Hindi Love Story in Short : मंगेतर की हत्या – प्रेमी संग मिलकर कुत्ते की बांधने वाली जंजीर से घोंटा गला

Hindi Love Story in Short : हसमतुल निशां शाने अली से प्यार करती थी तो उसे अपने घर वालों से साफसाफ बता देना चाहिए था और उसे शहाबुद्दीन से मंगनी हरगिज नहीं करनी चाहिए थी. इस दौरान ऐसा क्या हुआ कि उस ने अपने मंगेतर शहाबुद्दीन को ही बलि का बकरा बना दिया…

शहाबुद्दीन ने अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशां से कहा. ‘‘निशां अपने जन्मदिन की पार्टी पर हमें दावत नहीं दोगी क्या?’’

‘‘क्यों नहीं, जब आप ने मांगी है तो पार्टी जरूर मिलेगी. हम कार्यक्रम तय कर के आप को बताते हैं.’’ निशा ने अपने मंगेतर को भरोसा दिलाया. निशां घर वालों के दबाव में बेमन से शहाबुद्दीन से शादी करने के लिए तैयार हुई थी, क्योंकि वह तो शाने अली को प्यार करती थी. इसलिए मंगेतर द्वारा शादी की पार्टी मांगने वाली बात उस ने अपने प्रेमी शाने अली को बताई तो वह भड़क उठा. उस ने कहा ‘‘निशा तुम एक बात साफ समझ लो कि जन्मदिन की पार्टी में शहाबुद्दीन और मुझ में से केवल एक ही शामिल होगा. तुम जिसे चाहो बुला लो.’’

निशा को इस बात का अंदाजा पहले से था कि शाने अली को यह बुरा लगेगा. उस ने कहा, ‘‘शाने अली, तुम तो खुद जानते हो कि मुझे वह पसंद नहीं है. लेकिन अब घर वालों की बात को नहीं टाल सकती.’’

‘‘निशा, तुम यह समझ लो कि यह शादी केवल दिखावे के लिए है.’’ शाने अली ने जब यह कहा तो निशा ने साफ कह दिया कि शादी दिखावा नहीं होती. शादी के बाद उस का मुझ पर पूरा हक होगा.’’

‘‘नहीं, शादी के पहले और शादी के बाद तुम्हारे ऊपर हक मेरा ही रहेगा. जो हमारे बीच आएगा, उसे हम रास्ते से हटा देंगे.’’ यह कह कर शाने अली ने फोन रख दिया. हसमतुल निशां ने बाद में शाने अली से बात की और उन्होंने यह तय कर लिया कि वे दोनों एक ही रहेंगे. उन को कोई जुदा नहीं कर पाएगा. दोनों के बीच जो भी आएगा, उसे राह से हटा दिया जाएगा. शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशां के साथ तय हुई थी. निशां लखनऊ स्थित पीजीआई के पास एकता नगर में रहती थी. वह अपने 2 भाइयों में सब से छोटी और लाडली थी. शहाबुद्दीन भी अपने घर में सब से छोटा था. वह निशां के घर से करीब 35 किलोमीटर दूर बंथरा में रहता था.

शहाबुद्दीन ट्रांसपोर्ट नगर में एक दुकान पर नौकरी करता था, जो दोनों के घरों के बीच थी. हसमतुल निशां ने अपने घर वालों के कहने पर शहाबुद्दीन के साथ शादी के लिए हामी तो भर दी थी पर वह अपने प्रेमी शाने अली को भूलने के लिए भी तैयार नहीं थी. ऐसे में जैसेजैसे शहाबुद्दीन के साथ शादी का दिन करीब आ रहा था, दोनों के बीच तनाव बढ़ रहा था. हसमतुल निशां ने पहले ही फैसला ले लिया था कि वह शादी का दिखावा ही करेगी. बाकी मन से तो अपने प्रेमी शाने अली के साथ रहेगी. शहाबुद्दीन के साथ हसमतुल निशां की सगाई होने के बाद दोनों के बीच बातचीत होने लगी. शहाबुद्दीन अकसर उसे फोन करने लगा.

मिलने के लिए भी दबाव बनाने लगा. यह बात निशां को अच्छी नहीं लग रही थी. शाने अली भी नहीं चाहता था कि निशां अपने होने वाले पति शहाबुद्दीन से मिलने जाए. जब भी उसे यह पता चलता कि दोनों की फोन पर बातचीत होती है और वे मिलते भी हैं. इस बात को ले कर वह निशां से झगड़ता था. दोनों के बीच लड़ाईझगड़े के बाद यह तय हुआ कि अब शहाबुद्दीन को रास्ते से हटाना ही होगा. शहाबुद्दीन को अपनी होने वाली पत्नी और उस के प्रेमी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. वह दोनों को आपस में रिश्तेदार समझता था और उन पर भरोसा भी करता था.

अपनी होने वाली पत्नी हसमतुल निशां को अच्छी तरह से जाननेसमझने के लिए वह उस के करीब आने की कोशिश कर रहा था. उसे यह नहीं पता था कि उस की यह कोशिश उसे मौत की तरफ ले जा सकती है. शहाबुद्दीन अपनी मंगेतर के साथ संबंधों को मधुर बनाने की कोशिश कर रहा था पर प्रेमी के मायाजाल में फंसी हसमतुल निशां अपने को उस से दूर करना चाहती थी. परिवार के दबाव में वह खुल कर बोल नहीं पा रही थी. 12 मार्च, 2021 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज थाना क्षेत्र में स्थित कल्लू पूरब गांव के पास झाडि़यों में शहाबुद्दीन उर्फ मनीष की खून से लथपथ लाश पड़ी मिली. करीब 26 साल के शहाबुद्दीन के सीने में चाकू से कई बार किए गए थे.

गांव वालों की सूचना पर पुलिस ने शव को बरामद किया. शव मिलने वाली जगह से कुछ दूरी पर ही एक बाइक खड़ी मिली. बाइक में मिले कागजात से पुलिस को पता चला कि वह बाइक मृतक शहाबुद्दीन की ही थी. इस के आधार पर पुलिस ने उस के घर पर सूचना दी. शहाबुद्दीन के भाई ने अनीस ने शव को पहचान भी लिया. अनीस की तहरीर पर पुलिस ने धारा 302 आईपीसी के तहत मुकदमा कायम किया. हत्या की घटना को उजागर करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए डीसीपी (दक्षिण लखनऊ) रवि कुमार, एडिशनल डीसीपी पुर्णेंदु सिंह, एसीपी (दक्षिण) दिलीप कुमार सिंह ने घटनास्थल पर पहुंच कर फोरैंसिक टीम व डौग स्क्वायड बुला कर मामले की पड़ताल शुरू की.

शहाबुद्दीन के शव की तलाशी लेने पर पर्स और मोबाइल गायब मिला. शव के पास 2 टूटी कलाई घडि़यां और एक चाबी का गुच्छा मिला. यह समझ आ रहा था कि हत्या के दौरान आपसी संघर्ष में यह हुआ होगा. पुलिस के सामने शहाबुद्दीन के घर वालों ने उस की होने वाली पत्नी हसमतुल निशां के परिजनों पर हत्या का आरोप लगाया. डीसीपी रवि कुमार ने इस केस को सुलझाने के लिए एसीपी दिलीप कुमार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की. टीम में इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्रा, एसआई रमेश चंद्र साहनी, राजेंद्र प्रसाद, धर्मेंद्र सिंह, महिला एसआई शशिकला सिंह, कीर्ति सिंह, हैडकांस्टेबल अश्वनी दीक्षित, कांस्टेबल संतोश मिश्रा, शिवप्रताप और विपिन मौर्य के साथ साथ सर्विलांस सेल के सिपाही सुनील कुमार और रविंद्र सिंह को शामिल किया गया. पुलिस ने सर्विलांस की मदद से जांच शुरू की.

शहाबुद्दीन बंथरा थाना क्षेत्र के बनी गांव का रहने वाला था. वह ट्रांसपोर्ट नगर में खराद की दुकान पर काम करता था. 11 मार्च, 2021 को वह अपने पिता मीर हसन की बाइक ले कर घर से जन्मदिन की पार्टी में हिस्सा लेने के लिए निकला था. शहाबुद्दीन की मंगेतर हसमतुल निशां ने उसे जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने का न्योता दिया था. शहाबुद्दीन ने यह बात अपने घर वालों को बताई और दुकान से सीधे पार्टी में शामिल होने चला गया था. देर रात वह घर वापस नहीं आया. अगले दिन यानी 12 मार्च की सुबह 11 बजे पुलिस ने उस की हत्या की सूचना उस के घर वालों को दी.

अनीस ने पुलिस का बताया कि 27 मई को शहाबुद्दीन और हसमतुल निशां का निकाह होने वाला था. बारात लखनऊ में पीजीआई के पास एकता नगर में नवाबशाह के घर जाने वाली थी. शहाबुद्दीन की हत्या की सूचना पा कर पिता मीर हसन, मां कमरजहां, भाई इश्तियाक, शफीक, अनीस और राजू बिलख रहे थे. मां कमरजहां रोते हुए कह रही थी, ‘‘मेरे बेटे की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. वह घर का सब से सीधा लड़का था. उस ने किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा था. ऐसे में उस के साथ क्या हुआ?’’

पुलिस ने जन्मदिन में बुलाए जाने और लूट की घटना को सामने रख कर छानबीन शुरू की. शहाबुद्दीन की हत्या को ले कर परिवार के लोगों को एक वजह शादी लग रही थी. परिवार को शहाबुद्दीन की हत्या के पीछे उस की होने वाली पत्नी और उस के भाइयों पर शक था. इसलिए अनीस की तहरीर पर पुलिस ने हसमतुल निशां और उस के भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने तीनों को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस की विवेचना में यह बात खुल कर सामने आई कि शहाबुद्दीन की हत्या में उस की होने वाली पत्नी हसमतुल निशां का हाथ था. यह भी साफ था कि हसमतुल निशां का साथ उस के भाइयों ने नहीं, बल्कि उस के प्रेमी शाने अली ने दिया था.

शहाबुद्दीन उर्फ मनीष की हत्या की साजिश उस की मंगेतर हसमतुल निशां और उस के प्रेमी शाने अली ने अपने 6 अन्य साथियों के साथ मिल कर रची थी. मोहनलालगंज कोतवाली के इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्र के मुताबिक बंथरा कस्बे के रहने वाले शहाबुद्दीन की शादी हसमतुल निशां के साथ 27 मई को होनी थी. इस से हसमतुल खुश नहीं थी. वह पीजीआई के पास रहने वाले शाने अली से प्यार करती थी. इस के बाद भी परिवार वालों के दबाव में शहाबुद्दीन से मिलती रही. जैसेजैसे शादी का समय पास आता जा रहा हसमतुल निशां अपने मंगेतर शहाबुद्दीन से पीछा छुड़ाने के बारे में सोचने लगी.

इस के लिए उस ने अपने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर योजना बनाई. हसमतुल निशां चाहती थी कि शाने अली उस के मंगेतर शहाबुद्दीन को किसी तरह रास्ते से हटा दे. योजना को अंजाम देने के लिए शाने अली ने अपने जन्मदिन के अवसर पर 11 मार्च, 2021 को शहाबुद्दीन को मिलने के लिए बुलाया. गुरुवार रात के करीब साढ़े 8 बजे शाने अली और उस के दोस्त बाराबंकी निवासी अरकान, मोहनलालगंज निवासी संजू गौतम, अमन कश्यप और पीजीआई निवासी समीर मोहम्मद बाबूखेड़ा में जमा हुए. जैसे ही शहाबुद्दीन वहां पहुंचा शाने अली और उस के दोस्तों ने उस पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया.

अपने ऊपर चाकू से हमला होने के बाद भी शहाबुद्दीन ने हार नहीं मानी और अपनी जान बचाने के लिए वह हमलावरों से भिड़ गया. शाने अली और उस के हमलावर दोस्तों को जब लगा कि शहाबुद्दीन बच निकलेगा तो उन लोगों ने कुत्ते को बांधी जाने वाली जंजीर से शहाबुद्दीन का गला कस दिया, जिस से शहाबुद्दीन अपना बचाव नहीं कर पाया और अपनी जान से हाथ धो बैठा. अगले दिन जब शहाबुद्दीन का शव मिला तो उस के भाई अनीस ने हसमतुल निशां के भाइयों पर हत्या का शक जताया. पुलिस ने संदेह के आधार पर ही उन से पूछताछ शुरू की थी. इस बीच पुलिस को हसमतुल निशां और शाने अली के प्रेम संबंधों के बारे में पता चला. पुलिस ने जब हसमतुल निशां से पूछताछ शुरू की तो वह टूट गई.

हसमतुल निशां ने पुलिस को बताया कि उस ने प्रेमी शाने अली के साथ मिल कर मंगेतर शहाबुद्दीन की हत्या कर दी. इस के बाद पुलिस ने शाने अली और उस साथियों को पकड़ने के लिए उन के घरों पर दबिशें दे कर गिरफ्तार कर लिया. शहाबुद्दीन की हत्या के आरोप में पुलिस ने हसमतुल निशां, शाने अली, अरकान, संजू गौतम, अमन कश्यप, समीर मोहम्मद को जेल भेज दिया. पुलिस को आरोपियों के पास से एक चाकू, गला घोटने के लिए प्रयोग में लाई गई चेन, संजू की मोटरसाइकिल, 2 कलाई घडि़यां, 6 मोबाइल फोन और आधार कार्ड बरामद हुए.

सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. 24 घंटे के अंदर केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की डीसीपी (दक्षिण) रवि कुमार ने सराहना की. Hindi Love Story in Short

Love Story Hindi Kahani : 5 लाख के ईनामी आशिक की प्रेम कहानी

Love Story Hindi Kahani : जिम ट्रेनर जिया ने सोचा भी नहीं होगा कि जिस कसरती जवान से वह इश्क लड़ा रही है, जिस के साथ नया संसार बसाने के सपने देख रही है, वह 5 राज्यों का वांटेड और 5 लाख का ईनामी बदमाश है. जब यह बात उसे पता चली तब बहुत देर हो चुकी थी और उस के भी…

इसी साल जनवरी में सीनियर आईपीएस अधिकारी हवासिंह घुमरिया ने जब जयपुर रेंज आईजी का पदभार संभाला, तो उन के सामने पपला को पकड़ने की सब से बड़ी चुनौती थी. विक्रम गुर्जर उर्फ पपला कुख्यात बदमाश था, जिस पर पुलिस की ओर से 5 लाख रुपए का इनाम घोषित था. करीब डेढ़ साल पहले 6 सितंबर, 2019 को अलवर जिले के बहरोड़ पुलिस थाने पर दिनदहाड़े एके 47 से अंधाधुंध फायरिंग कर हथियारबंद बदमाश उसे छुड़ा ले गए थे. तब से वह फरार था. इस से पहले 2017 में वह हरियाणा पुलिस की हिरासत से भाग गया था. इसलिए राजस्थान और हरियाणा पुलिस उस की तलाश कर रही थी, लेकिन उस का कुछ पता नहीं था.

आईजी घुमरिया ने बहरोड़ थाने से पपला की फाइल मंगवा कर उसे कई बार पढ़ा. उन्होंने पपला के बहरोड़ थाने से फरार होने के बाद पकड़े गए उस के गिरोह के साथियों की फाइलें भी पढ़ी. हरियाणा से भी मंगा कर पपला के अपराधों की कुंडलियां खंगाली गईं. तमाम फाइलों को पढ़ने के बाद आईजी घुमरिया को पक्का विश्वास हो गया कि पपला की पहलवानी का शौक ही उसे पकड़वा सकता है. आईजी का मानना था कि पपला पहलवानी करता है. इसलिए किसी अखाड़े या जिम में जरूर जाता होगा. इस आधार पर पुलिस ने राजस्थान के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में तमाम अखाड़े और जिम में पपला की तलाश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

अलबत्ता यह जरूर पता चला कि पपला प्रेम प्यार के मामले में कमजोर है. वह कोई न कोई गर्लफ्रैंड जरूर रखता है. अब पुलिस के पास 2 क्लू थे. एक तो पपला का पहलवानी का शौक और दूसरा उस की इश्कबाजी. इस बीच, जनवरी के तीसरे सप्ताह में आईजी घुमरिया को महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में रहने वाली युवती जिया उससहर सिगलीगर के बारे में कुछ सुराग मिले. पता चला कि जिया जिम भी चलाती है और पपला की गर्लफ्रैंड हो सकती है. जिम और गर्लफ्रैंड, इन 2 सुरागों पर आईजी घुमरिया को उम्मीद की किरण नजर आई. उन्होंने चुनिंदा पुलिस अफसरों की स्पैशल 26 टीम बना कर पपला को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपी.

एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा के नेतृत्व में बनाई इस टीम में अलवर और भिवाड़ी पुलिस जिलों के अफसरों और कमांडो को भी शामिल किया गया. स्पैशल 26 टीम के कुछ पुलिस अफसरों और कमांडो को कोल्हापुर भेजा गया. उन्होंने जिया और उस के जिम का पता लगाया. पुलिस टीम ने कई दिनों की जांचपड़ताल के बाद यह पता लगा लिया कि जिया वाकई पपला की गर्लफ्रैंड है. पपला उसी के साथ कोल्हापुर में रह रहा है. यकीन हो जाने के बाद आईजी घुमरिया ने स्पैशल 26 टीम के बाकी पुलिस अफसरों और सशस्त्र कमांडो को भी कोल्हापुर भेज दिया. यह टीम अलगअलग हिस्सों में बंट गई.

टीम के कुछ सदस्य जिया के जिम वाले मकान की कालोनी में किराएदार बन कर कमरा तलाशने लगे. कुछ सदस्य हैल्थवर्कर बन गए और कोरोना की जांच के बहाने आसपास के मकानों की रैकी करने लगे.  टीम के कुछ सदस्यों ने जिम जौइन करने के बहाने जिया के जिम में अलगअलग समय पर जा कर पूरी टोह ली. जिया जिस मकान में जिम चलाती थी, वह 3 मंजिला था. 3-4 दिन की रैकी और तमाम रूप बदलने के बाद 25 जनवरी को यह निश्चित हो गया कि पपला इसी मकान में रहता है. पपला कोई छोटामोटा अपराधी नहीं था. उस के पास अत्याधुनिक हथियार होने की पूरी संभावना थी.

पुलिस टीम ने जिया के मकान और आसपास के इलाकों का वीडियो और फोटो बना कर आईजी घुमरिया को जयपुर भेजे. आईजी ने स्पैशल 26 टीम के अफसरों से सारे हालात पर चर्चा करने के बाद नीमराना के एडिशनल एसपी राजेंद्र सिंह सिसोदिया को भी कोल्हापुर भेज दिया. औपरेशन पपला की तारीख तय हुई 27 जनवरी. 27 जनवरी की आधी रात के करीब स्पैशल 26 टीम ने सादा कपड़ों में जिया के मकान को घेर लिया. एक साथ 25-30 हथियारबंद लोगों को देख कर आसपास रहने वाले लोगों ने उन्हें डकैत समझ लिया और पथराव करना शुरू कर दिया. हालात बिगड़ सकते थे और डेढ़ साल से आंखों में धूल झोंक रहा पपला फिर भाग सकता था.

इसलिए टीम के एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा ने जयपुर मोबाइल काल कर आईजी घुमरिया को सारी बात बताई. आईजी ने तुरंत कोल्हापुर एसपी से बात की. कोल्हापुर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर कालोनी के लोगों को समझाया, तब तक स्पैशल 26 टीम के कुछ जवान जिया के मकान में तीसरी मंजिल तक पहुंच चुके थे. हलचल सुन कर एक कमरे में सो रहा पपला जाग गया. हथियारबंद जवानों को देख वह समझ गया कि पुलिस वाले हैं. खुद को पुलिस से घिरा देख कर पपला ने अपनी गर्लफ्रैंड जिया को ही बचाव का हथियार बना लिया. उस ने जिया की गरदन पर चाकू लगा कर पुलिस वालों से कहा, ‘पीछे हट जाओ और मुझे जाने दो, नहीं तो इस लड़की की गरदन उड़ा दूंगा.’

पहले से ही हर हालात का आंकलन कर पहुंची पुलिस की स्पैशल 26 टीम को इस पर कोई हैरानी नहीं हुई. पपला की धमकी पर पुलिस टीम ने पीछे हटने के बजाय उस पर चारों तरफ से शिकंजा बना लिया. आखिर पुलिस से बचने के लिए वह जिया को छोड़ कर तीसरी मंजिल से नीचे कूद गया. नीचे और आसपास पहले ही पुलिस टीम के कमांडो पोजीशन लिए खड़े थे. उन्होंने पपला को दबोच लिया और उसे चारों तरफ से घेर कर स्टेनगन तान दी. इस बीच पुलिस ने जिया को अपनी हिरासत में ले लिया था. तीसरी मंजिल से कूदने से पपला के बाएं पैर के घुटने की हड्डी टूट गई.

वह जमीन से उठ नहीं सका, तो पुलिस टीम ने उसे सहारा दे कर खड़ा किया और कपड़ों की तलाशी ली. उस के पास कोई हथियार नहीं मिला. मकान के अंदर पहुंची पुलिस टीम ने सभी कमरों की तलाशी ली. तलाशी में कोई हथियार तो नहीं मिला, लेकिन पपला का फरजी आधार कार्ड जरूर मिला. इस में उस का नाम उदल सिंह और पता कोल्हापुर दर्ज था. पैर में फ्रैक्चर होने से पपला चलफिर नहीं सकता था. इसलिए पुलिस टीम ने 28 जनवरी को सब से पहले उस की मरहमपट्टी कराई. बहरोड़ पुलिस पपला से पहले धोखा खा चुकी थी.

इसलिए उसे और उस की गर्लफ्रैंड जिया को राजस्थान लाने के लिए पुलिस की अलगअलग टीमें बनाई गईं ताकि उस के साथियों को यह पता न चल सके कि कौन सी टीम उसे ले कर कहां पहुंचेगी. एक टीम हवाईजहाज से दिल्ली के लिए उड़ी और दूसरी टीम जयपुर के लिए. पपला जयपुर पहुंचा और जिया दिल्ली. 29 जनवरी को पुलिस ने जिया और व्हीलचेयर पर पपला को बहरोड़ की अदालत में पेश किया. अदालत ने पपला को शिनाख्तगी के लिए 2 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया, जबकि जिया को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया.

थाने से छुड़ा लिया था पपला को पपला को जेल भेजने से पहले नीमराना थाने में आईजी हवासिंह घुमरिया, भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी, अलवर एसपी तेजस्विनी गौतम, स्पैशल औपरेशन ग्रुप के एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा और नीमराना के एडिशनल एसपी राजेंद्र सिंह सिसोदिया ने पपला और जिया से अलगअलग पूछताछ की. पुलिस की पूछताछ और जांचपड़ताल में पपला के दुर्दांत अपराधी बनने और महाराष्ट्र के कोल्हापुर पहुंच कर प्यार का चक्कर चलाने की जो कहानी उभर कर सामने आई, उस से पहले पपला के बहरोड़ थाने से फरार होने की कहानी जान लीजिए.

