Short love Story in Hindi : हर दिन के झगड़े बने मौत की वजह – प्रेमिका की ले ली जान

Short love Story in Hindi : वैलेंटाइन डे यानी 14 फरवरी, 2023 का दिन था. नालासोपारा इलाके में भी इस समय अच्छीखासी चहलपहल थी. लोग रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थे. शाम के समय वहां के निवासियों को सीता सदन बिल्डिंग से बदबू आती हुई महसूस हुई तो किसी अनहोनी की आशंका से उन्होंने इस की सूचना इलाके के तुलिंज थाने में फोन कर के दे दी. यह सूचना सुन कर पुलिस सीता सदन बिल्डिंग की तरफ निकलने की तैयारी करने लगी. इसी दौरान कर्नाटक से एक महिला ने इसी थाने में फोन कर के सूचना दी कि सीता सदन में रहने वाली उस की भतीजी मेघा का कत्ल हो गया है. उसे यह बात स्वयं कातिल हार्दिक ने वाट्सऐप पर मैसेज कर के बताई है.

कुछ देर पहले पुलिस को सीता सदन में ही बदबू आने की काल मिली थी, अब उसी बिल्डिंग में हत्या किए जाने की काल मिलने पर इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर समझ गए कि दोनों ही काल एक ही घटना की हो सकती हैं. इसलिए वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की तरफ निकल गए. जब वह वहां पहुंचे तो देखा कि मुख्य दरवाजे पर ताला लगा था. उन्होंने ताला तुड़वा कर कमरे में प्रवेश किया तो कमरे में एक बैड पड़ा था, जिस के अंदर से भयंकर बदबू आ रही थी. बैड का बौक्स खोला गया तो उस के अंदर सड़ीगली हालत में एक महिला की लाश मिली. लाश की खराब हालत को देख कर ऐसा लगता था जैसे उस की हत्या लगभग 2 से 3 दिन पहले की गई होगी, क्योंकि शव सड़ने लगा था और उस से तेज बदबू बाहर निकल रही थी.

घर के अन्य कमरों की तलाशी लेने पर वहां घरगृहस्थी का कोई अन्य सामान नहीं मिला. लाश की सभी एंगल से फोटोग्राफी करवाने और फिंगरप्रिंट लेने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया गया. इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने पड़ोसियों से घटना के बारे में पूछताछ कर मालूम करने की कोशिश की तो पता चला कि कोई एकाध महीने पहले एक दंपति यहां किराए पर रहने के लिए आया था. पड़ोसियों को इस मकान के अंदर से अकसर उन के लड़ने की भी आवाजें आती थीं, जिस से लगता था उन के आपसी संबंध ठीक नहीं रहे होंगे.

चूंकि पड़ोसियों को उन के व्यक्तिगत मामले से कुछ लेनादेना नहीं था, शायद इसलिए किसी ने उन के पर्सनल मामले में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं समझा था. मृतक मेघा के साथ रहने वाला युवक हार्दिक गायब था. यह देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि इस की हत्या उस के पति हार्दिक ने ही की होगी. क्योंकि उसी ने मेघा की चाची को वाट्सऐप पर मैसेज भेज कर मेघा का कत्ल करने की बात कही थी.

अब पुलिस को पूछताछ के लिए उस युवक की तलाश थी, लेकिन पड़ोसियों में से किसी ने भी उसे फरार होते हुए नहीं देखा था. आखिरकार, मकान मालिक और रियल स्टेट एजेंट को बुला कर इस में रहने वाले युवक के बारे में पूछताछ की गई. इस जांच में केवल इतना पता लगा कि युवक का नाम हार्दिक शाह और महिला का नाम मेघा धन सिंह थोरवी था. लेकिन पूछताछ में सब से अच्छी बात यह हुई कि पुलिस को मकान मालिक से हार्दिक का मोबाइल नंबर मिल गया.

सीता सदन को सील कर इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर की टीम वापस थाने लौट गई. उसी रात यानी 14 फरवरी, 2023 को मेघा की हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया.

मोबाइल फोन से मिला सुराग

मामला दर्ज करने के बाद पुलिस आरोपी हार्दिक की तलाश में जीजान से लग गई. इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने अपनी टीम को घर के आसपास लगे सीसीटीवी की फुटेज खंगालने का आदेश दिया. साथ ही आरोपी हार्दिक के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा कर उस की लोकेशन को ट्रेस करना शुरू किया तो 12 फरवरी को उस के ट्रेन द्वारा मुंबई से राजस्थान के लिए रवाना होने का पता चला. इस वक्त वह ट्रेन में सवार था.

इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने मुंबई के मीरा भायंदर वसई विरार की अपराध शाखा और मध्य प्रदेश के नागदा स्थित आरपीएफ पुलिस को आरोपी के बारे में सूचित कर दिया. आरपीएफ की मदद से हार्दिक को यात्रा के दौरान ही मध्य प्रदेश के नागदा रेलवे स्टेशन से उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वह ट्रेन की बोगी में यात्रा कर रहा था. अपराध शाखा की टीम ने आरोपी हार्दिक को नागदा से ला कर तुलिंज थाने के इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर को सौंप दिया.

इंसपेक्टर शैलेंद्र नगरकर ने हार्दिक से पूछताछ शुरू की तो हार्दिक ने मेघा की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. अपने इकबालिया बयान में आरोपी हार्दिक ने जो कुछ बताया, वह इस प्रकार है— हार्दिक शाह एक मौडर्न खयाल का युवक था. वह मुंबई में मलाड के एक नामचीन हीरा  व्यापारी संपत भाई का बेटा था. घर में दौलत की कमी नहीं थी, इसलिए उस का सारा दिन सैरसपाटे और मौजमस्ती में गुजर जाता था. जैसा कि आमतौर पर देखा गया है कि आजकल लड़के की कोई न कोई गर्लफ्रैंड जरूर होती है. हार्दिक शाह को भी सोशल मीडिया पर चलने वाले विभिन्न ऐप पर नई लड़कियों से दोस्ती कर उन के साथ चैटिंग करने में बड़ा मजा आता था.

बात सन 2018 की है. एक डेटिंग ऐप पर हार्दिक शाह की मुलाकात मेघा धन सिंह तोरवी से हुई. 34 वर्षीया मेघा तोरवी मूलरूप से केरल की निवासी थी, लेकिन इन दिनों नालासोपारा के एक अस्पताल में नर्स की नौकरी करती थी. इन दिनों लड़के हों या लड़कियां, अपने से बड़ी उम्र के पार्टनर के साथ इश्क करने से गुरेज नहीं करते. हार्दिक और मेघा तोरवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. हार्दिक शाह की उम्र 24 साल थी, जबकि मेघा तोरवी 34 की थी. वह हार्दिक से लगभग 10 साल बड़ी थी. लेकिन प्रेमिका के बड़ी उम्र के होने से हार्दिक को कोई परेशानी नहीं थी.

कुछ दिनों तक आपस में चैटिंग करने के बाद उन का मिलनाजुलना शुरू हो गया. धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के इतने करीब आ गए कि उन्हें अब एकदुसरे से दूर रह पाना मुश्किल लगने लगा. आखिरकार उन्होंने लिवइन रिलेशनशिप में रहने का फैसला कर लिया. हार्दिक मलाड स्थित अपने पैतृक घर से दूर आ कर विजय नगर में एक मकान ले कर मेघा के साथ रहने लगा. हार्दिक जैसे मालदार प्रेमी का साथ पा कर मेघा अपने जीवन को धन्य समझने लगी. हार्दिक ने मेघा के सामने अपने पिता की दौलत को ले कर ढेर सारे कसीदे पड़े थे, जिसे सुन कर मेघा सपनों की सतरंगी दुनिया में विचरने लगी थी. उसे लगता था कि हार्दिक के साथ उस की बाकी की जिंदगी बड़े आराम से गुजरेगी.

हार्दिक को खुश रखने के लिए वह अपनी सारी कमाई उस पर लुटाने लगी. उसे खुश रखने में मेघा कभी कोई कोरकसर बाकी नहीं छोड़ती थी.

मेघा के साथ लिवइन में रहने लगा हार्दिक

हालांकि हार्दिक भी मेघा को दिलोजान से चाहता था. वह मेघा के लिए नएनए तोहफे लाया करता और उस की हर सुखसुविधा का बहुत खयाल रखता था. मेघा जब नौकरी के लिए जाती तो वह उसे छोड़ने और छुट्टी के समय उसे लेने जाता था. हार्दिक के पिता उसे जेब खर्च के लिए हरेक महीने 20 हजार रुपए देते थे. दोनों की जिंदगी मजे में गुजर रही थी. तभी 2019 के मार्च महीने में कोरोना फैलने के डर से पूरे देश में लौकडाउन लगा दिया गया. इस लौकडाउन से लोगों के कामधंधे छूट गए. हार्दिक और मेघा भी इस से बच नहीं सके और उन की भी जिंदगी परेशानी में घिर गई.

कुछ दिनों के बाद हार्दिक ने फिर भी डेटा कलेक्शन का काम कर के घर की स्थिति को संभाल लिया. 2022 में जब देश में लौकडाउन हटाने की घोषणा हुई तो मुंबई का जनजीवन सामान्य होने लगा. इस के बाद जब हालात ठीक हो गए तो मेघा ने फिर से अपनी नौकरी पर जाना शुरू कर दिया. उन के घर में खुशियां पहले की बहाल हो गईं. सब कुछ ठीक ही चल रहा था. हार्दिक बीचबीच में मलाड स्थित अपने पिता के घर भी चला जाता था. अभी तक हार्दिक ने अपने घर में मेघा के साथ रहने की बात नहीं बताई थी. उसे मालूम था कि उस के पिता मेघा को अपने घर की बहू के रूप में कभी स्वीकार नहीं करेंगे.

एक बार किसी काम में हार्दिक ने पिता के 40 लाख रुपए गंवा दिए. इस से उस के पिता बहुत नाराज हुए थे. करीब 8 महीने बाद अगस्त में हार्दिक ने मेघा से शादी कर ली और विजय नगर से नालासोपारा के सीता सदन में रहने चला आया. यहां हार्दिक और मेघा ने लोगों को यही बताया कि वे पतिपत्नी हैं. अभी दोनों को यहां रहते हुए कुछ ही समय गुजरा था कि हार्दिक के पिता को बेटे के मेघा के साथ रहने की जानकारी हुई तो वह उस से इस कदर नाराज हुए कि उन्होंने हार्दिक को अपनी पूरी जायदाद से हमेशा के लिए बेदखल कर दिया. इस के साथ उन्होंने हार्दिक को महीने का मिलने वाला 20 हजार रुपए देना बंद कर दिया.

मेघा की कमाई पर करने लगा ऐश

पिता द्वारा उठाए इस सख्त कदम से हार्दिक की आर्थिक हालत खस्ता हो गई. दरअसल, अभी तक वह पिता की दौलत पर ही ऐश कर रहा था. लेकिन अब जब पिता ने उस की हरकतों से तंग आ कर उसे बेदखल किया तो अपने पैर पर खड़े होने की बजाय वह मेघा की कमाई पर ऐश करने लगा. उसे लगता था कि मेघा उस के बेरोजगार पड़े रहने पर कुछ नहीं कहेगी. पहले तो मेघा ने उसे समझाबुझा कर अपने योग्य कोई ढंग का काम या कोई नौकरी तलाशने का सुझाव दिया. पर मेघा की बात पर हार्दिक ने रत्ती भर भी ध्यान नहीं दिया.

वह मेघा की कमाई पर ऐश करने लगा, जिस से मेघा को घर का खर्च पूरा करने में परेशानी होने लगी. हार्दिक के हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से घर चलाने की पूरी जिम्मेदारी मेघा के नाजुक कंधों पर आ गई. रुपएपैसे की किल्लत के कारण उन के घर में क्लेश रहने लगा. हार्दिक मामले की नजाकत को नहीं समझा और मेघा के पैसों पर ऐश करना जारी रखा. आखिर में 11 और 12 फरवरी, 2023 की रात हार्दिक के बेरोजगार रहने को ले कर बात बढ़ जाने पर हार्दिक अपना आपा खो बैठा और तौलिए से मेघा का गला घोट कर मार डाला. मेघा की लाश को छिपाने के लिए उस ने उस की लाश बिस्तर में लपेट कर बैड के बौक्स में रख दी.

पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए वह यहां से बहुत दूर चला जाना चाहता था. लेकिन उस के पास पैसे नहीं थे, इसलिए अगले दिन उस ने घर के सभी महंगे सामान कम कीमत पर बेच कर कुछ रुपए इकट्ठा किए. 12 फरवरी को फरार होने से पहले हार्दिक ने कनार्टक में रहने वाली मेघा की चाची को फोन कर बता दिया कि रोजरोज के झगड़े तंग आ कर उस ने मेघा की हत्या कर दी है और उस की लाश बैड के बौक्स में छिपा दी है. अब वह आत्महत्या करने हरिद्वार जा रहा है.

इस के बाद वह घर के दरवाजे पर ताला लगा कर रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया. वहां से उस ने राजस्थान जाने के लिए ट्रेन पकड़ी मगर पुलिस ने 15 फरवरी, 2023 को बीच रास्ते से ही उसे गिरफ्तार कर लिया.

उसे मुंबई के वसई की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 21 फरवरी, 2023 तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है.  Short love Story in Hindi

Parivarik Kahani : भाभी के प्यार में छोटे भाई ने रची साजिश फिर कर डाला बड़े भाई का कत्ल

Parivarik Kahani : दिव्यांग सिकंदर शरीर से कमजोर था पर मेहनतकश था. लेकिन इस मेहनत में वह पत्नी ललिता की खुशियों का गला घोंटता रहा. सिकंदर की यह लापरवाही ललिता पर भारी पड़ने लगी. इसी दौरान ललिता ने अपने कदम देवर जितेंद्र की तरफ बढ़ा दिए. यहीं से ललिता की ऐसी खतरनाक लीला शुरू हुई कि…

32 वर्षीया ललिता झारखंड के कोडरमा जिले के गांव दौंलिया की रहने वाली थी. उस की मां का नाम राजवती और पिता का नाम दुल्ली था. वह 4 भाइयों की इकलौती बहन थी. इसलिए घर में सभी की लाडली थी. 16 साल की होते ही उस पर यौवन की बहारें मेहरबान हो गई थीं. बाद में समय ऐसा भी आया कि वह किसी प्रेमी की मजबूत बांहों का सहारा लेने की कल्पना करने लगी. गांव के कई नवयुवक ललिता पर फिदा थे. ललिता भी अपनी पसंद के लड़के से स्वयं नैन लड़ाने लगी. इस के बाद तो दिन प्रतिदिन उस की आकांक्षाएं बढ़ने लगीं तो अनेक लड़कों के साथ उस के नजदीकी संबंध हो गए.

दुल्ली के कुछ शुभचिंतक उसे आईना दिखाने लगे, ‘‘तुम्हारी बेटी ने तो यारबाजी की हद कर दी. खुद तो खराब है, गांव के लड़कों को भी खराब कर रही है. लड़की जब दरदर भटकने की शौकीन हो जाए तो उसे किसी मजबूत खूंटे से बांध देना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके, ललिता का विवाह कर दो, वरना तुम बहुत पछताओगे.’’

अपमान का घूंट पीने के बाद दुल्ली ने एक दिन ललिता को समझाया. उसी दौरान राजवती ने ललिता की पिटाई करते हुए चेतावनी दी, ‘‘आज के बाद तेरी कोई ऐसीवैसी बात सुनने को मिली तो मैं तुझे जिंदा जमीन में दफना दूंगी.’’

उस समय तो ललिता ने कसम खा कर किसी तरह अपनी मां को यकीन दिला दिया कि वह किसी लड़के से बात नहीं करेगी. ललिता बात की पक्की नहीं, बल्कि ख्वाहिशों की गुलाम थी. कुछ समय तक ललिता ने अपनी जवानी के अरमानों को कैद रखा, लेकिन अरमान बेलगाम हो कर उस के जिस्म को बेचैन करते तो वह अंकुश खो बैठी और फिर से लड़कों के साथ मटरगश्ती करने लगी. लेकिन यह मटरगश्ती अधिक दिनोें तक नहीं चल सकी. इस की वजह थी कि उस के पिता दुल्ली ने उस का रिश्ता तय कर दिया था. ललिता का विवाह कोडरमा जनपद के ही गांव करौंजिया निवासी काली रविदास के बेटे सिकंदर रविदास से तय हुआ था.

सिकंदर किसान था और काफी सीधासादा इंसान था. लेकिन एक पैर से दिव्यांग था. उस का एक छोटा भाई जितेंद्र रविदास था. सिकंदर की उम्र विवाह योग्य हो चुकी थी, इसलिए ललिता का रिश्ता सिकंदर के लिए आया तो काली रविदास मना नहीं कर सके. 12 साल पहले दोनों का विवाह बड़ी धूमधाम से हो गया. कालांतर में ललिता 3 बेटों की मां बन गई. विवाह के बाद से ही सिकंदर ललिता के साथ अलग मकान में रहने लगा था. सिकंदर का छोटा भाई जितेंद्र अपने मातापिता के साथ रहता था. सिकंदर पैर से दिव्यांग होने पर भी खेतों में दिनरात मेहनत करता रहता था. इसलिए जब वह घर पर आता तो थकान से चूर हो कर सो जाता था, जिस से ललिता की ख्वाहिशें अधूरी रह जाती थीं.

पति के विमुख होने से ललिता बेचैन रहने लगी. इस स्थिति में कुछ औरतों के कदम गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं, ऐसा ही ललिता के साथ भी हुआ. अब उसे ऐसे शख्स की तलाश थी, जो उसे भरपूर प्यार दे और उस की भावनाओं की इज्जत करे. उस शख्स की तलाश में उस की नजरों को अधिक भटकना नहीं पड़ा. घर में ही वह शख्स उसे मिल गया, वह था जितेंद्र. सिकंदर जहां अपने भविष्य के प्रति गंभीर तथा अपनी जिम्मेदारियों को समझने वाला था, वहीं जितेंद्र गैरजिम्मेदार था. जितेंद्र का किसी काम में मन नहीं लगता था. जितेंद्र की निगाहें ललिता पर शुरू से थीं. वह देवरभाभी के रिश्ते का फायदा उठा कर ललिता से हंसीमजाक भी करता रहता था.  जितेंद्र की नजरें अपनी ललिता भाभी का पीछा करती रहती थीं.

दरअसल जितेंद्र ने ललिता को विवाह मंडप में जब पहली बार देखा था, तब से ही वह उस के हवास पर छाई हुई थी. अपने बड़े भाई सिकंदर के भाग्य से उसे ईर्ष्या होने लगी थी. वह सोचता था कि ललिता जैसी सुंदरी के साथ उस का विवाह होना चाहिए था. काश! ललिता उसे पहले मिली होती तो वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाता और उस की जिंदगी इस तरह वीरान न होती, उस की जिंदगी में भी खुशियां होतीं. ललिता के रूप की आंच से आंखें सेंकने के लिए ही वह ललिता के घर के चक्कर लगाता. चूंकि वह घर का ही सदस्य था, इसलिए उस के आनेजाने और वहां हर समय बने रहने पर कोई शक नहीं करता था. जितेंद्र की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए वह ललिता से आंखें लड़ा कर और हंसमुसकरा कर उस पर डोरे डाला करता था.

सिकंदर सुबह खेत पर जाता तो दीया बाती के समय ही लौट कर आता. जितेंद्र के दिमाग में अब तक ललिता के रूप का नशा पूरी तरह हावी हो गया था. इसलिए ललिता को पाने की चाह में उस के सिकंदर के घर के फेरे जरूरत से ज्यादा लगने लगे. ललिता घर पर अकेली होती थी, इसलिए जितेंद्र के पास मौके ही मौके थे. एक दिन जितेंद्र दोपहर के समय आया तो ललिता दोपहर के खाने में तहरी बनाने की तैयारी कर रही थी, जिस के लिए आलू व टमाटर काट रही थी. जितेंद्र ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘लगता है, आज अपने हाथों से स्वादिष्ट तहरी बनाने जा रही हो.’’

‘‘हां, खाने का इरादा है क्या?’’

‘‘मेरा ऐसा नसीब कहां, जो तुम्हारे हाथों का बना स्वादिष्ट खाना खा सकूं. नसीब तो सिकंदर भैया का है, जो आप जैसी रूपसी उन को पत्नी के रूप में मिलीं.’’

यह सुन कर ललिता मुसकान बिखेरती हुई बोली, ‘‘ठीक है, मुझ से विवाह कर के तुम्हारे भैया ने अपनी किस्मत चमका ली तो तुम भी किसी लड़की की मांग में सिंदूर भर कर अपनी किस्मत चमका लो.’’

‘‘मुझे कोई दूसरी नहीं, तुम पसंद हो. अगर तुम तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ अपना घर बसाने को तैयार हूं.’’

ललिता जितेंद्र के रोज हावभाव पढ़ती रहती थी. इसलिए जान गई थी कि जितेंद्र के दिल में उस के लिए नाजुक एहसास है. वह इस तरह चाहत जाहिर कर के उस से प्यार की सौगात मांगेगा, ललिता ने सोचा तक न था. अचानक सामने आई ऐसी असहज स्थिति से निपटने के लिए वह उस से आंखें चुराने लगी और कटी हुई सब्जी उठा कर रसोई की तरफ चल दी. तभी उस के बच्चे भी घर आ गए. प्यार में विघ्न पड़ता देख कर जितेंद्र भी वहां से उठ गया. उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, वह ललिता के पास पहुंच जाता और अपने प्यार का विश्वास दिलाता. धीरेधीरे ललिता को उस के प्यार पर यकीन होने लगा. उसे भी अपने प्रति जितेंद्र की दीवानगी लुभाने लगी थी. उस की दीवानगी को देख कर ललिता के दिल में उस के लिए प्यार उमड़ पड़ा. कल तक जो ललिता जितेंद्र के हवास पर छाई थी, अब जितेंद्र ललिता के हवास पर छा गया.

एक दिन जितेंद्र ने फिर से ललिता के सामने अपने प्यार का तराना सुनाया तो वह बोली, ‘‘जितेंद्र, मेरे प्यार की चाहत में पागल होने से तुम्हें क्या मिलेगा. मैं विवाहित होने के साथसाथ 3 बच्चों की मां भी हूं. इसलिए मुझे पाने की चाहत अपने दिल से निकाल दो.’’

‘‘यही तो मैं नहीं कर पा रहा, क्योंकि यह दिल पूरी तरह से तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार है.’’

ललिता कुछ नहीं बोल सकी. जैसे उस के जेहन से शब्द ही मिट गए थे. जितेंद्र ने अपने हाथ उस के कंधे पर रख दिए, ‘‘भाभी, कब तक तुम अपने और मेरे दिल को जलाओगी. कुबूल कर लो, तुम्हें भी मुझ से प्यार है.’’

