Uttar Pradesh Crime : कामोत्तेजक दवा खा कर बहन के साथ रेप किया और ईट से कुचल डाला

Uttar Pradesh Crime : इरफान और सादिया अपने 3 बच्चों के साथ चैन की जिंदगी गुजार रहे थे. तभी जहरीली हवा का झोंका आया, जिस ने इरफान के घर में 3 लाशें बिछा दीं. पुलिस जांच में पता चला कि जहरीली हवा का वह झोंका नसीरुद्दीन का हमराही बन कर आया था…

उस दिन नवंबर, 2019 की 25 तारीख थी. सुबह के 10 बज रहे थे. आजमगढ़ के गांव इब्राहीमपुर भलवारिया का रहने वाला अनीस अहमद गांव के बाहर अपने खेतों पर पहुंचा. फसल व ट्यूबवेल पर नजर डालने के बाद वह खेत के नजदीक ही मछलियां पकड़ने तालाब पर जा पहुंचा. उस ने तालाब में जाल डाला ही था कि उसे अपने दोस्त इरफान की याद आ गई. उस के खेत के पास ही इरफान का घर था. वह अकसर इरफान के साथ ही मछलियां पकड़ता था. अत: उस ने इरफान को बुलाने के लिए फोन किया. लेकिन काल रिसीव नहीं हुई. बारबार रिडायल करने पर भी जब इरफान ने उस की काल रिसीव नहीं की तो अनीस का माथा ठनका.

उस ने तालाब से जाल निकाल कर वहीं किनारे पर रख दिया और तेज कदम बढ़ाता हुआ इरफान के दरवाजे पर पहुंच गया. उस ने इरफान को कई आवाज लगाईं पर कोई जवाब नहीं मिला. इस से अनीस की धड़कनें तेज हो गईं. वह सोचने लगा कि इरफान जवाब क्यों नहीं दे रहा, अनीस ने उस के मकान के चारों तरफ बनी बाउंड्री से झांक कर देखा तो कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला था. वहीं से उसे दरवाजे के पास जमीन पर पड़ी इरफान की पत्नी सादिया का हाथ दिखा. किसी अनहोनी की आशंका भांप कर अनीस ने इस मामले की जानकारी गांव के प्रधान सलाहुद्दीन तथा इरफान के भाइयों को दे दी. सूचना मिलते ही प्रधान सलाहुद्दीन इरफान के घर आ गए. उन के साथ इरफान के भाई इमरान, इरशाद तथा इकबाल भी थे.

तीनों भाई घर के अंदर जा कर हकीकत जानना चाहते थे लेकिन प्रधान ने उन्हें रोक दिया और उसी समय मोबाइल से थाना मुबारकपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी अखिलेश मिश्रा पुलिस टीम के साथ इब्राहीमपुर भलवारिया गांव पहुंच गए. इरफान का घर गांव के बाहर खेत पर था. तब तक वहां काफी भीड़ जुट गई थी. मिश्रा पुलिसकर्मियों के साथ घर के अंदर गए तो वहां का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. कमरे के अंदर 3 लाशें पड़ी थीं. एक मासूम बालक और बालिका घायल अवस्था में पडे़ थे. पूछताछ से पता चला कि मरने वालों में घर का मुखिया इरफान, उस की पत्नी सादिया तथा 4 माह की मासूम बेटी नूर थी. घायलों में इरफान का 5 वर्षीय बेटा अमन तथा 10 वर्षीया बेटी अमायरा थी.

दोनों को किसी भारी वस्तु से सिर व माथे पर प्रहार कर चोट पहुंचाई गई थी. दोनों घायल बच्चे इस हालत में नहीं थे कि पुलिस को कुछ बता सकें. उन्हें तत्काल इलाज के लिए मुबारकपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा गया. थानाप्रभारी अखिलेश मिश्रा ने घटना स्थल का निरीक्षण शुरु किया. सादिया की लाश दरवाजे के पास नग्नावस्था में पड़ी थी. उस के सिर व चेहरे पर किसी भारी वस्तु से प्रहार किया गया था. उस की उम्र 32 वर्ष के आसपास थी और ऐसा लग रहा था जैसे उस के साथ बलात्कार किया गया हो. क्योंकि शव के पास ही प्रयोग में लाया गया कंडोम भी पड़ा था. पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर उस कंडोम को सुरक्षित कर लिया.

एक साथ 3 कत्ल सादिया के पति इरफान का शव उस के बगल में जमीन पर पड़ा था. उस का सिर फटा हुआ था जिस से खून रिसा हुआ था. उस की मौत हो चुकी थी. इरफान की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी. इरफान की 4 माह की बेटी नूर का शव चारपाई पर पड़ा था. उस के शरीर पर चोट का निशान नहीं था. उस की मौत संभवत: दम घुटने से हुई थी. इस तिहरे हत्याकांड की खबर जंगल की आग की तरह आसपास के गांवों में फैली तो सैकड़ों लोगों की भीड़ घटनास्थल पर जमा हो गई. भीड़ बढ़ती देख थानाप्रभारी अखिलेश मिश्रा ने सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी और मौके पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स भेजने का अनुरोध किया.

कुछ ही देर बाद आजमगढ़ के एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह, एसपी (सिटी) पंकज कुमार पांडेय तथा सीओ (सदर) अकमल खां पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ गए. एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह ने मौकाएवारदात पर डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटना स्थल का बारीकी से निरीक्षण कर मृतक के भाइयों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की. डौग स्क्वायड टीम ने खोजी कुत्ते श्वान फैंटम को घटनास्थल पर छोड़ा गया तो वह वहां की गंध सूंघ कर मकान के आसपास चक्कर लगाते हुए भीड़ में मौजूद एक युवक की ओर लपका. डर की वजह से वह युवक गांव की ओर भाग गया. वह गांव का ही था. पुलिस ने उस की पहचान तो कर ली, पर बिना किसी ठोस सबूत के उसे गिरफ्तार नहीं किया.

लोग हो गए आक्रोशित घटना स्थल का निरीक्षण करने के बाद पुलिस अधिकारी जब तीनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस भेजने की तैयारी करने लगे तो वहां मौजूद भीड़ उत्तेजित हो उठी. भीड़ ने मांग की कि जब तक आईजी (जोन), डीआईजी या क्षेत्रीय प्रतिनिधि आ कर काररवाई का आश्वासन नहीं देते तब तक शवों को नहीं उठने देंगे. इस पर एसपी (सिटी) पंकज कुमार पांडेय तथा सीओ (सदर) अकमल खां ने भीड़ को काफी समझाया. पुलिस अधिकारियों के समझाने का उत्तेजित लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा. वह अपनी मांग पर डंटे रहे. कानूनव्यवस्था न बिगड़ जाए, इसलिए एसपी (सिटी) पंकज कुमार पांडेय ने डीआईजी तथा क्षेत्रीय विधायक गुड्डू जमाली से फोन पर बात की और वस्तुस्तिथि से अवगत कराया.

कुछ देर बाद डीआईजी मनोज तिवारी तथा क्षेत्रीय विधायक गुड्डू जमाली घटनास्थल आ गए. डीआईजी मनोज तिवारी ने उत्तेजित लोगों को समझाया कि आप का गुस्सा जायज है, हम आप की भावनाओं की कद्र करते हैं. लेकिन आप लोग पुलिस की काररवाई में बाधा न पहुंचाएं. हम आप को आश्वासन देते हैं कि हत्यारा भले ही जमीन में छिपा हो, उसे खोज निकालेंगे और इस जघन्य हत्याकांड के लिए उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाएंगे. क्षेत्रीय विधायक गुड्डू जमाली ने मृतक के घरवालों को भरोसा दिया कि जो भी मदद संभव होगी वह मृतक के परिजनों को दिलाएंगे. साथ ही मृतक के बच्चों के पालनपोषण व पढ़ाई का खर्चा वह स्वयं उठाएंगे. विधायक के आश्वासन का भी लोगों ने स्वागत किया.

डीआईजी व विधायक के आश्वासन के बाद उत्तेजित लोग शांत हो गए. इस के बाद पुलिस ने तीनों शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिए. चूंकि पुलिस अधिकारियों को उपद्रव की आशंका थी. इसलिए उन्होंने गांव में भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात कर दी. रात में ही पोस्टमार्टम करा कर शव उन के भाइयों को सौप दिए गए. शवों को भारी पुलिस सुरक्षा के बीच दफन करा दिया गया. एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह के सेवा काल का यह जघन्यतम हत्याकांड था. उन्होंने इस तिहरे हत्याकांड के खुलासे के लिए एक विशेष टीम का गठन किया. इस टीम को एसपी (सिटी) पंकज कुमार पांडेय की निगरानी में काम करना था. टीम में मुबारकपुर थानाप्रभारी अखिलेश कुमार मिश्रा, एसआई ए.के. सिंह, सीओ (सदर) अकमल खां और सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

गठित टीम ने सब से पहले घटना स्थल का निरीक्षण किया, फिर तीनों मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का गहन अध्ययन किया. रिपोर्ट के मुताबिक सादिया की मौत सिर में घातक चोट लगने व ज्यादा खून बहने से हुई थी. उस के साथ दुष्कर्म भी किया गया था. जबकि उस के पति इरफान की मौत सिर तथा दिमाग की नशें फटने  से हुई थी. 4 माह की नूर की मौत दम घुटने से हुई थी.सोचविचार के बाद पुलिस टीम को लगा कि मामला अवैध रिश्तों का है. अत: टीम ने इस बाबत मृतक इरफान के भाई इरशाद व इमरान से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि सादिया मिलनसार थी. उस के घर किसी बाहरी व्यक्ति का आनाजाना नहीं था. वह अपने शौहर के अलावा किसी और को पसंद नहीं करती थी.

भाइयों के बयान से साफ  हो गया कि सादिया पाकसाफ औरत थी. उस के किसी गैर मर्द के साथ नाजायज ताल्लुकात नहीं थे. इस से लगने लगा कि किसी वहशी दरिंदे ने सादिया को अपनी हवस का शिकार बनाया और विरोध करने पर मार डाला. यह दरिंदा कौन हो सकता है? इस विषय पर जब टीम के सदस्यों ने मृतक के भाइयों से पूछताछ की तो इमरान ने बताया कि नटबस्ती का एक युवक ऐसा कुकृत्य कर सकता है. शक के आधार पर पुलिस टीम ने नटबस्ती के उस युवक को हिरासत में ले लिया और उस से कड़ाई से पूछताछ की, लेकिन उस ने जुर्म कबूल नहीं किया. उस ने कहा कि उसे रंजिशन फंसाया जा रहा है. वह बेकसूर है. पुलिस टीम किसी निर्दोष को नहीं फंसाना चाहती थी. चूंकि वह शक के दायरे में था इसलिए उसे छोड़ा भी नहीं गया.

अब तक अस्पताल में भरती मासूम अमन और अमायरा के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ गया था. वह बयान दर्ज कराने की स्थिति में थे. पुलिस उन दोनों का बयान दर्ज करने स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. उन का इलाज कर रहे डा. प्रदीप ने पुलिस को बताया कि दोनों के सिर पर चोट थी, जो अब काफी हद तक ठीक है. डाक्टर ने एक चौंकाने वाली बात यह बताई कि 10 वर्षीया अमायरा के साथ कुकर्म किया गया है. यह जान कर पुलिस सोच में पड़ गई. पुलिस ने दोनों बच्चों से पूछताछ की तो अमायरा ने बताया कि उस रात कोई चोर घर में घुसा था. वह उठी और मां से पानी मांगा तो उसे चोर ने दबोच लिया. उस ने माथे पर ईंट से प्रहार किया, जिस से वह बेहोश सी हो गई. इस के बाद चोर ने उस के साथ गंदा काम किया.

वह चीखी तो भाई अमन रोने लगा. तब उस ने उस के माथे पर भी ईंट से चोट पहुंचाई, जिस से दोनों बेहोश हो गए.

‘‘अगर उस चोर को तुम्हारे सामने लाया जाए तो तुम उसे पहचान लोगी?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘हां, पहचान लूंगी.’’ अमायरा ने जवाब दिया.

पुलिस हिरासत में लिए गए नट बस्ती के संदिग्ध युवक की पहचान कराने अस्पताल लाई. अमायरा ने उसे गौर से देखा फिर कुछ देर मौन रहने के बाद बोली, ‘‘शायद यही था.’’ पहचान होने पर पुलिस ने उस युवक से फिर सख्ती से पूछताछ की लेकिन वह नहीं टूटा. उस ने कहा, ‘‘बच्ची के पहचानने में चूक हुई होगी. मैं निर्दोष हूं.’’ पुलिस टीम को भी लगा कि शायद वह निर्दोष है, इसलिए उसे जाने दिया. पुलिस टीम ने अब अपनी जांच की दिशा बदल दी. सर्विलांस टीम ने घटना वाली रात इलाके में लगे मोबाइल टावर के संपर्क में आए डंप फोन नंबरों में से एक ऐेसे मोबाइल नंबर का पता लगाया जो वारदात के समय वहां 3 घंटे तक मौजूद रहा था. इस मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई गई तो पता चला कि वह मोबाइल नंबर नसीरुद्दीन उर्फ अउवापउवा का था, जो इब्राहीमपुर भलवारियां गांव का रहने वाला था.

नसीरुद्दीन था वह हैवान नसीरुद्दीन शक के घेरे में आया तो पुलिस टीम ने उस के पीछे महिला मुखबिर लगा दी, जो उस के परिवार की ही थी. उस ने पुलिस को 2 रोज बाद चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि नसीरुद्दीन दिन में तो घर में पड़ा रहता है लेकिन रात को वह घर से निकलता है. घर से वह सीधे कब्रिस्तान जाता है, जहां सादिया, उस के शौहर और बेटी की कब्र के पास बैठ कर रोता है और अपने गुनाहों की तौबा करता है. यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम ने 2 दिसंबर, 2019 को नसीरुद्दीन उर्फ  अउवापउवा को सुबह 5 बजे उस के घर से हिरासत में ले लिया और शिनाख्त हेतु अस्पताल ले गई, जहां मासूम अमन और अमायरा का इलाज चल रहा था.

नसीरुद्दीन को देखते ही अमायरा चीख पड़ी, ‘‘यही, वह चोर है जिस ने मेरे साथ गंदा काम किया था और ईंट मार कर घायल कर दिया था. इसे छोड़ना नहीं. इसे फांसी पर लटका देना.’’

पुलिस टीम नसीरुद्दीन को साथ ले कर थाना मुबारकपुर आ गई. थाने पर जब उस से तिहरे हत्याकांड के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने अपराध कबूल कर लिया. इस के बाद उस ने हत्या की पूरी कहानी पुलिस को बता दी. पुलिस ने तिहरे हत्याकांड का खुलासा करने तथा हत्यारे को पकड़ने की जानकारी एसपी प्रो. त्रिवेणी सिंह को दी. जानकारी मिलते ही त्रिवेणी सिंह थाना मुबारकपुर आ गए. उन्होंने प्रैसवार्ता में कातिल को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. उन्होंने केस का खुलासा करने वाली टीम की पीठ थपथपाई और 25 हजार रुपए नकद पुरस्कार की घोषणा की.

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के थाना मुबारकपुर के अंतर्गत एक गांव है इब्राहीमपुर भलवारिया. मुसलिम बाहुल्य इस गांव में अब्दुल कय्यूम अपने परिवार के साथ रहता था. उस के 4 बेटे इमरान, इरशाद, इकबाल तथा इरफान थे. इन सभी के विवाह हो चुके थे. उन्होंने चारों बेटों में घर जमीन का बंटवारा कर दिया था. उन के 3 बेटे इमरान, इरशाद और इकबाल बीवीबच्चों के साथ गांव में पैतृक मकान में रहते थे लेकिन सब से छोटे बेटे इरफान ने इब्राहीमपुर भलवरिया गांव के बाहर अपने खेत में टिन शेड वाला मकान बनवा लिया था. वह बीवीबच्चों के साथ वहीं रहता था. लगभग 10 साल पहले इरफान की शादी इसी गांव की सादिया से हुई थी. दरअसल, सादिया एक गरीब परिवार की खूबसूरत बेटी थी. इरफान का सादिया के घर आनाजाना था. आतेजाते इरफान की नजर सादिया पर पड़ी.

पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे को दिल बैठे. दोनों की मोहब्बत परवान चढ़ने लगी तो घरवालों को जानकारी हुई. दोनों के परिवार वालों ने आपस में विचारविमर्श कर सादिया और इरफान का निकाह कर दिया. सादिया जैसी खूबसूरत और नेक दिल वाली बीवी पा कर इरफान खुश था. पतिपत्नी के दिन हंसीखुशी से बीतने लगे. हंसतेबतियाते शादी के 5 साल कब बीत गए, पता ही नहीं चला. इन 5 सालों में सादिया ने बेटी अमायरा और बेटे अमन को जन्म दिया. बेटीबेटा के जन्म से उन की खुशियां दोगुनी हो गईं.

वक्त बीतता गया. वक्त के साथ सादिया के बच्चे बड़े हुए तो गांव के ही मदरसे में तालीम हासिल करने जाने लगे. इरफान खेतीकिसानी के साथसाथ दरी बुनाई का काम भी करता था, ताकि अतिरिक्त आमदनी हो.  अमन के जन्म के 4 साल बाद सादिया ने एक बेटी नूर को जन्म दिया. नन्हीं सी नूर इरफान और सादिया की आंखों की नूर बन गई थी. इरफान अपने बीवीबच्चों के साथ खुश था. लेकिन उस की यह खुशी ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी. दरअसल इरफान के गांव में ही अजीज अहमद रहते थे. उन के 2 बेटे अजरुद्दीन और नसीरुद्दीन थे. अजरुद्दीन तो सीधासादा और व्यावहारिक था. वह पिता के साथ किसानी करता था. उस की शादी भी हो चुकी थी. लेकिन छोटा बेटा नसीरुद्दीन झगड़ालू और बददिमाग था.

वह गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमता, बातबेबात लोगों से उलझता और उन के साथ मारपीट करता. वह आवारा लड़कों के साथ शराब पीता और गांव की लड़कियों से छेड़खानी करता था. नौकरी छोड़ कर लौट आया घर नसीरुद्दीन के कारनामों की शिकायत जब अजीज अहमद के पास आने लगी तो उन्होंने उसे सही रास्ते पर लाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं सुधरा. बल्कि ज्यादा शराब पी कर सड़क, नाली में गिरता रहता था, जिस से गांव के लोगों ने उस का नाम अउवापउवा रख दिया था. बिगडै़ल बेटे को सुधारने के लिए अजीज के पास एक ही उपाय बचा था कि उस की शादी कर दी जाए. लेकिन आवारा लड़के से कोई भी अपनी बेटी ब्याहने को तैयार नहीं था. काफी दौड़धूप के बाद उन्होंने एक गरीब परिवार की रेहाना से उस की शादी कर दी.

रेहाना कम पढ़ीलिखी साधारण रंगरूप की युवती थी. उस ने शौहर को अपने प्रेम बंधन में बांधने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वह असफल रही. नसीरुद्दीन की आवारागर्दी से तंग आ कर रेहाना ने उसे कई बार फटकारा और जलील भी किया. साथ ही परिवार का बोझ उठाने के लिए उसे कुछ कामधंधा करने की सलाह भी दी. नसीरुद्दीन ने पहले तो बीवी की बात को अनसुना कर दिया पर जब रेहाना आए दिन उस से झगड़ा करने लगी तो उस ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया. नसीरुद्दीन उर्फ  अउवापउवा के कुछ दोस्त फरीदाबाद (हरियाणा) में रहते थे और मशीनों के पार्ट्स बनाने वाली किसी कंपनी में काम करते थे. उस ने अपने दोस्तों से बात की और गांव छोड़ कर फरीदाबाद चला गया.

दोस्तों ने उस के रहने का बंदोबस्त कर उस की वहां नौकरी लगवा दी. नसीरुद्दीन के हाथ में पैसे आने लगे तो वह शराब के साथसाथ दूसरे नशे भी करने लगा. यही नहीं वह अय्याशी के लिए दिल्ली के रेडलाइट एरिया में भी जाने लगा. नसीरुद्दीन कमाता जरूर था, पर वह सारा पैसा नशे और अय्याशी में खर्च कर देता था. वह 3-4 महीने में जब भी घर आता, खाली हाथ ही आता. रेहाना, शौहर से अपने खर्च को पैसा मांगती तो वह उसे दुत्कार देता था. वह रेहाना के शरीर को रौंदता तो था पर उस की चाहत को वह पूरा नहीं कर पाता था. इतना ही नहीं रेहाना को वह अपने साथ भी नहीं रखना चाहता था.

नसीरुद्दीन उर्फ  अउवापउवा जून 2019 में नौकरी छोड़ कर गांव आ गया. इस के बाद वह जलालपुर स्थित एक बुनाई कारखाने में काम करने लगा. रेहाना की अपने शौहर से नहीं पटती थी. इस के 2 कारण थे. एक तो वह कमाई का एकचौथाई हिस्सा भी उस के हाथ पर नहीं रखता था. दूसरे वह कामवर्धक दवाओं का प्रयोग कर उस के साथ संबंध बनाता था. झगड़ा तब ज्यादा होता था जब वह उस के ऊपर अप्राकृतिक संसर्ग के लिए दबाव बनाता था. धीरेधीरे झगड़ा बढ़ता गया और रेहाना, शौहर की गंदी हरकतों से आजिज आ कर अक्तूबर में अपने मायके चली गई.

रेहाना रूठ कर मायके चली गई तो अय्यास नसीरुद्दीन उर्फ अउवापउवा सेक्स के लिए परेशान रहने लगा. उस का दिन तो कामधाम में कट जाता, लेकिन रात में औरत की कमी सताने लगती. उस के मन में अपनी भाभी जुनैदा के प्रति भी खोट था, पर भाई के डर से वह उस की तरफ कदम नहीं बढ़ा पा रहा था. यद्यपि वह भाभी के साथ हंसीमजाक तथा अश्लील हरकतें कर देता था. जुनैदा उसे डांटफटकार देती थी. एक रोज अपने काम पर जाते समय नसीरुद्दीन की नजर इरफान की खूबसूरत पत्नी सादिया पर पड़ी. 30 वर्ष की उम्र पार कर चुकी 3 बच्चों की मां सादिया की खूबसूरती में कमी नहीं आई थी. नसीरुद्दीन ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाने का निश्चय कर लिया.

उस ने सोचा कि सादिया अपने शौहर और बच्चों के साथ गांव के बाहर खेत पर बने मकान पर रहती है, इसलिए उसे आसानी से शिकार बनाया जा सकता है. अगर उस ने शोर मचाया भी तो उस की चीखपुकार गांव तक सुनाई नहीं देगी. जिस से उसे कोई बचाने भी नहीं आएगा. सादिया पर जम गईं निगाहें इस के बाद वह सादिया व उस के शौहर की रेकी करने लगा. 20 नवंबर, 2019 को वह रात 9 बजे सादिया के दरवाजे पर पहुंचा. उसने बाउंड्री से झांका तो सादिया मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी. अत: वह वापस घर आ गया. नसीरुद्दीन वापस जरूर आ गया था पर उस की सेक्स की भूख बढ़ गई थी. वह सादिया के शरीर से हर हाल में खिलवाड़ करना चाहता था.

24 नवंबर, 2019 की शाम नसीरुद्दीन अपने गांव के मैडिकल स्टोर से कामोत्तेजक दवा तथा कंडोम खरीद लाया. दवा खाने के बाद उस ने निश्चय कर लिया था कि चाहे जो भी हो, वह आज सादिया के साथ संबंध बना कर ही रहेगा. रात 10 बजे वह घर से निकला और घूमतेफिरते रात साढ़े 10 बजे इरफान के घर जा पहुंचा. उस ने बाउंड्री से झांक कर देखा तो पूरा परिवार टिन शेड के नीचे सो रहा था. दरवाजे में अंदर से कुंडी नहीं लगी थी. बांस का डंडा लगा था, जो दरवाजे को खुलने से रोके हुए था. नसीरुद्दीन ने आहिस्ता से डंडे को सरकाया और दरवाजे को अंदर की ओर धकेला, इस से दरवाजा खुल गया. लेकिन इसी बीच डंडा जमीन पर गिर पड़ा. डंडे के गिरने की आवाज से इरफान की आंखें खुल गईं.

वह जैसे ही उठ कर खड़ा हुआ, नसीरुद्दीन ने लपक कर बाउंड्री से ईंट उठाई और इरफान के सिर पर भरपूर प्रहार किया. इरफान का सिर फट गया. खून की धार बह निकली और वह कराहता हुआ जमीन पर धराशायी हो गया. शौहर के कराहने की आवाज सुन कर तख्त पर अपनी 4 महीने की बच्ची नूर के साथ लेटी सादिया की आंखें खुल गईं. वह उठने को हुई तो नसीरुद्दीन ने उस के सिर पर भी ईंट का प्रहार कर दिया. सादिया का सिर फट गया. वह तड़पने लगी. नसीरुद्दीन को इस सब से कोई लेनादेना नहीं था. उस ने सादिया को दबोच लिया और उस के शरीर से एकएक कपड़ा उतार फेंका. इस के बाद उस ने सादिया के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए. सादिया विरोध करती रही और नसीरुद्दीन उस के जिस्म को रौंदता रहा. इसी बीच वह बेहोश हो गई.

इसी दौरान दूसरी चारपाई पर अपने 5 वर्षीय भाई अमन के साथ लेटी 10 वर्षीया अमायरा की आंखें खुल गईं. उस ने मां से पानी मांगा. तभी नसीरुद्दीन अमायरा के पास जा पहुंचा. उसे देख कर अमायरा को लगा कि घर में चोर घुस आया है. वह शोर मचाने लगी. नसीरुद्दीन ने उस के माथे पर ईंट से प्रहार कर दिया. अमायरा अर्द्धबेहोश हो गई. नसीरुद्दीन कामोत्तेजक दवा खा कर आया था, वह दरिंदा बना हुआ था. उस ने अपने साथ लाए कंडोम का उपयोग किया और मासूम अमायरा को दबोच कर उस के साथ अप्राकृतिक मैथुन किया. इस दौरान वह बच्ची असहनीय दर्द से छटपटाती रही. पर उस दरिंदे को जरा भी दया नहीं आई. उसी समय मासूम अमन भी जाग गया. वह रोने लगा तो वहशी अउवापउवा ने उस के माथे पर ईंट से प्रहार कर दिया. वह डर व भय से कांपने लगा और फिर बेहोश हो गया.

अब तक नसीरुद्दीन पस्त पड़ गया था. वह कुछ देर सुस्ताता रहा तभी नग्नावस्था में पड़ी सादिया के कराहने की आवाज उस के कानों में पड़ी. उस के नग्न शरीर को देख कर एक बार फिर उस की कामेच्छा भड़क उठी. उस ने फिर सादिया के जिस्म को रौंदा, साथ ही उस ने अपने मोबाइल से वीडियो भी बनाया. सादिया की 4 माह की मासूम बेटी नूर कंबल से ढंकी उस के साथ ही लेटी थी. संबंध बनाने के दौरान वह दब गई और उस का दम घुट गया. संबंध बनाने के बाद नसीरुद्दीन ने सादिया का चेहरा ईंट से कुचल दिया, जिस से उस की मौत हो गई. उस का शौहर पहले ही दम तोड़ चुका था. नसीरुद्दीन ने 3 घंटे तक वहशी खेल खेला फिर सादिया का मोबाइल ले कर वापस घर आ गया.

