UP Crime News : ताबीज से खुला रहस्य

UP Crime News : अर्जुन से शादी हो जाने के बाद कीर्ति को अपने प्रेमी सौरभ से दूरी बना लेनी चाहिए थी. लेकिन उस ने ऐसा करने के बजाए प्रेमी को अपनी ससुराल में बुलाना शुरू कर दिया. बाद में इस का जो नतीजा निकला वह…

उत्तर प्रदेश का एक जिला है मैनपुरी. इसी जिले के गांव भहलोई में रहते थे सौरभ और मूर्ति देवी. वह जवानी की दहलीज पर कदम रख चुके थे. इस उम्र में युवकयुवतियों का एकदूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है. इन दोनों के साथ भी यही हुआ. दोनों एकदूसरे के आकर्षण में बंधते चले गए. दोनों को एकदूसरे से कब प्यार हो गया, इस का उन्हें एहसास ही नहीं हुआ. बाद में उन की स्थिति ऐसी हो गई कि जब तक वह एकदूसरे को देख नहीं लेते थे, उन्हें चैन नहीं मिलता था. मूर्ति के पिता जीतपाल सिंह किसान थे. उन के 4 बच्चों में ऋषि, मूर्ति, सुषमा व सब से छोटा बेटा सोनू था.

मूर्ति और सौरभ का प्यार परवान चढ़ रहा था. धीरेधीरे उन के प्यार के चर्चे गांव में होने लगे. यह खबर जब मूर्ति के पिता जीतपाल के कानों तक पहुंची तो बेटी की बदनामी को ले कर वह परेशान हो गए. इस से बचने के लिए उन्होंने मूर्ति की शादी करने का फैसला लिया. वह उस के लिए उचित लड़का ढूंढने लगे. उन की कोशिश रंग लाई और उन्होंने 19 वर्षीय बेटी मूर्ति की शादी फिरोजाबाद जिले के कस्बा शिकोहाबाद के गांव मोहिनीपुर के रहने वाले श्याम सिंह के बेटे अर्जुन सिंह के साथ 30 अप्रैल, 2018 को कर दी. श्याम सिंह भी खेतीकिसानी करते थे. प्रेमिका की शादी हो जाने के बाद सौरभ मायूस हो गया. अब मूर्ति के बिना उसे गांव में अच्छा नहीं लगता था. वह मूर्ति से मिलने के लिए बेचैन हो उठा. मूर्ति से मिलने की खातिर उस ने अर्जुन के भाई उदयवीर से किसी तरह दोस्ती कर ली.

अब सौरभ कभीकभी मोहिनीपुर मूर्ति की ससुराल आने लगा. ससुराल वालों के सामने वह मूर्ति से बातचीत भी कर लेता था. धीरेधीरे सौरभ का आनाजाना बढ़ गया. वह बेहिचक घर आता और मूर्ति से घंटों हंसीठिठोली करता. ससुराल वालों को यह पता नहीं था कि सौरभ और मूर्ति का पहले से कोई चक्कर है. लिहाजा उन्होंने उन के मिलने की बात को गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन बाद में अर्जुन को सौरभ का बारबार उस के घर के चक्कर लगाना अच्छा नहीं लगा तो अर्जुन ने सौरभ को अपने घर आने से साफ मना कर दिया. सौरभ भी बेशरम था. वह नहीं माना और मना करने के बावजूद वह मूर्ति से मिलने पहुंच जाता. तब अर्जुन और उस के घर वाले उसे बेइज्जत कर के भगा देते थे.

7 सितंबर, 2019 को सौरभ फिर अर्जुन के घर पहुंच गया. घर वालों के विरोध पर गांव के लोगों ने उसे पकड़ लिया और उस की पिटाई कर दी. इस के बाद उसे गांव में दोबारा न आने की नसीहत देते हुए भगा दिया. इस पूरे मामले की जानकारी अर्जुन ने अपनी सास मोहरश्री व बड़े साले ऋषि कुमार को दी. सूचना मिलने पर दोनों 9 सितंबर को मोहिनीपुर आ गए. ससुराल वालों ने शिकायत करते हुए सौरभ के घर आने और मूर्ति से बात करने का विरोध जताया. तब मोहरश्री और उस के बेटे ने मूर्ति को समझाया कि वह सौरभ से बात न किया करे. मूर्ति को समझा कर वे दोनों रात को मूर्ति की ससुराल में ही रुके. मूर्ति ने मां और अपने भाई से वादा तो कर लिया था कि वह आइंदा सौरभ से बात नहीं करेगी लेकिन उस के मन में तो अलग ही खिचड़ी पक रही थी.

वह सौरभ को हरगिज छोड़ना नहीं चाहती थी. और उसी रात को वह ससुराल से रहस्यमय ढंग से गायब हो गई. 10 सितंबर की सुबह जब घर वालों की अांखें खुलीं तो इस घटना का पता चला. घर वालों ने मूर्ति की तलाश भी की, लेकिन वह नहीं मिली. अर्जुन सिंह ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर अपनी पत्नी के भाग जाने की खबर दी. कुछ ही देर में शिकोहाबाद थाने की पुलिस गांव पहुंच गई. पुलिस ने इस संबंध में अर्जुन सिंह की तरफ से सौरभ के खिलाफ पत्नी मूर्ति को आभूषण व 50 हजार की नकदी सहित बहलाफुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने सौरभ और मूर्ति को ढूंढने में दिलचस्पी नहीं दिखाई बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

मूर्ति के घर वाले ही उसे सरगर्मी से तलाश करते रहे लेकिन दोनों का कोई सुराग नहीं मिला. फिरोजाबाद जिले का एक थाना है सिरसागंज. इस थाने का गांव भदेसरा निवासी चौकीदार रमेशचंद्र है. उस ने 20 सितंबर, 2019 की सुबह थाने में आ कर सूचना दी कि गांव में बचान सिंह के खेत में खड़ी बाजरे की फसल के बीच एक अधजली लाश पड़ी है. जो देखने में एक महिला की प्रतीत हो रही है. तत्कालीन थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर ने विस्तार से चौकीदार से पूछताछ की. चौकीदार ने बताया कि वह सुबह खेतों की तरफ गया था. वहां बचान सिंह के बाजरे के खेत से एक कुत्ता एक व्यक्ति की टांग का कुछ हिस्सा ले कर बाहर निकला. इस पर जिज्ञासावश वह खेत में कुछ अंदर की तरफ गया. वहां का जो दृश्य देखा तो वह परेशान हो गया.

वहां एक महिला के सिर के टुकड़े, बाल, दांत व एक पैर गली हुई अवस्था में पड़ा था. इस के साथ ही पसलियों की हड्डियां व कंकाल भी खेत में पड़ा था. इस सूचना पर थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ भदेसरा गांव में स्थित बाजरे के खेत में पहुंच गए. यह गांव थाने से लगभग 6 किलोमीटर दूर था. पुलिस जब वहां पहुंची तो बाजरे के खेत के बीचोंबीच एक जली हुई लाश क्षतविक्षत कंकाल के रूप में पड़ी थी. कुछ अधजले कपड़े आदि भी पुलिस ने खेत से बरामद किए. थानाप्रभारी ने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. इस के बाद बिना किसी देरी के अवशेषों को एकत्र कर उन्हें मोर्चरी भेज कर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस को घटनास्थल के निरीक्षण से पता चला कि लाश को कई दिन पूर्व रात के समय खेत के बीचोंबीच ले जा कर जलाया गया था. इस से यह बात साफ हो गई थी कि महिला की हत्या के बाद उस के शव को यहां चोरीछिपे ला कर हत्यारों ने किसी ज्वलनशील पदार्थ की मदद से जलाया था. लाश किस महिला की है, इस का पता लगाया जाना बहुत जरूरी था, लिहाजा पुलिस ने लाश के अस्थिपंजरों के फोटो सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से खूब प्रसारित किए. लेकिन पुलिस को इस में कोई सफलता नहीं मिली. मृतका की पहचान न हो पाने तथा हत्यारे का भी पता न चलने के कारण इस मामले के विवेचक ने सुरागरसी जारी रखते हुए 8 मार्च, 2020 को मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.

सितंबर, 2020 में एसएसपी (फिरोजाबाद) सचिंद्र पटेल थाना शिकोहाबाद में निरीक्षण कर रहे थे. इस दौरान उन की जानकारी में एक मामला आया. मामला यह था कि मोहिनीपुर के रहने वाले अर्जुन सिंह ने शिकोहाबाद में 10 सितंबर, 2019 को एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस में कहा गया था कि उस की पत्नी मूर्ति देवी सौरभ नाम के अपने प्रेमी के साथ घर से कुछ नकदी व आभूषण ले कर भाग गई है. मामले के विवेचक ने इस संबंध में कोई काररवाई नहीं की थी. एसएसपी ने इस केस को खोलने के लिए एएसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई. उन्होंने इस काम में एसओजी व सर्विलांस सैल को भी लगा दिया. जिम्मेदारी मिलने के तुरंत बाद एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह चौहान की टीम ने अपना काम शुरू कर दिया.

टीम ने जिले के विभिन्न थानों से इस संबंध में लापता महिलाओं की जानकारी जुटानी शुरू कर दी. जांच में पता चला कि अर्जुन सिंह द्वारा शिकोहाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के 10 दिन बाद ही सिरसागंज थाना पुलिस ने एक महिला का बाजरे के खेत से कंकाल बरामद किया था. इस जानकारी के बाद पुलिस टीम थाना सिरसागंज पहुंची. टीम ने महिला के कंकाल के साथ ही मिले अन्य सामान को देखा. इस सामान में कंकाल से प्राप्त ताबीज, एक रुपए का छेद वाला सिक्का व अन्य सामान भी था. पुलिस ने लापता मूर्ति देवी के पिता जीतपाल सिंह निवासी मैनपुरी को बुला कर वह सारा सामान दिखाया.

जीतपाल ने ताबीज व सिक्के को देखते ही बता दिया कि यह सारा सामान उन की बेटी मूर्ति का ही है. वह हमेशा अपने गले में यह ताबीज व एक रुपए का सिक्का काले धागे में पहनती थी. इसी के आधार पर उन्होंने बताया कि खेत में मिला कंकाल उन की बेटी मूर्ति का ही था. मृतका की शिनाख्त होने पर एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह चौहान व थाना सिरसागंज के थानाप्रभारी गिरीशचंद्र गौतम को लगा कि दाल में जरूर कुछ काला है. टीम ने इस मामले में संदिग्ध लग रहे लोगों से पूछताछ शुरू कर दी. चूंकि अर्जुन ने सौरभ के खिलाफ पत्नी को भगा कर ले जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, इसलिए पुलिस भहलोई गांव में स्थित उस के घर गई. सौरभ घर से गायब मिला. इस के बाद पुलिस ने पूछताछ के लिए मृतका के ससुराल वालों को कई बार बुलाया.

कई बार बुलाए जाने के बाद भी मृतका के ससुरालीजन यहां तक कि मृतका का पति अर्जुन भी पुलिस के सामने नहीं आया. इस से पुलिस का संदेह और मजबूत हो गया. उधर सर्विलांस टीम ने बताया कि पता चला कि जिस जगह पर कीर्ति के अस्थिपंजर मिले थे, वहां पर घटना वाले दिन कीर्ति के पति अर्जुन और जेठ उदयवीर के फोन की लोकेशन भी वहीं की मिली. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने 30 नवंबर,2020 को सुबह करीब सवा 8 बजे सोथरा चौराहा फ्लाईओवर से मृतका मूर्ति देवी के पति अर्जुन व जेठ उदयवीर को हिरासत में ले लिया. पुलिस दोनों को थाना सिरसागंज ले कर आई. थाने में दोनों से गहनता से पूछताछ की. दोनों भाइयों ने स्वीकार कर लिया कि मूर्ति की हत्या उन्होंने ही की थी. इस के बाद उन्होंने उस की लाश ठिकाने लगाई.

केस का खुलासा होने के बाद एसएसपी सचिंद्र पटेल ने पुलिस लाइन सभागार में प्रैस कौन्फ्रैंस कर के हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. इस हत्याकांड के पीछे प्रेम संबंधों की चौंकाने वाली कहानी सामने आई. मूर्ति देवी की शादी के कुछ महीने बाद ही उस के पति अर्जुन को पता चल गया था कि शादी से पहले से ही मूर्ति के संबंध गांव के ही सौरभ से हैं. उस ने यह बात अपने बड़े भाई उदयवीर को बताई. दूसरे युवक से प्यार करने की बात ने अर्जुन के कलेजे को चीर कर रख दिया था. यह बात उसे अंदर ही अंदर खाए जा रही थी. नफरत की आग उस के सीने में सुलग रही थी. उस ने भाई उदयवीर के साथ मिल कर मूर्ति देवी को रास्ते से हटाने और बाद में दूसरी शादी करने का निर्णय लिया.

अर्जुन के बड़े भाई उदयवीर की दोस्ती मूर्ति के प्रेमी सौरभ से थी. योजना के अनुसार उन्होंने 9 सितंबर, 2019 को मूर्ति को सौरभ के साथ जाने दिया. सौरभ प्रेमिका मूर्ति को इटावा ले गया. सुबह होने पर अर्जुन ने यह बात फैला दी कि मूर्ति घर से भाग गई है. चूंकि उस के संबंध सौरभ से थे, इसलिए अर्जुन ने सौरभ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. कुछ दिनों बाद अर्जुन व उदयवीर ने षडयंत्र के तहत मूर्ति को सौरभ के पास से ले आए और रात में उस के गले में गमछा (अंगौछा) डाल कर उस का गला दबा दिया. जिस से उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए अर्जुन और उस के भाई उदयवीर ने लाश को पड़ोसी से मांगी गई मोटरसाइकिल पर बीच में इस प्रकार बैठाया मानो वह किसी बीमार को ले जा रहे हों.

हत्या के बाद शव को करीब 6 किलोमीटर दूर गांव भदेसरा में एक बाजरा के खेत में ले जा कर पैट्रोल छिड़क कर जला दिया था. पूछताछ के दौरान आरोपी उदयवीर ने बताया था कि मूर्ति की हत्या में सौरभ भी शामिल था. लेकिन पुलिस का मानना है कि ऐसा केवल सौरभ को फंसाने के लिए वह कह रहा है. हत्या दोनों भाइयों ने ही प्रेमी सौरभ से चलते प्रेम संबंधों को ले कर की थी. मृतका के पिता जीतपाल के अनुसार उन की बेटी मूर्ति गर्भवती थी. हत्यारों ने उस पर जरा भी रहम नहीं किया और उस की गर्भवती बेटी को मार डाला. घटना को अंजाम देने के बाद दोनों भाई वापस अपने गांव आ गए थे. पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त गमछा तथा मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली.

पूछताछ के बाद गिरफ्तार दोनों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. घटना का परदाफाश करने वाली टीम में थानाप्रभारी गिरीशचंद्र गौतम, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह चौहान, एसआई रनवीर सिंह के अलावा कांस्टेबल (एसओजी) राहुल यादव, रविंद्र कुमार, भगत सिंह, नदीम खान व थाना सिरसागंज के कांस्टेबल विजय कुमार व कुलदीप सिंह आशीष शुक्ला व मुकेश कुमार शामिल थे. एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इस घटना का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपए का ईनाम दिया.

हत्यारे निश्चिंत थे कि वह अपनी योजना में पूरी तरह सफल हो गए हैं लेकिन 14 महीने बाद पुलिस ने ताबीज के जरिए इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा कर आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Mainpuri News : बहन को गोली मारी और गड्ढा खोदकर दफनाया

Mainpuri News : चांदनी की गलती यह थी कि उस ने अपने घर वालों की मरजी के खिलाफ दूसरी जाति के युवक से प्रेम विवाह कर लिया था. इस गलती की उसे इतनी खतरनाक सजा मिलेगी, ऐसा चांदनी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था…

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद के थाना किशनी अंतर्गत एक बड़ी आबादी वाला गांव है फिरंजी. इस गांव के कश्यप नगर मोहल्ले में उदयवीर कश्यप अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी सुखरानी के अलावा 5 बेटे सुधीर, सुनील, समीर, सुशील, सुमित तथा बेटी चांदनी थी. उदयवीर किसान था. खेती से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. उस के 2 बेटे सुधीर व सुनील तो उस के साथ खेती के काम में हाथ बंटाते थे. जबकि 3 बेटे शहर में रह कर प्राइवेट नौकरी करते थे. उदयवीर गांव का दबंग व्यक्ति था. उदयवीर की बेटी चांदनी 5 भाइयों के बीच इकलौती थी, सो वह सब की दुलारी थी. इसी लाड़प्यार की वजह से वह ज्यादा पढ़लिख नहीं सकी थी और मां के घरेलू कामों में हाथ बंटाने लगी थी.

चांदनी अपने घर में सब से अधिक सुंदर थी. उस की उम्र तो 16 वर्ष की थी. लेकिन शारीरिक रूप से वह 18 वर्ष से कम की नहीं लगती थी. मोहल्ले के कई युवक उस पर नजर रखते थे, किंतु वह किसी को अपने पास फटकने नहीं देती थी. चांदनी की बुआ कमला देश की राजधानी दिल्ली शहर के त्रिलोकपुरी क्षेत्र में रहती थी. एक बार कमला गांव फिरंजी आई तो उस ने चांदनी को अपने साथ दिल्ली ले जाने की इच्छा प्रकट की. बुआ के साथ भतीजी को भेजने में सुखरानी को कोई ऐतराज न था, इसलिए उस ने इजाजत दे दी. चांदनी ने भी दिल्ली की चकाचौंध के बारे में सुन रखा था, सो वह खुद भी दिल्ली जाने को लालायित थी.

चांदनी बुआ के साथ दिल्ली आई तो वह वहां की चकाचौंध में खो गई. उसे दिल्ली इतनी पसंद आई कि वह गांव में कम और दिल्ली में बुआ के साथ ज्यादा रहने लगी. बुआभतीजी में खूब पटती थी. कमला चांदनी का हर तरह से खयाल रखती थी. कमला त्रिलोकपुरी स्थित जिस मकान में किराए पर रहती थी, उसी मकान के ठीक सामने अर्जुन नाम का एक युवक रहता था. हंसमुख व मिलनसार अर्जुन का कमला के घर आनाजाना था. आतेजाते अर्जुन कमला के परिवार से घुलमिल सा गया था. कमला अर्जुन को बहुत मानती थी. अर्जुन भी कमला का बहुत आदर करता था. कोई भी छोटामोटा काम होता, तो वह बिना झिझक कर देता था.

अर्जुन मूलरूप से प्रतापगढ़ जिले के टोडरपुर गांव का रहने वाला था. 3 भाइयों में वह सब से छोटा था. पिता मेवाराम खेतीकिसानी करते थे. अर्जुन का मन गांव में नहीं लगा तो वह नौकरी की तलाश में दिल्ली आ गया था. कुछ माह भटकने के बाद उसे एक फैक्ट्री में नौकरी मिल गई. उस के बाद वह त्रिलोकपुरी में किराए के मकान में रहने लगा. बातचीत के दौरान अर्जुन व कमला को पता चला कि वे दोनों उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. इसी के बाद दोनों के बीच घनिष्ठ संबंध बन गए और अर्जुन का कमला के घर बेरोकटोक आनाजाना होने लगा. कमला के घर आतेजाते अर्जुन की नजर उस की भतीजी चांदनी पर पड़ी. वह उसे मन ही मन चाहने लगा. अर्जुन जब घर आता, तो चांदनी उस से तरहतरह की बातें कर लेती थी. बीचबीच में हंसीठिठोली भी हो जाती थी.

धीरेधीरे अर्जुन के साथ मेलजोल के चलते चांदनी और अर्जुन के बीच प्रेम का बीज अंकुरित हो गया. अब अर्जुन चांदनी के प्यार में रंगने लगा. वह चांदनी के होंठों की मुसकान देखने के लिए लालायित रहने लगा. प्रेम की डोर में बंधी चांदनी का मन भी अर्जुन को देख उमंग से भर उठता था. अर्जुन अब जब भी घर आता तो वह चांदनी के लिए साजशृंगार की चीजें ले आता. अर्जुन के इस तरह के बर्ताव से चांदनी अर्जुन को बहुत मानती. वह उसे बगैर चायनाश्ता के न जाने देती. भले ही अर्जुन चायनाश्ता के लिए नानुकुर करता. चांदनी की बुआ कमला भी चांदनी का पक्ष ले कर ही अर्जुन को चाय पीने को मजबूर करती.

समय बीत रहा था, लेकिन अर्जुन अपने दिल की बात चांदनी से कहने में संकोच कर रहा था. उसे डर था कि कहीं वह बुरा तो नहीं मान जाएगी. कई दिनों तक अर्जुन के मन में चांदनी का रूपलावण्य, चालढाल के अलावा तमाम बातें कौंधती रहीं. किसीकिसी दिन तो वह चांदनी को सपने में भी देखता. उस का दिल चांदनी को पाने के लिए मचल रहा था. एक दिन दृढ़ निश्चय कर के अर्जुन घर से निकला कि वह जरूर आज अपने दिल की बात चांदनी से कह देगा. अर्जुन चांदनी के घर पहुंचा. उस समय चांदनी घर में अकेली थी. दरवाजे पर आहट पाते ही फौरन ही वह घर से निकल कर बाहर आ गई और बोली, ‘‘अच्छा जी, आप हैं.’’

‘‘बुआजी कहां हैं?’’ अर्जुन ने चांदनी के चेहरे पर नजर डालते हुए पूछा.

‘‘वह अभीअभी बाजार गई हैं.’’ चांदनी मीठी आवाज में बोली.

अर्जुन के लिए अपनी बात कहने का यह सुनहरा अवसर था. कई बार वह अपने मन की बात जुबान तक लाता, लेकिन चांदनी से कहने की हिम्मत न जुटा पाता.

‘‘क्या बात है, तुम कुछ कहना चाहते हो, लेकिन अटक जाते हो.’’ चांदनी ने अर्जुन से कहा.

‘‘कुछ नहीं चांदनी.’’ अर्जुन ने झूठ बोला.

‘‘नही, कुछ तो है…’’ चांदनी ने अर्जुन की कलाई पकड़ते हुए कहा, ‘‘अब तुम को बताना ही होगा.’’

‘‘मुझे डर लग रहा है, इसलिए मत पूछो चांदनी.’’

‘‘नहीं, मैं आज पूछ कर ही मानूंगी. आखिर बात क्या है?’’

चांदनी के इन शब्दों को सुन कर अर्जुन सकपका सा गया. वह क्षण भर सोचने लगा कि यदि वह चांदनी से प्यार का इजहार करता है, तो संभव है चांदनी उस के प्यार को ठोकर मार कर कहीं अपनी बुआ को न बता दे, जिस से उसे बेइज्जत होना पड़े. अर्जुन थोड़ी देर इधरउधर की बातें करता रहा. फिर अपने मन को मजबूत करते हुए उस ने चांदनी से कहा, ‘‘मैं तुम से एक बात कहना चाह रहा हूं चांदनी. लेकिन मैं अपनी बात को कह नहीं पा रहा हूं.’’

‘‘बताओ न.’’ चांदनी ने अर्जुन को उकसाया.

‘‘चांदनी, हम दोनो अलग जातिबिरादरी के भले ही हों, लेकिन इस से क्या फर्क पड़ता है. प्यार में जाति कोई मायने नहीं रखती. मैं तुम्हारा प्यार चाहता हूं.’’

‘‘यह प्यारव्यार क्या होता है, मैं नहीं जानती.’’ चांदनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘मैं तो सिर्फ इतना जानती हूं कि मेरा मन तुम से मिलने के लिए बेचैन रहता है अर्जुन, तुम्हें देखे बगैर चैन नहीं मिलता.’’

‘‘सच चांदनी.’’ कहते हुए अर्जुन ने चांदनी को अपने आगोश में ले लिया.

‘‘छोड़ो न.’’ चांदनी ने अपने आप को छुड़ाते हुए कहा, ‘‘बुआ आती होंगी. यदि तुम्हारी इस हरकत को किसी ने देख लिया, तो जानते हो क्या होगा.’’

चांदनी ने हालांकि घर वालों से डरने की बात कही थी, लेकिन अर्जुन की मुराद पूरी हो गई थी. उस दिन से अर्जुन और चांदनी के बीच प्रेम की बेल बढ़ने लगी थी. चांदनी भावनाओं में बहने वाली युवती थी. वह अर्जुन को अपनी पूरी बातें बता देती थी. अर्जुन के प्यार का जादू चांदनी के ऊपर पूरी तरह से चल चुका था. वह उस के प्यार के चंगुल में पूरी तरह फंस चुकी थी, लेकिन चांदनी की बुआ कमला को आभास तक नहीं था कि उस की भतीजी दूसरी बिरादरी के लड़के अर्जुन के साथ प्यार करने लगी है. उसे चांदनी पर भरोसा था. क्योंकि चांदनी होशियार लड़की थी. वह अपना अच्छाबुरा अच्छी तरह समझ सकती थी.

अर्जुन और चांदनी के प्यार के चर्चे जब गलीमोहल्ले में होने लगे तो यह बात कमला के घर तक भी पहुंची. इस के बाद तो घर में खलबली मच गई. कमला ने अर्जुन को इसलिए घर में आने जाने की छूट दी थी कि वह उन की मदद करता था. लेकिन उन्हें क्या पता था कि अर्जुन उन के साथ विश्वासघात करेगा और उन की इज्जत पर हाथ डालेगा. सच्चाई जानने के बाद कमला ने चांदनी और अर्जुन दोनों को डांटाफटकारा और अर्जुन का अपने घर आने पर प्रतिबंध लगा दिया. यही नहीं कमला ने चांदनी के बहकते कदमों की जानकारी उस के मातापिता तथा भाई सुधीर व सुनील को दी. साथ ही कहा कि वे चांदनी को जल्द से जल्द आ कर गांव ले जाएं.

चूंकि मामला बेटी की इज्जत का था, सो सुखरानी अपने बेटे सुधीर व सुनील के साथ अपनी ननद कमला के घर त्रिलोकपुरी आ गई. यहां कमला ने चांदनी के दूसरी बिरादरी के लड़के से प्यार करने की बात बताई तो उसे अपने पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. मां और भाइयों ने चांदनी को पहले तो खूब डांटाफटकारा फिर मां सुखरानी ने चांदनी को प्यार से समझाया, ‘‘बेटी, कुंवारी लड़की की इज्जत सफेद चादर की तरह होती है. भूल से ही यदि इस पर धब्बा लग जाए, तो यह जीवन भर नहीं धुल सकता. इसलिए अब भी वक्त है, तुम अर्जुन को भूल जाओ और उस से नाता तोड़ दो.’’

‘‘कैसे भूल जाऊं अर्जुन को. मैं उस से प्यार करती हूं और वह भी मुझे चाहता है. हम दोनों शादी करने का फैसला कर चुके हैं.’’

‘‘यह सब बकवास है. अर्जुन हमारी जाति का लड़का नहीं है. इसलिए तुम्हारा अर्जुन के साथ रिश्ता नहीं हो सकता. फिर तुम्हारे अन्य भाई हैं. तुम ने यदि दूसरी बिरादरी के लड़के से शादी कर ली तो हमारी समाज में नाक कट जाएगी. फिर भला तुम्हारे भाइयों का रिश्ता कैसे होगा?’’