ललिता ने सिर झुका कर जितेंद्र की आंखों में देखा और फिर नजरें नीची कर लीं. प्रेम प्रदर्शन के लिए शब्द ही काफी नहीं होते, शारीरिक भाषा भी मायने रखती है. जितेंद्र समझ गया कि मुद्दत बाद सही, ललिता ने उस का प्यार कुबूल कर लिया है. उस ने ललिता के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. ललिता भी सुधबुध खो कर जितेंद्र से लिपट गई. उस समय मन के मिलन के साथ तन की तासीर ऐसी थी कि ललिता का जिस्म पिघलने लगा.  इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. यह बात करीब 6 साल पहले की है. बाद में यह मौका मिलने पर चलता रहा.

13 मई, 2021 को दोपहर करीब 12 बजे सिकंदर दास लोचनपुर गांव के निजी कार चालक विजय दास के साथ चरवाडीह के संजय दास के यहां शादी समारोह में गया. सिकंदर और विजय दोनों कार से गए थे. कार विजय की थी. साढ़े 3 बजे शादी समारोह से दोनों निकल आए. लेकिन सिकंदर दास घर नहीं लौटा. उस के नंबर पर सिकंदर के चाचा ने फोन किया गया तो विजय ने उठाया. उस से पूछा गया कि सिकंदर कहां है तो विजय द्वारा अलगअलग ठिकाने का पता बताते हुए फोन काट दिया. इस के बाद सिकंदर की काफी तलाश की गई, वह नहीं मिला. 16 मई को ललिता ने कोडरमा थाने और एसपी को एक पत्र दिया, जिस में उस ने अपने पति सिकंदर दास के लापता होने की बात लिखी. सिकंदर के गायब होने का आरोप उस ने कार चालक विजय दास पर लगाया था.

चूंकि मामला चांदवारा थाना क्षेत्र के करौंजिया गांव का था. इसलिए कोडरमा पुलिस ने मामला चांदवारा पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह ने पूरा मामला जान कर थाने में सिकंदर की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थानाप्रभारी सोनी प्रताप ने 20 मई को जामू खाड़ी से विजय दास को गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पुलिस ने पूछताछ की तो विजय ने सिकंदर की हत्या करने की बात स्वीकारी. उस ने इस हत्या में सिकंदर की पत्नी ललिता और भाई जितेंद्र का भी हाथ होने की बात बताई. 20 मई को विजय के बाद ललिता और जितेंद्र को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर रात में कोटवारडीह के बंद पड़े मकान से सिकंदर की लाश बरामद कर ली.

वह अर्द्धनिर्मित मकान सिकंदर का था. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह अभियुक्तों को ले कर थाने आ गए. थाने में सख्ती से की गई पूछताछ में उन्होंने हत्या के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी. एक दोपहर को जितेंद्र और ललिता घर में बेधड़क रंगरलियां मना रहे थे कि अचानक किसी काम से सिकंदर खेतों से घर लौटा तो उस ने उन दोनों को रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया. यह देख कर उसे एक बार तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि उस की पत्नी ऐसा भी कर सकती है. वह ललिता पर खुद से भी ज्यादा विश्वास करता था. लेकिन हकीकत तो सामने उस की दगाबाजी की तरफ इशारा कर रही थी. दूसरी ओर सगा छोटा भाई जितेंद्र था, जिसे वह बहुत प्यार करता था, उस का खूब खयाल रखता था.

वही उस की गृहस्थी में आग लगा रहा था. अपनों की इस दगाबाजी से सिकंदर इतना आहत हुआ कि उस ने पूरे घर को सिर पर उठा लिया. ललिता और जितेंद्र ने भी उस से अपनी गलती की माफी मांग ली और भविष्य में ऐसा कुछ न करने का वादा किया तो सिकंदर शांत हुआ. जितेंद्र और ललिता ने उस समय तो अपनी जान छुड़ाने के लिए वादा कर दिया था, लेकिन वे इस पर अमल करने को कतई तैयार नहीं थे. लेकिन उन का भेद खुल चुका था, इसलिए मिलन में उन को बहुत ऐहतियात बरतनी पड़ती थी. वे चोरीछिपे फिर से मिल लेते थे. सिकंदर ने देखा तो उस ने विरोध किया. मामला घर की चारदीवारी से निकल कर गांव के लोगों तक पहुंच गया. पंचायत तक बैठ गई. भरी पंचायत में ललिता ने जितेंद्र के साथ रहने की बात कही. लेकिन फैसला हो न सका.

इस के बाद सिकंदर उन दोनों के बीच की एक बड़ी दीवार था, जिसे गिराए बिना वे हमेशा के लिए एक नहीं हो सकते थे. इसलिए ललिता और जितेंद्र ने सिकंदर की हत्या करने की ठान ली. सिकंदर दास ने विजय दास से लोन दिलाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपए लिए थे. सिकंदर ने जब लोन नहीं दिलाया तो विजय उस से अपने दिए रुपए वापस मांगने लगा. सिकंदर रुपए देने में टालमटोल कर रहा था. ऐसे में ललिता ने जितेंद्र से बात कर के विजय को अपने प्लान में शामिल करने की बात कही. उस ने यह भी कहा कि सिकंदर का काम तमाम होने के बाद वह अकेले विजय को उस की हत्या में फंसवा देगी, जिस से वे दोनों बच जाएंगे.

जितेंद्र को उस की बात सही लगी. दोनों ने विजय से बात की तो वह सिकंदर की हत्या में उन दोनों का साथ देने को तैयार हो गया. 13 मई, 2021 को एक शादी समारोह से लौटने के बाद विजय सिकंदर को ले कर कोटवारडीह में उस के अर्धनिर्मित मकान पर ले गया. वहां ललिता और जितेंद्र पहले से मौजूद थे. तीनों ने मिल कर सिकंदर की गला दबा कर हत्या कर दी और लाश एक कमरे में डाल कर कमरा बंद कर दिया. लेकिन सिकंदर की हत्या में विजय को फंसाने की योजना ही ललिता और जितेंद्र को भारी पड़ गई. ललिता ने उस पर शक जताया तो पुलिस विजय को पकड़ कर उन तक पहुंच गई. तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध हत्या व साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज कर के चांदवारा पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. Parivarik Kahani

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Hindi Crime Story : हनीमून में बीवी लाई मौत

Hindi Crime Story : 21 वर्षीय राज कुशवाहा इंदौर में स्थित सोनम रघुवंशी (24 वर्ष) के भाई की प्लाईवुड फैक्ट्री में नौकरी करता था. वहीं पर सोनम को राज कुशवाहा से प्यार हो गया. दोनों ने जीवन भर साथ रहने का वादा कर लिया. इसी दौरान फेमिली वालों ने सोनम की शादी राजा रघुवंशी से कर दी. फिर प्रेमी राज कुशवाहा के साथ मिल कर सोनम ने हनीमून के बहाने पति राजा रघुवंशी को ठिकाने लगाने की ऐसी योजना बनाई, जिस की गूंज पूरे देश में फैल गई.

सोनम रघुवंशी नहीं चाहती थी कि उस की शादी उस के प्रेमी राज कुशवाहा के अलावा किसी और के साथ हो, लेकिन उस के न चाहते हुए भी पेरेंट्स ने उस की शादी राजा रघुवंशी के साथ तय कर दी थी. शादी तय हो जाने के बाद वह बहुत परेशान थी, क्योंकि तनमन से वह प्रेमी राज की थी. इसलिए वह ताउम्र उसी के साथ रहना चाहती थी. उस ने प्रेमी को फोन कर कहा, ”राज, पापा ने मेरी शादी तय कर दी है. और मालूम है शादी की तारीख क्या है, 11 मई 2025.’’

”शादी से क्या होता है सोनम, कागज के एक टुकड़े और कुछ मंत्र पढ़ देने से कोई रिश्ता नहीं बनता.’’ राज ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा.

”राज, मैं किसी और की नहीं हो सकती. मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और अगर तुम ने मुझे नहीं अपनाया तो मैं सच कह रही हूं, मैं मर जाऊंगी. आज वो जो लड़का मुझे देखने आया था राजा रघुवंशी, वो मुझे देख कर मुसकरा रहा था. जिसे देख कर मेरे अंदर ऐसी आग लग रही थी कि एक घूंसा मार कर उस की वो मुसकान वहीं दबा दूं. पर पापा वहीं थे, इसलिए कुछ कर नहीं पाई. लेकिन मेरी बात ध्यान से सुन लो राज, अगर तुम ने मेरा साथ नहीं दिया तो मैं दुनिया में ऐसा तूफान ला दूंगी कि लोग मेरे नाम से भी डरेंगे. मैं सब कुछ जला दूंगी खुद को, इस दुनिया को और हर रिश्ते को.’’

”तुम मेरी थी, मेरी हो और मेरी ही रहोगी सोनम,’’ राज ने कहा.

”मैं सिर्फ तुम्हारे लिए बनी हूं राज, किसी और के लिए नहीं.’’

”चिंता मत करो और विश्वास रखो सोनम, अगर उस की परछाई भी तुम्हें छुएगी तो मैं उसे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

”मैं तुम्हें पहले ही बता चुकी हूं, पापा हार्ट के पेशेंट हैं. मैं ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा सकती, जिस का उन की सेहत पर असर हो. घर से भाग कर कहीं और जा कर रहने का खयाल तो दिल से निकाल दो.’’

”फिर तुम ही कुछ बताओ कि क्या किया जाए?’’

”मेरा आइडिया यह है कि मेरी कदकाठी की कोई लड़की तलाश की जाए. उस की हत्या कर के जला दिया जाए. मेरी स्कूटी में भी वहीं आग लगा दी जाए. यह काम किसी ऐसी सुनसान जगह पर किया जाए, जिस से कि कोई देख न सके. तब यह साबित हो जाएगा कि सोनम मर गई. फिर हम दोनों किसी और शहर में जा कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे.’’

सोनम ने कहा कि घरों में काम करने वाली किसी लड़की की तलाश आसानी से हो सकती है. लेकिन काफी तलाश के बाद भी घर में साफसफाई चौकाबरतन करने के लिए ऐसी कोई लड़की हाथ नहीं लगी, जिस की कदकाठी सोनम जैसी हो. इस से राज ने राहत की सांस ली. इस की वजह यह थी कि इस से राज और उस के परिवार की जिंदगी ही तबाह हो जाती. घर में आर्थिक साधन जुटाने के लिए वह अकेला ही था. घर का खर्च उस के वेतन में मुश्किल से चल पाता था. सोनम अगर अपने घर वालों के लिए मर गई होती तो नई परेशानी ही खड़ी हो जाती. यदि वह घर से 30 या 40 लाख रुपए ले कर भी आ जाती तो भी कब तक उस से गुजारा होता.

सेफ गेम खेलना चाहता था राज कुशवाहा

दूसरी जगह दोनों को नौकरी मिलना भी आसान नहीं था. कोई बिजनैस करने के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता. इस तरह राज भी अपने परिवार के लिए एक तरह से मर ही चुका होता. राज कुशवाहा ने सोनम को समझाया कि इस तरह की दुर्घटना से तुम्हारे पापा तुम्हारी मौत का सदमा शायद बरदाश्त नहीं कर पाएंगे. अगर हार्टअटैक से बच भी जाएं तो जीते जी भी उन की मौत हो जाएगी. उस की पहली योजना घर से भागने की भी मेरी समझ से परे थी, क्योंकि उस का अंजाम भी वही होता. आर्थिक संकट से राज का परिवार ही नहीं, बल्कि राज और सोनम भी जूझ रहे होते.

यह सोच कर राज ने उस की दोनों ही योजनाओं को फेल करने में पूरा दिमाग लगा दिया. वह चाहता था कि सोनम से शादी कर के फैक्ट्री का मालिक बन जाएगा, जिस में अब तक नौकरी करता था. वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहता था, जिस से कि सोने के अंडे देती मुरगी उस के हाथ से निकल जाए.

सोनम की शादी की तारीख करीब आ चुकी थी. उस की चिंता बढ़ती जा रही थी. सोनम की चिंता दूर करने के लिए राज ने एक ऐसा प्लान तैयार किया, जिसे सुन कर सोनम खुशी से उछल पड़ी. उस ने कहा, ”इस का मतलब यह है कि मैं विधवा हो जाऊंगी और बिरादरी का कोई व्यक्ति विधवा से शादी करने के लिए आसानी से तैयार नहीं होगा. फिर विधवा से शादी किसी और बिरादरी के युवक से करने के लिए मेरे पापा भी राजी हो जाएंगे. यानी हम दोनों पतिपत्नी के रूप में जिंदगी बिता कर अपने सपनों को साकार कर सकेंगे. बहुत बढिय़ा.’’

”लेकिन एक वादा करो,’’ राज ने कहा.

”क्या?’’

”शादी के बाद उस दुष्ट को सुहागरात की रस्म अदा करने नहीं दोगी.’’

”इस का मतलब यह कि मुझे सुहागन बनते ही यानी सुहागरात मनाने से पहले विधवा करना चाहते हो.’’ सोनम ने मुसकराते हुए कहा, ”यह पक्का वादा है, मुझे चाहे जो भी जतन करना पड़े, मैं उसे सुहागरात को हाथ नहीं लगाने दूंगी.’’

इंदौर मध्य प्रदेश का सब से बड़ा और सब से व्यस्त शहर है. यह ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और व्यावसायिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है. यह शहर एक तरफ अपने गौरवशाली अतीत की गवाही देता है तो दूसरी ओर आधुनिकता और प्रगति का प्रतीक भी है. इस शहर का नाम इंद्रेश्वर महादेव मंदिर से लिया गया है, जो अब भी शहर के मध्य में स्थित है.

राजवाड़ा, इंदौर की 7 मंजिला ऐतिहासिक इमारत मराठा, मुगल और फ्रांसीसी वास्तुकला का अद्भुत संगम है. यह शहर के दिल में स्थित है. यह महल होलकर शासकों की विलासिता और कलात्मक रुचि का प्रतीक है. यूरोपीय शैली में बना यह महल अपने भव्य फरनीचर, दीवारों पर सुंदर चित्रों और विशाल गार्डन के लिए प्रसिद्ध है. इंदौर केवल एक शहर नहीं, बल्कि अनुभवों का संगम है, जहां इतिहास बोलता है, स्वाद महकता है, शिक्षा ऊंचाइयां छूती है और स्वच्छता संस्कृति बन जाती है.

इतनी खूबियों वाले इसी शहर में देवी सिंह नाम के एक व्यक्ति निवास करते हैं. उन का एक बेटा गोविंद रघुवंशी और बेटी सोनम रघुवंशी है. उन की पत्नी संगीता रघुवंशी घरेलू काम संभालती हैं. दरअसल, सोनम रघुवंशी का मूल निवास गुना जिला है. सोनम अपने भाई गोविंद से उम्र में छोटी है. गोविंद की शादी करीब 8 साल पहले विदिशा से हुई थी और उस के 2 बच्चे हैं. सोनम का परिवार पिछले कुछ सालों से इंदौर में रह रहा है. बताया जाता है कि उन्होंने गुना से इंदौर आने का फैसला उस वक्त लिया, जब गोविंद ने व्यापार में कदम रखा. शुरुआत में गोविंद एक निजी कंपनी में नौकरी करता था. लेकिन साल 2020 के आसपास उस ने माइका (सनमाइका) के व्यापार में कदम रखा और खुद की कंपनी खड़ी की.

शुरुआत में गोविंद केवल तैयार माल खरीद कर बेचने का काम करता था, लेकिन बाद में उस ने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने का फैसला लिया. अब उस की एक माइका मैन्युफैक्चरिंग यूनिट गुजरात में स्थापित है, जहां से वह माल तैयार कर विभिन्न शहरों में सप्लाई करता है. सोनम के परिवार का बिजनैस अग्रणी कारोबार में से एक था. परिवार की इंदौर में एक सनमाइका बनाने की यूनिट है. देवी सिंह को पैरालाइसिस का अटैक हुआ था, जिस के कारण वह फैक्ट्री में सक्रिय भूमिका नहीं निभा पाते. सोनम रघुवंशी और गोविंद रघुवंशी दोनों भाईबहन मिल कर कारोबार संभालते हैं. सोनम अपने ही पिता की कंपनी में बतौर एचआर काम करती थी.

इसी शहर में अशोक रघुवंशी का एक परिवार है. इन के 3 बेटे और एक बेटी है. एक बेटे का नाम सचिन रघुवंशी, दूसरे का विपिन रघुवंशी, तीसरा सब से छोटा 28 वर्षीय बेटा राजा रघुवंशी और बेटी सृष्टि है. उन का ट्रांसपोर्ट का प्रमुख व्यवसाय है. राजा रघुवंशी व 2 बड़े भाई सचिन और विपिन भी संयुक्त परिवार के रूप में रहते हैं.  ‘रघुवंशी ट्रांसपोर्ट’ नामक कंपनी परिवार के सभी लोग 2007 से संयुक्त रूप से चलाते थे. इस कंपनी का मुख्य काम स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को किराए पर बसें उपलब्ध कराना है. सोनम रघुवंशी और राजा रघुवंशी दोनों के परिवार का आपस में कोई रिश्ता नहीं था. इन में से कोई एकदूसरे को जानता तक नहीं था. दोनों परिवारों की मुलाकात बहुत ही रोचक तरीके से हुई.

पहली अक्तूबर, 2024 को हर साल की तरह रामनवमी के दिन रघुवंशी समाज का सामूहिक भंडारा आयोजित हुआ था. यह कार्यक्रम इंदौर के रघुवंशी बिरादरी के लिए अपनेअपने बच्चे के लिए अपने ही समाज में लड़का और लड़की के विवाह के लिए रिश्ता तलाशने का एक बेहतरीन माध्यम है.

सामाजिक रीतिरिवाज से हुई शादी

रघुवंशी समाज के लोग रामनवमी के दिन एक स्थान पर एकत्रित होते हैं और यहां पर अपनेअपने बच्चों की जानकारी एक परची में लिख कर रख दिया करते हैं. इस में लड़के या लड़की का नाम, उम्र, पढ़ाई और काम के बारे में जानकारी लिखी होती है. एक तरह से इसे बायोडाटा कहा जा सकता है. रघुवंशी संस्थान बायोडाटा के आधार पर रजिस्ट्रैशन कर लेता है. इस डाटा को व्यवस्थित कर के रघुवंशी समाज की एक पत्रिका जारी की जाती है, जिस में रघुवंशी परिवारों द्वारा रजिस्ट्रैशन में दी गई जानकारी को प्रकाशित किया जाता है. इस पत्रिका में जिसे लड़की की तलाश है तो वो लड़की का बायोडाटा देखता है और जिसे लड़के की तलाश है, वो लड़के का.

यहां सोनम और राजा रघुवंशी के परिवार के लोगों ने भी इन दोनों का रजिस्ट्रैशन कराया था. यहीं से ही इन दोनों का परिवार आपस में मिला. दोनों के परिवार वालों को सब सही लगा. दोनों ही मांगलिक थे. कुंडली भी मिल गई, इसलिए बात शादी तक जा पहुंची. राजा रघुवंशी का एक संपन्न परिवार है. घर में सब से छोटा होने के कारण राजा रघुवंशी की शादी का सब को बहुत अरमान था. शादी समारोह को भव्य बनाने के लिए काफी तैयारी की गई. जम कर पैसा खर्च किया गया.

उधर सोनम का परिवार राजा की टक्कर का परिवार था. सोनम की शादी के भी उस के परिवारजनों को बहुत अरमान थे, लेकिन खर्च करने में काफी कंजूसी की गई और वह उत्साह सोनम की शादी में नजर नहीं आया, जिस की अपेक्षाएं की जा रही थीं. बहरहाल, 11 मई को एक भव्य शादी समारोह हुआ. सात फेरे हुए. सभी सामाजिक और धार्मिक रस्में पूरी की गईं. 12 मई, 2025 को सोनम दुलहन बन कर राजा रघुवंशी के घर आ गई. दोनों परिवार और पतिपत्नी सभी खुश थे. किसी तरह का कोई भी विवाद नहीं था. राजा रघुवंशी की ओर से दहेज की कोई मांग की ही नहीं गई थी.

सोनम 4 दिन ससुराल में रहने के बाद मायके चली गई. मायके से ही सोनम रघुवंशी ने हनीमून का कार्यक्रम भी अचानक बना लिया. सोनम ने अपने पति राजा रघुवंशी को इस बात के लिए राजी किया कि शारीरिक संबंधों के जरिए शादी को परिपूर्ण करने से पहले उन्हें कामाख्या देवी मंदिर में पूजाअर्चना करनी चाहिए. पहले तय हुआ कि दोनों असम के कामाख्या देवी मंदिर जाएंगे. फिर वहीं से कश्मीर के लिए निकल जाएंगे. सोनम अपने मातापिता के घर से सीधे एयरपोर्ट गई, जबकि राजा रघुवंशी अपने घर से 10 लाख रुपए से अधिक के गहने पहन कर निकला था. इस में एक हीरे की अंगूठी, एक चेन और एक ब्रेसलेट शामिल था.

दोनों 20 मई को पहले असम के कामाख्या देवी मंदिर पहुंचे. यह असम के गुवाहाटी शहर में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है. कामाख्या मंदिर से उन्होंने कश्मीर की जगह मेघालय जाने का प्रोग्राम बनाया. 20 मई, 2025 को ही दोनों मेघालय पहुंचे. 21 मई को राजा और सोनम रघुवंशी शिलांग पहुंचे थे और एक होमस्टे में रुके थे. 22 मई को उन्होंने एक स्कूटी किराए पर ली और सोहरारिम चले गए. शाम तक वे मावलखियात पहुंचे और एक गाइड लिया. गाइड की मदद से वे शिप्रा होमस्टे में रुके. इस के बाद गाइड को उन्होंने छोड़ दिया.

अगले दिन यानी 23 मई को सोनम और राजा रघुवंशी से उन के फेमिली वालों का कांटेक्ट बंद हो गया. दोनों के परिजन चिंतित हो गए और उन के लापता होने की खबरें आम हो गईं. सोनम का भाई गोविंद रघुवंशी और राजा का भाई विपिन रघुवंशी लापता पतिपत्नी की तलाश करने मेघालय पहुंचे. उन्होंने शिलांग की पुलिस से कांटेक्ट किया. उम्मीद के मुताबिक रिस्पौंस न मिलने पर दोनों वापस इंदौर लौट आए. इंदौर के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया से शिकायत की और बात मुख्यमंत्री तक भी पहुंच गई. यहां की सरकार ने मेघालय की सरकार से संपर्क साधा. इस बीच मामला बहुत तूल पड़ चुका था.