5 सितंबर, 2019 की रात भिवाड़ी जिले की बहरोड़ थाना पुलिस ने पपला को दिल्लीजयपुर हाइवे पर एक कार में 32 लाख रुपए ले कर जाते हुए पकड़ा था. पुलिस ने पपला से 32 लाख रुपए के बारे में पूछताछ की, तो उस ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया. उस समय तक बहरोड़ के तत्कालीन थानाप्रभारी सुगनसिंह को पपला के आपराधिक बैकग्राउंड का पता नहीं था. वह उसे कोई व्यापारी या छोटामोटा प्रौपर्टी डीलर समझ रहे थे. पपला ने खुद के पकड़े जाने की सूचना मोबाइल से अपने साथियों को दे दी थी. पपला के पकड़े जाने पर कुछ लोगों ने पुलिस से लेदे कर उसे छोड़ने के लिए भी बात की थी, लेकिन बात नहीं बनी. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया.

कहा जाता है कि पपला अपने साथी जसराम पटेल की हत्या का बदला लेने के लिए बहरोड़ आया था. वह बहरोड़ में विक्रम उर्फ लादेन को मारना चाहता था. इस से पहले उस ने किसी बड़े व्यापारी से रंगदारी वसूली थी. उस के पास रंगदारी के वही 32 लाख रुपए थे. पकड़े जाने पर उस ने पुलिस से कहा था कि वह जमीन का सौदा करने आया था, लेकिन सौदा नहीं बना. पपला के पकड़े जाने के कुछ घंटों बाद ही 6 सितंबर को सुबह करीब 9 बजे 3 गाडि़यों में भर कर आए उस के साथियों ने बहरोड़ पुलिस थाने पर नक्सलियों की तरह दिनदहाड़े धावा बोल दिया. ये लोग एके 47 और एके 56 से करीब 50 राउंड गोलियां बरसा कर पपला को लौकअप से निकाल ले गए.

बदमाशों की गोलियों से थानाप्रभारी के कमरे के गेट और थाने की दीवारों पर गोलियों के निशान बन गए थे, जो एक खतरनाक हमले की गवाही दे रहे थे. जब पपला को उस के साथी थाने से छुड़ा ले गए, तब पुलिस को पता चला कि वह हरियाणा का दुर्दांत अपराधी विक्रम गुर्जर उर्फ पपला था. राजस्थान में इस तरह का यह पहला मामला था. पुलिस थाने पर हमले की घटना ने राजस्थान सरकार को हिला दिया. इस से पुलिस की बदनामी भी हुई. पपला की फरारी पर अधिकारियों ने इसे पुलिस की लापरवाही मानते हुए कई पुलिस अफसरों पर काररवाई की. 2 पुलिस वालों को बर्खास्त किया गया. डीएसपी और थानाप्रभारी सहित 5 पुलिस वालों को सस्पेंड कर दिया गया. कुछ के तबादले और 69 पुलिस वाले लाइन हाजिर किए गए.

पुलिस ने पपला को तलाश करने के लिए पहले तो जोरशोर से कई दिनों तक अभियान चलाया. जगहजगह छापे मार कर पूरे देश की खाक छान ली, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. पपला को अकेली राजस्थान की पुलिस ही तलाश नहीं कर रही थी, बल्कि हरियाणा पुलिस भी उस पर आंखें गड़ाए हुए थी. लेकिन सफलता दोनों राज्यों की पुलिस को नहीं मिल रही थी. धीरेधीरे पुलिस के अभियान भी ठंडे पड़ गए. पपला के न पकड़े जाने से यह बात भी उठने लगी कि उसे राजनीतिक या जातिगत संरक्षण मिला हुआ है. इसीलिए पुलिस जानबूझ कर उसे नहीं पकड़ रही है. एक बार हरियाणा की पूर्व सरकार के एक मंत्री के बेटे की पपला से बातचीत का औडियो भी वायरल हुआ था.

हालांकि बहरोड़ पुलिस ने पपला को थाने से छुड़ा ले जाने और संरक्षण देने के मामले में 17 महीने के दौरान 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया. इन में अधिकांश लोग राजस्थान के अलवर और झुंझुनूं जिले के अलावा हरियाणा के महेंद्रगढ़, नारनौल और रेवाड़ी के रहने वाले थे. पपला का खौफ खत्म करने के लिए जुलूस राजस्थान पुलिस के स्पैशल औपरेशन ग्रुप और अलवर पुलिस ने 22 सितंबर, 2019 को पपला के गिरोह के 16 बदमाशों का बहरोड़ में केवल अंडरवियर और बनियान में सड़कों पर पैदल जुलूस निकाला था. पुलिस ने यह काम आमजन के मन से ऐसे बदमाशों का खौफ खत्म करने के लिए किया था.

पहली बार राजस्थान में बदमाशों का इस तरह निकाला गया जुलूस चर्चा का विषय बन गया था. पपला के 30 से ज्यादा साथी पकड़े गए और इन में से आधे से ज्यादा बदमाशों का बनियान अंडरवियर में जुलूस निकाला गया. इस के बावजूद पुलिस उन से यह नहीं उगलवा सकी कि पपला का पताठिकाना अब कहां है? कौन लोग उसे पैसा पहुंचा रहे हैं और कौन उसे शरण दे रहे हैं?

राजस्थान पुलिस पर पपला की फरारी से लगा काला दाग अब उस के फिर पकड़े जाने से हालांकि मिट गया है, लेकिन 2 बार गच्चा दे कर भाग चुके पपला को ले कर पुलिस की चिंताएं अभी कम नहीं हुई हैं. इस का कारण यह है कि उस की मदद करने वाले उस के साथी अभी खुले घूम रहे हैं. विक्रम गुर्जर उर्फ पपला हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के खैरोली गांव के रहने वाले मनोहरलाल के 2 बेटों में बड़ा है. उस ने 12वीं पास करने के बाद फौज में जाने का मन बना लिया था. इसी दौरान उसे पहलवानी का शौक लग गया. वह अपने गांव के ही शक्ति सिंह के पास पहलवानी सीखने लगा. शक्ति सिंह को वह गुरु मानता था.

खैरोली गांव के ही रहने वाले संदीप फौजी का पास के गांव की एक युवती से प्रेम प्रसंग चल रहा था. गांव के लोग इस से नाखुश थे. पंचायत ने फैसला किया कि संदीप फौजी उस युवती से नहीं मिलेगा. इस के बाद भी संदीप नहीं माना, तो शक्ति सिंह और पपला ने उसे पीट दिया. संदीप ने इसे अपना अपमान माना. उस ने हरियाणा के चीकू बदमाश को सुपारी दे कर 4 फरवरी, 2014 को शक्ति सिंह की हत्या करवा दी. अपने गुरु शक्ति सिंह की हत्या का बदला लेने के लिए विक्रम गुर्जर उर्फ पपला अपराध की दुनिया में कूद गया. पपला हरियाणा के कुख्यात बदमाश कुलदीप उर्फ डाक्टर के गिरोह में शामिल हो गया. पपला ने बंदूक थाम कर एक साल में ही अपने गुरु की हत्या का बदला ले लिया.

जनवरी, 2015 में उस ने संदीप फौजी की हत्या कर दी. इस के बाद उस ने संदीप की मां विमला, मामा महेश और नाना श्रीराम को भी मौत के घाट उतार दिया. 4 लोगों की हत्या के बाद पपला अपराध की दलदल में धंसता चला गया. पपला के खिलाफ हत्या, लूट और रंगदारी के करीब 2 दरजन से ज्यादा मामले दर्ज हुए. उस का दक्षिणी हरियाणा के जिलों खासकर रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नारनौल व धारूहेड़ा के अलावा राजस्थान के राठ और शेखावटी इलाके में आतंक था. हरियाणा के अलावा वह राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस का भी वांटेड रहा. हरियाणा की नारनौल पुलिस ने उसे 2016 में पकड़ा था.

इस के कुछ समय बाद 2017 में महेंद्रगढ़ की अदालत में उस के गिरोह के बदमाश पुलिस पर फायरिंग कर उसे छुड़ा ले गए थे. इस मामले में हरियाणा पुलिस के एक एसआई सहित 7 पुलिस वाले घायल हुए थे. हरियाणा पुलिस ने पपला पर 2 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था. पुलिस की हिरासत से पपला को छुड़ा ले जाने में उस का छोटा भाई मिंटू भी आरोपी था. वह जेल में 20 साल की सजा भुगत रहा है. अब जिया की कहानी. जिया आयुर्वेद डाक्टर बनने की पढ़ाई कर रही थी. वह अभी दूसरे वर्ष की छात्रा थी. तलाकशुदा जिया के पिता डाक्टर हैं. जिया को पपला ने अपना नाम मानसिंह और काम व्यापार बता रखा था.

महाराष्ट्र के सतारा जिले की रहने वाली 26 साल की जिया कोल्हापुर में 3 मंजिला मकान में जिम भी चलाती थी. वह फिजिकल ट्रेनर है. पपला ने अपने पहलवानी के शौक के कारण जिम जौइन किया था. वहां मासूम और फूल सी नाजुक जिया को देख कर वह उस पर लट्टू हो गया. जिया के तलाकशुदा होने का पता चलने पर पपला ने उस से नजदीकियां बढ़ाई. जिया भी कसरती बदन वाले पपला के प्यार में उलझ गई. पपला ने जिया की जिम वाली बिल्डिंग में ही 4500 रुपए में किराए पर कमरा ले लिया. फिर दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. पकड़े जाने से 2 दिन पहले ही पपला ने जिया के पिता से भी मुलाकात की थी. पपला जिया से शादी कर कोल्हापुर में बसना चाहता था, लेकिन उन के प्यार की कहानी 2 महीने से कम समय में ही खत्म हो गई.

पपला ने जिया से मुलाकात से पहले कोल्हापुर में ही एक मराठी महिला को अपने प्यार के जाल में फंसाया था. अकेली रहने वाली उस महिला का 4 साल का एक बेटा है. उस महिला के साथ भी वह कुछ दिन लिवइन रिलेशनशिप में रहा. उस महिला से प्यार की पींगें आगे बढ़तीं, उस से पहले ही पपला की जिया से मुलाकात हो गई और उस का जिया पर दिल आ गया. पपला कोल्हापुर में 3-4 महीने से रह रहा था. इस दौरान उस ने कई ठिकाने भी बदले थे. पपला के पकड़े जाने के बाद जिया पुलिस से उस की असलियत के बारे में पूछती रही. राजस्थान पुलिस की स्पैशल 26 टीम जब पपला और जिया को कोल्हापुर से राजस्थान ले जाने के लिए पुणे एयरपोर्ट पहुंची, तो आमनासामना होने पर जिया ने पपला से पूछा, ‘आखिर तुम हो कौन?’

तब पपला ने जवाब दिया, ‘मैं विक्रम गुर्जर उर्फ पपला हूं. राजस्थान और हरियाणा पुलिस ने मुझ पर 5 लाख रुपए का इनाम रखा हुआ है. यूपी और दिल्ली की पुलिस भी मुझे तलाश कर रही है.’ पपला की असलियत जान कर जिया फूटफूट कर रोने लगी. जेल में पपला की शिनाख्तगी होने के बाद पुलिस ने उसे अदालत से रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान पुलिस पूछताछ में सामने आया कि पपला बहरोड़ थाने से फरार होने के बाद करीब 2 महीने तक अलवर जिले के तिजारा, दिल्ली और हरियाणा के पलवल शहर में रहा. इस के बाद उस ने एनसीआर और उत्तर प्रदेश में अपना समय बिताया.

इस दौरान उस ने अपना मोबाइल बंद कर दिया. घर वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से वह सीधे तौर पर संपर्क में नहीं रहा. उस के फरार होने के करीब 6 महीने बाद कोरोना के कारण लौकडाउन लग गया. इस दौरान पुलिस भी ठंडी पड़ गई. बाद में जब अनलौक होना शुरू हुआ, तो पुलिस ने डाक्टर और हैल्थ वर्कर बन कर भी कई राज्यों में पपला की तलाश की. पुलिस ने पपला की तलाश में राजस्थान के अलावा हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, बेंगलुरु, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, पंजाब आदि 14 राज्यों की धूल छानी थी.

पपला के काली भक्त होने का पता चलने पर पुलिस पश्चिम बंगाल भी गई थी. महाकालेश्वर और शिरडी सहित देश के बड़े धार्मिक स्थलों पर भी उस की तलाश की गई थी. नवंबर 2019 में भी पुलिस टीम कोल्हापुर गई थी. जांच में यह भी पता चला कि पपला को पुलिस के छापे की जानकारी पहले मिल जाती थी. गहराई में जाने पर पता चला कि पपला को पकड़ने वाले एडिशनल एसपी सिद्धांत शर्मा का पहले गनमैन रहा सुधीर कुमार पुलिस की प्लानिंग की जानकारी पपला के साथियों तक पहुंचाता था. पुलिस वाला ही खबरी था पपला का सिद्धांत शर्मा 2017 में भिवाड़ी के डीएसपी थे, तब सुधीर कुमार उन का गनमैन था.

बाद में सिद्धांत शर्मा का तबादला नीमराना डीएसपी के पद पर हो गया, तो सुधीर भी उन के साथ गनमैन के रूप में नीमराना आ गया. पपला की फरारी के दौरान सिद्धांत नीमराना में ही तैनात थे. बहरोड़ और नीमराना में केवल 20 किलोमीटर की दूरी है. पपला को पकड़ने की सारी योजनाएं नीमराना थाने में ही बनती थी. इसलिए गनमैन सुधीर को सारी बातें पता चल जाती थीं. पुलिस की योजनाएं लीक होने से पपला पुलिस से और दूर हो जाता था. बाद में सिद्धांत शर्मा एडिशनल एसपी बन कर एसओजी में चले गए. इस दौरान सुधीर नीमराना थाने की क्यूआरटी की गाड़ी का ड्राइवर था.

पपला की गिरफ्तारी के 2 दिन बाद ही भेद खुलने पर 29 जनवरी को भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी ने सुधीर को निलंबित कर दिया. पपला से पूछताछ में पुलिस को उस के कुछ साथियों और हथियारों के बारे में पता चला है. पुलिस उन की तलाश कर रही है. रिमांड अवधि पूरी होने पर जिया को अदालत ने 4 फरवरी को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. पपला को भी अदालत ने 13 दिन का रिमांड पूरा होने पर जेल भेज दिया. जेल से अलवर जिले की मुंडावर थाना पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर ले गई.

अपने साथियों द्वारा एके 47 और एके 56 जैसे अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग के बाद बहरोड़ थाने से भागा पपला अब बैसाखियों के सहारे चल रहा है. वह जिस बहरोड़ शहर से भागा था, उसी शहर की जेल में पहुंच गया. पुलिस को उस की सुरक्षा की ज्यादा चिंता है. अभी उस के कई विश्वसनीय साथी फरार हैं. इस के अलावा हरियाणा का चीकू गैंग भी उस की जान का दुश्मन बना हुआ है. इसलिए पुलिस ड्रोन से पपला पर नजर रखे हुए है. पुलिस की तमाम चौकसी के बावजूद पपला के भागने का खतरा अभी मंडरा रहा है. 15 फरवरी को उसे बहरोड़ से अलवर जिले की किशनगढ़बास जेल में शिफ्ट किया जा रहा था, तभी 6 संदिग्ध कारें पुलिस के काफिले में घुस गईं.

बाद में पुलिस ने इन कारों को पकड़ लिया. इन में बहरोड़ थाने के हिस्ट्रीशीटर बचिया यादव सहित 24 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इन लोगों का पपला से कोई संबंध तो नहीं है. 2 बार पहले फरार हो चुके पपला के फिर भागने की आशंका और उस पर दुश्मन गिरोह के मंडराते खतरे को देखते हुए अब उसे अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है. पपला के घपले ने जिया को तोड़ दिया है. वह उबर नहीं पा रही है. तलाकशुदा जिया को दूसरी बार प्यार मिला, तो वह खुशियों का संसार बसाने के सपने देखने लगी थी. पपला के धोखे ने उस की दुनिया उजाड़ दी.love story hindi kahani

Love Story Short Hindi : कोर्ट मैरिज से नाराज पिता ने बेटी और दामाद को मारी गोली

Love Story Short Hindi : सोनाली सिंह और अजय यादव एकदूसरे से न केवल प्यार करते थे, बल्कि कोर्ट मैरिज भी कर चुके थे. लेकिन सोनाली के पिता राजेश सिंह और घर वाले नहीं चाहते थे कि ठाकुर खानदान की बेटी यादव परिवार की बहू बने. इसलिए उन्होंने सोनाली और अजय को अलग करने के लिए…

22 फरवरी की सुबह 6 बजे रामपुर गांव के कुछ लोग मार्निंग वाक पर निकले तो उन्होंने पानी की टंकी के पास लिंक मार्ग से 50 मीटर दूर खेत में एक युवक को बुरी तरह से जख्मी हालत में पड़े देखा. युवक की जान बचाने के लिए उन में से किसी ने थाना खानपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना प्राप्त होते ही खानपुर थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव पुलिस टीम के साथ घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी सूचित कर दिया था. विश्वनाथ यादव जिस समय वहां पहुंचे, उस समय ग्रामीणों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को परे हटाते हुए वह खेत में पहुंचे, जहां युवक जख्मी हालत में पड़ा था.

युवक की उम्र 24 साल के आसपास थी. उस के सिर में गोली मारी गई थी, जो आरपार हो गई थी. उस के एक हाथ में पिस्टल थी तथा दूसरी पिस्टल उस के पैर के पास पड़ी थी. जामातलाशी में उस के पास से 2 मोबाइल फोन, आधार कार्ड तथा पुलिस विभाग का परिचय पत्र मिला, जिस में उस का नामपता दर्ज था. परिचय पत्र तथा आधार कार्ड से पता चला कि युवक का नाम अजय कुमार यादव है तथा वह बभरौली गांव का रहने वाला है. तुरंत उस के घर वालों को सूचना दे दी गई. इंसपेक्टर विश्वनाथ यादव अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह, एएसपी गोपीनाथ सोनी तथा डीएसपी राजीव द्विवेदी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा युवक के पास से बरामद सामान का अवलोकन किया. देखने से ऐसा लग रहा था कि युवक ने आत्महत्या का प्रयास किया था. अब तक अजय के पिता रामऔतार यादव भी घटनास्थल आ गए थे. वह आत्महत्या की बात से सहमत नहीं थे. चूंकि अजय यादव मरणासन्न स्थिति में था, अत: पुलिस अधिकारियों ने उसे इलाज हेतु तत्काल सीएचसी (सैदपुर) भिजवाया लेकिन वहां के डाक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए और उसे बीएचयू ट्रामा सेंटर रैफर कर दिया. इलाज के दौरान अजय यादव की मौत हो गई.

चूंकि अजय यादव सिपाही था, अत: उस की मौत को एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह ने गंभीरता से लिया. उन्होंने जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया, जिस में क्राइम ब्रांच, सर्विलांस टीम तथा स्वाट टीम को शामिल किया गया. इस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, फिर बरामद सामान को कब्जे में लिया. सर्विलांस सेल प्रभारी दिनेश यादव ने अजय के पास से बरामद दोनों फोन की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि 22 फरवरी की रात 3 बजे एक फोन से अजय के फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज भेजा गया था, जिस में लिखा था, ‘तत्काल मिलने आओ, नहीं तो हम मर जाएंगे.’

जिस मोबाइल फोन से मैसेज भेजा गया था, उस फोन की जानकारी की गई तो पता चला कि वह मोबाइल फोन इचवल गांव निवासी राजेश सिंह की बेटी सोनाली सिंह के नाम दर्ज था. जबकि फोन मृतक अजय की जेब से बरामद हुआ था. अजय और सोनाली का क्या रिश्ता है? उस ने 3 बजे रात को अजय को मैसेज क्यों भेजा? जानने के लिए पुलिस टीम सोनाली सिंह के गांव इचवल पहुंची और उस के पिता राजेश सिंह से पूछताछ की. राजेश सिंह ने बताया कि उस की बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह आज सुबह से गायब है. हम ने सैदपुर कैफे से उस की औनलाइन एफआईआर भी कराई है. राजेश सिंह ने एफआईआर की कौपी भी दिखाई.

राजेश सिंह की बात सुन कर पुलिस टीम का माथा ठनका. राजेश सिंह को गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करानी थी, तो थाना खानपुर में करानी चाहिए थी. आनलाइन रिपोर्ट क्यों दर्ज कराई? दाल में जरूर कुछ काला था. यह औनर किलिंग का मामला हो सकता था. संभव था अजय और सोनाली सिंह प्रेमीप्रेमिका हों और इज्जत बचाने के लिए राजेश सिंह ने अपनी बेटी की हत्या कर दी हो. ऐसे तमाम प्रश्न टीम के सदस्यों के दिमाग में आए तो उन्होंने शक के आधार पर राजेश सिंह के घर पर पुलिस तैनात कर दी. साथ ही पुलिस सानिया उर्फ सोनाली सिंह की भी खोज में जुट गई. अजय का मोबाइल फोन खंगालने पर उस का और सोनाली सिंह का विवाह प्रमाण पत्र मिला, जिस में दोनों की फोटो लगी थी.

प्रमाण पत्र के अनुसार दोनों 5 नवंबर, 2018 को कोर्टमैरिज कर चुके थे. इस प्रमाण पत्र को देखने के बाद पुलिस टीम का शक और भी गहरा गया. पुलिस टीम ने सोनाली सिंह के पिता राजेश सिंह व परिवार के 4 अन्य सदस्यों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. 23 फरवरी, 2021 की सुबह पुलिस टीम को इचवल गांव में राजेश सिंह के खेत में एक युवती की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. पुलिस टीम तथा अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और लाश का निरीक्षण किया. मृतका राजेश सिंह की 25 वर्षीय बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह थी. उस के सिर में गोली मारी गई थी. चेहरे को भी कुचला गया था. निरीक्षण के बाद पुलिस ने सोनाली सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल गाजीपुर भेज दिया.

शव के पास से पिस्टल या तमंचा बरामद नहीं हुआ, लेकिन एक जोड़ी मर्दाना चप्पल तथा टूटी हुई चूडि़यां जरूर मिलीं. चप्पलों की पहचान मृतक सिपाही अजय के घर वालों ने की. उन्होंने पुलिस को बताया कि चप्पलें अजय की थीं. पुलिस टीम ने हिरासत में लिए गए राजेश सिंह से बेटी सोनाली सिंह की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और उस ने सोनाली सिंह तथा उस के प्रेमी अजय यादव की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं, उस ने हत्या में इस्तेमाल अजय यादव की बाइक यूपी81 एसी 5834 भी बरामद करा दी.

राजेश सिंह ने बताया कि उस की बेटी सानिया सिपाही अजय यादव से प्यार करती थी और दोनों ने कोर्ट में शादी भी कर ली थी. तब अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने दोनों को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाई. इस योजना में उस ने अपने पिता अवधराज सिंह, बेटे दीपक सिंह, भतीजे अंकित सिंह तथा पत्नी नीलम सिंह को शामिल किया. इस के बाद पहले सानिया की हत्या की फिर अजय की. उस के बाद दोनों के शव अलगअलग जगहों पर डाल दिए. पुलिस अजय की हत्या को आत्महत्या समझे, इसलिए उस के एक हाथ में पिस्टल थमा दी तथा बेटी का मोबाइल फोन अजय की जेब में डाल दिया, ताकि लगे कि अजय ने पहले सोनाली सिंह की गोली मार कर हत्या की फिर स्वयं गोली मार कर आत्महत्या कर ली.