जुनैदा के कहने पर फेंके मोबाइल सुबह को उस ने अपनी भाभी जुनैदा को सादिया की अश्लील वीडियो दिखाई. जिसे देख कर जुनैदा भड़क गई और बोली, ‘‘पउवा तू ने यह क्या कुकर्म कर डाला. तू ने जिस सादिया को हवस का शिकार बनाया है वह इसी गांव की बेटी है और रिश्ते में तेरी बहन थी. तू ने जो गुनाह किया है उस के लिए कोई भी तुझे माफ नहीं करेगा. तू अभी जा और इस मोबाइल को किसी नदीनाले में फेंक आ.’’

भाभी की बात सुन कर नसीरुद्दीन को पछतावा हुआ. वह गांव के बाहर गया और नदी में दोनों मोबाइल फोन फेंक दिए. घर आ कर कमरे में पड़ गया. रात को मृतकों की कब्र पर जा कर शांत कब्रों से वह अपने गुनाहों की माफी मांगता. बाद में जब पुलिस ने जुनैदा को अपना गवाह बना लिया तो उस ने सारी बातें सचसच बता दीं. इधर सुबह 10 बजे घटना का खुलासा तब हुआ, जब अनीस अहमद अपने खेत पर गया और मछली पकड़ने के लिए इरफान को बुलाना चाहा. पुलिस की अथक मेहनत पर आरोपी एक सप्ताह बाद पकड़ा गया. पुलिस ने उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त खून से सनी ईंट एक खेत से बरामद कर ली. मोबाइल फोन बरामद करने के लिए पुलिस ने गोताखोरों को तालाब में उतारा, लेकिन फोन बरामद नहीं हो सके.

हत्यारोपी नसीरुद्दीन से पूछताछ करने के बाद थानाप्रभारी ने 3 दिसंबर, 2019 को उसे आजमगढ़ कोर्ट में पेश किया. जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. मृतक के मासूम बच्चों अमन और अमायरा की जिम्मेदारी बड़े भाई इमरान ने ले ली थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, अमन व अमायरा परिवर्तित नाम है

 

Crime news : लेडी डाक्टर के साथ गैंगरेप किया और जला डाला

Crime news : दुर्दांत दरिंदों के जाल में फंस कर जान गंवा चुकी दिल्ली की निर्भया के गुनहगारों को सजा मिलने से पहले, हैदराबाद में भी एक लेडी डाक्टर के साथ बर्बरतापूर्ण ऐसी ही दरिंदगी हुई. फर्क बस इतना रहा कि दिल्ली के गुनहगारों को सजा नहीं मिली पर हैदराबाद के दरिंदों ने अपनी सजा खुद चुन ली…

अगर कोई युवती या महिला शिक्षित होने के साथसाथ खूबसूरत, हंसमुख, मृदुभाषी, शालीन और आत्मनिर्भर हो तो उसे सर्वगुण संपन्न माना जाता है. हैदराबाद की 27 वर्षीय डा. प्रियांशी रेड्डी ऐसी ही युवती थी. पेशे से पशु चिकित्सक प्रियांशी रेड्डी 27 नवंबर, 2019  को औफिस जाने के लिए सुबह 8 बजे घर से निकली. उस का औफिस घर से काफी दूर था, इसलिए उसे घर से जल्दी निकलना पड़ता था. वह शमशाबाद स्थित टोल प्लाजा के नजदीक एक जगह अपनी स्कूटी पार्क करती थी और फिर कैब से कोल्लुरु स्थित पशु चिकित्सालय जाती थी. छुट्टियों को छोड़ कर डा. प्रियांशी का यह रोजमर्रा का काम था. शाम को औफिस से लौटते वक्त वह पार्किंग से स्कूटी ले कर घर आती थी.

27 नवंबर, 2019 को हौस्पिटल से घर लौटने में उसे थोड़ी देर हो गई थी. साढ़े 7 बजे जब वह टोल प्लाजा पार्किंग पहुंची तो देखा उस की स्कूटी का पिछला पहिया पंक्चर था. रात का अंधेरा गहरा चुका था. प्रियांशी यह सोच कर परेशान हो गई कि घर कैसे जाएगी. इतनी रात गए पंक्चर लगना मुश्किल था. दूरदूर तक पंक्चर बनाने वाला कोई नहीं था. स्कूटी को ले कर प्रियांशी काफी परेशान हुई. पार्किंग में जहां स्कूटी खड़ी थी, उस के पास ही एक लोडेड ट्रक खड़ा था. जैसेजैसे रात गहरा रही थी, प्रियांशी की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. परेशानी स्वाभाविक ही थी. वजह यह कि एक तो वह अकेली महिला थी, ऊपर से सुनसान इलाका. वैसे भी वहां सब अजनबी थे.

वहां से थोड़ी दूर अंधेरे में खडे़ 4 लोगों की आंखें प्रियांशी पर जमी थीं. उस की परेशानी को समझ कर वे खुश थे. जब उन्हें लगा कि वह कुछ ज्यादा ही परेशान है तो वे प्रियांशी के पास आए. उन 4 अजनबियों को देख वह और ज्यादा डर गई. उन चारों में से एक हट्टाकट्टा युवक बोला, ‘‘काफी देर से देख रहे हैं कि आप काफी परेशान हैं. क्या हम आप की कोई मदद कर सकते हैं?’’

प्रियका ने सहम कर उन चारों को देखा और कुछ सोच कर दबी जुबान में बोली, ‘‘पता नहीं कैसे मेरी स्कूटी का पहिया पंक्चर हो गया. आसपास कोई दुकान भी नहीं दिख रही, जहां इसे ठीक करा लूं.’’

‘‘इस में परेशानी की क्या बात है मैडम?’’ वह युवक उतावला हो कर बोला, ‘‘आप कहें तो हम आप की परेशानी दूर कर सकते हैं. मैं एक पंक्चर बनाने वाले को जानता हूं, जो देर रात तक पंक्चर बनाता है.’’

‘‘प्लीज, आप मेरी मदद कीजिए, किसी भी तरह मेरी स्कूटी ठीक करा दीजिए. आप लोगों का बहुत अहसान होगा मुझ पर.’’

‘‘अरे मैडम, इस में अहसान की क्या बात है. हम भी तो इंसान हैं. इंसान एकदूसरे के काम न आए तो धिक्कार है इंसानियत पर.’’ उस युवक की भावनात्मक बातें सुन कर प्रियांशी का डर थोड़ा कम हुआ. उस ने चारों युवकों को स्कूटी ठीक कराने को कह दिया. प्रियांशी की स्वीकृति मिलते ही चारों युवकों ने स्कूटी का पिछला पहिया खोल कर निकाल लिया और पंक्चर बनवाने के लिए वहां से चले गए. युवकों के वहां से जाने के बाद प्रियांशी ने अपनी छोटी बहन रुचिका को फोन कर के सारी स्थिति बता दी. साथ ही कहा कि उसे घर पहुंचने में देर हो सकती है. स्कूटी ठीक होते ही वह घर के लिए निकल जाएगी. दोनों बहनों के बीच करीब 15 मिनट तक बातें होती रहीं. आखिर में प्रियांशी ने थोड़ी देर बाद बात करने के लिए कहा. प्रियांशी ने जब अपनी ओर से फोन डिसकनेक्ट किया, तब 9 बज कर 22 मिनट हो रहे थे.

कहीं नहीं मिली प्रियांशी कुछ देर रुक कर रुचिका ने यह जानने के लिए प्रियांशी को फोन किया कि स्कूटी ठीक हुई या नहीं. लेकिन दूसरी ओर से फोन स्विच्ड औफ बताया गया. इस के बाद रुचिका प्रियांशी का नंबर लगातार मिलाती रही, लेकिन उस का फोन बंद ही मिला. इस से रुचिका परेशान हो गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि जिस नंबर पर उस ने थोड़ी देर पहले बात की थी, वह बंद कैसे हो गया. घबराहट के मारे उस की धड़कनें बढ़ गईं. तब तक रात के करीब 10 बज गए थे. रुचिका ने जब यह बात मातापिता को बताई तो वे भी घबरा गए. उस के पिता पी.एस. रेड्डी बगैर समय गंवाए रुचिका और बेटे समीर को साथ ले कर प्रियांशी की तलाश में टोल प्लाजा जा पहुंचे, जहां प्रियांशी ने अपनी मौजूदगी बताई थी.

पी.एस. रेड्डी और उन के दोनों बच्चों ने आसपास सब जगह छान मारीं, लेकिन न तो प्रियांशी कहीं दिखी और न ही उस की स्कूटी. टोल प्लाजा के पास लोडेड ट्रक खड़ा था. यह देख कर वे लोग और भी ज्यादा परेशान हुए. प्रियांशी ने फोन पर रुचिका को वहीं होने की बात कही थी. जब प्रियांशी कहीं नहीं मिली तो वह यह सोच कर डर गए कि कहीं उस के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई है. ऐसे में पी.एस. रेड्डी के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे. वह मन ही मन फरियाद करने लगे कि उन की बेटी जहां भी हो, सहीसलामत और सुरक्षित हो. रेड्डी के मन में खयाल आ रहा था कि क्यों न घर फोन कर के पत्नी से पूछ लें कि बेटी कहीं घर तो नहीं पहुंच गई.

रेड्डी ने पत्नी को फोन कर के बेटी के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि प्रियांशी अभी घर नहीं पहुंची है. जवाब सुन कर रेड्डी और भी ज्यादा परेशान हो गए. परेशानी के आलम में रात गहराती जा रही थी. जब कुछ भी समझ में नहीं आया तो रुचिका, पिता और भाई को ले कर साइबराबाद थाने पहुंच गई. उस समय रात के करीब 12 बज रहे थे. थाने पहुंच कर उस ने दीवान को अपनी परेशानी बताई और आवश्यक काररवाई करने के लिए बहन की गुमशुदगी की तहरीर दी. साइबराबाद पुलिस ने काररवाई करने के बजाए कहा कि यह मामला उन के थाना क्षेत्र का नहीं है. वहां की पुलिस ने उन्हें थाना शमशाबाद भेज दिया. जिस जगह से प्रियांशी गुम हुई थी, वह इलाका थाना शमशाबाद में आता था.

शमशाबाद पुलिस ने उन की बात सुनी और प्रियांशी की तलाश में रेड्डी परिवार के साथ कई सिपाही लगा दिए. रेड्डी परिवार और पुलिस ने मिल कर सुबह 4 बजे तक तलाशी अभियान चलाया, लेकिन प्रियांशी का कहीं पता नहीं चला. उस के अचानक गुम हो जाने से रेड्डी परिवार के अड़ोसपड़ोस वाले भी हैरानपरेशान थे. प्रियांशी को तलाश करतेकरते सुबह हो गई थी, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. परिवार वालों ने अपने परिचितों और नातेरिश्तेदारों को भी फोन कर के पता किया लेकिन प्रियांशी का कोई पता नहीं चला. उस की गुमशुदगी से नातेरिश्तेदार भी परेशान थे. रेड्डी परिवार समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे.

परेशान हो कर रेड्डी बच्चों के साथ घर लौट आए. तब तक सुबह के 7 बज गए थे. थकेहारे रेड्डी अपने बरामदे में चिंतातुर कुरसी पर बैठे थे. तभी करीब 8 बजे उन के मोबाइल पर फोन आया, फोन शमशाबाद थाने से आया था. उन्हें तत्काल शमशाबाद थाने पहुंचने को कहा गया था. फोन पर आई काल सुनते ही पी.एस. रेड्डी का कलेजा धक से रह गया. रुचिका और समीर को साथ ले कर वह थाना शमशाबाद पहुंच गए. थाने पर उन्हें बताया गया कि करीब 40 किलोमीटर दूर हैदराबाद-बेंगलुरु हाइवे पर चत्तनपल्ली पुलिया के नीचे एक महिला की जली हुई लाश मिली है, आप हमारे साथ चल कर शिनाख्त कर लें.

लाश बरामद होने की बात सुन कर भाईबहन और पिता सन्न रह गए. रेड्डी साहब को तो ऐसा झटका लगा कि वह घुटनों में सिर रख कर पास पड़ी कुरसी पर बैठ गए. रुचिका ने पिता को संभाला और उन्हें पुलिस के साथ ले कर घटनास्थल जा पहुंची. हैदराबाद-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग की पुलिया के नीचे एक युवती की बुरी तरह जली लाश पड़ी थी. लाश इतनी ज्यादा जल गई थी कि पहचानना मुश्किल था. उत्सुकतावश रुचिका लाश के पास पहुंची और ध्यान से देखने लगी. लाश के गले में लौकेट पड़ा था. प्रियांशी ऐसा ही लौकेट पहनती थी. गले में पड़े लौकेट को देख रुचिका दहाड़ मार कर रोने लगी.

इस से यह बात साफ हो गई कि लाश डा. प्रियांशी रेड्डी की थी. यह देख पुलिस समझ गई कि मृतका डा. प्रियांशी रेड्डी ही है. वही प्रियांशी जो कोल्लुरु स्थित पशु चिकित्सालय में बतौर डाक्टर तैनात थी. डा. प्रियांशी रेड्डी की लाश बरामद होते ही यह मामला हाईप्रोफाइल बन गया. यह खबर तेजी से फैली. प्रियांशी की हत्या की सूचना मिलते ही लोग उग्र और आक्रोशित हो गए. शहरी नागरिकों के आक्रोश को देख पुलिस के हाथपांव फूल गए. शहर के लोगों में इस बात को ले कर आक्रोश था कि हत्यारों ने प्रियांशी की हत्या क्यों की और हत्या के बाद उसे जलाया क्यों?

जिले की कानूनव्यवस्था गड़बड़ाती, इस से पहले ही पुलिस सक्रिय हो गई. पुलिस फोर्स को यहांवहां मुस्तैदी से तैनात कर दिया गया. बात बढ़े, इस से पहले ही पुलिस ने चतुराई से लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. 29 नवंबर, 2019 को मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ कर पुलिस के हाथपांव फूल गए. रिपोर्ट में बताया गया था कि पहले मृतका के साथ बलात्कार किया गया और बाद में उस का गला घोंटा गया. मतलब मामला बलात्कार और कत्ल का था. प्रियांशी के साथ बलात्कार के बाद हत्या की पुष्टि होेते ही हाहाकार मच गया. न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर देश भर में फैल गई.

इस घटना को ले कर देश भर में गुस्सा फूटने लगा. सोशल मीडिया से ले कर आम नागरिक तक सड़क पर उतर आए. लोग दरिंदों के लिए फांसी की मांग कर रहे थे. इस घटना ने करीब 7 साल पहले दिल्ली के धौला कुआं में निर्भया के साथ घटी घटना की यादें ताजा कर दी थीं. दरिंदों ने निर्भया के साथ हद दरजे की दरिंदगी की थी. दरिंदगी और बर्बरता की वजह से निर्भया की मौत हो गई थी. प्रियांशी का परिवार ही नहीं देश भर के लोग सरकार से दुष्कर्मियों को मार डालने की गुहार लगा रहे थे. डा. प्रियांशी रेड्डी के रेप और हत्या की हर तबके, हर धर्म के लोगों ने न केवल निंदा की बल्कि हत्यारों को तुरंत फांसी पर चढ़ाने को कहा. घटना में पुलिस की घोर लापरवाही को ले कर लोग उस पर तमाम तरह के आरोप लगा रहे थे.

जब देश भर में बेंगलुरु पुलिस की किरकिरी होने लगी तो प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने का आदेश दिया. डीजीपी का आदेश मिलते ही साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर वी.सी. सज्जनार ने इस मामले को गंभीरता से लिया. उन के आदेश पर पुलिस गुनहगारों की सघन तलाशी में जुट गई. सज्जनार के आदेश पर पुलिस ने जांच वहीं से शुरू की, जहां से डा. प्रियांशी गुम हुई थी. सज्जनार ने सब से पहले खुद टोल प्लाजा के आसपास के सीसीटीवी फुटेज देखे. सीसीटीवी ही ऐसा चश्मदीद हो सकता था, जो पुलिस को बलात्कारी हत्यारों तक पहुंचा सकता था.

टोल प्लाजा पर पूछताछ करने पर पता चला था कि बीती रात एक लोडेड ट्रक वहां रुका था, जिस में केवल 4 युवक सवार थे. टोल प्लाजा के पास एक कैमरे में 4 युवक, जिन की उम्र 22 से 27 साल के बीच थी, चहलकदमी करते हुए दिखाई दिए. पहनावे से वे चारों ड्राइवर जैसे दिख रहे थे. पुलिस कमिश्नर वी.सी. सज्जनार ने टोल प्लाजा के आसपास के लोगों से पूछताछ की तो उन से भी यही पता चला कि काफी देर तक खड़ी रहे लोडेड ट्रक के आसपास 4 युवक देखे गए थे. सीसीटीवी फुटेज में चारों युवक संदिग्ध दिख रहे थे. सीसीटीवी कैमरे और लोगों से की गई पूछताछ से यह बात तय हो गई थी कि संदिग्ध दिखने वाले चारों युवक ही दोषी थे.

ट्रक वाले युवक आए संदेह के दायरे में पूछताछ में पुलिस ने जैसेतैसे चारों युवकों के नाम खोज निकाले. उन में से एक का नाम मोहम्मद पाशा उर्फ आरिफ, जोलू नवीन, जोलू शिवा और चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलू उर्फ चेन्ना था. इन में से 26 साल का पाशा और 20 साल का जोलू शिवा लौरी ड्राइवर थे, जबकि 23 वर्षीय जोलू नवीन और 20 साल का चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलू क्लीनर थे. यह बात सज्जनार के लिए काफी काम की साबित हुई. निर्दयी हत्यारों तक पहुंचने के लिए शादनगर पुलिस और शमशाबाद पुलिस को साथ काम करने को कहा गया. पुलिस ने चारों हत्यारों तक पहुंचने के लिए मुखबिरों का जाल बिछा दिया. जांचपड़ताल में मोहम्मद पाशा उर्फ आरिफ के बारे में जानकारी मिली. वह महबूबनगर जिले के नारायणपेट का रहने वाला था.

पाशा के बारे में सूचना मिलते ही पुलिस ने उसे उस के घर से धर दबोचा. पुलिस उसे थाना शादनगर ले आई. कमिश्नर सज्जनार की देखरेख में थाने में उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने जुबान खोल दी. पाशा ने प्रियांशी की स्कूटी से ले कर उसे जलाने तक की कहानी बता दी. उस ने कमिश्नर के सामने अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि उस ने अपने 3 साथियों जोलू नवीन, जोलू शिवा और चेन्ना के साथ मिल कर प्रियांशी रेड्डी के साथ बलात्कार किया था. राज छिपाने के लिए बाद में चारों ने मिल कर उस की हत्या कर दी थी और लाश को जला दिया था. उस ने इस से आगे की सारी बातें विस्तार से बता दीं कि क्याक्या और कैसे हुआ था. पाशा का बयान दिल दहलाने वाला था.

खैर, सज्जनार ने काफी समझदारी से काम लेते हुए पाशा उर्फ आरिफ की निशानदेही पर तीनों दरिंदों जोलू नवीन, जोलू शिवा और चेन्ना को उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया. ये तीनों भी महबूबनगर के नारायणपेट के रहने वाले थे, जिन में नवीन और शिवा सगे भाई थे. इन तीनों ने भी अपनाअपना जुर्म कबूल कर लिया. 30 नवंबर, 2019 को डा. प्रियांशी रेड्डी केस के चारों मुलजिमों की गिरफ्तारी की खबर लगते ही स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और उन्होंने शादनगर थाने पर धावा बोल दिया. लोगों का कहना था कि चारों दरिंदों को उन के हवाले कर दिया जाए. जिस तरह इन दरिंदों ने मिल कर प्रियांशी के साथ बर्बरता की, उसी तरह उन के साथ भी किया जाएगा.

काफी मशक्कत के बाद जैसतैसे सज्जनार ने स्थिति को संभाला और भीड़ को भरोसा दिया कि प्रियांशी का बलिदान बेकार नहीं जाएगा. उस के चारों गुनहगारों को कड़ी सजा दिलाने में वह पीछे नहीं रहेंगे. उन के आश्वासन पर लोगों का आक्रोश शांत हुआ. लोगों के आक्रोश को देख कर मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पहली बार कहा कि प्रियांशी के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए मुकदमा फास्टट्रैक कोर्ट में चलेगा और मुलजिमों को 6 महीने के अंदर कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी. इस के बाद पुलिस कमिश्नर सज्जनार ने चारों अभियुक्तों को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया. उन से की गई पूछताछ के बाद दुष्कर्म, हत्या और वहशत से जुड़ी दुर्दांत हत्यारों की हकीकत पता चली.

27 वर्षीय प्रियांशी रेड्डी मूलरूप से हैदराबाद के साइबराबाद की रहने वाली थी. पी.एस. रेड्डी की 3 संतानों में प्रियांशी बड़ी थी. जबकि भाई समीर और रुचिता छोटे थे. प्रियांशी अपनी मेहनत के बूते पर पशु चिकित्सक बनी थी. प्रियांशी रेड्डी का औफिस घर से करीब 30-35 किलोमीटर दूर नवाबपेट मंडल के कोल्लुर में था. ड्यूटी के लिए वह रोजाना सुबह लगभग 8 बजे अपनी स्कूटी से घर से निकलती थी. स्कूटी को वह शमशाबाद टोल प्लाजा के नजदीक पार्क कर के वहां से कैब ले कर कोल्लुर जाती थी. फिर शाम 5 बजे के करीब वह कोल्लुर से कैब ले कर टोल प्लाजा आती और वहां से अपनी स्कूटी ले कर घर पहुंच जाती थी.

घटना से कुछ दिनों पहले उसी टोल प्लाजा पर महबूबनगर के नारायणपेट का रहने वाला मोहम्मद आरिफ उर्फ पाशा अपनी लौरी ट्रक ले कर रुका था. उस की लौरी में हेल्पर के रूप में उसी के गांव के 3 युवक जोलू नवीन, जोलू शिवा और चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलू सवार थे. आरिफ जब भी लौरी ले कर बाहर निकलता था, ये तीनों उस के साथ रहते थे. मोहम्मद आरिफ उर्फ पाशा शादीशुदा था. उस की पत्नी ससुराल में पति और सासससुर के साथ रहती थी. आरिफ अपने गांव और घर में किसी से कोई खास मेलजोल नहीं रखता था. वह अपने काम से काम रखता था, जबकि जोलू नवीन, जोलू शिवा और चेन्ना खुराफाती दिमाग के थे.

गांव में हमेशा सब से झगड़ा करते थे, झगड़ालू प्रवृत्ति के तीनों युवकों से गांव वाले अलगथलग रहते थे, ताकि अपना सम्मान बचाए रखें. कम पढ़ेलिखे तीनों युवक बातबात पर भद्दीभद्दी गालियां देने से भी नहीं चूकते थे. कैसे आई प्रियांशी हैवानों के निशाने पर बहरहाल, जिस समय आरिफ लौरी ले कर टोल प्लाजा पर रुका था, उसी समय प्रियांशी भी टोल प्लाजा अपनी स्कूटी लेने पहुंची थी. प्रियांशी की खूबसूरती देख कर आरिफ के मन में पाप जाग उठा. वह तब तक प्रियांशी को देखता रहा, जब तक उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई. प्रियांशी के जाने के बाद आरिफ होंठों ही होंठों में बुदबुदाया, ‘‘क्या माल है यार.’’

आरिफ को बुदबुदाता देख जोलू पूछ बैठा, ‘‘क्या बात है पाशा उस्ताद, किस की बात कर रहे हो?’’

आरिफ ने जवाब दिया, ‘‘कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही कह रहा था. कोई बात नहीं है. चलो, चायशाय पीते हैं. फिर अपनी धन्नो को आगे बढ़ाएंगे.’’

आरिफ ने जोलू की बात टाल दी और चाय की दुकान की ओर बढ़ गया. चारों चाय पी कर लौरी से आगे चले गए. आरिफ माल की डिलिवरी दे कर जब 2 दिनों बाद शाम को उसी रास्ते पर लौटा तो उस ने टोल प्लाजा पर फिर अपनी लौरी रोक दी. उसे चाय की जोरों से तलब लगी थी. जब उस ने लौरी सड़क किनारे लगाई, तभी उस की नजर प्रियांशी पर पड़ी. प्रियांशी पार्किंग से अपनी स्कूटी निकाल रही थी. वह उसे तब तक खा जाने वाली नजरों से घूरता रहा, जब तक वह दिखती रही. डा प्रियांशी रेड्डी ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया और वह अपनी स्कूटी ले कर घर चली गई.

उस दिन के बाद आरिफ जब भी लौरी ले कर माल की डिलिवरी करने जाता, टोल प्लाजा के पास अपनी लौरी खड़ी कर के चाय की चुस्की लेने के बहाने प्रियांशी की स्कूटी देखता और चाय पी कर चला जाता. उसे यकीन हो गया था कि प्रियांशी रोज अपनी स्कूटी यहीं खड़ी करती है और फिर कहीं जाती है. आरिफ को बस इतना पता था कि उस के दिमाग में कुछ हलचल सी हुई है. उस के जिस्म में अय्याशी के कीड़े कुलबुलाने लगे. उस ने अपने साथियों के साथ मिल कर एक खरतनाक योजना बना ली थी और उस दिन के बाद वह प्रियांशी पर नजर रखने लगा था. वह सही मौके की तलाश में जुट गया. आखिरकार वह मौका उसे 27 सितंबर, 2019 को मिल ही गया.

उस दिन शाम करीब 5 बजे आरिफ लौरी ट्रक ले कर टोल प्लाजा पहुंचा और लौरी को एक ओर खड़ी कर के चाय की दुकान पर चाय पीने चला गया. उस के साथ तीनों हेल्पर जोलू शिवा, जोलू नवीन और चेन्ना भी थे. आरिफ को पता था कि प्रियांशी के आने का समय हो रहा है. चाय पीने के बाद उस ने अपने साथियों को वहां से उठने का इशारा किया. योजनानुसार प्रियांशी को किसी भी तरह रात 9 बजे तक रोकना था. इस के लिए आरिफ ने नुकीली कील से प्रियांशी की स्कूटी का पिछला पहिया पंक्चर कर दिया और चारों वहां से थोड़ी दूर हट कर उस पर नजर रखने लगे. रात करीब 7 बजे प्रियांशी टोल प्लाजा पहुंची. वहां से वह पार्किंग में गई, जहां उस ने अपनी स्कूटी पार्क की थी. स्कूटी पंक्चर देख कर उस का माथा चकरा गया कि वह घर कैसे पहुंचेगी? स्कूटी को ले कर वह परेशान हो गई.

योजना के अनुसार, तभी आरिफ तीनों साथियों के साथ प्रियांशी के पास पहुंचा और परेशानी का सबब पूछा तो उस ने बता दिया कि उस की स्कूटी पंक्चर है और इतनी रात गए कहीं पंक्चर लग नहीं सकता. आरिफ और उस के तीनों साथी मन ही मन खुश हुए. शिकार जाल में फंस गया था. बस चोट करने की देरी थी. तभी आरिफ ने उस के सामने पंक्चर लगवा देने की पेशकश की तो प्रियांशी ने सकुचाते हुए हां कर दी. प्रियांशी की ओर से हरी झंडी मिलते ही आरिफ ने पिछला पहिया खोल कर जोलू शिवा को सौंप दिया कि वह पंक्चर लगवा कर ले आए. इसी बीच प्रियांशी ने छोटी बहन रुचिका को फोन कर के बता दिया कि उस की स्कूटी पंक्चर है. कुछ लोग उस की मदद के लिए तैयार हैं. लेकिन पता नहीं क्यों उसे डर सा लग रहा है. उस ने आगे कहा कि वह तब तक बात करती रहे, जब तक कि पंक्चर लग कर आ न जाए.