मेघालय सरकार की बदनामी होने लगी. यहां की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत पर्यटकों से है. इस घटना से पर्यटकों में दहशत का माहौल हो गया. पर्यटक देर शाम अपने होटल के कमरों से निकलने में डरने लगे. अफवाह यह थी कि कपल का अपहरण कर के बांग्लादेश ले जाया गया है और उन के सारे पैसे और ज्वैलरी लूट ली गई है. मध्य प्रदेश सरकार ने तो केंद्र सरकार को पत्र लिख कर मामले की सीबीआई जांच करने की सिफारिश भी कर दी. 2 जून, 2025 को फिर राजा रघुवंशी का शव वेईसावडांग झरने के पास गहरी खाई में मिला. शव बुरी तरह सड़ चुका था. राजा के भाई विपिन ने ही शव की पहचान की. वह भी उन के हाथ पर बने ‘राजा’ टैटू से. लेकिन सोनम नहीं मिली.

शुरुआत में लगा कि दोनों का एक्सीडेंट हुआ होगा, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि राजा की हत्या धारदार हथियार से की गई थी. इंदौर शहर के हर घर में इस घटना को ले कर अफसोस जताया जा रहा था, सब लोग सोनम के जिंदा मिल जाने की कामना कर रहे थे. मेघालय पुलिस सोनम को बरामद करने और मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए औपरेशन चला रही थी, जिस का नाम ‘औपरेशन हनीमून’ रखा गया. मेघालय सरकार ने एसआईटी गठित कर पुलिस की कई टीमें मामले का राज फाश करने के लिए लगा दीं.

पुलिस को जांच में पता चला कि 22 मई को राजा और सोनम शिलांग के मावलखियात गांव पहुंचे और वहां से नोंग्रियाट गांव में मशहूर ‘लिविंग रूट ब्रिज’ देखने गए. दोनों ने रात एक होमस्टे में बिताई. 23 मई की सुबह 6 बजे दोनों होटल से बाहर निकल आए. किराए की स्कूटी पर सैर के लिए निकले. इस के बाद दोनों रहस्यमय ढंग से लापता हो गए.

टूर गाइडों से मिली खास जानकारी

24 मई की रात को उन की स्कूटी ओसारा हिल्स की पार्किंग में लावारिस हालत में मिली, जो होमस्टे से 25 किलोमीटर दूर थी. 28 मई को जंगल में 2 बैग मिले. मावलाखियात से नोंग्रियात तक की यात्रा पर उन्हें ले जाने वाले गाइड भकुपर वानशाई थे. पुलिस को उन से महत्त्वपूर्ण सुराग हाथ लगे. गाइड ने पुलिस को बताया कि कपल ने 22 मई को फोन किया. उस समय शाम के करीब साढ़े 3 बजे थे, लेकिन मैं ने मना नहीं किया और उन्हें नोंग्रियात तक गाइड करने का फैसला किया. उन्हें शिपारा होमस्टे पर छोडऩे के बाद हम वहां से निकल पड़े.

एक अन्य गाइड अल्बर्ट पीडी भी उन के साथ थे. गाइड ने यह भी बताया कि 3 व्यक्ति इस कपल के साथ और थे. वे तीनों हिंदी में बात कर रहे थे. वह हिंदी कम जानता है, इसलिए समझ नहीं पाया. वानशाई ने कहा कि हम ने अगले दिन (23 मई) के लिए अपनी सेवा की पेशकश की, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि उन्हें रास्ता पता है. वानशाई ने अपने पुलिस बयान में कहा कि सोनम ने उन से ज्यादातर बातचीत अंगरेजी में की. केस को खोलने के लिए पुलिस पर बहुत दबाव था, पुलिस की टीमें अपना काम कर रही थीं. वह हत्यारों तक पहुंच गई थी. हत्या के 3 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया था. इस से पहले 8 मई की रात करीब 11 बजे मेघालय पुलिस पूरे लावलश्कर के साथ कोतवाली महरौनी के ग्राम चौकी पहुंची थी.

यहां राजा रघुवंशी हत्याकांड का आरोपी आकाश कमरे में सोते हुए मिला था. मेघालय पुलिस ने आकाश से पूछा कि सोनम रघुवंशी कहां है? उसे कहां छिपाया है. आकाश ने सोनम के बारे में कोई जानकारी होने से मना कर दिया था. तब परिजनों से सोनम के बारे में पूछताछ की. उन्होंने भी इंकार कर दिया था.  आकाश राजपूत (19 वर्ष) और उस के परिजन के इंकार करने के बाद भी मेघालय और जनपद की पुलिस ने मकान का चप्पाचप्पा छाना. यहां तक कि मकान के टपरे में रखे भूसे के ढेर के अंदर तक सोनम को तलाशा था.

पुलिस की यह काररवाई करीब एक घंटे तक चलती रही. जब पुलिस को यकीन हुआ कि सोनम यहां नहीं है, तब वह आकाश राजपूत और उस के 3 साथियों को अपने साथ ले गई थी. मध्य प्रदेश की पुलिस के सहयोग से मेघालय पुलिस ने इस हत्या में शामिल 3 हमलावरों आकाश राजपूत (19 वर्ष) के बाद विशाल सिंह चौहान (22 वर्ष) और राज सिंह कुशवाह (21 वर्ष) को भी गिरफ्तार कर लिया. इन की गिरफ्तारी के बाद ही नाटकीय ढंग से सोनम ने सरेंडर किया. आधी रात के बाद सोनम उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में स्थित काशी चाय जायका होटल पर पहुंची. यह होटल रात भर खुलता है.

गाजीपुर के नंदगंज थाने के अंतर्गत आता है. होटल संचालक साहिल यादव उस समय मौजूद थे. साहिल यादव से उस ने मोबाइल मांगा. अपने भाई को फोन मिलाया, लेकिन रोती रही बात नहीं कर पाई. साहिल यादव ने सोनम के भाई गोविंद से बात की, उस ने इस होटल का पता बताया. आधे घंटे के भीतर नंदगंज थाना पुलिस वहां पहुंच गई. सोनम को हिरासत में ले लिया गया. मध्य प्रदेश और मेघालय पुलिस को इस की सूचना दी गई. सोनम ने दावा किया कि उसे अगवा करने के बाद उस के साथ क्या हुआ, इस बारे में उसे कुछ याद नहीं है. उस ने कहा कि उसे अंधेरे कमरे में रखा गया था, बाहर की दुनिया से उस का कोई संपर्क नहीं था. वह जैसेतैसे वहां से निकली.

सोनम से पूछताछ के बाद पुलिस ने आनंद कुर्मी को भी पकडऩे में सफलता हासिल की. आरोपी आनंद कुर्मी (23) खिमलासा थाना क्षेत्र के बसाहरी गांव में अपने चाचा भगवानदास कुर्मी के घर में छिपा हुआ था. मेघालय से आई पुलिस टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से आरोपी को पकड़ा. डीएसपी एस.ए. संगमा के नेतृत्व में आई टीम ने आगासौद, खिमलासा और बीना थाना पुलिस के साथ मिल कर घेराबंदी की. आरोपी को पकडऩे के बाद खिमलासा थाने में पूछताछ की गई. एसडीओपी नितेश पटेल ने बताया कि आरोपी का पिता दौलतराम कुर्मी करीब 20-22 साल पहले परिवार के साथ इंदौर चला गया था. आनंद वहां जियोमार्ट में काम करता था. वह मुख्य आरोपी राज कुशवाहा के संपर्क में था. आनंद मूलरूप से भानगढ़ थाना क्षेत्र के मिर्जापुर गांव का रहने वाला है.

पूछताछ में पता चला कि उस के पिता 4 भाई हैं. बड़े भाई हरिशंकर कुर्मी मिर्जापुर में रहते हैं. वहां 5 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं. देवाराम और दौलतराम इंदौर चले गए थे. भगवानदास अपनी ससुराल बसाहरी में रह रहे थे. मेघालय पुलिस यहां से कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पांचों को मेघालय ले गई. शिलांग में ही एफआईआर दर्ज कराई गई. इंदौर से शुरू हो कर शिलांग और फिर गाजीपुर तक राजा रघुवंशी हत्या कांड फैल गया. शिलांग की अदालत से आरोपियों का 8 दिन का रिमांड मिल गया तो फिर प्याज के छिलकों की तरह परतदरपरत मामला खुलता गया.

सोनम और राजा रघंवुशी चेरापूंजी में झरना देखने जा रहे थे. वक्त बीतने के साथ ही सोनम की बेचैनी बढऩे लगी, योजना के अनुसार वह जल्द से जल्द राजा को ठिकाने लगाना चाहती थी, लेकिन सही जगह नहीं मिल पा रही थी. दोपहर 12 बजते ही पीछे से तेजी से आए तीनों किलर्स राजा से अच्छे से बातचीत करने लगे, ऐसे में राजा को भी कोई शक नहीं हुआ. दोपहर करीब डेढ़ बजे सोनम ने राजा की हत्या के लिए अपना प्लान ऐक्टिव किया. इस के तहत उस ने सब से पहले अपनी सास यानी कि राजा की मम्मी को फोन लगाया. उन के साथ मीठीमीठी बातें कीं. इस का मकसद यही था कि वह परिवार को भरोसा दिला रही थी कि सब कुछ ठीक है.

फोन पर बातचीत के दौरान सोनम ने अपने उपवास की भी चर्चा की. सास के कहने पर उन के बेटे राजा से भी कुछ देर बाद बात कराई. चेरापूंजी की करीब 10 किलोमीटर ऊंची चढ़ाई पर एक सेल्फी स्पौट बना था. उस से पहले पार्किंग स्थल था, सोनम राजा एक स्कूटी से गए थे. तीनों किलर्स ने 2 दुपहिया वाहन किराए पर लिए थे. तीनों गाडिय़ां पार्किंग में खड़ी की गई थीं. उस के बाद किलर्स राजा के पीछे चल दिए. वहां पहुंच कर पतिपत्नी मौसम का नजारा कर रहे थे. तभी सोनम ने मौका पाते ही किलर्स को इशारा किया और अपने पति राजा रघुवंशी को सेल्फी के लिए तैयार करने लगी. इतने में पीछे से एक किलर ने कुल्हाड़ीनुमा एक तेज धार वाले हथियार से पूरी ताकत से राजा पर वार कर दिया. राजा नीचे गिर गया. राजा ने उठने की कोशिश की. तभी दूसरे ने दूसरे हथियार से सामने से उस के सिर पर जोरदार वार किया.

योजना के अनुसार की थी राजा की हत्या

राजा वहीं ढेर हो गया, उस के बाद भी मिनी कुल्हाड़ी से एक वार उस पर और किया गया. उस का काम तमाम हो जाने पर और शरीर का सारा खून निकल जाने पर तीनों ने सेल्फी पौइंट पर उसे उठा कर रखा. वहां  करीब 3 फीट ऊंची ग्रिल लगी हुई थी. राजा की लाश को उठा कर नीचे गहरी खाई में फेंकने की तीनों ने कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली. तब सोनम ने आगे बढ़ कर लाश को ऊपर उठा कर खाई में फेंकने के लिए मदद की. ऐसा करने से उन के कपड़ों पर खून लग गया तो उन्होंने खून में सने कपड़े उतार कर वहीं फेंक दिए. उस के बाद तीनों पार्किंग स्थल पर पहुंचे. वहां से तीनों किलर्स वाली 2 स्कूटियों पर बैठ कर चारों निकल लिए.

पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि एक बुरका, जो विशाल ले कर आया था, सोनम को दिया. सोनम वह बुरका पहन कर अकेले वहां से निकली, ताकि बीच में जो टोल आते हैं या सीसीटीवी में उस का चेहरा  कैद न होने पाए. उस के बाद सोनम वहां से गुवाहाटी पहुंची. वहां के आईएसबीटी से वह बस ले कर पटना के लिए और फिर पटना से वह आरा पहुंच गई. आरा से वह लखनऊ पहुंची और लखनऊ से 26 तारीख को इंदौर पहुंच गई. इंदौर में राज कुशवाहा से उस की मुलाकात हुई. देवास नाके के पास एक किराए के फ्लैट में वह 8 जून तक इंदौर में रही. इस बीच राज कुशवाहा ने सोनम की सहूलियत का पूरा खयाल रखा था.

4 जून, 2025 को राजा के शव को इंदौर लाया गया. सोनम ने अपने पति राजा की अर्थी के लिए कफन और फूल मालाओं का इंतजाम कर के अपने प्रेमी राज के हाथ अपनी ससुराल भिजवाया. राजा के परिवार में सब से ज्यादा उस की मम्मी और बहन सृष्टि का रोरो कर बुरा हाल था. पूरे इंदौर में रघुवंशी समाज में रोष व्याप्त था. शोक की लहर दौड़ गई थी. इस के लिए एक दिन कैंडल मार्च का आयोजन हुआ. इस में बड़ी संख्या में समाज के लोग उपस्थित हुए.

शिलांग के एसपी विवेक सिएम ने प्रैस कौन्फ्रेंस कर कहा कि पहले राजा के कत्ल करने का प्लान गुवाहाटी में था, लेकिन यह प्लान फेल होने पर शिलांग में राजा रघुवंशी मारा गया. 3 बार कत्ल करने का प्रयास किया गया, लेकिन किलर्स असफल हो गए और चौथी बार में हत्या कर पाए. उन्होंने बताया कि राजा मर्डर केस का मास्टरमाइंड राज कुशवाहा है, सोनम ने उस का साथ दिया. पहले दिन की पूछताछ में आरोपियों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. तीनों आरोपी राज कुशवाहा और सोनम के दोस्त हैं, जिस में एक राज का चचेरा भाई था. दोस्ती के कारण तीनों आरोपी हत्या में शामिल हुए. शिलांग एसपी विवेक सिएम ने आगे कहा कि यह मामला सुपारी का नहीं है. तीनों आरोपी भी 19 मई को गुवाहाटी आ गए थे.

पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि सोनम रघुवंशी और राज कुशवाहा राजा रघुवंशी की हर हालत में हत्या करना चाहते थे. उन्होंने इस के लिए एक पिस्टल खरीदी थी. यदि कुछ भी नहीं हो पाता तो सोनम सेल्फी देने के बहाने राजा को सेल्फी पौइंट से नीचे गहरी खाई में जिंदा ही धकेल देती. पुलिस को यह भी पता चला कि राज और सोनम ने हीराबाग के फ्लैट में एक बैग छिपाया था. इस बैग में कपड़ों के बीच देसी पिस्टल, 5 लाख रुपए, सोने की चेन, अंगूठी और राजा की हत्या से संबंधित कुछ अन्य सबूत वाली चीजें थीं. मेघालय पुलिस ने पांचों अपराधियों से पूछताछ कर उन्हें जेल भिजवा दिया.

अभी इंदौर में मेघालय पुलिस की टीम एक बैग की तलाश कर रही है. यह ट्रौली बैग मेघालय से विशाल चौहान ने देवास नाका के उस फ्लैट पर पहुंचाया था, जहां पर सोनम हत्या के बाद रुकी थी. अब एक प्रौपर्टी डीलर, जिस का नाम है सिलोन जेम्स, की गिरफ्तारी हुई है. यह वही प्रौपर्टी डीलर है, जिस ने सोनम को राजा रघुवंशी की हत्या के बाद जब सोनम इंदौर लौटी थी तो इंदौर में रेंट पर फ्लैट दिलाया था. गुना का एक सिक्योरिटी गार्ड भी अब शिलांग पुलिस के शक के घेरे में है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा गार्ड बलबीर अहिरवार उर्फ बल्लू को गिरफ्तार कर लिया गया है. इसी मामले में आठवें आरोपी की भी गिरफ्तारी हुई है.

प्रौपर्टी डीलर ने पुलिस को बताया कि किसी स्थान पर बैग जला दिया है. पुलिस ने  उस स्थान की भी जांच की. कुछ नमूने लिए हैं. पुलिस ने उसे मेघालय ले जा कर अदालत में पेश किया. आठवें आरोपी ग्वालियर निवासी लोकेंद्र सिंह तोमर को मेघालय पुलिस ने गिरफ्तार किया है, जो उस फ्लैट का मालिक है जिस में हत्या के बाद फरार हुई सोनम रघुवंशी इंदौर में छिपी थी.

सोनम की फैक्ट्री में एंप्लाई था राज

राज कुशवाहा गाजीपुर थाना क्षेत्र के रामपुर गांव का निवासी है. राज कुशवाहा के पापा 3 भाई थे. 2 भाई रामपुर सुकेति गांव में अभी भी रहते हैं. 15 साल पहले राज कुशवाहा के पिता की स्थिति अच्छी नहीं थी. वह इंदौर चले गए थे. वहां फल की दुकान लगाने लगे. परिवार की हालत सुधरने पर करीब 10 साल पहले परिवार को वहीं बुला लिया. राज कुशवाहा की मम्मी चुन्नीबाई, बड़ी बहन सुहानी और छोटी बहन प्रिया और राज कुशवाहा अपने पापा के पास इंदौर चले आए. कोरोना काल में उस के पापा परिवार के साथ गांव आ गए. उस समय राज कुशवाहा भी आ गया.

कोरोना काल में ही राज के पापा की मौत हो गई. राज कुशवाहा परिवार के साथ फिर इंदौर आ गया. यहां राज कुशवाहा  प्लाईवुड की एक कंपनी में काम करने लगा. यह कंपनी सोनम रघुवंशी की थी. सोनम के यहां पर राज प्लाईवुड का काम करता था. उस ने ज्यादा तो नहीं, लेकिन हाईस्कूल परीक्षा पास कर रखी थी. इस कंपनी में उसे अकाउंट के काम पर लगा लिया गया. एक दिन राज कुशवाहा सोनम रघुवंशी के केबिन में पहुंचा. उसे देखते ही सोनम रघुवंशी ने पूछा, ”हां बताओ, कैसे आना हुआ?’’

”मैडम, मुझे 5 हजार रुपए की जरूरत है.’’

सोनम मलिकाना तेवर में बोली, ”अभी एक हफ्ता पहले ही तो वेतन मिला है. अभी से एडवांस लेने आ गए.’’

कुछ और खरीखोटी सुनाई. राज कुशवाहा बड़ा निराश हुआ, उस की आंखें डबडबा गईं. औफिस से बाहर जाने के लिए राज कुशवाहा जैसे ही मुड़ा, सोनम की आवाज आई, ”रुपए किस काम के लिए चाहिए?’’

राज कुशवाहा ने कहा, ”मम्मी की तबीयत खराब है. उन के इलाज के लिए जरूरत है.’’ मासूम चेहरे पर बड़ीबड़ी आंखों में छलकते आंसू देख कर सोनम का दिल पसीज गया. सोनम ने दराज से 5 हजार रुपए निकाल कर राज को दे दिए. सोनम के अहसान के बोझ को सिर पर लिए डगमगाते कदमों से राज औफिस से बाहर आ गया. यहीं से उम्र में करीब 5 साल छोटे अपने कर्मचारी राज के लिए सोनम के दिल में हमदर्दी का बीज अंकुरित हो गया. दूसरे दिन फैक्ट्री की साप्ताहिक छुट्टी थी.

अगले दिन राज अपनी ड्यूटी पर समय से फैक्ट्री आ गया और अपने काम में जुट गया. अचानक कदमों की आहट उसे सुनाई दी. उस के टेबल के पास तक कोई आया. इस से पहले कि वह सिर उठा कर देखता, तभी उस के कानों में एक मधुर आवाज सुनाई दी, ”ये लो एक हजार रुपए. यह एडवांस में नहीं जुड़ेंगे. यह मेरी तरफ से अपनी मम्मी की दवाई में खर्च कर लेना. और हां, अब उन की तबीयत कैसी है?’’

इतना सुन कर राज अपनी सीट से उठ कर खड़ा हो गया. नजरें नीची रहीं. अपनी मम्मी की तबीयत के बारे में जानकारी दी. राज ने कहा, ”मैम, आप का दिल कितना बड़ा है, आप जैसे लोग समाज में अब कम ही मिलते हैं. यह एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता.’’

एक दिन इंदौर के खूबसूरत मार्केट में राज गया था, तभी अचानक किसी ने उसे आवाज दी. उस ने मुड़ कर देखा तो सोनम स्कूटी रोके खड़ी थी. उस ने पास की ही एक कौफी हाउस की तरफ इशारा करते हुए कहा कि यहां आओ, मैं भी पहुंच रही हूं.

उस दिन फैक्ट्री का साप्ताहिक अवकाश था. कौफी हाउस पहुंच कर दोनों आमनेसामने की सीट पर बैठे. सोनम ने कोई बात नहीं की, बल्कि अपने मोबाइल में मगन रही. वेटर 2 कौफी टेबल पर रख गया. राज नजरें नीचे किए हुए बैठा था. राज को सोनम की उस बात का इंतजार था, जिस के लिए उसे यहां कौफी हाउस में बुलाया था.

अचानक सोनम ने कहा, ”हां राज, बताओ मम्मी की कैसी तबीयत है?’’

सिर झुकाए बैठे राज ने कहा, ”अब तो काफी ठीक है.’’

”चलो, कौफी पियो!’’

राज ने कौफी का कप उठाया. उस की नजर सोनम की तरफ गई तो उस के हाथ कांप गए. बड़ी मुश्किल से कप को गिरने से रोक पाया. फिर भी थोड़ी सी कौफी छलक कर गिरी. सोनम की नजरें उस पर गड़ी थीं, उस प्यार भरी नजरों को कोई भी आसानी से समझ सकता था. कातिलाना नजरें और जादुई मुसकराहट उस के दिल में उतर गई. राज ने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. इस तरह हमदर्दी के साथ प्रेम के बीज की भी बुवाई हो गई.

रातें अब ख्वाबों में और दिन उस की यादों में गुजरने लगे. प्रेम का ये अंकुर धीरेधीरे एक विशाल वृक्ष बनने को बेताब था. उस की बातें जैसे ठंडी हवा की तरह गर्म दुपहरी में सुकून दे रही हों. आंखों ही आंखों में जो बातें होतीं, वो लफ्जों से परे थीं. राज का दिल अब हर धड़कन में उस का नाम लेने लगा. वह साथ हो या न हो, उस की मौजूदगी हर पल महसूस होती. राज को अब समझ आने लगा कि ये सिर्फ आकर्षण नहीं, कुछ गहरा ताल्लुक है.

इस तरह हमदर्दी से शुरू हुआ रिश्ता अब इश्क की दहलीज पर दस्तक दे रहा था. राज के दिन अब मस्ती में गुजरने लगे. आर्थिक संकट भी दूर हो गया था, क्योंकि 20 हजार रुपए महीने की नौकरी में उस के परिवार का गुजारा करना मुश्किल होता था. अब तो ठाट ही ठाट थे. दिन गुजरते गए, प्यार की पींगें बढ़ती रहीं और फिर 2 जिस्म एक जान हो गए. साथ जीनेमरने की कसमें खाई गईं और एकदूसरे का साथ न छोडऩे का वादा किया गया.

राजा रघुवंशी हत्याकांड खुल जाने के बाद मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने  कहा कि जिन लोगों ने मेघालय को बदनाम किया है, उन्हें माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो उन के खिलाफ काररवाई की जाएगी. मेघालय के गृहमंत्री बोले, ”हमारी पुलिस को बेवजह बदनाम किया गया.’’

पुलिस के गले की फांस बन गया था यह केस

मेघालय के गृहमंत्री प्रेस्टोन टेनसांग ने अपने बयान में कहा कि मेघालय पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए. ये बात शुरू से हजम नहीं हो रही थी कि यहां के स्थानीय लोग लूटपाट के लिए किसी पर्यटक की हत्या कर दें. अब हमारी पुलिस ने सब दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया. इस केस में जल्दी से जल्दी तसवीर साफ होना इसलिए भी जरूरी था कि मेघालय में हर साल 11 लाख टूरिस्ट आते हैं. उन के भरोसे के लिए भी ये जरूरी था कि जल्द से जल्द इस केस का खुलासा हो. उधर सोनम रघुवंशी अपने प्रेमी राज कुशवाहा और अन्य लोगों के पकड़े जाने पर इंदौर से गाजीपुर कैसे गई, उस रहस्य का भी पुलिस ने परदाफाश कर दिया. जिस टैक्सी से सोनम इंदौर से उत्तर प्रदेश रवाना हुई थी, उस के ड्राइवर पीयूष तक भी पुलिस पहुंच गई है.

टैक्सी ड्राइवर पीयूष से भी एक घंटे तक क्राइम ब्रांच थाने में पूछताछ की गई. उधर उजाला यादव ने यह दावा किया था सोनम मुझे वाराणसी कैंट स्टेशन पर मिली थी. एक ड्राइवर और एक व्यक्ति उसे वहां तक छोडऩे आए थे. तुरंत ट्रेन न होने पर सोनम वाराणसी के बस अड्डे पर आई और उसी बस में बैठ गई, जिस में वह बैठी थी. उजाला ने बताया कि वह गोरखपुर जाने के लिए कह रही थी. उस ने एक लड़के से फोन करने के लिए मोबाइल मांगा. उस ने नहीं दिया. मुझ से भी उस ने मोबाइल मांगा, मैं ने दिया. एक नंबर डायल कर के डिलीट कर दिया. काल नहीं की.

ऐसा हो सकता है कि उस के पास कोई मोबाइल होगा. कहीं बीच में उस के पास काल आई होगी कि सभी लोग पकड़े गए हैं. गाजीपुर ही उतर जाए. गाजीपुर उतर कर उस ने वह छोटा मोबाइल नष्ट कर दिया होगा. तभी वह रात के 2 बजे चाय की दुकान पर पहुंच गई. वरना राज और सोनम का इरादा गोरखपुर से नेपाल भाग जाने का था. राज इतना शातिरदिमाग होगा, यह अंदाजा किसी को नहीं था.  ऐसा प्लान पेशेवर अपराधी भी नहीं बना पाते. यदि मामला हाईप्रोफाइल नहीं बनता तो सोनम और राज अपनी योजना में सफल हो जाते. वह तो मेघालय की पुलिस ने ड्रोन कैमरे से रघुवंशी की डेडबौडी तलाश कर ली थी.

एक तरफ राजा की मम्मी हैं, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को खोया है, उन पर क्या बीत रही होगी. दूसरी तरफ सोनम की मम्मी का दर्द है, जिसे मर्डर की मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. तीसरी मां उस आरोपी राज की है, जिसे सोनम का बौयफ्रेंड बताया जा रहा है. तीनों मां का अपना अलगअलग दर्द है. राज कुशवाह की मम्मी चुन्नीबाई, बड़ी बहन सुहानी और छोटी बहन प्रिया मानने को तैयार नहीं हैं कि राज कुशवाहा राजा रघुवंशी की हत्या कर सकता है. सुहानी ने कहा, ”मेरा भाई ऐसा कर ही नहीं सकता. वह तो सोनम को दीदी कहता था.’’

जहां मृतक राजा की बहन सृष्टि अपने भाई के खोने का दर्द बयां कर रही है, वहीं आरोपी सोनम के प्रेमी राज कुशवाहा की बहन अपने भाई को बेगुनाह बताते हुए साजिश का आरोप लगा रही है. दोनों बहनों का दर्द, एक भाई की हत्या और दूसरे की गिरफ्तारी ने इस हनीमून मर्डर को और मार्मिक बना दिया है. Hindi Crime Story

 

 

UP Crime News : फौजी पति के किए टुकड़ेटुकड़े

UP Crime News : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में मेरठ के ड्रम कांड से भी बड़ा मामला सामने आया है. 45 वर्षीय माया देवी ने अपने 62 वर्षीय पति रिटायर्ड फौजी देवेंद्र राम की हत्या कर लाश के ऐसे टुकड़े किए कि सुनने वालों की भी रूह कांप उठे. आखिर माया क्यों बनी इतनी निर्दयीï? पढ़ें, यह सनसनीखेज कहानी.

जब भी माया देवी प्रेमी अनिल यादव से मिलती, उसे अपनी चोटें दिखाती थी. अनिल कहता था कि तुम अपने पति देवेंद्र राम को छोड़ क्यों नहीं देती. तब माया उस से कहती कि इस की भी उस के सामने मजबूरी है. उस के 4 बच्चे हैं, जिन की वजह से मैं पति को चाहते हुए भी नहीं छोड़ नहीं पा रही हूं. एक दिन की बात है. अनिल को ले कर माया और देवेंद्र के बीच झगड़ा ज्यादा बढ़ गया. दूसरे दिन ये सारी बातें माया देवी ने अनिल प्रेमी को बता दीं और कहा, ”अब मुझ से यह रोजरोज के लड़ाईझगड़े झेले नहीं जा रहे हैं. मैं उस से तंग आ चुकी हूं. तुम्हें कुछ न कुछ करना होगा वरना तुम मुझे भूल जाओ.’’

”जानू, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूं. बताओ, क्या करना है?’’ अनिल बोला.

”करना क्या है, उसे ठिकाने लगाना होगा, तभी मैं चैन से रह सकती हूं.’’

”ठीक है, तुम ने कहा तो यह काम हो जाएगा.’’ अनिल ने उसे भरोसा दिया.

वारदात से करीब 20 दिन पहले ही माया ने अनिल के साथ मिल कर पति देवेंद्र को रास्ते से हटाने का पूरा प्लान बना लिया था. योजना यह बनाई कि देवेंद्र को मार कर उस की लाश को दूर ले जा कर जला देंगे. न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी. इस वारदात को अंजाम देने के लिए माया ने 9 मई, 2025 का दिन चुना. क्योंकि उसी दिन उस की छोटी बेटी सुुप्रिया कोटा से घर आ रही थी. वह कोटा में नीट की कोचिंग कर रही थी. वह कोटा से बक्सर (बिहार) रेलवे स्टेशन आती. बलिया से बक्सर रेलवे स्टेशन करीब 35-36 किलोमीटर दूर था. बेटी को बक्सर रेलवे स्टेशन से लेने जाना था.

उस दिन देवेंद्र बलिया जिले के हरिपुर गांव वाले घर पर गए थे. जबकि माया देवी बहादुरपुर वाले मकान पर थी. कहां और कैसे देवेंद्र राम की हत्या करनी है, कौनकौन इस हत्या में शामिल रहेगा, हत्या कर शव को कहां ठिकाने लगाना है? इस का भी खाका खींच लिया गया था. प्रेमी अनिल यादव नशीला पदार्थ और चापड़ बाजार से खरीद कर ले आया था. प्लान के मुताबिक, माया देवी ने पति देवेंद्र को फोन कर के कहा, ”आप साक्षी को बक्सर रेलवे स्टेशन से लेने जाएंगे तो मैं भी आप के साथ स्टेशन चलंूगी. आप मुझे यहां घर से ले लेना.’’

देवेंद्र उस समय हरिपुर वाले मकान से निकले और बहादुरपुर वाले घर पर पत्नी के पास आ गए. घर आते ही योजना के अनुसार माया ने उन्हें नशीला पदार्थ मिली हुई कोल्ड ड्रिंक पीने को दी. कोल्डड्रिंक पीते ही देवेंद्र राम बेहोश हो गए. तब माया देवी ने प्रेमी अनिल यादव को फोन कर दिया. अनिल अपने साथी मिथिलेश और सतीश के साथ माया के घर पहुंच गया.  वहां देवेंद्र उन्हें गहरी नींद में मिले. चारों ने मिल कर चापड़ से बेहोशी की हालत में देवेंद्र राम की हत्या कर दी. अनिल ने पहले चापड़ से देवेंद्र का सिर धड़ से अलग किया. इस के बाद उस के दोनों हाथ, दोनों पैर काट दिए. कटे अंगों को अलगअलग काले रंग की पौलीथिनों में लपेट कर साथियों के साथ बोलेरो से अनिल यादव अपने गांव खरीद ले गया.

इधर माया देवी ने पति को ठिकाने लगाने के बाद घर को पूरी तरह से साफ कर दिया. इस के बाद बेटी साक्षी का फोन आने के बाद वह एक वाहन से बेटी को लेने बक्सर रेलवे स्टेशन चली गई और बेटी को ले कर घर आ गई. साक्षी ने मम्मी से पापा के बारे में पूछा भी था. तब माया ने झूठ बोलते हुए बेटी को बताया कि वो तो तुझे लेने के लिए घर से स्टेशन के लिए निकल चुके हैं, लेकिन पता नहीं कहां चले गए. साक्षी को क्या पता था कि उस की मम्मी पापा को ठिकाने लगा चुकी है. आधी रात बीतने के बाद प्रेमी अनिल यादव ने देवेंद्र राम के कटे हुए हाथपैर खरीद गांव के एक बगीचे में फेंक दिए. धड़ को बगीचे से लगभग 500 मीटर दूर कुएं में डाल दिया और सिर घाघरा नदी में फेंक दिया.

पुलिस ने देवेंद्र राम के सिर की तलाश में घाघरा नदी में अभियान भी चलाया, लेकिन सिर बरामद नहीं हुआ. फिर योजना के अनुसार 10 मई, 2025 को माया ने कोतवाली सिकंदरपुर पहुंच कर 62 वर्षीय पति देवेंद्र राम की गुमशुदगी दर्ज करा दी. उस ने इंसपेक्टर योगेंद्र बहादुर सिंह को बताया कि वह बेटी को बक्सर रेलवे स्टेशन से लेने के लिए गए थे, तभी से लापता हैं. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गांव हरिपुर के रहने वाले देवेंद्र राम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) में इलैक्ट्रिशियन थे. वह 2 साल पहले रिटायर हुए थे. देवेंद्र का परिवार डेढ़ दशक से बहादुरपुर स्थित मकान में रहता था. जबकि देवेंद्र राम हरिपुर गांव में ही रहते थे.

उन की शादी 28 साल पहले माया देवी के साथ हुई थी. दोनों की उम्र में 15 साल का अंतर था. वर्तमान में पत्नी माया देवी की उम्र 47 साल है. फौजी देवेंद्र राम के 3 बेटियां व एक बेटा है. सब से बड़ी बेटी जयपुर में रह कर प्राइवेट नौकरी कर रही थी. मझली बेटी नोएडा में रह कर नौकरी कर रही थी. जबकि सब से छोटी बेटी साक्षी कोटा में नीट की तैयारी कर रही थी. बेटा हौस्टल में रह कर पढ़ाई कर रहा था. देवेंद्र राम का परिवार करीब 15 साल से बहादुरपुर के मकान में रहता था. रिटायर होने के बाद देवेंद्र राम ज्यादातर गांव के मकान में ही रहते थे. उन्हें गांव का शांत माहौल पसंद था.

जबकि उन की पत्नी माया देवी को शहर वाले मकान में रहना पसंद था. देवेंद्र ने पत्नी माया से कई बार कहा कि तुम भी गांव के मकान में आ कर रहो. जब कभी मन हुआ करेगा, हम दोनों शहर के मकान में जा कर रह लिया करेंगे. लेकिन माया देवी को शहर के मकान में रहना अच्छा लगता था.

माया को 15 साल छोटे युवक से हुआ प्यार

वह वहां अकेली रहती थी. कभीकभी देवेंद्र राम ही गांव से शहर के मकान में रहने आ जाते और कुछ दिन रहने के बाद वापस गांव चले जाते. गांव में ही उन के भाई नगेंद्र का मकान भी था.  करीब 4 साल पहले 2021 में माया देवी की मुलाकात बलिया के सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के खरीद गांव के रहने वाले ट्रक डाइवर 28 वर्षीय अनिल यादव से गांव हरिपुर में एक शादी कार्यक्रम में हुई. दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए. अब दोनों एकदूसरे से बातचीत करने लगे. धीरेधीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईं और फिर वह माया देवी के घर आने लगा. कहने को दोनों की उम्र में खासा अंतर था, लेकिन उन के बीच उम्र का बंधन आड़े नहीं आया.

जल्द ही दोनों के बीच अफेयर शुरू हो गया. एक दिन अनिल ने माया देवी से मिलने की इच्छा जाहिर की. मौका देख कर माया देवी ने अनिल यादव को अपने घर बुला लिया. उस दिन पति देवेंद्र घर पर नहीं था. दोनों ने चाय पी और जी भर कर बातें कीं. इस के बाद अनिल यादव अकसर देवेंद्र के गांव जाने के बाद माया देवी के घर पर ही रहता था. धीरेधीरे यह बात मोहल्ले वालों को भी पता चल गई. माया देवी और अनिल यादव एकदूसरे के बहुत करीब आ चुके थे. दोनों में जिस्मानी रिश्ते बन चुके थे. दोनों बेखौफ बाइक पर घूमते थे. एकदूसरे के लिए कुछ भी कर सकते थे. यह सिलसिला पिछले 4 साल से बिना किसी विघ्नबाधा के बदस्तूर चल रहा था.

रिटायरमेंट के बाद माया का चालचलन देख कर देवेंद्र राम ने विरोध शुरू किया जो माया को नागवार लगता था. कई बार घर पर जब अनिल को देखा, तब देवेंद्र ने माया से अनिल के बारे में पूछा तो माया ने उसे अपना दोस्त बताया. देवेंद्र ने कई बार उसे डांटा कि उसे घर मत बुलाया करो. लेकिन माया नहीं मानी. वह अनिल के बिना नहीं रह पाती थी. मना करने के बावजूद वह अनिल से मिलती रही. यह बात मोहल्ले वालों को भी पता चल गई. लोगों ने देवेंद्र को दोनों के संबंधों के बारे में बता दिया.

माया देवी के अवैध संबंधों की जानकारी उस के बच्चों को भी हो गई. अब पति देवेंद्र राम पत्नी के इन क्रियाकलापों से परेशान रहने लगे. उन की मोहल्ले में बदनामी भी हो रही थी. लेकिन वह चाह कर भी अनिल और पत्नी को मिलने से नहीं रोक पा रहे थे. इस बात को ले कर माया और देवेंद्र राम के बीच अकसर लड़ाईझगड़ा होने लगा. जब पत्नी उन की बात नहीं मानती तो वह उसे मारतापीटता भी था. फिर रोजरोज की पिटाई से तंग आ कर माया ने एक प्लान बना कर प्रेमी के साथ मिल कर पति की हत्या करा दी और अनिल ने अपने साथियों द्वारा डैडबौडी ठिकाने लगा दी.

10 मई, 2025 की बात है. बलिया जिले के गांव खरीद से दियारा की तरफ नदी घाट की ओर जाने वाले रास्ते के बगल में स्थित एक बगीचे से कुछ महिलाएं गुजर रही थीं, तभी एक महिला की नजर वहां पड़ी एक बड़ी सी पौलीथिन पर गई. उसे जिज्ञासा हुई कि पता नहीं इस पौलीथिन में क्या है? उस महिला ने जैसे ही पौलीथिन को खोला, उस के मुंह से चीख निकल गई. पौलीथिन में किसी इंसान के 2 हाथ और 2 पैर थे. इस के बाद उस महिला ने यह बात शोर मचा कर उधर से गुजरने वाल अन्य लोगों को बता दी.

मानव अंग मिलने की बात जंगल की आग की तरह पूरे गांव में फैल गई. लोग वहां एकत्र हो गए. इसी बीच किसी व्यक्ति ने फोन कर के इस की सूचना थाना सिकंदरपुर में दे दी. सूचना मिलते ही इंसपेक्टर योगेंद्र बहादुर सिंह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंच गए. उन्होंने मौकामुआयना कर कटे हुए अंगों को अपने कब्जे में ले लिया. इन अंगों को देखने पर पता चला कि वह किसी आदमी के हैं. इंसपेक्टर ने इस की सूचना एसपी को दे दी तो उन्होंने कई थानों की पुलिस के अलावा फील्ड यूनिट टीम को भी मौके पर रवाना कर दिया. जांच टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाए.

पुलिस टीम को यह समझते देर नहीं लगी कि मृतक की हत्या कहीं और करने के बाद शव को यहां बगीचे में ला कर डाला गया है. अब पुलिस सब से पहले मृतक के शेष शरीर को बरामद कर मृतक की पहचान उजागर करना चाहती थी, ताकि वह हत्यारों को पकड़ सके. एसपी ओमवीर सिंह के निर्देश पर इंसपेक्टर योगेंद्र बहादुर सिंह ने आसपास के थानों से यह पता करने का प्रयास किया कि कहीं किसी आदमी की गुमशुदगी या अपहरण की कोई घटना तो नहीं हुई या इस संबंध में कोई रिपोर्ट तो दर्ज नहीं है?

चूकि जिले में एक व्यक्ति के किडनैप की घटना चल रही थी, इसलिए उस के परिजनों से संपर्क किया गया, लेकिन परिजनों ने अंगों को देखने के बाद मना कर दिया. इस के बाद पुलिस टीम निराश नहीं हुई और घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी करने के बाद अंगों को पोस्टमार्टम एवं डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित रखवा दिया.

किस के थे पौलीथिन में निकले कटे हाथपैर

पौलीथिन में हाथपैर मिलने के मामले में पुलिस छानबीन कर ही रही थी कि सोमवार 12 मई, 2025 को बगीचे से लगभग 500 मीटर दूर झाडिय़ों के पास कुएं से बदबू आ रही थी. वहां बकरी चराने पहुंची महिलाओं ने इस बात की पुलिस को सूचना दी. पुलिस मोके पर पहुंची और उस ने कुएं से बड़ी पौलीथिन को बाहर निकलवाया तो उस में बिना हाथपैर का किसी आदमी का धड़ मिला. इस से आशंका व्यक्त की जाने लगी कि यह धड़ शायद उसी व्यक्ति का होगा, जिस के हाथपैर बगीचे से बरामद हुए थे. इस के बाद पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस ने मृतक के हाथपैर और धड़ के फोटो सर्कुलेट किए. अब सवाल यह था कि मृतक का सिर कहां है? पुलिस ने अंग मिलने वाले क्षेत्र के चप्पेचप्पे को छान मारा, लेकिन सिर नहीं मिला.

इस के बाद पुलिस ने माया देवी को बुला कर पहचान कराई. क्योंकि 2 दिन पहले उस ने अपने पति की गुमशुदगी थाना सिकंदरपुर में दर्ज कराई थी. माया देवी ने कटा धड़ देख कर बताया कि यह धड़ उस के पति देवेंद्र राम का ही है. देवेंद्र राम के शव को उन के आवास से करीब 50 किलोमीटर दूर ठिकाने लगाया गया था. माया देवी के साथ मौजूद मृतक देवेंद्र राम के भतीजे अतुल कुमार ने पुलिस को बताया कि शुक्रवार को देवेंद्र राम की छोटी बेटी साक्षी कोटा से आ रही थी. उसे लेने के लिए चाचा देवेंद्र राम बक्सर रेलवे स्टेशन जाने की बात कह कर सुबह साढ़े 8 बजे गांव हरिपुर से शहर वाले आवास के लिए निकले थे. देवेंद्र का एक मकान खेजुरी थाना क्षेत्र के हरिपुर गांव में तथा दूसरा नगर कोतवाली सिकंदरपुर के बहादुरपुर में स्थित है.

शाम को साक्षी जब बक्सर पहुंची तो स्टेशन पर उसे लेने पापा नहीं आए. तब साक्षी ने अपने पापा को फोन मिलाना शुरू किया. लेकिन उन का फोन स्विच्ड औफ होने के कारण बात नहीं हो सकी. करीब आधे घंटे बाद उस ने अपनी मम्मी माया को फोन किया और बताया कि वह बक्सर पहुंच गई है, लेकिन पापा उसे लेने नहीं आए और न उन से संपर्क हो पा रहा है. इस के बाद माया देवी किसी वाहन से बेटी साक्षी को लेने बक्सर रेलवे स्टेशन पहुंची.

माया देवी से पूछताछ करने के बाद एएसपी कृपाशंकर ने आरोपी अनिल यादव व अन्य की तलाश में पुलिस टीम लगाई गई थी. माया का प्रेमी अनिल यादव ट्रक ड्राइवर है. वह बलिया के सिकंदरपुर थाना क्षेत्र के खरीद गांव का रहने वाला था. जबकि उस का साथी मिथिलेश यादव बोलेरो चालक है. सतीश अनिल का दोस्त है. तीनों एक ही गांव के हैं.

आखिर एनकाउंटर में पकड़े गए आरोपी

इसी बीच खास मुखबिर की सूचना पर चैकिंग के दौरान टाउन पौलीटेक्निक के पास 13  मई की देर रात पुलिस और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हो गई. मुख्य आरोपी अनिल यादव ने पुलिस पर फायरिंग की. जवाब में पुलिस ने गोली चलाई. मुठभेड़ में अनिल यादव के पैर में गोली लगी. उसे जिला अस्पताल में भरती कराया गया. जबकि अनिल के साथी सतीश को दौड़ कर पकड़ लिया. सतीश के पास से तमंचा, 2 कारतूस, बाइक बरामद की.

अनिल ने बताया कि इस हत्याकांड में सतीश और मिथिलेश यादव ने उस की मदद की थी. हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल चापड़ तथा बोलेरो भी बरामद कर ली. बेटी ने मां और उस के प्रेमी पर पापा की हत्या का आरोप लगाते हुए तहरीर दी थी. इस पर प्रेमी अनिल यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. पुलिस देवेंद्र राम का धड़ एक कुएं से बरामद कर चुकी थी, लेकिन सिर नहीं मिला था. आरोपियों ने बताया कि देवेंद्र राम का सिर उन्होंने बहादुरपुर से 38 किलोमीटर दूर घाघरा नदी में फेंक दिया था. पुलिस गोताखोरों की मदद से सिर की तलाश में जुटी, लेकिन सफलता नहीं मिली. तब पुलिस ने चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

अपराध की दुनिया में बलिया की माया ने मेरठ की मुसकान, इंदौर की सोनम को भी पीछे छोड़ दिया है. जहां मुसकान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिल कर अपने पति सौरभ की बेरहमी से हत्या करने के बाद लाश के कई टुकड़े कर प्लास्टिक के नीले ड्रम में भर कर सीमेंट से जमा दिए थे. वहीं इंदौर की सोनम ने शादी के 12 दिन बाद ही हनीमून पर ले जा कर पति राजा रघुवंशी की अपने प्रेमी राज कुशवाह की खातिर सुपारी दे कर शिलांग में हत्या करा दी थी.

