रहस्य एक बर्निंग कार का

17 मई, 2018 को रात के कोई 8 बजे का वक्त रहा होगा. हल्द्वानी भीमताल मार्ग पर गांव सिलुड़ी के पास सड़क के किनारे खड़ी कार से अचानक ही आग की लपटें उठने लगीं, जिसे देखते ही हाइवे पर अफरा तफरी मच गई. देखते ही देखते आसपास रहने वाले लोगों के अलावा राहगीर भी इकट्ठे हो गए थे. उस वक्त वहां पर मौजूद लोग इस बात को ले कर हैरान थे कि न तो उस कार का कोई एक्सीडेंट हुआ था और न ही उस जलती कार से किसी के रोनेचिल्लाने की आवाज ही आ रही थी.

वहां मौजूद लोगों में से किसी ने उस की सूचना पुलिस को और दमकल विभाग को दे दी. लेकिन जब तक दमकलकर्मी वहां पहुंचे, कार पूरी तरह से जल चुकी थी. कार से धुआं उठ रहा था. दमकलकर्मियों ने आग बुझाई.

कार के जलने की सूचना पर थाना काठगोदाम व थाना भीमताल की पुलिस भी पहुंच चुकी थी. पुलिस ने जब जांच की तो ड्राइवर की बगल वाली सीट पर एक व्यक्ति का जला शव कंकाल के रूप में मिला. वह शव इतनी बुरी तरह से जल चुका था कि उस की यह भी शिनाख्त नहीं हो पाई थी कि वह किसी महिला का है या किसी पुरुष का.

पुलिस ने जांचपड़ताल करने के बाद वहां पर रह रहे कुछ स्थानीय लोगों से उस कार के बारे में पूछताछ की तो सभी ने यही बताया कि कार से किसी के चीखने की आवाज नहीं आई थी. मौके की जांचपड़ताल करने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी, साथ ही उस का डीएनए सैंपल भी सुरक्षित रखवा लिया.

इस कार की सच्चाई जानने के लिए अगले दिन सुबह से ही भीमताल पुलिस जांच में जुट गई थी. पुलिस ने जिले के सभी थानों को इस बर्निंग कार की जानकारी देते हुए पूछा था कि किसी भी थाने में किसी इंसान के लापता होने की रिपोर्ट तो दर्ज नहीं है. इस कोशिश में भी पुलिस के हाथ कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस के सामने सब से बड़ी समस्या यह आ रही थी कि कार से जो जला हुआ शव मिला था, उस की शिनाख्त कैसे हो. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद पुलिस ने गाड़ी की जांचपड़ताल की तो पुलिस के हाथ छोटा सा सुराग लगा. मृतक ने जो जूता पहन रखा था, वह ऊपर से तो जल गया था, लेकिन उस का तलवा कार से ही चिपक गया था. पुलिस ने उस जूते के तलवे को किसी तरह छुड़ाया तो पता चला कि मृतक 7 नंबर का जूता पहनता था. लेकिन उस जूते के नंबर से भी यह साफ नहीं हो पा रहा था कि वह जूता किसी मर्द का है या किसी औरत का.

पुलिस अपनी जांचपड़ताल में जुटी थी कि अगले ही दिन सामिया लेक सिटी रुद्रपुर निवासी नीलम नाम की एक महिला सुबहसुबह रुद्रपुर कोतवाली पहुंची. उस ने पुलिस को जानकारी दी कि उस का पति अवतार सिंह कल से लापता है. नीलम ने पुलिस को बताया कि कल शाम से उन का मोबाइल भी बंद आ रहा है. वह सारी रात अपने परिजनों के साथ उन की तलाश करती रही, लेकिन उन के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पाई.

नीलम ने पुलिस को जानकारी देते हुए बताया कि कल शाम वह अपने पति के साथ अपना इलाज कराने के लिए रुद्रपुर से हल्द्वानी आई थी. लेकिन डाक्टर के न मिलने के बाद अवतार ने बताया था कि उन्हें पहाड़ पर अपना कुछ काम है. तब वह उसे कालू सिद्ध मंदिर के पास उतार कर चले गए थे. जहां से देर रात वह दवा ले कर रुद्रपुर अपने घर पहुंच गई थी. घर पहुंचने के बाद उन का मोबाइल नंबर मिलाया तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला.

मृतक की बीवी नीलम से विस्तृत पूछताछ करने के उपरांत थानाप्रभारी ने इस की सूचना हल्द्वानी के एसएसपी को दे दी. एसएसपी ने एएसपी व सीओ (भवाली) के निर्देशन में 6 पुलिस टीमें गठित कीं, जिस में प्रशिक्षु एसपी अमित कुमार, कोतवाली हल्द्वानी के इंसपेक्टर विक्रम राठौर, काठगोदाम के थानाध्यक्ष कमाल हसन, भीमताल थानाप्रभारी अनवर, एसओजी प्रभारी दिनेशचंद्र पंत को शामिल किया गया था.

एसएसपी के निर्देश पर थानाप्रभारी ने कुछ औपचारिकताएं  पूरी करते हुए नीलम को सीधे भीमताल भेज दिया था ताकि वह घटनास्थल पर मिली कार की कुछ शिनाख्त कर सके.

नीलम रुद्रपुर से सीधे थाना भीमताल पहुंची और पुलिस के सामने पति अवतार सिंह के गायब होने की बात बताते हुए कहा कि उस के पति सिडकुल की कंपनियों में मैनपौवर सप्लाई करते हैं.

नीलम ने पुलिस को बताया कि पहले वह किसी के साथ पार्टनरशिप में काम करते थे, लेकिन करीब साल भर से उन्होंने अपना काम अलग कर लिया था. उस के बाद उन्होंने रुद्रपुर में अपना औफिस बना लिया था. वैसे वह मूलरूप से हरियाणा के निवासी थे और अब से लगभग 10 साल पहले रुद्रपुर आ कर बस गए थे.

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          मृतक अवतार सिंह

नीलम ने नहीं पहचानी लाश

नीलम की बात सुनने के बाद पुलिस को लगा कि अब बर्निंग कार की गुत्थी शीघ्र ही सुलझ सकती है. पुलिस नीलम को अपने साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंची लेकिन नीलम ने जली कार को देखते ही उसे पहचानने से मना कर दिया. यही नहीं उस ने उस कार में कंकाल के रूप में मिली लाश भी नहीं पहचानी. उस का कहना था कि उस के पति तो हल्द्वानी तक मेरे साथ ही थे, वह कार खुद ही चला रहे थे. फिर उन की बगल वाली सीट पर वह कंकाल किस का हो सकता है.

उसी दौरान पुलिस ने उस जली कार की गहनता से जांचपड़ताल की तो पुलिस के हाथ ऐसा सूत्र हाथ लगा जो इस केस की जड़ों तक जा सकता था. छानबीन के दौरान पुलिस के हाथ गाड़ी के बोनट वाली डिक्की में रखा इंश्योरेंस का अधजला कागज मिला. पुलिस ने उस मिले कागज के आधार पर कार का पता किया तो वह अवतार सिंह के नाम से ही थी.

लेकिन उस वक्त पुलिस के सामने एक और समस्या आ खड़ी हुई थी. नीलम ने उस कार से मिले कंकाल को पहचानने से ही इनकार कर दिया था. नीलम का कहना था कि जिस वक्त उस के पति ने उसे वहां छोड़ा था तो वह कार में अकेले ही थे. फिर अगर कंकाल ड्राइवर की सीट पर होता तो वह मान सकती थी कि लाश पति की हो सकती है.

नीलम की बात सुनते ही पुलिस फिर से चक्कर में पड़ गई. उस के बाद तो पुलिस के सामने इस केस को खोलने के लिए एक ही रास्ता बाकी बचा था, वह रास्ता था पोस्टमार्टम और डीएनए की रिपोर्ट का.

यह खबर तमाम अखबारों में प्रमुखता से छपी थी. इस खबर को पढ़ने के बाद 18 मई, 2019 को अंबाला निवासी अवतार सिंह के पिता गुलजार सिंह, मां नक्षत्रो देवी और भाई जगतार सिंह हल्द्वानी पहंचे.

पुलिस पूछताछ में गुलजार सिंह ने अपने बेटे अवतार सिंह की हत्या की आशंका जाहिर करते हुए उस की बीवी पर संदेह प्रकट किया. उस के बाद इंसपेक्टर विक्रम राठौर ने गुलजार सिंह और उन के बेटे जगतार सिंह से लगभग आधे घंटे तक पूछताछ की.

इस पूछताछ में कई चौंकाने वाले राज खुल कर सामने आए. इस हादसे से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आने के उपरांत उसी रात पुलिस ने गुलजार सिंह की तहरीर के आधार पर नीलम और उस के करीबी माने जाने वाले उस के दोस्त मनीष मिश्रा के खिलाफ थाना भीमताल में मुकदमा दर्ज करा दिया.

इस सब काररवाई से निपटने के बाद पुलिस ने इस मामले की तह तक पहुंचने के लिए उस के परिजनों से पूछताछ करनी ही उचित समझी.

अवतार सिंह के पिता और भाई के बयानों के आधार पर पुलिस को विश्वास हो गया था कि यह कोई हादसा नहीं बल्कि मर्डर है, जिस को अंजाम देने के लिए पूरी साजिश रची गई थी. इंसपेक्टर विक्रम राठौर ने इस मामले की गहराई तक पहुंचने के लिए उस हाइवे पर जगहजगह लगे लगभग 200 सीसीटीवी कैमरे खंगाले. इस मामले में पुलिस लगभग 30-35 अलगअलग लोगों से पूछताछ कर चुकी थी.

लेकिन सीसीटीवी कैमरे से मिली जानकारी के बाद पुलिस ने अपना फोकस कैमरों को ही बना लिया था. इस दौरान रुद्रपुर से ले कर काठगोदाम तक सीसीटीवी की जांच में पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे. जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को उस कार में आगे की सीट पर 2 लोग बैठे दिखाई दिए. लेकिन उन दोनों की तसवीर साफ नजर नहीं आ रही थी. उस वक्त उस गाड़ी को कौन चला रहा था और उस के पास वाली सीट पर कौन बैठा हुआ था, यह जानकारी भी रहस्य बनी हुई थी.

सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि उस कार में 2 बैठे हुए व्यक्तियों में से एक जरूर हत्यारा रहा होगा, वरना वह भी कार में जल चुका होता. इस सब जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने अपना ध्यान उस दूसरे व्यक्ति पर लगा दिया जो कार जलने से पहले ही वहां से गायब हो गया था.

यह सब जानकारी हासिल करने के बाद पुलिस ने नीलम की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल को भी सर्विलांस पर लगा दिया था. उसी दौरान पुलिस ने मृतक अवतार के घर से उस के महत्त्वपूर्ण कागजात अपने कब्जे में लेते हुए उन की गहनता से जांचपड़ताल की. उन्हीं कागजों से पता चला कि अवतार ने 15 दिन पहले ही 50 लाख रुपए का टर्म इंश्योरेंस लिया था, जिस में उस ने अपनी पत्नी नीलम को ही नौमिनी बनाया था.

यह सच्चाई सामने आने के बाद पुलिस को पूरा विश्वास हो गया कि कहीं इस रकम को हड़पने की कोशिश में ही तो नीलम ने अपने पति की हत्या नहीं करा दी. उसी जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को पता चला कि सामिया लेक सिटी स्थित अवतार का मकान भी उस की पत्नी नीलम के नाम पर था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चली हकीकत

उधर पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सभी पुलिस अधिकारियों को चौंकाने पर मजबूर कर दिया था. रिपोर्ट के अनुसार, मृतक की हत्या जलने से पूर्व ही हो चुकी थी. रिपोर्ट से पता चला कि मृतक की सांस नली ठीकठाक निकली, जबकि अगर कोई इंसान आग में जल कर मरता है तो उस की सांस नली में धुएं (कार्बन) के कण जरूर मिलते हैं.

जबकि कार से बरामद शव की सांस नली में ऐसा कुछ भी नहीं मिला. जिस से साफ हो गया था कि अवतार को कहीं और खत्म करने के बाद उस की लाश को कार में जला कर हादसे का रूप देने की कोशिश की गई थी.

नीलम का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाने के बाद पुलिस के सामने और भी चौंकाने वाले तथ्य उभर कर सामने आए. नीलम के फोन की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर वह दिन में सब से ज्यादा बातें करती थी. पुलिस ने उस नंबर का पता लगाया तो जानकारी मिली कि वह नंबर मनीष नाम के व्यक्ति का है, जो नीलम के पास में ही रहता था.

नीलम के साथ मनीष का नाम जुड़ते ही पुलिस ने फिर से रुद्रपुर में मृतक अवतार के पड़ोसियों से पूछताछ की तो सब कुछ सामने आ गया.

पुलिस को इस बात की पुख्ता जानकारी मिल गई कि मनीष और नीलम के बीच काफी समय से चक्कर चल रहा था, जिसे ले कर अवतार और उस की बीवी में अकसर नोंकझोंक हो जाती थी.

इस मामले के सामने आते ही पुलिस ने नीलम को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने नीलम को साथ ले कर घटनास्थल के 3 चक्कर लगाए. इस के बाद उस से पूछताछ की.

इस पूछताछ के दौरान नीलम ने आखिर सच्चाई बता ही दी. इस बर्निंग कार का रहस्य जब लोगों के सामने आया तो सभी के होश फाख्ता हो गए. मृतक अवतार सिंह हरियाणा के अंबाला कैंट थाना क्षेत्र के गांव घसीटपुर के रहने वाले गुलजार सिंह का बेटा था. कई साल पहले अंबाला कैंट थाना क्षेत्र में ही अवतार सिंह के भाई जगतार सिंह एक कैमिकल फैक्ट्री चलाते थे. उस वक्त अवतार सिंह भी अपने भाई के साथ फैक्ट्री के काम में हाथ बंटाता था. उसी काम के दौरान ही अवतार की मुलाकात नीलम से हुई थी.

नीलम बागेश्वर जिले के गांव बनलेख कारोली गांव की रहने वाली थी. वह देखनेभालने में खूबसूरत थी. उस की खूबसूरती पर अवतार सिंह रीझ गया था.

फिर दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई. यह मुलाकात दोस्ती से शुरू हो कर प्यार तक पहुंच गई. बात यहां तक पहुंच गई थी कि उन्होंने आपस में शादी करने का फैसला ले लिया. लेकिन उन की शादी के लिए दोनों के घर वाले राजी नहीं हुए, तब उन्होंने अपनी मरजी से शादी कर ली. करीब एक साल बाद नीलम ने एक बेटी को जन्म दिया.

लगभग 10 साल पहले अवतार रुद्रपुर में काम की तलाश में आया था. यहां पर उस ने अपने किसी दोस्त के साथ पार्टनरशिप में सिडकुल की कंपनियों में मैनपौवर सप्लाई का काम शुरू कर दिया था. कुछ दिनों बाद ही उन का काम तेजी पकड़ गया. जब काम ठीकठाक चल निकला तो अवतार ने 2 साल पहले रुद्रपुर में ही अपना अलग काम शुरू कर लिया, वहीं पर उस ने अपना औफिस भी खोल लिया था.

बाद में अवतार सिंह ने रुद्रपुर में ही अपना मकान भी बना लिया था. अवतार सिंह के घर के सामने ही मनीष मिश्रा का मकान था. मनीष मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के गांव नंदोत फूलपुर का निवासी था. मनीष करीब 2 साल पहले रुद्रपुर आया था. मनीष शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था लेकिन उस का परिवार प्रयागराज में ही रहता था. वह रुद्रपुर में अकेला ही रहता था.

मनीष ने रुद्रपुर में सिक्योरिटी एजेंसी का औफिस खोला था. वह रुद्रपुर की ही विभिन्न फैक्ट्रियों में सुरक्षाकर्मियों को लगा कर उन से अच्छाखासा कमीशन कमा लेता था. उधर अवतार सिंह फैक्ट्रियों में हाउसकीपिंग ठेकेदार था. आमनेसामने रहने और एक ही लाइन से जुड़े होने के कारण अवतार सिंह और मनीष के बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी. उन का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था.

इसी दौरान नीलम और मनीष के बीच प्रेमप्रसंग शुरू हो गया. उन के बीच संबंध इतने प्रगाढ़ हो गए थे कि दोनों ने अवतार सिंह की गैरमौजूदगी में बाहर भी घूमनाफिरना शुरू कर दिया था. मनीष ने अपने दोस्त के साथ दोस्ती में दगा करते हुए उस के बिस्तर पर भी कब्जा कर लिया. जब कभी भी अवतार किसी काम से घर से बाहर जाता तो उस रात मनीष पूरी तरह से नीलम के घर पर ही रहता था.

इस तरह की बातें लाख छिपाने के बावजूद भी ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पाती हैं. लिहाजा किसी तरह उन के संबंधों की भनक अवतार को भी लग गई. उस ने इस बारे में पत्नी से पूछताछ की, लेकिन नीलम ने सफाई देते हुए कहा कि उस के और मनीष के बीच ऐसा कुछ नहीं है, किसी ने जरूर कान भरे होंगे. पत्नी की इस सफाई पर अवतार उस समय शांत जरूर हो गया लेकिन उस के मन का शक दूर नहीं हुआ था. वह पत्नी पर नजर रखने लगा.

4 महीने पहले की बात है. अवतार एक योजना के अनुसार, किसी काम के बहाने घर से बाहर गया हुआ था, तभी नीलम ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने प्रेमी मनीष को बुला लिया. कुछ देर बाद अवतार घर लौट आया तो मनीष उसे घर पर ही मिल गया. मनीष को नीलम के साथ देख कर अवतार का खून खौल उठा.

उसी दौरान दोनों में हाथापाई हो गई थी. यही नहीं अवतार ने मनीष को डराने की नीयत से अपनी पिस्टल की नाल उस के मुंह में डाल कर सुधरने की धमकी भी दी थी. उसी दौरान अवतार ने पुलिस को फोन कर घर बुला लिया. मनीष को पुलिस अपने साथ ले गई.

उस के बाद चौकी में बैठ कर दोनों के बीच सुलहनामा हो गया. उसी दौरान अवतार ने पुलिस के सामने ही मनीष को उस के घर पर न आने की हिदायत दी. मनीष ने भी वादा किया कि वह आइंदा उस के घर नहीं जाएगा.

फैसला हो जाने के बाद मनीष अपने घर चला गया. लेकिन उस के मन में उस दिन से अवतार सिंह के प्रति नफरत का बीज अंकुरित हो गया था. मनीष ने मन ही मन ठान लिया था कि वह किसी भी तरह से अपने अपमान का बदला ले कर ही रहेगा. मनीष जानता था कि अवतार की अपनी बीवी नीलम से नहीं बनती है. और वैसे भी अवतार उस वक्त करोड़ों का मालिक था.

करोड़ों रुपए की संपत्ति का मालिक था अवतार

हालांकि नीलम ने अवतार सिंह के साथ लवमैरिज की थी. लेकिन उस की संपत्ति को देख कर वह भी बौखला गई थी. उस के बावजूद भी वह अवतार से सीधे मुंह बात नहीं करती थी. जबकि अवतार उसे जीजान से चाहता था. उस का मकान भी अच्छा बना हुआ था. इस के अलावा हरियाणा में भी उस के नाम पर काफी संपत्ति थी.

पुलिस चौकी में हुए फैसले के बाद मनीष ने कुछ दिनों के लिए नीलम से मिलनाजुलना बंद कर दिया था. लेकिन फोन के द्वारा उस का और नीलम का संपर्क बना हुआ था. उसी दौरान मनीष ने नीलम से मिल कर अवतार को अपने रास्ते से हटाने की बात की तो नीलम भी तैयार हो गई. इस के बाद दोनों ने योजना बनानी शुरू कर दी.

मार्च, 2019 में उन्होंने योजना को अंतिम रूप दे दिया लेकिन किसी वजह से वह अपनी योजना को अंजाम नहीं दे पा रहे थे. मनीष जानता था कि अवतार सिंह को रास्ते से हटा देने पर वह करोड़ों का मालिक बन सकता है.

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                           अभियुक्त मनीष मिश्रा और नीलम  

मनीष का एक पुराना दोस्त था अजय यादव, जो जौनपुर जिले के दौलतिया गांव का रहने वाला था. मनीष ने अपने दिल की पीड़ा उस के सामने रखते हुए इस मामले में उस का साथ मांगा तो वह साथ देने के लिए तैयार हो गया. फिर योजना के अनुसार, अजय यादव 15 मई, 2019 को मनीष के पास पहुंच गया था. मनीष और नीलम ने पूरी योजना पहले ही तैयार कर रखी थी.

योजना के तहत मनीष ने नीलम को नींद की गोलियां ला कर दे दीं. 16 मई, 2019 को नीलम ने ग्लूकोन डी के पाउडर में नींद की 10 गोलियां पीस कर मिला दी थीं. वही ग्लूकोन डी पाउडर उस ने एक गिलास पानी में घोल कर अवतार को पिला दिया.

नींद की गोलियों ने कुछ देर में असर दिखाया तो अवतार नींद में झूमने लगा. जब उसे लगा कि अब अवतार पूरी तरह से नशे में हो चुका है तो उस ने तुरंत ही मनीष को फोन कर के उस की स्थिति बता कर उसे घर से निकलने के लिए कह दिया.

नीलम ने बेहोश पति को जैसे तैसे कर अपनी कार में ही अगली सीट पर बिठा दिया. नीलम ने खुद कार चलाई और सीधे हल्द्वानी में मुखानी चौराहे पर स्थित डा. नीलांबर भट्ट के क्लीनिक पहुंची. योजनानुसार मनीष मिश्रा और उस का दोस्त अजय यादव भी पल्सर बाइक से उस के पीछे लगे रहे. उसी दौरान उन्होंने रास्ते से ही पैट्रोल भी खरीद लिया था.

हल्द्वानी पहुंचते ही नीलम ने वह कार मनीष के हवाले कर दी थी. मनीष कार को ले कर गांव सलड़ी के रास्ते निकल गया. उस का दोस्त अजय यादव उस के पीछेपीछे बाइक से चल रहा था. सलड़ी गांव के पास पहुंचते ही एकांत जगह पा कर मनीष ने अजय के सहयोग से गले में गमछा लपेट कर अवतार की हत्या कर दी.

अवतार की हत्या करने के बाद मनीष और अजय ने उस के गले में पड़ी सोने की चेन और अंगुली से सोने की अंगूठी भी निकाल ली थी. इस के बाद मनीष ने गाड़ी में पैट्रोल छिड़क कर उसे आग के हवाले कर दिया. यह काम करने के बाद मनीष और अजय यादव उसी बाइक से हल्द्वानी की ओर आ गए. उस वक्त तक नीलम भी सिटी बस से रुद्रपुर चली गई थी.

योजना को अंजाम देने के बाद नीलम ने अगली सुबह ही रुद्रपुर जा कर पुलिस के सामने अपनी पीड़ा सुना दी. नीलम और मनीष इस कदर चालाक थे कि उन्होंने अवतार हत्याकांड को पूरी तरह से हादसा दिखा कर सारे सबूत खत्म करने की योजना बनाई थी. लेकिन पुलिस के सामने उन की योजना धरी की धरी रह गई. उन की असली योजना अवतार को गायब होना दिखाना था. लेकिन वह अपनी मंशा में पूरी तरह से असफल रहे.

पुलिस ने मनीष मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया, जो इस वारदात को अंजाम देने के बाद से ही लापता हो गया था. पुलिस ने नीलम और उस के प्रेमी मनीष मिश्रा से विस्तार से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया था. जबकि पुलिस तीसरे अभियुक्त अजय यादव को तलाश कर रही थी. जो घटना वाले दिन से ही फरार हो गया था. कथा लिखने तक पुलिस मामले की तहकीकात कर रही थी कि इस हत्याकांड में कहीं और कोई तो शामिल नहीं था.

मौसेरे भाई बहन के घातक रिश्ते की डोर

कानपुर जनपद के टिक्कन-पुरवा के रहने वाले पुत्तीलाल मौर्या की बेटी कोमल शाम को नित्य क्रिया जाने की बात कह कर घर से निकली थी, लेकिन जब वह रात 8 बजे तक घर लौट कर नहीं आई तो घर वालों को चिंता  हुई. उस का फोन भी बंद था. इसलिए यह भी पता नहीं चल पा रहा था कि वह कहां है.

पुत्तीलाल की पत्नी शिवदेवी ने बेटी को इधर उधर ढूंढा लेकन वह नहीं मिली. इस के बाद पुत्तीलाल भी उसे तलाशने के लिए निकल गया. पर उस को पता नहीं लगा. पुत्तीलाल का घबराना लाजिमी था. अचानक आई इस आफत से उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. बेचैनी से शिवदेवी का हलक सूखने लगा तो वह पति से बोली, ‘‘कोमल हमारी इज्जत पर दाग लगा कर कहीं प्रमोद के साथ तो नहीं भाग गई?’’

‘‘कैसी बातें करती हो, शुभशुभ बोलो. फिर भी तुम्हें शंका है तो चल कर देख लेते हैं.’’

इस के बाद पुत्तीलाल अपनी पत्नी के साथ प्रमोद के पिता रामसिंह मौर्या के घर जा पहुंचे जो पास में ही रहता था. वैसे रामसिंह रिश्ते में पुत्तीलाल का साढ़ू था. उस समय रात के 10 बज रहे थे. रामसिंह पड़ोस के लोगों के साथ अपने चबूतरे पर बैठा था.

पुत्तीलाल को देखा तो उस ने पूछा, ‘‘पुत्तीलाल, इतनी रात गए पत्नी के साथ. सब कुशल मंगल तो है.’’

‘‘कुछ भी ठीक नहीं है भैया. कोमल शाम से गायब है. उस का कुछ पता नहीं चल रहा. मैं आप से यह जानकारी करने आया हूं कि प्रमोद घर पर है या नहीं?’’ पुत्तीलाल बोला.

‘‘प्रमोद भी घर पर नहीं है. उस का फोन भी बंद है. शाम 7 बजे वह पान मसाला लेने जाने की बात कह कर घर से निकला था. तब से वह घर वापस नहीं आया. इस का मतलब प्रमोद और कोमल साथ हैं.’’ रामसिंह ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा.

‘‘हां, भैया मुझे भी ऐसा ही लगता है. उन्हें अब ढूंढो. कहीं ऐसा न हो कि दोनों कोई ऊंचनीच कदम उठा लें, जिस से हम दोनों की बदनामी हो.’’ इस के बाद दोनों मिल कर प्रमोद और कोमल को खोजने लगे. उन्होंने बस अड्डा, रेलवे स्टेशन के अलावा हर संभावित जगह पर दोनों को ढूंढा. लेकिन उन का कुछ भी पता नहीं चला. यह बात 27 मार्च, 2019 की है.

28 मार्च, 2019 की सुबह गांव की कुछ महिलाएं जंगल की तरफ गईं तो उन्होंने गांव के बाहर शीशम के पेड़ से फंदा से लटके 2 शव देखे. यह देख कर महिलाएं भाग कर घर आईं और यह बात लोगों को बता दी. इस के बाद तो टिक्कनपुरवा गांव में कोहराम मच गया. जिस ने सुना, वही शीशम के पेड़ की ओर दौड़ पड़ा. सूरज की पौ फटतेफटते वहां सैकड़ों की भीड़ जुट गई. पेड़ से लटकी लाशें कोमल और प्रमोद की थीं.

चूंकि कोमल और प्रमोद बीतीरात से घर से गायब थे. अत: दोनों के परिजन भी घटनास्थल पर पहुंच गए. पेड़ से लटके अपने बच्चों के शवों को देखते ही वे दहाड़ें मार कर रो पड़े. कोमल की मां शिवदेवी तथा प्रमोद की मां मंजू रोते बिलखते अर्धमूर्छित हो गईं.

घटनास्थल पर प्रमोद का भाई पंकज भी मौजूद था. वह सुबक तो रहा था, लेकिन यह भी देख रहा था कि दोनों मृतकों के पैर जमीन छू रहे हैं. वह हैरान था कि जब पैर जमीन छू रहे हैं तो उन की मौत भला कैसे हो गई.

उसे लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि प्रमोद को कोमल के घर वालों ने मार कर पेड़ से लटका दिया है. पंकज ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो उन्हें पंकज की बात सच लगी. इस से घर वालों में उत्तेजना फैल गई. गांव के लोग भी खुसरफुसर करने लगे.

इसी बीच किसी ने बिठूर थाने में फोन कर के पेड़ से 2 शव लटके होने की जानकारी दे दी. सूचना पाते ही बिठूर थानाप्रभारी सुधीर कुमार पवार कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. पवार ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

उन्होंने देखा कि प्लास्टिक के मजबूत फीते को पेड़ की डाल में लपेटा गया था फिर उस फीते के एकएक सिरे को गले में बांध कर दोनों फांसी पर झूल गए थे. लेकिन उन के पैर जमीन को छू रहे थे. उन के होंठ भी काले पड़ गए थे. कोमल के पैरों में चप्पलें थीं, जबकि प्रमोद के पैर की एक चप्पल जमीन पर पड़ी थी. घटनास्थल पर बालों में लगाने वाली डाई का पैकेट, एक ब्लेड तथा मोबाइल पड़ा था. इन सभी चीजों को पुलिस ने जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लिया.