प्रियांशी की आखिरी फोन काल इस पर रुचिका ने उसे सलाह दी कि डर लग रहा है तो पुलिस को फोन कर दे या आसपास कोई ओर हो तो उस की मदद ले ले. या फिर स्कूटी वहीं छोड़ कर कैब ले कर घर चली आए. उस समय रात के 9 बज कर 22 मिनट हो रहे थे और चारों ओर सन्नाटा फैल चुका था. रात के सन्नाटे में प्रियांशी तीनों लड़कों के बीच अकेली डरीसहमी खड़ी थी. छोटी बहन से बात करने के बाद प्रियांशी को उस की बात जंच गई और कैब ले कर घर जाने का मन बना लिया. उसी समय आरिफ ने देखा कि शिकार उस के हाथ से निकल रहा है. फिर क्या था, अचानक आरिफ, चेन्ना और नवीन फुरती से प्रियांशी पर झपट पड़े और उसे अपनी मजबूत बांहों में जकड़ लिया.

सब से पहले आरिफ ने उस का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले कर स्विच्ड औफ किया ताकि वह किसी से बात न कर पाए. उस के बाद तीनों उस का मुंह दबा कर घसीटते हुए पीछे खेत में ले गए. तीनों ने बारीबारी से अपनी हवस मिटाई. उसी समय पंक्चर लगवा कर जोलू शिवा भी वहां पहुंचा. बाद में उस ने भी अपनी जिस्मानी भूख मिटाई. अंत में एक बार फिर आरिफ ने प्रियांशी के साथ मुंह काला किया. उस समय उस के मजबूत हाथ की पकड़ प्रियांशी के मुंह और नाक पर बनी रही, जिस से दम घुटने से उस की मौत हो गई. प्रियांशी की मौत होते ही चारों के सिर से हवस का जुनून उतर गया. डर के मारे वे चारों थरथर कांपने लगे थे. आरिफ ने सुझाया कि लाश यहां छोड़ी तो पकड़े जाएंगे.

इसे ठिकाने लगाना होगा. उस के बाद चारों ने पहले प्रियांशी की लाश लौरी में लादी फिर उस की स्कूटी. उस के बाद उस ने शिवा को एक कैन दे कर पैट्रोल पंप से पैट्रोल मंगवाया. पैट्रोल लेते शिवा की तसवीर पैट्रोल पंप के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई थी. शिवा पैट्रोल ले कर आया और चारों वहां से लौरी ले कर करीब 40 किलोमीटर दूर हैदराबाद-बेंगलुरु हाइवे के चत्तनपल्ली पहुंचे. इन लोगों ने हाइवे के नीचे स्थित पुलिया के अंदर लौरी खड़ी कर दी. फिर चारों ने मिल कर लौरी से प्रियांशी की डेडबौडी और स्कूटी नीचे उतारी. स्कूटी एक ओर खड़ी कर दी. फिर उस की लाश पर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. आग लगाने के बाद चारों वहां से अपनेअपने घर पहुंच गए.

वहीं मिली सजा, जहां प्रियांशी की लाश जलाई गई रात 2 बजे के करीब आरिफ अपने घर पहुंचा तो उस की मां ने उस से इतनी देर से आने का कारण पूछा. वह कुछ बोला नहीं बस इतना ही कहा कि मुझे सोने दो, सुबह बात करेंगे. फिर वह अपने कमरे में चला गया. उस समय वह बुरी तरह घबराया हुआ था. उस की मां भी उससे कुछ पूछ नहीं पाई थी. इधर प्रियांशी के घर वाले उस से बात न होने और मोबाइल स्विच्ड औफ आने के बाद टोल प्लाजा पहुंचे तो वहां न तो प्रियांशी दिखाई दी और न ही उस की स्कूटी. वह दिखाई तो तब देती जब वह वहां होती. दरिंदे तो उस का काम तमाम कर के वहां से भाग चुके थे. घर वाले रात भर उस की तलाश में मारेमारे यहांवहां फिरते रहे. अगली सुबह जब उस की जली हुई लाश बरामद हुई तो उस की तपिश से पूरा देश धधक उठा. फिर क्या हुआ, कहानी में ऊपर वर्णित है.

बहरहाल, गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों मोहम्मद पाशा उर्फ आरिफ, जोलू नवीन, जोलू शिवा और चेन्ना को 5 दिसंबर, 2019 को पुलिस ने अदालत से रिमांड पर लिया. उन्हें ले कर पुलिस क्राइम सीन रीक्रिएट करने के लिए उसी घटनास्थल पर पहुंची, जहां डा. प्रियांशी को जलाया था. उसी दौरान अंधेरे का लाभ उठा कर अभियुक्तों ने पुलिस के हथियार छीन कर उलटे पुलिस पर ही हमला बोल दिया और भागने की कोशिश की. इस का नतीजा यह हुआ कि पुलिस ने चारों मार गिराए. हैदराबाद के चारों हैवानों के किस्से 10 दिनों में ही खत्म हो गए.

कुछ सफेदपोशों ने इसे जानबूझ कर बदले की भावना में की गई हत्या करार दिया. उस के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मामले की जांच के लिए मैजिस्ट्रियल जांच बैठा दी गई. अब सच्चाई जो भी निकले, लेकिन देश का हर तबका उन के मारे जाने पर खुश हुआ.

—कथा में मृतका और उस के परिजनों के नाम  परिवर्तित हैं. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

 

 

Rajasthan Crime : ठेकदारों को पैसा नहीं दिया तो कर लिया अपहरण

Rajasthan Crime : नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को बाड़मेर के गांव उत्तरलाई में सोलर प्लांट लगाना था. इस के लिए नैचुरल पावर कंपनी ने बंगलुरु की सबलेट कंपनी को ठेका दिया, जो काम अधूरा छोड़ कर भाग गई. प्लांट की स्थिति जानने के लिए जब हैदराबाद से कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी अपने दोस्त सुरेश रेड्डी के साथ बाड़मेर आए तो…    

हैदराबाद निवासी के. श्रीकांत रेड्डी नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे. हैदराबाद की यह कंपनी भारत के विभिन्न राज्यों में सरकारी कामों का ठेका ले कर काम करती है. इस कंपनी को राजस्थान के जिला बाड़मेर के अंतर्गत आने वाले उत्तरलाई गांव के पास सोलर प्लांट के निर्माण कार्य का ठेका मिला था. बड़ी कंपनियां प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए छोटीछोटी कंपनियों को अलगअलग काम का ठेका दे देती हैं. नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. कंपनी ने भी इस सोलर प्लांट प्रोजेक्ट का टेंडर सबलेट कर दिया था

बंगलुरू की इस सबलेट कंपनी ने बाड़मेर और स्थानीय ठेकेदारों को प्लांट का कार्य दे दिया. ठेकेदार काम करने में जुट गएतेज गति से काम चल रहा था कि इसी बीच नैचुरल पावर एवं सबलेट कंपनी के बीच पैसों को ले कर विवाद हो गया. ऐसे में सबलेट कंपनी रातोंरात काम अधूरा छोड़ कर स्थानीय ठेकेदारों का लाखों रुपयों का भुगतान किए बिना भाग खड़ी हुई. स्थानीय ठेकेदारों को जब पता चला कि सबलेट कंपनी उन का पैसा दिए बगैर भाग गई है तो उन के होश उड़ गए क्योंकि सबलेट कंपनी ने इन ठेकेदारों से करोड़ों का काम करवाया था, मगर रुपए आधे भी नहीं दिए थे. स्थानीय ठेकेदार नाराज हो गए. उन्होंने एमइएस के अधिकारियों से मिल कर अपनी पीड़ा बताई. एमइएस को इस सब से कोई मतलब नहीं था.

मगर जब काम बीच में ही रुक गया तो एमईएस ने मूल कंपनी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. से कहा कि वह रुके हुए प्रोजेक्ट को पूरा करे. तब कंपनी ने अपने एमडी के. श्रीकांत रेड्डी को हैदराबाद से उत्तरलाई (बाड़मेर) काम देखने पूरा करने के लिए भेजा. के. श्रीकांत रेड्डी अपने मित्र सुरेश रेड्डी के साथ उत्तरलाई (बाड़मेर) पहुंच गए. यह बात 21 अक्तूबर, 2019 की है. वे दोनों राजस्थान के उत्तरलाई में पहुंच चुके थे. जब ठेकेदारों को यह जानकारी मिली तो उन्होंने अपना पैसा वसूलने के लिए दोनों का अपहरण कर के फिरौती के रूप में एक करोड़ रुपए वसूलने की योजना बनाई.

ठेकेदारों ने अपने 3 साथियों को लाखों रुपए का लालच दे कर इस काम के लिए तैयार कर लिया. यह 3 व्यक्ति थे. शैतान चौधरी, विक्रम उर्फ भीखाराम और मोहनराम. ये तीनों एक योजना के अनुसार 22 अक्तूबर को के. श्रीकांत रेड्डी और सुरेश रेड्डी से उन की मदद करने के लिए मिलेश्रीकांत रेड्डी एवं सुरेश रेड्डी मददगारों के झांसे में गए. तीनों उन के साथ घूमने लगे और उसी शाम उन्होंने के. श्रीकांत और सुरेश रेड्डी का अपहरण कर लिया. अपहर्त्ताओं ने सुनसान रेत के धोरों में दोनों के साथ मारपीट की, साथ ही एक करोड़ रुपए की फिरौती भी मांगी

अपहर्त्ताओं ने उन्हें धमकाया कि अगर रुपए नहीं दिए तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा. अनजान जगह पर रेड्डी दोस्त बुरे फंस गए थे. ऐसे में क्या करें, यह बात उन की समझ में नहीं रही थी. दोनों दोस्त तेलुगु भाषा में एकदूसरे को तसल्ली दे रहे थेचूंकि अपहर्त्ता केवल हिंदी और राजस्थान की लोकल भाषा ही जानते थे, इसलिए रेड्डी बंधुओं की भाषा नहीं समझ पा रहे थे. यह बात रेड्डी बंधुओं के लिए ठीक थी. इसलिए वे अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूटने की योजना बनाने लगेअपहर्त्ता मारपीट कर के दिन भर उन्हें इधरउधर रेत के धोरों में घुमाते रहे. इस के बाद एक अपहर्त्ता ने के. श्रीकांत रेड्डी से कहा, ‘‘एमडी साहब अगर आप एमडी हो तो अपने घर वालों के लिए हो, हमारे लिए तो सोने का अंडा देने वाली मुरगी हो.

इसलिए अपने घर पर फोन कर के एक करोड़ रुपए हमारे बैंक खाते में डलवा दो, वरना आप की जान खतरे में पड़ सकती है.’’ कह कर उस ने फोन के श्रीकांत रेड्डी को दे दिया. श्रीकांत रेड्डी बहुत होशियार और समझदार व्यक्ति थे. वह फर्श से अर्श तक पहुंचे थे. उन्होंने गरीबी देखी थी. गरीबी से उठ कर वह इस मुकाम तक पहुंचे थेश्रीकांत करोड़पति व्यक्ति थे. वह चाहते तो करोड़ रुपए अपहर्त्ताओं को फिरौती दे कर खुद को और अपने दोस्त सुरेश रेड्डी को मुक्त करा सकते थे, मगर वह डरपोक नहीं थे. वह किसी भी कीमत पर फिरौती दे कर अपने दोस्त और खुद की जान बचाना चाहते थे

अपहत्ताओं ने अपने मोबाइल से के. श्रीकांत रेड्डी के पिता से उन की बात कराई. श्रीकांत रेड्डी ने तेलुगु भाषा में अपने पिताजी से बात कर कहा, ‘‘डैडी, मेरा और सुरेश का उत्तरलाई (बाड़मेर) के 3 लोगों ने अपहरण कर लिया है और एक करोड़ रुपए की फिरौती मांग रहे हैं. आप इन के खाते में किसी भी कीमत पर रुपए मत डालना

‘‘जिस बैंक में मेरा खाता है, वहां के बैंक मैनेजर से मेरी बात कराना. आप चिंता मत करना, ये लोग हमारा बाल भी बांका नहीं करेंगे. हमें मारने की सिर्फ धमकियां दे सकते हैं ताकि रुपए ऐंठ सकें. आप बैंक जा कर मैनेजर से मेरी बात कराना. बाकी मैं देख लूंगा.’’

इस स्थिति में भी उन्होंने धैर्य और साहस से काम लिया. उन्होंने नैचुरल पावर कंपनी के अन्य अधिकारियों को भी यह बात बता दी. इस के बाद वह कंपनी के अधिकारियों के साथ हैदराबाद की उस बैंक में पहुंचे, जहां श्रीकांत रेड्डी का खाता थाश्रीकांत रेड्डी ने बैंक मैनेजर को मोबाइल पर सारी बात बता कर कहा, ‘‘मैनेजर साहब, मैं अपने दोस्त के साथ बाड़मेर में कंपनी का काम देखने आया था, लेकिन मददगार बन कर आए 3 लोगों ने हमारा अपहरण कर लिया और एक करोड़ की फिरौती मांग रहे हैं. आप से मेरा निवेदन है कि आप 25 लाख रुपए का आरटीजीएस करवा दो

‘‘लेकिन ध्यान रखना कि यह धनराशि जारी करते ही तुरंत रद्द हो जाए. ताकि अपहर्त्ताओं को धनराशि खाते में आने का मैसेज उन के फोन पर मिल जाए लेकिन बदमाशों को रुपए नहीं मिले.’’ उन्होंने यह बात तेलुगु और अंग्रेजी में बात की थी, जिसे अपहर्त्ता नहीं समझ सके. बैंक मैनेजर ने ऐसा ही किया. बदमाशों से एमडी के पिता और कंपनी के अधिकारी लगातार बात करते रहे और झांसा देते रहे कि जैसे ही 75 लाख रुपए का जुगाड़ होता है, उन के खाते में डाल दिए जाएंगे. चूंकि एक अपहर्त्ता के फोन पर खाते में 25 लाख रुपए जमा होने का मैसेज गया था इसलिए वह मान कर चल रहे थे कि उन्हें 25 लाख रुपए तो मिल चुके हैं और बाकी के 75 लाख भी जल्द ही मिल जाएंगे

अपहर्त्ताओं ने के. श्रीकांत रेड्डी से स्टांप पेपर पर भी लिखवा लिया था कि वह ये पैसा ठेके के लिए दे रहे हैं. अपहर्त्ता अपनी योजना से चल रहे थे, वहीं एमडी, उन के पिता और कंपनी मैनेजर अपनी योजना से चल रहे थे. उधर नैचुरल पावर कंपनी के अधिकारी ने 24 अक्तूबर, 2019 को हैदराबाद से बाड़मेर पुलिस कंट्रोल रूम को कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी के अपहरण और अपहत्ताओं द्वारा एक करोड़ रुपए फिरौती मांगे जाने की जानकारी दे दी. कंपनी अधिकारी ने वह मोबाइल नंबर भी पुलिस को दे दिया, जिस से अपहर्त्ता उन से बात कर रहे थे

बाड़मेर पुलिस कंट्रोल रूम ने यह जानकारी बाड़मेर के एसपी शरद चौधरी को दी. एसपी शरद चौधरी ने उसी समय बाड़मेर एएसपी खींव सिंह भाटी, डीएसपी विजय सिंह, बाड़मेर थाना प्रभारी राम प्रताप सिंह, थानाप्रभारी (सदर) मूलाराम चौधरी, साइबर सेल प्रभारी पन्नाराम प्रजापति, हैड कांस्टेबल महीपाल सिंह, दीपसिंह चौहान आदि की टीम को अपने कार्यालय बुलायाएसपी शरद चौधरी ने पुलिस टीम को नैचुरल पावर कंपनी के एमडी और उन के दोस्त का एक करोड़ रुपए के लिए अपहरण होने की जानकारी दी उन्होंने अतिशीघ्र उन दोनों को सकुशल छुड़ाने की काररवाई करने के निर्देश दिए. उन्होंने टीम के निर्देशन की जिम्मेदारी सौंपी एएसपी खींव सिंह भाटी को.

इस टीम ने तत्काल अपना काम शुरू कर दिया. साइबर सेल और पुलिस ने कंपनी के मैनेजर द्वारा दिए गए मोबाइल नंबरों की काल ट्रेस की तो पता चला कि उन नंबरों से जब काल की गई थी, तब उन की लोकेशन सियाणी गांव के पास थीबस, फिर क्या था. बाड़मेर पुलिस की कई टीमों ने अलगअलग दिशा से सियाणी गांव की उस जगह को घेर लिया जहां से अपहत्ताओं ने काल की थी. पुलिस सावधानीपूर्वक आरोपियों को दबोचना चाहती थी, ताकि एमडी और उन के साथी सुरेश को सकुशल छुड़ाया जा सके

पुलिस के पास यह जानकारी नहीं थी कि अपहर्त्ताओं के पास कोई हथियार वगैरह है या नहीं? पुलिस टीमें सियाणी पहुंची तो अपहर्ता सियाणी से उत्तरलाई होते हुए बाड़मेर पहुंच गए. आगेआगे अपहर्त्ता एमडी रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी को गाड़ी में ले कर चल रहे थे. उन के पीछेपीछे पुलिस की टीमें थींएसपी शरद चौधरी के निर्देश पर बाड़मेर शहर और आसपास की थाना पुलिस ने रात से ही नाकाबंदी कर रखी थी. अपहर्त्ता बाड़मेर शहर पहुंचे और उन्होंने बाड़मेर शहर में जगहजगह पुलिस की नाकेबंदी देखी तो उन्हें शक हो गया. वे डर गए. वे लोग के. श्रीकांत रेड्डी और सुरेश रेड्डी को ले कर सीधे बाड़मेर रेलवे स्टेशन पहुंचे. बदमाशों ने दोनों अपहर्त्ताओं को बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर वाहन से उतारा. तभी पुलिस ने घेर कर 3 अपहर्त्ताओं शैतान चौधरी, भीखाराम उर्फ विक्रम एवं मोहनराम को गिरफ्तार कर लिया.

शैतान चौधरी और भीखाराम उर्फ विक्रम चौधरी दोनों सगे भाई थे. पुलिस तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर थाने ले आई. अपहरण किए गए हैदराबाद निवासी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. कंपनी के एमडी के. श्रीकांत रेड्डी और उन के दोस्त सुरेश रेड्डी को भी थाने लाया गयापुलिस ने आरोपी अपहरण कार्ताओं के खिलाफ अपहरण, मारपीट एवं फिरौती का मुकदमा कायम कर पूछताछ कीश्रीकांत रेड्डी ने बताया कि उत्तरलाई के पास सोलर प्लांट निर्माण का ठेका उन की नैचुरल पावर एशिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हैदराबाद को मिला था

उन की कंपनी ने यह काम सबलेट कंपनी बंगलुरु को दे दिया. सबलेट कंपनी ने स्थानीय ठेकेदारों को पावर प्लांट का कार्य ठेके पर दिया. कार्य पूरा होने से पूर्व सबलेट कंपनी और नैचुरल पावर एशिया कंपनी में पैसों के लेनदेन पर विवाद हो गया. सबलेट कंपनी ने जितने में ठेका नैचुरल कंपनी से लिया था, उतना पेमेंट नैचुरल कंपनी ने सबलेट कंपनी को कर दिया. मगर काम ज्यादा था और पैसे कम थे. इस कारण सबलेट कंपनी ने और रुपए मांगेनैचुरल पावर कंपनी ने कहा कि जितने रुपए का ठेका सबलेट को दिया था, उस का पेमेंट हो चुका है. अब और रुपए नैचुरल कंपनी नहीं देगी

तब सबलेट कंपनी सोलर प्लांट का कार्य अधूरा छोड़ कर भाग गई. सबलेट कंपनी ने स्थानीय ठेकेदारों को जो ठेके दिए थे, उस का पेमेंट भी सबलेट ने आधा दिया और आधा डकार गई. तब एमइएस ने मूल कंपनी नैचुरल पावर एशिया प्रा. लि. के एमडी को बुलाया. मददगार बन कर शैतान चौधरी, भीखाराम उर्फ विक्रम चौधरी और मोहनराम उन से मिलेउन के लिए यह इलाका नया था. इसलिए उन्हें लगा कि वे अच्छे लोग होंगे, जो मददगार के रूप में उन्हें साइट वगैरह दिखाएंगे. मगर ये तीनों ठेकेदारों के आदमी थे, जो दबंग और आपराधिक प्रवृत्ति के थे

इन्होंने ही उन का अपहरण कर एक करोड़ रुपए की फिरौती मांगी. एमडी रेड्डी ने इस अचानक आई आफत से निपटने के लिए अपनी तेलुगु और अंग्रेजी भाषा का प्रयोग कर के सिर्फ स्वयं को बल्कि अपने दोस्त को भी बचा लिया. पुलिस अधिकारियों ने थाने में तीनों अपहर्त्ताओं से पूछताछ की. पूछताछ में आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के नाम बताए, जो इस मामले में शामिल थे और जिन के कहने पर ही इन तीनों ने एमडी और उन के दोस्त का अपहरण कर एक करोड़ की फिरौती मांगी थी. तीनों अपहर्त्ताओं से पूछताछ के बाद पुलिस ने 25 अक्तूबर, 2019 को अर्जुनराम निवासी बलदेव नगर, बाड़मेर, कैलाश एवं कानाराम निवासी जायड़ु को भी गिरफ्तार कर लिया. इस अपहरण में कुल 6 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे. आरोपियों को थाना पुलिस ने 26 अक्तूबर 2019 को बाड़मेर कोर्ट में पेश कर के उन्हें रिमांड पर ले लिया.

पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन लोगों का ठेकेदारी का काम है. कुछ ठेकेदार थे और कुछ ठेकेदारों के मुनीम कमीशन पर काम ले कर करवाने वाले. अर्जुनराम, कैलाश एवं कानाराम छोटे ठेकेदार थे, जो ठेकेदार से लाखों रुपए का काम ले कर मजदूर और कारीगरों से काम कराते थेसबलेट कंपनी ने जिन बड़े ठेकेदारों को ठेके दिए थे. बड़े ठेकेदारों से इन्होंने भी लाखों रुपए का काम लिया था. मगर सबलेट कंपनी बीच में काम छोड़ कर बिना पैसे का भुगतान किए भाग गई तो इन का पैसा भी अटक गया. मजदूर और कारीगर इन ठेकेदारों से रुपए मांगने लगे, क्योंकि उन्होंने मजदूरी की थी. जब ठेकेदारों ने पैसा नहीं दिया तो ये लोग परेशान हो गए

ऐसे में इन लोगों ने जब नैचुरल पावर कंपनी के एमडी के आने की बात सुनी तो इन्होंने उस का अपहरण कर के फिरौती के एक करोड़ रुपए वसूलने की योजना बना लीइन लोगों ने सोचा था कि एक करोड़ रुपए वसूल लेंगे तो मजदूरों एवं कारीगरों का पैसा दे कर लाखों रुपए बच जाएंगेसभी आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

Murder Story : दोस्त को सुपारी देकर कराया प्रेमिका का मर्डर

Murder Story : किसी युवती या महिला से संबंध बनाते समय लोग यह भूल जाते हैं कि कोई भी महिला जब इस स्थिति तक पहुंचती है तो उस की भावनाएं भी साथ होती हैं. स्वाति सुखविंदर से भावनात्मक रूप से जुड़ी थी. जब सुखविंदर ने…

तारीख 15 नवंबर. वक्त शाम 4 बजे. जगह उज्जैन के थाना महाकाल क्षेत्र का नैशनल ढाबा. बाईपास इनर रिंगरोड स्थित नैशनल ढाबे से कुछ दूरी पर एक आटोरिक्शा आ कर रुका. आटो से स्वाति नाम की एक सुंदर युवती उतरी. नीचे उतर कर स्वाति ने आटोचालक को पैसे दिए. तभी स्वाति के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी, जिस से वह सड़क पर उसी जगह खड़ी हो कर बात करने लगी. आटोचालक वहां से जा चुका था. किसी को भी मालूम नहीं था कि वहां क्या घटने वाला है. कुछ ही दूरी पर खड़ी एक गाड़ी में बैठे शख्स की आंखें लगातार स्वाति पर गड़ी थीं. उसे बेपरवाह देख वह गाड़ी तेजी से स्वाति की ओर बढ़ने लगी. स्वाति सड़क पर दाहिनी ओर खड़ी थी.

तेज गति से आ रही गाड़ी रौंग साइड से आई और स्वाति को जोरदार टक्कर मार कर वहां से निकल गई. सब कुछ इतनी जल्दी और तेजी से हुआ कि आसपास मौजूद लोगों में न तो कोई कुछ देख सका और न ही कोई कुछ समझ पाया. सड़क पर घायल पड़ी स्वाति को देख कर आसपास भीड़ जमा हो गई. उसी भीड़ में नैशनल ढाबा का मालिक सुखविंदर सिंह खनूजा भी शामिल था, जिस ने देर किए बिना स्वाति को अपनी बांहों में उठाया और तत्काल सीएचएल हौस्पिटल ले गया, जहां उपचार के दौरान उस की मौत हो गई. चूंकि यह पुलिस केस था, इसलिए हौस्पिटल प्रबंधन ने तत्काल यह जानकारी टीआई गगन बादल को दे दी. सूचना पा कर महाथाने की एक टीम सीएचएल हौस्पिटल पहुंच गई. स्वाति को ले कर हौस्पिटल आया सुखविंदर भी वहीं मौजूद था.

उस ने टीआई गगन बादल को बताया कि वह मृतका को अच्छी तरह पहचानता है. वह भाक्षीपुरा लखेखाड़ी की रहने वाली है और एक प्राइवेट स्कूल में टीचर थी. टीआई गगन बादल और एसआई वीरेंद्र सिंह बंदेवार ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. सूचना पा कर स्वाति के घर वाले भी वहां आ गए. अब तक जो मामला सीधा सा सड़क एक्सीडेंट लग रहा था, वह उन के वहां पहुंचने से संदिग्ध हो गया. परिवार वालों ने बताया कि सुखविंदर सिंह खनूजा नाम का जो युवक स्वाति को हौस्पिटल ले कर आया था, वह मृतक का पूर्वप्रेमी है. सन 2014 में स्वाति ने उस के खिलाफ महिला थाने में रेप का केस भी दर्ज कराया था. इस मामले में खनूजा 21 दिन जेल में भी रहा था, लेकिन बाद में स्वाति के साथ शादी का वादा करने पर उसे जेल से जमानत मिल गई थी. इस के बावजूद दोनों की प्रेम कहानी बदस्तूर जारी रही थी.

स्वाति खनूजा से मिलने उस के नैशनल ढाबे पर आती रहती थी. घटना के समय भी वह उसी से मिलने आई थी. टीआई बादल ने उसी समय घटना की जानकारी उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर को दे दी. वह भी अस्पताल आ गए. एसपी ने मामले को संदिग्ध माना. उन्होंने एफएसएल अधिकारी अरविंद नायक को भी वहां बुला लिया. नायक ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. एसपी ने टीआई गगन बादल के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. इस टीम में एसआई वीरेंद्र बंदेवार, संजय यादव, एएसआई अनिल ठाकुर, मनीष यादव आदि को शामिल किया गया. पुलिस टीम मौके पर ऐसे गवाहों की खोज में जुट गई, जो घटना में प्रत्यक्षदर्शी थे. परंतु यह काम इतना आसान नहीं था. स्वाति को किस गाड़ी ने टक्कर मारी, इस बारे में भी लोगों के अलगअलग बयान थे.