वहीं अब बलिया में यह वीभत्स हत्याकांड सामने आया है. एक पत्नी ने खौफनाक तरीके  से वारदात को अंजाम दिया. इस सनसनीखेज वारदात का खुलासा तब हुआ, जब आरोपी माया देवी की बेटी व जेठ ने पुलिस को उस की संदिग्ध हरकतों के बारे में बताया. इस रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना से हर इंसान हैरान था.

समाज जा किधर रहा है? पतिपत्नी एक दूसरे पर विश्वास न करें तो किस पर करें. फेरे लेते समय तो जीवन भर एकदूसरे का साथ निभाने की कसम ली जाती है, लेकिन जल्दी ही इन कसमों को भुला दिया जाता है. अवैध संबंधों का अंजाम क्या होता है, इस घटना से अच्छी तरह से समझा जा सकता है. UP Crime News

—कथा में साक्षी परिवर्तित नाम है.

 

 

True Crime Stories : मोबाइल पर आशिक से बात करती पत्नी को देख गुस्साए पति ने कर दी हत्या

True Crime Stories : पत्नी मधु के कहने पर सतीश कुमार श्रीवास्तव ने अपनी तरह उसे भी मैडिकल रिप्रजेंटेटिव बनवा दिया था. उसी दौरान मधु के कदम बहक गए. इस का परिणाम इतना घातक निकला कि…

पतिपत्नी का रिश्ता आपसी विश्वास पर टिका होता है. कोई आदमी किसी पर सब से अधिक विश्वास करता है तो अपनी पत्नी पर. पत्नी ही तो उस की सब से अच्छी दोस्त और जीवनसाथी होती है. ऐसे में पति उस पर अगाध विश्वास न करे तो भला किस पर करे. सतीश को भी अपनी पत्नी मधु पर अंधविश्वास की सीमा तक विश्वास था. उस का यह यकीन तब दरका, जब एक दिन अचानक तबीयत खराब होने से शाम को वह जल्दी घर लौट आया. दरअसल सतीश मैडिकल रिप्रजेंटेटिव था. वह सुबह 10 बजे घर से निकलता था, फिर रात 9 बजे के आसपास ही उस की वापसी होती थी. लेकिन उस दिन वह जल्दी घर आ गया था.

सतीश कुमार श्रीवास्तव जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंचा, अंदर से मधु की खिलखिलाहट सुनाई दी. सतीश के पांव जहां के तहां ठहर गए. सोचने लगा, ‘जब मैं घर में रहता हूं, तब मधु की त्यौरियां चढ़ी होती हैं. कुछ कहता हूं तो चिढ़ जाती है, बोलो मत, मूड खराब है. लेकिन अब वह किस के साथ खिलखिला रही है.’ सतीश ने दिमाग पर जोर दिया, पर उसे याद नहीं आया कि मधु कब उस के सामने इस तरह दिल से खिलखिलाई थी. सतीश के दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा, ‘आखिर इस समय घर के अंदर कौन है जिस के साथ वह इस तरह खिलखिला कर बातें कर रही है.’

सतीश ने कदम आगे बढ़ाया, लेकिन फिर खींच लिया. मधु कह रही थी, ‘‘तुम्हारे जोश की तो मैं दीवानी हूं. अरे छोड़ो यार, तुम किस माटी के माधव की बात कर रहे हो. अगर वही रसीला होता तो भला मैं तुम से क्यों दिल लगाती. मैं तो तुम्हारे जोश और तुम्हारी रसीली बातों की दीवानी हूं.’’

एकतरफा संवादों से सतीश ने अनुमान लगा लिया कि कमरे में मधु के अलावा कोई नहीं है. वह फोन पर किसी से रसीली बातें कर रही है. मधु जोश में थी. इसलिए उस की आवाज बुलंद थी. कमरे में की जाने वाली बातें बाहर तक साफ सुनाई दे रही थीं. बातें सुन कर सतीश की खोपड़ी घूम गई, ‘मधु बीवी मेरी और जोश का गुणगान कर रही है किसी दूसरे का.’

सतीश ने गुस्से में दरवाजे पर लात मारी. भीतर से बंद न होने के कारण वह फटाक से खुल गया. सामने ही मधु मोबाइल फोन कान से लगाए टहलटहल कर बातें कर रही थी. पति को देखते ही उस ने हड़बड़ा कर फोन पर चल रही बात डिसकनेक्ट कर दी. इस के बाद वह चेहरे पर मुसकान सजाने की जबरन कोशिश करते हुए बोली, ‘‘अरे तुम, आज इतनी जल्दी घर कैसे आ गए?’’

सतीश ने मधु को खा जाने वाली नजरों से देखा फिर बोला, ‘‘तू किस के जोश की दीवानी है?’’ गुस्से में की पत्नी की पिटाई सतीश ने लपक कर मधु का हाथ पकड़ लिया और उस का मोबाइल छीनने लगा. लपटा झपटी के बीच मधु ने उस नंबर को डिलीट कर दिया, जिस नंबर पर वह रसीली बातें कर रही थी. सतीश का दिमाग पहले से गरम था, नंबर डिलीट करने से और गरम हो गया. उस ने मधु को लातघूंसों और थप्पड़ों पर रख लिया. हर प्रहार के साथ उस का प्रश्न होता था, ‘‘बता, तू किस के जोश की दीवानी है और यह सब कब से चल रहा है?’’

लेकिन पिटाई के बावजूद मधु ने जुबान बंद रखी. मधु को पीटतेपीटते जब सतीश पस्त पड़ गया तो घर के बाहर चला गया. मधु कमरे में सिसकती रही और अपने भाग्य को कोसती रही. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बर्रा थाना अंतर्गत एक मोहल्ला जरौली पड़ता है. इसी मोहल्ले के फेस-2 में सतीश कुमार श्रीवास्तव अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी मधु के अलावा 2 बेटे आयुष व पीयूष थे. वह मूलरूप से औरैया जिले के दिबियापुर कस्बे का रहने वाला था. सालों पहले वह रोजीरोटी की तलाश में कानपुर शहर आया था. वह पढ़ालिखा था. हिंदी और अंगरेजी भाषा पर उस की पकड़ थी. अत: उसे बिरहाना रोड स्थित एक आयुर्वेदिक दवा कंपनी में नौकरी मिल गई थी.

बाद में वह मैडिकल रिप्रजेंटेटिव (एमआर) बन गया और उसी कंपनी की दवा आयुर्वेदिक डाक्टरों के यहां सप्लाई करने लगा था. मधु सतीश की दूसरी पत्नी थी. उस की पहली पत्नी श्वेता की मौत हो गई थी. उस की एक बेटी शिवांगी थी, जो अपनी ननिहाल में पलबढ़ रही थी. पहली पत्नी की मौत के बाद सतीश ने मधु से शादी कर ली थी. मधु पढ़ीलिखी व तेजतर्रार थी. सुंदर भी थी, अत: सतीश उसे बहुत चाहता था और उस पर भरोसा करता था. वह उस की हर खुशी का खयाल रखता था. समय बीतता रहा. समय के साथ मधु के बच्चे आयुष व पीयूष बड़े हुए तो उस का खर्च बढ़ गया.

इस खर्चे को पूरा करने के लिए उस ने पति के साथ काम करने का निश्चय किया. मधु ने इस बाबत सतीश से बात की. पहले तो सतीश ने साफ मना कर दिया. लेकिन पत्नी के समझाने पर बाद में मान गया. सतीश अब विजिट के लिए घर से निकलता तो मधु को भी साथ ले जाता. उस ने कानपुर शहर तथा आसपास के कस्बे के दरजनों वैद्यों व डाक्टरों से मधु का परिचय कराया और दवा बेचने के सारे गुर बताए. उस के बाद मधु सतीश के दवा कारोबार में हाथ बटाने लगी. पत्नी के सहयोग से सतीश अच्छी कमाई करने लगा. मधु का बड़ा बेटा आयुष पढ़ने में कमजोर था. उस का मन पढ़ाई में नहीं लगा तो मधु ने उसे गोविंदनगर स्थित फार्मा मैडिकल स्टोर में काम पर लगा दिया.

लेकिन छोटा बेटा पीयूष तेज दिमाग का था. मधु उसे पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाना चाहती थी. अत: वह उस की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देती थी. पढ़ाई के साथ वह कोचिंग भी जाता था. मधु ने कुछ समय तक ही पति के साथ काम किया. उस के बाद वह डाक्टरों के यहां अलग विजिट पर जाने लगी. मधु का मानना था कि अलगअलग जाने से दवा का और्डर ज्यादा मिलता है. यद्यपि मधु का अलग जाना सतीश को पसंद न था. लेकिन मधु के आगे उस की एक न चली. 2 डाक्टरों को फंसा लिया मधु 2 बेटों की मां जरूर थी. लेकिन उस के बनावशृंगार से कोई भांप नहीं पाता था कि वह 2 जवान बेटों की मां है. सतीश का मन भोगविलास से उचट चुका था.

वह दिन भर की भाग दौड़ से इतना थक जाता था कि खाना खाने के बाद चादर तान कर सो जाता था. इस के विपरीत मधु हर रात पति का साथ चाहती थी. लेकिन वह वंचित रहती थी. मधु को जब पति का साथ नहीं मिला तो उस ने घर के बाहर ताकझांक शुरू की. उस के संपर्क में कई डाक्टर ऐसे थे, जो मनचले थे और जिन्हें औरत सुख की चाहत थी. मधु ने ऐसे ही शहर के 2 डाक्टरों को अपने हुस्न के जाल में फंसाया और उन के साथ मौजमस्ती करने लगी. ये दोनों डाक्टर निजी प्रैक्टिस करते थे. मधु को जब भी मौका मिलता था, वह उन से खूब रसीली बातें करती थी. सतीश पत्नी पर भरोसा करता था. उस ने कभी किसी तरह का उस पर शक नहीं किया. लेकिन उस दिन तबीयत खराब होने पर जब वह समय से पहले घर आया और मधु को मोबाइल फोन पर अश्लील और रसीली बातें करते पाया तो उस का विश्वास डगमगा गया.

शक होने पर उस ने मधु की जम कर धुनाई भी की लेकिन उस ने आशिक का नाम नहीं बताया. बल्कि आशिक का मोबाइल नंबर भी डिलीट कर दिया. शक का बीज बहुत जल्दी पनपता है. सतीश के मन में भी शक था. अत: वह पत्नी पर नजर रखता था. जिस दिन वह मधु को एकांत में बात करते देख लेता, उस दिन पहले तो तूतू मैंमैं होती फिर नौबत मारपीट तक आ जाती. अब एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों को एकदूसरे से ज्यादा मतलब नहीं रहता था. बड़ा बेटा आयुष पिता के पक्ष में रहता था, जबकि छोटा बेटा पीयूष मां के पक्ष में बोलता था. युवक से अश्लील बातें करते देखा 19 मार्च, 2021 को आयुर्वेदिक दवा निर्माता कंपनी की दिल्ली में मीटिंग थी, जिस में कानपुर शहर के डीलर व एमआर को मीटिंग में शामिल होने के लिए बुलाया गया था.

सतीश कुमार श्रीवास्तव भी अपनी पत्नी मधु श्रीवास्तव के साथ शामिल होने दिल्ली गया था. मीटिंग समाप्त होने के बाद मधु ने कुछ खरीदारी की फिर शताब्दी बस से दोनों कानपुर को रवाना हो लिए. 21 मार्च, 2021 की सुबह 8 बजे मधु और सतीश अपने जरौली स्थित घर पहुंचे. उस समय घर पर कोई अन्य न था. दोनों बेटे आयुष और पीयूष गीता मौसी के घर पर थे, जो जरौली में ही रहती थी. सतीश को किसी जरूरी काम से अपने पिता के घर दिबियापुर जाना था. उस ने मधु से जल्दी खाना बनाने को कहा. लेकिन मधु ने उस की बात को अनसुना कर दिया और मोबाइल फोन पर वीडियो काल कर बतियाने लगी. वह किसी युवक से अश्लील बातें कर रही थी.

सतीश ने उसे बातें करने से मना किया तो मधु झगड़ने लगी और उसे गाली बकने लगी. इस पर सतीश को गुस्सा आ गया. उस ने फोन छीन कर फेंक दिया और उसे धक्का दे दिया. धक्का लगने से उस का सिर दीवार से टकरा गया. जिस से सिर फट गया और खून बहने लगा. अपने हाथों से घोंटा गला खून देख कर मधु को गुस्सा आ गया और उस ने सतीश के मुंह पर जूता फेंक कर मारा. मुंह पर जूता लगा तो सतीश आपा खो बैठा. उस ने मधु को फर्श पर पटक दिया और बोला, ‘‘हरामजादी, बदचलन, आज तुझे किसी कीमत पर नहीं छोड़ूंगा. तुझे तेरे पापों की सजा दे कर ही दम लूंगा.’’ कहते हुए सतीश ने मधु की साड़ी से उस का गला घोंट दिया.

मधु की हत्या करने के बाद उस ने शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. दिन का वक्त था. सो वह लाश को बाहर कैसे ले जाता. उस ने बड़े बक्से को खाली किया और मधु के शव को बक्से में बंद कर दिया. मोबाइल फोन को भी उस ने बंद कर दिया. शाम को दोनों बेटे घर आए तो सतीश ने बताया कि मधु किसी का फोन आने पर घर से निकली थी. तब से नहीं आई. इस के बाद वह आयुष और पीयूष के साथ मधु की खोज करता रहा. अगली सुबह सतीश ने बड़े बेटे आयुष को गुमशुदगी दर्ज कराने थाना बर्रा भेजा. वहां पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर मधु की तलाश शुरू कर दी. पुलिस को गुमराह करने के लिए सतीश ने मधु का मोबाइल चालू कर सड़क से गुजर रहे एक लोडर में फेंक दिया.

रात में सतीश ने शव को बक्से से निकाला. लेकिन गरमी की वजह से शव फूल चुका था और उस से दुर्गंध आने लगी थी. पीयूष ने बदबू की बात की तो भेद खुलने के भय से सतीश ने उसे गीता मौसी के घर भेज दिया. आधी रात के बाद सतीश ने एक बार फिर शव को ठिकाने लगाने की सोची. वह शव कमरे से घसीट कर गेट तक लाया. लेकिन उस की हिम्मत दगा दे गई. शव उठाते समय बाल व खाल उस के हाथ में आ गए. शव सड़ने लगा था. सवेरा होने से पहले सतीश ने गेट पर ताला लगाया और फरार हो गया. पड़ोसियों ने की पुलिस से शिकायत  23 मार्च, 2021 की सुबह सतीश के पड़ोसियों ने सतीश के घर से भीषण दुर्गंध महसूस की तो उन्होंने थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पाते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह टीम के साथ सतीश के घर पहुंचे. ताला तोड़ कर वह घर के अंदर घुसे तो गेट के पास ही उन्हें सड़ीगली महिला की लाश मिली. पड़ोसियों ने तुरंत लाश को पहचाना, उन्होंने बताया कि लाश सतीश की पत्नी मधु श्रीवास्तव की है. थानाप्रभारी की सूचना पर एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय भी आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतका की उम्र 40 वर्ष के आसपास थी. संभवत: उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया गया.

इसी बीच पता चला कि सतीश अपने दोनों बेटों और स्थानीय नेताओं के साथ थाना बर्रा पहुंचा है और पुलिस की नाकामी को ले कर हंगामा कर रहा है. यह सूचना प्राप्त होते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह थाने पहुंचे और सतीश को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने सख्ती से उस से पूछताछ की तो उस ने पत्नी की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि मधु बदचलन थी. वह आशिक से मोबाइल पर बात कर रही थी. मना किया तो जूता फेंक कर मुंह पर मारा. गुस्से में मैं ने उस का गला घोंट दिया. उस के बेटे निर्दोष हैं. उन्हें हत्या की जानकारी नहीं थी. चूंकि सतीश ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने भादंवि की धारा 302/201 के तहत सतीश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

24 मार्च, 2021 को बर्रा पुलिस ने अभियुक्त सतीश कुमार श्रीवास्तव को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP Crime News : प्रेमी संग साजिश रच कर पत्नी ने हथौड़े से करवाया पति का कत्ल

UP Crime News : 2 बच्चों की मां मधु ससुराल के लोगों से अलग पति धनपाल के साथ गुड़गांव में रह रही थी. मौजमजे के लिए उस ने विवाहित मुकेश से संबंध बना लिए. उस के प्यार में वह इतनी अंधी हो गई कि…

उस दिन अप्रैल 2021 की 3 तारीख थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के कस्बा थाना तिलहर अंतर्गत गांव राजनपुर के मोड़ पर सड़क किनारे सैंट्रो कार के नीचे एक अज्ञात युवक की लाश दबी पड़ी थी. रात 10 बजे के करीब किसी ने तिलहर थाना पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना पा कर इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. प्रथमदृष्टया मामला ऐक्सीडेंट का लगा. लाश दाईं ओर दोनों पहियों के बीच में पड़ी थी. सिर में काफी चोट थी. कार की तलाशी ली गई तो कार से गिलास, खानेपीने का सामान, 3 मोबाइल फोन और गाड़ी के कागजात बरामद हुए.

इसी बीच रजाकपुर गांव के कुछ लोग वहां पहुंच गए. परमजीत नाम के युवक ने लाश की शिनाख्त अपने बड़े भाई 38 वर्षीय धनपाल गंगवार के रूप में की. पूछताछ में परमजीत ने बताया कि धनपाल पत्नी मधु और 2 बेटों के साथ गुड़गांव में रहता था, होली पर 3 साल बाद अपने घर आया था. वह शाम को पत्नी व बच्चों को तिलहर के बाजार में खरीदारी कराने के लिए ले कर आया था. साढ़े 5 बजे धनपाल ने पत्नी मधु और बच्चों को भाई प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया था और खुद तिलहर में रुक गया था. जब काफी रात हो गई, धनपाल नहीं लौटा तो उस की तलाश शुरू की.

इसी बीच कार से मिले मोबाइल पर किसी की काल आ गई. इंसपेक्टर बालियान ने काल रिसीव की. काल कनेक्ट होते ही दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘कहां है तू, तेरा पता ही नहीं रहता.’’

काल करने वाली कोई महिला थी. इंसपेक्टर बालियान ने उन्हें पूरी बात बताई. उस महिला ने कहा कि सैंट्रो कार उस के पति की है, जिसे उस का भाई मुकेश यादव वृंदावन जाने की बात कह कर ले गया था. इस का मतलब यह था कि कार में मुकेश यादव था, जोकि घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया था. मामला साधारण सड़क दुर्घटना का न हो कर हत्या का लग रहा था, जिसे साजिश के तहत सड़क दुर्घटना दिखाने की कोशिश की गई थी. फिलहाल इंसपेक्टर बालियान ने जरूरी काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी और कार को थाने में खड़ा करा दी.

अगले दिन सुबह मृतक धनपाल के छोटे भाई परमजीत गंगवार ने तिलहर थाने पहुंच कर इंसपेक्टर बालियान को तहरीर दी, जिस में उस ने मुकेश यादव पर अपने भाई की हत्या का आरोप लगाया था. उस की तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर बालियान ने मुकेश यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. परमजीत ने इंसपेक्टर बालियान से अपनी भाभी मधु पर भी भाई की हत्या में हाथ होने का शक जताया था, लेकिन तहरीर में उस का जिक्र नहीं किया था. पति की मृत्यु के बाद भी मधु के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, जबकि जिस का पति मार दिया जाए, वह महिला रोरो कर आसमान सिर पर उठा लेती है.

इंसपेक्टर बालियान ने परमजीत से मधु का नंबर मांगा तो परमजीत ने अपनी भाभी मधु से उस का नंबर मांगा तो मधु ने साफ कह दिया कि उस के पास कोई नंबर नहीं है. जो मोबाइल उस के पास है, वह उस ने केवल गाना सुनने के लिए ले रखा है. परमजीत को मधु पर विश्वास नहीं हुआ. किसी तरह उस के करीबियों से बात कर के उस का नंबर निकलवाया. मधु पर हुआ शक इंसपेक्टर बालियान ने मधु के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. डिटेल्स से मधु और मुकेश के नंबरों पर हर रोज काफी बार बात करने की पुष्टि हुई. घटना की रात भी दोनों के बीच बात हुई थी.

6 अप्रैल को इंसपेक्टर बालियान ने मधु को उस की ससुराल से गिरफ्तार कर लिया. मधु से पूछताछ के बाद उन्होंने मुकेश यादव को मधु के मायके शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव से गिरफ्तार कर लिया. उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के तिलहर थाना क्षेत्र के गांव रजाकपुर में रहता था धनपाल गंगवार. धनपाल के पिता का नाम खलासीराम और माता का नाम शांति देवी था. खलासीराम सेना में कार्यरत थे. रिटायर होने के बाद 1989 में उन की मृत्यु हो गई. उस समय धनपाल बहुत छोटा था. धनपाल कुल 6 भाई थे. 2 बड़े भाई हरपाल और जसपाल व 3 छोटे भाई धर्मपाल, प्रेमपाल और परमजीत थे. हरपाल विवाह के बाद पंजाब चला गया. जसपाल विवाह के बाद गांव में ही रह कर खेती करने लगा.

11 साल पहले धनपाल का रिश्ता शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव निवासी मधु से हुआ था. मधु के पिता रामपाल पेशे से किसान थे. मधु की एक बड़ी बहन और 3 भाई थे. काम के लिए वह गुड़गांव चला गया. वहां उस ने ओरियंट कंपनी में नौकरी कर ली, साथ ही हरीनगर में अनाज मंडी के पास में 4500 रुपए में किराए पर कमरा ले लिया. फिर एक दिन वापस आ कर अपने साथ पत्नी मधु को भी गुड़गांव ले गया. समय बीतता गया. समय के साथ मधु ने 2 बच्चों कृष्णा (9 वर्ष) और क्रश (4 वर्ष) को जन्म दिया. पत्नी से होने लगी खटपट धनपाल सुबह साढ़े 7 बजे घर से कंपनी जाता था और शाम 8 बजे घर में घुसता था.

