Rajasthan Crime News : पत्नी ने नौकर संग मिलकर रची साजिश फिर कर दिया पति का कत्ल

Rajasthan Crime News : रुक्मिणी पढ़ीलिखी ही नहीं बल्कि एक सरकारी टीचर प्रेमनारायण मीणा की पत्नी थी. वह एक बेटी की शादी भी कर चुकी थी. 40 साल की उम्र में उस ने घरेलू नौकर जितेंद्र से नजदीकी संबंध बना लिए. यह संबंध उस के लिए इतने घातक सिद्ध हुए कि…

बात 26 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे की है. राजस्थान के बारां जिले के गांव आखाखेड़ी के रहने वाले मास्टर प्रेमनारायण मीणा के यहां उन का भतीजा राजू दूध लेने पहुंचा तो उन के घर का मुख्य गेट भिड़ा हुआ था. दरवाजा धक्का देने पर खुला तो भतीजा घर में चला गया. उस की नजर जैसे ही आंगन में चारपाई पर पड़ी तो वहां का मंजर देख कर वह कांप गया. बिस्तर पर चाचा प्रेमनारायण की खून सनी लाश पड़ी थी. यह देख कर भतीजा चीखनेचिल्लाने लगा. आवाज सुन कर प्रेमनारायण की पत्नी रुक्मिणी (40 वर्ष) अपने कमरे से बाहर आई. बाहर आते समय वह बोली, ‘‘क्यों रो रहे हो राजू, क्या हुआ?’’

मगर जैसे ही रुक्मिणी की नजर चारपाई पर खून से लथपथ पड़े पति पर पड़ी तो वह जोरजोर से रोनेचिल्लाने लगी. रोने की आवाज मृतक के बच्चों वैभव मीणा और ऋचा मीणा ने भी कमरे में सुनी. वह दरवाजा पीटने लगे कि क्या हुआ. क्यों रो रही हो. दरवाजा खोलो. उन भाईबहनों के दरवाजे के बाहर कुंडी लगी थी. कुंडी खोली तो भाईबहन बाहर आ कर पिता की लाश देख कर रोने लगे. मास्टर प्रेमनारायण के घर से सुबहसवेरे रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग भी वहां आ गए. थोड़ी देर में पूरे आखाखेड़ी गांव में मास्टर की हत्या की खबर फैल गई. थाना छीपा बड़ौद में किसी ने हत्या के इस मामले की खबर दे दी.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा खबर मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. थानाप्रभारी मीणा ने घटनास्थल का मुआयना किया. रात में अज्ञात लोगों ने घर में सो रहे सरकारी टीचर प्रेमनारायण की धारदार हथियार से गला, मुंह और सिर पर वार कर के हत्या कर दी थी, जिस से काफी मात्रा में खून निकल चुका था. पूछताछ में मृतक की पत्नी रुक्मिणी ने बताया कि वह कमरे में सो रही थी. उस के दोनों बच्चे वैभव और ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. बड़ी बेटी ससुराल में थी. वह (प्रेमनारायण) आंगन में अकेले सो रहे थे, तभी नामालूम किस ने उन्हें मार डाला.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा ने घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. एसपी (बारां) विनीत कुमार बंसल ने सीओ (छबड़ा) ओमेंद्र सिंह शेखावत व जयप्रकाश अटल आरपीएस (प्रोबेशनरी) को निर्देश दिए कि वे घटनास्थल पर जा कर मौकामुआयना कर जल्द से हत्याकांड का खुलासा करें. एसपी के निर्देश पर दोनों सीओ ओमेंद्र सिंह और जयप्रकाश अटल घटनास्थल पर पहुंचे और घटना से संबंधित जानकारी ली. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल एवं डौग स्क्वायड टीम को भी बुला कर साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए. पुलिस अधिकारियों को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण मीणा सरकारी स्कूल में टीचर थे.

उन की पोस्टिंग इस समय मध्य प्रदेश के गुना जिले के फतेहगढ़ के सरकारी स्कूल में थी. वह छुट्टी पर घर आए हुए थे. वह 15-20 दिन बाद छुट्टी पर गांव आते थे. पुलिस को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण घर के आंगन में सोए थे. उन की बीवी कमरे में अलग सोई थी. उन के 3 बच्चे हैं, जिन में से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी. वह अपनी ससुराल में थी. जबकि छोटे दोनों बच्चे वैभव व ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. घर के आंगन में हत्यारों ने आ कर हत्या की थी, मगर बीवी व बच्चों ने कुछ नहीं सुना था. बीवी सुबह 7 बजे तब जागी, जब भतीजा राजू दूध लेने आया.

यह बात पुलिस को पच नहीं रही थी. मृतक के मुंह, सिर और गरदन पर लगे गहरे घावों से रिसा खून सूख चुका था. इस का मतलब था कि मृतक की हत्या हुए 6-7 घंटे का समय हो चुका था. एफएसएल टीम ने साक्ष्य एकत्रित किए. तब पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिरों को सुरागसी के लिए लगा दिया. वहीं मृतक के बच्चों वैभव व ऋचा से एकांत में पूछताछ की. बच्चों ने बताया कि कल रात मम्मी ने हमें धमका कर अलग कमरे में सुला दिया था. मम्मी ने हमें कमरे में बंद कर के बाहर से कुंडी लगा दी थी. मम्मी अलग कमरे में सोई थी. बच्चों ने यह भी बताया कि वह हमेशा मम्मी के कमरे में सोते थे, लेकिन उन्होंने कल हमें दूसरे कमरे में सुला दिया था.

वैभव को पुचकार कर पुलिस अधिकारियों ने कुछ और जानकारी पूछी तो उस ने एक पत्र ला कर पुलिस अधिकारियों को दिया. वैभव ने कहा, ‘‘यह चिट्ठी मेरी बड़ी बहन, जो शादीशुदा है, ने पापा को लिखी थी. यह पत्र हम भाईबहनों को मिला तो हम ने छिपा दिया था.’’

उस पत्र में मृतक की बड़ी बेटी ने पापा प्रेमनारायण को लिखा था कि वह मम्मी को बदनाम नहीं करना चाहती है. नौकर जितेंद्र को अब अपने यहां नहीं रखना चाहिए. पुलिस ने चिट्ठी के आधार पर तथा वारदात से जुड़े अन्य पहलुओं पर जांच करते हुए जांच आगे बढ़ाई. पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट सत्येंद्र सिंह की भी मदद ली. बच्चों ने पुलिस अधिकारियों से यहां तक कहा कि पापा की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि मम्मी ने ही नौकर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा (मेघवाल) के साथ मिल कर रात में की है. रात में वैभव कमरे से बाहर आना चाहता था मगर कमरा बाहर से लौक था. इस कारण वह वापस जा कर सो गया था.

इसी दौरान मुखबिरों ने भी पुलिस को जानकारी दी. इन सब तथ्यों पर गौर किया गया तो मृतक की पत्नी का किरदार संदिग्ध नजर आया. पुलिस अधिकारियों ने तब उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने रुक्मिणी से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में वह टूट गई. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने अपने प्रेमी व नौकर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा और एक अन्य हंसराज भील के साथ मिल कर पति की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. बस, फिर क्या था, पुलिस ने उसी दिन जितेंद्र और हंसराज भील को भी दबोच लिया. थाने ला कर उन से पूछताछ की.

पूछताछ में उन्होंने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया.  जितेंद्र ने बताया कि वह पिछले 2 साल से टीचर प्रेमनारायण के घर नौकर था. वह खेतों की रखवाली और खेतीबाड़ी करता था. जितेंद्र को 65 हजार रुपए सालाना तनख्वाह पर रखा हुआ था. प्रेमनारायण ज्यादातर समय अपनी ड्यूटी पर फतेहगढ़, मध्य प्रदेश में रहते थे. वह 15-20 दिन बाद ही अपने गांव आखाखेड़ी आते थे. प्रेमनारायण की अपनी बीवी से नहीं बनती थी. दोनों में मनमुटाव रहता था. इस कारण रुक्मिणी ने पति की गैरमौजूदगी में अपने नौकर से अवैध संबंध बना लिए थे. प्रेमनारायण की बड़ी बेटी ने एक दिन अपनी मम्मी और नौकर जितेंद्र को रंगरलियां मनाते देख लिया था.

इस कारण वह चिट्ठी लिख कर पापा को अपनी मम्मी की करतूत बताना चाहती थी. मगर यह चिट्ठी उस के छोटे भाईबहनों के हाथ लग गई थी. तब उन्होंने चिट्ठी पढ़ कर छिपा ली. 26 मार्च, 2021 को यह चिट्ठी बच्चों ने पुलिस अधिकारियों को सौंपी. तब जा कर इस घटना की परतें खुलनी शुरू हुईं. प्रेमनारायण को किसी तरह बीवी और नौकर के अवैध संबंधों की खबर लग गई थी. इस कारण वह इन दोनों के बीच राह का रोड़ा बन चुके थे. इस रोड़े को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने के लिए रुक्मिणी ने एक योजना बना ली. फिर जितेंद्र ने 31 वर्षीय हंसराज भील को 20 हजार रुपए दे कर योजना में शामिल कर लिया. हंसराज जितेंद्र का दोस्त था. पुलिस ने मात्र 3 घंटे में ही मास्टर प्रेमनारायण मीणा की हत्या का राजफाश कर दिया.

मृतक के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया. परिजनों ने उसी रोज दोपहर बाद अंतिम संस्कार क र दिया. आखाखेड़ी में मास्टर की मौत से सनसनी फैल गई थी. जिस ने भी बीवी और उस के प्रेमी नौकर की करतूत के बारे में सुना, सन्न रह गया. आरोपी पुलिस हिरासत में थे, जिन से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. पूछताछ में जो घटना प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी. प्रेमनारायण मीणा अपनी पत्नी रुक्मिणी और 3 बच्चों के साथ जिला बारां के गांव आखाखेड़ी में रहते थे. वह सरकारी अध्यापक थे. प्रेमनारायण की ड्यूटी इन दिनों मध्य प्रदेश के जिला गुना के फतेहगढ़ में थी. वह महीने में एकाध बार अपने गांव बीवीबच्चों से मिलने आते रहते थे.

प्रेमनारायण जहां शांत स्वभाव के थे तो वहीं उन की बीवी कर्कश स्वभाव की थी. उन की शादी को 20 साल से ज्यादा हो गए थे मगर इतना समय साथ गुजारने के बाद भी मियांबीवी में अकसर झड़प हो जाया करती थी. उन के बच्चे बड़े हो गए थे. मगर दोनों का मनमुटाव कम नहीं हुआ. रुक्मिणी दिनरात काम कर के थक जाने का रोना रोती रहती थी. तब प्रेमनारायण ने वार्षिक तनख्वाह पर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा  को 2 साल पहले घर का नौकर रख लिया. जितेंद्र जहां खेतों पर काम करता, वहीं घर पर भी काम करता था. रुक्मिणी और जितेंद्र का रिश्ता मालकिन और नौकर का था. मगर पति के दूर रहने और मनमुटाव के चलते रुक्मिणी शारीरिक सुख से वंचित थी.

जब उसे जितेंद्र नौकर के रूप में मिला तो वह उसे बिस्तर तक ले आई. रुक्मिणी की उम्र 40 साल थी. इस के बावजूद वह अपने से 8 साल छोटे नौकर के साथ सेज सजाने लगी. उस ने नौकर को प्रेमी बना लिया और उस की बांहों में झूला झूलने लगी. रुक्मिणी की बड़ी बेटी शादी लायक हो गई थी. इस के बावजूद अधेड़ उम्र में उस पर वासना का ऐसा भूत सवार हुआ कि वह जबतब मौका पा कर नौकर जितेंद्र बैरवा के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगी. एक रोज बेटी ने अपनी मां को नौकर के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. अपनी मां का यह रूप देख कर बेटी को उस से नफरत सी हो गई. मां का यह रूप देख कर उसे कई दिन तक कुछ भी अच्छा नहीं लगा.

वह सोचने लगी कि क्या किया जाए. इसी बीच एक दिन फिर उस ने अपनी मां को नौकर जितेंद्र के साथ देख लिया. तब उस ने अपने पापा को लिखे एक पत्र में मम्मी की करतूत और नौकर को हटाने के बारे में लिखा. पत्र पापा के पास पहुंचने से पहले ही वह छोटे भाई वैभव व बहन ऋचा के हाथ लग गया. दोनों बहनभाइयों ने वह पत्र छिपा दिया. उन्हें पता था कि पापा ने यह पत्र देख लिया तो मम्मी की खैर नहीं होगी. बस, उन मासूमों को क्या पता था कि मम्मी को बचाने के चक्कर में वह पापा को एक दिन खो देंगे. पत्र गायब हुआ तो बड़ी बेटी भी चुप्पी लगा गई. एक साल पहले प्रेमनारायण ने बेटी की शादी कर दी. वह अपनी ससुराल चली गई.

कोरोना काल में प्रेमनारायण काफी समय तक घर पर रहे. तब रुक्मिणी को अपने प्रेमी से एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. जब स्कूल खुल गए तब प्रेमनारायण फतेहगढ़ चले गए. पति के जाने के बाद रुक्मिणी और जितेंद्र का खेल फिर से शुरू हो गया. लेकिन छुट्टी पर प्रेमनारायण गांव आते तो बीवी को वह फूटी आंख नहीं सुहाते थे. वह उन से बिना किसी बात के लड़तीझगड़ती रहती. तब वह ड्यूटी पर चले जाते. रुक्मिणी यही तो चाहती थी. इस के बाद वह नौकर के साथ रंगरलियां मनाती. प्रेमनारायण को अपनी बीवी और नौकर जितेंद्र के व्यवहार से ऐसा लगा कि कुछ गड़बड़ है. एकदो बार प्रेमनारायण ने बीवी से इस बारे में पूछा तो वह उलटा उस पर चढ़ दौड़ी.

रुक्मिणी को अंदेशा हो गया कि उस के पति को नौकर के साथ संबंधों का शक हो गया है. तब उस ने नौकर जितेंद्र के साथ साजिश रची कि अब वह प्रेमनारायण को रास्ते से हटा कर अपने हिसाब से जीवन जिएंगे. रुक्मिणी के कहने पर जितेंद्र यह काम करने को राजी हो गया. घटना से 10 दिन पहले प्रेमनारायण छुट्टी पर घर आए थे. होली के बाद उन्हें वापस फतेहगढ़ जाना था. इन 10 दिनों में रुक्मिणी और जितेंद्र को एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. ऐसे में रुक्मिणी और उस के प्रेमी ने तय कर लिया कि अब जल्द ही योजना को अंजाम दिया जाएगा, तभी वह चैन की जिंदगी जी सकेंगे. जितेंद्र ने अपने दोस्त हंसराज को 20 हजार का लालच दे कर योजना में शामिल कर लिया.

25 मार्च, 2021 की आधी रात को योजना के तहत जितेंद्र और हंसराज तलवार और कुल्हाड़ी ले कर रुक्मिणी के घर के पीछे पहुंचे. रुक्मिणी ने पहली मंजिल पर जा कर मकान के पीछे वाली खिड़की से रस्सा नीचे फेंका. रस्से के सहारे जितेंद्र और हंसराज मकान की पहली मंजिल पर खिड़की से आ गए. इस के बाद घर के आंगन में बरामदे में सो रहे मास्टर प्रेमनारायण पर नींद में ही तलवार और कुल्हाड़ी से हमला कर मार डाला. इस के बाद जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से अपने हथियार ले कर चले गए. रुक्मिणी निश्चिंत हो कर कमरे में जा कर सो गई. सुबह जब मृतक का भतीजा राजू दूध लेने आया तो उस की चीखपुकार सुन कर रुक्मिणी आंखें मलती हुई कमरे से बाहर आई. वह नाटक कर के रोनेपीटने लगी. मगर उस की करतूत बच्चों ने चिट्ठी से खोल दी.

पुलिस ने पूछताछ पूरी होने पर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से रुक्मिणी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जितेंद्र व हंसराज को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया. रिमांड के दौरान आरोपियों से तलवार, कुल्हाड़ी, खून सने कपड़े और मोबाइल बरामद किए गए. रिमांड अवधि खत्म होने पर 30 मार्च, 2021 को फिर से जितेंद्र और हंसराज भील को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Rajasthan Crime News

Agra News : प्रेमिका और मां की चाकू से हत्या कर प्रेमी हुआ फरार

Agra News : किसी के मोहपाश में बंध जाना अलग बात है और उसे अपनी प्रौपर्टी समझ लेना अलग बात. गोविंद ने कामिनी को ले कर यही गलती की. लेकिन क्या मिला उसे…

सभी गहरी नींद में सोए हुए थे. उस समय रात के 3 बज रहे थे. अचानक एक मकान में चीखपुकार मच गई. शोर सुन कर आसपास के लोग जाग गए और उस मकान की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि चीखती हुई कामिनी दरवाजे से बाहर 20 कदम दूर आ गई. बाहर वह एक ही बात बोल रही थी, ‘‘गोविंद ने मार डाला… गोविंद ने मार डाला.’’

कामिनी के पड़ोस में रहने वाले चाचा गणेश, दादी शकुंतला व भाई मनीष भी आ गए.  ग्रामीणों व घर वालों के आने पर हत्यारा गोविंद सब को चाकू दिखा कर धमकाता हुआ भाग गया. जब लोग मकान में पहुंचे तो वहां का वीभत्स दृश्य देख कर सहम गए. कामिनी की मां शारदा देवी घर के फर्श पर तथा रागिनी दरवाजे के पास खून से लथपथ पड़ी हुई थीं. अत्यधिक खून बहने से दोनों की सांसें थम चुकी थीं. लोगों को आया देख डरीसहमी घर की बहू रेखा कमरे की कुंडी खोल कर बाहर आई. वह भी गंभीर रूप से घायल थी. उस ने बताया, ‘‘पड़ोसी गोविंद ने सास और ननद पर चाकू से हमला किया, जब वह उन्हें बचाने आई तो उस पर भी हमला कर घायल कर दिया.

वह किसी तरह जान बचा कर कमरे में भागी और अंदर से कुंडी लगा ली. इसी बीच किसी ने इस घटना की सूचना थाने को दे दी.’’ यह बात 8 मार्च, 2021 की है. डबल मर्डर की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विनोद कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर की घटना से कस्बे में सनसनी फैल गई थी. तब तक मकान के बाहर भीड़ जुट गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही 2 महिलाओं की हत्या होने से हड़कंप मच गया. आननफानन में आईजी (आगरा जोन) ए. सतीश गणेश, एसएसपी बबलू कुमार, एसपी (पूर्वी) अशोक वेंकट, फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड के साथ मौके पर पहुंच गए.

आगरा के थाना बाह के कस्बा जरार के मोहल्ला हवेली निवासी उमेश सविता की करीब 15 साल पहले मृत्यु हो चुकी थी. पत्नी शारदा देवी जरार के प्राइमरी स्कूल में रसोइया का काम कर परिवार पाल रही थीं. उन के 5 बेटेबेटियों में राहुल और लक्ष्मी की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर के बेटे मनीष के विवाह की तैयारियां चल रही थीं. चौथे नंबर की बेटी रागिनी की पिछले साल बीमारी से मौत हो गई थी. सब से छोटी कामिनी का भी रिश्ता तय हो चुका था. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मांबेटी के कत्ल के दौरान गंभीर रूप से घायल हुई रेखा को उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. मांबेटी के गले व सीने पर चोट के गहरे निशान थे.

दोनों की हालत देखने से लग रहा था कि हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. मौत से पहले दोनों ने हत्यारे के साथ संघर्ष भी किया था. फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर जांच कर सबूत जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शवों को मोर्चरी भिजवा दिया. अस्पताल में भरती घटना की चश्मदीद बहू रेखा ने बताया कि उस की सास शारदा देवी व ननद कामिनी बरामदे के टिनशैड में अगलबगल सोई हुई थीं. गोविंद छत से घर के अंदर आया था. सीढि़यों से नीचे आने के बाद उस ने दोनों पर हमला कर दिया.

रेखा अपने 5 महीने के बेटे सार्थक के साथ कमरे में सो रही थी. चीखपुकार सुन कर वह जाग गई और सास व ननद को बचाने दौड़ी. अपनी पहचान होते देख आरोपी गोविंद ने रेखा पर भी चाकू से हमला कर दिया. जान बचाने को रेखा कमरे की ओर दौड़ी और अपने आप को कमरे में बंद कर लिया. घटना के समय घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं था. रेखा का पति राहुल काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ था. जबकि देवर मनीष पड़ोस में रहने वाले अपने चाचा गणेश के यहां सोया हुआ था. घटना की जानकारी होते ही मृतकों के अन्य परिजन भी आ गए. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था.

जांच के दौरान पता चला कि मामला प्रेमप्रसंग का था. आरोपी गोविंद के मृतका कामिनी से प्रेम संबंध थे. कामिनी के घर वाले गोविंद का विरोध करते थे. इस के चलते पहले भी गोविंद व कामिनी के घर वालों में झगड़ा व मारपीट हुई थी. तब मामला रफादफा हो गया था. लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हो गया था, जो गोविंद ने अपनी प्रेमिका के अलावा उस की मां की हत्या करने के साथ ही मृतका की भाभी को भी घायल कर दिया था. पुलिस पूछताछ में मृतका के घर वालों ने बताया कि गोविंद पहले भी कामिनी को अकेला देख कर एक दिन घर में घुस आया था. शोर मचाने पर आसपास के लोगों के पहुंचने पर वह भाग गया था. तब घर वालों ने पुलिस में उस की कोई शिकायत नहीं की थी.

ग्रामीणों ने पुलिस को जानकारी दी कि दोनों की दोस्ती से कामिनी का परिवार खुश नहीं था. कुछ दिन पहले दोनों परिवारों में इस बात को ले कर झगड़ा भी हुआ था. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. जब पुलिस हत्यारोपी के घर गई और गोविंद के पिता को घटना के बारे में बताया तो वह बेहोश हो गए. इस बीच पुलिस ने हत्यारोपी के परिवार के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया. हत्यारे गोविंद के विरुद्ध  मनीष ने भादंवि की धारा 302 व 307 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि घटना से 15 दिन पहले गोविंद ने अपने दोस्तों के बीच ऐलान किया था कि वह बड़ा कांड करेगा. उस का कहना था, मुझे पहले कामिनी ने अपने प्यार में फंसाया, जब मुझे गहराई से प्यार हो गया तो वह मुझे छोड़ने की बात कह रही है.

उस की मोहब्बत को ठुकराने का अंजाम क्या होता है, यह हर कोई देखेगा. वह दोस्तों से पूछता था कि जेल में मिलने आओगे या नहीं? दोस्तों ने उस की बात को मजाक में लिया था. किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा खूनी खेल खेलेगा. धारदार हथियार से 50 वर्षीय शारदा  और उन की बेटी 19 वर्षीय कामिनी की नृशंस हत्या करने के बाद हत्यारे के फरार हो जाने और पुलिस द्वारा गिरफ्तार न कर पाने से लोग आक्रोशित थे. सोमवार को गम और गुस्से में जरार का बाजार बंद रहा. घटना की जानकारी होने पर बाह की विधायक पक्षालिका सिंह जरार पहुंचीं. मांबेटी की मौत पर परिजनों का रोना सुन कर वह भी अपने आंसू नहीं रोक सकीं. उन्होंने पुलिस को आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की 5 टीमें गठित कर इटावा, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मुरैना और दिल्ली रवाना कर दी गई थीं. सोमवार की रात को ही एसएसपी बबलू कुमार ने हत्यारोपी गोविंद पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया था. सोमवार 8 मार्च की सुबह आगरा पुलिस ने शिकोहाबाद के मोहल्ला जैन स्ट्रीट में स्थानीय पुलिस के साथ गोविंद के चचेरे भाई नवीन जैन के यहां दबिश दी. लेकिन पुलिस के आने से पहले सुबह 4 बजे मकान का ताला लगा कर परिवार कहीं चला गया था. पुलिस टीम हत्यारोपी के एक अन्य रिश्तेदार को पूछताछ के लिए अपने साथ बाह ले आई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कामिनी के शरीर पर 8 और उस की मां शारदा के शरीर पर 6 घाव आए थे. सभी घाव गरदन और सीने पर थे. पुलिस को पता चला कि हत्यारा गोविंद फिरोजाबाद भागने की फिराक में है. पुलिस ने फिरोजाबाद में भी कई स्थानों पर दबिश दी. लेकिन पुलिस के हाथ निराशा ही लगी. फिर भी पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश में जुटी रही. घटना के दूसरे दिन मंगलवार 9 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि गोविंद को जरार से 10 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध तीर्थ बटेश्वर में देखा गया है. इस पर तलाश में लगी पुलिस टीम सचेत हो गई. बटेश्वर में पहुंची पुलिस टीम को आरोपी गोविंद बाइक से फिरोजाबाद की ओर जाता दिखाई दिया.

पुलिस ने बटेश्वर में नौरंगी घाट पर गोविंद से रुकने को कहा. पुलिस को देखते ही गोविंद ने यू टर्न लिया और फायरिंग कर दी. पुलिस की जवाबी काररवाई में गोविंद के बाएं पैर में गोली लगी. गोली लगते ही वह गिर गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस के पास से 315 बोर का एक अवैध तंमचा व 3 कारतूस और बाइक बरामद की. घायल गोविंद को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. पुलिस पूछताछ में दोहरे हत्याकांड के आरोपी गोविंद ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था, मैं हर रोज दर्द नहीं सह सकता था. गोविंद से पूछताछ के बाद डबल मर्डर की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी—

कामिनी और गोविंद बाह के जरार कस्बे के मोहल्ला हवेली में रहते थे. 19 वर्षीय कामिनी जहां 11वीं में पढ़ती थी, वहीं 21 वर्षीय गोविंद बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र था. गोविंद का घर कामिनी के घर से 50 मीटर की दूरी पर था. घटना से एक साल पहले एक दिन कालेज जाते समय दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. दोनों ही जवानी की देहरी पर कदम रख चुके थे. गोविंद को कामिनी भा गई वहीं कामिनी को भी गोविंद अच्छा लगा. फिर अकसर जैसा 2 युवाओं के बीच होता है, उन के बीच भी हुआ. दोनों मिले और शुरू हो गया चोरीछिपे मिलनाजुलना और बतियाना. छोटे कस्बे में लड़केलड़की का आपस में मिलना और बात करना आसान नहीं होता.

कामिनी और गोविंद अपने भावी जीवन के सपने देखते. जमाने से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते. पर गांवदेहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. किसी तरह कामिनी के घर वालों को पता चल गया कि उस का गोविंद के साथ चक्कर चल रहा है. लिहाजा मां व भाइयों ने उसे समझाया कि वह उस लड़के से मिलनाजुलना बंद कर दे. फिर भी दोनों की चोरीछिपे मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा. इस की वजह से दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ती गई. कामिनी पर जब बंदिश लगाई गई तो घटना से पहले एक दिन वह कामिनी से मिलने घर में घुस आया.

चूंकि गोविंद दूसरी बिरादरी का था, इसलिए कामिनी के घर वालों ने साफ कह दिया कि कामिनी के साथ उस की शादी नहीं हो सकती. गोविंद को समझाया भी. इस के बाद भी कामिनी से बात करते देख लेने पर उन्होंने कई बार गोविंद को पीटा. गोविंद कामिनी के मोहपाश में बंधता चला गया. उसे समाज, बिरादरी की कोई परवाह नहीं थी. उसे तो हर हाल में जीवनसाथी के रूप में कामिनी चाहिए थी. कामिनी के घर वालों ने गोविंद की हरकतों और उस की जिद से मोहल्ले में हो रही उन की बदनामी को देखते हुए कामिनी का रिश्ता 20 दिन पहले ही फिरोजाबाद के कस्बा सिरसागंज के गांव अटारैना में तय कर दिया. अभी शादी की तारीख तय नहीं हुई थी.

इस बात ने आग में घी का काम किया. अपनी प्रेमिका की शादी तय हो जाने से गोविंद मायूस था. इस से बौखला कर उस ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर एक खौफनाक निर्णय ले लिया. उस ने कामिनी की हत्या की योजना बनाई. इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम देने के लिए गोविंद ने रात के तीसरे पहर का समय चुना. उस समय लोग गहरी नींद में होते हैं. उस ने अपने घर में चारपाई पर तकिया  रख कर रजाई से ढक दिया था ताकि लगे कि वह सोया हुआ है. मांबेटी की हत्या करने के लिए गोविंद छत के रास्ते सीढि़यों से शारदा के घर में आ गया. उस ने चाकू से पहला वार सोती हुई शारदा पर किया, मां की चीख सुन कर बगल में सो रही कामिनी की आंखें खुल गईं.

दोनों ने गोविंद से धारदार हथियार छीनने का प्रयास किया,लेकिन सफलता नहीं मिली. मांबेटी लहूलुहान हालत में जान बचाने घर से बाहर भागीं, लेकिन हत्यारे ने उन पर चाकू से लगातार कई वार किए. बुरी तरह से घायल मां फर्श पर गिर गई. वहीं कामिनी चीखती हुई घर के बाहर भागी. कामिनी की भाभी रेखा उन्हें बचाने आई, पहचाने जाने के डर से गोविंद ने रेखा पर भी वार कर घायल कर दिया. वह रेखा की भी हत्या करना चाहता था. घटना को अंजाम देने के बाद वह सब से पहले अपने घर पहुंचा. वहां उस ने कपड़े बदले. 400 रुपए और बाइक ले कर वह बाहर निकल गया. खून से सने कपड़े और चाकू एक पौलीथिन में रख कर जंगल में फेंक दिया और छिप गया.

मंगलवार सुबह वह फिरोजाबाद की ओर भाग रहा था, तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया. कातिल गोविंद को न्यायालय में पेश किया गया. कोर्ट के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया. अपने घर की चारदीवारी हर किसी के लिए महफूज मानी जाती है. लेकिन शारदा और उस की बेटी कामिनी के लिए अपना घर भी सुरक्षित नहीं रहा. सिरफिरे आशिक ने प्यार की खातिर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दे डाला. कामिनी के भाई मनीष की 25 मई को शादी होनी थी. उस के कुछ दिनों बाद जहां कामिनी की घर से डोली उठनी थी, वहां मातम छा गया था. Agra News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

MP News : प्रेमिका की हत्या कर शव को कुत्ते की लाश संग गड्ढे में दबाया

MP News : डा. आशुतोष त्रिपाठी संपन्न परिवार से था. अपनी अटैंडेंट विभा केवट को शादी का झांसा दे कर उस ने इसलिए संबंध बनाए थे, ताकि वह उस के साथ जब चाहे मौजमस्ती कर सके. लेकिन उसे क्या पता था कि उस का यह कदम उसे …

विभा केवट की उम्र 24 साल थी. सामान्य कदकाठी की विभा देखने में सुंदर होने के साथ पढ़नेलिखने में भी होशियार थी. चूंकि उस के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए पिछले 2 सालों से वह फैमिली दंत चिकित्सालय में अटेंडेंट की नौकरी कर रही थी. सतना के धावरी स्थित कलैक्ट्रेट रोड पर यह दंत चिकित्सालय डा. आशुतोष त्रिपाठी का था. विभा का घर मल्लाह मोहल्ले में था. वह हर रोज सुबह 8 बजे घर से क्लीनिक के लिए निकल जाती थी और पेशेंट देखने में डा. आशुतोष की मदद करती थी.

दोपहर में वह लंच करने के लिए घर लौटती. लंच के बाद फिर वापस क्लीनिक में लौट आती थी. रात के 8 बजे डा. आशुतोष त्रिपाठी क्लीनिक बंद कर के कार से पहले विभा को उस के घर के पास छोड़ता फिर अपने घर जाता था. यह विभा की रोज की दिनचर्या थी. नौकरी में अपना अधिकतर समय देने के बाद भी विभा पढ़ाई के लिए समय निकाल लेती थी. उस का सपना एलएलबी कर के वकील बनने का था. वह एक प्राइवेट कालेज से एलएलबी कर रही थी. चूंकि घर की हालत सही न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में असमर्थ थी. इसलिए पिछले 2 सालों से इस क्लीनिक में नौकरी कर रही थी.

वह अपने काम से खुश थी और जिंदगी सामान्य ढर्रे पर चल रही थी. पिछले साल 14 दिसंबर को वह रोज की तरह घर से ड्यूटी पर गई थी. दोपहर के समय वह घर आई और लंच कर के वापस ड्यूटी पर लौट गई. उस रात नौ बजे तक वह घर नहीं लौटी तो उस के पिता रामनरेश केवट और मां रमरतिया की आंखों में परेशानियों के बादल घुमड़ने लगे. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. उन के मन में तरह तरह के बुरे खयाल आ रहे थे. रात भर इंतजार के बाद सुबह भी विभा घर नहीं लौटी तो क्लीनिक खुलने के समय दोनों डाक्टर से मिलने उस के क्लीनिक जा पहुंचे. डा. आशुतोष क्लीनिक में पेशेंट देख रहे थे. बुरी तरह परेशान रामनरेश केवट ने जब डा.

आशुतोष से बेटी के बारे में पूछा तो उस ने विभा के घर नहीं पहुंचने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि कल शाम विभा ने उस से पगार के छह हजार रुपए लिए और कुछ जरूरी काम से बाहर जाने की बात कह कर चली गई थी. लगता है, उस ने कहीं दूसरी जगह काम पकड़ लिया है. चिंता न करो वह कुछ दिनों में खुद ही घर लौट आएगी. रामनरेश और रमरतिया वहां से घर लौट आए और बारबार विभा के मोबाइल पर काल कर उस से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे. लेकिन बीती रात से ही उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था. रामनरेश ने अपने सभी रिश्तेदारों से फोन कर पूछा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.

बाद में रामनरेश ने फिर डा. आशुतोष त्रिपाठी से विभा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि विभा ने उस के यहां से नौकरी छोड़ दी है. वह तुम लोगों से नाराज है और किसी दूसरी जगह पर कमरा ले कर रहने लगी है. उस ने अपना फोन नंबर भी बदल लिया है. विभा ने कहां पर कमरा लिया है इस की जानकारी उसे नहीं है. बेटी के अलग रहने की बात रामनरेश और रमरतिया के गले से नहीं उतरी. फिर भी उन्होंने बेटी की तलाश में शहर का चप्पाचप्पा छान मारा लेकिन वह उस का पता लगाने में नाकामयाब रहे. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया.

दरअसल, विभा के मातापिता को ऐसा लग रहा था जैसे डाक्टर को विभा के बारे में जानकारी है और वह शायद बाद में विभा के बारे उन्हें बता देगा. विभा की तलाश करतेकरते डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो रमरतिया ने एक फरवरी, 2021 को धवारी की सिटी कोतवाली में बेटी की गुमशुदगी दर्ज करा दी और पुलिस अधिकारियों से उसे तलाश करने की गुहार लगाई. सिटी कोतवाली इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने 24 वर्षीय युवती विभा केवट के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया. वह इस की जांच में जुट गईं.

इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने विभा के मातापिता से उस के गायब होने के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर की सुबह विभा डा. आशुतोष के क्लीनिक में ड्यूटी पर गई थी. जहां डाक्टर के अनुसार उस ने शाम तक ड्यूटी की. इस के बाद वह डाक्टर से 6 हजार रुपए लेने के बाद कहीं दूसरी जगह रहने चली गई. उस ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था. यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को कोतवाली बुला कर उस से विभा केवट के बारे में पूछताछ की. थोड़ी पूछताछ के बाद डा. आशुतोष को घर जाने की इजाजत मिल गई.

लेकिन डाक्टर के बारबार बदले बयानों को ले कर इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी को उस पर संदेह हो गया था. उन्होंने डा. आशुतोष त्रिपाठी और विभा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर देखी तो पता चला कि विभा ने आखिरी बार 14 दिसंबर को डा. आशुतोष त्रिपाठी से 750 सेकंड बातें की थीं. इस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था, जो फिर औन नहीं हुआ था. इस का मतलब था कि विभा के गायब होने का राज डा. आशुतोष को मालूम था. इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को दोबारा थाने बुला कर मनोवैज्ञानिक तरीके से कुरेदना शुरू किया तो वह ज्यादा देर तक नहीं टिक सका.

उस ने विभा के बारे में जो कुछ बताया उसे सुन कर अर्चना द्विवेदी आश्चर्यचकित रह गईं. उस ने बताया कि दरअसल विभा का कत्ल हो चुका है और उस की लाश एक गड्ढे में दबा दी गई थी. कत्ल की बात पता चलते ही इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया और इस की सूचना सतना के एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह को दी. 20 फरवरी, 2021 शनिवार को एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह, तहसीलदार अनुराधा सिंह, नायब तहसीलदार हिमांशु भलवी, यातायात थानाप्रभारी राजेंद्र सिंह राजपूत और इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी आरोपी डा. आशुतोष के साथ घटनास्थल पर पहुंचे जहां पर विभा की लाश एक गड्ढे में दबी थी.

मिल गई विभा की लाश डा. आशुतोष की निशानदेही पर नगर निगम के श्रमिकों की मदद से गड्ढे की खुदाई की गई तो कुछ देर खुदाई के बाद उस में से एक कुत्ते की लाश निकली. कुत्ते की लाश को बाहर निकालने के बाद थोड़ी और खुदाई की गई तो वहां एक युवती की लाश दिखाई पड़ी. लाश को बाहर निकाला गया. लाश के गले में एक दुपटटा तथा कमर के नीचे लोअर मौजूद था. रामनरेश केवट और उस की पत्नी रमरतिया को लाश दिखाई गई तो दोनों ने कपड़ों के आधार पर उस की पहचान अपनी बेटी विभा केवट के रूप में की. शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. डा. आशुतोष के बयान और पुलिस की तहकीकात के आधार पर विभा केवट हत्याकांड के पीछे एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई—

सतना के धावरी इलाके में चांदमारी रोड, मंगल भवन के पीछे अंग्रेजी के शिक्षक नरेंद्र त्रिपाठी अपने परिवार के साथ रहते थे. वह राजकीय कन्या विद्यालय, धावरी में नौकरी करते हैं. उन के 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा अभिषेक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर स्थित एक रियल एस्टेट फर्म में बतौर फाइनेंस मैनेजर कार्यरत है. दूसरा बेटा आशुतोष डेंटिस्ट है. 2 साल पहले आशुतोष को अपने क्लीनिक के लिए एक अटेंडेंट की जरूरत थी. मल्लाह मोहल्ले में रहने वाले रामनरेश केवट की दूसरी बेटी विभा को जब इस नौकरी बारे में पता चला तो उस ने डा. आशुतोष से मिल कर उस के यहां काम करने की इच्छा जाहिर की.

डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित जरूरी कामकाज के बारे में समझाते हुए जब सैलरी के बारे में उसे बताया तो उस ने वहां काम करने के लिए हामी भर दी. यह बात सन 2018 की थी. डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित सभी बातों को समझने के बाद यह भी समझा दिया कि वहां आने वाले पेशेंट से किस प्रकार व्यवहार करना है. फिर उसे अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि अगर उस की अनुपस्थिति में उसे कोई भी मुश्किल आए तो मुझे कभी भी काल कर सकती हो. उसी समय विभा और डा. आशुतोष ने अपनेअपने मोबाइल में एक दूसरे के नंबर सेव कर लिए. विभा तेजतर्रार युवती थी. थोड़े ही दिनों में वह सारा काम सीख गई. उस की कुशलता देख कर डा. आशुतोष भी खुश हुआ.

विभा यहां काम पा कर पूरी तरह संतुष्ट थी. क्योंकि उस के प्रति डाक्टर का व्यवहार ठीक था. वह वेतन भी टाइम से दे देता था. इस तरह धीरेधीरे समय का पहिया घूमता रहा. सालभर गुजर जाने के बाद डाक्टर आशुतोष और विभा आपस में काफी घुलमिल गए थे. पेशेंट की मौजूदगी में वे दोनों एक दूसरे से सिर्फ काम की ही बातें करते थे. लेकिन जब वहां कोई नहीं होता तो वे हंसीमजाक से ले कर दुनियाजहान की बातें करते थे. बातों बातों में वक्त आसानी से कट जाता था. इसी दौरान डाक्टर आशुतोष ने मन ही मन विभा को पाने की योजना तैयार की और उस पर अमल करना आरंभ कर दिया.

अपनी योजना के तहत शाम को जब वह क्लीनिक बंद करता तो घर जाने से पहले विभा को उस के घर छोड़ने जाने लगा. विभा डा. आशुतोष के इस बदले हुए व्यवहार के पीछे की चाल को नहीं भांप सकी. उस ने सोचा कि डा. आशुतोष खुश हो कर उस की मदद कर रहे हैं. कभीकभार वह विभा को घर छोड़ने से पहले किसी होटल या रेस्टोरेंट में ले जाता जहां खाने के दौरान वह विभा का दिल जीतने की कोशिश करता था. विभा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी. जल्द ही वह उस की बातों में आ गई. डा. आशुतोष ने जब ताड़ लिया कि विभा उस की इच्छा का विरोध नहीं करेगी तो एक दिन उस ने विभा को शादी करने का झांसा दे कर उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिया.

उस दिन के बाद विभा के प्रति डा. आशुतोष का व्यवहार एकदम बदल गया. विभा को खुश रखने के लिए वह उसे महंगे तोहफे आदि देता रहता था. ताकि उस की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने में विभा आनाकानी न करे. अलबत्ता एक दिन विभा ने अपनी बड़ी बहन को आशुतोष से अपने अफेयर की बात बता दी और यह भी कहा कि कुछ दिनों के बाद डाक्टर उस से शादी कर लेगा. इस पर उस की बहन ने उसे समझाते हुए कहा भी कि अमीर लोग गरीब घर की लड़की से शादी करने की बात अपना मतलब निकालने के लिए करते हैं. कहीं तुम आगे चलकर ठगी न जाओ, इसलिए जितनी जल्दी हो सके शादी कर लो.

बहन की बात सुन कर विभा ने उसे जवाब दिया कि उस का प्यार इतना कच्चा नहीं है कि डाक्टर उस से शादी का बहाना कर असानी से अपना मुंह फेर ले. उस वक्त कहने के लिए तो विभा ने बड़़े ही आत्मविश्वाश के साथ अपनी बड़ी बहन को जवाब दे दिया. लेकिन उसी दिन उस ने मन में ठान लिया कि वह डाक्टर से जल्द शादी करने को कहेगी. विभा बन गई गले की हड्डी इस के बाद जब भी आशुतोष विभा को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने की कोशिश करता तो वह उस से पहले शादी करने की बात करती. इतना ही नहीं, जब भी दोनों क्लीनिक में अकेले होते वह उस से शादी करने का दबाव डालना शुरू कर देती थी. आशुतोष एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखता था. समाज में उस की अपनी अच्छीखासी हैसियत थी.

उस ने तो केवल विभा के साथ मौजमस्ती करने के लिए उस से शादी की बात कही थी. वास्तव में उस ने दिल से कभी विभा से शादी के बारे में सोचा तक नहीं था. इसलिए जब विभा ने उस पर शादी का अधिक दबाव बनाना शुरू किया तो 14 दिसंबर, 2020 को आशुतोष ने बात बढ़ जाने पर विभा की गला घोंट कर हत्या कर दी. उस समय क्लीनिक में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था. विभा की हत्या करने के बाद आशुतोष ने उस की लाश एक बोरी में डाल कर क्लीनिक के अंदर ही एक कोने में रख दी. अगले दिन वह क्लीनिक में पेशेंट का इलाज करते हुए मन ही मन विभा की लाश को ठिकाने लगाने की तरकीब सोचता रहा.

दोपहर के बाद उस ने कुछ मजदूरों को बुलाया और क्लीनिक के पीछे बारिश का गंदा पानी जमा करने की बात कह कर एक 6 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया. रात को उस ने विभा की लाश गड्ढे में डाल कर उस के उपर नमक डाला फिर उस पर थोड़ी मिट्टी डाल दी. इस के बाद कहीं से उस ने एक कुत्ते की लाश का इंतजाम किया. कुत्ते की लाश को उसी गड्ढे में डालने के बाद उस ने उस के उपर अच्छी तरह मिट्टी भर दी. कुत्ते की लाश गड्ढे में इसलिए डाली गई कि ताकि विभा की लाश की बदबू आसपास फैलने पर अगर लोग बदबू उठने का कारण पूछे तो वह सब को बता सके कि वहां कुत्ते की लाश दबाई गई है.

इस तरह विभा की लाश इस गड्ढे में दबी होने की बात उजागर नहीं होगी. लेकिन पुलिस को विभा की अंतिम काल और उस के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर आशुतोष के ऊपर शक हो गया. जब उस से थोड़ी सख्ती बरती गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. विभा की लाश का डीएनए टेस्ट कराने के लिए सैंपल भी सुरक्षित रख लिया गया ताकि तय हो सके कि लाश विभा की ही थी. विभा की लाश की बरामदगी के बाद इस मामले में हत्या और साजिश की धारा 302, 201, जोड़ दी गई. पुलिस ने आशुतोष त्रिपाठी से पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार कर सतना की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. MP News

UP Crime News : युवक के इश्क में बड़ी बहन ने छोटी बहन का गला घोंटा फिर शव तालाब में फेंका

UP Crime News  : 21 वर्षीय सुनीता 2 बच्चों के पिता पवन तोमर से दिल लगा बैठी. वह उसे तलाक दिला कर शादी का दबाव बना रही थी. इस में वह नाकाम रही तो उस ने चस्पा कर दिया अपहरण का खूनी नोटिस…

फिरोजाबाद जिले के थाना शिकोहाबाद का एक गांव है नगला सैंदलाल. इसी गांव में राजमिस्त्री रामभरोसे अपने परिवार के साथ रहता था. रामभरोसे की पहली शादी बिरमा देवी के साथ हुई थी. उस से 2 बेटियां सुनीता, गीता के अलावा एक बेटा विक्रम है. बिरमा देवी की बीमारी से मौत हो जाने के बाद रामभरोसे ने अपनी तीसरे नंबर की साली सोमवती से शादी कर ली. इस से एक बेटा करन व 3 बेटियां विनीता, खुशी और हिमांशी पैदा हुईं. बात 9 मार्च, 2021 की है. सुबह करीब 7 बजे रामभरोसे की सब से छोटी बेटी 6 वर्षीय हिमांशी खेत पर जाते समय रास्ते से अचानक गायब हो गई.

हुआ यह कि रामभरोसे की 21 वर्षीय बड़ी बेटी सुनीता छोटी बहन हिमांशी के साथ घर से खेत के लिए निकली थी. रास्ते में हिमांशी पीछे रह गई और सुनीता खेत पर पहुंच गई. सुनीता हिमांशी के आने का इंतजार करती रही. जब करीब आधा घंटा बीत गया और हिमांशी नहीं आई तो सुनीता को चिंता हुई. उस ने लौट कर मां को बताया कि हिमांशी उस के साथ खेत पर जाने के लिए निकली थी, लेकिन वह रास्ते से कहीं गायब हो गई. इस पर मां ने सोचा कि रास्ते में कहीं खेलती रह गई होगी, आ जाएगी. लेकिन जब लगभग 2 घंटे बाद भी हिमांशी घर नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. पड़ोसियों के साथ ही घर वाले हिमांशी की खोजबीन में जुट गए.

लेकिन हिमांशी का कोई पता नहीं चला. इसी बीच गांव वालों की नजर रामभरोसे के घर के दरवाजे पर चिपके एक पत्र पर गई. पत्र में सब से ऊपर पवन तोमर का नाम लिखा था. पत्र में लिखा था कि यदि सुनीता की शादी पवन से नहीं कराई तो बच्ची को मार दूंगा. हिमांशी के अपहरण की बात पता चलते ही पिता रामभरोसे गांव के कुछ लोगों के साथ थाना शिकोहाबाद पहुंच गया और पुलिस को बेटी के अपहरण होने की पूरी जानकारी दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर अपनी टीम के साथ गांव पहुंच गए. उन्होंने सुनीता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. अपने स्तर से पुलिस ने गांव में व आसपास के क्षेत्र में हिमांशी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

दिनदहाड़े गांव से लड़की के लापता होने से घर वालों के साथ ही गांव वालों की चिंता और आक्रोश बढ़ता जा रहा था. इस पर थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. जानकारी होते ही एसएसपी अजय कुमार पांडेय एसपी (ग्रामीण) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ बलदेव सिंह खनेडा, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह सहित कई थानों की फोर्स व डौग स्क्वायड की टीम के साथ गांव पहुंच गए. अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. खोजी कुत्ते को हिमांशी के पुराने कपड़े सुंघाए गए. इस के बाद उसे छोड़ा गया तो वह घर के पीछे ईंट भट्ठा तक पहुंचा. पुलिस आसपास सुराग खोजती रही, लेकिन बालिका हिमांशी का पता नहीं चला.

पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के ही पवन और सुनीता के बीच प्रेमसंबंध थे. रामभरोसे के दरवाजे पर चिपके पत्र में भी लिखा था कि पवन का तलाक करवा कर सुनीता से शादी करवा दो. इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं सुनीता का इस मामले में हाथ हो सकता है. सुनीता या तो हिमांशी के अपहरण में खुद शामिल है या फिर उस ने किसी से यह काम करवाया है. जांच के दौरान कुछ नाम और भी सामने आए. सुनीता से इस संबंध में पूछताछ की गई तो वह पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञता व्यक्त करती रही. वह एक ही बात की रट लगाए जा रही थी कि खेत पर जाते समय हिमांशी पीछे रह गई थी और वह रास्ते से ही गायब हो गई थी.

शादीशुदा पवन से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन उस ने हिमांशी के संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर दिया. एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने दीवार पर चस्पा किए गए पत्र की लिखावट को पढ़ा. पवन की हैंडराइटिंग का मिलान कराया गया, लेकिन उस की हैंडराइटिंग अलग थी. इस के बाद सुनीता से पूछताछ की गई.  पत्र की बारीकी से जांच के बाद शक की सुई सुनीता पर टिक गई. तब पुलिस सुनीता और पवन को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. इस बीच एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में उन की टीम गांव में जा कर जांच में जुटी रही.  थाने ला कर पुलिस ने पवन व सुनीता से कड़ाई से पूछताछ की.

पूछताछ पूरी करने के बाद शाम 3 बजे दोनों को ले कर पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे. सुनीता को गांव के तालाब पर ले जाया गया. जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में गांव वाले भी तालाब पर पहुंच गए. सुनीता की निशानदेही पर तालाब के एक किनारे से हिमांशी का शव बरामद कर लिया गया. हिमांशी की तलाश के लिए पुलिस की तत्परता देख मां सोमवती को अपनी बेटी के मिलने का भरोसा था, लेकिन उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह मृत अवस्था में मिलेगी. हिमांशी का शव मिलने की जानकारी होते ही वह बुरी तरह फूट पड़ी. अन्य भाईबहन भी तालाब के किनारे पहुंच कर रोनेबिलखने लगे. अपनी लाडली बेटी की हत्या से गमगीन पिता रामभरोसे को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बड़ी बहन घटिया सोच के चलते अपनी छोटी बहन की हत्या कर देगी.

पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया. सुनीता पुलिस से यही कहती रही कि पैर फिसलने से हिमांशी तालाब में गिर गई और डूब गई थी. सुनीता का अब भी यह कहना था कि यह बात उस ने डर की वजह से घर वालों को नहीं बताई थी. पुलिस ने उसी दिन शाम को शव का पोस्टमार्टम करा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने  दूसरे दिन 10 मार्च, 2021 को हिमांशी हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. शादीशुदा युवक के इश्क में पागल सुनीता ने ही अपनी छोटी बहन हिमांशी का गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को तालाब में फेंक दिया था.

हत्यारोपी सुनीता ने ही घर वालों, पुलिस और गांव वालों को गुमराह करने के लिए दरवाजे के बाहर अपहरण का पत्र चिपकाया था. पुलिस ने पिता द्वारा दर्ज कराए गए अपहरण के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. सुनीता कंप्यूटर कोर्स कर रही थी. एसओजी टीम ने उस के बैग की कौपियां देखीं तो एक कौपी का पन्ना फटा था, जिस का मिलान पत्र से हो गया. असल में सुनीता ने पत्र लिखने के लिए जो कागज इस्तेमाल किया था, वह उस ने अपनी ही कौपी से फाड़ा था. उसे चिपकाने की लेई भी उस ने खुद बनाई थी. लेई की कटोरी भी घर के अंदर से बरामद कर ली गई.

इस सनसनीखेज कांड का खुलासा करने वाली टीम को एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. सुनीता से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि उस ने अपने ही हाथों अपनी मासूम बहन की हत्या कर के अपने प्रेमी पवन को फंसाने की एक गहरी साजिश रची थी. इस केस की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

अपनी मां की मौत के बाद पिता ने उस की मौसी सोमवती से शादी कर ली. सौतेली मां सोमवती के व्यवहार से सुनीता परेशान रहती थी. कुछ समय पहले एक प्लौट पिता ने खरीदा था. उस प्लौट को भी सोमवती ने अपने नाम करा लिया था. सारे दिन सुनीता घर के काम में ही लगी रहती थी. इसलिए उस ने कंप्यूटर सीख कर नौकरी करने का निर्णय लिया. सोमवती इस बात से खुश नहीं थी. वह चाहती थी सुनीता उस के साथ घरगृहस्थी के काम में हाथ बंटाए. सुनीता ने गांव के पवन तोमर जो शिकोहाबाद में मैनपुरी चौराहा पर एक जनसेवा केंद्र चलाता था, के सेंटर पर कंप्यूटर ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया.

वह उस के सेंटर पर जाने लगी. कंप्यूटर ट्रेनिंग के दौरान पवन और सुनीता का झुकाव एकदूसरे के प्रति हो गया. धीरेधीरे पवन और सुनीता के प्रेमसंबंध हो गए. पवन शादीशुदा था और उस की पत्नी व 2 बेटियां हैं. पवन भी सुनीता को बहुत प्यार करता था. अगर किसी दिन सुनीता सेंटर पर नहीं आती तो वह बेचैन हो जाता था. वे मिलने में पूरी सावधानी बरतते थे. दोनों कंप्यूटर सेंटर पर ही एकदूसरे से मिलते थे. और गांव में तो वे एकदूसरे से बात तक नहीं करते थे. कंप्यूटर सेंटर गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए दोनों के प्रेम संबंधों के बारे में गांव में किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई थी.

सुनीता ने एक दिन पवन से कहा, ‘‘पवन, ऐसा कब तक चलेगा. हम दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं. आखिर हम छिपछिप कर कब तक मिलते रहेंगे? तुम मुझ से शादी कर लो.’’

‘‘सुनीता तुम तो जानती हो कि मेरी पत्नी और 2 बेटियां हैं, ऐसे में मैं तुम से कैसे शादी कर सकता हूं.’’ पवन ने कहा.

सुनीता समझ गई कि पवन के शादीशुदा होने से शादी में पेंच फंस रहा था. वह कुछ क्षण सोचने के बाद बोली, ‘‘पवन, इस का एक उपाय यह है कि तुम अपनी पत्नी को तलाक दे दो और मुझ से शादी कर लो. क्योंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.’’

पवन ने सुनीता को समझाया कि वह उस से प्यार तो करता रहेगा लेकिन शादी नहीं कर सकता. जब सुनीता के लाख समझाने का भी पवन पर कोई असर नहीं हुआ तो उस ने पवन पर दवाब बनाने के लिए एक खौफनाक षडयंत्र रचा. सुबह खेत पर जाते समय सुनीता छोटी बहन हिमांशी को भी साथ ले गई. तालाब के किनारे पेड़ों और झाडि़यों की आड़ में ले जा कर उस ने अपने हाथों से सौतेली बहन हिमांशी की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद उस के शव को तालाब में फेंक दिया. इस के बाद वह घर आ कर हिमांशी के लापता होने का नाटक करने लगी. इसी बीच उस ने पहले से लिखे पत्र को घर के दरवाजे पर लेई से चिपका दिया.

गांव के एक कोने पर घर होने से सुनीता की कारगुजारी को कोई देख नहीं पाया था. 10 मार्च, 2021 को पुलिस ने सुनीता को सौतेली बहन की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.  अपराध करने वाला कितना भी शातिर हो, वह अपराध के बाद निशान छोड़ ही जाता है. फिर सुनीता तो अभी 21 साल की ही थी. गेम प्लान सुनीता ने रचा था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Stories in Hindi : प्रेमी से पति को गोली मारकर कराई हत्या

Crime Stories in Hindi  : झगड़ालू और चरित्रहीन निशा ने अपने स्वार्थ की खातिर पहले पति के परिवार को बिखेरा, फिर यार को पाने के लिए अपने बच्चों के भविष्य की परवाह करने के बजाए पति को ही…

28 फरवरी, 2021 को अपने भाई को घर आया देख निशा की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस का भाई काफी समय बाद उसे ससुराल से लेने आया था. उस वक्त निशा और उस का पति रिंकू घरगृहस्थी में आए उतारचढ़ाव को ले कर काफी परेशान चल रहे थे. जिस के चलते उन का घर चिंता और परेशानियों से घिरा हुआ था. इस दौरान निशा ने कई बार अपने मायके जाने की सोची भी, लेकिन वह रिंकू को ऐसी स्थिति में छोड़ कर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी. रिंकू की परेशानी का कारण यह था कि सन 2017 में उस के परिवार में एक ऐसी अनहोनी हो गई थी, जिस में उस की मां और उस के 2 भाइयों की मौत हो गई थी. उस की मां की एक जीवनबीमा पौलिसी थी.

मां की मौत के बाद बीमा की रकम मिली तो उस के छोटे भाई विपिन ने चालाकी से सारी रकम हड़प ली. भाई के विश्वासघात से रिंकू को जबरदस्त झटका लगा था. बाद में उस का छोटा भाई विपिन उस की जान का दुश्मन बन गया था. अपने साले दीपक के आने के बाद रिंकू ने निशा को समझाबुझा कर उसी दिन उस के साथ मायके भेज दिया. मायके पहुंचने के बाद भी निशा बारबार अपने पति को फोन कर के उस की खैरखबर लेती रही. 28 फरवरी को रात करीब 10 बजे निशा की रिंकू से फोन पर आखिरी बार बात हुई. रिंकू ने निशा को बताया था कि उस का भाई विपिन कुछ लोगों के साथ उस के पास आया था और उस ने गालीगलौज की थी. उस के बाद से उस का मोबाइल बंद हो गया था.

अगले दिन पहली मार्च, 2021 को सुबह निशा ने फिर से रिंकू को फोन मिलाया तो उस समय भी उस का मोबाइल बंद आ रहा था. रात से लगातार रिंकू का फोन बंद आने से निशा परेशान हो उठी. जब उस से नहीं रहा गया तो वह भाई दीपक को साथ ले कर ससुराल जा पहुंची. लेकिन वहां उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था, जिसे देख निशा और उस का भाई दीपक परेशान हो उठे. उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दी, जिस के बाद कालोनी के कुछ लोग दीवार फांद कर घर के अंदर पहुंचे तो अंदर रिंकू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. पति की लाश देखते ही निशा चक्कर खा कर गिर पड़ी. रिंकू की हत्या की बात सुन कर पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल गई. इस बात की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई.

बंद घर में एक युवक की हत्या की बात सुनते ही पुलिस आननफानन में घटनास्थल पर पहुंच गई. यह घटना रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से सटे भदईपुरा इलाके की है. वह जगह रमपुरा चौकी के अंतर्गत आता था. इसलिए जानकारी मिलते ही रमपुरा चौकीप्रभारी अनिल जोशी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और खुद घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. सूचना मिलते ही रुद्रपुर कोतवाल एन.एन. पंत, सीओ (सिटी) अमित कुमार, एसपी (क्राइम) मिथिलेश सिंह और एसएसपी दलीप सिंह कुंवर भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

रिंकू की लाश बंद घर के अंदर मिली थी. किसी ने रिंकू के सिर में सटा कर गोली मारी थी, जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस हत्या की जांचपड़ताल करते हुए पुलिस ने सब से पहले मृतक की बीवी निशा से पूछताछ शुरू की. निशा ने बताया कि वह एक दिन पहले ही अपने भाई के साथ मायके चली गई थी. जहां पर उसे पति द्वारा ही पता चला था कि उस के भाई विपिन ने उस के साथ गालीगलौज की थी. उस के बयान के आधार पर पुलिस ने मृतक के भाई विपिन और उस के एक सहयोगी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. एसएसपी ने केस की तह तक जाने के लिए एसओजी समेत 3 टीमों को लगाया.

लाश को देख कर लग रहा था कि रिंकू की हत्या कई घंटे पहले की गई थी. पुलिस ने पड़ोसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने गोली की कोई आवाज नहीं सुनी थी. हालांकि मृतक की बीवी ने अपने ही देवर पर रिंकू की हत्या का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस के लिए इस तरह के सबूत तब तक मायने नहीं रखते जब तक पुलिस हत्या से सबंधित कोई तथ्य न जुटा ले. पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए रिंकू की लाश पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल भिजवा दी. लेकिन पोस्टमार्टम होने से पहले ही मृतक के ससुराल वालों ने पोस्टमार्टम का विरोध करते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया.

उन का कहना था कि पहले इस हत्या केस का खुलासा करो, बाद में पोस्टमार्टम कराना. पुलिस के काफी समझाने के बाद भी वे लोग मानने को तैयार नहीं हुए थे. रिंकू के ससुराल वाले उस के छोटे भाई समेत अन्य कई रिश्तेदारों पर उस की मां के एक्सीडेंट क्लेम के रुपए हड़पने के लिए हत्या का आरोप लगा रहे थे. तफ्तीश में जुटी पुलिस इस मामले में रिंकू ने कोर्ट के माध्यम से 22 फरवरी, 2020 को रुद्रपुर कोतवाली में अपने छोटे भाई विपिन के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था. यह बात पुलिस के संज्ञान में थी. उन्हीं तथ्यों के आधार पर पहली मार्च को निशा यादव की ओर से देवर विपिन यादव, सचिन यादव और दीपक यादव के खिलाफ कोतवाली में रिंकू की हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

मुकदमा भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया. पुलिस ने इस केस की तहकीकात शुरू करते हुए सर्विलांस की मदद से रिंकू के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने शुरू कर दिए. उसी दौरान पुलिस ने रिंकू के घर के पास स्थित दुकानदार पुष्पेंद्र से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 28 फरवरी की शाम रिंकू उस की दुकान से सिगरेट लेने आया था. उस वक्त उस के साथ 3 अन्य लोग भी थे, जिन्हें वह नहीं जानता. इस बात की जानकारी मिलते ही पुलिस ने रिंकू के मोबाइल की कालडिटेल्स खंगाली, जिस से पता चला कि उस वक्त उस की पत्नी ने ही उस से बात की थी.

पुलिस ने निशा से पूछताछ की तो निशा ने अपनी सफाई देते हुए अपनी तरफ से अपने 2 गवाह पेश कर के साबित करने की कोशिश की कि उस के भाई और बहन ने विपिन और उस के साथियों को घर से तमंचा ले कर भागते हुए देखा था. पुलिस ने उस के भाई और बहन के बारे में जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस के भाईबहन भदईपुरा में रहते ही नहीं तो उन्होंने उन को भागते हुए कैसे देख लिया. निशा का बिछाया यही जाल उस के लिए जी का जंजाल बन गया. पुलिस को संदेह हो गया कि जरूर रिंकू की हत्या करने में निशा की ही भूमिका रही होगी.

हालांकि पुलिस ने इस केस को पारिवारिक विवाद से जोड़ कर 2 संदिग्धों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी शुरू कर दी थी, लेकिन जब पुलिस को निशा ही संदिग्ध लगी तो पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. निशा को हिरासत में ले कर पुलिस ने उस की कालडिटेल्स निकाली तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा बात भदईपुरा निवासी उस के पड़ोसी अभिषेक यादव से होती पाई गई. 28 फरवरी, 2021 को भी निशा और अभिषेक यादव के बीच कई बार बात हुई थी. पुलिस ने निशा से कड़ी पूछताछ की तो वह पुलिस के दांवपेंच में फंसती चली गई. आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अभिषेक से मिल कर अपने पति की हत्या कराई है.

उस ने पुलिस को बताया कि अभिषेक यादव और उस के बीच काफी समय से अवैध संबंध थे. इस बात का शक उस के पति रिंकू को हो गया था. उस ने एक दिन हम दोनों को रंगेहाथों घर में ही पकड़ लिया था, जिस के बाद उस का पति से मनमुटाव हो गया था. उसी मनमुटाव के चलते उस ने अभिषेक से मिल कर उस की हत्या करा दी. नाजायज फायदा उठाया उस के बाद उस ने अपने पारिवारिक संबंधों का नाजायज फायदा उठाते हुए इस केस में अपने ही परिवार वालों को घसीटने की कोशिश की. निशा तेजतर्रार महिला थी. उस ने रिंकू के साथ कोर्टमैरिज की थी. रिंकू से कोर्टमैरिज करने के बाद उस ने रिंकू को कैसे अपनी अंगुलियों के इशारे पर नचाया, यह रोमांचक कहानी है.

रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से लगभग एक किलोमीटर दूर किच्छा मार्ग पर एक कालोनी है भदईपुरा. इसी कालोनी में भान सिंह यादव का परिवार रहता था. भान सिंह के 4 बेटे थे. समय के साथ चारों बेटे जवान हुए तो वे भी कामों में अपने पिता का सहयोग करने लगे. चारों बेटों ने मिलजुल कर काम करना शुरू किया तो भान सिंह के परिवार की स्थिति इतनी मजबूत हो गई कि उसी कमाई के सहारे उस ने मकान भी बनवा लिया. भान सिंह ने समय से 2 बेटों की शादी कर दी थी. रिंकू तीसरे नंबर का था. रिंकू ने किसी फोटोग्राफर के यहां रह कर फोटोग्राफी का काम सीखा और वह शादीविवाह में फोटोशूट का काम करने लगा. उसी दौरान किसी बीमारी के चलते भान सिंह की मृत्यु हो गई.

भान सिंह के निधन से घर की जिम्मेदारी चारों बेटों पर आ गई. चारों बेटे पहले की तरह ही एकमत हो कर घर की सारी जिम्मेदारी निभाते रहे. रिंकू भी शादी लायक हो गया था. रिंकू फोटोग्राफी का काम करता था, इसलिए उसे अकसर बाहर रहना पड़ता था. अब से करीब 8 साल पहले रिंकू दिल्ली में किसी शादी में फोटोशूट के लिए गया हुआ था. उसी दौरान उस की मुलाकात निशा से हुई. निशा देखनेभालने में ठीकठाक थी. शादी में फोटोशूट के दौरान वह रिंकू से इंप्रैस हुई तो उस ने रिंकू का फोन नंबर ले लिया. उस शादी के बाद रिंकू अपने घर आ गया. रिंकू के घर आने के एकदो दिन बाद ही रिंकू के पास निशा के फोन आने लगे.

फोन पर बात होने के दौरान ही निशा ने बताया कि हल्द्वानी और रुद्रपुर में उस की बहनें रहती हैं. वह उन के घर भी आतीजाती है. समय गुजरते निशा और रिंकू के बीच प्रेम अंकुरित हुआ और दोनों ही एकदूसरे के साथ जिंदगी बिताने के सपने देखने लगे. उस दौरान निशा कई बार अपनी बहन के घर आई तो उस ने रिंकू को मिलने के लिए अपनी बहन के घर बुलाया. उसी दौरान रिंकू के परिवार वालों को भी पता चल गया था कि वह निशा नाम की किसी लड़की से प्यार करता है. उस के परिवार वालों ने उसे समझाने की कोशिश की कि शादी के मामले इतने आसान नहीं होते. ऐसे मौके इंसान की जिंदगी में बारबार नहीं आते.

किसी की लड़की घर में लाने से पहले उस के परिवार के बारे में जानकारी जुटाना बहुत जरूरी होता है. लेकिन रिंकू अपने परिवार वालों की एक भी बात मानने को तैयार न था. वह निशा के प्यार में इस कदर पागल हो चुका था कि किसी भी कीमत पर उसे छोड़ने को तैयार न था. परिवार के इसी विरोध के चलते रिंकू ने परिवार वालों को बिना बताए निशा से कोर्टमैरिज कर ली. निशा से शादी कर के रिंकू ने शहर में ही उसे किराए का एक कमरा दिला दिया. वह भी उसी के साथ रहने लगा. जब घर वालों को उस की हकीकत पता चली तो उन्होंने उस की मजबूरी समझ कर निशा को घर लाने को कहा. ससुराल में शुरू की कलह निशा रिंकू के घर वालों के रहमोकरम पर बहू बन कर परिवार के बीच रहने लगी. शादी के कुछ समय बाद तक निशा ठीकठाक रही. लेकिन कुछ ही दिनों में उस का व्यवहार बदलने लगा.

वह रिंकू के घर वालों के साथ गलत व्यवहार करने लगी. उस के घर वाले उसे बोझ लगने लगे. जिस के चलते वह रिंकू पर घर वालों से अलग रहने का दबाव बनाने लगी. यहां तक वह परिवार वालों का खाना बनाने के लिए भी तैयार नहीं थी. रिंकू का छोटा भाई विपिन उस वक्त कुंवारा था. घर में आई बहू की हालत देख उस के घर वालों ने अपने छोटे बेटे विपिन की शादी करने का फैसला कर लिया. विपिन की शादी की बात चली तो उस के योग्य एक लड़की मिल गई. विपिन की शादी उत्तर प्रदेश के बिलासपुर कस्बे से हुई. विपिन की शादी होते ही घर में दूसरी बहू आई तो घर वालों को कुछ राहत मिली.

विपिन की शादी होते ही रिंकू अपनी पत्नी निशा को ले कर अलग रहने लगा. खानापीना घर परिवार से अलग बनने लगा, लेकिन रहनसहन उसी घर में था. भाई तो भाई होते हैं लेकिन एक ही छत के नीचे चार बहुओं का रहना किसी मुसीबत से कम नहीं था. यही कारण था कि परिवार में आए दिन किसी न किसी बात पर मनमुटाव होता रहता था. जिस घर में कलह होने लगे तो वहां शांति के लिए कोई जगह नहीं रह जाती. वही इस परिवार में भी हुआ. सन 2017 में रिंकू की मां द्रौपदी अपने 2 बेटों भारत यादव और सुनील यादव के साथ किसी काम से बरेली गई हुई थी. वहां से घर लौटते समय उन की बाइक किसी गाड़ी की चपेट में आ गई, जिस से उन तीनों की मौत हो गई.

घर में एक साथ 3 मौतें हो जाने के कारण रिंकू को जबरदस्त झटका लगा. उस के बावजूद उस ने जैसेतैसे अपने परिवार को संभालने की कोशिश की. दोनों भाइयों की विधवा बीवी और बच्चों की जिम्मेदारी भी उसी ने संभाली. लेकिन यह सब निशा को पसंद नहीं था. निशा शुरू से ही तेजतर्रार थी. पैसे से उसे कुछ ज्यादा ही प्यार था. उसी दौरान निशा को पता चला कि उस की सास द्रौपदी का जीवनबीमा था, जिस का क्लेम उन के नौमिनी को मिलना था. रिंकू के सभी परिवार वाले यह बात जानते थे कि अगर पैसा रिंकू के हाथ में चला गया तो उस की बीवी सारे पैसे पर अपना कब्जा जमा लेगी.

दूसरे रिंकू के घर अभिषेक यादव का बहुत आनाजाना था. अभिषेक यादव आवारा युवक था, जिस का घर में आना उस के परिवार वालों को बिलकुल पसंद नहीं था. अभिषेक का घर आनाजाना रिंकू को भी खलता था. लेकिन निशा को बुरा न लगे, इसलिए वह अपनी जुबान बंद रखता था. रिंकू के भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों ने पूरी कोशिश की कि पैसा किसी भी हाल में रिंकू या उस की बीवी के हाथ में न जाने पाए. जब यह जानकारी निशा को हुई तो उस ने घर में बवाल खड़ा कर दिया. पैसे ने भाइयों में डाली फूट अपने भाई की मजबूरी और अपनी भाभी के चरित्र और व्यवहार को देखते हुए विपिन ने एलआईसी से मिलने वाली मां की पौलिसी की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली.

यह जानकारी निशा को हुई तो घर में तूफान आ गया. निशा ने घर में जम कर हंगामा किया. उस ने रिंकू का भी जीना हराम कर दिया. वह बातबात पर उस से लड़नेझगड़ने लगी. इस बीच अभिषेक यादव का भी आनाजाना बढ़ गया था, जिस से उस के परिवार वाले बुरी तरह चिढ़ते थे. विपिन के खाते में रुपए जाने के बाद निशा उस से बुरी तरह चिढ़ने लगी थी. उस ने पति रिंकू से साफ शब्दों में कह दिया कि इस घर में या तो मैं और मेरा परिवार रहेगा या फिर विपिन. रिंकू निशा की जिद से परेशान था. उस ने कह दिया कि जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा. इस तरह निशा ने रिंकू को अपने भाई के सामने खड़ा करा कर दोनों में मनमुटाव करा दिया, साथ ही उस के नाम मां की एलआईसी के रुपए हड़पने का आरोप लगा कर रुद्रपुर कोतवाली में एक एफआईआर भी दर्ज करा दी.

विपिन ने अपने कुछ रिश्तेदारों के सहयोग से पुलिस से मिल कर जैसेतैसे वह मामला निपटाया. इस से विपिन को लगा कि अब उस घर में अपने भाई के साथ रहना उस की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है. वह अपना घर छोड़ कर अपनी ससुराल बिलासपुर में जा कर रहने लगा. तब से वह वहीं पर रह रहा था. विपिन के घर छोड़ते ही निशा के सारे बंद रास्ते खुल गए. सुबह होते ही रिंकू अपने काम पर निकल जाता. उस के बाद वह अभिषेक को फोन कर के अपने घर बुला लेती थी. रिंकू के अभी 2 ही बच्चे थे, जिन में बड़ी बेटी मानवी 5 वर्ष की थी और उस से छोटा बेटा मानव 3 वर्ष का था. मानवी तो स्कूल जाने लगी थी. लेकिन बेटा अभी छोटा था, जिस से निशा को कोई खास परेशानी नहीं होती थी.

वह रिंकू की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हुए आए दिन अभिषेक यादव के साथ मस्ती करती थी. अभिषेक का आनाजाना बढ़ गया तो मोहल्ले वालों को भी अखरने लगा. चलतेचलते यह बात रिंकू के सामने भी जा पहुंची. रिंकू ने निशा को समझाने की कोशिश की. लेकिन निशा ने उलटे उसे ही समझाते हुए कहा कि अभिषेक उस का दूर का रिश्तेदार है. वह उस के घर पर आने पर रोक नहीं लगा सकती. निशा के सामने रिंकू की एक न चली. रिंकू का आए दिन बाहर आनाजाना लगा रहता था. उसी दौरान एक दिन रिंकू ने अभिषेक और निशा को अपने घर में ही आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. अभिषेक तो छत की सीढि़यों से पीछे कूद कर भाग गया.

उस रात रिंकू और निशा के बीच खूब गालीगलौज हुई. रिंकू ने निशा को बहुत भलाबुरा कहा. लेकिन निशा को जैसे सांप सूंघ गया था. उस ने रिंकू के सामने माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई. रिंकू जानता था कि बात ज्यादा बढ़ाने से उसी की बेइज्जती होगी, लिहाजा वह सहन कर गया. निशा जानती थी कि अब रिंकू को अभिषेक के बारे में सब कुछ पता चल चुका है, वह आगे किसी भी कीमत पर अभिषेक को सहन नहीं करेगा. उस दिन से अभिषेक काफी दिनों तक उस गली से नहीं गुजरा. लेकिन वह मोबाइल पर हमेशा निशा के संपर्क में रहता था. जब रिंकू कहीं काम से बाहर जाता तो वह घंटों तक अभिषेक से मोबाइल पर बात करती रहती. मोबाइल पर उस ने अभिषेक यादव से कहा कि अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मुझे इस नर्क से निकाल कर कहीं दूसरी जगह ले चलो.

लेकिन अभिषेक यादव जानता था कि उस के छोटेछोटे 2 बच्चे हैं, वह उन का क्या करेगा. निशा ने रची साजिश अंतत: निशा ने अभिषेक के साथ मिल कर रिंकू से पीछा छुड़ाने के लिए एक साजिश रच डाली. साजिश के तहत निशा ने अभिषेक को बताया कि वह 28 फरवरी, 2021 को अपनी बहन के घर हल्द्वानी जा रही है. अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मेरे आने से पहले रिंकू को दुनिया से विदा कर दो. फिर हम दोनों इसी घर में मौजमस्ती करेंगे. अभिषेक यादव निशा के प्यार में पागल था. वह उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था. वह उस की साजिश का हिस्सा बन गया.

रिंकू की हत्या करने के लिए उस ने अपने दोस्त आकाश यादव, साहिल व सूरज को भी शामिल कर लिया. निशा और अभिषेक यादव ने आकाश को 20 हजार रुपए देने के साथ ही एक तमंचा भी दिला दिया था. योजना के तहत निशा ने अपने भाई को अपने घर बुलाया और 28 फरवरी को वह उस के साथ चली गई. निशा के जाने के बाद रिंकू घर पर अकेला रह गया था. 28 फरवरी की शाम को पूर्व योजनानुसार आकाश यादव उर्फ बांडा निवासी भदईपुरा, साहिल निवासी भूत बंगला ने रिंकू के घर पर पार्टी करने की योजना बनाई, जिस में शराब के साथ मुर्गा भी बनाया गया. पार्टी में तीनों ने रिंकू को ज्यादा शराब पिलाई. उस शाम रिंकू के घर के पास एक शादी भी थी, जिस में डीजे बज रहा था.

डीजे की आवाज में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. देर रात तक चली पार्टी में जब रिंकू बेहोशी की हालत में हो गया तो मौका पाते ही तीनों ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. रिंकू की हत्या करने के बाद उन्होंने उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ कर दिया था. उस के बाद तीनों घर के दरवाजे पर अंदर से ताला लगा कर छत के रास्ते नीचे कूद कर चले गए. रिंकू की हत्या के बाद आकाश ने अभिषेक को बता दिया कि उस का काम हो गया है. उस के आगे का काम स्वयं निशा ने संभाला. योजनानुसार निशा ने इस केस में रिंकू के छोटे भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों को फंसाने की योजना बना रखी थी. लेकिन उस का यह दांव चल नहीं सका और वह खुद ही अपने जाल में उलझ गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने पांचों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम में शामिल कोतवाल एन.एन. पंत, एसएसआई सतीश कापड़ी, एसआई पूरनी सिंह, रमपुरा चौकीप्रभारी मनोज जोशी, एसओजी प्रभारी उमेश मलिक, कांस्टेबल प्रकाश भगत और राजेंद्र कश्यप को आईजी ने 5 हजार, एसएसपी ने ढाई हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. crime stories in hindi

Hindi Love Story in Short : आयशा की कहानी – मरते दम तक पति से किया बेइंतहा प्यार, जानिए कौन था वो

Hindi Love Story in Short  : तमाम तरह से प्रताडि़त होने के बावजूद आयशा अपने शौहर आरिफ को दिलोजान से मोहब्बत करती थी, लेकिन लालची आरिफ आयशा के बजाय अपनी प्रेमिका को चाहता था. निकाह के एक साल बाद आरिफ ने ऐसे हालात बना दिए कि आयशा को अपनी मौत का वीडियो बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा…

अहमदाबाद में साबरमती नदी की उफान मारती लहरों पर अटकी मेरी निगाहों में उस वक्त अतीत के लम्हे एकएक कर चलचित्र की तरह तैर रहे थे. रिवरफ्रंट के किनारे चहलकदमी करने वाले लोगों से बेपरवाह मेरे जेहन में सिर्फ जिंदगी के वे अफसोस भरे लम्हे उभर कर सामने आ रहे थे, जिन के कारण आज मेरी जिंदगी इतने अवसाद में भर चुकी थी कि मैं ने एक जिंदगी का सब से कठिन फैसला ले लिया था. मैं अपने अब्बू लियाकत अली मरकाणी की 2 संतानों में सब से बड़ी थी, मुझ से छोटा एक भाई है. अब्बू पेशे से टेलर मास्टर थे. अब्बू बचपन से ही कहा करते थे कि मेरी आयशा बड़ी टैलेंटेड लड़की है.

अब्बू ज्यादा पढ़लिख नहीं सके थे, लेकिन उन का सपना था कि उन के बच्चे पढ़लिख कर काबिल इंसान बनें और लोग उन्हें उन के बच्चों की शोहरत के कारण जानें. अब्बू ने मुझे पढ़ालिख कर या तो आईएएस बनाने या टीचर बनाने का सपना देखा था. इधर अम्मी ने भी मुझे बचपन से ही घर के हर काम में पारंगत कर दिया था. वे कहा करती थीं कि पराए घर जाना है इसलिए अपने घर की जिम्मेदारियां संभाल कर ही ससुराल की जिम्मेदारियों के लिए तैयार होना पड़ता है. मेरा ख्वाब था कि मैं पीएचडी कर के लेक्चरर या प्रोफैसर बनूं. लेकिन कहते हैं न कि इंसान की किस्मत में जो लिखा हो, होता वही है. मुझे राजस्थान के जालौर से बचपन से ही लगाव था.

क्योंकि यहां शहर के राजेंद्र नगर में मेरे मामू अमरुद्दीन रहा करते थे. बचपन से ही जब भी स्कूल की छुट्टियां होती थीं तो मैं मामू के पास ननिहाल आ जाती थी. मामू भी कहते थे कि आयशा तुझे जालौर से जिस तरह का लगाव है उसे देख कर लगता है तेरी शादी यहीं करानी पडे़गी. बचपन में मामू की कही गई ये बातें एक दिन सच साबित हो जाएंगी, इस का मुझे उस वक्त अहसास नहीं था. बात सन 2017 की है, मैं ने ग्रैजुएशन पूरी कर ली थी. हमेशा गरमियों की छुट्टियों की तरह उस साल भी मैं मामू के घर चली गई थी. लेकिन इस बार एक अलग अहसास ले कर लौटी. इस बार मेरी मुलाकात वहां जालौर के ही रहने वाले आरिफ खान से हुई थी.

पता नहीं, वह कौन सा आकर्षण था कि पहली ही नजर में आरिफ मेरे दिल में उतर गया. उस से मिलने के बाद दिल में अजीब सा अहसास जागा, पहली मुलाकात के बाद जब वापस लौटी तो लगा जैसे कोई ऐसा मुझ से दूर चला गया है, जिस के बिना जीवन अधूरा है. मुझे लगा शायद मैं उसे अपना दिल दे बैठी थी. बस यही कारण था कि आरिफ से मिलनेजुलने का सिलसिला लगातार शुरू हो गया. आरिफ में भी मैं ने खुद से मिलने की वैसी ही तड़प देखी, जैसी मुझ में थी. मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू होते ही हम दोनों अपने परिवारों के बारे में भी एकदूसरे को जानकारी देने लगे.

आरिफ अपने पिता बाबू खान के साथ जालौर की एक ग्रेनाइट फैक्ट्री में काम करता था. उस के अपने पुश्तैनी घर के बाहर 2 दुकानें थीं, जो उस ने किराए पर दे रखी थीं. आरिफ ग्रेनाइट फैक्ट्री में सुपरवाइजर के पद पर तैनात था, जबकि उस के पिता कंस्ट्रक्शन कंपनी की देखरेख का काम करते थे. जल्द ही हम दोनों की मुलाकातें प्यार में बदल गईं. आरिफ से बढ़ते प्यार के बारे में अपनी मामीजान को सारी बात बताई तो उन्होंने मामा से आरिफ के बारे में बताया. मामा ने पहले आरिफ से मुलाकात की और उस से जानना चाहा कि क्या वह सचमुच मुझ से प्यार करता है. जब उस ने कहा कि वह मुझ से निकाह करना चाहता है तो मामूजान ने आरिफ के अब्बा व अम्मी से मुलाकात की.

उस के बाद जब सब कुछ ठीक लगा तो मामू ने मेरे अब्बू व अम्मी को आरिफ के बारे में बताया. शादी में बदल गया प्यार मिडिल क्लास फैमिली की तरह बेटी के जवान होते ही मातापिता को बेटी के हाथ पीले करने की फिक्र होने लगती है. मेरे अब्बू  और अम्मी मेरे लिए काबिल शौहर तथा एक भले परिवार की तलाश कर ही रहे थे. मामू ने अब्बू को यह भी बता दिया कि उन्होेंने आरिफ व उस के परिवार के बारे में पता कर लिया है. अच्छा खातापीता और शरीफ परिवार है. अब्बू को भी लगा कि चलो बेटी ननिहाल स्थित अपनी ससुराल में रहेगी तो उन्हें  भी चिंता नहीं रहेगी.

इस के बाद मेरे परिवार ने आरिफ के परिवार वालों से मिल कर आरिफ से मेरे रिश्ते की बात चलानी शुरू की. एकदो मुलाकात व बातचीत के बाद आरिफ से मेरा रिश्ता पक्का हो गया. 6 जुलाई, 2018 को आरिफ से मेरे निकाह की रस्म पूरी हो गई और मैं आयशा आरिफ खान के रूप में नई पहचान ले कर अपने मायके से ससुराल जालौर पहुंच गई. हालांकि शादी में दानदहेज देने की कोई बात तय नहीं हुई थी, लेकिन अब्बा ने शादी में अपनी हैसियत के लिहाज से जरूरत की हर चीज दी. आरिफ की मोहब्बत में निकाह के कुछ दिन कैसे बीत गए, मुझे पता ही नहीं चला.

निकाह के 2 महीने बाद ही मेरी जिंदगी में संघर्ष का एक नया अध्याय शुरू हो गया. 2 महीने के भीतर ही मुझे समझ आने लगा कि निकाह के बाद पहली रात को अपने अंकपाश में लेते हुए आरिफ ने मुझ से ताउम्र मोहब्बत करने और जिंदगी भर साथ निभाने का जो वादा किया था, वह दरअसल एक फरेब था. असल में उस की जिदंगी में पहले से ही एक लड़की थी. बेवफाई आई सामने घर वाली के रूप में मेरे शरीर को भोगने के अलावा मोहब्बत तो आरिफ अपनी उस प्रेमिका से करता था, जिस से अब तक वह चोरीछिपे वाट्सऐप पर चैट और वीडियो काल कर के दिन के कई घंटे बातचीत में बिताता था. निकाह के 2 महीने बाद जब आरिफ के फोन से यह भेद खुला तो मेरे ऊपर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा.

आरिफ बेवफा होगा, इस की मुझे तनिक भी उम्मीद नहीं थी. एक औरत कुछ भी बांट सकती है, लेकिन पति का बंटवारा उसे कतई गवारा नहीं. जाहिर था, मैं भी एक औरत होने के नाते इस सोच से अछूती नहीं रही. मैं ने आरिफ की इस बात का विरोध किया कि आखिर मुझ में ऐसी कौन से कमी है, जो वह किसी दूसरी औरत में मेरी उस कमी को तलाश रहा है. उस दिन आरिफ ने जो कहा मेरे लिए वह किसी कहर से कम नहीं था. आरिफ ने मुझे बताया कि वह तो शादी से पहले ही एक लड़की से प्यार करता था, मगर जातपात की ऊंचनीच के कारण परिवार वाले उस से शादी के लिए तैयार नहीं हुए.

उस ने तो बस परिवार की खातिर मुझ से निकाह किया था. यह बात मेरे लिए कितनी पीड़ादायक थी, इस का अहसास दुनिया की हर उस औरत को आसानी से हो सकता है जिस ने अपने पति से दिल की गहराइयों से प्यार किया होगा. यह दुख, दर्द, तकलीफ मेरे लिए असहनीय थी. फिर अकसर ऐसा होने लगा कि आरिफ उस प्रेम कहानी को ले कर मेरे ऊपर हाथ छोड़ने लगा. इतना ही नहीं, अब तो वह चोरीछिपे नहीं मेरी मौजूदगी में ही अपनी प्रेमिका से वीडियो काल तक करने लगा था. आंखों से आंसू और दिल में दर्द लिए मैं सब कुछ तड़प कर सह जाती थी.

आरिफ की कमाई के साधन तो सीमित थे, लेकिन उस की आशिकी के कारण उस के खर्चे बेहिसाब थे. इसलिए जब भी उसे पैसे की जरूरत होती तो वह मुझे जरूरत बता कर दबाव बनाता कि मैं अपने अब्बू से पैसे मंगा कर दूं. जिंदगी में पति के साथ दूरियां तो बन ही चुकी थीं, सोचा कि चलो इस से ही आरिफ के साथ संबध सुधर जाएंगे. एकदो बार मैं ने 10-20 हजार मंगा कर आरिफ को दे दिए. लेकिन पता चला कि ये पैसा आरिफ ने अपनी महबूबा के साथ अय्याशियों के लिए मंगाया था. कुछ समय बाद ऐसा होने लगा कि आरिफ ने मुझे एकएक पाई के लिए तरसाना शुरू कर दिया और अपनी सारी कमाई आशिकी में लुटाने लगा. पैसे की कमी होती तो मुझ पर अब्बू से पैसा लाने का दबाव बनाता.

आखिर मैं भी एक साधारण परिवार की लड़की थी, लिहाजा मैं ने कह दिया कि अब मैं अब्बू से कोई पैसा मंगा कर नहीं दूंगी. दरअसल, मैं इतना सब होने के बाद खामोश थी तो इसलिए कि मैं अपने गरीब मातापिता की इज्जत बचाना चाहती थी. पति से मिलने वाले दर्द को छिपाते हुए मैं हर पल एक नई तकलीफ से गुजरती थी, लेकिन इस के बावजूद सहती रही. मेरा दर्द सिर्फ इतना नहीं था. एक बार आरिफ मुझे अहमदाबाद मेरे मायके छोड़ गया. मैं उस समय प्रैग्नेंट थी. आरिफ ने कहा था कि जब मेरे अब्बू डेढ़ लाख रुपए दे देंगे तो वह मुझे अपने साथ ले जाएगा. अचानक इस हाल में मायके आ जाने और आरिफ की शर्त के बाद मुझे परिवार को अपना सारा दर्द बताना पड़ा.

प्रैग्नेंसी के दौरान एक बार आरिफ ने मेरी पिटाई की थी. उसी के बाद से मुझे लगातार ब्लीडिंग होने लगी थी. मायके आने के बाद अब्बू ने मुझे हौस्पिटल में भरती कराया. तब डाक्टर ने तुरंत सर्जरी की जरूरत बताई, लेकिन गर्भ में पल रहे मेरे बच्चे को नहीं बचाया जा सका. इस के बाद जिंदगी में पूरी तरह अवसाद भर चुका था. प्रैग्नेंसी के दौरान आरिफ के बर्ताव से मैं बुरी तरह टूट गई थी. लेकिन ऐसे में अम्मीअब्बू ने मुझे सहारा दिया और मेरा मनोबल बढ़ा कर कहने लगे कि अगर आरिफ नालायक है तो इस के लिए मैं क्यों अपने को जिम्मेदार मान रही हूं.

लेकिन मेरी पीड़ा इस से कहीं ज्यादा इस बात पर थी कि इतना सब हो जाने पर भी आरिफ और उस के परिवार वाले मुझे देखने तक नहीं आए. मुझे लगने लगा कि आरिफ और उस के परिवार के लिए शायद पैसा ही सब कुछ है. वे यही रट लगाए रहे कि जब तक पैसा नहीं मिलेगा, मुझे अपने साथ नहीं ले जाएंगे. मैं या अब्बूअम्मी जब भी आरिफ या उस के परिवार वालों से बात कर के ले जाने के लिए कहते तो वे फोन काट देते. निकाह के बाद दहेज के लिए किसी लड़की की जिंदगी नर्क कैसे बनती है, मैं इस का जीताजागता उदाहरण बन चुकी थी.

सब कुछ असहनीय था मैं थक चुकी थी. मैं ने परिवार वालों को कुछ नहीं बताया. लेकिन मेरे बच्चे की मौत और आरिफ का मुझ से मुंह मोड़ लेना असहनीय हो गया था. लिहाजा थकहार कर 21 अगस्त, 2020 को मैं ने अब्बू के साथ जा कर अहमदाबाद के वटवा थाने में आरिफ और अपने सासससुर तथा ननद के खिलाफ दहेज की मांग तथा घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया. 10 मार्च, 2020 से आरिफ जब से मुझे अब्बू के घर छोड़ कर गया था, तब से मुझे लगने लगा था कि मैं अपने गरीब परिवार पर बोझ बन चुकी हूं. इसलिए मैं ने अहमदाबाद के रिलीफ रोड पर स्थित एसवी कौमर्स कालेज में इकोनौमिक्स से प्राइवेट एमए की पढ़ाई शुरू कर दी और एक निजी बैंक में नौकरी करने लगी.

जिंदगी चल रही थी, गुजर रही थी लेकिन न जाने क्यों मुझे लगने लगा था कि जिदंगी पराई हो गई है. मैं अब भी अपना परिवार जोड़ना चाहती थी. मुकदमा दर्ज होने के बाद भी मैं आरिफ को समझाती रही कि अगर वह मुझे अपना लेगा तो अब्बू से कह कर सब ठीक करा दूंगी. मैं हर तरीके से अपने परिवार को वापस जोड़ने की कोशिश कर रही थी. लेकिन आरिफ मेरी हर बात को बारबार नकारता रहा. 22 फरवरी, 2021 को मैं ने आरिफ से आखिरी बार फोन पर बात की थी. लेकिन आरिफ ने उस दिन जो कुछ कहा, उस ने मुझे भीतर से तोड़ दिया. उस ने कहा कि वह मर भी जाए तो भी मुझे ले कर नहीं जाएगा.

मैं ने आरिफ से कहा कि अगर वह ले कर नहीं जाएगा तो मैं जान दे दूंगी. इस पर आरिफ ने कहा अगर मरना है तो मर जाए, लेकिन मरने से पहले वीडियो बना कर भेज दे. मैं ने भी वादा कर लिया कि ठीक है, मरूंगी जरूर और वीडियो भी भेजूंगी. उसी दिन से मन जिंदगी के प्रति निराशा से भर गया था. 25 फरवरी को मैं उसी निराशा और हताशा में मन की शांति के लिए साबरमती रिवरफ्रंट पर जा पहुंची. यहीं पर बैठेबैठे अतीत के पन्नों  को पढ़ते हुए हताशा ने मुझे एक बार फिर इस तरह घेर लिया कि सोचा जब जीवन खत्म ही करना है तो क्यों न आज ही कर लिया जाए.

वीडियो में उस ने जिक्र किया कि इस मामले में आरिफ को परेशान न किया जाए. मैं आरिफ से प्यार करती थी, इसलिए उस से किया गया वादा पूरा करने के लिए मैं ने एक वीडियो बनाया. आयशा का आखिरी वीडियो ‘हैलो, अस्सलाम आलैकुम, मेरा नाम आयशा आरिफ खान है और मैं अब जो करने जा रही हूं, अपनी मरजी से करने जा रही हूं. मुझ पर कोई दबाव नहीं था. अब मैं क्या बोलूं? बस, यह समझ लीजिए कि अल्लाह द्वारा दी गई जिंदगी इतनी ही है और मेरी यह छोटी सी जिंदगी सुकून वाली थी. डियर डैड आप कब तक लड़ेंगे अपनों से? केस वापस ले लीजिए. नहीं लड़ना.

‘आयशा लड़ाइयों के लिए नहीं बनी. प्यार करते हैं आरिफ से, उसे परेशान थोड़े ही न करेंगे. अगर उसे आजादी चाहिए तो ठीक है वो आजाद रहे. चलो, अपनी जिंदगी तो यहीं तक है.

‘मैं खुश हूं कि मैं अल्लाह से मिलूंगी और पूछूंगी कि मुझ से गलती कहां हो गई. मां बाप बहुत अच्छे मिले, दोस्त भी बहुत अच्छे मिले, पर शायद कहीं कमी रह गई मुझ में या फिर तकदीर में. मैं खुश हूं सुकून से जाना चाहती हूं, अल्लाह से दुआ करती हूं कि वो दोबारा इंसानों की शक्ल न दिखाए.

‘एक चीज जरूर सीखी है मोहब्बत करो तो दोतरफा करो, एकतरफा में कुछ हासिल नहीं है. कुछ मोहब्बत तो निकाह के बाद भी अधूरी रहती हैं. इस प्यारी सी नदी से प्रेम करती हूं कि ये मुझे अपने आप में समा ले.

‘मेरे पीछे जो भी हो प्लीज ज्यादा बखेड़ा खड़ा मत करना, मैं हवाओं की तरह हूं, सिर्फ बहना चाहती हूं. मैं खुश हूं आज के दिन, मुझे जिन सवालों के जवाब चाहिए थे वो मिल गए, जिसे जो बताना चाहती थी सच्चाई बता चुकी हूं. बस इतना काफी है. मुझे दुआओं में याद रखना. थैंक यू, अलविदा.’

आरिफ से मेरा यही वादा था, इसलिए इस वीडियो को मैं ने आरिफ और उस के परिवार वालों को सेंड कर दिया है ताकि उस को समझ आ जाए कि मैं वाकई उस से सच्ची मोहब्बत करती थी और मरने के बाद भी उसे किसी पचडे़ में नहीं फंसाना चाहती. इस वीडियो संदेश को आरिफ को भेजने के बाद मैं ने अपने अब्बू व अम्मी से बात की. उन्हेंबता दिया कि मैं साबरमती के किनारे खड़ी हूं और मरने जा रही हूं.

हालांकि अब्बू  ने खूब मन्नतें की कि कोई गलत कदम न उठाऊं. लेकिन मैं ने खुद की जिंदगी खत्म  करने का फैसला ले लिया था. मरने से पहले भी आरिफ के लिए मेरा प्यार कम नहीं हुआ था इसीलिए मैं ने अब्बू से कहा कि वे आरिफ और उस के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लें. मैं ने साबरमती के किनारे खड़े हो कर अपने इस फोन और बैग को किनारे रखा और साबरमती के सामने अपनी बांहें फैला दीं और उस के बाद मैं ने अपना भार साबरमती पर छोड़ दिया. Hindi Love Story in Short

 

Hindi Stories Love : टीचर के प्यार में स्टूडेंट ने फांसी लगाकर दे दी जान

Hindi Stories Love : आराधना एक्का ओम की टीचर थी, गुरु शिष्य का नाता था दोनों में. लेकिन अराधना ने ओम को शिष्य नहीं बल्कि एक नवयुवक समझ कर पेंच लड़ाए और इस स्थिति तक पहुंचा दिया कि एक अभागिन मां के एकलौते बेटे को…

इसी साल 18 मार्च की बात है. शाम का समय था. करीब 6-साढ़े 6 बज रहे थे. छत्तीसगढ़ के शहर बिलासपुर में रहने वाली सरिता श्रीवास्तव मंदिर जाने की तैयारी कर रही थीं. बेटा ओम प्रखर घर पर अपने कमरे में पढ़ रहा था. इसी दौरान डोर बेल बजी. सरिता ने बाहर आ कर गेट खोला. गेट पर 25-30 साल की एक युवती खड़ी थी.

सरिता ने युवती की ओर देख कर सवाल किया, ‘‘हां जी, बताओ क्या काम है?’’

युवती ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर सरिता से कहा, ‘‘मैम नमस्ते. ओम घर पर है क्या?’’

‘‘हां, ओम घर पर ही है.’’ सरिता ने युवती को जवाब दे कर सवाल किया, ‘‘आप को उस से क्या काम है?’’

‘‘मैम, मेरा नाम आराधना एक्का है. मैं ओम के स्कूल में टीचर हूं. इधर से जा रही थी, तो सोचा ओम से मिलती चलूं.’’ युवती ने बताया.

बेटे की टीचर होने की बात जान कर सरिता ने आराधना को अंदर बुलाते हुए ओम को आवाज दे कर कहा, ‘‘ओम, आप की मैम मिलने आई हैं.’’

ओम बाहर आया, तो टीचर उसे देख कर मुसकरा दी. सरिता को मंदिर जाने को देर हो रही थी. इसलिए उन्होंने ओम से कहा, ‘‘ओम, अपनी टीचर को चायपानी पिलाओ. मुझे मंदिर के लिए देर हो रही है.’’

‘‘ठीक है मम्मी, आप मंदिर जाइए.’’ ओम ने मम्मी को आश्वस्त किया और अपनी टीचर से कहा, ‘‘मैम, आ जाओ, कमरे में बैठते हैं.’’

‘‘हां बेटे, तुम बातें करो. मैं मंदिर हो कर आती हूं.’’ कह कर सरिता घर से निकल गईं.

मंदिर सरिता के घर से दूर था. जब वह मंदिर से घर लौटीं, तो रात के करीब 8 बज गए थे. घर का गेट खुला देख कर सरिता को थोड़ा ताज्जुब हुआ, ओम की लापरवाही पर खीझ भी हुई. वह ओम को आवाज देती हुई घर में घुसीं. ओम का जवाब नहीं आने पर उन्होंने कमरे में जा कर देखा, तो उन के मुंह से चीख निकल गई. ओम अपने कमरे में पंखे के हुक से लटक रहा था. सरिता पढ़ीलिखी हैं. वह निजी स्कूल चलाती हैं. अपने 16-17 साल के बेटे ओम को फंदे पर लटका देख कर वह कुछ समझ नहीं पाईं. उन्होंने रोते हुए तुरंत घर से बाहर आ कर जोर से आवाज दे कर पड़ोसियों को बुलाया.

पड़ोसियों की मदद से पंखे से लटके ओम को नीचे उतारा गया. ओम को फंदे से उतार कर उस की नब्ज देखी, तो सांस चलती हुई नजर आई. सरिता पड़ोसियों की मदद से बेटे को तुरंत बिलासपुर के अपोलो हौस्पिटल ले गईं. डाक्टरों ने बच्चे की जांचपड़ताल करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल वालों ने इस की सूचना तोरवा थाना पुलिस को दी. मामला सुसाइड का था, इसलिए पुलिस अस्पताल पहुंच गई. पुलिस ने सरिता से पूछताछ के बाद ओम का शव पोस्टमार्टम के लिए अपने कब्जे में ले लिया. इस के बाद पुलिस देवरीखुर्द हाउसिंग बोर्ड इलाके में सरिता के घर पहुंची. उस समय तक रात के करीब 10 बज गए थे. इसलिए पुलिस ने वह कमरा सील कर दिया, जिस में ओम ने फांसी लगाई थी.

दूसरे दिन तोरवा थाना पुलिस ने ओम के शव का पोस्टमार्टम कराया. एक पुलिस टीम ने सरिता के मकान पर पहुंच कर ओम के कमरे की जांचपड़ताल की. कमरे में पुलिस को ओम का मोबाइल स्टैंड पर लगा हुआ मिला. मोबाइल का डिजिटल कैमरा चालू था. पुलिस ने मोबाइल की जांच की, तो उस में ओम के फांसी लगाने का पूरा वीडियो मिला. ओम ने अपना मोबाइल स्टैंड पर इस तरह सेट किया था कि उस के फांसी लगाने की प्रत्येक गतिविधि कैमरे में कैद हो गई थी. पुलिस ने मोबाइल जब्त कर लिया. पुलिस ने ओम की किताब, कौपियां भी देखीं, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. उस के कमरे से दूसरी कोई संदिग्ध चीज भी नहीं मिली.

पुलिस ने सरिता श्रीवास्तव से ओम के फांसी लगाने के कारणों के बारे में पूछा, लेकिन उन्हें कुछ पता ही नहीं था, तो वे क्या बतातीं. उन्होंने मंदिर जाने से पहले ओम की टीचर आराधना के घर आने और मंदिर से वापस घर आने तक का सारा वाकया पुलिस को बता दिया. लेकिन इस से ओम के आत्महत्या करने के कारणों का पता नहीं चला. तोरवा थाना पुलिस ने ओम की आत्महत्या का मामला दर्ज कर लिया. जब्त किए उस के मोबाइल पर कुछ चीजों में लौक लगा हुआ था. मोबाइल का लौक खुलवाने के लिए उसे साइबर सेल में भेज दिया गया. पुलिस जांचपड़ताल में जुट गई, लेकिन यह बात समझ नहीं आ रही थी कि ओम ने सुसाइड क्यों किया और सुसाइड का वीडियो क्यों बनाया?

ओम प्रखर एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. इस के साथ ही एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग भी कर रहा था. ओम सरिता का एकलौता बेटा था. पति सुनील कुमार से अनबन होने के कारण सरिता बेटे के साथ घर में अकेली रहती थीं. सरिता परिजात स्कूल की प्राचार्य थीं. यह स्कूल वह खुद चलाती थीं. पुलिस ओम के सुसाइड मामले की जांचपड़ताल कर रही थी, इसी बीच उस के कुछ दोस्तों के मोबाइल पर डिजिटल फौर्मेट में कुछ सुसाइट नोट पहुंचे. पता चलने पर पुलिस ने ये सुसाइड नोट जब्त कर लिए. इन सुसाइड नोट में ओम ने कई तरह की बातें लिखी थीं, जिन में वह जीने की इच्छा जाहिर कर रहा था और अपने व अपनों के लिए कुछ करने की बात भी कह रहा था.

सुसाइड नोट में ओम ने किसी लड़की का जिक्र करते हुए लिखा था कि वह उस का मोबाइल नंबर कभी ब्लौक तो कभी अनब्लौक कर देती है. उस ने सुसाइड नोट में अपनी मौत से उसे दर्द पहुंचाने की बात भी लिखी थी. यह सुसाइड नोट सामने आने से पुलिस को यह आभास हो गया कि यह मामला प्रेम प्रसंग का हो सकता है. इसलिए पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर जांच आगे बढ़ाई. इस दौरान ओम के दोस्तों के पास उस के सुसाइड से जुड़े मैसेज आते रहे. जांच में पता चला कि ओम ने सुसाइड से पहले मोबाइल में 2-3 सुसाइड नोट रिकौर्ड किए थे. इस के अलावा कुछ अन्य मैसेज भी लिखे थे.

ये मैसेज और सुसाइड नोट दोस्तों को अलगअलग समय पर मिलें, इस के लिए उस ने टाइम सेट किया था. टाइम सेट किए जाने के कारण ही ओम के दोस्तों को उस के सुसाइड नोट और मैसेज अलगअलग समय पर मिले. सुसाइड नोट और मैसेज के आधार पर पुलिस ने 23 मार्च को ओम को आत्महत्या के लिए उकसाने और पोक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर शिक्षिका आराधना एक्का को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की ओर से एकत्र किए सबूतों के आधार पर जो कहानी सामने आई है, वह 16-17 साल के किशोर ओम प्रखर को उस की टीचर आराधना एक्का द्वारा अपने प्रेमजाल में फंसाने और उस का दैहिक शोषण करने की कहानी थी.

30 साल की आराधना एक्का बिलासपुर के सरकंडा इलाके में एक निजी स्कूल में कैमिस्ट्री की टीचर थी. ओम भी इसी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. ओम अपनी क्लास का होशियार विद्यार्थी था. पढ़ातेपढ़ाते आराधना का झुकाव ओम की ओर होने लगा. वह गुरुशिष्य का रिश्ता भूल कर ओम को प्यार करने लगी. आराधना ने ओम का मोबाइल नंबर भी ले लिया. वह कभी ओम को क्लास में रोक कर उसे छूती और प्यार भरी बातें करती, तो कभी घर पर बुला लेती. ओम जवानी की दहलीज पर खड़ा था. वह प्रेम प्यार का ज्यादा मतलब तो नहीं समझता था, लेकिन इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाना स्वाभाविक है.

आराधना जब उसे छूती और उस के नाजुक अंगों को सहलाती, तो ओम को अच्छा लगता. किशोरवय ओम जल्दी ही अपनी टीचर के प्यार की गिरफ्त में आ गया. आराधना उस का शारीरिक शोषण भी करने लगी. इसी बीच आराधना का अपने स्कूल के एक शिक्षक से प्रेम प्रसंग शुरू हो गया. इस के बाद आराधना ने ओम की तरफ ध्यान देना कम कर दिया. इस से ओम बेचैन रहने लगा. आराधना ने उसे प्यार की ऐसी गिरफ्त में ले लिया था कि ओम को उस के बिना सब कुछ सूनासूना सा लगता था. ओम जब आराधना को फोन करता, तो कई बार वह फोन नहीं उठाती थी. इस पर ओम को कोफ्त होती थी.

ओम ने पता किया, तो मालूम हुआ कि आराधना का एक टीचर से चक्कर चल रहा है. यह बात जान कर ओम परेशान हो उठा. एक दिन आराधना ने ओम को बिलासपुर के एक मौल में बुलाया. ओम वहां गया, तो उस ने बहाने से आराधना का मोबाइल ले लिया. ओेम ने आराधना की आंख बचा कर उस के मोबाइल को हैक कर लिया. इस के बाद आराधना जब भी अपने प्रेमी टीचर से बातें करती या सोशल मीडिया पर कोई मैसेज भेजती, तो सारी बातें ओम को पता चल जातीं. आराधना की बेवफाई की बातें सुन और पढ़ कर ओम ज्यादा परेशान रहने लगा.

18 मार्च को आराधना जब ओम के घर आई, तब उस की मम्मी सरिता श्रीवास्तव मंदिर जा रही थीं. मां के मंदिर जाने के बाद ओम ने आराधना से उस की बेवफाई के बारे में पूछा, तो आराधना ने उसे फटकार दिया और अपनी मनमर्जी की मालिक होने की बात कहते हुए चली गई. आराधना की बातों से किशोरवय ओम के दिल को गहरी ठेस पहुंची. नासमझी में उस ने सुसाइड करने का फैसला कर लिया. उस ने किसी खास ऐप की मदद से कोड लैंग्वेज में कुछ सुसाइड नोट लिखे. एकदो सुसाइड नोट उस ने हिंदी में भी लिखे. ये सुसाइड नोट लिख कर उस ने टाइम सेट कर दिया और अपने दोस्तों को भेज दिए.

इस के बाद घर में अकेले ओम ने एक रस्सी से फांसी का फंदा बनाया और कमरे में लगे पंखे से लटक कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. सुसाइड नोट के टाइम सेट किए जाने के कारण ओम के दोस्तों को उस के सुसाइड नोट अलगअलग तय समय पर मिले. दोस्तों को सुसाइड नोट मिलने पर ओम के सुसाइड करने के कारणों का पता चला. पुलिस ने ओम के मोबाइल का लौक खुलवा कर जांचपड़ताल की, तो उस में कोड वर्ड में लिखा सुसाइड नोट मिला. पुलिस ने साइबर विशेषज्ञों की मदद से सुसाइड नोट के कोड वर्ड को डिकोड कराया.

सुसाइड नोट में आराधना के लिए एक जगह लिखा था कि उसे पता था कि मैं बेस्ट हूं लेकिन उस ने मुझे बरबाद कर दिया. मैं जिंदा रहना चाहता हूं, अपने लिए, अपने घर वालों के लिए. जो मुझ से प्यार करते हैं, उन के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूं. मैं जिंदगियां बचाना चाहता हूं, लेकिन मुझे कोई नहीं बचा सकता. आराधना की बेवफाई का जिक्र करते हुए ओम ने सुसाइड नोट में लिखा कि वह मुझे अकसर ब्लौक कर देती थी और खुद की जरूरत पड़ने पर अनब्लौक. मैं ने उस से पूछा था कि वास्तविक जीवन में कैसे ब्लौक करोगी?

मैं ने उस से मजाक में यह भी पूछा था कि क्या कोई और मिल गया है, तो उस ने कहा था, क्या मेरा एक साथ 10 के साथ चक्कर चलेगा? फिर बोली थी कि कभी शक मत करना. पहले उस ने मुझे प्यार में फंसाया. फिर जब मुझे गहराई से प्यार हो गया, तो वह मुझे छोड़ने की बात करने लगी. मैं मनाता था, तो मान भी जाती थी. वह मुझे इस्तेमाल करती थी. मैं ने उसे सब कुछ दे दिया. आरोपी टीचर आराधना ने पुलिस से बताया कि ओम ही उसे परेशान करता था. वह कम उम्र का था, इसलिए उस ने कभी उस की शिकायत उस के घर वालों से नहीं की.

पुलिस ने आरोपी टीचर को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश किया. अदालत के आदेश पर उसे 24 मार्च को जेल भेज दिया गया. पुलिस ने उस का मोबाइल भी जब्त कर लिया. बहरहाल, आराधना ने अपनी काम इच्छा की पूर्ति के लिए किशोर उम्र के ओम का इस्तेमाल किया. हवस में अंधी आराधना की बेवफाई ने ओम को तोड़ दिया. उस ने सुसाइड कर लिया. बेटे ओम की मौत से सरिता श्रीवास्तव पर दोहरा वज्रपात हुआ. एक तो वह पति से पहले ही अलग रहती थीं. अब बेटे की मौत ने उन की जिंदगी की रहीसही खुशियां भी छीन लीं. Hindi Stories Love

Rajasthan News : 9 साल का बेटा बना पिता की हत्या का गवाह, मां और प्रेमी ने कराई हत्या

Rajasthan News : एक ऐसी दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है जहां महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी. वो भी अपने 9 साल के बेटे के सामने. इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है. इस घटना ने पतिपत्नी वफादारी के रिश्ते को तारतार कर दिया है. जानते हैं इस स्टोरी को विस्तार से

यह घटना राजस्थान जिले के अलवर के खेड़ली कस्बे में 7 जून को हुई. जहां एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही बेटे के सामने अपने पति का कत्ल करवा डाला. पुलिस ने महिला अनीता और काशीराब और ब्रजेश जाटव को अरेस्ट कर लिया गया है और बाकी के तीन आरोपी विष्णु, नवीन और चेतन फरार हैं. मृतक का नाम वीरु है और वह एक टेंट से जुड़ा व्यवसाय करता था. वीरुर की उम्र 32 साल है. वीरु को उसके मोहल्ले के लोग मान सिंह जाटव के नाम से भी जानते है.

देवर को शक हुआ भाभी पर

पति की मौत के बारे में पूछे जाने पर पत्नी अनीता ने कहा कि उसकी मौत बीमारी के कारण हुई है. उसने अपनी भाभी को फोन कर बताया की वीरू को साइलेंट अटैक हुआ है जिससे उसकी तबीयत खराब होने लगी और मौत हो गई है. लेकिन मृतक का भाई गब्बर जाटव को भाई के गले पर निशान देख कर उसकी मौत के कारण पर शक होने लगा, उसे यह लगने लगा कि उसकी भाई की हत्या गला घोंट कर की गई है. इसी शक के आधार पर गब्बर जाटव ने पुलिस को सूचना दी.

पुलिस ने मामला संदिग्ध मानकर जांच शुरू की और आस पास के 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले. साथ ही कौल डिटेल्स की जांच भी की. जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए. इसी आधार पर वीरु की हत्या का पता चल सका. पुलिस ने इस वारदात मे मृतक की पत्नी अनीता, उसका प्रेमी काशीराम और उसके साथी को अरेस्ट कर लिया. जबकि बाकी अपराधी अभी फरार है. उनकी भी तलाश जारी है.

मुख्य गवाह बना बेटा

बेटे ने पुलिस को बताया कि पिता जी रात को देर से घर लौटे थे और फोन चार्ज करने के लिए कहा था. मां ने मुझे जल्दी सोने के लिए कहा था. लेकिन खाट हिलने की आवाज आ रही थी तो मेरी आंखे खुल गई. मैंने देखा, मां ने घर का दरवाजा खोल दिया था और काशीराम अंकल अंदर आए. बच्चे ने कहा कि मैं डर गया था इसलिए मैं चुप रहा. वे सभी कमरे में अंदर गए और मां खाट पर खड़ी थी. उन सभी ने पापा को मुक्का मारा और पैर पकड़ लिए थे. वहीं काशीराम अंकल ने पापा का गला तकिए से दबाकर मार डाला. फिर पापा ने हिलना बंद कर दिया बाद में सभी चले गए. मम्मी ने कुछ भी नही कहा था वह देखती रही.

2 लाख में दी थी सुपारी

एसएचओ धीरेंद्र शास्त्री ने बताया की अनीता ने अपने प्रेमी काशीराम के साथ मिलकर चार किराए के हत्यारों को 2 लाख रुपए में सुपारी देकर पति वीरु का कत्ल कराया. अनीता ने साजिश के तहत रात को अपना घर का दरवाजा जानबूझकर खुला छोड़ दिया ताकि अपराधी आसानी से घर के अंदर आकर घटना का अंजाम दे सके. इसके बाद काशीराम अपने चार साथियों चेतन, विष्णु, नवीन और बृजेश जाटव के साथ मिलकर में घर में दाखिल हुआ और सोते हुए वीरु पर हमला कर दिया. पहले चोरों ने मिलकर उसे मुक्का मार कर पीटा फिर तकिए से गला दबा कर मार डाला. यह पूरी वारदात एक सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दी गई थी. Rajasthan News

Best Crime Story : प्रेमिका का चुन्नी से गला घोंटा फिर सबूत मिटाने के लिए चुन्नी और मोबाइल फोन नहर में फेंका

Best Crime Story : राजेंद्र और रीता बालबच्चेदार थे. दोनों के बच्चे जवान थे. इस के बावजूद दोनों के बीच नाजायज संबंध बन गए. अधेड़ उम्र के संबंध इतने खतरनाक साबित हुए कि…

36 वर्षीया रीता मनचली भी थी और महत्त्वाकांक्षी भी. कस्बे के तमाम लोग उस से नजदीकियां बढ़ाना चाहते थे. मगर पिछले 4 सालों से उस के मन में बसा हुआ था, पड़ोस में रहने वाला 41 वर्षीय राजेंद्र सिंह. वह उस का रिश्तेदार भी था और हर समय उस का ध्यान भी रखता था. शादीशुदा होते हुए भी रीता और राजेंद्र के संबंध बहुत गहरे थे. राजेंद्र 3 बच्चों का बाप था तो रीता भी 2 बच्चों की मां थी. राजेंद्र और रीता का पति मनोज दोनों ईंट भट्ठे पर काम करते थे. वहीं पर दोनों के बीच नजदीकियां बनी थीं.

राजेंद्र व रीता के संबंधों की जानकारी रीता के पति मनोज को भी थी और कस्बे के लोगों को भी. इस बाबत रीता के पति मनोज ने दोनों को समझाने का काफी प्रयास भी किया था, मगर न तो रीता मानी और न ही राजेंद्र. उन दोनों का आपस में मिलनाजुलना चलता रहा. दोनों का लगाव इस स्थिति तक पहुंच गया था कि दोनों एकदूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे. इसी दौरान 16 मार्च, 2021 को रीता गायब हो गई. उस के पति मनोज ने उसे सभी संभावित जगहों पर ढूंढा. वह नहीं मिली तो वह झबरेड़ा थाने जा पहुंचा. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार को उस ने बताया, ‘‘साहब, कल मेरी पत्नी रीता काम से अपनी सहेली हुस्नजहां के साथ बैंक गई थी लेकिन आज तक वापस नहीं लौटी है.

मैं उसे आसपास व अपनी सभी रिश्तेदारियों में जा कर तलाश कर चुका हूं, मगर उस का कुछ पता नहीं चल सका.’’

थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की बाबत मनोज से कुछ जानकारी ली. साथ ही उस का मोबाइल नंबर भी नोट कर लिया. पुलिस ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर मनोज को घर भेज दिया. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की गुमशुदगी को गंभीरता से लिया. उन्होंने रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और इस प्रकरण की जांच थाने के तेजतर्रार थानेदार संजय नेगी को सौंप दी. मामला महिला के लापता होने का था, इसलिए रविंद्र कुमार ने इस बाबत सीओ पंकज गैरोला व एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय को जानकारी दी. अगले दिन रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स पुलिस को मिल गई.

संजय नेगी ने विवेचना हाथ में आते ही क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में रीता अपने पड़ोसी राजेंद्र के साथ बाइक पर बैठ कर जाती दिखाई दी. इस के बाद शक के आधार पर एसआई संजय नेगी ने राजेंद्र को हिरासत में ले लिया और उस से रीता के लापता होने के बारे में गहन पूछताछ की. पूछताछ के दौरान राजेंद्र पुलिस को बरगलाते हुए कहता रहा कि उस की रीता से रिश्तेदारी है और उस ने 2 दिन पहले रीता को थोड़ी दूर तक बाइक पर लिफ्ट दी थी. लेकिन अब रीता कहां है, उसे इस बाबत कोई जानकारी नहीं है.

शाम तक राजेंद्र इसी बात की रट  लगाए रहा. शाम को अचानक ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी कि सैदपुरा के पास गंगनहर में एक महिला का शव तैर रहा है. इस सूचना पर थानेदार संजय नेगी अपने साथ रीता के पति मनोज को ले कर वहां पहुंचे. संजय नेगी ने ग्रामीणों की मदद से शव को गंगनहर से बाहर निकलवाया. मनोज ने शव को देखते ही पहचान लिया कि वह शव उस की पत्नी रीता का ही है. शव के गले पर निशान थे. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर शव पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. रीता का शव बरामद होने की सूचना पा कर एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय थाना झबरेड़ा पहुंचे.

राय ने जब राजेंद्र से पूछताछ की तो वह अपने को बेगुनाह बताने लगा. राय व थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने जब सख्ती से राजेंद्र से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने रीता की हत्या करना स्वीकार कर लिया और उस से पिछले कई सालों से चल रहे आंतरिक संबंधों को भी कबूल कर लिया. रीता की हत्या करने की राजेंद्र ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस तरह थी—

राजेंद्र जिला हरिद्वार के कस्बा झबरेड़ा स्थित एक ईंट भट्ठे पर पिछले 20 साल से काम कर रहा था. उस के परिवार में उस की पत्नी सुनीता, बेटी प्रिया (21), दूसरी बेटी खुशी (15) व बेटा कार्तिक (12) था. ईंट भट्ठे पर काम कर के राजेंद्र को 15 हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती थी. इस तरह से राजेंद्र के परिवार की गाड़ी अच्छी से चल रही थी. उसी ईंट भट्ठे पर रीता का पति मनोज भी काम करता था. साथ काम करतेकरते मनोज और राजेंद्र में दोस्ती हो गई. फिर दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. इस आनेजाने में रीता और राजेंद्र के बीच नाजायज संबंध बन गए.

वह दोनों आपस में दूर के रिश्तेदार भी थे. दोनों के संबंधों की खबर उन के घर वालों को ही नहीं बल्कि गांव वालों को भी हो गई थी. इस के बावजूद उन्होंने एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा. उन के संबंध करीब 7 सालों तक बने रहे. पिछले साल अचानक राजेंद्र व रीता के जीवन में एक ऐसा मोड़ आ गया कि दोनों के बीच में दूरियां बढ़ने लगीं. 30 मार्च, 2020 का दिन था. उस समय देश में लौकडाउन चल रहा था. उस दिन जब राजेंद्र से रीता मिली तो उस ने राजेंद्र के सामने शर्त रखी कि वह उस के साथ शादी कर के अलग घर में रहना चाहती है.

रीता की बात सुन कर राजेंद्र सन्न रह गया. उस ने रीता को समझाया कि अब इस उम्र में यह सब करना हम दोनों के लिए ठीक नहीं होगा, क्योंकि हम दोनों पहले से ही शादीशुदा व बड़े बच्चों वाले हैं. अलग रहने से हम दोनों के परिवार वालों की जगहंसाई होगी. हम किसी परेशानी में भी पड़ सकते हैं. राजेंद्र के काफी समझाने पर भी रीता नहीं मानी और राजेंद्र से शादी करने के लिए जिद करने लगी. खैर उस वक्त तो राजेंद्र किसी तरह से रीता को समझाबुझा कर वापस आ गया. इस के बाद उस ने रीता से दूरी  बनानी शुरू कर दी. उस ने उस का मोबाइल अटैंड करना कम कर दिया और उस से कन्नी काटने लगा.

अपनी उपेक्षा से आहत रीता घायल शेरनी की तरह क्रोधित हो गई. उस ने मन ही मन में राजेंद्र से बदला लेने का निश्चय कर लिया. उस दौरान राजेंद्र अपनी बड़ी बेटी प्रिया की शादी के लिए वर की तलाश में था. राजेंद्र अपनी बिरादरी के लोगों से शादी के लिए प्रिया के संबंध में बात करता रहता था. जब इस बात का पता रीता को चला कि राजेंद्र अपनी बेटी के लिए लड़का तलाश रहा है तो उस ने राजेंद्र की बेटी की शादी में अड़ंगा लगाने का निश्चय किया. इस के बाद जो भी लोग प्रिया को शादी के लिए देखने आते रीता उन लोगों से संपर्क करती और उन्हें बताती कि राजेंद्र की बेटी प्रिया का किसी से चक्कर चल रहा है.

रीता के मुंह से यह सुन कर राजेंद्र की बेटी से शादी करने वाले लोग शादी का विचार बदल देते थे. इस तरह रीता ने प्रिया से शादी करने वाले 2 परिवारों को झूठी व भ्रामक जानकारी दे कर प्रिया के रिश्ते तुड़वा दिए थे. जब इस बात की जानकारी राजेंद्र को हुई तो वह तिलमिला कर रह गया. धीरेधीरे समय बीतता गया. वह 28 फरवरी, 2021 का दिन था. उस दिन अचानक एक ऐसी घटना घट गई, जिस से राजेंद्र तड़प उठा और उस ने रीता की हत्या करने की योजना बना डाली. हुआ यूं कि 28 फरवरी, 2021 को कस्बे में रविदास जयंती मनाई जा रही थी. उस समय राजेंद्र की छोटी बेटी खुशी ट्यूशन पढ़ कर वापस घर जा रही थी. तभी रास्ते में उसे रीता का बेटा सौरव खड़ा दिखाई दिया.

खुशी कुछ समझ पाती, इस से पहले ही सौरव ने खुशी के साथ अश्लील हरकतें करनी शुरू कर दीं. इस पर खुशी ने शोर मचा दिया. खुशी के शोर मचाने पर सौरव वहां से भाग गया. खुशी ने घर आ कर इस छेड़खानी की जानकारी अपने पिता राजेंद्र को दी. इस के बाद राजेंद्र ने रीता को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. राजेंद्र रीता की हत्या का तानाबाना बुनने लगा. दूसरी ओर रीता राजेंद्र के इस खतरनाक इरादे से बेखबर थी. योजना के तहत राजेंद्र ने 15 मार्च, 2021 को रीता को फोन कर के कहा कि वह उसे 20 हजार रुपए देना चाहता है, इस के लिए उसे मंगलौर आ कर मिलना पड़ेगा.

उस की इस बात पर लालची रीता राजी हो गई. 16 मार्च को रीता उस के साथ बाइक पर बैठ कर मंगलौर के लिए चल पड़ी. जब दोनों सैदपुरा की गंगनहर पटरी पर पहुंचे तो राजेंद्र ने बाइक रोक कर रीता से कहा, ‘‘मैं तुम्हें सरप्राइज दे कर 20 हजार रुपए देना चाहता हूं, तुम जरा मुंह दूसरी ओर घुमा लो.’’

जैसे ही रीता ने मुंह दूसरी ओर घुमाया तो राजेंद्र ने रीता के गले में लिपटी चुन्नी से उस का गला घोंट दिया. रीता की हत्या के सबूत मिटाने के लिए उस ने उस का मोबाइल व चुन्नी गंगनहर के पानी में फेंक दिए. फिर वह बाइक से अपने घर लौट आया. पुलिस ने राजेंद्र के बयान दर्ज कर लिए और इस प्रकरण में उस के खुलासे के बाद इस मुकदमे में धारा 302 व 201 बढ़ा दी. एसआई संजय नेगी ने अभियुक्त की निशानदेही पर गंगनहर की पटरी से सही झाडि़यों में फंसी रीता की चुन्नी बरामद कर ली. रीता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत का कारण गला घोंटने से दम घुटना बताया गया. राजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. Best Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Kahani : पत्नी ने दो प्रेमियों संग साजिश रचकर गला दबाकर पति की कराई हत्या

Crime Kahani : अवैध संबंधों का नतीजा अकसर एक गुनाह को जन्म देता है. इस बात को अगर मंजू समझ जाती तो अपने प्रेमियों के साथ जेल जाने के बजाय वह अपनी घरगृहस्थी को संभाल रही होती…

सुबह के यही कोई 7 बजे थे, तभी धार जिले के अमझेरा थानाप्रभारी रतनलाल मीणा को थाना इलाके में एक युवक द्वारा आत्महत्या करने की खबर मिली.  सूचना पाते ही टीआई मीणा के निर्देश पर एसआई राजेश सिंघाड पुलिस टीम को ले कर मौके पर पहुंच गए, जहां कमरे की छत पर लगभग 28 वर्षीय अजय भायल की लाश छत में लगे कुंदे के सहारे फांसी पर लटकी थी. घटना के समय घर में अजय की पत्नी मंजू मौजूद थी, जिस ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि रात को हम दोनों खाना खा कर अपने बिस्तर पर सो गए थे. जिस के बाद सुबह उठ कर उस ने पति को फांसी पर लटका देखा तो उस ने लोगों को घटना की जानकारी दी.

एसआई सिंघाड को मंजू के हावभाव कुछ अजीब लगे. क्योंकि मंजू बेबाक हो कर घटना की जानकारी दे रही थी. जबकि एक जवान पति के मरने के बाद किसी भी औरत का इस तरह बात करना असंभव था. वह भी तब जब उस के पति का शव उस के सामने फांसी के फंदे पर झूल रहा हो. एसआई राजेश सिंघाड ने यह बात अपने ध्यान में नोट कर शव को फंदे से उतारा. उन्होंने पूरी स्थिति से टीआई रतनलाल मीणा को अवगत कराया. शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने से पहले उन्होंने पूरे घर की अच्छी तरह से तलाशी ली, पर वहां कहीं भी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. यह बात 26 अगस्त, 2020 की है.

यह आत्महत्या है या अजय की हत्या की गई है, यह तय करने के लिए पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. तब तक मामला संदिग्ध था. इस दौरान प्रारंभिक पूछताछ में अजय के घर वालों ने अपने बेटे की मौत को हत्या बताते हुए उस की पत्नी मंजू पर शक जाहिर किया. उन का कहना था कि मंजू का चालचलन ठीक नहीं था, जिस के कारण पतिपत्नी में आए दिन झगड़ा होता रहता था. इतना ही नहीं, जिस रात अजय का शव फांसी पर लटका मिला उस रात भी उस की पत्नी और अजय के बीच झगड़ा होने की बात पुलिस की जानकारी में आई, मगर मंजू ने इस बात से इनकार कर दिया.

उस का कहना था कि उस के पति कई दिनों से परेशान रहने लगे थे. मैं ने उन से परेशानी का कारण भी जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं बताया. जांच अधिकारी एसआई राजेश सिंघाड ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही जांच कर पता कर लिया था कि मृतक अजय और उस की पत्नी दोनों न केवल शराब पीने के शौकीन थे, बल्कि गांव में अवैध रूप से शराब का धंधा भी करते थे. जाहिर सी बात है जहां शराब का धंधा होता हो, वहां लड़ाईझगड़ा होना कोई अजूबा नहीं है. इसलिए दोनों के झगडे़ पर कोई ध्यान नहीं देता था. इस बीच पुलिस को अजय की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई, जिस में साफ बताया गया कि अजय की मौत फांसी लगने के पहले ही हो चुकी थी.

बात साफ थी कि उस की हत्या करने के बाद उसे आत्महत्या साबित करने की गरज से फांसी पर लटकाया गया था. चूंकि अजय का शव घर के अंदर मिला था और रात में उस की 25 वर्षीय बेहद खूबसूरत पत्नी मंजू उस के साथ में थी. इसलिए टीआई मीणा जानते थे कि यह संभव नहीं है कि पत्नी घर में सोती रहे और कोई बाहर से आ कर पति की हत्या कर के चला जाए. इसलिए उन के निर्देश पर जांच अधिकारी एसआई सिंघाड ने मृतक की पत्नी मंजू से बारबार पूछताछ की, जिस में एक समय ऐसा आया कि वह खुद अपने बयानों में उलझ गई, जिस से उस ने अपने 2 प्रेमियों मनोहर और सावन निवासी राजपुरा के साथ मिल कर पति की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों पर छापे मार कर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया, जिस के बाद अपने दोनों प्रेमियों के साथ मिल कर हत्या कर दिए जाने की कहानी इस प्रकार से सामने आई. अजय मध्य प्रदेश के जिला धार के गांव नालापुरा में अपनी पत्नी मंजू के साथ रहता था. अजय के पास आय का कोई साधन नहीं था. इसलिए अजय ने घर पर छोटीमोटी किराने की दुकान खोल रखी थी, जिस से उस का मुश्किल से ही गुजारा हो पाता था. अजय की पत्नी मंजू जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही दिमाग से तेज भी थी इसलिए उस ने अजय को सलाह दी कि अकेला गुड़, तेल बेचने से उन की दालरोटी नहीं चलने वाली, इसलिए हम किराने की ओट में शहर से शराब ला कर बेचना शुरू कर देते हैं, जिस से काफी कमाई हो सकती है.

इस काम में अजय ने पुलिस का डर होने की बात कही तो मंजू ने कहा कि यह बात तुम मुझ पर छोड़ दो. अजय पत्नी की बात पर राजी हो गया, जिस से उस ने शहर से शराब ला कर दुकान में रख कर बेचनी शुरू कर दी थी. कहना नहीं होगा कि शराब पीने वाले रेट के चक्कर में नहीं पड़ते, इसलिए गांव के शौकीन लोग मंजू से मुंहमांगे दाम पर शराब खरीदने लगे. गांव का संपन्न किसान मनोहर पडियार भी शराब का शौकीन था. इसलिए जब उसे पता चला कि मंजू और अजय गांव में शराब बेचने लगे हैं, तब से मनोहर ने शहर से शराब खरीदनी ही बंद कर दी.

मंजू जानती थी कि शराब के शौकीन मजबूरी में ही महंगी शराब उस से खरीदते हैं, वरना लोग शहर से ही अपने लिए शराब खरीद कर लाते थे. लेकिन मनोहर उस का रोज का ग्राहक था. इसलिए एक दिन मंजू ने मनोहर से पूछ लिया, ‘‘अब शहर से शराब खरीद कर नहीं लाते क्या?’’

‘‘मेरा यहां रोजरोज आना तुम्हें अच्छा नहीं लगता क्या?’’ मनोहर ने उलटा उसी से सवाल कर दिया.

‘‘नहीं, यह बात नहीं है, बस ऐसे ही पूछ लिया.’’ वह बोली.

‘‘अब पूछ लिया है तो कारण भी सुन लो. तुम जिस बोतल को हाथ लगा देती हो न, उस बोतल का नशा और भी बढ़ जाता है. इसलिए मुझे तुम्हारे यहां की शराब अच्छी लगती है.’’  मनोहर ने मंजू की प्रशंसा करते हुए कहा.

‘‘ऐसा है क्या?’’ मनोहर की बात सुन कर मंजू ने मुसकराते हुए बोली.

‘‘हां, क्योंकि तुम्हारे छू भर लेने से शराब में तुम्हारा नशा भी घुल जाता है.’’ मनोहर ने मुसकराते हुए कहा और शराब की बोतल पकड़ते समय मंजू की अंगुलियां दबा दीं.

मंजू बच्ची तो थी नहीं, जो इस का मतलब न समझती हो. लेकिन वह अपने रोज के ग्राहक को नाराज नहीं करना चाहती थी, इसलिए मुसकराते हुए बोली, ‘‘क्या बात है मनोहर बाबू, आज पीने से पहले ही चढ़ गई क्या?’’

‘‘हां, तुम से चार बातें जो हो गईं.’’ मनोहर ने उस से कहा और अपनी बोतल ले कर चला गया. उस दिन के बाद से मनोहर और मंजू के बीच अनकहे तौर पर नजदीकी बढ़ने लगी. जिस से कुछ दिनों बात मनोहर मंजू के घर में ही बैठ कर शराब पीने लगा. मंजू भी शराब पीने की शौकीन थी, सो एक दिन वह भी मनोहर के साथ पेग से पेग भिड़ाने लगी. जिस के चलते शराब के नशे में दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. मंजू खूबसूरत और जवान थी. मनोहर को उस की जरूरत थी और मंजू को मनोहर के पैसों की. इसलिए मनोहर उस पर पैसे लुटाते हुए लगभग रोज ही मंजू के साथ उस वक्त समय बिताने लगा, जब उस का पति अजय दुकान का सामान लेने शहर गया होता था.

राजपुरा गांव का रहने वाला सावन हेयर कटिंग सैलून चलाता था. वह शराब का शौकीन भी था और मनोहर का दोस्त भी. इसलिए कभीकभार वह मनोहर के साथ मंजू के यहां शराब पीने चला जाया करता था. इस दौरान वह जल्दी ही समझ गया कि मनोहर और मंजू के बीच शारीरिक संबंध भी हैं तो मौके का फायदा उठा कर उस ने मनोहर से कहा कि वह उसे भी मंजू संग सोने का मौका दिलवा दे. मनोहर ने मंजू से सावन को एक बार खुश करने को कहा तो मंजू थोड़ी नानुकुर के बाद मान गई. लेकिन इस के बाद कुछ ऐसा हुआ कि मनोहर के अलावा सावन के साथ भी मंजू के स्थाई अवैध संबंध बन गए.

चूंकि मनोहर और सावन दोनों दोस्त थे और साथ में ही शराब पीया करते थे, इस कारण कई बार वे दोनों एक साथ मंजू के संग अय्याशी कर चुके थे. लेकिन कोरोना के कारण देश में लौकडाउन लग जाने से अजय का सामान खरीदने के लिए शहर जाना बंद हो गया. दूसरा उस के पास शराब का स्टौक भी खत्म हो गया. इस से अजय और मंजू की कमाई पर ब्रेक तो लगा ही, साथ ही मंजू के संग मनोहर और सावन की अय्याशी पर भी ब्रेक लग गया. जिस से दोनों दोस्त मंजू से मिलने के लिए परेशान होने लगे. इस बीच एक दिन गांव में अपने दोस्तों के साथ अजय को ताश खेलते देख मनोहर और सावन मंजू के घर पहुंच गए और एक साथ मंजू के संग वासना का खेल खेलने लग गए.

इसी बीच अजय के घर आ जाने से तीनों रंगेहाथ पकड़े गए. पत्नी को अय्याशी का घिनौना खेल खेलते देख अजय पागल हो कर गुस्से में उस की पिटाई करने लगा. जिस के बाद तो यह आए दिन का काम होने लगा. अजय बातबात पर उस की अय्याशी का ताना दे कर उसे पीटने लगा. इस से मंजू तंग आ गई. उस ने यह बात अपने प्रेमियों को बताई तो वे अजय के साथ रंजिश रखने लगे. इस दौरान लौकडाउन फिर से हट जाने से मंजू अवैध शराब बेचने लगी, मनोहर शराब लेने उस की दुकान पर अभी भी जाया करता था. लेकिन अब पहले जैसी अय्याशी संभव नहीं थी. इसलिए मनोहर और सावन दोनों ही अजय को रास्ते से हटाने की सोचने लगे थे.

आरोपियों ने बताया कि घटना की रात अजय फिर मंजू को उस के अवैध संबंध को ले कर उस के साथ मारपीट कर रहा था. इस बात की जानकारी मंजू ने मनोहर को फोन पर दी तो मनोहर सावन को ले कर मंजू के घर पहुंच गया. जहां उस ने अजय को समझाबुझा कर अपने साथ शराब पीने को राजी कर लिया. इस के बाद उस ने अजय से ही खरीद कर उसे खूब शराब पिलाई और जब उस ने देखा कि पर्याप्त नशा हो गया है तो सावन, मंजू और मनोहर तीनों ने मिल कर गला दबा कर अजय की हत्या कर दी. उस के बाद लाश को फांसी पर लटका दिया ताकि पुलिस समझे कि उस ने आत्महत्या की है. लेकिन टीआई रतनलाल मीणा के नेतृत्व में एसआई राजेश सिंघाड की सटीक जांच से तीनों आरोपी हफ्ते भर में ही कानून की गिरफ्त में आ गए.

मंजू के बारे में बताया जाता है कि पति की हत्या करने के बाद उसे कानून का जरा भी डर नहीं था. इसलिए दोनों प्रेमियों संग मिल कर पति की हत्या के बाद उस के शव को फंदे पर लटका कर दोनों प्रेमियों संग मस्ती करते हुए शराब पीने के बाद खाना भी खाया और फिर जिस कमरे में पति की लाश लटकी थी, उसी कमरे में सो गई थी. उस ने पुलिस को बताया कि सुबह उठने के बाद उस ने मोहल्ले वालों को बुला कर पति द्वारा आत्महत्या करने की बाद बताई.  पुलिस ने मंजू और उस के दोनों प्रेमियों मनोहर व सावन को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Crime Kahani