टीआई गगन बादल ने मृतका स्वाति और उस के प्रेमी सुखविंदर खनूजा की कालडिटेल्स निकलवाई. इस के साथ ही उन्होंने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी जुटाईं. इस जांच से सामने आया कि स्वाति को एक टाटा मैजिक ने टक्कर मारी थी, जिस का नंबर एमपी09 टीजी6900 था. यह गाड़ी इंदौर की थी. इस का मतलब यह था कि इंदौर की टाटा मैजिक उज्जैन में आ कर एक्सीडेंट कर लापता हो गई थी. इस मामले में पुलिस को गहरी साजिश की बू आने लगी. इंदौर टोल नाके के फुटेज भी पुलिस ने देखे, जिस से पता चल रहा था कि मैजिक गाड़ी केवल इस घटना को अंजाम देने के लिए इंदौर से उज्जैन आई थी, जो एक्सीडेंट के बाद वापस इंदौर चली गई थी.

एसआई वीरेंद्र बंदेवार ने टाटा मैजिक के मालिक का नामपता हासिल कर लिया. यह गाड़ी इंदौर के जकी अंसारी के नाम पर रजिस्टर्ड थी. एसआई बंदेवार एक टीम ले कर मैजिक मालिक जकी अंसारी के घर पहुंच गए. जकी को यह भी पता नहीं था कि उस की मैजिक उज्जैन गई थी. जकी ने बताया कि उस की गाड़ी इंदौर के ही गांधीनगर का वाहिद चलाता है. जकी से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस टीम ने गांधीनगर, इंदौर से वाहिद को उठा लिया. वाहिद के हाथ आते ही महाकाल पुलिस के हाथ जैसे सफलता की चाबी लग गई.

पुलिस ने वाहिद से सख्ती बरती तो उस ने बता दिया कि वह अपने दोस्त समीर उर्फ मोहसिन के कहने पर 15 नवंबर को टाटा मैजिक ले कर उज्जैन गया था. उस ने यह भी बताया कि समीर उर्फ मोहसिन को इस काम के लिए उस के दोस्त संजू धुर्वे ने बोला था. संजू की मैजिक उस वक्त खराब थी, इसलिए संजू से दोस्ती के चलते उस के कहने पर वाहिद अपनी मैजिक ले कर उज्जैन आया था. पुलिस ने उस से पूछताछ में सख्ती बरती तो कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गई और अंत में सुखविंदर सिंह खनूजा का नाम सामने आ गया. पता चला कि सुखविंदर ने इस काम के लिए गांधीनगर, इंदौर निवासी दंपति पंकज और उमा शर्मा को एक लाख रुपए की सुपारी दी थी.

सुखविंदर पहले दिन से ही पुलिस के शक के दायरे में था, सो उस का नाम सामने आते ही पुलिस की एक टीम ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया. जबकि बाकी के 4 आरोपी पंकज शर्मा, पंकज की पत्नी उमा और दोस्त समीर उर्फ मोहसिन व संजू धुर्वे फरार हो गए. पुलिस ने सुखविंदर सिंह से पूछताछ की तो पूरी कहानी इस प्रकार सामने आई. स्वाति और सुखविंदर की प्रेम कहानी नई सड़क, उज्जैन निवासी सुखविंदर सिंह खनूजा की नई सड़क पर मोबाइल फोन की दुकान थी. साथ ही वह चिंतामन गणेश बाईपास पर शहर का मशहूर ढाबा चलाता था. पैसों की कमी न होने के कारण सुखविंदर राजनीति में भी हाथ आजमाना चाहता था, जिस के चलते वह शिवसेना में शामिल हो कर जिला स्तर का पदाधिकारी बन गया था.

स्वाति से उस की मुलाकात करीब 8 साल पहले तब हुई थी, जब स्वाति 21 साल की खूबसूरत युवती थी. मुलाकात दोस्ती में बदली और फिर प्यार होने के बाद शारीरिक संबंध भी बन गए. स्वाति एक निजी स्कूल में टीचर थी, सो पैसे वाला प्रेमी पा कर वह खुद को धन्य समझने लगी थी. सुखविंदर के बुलाने पर वह उस से मिलने कहीं पहुंच जाती थी. सुखविंदर ने उस से शादी का भी वादा किया था, लेकिन कुछ समय बाद सुखविंदर ने घर वालों की मरजी से दूसरी लड़की से शादी कर ली थी. स्वाति ने इस का विरोध किया तो सुखविंदर ने उसे भरोसा दिलाया कि कुछ दिनों में वह पत्नी को तलाक दे कर उस के साथ शादी कर लेगा.

स्वाति ने उस की बात पर भरोसा कर लिया, जिस से दोनों के बीच शारीरिक रिश्तों का धारावाहिक लिखा जाता रहा. सुखविंदर स्वाति पर खूब पैसे लुटाता था, स्वाति भी उस की हर इच्छा पूरी करने के लिए तैयार रहती थी. इस बीच सुखविंदर ने नैशनल ढाबा खोल लिया था, जहां स्वाति रोज उस से मिलने आने लगी. यहां विशेष तौर पर बनाए गए केबिन में सुखविंदर  स्वाति के साथ दोपहर में मस्ती करता था. दोनों के बीच विवाद की शुरुआत तब हुई, जब स्वाति खर्च के लिए आए दिन सुखविंदर से बड़ी रकम मांगने लगी. पहले तो सुखविंदर उस की मांग पूरी करता रहा, लेकिन रोजरोज की मांग से तंग आ कर उस ने हाथ तंग होने की बात कह कर पैसा देना बंद कर दिया. यह देख कर स्वाति उस पर कई तरह के दबाव बनाने लगी.

इस से दोनों के बीच विवाद बढ़ा तो सन 2014 में स्वाति ने सुखविंदर के खिलाफ महिला थाने में बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. इस मामले में सुखविंदर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. लेकिन इस दौरान सुखविंदर ने स्वाति को यह भरोसा दिला कर समझौता कर लिया कि वह जेल से बाहर आ कर 6 महीने में उस के साथ शादी कर लेगा. इस समझौते के बाद सुखविंदर बाहर आया तो दोनों के शारीरिक संबंध पहले की तरह पटरी पर लौट आए. लेकिन स्वाति अब काफी समझदार हो चुकी थी. अब वह आए दिन उस से कभी 3 हजार तो कभी 5 हजार तो कभी 10 हजार रुपए मांगने लगी.

सुखविंदर मना करता तो वह उस पर दबाव बनाती कि वह या तो अपनी पत्नी को तलाक दे कर उस से शादी करे, नहीं तो वह उस के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज करवा देगी. इतना ही नहीं, पहले तो सुखविंदर ही उसे रोज ढाबे पर मिलने बुलाया करता था, लेकिन अब वह खुद ही दोपहर में उस से मिलने के लिए ढाबे पर आने लगी, जहां कभीकभी दोनों में विवाद भी हो जाता था. सुखविंदर के ढाबे पर गांधीनगर, इंदौर का बदमाश पंकज शर्मा अकसर शराब पीने आया करता था. सुखविंदर की उस से दोस्ती हो गई थी. सुखविंदर ने पंकज से स्वाति के बारे में बताया तो उस ने लगे हाथ उस से छुटकारा पाने की सलाह दे डाली. जिस के चलते घटना से 15 दिन पहले सुखविंदर ने एक लाख रुपए में उस से ही स्वाति की हत्या का सौदा कर लिया.

इस के आगे की कमान पंकज की पत्नी उमा ने संभाली. इस के लिए उस ने समीर उर्फ मोहसिन और संजू से संपर्क किया. ये दोनों भी गांधीनगर, इंदौर के पुराने बदमाश थे. पहले संजू की टाटा मैजिक से स्वाति को कुचलने की योजना थी, लेकिन उस की गाड़ी खराब होने के कारण संजू ने इस काम के लिए अपने दोस्त वाहिद को कहा. संजू के कहने पर वाहिद 15 नवंबर, 2019 को अपनी मैजिक गाड़ी ले कर उज्जैन आया तो उस के साथ पंकज और समीर भी थे. उमा और संजू मोटरसाइकिल से उज्जैन पहुंचे थे. यहां ये लोग सुखविंदर के ढाबे से कुछ दूरी पर खड़े हो कर स्वाति के आने का इंतजार करने लगे.

रोज की तरह स्वाति आटो से आ कर सामने सड़क पर उतरी तो वाहिद ने उसे अपनी मैजिक गाड़ी से कुचल दिया और सब मौके से फरार हो गए. इन सभी ने सोचा था कि पुलिस इसे सामान्य एक्सीडेंट मान कर केस खत्म कर देगी. लेकिन एसपी सचिन अतुलकर के नेतृत्व में महाकाल थाना पुलिस ने जांच कर केस के मुख्य आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

 

Crime Story : भांजे ने मामी को कुल्हाड़ी से काट डाला

Crime Story : मुकेश ने अपने भांजे धर्मेंद्र के लिए जितना कुछ किया, वह उस की मजबूरी इसलिए थी क्योंकि उस की पत्नी रीना उसे किनारे कर के धर्मेंद्र से प्यार करने लगी थी. यहां तक कि वह तब भी शांत रहा जब धर्मेंद्र ने रीना से कोर्टमैरिज कर ली. लेकिन उसी आशिक भांजे ने रीना को…

उत्तर प्रदेश के जिला औरैया का एक कस्बा है अजीतमल. यहीं का रहने वाला धर्मेंद्र वन विभाग में चौकीदार की नौकरी करता था. उस की शादी मैनपुरी की रहने वाली सुनीता से हुई थी. दोनों ही खुश थे. उन की घरगृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी. इसी दौरान सुनीता 2 बच्चों की मां बन गई. इस के बाद तो घर की खुशियों में और इजाफा हो गया. लेकिन ये खुशियां ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकीं. सुनीता बीमार हो गई और बीमारी के चलते एक दिन उस की मौत हो गई. पत्नी की मौत के बाद धर्मेंद्र जब नौकरी पर जाता, घर पर बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं रहता था. इस परेशानी को देखते हुए कुछ समय बाद वह अपने दोनों बच्चों को उन की ननिहाल में छोड़ आया और खुद रहने के लिए अपने मामा मुकेश के यहां चला गया.

मुकेश जिला मैनपुरी के गांव फैजपुर गढि़या में रहता था. वह एक फैक्ट्री में काम करता था. उस की शादी रीना से हुई थी, जिस से एक बेटा भी था. चूंकि धर्मेंद्र मुकेश का सगा भांजा था, इसलिए मुकेश ने उसे अपने घर के सदस्य की तरह रखा. पत्नी की मौत के बाद धर्मेंद्र एकदम खोयाखोया सा रहता था. मामा के यहां रह कर वह एकाकी जीवन काट रहा था. धीरेधीरे माया ने उस की पीड़ा को समझा और वह उस का मन लगाने की कोशिश करने लगा. धीरेधीरे वह घुलमिल कर रहने लगा तो उस की बोरियत दूर हो गई. साथ ही वह पत्नी की मौत का गम भी भूल गया. मामाभांजे दोनों अपनेअपने काम से लौट कर आते तो साथ मिल कर इधरउधर की खूब बातें करते थे.

दोनों की आपस में खूब बनती थी. धर्मेंद्र अपनी तनख्वाह से घर खर्च के कुछ पैसे अपनी मामी को दे देता था, जिस से घर का खर्च ठीक से चलने लगा. इसी बीच रीना एक और बेटे की मां बन गई, जिस का नाम प्रियांशु रखा गया. 28 साल की मामी रीना से धर्मेंद्र की खूब पटती थी. मामीभांजे के बीच हंसीठिठोली भी होती थी. धर्मेंद्र को मामी की सुंदरता और अल्हड़पन बहुत भाता था. कभीकभी वह उसे एकटक प्यारभरी नजरों से देखा करता था. अपनी ओर टकटकी लगाए देखते समय जब कभी रीना की नजरें उस से टकरा जातीं तो दोनों मुसकरा देते थे. धर्मेंद्र रीना के पति मुकेश से ज्यादा सुंदर और अच्छी कदकाठी का था. इस से रीना का झुकाव धर्मेंद्र के प्रति बढ़ता गया.

धर्मेंद्र रीना को दिल ही दिल चाहने लगा.  चूंकि वे मामीभांजा थे, इसलिए दोनों के साथसाथ रहने पर मुकेश को कोई शक नहीं होता था. मुकेश सीधेसरल स्वभाव का था, पत्नी और भांजे के बीच क्या खिचड़ी पक रही है, इस की मुकेश को कोई जानकारी नहीं थी. समय का चक्र घूमता रहा, धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के करीब आते गए. एक दिन धर्मेंद्र ने जब मजाकमजाक में मामी को बांहों में भर लिया तो रीना ने विरोध नहीं किया, बल्कि उस ने दोनों हाथों से धर्मेंद्र को जकड़ लिया. धर्मेंद्र ने इस मूक आमंत्रण का फायदा उठाते हुए उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. इस के बाद अपनी मर्यादाओं को लांघते हुए दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.

धर्मेंद्र चूंकि वहीं रहता था, इसलिए कुछ दिनों तक तो दोनों का खेल इसी तरह से चलता रहा. मुकेश को पता तक नहीं चला कि उस के पीछे घर में क्या हो रहा है. एक दिन मुकेश अचानक घर आया तो उस ने दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया. लेकिन मौके की नजाकत को भांपते हुए रीना और धर्मेंद्र ने उस से माफी मांग ली. मुकेश ने रहम करते हुए दोनों से कुछ नहीं कहा और उन्हें माफ कर दिया. इस के कुछ दिनों तक तो रीना और धर्मेंद्र ठीक रहे, लेकिन मौका मिलने पर वे अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे. मामा के सीधेपन की वजह से धर्मेंद्र की हिम्मत बढ़ गई थी. अब धर्मेंद्र अपनी मामी रीना से शादी करने के ख्वाब देखने लगा.

एक दिन उस ने अपने मन की बात रीना से कही. चूंकि रीना भी उसे प्यार करती थी, इसलिए 2 बच्चों की मां होने के बावजूद वह भांजे से शादी करने के लिए तैयार हो गई. किसी तरह शादी वाली बात मुकेश को पता चली तो वह परेशान हो गया. उस ने इस का विरोध किया. लेकिन जब रीना नहीं मानी तो उस ने रीना की पिटाई कर दी. रीना के सिर पर तो इश्क का जुनून सवार था, ऐसे में वह किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी. लेकिन मुकेश के लिए यह बड़ी बदनामी वाली बात थी. थकहार कर मुकेश ने गांव में पंचायत बैठाई. रीना ने पंचायत में भी स्पष्ट रूप से कह दिया कि वह पति मुकेश को छोड़ सकती है लेकिन धर्मेंद्र को नहीं छोड़ेगी. वह उस से शादी जरूर करेगी. रीना की जिद के आगे मुकेश व उस के घर वालों को झुकना पड़ा.

घर वालों की इस रजामंदी के बाद पंचायत में तय हुआ कि रीना मुकेश और धर्मेंद्र दोनों की पत्नी के रूप में रहेगी. इस के बाद रीना और धर्मेंद्र ने कोर्टमैरिज कर ली. शादी करने के बाद भी रीना मुकेश के घर में ही रहती रही. यह बात लगभग 7 साल पहले की है. इस के बाद रीना अपने पहले पति मुकेश और भांजे से दूसरा पति बने धर्मेंद्र के साथ दोनों की पत्नी बन कर रहने लगी. समय धीरेधीरे बीतने लगा. रीना दोनों पतियों के दिलों पर राज करती थी. वह चाहती थी कि उन दोनों से वह ज्यादा कमाई कराए. क्योंकि नौकरी से तो बस बंधीबधाई तनख्वाह मिलती थी, जिस से रीना संतुष्ट नहीं थी.

एक दिन धर्मेंद्र, मुकेश व रीना ने बैठ कर तय किया कि क्यों न यहां के बजाय शिकोहाबाद जा कर कोई दूसरा धंधा शुरू किया जाए. शिकोहाबाद में कबाड़ का व्यवसाय काफी बड़े पैमाने पर होता है, इसलिए उन्होंने वहां जा कर कबाड़ का काम करने का फैसला लिया. करीब ढाई साल पहले मुकेश और धर्मेंद्र गांव से जिला फिरोजाबाद के शहर शिकोहाबाद चले गए. उन्होंने लक्ष्मीनगर मोहल्ले में प्रमोद कुमार का मकान किराए पर ले लिया. फिर वे पत्नी रीना व बच्चों को भी शिकोहाबाद ले आए. यहां रह कर मुकेश और धर्मेंद्र मिल कर कबाड़ का कारोबार करने लगे. इसी दौरान रीना एक और बेटे की मां बन गई. धर्मेंद्र भले ही रीना का पति बन गया था, लेकिन वह अपने बच्चों से उसे भैया ही कहलवाती थी.

रीना दोनों पतियों के साथ सामंजस्य बना कर रह रही थी. दोनों ही उस से खुश थे. कहते हैं, समय बहुत बलवान होता है, उस के आगे किसी की नहीं चलती. इस परिवार में भी यही हुआ. जब दोनों का काम अच्छा चलने लगा, आमदनी बढ़ी तो धर्मेंद्र शराब पीने लगा. रीना इस का विरोध करती तो धर्मेंद्र उसे डांट देता. कभीकभी वह उस पर हाथ भी उठा देता था. रीना अब उस से डरीडरी सी रहने लगी. शराब की लत जब बढ़ गई तो धर्मेंद्र ने काम पर जाना भी बंद कर दिया. वह दिन भर घर पर रह कर शराब पीता रहता. लड़झगड़ कर वह रीना से पैसे ले लेता था. जब रीना पैसे नहीं देती तो वह घर में रखे पैसे चुरा लेता था. एक दिन तो वह रीना की सोने की झुमकी और चांदी की पायल तक चुरा कर ले गया. इस पर रीना और मुकेश ने उसे घर से निकाल दिया.

2 महीने धर्मेंद्र इधरउधर भटकता रहा. बाद में वह रीना के पास ही लौट आया. उस ने मुकेश और रीना से शराब न पीने तथा ढंग से चलने का वादा किया. इस पर रीना ने उस पर दया दिखाते हुए उसे फिर से घर में रख लिया. मकान मालिक प्रमोद कुमार और वहां रहने वाले अन्य किराएदारों ने रीना से धर्मेंद्र को फिर से साथ रखने को मना किया, क्योंकि वह आए दिन घर में झगड़ता रहता था. इस पर रीना ने कहा कि वह अकेला कहां धक्के खाएगा. थोड़े दिन सब कुछ ठीक रहा, लेकिन धर्मेंद्र को शराब की जो लत लग गई थी, उस के चलते वह फिर से शराब पीने लगा. रीना ने धर्मेंद्र को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन उस ने अपनी आदतों में कोई सुधार नहीं किया. इस से घर में आए दिन लड़ाई होने लगी.

10 अगस्त, 2018 की रात करीब साढ़े 8 बजे की बात है. मुकेश के कमरे से अचानक शोरशराबे की आवाज आने लगी. बच्चे चिल्ला रहे थे, ‘मम्मी मर गईं, मम्मी मर गईं.’

शोर सुन कर प्रमोद के मकान के नीचे के हिस्से में रह रहे मकान मालिक प्रमोद कुमार व उन के परिवार के लोगों को लगा कि शायद खाना बनाते समय कमरे में आग वगैरह लग गई है. इसलिए वे पानी की बाल्टी ले कर ऊपर पहुंचे. ऊपर पहुंच कर उन्होंने जो नजारा देखा, उसे देख कर आंखें फटी की फटी रह गईं. रीना कमरे की देहरी पर मरी पड़ी थी, उस के सिर व चेहरे से खून बह कर कमरे में फैल गया. पता चला कि रीना के दूसरे पति धर्मेंद्र ने ही रीना की हत्या की थी. हत्या करने के बाद जब धर्मेंद्र भागने को था, तभी अन्य किराएदारों ने उसे पकड़ लिया था. वह उसे वहीं दबोचे खड़े रहे. प्रमोद ने इस की सूचना पुलिस को दे दी.

थानाप्रभारी विजय कुमार गौतम, सीओ संजय रेड्डी मय पुलिस टीम के कुछ ही देर में वहां पहुंच गए. लोगों ने पकड़े गए हत्यारोपी धर्मेंद्र को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. मृतका के बड़े बेटे सनी ने बताया कि हम लोग अंदर टीवी देख रहे थे. मम्मी ने पापा से खाना खाने के लिए कहा. इतने में भैया (धर्मेंद्र) ने अंदर ले जा कर कुल्हाड़ी से मम्मी को मार डाला. उस ने बताया कि दोपहरी में भैया ने कहा था कि लाओ कुल्हाड़ी पर धार लगा लें. लकडि़यां काट कर लाएंगे. पुलिस ने जब धर्मेंद्र से पूछताछ की तो पता चला कि घटना के समय रीना कमरे के बाहर चूल्हे पर रोटी बना रही थी और उस के तीनों बच्चे खाना खा कर कमरे में टीवी देख रहे थे. कमरे में ही मुकेश चारपाई पर लेटा हुआ था.

रात को अचानक धर्मेंद्र नशे में सीढि़यां चढ़ कर ऊपर आया. रीना धर्मेंद्र से कुछ नहीं बोली, उस ने अपने बेटे सनी को आवाज देते हुए कहा, ‘‘पापा से कह दे, खाना खा लें.’’

रीना द्वारा धर्मेंद्र से खाना खाने के लिए न कहने से धर्मेंद्र बौखला गया. उस के तनबदन में आग लग गई. उस ने रीना के साथ गालीगलौज करते हुए कहा कि हम से खाना खाने के लिए नहीं पूछा. अभी खबर लेता हूं तेरी. कह कर वह गुस्से में कमरे में घुसा जहां बच्चों के साथ मुकेश मौजूद था. उस ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी उठाई और चूल्हे पर रोटी बना रही रीना के बाल पकड़ कर उसे कमरे की देहरी पर ले जा कर लिटा दिया. फिर उस के सिर व चेहरे पर कई प्रहार कर उस की नृशंस हत्या कर दी. कमरे में चारों ओर खून फैल गया. अपनी आंखों के सामने मां को मारते देख बच्चे चिल्लाए, ‘‘मम्मी मर गई, मम्मी मर गई.’’

शोर सुन कर अन्य किराएदार वहां आ गए. धर्मेंद्र के हाथ में खून सनी कुल्हाड़ी देख कर वे सारा माजरा समझ गए. किसी तरह किराएदारों ने धर्मेंद्र को दबोच लिया, जिसे बाद में उन्होंने पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने मुकेश की तहरीर पर धर्मेंद्र के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर के अगले दिन उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अपनी भावनाओं पर अंकुश न लगा पाने वाली रीना रिश्तों की मर्यादा को लांघ गई थी. वह धर्मेंद्र के प्यार में इस कदर डूबी कि उसे अपने पति, बच्चों व समाज तक की परवाह नहीं रही. उस ने अपने भांजे से अवैध संबंध बनाने के बाद उस से कोर्टमैरिज तक कर ली. इस की कीमत उसे अपनी जान दे कर चुकानी पड़ी.

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित

 

Crime stories : मास काटने वाली छुरी से दोस्त के कर डाले 25 टुकड़े

Crime stories : ‘‘है  लो, आप गुड़गांव पुलिस कंट्रोल रूम से बोल रहे हैं?’’ एक आदमी ने घबराई हुई आवाज में फोन पर पूछा.

‘‘हां, यह पुलिस कंट्रोल रूम ही है. आप बताएं, क्या कहना चाहते हैं.’’ ड्यूटी औफिसर ने कहा.

‘‘साहब, आप गुड़गांव से ही बोल रहे हैं ?’’ फोन करने वाले ने संतुष्टि के लिए पूछा.

‘‘हां, हम गुड़गांव से ही बोल रहे हैं.’’ ड्यूटी औफिसर ने संजीदगी से जवाब दिया.

‘‘साहब, मैं पंजाब के लुधियाना से रूपेंदर सिंह बोल रहा हूं.’’ फोन करने वाले ने कहा, ‘‘साहबजी, बात यह है कि मेरे रिश्तेदार हरनेक सिंह ढिल्लन ने अपनी बीवी को मार डाला है और खुद भी सुसाइड करने जा रहा है.’’ एक ही बार में उस ने अपनी बात कह डाली. फिर बोला, ‘‘साहब जी, हरनेक को बचा लीजिए.’’

‘‘रूपेंदर सिंह जी, पहले यह बताएं कि आप के रिश्तेदार रहते कहां हैं?’’ ड्यूटी औफिसर ने सवाल किया.

‘‘साहब, वह गुड़गांव के डीएलएफ फेज-2 में जे ब्लौक में रहता है.’’

‘‘ठीक है, हम पुलिस भेजते हैं.’’ ड्यूटी औफिसर ने रूपेंदर सिंह को भरोसा दिया. यह 20 अक्तूबर की बात है. समय रहा होगा सुबह के करीब 10 बजे का. फोन पर रूपेंदर सिंह से मिली सूचना के आधार पर पुलिस कंट्रोल रूम ने डीएलएफ थाने को सूचना दीसूचना मिलने के कुछ ही देर बाद डीएलएफ थानाप्रभारी विष्णु प्रसाद कुछ पुलिस जवानों के साथ फेज-2 के जे ब्लौक के लिए रवाना हो गए. पुलिस 10 मिनट में मौके पर पहुंच गई. जे ब्लौक में पहुंच कर पुलिस ने हरनेक सिंह ढिल्लन के मकान के बारे में पूछताछ की. 2-4 लोगों से पूछताछ के बाद पुलिस को हरनेक सिंह के मकान का पता चल गया.

वह 3 मंजिला कोठी थी. कोठी के बाहर पुलिस को ऐसा कुछ नजर नहीं आया जिस से यह लगता कि अंदर किसी ने हत्या कर के खुद सुसाइड कर लिया हो. पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला हरनेक सिंह दूसरी मंजिल पर रहता है. पुलिस दूसरी मंजिल पर पहुंची तो उसे हरनेक सिंह के घर के अंदर एक भयावह दृश्य से रूबरू होना पड़ा. बैड पर एक बुजुर्ग महिला की लाश पड़ी थी. उस का गला रेता गया था. गला रेतने के कारण खून पूरे बिस्तर पर फैला हुआ था. इसी कमरे में एक बुजुर्ग पड़ा हुआ था. उस की कलाई की नसें कटी हुई थीं और खून रिस कर बह रहा था.थानाप्रभारी ने बैड पर पड़ी बुजुर्ग महिला की नब्ज टटोल कर देखी. उस में जीवन के कोई लक्षण नहीं थे. इस के बाद बुजुर्ग की नब्ज देखी तो चलती मिली थी, वह अर्धमूर्छित था

पुलिस ने बुजुर्ग से उस का नाम पूछा तो उस ने हरनेक सिंह ढिल्लन बताया. पुलिस उस से कुछ और पूछताछ करती, इस से पहले ही हरनेक सिंह फिर से अचेत हो गया. पुलिस के लिए किसी भी तरह हरनेक सिंह की जान बचाना जरूरी था. हाथ की नसें काट लिए जाने से उस का काफी खून बह चुका था. थानाप्रभारी ने 2 सिपाहियों को हरनेक सिंह के मकान पर छोड़ा और खुद उन्हें अस्पताल ले गए. अस्पताल के डाक्टरों ने अविलंब हरनेक का उपचार शुरू कर दिया. समय पर इलाज मिल जाने और डाक्टरों के प्रयास से उस की जान बच गई.