बेटी के शव के पास अजय की चप्पलें छोड़ना, सोचीसमझी साजिश का ही हिस्सा था. राजेश के बाद अन्य आरोपियों ने भी जुर्म कबूल कर लिया. थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव ने डबल मर्डर का परदाफाश करने तथा आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी डा. ओमप्रकाश सिंह को दी तो उन्होंने पुलिस लाइन स्थिति सभागार में प्रैसवार्ता की और आरोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर डबल मर्डर का खुलासा कर दिया. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी विश्वनाथ यादव ने मृतक के पिता रामऔतार यादव की तहरीर पर धारा 302 आईपीसी के तहत राजेश सिंह, अवधराज सिंह, दीपक सिंह, अंकित सिंह तथा नीलम सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा सभी को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, उस में दोनों की हत्याओं की वजह मोहब्बत थी.

गाजीपुर जिले के खानपुर थाना अंतर्गत एक गांव है इचवल कलां. इसी गांव में ठाकुर राजेश सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी नीलम सिंह के अलावा बेटा दीपक सिंह तथा बेटी सानिया उर्फ सोनाली सिंह थी. राजेश सिंह के पिता अवधराज सिंह भी उन के साथ रहते थे. पितापुत्र दबंग थे. गांव में उन की तूती बोलती थी. उन के पास उपजाऊ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. राजेश सिंह की बेटी सोनाली उर्फ सानिया सुंदर, हंसमुख व मिलनसार थी. पढ़ाई में भी तेज थी. वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय डिग्री कालेज सैदपुर से बीए की डिग्री हासिल कर चुकी थी और बीएड की तैयारी कर रही थी.

दरअसल, सानिया टीचर बन कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी. इसलिए वह कड़ी मेहनत कर रही थी. सानिया उर्फ सोनाली के आकर्षण में गांव के कई युवक बंधे थे. लेकिन अजय कुमार यादव कुछ ज्यादा ही आकर्षित था. सानिया भी उसे भाव देती थी. सानिया और अजय की पहली मुलाकात परिवार के एक शादी समारोह में हुई थी. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. इस के बाद जैसेजैसे उन की मुलाकातें बढ़ती गईं, वैसेवैसे उन का प्यार बढ़ता गया. अजय कुमार यादव के पिता रामऔतार यादव सानिया के पड़ोस के गांव बभनौली में रहते थे. वह सीआरपीएफ में कार्यरत थे. लेकिन अब रिटायर हो गए थे और गांव में रहते थे. उन की 5 संतानों में 4 बेटियां व एक बेटा था अजय कुमार.

बेटियों की वह शादी कर चुके थे और बेटा अजय अभी कुंवारा था. रामऔतार यादव, अजय को पुलिस में भरती कराना चाहते थे, सो वह उस की सेहत का खास खयाल रखते थे. अजय बीए पास कर चुका था और पुलिस भरती की तैयारी कर रहा था. उस ने पुलिस की परीक्षा भी दी. एक दिन अजय ने सानिया के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो वह गहरी सोच में डूब गई. कुछ देर बाद वह बोली, ‘‘अजय, मुझे तुम्हारा शादी का प्रस्ताव तो मंजूर है, लेकिन मुझे डर है कि हमारे घर वाले शादी को कभी राजी नही होंगे.’’

‘‘क्यों राजी नही होंगे?’’ अजय ने पूछा.

‘‘क्योंकि मैं ठाकुर हूं और तुम यादव. मेरे पिता कभी नहीं चाहेंगे कि ठाकुर की बेटी यादव परिवार में दुलहन बन कर जाए. मूंछ की लड़ाई में वह कुछ भी अनर्थ कर सकते हैं.’’

‘‘घर वाले राजी नहीं होंगे, फिर तो एक ही उपाय है कि हम दोनों कोर्ट में शादी कर लें.’’

‘‘हां, यह हो सकता है.’’ सानिया ने सहमति जताई.

इस के बाद 5 नवंबर, 2018 को सानिया उर्फ सोनाली और अजय कुमार ने गाजीपुर कोर्ट में कोर्टमैरिज कर के विवाह प्रमाण पत्र हासिल कर लिया. कोर्ट मैरिज करने की जानकारी सानिया के घर वालों को नहीं हुई, लेकिन अजय के घर वालों को पता था. उन्होंने सानिया को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. दिसंबर, 2018 में अजय का चयन सिपाही के पद पर पुलिस विभाग में हो गया. ट्रेनिंग के बाद उस की पोस्टिंग अमेठी जिले के गौरीगंज थाने में हुई. अजय और सानिया की मुलाकातें चोरीछिपे होती रहती थीं. मोबाइल फोन पर भी उन की बातें होती रहती थीं. कोर्ट मैरिज के बाद उन का शारीरिक मिलन भी होने लगा था. इस तरह समय बीतता रहा.

जनवरी, 2021 के पहले हफ्ते में राजेश सिंह को अपनी पत्नी नीलम सिंह व बेटे दीपक सिंह से पता चला कि सानिया पड़ोस के गांव बभनौली के रहने वाले युवक अजय यादव से प्रेम करती है और दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली है. दरअसल, नीलम सिंह ने बेटी को देर रात अजय से मोबाइल फोन पर बतियाते पकड़ लिया था. फिर डराधमका कर सारी सच्चाई उगलवा ली थी. यह जानकारी नीलम ने पति व बेटे को दे दी थी. राजेश सिंह ठाकुर था. उसे यह गवारा न था कि उस की बेटी यादव से ब्याही जाए, अत: उस ने सानिया की जम कर पिटाई की और घर से बाहर निकलने पर सख्त पहरा लगा दिया. नीलम हर रोज डांटडपट कर तथा प्यार से बेटी को समझाती लेकिन सानिया, अजय का साथ छोड़ने को राजी नहीं थी.

21 फरवरी को अजय की चचेरी बहन की सगाई थी. वह 15 दिन की छुट्टी ले कर अपने गांव बभनौली आ गया. सिपाही अजय के आने की जानकारी राजेश सिंह को हुई तो उस ने अपने पिता अवधराज सिंह, बेटे दीपक सिंह, भतीजे अंकित सिंह तथा पत्नी नीलम के साथ गहन विचारविमर्श किया. जिस में तय हुआ कि पहले अजय व सानिया को समझाया जाए, न मानने पर दोनों को मौत के घाट उतार दिया जाए. अवैध असलहा घर में पहले से मौजूद था. योजना के तहत 22 फरवरी की रात 3 बजे राजेश सिंह व नीलम सिंह ने सानिया को धमका कर सिपाही अजय यादव के मोेबाइल फोन पर एक वाट्सऐप मैसेज भिजवाया, जिस में लिखा, ‘तत्काल मिलने आओ, नहीं तो हम मर जाएंगे.’

अजय ने मैसेज पढ़ा, तो उसे लगा कि सानिया मुसीबत में है. अत: वह अपनी मोटरसाइकिल से सानिया के गांव इचबल की ओर निकल पड़ा. इधर मैसेज भिजवाने के बाद राजेश सिंह, नीलम सिंह, दीपक सिंह, अवधराज सिंह व अंकित सिंह ने सानिया उर्फ सोनाली को अजय का साथ छोड़ने के लिए हर तरह से समझाया. लेकिन जब वह नहीं मानी तो राजेश सिंह ने उसे गोली मार दी. फिर लाश को घर में छिपा दिया. कुछ देर बाद अजय आया, तो उसे भी समझाया गया. लेकिन वह ऊंचे स्वर में बात करने लगा. इस पर वे सब अजय को बात करने के बहाने गांव के बाहर अंबिका स्कूल के पास ले गए.

वहां अजय सानिया को अपनी पत्नी बताने लगा तो उन सब ने उसे दबोच लिया और पिस्टल से उस के सिर में गोली मार दी और मरा समझ कर रामपुर गांव के पास सड़क किनारे खेत में फेंक दिया. एक पिस्टल उस के हाथ में पकड़ा दी तथा दूसरी उस के पैर के पास डाल दी. सानिया का मोबाइल फोन भी अजय की पाकेट में डाल दिया. इस के बाद वे सब वापस घर आए और सानिया का शव घर के पीछे गेहूं के खेत में फेंक दिया. अजय की चप्पलें भी शव के पास छोड़ दीं. सुबह राजेश व नीलम ने पड़ोसियों को बताया कि उन की बेटी सानिया बिना कुछ बताए घर से गायब है.

फिर सैदपुर कस्बा जा कर कैफे से औनलाइन एफआईआर दर्ज करा दी. उधर रामपुर गांव के कुछ लोगों ने युवक को मरणासन्न हालत में देखा तो पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने काररवाई शुरू की तो डबल मर्डर की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई. 24 फरवरी, 2021 को थाना खानपुर पुलिस ने अभियुक्त राजेश सिंह, दीपक सिंह, अंकित सिंह, अवधराज सिंह तथा नीलम सिंह को गाजीपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. love story short hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Short Story in Hindi Love : प्रेमिका की चुन्नी से गला घोंटकर कर दी हत्या

Short Story in Hindi Love : राजेंद्र और रीता बालबच्चेदार थे.  दोनों के बच्चे जवान थे. इस के बावजूद भी इन दोनों के बीच नाजायज संबंध स्थापित हो गए. अधेड़ उम्र का इन का प्यार इतना खतरनाक साबित हुआ कि..

36 36 वर्षीया रीता मनचली व महत्त्वाकांक्षी थी. कस्बे के तमाम लोग उस से नजदीकियां बढ़ाना चाहते थे. मगर पिछले 4 सालों से रीता के मन में बसा हुआ था, जो उस का रिश्तेदार भी था और हर समय उस का ध्यान भी रखता था. वह था उस के पड़ोस में रहने वाला 41 वर्षीय राजेंद्र सिंह. दोनों के संबंध बहुत गहरे थे. वे दोनों शादीशुदा थे. राजेंद्र 3 बच्चों का बाप था तो रीता भी 2 बच्चों की मां थी. राजेंद्र और रीता का पति मनोज दोनों ईंट भट्ठे पर काम करते थे. वहीं पर दोनों के बीच नजदीकियां बनी थीं. राजेंद्र व रीता के संबंधों की जानकारी रीता के पति मनोज तथा कस्बे के लोगों को भी थी.

इस बाबत रीता के पति मनोज ने दोनों को समझाने का काफी प्रयास भी किया था, मगर न तो रीता ही मानी और न ही राजेंद्र. उन दोनों का आपस में मिलनाजुलना चलता रहा. दोनों का प्यार इस मोड़ पर आ गया था कि वे दोनों एकदूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे. लेकिन इसी दौरान 16 मार्च, 2021 को रीता गायब हो गई. उस के पति मनोज ने उसे सभी संभावित जगहों पर ढूंढा. वह नहीं मिली तो वह झबरेड़ा थाने पहुंच गया. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार को उस ने बताया, ‘‘साहब, कल मेरी पत्नी रीता काम से सहेली हुस्नजहां के साथ बैंक गई थी लेकिन आज तक भी वह वापस नहीं लौटी है.

मैं उसे आसपास के क्षेत्रों व अपनी सभी रिश्तेदारियों में जा कर तलाश कर चुका हूं, मगर उस का अभी तक कुछ भी पता नहीं चल सका है.’’

इस के बाद थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की बाबत मनोज से कुछ जानकारी ली और रीता का मोबाइल नंबर नोट किया. फिर पुलिस ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर मनोज को घर भेज दिया. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की गुमशुदगी को गंभीरता से लिया. पहले तो उन्होंने रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और इस प्रकरण की जांच थाने के तेजतर्रार थानेदार संजय नेगी को सौंप दी. मामला चूंकि महिला के लापता होने का था, इसलिए रविंद्र कुमार ने इस बाबत सीओ पंकज गैरोला व एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय को जानकारी दी. अगले दिन रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स पुलिस को मिल गई थी. संजय नेगी ने विवेचना हाथ में आते ही क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली.

सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में रीता अपने पड़ोसी राजेंद्र के साथ बाइक पर बैठ कर जाती दिखाई दी. इस के बाद शक के आधार पर एसआई संजय नेगी ने राजेंद्र को हिरासत में ले लिया और उस से रीता के लापता होने के बारे में गहन पूछताछ की. पूछताछ के दौरान राजेंद्र पुलिस को बरगलाता रहा और कहता रहा कि उस की रीता से रिश्तेदारी है और उस ने रीता को थोड़ी दूर तक बाइक पर 2 दिन पहले लिफ्ट दी थी. लेकिन अब रीता कहां है, उसे इस बाबत कोई जानकारी नहीं है. शाम तक राजेंद्र इसी बात की रट  लगाता रहा. शाम को अचानक ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी कि स्थानीय गंगनहर में ग्राम सैदपुरा के निकट एक महिला का शव तैर रहा है.

इस सूचना पर तत्काल ही थानेदार संजय नेगी अपने साथ रीता के पति मनोज को ले कर वहां पहुंचे. संजय नेगी ने ग्रामीणों की मदद से रीता के शव को गंगनहर से बाहर निकलवाया. मनोज ने शव को देखते ही पहचान लिया कि वह शव उस की पत्नी रीता का ही था. शव के गले पर निशान थे. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर शव पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. रीता का शव बरामद होने की सूचना पा कर एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय थाना झबरेड़ा पहुंचे. राय ने जब राजेंद्र से पूछताछ की तो वह अपने को बेगुनाह बताने लगा.

राय व थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने जब सख्ती से राजेंद्र से पूछताछ की तो वह टूट गया और उस ने रीता की हत्या करना स्वीकार कर लिया और रीता से पिछले कई सालों से चल रहे प्रेम संबंधों को भी कबूल कर लिया. रीता की हत्या करने की राजेंद्र ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार है—

उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के अंतर्गत कस्बा झबरेड़ा में स्थित एक ईंट भट्ठे पर पिछले 20 साल से राजेंद्र काम कर रहा था. उस के परिवार में उस की पत्नी सुनीता, बेटी प्रिया (21), दूसरी बेटी खुशी (15) व बेटा कार्तिक (12) था. ईंट भट्ठे पर काम कर के राजेंद्र को 15 हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती थी. इस तरह से राजेंद्र के परिवार की गाड़ी अच्छी तरह से चल रही थी. उसी ईंट भट्ठे पर रीता का पति मनोज भी काम करता था. साथ काम करतेकरते मनोज और राजेंद्र में दोस्ती हो गई. फिर दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. इस आनेजाने में रीता और राजेंद्र के बीच नाजायज संबंध हो गए. वह दोनों आपस में दूर के रिश्तेदार भी थे.

दोनों के संबंधों की खबर उन के घर वालों को ही नहीं बल्कि गांव वालों को भी हो गई थी. इस के बावजूद उन्होंने एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा. करीब 7 सालों तक उन के संबंध बने रहे. लेकिन पिछले साल अचानक राजेंद्र व रीता के जीवन में एक ऐसा मोड़ आ गया कि दोनों के बीच में दूरियां बढ़ने लगीं. 30 मार्च, 2020 का दिन था. उस समय देश में लौकडाउन चल रहा था. उस दिन जब राजेंद्र से रीता मिली थी तो रीता ने राजेंद्र के सामने शर्त रखी कि वह उस के साथ शादी कर के अलग घर में रहना चाहती है. रीता की यह बात सुन कर राजेंद्र सन्न रह गया था. उस ने रीता को समझाया कि अब इस उम्र में यह सब करना हम दोनों के लिए उचित नहीं होगा, क्योंकि हम दोनों पहले से ही शादीशुदा व बड़े बच्चों वाले हैं.

इस कारण हम दोनों के परिवार वालों की भी अलग रहने से जगहंसाई होगी. हम किसी अंजान परेशानी में भी पड़ सकते हैं. राजेंद्र के काफी समझाने पर भी रीता नहीं मानी और राजेंद्र से शादी करने के लिए जिद करने लगी. खैर उस वक्त तो राजेंद्र किसी तरह से रीता को समझाबुझा कर वापस आ गया. मगर उस ने इस के बाद रीता से दूरी  बनानी शुरू कर दी. उस ने उस का मोबाइल अटैंड करना कम कर दिया था और उस से कन्नी काटने लगा था. अपनी उपेक्षा से आहत रीता घायल शेरनी की तरह क्रोधित हो गई थी तथा उस ने मन ही मन में राजेंद्र से बदला लेने का निश्चय कर लिया. उस दौरान राजेंद्र अपनी बड़ी बेटी प्रिया की शादी के लिए वर की तलाश में था.

राजेंद्र अपनी बिरादरी के लोगों से शादी के लिए प्रिया के संबंध में बात करता रहता था. जब इस बात का पता रीता को चला कि राजेंद्र अपनी बेटी के लिए लड़का तलाश रहा है तो उस ने राजेंद्र की बेटी की शादी में अड़ंगा लगाने का निश्चय किया. इस के बाद जो भी लोग प्रिया को शादी के लिए देखने आते तो रीता उन लोगों से संपर्क करती थी और उन्हें बताती थी कि राजेंद्र की बेटी प्रिया का किसी से चक्कर चल रहा है. रीता के मुंह से यह बात सुन कर राजेंद्र की बेटी से शादी करने का प्लान बनाने वाले लोग शादी करने का विचार बदल देते थे. इस प्रकार रीता ने प्रिया से शादी करने वाले 2 परिवारों को झूठी व भ्रामक जानकारी दे कर प्रिया के रिश्ते तुड़वा दिए थे.

जब इस बात की जानकारी राजेंद्र को हुई तो वह तिलमिला कर रह गया था. धीरेधीरे समय बीतता चला गया. वह 28 फरवरी, 2021 का दिन था. उस दिन अचानक एक ऐसी घटना घट गई, जिस से राजेंद्र तड़प उठा और उस ने रीता की हत्या करने की योजना बना डाली. हुआ यूं कि 28 फरवरी, 2021 को कस्बे में रविदास जयंती मनाई जा रही थी. उस समय राजेंद्र की छोटी बेटी खुशी ट्यूशन पढ़ कर वापस घर जा रही थी. तभी रास्ते में उसे रीता का बेटा सौरव खड़ा दिखाई दिया. खुशी कुछ समझ पाती, इस से पहले ही सौरव ने खुशी के साथ अश्लील हरकतें करनी शुरू कर दीं. इस के बाद खुशी ने शोर मचा दिया था. खुशी के शोर मचाने पर सौरव वहां भाग गया था.

खुशी ने घर आ कर इस छेड़खानी की जानकारी अपने पिता राजेंद्र को दी. राजेंद्र ने इस के बाद रीता को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. अब हर समय राजेंद्र रीता की हत्या का तानाबाना बुनने लगा था. दूसरी ओर रीता राजेंद्र के इस खतरनाक इरादे से बेखबर थी. योजना के तहत राजेंद्र ने 15 मार्च, 2021 को रीता को फोन कर के कहा था कि वह उसे 20 हजार रुपए नकद देना चाहता है, इस के लिए उसे मंगलौर आ कर मिलना पड़ेगा.

उस की इस बात पर लालची रीता राजी हो गई. 16 मार्च को रीता उस के साथ बाइक पर बैठ कर मंगलौर के लिए चल पड़ी. जब दोनों सैदपुरा की गंगनहर पटरी पर पहुंचे तो राजेंद्र ने बाइक रोक कर रीता से कहा, ‘‘मैं तुम्हें सरप्राइज दे कर 20 हजार रुपए देना चाहता हूं, तुम जरा मुंह दूसरी ओर घुमा लो.’’

जैसे ही रीता ने मुंह दूसरी ओर घुमाया तो राजेंद्र ने तत्काल ही रीता के गले में लिपटी चुन्नी से उस का गला घोंट दिया. रीता की हत्या के सबूत मिटाने के लिए उस के मोबाइल व चुन्नी को गंगनहर के पानी में फेंक दिया. इतना सब कर के वह बाइक द्वारा अपने घर लौट आया था. पुलिस ने राजेंद्र के बयान दर्ज कर लिए और इस प्रकरण में उस के खुलासे के बाद इस मुकदमे में धारा 302 व 201 बढ़ा दी थी. एसआई संजय नेगी ने अभियुक्त की निशानदेही पर गंगनहर पटरी से झाडि़यों में फंसी रीता की चुन्नी भी बरामद कर ली. रीता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत का कारण गला घोंटने से दम घुटना बताया गया था.

राजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया. short story in hindi love

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Pune News : सुनसान सड़क पर मैरिड गर्लफ्रेंड का दबाया गला

Pune News : रामकिशन राजुरे विवाहित सवित्रा को बहलाफुसला कर शहर के सपने दिखा कर गांव से पुणे ले आया था. 2 सालों तक उस ने उस के साथ ऐश की. लेकिन जब उस ने अपना हक मांगा तो…

आदिवासी गांव और देहात की युवतियां कोमल मन भी होती हैं और चंचल स्वभाव की भी. उन के मन में तमाम तरह की जिज्ञासाएं होती हैं. उन के सामने शहर की किसी चीज की प्रशंसा करो, तो उसे पाने या देखने के लिए विचलित हो जाती हैं चालाक और मनचले युवक इसी बात का फायदा उठाते हैं. जिस का अंजाम ज्यादातर दुखदाई होता है. 20 वर्षीय सवित्रा दिगंबर अंकुलवार की शादी हुए अभी 6 महीने भी नहीं हुए थे कि उस की आंखों में शहर के सुनहरे सपने तैरने लगे थे. यह सपने दिखाने वाला था उस के पति का दोस्त अविनाश रामकिशन राजुरे, जो चालाक और रंगीन तबीयत का था.

सांवले रंग की तीखे नाकनक्श वाली सवित्रा अपनी ससुराल आ कर अभी पति के परिवार को अच्छी तरह समझ भी नहीं पाई थी कि उस की स्वाभाविक चंचलता वहां के लोगों को लुभाने लगी थी. उसे जो एक बार देखता था, उसे पसंद करने लगता था. शहर से अपने गांव आए अविनाश राजुरे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. जब से अविनाश राजुरे की नजर में सवित्रा आई थी, उस की रातों की नींद उड़ गई थी. वह उस का दीवाना हो गया था. अविनाश राजुरे सालों बाद शहर से अपने गांव आया था. दूसरे दिन जब वह अपने गांव के लोगों और दोस्तों से मिलने घर के बाहर निकला तो अपने दोस्त दिगंबर के घर भी गया.

उस का दोस्त दिगंबर तो नहीं मिला लेकिन दरवाजे पर पति के इंतजार में खड़ी सवित्रा से जब उस की नजर लड़ी तो वह उसे देखता रह गया था. अविनाश राजुरे औरतों के मामले में काफी अनुभवी था. वह सवित्रा के हावभाव देख कर काफी कुछ समझ गया. चूंकि वह उस के गहरे दोस्त की बीवी और गांव का मामला था, इसलिए वह बिना कुछ बात किए घर लौट आया. लेकिन घर लौट कर उसे चैन नहीं मिला. उस रात वह ठीक से सो नहीं पाया. उस की आंखों के सामने रहरह कर सवित्रा का कसा हुआ बदन, उभरा यौवन और नशीली आंखें घूम रही थीं. दूसरे दिन वह मौका देख कर दिगंबर के घर पहुंच गया.