सुधीर कुमार ने फोरैंसिक टीम को मौके पर बुलाए बिना दोनों शवों को चादर में लपेट कर मंधनाबिठूर मार्ग पर रखवा दिया और शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजने हेतु लोडर मंगवा लिया.

मृतक प्रमोद के भाई पंकज व अन्य लोगों ने आरोप लगाया कि यह आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है. इसलिए मृतक के भाई पंकज ने हत्या का आरोप लगा कर थानाप्रभारी सुधीर कुमार पवार से कहा कि वे मौके पर फोरैंसिक व डौग स्क्वायड टीम को बुलाएं. लेकिन पंकज की बात सुन कर थानाप्रभारी सुधीर कुमार की त्योरी चढ़ गईं. उन्होंने पंकज और उस के घर वालों को डांट दिया.

थानाप्रभारी की इस बदसलूकी से मृतक के परिजन व ग्रामीण भड़क उठे और पुलिस से उलझ गए. उन्होंने पुलिस से दोनों शव छीन लिए और पथराव कर लोडर को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने मंधनाबिठूर मार्ग पर जाम लगा दिया और हंगामा करने लगे. उन्होंने मांग रखी कि जब तक क्षेत्रीय विधायक व पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आ जाते तब तक शवों को नहीं उठने नहीं देंगे.

आक्रोशित ग्रामीणों को देख कर थानाप्रभारी पवार ने पुलिस अधिकारियों तथा क्षेत्रीय विधायक को सूचना दे दी. सूचना पाते ही एडिशनल एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन तथा सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार घटनास्थल पर आ गए. तनाव को देखते हुए उन्होंने आधा दरजन थानों की फोर्स बुला ली.

सीओ अजय कुमार ने मृतक प्रमोद के भाई पंकज से बात की. पंकज ने हाथ जोड़ कर फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड टीम को घटनास्थल पर बुलाने की विनती की ताकि वहां से कुछ सबूत बरामद हो सकें. इस के अलावा उस ने थानाप्रभारी द्वारा की गई बदसलूकी की भी शिकायत की.

इसी बीच क्षेत्रीय विधायक अभिजीत सिंह सांगा भी वहां आ गए. उन के आते ही ग्रामीणों में जोश भर गया और वह पुलिस विरोधी नारे लगाने लगे. विधायक के समक्ष उन्होंने मांग रखी कि बदसलूकी करने वाले थानाप्रभारी पवार को तत्काल थाने से हटाया जाए तथा मौके पर फोरैंसिक टीम को बुला कर जांच कराई जाए.

अभिजीत सिंह सांगा बिठूर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के चर्चित विधायक हैं. उन्होंने ग्रामीणों को समझाया और उन की मांगें पूरी करवाने का आश्वासन दिया तो लोग शांत हुए.

इस के बाद उन्होंने धरना प्रदर्शन बंद कर जाम खोलवा दिया. तभी सीओ अजय कुमार ने फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को बुलवा लिया. यही नहीं उन्होंने आननफानन में जरूरी काररवाई करा कर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया.

फोरैंसिक टीम ने एक घंटे तक घटनास्थल पर जांच कर के साक्ष्य जुटाए. वहीं डौग स्क्वायड ने भी खानापूर्ति की. खोजी कुत्ता कुछ देर तक घटनास्थल के आसपास घूमता रहा फिर पास ही बह रहे नाले तक गया. वहां टीम को एक चप्पल मिली. यह चप्पल मृतक प्रमोद की थी. उस की एक चप्पल पुलिस घटनास्थल से पहले ही बरामद कर चुकी थी.

एडिशनल एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने बवाल की आशंका को देखते हुए टिक्कनपुरवा  गांव में भारी मात्रा में पुलिस फोर्स तैनात कर दी थी. इतना ही नहीं पोस्टमार्टम हाउस पर भी पुलिस तैनात कर दी. प्रमोद व कोमल के शव का पोस्टमार्टम डाक्टरों के एक पैनल ने किया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उन की मौत हैंगिंग से हुई थी. रिपोर्ट में डाई पीने की पुष्टि नहीं हुई. पोस्टमार्टम के बाद कोमल व प्रमोद के शव उन के परिजनों को सौंप दिए गए. परिजनों ने अलगअलग स्थान पर उन का अंतिम संस्कार कर दिया.

प्रमोद और कोमल कौन थे और उन्होंने एक साथ आत्महत्या क्यों की, यह जानने के लिए हमें उन के अतीत में जाना होगा.

उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से 25 किलोमीटर दूर एक धार्मिक कस्बा है बिठूर. टिक्कनपुरवा इसी कस्बे से सटा हुआ गांव है. यह बिठूर मंधना मार्ग पर स्थित है. इसी गांव में पुत्तीलाल मौर्या अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी शिवदेवी के अलावा 4 बेटियां थीं. इन में कोमल सब से बड़ी थी. पुत्तीलाल खेतीबाड़ी कर के अपने परिवार का भरण पोषण करता था.

टिक्कनपुरवा गांव में ही शिवदेवी की चचेरी बहन मंजू ब्याही थी. मंजू का पति रामसिंह मौर्या दबंग किसान था. उस के पास खेती की काफी जमीन थी. रामसिंह के 2 बेटे प्रमोद व पंकज के अलावा एक बेटी थी. प्रमोद पढ़ालिखा था. वह कल्याणपुर स्थित एक बिल्डर्स के यहां बतौर सुपरवाइजर नौकरी करता था. जबकि पंकज कास्मेटिक सामान की फेरी लगाता था.

चूंकि रामसिंह व पुत्तीलाल के बीच नजदीकी रिश्ता था. अत: दोनों परिवारों में खूब पटती थी. उनके बच्चों का भी एक दूसरे के घर बेरोकटोक आना जाना था. जरूरत पड़ने पर दोनों परिवार एक दूसरे के सुखदुख में भी भागीदार बनते थे. पुत्तीलाल को जब भी आर्थिक संकट आता था, रामसिंह उस की मदद कर देता था.

कोमल ने आठवीं पास करने के बाद सिलाई सीख ली थी. वह घर में ही सिलाई का काम करने लगी थी. 18 साल की कोमल अब समझदार हो चुकी थी. वह घर के कामों में मां का हाथ भी बंटाती थी. प्रमोद अकसर अपनी मौसी शिवदेवी के घर आता रहता था. कोमल से उस की खूब पटती थी, क्योंकि दोनों हमउम्र थे. बचपन से दोनों साथ खेले थे, इसलिए एकदूसरे से खूब घुलेमिले हुए थे.

दोनों भाईबहन जरूर थे लेकिन वह जिस उम्र से गुजर रहे थे, उस उम्र में यदि संयम और समझदारी से काम न लिया जाए तो रिश्तों को कलंकित होने में देर नहीं लगती. कह सकते हैं कि अब प्रमोद का कोमल को देखने का नजरिया बदल गया था. वह उसे चाहने लगा था.

लेकिन जब उसे अपने रिश्ते का ध्यान आता तो वह मन को निंयत्रित करने की कोशिश करता. प्रमोद ने बहुत कोशिश की कि वह रिश्ते की मर्यादा बनाए रखे लेकिन दिल के मामले में उस का वश नहीं चला. वह कोशिश कर के हार गया, क्योंकि वह कोमल को चाहने लगा था.

दरअसल, कोमल के दीदार से उस के दिल को सुकून मिलता था और आंखों को ठंडक. दिन में जब तक वह 1-2 बार कोमल से मिल नहीं लेता, बेचैन सा रहता था. वह चाहता था कि कोमल हर वक्त उस के साथ रहे. लेकिन कोमल का साथ पाने की उस की इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी.

काफी सोचविचार के बाद प्रमोद ने फैसला किया कि वह कोमल से अपने दिल की बात जरूर कहेगा. कोमल की वजह से प्रमोद अकसर मौसी के घर पड़ा रहता था. बराबर उस के संपर्क में रहने के कारण कोमल भी उस के आकर्षणपाश में बंध गई थी.

एक दिन कोमल अपने कमरे मे बैठी सिलाई कर रही थी कि तभी प्रमोद आ गया. वह मन में ठान कर आया था कि कोमल से अपने दिल की बात जरूर कहेगा. वह उस के पास बैठते हुए बोला, ‘‘कोमल, आज मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

‘‘क्या कहना चाहते हो बताओ?’’ कोमल ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘मुझे डर है कि तुम मेरी बात सुन कर नाराज न हो जाओ.’’ प्रमोद बोला.

‘‘पता तो चले, ऐसी क्या बात है, जिसे कहने से तुम इतना डर रहे हो.’’

‘‘कोमल, बात दरअसल यह है कि मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. क्या तुम मेरे प्यार को स्वीकार करोगी?’’ प्रमोद ने कोमल का हाथ अपने हाथ में लेकर एक ही झटके में बोल दिया.

‘‘क्या…?’’ सुन कर कोमल चौंक पड़ी, उसे एकाएक अपने कानों पर भरोसा नहीं हुआ.

‘‘हां कोमल, मैं सही कह रहा हूं. मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘प्रमोद तुम ये कैसी बातें कर रहे हो? तुम अच्छी तरह जानते हो कि हमारे बीच भाईबहन का रिश्ता है.’’

‘‘कोमल, मैं ने कभी भी तुम्हें बहन की नजर से नहीं देखा. मुझे अपने प्यार की भीख दे दो. मैं तुम्हारे लिए पूरी दुनिया से लड़ जाऊंगा.’’ उस ने मिन्नत की.

‘‘हम घर परिवार व समाज की नजर में भाईबहन हैं. जब लोगों को पता चलेगा तो जानते हो क्या होगा? तुम किसकिस से लड़ोगे?’’

‘‘मुझे किसी की फिक्र नहीं है.  बस, तुम मेरा साथ दो. तुम इस बारे में ठंडे दिमाग से सोच लो. कल सुबह मुझे कंपनी के काम से लखनऊ जाना है. शाम तक लौट आऊंगा. तब तक तुम सोच लेना और मुझे जवाब दे देना.’’ कह कर प्रमोद कमरे से बाहर चला गया.

रात को खाना खाने के बाद कोमल जब बिस्तर पर लेटी तो नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उस के कानों में प्रमोद के शब्द गूंज रहे थे. उसने अपने दिल में झांकने की कोशिश की तो उसे लगा कि वह भी जाने अनजाने में प्रमोद से प्यार करती है. लेकिन भाईबहन के रिश्ते के डर से प्यार का इजहार नहीं कर पा रही है.

उस ने सोचा कि जब प्रमोद प्यार की बात कर रहा है तो उसे भी पीछे नहीं हटना चाहिए. जिंदगी में सच्चा प्यार हर किसी को नहीं मिलता. ऐसे में वह प्रमोद के प्यार को क्यों ठुकराए? काफी सोचविचार कर उस ने आखिर फैसला ले ही लिया.

अगले दिन सुबह कोमल के लिए कुछ अलग ही थी. वह प्रमोद के प्यार में डूबी हुई, खोईखोई सी थी. लेकिन घर में किसी को भनक तक नहीं लगी कि उस के दिमाग में क्या चल रहा है. अब वह प्रमोद के लौटने का बेसब्री से इंतजार करने लगी. प्रमोद रात को लगभग 8 बजे घर लौटा और घर के लोगों से मिल कर सीधा कोमल के कमरे में पहुंच गया. उस ने आते ही कोमल से पूछा, ‘‘कोमल, जल्दी बताओ तुम ने क्या फैसला लिया?’’

‘‘प्रमोद, मैं ने रात भर काफी सोचा और फैसला लिया कि…’’ कोमल ने अपनी बात बीच में ही रोक दी.

यह देख प्रमोद के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. वह उत्सुकतावश कोमल का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘बोलो कोमल, मेरी जिंदगी तुम्हारे फैसले पर टिकी है. तुम्हारे इस तरह चुप हो जाने से मेरा दिल बैठा जा रहा है.’’

प्रमोद की हालत देख कर कोमल एकाएक खिलखिला कर हंस पड़ी. उसे इस तरह हंसते देख प्रमोद ने उस की ओर सवालिया निगाहों से देखा तो वह बोली, ‘‘मेरा फैसला तुम्हारे हक में है.’’

यह सुन कर प्रमोद खुशी से झूम उठा और उस ने कोमल को बांहों में भर लिया. कोमल खुद को उस से छुड़ाते हुए बोली, ‘‘अपने ऊपर काबू रखो, अगर किसी ने हमें इस तरह देख लिया तो कयामत आ जाएगी. हमारा प्यार शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा.’’

‘‘ठीक है, लेकिन लोगों की नजर में हम भाईबहन हैं, इसलिए वे हमारी शादी नहीं होने देंगे.’’

‘‘हमारी शादी जरूर होगी और कोई भी हमें नहीं रोक पाएगा. लेकिन यह तो बाद की बात है. वैसे एक बात बताऊं कि हमारे बीच जो भाईबहन का रिश्ता है, यह एक तरह से अच्छा ही है. इस से हम पर कोई जल्दी शक नहीं करेगा.’’ प्रमोद मुसकराते हुए बोला.

कोमल भी प्रमोद की बात से सहमत हो गई ओैर फिर उस दिन से दोनों का प्यार परवान  चढ़ने लगा. समय निकाल कर दोनों धार्मिक स्थल बिठूर घूमने पहुंच जाते फिर नाव मेें बैठ कर गंगा की लहरों के बीच अठखेलियां करते. कभीकभी दोनों फिल्म देखने के लिए कानपुर चले जाते थे.

प्रमोद और कोमल मौसेरे भाईबहन थे. ऐसे में उन के बीच जो कुछ भी चल रहा था उसे प्यार नहीं कहा जा सकता था. दोनों बालिग थे, इसलिए इसे नासमझी भी नहीं समझा जा सकता था. कहा जा सकता था. बहरहाल उन के बीच पक रही खिचड़ी की खुशबू बाहर पहुंची तो लोग उन्हें शक की नजरों से देखने लगे और तरह तरह की बातें करने  लगे.

धीरेधीरे यह खबर दोनों के घर वालों तक पहुंच गई. सच्चाई का पता लगते ही दोनों घरों में कोहराम मच गया. परिवार के लोगों ने एक साथ बैठ कर दोनों को समझाया.

रिश्ते की दुहाई दी . लेकिन उन दोनों पर कोई असर नहीं हुआ. हालाकि घर वालों के सामने दोनों ने उन की हां में हां मिलाई और एकदूसरे से न मिलने का वादा किया. उस वादे को दोनों ने कुछ दिनों तक निभाया भी, लेकिन बाद में दोनों फिर मिलने लगे.

