Kanpur Crime : एकतरफा इश्क में आशिक ने प्रेमिका के पिता की ले ली जान

Kanpur Crime : मोहम्मद फहीम अपने पड़ोस की लड़की नाजनीन को बेइंतहा चाहता था. एक रात उस ने नाजनीन के पिता मोहम्मद अशरफ की हत्या कर दी. उस के बाद की जो हकीकत सामने आई, वह…

उस दिन जून 2020 की 9 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. थाना बाबूपुरवा के कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह औफिस में आ कर बैठे ही थे कि उन्हें मोबाइल फोन पर सूचना मिली कि मुंशीपुरवा में एक अधेड़ व्यक्ति का कत्ल हो गया है. सुबहसुबह कत्ल की सूचना पा कर सुरेश सिंह का मन कसैला हो उठा. लेकिन मौकाएवारदात पर तो पहुंचना ही था. अत: उन्होंने कत्ल की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और आवश्यक पुलिस बल साथ ले कर मुंशीपुरवा घटनास्थल पर पहुंच गए.  उस समय घटनास्थल पर मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. भीड़ में से एक 20 वर्षीय युवक निकल कर सामने आया. उस ने थानाप्रभारी सुरेश सिंह को बताया कि उस का नाम इरफान है.

उस के अब्बू मोहम्मद अशरफ  का कत्ल हुआ है. उन की लाश छत पर पड़ी है. इस के बाद इरफान उन्हें छत पर ले कर गया. छत पर पहुंच कर सुरेश सिंह ने बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. मृतक मोहम्मद अशरफ की लाश फोल्डिंग पलंग पर खून से तरबतर पड़ी थी. पलंग के नीचे भी फर्श पर खून फैला हुआ था. मोहम्मद अशरफ का कत्ल बड़ी बेरहमी से किसी तेज धार वाले हथियार से किया गया था. उस का गला आधे से ज्यादा कटा था. संभवत: ताबड़तोड़ कई वार गरदन पर किए गए थे, जिस से सांस नली कटने तथा अधिक खून बहने से उस की मौत हो गई थी.

मोहम्मद अशरफ की उम्र 50 साल के आसपास थी. कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी अनंत देव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा डीएसपी आलोक सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियोें के पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया. परिवार की महिलाएं दहाड़ मार कर चीखनेचिल्लाने लगीं. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतक के घर वालों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

मृतक के बेटे इरफान ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उस के पिता खरादी बुरादे का व्यापार करते थे. वह बीती शाम 7 बजे घर आए थे और खाना खाने के बाद रात 8 बजे सोने के लिए छत पर चले गए थे. पिता के साथ वह भी छत पर सोता था, लेकिन बीती रात वह टीवी देखतेदेखते कमरे में ही सो गया था. वह सुबह 6 बजे सो कर उठा और छत पर पहुंचा तो छत पर फोल्डिंग पलंग पर पिता का खून से लथपथ शव पड़ा देखा. शव देख कर उस के मुंह से चीख निकल गई. चीख सुन कर घर के अन्य लोग आ गए. इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया.

घटनास्थल पर मृतक का भाई मोहम्मद नासिर भी मौजूद था. उस ने बताया कि वह सऊदी अरब में नौकरी करता है. उस के परिवार में पत्नी गुलशन बानो तथा 2 साल का बेटा है. 3 महीने पहले वह सऊदी अरब से परिवार सहित कानपुर आया था और भाईजान के घर परिवार के साथ रह रहा था. सुबह इरफान की चीख सुनाई दी तो वह दौड़ कर छत पर पहुंचा. वहां भाईजान पलंग पर मृत पड़े थे. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन का कत्ल कर दिया था. मां रईसा को जानकारी हुई तो वह गश खा कर जमीन पर गिर पड़ीं. किसी तरह उन्हें होश में लाया गया. घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम ने बड़ी ही बारीकी से जांच शुरू की. टीम ने खून का नमूना परीक्षण हेतु सुरक्षित किया फिर पलंग व आसपास से कई फिंगरप्रिंट लिए.

फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद यह भी पाया कि हत्यारा छत पर या तो सीढ़ी लगा कर पहुंचा था या फिर छत से सटी दूसरे मकान की बाउंड्री फांद कर आया था. फिर उसी रास्ते वापस चला गया. डौग स्क्वायड की टीम खोजी कुत्ते को ले कर छत पर पहुंची. कुत्ते ने मृतक के शव को तथा छत के फर्श पर पड़े खून को सूंघा फिर वह पलंग के चारों ओर घूमता रहा. उस के बाद पड़ोसी की छत पर जाने के लिए उछलने लगा. लेकिन बाउंड्री वाल ऊंची थी, सो उछल कर दीवार फांद नहीं पा रहा था. यह देख कर टीम के सदस्यों ने लकड़ी की सीढ़ी मंगा कर छत पर लगाई. सीढ़ी के सहारे पड़ोसी की छत पर पहुंचे खोजी कुत्ते ने छत पर पड़े

खून के छींटों को सूंघना शुरू कर दिया. उस के बाद खोजी कुत्ता छत से नीचे उतरा और घटनास्थल से कुछ दूर स्थित मैदान में पहुंचा. वहां मैदान में खड़े एक युवक को सूंघ कर उस पर भौंकने लगा. तभी टीम ने उस युवक को पकड़ लिया और पुलिस अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया. पुलिस अधिकारियों ने जब उस से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम मोहम्मद फहीम उर्फ नदीम बताया. जिस छत पर खोजी कुत्ता फांद कर गया था और खून की छींटे सूंघे थे, वह मकान मोहम्मद फहीम का ही था.

संदेह के आधार पर पुलिस ने मोहम्मद फहीम को गिरफ्तार कर लिया. फोरैंसिक टीम व पुलिस ने मोहम्मद फहीम के घर की तलाशी ली तो वहां फहीम के ऐसे गीले कपड़े मिले, जो शायद सुबह ही धोए थे. उन कपड़ों पर बेंजामिन टेस्ट किया तो खून के धब्बे उभर आए. इस के अलावा उस के घर से एक चापड़ भी बरामद हुआ. मय चापड़ और कपड़ों सहित मोहम्मद फहीम को थाना बाबूपुरवा लाया गया तथा मृतक मोहम्मद अशरफ के शव को पोस्टमार्टम हाउस लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दिया गया. एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ आलोक सिंह ने जब थाने में मोेहम्मद फहीम से अशरफ की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया और पुलिस अधिकारियों को बरगलाने लगा.

लेकिन हत्या का सबूत मिल चुका था और उस के घर से खून सने कपड़े तथा आला कत्ल भी बरामद हो चुका था. अत: पुलिस ने उस पर सख्ती की तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह पड़ोसी मोहम्मद अशरफ की बेटी नाजनीन से मोहब्बत करता था. पर वह मुंबई चला गया और वहां नौकरी करने लगा. 3 साल बाद फरवरी 2020 में वह मुंबई से वापस कानपुर आया. अब तक नाजनीन जवान हो गई थी और खूबसूरत दिखने लगी थी. उसे देख कर उस की सोती हुई मोहब्बत फिर से जाग उठी और उसे एकतरफा प्यार करने लगा. उस ने सोच लिया था कि उस की मोहब्बत में जो भी बाधक बनेगा, उसे मिटा देगा. नाजनीन की मोहब्बत में उस का बाप मोहम्मद अशरफ बाधक बनने लगा तो बीती रात उसे चापड़ से काट कर हलाल कर दिया.

चूंकि मोहम्मद फहीम ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: बाबूपुरवा थाना प्रभारी (कार्यवाहक) सुरेश सिंह ने मृतक के बेटे इरफान को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत मोहम्मद फहीम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत बंदी बना लिया. पुलिस जांच में एक ऐसे सनकी प्रेमी की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने एकतरफा प्यार में पागल हो कर प्रेमिका के बाप को मौत की नींद सुला दिया. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बाबूपुरवा थाना अंतर्गत एक मुसलिम बाहुल्य आबादी वाला मोहल्ला मुंशीपुरवा पड़ता है. इसी मुंशीपुरवा में मसजिद के पास मोहम्मद अशरफ अपने परिवार के साथ रहता था.

उस के परिवार में पत्नी शबनम के अलावा एक बेटी नाजनीन तथा बेटा इरफान था. मोहम्मद अशरफ खरादी बुरादे का व्यापार करता था. इस व्यापार में मेहनतमशक्कत तो थी, पर कमाई भी अच्छी थी. इसी कमाई से वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. मोहम्मद अशरफ के साथ उस की मां रईसा खान तथा भाई नासिर भी रहता था. नासिर की शादी गुलशन बानो के साथ हुई थी. शादी के बाद नासिर सऊदी अरब चला गया था. अब वह तभी आता था, जब उसे घरपरिवार की याद सताती थी. अशरफ मेहनत की रोटी खा कर परिवार के साथ खुश रहता था. परंतु उस की खुशियों में ग्रहण तब लगना शुरू हो गया जब उस की बेगम शबनम बीमार रहने लगी.

फिर बीमारी के दौरान ही सन 2010 में उस की मृत्यु हो गई. उस समय नाजनीन की उम्र 10 वर्ष तो इरफान की 9 साल थी. शबनम की मौत के बाद बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी अशरफ की मां रईसा खान पर आ गई. रईसा खान ने इस जिम्मेदारी को खूब निभाया और पालपोस कर बच्चों को बड़ा किया. रईसा खान अपने पोतेपोती को बहुत प्यार करती थी और उन की हर जायज ख्वाहिश पूरी करती थी. फहीम उर्फ नदीम नाजनीन का दीवाना था. वह उस के पड़ोस में ही रहता था. फहीम और नाजनीन हमउम्र थे. दोनों एक ही गली में खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे और अकसर उन का आमनासामना हो जाता था. फहीम मन ही मन नाजनीन को चाहने लगा था.

पर नाजनीन के मन में उस के प्रति कोई लगाव न था. वह तो पड़ोसी के नाते उस से भाईजान कह कर बात करती थी. फहीम के 2 अन्य भाई भी थे, जो उसी मकान में रहते थे. फहीम सिलाई कारीगर था. वह जो कमाता था, अपने ऊपर ही खर्च करता था, इसलिए बनसंवर कर खूब ठाटबाट से रहता था. फहीम अपने प्यार का इजहार नाजनीन से कर पाता, उस के पहले ही वह मुंबई कमाने चला गया. मुंबई जा कर भी वह नाजनीन को भुला न सका. उस के मनमस्तिष्क पर नाजनीन ही छाई रही. वह उसे अपने दिल की मल्लिका बनाने के सपने संजोता रहा. पर सपना तो सपना ही होता है. भला सपने से कभी किसी  के ख्वाब पूरे नहीं हुए.

देश में तालाबंदी घोषित होेने के एक माह पहले ही फहीम मुंबई से कानपुर अपने घर वापस आ गया. कमाई कर के वह जो पैसे लाया था, उसे अपने ऊपर और अपने दोस्तों पर खर्च करता. भाइयों ने उस की इस फिजूलखर्ची का विरोध किया तो वह उन पर हावी हो गया. अब वह दोस्तों के साथ मौजमस्ती तथा शराब पीने लगा. एक रोज नाजनीन किसी काम से घर से निकली तभी फहीम की नजर उस पर पड़ी. खूबसूरत नाजनीन को देख कर फहीम का मन मचल उठा. 3 साल पहले जब उस ने नाजनीन को देखा था तब वह 16 वर्ष की थी. किंतु अब वह 19 साल की उम्र पार कर चुकी थी. अब वह पहले से ज्यादा खूबसूरत दिखने लगी थी.

फहीम की आंखों में पहले से ही नाजनीन रचीबसी थी सो अब उसे देखते ही उस का मन बेकाबू होने लगा था. अब वह नाजनीन को फंसाने का तानाबाना बुनने लगा. मौका मिलने पर वह उस से बात करने का प्रयास करता था. लेकिन नाजनीन उसे झिड़क देती थी. तब फहीम खिसिया जाता. आखिर जब उस के सब्र का बांध टूट गया तो उस ने एक रोज मौका मिलने पर नाजनीन का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘नाजनीन, मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. तुम्हारी खूबसूरती ने मेरा चैन छीन लिया है. तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूं.’’

नाजनीन अपना हाथ छुड़ाते हुए गुस्से से बोली, ‘‘फहीम, तुम ये कैसी बहकी बातें कर रहे हो. मैं तुम्हारी जातिबिरादरी की हूं और इस नाते तुम मेरे भाईजान लगते हो. भाई को बहन से इस तरह की बातें करते शर्म आनी चाहिए.’’

‘‘प्यार अंधा होता है नाजनीन. प्यार जातिबिरादरी नहीं देखता.’’ वह बोला.

‘‘होगा, लेकिन मैं अंधी नही हूं. मैं ऐसा नहीं कर सकती. मैं तुम से नफरत करती हूं. और हां, आइंदा मेरा रास्ता रोकने या हाथ पकड़ने की कोशिश मत करना, वरना मुझ से बुरा कोई न होगा, समझे.’’ नाजनीन ने धमकाया. कुछ देर बाद नाजनीन घर वापस आई तो वह परेशान थी. वह समझ गई कि फहीम एकतरफा प्यार में पागल है. उस ने यह सोच कर फहीम की शिकायत घर वालों से नहीं की कि अब्बूजान बेमतलब परेशान होंगे. बात बढ़ेगी. बतंगड़ होगा. फिर लोग उस के चरित्र पर अंगुलियां उठाना शुरू कर देंगे.

इधर नाजनीन की फटकार से फहीम समझ गया कि नाजनीन अब ऐेसे नहीं मानेगी. उसे अपनी खूबसूरती और जवानी पर इतना घमंड है तो वह उस के घमंड को हर हाल में तोड़ कर रहेगा. वह उसे ऐसा दर्द देगा, जिसे वह ताजिंदगी नहीं भुला पाएगी. फहीम का एक दोेस्त सलीम था. दोनों ही हमउम्र थे, सो दोनों में खूब पटती थी. एक रोज दोनों शराब पी रहे थे. उसी समय फहीम बोला, ‘‘यार सलीम, मैं नाजनीन से मोहब्बत करता हूं लेकिन वह हाथ नहीं रखने दे रही.’’

‘‘देख फहीम, मैं एक बात बताता हूं कि नाजनीन ऐसीवैसी लड़की नहीं है. उस का पीछा छोड़ दे. कहीं ऐसा न हो कि उस का पंगा तुझे भारी पड़ जाए.’’ सलीम ने फहीम को समझाया.

‘‘अरे छोड़ इन बातों को, मैं भी जिद्दी हूं. नाजनीन अगर राजी से न मानी तो मुझे दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा.’’ फहीम ने कहा.

इस के बाद फहीम फिर से नाजनीन को छेड़ने लगा. फहीम ने नाजनीन पर लाख डोरे डालने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ा. फहीम की बढ़ती छेड़छाड़ से नाजनीन को अब डर सताने लगा था. अत: एक रोज उस ने फहीम की बदतमीजी तथा डोरे डालने की शिकायत दादी रईसा खान तथा अब्बू अशरफ से कर दी. नाजनीन की बात सुन कर जहां रईसा तिलमिला उठीं, वहीं अशरफ का भी गुस्सा फूट पड़ा. पहले रईसा ने फहीम को खूब खरीखोेटी सुनाई फिर अशरफ ने भी फहीम को जम कर लताड़ा तथा बेटी से दूर रहने की नसीहत दी. अशरफ ने फहीम की शिकायत उस के भाइयों से भी की तथा उसे समझाने को कहा. उस ने साफ  कहा कि वह इज्जतदार इंसान है. बेटी से छेड़छाड़ बरदाश्त न करेगा.

अशरफ ने उलाहना दिया तो दोनों भाइयों ने फहीम को खूब समझाया तथा नाजनीन से दूर रहने की नसीहत दी. लेकिन फहीम पर तो इश्क का भूत सवार था. वह तो एकतरफा प्यार में दीवाना था, सो उसे भाइयों की नसीहत पसंद नहीं आई. एक रोज फहीम ने गली के मोड़ पर नाजनीन को रोका और उस का हाथ पकड़ लिया. गुस्साई नाजनीन ने फहीम के हाथ पर दांत गड़ा कर अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली, ‘‘बदतमीज, अपनी हरकतों से बाज आ, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

नाजनीन की बात सुन कर फहीम भी गुस्से से बोला, ‘‘नाजनीन, यही बात मैं तुझे बता रहा हूं. मेरी मोहब्बत को स्वीकार कर ले और मुझे अपना बना ले. वरना कान खोल कर सुन ले, मेरी मोहब्बत में जो भी बाधा डालेगा, उसे मैं मिटा दूंगा. फिर वह तुम्हारा बाप, भाई या कोई और क्यों न हो.’’

जून, 2020 की 3 तारीख को फहीम ने पुन: नाजनीन से छेड़छाड़ की. इस की शिकायत उस ने पिता से की. शिकायत सुन कर अशरफ तिलमिला उठा. उस ने फहीम को खूब खरीखोटी सुनाई और कहा कि वह अंतिम बार उसे चेतावनी दे रहा है. इस के बाद उस ने हरकत की तो थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज करा देगा और जेल भिजवा देगा. फहीम पहले से ही उस पर खार खाए बैठा था. अत: अशरफ ने जब उसे जेल भिजवाने की धमकी दी तो उस की खोपड़ी घूम गई. उस ने अपने प्रेम में बाधक बने प्रेमिका के पिता अशरफ को मौत की नींद सुलाने का इरादा पक्का कर लिया. फिर वह अंजाम की तैयारी में जुट गया. उस ने तेजधार वाले चापड़ का इंतजाम किया फिर उसे घर में छिपा कर रख लिया.

8 जून, 2020 की रात फहीम ने अपनी छत की बाउंड्री से झांक कर देखा तो पता चला कि अशरफ आज रात अकेला ही छत पर सोया है. उचित मौका देख कर फहीम चापड़ ले आया फिर रात 2 बजे सीढ़ी लगा कर अशरफ की छत पर पहुंच गया. फहीम ने नफरत भरी एक नजर अशरफ पर डाली फिर चापड़ से खचाखच 4 वार अशरफ की गरदन पर किए. उस की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और खून की धार बह निकली. अशरफ कुछ क्षण तड़पा फिर ठंडा हो गया.

हत्या करने के बाद सीढ़ी के रास्ते फहीम अपनी छत पर आ गया. यहां चापड़ पर लगे खून की कुछ बूंदे छत पर टपक गईं. नीचे जा कर उस ने कपड़े बदले और चापड़ में लगे  खून को साफ  किया. फिर कपड़ों और चापड़ को धो कर घर में छिपा दिए और कमरे में जा कर सो गया. मोहम्मद फहीम से पूछताछ के बाद पुलिस ने 10 जून, 2020 को उसे कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया.

कथा संकलन तक उस की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

नाजनीन परिवर्तित नाम है.

 

Delhi Crime : चौथी शादी से नाराज पहली पत्नी ने सुपारी देकर कराई पति की हत्या

Delhi Crime : पैसा कमाने के लिए खूनपसीना बहाना पड़ता है. विकास उर्फ नीटू गांव से खाली हाथ दिल्ली आ कर अमीर बना था, लेकिन उस की अय्याशी ने उसे उस मोड़ पर ला खड़ा किया, जहां से आगे खून बहता है. खास बात यह कि उस की 4 पत्नियों में से… दिल्ली से सटे बागपत जिले में एक गांव है शाहपुर बडौली. विकास तोमर उर्फ नीटू (32) यहीं का रहने वाला था. उस के पिता किसान थे. 5 भाइयों में नीटू चौथे नंबर का था. 3 भाई उस से बड़े थे. जबकि एक छोटा था. नीटू ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद वह दिल्ली चला आया था. करीब 12 साल पहले वह जब दिल्ली आया था तो उस के पास 2 जोड़ी कपड़े और पांव में एक जोड़ी जूते थे. नीटू ने एक प्लेसमेंट एजेंसी की मदद से एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. लेकिन जब उसे पहले महीने की सैलरी मिली तो वह आधी थी. पता चला आधी सैलरी कमीशन के रूप में प्लेसमेंट एजेंसी ने अपने पास रख ली.

नीटू ने उस फैक्ट्री में 5 महीने तक नौकरी की. लेकिन हर महीने सैलरी में से एक फिक्स रकम प्लेसमेंट एजेंसी कमीशन के रूप में काट लेती थी. अगर नीटू विरोध करता तो प्लेसमेंट एजेंसी उसे नौकरी से निकालने की धमकी देती. नीटू को लगा कि नौकरी से तो अच्छा है कि प्लेसमेंट एजेंसी खोल लो और दूसरों की कमाई पर खुद ऐश करो. लेकिन प्लेसमेंट एजेंसी यानी कि लोगों को नौकरी दिलाने का कारोबार चलता कैसे है. इस सवाल का जवाब पाने के लिए नीटू ने नांगलोई की एक प्लेसमेंट एजेंसी में करीब 6 महीने तक पहले औफिस बौय फिर सुपरवाइजर की नौकरी की.

नौकरी करना तो एक बहाना था ताकि गुजरबसर और खानेखर्चे का इंतजाम होता रहे. असल बात तो यह थी कि नीटू प्लेसमेंट एजेंसी के धंधे के गुर सीखना चाहता था. आखिरकार 7-8 महीने की नौकरी के दौरान नीटू ने प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के गुर सीख लिए. इस के बाद उस ने अपने परिवार से आर्थिक मदद ली और नांगलोई के निहाल विहार में ही एक दुकान ले कर प्लेसमेंट एजेंसी का दफ्तर खोल लिया. पास के ही एक मकान में उस ने रहने के लिए कमरा भी ले लिया. प्लेसमेंट एजेंसी चलाने के लिए जरूरी लाइसैंस तथा कानूनी औपचारिकता भी उस ने पूरी कर लीं. संयोग से उस का धंधा चल निकला. देखतेदेखते नीटू लाखों में खेलने लगा. लेकिन दिक्कत यह थी कि वह अकेला पड़ जाता था. उस के पास कोई भरोसे का आदमी नहीं था.

लेकिन जल्द ही उस की ये परेशानी भी दूर हो गई. उसी के गांव में रहने वाला सुधीर जिसे गांव में सब प्यार से लीलू कहते थे, उस के साथ काम करने के लिए तैयार हो गया. नीटू ने लीलू को अपने साथ रख लिया और तय किया कि वह उसे सैलरी नहीं देगा बल्कि जो भी कमाई होगी, उस में से एक चौथाई का हिस्सा उसे मिलेगा. इस के बाद तो कुदरत ने नीटू का ऐसा हाथ पकड़ा कि देखते ही देखते उस का धंधा तेजी से चल निकला और उस के ऊपर पैसे की बारिश होने लगी.

अचानक हुई हत्या नीटू के एक बड़े भाई की पिछले साल एक दुर्घटना में मौत हो गई थी. 22 जून, 2020 को उस की बरसी थी. भाई की बरसी पर घर में होने वाले हवनपूजा और दूसरे रीतिरिवाजों को पूरा करने के लिए नीटू गांव में अपने परिवार के पास आया हुआ था. वैसे भी कोरोना वायरस की वजह से लगे लौकडाउन के बाद कामधंधे ठप पड़े थे. इसलिए नीटू ने सोचा कि जब पूजापाठ के लिए गांव आया हूं तो क्यों न घर में छोटेमोटे बिगड़े पड़े कामों को सुधार लिया जाए.

घर से थोड़ी दूरी पर बने घेर (पशुओं का बाड़ा और बैठक) में 19 जून को नीटू ने बोरिंग कराने का काम शुरू कराया था. सुबह से शाम हो गई थी. काम अभी भी बाकी था. रात के करीब साढ़े 8 बज चुके थे. नीटू का छोटा भाई बबलू और बड़ा भाई अजीत घेर में उस के पास बैठे गपशप कर रहे थे. तभी अचानक एक पल्सर बाइक तेजी से घेर के बाहर आकर रुकी. बाइक पर 3 लोग सवार थे, जिन में से 2 गाड़ी से उतरे और घेर के अंदर आ गए. तीनों भाई दरवाजे से 8-10 कदम की दूरी पर पड़ी अलगअलग चारपाइयों पर बैठे थे. उन्होंने सोचा बाइक से उतरे लड़के शायद कुछ पूछना चाहते होंगे.

दोनों लड़कों ने कुर्ता और जींस पहन रखी थी. मुंह पर मास्क की तरह गमछे बांधे हुए थे. क्षण भर में दोनों लड़के नीटू की चारपाई के पास पहुंचे. इस से पहले कि नीटू या उस के भाई कुछ पूछते अचानक दोनों युवकों ने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर तमंचे निकाले और एक के बाद एक 2 गोलियां चलाईं, जिस में से एक गोली नीटू की छाती में लगी दूसरी उस की कनपटी पर. गोली चलते ही दोनों भाइयों के पांव तले की जमीन खिसक गई. जान बचाने के लिए वे चीखते हुए घेर के भीतर की तरफ भागे. मुश्किल से 3 या 4 मिनट लगे होंगे. जब हमलावरों को इत्मीनान हो गया कि नीटू की मौत हो चुकी है तो वे जिस बाइक से आए थे, दौड़ते हुए उसी पर जा बैठे और आखों से ओझल हो गए.

गोली चलने और चीखपुकार सुन कर गांव के लोग एकत्र हो गए. सारा माजरा पता चला तो नीटू के परिवार के लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए. देखते देखते पूरा गांव नीटू के घेर के अहाते के बाहर एकत्र हो गया. गांव के लोग इस बात पर हैरान थे कि हमलावरों ने 3 भाइयों में से केवल नीटू को ही गोलियों का निशाना क्यों बनाया. नीटू तो वैसे भी गांव में नहीं रहता था फिर उस की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि उस की हत्या कर दी गई. इस दौरान गांव के प्रधान ने इस वारदात की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी थी. वहां से यह सूचना बड़ौत थाने की पुलिस को दी गई.

लौकडाउन का दौर चल रहा था. लिहाजा पुलिस भी लौकडाउन का पालन कराने के लिए सड़कों पर ही थी. बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा को जैसे ही शाहपुर बडौली में एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या करने की सूचना मिली तो वह एसएसआई धीरेंद्र सिंह तथा अपनी पुलिस टीम के साथ बडौली गांव में पहुंच गए. सूचना मिलने के करीब एक घंटे के भीतर बड़ौत इलाके के सीओ आलोक सिंह, एडीशनल एसपी अनित कुमार तथा एसपी अजय कुमार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. चश्मदीद के तौर पर 2 ही लोग थे नीटू के भाई अजीत व बबलू. दोनों न अक्षरश: पुलिस के सामने वह घटनाक्रम बयान कर दिया जो हुआ था.

लेकिन वारदात को किस ने अंजाम दिया, नीटू की हत्या क्यों हुई, क्या उस की किसी से दुश्मनी थी. कातिल कौन हो सकता है, जैसे पुलिस के सवालों के जवाब परिवार का कोई भी शख्स नहीं दे पाया. वजह यह कि नीटू की हत्या खुद उन के लिए भी एक पहेली की तरह ही थी. हत्या का कारण पता नहीं चला बहरहाल पुलिस को तत्काल नीटू की हत्या के मामले में कोई अहम जानकारी नहीं मिल सकी. इसलिए रात में ही शव को पोस्टमार्टम के लिए बागपत के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया. नीटू की हत्या का मामला बड़ौत कोतवाली में भादंसं की धारा 302, 452, 506 और दफा 34 के तहत दर्ज कर लिया गया.

एसपी अजय कुमार ने एएसपी अनित कुमार सिंह की निगरानी में एक पुलिस टीम गठित करने का आदेश दिया. सीओ आलोक सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में बड़ौत थानाप्रभारी अजय शर्मा के अलावा एसएसआई धीरेंद्र सिंह, कांस्टेबल विशाल कुमार, हरीश, देवेश कसाना, रोहित भाटी, अजीत के अलावा महिला उपनिरीक्षक साक्षी सिंह तथा महिला कांस्टेबल तनु को भी शामिल किया गया. पुलिस ने गांव में कुछ मुखबिर भी तैनात कर दिए ताकि लोगों के बीच चल रही चर्चाओं की जानकारी मिल सके.

शुरुआती जांच के बाद यह बात सामने आई कि संभव है इस वारदात को नीटू की पहली पत्नी रजनी ने अंजाम दिया हो. पता चला नीटू ने अपनी पत्नी को कई सालों से छोड़ रखा था. वह दिल्ली में अपने मायके में रहती थी, लेकिन उसके दोनों बच्चे गांव में नीटू के घरवालों के पास रहते थे. साथ ही पुलिस को यह भी पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या हुई उसी रात सूचना मिलने के बाद नीटू की पहली पत्नी रजनी रात को करीब 1 बजे गांव पहुंच गई थी. रजनी के पास अपने पति की हत्या कराने का आधार तो था, लेकिन बिना सबूत के उस पर हाथ डालना उचित नहीं था. इसलिए पुलिस ने रजनी का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की डिटेल्स निकलवा ली. पुलिस टीम ने जांच को आगे बढाया तो एक और आशंका हुई कि हो ना हो गांव के ही किसी शख्स ने हत्यारों को नीटू के गांव में होने की सूचना दी हो.

क्योंकि आमतौर पर नीटू गांव में कम ही आता था और अगर आता भी था तो केवल एक रात के लिए. एक आंशका ये भी थी कि संभवत: नीटू की हत्या के तार दिल्ली से जुड़े हों. दिल्ली में या तो उस की किसी से कोई दुश्मनी रही होगी या लेनदेन का विवाद. इसलिए पुलिस की एक टीम ने परिवार वालों से जानकारी ले कर दिल्ली स्थित नीटू के 2 मकानों पर दबिश दी तो पता चला विकास उर्फ नीटू ने एक नहीं बल्कि 4 शादियां की थीं. दिल्ली में नीटू के घर में रहने वाले किराएदारों और उस की प्लेसमेंट एजेंसी में काम करने वाले कर्मचारियों से पता चला कि नीटू रंगीनमिजाज इंसान था और अपनी अय्याशियों के कारण महिलाओं से एक के बाद एक शादी करता रहा था.

लेकिन पुलिस को किसी से भी नीटू की अन्य पत्नियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी. इसी बीच अचानक मामले में एक नया मोड़ आया. 22 मई को 2 महिलाएं बड़ौत थाने पहुंच कर जांच अधिकारी अजय शर्मा से मिलीं. पता चला कि उन में से एक महिला विकास की दूसरे नंबर की पत्नी शिखा थी और दूसरी कविता जो उस की वर्तमान व चौथे नंबर की पत्नी थी.  उन दोनों ने बताया कि नीटू की पहली पत्नी रजनी ने 2018 में भी एक बार नीटू को मरवाने की साजिश रची थी. ये बात खुद नीटू ने उन से कही थी. शिखा और कविता से जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने रजनी के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स की पड़ताल के बाद पता चला कि जिस रात नीटू की हत्या की गई उसी रात रजनी के मोबाइल पर 9 बजे से 10 बजे के बीच एक ही नंबर से 2 काल आई थीं. जब इन काल्स के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि जिस नंबर से काल आईं वह शाहपुर बडौली में रहने वाले नीटू के दोस्त और पुराने पार्टनर सुधीर उर्फ लीलू का था. आखिर ऐसी कौन सी बात थी कि इतनी रात में लीलू ने नीटू की पत्नी को 2 बार फोन किए. कहीं ऐसा तो नहीं कि लीलू ही वो शख्स हो, जिस ने कातिलों को नीटू के उस रात गांव में होने की जानकारी दी हो.

संदेह के घेरे में रजनी और लीलू पुलिस को जैसे ही लीलू पर शक हुआ उस के मोबाइल की कुंडली खंगाली गई. पता चला उस रात कत्ल से पहले लीलू की 2 अंजान नंबरों पर भी बात हुई थी. वे दोनों नंबर गांव के किसी व्यक्ति के नहीं थे, लेकिन दोनों नंबरों की लोकेशन गांव में ही थी. गुत्थियां काफी उलझी हुई थीं, जिन्हें सुलझाने के लिए पुलिस ने सुधीर व नीटू की पहली पत्नी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस ने जब उन के सामने मोबाइल फोन की डिटेल्स सामने रख कर पूछताछ शुरू की तो बहुत ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. नीटू हत्याकांड की गुत्थी खुद ब खुद सुलझती चली गई.

जिस के बाद पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा कर 25 जून को बावली गांव की पट्टी देशू निवासी रोहित उर्फ पुष्पेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. पता चला उसी ने बावली गांव के रहने वाले अपने 2 साथियों सचिन और रवि उर्फ दीवाना के साथ मिल कर नीटू की गोली मार कर हत्या की थी. पुलिस ने जब रजनी, सुधीर उर्फ लीलू तथा रोहित से पूछताछ की तो नीटू की हत्या के पीछे उस के रिश्तों की उलझन की कहानी कुछ इस तरह सामने आई. विकास ने जिन दिनों दिल्ली में प्लेसमेंट एजेंसी खोली थी, वह उन दिनों दिल्ली के निहाल विहार में रजनी के घर में किराए का कमरा ले कर रहता था. 2009 में दोनों की यहीं पर जानपहचान हुई थी.

नीटू अय्याश रंगीनमिजाज जवान था, वह अकेला रहता था और उसे एक औरत के जिस्म की जरूरत थी. धीरेधीरे उस ने रजनी से दोस्ती कर ली. रजनी को भी नीटू अच्छा लगा. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों के बीच रिश्ते भी बन गए. लेकिन कुछ समय बाद जब रजनी के परिवार वालों को दोनों के रिश्तों की भनक लगी तो उन्होंने रजनी से शादी करने का दबाव डाला. फलस्वरूप नीटू को रजनी से शादी करनी पड़ी. इस के बाद नीटू ने रजनी के परिवार वाला मकान छोड़ दिया. चूंकि इस दौरान उस का कामधंधा काफी जम गया था और कमाई अच्छी हो रही थी, इसलिए उस ने नांगलोई में एक प्लौट ले कर उस पर मकान बनवा लिया था. रजनी को ले कर नीटू उसी मकान में रहने लगा.

दोनों की जिंदगी ठीक गुजर रही थी. रजनी और नीटू के 2 बेटे हुए . लेकिन रजनी नीटू की एक बुरी आदत से अंजान थी. प्लेसमेंट के धंधे से होने वाली अच्छीखासी कमाई थी. जब पैसा आया तो अय्याशी का शौक लग गया. इसी के चलते प्लेसमेंट औफिस में धंधा करने वाली लड़कियों को बुला कर अय्याशी करने लगा. जब इंसान के पास इफरात में दौलत आती है तो कई को शराब की लत लग जाती है. औफिस में पीना पिलाना नीटू की रोजमर्रा की आदत बन गई. रजनी को नीटू की अय्याशियों का पता तब चला, जब नीटू के गांव का ही रहने वाला सुधीर उर्फ लीलू नीटू के साथ धंधे में उस का पार्टनर बना.

रजनी बच्चों के साथ अक्सर नीटू के गांव भी जाती थी. गांव के दोस्त रजनी को नीटू की पत्नी होने के कारण भाभी कह कर बुलाते थे. नीटू ने लीलू को अपने ही घर में रहने के लिए एक कमरा दे दिया था. इसीलिए घर में रहतेरहते लीलू को रजनी से काफी लगाव हो गया था. उसे यह देखकर बुरा लगता कि 2 बच्चों का पिता बन जाने और घर में अच्छीखासी पत्नी होने के बावजूद नीटू अपनी कमाई बाजारू औरतों पर लुटाता है. रजनी से हमदर्दी के कारण एक दिन लीलू ने रजनी को नीटू की अय्याशियों के बारे में बता दिया. नीटू की बेवफाई और अय्याशियों के बारे में पता चलने के बाद रजनी ने उस पर निगाह रखनी शुरू कर दी और एकदो बार उसे औफिस में अय्याशी करते पकड़ भी लिया. इस के बाद रजनी व नीटू में अक्सर झगड़ा होने लगा.

नीटू की अय्याशी अब घर में कलह का कारण बन गई. इस दौरान नीटू ने इफरात में होने वाली आमदनी से निहाल विहार में ही एक और प्लौट खरीद कर उस पर भी एक मकान बना लिया था. उस ने उसी मकान को अपनी अय्याशी का नया अड्डा बना लिया. 2 बच्चों को जन्म देने के बाद रजनी का शरीर ढलने लगा था. उस में नीटू को अब वो आकर्षण नहीं दिखता था जो उसे रजनी की तरफ खींचता था. बात बढ़ती गई नीटू की अय्याशी की लत के कारण रजनी से उस की खटपट व झगड़े इस कदर बढ़ गए कि एक दिन रजनी दोनों बच्चों को छोड़ कर अपने मायके चली गई. दरअसल उन के बीच हुए इस अलगाव की वजह थी शिखा नाम की नीटू की प्रेमिका जिस के बारे में उसे पता चला था कि नीटू उस से शादी करने वाला है.

जब रजनी उसे छोड़ कर अपने मायके चली गई तो नीटू का रास्ता साफ हो गया, लिहाजा उस ने शिखा से शादी कर ली. शिखा के परिवार वालों ने नीटू के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. साथ ही उन्होंने अपनी तहरीर में आरोप लगाया कि उन की बेटी नाबालिग है. लेकिन शिखा ने अदालत में इस बात का प्रमाण दे दिया कि वह बालिग है. इस पर अदालत ने उसे बालिग मान कर न सिर्फ नीटू के खिलाफ दर्ज मुकदमे को खारिज कर दिया बल्कि उस की शादी को भी वैध करार दिया. इस दौरान नीटू के दोनों बच्चे गांव में उस के मातापिता के पास रहने लगे थे. तब तक नीटू ने परिवार के अलावा गांव वालों को इस बात की भनक नहीं लगने दी थी कि उस ने रजनी को छोड़ कर दूसरी लड़की से शादी कर ली है.

चूंकि रजनी उस के बच्चों की मां थी इसलिए नीटू कभीकभी उसे बच्चों से मिलाने के लिए अपने साथ गांव ले जाता था. रजनी पहली पत्नी थी और उस से नीटू का कानूनी तलाक भी नहीं हुआ था, इसलिए जब वह उस के साथ शारीरिक संबध भी बनाता रहता था. रजनी भी कभी इनकार नहीं कर पाती थी. इसी दौरान लीलू ने अपनी निजी जरूरत के लिए नीटू से 12 लाख रुपए लिए और कुछ समय बाद वापस करने का वादा कर दिया. लेकिन काफी दिन बीत जाने पर भी जब वह पैसे वापस नहीं कर पाया तो नीटू ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.

आखिर एक दिन ऐसी नौबत आई कि नीटू व लीलू में इस बात को ले कर खटपट इतनी बढ़ गई कि नीटू ने उस का हिसाबकिताब चुकता कर उसे पार्टनरशिप से हटा दिया. लेकिन इस के बावजूद नीटू के उस पर 10 लाख रुपए बकाया रह गए. अब नीटू जब भी बच्चों से मिलने के लिए गांव जाता तो लीलू पर अपनी रकम वापस करने का दबाव डालता था. कुछ इंसान गलतियों से भी सीख नहीं लेते. नीटू भी ऐसा ही इंसान था. दौलत की चमक ने उस में अय्याशी की जो भूख पैदा कर दी थी, उसे पूरा करने के बावजूद वह अय्याशियों से बाज नहीं आया. लिहाजा 2019 आतेआते नीटू का अपने ही दफ्तर में काम करने वाली एक लड़की ज्योति पर दिल आ गया और उस ने ज्योति से आर्यसमाज मंदिर में शादी कर के उसे किराए के एक मकान में रख दिया.

वह कभी शिखा के पास चला जाता तो कभी ज्योति की बाहों का हार बन जाता. लेकिन एक दिन शिखा पर उस की तीसरी शादी का राज खुल गया तो शिखा से उस का झगड़ा शुरू हो गया. आखिर एक दिन शिखा ने पुलिस बुला ली. जिस के बाद शिखा ने 4 लाख रुपए ले कर नीटू को तलाक दे दिया. जब ज्योति को इस बात का पता चला कि उस से पहले नीटू 2 शादी कर चुका है और इस के अलावा भी कई लड़कियों के साथ उस के संबंध हैं तो 2019 खत्म होतेहोते उस ने भी नीटू से नाता तोड़ लिया और तलाक का आवेदन कर दिया. उधर लीलू नीटू के कर्ज को ले कर परेशान था. वह नीटू की पत्नी रजनी के लगातार संपर्क में था और नीटू की तीनों शादियों के बारे में उसे भी बता दिया था.

इसी बीच जब ज्योति नीटू को छोड़ कर चली गई तो एक बार फिर उसे औरत की जरूरत महसूस होने लगी. इस बार उस ने शादी डौट कौम पर जीवनसाथी की तलाश कर एक ऐसी लड़की के साथ शादी करने का फैसला किया जो उस के दोनों बच्चों को भी अपना सके. नीटू की तलाश जल्द ही पूरी हो गई. गुरुग्राम में रहने वाली कविता भी जीवनसाथी खोज रही थी, जिस ने एक बच्चा होने के बाद अपने पति की शराब की लत से परेशान हो कर उसे तलाक दे दिया था. कविता संपन्न परिवार की लड़की थी. कविता के साथ बात आगे बढ़ी तो उस ने नीटू के दोनों बच्चों को अपनाने की सहमति दे दी. नीटू ने भी कविता की बेटी को पिता का नाम देने और उसे अपनाने की अनुमति दे दी.

सपना, सपना ही रह गया लौकडाउन के दौरान 20 मई को परिवार वालों की मौजूदगी में नीटू ने कविता से शादी कर ली. शादी के बाद नीटू कविता को ले कर अपने गांव भी गया और उसे दोनों बच्चों से भी मिलाया. नीटू ने फैसला कर लिया था कि कोरोना का चक्कर खत्म होने के बाद जब लौकडाउन पूरी तरह खत्म हो जाएगा तो दोनों बच्चों व कविता को उस की बेटी के साथ दिल्ली के मकान में ले आएगा. फिलहाल कविता अपनी बेटी के साथ अपने मायके में ही रह रही थी. इस दौरान सुधीर उर्फ लीलू के जरिए रजनी को यह बात पता चल गई कि नीटू ने फिर से चौथी शादी कर ली है.

इस बार उस ने जिस लड़की से शादी की है वो नीटू के परिवार को भी काफी पसंद आई है तो रजनी अपने भविष्य को ले कर चिंता में पड़ गई. क्योंकि नीटू ने एक तो उसे छोड़ दिया था, ऊपर से उसे खर्चा भी नहीं देता था. अगर कविता से उस के संबध सही रहे तो उस के दोनों बच्चे भी उस के हाथ से चले जाएंगे. ऐसे में न तो उसे नीटू की प्रौपर्टी में से कोई हिस्सा मिलेगा न ही उसे बच्चे मिलेंगे. लिहाजा उस ने लीलू को दिल्ली बुला कर कोई ऐसा उपाय करने को कहा जिस से उसे नीटू की प्रौपर्टी में हिस्सा मिल जाए. लीलू तो पहले ही नीटू से छुटकारा पाने की सोच रहा था. लिहाजा उस ने रजनी से कहा कि अगर नीटू की हत्या करा दी जाए तो न सिर्फ उस से छुटकारा मिल जाएगा बल्कि उस की प्रौपर्टी भी उसे ही मिल जाएगी.

एक बार इंसान के दिमाग में खुराफात समा जाए तो फिर अपने लालच को पूरा करने के लिए वह उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेता है. रजनी ने लीलू से कहा कि अगर वह किसी कौंट्रेक्ट किलर से नीटू की हत्या करवा दे तो वह केवल नीटू का दिया कर्ज माफ कर देगी बल्कि नीटू का निहाल विहार वाला दूसरा मकान जिस की कीमत करीब एक करोड़ रुपए है, उस के नाम कर देगी. साथ ही उस ने ये भी कहा कि हत्या कराने के लिए जो भी खर्च आएगा वो उस का भी आधा खर्च उसे दे देगी. लीलू तो पहले ही अपने कर्ज से मुक्ति और नीटू से बदला लेने के लिए किसी ऐसे ही मौके की तलाश में था, अब तो उसे बड़ा फायदा होने की भी उम्मीद थी, लिहाजा उस ने रजनी की बात मान ली.

सुधीर उर्फ लीलू ने विकास की हत्या करने के लिए कौन्ट्रैक्ट किलर से संपर्क किया. बागपत के ही रोहित उर्फ पुष्पेंद्र, सचिन और रवि से उस की पुरानी जानपहचान थी. उस ने इस काम के लिए उन तीनों को 6 लाख की सुपारी देना तय किया. 3 लाख रुपए एडवांस दे दिए. लीलू ने उन्हें बता दिया था कि नीटू दिल्ली से अपने गांव आने वाला है, गांव में उस की हत्या को अंजाम देना है. 19 जून को दिन में ही लीलू ने हत्यारों को फोन कर के बता दिया था कि नीटू अपने घेर में बोरिंग करवा रहा है. घेर में उसे मारना बेहद आसान है, इसलिए आज ही मौका देख कर उस का खात्मा कर दें. शाम को रोहित नाम का बदमाश गांव में आया और लीलू से मिला. लीलू ने उसे नीटू का घेर दिखा दिया और अपने साथ ले जा कर रोहित को नीटू की शक्ल भी दिखा दी. उस के बाद वे लोग चले गए.

रात को करीब साढे़ 8 बजे जब पूरी तरह अंधेरा छा गया तो रोहित अपने दोनों साथियों रवि और सचिन के साथ स्पलेंडर बाइक पर गमछे बांध कर घेर पर पहुंचा और विकास उर्फ नीटू की गोली मार कर हत्या कर दी. पुलिस ने पूछताछ के बाद अभियुक्त रोहित के कब्जे से 1 लाख 20 हजार रुपए, घटना में प्रयुक्त एक स्पलेंडर बाइक, एक तमंचा 315 बोर और 2 जिंदा कारतूस बरामद कर लिए, जबकि नीटू की हत्या की सुपारी देने वाले आरोपी सुधीर उर्फ लीलू से 2 लाख रुपए नकद और स्कोडा कार बरामद हुई.  रजनी से 4 हजार रुपए बरामद किए गए.

रोहित से पूछताछ में पता चला कि 12 जून, 2020 को उस ने अपने 2 साथियों के साथ अब्दुल रहमान उर्फ मोनू पुत्र बाबू खान, निवासी बावली जोकि खल मंडी में एक आढ़ती के पास पल्लेदार का काम करता है, से 93,500 रुपए लूट लिए थे, इन्हीं पैसों से उन्होंने नीटू की हत्या के लिए हथियार खरीदे थे क्योंकि घटना को अंजाम देने के लिए हथियारों की व्यवस्था करने का काम शूटर्स का ही था. नीटू हत्याकांड के तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. 2 फरार आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस  प्रयास कर रही थी.

—कथा पुलिस व पीडि़त परिवार से मिली जानकारी पर आधारित

Love Crime : मामा के प्यार में बेटी ने फावड़े से काटी मां और पापा की गर्दन

Love Crime : पिछले कुछ समय से करीबी रिश्तेदार ही अपनों के दुश्मन साबित हो रहे हैं. ऐसे में अपने स्वार्थों के चलते अगर घर का कोई सदस्य उन का साथ दे तो परिणाम बहुत घातक होते हैं. प्रवींद्र और संगीता सगे मामाभांजी थे, लेकिन जब उन्होंने मर्यादाएं लांघी तो अपने ही परिवार पर इतने भारी पड़े कि…

झा उस दिन जनवरी, 2020 की 2 तारीख थी. सुबह के 10 बज रहे थे. एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह अपने कक्ष में मौजूद थे. तभी उन के कक्ष में सर्विलांस टीम प्रभारी शैलेंद्र सिंह ने प्रवेश किया. शैलेंद्र सिंह के अचानक आने पर वह समझ गए कि जरूर कोई खास बात है. उन्होंने पूछा, ‘‘शैलेंद्र सिंह, कोई विशेष बात?’’

‘‘हां सर, खास बात पता चली है, सूचना देने आप के पास आया हूं.’’ शैलेंद्र सिंह ने कहा.

‘‘बताओ, क्या बात है?’’ एसपी ने पूछा.

‘‘सर, 3 महीने पहले थाना गुरसहायगंज के गौरैयापुर गांव में जो डबल मर्डर हुआ था, उस के आरोपियों की लोकेशन पश्चिम बंगाल के हुगली शहर में मिल रही है. अगर पुलिस टीम वहां भेजी जाए तो उन की गिरफ्तारी संभव है.’’ शैलेंद्र सिंह ने बताया. शैलेंद्र सिंह की बात सुन कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह चौंक गए. इस की वजह यह थी कि इस दोहरे हत्याकांड ने उन की नींद उड़ा रखी थी. लोग पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहे थे. कानूनव्यवस्था को ले कर राजनीतिक रोटियां भी सेंकी जा रही थीं. दरअसल, गौरैयापुर गांव में रमेशचंद्र दोहरे और उन की पत्नी ऊषा की हत्या कर दी गई थी. उन की युवा बेटी संगीता घर से लापता थी. घर में लूटपाट होने के भी सबूत मिले थे. इसलिए यही आशंका जताई गई थी कि बदमाशों ने लूटपाट के दौरान दंपति की हत्या कर दी और उस की बेटी संगीता का अपहरण कर लिया.

लेकिन बाद में जांच से पता चला कि संगीता के अपने ममेरे भाई प्रवींद्र से नाजायज संबंध थे. इस से यह आशंका हुई कि कहीं इन दोनों ने ही तो इस हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया. पुलिस उन की तलाश में जुटी थी और पुलिस ने उन दोनों की सही जानकारी देने वाले को 25-25 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया था. उन के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगे थे, जिन की लोकेशन पश्चिम बंगाल के हुगली शहर की मिल रही थी. सर्विलांस टीम प्रभारी शैलेंद्र सिंह से यह सूचना मिलने के बाद एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने तत्काल एएसपी के.सी. गोस्वामी को कार्यालय बुलवा लिया. उन्होंने उन्हें दोहरे हत्याकांड के आरोपियों के बारे में जानकारी दी. फिर उन के निर्देशन में एसपी ने एक पुलिस टीम गठित कर दी.

टीम में गुरसहायगंज के थानाप्रभारी नागेंद्र पाठक, इंसपेक्टर विजय बहादुर वर्मा, टी.पी. वर्मा, दरोगा मुकेश राणा, सिपाही रामबालक तथा महिला सिपाही कविता को सम्मिलित किया गया. यह टीम संगीता और प्रवींद्र की तलाश में पश्चिम बंगाल के हुगली शहर के लिए रवाना हो गई. 4 जनवरी को पुलिस टीम पश्चिम बंगाल के हुगली शहर पहुंच गई और स्थानीय थाना भद्रेश्वर पुलिस से संपर्क कर अपने आने का मकसद बताया. दरअसल, प्रवींद्र के मोबाइल फोन की लोकेशन उस समय भद्रेश्वर थाने के आरबीएस रोड की मिल रही थी, जो झोपड़पट्टी वाला क्षेत्र था. झोपड़पट्टी में ज्यादातर मजदूर लोग रह रहे थे. पुलिस टीम ने थाना भद्रेश्वर पुलिस की मदद से छापा मारा और एक झोपड़ी से संगीता और प्रवींद्र को हिरासत में ले लिया. जिस झोपड़ी से उन दोनों को हिरासत में लिया था, वह झोपड़ी नगमा नाम की महिला की थी.

पकड़ में आए प्रवींद्र और संगीता नगमा ने पुलिस को बताया कि करीब ढाई महीने पहले प्रवींद्र और संगीता ने झोपड़ी किराए पर ली थी. प्रवींद्र ने संगीता को अपनी पत्नी बताया था. दोनों मजदूरी कर अपना भरणपोषण करते थे. नगमा को जब पता चला कि दोनों हत्यारोपी हैं तो वह अवाक रह गई. पुलिस टीम ने संगीता और प्रवींद्र को हुगली की जिला अदालत में पेश किया. अदालत से ट्रांजिट रिमांड पर ले कर पुलिस दोनों को कन्नौज ले आई. एएसपी गोस्वामी तथा एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने संगीता और प्रवींद्र से एक घंटे तक पूछताछ की. पूछताछ में दोनों ने सहज ही हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. हत्या का जुर्म कबूल करने के बाद एसपी अमरेंद्र प्रसाद ने प्रैसवार्ता कर दोहरे हत्याकांड का खुलासा किया.

प्रवींद्र और संगीता से की गई पूछताछ में मामाभांजी के कलंकित रिश्ते की सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई—

उत्तर प्रदेश के कन्नौज का बड़ी आबादी वाला एक व्यापारिक कस्बा गुरसहायगंज है. यहां बड़े पैमाने पर आलू तथा तंबाकू का व्यवसाय होता है. बीड़ी के कारखानों में सैकड़ों मजदूर काम करते हैं. गुरसहायगंज कस्बा पहले फर्रुखाबाद जिले के अंतर्गत आता था लेकिन जब कन्नौज नया जिला बना तो यह कस्बा कन्नौज जिले का हिस्सा बन गया. इसी गुरसहायगंज कस्बे से करीब 5 किलोमीटर दूर सौरिख रोड पर बसा है एक गांव गौरैयापुर. कोतवाली गुरसहायगंज के अंतर्गत आने वाले इसी गांव में रमेशचंद्र दोहरे का परिवार रहता था. उस के परिवार में पत्नी ऊषा देवी के अलावा एक बेटी संगीता थी. रमेशचंद्र के पास 3 बीघा खेती की जमीन थी. उसी की उपज से वह परिवार का भरणपोषण करता था.

संगीता सुंदर थी. जब उस ने 17वां बसंत पार किया तो उस की सुंदरता में गजब का निखार आ गया, बातें भी बड़ी मनभावन करती थी. लेकिन पढ़ाईलिखाई में उस का मन नहीं लगता था. जिस के चलते वह 8वीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ सकी. इस के बाद वह घर के रोजमर्रा के काम में मां का हाथ बंटाने लगी. संगीता जिद्दी स्वभाव की थी. वह जिस चीज की जिद करती, उसे हासिल कर के ही दम लेती थी. संगीता के घर प्रवींद्र का आनाजाना लगा रहता था. वह संगीता की मां ऊषा देवी का सगा छोटा भाई था यानी संगीता का सगा मामा. वह हरदोई जिले के कतन्नापुर गांव का रहने वाला था और अकसर अपनी बहन ऊषा के ही घर पड़ा रहता था. जब भी आता हफ्तेदस दिन रुकता था. ऊषा का पति रमेशचंद्र इसलिए कुछ नहीं बोलता था क्योंकि वह उस का साला था.

संगीता और प्रवींद्र हमउम्र थे. प्रवींद्र उस से 2 साल बड़ा था. हमउम्र होने के कारण दोनों में खूब पटती थी. प्रवींद्र बातूनी था, इसलिए संगीता उस की बातों में रुचि लेती थी. ऊषा समझती थी कि प्रवींद्र को उस से लगाव है, इसलिए वह उस के घर आता है. लेकिन सच यह था कि प्रवींद्र की लालची नजर अपनी भांजी संगीता पर थी. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसाने के लिए आता था. प्रवींद्र ने अपने व्यवहार से बहन और बहनोई के दिल में ऐसी जगह बना ली थी कि वे उसे अपना हमदर्द समझने लगे थे. वे लोग उस से सुखदुख की बातें भी साझा करते थे. दरअसल, रमेशचंद्र उसे इसलिए वफादार समझने लगे थे क्योंकि प्रवींद्र उन के खेती के कामों में भी हाथ बंटाने लगा था. खाद बीज लाने की जिम्मेदारी भी वही उठाता था. इन्हीं सब कारणों से प्रवींद्र रमेश की आंखों का तारा बन गया था.

हमारे समाज में युवा हो रही लड़कियों के लिए तमाम बंदिशें होती हैं. वह किसी बाहरी लड़के से हंसबोल लें तो उन्हें डांट पड़ती है. यह उम्र जिज्ञासाओं की होती है. मन हवा में उड़ान भरने को मचलता है. पारिवारिक और सामाजिक वर्जनाओं की वजह से आमतौर पर देखा गया है कि लड़कियां अपने रिश्ते के करीबी युवक से ज्यादा घुल जाती हैं. वह उन का मामा, जीजा, चचेरा या मौसेरा या ममेरा भाई कोई भी हो सकता है. वे उसे ही अपना दोस्त बना लेती हैं. संगीता के सब से नजदीक मामा प्रवींद्र ही था, अत: उन दोनों में भी ऐसा ही रिश्ता था. प्रवींद्र की नजर थी खूबसूरत भांजी पर शुरुआती दिनों में जब प्रवींद्र ने बहन ऊषा के घर आना शुरू किया था, तब उस के मन में संगीता के लिए कोई गलत भावना नहीं थी. रिश्ते में वह उस की भांजी थी. किंतु भावनाओं में तूफान आते और रिश्ता बदलते कितनी देर लगती है.

संगीता से मेलमिलाप की वजह से प्रवींद्र की भावनाओं में भी तूफान आ गया और मामाभांजी के पवित्र रिश्ते पर कालिख लगनी शुरू हो गई. हुआ यह कि एक दिन प्रवींद्र ऊषा के घर पहुंचा तो वह परिवार सहित गांव में एक परिचित के घर समारोह में जाने को तैयार थी. संगीता भी खूब बनीसंवरी थी. उस ने गुलाबी सलवारसूट पहना था और खुले बाल कमर तक लहरा रहे थे. उस समय संगीता बेहद खूबसूरत दिख रही थी. संगीता का वह रूप प्रवींद्र की आंखों के रास्ते से दिल में उतर गया. प्रवींद्र के मन में कामना की ऐसी आंधी चली कि उस की धूल ने सारे रिश्तेनाते को ढक लिया. वह भूल गया कि संगीता उस की भांजी है. प्रवींद्र का मन चाह रहा था कि संगीता उस के सामने रहे और वह उसे अपलक देखता रहे, लेकिन ऐसा कहां संभव था. वे लोग तो समारोह में जाने को तैयार थे. प्रवींद्र को घर की तालाकुंजी दे कर वे सब चले गए. प्रवींद्र की नजरें तब तक संगीता का पीछा करती रहीं जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गई.

उन के जाने के बाद प्रवींद्र खाना खा कर बिस्तर पर लेट गया. लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उस की आंखों में संगीता का अक्स बसा था और जेहन में उसी के खयाल उथलपुथल मचा रहे थे. कई बार प्रवींद्र की अंतरात्मा ने उसे झिंझोड़ा, ‘संगीता तुम्हारी भांजी है, उस के बारे में गंदे विचार तक मन में लाना पाप है. संगीता के बारे में गलत सोचना बंद कर दो.’  प्रवींद्र ने हर बार यह सोच कर अंतरात्मा की आवाज को दबा दिया कि हर लड़की किसी न किसी की भांजी होती है. अगर लोग मामाभांजी का ही रिश्ता निभाते रहे तो चल गई दुनिया. कहते हैं कि बुरे विचार अच्छे विचारों को जल्दी ही दबा देते हैं. प्रवींद्र की अच्छाई पर बुराई हावी हो गई.

इधर ऊषा और रमेश रात को काफी देर से लौटे. सुबह वे जल्दी उठ कर अपनेअपने काम से लग गए. रमेशचंद्र और ऊषा खेत पर चले गए थे, जबकि संगीता घरेलू कामों में व्यस्त थी. प्रवींद्र की आंखें खुलीं तो उस की नजर आंगन में काम कर रही संगीता पर पड़ी. वह मुंह से तो कुछ नहीं बोला लेकिन टकटकी लगाए संगीता को देखने लगा. प्रवींद्र को इस तरह अपनी ओर ताकते देख संगीता ने टोका, ‘‘क्या बात है मामा, तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे. बस टकटकी लगा कर मुझे ही देखे जा रहे हो.’’

‘‘इसलिए देख रहा हूं कि तुम बहुत खूबसूरत हो. जी चाहता है कि तुम सामने खड़ी रहो और मैं तुम्हें देखता रहूं. यह कमबख्त नजरें तुम्हारे चेहरे से हटने का नाम ही नहीं ले रही हैं.’’ वह बोला. संगीता मामा के मन का मैल न समझ कर उन्मुक्त हंसी हंसने लगी. हंसी पर विराम लगा तो बोली, ‘‘यह कौन सी नई बात है. गांव में भी सब कहते हैं कि संगीता तुम खूबसूरत हो.’’

फिर वह शरारत से उस की आंखों में देखने लगी, ‘‘कैसे मामा हो जिसे आज पता चला कि मैं खूबसूरत हूं.’’

‘‘आज नहीं, मैं ने कल जाना कि तुम खूबसूरत हो.’’ प्रवींद्र के मन की बात उस की जुबान पर आ गई, ‘‘गुलाबी रंग का सलवारसूट तुम्हारे गोरे बदन पर बेहद फब रहा था. ऊपर से तुम्हारा मेकअप तो मेरे दिल पर बिजली गिरा गया. किसी दुलहन से कम नहीं लग रही थी तुम…’’

संगीता अपने सौंदर्य की तारीफ सुन कर गदगद हो गई, उस ने शरम से नजरें झुका लीं. साथ ही उस के मन में कांटा सा चुभा. वह सोचने लगी कि क्या मामा के दिल में खोट आ गया है, जो ऐसी बातें उस से कर रहे हैं. वह अभी ऐसा सोच ही रही थी कि तभी प्रवींद्र 2 कदम आगे बढ़ कर संगीता की कलाई पकड़ कर बोला, ‘‘संगीता, तुम वाकई बहुत खूबसूरत हो. मैं तुम से प्यार करता हूं.’’

संगीता काफी दिनों से महसूस कर रही थी कि उस के मामा प्रवींद्र के मन में उस के लिए बेपनाह प्यार है. सच तो यह था कि संगीता भी मन ही मन मामा प्रवींद्र को चाहती थी. यही कारण था कि जब प्रवींद्र ने अपनी मोहब्बत का इजहार किया तो संगीता ने फौरन इकरार करते हुए कह दिया, ‘‘हां, मैं भी तुम्हें दिल की गहराइयों से चाहती हूं.’’

मोहब्बत को मिली जुबान खामोश मोहब्बत को जुबान मिली तो संगीता और प्रवींद्र की आशिकी के रंग निखरने लगे. प्रवींद्र का पहले से ही घर में आनाजाना था. रमेशचंद्र दोहरे भी उसे बेटे की तरह मानते थे, इसलिए संगीता से उस के मिलनेजुलने या एकांत में बातचीत करने में किसी प्रकार की बाधा नहीं थी. प्रवींद्र जब अपने गांव कतरतन्ना में होता तब वे दोनों मोबाइल फोन पर देर तक बातें करते थे. संगीता उसे अपना हालेदिल सुनाया करती. बहन के घर जाने में भाई को बहाने की जरूरत नहीं होती. संगीता के बुलाने पर वह उस के यहां आ जाता. सब उसे देख कर खुश होते कि देखो भाईबहन में कितना प्यार है. लेकिन यह तो केवल संगीता जानती थी कि प्रवींद्र किसलिए आता है. ज्योंज्यों दिन गुजरते गए, संगीता और प्रवींद्र की मोहब्बत के तकाजे भी बढ़ते गए. उन की चाहत तनहाई और खुफिया मुलाकात की मांग करने लगी. यह तकाजा पूरा करने के लिए उन दोनों ने किसी तरह की कोताही नहीं की.

रात को जब सब लोग सो जाते, तब संगीता और प्रवींद्र चुपके से उठ कर छत पर चले जाते और वहां एकदूजे की बांहों में खो जाते. तनहाई और रात के सन्नाटे में 2 जिस्म मिले तो जज्बात भड़कते ही हैं. संगीता और प्रवींद्र भी अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा सके. पे्रमोन्माद में वे एकदूसरे को समर्पित हो गए. समय बीतता रहा. किसी को अब तक नहीं खबर नहीं थी कि संगीता और प्रवींद्र एकदूसरे से प्यार करते हैं. मन से ही नहीं, दोनों तन से भी एक हो चुके हैं. प्रवींद्र और संगीता के इश्क का खेल 2 सालों तक निर्बाध रूप से चलता रहा. लेकिन एक रोज उन का भांडा फूट ही गया. उस दिन शाम को प्रवींद्र आया तो पता चला रमेश जीजा रिश्तेदारी में उन्नाव गए हैं. वह 3 दिन बाद घर लौटेंगे. ऊषा आंगन में अकेली बैठी थी और संगीता रसोई में खाना बना रही थी. ज्यों ही प्रवींद्र ऊषा के पास आ कर बैठा, उस ने वहीं से रसोई की ओर मुंह कर आवाज दी, ‘‘बेटी संगीता, मामा आए हैं, इन के लिए भी खाना बना लेना.’’

प्रवींद्र चारपाई पर पसर गया और हंस कर बोला, ‘‘हां दीदी, मैं खाना भी खाऊंगा और रुकूंगा भी. जीजा बाहर गए हैं न इसलिए घर और तुम दोनों की देखभाल करना मेरा फर्ज है. वैसे भी दीदी तुम मुझे फोन पर बता देती तो मैं दौड़ा चला आता.’’

‘‘यह भी कोई कहने की बात है,’’ ऊषा भी हंसने लगी, ‘‘मैं खुद तुझ से यहीं रुकने को कहने वाली थी. लेकिन तूने मेरे मुंह की बात छीन ली.’’

संगीता को पता चला कि मामा आए हैं तो उस का शरीर रोमांच से भर गया. वह जान गई कि आज की रात रंगीन होने वाली है. उस ने खाना बना कर तैयार किया फिर मां और मामा को खिलाया. उस के बाद खुद खाना खा कर घर की साफसफाई की. प्रवींद्र छत पर सोने चला गया और संगीता मां के साथ नीचे कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट गई. कुछ देर बाद ऊषा तो सो गई लेकिन संगीता की आंखों में नींद नहीं थी. ऊषा जब गहरी नींद सो गई तो संगीता दबेपांव उठी और प्रवींद्र के पास छत पर जा पहुंची. प्रवींद्र भी उस के आने का ही इंतजार कर रहा था. संगीता के पहुंचते ही उस ने उसे बांहों में भर लिया.

इधर आधी रात को ऊषा की आंखें खुलीं तो उस ने संगीता को चारपाई से नदारद पाया. वह उसे खोजते हुए आंगन में आई तो उसे छत पर खुसरफुसर की आवाज सुनाई दी. वह जीने की ओर बढ़ी, तभी संगीता जीने से नीचे उतरी. शायद उसे मां के जागने का आभास हो गया था. कमरे में पहुंचते ही ऊषा ने पूछा, ‘‘संगीता, तू आधी रात को छत पर क्यों गई थी?’’

‘‘मामा उल्टियां कर रहे थे. उन्हें पानी देने गई थी.’’ संगीता ने बहाना बना दिया. ऊषा ने संगीता की बात पर विश्वास तो कर लिया किंतु उस के मन में शक का बीज अंकुरित होने लगा. अब वह दोनों पर कड़ी नजर रखने लगीं. संगीता और प्रवींद्र कड़ी निगरानी के कारण सतर्कता बरतने लगे थे, लेकिन सतर्कता के बावजूद एक रात ऊषा ने संगीता और प्रवींद्र को रंगेहाथ पकड़ लिया. उस रात ऊषा ने संगीता की जम कर फटकार लगाई और उस की पिटाई भी कर दी. उस ने छोटे भाई प्रवींद्र को भी भलाबुरा कहा और रिश्ते को कलंकित करने का दोषी ठहराया. इज्जत के नाम पर दबा दी बात अपराधबोध के कारण प्रवींद्र ने सिर झुका लिया. फिर जब ऊषा का गुस्सा ठंडा पड़ गया तो प्रवींद्र ने बहन के पैर पकड़ लिए, ‘‘दीदी, जवानी के जोश में हम और संगीता बहक गए थे. इस बार माफ कर दो. आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी.’’

चूंकि बेटी का मामला था. ज्यादा शोर मचाने से उसी की बदनामी होती, इसलिए ऊषा ने हिदायत दे कर प्रवींद्र को माफ कर दिया. प्रवींद्र अपने घर चला गया. इस के बाद करीब 3 महीने तक प्रवींद्र बहन के घर नहीं आया. हां, इतना जरूर था कि संगीता और प्रवींद्र जबतब मोबाइल फोन पर बात कर लेते थे और अपने दिल की लगी बुझा लेते थे. 3 माह बाद जब प्रवींद्र को संगीता की ज्यादा याद सताने लगी तो वह एक रोज बहन के घर आ पहुंचा. ऊषा ने प्रवींद्र के आने पर ऐतराज तो नहीं जताया, लेकिन संगीता से दूर रहने की हिदायत दी. प्रवींद्र अब ऊषा के सामने ही संगीता से बात करता तथा रात को घर के अंदर के बजाए घर के बाहर सोता. इस तरह प्रवींद्र का आनाजाना फिर से शुरू हो गया.

कहावत है कि आग और फूस एक साथ होंगे तो धुआं तो उठेगा ही और जलेंगे भी. संगीता और प्रवींद्र भी आगफूस की तरह थे. कुछ दिनों तक तो वे दोनों सुलगते रहे. आखिर में जब नहीं रहा गया तो वे पुन: सतर्कता के साथ मिलने लगे. ऊषा और रमेश दोनों ही संगीता व प्रवींद्र पर नजर रखते थे, परंतु वे उन की पकड़ में नहीं आए. संगीता अब तक 20 साल की उम्र पार करचुकी थी और उस के कदम भी बहक गए थे. इसलिए ऊषा और रमेश चाहते थे कि जितना जल्दी हो, उस के हाथ पीले कर दिए जाएं. संगीता का विवाह करने के लिए दोनों ने उपयुक्त घरवर की तलाश भी शुरू कर दी. संगीता को शादी वाली बात पता चली तो वह प्रवींद्र की छाती से मुंह छिपा कर बिलख पड़ी, ‘‘कुछ करो मामा, किसी दूसरे से मेरी शादी हो गई तो मैं जहर खा कर मर जाऊंगी.’’

प्रवींद्र की आंखें भी बरसने लगीं, ‘‘तुम्हारे बगैर मैं भी कहां जिंदा रह सकता हूं. तुम ने जहर खाया तो मैं भी जहर खा कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लूंगा.’’

‘‘हमारी आशिकी का जनाजा निकलने में देर नहीं है, इसलिए कह रही हूं कि जल्दी ही कुछ करो.’’

‘‘करना तो चाहता हूं पर समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करूं.’’ प्रवींद्र उलझन में पड़ा हुआ था, ‘‘हम दोनों की शादी हो नहीं सकती और हमेशा के लिए तुम्हें अपना बनाने का रास्ता सूझ नहीं रहा है.’’

‘‘प्रवींद्र, मुझे एक तरकीब सूझी है,’’ संगीता अचानक उल्लास से भर गई, ‘‘अगर तुम उस पर अमल करने को राजी हो जाओ तो हम हमेशा के लिए एक हो सकते हैं.’’

‘‘कैसी तरकीब?’’ प्रवींद्र ने पूछा.

‘‘चलो हम भाग चलें,’’ संगीता ने राह सुझाई, ‘‘दिल्ली, मुंबई जैसे शहर में हम अपने प्यार की अलग दुनिया बसाएंगे. वहां इतनी भीड़ रहती है कि कोई भी हमें ढूंढ नहीं सकेगा.’’

प्रवींद्र कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘संगीता, तुम्हारी तरकीब तो सही है लेकिन मुझे डर सता रहा है.’’

‘‘कैसा डर?’’ संगीता ने अचकचा कर पूछा.

‘‘यही कि मैं तुम्हें ले कर भागा तो तुम्हारे घर वाले मेरे खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा देंगे. फिर पुलिस हमें पकड़ेगी. उस के बाद तुम अपने मातापिता के सुपुर्द कर दी जाओगी. और मैं जेल जाऊंगा. जब तक मैं जेल से बाहर आऊंगा, तब तक पता चलेगा कि घर वालों ने तुम्हें समझाबुझा कर किसी दूसरे से तुम्हारी शादी कर दी है. ऐसे मामलों में अकसर यही होता है.’’ प्रवींद्र बोला. प्रवींद्र की बात सुन कर संगीता के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं. अपनी बात का असर पड़ता देख प्रवींद्र आगे बोला, ‘‘दूसरी बात यह है कि घर से भाग कर दूसरे शहर में बसना आसान नहीं. उस के लिए पैसे चाहिए. और पैसे हमारे पास हैं नहीं.’’

संगीता कुछ देर सोच में डूबी रही. उस के बाद बोली, ‘‘प्रवींद्र, मुझे मातापिता का विरोध और तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं होती. हम हर हाल में अपना घर बसाना चाहते हैं. इस के लिए तुम कुछ भी करो, मैं तुम्हारा साथ दूंगी.’’

‘‘तो सुनो, एक तरकीब है मेरे पास. लेकिन उस के लिए तुम्हें अपना कलेजा मजबूत करना होगा. उस तरकीब से हमारी सारी समस्या हल हो जाएगी और धन भी मिल जाएगा.’’ प्रवींद्र ने कहा.

‘‘ऐसी कौन सी तरकीब है?’’ संगीता ने विस्मय से पूछा.

‘‘मुझे अपने बहनबहनोई और तुम्हें अपने मातापिता को मौत की नींद सुलाना होगा. फिर घर से नकदी और गहने ले कर फरार हो जाएंगे. इस तरकीब से किसी को हम पर शक भी नहीं होगा. लोग समझेंगे कि बदमाशों ने घर में लूट की और विरोध पर दोनों की हत्या कर दी और लड़की का अपहरण कर लिया.’’

बन गई खून बहाने की योजना संगीता, प्रवींद्र के प्यार में अंधी हो चुकी थी, इसलिए वह खूनी मांग सजाने को तैयार हो गई. उस ने प्रेमी मामा प्रवींद्र की तरकीब को मान लिया और अपनों का खून बहाने को राजी हो गई. इस के बाद प्रवींद्र और संगीता ने रमेशचंद्र और ऊषा के कत्ल की योजना बनाई. योजना के तहत प्रवींद्र अपने गांव चला गया ताकि बहन के पड़ोसियों को उस पर शक न हो. गांव में रहने के दौरान वह संगीता के संपर्क में बना रहा. 8 अक्तूबर, 2019 की सुबह प्रवींद्र ने संगीता से मोबाइल पर बात की और रात में घटना को अंजाम दे कर फरार होने की बात बताई. उस ने यह भी कहा कि वह रात 10 बजे उस के घर पहुंचेगा, दरवाजा खुला रखे. प्रेमी मामा से बात होने के बाद संगीता घर से भागने की तैयारी में जुट गई.

उस ने मां से चोरीछिपे बैग में अपने कपड़े तथा जरूरी सामान रख लिया. बैग को उस ने कमरे में रखे बड़े संदूक में छिपा दिया. अन्य दिनों के अपेक्षा उस शाम संगीता ने कुछ जल्दी खाना बना कर मांबाप को खिला दिया. खाना खा कर ऊषा और रमेश कमरे में पड़े तख्त पर जा कर लेट गए. कुछ देर बाद दोनों गहरी नींद सो गए. इधर रात 10 बजे प्रवींद्र संगीता के दरवाजे पर पहुंचा. उस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो संगीता ने दरवाजा खोल कर उसे घर के अंदर कर लिया. वह बेसब्री से उसी का इंतजार कर रही थी. संगीता प्रवींद्र को कमरे में ले गई. एकांत पा कर प्रवींद्र का मन मचल उठा और वह संगीता से शारीरिक छेड़छाड़ करने लगा. प्रवींद्र की छेड़छाड़ से संगीता भी रोमांचित हो उठी. उस ने भी अपनी बांहें फैला दीं. इस के बाद कमरे में सीत्कार की आवाजें गूंजने लगीं.

उसी समय ऊषा की आंखें खुल गईं. वह बाथरूम जाने को आंगन में आई तो उसे संगीता के कमरे से अजीब सी आवाजें सुनाई दीं. वह जान गई कि कमरे में बेटी के साथ कोई और भी है. वह दबेपांव कमरे में पहुंची और दोनों को रंगरलियां मनाते रंगेहाथ पकड़ लिया. ऊषा ने संगीता की चोटी पकड़ कर खींची और गाल पर तड़ातड़ तमाचे जड़ दिए. उसी समय प्रवींद्र ने बहन ऊषा का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘आज तुझे विरोध बहुत महंगा पड़ेगा.’’

इस के बाद प्रवींद्र और संगीता ने ऊषा को दबोच लिया और कमरे में पड़ी चारपाई पर गिरा कर उस के हाथपैर रस्सी से बांध दिए. फिर वे दोनों उस कमरे में पहुंचे, जहां रमेशचंद्र तख्त पर सो रहे थे. उन दोनों ने मिल कर रमेश के भी हाथपांव रस्सी से बांध दिए. इस के बाद संगीता फावड़ा ले आई. उस ने मां की गरदन पर फावड़े से कई वार किए, जिस से उस की गरदन कट गई और बिस्तर खून से तरबतर हो गया. ऊषा की हत्या करने के बाद दोनों रमेश के पास पहुंचे. वहां प्रवींद्र ने फावड़े से गरदन पर वार कर उसे भी मौत की नींद सुला दिया. 2-2 हत्याओं को अंजाम देने के बाद प्रवींद्र और संगीता ने मिल कर पूरे घर को खंगाला. कमरे में रखे बक्सों में लगे तालों की चाबी से खोला. फिर उस में रखी नकदी व जेवर को अपने कब्जे में कर लिए. इस के बाद दोनों इत्मीनान से घर से फरार हो गए.

दूसरे दिन सुबह 10 बजे तक जब रमेशचंद्र के घर में कोई हलचल नहीं हुई तो पड़ोसियों में चर्चा शुरू हुई. इसी बीच पड़ोसी राजू गौतम ने थाना गुरसहायगंज पुलिस को मोबाइल द्वारा सूचना दे दी. सूचना पाते ही कोतवाल नागेंद्र पाठक पुलिस टीम के साथ गौरैयापुर गांव स्थित रमेशचंद्र दोहरे के मकान पर आ गए. उन्होंने पुलिस के साथ घर में प्रवेश किया तो अवाक रह गए. 2 अलगअलग कमरों में ऊषा और रमेशचंद्र की निर्मम हत्या की गई थी. दोनों के हाथपैर भी बंधे हुए थे. खून से सना फावड़ा कमरे में पड़ा था. जाहिर था कि दोनों की हत्या फावड़े से वार कर के की गई थी. कमरे में रखे बक्सों के ताले खुले पड़े थे, सामान बिखरा था. ऐसा लग रहा था जैसे बदमाशों ने हत्या के बाद लूटपाट भी की थी. घर से मृतक दंपति की जवान बेटी संगीता गायब थी.

शुरू में पुलिस भी हुई गुमराह कोतवाल नागेंद्र पाठक ने डबल मर्डर की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी तो कुछ ही देर बाद एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह तथा एएसपी के.सी. गोस्वामी भी आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का मुआयना किया वहीं फोरैंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए. पुलिस अधिकारियों ने मौकामुआयना कर दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज भिजवा दिया और हत्या में इस्तेमाल रस्सी व फावड़ा जाब्ते में शामिल कर लिए. एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह को जांच के बाद लगा कि दोहरे हत्याकांड को अंजाम बदमाशों ने दिया है और उस की बेटी संगीता का अपहरण कर लिया है, अत: उन्होंने इसी दिशा में जांच शुरू कराई.

जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि मृतका ऊषा देवी के भाई प्रवींद्र का घर में आनाजाना था. यह भी पता चला कि प्रवींद्र भी घर से फरार है. एक बात और भी चौंकाने वाली पता चली. वह यह कि प्रवींद्र और संगीता, जो रिश्ते में मामाभांजी हैं, के बीच नाजायज रिश्ता था और रमेश इस का विरोध करते थे. प्रवींद्र और संगीता पुलिस की रडार पर आए तो उन की तलाश शुरू हुई. उन की लोकेशन पता करने के लिए पुलिस ने दोनों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिए. लेकिन मोबाइल बंद होने से उन की लोकेशन नहीं मिल पा रही थी. पुलिस ने उन की खोज दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़ आदि संभावित स्थानों पर की, लेकिन उन का कुछ पता नहीं चला. तब पुलिस ने दोनों पर 25-25 हजार का ईनाम घोषित कर दिया.

इधर प्रवींद्र और संगीता डबल मर्डर करने के बाद बस द्वारा कानपुर आए. फिर ट्रेन से मुंबई पहुंचे. वहां वे एक हजार रुपए दे कर शमशाद नाम के  आटो ड्राइवर की झोपड़ी में रात भर रुके. फिर वहां से ट्रेन द्वारा हुगली शहर आए. हुगली शहर के भद्रेश्वर थानाक्षेत्र के आरबीएस रोड पर प्रवींद्र ने एक झोपड़ी किराए पर ले ली. झोपड़ी मालकिन नगमा को उस ने बताया कि वे दोनों पतिपत्नी हैं. प्रवींद्र वहां मेहनतमजदूरी कर अपना व संगीता का भरणपोषण करने लगा. धीरेधीरे 3 माह बीत गए. नए साल में प्रवींद्र ने अपने मजदूर साथी से 500 रुपए में एक मोबाइल फोन खरीदा और उस में अपना सिम कार्ड डाल कर चालू किया. मोबाइल फोन चालू होते ही पुलिस को उस की लोकेशन पता चल गई. उस की लोकेशन हुगली शहर की थी. यह जानकारी जब एसपी अमरेंद्र प्रसाद को मिली तो उन्होंने एक पुलिस टीम हुगली रवाना कर दी. वहां पुलिस ने प्रवींद्र व संगीता को हिरासत में ले लिया.

8 जनवरी, 2020 को थाना गुरसहायगंज पुलिस ने अभियुक्त प्रवींद्र तथा संगीता को जिला अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Murder Stories : पति की मौत का लाइव वीडियो

Murder Stories : सुनयना अपने पति रामकृष्ण से इतनी नफरत करने लगी थी कि उस ने उसे मरवाने का पुख्ता प्लान भी बना लिया. फिर हत्यारे ने घर से दूर ले जा कर न सिर्फ रामकृष्ण की हत्या की, बल्कि हत्या का लाइव वीडियो भी सुनयना को शेयर किया. आखिर सुनयना पति से इतनी खुंदक क्यों रखे थी? पढ़ें, लव क्राइम की यह कहानी.

 

जब सुनयना अपने पति से परेशान हो गई तो एक दिन उस ने प्रेमी विनोद से साफ शब्दों में कहा, ”विनोद, अगर तुम मुझे चाहते हो तो रामकृष्ण को खत्म करना होगा, वरना मेरे साथ प्यार की नौटंकी करने की कोई जरूरत नहीं. मैं अपना अलग रास्ता खुद ही चुन लूंगी.’’

सुनयना की बात सुनते ही विनोद परेशान हो उठा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह रामकृष्ण को अपने और सुनयना के बीच से कैसे हटाए. उस के बाद वह कई दिनों तक उसी उलझन में रहा. वह हर वक्त रामकृष्ण को मौत की नींद सुलाने के लिए रास्ते खोजने लगा. लेकिन उसे कोई भी ऐसा रास्ता नजर नहीं आ रहा था, जिस के बाद वह सारी उम्र सुनयना के साथ मौजमस्ती कर सके. उसे पता था कि हर अपराध की उम्र बहुत ही कम होती है, लेकिन उस से मिलने वाली सजा की उम्र बहुत बड़ी हो सकती है, जिस को झेलना इंसान के लिए बहुत ही मुश्किल होता है. लेकिन उस के बावजूद भी वह सुनयना के लिए कोई भी अपराध करने के लिए तैयार था.

विनोद ने सोचा कि इस अपराध में किसी अन्य व्यक्ति को शामिल करना ठीक नहीं. उस के लिए पैसा भी खर्च करना पड़ेगा और पकड़े जाने का डर अलग से बना रहेगा. यही सोच कर उस ने रामकृष्ण को स्वयं ही खत्म करने की योजना बनाई. हालांकि रामकृष्ण विनोद से काफी चिढ़ता था. लेकिन फिर भी आतेजाते उस से बोल ही जाता था. विनोद यह भी जानता था कि शराब पीना रामकृष्ण की सब से बड़ी कमजोरी है. उस की उसी कमजोरी के कारण वह एक दिन अपने प्लान को साकार रूप दे सकता है.

यही सोच कर विनोद मौका पा कर एक दिन सुनयना से मिला. सुनयना से मिलते ही उस ने उसे बताया कि वह जल्दी ही उस के कांटे को दूर करने वाला है. लेकिन सुनयना को विनोद की बात पर बिलकुल भी विश्वास नहीं था. सुनयना ने कहा कि वह उस की बातों पर तभी विश्वास करेगी, जब वह रामकृष्ण की मौत का लाइव वीडियो उसे दिखाएगा. साथ ही उस की हत्या की खबर कानोंकान किसी को भी नहीं होनी चाहिए, ताकि वह किसी भी मुसीबत में न पड़े.

सुनयना की बात सुनते ही विनोद ने अपने प्लान को उस के साथ साझा कर दिया था. विनोद ने सुनयना को बताया कि पहली जनवरी 2025 यानी नए साल का पहला दिन रामकृष्ण के लिए आखिरी दिन होगा. दुनिया जब नए साल की खुशी में मौजमस्ती कर रही होगी, वहीं हम रामकृष्ण की मौत की खुशियां मना रहे होंगे. उस के लिए उस ने पहले ही अपना प्लान तैयार कर लिया था.

योजनानुसार पहली जनवरी, 2025 की शाम को विनोद यादव ने रामकृष्ण को फोन कर नए साल की पार्टी करने के बहाने भरतकूप पतौड़ा के पास बुलाया. विनोद यादव का फोन आते ही रामकृष्ण उस के साथ सारी दुश्मनी को भूल गया. उस के बाद उस ने अपनी पत्नी सुनयना और पापा रामरतन से कहा कि वह अतर्रा बाजार से जैकेट खरीदने जा रहा है. वह जल्दी ही घर वापस आ जाएगा.

रामकृष्ण घर से निकल कर सीधा विनोद के पास पहुंचा. विनोद अपने साथ शराब और कुछ खानेपीने की चीजें लाया था. भरतकूप के पतौड़ा रेल पटरी के किनारे बैठ कर दोनों ने शराब पी. उस दौरान विनोद यादव ने नाममात्र की शराब पी थी, लेकिन रामकृष्ण को उस ने ज्यादा शराब पिलाई थी, जिस के कारण वह जल्दी ही नशे में झूमने लगा. जब रामकृष्ण नशे में धुत हो गया तो विनोद ने अपने मोबाइल से सुनयना को वीडियो काल की और उस की हालत उसे दिखाई.

रामकृष्ण की हालत प्रेमिका को दिखाते हुउ ही वह एक भारी पत्थर उठा कर लाया. उस वक्त रामकृष्ण नीचे गरदन झुकाए बैठा था. फिर मौका पाते ही विनोद यादव ने पीछे से रामकृष्ण के सिर पर पत्थर से जोरदार वार कर दिया. सिर पर पत्थर का वार होते ही रामकृष्ण का सिर फट गया और उस के प्राणपखेरू उड़ गए. सुनयना उस वक्त भी अपने पति की मौत का तमाशा औनलाइन देख रही थी.

रामकृष्ण की मौत हो जाने के बाद विनोद यादव ने अपने प्लान के तहत उस के शव को खींच कर लगभग 40 मीटर दूरी पर बिछी रेल लाइन पर रख दिया. फिर वह किसी ट्रेन के आने का इंतजार करने लगा. जैसे ही उसे ट्रेन आने का अहसास हुआ, उस ने वहीं पर छिपते हुए फिर से प्रेमिका सुनयना को वीडियो काल की, ताकि वह उस की मौत का आखिरी तमाशा देख सके. पलभर में वहां से ट्रेन गुजरी और रामकृष्ण का शरीर 2 हिस्सों में बंट गया. रामकृष्ण की हत्या करने के बाद विनोद सीधा अपने घर आ गया था. जिस वक्त वह अपने घर पहुंचा, उस के फेमिली वाले उसे इधरउधर खोज रहे थे.

पहली जनवरी, 2025 की देर रात रेल विभाग ने चित्रकूट के थाना भरतकूप को फोन द्वारा रेलवे ट्रैक पर शव पड़े होने की सूचना दी. सूचना पाते ही भरतकूप थाने के एसएचओ प्रवीण कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने देखा कि पतोड़ा गांव के पास रेलवे ट्रैक पर एक व्यक्ति की लाश 2 हिस्सों में कटी हुई पड़ी थी, जिसे देख कर लगा कि व्यक्ति टे्रन से कट कर मर गया होगा.

लेकिन जैसे ही पुलिस ने आसपास जांच की तो रेलवे टै्रक के पास ही खून पड़ा पाया. उस के पास ही शराब की कुछ बोतलें भी पाई गई थीं. जिस से साफ जाहिर था कि युवक की हत्या करने के बाद खुदकुशी दिखाने के लिए उस की लाश को रेलवे पटरी पर डाला गया होगा. इस जानकारी पर एएसपी (चित्रकूट) चक्रपाणि त्रिपाठी व सीओ (सिटी) राजकमल, एसओजी/सर्विलांस प्रभारी एम.पी. त्रिपाठी भी घटनास्थल पर पहुंचे. घटनास्थल से सभी साक्ष्य जुटाते ही मृतक की शिनाख्त भी हो गई थी. मृतक की पहचान बांदा जिले के बिसंडा के

रहने वाले रामकृष्ण के रूप में हुई थी. पुलिस ने उस के फेमिली वालों को उस की हत्या की सूचना दी. सूचना पाते ही उस के फेमिली वाले रोतेबिलखते घटनास्थल पर पहुंचे. अपने पति की हत्या की बात सुनते ही सुनयना का रोरो कर बुरा हाल था. पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए डैडबौडी को सील कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. साथ ही पुलिस ने मृतक की पत्नी सुनयना और उस के ससुर रामरतन से पूछताछ की.

पूछताछ के दौरान पता चला कि मृतक रामकृष्ण नए साल की खुशी में बाजार से जैकेट खरीदने निकला था. लेकिन देर रात तक वह घर वापस नहीं लौटा. जबकि उस की पत्नी सुनयना ने पुलिस को बताया कि वह घर से निकलने से पहले उसे कुछ भी बता कर नहीं गए थे. लेकिन इस मामले में नया मोड़ तब आया, जब रामरतन ने दबी जुबान पुलिस को जानकारी दी कि रामकृष्ण की हत्या उस की पत्नी सुनयना और उस के प्रेमी विनोद यादव ने मिल कर की होगी. रामरतन ने बताया कि सुनयना और विनोद का काफी समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिस के कारण सुनयना आए दिन पति से झगड़ती रहती थी.

इस जानकारी के बाद पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी तो 31 दिसंबर, 2024 मंगलवार की शाम को विनोद अपनी बाइक पर जाता दिखाई दिया. शक के आधार पर पुलिस ने पूछताछ के लिए विनोद को अपनी हिरासत में ले लिया. साथ ही उस का मोबाइल भी अपने कब्जे में ले लिया.

पुलिस ने उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि 31 दिसंबर, 2024 और पहली जनवरी, 2025 की रात को उस ने कई बार सुनयना के नंबर पर वीडियो काल की थी, जो रामकृष्ण की हत्या का सब से बड़ा प्रमाण था. इस सबूत के मिलते ही पुलिस ने सुनयना का मोबाइल भी अपने कब्जे में लेते हुए उसे अपनी हिरासत में ले लिया था. पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ की. तब सुनयना और उस के प्रेमी विनोद यादव ने हत्या की पूरी साजिश का खुलासा कर दिया. रामकृष्ण की हत्या के पीछे की हकीकत इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला बांदा के थाना बिसंडा अंतर्गत एक गांव पड़ता है चौसड़. रामरतन इसी गांव के निवासी थे. रामरतन का जड़ीबूटियां बेचने का पुश्तैनी काम था. रामकृष्ण उन का इकलौता बेटा था. वह बचपन से ही उन के साथ दुकान पर जाया करता था. यही कारण रहा कि रामकृष्ण ने जवानी में पांव रखते ही अपने पापा का काम संभाल लिया था. फिर उस ने भी अपने पापा की जगह पर जड़ीबूटी बेचने का धंधा शुरू कर दिया था.

अब से कई साल पहले उस की शादी चित्रकूट निवासी सुनयना के साथ हुई थी. सुनयना ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. लेकिन वह काफी सुंदर होने के साथ ही समझदार भी थी. शादी से पहले उस ने बड़ेबड़े सपने देखे थे, जिन को वह शादी के बाद पूरा करना चाहती थी. शादी के कुछ समय बाद तक तो दोनों के बीच सब कुछ ठीक प्रकार से चलता रहा. रामकृष्ण सुनयना से शादी कर के काफी खुश था. सुनयना शुरू से ही सजसंवर कर रहने वाली युवती थी. वह शहरी वातावरण में पलीबढ़ी थी. लेकिन रामकृष्ण के साथ शादी करने के बाद उस की आकांक्षाएं दब कर रह गई थीं.

समय के गुजरते सुनयना एक के बाद एक 3 बच्चों की मां बन गई, जिन में 2 बेटे और एक बेटी थी. इस दौरान रामकृष्ण ने बीवी का प्यार पाने की बहुत कोशिश की, लेकिन सुनयना को अपना पति रास नहीं आया. धीरेधीरे उस के बच्चे समझदार हो गए. दोनों ही बेटे काम करने के लिए दूसरे राज्यों में चले गए थे. घर पर उस की बेटी थी, जो सुबह ही स्कूल के लिए निकल जाती थी. उस का पति रामकृष्ण अपने पिता रामरतन के साथ जड़ीबूटी बेचने चला जाता था. उस के बाद सुनयना ही घर पर अकेली रह जाती थी.

उसी दौरान एक दिन उस की नजर विनोद यादव पर पड़ी. विनोद जिला बांदा के थाना बदौसा के गांव उदयपुर नकटा हड़हा माफी का मूल निवासी था. रामकृष्ण के घर के पास ही उस की रिश्तेदारी थी, जहां पर उस का पहले से ही आनाजाना रहता था. सुनयना जल्द ही अपने घर का कामकाज निपटा कर अपने पड़ोस में बैठने चली जाती थी. विनोद यादव अभी कुंवारा ही था. लेकिन उस के बात करने का लहजा ऐसा था कि सामने वाला व्यक्ति फौरन ही उस की बातों में आ जाता था. उस की मीठीमीठी बातें सुन कर सुनयना के दिल में कुछ हलचल होने लगी थी.

देखते ही देखते सुनयना का दिल उसे पाने के लिए बेचैन होने लगा. विनोद जब भी अपनी रिश्तेदारी में आता तो मौका पाते ही सुनयना उस से मिलने जरूर जाती थी. विनोद को भी सुनयना की बातों में रस आता था. सुनयना देखनेभालने में खूबसूरत और स्वभाव से चंचल किस्म की थी. हालांकि विनोद यादव को पता था कि सुनयना 3 बच्चों की मां है. फिर भी वह उस की बातों से इतना प्रभावित हुआ कि वह मन ही मन उसे चाहने लगा था. सुनयना का तीर बिलकुल सही निशाने पर लगा था. वह किसी भी तरह से विनोद को अपने प्यार में फंसाना चाहती थी. विनोद खुद ही उस की चाहत में दीवाना हो चुका था.

मौके का फायदा उठाने के लिए विनोद ने सुनयना के पति रामकृष्ण से भी दोस्ती गांठ ली थी. रामकृष्ण के साथ अच्छे संबंध होने के बाद वह उस के घर पर भी बिना रोकटोक आनेजाने लगा था. उस के बाद वह रामकृष्ण को भैया और सुनयना को भाभी कहने लगा था. धीरेधीरे दोनों के बीच प्यार पनपना शुरू हुआ. सुनयना भी विनोद के साथ अपने टूटे सपनों को जोड़ कर पूरा करना चाहती थी. सुनयना विनोद यादव के साथ अपनी बाकी जिंदगी को शादी के मोतियों में पिरो कर जीना चाहती थी.

एक दिन सुनयना बहुत ही परेशान लग रही थी. उस की परेशानी का कारण था उस का प्रेमी विनोद यादव. उस ने कई बार विनोद यादव को बताया, ”अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता. तुम्हारी याद में मेरी सारी रात किस तरह से कटती है, मैं ही जानती हूं.’’

उस का पति रामकृष्ण जड़ीबूटी बेच कर दूसरों के दुख दूर करता है. लेकिन उसे अपनी बीवी की जरा भी चिंता नहीं. दिन भर की भागदौड़ के बाद थकहार कर सो जाता है. फिर ऐसे में वह क्या करे.

तभी विनोद यादव ने सुनयना को समझाया, ”भाभी, आप का दुखदर्द समझने वाला मैं हूं तो फिर आप चिंता क्यों करती हो.’’

”बात तो तुम्हारी सही है, लेकिन मैं चाहती हूं कि हम दोनों किसी तरह से यहां से भाग कर शादी कर लें. उस के बाद हम दोनों अपनी अलग ही दुनिया बसाएंगे.’’

”लेकिन भाभी, तुम जरा सोचो कि तुम शादीशुदा और 3 बच्चों की मां हो. अगर हम दोनों घर से भाग भी जाएं तो तुम तो समाज में मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहोगी. मेरा क्या है, मेरे तो न कोई आगे और न पीछे.’’

”विनोद, मुझे समाज से कोई लेनादेना नहीं. भाड़ में जाएं बच्चे और पति. मुझे तो केवल तुम्हारा ही साथ चाहिए.’’

विनोद सुनयना को कई बार समझासमझा कर हार चुका था, लेकिन वह अपनी ही जिद पर अड़ी हुई थी. विनोद और सुनयना के बीच चल रहे प्रेम प्रसंग की जानकारी धीरेधीरे पूरे मोहल्ले वालों को हो चुकी थी.

इस जानकारी के बाद विनोद के पापा भगवानदीन यादव को बेटे की करतूतों पर बहुत ही दुख हुआ था. उन्होंने एक दिन विनोद को पास बैठा कर एक अच्छे बाप की तरह समझाने की कोशिश भी की. तब उस ने अपने पापा को वचन भी दिया था कि वह कोई ऐसा काम नहीं करेगा, जिस से उन की इज्जत पर किसी तरह का कोई दाग लगे. सुनयना की जिद के आगे वह सब वचनों को भूल गया था.

सुनयना अपने पति रामकृष्ण से तंग आ चुकी थी. वह हर रोज शराब पी कर आता और फिर खाना खाने के बाद तुरंत ही गहरी नींद में सो जाता था. विनोद के साथ उस के नाजायज रिश्ते कायम हुए कई महीने बीत चुके थे. उसी दौरान सुनयना को लगा कि रामकृष्ण और विनोद के बीच जमीनआसमान का अंतर है. वह तभी से उस के प्यार की दीवानी हो चुकी थी. उसे पाने के लिए वह अपना सब कुछ त्यागने को तैयार थी. विनोद ने भी जिंदगी में पहली बार उस के साथ ही काम वासना का आनंद महसूस किया था. फिर उसी के पीछे वह पूरी तरह से पागल हो गया था. उसे दिनरात सुनयना के अलावा कुछ नहीं सूझता था.

लेकिन यह बात ज्यादा दिनों तक उस के पति से छिपी न रह सकी. जैसे ही रामकृष्ण को अपनी पत्नी की कारगुजारी का पता चला तो उस ने अपनी तरफ से रस्सी कसना शुरू कर दिया था. वह शराब पी कर उस के साथ गालीगलौज करने के साथ ही उसे मारनेपीटने भी लगा था. साथ ही उस ने विनोद से दूरी भी बनानी शुरू कर दी थी, जिस के कारण विनोद का सुनयना से मिलना भी बंद ही हो गया था. उस के बाद सुनयना विनोद से मोबााइल से संपर्क कर बात करने लगी थी, जिसे ले कर मियांबीवी में कई बार विवाद भी हुआ. सुनयना अपने पति से पूरी तरह से नफरत करने लगी थी. सुनयना ने कई बार विनोद यादव से रामकृष्ण को खत्म करने को कहा. लेकिन विनोद यादव इस काम के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

जब एक दिन सुनयना हाथ धो कर विनोद के पीछे पड़ गई तो उसे रामकृष्ण की हत्या का प्लान बनाना पड़ा और उस की हत्या कर दी. इस केस के खुलते ही पुलिस ने विनोद यादव और सुनयना की निशानदेही पर 3 मोबाइल, हत्या में प्रयुक्त पत्थर और एक बाइक यूपी 90 वाई 6453 भी बरामद कर ली थी. इस हत्याकांड में मृतक के पिता रामरतन की तरफ से विनोद और उस की प्रेमिका सुनयना के खिलाफ दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने धारा 102(1) बीएनएस  के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली. विनोद यादव ने रामकृष्ण की हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की थी, ताकि वह और उस की प्रेमिका मौजमस्ती कर सकें, लेकिन कानून के लंबे हाथों से वह किसी भी सूरत में बच नहीं सके.

पूछताछ के बाद पुलिस ने सुनयना और विनोद यादव को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

 

 

Uttar Pradesh Crime : कातिल बनी देवरानी की दीवानगी

Uttar Pradesh Crime : सुधा अपनी ससुराल आ जरूर गई थी, लेकिन दिल मायके में प्रेमी नीटू उर्फ लिटिल के पास ही बसा हुआ था. नीटू भी उस के बगैर बेचैन रहने लगा था. वह भी किसी न किसी बहाने उस से मिलने आने लगा. किंतु एक दिन वह प्रेमी संग जेठानी सीमा द्वारा रंगेहाथों पकड़ी गई. फिर क्या हुआ? पढ़ें, इस सनसनीखेज कहानी में दीवानी हुई देवरानी की दास्तान…

उत्तर प्रदेश के जिला मुरादाबाद के गांव दरियापुर में 10 अक्तूबर, 2024 की  शुरुआत भी एक सामान्य दिन की तरह हुई थी. गांव के हरपाल सिंह अपनी दिनचर्या में जुट गए थे. वह अपने बच्चों राहुल कुमार, सौरभ और गौरव के साथ सुबह के 9 बजे पशुओं का चारा लाने के लिए खेतों की ओर निकल गए थे. राहुल की पत्नी सीमा (38 वर्ष) ने सुबह का घरेलू काम निपटाने के बाद 7 वर्षीय बड़ी बेटी रीतिका को स्कूल भेज दिया था. सास धरमी देवी अपनी बेटी के घर बिजनौर गई हुई थी. सीमा ने अपने 9 महीने के बेटे गीत को दूध पिला कर पालने में सुलाने के बाद देवरानी सुधा (31 वर्ष) को आवाज लगाई, ”सुधा…अरी ओ सुधा, जल्दी बाथरूम से निकलो, खेत पर जाने का टाइम हो गया है…’’

”अभी आई दीदी,’’ सुधा ने बाथरूम से ही आवाज दी.

”सुनो, गीत दूध पी कर पालने में सो रहा है. उस का खयाल रखना. …और हां, चकोर बाहर खेल रही है, उसे बुला कर नाश्ता करवा देना.’’ चकोर सीमा की छोटी बेटी थी. वह देवरानी सुधा को घर का कुछ और काम समझा कर चली गई.

सुधा सौरभ की पत्नी और घर की नईनवेली दुलहन थी. ससुराल आए उसे कुछ महीने ही हुए थे. खूबसूरत और मिलनसार स्वभाव की होने के कारण वह बहुत जल्द ही परिवार के सभी सदस्यों की चहेती बन गई थी. घर के बहुत सारे कामकाज निपटाने की जिम्मेदारी उसी पर थी. वह सभी के साथ बहुत ही प्यार से पेश आती थी. सभी उस के व्यवहार से खुश थे. सीमा के जाने के कुछ समय बाद ही सुधा बाथरूम से निकल आई थी. जैसेतैसे पहने कपड़े सही करने के लिए अपने कमरे में चली गई थी. कमरे से ही एक नजर बाहर बरामदे में भी डाली. पालने में सो रहे गीत को देखा. इसी बीच उस की निगाहें बाहर के खुले दरवाजे की ओर गईं.

वहां से बच्चों संग खेलती हुई सीमा की छोटी बेटी चकोर की आवाज भी सुनाई दी. वह निश्चिंत हो गई कि घर में सब कुछ ठीक है. कमरे से कुछ मिनटों में वह बाहर निकली. तभी उसे जानीपहचानी आवाज सुनाई दी, ”ससुराल में तुम तो गजब ढा रही हो… तुम्हारी सुंदरता का तो जवाब नहीं.’’

”अरे नीटू तुम? कब आए? अचानक…’’ सुधा एकदम से चौंकती हुई बोली.

”अरे हां, दिल नहीं माना सो चला आया अचानक. तुम्हें देख कर मूड फ्रैश हो गया. तुम तो गजब की मौडल लग रही हो. क्या बात है?’’ नीटू बोला. वह उस के पीहर के गांव का रहने वाला था. उस के अचानक आने से सुधा चौंक गई थी. वह बोली,”तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था?’’

”क्यों?’’

”यह मेरी ससुराल है…लोग पूछेंगे तब तुम्हारे बारे में क्या बताऊंगी?’’ सुधा बोली.

”कुछ भी बता देना.’’

”कुछ भी क्या…इधर आ कमरे में…तुम्हें छिपाना होगा!’’

”इतना भी डरना क्या?’’ नीटू समझाते हुए बोला.

”तुम नहीं समझते हो…तुम्हें कोई देख लेगा तब बात का बतंगड़ बन जाएगा. मैं जैसा कह रही हूं वैसा कर…तुम्हारे लिए पानी ले कर आती हूं.’’ सुधा ने कहा.

”चाय भी लाना…और हां कुछ खाने के लिए भी…’’ नीटू बोला.

”सब लाती हूं. तुम कमरे से बाहर मत निकलना.’’

”जैसा हुक्म!’’ नीटू बोलता हुआ सीधा सुधा के कमरे में चला गया.

दरअसल, नीटू सुधा के गांव का रहने वाला उस का प्रेमी था. दूसरी जाति का होने के कारण सुधा उस से शादी नहीं कर पाई थी. बुझे मन से सुधा अपनी ससुराल आ कर रहने लगी थी, लेकिन वह नीटू को भूल नहीं पाई थी. उन की फोन पर बातें हो जाती थीं. महीनों बाद उसे पास पा कर मन ही मन सुधा खुश हो गई थी. नीटू का भी यही हाल था. वह सुधा से मिलने के लिए बेचैन हो गया था. कुछ समय में ही सुधा कमरे में चाय और सुबह बना नाश्ता ले कर आ गई. नीटू इधरउधर नजरें घुमाता हुआ बोला, ”घर में कोई नजर नहीं आ रहा है?’’

”हां, सभी खेत पर गए हैं. मैं अकेली हूं…’’ सुधा बोली.

”अरे वाह! बड़े अच्छे मौके पर आया हूं… आज तुम्हारे साथ समय बिताने का अच्छा मौका मिल गया. बहुत बातें करेंगे और कुछ रोमांस भी…’’ नीटू खुश हो कर बोला.

”ज्यादा चहकनेबहकने की जरूरत नहीं है. यह मेरी ससुराल है!’’ सुधा ने मजाकिया अंदाज में समझाने की कोशिश की.

”वहां भी अपने बापभाई से डरी रहती थी…और यहां भी!’’ नीटू भी उसी अंदाज में बोला.

सुधा बोली, ”डरने की बात नहीं है, बात बच कर रहने की है. मेरी जेठानी को शक है…फोन पर बात करते कई बार सुन चुकी है. मैं तुम्हें गांव का मुंहबोला भाई बता चुकी हूं.’’

”लेकिन मैं तुम्हारा प्रेमी हूं…अब और सहन नहीं होता!’’ नीटू बोला और एक झटके में सुधा को बांहों में भर लिया.

”छोड़ो, कोई आ जाएगा…’’ सुधा ने छुड़ाने की कोशिश की, मगर नाकाम रही. नीटू की पकड़ मजबूत थी. सुधा भी कब उस की वासना की रौ में बह गई, पता ही नहीं चला. नीटू ने बड़ी होशियारी से कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था. सुधा की तंद्रा तब भंग हुई, जब उस ने सीमा की आवाज सुनी.

वह कमरे का दरवाजा पीटती हुई बड़बड़ाए जा रही थी, ”बाहर का दरवाजा खुला है. बच्चा पालने में अकेला सो रहा है और महारानी कमरे में बंद है. पता नहीं क्या कर रही है दिन में?’’

हड़बड़ाते हुए सुधा ने कमरे की कुंडी खोली. उसे अस्तव्यस्त कपड़े में देख सीमा चौंक गई. बोल पड़ी, ”देवरजी तो अभी खेत पर ही दिखे थे, तुम कमरे में किस के साथ हो?’’

सुधा जवाब में कुछ नहीं बोली. इसी बीच उस ने कमरे में एक मर्द को देख लिया. पूछ बैठी, ”कौन है भीतर?’’

”कोई तो नहीं है…आइए न, मैं सब बताती हूं आप को.’’ सुधा अपनी जेठानी का हाथ पकड़ कर खींचती हुई दूसरे कमरे में ले जाने लगी. तभी पीछे से नीटू आ गया और सीमा की आंखें और मुंह पास पड़े गमछे से बांध दिया. दोनों ने मिल कर सीमा को एक अंधेरे कमरे में बंद कर दिया. फिर सुधा ने इशारे से धीमी आवाज में नीटू से पूछा, ”अब क्या करें?’’

”यह हमारा भेद खोल देगी. इस का एक ही उपाय है…’’ कहते हुए नीटू ने उस की हत्या करने का इशारा किया.

”नहींनहीं, यह गलत होगा.’’ सुधा घबराई.

”तो फिर तुम ससुराल से बेदखल होने के लिए तैयार हो जाओ.’’

”लेकिन कैसे होगा वह सब…हम पकड़े जाएंगे. पुलिस केस तो हम पर ही बनेगा.’’ सुधा बोली.

”कुछ नहीं होगा. मैं सब संभाल लूंगा…जो कहता हूं, तुम वैसा करती जाओ.

दिन चढ़ चुका था. करीब 12 बजने वाले थे. हरपाल सिंह अपने तीनों बेटे राहुल, सौरभ और गौरव के साथ खेतों से घर लौट आए थे. घर में पसरा सन्नाटा देख कर वे चौंक गए. बरामदे में पालने पर खुद से खेलते बच्चे के सिवाय कोई नजर नहीं आ रहा था. जब उन्होंने पास के कमरे की ओर नजर दौड़ाई, तब वे चौंक पड़े. वहां फर्श पर बड़ी बहू सीमा की रक्तरंजित लाश पड़ी थी. राहुल उस के पास गया. उस की नाक के पास अपना हाथ ले जा कर पता किया. उस की सांस बंद थी. फर्श पर काफी खून फैल चुका था.

सौरभ ने सुधा को आवाज लगाई. साथ के कमरे से सुधा की अस्पष्ट आवाज सुनाई दी. वह उस ओर भागा. वहां सुधा भी फर्श पर पड़ी थी. उस के हाथपैर बंधे थे. मुंह में कपड़ा ठूंसा हुआ था. अपनी पत्नी की यह हालत देख कर सौरभ बौखला गया. उस ने उस के मुंह से कपड़ा निकाला. गहरी सांस लेती हुई सुधा से हालचाल पूछा. उस की इस हालत के बारे में एक साथ कई सवाल कर दिए. घबराई सुधा ने हाथ के इशारे से पीने का पानी मांगा. देवर गौरव पानी लेने गया, तब तक सौरभ सुधा को सहारा दे कर कमरे से बाहर निकाल लाया. पूरा एक गिलास पानी पी कर वह कुछ सेकेंड चुप बनी रही. उस के बाद उस ने जो कुछ बताया, वह बेहद चौंकाने वाला था, लेकिन अर्धबेहोशी के कारण उस के द्वारा दी गई जानकारी आधीअधूरी ही थी. उस ने बताया कि घर में लूटपाट हुई है.

कोई अचानक घर में घुस आया था. उसी ने सीमा की हत्या कर दी. उस ने उस के हाथपैर बांध कर यहां कमरे में डाल दिया था. उस के इंजेक्शन लगा दिया था. वह बेहोश हो गई थी. पता ही नहीं चला कि घर में क्या हुआ और क्या नहीं… इतना बताते हुए सुधा फिर बेहोश हो गई. उसे तुरंत पास के नर्सिंग होम ले जाया गया. घर में हत्या हुई थी. कुछ समय में ही कोहराम मच गया. पासपड़ोस के कुछ लोग भी आ गए थे. हरपाल सिंह ने तुरंत पुलिस को इस की सूचना दी. पुलिस दलबल के साथ कांठ थाने से घंटेभर में पहुंच गई. एसएचओ विजेंद्र सिंह ने घटनास्थल का मुआयना करने से पहले मामले की गंभीरता को देखते हुए अपने उच्च अधिकारियों को इस हत्याकांड की जानकारी दे दी.

एसएचओ की सूचना पा कर मुरादाबाद जिले के एसएसपी सतपाल अंतिल, एसपी (देहात) कुंवर आकाश सिंह और सीओ (कांठ) अपेक्षा निंबाडिय़ा भी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. वहां की फोटोग्राफी करवाई गई, वीडियो बनाई गई. घटना की तहकीकात के लिए पासपड़ोस के लोगों से बात की जाने लगी. इस दौरान गांव के एक व्यक्ति ने एसएसपी सतपाल अंतिल को बताया कि सुबह 10-11 बजे के बीच उस ने मृतक सीमा के घर से एक अनजान व्यक्ति को निकलते देखा था. वह बहुत जल्दी में था. वह उसे नहीं पहचानता था. गांव का नहीं था.

यह जानकारी सतपाल अंतिल के लिए महत्त्वपूर्ण थी. पुलिस ने घर के सभी सदस्यों से पूछताछ की. सीमा के पति राहुल ने पुलिस का बताया कि सीमा का किसी से भी कभी लड़ाईझगड़ा नहीं हुआ था. उस ने बताया कि वह जब अपने भाइयों और पिता के साथ घर आया, तब सुधा बेहोशी की हालत में थी. उस के हाथपैर बंधे थे. कुछ देर के लिए वह होश में आई थी. वह सिर्फ इतना ही बता पाई कि घर में 4 लोग घुस आए थे. उन्होंने उस के साथ मारपीट की और इंजेक्शन लगा दिया. सतपाल अंतिल यह सुन कर चौंक गए. पड़ोसी से मिली जानकारी के अनुसार घर से केवल एक ही व्यक्ति निकला था, जबकि सुधा के अनुसार 4 लोग घर में घुसे थे. उन का इरादा लूटपाट का था, लेकिन घर की हालत को देख कर नहीं लगता कि वहां कोई लूटपाट हुई हो.

पुलिस ने खोजी कुत्ते को भी बुला लिया था. वह घर में ही घूमघूम कर सभी संदिग्ध चीजों को सूंघने लगा. पुलिस को स्योहारा नर्सिंग होम में भरती सुधा के होश में आने का इंतजार था. इस बीच पुलिस ने परिवार के बाकी लोगों से जानकारी जुटा ली थी. इस के मुताबिक सुधा की शादी 10 जुलाई, 2024 को हरपाल सिंह के दूसरे बेटे सौरभ के साथ हुई थी. वह बिजनौर जिले के गांव भगवतपुर रैनी की निवासी थी. शादी के बाद से ही वह अकसर अपने मायके में ही रह रही थी, जिस कारण सौरभ के साथ मधुर संबंध नहीं बन पाए थे.

बताते हैं कि उन के बीच आए दिन नोकझोंक हो जाती थी. उस के देवर और पति के बड़े भाई ने बताया कि सुधा अपने पति सौरभ को ज्यादा तरजीह नहीं देती थी. इसे ले कर सुधा के मायके वाले भी उसे आ कर समझा गए थे. उन्होंने एक तरह से नई जिंदगी में रहने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि कि तुम्हारी शादी हो चुकी है. तुम्हें पूरा जीवन अपने पति सौरभ के साथ ही गुजारना है. ससुराल को ही अपना घर समझना है. तुम्हारी ससुराल ही अब सब कुछ है. अपनी जेठानी से मिलजुल कर रहना है. सास और ससुर की सेवा करनी है. उन के साथ ठीक वैसे ही इज्जत के साथ पेश आना है, जैसा वह अपने मायके में मम्मीपापा और भाइयों के साथ करती आई है. इस तरह सुधा अपने ससुराल में रहने के तैयार हो गई थी.

अब पुलिस को सुधा के होश में आने का इंतजार था. इसी बीच सीमा के शव का पंचनामा भर कर उसे मुरादाबाद के पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया गया. पहली जांच में पाया गया कि सीमा की हत्या बेरहमी से गला रेत कर की गई थी, जिस से काफी मात्रा में खून बहने से उस की मौत हो गई थी. एसएसपी सतपाल अंतिल ने इस हत्याकांड का खुलासा करने के लिए पुलिस की कुछ टीमें बना दीं. इस के लिए एसओजी प्रभारी अमित कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई. थाना कांठ क्षेत्र की सीओ अपेक्षा निंबोडिया को नर्सिंग होम में भरती सुधा के होश आने पर पूछताछ की जिम्मेदारी दी गई.

निर्देश मिलते ही अपेक्षा निंबाडिया नर्सिंग होम जा पहुंचीं. उन्होंने वहां के डाक्टर से सुधा की हालत के बारे में जानकारी ली. डाक्टर ने बताया कि वह ठीक है. बातचीत करने की हालत में है, लेकिन बेहोशी का नाटक कर रही है. अपेक्षा ने इस बारे में एसपी (देहात) कुंवर आकाश सिंह से बात की. यह सुन कर कुंवर आकाश सिंह नर्सिंग होम जा पहुंचे. उन्होंने पूछताछ करने की कोशिश की, लेकिन सुधा गुमसुम ऐसे लेटी रही, मानो कुछ सुन नहीं पाई हो. सिंह तेज आवाज में डाक्टर से बोले, ”आप के नर्सिंग होम में इस की बेहोशी नहीं टूट रही है तो रिलीज कर दो, हम इसे बड़े अस्पताल में भरती करवाएंगे.’’

डिस्चार्ज होने के बाद नर्सिंग होम के स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से सीओ अपेक्षा ने सुधा को पुलिस गाड़ी में बिठाया और उसे अस्पताल ले जाने के बजाए थाना कांठ ले आए. उसे सहारे से कुरसी पर बैठाया गया. चेहरे पर पानी की तेज बौछार की गई. वह कुरसी से गिरने को हुई. अचानक सुधा ने आंखें खोल दीं. सख्ती के साथ अपेक्षा बोलीं, ”अब बता, तू इस वक्त कहां है?’’

सुधा हकलाती हुई कुछ बोलना चाही कि दूसरे पुलिस अधिकारी बोल पड़े, ”ज्यादा नाटक करने की जरूरत नहीं है. आज दिन में घर में क्याक्या हुआ? कितने लोग आए थे? सीमा को किस ने मारा? पूरी बात सचसच बता…’’

”…तू अभी थाने में है…सच बोलेगी तो यहीं से छूट जाएगी, वरना मजिस्ट्रैट तो जेल भेज ही देगा.’’ सीओ ने धमकाते हुए कहा.

पुलिस की तीखी हिदायत सुनते ही सुधा ने हाथ के इशारे से पीने के लिए पानी मांगा. एक महिला कांस्टेबल ने टेबल पर रखा पानी का गिलास उठा कर उसे पकड़ा दिया. पानी पी कर ही वह बुदबुदाने लगी. उस ने धीमे स्वर में बताना शुरू किया, ”मैं और मेरी जेठानी सीमा घर में अकेले थे. अचानक 4 लोग घर में घुस आए थे. वे जेठानी सीमा के साथ मारपीट करने लगे और मेरे हाथपैर बांध दिए. मुझे कूल्हे में इंजेक्शन लगा दिया और मैं बेहोश हो गई. उस के बाद मुझे खुद नहीं पता क्या हुआ.’’

इतना सुनते ही आकाश सिंह डपटते हुए बोले, ”घटना को अंजाम देने के लिए 4 नहीं एक व्यक्ति आया था. तुम झूठ बोल रही हो.’’

इसी के साथ अपेक्षा उसे अलग पूछताछ करने ले गईं. अपेक्षा सुधा से बोलीं, ”देखो, साहब को सब पता चल गया है. खैर इसी में है कि तुम सचसच बता दो. मैं तुम्हें बचाने में मदद करूंगी, अन्यथा तुम पूरी जिंदगी जेल में चक्की पीसोगी.’’

सीओ अपेक्षा की सख्ती के आगे सुधा टूट गई. उस ने एक झटके में कहा, ”वह कांड मैं ने अपने प्रेमी नीटू उर्फ लिटिल के साथ मिल कर किया है.’’ यह कहती हुई सुधा सुबकने लगी. सुधा ने आगे बताया कि घटना के एक सप्ताह पहले भी जेठानी सीमा ने सुधा को घर में नीटू के साथ उसे देख लिया था. उस रोज किसी तरह से बात यह कह कर संभाल लिया कि वह उस के मायके का मुंहबोला भाई है. हालसमाचार लेने आया है. घटना के रोज दोबारा नीटू घर में तब आ गया था, जब सभी लोग खेतों पर गए हुए थे. उस रोज जेठानी ने दोनों को बहुत डांटा. बोली, ”अपने मुंहबोले भाई के साथ मुंह काला कर रही है, इस बात का पता फेमिली वालों को चल गया तो क्या अंजाम होगा, इस का जरा भी अंदाजा है तुम्हें.’’

सीमा ने सुधा को समझाया कि देख अब तेरी शादी सौरभ से हो गई है. वही तेरा सब कुछ है, तुम मेरी अच्छी देवरानी हो, यह सब शादी से पहले का दीवानापन छोड़ दो. सीमा  ने देवरानी को यह आश्वासन भी दिया कि वह इस बात को किसी से नहीं बताएगी. इसलिए अपने पूर्व प्रेमी से संबंध खत्म कर लो. यह सारी बातें कमरे में दुबका नीटू भी सुन रहा था, जो उस के गले नहीं उतरी थी. फिर उस ने आननफानन में एक खतरनाक फैसला ले लिया था. दरअसल, नीटू बारबार सुधा से प्रेम संबंध बनाए रखने पर जोर डालता रहता था. सुधा भी कई दफा उस से कह चुकी थी कि वह उस के बिना नहीं रह सकती. यानी कि आग दोनों तरफ से जल रही थी.

किसी तरह से मायके के लोगों की बातें मानती हुई वह ससुराल चली आई थी, लेकिन दिल मायके में नीटू के पास ही लगा हुआ था. सुधा ने पूछताछ में यह भी कुबूल कर लिया कि उस ने 14 अक्तूबर, 2024 को योजना के मुताबिक अपने प्रेमी नीटू उर्फ लिटिल को फोन कर ससुराल बुला लिया था. हत्या को अंजाम देने के लिए सुधा और नीटू सीमा को खींच कर उस कमरे में ले गए, जिस में भूसा भरा था. पास ही गेहूं काटने की दरांती पड़ी थी, जिस का बेंता टूटा था. सुधा ने जेठानी के सीने पर बैठ कर अपनी चुनरी से उस का मुंह दबा दिया था. सीमा ने अपने बचाव के लिए पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन उस की चीख भी मुंह में दब कर रह गई. उसी समय नीटू ने दरांती से सीमा का गला रेत दिया. दरांती का बेंता टूटा होने के कारण गरदन पर भरपूर वार नहीं हो पा रहा था. तब नीटू ने जेब से चाकू निकाल कर गला रेत दिया था.

सीमा की सांस की नली कट गई थी. जब सीमा मर गई, तब नीटू ने योजना के तहत सीमा के हाथपैर बांध कमरे में डाल दिया. हाथमुंह पर कपड़ा बांध दिया था. कमरे की किवाड़ भेड़ दी. इस से पहले दोनों ने अपने खून से सने हाथपैर भी धोए. दोपहर में फेमिली के लोग घर आए, तब इस हत्याकांड का पता चला. उन्होंने पुलिस को सूचना दी और सीमा के पति राहुल ने थाने में अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई. हत्याकांड को अंजाम दे कर नीटू अपने गांव चला गया. पुलिस 16 अक्तूबर, 2024 को सुधा के बयान के आधार पर नीटू उर्फ लिटिल को  गिरफ्तार करने में सफल हो गई.  उसी रोज दोनों को मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर दिया गया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

 

Agra Crime : पति की लाश को संदूक में बंद कर यमुना में फेंका

Agra Crime : पतिपत्नी के रिश्ते कितने भी मधुर क्यों न हों, अगर उन के बीच ‘वो’ आ जाए तो न केवल रिश्तों का माधुर्य बिखर जाता है बल्कि किसी एक को मिटाने की भूमिका भी बन जाती है. हरिओम और बबली के साथ भी यही हुआ. इन के रिश्तों में जब कमल की एंट्री हुई तो…

मानने वाले प्रेमीप्रेमिका और पतिपत्नी का रिश्ता सब से अजीम मानते हैं. लेकिन जबजब ये रिश्ते आंतरिक संबंधों की महीन रेखा को पार करते हैं, तबतब कोई न कोई संगीन जुर्म सामने आता है. हरिओम तोमर मेहनतकश इंसान था. उस की शादी थाना सैंया के शाहपुरा निवासी निहाल सिंह की बेटी बबली से हुई थी. हरिओम के परिवार में उस की पत्नी बबली के अलावा 4 बच्चे थे. हरिओम अपनी पत्नी बबली और बच्चों से बेपनाह मोहब्बत करता था. बेटी ज्योति और बेटा नमन बाबा राजवीर के पास एत्मादपुर थानांतर्गत गांव अगवार में रहते थे, जबकि 2 बेटियां राशि और गुड्डो हरिओम के पास थीं. राजवीर के 2 बेटों में बड़ा बेटा राजू बीमारी की वजह से काम नहीं कर पाता था. बस हरिओम ही घर का सहारा था, वह चांदी का कारीगर था.

हरिओम और बबली की शादी को 15 साल हो चुके थे. हंसताखेलता परिवार था, घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. दिन हंसीखुशी से बीत रहे थे. लेकिन अचानक एक ऐसी घटना घटी, जिस से पूरे परिवार में मातम छा गया.  3 नवंबर, 2019 की रात में हरिओम अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ घर से लापता हो गया. पिछले 12 साल से वह आगरा में रह रहा था. 36 वर्षीय हरिओम आगरा स्थित चांदी के एक कारखाने में चेन का कारीगर था. पहले वह बोदला में किराए पर रहता था. लापता होने से 20 दिन पहले ही वह पत्नी बबली व दोनों बच्चियों राशि व गुड्डो के साथ आगरा के थानांतर्गत सिकंदरा के राधानगर इलाके में किराए के मकान में रहने लगा था.

आगरा में ही रहने वाली हरिओम की साली चित्रा सिंह 5 नवंबर को अपनी बहन बबली से मिलने उस के घर गई. वहां ताला लगा देख उस ने फोन से संपर्क किया, लेकिन दोनों के फोन स्विच्ड औफ थे. चित्रा ने पता करने के लिए जीजा हरिओम के पिता राजबीर को फोन कर पूछा, ‘‘दीदी और जीजाजी गांव में हैं क्या?’’

इस पर हरिओम के पिता ने कहा कि कई दिन से हरिओम का फोन नहीं मिल रहा है. उस की कोई खबर भी नहीं मिल पा रही. चित्रा ने बताया कि मकान पर ताला लगा है. आसपास के लोगों को भी नहीं पता कि वे लोग कहां गए हैं. किसी अनहोनी की आशंका की सोच कर राजबीर गांव से राधानगर आ गए. उन्होंने बेटे और बहू की तलाश की, लेकिन उन की कोई जानकारी नहीं मिली. इस पर पिता राजबीर ने 6 नवंबर, 2019 को थाना सिकंदरा में हरिओम, उस की पत्नी और बच्चों की गुमशुदगी दर्ज करा दी. जांच के दौरान हरिओम के पिता राजबीर ने थाना सिकंदरा के इंसपेक्टर अरविंद कुमार को बताया कि उस की बहू बबली का चालचलन ठीक नहीं था. उस के संबंध कमल नाम के एक व्यक्ति के साथ थे, जिस के चलते हरिओम और बबली के बीच आए दिन विवाद होता था.

पुलिस ने कमल की तलाश की तो पता चला कि वह भी उसी दिन से लापता है, जब से हरिओम का परिवार लापता है. पुलिस सरगरमी से तीनों की तलाश में लग गई. इस कवायद में पुलिस को पता चला कि बबली सिकंदरा थानांतर्गत दहतोरा निवासी कमल के साथ दिल्ली गई है. उन्हें ढूंढने के लिए पुलिस की एक टीम दिल्ली के लिए रवाना हो गई. शनिवार 16 नवंबर, 2019 को बबली और उस के प्रेमी कमल को पुलिस ने दिल्ली में पकड़ लिया. दोनों बच्चियां भी उन के साथ थीं, पुलिस सब को ले कर आगरा आ गई. आगरा ला कर दोनों से पूछताछ की गई तो मामला खुलता चला गया. पता चला कि 3 नवंबर की रात हरिओम रहस्यमय ढंग से लापता हो गया था. पत्नी और दोनों बच्चे भी गायब थे. कमल उर्फ करन के साथ बबली के अवैध संबंध थे. वह प्रेमी कमल के साथ रहना चाहती थी.

इस की जानकारी हरिओम को भी थी. वह उन दोनों के प्रेम संबंधों का विरोध करता था. इसी के चलते दोनों ने हरिओम का गला दबा कर हत्या कर दी थी. बबली की बेहयाई यहीं खत्म नहीं हुई. उस ने कमल के साथ मिल कर पति की गला दबा कर हत्या दी थी. बाद में दोनों ने शव एक संदूक में बंद कर यमुना नदी में फेंक दिया था. पूछताछ और जांच के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस तरह थी—

फरवरी, 2019 में बबली के संबंध दहतोरा निवासी कमल उर्फ करन से हो गए थे. कमल बोदला के एक साड़ी शोरूम में सेल्समैन का काम करता था. बबली वहां साड़ी खरीदने जाया करती थी. सेल्समैन कमल बबली को बड़े प्यार से तरहतरह के डिजाइन और रंगों की साडि़यां दिखाता था. वह उस की सुंदरता की तारीफ किया करता था. उसे बताता था कि उस पर कौन सा रंग अच्छा लगेगा. कमल बबली की चंचलता पर रीझ गया. बबली भी उस से इतनी प्रभावित हुई कि उस की कोई बात नहीं टालती थी. इसी के चलते दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए थे. अब जब भी बबली उस दुकान पर जाती, तो कमल अन्य ग्राहकों को छोड़ कर बबली के पास आ जाता.

वह मुसकराते हुए उस का स्वागत करता फिर इधरउधर की बातें करते हुए उसे साड़ी दिखाता. कमल आशिकमिजाज था, उस ने पहली मुलाकात में ही बबली को अपने दिल में बसा लिया था. नजदीकियां बढ़ाने के लिए उस ने बबली से फोन पर बात करनी शुरू कर दी. जब दोनों तरफ से बातों का सिलसिला शुरू हुआ तो नजदीकियां बढ़ती गईं. फोन पर दोनों हंसीमजाक भी करने लगे. फिर उन की चाहत एकदूसरे से गले मिलने लगी. बातोंबातों में बबली ने कमल को बताया कि वह बोदला में ही रहती है. इस के बाद कमल बबली के घर आनेजाने लगा. जब एक बार दोनों के बीच मर्यादा की दीवार टूटी तो फिर यह सिलसिला सा बन गया. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में मिल लेते थे.

हरिओम की अनुपस्थिति में बबली और कमल के बीच यह खेल काफी दिनों तक चलता रहा. लेकिन ऐसी बातें ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रहतीं, एक दिन हरिओम को भी भनक लग गई. उस ने बबली को कमल से दूर रहने और फोन पर बात न करने की चेतावनी दे दी. दूसरी ओर बबली कमल के साथ रहना चाहती थी. उस के न मानने पर वह घटना से 20 दिन पहले बोदला वाला घर छोड़ कर सपरिवार सिकंदरा के राधानगर में रहने लगा. 3 नवंबर, 2019 को हरिओम शराब पी कर घर आया. उस समय बबली मोबाइल पर कमल से बातें कर रही थी. यह देख कर हरिओम के तनबदन में आग लग गई. इसी को ले कर दोनों में झगड़ा हुआ तो हरिओम ने बबली की पिटाई कर दी.

बबली ने इस की जानकारी कमल को दे दी. कमल ने यह बात 100 नंबर पर पुलिस को बता दी. पुलिस आई और रात में ही पतिपत्नी को समझाबुझा कर चली गई. पुलिस के जाने के बाद भी दोनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ, दोनों झगड़ा करते रहे. रात साढे़ 11 बजे बबली ने कमल को दोबारा फोन कर के घर आने को कहा. जब वह उस के घर पहुंचा तो हरिओम उस से भिड़ गया. इसी दौरान कमल ने गुस्से में हरिओम का सिर दीवार पर दे मारा. नशे के चलते वह कमल का विरोध नहीं कर सका. उस के गिरते ही बबली उस के पैरों पर बैठ गई और कमल ने उस का गला दबा दिया. कुछ देर छटपटाने के बाद हरिओम की मौत हो गई. उस समय दोनों बच्चियां सो रही थीं. कमल और बबली ने शव को ठिकाने लगाने के लिए योजना तैयार कर ली. दोनों ने शव को एक संदूक में बंद कर उसे फेंकने का फैसला कर लिया, ताकि हत्या के सारे सबूत नष्ट हो जाएं.

योजना के तहत दोनों ने हरिओम की लाश एक संदूक में बंद कर दी. रात ढाई बजे कमल टूंडला स्टेशन जाने की बात कह कर आटो ले आया. आटो से दोनों यमुना के जवाहर पुल पर पहुंचे. लाश वाला संदूक उन के साथ था. इन लोगों ने आटो को वहीं छोड़ दिया. सड़क पर सन्नाटा था, कमल और बबली यू टर्न ले कर कानपुर से आगरा की तरफ आने वाले पुल पर पहुंचे और संदूक उठा कर यमुना में फेंक दिया. इस के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए. दूसरे दिन 4 नवंबर को सुबह कमल बबली और उस की दोनों बच्चियों को साथ ले कर दिल्ली भाग गया.

बबली की बेवफाई ने हंसतेखेलते घर को उजाड़ दिया था. उस ने पति के रहते गैरमर्द के साथ रिश्ते बनाए. यह नाजायज रिश्ता उस के लिए इतना अजीज हो गया कि उस ने अपने पति की मौत की साजिश रच डाली. पुलिस 16 नवंबर को ही कमल व बबली को ले कर यमुना किनारे पहुंची. उन की निशानदेही पर पीएसी के गोताखोरों को बुला कर कई घंटे तक यमुना में लाश की तलाश कराई गई, लेकिन लाश नहीं मिली. अंधेरा होने के कारण लाश ढूंढने का कार्य रोकना पड़ा. रविवार की सुबह पुलिस ने गोताखोरों और स्टीमर की मदद से लाश को तलाशने की कोशिश की. लेकिन कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला.

बहरहाल, पुलिस हरिओम का शव बरामद नहीं कर सकी. शायद बह कर आगे निकल गया होगा. पुलिस ने बबली और उस के प्रेमी कमल को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Social Crime : लड़के ने लड़की बन कर फोन पर बातें की और लूटे लाखों

Social Crime : ह किसी के अंदर कोई कोई प्रतिभा छिपी होती है. जब यही प्रतिभा निखर कर सामने आती है तो उस की एक नई पहचान बन जाती है. मध्य प्रदेश के हरदा शहर के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के अंदर भी एक खास प्रतिभा थीवह तरहतरह की आवाजें निकालने में माहिर था. इतना ही नहीं, वह पुरुषों के अलावा हर आयु वर्ग की महिलाओं की आवाज इतनी स्पष्टता से निकाल लेता था कि सुनने वाले आश्चर्यचकित रह जाते थे. इस के अलावा वह अलगअलग शख्सियतों की भी मिमिक्री कर लेता था. सिद्धार्थ पटेल अगर चाहता तो अपनी इस प्रतिभा को स्टेज के जरिए एक नई पहचान दिला सकता था, लेकिन उस ने ऐसा करने के बजाए लोगों को ठगने का काम किया

सिद्धार्थ ने सब से पहले फेसबुक पर संजना के नाम से एक लड़की की फेक आईडी बनाई, जिस में उस ने दिल्ली की रहने वाली बताया. इस के बाद उस ने फेसबुक के माध्यम से रवि इनाणिया नाम के एक बिजनैसमैन से दोस्ती की. रवि जोधपुर के चौहाबो कस्बे का रहने वाला था. रवि को जब भी समय मिलता, वह संजना (सिद्धार्थ) से चैटिंग कर लेता. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया. उन की फोन पर भी बात होने लगी. सिद्धार्थ फोन पर रवि से लड़की की आवाज में बात करता था. रवि को उस की आवाज और बातें बहुत अच्छी लगती थीं. उसे बात करते समय बिलकुल भी अहसास नहीं हुआ कि वह जिस संजना से बात कर रहा है, वह लड़की नहीं बल्कि लड़का है.

रवि शादीशुदा था, इस के बावजूद वह संजना से बहुत प्रभावित था. कह सकते हैं, वह संजना को चाहने लगा था और उस से शादी करने का फैसला ले चुका था. उस ने अपने मन की बात फोन पर संजना को बता दी थी. शादी के लिए संजना ने भी अपनी सहमति दे दी थी, लेकिन उस ने बताया कि उस की कुंडली में शनि और मंगल का दोष है, जब तक यह दोष दूर नहीं हो जाता तब तक शादी नहीं हो सकती. रवि उस से शादी के लिए इतना उतावला था कि कुछ भी करने को तैयार था. इस बारे में उस ने संजना के परिजनों से बात करने की इच्छा जताई तो सिद्धार्थ ने पिता, मां और भाई की आवाज में उस से फोन पर खुद ही बात की

उस ने बदली हुई आवाज में रवि को बताया कि जब तक शनि और मंगल का दोष दूर नहीं होगा, तब तक शादी नहीं हो सकेगी. दोष दूर करने के लिए उस ने 4 बार में नर्मदा नदी की 10,400 किलोमीटर की यात्रा भी करवाई. मजे की बात यह कि इस दौरान सिद्धार्थ जो संजना बन कर रवि से फोन पर बातें करता था, वह संजना का भाई बन कर रवि के साथ घूमता भी रहा. वह 3 साल तक रवि के पैसों से ही जगहजगह घूमा. उस से लाखों रुपए ऐंठे. रवि ने सिद्धार्थ से कहा कि वह अपनी बहन संजना से उस की कम से कम एक बार तो मुलाकात करा दे. तब सिद्धार्थ ने कहा कि उन के यहां शादी से पहले लड़की को अपने होने वाले पति से मिलने की अनुमति नहीं होती.

रवि फोन पर बात करते समय समझता था कि वह अपनी प्रेमिका संजना से ही फोन पर बात कर रहा है, जबकि हकीकत कुछ और ही थीसंजना के भाई बने सिद्धार्थ ने एक बार रवि से कहा कि संजना की तबीयत बहुत खराब है. इलाज कराने पर भी फायदा नहीं हो रहा है. एक पंडित ने होने वाले पति और भाई को कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की परिक्रमा करने की सलाह दी है. यदि ऐसा किया गया तो वह बच सकती है. रवि अपनी प्रेमिका संजना को हर हालत में ठीक देखना चाहता था, इसलिए वह पंडित द्वारा बताया गया उपाय करने को तैयार हो गया. सिद्धार्थ ने रवि के साथ कामाख्या मंदिर और ओंकारेश्वर की भी परिक्रमा की.

काश! रवि यह जान पाता कि सिद्धार्थ केवल खुद संजना था, बल्कि संजना की मां, पिता, मौसी सब वही था और अलगअलग आवाजों में वही रवि से बातें करता था. वही सोशल साइट पर उस से चैटिंग करता था. लेकिन रवि तो संजना की आवाज का मुरीद था. सिद्धार्थ अपनी आवाज का पूरा फायदा उठा रहा था. इस तरह सिद्धार्थ ने रवि के साथ 3 सालों में करीब 1 लाख किलोमीटर से अधिक की यात्राएं कीं और समयसमय पर किसी किसी बहाने उस से पैसे भी ऐंठता रहा. लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी जब रवि को उस की प्रेमिका संजना से नहीं मिलाया गया तो रवि को शक हो गया कि आखिर सिद्धार्थ और उस के घर वाले उसे संजना से मिलने क्यों नहीं दे रहे.

रवि इनाणिया ने इस बात की शिकायत जोधपुर के चौहाबो थाना पुलिस से की. पुलिस ने रवि की शिकायत पर जांच शुरू की. पुलिस ने संजना का फेसबुक एकाउंट चैक किया. इस एकाउंट और फोन नंबर के सहारे पुलिस 16 दिसंबर, 2019 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले सिद्धार्थ पटेल के पास पहुंच गईसिद्धार्थ से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार किया कि वही संजना बन कर लड़की की आवाज निकाल कर रवि से बातें करता था. पुलिस को सिद्धार्थ के बारे में जानकारी मिली कि उस ने अंगरेजी मीडियम स्कूल में अपनी पढ़ाई की. 10वीं और 12वीं कक्षा में सिद्धार्थ अपने स्कूल का टौपर रहा था. स्कूल की पढ़ाई के बाद उस ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया था.

उस का सपना आईएएस बनना था, इसलिए सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी के लिए वह दिल्ली चला गया था. वह शुरू से प्रतिभावान रहा. वह बचपन से ही कई तरह की आवाजें निकाल कर दोस्तों का मनोरंजन करता था. पुलिस ने सिद्धार्थ को न्यायालय में पेश कर 7 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में सिद्धार्थ से विस्तार से पूछताछ की गई. सिद्धार्थ ने रवि के सामने संजना (लड़की) की आवाज निकाली तो रवि के अलावा पुलिस भी आश्चर्यचकित रह गई. तब रवि ने कहा कि यह आवाज तो उस की प्रेमिका संजना की ही है लेकिन सिद्धार्थ संजना नहीं है. उस ने आशंका जताई कि हो सकता है कि इन लोगों ने संजना का मोबाइल छीन कर उसे जबरदस्ती कैद कर रखा हो. रवि को भले ही उस की संजना नहीं मिली पर पुलिस ने सिद्धार्थ पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

 

Family Crime : बीवी को मारने के बदले में किया कार देने का वादा

Family Crime :  नाविया अपने शौहर जमील को बहुत प्यार करती थी. लेकिन जब 3 साल बाद उस की महबूबा समीरा दुबई से लौट आई तो उस का पुराना प्यार जाग उठा. समीरा को बीवी बनाने के लिए उस ने नाविया को रास्ते से हटाने का कुचक्र रचा, लेकिन नाविया नहले पर दहला साबित हुई. आइए, जानें कैसे…

शाम के 6 बज रहे थे. अक्तूबर का महीना था. नाविया ने अपना सूटकेस बंद करते हुए सोचा कि कहीं कोई जरूरी चीज छूट तो नहीं गई. अपने भाई की शादी में वह ट्रेन से मायके के लिए रवाना हो रही थी. उस के शौहर जमील ने उस का टिकट बुक करा दिया था. जमील और नाविया की शादी को एक साल हो गया था. अभी तक उन की कोई औलाद नहीं थी. नाविया जमील का बहुत खयाल रखती थी. इस से पहले जमील और समीरा 3 साल तक अच्छे दोस्त रहे थे. दोस्ती मोहब्बत में बदल गई. दोनों ने शादी का फैसला भी कर लिया था. तभी अचानक तीसरे साल समीरा अपने बाप के साथ दुबई चली गई. कुछ अरसे तक दोनों का ताल्लुक फोन के जरिए बहाल रहा, फिर उस के बाद यह सिलसिला भी खत्म हो गया.

इसी दौरान जमील के वालिदैन ने उस की शादी नाविया से तय कर दी. जमील कुछ नहीं बोल सका. फिर जमील को यह मालूम भी नहीं था कि समीरा दुबई से आएगी भी या नहीं. समीरा का भाई भी बहुत सख्त था. वह चाहता था कि समीरा की शादी उस के दोस्त के साथ हो जाए. उस ने समीरा पर कड़ा पहरा लगा दिया था. उस के बाद जमील की जिंदगी में नाविया आ गई. नाविया अमीर मांबाप की एकलौती बेटी थी. जमील के इनकार न करने की एक वजह यह भी थी कि नाविया के वालिद जमील को अपनी बेटी के लिए एक खूबसूरत बंगला दे रहे थे. जमील को सलामी में एक महंगी कार मिलने वाली थी. इसी लालच में जमील ने नाविया से शादी कर ली और उन का एक साल खुशीखुशी गुजर गया. तभी अचानक समीरा दुबई से वापस आ गई थी. आते ही वह सब से पहले जमील से मिली. जब उसे मालूम हुआ कि जमील ने शादी कर ली है तो वह फूटफूट कर रोई.

समीरा को देख कर जमील के दिल में भी पुरानी मोहब्बत जाग उठी, पर वह समझ नहीं पा रहा था कि ऐसी हालत में वह क्या करे. एक दिन जमील अपने औफिस में बैठा काम कर रहा था कि अचानक समीरा वहां आ गई. अचानक उसे आया देख जमील चौंका. बात करने के लिए वह उसे औफिस से बाहर ले आया. समीरा ने कहा, ‘‘जमील, मेरे भाई ने मुझ से मोबाइल छीन लिया था, इसलिए मैं तुम से ताल्लुक न रख सकी. खैर, जो भी हुआ भूल जाओ. अब मैं ने फैसला कर लिया है कि हम दोनों शादी करेंगे.’’

जमील समीरा को खोना नहीं चाहता था. पुरानी मोहब्बत जोर पकड़ रही थी. उस ने कहा, ‘‘मुझे मंजूर है. मैं भी अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. मैं तुम से शादी करूंगा, यह मेरा वादा है.’’

‘‘हां, ठीक है. हम शादी को गुप्त रखेंगे. फिर बाद में तुम अपनी बीवी को बता देना. मैं भी अपने पैरेंट्स को बता दूंगी. मेरा भाई इस समय दुबई में ही है, इसलिए डरने की कोई जरूरत नहीं है.’’ समीरा बोली.

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी बात से सहमत हूं. 17 तारीख को 7 बजे मेरी बीवी अपने भाई की शादी में मायके जा रही है. मेरा भी उस के साथ जाने का प्रोग्राम था. लेकिन कोई बहाना बना कर मैं उसे अकेले ही रवाना कर दूंगा. उसी दिन हम निकाह कर लेंगे.’’

‘‘जमील, तुम अपनी बात से मुकर तो नहीं जाओगे? 17 तारीख को निकाह पक्का है.’’ समीरा ने पूछा.

‘‘हां, उसी रात हम निकाह कर लेंगे.’’ जमील ने विश्वास दिलाया.

फिर दोनों ने बैठ कर 17 तारीख को निकाह का प्रोग्राम तय कर लिया. जमील ने पत्नी को ट्रेन का टिकट देते हुए बहाना बनाया, ‘‘नाविया, औफिस में जरूरी मीटिंग है. मैं कल तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगा. और अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे साथ अभी चला चलता हूं. लेकिन इस से नुकसान बहुत हो जाएगा.’’

नाविया नहीं चाहती थी कि पति का कोई नुकसान हो, इसलिए वह बोली, ‘‘नहींनहीं, आप मीटिंग अटेंड कर के आइएगा. पर टाइम से आ जाना. मैं आप का इंतजार करूंगी.’’

इस के बाद दोनों घर से स्टेशन के लिए रवाना हो गए. जमील के दिल में लड्डू फूट रहे थे. स्टेशन पहुंच कर नाविया वहां खड़ी ट्रेन में अपनी सीट पर जा कर बैठ गई. ट्रेन चलने में 20 मिनट बाकी थे. जमील उस के सामने बैठा. प्यारमोहब्बत की बातें कर रहा था. अचानक उस के फोन की घंटी बजी. उस ने देखा, समीरा का फोन था. फोन को कान से लगा कर वह ट्रेन से उतर गया. डिब्बे से जरा हटा कर वह दूसरी तरफ मुंह कर के समीरा से बातें करने लगा.

‘‘तुम्हारी बीवी चली गई?’’ समीरा ने पूछा.

‘‘ट्रेन में बैठी है. अभी ट्रेन चलने में कुछ टाइम है.’’ जमील ने कहा.

‘‘मेरे भाई दुबई तो चले गए हैं लेकिन भाभी को मेरे पीछे लगा कर गए हैं. भाभी की निगाहें पूरे वक्त मुझ पर ही जमी रहती हैं. तुम बताओ, तुम्हारी बीवी को कोई शकवक तो नहीं हुआ?’’ समीरा ने पूछा.

‘‘नहीं, बेकार का वहम कर रही हो तुम. वह आराम से ट्रेन में बैठी है.’’

तभी अचानक ट्रेन ने सीटी बजाई. जमील ट्रेन की तरफ घूमा. लेकिन अपनी सीट पर नाविया मौजूद नहीं थी. जमील परेशान हो गया. उसी वक्त नाविया आ कर सीट पर बैठ गई. जमील डिब्बे में सवार हुआ और उस के पास जा कर पूछा, ‘‘तुम कहां चली गई थी?’’

‘‘मैं टायलेट तक गई थी.’’

ट्रेन ने दूसरी सीटी दी तो जमील ट्रेन से उतरते हुए बोला, ‘‘नाविया, अपना खयाल रखना और घर पहुंचते ही फोन कर देना.’’

ट्रेन ने रेंगना शुरू किया. जमील स्टेशन से बाहर की तरफ लपका. कार की ड्राइविंग सीट संभालते ही उस ने समीरा को फोन कर कहा, ‘‘वह चली गई है. अब मैं तुम्हारी तरफ आ रहा हूं.’’

‘‘हां, तुम आ जाओ. घर के पास वाले पार्क में मेरा इंतजार करना. भाभी की नजर बचा कर मैं भी जल्द पहुंच जाऊंगी.’’ समीरा ने कहा. जमील पार्क में पहुंच गया. वहीं से उस ने समीरा को खबर दे दी. इस पर समीरा बोली, ‘‘अभी भाभी मेरे पास ही बैठी हैं. मुझे आने में कुछ देर लगेगी. मैं तुम्हें फोन करने बालकनी में आई हूं. थोड़ा इंतजार करो.’’

10 मिनट बाद फिर समीरा का मैसेज आया, ‘‘भाभी अभी भी बैठी हैं. ऐसा करो, तुम गाड़ी में बैठो मैं भी निकलती हूं.’’

जमील मैसेज पढ़ रहा था तभी अचानक उस की पीठ पर किसी ने हाथ रखा. अंधेरे में जमील पहचान नहीं सका कि कौन है. वह घबरा गया. उस ने सोचा, शायद कोई लुटेरा है. इसलिए जमील ने जोर से एक हाथ उस पर जमा दिया, जिस से वह शख्स दीवार से टकरा कर झाडि़यों में गिर गया. जमील बिना पीछे मुड़े तेजी से भागा और कार अंधेरे से निकाल कर रोशनी में खड़ी कर दी. जमील के हाथ में कीमती मोबाइल फोन था. उस ने शुक्र अदा किया कि वह लुटने से बच गया. वह कार में बैठा था. दूसरी तरफ कोई नहीं आया, इस का मतलब था कि वह जो कोई भी था, उस जगह से उठ कर भाग खड़ा हुआ था. पर उस जगह खड़े रहना जमील की मजबूरी थी क्योंकि वह समीरा का इंतजार कर रहा था. उस की आंखें बेचैनी से चारों तरफ घूम रही थीं.

जमील को बैठेबैठे करीब एक घंटा गुजर गया. इस बीच समीरा के फोन आते रहे कि वह आ रही है. जमील की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. अचानक फोन बज उठा. नाविया के भाई जफर का फोन था. वह परेशानी में बोला, ‘‘जमील भाई, ट्रेन आ गई है लेकिन नाविया ट्रेन से नहीं उतरी. मैं ने पूरी ट्रेन छान मारी. अभी तक स्टेशन पर उसे ही तलाश रहा हूं.’’

‘‘मैं ने खुद उसे ट्रेन में चढ़ाया था. कहां चली गई? यह तो परेशानी की बात है.’’ जमील ने कहा.

‘‘पर नाविया तो यहां नहीं पहुंची. हम सब बहुत परेशान हैं.’’ वह बोला.

‘‘आप ने उसे फोन किया?’’ जमील ने पूछा.

‘‘हां, कई बार किया. उस का फोन बंद आ रहा है.’’

‘‘आप उसे देखें. मैं भी रेलवे स्टेशन जा रहा हूं.’’

जमील परेशान भी था और उसे गुस्सा भी आ रहा था कि निकाह लेट हो जाएगा. जमील अभी सोच ही रहा था कि अचानक उस की कार का दरवाजा खुला और समीरा उस के बराबर में बैठ गई. जमील ने उस की तरफ चौंक कर देखा तो वह बोली, ‘‘जल्दी निकलो जमील. बड़ी मुश्किल से भाभी से नजर बचा कर आई हूं.’’

‘‘यहां एक मसला हो गया है समीरा. नाविया अपने भाई के पास अभी तक नहीं पहुंची.’’ जमील ने कहा.

उस की बात सुन कर समीरा ने जमील की तरफ देखा और गुस्से से बोली, ‘‘वह कोई बच्ची नहीं है कि गुम जाएगी. जल्दी निकलो यहां से, मुझे घबराहट हो रही है.’’

‘‘इस परेशानी में यहां से निकल कर क्या करूंगा. उस का भाई रेलवे स्टेशन पर खड़ा बारबार मुझे फोन कर रहा है. मैं पहले स्टेशन जा कर उसे देखूंगा. हो सकता है कि किसी वजह से वह नीचे उतरी हो और ट्रेन चल पड़ी हो.’’

‘‘तुम रेलवे स्टेशन गए थे. उसे बैठा कर आए. ट्रेन चल भी पड़ी थी, फिर ऐसे कैसे हो सकता है.’’ समीरा ने कहा, ‘‘दोबारा फोन आए तो कह देना कि मैं उसे तलाश कर रहा हूं. इस दौरान हम निकाह कर लेंगे. बाद की बाद में देखी जाएगी. पहले यहां से फटाफट निकलो. मुझे इस बात का डर है कि मेरी भाभी न चली आए.’’

अभी वे लोग कुछ ही दूर गए थे कि नाविया के भाई का फोन आ गया. अबकी बार फोन पर नाविया का बाप था, ‘‘जमील बेटा, नाविया का कुछ पता चला क्या? हम सब बहुत परेशान हैं. आखिर वह कहां रह गई?’’

जमील जल्दी से बोला, ‘‘जी अब्बू, मैं स्टेशन पर उसे ही तलाश कर रहा हूं.’’

जमील ने समीरा से कहा, ‘‘इस परेशानी में मुझे कुछ नहीं सूझ रहा है.’’

एकाएक उस ने कार रोक दी. समीरा ने गुस्से से उसे देखा. जमील ने कहा, ‘‘तुम को मैं अभी अपने दोस्त के यहां छोड़ कर एक बार स्टेशन जा कर आता हूं.’’

‘‘ठीक है, जो तुम्हें करना है, करो पर जल्दी लौट आना. निकाह टाइम से होना चाहिए.’’ समीरा ने उकता कर कहा. जमील ने समीरा को अपने दोस्त के घर छोड़ा. वहीं उन का निकाह होना था. फिर वह रेलवे स्टेशन चला गया. उस वक्त वहां कोई ट्रेन नहीं थी. प्लेटफार्म खाली पड़ा था. उस ने दूरदूर तक देखा. नाविया कहीं नहीं दिखी. उसे निकाह की पड़ी थी, यहां मसला ही हल नहीं हो रहा था. वह दरवाजा खोल कर कार में बैठा था कि दूसरा दरवाजा खोल कर कोई उस के बगल में बैठ गया. जमील ने चौंक कर पूछा, ‘‘आप कौन हैं?’’

‘‘मैं कोई भी हूं, क्या तुम्हें तुम्हारी बीवी के बारे में कोई जानकारी चाहिए?’’ वह शख्स बोला.

‘‘हां, कहां है वह? जल्दी बताओ.’’

‘‘आराम से भाई, पहले एक कप चाय पिलाओ फिर बताता हूं. पुलिस को खबर करने की मत सोचना. मैं साफ मुकर जाऊंगा.’’ वह बोला.

‘‘तुम ने मेरी बीवी को किडनैप किया है?’’

‘‘नहीं, किडनैप नहीं किया है, बल्कि मैं ने तुम्हारी बीवी की मदद की है वरना आप ने तो उसे मार ही दिया था. मुझे चाय पी लेने दो फिर सब बताता हूं.’’

चाय पी कर वह बोला, ‘‘मेरा नाम शानी है. मेरी बात गौर से सुनो. जिस वक्त तुम अपनी महबूबा से पार्क में बातें कर रहे थे, किसी ने अचानक तुम्हारे कंधे पर जो हाथ रखा था, जानते हो वह कौन था?’’

जमील ने जल्दी से पूछा, ‘‘कौन था?’’

‘‘वह तुम्हारी बीवी नाविया थी.’’ वह आगे बोला, ‘‘जब तुम्हारी बीवी रेल के डिब्बे में बैठी थी और तुम दूसरी तरफ मुंह कर के अपनी महबूबा से निकाह का प्रोग्राम तय कर रहे थे, इसी दौरान नाविया किसी काम से तुम्हारे पास आई थी. उस ने तुम्हारे पीछे खडे़ हो कर तुम्हारी बातें सुन लीं.

‘‘जब तुम ने चेहरा घुमाया वह अपनी सीट पर आ कर बैठी. उस ने टौयलेट जाने का बहाना कर दिया था. जब ट्रेन चलने लगी, तुम बाहर निकले तभी वह भी रेंगती हुई ट्रेन से उतर गई थी और तुम्हारे पीछे चल दी. वह टैक्सी में बैठ कर तुम्हारा पीछा कर रही थी.

‘‘जब तुम पार्क में अपनी महबूबा से बातें कर रहे थे, उस ने ही तुम्हारे कंधे पर हाथ रखा. तुम ने उसे जोर से हाथ मारा और बाहर दौड़ पड़े. वह दीवार से टकरा कर जख्मी हो गई. मैं और मेरा दोस्त अंधेरे में किसी शिकार के लिए घात लगाए बैठे थे कि हमें नाविया मिल गई. मेरा दोस्त उसे उठा कर अस्पताल ले गया और मैं साए की तरह तुम्हारे पीछे लग गया.’’

जमील ने जल्दी से पूछा, ‘‘तो क्या नाविया तुम्हारे पास है?’’

‘‘हां, वह मेरे पास है. उसे होश आ गया है. उस ने सारी बातें बता दी हैं, जो मेरे दोस्त मोबाइल में रिकौर्ड कर लीं. तुम्हारी बीवी बहुत सीधी है. वह चाहती है कि तुम्हारी बेवफाई की बातें वह अपने घर वालों को बताए और तुम से छुटकारा पा ले. उस की एक ही रट है कि उसे घर पहुंचा दिया जाए. उस के सिर पर गहरी चोट लगी है. वह एक बार फिर बेहोश हो चुकी है.’’

सब कुछ सुन कर जमील के पसीने छूट गए. शानी ने जो भी बताया था वह सच था. क्योंकि सब ऐसे ही घटा था. अगर नाविया सब कुछ अपने घर वालों को बता देगी तो उस का सब कुछ छिन जाएगा. क्योंकि उस का घर, कारोबार और गाड़ी सब कुछ उस के ससुराल का दिया हुआ था. उसी वक्त फिर नाविया के भाई का फोन आ गया. वह बोला, ‘‘नाविया का कुछ पता चला भाई?’’

जमील ने घबरा कर कहा, ‘‘नहीं, अभी कुछ पता नहीं चला.’’

‘‘आप पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दें.’’ भाई ने कहा.

‘‘अभी मैं उसे तलाश रहा हूं. नहीं मिली तो थोड़ी देर में दर्ज करा दूंगा.’’ जमील से मारे घबराहट के कुछ नहीं बोला जा रहा था.

शानी ने कहा, ‘‘तुम्हारी बीवी का फोन मेरे पास है. आगे तुम्हें कोई बात करनी हो तो कर सकते हो.’’

जमील झल्ला कर बोला, ‘‘आखिर तुम चाहते क्या हो?’’

‘‘मैं सौदा करना चाहता हूं. तुम्हारी बीवी के इलाज पर जो खर्च हुआ, वह रकम और बाकी बाद में बताऊंगा.’’

जमील जल्दी से बोला, ‘‘कितना खर्च हुआ बताओ? मैं दे दूंगा. मेरी बीवी कहां है, यह बता दो.’’

‘‘मिस्टर जमील, सौदा मेरी शर्तों पर होगा. ऐसे कैसे बता दूं.’’ शानी ने कार का दरवाजा खोला और उतरते हुए बोला, ‘‘जरा सोच लो. बीवी अगर जिंदा मिली तो सब कुछ अपने घर वालों को बता देगी. फिर तो न तुम घर के रहोगे न घाट के. यह कारोबार, बंगला सब कुछ छिन जाएगा.

‘‘तुम अपनी महबूबा के साथ बैठ कर तबला बजाना. मैं तो यह कह रहा हूं कि अभी भी वक्त है, सोच लो कि तुम्हें क्या करना है. क्यों न हम यह सौदा करें कि तुम्हारी बीवी को खामोशी से निपटा दें तो सारा झंझट ही खत्म.’’

उसे सोचता हुआ छोड़ कर वह नीचे उतर गया. जमील ने सोचा कि कह तो वह ठीक रहा है. अगर उस की बीवी जिंदा रही तो सब कुछ घर पर बता देगी और वह ससुराल की दी हुई हर चीज से हाथ धो बैठेगा. अगर वह नाविया को मरवा दे तो इस का राज राज रहेगा और सब कुछ उस के पास रहेगा. फिर उस ने समीरा को फोन किया और सारी बात बता दी. समीरा ने उलझ कर कहा, ‘‘अब तुम क्या करना चाहते हो?’’

‘‘सोच रहा हूं कि इस राज को इसी जगह दबा दूं और नाविया की मौत का सौदा कर लूं.’’ जमील ने बेदर्दी से कहा. उस का फैसला सुन कर समीरा खुश हो कर बोली, ‘‘अगर फैसला कर ही लिया है तो फिर देर किस बात की है. फौरन इस का काम तमाम करवाओ.’’

‘‘इस काम के पैसे भी तो लेगा. न जाने कितनी रकम मांग ले.’’ जमील ने कहा.

‘‘जो भी मांगेगा, दे देंगे. वरना हम एक नहीं हो सकेंगे. कुछ भी करने के पहले यह तसल्ली कर लेना कि नाविया इसी के पास है. कहीं वह ड्रामा तो नहीं कर रहा है.’’ समीरा ने मशविरा दिया.

फिर जमील ने शानी को फोन किया. शानी ने छूटते ही पूछा, ‘‘क्या फैसला किया आप ने?’’

‘‘पहले मैं यह तसल्ली करना चाहता हूं कि नाविया तुम्हारे पास है भी या नहीं.’’ जमील बोला.

‘‘मैं ने जितनी बातें तुम्हें बताईं, सच हैं. मेरा यकीन करो नाविया मेरे पास ही है. तभी तो मैं यह सौदा कर रहा हूं.’’ शानी ने कहा.

जमील सोचते हुए बोला, ‘‘मैं तुम से मिलना चाहता हूं.’’

‘‘जिस जगह तुम्हारी कार खड़ी है, मैं उसी के पास हूं. अभी पहुंचता हूं.’’ शानी ने पहुंचते ही कहा, ‘‘बताओ, क्या चाहते हो?’’

‘‘मैं अपने राज को दफन करना चाहता हूं. कोई सबूत नहीं छोड़ना चाहता.’’ जमील ने सोचते हुए कहा.

‘‘तुम्हारा राज तुम्हारी बीवी के साथ ही दफन हो जाएगा. इस की मौत को ऐसी शक्ल दूंगा कि हादसा लगे. उसे रेलवे लाइन पर डाल दूंगा, लगेगा जैसे ट्रेन से गिर कर मर गई हो.’’ शानी ने समझा कर कहा.

‘‘इस काम का क्या लोगे?’’ जमील ने पूछा.

‘‘यह मैं तुम्हें थोड़ी देर बात बताऊंगा.’’ शानी ने कहा.

‘‘पर याद रहे यह काम रात के रात ही हो जाना चाहिए.’’

‘‘यह काम रात को ही होगा. अभी बहुत रात पड़ी है. पैसों के बारे में मैं तुम्हें बाद में बताऊंगा. अपना फोन खुला रखना.’’ कह कर वह नीचे उतर गया. जमील ने अपनी बीवी को खत्म करने को कह तो दिया पर वह बुरी तरह से कांप रहा था. इस के साथ ही वह समीरा को भी नहीं छोड़ना चाहता था. जमील ने कांपते हाथों से गाड़ी आगे बढ़ाई. एक बार फिर जफर की काल आ गई. वह बेहद परेशान था. जमील ने उसे बताया कि वह नाविया की गुमशुदगी दर्ज कराने थाने जा रहा है. वैसे उस का इरादा नहीं था, फिर उस ने सोचा कि रिपोर्ट दर्ज कराने से कोई उस पर शक नहीं करेगा.

जमील पुलिस स्टेशन पहुंच गया. वहां उस ने ट्रेन का वाकया बताते हुए पत्नी की गुमशुदगी दर्ज करा दी. वह थाने से बाहर निकला तो शानी का फोन आ गया, ‘‘तुम्हारा काम हो जाएगा. एक घंटे के बाद मेरी बताई हुई जगह पर अपनी बीवी की लाश तलाश कर लेना.’’

‘‘काम ठीक से हो जाएगा न. मैं किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता. तुम ने अपने पैसे नहीं बताए.’’

‘‘इस के बदले में तुम्हें यह गाड़ी मुझे देनी होगी, जिस में तुम बैठे हो.’’

‘‘तुम इस गाड़ी के बजाए कैश पेमेंट ले लो.’’

‘‘कैश तुम्हारे एकाउंट में नहीं होता, सब नाविया के एकाउंट में है. इसलिए तुम से वही चीज मांगी, जो तुम्हारे पास है. यह बात तुम्हारी बीवी ने बताई थी कि कारोबार और पैसे उस के खाते में रहते हैं. तुम्हारे नाम पर बस यही कार है. वही मैं तुम से मांग रहा हूं.’’

‘‘ठीक है, कार और उस के कागजात मैं तुम्हें दे दूंगा.’’ जमील ने कहा.

‘‘वैसे एक बात पूछूं, सारा कैश तो तुम्हारी बीवी के नाम है, उस के मरने के बाद तुम क्या करोगे?’’

‘‘मैं उस के एकाउंट से पैसे निकलवा लूंगा. कई तरीके हैं. तुम फिक्र न करो. बस तुम अपना काम पक्का करो.’’

‘‘तुम मुझे गाड़ी के कागजात दो और एक घंटे के बाद उस की लाश ले लो.’’ शानी ने कहा.

‘‘एक घंटे के बाद कहां मिलोगे?’’

‘‘तुम मुझे गाड़ी के कागजात आधे घंटे में दोगे. आधे घंटे के बाद मैं खुद तुम्हें फोन करूंगा.’’ यह कह कर उस ने फोन बंद कर दिया.

फौरन ही जमील ने डैशबोर्ड खोल कर कार के कागजात निकाले, अच्छे से चैक कर के दोबारा वहीं रख दिए. उस ने सोचा गाड़ी के कागजात देने के बाद बीवी दूसरी दुनिया में पहुंच जाएगी. किस्सा खत्म. जमील जालिम और खुदगर्ज हो गया था. वह नई शादी के बारे में सोच कर खुश था. जमील ने गाड़ी घर की तरफ मोड़ी. बैडरूम की अलमारी खोल कर नाविया की चैकबुक तलाशने लगा. उसे एक भी चैकबुक नहीं मिली. उस ने सारे दराज खंगाल डाले, कहीं कुछ नहीं था. पता नहीं कहां रखी थीं. उसी वक्त शानी का फोन आ गया. उस ने कहा, ‘‘तुम्हारा काम करने के लिए मैं तुम्हारी बीवी को ले कर जा रहा हूं. तुम ऐसा करो कि डाकखाने के गेट के पास गाड़ी खड़ी कर के बाहर के बौक्स में कागज डाल दो. मैं निकाल लूंगा. फिर तुम उस जगह पहुंच जाना, जहां तुम्हारी बीवी की लाश पड़ी होगी.’’

‘‘ओके.’’

जमील ने कांपती आवाज में कहा और डाकखाने रवाना हो गया. वहां पहुंच कर कार खड़ी की और सोचा जो कुछ वह कर रहा है, वह ठीक है. उस ने खुद को तसल्ली दी. इस के अलावा कोई रास्ता नहीं था. जमील कार से बाहर निकला. काम कर के वह उस दोस्त के घर चला गया, जहां उस ने समीरा को छोड़ा था. वह कुछ दूर ही गया था कि उसे कार स्टार्ट होने की आवाज आई. उस ने देखा कोई उस की कार स्टार्ट कर के ले जा रहा था. जमील चल पड़ा. उस के दोस्त के घर समीरा मौजूद थी. वह उस के सामने बैठ गया, जैसे बहुत बड़ा जुआ खेल कर आया हो.

‘‘क्या हुआ?’’ समीरा ने बेचैनी से पूछा.

‘‘कार के बदले मैं अपनी बीवी का सौदा कर आया. कुछ देर में वो उस का काम तमाम कर देंगे और मुझे फोन पर खबर मिल जाएगी कि रेल की पटरी पर उस की लाश पड़ी है. लाश देख कर आने के बाद हम निकाह कर लेंगे ताकि तुम्हारे भाईभाभी की बोलती बंद हो जाए.’’ जमील ने बताया.

‘‘फिर उस के बाद क्या होगा?’’ समीरा ने पूछा.

‘‘तुम अभी तो अपने घर चली जाना. मैं किसी और नाम से पुलिस को लाश की खबर दे दूंगा. मैं ने पुलिस में रिपोर्ट लिखाते वक्त उस की फोटो भी वहां दे दी थी. पुलिस मुझे बुला कर पूछताछ करेगी. मैं अपनी कहानी पर डटा रहूंगा. कुछ दिनों में मामला ठीक हो जाएगा, फिर हम एक साथ रहना शुरू कर देंगे.’’ जमील ने बताया. समीरा गहरी सोच में डूब गई. वह अपनी जगह से उठी, पर्स उठाया और सख्ती से बोली, ‘‘मैं जा रही हूं.’’

जमील हैरान हुआ, ‘‘तुम कहां जा रही हो?’’

‘‘मैं तुम से निकाह नहीं करूंगी, चाहे कुछ हो जाए.’’ समीरा ने दो टूक कहा. जमील भौचक्का रह गया, ‘‘तुम यह क्या कह रही हो. तुम मुझ से निकाह क्यों नहीं करोगी? तुम्हें एकाएक क्या हो गया?’’

समीरा उस की तरफ देखते हुए बोली, ‘‘तुम जालिम इंसान हो. कल को क्या पता, तुम मेरा भी ऐसा ही सौदा कर दो.’’ कहती हुई समीरा तेजी से बाहर निकल गई.

जमील घबरा कर उस के पीछे भागा, ‘‘मेरी बात तो सुनो समीरा.’’

‘‘मैं कोई बात नहीं सुनना चाहती. मैं तुम से मोहब्बत करती हूं, यह सच है. पर अब मुझे तुम से डर लग रहा है.’’ समीरा तेजी से बाहर निकल गई. बिना पीछे देखे आगे बढ़ गई. जमील ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि समीरा उसे इस तरह छोड़ कर चली जाएगी. फिर अचानक जमील को खयाल आया कि वह कम से कम अपनी पत्नी नाविया की जान बचा ले. ताकि उस से माफी मांग कर सब कुछ पहले जैसा कर ले, जिस के लिए उस ने नाविया की जान की भी परवाह नहीं की. उसे अहसास हुआ कि उसे पत्नी को जान से मरवाने वाली बात समीरा को नहीं बतानी चाहिए थी. यदि वह ऐसा करता तो शायद समीरा उसे छोड़ कर नहीं जाती.

खैर, अब तीर कमान से निकल चुका था. उस की समझ में बेहतर हल यही आ रहा था कि नाविया की जान बचा कर उस से माफी मांग ली जाए. वह बहुत सीधी है, जरूर माफ कर देगी. उस ने जेब से मोबाइल निकाला और शानी को फोन लगाने लगा. लेकिन इस से पहले ही शानी का फोन आ गया.

‘‘मैं ने आप का काम कर दिया है. रेलवे प्लेटफार्म से कुछ ही आगे पटरी पर आप की बीवी की लाश पड़ी मिल जाएगी. देख लीजिए, मुझे अब काल मत करना. मैं यह फोन बंद कर के इसे फेंकने जा रहा हूं.’’ कह कर शानी ने फोन बंद कर दिया. जमील को जैसे बड़ा झटका लगा. फिर जब उसे जरा होश आया तो वह टैक्सी कर के सीधे रेलवे स्टेशन पहुंच गया. वह एक तरफ चला, प्लेटफार्म पर 2-4 पैसेंजर ही थे. वह पटरी देखते हुए आगे बढ़ने लगा. पटरी पर कुछ भी दिखाई नहीं दिया. वह एक तरफ खड़ा हो कर दूर तक देखने लगा. अचानक उस के पीछे आहट हुई और साथ ही नाविया की आवाज उस के कानों से टकराई.

‘‘जमील, तुम मेरी लाश ढूंढ रहे हो?’’

जमील ने चौंक कर उस की तरफ देखा. वह नाविया ही थी. जमील की आंखों में देख रही थी. उस के माथे पर चोट का निशान था.

‘‘तुम जिंदा हो?’’ जमील के मुंह से निकला.

‘‘मुझे जिंदा देख कर तुम्हें हैरत और परेशानी हो रही है. तुम ने मुझे जान से मार देने का सौदा किया था. यह भी नहीं सोचा कि अपनी उस बीवी को जान से मरवाना चाहते हो जो तुम्हें बेहद प्यार करती है. शानी भाई ने जो कुछ तुम्हें बताया, वह बिलकुल सच था.

‘‘मैं ने तुम्हारी बातें सुन ली थीं. तुम्हारे पलटते ही मैं ट्रेन से उतर गई थी. मैं ने फौरन भाई को फोन किया और उन्होंने इस जगह फोन कर के अपने दोस्त शानी को भिजवा दिया, जहां तुम अपनी महबूबा के इंतजार में खड़े थे और उस से बातें कर रहे थे.

‘‘तुम ने चोरउचक्का समझ कर मेरे मुंह पर जोर का घूंसा मारा, जिस से दीवार से टकरा कर मुझे यह चोट लग गई. इस के बाद शानी भाई ने खुद ही सारा मामला अपने हाथ में ले लिया. उन्होंने फैसला कर लिया था कि मैं एक जालिम बेवफा आदमी के साथ किसी कीमत पर जिंदगी नहीं गुजार सकती.’’ नाविया ने कहा.

‘‘मैं मानता हूं, मुझ से बड़ी गलती हुई. मैं तुम से माफी मांगता हूं.’’ जमील ने गिड़गिड़ा कर कहा.

‘‘जब महबूबा चली गई तो तुम्हें माफी मांगने का खयाल आया. वरना तुम तो मेरी लाश चाहते थे. अपने जिस दोस्त के घर तुम अपनी महबूबा को छोड़ आए थे, उसी ने मुझे फोन कर के बताया कि तुम निकाह कर रहे हो. यह अलग बात है कि उस का जमीर जरा देर से जागा.’’ नाविया बोली.

‘‘प्लीज, मुझे माफ कर दो. अब ऐसा नहीं होगा.’’ वह बेबसी से बोला.

‘‘अब भरोसा टूट गया है. अब कोई माफी नहीं. घर और कारोबार सब मेरा था. शानी भाई ने इस जगह अपने आदमी बैठा दिए हैं. बस एक गाड़ी तुम्हारे नाम थी, वह भी मैं ने तुम से अपनी मौत का सौदा कर के वापस ले ली. तुम्हें तलाक के लिए जल्दी ही अदालत से नोटिस मिल जाएगा.’’ नाविया ने बेदर्दी से कहा और जमील को शौक्ड छोड़ कर आगे बढ़ गई.

 

Family Crime : 2 लाख रुपए की सुपारी देकर कराई पत्नी की हत्या

Family Crime :  आसिफ सिद्दीकी का जमाजमाया बिजनैस था और उस की घरगृहस्थी भी अच्छी चली रही थी. लेकिन उस की ऐसी मति मारी गई कि खूबसूरत पत्नी समरीन के होते हुए उस ने अपनी साली फातिमा को अपने जाल में फांस लिया. बाद में आसिफ इस जाल में ऐसा फंसा कि…

दिल्ली की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में लोनी बौर्डर थाना एकदम दिल्ली की सीमा से सटा है. यूपी और दिल्ली की सीमा से सटा होने के कारण लोनी बौर्डर थाने की पुलिस अपराधियों पर नजर रखने के लिए 24 घंटे सतर्क रहती है. आमतौर पर इस थाने के इंचार्ज भी रातरात भर जाग कर क्षेत्र में गश्त करते रहते हैं. 11 और 12 जनवरी, 2020 की रात को लोनी बौर्डर थाने के एसएचओ इंसपेक्टर शैलेंद्र प्रताप सिंह अदालत में एक जरूरी एविडेंस के लिए शहर से बाहर गए हुए थे. थाने के एसएसआई राजेंद्र पाल सिंह थानाप्रभारी की जिम्मेदारी उठा रहे थे.

रात के करीब 4 बजे का वक्त था जब राजेंद्र पाल सिंह सरकारी जीप में अपने हमराहियों के साथ पूरे क्षेत्र में गश्त कर के थाने की तरफ लौट रहे थे कि उन्हें पुलिस नियंत्रण कक्ष से वायरलैस पर सूचना मिली कि 3-4 बदमाशों ने बेहटा हाजीपुर में मेवाती चौक पर रहने वाले कारोबारी आसिफ अली सिद्दीकी के घर में घुस कर डाका डाला है और लूटपाट का विरोध करने पर व्यापारी की पत्नी समरीन का गला दबा दिया है. वायरलैस से मिली सूचना इतनी ही थी, लेकिन इतनी गंभीर थी कि राजेंद्र पाल सिंह ने थाने न जा कर घटनास्थल पर पहुंचने को प्राथमिकता दी. वहां से मेवाती चौक की दूरी करीब 4 किलोमीटर थी, वहां तक पहुंचने में उन्हें महज 10 मिनट का वक्त लगा.

मेवाती चौक पर आसिफ अली सिद्दीकी का घर मुख्य सड़क पर ही था. वहां आसपड़ोस के काफी लोगों की भीड़ घर के बाहर जमा थी. घर में रोनेपीटने की आवाजें आ रही थीं. वहां पहुंचने पर पता चला कि आसिफ अली सिद्दीकी कुछ लोगों के साथ अपनी पत्नी समरीन को जीटीबी अस्पताल ले गया है, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया है. वारदात के बारे में ज्यादा जानकारी तो कोई नहीं दे सका, लेकिन यह जरूर पता चल गया कि पुलिस नियंत्रण कक्ष को वारदात की सूचना पड़ोस में रहने वाले रईसुद्दीन ने दी थी. रईसुद्दीन ने एसएसआई राजेंद्र पाल सिंह को बताया कि रात करीब पौने 4 बजे आसिफ ने अपनी छत पर चढ़ कर ‘‘बचाओ… बचाओ.. डकैत.. डकैत’’ कह कर चिल्लाना शुरू किया था.

जिस के बाद आसपड़ोस में रहने वाले वहां एकत्र हो गए थे. पड़ोसियों ने आसिफ के घर के मुख्यद्वार के बाहर से लगी कुंडी खोली थी, जिसे बदमाश भागते समय बाहर से लगा गए थे. चूंकि समरीन की हत्या आपराधिक वारदात के दौरान हुई थी, इसलिए उस का पोस्टमार्टम कराने की काररवाई पुलिस को ही करनी थी. इसलिए राजेंद्र पाल सिंह ने अपने सहयोगी एसआई विपिन कुमार को स्टाफ के साथ जीटीबी अस्पताल रवाना कर दिया. विपिन कुमार ने जीटीबी अस्पताल पहुंच कर इमरजेंसी में मौजूद डाक्टरों से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि समरीन को जब लाया गया था, उस से पहले ही उस की मृत्यु हो चुकी थी.

विपिन कुमार ने डाक्टरों से बातचीत कर उन के बयान दर्ज किए और शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. लिखापढ़ी की औपचारिकताओं को पूरी करने में सुबह के करीब 6 बज चुके थे. आसिफ का रोरो कर बुरा हाल था. विपिन कुमार ने आसिफ को ढांढस बंधाया और उसे अपने साथ ले कर उस के घर मेवाती चौक पहुंच गए. इस दौरान एसएसआई राजेंद्र पाल सिंह ने घटना की सूचना से लोनी के सीओ राजकुमार पांडे, एसपी (देहात) नीरज जादौन और एसएसपी कलानिधि नैथानी को अवगत करा दिया था. एसएसपी कलानिधि नैथानी ने एक दिन पहले ही गाजियाबाद में एसएसपी का पद संभाला था. उन के आते ही जिले में गंभीर अपराध की ये पहली घटना थी.

सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी कुछ ही देर बाद घटनास्थल पर पहुंच गए. सीओ राजकुमार पांडे ने डौग स्क्वायड की टीम के साथ फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और क्राइम टीम को भी मौके पर बुला लिया था. इन सभी टीमों ने घटनास्थल पर पहुंच कर अपना अपना काम शुरू कर दिया. यह सब काररवाई चल ही रही थी कि एसआई विपिन कुमार आसिफ को ले कर उस के घर पहुंच गए. इस के बाद आसिफ से पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. उस ने अपने साथ हुई घटना का ब्यौरा देना शुरू कर दिया.

आसिफ ने सुनाया वाकया आसिफ ने बताया कि शनिवार रात को वह मकान की पहली मंजिल पर अपनी पत्नी समरीन (32) व 2 बच्चों के साथ सो रहा था. रात करीब एक बजे कमरे में आहट हुई. वह उठा तो सामने मुंह पर कपड़ा बांधे 2 बदमाश खड़े थे. जब तक वह कुछ समझ पाता, बदमाशों ने उस पर तमंचा तान दिया और शोर मचाने पर गोली मारने की धमकी दी. इस बीच एक बदमाश ने साथ में सो रहे डेढ़ वर्षीय बेटे तैमूर और पत्नी की गरदन पर छुरा रख दिया. इस के बाद बदमाशों ने उस के और पत्नी के हाथ बांध दिए. बदमाशों ने उन से मारपीट करते हुए पूछा कि 5 लाख रुपए कहां हैं.

‘‘कैसे रुपए, कौन से रुपए…’’ उस ने बदमाशों से पूछा. उस ने बदमाशों को बता दिया कि वह छोटा सा कारोबार करता है, उस के घर में इतनी बड़ी रकम कहां से आएगी. जब आसिफ ने रुपए न होने की बात कही तो एक बदमाश ने धमकी दी कि तुम्हारी गरदन काट देंगे. यह सुन कर उस की पत्नी समरीन की चीख निकल गई. इस से घबराए एक बदमाश ने रजाई से समरीन का मुंह दबा दिया. इस के बाद एक बदमाश ने अलमारियों की चाबी ले कर अंदर रखे एक लाख 30 हजार रुपए कैश व करीब 70 हजार रुपए के गहने निकाल लिए. आसिफ ने यह भी बताया कि ये गहने उस ने अपनी साली की शादी में देने के लिए बनवाए थे, जिस की मार्च में शादी है.

आसिफ ने बताया कि इस बीच एक बदमाश बाहर गया और जीने पर खड़े अपने साथी से बात करने लगा, जीने पर खड़ा बदमाश अंदर नहीं आना चाह रहा था. घर से बाहर गए बदमाश ने उस से कहा कि 5 लाख रुपए नहीं मिल रहे, इस पर बाहर खड़े बदमाश ने कहा कि 5 लाख रुपए घर में ही हैं. ऊपर वाले कमरे में जा कर देखो. आसिफ ने बताया कि गहने व कैश निकालने के बाद एक बदमाश आसिफ को गनपौइंट पर मकान की तीसरी मंजिल पर ले गया, जबकि दूसरा बदमाश समरीन का मुंह रजाई से दबाए वहीं खड़ा रहा. तीसरी मंजिल पर उन का साला जुनैद (15 साल), बेटी उजमा (12 साल) और बेटा आतिफ (9 साल) सो रहे थे. वहां पहुंच कर बदमाशों ने जुनैद को उठाया और उस के हाथ पैर बांध दिए. उन्होंने जुनैद से 5 लाख रुपए के बारे में पूछा और मारपीट की.

इस बीच पहली मंजिल पर समरीन का मुंह दबाने वाला बदमाश उस के डेढ़ साल के बेटे तैमूर को ऊपर ले कर आया और उस की गरदन पर छुरा रख कर 5 लाख रुपए मांगे. आसिफ का कहना था कि यह देख वह रोते हुए बदमाशों के पैरों मे गिर पड़ा और उसे छोड़ने के लिए कहा. इस पर बदमाशों ने बच्चे को छोड़ दिया और उन सभी को कमरे में बंद कर के धमकी दी कि यदि आधे घंटे से पहले कमरे से बाहर निकले तो सभी को मार डालेंगे. इस के बाद वे फरार हो गए. जाने से पहले वे घर के मुख्यद्वार की कुंडी भी बाहर से लगा गए. बदमाशों के जाने के बाद मचाया शोर आसिफ के साले का कहना था कि डर की वजह से वे लोग 20 मिनट तक चुप रहे. इस के बाद आसिफ ने किसी तरह हाथ की रस्सी खोली और खिड़की के पास जा कर पड़ोसी राशिद को आवाज लगाई.

पड़ोसियों ने पहले मुख्यद्वार की कुंडी खोली फिर मकान के भीतर आ कर कमरे को बाहर से खोला.  वह वहां से पहली मंजिल पर पत्नी को देखने गया तो वह बेहोश मिली. पड़ोसियों की मदद से वह पत्नी को अस्पताल ले गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. आसिफ के मुंह से पूरी वारदात की कहानी सुनने के बाद एसएसपी ने एसपी (देहात) को इस वारदात का जल्द से जल्द  खुलासा करने की हिदायत दी. जिस के बाद सीओ राजकुमार पांडे के निर्देश पर लोनी बौर्डर थाने में 12 जनवरी की सुबह धारा 452/394/302/34/120बी/ भादंवि के तहत मुकदमा पंजीकृत करा लिया गया. इस केस की जांच का काम एसएसआई राजेंद्र पाल सिंह को सौंपा गया.

घटना का खुलासा करने के लिए सीओ राजकुमार पांडे ने राजेंद्र पाल सिंह के अधीन एक विशेष टीम का गठन भी कर दिया, जिस में एसआई विपिन कुमार, हैड कांस्टेबल मनोज कुमार, कांस्टेबल विपिन कुमार, मनोज और दीपक को शामिल किया गया. उसी दोपहर पुलिस ने समरीन के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव उस के परिजनों के सुपुर्द कर दिया. परिजनों ने उसी शाम गमगीन महौल में समरीन के शव को सुपुर्दे खाक कर दिया. आसिफ अली सिद्दीकी मूलरूप से मेरठ के जानी कलां गांव का रहने वाला है. उस के पिता अफसर अली गांव में खेतीबाड़ी का काम करते हैं. अफसर अली की 6 संतानों में 5 लड़के और एक लड़की है. आसिफ (43) भाइयों में तीसरे नंबर पर है. सभी भाईबहनों की शादी हो चुकी है.

आसिफ अली ने युवावस्था में बैटरी की प्लेट बनाने का काम सीखा था. सन 2006 में उस की शादी जानी कलां के रहने वाले तनसीन की बेटी समरीन से हुई थी, जिस से उस के 3 बच्चे हुए, 2 बेटे और एक बेटी. बड़ा बेटा आतिफ (9) साल का है जबकि सब से छोटा तैमूर अभी डेढ़ साल का है. बेटी उजमा तीनों बच्चों में सब से बड़ी है. तनसीन अली बेटी समरीन की शादी से कई साल पहले गांव छोड़ कर लोनी के बेहटा की उत्तरांचल विहार कालोनी में आ बसे थे. उन्होंने छोटा सा प्लौट खरीद कर अपना घर बना लिया था. तनसीन फैक्ट्रियों से माल खरीद कर किराने की दुकानों पर सप्लाई करते थे, जिस से उन के परिवार की गुजरबसर ठीकठाक हो रही थी. बेटी समरीन के निकाह में भी उन्होंने अच्छा पैसा खर्च किया था. शादी के बाद समरीन गांव में पति आसिफ के साथ हंसीखुशी जीवन बिता रही थी.

आसिफ भी खूबसूरत पत्नी को बेइंतहा प्यार करता था. वक्त तेजी से गुजर रहा था. समरीन एक के बाद 2 बच्चों की मां बन गई. पहले उजमा का जन्म हुआ फिर आतिफ पैदा हुआ. 2 बच्चे हो गए तो घर के खर्च भी बढ़ गए, लेकिन कमाई कम थी. इसलिए आसिफ ने गांव छोड़ कर शहर में बसने का फैसला किया.  आसिफ ने लोनी में बढ़ाया अपना धंधा सन 2014 में सासससुर की सलाह पर आसिफ लोनी के बेहटा आ कर किराए के मकान में रहने लगा. यहीं पर उस ने अपना बैटरी की प्लेट बनाने का कारोबार बढ़ाना शुरू किया. एक साल के भीतर ही उस ने अपने पिता और ससुर की मदद से मेवाती चौक के पास 50 गज का एक प्लौट ले कर उस में तीनमंजिला मकान बना लिया.

आसिफ ने ग्राउंड फ्लोर पर अपनी वर्कशौप और गोदाम बनाया जबकि पहले दूसरे व तीसरे फ्लोर पर वह खुद रहने लगा. परिवार तेजी से बढ़ रहा था. डेढ़ साल पहले समरीन ने एक और बेटे को जन्म दिया. मेहमानों का भी घर में आवागमन रहता था, इसलिए आसिफ ने तीसरे फ्लोर को आनेजाने वालों के ठहरने और बच्चों की पढ़ाईलिखाई के लिए रखा हुआ था. आसिफ का इकलौता साला जुनैद अपने जीजा के पास रह कर काम सीख रहा था. हालांकि आसिफ की ससुराल उस के घर से 2 किलोमीटर की दूरी पर थी, इसलिए जुनैद कभी अपने घर चला जाता था तो कभी अपनी बहन के घर पर ही रुक जाता था.

आसिफ और उस की ससुराल वाले एकदृसरे के यहां रोज आतेजाते थे और एकदृसरे की कुशलक्षेम लेते रहते थे. लोनी में आने के बाद समरीन को यह फायदा हो गया था कि वह अपने परिवार के आ गई थी. हर दुखसुख में मातापिता और भाईबहन उस के साथ खड़े नजदीक थे. आसिफ की जिंदगी मजे में गुजर रही थी कि अचानक 11 जनवरी की रात जब बदमाशों ने उस के घर में घुस कर लूटपाट की तो इस हादसे में बीवी समरीन की मौत के बाद उस की दुनिया ही उजड़ गई. विवेचना अधिकारी राजेंद्र पाल सिंह ने आसिफ से पूछताछ के बाद जब उस के परिवार की पूरी कुंडली खंगाली तो उन्होंने अपना ध्यान घटनाक्रम की कडि़यों को जोड़ने पर केंद्रित कर दिया.

दरअसल राजेंद्र पाल ने कई बार घटनास्थल का निरीक्षण किया तो पाया कि 50 गज के तीनमंजिला मकान में एंट्री का एक ही रास्ता है, जो भूतल पर बने मुख्यद्वार के रूप में है. इसी फ्लोर पर आसिफ की वर्कशाप है. आसिफ का मकान चारों तरफ से ऊपर व नीचे से पूर्णत: बंद था, कहीं से भी घर में प्रवेश करने का कोई और रास्ता नहीं था. बाहरी व्यक्ति का आने व जाने का अन्य कोई रास्ता नहीं था. मकान में बाहरी बदमाशों के घुसने के लिए कोई दरवाजा खिड़की या लौक टूटा नहीं नहीं मिला. मतलब कि दरवाजे से फ्रैंडली एंट्री हुई थी. सीसीटीवी की फुटेज से यह बात तो साफ हो गई कि वारदात को अंजाम देने के लिए घर में 3 बदमाश घुसे थे. आसिफ ने भी अपने बयान में यह बात कही थी कि वारदात में शामिल बदमाशों की संख्या 3 से 4 थी, लेकिन उस ने देखा 3 को ही था.

बस इतना समझना बाकी था कि बदमाशों को घर में आने के लिए घर के ही किसी व्यक्ति ने दरवाजा खोला था या परिवार के लोग गलती से दरवाजा बंद करना भूल गए थे. हालांकि आसिफ ने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि घर के मुख्यद्वार को अंदर से उसी ने बंद किया था. दूसरी अहम गुत्थी यह थी कि सीसीटीवी कैमरे में आसिफ के घर की तरफ आने वाले लोग 9 बजे के करीब आए थे और रात को पौने 4 बजे वापस जाते दिखे थे. पीडि़तों के मुताबिक वारदात करने का वक्त 1 से 3 बजे के बीच का था. अब सवाल यह था कि वारदात को अंजाम देने वाले बदमाश करीब 4-5 घंटे तक कहां छिपे रहे. अगर वे घर के बाहर होते तो सीसीटीवी कैमरे में या लोगों की नजर में जरूर आते. अगर वे घर के अंदर आ कर छिप गए थे तो परिवार में किसी को इस की भनक क्यों नहीं लगी.

13 जनवरी को लोनी बौर्डर थाने के प्रभारी निरीक्षक शैलेंद्र प्रताप सिंह छुट्टी से वापस लौट आए. उन्हें थाना क्षेत्र में हुई इस वारदात की सूचना मिली तो उन्होंने जांच अधिकारी एसएसआई राजेंद्र पाल सिंह को बुला कर मामले की विस्तार से जानकारी ली. जब राजेंद्र पाल सिंह ने एसएचओ को अपने शक के बारे में बताया तो उन्होंने आसिफ को हिरासत में ले कर पूछताछ करने के लिए कहा. आसिफ से की पूछताछ अपने सीनियर अधिकारी की हरी झंडी मिलते ही राजेंद्र पाल सिंह ने पूछताछ के बहाने आसिफ को थाने बुला लिया. इस दौरान उन्हें मुखबिरों की मदद से एक बात पता चल चुकी थी कि आसिफ रंगीनमिजाज है. अपनी पत्नी से उस का अकसर झगड़ा होता था. दोनों के बीच विवाद का कारण कोई महिला थी.

हालांकि जांच अधिकारी ने समरीन के पिता तनसीन को बुला कर इस जानकारी की पुष्टि करनी चाही, लेकिन वे कोई ठोस जानकारी नहीं दे सके. उन्होंने इतना जरूर बताया था कि आसिफ और समरीन में पिछले कुछ महीनों से अकसर झगड़ा और मारपीट होती थी. लेकिन वे बेटी के घर में ज्यादा दखल देना नहीं चाहते थे, क्योंकि यह तो घरघर में होता है. उन्होंने कालोनी में 3 मकान छोड़ कर एक घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की उस रात की फुटेज निकलवा ली थी, जिस से पता चला कि 11 जनवरी की रात 9 बजे 3 लोग आसिफ के मकान तक गए थे. वही लोग 12 जनवरी की सुबह करीब 3.35 बजे मकान से निकल कर गली से बाहर जाते हुए दिखे.

पुलिस ने आसपड़ोस में रहने वाले लोगों से पूछा कि क्या उस रात किसी के घर कोई मेहमान तो नहीं आए थे. पता चला कि आसपड़ोस के किसी भी मकान में उस रात कोई अतिथि नहीं आया था. चूंकि आसिफ का मकान गली के अंतिम सिरे पर था और गली आगे से बंद भी थी, इसीलिए जांच अधिकारी को शक हुआ कि कहीं ऐसा तो नहीं कि इस परिवार का ही कोई सदस्य बदमाशों से मिला हुआ हो और उस ने ही बदमाशों के लिए दरवाजे खोले हों. आसपड़ोस के लोगों ने पूछताछ में इस बात की पुष्टि जरूर कर दी थी कि उन्होंने उस रात करीब 9 बजे गली में 3 अनजान लोगों को जाते देखा था. लेकिन वे लोग किस के यहां जा रहे हैं, इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था.

कुछ लोगों ने साढ़े 8 बजे के करीब आसिफ को अपने घर के मुख्यद्वार के बरामदे में बैठ कर काम करते हुए देखा था. ये सारी बातें इस बात की तरफ इशारा कर रही थीं कि हो न हो घर का कोई सदस्य बदमाशों से मिला हुआ हो. चूंकि आसिफ की पत्नी समरीन की हत्या हो चुकी थी, इसलिए उस पर शक करने का कोई औचित्य नहीं था. अब 2 ही पुरुष सदस्य थे, जिन पर शक किया जा सकता था. एक था आसिफ का साला जुनैद और दूसरा खुद आसिफ. चूंकि जुनैद अभी 15 साल का किशोर था और दीनदुनिया से वाकिफ नहीं था, इसलिए जांच अधिकारी राजेंद्र पाल सिंह की नजरें आसिफ पर आ कर ठहर गईं. उन्होंने आसिफ को पूछताछ के बहाने थाने बुलवा लिया.

टूट गया आसिफ आसिफ से गहनता से पूछताछ शुरू हो गई. जांच अधिकारी राजेंद्र पाल सिंह ने पहले तो उस से इधरउधर की पूछताछ शुरू की. लेकिन फिर उन्होंने आसिफ से सीधा सपाट सवाल किया, ‘‘देखो आसिफ, हमें सब पता चल गया है कि तुम ने अपनी बीवी को खुद मरवाया है. अब सीधे तरीके से यह बता दो कि वो लड़की कौन है, जिस के लिए तुम ने अपनी पत्नी की हत्या करवाई? हमें यह भी पता है कि बदमाशों को तुम ने ही बुलाया था.’’

राजेंद्र पाल सिंह ने तीर तो अंधेरे में मारा था, लेकिन लगा एकदम निशाने पर. इस तरह के सवाल की आसिफ को उम्मीद नहीं थी वह घबरा गया. जांच अधिकारी ने उसे और ज्यादा डरा दिया.

‘‘देखो, अगर सच बता दोगे तो हम तुम्हें बचा भी सकते हैं, लेकिन सच नहीं बताया तो…’’

आसिफ की घबराहट चरम पर पहुंच गई. अप्रत्याशित रूप से वह जांच अधिकारी सिंह के पांवों में गिर गया, ‘‘सर, मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई. मैं अपनी साली से शादी करना चाहता था, इसलिए पत्नी को मरवा दिया. मुझे माफ कर दीजिए सर, सारी जिंदगी आप की गुलामी करूंगा. किसी तरह बचा लीजिए.’’

एसएचओ शैलेन्द्र प्रताप सिंह को उम्मीद नहीं थी कि पुलिस द्वारा तुक्के में कही गई बात का ऐसा असर होगा कि आसिफ इतनी जल्दी गुनाह कबूल कर लेगा. उस ने एक बार अपना गुनाह कबूला तो फिर पुलिस को पूरे हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. थोड़ी सी हिचकिचाहट और टालमटोल के बाद आसिफ ने बताया कि लगभग 3 साल से उस का अपनी साली के साथ अफेयर चल रहा था. एक बार उस की पत्नी बीमार हो गई थी, उसे अस्पताल में भरती करना पड़ा. समरीन की मां शमशीदा अस्पताल में बेटी की तीमारदारी के लिए रुक गई थीं, जबकि छोटी बेटी फातिमा को उन्होंने बच्चों की देखभाल के लिए आसिफ के घर भेज दिया था.

वैसे तो तनसीन की तीनों ही बेटियां सुंदर थीं, लेकिन जवानी की दहलीज पर खड़ी सब से छोटी बेटी फातिमा बला की खूबसूरत थी. उसे देख कर आसिफ सोचता था कि अगर उस की शादी फातिमा से हुई होती तो कितना अच्छा होता. फातिमा को वह प्यार भरी नजरों से देखता था. लेकिन जब अपनी बहन की बीमारी और उस के अस्पनताल में होने के कारण फातिमा को जीजा के घर आ कर रहना पड़ा तो मानो आसिफ की हसरतों को बल मिल गया.  न जाने कैसे एक दिन फातिमा जब वाशरूम में नहा रही थी तो जल्दबाजी में आसिफ बाथरूम में घुस गया. उस दिन पहली बार आसिफ ने अपनी हसीन साली का संगमरमर में तराशा हुआ बदन देखा तो उस पर मदहोशी छा गई. रिश्ते की मर्यादा भूल कर उस ने फातिमा को वहीं पर अपनी बांहों में भर लिया.

फातिमा जीजा की बांहों में कसमसाई, विरोध किया लेकिन आसिफ पर हवस का भूत सवार था. थोड़ा विरोध करने के बाद फातिमा भी जीजा की बांहों में समा गई. फातिमा के शरीर को पहली बार किसी मर्द के स्पर्श का अहसास मिला था. वह पहली बार हुआ एक हादसा था. लेकिन इस के बाद फातिमा और आसिफ के बीच इस नाजायज रिश्ते की कहानी हर रोज लिखी जाने लगी. चंद रोज बाद समरीन अस्पताल से ठीक हो कर वापस घर आ गई. कुछ दिन तीमारदारी के बहाने फातिमा बहन के घर पर ही रही. आसिफ को जब भी मौका मिलता, वह उसे अपनी बांहों में ले कर अपनी भूख मिटा लेता. फातिमा को भी अब जीजा आसिफ का इस तरह उस के शरीर को मसलना अच्छा लगने लगा था.

कुछ दिन बाद फातिमा वापस घर चली गई. हालांकि घर इतनी दूर भी नहीं था कि आनाजाना न हो सके. इस घटना के बाद फातिमा अकसर किसी बहाने से बहन के घर आनेजाने लगी. इसी बीच डेढ़ साल बाद समरीन गर्भवती हुई तो फातिमा एक बार फिर बहन की तीमारदारी के लिए महीने भर उस के घर आ कर रही. इस दौरान फिर से दोनों के बीच नाजायज रिश्तों  का अध्याय लिखा जाने लिखा. साली को घरवाली बनाने की थी योजना समरीन ने छोटे बेटे तैमूर को जन्म  दिया. लेकिन तब तक आसिफ और फातिमा के बीच नाजायज रिश्ते की भनक न तो समरीन को लगी थी न ही फातिमा के परिवार वालों को. लेकिन फातिमा के शरीर की गंध पाने के बाद आसिफ को अपनी पत्नी समरीन से लगाव कम होने लगा था.

अचानक आसिफ के मन में फातिमा को अपना बनाने की लालसा तेज होने लगी. उस ने सोचा कि अगर समरीन मर जाए तो वह अपने बच्चों की देखभाल के लिए ससुराल वालों को मौसी को उन की मां बनाने के लिए तैयार कर सकता है. लेकिल सवाल था कि हट्टीकट्टी और जवान समरीन मरेगी कैसे. आसिफ के मन में उसी समय यह खयाल आया कि क्यों न समरीन को किसी ऐसे तरीके से मार दिया जाए कि उस की मौत सब को स्वाभाविक लगे. बस ये खयाल मन में आते ही उस के दिमाग में साजिश के कीडे़ रेंगने लगे. आसिफ का एक दोस्त था रविंद्र जो गोविंद टाउन, बेहटा हाजीपुर में रहता था और वहीं पर जनकल्याण क्लीनिक चलाता था.

वैसे तो रविंद्र झोलाछाप डाक्टर था, लेकिन आसिफ के साथ खानेपीने के कारण उस की दोस्ती हो गई थी. आसिफ अपने बच्चोें को उसी से दवा वगैरह दिलवाता था. उस ने अपने मन की बात एक दिन रविंद्र को बताई. उस ने कहा कि इलाज के बहाने वह समरीन को ऐसा इंजेक्शन लगा दे कि उस की मौत हो जाए.  रविंद्र इस काम के लिए राजी तो हो गया लेकिन उस ने इस काम के लिए पैसे मांगे. आसिफ ने कह दिया कि वह काम कर दे, इस के बदले वह उसे मोटी रकम देगा. लिहाजा डा. रविंद्र ने उसे एक ऐसी दवा दे दी जिस को खाने के बाद समरीन पर रिएक्शन होना था. लेकिन संयोग से उस दवा को खाने के बाद जो थोड़ाबहुत असर हुआ, उसे समरीन ने घरेलू उपचार कर के ठीक कर लिया.

पहली साजिश फेल हो गई तो डा. रविंद्र ने कहा, ‘‘चलो तुम्हें एक और डाक्टर संदीप से मिलाता हूं, जो  लोनी मे श्री साईं क्लीनिक चलाते हैं.’’

रविंद्र ने संदीप से आसिफ की मुलाकात कराई और उस का मकसद बताया. आसिफ का काम करने के लिए संदीप ने पैसे की मांग की तो आसिफ ने दोनों को 30 हजार रुपए दे दिए. डा. संदीप ने एक दिन बुखार के इलाज के बहाने आसिफ के साथ उस के घर जा कर समरीन को एक जहरीला इंजेक्शन भी दिया, लेकिन कई दिन इंतजार के बाद भी समरीन की मौत नहीं हुई तो आसिफ निराश हो गया. इस दौरान संदीप और रविंद्र आसिफ से मिले पैसे से मौजमस्ती करने के लिए मंसूरी चले गए. जब वापस लौटे तो उन्हें पता चला कि इंजेक्शन से भी समरीन की मृत्यु नहीं हुई है. इसलिए आसिफ उन से पैसे वापस मांगने लगा.

तब संदीप ने कहा कि वह एक आदमी के जरिए इस काम को सफाई से करवा सकता है लेकिन इस काम में थोड़ी ज्यादा रकम लगेगी. आसिफ इस के लिए भी तैयार हो गया. लेकिन इस दौरान आसिफ की साली फातिमा का उस के घर आनाजाना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया समरीन ने देखा की फातिमा उसे छोड़ कर अपने जीजा के आसपास कुछ ज्यादा मंडराती है, तो उसे शक हुआ. उस ने दोनों के ऊपर निगाहें रखनी शुरू कर दीं. शक यकीन में तब बदल गया, जब एक दिन फातिमा चाय देने के बहाने नीचे वर्कशाप में आसिफ के पास पहुंची और आसिफ ने लपक कर उसे अपनी बांहों में भर लिया.

संयोग से शक की पुष्टि के लिए समरीन पीछे से आ गई और सबकुछ अपनी आंखों से देख लिया. उस दिन खूब हंगामा हुआ. उस दिन समरीन ने छोटी बहन को खूब डांटा और आसिफ से उस की जम कर लड़ाई हुई. समरीन ने अपने मातापिता को तो बहन के बारे में कुछ नहीं बताया, लेकिन परिवार वालों पर जोर देना शुरू कर दिया कि वह जल्द से जल्द  फातिमा के लिए अच्छा सा लड़का देख कर उस का निकाह कर दें. परिवार वालों ने उस के लिए लड़का देख लिया और 7 मार्च, 2020 निकाह की तारीख तय कर दी. इस बीच फातिमा के निकाह को ले कर समरीन और आसिफ में अकसर झगड़ा होने लगा. आसिफ समरीन से कहता था कि 2 बहनें एक साथ एक ही पति की बेगम बन कर भी तो रह सकती हैं. पता नहीं जिस से फातिमा की शादी हो वो लोग कैसे हों, उसे सुख दे सकें या नहीं. बस इसी बात पर दोनों में झगड़ा इस कदर बढ़ता कि मारपीट तक हो जाती.

दोनों के बीच मारपीट की बात समरीन के मातापिता तक पहुंची, लेकिन समरीन ने उन्हें कभी हकीकत का पता नहीं लगने दिया. जब आसिफ ने देखा कि समरीन उस के और फातिमा के रास्ते का कांटा बन चुकी है तो उस ने आखिरकार उस की हत्या के लिए आखिरी साजिश का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. आसिफ ने डा. संदीप से कहा कि अब वह जल्द  से जल्द समरीन की हत्या वाला काम करवा दे. बदमाश सुनील शर्मा से किया संपर्क इस के बाद संदीप आसिफ को अपने साले के साले के साले सुनील शर्मा निवासी भीमपुर, थाना बहजोई, जिला मुरादाबाद के पास ले गया, जो इन दिनों लोनी की पुश्ता कालोनी में रहता था. आसिफ को जब पता चला कि सुनील शर्मा आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है और पहले उत्तराखंड जेल में भी रह चुका है तो उसे यकीन हो गया कि यह आदमी उस का काम कर देगा.  जहरीला इंजेक्शन

आसिफ ने सुनील से 2 लाख रुपए मे समरीन की हत्या का सौदा पक्का कर लिया, जिस में से लगभग 90 हजार रुपए आसिफ ने सुनील को 2-3 बार में दे दिए. लेकिन जैसेजैसे फातिमा की शादी नजदीक आ रही थी, वैसेवैसे आसिफ को समरीन की हत्या की जल्दी होने लगी थी. 9 जनवरी, 2020 को आसिफ ने सुनील से बेहटा हाजीपुर में उत्तरांचल सोसाइटी के पास मुलाकात की और बताया कि 11-12 जनवरी की रात को उसे यह काम पूरा करना है. उस ने सुनील को पूरा प्लान भी समझा दिया. इस काम में सुनील ने अपने 2 अपराधी दोस्तों को भी शामिल कर लिया था. प्लान के मुताबिक 11 जनवरी, 2020 की रात सुनील अपने दोनों साथियों के साथ मेवाती चौक पर आसिफ के घर के बाहर पहुंचा. योजना के मुताबिक आसिफ दरवाजा खोल कर काम कर रहा था. उस ने नीचे वाले कमरे में सुनील व उस के दोनों साथियों को बैठा दिया और खुद सोने के लिए ऊपर चला गया.

आधे घंटे में खाना खाने के बाद उस ने अपने साले और बेटे, जो मोबाइल पर गेम खेल रहे थे, से मोबाइल ले कर बंद कर दिए और जल्दी से सोने को कहा, ताकि सुबह जल्दी उठा जा सके. उस ने जीने की तरफ आने वाले गेट की कुंडी नहीं लगाई थी ताकि सुनील व उस के साथी आसानी से दरवाजा खोल कर ऊपर आ सकें. आसिफ हत्या में खुद भी रहा शामिल प्लान के मुताबिक रात 1 से 3 बजे के बीच में सुनील अपने दोनों साथियों के साथ उस कमरे में आया, जहां आासिफ व उस की बीवी सो रहे थे. आसिफ ने उन तीनों के साथ मिल कर पहले अपनी पत्नी समरीन की गला घोंट कर हत्या करवा दी. फिर अपने हाथपैर बंधवा कर ऊपरी मंजिल पर ले जाने के लिए कहा. ताकि ऊपर सो रहे साले व लड़के को लगे कि वास्तव में बदमाशों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया है.

हत्या हो जाने के बाद आसिफ ने बदमाशों से कहा कि 23 हजार रुपए और लगभग 70 से 75 हजार रुपए का हार अलमारी में रखा है, जिसे तुम अपने शेष एक लाख रुपए के रूप में ले लो. वारदात के दौरान उस ने अपने हाथ थोड़ा ढीले बंधवाए ताकि उन के जाने के कुछ देर बाद वह हाथ खोल कर शोर मचा सके.  किसी को शक न हो इसलिए उस ने ही बदमाशों को ऊपर के कमरे में सब को बंद कर के कुंडी बाहर से बंद करने और जाते समय मकान के मुख्यद्वार को बाहर से बंद करने का आइडिया दिया था. आसिफ से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसी शाम झोलाछाप डाक्टर रविंद्र और संदीप को भी समरीन की हत्या की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

आसिफ ने जो प्लान तैयार किया था, उस में उस ने एक गलती कर दी थी. उसेये ध्यान ही नहीं रहा कि जब पूरे घर में घुसने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है तो बिना जबरदस्ती किए बदमाश घर के अंदर दाखिल कैसे हो गए. इस बात का वह क्या जवाब देगा. बस यहीं से पुलिस को उस पर शक होना शुरू हो गया. गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी आसिफ और उस के दोनों सहयोगियों रविंद्र और संदीप को आवश्यक पूछताछ के बाद जांच अधिकारी राजेंद्र पाल सिंह ने अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया. बाकी 3 फरार आरोपियों में से सुनील शर्मा को पुलिस ने 17 जनवरी, 2020 को लोनी क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में सुनील ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया. उस के दोनों साथियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं.

मात्र 72 घंटे में ब्लाइंड मर्डर व डकैती केस को सुलझाने के लिए एसएसपी गाजियाबाद कलानिधि नैथानी ने विवेचक और लोनी बौर्डर थाने की पुलिस टीम को 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की है.

—कथा पुलिस जांच व अभियुक्तों से हुई पूछताछ पर आधारित. फातिमा परिवर्तित नाम है.

 

 

Mumbai Crime : बेटी के शव के 3 टुकड़े किए फिर काले बैग में भर कर फेंका

Mumbai Crime : महिला के धड़ का हिस्सा आटोरिक्शा वालों के लिए भी रहस्य था और पुलिस वालों के लिए भी. लेकिन सीसीटीवी फुटेज से पुलिस ने अपनी ही बेटी के हत्यारे अरविंद तिवारी को भी खोज निकाला और हत्या का रहस्य भी ढूंढ लिया…

उस दिन दिसंबर 2019 की 8 तारीख थी. समय था सुबह के साढ़े 5 बजे. मुंबई के कल्याण स्टेशन पर  अच्छीखासी भीड़ थी. स्टेशन के बाहर दरजनों आटोरिक्शा खड़े थे. सलीम भी सवारी के इंतजार में अपना आटोरिक्शा लिए खड़ा था. तभी एक व्यक्ति बड़ा सा काला बैग लिए उस के आटो के पास आया और बैग को आटोरिक्शा में रखते हुए बोला, ‘‘भिवंडी के गोवानाका पर छोड़ दो, थोड़ी जल्दी है.’’

ऐसी कम ही सवारी होती हैं, जो बिना पूछे रिक्शा में बैठ जाएं. क्योंकि इस से पहले यह जानना भी जरूरी होता है कि आटोचालक वहां जाएगा भी या नहीं, जहां सवारी को जाना है. थोड़ा अजीब लगा तो सलीम ने उसे नीचे से ऊपर तक देखा. तभी उसे अजीब सी बदबू आई जो उस के काले बैग से आ रही थी. उस के बैठने से पहले ड्राइवर ने पूछा, ‘‘इस बैग में क्या है, कहीं लाश तो नहीं?’’

अनूप की बात सुनते ही वह आदमी काले बैग को रिक्शा में छोड़ कर स्टेशन के अंदर की ओर भाग गया. अनूप ने काला बैग रिक्शा से निकाल कर बाहर रखा और यह बात अपने साथी आटो रिक्शा चालकों को बताई. जरा सी देर में सारे आटो चालक एकत्र हो गए. भीड़ बढ़ी तो आतेजाते लोग भी रुकने लगे. सब का एक ही कहना था कि काले बैग में लाश हो सकती है. सभी ने राय दी कि बैग के बारे में पुलिस को बताना चाहिए. कल्याण रेलवे स्टेशन के बाहर ही महात्मा फुले चौक पुलिस थाना है. कई आटो रिक्शा ड्राइवर थाने में गए और यह बात पुलिस को बता दी. उस वक्त मंगेश डोइफोड और सिपाही सोंगाल ड्यूटी पर थे. रिक्शा वाले उन्हें स्टेशन के बाहर उस जगह ले गए जहां काला बैग रखा था.

बदबू से उन्हें भी लगा कि बैग में जरूर किसी की लाश है. दोनों पुलिस वालों ने इस की सूचना थाने के सीनियर इंसपेक्टर प्रकाश लोंढे और इंसपेक्टर (क्राइम) संभाजी जाधव को दी. सूचना मिलते ही दोनों पुलिस अफसर आटोरिक्शा स्टैंड पर पहुंच गए. पुलिस ने वहां मौजूद लोगों में से 2 को गवाह बना कर काले बैग को खुलवाया. जैसी कि पहले ही उम्मीद थी, काले बैग में एक गठरी में बंधा महिला का कमर से नीचे का हिस्सा नजर आया. करीब 25-26 साल की मृतका पीले रंग की लेगिंग पहने थी, रंग गोरा था. बिना सिर और धड़ के मृतका को पहचानना संभव नहीं था. हत्यारा कौन था, यह तो दूर की बात थी, यह पता लगाना भी आसान नहीं था कि मृतका के धड़ को वहां तक लाने वाला कौन था.

इंसपेक्टर प्रकाश लोंढे ने इस घटना के बारे में अपने वरिष्ठ अधिकारियों डीसीपी विवेक पानसरे और एसीपी अनिल पवार को बताया. सूचना मिलते ही दोनों अधिकारी कल्याण स्टेशन पहुंच गए. वहां आटो स्टैंड के पास काफी भीड़ जमा थी. पुलिस ने आटो रिक्शा वाले से काला बैग ले कर आने वाले व्यक्ति का पूरा हुलिया पूछा.  उस ने बताया कि काला बैग लाने वाला कल्याण स्टेशन के अंदर भाग गया था. आटोरिक्शा चालक ने यह भी बताया कि वह लाल रंग की शर्ट पहने हुए था. महिला की लाश का हिस्सा मिलने की सूचना क्राइम ब्रांच की यूनिट नंबर 1 और 3 को भी दे दी गई थी.

खबर मिलते ही दोनों ब्रांचों के वरिष्ठ पुलिस इंसपेक्टर नितिन ठाकरे और संजू जैन भी अपनीअपनी टीम के साथ कल्याण स्टेशन पहुंच गए. बताते चलें कि मुंबई में किसी भी अपराध की जांच थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच साथसाथ करती हैं. सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग पुलिस और क्राइम ब्रांच ने साथ जांच शुरू करने से पहले महिला के शरीर के हिस्से को पोस्टमार्टम के लिए रुक्मिणीबाई अस्पताल भेज दिया, प्राथमिक कररवाई के बाद सब से पहले कल्याण स्टेशन के बाहर वाले सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी गई. फुटेज में लाल रंग की शर्ट वाला व्यक्ति कंधे पर काला थैला लटकाए स्टेशन के बाहर आता दिखाई दिया. कुछ देर बाद वह भाग कर स्टेशन के अंदर भी जाता दिखाई दिया. पुलिस ने सीसीटीवी की वह फुटेज आटोरिक्शा वाले को दिखाई तो उस ने उसे पहचान लिया.

इस हत्या के संदर्भ में पुलिस ने थाना महात्मा फुले चौक में भादवि की धारा 302, 201 के तहत  केस दर्ज कर लिया. इस केस का जांच अधिकारी क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर संभाजी को नियुक्त किया गया. अब पुलिस को यह पता लगाना था कि थैले और लाल शर्ट वाला व्यक्ति ट्रेन में चढ़ा किस स्टेशन से था. काफी खोजबीन के बाद पता चला कि वह व्यक्ति कल्याण स्टेशन से 15 किलोमीटर दूर टिटवाला स्टेशन से चढ़ा था. वहां के सीसीटीवी में वह काला थैला लिए स्टेशन के अंदर आता दिखाई दिया. इस का मतलब वह किसी आटो से वहां तक आया होगा. आटोरिक्शा चालक उसे पहचान सकते थे. उन से यह भी पता चल सकता था कि उस ने आटोरिक्शा में काला बैग कहां से रखा था. टिटवाला इलाके में उस व्यक्ति का पता लगाने की जिम्मेदारी सब इंसपेक्टर संजय बाबर को सौंपी गई.

संजय बाबर और उन की पुलिस टीम ने टिटवाला रेलवे स्टेशन के बाहर खड़े रहने वाले आटोरिक्शा चालकों को फोटो दिखा कर काले बैग वाले के बारे में पूछताछ की. मेहनत तो करनी पड़ी, लेकिन कुछ लोगों ने उसे पहचान लिया. एक व्यक्ति ने बताया कि वह टिटवाला के मांडा रोड़ पर रहता है. मांडा रोड़ पर पूछताछ की गई तो पता चला वह इंदिरा नगर की किसी चाल में रहता है. पुलिस टीम ने इंदिरा नगर में पूछताछ की तो पता चला उस का नाम अरविंद तिवारी है और वह साईनाथ नगर की चाल में रहता है. पुलिस टीम साईनाथ नगर की चाल पहुंची, वहां अरविंद की चाल तो मिल गई लेकिन वह घर पर नहीं था. अलबत्ता उस की चाल में बदबू जरूर आ रही थी. इस से पुलिस टीम समझ गई कि वहां कुछ बहुत बुरा हुआ था. टीम लीडर संजय बाबर ने यह बात अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बता दी.

पुलिस ने आसपास रहने वालों से अरविंद तिवारी के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि वह मुंबई मलाड की पवन हंस लौजिस्टिक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करता है. यह भी पता चला कि अरविंद तिवारी वहां अपनी बेटी प्रिंसी के साथ रहता है. यह जानकारी क्राइम ब्रांच को दी गई तो पुलिस ने उसे ट्रांसपोर्ट कंपनी से गिरफ्तार कर लिया. बाद में क्राइम ब्रांच ने उसे थाना महात्मा फुले चौक की पुलिस को सौंप दिया. पुलिस ने अरविंद तिवारी से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबूलते हुए बताया कि उस ने अपनी बेटी प्रिंसी का मर्डर किया था. हत्या का कारण उस ने बताया कि प्रिंसी अंतरजातीय विवाह करना चाहती थी, जो उसे मंजूर नहीं था.

अरविंद तिवारी ने आगे बताया कि उस ने बेटी का धड़ और सिर गठरी में बांध कर कल्याण के दुर्गाडी किले की खाड़ी में फेंक दिए थे. पुलिस ने दमकल विभाग, मछुआरों और उस क्षेत्र में आने जाने वालों की मदद से 2 दिन की मेहनत के बाद शरीर के दोनों हिस्से बरमद कर लिए. इधर आटो चालकों मोहम्मद खालिद और सलीम बाबू ने अरविंद तिवारी को पहचान लिया, काले बैग में शरीर का नीचे का हिस्सा भर कर वही कल्याण स्टेशन पर उतरा था और आटो से कहीं जाना चाहता था. अरविंद तिवारी उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर का रहने वाला था. उस की 4 बेटियां थीं, जो गांव में मां के साथ रहती थीं. सालों पहले अरविंद कामकाज की तलाश में मुंबई चला आया था.

मुंबई से सटे थाणे की तहसील टिटवाला के इंदिरा नगर स्थित साईनाथ नगर में उस ने किराए पर एक चाल ले ली और वहीं रहने लगा. जल्दी ही उसे मलाड की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी मिल गई. इस तरह अरविंद तिवारी थाणे में रह कर अपने परिवार का भरणपोषण करने लगा. 6-6 महीने के अंतराल पर वह घर चला जाता था. मां के साथ रह कर उस की तीन बेटियां पढ़ रही थीं. उस की बड़ी बेटी प्रिंसी की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी. दकियानूसी सोच ने बनाया हत्यारा प्रिंसी ने अपने पिता अरविंद से कहा कि वह थाणे में उस के पास रह कर नौकरी करना चाहती है. अरविंद को यह बात अच्छी लगी, क्योंकि प्रिंसी के नौकरी करने से घर में 2 कमाने वाले हो जाते. इसी के मद्देनजर वह प्रिंसी को थाणे ले आया. अरविंद काम पर चला जाता तो प्रिंसी अपने लिए नौकरी ढूढ़ती. जल्दी ही उसे कालसेंटर में नौकरी मिल गई.

प्रिंसी को थाणे आए एक साल से ज्यादा हो गया था. बापबेटी चैन से रह रहे थे. तभी अरविंद ने महसूस किया कि प्रिंसी में बदलाव आने लगा है. वह काम से आती भी देर से थी. दुनिया देख चुका अरविंद समझ गया कि जरूर कोई चक्कर है. उस ने जब इस बारे में पता लगाया तो पता चला प्रिंसी का एक युवक से चक्कर चल रहा है. वह युवक भी उसी कालसेंटर में काम करता था. अरविंद को यह जानकारी भी मिली कि प्रिंसी उस युवक के हाथों में हाथ डाल कर बेखौफ घूमती है. अरविंद ने इस बारे में प्रिंसी से प्यार से पूछा, लेकिन वह बहाना बना कर टाल गई. बेटी की बातें सुन कर अरविंद चुप रह गया. उस की समस्या यह थी कि वह जल्दी काम पर जाता था और देर शाम लौटता था.

बाप से बातचीत के बाद भी प्रिंसी की दिनचर्या में कोई परिवर्तन नहीं आया. अरविंद ने उसे कई बार फोन पर देर तक बातें करते भी देखा. अब अरविंद को लगने लगा कि प्रिंसी उस से झूठ बोलती है. वह किसी दिन परिवार की इज्जत को पलीता लगा कर अपने प्रेमी के साथ भाग जाएगी. दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांव कस्बों के तमाम लोग मुंबई और उस से जुड़े थाणे व अन्य जगहों पर रहते हैं. ये लोग मुंबई में पैसा कमा कर घर भेजते हैं. पैसा कमाने के लिए मुंबई में रहने वाले ऐसे लोग न तो मुंबई को अपना बना सके और न ही गांव के रहे. इस के बावजूद ऐसे लोगों में घर परिवार और इज्जत की हनक गांव वाली ही रहती है. ये लोग बच्चों की शादियां और दूसरे समारोह गांवबिरादरी में ही करते हैं. अरविंद तिवारी भी ऐसा ही था.

जब प्रिंसी में कोई बदलाव नहीं आया तो अरविंद तिवारी ने उसे समझाया, ऊंचनीच की बातें बताईं. परिवार की इज्जत का रोना रोया. यह दांव न चलता देख अरविंद तिवारी ने एक नई चाल चली. उस ने प्रिंसी से कहा कि गांव में उस के लिए लड़का देख लिया गया है. सगाई और शादी के लिए उसे गांव जाना होगा. सच्चाई खोद निकाली पुलिस ने इस पर प्रिंसी की हकीकत सामने आ गई. उस ने पिता से दोटूक कह दिया, ‘‘मैं कालसेंटर में काम करने वाले एक लड़के से प्यार करती हूं और उस से शादी करूंगी’’

अरविंद ने बेटी को समझाने की लाख कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी. इस की जगह वह विद्रोह पर उतर आई. प्रिंसी के तेवर देख अरविंद उस के बारे में गहराई से सोचने लगा. उसे यह बात खाए जा रही थी कि जब गांव के लोग प्रिंसी के बारे में पूछेंगे तो क्या जवाब देगा. प्रिंसी की जिद को ले कर उस के मन में गुस्सा भरा था. ऐसी ही मनोस्थिति में उस ने प्रिंसी को मौत के घाट उतारने का फैसला कर लिया. अपनी सोच को परिणाम तक पहुंचाने के लिए अरविंद तिवारी कल्याण से तेजधार वाला एक चाकू खरीद लाया, जिसे उस ने घर में छुपा कर रख दिया था. 5 दिसंबर, 2019 की शाम को प्रिंसी ने खाना बनाया, बापबेटी ने साथ बैठ कर खाना खाया.

इस के बाद प्रिंसी सोने के लिए अपने कमरे में चली गई. करीब आधी रात को जब प्रिंसी गहरी नींद में सोई थी, अरविंद चाकू ले कर उस के कमरे में पहुंचा और उस का गला रेत दिया. प्रिंसी मर गई तो अरविंद ने उस के शरीर के 3 हिस्से किए ताकि उन्हें अलगअलग जगहों पर फेंक सके. इन तीनों हिस्सों को उस ने पहले ही खरीद कर लाए पौलीथिन के काले रंग के बड़े से थैलों में अलगअलग भर दिया. इन में से सिर और धड़  वाले थैले वह रिक्शा में रख कर दुर्गाडी पुल पर ले गया. वहां से रिक्शा वापस लौटा कर उस ने दोनों थैले घाटी में फेंक दिए. अब प्रिंसी का धड़ से नीचे का हिस्सा बाकी बचा था. दुर्भाग्य से वह उसे 3 दिन तक नहीं फेंक सका और उस में से दुर्गंध आने लगी.

ऐसे में पासपड़ोस वालों को शक हो सकता था. इसलिए 8 दिसंबर को वह शेष बचा तीसरा थैला ले कर घर से निकला और टिटवाला से कल्याण की ट्रेन पकड़ ली. लेकिन दुर्भाग्य से वह जिस आटो में बैठने जा रहा था, उस के चालक ने बदबू महसूस कर के पूछ लिया, ‘‘थैले में लाश तो नहीं है?’’

अरविंद के मन में चोर था, इसलिए वह भाग निकला. फिर भी पुलिस उस तक पहुंच ही गई. अरविंद से विस्तृत पूछताछ के बाद उस की निशानदेही पर प्रिंसी का धड़ और सिर बरामद हो गया और वह चाकू भी, जिस से उस ने प्रिंसी का कत्ल किया था. सारी पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.