रहस्यमय मामला जब यह सुनिश्चित हो गया कि हरनेक सिंह की जान बच जाएगी तो थानाप्रभारी विष्णु प्रसाद ने उस की कोठी पर जांचपड़ताल शुरू की. आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि मरने वाली बुजुर्ग महिला का नाम गुरमेल कौर था. अभी प्राथमिक जांच चल ही रही थी कि डीएलएफ के सहायक पुलिस आयुक्त करण गोयल भी वहां पहुंच गए. एसीपी गोयल ने घटनास्थल की स्थिति देखनेसमझने के बाद थानाप्रभारी को वहां एकत्र लोगों की मौजूदगी में घर की तलाशी लेने और गुरमेल की हत्या हरनेक सिंह के सुसाइड का प्रयास करने के कारणों का पता लगाने के दिशानिर्देश दिए. मौके की आवश्यक काररवाई के बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.

गुड़गांव पुलिस को गुरमेल कौर की हत्या और हरनेक सिंह के सुसाइड करने की सूचना लुधियाना के रूपेंदर सिंह ने दी थी. इसलिए पुलिस ने रूपेंदर सिंह से फोन पर बात की तो उस ने बताया कि वह हरनेक सिंह का रिश्तेदार है. सुबह करीब 9 बज कर 40 मिनट पर हरनेक सिंह ने फोन कर के उस से कहा था कि मैं ने गुरमेल को मार डाला है और खुद सुसाइड  करने जा रहा हूं. रूपेंदर सिंह ने पुलिस को बताया कि हरनेक सिंह की बात सुन कर वह काफी घबरा गया था. वह गुड़गांव से दूर लुधियाना में था और किसी भी तरह हरनेक सिंह की जान नहीं बचा सकता था. इसलिए उस ने गुड़गांव पुलिस को फोन कर के मामले की जानकारी दे दी थी.

पुलिस ने जांचपड़ताल की तो हरनेक सिंह के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला. यह सुसाइड नोट वसीयत के रूप में लिखा गया था. इस में हरनेक सिंह ने अपनी कोठी, बैंक बैलेंस समेत तथा अन्य संपत्तियों का बंटवारा बेटे और बेटी के अलावा एक रिश्तेदार के बीच करने की बात लिखी थी. सुसाइड नोट में हरनेक सिंह ने यह भी लिखा था कि मृत्यु के बाद उस की आंखें, किडनी, फेफड़े और हार्ट दान कर दिया जाए. पुलिस ने हरनेक सिंह के बेटेबेटी के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि बेटा मनजीत सिंह आस्ट्रेलिया के शहर सिडनी में रहता है. वहां वह किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में अधिकारी है. हरनेक सिंह की बेटी कनाडा में अपने परिवार के साथ रहती थी. पुलिस ने हरनेक सिंह के बेटे और बेटी को फोन कर के इस घटना की सूचना दे दी

हरनेक सिंह के बच्चे विदेश में रहते थे, उन का कोई ऐसा करीबी रिश्तेदार भी नहीं था, जो गुड़गांव में रहता हो. इसलिए पुलिस ने हरनेक की पत्नी गुरमेल का शव अस्पताल के फ्रिजर में रखवा दिया ताकि बेटे के आने पर पोस्टमार्टम कराया जा सके. हरनेक सिंह के बेटे मनजीत सिंह ने पुलिस से कहा कि वह अर्जेंट में कोई फ्लाइट पकड़ कर जल्द से जल्द भारत पहुंच जाएगा. पुलिस ने हरनेक सिंह के बारे में उस के घर के आसपास रहने वालों से पूछताछ की तो पता चला कि वह मूलरूप से लुधियाना का रहने वाला था और वहां की एक आटोमोबाइल कंपनी में अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए थे. बाद में वह पत्नी गुरमेल कौर के साथ डीएलएफ फेज-2 के जे ब्लौक की इस कोठी में रहने लगा था, जो उन की अपनी थी. यह कोठी उस ने 10-11 साल पहले खरीदी थी.

आसपास के लोगों ने पुलिस को बताया कि हरनेक सिंह किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था. लेकिन उस की पत्नी गुरमेल कौर पड़ोसियों से बोलतीचालती भी थीं और घुलीमिली भी थीं. पतिपत्नी रोजाना सुबह मौर्निंग वौक पर पार्क जाते थे. वहां गुरमेल कौर अन्य महिलाओं के साथ योगा करती थीं. बाद में पतिपत्नी आपस में बातें करते हुए पार्क से घर लौट आते थे. पड़ोसियों से पूछताछ में पुलिस के सामने यह बात जरूर आई कि हरनेक सिंह और उस की पत्नी गुरमेल 4-5 दिनों से परेशान नजर रहे थे. बीच में एकदो दिन के लिए वह बाहर भी चले गए थे, जिस की वजह से मौर्निंग वौक पर नहीं जा पाए थे.

उधर, अस्पताल में भरती हरनेक सिंह की हालत खतरे से बाहर तो हो गई थी, लेकिन वह पुलिस को बयान देने की स्थिति में नहीं था. फलस्वरूप इस बात का खुलासा नहीं हो सका कि हरनेक सिंह ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया था. ऐशोआराम की जिंदगी में ऐसा कदम क्यों?

 हरनेक सिंह के पास पैसे की कोई  कमी नहीं थी. उस की काफी अच्छी कोठी थी. बेटी कनाडा में अच्छे से सैटल थी और बेटा आस्ट्रेलिया की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में अधिकारी था. सुसाइड नोट में परेशानी की कोई वजह भी नहीं लिखी थी. ऐसी स्थिति में कोई ठोस वजह सामने नहीं आने पर पुलिस ने यही माना कि हरनेक सिंह ने अकेलेपन से परेशान हो कर पत्नी को मौत की नींद सुलाने के बाद खुद भी जान देने का फैसला किया होगा. दूसरे दिन पंजाब से रूपेंदर सिंह और कुछ अन्य रिश्तेदार गुड़गांव गए. रूपेंदर सिंह की शिकायत पर पुलिस ने 21 अक्तूबर को हरनेक सिंह के खिलाफ पत्नी की हत्या और सुसाइड नोट के प्रयास का मामला दर्ज कर लिया. साथ ही पुलिस इस मामले से जुड़े कारणों की तलाश में जुटी रही

पुलिस को इस बारे में या तो हरनेक सिंह से जानकारी मिल सकती थी या फिर उस के बेटे मनजीत सिंह से. लेकिन परेशानी यह थी कि दूसरे दिन भी शाम तक हरनेक सिंह पुलिस को बयान दर्ज कराने की स्थिति में नहीं आया. वहीं, हरनेक का बेटा मनजीत भी आस्ट्रेलिया से शाम तक गुड़गांव नहीं पहुंचा था. मनजीत सिंह से पुलिस की बात हुई तो उस ने देर रात तक गुड़गांव पहुंचने की बात कही थी. इस बीच, पुलिस को पता चला कि हरनेक सिंह के संबंध जसकरण सिंह से रहे हैं. जसकरण उस का अच्छा परिचित था. जसकरण गुड़गांव के सेक्टर-29 इलाके के सरस्वती विहार में रहता था. वह 14 अक्तूबर से लापता था. जसकरण की पत्नी मनजीत कौर ने इस संबंध में 16 अक्तूबर को सेक्टर 29 पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी

इस रिपोर्ट में उस ने बताया था कि जसकरण 14 अक्तूबर को हरनेक सिंह से मिलने जाने के लिए घर से स्कूटी ले कर गया था, लेकिन वापस नहीं लौटा था. जसकरण के लापता होने में उस के परिवार वालों ने हरनेक सिंह का हाथ होने की आशंका जताई थी. जसकरण के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज होने पर सेक्टर-29 पुलिस ने एक दिन हरनेक सिंह के घर जा कर उस से पूछताछ की थी, लेकिन हरनेक सिंह ने इस बात से साफ इनकार कर दिया कि जसकरण के लापता होने से उस का कोई ताल्लुक है. हरनेक सिंह ने सेक्टर-29 थाना पुलिस के सामने यह बात जरूर कबूल की थी कि जसकरण 14 अक्तूबर को उस से मिलने आया था.

जसकरण का मामला सामने आने पर डीएलएफ थाना पुलिस कई एंगलों से इस मामले की जांचपड़ताल करने में जुट गई. पुलिस ने हरनेक सिंह के मकान के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो पता चला कि जसकरण सिंह 14 अक्तूबर को हरनेक सिंह के घर आया जरूर था, लेकिन वहां से वापस नहीं लौटा था. कहां गया जसकरण इस पर गुड़गांव पुलिस के आला अफसरों ने एक बार फिर हरनेक सिंह के मकान का जायजा लिया और पड़ोसियों से पूछताछ की. हरनेक सिंह के मकान से पुलिस को जसकरण की स्कूटी मिल गई. पुलिस ने वह स्कूटी अपने कब्जे में ले ली. अब पुलिस इस बात की जांच में जुट गई कि जसकरण का इस घटना से क्या संबंध था.

जांचपड़ताल चल ही रही थी कि मनजीत सिंह अपनी पत्नी किरणवीर कौर के साथ आस्ट्रेलिया से गुड़गांव गया. वह 22 अक्तूबर को पुलिस के साथ अपने पिता के मकान पर गया. कुछ देर वहां रुकने के बाद वह अपने दोस्त के घर चला गया. पुलिस की पूछताछ में मनजीत सिंह ने बताया कि पिता से उस की करीब 2 साल से बोलचाल नहीं थी. हां, वह अपनी मां गुरमेल से फोन पर रोजाना बात करता था. मनजीत ने पुलिस को बताया कि उस के पिता के पास डीएलएफ फेज-2 के जे ब्लौक की कोठी के अलावा अन्य कोई प्रौपर्टी नहीं है. इस कोठी में भी केवल दूसरी मंजिल का फ्लैट ही उन का अपना है, बाकी दोनों तल दूसरों के हैं. मनजीत ने पिता के लुधियाना स्थित पैतृक गांव में भी कोई संपत्ति नहीं होने की बात बताई

मनजीत ने पिता के लिखे सुसाइड नोट पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उन के पास कोई संपत्ति थी ही नहीं तो बंटवारा किस बात का होता. मनजीत ने सुसाइड नोट की हैंड राइटिंग को ठीक से पहचानने से मना कर दिया. मनजीत से पिता द्वारा की गई उस की मां की हत्या के कारणों के बारे में पूछा तो वह कोई कारण नहीं बता सका. मनजीत ने इतना जरूर बताया कि उस के पिता अच्छे आदमी नहीं थे, लेकिन वह बुरे  आदमी कैसे थे, इस बारे में वह कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे सका. कुल मिला कर पुलिस को हरनेक के बेटे मनजीत से गुरमेल कौर की हत्या और पिता के खुदकुशी के प्रयास तथा उन की परेशानी के कारणों के बारे में कोई महत्त्वपूर्ण सुराग नहीं मिल सका.

जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने मनजीत सिंह से अस्पताल जा कर अपने पिता को देख आने को कहा, लेकिन मनजीत ने साफ मना कर दिया. एकदो रिश्तेदारों ने भी मनजीत से पिता को देख आने की बात कही, लेकिन उस ने किसी की बात नहीं मानी. बाद में पुलिस ने मनजीत की मौजूदगी में घटना के तीसरे दिन 22 अक्तूबर को गुरमेल कौर के शव का पोस्टमार्टम कराया. पोस्टमार्टम के बाद गुरमेल का शव मनजीत को सौंप दिया गया. मनजीत अंतिम संस्कार के लिए अपनी मां का शव लुधियाना ले गया. बड़ा खिलाड़ी निकला 77 साल का हरनेक

अस्पताल के डाक्टरों से इजाजत मिलने पर पुलिस ने हरनेक सिंह से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि लापता होने से पहले जसकरण आखिरी बार उस के घर आया था, इसलिए उस के परिवार वाले उस पर संदेह कर रहे हैं. पुलिस ने भी इस मामले में उस से पूछताछ की थी. जसकरण के घर वालों ने भी उस के घर कर हंगामा किया थाहरनेक ने पुलिस को बताया कि जसकरण ने उस से 40 लाख रुपए उधार ले रखे थे. उस के लापता होने से वह खुद परेशान था. जसकरण को गायब करने के आरोपों और उधार दी गई रकम की वापसी होने की आशंका से वह परेशानी और तनाव में था

इसी के चलते उस ने पहले 72 साल की अपनी पत्नी गुरमेल की हत्या की, और बाद में खुद अपनी जान देने का प्रयास किया. पुलिस ने हरनेक सिंह के बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 302 और 309 के तहत 77 साल के हरनेक सिंह को 24 अक्तूबर को गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन 25 अक्तूबर को पुलिस ने हरनेक सिंह को अदालत में पेश कर के 2 दिन के रिमांड पर ले लिया. रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने हरनेक से कड़ाई से पूछताछ की तो एक ऐसे राज का पता चला, जिस से पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए. हरनेक सिंह से पूछताछ में जो कहानी सामने आई वह इस तरह थी

हरनेक सिंह ने अपने दोस्त जसकरण सिंह से सोने के व्यापार के सिलसिले में करीब 50 लाख रुपए उधार लिए थे. तय समय गुजर जाने के बाद भी हरनेक ने जब उधार की रकम वापस नहीं की तो जसकरण उस से अपनी रकम का तकाजा करने लगा. इस बीच हरनेक के मन में खोट गया था. वह जसकरण से उधार ली गई रकम वापस नहीं लौटाना चाहता था. इस के लिए हरनेक ने जसकरण की हत्या करने का फैसला कर लिया. साथ ही उस ने जसकरण के शव को ठिकाने लगाने की योजना भी बना ली. इस काम में हरनेक ने अपने एक पुराने नौकर जगदीश कुमार को सहयोग देने के लिए राजी किया. उत्तराखंड के चमोली का रहने वाला जगदीश पैसों के लालच में जसकरण की हत्या में सहयोग करने को तैयार हो गया.

करीब 38 वर्षीय जगदीश को हरनेक सिंह 2004 से जानता था. दरअसल, हरनेक सिंह पहले गुड़गांव के फेज-2 और सुशांत लोक-1 में 3 पेइंग गेस्ट हौस्टल संचालित करता था. इन पीजी हौस्टल के लिए हरनेक ने जगदीश को कुक के रूप में नौकरी पर रख रखा थाबाद में हरनेक ने पेइंग गेस्ट हौस्टल का अपना काम बंद कर दिया. इस से जगदीश बेरोजगार हो गया तो हरनेक ने उसे एक एजेंट के माध्यम से दिल्ली में नौकरी पर रखवा दिया. दिल्ली में नई नौकरी पर जगदीश का मन नहीं लगा तो वह वापस हरनेक के पास आया. हरनेक ने उसे पैसों का लालच दे कर जसकरण की हत्या के लिए तैयार कर लिया. पूरी साजिश रच कर हरनेक सिंह ने 14 अक्तूबर को अपने दोस्त जसकरण को उधार के पैसे देने के लिए घर बुलाया. जसकरण जब डीएलएफ फेज-2 में हरनेक सिंह के घर पहुंचा. उस समय जगदीश भी वहां था. हरनेक की पत्नी गुरमेल उस समय किसी काम से बाजार गई थी.

दोस्त को लगाया ठिकाने हरनेक सिंह पहले तो जसकरण से कुछ देर तक घरगृहस्थी और पैसों की बातें करता रहा. इस दौरान जसकरण और हरनेक सिंह में झगड़ा भी हुआ. झगड़े की आवाजें पड़ोसियों ने भी सुनी थीं. झगड़े के दौरान मौका मिलने पर हरनेक ने जगदीश के सहयोग से जसकरण की गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के बाद हरनेक सिंह बाजार गया और मांस काटने वाली छुरी खरीद कर लाया. हरनेक सिंह ने घर कर जगदीश की मदद से जसकरण के शव के करीब 20-25 टुकड़े किए. इन टुकड़ों को दोनों ने प्लास्टिक की 2 बड़ी थैलियों में भर दिया. बाद में जगदीश वहां से चला गया. गुरमेल घर लौटी, तो हरनेक ने उसे जसकरण की हत्या करने की बात बता दी. जसकरण की हत्या कर दिए जाने की बात जान कर गुरमेल बुरी तरह डर गईं. लेकिन वह क्या कर सकती थीं. गुरमेल ने इस बात के लिए हरनेक सिंह से झगड़ा भी किया.

उसी दिन शाम को हरनेक सिंह पत्नी गुरमेल के साथ पंजाब जाने के लिए अपनी सैंट्रो कार ले कर घर से निकल पड़ा. कार में उस ने जसकरण के शव के टुकड़ों की दोनों थैलियां भी रख ली थीं. गुड़गांव से पंजाब के रास्ते में हरनेक को जहां भी मौका मिला, जसकरण के शव के टुकड़े फेंक दिए. बाद में 16 अक्तूबर की सुबह हरनेक और उस की पत्नी गुड़गांव अपने घर लौट आए. घर कर हरनेक ने अच्छी तरह से धुलाई कराई ताकि जसकरण की हत्या का कोई निशान बाकी रह पाए. हरनेक ने भले ही जसकरण की हत्या कर उस के शव को टुकड़ों में बांट कर ठिकाने लगा दिया था, लेकिन उसे खुद के पकड़े जाने का डर सताने लगा था. इस का कारण यह था कि जसकरण के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की थी. पुलिस उस से फिर से पूछताछ कर के घर की तलाशी ले सकती थी

हरनेक को डर था कि जसकरण की हत्या का राज खुलने पर पुलिस उसे पकड़ कर ले जाएगी. इस पर उस ने पत्नी गुरमेल के साथ मिल कर सामूहिक आत्महत्या करने की योजना बनाई, लेकिन गुरमेल ने आत्महत्या करने से साफ इनकार कर दिया. इस से हरनेक सिंह को यह शक हो गया कि कहीं पत्नी ही उस का राज किसी के सामने उगल दे. हरनेक की खतरनाक साजिश इस पर हरनेक सिंह ने एक और खतरनाक साजिश रची. उस ने 20 अक्तूबर की सुबह जब गुरमेल बैड पर सो रही थीं, गला काट कर उन की हत्या कर दी. इस के बाद हरनेक ने मामले को दूसरा रूप देने के लिए एक सुसाइड नोट लिखा. इस में अपनी संपत्ति के बंटवारे और जसकरण को मोटी रकम उधार देने की बात भी लिखी थी

सुसाइड नोट लिख कर हरनेक ने लुधियाना में रहने वाले अपने रिश्तेदार रूपेंदर सिंह को फोन किया और उसे पत्नी की हत्या करने तथा खुद के सुसाइड करने की बात बताई. इस के बाद हरनेक ने अपने हाथ की नसें काट लीं. रूपेंदर सिंह की सूचना पर गुड़गांव पुलिस समय पर उस के घर पहुंच गई और हरनेक की जान बचा ली. बाद में पुलिस ने हरनेक सिंह को फिर से रिमांड पर लिया और उस की निशानदेही पर पंजाब के लुधियाना की दोराहा नहर और कुछ अन्य जगहों से धड़ बाजू सहित जसकरण के शव के टुकड़े बरामद किए. हरनेक ने जसकरण का सिर और एक बाजू भाखड़ा बांध में फेंक दी थी, उन का पता नहीं चल सका

फरीदाबाद पुलिस ने दिल्ली के अलीपुर बौर्डर से जसकरण की एक टांग कपड़े बरामद किए. तीसरी बार रिमांड पर ले कर की गई पूछताछ के बाद पुलिस ने जसकरण की हत्या में हरनेक का सहयोग करने के आरोप में एक नवंबर को जगदीश को भी गिरफ्तार कर लिया. उसे उत्तराखंड के चमोली में उस के घर से पकड़ा गयाजगदीश ने जसकरण की हत्या के लिए हरनेक से 2 लाख रुपए लिए थे. 2 नवंबर को पुलिस ने हरनेक सिंह को अदालत पर पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. इसे विडंबना कहेंगे कि 77 साल की उम्र में हरनेक सिंह ने करीब 50 लाख रुपए की रकम हड़पने के लिए पहले तो अपने ही दोस्त की हत्या कर दी और फिर पूरी कू्रूरता से उस के शव के टुकड़ेटुकड़े कर के यहांवहां फेंक दिए. अपने इस अपराध को छिपाने के लिए हरनेक ने अपनी ही पत्नी को भी मार डाला और खुद भी आत्महत्या का प्रयास किया

जसकरण की जान केवल इसलिए चली गई कि वह विदेश में सोने का व्यापार करना चाहता था. इस के लिए हरनेक के कहने पर उस ने उसे करीब 30 लाख रुपए उधार दे दिए थे. हरनेक ने कनाडा में रहने वाली अपनी बेटी के जरिए उसे विदेश में सोने का व्यापार चमकाने का लालच दिया था. इस के लिए जसकरण ने अपना फ्लैट भी बेच दिया था.

Murder Stories : सल्फास की गोली खिलाकर विवाहिता ने प्रेमी को मार डाला

Murder Stories : सोशल मीडिया ने दूर के लोगों को भी पास ला दिया है. जब चाहे एक मिनट में संदेश भेजो या औनलाइन बात करो. इस सब के लिए फेसबुक और वाट्सऐप सब से सशक्त माध्यम हैं. लेकिन इन्हीं माध्यमों का दुरुपयोग कर के लोगों को प्रताडि़त भी किया जाता है और ठगी भी खूब होती है…  

40 वर्षीय प्रशांत कुमार सोशल मीडिया में कुछ इस तरह खो गए थे कि उन का ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बीतने लगा था. वह वाट्सऐप, फेसबुक मैसेंजर, ट्विटर पर फोटो, कविताएं, शायरी और तरहतरह के विचार डालते रहते थे. लोग लाइक या प्रशंसा में कमेंट करते तो वह और उत्साहित होते. वैसे उन्हें लिखनेपढ़ने का कोई शौक नहीं था. एक दिन उन्होंने फेसबुक खोला तो एक फ्रैंड रिक्वेस्ट आई हुई थी. उन्होंने प्रोफाइल खोल कर देखी, वह किसी लड़की की फ्रैंड रिक्वेस्ट थी. प्रोफाइल में लड़की का सुंदर सा फोटो लगा था. उन की फ्रैंड लिस्ट में तमाम लड़कियां और महिलाएं थीं, लेकिन ये सब वह थीं, जिन्हें प्रशांत ने अपनी ओर से फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. उन्हें किसी लड़की ने पहली बार फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी.

लड़की की फ्रैंड रिक्वेस्ट कन्फर्म कर के वह फेसबुक सर्च कर रहे थे कि मैसेंजर पर एक मैसेज आया. उन्होेंने तुरंत मैसेंजर खोल कर देखा. उसी लड़की का मैसेज था, जिसे उन्होंने थोड़ी देर पहले कन्फर्म किया था. मैसेज में लिखा था, ‘हैलो’.

इस के बाद दोनों के बीच मैसेजबाजी शुरू हो गई. लड़की ने पूछा, ‘‘आप क्या करते हैं?’’

‘‘नौकरी करता हूं. क्यों?’’ प्रशांत ने मैसेज का जवाब मैसेज से दिया.

‘‘कितना वेतन मिलता है आप को?’’ लड़की ने पूछा.

लड़की के इस सवाल पर प्रशांत को गुस्सा गया. उन्होंने मैसेज भेजा, ‘‘मुझ से शादी करनी है क्या, जो मेरे वेतन के बारे में पूछ रही हो?’’

‘‘आप मेरे सवाल से नाराज हो गए?’’ लड़की ने मैसेज भेजा, ‘‘मैं ने तो यूं ही पूछ लिया था. वैसे आप बहुत अच्छे आदमी हैं.’’

‘‘आप को कैसे पता?’’ प्रशांत ने पूछा.

‘‘आप की पोस्ट से पता चला. आप अपनी वाल पर बड़ी अच्छी पोस्ट डालते हैं.’’ लड़की ने मैसेज भेजा.

यह मैसेज पढ़ कर प्रशांत की नाराजगी तुरंत दूर हो गई. उन्होंने भीधन्यवादलिख कर भेज दिया. साथ ही उन्होंने यह भी लिखा, ‘‘आप भी तो बहुत सुंदर हैं. मेरी फ्रैंड लिस्ट में जितनी भी लड़कियां हैं, उन सब से ज्यादा सुंदर.’’

प्रशांत ने यह संदेश लड़की को खुश करने के लिए भेजा था. उन्होंने जानबूझ कर उस की सुंदरता की तारीफ की थी. लड़की नेथैंक्यूके साथ मैसेज में यह भी लिखा, ‘‘आप भी तो बहुत अच्छे हैं और स्मार्ट भी.’’

लड़की की इस तारीफ पर प्रशांत खुश हो गए. मैसेज के माध्यम से दोनों के बीच बातों का दायरा बढ़ा तो बढ़ता ही गया. बातोंबातों में प्रशांत ने कह दिया कि कोई काम हो तो बताना.

 इस पर लड़की ने मैसेज भेजा, ‘‘जो काम बताऊंगी, आप कर देंगे?’’

‘‘मेरे करने लायक हुआ तो जरूर करूंगा.’’ 

प्रशांत के मैसेज भेजते ही लड़की का लंबा सा मैसेज आया, ‘‘मैं हौस्टल में रहती हूं. घर वालों ने जो पैसे दिए थे, खर्च हो गए. आप मेरा फोन रिचार्ज करा दीजिए, प्लीज.’’

‘‘इस से मुझे क्या फायदा होगा?’’ प्रशांत ने पूछा तो उस ने मैसेज भेजा, ‘‘आप से बातें करूंगी. जैसी आप चाहेंगे. वीडियो कालिंग भी.’’

बिना सोचेसमझे मैसेज भेजना भी खतरनाक मैसेजबाजी में बात यहां तक पहुंची कि लड़की कपड़े उतार कर वीडियो कालिंग करने को तैयार हो गई. प्रशांत के साथ ऐसा पहली बार हुआ था. कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने चाहते हुए भी एक मैसेज भेज दिया, ‘‘मैं कैसे मानूं कि आप लड़की ही हैं. फेसबुक पर तो…’’

‘‘आप मुझ पर विश्वास कीजिए, मैं लड़की ही हूं.’’ मैसेज के साथ लड़की का फोटो भी गया. डीपी में भी वही फोटो लगा हुआ था. फोटो देख कर प्रशांत को समझते देर नहीं लगी कि वह फोटो फेसबुक से ही डाउनलोड की गई है. उन्होंने संदेश भेजा, ‘‘ठीक है, आप नंबर दो.’’

‘‘प्लीज, रिचार्ज करा दोगे ?’’ दूसरी ओर से संदेश आया.

‘‘इसीलिए तो नंबर मांग रहा हूं.’’ प्रशांत ने मैसेज भेजा. एक बार प्रशांत ने सोचा भी कि हो हो लड़की परेशानी में हो, इसलिए 3 महीने का नहीं तो एक महीने का पैक डलवा देते हैं.

लेकिन तुरंत उन के दिमाग में आया कि उन के रिचार्ज कराते ही उस ने उन्हें ब्लौक कर दिया तो. उन्होंने यह आशंका मैसेज द्वारा प्रकट की तो लड़की का संदेश आया, ‘‘मां कसम मैं ऐसा नहीं करूंगी. आप जिस तरह चाहेंगे, आप से उस तरह बातें करूंगी.’’

प्रशांत का दिमाग बड़ी तेजी से चल रहा था. वह समझ गए कि यह कोई फ्रौड है, वरना 400 रुपए के लिए कोई लड़की कपड़े उतार कर वीडियो काल क्यों करेगी? उन्होंने यह देखने के लिए उस से उस का नंबर मांग लिया कि वह नंबर देती है या नहीं. प्रशांत के मांगते ही उस ने नंबर के साथ शहर और कंपनी का नाम भी भेज दिया. थोड़ी देर बाद उन्होंने उस नंबर पर फोन किया. फोन उठा तो लड़के की आवाज आई. उन्होंने उसे धमका कर फोन काट दिया. इस के बाद उन्होंने इस बात की चर्चा अपने कुछ साथियों से की तो सब ने कहा कि वे बच गए. इस तरह के मैसेज अकसर आते रहते हैं और यह सब लड़के करते हैं.

इस से प्रशांत को पता चल गया कि फेसबुक मात्र दोस्तों को मिलाने, अपने विचार रखने और दूसरों के विचार जानने का ही मंच नहीं है. इस के माध्यम से बहुत कुछ होता हैनीरज की अलग कहानी प्रशांत की ही तरह नीरज भी फेसबुक पर काफी समय बिताते थे. उन की उम्र प्रशांत से कुछ ज्यादा थी. वह नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके थे, इसलिए अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर ही बिताते थे. इस की एक खास वजह यह थी कि उन की फ्रैंड लिस्ट में कुछ ऐसे लड़के और कथित लड़कियां (जिन के नाम तो लड़कियों के थे, असल में वे लड़के थे) थीं. जिन से वह अश्लील चैट करते थे.

नीरज की फ्रैंडलिस्ट में एक लड़का था, जिस का नाम पीयूष मिश्रा था. उसी ने नीरज को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजी थी. प्रोफाइल के हिसाब से लड़का ठीकठाक लगा था. इसलिए उन्होंने उस की रिक्वेस्ट कन्फर्म कर दी थी. एक सुबह वह फेसबुक सर्च कर रहे थे, फेसबुक से जुड़े मैसेंजर पर मैसेज आया. खोलने पर पता चला कि पीयूष मिश्रा ने गुडमार्निंग का संदेश भेजा था. उन्होंने भी जवाब में गुडमार्निंग लिख दिया. इस के बाद दोनों के बीच मैसेजबाजी का सिलसिला जुड़ा तो बात अश्लील मैसेजों पर जा कर रुकी. इस के बाद पीयूष ने अश्लील मैसेज भेजने शुरू कर दिए. नीरज ने सोचा था, सच्चाई जान कर उसे ब्लौक कर देंगे. पर जब संदेशों का आदानप्रदान होने लगा तो उन्हें भी मजा आने लगा. उन के लिए यह टाइम पास करने का साधन बन गया था

जैसेजैसे बात बढ़ती गई दोनों एकदूसरे से खुलते गए. नीरज ने पीयूष से ही बात करने के लिए मैसेंजर डाउनलोड कर लिया. जिस से मैसेज करने में ही नहीं, फोटो और वीडियो भेजने में आसानी रहे. जल्दी ही उन की हालत यह हो गई कि दोनों एकदूसरे को दिगंबर अवस्था में अपनेअपने फोटो भेजने लगे. फेसबुक की हकीकत जान कर नीरज फेसबुक पर ढूंढ कर स्मार्ट लड़कों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने लगे. रिक्वेस्ट कन्फर्म होने पर वह मैसेज भेज कर इसी तरह की बातें करने को उकसाते. ज्यादातर लड़के इस तरह की बातें करने से मना कर देते. जो तैयार हो जाते, उन से अश्लील चैट कर के वह अपना समय पास करते हैं.

नीरज इस तरह की चैटिंग में ऐसे रम गए कि उन्हें लगा कि फेसबुक सिर्फ इसी के लिए है. जो उन के मानमाफिक बातें करने से मना कर देता, तो उसे वह तुरंत ब्लौक कर देते. क्योंकि उन के लिए वह फालतू का आदमी होता था. इस तरह की अश्लील चैटिंग मात्र लड़के या बड़ी उम्र के पुरुष ही नहीं करते, कुछ महिलाएं और लड़कियां भी करती हैं, जो ऐसी चैटिंग कर के मजे लेती हैं. फेसबुक यानी सोशल मीडिया पर यह सब क्यों, कैसे और क्याक्या होता है, यह जानने से पहले आइए थोड़ा सोशल मीडिया के बारे में जान लेते हैं. क्योंकि लगभग सभी के मन में यह उत्सुकता होती है कि आखिर यह सोशल मीडिया है क्या?

सोशल मीडिया का अस्तित्व कहना गलत नहीं होगा कि सोशल मीडिया का अस्तित्व इंटरनेट की वजह से है. क्योंकि इंटरनेट से ही सोशल मीडिया चलता है. इंटरनेट पर विश्व की कुछ ऐसी जानीमानी वेबसाइटें हैं, जिन्होंने हमें सोशल मीडिया से अवगत कराया. इन में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप, यूट््यूब, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट जैसी कई वेबसाइटें हैं. ये सभी वेबसाइटें मिल कर इंटरनेट के जमाने में सोशल मीडिया बनाती हैं. आज सोशल मीडिया एक ऐसा साधन बन गया है, जब आम आदमी भी अपने दिल की बात दुनिया के सामने रख सकता है और इस के लिए उसे किसी तरह की मेहनत भी करने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, इस सोशल मीडिया ने बहुत लोगों को रातोंरात स्टार बना दिया है. क्योंकि सोशल मीडिया पर किसी की फोटो या वीडियो वायरल होने में समय नहीं लगता.

यही नहीं, सोशल मीडिया ऐसे तमाम लोगों को भी सामने लाया है, जिन की प्रतिभा कोई नहीं जानता था. यूट्यूब एक ऐसी वेबसाइट है, जिस के माध्यम से लोग करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, जबकि यह वेबसाइट औनलाइन डेटिंग के लिए बनाया गया था. लेकिन इसे गूगल ने खरीद लिया, जिस के बाद यह लोगों की कमाई का जरिया बन गया. अब आते हैं सोशल वेबसाइट फेसबुक पर. इस वेबसाइट के जरिए घर बैठे हजारों दोस्त बनाए जा सकते हैं. इस समय सोशल मीडिया में फेसबुक नंबर एक पर है. क्योंकि इस के यूजर्स सब से ज्यादा हैं. लेकिन सेलिब्रिटी और बड़ी हस्तियों की बात की जाए तो उन की पहली पसंद ट्विटर है. ट्विटर के जरिए ही वे अपनी बात आम लोगों और दुनिया के सामने रखते हैं. सोशल मीडिया द्वारा हम जो दोस्त बनाते हैं. उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.

आमतौर पर फेसबुक पुराने मित्रों को खोजने, उन से जुड़ने और परिचितों के साथ संदेश और चर्चा करने के लिए उत्तम माध्यम है. इस माध्यम से लोग अपने फोटो, वीडियो और पसंद की अन्य चीजें, समाचार, जानकारियां और रचनाएं अपने मित्रों के साथ शेयर कर सकते हैं. मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक पुराने दोस्तों को खोजने, संपर्क करने, नए दोस्त बनाने और अपने विचार आसानी से दुनिया के सामने रखने और बिजनैस प्रमोशन के लिए किया था. यह अलग बात है कि हमारे यहां लोग इस का उपयोग दूसरे तरीके से करने लगे हैं. इसीलिए फेसबुक आज युवाओं की पहली पसंद बन चुका है. वे रात ढाईतीन बजे तक सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं. इस में लड़केलड़कियां ही नहीं, बड़ी उम्र के पुरुष और गृहिणियां भी शामिल हैं.

जो लड़केलड़कियां घर से बाहर रहते हैं, उन्हें तो किसी का कोई डर नहीं है. इसलिए वे इस में खासा समय गंवाते हैं. ऐसा ही हाल उन पुरुषों का है जो परिवार से दूर अकेले रहते हैं. इसी तरह वे गृहिणियां भी इस का खूब आनंद लेती हैं, जिन के पति बाहर रहते हैं. इस की मुख्य वजह है चैटिंग, औडियो वीडियो कालिंग, अश्लील चैटिंग. इस के बारे में हर किसी को पता नहीं. लेकिन जिन्हें पता है, वे इस तरह के साथी खोज निकालते हैं, जो उन की पसंद की बातें करते हैं. विकास को भी पहले इस बारे में कुछ पता नहीं था. उस ने तो अपने दोस्तों से जुड़ने के लिए फेसबुक डाउनलोड किया था. दोस्तों से चैट के लिए वह मैसेंजर का उपयोग करता था.

दो दोस्तों की कहानी एक दिन वह अपने दोस्त रवि से चैटिंग कर रहा था, उसी दौरान उस ने विकास को कुछ फोटो भेजे. वे फोटो देख कर विकास यह सोच कर हैरान रह गया कि ये फोटो रवि के पास कहां से आए. फोटो एक 30-32 साल की महिला के थे, जिस के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. गले में मंगलसूत्र जरूर लटक रहा था, जिस से साफ पता लगता था कि वह शादीशुदा थी. हां, उस ने इतना जरूर किया था कि गरदन के ऊपर का हिस्सा काट दिया, जिस से उसे कोई पहचान सके.

फोटो देख कर विकास ने रवि से पूछा, ‘‘ये किस के फोटो हैं, तुझे कहां से मिले?’’

‘‘एक फेसबुक फ्रैंड ने भेजी हैं,’’ रवि ने कहा तो विकास ने मैसेज द्वारा हैरानी व्यक्त की, ‘‘फेसबुक फ्रैंड इस तरह के भी फोटो भेजती हैं?’’

‘‘वह मुझ से अश्लील चैटिंग करती थी. ऐसे में मैं ने उस से फोटो भेजने को कहा तो उस ने ये फोटो भेज दिए.’’ रवि ने बताया.

‘‘तू ने भी इसी तरह के अपने फोटो भेजे होंगे?’’ विकास ने पूछा.

  ‘‘नहीं, उस ने मांगे ही नहीं, इसलिए मैं ने नहीं भेजे.’’

  ‘‘अगर मांगे तो…?’’

‘‘पहले तो टालूंगा, नहीं मानी तो भेजना ही पड़ेगा. ऐसे दोस्त को छोड़ा तो नहीं जा सकता.’’ रवि ने मैसेज से जवाब दिया.

रवि से यह बात होने के बाद विकास की भी इस तरह की लड़कियों और औरतों से चैटिंग करने की इच्छा हुई. वह खोज में जुट गयाआखिर उस की मेहनत रंग लाई और अब उस की ऐसी कई महिला मित्र हैं, जो उस से अश्लील चैटिंग करती हैं. अब विकास दिन में तो इन से चैटिंग करता ही है, रात को भी देर तक मोबाइल पर लगा रहता है. मित्र बनाने के लिए उस ने वही तरीका अपनाया था, जैसा उस के दोस्त ने बताया था. मित्र यानी रवि द्वारा दी गई सलाह के अनुसार विकास ढूंढढूंढ कर फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता. कन्फर्म होने पर पहले वह उन के मैसेज बौक्स में हायहैलो और गुड मार्निंग के मैसेज भेजता. जवाब जाता तो वह पूछता, ‘‘कहां से हो, कैसी हो, क्या करती हो?’’

इन के भी जवाब जाते तो विकास समझ जाता कि महिला बात करने में उत्सुकता दिखा रही है. आगे पूछता, ‘‘आप के शौक यानी आप को क्या पसंद है?’’

इन सवालों के जवाब मिल जाते तो विकास को सारा रहस्य समझ में जाता और फिर शुरू हो जाती चैटिंग. चैटिंग होतेहोते ही फोटो के आदानप्रदान होने लगते हैं. कुछ दिनों बाद बिना कपड़ों के फोटो भेजे जाते हैं. यह सब अच्छा तो बहुत लगता है, लेकिन इस में खतरा भी बहुत है. लोग मजे लेने के लिए उत्तेजना में ऐसे फोटो भेज देते हैं, लेकिन कभीकभी इस तरह के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाते हैं या फिर लोग ब्लैकमेल होने लगते हैं. जिस से बदनामी तो होती ही है, घर तक छूट जाते हैं.

सुमन का भी कुछ ऐसा ही मामला है. घर में अकेली होने की वजह से उसे चैटिंग का चस्का लग गया था. पति सुबह निकल जाते तो रात साढ़े 10-11 बजे घर लौटते थे. घर में काम करने के लिए कामवाली आती थी. पति का दोनों टाइम का खाना लगभग बाहर ही यानी आफिस कैंटीन में होता था. सुमन का कोई बच्चा भी नहीं था, जो उसी के साथ समय कट जाता. पति के जाने के बाद रात साढ़े 10-11 बजे तक सुमन घर में अकेली रहती थी. कोई कामधाम भी नहीं रहता था. दोपहर का खाना वह कामवाली से बनवा लेती थी. टीवी भी कितना देखती. टीवी से ऊब जाती तो फोन में लग जाती.

फेसबुक, वाट्सऐप पर समय बिताती, पति से उस की चैटिंग होती ही रहती थी. इस के बावजूद कुछ सहेलियां थीं, जिन से वह चैटिंग करती थी. उस के मैसेंजर पर अन्य लोगों के भी मैसेज आते रहते थे. जिन्हें वह बिना देखे ही डिलीट कर दिया करती थी. एक दिन वह बोर हो रही थी तो इनबौक्स में पडे़ पेंडिंग मैसेज खोल कर पढ़ने लगी. इसी बीच एक और मैसेज आया तो टाइम पास के लिए उस ने उस का जवाब दे दिया. इस के बाद एकदूसरे का हालचाल पूछा गया. सुमन ने उस आदमी की प्रोफाइल खोल कर देखी तो प्रोफाइल के हिसाब से वह ठीकठाक लगा. फिर तो सुमन की उस आदमी से चैटिंग होने लगी. शुरूशुरू में यह चैटिंग समान्य रही, लेकिन कुछ ही दिनों में यह बैडरूम तक पहुंच गई यानी अश्लील चैटिंग होने लगी.

सुमन को भी इस में मजा रहा था, क्योंकि उस का समय आसानी से कट जाता था. पुरुष तो वैसे भी चालाक होता है. उस की नजर हमेशा स्त्री देह पर होती है. उस आदमी ने भी सुमन को बरगला कर उस के निर्वस्त्र फोटो प्राप्त कर लिए. पुरुषों में सब से गंदी आदत यह होती है कि इस तरह की बातें वे छिपा कर यानी अपने दिल तक नहीं रख पाते. दोस्तों पर रौब जमाने के लिए वे इस तरह की बातों को बढ़ाचढ़ा कर बताते हैं. इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. विकास के मामले की तरह सुमन से चैटिंग करने वाले उस आदमी ने सुमन के फोटो दोस्तों में बांट दिए.

चैटिंग में पुरुष भी बन जाते हैं महिलाएं नतीजतन सुमन के फोटो एकदूसरे से होते हुए आगे बढ़ते गए और वायरल हो कर वे उस के पति के परिचित तक पहुंच गए. इस से सुमन की बड़ी बदनामी हुई. अच्छा यह था कि पति समझदार था, जिस से घर टूटने से बच गया. इस तरह सोशल मीडिया का चस्का और मजा सुमन के लिए सजा बन गया. सुमन के तो फोटो ही वायरल हुए पर राजेश के साथ जो हुआ, वह किसी से कह भी नहीं सकता. उसे तो इस तरह ब्लैकमेल किया गया कि पैसे भी दिए और इज्जत भी गंवाई. राजेश युवा था, इसलिए वह लड़कियों को ही फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता था और फिर उन्हें मैसेज भेज कर बातें करने की कोशिश करता था. ऐसे ही उस की सुनीता नाम की एक लड़की से चैटिंग होने लगी

इस तरह के मामले में अकसर लोग लड़कियों के फोटो मांगते हैं, पर यहां उल्टा हुआ. सुनीता ने राजेश से उस के इस तरह के फोटो मंगवा लिए, जिन्हें देख कर कोई भी शरमा जाए. राजेश सुनीता के प्यार में इस कदर पागल था कि उस ने अपना पूरा फोटो उसे भेज दिया यानी चेहरे सहित. इस का नतीजा यह निकला कि सुनीता उसे ब्लैकमेल कर के पैसे ऐंठने लगी. यह बात यहीं तक सीमित नहीं रही. राजेश पढ़ाई कर रहा था, इसलिए वह ज्यादा पैसे कहां से देता. उस ने हाथ जोड़ लिए. तब सुनीता ने मिलने के लिए संदेश भेजा, ‘‘तुम ने मुझे बहुत पैसे दिए हैं. इसलिए मैं चाहती हूं कि तुम मुझ से कम से कम एक बार तो मिल लो. तुम्हें भी तो पैसे के बदले कुछ मिल जाए.’’

राजेश ने सोचा, चलो कुछ तो सुनीता ने उस पर दया की. वह सुनीता से मिलने उस के घर पहुंचा तो पता चला, वह लड़की नहीं 40 साल का आदमी था. कुछ मिलने की उम्मीद में गए राजेश को काफी कुछ गंवाना पड़ा. उस आदमी ने राजेश के साथ कुकर्म भी किया. वह आगे भी राजेश को परेशान करना चाहता था. लेकिन अब तक परेशान हो चुके राजेश ने उसे धमकी दे दी कि कुछ भी हो, अगर उस ने पैसे मांगे या किसी भी तरह परेशान किया तो वह उस की शिकायत पुलिस में कर देगा. राजेश की यह धमकी कारगर साबित हुई और उस आदमी ने राजेश के फोटो डिलीट कर दिए.

राजेश तो मात्र एक उदाहरण है. उस की तरह जाने कितनी लड़कियां और महिलाएं थोड़ा मजा लेने के चक्कर में ब्लैकमेल तो हो ही रही हैं, दुष्कर्म का शिकार होती हैं. अपनी जरा सी गलती की वजह से वे मुंह भी नहीं खोल पातीं. कई बार लड़कियों को मांबाप की कमाई भी चोरी कर के देनी पड़ती है. इस तरह की खबरें तो आए दिन अखबारों में पढ़ने को मिल रही हैं कि फेसबुक पर हुई दोस्ती के बाद लड़की को बुला कर नशीला पदार्थ दे कर दुष्कर्म कियामजे की बात तो यह है कि फेसबुक पर फ्रैंड लिस्ट में पता ही नहीं चलता कि फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने वाली लड़की है या लड़का या जिसे फ्रैंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं, वह कौन है.

इस बारे में कई लड़कियों से पूछने पर पता चला, उन के पास दिन में 50 से 60 फ्रैंड रिक्वेस्ट जाना आम बात है. कहने को तो ये सभी रिक्वेस्ट लड़कियों की होती हैं, जबकि असलियत यह होती है कि उन में एक भी लड़की नहीं होती. आज ज्यादातर लड़के या अश्लील चैटिंग करने वाले लड़की के नाम से फेसबुक आईडी बना कर प्रोफाइल में सुंदर लड़की की फोटो लगा देते हैं, जिस से कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि वह लड़की है या लड़का. इस का पता चैटिंग करने पर चलता है. क्योंकि लड़का जल्दी ही अश्लील चैटिंग करने लगता है

चैटिंग शुरू होते ही हायहैलो के बाद पहला सवाल यही होता है लड़का या लड़की. कुछ तो तुरंत बता देते हैं. लेकिन धूर्त टाइप के लड़के नहीं बताते. वे भी यही सवाल करते हैं. फिर जैसा जवाब मिलेगा. वैसा जवाब दे कर थोड़ी देर चैटिंग करेंगे. उस के बाद कहेंगे, ‘‘दीदी, आप से मेरा भाई या ब्वायफ्रैंड बात करना चाहता है.’’ इस के बाद अपना फोटो भेज कर पूछेंगे, ‘‘कैसा लगता है?’’

एक सर्वे के अनुसार सुंदर फोटो लगे जितने भी फेसबुक पेज हैं, उन में 99 प्रतिशत लड़कों के हैं. कोई भी लड़की या महिला किसी अजनबी लड़की या महिला को जल्दी फ्रैंड रिक्वेस्ट नहीं भेजती. इसलिए फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजने या स्वीकारने के पहले यह जरूर सोच लें कि जो शुरुआत ही गलत काम से हो रहा हो, उस के इरादे नेक नहीं हो सकते. यमुना ने लिखी बरबादी की स्क्रिप्ट इस तरह छोटामोटा मजा कभीकभी ऐसी सजा बन जाता है कि किसी की जान जाती है तो कइयों की जिंदगी बरबाद होने के साथ घरपरिवार तबाह हो जाता है. हरियाणा के रोहतक में अभी कुछ दिनों पहले ऐसा ही हुआ. रोहतक के सूर्यनगर की रहने वाली यमुना की समालखा के इनेलो नेता के मौल में सिक्योरिटी सुपरवाइजर की नौकरी करने वाले दीपक से फेसबुक पर दोस्ती हो गई

यमुना के पति सुरेश कुमार सीआरपीएफ में डीएसपी थे. वह जम्मू में तैनात थे. पति के बाहर रहने की वजह से यमुना सोशल मीडिया पर खासा समय बिताती थी. ऐसे में ही दीपक से उस की दोस्ती हो गई. पहले दोनों की मैसेंजर चैटिंग होती थी. साथ ही वाट्सऐप पर चैटिंग भी. कभीकभी दोनों की फोन पर बातें हो जाती थीं.  इस सब के चलते मिलने की बातें करने लगे. अंतत: यमुना दीपक से मिलने को राजी हो गई. दीपक तो उस से मिलने के लिए बेचैन था ही. दोनों की यह बात चल ही रही थी कि यमुना के पति सुरेश ने फोन कर के बताया कि वह एक महीने की छुट्टी ले कर घर रहे हैं. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि वह किस तारीख को आएंगे. पति के आने से यमुना और दीपक के मिलने का प्रोग्राम एक महीने टल सकता था, इसलिए यमुना ने सोचा, वह पति के आने से पहले ही अपने इस नए प्रेमी से मिल ले.

यमुना ने 29 सितंबर की रात दीपक को बुला लिया. दीपक अपने एक दोस्त काली के साथ रहता था. काली से मौल जाने की बात कह कर दीपक अपनी मोटरसाइकिल से यमुना से मिलने निकल गया. रोहतक पहुंच कर उस ने मोटरसाइकिल बस अड्डे पर खड़ी कर दी. क्योंकि यमुना ने मना किया था कि वह किसी वाहन से नहीं आएगा, क्योंकि वाहन देख कर लोगों को शक हो सकता है. इस के बाद वह यमुना के घर पहुंच गया.दीपक ने रात यमुना के साथ उस के घर में बिताई. सुबह वह यमुना के घर से निकल पाता, उस के पहले ही उस का पति सुरेश कुमार घर गया. पत्नी के साथ किसी अजनबी को देख कर सुरेश कुमार ने दोनों को घर के अंदर बंद कर दिया और ससुराल वालों को इस बात की सूचना दे दी. यमुना ने गलती तो की ही थी. इस गलती को छिपाने के लिए उस ने एक और भयंकर गलती कर डाली.

इज्जत बचाने के लिए उस ने दीपक को जबरदस्ती सल्फास की गोली खिला दी, जिस से उस की मौत हो गई. कहते हैं दीपक जान बचाने के लिए गुहार लगा रहा था, लेकिन सुरेश घर के बाहर ही बैठा था. इसलिए मदद के लिए कोई नहीं सका. साले के आने पर सुरेश कुमार ने दरवाजा खोला तो दीपक को मरा हुआ पाया. निर्दोष फौजी पति भी फंस गया बीवी की वजह से इज्जत बचाने के लिए सुरेश कुमार ने साले की मदद से लाश को स्कूटी से ले जा कर ठिकाने लगा दिया. इन लोगों का सोचना था कि पुलिस उन तक नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन लाश मिलने पर पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो काल डिटेल्स और फोन की लोकेशन से यमुना तक पहुंच गई. सख्ती से की गई पूछताछ में सारा रहस्य खुल गया.

इस तरह सोशल मीडिया पर मजा लेने के चक्कर में उस ने जो गलती की, उस के लिए वह खुद तो जेल गई ही, अच्छीभली नौकरी वाले पति तथा भाई को भी जेल भेज दिया. देखा जाए तो यमुना के लिए सोशल मीडिया का मजा सजा बन गया. अच्छाखासा घर बरबाद कर दिया. दूसरी ओर दीपक को भी जान से हाथ धोना पड़ा. इस सब के अलावा एक चीज अकसर देखने को मिलती है. फेसबुक पर किसी सुंदर लड़की के फोटो के साथ एक मोबाइल नंबर दिया रहता है, जिस के साथ लिखा रहता है कि जिसे मुझ से दोस्ती करनी हो इस नंबर पर वाट्सऐप करे. उस नंबर पर मैसेज करते ही तुरंत जवाब आएगा, ‘अगर आप को मुझ से बातें करनी है तो आप 2000 रुपए पेटीएम करें.’ मांगने पर लड़की, अपने उत्तेजक फोटो भी भेज देगी. पर पैसे मिलने पर गालियां दे कर ब्लौक कर देगी.

इसी तरह यह भी लिखा मिल जाएगा कि मेरा मोबाइल नंबर 7599760333 है. मैं 200 रुपए ले कर वीडियो सैक्स करती हूं. जिस के पास पेटीएम हो, वह मुझे वाट्सऐप करे. लोग बिना मतलब परेशान करते हैं. इसलिए पैसे मिलने के बाद ही मैं फोटो भेजूंगी. अगर पैसे भेजने से पहले मैसेज किया तो ब्लौक कर दूंगी. यह सब तो लड़कियों की बातें हैं. इसी तरह की सूचनाएं लड़के भी अश्लील फोटो के साथ अपनी प्रोफाइल पर फोन नंबर के साथ देते हैं. इस में जिगोलो यानी कालबौय भी होते हैं और गंदी चैट करने वाले भी होते हैं.  सोशल मीडिया का सशक्त माध्यम कहे जाने वाले फेसबुक के माध्यम से ठगी भी होती है. किसी को सस्ता सामान या मकान दिलाने के बहाने ठगा जाता है तो किसी को शादी के नाम पर तो किसी को प्यार के नाम पर. सारा कुछ देखते हुए यही कहा जा सकता है कि बडे़ धोखे हैं इस राह में

   

Suicide story : करवाचौथ पर पति नहीं आया तो पत्‍नी ने गले में लगाया फंदा

Suicide story :  कहावत है कि डोर से कटी पतंग का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता. वह कहीं जा कर गिरे तो भी किसी काम की नहीं बचती. अपनी गृहस्थी की डोर को काट कर भागी मोहसिना का भी यही हश्र हुआ. कैसे…

18 अक्तूबर, 2019 को करवाचौथ था. खुशी उर्फ मोहसिना बानो ने भी पहली बार व्रत रखा था. मोहसिना बानो मुसलिम थी. उस ने अपनी मरजी से महेंद्र को पति के रूप में चुना था. चूंकि उस ने महेंद्र से शादी कर ली थी, इसलिए अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. महेंद्र से शादी के बाद वह लखनऊ के थाना सरोजनी नगर क्षेत्र के गांव दादूपुर की नई कालोनी में रहने लगी थी. पति की दीर्घायु के लिए उस ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा था. पड़ोसी महिलाओं से पूछ कर उस ने दिन में पूजा वगैरह भी की थी.

लाल रंग के जोड़े में सजनेसंवरने के बाद उस ने अपने पैरों में महावर लगाई, मांग में गहरे लाल रंग का सिंदूर भरा. साजशृंगार के बाद वह काफी खूबसूरत लग रही थी. शाम के 7 बज चुके थे लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा था. भूखे पेट रह कर उस ने महेंद्र का मनपसंद खाना भी बना लिया था. उसे महेंद्र के लौटने का इंतजार था ताकि चंद्रमा निकलने पर वह अर्ध्य दे सके. खुशी मन ही मन काफी उल्लासित थी. उस ने कई बार महेंद्र को फोन किया, लेकिन बात नहीं हो पाई. शाम को 5 बजे भी उस ने काल रिसीव नहीं की. पति के फोन न उठाने पर खुशी को बहुत गुस्सा आया. काफी देर बाद महेंद्र ने उस की काल रिसीव की तो खुशी ने इतना ही कहा कि तुम घर जल्दी आ जाओ. मैं इंतजार कर रही हूं. इतना कह कर खुशी ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

चंद्रमा निकल आया, लेकिन महेंद्र घर नहीं लौटा. पड़ोस की सभी महिलाएं अपनेअपने पति को देख कर चंद्रमा को अर्घ्य दे रही थीं. लेकिन खुशी पति के न आने से परेशान थी. वह खुशी की काल भी रिसीव नहीं कर रहा था. खुशी सोचसोच कर परेशान थी कि कम से कम आज पूजा के समय तो उन्हें घर पर होना चाहिए था. चंद्रमा निकलने के 2 घंटे बाद भी महेंद्र घर नहीं लौटा तो खुशी ने उसे गुस्से में वाट्सऐप मैसेज भेजे, उन का भी उस ने कोई जवाब नहीं दिया. रात करीब 12 बजे महेंद्र घर लौटा तो वह इस स्थिति में नहीं था कि पत्नी खुशी से कुछ कह सके.

अगले दिन लखनऊ के ही थाना बंथरा के निकटवर्ती जंगल में पुराहीखेड़ा से नरेरा गांव की तरफ जाने वाले रास्ते पर लोगों ने सुबहसुबह एक युवती का शव पड़ा देखा. शव खेत की सिंचाई के लिए बनाई गई नाली में अर्द्ध नग्नावस्था में था. किसी ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. सूचना पा कर थाना बंथरा के थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत अपने साथ इंसपेक्टर (क्राइम) प्रहलाद सिंह, एसएसआई शिव प्रताप सिंह, एसआई अरुण प्रताप सरोज, सिपाही जी.एल. सोनकर, हैडकांस्टेबल अरविंद कुमार और अविनाश चौरसिया को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचे.

पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण किया तो देखा,युवती के हाथपैरों में महावर और मेहंदी लगी थी. उस का चेहरा थोड़ा सा झुलसा हुआ था. मेहंदी रची हथेली पर ‘एम’ लिखा हुआ था. माथे पर बिंदी और मांग में सिंदूर था. घटनास्थल पर शव के पास नीले रंग की पालीथिन में एसिड की 3 खाली शीशियां मिली थीं, जिन में से एक शीशी में बचा हुआ थोड़ा सा एसिड था. लाश के पास ही नीले रंग का एक पर्स भी पड़ा मिला. पर्स की तलाशी ली गई तो उस में एक मोबाइल फोन मिला. पुलिस ने मौके पर मिला फोन और शीशियां अपने कब्जे में ले लीं.

निरीक्षण में पुलिस को युवती के गले पर किसी चीज के कसने के गहरे निशान दिखे. नाक से खून रिस कर सूख चुका था. उस के पैरों में न तो पायल थीं न ही बिछिया. नाक में सोने का एक फूल जरूर नजर आ रहा था. पुलिस ने वहां जमा भीड़ से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे नहीं पहचान सका. पुलिस ने अनुमान लगाया कि युवती शायद कहीं बाहर की रहने वाली रही होगी. उस की हत्या कहीं और कर, शव यहां ला कर फेंक दिया है.

पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया. इस के बाद थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत ने महिला की बरामद की गई लाश के फोटो जिले के सभी थानों में भेजने के अलावा वाट्सऐप पर डाल दिए ताकि उस की शिनाख्त हो सके. इस के अलावा अज्ञात महिला की लाश बरामद करने की सूचना समाचारपत्रों में भी प्रकाशित करा दी. 22 अक्तूबर, 2019 को 2 व्यक्ति थाना बंथरा पहुंचे. थानाप्रभारी रमेश कुमार रावत ने उन से पूछा तो उन में एक व्यक्ति ने अपना नाम मुश्ताक अहमद बताया. वह गांव हामी का पुरवा जगदीशपुर, जिला अमेठी का रहने वाला था. उस ने अखबार में छपी युवती की तसवीर दिखाते हुए बताया कि ये जो फोटो छपी है, मेरी बेटी मोहसिना बानो (27) की है.

मुश्ताक अहमद ने आगे बताया कि करीब 8 साल पहले उस ने मोहसिना बानो का निकाह अपने गांव के ही मोहम्मद नसीम के साथ किया था. निकाह के बाद वह अपने शौहर के साथ मुंबई में रहने लगी थी. अब से करीब 4 महीने पहले मोहसिना मुंबई से कहीं गायब हो गई थी. हम सब ने उसे काफी तलाश किया, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. जब उस की कहीं से कोई जानकारी नहीं मिली तो दामाद मोहम्मद नसीम ने 29 जून, 2019 को पवई (मुंबई) थाने में मोहसिना के गुम होने की सूचना लिखाई थी.

मुश्ताक ने आगे बताया कि साथ आए मेरे भतीजे अरमान ने अखबार में छपी तसवीर पहचानी तो हम लोग यहां आए. मुझे विश्वास है कि मोहसिना मुंबई से जिस व्यक्ति के साथ भागी थी, उसी ने उस की हत्या कर लाश खेतों में डाली होगी. थानाप्रभारी ने मुश्ताक अहमद को मोर्चरी ले जा कर लाश दिखाई तो उस ने लाश की शिनाख्त अपनी बेटी मोहसिना के रूप में कर दी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने मुश्ताक की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मामला दर्ज कर लिया. मुकदमा दर्ज हो गया तो थानाप्रभारी ने खुद ही इस केस की जांच शुरू कर दी.

थानाप्रभारी ने सब से पहले मृतका के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. उस से पता चला कि उस की ज्यादा बातें महेंद्र से होती थीं. महेंद्र भेलपुर कालोनी (जगदीशपुर) का रहने वाला था. पुलिस ने महेंद्र के बारे में पूछताछ की तो पता चला वह मोहसिना का पति था. उसी के साथ मोहसिना मुंबई से भाग कर आई थी और अपना नाम खुशी रख कर उसी के साथ रह रही थी. महेंद्र भी शादीशुदा था. उस की पहली पत्नी गांव में रहती थी. यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने महेंद्र की काल डिटेल्स देखी तो पता चला कि संदीप नाम के युवक से महेंद्र की अकसर बातें होती थीं. जांच करने पर पता चला कि संदीप अमेठी जिले के गांव नियावा का रहने वाला था, जो महेंद्र की बोलेरो चलाता था.

इन दोनों से पूछताछ करने के बाद ही जांच आगे बढ़ सकती थी. लिहाजा पुलिस ने इन दोनों की तलाश शुरू कर दी. दोनों में से कोई भी घर पर नहीं मिला तो उन की खोजखबर के लिए मुखबिर लगा दिए गए. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को रात करीब 12 बजे दोनों को दादूपुर गांव के शराब ठेके के पास से हिरासत में ले लिया. महेंद्र और संदीप से मोहसिना के बारे में पूछताछ की गई तो महेंद्र ने बताया कि उस ने मोहसिना की हत्या नहीं की थी. करवाचौथ वाली रात को जब वह घर पहुंचा तो वह मृत अवस्था में थी. उस ने तो उस की लाश केवल ठिकाने लगाई थी. दोनों से विस्तार से पूछताछ के बाद मोहसिना की मौत की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार थी.

मोेहसिना बानो जनपद अमेठी के गांव हामी का पुरवा, जगदीशपुरके रहने वाले मुश्ताक अहमद की बेटी थी. मोहसिना अपने परिवार में सब से बड़ी थी. उस के अलावा उस की 2 बहनें व एक भाई और था. मोहसिना आधुनिक विचारों की महत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह बहुत चतुर दिमाग की थी. घर के रोजमर्रा के काम निपटाने के बाद वह वाट्सऐप व फेसबुक पर लगी रहती थी. फेसबुक पर नएनए लोगों से दोस्ती कर के उन से घंटों बातें करना उस का शगल बन गया था. कभीकभी तो वह किसी से फोन पर घंटों बातें किया करती थी. एक दिन उस की अम्मी नूरजहां ने उस की फोन पर हो रही रोमांस भरी बातें सुन लीं.

तब उन्होंने झल्लाते हुए मोहसिना को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘तुझे दीनमजहब की बातों का बिलकुल डर नहीं है. पता नहीं किसकिस से बतियाती रहती है. तेरी यह बातें ठीक नहीं हैं, इन बातों से बदनामी के सिवा कुछ नहीं मिलता.’’

एक दिन यह बात नूरजहां ने अपने पति मुश्ताक अहमद को बताई और कहा कि मोहसिना के लिए अब कोई लड़का देख लो. कहीं ऐसा न हो कि हम हाथ मलते ही रह जाएं. पत्नी की बात सुन कर मुश्ताक अहमद की चिंता बढ़ गई. वह मोहसिना के लिए लड़का देखने लगे. इसी दौरान मुश्ताक के भतीजे अरमान ने अपने खानदानी भाई नसीम के बारे में चर्चा की. नसीम मुंबई में रहता था.

इस के बाद मुश्ताक ने नसीम के पिता सुलेमान से बात की. बात परिवार की थी, इसलिए सुलेमान मोहसिना के साथ बेटे का विवाह करने के लिए तैयार हो गए. सामाजिक रीतिरिवाज से सन 2011 में मोहसिना का निकाह नसीम से कर दिया गया. शादी के कुछ दिनों बाद नसीम मोहसिना को अपने साथ मुंबई ले गया. वह मुंबई के पवई इलाके में रहता था. मोहसिना मुंबई क्या पहुंची, जैसे उसे खुशियों का जहां मिल गया. उस ने शौहर नसीम के साथ अपनी जिंदगी के 8 साल हंसीखुशी से बिता दिए. इस दौरान वह 3 बेटों की मां बन गई. मुंबई में रह कर वह पूरी तरह आजाद हो गई. नसीम के काम पर चले जाने के बाद वह सैरसपाटा करने निकल जाती और शाम को वापस लौटती.

साल 2018 दिसंबर की बात है. परिवार में किसी की शादी का कार्यक्रम था. मोहसिना अपने शौहर के साथ मुंबई से अपने गांव हामी का पुरवा जगदीशपुर आई हुई थी. शादी के बाद नसीम उसे एकदो महीने के लिए उस के मायके में छोड़ गया. मोहसिना की ससुराल भी गांव में थी, इसलिए कुछ दिन वह ससुराल में भी रह लेती थी. अब वाट्सऐप पर बातें करना उस की रोजाना की आदतों में शुमार था.

शादी के दौरान ही मोहसिना की मुलाकात महेंद्र नाम के युवक से हुई थी. वह अपनी बोलेरो गाड़ी से वहां कोई सामान ले कर आया था. महेंद्र रसिक स्वभाव का था. पहली ही नजर में वह मोहसिना की तरफ आकर्षित हो गया था. सामान उतारने के दौरान जब वह घर में बैठ कर चाय पी रहा था तो उस ने मोहसिना से उस के बारे में पूछ लिया. मोहसिना ने बताया कि वह मुंबई में अपने शौहर के साथ रहती है. बातोंबातों में महेंद्र ने मोहसिना से उस का मोबाइल नंबर और मुंबई का पता भी पूछ लिया था.

मोहसिना के पूछने पर महेंद्र ने बताया कि वह अमेठी जिले के गांव कठौरा कमरोली का रहने वाला है, लेकिन इस समय भेल कालोनी जगदीशपुर, अमेठी में रह रहा है. उस की बोलेरो गाड़ी बुकिंग पर अलगअलग शहरों में जाती रहती है. मोहसिना ने पूछा क्या आप को मुंबई की बुकिंग भी मिलती है. महेंद्र ने बताया कि महीने में 1-2 बुकिंग उसे मुंबई की मिल जाती हैं. तब वह अपने ड्राइवर संदीप के साथ वहां जाता है. इसी बहाने उस का मुंबई में घूमनाफिरना भी हो जाता है. मोहसिना ने कहा कि अब की बार जब मुंबई आना हो तो उस के पास पवई जरूर आए. महेंद्र ने उस से इस बात का वादा कर दिया.

उस दिन की मुलाकात के बाद मोहसिना और महेंद्र की मोबाइल और वाट्सऐप पर अकसर बातचीत होने लगी. अपनी बातों के प्रभाव से महेंद्र ने मोहसिना को अपने जाल में फांस लिया. मोहसिना अपने दिल की बात उस से कह लेती थी. दोनों के बीच होने वाली बातों का दायरा बढ़ने लगा. यह दायरा उन्हें प्यार के मुकाम तक ले गया. इस बीच उन्होंने 2-3 बार चोरीछिपे मुलाकात भी कर ली. फिर एक दिन मोहसिना अपने मायके से पति के साथ मुंबई चली गई. जाने से पहले उस ने महेंद्र से कह दिया कि वह मुंबई का चक्कर जल्द लगा ले ताकि मुंबई में वह साथसाथ घूमफिर सके.

मोहसिना के मुंबई पहुंचने के बाद भी उस की महेंद्र से पहले की तरह वाट्सऐप पर रोजाना बातचीत चलती रही. वह शाम को पति के सामने भी वाट्सऐप और फेसबुक पर व्यस्त रहती थी. नसीम ने उसे काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी. एक दिन महेंद्र को मुंबई की बुकिंग मिल गई. यह जानकारी उस ने मोहसिना को दी तो वह काफी खुश हुई. उसे लगा जैसे उस की मुंहमांगी मुराद मिल गई हो. बुकिंग ले कर महेंद्र जब मुंबई पहुंचा तो वह मोहसिना से बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर मिला. महेंद्र से मिल कर वह बहुत खुश थी. इस के बाद महेंद्र ने उसे अपनी गाड़ी से घुमाया. दोनों ने काफी देर तक जुहू चौपाटी पर मस्ती की. इस के बाद महेंद्र उसे एक होटल में ले गया, जहां दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद महेंद्र ने उसे उस के बच्चों के स्कूल के पास छोड़ दिया. स्कूल से बच्चों को साथ ले कर मोहसिना वापस घर लौट आई.

महेंद्र मुंबई में 2 दिन रुका. दोनों दिन उस ने मोहसिना के साथ खूब मौजमस्ती की. नसीम मोहसिना की इस बात से बिलकुल अंजान था. महेंद्र व मोहसिना की यह मुलाकात ऐसे प्यार में बदली कि दोनों ने जीवनभर साथ रहने का इरादा कर लिया. मुंबई में मोहसिना की महेंद्र से हुई मुलाकात यादगार बन कर रह गई. वह दिनरात सपने बुनने लगी. वह पंख लगा उड़ कर महेंद्र के पास पहुंच जाना चाहती थी. महेंद्र ने भी मुंबई में मुलाकात के दौरान मोहसिना से वादा किया कि जब वह उस के साथ लखनऊ आ कर रहने लगेगी तो वह दरोगाखेड़ा में एक मकान खरीद कर उस के अलग रहने का बंदोबस्त कर देगा.

बातों के दौरान ही मोहसिना को यह जानकारी मिल ही गई थी कि महेंद्र पहले से ही विवाहित है और उस की पत्नी अपने बच्चों के साथ उस के पुश्तैनी घर कठौरा कमरोली, जनपद अमेठी में रहती है. महेंद्र अब हर महीने मोहसिना से मिलने मुंबई जाने लगा. वहां कुछ समय बिताने के बाद वह जगदीशपुर लौट आता था. एक दिन महेंद्र ने मोहसिना को वाट्सऐप मैसेज भेजा कि वह अपने पति का साथ छोड़ कर रहने के लिए लखनऊ आ जाए. मोहसिना महेंद्र की इतनी दीवानी हो चुकी थी कि उस की खातिर वह अपने पति और बच्चों को छोड़ कर जून 2019 के महीने में अकेले ही मुंबई से भाग कर लखनऊ आ गई और महेंद्र के पास आ कर रहने लगी. मोहसिना के घर से गायब होने के बाद पति नसीम ने उसे काफी तलाश किया.

वह कई दिनों तक अपनी रिश्तेदारियों में और अन्य जगहों पर उसे तलाश करता रहा. जब उस का कोई पता नहीं चला तो 29 जून, 2019 को उस ने मुंबई के पवई थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. मोहसिना जब महेंद्र के पास पहुंची तो वह कुछ दिनों तक मोहसिना के साथ सरोजनी नगर थाने के दरोगाखेड़ा में किराए के मकान में रहा. इस के बाद उस ने दादूपुर गांव के पास नई कालोनी में 9 लाख रुपए का मकान खरीद लिया. यह मकान उस ने अपने दोस्त संदीप के नाम से खरीदा था. मोहसिना उसी मकान में रहने लगी. वह जब भी लखनऊ आता तो रात को मोहसिना के पास रहता. दादूपुर के मकान की बागडोर महेंद्र ने मोहसिना को सौंप दी थी.

इस के बाद महेंद्र ने एक मंदिर में उस से शादी भी कर ली. शादी के बाद उस ने अपना नाम खुशी उर्फ परी रख लिया था. वह हिंदू महिला की तरह ही रहती थी. पड़ोस में रहने वाली महिलाओं को पता नहीं था कि खुशी मुसलिम है और उस ने अपने पति व बच्चों को छोड़ कर महेंद्र के साथ दूसरी शादी की है. चूंकि खुशी उर्फ मोहसिना बातूनी थी इसलिए वह जल्दी ही मोहल्ले के लोगों से घुलमिल गई. समाज, घरपरिवार, शौहर और अपने 3 बेटों की परवाह न कर के मोहसिना पता नहीं किस नशे में मदमस्त हो कर प्रेमी महेंद्र के साथ लखनऊ में रह कर जिंदगी को ढो रही थी.

धीरेधीरे मोहसिना की परीक्षा की वो घड़ी आ गई, जहां महिलाओं को धर्म और संयम की मर्यादाओं से गुजरना पड़ता है. यानी करवाचौथ का त्यौहार आ गया. खुशी ने भी पड़ोसिनों के साथ करवाचौथ का निर्जला व्रत रखा. उस दिन महेंद्र घर पर अपनी ब्याहता और बच्चों से मिलने कठौरा कमरोली चला गया. उधर खुशी उस का इंतजार कर रही थी. उस का यह पहला व्रत था इसलिए उस के मन में ज्यादा उत्सुकता थी. लेकिन फोन करने के बावजूद महेंद्र उस के पास नहीं पहुंचा. रात को जब चंद्रमा दिखाई दिया तो पूजा के समय भी महेंद्र खुशी के पास मौजूद नहीं था. इस से खुशी को गुस्सा आ गया. उस ने वाट्सऐप पर महेंद्र को एक भावुक मैसेज भेजा, जिस में उस ने कहा कि तुम बेवफा निकले. मैं ने तुम्हारे प्यार की खातिर अपने बच्चे, पति और समाज को छोड़ा लेकिन तुम ने मेरी भावनाओं की कद्र नहीं की.

मैं सारे दिन (करवाचौथ वाले दिन) प्रतीक्षा करती रही, न तुम आए और न ही तुम ने फोन पर बताया कि कहां हो, इसे मैं क्या समझूं. जहां तक मैं समझती हूं, शायद तुम्हें मेरे प्यार की जरूरत नहीं रह गई है, तुम्हारी नजर में औरत सिर्फ एक खिलौना है, तुम्हें मेरे प्यार की नहीं जिस्म की ज्यादा जरूरत थी, इस से ज्यादा मैं क्या जानू. महेंद्र ने पुलिस को बताया कि 18-19 अक्तूबर, 2019 की रात को 12 बजे जब वह दादूपुर दरोगाखेड़ा के मकान पर आया तो उस ने देखा खुशी उर्फ मोहसिना गले में फंदा डाले पंखे से लटकी हुई थी. उस ने आत्महत्या कर ली थी. पत्नी को इस हालत में देख वह घबरा गया और उस ने नायलोन की डोरी का फंदा काट कर खुशी के शव को नीचे उतारा.

साथ ही उस ने अपने दोस्त संदीप को बोलेरो गाड़ी ले कर आने को कहा. संदीप रात 2 बजे करीब बोलेरो ले कर बंथरा पहुंचा. फिर दोनों ने खुशी उर्फ मोहसिना के शव को ठिकाने लगाने और सबूत नष्ट करने के उद्देश्य से बोलेरो में डाला. फिर उसे 5 किलोमीटर दूर पुराई खेड़ा, थाना बंथरा इलाके के एक खेत में डाल आए. मोहसिना का शव ले जाते समय महेंद्र टौयलैट क्लीन करने वाला ऐसिड साथ ले गया था. वह एसिड उस ने खुशी उर्फ मोहसिना के चेहरे पर डाल दिया, जिस से चेहरा थोड़ा झुलस गया था. घबराहट की वजह से वे दोनों खुशी उर्फ मोहसिना का पर्स, मोबाइल फोन और एसिड की खाली शीशियां वहीं छोड़ कर भाग निकले.

अगले दिन पुलिस को खुशी उर्फ मोहसिना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई, जिस में मौत की वजह गले में फंदा डाल कर दम घुटना बताया गया. पुलिस ने हत्या की जगह आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मामला दर्ज कर दिया. आरोपी महेंद्र और संदीप की निशानदेही पर पुलिस ने लाश ठिकाने लगाने में प्रयुक्त हुई महेंद्र की बोलेरो नंबर यूपी 36 टी 2331 भी बरामद कर ली.

पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

Madhya Pradesh Crime : दोस्‍त के शराब में नींद की गोली मिला कर किया मर्डर

Madhya Pradesh Crime : शराब और शबाब तब घातक बन जाते हैं, जब आदमी उन का आदी बन जाए. अगर अवैध रिश्ते के साथ कोई शराब को भी प्रेमिका बना ले तो उसे अपनी उलटी गिनती शुरू कर देनी चाहिए. मयंक के मामले में भी यही हुआ…  

टना 25 सितंबर, 2019 की है. शाम के करीब 4 बजे थे. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ क्षेत्र का रहने वाला मयंक जब रात 10 बजे तक घर नहीं पहुंचा तो उस के पिता सुभाष खरे ने उसे खोजना शुरू कर दिया. मयंक शाम को कार ले कर घर से निकला थामयंक खरे के छोटे भाई प्रियंक खरे ने जब मयंक के मोबाइल पर फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था. मयंक अविवाहित और बेरोजगार था. कोई काम करने के बजाए वह अपने पिता की कार ले कर दिन भर इधरउधर घूमता रहता था, जिस से उस के पिता परेशान थे.

मयंक के पिता सुभाष खरे शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. उस समय टीकमगढ़ में भारी बारिश हो रही थी. समस्या यह थी कि ऐसे मौसम में उसे खोजने जाएं भी तो कहां जाएं. पिता सुभाष ने यह सोच कर मयंक के खास दोस्त इशाक खान को फोन लगाया कि हो हो उसे मयंक के बारे में कोई जानकारी हो. लेकिन उस के फोन की घंटी बजती रही, उस ने काल रिसीव नहीं की. इस से सुभाष खरे का माथा ठनका कि इशाक ने फोन क्यों नहीं उठाया

रात भर परिवार के सभी लोग मयंक की चिंता करते रहे. अगले दिन पिता सुभाष ने टीकमगढ़ थाने में मयंक की गुमशुदगी दर्ज करवा दी. टीआई अनिल मौर्य ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए यह जानकारी टीकमगढ़ के एसपी अनुराग सुजनिया को दे दी. साथ ही मयंक का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया. मयंक का परिवार उस की खोज में लगा हुआ था. परिवार वालों की दूसरी चिंता यह थी कि मयंक के दोस्त इशाक खान ने उन का फोन क्यों रिसीव नहीं किया, उस की दुकान भी बंद थी. इशाक का भी कोई अतापता नहीं था. उस के घर वालों से जब उस के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी अनभिज्ञता जताई

दरअसल, इशाक और मयंक के बीच कुछ कहासुनी हुई थी. वजह यह थी कि मयंक और इशाक की पत्नी शबाना के बीच नजदीकी संबंध थे. इस बात की जानकारी उस के परिवार वालों को भी थी. इसलिए पूरा संदेह इशाक पर जा रहा था. इशाक के इस तरह लापता होने मयंक के परिवार वालों का फोन नहीं उठाने से उन की चिंता बढ़ने लगी थी. मयंक के परिवार वालों ने इशाक और मयंक के बीच हुई कहासुनी की सारी जानकारी टीआई अनिल मौर्य को दी. टीआई मौर्य को घटना में अवैध संबंधों की बात पता लगी तो उन्हें मामला गंभीर नजर आया

उन्होंने इस नई सूचना से एसपी अनुराग सुजनिया को अवगत करा दिया. एसपी ने इस केस को सुलझाने की जिम्मेदारी एडिशनल एसपी एम.एल.चौरसिया को सौंप दी. उन्होंने एसडीपीओ सुरेश सेजवार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में टीआई अनिल मौर्य, टीआई (जतारा) आनंद सिंह परिहार, टीआई (बमोरी कलां) एसआई बीरेंद्र सिंह पंवार आदि तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. इस पुलिस टीम ने तेजी से जांचपड़ताल शुरू कर दी. पुलिस जांच में एक महत्त्वपूर्ण जानकारी यह मिली कि इस घटना में मयंक खरे के पड़ोसी इशाक के अलावा उस का एक रिश्तेदार इकबाल नूरखान भी शामिल है. पुलिस ने दोनों के घर दबिश दी, लेकिन दोनों ही घर से फरार मिले.

4-5 दिन कोशिश करने के बाद भी जब ये लोग नहीं मिले तो पुलिस ने पहली अक्तूबर को दोनों के खिलाफ मयंक खरे के अपहरण का मामला दर्ज कर लियाकई दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस मयंक खरे के बारे में कोई जानकारी नहीं जुटा सकी तो कायस्थ समाज ने विरोध प्रदर्शन कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की. यह प्रदर्शन पूरे जिले में व्यापक स्तर पर किया था, जिस की गूंज आईजी सतीश सक्सेना के कानों तक पहुंची. आईजी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी अनुराग सुजनिया को निर्देश दिए कि केस का जल्द से जल्द परदाफाश किया जाए. उन्होंने अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर 25-25 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया. उच्चाधिकारियों के दबाव में जांच टीम रातदिन काम करने लगी.

आखिर पता चल ही गया मयंक का मयंक के लापता होने के एक हफ्ता के बाद पुलिस को पहली सफलता उस समय मिली, जब उस ने 4 अक्तूबर को मयंक के अपहरण के मामले में इशाक खान, इकबाल और इन का साथ देने वाले रहीम खान, मजीद खान, रहमान खान को गिरफ्तार कर लियापुलिस ने उन से मयंक के बारे में पूछताछ की तो आरोपियों ने स्वीकार कर लिया कि वे मयंक की हत्या कर चुके हैं और उस की लाश घसान नदी में फेंक दी थी. हत्या की बात सुन कर पुलिस चौंकी. लाश बरामद करने के लिए पुलिस पांचों आरोपियों को ले कर उस जगह पहुंची, जहां उन्होंने मयंक खरे की लाश घसान नदी में फेंकी थी. पुलिस ने नदी में गोताखोरों से लाश तलाश कराई, लेकिन लाश वहां नहीं मिली.

घटना की रात तेज बारिश की वजह से नदी में बाढ़ जैसी स्थिति थी. इस से लाश दूर बह जाने की आशंका थी. एक आशंका यह भी थी कि लाश बरामद हो, इस के लिए आरोपी झूठ बोल रहे हों, इसलिए टीकमगढ़ के आसपास नदी तालाबों में लाश की तलाश तेज कर दी गई. आरोपियों से पूछताछ के बाद मयंक खरे की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह नाजायज संबंधों की बुनियाद पर टिकी थी. मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ शहर के चकरा तिराहा इलाके में एक आवासीय इलाका है शिवशक्ति नगर. सुभाष खरे अपने परिवार के साथ शिवशक्ति नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे थे, जिन में मयंक बड़ा था. सुभाष खरे के घर के ठीक बगल में रहमान खान का घर था. इशाक रहमान का ही बेटा था. इशाक की शादी हो चुकी थी, उस की बीवी शबाना बहुत खूबसूरत थी.

मयंक और इशाक की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था. दोनों की बचपन से अच्छी दोस्ती थी. इशाक ड्राइवर था, जिस की वजह से वह अधिकांश समय घर से बाहर रहता था. छोटीमोटी आमदनी घर बैठे होती रहे, इस के लिए उस ने परचून की दुकान खोल ली थी, जिस पर उस की पत्नी शबाना बैठती थी. मयंक के घर में जरूरत का सामान शबाना की दुकान से ही आता था. मयंक खाली घूमता था, इसलिए शबाना की दुकान पर खड़े हो कर उस से बातें करता रहता था. शबाना खूबसूरत और चंचल स्वभाव की थी, इसलिए मयंक उसे चाहने लगा. शबाना को भी मयंक की बातों में रस आता था, इसलिए उस का झुकाव मयंक खरे की तरफ हो गया

मयंक ने खुद डाला आग में हाथ कुछ ही दिनों में मयंक शबाना का ऐसा दीवाना हो गया कि उसे दिनरात उस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं था. इशाक से दोस्ती होने के कारण वह शबाना को भाभीजान कहता था. शबाना का दिल भी मयंक के लिए धड़कने लगा. आग दोनों तरफ लगी थी, इसलिए उन के बीच जल्द ही अवैध संबंध बन गए. इशाक जब कभी शहर से बाहर जाता तो मयंक और शबाना को वासना का खुला खेल खेलने का मौका मिल जाता था. जिस के चलते शबाना को मयंक अपने शौहर से ज्यादा अच्छा लगने लगा. लेकिन यह बात इशाक से ज्यादा दिनों तक छिपी रह सकी

धीरेधीरे इशाक को अपनी पत्नी और मयंक के बीच पक रही अवैध रिश्तों की खिचड़ी की महक महसूस हुई. फिर भी उस ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब पानी सिर के ऊपर जाने लगा तो वह दोनों पर कड़ी नजर रखने लगा. आखिर एक दिन उस ने शबाना को मयंक के साथ नैनमटक्का करते देख लिया. उस दिन उस ने शबाना की खासी पिटाई की. साथ ही उस ने मयंक से भी दूरी बनानी शुरू कर दी. लेकिन एक बार पास आने के बाद दूर जाने की बात तो मयंक को सुहाई और शबाना इस के लिए राजी थी, इसलिए शौहर के विरोध के बावजूद शबाना ने मयंक के साथ रिश्ते खत्म नहीं किए. इस के चलते इशाक और मयंक के बीच एकदो बार विवाद भी हुआ. इशाक के मना करने के बावजूद शबाना और मयंक अपनी इश्कबाजी से बाज नहीं रहे थे.

यही नहीं, इस बीच इशाक के घर में कुछ दिनों के लिए उस के रिश्तेदार की एक नाबालिग लड़की आई तो मयंक ने उस किशोरी से भी संबंध बना लिए. इस बात की खबर इशाक को लगी तो उस का खून खौल उठा. लिहाजा इशाक ने ऐसे दगाबाज दोस्त को ठिकाने लगाने की ठान ली. इशाक की मयंक से अनबन हो चुकी थी, जबकि अपनी योजना को अंजाम देने के लिए इशाक की मयंक से नजदीकी जरूरी थी. उस स्थिति में योजना को आसानी से अंजाम दिया जा सकता था. मयंक से फिर से दोस्ती बढ़ाने के लिए इशाक ने अपने चचेरे भाई इकबाल का सहारा लिया. इकबाल के सहयोग से उस ने मयंक से बात की.

मयंक वैसे तो काफी चालाक था. इशाक से वह सतर्क भी रहता था. लेकिन इशाक ने उसे समझाया कि देख भाई जो हुआ, सो हुआ अब आगे से ध्यान रखना कि ऐसा हो. रही हमारी दोस्ती की बात तो वह पहले की तरह चलती रहेगी. क्योंकि हमारे झगड़े में दूसरों को हंसने का मौका मिल जाता है. इशाक की बात सुन कर मयंक खुश हो गया. उसे लगा कि इस से वह अपनी भाभीजान शबाना से पुरानी नजदीकी पा लेगा. लिहाजा उस का फिर से इशाक के यहां आनाजाना शुरू हो गया. लेकिन उसे यह पता नहीं था कि इशाक के रूप में मौत उस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही है.

इशाक ने मयंक को ठिकाने लगाने के लिए अपने चचेरे भाई इकबाल, पत्नी शबाना और दोस्त पन्नालाल कल्लू के साथ योजना बना ली. शराब का घातक दौर योजना के अनुसार 25 सितंबर, 2019 को इशाक ने फोन कर के मयंक को शराब की पार्टी के लिए बीलगाय कलां बुलाया. शाम के समय मयंक अपनी कार से 30 किलोमीटर दूर बीलगाय कलां पहुंच गया. वहां पर इशाक, इकबाल, कल्लू और पन्नालाल उस का इंतजार कर रहे थे. इशाक का एक घर बीलगाय कलां में भी था. सब उसी घर में बैठ कर सब शराब पीने लगे.

इशाक के दोस्त इकबाल ने मौका मिलते ही मयंक के शराब के गिलास में नींद की गोलियां डाल दीं. शराब पीने के बाद वे सभी मयंक की कार में बैठ गए. कार इशाक चला रहा था और मयंक उस के बराबर में बैठा था. एक जगह कार रोक कर इशाक ने अपने साथ लाई लाइसेंसी दोनाली बंदूक से मयंक पर गोली चलाई जो उस के कंधे में लगी. मयंक घबरा गया. डर की वजह से उस का नशा उतर चुका था. इशाक ने उस पर दूसरी गोली चलाई तो मयंक झुक गया, जिस से गोली कार का शीशा तोड़ कर निकल गई. इशाक केवल 2 गोलियां लोड कर के लाया था जो इस्तेमाल हो चुकी थीं.

मयंक को बचा देख इशाक ने इकबाल की मदद से मयंक का गला घोंट दिया. फिर वे लाश को ठिकाने लगाने के लिए निकल पड़े. कार ले कर वे वहां से 7-8 किलोमीटर दूर इटाली गांव पहुंचे, जहां कार खराब हो गई. इस से सभी परेशान हो गए, क्योंकि कार में लाश थी. वहां से 3-4 किलोमीटर दूर बाबई गांव था, जहां इकबाल के रिश्तेदार रहते थे, जो कार मैकेनिक थे. इकबाल ने फोन किया तो सईद, रईस और मजीद वहां पहुंच गए. उन्होंने कार ठीक कर दी तो वे लाश को नौगांवा ले गए और लाश चादर में लपेट कर घसान नदी में फेंक दी. इस के बाद इशाक बाबई गांव में अपने दूल्हाभाई रहमान के यहां गया. रात को  सभी वहां रुके और अगले दिन अपने घर गए.

हत्यारोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने रईस, शबाना, पन्नालाल को भी गिरफ्तार कर लिया. एक आरोपी कल्लू फरार था. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने लाइसेंसी बंदूक, मयंक की कार, चप्पल, खून सना कार सीट कवर बरामद कर लिया. सीट कवर के खून को पुलिस ने जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया. साथ ही मयंक के पिता का खून का सैंपल भी ले लिया ताकि डीएनए जांच से यह पता चल सके कि कार के सीट कवर पर लगा खून मयंक का था.

 

Murder story : बेटी ने ही सुपारी देकर कराई मां की हत्‍या

Murder story : पैसा और जमीनजायदाद इंसान को अपनों से अलग कर के ऐसे मुकाम तक ले जाते हैं, जहां उन्हें अपराध करने में भी कोई संकोच नहीं होता. तभी तो इंदरराज कौर उर्फ विक्की को अपनी मां का कत्ल करवाते हुए जरा भी दर्द नहीं हुआ…   

दिन अमृतसर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश कर्मजीत सिंह की अदालात में सुबह से ही बहुत गहमागहमी थी. वकील और मीडियाकर्मियों के अलावा तमाम लोग भी वहां मौजूद थे. सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि पता नहीं अदालत आज विक्की और उस के प्रेमी गणेश को क्या सजा सुनाएगी. इन दोनों पर आरोप यह था कि विक्की ने अपने प्रेमी गणेश से अपनी मां राजिंदर कौर की हत्या कराई थी. दोनों पर यह केस करीब 3 साल से चल रहा था. पूरा मामला क्या था, जानने के लिए हमें 3 साल पीछे जाना पड़ेगा.

21 जनवरी, 2015 की बात है. नरेश नाम के एक व्यक्ति ने अमृतसर के थाना मकबूलपुरा में फोन द्वारा सूचना दी थी कि दीदार गैस एजेंसी की मालकिन 67 वर्षीय राजिंदर कौर की किसी से उन की गोल्डन एवेन्यू स्थित कोठी नंबर 5 में हत्या कर दी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अमरीक सिंह, एसआई कुलदीप सिंह, एएसआई बलजिंदर सिंह, सुरजीत सिंह, हवलदार प्रेम सिंह, मुख्तियार सिंह और लेडी हवलदार गुरविंदर कौर को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गएपता चला कि घटना वाली रात राजिंदर कौर अपनी कोठी में अकेली थीं. उन का बेटा तजिंदर सिंह 2 दिन पहले ही डलहौजी गया था और बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की किसी रिश्तेदारी में दिल्ली गई हुई थी.

राजिंदर कौर की हत्या बहुत ही सुनियोजित तरीके से की गई थी. हत्या के वक्त वे शायद कोठी की दूसरी मंजिल पर थीं, क्योंकि उन का खून दूसरी मंजिल से बह कर घर की पहली मंजिल पर वहां तक गया था, जहां खून से लथपथ उन की लाश पड़ी थी. घटनास्थल को देख कर यह साफ लग रहा था कि हत्यारों को इस बात की पूरी जानकारी रही होगी कि राजिंदर कौर घर में अकेली हैं. इतना ही नहीं वो इस घर के चप्पेचप्पे से वाकिफ रहे होंगे. क्योंकि हत्यारे गेट के पास लगे सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर बड़ी सावधानी से घर में घुसे थे और अपना काम कर के चुपचाप वहां से निकल गए थे.

मौका वारदात पर बिखरा हुआ सामान इस बात की गवाही दे रहा था कि मरने से पहले मृतका की हत्यारों से काफी हाथापाई हुई होगी. प्राथमिक तफ्तीश में पता चला कि राजिंदर कौर की नौकरानी सुबह के लगभग 11 बजे घर में काम करने के लिए आई थी. उस ने देखा कि घर की मालकिन राजिंदर कौर की लाश जमीन पर खून से लथपथ पड़ी थी. उस ने घबरा कर गैस एजेंसी फोन कर के यह बात नरेश को बताई और नरेश ने कर पुलिस के अलावा इस घटना की सूचना राजिंदर कौर की बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की को भी दी जो किसी रिश्तेदारी में दिल्ली गई हुई थी

मां की मौत की खबर मिलते ही विक्की भी उसी दिन पंजाब लौट आई. नरेश ने पुलिस को बताया कि गैस एजेंसी का 2 दिन का कैश कोठी में ही था. छुट्टी होने के कारण कैश बैंक में जमा नहीं करवाया गया था. पुलिस को यह मामला लूट और हत्या का लग रहा था. घटना की सूचना मिलने पर डीसीपी विक्रमपाल भट्टी, डीसीपी (क्राइम) जगजीत सिंह वालिया, एडीसीपी परमपाल सिंह, एसीपी बालकिशन सिंगला, एसीपी गौरव गर्ग, फोरैंसिक टीम सहित घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरेंसिक टीम ने घटनास्थल से फिंगरप्रिंट और खून के सैंपल लिए.

हत्यारे कोठी से कितना कैश और जेवर ले गए थे इस बात का कोई पता नहीं लग सका. बहरहाल पुलिस ने 21 जनवरी, 2015 इंदरराज कौर उर्फ विक्की के बयान पर राजिंदर कौर की हत्या का मुकदमा अज्ञात हत्यारों के खिलाफ दर्ज कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दी. अमृतसर के न्यू गोल्डन एवेन्यू की कोठी नंबर-5 में मेजर दीदार सिंह औजला का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी राजिंदर कौर के अलावा बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की और बेटा तजिंदर सिंह उर्फ लाली थे. सन 1981 में मेजर साहब की मौत के बाद सरकार ने अनुकंपा के आधार पर फौजियों की विधवाओं को पेट्रौल पंप और गैस एजेंसियां वितरित की थीं. तभी राजिंदर कौर को भी एक गैस एजेंसी आवंटित हुई थी

राजिंदर कौर ने गैस एजेंसी का गोदाम और शोरूम सुल्तानभिंड रोड के अजीत नगर में खोला था. गैस एजेंसी को वह स्वयं ही संभालती थीं. कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद बेटी विक्की भी एजेंसी पर जाने लगी थी. लाली अभी पढ़ रहा था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार राजिंदर कौर की हत्या दम घुटने से हुई थी. हालांकि उन के सिर पर चोटों के गहरे घाव थे पर उन की मौत गला घोंटे जाने के कारण ही हुई थी

2 दिन तक पुलिस को इस केस का कोई सिरा हाथ नहीं आया था. पुलिस इस बात को मान कर चल रही थी कि हत्यारा राजिंदर कौर के परिवार का परिचित रहा होगा. लेकिन 2 दिन बाद पुलिस ने अपनी जांच की दिशा बदल दीपुलिस ने राजिंदर कौर, उन के बेटे तजिंदर उर्फ लाली, इंदरराज कौर उर्फ विक्की के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो विक्की की काल डिटेल से पुलिस को कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं. विक्की की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर आया जिस पर विक्की की दिनरात कईकई घंटे बातें होती थीं. वह नंबर किसी गणेश नाम के व्यक्ति का था.

इस बार पुलिस के हाथ कुछ ऐसा क्लू लगा था, जिस के सहारे वह अपनी जांच को आगे बढ़ा सकती थी. इस के पहले पुलिस अंधेरी गलियों में ही भटक रही थी. पुलिस ने राजिंदर कौर के पड़ोसियों और गैस एजेंसी पर काम करने वालों से भी पूछताछ की थी.  इस पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे थे, यह बात तय थी कि जो कुछ भी हुआ था. वह कोठी के अंदर से ही हुआ था. बाहर के किसी व्यक्ति का इस हत्याकांड से कोई लेनादेना नहीं था. हत्यारे एक रहे हों या 2 इस से अभी कोई फर्क नहीं पड़ना था. समझने वाली बात यह थी कि आखिर राजिंदर कौर की ही हत्या क्यों की गई थी. उन की हत्या से किसे फायदा पहुंचने वाला था. आखिर घटना के चौथे दिन 2 ऐसे गवाह खुद पुलिस के सामने आए, जिन्होंने इस केस का रुख पलट कर हत्यारों का चेहरा पुलिस के सामने रख दिया था.

28 जनवरी, 2015 को पुलिस ने राजिंदर कौर की हत्या के आरोप में 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. उन में से एक खुद मृतका की बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की थी और दूसरा उस का प्रेमी गणेश था, जो स्थानीय भुल्लर अस्पताल में कंपाउंडर थागणेश गुंदली चौगान, नूरपुर, हिमाचल प्रदेश का निवासी था और पिछले कई सालों से उस के विक्की के साथ नाजायज संबंध थे. गणेश विक्की के बीमार भाई तजिंदर की देखभाल के लिए उस के घर आता था और इसी बीच विक्की के साथ उस के अवैध संबंध बन गए थे. बेटी ने ही सुपारी दे कर अपनी मां की हत्या करवाई थी यह बात सुन कर सभी रिश्तेदारों के होश उड़ गए. विक्की को उस के मांबाप ने बड़े लाड़प्यार से पाला था. अपनी मां की मौत का दिल दहलाने वाला मंजर देख कर उस ने घडि़याली आंसू भी बहाए थे.

इतना ही नहीं पुलिस को भी इस असमंजस में डाले रखा था कि उसे अपनी मां की मौत का बहुत दुख है. जबकि हकीकत यह थी कि विक्की शुरू से ही पुलिस को झूठ बोल कर गुमराह करती रही थी. जब असलियत का खुलासा हुआ तो पुलिस के साथ उस के सगे संबंधियों के भी होश उड़ गए. अकसर देखा गया है कि जायदाद की खातिर इंसान अपने सभी रिश्ते भुला कर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे देता है, मगर विक्की ने तो दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थीं. उस ने अपने प्रेमी को 5 लाख की सुपारी दे कर जन्म देने वाली मां को ही मरवा डाला था. पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान पुलिस ने गणेश की निशानदेही पर लोहे की रौड, खून सने कपड़े आदि बरामद कर लिए. बाद में दोनों को जेल भेज दिया गया.

पुलिस को राजिंदर कौर की हत्या की जो कहानी पता चली और जिस के आधार पर उस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की, उस में बताया गया था कि इस हत्याकांड की मूल वजह वो जायदाद थी जो मृतका राजिंदर कौर ने विक्की के नाम कर के अपने बेटे तजिंदर उर्फ लाली के नाम कर दी थीदरअसल लाड़प्यार से पली विक्की बचपन से ही अपनी मनमरजी करने वाली जिद्दी और अडि़यल स्वभाव की लड़की थी. उम्र के साथ उस का यह पागलपन और भी बढ़ता गया था. पिता की मृत्यु के समय वह मात्र 4-5 साल की रही होगी. पिता की मृत्यु के बाद मां राजिंदर कौर का सारा वक्त गैस एजेंसी संभालने में गुजरता था. ऐसे में विक्की बेलगाम होती चली गई.

यहां यह कहना भी गलत होगा कि बच्चों को सुविधाओं के साथ मातापिता के दिशानिर्देशों की भी सख्त जरूरत होती है. अन्यथा परिणाम भयानक ही निकलते हैं. इस मामले में भी यही हुआ था. कालेज तक पहुंचतेपहुंचते वह दिशाहीन, भटकी हुई युवती बन चुकी थी. शराब के नशे और क्लबों में खुशी तलाशना उस की आदत बन चुकी थी. दूसरे सहपाठियों को नीचा दिखाना उस का मनपसंद शौक था. मां के द्वारा मेहनत से कमाया पैसा वह पानी की तरह बहाने लगी थी. उस के दोस्तों में लड़कियां कम लड़के अधिक थे. कपड़ों की तरह बौयफ्रैंड बदलना उस का स्वभाव बन गया था

मां की किसी बात का जवाब देना, आधीआधी रात को घर लौटना विक्की की आदतों में शुमार हो गया था. पढ़ाई पूरी कर उस ने मां के साथ गैस एजेंसी पर बैठना शुरू कर दिया, वह भी अपने स्वार्थ की खातिर. गैस एजेंसी से पैसे उड़ा कर वह अपनी अय्याशियों में उड़ा देती थी. उस की इन हरकतों से राजिंदर कौर बहुत दुखी थीं. वह मन ही मन घुटती रहती थीं. वे यह सोच कर मन पर पत्थर रख लेती थीं कि शादी के बाद जब वह अपनी ससुराल चली जाएगी. तभी वह चैन की सांस ले पाएंगी. पर यह उन की भूल थी. 37 साल की हो जाने के बाद भी विक्की शादी करने को तैयार नहीं थी. ऐसे में आपसी रिश्तों में जहर घुल गया था

राजिंदर कौर विक्की को समझासमझा कर हार चुकी थीं. लेकिन विक्की की नादानियां दिन पर दिन बढ़ती जा रही थीं. इसी बीच उस के गणेश से संबंध बन गए थे. राजिंदर कौर को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने हंगामा करते हुए विक्की को बहुत कुछ समझाया पर विक्की ने इस सब की जरा भी परवाह नहीं की. वह घर में ही गणेश के साथ अय्याशी करती रही. घटना से कुछ दिन पहले विक्की और राजिंदर कौर के बीच पैसों को ले कर जबरदस्त झगड़ा हुआ था. विक्की को सुधरता देख राजिंदर कौर ने उस का गैस एजेंसी पर आना बंद करवा दिया. साथ ही उस के जेब खर्च पर भी पाबंदी लगा दी थी. यह सब देख विक्की तिलमिला उठी थी

उस ने मां से इस विषय में बात की तो उन्होंने कहा कि जब तक वह अपने आप को नहीं सुधारती और घर में एक शरीफ घर की बच्ची की तरह पेश नहीं आती तब तक उस का उन से कोई संबंध नहीं रहेगा. राजिंदर कौर ने यह कदम उठाया था विक्की को सुधारने के लिए, मगर इस का उलटा ही परिणाम निकला. विक्की यारदोस्तों और अपनी जानपहचान वालों से पैसे उधार ले कर अपने शौक पूरे करने लगी. इस बात का राजिंदर कौर को और ज्यादा दुख पहुंचा. बेटी के कर्ज को ले कर उन की बड़ी बदनामी भी हो रही थी.

अंत में राजिंदर कौर ने एक और सख्त कदम उठाया जो आगे चल कर उन की जान का दुश्मन बन गया. राजिंदर कौर ने अपनी सारी चलअचल संपत्ति, बिजनैस आदि अपने बेटे तजिंदर सिंह के नाम कर दिया. विक्की के नाम उन्होंने एक पैसा भी नहीं छोड़ा थाइस बात का पता लगने पर विक्की आगबबूला हो उठी. उसे यह उम्मीद नहीं थी कि उस की मां ऐसा भी कुछ कर सकती है. घटना से कुछ दिन पहले इसी बात को ले कर मांबेटी में जम कर झगड़ा भी हुआ था. राजिंदर कौर अब किसी भी कीमत पर विक्की को आजादी नहीं देना चाहती थीं  गणेश और विक्की के बीच लगभग ढाई सालों से अवैध संबंध थे. गणेश पूरी तरह से विक्की के चंगुल में फंस कर उस का गुलाम बना हुआ था. दोनों को ही पैसों की सख्त जरूरत थी

विक्की इतनी शातिर दिमाग थी कि जहां वह खुद अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए गणेश का इस्तेमाल कर रही थी, वहीं उस का खुराफाती दिमाग गणेश के हाथों अपनी ही मां की हत्या करवाने की साजिश रचने में लगा था. जब से विक्की को पता चला था कि मां ने करोड़ों की जायदाद छोटे भाई तजिंदर सिंह के नाम कर दी है, उसी दिन से विक्की ने राजिंदर कौर की हत्या करने का मन बना लिया था. अपनी मां के खिलाफ उस के मन में जहर भर गया था. योजना बनाने के बाद उस ने अपने प्रेमी गणेश शर्मा को 5 लाख रुपए की सुपारी दे कर मां का कत्ल कराने के लिए तैयार कर लिया.

अपनी योजना के तहत विक्की ने सब से पहले अपने भाई तजिंदर को 3 दिन पहले घूमनेफिरने के लिए मनाली डलहौजी भेज दिया. इस के बाद 21 जनवरी को वह खुद भी दिल्ली जाने का बहाना कर के घर से निकल गई. इस से गणेश का रास्ता साफ हो गया था. तसल्ली करने के लिए हत्या से एक दिन पहले विक्की ने भाई को फोन कर के पूछा कि वह घर वापस कब लौट रहा है. तजिंदर ने बताया था कि वह अभी कुछ दिन और मनाली में रहेगा. गणेश के लिए राजिंदर कौर की हत्या करने के लिए रास्ता साफ था. 20-21 जनवरी की आधी रात को वह सीसीटीवी कैमरों को तोड़ कर कोठी में दाखिल हुआ और उस ने कमरे में सो रही राजिंदर कौर के सिर पर पहले लोहे की रौड से वार कर के उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया

उस के बाद गणेश ने बिजली की तार से उन का गला घोंट कर मौत के घाट उतार दिया. चुपचाप अपना काम खत्म कर के वह वहां से कुछ दूरी पर स्थित अपने कमरे पर लौट गया और फोन कर के विक्की को काम हो जाने की खबर दे दी. राजिंदर कौर की हत्या के समय विक्की ने पुलिस को गुमराह करने के लिए यह बयान दिया था कि उस का भाई मनाली गया हुआ था और वह किसी काम से दिल्ली गई थी. जबकि वह अमृतसर के ही एक होटल में ठहरी हुई थी. हत्या के 2 दिन बाद गणेश शर्मा गायब हो गया थाविक्की और गणेश की काल डिटेल्स देखने के बाद और गणेश के गायब हो जाने के बाद हत्या की सीधी सुई इन दोनों पर चली गई थी. इस बीच वहां के पूर्व पार्षद तरसेम भोला ने मामले को नया मोड़ दे दिया था.

हत्या के इस मामले की तहकीकात के बीच पुलिस को पूर्व पार्षद तरसेम सिंह भोला ने 27 जनवरी, 2015 को यह जानकारी दी थी कि इंदरराज कौर उर्फ विक्की उस के पास आई थी और उस ने बताया था कि उस की मम्मी ने अपनी सारी जायदाद की वसीयत उस के भाई तेजिंदर सिंह लाली के नाम कर दी है. उस की मम्मी द्वारा उसे कोई भी जायदाद दिए जाने के कारण वह बहुत ही गुस्से में थीइसलिए उस ने भुल्लर अस्पताल में काम करने वाले गणेश कुमार को 5 लाख रुपए का लालच दे कर अपनी मम्मी राजिंदर कौर की हत्या करवा दी है. उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है. किसी किसी तरह वह उस का बचाव करवा दें.

इसी तरह मकबूलपुरा निवासी एक स्वतंत्र गवाह कश्मीर सिंह ने भी उसी दिन पुलिस को जानकारी दी थी कि भुल्लर अस्पताल में काम करने वाले गणेश कुमार ने उसे बताया था कि वह अपनी प्रेमिका इंदरराज उर्फ विक्की के कहने पर उस की मां राजिंदर कौर की हत्या कर बैठा हैइस मामले में पुलिस उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. इसलिए वह किसी भी तरह उस का बचाव करवा दे. इन दोनों गवाहों के सामने आने पर हत्या डकैती माने जा रहे इस मामले में एकदम नया मोड़ गया था. इस केस में पुलिस ने जितने भी गवाह बनाए थे उन में से अहम गवाह पूर्व पार्षद तरसेम सिंह भोला और एक अन्य व्यक्ति था. पुलिस ने इस केस की तफ्तीश में अपनी तरफ से कोई कोरकसर नहीं छोड़ी थी और पुख्ता सबूतों के आधार पर चार्जशीट बना कर अदालत में पेश की थी.

लेकिन गवाहियों के दौरान इस केस में काफी उठापटक हुई थी. जिस कारण कई गवाह अपनी बात से मुकर गए थे. फिर भी पुलिस के पास गणेश शर्मा के खिलाफ पक्के सबूत थे, जिसे लाख कोशिशों के बाद भी अदालत में झुठलाया नहीं जा सकता था. गवाहों के बयान और मौके से मिले साक्ष्यों के आधार पर माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश कर्मजीत सिंह की अदालत ने 25 मई, 2018 को मृतका की जिस बेटी इंदरराज कौर उर्फ विक्की पर सुपारी दे कर अपनी मां की हत्या करवाने के आरोप लगाए गए थे, अदालत ने उसे साक्ष्यों के अभाव में संदेह का लाभ दे कर बरी कर दिया था

लेकिन हत्यारोपी गणेश शर्मा पर लगाए गए आरोप सही पाए जाने पर अदालत ने उसे भादंवि की धारा 302 के तहत उम्रकैद की सजा के साथसाथ 10 हजार रुपए जुरमाने की भी सजा सुनाई.