लगभग 12 घंटे की ड्यूटी करने के बाद वह थकाहारा घर आता था. धनपाल था तो मजबूत कदकाठी का, लेकिन रोज की यह ड्यूटी उस के बदन को तोड़ कर रख देती थी. ऐसे में जो धनपाल अभी तक शराब को हाथ तक नहीं लगाता था, वह शराब पीने भी लगा. शराब पी कर घर जाता तो मधु से उस का झगड़ा होता. झगड़े में वह मधु को पीट भी देता था. वैसे भी मधु धनपाल पर हावी रहने की कोशिश करती थी, लेकिन धनपाल को यह मंजूर नहीं था. शराब पीने के बाद तो इंसान वैसे भी निडर हो जाता है. किसी तरह से दोनों के  झगड़ों के बीच उन की जिंदगी कटती रही. मधु को अब धनपाल भाता नहीं था. उस के साथ रहना मधु की मजबूरी थी. वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.

एक साल पहले धनपाल ने गुड़गांव में ही घर के पास रहने वाले मुकेश यादव को घर पर डीटीएच कनेक्शन के लिए बुलवाया. धनपाल मुकेश को आतेजाते दुकान पर बैठे देखता था. मुकेश डीटीएच का काम करने के साथ ही दूध, दही, मट्ठा और लस्सी का भी काम करता था. मुकेश गुड़गांव के थाना फरूखनगर में खेंटावास में रहता था. वह विवाहित था. उस के एक बेटा भी था. मुकेश काफी स्मार्ट था. अपने व्यवहार से वह किसी को अपना मुरीद बना लेता था. मुकेश डीटीएच का कनेक्शन करने आया तो घर पर केवल मधु थी. उस ने मधु से बात करनी शुरू की तो मधु को ऐसा लगा जैसे वह उस से पहली बार न मिल कर कई बार मिल चुकी हो. मधु को उस की बातों में रस आया तो वह भी उस से बतियाने लगी.

मुकेश से जुड़ा कनेक्शन उस दिन कहने को पहली मुलाकात थी दोनों की, लेकिन उन के बीच काफी बातें हुईं जोकि पहली मुलाकात में नहीं हुआ करतीं. मुकेश डीटीएच का कनेक्शन कर के चला गया, लेकिन मधु की आंखों के सामने अब भी मुकेश का चेहरा घूम रहा था. मुकेश आया तो था डीटीएच का कनेक्शन लगाने, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह मधु के दिल से अपने दिल का कनेक्शन कर गया था. इस के बाद तो मुकेश जबतब मधु से मिलने आने लगा. घर पर कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. मुकेश जब भी आता तो साथ में दूध, दही, लस्सी में से कुछ न कुछ ले आता और मधु को दे देता. मधु उस के तरीके को भलीभांति समझ रही थी कि वह कैसे उस के दिल तक पहुंचना चाहता है. मधु इस बात से नाराज नहीं हुई, बल्कि खुश होने लगी. उसे नए ठौर की जरूरत थी, वह खुद चल कर उस के पास आ गया था.

मुकेश की अपनी पत्नी से नहीं बनती थी. उस की पत्नी अकसर मायके में ही रहती थी. यही वजह थी कि मुकेश मधु की तरफ आकर्षित हो गया था. उस के साथ अपनी जिंदगी बिताने का सपना देख रहा था. मधु और मुकेश दोनों ही अपने जीवनसाथी से खुश नहीं थे, इसलिए एकदूसरे के करीब आने में उन्हें देर नहीं लगी. एक दिन मुलाकात के दौरान मुकेश ने मधु से कहा, ‘‘भाभी, लगता है आप अपना ध्यान नहीं रखतीं?’’

‘‘क्यों…अच्छीखासी तो हूं.’’ मधु ने कहा.

‘‘नहीं, तुम्हारा चेहरा मुरझाया सा रहता है, चेहरे पर जो चमक होनी चाहिए, वह गायब रहती है. शरीर भी पहले से काफी कमजोर हो गया है. आप को क्या चिंता है जो अपना यह हाल कर लिया है?’’

इस पर मधु कुछ देर शांत रही, फिर अपना दर्द बयां करते हुए बोली, ‘‘अब तुम ने पूछा है तो बता देती हूं. इस परदेश में दूसरा कोई है नहीं, जिस को अपना दर्द बता सकूं.’’

‘‘क्यों, धनपाल तो है.’’ मुकेश ने पूछा.

‘‘दर्द देने वाला दर्द ही देगा, दवा नहीं. इसलिए…’’

‘‘ओह.. तो यह बात है. वैसे आप से अलग मेरा मामला भी नहीं है. मैं भी अपनी पत्नी से परेशान हूं.’’ दुखी लहजे में मुकेश ने कहा. दोनों ने किया प्यार का इजहार फिर कुछ देर शांत रहने के बाद मुकेश बोला, ‘‘तो क्यों न भाभी, हम एकदूसरे के दर्द की दवा बन जाएं.’’ उपाय सुझाते हुए मुकेश ने अपने दिल की बात मधु तक पहुंचाने की कोशिश की.

‘‘क्या मतलब..?’’ जान के भी अंजान बनती हुई मधु पूछ बैठी.

‘‘यही कि हम दोनों एकदूसरे का हाथ थाम लें और हमेशा के लिए एक हो जाएं. मैं तो तुम्हें बेइंतहा चाहता हूं, बस तुम एक बार हां कह दो तो मैं सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा.’’

‘‘तुम ने तो अपने दिल के साथसाथ मेरे दिल की भी बात कह दी. मैं भी तुम्हें चाहती हूं और तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती हूं. अगर तुम तैयार हो तो…’’

‘‘मैं तो कब से इस पल के इंतजार में था. मैं हर पल तैयार हूं. आई लव यू मधु.’’ उस ने कह दिया.

यह पहला मौका था, जब मुकेश ने उसे भाभी नहीं मधु कह कर पुकारा था. मधु के दिल के तार झनझना उठे. एक नए एहसास से उस का दिल पुलकित हो उठा. वह भी बेसाख्ता बोल उठी, ‘‘आई लव यू टू मुकेश.’’

मधु के इजहार करते ही मुकेश ने उसे बांहों के घेरे में ले लिया. उस के बाद उन के बीच कोई शारीरिक दूरी न रही. वे एकदूसरे में इस कदर समाए कि अपनी इच्छापूर्ति के बाद ही अलग हुए. इस के बाद तो उन के बीच का यह रिश्ता दिनोंदिन परवान चढ़ने लगा. मगर गलत काम कभी छिपा है जो उन का छिप जाता. धनपाल को दोनों के संबंधों की बात पता चल गई. धनपाल ने मुकेश के घर आने पर रोक लगा दी. लेकिन मुकेश और मधु का चोरीछिपे मिलना जारी रहा. इसे ले कर धनपाल और मधु में रोज झगड़े होने लगे. मुकेश और मधु ने अपने संबंधों के बीच धनपाल को दीवार बनते देखा तो धनपाल नाम की इस दीवार को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. दोनों ने इस के लिए साथ बैठ कर योजना भी बना ली.

धनपाल विवाह के बाद साल-डेढ़ साल में शाहजहांपुर स्थित अपने घर के चक्कर लगा लेता था. लेकिन जब से बेटा स्कूल जाने लगा था, तब से वह 2-3 साल में ही घर का चक्कर लगा पाता था. 3 साल बाद इस बार धनपाल ने होली पर घर आने का फैसला लिया. इस में मधु ने खुद सहमति दी थी. इस से पहले वह ससुराल के नाम से ही बिदक जाती थी. रच ली पूरी साजिश गुड़गांव में पूरी योजना पर कार्य करने के बाद 14 मार्च, 2021 को मधु शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव स्थित अपने मायके आ गई. 27 मार्च को धनपाल रजाकपुर स्थित अपने घर आ गया. 2 अप्रैल को मधु मायके से अपनी ससुराल आ गई.

3 अप्रैल को धनपाल मधु और बच्चों के साथ तिलहर में ईरिक्शा से बाजार गया. ईरिक्शा धनपाल के छोटे भाई प्रेमपाल का था और उसे वही चला कर ले गया. बाजार घूमने के बाद धनपाल ने मधु और बच्चों को प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया, वह खुद तिलहर में रुक गया. दरअसल मुकेश ने धनपाल को फोन किया था कि वह उस से मिलने आ रहा है, मिल कर दारू पार्टी करने की बात कही थी. धनपाल ने एक बार भी नहीं सोचा और उसे आने की सहमति दे दी. मुकेश अपने बहनोई की सैंट्रो कार से तिलहर पहुंचा. मुकेश को कार में बैठाने के बाद वह एक सुनसान स्थान पर ले गया. कार में पहले से ही मुकेश ने खानेपीने की चीजें और शराब खरीद कर रख ली थी.

मुकेश ने धनपाल को खूब शराब पिलाई. धनपाल की आंख बचा कर उस की शराब में नींद की गोलियां भी मुकेश ने मिला दीं. जब धनपाल बेहोश हो गया, तब मुकेश उसे कार से राजनपुर गांव के मोड़ पर ले गया. उस समय रात के 9 बज रहे थे. मुकेश ने धनपाल को कार से नीचे उतारा और साथ लाए हथौड़े से उस के सिर पर कई वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. मामले को ऐक्सीडेंट का रूप देने के लिए धनपाल की लाश को कार से कुचलने की कोशिश की. इस कोशिश में उस की कार कच्ची मिट्टी में फंस गई. मुकेश घबरा गया. कोई वहां आ न जाए उसे इस बात का डर भी सता रहा था.

जब कार किसी तरह से नहीं निकल सकी तो कार को वहीं छोड़ कर वह फरार हो गया. मुकेश ने मधु को फोन कर के धनपाल का काम तमाम कर देने की सूचना भी दे दी. जिस के बाद मधु ने अपना दूसरा मोबाइल गुप्त स्थान पर छिपा दिया. देर रात तक धनपाल नहीं लौटा तो घर वालों को चिंता हुई. परमजीत ने सोचा कि शराब पी कर धनपाल कहीं बेसुध तो नहीं पड़ा. उस ने तिलहर थाने के एक परिचित सिपाही को फोन कर के पूछा कि कहीं कोई बंदा शराब पीए हुए तो नहीं मिला. इस पर सिपाही ने उसे राजनपुर मोड़ पर हादसा होने की जानकारी दी. जो हुलिया बताया, वह धनपाल से मिलता था. इस के बाद परमजीत, उस की मां वहां पहुंच गए. मधु भी वहां पहुंच गई.

मुकेश और मधु का गुनाह छिप न सका और दोनों पुलिस की गिरफ्त में आ गए. मधु को मुकदमे में आईपीसी की धारा 120बी का अभियुक्त बनाया गया. इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान ने अभियुक्त मुकेश की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा भी बरामद कर लिया. बाकी कार और मोबाइल तो पहले ही बरामद हो गए थे. मधु का मोबाइल नहीं बरामद हो सका. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों व परमजीत से पूछताछ पर आधारि

Rajasthan Crime News : पत्नी ने नौकर संग मिलकर रची साजिश फिर कर दिया पति का कत्ल

Rajasthan Crime News : रुक्मिणी पढ़ीलिखी ही नहीं बल्कि एक सरकारी टीचर प्रेमनारायण मीणा की पत्नी थी. वह एक बेटी की शादी भी कर चुकी थी. 40 साल की उम्र में उस ने घरेलू नौकर जितेंद्र से नजदीकी संबंध बना लिए. यह संबंध उस के लिए इतने घातक सिद्ध हुए कि…

बात 26 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे की है. राजस्थान के बारां जिले के गांव आखाखेड़ी के रहने वाले मास्टर प्रेमनारायण मीणा के यहां उन का भतीजा राजू दूध लेने पहुंचा तो उन के घर का मुख्य गेट भिड़ा हुआ था. दरवाजा धक्का देने पर खुला तो भतीजा घर में चला गया. उस की नजर जैसे ही आंगन में चारपाई पर पड़ी तो वहां का मंजर देख कर वह कांप गया. बिस्तर पर चाचा प्रेमनारायण की खून सनी लाश पड़ी थी. यह देख कर भतीजा चीखनेचिल्लाने लगा. आवाज सुन कर प्रेमनारायण की पत्नी रुक्मिणी (40 वर्ष) अपने कमरे से बाहर आई. बाहर आते समय वह बोली, ‘‘क्यों रो रहे हो राजू, क्या हुआ?’’

मगर जैसे ही रुक्मिणी की नजर चारपाई पर खून से लथपथ पड़े पति पर पड़ी तो वह जोरजोर से रोनेचिल्लाने लगी. रोने की आवाज मृतक के बच्चों वैभव मीणा और ऋचा मीणा ने भी कमरे में सुनी. वह दरवाजा पीटने लगे कि क्या हुआ. क्यों रो रही हो. दरवाजा खोलो. उन भाईबहनों के दरवाजे के बाहर कुंडी लगी थी. कुंडी खोली तो भाईबहन बाहर आ कर पिता की लाश देख कर रोने लगे. मास्टर प्रेमनारायण के घर से सुबहसवेरे रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग भी वहां आ गए. थोड़ी देर में पूरे आखाखेड़ी गांव में मास्टर की हत्या की खबर फैल गई. थाना छीपा बड़ौद में किसी ने हत्या के इस मामले की खबर दे दी.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा खबर मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. थानाप्रभारी मीणा ने घटनास्थल का मुआयना किया. रात में अज्ञात लोगों ने घर में सो रहे सरकारी टीचर प्रेमनारायण की धारदार हथियार से गला, मुंह और सिर पर वार कर के हत्या कर दी थी, जिस से काफी मात्रा में खून निकल चुका था. पूछताछ में मृतक की पत्नी रुक्मिणी ने बताया कि वह कमरे में सो रही थी. उस के दोनों बच्चे वैभव और ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. बड़ी बेटी ससुराल में थी. वह (प्रेमनारायण) आंगन में अकेले सो रहे थे, तभी नामालूम किस ने उन्हें मार डाला.

थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा ने घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. एसपी (बारां) विनीत कुमार बंसल ने सीओ (छबड़ा) ओमेंद्र सिंह शेखावत व जयप्रकाश अटल आरपीएस (प्रोबेशनरी) को निर्देश दिए कि वे घटनास्थल पर जा कर मौकामुआयना कर जल्द से हत्याकांड का खुलासा करें. एसपी के निर्देश पर दोनों सीओ ओमेंद्र सिंह और जयप्रकाश अटल घटनास्थल पर पहुंचे और घटना से संबंधित जानकारी ली. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल एवं डौग स्क्वायड टीम को भी बुला कर साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए. पुलिस अधिकारियों को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण मीणा सरकारी स्कूल में टीचर थे.

उन की पोस्टिंग इस समय मध्य प्रदेश के गुना जिले के फतेहगढ़ के सरकारी स्कूल में थी. वह छुट्टी पर घर आए हुए थे. वह 15-20 दिन बाद छुट्टी पर गांव आते थे. पुलिस को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण घर के आंगन में सोए थे. उन की बीवी कमरे में अलग सोई थी. उन के 3 बच्चे हैं, जिन में से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी. वह अपनी ससुराल में थी. जबकि छोटे दोनों बच्चे वैभव व ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. घर के आंगन में हत्यारों ने आ कर हत्या की थी, मगर बीवी व बच्चों ने कुछ नहीं सुना था. बीवी सुबह 7 बजे तब जागी, जब भतीजा राजू दूध लेने आया.

यह बात पुलिस को पच नहीं रही थी. मृतक के मुंह, सिर और गरदन पर लगे गहरे घावों से रिसा खून सूख चुका था. इस का मतलब था कि मृतक की हत्या हुए 6-7 घंटे का समय हो चुका था. एफएसएल टीम ने साक्ष्य एकत्रित किए. तब पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिरों को सुरागसी के लिए लगा दिया. वहीं मृतक के बच्चों वैभव व ऋचा से एकांत में पूछताछ की. बच्चों ने बताया कि कल रात मम्मी ने हमें धमका कर अलग कमरे में सुला दिया था. मम्मी ने हमें कमरे में बंद कर के बाहर से कुंडी लगा दी थी. मम्मी अलग कमरे में सोई थी. बच्चों ने यह भी बताया कि वह हमेशा मम्मी के कमरे में सोते थे, लेकिन उन्होंने कल हमें दूसरे कमरे में सुला दिया था.

वैभव को पुचकार कर पुलिस अधिकारियों ने कुछ और जानकारी पूछी तो उस ने एक पत्र ला कर पुलिस अधिकारियों को दिया. वैभव ने कहा, ‘‘यह चिट्ठी मेरी बड़ी बहन, जो शादीशुदा है, ने पापा को लिखी थी. यह पत्र हम भाईबहनों को मिला तो हम ने छिपा दिया था.’’

उस पत्र में मृतक की बड़ी बेटी ने पापा प्रेमनारायण को लिखा था कि वह मम्मी को बदनाम नहीं करना चाहती है. नौकर जितेंद्र को अब अपने यहां नहीं रखना चाहिए. पुलिस ने चिट्ठी के आधार पर तथा वारदात से जुड़े अन्य पहलुओं पर जांच करते हुए जांच आगे बढ़ाई. पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट सत्येंद्र सिंह की भी मदद ली. बच्चों ने पुलिस अधिकारियों से यहां तक कहा कि पापा की हत्या किसी और ने नहीं बल्कि मम्मी ने ही नौकर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा (मेघवाल) के साथ मिल कर रात में की है. रात में वैभव कमरे से बाहर आना चाहता था मगर कमरा बाहर से लौक था. इस कारण वह वापस जा कर सो गया था.

इसी दौरान मुखबिरों ने भी पुलिस को जानकारी दी. इन सब तथ्यों पर गौर किया गया तो मृतक की पत्नी का किरदार संदिग्ध नजर आया. पुलिस अधिकारियों ने तब उसे पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने रुक्मिणी से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में वह टूट गई. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस ने अपने प्रेमी व नौकर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा और एक अन्य हंसराज भील के साथ मिल कर पति की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. बस, फिर क्या था, पुलिस ने उसी दिन जितेंद्र और हंसराज भील को भी दबोच लिया. थाने ला कर उन से पूछताछ की.

पूछताछ में उन्होंने भी अपना जुर्म कबूल कर लिया.  जितेंद्र ने बताया कि वह पिछले 2 साल से टीचर प्रेमनारायण के घर नौकर था. वह खेतों की रखवाली और खेतीबाड़ी करता था. जितेंद्र को 65 हजार रुपए सालाना तनख्वाह पर रखा हुआ था. प्रेमनारायण ज्यादातर समय अपनी ड्यूटी पर फतेहगढ़, मध्य प्रदेश में रहते थे. वह 15-20 दिन बाद ही अपने गांव आखाखेड़ी आते थे. प्रेमनारायण की अपनी बीवी से नहीं बनती थी. दोनों में मनमुटाव रहता था. इस कारण रुक्मिणी ने पति की गैरमौजूदगी में अपने नौकर से अवैध संबंध बना लिए थे. प्रेमनारायण की बड़ी बेटी ने एक दिन अपनी मम्मी और नौकर जितेंद्र को रंगरलियां मनाते देख लिया था.

इस कारण वह चिट्ठी लिख कर पापा को अपनी मम्मी की करतूत बताना चाहती थी. मगर यह चिट्ठी उस के छोटे भाईबहनों के हाथ लग गई थी. तब उन्होंने चिट्ठी पढ़ कर छिपा ली. 26 मार्च, 2021 को यह चिट्ठी बच्चों ने पुलिस अधिकारियों को सौंपी. तब जा कर इस घटना की परतें खुलनी शुरू हुईं. प्रेमनारायण को किसी तरह बीवी और नौकर के अवैध संबंधों की खबर लग गई थी. इस कारण वह इन दोनों के बीच राह का रोड़ा बन चुके थे. इस रोड़े को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने के लिए रुक्मिणी ने एक योजना बना ली. फिर जितेंद्र ने 31 वर्षीय हंसराज भील को 20 हजार रुपए दे कर योजना में शामिल कर लिया. हंसराज जितेंद्र का दोस्त था. पुलिस ने मात्र 3 घंटे में ही मास्टर प्रेमनारायण मीणा की हत्या का राजफाश कर दिया.

मृतक के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर शव परिजनों को सौंप दिया गया. परिजनों ने उसी रोज दोपहर बाद अंतिम संस्कार क र दिया. आखाखेड़ी में मास्टर की मौत से सनसनी फैल गई थी. जिस ने भी बीवी और उस के प्रेमी नौकर की करतूत के बारे में सुना, सन्न रह गया. आरोपी पुलिस हिरासत में थे, जिन से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. पूछताछ में जो घटना प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी. प्रेमनारायण मीणा अपनी पत्नी रुक्मिणी और 3 बच्चों के साथ जिला बारां के गांव आखाखेड़ी में रहते थे. वह सरकारी अध्यापक थे. प्रेमनारायण की ड्यूटी इन दिनों मध्य प्रदेश के जिला गुना के फतेहगढ़ में थी. वह महीने में एकाध बार अपने गांव बीवीबच्चों से मिलने आते रहते थे.

प्रेमनारायण जहां शांत स्वभाव के थे तो वहीं उन की बीवी कर्कश स्वभाव की थी. उन की शादी को 20 साल से ज्यादा हो गए थे मगर इतना समय साथ गुजारने के बाद भी मियांबीवी में अकसर झड़प हो जाया करती थी. उन के बच्चे बड़े हो गए थे. मगर दोनों का मनमुटाव कम नहीं हुआ. रुक्मिणी दिनरात काम कर के थक जाने का रोना रोती रहती थी. तब प्रेमनारायण ने वार्षिक तनख्वाह पर जितेंद्र उर्फ जीतू बैरवा  को 2 साल पहले घर का नौकर रख लिया. जितेंद्र जहां खेतों पर काम करता, वहीं घर पर भी काम करता था. रुक्मिणी और जितेंद्र का रिश्ता मालकिन और नौकर का था. मगर पति के दूर रहने और मनमुटाव के चलते रुक्मिणी शारीरिक सुख से वंचित थी.

जब उसे जितेंद्र नौकर के रूप में मिला तो वह उसे बिस्तर तक ले आई. रुक्मिणी की उम्र 40 साल थी. इस के बावजूद वह अपने से 8 साल छोटे नौकर के साथ सेज सजाने लगी. उस ने नौकर को प्रेमी बना लिया और उस की बांहों में झूला झूलने लगी. रुक्मिणी की बड़ी बेटी शादी लायक हो गई थी. इस के बावजूद अधेड़ उम्र में उस पर वासना का ऐसा भूत सवार हुआ कि वह जबतब मौका पा कर नौकर जितेंद्र बैरवा के साथ शारीरिक संबंध बनाने लगी. एक रोज बेटी ने अपनी मां को नौकर के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. अपनी मां का यह रूप देख कर बेटी को उस से नफरत सी हो गई. मां का यह रूप देख कर उसे कई दिन तक कुछ भी अच्छा नहीं लगा.

वह सोचने लगी कि क्या किया जाए. इसी बीच एक दिन फिर उस ने अपनी मां को नौकर जितेंद्र के साथ देख लिया. तब उस ने अपने पापा को लिखे एक पत्र में मम्मी की करतूत और नौकर को हटाने के बारे में लिखा. पत्र पापा के पास पहुंचने से पहले ही वह छोटे भाई वैभव व बहन ऋचा के हाथ लग गया. दोनों बहनभाइयों ने वह पत्र छिपा दिया. उन्हें पता था कि पापा ने यह पत्र देख लिया तो मम्मी की खैर नहीं होगी. बस, उन मासूमों को क्या पता था कि मम्मी को बचाने के चक्कर में वह पापा को एक दिन खो देंगे. पत्र गायब हुआ तो बड़ी बेटी भी चुप्पी लगा गई. एक साल पहले प्रेमनारायण ने बेटी की शादी कर दी. वह अपनी ससुराल चली गई.

कोरोना काल में प्रेमनारायण काफी समय तक घर पर रहे. तब रुक्मिणी को अपने प्रेमी से एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. जब स्कूल खुल गए तब प्रेमनारायण फतेहगढ़ चले गए. पति के जाने के बाद रुक्मिणी और जितेंद्र का खेल फिर से शुरू हो गया. लेकिन छुट्टी पर प्रेमनारायण गांव आते तो बीवी को वह फूटी आंख नहीं सुहाते थे. वह उन से बिना किसी बात के लड़तीझगड़ती रहती. तब वह ड्यूटी पर चले जाते. रुक्मिणी यही तो चाहती थी. इस के बाद वह नौकर के साथ रंगरलियां मनाती. प्रेमनारायण को अपनी बीवी और नौकर जितेंद्र के व्यवहार से ऐसा लगा कि कुछ गड़बड़ है. एकदो बार प्रेमनारायण ने बीवी से इस बारे में पूछा तो वह उलटा उस पर चढ़ दौड़ी.

रुक्मिणी को अंदेशा हो गया कि उस के पति को नौकर के साथ संबंधों का शक हो गया है. तब उस ने नौकर जितेंद्र के साथ साजिश रची कि अब वह प्रेमनारायण को रास्ते से हटा कर अपने हिसाब से जीवन जिएंगे. रुक्मिणी के कहने पर जितेंद्र यह काम करने को राजी हो गया. घटना से 10 दिन पहले प्रेमनारायण छुट्टी पर घर आए थे. होली के बाद उन्हें वापस फतेहगढ़ जाना था. इन 10 दिनों में रुक्मिणी और जितेंद्र को एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. ऐसे में रुक्मिणी और उस के प्रेमी ने तय कर लिया कि अब जल्द ही योजना को अंजाम दिया जाएगा, तभी वह चैन की जिंदगी जी सकेंगे. जितेंद्र ने अपने दोस्त हंसराज को 20 हजार का लालच दे कर योजना में शामिल कर लिया.

25 मार्च, 2021 की आधी रात को योजना के तहत जितेंद्र और हंसराज तलवार और कुल्हाड़ी ले कर रुक्मिणी के घर के पीछे पहुंचे. रुक्मिणी ने पहली मंजिल पर जा कर मकान के पीछे वाली खिड़की से रस्सा नीचे फेंका. रस्से के सहारे जितेंद्र और हंसराज मकान की पहली मंजिल पर खिड़की से आ गए. इस के बाद घर के आंगन में बरामदे में सो रहे मास्टर प्रेमनारायण पर नींद में ही तलवार और कुल्हाड़ी से हमला कर मार डाला. इस के बाद जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से अपने हथियार ले कर चले गए. रुक्मिणी निश्चिंत हो कर कमरे में जा कर सो गई. सुबह जब मृतक का भतीजा राजू दूध लेने आया तो उस की चीखपुकार सुन कर रुक्मिणी आंखें मलती हुई कमरे से बाहर आई. वह नाटक कर के रोनेपीटने लगी. मगर उस की करतूत बच्चों ने चिट्ठी से खोल दी.

पुलिस ने पूछताछ पूरी होने पर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से रुक्मिणी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जितेंद्र व हंसराज को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया. रिमांड के दौरान आरोपियों से तलवार, कुल्हाड़ी, खून सने कपड़े और मोबाइल बरामद किए गए. रिमांड अवधि खत्म होने पर 30 मार्च, 2021 को फिर से जितेंद्र और हंसराज भील को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Rajasthan Crime News

Agra News : प्रेमिका और मां की चाकू से हत्या कर प्रेमी हुआ फरार

Agra News : किसी के मोहपाश में बंध जाना अलग बात है और उसे अपनी प्रौपर्टी समझ लेना अलग बात. गोविंद ने कामिनी को ले कर यही गलती की. लेकिन क्या मिला उसे…

सभी गहरी नींद में सोए हुए थे. उस समय रात के 3 बज रहे थे. अचानक एक मकान में चीखपुकार मच गई. शोर सुन कर आसपास के लोग जाग गए और उस मकान की ओर दौड़े. उन्होंने देखा कि चीखती हुई कामिनी दरवाजे से बाहर 20 कदम दूर आ गई. बाहर वह एक ही बात बोल रही थी, ‘‘गोविंद ने मार डाला… गोविंद ने मार डाला.’’

कामिनी के पड़ोस में रहने वाले चाचा गणेश, दादी शकुंतला व भाई मनीष भी आ गए.  ग्रामीणों व घर वालों के आने पर हत्यारा गोविंद सब को चाकू दिखा कर धमकाता हुआ भाग गया. जब लोग मकान में पहुंचे तो वहां का वीभत्स दृश्य देख कर सहम गए. कामिनी की मां शारदा देवी घर के फर्श पर तथा रागिनी दरवाजे के पास खून से लथपथ पड़ी हुई थीं. अत्यधिक खून बहने से दोनों की सांसें थम चुकी थीं. लोगों को आया देख डरीसहमी घर की बहू रेखा कमरे की कुंडी खोल कर बाहर आई. वह भी गंभीर रूप से घायल थी. उस ने बताया, ‘‘पड़ोसी गोविंद ने सास और ननद पर चाकू से हमला किया, जब वह उन्हें बचाने आई तो उस पर भी हमला कर घायल कर दिया.

वह किसी तरह जान बचा कर कमरे में भागी और अंदर से कुंडी लगा ली. इसी बीच किसी ने इस घटना की सूचना थाने को दे दी.’’ यह बात 8 मार्च, 2021 की है. डबल मर्डर की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी विनोद कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. डबल मर्डर की घटना से कस्बे में सनसनी फैल गई थी. तब तक मकान के बाहर भीड़ जुट गई थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी ने अपने उच्चाधिकारियों को अवगत कराया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन ही 2 महिलाओं की हत्या होने से हड़कंप मच गया. आननफानन में आईजी (आगरा जोन) ए. सतीश गणेश, एसएसपी बबलू कुमार, एसपी (पूर्वी) अशोक वेंकट, फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड के साथ मौके पर पहुंच गए.

आगरा के थाना बाह के कस्बा जरार के मोहल्ला हवेली निवासी उमेश सविता की करीब 15 साल पहले मृत्यु हो चुकी थी. पत्नी शारदा देवी जरार के प्राइमरी स्कूल में रसोइया का काम कर परिवार पाल रही थीं. उन के 5 बेटेबेटियों में राहुल और लक्ष्मी की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर के बेटे मनीष के विवाह की तैयारियां चल रही थीं. चौथे नंबर की बेटी रागिनी की पिछले साल बीमारी से मौत हो गई थी. सब से छोटी कामिनी का भी रिश्ता तय हो चुका था. उच्चाधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मांबेटी के कत्ल के दौरान गंभीर रूप से घायल हुई रेखा को उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. मांबेटी के गले व सीने पर चोट के गहरे निशान थे.

दोनों की हालत देखने से लग रहा था कि हत्या के लिए बेहद क्रूर तरीका अपनाया गया था. मौत से पहले दोनों ने हत्यारे के साथ संघर्ष भी किया था. फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर जांच कर सबूत जुटाए. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शवों को मोर्चरी भिजवा दिया. अस्पताल में भरती घटना की चश्मदीद बहू रेखा ने बताया कि उस की सास शारदा देवी व ननद कामिनी बरामदे के टिनशैड में अगलबगल सोई हुई थीं. गोविंद छत से घर के अंदर आया था. सीढि़यों से नीचे आने के बाद उस ने दोनों पर हमला कर दिया.

रेखा अपने 5 महीने के बेटे सार्थक के साथ कमरे में सो रही थी. चीखपुकार सुन कर वह जाग गई और सास व ननद को बचाने दौड़ी. अपनी पहचान होते देख आरोपी गोविंद ने रेखा पर भी चाकू से हमला कर दिया. जान बचाने को रेखा कमरे की ओर दौड़ी और अपने आप को कमरे में बंद कर लिया. घटना के समय घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं था. रेखा का पति राहुल काम के सिलसिले में दिल्ली गया हुआ था. जबकि देवर मनीष पड़ोस में रहने वाले अपने चाचा गणेश के यहां सोया हुआ था. घटना की जानकारी होते ही मृतकों के अन्य परिजन भी आ गए. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था.

जांच के दौरान पता चला कि मामला प्रेमप्रसंग का था. आरोपी गोविंद के मृतका कामिनी से प्रेम संबंध थे. कामिनी के घर वाले गोविंद का विरोध करते थे. इस के चलते पहले भी गोविंद व कामिनी के घर वालों में झगड़ा व मारपीट हुई थी. तब मामला रफादफा हो गया था. लेकिन अब अचानक ऐसा क्या हो गया था, जो गोविंद ने अपनी प्रेमिका के अलावा उस की मां की हत्या करने के साथ ही मृतका की भाभी को भी घायल कर दिया था. पुलिस पूछताछ में मृतका के घर वालों ने बताया कि गोविंद पहले भी कामिनी को अकेला देख कर एक दिन घर में घुस आया था. शोर मचाने पर आसपास के लोगों के पहुंचने पर वह भाग गया था. तब घर वालों ने पुलिस में उस की कोई शिकायत नहीं की थी.

ग्रामीणों ने पुलिस को जानकारी दी कि दोनों की दोस्ती से कामिनी का परिवार खुश नहीं था. कुछ दिन पहले दोनों परिवारों में इस बात को ले कर झगड़ा भी हुआ था. पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी. जब पुलिस हत्यारोपी के घर गई और गोविंद के पिता को घटना के बारे में बताया तो वह बेहोश हो गए. इस बीच पुलिस ने हत्यारोपी के परिवार के कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया. हत्यारे गोविंद के विरुद्ध  मनीष ने भादंवि की धारा 302 व 307 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया. पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि घटना से 15 दिन पहले गोविंद ने अपने दोस्तों के बीच ऐलान किया था कि वह बड़ा कांड करेगा. उस का कहना था, मुझे पहले कामिनी ने अपने प्यार में फंसाया, जब मुझे गहराई से प्यार हो गया तो वह मुझे छोड़ने की बात कह रही है.

उस की मोहब्बत को ठुकराने का अंजाम क्या होता है, यह हर कोई देखेगा. वह दोस्तों से पूछता था कि जेल में मिलने आओगे या नहीं? दोस्तों ने उस की बात को मजाक में लिया था. किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ऐसा खूनी खेल खेलेगा. धारदार हथियार से 50 वर्षीय शारदा  और उन की बेटी 19 वर्षीय कामिनी की नृशंस हत्या करने के बाद हत्यारे के फरार हो जाने और पुलिस द्वारा गिरफ्तार न कर पाने से लोग आक्रोशित थे. सोमवार को गम और गुस्से में जरार का बाजार बंद रहा. घटना की जानकारी होने पर बाह की विधायक पक्षालिका सिंह जरार पहुंचीं. मांबेटी की मौत पर परिजनों का रोना सुन कर वह भी अपने आंसू नहीं रोक सकीं. उन्होंने पुलिस को आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की 5 टीमें गठित कर इटावा, शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मुरैना और दिल्ली रवाना कर दी गई थीं. सोमवार की रात को ही एसएसपी बबलू कुमार ने हत्यारोपी गोविंद पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया था. सोमवार 8 मार्च की सुबह आगरा पुलिस ने शिकोहाबाद के मोहल्ला जैन स्ट्रीट में स्थानीय पुलिस के साथ गोविंद के चचेरे भाई नवीन जैन के यहां दबिश दी. लेकिन पुलिस के आने से पहले सुबह 4 बजे मकान का ताला लगा कर परिवार कहीं चला गया था. पुलिस टीम हत्यारोपी के एक अन्य रिश्तेदार को पूछताछ के लिए अपने साथ बाह ले आई.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कामिनी के शरीर पर 8 और उस की मां शारदा के शरीर पर 6 घाव आए थे. सभी घाव गरदन और सीने पर थे. पुलिस को पता चला कि हत्यारा गोविंद फिरोजाबाद भागने की फिराक में है. पुलिस ने फिरोजाबाद में भी कई स्थानों पर दबिश दी. लेकिन पुलिस के हाथ निराशा ही लगी. फिर भी पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश में जुटी रही. घटना के दूसरे दिन मंगलवार 9 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे मुखबिर से सूचना मिली कि गोविंद को जरार से 10 किलोमीटर दूर प्रसिद्ध तीर्थ बटेश्वर में देखा गया है. इस पर तलाश में लगी पुलिस टीम सचेत हो गई. बटेश्वर में पहुंची पुलिस टीम को आरोपी गोविंद बाइक से फिरोजाबाद की ओर जाता दिखाई दिया.

पुलिस ने बटेश्वर में नौरंगी घाट पर गोविंद से रुकने को कहा. पुलिस को देखते ही गोविंद ने यू टर्न लिया और फायरिंग कर दी. पुलिस की जवाबी काररवाई में गोविंद के बाएं पैर में गोली लगी. गोली लगते ही वह गिर गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर उस के पास से 315 बोर का एक अवैध तंमचा व 3 कारतूस और बाइक बरामद की. घायल गोविंद को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती कराया. पुलिस पूछताछ में दोहरे हत्याकांड के आरोपी गोविंद ने पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था, मैं हर रोज दर्द नहीं सह सकता था. गोविंद से पूछताछ के बाद डबल मर्डर की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी—

कामिनी और गोविंद बाह के जरार कस्बे के मोहल्ला हवेली में रहते थे. 19 वर्षीय कामिनी जहां 11वीं में पढ़ती थी, वहीं 21 वर्षीय गोविंद बीएससी द्वितीय वर्ष का छात्र था. गोविंद का घर कामिनी के घर से 50 मीटर की दूरी पर था. घटना से एक साल पहले एक दिन कालेज जाते समय दोनों की नजरें एकदूसरे से टकरा गईं. दोनों ही जवानी की देहरी पर कदम रख चुके थे. गोविंद को कामिनी भा गई वहीं कामिनी को भी गोविंद अच्छा लगा. फिर अकसर जैसा 2 युवाओं के बीच होता है, उन के बीच भी हुआ. दोनों मिले और शुरू हो गया चोरीछिपे मिलनाजुलना और बतियाना. छोटे कस्बे में लड़केलड़की का आपस में मिलना और बात करना आसान नहीं होता.

कामिनी और गोविंद अपने भावी जीवन के सपने देखते. जमाने से बेखबर वे अपने प्यार में मस्त रहते. पर गांवदेहात में प्यारमोहब्बत की बातें ज्यादा दिनों तक नहीं छिप पातीं. किसी तरह कामिनी के घर वालों को पता चल गया कि उस का गोविंद के साथ चक्कर चल रहा है. लिहाजा मां व भाइयों ने उसे समझाया कि वह उस लड़के से मिलनाजुलना बंद कर दे. फिर भी दोनों की चोरीछिपे मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा. इस की वजह से दोनों परिवारों में तल्खी बढ़ती गई. कामिनी पर जब बंदिश लगाई गई तो घटना से पहले एक दिन वह कामिनी से मिलने घर में घुस आया.

चूंकि गोविंद दूसरी बिरादरी का था, इसलिए कामिनी के घर वालों ने साफ कह दिया कि कामिनी के साथ उस की शादी नहीं हो सकती. गोविंद को समझाया भी. इस के बाद भी कामिनी से बात करते देख लेने पर उन्होंने कई बार गोविंद को पीटा. गोविंद कामिनी के मोहपाश में बंधता चला गया. उसे समाज, बिरादरी की कोई परवाह नहीं थी. उसे तो हर हाल में जीवनसाथी के रूप में कामिनी चाहिए थी. कामिनी के घर वालों ने गोविंद की हरकतों और उस की जिद से मोहल्ले में हो रही उन की बदनामी को देखते हुए कामिनी का रिश्ता 20 दिन पहले ही फिरोजाबाद के कस्बा सिरसागंज के गांव अटारैना में तय कर दिया. अभी शादी की तारीख तय नहीं हुई थी.

इस बात ने आग में घी का काम किया. अपनी प्रेमिका की शादी तय हो जाने से गोविंद मायूस था. इस से बौखला कर उस ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर एक खौफनाक निर्णय ले लिया. उस ने कामिनी की हत्या की योजना बनाई. इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम देने के लिए गोविंद ने रात के तीसरे पहर का समय चुना. उस समय लोग गहरी नींद में होते हैं. उस ने अपने घर में चारपाई पर तकिया  रख कर रजाई से ढक दिया था ताकि लगे कि वह सोया हुआ है. मांबेटी की हत्या करने के लिए गोविंद छत के रास्ते सीढि़यों से शारदा के घर में आ गया. उस ने चाकू से पहला वार सोती हुई शारदा पर किया, मां की चीख सुन कर बगल में सो रही कामिनी की आंखें खुल गईं.

दोनों ने गोविंद से धारदार हथियार छीनने का प्रयास किया,लेकिन सफलता नहीं मिली. मांबेटी लहूलुहान हालत में जान बचाने घर से बाहर भागीं, लेकिन हत्यारे ने उन पर चाकू से लगातार कई वार किए. बुरी तरह से घायल मां फर्श पर गिर गई. वहीं कामिनी चीखती हुई घर के बाहर भागी. कामिनी की भाभी रेखा उन्हें बचाने आई, पहचाने जाने के डर से गोविंद ने रेखा पर भी वार कर घायल कर दिया. वह रेखा की भी हत्या करना चाहता था. घटना को अंजाम देने के बाद वह सब से पहले अपने घर पहुंचा. वहां उस ने कपड़े बदले. 400 रुपए और बाइक ले कर वह बाहर निकल गया. खून से सने कपड़े और चाकू एक पौलीथिन में रख कर जंगल में फेंक दिया और छिप गया.

मंगलवार सुबह वह फिरोजाबाद की ओर भाग रहा था, तभी पुलिस ने उसे दबोच लिया. कातिल गोविंद को न्यायालय में पेश किया गया. कोर्ट के आदेश पर उसे जेल भेज दिया गया. अपने घर की चारदीवारी हर किसी के लिए महफूज मानी जाती है. लेकिन शारदा और उस की बेटी कामिनी के लिए अपना घर भी सुरक्षित नहीं रहा. सिरफिरे आशिक ने प्यार की खातिर इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दे डाला. कामिनी के भाई मनीष की 25 मई को शादी होनी थी. उस के कुछ दिनों बाद जहां कामिनी की घर से डोली उठनी थी, वहां मातम छा गया था. Agra News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

MP News : प्रेमिका की हत्या कर शव को कुत्ते की लाश संग गड्ढे में दबाया

MP News : डा. आशुतोष त्रिपाठी संपन्न परिवार से था. अपनी अटैंडेंट विभा केवट को शादी का झांसा दे कर उस ने इसलिए संबंध बनाए थे, ताकि वह उस के साथ जब चाहे मौजमस्ती कर सके. लेकिन उसे क्या पता था कि उस का यह कदम उसे …

विभा केवट की उम्र 24 साल थी. सामान्य कदकाठी की विभा देखने में सुंदर होने के साथ पढ़नेलिखने में भी होशियार थी. चूंकि उस के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए पिछले 2 सालों से वह फैमिली दंत चिकित्सालय में अटेंडेंट की नौकरी कर रही थी. सतना के धावरी स्थित कलैक्ट्रेट रोड पर यह दंत चिकित्सालय डा. आशुतोष त्रिपाठी का था. विभा का घर मल्लाह मोहल्ले में था. वह हर रोज सुबह 8 बजे घर से क्लीनिक के लिए निकल जाती थी और पेशेंट देखने में डा. आशुतोष की मदद करती थी.

दोपहर में वह लंच करने के लिए घर लौटती. लंच के बाद फिर वापस क्लीनिक में लौट आती थी. रात के 8 बजे डा. आशुतोष त्रिपाठी क्लीनिक बंद कर के कार से पहले विभा को उस के घर के पास छोड़ता फिर अपने घर जाता था. यह विभा की रोज की दिनचर्या थी. नौकरी में अपना अधिकतर समय देने के बाद भी विभा पढ़ाई के लिए समय निकाल लेती थी. उस का सपना एलएलबी कर के वकील बनने का था. वह एक प्राइवेट कालेज से एलएलबी कर रही थी. चूंकि घर की हालत सही न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में असमर्थ थी. इसलिए पिछले 2 सालों से इस क्लीनिक में नौकरी कर रही थी.

वह अपने काम से खुश थी और जिंदगी सामान्य ढर्रे पर चल रही थी. पिछले साल 14 दिसंबर को वह रोज की तरह घर से ड्यूटी पर गई थी. दोपहर के समय वह घर आई और लंच कर के वापस ड्यूटी पर लौट गई. उस रात नौ बजे तक वह घर नहीं लौटी तो उस के पिता रामनरेश केवट और मां रमरतिया की आंखों में परेशानियों के बादल घुमड़ने लगे. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. उन के मन में तरह तरह के बुरे खयाल आ रहे थे. रात भर इंतजार के बाद सुबह भी विभा घर नहीं लौटी तो क्लीनिक खुलने के समय दोनों डाक्टर से मिलने उस के क्लीनिक जा पहुंचे. डा. आशुतोष क्लीनिक में पेशेंट देख रहे थे. बुरी तरह परेशान रामनरेश केवट ने जब डा.

आशुतोष से बेटी के बारे में पूछा तो उस ने विभा के घर नहीं पहुंचने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि कल शाम विभा ने उस से पगार के छह हजार रुपए लिए और कुछ जरूरी काम से बाहर जाने की बात कह कर चली गई थी. लगता है, उस ने कहीं दूसरी जगह काम पकड़ लिया है. चिंता न करो वह कुछ दिनों में खुद ही घर लौट आएगी. रामनरेश और रमरतिया वहां से घर लौट आए और बारबार विभा के मोबाइल पर काल कर उस से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे. लेकिन बीती रात से ही उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था. रामनरेश ने अपने सभी रिश्तेदारों से फोन कर पूछा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.

बाद में रामनरेश ने फिर डा. आशुतोष त्रिपाठी से विभा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि विभा ने उस के यहां से नौकरी छोड़ दी है. वह तुम लोगों से नाराज है और किसी दूसरी जगह पर कमरा ले कर रहने लगी है. उस ने अपना फोन नंबर भी बदल लिया है. विभा ने कहां पर कमरा लिया है इस की जानकारी उसे नहीं है. बेटी के अलग रहने की बात रामनरेश और रमरतिया के गले से नहीं उतरी. फिर भी उन्होंने बेटी की तलाश में शहर का चप्पाचप्पा छान मारा लेकिन वह उस का पता लगाने में नाकामयाब रहे. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया.

दरअसल, विभा के मातापिता को ऐसा लग रहा था जैसे डाक्टर को विभा के बारे में जानकारी है और वह शायद बाद में विभा के बारे उन्हें बता देगा. विभा की तलाश करतेकरते डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो रमरतिया ने एक फरवरी, 2021 को धवारी की सिटी कोतवाली में बेटी की गुमशुदगी दर्ज करा दी और पुलिस अधिकारियों से उसे तलाश करने की गुहार लगाई. सिटी कोतवाली इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने 24 वर्षीय युवती विभा केवट के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया. वह इस की जांच में जुट गईं.

इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने विभा के मातापिता से उस के गायब होने के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर की सुबह विभा डा. आशुतोष के क्लीनिक में ड्यूटी पर गई थी. जहां डाक्टर के अनुसार उस ने शाम तक ड्यूटी की. इस के बाद वह डाक्टर से 6 हजार रुपए लेने के बाद कहीं दूसरी जगह रहने चली गई. उस ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था. यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को कोतवाली बुला कर उस से विभा केवट के बारे में पूछताछ की. थोड़ी पूछताछ के बाद डा. आशुतोष को घर जाने की इजाजत मिल गई.

लेकिन डाक्टर के बारबार बदले बयानों को ले कर इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी को उस पर संदेह हो गया था. उन्होंने डा. आशुतोष त्रिपाठी और विभा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर देखी तो पता चला कि विभा ने आखिरी बार 14 दिसंबर को डा. आशुतोष त्रिपाठी से 750 सेकंड बातें की थीं. इस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था, जो फिर औन नहीं हुआ था. इस का मतलब था कि विभा के गायब होने का राज डा. आशुतोष को मालूम था. इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को दोबारा थाने बुला कर मनोवैज्ञानिक तरीके से कुरेदना शुरू किया तो वह ज्यादा देर तक नहीं टिक सका.

उस ने विभा के बारे में जो कुछ बताया उसे सुन कर अर्चना द्विवेदी आश्चर्यचकित रह गईं. उस ने बताया कि दरअसल विभा का कत्ल हो चुका है और उस की लाश एक गड्ढे में दबा दी गई थी. कत्ल की बात पता चलते ही इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया और इस की सूचना सतना के एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह को दी. 20 फरवरी, 2021 शनिवार को एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह, तहसीलदार अनुराधा सिंह, नायब तहसीलदार हिमांशु भलवी, यातायात थानाप्रभारी राजेंद्र सिंह राजपूत और इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी आरोपी डा. आशुतोष के साथ घटनास्थल पर पहुंचे जहां पर विभा की लाश एक गड्ढे में दबी थी.

मिल गई विभा की लाश डा. आशुतोष की निशानदेही पर नगर निगम के श्रमिकों की मदद से गड्ढे की खुदाई की गई तो कुछ देर खुदाई के बाद उस में से एक कुत्ते की लाश निकली. कुत्ते की लाश को बाहर निकालने के बाद थोड़ी और खुदाई की गई तो वहां एक युवती की लाश दिखाई पड़ी. लाश को बाहर निकाला गया. लाश के गले में एक दुपटटा तथा कमर के नीचे लोअर मौजूद था. रामनरेश केवट और उस की पत्नी रमरतिया को लाश दिखाई गई तो दोनों ने कपड़ों के आधार पर उस की पहचान अपनी बेटी विभा केवट के रूप में की. शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. डा. आशुतोष के बयान और पुलिस की तहकीकात के आधार पर विभा केवट हत्याकांड के पीछे एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई—

सतना के धावरी इलाके में चांदमारी रोड, मंगल भवन के पीछे अंग्रेजी के शिक्षक नरेंद्र त्रिपाठी अपने परिवार के साथ रहते थे. वह राजकीय कन्या विद्यालय, धावरी में नौकरी करते हैं. उन के 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा अभिषेक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर स्थित एक रियल एस्टेट फर्म में बतौर फाइनेंस मैनेजर कार्यरत है. दूसरा बेटा आशुतोष डेंटिस्ट है. 2 साल पहले आशुतोष को अपने क्लीनिक के लिए एक अटेंडेंट की जरूरत थी. मल्लाह मोहल्ले में रहने वाले रामनरेश केवट की दूसरी बेटी विभा को जब इस नौकरी बारे में पता चला तो उस ने डा. आशुतोष से मिल कर उस के यहां काम करने की इच्छा जाहिर की.

डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित जरूरी कामकाज के बारे में समझाते हुए जब सैलरी के बारे में उसे बताया तो उस ने वहां काम करने के लिए हामी भर दी. यह बात सन 2018 की थी. डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित सभी बातों को समझने के बाद यह भी समझा दिया कि वहां आने वाले पेशेंट से किस प्रकार व्यवहार करना है. फिर उसे अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि अगर उस की अनुपस्थिति में उसे कोई भी मुश्किल आए तो मुझे कभी भी काल कर सकती हो. उसी समय विभा और डा. आशुतोष ने अपनेअपने मोबाइल में एक दूसरे के नंबर सेव कर लिए. विभा तेजतर्रार युवती थी. थोड़े ही दिनों में वह सारा काम सीख गई. उस की कुशलता देख कर डा. आशुतोष भी खुश हुआ.

विभा यहां काम पा कर पूरी तरह संतुष्ट थी. क्योंकि उस के प्रति डाक्टर का व्यवहार ठीक था. वह वेतन भी टाइम से दे देता था. इस तरह धीरेधीरे समय का पहिया घूमता रहा. सालभर गुजर जाने के बाद डाक्टर आशुतोष और विभा आपस में काफी घुलमिल गए थे. पेशेंट की मौजूदगी में वे दोनों एक दूसरे से सिर्फ काम की ही बातें करते थे. लेकिन जब वहां कोई नहीं होता तो वे हंसीमजाक से ले कर दुनियाजहान की बातें करते थे. बातों बातों में वक्त आसानी से कट जाता था. इसी दौरान डाक्टर आशुतोष ने मन ही मन विभा को पाने की योजना तैयार की और उस पर अमल करना आरंभ कर दिया.

अपनी योजना के तहत शाम को जब वह क्लीनिक बंद करता तो घर जाने से पहले विभा को उस के घर छोड़ने जाने लगा. विभा डा. आशुतोष के इस बदले हुए व्यवहार के पीछे की चाल को नहीं भांप सकी. उस ने सोचा कि डा. आशुतोष खुश हो कर उस की मदद कर रहे हैं. कभीकभार वह विभा को घर छोड़ने से पहले किसी होटल या रेस्टोरेंट में ले जाता जहां खाने के दौरान वह विभा का दिल जीतने की कोशिश करता था. विभा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी. जल्द ही वह उस की बातों में आ गई. डा. आशुतोष ने जब ताड़ लिया कि विभा उस की इच्छा का विरोध नहीं करेगी तो एक दिन उस ने विभा को शादी करने का झांसा दे कर उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिया.

उस दिन के बाद विभा के प्रति डा. आशुतोष का व्यवहार एकदम बदल गया. विभा को खुश रखने के लिए वह उसे महंगे तोहफे आदि देता रहता था. ताकि उस की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने में विभा आनाकानी न करे. अलबत्ता एक दिन विभा ने अपनी बड़ी बहन को आशुतोष से अपने अफेयर की बात बता दी और यह भी कहा कि कुछ दिनों के बाद डाक्टर उस से शादी कर लेगा. इस पर उस की बहन ने उसे समझाते हुए कहा भी कि अमीर लोग गरीब घर की लड़की से शादी करने की बात अपना मतलब निकालने के लिए करते हैं. कहीं तुम आगे चलकर ठगी न जाओ, इसलिए जितनी जल्दी हो सके शादी कर लो.

बहन की बात सुन कर विभा ने उसे जवाब दिया कि उस का प्यार इतना कच्चा नहीं है कि डाक्टर उस से शादी का बहाना कर असानी से अपना मुंह फेर ले. उस वक्त कहने के लिए तो विभा ने बड़़े ही आत्मविश्वाश के साथ अपनी बड़ी बहन को जवाब दे दिया. लेकिन उसी दिन उस ने मन में ठान लिया कि वह डाक्टर से जल्द शादी करने को कहेगी. विभा बन गई गले की हड्डी इस के बाद जब भी आशुतोष विभा को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने की कोशिश करता तो वह उस से पहले शादी करने की बात करती. इतना ही नहीं, जब भी दोनों क्लीनिक में अकेले होते वह उस से शादी करने का दबाव डालना शुरू कर देती थी. आशुतोष एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखता था. समाज में उस की अपनी अच्छीखासी हैसियत थी.

उस ने तो केवल विभा के साथ मौजमस्ती करने के लिए उस से शादी की बात कही थी. वास्तव में उस ने दिल से कभी विभा से शादी के बारे में सोचा तक नहीं था. इसलिए जब विभा ने उस पर शादी का अधिक दबाव बनाना शुरू किया तो 14 दिसंबर, 2020 को आशुतोष ने बात बढ़ जाने पर विभा की गला घोंट कर हत्या कर दी. उस समय क्लीनिक में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था. विभा की हत्या करने के बाद आशुतोष ने उस की लाश एक बोरी में डाल कर क्लीनिक के अंदर ही एक कोने में रख दी. अगले दिन वह क्लीनिक में पेशेंट का इलाज करते हुए मन ही मन विभा की लाश को ठिकाने लगाने की तरकीब सोचता रहा.

दोपहर के बाद उस ने कुछ मजदूरों को बुलाया और क्लीनिक के पीछे बारिश का गंदा पानी जमा करने की बात कह कर एक 6 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया. रात को उस ने विभा की लाश गड्ढे में डाल कर उस के उपर नमक डाला फिर उस पर थोड़ी मिट्टी डाल दी. इस के बाद कहीं से उस ने एक कुत्ते की लाश का इंतजाम किया. कुत्ते की लाश को उसी गड्ढे में डालने के बाद उस ने उस के उपर अच्छी तरह मिट्टी भर दी. कुत्ते की लाश गड्ढे में इसलिए डाली गई कि ताकि विभा की लाश की बदबू आसपास फैलने पर अगर लोग बदबू उठने का कारण पूछे तो वह सब को बता सके कि वहां कुत्ते की लाश दबाई गई है.

इस तरह विभा की लाश इस गड्ढे में दबी होने की बात उजागर नहीं होगी. लेकिन पुलिस को विभा की अंतिम काल और उस के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर आशुतोष के ऊपर शक हो गया. जब उस से थोड़ी सख्ती बरती गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. विभा की लाश का डीएनए टेस्ट कराने के लिए सैंपल भी सुरक्षित रख लिया गया ताकि तय हो सके कि लाश विभा की ही थी. विभा की लाश की बरामदगी के बाद इस मामले में हत्या और साजिश की धारा 302, 201, जोड़ दी गई. पुलिस ने आशुतोष त्रिपाठी से पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार कर सतना की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. MP News

UP Crime News : युवक के इश्क में बड़ी बहन ने छोटी बहन का गला घोंटा फिर शव तालाब में फेंका

UP Crime News  : 21 वर्षीय सुनीता 2 बच्चों के पिता पवन तोमर से दिल लगा बैठी. वह उसे तलाक दिला कर शादी का दबाव बना रही थी. इस में वह नाकाम रही तो उस ने चस्पा कर दिया अपहरण का खूनी नोटिस…

फिरोजाबाद जिले के थाना शिकोहाबाद का एक गांव है नगला सैंदलाल. इसी गांव में राजमिस्त्री रामभरोसे अपने परिवार के साथ रहता था. रामभरोसे की पहली शादी बिरमा देवी के साथ हुई थी. उस से 2 बेटियां सुनीता, गीता के अलावा एक बेटा विक्रम है. बिरमा देवी की बीमारी से मौत हो जाने के बाद रामभरोसे ने अपनी तीसरे नंबर की साली सोमवती से शादी कर ली. इस से एक बेटा करन व 3 बेटियां विनीता, खुशी और हिमांशी पैदा हुईं. बात 9 मार्च, 2021 की है. सुबह करीब 7 बजे रामभरोसे की सब से छोटी बेटी 6 वर्षीय हिमांशी खेत पर जाते समय रास्ते से अचानक गायब हो गई.

हुआ यह कि रामभरोसे की 21 वर्षीय बड़ी बेटी सुनीता छोटी बहन हिमांशी के साथ घर से खेत के लिए निकली थी. रास्ते में हिमांशी पीछे रह गई और सुनीता खेत पर पहुंच गई. सुनीता हिमांशी के आने का इंतजार करती रही. जब करीब आधा घंटा बीत गया और हिमांशी नहीं आई तो सुनीता को चिंता हुई. उस ने लौट कर मां को बताया कि हिमांशी उस के साथ खेत पर जाने के लिए निकली थी, लेकिन वह रास्ते से कहीं गायब हो गई. इस पर मां ने सोचा कि रास्ते में कहीं खेलती रह गई होगी, आ जाएगी. लेकिन जब लगभग 2 घंटे बाद भी हिमांशी घर नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. पड़ोसियों के साथ ही घर वाले हिमांशी की खोजबीन में जुट गए.

लेकिन हिमांशी का कोई पता नहीं चला. इसी बीच गांव वालों की नजर रामभरोसे के घर के दरवाजे पर चिपके एक पत्र पर गई. पत्र में सब से ऊपर पवन तोमर का नाम लिखा था. पत्र में लिखा था कि यदि सुनीता की शादी पवन से नहीं कराई तो बच्ची को मार दूंगा. हिमांशी के अपहरण की बात पता चलते ही पिता रामभरोसे गांव के कुछ लोगों के साथ थाना शिकोहाबाद पहुंच गया और पुलिस को बेटी के अपहरण होने की पूरी जानकारी दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर अपनी टीम के साथ गांव पहुंच गए. उन्होंने सुनीता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. अपने स्तर से पुलिस ने गांव में व आसपास के क्षेत्र में हिमांशी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

दिनदहाड़े गांव से लड़की के लापता होने से घर वालों के साथ ही गांव वालों की चिंता और आक्रोश बढ़ता जा रहा था. इस पर थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. जानकारी होते ही एसएसपी अजय कुमार पांडेय एसपी (ग्रामीण) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ बलदेव सिंह खनेडा, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह सहित कई थानों की फोर्स व डौग स्क्वायड की टीम के साथ गांव पहुंच गए. अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. खोजी कुत्ते को हिमांशी के पुराने कपड़े सुंघाए गए. इस के बाद उसे छोड़ा गया तो वह घर के पीछे ईंट भट्ठा तक पहुंचा. पुलिस आसपास सुराग खोजती रही, लेकिन बालिका हिमांशी का पता नहीं चला.

पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के ही पवन और सुनीता के बीच प्रेमसंबंध थे. रामभरोसे के दरवाजे पर चिपके पत्र में भी लिखा था कि पवन का तलाक करवा कर सुनीता से शादी करवा दो. इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं सुनीता का इस मामले में हाथ हो सकता है. सुनीता या तो हिमांशी के अपहरण में खुद शामिल है या फिर उस ने किसी से यह काम करवाया है. जांच के दौरान कुछ नाम और भी सामने आए. सुनीता से इस संबंध में पूछताछ की गई तो वह पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञता व्यक्त करती रही. वह एक ही बात की रट लगाए जा रही थी कि खेत पर जाते समय हिमांशी पीछे रह गई थी और वह रास्ते से ही गायब हो गई थी.

शादीशुदा पवन से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन उस ने हिमांशी के संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर दिया. एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने दीवार पर चस्पा किए गए पत्र की लिखावट को पढ़ा. पवन की हैंडराइटिंग का मिलान कराया गया, लेकिन उस की हैंडराइटिंग अलग थी. इस के बाद सुनीता से पूछताछ की गई.  पत्र की बारीकी से जांच के बाद शक की सुई सुनीता पर टिक गई. तब पुलिस सुनीता और पवन को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. इस बीच एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में उन की टीम गांव में जा कर जांच में जुटी रही.  थाने ला कर पुलिस ने पवन व सुनीता से कड़ाई से पूछताछ की.

पूछताछ पूरी करने के बाद शाम 3 बजे दोनों को ले कर पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे. सुनीता को गांव के तालाब पर ले जाया गया. जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में गांव वाले भी तालाब पर पहुंच गए. सुनीता की निशानदेही पर तालाब के एक किनारे से हिमांशी का शव बरामद कर लिया गया. हिमांशी की तलाश के लिए पुलिस की तत्परता देख मां सोमवती को अपनी बेटी के मिलने का भरोसा था, लेकिन उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह मृत अवस्था में मिलेगी. हिमांशी का शव मिलने की जानकारी होते ही वह बुरी तरह फूट पड़ी. अन्य भाईबहन भी तालाब के किनारे पहुंच कर रोनेबिलखने लगे. अपनी लाडली बेटी की हत्या से गमगीन पिता रामभरोसे को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बड़ी बहन घटिया सोच के चलते अपनी छोटी बहन की हत्या कर देगी.

पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया. सुनीता पुलिस से यही कहती रही कि पैर फिसलने से हिमांशी तालाब में गिर गई और डूब गई थी. सुनीता का अब भी यह कहना था कि यह बात उस ने डर की वजह से घर वालों को नहीं बताई थी. पुलिस ने उसी दिन शाम को शव का पोस्टमार्टम करा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने  दूसरे दिन 10 मार्च, 2021 को हिमांशी हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. शादीशुदा युवक के इश्क में पागल सुनीता ने ही अपनी छोटी बहन हिमांशी का गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को तालाब में फेंक दिया था.

हत्यारोपी सुनीता ने ही घर वालों, पुलिस और गांव वालों को गुमराह करने के लिए दरवाजे के बाहर अपहरण का पत्र चिपकाया था. पुलिस ने पिता द्वारा दर्ज कराए गए अपहरण के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. सुनीता कंप्यूटर कोर्स कर रही थी. एसओजी टीम ने उस के बैग की कौपियां देखीं तो एक कौपी का पन्ना फटा था, जिस का मिलान पत्र से हो गया. असल में सुनीता ने पत्र लिखने के लिए जो कागज इस्तेमाल किया था, वह उस ने अपनी ही कौपी से फाड़ा था. उसे चिपकाने की लेई भी उस ने खुद बनाई थी. लेई की कटोरी भी घर के अंदर से बरामद कर ली गई.

इस सनसनीखेज कांड का खुलासा करने वाली टीम को एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. सुनीता से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि उस ने अपने ही हाथों अपनी मासूम बहन की हत्या कर के अपने प्रेमी पवन को फंसाने की एक गहरी साजिश रची थी. इस केस की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

अपनी मां की मौत के बाद पिता ने उस की मौसी सोमवती से शादी कर ली. सौतेली मां सोमवती के व्यवहार से सुनीता परेशान रहती थी. कुछ समय पहले एक प्लौट पिता ने खरीदा था. उस प्लौट को भी सोमवती ने अपने नाम करा लिया था. सारे दिन सुनीता घर के काम में ही लगी रहती थी. इसलिए उस ने कंप्यूटर सीख कर नौकरी करने का निर्णय लिया. सोमवती इस बात से खुश नहीं थी. वह चाहती थी सुनीता उस के साथ घरगृहस्थी के काम में हाथ बंटाए. सुनीता ने गांव के पवन तोमर जो शिकोहाबाद में मैनपुरी चौराहा पर एक जनसेवा केंद्र चलाता था, के सेंटर पर कंप्यूटर ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया.

वह उस के सेंटर पर जाने लगी. कंप्यूटर ट्रेनिंग के दौरान पवन और सुनीता का झुकाव एकदूसरे के प्रति हो गया. धीरेधीरे पवन और सुनीता के प्रेमसंबंध हो गए. पवन शादीशुदा था और उस की पत्नी व 2 बेटियां हैं. पवन भी सुनीता को बहुत प्यार करता था. अगर किसी दिन सुनीता सेंटर पर नहीं आती तो वह बेचैन हो जाता था. वे मिलने में पूरी सावधानी बरतते थे. दोनों कंप्यूटर सेंटर पर ही एकदूसरे से मिलते थे. और गांव में तो वे एकदूसरे से बात तक नहीं करते थे. कंप्यूटर सेंटर गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए दोनों के प्रेम संबंधों के बारे में गांव में किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई थी.

सुनीता ने एक दिन पवन से कहा, ‘‘पवन, ऐसा कब तक चलेगा. हम दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं. आखिर हम छिपछिप कर कब तक मिलते रहेंगे? तुम मुझ से शादी कर लो.’’

‘‘सुनीता तुम तो जानती हो कि मेरी पत्नी और 2 बेटियां हैं, ऐसे में मैं तुम से कैसे शादी कर सकता हूं.’’ पवन ने कहा.

सुनीता समझ गई कि पवन के शादीशुदा होने से शादी में पेंच फंस रहा था. वह कुछ क्षण सोचने के बाद बोली, ‘‘पवन, इस का एक उपाय यह है कि तुम अपनी पत्नी को तलाक दे दो और मुझ से शादी कर लो. क्योंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.’’

पवन ने सुनीता को समझाया कि वह उस से प्यार तो करता रहेगा लेकिन शादी नहीं कर सकता. जब सुनीता के लाख समझाने का भी पवन पर कोई असर नहीं हुआ तो उस ने पवन पर दवाब बनाने के लिए एक खौफनाक षडयंत्र रचा. सुबह खेत पर जाते समय सुनीता छोटी बहन हिमांशी को भी साथ ले गई. तालाब के किनारे पेड़ों और झाडि़यों की आड़ में ले जा कर उस ने अपने हाथों से सौतेली बहन हिमांशी की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद उस के शव को तालाब में फेंक दिया. इस के बाद वह घर आ कर हिमांशी के लापता होने का नाटक करने लगी. इसी बीच उस ने पहले से लिखे पत्र को घर के दरवाजे पर लेई से चिपका दिया.

गांव के एक कोने पर घर होने से सुनीता की कारगुजारी को कोई देख नहीं पाया था. 10 मार्च, 2021 को पुलिस ने सुनीता को सौतेली बहन की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.  अपराध करने वाला कितना भी शातिर हो, वह अपराध के बाद निशान छोड़ ही जाता है. फिर सुनीता तो अभी 21 साल की ही थी. गेम प्लान सुनीता ने रचा था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित