई ने खोला और बताया कि वह बच्चों की अश्लील फोटो यानी चाइल्ड पोर्नोग्राफी का औनलाइन बिजनैस करता था. इस के बाद भी बच्चों के परिवार यह बात मानने को तैयार नहीं हैं. बच्चों से जब इस तरह के ‘गंदे काम’ के बारे में पूछा गया तो उन सब ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. सीबीआई कहती है कि बच्चे और उन के परिवार के लोग पैसे पाने की वजह से खामोश हैं. इस के अलावा उन को लगता है कि बयान देने के बाद कानूनी दांवपेंच में फंसने से अच्छा है कि पूरे मामले से दूर रहा जाए.

रामभवन के आसपास रहने वाले लोग मानते हैं कि वह सीधा आदमी है, उसे फंसाया जा रहा है. रामभवन भी खुद को निर्दोष बताता है. वह कहता है हमें सीबीआई जांच से कोई डर नहीं. सच्चाई सामने आ जाएगी. रामभवन मूलरूप से खरौंच गांव के देविना का पुरवा का रहने वाला है. उस के पिता चुन्ना कारीगर थे. घर बनाने का काम करते थे. उन्होंने अपनी मेहनत ने अपने 3 बेटों का पालनपोषण कर के बड़ा किया और उन को अपने पैरों पर खड़ा किया. रामभवन होनहार था तो उस की सरकारी नौकरी लग गई. 2004 में रामभवन की शादी प्रियावती से हुई थी. रामभवन की अपनी कोई औलाद नहीं है. 3 साल पहले हार्ट अटैक से रामभवन के पिता चुन्ना कारीगर की मौत हो गई थी.

इस के बाद से रामभवन अपनी पत्नी को साथ रखने लगा. तब से गांव में रहना छूट गया. रामभवन के दोनों भाई राजा और रामप्रकाश बांदा जिले के ही नरैनी-अतर्रा रोड पर अपने परिवारों के साथ रहते हैं. रामभवन का काम सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में अर्जुन सहायक परियोजना महोबा और रसिन बांध परियोजना चित्रकूट की देखभाल करने का था. उस की नौकरी का ज्यादातर समय बांदा, महोबा और हमीरपुर जिलों में बीता था. इस कारण पूरे इलाके में उस की मजबूत पकड़ थी. 2009-10 में रामभवन की तैनाती कर्वी में हुई थी. रामभवन काफी मिलनसार और सरल स्वभाव का था. उस का अपने साथ काम करने वालों और पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार था. रामभवन करीब 10 साल से चित्रकूट में तैनात था.

सिंचाई विभाग कार्यालय के सामने ही कपसेठी गांव में वह किराए का मकान ले कर रहता था. रामभवन को नौकरी के शुरुआती दिनों में सिंचाई विभाग कालोनी में ही रहने के लिए सरकारी आवास मिल गया था. इस के बाद भी वह कभी कालोनी के मकान में नहीं रहा. चित्रकूट में नौकरी के दिनों में वह सिकरी गांव के रहने वाले कुक्कू सिंह के यहां किराए का मकान ले कर रहता था. कुछ ही दिनों के बाद पड़ोसियों ने कुक्कू सिंह से शिकायत की थी कि रामभवन के घर में अनजान लोगों को आनाजाना होता है. रामभवन ने खाना बनाने के लिए एक महिला को नौकरानी की तरह से रखा था. उस की 2 बेटियां भी यहां आतीजाती थीं. इस शिकायत के कुछ दिन बाद रामभवन ने यह मकान खाली कर दिया था.

उस के खिलाफ 2012 में दोबारा शिकायत हुई थी, जब उस के पास रहने वाली एक किशोर उम्र की लड़की ने आत्महत्या कर ली थी. आरोप था कि रामभवन ने लड़की का यौनशोषण किया था, जिस के कारण लड़की ने आत्महत्या कर ली थी. चित्रकूट के लोग बताते हैं कि रामभवन उस मामले में बच गया क्योंकि लड़की के घरपरिवार वाले गरीब थे. रामभवन ने अपने को बचाने में पानी की तरह से पैसा बहा कर बचने में सफलता हासिल कर ली थी. रामभवन के कारनामों पर परदा पड़ा रहा. 2 नवंबर, 2020 को रामभवन का नाम चर्चा में आया. सीबीआई ने अनपरा, सोनभद्र निवासी इंजीनियर नीरज यादव को पकड़ा. नीरज बीटेक करने के बाद दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी करता था. लौकडाउन के दौरान नीरज की नौकरी छूट गई थी. तब वह सोनभद्र आ कर रहने लगा था.

सोशल मीडिया पर उस ने पोर्नोग्राफी के कुछ वीडियो अपलोड किए थे. वहां से सीबीआई को रामभवन का नाम मिला. सीबीआई ने 25 सितंबर, 2020 को सब से पहले नीरज यादव को पकड़ा. उस के बाद 15 नवंबर, 2020 को रामभवन को पकड़ा. सिंचाई विभाग के जूनियर इंजीनियर का नाम यौनशोषण मामले में आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई और जल मंत्री डा. महेंद्र सिंह ने उसे निलंबित कर कठोरतम कारवाई करने के निर्देश दिए. सीबीआई को रामभवन के पास से बच्चों के साथ यौनशोषण के 66 वीडियो, 600 से अधिक फोटो, सैक्स टौय, बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री और 8 लाख रुपए नकद बरामद हुए.

इस में 50 बच्चों का शामिल होना बताया जाता है. इन बच्चों की उम्र 5 से 15 साल के आसपास मानी जा रही है. ये सभी बच्चे हमीरपुर, चित्रकूट और बांदा के आसपास के रहने वाले हैं. रामभवन इन के साथ अश्लील वीडियो बना कर विदेशों मेें रहने वालों को बेच देता था. सीबीआई ने पाया कि रामभवन यह काम ‘डार्कवेब’ नामक वेबसाइट के जरिए करता था.

‘डार्कवेब’ इंटरनेट का बेहद जटिल स्वरूप है. इस की जड़ें डेनमार्क, कनाडा, स्वीडन और आयरलैंड जैसे देशों में हैं. ‘डार्कवेब’ का संचालन यहां के इंटरनेट सर्वर के जरिए होता है. यहां के आईपी एड्रेस का पता भी जल्दी नहीं लग पाता. ‘डार्कवेब’ के जरिए केवल पोर्नोग्राफी ही नहीं, मादक पदार्थों और अवैध असलहों की भी खरीदफरोख्त होती है. ‘डार्कवेब’ का सर्चइंजन कहीं नजर नहीं आता. इस कारण ही इस को डीपनेट भी कहा जाता है. रामभवन को इस के संचालन की जानकारी कैसे हुई, यह बड़ा सवाल है?

सीबीआई के सूत्र मानते हैं कि रामभवन को यह जानकारी अनपरा के रहने वाले इंजीनियर नीरज यादव से मिली होगी. वीडियो बनाने का काम रामभवन करता होगा और इसे  ‘डार्कवेब’ तक ले जाने का काम नीरज यादव करता होगा. नीरज यादव दिल्ली में रहने के दौरान किसी ऐसे चाइल्ड पोर्नोग्राफी रैकेट के संपर्क में आया होगा, जिस के बाद वह और रामभवन मिल कर यह काम करने लगे होंगे. सीबीआई रामभवन को रिमांड पर ले कर इन सवालों के जबाव तलाशने का काम कर रही है. सीबीआई की जांच में यह पता चला कि रामभवन 5 साल से 15 साल आयु वर्ग के बच्चों को अपने जाल में फंसा उन की अश्लील वीडियो बना लेता था. इस के आधार पर वह बच्चों का यौनशोषण करता था.

‘डार्कवेब’ नामक वेबसाइट के संपर्क में आने के बाद रामभवन इन वीडियो को विदेशों में बेचने का काम भी करने लगा था. उस को जो पैसे मिलते थे, उन में से वह बच्चों को भी देता था. रामभवन को पता नहीं था कि बुरे काम का बुरा नतीजा होता है. कभी न कभी अपराध खुल कर सामने आ ही जाता है. भारत में इंटरनेट पर अश्लील और आपत्तिजनक तसवीर या कोई अश्लील फिल्म देखना और बनाना दोनों ही अपराध माने जाते हैं. इस के बाद भी यहां पर बड़ी संख्या में अवैध तरीके से ऐसे फोटो और वीडियो तैयार होते हैं. विदेशों में इन की डिमांड ज्यादा है. साइबर क्राइम में सब से अधिक मामले अश्लीलता के दर्ज हो रहे हैं.

कई अपराधिक मामलों में ऐसे वीडियो अपराधियों के गले की फांस भी बन जाते हैं. भारत में देशी और विदेशी दोनों ही तरह के सैक्सी वीडियो सब से अधिक देखे जाते हैं. भारत में 49 प्रतिशत लोग चोरी से पोर्न देखते हैं. 17 प्रतिशत लोग इस तरह की विडियो नियमित देखते हैं. भारत में 70 प्रतिशत पोर्न इंटरनेट मीडिया से आता है. भारत में सब से ज्यादा पोर्न मोबाइल फोन पर देखी जाती है. भारत में अब तेजी से ऐसे वीडियो बनने लगे हैं. कुछ दिन पहले दिल्ली के स्कूल में पढ़ने वाली लड़की का लगभग 2 मिनट की अश्लील वीडियो चर्चा में आया था. दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन पर एलसीडी में अचानक इस तरह की सैक्स विडियो दिखने लगी थी.

बहुत सारे ऐसे मामले भी आए, जिस में लड़के अपने साथियों के वीडियो और फोटो लेते पकड़े गए थे. कई बार परेशान लड़के लड़कियों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठाए थे. कई मशहूर हस्तियों के वीडियो एडिट कर के भी बनाने की घटनाएं भी सामने आईं. इंटरनेट कुछ ही सालों में पोर्नसाइट देखने का सब से बड़ा साधन बन गया. इस का व्यापार दिनबदिन बढ़ रहा है. सैक्स से जुड़ी तमाम तरह की देशी और विदेशी वीडियो इंटरनेट पर मिलने लगी हैं. ऐसे में वीडियो बनाने का धंधा भी तेजी से फैल रहा है. देह का धंधा करने वाले गिरोह इंटरनेट पर अश्लील चैटिंग और सैक्स वीडियो का कारोबार कर रहे हैं. इन के जरिए देह धंधे के ग्राहक भी तलाशे जाते हैं. कई वेबसाइट इस काम में लगी हैं. इस की आड़ में तमाम तरह के फ्रौड भी होते हैं.

Crime News : जिस बेटी को गोद लिया, उसी ने कर दी माता पिता की हत्या

Crime News : लंदन में भूमिगत ट्रेन के ड्राइवर घनश्यामभाई और सुनंदा बेऔलाद थे. वे लोग कोलकाता के एक अनाथाश्रम से 15 साल की एक बच्ची को गोद ले कर लंदन चले गए. लेकिन उस बेटी को ऐसे पंख लगे कि…

लंदन के वेंबली में ज्यादातर गुजराती रहते हैं. नैरोबी से आ कर बसे घनश्याम सुंदरलाल अमीन भी अपनी पत्नी सुनंदा के साथ वेंबली में ही रहते थे. वह लंदन में भूमिगत ट्रेन के ड्राइवर थे. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद पत्नी के साथ आराम से रह रहे थे. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें सोशल स्कीम के तहत अच्छा पैसा मिल रहा था. इस के अलावा उन की खुद की बचत भी थी. उन्हें किसी चीज की कमी नहीं थी, कमी बस यह थी कि वह निस्संतान थे. किसी दोस्त ने घनश्यामभाई को सलाह दी कि वह कोई बच्चा गोद ले लें. ब्रिटेन में बच्चा गोद लेना बहुत मुश्किल है, भारतीय परिवार के लिए तो और भी मुश्किल. इसलिए घनश्यामभाई ने अपने किसी भारतीय मित्र की सलाह पर कोलकाता की एक स्वयंसेवी संस्था से संपर्क किया. उस संस्था ने एक अनाथाश्रम से उन का संपर्क करा दिया.

अनाथाश्रम ने घनश्यामभाई से कोलकाता आने को कहा. घनश्यामभाई पत्नी के साथ कोलकाता आ गए. कोलकाता के उस अनाथाश्रम में उन्हें सुचित्रा नाम की एक लड़की पसंद आ गई. वह 15 साल की थी. जन्म से बंगाली और मात्र बंगला तथा हिंदी बोलती थी. देखने में एकदम भोली, सुंदर और मुग्धा थी. पतिपत्नी ने सुचित्रा को पसंद कर लिया. सुचित्रा भी उन के साथ लंदन जाने को तैयार हो गई. घनश्यामभाई ने सुचित्रा को गोद लेने की तमाम कानूनी प्रक्रिया पूरी कर लीं. सुचित्रा को वीजा दिलाने में तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा. तरहतरह के प्रमाणपत्र देने पड़े. आखिर 6 महीने बाद सुचित्रा को वीजा मिल गया.

सुचित्रा लंदन पहुंच गई. उस के लिए वहां सब कुछ नयानया था. नया देश, नई दुनिया, नई भाषा, नए लोग. सब कुछ नया. वहां उस का एक स्कूल में दाखिल करा दिया गया. उस ने जल्दी ही अंगरेजी सीख ली. वह गोरी थी और छोटी भी, इसलिए जल्दी से गोरे बच्चों के साथ घुलमिल गई. स्कूल में तमाम गुजराती, पंजाबी और बांग्लादेश से आए परिवारों के बच्चे पढ़ते थे. सुचित्रा अब बड़ी होने लगी. वह अकेली लंदन में अंडरग्राउंड ट्रेन में सफर कर सकती थी. बिलकुल अकेली पिकाडाली तक जा सकती थी. वह पढ़ने में भी अच्छी थी. सुचित्रा को गोद लेने वाले घनश्यामभाई और उन की पत्नी सुनंदा अपनी इस बेटी से खुश थे.

छुट्टी के दिनों में वे कभी उसे मैडम तुषाद म्युजियम दिखाने ले जाते तो कभी उसे हाइड पार्क घुमाने ले जाते. मित्रों के घर पार्टी में भी सुचित्रा को हमेशा साथ रखते. सुचित्रा सुनंदा को ‘मम्मी’ कहती तो वह खुश हो जातीं. उन्हें ऐसा लगता कि सुचित्रा उन की कोख जनी बेटी है. वह स्कूल तो जा ही रही थी. अब कभीकभार अपनी सहेली के घर रुक जाती. फिर वह हर शनिवार को सहेली के घर रुकने लगी. अभी वह 17 साल की ही थी. एक दिन सुनंदा को पता चला कि सुचित्रा घर से तो अपनी सहेली के घर जा कर रुकने की बात कह कर गई थी, पर वह सहेली के घर गई नहीं थी. उन्होंने सुचित्रा से सख्ती से पूछताछ की तो वह खीझ कर बोली, ‘‘दिस इज नन औफ योर बिजनैस.’’

सुचित्रा की इस बात से घनश्यामभाई और सुनंदा को गहरा आघात लगा. कुछ दिनों बाद एक दूसरी घटना घटी. सुचित्रा अकसर स्कूल नहीं जाती थी. घनश्यामभाई और सुनंदा ने जब उस से पूछा तो उस ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. पतिपत्नी ने सुचित्रा की सहेलियों से पूछताछ की तो पता चला कि वह सुखबीर नाम के एक पंजाबी लड़के के साथ घूमती है. चालू स्कूल में भी वह स्कूल छोड़ कर उस के साथ बाहर घूमने चली जाती है. घनश्यामभाई ने शाम को सुचित्रा से पूछा, ‘‘मुझे पता चला है कि तुम सुखबीर नाम के किसी लड़के के साथ घूमती हो, क्या यह सच है?’’

‘‘आई एम ए फ्री गर्ल,’’ सुचित्रा ने कहा, ‘‘मैं कहां जाती हूं और बाहर जा कर क्या करती हूं, यह आप को बिलकुल नहीं पूछना चाहिए.’’

सुनंदा ने कहा, ‘‘पर बेटा, तुम हमारी बेटी हो. हमें चिंता होती है. तुम अभी 17 साल की ही तो हो.’’

‘‘यू आर नौट माई बायोलौजिकल मदर. आई ऐम योर एडाप्टेड गर्ल. आप ने अपने स्वार्थ के लिए मुझे गोद लिया है. मैं आप की कोख से पैदा नहीं हुई हूं. मेरे ऊपर आप के मर्यादित अधिकार हैं, समझीं?’’

‘‘मतलब?’’ सुनंदा ने पूछा.

‘‘आई एम नौट ए पार्ट आफ योर बौडी. मैं तुम्हारे शरीर का कोई भी हिस्सा नहीं हूं. मेरे शरीर पर मेरा ही अधिकार है?’’

सुचित्रा की बात सुन कर घनश्यामभाई को गुस्सा आ गया. उन्होंने सुचित्रा को एक तमाचा मार दिया. सुचित्रा चिल्लाई, ‘‘दिस इज फर्स्ट एंड लास्ट. अगर दूसरी बार तुम ने ऐसा किया तो मैं पुलिस बुला लूंगी.’’

घनश्यामभाई ने कहा, ‘‘मैं खुद ही पुलिस को बताऊंगा कि मेरे द्वारा गोद ली गई बेटी पढ़ने की उम्र में गलत काम करती है. तुम्हें सोशल काउंसलिंग में भेज दूंगा. उस के बाद भी नहीं सुधरी तो तुम्हें फिर इंडिया जाना होगा.’’

इंडिया वापस भेजने की बात सुन कर सुचित्रा सोच में पड़ गई. वह एकदम चुप हो गई और अपने बैडरूम में चली गई. अगले दिन उठ कर उस ने मम्मीपापा से ‘सौरी’ कहा. घनश्यामभाई और सुनंदा शांत हो गए. सुनंदा ने कहा, ‘‘देखो बेटा, तुम्हारी पढ़नेलिखने की उम्र है. तुम अच्छी तरह पढ़लिख कर अपना कैरियर बना लो. अभी तुम टीनएज हो. जिस लड़के के साथ मन हो, नहीं घूम सकतीं.’’

सुचित्रा ने सिर झुका कर कहा, ‘‘मम्मी, अब इस तरह की गलती दोबारा नहीं करूंगी.’’

इस के बाद वह नियमित रूप से स्कूल जाने लगी. सुचित्रा स्कूल नहीं आती, यह शिकायतें आनी बंद हो गईं. घनश्यामभाई ने अपनी तरह से पता किया तो मालूम हुआ कि सुचित्रा नियमित स्कूल जाती है. धीरेधीरे इस बात को काफी समय बीत गया. एक दिन घनश्यामभाई और सुनंदा के पड़ोसियों ने पुलिस से शिकायत की कि हमारे बगल वाले घर से बहुत तेज दुर्गंध आ रही है. तुरंत पुलिस आ गई. घर का दरवाजा बंद था. लेकिन अंदर से स्टौपर नहीं लगा था. पुलिस ने धक्का मारा तो दरवाजा खुल गया. पुलिस ने अंदर जा कर देखा तो बैडरूम में घनश्यामभाई और उन की पत्नी की लाशें पड़ी थीं.

पूछताछ में पड़ोसियों ने बताया कि इन के साथ इन की गोद ली गई बेटी भी रहती थी. उस समय वह घर में नहीं थी. दोनों लाशों को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. उन की गोद ली गई बेटी गायब थी. पता चला कई दिनों से वह स्कूल भी नहीं गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो बताया गया कि पतिपत्नी के मरने से पहले खाने में नींद की दवा दी गई थी. उस के बाद घनश्यामभाई की हत्या चाकू से और सुनंदा की हत्या मुंह पर तकिया रख कर की गई थी. पुलिस का पहला शक मारे गए पतिपत्नी की दत्तक बेटी सुचित्रा पर गया. उन्होंने घनश्यामभाई और सुचित्रा के मोबाइल का काल रिकौर्ड चैक किया. 2 ही दिनों में पुलिस सुचित्रा के बौयफ्रैंड सुखबीर के घर पहुंच गई.

सुखबीर अकेला ही अपनी विधवा मां के साथ रहता था. सुचित्रा भी उसी के घर मिल गई. पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ की तो सुचित्रा और सुखबीर ने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने प्रेम का विरोध करने की वजह से घनश्यामभाई और सुनंदा की हत्या की थी. सुचित्रा ने बताया, ‘‘उस रात मैं ने ही अपने पालक मातापिता के खाने में नींद की गोलियां मिला दी थीं, जिस से वे जाग न सकें. दोनों गहरी नींद सो गए तो सुखबीर को बुला लिया. उस के बाद अपनी पालक माता सुनंदा के मुंह पर तकिया रख कर पूरी ताकत से दबाए रखा तो उन की सांसों की डोर टूट गई.

‘‘सुनंदा के छटपटाने की आवाज सुन कर मेरे पालक पिता घनश्यामभाई जाग गए. सुखबीर अपने साथ चाकू लाया था. उसी चाकू से उस ने घनश्यामभाई पर ताबड़तोड़ वार कर के उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया. उस के बाद हम दोनों भाग गए.’’

दोनों के बयान सुन कर पुलिस स्तब्ध रह गई. सुचित्रा अभी नाबालिग थी. पुलिस ने उस की मैडिकल जांच कराई तो पता चला कि वह गर्भवती है. सुचित्रा ने जो किया, उसे सुन कर तो अब यही लगता है कि इस तरह बच्चे को गोद लेने में भी सौ बार सोचना चाहिए.

 

Family Dispute : आखिर पत्नी ने नींद में सोए पति को क्यों गला दबा कर मार डाला

Family Dispute : निकाह के 18 दिन में ही मुसकान यह समझ बैठी थी कि शौहर शाहनवाज के साथ उस के सपने कभी पूरे नहीं होंगे. इसलिए उस से छुटकारा पाने के लिए उस ने ऐसी खौफनाक साजिश रची कि…

अहसान मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला शामली के कैराना का रहने वाला था. वह कामधंधे के सिलसिले में काफी साल पहले हरिद्वार के कस्बा झबरेड़ा के मोहल्ला नूरबस्ती आ कर रहने लगा था. 6 नवंबर, 2020 को सुबह के करीब 6 बज रहे थे. अहसान अपने बीवीबच्चों के साथ गहरी नींद सोया था. तभी अचानक घर के बाहर मोहल्ले वालों के शोरशराबे की आवाजों से उस की आंखें खुल गईं. इन्हीं आवाजों में उसे अपने साले शाहनवाज की बीवी मुसकान के रोनेचिल्लाने की आवाज सुनाई दी. अहसान को मुसकान के रोने की आवाज कुछ अजीब लगी, क्योंकि शाहनवाज व मुसकान उस के बगल वाले कमरे में ही रहते थे तथा 18 दिन पहले ही उन का निकाह हुआ था.

वह जल्दी में कमरे से बाहर निकला तो उस ने मोहल्ले वालों के ‘लाश… लाश’ चिल्लाने की मिलीजुली आवाज सुनी. अहसान तुरंत मौके पर पहुंचा. उस ने देखा कि उस के घर के पास बिजलीघर के बराबर वाले खाली प्लौट में एक लाश पड़ी थी. लाश पौलिथीन से ढकी हुई थी. वहां आसपास खडे़ दरजनों लोग लाश के बारे में तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे. तभी भीड़ से निकल कर मुसकान अहसान के पास आई और बोली कि कुछ अज्ञात हत्यारों ने शाहनवाज को मार डाला है.

‘‘शाहनवाज तो रात को घर में ही था?’’ अहसान ने कहा.

‘‘नहीं जीजाजी, वह रात को खाना खा कर 10 बजे चले गए थे.’’ मुसकान बोली.

‘‘वह बाहर किसलिए गया था?’’ अहसान ने पूछा.

‘‘कह कर गए थे कि किसी से मिल कर थोड़ी देर में वापस आ जाएंगे, मगर पूरी रात वापस नहीं आए और मैं सुबह तक जाग कर उन का इंतजार करती रही.’’ मुसकान ने बताया.

‘‘तुम ने यह बात रात को ही मुझे क्यों नहीं बताई, मैं उसे कहीं ढूंढता.’’ अहसान बोला

‘‘मैं ने यह बात इसलिए नहीं बताई थी कि आप दिन भर के थके हुए थे और सो रहे थे. मुझे उम्मीद थी कि थोड़ी देर में वापस लौट आएंगे.’’ मुसकान बोली.

इसी दौरान भीड़ में से किसी ने शाहनवाज की लाश मिलने की सूचना झबरेड़ा के थानाप्रभारी रविंद्र कुमार को दे दी. हत्या की सूचना पा कर थानाप्रभारी रविंद्र कुमार अपने साथ एसआई चिंतामणि सकलानी, महेंद्र पुंडीर व हैडकांस्टेबल राजेंद्र को ले कर घटनास्थल की ओर निकल पड़े. घटनास्थल थाने से मात्र 4 किलोमीटर दूर था, अत: वे 15 मिनट में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से शाहनवाज के बारे में पूछताछ की. उन्होंने मृतक के बहनोई अहसान से भी पूछताछ की.

अहसान ने बताया कि शाहनवाज सहारनपुर के थाना कोतवाली देहात के अंतर्गत मोहल्ला शेखपुरा का रहने वाला था. वह एक ईंट भट्ठे पर नौकरी करता था. पिछली रात 10 बजे खाना खाने के बाद घर से बीवी को यह कह कर निकला था कि वह थोड़ी देर में वापस लौट आएगा. लेकिन रात भर नहीं आया और सुबह यहां उस की लाश मिली. अभी रविंद्र कुमार इस हत्या का बाबत अहसान से पूछताछ कर ही रहे थे कि सूचना पा कर सीओ (मंगलौर) अभय प्रताप सिंह व एसपी (देहात) एस.के. सिंह भी मौके पर आ गए.

दोनों अधिकारियों ने भी शाहनवाज की लाश का निरीक्षण किया. सीओ अभय प्रताप सिंह को मृतक शाहनवाज के गले पर कुछ ऐसे निशान दिखाई दिए, जिस से लग रहा था कि हत्यारों ने शायद शाहनवाज का कुछ देर तक गला दबाया था. इन अधिकारियों ने अहसान से पूछा कि शाहनवाज से किसी की दुश्मनी या लेनदेन संबंधी कोई विवाद तो नहीं था? अहसान ने साफ मना करते हुए बताया कि साहब ऐसा कुछ भी नहीं था. शाहनवाज काफी मिलनसार व मेहनत करने वाला युवक था. बस उस में एक कमी थी कि वह कभीकभार शराब जरूर पी लेता था.

मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए जे.एन. सिन्हा स्मारक संयुक्त चिकित्सालय रुड़की भेज दी. इस के बाद अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस के बाद एसपी (देहात) एस.के. सिंह ने शाम को शाहनवाज हत्याकांड का परदाफाश करने के लिए थाना झबरेडा में एक मीटिंग बुलाई, जिस में सीओ (मंगलौर) अभय प्रताप सिंह व थानाप्रभारी रविंद्र कुमार शामिल हुए. इस बैठक में शाहनवाज के हत्यारों के बारे में मंथन किया गया. सीओ अभय प्रताप सिंह ने थाना झबरेडा के 2 सिपाहियों नूर हसन व नरेश को सादे कपड़ों में शाहनवाज के घर जा कर उस के व उस की बीवी मुसकान के बारे में सुरागरसी करने के निर्देश दिए.

थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने भी शाहनवाज व मुसकान के मोबाइल फोन नंबरों की पिछले एक महीने की काल डिटेल्स निकलवा ली थी. अगले दिन 7 नवंबर, 2020 की सुबह को पुलिस को मुसकान के बारे में काफी जानकारियां प्राप्त हो गईं. पुलिस को पता चला कि मुसकान के पिता शहीद का कई साल पहले इंतकाल हो गया था. मुसकान उन की 9 बेटियों में 8वें नंबर की थी. अहसान की बीवी सायरा शहीद की दूर की रिश्तेदार थी, इसलिए सायरा ने अपने भाई शाहनवाज के लिए शहीद से मुसकान का हाथ मांग लिया था.

गत 18 अक्तूबर, 2020 को कांधला में एक सादे समारोह में शाहनवाज व मुसकान का निकाह हो गया था. निकाह के बाद मुसकान का पारिवारिक जीवन ज्यादा सुखद नहीं रहा. इस का कारण यह था कि शाहनवाज शराबी किस्म का युवक था. शाहनवाज शराब पीने के बाद अकसर मुसकान से मारपीट पर उतारू हो जाता था. इस के अलावा पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि मुसकान अकसर खाड़ी देश में नौकरी करने वाले एक युवक से बात करती थी. ये जानकारियां मिलने के बाद पुलिस को मुसकान पर शक हो गया. सीओ अभय प्रताप सिंह व थाना प्रभारी रविंद्र कुमार को लगा कि शाहनवाज की हत्या का राज मुसकान ही खोल सकती है. उसे शाहनवाज के हत्यारों के बारे में जरूर कोई न कोई जानकारी रही होगी.

मुसकान ने पुलिस को अभी तक यही बताया था कि शाहनवाज घटना वाले दिन रात को 10 बजे खाना खाने के बाद घर से निकल गया था. जाते वक्त वह थोड़ी देर में लौटने की बात कह कर गया था. लेकिन यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी. सीओ अभय प्रताप सिंह ने मुसकान के बारे में मिली जानकारी से एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस. को अवगत कराया. एसएसपी ने एसपी (देहात) एस.के. सिंह व सीओ अभय प्रताप सिंह को निर्देश दिए कि मुसकान को थाने बुला कर उस से गहन पूछताछ करें.

इस के बाद थानाप्रभारी रविंद्र सिंह ने महिला कांस्टेबल पूजा को मुसकान के घर भेज कर पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया. एसपी (देहात) एस.के. सिंह व सीओ अभय प्रताप की मौजूदगी में मुसकान से शाहनवाज की हत्या की बाबत पूछताछ शुरू की गई. पूछताछ के दौरान मुसकान आधे घंटे तक पुलिस को बरगलाती रही. जब एसपी एस.के. सिंह ने मुसकान से सख्त लहजे में कहा कि जब रात से तुम्हारा शौहर लापता था, तो तुम ने पास में ही रहने वाले उस के बहनोई और बहन सायरा को क्यों नहीं बताया? हो सकता है वे लोग रात को ही शाहनवाज को ढूंढ लाते और उस की जान बच जाती.

एस.के. सिंह के इस सवाल पर मुसकान खामोश हो गई. इस के बाद सीओ अभय प्रताप सिंह ने सख्त लहजे में मुसकान से कहा कि तेरी चुप्पी बता रही है कि शाहनवाज की हत्या का सच कुछ और है जिसे तू अच्छी तरह से जानती है, मगर पुलिस से छिपा रही है. या तो तू शाहनवाज की हत्या का सच सीधी तरह बता दे, नहीं तो हमें दूसरे तरीके भी आते हैं. अभय प्रताप सिंह के इस कथन का मुसकान पर गहरा असर हुआ और वह रोने लगी. मुसकान ने पुलिस के सामने अपने शौहर शाहनवाज की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि जब उस का निकाह हुआ था तो वह बड़ी खुश थी और उस ने अपने भविष्य के सतरंगी सपने संजोए थे.

लेकिन जब वह ससुराल झबरेडा आई, तो उस के सपने बिखर गए. यहां आ कर उस ने पाया कि उस का शौहर शाहनवाज एक नंबर का शराबी है. इस के अलावा वह उस के साथ अकसर मारपीट भी करता था. घटना वाले दिन यानी 5 नवंबर, 2020 को शाहनवाज नशे में धुत हो कर घर आया था. उस के नशे में होने के कारण वह क्रोध से भर गई. शाहनवाज ने घर में आते ही उस के साथ पहले मारपीट की. इस के बाद वह सो गया. मुसकान ने बताया कि उस वक्त रात के साढ़े 10 बजे थे. उस के ननदोई का परिवार बराबर वाले कमरे में गहरी नींद में सो रहा था. वह अपने शौहर शाहनवाज से पहले से ही परेशान थी.

उस वक्त वह गुस्से से भर गई और गुस्से में आ कर उस ने नशे में बेसुध सो रहे शाहनवाज का गला घोंट दिया. कुछ देर में जब उस की मौत हो गई तो उस ने उस की लाश घसीट कर घर से थोड़ी दूर एक खाली प्लौट में डाल दी. लाश को उस ने एक ठेली पर रखी प्लास्टिक की पौलीथिन से ढक दिया था, जिस से कोई उसे देख न सके. इस के बाद घर आ कर वह सो गई थी. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने मुसकान के बयान दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद एसपी (देहात) एस.के. सिंह ने कोतवाली रुड़की में एक प्रैसवार्ता कर के मीडिया के सामने शाहनवाज हत्याकांड का परदाफाश किया.

निकाह के महज 18 दिनों में ही शौहर की हत्या करने वाली बीवी का यह समाचार कई दिनों तक अखबारों व टीवी चैनलों की सुर्खियां बना रहा. 2 दिनों बाद पुलिस को शाहनवाज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शाहनवाज की मौत का कारण उस का गला घोंटा जाना बताया गया. पुलिस ने मुसकान को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

family Crime : बेवफा पत्नी ने बिजली के तार से घोंटा पति का गला

family Crime : दंपति के बीच आपसी विवाद होना एक आम बात होती है. लेकिन समझदार लोग पहल कर के खुद ही विवादों को निपटा लेते हैं. अवतार सिंह और अंजना यादव भी अगर अपना अहंकार छोड़ कर घरेलू विवाद निपटाने की कोशिश करते तो शायद…

यह झांसी डिवीजन के तहत आता है. महाराजा सोमेश सिंह ने अपनी पत्नी ललिता देवी की यादगार में इस का नाम ललितपुर रखा था. साल 1974 में यह जिले के रूप में अस्तित्व में आया. जिले की सीमाएं झांसी व दतिया से जुड़ी हैं. झांसी जहां ऐतिहासिक क्रांति के लिए मशहूर है तो दतिया दूधदही व खोया व्यापार के लिए. जबकि ललितपुर उधार व्यापार के लिए चर्चित है. इन 3 जिलों को मिला कर एक कहावत बहुत मशहूर है ‘झांसी गले की फांसी, दतिया गले का हार. ललितपुर न छोडि़ए, जब तक मिले उधार.’

ललितपुर जिला ऐतिहासिक तथा धर्मस्थलों के लिए भी मशहूर है. यहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं. भारत के 3 बांधों में प्रमुख गोविंद सागर बांध इसी ललितपुर में स्थित है. इस बांध को लव पौइंट के नाम से भी जाना जाता है. इसी ललितपुर शहर में एक गांव है जिजयावन. यादव बाहुल्य इस गांव में शेर सिंह यादव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी कमला के अलावा एक बेटी रामरती और बेटा अवतार सिंह था. शेर सिंह की आजीविका खेती थी. उसी की आय से उस ने बेटी का ब्याह कर उसे ससुराल भेजा था. शेर सिंह यादव खुद तो जीवन भर खेत जोतता रहा, लेकिन वह अपने बेटे अवतार सिंह को पढ़ालिखा कर अच्छी नौकरी दिलवाना चाहता था. लेकिन उस की यह तमन्ना अधूरी ही रह गई.

क्योंकि अवतार सिंह का मन पढ़ाई में नहीं लगा. हाईस्कूल में फेल होने के बाद उस ने पढ़ाई बंद कर दी और खेती के काम में पिता का हाथ बंटाने लगा. अवतार सिंह का मन खेतीकिसानी में लग गया तो शेर सिंह ने उस का विवाह भसौरा गांव निवासी राजकुमार यादव की बेटी अंजना उर्फ सुखदेवी के साथ कर दिया. अंजना थी तो सांवली, लेकिन उस का बदन भरा हुआ और नाकनक्श सुंदर थे. अवतार सिंह उस की अदाओं पर फिदा था, इसी कारण वह धीरधीरे जोरू का गुलाम बन गया. दोनों की शादी को 5 साल बीत गए. इस बीच अंजना 2 बेटियों की मां बन गई.

अंजना की सास कमला की दिली तमन्ना थी कि उस का एक पोता हो. लेकिन जब अंजना ने एक के बाद एक 2 बेटियों को जन्म दिया तो कमला गम में डूब गई. इसी गम से वह बीमार रहने लगी और फिर एक दिन उस की मृत्यु हो गई. पत्नी छोड़ कर चली गई तो शेर सिंह को भी संसार से मोह नहीं रह गया. उस ने साधु वेश धारण कर लिया और तीर्थस्थानों के भ्रमण करने लगा. वह महीने दो महीने में घर आता, हफ्तादस दिन रहता, उस के बाद फिर भ्रमण पर निकल जाता. ससुर के घर छोड़ने से जहां अंजना खुश थी, वहीं अवतार सिंह को इस बात का गहरा सदमा लगा था. अवतार सिंह का मानना था कि मां की मौत की जिम्मेदार उस की पत्नी अंजना ही है.

पिता भी उसी के कारण घर छोड़ कर गए हैं. कभीकभी वह अंजना को इस बात का ताना भी देता था. इसे ले कर दोनों में झगड़ा होता, फिर अंजना रूठ कर मायके चली जाती. अवतार सिंह के मनाने पर ही वह घर वापस आती थी. पतिपत्नी के बीच तनाव बढ़ा, तो उन के अंतरंग संबंधों पर भी असर पड़ने लगा. जब मन में दूरियां पैदा हो जाएं तो तन अपने आप दूर हो जाते हैं. अब महीनों तक दोनों देह मिलन से भी दूर रहते. अंजना चाहती थी कि प्रणय की पहल अवतार सिंह करे, जबकि अवतार सिंह चाहता था कि अंजना खुद उस के पास आए. इसी जिद पर दोनों अड़े रहते. तनाव पैदा होने से, घर में एक बुराई और घुस आई. अवतार सिंह को शराब पीने की आदत पड़ गई. वह शराब पी कर आने लगा. इस से मनमुटाव और बढ़ गया.

अवतार सिंह की जानपहचान कल्याण उर्फ काले कुशवाहा से थी. कल्याण पड़ोस के गांव मिर्चवारा का रहने वाला था और काश्तकार था. अवतार और कल्याण के खेत मिले हुए थे सो दोनों की खेतों पर अकसर मुलाकात हो जाती थी. कल्याण की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उस के पास बुलेरो कार भी थी, जिसे मोहन कुशवाहा चलाता था. बोलेरो कार बुकिंग पर चलती थी, जिस से कल्याण को अतिरिक्त आय होती थी. मोहन कुशवाहा ड्राइवर ही नहीं बल्कि उस का दाहिना हाथ था. कल्याण उर्फ काले कुशवाहा शराब व शबाब का शौकीन था. अवतार सिंह को भी शराब पीने की लत थी, सो उस ने कल्याण से दोस्ती कर ली. अब दोनों की महफिल साथसाथ जमने लगी. चूंकि अवतार सिंह को पैसा खर्च नहीं करना पड़ता था सो वह उस के बुलावे पर तुरंत उस के पास पहुंच जाता था.

एक रोज कल्याण शराब की बोतल ले कर अवतार सिंह के घर आ पहुंचा. उस रोज पहली बार कल्याण की नजर अवतार की पत्नी अंजना पर पड़ी. पहली ही नजर में अंजना उस के दिल में रचबस गई. अंजना भी हृष्टपुष्ट कल्याण को देख कर प्रभावित हुई. दरअसल अंजना अपने पति अवतार सिंह से संतुष्ट नहीं थी. उस का जिस्मानी रिश्ता खत्म सा हो गया था. अत: उस ने मन ही मन कल्याण को अपने प्यार के जाल में फंसाने का निश्चय कर लिया. कल्याण कुशवाहा का अंजना के घर आनाजाना शुरू हुआ, तो दोनों के बीच नजदीकियां भी बढ़ने लगीं. 2 बेटियों की मां बन जाने के बाद भी अंजना का यौवन अभी ढला नहीं था. अंजना की आंखों में जब उसे मूक निमंत्रण दिखने लगा, तो कामना की प्यास भी बढ़ गई.

अंजना की नजदीकियां पाने के लिए कल्याण ने अवतार सिंह को ज्यादा भाव देना शुरू कर दिया. वह उसे मुफ्त में शराब तो पिलाता ही था, अब उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. कल्याण का घर आना बढ़ा तो अंजना समझ गई कि कल्याण पर उस के हुस्न का जादू चल गया है. वह अपने हावभाव से उस की प्यास और भड़काने लगी. बेताबी दोनों ओर बढ़ती गई. अब उन्हें मौके का इंतजार था. एक रोज कल्याण ने अंजना को पाने का मन बनाया और दोपहर को अवतार सिंह के घर पहुंच गया. अंजना उस समय घर में अकेली थी. बच्चे स्कूल गए थे और अवतार सिंह खेतों पर. मौका अच्छा था. कल्याण को देख अंजना के होंठों पर शरारती मुसकान बिखरी और उस ने पूछा, ‘‘तुम तो शाम को अंगूर की बेटी को होंठों पर लगाने यहां आते थे, आज दिन में रास्ता कैसे भूल गए?’’

‘‘अंजना, अंगूर की बेटी से होंठों की प्यास कहां बुझती है, उल्टा और भड़क जाती है. सोचा कि आज शराब से भी ज्यादा नशीली, उस से ज्यादा मादक अपनी अंजना का नशा कर लूं.’’ कहते हुए कल्याण ने उस के कंधे पर हाथ रख दिए.

‘‘तुम ने न मुझे हाथ लगाया, न होंठ लगाए. फिर कैसे कह सकते हो कि मैं शराब से ज्यादा मादक और नशीली हूं.’’ अंजना ने अपनी अंगुलियों से कल्याण की छाती सहलानी शुरू कर दी. यह मिलन का साफ आमंत्रण था.

कल्याण का हौसला बढ़ा. उस ने अंजना को अपनी बांहों में भर लिया. इस के बाद दोनों ने हसरतें पूरी कीं. उस रोज के बाद कल्याण तथा अंजना के बीच अकसर यह खेल खेला जाने लगा. दोनों को न मर्यादा की परवाह थी, न रिश्तेनातों की. अंजना अब खूब बन संवर कर रहने लगी. अकसर दोपहर को कल्याण का अवतार सिंह के घर आना, लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बनना ही था. धीरेधीरे पासपड़ोस वाले समझ गए कि दोनों के बीच कौन सी खिचड़ी पक रही है. चर्चा फैली तो बात अवतार सिंह के कानों तक पहुंची. उस ने पत्नी से जवाबतलब किया तो अंजना बोली, ‘‘कल्याण तो तुम्हारे साथ पीनेखाने के लिए आता है. इसी बात की जलन लोगों को होती है. तुम्हें अगर उस के आने से परेशानी है, तो तुम ही उसे मना कर देना. मैं बेकार में क्यों बुरी बनूं.’’

पत्नी की बातों से अवतार सिंह को लगा कि गांव वाले बिना वजह बातें कर रहे हैं. अंजना गलत नहीं है. वह शांत हो कर चारपाई पर जा लेटा. अवतार सिंह ने अंजना की बात पर यकीन तो कर लिया, लेकिन मन का शक दूर नहीं हुआ. इधर अंजना ने सारी बात कल्याण को बताई. इस के बाद दोनों मिलन में बेहद सतर्कता बरतने लगे. अब जब अंजना फोन पर उसे सूचना देती, तभी कल्याण घर आता. उस रोज अवतार सिंह ललितपुर जाने की बात कह कर घर से निकला, लेकिन किसी वजह से 2 घंटे बाद ही घर वापस आ गया. वह घर के अंदर कमरे के पास पहुंचा तभी उसे कमरे के अंदर से खुसरफुसर की आवाज सुनाई दी.

आवाज सुन कर वह समझ गया कि कमरे में अंजना के साथ कोई मर्द भी है. उस की आंखों में खून उतर आया. उस ने पूरी ताकत से दरवाजे पर लात मारी. भड़ाक से दरवाजा खुला, सामने बिस्तर पर कल्याण और अंजना आपत्तिजनक हालत में थे. अवतार सिंह पूरी ताकत से दहाड़ा, ‘‘हरामजादे तेरी यह हिम्मत कि तू मेरे ही घर में घुस कर मेरी इज्जत लूटे. मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा.’’

गुस्से से आग बबूला अवतार सिंह आंगन के कोने में रखा डंडा लेने लपका. तब तक कल्याण और अंजना संभल चुके थे. कल्याण तो भाग गया, लेकिन अंजना कहां जाती. अवतार सिंह ने उस की जम कर पिटाई की, और गालियां बकता रहा. फिर वह सीधा देशी शराब के ठेके पर चला गया. वहां से वह धुत हो कर लौटा, फिर पत्नी की खबर लेनी शुरू कर दी. उस रोज पूरा गांव जान गया कि अंजना का कल्याण से गलत रिश्ता है. अंजना तो कल्याण की दीवानी बन चुकी थी. अत: पिटाई के बावजूद भी उस ने कल्याण का साथ नहीं छोड़ा. अब वह घर के बजाए खेतखलिहान व बागबगीचे में प्रेमी से मिलने लगी.

इस की जानकारी जब अवतार सिंह को हुई तो उस ने फिर अंजना को पीटा और चेतावनी दी कि आज के बाद जिस दिन वह उसे रंगे हाथ पकड़ लेगा, उस दिन बहुत बुरा होगा. पति की इस चेतावनी से अंजना बुरी तरह डर गई थी. 11 अगस्त, 2020 को अचानक अवतार सिंह लापता हो गया. कई दिन बीत जाने के बाद जब गांव वालों को अवतार सिंह नहीं दिखा तो लोगों ने अंजना से उस के बारे में पूछा. उस ने लोगों को बताया कि उस के पति मथुरा वृंदावन गए हैं. हफ्तादस दिन में वापस आ जाएंगे. अंजना का जवाब पा कर लोग संतुष्ट हो गए. लगभग एक हफ्ते बाद अंजना का ससुर शेर सिंह तीर्थ स्थानों का भ्रमण कर घर लौटा तो अंजना ने उसे भी बता दिया कि अवतार सिंह मथुरा गया है.

इधर 15 अगस्त, 2020 को वानपुर थानाप्रभारी राजकुमार यादव को सूचना मिली कि खिरिया छतारा गांव के पास नहर की पटरी के किनारे झाडि़यों में एक आदमी की लाश पड़ी है. जिस से दुर्गंध आ रही है. सूचना से राजकुमार यादव ने अपने अधिकारियों को अवगत कराया फिर चौकी इंचार्ज कृष्ण कुमार, एसआई दया शंकर, सिपाही रजनीश चौहान और देवेंद्र कुमार को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय वहां गांव वालों की भीड़ जुटी थी. थानाप्रभारी ने झाडि़यों से शव बाहर निकलवाया, जो एक चादर में लिपटा था. चादर से शव निकाला तो वह 34-35 साल के युवक का था.

शव की हालत देख कर अनुमान लगाया जा सकता था कि उस की हत्या 4-5 दिन पहले की गई होगी. बरसात के कारण शव फूल भी गया था. देखने से प्रतीत हो रहा था कि युवक की हत्या गला घोंट कर की गई थी. थानाप्रभारी राजकुमार यादव अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी एस.एस. बेग, एएसपी बृजेश कुमार सिंह तथा डीएसपी केशव नाथ घटनास्थल आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो पता चला कि युवक की हत्या कहीं और की गई थी और शव को नहर किनारे झाडि़यों में फेंका गया था.

पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में सैकड़ों लोग शव को देख चुके थे. पर कोई भी उसे पहचान नहीं पा रहा था. इस से अधिकारियों ने अंदाजा लगाया कि मृतक आसपास के गांव का नहीं बल्कि कहीं दूरदराज का है. तब अधिकारियों ने शव का फोटो खिंचवा कर पोस्टमार्टम के लिए ललितपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया. एसपी एम.एम. बेग ने इस ब्लाइंड मर्डर का परदाफाश करने की जिम्मेदारी थानाप्रभारी राजकुमार यादव को सौंपी. सहयोग के लिए एसओजी व सर्विलांश टीम को भी लगाया. पूरी टीम की कमान एएसपी बृजेश कुमार सिंह को सौंपी गई. थानाप्रभारी राजकुमार यादव ने इस केस को खोलने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. मुखबिरों को गांवगांव भेजा.

पासपड़ोस के कई थानों से गुमशुदा लोगों की जानकारी जुटाई पर उस अज्ञात शव की किसी ने शिनाख्त नहीं की. तब यादव को शक हुआ कि मृतक किसी दूरदराज गांव का हो सकता है. इस पर थानाप्रभारी ने दूरदराज के गांवों में अज्ञात युवक की लाश बरामद करने की मुरादी कराई. जिजयावन गांव का शेर सिंह यादव उस समय खेत पर जा रहा था. अपने गांव में डुग्गी पिटती देख वह रुक गया. ऐलान सुना तो वह अंदर से कांप सा गया. क्योंकि उस का बेटा अवतार सिंह भी 11 अगस्त से घर से लापता था. खेत पर जाना भूल कर शेर सिंह ने पड़ोसी रामसिंह को साथ लिया और थाना वानपुर पहुंच कर थानाप्रभारी राजकुमार यादव से मिला.

थानाप्रभारी ने जब शेर सिंह को लाश के फोटो, कपड़े, चादर आदि दिखाई तो उन दोनों ने उस की शिनाख्त अवतार सिंह के तौर पर कर दी. पड़ोसी रामसिंह ने थानाप्रभारी राजकुमार यादव को यह भी जानकारी दी कि अवतार सिंह के घर मिर्चवारा गांव के कल्याण उर्फ काले का आनाजाना था. काले तथा अवतार सिंह की बीवी अंजना के बीच नाजायज रिश्ता था. अवतार सिंह इस का विरोध करता था. संभव है, इसी विरोध के कारण उस की हत्या की गई हो. अवतार सिंह की हत्या का सुराग मिला तो पुलिस टीम अंजना से पूछताछ करने उस के घर पहुंच गई. अंजना ने पूछताछ में बताया कि उस के पति मथुरा गए हैं. वहां से कहीं और चले गए होंगे.

2-4 दिन बाद आ जाएंगे. लेकिन जब पुलिस ने बताया कि उस के पति की हत्या हो गई है और उस के ससुर शेर सिंह ने फोटो चादर से उस की शिनाख्त भी कर ली है. तब अंजना ने जवाब दिया कि उस के ससुर वृद्ध हैं. बाबा बन गए हैं. उन की अक्ल कमजोर हो गई, इसलिए उन्होंने हत्या की बात मान ली और उन की गलत शिनाख्त कर दी. पर सच्चाई यह है कि पति तीर्थ करने गए हैं. आज नहीं तो कल आ ही जाएंगे. बिना सबूत के पुलिस टीम ने अंजना को गिरफ्तार करना उचित नहीं समझा. पुलिस ने पूछताछ के बहाने उस का मोबाइल फोन जरूर ले लिया तथा उस की निगरानी के लिए पुलिस का पहरा बिठा दिया.

पुलिस ने अंजना का मोबाइल फोन खंगाला तो पता चला कि अंजना एक नंबर पर ज्यादा बातें करती है. पुलिस ने उस नंबर का पता किया तो जानकारी मिली कि वह नंबर अंजना के प्रेमी कल्याण उर्फ काले का है और वह हर रोज उस से बात करती है. फिर क्या था, पुलिस टीम ने 3 सितंबर, 2020 की सुबह अंजना को उस के घर से हिरासत में ले लिया और थाना वानपुर ले आई. फिर अंजना की ही मदद से पुलिस टीम ने कल्याण उर्फ काले को भी भसौरा तिराहे से गिरफ्तार कर लिया. उस समय वह अपनी बोलेरो यूपी94एफ 4284 पर सवार था और ड्राइवर मोहन कुशवाहा का इंतजार कर रहा था. उसे मय बोलेरो थाना वानपुर लाया गया.

थाने पर जब उस ने अंजना को देखा तो समझ गया कि अवतार सिंह की हत्या का राज खुल गया है. जब पुलिस ने कल्याण से अवतार सिंह की हत्या के बारे में पूछा तो उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया और अपनी बोलेरो से तार का वह टुकड़ा भी बरामद करा दिया जिस से उस ने अवतार सिंह का गला घोंटा था. कल्याण के टूटते ही अंजना भी टूट गई और पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. कल्याण उर्फ काले कुशवाहा ने पुलिस को बताया कि अवतार सिंह की पत्नी अंजना से उस के नाजायज संबंध हो गए थे. इस रिश्ते की जानकारी अवतार को हुई तो वह विरोध करने लगा और अंजना को पीटने लगा.

अंजना की पिटाई उस से बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसलिए उस ने अंजना और अपने ड्राइवर मोहन कुशवाहा के साथ मिल कर अवतार की हत्या की योजना बनाई और सही समय का इंतजार करने लगा. 11 अगस्त, 2020 की रात 8 बजे अंजना ने फोन कर के कल्याण को जानकारी दी कि अवतार सिंह फसल की रखवाली के लिए खेत पर गया है. वह रात को ट्यूबवैल वाली कोठरी में सोएगा. यह पता चलते ही वह अपनी बोलेरो यूपी94एफ 4284 से ड्राइवर मोहन कुशवाहा के साथ जिजयावन गांव के बाहर पहुंचा. वहां योजना के तहत अंजना उस का पहले से ही इंतजार कर रही थी. उस के बाद वह तीनों खेत पर पहुंचे. जहां अवतार सिंह कोठरी में जाग रहा था.

वहां पहुंचते ही तीनों ने अवतार सिंह को दबोच लिया, फिर बिजली के तार से अवतार सिंह का गला घोंट दिया. हत्या के बाद तीनों ने शव चादर में लपेटा और बोलेरो गाड़ी में रख कर वहां से 20 किलोमीटर दूर खिरिया छतारा गांव के बाहर नहर की पटरी वाली झाडि़यों के बीच फेंक दिया. शव ठिकाने लगाने के बाद सभी लोग अपनेअपने घर चले गए. चूंकि कल्याण उर्फ काले ने ड्राइवर मोहन कुशवाहा को भी हत्या में शामिल होना बताया था, अत: पुलिस ने तुरंत काररवाई करते हुए 4 सितंबर की दोपहर 12 बजे मोहन कुशवाहा को भी ललितपुर बस स्टैंड के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाना वानपुर की हवालात में जब उस ने कल्याण को देखा तो सब कुछ समझ गया. पूछताछ में उस ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस ने हत्यारोपित कल्याण उर्फ काले, मोहन कुशवाहा तथा अंजना यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें 5 सितंबर 2020 को ललितपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime News : बहू ने नशीली खिचड़ी खिला कर सबको बेहोश किया, सामान लेकर प्रेमी संग हुई फरार

Crime News : शादीशुदा और 4 बच्चों की मां रीनू ने पहली गलती कपिल से अवैध संबंध बना कर की, दूसरी गलती उस ने इस संबंध को स्थाई बनाने के लिए अपनी छोटी बहन की शादी कपिल से करा कर की. उस की तीसरी गलती कपिल को रिश्तेदार बना कर घर में रखने की थी. और चौथी गलती पति शिवकुमार को मौत के घाट उतरवाने की. इतनी गलतियां करने के बाद…

इसलिए तकनीकी टीम के प्रभारी एसआई रामकुमार रघुवंशी और आरक्षक मोइन खान ने चाय व समोसे वाला बन कर उन की रैकी करनी शुरू कर दी, जिस से जल्द ही जानकारी हासिल कर सम्राट उर्फ वीरामान धामी को गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ में वीरामान पहले तो कुछ भी बताने की राजी नहीं था. लेकिन जब उस ने मुंह खोला तो चौंकाने वाला सच सामने आया. वास्तव में वीरामान खुद वारदात करने के लिए पचोर जाने वाली टीम में शामिल था. अन्य 2 पुरुषों और महिला के बारे में पूछताछ की तो सम्राट ने बताया कि अनुष्का अपने प्रेमी तेज के साथ नई दिल्ली के बदरपुर इलाके में रहती है.

पुलिस ने बदरपुर इलाके में छापेमारी कर के दोनों को वहां से गिरफ्तार कर उन के पास से चोरी का माल बरामद कर लिया. यहां तेज रोक्यो और अनुष्का उर्फ आशु उर्फ कुशलता भूखेल के साथ उन का तीसरा साथी भरतलाल थापा भी पुलिस गिरफ्त में आ गए. मौके पर की गई पूछताछ के बाद दिल्ली गई पुलिस टीम ने दिल्ली पुलिस की मदद से मामले के मुख्य आरोपी वीरामान उर्फ सम्राट मूल निवासी धनगढ़ी, नेपाल, अनुष्का उर्फ आशु उर्फ कुशलता भूखेल निवासी जनकपुर, तेज रोक्यो मूल निवासी जिला अछम, नेपाल, भरतलाल थापा को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी.

इस के अलावा आरोपियों को पचोर तक कार बुक करने वाला पवन थापा निवासी उत्तम नगर नई दिल्ली, बेहोशी की दवा उपलब्ध कराने वाला कमल सिंह ठाकुर निवासी जिला बजरा नेपाल, चोरी के जेवरात खरीदने वाला मोहम्मद हुसैन निवासी जैन कालोनी उत्तम नगर, जेवरात को गलाने में सहायता करने वाला विक्रांत निवासी उत्तम नगर भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए. अनुष्का को कंपनी में काम पर लगवाने वाली सरिता शर्मा निवासी किशनपुरा, नोएडा तथा अनुष्का को नौकरानी के काम पर लगाने वाला बिलाल अहमद उर्फ सोनू निवासी जामिया नगर, नई दिल्ली को गिरफ्तार कर के बरामद माल सहित पचोर लौट आई. जहां एसपी श्री शर्मा ने पत्रकार वार्ता में महज 7 दिनों के अंदर जिले में हुई चोरी की सब से बड़ी घटना का राज उजागर कर दिया.

अनुष्का ने बताया कि राम गोयल का पूरा परिवार उस पर विश्वास करता था. इसलिए परिवार के अन्य लोगों की तरह अनुष्का भी घर में हर जगह आतीजाती थी. एक दिन उस के सामने घर की तिजोरी खोली गई तो उस में रखी ज्वैलरी और नकदी देख कर उस की आंखें चौंधिया गईं और उस के मन में लालच आ गया. यह बात जब उस ने दिल्ली में बैठे अपने प्रेमी तेज रोक्यो को बताई तो उसी ने उसे तिजोरी पर हाथ साफ करने की सलाह दी. योजना को अंजाम देने के लिए उस का प्रेमी तेज रोक्यो ही दिल्ली से बेहोशी की दवा ले कर पचोर आया था. वह दवा उस ने रात में खिचड़ी में मिला कर पूरे परिवार को खिला दी.

जिस से खिचड़ी खाते ही पूरा परिवार गहरी नींद में सो गया. तब अनुष्का अलमारी में भरा सारा माल ले कर पे्रमी के संग चंपत हो गई. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर एक करोड़ 53 लाख रुपए का चोरी का सामान और नकदी बरामद कर ली. पुलिस ने सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की जांच टीआई डी.पी. लोहिया कर रहे थे.

UP Crime News : 5 लाख की सुपारी देकर कराई पति की हत्या

UP Crime News : मौडर्न और महत्त्वाकांक्षी विनीता ने प्रवक्ता पति के होते 2-2 प्रेमी बना लिए थे. जब वह चेन मार्केटिंग कंपनी ‘वेस्टीज’ से जुड़ने के बाद तो वह अवधेश को 2 कौड़ी का समझने लगी थी. आखिर उस ने अपने मन की करने के लिए…

42 वर्षीय अवधेश सिंह जादौन फिरोजाबाद जिले के भीतरी गांव के निवासी थे. वह बरेली जिले के सहोड़ा में स्थित कुंवर ढाकनलाल इंटर कालेज में हिंदी लेक्चरर के पद पर तैनात थे. नौकरी के चलते ढाई वर्ष पहले उन्होंने बरेली के कर्मचारीनगर की निर्मल रेजीडेंसी में अपना निजी मकान ले लिया था, जिस में वह अपनी पत्नी विनीता और 6 वर्षीय बेटे अंश के साथ रहते थे. 12 अक्तूबर, 2020 को अवधेश से फोन पर गांव में रह रही उन की मां अन्नपूर्णा देवी ने बात की थी. अवधेश उस समय काफी परेशान थे. मां ने उन्हें दिलासा दी कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा.

इस के बाद उन्होंने अवधेश से बात करनी चाही, लेकिन बात न हो सकी. उन का मोबाइल बराबर स्विच्ड औफ आ रहा था. अन्नपूर्णा को चिंता हुई तो वह 16 अक्तूबर को बरेली पहुंच गईं. जब वह बेटे के मकान पर पहुंची, तो वहां मेनगेट पर ताला लगा मिला. पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि 12 अक्तूबर, 2020 को कुछ लोग कार से अवधेश के मकान में आए थे. तब से उन्हें नहीं देखा. अन्नपूर्णा का दिल किसी अनहोनी की आशंका से धड़कने लगा. वह वहां से स्थानीय थाना इज्जतनगर पहुंच गईं और थाने के इंसपेक्टर के.के. वर्मा को पूरी बात बताई. यह भी बताया कि अवधेश को अपने ससुरालीजनों से खतरा था. यह बात अवधेश ने 12 अक्तूबर को फोन पर बात करते समय मां को बताई थी.

उस की पत्नी विनीता भी अपने बच्चे के साथ गायब थी. इस पर अन्नपूर्णा से लिखित तहरीर ले कर इंसपेक्टर वर्मा ने थाने में अवधेश सिंह जादौन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. फिरोजाबाद के फरिहा में 4/5 दिसंबर, 2019 की रात एक ज्वैलर्स की दुकान में हुई चोरी के मामले में पुलिस के एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह ने नारखी थाना क्षेत्र के धौकल गांव निवासी हिस्ट्रीशीटर शेर सिंह उर्फ चीकू को पकड़ा. 25 अक्तूबर, 2020 की शाम शेर सिंह को उठा कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बरेली के हिंदी प्रवक्ता अवधेश सिंह की हत्या करना स्वीकार किया. अवधेश की पत्नी विनीता ने अवधेश की हत्या के लिए उसे 5 लाख की सुपारी दी थी.

इस में विनीता के पिता थाना नारखी के खेरिया खुर्द गांव निवासी रिटायर्ड फौजी अनिल जादौन, भाई प्रदीप जादौन, बहन ज्योति, विनीता का आगरा निवासी प्रेमी अंकित और शेर सिंह के 2 साथी भोला और एटा निवासी पप्पू जाटव शामिल थे. हत्या में कुल 8 लोग इस शामिल थे. शेर सिंह ने बताया कि बरेली में हत्या करने के बाद लाश को सभी लोग फिरोजाबाद ले कर आए और यहां नारखी में रामदास नाम के व्यक्ति के खेत में गड्ढा खोद कर दफना दिया था. अवधेश मिला पर जीवित नहीं इस खुलासे के बाद फिरोजाबाद पुलिस ने बरेली की इज्जतनगर पुलिस को सूचना दी.

अवधेश की मां अन्नपूर्णा को बुला कर 26 अक्तूबर, 2020 को फिरोजाबाद पुलिस ने तहसीलदार की उपस्थिति में उस खेत में बताई गई जगह पर खुदाई करवाई तो वहां से अवधेश की लाश मिल गई. चेहरा बुरी तरह जला हुआ था. शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. अवधेश की लाश मिलने के बाद उसी दिन इज्जतनगर थाने में विनीता, ज्योति, अनिल जादौन, प्रदीप जादौन, अंकित, शेर सिंह उर्फ चीकू, भोला सिंह और पप्पू जाटव के विरुद्ध भादंवि की धारा 147/302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. इस के बाद हत्याभियुक्तों की तलाश में ताबड़तोड़ दबिश दी गई, लेकिन सभी अपने घरों से लापता थे.

उन सब के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए गए. सभी के मोबाइल बंद थे. बीच में किसी से बात करने के लिए कुछ देर के लिए खुलते तो फिर बंद हो जाते. उन की लोकेशन जिस शहर की पता चलती, वहां पुलिस टीम भेज दी जाती. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही हत्यारे वहां से निकल जाते थे. 31 अक्तूबर, 2020 को एक हत्यारोपी पप्पू जाटव उर्फ अखंड प्रताप को इंसपेक्टर के.के. वर्मा ने गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी बयान में वहीं कहा, जो शेर सिंह ने कहा था. इस बीच 5 नवंबर को इज्जतनगर पुलिस ने सभी आरोपियों के गैरजमानती वारंट हासिल कर लिए.

अगले ही दिन इस से डर कर अवधेश की पत्नी विनीता ने अपने वकील के माध्यम से थाने में आत्मसमर्पण कर दिया. पूछताछ में वह अपने मृतक पति अवधेश को ही गलत साबित करने पर तुल गई. जबकि उस की सारी हकीकत सब के सामने आ गई. जब उस से क्रौस क्वेशचनिंग की गई. कई सवालों पर वह चुप्पी साध गई. अनिल जादौन परिवार के साथ फिरोजाबाद के गांव खेरिया खुर्द में रहते थे. वह सेना से रिटायर थे. परिवार में पत्नी रेखा और 3 बेटियां विनीता, नीतू और ज्योति व एक बेटा प्रदीप था. अनिल के पास पर्याप्त कृषियोग्य भूमि थी. तीनों बेटियां काफी खूबसूरत थीं और सभी ने स्नातक तक पढ़ाई पूरी कर ली थी.

2010 में नीतू का अफेयर गांव के ही पूर्व प्रधान के बेटे के साथ हो गया. जिस पर काफी बवाल हुआ. इस पर अनिल ने जल्द से जल्द अपनी बेटियों का विवाह करने का फैसला कर लिया. नारखी थाना क्षेत्र के ही गांव भीतरी में बाबू सिंह का परिवार रहता था. परिवार में पत्नी अन्नपूर्णा और 2 बेटे रमेश और अवधेश थे. रमेश का विवाह हो चुका था और वह परिवार के साथ जयपुर में रह कर नौकरी कर रहा था. अविवाहित अवधेश हिंदी प्रवक्ता के पद पर नौकरी कर रहा था. नौकरी के चक्कर में उस की उम्र अधिक हो गई थी. अवधेश विनीता से 12 साल बड़ा था. फिर भी अनिल विनीता की शादी उस से करने को तैयार हो गए.

अनिल ने विनीता से बात की तो वह मना करने लगी कि 12 साल बड़े लड़के से शादी नहीं करेगी. अनिल ने जब समझाया कि वह सरकारी नौकरी में है, उस के पास पैसों की कमी नहीं है तो वह शादी के लिए तैयार हो गई. 2011 में अवधेश का विनीता से विवाह हो गया. उसी दिन ज्योति का भी विवाह हुआ. विनीता मायके से ससुराल आ गई. विनीता पढ़ीलिखी आजाद खयालों वाली युवती थी. जबकि अवधेश सीधेसादे सरल स्वभाव का था. दोनों एक बंधन में तो बंध गए थे लेकिन उन के विचार, उन की सोच बिलकुल एकदूसरे से अलग थी.

पति सीधा था पत्नी मौडर्न विनीता को ठाठबाट से रहना पसंद था. जबकि अवधेश को साधारण तरीके से जीवन जीना अच्छा लगता था. दोनों की सोच और खयाल एक नहीं थे तो उन में आए दिन मनमुटाव और विवाद होने लगा. विनीता की अपनी सास अन्नपूर्णा से भी नहीं बनती थी. अवधेश अपनी मां की बात मानता था. विनीता इस बात को ले कर भी चिढ़ती थी. दोनों के बीच विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहे थे. 6 साल पहले विनीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने अंश रखा. ढाई वर्ष पहले बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र के कर्मचारी नगर की निर्मल रेजीडेंसी में अवधेश ने अपना निजी मकान ले लिया. पहले वह मकान विनीता के नाम लेना चाहता था. लेकिन उस की बातें और हरकतों से उस का मन बदल गया.

वह विनीता व बेटे के साथ अपने नए मकान में आ कर रहने लगा. बढ़ते आपसी विवादों में विनीता अवधेश से नफरत करने लगी थी. उस ने शादी से पहले सोचा था कि अवधेश उस के कहे में चलेगा, उस की अंगुलियों के इशारे पर नाचेगा, लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ. पैसों के लिए उसे अवधेश का मुंह देखना पड़ता था. अवधेश अपनी सैलरी से विनीता को उस के खर्च के लिए 3 हजार रुपए महीने देता था. उस में विनीता का गुजारा नहीं होता था. अपने खर्चे को देखते हुए विनीता ने घर में ही ‘रिलैक्स जोन’ नाम से एक ब्यूटीपार्लर खोल लिया. विनीता अपनी छोटी बहन ज्योति की ससुराल जाती थी. वहीं पर उस की मुलाकात सिपाही अंकित यादव से हो गई. अंकित यादव बिजनौर का रहने वाला था.

उस समय उस की पोस्टिंग मैनपुरी में थी. अंकित अविवाहित था और काफी स्मार्ट था. विनीता से उस की बात हुई तो वह उस के रूपजाल में उलझ कर रह गया. फिर दोनों मोबाइल पर बातें करने लगे. एक दिन अंकित विनीता से मिलने बरेली आया. दोनों एक होटल में मिले. उस दिन से दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए. विनीता से मिलने वह अकसर बरेली आने लगा. विनीता का भाई प्रदीप एक मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी में नौकरी करता था. उस ने विनीता से कहा कि वह मल्टीलेवल मार्केटिंग से जुड़ी कंपनी ‘वेस्टीज’ से जुड़ जाए. इस में कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिलता है.

चेन मार्केटिंग कंपनियां कंपनी से जुड़ने वाले लोगों को बड़ेबडे़ सपने दिखाती हैं. विनीता ने भी कंपनी से जुड़ने का फैसला कर लिया. वह कई मीटिंग में गई और मीटिंग में जाने के बाद उस पर चेन मार्केटिंग के जरिए जल्द से जल्द पैसा कमा कर रईस बनने का नशा सवार हो गया. इस के लिए उस ने इसी साल की शुरुआत में कंपनी जौइन कर ली. इस के लिए विनीता ने किसी बड़ी महिला अधिकारी की तरह अपनी वेशभूषा बनाई. शानदार सूटबूट में चश्मा लगा कर जब वह इंग्लिश में बड़े विश्वास के साथ अपनी बात किसी भी व्यक्ति के सामने रखती तो वह उस का मुरीद हो जाता और उस के कहने पर कंपनी जौइन कर लेता.

भाई प्रदीप की लाल टीयूवी कार विनीता अपने पास रखने लगी. वह इसी कार से लोगों से मिलने जाती थी. लग्जरी कार से सूटेडबूटेड महिला को उतरता देख कर लोगों पर इस का काफी गहरा प्रभाव पड़ता. घर की चारदीवारी से विनीता बाहर निकली तो उस ने अपने लिए पैसों का इंतजाम करना शुरू कर दिया. अब लोग विनीता से मिलने घर पर भी आने लगे. विनीता की चल पड़ी दुकान अवधेश तो दिन में कालेज में होता था और शाम को ही लौटता था. उसे पड़ोसियों से पता चलता तो अवधेश और विनीता में विवाद होता. विनीता पहले जब अवधेश से नहीं डरीदबी तो अब तो वह खुद का काम कर रही थी. ऐसे में अवधेश को ही शांत होना पड़ता था.

दोनों  के बीच की दूरियां गहरी खाई में तब्दील होती जा रही थीं. दूसरी ओर विनीता की बहन ज्योति का अपनी ससुरालवालों से मनमुटाव हो गया था. वह काफी समय से मायके में रह रही थी. विनीता ने उसे अपने पास रहने के लिए बुला लिया. इस से भी अवधेश खफा था. लौकडाउन के दौरान फेसबुक पर विनीता की दोस्ती अमित सिसोदिया उर्फ अंकित से हुई. अमित आगरा का रहने वाला था और वेस्टीज कंपनी से ही जुड़ा था, जिस से विनीता जुड़ी थी. अमित विवाहित था और एक बेटे का पिता भी था. दोनों की फेसबुक पर बातें हुईं तो पता चला कि अमित विनीता के भाई प्रदीप का दोस्त है.

इस के बाद दोनों खुल कर बातें करने लगे और मिलने भी लगे. दोनों अलगअलग शहरों में होने वाले कंपनी के सेमिनार में भी साथ जाने लगे. अमित और विनीता की सोच और विचार काफी मिलते थे. एक साथ रहने के दौरान विनीता को यह बात महसूस हो गई थी. दोनों ही जिंदगी में खूब पैसा कमाना चाहते थे. दोनों साथ बैठते तो कल्पनाओं की ऊंची उड़ान भरते. एक दिन अमित ने विनीता का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘विनीता, हम दोनों बिलकुल एक जैसे है. एक जैसा सोचते हैं, एक जैसा काम करते है और एक ही उद्देश्य है, एकदूसरे का साथ भी हमें भाता है. क्यों न हम हमेशा के लिए एक हो जाएं.’’

विनीता पहले हलके से मुसकराई, फिर गंभीर मुद्रा में बोली, ‘‘हां अमित, मैं भी ऐसा ही सोच रही थी. यह भी सोच रही थी कि तुम मेरी जिंदगी में पहले क्यों नहीं आए, आ जाते तो मुझे कष्टों से न गुजरना पड़ता.’’ कुछ पलों के लिए रुकी, फिर बोली, ‘‘खैर अब भी हम एक हो सकते हैं ठान लें तो.’’

विनीता की स्वीकृति मिलते ही अमित खुश हो गया, ‘‘तुम ने कह दिया तो अब हमें एक होने से कोई नहीं रोक सकता.’’ कह कर अमित ने विनीता को बांहों में भर लिया. विनीता भी उस से लिपट गई. अमित को पा कर जैसे विनीता ने राहत की सांस ली. उसे ऐसे ही युवक की तलाश थी जो उस के जैसा हो, उसे समझता हो और उस के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए. दूसरी ओर वह अंकित यादव से भी संबंध बनाए हुए थी. विनीता दिनरात एक कर के अपने मार्केटिंग के बिजनैस में सफल होना चाहती थी. इसलिए वह इस में लगी रही. कुछ महीनों में ही उस ने अपने अंडर में एक हजार लोगों की टीम खड़ी कर दी. कंपनी ने उसे कंपनी का ‘सिलवर डायरेक्टर’ घोषित कर दिया.

विनीता खुशी से फूली नहीं समाई. कंपनी ने उसे एक स्कूटी भी इनाम में दी. विनीता अपनी कंपनी के कार्यक्रमों और उस के रिकौर्डेड संदेशों को अपने फेसबुक अकाउंट पर डालती रहती थी. कंपनी से जुड़ने के लिए लोगों से अपील भी करती थी कि उस के पास बिजनैस करने का एक अनोखा आइडिया है, जिस में महीने में 5 से 50 हजार तक कमा सकते हैं. जो कमाना चाहते हैं, उस से मिलें. विनीता की जिंदगी में सब कुछ अब अच्छा ही अच्छा हो रहा था. बस खटकता था तो अवधेश. उस के साथ होने वाली कलह. अब विनीता अवधेश से छुटकारा पाने की सोचने लगी थी. उस की जिंदगी में अमित आ चुका था, वह उस के साथ जिंदगी बिताने का सपना देखने लगी थी. अमित भी उस से कई बार कह चुका था कि वह कहे तो अवधेश को ठिकाने लगा दिया जाए. वह ही मना कर देती थी.

अवधेश के मरने से उसे हमेशा के लिए छुटकारा तो मिलता ही साथ ही अवधेश का मकान और सरकारी नौकरी भी मिल जाती. यही सोच कर उस ने आगे की योजना बनानी शुरू कर दी. इस में उस ने अपने पिता व भाई से साफ कह दिया कि वह अवधेश के साथ नहीं रहना चाहती. उसे मारने से उसे मकान और उस की सरकारी नौकरी भी मिलेगी. विनीता के पिता अनिल ने एक बार कहा भी कि वह अपना बसा हुआ घर न उजाड़े, लेकिन विनीता नहीं मानी. विनीता की जिद और लालच के लिए वे सभी उस का साथ देने को तैयार हो गए. विनीता का एक मुंहबोला चाचा था शेर सिंह उर्फ चीकू. वह उस के पिता अनिल का खास दोस्त था. शेर सिंह नारखी थाने का हिस्ट्रीशीटर था, उस पर वर्तमान में 16 मुकदमे दर्ज थे.

विनीता ने शेर सिंह से कहा कि उसे उस के पति अवधेश की हत्या करनी है. शेर सिंह ने उस से 5 लाख रुपए का इंतजाम करने को कहा तो विनीता ने हामी भर दी. अवधेश ने कार खरीदने के लिए घर में रुपए ला कर रखे थे. सोचा था कि नवरात्र में बुकिंग करा देगा और धनतेरस पर गाड़ी खरीद लेगा. उन पैसों पर विनीता की नजर पड़ गई. उन रुपयों में से 70 हजार रुपए निकाल कर विनीता ने शेर सिंह को दे दिए, बाकी पैसा बाद में देने को कहा. इस के बाद शेर सिंह ने अपने गांव के ही भोला सिंह और एटा के पप्पू जाटव को हत्या में साथ देने के लिए तैयार कर लिया. शेर सिंह ने विनीता, विनीता के पिता अनिल, भाई प्रदीप और प्रेमी अमित सिसोदिया के साथ मिल कर अवधेश की हत्या की योजना बनाई. विनीता ने बाद में ज्योति को इस बारे में बता कर उसे भी अपने साथ शामिल कर लिया.

12 अक्तूबर, 2020 की रात अवधेश रोज की तरह टहलने के लिए निकले. उस के जाने के बाद विनीता ने हत्या के उद्देश्य से पहुंचे शेर सिंह, भोला, पप्पू जाटव, अनिल, प्रदीप और अमित को घर के अंदर बुला लिया. सभी घर में छिप कर बैठ गए. कर दी हत्या कुछ देर बाद जब अवधेश लौटे तो घर में घुसते ही सब ने मिल कर उसे दबोच लिया. विनीता अपने बेटे अंश को ले कर ऊपरी मंजिल पर चली गई. नीचे सभी ने अवधेश को पकड़ कर उस का गला घोंट दिया. अवधेश के मरने के बाद विनीता नीचे उतर कर आई. अवधेश की लाश को बड़ी नफरत से देख कर गाली देते हुए उस में कस के पैर की ठोकर मार दी.

देर रात अमित ने लाश को सभी के सहयोग से अपनी आल्टो कार में डाल लिया. इस के बाद प्रदीप की टीयूवी कार जो विनीता के पास रहती थी, सब उस में सवार हो गए. प्रदीप कार चला रहा था. उस के पीछे थोड़ी दूरी पर अंकित चल रहा था. लगभग साढ़े 3 घंटे का सफर तय कर के अवधेश की लाश को ले कर वे फिरोजाबाद में नारखी पहुंचे. लेकिन तब तक उजाला हो चुका था. इसलिए लाश को कहीं दफना नहीं सकते थे. इन लोगों ने पूरा दिन ऐसे ही निकाला. इस बीच लाश को जलाने के लिए बाजार से तेजाब खरीद कर लाया गया.

अंधेरा होने पर नारखी में रामदास के खेत में गड्ढा खोद कर अवधेश की लाश को उस में डाल दिया गया. फिर लाश पर तेजाब डाल दिया गया, जिस से लाश का चेहरा व कई हिस्से जल गए. लाश को दफनाने के बाद सभी वहां से लौट आए. विनीता बराबर वीडियो काल के जरिए उन लोगों के संपर्क में थी. 14 अक्तूबर, 2020 को वह भी बेटे अंश को ले कर घर से भाग गई. शेर सिंह पकड़ा गया तो घटना का खुलासा हुआ. उस ने विनीता के प्रेमी अंकित का नाम लिया. घटना की खबर अखबारों की सुर्खियां बनीं तो विनीता के प्रेमी सिपाही अंकित यादव ने देखा. अंकित ने अपना नाम समझा. उसे लगा कि पुलिस को विनीता की काल डिटेल्स से उस के बारे में पता लग गया है. अब वह भी इस हत्याकांड की जांच में फंस जाएगा.

दूसरी ओर अंकित नाम आने पर विनीता के शातिर दिमाग ने खेल खेला. अपने प्रेमी अमित सिसोदिया को बचाने के लिए वह अंकित को ही फंसाने में लग गई. 26 अक्तूबर, 2020 को वह अंकित यादव से मिलने संभल गई. 2 महीने से अंकित संभल की हयातनगर चौकी पर तैनात था. वहां वह उस से मिली. कुछ सिपाहियों ने उसे उस के साथ देखा भी. विनीता उस से मिल कर चली गई. अंकित भयंकर तनाव में आ गया. 27 अक्तूबर, 2020 को उस ने अपने साथी सिपाही की राइफल ले कर उस से खुद को गोली मार ली. अंकित के आत्महत्या कर लेने की बात विनीता को पता चल गई थी. इसलिए जब उस ने आत्मसमर्पण किया तो वह सारा दोष अंकित यादव पर डालती रही.

वह अपने प्रेमी अमित सिसोदिया उर्फ अंकित को बचाना चाहती थी. समर्पण से पहले विनीता ने अपना मोबाइल भी तोड़ दिया था, ताकि पुलिस उस मोबाइल से कोई सुराग हासिल न कर सके. गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद से सभी आरोपियों में इस बात का खौफ है कि पुलिस उन की संपत्तियों को तोड़फोड़ सकती है, कुर्क कर सकती है. इसलिए बारीबारी से सभी आत्मसमर्पण करने की तैयारी में लग गए. फिलहाल कथा लिखे जाने तक पुलिस शेष आरोपियों की तलाश में जुटी हुई थी. शेर सिंह की रिमांड 20 नवंबर को मिलनी थी.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों व मीडिया में छपी रिपोर्टों के आधा

Love Crime : प्रेमिका ने शादी का दबाव डाला तो प्रेमी ने दुपट्टे से घोंट दिया गला

Love Crime : आलोक की प्रेमिका राधा भले ही दूसरी जाति की थी, लेकिन उस ने उसे भरोसा दिया था कि वह जीवन भर उस का साथ निभाएगा. लेकिन अपने घर वालों के दबाव में उस ने राधा से दूरी बना ली. इस के बाद आलोक ने प्रेमिका के साथ ऐसा छल किया कि…

कानपुर (देहात) जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर रसूलाबाद- बिल्हौर मार्ग पर एक कस्बा है ककवन. इसी कस्बे से सटा एक गांव है नदीहा धामू. यहीं पर रामदयाल गौतम अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी कुसुमा के अलावा 2 बेटे सर्वेश, उमेश तथा 2 बेटियां राधा व सुधा थीं. रामदयाल गांव का संपन्न किसान था. उस का बेटा सर्वेश गांव में डेयरी चलाता था. संपन्न होने के कारण जातिबिरादरी में रामदयाल की हनक थी. रामदयाल की छोटी बेटी सुधा 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी, जबकि बड़ी बेटी ने 12वीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी.

रामदयाल उसे पढ़ालिखा कर मास्टर बनाना चाहता था, लेकिन राधा के पढ़ाई छोड़ देने से उस का यह सपना पूरा नहीं हो सका. पढ़ाई छोड़ कर वह मां के साथ घरेलू काम में मदद करने लगी थी. गांव के हिसाब से राधा कुछ ज्यादा ही सुंदर थी. जवानी में कदम रखा तो उस की सुंदरता में और निखार आ गया. उस का गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें और कंधों तक लहराते बाल, हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे. अपनी इस खूबसूरती पर राधा को भी नाज था. यही वजह थी कि जब कोई लड़का उसे चाहत भरी नजरों से देखता तो वह इस तरह घूरती मानो खा जाएगी. उस की इन खा जाने वाली नजरों से ही लड़के डर जाते थे.

लेकिन आलोक राजपूत राधा की इन नजरों से जरा भी नहीं डरा था. वह राधा के घर से कुछ ही दूरी पर रहता था. आलोक के पिता राजकुमार राजपूत प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे. लेकिन रिटायर हो चुके थे. उन की एक बेटी तथा एक बेटा आलोक था. बेटी का वह विवाह कर चुके थे. पिता के रिटायर हो जाने के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी आलोक पर आ गई थी. बीए करने के बाद वह नौकरी की तलाश में था. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो उस ने अपनी खेती संभाल ली थी. इस के अलावा उस ने घर में किराने की दुकान भी खोल ली थी. इस से उसे अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी.

राधा के भाई सर्वेश की आलोक से खूब पटती थी. आसपड़ोस में रहने की वजह से दोनों का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था. आलोक जब भी सर्वेश के घर आता था, राधा उसे घर के कार्यों में लगी नजर आती थी. वैसे तो वह उसे बचपन से देखता आया था, लेकिन पहले वाली राधा में और अब की राधा में काफी फर्क आ गया था. पहले जहां वह बच्ची लगती थी, अब वही जवान होने पर ऐसी हो गई थी कि उस पर से नजर हटाने का मन ही नहीं होता था.

एक दिन आलोक राधा के घर पहुंचा तो सामने वही पड़ गई. उस ने पूछा, ‘‘सर्वेश कहां है?’’

‘‘मम्मी और भैया तो कस्बे में गए हैं. कोई काम था क्या?’’ राधा बोली.

‘‘नहीं, कोेई खास काम नहीं था. बस ऐसे ही आ गया था. सर्वेश आए तो बता देना कि मैं आया था.’’

‘‘बैठो, भैया आते ही होंगे.’’ राधा ने कहा तो आलोक वहीं पड़ी चारपाई पर बैठ गया.

आलोक बैठा तो राधा रसोई की ओर बढ़ी. उसे रसोई की ओर जाते देख आलोक ने कहा, ‘‘राधा, चाय बनाने की जरूरत नहीं है. मैं चाय पी कर आया हूं.’’

‘‘कोई बात नहीं, मैं ने अपने लिए चाय भी चढ़ा रखी है. उसी में थोड़ा दूध और डाल देती हूं.’’ कह कर राधा रसोेई में चली गई.

थोड़ी देर बाद वह 2 गिलासों में चाय ले आई. एक गिलास उस ने आलोक को थमा दिया, तो दूसरा खुद ले कर बैठ गई. चाय पीते हुए आलोक ने कहा, ‘‘राधा, बुरा न मानो तो मैं एक बात कहूं.’’

‘‘कहो.’’ उत्सुक नजरों से देखते हुए राधा बोली.

‘‘अगर तुम जैसी खूबसूरत और ढंग से घर का काम करने वाली पत्नी मुझे मिल जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए.’’ आलोक ने कहा.

आलोक की इस बात का जवाब देने के बजाय राधा उठी और रसोई में चली गई. उसे इस तरह जाते देख आलोक को लगा, वह उस से नाराज हो गई है, इसलिए उस ने कहा, ‘‘राधा लगता है मेरी बात तुम्हें बुरी लग गई. मेरी बात का कोई गलत अर्थ मत लगाना. मैं ने तो यूं ही कह दिया था.’’

इतना कह आलोक वहां से चला गया. लेकिन इस के बाद वह जब भी सर्वेश के घर जाता, मौका मिलने पर राधा से 2-4 बातें जरूर करता. उन की इस बातचीत पर घरवालों को कोई ऐतराज भी न था. क्योंकि मोहल्ले के नाते रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे. गांवों में तो वैसे भी रिश्तों को काफी अहमियत दी जाती है. लेकिन आलोक और राधा रिश्तों की मर्यादा निभा नहीं पाए. मेलमुलाकात और बातचीत से आलोक के दिलोदिमाग पर राधा की खूबसूरती और बातव्यवहार का ऐसा असर हुआ कि वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने के सपने देखने लगा. लेकिन अपने मन की बात वह राधा से कह नहीं पाता था.

वह सोचता था कि कहीं राधा बुरा मान गई और उस ने यह बात घर वालों से बता दी तो वह मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएगा. लेकिन यह उस का भ्रम था. राधा के मन में भी वही सब था, जो उस के मन में था. जब दोनों ओर ही चाहत के दीए जल रहे हों तो मौका मिलने पर उस का इजहार भी हो जाता है. ऐसा ही राधा और आलोक के साथ भी हुआ. फिर एक दिन उन्होंने अपने मन की बात जाहिर भी कर दी. दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. आए दिन होने वाली मुलाकातों ने दोनों को जल्द ही करीब ला दिया. वे भूल गए कि उन का रिश्ता नाजुक है. आलोक राधा के प्यार के गाने गाने लगा. इस तरह दोनों मोहब्बत की नाव में सवार हो कर काफी आगे निकल गए.

राधा और आलोक के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो मनों में शारीरिक सुख पाने की कामना भी पैदा होने लगी. इस के बाद मौका मिला तो दोनों सारी मर्यादाएं तोड़ कर एकदूसरे की बांहों में समा गए. इस के बाद तो उन्हें जब भी मौका मिलता, अपनी हसरतें पूरी कर लेते. इस का नतीजा यह निकला कि कुछ दिनों बाद ही दोनों गांव वालों की नजरों में आ गए. उन के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. उड़तेउड़ते यह खबर राधा के पिता रामदयाल के कानों में पड़ी तो सुन कर उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे एकाएक विश्वास नहीं हुआ कि आलोक उस की इज्जत पर हाथ डाल सकता है. वह तो उसे अपने बेटों की तरह मानता था.

यह सब जान कर उस ने राधा पर तो पाबंदी लगा ही दी, साथ ही आलोक से भी कह दिया कि वह उस के घर न आया करे. बात इज्जत की थी, इसलिए राधा के भाई सर्वेश को दोस्त की यह हरकत अच्छी नहीं लगी. उस ने आलोक को समझाया ही नहीं, धमकी भी दी कि अगर उस ने अब उस की बहन पर नजर डाली तो वह भूल जाएगा कि वह उस का दोस्त है. इज्जत के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है. इस के बाद उस ने राधा की पिटाई भी की और उसे समझाया कि उस की वजह से गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया है. वह ठीक से रहे अन्यथा अनर्थ हो जाएगा.

रामदयाल जानता था कि बात बढ़ाने पर उसी की बदनामी होगी, इसलिए बात बढ़ाने के बजाय वह पत्नी व बेटों से सलाह कर के राधा के लिए लड़के की तलाश करने लगा. इस बात की जानकारी राधा को हुई तो वह बेचैन हो उठी. एक शाम वह मौका निकाल कर आलोक से मिली और रोते हुए बोली, ‘‘घर वाले मेरे लिए लड़का ढूंढ रहे हैं. जबकि मैं तुम्हारे अलावा किसी और से शादी नहीं करना चाहती.’’

‘‘इस में रोने की क्या बात है? हमारा प्यार सच्चा है, इसलिए दुनिया की कोई ताकत हमें जुदा नहीं कर सकती.’’ राधा को रोते देख आलोक भावुक हो उठा. वह राधा के आंसू पोंछ उस का चेहरा हथेलियों में ले कर उसे विश्वास दिलाते हुए बोला, ‘‘तुम मुझ पर भरोसा करो, मैं तुम्हारे साथ हूं. मेरे रोमरोम में तुम्हारा प्यार रचा बसा है. तुम्हें क्या लगता है कि तुम से अलग हो कर मैं जी पाऊंगा, बिलकुल नहीं.’’

उस की आंखों में आंखें डाल कर राधा बोली, ‘‘मुझे पता है कि हमारा प्यार सच्चा है, तुम दगा नहीं दोगे. फिर भी न जाने क्यों मेरा दिल घबरा रहा है. अच्छा, अब मैं चलती हूं. कोई खोजते हुए कहीं आ न जाए.’’

‘‘ठीक है, मैं कोई योजना बना कर तुम्हें बताता हूं.’’ कह कर आलोक अपने घर की तरफ चल पड़ा तो मुसकराती हुई राधा भी अपने घर चली गई.

रामदयाल राधा के लिए लड़का ढूंढढूंढ कर थक गया, लेकिन कहीं उपयुक्त लड़का नहीं मिला. इस से राधा के घर वाले परेशान थे, वहीं राधा और आलोक खुश थे. इस बीच घर वाले थोड़ा लापरवाह हो गए तो वे फिर से चोरीछिपे मिलने लगे थे. एक दिन सर्वेश ने खेतों पर राधा और आलोक को हंसीमजाक करते देख लिया तो उस ने राधा की ही नहीं, आलोक की भी पिटाई की. इसी के साथ धमकी भी दी कि अगर फिर कभी उस ने दोनों को इस तरह देख लिया तो अंजाम अच्छा न होगा.

सर्वेश ने आलोक की शिकायत उस के घर वालों से की तो घर वालों ने उसे भरोसा दिया कि वे आलोक को समझाएंगे. इस के बाद सर्वेश घर आ गया. इधर शाम को आलोक घर पहुंचा तो पिता राजकुमार ने टोका, ‘‘सर्वेश उलाहना देने आया था. तुम्हारी शिकायत कर रहा था कि तुम उस की बहन के पीछे पड़े हो. सच्चाई क्या है?’’

‘‘पिताजी, मैं और राधा एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’’

‘‘तुम्हारा दिमाग फिर गया है क्या? जो उस लड़की से शादी करना चाहते हो. क्या तुम्हें मालूम नहीं कि राधा दूसरी जाति की है और हम राजपूत हैं. यदि तुम ने उस से ब्याह रचाया तो समाज में हम मुंह दिखाने लायक नहीं बचेंगे. बिरादरी के लोग हमारा हुक्कापानी बंद कर देंगे. इसलिए कान खोल कर सुन लो, उस लड़की से तुम्हारा रिश्ता हरगिज नहीं हो सकता. भूल जाओ उसे.’’ राजकुमार ने कहा. पिता की फटकार और स्पष्ट चेतावनी से आलोक परेशान हो उठा. उस का एक दोस्त छोटू उर्फ नीलू था. उस ने इस बारे में छोटू से बात की तो उस ने उस के पिता की बात को जायज ठहराया और राधा से संबंध तोड़ लेने का सुझाव दिया.

आलोक ने अपनी मां का दिल टटोला तो उस ने भी साफ कह दिया कि जिस दिन राधा की डोली उस के घर आएगी, उसी दिन उस की अर्थी उठेगी. मां की इस धमकी से आलोक कांप उठा. उस पर सवार राधा के प्यार का भूत उतरने लगा. मातापिता और दोस्त की नसीहत उसे भली लगने लगी. अत: उस ने निश्चय किया कि वह राधा से दूरी बनाएगा और प्यारमोहब्बत की बात नहीं करेगा. अब उस ने राधा से ब्याह रचाने की बात दिमाग से निकाल दी. इस के बाद जब कभी आलोक का सामना राधा से होता, तो वह उस से बेमन से मिलता. बेरुखी से बात करता. न होंठों पर मुसकराहट, न चेहरे पर दमक होती. राधा नजदीकियां बढ़ाने की पहल करती, तो वह मना कर देता.

फोन पर भी उस ने बात करना एक तरह से बंद ही कर दिया था. राधा दस बार फोन करती तो वह मुश्किल से एक बार रिसीव करता, उस पर भी ज्यादा बात न करता और फोन कट कर देता. आलोक के इस रूखे व्यवहार से राधा परेशान हो उठी. उसे शक होने लगा कि आलोक किसी दूसरी लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया. अत: वह आलोक पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. वह जब भी मिलती या फोन पर बात करती तो शादी की ही बात करती. इधर कुछ समय से राधा आलोक को धमकाने भी लगी थी कि यदि उस ने शादी नहीं की तो वह पुलिस में उस की शिकायत कर देगी, तब उसे जेल भी हो सकती है.

24 अगस्त, 2020 की शाम 4 बजे राधा घर से गायब हो गई. वह देर शाम तक घर वापस नहीं लौटी तो रामदयाल को चिंता हुई. उस ने अपने बेटे सर्वेश व उमेश को साथ लिया और रात भर उस की खोज करता रहा. लेकिन राधा का कुछ भी पता न चला. रामदयाल को शक हुआ कि कहीं आलोक उसे भगा तो नहीं ले गया. वह आलोक के घर पहुंचा, तो आलोक घर पर ही मिला. 26 अगस्त की सुबह गांव का ही किसान विमल अपने खेत पर पानी लगाने पहुंचा तो उस ने अपने खेत की मेड़ के पास पीपल के पेड़ के नीचे राधा का शव देखा. उस ने खबर राधा के घर वालों को दी. उस के बाद तो रामदयाल के घर में रोनापीटना शुरू हो गया.

घर के सभी लोग घटनास्थल पहुंच गए. लाश मिलते ही आलोक का परिवार घर से गुपचुप तरीके से फरार हो गया. रामदयाल गौतम ने थाना ककवन पुलिस को सूचना दी तो थानाप्रभारी अमित कुमार मिश्रा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की सूचना पर एसपी केशव कुमार चौधरी तथा एएसपी अनूप कुमार आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. उस के गले में दुपट्टा था. इस से अंदाजा लगाया गया कि राधा की हत्या दुपट्टे से गला घोंट कर की गई होगी. उस की उम्र 19 वर्ष के आसपास थी.

घटनास्थल पर मृतका का पिता रामदयाल तथा भाई सर्वेश मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने उन दोनों से पूछताछ की तो सर्वेश ने उन्हें बताया कि उस की बहन की हत्या गांव के आलोक व उस के दोस्त छोटू ने की है. पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने राधा के शव को पोेस्टमार्टम हेतु माती स्थित अस्पताल भिजवा दिया तथा थानाप्रभारी अमित मिश्रा को आदेश दिया कि वह मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करें. आदेश पाते ही अमित कुमार मिश्रा ने मृतका के भाई सर्वेश की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत आलोक व छोटू के खिलाफ रिपोेर्ट दर्ज कर ली और उन्हें गिरफ्तार करने में जुट गए. इस के लिए उन्होंने मुखबिरों को भी लगा दिया.

29 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे अमित कुमार मिश्रा ने मुखबिर की सूचना पर आलोक व छोटू को ककवन मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. उन्हें थाना ककवन लाया गया. थाने पर जब दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने राधा की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. पूछताछ में आलोक ने बताया कि राधा उस पर शादी का दबाव बना रही थी, जबकि वह राधा से शादी नहीं करना चाहता था. उस ने जब पुलिस में शिकायत दर्ज करने की धमकी दी, तो उस ने राधा को ही मिटाने की योजना बनाई. इस में उस ने अपने दोस्त छोटू को शामिल कर लिया. योजना के तहत उस ने 24 अगस्त की शाम 4 बजे राधा को खेतों पर बुलाया फिर उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

30 सितंबर, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त आलोक राजपूतछोटू को कानपुर देहात की माती कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित