50 लाख के लिए दिनदाहड़े बड़े अफसर का अपहरण

50 लाख की फिरौती के लिए किडनैपर सहायक उद्योग कमिश्नर रमणलाल वसावा को किडनैप कर
गुप्तस्थान पर ले जा रहे थे. फिरौती की रकम हासिल करने के बाद उन का मकसद वसावा की हत्या
करना था. क्या बदमाश अपनी योजना में सफल हो पाए?

पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा अपहरण की सूचना प्रसारित होते ही पूरे जिले के सभी थानों की पुलिस के साथ
पीसीआर वाले और लोकल क्राइम ब्रांच भी अलर्ट हो गई. घटना गुजरात की राजधानी गांधीनगर के थाना
चीलोड़ा के अंतर्गत घटी थी, इसलिए थाना चीलोड़ा के एसएचओ ए.एस. अंसारी अपनी टीम के साथ तुरंत
घटनास्थल पर पहुंच गए. लेकिन उन के पहुंचने के पहले ही वहां एक पीसीआर वैन पहुंच चुकी थी.

अपहरण गियोड स्थित मंदिर के पास हुआ था. मंदिर के पास खड़े कुछ लोगों ने अपहरण होते हुए देखा
था, इस के साथ सामने से आ रही पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी के 2 कर्मचारियों ने भी देखा था.
गुजरात के जिला पालनपुर के सहायक उद्योग कमिश्नर रमणलाल वसावा तबीयत खराब होने की वजह
से 3 दिनों से छुट्टी ले कर गांधीनगर स्थित अपने घर पर ही थे. 25 मई, 2024 की दोपहर को वह
हिम्मतनगर के किसी डाक्टर को दिखाने के लिए अपनी कार से घर से निकले.

 

वह गांधीनगर से थोड़ी दूर गियोड मंदिर के पास पहुंचे थे कि पीछे से आ रही एक सफेद और दूसरी
आसमानी रंग की कार ने उन्हें घेर कर रोक लिया. सफेद रंग की कार से 3 लोग उतरे और रमणलाल
वसावा को उन की कार से जबरदस्ती खींच कर उतारा और अपनी कार में बैठा कर ले गए.

वहां खड़े कुछ लोगों ने यह देखा तो उन्हें समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ तो गड़बड़ है. उन्होंने
तुरंत इस घटना की सूचना फोन द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

रमणलाल वसावा की कार घटनास्थल पर ही खड़ी थी. इंसपेक्टर ए.एस. अंसारी ने जब उस कार की
तलाशी ली तो उस में से रमणलाल वसावा के नाम का आधार कार्ड तथा इलेक्शन कार्ड मिला.
बगल की सीट पर 2 फाइलें रखी थीं. ए.एस. अंसारी ने जब उन फाइलों को उठा कर देखा तो उन में वह सहायक उद्योग कमिश्नर, पालनपुर लिखा था. इस से पता चला कि जिन रमणलाल वसावा का अपहरण हुआ था, वह पालनपुर में सहायक उद्योग कमिश्नर थे. यानी वह क्लास वन अफसर थे. यह पता चलते ही पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया.

इंसपेक्टर अंसारी ने तुरंत अपने परिचित पुलिस अधिकारियों को फोन कर के पूछा तो उन लोगों ने
बताया कि रमणलाल वसावा पालनपुर में सहायक उद्योग कमिश्नर हैं, जो इसी 30 जून को रिटायर होने
वाले हैं.

जब स्पष्ट हो गया कि जिस व्यक्ति का किडनैप हुआ है, वह पालनपुर के सहायक उद्योग कमिश्नर हैं
तो एसएचओ ने फोन द्वारा जिले के सभी पुलिस अधिकारियों को भी यह बात बता दी. अभी वह
घटनास्थल की ही जांच कर रहे थे कि एसपी और लोकल क्राइम ब्रांच की एक टीम इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार के नेतृत्व में पहुंच गई.
इस के बाद इंसपेक्टर हार्दिक सिंह ने रमणलाल वसावा की कार के नंबर के आधार पर उन के घर का
पता मालूम किया और उन के घर वालों से संपर्क किया तो घर वालों ने बताया कि उन्हें लग रहा था कि
इधर 2 दिनों से कोई उन के घर की रेकी कर रहा था. इस के अलावा अलगअलग नंबरों से फोन कर के
रमणलाल वसावा को धमकी भी दी जा रही थी.

पुलिस को वे नंबर मिल गए थे, जिन नंबरों से रमणलाल वसावा को धमकी दी जा रही थी. धमकी देने
वाले उन से 50 लाख रुपए की रंगदारी मांग रहे थे. कुल 3 नंबरों से वसावा को धमकी दी गई थी.
पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस से उन तीनों नंबरों की लोकेशन पता कराई.

इन में से एक नंबर की लोकेशन प्रांतिज और वीसनगर की ओर जाती मिली. लेकिन प्रांतिज टोलनाका
की सीसीटीवी फुटेज चैक की गई तो उस में किडनैपर्स की कार दिखाई नहीं दी. इस से पुलिस को
समझते देर नहीं लगी कि किडनैपर मेनरोड से न जा कर बीच के रास्तों का उपयोग कर रहे हैं. पुलिस
को जो 3 नंबर मिले थे, उन तीनों नंबरों की अलगअलग लोकेशन आ रही थी.

एक की लोकेशन धोलेरा की आ रही थी तो दूसरे की लोकेशन गांधीनगर की थी, जबकि तीसरे की
लोकेशन वीसनगर माणसा रोड की थी. पुलिस को लगा कि आरोपी प्रांतिज तो नहीं गए होंगे. उन्होंने
जरूर बीच का रास्ता चुना होगा. इसलिए अन्य नंबरों को ट्रेस करने के बजाय पुलिस ने वीसनगर की
ओर जाने वाले नंबर पर अपना पूरा ध्यान लगा दिया. क्योंकि इस नंबर की लोकेशन लगातार बदल रही
थी.

इस तरह से की पुलिस ने प्लानिंग अब तक पुलिस की कई टीमें बना कर रमणलाल वसावा की खोज में लगा दी गई थीं. इन टीमों को अलगअलग काम सौंप दिया गया था. पर किसी भी टीम की समझ में नहीं आ रहा था कि वे क्या करें.

तभी क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार के मन में आया कि वह पुलिस की सरकारी जीप का उपयोग करने के बजाय अगर अपनी कार से बदमाशों का पीछा करें तो ज्यादा ठीक रहेगा. इस की वजह यह थी कि पुलिस जीप देख कर आरोपी अलर्ट हो जाते. जबकि निजी कार से उन्हें पता न चलेगा कि
कार किस की है और उस में कौन बैठा है.

हार्दिक सिंह परमार ने एसआई आर.जी. देसाई और के.के. पाटडिया को अपनी कार में बैठाया और
बदमाशों की खोज में निकल पड़े. उन्हें पूरा विश्वास था कि जिस मोबाइल नंबर की लोकेशन वीसनगर
की ओर की मिली है, उसी नंबर वालों के साथ रमणलाल वासवा हैं. इसलिए उन्होंने क्राइम ब्रांच के
इंसपेक्टर डी.बी. वाला से हर 2 मिनट पर उस नंबर की लोकेशन भेजने के लिए कहा.

दूसरी ओर थाना चीलोड़ा के एसएचओ ए.एस. अंसारी अपनी टीम के साथ कार में मिले आधार कार्ड और
इलेक्शन कार्ड में लिखे पते के आधार पर उन के घर पहुंचे तो वसावा की पत्नी रमीलाबेन ने बताया कि
उन के पति अस्पताल जा रहे थे, तभी उन का अपहरण हुआ था. अन्य जानकारी ले कर एसएचओ
ए.एस. अंसारी उन्हें अपने साथ ले कर थाने आ गए थे.

जब रमीलाबेन से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि 30 जून को आर.के. वसावा रिटायर होने वाले
हैं. उन की तबीयत खराब थी, इसलिए वह चीलोड़ा हो कर दवा लेने जा रहे थे. उन के बेटे की अभी कुछ
दिनों पहले ही मौत हो गई थी. ससुर भी बीमार हैं. उन की दवा चल रही है. इसलिए वसावा काफी टेंशन
में थे.

कुछ दिनों से उन के पास अज्ञात लोगों के फोन आ रहे थे कि वे आर.के. वसावा से मिलना चाहते हैं. पर
वह उन से मिलने से मना कर रहे थे. क्योंकि वे उन्हें फोन कर के 50 लाख रुपए मांग रहे थे. एक तरह
से वे उन्हें ब्लैकमेल कर रहे थे. रिटायरमेंट के समय कोई इश्यू न खड़ा हो, इसलिए वसावा उन से 30
जून या पहली जुलाई को मिलने के लिए कह रहे थे. जबकि वे उन से तुरंत मिलने की जिद कर रहे थे.

किडनैप के एक दिन पहले 2 लोग उन के घर की रेकी कर रहे थे. उस समय रमीलाबेन घर में अकेली थीं. उन दोनों में से एक व्यक्ति ने उन से आर.के. वसावा के बारे में पूछा भी था. उन्होंने मना किया तो उन लोगों ने रमीलाबेन को धमकी दी थी कि देख लेना वे उन्हें सुबह थाने जाने के लिए मजबूर कर देंगे. वह उन की कार का फोटो लेने के लिए मोबाइल फोन लेने अंदर गईं, उसी बीच वे दोनों व्यक्ति वहां से भाग गए थे.

रमीलाबेन ने आगे बताया था कि किसी भीखाभाई भरवार का फोन अकसर उन के पति के पास आता
था. लेकिन उन्होंने कभी यह नहीं सोचा था कि उन का किडनैप हो जाएगा.

एसपी ने पुलिस की अलगअलग टीमें बनाई थीं और थाना कलोल, माणसा, हिम्मतनगर और ऊझा पुलिस
से कह कर नाकाबंदी करवा दी थी. अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच पुलिस को भी सूचना दे दी गई थी,
क्योंकि किडनैपर अहमदाबाद की ओर भी भाग सकते थे.

पुलिस चूहे बिल्ली का खेल और किडनैपरों में चला

इंसपेक्टर डी.डी. वाला किडनैपर्स का पीछा कर रहे इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार को पलपल की लोकेशन दे रहे थे. एसआई के.के. पाटडिया के हाथ में मोबाइल था. वह हार्दिक सिंह परमार को लगातार गाइड करते हुए यह भी बता रहे थे कि बदमाशों और उन के बीच कितना अंतर है. जबकि एसआई आर.जी. देसाई दाहिनी ओर से आने वाली गाडिय़ों पर नजर रख रहे थे.

लोकेशन ट्रैस करते करते एक समय ऐसा आ गया, जब बदमाशों की कार और हार्दिक सिंह परमार की टीम की कार के बीच मात्र 8 मिनट का अंतर रह गया. इस के बाद तो पुलिस की यह टीम एकदम से
सावधान हो गई.

इंसपेक्टर परमार ने एसआई देसाई से कहा, ''देसाई साहब, अब आप सामने से आने वाली हर कार पर नजर रखिएगा. इन में अगर कोई काले कांच वाली या फिर जिस तरह की कार के बारे में हमें बताया गया है, उस तरह की कार दिखाई दे तो तुरंत बताइएगा.’’

इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार अपनी कार खुद ही चला रहे थे. इस के अलावा इंसपेक्टर ए.एस. अंसारी
को भी बदमाशों की वीसनगर, गोझारिया और माणसा जैसे स्थानों की जो लोकेशन मिल रही थी, उस की
जानकारी थाना चीलोड़ा, कलोल, माणसा पुलिस को देने के साथ क्राइम ब्रांच पुलिस को भी दी जा रही थी,
जिस से पुलिस की अलगअलग टीमों ने जगहजगह नाकाबंदी कर दी थी.

बदमाशों की कार और उस का पीछा कर रही इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार की कार के बीच का अंतर
लगातार घटता जा रहा था. जिस की वजह से इंसपेक्टर परमार और उन के साथी पूरी तरह से सावधान
हो गए थे. इस का एक कारण यह भी था कि बदमाश सामने से आ रहे थे. 2 मिनट बाद उन की कार
की बगल से काले कांच वाली एक कार निकली.

इंसपेक्टर परमार को लगा कि शायद बदमाशों की कार यही है. क्योंकि लोकेशन के आधार पर बदमाशों
की कार उन की कार के एकदम नजदीक दिखाई दी थी. उन्होंने तुरंत यूटर्न लिया और उस काले कांच
वाली कार के पीछे अपनी कार लगा दी.

लगभग 15 मिनट तक उस कार का पीछा करते हुए इंसपेक्टर परमार ने उन की कार को ओवरटेक
किया. ओवरटेक करते हुए उन्होंने देखा कि कार के सभी शीशे बंद थे. कार भीखा भरवार (रघु देसाई उर्फ
रघु भरवार) चला रहा था. इंसपेक्टर परमार ने अपनी कार बदमाशों की कार के बगल लगाई तो बदमाशों
ने अपनी कार का शीशा थोड़ा खोल कर यह देखना चाहा कि इस कार में कौन हैं.

तभी इंसपेक्टर परमार की कार में बैठे एसआई के.के. पाटडिया ने कार का पूरा शीशा खोल कर बदमाशों
से कहा, ''हम पुलिस वाले हैं. तुम लोगों के लिए यही अच्छा होगा कि तुम लोग कार रोक दो.’’
बदमाशों को जब पता चला कि पुलिस वाले उन के पीछे लगे हैं तो उन की जैसे जान निकल गई. वे
किसी भी तरह पुलिस के हाथ नहीं आना चाहते थे, इसलिए उन्होंने कार की स्पीड लगभग 140
किलोमीटर प्रति घंटे की कर दी.

जैसे ही उस कार की रफ्तार एकदम से बढ़ी तो पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि इसी कार में
बदमाश हैं. फिर तो इंसपेक्टर परमार ने उस कार के पीछे अपनी कार लगा दी. बदमाश जिस तरह तेजी से कार चला रहे थे, उस से पुलिस समझ गई कि ये लोग कोई न कोई गलती जरूर करेंगे. आगे एक चौराहा था, जिस पर पुलिस ने नाकाबंदी कर रखी थी. बदमाशों और उस के पीछे लगी पुलिस की कार बहुत तेज गति में चल रही थीं.

आगे बदमाशों की कार थी. उन्होंने बैरिकेड्स उड़ा दिए. बैरिकेड्स के आसपास खड़े सिपाही अगर पीछे न
हटते तो वह कार उन के ऊपर चढ़ा देते.

निजी कार होने की वजह से नाकाबंदी पर खड़े पुलिस वालों को पता नहीं चला कि उस कार से पुलिस
वाले बदमाशों का पीछा कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने इंसपेक्टर परमार की कार रोकने की कोशिश की, पर
वह रुके नहीं. क्योंकि अगर वह कार रोक कर पुलिस वालों को अपना परिचय देने लगते तो तब तक
बदमाश बहुत दूर निकल जाते और उन की आंखों से ओझल हो जाते. इसलिए वह अपना परिचय देने के
बजाय बदमाशों का पीछा करते रहे.

पुलिस ने क्यों ठोंकी किडनैपर्स की कार

संयोग से थोड़ा आगे जाने पर माणसा रोड पर रेलवे फाटक बंद था. बदमाशों ने दूर से ही देख लिया कि
रेलवे फाटक बंद है, इसलिए उन्होंने अपनी कार की रफ्तार धीमी कर ली. क्योंकि वे आगे जा कर फाटक
पर फंस सकते थे. इसलिए वे यूटर्न ले कर पीछे लौटना चाहते थे. इंसपेक्टर परमार कट टू कट अपनी
कार चला रहे थे. आगे फाटक पर ट्रैफिक था. वह बदमाशों को घेरना चाहते थे, जिस से बदमाश पीछे की
ओर न भाग सकें.

फाटक से थोड़ा पहले एक खुली जगह से बदमाशों ने यूटर्न लिया. इंसपेक्टर परमार के पास कोई विकल्प
नहीं था. अगर बदमाश यूटर्न ले कर निकल जाते तो वे किस रास्ते से निकल जाते, पता करना मुश्किल हो जाता.
इसलिए इंसपेक्टर परमार ने तुरंत फैसला लिया. उन्होंने कार में बैठे अपनी साथियों से कहा, ''इन्हें रोकने
के लिए अपनी कार इन की कार से भिड़ानी पड़ेगी. इसलिए आप लोग अपनी सीट बेल्ट टाइट कर
लीजिए.’’

इतना कह कर इंसपेक्टर परमार ने जानबूझ कर अपनी कार से बदमाशों की कार में पीछे से जोर से
टक्कर मारी. इंसपेक्टर परमार की कार का अगला हिस्सा बदमाशों की कार के पिछले टायर से जा लगा,
जिस से बदमाशों की कार का पिछला टायर फट गया.

इंसपेक्टर परमार उन की कार को ठेलते हुए सड़क के किनारे तक ले गए. टायर फटने से इंसपेक्टर
परमार समझ गए कि अब बदमाश ज्यादा दूर नहीं भाग सकेंगे.

टक्कर मारने से इंसपेक्टर परमार की कार का भी अगला भाग टूट कर झूल गया था. फिर भी वह उन
का पीछा करते रहे. टायर फट जाने के बावजूद बदमाशों ने लगभग डेढ़ किलोमीटर तक कार भगाई. अंत
में उन्होंने एक जगह सड़क किनारे कार रोकी और उस में से 3 लोग उतर कर भागे. निश्चित था कि वे
आरोपी थे.

इसलिए इंसपेक्टर परमार ने भी अपनी कार रोकी और एक एसआई को कार की तलाशी लेने और पीडि़त
आर.के. वसावा को संभालने के लिए कह कर वह एक आरोपी के पीछे दौड़े. दूसरे आरोपी के पीछे दूसरे
एसआई को लगा दिया था. चौथा कोई नहीं था, इसलिए एक आरोपी भाग निकला.

करीब सौ मीटर दौड़ा कर पुलिस ने एक किडनैपर को पकड़ लिया, दूसरा किडनैपर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जा कर पकड़ा गया. तीसरे आरोपी का पीछा करने वाला कोई नहीं था, इसलिए वह खेतों के बीच से होता हुआ भाग गया.

जिस समय बदमाश पकड़े गए थे, उस समय शाम के 5 बज रहे थे. जबकि बदमाशों ने आर.के. वसावा
को धमकी दी थी कि अगर 5, साढ़े 5 बजे तक उन्हें 50 लाख रुपए नहीं मिले तो वे कच्छ के रण में ले
जा कर उन की हत्या कर देंगे. उन्होंने आर.के. वसावा के साथ मारपीट भी की थी, लेकिन उन्हें कोई
गंभीर चोट नहीं पहुंचाई थी.

पुलिस ने जब उन्हें किडनैपर्स से मुक्त कराया था तो वह काफी नर्वस थे. वह कार के बगल खड़े थे. जब
पुलिस ने उन से पूछा कि अपहरण किस का हुआ है तो वह धीरे से बोले, ''साहब, मेरा हुआ है.’’

पुलिस के हत्थे ऐसे चढ़े किडनैपर्स

इस के बाद इंसपेक्टर परमार ने आर.के. वसावा को अपनी बगल वाली यानी ड्राइवर की बगल वाली सीट
पर बैठा कर कहा, ''अब आप रिलैक्स हो जाइए, शांति रखिए, अब आप को कुछ नहीं होगा. पुलिस आ गई है.’’

फिर बदमाशों की कार को वहीं छोड़ कर इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार की टीम आर.के. वसावा और
पकड़े गए दोनों बदमाशों को ले कर थाना चीलोडा पहुंची. आरोपियों की कार से कोई हथियार नहीं मिला
था. पुलिस के पास हथियार थे, लेकिन उन्हें चलाने की जरूरत नहीं पड़ी थी.

थाने में बैठी आर.के. वसावा की पत्नी रमीलाबेन ने जब पति को पुलिस की कार से उतरते देखा तो वह
जोरजोर से रोने लगीं. कुछ समय पहले ही उन के जवान बेटे की मौत हुई थी. उस दिन पति मौत के
मुंह से निकल कर लौटे थे, इसलिए वह अपने दिल के दर्द को आंसुओं में बहा देना चाहती थीं.

आर.के. वसावा ने पत्नी को सीने से लगा कर कहा, ''पुलिस वालों का आभार मानो कि तुम्हारा सुहाग जिंदा वापस आ गया वरना बदमाश हमें जिंदा नहीं छोडऩे वाले थे. पैसा पाने के बाद भी वे मुझे मार
देते.’’

इंसपेक्टर हार्दिक सिंह परमार ने पकड़े गए दोनों बदमाशों को थाना चीलोड़ा पुलिस के हवाले कर दिया
था. पकड़े गए दोनों आरोपियों के नाम भीखा भरवार और रोहित ठाकोर थे.

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि यह पूरी योजना भावनगर के बुधा भरवार की बनाई थी. योजना बना
कर आर.के. वसावा से 50 लाख रुपए वसूलने की जिम्मेदारी बुधा भरवार ने भीखा भरवार को सौंपी थी.

उस ने भीखा से कहा था कि उस ने बहुत पैसा कमाया है. इसलिए उस से कम से कम 50 लाख रुपए
लेने हैं. रुपए मिलने पर आपस में बांट लिए जाएंगे.

50 लाख लेने के बाद थी मारने की योजना
पकड़े गए आरोपियों में भीखा भरवार गुजरात की राजधानी गांधीनगर के गोकुलपुरा का रहने वाला था.
वह जमीन खरीदने और बेचने का काम करता था. वही सहायक उद्योग कमिश्नर आर.के. वसावा को
फोन कर के धमकी देता था और रुपए मांगता था.

भीखा के साथ पकड़ा गया रोहित ठाकोर चाय की दुकान चलाता था. इस के पहले भी पुलिस ने उसे लोहे
की चोरी में जेल भेजा था. उस से कहा गया था कि उसे एक साहब के पास जा कर बात करनी है और
उन्हें अपने साथ ले जाना है. किडनैपरों में शामिल रायमल ठाकोर मजदूरी करता था. वही पुलिस के
चंगुल से बच निकला था. इस के अलावा इन के साथ नवघण भरवार, बुधा भरवार, निमेश परमार और
एक अन्य आरोपी हितेश था.

किडनैप के इस मामले में भावनगर का बुधा भरवार मुख्य आरोपी था. जबकि आर.के. वसावा के किडनैप
की योजना भीखा भरवार की थी, जिस के लिए उस ने अपने गैंग में 5 लोगों को शामिल किया था.
भीखा भरवार के नेतृत्व में सभी रोहित ठाकोर की चाय की दुकान पर इकट्ठा होते थे और वहीं योजना
बनती थी कि कैसे रेकी करना है, किस तरह किडनैप कर के रुपए वसूलना है.

 

आर.के. वसावा को डराने के लिए भीखा भरवार फोन कर के कहता था कि उन की एक फाइल उस के
पास है. वह रिटायर होने वाले हैं. अगर उन की फाइल खुल गई तो वह फंस जाएंगे, जिस से उन्हें सरकार
की ओर से मिलने वाला पैसा भी फंस जाएगा और उन की पेंशन भी रुक सकती है. जबकि पुलिस को
किडनैपरों के पास से ऐसी कोई फाइल नहीं मिली थी.

पुलिस ने पूछताछ के बाद दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया था, जहां से उन्हें 8 दिनों के पुलिस
रिमांड पर भेज दिया गया. इस के बाद पुलिस ने इन्हीं दोनों आरोपियों की मदद से एकएक कर के अन्य
सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
किसी को पुलिस ने फोन सर्विलांस की मदद से पकड़ा था तो किसी को मुखबिरों की मदद से. बहरहाल,
आर.के. वसावा को ब्लैकमेल करने और उन का किडनैप कर रंगदारी मांगने वाले सभी आरोपी जेल पहुंच
गए थे.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 3

तान्या बहुत ही तेज तर्रार थी. वह जानती थी कि बाहर रह कर लड़कियों से दोस्ती करने से कोई लाभ नही, लड़कों से दोस्ती कर हर मकसद पूरा किया जा सकता है. क्योंकि अधिकांश लड़कियों में एकदूसरे से जलने की आदत होती है. यही कारण था कि उस ने इंदौर आते ही सब से पहले युवकों को ही निशाना बनाया था.

छोटू से दोस्ती करते ही उसे भरोसा हो गया था कि वह ही उसे उस की मंजिल तक पहुंचा सकता है. यही सोच कर उस ने छोटू के लिए अपने दिल के दरबाजे खोल दिए थे. उस के सहारे से ही उस की कई अवारा लड़कों से दोस्ती हो गई थी.

तान्या की हरकतों का पता रचित को लगा तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने उस की एक भी बात नहीं मानी. बाद में रचित तान्या को बोझ लगने लगा था. उस ने रचित से साफ शब्दों में कह दिया था कि उसे उस की हमदर्दी की कोई जरूरत नही. तान्या की बात सुनते ही रचित ने उस की तरफ ध्यान देना बिल्कुल ही बंद कर दिया था. लेकिन फिर भी उसे एक चिंता लगी रहती थी कि वह गलत हाथों में पड़ कर अपना भविष्य खराब न कर ले.

हालांकि तान्या ने रचित से पूरी तरह से संबंध खत्म कर लिए थे, लेकिन फिर भी उस के दिल में रचित के लिए बेचैनी रहती थी. उस के दिल में उस के लिए अभी भी थोड़ी जगह खाली थी. लेकिन उस के छोटू से संबंध होते ही रचित ने उस से पूरी तरह से संबंध खत्म कर लिए थे. उस के बाद तान्या ने रचित से बदला लेने का पक्का प्लान बना लिया था. उस ने अपने इस मकसद को अंजाम देने के लिए छोटू के साथसाथ शोभित और उस के दोस्त को भी अपने साथ मिला लिया था.

पूर्व बौयफ्रैंड को सिखाना चाहती थी सबक

26 जुलाई, 2023 को तान्या अपने तीनों दोस्तों के साथ एक होटल में खाना खाने गई हुई थी. उसी दौरान तान्या को पता लगा कि रचित अपने दोस्तों मोनू, विशाल व रचित के साथ महाकाल दर्शन करने के लिए जा रहा है. यह जानकारी मिलते ही उस ने अपने तीनों दोस्तों से रचित को सबक सिखाने वाली बात कही.

उस के सभी दोस्त उस वक्त शराब के नशे में थे. तान्या के कहने मात्र से सभी ने उस की नजरों में हीरो बनते हुए उस की हां में हां कर दी. फिर जल्दी से तीनों ने एक्टिवा स्कूटी निकाली और लोटस चौराहे पर जा पहुंचे. तान्या जानती थी कि उन की कार उसी रास्ते से हो कर गुजरेगी.

लोटस चौराहे पर पहुंचते ही रचित की नजर सामने खड़ी स्कूटी पर पड़ी. उस वक्त तान्या स्कूटी पर सब से पीछे बैठी सिगरेट पी रही थी. इतनी रात गये तान्या को तीन युवकों के साथ इस तरह से घूमते हुए देख रचित को गुस्सा आ गया. रचित ने उस के पास जा कर ही कार रोकी.

तान्या को देखते ही रचित बोला, ”तान्या तुम्हें शर्म नहीं आती . इस तरह से तुम 3-3 लड़कों के साथ रात में आवारगर्दी करती फिर रही हो.”

रचित की बात सुनते ही तान्या को भी गुस्सा आ गया.”तू कौन होता है मुझे रोकने टोकने वाला. तुझ से मेरा क्या रिश्ता है?” उस ने चिल्लाते हुए कहा.

रचित की बात सुनते ही उस के साथी बौखला गए. उन्होंने कार की तरफ लपकने की कोशिश की तो रचित उर्फ टीटू ने कार आगे बढ़ा दी. कार के आगे बढ़ते ही चारों स्कूटी पर सवार हुए. फिर उन्होंने स्कूटी कार के पीछे लगा दी. फिर कार को आगे से घेर कर रचित व उस के साथियों पर हमला कर दिया.

इस केस के खुल जाने के बाद पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त एक्टिवा स्कूटी व चाकू भी बरामद कर लिया था. पुलिस ने इस मामले में तान्या कुशवाह सहित उस के अन्य दोस्तों शोभित ठाकुर,छोटू उर्फ तन्यम व ऋतिक को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

हालांकि तान्या ने पुलिस के सामने सफाई देते हएु कहा कि रचित को मारने का उस का कोई इरादा नहीं था. वह केवल उसे डराना चाहती थी. फिर भी उस ने जेल जाने से पहले पुलिस के सामने कहा कि रचित ने कई साल उस का शोषण किया था. वह उसे इतनी आसानी से नहीं छोड़ेगी. वह जब भी जेल से छूटेगी, उस से बदला जरूर लेगी.

आज की इस फैशनपरस्त दुनियां में लिवइन रिलेशनशिप में रहना युवकयुवतियों में क्रेज सा बन गया है. युवकयुवतियां अपना भविष्य बनाने के लिए बड़े शहरों में कोचिंग या पढ़ाई करने के नाम पर निकलते हैं, लेकिन मांबाप से दूर रह कर अधिकांश वहां पर जाते ही गलत रास्ता अपना लेतेे हैं.

शुरूशुरू में लिव इन रिलेशन में रहना अच्छा लगता है, लेकिन जैसे ही बात शादी की आती है तो उस प्रेमी युगल में एक शख्स पीछे हटने लगता है. जिस के कारण दोनों में मनमुटाव पैदा हो जाता है. फिर कुछ ही दिनों में दोनों प्रेमी युगल के रास्ते अलगअलग हो जाते हैं.

इस से युवकों को तो ज्यादा फर्क नही पड़ता, लेकिन युवतियों के आगे. खून के आंसू बहाने के अलाबा कोई रास्ता नहीं बचता. जिस के कारण उन की जिंदगी ही तबाह हो कर रह जाती है. तान्या के साथ भी यही हुआ. काश! वह समझदारी से काम लेती तो वह शायद जेल नहीं पहुंचती.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 3

लेकिन सोनाली ने उस के पत्र का कोई जबाव नहीं दिया और न ही यह बात उस ने संजय को बताई. सोनाली नहीं चाहती थी कि किसी बाहर वाले के कारण उस के घर में किसी तरह का कोई विवाद खड़ा हो. लेकिन किसी तरह से यह बात संजय के सामने पहुंच गई, जिसे ले कर मियांबीवी के बीच काफी मनमुटाव हुआ.

संजय ने सोनाली पर शक भी किया. सोनाली ने इस बात को ले कर संजय के सामने काफी सफाई भी पेश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार न था. उस के कुछ दिन बाद जगदीश उसे मिला तो सोनाली ने उसे काफी खरीखोटी सुनाई और उस के बाद कभी भी उस के घर न आने की चेतावनी भी दी. लेकिन इस के बावजूद भी जगदीश अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था.

खुराफाती दिमाग में रच डाली खौफनाक साजिश

उस के एक महीने बाद ही जगदीश फिर से सोनाली के घर आ धमका. उस वक्त संजय यादव भी घर पर नहीं था. घर आते ही वह सोनाली से लडऩेझगडऩे लगा. तब बात बढ़ते देख पड़ोसियों ने उसे घर से धक्का मार कर बाहर निकाला. लेकिन इस सब के बावजूद भी वह घर से जाने को तैयार न था.

जगदीश का कहना था कि वह बहुत समय पहले से उसे अपनी बीवी मान चुका है, वह उस के बिना नहीं रह सकता. उस की बातें सुन कर तभी किसी ने उसे पुलिस के हवाले करने वाली बात कही तो वह वहां से चला गया. लेकिन उस दिन के बाद सोनाली और संजय के प्रति उस के दिल में नफरत पैदा हो गई थी.

उस ने उसी दिन सोच लिया था कि सोनाली जब उस की नहीं हो सकती तो वह किसी की भी नहीं हो सकती. जगदीश ने उसी दिन तय किया कि वह संजय को मौत की नींद सुला देगा. उस के बाद वह संजय को ठिकाने लगाने के मौके की तलाश में जुट गया.

दोहरे हत्याकांड से 2 दिन पहले ही उस ने ट्रांजिट कैंप बाजार से एक कांपा खरीदा. फिर वह मौके तलाशता रहा. 3 अगस्त, 2023 की रात को संजय के पड़ोस में एक शादी का प्रोग्राम था. आसपड़ोस के लोगों ने मिलजुल कर एक युवती का प्रेम विवाह कराया था. उस दिन कालोनी के सभी लोग वहां पर जमा थे.

देर रात शादी का प्रोग्राम खत्म हुआ तो सभी अपनेअपने घर चले गए थे. उस वक्त जगदीश भी वहीं पर मंडरा रहा था. जब सब लोग अपनेअपने घर चले गए तो जगदीश कांपा ले कर संजय के घर पहुंचा. उस वक्त तक सभी लोग गहरी नींद में सो चुके थे.

संजय यादव के घर के बाहर टिन का पतला दरवाजा लगा हुआ था, जो कुंडी के सहारे ताले से बंद था. जगदीश ने आरी के ब्लेड से कुंडी को काटा और घर में घुस गया. आसपास के घरों में कूलर पंखे व एसी चलने के कारण किसी को भी कोई आवाज सुनाई नहीं दी.

दोनों की हत्या कर फरार हो गया जगदीश

घर में घुसते ही जगदीश ने संजय की गला रेत कर हत्या कर दी. उस के बाद वह दूसरे कमरें में गया, जहां पर सोनाली सोई हुई थी. उस वक्त सोनाली भी गहरी नींद में थी. सोनाली को सोते देख उस ने कांपे से उस के ऊपर कई वार किए, जिस से उसकी जोरदार चीख निकली.

सोनाली के चीखने की आवाज सुन कर उस की मम्मी गौरी सोनाली के पास पहुंचीं तो उस ने उन पर भी वार कर बुरी तरह से घायल कर दिया. उस के बाद जय की नींद टूटी तो वह भी घर में शोर सुन कर बाहर आया तो जगदीश उसे भी धक्का मारा और घर से फरार हो गया.

इस घटना को अंजाम देने के बाद जगदीश सिडकुल चौक तक पैदल पहुंचा. वहीं पर उस ने झाडिय़ों में हत्या में प्रयुक्त कांपा भी फेंक दिया. उस के बाद वह रात में ही किसी तरह से हल्द्वानी पहुंच गया. उसी दौरान उस का मोबाइल भी पानी में गिर कर बंद हो गया था.

हल्द्वानी जाने के बाद वह सडक़ों पर घूमता रहा और शाम को उस ने एक जनसेवा केंद्र से रुपए निकाले और फिर वह रामपुर चला गया. रामपुर से दिल्ली होते हुए वह अंबाला जाने का प्लान बना चुका था, लेकिन उसी दौरान पुलिस ने उसे दबोच लिया.

इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाला आरोपी 45 पुलिसकर्मियों की टीम के द्वारा पूरे 150 घंटे में गिरफ्तार किया गया था. गिरफ्तारी के दौरान भी आरोपी ने वही घटना वाले ही कपड़े पहन रखे थे. उस के कपड़ों पर जगहजगह खून के निशान मौजूद थे. इस दौरान न तो वह नहाया था और न ही उस ने कपड़े बदले थे.

पुलिस ने उस के कपड़े बदलवा कर खून लगे कपड़े सील कर दिए. पुलिस ने कपड़ों के साथ घटना में प्रयुक्त कांपा भी जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया था.

पुलिस ने जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज उर्फ राजवीर से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. आईजी नीलेश आनंद भरणे ने टीम में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को 2,500 और एसएसपी डा. मंजूनाथ टीसी ने 5,000 का ईनाम देने की घोषणा की थी. इस घटना में आरोपी तक पहुंचते के लिए एसआई अरविंद बहुगुणा की भूमिका सराहनीय थी.

साइबर सेल में तैनात एसआई अरविंद बहुगुणा ने आरोपी के ठेकेदार के पास जा कर उस के बैंक खाते का पता लगाया, जो यूनियन बैंक का था. जिस में से आरोपी ने हल्द्वानी जाने के बाद रुपए निकाले थे.

इस मामले में सोनाली की बहन रूपाली पत्नी संजय निवासी सुभाष कालोनी ने पुलिस को लिखित तहरीर दे कर मुकदमा दर्ज कराया था, जिस को थाना ट्रांजिट कैंप में मुकदमा संख्या 224/23 के अंतर्गत भादंवि की धारा 457/302/307 पर पंजीकृत किया गया था. इस की विवेचना इंसपेक्टर सुंदरम शर्मा स्वयं ही कर रहे थे.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 2

तान्या रचित और टीटू को बहुत पहले से जानती थी. फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि उसे इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा. पुलिस पूछताछ में तान्या व उसके दोस्तों से जो जानकारी प्राप्त हुई वह इस प्रकार थी.

मध्य प्रदेश के धार जिले के बागटांडा के बरोड़ निवासी तान्या कुछ समय पहले पढ़ाई करने के लिए इंदौर आई थी. इंदौर आते ही उस ने एक ब्रोकर के माध्यम से पलासिया इलाके के गायत्री अपार्टमेंट में एक किराए का फ्लैट लिया, और वहीं रह कर उस ने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी थी.

तान्या खातेपीते परिवार से थी. उस के पास रुपयोंपैसों की कमी नही थी. उस के मम्मीपापा उस का भविष्य सुधारने के लिए काफी रुपए खर्च कर रहे थे. खूबसूरत तान्या के कालेज में एडमिशन लेते ही उस के कई दीवाने हो गए थे. वह शुरू से ही बनठन कर रहती थी. मम्मीपापा खर्च के लिए पैसा भेजते तो वह खुले हाथ से पैसा खर्च भी करती थी.

इंदौर आते ही उस के जैसे पंख निकल आए थे. वह खुली हवा में घूमने लगी. उस की कुछ फ्रेंड गलत संगत में पड़ी हुई थीं. तान्या उन के संपर्क में आई तो उस पर भी उन का रंग चढ़ने लगा. वह भी अपनी दोस्तों के साथ शराब और सिगरेट का नशा करने लगी थी. उसी नशे के कारण उस की दोस्ती आवारा लड़कों से हो गई. जवानी के जोश में उस के कदम बहके तो वह पढ़ाई करना भूल गई.

उसी दौरान उस की मुलाकात रचित उर्फ टीटू से हुई. टीटू ने उसे एक बार प्यार से देखा तो देखता ही रह गया. दोनों के बीच परिचय हुआ और फिर जल्दी ही दोनों ने दोस्ती के लिए हाथ बढ़ा दिए थे. दोस्ती के सहारे ही उन के बीच प्यार बढ़ा और कुछ ही दिनों में वह एकदूसरे को दिलो जान से चाहने लगे.

तान्या से दोस्ती हो जाने के बाद रचित का उस के फ्लैट पर भी आनाजाना शुरू हो गया था. रचित घंटों उस के पास पड़ा रहता था. जिस के कारण उस के आसपास रहने वाले लोग परेशान रहने लगे थे. चूंकि तान्या ने वह फ्लैट किराए पर लिया था. इसी कारण उस के पड़ोसी उसे वहां से जाने के लिए भी नहीं कह सकते थे.

पहले तो उस के फ्लैट पर रचित ही आता था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद अन्य कई युवक भी आने लगे. थे. तान्या के फ्लैट में लडकों का आनाजान शुरू हुआ तो पड़ोसियों को परेशानी हुई. .उस की हरकतों से तंग आ कर पड़ोसियों ने उस फ्लैट के मालिक से उस की शिकायत कर उस से फ्लैट खाली कराने के लिए दबाव बनाया.

पड़ोसियों के दबाव में आ कर फ्लैट मालिक ने तान्या से तुरंत ही फ्लैट खाली करने को कहा. मालिक के कहने पर तान्या ने फ्लैट खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा. तान्या ने यह बात अपने दोस्त रचित को बताई. साथ ही उसने उस से उस के लिए एक मकान ढूंढने को कहा, लेकिन इस मामले में रचित ने उस की कोई भी सहायता करने से साफ मना कर दिया था.

रचित ने तान्या को समझाने का किया प्रयास

रचित के अलाबा तान्या का एक ओर दोस्त था छोटू. उस का भी उस के पास बहुत आना जाना लगा रहता था. यह बात उस ने छोटू के सामने रखी तो उस ने उस के लिए फ्लैट ढूंढना शुरू कर दिया. छोटू परदेशीपुरा इलाके में रहता था. छोटू एक दबंग किस्म का युवक था. छोटेमोटे अपराध और मारपीट कर उस ने अपने इलाके में दहशत फैला रखी थी. उस पर 3 मुकदमे दर्ज थे.

कुछ सयम पहले ही तान्या की उस से मुलाकात हुई थी. छोटू को लड़कियों को परखने की महारत हासिल थी. उस ने तान्या के लिए कुछ ही दिनों में एक किराए के फ्लैट की व्यवस्था कर दी. उस के बाद वह उसी के इलाके में आ कर रहने लगी थी. तान्या की छोटू से दोस्ती पक्की हो गई थी. छोटू के साथ दोस्ती हो जाने के बाद तान्या को नशे की लत भी लग गई थी. जिस के बाद उसमें अच्छा बुरा सोचने की क्षमता भी खत्म हो गई. थी.

यह बात रचित को पता चली तो उस ने उसे समझाने की कोशिश की, ”तान्या तुम पढ़ीलिखी हो, तुम्हें ऐसे आवारा किस्म के साथ दोस्ती नही करनी चाहिए. छोटू के साथ दोस्ती करने के बाद तुम पछताओगी.”

लेकिन तान्या ने उस की एक न सुनी. फिर रचित ने भी उस से बात करनी ही बंद कर दी. फिर भी तान्या रचित को छोड़ने को तैयार न थी. वह बारबार रचित को फोन लगाती, लेकिन वह उस का फोन रिसीव नहीं कर रहा था. जिस के कारण वह उस से मिल भी नहीं पा रही थी.

उस के बाद तान्या ने छोटू सेे कहा कि वह किसी भी तरह से एक बार उसे रचित से मिलवा दे. छोटू ने रचित से मिलकर तान्या का मैसेज देते हुए. मिलने को कहा, लेकिन उस के बाद भी रचित उस से नहीं मिला.

जब रचित ने तान्या से रिश्ता तोड़ लिया तो तान्या ने उसे सबक सिखाने की योजना बनाई. छोटू पहले से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था. हर वक्त उस के साथ कई आवारा किस्म के लड़के घूमते थे. एक दिन तान्या ने छोटू से कहा कि वह रचित को धमकाना चाहती है, जिस से घबरा कर वह उसके संपर्क में आ जाए.

तान्या पर मौडल बनने का भूत था सवार

छोटू अय्याश किस्म का था. उस से ज्यादा वह हवाबाज होने के बाद शेखी बघारने में भी कम नही था. यही कारण था कि सामने वाला जल्दी ही उस की बातों में आ जाता था. तान्या उस के सम्पर्क में आई तो उसे भी लगा कि छोटू जो कहता है, उसे कर भी देता है.

तान्या इंदौर आ कर हवा में उड़ने लगी और शीघ्र उच्च स्तर की मौडल बनने का सपना देखने लगी थी. छोटू से दोस्ती करते ही उसे लगने लगा था कि वह उस के सपनों को जल्दी ही पूरा कर सकता है. तान्या उस के संपर्क में आने के बाद कई बार उस से बोल चुकी थी कि उस की मुलाकात एक दो मौडल लड़कों से करवा देना.

फेसबुकिया प्यार बना जी का जंजाल

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 2

सोनाली देखने भालने में खूबसूरत थी. दोनों ही एक साथ काम करते थे. साथ रहते रहते दोनों में दोस्ती हुई और फिर वही दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों के प्यार मोहब्बत की बात ज्यादा दिनों तक सोनाली के घर वालों से नहीं छिप सकी. उस के पापा दिलीप सिंह ठेके पर धान की रोपाई का काम करते थे.

दिलीप सिंह के 2 बेटियां थीं. उन के कोई बेटा नहीं था. संजय यादव देखनेभालने में ठीकठाक था, ऊपर से सोनाली के साथ ही काम भी करता था. वह सोनाली को पसंद भी था. यही कारण रहा कि सोनाली के घर वालों ने दोनों के प्यार को देखते हुए जल्दी ही शादी करने की रजामंदी दे दी थी.

घर वालों की तरफ से रजामंदी मिलते ही सोनाली के साथसाथ संजय यादव को भी बहुत खुशी हुई थी. संजय यादव ने यह बात अपने घर वालों को बता दी. इस सिलसिले में जल्दी ही सोनाली के पापा दिलीप सिंह संजय यादव के घर वालों से जा कर मिले. हालांकि दोनों की जाति बिरादरी अलगअलग थी. लेकिन जब 2 परिवार प्यार से मिले तो दोनों ही शादी के लिए राजी हो गए. जिस के बाद दोनों परिवारों की तरफ से हां होते ही शादी की तैयारी शुरू हो गई. एक शुभ मूहूर्त पर दोनों ही शादी के बंधन में बंध भी गए.

सोनाली का कोई भाई नहीं था. उस का परिवार भी छोटा ही था. संजय यादव इस से पहले एक किराए के मकान में रहता था. लेकिन शादी हो जाने के बाद वह भी अपनी ससुराल में घरजमाई बन कर रहने लगा था. उस के कुछ समय बाद ही सोनाली की मां ने उन्हें ट्रांजिट कैंप में एक घर खरीद कर दे दिया और वह भी उन्हीं के साथ रहने लगी थी.

दोनों ही शादी बंधन में बंधने के बाद हंसीखुशी से रहने लगे थे. संजय यादव जितना सोनाली को प्यार करता था, उस से कहीं ज्यादा वह भी उस का ध्यान रखती थी. वक्त के साथ सोनाली एक बच्चे की मां बनी. उस बच्चे का दोनों ने प्यार से जय नाम रखा. जय के जन्म लेने के बाद उन के परिवार में और अधिक खुशहाली आ गई थी.

सोनाली की खूबसूरती पर मर मिटा जगदीश

कुछ समय पहले जगदीश ने सोनाली के घर के सामने ही मिश्री लाल के घर में एक किराए का कमरा लिया. जगदीश मूलरूप से अनावा थाना पुवायां, जिला शाहजहांपुर का रहने वाला था. वह भी कई साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस दौरान उसे नौकरी नहीं मिली तो उस ने राजमिस्त्रियों के साथ काम करना शुरू कर दिया.

राजमिस्त्रियों के साथ काम करतेकरते वह भी राजमिस्त्री बन गया था. उस वक्त जगदीश ने अपना नाम राजवीर रख रखा था. किराए के मकान में रहते हुए ही एक दिन उस की नजर सोनाली पर पड़ी. सोनाली जितनी देखनेभालने में सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा बोलनेचालने में मृदुभाषी. उस के रहनसहन को देख कर वह उस की सुंदरता का दीवाना बन गया. वह मन ही मन सोनाली को प्यार करने लगा था.

उस वक्त जगदीश को हर रोज काम नहीं मिलता था. जिस दिन उसे काम नहीं मिलता तो वह अपने कमरे पर ही रहता था. उस दौरान वह मकान की छत पर ही घूमता रहता था. उसी दौरान एक दिन उस की नजर छत पर खड़ी सोनाली पर पड़ी, उस ने सोनाली को पास से देखा तो वह उस के लिए पागल हो गया. उस के बाद वह हर वक्त उसे ही निहारता रहता था.

पड़ोसीे होने के नाते जल्दी ही उस ने सोनाली से जानपहचान भी बढ़ा ली थी. उसी जानपहचान के जरिए वह सोनाली के घर भी आनेजाने लगा था. एक पड़ोसी होने के नाते सोनाली जगदीश से अच्छा व्यवहार रखती थी. लेकिन जगदीश उसे मन ही मन चाहने लगा था.

उस की बदनीयत हर वक्त सोनाली की सुंदरता पर काली छाया बन कर मंडराती रहती थी, लेकिन सोनाली ने कभी भी जगदीश को प्रेम भरी निगाहों से नहीं देखा था. जगदीश हर तरफ से कोशिश कर के हार चुका तो वह उस के पति संजय यादव से ही नफरत करने लगा था.

उसी दौरान देश में कोरोना फैल गया. कोरोना से जगदीश का काम भी प्रभावित हुआ था. उस का काम बंद हुआ तो वह आर्थिक स्थिति से गुजरने लगा. जिस के कारण उस की स्थिति ऐसी हो गई कि वह कई महीने से अपने कमरे का किराया भी नहीं चुका पाया था. लौकडाउन लगने के बाद मजबूरन उसे मिश्रीलाल का कमरा छोड़ कर जाना पड़ा. उस के बाद उस ने शमशान घाट रोड पर एक सस्ता कमरा किराए पर लिया और वहीं रहने लगा.

एकतरफा प्यार ने डाली गृहस्थी में फूट

साल 2020 में कोरोना काल में वह रुद्रपुर छोड़ कर दिल्ली चला गया. कुछ समय तक उस ने वहां पर नौकरी की और सन 2022 में फिर से रुद्रपुर आ गया. रुद्रपुर आने के बाद उस ने वेल्डिंग का काम करना शुरू किया. तब उस ने रैन बसेरा, मंदिर और अन्य जगहों पर शरण ले कर वेल्डिंग का काम किया.

उस के बाद भी वह संजय यादव और सोनाली से जानपहचान का फायदा उठाते हुए उन के घर आताजाता रहा. जिस के बाद से सोनाली ने उस से बात करना कुछ कम कर दी थी. जब जगदीश को लगने लगा कि सोनाली किसी भी कीमत पर उसे भाव देने वाली नहीं है तो उस ने उस की पड़ोसन की तरफ निगाहें डालनी शुरू कर दी.

वह महिला भी सोनाली के घर के सामने ही रहती थी. सोनाली की उस महिला से अच्छी दोस्ती थी. वह महिला भी देखनेभालने में सुंदर थी. उस ने कई बार सोनाली से उस महिला का मोबाइल नंबर मांगा, लेकिन सोनाली ने उस का नंबर देने से मना कर दिया था.

सोनाली जान चुकी थी कि उस की नीयत साफ नहीं है. उस की बदनीयती को देखते हुए सोनाली उस से कटने लगी थी. लेकिन जगदीश कभी भी उस के घर आ जाता और उस महिला का मोबाइल नंबर मांगने लगता था. उस के बाद सोनाली ने उसे अपने घर आने के लिए भी मना कर दिया था.

इतना सब कुछ करने के बाद भी वह सोनाली का पीछा छोडऩे को तैयार नहीं था. उस की दीवानगी की हद तो उस दिन हो गई, जब उस ने सोनाली के घर पर एक गुलदस्ता, कीपैड मोबाइल फोन व उस के साथ एक परची डाली, जिस में उस ने लिखा था कि वह उसे दिलोजान से चाहता है और उस के प्यार में कुछ भी करने को तैयार है. अगर उसे उस का यह तोहफा पसंद आया तो जवाब जरूर देना.

सनक में कर बैठी प्रेमी के दोस्त की हत्या – भाग 1

26 जुलाई, 2023 को कोई 3 बजे का वक्त रहा होगा. मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में नाईट कल्चर लागू होने से हर रोज की भांति अधिकांश दुकानें खुली हुई थीं. रात का अंतिम पहर होने के बावजूद भी सड़क पर युवकयुवतियां एकदूसरे के हाथ थामे सड़क पर चहल कदमी कर रहे थे. वहीं सड़क पर दोपहिया व चार पहिया वाहन भी इधरउधर आजा रहे थे.

उसी दौरान इंदौर के लोटस चौराहे से एक कार नंबर एमपी09 सीएस 7613 तेजी से गुजरी. उसी चौराहे के पास ही वहां पर पहले से ही एक स्कूटी खड़ी हुई थी. उस स्कूटी पर एकदो नहीं नही बल्कि पूरे 4 लोग बैठे हुए थे. जिन में 3 युवक और एक युवती थी. युवती सब से पीछे बैठी हुई थी. उस समय उस के हाथ में सिगरेट थी. जिस को वह बारबार होंठो पर लगा कर उस से धुएं का छल्ला बना रही थी.

उस युवैती को इस हालत में देख कर अचानक कार उस एक्टिवा के पास रुकी. फिर कार में बैठे युवक ने युवती को कुछ कहा और फिर पल भर में ही उस कार ने आगे की ओर स्पीड पकड़ ली थी. उस कार को वहां से गुजरते ही युवती ने अगली सीट पर बैठे युवक को स्कूटी चलाने का इशार किया. फिर वह स्कूटी उस कार के पीछे लग गई.

देखते ही देखते स्कूटी ने तेज रफ्तार पकड़ ली. काफी देर पीछा करने के बाद मैरियट होटल के पास पहुंचने से पहले ही स्कूटी चालक ने इशारा कर कार को रुकवा लिया था. कार रुकते ही जैसे उस कार का शीश डाउन हुआ, तभी स्कूटी पर सवार युवती उतरी और कार की ओर बढ़ गई. तभी कार में बैठे एक युवक ने युवती की तरफ हाथ बढ़ाया. युवती ने भी बड़ी ही गर्म जोशी से उस युवक से हाथ मिलाया.

तभी युवती के साथ आया एक युवक बहुत ही फुरती से कार के पास आया. कार के पास आते ही उसने कार चालक रचित पर चाकू से हमला बोल दिया. उस के हमले से कार ड्राइवर रचित तो जैसेतैसे बच गया, लेकिन पिछली सीट पर बैठा मोनू इस से पहले कुछ समझ पाता युवक का चाकू उस के सीने में जा धंसा.

चाकू का वार होते ही मोनू की जोरदार चीख निकली. उस की चीख सुनते ही चारों लोग स्कूटी से फरार हो गए. इस घटना के घटते ही वहां पर मौजूद लोग नजर बचा कर इधरउधर हो गए थे. चाकू मोनू के दिल के पास जा कर लगा था. उस की हालत को देखते हुए. उसके साथियों ने उसे फौरन ही अस्पताल में भरती कराया. जहां पर इलाज के दौरान ही उस की मौत हो गई.

मोनू मर्डर केस की जानकारी पुलिस को दी गई. इस तरह से खुलेआम सड़क पर हत्या होने की बात सुनते ही पुलिस प्रशासन में तहलका मच गया. घटना की सूचना पाते ही विजय नगर थाने के टीआई रविंद्र सिंह गुर्जर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मौके का जायजा लिया. उसके बाद टीआई रविंद्र सिंह ने इस की सूचना इंदौर डीसीपी अभिषेक आनन्द व इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देवास्कर को दी. पुलिस ने इस घटना के चश्मदीद गबाह टीटू,रचित और हर्ष से पूछताछ की.

पुलिस पूछताछ में मृतक मोनू के दोस्त विशाल ने पुलिस को जानकारी दी कि मंगलवार की रात में मोनू, रचित उर्फ टीटू और हर्ष रचित की कार से उज्जैन के लिए निकले थे. लोटस चैराहे पर पहुंचते ही एक स्कूटी ने उन का पीछा करना आरंभ किया. साया जी होटल के पास पहुंचतेपहुंचते उस स्कूटी सवार ने उन की कार के आगे स्कूटी लगा कर कार रोकने पर मजबूर कर दिया.

कार रुकते ही जैसे ही कार के शीशे डाउन हुए, स्कूटी पर उसे तान्या बैठी दिखाई दी. मैं तान्या को पहले से ही जानता था. उस के बाद तान्या ने उस से हाथ भी मिलाया. तभी तान्या के साथ आए अन्य लोगों ने कार में बैठे रचित पर चाकू से हमला बोल दिया. उस हमले में रचित तो बच गया ,लेकिन वह चाकू मोनू के सीने में जा कर लगा.

उस के बाद सभी आरोपी स्कूटी द्वारा वहां से फरार हो गए. पुलिस पूछताछ में विशाल ने बताया कि इस केस की मुख्य आरोपी तान्या है. तान्या ही अपने साथ अपने दोस्तों शोभित ठाकुर, छोटू उर्फ तन्मय तथा ऋतिक के साथ घटना को अंजाम देने के लिए पहुंची थी.

जेल से रिमांड पर लिया तान्या को

यह सब जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मृतक मोनू की लाश का पंचनामा भरने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजवा दी. इस केस के आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने 2 टीमें गठित कीं. पुलिस टीमों ने आरोपियों की धड़पकड़ का अभियान शुरू किया. चारों आरोपी बिना नंबर की स्कूटी पर सवार हो कर घटना को अंजाम देने के लिए आए थे.

पुलिस ने सब से पहले घटना स्थल के आसपास लगे. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, उन से चारों आरोपियों की पहचान हो गई थी. उसी पहचान के आधार पर पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़  शुरू की. पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल नंबरों को सर्विलौंस पर लगा कर उन की लोकेशन के आधार पर उन के पास पहुंचने की कोशिश की.

इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी तान्या जिला धार के बागटांडा के गांव बरोड़ की रहने वाली थी. पुलिस ने कई बार उसके मोबाइल पर संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन हर बार ही उसका मोबाइल बंद मिला. उस के बाद एक पुलिस टीम उस की गिरफ्तारी के लिए बरोड़ के लिए निकल गई. पुलिस टीम उसके घर पहुंच भी नहीं पाई थी कि तभी जानकारी मिली कि तान्या ने कोर्ट के माध्यम से खुद को सरेंडर कर दिया था.

यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम आधे रास्ते से ही वापिस आ गई. कोर्ट में सरेंडर करने के बाद तान्या ने अपने अन्य साथियों को भी फोन कर सरेंडर करने को कहा था. इस के बावजूद भी तीनों आरोपी फरार हो गए.

तान्या के सरेंडर करने की सूचना पाते ही पुलिस टीम कोर्ट पहुंची. पुलिस ने वहां से उसे रिमांड पर लिया और फिर उसे साथ ले कर थाने लौट आई. पुलिस ने उस से इस हत्याकांड के मामले में विस्तार से जानकारी ली.

तान्या ने पुलिस को बताया कि वह रचित को बहुत पहले से जानती है. उस के साथ काफी समय तक लव भी चला, लेकिन रचित बीच में उसे धोखा दे कर उस से अलग हो गया. जिस के कारण वह उस से नफरत करने लगी थी. वह अपने साथियों के साथ मिल कर उसे सबक सिखाना चाहती थी, लेकिन गलती से चाकू  मोनू को लग गया. जिस के कारण ही उस की मौत हो गई.

कातिल निगाहों ने बनाया कातिल – भाग 1

3 अगस्त, 2023 को रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के शहर रुद्रपुर की घनी आबादी वाले ट्रांजिट कैंप इलाके में सन्नाटा पसरा हुआ था. उसी दौरान संजय यादव के 12 वर्षीय बेटे जय की चीखपुकार ने सभी लोगों की नींद उड़ा दी थी.

जय जोरजोर से चीख रहा था, ‘‘बचाओबचाओ, बदमाशों ने मेरे मम्मीपापा को मार डाला.’’

उस की चीखपुकार सुन कर लोग इकट्ठा हुए. फिर लोगों ने उस के घर के अंदर का मंजर देखा तो सभी के रोंगटे खड़े हो गए. लोगों ने घटनास्थल पर देखा, एक कमरे में उस के मम्मीपापा की लाश खून से लथपथ पड़ी हुई थी. जबकि दूसरे कमरे में उस की नानी बेहोशी की हालत में पड़ी हुई चीखपुकार मचा रही थी. जय ने लोगों को बताया कि उस ने भी शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपी उसे धक्का मार कर एक बदमाश फरार हो गया.

इस जघन्य अपराध को देखते ही वहां पर मौजूद लोगों ने पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही आननफानन में घटनास्थल पर पुलिस भी पहुंच गई थी. पुलिस ने इस मामले में मृतक संजय यादव के बेटे जय से जानकारी जुटाई तो उस ने बताया कि रात के कोई 2 बजे उस के घर में बदमाश घुस आए. घर में घुसते ही बदमाशों ने उस के पिता की धारदार हथियार से गला रेत कर हत्या कर दी.

उस के बाद पास में ही सो रही उस की मां के चेहरे पर कई वार करने के बाद उन के हाथ की नस काट दी, फिर उन की कमर पर धारदार हथियार से हमला कर हत्या कर दी. दोनों की चीख सुन दूसरे कमरे में सो रही उस की नानी गौरी मंडल मौके पर पहुंची तो बदमाशों ने उन के पेट पर भी वार कर दिया, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गईं.

दोहरे मर्डर से क्षेत्र में मची सनसनी

3 लोगों की नाजुक हालत को देखते ही पुलिस ने एंबुलेंस भी बुला ली थी. तीनों को तुरंत जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पर डाक्टरों ने संजय यादव और उन की पत्नी सोनाली को मृत घोषित कर दिया. जबकि सोनाली यादव की मां गौरी मंडल की हालत गंभीर दखते हुए उन्हें शहर के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया था. रात अधिक होने के कारण पुलिस ने दोनों मृतकों की लाश को मोर्चरी में रखवा दिया था.

अगले दिन सुबह ही पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर मृतक परिवार के घर की जांचपड़ताल की. जांच के लिए डौग स्क्वायड को भी बुलाया गया था. इस दौरान भी सारे दिन देखने वालों की भीड़ लगी रही.

इस केस की अधिक जानकारी के लिए पुलिस ने कुमाऊं फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. घटना के बाद घर में मौजूद बिस्तर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. फर्श पर भी कई जगह खून बिखरा मिला. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल पर पहुंचते ही टीम ने साक्ष्य जुटाए. उस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था.

7 पुलिस टीमों के 45 पुलिसकर्मी जुटे जांच में

इस जघन्य डबल मर्डर के शीघ्र खुलासे के लिए एसएसपी मंजूनाथ टीसी द्वारा जगदीश की गिरफ्तारी हेतु पुलिस अपराध एवं यातायात, एसपी (सिटी), सीओ अनुषा बडोला व पंतनगर के सीओ व एसएचओ कोतवाली सुंदरम शर्मा के निर्देशन में 7 पुलिस टीमों का गठन किया गया.

इस केस की गहराई तक जाने के लिए सब से पहले पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. जिस के द्वारा राजवीर नाम का एक शख्स सुर्खियों में उभर कर सामने आया. पुलिस ने राजवीर की छानबीन की तो उस के कई नाम उभर कर सामने आए. जो जगदीश उर्फ राजकमल उर्फ राज नाम से ज्यादा जाना जाता था. उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि वह राजवीर नाम से कई साल पहले संजय यादव के घर के सामने किराए पर रह चुका था.

जगदीश उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर का मूल निवासी था. इस वक्त वह कहां रह रहा था, किसी के पास कोई ठोस जानकारी नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन वह नंबर काफी समय से बंद आ रहा था, जिस से पता चला कि अभियुक्त पुलिस की पकड़ से बचने के लिए पलपल स्थान बदल रहा था.

उस के बाद गठित टीमों द्वारा अपनाअपना काम करते हुए 5 राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व दिल्ली में जा कर लगभग 1200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. लेकिन वह पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ रहा था. उस के बाद एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने आरोपी की पकडऩे के लिए 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित करते हुए अखबारों में भी विज्ञापन दिया. साथ ही आरोपी को शीघ्र पकडऩे के लिए पुलिस ने उस के पीछे मुखबिर भी लगा दिए.

9 अगस्त, 2023 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि डबल मर्डर केस का आरोपी उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में मौजूद है. इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मुखबिर की लोकेशन के आधार पर चारों तरफ से घेराबंदी करते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया.

जगदीश को गिरफ्तार करते ही पुलिस टीम रुद्रपुर चली आई. रुद्रपुर लाते ही पुलिस ने इस हत्याकांड के बारे में उस से कड़ी पूछताछ की. जगदीश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. जगदीश ने बताया कि वह उसे दिलोजान से चाहता था. लेकिन सोनाली उस से प्रेम करने को तैयार न थी, जिस के कारण ही उसे इतना बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.

संजय और सोनाली ने की थी लव मैरिज

पुलिस पूछताछ और संजय यादव के परिवार से मिली जानकारी से इस मामले में जो कथा उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

संजय यादव उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का मूल निवासी था. 5 भाइयों में सब से छोटा संजय यादव अब से लगभग 17 साल पहले नौकरी की तलाश में रुद्रपुर आया था. उस वक्त वह अविवाहित था. रुद्रपुर आ कर उस ने एक किराए का कमरा लिया और यहीं पर नौकरी भी करने लगा था. उसी नौकरी करने के दौरान उस की मुलाकात सुभाष कालोनी निवासी सोनाली से हुई. उस वक्त सोनाली भी सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करती थी.