सुखरानी ने चांदनी को बहुत समझाया, लेकिन चांदनी को मां की नसीहत कतई अच्छी नहीं लगी. क्योंकि उस पर तो अर्जुन के प्यार का भूत सवार था. सुधीर व सुनील ने चांदनी से गांव चलने को कहा तो उस ने गांव जाने से मना कर दिया. सुधीर ने जबरदस्ती ले जाने की बात कही तो चांदनी ने पुलिस को फोन करने की धमकी दे दी. पुलिस की बात सुन कर कमला डर गई. वह घर में पुलिस का दखल नहीं चाहती थी. सो उस ने सुखरानी व सुधीर को समझाया कि अब वह स्वयं चांदनी पर नजर रखेगी. वे निश्चिंत हो कर गांव लौट जाएं. कमला के आश्वासन पर वे गांव लौट आए. चांदनी ने अर्जुन से रिश्ता खत्म नहीं किया. वह पहले की तरह ही उस से मिलती रही. हां, इतना जरूर हुआ कि अब दोनों खुलेआम नहीं, चोरीछिपे मिलते थे. एक रोज चांदनी अर्जुन की बांहों में मचलते हुए बोली, ‘‘अर्जुन, आखिर हम कब तक छिपछिप कर मिलते रहेंगे. तुम मुझ से शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

‘‘शादी के लिए मैं तो तैयार हूं. पर तुम्हारे घर वाले ही राजी नही हैं.’’

‘‘तुम उन की चिंता मत करो. वे राजी न हों तो क्या हुआ. हम भाग कर ब्याह कर लेंगे.’’ वह बोली.

‘‘तब ठीक है, चांदनी. जब तुम तैयार हो तो हम जल्द शादी कर लेंगे.’’ अर्जुन बोला.

इस के बाद अर्जुन गुपचुप तरीके से चांदनी से शादी करने की तैयारी करने लगा. इस बीच वह अपने गांव भी गया और अपने मातापिता को बताया कि वह चांदनी नाम की एक लड़की से शादी करना चाहता है. बेटे की खुशी की खातिर मातापिता भी शादी को राजी हो गए. फिर 12 जून, 2020 को चांदनी अपनी बुआ के घर से अर्जुन के साथ भाग गई. अर्जुन उसे प्रतापगढ़ जिले में स्थित अपने घर ले गया और प्रतापगढ़ स्थित दुर्गा माता के मंदिर में जा कर चांदनी के साथ शादी कर ली. उधर चांदनी के भाग जाने की खबर कमला ने अपने भाई उदयवीर और भाभी सुखरानी को दे दी. बेटी के भाग जाने का उन्हें भी बड़ा दुख हुआ. लेकिन अब उन्होंने न तो उसे ढूंढने की कोशिश की और न ही पुलिस से शिकायत की बल्कि उन्होंने उसे उस के हाल पर ही छोड़ दिया.

2 दिन अपने गांव टोडरपुर रहने के बाद अर्जुन वापस दिल्ली लौट आया और त्रिलोकपुरी में ही कमरा किराए पर ले कर चांदनी के साथ पतिपत्नी की तरह रहने लगा. शादी के पूर्व ही उस ने पुराना वाला कमरा खाली कर दिया था. उधर सुखरानी के बेटे सुधीर व सुनील बहन के इस गलत कदम से बौखला गए. उन्हें मन ही मन इस बात का मलाल था कि 5 भाइयों की इकलौती बहन एक दूसरी बिरादरी के लड़के अर्जुन के साथ भाग गई और वे कुछ नहीं कर पाए. चांदनी के प्रति दोनों भाइयों के दिलों में नफरत पैदा हो गई. वे उसे सबक सिखाना चाहते थे. लेकिन उन्हें त्रिलोकपुरी में उस का पताठिकाना मालूम न था. इधर शादी के 2 महीने ही बीते थे कि चांदनी को अपने भाई सुनील की याद आने लगी. क्योंकि सुनील चांदनी को बेहद प्यार करता था.

चांदनी भी भाई को बहुत प्यार करती थी. रक्षाबंधन वाले दिन जब चांदनी को भाई की सूनी कलाई की याद आई तो उस का धैर्य जवाब दे गया और उस ने भाई सुनील को फोन किया, ‘‘भैया, मैं चांदनी बोल रही हूं. आज रक्षाबंधन है न. तुम्हारी याद सता रही है.’’

बहन की आवाज फोन पर सुन कर सुनील भी भावुक हो उठा, ‘‘कहां हो बहना. मुझे भी तुम्हारी याद सता रही है. अम्मा व दादा भी तुम्हारी चिंता में डूबे रहते हैं. बहना, तुम्हारे गलत कदम से हम सब दुखी हैं. लेकिन अब हम सब ने दिल पर पत्थर रख लिया है और तुम्हारे फैसले को स्वीकार कर लिया है. अब ऐसा करो कि तुम अर्जुन के साथ गांव आ कर घूम जाओ.’’

चांदनी और सुनील के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत शुरू हुई तो फिर आए दिन होने लगी. एक दिन बातचीत के दौरान सुनील ने चांदनी से कहा कि घर के सब लोग चाहते हैं कि तुम जल्द ही एक बार गांव आ कर घूम जाओ. इस पर चांदनी ने गांव आने की हामी भर ली. शाम को अर्जुन जब फैक्ट्री से घर आया तो चांदनी ने 2-4 दिन के लिए अपने मायके जाने की इच्छा जाहिर की. अर्जुन ने पहले तो साफ मना कर दिया लेकिन बाद में मान गया. 17 नवंबर, 2020 को चांदनी त्रिलोकपुरी (दिल्ली) से अपने मांबाप के घर फिरंजी अकेली आ गई. चांदनी के मन में था कि घर पहुंचते ही उसे सब हाथोंहाथ लेंगे. पर ऐसा नहीं हुआ. घर का माहौल बदला हुआ था. सब उसे नफरत की दृष्टि से देख रहे थे. बड़ा भाई सुधीर व मां सुखरानी कुछ ज्यादा ही नाराज थी. पिता उदयवीर की भी नजर टेढ़ी थी.

दूसरे रोज सुधीर, सुनील, उदयवीर व सुखरानी ने एक कमरे में आपस में मंत्रणा की फिर चांदनी पर दबाव डाला कि वह अर्जुन का साथ छोड़ दे. यदि वह ऐसा करेगी तो वह उस का विवाह धूमधाम से अपनी ही जाति के युवक से कर देंगे. लेकिन चांदनी राजी नहीं हुई. उस ने साफ कह दिया कि उस ने अर्जुन से शादी कर ली है. वह अर्जुन का साथ किसी कीमत पर नहीं छोड़ेगी. चांदनी की बात सुधीर को नागवार लगी. गुस्से में उस ने तमंचा निकाल लिया और चांदनी के सीने में गोली दाग दी. चांदनी नीचे गिर गई और कुछ देर तड़पने के बाद उस ने दम तोड़ दिया. चांदनी की हत्या के बाद सभी ने एक राय हो कर उस की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई.

इस के लिए सुधीर और सुनील ने गांव के बाहर बंजर भूमि पर गहरा गड्ढा खोदा और फिर सब ने मिल कर उस गड्ढे में चांदनी के शव को दफन कर दिया. इधर अर्जुन परेशान था. चांदनी जब से अपने मायके गई थी, उस की बात उस से नहीं हो पा रही थी. क्योंकि उस का मोबाइल फोन बंद था. परेशान हो कर अर्जुन अपने गांव पहुंचा और सारी बात अपने मातापिता को बताई. उस ने आशंका जताई कि चांदनी के घर वालों ने उसे कैद कर लिया है. फिर 23 नवंबर, 2020 को अर्जुन अपने मातापिता के साथ फिरंजी गांव पहुंचा और चांदनी के घर वालों से अपनी पत्नी चांदनी के बारे में पूछताछ की. इस पर सुधीर व सुनील ने बताया कि चांदनी गांव आई जरूर थी. लेकिन 2 दिन बाद ही वह दिल्ली वापस चली गई थी.

अर्जुन तब त्रिलोकपुरी (दिल्ली) लौट आया. यहां वह कई रोज तक पत्नी की तलाश में जुटा रहा, जब वह नहीं मिली तो वह थाना मयूर विहार जा पहुंचा. उस ने सारी बात थानाप्रभारी कैलाश चंद्र को बताई और फिर पत्नी चांदनी के अपहरण की रिपोर्ट उस के भाई सुधीर व सुनील के खिलाफ दर्ज करा दी. जांच सौंपी गई एसआई मनोज कुमार तोमर को. 9 दिसंबर, 2020 को थाना मयूर विहार के एसआई मनोज कुमार तोमर अर्जुन के साथ मैनपुरी जिले के थाना किशनी पहुंचे. उन के साथ एसआई राकेश सिंह, हैडकांसटेबल उपेंद्र व विजय भी थे. एसआई तोमर ने किशनी थानाप्रभारी अजीत सिंह को पूरी बात बताई.

किशनी पुलिस की मदद से मनोज कुमार तोमर ने रात 10 बजे गांव फिरंजी में उदयवीर के घर छापा मारा और उस के 2 बेटों सुधीर व सुनील को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि चांदनी वापस दिल्ली चली गई थी. लेकिन पुलिस को उन की बातों पर विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने जब सख्त रुख अपनाया तो सुधीर व सुनील टूट गए. उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा किया कि चांदनी की हत्या कर दी गई है और शव को गांव के बाहर बंजर भूमि में दफना दिया है. शव बरामद करने के लिए किशनी थानाप्रभारी अजीत सिंह, एसपी (मैनपुरी) अविनाश पांडेय, मयूर विहार दिल्ली थाने के एसआई मनोज कुमार तोमर व उन के सहयोगी फिरंजी गांव पहुंचे. पुलिस ने खुदाई के लिए जेसीबी मशीन भी मंगवा ली.

चूंकि मामला एक युवती के शव बरामदगी का था सो पुलिस अधिकारियों ने मौके पर नायब तहसीलदार अनुभव चंद्रा तथा एसडीएम रामसकल को भी बुलवा लिया. पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख में सुधीर व सुनील की निशानदेही पर जेसीबी से खुदाई शुरू हुई. लेकिन दिन भर मशक्कत के बाद भी शव बरामद नहीं हुआ. 11 दिसंबर को जब सुखरानी की निशानदेही पर खुदाई की गई तो 8 फीट नीचे गड्ढे से चांदनी का शव बरामद हो गया. पुलिस ने जरूरी काररवाई करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए मैनपुरी के जिला अस्पताल भेज दिया. पुलिस ने सुधीर व सुनील को तो बंदी बना लिया था, लेकिन इस बीच सुखरानी अपने पति उदयवीर के साथ फरार हो गई. पुलिस ने दोनों को पकड़ने का प्रयास किया किंतु वे दोनों नहीं मिले.

12 दिसंबर, 2020 को किशनी पुलिस ने अभियुक्त सुधीर व सुनील को मैनपुरी की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उन दोनों को जेल भेज दिया. मयूर विहार (दिल्ली) पुलिस ने अपहरण के इस मामले में हत्या व षडयंत्र रचने की धारा 302/120बी जोड़ दी. कथा लिखने तक दिल्ली पुलिस आरोपी सुधीर व सुनील को रिमांड पर लेने की काररवाई कर रही थी. पुलिस फरार आरोपी उदयवीर व सुखरानी को भी गिरफ्तार कर उन से पूछताछ करेगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Uttarakhand News : जिम में शुरू हूई मौत की कसरत

Uttarakhand News : पतिपत्नी के बीच विश्वास की डोर कई बार जिस्म की जरूरत और प्रेम की चाहत में टूट जाती है लेकिन क्या यह चाहत इतनी भयानक हो सकती है कि रिश्तों का खून करने के बाद इस की प्यास इंसान के खून करने पर ही बुझे?  12 नवंबर, 2020 की शाम देहरादून के विकास नगर कोतवाली थाने के प्रभारी निरीक्षक राजीव रौथान के मोबाइल फोन पर किसी महिला ने फोन किया. आवाज से लग रहा था कि वह महिला डरीसहमी और घबराई हुई है. महिला ने रोते हुए कहा, ‘‘सर मेरा नाम रीमा है और मैं हरबर्टपुर वार्ड नंबर-2, आदर्श विहार में रहती हूं. मेरे पति राकेश ने आत्महत्या कर ली है. उन की लाश बाथरूम में पड़ी हुई है. प्लीज सर, आप आ जाइए.’’

यह सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक राजीव रौथान पुलिस टीम के साथ आदर्श विहार की तरफ रवाना हो गए. कुछ ही देर में रीमा के द्वारा बताए पते पर पहुंच गए.  घर पर रीमा ही मिली. वह पुलिस को बाथरूम में ले गई, जहां उस के पति राकेश नेगी की लाश पड़ी थी. रीमा ने बताया कि यह लाश उस के पति राकेश नेगी की है. राकेश की लाश बाथरूम के बाथटब में पड़ी थी. उस के हाथ की नस कटी हुई थी, जिस कारण फर्श पर फैला गाढ़ा खून सूख चुका था और गले पर धारदार हथियार से गोदने के निशान भी साफ दिख रहे थे. उस का गला भी कटा हुआ था. मृतक के हाथों पर मजबूती से दबोचे जाने के लाल निशान साफ दिखाई दे रहे थे. पुलिस ने मृतक के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि मृतक फौजी था.

वह गढ़वाल राइफल में हवलदार के पद पर  था और उस की पोस्टिंग जम्मू में थी. वह पिछले महीने अक्तूबर की 14 तारीख को छुट्टियों पर अपने घर आया था. लाश देख कर लग रहा था कि उस की मौत हुए 12 घंटे से ज्यादा हो गए होंगे. पुलिस को राकेश के आत्महत्या के एंगल पर संदेह हुआ. उस के शरीर पर चोट के निशान और उस की पत्नी द्वारा पुलिस को आत्महत्या की सूचना देरी से देने की बात ने संदेह को और गहरा कर दिया. उन्हें यह गुत्थी आत्महत्या की कम और हत्या की अधिक लग रही थी. बल्कि शरीर के निशान देख कर लगने लगा कि इस हत्या में एक से अधिक लोग शामिल हुए होंगे. इस केस को सुलझाने के लिए एसएसपी ने एक पुलिस टीम बनाई.

टीम में सीओ धीरेंद्र सिंह रावत, थानाप्रभारी राजीव रौथान, थानाप्रभारी (कालसी) गिरीश नेगी, एसआई रामनरेश शर्मा, जितेंद्र कुमार आदि को शामिल किया गया. मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने मृतक फौजी के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि राकेश नेगी ने खुदकुशी नहीं की थी, बल्कि उस की हत्या की गई थी. हत्या का मामला सामने आने पर पुलिस तहकीकात में जुट गई. पुलिस ने मृतक की पत्नी रीमा नेगी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. सख्ती से की गई इस पूछताछ में रीमा ने पति की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. पूछताछ में घटना से जुड़े हैरान करने वाले सच सामने आए, जिस ने सारी सच्चाई सामने ला कर रख दी. इस घटना ने पतिपत्नी के आपसी रिश्तों को तारतार कर के रख दिया.

बीते साल की बात है, देहरादून के हरबर्टपुर में रहने वाली 27 वर्षीय रीमा अपनी बेस्वाद जिंदगी से काफी उकता चुकी थी. रीमा का पति राकेश नेगी फौज में था. दोनों की शादी साल 2015 में हुई थी. लेकिन शादी के बाद दोनों ज्यादातर समय एकदूसरे से दूर ही रहते. राकेश अपने अधिकतर समय में रीमा से दूर किसी दूसरे राज्य में ड्यूटी पर रहता था. बहुत कम मौका होता, जब वह घर पर आता. ऐसे में रीमा को लगता कि उस की शादी तो हुई है, लेकिन शादी के बाद पति से मिलने वाली खुशी के लिए वह कईकई महीनों तक तरसती रहती थी. राकेश घर आता भी था तो बहुत कम समय के लिए आता, फिर वापस चले जाता. जिस में रीमा की शारीरिक हसरतें पूरी नहीं हो पाती थीं.

सब कुछ था रीमा के पास, अच्छाखासा शहरी घर, खानेपीने की कोई कमी नहीं, फौजी की पत्नी होने का सम्मान, जहां चाहे घूमनाफिरना. लेकिन नहीं थी तो वह खुशी, जो शादी के बाद एक औरत अपने पति से चाहती है. रीमा अपनी जवानी की ऐसी दहलीज पर थी, जहां पर पहुंच कर पत्नी की खुशी पति के बाहों में अधिक से अधिक होती है. जवान हुस्न की रीमा की यह जवानी उसे अंदर से कचोट रही थी, वह अपने अकेलेपन से खिन्न हो गई थी. नयननक्श से सुंदर रीमा खुद की सुंदरता को किसी पर न्यौछावर नहीं कर पा रही थी. वह अपने घर में खुद को अकेला महसूस करने लगी थी, उसे यह बात अंदर से खाए जा रही थी.

इन चीजों से बचने के लिए रीमा ने सोचा कि अपने अकेलेपन को दूर करने लिए वह अपना समय ऐसी जगह लगाए, जहां उसे यह सब ध्यान में ही न आए. इस के लिए गार्डनिंग, घूमनाफिरना, नई चीजें सीखना और जिम जाना शामिल था. यह बात सही भी है, जब लाइफ में व्यस्तता आएगी तो ध्यान बंट ही जाता है. लेकिन रीमा ने जैसा सोचा था, ठीक उस से उलटा हो गया. जिस मोह से बचने के लिए रीमा ने खुद को व्यस्त रखने की योजना बनाई थी वह मोह उलटा उस के पल्ले बंध ही गया और ऐसा बंधा कि इस ने सारी हदें पार कर दीं. पिछले साल रीमा ने विकास नगर के जिस ‘यूनिसेक्स जिम अकैडमी’ में जाना शुरू किया था, वहां उस की मुलाकात 25 वर्षीय शिवम मेहरा से हुई.

शिवम उस जिम में ट्रेनर था. सुंदर चेहरा, सुडौल बदन, लंबी कदकाठी, आकर्षक शरीर, मजबूत बाजू, एक नजर देखो तो जवान मर्द की सारी खूबियां थीं उस में. शिवम मेहरा विकास नगर में कल्यानपुरी का रहने वाला था. रीमा शिवम के डीलडौल और शरीर को देख कर पहली नजर में आकर्षित हो गई थी. लेकिन अपनी इच्छा उस ने जाहिर नहीं होने दी. शिवम चूंकि जिम का ट्रेनर था तो उस का काम वहां आए लोगों को एक्सरसाइज के लिए ट्रेनिंग देना था. शिवम जैसे ही रीमा को हेल्प करने के लिए उस के करीब आता, रीमा के तनबदन में मानो बिजली सी कौंध जाती. शिवम का हलका सा हाथ या कमर पर छुअन भी शरीर में सिहरन पैदा कर देती. यह बात शिवम भी अच्छे से समझ रहा था कि उस के छूने भर से रीमा मदहोश हो रही है.

लगभग 15 दिन बाद एक रात रीमा के वाट्सऐप पर एक अनजान नंबर से ‘हेलो’ का मैसेज आया. रीमा ने जानने के लिए फटाफट उस नंबर की प्रोफाइल फोटो देखी तो उस की आंखें चमक उठीं. चेहरे पर मुसकान खिल गई. उस का शरीर झनझना गया, यह उस का जिम ट्रेनर शिवम था. रीमा ने भी फटाफट रिप्लाई करते हुए ‘हाय’ लिख दिया. और थोड़ी देर के लिए उस के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. मानो यह धड़कन, डर और मजा दोनों का भाव साथ में दे रही हों, जो उस के तनबदन में सिहरन पैदा कर रहे थे. शिवम ने रिप्लाई में लिखा, ‘‘सौरी, ज्यादा रात हो गई, आप को परेशान किया.’’

रीमा ने तुरंत जवाब देते हुए लिखा, ‘‘अरे कोई बात नहीं, वैसे भी मुझे रात में परेशान करने वाला कोई है नहीं यहां.’’

यह सुनते ही शिवम की धड़कनें तेज हो गईं. इस बारी डर और मजे के भाव की बारी शिवम की थी. वह रीमा की डबल मीनिंग बात को समझ गया था, उस ने बात आगे बढ़ाते हुए लिखा, ‘‘क्यों, क्या हुआ, आप के हसबैंड कहां हैं?’’

रीमा ने जवाब में लिखा, ‘‘क्यों, तुम्हें मेरे हसबैंड की बड़ी चिंता है, मेरी चिंता नहीं है?’’

‘‘हसबैंड की नहीं, आप की ज्यादा चिंता है. वो कल जिम बंद रहेगा, यही बताने के लिए मैं ने मैसेज किया है ताकि आप परेशान न होएं.’’ शिवम ने जवाब दिया. रीमा ने ‘ओके’ लिखा तो शिवम ने तुरंत लिख दिया, ‘‘अगर आप आना चाहें तो मैं आप के लिए जिम स्पैशली खुलवा दूंगा.’’

दोनों की ये बातें वाट्सऐप पर देर रात तक चलती रहीं. अगले रोज जिम खुलने पर शिवम अपना सारा ध्यान रीमा पर ही देने लगा. वह रीमा के करीब आने की कोशिश करता. रात में होने वाली बात से दोनों में एकदूसरे के करीब आने का आत्मविश्वास बढ़ गया था. शिवम जानबूझ कर रीमा को छूने की कोशिश करता. ऐसीऐसी एक्सरसाइज कराता, जिस में ज्यादा से ज्यादा छूने का मौका उसे मिल पाता. इस में रीमा को भी कोई ऐतराज नहीं था. वह अंदर से और अधिक बेचैन हो रही थी. रीमा को शिवम की बाहों में सिमटने की हसरत जागने लगी थी. एक दिन रीमा ने शिवम को अपने घर खाने पर बुलाया. रीमा का घर हमेशा की तरह खाली था. शिवम यह जानते हुए भी एक मंशा बना कर तैयारी के साथ वहां गया था. रीमा उस दिन बहुत सजीधजी थी. जिसे देख कर शिवम दंग रह गया था.

रीमा जब से जिम जाने लगी थी, तब से काफी खुश थी. लेकिन शिवम के घर आने पर वह सातवें आसमान में थी, मानो लंबे समय की हसरत पूरी हो जाएगी. फिर शिवम भी इसी इंतजार में ही था. दोनों खाने के लिए साथ में बैठे. शिवम ने खाना खाने के बाद बात छेड़ते हुए रीमा को कहा, ‘‘रीमाजी, वैसे आप जिम आना छोड़ दीजिए.’’

‘‘क्यों?’’ रीमा ने पूछा.

‘‘वो क्या है न, आप का शरीर पहले ही इतना परफेक्ट साइज में है, आप को क्या जरूरत?’’

रीमा यह सुन कर शरमा गई, उस के चेहरे पर लालिमा छा गई, उस ने जवाब में आंखें नीचे करते हुए कहा, ‘‘मैं तो वहां तुम्हारे लिए आती हूं.’’ फिर इस बात को मजाक का लहजा देते हुए वह जोर से हंसने लगी.

लेकिन शिवम समझ गया था रीमा की इस बात में हकीकत छिपी है. उस ने रीमा से कहा, ‘‘रीमाजी, अगर आप ने आज साड़ी नहीं पहनी होती तो आप को यहीं जिम की प्रैक्टिस करवा देता, वैसे भी आज नए टिप्स हैं मेरे पास आप के लिए.’’

‘‘इस में कौन सी बड़ी बात है, कहो तो अभी उतार दूं.’’ रीमा ने तुरंत जवाब देते कहा’

यह सुनते ही शिवम समझ गया कि रीमा ने अपनी बात छेड़ दी है अब बारी शिवम की है. शिवम ने भी चांस गंवाए बगैर कह दिया, ‘‘चलो फिर बैडरूम में, वहां वह सब होगा जो आप चाहती हैं और जो मैं चाहता हूं.’’

यह सुन कर रीमा अब मदहोश हो चुकी थी. उस ने शिवम को झट से गले से लगा लिया. फिर शिवम ने भी उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया. जिस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. रीमा वह सब भूल गई कि उस की शादी राकेश के साथ हो चुकी है. वे दोनों एकदूसरे की बाहों में गोते लगाते चले गए. इस के बाद यह सिलसिला यूं ही चलता रहा. आमतौर पर रीमा का घर खाली ही रहता था. जहां वे जब चाहे मिल लिया करते. लेकिन कभीकभी शिवम रीमा को जिम में सुबहसुबह जल्दी बुला लिया करता था. जहां वे अनीति की गहराइयों में गोते लगाते. कोई हकीकत लंबे समय तक दबी जरूर रह सकती है, लेकिन छिप नहीं सकती. और यही हुआ रीमा और शिवम के साथ. लौकडाउन के बाद रीमा का पति राकेश जम्मू से छुट्टी ले कर 14 अक्तूबर को वापस अपने घर देहरादून आया.

घर आ कर उसे रीमा का व्यवहार अलग सा लगा. अब रीमा पहले जैसी रीमा नहीं थी. जहां पहले रीमा राकेश के इर्दगिर्द घूमती थी, उसे हर चीज पूछती थी, अब वह राकेश पर ध्यान नहीं दे रही थी. वह फोन पर ज्यादा रहने लगी थी. देर रात तक वह फोन पर चैटिंग करती थी. राकेश रीमा को जब पूछता कि कौन है तो वह गुस्सा हो जाती. रीमा के साथ सहवास में बनने वाले संबंध भी अब राकेश को फीके लगने लगे थे. रीमा की तरफ से राकेश के लिए दिलचस्पी कम होने लगी थी. राकेश को रीमा में इन आए बदलाओं को देख कर शक होने लगा. उस ने रीमा के फोन को चैक करने की कोशिश की तो उस में लौक लगा हुआ था, जिसे खोलने का प्रयास करने से पहले ही रीमा ने उस से छीन लिया. इस बात को ले कर दोनों में तूतूमैंमैं होने लगी.

यह तूतूमैंमैं बाद इतनी बढ़ गई कि रोज झगड़े शुरू हो गए. वहीं दूसरी तरफ राकेश के घर आ जाने से रीमा भी परेशान हो गई थी. वह शिवम से मिल नहीं पा रही थी. उसे राकेश के साथ समय बिताना चुभ रहा था. वहीं शिवम की कमी उसे बहुत खल रही थी. इसलिए एक दिन उस ने अपने पति को रास्ते से हटाने के लिए अपने प्रेमी शिवम मेहरा के साथ मिल कर एक षडयंत्र रच डाला. रीमा ने सब से पहले अपने मोबाइल फोन का सिम अपने प्रेमी को दे दिया. उस के बाद रीमा व प्रेमी शिवम मोबाइल पर एकदूसरे को मैसेज कर हत्या की योजना बनाने में लगे रहे. 11 नवंबर, 2020 की रात रीमा और उस के प्रेमी शिवम ने फौजी राकेश की हत्या करने की योजना बनाई. जिस के लिए रीमा ने रात को घर का मुख्य गेट बंद नहीं किया, ताकि शिवम घर में आ सके.

इस दौरान फौजी राकेश अपने बिस्तर पर गहरी नींद में सो रहा था. रात करीब 10 बजे शिवम घर के अंदर घुस आया और किचन में जा कर छिप गया. जिस के बाद फौजी की पत्नी रीमा राकेश के पास गई और योजनानुसार किसी बात पर उस से झगड़ा करने लगी. रीमा राकेश को झगड़े में उकसाते हुए बरामदे की लौबी तक बुला लाई. जहां शिवम पहले से ही किचन में मौजूद था. इतने में शिवम ने पीछे से राकेश के हाथों को मजबूती से जकड़ लिया. जिस के बाद राकेश के सामने खड़ी रीमा ने अपने पति का गला चाकू से रेत दिया. जिस से राकेश की मौके पर ही मौत हो गई. इस के बाद दोनों ने राकेश की हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उस के हाथ की नसें काट दीं और उस के शव को बाथरूम में डाल दिया.

यह करने के बाद लौबी व घर में जगहजगह पड़े खून के धब्बों को पूरी रात दोनों ने कंबल से साफ किया. वे दोनों रात भर एकदूसरे के साथ रहे. सुबह होते ही शिवम 5 बजे वापस विकासपुरी स्थित अपने जिम की तरफ चल दिया. इस के ठीक अगले दिन रीमा ने राकेश के झूठे आत्महत्या की सूचना पहले अपने मायके लुधियाना (पंजाब) में रह रहे अपने पिता को दी. उस के बाद रीमा ने घटना के करीब 18 घंटे बाद 12 नवंबर को विकास नगर पुलिस थाने को सूचना दी. इस पूरे प्रकरण में पुलिस को शक तभी हो गया था जब पुलिस मृतक के शव को देखने घटनास्थल पहुंची थी. शव की हालत देख कर सब से पहला संदेह घर के भीतर के ही व्यक्ति पर था और उस घर में रीमा के अलावा किसी और के होने का कोई वास्ता नहीं था तो पुलिस के शक की सुई सब से पहले रीमा पर ही जा अटकी थी.

पुलिस द्वारा उक्त पूछताछ में रीमा ने अपना जुर्म कबूल लिया है. पुलिस ने दोनों आरोपियों रीमा नेगी व शिवम मेहरा को 13 नवंबर, 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल 2 चाकू व ब्लेड, मोबाइल फोन, स्कूटी (यूके16 ए- 7059), मृतक व हत्यारोपी के खून से सने कपड़े व खून से सना कंबल भी बरामद कर लिया. केस की तफ्तीश इंसपेक्टर राजीव रौथान कर रहे हैं.

 

बीवी का गुस्सा : पहले कनपटी पर मारी गोली फिर चाकू से कई बार गोदा

Crime News : सुरजीत कौर अपने पति जसवंत से इसलिए खुश नहीं थी क्योंकि शादी के कई साल बाद भी वह मां नहीं बन सकी थी. इस के बाद सुरजीत की जिंदगी में रणजीत आया. रणजीत ने सुरजीत को मां तो बना दिया लेकिन…

दीपावली का पूजन करने के बाद जसवंत ने अपने बच्चों के साथ आतिशबाजी का लुत्फ उठाया. फिर खाना खाने के बाद अपने बच्चों को ले कर घर के बरामदे में सो गया. उस की चारपाई के पास ही पत्नी सुरजीत कौर दूसरी चारपाई पर सोई हुई थी. दोनों ही चारपाइयों पर एक ही मच्छरदानी लगी हुई थी. सुबह करीब साढ़े 4 बजे सुरजीत कौर के पेट में दर्द की शिकायत हुई तो उस ने पति जसवंत को उठाने की कोशिश की. लेकिन वह नहीं उठा. उस के बाद सुरजीत कौर ने पति के मोबाइल फोन की टौर्च जलाई तो जसवंत का चेहरा रक्तरंजित दिखाई दिया.

पति के चेहरे को देखते ही सुरजीत कौर के मुंह से जोरों की चीख निकली. उस ने जसवंत को फिर से उठाने की कोशिश की, लेकिन उठना तो दूर वह हिलडुल तक नहीं सका. सुरजीत की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले वाले इकट्ठा हो गए. लोगों ने देखा कि किसी ने उस की कनपटी पर सटा कर गोली चलाई थी. जिस के कारण उस की मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी उसी की चारपाई के पास दूसरी चारपाई पर सोई हुई थी, लेकिन उसे गोली की भनक तक नहीं लगी, यह बात लोगों के लिए हैरत वाली थी.

परिवार वालों ने इसी बात को ले कर सुरजीत कौर से जवाब तलब किया तो उस ने बताया कि देर रात उस के चेहरे पर किसी का हाथ लगा. जिस के लगते ही उसे गहरी नींद आ गई. उस के बाद उसे बिलकुल होश नहीं रहा. शायद किसी ने उसे नशा सुंघा दिया था. वैसे भी चारों तरफ आतिशबाजी हो रही थी. आतिशबाजी के कारण उसे पता ही नहीं चला कि कौन कब आ कर उस के पति को मौत के घाट उतार कर चला गया. इस घटना की जानकारी केलाखेड़ा थाने में दी गई. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी प्रभात कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे. घटनास्थल पर पहुंच कर प्रभात कुमार ने स्थिति का जायजा लिया और इस की सूचना उच्चाधिकारियों को दी.

सूचना पाते ही रुद्रपुर के एसएसपी डी.एस. कुंवर, एएसपी राजेश भट्ट, एसपी (क्राइम) प्रमोद कुमार और सीओ दीपशिखा अग्रवाल ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. मृतक के शरीर पर चाकुओं के निशान भी पाए गए. जिस से साफ था कि किसी ने उसे गोली मारने के बाद बुरी तरह से चाकुओं से गोदा था ताकि वह जिंदा न बच सके. उस के पास ही एक विशेष समुदाय की सफेद टोपी और एक धमकी भरा पत्र भी मिला मिला. मतलब किसी ने जसवंत से पुरानी दुश्मनी का बदला लेने के लिए उस की हत्या की थी. पुलिस ने मृतक जसवंत की पत्नी और उस के परिवार वालों से इस मामले में जानकारी ली. लेकिन सभी जैसे अंजान बने हुए थे. जसवंत के परिवार वालों ने बताया कि वह बहुत सीधे स्वभाव का व्यक्ति था.

उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. घटनास्थल से सभी तथ्य जुटाने के बाद पुलिस ने जरूरी काररवाई लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. कनपटी पर मारी थी गोली पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि जसवंत की मौत गोली लगने से हुई थी. इस मामले में पुलिस का सीधा शक उस की पत्नी सुरजीत कौर की ओर ही जा रहा था. लेकिन उस ने साफ कहा था कि आतिशबाजी की गड़गड़ाहट में वह समझ नही पाई कि गोली चली या फिर आतिशबाजी. उस की हत्या किस ने की, उसे भनक तक नहीं लगी. इस के बावजूद पुलिस ने सुरजीत कौर को अपने साथ लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई. थाने ला कर सुरजीत कौर से कड़ी पूछताछ की गई.

पहले तो उस ने हर एंगल से खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश की,लेकिन पुलिस की सख्ती देख वह जल्दी टूट गई. उस ने स्वीकार किया कि उस ने पति की हत्या अपने प्रेमी रणजीत सिंह के साथ मिल कर की है. इस हत्याकांड का खुलासा होने के बाद जो सच्चाई सामने आई, वह इस प्रकार थी. उत्तराखंड रुद्रपुर-काशीपुर हाइवे के किनारे बसा है एक कस्बा केलाखेड़ा. केलाखेड़ा से कोई 4 किलोमीटर दक्षिण की ओर पड़ता है रंपुरा काजी नाम का गांव. इसी गांव के पूर्वी छोर पर रहता था जसवंत सिंह का परिवार. परिवार के साथ उस का छोटा भाई मलकीत सिंह भी रहता था. लगभग 14 साल पहले जसवंत की शादी नानकमत्ता के गांव सरदारों की टुकड़ी निवासी दरबारा सिंह की बेटी सुरजीत कौर से हुई थी.

उस के कुछ दिनों बाद ही सुरजीत की बहन गुरमीत कौर की शादी जसवंत के छोटे भाई मलकीत से हुई. जसवंत सिंह और उस का छोटा भाई नौकरी कर के परिवार का पेट पालते थे. उन के पास न तो जुतासे की जमीन थी और न ही अन्य कोई कारोबार. 2 बेटियों की शादी के कुछ समय बाद सुरजीत कौर के पिता दरबारा सिंह की किसी बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी. उन की मौत के बाद सुरजीत कौर की मां और छोटी बहन की जिम्मेदारी भी जसवंत को ही उठानी पड़ी, जिस से वह और अधिक परेशान रहने लगा था. कई साल बाद भी नहीं बनी मां जसवंत की शादी के कुछ सालों तक तो सब कुछ ठीकठाक चला. लेकिन शादी के 2 साल बाद भी सुरजीत कौर मां न बन सकी.

यह बात उस के मन को कचोटने लगी थी. सुरजीत कौर समझती थी कि उस का पति जसवंत कुछ ढीले किस्म का है, लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि वह औलाद पैदा करने में भी असमर्थ है. सुरजीत कौर ने कई बार उसे किसी डाक्टर को दिखा कर कर इलाज कराने की सलाह दी. लेकिन जसवंत किसी डाक्टर के पास जाने को तैयार नहीं था. वह हर साल नौकरी के लिए पंजाब जाता था. बीवी को घर पर अकेला छोड़ कर वह कईकई महीने वहीं पर रहता था. सुरजीत कौर घर पर अकेली रहती थी. घर पर कामकाज कोई था नहीं. वह भी अपना समय काटने के लिए अपने मायके चली जाती थी. मायके में रहते उस की मुलाकात रणजीत से हुई. रणजीत जसपुर भोगपुर डैम में रहता था.

उस की शादी भी सुरजीत कौर के मायके गांव सरदारों की टुकड़ी में हुई थी. इसलिए दोनों एकदूसरे को अच्छी तरह जानते थे. शादी के कुछ समय बाद रणजीत का  किसी वजह से अपनी पत्नी से तलाक हो गया था. बीवी से तलाक होने के कारण रणजीत का अपनी ससुराल जाना बंद हो गया था. तलाक के साल भर बाद जसपुर में एक शादी समारोह में संयोग से रणजीत की मुलाकात सुरजीत कौर से हुई. उसी दौरान दोनों ने एकदूसरे का हालचाल पूछा, तो रणजीत ने अपनी बीवी की कहानी उसे सुना कर अपना दुखड़ा रोया. पुरानी जानपहचान होने के नाते दोनों ही भावनाओं में बह गए. दोनों का दर्द एक ही था. एक अपने पति से परेशान थी तो दूसरे की बीवी ने उसे तंग कर दिया था.

सुरजीत कौर देखनेभालने में खूबसूरत थी. उस का दर्द सुन कर उस पर रणजीत का मन रीझ गया. उसी दौरान दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर भी ले लिया था. मुलाकात के दौरान बातचीत हुई तो दोनों दूर के रिश्तेदार भी निकल आए. एक बार जानपहचान बढ़ी तो रणजीत सुरजीत कौर के साथ उस के घर तक आ पहुंचा. हालांकि रणजीत शरीर से इतना हृष्टपुष्ट नहीं था. लेकिन बात करने में इतना तेज था कि किसी भी व्यक्ति से वह किसी भी तरह जानपहचान निकाल कर रिश्तेदारी तक बना लेता था. शादी के कई साल बाद तक बीवी को कोई बच्चा नहीं हुआ तो जसवंत ने अपनी बहन के बेटे प्रदीप को गोद ले लिया.

उस की बीवी उसे ही अपना बेटा मान कर उस की परवरिश करने लगी थी. उसी के सहारे उस का समय भी कटने लगा था. एक दिन रणजीत जसवंत के घर जा पहुंचा. रणजीत को घर आया देख कर सुरजीत का दिल बागबाग हो उठा. रणजीत ने भी बहुत दिनों बाद सुरजीत को नजदीक से देखा तो देखता ही रह गया. सुरजीत घर में बनठन कर रहती थी. देखनेभालने में तो वह ठीकठाक थी ही. रणजीत ने दिल में बना ली जगह सुरजीत कौर को देख कर रणजीत का मन मचल उठा. सुरजीत के दिल का भी कुछ यही हाल था. वह काफी समय से काम वासना से वंचित थी. उस रात सुरजीत कौर ने रणजीत को अपने घर पर ही रोक लिया.

सुरजीत ने रणजीत की काफी खातिरदारी की. उस ने उसे शराब पिलाई और उस के साथ ही 1-2 पैग खुद भी लगा लिए. जसवंत के घर में एक ही कमरा था. उस कमरे के आगे बरामदा था. खाना खाने के बाद सुरजीत ने कमरे में दूसरी चारपाई डाली और उस पर रणजीत को सुला दिया और स्वयं प्रदीप को ले कर दूसरी चारपाई पर लेट गई. प्रदीप थोड़ी देर में सो गया. सुरजीत और रणजीत देर रात तक बातें करते रहे. उस वक्त दोनों के दिलों का बुरा हाल था. लेकिन पहल कौन करे, दोनों की हिम्मत साथ नहीं दे रही थी. सुरजीत कौर को शराब का सुरूर चढ़ना शुरू हुआ तो उस ने रणजीत के सामने अपने पति की सारी पोल खोल दी.

सुरजीत ने शराब के नशे में कई बार कहा कि ऐसे मर्द से क्या फायदा जो बीवी को गर्म कर के ठंडा ही न कर पाए. सुरजीत कौर जब पूरी तरह से रणजीत के सामने खुल गई तो वह पीछे कहां हटने वाला था. उस के लिए यह अच्छा मौका था. सुरजीत की बात सुनतेसुनते जब उस का मनमस्तिष्क कामातुर हो गया तो वह देर लगाए बिना उस की चारपाई पर जा पहुंचा. उस रात दोनों के बीच जो हुआ उस से दोनों ही संतुष्ट थे. उस रात दोनों के बीच अवैध संबंध स्थापित हुए तो दोनों एकदूसरे के दीवाने हो गए. फिर यह सिलसिला अनवरत चलता रहा. जसवंत अपनी रोजीरोटी कमाने के चक्कर में लगा रहता, उस की बीवी उस की गैरमौजूदगी का लाभ उठा कर रणजीत के साथ मौजमस्ती करती. लेकिन इन दोनों की हरकतों की जसवंत को कानोंकान खबर तक नही हुई.

रणजीत और सुरजीत के बीच प्रेम परवान चढ़ता गया. जब भी जसवंत काम करने बाहर जाता तो सुरजीत फोन कर के रणजीत को अपने घर बुला लेती और फिर उस के साथ खुल कर अय्याशी करती. जसवंत चाहे कितना सीधा था लेकिन वह अपनी पत्नी के चरित्र को जान गया था. यह अलग बात है कि बीवी के सामने कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पाता था. वह स्वयं भी अपने आप पर शर्मिंदा होता रहता था. रणजीत के वक्तबेवक्त उस के घर आने से उस के परिवार वालों के साथ ही मोहल्ले वाले भी परेशान हो चुके थे. कई बार उस के भाई मलकीत ने ही जसवंत से शिकायत की कि वह भाभी को समझाए. इस तरह से गैरमर्द को घर में बुलाना अच्छा नहीं. लेकिन जसवंत में इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि वह सुरजीत को कुछ कह पाता.

सुरजीत कौर बनी मां कुछ महीनों बाद सुरजीत ने जसवंत को खुशखबरी देते हुए बताया कि वह मां बनने वाली है. यह सुन कर जसवंत खुशी से पागल हो गया. उसे विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि शादी के इतने साल बाद वह अपने बच्चे का बाप बनेगा. जसवंत ने पहले ही अपनी बहन के बेटे को गोद ले रखा था. यह बात पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बनी रही कि इतने सालों तक तो उस के कोई औलाद हुई नहीं, फिर सुरजीत कौर अचानक गर्भवती कैसे हो गई. यह बात उस के परिवार वालों के साथसाथ मोहल्ले वाले भी जानते थे कि उस के पेट में पल रहा बच्चा जसवंत का नहीं हो सकता. लेकिन जसवंत खुश था कि उस के घर उस की अपनी औलाद पैदा होने वाली थी.

समय पर सुरजीत ने एक बेटे को जन्म दिया. उस का नाम रखा गया सुखदेव. सुरजीत कौर जानती थी कि सुखदेव में जसवंत का खून नहीं है. वह पहले से ही उसे रणजीत का मान कर चल रही थी. लेकिन जसवंत घर में आई खुशियों से गदगद था. उसे अब समाज के सामने नीचा देखने की जरूरत नहीं थी. घर में नन्हा मेहमान आने से उस के घर के खर्चों में बढ़ोत्तरी हो गई थी. घर के खर्च पूरे करने के लिए जसवंत दिनरात एक कर के पैसा कमाने में जुट गया. सुरजीत कौर ने हकीकत रणजीत को बताते हुए खुशखबरी सुनाई कि सुखदेव जसवंत का नहीं, बल्कि तुम्हारा ही बेटा है. यह बात सुन कर रणजीत भी खुश हुआ.

उस ने अपने बेटे सुखदेव के ठीक प्रकार से लालनपालन करने के लिए सुरजीत कौर को खर्चा भी देना शुरू कर दिया था. अब सुरजीत रणजीत को और भी अधिक प्यार करने लगी थी. हालांकि जसवंत जो भी कमा कर लाता था वह सब सुरजीत के हाथ पर रख देता था. लेकिन सुरजीत को उस सब से खुशी कहां मिलने वाली थी. वह रणजीत को ही प्यार करती थी और उसे ही अपना पति मानने लगी थी. जसवंत के साथ तो उस के केवल अनचाहे रिश्ते रह गए थे, जिसे अब वह बरदाश्त भी नहीं कर पा रही थी.

रणजीत भी काफी समय से यही समझाता आ रहा था कि जब तेरा आदमी तेरे लायक ही नहीं है तो उस के घर में रह कर तू अपनी जिंदगी क्यों बरबाद कर रही है. रणजीत ने सुरजीत से कई बार घर से भाग चलने के लिए भी कहा, लेकिन सुरजीत गलत कदम उठाने को तैयार नहीं थी. उस ने रणजीत से कह दिया था कि जैसे चल रहा है, वैसे ही चलने दो. जसवंत की तरफ से चिंता मत करो, वह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगा इस के बावजूद रणजीत सुरजीत के प्यार में इस कदर पागल हो चुका था कि उसे एक पल के लिए भी अपनी आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता था. वह आए दिन सुरजीत पर साथ चलने के लिए दबाव बनाने लगा था.

सुरजीत ने लिया खौफनाक फैसला सुरजीत रणजीत की जिद के आगे हार मान बैठी और उस ने फिर जिंदगी का आखिरी निर्णय लेते हुए अपनी मांग के सिंदूर को ही मिटाने की योजना बना डाली. सुरजीत ने जसवंत को कई बार मौत के घाट उतारने की योजना बनाई, लेकिन वह हिम्मत नहीं जुटा पाई. फिर उस ने रणजीत से साफ शब्दों में कह दिया कि अपने पति को मौत की नींद सुलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी. अब जो भी करना है आप ही करो. दीपावली का त्यौहार आने से कुछ दिन पहले रणजीत ने जसवंत को मौत की नींद सुलाने के लिए एक योजना बनाई. उसी योजना के तहत दोनों ने दीपावली का दिन चुना, ताकि दीपावली के शोरशराबे में वे अपनी योजना को आराम से अंजाम दे सकें. जिस वक्त दोनों ने जसवंत को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाई उस वक्त वह पंजाब गया हुआ था.

दीपावली का त्यौहार नजदीक आया तो जसवंत 3 नवंबर, 2020 को अपने घर पहुंचा. घर पहुंच कर वह दीवाली की तैयारी में लग गया था. लेकिन सुरजीत के दिमाग में एक ही शैतान चढ़ा हुआ था कि कब दीपावली आएगी और कब उसे जसवंत से छुटकारा मिलेगा. 13 नवंबर, 2020 को रणजीत ने सुरजीत को अपनी पूर्वनियोजित योजना समझा दी. उसी दिन उस ने अपने 13 वर्षीय भतीजे से जसवंत के नाम एक धमकी भरा पत्र लिखवाया ताकि उस की हत्या के बाद पुलिस उस के हत्यारों के लिए इधरउधर भटकती रहे. पुलिस को गुमराह करने के लिए उस ने अन्य वर्ग की एक टोपी भी खरीद ली थी.

14 नवंबर, 2020 को सुबह से ही जसवंत त्यौहार की तैयारियों में जुटा था. शाम होने पर उस ने घर में पूजापाठ करने के बाद दीए जलाए और फिर बच्चों के साथ आतिशबाजी का मजा भी लिया. जसवंत को शराब पीने की लत थी. उस ने शराब का सेवन किया और फिर खाना खा कर परिवार के साथ सो गया. अपनी पूर्व योजना के अनुसार रणजीत देर रात जसवंत के घर पहुंचा. उस समय तक अधिकांश लोग सो चुके थे. लेकिन पटाखों की आवाज अभी भी गूंज रही थी. सुरजीत ने पहले ही घर की सारी लाइटें बंद कर दी थीं. लोगों की नजरों से छिपतेछिपाते रणजीत जैसेतैसे जसवंत के घर तक पहुंच गया.

खुद ही मिटाया सिंदूर रणजीत को आया देख सुरजीत ने उसे अंदर कमरे में बिठा दिया और फिर जसवंत को देखा. वह खर्राटे मार रहा था. फिर वह सीधे कमरे में गई और दोनों ने अपनी निर्धारित योजना को अंजाम देने के लिए आखिरी खाका तैयार किया. रणजीत पहले ही एक गोली से लोडेड चमंचा ले कर आया था. बाहर चारपाई पर सोते जसवंत को देख रणजीत के अंदर शैतान जाग उठा. जसवंत गहरी नींद में था. उसे सोता देख रणजीत ने उस की कनपटी पर चमंचा रख कर गोली चला दी. कनपटी पर गोली लगते ही उस के प्राणपखेरू उड़ गए. इस के बाद भी रणजीत की हैवानियत खत्म नहीं हुई. उस ने सोचा कि कहीं वह जिंदा न बच जाए, सो उस ने उस के शरीर पर चाकू से कई वार किए. कुछ ही पल में जसवंत का शरीर एक लाश बन कर रह गया.

पति की हत्या कराने के बाद सुरजीत कौर ने रणजीत को वहां से यह कह कर भगा दिया कि आगे का काम वह खुद संभाल लेगी. उस के बाद सुरजीत कौर अपने बच्चों को साथ ले कर दूसरी चारपाई पर लेट गई. सुबह होते ही उस ने नौटंकी करते हुए रोनाधोना शुरू किया, जिसे सुन कर गांव वाले उस के घर पर इकट्ठा हो गए थे. इस केस के खुलते ही पुलिस ने सुरजीत के प्रेमी रणजीत को उस के गांव भोगपुर डैम गुरुद्वारा तीरथनगर पतरामपुर (जसपुर) से गिरफ्तार कर लिया. रणजीत की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल तमंचा, एक खोखा और धमकी भरे पत्र का पन्ना बरामद कर लिया था. पुलिस ने जसवंत के छोटे भाई मलकीत की तहरीर पर भादंवि की धारा 320/120 बी व 25 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर रणजीत और उस की प्रेमिका सुरजीत कौर को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया.

 

Agra News Crime : टॉयलेट के बहाने जंगल में ले जाकर प्रेमी से कराया पति का कत्ल

Agra News Crime : 2 शादियां करने के बावजूद भी पूनम अपने मायके के प्रेमी संदीप को नहीं भुला सकी थी. पति शिवकुमार से छुटकारा पाने और प्रेमी के साथ जिंदगी बिताने की पूनम ने ऐसी खूनी साजिश रची कि…

16 दिसंबर, 2020 की सुबह करीब 9 बजे का वक्त था. उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे से मथुरा के राया कस्बे में उतरने वाले रास्ते के किनारे लोगों ने झाडि़यों में खून से लथपथ एक युवक का शव पड़ा देखा. कुछ ही देर में वहां राहगीर भी जुटने लगे. उसी दौरान किसी व्यक्ति ने इस की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. चूंकि यह क्षेत्र थाना राया के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा वायरलैस मैसेज दे कर घटना से अवगत करा दिया. रातभर की ड्यूटी के बाद सुबह इतनी जल्दी उठना पुलिस के लिए थोड़ा मुश्किल जरूर होता है. लेकिन स्थानीय राया थाने के प्रभारी निरीक्षक सूरज प्रकाश शर्मा को जैसे ही उन के मुंशी ने आ कर हत्या के बारे में बताया तो उन का आलस्य काफूर हो गया.

थानाप्रभारी एस.पी. शर्मा तत्काल तैयार हुए. एसआई मोहनलाल यादव, राजकुमार, कांस्टेबल यशपाल, आशुतोष कुमार व प्रदीप कुमार को साथ ले कर वह उस स्थान पर पहुंच गए, जहां खून से लथपथ शव पड़े होने की सूचना मिली थी. लाश को देखते ही इंसपेक्टर शर्मा समझ गए कि यह दुर्घटना का नहीं बल्कि हत्या का मामला है. क्योंकि पास में ही एक बड़ा सा पत्थर पड़ा था, जिस पर लगा खून इस बात की गवाही दे रहा था कि उसी पत्थर से मृतक के सिर पर प्रहार कर के उस की हत्या की गई थी. इसी के कारण मृतक का सिर व चेहरा खून से सराबोर हो चुके थे. चेहरे पर बहते ताजा खून को देख कर वे समझ गए कि हत्या हुए ज्यादा वक्त नहीं बीता है. मृतक के चेहरे पर घनी दाढ़ी थी जो खून से सराबोर थी.

थानाप्रभारी ने एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर तथा सीओ आरती सिंह को राया मोड़ पर मिले शव के बारे में सूचना दे दी. एसएसपी व सीओ सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही घटनास्थल पर पहुंच गए. फोरैंसिक की टीम का दस्ता भी मौके पर पहुंच गया. घटनास्थल के मुआयने के बाद मृतक की कदकाठी व सूरत से अनुमान लगा कि उस की उम्र 26 साल के आसपास रही होगी. मृतक के शरीर पर जींस और जैकेट के साथ पैरों के जूतों से अनुमान लग रहा था कि वह कोई राहगीर था, जिस से या तो लूटपाट के लिए उस की हत्या की गई थी या किसी ने रंजिशन यहां ला कर मार दिया था.

मृतक के जेबों की तलाशी ली गई तो जेब से ऐसी कोई चीज बरामद नहीं हो सकी, जिस से उस की पहचान की जा सकती थी. इंसपेक्टर शर्मा शव का मुआयना कर रहे थे, तभी उन की नजर लाश से कुछ दूरी पर पड़े एक बैग पड़ी. लेकिन वह बैग पूरी तरह खाली था मगर तलाशी लेने पर उस में कागज का एक लिफाफा पड़ा मिला, जिस में एक फोटो थी. फोटो ताजमहल के सामने खिंचवाई गई थी. फोटो में मृतक के साथ एक महिला भी खड़ी थी. फोटो इस तरह खिंचवाई गई थी जिस तरह नवदंपति खिंचवाते हैं. इस फोटो से 2 बातें साफ हो रही थीं. एक तो यह कि जिस अंदाज में ये फोटो खिंचवाई गई थी आमतौर पर वैसे लोग अपनी पत्नी के साथ फोटो खिंचवाते हैं.

दूसरी ये बात भी साफ हो गई कि ये फोटो बहुत पुरानी नहीं थी, क्योंकि मृतक के शरीर पर जो कपड़े थे, फोटो में भी उस ने वही कपड़े पहने हुए थे. इस का मतलब साफ था कि मृतक ताजमहल घूम कर लौटा था. लेकिन सवाल यह था कि अगर फोटो में उस के साथ खड़ी महिला उस की पत्नी थी तो वह कहां है? अचानक इंसपेक्टर एस.पी. शर्मा के मन में सवाल कौंधा कि कहीं पत्नी ने ही तो उस का काम तमाम नहीं कर दिया. लेकिन ये तमाम सवाल तब तक कयास ही थे, जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो जाती. ताजमहल देख कर राया के इस रास्ते पर उतरने से इस बात की भी संभावना थी कि मृतक आसपास के ही किसी गांव का रहने वाला हो सकता है.

इसी उम्मीद में इंसपेक्टर सूरज प्रकाश शर्मा ने उस इलाके में 5 किलोमीटर तक पड़ने वाले सभी गांवों में अपनी पुलिस टीम से कह कर ऐसे जिम्मेदार लोगों को मौके पर बुलवाया, जो अपने गांव के अधिकांश लोगों को जानते थे. कई घंटे मशक्कत की गई, लेकिन काफी लोगों को दिखाने के बाद भी मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी तो पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी. पुलिस अधिकारी घटनास्थल से थाने लौट आए. पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया. एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने जांच की जिम्मेदारी राया थाने के प्रभारी निरीक्षक सूरज प्रकाश शर्मा को ही सौंप दी. साथ ही उन्होंने सीओ आरती सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी.

टीम में थानाप्रभारी के अलावा एसआई मोहनलाल यादव, राजकुमार, कांस्टेबल यशपाल, आशुतोष कुमार, प्रदीप तथा इंसपेक्टर (सर्विलांस) जसवीर सिंह तथा उन की टीम के कांस्टेबल राघवेंद्र सिंह, समुनेश, योगेश कुमार, गोपाल सिंह को भी शामिल किया गया. एसएसपी ने इस हत्याकांड का जल्द से जल्द खुलासा कर आरोपियों को पकड़ने के निर्देश टीम को दिए. पुलिस के पास मृतक की पहचान करने व वारदात का खुलासा करने के लिए केवल एक ही लीड थी और वह थी घटनास्थल से बरामद हुआ फोटो. थानाप्रभारी एस.पी. शर्मा खुद पुलिस टीम ले कर आगरा पहुंच गए. उन्होंने आगरा पहुंच कर वहां ताजमहल के आसपास फोटो खींचने वाले फोटोग्राफरों को मृतक के पास से मिले फोटो दिखा कर जानकारी हासिल करनी चाही. लेकिन इस प्रयास में उन्हें कोई सफलता नहीं मिली.

क्योंकि वहां सैकड़ों फोटोग्राफर थे और सभी से संपर्क होना बेहद मुश्किल था. अचानक उन्होंने उस साइट का निरीक्षण किया, जहां खड़े हो कर मृतक ने फोटो खिंचवाई थी. इस से एक बात स्पष्ट हो गई कि मृतक ने ताजमहल के भीतर जा कर फोटो खिंचवाई थी. इंसपेक्टर शर्मा ने ताजमहल प्रशासन की मदद से ताजमहल के भीतर प्रवेश करने वाले गेट की पिछले 2 दिनों की सीसीटीवी फुटेज देखी तो 15 दिसंबर को मृतक एक महिला के साथ ताजमहल में प्रवेश करते हुए दिखाई पड़ गया. इस से एक बात तो साफ हो गई कि मृतक आगरा से घूम कर ही मथुरा गया था, जहां उस की हत्या हो गई.

आगे का काम पुलिस के लिए बेहद आसान हो गया. पुलिस ने ताजमहल प्रशासन की मदद से 15 दिसंबर को ताजमहल देखने वालों के टिकट की छानबीन शुरू कर दी. दरअसल ताजमहल देखने के लिए जाने वालों को अपना नाम, पता और मोबाइल नंबर की जानकारी भरनी होती है. छानबीन करने के दौरान पुलिस टीम को आखिर एक ऐसा टिकट मिल गया, जो 2 लोगों के लिए बना था. उस में जो आईडी प्रूफ लगा था, वह हरियाणा के पलवल जिले के थाना होडल क्षेत्र के गांव सेवली में रहने वाले शिवकुमार का था. साथ में उस की पत्नी पूनम का नाम लिखा था.

पुलिस टीम ने ताजमहल प्रशासन की मदद से सीसीटीवी फुटेज और एंट्री टिकट का रिकौर्ड वहां से अपने कब्जे में ले लिया. इंसपेक्टर शर्मा अपनी टीम के साथ 16 दिसंबर की रात को ही मथुरा वापस लौट आए. इंसपेक्टर शर्मा ने एक सिपाही को पलवल के सेवली गांव भेजा. जहां से वह अगली सुबह शिवकुमार के चाचा लक्ष्मण सिंह व अन्य परिजनों को अपने साथ राया थाने लिवा लाया. सब से पहले लक्ष्मण व अन्य परिजनों को पोस्टमार्टम हाउस में प्रिजर्व कर के रखा गया शव दिखाया तो उन्होंने देखते ही उस की पहचान शिवकुमार के रूप में कर दी.

लक्ष्मण सिंह ने कपड़ों को देख कर भी साफ कर दिया कि उस ने जो कपड़े पहने थे, वह घर से पहन कर गया था. साथ ही उन्होंने मृतक शिवकुमार के शव के पास मिली फोटो को देख कर स्पष्ट कर दिया कि वह फोटो शिवकुमार तथ उस की पत्नी पूनम की है. पूछताछ करने पर लक्ष्मण ने बताया कि 14 दिसंबर को शिवकुमार अपनी पत्नी पूनम के साथ ताजमहल जाने की बात कह कर बस से गया था. दोपहर अपने मामा ओंकार सिंह से मुलाकात करने के लिए भरतपुर गेट मथुरा जाने की कह कर आया था. उन्होंने बताया कि शिवकुमार की शादी इसी साल 29 जून को अलीगढ़ जिले के गांव गोरोला निवासी पूनम से हुई थी. लक्ष्मण ने बताया कि उन के बेटे सूरज की शादी भी इसी गांव में हुई थी और उस के सुझाव पर उन के भाई भरत सिंह ने बेटे शिवकुमार का विवाह पूनम से किया था.

चूंकि शादी के बाद से कोरोना की महामारी के कारण शिवकुमार अपनी पत्नी को कहीं भी घूमने के लिए ले कर नहीं गया था, इसीलिए उस ने पहली बार पत्नी को घुमाने का प्लान बनाया था और ताजमहल घुमाने के लिए ले कर गया था. शिवकुमार की हत्या और उस की पत्नी पूनम के लापता होने की गुत्थी को लक्ष्मण सिंह भी नहीं समझ पा रहे थे. इंसपेक्टर शर्मा को लग रहा था कि हो न हो शिवकुमार की हत्या और उस की पत्नी के लापता होने में कोई राज जरूर है. शिवकुमार तथा उस की पत्नी पूनम के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. शिवकुमार की काल डिटेल्स से तो पुलिस को कुछ खास मदद नहीं मिली. लेकिन पूनम की काल डिटेल्स खंगाली गई तो पता चला कि पिछले कुछ महीनों से पूनम की एक खास नंबर पर लंबीलंबी बातें दिन में कई बार होती थीं.

16 दिसंबर की सुबह जब पुलिस ने शिवकुमार का शव बरामद किया था, उस दिन तथा उस से पहले 3-4 दिन में उसी नंबर पर पूनम की कई बार लंबी बातचीत हुई थी. पुलिस ने जब उस नंबर की काल डिटेल्स निकाली तो पता चला कि वह पूनम के ही गांव गोरोला में रहने वाले किसी संदीप के नाम है. जांच जैसेजैसे आगे बढ़ रही थी, धीरेधीरे पूरा माजरा भी पुलिस की समझ में आ रहा था. क्योंकि जब पूनम व संदीप के फोन की लोकेशन ट्रेस की गई तो 15 दिसंबर की शाम से ले कर अभी तक दोनों के फोन की लोकेशन अलीगढ़ व मथुरा के बौर्डर एरिया में एक साथ मिल रही थी. साफ था कि पूनम व संदीप एक साथ हैं. पुलिस की एक टीम पूनम की तलाश में उस के मायके पहुंची, लेकिन वहां उस का कोई पता नहीं चल सका.

पुलिस ने लोकेशन के आधार पर कई टीमें बना कर अलीगढ़ में अलगअलग छापेमारी शुरू कर दी. आखिरकार पुलिस ने पूनम व संदीप को मथुरा व अलीगढ़ बौर्डर के गांव नगला गंजू से उस के एक दोस्त के घर से गिरफ्तार कर लिया. दोनों को राया थाने में ला कर पूछताछ शुरू की गई तो पुलिस को शिवकुमार की हत्या का राज खुलवाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. पूनम पति से बेवफाई और अपनी निजी जिंदगी का एकएक राज खोलती चली गई. 24 साल की पूनम ने जब से जवानी की दहलीज पर कदम रखा था, तब से संदीप को ही अपना सब कुछ माना था. दोनों एक ही बिरादरी के थे, इसलिए पूनम ने कभी सोचा ही नहीं था कि संदीप को पति के रूप में देखने का उस का सपना कभी पूरा नहीं होगा.

पलवल के सेवली गांव के रहने वाले चंद्रपाल सिंह के 4 बच्चों में पूनम सब से बड़ी थी. उस से छोटी एक बहन व 2 भाई थे. गांव में खेतीकिसानी करने वाले पिता को जब एक साल पहले पता चला कि बड़ी बेटी पूनम गांव में ही रहने वाले महावीर के छोटे बेटे संदीप से प्यार करती है तो उन का गुस्सा फूट पडा. दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज भी एक ही गांव में रहने वाले युवकयुवतियों को आपस में भाईबहन मानने की प्रथा है. इसलिए चंद्रपाल सिंह ने पूनम से साफ कह दिया कि वे मर जाएंगे, लेकिन संदीप से उस की शादी नहीं करेंगे. पूनम ने पिता से साफ कहा कि वह संदीप से 3 सालों से प्यार करती है और उस के बिना जीने की उस ने कभी कल्पना भी नहीं की है. अगर उन्होंने उस की शादी कहीं कर भी दी तो वह खुश नहीं रह पाएगी. क्योंकि वह तन मन से संदीप को ही अपना पति मान चुकी है.

चंद्रपाल सिंह ने बेटी को ऊंचनीच और समाज का वास्ता दे कर उस वक्त शांत तो कर दिया लेकिन उन्हें लगा कि अगर जल्द ही बेटी के हाथ पीले नहीं किए तो वह समाज में उसे रुसवा कर सकती है. गांव में बिरादरी के ही एक दोस्त की बेटी की शादी पलवल के सूरज से हुई थी. सूरज के परिवार और खानदान के बारे में उन्हें पता था कि निहायत शरीफ और अच्छे परिवार का लड़का है. चंद्रपाल ने दोस्त से कह कर पूनम के लिए अपने घरपरिवार में कोई लड़का देखने की बात कही तो सूरज ने उसे बताया कि उस के चाचा का लड़का शिवकुमार भी शादी के लायक है.

शिवकुमार भाइयों में सब से बड़ा था. हालांकि घर में थोड़ीबहुत जमीन थी, जिस पर परिवार के लोग खेती करते थे. लेकिन इस के अलावा भी शिवकुमार पलवल में एक कारखाने में नौकरी करता था. जब खेती का काम ज्यादा होता तो नौकरी छोड़ देता था. कुल मिला कर जिंदगी की गुजरबसर ठीक तरह से हो रही थी. सूरज ने जब अपने चाचा और पिता को अपनी ससुराल में रहने वाले चंद्रपाल की लड़की पूनम का जिक्र किया तो परिवार को लगा कि अच्छा ही देखाभाला परिवार है दोनों भाइयों की ससुराल एक ही गांव में होगी तो अच्छा रहेगा. एक दिन सूरज ने शिवकुमार को अपनी ससुराल में ले जा कर चोरी से उसे पूनम को दिखा भी दिया. शिवकुमार को पूनम पहली ही नजर में भा गई.

गांव की सीधीसादी और मासूम सी पूनम को देख कर शिवकुमार ने घर वालों से पूनम से शादी करने की हां भर दी. इस के बाद दोनों परिवारों में बात हुई और कोरोना के कारण दोनों परिवारों ने सादगी के साथ शादी संपन्न करा दी. शादी के बाद पूनम शिवकुमार की दुलहन बन कर उस के गांव सेवली आ गई. दोनों का वक्त धीरेधीरे प्यार के बीच गुजरने लगा. लेकिन शादी के बाद एक भी दिन पूनम अपने दिल से संदीप का प्यार व उस की यादों को निकाल नहीं सकी थी. वक्त जैसेजैसे गुजर रहा था, संदीप के लिए उस की तड़प और ज्यादा बढ़ती जा रही थी. वह जब भी मायके जाती तो चोरीछिपे संदीप से जरूर मिलती और किसी तरह शिवकुमार से छुटकारा दिला कर अपनी बनाने का दबाव उस पर डालती.

संदीप भी पूनम के बिना खुद को अधूरा समझता था. उस ने पूनम को भरोसा दिलाया कि जल्द ही वह उस के लिए कुछ करेगा. 9 दिसंबर को पूनम के भाई की शादी हुई थी. इस में शिवकुमार अपनी पत्नी के साथ गया था. 3 दिन तक वह वहीं रहा. उसी दौरान पूनम को संदीप के साथ कई बार मिलने का मौका मिला. संदीप ने उस से कहा कि शिवकुमार से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है कि उस की हत्या कर दी जाए. उस के बाद जब वह विधवा हो जाएगी तो परिवार वाले एक गांव का होने के बावजूद उन की शादी करने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

बात पूनम की समझ में आ गई. उस ने शिवकुमार की हत्या करने के लिए हामी भर दी. लेकिन शिवकुमार को कैसे मारा जाए कि उन पर कोई अंगुली भी न उठे. इस के लिए 2-3 मुलाकातों में ही पूनम ने संदीप से मिल कर हत्या की पूरी साजिश तैयार कर ली. शादी के बाद पूनम पति शिवकुमार के साथ वापस आ गई. पूनम व संदीप के पास मोबाइल फोन थे, जिस के माध्यम से वे शादी के बाद से एकदूसरे से बातचीत किया करते थे और वाट्सऐप कालिंग करते रहते थे. लेकिन भाई की शादी से लौटने के बाद पूनम का संदीप से फोन पर बातचीत करने का सिलसिला ज्यादा बढ़ गया. क्योंकि उन्हें अपनी उस योजना को अंजाम देना था, जिस के साथ शिवकुमार को रास्ते से हटाना था.

संदीप ने पूनम से कहा था कि अगले एकदो दिन में वह अपने पति को आगरा घूमने के लिए राजी कर ले और उसे अपने साथ आगरा ले आए. पूनम ने ऐसा ही किया. उस ने शिवकुमार से कहा कि शादी के बाद वह उसे कहीं घुमाने नहीं ले गया. कम से कम आगरा में प्यार की निशानी आगरा का ताजमहल तो दिखा दें. फरमाइश कोई ज्यादा बड़ी और नाजायज भी नहीं थी, लिहाजा शिवकुमार परिवार वालों से इजाजत ले कर 14 दिसंबर को पूनम को ताजमहल दिखाने के लिए बस से आगरा ले आया. 14 दिसंबर को पूनम और शिवकुमार आगरा ताजमहल घूमते रहे. रात को एक होटल में रुके. अगले दिन सुबह यानी 15 दिसंबर को उन्होंने ताजमहल देखा और शाम को वहीं रुके.

अगली सुबह 6 बजे आगरा से बस द्वारा घर के लिए निकल पड़े. हालांकि शिवकुमार का प्लान यह था कि पहले मथुरा जा कर कृष्ण जन्मभूमि व प्रेम मंदिर देखेंगे उस के बाद मथुरा में अपने मामा से मिलेगा और बाद में घर जाएगा. लेकिन बस में बैठते समय पूनम ने अनुरोध कर के उस का प्लान बदलवा दिया. दरअसल, पूनम ने कहा था कि राया के पास उस के रिश्ते के एक मौसा रहते हैं. उन्होंने कई बार उस से पति के साथ घर आने के लिए कहा है. थोड़ी देर के लिए उन से मिलने के बहाने वह शिवकुमार को ले कर राया के पास एक्सप्रेसवे के यमुना कट पर ही उतर गई. दरअसल, शिवकुमार पत्नी से इतना प्यार करता था और भले स्वभाव का था कि उसे पता ही नहीं था कि पूनम एक साजिश के तहत उसे राया लाई है. हकीकत यह थी कि वहां उस का कोई मौसा नहीं रहता था.

इस दौरान संदीप से लगातार उस की बात चल रही थी. उस वक्त सुबह के करीब 7 बजे थे. एक्सप्रेसवे पर बस से उतरने के बाद पूनम ने चाय पीने की इच्छा जताई तो उन्होंने एक स्टाल पर रुक कर चाय पी. इस के बाद पूनम ने साजिश के तहत शिवकुमार से टौयलेट जाने की बात कही तो वह असमंजस में पड़ गया. क्योंकि एक्सप्रेसवे पर सब जगह टायलेट तो होते नहीं हैं. लेकिन पत्नी को इमरजेंसी थी, लिहाजा सब से उचित जगह सड़क के नीचे दिख रहा जंगल ही था. लिहाजा शिवकुमार पूनम को ले कर नीचे जंगल की ओर उसे टौयलेट कराने के लिए ले गया. लेकिन उसे क्या पता था कि मौत पहले से वहां उस का इंतजार कर रही है. संदीप वहां पहले ही झाडि़यों में छिपा था.

जैसे ही शिवकुमार उस की तरफ पीठ कर के खड़ा हुआ, संदीप ने दबेपांव पीछे से जा कर शिवकुमार के सिर पर भारीभरकम पत्थर दे मारा. इस के बाद संदीप और पूनम ने शिवकुमार के सिर पर पत्थर से कई प्रहार किए. शिवकुमार वहीं निढाल हो कर गिर पड़ा. शिवकुमार के पास 2 बैग थे. एक बैग में पूनम के कपडे़ थे, दूसरे में शिवकुमार के कपड़े. शिवकुमार के बैग से पूनम ने सारा सामान निकाल कर अपने बैग में रख लिया ताकि बैग में ऐसी कोई चीज न मिले, जिस से शिवकुमार की पहचान हो सके. लेकिन गलती से शिवकुमार और पूनम का ताजमहल पर खिंचवाया गया फोटो वाला लिफाफा थैले में ही रह गया था. इसी आधार पर पुलिस ने मृतक की शिनाख्त की थी.

दरअसल, हत्या का ये पूरा प्लान संदीप ने ही तैयार किया था. शिवकुमार की हत्या करने के बाद वे दोनों वहां से टैंपो कर के मथुरा की ओर भाग आए थे. इस के बाद वे इधर से उधर भागते रहे. पूनम एक दिन बाद ससुराल जाने का मन बना रही थी. उस से पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पूनम की हालत ऐसी हो गई न तो सनम मिला ना ही विसाले सनम. एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम को 10 हजार रुपए पुरस्कार देने की घोषणा की है. पुलिस ने पूनम व संदीप से पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर सक्षम न्यायालय में पेश कर दिया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस की जांच व आरोपियों तथा पीडि़त परिवार के बयान पर आधारित

 

Extramarital Affair : प्रेमिका के लिए पति ने 10 लाख की सुपारी देकर कराई पत्नी की हत्या

Extramarital Affair : रोनी लिशी ने तेची मीना से प्रेम विवाह किया था, दोनों की एक बेटी भी हुई. जब मीना दूसरी बार गर्भवती हुई तो रोनी की जिंदगी में चुमी ताया आ गई. बड़े बाप के बेटे और बिजनैसमेन ने चुमी से गुपचुप शादी कर ली और पत्नी मीना को रास्ते से हटाने के लिए ऐसी साजिश रची कि…

अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर 5 नवंबर के बाद से कई दिनों तक ‘हत्यारों को फांसी दो.. जस्टिस फौर मीना…’ के नारों से गूंजती रही. जिस के लिए जस्टिस मांगा जा रहा था, उस का नाम था तेची मीना लिशी, उम्र 28 वर्ष. तेची की हत्या हुई थी पर खुलासा कई दिन बाद हुआ. उस की हत्या का खुलासा होने के बाद से सामाजिक संगठनों में आक्रोश की आग सुलगने लगी थी. सामाजिक संगठन तेची मीना लिशी को न्याय दिलाने के लिए कभी कैंडिल मार्च तो कभी शांतिपूर्ण जुलूस निकाल कर इस हत्याकांड के आरोपियों को कठोर दंड देने की मांग कर रहे थे.

कोई मामूली शख्सियत नहीं थी. वह मिस अरुणाचल नाम की एक बड़ी संस्था में लेखा और वित्त विभाग की सचिव थी. वह प्रदेश के एक बड़े बिजनैसमैन रोनी लिशी की पत्नी थी. उस के ससुर लेगी लिशी कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों में रहे थे. वह ईटानगर से 3 बार विधायक व एक बार मंत्री रह चुके थे. अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर के उन राज्यों में से है, जहां अपराध की वारदातें बहुत कम होती हैं और साजिश कर के हत्या की वारदात को अंजाम देने के मामले तो अपवाद ही होते हैं. लेकिन नौर्थ ईस्ट के इस छोटे से खूबसूरत राज्य की राजधानी ईटानगर में 5 नवंबर को एक ऐसी वारदात हुई, जिस के बाद पूरे ईटानगर के शांत माहौल को गर्म कर दिया.

क्योंकि इस वारदात को इस तरह की साजिश के तहत अंजाम दिया गया था कि पिछले 2 दशकों में इस राज्य के लोगों ने इस तरह के अपराध की कोई वारदात न देखी थी न सुनी थी. राजधानी ईटानगर के विधायक रहे लेगी लिशी के रसूख और शहर के सब से पौश इलाके नाहारलागुन के सेक्टर-1 में बने उन के आवास लेगी कौंप्लेक्स को शहर का हर बांशिदा जानता था. 5 नवंबर की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे लेगी लिशी की बहू तेची मीना लिशी अपनी इनोवा एसयूवी कार में घर से निकली थी. मीना की गाड़ी को 2 दिन पहले ही नियुक्त हुआ ड्राइवर दाथांग सुयांग चला रहा था. गाड़ी ईटानगर से कारसिंगा की तरफ जा रही थी.

दरअसल, मीना को उस के पति रोनी लिशी ने सड़क बनाने के लिए अधिग्रहीत अपनी जमीन के मुआवजे के लिए कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने हेतु संबंधित सरकारी विभाग में जानकारी लेने भेजा था. चूंकि मीना 7 महीने की गर्भवती थी, इसलिए रोनी ने 2 दिन पहले ही पत्नी की गाड़ी चलाने के लिए एक ड्राइवर रखा था. हालांकि मीना पहले अपनी सैंट्रो कार खुद चला कर अपने दफ्तर जाती थी. लेकिन 7 महीने की गर्भवती होने के कारण मीना के पति लिशी लेगी ने मीना के लिए अपनी बहन के घर पर खड़ी अपनी इनोवा कार मंगवा ली थी और उस के लिए 2 दिन पहले ही एक एक ड्राइवर दाथांग सुयांग को नियुक्त कर दिया था.

दोपहर करीब साढ़े 12 बजे ड्राइवर दाथांग सुयांग इनोवा कार से मीना को ले कर कारसिंगा रोड पर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर ही चला था कि उस की कार जब कूड़ा डंपिंग जोन के पास बने मंदिर के पास पहुंची तो दुर्घटनाग्रस्त हो कर खाईं में लुढ़क गई. मीना की मौत किसी तरह दाथांग सुयांग तो बाहर निकल आया, लेकिन उस ने देखा कि बीच की सीट पर पड़ी मीना मृतप्राय थी. हैरानी यह थी कि ड्राइवर दाथांग किसी तरह दरवाजा खोल कर गाड़ी से बाहर निकल आया था और पूरी तरह से कुछ लोगों ने देखा कि गाड़ी के भीतर एक महिला खून से लथपथ घायल अवस्था में पड़ी है तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को दुर्घटना की सूचना दे दी. साथ ही मीना को पास के अस्पताल भिजवा दिया.

जिस स्थान पर ये दुर्घटना हुई थी, वह इलाका राजधानी ईटानगर के बांदरदेवा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता था. जब पता चला कि एक्सीडेंट हुई कार में पूर्व विधायक लेगी लिशी की पुत्रवधू मीना सवार थी तो खुद थानाप्रभारी गोशम ताशा पुलिस टीम को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. इंसपेक्टर गोशम यह देख कर हैरान थे कि गाड़ी का ड्राइवर दाथांग सुयांग एकदम सहीसलामत था. उसे खरोंच तक नहीं आई थी. सड़क से 3 मीटर नीचे खाई में लुढ़की गाड़ी भी एकदम सहीसलामत थी. उस के न तो शीशे टूटे थे, न ही गाड़ी कहीं से डैमेज हुई थी. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि गाड़ी की बीच वाली सीट पर बैठी मीना बुरी तरह खून से लथपथ थी और उस के सिर, कंधों व गरदन पर काफी चोटें आई थीं.

पुलिस के आने से पहले ही लोगों ने मीना को पास के एक अस्पताल भिजवा दिया था. इंसपेक्टर गोशाम ने दुघर्टना को पूर्व विधायक लेगी लिशी की पुत्रवधू से जुड़ा होने के कारण नाहारलागुन के सीओ रिक कामसी के अलावा ईटानगर कैपिटल रीजन के एसपी जिमी चिराम को भी दुर्घटना की जानकारी दे दी थी, जो सूचना मिलने के कुछ देर बाद घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने यह सूचना पूर्व विधायक लेगी लिशी और उन की पति रोनी लिशी को दे दी थी. उन्हीं की सूचना से यह जानकारी पा कर कारसिंगा में रहने वाले मीना के मातापिता, भाईबहन व अन्य रिश्तेदार भी घटनास्थल पर पहुंच गए. एसपी जिमी चिराम ने जब घटनास्थल का निरीक्षण किया तो पहली ही नजर में उन्हें दुर्घटना संदिग्ध लगी.

इसलिए फोरैंसिकटीम ने गाड़ी व घटनास्थल का निरीक्षण कर ऐसे साक्ष्य एकत्र करने शुरू कर दिए, जिस से पता चल सके कि दुर्घटना किन कारणों से हुई. ड्राइवर दाथांग सुयांग घटनास्थल पर ही मौजूद था, इसीलिए पूछताछ की शुरुआत उसी से हुई. दाथांग ने बताया कि गाड़ी के ब्रेक फेल हो गए थे, जिस से गाड़ी संतुलन खो कर खाईं में लुढ़क गई और मालकिन मीना बुरी तरह जख्मी हो गईं. लेकिन पुलिस यह देख कर हैरान थी कि दाथांग एकदम सहीसलामत था, उसे खरोंच तक नहीं आई थी. मीना का बयान लेने के लिए पुलिस की एक टीम अस्पताल भेजी गई थी, लेकिन वहां पता चला कि अस्पताल पहुंचने से पहले ही उस की मौत हो गई थी. अस्पताल में मीना के परिजन, जिन में मायके व ससुराल के लोग भी शामिल थे, भी अस्पताल पहुंच चुके थे जिस से वहां का माहौल परिजनों के मार्मिक विलाप के कारण बेहद गमगीन हो गया था.

पुलिस टीम ने दुर्घटना में घायल हुई मीना के शरीर पर आई चोटों की फोटोग्राफी कराई. एसपी जिमी चिराम ने ये फोटो देखे तो पूरी तरह साफ हो गया कि दुर्घटना का यह मामला सिर्फ दिखाने के लिए था. मीना के मातापिता व रिश्तेदारों के साथ पूर्व विधायक लिशी लेगी भी अस्पताल से दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए थे. गाड़ी और उस का ड्राइवर जिस तरह सहीसलामत थे और मीना की दुर्घटना में जो हालत हुई थी, उसे देख कर उन्होंने भी यहीं आशंका जताई कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि मीना को दुर्घटना में इतनी गंभीर चोटें लगी हों. मीना के पिता तेची काक ने एसपी जिमी चिराम को एकांत में ले जा कर जो कुछ बताया, उस ने अचानक दुर्घटना के इस मामले को नया रंग दे दिया.

इस के बाद तो पुलिस की जांच करने का तरीका ही बदल गया. पुलिस ने उसी दिन मीना का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. ड्राइवर ने बताया ब्रेक फेल होना ड्राइवर दाथांग ने चूंकि बताया था कि गाड़ी के ब्रेक फेल होने के कारण वह असंतुलित हो कर खाई में गिरी थी. इसीलिए पुलिस ने पुलिस लाइन से मोटर इंजीनियर एक्सपर्ट को मौके पर बुलवा लिया. उन्होंने जांचपड़ताल की तो यह देख कर दंग रह गए कि गाड़ी के ब्रेक एकदम सहीसलामत थे. इस के बाद 2 दिन पहले ही मीना की गाड़ी पर ड्राइवर की नौकरी करने आए दाथांग की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई. पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. साथ ही उस के मोबाइल को भी अपने कब्जे में ले लिया गया.

नाहरलगुन पुलिस स्टेशन में उसी दिन इंसपेक्टर गोशाम ने भादंसं की धारा 279/304 (ए) आईपीसी के तहत लापरवाही से गाड़ी चला कर दुर्घटना करने का मामला दर्ज करवा दिया और जांच का काम स्वयं शुरू किया. दाथांग सुयांग से कड़ी पूछताछ की जाने लगी. उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली गईं. पूछताछ में पता चला कि नया मोबाइल व नंबर उस के मालिक लिशी रोनी ने ही उसे खरीद कर दिया था. 3 दिन पहले एक्टिव हुए इस नंबर की काल डिटेल्स खंगालते हुए पुलिस ने उन लोगों को चैक करना शुरू कर दिया, जिन्होंने इस नंबर पर काल की थी या इस नंबर से उन के नंबर पर काल किए गए थे.

अगली सुबह मीना के शव को पोस्टमार्टम के बाद उन के घरवालों को सौंप दिया गया. पूरे ईटानगर में मीना की संदिग्ध मौत की खबर जंगल की आग की तरह फैल चुकी थी. मीना के ससुर लेगी लिशी एक बड़ी राजनीतिक हस्ती थे. खुद मीना भी सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी थी. इसलिए शवयात्रा में मीना के घर वालों के अलावा बड़ी संख्या में राजनीतिक व सामाजिक संगठनों के लोग शामिल हुए. इधर पुलिस को मिली पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि मीना की जांघ, हथेली, सिर और गरदन पर किसी भारी चीज से प्रहार हुआ था और वहां गहरे कट के निशान थे, बायां हाथ सूजा हुआ था. मैडिकल जांच करने वाले विशेषज्ञों और गाड़ी का मुआयना करने वाले एक्सपर्ट ने साफ कर दिया था कि दुर्घटना में इस तरह की चोट नहीं आ सकती.

दुर्घटना के बाद मीना के ससुर पूर्व विधायक लेगी लिशी ने भी दुर्घटना के संदिग्ध हालात के मामले की गहनता से सही जांच के लिए कहा था. पुलिस को इस मामले में शुरुआती जांच से ही जिस तरह से गहरी साजिश और इस में कई लोगों के शामिल होने के सबूत मिले थे. उसी के मद्देनजर आईजीपी (कानून एवं व्यवस्था) चुखू अपा ने ईटानगर कैपिटल रीजन के एसपी जिमी चिराम के नेतृत्व में इस मामले का खुलासा करने के लिए एक बड़ी टीम का गठन कर दिया. इस टीम में नाहारलागुन सर्किल के सीओ रिक कामसी व जांच अधिकारी इंसपेक्टर गोशाम के अलावा इंसपेक्टर मिनली गेई, खिकसी यांगफो व तिराप जिले के एसपी कारदक रिबा तथा खोंसा पुलिस थाने के इंसपेक्टर वांगोई कामुहा को शामिल किया गया. इस टीम को बंट कर काम करना था.

पुलिस की टीमों ने इस दौरान मीना के घर से ले कर घटनास्थल तक पहुंचने के तक जिन मार्गों से गाड़ी गुजरी थी, उन सभी रास्तों के सीसीटीवी फुटेज चैक करने शुरू कर दिए. इस के अलावा पुलिस ने घटनास्थल के एक किलोमीटर के दायरे में सड़क किनारे बनी दुकानों व रेहड़ी वालों से पूछताछ करनी शुरू कर दी. पुलिस ने छानबीन शुरू की तो उसे जल्द ही चश्मदीद के रूप में कुछ राहगीर व रेहड़ी वाले मिल गए, जिन्होंने कार के ब्रेक फेल होने की ड्राइवर दाथांग सुयांग की कहानी को झूठा साबित कर दिया. एक चश्मदीद ने कार नीचे गिरने के बाद 50 मीटर की दूरी से देखा था कि उस का ड्राइवर गाड़ी से बाहर निकला था और पिछली सीट पर पड़ी महिला को बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था.

जबकि कारसिंगा ब्लौक बिंदु पर सड़क किनारे सब्जी बेचने वाले एक रेहड़ी वाले ने बताया कि उस के सामने से कार सामान्य गति से गुजरी थी, इस से यह कहना गलत था कि उस के ब्रेक फेल हुए होंगे. तब तक पुलिस को ड्राइवर दाथांग की संदिग्ध गतिविधियों के कुछ दूसरे साक्ष्य भी मिल गए थे. इसीलिए 6 नंवबर की सुबह उसे आधिकारिक रूप से गिरफ्तार कर के कड़ी पूछताछ शुरू कर दी गई. मुंह खोलना पड़ा ड्राइवर दाथांग को ड्राइवर दाथांग ने शुरू में तो एक ही रट लगाए रखी कि गाड़ी के ब्रेक नहीं लगे थे. लेकिन जब पुलिस ने उस के खिलाफ एकत्र सारे सबूत एकएक कर के उस के सामने रखने शुरू किए तो वह जल्द ही टूट गया. उस ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. दाथांग के मुंह खोलते ही साजिश के तहत मीना की हत्या की एक सनसनीखेज कहानी सामने आई.

पुलिस को एक बार अपराध का सिरा हाथ लग जाए तो उस के अंतिम छोर तक पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगती. पुलिस ने उसी दिन शाम तक ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए तिरप जिले से दाथांग सुयांग के साथ मीना की हत्या की साजिश में शामिल रहे 3 सहआरोपियों कपवांग लेटी लोवांग (40) के साथ ताने खोयांग (33) और दामित्र खोयांग (29) को गिरफ्तार कर लिया. कपवांग पूर्वोत्तर भारत के एक विद्रोही गुट एनएससीएन (यू) का सक्रिय कार्यकर्ता रह चुका था. उसी ने मीना की हत्या की सुपारी ली थी. हैरानी की बात यह थी कि मीना की हत्या की सुपारी उस के पति रोनी लिशी ने ही दी थी. कपवांग रोनी का पुराना जानकार था. उसी ने सुपारी लेने के बाद हत्यारों का इंतजाम किया था. बाद में पूरी योजना के तहत इस वारदात को इस तरह अंजाम दिया गया ताकि यह हत्या एक दुर्घटना लगे.

पुलिस ने पूछताछ के लिए आरोपियों को अदालत से रिमांड पर ले लिया. उस के बाद उन के बयानों की तस्दीक की जाने लगी. क्योंकि हत्या का आरोप मृतका के पति और एक प्रभावशाली पूर्व विधायक के बेटे पर था. इसलिए पुलिस आरोपों को प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य एकत्र कर लेना चाहती थी. इस दौरान जब यह बात सार्वजनिक हो गई कि मीना की हत्या उस के पति रोनी ने ही भाड़े के हत्यारों से करवाई है तो राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने धरने, प्रदर्शन व कैंडिल मार्च के जरिए पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. परिवार के लोग भी अब पूरी तरह रोनी के खिलाफ बोलने लगे. तब तक पुलिस ने कई साक्ष्य एकत्र कर लिए थे. जिस के बाद 10 नवंबर को रोनी लेशी को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

लेकिन पुलिस को इस हत्याकांड की जो थ्योरी अब तक पता चली थी, उस के मुताबिक उसे मामले में 2 अन्य लोगों की तलाश थी. उस के लिए साक्ष्य एकत्र करने का काम शुरू कर दिया गया. आखिरकार 18 नवंबर को पुलिस ने रोनी की प्रेमिका व दूसरी पत्नी चुमी ताया (26) व उस की कंपनी में काम करने वाले मैनेजर विजय बिस्वास (30) को भी हत्याकांड की साजिश में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इन सभी की गिरफ्तारी के बाद जांच अधिकारी ने दुर्घटना के इस मामले को हत्या व साजिश की धाराएं लगा कर हत्या में परिवर्तित कर दिया. इस के बाद मीना हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस ने पूर्वोत्तर के खूबसूरत राज्य अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर शहर के लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया.

लोग सोच रहे थे कि एक इंसान केवल दूसरी लड़की से शादी करने के लिए अपनी पहली पत्नी की बेरहमी से हत्या करा सकता है, जिस से न सिर्फ उस ने प्रेम विवाह किया था बल्कि जिस के पेट में उस का बच्चा भी पल रहा था. रोनी लिशी एक संपन्न परिवार का युवक था. परिवार में 2 छोटे भाई व एक बहन थी. पिता लेगी लिशी प्रतिष्ठित राजनीतिक व्यक्ति होने के साथ अथाह संपत्ति के मालिक थे. उन्होंने सभी बच्चों के नाम पर संपत्तियां खरीदी हुई थीं. रोनी कोई अशिक्षित भी नहीं था. उस ने इंजीनियरिंग की थी. कालेज में पढ़ते हुए हुआ प्यार पिता लेगी लिशी ने रोनी को 2 कंपनियां खुलवा कर दी थीं. ईटानगर में उन की पहली कंपनी लिशी वन होम मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड थी, जिस की स्थापना उन्होंने 2012 में की थी.

जबकि 3 साल पहले रोनी ने अपनी बेटी के नाम पर यामिको ग्लोबल इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के नाम से दूसरी कंपनी शुरू की थी. उस की प्रेमिका व दूसरी पत्नी चुमी ताया इसी कंपनी में काम करती थी. रोनी व मीना की दोस्ती 2008 में कालेज में पढ़ाई के दौरान हुई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई. मीना कारसिंगा में रहने वाले एक मध्यमवर्गीय परिवार की बेहद खूबसूरत व घरेलू लड़की थी. मीना की इसी खूबसूरती पर रोनी मर मिटा था और उस से प्यार करने लगा था. बाद में दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था. मीना चूंकि मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की थी, इसलिए पहले उस के घर वाले संकोच करते रहे कि रोनी एक संपन्न व बड़े परिवार का लड़का है. कहीं ऐसा न हो कि उस के परिवार वाले शादी के लिए राजी न हों.

क्योंकि उन की हैसियत रोनी के परिवार के सामने कुछ भी नहीं थी. ऐसा न हो कि दोनों की शादी बेमेल संबंध बन जाए और मीना को बाद में परेशानी उठानी पड़े. लेकिन मीना व रोनी के कई बार समझाने के बाद परिवार की झिझक दूर हुई और दोनों के मिलन का रास्ता साफ हो गया. लिहाजा सन 2012 में दोनों परिवारों की सहमति से रोनी और मीना ने शादी कर ली. शादी के 2 साल बाद 2014 में दोनों के प्यार की निशानी के रूप में एक बेटी हुई, जिस का नाम लेसी यामिको रखा गया. साल 2017 में अचानक मीना के परिजनों को पता चला कि रोनी ने मीना को तलाक देने के लिए अदालत में अरजी दी है. यह पता चला तो परिवार के लोग बेचैन हो गए.

क्योंकि जिस लड़की से विवाह करने के लिए रोनी उन के सामने मिन्नतें कर रहा था, वह उसी को तलाक क्यों देना चाह रहा था, यह उन की समझ से परे था. पूरा मामला जानने के लिए मीना के घर वाले रोनी के पास पहुंचे. मीना से पता चला कि रोनी कुछ दिनों से चुमी ताया नाम की एक लड़की के प्यार में पागल है. जब से वह रोनी की जिंदगी में आई है, तब से उन दोनों के प्यार में न सिर्फ दरार आ गई थी बल्कि रोनी अब छोटीछोटी बातों पर उस के साथ मारपीट भी करने लगा था और परेशान भी. परेशानी भी कोई बड़ी नहीं होती थी. कभी वह खाने में खराबी बता कर उस से मारपीट करता तो कभी घर में सफाई न होने को ले कर झगड़ा करता था.

मीना के घर वालों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने रोनी के मातापिता व भाईबहनों के साथ मिलबैठ कर इस मसले को सुलझाना चाहा. रोनी के मातापिता को जब इस बात का पता चला कि उस की जिंदगी में किसी दूसरी महिला ने जगह बना ली है तो उन्होंने भी रोनी को बहुत समझाया. उन्होंने उसी साल 2017 में रोनी की मांग पर उसे एक नया घर ले कर दे दिया और उस से वायदा लिया कि वह मीना के साथ उस घर में प्यार से रहेगा. दोनों परिवारों को उम्मीद थी कि अलग रहने के बाद दोनों के बीच खोया हुआ प्यार शायद फिर से पनप जाए. लेकिन कुछ दिन सामान्य रहने के बाद रोनी फिर से अपनी नई गर्लफ्रैंड की बांहों में खो गया. वह कईकई दिनों तक घर से गायब रहता. मीना ऐतराज करती तो वह उस के साथ मारपीट करता और कहता कि अगर मेरे साथ नहीं रहना चाहती तो मुझे तलाक दे दो.

एक तरह से रोनी ने मन बना लिया था कि किसी भी तरह मीना उस की जिंदगी से चली जाए. सन 2018 में एक बार फिर बात मीना के घर वालों तक पहुंच गई. मीना के घर वाले उस के नए घर पहुंचे, जहां एक बार फिर से दोनों परिवारों के सभी लोगों की पंचायत हुई. मीना ने परिवार वालों को रोनी की जिन हरकतों के बारे में बताया था, उस के बाद परिवार वालों को भी लगा कि अगर रोनी के दिल से मीना के लिए प्यार ही खत्म हो गया है तो ऐसे में यातना सहने के लिए बेटी को उस घर में छोड़ने से क्या फायदा. इसीलिए उन्होंने मीना को अपने साथ ले जाने के लिए कहा. लेकिन रोनी के पिता ने मीना को भेजने से मना कर दिया और रोनी को पूरे परिवार के सामने बहुत डांटाफटकारा.

नतीजा यह निकला कि रोनी को अपनी हरकतों पर पछतावा हुआ और उस ने दोनों परिवारों के सामने अपने किए पर शर्मिंदगी जताते हुए स्वीकार किया कि मीना ही उस की असली और इकलौती मोहब्बत है तथा उस की बेटी की मां भी है. उस दिन रोनी ने दोनों परिवारों के बीच वादा किया कि भविष्य में मीना को उस की तरफ से किसी तरह की शिकायत करने का मौका नहीं मिलेगा. अगर पतिपत्नी के बीच कोई छोटीमोटी प्रौब्लम होगी भी तो वे उसे खुद बैठ कर सुलझाएंगे, परिवार के दूसरे लोगों को शिकायतें सुनने का मौका नहीं मिलेगा. दोनों के बदले हुए व्यवहार से दोनों परिवारों ने सोचा कि शायद सुबह का भूला शाम को घर आ गया है. बेटी का टूटता घर बचने की आस में मीना के घर वाले वापस लौट गए.

लगा सब ठीक हो गया इस के बाद वक्त तेजी से बीतने लगा. मीना के घर वाले उस की गृहस्थी के बारे में फोन कर के पूछते रहते थे. लेकिन मीना ने परिवार वालों से कभी भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी, जिस से उन्हें पता चलता कि रोनी उसे फिर से परेशान कर रहा है. वक्त बीता और साल 2020 शुरू हो गया. इसी बीच फरवरी में मीना के घर वाले यह जान कर खुशी से फूले नहीं समाए कि मीना फिर से गर्भवती है और रोनी के दूसरे बच्चे की मां बनने वाली है. इस के बाद उन्हें यकीन हो गया कि रोनी और मीना के बीच का प्यार मजबूत हो चुका है.

लेकिन 5 नंवबर को अचानक परिवार के लोगों को सूचना मिली कि मीना कारसिंगा में एक दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुई है और उसे अस्पताल में भरती कराया गया है. जब तक परिवार वहां पहुंचा, तब तक उस की मौत हो चुकी थी. इधर चुमी ताया (26) मूलरूप से कामले जिले की रहने वाली खूबसूरत और महत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह पिछले 3 साल से रोनी की कंपनी में काम करती थी. यहीं पर रोनी उस की तरफ आकर्षित हुआ. दोनों के बीच प्यार हुआ और बाद में दोनों लिवइन में रहने लगे. चुमी को पता था कि कि रोनी शादीशुदा है और एक बच्ची का पिता भी. इस के बावजूद कुछ समय पहले रोनी के साथ उस ने गुपचुप तरीके से शादी भी कर ली. चुमी ताया धीरेधीरे रोनी पर दबाव बनाने लगी कि वह मीना को तलाक दे कर उसे सामाजिक रूप से अपनी पत्नी घोषित करे.

हालांकि रोनी जब से चुमी ताया के प्यार में डूबा था तभी से मीना के साथ उस के रिश्तों में कड़वाहट भर गई थी. लेकिन चुमी से शादी के बाद यह कड़वाहट एक जहरीले रिश्ते के रूप में बदल गई. रोनी लगातार मीना पर दबाव बनाने लगा कि वह एक मकान और कुछ पैसा ले ले लेकिन उसे तलाक दे दे. लेकिन मीना इस के लिए तैयार नहीं थी. इसीलिए रोनी ने मीना को अपनी जिंदगी से हटाने के लिए भाड़े के हत्यारों का सहारा ले कर उस की हत्या कराने की साजिश तैयार की. कारसिंगा में ही रोनी का एक फार्महाउस था, जहां वह अकसर अपनी दूसरी पत्नी चुमी ताया के साथ रहता था. रोनी ने हत्याकांड को इस तरह से अंजाम दिलाने की साजिश रची थी कि लोग इसे दुर्घटना समझ लें. मीना की हत्या के लिए उस ने अपने एक पुराने दोस्त कपवांग लेटी से संपर्क किया.

क्योंकि उसे पता था कि कपवांग विद्रोही संगठन एनएससीएन (यू) का पुराना कार्यकर्ता है और उस के पास पैसा ले कर किसी की हत्या करने वाले लोगों की कोई कमी नहीं होगी. रोनी ने जब उस से कौन्ट्रैक्ट किलर की व्यवस्था करने के लिए कहा तो कापवांग ने कहा कि वह काम तो करा देगा, लेकिन इस के लिए 10 लाख रुपए लगेंगे. रोनी तैयार हो गया, लेकिन उस ने शर्त रख दी कि काम इस तरह होना चाहिए कि किसी को मीना की हत्या का पता न लगे बल्कि लोग इसे दुर्घटना समझें. कपवांग ने आश्वासन दिया कि ऐसा ही होगा. इस के बाद साजिश तैयार होने लगी. 27 अक्तूबर की शाम कपवांग लेटी लोवांग अपने साथ दाथांग सुयांग और ताने खोयांग को ले कर खोंसा जिले से राजधानी ईटागनर पहुंचा और वे तीनों होटल सू पिंसा में रुके.

28 अक्तूबर को रोनी उन से मिलने होटल पहुंचा और अपनी पत्नी को कपवांग के साथ मारने की योजना को अंतिम रूप दिया. बनाई गई योजना के अनुसार दाथांग सुयांग को इस हत्या को अंजाम दे कर दुर्घटना का रूप देना था. रोनी ने तय किया था कि इस काम के लिए वह 5 लाख रुपए एडवांस देगा. लिहाजा उसी दिन रोनी ने 5 लाख रुपए का नकद भुगतान कर दिया. बाकी की रकम काम होने पर 15 दिनों में 3 लाख और 2 लाख रुपए की 2 किस्तों में देना तय हुआ था. कपवांग और ताने खोयांग 30 अक्तूबर को खोंसा वापस चला गए. जबकि दाथांग अगले ही दिन वापस आ गया. रोनी ने जो साजिश तैयार की थी, उस के मुताबिक दाथांग को वारदात को अंजाम देने के लिए रोनी की पत्नी मीना का ड्राइवर बन कर रहना था.

साजिश का पहला कदम एक दिन मीना के ड्राइवर के रूप में काम करने के बाद उसे लगा कि काम को वह जितना आसान समझ रहा था उतना आसान नहीं है. इसीलिए 2 नवंबर को दाथांग ने रोनी से एक साथी की व्यवस्था करने का अनुरोध किया. क्योंकि उसे लगा कि वह खुद मीना की हत्या करने में समर्थ नहीं होगा. रोनी ने फिर से कापवांग से फोन पर संपर्क कर के दाथांग की तरफ से एक और साथी उपलब्ध कराने की बात बताई तो विचारविमर्श के बाद कपवांग ने अपने दूसरे सहयोगी दामित्र खोयांग को इस साजिश को अंजाम देने के लिए ईटानगर के लिए रवाना कर दिया.

दामित्र खोयांग उस वक्त दोइमुख में किसी के यहां ड्राइवर के रूप में काम कर रहा था. आदेश मिलते ही वह राजधानी ईटानगर पहुंच गया और रोनी से मिला. खोयांग के आ जाने पर 4 नवंबर की सुबह रोनी और दाथांग ने एक बार फिर उस रूट का जायजा लिया, जो कारसिंगा में ब्लौक पौइंट के पास था. यहीं पर उस ने मीना की हत्या कराने की योजना को अंजाम देने का प्लान तैयार किया था. उसी दिन रोनी ने एक बार फिर से पूरी योजना को अंजाम देने वाली हर बात को अंतिम रूप दिया और तय हुआ कि अगले दिन यानी 5 नवंबर, 2020 को मीना को ठिकाने लगाने की योजना को अंजाम दिया जाएगा.

जैसी योजना बनी थी, उसी के मुताबिक काम शुरू कर दिया गया. 5 नवंबर की सुबह रोनी जब अपने फार्महाउस में था, उस ने वहीं से मीना को फोन कर के कहा कि कारसिंगा में जो भूमि सरकार ने अधिग्रहित की है, उस के मुआवजे के मामले पर सरकारी विभाग में मीटिंग है. इसलिए वह ड्राइवर को साथ ले कर उस के पास आ जाए, जिस के बाद दोनों साथ चलेंगे. सुबह करीब 12 बजे बेटी को नौकरानी के पास छोड़ कर मीना इनोवा कार में ड्राइवर दाथांग के साथ कारसिंगा के लिए निकल पड़ी. जैसी कि योजना बनाई गई थी रास्ते में दाथांग ने बांगे तीनाली में पहले से इंतजार कर रहे अपने साथी दामित्र को साथ ले लिया. मीना के पूछने पर दाथांग ने बताया कि वह उस का दोस्त है और उसे भी कारसिंगा तहसील दफ्तर जाना है.

मीना दाथांग के साथ ड्राइवर के पीछे वाली सीट पर बैठी थी जबकि दामित्र सब से पीछे की सीट पर बैठ गया था. जैसे ही उन की गाड़ी ने मंदिर (कूड़ा डंपिंग जोन) पार किया, दामित्र ने अपने साथ छिपा कर लाए हथौड़े से मीना पर पीछे से पहले सिर पर वार किया, उस के बाद ताबड़तोड़ उस के कंधों, कनपटी और गरदन के पीछे वार किए. इस काम में मुश्किल से 3 से 4 मिनट का समय लगा. लहूलुहान और अपने ही खून से कार की सीट पर सराबोर हुई मीना ने अगले चंद मिनटों में ही दम तोड़़ दिया. दामित्र को जब यकीन हो गया कि मीना मर चुकी है तो उस ने दाथांग से कह कर ब्लौक पौइंट के पास गाड़ी रुकवाई और जैसे गाड़ी में सवार हुआ था, वैसे ही चुपचाप उतर गया.

दाथांग ने गाड़ी को थोड़ा आगे बढ़ाया और उसे मोड़ के पास सड़क के बाएं किनारे तिरछा खड़ा कर के चाभी लगी छोड़ नीचे उतर गया. इस के बाद उस ने न्यूट्रल में खड़ी गाड़ी को जोर लगा कर धक्का दे दिया. गाड़ी खाई में लगभग 2 से 3 मीटर नीचे चली गई. लेकिन 3 मीटर नीचे जा कर टायर के नीचे एक बड़ा पत्थर आने से गाड़ी ज्यादा आगे नहीं जा सकी. इसलिए दुर्घटना साबित करने की थ्योरी कमजोर पड़ गई. पुलिस ने जब जांच की तो पाया कि न तो कार के कहीं से शीशे टूटे थे और न ही कहीं से गाड़ी में टूटफूट हुई थी. फिर भी गाड़ी में बीच की सीट पर बैठी मीना की मौत हो गई थी. निरीक्षण के दौरान पता चला कि कार में कहीं भी कोई अंदरूनी क्षति नहीं पहुंची थी.

पुलिस ने ड्राइवर दाथांग से जब पूछताछ की तो उस ने बताया था कि ब्रेक फेल होने के कारण गाड़ी खाई में लुढ़की थी. लेकिन पुलिस ने अपने मोटर एक्सपर्ट को बुला कर गाड़ी की जांच करवाई तो गाडी के ब्रेक सही पाए गए. पत्नी के चक्कर में बच्चा भी गया इसी के बाद पुलिस को दाथांग पर शक होने लगा और उसे हिरासत में ले लिया गया. बाद में दाथांग के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली गई तो उस में कपवांग से ले कर दामित्र तक से बातचीत के रिकौर्ड मिले. हैरानी की बात यह थी कि दाथांग ने पुलिस पूछताछ में यह बात छिपा ली थी कि उन के साथ दामित्र भी था. पुलिस को दामित्र के मोबाइल फोन की जांच में मौके पर उस की मौजूदगी का सबूत मिल गया था. दोनों के फोन की काल डिटेल्स से पुलिस को कपवांग लेटी लोवांग और ताने खोयांग के इस साजिश से जुड़े होने के सबूत मिल गए.

मोबाइल फोन के जरिए इन सभी की कडि़यां जब रोनी लिशी से जुड़ी पाई गईं तो एकएक कर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती गई. जांच आगे बढ़ी तो पाया गया कि विजय बिस्वास जो मूलरूप से असम के नागांव का रहने वाला था, रोनी की इंफ्रा कंपनी में काम करता था. उसे इस हत्याकांड की साजिश की पूरी जानकारी थी. मीना की हत्या को जिस अनोखी साजिश से अंजाम दिया गया था, उस का खुलासा शायद ही होता, अगर मीना के परिजनों के खुल कर सामने आने और ईटानगर में लोगों ने ‘जस्टिस फौर मीना’ की मुहिम शुरू न की होती. इसीलिए पुलिस ने दबाव में आ कर गहन छानबीन करनी शुरू की. कडि़यों से कडि़यां जोड़ते हुए पुलिस इस साजिश के सूत्रधार और मीना के पति रोनी तक पहुंच गई और उसे गिरफ्तार कर लिया.

बाद में पुलिस ने चुमी ताया को भी गिरफ्तार कर लिया, क्योंकि जांच में पाया गया कि उसे पूरी वारदात की जानकारी थी, भले ही वह इस वारदात में सक्रिय रूप से शामिल नहीं थी. लेकिन उसी के उकसावे के कारण रोनी ने हत्या का कठोर फैसला लिया था. चुमी ताया के अलावा पुलिस ने इस हत्याकांड में विजय बिस्वास नाम के आरोपी को भी गिरफ्तार किया. विजय रोनी की कंपनी में काम करते हुए रोनी का सब से वफादार और भरोसेमंद आदमी बन गया था. वह उस के निजी कामों को संभालता था. रोनी के कहने पर विजय ने ही 3 मोबाइल खरीद कर वारदात में शामिल दोनों हत्यारों दाथांग सुयांग, दामित्री खोयांग और हत्याकांड की सुपारी लेने वाले कपवांग लेटी लोवांग तक पहुंचाए थे.

पुलिस ने इन तीनों मोबाइल फोनों के साथ एक नहर में फेंके गए उस हथौडे़ को भी बरामद कर लिया, जिस से मीना की हत्या की गई थी. रोनी ने साजिश तो रची थी दूसरी पत्नी के लिए पहली पत्नी को रास्ते से हटाने की, लेकिन एक कत्ल के चक्कर में वह दूसरी हत्या के रूप में अपने अजन्मे बच्चे की हत्या का पाप भी करा बैठा.

—कहानी पुलिस की जांच व परिजनों के कथन पर आधारित

 

Love Crime : प्रेमिका का गला तब तक दबाया जब तक उसकी सासें थम नहीं जाएं

Love Crime : घरपरिवार से अलग स्वच्छंद जीवन जीने की इच्छुक लड़कियों का कमोबेश रश्मि जैसा ही हाल होता है. चिराग पटेल ने भले ही हत्या का अपराध किया, लेकिन उस की हत्या की भूमिका तभी बननी शुरू हो गई थी जब रश्मि ने जानबूझ कर शादीशुदा चिराग के साथ रिलेशनशिप में रहना शुरू किया था. काश! रश्मि ने अपने पिता परिवार…

60 वर्षीय जयंतीभाई वनमाली कटारिया अपनी दोनों बेटियों तनु और रश्मि के साथ गुजरात के सूरत जिले के बारदोली कस्बे के रोहितफालिया इलाके में रहते थे. वह गांव के प्रतिष्ठित काश्तकार थे. परिवार संपन्न और इज्जतदार था. किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. उन की ख्वाहिश थी कि वह अपनी दोनों बेटियों को उच्चशिक्षा दिलाएं ताकि वे पढ़लिख कर समाज और बिरादरी में अपना एक अलग स्थान बनाएं. अपनी दोनों बेटियों के साथ वह बेटों जैसा व्यवहार करते थे. उन्होंने उन्हें अपनी तरफ से पूरी आजादी दे रखी थी. लेकिन जयंती भाई को यह पता नहीं था कि उन की आजादी एक दिन उन्हें बहुत भारी पड़ेगी. उन की बड़ी बेटी तो सरल स्वभाव की थी, लेकिन छोटी बेटी रश्मि काफी तेज और चंचल थी.

23 वर्षीय रश्मि कटारिया आधुनिक और ब्रौड माइंडेड युवती थी. वह जितनी शोख चंचल थी, उतनी ही सुंदर और स्मार्ट भी थी. फैशनपरस्त होने के साथसाथ वह पुराने दकियानूसी रस्मोरिवाजों को नहीं मानती थी. उस का कहना था कि जब तक खूबसूरती और जवानी है, एंजौय करो. शादीविवाह तो बंधन है, जिस की समय के साथ जरूरत पड़ती है. इसी वजह से रश्मि चिराग पटेल नाम के युवक के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहती थी. 15 नवंबर, 2020 दीपावली का दूसरा दिन था. लोग खुशियां मना रहे थे. अपने जानपहचान वालों, नातेरिश्तेदारों को दीपावली की बधाइयों केसाथ गिफ्ट दे रहे थे. कटारिया परिवार भी इस सब में पीछे नहीं था.

उन्होंने भी अपनी बेटी रश्मि को गिफ्ट देने के लिए फोन कर के घर बुलाया. फोन रश्मि के साथ लिवइन में रहने वाले चिराग पटेल ने रिसीव किया और कहा, ‘‘अंकल रश्मि तो नहाने के लिए बाथरूम गई है.’’

‘‘ठीक है बेटा, नहाने के बाद तुम लोग घर आ जाना.’’ रश्मि के पिता जयंतीभाई कटारिया ने अनुरोध किया. दूसरी तरफ से संतोषजनक जवाब पाने के बाद जयंतीभाई कटारिया ने फोन रख दिया और उन के आने का इंतजार करने लगे. लेकिन पूरा दिन निकल जाने के बाद भी न तो बेटी रश्मि आई और न ही उस का कोई फोन आया. इस से उन्हें रश्मि की चिंता हुई. उन्होंने रश्मि और चिराग को कई बार फोन लगाया लेकिन कोई रिस्पौंस नहीं मिला. हर बार दोनों का फोन स्विच्ड औफ मिला. फिर आउट औफ कवरेज एरिया बताने लगा. बेटी की चिंता में जयंतीभाई कटारिया की रात जैसेतैसे बीत गई. पर सुबह होते ही उन्होंने रश्मि और चिराग के फोन फिर ट्राई किए. लेकिन नतीजा वैसा ही रहा. ऐसे

में कटारिया और उन के परिवार का धैर्य टूट गया. ऐसा कभी नहीं हुआ था कि रश्मि के मांबाप, बहन फोन करें और उस का उन्हें जवाब न मिले. दिन में एक 2 बार तो रश्मि का उन के साथ संपर्क हो ही जाता था. लंबी बातें भी हुआ करती थीं. भले ही उन की बेटी लंबे समय से एक गैरजाति वाले चिराग के साथ लिवइन रिलेशन में रह रही थी, लेकिन परिवार के लोगों को उस के प्रति किसी प्रकार की नाराजगी नहीं थी. 17 नवंबर, 2020 को जब रश्मि की चिंता हद से गुजर गई तो जयंतीभाई कटारिया अपने भतीजे हीरेन कटारिया के साथ सुबहसुबह रश्मि के फ्लैट पर पहुंच गए. वहां उन्हें न तो रश्मि मिली और न ही चिराग पटेल मिला.

वहां सिर्फ उस की नौकरानी और रश्मि का 3 साल का बेटा मिला. पूछताछ में नौकरानी ने उन्हें बताया कि रश्मि और चिरागभाई कहीं बाहर घूमने गए हैं. नौकरानी से बातचीत करने केबाद जयंतीभाई कटारिया अपने नाती को साथ ले कर घर आ गए. नौकरानी और  पड़ोसियों ने जो बताया उसे ले कर उन का मन अशांत था. कुछ सवाल थे जो बारबार खटक रहे थे. उन का मानना था कि अगर रश्मि और चिराग बाहर घूमने गए थे तो बेटे को क्यों नहीं ले गए. इतने छोटे बच्चे को छोड़ कर मां कभी बाहर नहीं जाती. दूसरी बात यह थी कि उन दोनों के मोबाइल क्यों बंद थे. यह सब सोच कर उन का माथा ठनका तो उन्होंने अपनी जानपहचान और नातेरिश्तेदारों के यहां उन की तलाश शुरू कर दी.

जल्दी ही इस का नतीजा भी सामने आ गया. चिराग कहीं नहीं गया था, वह अपने रिश्तेदारों के यहां था. अगर कोई गया था तो वह थी रश्मि, उन की बेटी. उन्होंने इस बारे में जब चिराग से पूछा तो उस का कहना था कि रश्मि कहां गई, उसे नहीं पता. संदेह का सूत्र इस पर जयंतीभाई कटारिया परिवार का संदेह बढ़ गया. उन्होंने बिना किसी विलंब के 20 नवंबर को थाना बारदोली के थानाप्रभारी से मिल कर बेटी रश्मि की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाते हुए डीवाईएसपी रूपल सोलंकी को सारी बात बताई. साथ ही बेटी की तलाश करने का अनुरोध किया. जयंतीभाई कटारिया के अनुरोध पर डीवाईएसपी रूपल सोलंकी ने मामले को गंभीरता से लिया और बारदोली थानाप्रभारी को जांच के निर्देश दे दिए.

मामला एक बड़े किसान परिवार से जुड़ा और काफी जटिल था, जिसे सुलझाने के लिए सावधानी की जरूरत थी. इस के लिए थानाप्रभारी ने अपने सहायकों के साथ विचारविमर्श कर संदिग्ध चिराग को थाने बुला कर फौरी तौर पर पूछताछ की. चिराग ने जिस तरह रश्मि की गुमशुदगी में अनभिज्ञता जाहिर की, वह थानाप्रभारी और उन के सहायकों के गले नहीं उतरी. उन्हें दाल में कुछ काला नजर आ रहा था. इस के लिए थानाप्रभारी ने अपने सहायकों के साथ चिराग के जानपहचान और उस के परिवार की कुंडली खंगाली तो चिराग रडार पर आ गया. पुलिस ने चिराग को जब दूसरी बार पूछताछ के लिए थाने बुलाया तो वह घबरा गया और सच बोलने के सिवा उस के पास और कोई चारा नहीं बचा. उसे रश्मि की गुमशुदगी के रहस्य से परदा उठाना ही पड़ा.

चिराग के बयान और पुलिस जांच के अनुसार रश्मि की गुमशुदगी और लिवइन रिलेशनशिप की जो कहानी सामने आई, उस की पृष्ठभूमि काफी सनसनीखेज थी, जिसे जान कर लोगों का कलेजा मुंह को आ गया. 32 वर्षीय चिराग पटेल उसी तालुका बारदोली का रहने वाला था, जहां की रश्मि रहने वाली थी. उस के पिता का नाम सुरेशभाई पटेल था. सुरेशभाई की गिनती वहां के धनी और संपन्न किसानों में की जाती थी. उन की अच्छी उपजाऊ जमीन थी, जिस पर वह आधुनिक तरीके से खेती करवाते थे. तैयार होने पर उन की फसल सीधे शहर की बड़ी मंडियों में जाती थी.

स्वस्थ, सुंदर और महत्त्वाकांक्षी चिराग पटेल उन का एकलौता बेटा था, जिसे परिवार से खूब लाड़प्यार मिला था. पिता की तरह उसे भी खेतीबाड़ी से प्यार था. इसी के चलते उस ने अपनी पढ़ाई कृषि विज्ञान से पूरी की और घर आ कर पूरी तरह काश्तकारी संभाल ली. चिराग को अपने पैरों पर खड़ा देख परिवार वालों को उस की शादी की चिंता हुई तो उन्होंने उस के लिए लड़की की तलाश शुरू कर दी. उन्होंने अपनी जानपहचान और नातेरिश्तेदारों में उस की शादी की बात चलाई. फलस्वरूप उन्हें अपने ही रिश्तेदारी के बालोद गांव की रहने वाली सुंदर, सुशिक्षित, सुशील लड़की पसंद आ गई. उसी के साथ उन्होंने चिराग पटेल की शादी पूरे रस्मोरिवाज के साथ धूमधाम से कर दी.

चिराग अपनी शादी से बहुत खुश था. जल्दी ही वह एक बच्चे का पिता भी बन गया. पिता बन गया चिराग समय अपनी गति से चल रहा था. चिराग अपने परिवार में खुश था कि अचानक उस की जिंदगी में उस की पुरानी क्लासमेट रश्मि कटारिया दाखिल हो गई. खेती के कामों से शहर आतेजाते जब चिराग की नजर रश्मि से टकराई तो आधुनिक पोशाक में स्मार्ट और मौडर्न रश्मि को देख कर उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. यही हाल रश्मि का भी था. वह भी स्मार्ट और सुंदर चिराग को अचानक देख कर स्तब्ध रह गई. थोड़ी सी औपचारिकता के बाद दोनों खुल गए. उन्होंने अपने जीवन और दिल की बातें शेयर की और एकदूसरे के सामने जिंदगी की पूरी किताब खोल कर रख दी.

अपनी शादी और जीवनसाथी के बारे में रश्मि ने बताया कि उस ने अभी इस बारे में सोचा ही नहीं है. वैसे भी यह एक बेकार का काम है, क्योंकि उस के नजरिए से जीवन मौजमजे का नाम है. रश्मि की बेबाक बातें सुन कर चिराग उस की तरफ आकर्षित हो गया. उसे एक ऐसी ही सुंदर पार्टनर की जरूरत थी, जिस के साथ वह मौजमजा कर सके. यह सोच कर चिराग ने जब रश्मि की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो रश्मि ने भी देरी नहीं की. पहले दोनों में दोस्ती हुई और फिर उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. अब चिराग जबजब शहर जाता, अपने साथ रश्मि को भी ले कर जाता. दोनों शहर के होटलों में मौजमस्ती करते. मौलों में शौपिंग करते, घूमतेफिरते.

यह बात जानते हुए भी कि चिराग शादीशुदा और एक बच्चे का बाप है, रश्मि कटारिया चिराग के प्यार में आकंठ डूब गई. वह उस के साथ आजादी से घूमतीफिरती. चिराग का रहनसहन और वैभव देख कर उसे अहसास हो रहा था कि उस के साथ उस का भविष्य और सपने दोनों सुरक्षित रहेंगे. इसी वजह से परिवार वालों के रोकने और समझाने का उस पर कोई असर नहीं हुआ. रिलेशनशिप की शुरुआत चिराग के परिवार वालों को उस का रश्मि के साथ मिलनाजुलना पसंद नहीं था. इस के पहले कि वे चिराग को समझा कर रश्मि से अलग कर पाते, रश्मि लिवइन रिलेशन में रहने के लिए उन के बंगले पर आ गई और घरपरिवार वालों से कहा कि चिराग को वह अपना पति मानती है, उस से शादी करेगी.

इस बात को चिराग ने भी स्वीकार किया. उस का भी यही कहना था कि वह रश्मि को बहुत प्यार करता है, उस के बिना नहीं रह सकता. परिवार वालों को चिराग और रश्मि से यह उम्मीद नहीं थी. इस बात का परिवार और गांव वालों ने कड़ा विरोध किया. उन्होंने चिराग और रश्मि को कड़े शब्दों में चेतावनी दी कि अगर उन दोनों ने एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा तो उन्हें गांव में नहीं रहने दिया जाएगा. वह किसी दूसरे गांव में जा कर रहें. आखिरकार पत्नी, मां और गांव परिवार के विरोध के चलते चिराग और रश्मि को गांव छोड़ना पड़ा और वे वागेन तालुका सूरत आ कर वहां के एक लग्जरी अपार्टमेंट में किराए का फ्लैट लेकर रहने लगे. लिवइन रिलेशनशिप के इस सफर को 5 साल कैसे बीत गए उन्हें पता ही नहीं चला.

इस बीच रश्मि एक स्वस्थ सुंदर बच्चे की मां बन चुकी थी. बीतते वक्त के साथ धीरेधीरे दोनों का पारिस्पारिक आकर्षण खत्म होने लगा. 5 सालों में चिराग के इश्क का भूत उतर चुका था. अब रश्मि उसे बोझ लगने लगी थी. वह उस से छुटकारा पाना चाहता था. ऐसे में रश्मि जब दोबारा गर्भवती हुई तो वह चिड़चिड़ा हो गया. जब यह बात चिराग की पत्नी और मां तक पहुंची तो वे आगबबूला हो गईं. दोनों ने रश्मि के फ्लैट पर पहुंच कर उन्हें आड़े हाथों लिया. खरीखोटी सुनाते हुए रश्मि के साथ मारपीट की, जिस से वह बुरी तरह डर गई थी. इस घटना से रश्मि को अपने और अपने बच्चे के भविष्य की चिंता सताने लगी.

उस का और बच्चे का भविष्य सुरक्षित हो, इस के लिए रश्मि चिराग पर शादी का दबाव बनाने लगी, जो उसे मान्य नहीं था. दूसरी ओर रश्मि शादी को ले कर अड़ गई थी.  इस से दोनों के बीच कहासुनी होने लगी. कभीकभी स्थिति मारपीट तक भी पहुंच जाती थी. दीपावली की रात लक्ष्मी पूजन के बाद जब रश्मि ने शादी की बात उठाई तो दोनों के बीच तकरार बढ़ गई और चिराग आपा खो बैठा. गुस्से में वह रश्मि का गला पकड़ कर तब तक दबाता रहा जब कि उस के प्राण नहीं निकल गए. इस तरह उसे रश्मि से छुटकारा तो मिल गया, लेकिन अब वह उस के शव का क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था.

मिल ही गई कब्र की जगह काफी सोचविचार के बाद चिराग को अपनी ससुराल के गांव बालोद की याद आई, जहां सरकारी पाइप डालने का काम चल रहा था और गहरे गड्ढे खोदे गए थे. वहां पाइपलाइन किसानों के खेतों से जा रही थी. यह खयाल आते ही चिराग ने रश्मि का शव बैडशीट में लपेट कर अपनी कार  में डाला और बालोद गांव पहुंच गया. वहां उस ने एक जेसीबी मशीन के ड्राइवर से बात कर के रश्मि के शव को दफन करवा दिया और अपने रिश्तेदारों के यहां चला गया. चिराग से पूछताछ के बाद बारदोली पुलिस ने मामले की जानकारी बालोद पुलिस अधीक्षक और एसडीएम को दी. घटनास्थल पर पहुंच कर अधिकारियों ने एफएसएल की मौजूदगी में जेसीबी मशीन की सहायता से रश्मि कटारिया का शव बाहर निकलवाया.

शव को बाहर निकलवा कर उस का बारीकी से निरीक्षण किया और पोस्टमार्टम के लिए स्थानीय अस्पताल भेज कर चिराग पटेल और जेसीबी के ड्राइवर को हिरासत में ले कर जेल भेज दिया. पोसटमार्टम रिपोर्ट में रश्मि 4 महीने की गर्भवती पाई गई. पुलिस के अनुसार भले ही चिराग ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया, लेकिन पुलिस उस के बयानों से संतुष्ट नहीं थी. उन का मानना था कि इस हत्याकांड में वह अकेला नहीं रहा होगा. परदे के पीछे और लोग भी हो सकते हैं. वे लोग कौन हैं, यह जांच का विषय है. चूंकि रश्मि कटारिया अनुसूचित जाति की थी, इसलिए आगे की जांच अनुसूचित जाति/जनजाति सेल के डीवाईएसपी भार्गव पंडया को सौंप दी गई.

UP News : परेशान प्रेमिका ने प्रेमी के सिर पर सिलेंडर मारकर की हत्या

UP News : सीमा की शादी हो जाने के बाद नीरज को उस से दूरी बना लेनी चाहिए थी. लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया बल्कि वह उस की ससुराल तक जाने लगा. एक दिन उस ने सीमा के साथ जोरजबरदस्ती करने की कोशिश की तो सीमा भी विकराल हो गई. इस के बाद…

नीरज बनसंवर कर घर से जाने लगा, तो उस के भाई धीरज ने उसे टोका, ‘‘नीरज इतनी रात को तुम कहां जा रहे हो? क्या कोई जरूरी काम है या फिर किसी की शादी में जा रहे हो?’’

‘‘भैया, मेरे दोस्त के घर भगवती जागरण है. मैं वहीं जा रहा हूं.’’ नीरज बोला.

फिर नीरज ने कलाई पर बंधी घड़ी पर नजर डाली और बोला, ‘‘भैया, अभी रात के साढ़े 9 बजे हैं. मैं 12 बजे तक लौट आऊंगा.’’ कहते हुए नीरज घर से बाहर चला गया. नीरज उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर शहर की सुरेखापुरम कालोनी में रहता था. धीरज और उस की पत्नी नीरज के इंतजार में रात 12 बजे तक जागते रहे. जब वह घर नहीं आया तो उन्हें चिंता हुई. वे दोनों घर के अंदरबाहर कुछ देर चहलकदमी करते रहे, फिर धीरज ने अपने मोबाइल फोन से नीरज को फोन किया. पर उस का फोन बंद था. धीरज ने कई बार फोन मिलाया, लेकिन हर बार फोन बंद ही मिला. रात 2 बजे तक वह नीरज के इंतजार में जागता रहा. उस के बाद उस की आंख लग गई.

अभी सुबह का उजाला ठीक से फैला भी नहीं था कि धीरज का दरवाजा किसी ने जोरजोर से पीटना शुरू किया. अलसाई आंखों से धीरज ने दरवाजा खोला तो सामने एक अनजान व्यक्ति खड़ा था. धीरज ने उस से पूछा, ‘‘आप कौन हैं और दरवाजा क्यों पीट रहे हैं?’’

उस अनजान व्यक्ति ने अपना परिचय तो नहीं दिया. लेकिन यह जरूर बताया कि उस का भाई नीरज डंगहर मोहल्ले में मीना किन्नर के घर के पास गंभीर हालत में पड़ा है. उस ने घर का पता बताया था और खबर देने का अनुरोध किया था, सो वह चला आया. भाई के घायल होने की जानकारी पा कर धीरज घबरा गया. उस ने अड़ोसपड़ोस के लोगों को जानकारी दी और फिर उन को साथ ले कर डंगहर मोहल्ले में मीना किन्नर के घर के पास पहुंच गया. उस समय वहां भीड़ जुटी थी. धीरज ने अपने भाई नीरज को मरणासन्न स्थिति में देखा तो वह घबरा गया. उस का सिर फटा हुआ था, जिस से वह लहूलुहान था. लग रहा था जैसे उस के सिर पर किसी ने भारी चीज से हमला किया था.

उस ने थाना कटरा पुलिस को इस की जानकारी दी फिर सहयोगियों के साथ नीरज को इलाज के लिए निजी डाक्टर के पास ले गया. लेकिन डाक्टर ने हाथ खड़े कर लिए और पुलिस केस बता कर सदर अस्पताल ले जाने की सलाह दी. यह बात 28 नवंबर, 2020 की सुबह 8 बजे की है. जीवित होने की आस में धीरज अपने भाई नीरज को सदर अस्पताल मिर्जापुर ले गया. डाक्टरों ने नीरज को देखते ही मृत घोषित कर दिया. भाई की मृत्यु की बात सुन कर धीरज फफक कर रोने लगा. चूंकि यह पुलिस केस था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने सूचना थाना कटरा पुलिस को दी. सूचना पाते ही प्रभारी निरीक्षक रमेश यादव पुलिस बल के साथ सदर अस्पताल आ गए. उन्होंने धीरज को धैर्य बंधाया और घटना के संबंध में पूछताछ की.

धीरज ने बताया कि वह सुरेखापुरम कालोनी में रहता है. उस का भाई नीरज बीती रात साढ़े 9 बजे यह कह कर घर से निकला था कि वह दोस्त के घर जागरण में जा रहा है. लेकिन सुबह उसे उस के घायल होने की जानकारी मिली. तब उस ने उसे सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

‘‘क्या तुम्हें पता है कि तुम्हारे भाई पर कातिलाना हमला किस ने किया है?’’ श्री यादव ने पूछा.

‘‘सर, मुझे कुछ भी पता नहीं है.’’ धीरज ने जवाब दिया.

पूछताछ के बाद श्री यादव ने नीरज के शव का बारीकी से निरीक्षण किया. नीरज की उम्र 32 वर्ष के आसपास थी. उस के सिर पर किसी ठोस वस्तु से प्रहार किया गया था, जिस से उस का सिर फट गया था. संभवत: सिर में गहरी चोट लगने के कारण ही उस की मौत हो गई थी. शरीर के अन्य भागों पर भी चोट के निशान थे. निरीक्षण के बाद उन्होंने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इधर नीरज की हत्या की खबर सुरेखापुरम कालोनी पहुंची तो कालोनी में सनसनी फैल गई. धीरज के घर लोगों की भीड़ जमा हो गई. लोगों में जवान नीरज की हत्या को ले कर गुस्सा था. गुस्साई भीड़ ने मिर्जापुर नगर के बथुआ के पास मिर्जापुर-रीवा मार्ग जाम कर दिया तथा पुलिस विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए.

सड़क जाम की सूचना कटरा कोतवाल रमेश यादव को हुई तो वह पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे. उन्होंने भीड़ को समझाने का प्रयास किया तो भीड़ और उत्तेजित हो गई. लोगों की शर्त थी कि जब तक पुलिस अधिकारी नहीं आएंगे, तब तक वह सड़क पर बैठे रहेंगे. इस पर श्री यादव ने जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. उन्होंने अधिकारियों को यह भी बताया कि भीड़ बढ़ती जा रही है तथा स्थिति बिगड़ती जा रही है. हत्या के विरोध में सड़क जाम की सूचना पा कर एसपी अजय कुमार सिंह, एडीशनल एसपी (सिटी) संजय कुमार तथा सीओ अजय राय मौके पर पहुंचे. उन्होंने मृतक के घर वालों एवं उत्तेजित लोगों को समझाया तथा आश्वासन दिया कि नीरज के कातिलों को जल्द ही पकड़ा जाएगा. पुलिस अधिकारियों के इस आश्वासन पर भीड़ ने सड़क खाली कर दी.

एसपी अजय कुमार सिंह ने नीरज की हत्या को चुनौती के रूप में लिया. अत: हत्या का खुलासा करने के लिए उन्होंने एक विशेष टीम का गठन एएसपी (सिटी) संजय कुमार व सीओ अजय राय की देख रेख में गठित कर दी. इस टीम में प्रभारी निरीक्षक रमेश चंद्र यादव, चौकी इंचार्ज अजय कुमार श्रीवास्तव, हैडकांस्टेबल भोलानाथ, दारा सिंह, अरविंद सिंह, महिला कांस्टेबल रिचा तथा पूजा मौर्या को शामिल किया गया. पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. उस के बाद मृतक नीरज के भाई धीरज का बयान दर्ज किया. पुलिस टीम ने अपनी जांच किन्नर मीना के घर के आसपास से शुरू की और दरजनों लोगों से पूछताछ की.

इस का परिणाम भी सार्थक निकला. पूछताछ से पता चला कि मृतक का आनाजाना डंगहर मोहल्ला निवासी विशाल यादव के घर था. विशाल की पत्नी सीमा (परिवर्तित नाम) और मृतक नीरज के बीच दोस्ती थी. लेकिन विशाल को नीरज का घर आना पसंद नहीं था. पुलिस टीम ने अपनी जांच आगे बढ़ाई और विशाल यादव के पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि बीती रात 12 बजे के आसपास विशाल यादव के घर झगड़ा हो रहा था. मारपीट और चीखनेचिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. फिर कुछ देर बाद खामोशी छा गई थी. पर झगड़ा किस से और क्यों हो रहा था, यह बात पता नहीं है.

विशाल यादव और उस की पत्नी सीमा पुलिस टीम की रडार पर आए तो टीम ने दोनों को हिरासत में ले कर पूछताछ करने की योजना बनाई. योजना के तहत पुलिस टीम रात 10 बजे विशाल यादव के घर पहुंची और विशाल को हिरासत में ले लिया. महिला कांस्टेबल रिचा और पूजा मौर्या ने विशाल की पत्नी सीमा को अपनी कस्टडी में ले लिया. दोनों को थाना कटरा लाया गया. थाने पर जब उन से नीरज की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो विशाल व उस की पत्नी सीमा ने सहज ही अपना जुर्म कबूल कर लिया. विशाल यादव ने बताया कि वह मंजू रिटेलर टायर बरौंधा में काम करता है. उस की ड्यूटी रात में लगती है. बीती रात साढ़े 11 बजे नीरज उस के घर में घुस आया था और उस की पत्नी सीमा के साथ शारीरिक छेड़छाड़ करने लगा था. उस ने जब सीमा के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की तो उस ने इस का विरोध किया.

इसी बात को ले कर सीमा और नीरज में विवाद होने लगा. उस की पत्नी सीमा ने अपने बचाव में घर में रखे एक छोटे सिलेंडर से नीरज के सिर पर प्रहार कर दिया. जिस से उस के सिर में गंभीर चोट आ गई. इसी बीच विशाल भी घर आ गया, सच्चाई पता चली तो उसे भी गुस्सा आ गया, उस ने भी नीरज को मारापीटा और घर से भगा दिया. शायद गंभीर चोट लगने से उस की मौत हो गई. जुर्म कबूलने के बाद विशाल यादव ने आलाकत्ल छोटा सिलेंडर तथा ईंट अपने घर से पुलिस टीम को बरामद करा दी. पुलिस टीम ने नीरज हत्याकांड का परदाफाश करने तथा आलाकत्ल सहित उस के कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसपी अजय कुमार सिंह को दी तो उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और आरोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर नीरज हत्याकांड का खुलासा किया.

यही नहीं उन्होंने हत्याकांड का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को 10 हजार रुपए पुरस्कार देने की भी घोषणा की. चूंकि हत्यारोपियों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी रमेश यादव ने मृतक के भाई धीरज की तरफ से धारा 304 आईपीसी के तहत विशाल यादव व उस की पत्नी सीमा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक औरत और उस के जुर्म की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर शहर के सुरेखापुरम कालोनी में 2 भाई धीरज व नीरज श्रीवास्तव रहते थे. यह कालोनी थाना कटरा के अंतर्गत आती है. धीरज की शादी हो चुकी थी जबकि नीरज अविवाहित था.

उन के पिता रमेशचंद्र श्रीवास्तव की मौत हो चुकी थी. धीरज की बथुआ में मोबाइल फोन और एसेसरीज की दुकान थी, जबकि उस का छोटा भाई नीरज मोबाइल पार्ट्स की सप्लाई करता था. दोनों भाई खूब कमाते थे और मिलजुल कर रहते थे. एक रोज नीरज सुरेखापुरम कालोनी स्थित एक मोबाइल की दुकान पर कुछ मोबाइल पार्ट्स देने पहुंचा तो वहां उस की मुलाकात एक खूबसूरत युवती से हुई. उस समय वह वहां अपना मोबाइल फोन ठीक कराने आई थी. युवती और नीरज की आंखें एकदूसरे से मिलीं तो पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे को भा गए. दोनों में बातचीत शुरू हुई तो युवती ने अपना नाम सीमा बताया. वह भी सुरेखापुरम कालोनी में ही रहती थी. बातचीत के दौरान ही दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया. फिर दोनों में अकसर मोबाइल फोन पर बातें होने लगीं. बातों का दायरा बढ़ता गया. फिर वे प्यारमोहब्बत की बातें करने लगे.

दरअसल सीमा विवाहित थी. उस के पिता ने उस की शादी एक सजातीय युवक के साथ की थी. सीमा दुलहन बन कर ससुराल तो गई लेकिन उसे वहां का वातावरण बिलकुल रास नहीं आया. ऊंचे ख्वाब सजाने वाली स्वच्छंद युवती को ससुराल की मानमर्यादा की सीमाओं में बंध कर रहना भला कैसे भाता. सुहागरात में तो उस के सारे अरमान धूल धूसरित हो कर रह गए. उस का पति उस की इच्छापूर्ति की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाया. सीमा को ससुराल बंद पिंजरे की तरह लगने लगी थी, जहां वह किसी परिंदे की तरह फड़फड़ाने लगी थी. स्वच्छंदता पर सामाजिक मानमर्यादा की बंदिशें लग चुकी थीं. मन की तरंगे घूंघट के भीतर कैद हो कर रह गई थीं. ससुराल में उस का एकएक दिन मुश्किल में बीतने लगा.

सीमा ने एक दिन निश्चय कर लिया कि एक बार यहां से निकलने के बाद वह कभी अपनी ससुराल नहीं आएगी. आखिर एक दिन उस के घर वाले उसे बुलाने आ गए तो वह अपनी ससुराल को हमेशा के लिए अलविदा कह कर अपने मायके आ गई. मायके आ कर सीमा सजसंवर कर स्वच्छंद हो कर घूमने लगी. एक रोज उस का फोन खराब हो गया तो वह उसे ठीक कराने के लिए पास के ही एक मोबाइल शौप पर गई तो वहां उस की मुलाकात एक सजीले युवक नीरज से हुई. उस के बाद दोनों अकसर मिलने लगे. बाद में सीमा नीरज के साथ घूमने भी जाने लगी. कुछ ही दिनों में दोनों इतने नजदीक आ गए कि उन के बीच अंतरंग संबंध बन गए. अवैध रिश्तों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया. जब भी दोनों को मौका मिलता, एकदूसरे की बांहों में समा जाते.

लेकिन ऐसी बातें समाज की नजरों से ज्यादा दिनों तक छिपती कहां हैं. धीरेधीरे पूरे मोहल्ले में नीरज और सीमा के नाजायज रिश्ते की चर्चा होने लगी. जवान बेटी ससुराल छोड़ कर बाप की छाती पर मूंग दले, इस से बड़ा कष्ट बाप के लिए और क्या हो सकता है. ऊपर से जब उस के नाजायज रिश्तों की बात पता चले तो उस के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात होती है. सीमा के बाप का धैर्य टूटा तो उस ने उस पर लगाम कसनी शुरू की और उस के योग्य कोई लड़का खोजना शुरू कर दिया. इस बीच प्रतिबंध लग जाने से सीमा और नीरज का मिलना कुछ कम हो गया. काफी दौड़धूप के बाद घर वालों ने सीमा का दूसरा विवाह विशाल यादव के साथ वर्ष 2019 में कर दिया. विशाल यादव के पिता कल्लू यादव की मृत्यु हो चुकी थी. विशाल मिर्जापुर शहर के कटरा थाना अंतर्गत डंगहर मोहल्ले में रहता था और मंजू रिटेलर टायर बरौंधा कचार में काम करता था.

विशाल यादव से विवाह करने के बाद सीमा हंसीखुशी से ससुराल में रहने लगी. यहां उसे कोई बंधन न था. न घर में सास थी न ससुर. पति भी सीधासादा था. वह पति से जिस भी चीज की मांग करती, वह उसे पूरा कर देता था. क्योंकि पत्नी की खुशी में ही अपनी खुशी समझता था. उस की मांग पर उस ने उसे नया मोबाइल फोन भी ला कर दे दिया था. होना यह चाहिए था कि जब सीमा ने दूसरी शादी कर ली तो नीरज को उस की ससुराल नहीं जाना चाहिए था. लेकिन नीरज नहीं माना. वह शारीरिक सुख पाने के लिए सीमा के घर जाने लगा. सीमा कभी तो उसे लिफ्ट दे देती, तो कभी उसे दुत्कार भी देती. सीमा नाराज हो जाती तो नीरज उसे उपहार दे कर या फिर आर्थिक मदद कर उस की नाराजगी दूर करता.

सीमा के पति विशाल की ड्यूटी रात में रहती थी. उस के जाने के बाद ही नीरज सीमा से मिलने आता था. फिर घंटा, 2 घंटा उस के साथ बिताने के बाद वापस चला जाता था. पड़ोसियों ने पहले तो गौर नहीं किया, लेकिन जब नीरज अकसर वहां आने लगा तो उन के कान खड़े हो गए. उन्होंने विशाल को हकीकत बताई तो उस के मन में शंका का बीज उपज आया. विशाल ने इस बाबत सीमा से जवाब तलब किया तो वह उसे बरगलाने की कोशिश करने लगी. विशाल ने सख्ती की तो सीमा ने सच्चाई बयां कर दी और यह कहते हुए माफी मांग ली कि आज के बाद वह नीरज से कोई वास्ता नहीं रखेगी.

विशाल ने घर टूटने के खौफ से सीमा को माफ कर दिया. इस के बाद सीमा ने सख्त रुख अख्तियार करना शुरू कर दिया. अब नीरज जब भी उस के घर आता, सीमा उसे दुत्कार कर भगा देती, लेकिन नीरज दुत्कारने के बावजूद सीमा से मिलने पहुंच जाता. वह सीमा को मनाने की भी कोशिश करता. 27 नवंबर, 2020 की रात साढ़े 9 बजे नीरज बनसंवर कर घर से निकला. उस ने अपने भाई धीरज से झूठ बोला कि वह दोस्त के घर जागरण में जा रहा है. घर से निकल कर वह कुछ देर इधरउधर घूमता रहा फिर रात साढ़े 11 बजे वह डंगहर स्थित सीमा के घर जा पहुंचा. सीमा ने उसे दुत्कारा और घर से निकल जाने को कहा.

लेकिन नीरज नहीं माना. उस ने सीमा को धकेल कर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और सीमा से जोरजबरदस्ती करने लगा. सीमा ने विरोध किया तो वह जबरदस्ती उसे अपनी हवस का शिकार बनाने की कोशिश करने लगा. सीमा बचाव में हाथपैर चलाने लगी. इसी बीच उस की निगाह छोटे गैस सिलेंडर पर पड़ी. उस ने लपक कर सिलेंडर उठाया और नीरज के सिर पर दे मारा. नीरज का सिर फट गया और वह जमीन पर गिर पड़ा. इसी समय किसी ने दरवाजा खटखटाया. सीमा ने दरवाजा खोला तो सामने उस का पति विशाल था. वह पति के सीने से लिपट गई और बोली, ‘‘नीरज जबरदस्ती घर में घुस आया था और उसे अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था.’’

सीमा की बात सुन कर विशाल का गुस्सा बढ़ गया. उस ने ईंट से उसे पीटना शुरू कर दिया. नीरज तब चीखनेचिल्लाने लगा और माफी भी मांगने लगा. बुरी तरह पीटने के बाद विशाल ने नीरज को घर के बाहर धकेल दिया. नीरज घायल अवस्था में कुछ दूर तक गया फिर मीना किन्नर के घर के सामने गिर पड़ा. रात भर ठंड में वह वहीं पड़ा रहा. सुबह कुछ लोग घर से टहलने निकले तो उन्होंने नीरज को गंभीर हालत में देखा. उधर से गुजरने वाले एक व्यक्ति को अपने घर का पता देते हुए खबर देने का अनुरोध किया. जब उस व्यक्ति ने नीरज के घर खबर की तो उस का भाई धीरज आया. धीरज ने उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

विशाल यादव और सीमा से पूछताछ के बाद पुलिस ने 29 नवंबर, 2020 को दोनों अभियुक्तों को मिर्जापुर की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में सीमा नाम परिवर्तित है.

 

पत्नी ने रचाई साजिश : 5 लाख की सुपारी देकर कराया पति का खौफनाक कत्ल

Crime News : मौडर्न और महत्त्वाकांक्षी विनीता ने प्रवक्ता पति के होते 2-2 प्रेमी बना लिए थे. जब वह चेन मार्केटिंग कंपनी ‘वेस्टीज’ से जुड़ने के बाद तो वह अवधेश को 2 कौड़ी का समझने लगी थी. आखिर उस ने अपने मन की करने के लिए…

42 वर्षीय अवधेश सिंह जादौन फिरोजाबाद जिले के भीतरी गांव के निवासी थे. वह बरेली जिले के सहोड़ा में स्थित कुंवर ढाकनलाल इंटर कालेज में हिंदी लेक्चरर के पद पर तैनात थे. नौकरी के चलते ढाई वर्ष पहले उन्होंने बरेली के कर्मचारीनगर की निर्मल रेजीडेंसी में अपना निजी मकान ले लिया था, जिस में वह अपनी पत्नी विनीता और 6 वर्षीय बेटे अंश के साथ रहते थे. 12 अक्तूबर, 2020 को अवधेश से फोन पर गांव में रह रही उन की मां अन्नपूर्णा देवी ने बात की थी. अवधेश उस समय काफी परेशान थे. मां ने उन्हें दिलासा दी कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. इस के बाद उन्होंने अवधेश से बात करनी चाही, लेकिन बात न हो सकी. उन का मोबाइल बराबर स्विच्ड औफ आ रहा था. अन्नपूर्णा को चिंता हुई तो वह 16 अक्तूबर को बरेली पहुंच गईं. जब वह बेटे के मकान पर पहुंची, तो वहां मेनगेट पर ताला लगा मिला.

पड़ोसियों से पूछताछ की तो पता चला कि 12 अक्तूबर, 2020 को कुछ लोग कार से अवधेश के मकान में आए थे. तब से उन्हें नहीं देखा. अन्नपूर्णा का दिल किसी अनहोनी की आशंका से धड़कने लगा. वह वहां से स्थानीय थाना इज्जतनगर पहुंच गईं और थाने के इंसपेक्टर के.के. वर्मा को पूरी बात बताई. यह भी बताया कि अवधेश को अपने ससुरालीजनों से खतरा था. यह बात अवधेश ने 12 अक्तूबर को फोन पर बात करते समय मां को बताई थी. उस की पत्नी विनीता भी अपने बच्चे के साथ गायब थी. इस पर अन्नपूर्णा से लिखित तहरीर ले कर इंसपेक्टर वर्मा ने थाने में अवधेश सिंह जादौन की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.  फिरोजाबाद के फरिहा में 4/5 दिसंबर, 2019 की रात एक ज्वैलर्स की दुकान में हुई चोरी के मामले में पुलिस के एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह ने नारखी थाना क्षेत्र के धौकल गांव निवासी हिस्ट्रीशीटर शेर सिंह उर्फ चीकू को पकड़ा.

25 अक्तूबर, 2020 की शाम शेर सिंह को उठा कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बरेली के हिंदी प्रवक्ता अवधेश सिंह की हत्या करना स्वीकार किया. अवधेश की पत्नी विनीता ने अवधेश की हत्या के लिए उसे 5 लाख की सुपारी दी थी. इस में विनीता के पिता थाना नारखी के खेरिया खुर्द गांव निवासी रिटायर्ड फौजी अनिल जादौन, भाई प्रदीप जादौन, बहन ज्योति, विनीता का आगरा निवासी प्रेमी अंकित और शेर सिंह के 2 साथी भोला और एटा निवासी पप्पू जाटव शामिल थे. हत्या में कुल 8 लोग इस शामिल थे. शेर सिंह ने बताया कि बरेली में हत्या करने के बाद लाश को सभी लोग फिरोजाबाद ले कर आए और यहां नारखी में रामदास नाम के व्यक्ति के खेत में गड्ढा खोद कर दफना दिया था.

अवधेश मिला पर जीवित नहीं इस खुलासे के बाद फिरोजाबाद पुलिस ने बरेली की इज्जतनगर पुलिस को सूचना दी. अवधेश की मां अन्नपूर्णा को बुला कर 26 अक्तूबर, 2020 को फिरोजाबाद पुलिस ने तहसीलदार की उपस्थिति में उस खेत में बताई गई जगह पर खुदाई करवाई तो वहां से अवधेश की लाश मिल गई. चेहरा बुरी तरह जला हुआ था. शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. अवधेश की लाश मिलने के बाद उसी दिन इज्जतनगर थाने में विनीता, ज्योति, अनिल जादौन, प्रदीप जादौन, अंकित, शेर सिंह उर्फ चीकू, भोला सिंह और पप्पू जाटव के विरुद्ध भादंवि की धारा 147/302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. इस के बाद हत्याभियुक्तों की तलाश में ताबड़तोड़ दबिश दी गई, लेकिन सभी अपने घरों से लापता थे.

उन सब के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए गए. सभी के मोबाइल बंद थे. बीच में किसी से बात करने के लिए कुछ देर के लिए खुलते तो फिर बंद हो जाते. उन की लोकेशन जिस शहर की पता चलती, वहां पुलिस टीम भेज दी जाती. लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही हत्यारे वहां से निकल जाते थे. 31 अक्तूबर, 2020 को एक हत्यारोपी पप्पू जाटव उर्फ अखंड प्रताप को इंसपेक्टर के.के. वर्मा ने गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी बयान में वहीं कहा, जो शेर सिंह ने कहा था. इस बीच 5 नवंबर को इज्जतनगर पुलिस ने सभी आरोपियों के गैरजमानती वारंट हासिल कर लिए. अगले ही दिन इस से डर कर अवधेश की पत्नी विनीता ने अपने वकील के माध्यम से थाने में आत्मसमर्पण कर दिया.

पूछताछ में वह अपने मृतक पति अवधेश को ही गलत साबित करने पर तुल गई. जबकि उस की सारी हकीकत सब के सामने आ गई. जब उस से क्रौस क्वेशचनिंग की गई. कई सवालों पर वह चुप्पी साध गई. अनिल जादौन परिवार के साथ फिरोजाबाद के गांव खेरिया खुर्द में रहते थे. वह सेना से रिटायर थे. परिवार में पत्नी रेखा और 3 बेटियां विनीता, नीतू और ज्योति व एक बेटा प्रदीप था. अनिल के पास पर्याप्त कृषियोग्य भूमि थी. तीनों बेटियां काफी खूबसूरत थीं और सभी ने स्नातक तक पढ़ाई पूरी कर ली थी. 2010 में नीतू का अफेयर गांव के ही पूर्व प्रधान के बेटे के साथ हो गया. जिस पर काफी बवाल हुआ. इस पर अनिल ने जल्द से जल्द अपनी बेटियों का विवाह करने का फैसला कर लिया. नारखी थाना क्षेत्र के ही गांव भीतरी में बाबू सिंह का परिवार रहता था.

परिवार में पत्नी अन्नपूर्णा और 2 बेटे रमेश और अवधेश थे. रमेश का विवाह हो चुका था और वह परिवार के साथ जयपुर में रह कर नौकरी कर रहा था. अविवाहित अवधेश हिंदी प्रवक्ता के पद पर नौकरी कर रहा था. नौकरी के चक्कर में उस की उम्र अधिक हो गई थी. अवधेश विनीता से 12 साल बड़ा था. फिर भी अनिल विनीता की शादी उस से करने को तैयार हो गए. अनिल ने विनीता से बात की तो वह मना करने लगी कि 12 साल बड़े लड़के से शादी नहीं करेगी. अनिल ने जब समझाया कि वह सरकारी नौकरी में है, उस के पास पैसों की कमी नहीं है तो वह शादी के लिए तैयार हो गई. 2011 में अवधेश का विनीता से विवाह हो गया. उसी दिन ज्योति का भी विवाह हुआ. विनीता मायके से ससुराल आ गई. विनीता पढ़ीलिखी आजाद खयालों वाली युवती थी. जबकि अवधेश सीधेसादे सरल स्वभाव का था. दोनों एक बंधन में तो बंध गए थे लेकिन उन के विचार, उन की सोच बिलकुल एकदूसरे से अलग थी.

पति सीधा था पत्नी मौडर्न विनीता को ठाठबाट से रहना पसंद था. जबकि अवधेश को साधारण तरीके से जीवन जीना अच्छा लगता था. दोनों की सोच और खयाल एक नहीं थे तो उन में आए दिन मनमुटाव और विवाद होने लगा. विनीता की अपनी सास अन्नपूर्णा से भी नहीं बनती थी. अवधेश अपनी मां की बात मानता था. विनीता इस बात को ले कर भी चिढ़ती थी. दोनों के बीच विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहे थे. 6 साल पहले विनीता ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उन्होंने अंश रखा. ढाई वर्ष पहले बरेली के इज्जतनगर थाना क्षेत्र के कर्मचारी नगर की निर्मल रेजीडेंसी में अवधेश ने अपना निजी मकान ले लिया. पहले वह मकान विनीता के नाम लेना चाहता था.

लेकिन उस की बातें और हरकतों से उस का मन बदल गया. वह विनीता व बेटे के साथ अपने नए मकान में आ कर रहने लगा. बढ़ते आपसी विवादों में विनीता अवधेश से नफरत करने लगी थी. उस ने शादी से पहले सोचा था कि अवधेश उस के कहे में चलेगा, उस की अंगुलियों के इशारे पर नाचेगा, लेकिन वैसा कुछ नहीं हुआ. पैसों के लिए उसे अवधेश का मुंह देखना पड़ता था. अवधेश अपनी सैलरी से विनीता को उस के खर्च के लिए 3 हजार रुपए महीने देता था. उस में विनीता का गुजारा नहीं होता था. अपने खर्चे को देखते हुए विनीता ने घर में ही ‘रिलैक्स जोन’ नाम से एक ब्यूटीपार्लर खोल लिया. विनीता अपनी छोटी बहन ज्योति की ससुराल जाती थी. वहीं पर उस की मुलाकात सिपाही अंकित यादव से हो गई.

अंकित यादव बिजनौर का रहने वाला था. उस समय उस की पोस्टिंग मैनपुरी में थी. अंकित अविवाहित था और काफी स्मार्ट था. विनीता से उस की बात हुई तो वह उस के रूपजाल में उलझ कर रह गया. फिर दोनों मोबाइल पर बातें करने लगे. एक दिन अंकित विनीता से मिलने बरेली आया. दोनों एक होटल में मिले. उस दिन से दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए. विनीता से मिलने वह अकसर बरेली आने लगा. विनीता का भाई प्रदीप एक मल्टीलेवल मार्केटिंग कंपनी में नौकरी करता था. उस ने विनीता से कहा कि वह मल्टीलेवल मार्केटिंग से जुड़ी कंपनी ‘वेस्टीज’ से जुड़ जाए. इस में कम समय में ज्यादा पैसा कमाने का मौका मिलता है. चेन मार्केटिंग कंपनियां कंपनी से जुड़ने वाले लोगों को बड़ेबडे़ सपने दिखाती हैं.

विनीता ने भी कंपनी से जुड़ने का फैसला कर लिया. वह कई मीटिंग में गई और मीटिंग में जाने के बाद उस पर चेन मार्केटिंग के जरिए जल्द से जल्द पैसा कमा कर रईस बनने का नशा सवार हो गया. इस के लिए उस ने इसी साल की शुरुआत में कंपनी जौइन कर ली. इस के लिए विनीता ने किसी बड़ी महिला अधिकारी की तरह अपनी वेशभूषा बनाई. शानदार सूटबूट में चश्मा लगा कर जब वह इंग्लिश में बड़े विश्वास के साथ अपनी बात किसी भी व्यक्ति के सामने रखती तो वह उस का मुरीद हो जाता और उस के कहने पर कंपनी जौइन कर लेता. भाई प्रदीप की लाल टीयूवी कार विनीता अपने पास रखने लगी. वह इसी कार से लोगों से मिलने जाती थी.

लग्जरी कार से सूटेडबूटेड महिला को उतरता देख कर लोगों पर इस का काफी गहरा प्रभाव पड़ता. घर की चारदीवारी से विनीता बाहर निकली तो उस ने अपने लिए पैसों का इंतजाम करना शुरू कर दिया. अब लोग विनीता से मिलने घर पर भी आने लगे. विनीता की चल पड़ी दुकान अवधेश तो दिन में कालेज में होता था और शाम को ही लौटता था. उसे पड़ोसियों से पता चलता तो अवधेश और विनीता में विवाद होता. विनीता पहले जब अवधेश से नहीं डरीदबी तो अब तो वह खुद का काम कर रही थी. ऐसे में अवधेश को ही शांत होना पड़ता था. दोनों  के बीच की दूरियां गहरी खाई में तब्दील होती जा रही थीं. दूसरी ओर विनीता की बहन ज्योति का अपनी ससुरालवालों से मनमुटाव हो गया था. वह काफी समय से मायके में रह रही थी. विनीता ने उसे अपने पास रहने के लिए बुला लिया. इस से भी अवधेश खफा था.

लौकडाउन के दौरान फेसबुक पर विनीता की दोस्ती अमित सिसोदिया उर्फ अंकित से हुई. अमित आगरा का रहने वाला था और वेस्टीज कंपनी से ही जुड़ा था, जिस से विनीता जुड़ी थी. अमित विवाहित था और एक बेटे का पिता भी था. दोनों की फेसबुक पर बातें हुईं तो पता चला कि अमित विनीता के भाई प्रदीप का दोस्त है. इस के बाद दोनों खुल कर बातें करने लगे और मिलने भी लगे. दोनों अलगअलग शहरों में होने वाले कंपनी के सेमिनार में भी साथ जाने लगे. अमित और विनीता की सोच और विचार काफी मिलते थे. एक साथ रहने के दौरान विनीता को यह बात महसूस हो गई थी. दोनों ही जिंदगी में खूब पैसा कमाना चाहते थे. दोनों साथ बैठते तो कल्पनाओं की ऊंची उड़ान भरते. एक दिन अमित ने विनीता का हाथ अपने हाथ में ले कर कहा, ‘‘विनीता, हम दोनों बिलकुल एक जैसे है.

एक जैसा सोचते हैं, एक जैसा काम करते है और एक ही उद्देश्य है, एकदूसरे का साथ भी हमें भाता है. क्यों न हम हमेशा के लिए एक हो जाएं.’’

विनीता पहले हलके से मुसकराई, फिर गंभीर मुद्रा में बोली, ‘‘हां अमित, मैं भी ऐसा ही सोच रही थी. यह भी सोच रही थी कि तुम मेरी जिंदगी में पहले क्यों नहीं आए, आ जाते तो मुझे कष्टों से न गुजरना पड़ता.’’ कुछ पलों के लिए रुकी, फिर बोली, ‘‘खैर अब भी हम एक हो सकते हैं ठान लें तो.’’

विनीता की स्वीकृति मिलते ही अमित खुश हो गया, ‘‘तुम ने कह दिया तो अब हमें एक होने से कोई नहीं रोक सकता.’’ कह कर अमित ने विनीता को बांहों में भर लिया. विनीता भी उस से लिपट गई. अमित को पा कर जैसे विनीता ने राहत की सांस ली. उसे ऐसे ही युवक की तलाश थी जो उस के जैसा हो, उसे समझता हो और उस के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाए. दूसरी ओर वह अंकित यादव से भी संबंध बनाए हुए थी. विनीता दिनरात एक कर के अपने मार्केटिंग के बिजनैस में सफल होना चाहती थी. इसलिए वह इस में लगी रही. कुछ महीनों में ही उस ने अपने अंडर में एक हजार लोगों की टीम खड़ी कर दी. कंपनी ने उसे कंपनी का ‘सिलवर डायरेक्टर’ घोषित कर दिया.

विनीता खुशी से फूली नहीं समाई. कंपनी ने उसे एक स्कूटी भी इनाम में दी. विनीता अपनी कंपनी के कार्यक्रमों और उस के रिकौर्डेड संदेशों को अपने फेसबुक अकाउंट पर डालती रहती थी. कंपनी से जुड़ने के लिए लोगों से अपील भी करती थी कि उस के पास बिजनैस करने का एक अनोखा आइडिया है, जिस में महीने में 5 से 50 हजार तक कमा सकते हैं. जो कमाना चाहते हैं, उस से मिलें. विनीता की जिंदगी में सब कुछ अब अच्छा ही अच्छा हो रहा था. बस खटकता था तो अवधेश. उस के साथ होने वाली कलह. अब विनीता अवधेश से छुटकारा पाने की सोचने लगी थी. उस की जिंदगी में अमित आ चुका था, वह उस के साथ जिंदगी बिताने का सपना देखने लगी थी. अमित भी उस से कई बार कह चुका था कि वह कहे तो अवधेश को ठिकाने लगा दिया जाए. वह ही मना कर देती थी.

अवधेश के मरने से उसे हमेशा के लिए छुटकारा तो मिलता ही साथ ही अवधेश का मकान और सरकारी नौकरी भी मिल जाती. यही सोच कर उस ने आगे की योजना बनानी शुरू कर दी. इस में उस ने अपने पिता व भाई से साफ कह दिया कि वह अवधेश के साथ नहीं रहना चाहती. उसे मारने से उसे मकान और उस की सरकारी नौकरी भी मिलेगी. विनीता के पिता अनिल ने एक बार कहा भी कि वह अपना बसा हुआ घर न उजाड़े, लेकिन विनीता नहीं मानी. विनीता की जिद और लालच के लिए वे सभी उस का साथ देने को तैयार हो गए. विनीता का एक मुंहबोला चाचा था शेर सिंह उर्फ चीकू. वह उस के पिता अनिल का खास दोस्त था. शेर सिंह नारखी थाने का हिस्ट्रीशीटर था, उस पर वर्तमान में 16 मुकदमे दर्ज थे.

विनीता ने शेर सिंह से कहा कि उसे उस के पति अवधेश की हत्या करनी है. शेर सिंह ने उस से 5 लाख रुपए का इंतजाम करने को कहा तो विनीता ने हामी भर दी. अवधेश ने कार खरीदने के लिए घर में रुपए ला कर रखे थे. सोचा था कि नवरात्र में बुकिंग करा देगा और धनतेरस पर गाड़ी खरीद लेगा. उन पैसों पर विनीता की नजर पड़ गई. उन रुपयों में से 70 हजार रुपए निकाल कर विनीता ने शेर सिंह को दे दिए, बाकी पैसा बाद में देने को कहा. इस के बाद शेर सिंह ने अपने गांव के ही भोला सिंह और एटा के पप्पू जाटव को हत्या में साथ देने के लिए तैयार कर लिया. शेर सिंह ने विनीता, विनीता के पिता अनिल, भाई प्रदीप और प्रेमी अमित सिसोदिया के साथ मिल कर अवधेश की हत्या की योजना बनाई. विनीता ने बाद में ज्योति को इस बारे में बता कर उसे भी अपने साथ शामिल कर लिया.

12 अक्तूबर, 2020 की रात अवधेश रोज की तरह टहलने के लिए निकले. उस के जाने के बाद विनीता ने हत्या के उद्देश्य से पहुंचे शेर सिंह, भोला, पप्पू जाटव, अनिल, प्रदीप और अमित को घर के अंदर बुला लिया. सभी घर में छिप कर बैठ गए. कुछ देर बाद जब अवधेश लौटे तो घर में घुसते ही सब ने मिल कर उसे दबोच लिया. विनीता अपने बेटे अंश को ले कर ऊपरी मंजिल पर चली गई. नीचे सभी ने अवधेश को पकड़ कर उस का गला घोंट दिया. अवधेश के मरने के बाद विनीता नीचे उतर कर आई. अवधेश की लाश को बड़ी नफरत से देख कर गाली देते हुए उस में कस के पैर की ठोकर मार दी. देर रात अमित ने लाश को सभी के सहयोग से अपनी आल्टो कार में डाल लिया. इस के बाद प्रदीप की टीयूवी कार जो विनीता के पास रहती थी, सब उस में सवार हो गए.

प्रदीप कार चला रहा था. उस के पीछे थोड़ी दूरी पर अंकित चल रहा था. लगभग साढ़े 3 घंटे का सफर तय कर के अवधेश की लाश को ले कर वे फिरोजाबाद में नारखी पहुंचे. लेकिन तब तक उजाला हो चुका था. इसलिए लाश को कहीं दफना नहीं सकते थे. इन लोगों ने पूरा दिन ऐसे ही निकाला. इस बीच लाश को जलाने के लिए बाजार से तेजाब खरीद कर लाया गया. अंधेरा होने पर नारखी में रामदास के खेत में गड्ढा खोद कर अवधेश की लाश को उस में डाल दिया गया. फिर लाश पर तेजाब डाल दिया गया, जिस से लाश का चेहरा व कई हिस्से जल गए. लाश को दफनाने के बाद सभी वहां से लौट आए. विनीता बराबर वीडियो काल के जरिए उन लोगों के संपर्क में थी. 14 अक्तूबर, 2020 को वह भी बेटे अंश को ले कर घर से भाग गई.

शेर सिंह पकड़ा गया तो घटना का खुलासा हुआ. उस ने विनीता के प्रेमी अंकित का नाम लिया. घटना की खबर अखबारों की सुर्खियां बनीं तो विनीता के प्रेमी सिपाही अंकित यादव ने देखा. अंकित ने अपना नाम समझा. उसे लगा कि पुलिस को विनीता की काल डिटेल्स से उस के बारे में पता लग गया है. अब वह भी इस हत्याकांड की जांच में फंस जाएगा. दूसरी ओर अंकित नाम आने पर विनीता के शातिर दिमाग ने खेल खेला. अपने प्रेमी अमित सिसोदिया को बचाने के लिए वह अंकित को ही फंसाने में लग गई. 26 अक्तूबर, 2020 को वह अंकित यादव से मिलने संभल गई. 2 महीने से अंकित संभल की हयातनगर चौकी पर तैनात था. वहां वह उस से मिली. कुछ सिपाहियों ने उसे उस के साथ देखा भी. विनीता उस से मिल कर चली गई. अंकित भयंकर तनाव में आ गया.

27 अक्तूबर, 2020 को उस ने अपने साथी सिपाही की राइफल ले कर उस से खुद को गोली मार ली. अंकित के आत्महत्या कर लेने की बात विनीता को पता चल गई थी. इसलिए जब उस ने आत्मसमर्पण किया तो वह सारा दोष अंकित यादव पर डालती रही. वह अपने प्रेमी अमित सिसोदिया उर्फ अंकित को बचाना चाहती थी. समर्पण से पहले विनीता ने अपना मोबाइल भी तोड़ दिया था, ताकि पुलिस उस मोबाइल से कोई सुराग हासिल न कर सके. गैरजमानती वारंट जारी होने के बाद से सभी आरोपियों में इस बात का खौफ है कि पुलिस उन की संपत्तियों को तोड़फोड़ सकती है, कुर्क कर सकती है. इसलिए बारीबारी से सभी आत्मसमर्पण करने की तैयारी में लग गए.

फिलहाल कथा लिखे जाने तक पुलिस शेष आरोपियों की तलाश में जुटी हुई थी. शेर सिंह की रिमांड 20 नवंबर को मिलनी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों व मीडिया में छपी रिपोर्टों के आधा

Love Crime : साली के इश्क में ढाई लाख सुपारी देकर गर्भवती पत्नी की कराई हत्या

Love Crime : शंभू ने खेल तो बड़ी होशियारी से खेला था, लेकिन वह भूल गया कि पुलिस की आंखों में धूल झोंकना आसान नहीं होता. शंभू का सपना तो पूरा नहीं हुआ. हां, वह जेल जरूर पहुंच गया, वह भी…

9 जुलाई, 2020 को शंभू रजक पत्नी रूबी को ससुराल से विदा करा कर लाया था और अपने गांव झाईंचक लौट रहा था. दोनों बाइक पर थे. समय रहा होगा सुबह के 9 बजे का. नैशनल हाइवे की चौड़ी और शानदार सड़क होने के बावजूद शंभू की बाइक की स्पीड 35-40 किमी प्रति घंटे की थी. वजह यह कि उस की पत्नी रूबी 4 माह के गर्भ से थी. रूबी तीसरी बार गर्भवती हुई थी. पहले भी उस की 2 बेटियां थीं. शंभू लोहानीपुर भिवानी मोड़ से कुछ आगे निकल कर जगनपुरा मोड़ पर पहुंचा तो उस ने बाइक सड़क किनारे रोक दी. कुछ देर रुक कर वह बाइक ले कर चल दिया. जब वह थोड़ा आगे ब्रह्मपुर मोड़ पहुंचा, तो उस ने देखा मोड़ पर 2 युवक नीले रंग की बाइक लिए सड़क किनारे खड़े थे और आपस में बातचीत कर रहे थे.

शंभु बाइक चलाते हुए आगे बढ़ गया. तभी वे दोनों पीछे से आए और शंभु को ओवरटेक कर के उस की बाइक से अपनी बाइक लगभग सटा कर चलने लगे. शंभू बाइक से गिरतेगिरते बचा. युवकों की इस हरकत पर उसे गुस्सा आ गया. रूबी को बाइक से नीचे उतार कर वह उन युवकों से भिड़ गया. रूबी पति को मना कर रही थी कि जो हो गया, हो गया, अब बस भी करो, घर चलो, बदतमीजों के मुंह क्यों लगते हो, लेकिन शंभू ने पत्नी की एक न सुनी. उस ने आव देखा न ताव, युवकों से 2-2 हाथ करने के लिए उतावला हो गया. देखतेदेखते दोनों के बीच विवाद गहरा गया. तभी उन में से एक युवक ने अंटी में रखी देशी पिस्टल निकाली और शंभू पर गोली चला दी.

गोली चलते ही जान बचाने के लिए शंभू नीचे झुक गया. गोली उस के पीछे खड़ी पत्नी रूबी के सिर में जा धंसी और वह सड़क पर गिर कर छटपटाने लगी. तब तक दोनों युवक मौके से फरार हो गए. सड़क पर गिरी रूबी की मौत हो गई. शंभू पत्नी की लाश के पास बिलखबिलख कर रो रहा था. उसे रोता देख कर कुछ राहगीर रुक गए. उन्हें बातोंबातों में पता चला कि रोने वाले की पत्नी की 2 लोगों ने गोली मार कर हत्या कर दी और मौके से फरार हो गए. धीरेधीरे तमाशबीनों की भारी भीड़ जमा हो गई थी. उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस कंट्रोलरूम को फोन कर दिया. वह इलाका गोपालपुर थाने में आता था. हत्या की सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ थानाप्रभारी आलोक कुमार घटनास्थल पर पहुंच गए. उन के पहुंचने के कुछ देर बाद एसपी सिटी (पूर्वी) जितेंद्र कुमार भी वहां गए.

पुलिस ने घटनास्थल की जांच की. मौके से पुलिस को कारतूस का एक खोखा मिला. पुलिस ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. एसपी (सिटी) जितेंद्र कुमार ने पीडि़त शंभू रजक से बदमाशों का हुलिया पूछा. उस ने बताया कि दोनों की उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच रही होगी. वे नीले रंग की बाइक पर सवार थे. पूछताछ में शंभू ने पुलिस को यह भी बताया कि बदमाशों ने 4 किलोमीटर पहले से उस का पीछा करना शुरू किया था. पत्नी 4 माह की गर्भवती थी, इसलिए वह धीरेधीरे बाइक चला रहा था. शंभू से घटना के संबंध में अहम जानकारी ले कर पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज, पटना भिजवा दिया. शंभू रजक की तहरीर पर पुलिस ने 2 अज्ञात बदमाशों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली. उस के बाद पुलिस बदमाशों की सुरागरसी में जुट गई.

शंभू ने पुलिस को बताया था कि दोनों बाइक सवार 4 किलोमीटर से उस का पीछा कर रहे थे. पुलिस ने घटनास्थल से 4 किलोमीटर पहले तक बदमाशों की पहचान के लिए सभी सीसीटीवी फुटेज खंगाले. आश्चर्य की बात यह थी कि सीसीटीवी फुटेज में कोई भी पीछा करता नजर नहीं आया. यह देख कर जांच अधिकारी हैरान थे कि शंभु ने झूठ क्यों बोला. पुलिस को लगा कि कहीं न कहीं मामला संदिग्ध है और शंभू की भूमिका भी संदिग्ध है. विवेचनाधिकारी आलोक कुमार ने इस की जानकारी एसएसपी उपेंद्र शर्मा और एसपी (सिटी) जितेंद्र कुमार को दी. यह सुन कर वे भी चौंके. दोनों पुलिस अधिकारियों ने आलोक कुमार से कहा कि शंभू को थाने बुला कर उस से गहन पूछताछ करो.

तब 11 जुलाई को थानाप्रभारी आलोक कुमार ने शंभू को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. फिर उस से 4 घंटे तक गहन पूछताछ की. आखिरकार शंभू ने पुलिस के सवालों के आगे अपने घुटने टेक ही दिए. उस ने अपना जुर्म कबूल करते हुआ कहा कि उसी ने ढाई लाख की सुपारी दे कर अपनी गर्भवती पत्नी रूबी की हत्या कराई थी. उस ने बताया कि वह पत्नी से एक वारिस यानी बेटे की आस लगाए था. वह बेटे की बजाए बेटियां पैदा किए जा रही थी, इसलिए वह साली से शादी करना चाहता था. पत्नी उस की राह में रोड़ा बन गई थी. इसलिए उस ने उसे रास्ते से हटा दिया.

शंभू की बात सुन कर सभी दंग रह गए. पूछताछ करने पर शंभू ने सिलसिलेवार पूरी कहानी पुलिस को बता दी. उस के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर दोनों हत्यारों को उसी दिन रात में जयनगर से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में दोनों बदमाशों ने अपने नाम ऋषि कुमार और नवीन कुमार बताए. दोनों जक्कनपुर थाने के जयनगर (पटना) मोहल्ले के रहने वाले थे. पूछताछ में दोनों बदमाशों ने अपने जुर्म कबूल कर लिए. उन की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त नीले रंग की बाइक, एक देशी पिस्टल और एक जिंदा कारतूस बरामद कर लिया था. करीब 60 घंटों के अंदर पुलिस ने रूबी हत्याकांड से परदा उठा दिया था. यही नहीं घटना में शामिल तीनों आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था.

पुलिस टीम की कार्यप्रणाली से खुश हो कर एसएसपी ने पुलिस टीम को 25 हजार रुपए इनाम देने की घोषणा की. 12 जुलाई को दिन में एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने पुलिस लाइन में प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित की. पत्रकारों के सामने तीनों आरोपियों ने पूरी घटना विस्तार से बताई. पुलिस ने तीनों को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया. तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद रूबी की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

35 वर्षीय शंभू रजक मूलरूप से पटना जिले के थाना परसा बाजार इलाके के झाईंचक का रहने वाला था. उस के परिवार में पत्नी रूबी और 2 बेटियां थीं, जिन की उम्र 6 साल और 4 साल थी. शंभू रजक के घर में सब कुछ था. शहर के बीचोबीच उस की लौंड्री की दुकान थी. दुकान अच्छीभली चलती थी. जिस से अच्छी कमाई होती थी. बस कमी थी तो एक बेटे की. रूबी पति को समझाती थी कि आजकल बेटीबेटे में कोई फर्क नहीं है. लड़कियां किसी मामले में लड़कों से कम नहीं होतीं. पत्नी की बातें सुन शंभू के दिल को थोड़ा सुकून मिलता था. फिर भी उसे कभीकभी अपने बुढ़ापे के सहारे की जरूरत महसूस होती थी. शंभु की एक साली थी खुशबू. वह अपने जीजा शंभू के दिल की बात को शिद्दत से महसूस करती थी. कभीकभी वह उस की दुखती रग पर अपने प्यार का मरहम भी लगा देती थी.

दरअसल, खुशबू का ज्यादातर समय बहन की ससुराल में ही बीतता था. रूबी के छोटेछोटे बच्चे थे. बच्चे संभालने में उसे दिक्कत होती थी. अपना हाथ बंटाने के लिए उस ने बहन को अपने पास ही रख लिया था. खुशबू के पास रहने से उसे काफी राहत मिलती थी. खुशबू जवान और खूबसूरत थी, ऊपर से चंचल, सो अलग. उस की खूबसूरती में शंभू कब डूब गया था, उसे पता ही नहीं चला. एहसास तो तब होता था, जब साली कभी अपने घर लोहानीपुर भिखना चली जाती थी. जीजा और साली के बीच मजाक का रिश्ता होता ही है. मजाकमजाक में शंभू खुशबू से ऐसा ऐसा मजाक करता था जो उसे नहीं करना चाहिए था. जीजा की रसीली बातें सुन कर खुशबू शरम से गुलाबी हो जाती थी. फिर अपना चेहरा दोनों हथेलियों में छिपा कर दूसरे कमरे में भाग जाती और वहां खिलखिला कर हंसती थी. खुशबू की यही अदा शंभू को भा गई थी.

खुशबू जब कभी लोहानीपुर चली जाती थी तो शंभू को अपना घर खालीखाली लगता था. फिर वह उसे जल्द ही बुला लाता था. शंभू साली खुशबू के प्यार में डूब चुका था, खुशबू भी उसे बहुत चाहती थी. साली और जीजा का प्यार पत्नी की नाक के नीचे परवान चढ़ रहा था. रूबी को इस की भनक तक नहीं लगी. उसे क्या पता था उस की अपनी ही बहन उस के सिंदूर पर डाका डाल रही है. एक दिन शंभू खुशबू को शाम के वक्त पार्क घुमाने ले गया. पार्क घुमाना तो एक बहाना था. शंभू के मन में कुछ और ही चल रहा था. उसे अपने मन की बात साली से शेयर करनी थी. दोनों घास पर बैठ गए. शंभु ने अपने हाथों में उस की हथेलियां लेते हुए कहा, ‘‘खुशबू, मैं तुम्हारे बिना जी नहीं सकता, मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’ शंभु ने सीधे कह दिया.

‘‘ये कैसी बहकीबहकी बातें कर रहे हैं, जीजू. लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे. दुनिया तो हम पर थूकेगी कि एक बहन ने बहन के घर में डाका डाल दिया. फिर दीदी के जिंदा रहते यह कैसे संभव है?’’ खुशबू जीजा की बातें सुन कर थोड़ा सकपका गई. उन दोनों के बीच घंटों तक इसी मुद्दे पर बातें होती रहीं, लेकिन खुशबू बहन की जगह लेने के लिए फिलहाल तैयार नहीं हुई. उस ने शंभु से थोड़ा सोचने की मोहलत मांगी. जीजा और साली के बीच की यह नजदीकियां रूबी को खटकने लगी थीं. खुशबू के हावभाव से उसे उस पर शक हो गया था कि दोनों के बीच में कोई खिचड़ी पक रही है. उस दिन के बाद से रूबी बहन और पति दोनों पर अपनी पैनी नजर रखने लगी. वह खुद ही पति के करीब अब ज्यादा रहने लगी थी. यह देख कर शंभू का माथा ठनका कि कहीं पत्नी को उस पर शक तो नहीं हो गया है.

बाद में दोनों के बीच में खुशबू को ले कर विवाद भी होने लगा था. रूबी ने पति से साफसाफ कह दिया था कि खुशबू अब यहां नहीं रहेगी. वह बहुत सेवा कर चुकी, उसे मांबाप के पास लोहानीपुर भिखना वापस जाना होगा. पत्नी की जिद के आगे शंभु की एक नहीं चली. खुशबू को जाना पड़ा. इस से शंभू नाराज था. वह साली की जुदाई में तड़प रहा था. उस की नजरों के सामने साली का चेहरा घूमता रहता था. शंभू ने खुशबू को अपना बनाने की ठान ली थी. इस के बदले वह पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए तैयार था. इस खतरनाक योजना को उस ने अपने तक गोपनीय ही रखा, खुशबू को इस की भनक तक नहीं लगने दी. बात पिछले साल अक्तूबर की है. शंभू किसी काम से पटना से बाहर गया हुआ था.

लौटते समय पटना स्टेशन पर उस की मुलाकात जयप्रकाश नगर में रहने वाले सुपारी किलर 25 वर्षीय ऋषि कुमार से हुई. शंभू ऋषि के नाम और काम दोनों से वाकिफ था. उस ने ऋषि को बताया था कि उसे साली से प्रेम हो गया है. वह पत्नी रूबी का काम तमाम कराना चाहता है. ऋषि काम करने को तैयार हो गया. इस के बदले उस ने शंभू से 3 लाख रुपए की डिमांड की. सौदा ढाई लाख रुपए में तय हो गया. साली के इश्क में अंधे शंभू ने पत्नी रूबी की ढाई लाख रुपए में सुपारी दे दी थी. पेशगी के तौर पर उसे 50 हजार रुपए देने थे. उस समय उस के पास किलर को देने के लिए केवल 20 हजार रुपए थे. बाकी पैसे के लिए उस ने बैंक से 30 हजार रुपए लोन लिया. उस ने किलर ऋषि को पेशगी के तौर पर उसे 50 हजार रुपए दे दिए, बाकी के 2 लाख रुपए काम होने के बाद देना तय हुआ.

रकम पाने के बाद शूटर ऋषि अपने काम को अंजाम देने में जुट गया. कहते हैं जाको राखे साइयां, मार सके न कोय. कुछ ऐसा ही रूबी के साथ भी हुआ. रूबी की हत्या के लिए ऋषि ने कई प्रयास किए, लेकिन वह अपनी योजना को अंजाम नहीं दे सका. नया साल यानी 2020 का मार्च महीना बीत गया, रूबी सहीसलामत बची रही. इसी बीच रूबी गर्भवती हो गई. उस के पांव भारी होते ही शंभू का मन यह सोच कर पिघल गया कि हो सकता है, इस बार वह अपने कुल के लिए एक चिराग दे दे तो सब कुछ ठीक हो जाए. पत्नी के लिए शंभू का प्यार छलक पड़ा. इस प्यार में भी उस का ही स्वार्थ छिपा था. लेकिन सब से बड़ा सवाल यह था उस की कोख में पल रहा बच्चा बेटा है या बेटी. इस का पता तो 3 महीने बाद ही चल सकता था.

तब तक तो उसे इंतजार ही करना था लेकिन शंभू ने यह फैसला कर लिया था अगर इस बार भी इस ने बेटी को जना तो इस का मरना तय है. 4 महीने बाद यानी जून महीने में शंभू ने किसी तरह यह पता लगा लिया कि रूबी के गर्भ में इस बार भी बेटी है. इस के बाद उस का प्यार पत्नी के लिए नफरत में बदल गया. उसी पल उस ने किलर ऋषि से कांटेक्ट किया और पत्नी को रास्ते से हटाने को कह दिया. शंभू की ओर से हरी झंडी मिलते ही ऋषि तैयार हो गया. घटना को अंजाम कैसे देना है, इस की रूपरेखा दोनों ने मिल कर तैयार की. बस उसे अंजाम देना शेष था. इस खतरनाक योजना की भनक शंभू ने साली खुशबू तक को भी नहीं लगने दी.

योजना के मुताबिक, 8 जुलाई, 2020 को शंभू अपनी बाइक से दोनों बेटियों और पत्नी को ले कर ससुराल लोहानीपुर भिखना सासससुर से मिलने आया था. उस ने रूबी से कहा कि कई महीने से तुम मायके नहीं गई हो, चलो तुम्हें मम्मीपापा से मिलवा लाते हैं. रात में वहीं रुक जाएंगे, अगली सुबह घर लौट आएंगे. रूबी मायके जाने के लिए तैयार हो गई. ससुराल पहुंचने के बाद देर रात शंभू ने ऋषि को फोन किया कि शिकार तैयार है. अगली सुबह काम हो जाना चाहिए. कब और कहां, वह सुबह फोन कर के उसे बता देगा. सुबह शंभू जब ससुराल से पत्नी और बच्चों को ले कर घर के लिए निकला तो उस ने ऋषि को फोन कर के बता दिया कि वह ससुराल से निकल रहा है, तैयार रहना. उस ने यह भी बता दिया था जगनापुर से ब्रह्मपुर होते हुए निकलेगा.

सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा था. जैसे ही शंभू बाइक ले कर जगनापुर से ब्रह्मपुर मोड़ पहुंचा, वहां किलर ऋषि अपने साथी नवीन कुमार के साथ पहले से खड़ा शंभू के आने का इंतजार कर रहा था. ऋषि को देख कर उस ने अपनी बाइक की गति कम कर दी. उस के बाद सड़क पर खड़े ऋषि ने जानबूझ कर अपनी बाइक उस की बाइक में भिड़ा दी. ये सब सुनियोजित योजना की कड़ी थी. बाइक में टक्कर लगते ही शंभू बाइक रोक कर उस से उलझने का नाटक करने लगा. दिखावे के तौर पर शंभू और ऋषि आपस में भिड़ गए. उधर पति को झगड़ते देख रूबी ने उसे समझाने की कोशिश की कि जो हुआ सो हुआ, झगड़े की कोई बात नहीं है, घर चलें.

शंभू ने उस की एक नहीं सुनी. शंभू ऋषि और रूबी के बीच में खड़ा था. यही वह चाहता भी था. उस ने ऋषि से इशारों में पूछा निशाना सही है क्या, पलक झपका कर उस ने हां में उत्तर दिया. फिर क्या था,ऋषि ने कमर में खोंसा पिस्टल निकाला और शंभू के सिर पर सटा दिया. शंभू जानबूझ कर नीचे की ओर झुक गया. पिस्टल से चली गोली सीधे रूबी के माथे में जा घुसी. वह नीचे जमीन पर गिर पड़ी. थोड़ी ही देर में उस ने दम तोड़ दिया. तब तक ऋषि अपने साथी नवीन के साथ मौके से फरार होने में कामयाब हो गया. शंभू ने जिस चालाकी से पत्नी की मौत का तानाबाना बुना था, पुलिस अधिकारियों ने महज 60 घंटे में उस के मंसूबे पर पानी फेर दिया.

48 घंटे के भीतर किलर ऋषि और उस के साथी नवीन को पकड़ कर जेल पहुंचा दिया. ऋषि के खिलाफ पटना के विभिन्न थानों में करीब दरजन भर हत्या, हत्या के प्रयास, लूट आदि के मुकदमे दर्ज हैं. तीनों आरोपी शंभू रजक, ऋषि कुमार और नवीन कुमार जेल के सलाखों के पीछे कैद है.

—कथा में खुशबू नाम परिवर्तित है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है.