यह देख कर पुत्तीलाल व उस की पत्नी शिवदेवी ने कोमल पर सख्ती की और उस का घर से निकलना बंद कर दिया. यही नहीं उन्होंने प्रमोद के अपने घर आने पर भी प्रतिबंध लगा दिया. इस से प्रमोद और कोमल का मिलनाजुलना एकदम बंद हो गया. दोनों के पास मोबाइल फोन थे अत: जब भी मौका मिलता मोबाइल पर बातें कर के अपनेअपने मन की बात कह देते.

इधर रामसिंह और पुत्तीलाल व उन की पत्नियों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए गहन विचारविमर्श किया. विचारविमर्श के बाद तय हुआ कि दोनों की शादी कर दी जाए. शादी हो जाएगी तो समस्या भी हल हो जाएगी. कोमल अपनी ससुराल चली जाएगी तो प्रमोद भी बीवी के प्यार में बंध कर कोमल को भूल जाएगा.

इस के बाद रामसिंह प्रमोद के लिए तो पुत्तीलाल कोमल के लिए रिश्ता ढूंढ़ने लगे. रामसिंह को जल्द ही सफलता मिल गई. दरअसल उस के गांव का एक परिवार गुजरात के जाम नगर में बस गया था, जो उस की जातिबिरादरी का था. होली के मौके पर वह परिवार गांव आया था. इसी परिवार की लड़की से रामसिंह ने प्रमोद का रिश्ता तय कर दिया. 7 मई को तिलक तथा 12 मई को शादी की तारीख तय हो गई.

यद्यपि प्रमोद इस रिश्ते के खिलाफ था लेकिन घर वालों के आगे उस की एक नहीं चली. प्रमोद के रिश्ते की बात कोमल को पता चली तो उसे सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं हुआ. सच्चाई जानने के लिए कोमल ने घर वालों से छिप कर प्रमोद से मुलाकात की और पूछा, ‘‘प्रमोद, तुम्हारा रिश्ता तय हो जाने के बारे में मैं ने जो कुछ सुना है, क्या वह सच है?’’

‘‘हां, कोमल, तुम ने जो सुना है वह बिलकुल सच है. घर वालों ने मेरी मरजी के बिना रिश्ता तय कर दिया है.’’  प्रमोद ने बताया.

प्रमोद की बात सुन कर कोमल ने नाराजगी जताई और याद दिलाया, ‘‘प्रमोद तुम ने तो जीवन भर साथ रहने का वादा किया था. अब क्या हुआ. तुम्हारे उस वादे का?’’

इस पर प्रमोद ने उस से कहा कि वह अपने वादे को नहीं भूला है. उस के अलावा वह किसी और को अपनी जिंदगी नहीं बना सकता.

‘‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी.’’ कह कर कोमल उसके गले लग गई. फिर वह वापस घर आ गई.

इधर पुत्तीलाल ने भी कोमल का रिश्ता उन्नाव जिले के परियर सफीपुर निवासी विनोद के साथ तय कर दिया था. गुपचुप तरीके से पुत्तीलाल ने कोमल को दिखला भी दिया था. विनोद और उस के घर वाले कोमल को पसंद कर चुके थे. गोदभराई की तारीख 28 मार्च तय हो गई थी.

एक दिन कोमल ने अपने रिश्ते के संबंध में मांबाप की खुसुरफुसुर सुनी तो उस का माथा ठनका. उस से नहीं रहा गया तो उस ने मां से पूछ लिया. ‘‘मां, तुम पिताजी से किस के रिश्ते की खुसुरफुसुर कर रही थीं?’’

‘‘तेरे रिश्ते की. मैं ने तेरा रिश्ता परियर सफीपुर गांव के विनोद के साथ कर दिया है. 28 मार्च को तेरी गोद भराई है.’’ शिवदेवी बोली.

कोमल रोआंसी हो कर बोली, ‘‘मां आप ने मुझ से पूछे बिना ही मेरा रिश्ता तय कर दिया. जबकि आप जानती हैं कि मैं प्रमोद से प्यार करती हूं और उसी से शादी करना चाहती हूं.’’

‘‘मुझे पता है कि तू रिश्ते को कलंकित करना चाहती है. पर मैं अपने जीते जी ऐसा होने नहीं दूंगी. इसलिए तेरा रिश्ता पक्का कर दिया है. वेसे भी जिस प्रमोद से तू शादी करने की बात कह रही है. उस का भी रिश्ता तय हो चुका है. इसलिए मेरी बात मान और पुरानी बातों को भूल कर इस रिश्ते को स्वीकार कर ले.’’

कोमल मन ही मन बुदबुदाई कि मां यह तो समय ही बताएगा कि तुम्हारी बेटी दुलहन बनती है या फिर उस की अर्थी उठती है. फिर वह कमरे में चली गई और इस गंभीर समस्या के निदान के लिए मंथन करने लगी. मंथन करतेकरते उस ने सारी रात बिता दी लेकिन कोई हल नहीं निकला. आखिर उसने प्रमोद से मिल कर समस्या का हल निकालने की सोची.

दूसरे रोज कोमल ने किसी तरह प्रमोद से मुलाकात की और कहा, ‘‘प्रमोद मेरे घर वालों ने भी मेरी शादी तय कर दी है और 28 मार्च को गोदभराई है. लेकिन मैं इस शादी के खिलाफ हूं. क्योंकि मैं ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाऊंगी. प्रमोद मैं आज भी कह रही हूं कि तुम्हारे अलावा किसी अन्य की दुलहन नहीं बनूंगी.

कोमल और प्रमोद किसी भी तरह एकदूसरे से जुदा नहीं होना चाहते थे. अत: दोनों ने सिर से सिर जोड़ कर इस गंभीर समस्या का मंथन किया. हल यह निकला कि दोनों के घर वाले इस जनम में उन्हें एक नहीं होने देंगे. इसलिए दोनों मर कर दूसरे जनम में फिर मिलेंगे. यानी दोनों ने साथसाथ आत्महत्या करने का फैसला कर लिया.

उन्होंने अपने घर वालों तक को यह आभास नहीं होने दिया कि वे कौन सा भयानक कदम उठाने जा रहे हैं.

27 मार्च, 2019 की दोपहर प्रमोद कस्बा बिठूर गया. वहां एक दुकान से उस ने बालों पर कलर करने वाली डाई के 2 पैकेट तथा एक ब्लेड खरीदा और घर वापस आ गया. शाम 7 बजे उस ने घर वालों से कहा कि वह पान मसाला लेने जा रहा है. कुछ देर में आ जाएगा. गांव के बाहर निकल कर उस ने कोमल को  फोन किया कि वह नाले के पास आ जाए. वह उस का वही इंतजार कर रहा है.

कोमल की दूसरे रोज यानी 28 मार्च को गोदभराई थी. वह गोदभराई नहीं कराना चाहती थी, इसलिए वह शौच के बहाने घर से निकली और गांव के बाहर बह रहे नाले के पास जा पहुंची.

प्रमोद वहां पहले से ही उस का इंतजार कर रहा था. कोमल को साथ ले कर उस ने नाला पार किया. नाला पार करते समय उस की एक चप्पल टूट गई. इस के बाद दोनों शीशम के पेड़ के पास पहुंचे.

वहां बैठ कर दोनों ने कुछ देर बातें कीं. फिर प्रमोद ने जेब से डाई के पैकेट निकाले. उस ने एक पैकेट को ब्लेड से काट कर खोला. उन का मानना था कि डाई में भी जहरीला कैमिकल होता है. इसे पीकर दोनों अत्महत्या कर लेंगे लेकिन डाई को घोलने के लिए उन के पास न पानी था और न गिलास. अत: दोनों ने सूखी डाई फांकने का प्रयास किया. जिस से डाई उन के होंठों पर लग गई.

उसी समय प्रमोद की निगाह प्लास्टिक के फीते पर पड़ी जो सामने के खेत के चारों ओर बंधा था. प्रमोद ब्लेड से फीते को काट लाया. उस ने पेड़ पर चढ़ कर डाल में फीते को राउंड में लपेट दिया. इस के बाद उस ने फीते के दोनों सिरों पर फंदे बना दिए.

फिर एकएक फंदे में गरदन डाल कर दोनों झूल गए. कुछ देर बाद गला कसने से दोनों की मौत हो गई. मृतकों के शरीर के भार से प्लास्टिक का फीता खिंच गया, जिस से दोनों के पैर जमीन को छूने लगे थे.

28 मार्च, 2019 की सुबह जब गांव की कुछ औरतें नाले की तरफ गईं तो उन्होंने दोनों को शीशम के पेड़ से लटके देखा. उन की सूचना पर ही गांव वाले मौके पर पहुंचे.

चूंकि मृतकों के परिजनों ने पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी. इसलिए पुलिस ने कोई मामला दर्ज नहीं किया. इस के अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी स्पष्ट हो गया कि प्रमोद और कोमल ने आत्महत्या की थी. अत: पुलिस ने इस मामले की फाइल बंद कर दी. लेकिन लापरवाही बरतने के आरोप में एडिशनल एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन ने थानाप्रभारी सुधीर कुमार पवार को लाइन हाजिर कर दिया था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दोस्ती की अधूरी कहानी : एकतरफा प्यार में प्रेमिका की हत्या

बीते 6 मार्च की सुबह की बात है. होटल माही-7 के रूम अटेंडेंट ने कमरा नंबर 107 के दरवाजे की कुंडी खटखटाई. लेकिन अंदर से कोई आवाज नहीं आई. उस ने 1-2 बार फिर कुंडी बजाई. फिर भी कमरे के अंदर कोई हलचल सुनाई नहीं दी.

परेशान हो कर रूम अटेंडेंट ने होटल के रिसैप्शन पर जा कर मैनेजर और अन्य कर्मचारियों को यह बात बताई. इस पर होटल के कर्मचारियों ने उस कमरे के बाहर पहुंच कर कई बार कुंडी खटखटाई. साथ ही तेज स्वर में आवाजें भी दीं. लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया. कर्मचारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर बात क्या है.

होटल कर्मचारियों ने खिड़की से अंदर झांक कर देखा तो उन्हें मामला कुछ गड़बड़ नजर आया. कमरे में ठहरा हुआ दिव्यांग युवक ओमप्रकाश जाखड़ फर्श पर पड़ा था. होटल कर्मचारी ओमप्रकाश जाखड़ को जानते थे. लग रहा था जैसे वह अचेत हो. कमरे में बैड पर एक युवती पड़ी दिख रही थी. खिड़की से देखने पर न तो युवक में कोई हलचल नजर आ रही थी और न ही युवती में. होटल कर्मचारियों ने इस बारे में पुलिस को सूचना देना मुनासिब समझा.

फोन पर मिली सूचना के आधार पर पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस ने होटल के कमरे का दरवाजा खुलवाया. कमरे के अंदर बैड पर एक युवती पड़ी थी, जिस का मुंह कंबल से ढका हुआ था. गले पर गहरे निशान थे. साथ ही गले में कपड़ा भी बंधा हुआ था. उस की सांसें थम चुकी थीं.

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पुलिस अधिकारियों ने उस की नब्ज देखी, लेकिन उस में जीवन के लक्षण नजर नहीं आए. लग रहा था कि वह घंटों पहले मरी होगी. मौके के हालात से यह स्पष्ट नहीं हो रहा था कि युवती के साथ दुष्कर्म या सहवास तो नहीं हुआ था.

कमरे में फर्श पर पड़े दिव्यांग युवक ओमप्रकाश जाखड़ की सांसें चल रही थीं, वह अचेत था. पुलिस अधिकारियों ने ओमप्रकाश को तत्काल अस्पताल भिजवाया. युवती के शव को भी पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया. होटल के कमरे में युवती का शव और बेहोश युवक मिलने की बात सुन कर बड़ी संख्या में आसपास के लोग एकत्र हो गए. पुलिस ने होटल के कमरे की तलाशी ली. तलाशी में युवक युवती के शैक्षणिक दस्तावेज और 2-3 जोड़ी कपड़े मिले.

इस के अलावा सब्जियों पर छिड़कने वाला जहरीला कैमिकल भी मिला. इस से अंदाजा लगाया गया कि युवक ने जहरीला कैमिकल खा लिया होगा, जिस से वह अचेत हो गया था. यह बात साफ नहीं हो सकी कि युवती ने भी जहरीला कैमिकल खाया था या नहीं.

होटल वाले ओमप्रकाश को पहचानते थे, लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि वह कहां का रहने वाला है. वहां मिले दस्तावेजों के आधार पर पता चला कि ओमप्रकाश जाखड़ सीकर में दासा की ढाणी निवासी हरलाल जाखड़ का बेटा था. युवती का नाम कल्पना (बदला हुआ नाम) था. वह भी सीकर की रहने वाली थी.

पुलिस ने होटल कर्मचारियों से युवक युवती के ठहरने के संबंध में पूछताछ की. पता चला कि ओमप्रकाश इसी होटल के पास डीजे की दुकान चलाता था. इसलिए होटल मालिक और होटल के सभी कर्मचारी उसे खूब अच्छी तरह जानते थे.

वह उस युवती के साथ 5 मार्च की शाम को अपने दोस्त श्रवण के साथ अर्टिगा कार से होटल आया था. होटल के कर्मचारियों ने उसे ठहरने के लिए कमरा नंबर 107 दिया था.

कमरे में ठहरने के बाद ओमप्रकाश ने अपने दोस्त श्रवण से बातें की थीं. बाद में उस ने अपने बिजनैस पार्टनर मनोज को बुला कर उस से भी कुछ बातें की थीं. मनोज को उस ने करीब 70 हजार रुपए भी दिए थे. 1-2 अन्य लोगों से भी उस ने मुलाकात की थी.

6 मार्च की सुबह करीब 7 बजे ओमप्रकाश ने अपने कमरे में चाय मंगा कर पी थी. बाद में उस ने अपने दोस्त श्रवण को होटल बुलाया. होटल से श्रवण और ओमप्रकाश कहीं गए थे. कुछ देर बाद दोनों वापस लौट आए थे. आपस में कुछ बातें करने के बाद ओमप्रकाश होटल के कमरे में चला गया और श्रवण वहां से लौट गया था.

काफी देर बाद जब होटल कर्मचारियों ने ओमप्रकाश के कमरे के दरवाजे की कुंडी खटखटाई तो अंदर से कोई हलचल सुनाई नहीं दी. इस पर पुलिस को सूचना दे दी गई थी. पूछताछ में यह बात सामने आई कि होटल में ठहरे ओमप्रकाश और कल्पना के बीच कई साल से प्रेम संबंध थे.

यह घटना राजस्थान के सीकर की है. होटल माही-7 जयपुर-झुंझुनू रोड पर है. कल्पना की मौत का पता चलने पर उस के घर वाले भी होटल पहुंच गए. कल्पना का शव देख कर उस का भाई गश खा कर जमीन पर गिर गया. वहां मौजूद लोगों ने उसे संभाला. काफी देर बाद वह होश में आया.

घर वालों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने एक दिन पहले यानी 5 मार्च को उद्योग नगर थाने में कल्पना की गुमशुदगी की सूचना दी थी. उस के परिजनों ने होटल मालिकों और कर्मचारियों पर संदेह जताते हुए पुलिस को बताया वे 5 मार्च की शाम को होटल आए थे और होटल में ओमप्रकाश की स्कूटी खड़ी देखी थी. स्कूटी वहां खड़ी देख कर उन्होंने कल्पना और ओमप्रकाश के बारे में पूछताछ की थी, लेकिन होटल वालों ने कहा था कि यहां कोई नहीं ठहरा है.

होटल में शव मिलने पर कल्पना के घर वालों ने थाना उद्योग नगर में दिव्यांग ओमप्रकाश जाखड़, होटल संचालक मनफूल जाखड़, अरविंद, सोनू जाखड़ और अन्य लोगों के खिलाफ अपहरण, सामूहिक ज्यादती और हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया.

परिजनों ने पुलिस को बताया कि एमए फाइनल में पढ़ने वाली कल्पना पड़ोस में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने जाती थी. वह 5 मार्च की शाम को भी घर से स्कूटी पर ट्यूशन पढ़ाने के लिए निकली थी, लेकिन वापस घर नहीं लौटी तो उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

उन्होंने पुलिस को यह भी बताया कि करीब 6 महीने पहले कल्पना ने उन्हें बताया था कि ओमप्रकाश उसे फोन कर परेशान करता है. इस पर घर वालों ने ओमप्रकाश को समझाया था. इस के बावजूद ओमप्रकाश ने कहा था कि एक दिन वह कल्पना को उठा ले जाएगा. लेकिन कल्पना के घर वालों ने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया था. ओमप्रकाश कई साल पहले 8वीं कक्षा में कल्पना के साथ पढ़ा था.

उधर अचेत अवस्था में अस्पताल में भरती कराए गए दिव्यांग ओमप्रकाश की हालत नाजुक बनी हुई थी, इसलिए डाक्टरों ने सीकर से उसे जयपुर रैफर कर दिया.

कल्पना के परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम मैडिकल बोर्ड से कराने और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए शव लेने से इनकार कर दिया. करीब 7 घंटे तक चली समझाइश में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जल्द काररवाई का आश्वासन दिया. इस के बाद पोस्टमार्टम करवा कर कल्पना का शव उस के परिजनों को सौंपा गया.

इस दौरान पुलिस ने होटल के कमरे से घटना से संबंधित तथ्य जुटाए. प्रारंभिक जांच पड़ताल के साथसाथ होटल के सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर जब्त कर ली गई. होटल के 2 कर्मचारियों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. पुलिस को होटल परिसर में दिव्यांग युवक ओमप्रकाश की स्कूटी भी खड़ी मिल गई.

पुलिस ने जो जांचपड़ताल शुरू की, लेकिन जांच से कई सवाल ऐसे उठे, जिन के जवाब मिलने पर ही जांच आगे बढ़ सकती थी. पहला सवाल तो यह था कि जब होटल के पास ही ओमप्रकाश की डीजे की दुकान थी, तो उसे युवती के साथ होटल वालों ने कमरा कैसे और किस आधार पर दिया.

दूसरे कमरे में ओमप्रकाश को जहरीला पदार्थ किस ने दिया और कब ला कर दिया. युवती का ओमप्रकाश से संपर्क कैसे और कब हुआ और वह घर से होटल तक कैसे पहुंची.

ओमप्रकाश दिव्यांग था, उसे उतारने चढ़ाने के लिए आमतौर पर किसी के सहारे की जरूरत पड़ती थी. फिर उस ने युवती की हत्या कैसे की होगी.

इन सवालों के जवाब पुलिस को ओमप्रकाश से ही मिल सकते थे, लेकिन दूसरे दिन 7 मार्च को अस्पताल में उस की मौत हो गई. हालांकि इस से पहले 6 मार्च की शाम को कुछ देर होश में आने पर उस ने पुलिस को बयान दे दिए थे. इन बयानों में उस ने कल्पना की हत्या की बात स्वीकार की थी. ओमप्रकाश ने भले ही पुलिस को बयान दे दिए थे, लेकिन विस्तृत पूछताछ नहीं होने से कई सवालों के जवाब पुलिस को अभी नहीं मिल सके थे.

अपने बयानों में ओमप्रकाश ने बताया कि वह कल्पना से प्रेम करता था और उस से शादी करना चाहता था. इस के लिए उस ने दासा की ढाणी के रहने वाले अपने दोस्त श्रवण के साथ मिल कर योजना बनाई थी. लेकिन कल्पना शादी के लिए तैयार नहीं थी.

कल्पना को समझाने के लिए वह उस के साथ होटल आ कर वहां ठहरा था. कल्पना के शादी से इनकार करने की बात पर दोनों के बीच काफी देर बहस चलती रही. इस बीच दोनों में झगड़ा हो गया. इस से वह तनाव में आ गया.

वह काफी देर तक सोचता रहा. कल्पना भी होटल के कमरे में बैड पर पड़ी रोती रही. आधी रात के बाद ओमप्रकाश ने होटल के कमरे में बैड पर बिछी बैडशीट को फाड़ कर अपने हाथों से कल्पना का गला घोंट दिया. वह तब तक उस के गले को दबाए रहा, जब तक उस की आंखें बाहर नहीं निकल आईं.

कल्पना की मौत हो जाने पर ओमप्रकाश उसी बैड पर लाश के पास बैठा रहा. वह आगे की बातें सोचने लगा. उसे होटल वालों से रात को ही यह पता चल गया था कि कल्पना के घर वाले उन्हें ढूंढ रहे हैं. उसे पता था कि यह मामला पुलिस में जाएगा तो पुलिस उसे तलाश करेगी. इसलिए उस ने भी अपनी जान देने का फैसला कर लिया.

सुबह उस ने होटल वालों से मंगा कर चाय पी. फिर अपने दोस्त श्रवण को फोन कर के होटल बुलाया. श्रवण कुछ ही देर में होटल आ गया. ओमप्रकाश ने उसे कल्पना की हत्या के बारे में बता दिया. साथ ही यह भी बता दिया कि अब वह भी जीवित नहीं रहेगा. ओमप्रकाश ने जहरीला पदार्थ खा कर अपनी जान देने की बात कही.

श्रवण ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन ओमप्रकाश नहीं माना. श्रवण और ओमप्रकाश जहरीला पदार्थ लाने के लिए बाजार गए. वहां से लौट कर ओमप्रकाश होटल के कमरे में चला गया और श्रवण अपने घर लौट गया. ओमप्रकाश ने होटल के कमरे में जा कर जहरीला पदार्थ खा लिया. इस से वह अचेत हो गया.

पुलिस के लिए अब सब से पहले श्रवण को ढूंढना जरूरी था. उसी से ओमप्रकाश और कल्पना के बारे में सारी बातें पता चल सकती थीं. पुलिस ने श्रवण की तलाश में उस के घर दबिश दी, लेकिन वह नहीं मिला.

पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाते हुए मृतक ओमप्रकाश के बिजनैस पार्टनर मनोज और होटल मालिक अमित से पूछताछ की. मृतका कल्पना के घर वालों से भी पूछताछ कर पुलिस ने मामले की तह में जाने का प्रयास किया.

इस बीच पुलिस ने ओमप्रकाश के मोबाइल की जांचपड़ताल की, जिस से ओमप्रकाश और कल्पना की प्रेम कहानी सामने आ गई. पता चला कि दोनों के बीच लंबे समय से बातचीत हो रही थी. कल्पना की मौत से पहले 5 दिनों के भीतर दोनों के बीच करीब 6 घंटे से ज्यादा समय तक बातचीत हुई थी.

जांचपड़ताल के बाद पुलिस ने 10 मार्च को वह अर्टिगा कार जब्त कर ली, जिस से ओमप्रकाश और श्रवण कल्पना के साथ होटल पहुंचे थे. यह कार दिनेश पंवार की थी. दिनेश कार को किराए पर चलाता था. श्रवण 5 मार्च को यह कार दिनेश से ले गया था. दिनेश के बारे में पता लगने पर पुलिस उस की तलाश में जुट गई थी.

कई दिनों तक तमाम लोगों से पूछताछ और भागदौड़ के बाद पुलिस ने 15 मार्च को होटल माही-7 के संचालक अमित कुमार उर्फ सोनू को गिरफ्तार कर लिया. वह भी दासा की ढाणी का रहने वाला था.

कई दिनों से फरार चल रहा दासा की ढाणी का ही रहने वाला श्रवण भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया. पुलिस ने श्रवण और अमित उर्फ सोनू से पूछताछ की तो होटल में कल्पना की हत्या और उस के प्रेमी ओमप्रकाश के जहर खा कर जान देने की अधूरी प्रेम कहानी सामने आ गई.

सीकर के दासा की ढाणी में रहने वाला ओमप्रकाश दिव्यांग था. वह पैरों से चलने में लाचार था, लेकिन उस का बदन मजबूत था. कल्पना सीकर की रहने वाली थी. कल्पना और ओमप्रकाश एक स्कूल में पढ़े थे. इसी दौरान ओमप्रकाश मन ही मन कल्पना से प्यार करने लगा.

कल्पना की नजर में ओमप्रकाश उस का सहपाठी था. वह उस से हंसबोल लेती थी. स्कूली पढ़ाई छोड़ने के बाद कल्पना तो पढ़ाई में आगे बढ़ती गई. लेकिन ओमप्रकाश आगे नहीं पढ़ सका.

उस ने कुछ साल पहले अपने दोस्त मनोज के साथ मिल कर शादीब्याह में डीजे बजाने का काम शुरू कर दिया था. इस के लिए उन्होंने होटल माही-7 के पास ही दुकान ले रखी थी. ओमप्रकाश और मनोज का डीजे का काम अच्छा चल रहा था. इस से दोनों को अच्छी कमाई हो जाती थी.

इस बीच कल्पना ग्रैजुएशन करने के बाद एमए की पढ़ाई करने लगी थी. पढ़ाई के साथ वह बच्चों के घर जा कर उन्हें ट्यूशन भी पढ़ाती थी. ओमप्रकाश उसे फोन करता रहता था. कल्पना उसे दोस्त समझ कर उस से बात कर लेती थी. कभी कभी ओमप्रकाश प्रेम प्यार की बातें भी करता था, लेकिन कल्पना उस की बातों को तवज्जो नहीं देती थी.

कुछ महीने पहले ओमप्रकाश ने कल्पना को फोन कर के प्यार की पींगें बढ़ाने की कोशिश की तो कल्पना ने अपने परिवार वालों से उस की शिकायत कर दी. इस पर कल्पना के घर वालों ने ओमप्रकाश को समझाया था, लेकिन वह समझने के बजाए उल्टी सीधी बातें करने लगा.

बाद में ओमप्रकाश ने जब कई बार मोबाइल पर काल की तो कल्पना ने उस से बात नहीं की. एक दिन गलती से कल्पना ने उस का फोन उठा लिया तो ओमप्रकाश अपनी गलती के लिए माफी मांगने लगा. इस पर कल्पना ने भी पुरानी बातों को भुला दिया.

फिर न जाने ऐसा क्या हुआ कि ओमप्रकाश और कल्पना दोबारा मोबाइल पर बातें करने लगे. उन की रोजाना कई बार बातें होने लगीं. ओमप्रकाश कल्पना से शादी रचाने के सपने संजोने लगा था. कल्पना की उस के साथ सहानुभूति तो थी, लेकिन उस ने ओमप्रकाश के साथ शादी के बारे में कभी नहीं सोचा था.

ओमप्रकाश के लिए भी यह काम आसान नहीं था. इसलिए उस ने कल्पना को झांसे में ले कर सीकर से बाहर ले जा कर शादी करने की योजना बनाई.

इस काम में ओमप्रकाश ने अपने दोस्त श्रवण की मदद ली. श्रवण को उस ने अपनी पूरी योजना बता दी थी. श्रवण ने इस बारे में टैक्सी का काम करने वाले अपने दोस्त दिनेश पंवार से बात की. दिनेश ने एक प्रेमी जोड़े को देहरादून ले जा कर अपने परिचित दलाल के माध्यम से उन की शादी करवाई थी.

दिनेश ने श्रवण की देहरादून के अपने परिचित दलाल से बात भी करा दी. साथ ही सीकर से देहरादून जाने के लिए किराए पर अपनी अर्टिगा कार भी भेजने की बात पक्की कर ली. श्रवण ने ओमप्रकाश से बात कर 5 मार्च को गाड़ी भेजने की बात तय कर ली.

योजना के अनुसार, ओमप्रकाश ने 4 मार्च को ही कल्पना को कह दिया कि वह अगले दिन तैयार रहे, कहीं बाहर चलेंगे. ओमप्रकाश ने कल्पना को अपनी मार्कशीट और शैक्षणिक योग्यता के दस्तावेज के अलावा 2-3 जोड़ी कपड़े भी साथ लाने को कह दिया था. कल्पना ने थोड़ी नानुकुर के बाद साथ चलने की हामी भर ली. उस समय तक ओमप्रकाश ने कल्पना को शादी के बारे में नहीं बताया था.

6 मार्च को ओमप्रकाश और श्रवण अर्टिगा कार ले कर कल्पना के घर के पास पहुंच गए. कल्पना अपने घर से स्कूटी पर आई तो उस की स्कूटी को उन्होंने रास्ते में खड़ी करवा दी. फिर कल्पना को साथ ले कर ओमप्रकाश और श्रवण अर्टिगा कार से दिल्ली की ओर रवाना हो गए.

सीकर से कुछ आगे चलने पर ओमप्रकाश ने कल्पना को बताया कि वे कहीं बाहर चल कर शादी करेंगे. शादी की बात सुन कर कल्पना नाराज हो गई. इस पर ओमप्रकाश और उस के बीच विवाद होने लगा. दोनों के बीच काफी देर तक विवाद होता रहा.

इस पर ओमप्रकाश ने रास्ते में एक जगह गाड़ी रुकवा कर कल्पना को समझाने की कोशिश की, लेकिन कल्पना किसी भी कीमत पर ओमप्रकाश से शादी को तैयार नहीं हुई.

कल्पना के विरोध को देखते हुए ओमप्रकाश और श्रवण ने वापस सीकर लौटने का मन बना लिया. उन्होंने ड्राइवर से गाड़ी वापस सीकर ले चलने को कहा. सीकर पहुंच कर ओमप्रकाश ने कल्पना को किसी होटल के कमरे में बैठ कर बातें करने के लिए राजी कर लिया.

ओमप्रकाश, कल्पना और श्रवण 6 मार्च की शाम को अर्टिगा कार से होटल माही-7 पहुंच गए. ओमप्रकाश को होटल के सभी कर्मचारी जानते थे. वह भी होटल मालिकों से ले कर सभी कर्मचारियों को जानता था. इसलिए होटल स्टाफ ने उसे कमरा नंबर 107 दे दिया.

रात होने पर कल्पना अपने घर जाने को कहने लगी. ओमप्रकाश उसे समझाने की कोशिश करता रहा. कल्पना ने उस से शादी करने से साफतौर पर इनकार कर दिया तो दोनों में फिर विवाद शुरू हो गया. रात गहराने के साथ दोनों के बीच विवाद बढ़ता गया. अंतत: ओमप्रकाश ने कल्पना की हत्या करने का फैसला कर लिया.

आधी रात के बाद जब कल्पना बैड पर दूसरी ओर मुंह कर लेटी हुई अपनी गलतियों के बारे में सोच रही थी, तब ओमप्रकाश ने होटल के कमरे में बैड पर बिछी बैडशीट फाड़ कर उस से कल्पना का गला घोंट दिया. इस से कल्पना की आंखें बाहर निकल आईं और उस की सांसें थम गईं.

कल्पना की हत्या करने के बाद ओमप्रकाश अपने भविष्य के बारे में सोचने लगा. उसे अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था. निस्संदेह पुलिस और कल्पना के घर वालों को सब कुछ पता चल जाना था. ओमप्रकाश ने सोचा कि पुलिस उसे गिरफ्तार करेगी तो उस की और परिवार की बदनामी होगी.

यह सोच कर उसे अपनी करतूत पर पछतावा होने लगा. लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था. काफी सोचविचार के बाद ओमप्रकाश ने फैसला किया कि वह भी अपनी जान दे देगा. उस ने मन ही मन सोचा कि जब कल्पना उस की नहीं हो सकी तो वह भी जी कर क्या करेगा.

सुबह होने पर ओमप्रकाश ने होटल स्टाफ से चाय मंगा कर पी. फिर अपने दोस्त श्रवण को फोन कर के होटल बुलाया. श्रवण को उस ने कल्पना की हत्या की बात बता दी और अपनी जान देने के फैसले के बारे में भी बता दिया. श्रवण ने उसे काफी समझाया, लेकिन वह अपनी जिद पर अड़ा रहा.

आखिर श्रवण उसे बाजार ले जाने को तैयार हो गया. ओमप्रकाश और श्रवण होटल से स्कूटी द्वारा बाजार गए, जहां ओमप्रकाश ने बीज भंडार की एक दुकान से 360 रुपए में सब्जियों पर छिड़कने वाला कीटनाशक खरीदा.

वहां से दोनों वापस होटल आ गए. श्रवण के वापस लौट जाने के बाद ओमप्रकाश ने होटल के कमरे में जा कर कीटनाशक खा लिया. कुछ घंटों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद ओमप्रकाश ने भी दम तोड़ दिया.

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पुलिस ने बाद में कल्पना के अपहरण में सहयोगी मानते हुए अर्टिगा कार के मालिक दिनेश पंवार को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने वे 70 हजार रुपए भी बरामद कर लिए, जो ओमप्रकाश ने 5 मार्च की शाम को अपने बिजनैस पार्टनर मनोज को दिए थे. मनोज ने यह रकम होटल स्टाफ को रखने के लिए दे दी थी.

हत्या से पहले युवती से दुष्कर्म हुआ या नहीं, इस की स्लाइड जांच के लिए भेज दी गई. पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि ओमप्रकाश और कल्पना के बीच दिन में 10 से 15 बार तक बातें होती थीं.

यह तय है कि अगर श्रवण और होटल वालों ने गलतियां नहीं की होतीं तो शायद कल्पना और ओमप्रकाश आज जीवित होते. होटल वालों ने 5 मार्च की शाम को सच्चाई छिपा ली थी.

कल्पना के घर वाले जब पूछताछ करने होटल पहुंचे तो उन्होंने उस के वहां नहीं होने की बात कही, जबकि उस समय ओमप्रकाश और कल्पना होटल के कमरे में ही थे. श्रवण ने भी सब कुछ पता होने के बावजूद किसी को इस की जानकारी नहीं दी.

विडंबना यह रही कि ओमप्रकाश ने एकतरफा प्यार किया. कल्पना से कभी उस के दिल की बात नहीं पूछी. कल्पना भी उसे अपना दोस्त मानती रही. दोनों की नासमझी ने दोस्ती की कहानी को अधूरा छोड़ कर उस के पन्ने ही फाड़ दिए.

तीसरे पति की चाहत में

निशा के जीवन की रक्तिम रात

खतरनाक मंसूबे की चपेट में नीलम

4 अप्रैल, 2019 गुरुवार का दिन था. सुबह के लगभग साढ़े 4 बजे थे. सिपाही नीलम शर्मा की सुबह 5 बजे से दोपहर एक  बजे तक मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ड्यूटी थी. नीलम ने तैयार हो कर अपना लंच बौक्स पिट्ठू बैग में रखा और दामोदरपुरा के मुख्यद्वार पर प्याऊ के पास पहुंच गई. यहीं पर रोजाना उसे लेने के लिए पुलिस की बस आती थी. प्याऊ के पास खड़ी हो कर वह स्टाफ की बस का इंतजार करने लगी.

बस आने के लगभग 5 मिनट पहले एक कार नीलम शर्मा से लगभग 200 मीटर की दूरी पर आ कर रुकी. उस समय नीलम का ध्यान अपनी बस के आने की तरफ था. अचानक आगे बढ़ी कार नीलम के पास आई. झटके से रुकी कार से उतर कर एक युवक तेजी से नीलम की ओर बढ़ा. जबकि कार में बैठे अन्य युवकों ने कार स्टार्ट रखी.

कार से उतरे युवक ने नीलम से कुछ बात की, इस के बाद उस ने नीलम के ऊपर तेजाब फेंक दिया. नीलम ने अपना बैग उस के मुंह पर मारा तो वह फुरती से कार में जा कर बैठ गया. कार वहां से कुछ दूर जा कर खड़ी हो गई.

अचानक हुए एसिड अटैक से झुलसी 26 वर्षीय नीलम घबरा गई. वह तेजाब की जलन से तड़पने लगी. उस ने शोर मचाया. मदद के लिए वह इधरउधर भागने लगी. जो भी उसे मिला, उस ने उसी से मदद की गुहार लगाई.

इस बीच अखबार के एक हौकर ने महिला सिपाही को बचाने का प्रयास किया. तभी हमलावरों ने उन दोनों पर कार चढ़ाने की कोशिश की. लेकिन हौकर महिला सिपाही को ले कर एक तरफ हट गया, जिस से दोनों बच गए. हौकर ने उस कार पर पत्थर भी फेंके पर कार रुकी नहीं, तेज गति से चली गई.

रोते बिलखते वह सिपाही एक दुकान के आगे गिर गई और दर्द की वजह से चीखने लगी. तेजाब से नीलम के कपड़े भी जल गए थे. यह देख दुकानदार ने मौर्निंग वाक पर निकली महिलाओं को बुलाया और उन की चुन्नी से नीलम को ढंका. उसी समय किसी ने इस घटना की जानकारी फोन द्वारा पुलिस को दे दी.

नीलम ने किसी तरह अपनी सहकर्मी सिपाही नीतू को फोन कर दिया था. थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई और नीलम को जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

जानकारी मिलते ही एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह, एसपी (क्राइम) अशोक कुमार मीणा, एसपी (सुरक्षा) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी अस्पताल पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. यह घटना विश्वप्रसिद्ध धार्मिक नगरी मथुरा में घटी थी.

नीलम पिछले एक साल से थाना सदर बाजार क्षेत्र के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां अपनी सहकर्मी नीतू के साथ रह रही थी. नीलम के मकान मालिक सुरेंद्र सिंह भी नीतू के साथ अस्पताल पहुंच गए.

महिला सिपाही नीलम पर एसिड अटैक की घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पूछताछ में नीलम ने पुलिस को बताया कि इस वारदात को संजय नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ अंजाम दिया था.

वह संजय को पहले से जानती थी. नीलम ने सदर बाजार थाने में संजय सिंह उर्फ बिट्टू निवासी नेमताबाद, खुर्जा (बुलंदशहर) व सोनू सहित 4 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. भादंवि की धारा 326(ए), 332 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस हमलावरों की तलाश में जुट गई.

नीलम की हालत थी नाजुक

जिला अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि नीलम तेजाब से लगभग 45 फीसदी झुलस गई है. एसिड से उस का चेहरा, एक आंख, हाथ व शरीर के अन्य हिस्से जल गए थे. नीलम की नाजुक हालत को देखते हुए उसी दिन शाम को उसे आगरा के सिकंदरा क्षेत्र स्थित सिनर्जी अस्पताल रेफर कर दिया गया. एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह खुद उसे ले कर सिनर्जी अस्पताल में भरती कराने पहुंचे.

सिनर्जी अस्पताल के डाक्टर नीलम के इलाज में जुट गए. उन्होंने बताया कि नीलम की हालत स्थिर बनी हुई है. जब नीलम के घर वालों को बेटी के साथ घटी दिल दहलाने वाली घटना की जानकारी मिली तो उन के होश उड़ गए. वे भी सीधे सिनर्जी अस्पताल पहुंच गए.

आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम इस हादसे से बेहद डरी हुई थी. कहने को अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा लगाई गई थी लेकिन पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से और कड़ी सुरक्षा की मांग की. उन्हें डर था कि फरार संजय उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.

इस पर एसएसपी ने पीडि़ता व उस के घर वालों को हरसंभव सुरक्षा देने का वायदा किया. घर वालों के अलावा अन्य किसी को भी अस्पताल में पीडि़ता से मिलने पर रोक लगा दी गई.

महिला सिपाही पर एसिड अटैक की यह दुस्साहसिक घटना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई थी. हर कोई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में यह खबर सुर्खियां बन गई थीं. इस से पुलिस की किरकिरी हो रही थी.

अभियुक्तों के फरार होने को ले कर उस दिन सोशल मीडिया पर भी सवाल खड़े होते रहे. लोगों का कहना था कि जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो भला आम आदमी का क्या होगा.

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया ओ.पी. सिंह ने मथुरा के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज से महिला कांस्टेबल नीलम शर्मा पर हुए एसिड अटैक की पूरी जानकारी ली. उन्होंने निर्देश दिए कि हमलावरों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. इस एसिड अटैक के लिए जिम्मेदार कहीं भी हों, उन्हें ढूंढ निकाला जाए.

मथुरा में पुलिसकर्मी नीलम पर हुए एसिड अटैक के बाद महिला संगठनों के साथसाथ छात्राओं ने भी आक्रोश व्यक्त किया. वात्सल्य पब्लिक स्कूल, राधाकुंड, चरकुला ग्लोबल पब्लिक स्कूल और गौड़ शिक्षा निकेतन में शिक्षिकाओं एवं छात्रछात्राओं ने पीडि़ता के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

उन्होंने एसिड फेंकने वाले दोषी लोगों को फांसी देने की मांग की. वहीं आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम को देखने के लिए महिला शांति सेना की सदस्याएं पहुंची. संरक्षिका कुंदनिका शर्मा ने आरोपियों को शीघ्र पकड़ने व कड़ी सजा दिलाने की मांग की.

पकड़ा गया मुख्य आरोपी

एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने आरोपियों को पकड़ने के लिए अलगअलग थानों के तेजतर्रार पुलिस अफसरों की 5 पुलिस टीमें बनाईं. ये टीमें मथुरा के अलावा खुर्जा और बुलंदशहर जा कर आरोपियों को तलाशने लगीं. इस बीच पुलिस को हमलावरों की कार नंबर डीएल 2पीए8381 घटनास्थल से कुछ दूर लावारिस हालत में खड़ी मिली. कार पुलिस ने जब्त कर ली.

पुलिस टीम ने अगले दिन 5 अप्रैल को शाम 5 बजे मुखबिर की सूचना पर एक आरोपी सोनू को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने बताया कि नीलम शर्मा के ऊपर तेजाब संजय सिंह ने डाला था. सोनू की निशानदेही पर रात करीब 11 बजे घटना के मुख्य आरोपी संजय सिंह को मुठभेड़ के बाद यमुनापार इलाके के राया रोड स्थित राधे कोल्डस्टोरेज के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.

मुठभेड़ के दौरान संजय के बाएं पैर में गोली लग गई थी. पुलिस ने इलाज के लिए उसे अस्पताल में भरती करा दिया था. संजय के कब्जे से पुलिस ने एक तमंचा और एक बाइक बरामद की. पुलिस ने संजय सिंह से जब सख्ती से पूछताछ की तो सिपाही नीलम शर्मा पर एसिड अटैक करने की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की चाशनी में डूबी हुई निकली—

नीलम शर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर की कोतवाली शिकारपुर के गांव आंचरू कलां की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम सुंदरलाल शर्मा था. जबकि मुख्य आरोपी संजय सिंह खुर्जा में एक कंप्यूटर सेंटर चलाता था. जब नीलम पढ़ाई कर रही थी, तब उस का संजय सिंह की दुकान पर आनाजाना लगा रहता था.

संजय और नीलम की मुलाकात कंप्यूटर सेंटर में हुई जो बाद में दोस्ती में बदल गई थी. दोस्त बन जाने के बाद दोनों फोन पर भी बातें करने लगे. दोस्ती बढ़ी तो संजय नीलम को एकतरफा प्यार करने लगा, जबकि नीलम उसे केवल अपना दोस्त ही समझती थी.

एक दिन संजय ने अपने मन की बात नीलम के सामने जाहिर कर दी तो नीलम ने उसे झिड़क दिया और उस से दूरी बना ली. इस पर संजय ने इस बारे में नीलम के घर वालों से बात की. चूंकि संजय उन की बिरादरी का नहीं था, इसलिए नीलम के पिता सुंदरलाल शर्मा ने नीलम की शादी संजय से करने को मना कर दिया.

इस के बाद नीलम की सन 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी संजय ने उसे परेशान करना बंद नहीं किया. और कोई रास्ता न देख नीलम ने अपना फोन नंबर बदल दिया. लेकिन इस के बावजूद संजय ने उसे ढूंढ निकाला और परेशान करने लगा.

संजय लगातार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था. इस से परेशान हो कर नीलम के घर वालों ने उस की शादी कहीं दूसरी जगह तय कर दी.यह बात संजय को बुरी लगी. उसे लगने लगा कि उस की प्रेमिका अब किसी और की हो जाएगी.

सन 2017 में नीलम की पोस्टिंग मथुरा में हो गई. कुछ दिनों वह पुलिस लाइन में रही, इस के बाद सन 2018 में उस की तैनाती श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा में हो गई. इस पर नीलम मथुरा के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां किराए पर रहने लगी. उस ने अपनी बैचमेट और सहेली नीतू को भी उस कमरे में अपने साथ रख लिया था.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में संजय सिंह ने बताया कि वह नीलम से प्यार करता था. उस से उस की पिछले 10 सालों से जानपहचान थी. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन उस ने बात तक करनी बंद कर दी थी. जब उसे पता चला कि नीलम की शादी कहीं और तय हो गई है, तब उस ने तय कर लिया था कि वह अपनी प्रेमिका को किसी और की हरगिज नहीं होने देगा.

खतरनाक इरादे

उस की शादी रोकने के लिए उस ने नीलम के ऊपर तेजाब डालने का फैसला कर लिया. इस काम के लिए उस ने अपने दोस्तों हिमांशु ठाकुर, बौबी, किशन शर्मा और सोनू को भी तैयार कर लिया. ये सब उस की प्रेम कहानी को जानते थे.

सब से पहले इन लोगों ने नीलम के आनेजाने के मार्ग की रेकी की. इस से पता लग गया कि उस की ड्यूटी श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा पर लगी है और वह सुबह पैदल ही दामोदरपुरा के प्याऊ पर पहुंचती है. वहां से वह पुलिस की बस में बैठ कर जाती है.

उन्होंने प्याऊ के पास ही योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया. यह भी तय कर लिया था कि यदि नीलम बच गई तो उसे गोली मार देंगे. और अगर उस के साथ उस की सहेली नीतू हुई तो उसे भी जिंदा नहीं छोड़ेंगे.

सभी ने बौबी की कार से घटना को अंजाम देने की बात तय कर ली. योजना बनाने के बाद संजय ने खुर्जा में पाहसू रोड स्थित दुकानदार पुनीत शर्मा के यहां से तेजाब खरीद लिया. फिर 4 अप्रैल, 2019 की सुबह उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया.

संजय की निशानदेही पर पुलिस ने तेजाब विक्रेता पुनीत शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने संजय सिंह, सोनू और पुनीत शर्मा को कोर्ट में पेश कर संजय का रिमांड मांगा.

गोली लगने की वजह से संजय अस्पताल में भरती था. अदालत ने पुलिस की मांग मंजूर कर सोनू और पुनीत शर्मा को जेल भेज दिया और गोली से घायल संजय को पुलिस कस्टडी में सौंप दिया.

पुलिस को अभी कई आरोपी गिरफ्तार करने थे. संजय की निशानदेही पर 6 अप्रैल को पुलिस ने बौबी और किशन शर्मा को गोकुल बैराज मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. शाम 6 बजे के करीब वे दोनों मथुरा आए हुए थे. पुलिस के अनुसार, उन का अपराध इसलिए भी गंभीर हो गया क्योंकि उन्होंने संजय को रोकने के बजाए उकसाया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रविवार को जेल भेज दिया. एसिड अटैक के अब तक 5 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे. अभी एक आरोपी हिमांशु ठाकुर पुलिस की गिरफ्त से दूर था.

पुलिस को 9 अप्रैल, 2019 को पता चला कि फरार आरोपी हिमांशु मथुरा आ रहा है. इस के बाद स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार, थाना सदर बाजार प्रभारी लोकेश भाटी और छाता कोतवाली प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा ने घेराबंदी कर के गोकुल बैराज पर उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फायर कर के बाइक से भागने लगा. उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने भी गोली चलाई.

गोली उस की दाहिनी टांग में लगी थी. घायल आरोपी वहीं गिर गया. इस के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

अपराध में हिमांशु भी था बराबर का हिस्सेदार

हिमांशु की सीधे हाथ की अंगुलियां तेजाब से जल गई थीं. पुलिस ने उस के पास से बाइक व तमंचा भी बरामद कर लिया. पूछताछ में उस से काम की कई बातें पता चलीं. हिमांशु को भी अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

उधर मुख्य आरोपी संजय सिंह जिस की बाईं टांग में गोली लगी थी, उस का औपरेशन किया गया. उसे 2 यूनिट खून भी चढ़ाया गया.

प्रैस कौन्फ्रैंस में एसएसपी ने बताया कि आरोपी संजय ने जबरन शादी के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. महिला पुलिसकर्मी पर एसिड अटैक की दिल दहला देने वाली घटना में शामिल सभी 6 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

इन में से 4 को जेल भेज दिया गया, जबकि 2 घायल आरोपी अस्पताल में भरती हैं, जहां उन का उपचार चल रहा है. सभी पर एनएसए भी लगाया जाएगा. एसिड अटैक से घायल महिला पुलिसकर्मी नीलम की हरसंभव सहायता की जाएगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

तीसरे पति की चाहत में – भाग 3

इधर राजू आरती को साथ ले कर लखनऊ से कानपुर आ गया. वहां उस ने विजय नगर कच्ची बस्ती में एक मकान किराए पर ले लिया और आरती के साथ रहने लगा. एक महीने बाद दोनों ने शास्त्री नगर स्थित काली मंदिर में एकदूसरे को जयमाला पहना कर प्रेम विवाह कर लिया.

प्रेम विवाह करने के बाद दोनों सुखमय जीवन व्यतीत करने लगे. राजू और आरती दोनों एकदूसरे को टूट कर चाहते थे. राजू आरती को हर तरह से खुश रखने में लगा रहता था. आरती भी अपने दूसरे पति का भरपूर खयाल रखती थी.

हंसीखुशी 3 साल बीत गए. उस के बाद आरती का मन राजू से भर गया. अब वह राजू से दूरियां बनाने लगी. दरअसल, राजू की आर्थिक स्थिति अब कमजोर हो गई थी. उस की कमाई का आधा हिस्सा आरती अपने शृंगार व कपड़ों पर ही खर्च कर देती थी. फिर मकान का किराया और गृहस्थी के अन्य खर्चों की वजह से पैसे का अभाव हो जाता था. इसे ले कर आरती और राजू में झगड़ा होने लगा था.

राजू का एक दोस्त निर्मल श्रीवास्तव था. वह भी राजू के साथ मजदूरी करता था. दोनों में खूब पटती थी. कभी कभी शाम को राजू के घर दोनों की महफिल भी जम जाती थी. वह राजू की आर्थिक मदद भी करता रहता था. इसलिए राजू निर्मल के अहसानों तले दबा रहता था. निर्मल आरती को मन ही मन चाहता था, लेकिन आरती से अपनी बात कह नहीं पाता था.

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कहते हैं औरत की निगाह पारखी होती है. आरती जानती थी कि निर्मल उसे मन ही मन चाहता है. अत: आरती ने अपने कदम निर्मल की तरफ बढ़ा दिए. आरती निर्मल के साथ होने वाली हंसीमजाक की सीमाएं भी लांघने लगी.

निर्मल श्रीवास्तव कमाता तो था लेकिन तनहा जिंदगी व्यतीत कर रहा था. उसे औरत की कमी खलती थी. आरती ने जब उसे भाव देना शुरू किया तो वह आरती के प्रेम में डूबता चला गया. निर्मल ने अब राजू की गैरमौजूदगी में भी उस के घर आना शुरू कर दिया. निर्मल जब भी आता, आरती के लिए कुछ न कुछ उपहार जरूर लाता.

एक दोपहर निर्मल घर आया तो उस ने आते ही आरती को अपनी बांहों में भर लिया और प्रणय निवेदन करने लगा. आरती उस की बांहों में कसमसाते हुए बोली, ‘‘बाहर का दरवाजा खुला है. कोई देख लेगा तो बिना मतलब फजीहत होगी.’’

निर्मल ने आरती को बाहुपाश से मुक्त किया और बाहर का दरवाजा बंद कर फिर उसे बांहों में जकड़ लिया. आरती भी निर्मल का साथ देने लगी. इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.

इस के बाद निर्मल और आरती का मिलन अकसर होने लगा. आरती निर्मल की ऐसी दीवानी बन गई कि उस ने उसे तीसरे पति के रूप में चुन लिया. यही नहीं, उस ने राजू को बिना बताए कामेश्वर मंदिर, विजय नगर में निर्मल से प्रेम विवाह भी कर लिया. अब आरती और निर्मल गुपचुप तरीके से पतिपत्नी की तरह रहने लगे.

राजू को जब निर्मल और आरती के संबंधों की बात पता चली तो उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उस ने आरती की जम कर पिटाई की तथा निर्मल को भी भलाबुरा कहा. इस के बाद राजू ने विजय नगर वाला मकान छोड़ दिया और काकादेव थानांतर्गत मतैयापुरवा में अमित राजपूत के मकान में किराए पर रहने लगा. यह बात अगस्त 2018 की है.

आरती, राजू के साथ मतैयापुरवा वाले मकान में रहने जरूर लगी, लेकिन उस ने निर्मल का साथ नहीं छोड़ा. राजू घर से काम पर चला जाता तो आरती सजसंवर कर निर्मल के पास पहुंचा जाती. फिर मौजमस्ती कर वापस आ जाती. राजू को आरती पर शक रहने लगा था, इसलिए निर्मल को ले कर दोनों में अकसर झगड़ा होने लगा था. झगड़े के दौरान ही एक दिन आरती ने बता दिया कि उस ने निर्मल से ब्याह रचा लिया है और अब वह निर्मल की पत्नी बन कर उस के साथ ही रहेगी.

आरती की बात सुन कर राजू सन्न रह गया. उस ने आरती को बहुत समझाया लेकिन वह नहीं मानी. इस के बाद वह राजू का साथ छोड़ कर निर्मल के साथ विजय नगर में रहने लगी.

पत्नी की बेवफाई से राजू टूट गया. वह परेशान रहने लगा तथा शराब भी ज्यादा पीने लगा. पत्नी की बेवफाई में उस ने कई पत्र लिखे. आखिर में राजू ने आरती को बेवफाई की सजा देने का निश्चय कर लिया.

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26 फरवरी, 2019 की दोपहर राजू ने आरती से मोबाइल पर बात की और उस से घर आने का आग्रह किया. आरती ने पहले तो मना कर दिया लेकिन राजू के बारबार आग्रह से वह पिघल गई.

लगभग 2 बजे आरती राजू के मतैयापुरवा वाले कमरे पर पहुंची. राजू ने आरती को मना कर फिर से उस की जिंदगी में लौट आने की मिन्नत की. लेकिन आरती ने दो टूक जवाब दे दिया. इस के बाद बेवफाई को ले कर आरती और राजू में तीखी बहस शुरू हो गई.

इसी बहस के दौरान राजू अचानक ही दुपट्टे से आरती का गला कसने लगा. बचाव में आरती की चूडि़यां भी टूट गईं और कपड़े भी अस्तव्यस्त हो गए. आरती ने जान बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सकी. राजू के हाथ तभी ढीले पड़े, जब उस ने आरती का काम तमाम कर दिया.

आरती की हत्या के बाद राजू ने निर्मल को फोन के जरिए जानकारी दी कि उस ने आरती को मार दिया है, उस की लाश उस के कमरे में पड़ी है, आ कर लाश ले जाए. इस के बाद राजू कमरे में ताला लगा कर फरार हो गया.

इधर निर्मल बदहवास हालत में राजू के कमरे पर पहुंचा तो कमरे में ताला लगा था. उस ने खिड़की से झांक कर देखा तो आरती की लाश पड़ी थी. निर्मल ने शोर मचाया तो मकान मालिक अमित कुमार आ गया. इस के बाद अमित कुमार थाना काकादेव पहुंचा और आरती की हत्या की सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी राजीव सिंह घटनास्थल पर पहुंचे और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की.

3 मार्व, 2019 को थाना काकादेव पुलिस ने अभियुक्त राजू को कानपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. मृतका आरती के प्रेमी (पति) निर्मल श्रीवास्तव का हत्या में कोई हाथ नहीं था इसलिए पुलिस ने उसे छोड़ दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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तीसरे पति की चाहत में – भाग 2

राजू मूलरूप से गोंडा के ही कटरा बाजार का निवासी था. लखनऊ में रह कर वह मजदूरी करता था. गोमतीनगर स्थित जिस बहुमंजिला इमारत के निर्माण में रमेश राजमिस्त्री का काम करता था, उसी में राजू मजदूरी करता था.

रमेश और राजू दोनों ही गोंडा के रहने वाले थे, इसलिए दोनों में खूब पटती थी. काम खत्म करने के बाद दोनों शराब के ठेके पर साथ बैठ कर शराब पीते थे. शराब के लिए पैसे राजू ही देता था.

एक शाम दोनों के कदम शराब ठेके पर जा कर रुके तो रमेश बोला, ‘‘यार राजू, तुम अकसर अपने पैसों से मुझे शराब पिलाते हो, लेकिन आज मैं तुम्हें शराब की दावत दूंगा. शराब के साथ आज का खाना तुम मेरे घर पर ही खाओगे.’’

राजू इस के लिए राजी हो गया. रमेश यह सोच कर खुश था कि दोस्ती में उस ने यह नेक काम किया है. लेकिन यही उस की सब से बड़ी गलती थी.

उसी शाम राजू रमेश के घर पहुंचा तो पहली बार आरती से सामना हुआ. नजरें मिलीं तो मानो उलझ कर रह गई. राजू के मन में विचार आया कि आरती कहां रमेश के पल्ले पड़ गई.

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रमेश अधेड़ उम्र का कालाकलूटा और आरती खूबसूरत. इसे तो मेरे नसीब में होना चाहिए था. दूसरी तरफ आरती के दिल में भी राजू को देख कर हलचल मच गई थी. आरती की नजरों में राजू सच में ऐसा पुरुष था, जैसी उस ने कल्पना की थी.

उस रोज राजू ने आरती के हाथ का बना खाना खाया तो उस ने उस की जम कर तारीफ की. खाने पीने के दौरान कई बार राजू और आरती की आंखें चार हुईं. इस अल्प अवधि में ही राजू और आरती में आंखों के जरिए नजदीकियां बन गईं.

दोनों के अंदर आग एक जैसी थी, इसलिए संपर्क बनाए रखने के लिए उन्होंने एकदूसरे के मोबाइल नंबर ले लिए. इस के बाद वे आपस में बातचीत करने लगे. कुछ दिनों तक औपचारिक बातचीत हुई, फिर यही बातचीत प्यार मोहब्बत तक पहुंच गई.

एक दिन दोपहर को राजू मौका निकाल कर रमेश के घर जा पहुंचा. उस समय रमेश साइट पर था और बच्चे स्कूल गए थे. घर में आरती अकेली थी. आरती के सौंदर्य को देख कर राजू खुद को रोक न सका और उस ने आगे बढ़ कर आरती को अपनी बांहों में भर लिया. आरती ने दिखावे के लिए छूटने का प्रयास किया, लेकिन छूट न सकी.

राजू की बांहों में आरती जो सुख महसूस कर रही थी, वह उस सुख से काफी समय से वंचित थी. उस की तमन्नाएं अंगड़ाई लेने लगीं. फिर वह भी अमरबेल की तरह राजू से लिपट गई. इस के बाद दोनों ने मर्यादाएं लांघ कर अपनी हसरतें पूरी कीं.

उस दिन के बाद आरती राजू के प्यार में इतनी ज्यादा दीवानी हो गई कि वह पति से ज्यादा प्रेमी राजू का खयाल रखने लगी. राजू भी अपनी कमाई आरती पर खर्च करने लगा. रमेश शराब का लती था. उस की इस कमजोरी का राजू ने भरपूर फायदा उठाया. वह हर शाम शराब की बोतल ले कर उस के घर पहुंच जाता. वह खुद कम पीता और रमेश को अधिक पिला कर नशे में चूर कर देता. जब रमेश सो जाता, तब आरती और राजू वासना का खेल खेलते.

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एक रात रमेश की नींद खुल गई. उस ने आरती व राजू को आपत्तिजनक स्थिति में देखा तो क्रोध से पगला गया. गाली गलौज कर के उस ने राजू को भगा दिया. इस के बाद उस ने आरती की खूब पिटाई की. मौके की नजाकत भांप कर आरती ने रमेश से वादा किया कि आइंदा वह राजू से किसी तरह का संबंध नहीं रखेगी.

आरती ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन 2-4 दिन बाद ही उसे राजू की याद सताने लगी. वहीं राजू को भी चैन नहीं था. लिहाजा मौका देख कर आरती राजू को फोन लगा देती और दोनों बात कर लेते.

एक दिन रमेश साइट पर गया, लेकिन किसी कारणवश काम बंद था. अत: वह वापस घर पहुंच गया. कमरा अंदर से बंद था. तभी उसे कमरे के अंदर से पत्नी के हंसने की आवाज सुनाई दी. उस ने दरवाजा खुलवाने के बजाए दरवाजे की झिर्री से अंदर झांका तो अंदर का दृश्य देख कर सन्न रह गया. कमरे में आरती राजू के साथ मौजमस्ती कर रही थी.

दोस्त के साथ पत्नी को एक बार फिर देख कर रमेश का खून खौल उठा. लेकिन वह बोला कुछ नहीं. कुछ देर वह जड़वत खड़ा रहा. उस के बाद दरवाजा खुलवाया तो अपराधबोध से आरती व राजू कांपने लगे. दोनों ने रमेश से माफी मांगी. पर उस ने माफ नहीं किया. रमेश ने राजू को फटकार लगाई, ‘‘आस्तीन के सांप, भाग जा घर से वरना मैं तेरा गला घोंट दूंगा.’’

राजू बिना कुछ बोले वहां से चला गया.

इस के बाद रमेश ने सारा गुस्सा आरती पर उतारा. वह आरती को तब तक पीटता रहा, जब तक वह थक नहीं गया. आरती कई दिन तक चारपाई पर पड़ी रही. लेकिन आरती की इस पिटाई ने आग में घी का काम किया. वह पति से नफरत करने लगी. उस ने घर में कलह भी शुरू कर दी. आरती जान गई थी कि अब उस का ऐसे जुल्मी पति के साथ गुजारा संभव नहीं है.

अत: उस ने एक दिन राजू से मुलाकात की और उसे बताया कि यदि वह उसे सच्चा प्यार करता है तो उसे अपने साथ ले चले, वरना वह अपनी जान दे देगी. राजू भी यही चाहता था. अत: उस ने आरती को समझाया कि वह धैर्य रखे. शीघ्र ही वह उसे अपना जीवनसाथी बना लेगा. आश्वासन पा कर आरती खुश हो गई.

आरती अब घर में खुश रहने लगी थी. पति की बात भी मानने लगी थी. इतना ही नहीं, उस ने घर में लड़ना भी बंद कर दिया था. घर का सारा काम भी वह समय पर करने लगी थी. पत्नी में आए इस बदलाव से रमेश हैरान था. वह यही सोच रहा था कि आरती को अपनी गलती का अहसास हो गया है, जिस से वह सुधर गई है.

लेकिन एक दिन जब शाम को रमेश घर आया तो बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे. पूछने पर बच्चों ने बताया कि वे जब स्कूल से घर वापस आए तो मम्मी घर में नहीं थीं. उन्होंने पासपड़ोस में खोजा, लेकिन वह नहीं मिली.

बच्चों की बात सुन कर रमेश का माथा ठनका. उस ने घर में नजर दौड़ाई तो संदूक का ताला खुला था. संदूक में रखे पैसे गायब थे. संदूक में रखे आरती के कपड़े भी गायब थे. उस ने सोचा कि आरती कहीं बच्चों को छोड़ कर भाग तो नहीं गई. लेकिन उसे लगा कि आरती बच्चों को छोड़ कर नहीं जा सकती.

रमेश के मन में तरहतरह के विचार आ ही रहे थे कि तभी उस की निगाह अलमारी में रखे एक कागज पर पड़ी. उस कागज को खोल कर रमेश ने पढ़ा तो उस के होश उड़ गए.

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कागज में लिखा था, ‘मैं तुम जैसे राक्षस के साथ जिंदगी नहीं बिता सकती. इसलिए राजू के साथ जा रही हूं. मुझे खोजने की कोशिश मत करना. बच्चे तुम ने पैदा किए हैं, इसलिए उन्हें तुम्हारे पास ही छोड़ रही हूं.’

तीसरे पति की चाहत में – भाग 1

उस दिन फरवरी, 2019 की 26 तारीख थी. शाम 5 बजे का वक्त था. थाना काकादेव के एसओ राजीव सिंह थाने से कहीं जाने के लिए निकलने ही वाले थे, तभी एक आदमी बदहवास हालत में उन के पास पहुंचा.

वह अपनी सांसों को दुरुस्त करते हुए बोला, ‘‘सर, जल्दी चलिए, हमारे मकान में एक महिला की हत्या कर दी गई है.’’

हत्या शब्द सुनते ही एसओ चौंके. उन्होंने उस व्यक्ति से पूछा, ‘‘महिला की हत्या किस ने की, पूरी बात बताओ.’’

‘‘सर, मेरा नाम अमित राजपूत है और मैं मतैयापुरवा में रहता हूं. मेरे मकान में राजू नाम का युवक किराए पर रहता था. उसी ने अपनी पत्नी आरती की हत्या कर दी और फरार हो गया.’’

एसओ राजीव सिंह जिस काम के लिए निकलने वाले थे, वहां जाने के बजाय वह अमित राजपूत को साथ ले कर उस के गांव मतैयापुरवा के लिए निकल गए. मौके पर निकलने से पहले उन्होंने हत्या की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी थी.

जब वह अमित को ले कर उस के घर पहुंचे तो वहां गांव वालों की भीड़ जुटी हुई थी. जिस कमरे में महिला की लाश पड़ी थी, उस के दरवाजे पर ताला पड़ा था. खिड़की से देखा तो महिला की लाश फर्श पर पड़ी दिखाई दी. उस के कपड़े अस्तव्यस्त थे. अमित ने बताया कि इस कमरे में राजू अपनी पत्नी आरती के साथ रहता था, अब राजू लापता है.

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पुलिस ने वहां मौजूद लोगों की मौजूदगी में दरवाजे का ताला तोड़ा और कमरे का निरीक्षण किया तो वहां टूटी हुई चूडि़यां मिलीं. इस से पता चला कि मृतका ने अपनी जान बचाने के लिए विरोध किया था.

मृतका की उम्र यही कोई 35 साल थी. लाश के पास ही 3 पेज का एक नोट मिला. यह मृतका आरती के पति राजू की तरफ से लिखा गया था. उस नोट में राजू ने पत्नी की बेवफाई का जिक्र किया था. इस नोट को पुलिस ने सुरक्षित रख लिया.

एसओ राजीव सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि उसी समय एसपी (वेस्ट) संजीव सुमन तथा सीओ (स्वरूपनगर) अजीत सिंह चौहान भी वहां पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. टीम ने मौके से जरूरी सबूत जुटाए.

उसी दौरान सीओ अजीत सिंह ने मकान मालिक अमित राजपूत से पूछताछ की तो उस ने बताया कि आरती की हत्या उस के पति राजू ने ही की है. यह बात उसे राजू के दोस्त निर्मल ने बताई थी. उन्होंने एसओ राजीव सिंह को निर्देश दिए कि वह निर्मल श्रीवास्तव को हिरासत में ले कर पूछताछ करें.

इस के बाद एसओ ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय भेज दी. निर्मल श्रीवास्तव भी घटनास्थल पर आ गया था. एसओ राजीव सिंह ने उसे हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आए.

पूछताछ करने पर निर्मल ने बताया कि वह राजू का दोस्त है. दोनों साथ काम करते हैं. राजू के घर उस का आना जाना था. आते जाते ही राजू की पत्नी से उस के प्रेम संबंध हो गए. कुछ दिनों पहले वह राजू को छोड़ कर उस के साथ रहने लगी थी. बाद में दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया था. राजू ने आज आरती को किसी बहाने से बुलाया और उसे मार डाला.

निर्मल के बयानों से स्पष्ट था कि आरती की हत्या नाजायज रिश्तों के चलते राजू ने ही की थी. अत: एसओ राजीव सिंह ने मकान मालिक अमित राजपूत को वादी बना कर राजू के खिलाफ धारा 302 आईपीसी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

चूंकि वह फरार था, इसलिए पुलिस ने उसे ढूंढना शुरू कर दिया. पता चला कि राजू मूलरूप से गोंडा के कटरी बाजार का रहने वाला था. एसपी (वेस्ट) संजीव सुमन ने एक विशेष टीम गोंडा भेजी. टीम ने गोंडा के कटरी बाजार स्थित राजू के घर पर छापा मारा. लेकिन वह घर पर नहीं मिला. इस के बाद पुलिस टीम ने अनेक संभावित स्थानों पर उसे तलाशा, लेकिन राजू हाथ नहीं लगा.

4 मार्च, 2019 की सुबह 10 बजे एसओ राजीव सिंह को उन के खास मुखबिर से सूचना मिली कि हत्यारोपी राजू इस समय रावतपुर रेलवे स्टेशन पर है. सूचना मिलते ही एसओ पुलिस टीम के साथ रावतपुर स्टेशन पहुंच गए. राजू स्टेशन पर मिल गया. वह कहीं जाने के लिए वहां ट्रेन का इंतजार कर रहा था. उसे हिरासत में ले कर राजीव सिंह थाना काकादेव लौट आए.

थाने में जब उस से आरती की हत्या के संबंध में पूछा गया तो उस ने बड़ी आसानी से आरती की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. यही नहीं, उस ने घर में छिपा कर रखा गया वह दुपट्टा भी बरामद करा दिया, जिस से उस ने आरती का गला घोंटा था.

राजू से की गई पूछताछ के आधार पर एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने तीसरे पति की चाहत में अपनी जान गंवा दी.

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के संडीला कस्बे से 7 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है नैपुरवा. इसी गांव में जयशंकर अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में 3 बेटियां आरती, पार्वती, शांति तथा एक बेटा गौरव था.

जयशंकर के पास 3 बीघा खेती की जमीन थी. जमीन उपजाऊ थी, इसलिए किसी तरह से उस के घर का गुजारा चल रहा था. जयशंकर की आर्थिक स्थिति तो मजबूत नहीं थी, लेकिन वह व्यवहार कुशल था.

जयशंकर की बड़ी बेटी आरती ने गांव के ही जूनियर स्कूल से 8वीं की परीक्षा पास की. वह आगे पढ़ाई करना चाहती थी, लेकिन गांव के माहौल को देखते हुए मां ने उसे गांव से बाहर पढ़ाने को मना कर दिया. इस के बाद वह मां के साथ घरेलू काम में हाथ बंटाने लगी. समय बीतते आरती सयानी हुई तो वह उस के लिए लड़का देखना शुरू किया. जयशंकर को अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से रमेश नाम के युवक के बारे में जानकारी मिली.

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रमेश मूलरूप से गोंडा जिले के गांव रसूलपुर का रहने वाला था. उस के मातापिता की मौत हो चुकी थी. उस का बड़ा भाई उमेश गांव में रहता था, जबकि रमेश लखनऊ शहर में रहता था. वह राजमिस्त्री था.

रमेश सांवले रंग का जरूर था, लेकिन उस का व्यवहार अच्छा था. जयशंकर ने रमेश को देख कर उसे अपनी बेटी आरती के लिए पसंद कर लिया. हालांकि रमेश की उम्र आरती से काफी ज्यादा थी, लेकिन अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण जयशंकर ने इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. बहरहाल, आरती का विवाह रमेश से कर दिया.

शादी से पहले आरती रमेश से नहीं मिली थी. उस ने रमेश को पहले फोटो में ही देखा था. शादी के समय जब उस ने पहली बार रमेश को देखा तो उस के अरमानों पर पानी फिर गया.

विदा हो कर वह ससुराल चली तो गई लेकिन वहां बेमन से रही. आरती कुछ माह ससुराल में रही फिर रमेश उसे लखनऊ ले आया. वहां गोमतीनगर में उस ने किराए पर कमरा ले रखा था. लखनऊ में वह रमेश के साथ रहने लगी. आरती को शराब से नफरत थी, जबकि रमेश शराब का आदी था. शराब पीने को ले कर दोनों में अकसर तकरार होती रहती थी.

बढ़ते समय के साथ आरती 2 बच्चों की मां बन गई. 2 बच्चों की मां बनने के बावजूद उस के शरीर की कसावट बनी हुई थी. वह बनसंवर कर रहती थी, जिस से वह पहले से अधिक सुंदर दिखने लगी थी.

रमेश राजमिस्त्री था. दिन भर धूपछांव में काम कर के जब वह शाम को घर आता तो इतना थका होता कि खाना खा कर निढाल हो कर सो जाता. आरती उसे झिंझोड़ती तो कभी वह बेमन से उस की इच्छा पूरी करता.

पति की उपेक्षा से आरती परेशान थी. यूं तो आरती का दांपत्य सामान्य नहीं था. भले ही रास रंग में अब रमेश की पहले जैसी रुचि नहीं रह गई थी, मगर आरती की ख्वाहिशों का जलजला कम नहीं हुआ था. तभी अचानक उस के जीवन में राजू नाम का युवक आया.

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इंटीरियर डिजाइनर का खूनी इश्क