दिगंबर ने उस का स्वागत गर्मजोशी से किया, साथसाथ पत्नी सवित्रा का भी परिचय कराया. पतिपत्नी दोनों ने मिल कर उस की अच्छी खातिरदारी की. उस दिन तो अविनाश राजुरे ने दिगंबर के सामने सिर्फ उस की पत्नी सवित्रा की तारीफों के सिवा ज्यादा बातें नहीं कीं. लेकिन दूसरी बार अपने दोस्त दिगंबर के घर पर न रहने पर वह आया तो उसे देख कर पहले तो सवित्रा घबरा गई, लेकिन दूसरे ही पल वह उस ने सोचा कि पति का दोस्त है, उसे घर के बरामदे में बिठाया. चायपानी के बाद जब सवित्रा ने उस के कामधंधे के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह पुणे शहर की एक मल्टीनैशनल कंपनी में सर्विस करता है.

जहां उसे अच्छा वेतन मिलता है. मस्ती से रहता, घूमताफिरता और अपने शौक पूरे करता है.

‘‘पुणे, मुंबई का बड़ा नाम सुना है, कैसा शहर है?’’ सवित्रा ने पूछा तो अविनाश राजुरे ने बताया, ‘‘बहुत अच्छा और स्वर्ग की तरह सुंदर है. काफी कुछ देखने और सुनने लायक है. मुंबई शहर पुणे के काफी करीब है. रेसकोर्स, म्यूजियम, जुहू चौपाटी, बड़ेबड़े फिल्मी कलाकारों के बंगले हैं, जहां मेला लगा रहता है. पुणे का बोट क्लब, खंडाला घाट जहां की छवि निराली है.’’

अविनाश राजुरे की लंबीचौड़ी बातें सुन कर सवित्रा बोली, ‘‘यह सब मुझे बताने का क्या फायदा, मेरे ऐसे नसीब कहां कि मैं पुणे और मुंबई जैसे शहरों के दर्शन करूं. मुझे तो इस गांव की मिट्टी और पति के साथ जिंदगी गुजारनी है.’’

सवित्रा की मायूसी भरी बातों और चाहतों का अविनाश राजुरे ने पूरापूरा फायदा उठाया. अब उसे जब भी मौका मिलता, वह सवित्रा की भावनाओं को भड़काने आ जाता और कहता कि वह मायूस न हो. अगर वह चाहेगी तो वह उस की मदद कर सकता है. बस इस के लिए थोड़ी सी हिम्मत की जरूरत होगी.

‘‘सच?’’ सवित्रा ने चौंक कर मुसकराते हुए कहा. फिर गंभीर हो गई, ‘‘लेकिन मैं अपने पति का क्या करूंगी?’’

सवित्रा को भावनात्मक स्तर पर बहकते देख कर अविनाश राजुरे तरंग में आ गया. वह सवित्रा को कमजोर पड़ते देख बोला, ‘‘भाभीजी, कुछ पाने के लिए कुछ खोना और कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं. एक बार घर की ड्योढ़ी पार कर के देखो दुनिया कितनी रंगीन और सुंदर है. सब कुछ भूल जाओगी. वैसे भी तुम्हारी जैसी हसीनों को शहरों में होना चाहिए, गांवखलिहानों में क्या रखा है.’’

सवित्रा अविनाश राजुरे की निगाहों में चढ़ गई थी. वह किसी भी तरह उसे पाना और भोगना चाहता था. उसे लग रहा था कि थोड़ा सा प्रयास करेगा तो वह कटे पर वाले पंछी की तरह उस की बांहों में आ कर गिरेगी. इसलिए वह अपनी कोशिशों में लगा रहा. अब जब भी उसे मौका मिलता था, वह सवित्रा के घर पर पहुंच जाता. कभी अकेले में तो कभी अपने दोस्त दिगंबर के साथ. नतीजा यह हुआ कि दोनों धीरेधीरे एकदूसरे के साथ घुलमिल गए. दोनों के बीच पहले मीठीमीठी बातें, छेड़छाड़ और फिर हंसीमजाक शुरू हो गया. आखिरकार वही हुआ जो अविनाश राजुरे चाहता था. उस के मन की मुराद पूरी हो गई और वह दिन भी आ गया जब दोनों अपना गांव छोड़ कर पुणे आ गए.

गांव में थोड़ीबहुत हलचल हुई. बाद में सब शांत हो गया. आदिवासी समाज में इस सब का कोई विशेष महत्त्व नहीं होता. सब गांव की पंचायतों में ठीक हो जाता है. 25 वर्षीय अविनाश राजुरे मजबूत कदकाठी का स्वस्थ और महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह उसी समाज और गांव का रहने वाला था, जिस गांव और समाज की सवित्रा दिगंबर अंकुलवार थी. उस के पिता का नाम रामकिशन राजुरे था. उस का भरापूरा परिवार था. उस के पिता एक साधारण किसान थे. वह खेतीकिसानी करते थे. अविनाश राजुरे उन का दूसरे नंबर का बेटा था. उस का खेती में जरा भी मन नहीं लगता था.

गांव से हाईस्कूल पास करने के बाद वह नौकरी की तलाश में पुणे आ गया था. यहां उसे एक कंपनी में काम मिल गया और कंपनी की ही बस्ती में किराए का एक कमरा ले कर रहने लगा. उस के शौक, मौजमजा और खानेपीने के बाद जो पैसा बचता था, उसे अपने गांव भेज देता था. साल में एक बार उसे गांव आने का मौका मिलता था. शहर के सुनहरे सपनों के आकर्षण में सवित्रा अपने दांपत्य को दांव पर लगा कर अविनाश राजुरे के साथ पुणे आ गई, जहां दोनों एक साथ पतिपत्नी की तरह रहने लगे. शुरूशुरू में अविनाश राजुरे सवित्रा को कुछ इधरउधर जगहों पर ले गया. उसे घुमायाफिराया और उस से शादी का वादा कर के उसके तनमन सौंदर्य से अपनी वासना की प्यास बुझाई.

2 साल तक सवित्रा के तन का उपभोग करने के बाद जब उस का मन भर गया तो सवित्रा उसे बोझ लगने लगी. वह अब उस से छुटकारा पाना चाहता था, लेकिन कैसे? यह उस की समझ में नहीं आ रहा था. उस की वजह से वह 2 साल से गांव नहीं जा पा रहा था. सवित्रा के साथ अगर गांव जाता तो वहां बखेड़ा खड़ा हो सकता था. उधर 2 साल तक अविनाश राजुरे के साथ रह कर सवित्रा भी अविनाश के इरादों को समझ गई थी. इसलिए वह अविनाश राजुरे पर आए दिन शादी का दबाव बनाने लगी थी. उस का मानना था कि इतने दिनों तक एक पराए पुरुष के साथ रहने के बाद वह अब कहां जाएगी. जिस से अविनाश राजुरे बौखला गया था.

काफी सोचनेविचारने के बाद आखिरकार उस ने सवित्रा के प्रति दिल दहला देने वाला खतरनाक फैसला ले लिया और मौके की तलाश में रहने लगा. और यह मौका उसे कोरोना के लौकडाउन में दीपावली के समय मिला. लौकडाउन की वजह से आम जनता को सार्वजनिक त्यौहारों में आनेजाने के लिए बहुत कम इजाजत थी. ऐसे में अविनाश राजुरे ने सवित्रा को यह कह कर विश्वास में लिया कि इस बार दीपावली का त्यौहार वह अपनी मोटरसाइकिल से गांव जा कर मनाएगा और परिवार वालों को मना कर उस से शादी करेगा. अविनाश राजुरे की यह बात सवित्रा ने खुशीखुशी स्वीकार कर ली और उस के साथ गांव जाने के लिए राजी हो गई.

दीपावली के एक दिन पहले 13 नवंबर, 2020 को सवित्रा खुशीखुशी गांव जाने के लिए सुबह से ही तैयार बैठी थी. पुणे शहर से उन के गांव की दूरी लगभग 7-8 घंटे की थी. यह दूरी तय करने के लिए उन्हें सुबहसुबह पुणे से निकलना था. लेकिन अविनाश राजुरे अपनी योजना के अनुसार शाम 4 बजे के आसपास निकला ताकि रास्ते में ही अपनी योजना को आसानी से पूरा कर सके. रात 12 बजे के करीब उसने वैसा ही किया जैसी कि उस की प्लानिंग थी. एक तो वह पुणे से देर शाम निकला था, दूसरे उस ने अपनी मोटरसाइकिल की गति धीमी रखी थी.

रात साढ़े 10 बजे के करीब वह जिला बीड तालुका बेकनूर के थेवल घाट पहुंचा और वहां के गिट्टी निकलवाने वाले मजदूरों के कैंप के पास अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर देखा कि बरसात के कारण काम और औफिस दोनों बंद थे. दूरदूर तक अंधेरा और सन्नाटों के सिवा कुछ नहीं था. ऐसे में उस ने सवित्रा को भरोसे में ले कर कहा कि बरसाती कीड़ोंमकोड़ों से उसे गाड़ी चलाने में परेशानी हो रही है. बाकी रात हम इसी औफिस में बिताएं. सुबह होते ही हम गांव के लिए निकल जाएंगे. जगह और औफिस दोनों सुनसान थे मगर सवित्रा अपनी मौत से अनभिज्ञ अविनाश राजुरे की बातों में आ गई.

14 नवंबर की सुबह लोग जागे, रोड चालू हुआ. सब अपनेअपने कामधंधे में लग गए. लेकिन लगभग 8 घंटों से तड़पतीकराहती मंगल औफिस के पीछे खाड़ी के पास पड़ी सवित्रा पर किसी का ध्यान नहीं गया. यह एक संयोग था कि घाट के एक चरवाहे की गाय उस तरफ चली आई और पूरे घाट में यह खबर आग की तरफ फैल गई. देखते ही देखते घटनास्थल पर भारी भीड़ एकत्र हो गई. इस भीड़ में से किसी ने घटना की जानकारी पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. पुलिस कंट्रोलरूम से खबर मिलते ही थाना नेकनूर के सहायक इंसपेक्टर लक्ष्मण केंद्रे हरकत में आ गए. अपने सीनियर अधिकारियों को मामले से अवगत करा वह तत्काल घटनास्थल पर आ गए.

मामला संगीन था, इसलिए उन्होंने अपने सहायकों के साथ युवती का सरसरी तौर पर निरीक्षण किया और एंबुलैंस बुला कर तुरंत उसे स्थानीय अस्पताल और वहां से फिर प्राथमिक उपचार के बाद बीड़ के जिला अस्पताल भेज दिया. डीसीपी भास्कर सावंत थानाप्रभारी व अपने सहायकों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण कर बीड़ जिला अस्पताल पहुंच गए. वहां के डाक्टरों  के बयान के मुताबिक 90 प्रतिशत जख्मी सवित्रा का बयान दर्ज किया था. 10 मिनट के लिए होश में आई सवित्रा ने रात 11 बजे के करीब हमेशा के लिए इस बेरहम दुनिया को अलविदा कह दिया था.

उस 10 मिनट के बयान में सवित्रा ने अपना पूरा परिचय और अपने साथ घटी घटना के सारे रहस्यों को खोल दिया था, जिसे सुन कर पुलिस और वहां मौजूद लोग हैरान रह गए. उस के शव का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद जांच अधिकारी एपीआई लक्ष्मण केंद्रे ने डीसीपी भास्कर सावंत के निर्देशन में अपनी जांच तेजी से शुरू कर दी. उन्होंने अपने सहायकों की 2 टीमें बना कर एक पुणे शहर तो दूसरी अविनाश राजुरे की तलाश में उस के गांव रवाना कर दी. पुणे गई टीम के हाथ तो कुछ नहीं लगा, लेकिन गांव पहुंची पुलिस को यह जानकारी मिली कि अविनाश राजुरे गांव आया था. उस ने 15 नवंबर को गांव में जम कर दीपावली का त्यौहार मनाया.

दूसरे दिन काम का बहाना कर नांदेड़ के देगलूर अपने एक रिश्तेदार के यहां चला गया था. यह जानकारी मिलते ही बीड़ पुलिस की जांच टीम ने नांदेड़ के थाना देगलूर को अविनाश राजुरे की पूरी जानकारी दे दी. यह जानकारी पाते ही थाना देगलूर पुलिस तुरंत हरकत में आ गई और अविनाश राजुरे को गिरफ्तार कर थाना नेकनूर पुलिस को सौंप दिया. थाना नेकनूर लाए गए अविनाश राजुरे से खुद डीसीपी भास्कर सावंत ने पूछताछ की. पहले तो वह उन्हें गुमराह करता रहा. लेकिन थोड़ी सख्ती के बाद वह टूट गया और फिर उस ने बताया कि वह सवित्रा को मारना नहीं चाहता था मगर फिर मजबूरन उसे यह कदम उठाना पड़ा.

पहले उस ने उसे काफी समझाया. उसे उस के मायके मातापिता या ससुराल भेजने की कोशिश की. मगर वह इस के लिए राजी नहीं हुई. वह उस से शादी के लिए अड़ी थी. ऐसे में वह करता भी तो क्या करता. परिवार के डर से उस ने प्लान बना कर पहले से ही एक बोतल तेजाब खरीद कर अपनी मोटरसाइकिल में रख लिया था. बीड़ के येवलघाट मंगल औफिस के पास गाड़ी खड़ी कर के वह उसे अंदर ले गया. वहां जब सवित्रा को हलकी सी नींद आई तो उस ने उस की छाती पर चढ़ कर उस का गला दबा दिया. इस के बाद अर्द्धबेहोशी की हालत में उठा कर कार्यालय के पीछे खाड़ी के पास ले गया.

वहां उस ने पहले सबूत और पहचान मिटाने के लिए उस के चेहरे पर तेजाब डाला. उस के बाद गाड़ी से पैट्रोल निकाल कर उस के शरीर पर डाल कर आग लगा दी. इतना करने के बाद उसे लगा कि अब उस का बचना मुश्किल है तो वह वहां से अपने गांव आ गया. दूसरे दिन यह बात जब दैनिक अखबारों में छपी और टीवी पर दिखाई गई तो वह डर गया और गांव छोड़ कर बचने के लिए नांदेड़ के देगलूर में स्थित अपने रिश्तेदार के यहां चला गया. डीसीपी भास्कर सावंत और जांच अधिकारी एपीआई लक्ष्मण केंद्रे ने अविनाश रामकिशन राजुरे से विस्तृत पूछताछ करने के बाद उस के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 326ए के तहत मुकदमा दर्ज कर उसे बीड़ जिला मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर पुलिस हिरासत में जेल भेज दिया. – Pune News

Alwar News : फैक्ट्री मालिक से बनाया अवैध संबंध फिर कराया पति का कत्ल

Alwar News : कुसुम की घरगृहस्थी जब ठीकठाक चल रही थी तो उसे अपनी फैक्ट्री के मालिक नरेश कुमार सैनी के साथ गुलछर्रे उड़ाने की क्या जरूरत थी. ऐसा कर के उस ने अपने ही सुहाग को ऐसी मुसीबत में डाला कि…

उस दिन 15 फरवरी, 2021 सोमवार का दिन था. राजस्थान के अलवर के थाना एमआईए के थानाप्रभारी शिवराम को सुबहसुबह फोन द्वारा सूचना मिली कि कल्पतरू गोदाम, हिंद कैमिकल फैक्ट्री के पास एक युवक की खून से लथपथ लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही एमआईए थानाप्रभारी शिवराम पुलिस टीम के साथ तत्काल घटनास्थल पर जा पहुंचे. घटनास्थल पर खून से लथपथ एक युवक की लाश पड़ी थी. मृतक के सिर, गरदन व छाती पर धारदार हथियार के गहरे चोट के निशान थे. थानाप्रभारी ने वहां मौजूद लोगों से मृतक की शिनाख्त करने को कहा. मगर कोई उस की पहचान नहीं कर सका. थानाप्रभारी ने इस घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी.

खबर पा कर सीओ ओमप्रकाश मीणा, एएसपी सरिता सिंह और एसपी तेजस्विनी गौतम भी घटनास्थल पर आ पहुंचीं. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल और डौग स्क्वायड को भी मौके पर बुला लिया. मृतक की तलाशी में ऐसी कोई चीज बरामद नहीं हुई, जिस से उस की शिनाख्त होती. एफएसएल टीम ने अपना काम पूरा किया. तब मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए राजीव गांधी सामुदायिक केंद्र की मोर्चरी में ले जाया गया. घटना की खबर आसपास के गांवों में फैल गई. खबर पा कर देसूला खोड़ निवासी रणजीत सिंह ग्रामीणों के साथ अस्पताल पहुंचे, क्योंकि उन का 28 साल का बेटा सोहन सिंह शेखावत कल से लापता था.

मोर्चरी ले जा कर पुलिस ने जैसे ही उन्हें लाश दिखाई तो उन की चीख निकल गई. क्योंकि खून से सनी वह लाश उन के बेटे की ही थी. बेटे की लाश देख कर रणजीत सिंह गश खा कर गिर पड़े. गांव वालों ने मुश्किल से उन्हें संभाला और सांत्वना दे कर चुप कराया. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने रणजीत सिंह की तरफ से हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया. कुछ ही देर में सैकड़ों की संख्या में लोग थाने के बाहर और अस्पताल में जमा हो गए. सभी आक्रोशित थे. परिजनों और गांव वालों ने पहले पोस्टमार्टम कराने और फिर शव उठाने से इनकार कर दिया. उन की मांग थी कि जब तक हत्यारे गिरफ्तार नहीं होते, वे शव नहीं उठाएंगे.

पुलिस अधिकारियों ने ग्रामीणों और परिजनों को काफी समझाया और आश्वासन दिया कि हत्यारे बहुत जल्द पकड़ लिए जाएंगे. तब परिजन मृतक का शव लेने को राजी हुए. पोस्टमार्टम के बाद मृतक का शव ले कर उस के परिजन देर शाम अपने गांव लौट आए. वहां उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. एसपी ने सीओ ओमप्रकाश और थानाप्रभारी शिवराम को निर्देश दे कर तत्काल हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए. थानाप्रभारी ने साइबर सेल की मदद से हत्याकांड के मुलजिमों की तलाश शुरू की. जांच के दौरान पुलिस टीम को पता चला कि मृतक सोहन सिंह मेरठ, उत्तर प्रदेश की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सुपरवाइजर था.

वह मेरठ से एक दिन पहले ही देसूला खोड़ अपने घर आया था. सोहन सिंह 2 महीने बाद मेरठ से घर लौटा था. इसलिए दिन भर वह घर पर ही था. 14 फरवरी, 2021 वैलेंटाइन डे की शाम को करीब 7 बजे उस के मोबाइल पर किसी का फोन आया. सोहन सिंह फोन पर बात करने के बाद पत्नी कुसुम उर्फ कुमकुम चौहान से बोला, ‘‘कुसुम,मैं एक दोस्त से मिलने जा रहा हूं. 10-15 मिनट में वापस आता हूं.’’

यह कह कर वह घर से चला गया. जब वह वापस नहीं लौटा तो कुसुम को चिंता हुई. फिर सोचा कि दोस्त के साथ गपशप कर रहे होंगे. सोहन सिंह रात भर नहीं आया तब कुसुम ने अपनी ससुराल फोन कर के कहा, ‘‘कल 7 बजे किसी का फोन आने पर सोहन 10-15 मिनट में आने को कह कर गए थे. लेकिन वह अब तक नहीं लौटे. मुझे डर लग रहा है कि उन के साथ कहीं कोई अनहोनी न हो गई हो.’’

सुन कर ससुराल वालों ने कहा, ‘‘चिंता मत करो, दोस्त के पास ही रुक गया होगा. अभी फोन करते हैं कि वह है कहां.’’

इस के बाद सोहन सिंह के फोन पर उस के पिता रणजीत सिंह वगैरह ने फोन किया मगर उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. ऐसे में उन्हें चिंता होने लगी थी. वह कुछ करते, उस से पहले ही उन के बेटे की लाश मिलने की खबर आ पहुंची थी. इस के बाद रणजीत सिंह गांव से शहर की ओर भागे आए थे. पुलिस टीम ने सोहन सिंह की पत्नी, आसपड़ोस वालों, मृतक के दोस्तों और भी कई लोगों से पूछताछ की. अपने मुखबिरों को भी लगा दिया. साइबर सेल ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पुलिस टीम को पूछताछ में पता चला कि 14 फरवरी की रात सोहन सिंह शेखावत को गुर्जर कालोनी, बख्तल की चौकी निवासी नरेश सैनी के साथ देर रात तक देखा गया था.

पुलिस टीम ने तब नरेश सैनी को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. नरेश सैनी पहले तो टालमटोल करता रहा लेकिन जब पुलिस ने सख्त रुख अपनाया तो वह टूट गया. उस ने सोहन सिंह हत्याकांड का राज उगल दिया. नरेश सैनी ने पुलिस को बताया कि मृतक की पत्नी कुसुम उर्फ कुमकुम उस की फैक्ट्री दीप कैम इंडस्ट्री में काम करती थी, जिस से उस के अवैध संबंध हो गए. वे दोनों सोहन सिंह को रास्ते से हटा कर अपना निजी जीवन जीना चाहते थे.

मृतक काफी समय से मेरठ में काम करता था और कभीकभार घर आता था. 14 फरवरी को पहले उसे शराब पिलाई और फिर हत्या कर दी. नरेश ने सोहन की हत्या अपने छोटे भाई नवीन उर्फ कपिल के सहयोग से की थी. तब पुलिस टीम ने मृतक की बीवी कुसुम और नवीन उर्फ कपिल सैनी को भी हिरासत में ले लिया. पूछताछ में इन दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने सोहन सिंह की हत्या में प्रयुक्त नरेश सैनी की डस्टर कार, खून सना चाकू, लकड़ी का डंडा और मृतक का मोबाइल फोन भी उन की निशानदेही पर बरामद कर लिया. चाकू और मोबाइल झाडि़यों से बरामद किया गया. वहीं डंडा डस्टर कार से बरामद किया गया था.

एसपी तेजस्विनी गौतम, एएसपी सरिता सिंह, सीओ ओमप्रकाश मीणा ने सोहन सिंह के हत्यारोपियों से पूछताछ कर के हत्याकांड का 17 फरवरी को खुलासा कर दिया. अलवर एसपी तेजस्विनी ने प्रैसवार्ता कर के हत्याकांड का खुलासा किया. सोहन सिंह की हत्या अवैध संबंधों के चलते की गई. मृतक की पत्नी और उस का प्रेमी नरेश अपने बीच में किसी तीसरे को रोड़ा नहीं बनने देना चाहते थे. वे अपना जीवन अपने हिसाब से खुल कर जीना चाहते थे. ऐसे में वैलेंटाइन डे पर जब सोहन सिंह मेरठ से घर आया तो वह पत्नी कुसुम और उस के प्रेमी नरेश की आंखों में ऐसा खटका कि उसे वैलेंटाइन डे पर मौत का तोहफा दे दिया. सोहनसिंह शेखावत हत्याकांड की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार से है—

राजस्थान के अलवर जिले की बानसूर तहसील के गांव गिरुड़ी के रहने वाले रणजीत सिंह शेखावत का बेटा था सोहन सिंह. सोहन ने पढ़ाई के बाद प्राइवेट नौकरी करनी शुरू कर दी. वह गांव से अलवर शहर आ गया. वहीं पर कामधंधा करने लगा. बेटा जब चार पैसे कमाने लगा तो रणजीत ने चौहान परिवार में उस की शादी कर दी. कुसुम 10वीं पास सुंदर लड़की थी. उस की शादी सोहन सिंह से हो गई. खूबसूरत गोरे रंग की बीवी पा कर सोहन सिंह अपने भाग्य पर इतराता था. सोहन सरल स्वभाव का शरीफ व्यक्ति था. कई दिनों तक बीवी कुसुम को गांव गिरुड़ी में रखने के बाद वह उसे अपने साथ देसूला खोड़, थाना एमआईए ले आया.

देसूला खोड़ में प्लौट ले कर सोहन ने मकान बना लिया. वह अपनी बीवी कुसुम के साथ वहीं रहने लगा. आज से करीब 6 साल पहले कुसुम ने एक बेटे को जन्म दिया. सोहन अपनी बीवी एवं बच्चे से बहुत प्यार करता था. वह दिन में काम पर जाता था रात में ड्यूटी से लौट आता था. इस दौरान सब कुछ ठीकठाक था. कुसुम के आसपास के घरों की महिलाएं दीप कैम इंडस्ट्री में लेबर के रूप में काम करने जाती थीं. कुसुम घर में दिन भर अकेली रह कर बोर हो  जाती थी. उस ने भी पड़ोस की महिलाओं के साथ काम करने की इच्छा पति से जताई.

पति ने पहले तो मना कर दिया मगर कुसुम के बारबार यह कहने पर कि वह दिन भर अकेली घर में बोर हो जाती है. फैक्ट्री में काम करने से उस का टाइम पास भी हो जाएगा और घर खर्च भी आसानी से चलेगा. तब सोहन सिंह मान गया. कुसुम ने दीप कैम इंडस्ट्री में लेबर के रूप में काम करना शुरू कर दिया. वह अपने बेटे को साथ ही ले जाती थी काम पर. दीप कैम इंडस्ट्री एमआईए इलाके में ही थी. यह इंडस्ट्री नरेश कुमार सैनी ने अपने एक दोस्त के साथ पार्टनरशिप में ली थी. नरेश कुमार सैनी ही इस की देखरेख करता था. कह सकते हैं कि वही इस का मालिक था. कुसुम को नरेश सैनी ने देखा तो वह उस की खूबसूरती पर मर मिटा. वह कुसुम के आगेपीछे भंवरे की तरह मंडराने लगा.

इसी दौरान सोहन सिंह जिस कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था, उसे सड़क बनाने का ठेका मेरठ में मिल गया. इस के बाद सोहन सिंह मेरठ चला आया. वह वहां पर सुपरवाइजर के पद पर काम करता था. छुट्टी मिलने पर सोहन अपने बीवीबच्चों से मिलने अलवर आता रहता था. छुट्टी पूरी होने पर 5-7 दिन बाद वापस मेरठ चला जाता था. नरेश ने जब से कुसुम को अपनी फैक्ट्री में देखा था, वह उस पर मरमिटा था. नरेश उस के इर्दगिर्द मंडराते हुए उस के सौंदर्य की तारीफें करता रहता था. कहते हैं कि औरत को अपनी तारीफ अच्छी लगती है. यही कुसुम के साथ हुआ.

वह अपने सौंदर्य की तारीफ के पुल बांधने वाले नरेश की तरफ खिंचती चली गई. नरेश उस से काम भी कम करवाता था. कभी छुट्टी लेती तो पगार भी नहीं काटता था. इस तरह वह नरेश को अपना समझने लगी और ऐसे में जब एक दिन नरेश ने मौका मिलने पर कुसुम को बांहों में भरा तो वह चुप रही. कुसुम की मौन स्वीकृति ने नरेश का उत्साह बढ़ा दिया. उस दिन दोनों तनमन से एक हो गए. एक बार वासना के दलदल में गिरे तो फिर धंसते ही चले गए. दोनों के बीच अवैध संबंध बने तो नरेश ने कुसुम को लेबर काम से हटा कर एकाउंटेंट बना दिया. कुसुम 10वीं पास थी. उस ने उस की तनख्वाह भी बढ़ा दी.

सोहन सिंह को जब बीवी ने बताया कि वह एकाउंटेंट बन गई है तो वह बहुत खुश हुआ. मगर उसे यह पता नहीं था कि उस की बीवी ने तन सौंप कर यह पद हासिल किया है. इसी दौरान करीब डेढ़ साल पहले कुसुम के यहां एक बेटी हुई. वहीं नरेश की भी अपने समाज में शादी हो गई. नरेश शादीशुदा हो कर कुसुम से संबंध जारी रखे था. वह अपनी बीवी से ज्यादा कुसुम से प्यार करता था. कुसुम अपने पति से विश्वासघात कर गैरमर्द की बांहों में झूल रही थी. समय के साथ उन दोनों ने तय कर लिया कि वे आजीवन साथ रहेंगे. उन के बीच में जो आएगा वह जिंदा नहीं बचेगा.

पिछले 2 महीने से सोहन सिंह मेरठ में था. इस दौरान नरेश और कुसुम ने तय कर लिया कि उन के बीच सोहन सिंह नाम का जो कांटा है, उस को देसूला खोड़ आने पर हमेशा के लिए हटा दिया जाएगा. सोहन सिंह 2 महीने बाद देसूला आने वाला था. नरेश के एक बेटी है जो इस समय करीब 4 महीने की है. सोहन सिंह मेरठ से देसूला आया तो इस की सूचना कुसुम ने नरेश को दे दी. नरेश ने 14 फरवरी, 2021 वैलेंटाइन डे की शाम करीब 7 बजे सोहन को फोन कर बुलाया. सोहन सिंह ने पत्नी कुसुम से 10-15 मिनट में आने को कहा और नरेश के पास चला गया. सोहन जब नरेश के पास पहुंचा तब वह अपनी डस्टर कार ले कर खड़ा था. नरेश ने कहा, ‘‘सोहनसिंह जी आप को यहीं फैक्ट्री में अच्छी नौकरी दिला देते हैं.’’

‘‘यह तो आप की मेहरबानी होगी. वैसे अगर यहां नौकरी मिल जाए तो कौन बीवीबच्चों से दूर रहना चाहेगा.’’ सोहन बोला.

तब नरेश ने झांसा दिया कि आओ बात करते हैं. सोहन सिंह डस्टर कार में बैठ गया. नरेश कार में बिठा कर सोहन सिंह को तिजारा फाटक के पास शादी समारोह में ले गया. यहां सोहन सिंह को शराब में धुत कर दिया.

इस के बाद नरेश ने शिव कालोनी से शादी समारोह में से अपने छोटे भाई नवीन उर्फ कपिल सैनी को साथ लिया. इस के बाद एमआईए फैक्ट्री की तरफ गाड़ी रोक कर सोहन सिंह को और शराब पिलाई. उसी समय नरेश ने अपने सगे भाई नवीन के साथ मिल कर सोहन की चाकू व लाठी से हमला कर हत्या कर दी. सोहन सिंह की गरदन पर नवीन ने चाकू से वार किए. फिर नरेश ने सोहन के सिर पर लाठी से वार किए. शराब के नशे में धुत सोहन अपना बचाव भी नहीं कर सका. वह थोड़ी देर में ही तड़प कर मर गया. इस के बाद दोनों भाइयों ने लाश कल्पतरू गोदाम के पास फेंक दी. वहां से जाते वक्त नवीन ने चाकू और मृतक का मोबाइल झाडि़यों में फेंक दिया.

जेब से आधारकार्ड और पर्स भी ले लिया. डंडे को कार में रख कर अपने घर ले गए. आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने चाकू, डंडा और मोबाइल बरामद कर लिए. हत्या में प्रयोग की गई डस्टर कार भी जब्त कर ली. पुलिस ने पूछताछ के बाद कुसुम, उस के प्रेमी नरेश कुमार सैनी और नवीन उर्फ कपिल सैनी को कोर्ट में पेश कर के न्यायिक हिरासत में भेज दिया – Alwar News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Story : अधूरा इश्क बना मौत की वजह – प्रेमी कपल ने पेड़ से लटक कर दी जान

Love Story : विकास और आरती एक ही कुनबे के भाईबहन थे, इस के बावजूद वे रिश्ते को दरकिनार करते हुए शादी करना चाहते थे. लेकिन दोनों के घर वालों ने उन की मांग सिरे से ठुकरा दी तो…

कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर पश्चिम में थाना बिल्हौर के तहत एक गांव है  अलौलापुर. ज्ञान सिंह कमल इसी गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी गीता कमल के अलावा 2 बेटे विकास, आकाश तथा 2 बेटियां शोभा व विभा थीं. ज्ञान सिंह कमल किसान थे. उन के पास 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि उपज से ही वह परिवार का भरणपोषण करते थे. ज्ञान सिंह का बेटा विकास अपने भाईबहनों में सब से बड़ा था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद उस ने नौकरी पाने के लिए दौड़धूप की. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वह पिता के कृषि कार्य में हाथ बंटाने लगा.

उस ने ट्रैक्टर चलाना सीख लिया था. ट्रैक्टर से वह अपनी खेती तो करता ही था, दूसरे काम कर वह अतिरिक्त आमदनी भी करता था. विकास किसानी का काम जरूर करता था, लेकिन ठाटबाट से रहता था. ज्ञान सिंह के घर से चंद कदम दूर सुरेश कमल का घर था. उस के परिवार में पत्नी ममता के अलावा 2 बेटियां आरती, प्रीति तथा एक बेटा नंदू था. सुरेश और ज्ञान सिंह एक ही कुनबे के थे और रिश्ते में भाईभाई थे. सुरेश भी किसान था. उस की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. लेकिन दोनों में खूब पटती थी. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था और सुखदुख में एकदूसरे का साथ देते थे.

दोनों परिवारोें के बच्चों का बचपन भी साथसाथ खेलते बीता था. विकास को  बचपन से ही चाचा सुरेश कमल की बेटी आरती से बहुत लगाव था. आरती भी विकास के साथ ज्यादा खेलती थी. दोनों के इस लगाव पर घर वालों ने कभी ध्यान नहीं दिया, क्योंकि बच्चे अकसर इसी तरह खेलते हैं. बचपन के दिन गुजर जाने के बाद विकास और आरती ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उन के बीच का लगाव पहले की ही तरह बना रहा. लेकिन उन के नजरिए में बदलाव जरूर आ गया था. अब उन की चंचलता खामोशी के साथ दूसरा मुकाम अख्तियार कर चुकी थी. उन के दिल में प्यार के बीज अंकुरित हो चुके थे. इसलिए अब जब भी उन्हें मौका मिलता, वे प्यार भरी बातें करते.

आरती की आंखों के सामने जब भी विकास होता, वह उसी को देखा करती. उस पल उस के चेहरे पर जो खुशी होती थी, कोई भी देख कर भांप सकता था कि दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है. विकास को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल भी तो आरती के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों में एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. वे इस बात को महसूस भी करते थे. लेकिन दिल की बात एकदूसरे से कह नहीं पा रहे थे. प्यार का किया इजहार एक दिन विकास आरती के घर पहुंचा, तो उस समय वह घर में अकेली थी. आरती को देखते ही उस का दिल तेजी से धड़क उठा.

उसे लगा कि दिल की बात कहने का उस के लिए यह सब से अच्छा मौका है. आरती उसे कमरे में बिठा कर फटाफट 2 कप चाय बना लाई. चाय की चुस्कियों के बीच दोनों बातें करने लगे. अचानक विकास गंभीर हो कर बोला, ‘‘आरती मुझे तुम से एक बात कहनी है.’’

‘‘कहो, क्या कहना चाहते हो?’’ आरती भी गंभीर हो गई.

‘‘आरती, मैं तुम से प्यार करता हूं. यह प्यार आज का नहीं, बरसों का है, जो आज किसी तरह हिम्मत जुटा कर कह पाया हूं. ये आंखें सिर्फ तुम्हें देखना पसंद करती हैं. मैं तुम्हारे प्यार में इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया, तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

आखिर विकास ने दिल की बात कह ही दी, जिसे सुन कर आरती का चेहरा शरम से लाल हो गया, पलकें झुक गईं. होंठों ने कुछ कहना चाहा, लेकिन जुबान ने साथ नहीं दिया. आरती की हालत देख कर विकास बोला, ‘‘कुछ तो कहो आरती, क्या मैं तुम से प्यार करने लायक नहीं हूं.’’

‘‘कहना जरूरी है क्या? तुम खुद को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया है. डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ आरती ने भी चाहत का इजहार कर दिया. आरती की बात सुन कर विकास खुशी से झूम उठा. उसे लगा कि सारी दुनिया की दौलत, आरती के रूप में उस की झोली में आ कर समा गई है. दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो फिर एकांत में भी मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू हो गया. दोनों गांव के बाहर सुनसान जगह पर मिलने लगे.

वे एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते. जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत बढ़ती और प्रगाढ़ होती गई. घर वालों को उन पर किसी तरह का शक इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पारिवारिक रिश्ते में भाईबहन थे. इसी रिश्ते की आड़ में वे घर वालों को बेवकूफ बनाते रहे. उन के बीच जो प्यार उपजा था, वह भाईबहन के रिश्ते को भूल गया था. मर्यादाओं में रहते हुए वे जीवन के हसीन ख्वाब देखने लगे थे. लेकिन उन के संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे न रह सके. एक दिन आरती की मां ममता ने उस की और विकास की बातें सुन लीं.

इस के बाद वह आरती और विकास के ज्यादा मिलने का मतलब समझ गई. शाम को उस ने इस बारे में बेटी से पूछा तो उस ने मुसकराते हुए कह दिया कि उस का विकास से इस तरह का कोई संबंध नहीं है. ममता ने भी जमाना देखा था. वह समझ गई कि बेटी झूठ बोल रही है. इसलिए उस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो आरती को सच उगलना ही पड़ा. उस ने डरतेडरते कह दिया कि वह विकास से प्यार करती है.

इस के बाद ममता का गुस्सा फट पड़ा. वह आरती की पिटाई करते हुए बोली, ‘‘कुलच्छिनी, तुझे शर्म नहीं आई. जानती है, वह तेरा क्या लगता है? कम से कम अपने रिश्ते का तो लिहाज किया होता.’’

‘‘मम्मी, वह कोई सगा भाई थोड़े ही है और जब प्यार होता है, तो वह रिश्ता नहीं देखता. हम दोनों ही एकदूसरे को चाहते हैं.’’ आरती ने रोते हुए कहा.

‘‘अच्छा, बहुत जुबान चल रही है, अभी खींचती हूं तेरी जुबान,’’ कहते हुए ममता ने उस पर लात और थप्पड़ों की बरसात कर दी. लेकिन आरती यही कहती रही कि चाहे वह उसे कितना भी मार ले, वह विकास को नहीं छोड़ेगी. आरती की पिटाई करतेकरते जब ममता हांफने लगी तो एक ओर बैठ कर उसे भलाबुरा कहने लगी. साथ ही उस ने धमकी दी, ‘‘आने दे तेरे बाप को, वही तेरी ठीक से खबर लेंगे. बहुत उड़ने लगी है न तू. अब तेरे पर कतरने ही पड़ेंगे.’’

आरती सुबकती रही. शाम को जब सुरेश आया तो ममता ने सारी बात उसे बता दी. सुरेश को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन उस ने समझदारी से काम लिया. उस ने उसे दूसरे कमरे में ले जा कर समझाया, उसे भाईबहन के रिश्ते की गहराई बताते हुए कहा कि उस के इस कदम से गांव में रहना दूभर हो जाएगा. किसी के सामने वह सिर तक नहीं उठा सकेगा. पिता के समझाने का हुआ असर पिता की बातें आरती को अच्छी तो लगीं, लेकिन उस के सामने समस्या यह थी कि वह विकास से उस के साथ जीनेमरने का वादा कर चुकी थी. अब उस के सामने एक ओर पिता की इज्जत थी तो दूसरी ओर वह प्यार था, जिस के लिए वह कुछ भी करने का वादा कर चुकी थी.

अंत में वह इस नतीजे पर पहुंची कि वह घर वालों की इज्जत के लिए अपने प्यार को एक सपने की तरह भुलाने की कोशिश करेगी. इसलिए उस ने पिता से वादा कर लिया कि अब वह विकास से नहीं मिलेगी. यह बात करीब एक साल पहले की है. आरती की पिटाई वाली बात विकास को पता चल चुकी थी. उस के मन में इस बात का डर था कि कहीं चाचा सुरेश यह शिकायत उस की मां से न कर दें. इसी डर की वजह से उस ने आरती के घर जाना बंद कर दिया. दूसरी ओर आरती उसे भुलाने की कोशिश करने लगी थी. इसलिए उस ने भी विकास की देहरी नहीं लांघी.

लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सका. चूंकि दोनों लंबे समय से एकदूसरे को प्यार करते आ रहे थे, इसलिए उन की यादें जेहन में घूम रही थीं, जो उन्हें विचलित कर रही थीं. विकास का मन आरती से मिलने को विचलित था. लेकिन समस्या यह थी कि वह उस से कैसे मिले?

आरती का व्यवहार देख कर उस के घर वालों ने यही समझा कि वह विकास को भूल चुकी है. इसलिए उन्होंने उस पर निगरानी बंद कर दी. एक दिन आरती घर में अकेली थी तो विकास उस से मिलने पहुंच गया. अचानक घर में विकास को देख कर आरती बोली, ‘‘तुम यहां क्यों आ गए? कोई आ गया तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’’

‘‘मैं तुम से सिर्फ यह पूछने आया हूं कि तुम मुझे इतनी जल्दी भूल कैसे गई?’’ विकास ने पूछा.

‘‘भूली नही हूं, मजबूरी है. मेरी जगह तुम होते तो तुम भी यही करते.’’ आरती ने कहा.

आरती की इस बात से विकास खुश हो गया और उस ने आरती को झट से अपने गले लगा कर कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, मैं मुलाकात का कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा.’’

प्रेमी से मिलने के बाद आरती अपने पिता से किए गए वादे को भूल गई. वह भी विकास से खूब बातें करना चाहती थी. लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं उस की मां या पिता न आ जाएं. इसलिए उस ने विकास से कहा, ‘‘विकास, इस से पहले कि यहां कोई आ जाए, तुम चले जाओ.’’

विकास वहां से चला गया. प्रेमिका से मिल कर उसे बड़ा सुकून मिला था. 2-3 दिन बाद उस ने एक मोबाइल फोन खरीद कर आरती को दे दिया. इस के बाद आरती चोरीछिपे विकास से बातें करने लगी. इस से उन के मिलने में आसानी हो गई. इस तरह उन का प्यार पहले की तरह ही चलने लगा. लेकिन उन का चोरीछिपे मिलनेमिलाने का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका. एक रात अचानक आरती की मां ममता की आंखें खुलीं तो उस ने आरती को चारपाई से गायब पाया. बेटी की तलाश में वह छत पर पहुंची तो वह वहां उसे कुरसी पर बैठी देख कर चौंकी.

मां की आहट पाते ही आरती ने प्रेमी से चल रही बातचीत बंद कर दी और मोबाइल फोन छिपाने लगी. ममता ने उसे कुछ छिपाते देख तो लिया था, लेकिन उसे यह पता नहीं था कि उस ने क्या छिपाया है. उस ने आरती से इतनी रात को छत पर अकेली बैठने की वजह पूछी, तो वह सकपका गई. तब उस ने पूछा, ‘‘तूने अभी क्या छिपाया है, दिखा?’’

‘‘कुछ नहीं छिपाया है मम्मी.’’ आरती घबरा कर बोली.

ममता ने कोई चीज रखते हुए देखा था. बेटी की बात सुन कर ममता को लगा कि वह झूठ बोल रही है. उस ने आरती के सीने पर हाथ डाला, तो वहां मोबाइल देख कर पूछा, ‘‘यह किस का मोबाइल है और किस से बातें कर रही थी?’’

‘‘किसी से नहीं मम्मी.’’ आरती सकपका कर बोली.

बेटी के झूठ बोलने पर ममता समझ गई कि वह विकास से ही बातें कर रही थी. इस का मतलब वह जरूर हमारी आंखों में धूल झोंक कर उस से लगातार मिल रही है. ममता ने रात में हंगामा करना उचित नहीं समझा. सुबह उस ने सारी सच्चाई पति को बता दी. सुरेश कमल समझ गया कि बेटी को कितना भी समझा ले, वह विकास से मिलना नहीं छोड़ेगी. इस से पहले कि समाज में उन की बदनामी हो, उस ने उस के हाथ पीले करने का फैसला कर लिया. आरती की मां ममता ने भी अपनी जेठानी गीता से उस के बेटे विकास की शिकायत कर दी. ममता की शिकायत पर गीता को बेटे पर बहुत गुस्सा आया. उस ने ममता को भरोसा दिया कि वह विकास को समझाएगी.

गीता ने विकास से इस बाबत बात की तो डरने के बजाय उस ने बेबाक कह दिया कि वह आरती से प्यार करता है और शादी भी उसी से करेगा. विकास की दोटूक बात सुन कर गीता को आश्चर्य हुआ. तब गुस्से में उस ने उसे 2-3 थप्पड़ जड़ दिए और बोली, ‘‘तुझे अपनी बहन के साथ शादी करने की बात कहते हुए शर्म नहीं आई?’’

लेकिन विकास अपनी जिद पर अड़ा रहा. मां के गुस्से का उस पर कोई असर न पड़ा. इधर सुरेश कमल अपनी इज्जत बचाने के लिए बेटी के लिए लड़का खोजने लगा तो आरती घबरा उठी. उस ने एक रोज किसी तरह विकास से मुलाकात की और बताया कि उस के घर वाले जल्द ही उस का रिश्ता तय करने वाले हैं. लेकिन वह किसी और की दुलहन बनने के बजाय मौत को गले लगाना पसंद करेगी. उस ने जो वादा किया है, वह जरूर निभाएगी. आरती की शादी की बात सुन कर विकास भी घबरा गया. उस ने कहा, ‘‘आरती, तुम्हारी जुदाई मैं बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा. फिर तो एक ही रास्ता बचा है.’’

‘‘वह क्या?’’ आरती ने पूछा.

‘‘यही कि हम साथ जीनेमरने का वादा पूरा करे.’’

‘‘शायद, तुम ठीक कहते हो विकास.’’ इस के बाद दोनों ने एक साथ आत्महत्या करने का निश्चय किया. प्यार की विदाई. 3 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे जब घर के लोग सो गए, तब आरती ने विकास को फोन कर के बात की. विकास ने उसे बताया कि वह घर से निकल रहा है. वह गांव के बाहर अनिल के बाग में उस का इंतजार करेगा. जितनी जल्दी हो सके आ जाए. आरती ने कमरे में सो रहे अपने मांबाप पर एक नजर डाली. फिर चुपके से दरवाजे की कुंडी खोल कर घर के बाहर आ गई और तेज कदमों से अनिल के बाग की ओर चल पड़ी.

कुछ देर बाद वह बगीचे में पहुंची तो आम के पेड़ के नीचे विकास उस का इंतजार कर रहा था. पेड़ के नीचे कुछ देर तक दोनों बातें करते रहे. उस के बाद विकास ने पेड़ की डाल में रस्सी बांध कर 2 फंदे बनाए. फिर एकएक फंदा गले में डाल कर दोनों फांसी के फंदे पर झूल गए. इधर सुबह ममता की आंखें खुलीं तो आरती को चारपाई पर न पा कर उस का माथा ठनका. उस ने घरबाहर आरती की खोज की लेकिन कुछ पता न चला. उस ने सोचा कहीं विकास आरती को बहलाफुसला कर भगा तो नहीं ले गया. वह विकास के घर जा पहुंची. विकास भी घर से गायब था. अब दोनों के घर वाले विकास और आरती की खोज करने लगे.

ज्ञान सिंह व सुरेश अपने साथियों के साथ दोनों की तलाश में गांव के बाहर अनिल के बाग में पहुंचे तो उन के मुंह से चीख निकल गई. विकास और आरती पेड़ की डाल से बंधी रस्सी के सहारे फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो पूरे गांव में सनसनी फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों लोग घटनास्थल पर आ गए. ममता और गीता अपने बच्चों को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर फफक कर रो पड़ीं. इसी बीच गांव के किसी युवक ने थाना बिल्हौर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई घटनास्थल आ गए. उन की सूचना पर एसपी (पश्चिम) अनिल कुमार तथा सीओ अशोक कुमार सिंह भी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा दोनों के घर वालों से पूछताछ की. मृतक विकास की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी तथा मृतका आरती की उम्र 20 साल थी. निरीक्षण के बाद दोनों शवों को फांसी के फंदे से उतार कर पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया गया. थानाप्रभारी प्रेम नारायण बाजपेई को पूछताछ से पता चला कि विकास और आरती प्रेमीप्रेमिका थे. घर वालों को उन का रिश्ता मंजूर न था. अत: दोनों ने आत्महत्या कर ली.

थानाप्रभारी बाजपेई ने आत्महत्या प्रकरण को थाने में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मौत हो जाने से प्रकरण को बंद कर दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Love Crime News : शक्की बॉयफ्रेंड ने गर्लफ्रेंड को मारी गोली

Love Crime News : मनोज जुनूनी और शक्की था. इसी के चलते उस ने अपने प्यार को तो मिटा ही दिया, अपनी जिंदगी भी बरबाद कर ली. अगर प्रतिभाशाली मेघा समय रहते उस की हरकतों से उसे समझ पाती तो…

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले का एक बड़ा कस्बा है गजरौला. यह कस्बा मुरादाबाद से दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-24 पर स्थित है. गजरौला की पहचान एक औद्योगिक नगर के रूप में भी है क्योंकि यहां पर कई बड़े कारखाने और फैक्ट्रियां हैं. मेघा चौधरी इसी कस्बे की अवंतिका कालोनी में सुधारानी के मकान में रहती थी. मेघा चौधरी गजरौला थाने में कांस्टेबल थी. 31 जनवरी, 2021 की शाम करीब 6 बजे की बात है. मेघा चौधरी किचन में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी, तभी मनोज ढल उस के पास आया. मनोज उस का प्रेमी था.

वह भी उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल था और उस की पोस्टिंग अमरोहा जिले के सैदनगली थाने में थी. मनोज अकसर मेघा चौधरी से मिलने आता रहता था. उस के आने के बाद उन दोनों के बीच कुछ देर तक बातचीत चलती रही. इसी दौरान उन की बातों में इतना तीखापन आ गया कि आवाजें कमरे से बाहर तक जाने लगीं. लग रहा था जैसे उन के बीच झगड़ा हो रहा हो. उसी समय मेघा के कमरे से गोली चलने की 2 आवाजें आईं. बराबर के कमरे में मेघा की दोस्त महिला कांस्टेबल प्रिया भी किराए पर रहती थी. गोली की आवाज सुनते ही प्रिया तुरंत मेघा के कमरे में पहुंची. गोली की आवाज सुन कर  मकान मालकिन भी वहां आ गई थी.

उन लोगों ने देखा तो वहां का दृश्य देख कर हक्कीबक्की रह गईं. कमरे में मेघा और मनोज लहूलुहान पड़े थे. दोनों को गोली लगी थी और कमरे में खून फैला हुआ था. मनोज के पास ही एक देसी तमंचा पड़ा हुआ था. प्रिया समझ गई कि दोनों को उसी तमंचे से गोली लगी है. प्रिया खुद कांस्टेबल थी. उस ने तुरंत गजरौला थाने में फोन कर के इस की सूचना दे दी. यह बात सुबह करीब सवा 6  बजे की है. थानाप्रभारी आर.पी. शर्मा रात की गश्त से लौट कर अपने क्वार्टर में आराम कर रहे थे. एसएसआई प्रमोद पाठक थाने में मौजूद थे. उन्होंने जब इस घटना के बारे में सुना तो यह जानकारी थानाप्रभारी को दी और खुद पुलिस टीम के साथ अवंतिका कालोनी में घटनास्थल पर पहुंच गए.

चूंकि मामला पुलिसकर्मियों से जुड़ा हुआ था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस घटना से उच्च अधिकारियों को भी सूचित कर दिया. इस के बाद वह खुद घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस तुरंत दोनों घायलों को गजरौला के अस्पताल ले गई, लेकिन उन की हालत गंभीर थी इसलिए गजरौला से उन्हें मुरादाबाद के साईं अस्पताल रेफर कर दिया गया. सूचना मिलते ही सीओ विजय कुमार, एएसपी अजय प्रताप सिंह व एसपी सुनीति भी घटनास्थल पर पहुंच गईं. उन्होंने घटनास्थल का मुआयना किया और मकान मालकिन व कांस्टेबल प्रिया से पूछताछ की. पूछताछ के बाद पुलिस को पता चला कि मेघा चौधरी और मनोज ढल का काफी दिनों से प्रेम संबंध चल रहा था.

अब तक की जांच के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची की इस घटना को कांस्टेबल मनोज ढल ने ही अंजाम दिया होगा. पुलिस ने मौके से मिले सबूत अपने कब्जे में लिए. उधर मुरादाबाद के साईं अस्पताल में भरती कांस्टेबल मेघा और मनोज की हालत गंभीर बनी हुई थी. डाक्टरों की टीम दोनों के इलाज में तत्परता से जुटी थी. मामला पुलिसकर्मियों से जुड़ा हुआ था, इसलिए सूचना पाते ही मुरादाबाद रेंज के आईजी रमित शर्मा, एसएसपी प्रभाकर चौधरी, एसपी (सिटी ) अमित कुमार आनंद भी साईं अस्पताल पहुंच गए. आईजी रमित शर्मा ने अमरोहा पुलिस को आदेश दिए कि वह इस मामले में निष्पक्ष तरीके से काररवाई करे.

आईजी साहब के आदेश पर अमरोहा जिले की एसपी सुनीति ने गजरौला के थानाप्रभारी आर.पी. शर्मा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बना दी. थानाप्रभारी ने सिपाही मनोज ढल के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 452, 307 व आर्म्स ऐक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. उधर इलाज के दौरान कांस्टेबल मेघा चौधरी ने 31 जनवरी की रात करीब 11 बजे दम तोड़ दिया. पुलिस मेघा चौधरी और मनोज ढल के घर वालों को पहले ही सूचना दे चुकी थी, इसलिए सुबह होते ही दोनों के घर वाले साईं अस्पताल पहुंच गए.

मेघा चौधरी के घर वालों को जब पता चला कि उस की मौत हो चुकी है तो उन का रोरो कर बुरा हाल हो गया. मेघा के भाई सागर चौधरी ने थानाप्रभारी को मनोज ढल के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर दी. पहली फरवरी को मुरादाबाद में मेघा का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस ने उस की लाश उस के घर वालों को सौंप दी. मेघा मूलरूप से मुजफ्फरनगर जिले के सरलाखेड़ी गांव की रहने वाली थी, इसलिए घर वाले उस का शव अपने गांव ले कर चले गए. उधर मनोज की हालत में निरंतर सुधार हो रहा था. 3 फरवरी, 2021 को जब उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

थाना गजरौला ले जा कर उस से इस संबंध में पूछताछ की गई. एसपी सुनीति भी उस से पूछताछ करने के लिए थाना गजरौला पहुंच गईं. पूछताछ में मनोज ढल ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही मेघा को गोली मार कर खुद को भी गोली मारी थी. इस के पीछे की उस ने जो कहानी बताई, वह प्रेम संबंधों की बुनियाद पर रचीबसी निकली—

मेघा चौधरी और मनोज ढल वर्ष 2018 बैच के कांस्टेबल थे. करीब डेढ़ साल पहले मेघा चौधरी और मनोज ढल की तैनाती अमरोहा जिले की तहसील हसनपुर के थाना आदमपुर में थी. आदमपुर बेहद पिछड़ा हुआ इलाका है. ग्रामीण क्षेत्र में तैनाती होने के कारण मनोज अकसर मेघा की मदद कर दिया करता था. जिस कारण दोनों में घनिष्ठता बढ़ गई थी. दोनों ही अविवाहित थे. उन के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो मामला प्यार में बदल गया. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे. ड्यूटी के दौरान दोनों समय निकाल कर अकसर मिलते रहते थे. मनोज मेघा के प्यार में आकंठ डूब चुका था.

उस के सिर पर प्यार का ऐसा नशा सवार हुआ कि वह अपनी ड्यूटी के प्रति भी लापरवाह रहने लगा. आदमपुर के थानाप्रभारी ने मनोज और मेघा को कई बार समझाया कि वह जिम्मेदारी से अपनी ड्यूटी करें. ड्यूटी के प्रति लापरवाही ठीक नहीं है. लेकिन दोनों ने उन की बात पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने उन दोनों को हिदायत दी.  मनोज तो मेघा का जैसे दीवाना हो चुका था. इसलिए अपने प्यार के चलते उस ने थानाप्रभारी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया. तब थानाप्रभारी ने अमरोहा के तत्कालीन एसपी डा. विपिन कुमार टांडा से कांस्टेबल मेघा चौधरी और मनोज की शिकायत कर दी.

उन की शिकायत पर एसपी ने मेघा चौधरी का तबादला आदमपुर से गजरौला थाने में कर दिया और मनोज का तबादला कर के उसे थाना सैदनगली भेज दिया गया. मेघा चौधरी ने 10 सितंबर, 2020 को गजरौला थाने पहुंच कर अपनी आमद दर्ज करा दी. गजरौला थाने में ड्यूटी जौइन करते ही मेघा ने अपने कार्यों से पूरे पुलिस स्टाफ को प्रभावित किया. वह बहुत ही  महत्त्वाकांक्षी थी. उस के मन में आगे बढ़ने की लगन थी. थानाप्रभारी मेघा चौधरी के कार्य से संतुष्ट थे. उस के काम को देखते हुए उन्होंने उसे महिला डेस्क की जिम्मेदारी सौंपी.

इस के अलावा वह पुलिस की एंटी रोमियो टीम के साथ भी काम करने लगी. नारी शक्ति अभियान से जुड़ी एंटी रोमियो टीम का काम स्कूलकालेज की छात्राओं को जागरूक करना होता है. मेघा चौधरी इस काम को बड़ी गंभीरता से कर रही थी. वह स्कूलकालेज में जा कर छात्राओं को जागरूक करती थी. वह उन्हें बताती थी कि यदि रास्ते में कोई मनचला उन के साथ छेड़छाड़ या परेशान करे तो उस से कैसे निपटा जाए. वह उन्हें यह भी बताती थी कि कुछ युवक छात्राओं को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों में फंसा लेते हैं, जिस से छात्राओं का कैरियर समाप्त हो जाता है. ऐसे लोगों से उन्हें कैसे बचना है. इस के बारे में भी वह छात्राओं को अच्छी तरह समझाती थी.

गजरौला थाने में पोस्टिंग होने के बाद एक तरह से मेघा और ज्यादा जागरूक और अपने कैरियर के प्रति गंभीर हो गई थी. उस ने तय कर लिया था कि वह शादी से पहले अपना कैरियर बनाएगी. नारी शक्ति अभियान के तहत छात्राओं को जागरूक करतेकरते मेघा एक अच्छी वक्ता बन गई थी. वह बहुत प्रभावशाली भाषण देती थी. अनेक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि बन कर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने भी जब मेघा के भाषण सुने तो वे बहुत प्रभावित हुए. अधिकारी जब उस की तारीफ करते तो वह खुश होती थी. जब वह उच्चाधिकारियों के साथ मीटिंग में बैठती थी तब उस का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता था. वह सोचती कि वह एक मामूली सिपाही होते हुए भी इतने बड़े अधिकारियों के बीच बैठती है.

यहीं से उस के मन में आगे बढ़ने की लालसा पैदा हुई. उस ने तय कर लिया कि केवल सिपाही की नौकरी के बूते वह अपनी जिंदगी नहीं काटेगी बल्कि  कंपटीशन की तैयारी कर कोई अच्छी नौकरी पाने की कोशिश करेगी. मेघा ने बीटीसी का भी फार्म भर रखा था, जिस का एग्जाम पहली फरवरी, 2021 को था. इस एग्जाम की वजह से मेघा ने 31 जनवरी को अपनी 3 दिन की छुट्टी स्वीकृत करा ली थी. छुट्टी ले कर वह परीक्षा की तैयारी कर रही थी. मेघा और उस के प्रेमी मनोज की तैनाती अलगअलग थानों में थी, इस के बावजूद मनोज मेघा से मिलने के लिए उस के पास आता रहता था. मेघा ने जब गजरौला की अवंतिका कालोनी में सुधारानी के यहां एक किराए का कमरा लिया था तो वह वहां भी मेघा से मिलने आता रहता था.

मेघा और मनोज ने अपने प्यार के बारे में अपनेअपने घर वालों को भी बता दिया था. इतना ही नहीं, उन्होंने कह दिया था कि वे शादी करना चाहते हैं. तब दोनों के घर वालों ने एकदूसरे का घरबार देखने के बाद शादी के लिए हामी भर दी थी. मनोज हरियाणा के जिला कैथल के थाना कुंडली के गांव पाई का निवासी था जबकि मेघा चौधरी उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के थाना  तितली के गांव खेड़ी की रहने वाली थी. अलगअलग थानों में दोनों का ट्रांसफर हो जाने के बाद उन की मुलाकात पहले की तरह तो नहीं हो पाती थी, लेकिन दोनों फोन पर खूब बातें करते थे. लेकिन इस से मनोज का दिल नहीं भरता था. वह चाहता था कि जल्दी से जल्दी मेघा से उस की शादी हो जाए.

मनोज मेघा पर शादी करने का दबाव बना रहा था, लेकिन मेघा उसे यह कह कर टाल देती थी कि अभी उसे अपना कैरियर बनाना है. वह कैरियर बनाने के बाद ही शादी करेगी, क्योंकि सिपाही की नौकरी से वह संतुष्ट नहीं है. मनोज ने उस से कहा, ‘‘शादी के बाद भी तुम परीक्षा की तैयारी कर सकती हो.’’

तब मेघा ने कहा, ‘‘शादी के बाद घरगृहस्थी के तमाम काम होते हैं, जिस की वजह से तैयारी ढंग से नहीं हो पाएगी. इस समय मेरी तैयारी बहुत अच्छी चल रही है और इसी तरह चलती रही तो साल भर के अंदर मुझे कहीं न कहीं अच्छी नौकरी जरूर मिल जाएगी. इसलिए अभी मैं शादी के बंधन में फंसना नहीं चाहती.’’

इस बात को मनोज भी अच्छी तरह जानता था कि मेघा बहुत मेहनत से परीक्षा की तैयारी में जुटी है. लेकिन उसे इस बात की भी आशंका थी कि यदि मेघा की कहीं अच्छी जगह नौकरी लग गई तो जरूरी नहीं कि वह उस के साथ ही शादी करे. क्योंकि औफिसर बन जाने के बाद वह एक मामूली सिपाही से शादी नहीं करेगी. इसी आशंका को देखते हुए मनोज उस पर लगातार शादी का दबाव बना रहा था. शादी की बात को ले कर उन दोनों के बीच अकसर कहासुनी भी हो जाया करती थी. रोज के झगड़ों से तंग आ कर मेघा ने मनोज से फोन पर बात करनी भी कम कर दी थी. वह अपना सारा ध्यान कंपटीशन की तैयारी में लगा रही थी.

उधर मनोज के दिमाग में फितूर बैठ चुका था कि अच्छी जगह नौकरी लग जाने के बाद वह उस से शादी से इनकार कर देगी. इसी आशंका को ले कर वह अकसर खोयाखोया सा रहने लगा था. एक दिन उस ने मेघा से कह भी दिया कि यदि तुम मुझे नहीं मिली तो मैं तुम्हारे साथसाथ अपने आप को भी खत्म कर दूंगा. मेघा ने उसे बहुत समझाया कि ऐसी कोई बात नहीं है. बस, एग्जाम क्लियर कर लेने दो, फिर सब ठीक हो जाएगा. पर मनोज को सब्र कहां था. मनोज जब उसे बारबार फोन करता रहा तो तंग आ कर मेघा ने उस का फोन रिसीव करना बंद कर दिया. इस पर मनोज उस से मिल ने उस के कमरे पर पहुंच जाता. उस की एक ही जिद थी कि मेघा जल्द शादी कर ले. मेघा उस से फिलहाल शादी को मना कर देती तो वह उस से लड़झगड़ कर लौट आता था.

मेघा के व्यवहार में आए बदलाव को देख कर मनोज के मन में एक दूसरा शक यह पैदा हो गया कि कहीं मेघा का किसी और से चक्कर तो नहीं चल रहा, जिस की वजह से वह उसे लगातार इग्नोर कर रही है. वह यही सोचता कि दाल में जरूर कुछ काला है. सच्चाई जाने बिना ही वह मेघा के बारे में गलत सोचने लगा. इसी दरम्यान उस ने तय कर लिया कि वह मेघा को एक बार और समझाने की कोशिश करेगा. यदि वह शादी के लिए तैयार नहीं हुई तो फिर वही करेगा जो उस ने तय कर रखा है. इस के लिए मनोज ने एक भयंकर योजना तैयार कर ली थी.

सिपाही होने की वजह से वह कई क्रिमिनलों को जानता था. एक क्रिमिनल के सहयोग से  उस ने .315 बोर का एक तमंचा और कारतूसों का इंतजाम कर लिया. मनोज से मेघा की बेवफाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. हर समय वह उस के बारे में ही सोचता रहता था. घटना से 3 दिन पहले मनोज ने मेघा को फोन किया तो मेघा ने उस का फोन रिसीव नहीं किया. तब वह और ज्यादा परेशान हो गया. 30 जनवरी, 2021 की रात्रि ड्यूटी करने के बाद सुबह को उस ने 2 दिन का अपना रेस्ट मंजूर करा लिया. उस के दिमाग में मेघा के अलावा और कुछ नहीं था.

31 जनवरी को जब मेघा ने उस का फोन रिसीव नहीं किया तो वह शाम करीब 6 बजे मेघा के कमरे पर  पहुंच गया. मनोज ने मेघा का दरवाजा खटखटाया तो उस ने गुस्से में दरवाजा नहीं खोला. वह उस समय किचन में थी. इस के बाद वह कमरे में चली गई. तब मनोज दरवाजे के बाहर से ही जोरजोर से अनापशनाप बकने लगा. मेघा के कमरे के बराबर में ही उस का किचन था. किचन का दरवाजा खुला हुआ था. मेघा ने कमरे का दरवाजा नहीं खोला तो मनोज किचन में पहुंच गया. किचन से एक खिड़की मेघा के कमरे में खुलती थी. उसी खिड़की के रास्ते वह मेघा के कमरे में दाखिल हो गया.

उसे देख कर मेघा भड़क गई. उस ने कहा, ‘‘तुम्हें इस तरह से खिड़की के रास्ते से नहीं आना चाहिए था.’’ मनोज तो वैसे ही गुस्से से भरा हुआ था. उस ने कहा, ‘‘मेघा, मैं आज तुम से साफसाफ यह पूछना चाहता हूं कि तुम अभी शादी करोगी या नहीं क्योंकि मैं अब ज्यादा दिनों तक शादी के लिए नहीं रुक सकता.’’

इस पर मेघा ने कहा, ‘‘कुछ दिन और रुक जाओ. जब मेरा कैरियर बन जाएगा तब मैं शादी करूंगी.’’

मगर मनोज को तसल्ली कहां थी. वह तेज आवाज में झगड़ने लगा. मेघा उस की योजना से अनजान थी. वह भी गुस्से में उस से झगड़ने लगी. दोनों के चीखनेचिल्लाने की आवाजें कमरे से बाहर जाने लगीं. मेघा के पास में रहने वाली प्रिया जानती थी कि मनोज मेघा का प्रेमी है. उस ने उन के झगड़े में दखल देना उचित नहीं समझा. सोचा थोड़ी देर में दोनों सामान्य हो जाएंगे. लेकिन उसे क्या पता था कि वहां कुछ देर में खून बहने वाला है. झगड़े के दौरान मनोज को गुस्सा आया तो उस ने अपनी अंटी में खोंसा हुआ तमंचा निकाल कर मेघा के ऊपर फायर कर दिया. मेघा के सीने में गोली लगी. गोली लगते ही वह फर्श पर गिर पड़ी. तभी खुद को भी मिटाने के लिए मनोज ने दूसरी गोली अपने पेट पर  मार ली.

गोलियों की आवाज सुनते ही मकान मालकिन और बराबर में रह रही सिपाही प्रिया मेघा के कमरे पर पहुंच गईं. फिर इस की सूचना पुलिस को दे दी गई. मनोज के गिरफ्तार होने के बाद एसपी सुनीति भी थाने पहुंच गई थीं. उन्होंने भी करीब डेढ़ घंटे तक मनोज से पूछताछ की. इस के बाद थानाप्रभारी ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार मनोज को 3 फरवरी, 2021 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. उसी दिन एसपी सुनीति ने कांस्टेबल मनोज ढल को बरखास्त कर दिया. अब मामले की जांच थानाप्रभारी आर.पी. शर्मा कर रहे हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Noida News : प्यार में फंसाया फिर किया अपहरण और मांगी 70 लाख की फिरौती

Noida News : गौरव हलधर डाक्टरी की पढ़ाई करतेकरते प्रीति मेहरा के जाल में ऐसा फंसा कि जान के लाले पड़ गए. डा. प्रीति को गौरव को रंगीन सपने दिखाने की जिम्मेदारी उस के ही साथी डा. अभिषेक ने सौंपी थी. भला हो नोएडा एसटीएफ का जिस ने समय रहते…

एसटीएफ औफिस नोएडा में एसपी कुलदीप नारायण सिंह डीएसपी विनोद सिंह सिरोही के साथ बैठे किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. तभी अचानक दरवाजा खुला और सामने वर्दी पर 3 स्टार लगाए एक इंसपेक्टर प्रकट हुए. उन्होंने अंदर आने की इजाजत लेते हुए पूछा, ‘‘मे आई कम इन सर.’’

‘‘इंसपेक्टर सुधीर…’’ कुलदीप सिंह ने सवालिया नजरों से आगंतुक की तरफ देखते हुए पूछा.

‘‘यस सर.’’

‘‘आओ सुधीर, हम लोग आप का ही इंतजार कर रहे थे.’’ एसपी कुलदीप सिंह ने सामने बैठे विनोद सिरोही का परिचय कराते हुए कहा,  ‘‘ये हैं हमारे डीएसपी विनोद सिरोही. आप के केस को यही लीड करेंगे. जो भी इनपुट है आप इन से शेयर करो फिर देखते हैं क्या करना है.’’

कुछ देर तक उन सब के बीच बातें होती रहीं. उस के बाद कुलदीप सिंह अपनी कुरसी से खड़े होते हुए बोले, ‘‘विनोद, मैं एक जरूरी मीटिंग के लिए मेरठ जा रहा हूं. आप दोनों केस के बारे में डिस्कस करो. हम लोग लेट नाइट मिलते हैं.’’

इस बीच उन्होंने एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा को भी बुलवा लिया था. कुलदीप सिंह ने उन्हें निर्देश दिया कि गौरव अपहरण कांड में अपहर्त्ताओं को पकड़ने में वह इस टीम का मार्गदर्शन करें. एसपी के जाते ही वे एक बार फिर बातों में मशगूल हो गए. सुधीर कुमार सिंह डीएसपी विनोद सिरोही और एएसपी मिश्रा को उस केस के बारे में हर छोटीबड़ी बात बताने लगे, जिस के कारण उन्हें पिछले 24 घंटे में यूपी के गोंडा से ले कर दिल्ली के बाद नोएडा में स्पैशल टास्क फोर्स के औफिस का रुख करना पड़ा था. इस से 2 दिन पहले 19 जनवरी, 2021 की बात है. उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के एसपी शैलेश पांडे के औफिस में सन्नाटा पसरा हुआ था. क्योंकि मामला बेहद गंभीर था और पेचीदा भी.

पड़ोसी जिले बहराइच के पयागपुर थाना क्षेत्र के काशीजोत की सत्संग नगर कालोनी के रहने वाले डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव हलधर गोंडा के हारीपुर स्थित एससीपीएम कालेज में बीएएमएस प्रथम वर्ष का छात्र था. वह कालेज के हौस्टल में रहता था. गौरव 18 जनवरी की शाम तकरीबन 4 बजे से गायब था. इस के बाद गौरव को न तो हौस्टल में देखा गया न ही कालेज में. 18 जनवरी की रात को गौरव के पिता डा. निखिल हलधर के मोबाइल फोन पर रात करीब 10 बजे एक काल आई. काल उन्हीं के बेटे के फोन से थी, लेकिन फोन पर उन का बेटा गौरव नहीं था.

फोन करने वाले ने बताया कि उस ने गौरव का अपहरण कर लिया है. गौरव की रिहाई के लिए आप को 70 लाख रुपए की फिरौती देनी होगी. जल्द पैसों का इंतजाम कर लें, वह उन्हें बाद में फोन करेगा. डा. निखिल हलधर ने कालबैक किया तो फोन गौरव ने नहीं, बल्कि उसी शख्स ने उठाया, जिस ने थोड़ी देर पहले बात की थी. डा. निखिल ने बेटे से बात कराने के लिए कहा तो उस ने उन्हें डांटते हुए कहा, ‘‘डाक्टर, लगता है सीधी तरह से कही गई बात तेरी समझ में नहीं आती. तू क्या समझ रहा है कि हम तुझ से मजाक कर रहे हैं? अभी तेरे बेटे की लेटेस्ट फोटो वाट्सऐप कर रहा हूं देख लेना उस की क्या हालत है.

और हां, एक बात कान खोल कर सुन ले, यकीन करना है या नहीं ये तुझे देखना है. यह समझ लेना कि पैसे का इंतजाम जल्द नहीं किया तो बेटा गया तेरे हाथ से. ज्यादा टाइम नहीं है अपने पास.’’

अभी तक इस बात को मजाक समझ रहे निखिल हलधर समझ गए कि उस ने जो कुछ कहा, सच है. कुछ देर बाद उन के वाट्सऐप पर गौरव की फोटो आ गई, जिस में वह बेहोशी की हालत में था. जैसे ही परिवार को इस बात का पता चला कि गौरव का अपहरण हो गया है तो सब हतप्रभ रह गए. निखिल हलधर संयुक्त परिवार में रहते थे. उन के पूरे घर में चिंता का माहौल बन गया. बात फैली तो डा. निखिल के घर उन के रिश्तेदारों और परिचितों का हुजूम लगना शुरू हो गया. डा. निखिल हलधर शहर के जानेमाने फिजिशियन थे, शहर के तमाम प्रभावशाली लोग उन्हें जानते थे. उन्होंने शहर के एसपी डा. विपिन कुमार मिश्रा से बात की.

उन्होंने बताया कि गौरव गोंडा में पढ़ता था और घटना वहीं घटी है, इसलिए वह तुरंत गोंडा जा कर वहां के एसपी से मिलें. डा. निखिल हलधर रात को ही अपने कुछ परिचितों के साथ गोंडा रवाना हो गए. 19 जनवरी की सुबह वह गोंडा के एसपी शैलेश पांडे से मिले. शैलेश पांडे को पहले ही डा. निखिल हलधर के बेटे गौरव के अपहरण की जानकारी एसपी बहराइच से मिल चुकी थी. डा. निखिल हलधर ने शैलेश पांडे को शुरू से अब तक की पूरी बात बता दी. एसपी पांडे ने परसपुर थाने के इंचार्ज सुधीर कुमार सिंह को अपने औफिस में बुलवा लिया था. क्योंकि गौरव जिस एससीपीएम मैडिकल कालेज में पढ़ता था, वह परसपुर थाना क्षेत्र में था.

सारी बात जानने के बाद एसपी शैलेश पांडे ने कोतवाली प्रभारी आलोक राव, सर्विलांस टीम के इंचार्ज हृदय दीक्षित तथा स्वाट टीम के प्रभारी अतुल चतुर्वेदी के साथ हैडकांस्टेबल श्रीनाथ शुक्ल, अजीत सिंह, राजेंद्र , कांस्टेबल अमित, राजेंद्र, अरविंद व राजू सिंह की एक टीम गठित कर के उन्हें जल्द से गौरव हलधर को बरामद करने के काम पर लगा दिया. एसपी पांडे ने टीम का नेतृत्व एएसपी को सौंप दिया. पुलिस टीम तत्काल सुरागरसी में लग गई. पुलिस टीमें सब से पहले गौरव के कालेज पहुंची, जहां उस के सहपाठियों तथा हौस्टल में छात्रों के अलावा कर्मचारियों से जानकारी हासिल की गई. नहीं मिली कोई जानकारी मगर गौरव के बारे में पुलिस को कालेज से कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह डा. निखिल हलधर के साथ परसपुर थाने पहुंचे और उन्होंने निखिल हलधर की शिकायत के आधार पर 19 जनवरी, 2021 की सुबह भादंसं की धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण का मामला दर्ज कर लिया. एसपी शैलेश पांडे के निर्देश पर इंसपेक्टर सुधीर कुमार सिंह ने खुद ही जांच की जिम्मेदारी संभाली. साथ ही उन की मदद के लिए बनी 6 पुलिस टीमों ने भी अपने स्तर से काम शुरू कर दिया. चूंकि मामला एक छात्र के अपहरण का था, वह भी फिरौती की मोटी रकम वसूलने के लिए. इसलिए सर्विलांस टीम को गौरव हलधर के मोबाइल की काल डिटेल निकालने के काम पर लगा दिया गया.

मोबाइल की सर्विलांस में उस की पिछले कुछ घंटों की लोकेशन निकाली गई तो पता चला कि इस वक्त उस की लोकेशन दिल्ली में है. पुलिस टीमें यह पता करने की कोशिश में जुट गईं कि गौरव का किसी से विवाद या दुश्मनी तो नहीं थी. लेकिन ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली. गौरव और उस से जुड़े लोगों के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर ले लिया गया था. पुलिस की टीमें लगातार एकएक नंबर की डिटेल्स खंगाल रही थीं. गौरव के फोन की लोकेशन संतकबीर नगर के खलीलाबाद में भी मिली थी. पुलिस की एक टीम बहराइच तो 2 टीमें खलीलाबाद व गोरखपुर रवाना कर दी गईं. खुद इंसपेक्टर सुधीर सिंह एक पुलिस टीम ले कर दिल्ली रवाना हो गए.

20 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने सर्विलांस टीम की मदद से उस इलाके में छानबीन शुरू कर दी, जहां गौरव के फोन की लोकेशन थी. लेकिन अब उस का फोन बंद हो चुका था इसलिए इंसपेक्टर सुधीर सिंह को सही जगह तक पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली. इस दौरान गोंडा में मौजूद गौरव के पिता डा. निखिल हलधर को अपहर्त्ता ने एक और फोन कर दिया था. उस ने अब फिरौती की रकम बढ़ा कर 80 लाख कर दी थी और चेतावनी दी थी कि अगर 22 जनवरी तक रकम का इंतजाम नहीं किया गया तो गौरव की हत्या कर दी जाएगी.

दूसरी तरफ जब गोंडा एसपी शैलेश पांडे को पता चला कि दिल्ली पहुंची पुलिस टीम को बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिल रही है तो उन की चिंता बढ़ गई. अंतत: उन्होंने एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश को लखनऊ फोन कर के गौरव अपहरण कांड की सारी जानकारी दी और इस काम में एसटीएफ की मदद मांगी. अमिताभ यश ने एसपी शैलेश पांडे से कहा कि वे अपनी टीम को नोएडा में एसटीएफ के औफिस भेज दें. एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण गोंडा पुलिस की पूरी मदद करेंगे.

पांडे ने दिल्ली में मौजूद इंसपेक्टर सुधीर सिंह को एसटीएफ के एसपी कुलदीप नारायण से बात कर के उन के पास पहुंचने की हिदायत दी तो दूसरी तरफ एडीजी अमिताभ यश ने नोएडा फोन कर के एसपी कुलदीप नारायण सिंह को गौरव हलधर अपहरण केस की जानकारी दे कर गोंडा पुलिस की मदद करने के निर्देश दिए. यह बात 20 जनवरी की दोपहर की थी. गोंडा कोतवाली के इंसपेक्टर सुधीर सिंह नोएडा में एसटीएफ औफिस पहुंच कर एसपी एसटीएफ कुलदीप नारायण सिंह तथा डीएसपी विनोद सिरोही से मिले.

विनोद सिरोही बेहद सुलझे हुए अधिकारी हैं. उन्होंने अपनी सूझबूझ से कितने ही अपहरण करने वालों और गैंगस्टरों को पकड़ा है. उन्होंने उसी समय अपहर्त्ताओं को दबोचने के लिए इंसपेक्टर सौरभ विक्रम सिंह, एसआई राकेश कुमार सिंह तथा ब्रह्म प्रकाश के साथ एक टीम का गठन कर दिया. काल डिटेल्स से मिले सुराग अपराधियों तक पहुंचने का सब से बड़ा हथियार इन दिनों इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस है. एसटीएफ की टीम ने उसी समय गौरव के फोन की सर्विलांस के साथ उस की सीडीआर खंगालने का काम शुरू कर दिया. गौरव के फोन की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक ऐसा नंबर मिला, जिस में उस के फोन पर कुछ दिनों से एक नए नंबर से न सिर्फ काल की जा रही थी, बल्कि यह नंबर गौरव की कौन्टैक्ट लिस्ट में ‘माई लव’ के नाम से सेव था.

दोनों नंबरों पर 5 से 18 जनवरी तक 40 बार बात हुई थी और हर काल का औसत समय 10 से 40 मिनट था. इस नंबर से गौरव के वाट्सऐप पर अनेकों काल, फोटो, वीडियो का भी आदानप्रदान हुआ था. इस नंबर के बारे में जानकारी एकत्र की गई तो यह नंबर दिल्ली के एक पते पर पंजीकृत पाया गया. लेकिन जब पुलिस की टीम उस पते पर पहुंची तो पता फरजी निकला. जब इस नंबर की लोकेशन खंगाली गई तो पुलिस टीम यह जान कर हैरान रह गई कि 18 जनवरी की दोपहर से शाम तक इस नंबर की लोकेशन गोंडा में हर उस जगह थी, जहां गौरव के मोबाइल की लोकेशन थी.

पुलिस टीम समझ गई कि जिस के पास भी यह नंबर है, उसी ने गौरव का अपहरण किया है. पुलिस टीमों ने इसी नंबर की सीडीआर खंगालनी शुरू कर दी. पता चला कि यह नंबर करीब एक महीना पहले ही एक्टिव हुआ था और इस से बमुश्किल 4 या 5 नंबरों पर ही फोन काल्स की गई थीं या वाट्सऐप मैसेज आएगए थे.   एसटीएफ के पास ऐसे तमाम संसाधन और नेटवर्क होते हैं, जिन से वह इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस के माध्यम से अपराधियों की सटीक जानकारी एकत्र करने के साथ उन की लोकेशन का भी सुराग लगा लेती है. एसटीएफ ने रात भर मेहनत की. जो भी फोन नंबर इस फोन के संपर्क में थे, उन सभी की कडि़यां जोड़ कर उन की मूवमेंट पर नजर रखी जाने लगी.

रात होतेहोते यह बात साफ हो गई कि अपहर्त्ता नोएडा इलाके में मूवमेंट करने वाले हैं. वे अपहृत गौरव को छिपाने के लिए दिल्ली से किसी दूसरे ठिकाने पर शिफ्ट करना चाहते हैं. बस इस के बाद सर्विलांस टीमों ने अपराधियों की सटीक लोकेशन तक पहुंचने का काम शुरू कर दिया और गोंडा पुलिस के साथ एसटीएफ की टीम ने औपरेशन की तैयारी शुरू कर दी. 21 जनवरी की देर रात गोंडा पुलिस व एसटीएफ की टीमों ने ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे जीरो पौइंट के पास अपना जाल बिछा दिया. पुलिस टीमें आनेजाने वाले हर वाहन पर कड़ी नजर रख रही थीं. किसी वाहन पर जरा भी संदेह होता तो उसे रोक कर तलाशी ली जाती. इसी बीच एक सफेद रंग की स्विफ्ट डिजायर कार पुलिस की चैकिंग देख कर दूर ही रुक गई.

उस गाड़ी ने जैसे ही रुकने के बाद बैक गियर डाल कर पीछे हटना और यूटर्न लेना शुरू किया तो पुलिस टीम को शक हो गया. एसटीएफ की टीम एक गाड़ी में पहले से तैयार थी. पुलिस की गाड़ी उस कार का पीछा करने लगी जो यूटर्न ले कर तेजी से वापस दौड़ने लगी थी. देखते ही पहचान लिया गौरव को मुश्किल से एक किलोमीटर तक दौड़भाग होती रही. आखिरकार नालेज पार्क थाना क्षेत्र में एसटीएफ की टीम ने डिजायर कार को ओवरटेक कर के रुकने पर मजबूर कर दिया. खुद को फंसा देख कार में सवार 3 लोग तेजी से उतरे और अलगअलग दिशाओं में भागने लगे. एसटीएफ को ऐसे अपराधियों को पकड़ने का तजुर्बा होता है. पीछा करते हुए एसटीएफ तथा गोंडा पुलिस की दूसरी टीम भी वहां पहुंच चुकी थी.

पुलिस टीमों ने जैसे ही हवाई फायर किए, कार से उतर कर भागे तीनों लोगों के कदम वहीं ठिठक गए. पुलिस टीमों ने तीनों को दबोच लिया. उन्हें दबोचने के बाद जब पुलिस टीमों ने स्विफ्ट डिजायर कार की तलाशी ली तो एक युवक कार की पिछली सीट पर बेहोशी की हालत में पड़ा था. इंसपेक्टर सुधीर सिंह युवक की फोटो को इतनी बार देख चुके थे कि बेहोश होने के बावजूद उन्होेंने उसे पहचान लिया. वह गौरव ही था. पुलिस टीमों की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि अभियान सफल हो गया था. पुलिस टीमें तीनों युवकों के साथ गौरव व कार को ले कर एसटीएफ औफिस आ गईं.

इंसपेक्टर सुधीर सिंह ने गौरव के पिता डा. निखिल व एसपी गोंडा शैलेश पांडे को गौरव की रिहाई की सूचना दे दी. वे भी तत्काल नोएडा के लिए रवाना हो गए. गौरव के अपहरण में पुलिस ने जिन 3 लोगों को गिरफ्तार किया था, उन में से एक की पहचान डा. अभिषेक सिंह निवासी अचलपुर वजीरगंज, जिला गोंडा के रूप में हुई. वही इस गिरोह का सरगना था और फिलहाल बाहरी दिल्ली के बक्करवाला में डीडीए के ग्लोरिया अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 310 में किराए पर रहता था. डा. अभिषेक सिंह पेशे से चिकित्सक था और नांगलोई-नजफगढ़ रोड पर स्थित राठी अस्पताल में काम करता था.

उस के साथ पुलिस ने जिन 2 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया, उन में नीतेश निवासी थाना निहारगंज, धौलपुर, राजस्थान तथा मोहित निवासी परौली, थाना करनलगंज गोंडा शामिल थे. जब उन तीनों से पूछताछ की गई, तो अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी.  डा. अभिषेक सिंह ने गौरव का अपहरण करने के लिए हनीट्रैप का इस्तेमाल किया था. यानी गौरव को पहले एक खूबसूरत लड़की के जाल में फंसाया गया था. जब गौरव खूबसूरती के जाल में फंस गया तो उस का फिरौती वसूलने के लिए अपहरण कर लिया गया.

मूलरूप से गोंडा के अचलपुर का रहने वाला डा. अभिषेक सिंह 2013-2014 में बेंगलुरु के राजीव गांधी यूनिवर्सिटी औफ हेल्थ साइंस से बीएएमएस की पढ़ाई करने के बाद जब अपने शहर लौटा तो उस के दिल में बड़े अरमान थे. डाक्टरी के पेशे से बहुत सारी कमाई करने और बड़ा सा बंगला बनाने के सपने देखे थे. लेकिन कुछ समय बाद ही ये सपने चकनाचूर होने लगे. अच्छी नौकरी नहीं मिली तो बन गया अपराधीउसे गोंडा के किसी भी अस्पताल में ऐसी नौकरी नहीं मिली, जिस से अच्छे से गुजरबसर हो सके. छोटेछोटे अस्पतालों में नौकरी करने के बाद तंग आ कर डा. अभिषेक 2018 में दिल्ली आ गया. यहां कई अस्पतालों में नौकरी करने के बाद वह सन 2019 में नजफगढ़ के राठी अस्पताल में नौकरी करने लगा.

हालांकि इस अस्पताल में उसे पहले के मुकाबले तो अच्छी तनख्वाह मिलती थी, लेकिन इस के बावजूद वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं था. इसी दौरान डा. अभिषेक की दोस्ती उसी अस्पताल में काम करने वाली एक लेडी डाक्टर प्रीति मेहरा से हो गई. प्रीति भी बीएएमएस डाक्टर थी. खूबसूरत और जवान प्रीति प्रतिभाशाली थी. उस के दिल में भी अपना अस्पताल बनाने की महत्त्वाकांक्षा पल रही थी. लेकिन इस सपने को पूरा करने में समर्थ नहीं होने के कारण अक्सर मानसिक परेशानी से घिरी रहती थी. जब अभिषेक से उस की दोस्ती हुई तो लगा कि वे दोनों एक ही मंजिल के मुसाफिर हैं. दोनों की दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई.

दोनों के सपने भी एक जैसे थे, लाचारी भी एक जैसी थी. लेकिन सपनों को पूरा करने की धुन दोनों पर सवार थी. पिछली दीपावली पर नवंबर, 2019 में जब अभिषेक अपने घर गोंडा गया तो उस की मुलाकात अपनी बुआ के बेटे रोहित से हुई. बुआ की शादी बहराइच के पयागपुर इलाके में हुई थी. रोहित भी पयागपुर में ही रहता था. रोहित की जानपहचान मोहित सिंह से भी थी. मोहित सिंह गोंडा में रहने वाले अभिषेक के दोस्त राकेश सिंह का साला था. मोहित दिल्ली के करोलबाग की एक दुकान में काम करता है. रोहित भी मोहित को जानता है. रोहित व मोहित दोनों की जानपहचान एससीपीएम कालेज गोंडा से आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे गौरव हलधर से थी.

दोनों ही गौरव के अलावा उस के परिवार के बारे में भी अच्छी तरह से जानते थे. अभिषेक जब दीपावली पर अपने घर गया तो पयागपुर से बुआ का बेटा रोहित उस के घर आया हुआ था. रोहित के सामने अभिषेक का दर्द छलक गया. शराब पीने के बाद उस ने रोहित से यहां तक कह दिया कि अगर उसे चोरी, डाका या किसी का अपहरण भी करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा. अभिषेक की बात सुनते ही रोहित का माथा ठनक गया. पहले तो उस ने अभिषेक को समझाना चाहा. लेकिन अभिषेक नहीं माना और बोला भाई बस तू एक बार किसी ऐसे शिकार के बारे में बता दे, जिस से मेरा सपना पूरा करने के लिए रकम मिल सकती हो.

अभिषेक नहीं माना तो रोहित ने उसे गौरव हलधर के बारे में बताया और उस के पूरे परिवार की जानकारी भी दे दी. रोहित ने अभिषेक को बताया कि डा. निखिल हलधर का बेटा गौरव गोंडा में ही फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रहा है. अगर किसी तरीके से उस का अपहरण कर लिया जाए तो फिरौती के रूप में बड़ी रकम मिल सकती है. डा. अभिषेक ने जब डा. प्रीति मेहरा को गौरव का अपहरण करने की अपनी योजना के बारे में बताया तो उस ने नाराजगी नहीं जताई बल्कि खुश हुई और उस ने ही अपनी तरफ से सुझाव दिया कि गौरव का अपहरण करने में वह खुद उस की मदद करेगी.

प्रीति ने अभिषेक को बताया कि एक जवान लड़के का अगर अपहरण करना हो तो किसी जवान लड़की को उस के सामने चारा बना कर डाल दो, वह खुदबखुद उस जाल में फंस जाएगा. अभिषेक से उस ने गौरव का नंबर देने के लिए कहा तो अभिषेक ने उसे रोहित से गौरव का नंबर ले कर दे दिया. इस के बाद डा. प्रीति मेहरा ने एक रौंग नंबर के बहाने गौरव को काल कर बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. पहली ही बार में बात करने के बाद गौरव उस के जाल में फंस गया और दोनों का एकदूसरे से परिचय कुछ ऐसा हुआ कि उस दिन के बाद वे दोनों एकदूसरे से बात करने लगे.

प्रीति मेहरा वीडियो काल के जरिए जब गौरव से बात करती तो कई बार गौरव को अपने नाजुक अंग दिखा कर अपने लिए उसे बेचैन कर देती. दरअसल, साजिश के इस मुकाम तक पहुंचने से पहले डा. अभिषेक ने इसे अंजाम देने के लिए कुछ लोगों को भी अपने साथ जोड़ लिया था. करोलबाग में कपड़े की दुकान पर काम करने वाले मोहित को जब अभिषेक ने गौरव का अपहरण करने की योजना बताई और उस से मदद मांगी तो मोहित ने अभिषेक को अपने एक दोस्त  नितेश से मिलवाया. दरअसल, नितेश व मोहित एक ही जिम में व्यायाम करने के लिए जाते थे. इसीलिए दोनों के बीच दोस्ती थी. नितेश इंश्योरेंस कराने का काम करता था.

इंश्योरेंस के साथ वह लोगों के बैंक में खाते खुलवाने से ले कर उन्हें लोन दिलाने का काम करता था. इसीलिए फरजी आईडी से ले कर जाली आधार कार्ड व पैन कार्ड बनाने में उसे महारथ हासिल थी. मोहित ने उसे मोटी रकम मिलने का सब्जबाग दिखा कर अपहरण की इस वारदात में अपने साथ मिला लिया. इस के बाद नितेश ने 3 आईडी तैयार कीं और उन्हीं आईडी के आधार पर उस ने 3 सिमकार्ड खरीदे. फरजी आईडी से खरीदे गए तीनों सिम कार्ड डा. प्रीति मेहरा, डा. अभिषेक व मोहित ने अपने पास रख लिए. डा. प्रीति ने तो अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल गौरव हलधर से दोस्ती करने के लिए शुरू कर दिया. लेकिन अभिषेक व मोहित ने अपहरण करने से चंद रोज पहले ही अपने सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था.

प्रीति मेहरा ने गौरव को अपने प्रेमजाल में इस तरह फंसा लिया कि वह उस के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार था. जब सब ने यह देख लिया कि शिकार जाल में फंसने का तैयार है तो प्रीति ने गौरव को वाट्सऐप मैसेज दिया कि वह 18 जनवरी को उस से मिलने गोंडा आ रही है. रोहित भी उस समय दिल्ली आया हुआ था. दिल्ली से स्विफ्ट डिजायर कार ले कर डा. अभिषेक, डा. प्रीति मेहरा, मोहित, रोहित व नितेश गोंडा पहुंच गए. गोंडा पहुंचने से पहले रोहित बहराइच में ही उतर गया. इधर गोंडा पहुंच कर डा. प्रीति ने एक राहगीर से किसी बहाने फोन ले कर गौरव को मिलने के लिए फोन किया और उस के कालेज से एक किलोमीटर दूर एक जगह पर बुलाया.

प्रीति मेहरा का रंगीन वार प्रीति के मोहपाश में फंसा गौरव वहां चला आया. गौरव को प्रीति ने अपने साथ कार में बैठा लिया, जहां बैठे बाकी अन्य लोगों ने उसे दबोच कर नशे का इंजेक्शन दे दिया. इस के बाद वे गोंडा से चल दिए. उन की योजना गौरव को संतकबीर नगर के खलीलाबाद में रहने वाले सतीश के घर पर छिपाने की थी. वे वहां पहुंच भी गए, लेकिन बाद में इरादा बदल दिया और कुछ ही देर में कार से दिल्ली के लिए रवाना हो गए. 18 जनवरी की रात को ही दिल्ली पहुंच गए. रास्ते में गाजियाबाद के पास उन्होंने गौरव के फोन से गौरव के पिता निखिल को फिरौती के लिए पहला फोन कर 70 लाख की फिरौती की मांग की.

इसके बाद उन्होंने गौरव को अभिषेक के बक्करवाला स्थित डीडीए फ्लैट में छिपा दिया. नितेश या मोहित उसे खाना देने जाते थे और डा. अभिषेक व प्रीति उसे लगातार नशे के इंजेक्शन देते थे ताकि वह होश में आ कर शोर न मचा दे. उन लोगों ने कई बार गौरव के साथ मारपीट भी की. इधर रोहित ने जब गोंडा व बहराइच में गौरव के अपहरण कांड को ले कर छप रही खबरों के बारे में अभिषेक को बताया कि पुलिस की एक टीम दिल्ली में गौरव की तलाश कर रही है तो अभिषेक ने गौरव को अपने फ्लैट से कहीं दूसरी जगह रखने की योजना बनाई.

इसीलिए डा. अभिषेक मोहित व नितेश के साथ 21 जनवरी की रात को गौरव को बेहोशी का इंजेक्शन दे कर उसे कार से ले कर ग्रेटर नोएडा जा रहा था, तभी पुलिस ने सर्विलांस के जरिए उन की लोकेशन का पता लगा कर उन्हें दबोच लिया. नितेश के पिता व गोंडा पुलिस के नोएडा पहुंचने के बाद एसटीएफ ने उन्हें  गोंडा पुलिस के हवाले कर दिया. इधर पुलिस को जब इस में रोहित व सतीश नाम के 2 और लोगों के शामिल होने की खबर लगी तो गोंडा पुलिस की टीम ने दबिश दे कर उसी रात रोहित व सतीश को भी गिरफ्तार कर लिया.

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम की खबर पा कर डा. प्रीति फरार हो चुकी थी. उस की तलाश में एसटीएफ और गोंडा पुलिस ने कई जगह छापे मारे, लेकिन वह पुलिस की पकड़ में नहीं आई. गोंडा पुलिस ने प्रीति की गिरफ्तारी पर 25 हजार के इनाम की घोषणा की थी. जिस के बाद गोंडा पुलिस ने 1 फरवरी को प्रीति को उस के गांव धौर जिला झज्जर, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. मूलरूप से हरियाणा की प्रीति मेहरा वर्तमान में दिल्ली के प्रेमनगर में रहती थी. फिलहाल सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं. कैसी विडंबना है कि सालों की मेहनत के बाद डाक्टर बनने वाले अभिषेक व प्रीति अपने अधूरे ख्वाब को पूरा करने के लिए शार्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए.

डीजीपी ने फिरौती के लिए हुए अपहरण कांड का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली गोंडा पुलिस की टीम को पुरस्कृत करने की घोषणा की है.

—कथा पुलिस की जांच, पीडि़त व अभियुक्तों के बयान पर आधारित

 

Agra News : अवैध संबंध का खौफनाक अंजाम – प्रेमी से करवाया पति का मफलर से गला घोंटकर कत्ल

Agra News : कमाऊ पति प्रमोद को छोड़ कर शिखा ने 5 बच्चों के पिता अतिराज से शादी कर ली. इसी दौरान अतिराज का दिल एक दूसरी औरत से लग गया. शिखा भी कम नहीं थी. उस ने पड़ोसी युवक ऋषिकेश को फांस लिया. बिस्तर की तरह औरत बदलने का परिणाम यह निकला कि…

ताज नगरी आगरा की तहसील बाह का एक थाना है बासौनी. इसी थाने के गांव लखनपुरा के बाहर स्थित घूरे पर मायाराम की 15 वर्षीय बेटी स्नेहा सुबह करीब 7 बजे कूड़ा डालने आई  थी.  अचानक उस की नजर कुछ दूरी पर खेत के किनारे कंटीले तारों के पास संदिग्ध अवस्था में पड़े एक व्यक्ति पर गई. वह उसे देखते ही पहचान गई. वह उसी के गांव का अतिराज सिंह था. स्नेहा ने वहां से लौट कर इस की जानकारी अतिराज की पत्नी शिखा के साथ ही गांव वालों को दी. जानकारी मिलते ही वहां अतिराज के घर वाले पहुंच गए. अतिराज को गांव वालों ने हिलायाडुलाया लेकिन वह मर चुका था. घटना की जानकारी होते ही गांव में हड़कंप मच गया. बड़ी संख्या में गांव वालों की भीड़ जुट गई. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. यह बात 4 जनवरी, 2021 की है.

घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर थानाप्रभारी दीपकचंद्र दीक्षित अपनी टीम के साथ पहुंच गए. 42 वर्षीय मृतक अतिराज सिंह बघेल किसान था. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. इस पर एसपी (पूर्वी) अशोक वैंकट, सीओ (बाह) प्रदीप कुमार फोरैंसिक टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. मृतक के गले व सीने पर चोट के निशान दिखाई दे रहे थे. इस से अनुमान लगाया गया कि युवक की हत्या गला दबा कर की गई है. वहीं फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए. शव के पास ही पुलिस को शराब का एक खाली पव्वा भी मिला. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव मोर्चरी भिजवा दिया.

तब तक मृतक के बेटे नोएडा से आ गए थे. बड़े बेटे विक्रम सिंह बघेल ने पुलिस को बताया कि पिताजी रात को खेत की रखवाली को गए थे. सुबह उन की लाश दूसरे खेत में मिली. उस ने बताया कि हमारी रंजिश गांव की राधा देवी व उस के देवर फौरन सिंह से चल रही है. उन्होंने एक साल पहले पिताजी को हत्या की धमकी दी थी. उन्होंने ही पिताजी की हत्या की है. पति की हत्या की जानकारी मिलते ही पत्नी शिखा का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस का खोजी कुत्ता भी राधा के घर वाली गली तक जा कर रुक गया था. राधा का परिवार घर पर न मिलने से पुलिस का शक गहरा गया.

इस संबंध में विक्रम बघेल ने 38 वर्षीय विधवा राधा देवी, उस के देवर फौरन सिंह तथा राधा देवी के भाई सोहन (काल्पनिक) निवासी दिमनी, मुरैना, मध्य प्रदेश के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. एसएसपी (आगरा) बबलू कुमार ने इस घटना के शीघ्र परदाफाश के लिए एसपी (पूर्वी) अशोक वैंकट, सीओ प्रदीप कुमार व थानाप्रभारी बासौनी की टीम गठित कर आवश्यक दिशानिर्देश दिए. ग्रामीणों से पुलिस ने इस संबंध में पूछताछ की. जानकारी में आया कि मृतक अतिराज की राधा देवी से दोस्ती थी. राधा के पति करन सिंह की मौत हो चुकी थी. करन सिंह और अतिराज दोनों मित्र थे. इस के चलते राधा और अतिराज के बीच प्रेमसंबंध हो गए. राधा के घर वाले इस का विरोध करते थे. इसी के चलते उस पर हत्या का शक गया.

पुलिस ने राधा, उस के देवर फौरन सिंह व भाई सोहन को हिरासत में ले लिया. पुलिस तीनों को ले कर थाने आई. यहां पर तीनों से इस संबंध में गहनता से पूछताछ की गई. लेकिन तीनों ने अपने को निर्दोष बताया. जांच में भी अतिराज की हत्या में उन की कोई भूमिका नहीं दिखाई दी. इस बीच पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या करना बताया गया था. इस दौरान पुलिस को पता चला कि अतिराज की हत्या में उस की दूसरी पत्नी शिखा व उस के प्रेमी का हाथ है. इस के बाद पुलिस ने अभियोग में भादंवि की धारा 120बी की बढ़ोत्तरी कर दी. सही खुलासे के लिए जांच में जुटी पुलिस टीम ने सर्विलांस सैल की भी मदद ली.

पुलिस ने 7 जनवरी, 2021 को अतिराज की दूसरी पत्नी शिखा, उस के प्रेमी ऋषिकेश तथा प्रेमी के दोस्त सुशील उर्फ भूरा को गांव से गिरफ्तार कर लिया. ऋषिकेश का घर लखनपुरा में शिखा के घर के पास ही है, जबकि सुशील बाह के गांव खोडन का निवासी है तथा वर्तमान में पश्चिमी दिल्ली के थाना निहाल विहार के गांव निलौठी में रहता है. हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने वाली टीम में थानाप्रभारी दीपकचंद्र दीक्षित, एसआई सुमित कुमार, हैडकांस्टेबल सुनील कुमार,गजेंद्र सिंह, अमित कुमार, कांस्टेबल सूरज कुमार, रनवीर सिंह, कपिल कुमार, महिला कांस्टेबल ज्योति व शांति सिंह शामिल थीं.

तीनों हत्यारोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. मृतक के बेटे ने जिन 3 लोगों को रिपोर्ट में नामजद किया था, वे जांच में निर्दोष पाए गए. इस तरह 3 निर्दोष जेल जाने से बच गए. हकीकत यह थी कि अतिराज की हत्या दूसरी पत्नी ने अपने पड़ोसी युवक से प्रेमसंबंधों के चलते की थी. एसएसपी बबलू कुमार ने प्रैस कौन्फ्रैंस में हत्याकांड का खुलासा करते हुए वास्तविक हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. इस सनसनीखेज हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली निकली—

शिखा विश्वकर्मा कानपुर देहात की रहने वाली थी. उस की पहली शादी सन 2002 में औरैया जिले के गांव सराय निवासी प्रमोद विश्वकर्मा के साथ हुई थी. प्रमोद से शिखा के 3 बेटे हुए, इन में रोहित, मोहित व निक्की शामिल हैं. शिखा का पति प्रमोद पंजाब में स्थित एक सरिया मिल में काम करता था. एक दिन शिखा पति को फोन लगा रही थी कि गलती से उस का रौंग नंबर अतिराज को लग गया. दूसरी ओर से अंजान व्यक्ति की आवाज सुनते ही शिखा ने फोन काट दिया. रौंग नंबर लगने के बाद अतिराज ने उसे काल बैक किया. शिखा ने कहा, गलती से आप का नंबर लग गया था. अतिराज ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं, क्या मैं जान सकता हूं कि आप कहां रहती हैं और क्या करती हैं?’’

इस पर शिखा ने कहा, ‘‘हम तो कानपुर (देहात) में रहते हैं. पति पंजाब में काम करते हैं.’’ फिर दोनों ने एकदूसरे के बारे में जानकारी की. धीरेधीरे बातों का सिलसिला आगे बढ़ता गया. बाद में हाल यह हो गया कि दोनों दिन में जब तक कई बार बात नहीं कर लेते, दोनों को चैन नहीं मिलता था. अतिराज ने उसे बताया, ‘‘मेरी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है. अब मुझ से अकेला नहीं रहा जाता.’’

पति के पंजाब में काम करने से शिखा भी अकेली हो गई थी. दोनों के दिलों में धधक रही प्यार की आग की गरमी बढ़ती जा रही थी. दिल में लगी आग जब बुझाए नहीं बुझी तब सन 2010 में शिखा ने भाग कर अतिराज से कोर्टमैरिज कर ली. अतिराज सिंह की पहली पत्नी से 5 बच्चे थे. दोनों बेटियों की शादी हो चुकी थी. तीनों बेटे नोएडा में टेंट आदि का काम करते थे. शिखा से दूसरी शादी करने के बाद दोनों पतिपत्नी गांव में ही रहने लगे. सन 2012 में शिखा और अतिराज के घर एक बेटी अंशिका पैदा हुई. इस बीच अतिराज के गांव की 38 वर्षीय एक विधवा राधा देवी से अवैध संबंध हो गए. जब राधा से प्रेमसंबंधों की जानकारी शिखा को हुई तो उस ने इस का विरोध किया.

वह पति को राधा से संबंध तोड़ने की कहती तो वह उस के साथ मारपीट करता. खर्चे के लिए रुपए भी नहीं देता था. इस से शिखा परेशान रहने लगी. घटना से करीब एक साल पहले शिखा की पड़ोस में ही रहने वाले 32 वर्षीय ऋषिकेश से नजरें टकरा गईं. इस के बाद रोज ही शिखा उसे अपने घर से टकटकी लगाए देखती रहती थी. इस का आभास ऋषिकेश को भी हो गया. पति की बेरुखी के चलते उस का झुकाव ऋषिकेश की तरफ होने लगा. लेकिन समाज के डर से वह उस से बात नहीं कर पाती थी. इस पर ऋषिकेश ने एक छोटा मोबाइल फोन ला कर उसे दे दिया. अब पति के काम पर चले जाने के बाद शिखा ऋषिकेश को फोन मिला लेती.

दोनों मोबाइल पर बातें करते और एकदूसरे से बातें करते और अपने दिल का हाल बताते. बात करने के बाद शिखा मोबाइल को स्विच औफ कर एक पाइप में छिपा देती थी. ऋषिकेश अतिराज का पड़ोसी था. अतिराज शराब पीने का आदी था. ऋषिकेश के साथ भी उस की दिल्ली से आने पर शराब पार्टी हो जाती थी. ऋषिकेश दिल्ली में ऊबर कंपनी में टैक्सी चलाता था. शिखा और ऋषिकेश में घटना से एक साल पहले से प्रेम संबंध चल रहे थे. शिखा फोन पर अपने प्रेमी ऋषि को बताती थी कि उस का पति अतिराज शराब पी कर घर आता है और मारपीट करता है. इस बात पर ऋषिकेश ने कहा कि वह उसे दिल्ली ले जाएगा.

तब शिखा ने कहा, पहले रास्ता साफ करो तब तुम्हारे साथ दिल्ली चल कर रहूंगी, क्योंकि अतिराज के जिंदा रहते मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. वह मुझे ढूंढ कर मार डालेगा. शिखा की इस बात पर ऋषिकेश सोच में पड़ गया. उस ने अपने दूर के रिश्ते की मौसी के बेटे सुशील उर्फ भूरा से संपर्क किया, उसे सारी बात बताई और लखनपुरा के अतिराज की हत्या करने की बात की. सुशील हत्या के लिए तैयार हो गया, उस ने इस की एवज में 50 हजार रुपए की मांग की. ऋषिकेश ने शिखा के दिल्ली आने पर उस के जेवर बेच कर देने की बात कही. सुशील के राजी हो जाने के बाद 2 जनवरी, 2021 की रात को वैगनआर कार से दोनों 3 जनवरी की सुबह लखनपुरा पहुंच गए. दोपहर में अतिराज को फोन कर उस के घर पहुंच गए. शिखा व अतिराज घर पर मिले.

दोस्त के घर आने पर उस ने शिखा से दाल, रोटी बनवाई. उसी समय अतिराज किसी काम से चला गया. तब तीनों में अतिराज को मारने की योजना बनी. दोपहर डेढ़ बजे जब अतिराज घर आया उसे ऋषिकेश और सुशील शराब पीने के लिए वैगनआर कार से जरार ले गए. गाड़ी में शराब पहले से ही रखी थी. सभी ने गाड़ी में शराब पी. अतिराज को ज्यादा शराब पिलाई. इस के बाद बाह में माधव सिंह के ढाबे पर पहुंचे, जहां तीनों ने चिकन खाया. शाम को ढाबे से सभी लोग गांव के लिए वापस चल दिए. ऋषिकेश ने अपनी बगल वाली सीट पर आगे अतिराज को बैठाया. पीछे की सीट पर सुशील बैठ गया. अतिराज को मारने के लिए गाड़ी को आगरा-बाह रोड पर गुगावली जाने वाले सुनसान मार्ग पर ले गए.

सर्दियों के चलते जल्दी ही अंधेरा घिरने लगा था. अतिराज शराब के नशे में बेसुध था. दोनों को इसी का इंतजार था. इस बीच ऋषिकेश और शिखा की मोबाइल पर कई बार बात हुई. शिखा ने कहा, नशा रहते उसे जल्दी मार दो, होश में आने के बाद उसे नहीं मार पाओगे. लेकिन जब वे लोग आगे नहर के किनारे चल कर खेतों की तरफ पहुंचे. यहां गांव वाले खेतों की रखवाली कर रहे थे. इसलिए गाड़ी नहीं रोकी. आगे चल कर खिल्ला पड़कौली पहुंचे तथा गांव लखनपुरा की तरफ कार मोड़ दी. तब तक रात के 9 बज गए थे. रास्ते में अच्छा मौका देख कर गाड़ी रोक ली. ऋषिकेश के इशारे पर सुशील ने सीट बेल्ट जो पहले से ही काट ली थी, का फंदा अतिराज के गले में डाल कर गला दबा कर जान से मारने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

तब सुशील ने अपने मफलर का फंदा उस के गले में डाल दिया और दोनों ने एकएक सिरा खींच कर अतिराज की हत्या कर दी. हत्या के बाद लाश पीछे की सीटों के बीच लिटा दी. इस के बाद षडयंत्र के तहत अतिराज के मोबाइल से उस की प्रेमिका राधा के मोबाइल पर काल की थी. उधर से राधा हैलोहैलो करती रही, लेकिन हत्यारों ने कोई जवाब नहीं दिया. अतिराज के मोबाइल से काल राधा को फंसाने के लिए की गई थी. अतिराज की हत्या के बाद लाश को गाड़ी में ही ले कर दोनों लखनपुरा अतिराज के घर के पास पहुंचे. गाड़ी कुछ दूरी पर खड़ी कर तथा सुशील को गाड़ी में ही बैठा कर ऋषिकेश रात में ही शिखा के घर पहुंचा. उस समय उस की बेटी अंशिका सोई हुई थी. ऋषिकेश ने पूरी जानकारी शिखा को दी.

दोनों ने लाश ठिकाने लगाने के लिए आपस में बातचीत की. ऋषिकेश ने कहा, तुम कहो तो अतिराज की लाश चंबल नदी में फेंक दें, मगरमच्छ खा जाएंगे. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. इस पर शिखा ने कहा, नहीं लाश को राधा के घर की तरफ गांव के किनारे फेंक दो. सभी का शक उसी पर जाएगा. रास्ते के रोड़े को हटाने की खुशी का जश्न दोनों ने रात में ही अपने शरीर की भूख मिटा कर मनाया. जश्न के बाद ऋषिकेश कार ले कर गांव से करीब 100 मीटर दूर पहुंचा. दोनों ने महेश भदौरिया के खेत के बीच कूड़े के ढेर के पास अतिराज की लाश लिटा दी और उस के पास शराब का एक खाली पव्वा भी रख दिया. इस के बाद दोनों कार से दिल्ली निकल गए.

ऋषिकेश व सुशील अतिराज के परिवार वालों के बुलाने व पड़ोसी होने के नाते कार द्वारा दिल्ली से गांव आ गए थे. ऋषिकेश ने आगरा-बाह रोड पर हनुमान नगर के पास अपनी रिश्तेदारी में कार खड़ी की और दोनों गांव पहुंच गए. उन्होंने अतिराज की मौत पर दुख जताते हुए उस के घर वालों को सांत्वना भी दी. पुलिस ने हत्यारों की निशानदेही पर आलाकत्ल मफलर, शीट बेल्ट, वैगनआर कार तथा शिखा, ऋषिकेश व अतिराज के मोबाइल फोन बरामद कर लिए. पुलिस ने हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया. घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को एसएसपी बबलू कुमार ने ईनाम के साथ प्रशस्ति पत्र देने की घोषणा की.

कहते हैं कि दूसरी औरत से शादी कर लो, लेकिन दूसरे की औरत से नहीं. अतिराज ने दूसरे की औरत से शादी कर के जो भूल की उसे उस का परिणाम अपनी जान दे कर भुगतना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित