Crime Stories : लड़कियों को किडनैप कर जबरन कराया जाता था जिस्मफरोशी धंधा करवाया

Crime Stories : औनलाइन सैक्स रैकेट चलाने वाले गिरोह से 12 साल की मानसी को बरामद करने पर पुलिस को ऐसी चौंकाने वाली जानकारी मिली कि…

22  जनवरी, 2021 की बात है. 12 साल की मानसी पास की दुकान से चिप्स लेने गई थी. जब वह काफी देर बाद भी घर नहीं लौटी तो घर वालों को उस की चिंता हुई. घर वाले उस दुकानदार के पास पहुंचे, जिस के पास वह अकसर खानेपीने का सामान लाती थी. उन्होंने उस दुकानदार से मानसी के बारे में पूछा तो दुकानदार ने बताया कि मानसी तो काफी देर पहले ही चिप्स का पैकेट ले कर जा चुकी है. जब वह चिप्स ले कर जा चुकी है तो घर क्यों नहीं पहुंची, यह बात घर वालों की समझ में नहीं आ रही थी. उन्होंने आसपास के बच्चों से उस के बारे में पूछा, लेकिन उन से भी मानसी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

घर वालों की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मानसी गई तो गई कहां. उन्होंने उसे इधरउधर तमाम संभावित जगहों पर ढूंढा लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. तब उन्होंने इस की सूचना पश्चिमी दिल्ली के थाना राजौरी गार्डन में दे दी. चूंकि मामला एक नाबालिग लड़की के लापता होने का था, इसलिए पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया. पुलिस ने मानसी के पिता की तरफ से गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली. डीसीपी (पश्चिमी दिल्ली) उर्विजा गोयल को जब 12 वर्षीय मानसी के गायब होने की जानकारी मिली तब उन्होंने थाना पुलिस को इस मामले में तीव्र काररवाई करने के आदेश दिए. डीसीपी का आदेश पाते ही थानाप्रभारी ने इस मामले की जांच के लिए एएसआई विनती प्रसाद के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित कर दी.

एएसआई विनती प्रसाद ने सब से पहले लापता बच्ची के घर वालों से उस के बारे में विस्तार से जानकारी ली. इतना ही नहीं, उन्होंने घर वालों से यह भी जानना चाहा कि उन की किसी से कोई रंजिश तो नहीं है. घर वालों ने उन से साफ कह दिया कि उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. इस के बाद पुलिस अपने स्तर से मानसी को तलाशने लगी. जिस जगह से मानसी गायब हुई थी, पुलिस ने उस क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी. इस के अलावा स्थानीय लोगों से भी बच्ची के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस ने सोशल मीडिया पर भी निगरानी कर दी, लेकिन कहीं से भी मानसी के बारे में कोई सुराग नहीं मिला.

पुलिस टीम को जांच करतेकरते करीब 2 महीने बीत चुके थे. जब बच्ची कहीं नहीं मिली तो पुलिस ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एंगल को ध्यान में रखते हुए केस की जांच शुरू कर दी. यानी पुलिस को यह शक होने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बच्ची जिस्मफरोशी गैंग के चंगुल में फंस गई हो. इस बिंदु पर जांच करतेकरते पुलिस टीम ने कई जगहों पर दबिशें दीं, लेकिन लापता बच्ची का सुराग नहीं मिला. करीब 2 महीने बाद पुलिस को सूचना मिली कि मानसी का अपहरण करने के बाद उसे दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके में रखा गया है और वहीं पर उस से जिस्मफरोशी का धंधा कराया जा रहा है. यह सूचना रोंगटे खड़े कर देने वाली थी.

क्योंकि मानसी की उम्र केवल 12 साल थी और इस उम्र में उस बच्ची के साथ जिस तरह का कार्य कराने की जानकारी मिली, वह मानवता को शर्मसार करने वाली ही थी. जांच अधिकारी विनती प्रसाद ने यह खबर अपने उच्चाधिकारियों को दी फिर उन्हीं के दिशानिर्देश पर पुलिस टीम ने 17 मार्च, 2021 को मजनूं का टीला इलाके में एक घर पर दबिश दी. मुखबिर की सूचना सही निकली. मानसी वहीं पर मिल गई. पुलिस ने मानसी को सब से पहले अपने कब्जे में लिया. इस के बाद पुलिस ने वहां 2 महिलाओं सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया.

पुलिस ने उन सभी से पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार किया कि वे बड़े स्तर पर एस्कौर्ट सर्विस मुहैया कराते थे और उन का धंधा ज्यादातर वाट्सऐप ग्रुप और इंटरनेट के माध्यम से चलता है. उन के पास से पुलिस ने 5 मोबाइल फोन बरामद किए. फोनों की जांच की गई तो तमाम वाट्सऐप ग्रुप में ऐसी लड़कियों के अनेक फोटो मिले, जिन से वे जिस्मफरोशी कराते थे. पुलिस ने गिरफ्तार किए हुए उन चारों लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि उन में से संजय राजपूत और कनिका राय मजनूं का टीला के रहने वाले थे जबकि अंशु शर्मा  मुरादाबाद का और सपना गोयल मुजफ्फरनगर की.

ये सभी औनलाइन सैक्स रैकेट चलाते थे. जांच में पता चला कि इन लोगों के काम करने का तरीका एकदम अलग था. यह गिरोह सोशल साइट पर ज्यादा सक्रिय था. गैंग के लोग 150 से ज्यादा वाट्सऐप ग्रुप में सक्रिय थे. एस्कौर्ट सर्विस मुहैया कराने वाली लड़की के फोटो ये वाट्सऐप ग्रुप में शेयर करते थे. इस के बाद ग्रुप से जो कस्टमर इन के संपर्क में आता था, उस से यह पर्सनल चैटिंग करने के बाद पैसों की डील फाइनल करते थे. फिर औनलाइन ही पेमेंट अपने खाते में ट्रांसफर कराने के बाद कस्टमर के बताए गए स्थान पर ये लड़की को सप्लाई करते थे.

इस तरह यह गैंग देश के अलगअलग बड़े शहरों में लड़कियों की सप्लाई करते था. इतना ही नहीं, फाइव स्टार होटलों में भी इन के पास से लड़कियां सप्लाई की जाती थीं. आरोपियों ने बताया कि उन के गैंग के सदस्य अलगअलग जगहों से लड़कियां उन के पास लाते थे. मानसी का भी गैंग के 2 लोगों ने अपहरण उस समय किया था, जब वह दुकान पर गई थी. उस का अपहरण करने के बाद वह उसे अपने घर पर ले गए थे. उन्होंने मानसी से कहा था कि आज उन के यहां पर जन्मदिन है इसलिए वह बच्चों को इकट्ठा कर के केक काटेंगे. उन्होंने मानसी को केक खाने को दिया. केक खाते ही मानसी को नशा हो गया. इस के बाद दोनों मानसी को मजनूं का टीला ले गए, वहां पर संजय राजपूत, अंशु शर्मा, सपना गोयल और कनिका राय मिली.

12 साल की बच्ची को देख कर ये चारों खुश हो गए कि अब इस से मोटी कमाई की जा सकती है. क्योंकि वह तो उसे सोने का अंडा देने वाली मुरगी समझ रहे थे. जब मानसी पर हल्का नशा सवार था, तभी उस के साथ रेप किया गया. होश आने पर मानसी दर्द से कराहती रही. इस के बाद भी इन लोगों को उस पर दया नहीं आई. उन्होंने उसी रात उसे किसी दूसरे ग्राहक के सामने पेश किया. इस तरह वह मानसी का शारीरिक शोषण करते रहे. जब वह विरोध करती तो ये लोग उसे प्रताडि़त करते थे. इस तरह मानसी इन लोगों के चंगुल में बुरी तरह फंस चुकी थी. वहां से निकलने का उस के पास कोई उपाय नहीं था.

आरोपियों के 2 अन्य साथी फरार हो चुके थे. पुलिस ने उन की तलाश में अनेक स्थानों पर दबिश दी, लेकिन उन का पता नहीं चला. आरोपी 35 वर्षीय संजय राजपूत, 21 वर्षीय अंशु शर्मा, 24 साल की सपना गोयल और 28 साल की कनिका राय से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अभियुक्तों के पास से बरामद की गई 12 वर्षीय मानसी को पुलिस ने उपचार के लिए अस्पताल में भरती करा दिया. मानसी ने अपने साथ घटी सारी घटना पुलिस को बता दी.    आरोपियों को जेल भेजने के बाद पुलिस गंभीरता से इस बात की जांच करने में जुट गई. इस गैंग के तार देश में किनकिन लोगों से जुड़े थे और इन्होंने अब तक कितनी लड़कियों का अपहरण किया था. Crime Stories

(कथा में मानसी परिवर्तित नाम है)

 

Crime Stories in Hindi : प्रेमी से पति को गोली मारकर कराई हत्या

Crime Stories in Hindi  : झगड़ालू और चरित्रहीन निशा ने अपने स्वार्थ की खातिर पहले पति के परिवार को बिखेरा, फिर यार को पाने के लिए अपने बच्चों के भविष्य की परवाह करने के बजाए पति को ही…

28 फरवरी, 2021 को अपने भाई को घर आया देख निशा की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस का भाई काफी समय बाद उसे ससुराल से लेने आया था. उस वक्त निशा और उस का पति रिंकू घरगृहस्थी में आए उतारचढ़ाव को ले कर काफी परेशान चल रहे थे. जिस के चलते उन का घर चिंता और परेशानियों से घिरा हुआ था. इस दौरान निशा ने कई बार अपने मायके जाने की सोची भी, लेकिन वह रिंकू को ऐसी स्थिति में छोड़ कर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी. रिंकू की परेशानी का कारण यह था कि सन 2017 में उस के परिवार में एक ऐसी अनहोनी हो गई थी, जिस में उस की मां और उस के 2 भाइयों की मौत हो गई थी. उस की मां की एक जीवनबीमा पौलिसी थी.

मां की मौत के बाद बीमा की रकम मिली तो उस के छोटे भाई विपिन ने चालाकी से सारी रकम हड़प ली. भाई के विश्वासघात से रिंकू को जबरदस्त झटका लगा था. बाद में उस का छोटा भाई विपिन उस की जान का दुश्मन बन गया था. अपने साले दीपक के आने के बाद रिंकू ने निशा को समझाबुझा कर उसी दिन उस के साथ मायके भेज दिया. मायके पहुंचने के बाद भी निशा बारबार अपने पति को फोन कर के उस की खैरखबर लेती रही. 28 फरवरी को रात करीब 10 बजे निशा की रिंकू से फोन पर आखिरी बार बात हुई. रिंकू ने निशा को बताया था कि उस का भाई विपिन कुछ लोगों के साथ उस के पास आया था और उस ने गालीगलौज की थी. उस के बाद से उस का मोबाइल बंद हो गया था.

अगले दिन पहली मार्च, 2021 को सुबह निशा ने फिर से रिंकू को फोन मिलाया तो उस समय भी उस का मोबाइल बंद आ रहा था. रात से लगातार रिंकू का फोन बंद आने से निशा परेशान हो उठी. जब उस से नहीं रहा गया तो वह भाई दीपक को साथ ले कर ससुराल जा पहुंची. लेकिन वहां उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था, जिसे देख निशा और उस का भाई दीपक परेशान हो उठे. उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दी, जिस के बाद कालोनी के कुछ लोग दीवार फांद कर घर के अंदर पहुंचे तो अंदर रिंकू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. पति की लाश देखते ही निशा चक्कर खा कर गिर पड़ी. रिंकू की हत्या की बात सुन कर पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल गई. इस बात की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई.

बंद घर में एक युवक की हत्या की बात सुनते ही पुलिस आननफानन में घटनास्थल पर पहुंच गई. यह घटना रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से सटे भदईपुरा इलाके की है. वह जगह रमपुरा चौकी के अंतर्गत आता था. इसलिए जानकारी मिलते ही रमपुरा चौकीप्रभारी अनिल जोशी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और खुद घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. सूचना मिलते ही रुद्रपुर कोतवाल एन.एन. पंत, सीओ (सिटी) अमित कुमार, एसपी (क्राइम) मिथिलेश सिंह और एसएसपी दलीप सिंह कुंवर भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

रिंकू की लाश बंद घर के अंदर मिली थी. किसी ने रिंकू के सिर में सटा कर गोली मारी थी, जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस हत्या की जांचपड़ताल करते हुए पुलिस ने सब से पहले मृतक की बीवी निशा से पूछताछ शुरू की. निशा ने बताया कि वह एक दिन पहले ही अपने भाई के साथ मायके चली गई थी. जहां पर उसे पति द्वारा ही पता चला था कि उस के भाई विपिन ने उस के साथ गालीगलौज की थी. उस के बयान के आधार पर पुलिस ने मृतक के भाई विपिन और उस के एक सहयोगी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. एसएसपी ने केस की तह तक जाने के लिए एसओजी समेत 3 टीमों को लगाया.

लाश को देख कर लग रहा था कि रिंकू की हत्या कई घंटे पहले की गई थी. पुलिस ने पड़ोसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने गोली की कोई आवाज नहीं सुनी थी. हालांकि मृतक की बीवी ने अपने ही देवर पर रिंकू की हत्या का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस के लिए इस तरह के सबूत तब तक मायने नहीं रखते जब तक पुलिस हत्या से सबंधित कोई तथ्य न जुटा ले. पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए रिंकू की लाश पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल भिजवा दी. लेकिन पोस्टमार्टम होने से पहले ही मृतक के ससुराल वालों ने पोस्टमार्टम का विरोध करते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया.

उन का कहना था कि पहले इस हत्या केस का खुलासा करो, बाद में पोस्टमार्टम कराना. पुलिस के काफी समझाने के बाद भी वे लोग मानने को तैयार नहीं हुए थे. रिंकू के ससुराल वाले उस के छोटे भाई समेत अन्य कई रिश्तेदारों पर उस की मां के एक्सीडेंट क्लेम के रुपए हड़पने के लिए हत्या का आरोप लगा रहे थे. तफ्तीश में जुटी पुलिस इस मामले में रिंकू ने कोर्ट के माध्यम से 22 फरवरी, 2020 को रुद्रपुर कोतवाली में अपने छोटे भाई विपिन के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था. यह बात पुलिस के संज्ञान में थी. उन्हीं तथ्यों के आधार पर पहली मार्च को निशा यादव की ओर से देवर विपिन यादव, सचिन यादव और दीपक यादव के खिलाफ कोतवाली में रिंकू की हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

मुकदमा भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया. पुलिस ने इस केस की तहकीकात शुरू करते हुए सर्विलांस की मदद से रिंकू के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने शुरू कर दिए. उसी दौरान पुलिस ने रिंकू के घर के पास स्थित दुकानदार पुष्पेंद्र से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 28 फरवरी की शाम रिंकू उस की दुकान से सिगरेट लेने आया था. उस वक्त उस के साथ 3 अन्य लोग भी थे, जिन्हें वह नहीं जानता. इस बात की जानकारी मिलते ही पुलिस ने रिंकू के मोबाइल की कालडिटेल्स खंगाली, जिस से पता चला कि उस वक्त उस की पत्नी ने ही उस से बात की थी.

पुलिस ने निशा से पूछताछ की तो निशा ने अपनी सफाई देते हुए अपनी तरफ से अपने 2 गवाह पेश कर के साबित करने की कोशिश की कि उस के भाई और बहन ने विपिन और उस के साथियों को घर से तमंचा ले कर भागते हुए देखा था. पुलिस ने उस के भाई और बहन के बारे में जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस के भाईबहन भदईपुरा में रहते ही नहीं तो उन्होंने उन को भागते हुए कैसे देख लिया. निशा का बिछाया यही जाल उस के लिए जी का जंजाल बन गया. पुलिस को संदेह हो गया कि जरूर रिंकू की हत्या करने में निशा की ही भूमिका रही होगी.

हालांकि पुलिस ने इस केस को पारिवारिक विवाद से जोड़ कर 2 संदिग्धों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी शुरू कर दी थी, लेकिन जब पुलिस को निशा ही संदिग्ध लगी तो पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. निशा को हिरासत में ले कर पुलिस ने उस की कालडिटेल्स निकाली तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा बात भदईपुरा निवासी उस के पड़ोसी अभिषेक यादव से होती पाई गई. 28 फरवरी, 2021 को भी निशा और अभिषेक यादव के बीच कई बार बात हुई थी. पुलिस ने निशा से कड़ी पूछताछ की तो वह पुलिस के दांवपेंच में फंसती चली गई. आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अभिषेक से मिल कर अपने पति की हत्या कराई है.

उस ने पुलिस को बताया कि अभिषेक यादव और उस के बीच काफी समय से अवैध संबंध थे. इस बात का शक उस के पति रिंकू को हो गया था. उस ने एक दिन हम दोनों को रंगेहाथों घर में ही पकड़ लिया था, जिस के बाद उस का पति से मनमुटाव हो गया था. उसी मनमुटाव के चलते उस ने अभिषेक से मिल कर उस की हत्या करा दी. नाजायज फायदा उठाया उस के बाद उस ने अपने पारिवारिक संबंधों का नाजायज फायदा उठाते हुए इस केस में अपने ही परिवार वालों को घसीटने की कोशिश की. निशा तेजतर्रार महिला थी. उस ने रिंकू के साथ कोर्टमैरिज की थी. रिंकू से कोर्टमैरिज करने के बाद उस ने रिंकू को कैसे अपनी अंगुलियों के इशारे पर नचाया, यह रोमांचक कहानी है.

रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से लगभग एक किलोमीटर दूर किच्छा मार्ग पर एक कालोनी है भदईपुरा. इसी कालोनी में भान सिंह यादव का परिवार रहता था. भान सिंह के 4 बेटे थे. समय के साथ चारों बेटे जवान हुए तो वे भी कामों में अपने पिता का सहयोग करने लगे. चारों बेटों ने मिलजुल कर काम करना शुरू किया तो भान सिंह के परिवार की स्थिति इतनी मजबूत हो गई कि उसी कमाई के सहारे उस ने मकान भी बनवा लिया. भान सिंह ने समय से 2 बेटों की शादी कर दी थी. रिंकू तीसरे नंबर का था. रिंकू ने किसी फोटोग्राफर के यहां रह कर फोटोग्राफी का काम सीखा और वह शादीविवाह में फोटोशूट का काम करने लगा. उसी दौरान किसी बीमारी के चलते भान सिंह की मृत्यु हो गई.

भान सिंह के निधन से घर की जिम्मेदारी चारों बेटों पर आ गई. चारों बेटे पहले की तरह ही एकमत हो कर घर की सारी जिम्मेदारी निभाते रहे. रिंकू भी शादी लायक हो गया था. रिंकू फोटोग्राफी का काम करता था, इसलिए उसे अकसर बाहर रहना पड़ता था. अब से करीब 8 साल पहले रिंकू दिल्ली में किसी शादी में फोटोशूट के लिए गया हुआ था. उसी दौरान उस की मुलाकात निशा से हुई. निशा देखनेभालने में ठीकठाक थी. शादी में फोटोशूट के दौरान वह रिंकू से इंप्रैस हुई तो उस ने रिंकू का फोन नंबर ले लिया. उस शादी के बाद रिंकू अपने घर आ गया. रिंकू के घर आने के एकदो दिन बाद ही रिंकू के पास निशा के फोन आने लगे.

फोन पर बात होने के दौरान ही निशा ने बताया कि हल्द्वानी और रुद्रपुर में उस की बहनें रहती हैं. वह उन के घर भी आतीजाती है. समय गुजरते निशा और रिंकू के बीच प्रेम अंकुरित हुआ और दोनों ही एकदूसरे के साथ जिंदगी बिताने के सपने देखने लगे. उस दौरान निशा कई बार अपनी बहन के घर आई तो उस ने रिंकू को मिलने के लिए अपनी बहन के घर बुलाया. उसी दौरान रिंकू के परिवार वालों को भी पता चल गया था कि वह निशा नाम की किसी लड़की से प्यार करता है. उस के परिवार वालों ने उसे समझाने की कोशिश की कि शादी के मामले इतने आसान नहीं होते. ऐसे मौके इंसान की जिंदगी में बारबार नहीं आते.

किसी की लड़की घर में लाने से पहले उस के परिवार के बारे में जानकारी जुटाना बहुत जरूरी होता है. लेकिन रिंकू अपने परिवार वालों की एक भी बात मानने को तैयार न था. वह निशा के प्यार में इस कदर पागल हो चुका था कि किसी भी कीमत पर उसे छोड़ने को तैयार न था. परिवार के इसी विरोध के चलते रिंकू ने परिवार वालों को बिना बताए निशा से कोर्टमैरिज कर ली. निशा से शादी कर के रिंकू ने शहर में ही उसे किराए का एक कमरा दिला दिया. वह भी उसी के साथ रहने लगा. जब घर वालों को उस की हकीकत पता चली तो उन्होंने उस की मजबूरी समझ कर निशा को घर लाने को कहा. ससुराल में शुरू की कलह निशा रिंकू के घर वालों के रहमोकरम पर बहू बन कर परिवार के बीच रहने लगी. शादी के कुछ समय बाद तक निशा ठीकठाक रही. लेकिन कुछ ही दिनों में उस का व्यवहार बदलने लगा.

वह रिंकू के घर वालों के साथ गलत व्यवहार करने लगी. उस के घर वाले उसे बोझ लगने लगे. जिस के चलते वह रिंकू पर घर वालों से अलग रहने का दबाव बनाने लगी. यहां तक वह परिवार वालों का खाना बनाने के लिए भी तैयार नहीं थी. रिंकू का छोटा भाई विपिन उस वक्त कुंवारा था. घर में आई बहू की हालत देख उस के घर वालों ने अपने छोटे बेटे विपिन की शादी करने का फैसला कर लिया. विपिन की शादी की बात चली तो उस के योग्य एक लड़की मिल गई. विपिन की शादी उत्तर प्रदेश के बिलासपुर कस्बे से हुई. विपिन की शादी होते ही घर में दूसरी बहू आई तो घर वालों को कुछ राहत मिली.

विपिन की शादी होते ही रिंकू अपनी पत्नी निशा को ले कर अलग रहने लगा. खानापीना घर परिवार से अलग बनने लगा, लेकिन रहनसहन उसी घर में था. भाई तो भाई होते हैं लेकिन एक ही छत के नीचे चार बहुओं का रहना किसी मुसीबत से कम नहीं था. यही कारण था कि परिवार में आए दिन किसी न किसी बात पर मनमुटाव होता रहता था. जिस घर में कलह होने लगे तो वहां शांति के लिए कोई जगह नहीं रह जाती. वही इस परिवार में भी हुआ. सन 2017 में रिंकू की मां द्रौपदी अपने 2 बेटों भारत यादव और सुनील यादव के साथ किसी काम से बरेली गई हुई थी. वहां से घर लौटते समय उन की बाइक किसी गाड़ी की चपेट में आ गई, जिस से उन तीनों की मौत हो गई.

घर में एक साथ 3 मौतें हो जाने के कारण रिंकू को जबरदस्त झटका लगा. उस के बावजूद उस ने जैसेतैसे अपने परिवार को संभालने की कोशिश की. दोनों भाइयों की विधवा बीवी और बच्चों की जिम्मेदारी भी उसी ने संभाली. लेकिन यह सब निशा को पसंद नहीं था. निशा शुरू से ही तेजतर्रार थी. पैसे से उसे कुछ ज्यादा ही प्यार था. उसी दौरान निशा को पता चला कि उस की सास द्रौपदी का जीवनबीमा था, जिस का क्लेम उन के नौमिनी को मिलना था. रिंकू के सभी परिवार वाले यह बात जानते थे कि अगर पैसा रिंकू के हाथ में चला गया तो उस की बीवी सारे पैसे पर अपना कब्जा जमा लेगी.

दूसरे रिंकू के घर अभिषेक यादव का बहुत आनाजाना था. अभिषेक यादव आवारा युवक था, जिस का घर में आना उस के परिवार वालों को बिलकुल पसंद नहीं था. अभिषेक का घर आनाजाना रिंकू को भी खलता था. लेकिन निशा को बुरा न लगे, इसलिए वह अपनी जुबान बंद रखता था. रिंकू के भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों ने पूरी कोशिश की कि पैसा किसी भी हाल में रिंकू या उस की बीवी के हाथ में न जाने पाए. जब यह जानकारी निशा को हुई तो उस ने घर में बवाल खड़ा कर दिया. पैसे ने भाइयों में डाली फूट अपने भाई की मजबूरी और अपनी भाभी के चरित्र और व्यवहार को देखते हुए विपिन ने एलआईसी से मिलने वाली मां की पौलिसी की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली.

यह जानकारी निशा को हुई तो घर में तूफान आ गया. निशा ने घर में जम कर हंगामा किया. उस ने रिंकू का भी जीना हराम कर दिया. वह बातबात पर उस से लड़नेझगड़ने लगी. इस बीच अभिषेक यादव का भी आनाजाना बढ़ गया था, जिस से उस के परिवार वाले बुरी तरह चिढ़ते थे. विपिन के खाते में रुपए जाने के बाद निशा उस से बुरी तरह चिढ़ने लगी थी. उस ने पति रिंकू से साफ शब्दों में कह दिया कि इस घर में या तो मैं और मेरा परिवार रहेगा या फिर विपिन. रिंकू निशा की जिद से परेशान था. उस ने कह दिया कि जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा. इस तरह निशा ने रिंकू को अपने भाई के सामने खड़ा करा कर दोनों में मनमुटाव करा दिया, साथ ही उस के नाम मां की एलआईसी के रुपए हड़पने का आरोप लगा कर रुद्रपुर कोतवाली में एक एफआईआर भी दर्ज करा दी.

विपिन ने अपने कुछ रिश्तेदारों के सहयोग से पुलिस से मिल कर जैसेतैसे वह मामला निपटाया. इस से विपिन को लगा कि अब उस घर में अपने भाई के साथ रहना उस की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है. वह अपना घर छोड़ कर अपनी ससुराल बिलासपुर में जा कर रहने लगा. तब से वह वहीं पर रह रहा था. विपिन के घर छोड़ते ही निशा के सारे बंद रास्ते खुल गए. सुबह होते ही रिंकू अपने काम पर निकल जाता. उस के बाद वह अभिषेक को फोन कर के अपने घर बुला लेती थी. रिंकू के अभी 2 ही बच्चे थे, जिन में बड़ी बेटी मानवी 5 वर्ष की थी और उस से छोटा बेटा मानव 3 वर्ष का था. मानवी तो स्कूल जाने लगी थी. लेकिन बेटा अभी छोटा था, जिस से निशा को कोई खास परेशानी नहीं होती थी.

वह रिंकू की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हुए आए दिन अभिषेक यादव के साथ मस्ती करती थी. अभिषेक का आनाजाना बढ़ गया तो मोहल्ले वालों को भी अखरने लगा. चलतेचलते यह बात रिंकू के सामने भी जा पहुंची. रिंकू ने निशा को समझाने की कोशिश की. लेकिन निशा ने उलटे उसे ही समझाते हुए कहा कि अभिषेक उस का दूर का रिश्तेदार है. वह उस के घर पर आने पर रोक नहीं लगा सकती. निशा के सामने रिंकू की एक न चली. रिंकू का आए दिन बाहर आनाजाना लगा रहता था. उसी दौरान एक दिन रिंकू ने अभिषेक और निशा को अपने घर में ही आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. अभिषेक तो छत की सीढि़यों से पीछे कूद कर भाग गया.

उस रात रिंकू और निशा के बीच खूब गालीगलौज हुई. रिंकू ने निशा को बहुत भलाबुरा कहा. लेकिन निशा को जैसे सांप सूंघ गया था. उस ने रिंकू के सामने माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई. रिंकू जानता था कि बात ज्यादा बढ़ाने से उसी की बेइज्जती होगी, लिहाजा वह सहन कर गया. निशा जानती थी कि अब रिंकू को अभिषेक के बारे में सब कुछ पता चल चुका है, वह आगे किसी भी कीमत पर अभिषेक को सहन नहीं करेगा. उस दिन से अभिषेक काफी दिनों तक उस गली से नहीं गुजरा. लेकिन वह मोबाइल पर हमेशा निशा के संपर्क में रहता था. जब रिंकू कहीं काम से बाहर जाता तो वह घंटों तक अभिषेक से मोबाइल पर बात करती रहती. मोबाइल पर उस ने अभिषेक यादव से कहा कि अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मुझे इस नर्क से निकाल कर कहीं दूसरी जगह ले चलो.

लेकिन अभिषेक यादव जानता था कि उस के छोटेछोटे 2 बच्चे हैं, वह उन का क्या करेगा. निशा ने रची साजिश अंतत: निशा ने अभिषेक के साथ मिल कर रिंकू से पीछा छुड़ाने के लिए एक साजिश रच डाली. साजिश के तहत निशा ने अभिषेक को बताया कि वह 28 फरवरी, 2021 को अपनी बहन के घर हल्द्वानी जा रही है. अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मेरे आने से पहले रिंकू को दुनिया से विदा कर दो. फिर हम दोनों इसी घर में मौजमस्ती करेंगे. अभिषेक यादव निशा के प्यार में पागल था. वह उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था. वह उस की साजिश का हिस्सा बन गया.

रिंकू की हत्या करने के लिए उस ने अपने दोस्त आकाश यादव, साहिल व सूरज को भी शामिल कर लिया. निशा और अभिषेक यादव ने आकाश को 20 हजार रुपए देने के साथ ही एक तमंचा भी दिला दिया था. योजना के तहत निशा ने अपने भाई को अपने घर बुलाया और 28 फरवरी को वह उस के साथ चली गई. निशा के जाने के बाद रिंकू घर पर अकेला रह गया था. 28 फरवरी की शाम को पूर्व योजनानुसार आकाश यादव उर्फ बांडा निवासी भदईपुरा, साहिल निवासी भूत बंगला ने रिंकू के घर पर पार्टी करने की योजना बनाई, जिस में शराब के साथ मुर्गा भी बनाया गया. पार्टी में तीनों ने रिंकू को ज्यादा शराब पिलाई. उस शाम रिंकू के घर के पास एक शादी भी थी, जिस में डीजे बज रहा था.

डीजे की आवाज में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. देर रात तक चली पार्टी में जब रिंकू बेहोशी की हालत में हो गया तो मौका पाते ही तीनों ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. रिंकू की हत्या करने के बाद उन्होंने उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ कर दिया था. उस के बाद तीनों घर के दरवाजे पर अंदर से ताला लगा कर छत के रास्ते नीचे कूद कर चले गए. रिंकू की हत्या के बाद आकाश ने अभिषेक को बता दिया कि उस का काम हो गया है. उस के आगे का काम स्वयं निशा ने संभाला. योजनानुसार निशा ने इस केस में रिंकू के छोटे भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों को फंसाने की योजना बना रखी थी. लेकिन उस का यह दांव चल नहीं सका और वह खुद ही अपने जाल में उलझ गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने पांचों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम में शामिल कोतवाल एन.एन. पंत, एसएसआई सतीश कापड़ी, एसआई पूरनी सिंह, रमपुरा चौकीप्रभारी मनोज जोशी, एसओजी प्रभारी उमेश मलिक, कांस्टेबल प्रकाश भगत और राजेंद्र कश्यप को आईजी ने 5 हजार, एसएसपी ने ढाई हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. crime stories in hindi

UP News : 10 लाख रुपए के लिए बचपन के दोस्त का किया कत्ल

UP News :  दोस्ती में एक विश्वास होता है, भरोसा होता है. लेकिन शैलेश प्रजापति और अर्श गुप्ता ने पैसे के लिए उस विश्वास की धज्जियां उड़ा दीं, जिस की वजह से विनय…

19 मार्च, 2021 की रात 10 बजे शीला देवी अपने देवर आनंद प्रजापति के साथ जनता नगर चौकी पहुंचीं. उस समय इंचार्ज ए.के. सिंह चौकी पर मौजूद थे. उन्होंने शीला देवी को बदहवास देखा, तो पूछा, ‘‘क्या बात है, तुम घबराई हुई क्यों हो? कोई गंभीर बात है क्या?’’

‘‘हां सर. हमें किसी अनहोनी की आशंका है.’’

‘‘कैसी अनहोनी? साफसाफ पूरी बात बताओ.’’

‘‘सर, दरअसल बात यह है कि रात 8 बजे मेरा बेटा शैलेश, उस का दोस्त अर्श गुप्ता व विनय घर पर नीचे कमरे में शराब पी रहे थे. कुछ देर बाद कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आईं. फिर वे लोग बाइक से कहीं चले गए.

‘‘उन के जाने के बाद मैं कमरे में गई, तो वहां खून से सनी चादर देखी. अनहोनी की आशंका से मैं घबरा गई. मैं ने इस की जानकारी पड़ोस में रहने वाले अपने देवर आनंद को दी, फिर उन के साथ सूचना देने आप के पास आ गई. आप मेरी मदद करें.’’

शीला देवी की बात सुनकर ए.के. सिंह को लगा कि जरूर कोई अनहोनी घटना घटित हुई है. उन्होंने यह सूचना बर्रा थानाप्रभारी हरमीत सिंह को दी फिर 2 सिपाहियों के साथ शीला देवी के बर्रा भाग 8 स्थित मकान पर पहुंच गए. उन के पहुंचने के चंद मिनट बाद ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह भी आ गए. हरमीत सिंह ने ए.के. सिंह के साथ कमरे का निरीक्षण किया तो सन्न रह गए. कमरे के फर्श पर खून पड़ा था और पलंग पर बिछी चादर खून से तरबतर थी. कमरे का सामान भी अस्तव्यस्त था. खून की बूंदें कमरे के बाहर गली तक टपकती गई थीं.

निरीक्षण के बाद हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कमरे के अंदर कत्ल जैसी वारदात हुई है या फिर गंभीर रूप से कोई घायल हुआ है. शैलेश और उस का दोस्त या तो लाश को ठिकाने लगाने गए हैं या फिर अस्पताल गए हैं. कहीं भी गए हों, वे लौट कर घर जरूर आएंगे. अत: उन्होंने घर के आसपास पुलिस का पहरा लगा दिया तथा खुद भी निगरानी में लग गए. रात लगभग डेढ़ बजे शैलेश और उस का दोस्त अर्श गुप्ता वापस घर आए तो पुिलस ने उन्हें दबोच लिया और थाना बर्रा ले आए. दोनों के हाथ और कपड़ों पर खून लगा था. इंसपेक्टर हरमीत सिंह ने पूछा, ‘‘तुम दोनों ने किस का कत्ल किया है और लाश कहां है?’’

शैलेश कुछ क्षण मौन रहा फिर बोला, ‘‘साहब, मैं ने अपने बचपन के दोस्त विनय प्रभाकर का कत्ल किया है. वह बर्रा भाग दो के मनोहर नगर में रामजानकी मंदिर के पास रहता था. उस की लाश को मैं ने अर्श की मदद से रिंद नदी में फेंक दिया है. पैट्रोल खत्म हो जाने की वजह से हम ने विनय की मोटरसाइकिल खाड़ेपुर-फत्तेपुर मोड़ पर खड़ा कर दी और वापस लौट आए.’’

‘‘तुम ने अपने दोस्त का कत्ल क्यों किया?’’ थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने शैलेश से पूछा. इस सवाल पर शैलेश काफी देर तक हरमीत सिंह को गुमराह करता रहा. पहले वह बोला, ‘‘साहब, नशे में गलती हो गई. हम ने उस का कत्ल कर दिया.’’

फिर बताया कि उस के मोबाइल फोन में उस की महिला मित्र की कुछ आपत्तिजनक फोटो थीं. उन फोटो को विनय ने धोखे से अपने मोबाइल फोन में ट्रांसफर कर लिया था. वह उन फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दे कर ब्लैकमेल कर रहा था, इसलिए हम ने उसे मार डाला. लेकिन थानाप्रभारी हरमीत सिंह को उस की इन दोनों बातों पर यकीन नहीं हुआ. सच्चाई उगलवाने के लिए उन्होंने सख्ती की तो दोनों टूट गए. फिर उन्होंने बताया कि उन्होंने 10 लाख रुपए की फिरौती मांगने के लिए विनय की हत्या की योजना बनाई थी. कुछ माह पहले संजीत हत्याकांड की तरह शव को ठिकाने लगाने के बाद उसी के मोबाइल फोन से उस के घर वालों को फोन कर फिरौती मांगने की योजना थी.

उस ने दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की थी. लेकिन फिरौती मांगने के पहले ही वे पकड़े गए. शैलेश व अर्श की जामातलाशी में उन के पास से 3 मोबाइल फोन मिले, जिस में एक मृतक विनय का था तथा बाकी 2 शैलेश व अर्श के थे. उन के पास एक पर्स भी बरामद हुआ जिस में मृतक का फोटो, आधार कार्ड तथा कुछ रुपए थे. बरामद पर्स मृतक विनय प्रभाकर का था. शैलेश व अर्श गुप्ता की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल बांका तथा लाश ठिकाने लगाने में इस्तेमाल मोटरसाइकिल बरामद कर ली. बांका उस ने अपने कमरे में छिपा दिया था और पैट्रोल खत्म होने से उस ने मोटरसाइकिल खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ी कर दी थी.

फिरौती और हत्या के इस मामले में थानाप्रभारी हरमीत सिंह कोई कोताही नहीं बरतना चाहते थे. क्योंकि इस के पहले संजीत अपहरण कांड में बर्रा पुलिस गच्चा खा चुकी थी. अपहर्त्ताओं ने फिरौती की रकम भी ले ली थी और उस की हत्या भी कर दी थी. इस मामले में लापरवाही बरतने में एसपी व डीएसपी सहित 5 पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया था. अत: उन्होंने घटना की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर रात 3 बजे एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय थाना बर्रा पहुंच गए. उन्होंने घटना के संबंध में गिरफ्तार किए गए शैलेश व अर्श गुप्ता से विस्तार से पूछताछ की.

फिर दोनों को साथ ले कर रिंद नदी के पुल पर पहुंचे. इस के बाद कातिलों की निशानदेही पर नदी किनारे पड़ा विनय प्रभाकर का शव बरामद कर लिया. विनय की हत्या बड़ी निर्दयतापूर्वक की गई थी. उस का गला धारदार हथियार से काटा गया था, जिस से सांस की नली कट गई थी और उस की मौत हो गई थी. मृतक विनय की उम्र 26 वर्ष के आसपास थी और उस का शरीर हृष्टपुष्ट था. 20 मार्च की सुबह 5 बजे बर्रा थाने के 2 सिपाही मृतक विनय के घर पहुंचे और उस की हत्या की खबर घर वालों को दी. खबर पाते ही घर व मोहल्ले में सनसनी फैल गई. घर वाले रिंद नदी के पुल पर पहुंचे.

वहां विनय का शव देख कर मां विमला तथा बहन रीता बिलख पड़ीं. पिता रामऔतार प्रभाकर तथा भाई पवन की आंखों से भी अश्रुधारा बह निकली. पुलिस अधिकारियों ने उन्हे धैर्य बंधाया. पवन ने एसपी दीपक भूकर को बताया कल शाम साढ़े 7 बजे किसी का फोन आने पर उस का भाई विनय यह कह कर अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से घर से निकला था कि अपने दोस्त से मिलने जा रहा है. उस के बाद वह घर नहीं लौटा. रात भर हम लोग उस के घर वापस आने का इंतजार करते रहे. उस का फोन भी बंद था. सुबह 2 सिपाही घर आए. उन्होंने विनय की हत्या की सूचना दी. तब हम लोग यहां आए. लेकिन समझ में नहीं आ रहा कि विनय की हत्या किस ने और क्यों की?

‘‘तुम्हारे भाई की हत्या किसी और ने नहीं, उस के बचपन के दोस्त शैलेश प्रजापति व उस के साथी अर्श गुप्ता ने की है. वह तुम लोगों से फिरौती के 10 लाख रुपए वसूलना चाहते थे. लेकिन शैलेश की मां ने ही उस का भांडा फोड़ दिया और दोनों पकड़े गए.’’

यह जानकारी पा कर पवन व उस के घर वाले अवाक रह गए. क्योंकि वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि शैलेश ऐसा विश्वासघात कर सकता है. निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने शव को पोस्टमार्टम हाउस हैलट अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद वह शैलेश के उस कमरे में पहुंचे, जहां विनय का कत्ल किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने जहां घटनास्थल का निरीक्षण किया, वहीं फोरैंसिक टीम ने भी बेंजाडीन टेस्ट कर साक्ष्य जुटाए. चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल बांका भी बरामद करा दिया था, अत: थानाप्रभारी हरमीत सिंह ने मृतक के भाई पवन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/201 तथा एससी/एसटी ऐक्ट के तहत शैलेश प्रजापति तथा अर्श गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

उन्हें न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस पूछताछ में दौलत की चाहत में दोस्त की हत्या की सनसनीखेज घटना का खुलासा हुआ. कानपुर शहर का एक बड़ी आबादी वाला क्षेत्र है-बर्रा. इस क्षेत्र के बड़ा होने से इसे कई भागों में बांटा गया है. रामऔतार प्रभाकर अपने परिवार के साथ इसी बर्रा क्षेत्र के भाग 2 में मनोहरनगर में जानकी मंदिर के पास रहते थे. उन के परिवार में पत्नी विमला के अलावा 2 बेटे पवन कुमार, विनय कुमार तथा बेटी रीता कुमारी थी. रामऔतार प्रभाकर आर्डिनैंस फैक्ट्री में काम करते थे. किंतु अब रिटायर हो चुके थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी.

फैक्ट्री में रामऔतार प्रभाकर के साथ सोमनाथ प्रजापति काम करते थे. सोमनाथ भी बर्रा भाग 8 में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी शीला देवी के अलावा एकलौता बेटा शैलेश था. सोमनाथ भी रिटायर हो चुके थे. सोमनाथ बीमार रहते थे. उन्हें सुनाई भी कम देता था और दिखाई भी. उन की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. रामऔतार और सोमनाथ इस के पहले अर्मापुर स्थित फैक्ट्री की कालोनी में रहते थे. 3 साल पहले दोनों ने बर्रा क्षेत्र में जमीन खरीद ली थी और अपनेअपने मकान बना कर रहने लगे थे. मकान बदलने के बावजूद दोनों की दोस्ती में कमी नहीं आई थी. दोनों परिवार के लोगों का एकदूसरे के घर आनाजाना था.

रामऔतार का बेटा विनय और सोमनाथ का बेटा शैलेश बचपन के दोस्त थे. दोनों एकदूसरे के घर आतेजाते थे. विनय ने हाईस्कूल पास करने के बाद आईटीआई से मशीनिस्ट का कोर्स किया था. वह नौकरी की तलाश में था. जबकि शैलेश ड्राइवर बन गया था. वह बुकिंग की कार चलाता था. शैलेश का एक अन्य दोस्त अर्श गुप्ता था. वह फरनीचर कारीगर था और गुजैनी गांव में रहता था. अर्श और शैलेश शराब के शौकीन थे. अकसर दोनों साथ पीते थे और लंबीलंबी डींग हांकते थे. उन दोनों ने विनय को भी शराब पीना सिखा दिया था. अब हर रविवार को शैलेश के घर शराब पार्टी होती थी. तीनों बारीबारी से पार्टी का खर्चा उठाते थे.

एक शाम खानेपीने के दौरान विनय ने शैलेश व अर्श को बताया कि उस की बहन रीता की शादी तय हो गई है. 27 अप्रैल को बारात आएगी. शादी में लगभग 10-12 लाख रुपया खर्च होगा. पिता व भाई ने रुपयों का इंतजाम कर लिया है. शादी की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. शैलेश व अर्श मामूली कमाने वाले युवक थे. वह शार्टकट से लखपति बनना चाहते थे. इस के लिए शैलेश उरई में पान मसाला का कारोबार करना चाहता था. उरई में वह जगह भी देख आया था. लेकिन कारोबार के लिए उस के पास पैसा नहीं था. पैसा कहां से और कैसे आए, इस के लिए शैलेश और अर्श ने सिर से सिर जोड़ कर विचारविमर्श किया तो उन्हें विनय याद आया.

विनय ने बताया था कि उस के यहां बहन की शादी है और घर वालों ने 10-12 लाख रुपए का इंतजाम किया है. दौलत की चाहत में शैलेश व अर्श ने दोस्त के साथ छल करने और फिरौती के रूप में 10 लाख रुपया वसूलने की योजना बनाई. संजीत हत्याकांड दोनों के जेहन में था. उसी तर्ज पर उन दोनों ने विनय की हत्या कर के उस के घर वालों से फिरौती वसूलने की योजना बनाई. योजना के तहत 19 मार्च, 2021 की रात पौने 8 बजे शैलेश ने अर्श के मोबाइल से विनय प्रभाकर के मोबाइल पर काल की और पार्टी के लिए घर बुलाया. विनय की 5 दिन पहले ही लोहिया फैक्ट्री में नौकरी लगी थी. फैक्ट्री से वह साढ़े 7 बजे घर लौटा था कि 15 मिनट बाद शैलेश का फोन आ गया. पार्टी की बात सुन कर वह शैलेश के घर जाने को राजी हो गया.

रात 8 बजे विनय अपनी पल्सर मोटरसाइकिल से बर्रा भाग 8 स्थित शैलेश के घर पहुंच गया. उस समय कमरे में शैलेश व अर्श गुप्ता थे और पार्टी का पूरा इंतजाम था. इस के बाद तीनों ने मिल कर खूब शराब पी. विनय जब नशे में हो गया तो योजना के तहत अर्श व शैलेश ने उसे दबोच लिया और उस की पिटाई करने लगे. विनय ने जब खुद को जाल में फंसा देखा तो वह भी भिड़ गया. कमरे से चीखनेचिल्लाने की आवाजें आने लगीं. इसी बीच शैलेश ने कमरे में छिपा कर रखा बांका निकाला और विनय की गरदन पर वार कर दिया. विनय का गला कट गया और वह फर्श पर गिर पड़ा.

इस के बाद अर्श ने विनय को दबोचा और शैलेश ने उस की गरदन पर 2-3 वार और किए. जिस से विनय की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद उन दोनों ने शव को तोड़मरोड़ कर चादर व कंबल में लपेटा और फिर विनय की मोटरसाइकिल पर रख कर रिंद नदी में फेंक आए. वापस लौटते समय उन की बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया, इसलिए उन्होंने बाइक को खाड़ेपुर मोड़ पर खड़ा कर दिया. फिर पैदल ही घर आ गए. घर पर उन के स्वागत के लिए बर्रा पुलिस खड़ी थी, जिस से वे पकड़े गए. दरअसल, शैलेश की मां शीला ने ही कमरे में खून देख कर पुलिस को सूचना दी थी, जिस से पुलिस आ गई थी.

21 मार्च, 2021 को थाना बर्रा पुलिस ने आरोपी शैलेश प्रजापति व अर्श गुप्ता को कानपुर कोर्ट में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया, जहां से उन दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. UP News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Real Crime Stories in Hindi : साले ने जीजा की काटी गर्दन फिर काटा हाथ का पंजा

Real Crime Stories in Hindi  : पूजा शुक्ला ने अपने घर वालों की मरजी के खिलाफ अपने भाई के दोस्त विजेत कश्यप से मंदिर में शादी कर ली. लेकिन उस की शादी के 3 महीने बाद ही ऐसा क्या हुआ कि विजेत और पूजा को अपनी जान गंवानी पड़ी?

मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर शहर से लगा हुआ एक देहाती इलाका है तिलवारा. नर्मदा नदी की गोद में बसे तिलवारा के बर्मन मोहल्ले में सुरेंद्र कश्यप का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटियां व एक बेटा विजेत था. 38 साल का विजेत अपनी पढ़ाईलिखाई पूरी करने के बाद कोई कामधंधा करने के बजाय फालतू इधरउधर घूमता रहता था. इस बात को ले कर उस के पिता उसे समझाते रहते कि कुछ कामधंधा देख ले, इधरउधर आवारागर्दी करता रहता है. मगर विजेत पर पिता की नसीहतों का कोई असर नहीं पड़ता. वह दिन भर दोस्तों के साथ मटरगश्ती करता और देर रात घर लौटता था.

करीब 3 साल पहले की बात है, बेरोजगारी के दिन काट रहे विजेत की मुलाकात एक दिन धीरज शुक्ला उर्फ मिंटू नाम के युवक से हुई. रामनगर इलाके के शंकरघाट में रहने वाले धीरज के पिता शिवराम शुक्ला का नाम शराब के अवैध कारोबार से जुड़ा हुआ है. पिता के इस गोरखधंधे में धीरज भी बराबर का साथ दे रहा था. शिवराम के परिवार में उस की पत्नी, 35 साल का बड़ा बेटा धीरज उर्फ मिंटू, 30 साल का छोटा लड़का लवकेश और 19 साल की बेटी पूजा थी. विजेत और धीरज के रहवासी इलाकों में कोई खास फासला नहीं था. इस वजह से उन की मुलाकात आए दिन होती रहती थी. विजेत धीरज की लाइफस्टाइल देख कर काफी प्रभावित रहता था.

जब विजेत और धीरज में दोस्ती पक्की हो गई तो धीरज ने विजेत को भी अवैध शराब बेचने के धंधे में शामिल कर लिया. धीरज ने जब विजेत को बताया कि इस कारोबार में खूब पैसा मिलता है तो विजेत धीरज के साथ मिल कर जबलपुर के कई इलाकों में शराब की सप्लाई का काम करने लगा. इस से विजेत को रोजगार के साथ अच्छीखासी कमाई होने लगी. विजेत के पास पैसा आते ही उस का रहनसहन भी बदल गया. विजेत और धीरज का काम के सिलसिले में एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. धीरज के घर वाले भी विजेत से इस तरह घुलमिल गए थे कि धीरज के घर पर न होने की सूरत में भी वह उन से घंटों बैठ कर बातचीत करता रहता था.

एक दिन सुबह विजेत धीरज से मिलने उस के घर पहुंच गया. जैसे ही उस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो धीरज की बहन पूजा ने दरवाजा खोला. खूबसूरत पूजा शुक्ला को सामने देख कर विजेत बस देखता ही रह गया. उस समय पूजा की उम्र 16 साल थी. उस की खूबसूरती ने विजेत को पहली नजर में ही उस का दीवाना बना दिया था. पूजा ने अपनी मधुर मुसकान के साथ विजेत से कहा, ‘‘आइए, आप बैठिए. भैया अभी नहा रहे हैं.’’

पूजा की मुसकान ने विजेत पर जैसे जादू सा कर दिया. वह मुसकराता हुआ पूजा के पीछेपीछे कमरे में आ कर सोफे पर बैठ गया. इसी दौरान पूजा विजेत के लिए चाय बना कर ले आई. विजेत की नजरें अब पूजा को ही घूर रही थीं. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस मोहपाश में बंधा जा रहा है. चाय की चुस्की लेते हुए उस ने पूजा की तरफ जी भर देखा और बोला, ‘‘तुम्हारे हाथों की बनी चाय में जादू है.’’

अपनी तारीफ सुन पूजा ने शरमाते हुए कहा ‘‘ऐसा क्या जादू कर दिया मैं ने?’’

‘‘तुम्हारी खूबसूरती की तरह चाय भी बहुत टेस्टी है,’’ विजेत बोला. विजेत से अपनी तारीफ सुन पूजा उस से कुछ बोल पाती, इस के पहले ही धीरज बाथरूम से निकल कर कमरे में आ चुका था. धीरज को आता देख पूजा विजेत को आंखों ही आंखों में इशारे कर वहां से चली गई. उस दिन के बाद से तो विजेत पूजा का आशिक बन चुका था. अब वह अकसर ही धीरज से मिलने के बहाने पूजा के घर आने लगा. पूजा का इस नाजुक उम्र में किसी लड़के के प्रति झुकाव स्वाभाविक था. विजेत दिखने में हैंडसम था. उस के पहनावे, स्टाइलिश लुक और महंगे मोबाहल रखने की वजह से पूजा भी उसे मन ही मन चाहने लगी थी.

जब भी विजेत घर आता तो पूजा भी चायपानी के बहाने उस के आगेपीछे होने लगती. पूजा का भाई धीरज इस बात से अंजान था कि उस का दोस्त दोस्ती में विश्वासघात कर के उस की बहन पर बुरी नजर रख रहा है. विजेत को जब भी मौका मिलता, धीरज की गैरमौजूदगी में पूजा से मिलने आने लगा. पूजा के मम्मीपापा धीरज का दोस्त होने के नाते उसे भी अपने बेटे के समान समझते थे. उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि धीरज से भी उम्र में बड़ा उस का दोस्त उन की मासूम बेटी को प्यार के जाल में फंसा रहा है. पूजा और विजेत का प्यार आंखों ही आंखों में परवान चढ़ रहा था. सितंबर, 2019 की बात है. पूजा के मम्मीपापा और छोटा भाई लवकेश किसी काम से अपने रिश्तेदार के यहां गए हुए थे.

विजेत को पता था कि पूजा का भाई धीरज काम के सिलसिले में एक पार्टी से मिलने शहर से बाहर गया है. मौका देख कर वह पूजा के घर पहुंच गया. फिर वह उसे अपनी बाइक पर बैठा कर शहर घुमाने ले गया. शहर में घूमने के बाद दोनों ने एक पार्क में बैठ कर जी भर कर बातें कीं. प्यार मनुहार भरी बातें करते हुए विजेत ने पूजा को अपनी बांहों में भर लिया. जवानी की दहलीज पर कदम रख रही पूजा को पहली बार किसी लड़के के साथ इतने नजदीक आने का मौका मिला था. इश्कमोहब्बत की इस फिसलन भरी राह पर वह अपने आप को संभाल न सकी. पार्क में झाडि़यों की ओट में उस दिन पहली बार दोनों ने प्यार के समंदर की अथाह गहराई में गोता लगाया.

विजेत ने पूजा को किस करते हुए कहा, ‘‘पूजा मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं और तुम से ही शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘मगर विजेत ये काम इतना आसान नहीं है. हम दोनों अलगअलग जाति के हैं, इसलिए दुनिया हमारे प्यार की दुश्मन हो जाएगी. समाज और परिवार हमारी शादी की इजाजत कैसे देगा.’’ पूजा के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं.

‘‘प्यार किसी बंधन में बंध कर नहीं रह सकता पूजा.’’ विजेत ने उसे कस कर गले लगाते हुए कहा.

‘‘विजेत तुम नहीं जानते, धीरज भैया को हमारे प्यार के बारे में उन्हें पता चल गया तो वे तो मेरी जान ही ले लेंगे.’’ पूजा ने विजेत से अपने आप को छुड़ाते हुए कहा.

‘‘पूजा, दुनिया की कोई भी ताकत मुझे तुम से जुदा नहीं कर सकती.’’ विजेत ने पूजा को सीने से चिपकाते हुए कहा.

प्यार की दुनिया में खोए यह दो प्रेमी यह अच्छी तरह जानते थे कि प्यार की राह भले ही आसान हो, मगर शादी की राह कांटों की सेज से कम नहीं होगी. उस दिन खूब मौजमस्ती कर वे वापस अपनेअपने घर आ गए थे. विजेत का मन पूजा से शादी करने के लिए उतावला हुए जा रहा था, मगर पूजा अभी 18 साल की नहीं हुई थी. विजेत जानता था कि नाबालिग उम्र में वह पूजा से शादी नहीं कर सकता. ऐसे में इंतजार करने के अलावा उस के सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं था. अगले साल जैसे ही पूजा शुक्ला ने अपने जीवन के 18 साल पूरे किए तो विजेत कश्यप ने हिम्मत कर के पूजा के घरवालों के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया.

विजेत के इस प्रस्ताव से पूजा के घर में हड़कंप मच गया. धीरज का तो जैसे खून खौल गया. उस ने विजेत को भलाबुरा कहते हुए साफतौर पर कह दिया था कि ये शादी हरगिज नहीं हो सकती. गांवदेहात के इलाकों में आज भी दूसरी जाति में शादी करना सामाजिक परंपराओं का उल्लंघन माना जाता है. समाज में बदनामी का डर भी था. उस दिन के बाद से विजेत की धीरज के घर आने पर पाबंदी भी लगा दी गई और घर वाले पूजा पर सख्त नजर रखने लगे. पूजा और विजेत के प्यार पर जब पहरा लगा तो प्यार के पंछी बैचेन हो उठे. कभीकभार मोबाइल पर छिपछिप कर बातचीत कर के वह अपने मन की तसल्ली कर लेते.

जब एकदूजे के बगैर रहना उन्हें नागवार लगने लगा तो आखिरकार काफी सोचविचार करने के बाद दोनों ने निर्णय कर लिया कि प्रेम के पंछी किसी पिंजरे में कैद हो कर ज्यादा दिन नहीं रहेंगे. दिसंबर, 2020 में सर्दियों की एक रात विजेत अपनी प्रेमिका पूजा को घर से भगा ले गया. दूसरे दिन सुबह देर तक जब पूजा अपने कमरे से बाहर नहीं निकली तो उस की मां ने अंदर जा कर देखा तो पूजा अपने बिस्तर पर नहीं थी. पूरे दिन पूजा का भाई धीरज और उस के पिता उस की तलाश करते रहे. जब उन्हें पूजा की कोई खोजखबर नहीं मिली तो थकहार  कर तिलवारा थाने में उन्होंने पूजा के गायब होने की रिपोर्ट करा दी.

पुलिस रिपोर्ट में घर वालों ने यह अंदेशा भी व्यक्त किया कि विजेत ही पूजा को बहलाफुसला कर ले गया है. पूजा के विजेत के साथ भागने की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई तो उस के परिवार की बदनामी होने लगी. मोहल्ले के लोग चटखारे ले कर पूजा और विजेत के प्रेम प्रसंग की चर्चा करने लगे. सब से ज्यादा जिल्लत का सामना पूजा के भाई धीरज को करना पड़ा. बदनामी के डर से उस का घर से निकलना ही दूभर हो गया. उधर घर से भाग कर विजेत और पूजा ने जबलपुर के मातेश्वरी मंदिर में जा कर शादी कर ली. विजेत ने जीवन भर पूजा का साथ निभाने का वादा किया. इस के बाद दोनों हनीमून के लिए दिल्ली चले गए.

कुछ दिनों तक दिल्ली और आसपास के इलाकों में मौजमस्ती करने के बाद जबलपुर आ कर गढा के गंगानगर में विजेत अपने चाचा के मकान में पूजा के साथ रहने लगा. कुछ दिन प्यारमोहब्बत का नशा दोनों पर छाया रहा. लेकिन समय गुजरते वे आर्थिक तंगी का सामना करने लगे. इस बीच 27 फरवरी, 2021 को पुलिस ने एक दिन विजेत और पूजा को खोज निकाला. तब थाने में घर वालों के सामने पूजा ने लिखित बयान दे कर साफ कह दिया कि उस ने अपनी मरजी से विजेत से शादी की है और वह उसी के साथ रहना चाहती है. उस दिन पूजा के घर वाले उसे उस के हाल पर छोड़ कर घर वापस आ गए.

विजेत ने शादी के पहले पूजा को जो सब्जबाग दिखाए थे, वे धीरेधीरे झूठ साबित होने लगे. विजेत के संग 3 महीने में ही पूजा जान चुकी थी कि विजेत रंगीनमिजाज का युवक है. उसे यह भी पता चला कि इसी रंगीनमिजाजी की वजह से उस के खिलाफ 2018 में नाबालिग लड़की से छेड़छाड़ के मामले में पोक्सो ऐक्ट का मामला थाने में कायम हुआ था. इस बात को ले कर दोनों के बीच मनमुटाव भी बढ़ने लगा. दोनों के बीच होने वाले झगड़े में नौबत मारपीट तक आ चुकी थी. पूजा के अरमानों का गला घोंटा जा रहा था. जब विजेत आए दिन पूजा के साथ मारपीट करने लगा तो परेशान हो कर 7 मार्च, 2021 को पूजा ने फोन कर के अपने भाई को बुला लिया.

धीरज पहले ही विजेत से खार खाए हुआ था, ऊपर से उस की बहन से वह मारपीट करने लगा तो गुस्से में आगबबूला हो कर वह पूजा को अपने घर शंकराघाट ले आया. पूजा के मायके आने के बाद विजेत बेचैन रहने लगा. अपने किए पर वह शर्मिंदा था, मगर धीरज के डर से वह उस के घर जा कर पूजा से नहीं मिल पा रहा था. विजेत पूजा से मिलने के लिए धीरज के घर के आसपास ही चक्कर लगाता रहता. 11 मार्च, 2021 की सुबह धीरज तिलवारा की ओर जा रहा था. इस दौरान उस ने देखा कि उस का जीजा विजेत उस के घर की ओर ही जा रहा है. उसे शक हुआ कि विजेत उस के घर जा कर पूजा को फिर से अपने साथ ले जा सकता है.

इसलिए वह घर वापस आ गया और छत पर बैठ कर निगरानी करने लगा. इसी दौरान उस ने देखा कि विजेत उस के घर के पीछे की झाडि़यों में खड़ा है. विजेत को वहां देख कर धीरज को गुस्सा आ गया. उस ने घर से धारदार हंसिया उठाया और विजेत के पीछे दौड़ा. धीरज को देख कर विजेत भागने लगा. विजेत बमुश्किल 500 मीटर ही भाग पाया होगा और खेतों के बीच मेड़ पर बेर के पेड़ के पास गिर गया. विजेत के जमीन पर गिरते ही धीरज ने उस पर हंसिया से ताबड़तोड़ 15 से 16 वार कर दिए. कुछ देर तक विजेत छटपटाता रहा. धीरज के सिर पर खून सवार था. उस ने विजेत कश्यप की गरदन हंसिया द्वारा धड़ से अलग कर दी.

इतने पर भी जब उस का गुस्सा शांत नहीं हुआ तो उस ने विजेत के हाथ का एक पंजा काट दिया. दूसरे पंजे को भी उस ने काटने का प्रयास किया, मगर वह कामयाब नहीं हुआ. इस के बाद विजेत के कटे सिर को ले कर पहले अपने घर आया. घर के एक कोने में कटे सिर को रखते हुए वह घर के अंदर दाखिल हुआ. उस ने अपनी बहन पूजा के पैर छूते हुए हुए कहा, ‘‘बहन मुझे माफ कर देना, विजेत तुझे भगा कर ले गया था, उस अपमान को तो मैं बरदाश्त कर गया. मगर कोई मेरी लाडली बहन के साथ मारपीट करे, यह बरदाश्त नहीं कर सकता. आज मैं ने उस का खेल खत्म कर दिया है.’’

पूजा धीरज की बातें सुन कर अवाक रह गई. जैसे ही उस की नजर बाहर की तरफ कोने में रखे कटे सिर की तरफ गई तो उस के मुंह से चीख निकल पड़ी. करीब जा कर उस ने अपने पति विजेत का कटा हुआ सिर देखा तो जमीन पर सिर पटकने लगी और पल भर में बेहोश हो गई. धीरज ने विजेत के कटे सिर व हंसिया को बोरीनुमा एक थैले में रख लिया और बाइक स्टार्ट कर 7 किलोमीटर दूर तिलवारा थाने पहुंच गया. 11 मार्च, 2021 को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जा रहा था. त्यौहार के मद्देनजर तिलवारा थाने के टीआई सतीश पटेल और ज्यादातर स्टाफ मंदिरों के आसपास सुरक्षा के लिए तैनात थे.

दोपहर के समय अचानक एक बाइक सवार युवक हाथ में एक थैला लिए थाने में दाखिल हुआ तो थाने में मौजूद एक पुलिसकर्मी की नजर उस पर पड़ी. बाइक पर आए युवक के कपड़े खून से सने हुए थे. पुलिसकर्मी ने उसे दूर से देखते ही पूछा, ‘‘कौन हो तुम? यहां किसलिए आए हो?’’

उस युवक ने अपने साथ लाए थैले को जमीन पर रखते हुए कहा, ‘‘साब, मेरा नाम धीरज शुक्ला है. बर्मन मोहल्ले का विजेत कश्यप मेरी बहन को भगा कर ले गया था. आज मैं ने उस का मर्डर कर दिया है. मुझे गिरफ्तार कर लीजिए. इस थैले में उस का सिर और हाथ का पंजा काट कर लाया हूं.’’

युवक की बात सुन कर थाने में मौजूद पुलिसकर्मी सकते में आ गए. उन्होंने देखा कि थैले में से खून की बूंदें टपक रही थीं. धीरज के हाथ से थैला लेते हुए जब पुलिसकर्मी ने देखा तो वह सकपका गया. तत्काल ही घटना की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी गई. टीआई सतीश पटेल को जैसे ही मामले की खबर मिली, वह तत्काल थाने आ गए. थाने में जब धीरज से पूछताछ की गई तो धीरज ने बताया कि विजेत ने दोस्ती में विश्वासघात कर के मेरी बहन को बहलाफुसला कर शादी की थी. इस अपमान का बदला लेने के लिए मैं ने उस की हत्या की है. मैं ठान चुका था कि या तो वो जीवित रहेगा या मैं.

टीआई तिलवारा पुलिस ने आरोपी धीरज की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल हंसिया और खून से सने उस के कपड़े आदि जब्त कर लिए. आरोपी की सूचना पर जब रामनगर इलाके के एक खेत में पहुंची तो वहां विजेत का धड़ पड़ा हुआ था. वहां पर विजेत के घर वाले और रिश्तेदारों की भीड़ लगी हुई थी. तिलवारा पुलिस ने लाश का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मैडिकल कालेज भिजवा दिया. इधर धीरज के घर से जाने के बाद उस की बहन पूजा को जैसे ही होश आया, वह दौड़ कर खेत की तरफ गई थी. वहां विजेत के बिना सिर के धड़ को देख कर उस के सब्र का बांध टूट चुका था.

उसे यकीन नहीं हो रहा था कि शादी के 3 महीने के भीतर ही उस के सारे ख्वाब किसी रेत के महल की तरह ढह गए हैं. शोक से व्याकुल वह अपने घर आई और एक कमरे में जा कर जोरजोर से रोने लगी. चीखपुकार सुन कर आसपास की महिलाएं उस के घर आ गईं तो पूजा की मां रोरो कर सब को घटना की जानकारी देने लगी. घंटे दो घंटे के बाद जब पूजा के रोने की आवाज कमरे से आनी बंद हुई तो उस की मां ने कमरे के अंदर जा कर देखा तो जोर से चीख पड़ी. चीख सुन कर पूजा के पिता दौड़ कर आए तो देखा कि पूजा पंखे से लटकी हुई थी. पूजा ने अपनी ओढ़नी का फंदा बना कर पंखे से लटक कर फांसी लगा ली थी.

पुलिस टीम को जैसे ही पूजा के फांसी लगाने की खबर मिली वह शंकराघाट में धीरज के घर पहुंच गई. पूजा को पंखे से उतार कर पुलिस जांचपड़ताल में लग गई . पुलिस को इस बात का शक हो रहा था कि कहीं धीरज ने विजेत से पहले पूजा की हत्या कर के पंखे से तो नहीं लटका दिया. फूटाताल में रहने वाले मृतक विजेत के ममेरे भाई और दूसरे रिश्तेदारों ने पुलिस के सामने यह आरोप लगाया कि पूजा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि उस की हत्या की गई है. उन का कहना था कि विजेत की हत्या करने के बाद धीरज ने पूजा को फांसी पर लटका दिया.

यह हत्या पूरी योजना बना कर की गई है, ताकि किसी को संदेह न हो. वह नहीं चाहते थे कि पूजा अपने भाई और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ गवाही दे. महाशिवरात्रि के धार्मिक उत्सव पर इस तरह की घटना होने से पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया था. जबलपुर रेंज के डीआईजी भगवत सिंह चौहान और एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा पूरी घटना पर नजर रखे हुए थे. वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर तिलवारा टीआई सतीश पटेल ने दोनों पक्षों को समझा कर पहले दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया, फिर शाम को पुलिस की मौजूदगी में पूजा और विजेत का अंतिम संस्कार अलगअलग स्थानों पर कराया. आईजी जबलपुर रेंज की ओर से तिलवारा थाने के टीआई सतीश पटेल की सूझबूझ के लिए पुरस्कृत किया गया.

पूजा और विजेत की प्रेम कहानी का दुखद अंत हो चुका था. पुलिस ने धीरज शुक्ला के इकबालिया बयान के आधार पर आईपीसी की धारा 302 के तहत विजेत की हत्या का मुकदमा कायम कर उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. रक्षा बंधन के दिन जिस भाई की कलाई पर राखी बांध कर बहन अपनी रक्षा का जिम्मा सौंपती थी, वही भाई बहन के प्यार का जानी दुश्मन बन गया. जातपांत की संकुचित विचारों की बेडि़यों में जकड़े भाई ने बहन की मांग का सिंदूर उजाड़ दिया, जिस के चलते बहन को मौत को गले लगाने मजबूर होना पड़ा. Real Crime Stories in Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Hindi Crime Story : पति के दोस्त की गर्दन कटर से काटकर मार डाला

Hindi Crime Story : कमल और पप्पन मिल कर गांजे की तसकरी करते थे. पप्पन का 2 लाख का माल पकड़ा गया और उसे जेल जाना पड़ा तो उसे शक हुआ कि कमल ने मुखबिरी की है. उस ने यह बात अपनी पत्नी रानी को भी बता दी. फिर रानी ने ऐसा दांव खेला कि कमल तब शिकार बना जब वह…

23 सिंतबर की शाम रात में बदलने को थी. विदिशा के सिविललाइंस थानाप्रभारी कमलेश सोनी रात के समय में अपने थाना क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद करने की कवायद में लगे थे. तभी उन के पास आए एक युवक ने जो जानकारी दी, वह चौंका देने वाली थी. युवक भोपाल का रहने वाला था, जिस के साथ उस की मां सविता सिंधी भी थाने आई थी. दोनों ने टीआई कमलेश सोनी को बताया कि उन के पति कमल सिंधी की हत्या कर दी गई है, जिस का शव हालाली कालोनी में एफसीआई गोदाम के पास रहने वाले पप्पन सिंधी के घर के अंदर पलंग में पड़ा है.

हत्या के मामले की ऐसी सूचना विरली ही होती है. आमतौर पर लाशें नदी, तालाबों या फिर सुनसान जगहों पर मिलती हैं. लेकिन यहां फरियादी खुद लाश के ठिकाने की जानकारी ले कर थाने आया था. बहरहाल, हत्या का ममला गंभीर होता है, सो टीआई सिविललाइंस कमलेश सोनी तत्काल पुलिस टीम के साथ हालाली कालोनी के लिए रवाना हो गए. हालाली कालोनी के उस मकान में लगभग 50 वर्षीय पप्पन सिंधी अपने परिवार के साथ रहता था. पुलिस ने घर के अंदर जा कर देखा. तलाशी ली तो पाया कि कमरे में पड़े पलंग के बौक्स के अंदर कमल सिंधी की लाश बुरी तरह खून से लथपथ हालत में पड़ी थी.

जाहिर है पलंग के बौक्स के अंदर तो उस का कत्ल किया नहीं गया होगा. बौक्स में उसे लाश छिपाने की गरज से डाला गया होगा. इसलिए मौके की बारीकी से जांच करने पर यह साफ हो गया कि फर्श से खून साफ करने की कोशिश की गई थी. यानी कमल की हत्या उसी मकान में की गई थी. सविता ने बताया कि यहां पप्पन की दूसरी पत्नी रानी, उस की बहन मोनिका और एक सहेली अंजलि के अलावा घर का नौकर अभिषेक लोधी रहता था. लेकिन उस वक्त सभी घर से लापता थे. जबकि खुद पप्पन को कुछ समय पहले ही विदिशा पुलिस ने 200 किलो गांजे के साथ पकड़ा था, इसलिए वह जेल में था.

मामला गंभीर था, इसलिए वारदात की सूचना पा कर एसपी विनायक वर्मा, एडिशनल एसपी संजय साहू और सीएसपी विकास पांडे भी एफएसएल की टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. जांच में सामने आया कि मृतक कमल का गला काटने के अलावा उस के सिर पर किसी भारी चीज से चोट की गई थी, जिस से उस का भेजा निकल कर बाहर आ गया था. शुरुआती पूछताछ में मृतक कमल की पत्नी सविता ने बताया कि वे लोग मूलरूप से भोपाल के बैरागड़ में रहते हैं. पप्पन और कमल गहरे दोस्त होने के कारण भाइयों की तरह रहते थे. पप्पन के जेल जाने के बाद कमल कभीकभी पप्पन की पत्नी रानी की मदद करने यहां आता था.

उस ने आगे बताया कि वे आज एक परिचित और अपने बेटे के साथ थाने द्वारा जब्त की गई अपनी गाड़ी सुपुर्दगी में लेने अदालत गए थे. कमल भी उन के साथ था. लेकिन दोपहर के समय कमल ने अचानक कहा कि उसे कुछ याद आ गया है. वह 10-15 मिनट में लौट आएगा. इस के बाद वह अदालत से अपनी कार ले कर कहीं चला गया था. जब कमल काफी देर तक वापस नहीं आया तो उन्होंने उसे फोन लगाया. इस पर कमल ने बताया कि रानी को कुछ पैसों की जरूरत है इसलिए वह पप्पन के घर आया हुआ है. कुछ देर में कोर्ट पहुंच जाएगा. हो चुका था कत्ल इस के बाद भी कमल घंटों बीत जाने पर वापस नहीं आया.

उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ हो गया तो कमल का बेटा अपने पिता की खबर लेने पप्पन के घर पहुंचा. पप्पन के घर पर कोई नहीं था लेकिन घर का दरवाजा खुला पड़ा था. जब वह अंदर पहुंचा तो उसे पलंग के बौक्स में अपने पिता का शव पड़ा मिला, जिस के बाद उस ने अपनी मां को खबर की. मामला अजीब था. लाश पप्पन के घर में मिली इसलिए यह तो लगभग साफ था कि हत्यारे भी इसी घर में मौजूद रहे होंगे. इसलिए शक पप्पन के परिवार वालों पर ही था. लेकिन हत्या करने के बाद लाश को यूं अधखुले पलंग के बौक्स में पटक कर बिना दरवाजा बंद किए भागने की बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी.

सब लोग मृतक की कार में ही बैठ कर फरार हुए थे, जिन की तलाश के लिए एसपी विनायक वर्मा ने एडिशनल एसपी संजय साहू, सीएसपी विकास पांडे और सिविल लाइंस टीआई कमलेश सोनी के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी. टीआई कमलेश सोनी ने जांच शुरू की तो पता चला कि पप्पन के जेल चले जाने के बाद घर में पप्पन की पत्नी रानी की छोटी बहन मोनिका भी उस के साथ आ कर रहने लगी थी. इस के अलावा रानी की एक युवा सहेली अंजलि भी ज्यादातर समय रानी के साथ उस के घर में ही रहती थी. पप्पन का एक नौकर था अभिषेक लोधी. अभिषेक मालिक के जेल जाने के बाद पूरी तरह इसी घर में रहने लगा था.

पूछताछ में टीआई सोनी को इस तरह के संकेत भी मिले द्भिद्बक अभिषेक का बर्ताव मालिक के जेल जाने के बाद घर के मालिक जैसा हो गया था. वहीं घर में रहने वाली रानी, मोनिका और अंजलि से मिलने के लिए कई युवकों का आनाजाना भी बना रहता था. जांच में सामने आया कि मृतक कमल खुद भी पहले पप्पन के साथ मिल कर नशीले पदार्थों की तसकरी का काम करता था. लेकिन पप्पन अकेला पकड़ा गया था. और उस के जेल जाने के बाद कमल अकसर रानी और उस की सहेली अंजलि से मिलने यहां आता रहता था. इन तमाम जानकारियों से टीआई सोनी समझ गए कि पूरे कुएं में भांग घुली है.

इसलिए उन्होंने आरोपियों की धरपकड़ के लिए अपनी टीम के साथ कुछ खास मुखबिर भी तैनात कर दिए, जिस से तीसरे दिन ही सभी आरोपी पकड़े गए. पकड़े गए लोगों में पप्पन की पत्नी रानी, रानी की बहन मोनिका एवं सहेली अंजलि, नौकर अभिषेक लोधी तथा अभिषेक के दोस्त सतीश मेहरा, मोहन उर्फ बिट्टू रघुवंशी और 2 अन्य नाबालिग भी पुलिस गिरफ्त में आ गए. इन के पास से पुलिस ने मृतक कमल की कार, हत्या में प्रयुक्त कटर और फावड़ा भी बरामद कर लिया. सभी आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल तथा अपाचारियों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया. जिस के बाद नशे और सैक्स

के काकटेल में डूबी यह कहानी इस प्रकार सामने आई. कमल सिंधी के बारे में बताया जाता है कि वह कभी पप्पन के साथ मिल कर गांजे की तसकरी किया करता था. पप्पन की 2 पत्नियां थीं, जिन में से रानी केवट अभी केवल 25 साल की थी, इसलिए वह अपनी इसी जवान पत्नी के साथ विदिशा की हलाली कालोनी में रहता था. पप्पन और कमल के संबंध कुछ समय पहले उस समय बिगड़े जब पप्पन को विदिशा पुलिस ने 2 क्विंटल गांजे के साथ गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में पप्पन तो जेल चला गया, लेकिन उसे शक था कि उस के खिलाफ कमल ने मुखबिरी की थी. इस से न केवल उस का लाखों का माल पकड़ा गया बल्कि उसे जेल भी जाना पड़ा था.

नफरत भी शारीरिक संबंध भी पप्पन को शक था तो फिर उस की पत्नी रानी भी कमल पर शक करने लगी, जिस से वह कमल से रंजिश रखने लगी थी. क्योंकि उस को लगता था कि उस के बुरे दिनों के लिए कमल ही जिम्मेदार है. लेकिन ये नफरत कुछ अलग किस्म की थी. बताया जाता है कि रानी कमल से नफरत तो करती थी, लेकिन साथ ही उस के साथ उस के अवैध संबंध भी बन गए थे. इसलिए कमल अकसर वक्त बिताने रानी के पास आया करता था. रानी काफी खुले विचारों की युवती थी. उस की दोस्ती अपनी जैसी कई युवतियों से थी. इसलिए पप्पन के जेल जाने के बाद रानी की छोटी बहन मोनिका और 20 साल की एक सहेली अंजलि ने रानी के घर को ही अपना ठिकाना बना लिया था.

इस बात का सब से बड़ा फायदा पप्पन का नौकर अभिषेक उठा रहा था. पप्पन के जेल जाने के बाद अपनी शारीरिक जरूरत पूरी करने के लिए रानी अभिषेक का उपयोग करने लगी थी. मालकिन से संबंध बनाने के बाद अभिषेक खुद भी मालिक की तरह बर्ताव करने लगा. मोनिका और अंजलि भी उसी नाव में सवार थीं, जिस में रानी सफर कर रही थी. इसलिए तीनों के बीच कोई परदा नहीं था. रात में रानी, मोनिका और अंजलि एक ही कमरे में सोती थीं, जहां एक कोने में रानी और अभिषेक अंजलि और मोनिका के सामने खुलेआम अपनी कामलीला करते थे. जिस के चलते कभीकभी लाइव शो में इन दोनों के साथ अंजलि भी शामिल हो जाती थी.

कुल मिला कर रानी के घर नौकरी करते हुए अभिषेक की पांचों अंगुलियां घी में थीं. क्योंकि नशे के काले कारोबार में पप्पन ने खूब पैसा कमाया था सो उस के जेल जाने के बाद भी रानी के ऐश में कोई कमी नहीं आई थी. लेकिन पैसा कब तक चलता. रानी, उस की बहन तथा सहेली और अभिषेक चारों मिल कर रोज दारूमुर्गा की दावत उड़ाते थे. इसलिए कुछ ही समय में रानी को पैसों की तंगी होने लगी. रानी अकसर जेल में बंद अपने पति से मिलने जाया करती थी, इसलिए उस ने जब यह बात पप्पन को बताई तो उस ने कहा कि उस ने कमल के कहने पर उस के एक आदमी को बड़ी रकम दी है. इसलिए कमल को बोलो वह उस से पैसा वापस ला कर तुम्हें दे.

रानी और कमल में तो खास किस्म की दोस्ती भी थी, इसलिए रानी को लगा कि कमल उस की मदद करेगा. उस ने कमल को पप्पन की कही बात बता कर पैसा वापस मांगा. कमल ने जिसे पैसा दिलवाया था, वह अब पैसा नहीं लौटा रहा था या पैसों को ले कर कमल के मन में पाप आ गया था, जो भी हो रानी को वह पैसा नहीं मिल पा रहा था. लेकिन ऐसा भी नहीं कि कमल रानी की मदद नहीं कर रहा था. कभीकभी वह घर आ कर कुछ पैसे दे जाता था. लेकिन रानी जानती थी कि कमल जितने पैसे दे कर जाता था, उस से कहीं ज्यादा का वह ऐश भी कर लेता था.

कमल रानी की 20 साल की सहेली अंजलि का तो दीवाना हो गया था जो शराब पी कर प्राय: रानी के घर में ही पड़ी रहती थी. इसलिए कमल की हरकतों से तंग आ चुकी रानी उस पर बारबार पैसों के लिए दबाव बनाने लगी. लेकिन जब उस ने देखा कि कमल पैसा देना नहीं चाहता तो उस ने कमल को खत्म करने की योजना बना कर अभिषेक को इस काम के लिए और लड़कों की मदद लेने को कहा. रानी जानती थी कि कमल शारीरिक रूप से बेहद मजबूत है. उसे काबू करना उन 3 लड़कियों और एकमात्र पुरुष अभिषेक के वश की बात नहीं थी.अभिषेक रानी का गुलाम जैसा था जो दिनरात सेवा करने के अलावा रानी के इशारे पर उस की शारीरिक जरूरत भी पूरी करता था.

इसलिए उस ने अपने दोस्त सतीश मेहरा, मोहन उर्फ बिट्टू रघुवंशी तथा 2 नाबालिग दोस्तों से बात की. इन सभी को यह बात पता थी कि अभिषेक अपनी मालकिन और उस की सहेली के साथ ही सोता है, इसलिए चारों ने एक स्वर में कहा कि इस से उन्हें क्या फायदा होगा. इस पर अभिषेक ने चारों से वादा कर लिया कि काम पूरा होने के बाद वह अंजलि के साथ सभी को एकएक बार ऐश करवा देगा. अंजलि चारों को पसंद थी, इसलिए वे कमल की हत्या में उस का साथ देने के लिए राजी हो गए. इस के बाद रानी ने 23 सिंतबर को कमल का फाइनल हिसाब करने की योजना बना कर दोपहर में उसे फोन लगाया कि उसे कुछ पैसों की सख्त जरूरत है.

उस समय कमल अपनी पत्नी सविता और बेटे के साथ कोर्ट में था, इसलिए वह कुछ देर में लौट कर आने की बात कह कर कोर्ट से अपनी कार ले कर सीधे पप्पन के घर पहुंच गया. कमल की हत्या की तारीख तय हो चुकी थी, इसलिए अभिषेक लोधी पहले से ही अपने चारों दोस्तों को ले कर मकान के ऊपर बन रही मंजिल पर छिप कर बैठा था. जबकि नीचे अंजलि उसे अपने साथ बिस्तर पर ले जाने को तैयार बैठी थी. दरअसल, योजना यही थी कि कमल के आने पर अंजलि उसे अपने साथ बिस्तर पर ले जाएगी और जब कमल पूरी तरह निर्वस्त्र होगा तब बाकी के लोग मिल कर उस की हत्या कर देंगे. कमल पप्पन के घर पहुंचा तो वहां अंजलि और मोनिका के साथ रानी नीचे वाले हिस्से में मौजूद थी. रानी ने कमल से मीठीमीठी बातें कीं और चाय बनाने अंदर चली गई.

चूंकि रानी के घर में किसी तरह का परदा नहीं चलता था, सब एकदूसरे के सामने ही खुलेआम ऐश करते थे. इसलिए जब रानी अंदर चाय बनाने गई तो कमल रानी की छोटी बहन मोनिका के सामने ही अंजलि को ले कर बिस्तर में घुस गया. ऐसे वक्त पर की हत्या अंजलि को पहले ही पता था कि आज कमल को मदहोश करना है, इसलिए वह कमल के साथ जल्द ही गहरी सांसें लेने लगी तो कमल भी पागलों की तरह जल्द से जल्द अपना सफर पूरा करने की कोशिश करने लगा. इसी बीच रानी चाय ले कर बाहर आ गई. उस ने कमल को अंजलि के साथ बुरी तरह हांफते देखा तो वह समझ गई कि अब कमल अंजलि के नशे से जल्द बाहर निकल आएगा.

इसलिए वह चुपचाप कटर ले कर उस बिस्तर पर चढ़ी, जिस पर कमल और अंजलि आपस में गुंथे हुए थे और मौका देख कर उस ने एक झटके में कमल की गरदन कटर से रेत दी. चूंकि उत्तेजना में डूबा कमल उस समय गहरी सांसें ले रहा था, इसलिए गला कटते ही सांस के साथ निकले खून के फव्वारे से अंजलि बुरी तरह भीग गई. इधर गले पर कटर चलते ही कमल समझ गया कि रानी का इरादा ठीक नहीं है, इसलिए गरदन में गहरा घाव होने के बाद भी वह उसी अवस्था में पीछे के दरवाजे की तरफ भागा जो गली में खुलता था. कमल गली से हो कर भागना चाहता था, लेकिन रानी ने उसे मौका नहीं दिया और उस के दरवाजे तक पहुंचने से पहले ही उस पर टूट पड़ी.

यह देख कर उस ने अभिषेक और उस के साथियों को नीचे बुला लिया जो मकान के काम के लिए रखे फावड़े ले कर नीचे आए और सभी ने मिल कर कमल के सिर पर फावड़ों से वार करना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में कमल का भेजा सिर से बाहर आ गया और उस की मौत हो गई. यही रानी और उस की टीम चाहती थी. इसलिए कमल की मौत पर सब ने एकदूसरे को बधाई दी. अब लाश को ठिकाने लगाने की जरूरत थी. इस के लिए रात का वक्त तय किया गया. जिस के बाद कमल के शव को पलंग के बौक्स के अंदर पटक कर उन्होंने फर्श पर पड़ा खून साफ किया और फिर रात में लौट कर आने की योजना बना कर सभी वहां से निकल गए.

लेकिन इस से पहले कि वे रात में आ कर कमल की लाश ठिकाने लगाते, सविता की रिपोर्ट पर सिविल लाइन टीआई कमलेश सोनी वहां पहुंच चुके थे. सभी आरोपी फरार हो गए लेकिन एसपी विनायक वर्मा, एडिशनल एसपी संजय साहू और सीएसपी विकास पांडेय के नेतृत्व में सिविल लाइन थाना टीआई कमलेश सोनी की टीम ने 2 नाबालिग आरोपियों सहित सभी 8 आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया. hindi crime story

 

UP News : पत्रकार आशु यादव हत्याकांड – बेवफा प्रेमिका निकली कातिल की मास्टरमाइंड

UP News : बहकी हुई महिला के कदम अकसर किसी अपराध को जन्म देते हैं. एक पुलिसकर्मी की बेटी दीपिका शुक्ला ने पति बल्ली शुक्ला और 2 बेटियों को छोड़ कर अवनीश शर्मा से शादी कर ली. इस के बाद हिस्ट्रीशीटर और कथित पत्रकार आशू यादव से उस के अनैतिक संबंध हो गए. फिर वह अमित के संपर्क में आई. इस का नतीजा यह हुआ कि…

2 जनवरी, 2021 की सुबह धर्मेंद्र नगर, कच्ची बस्ती के कुछ लोग मार्निंग वाक पर निकले तो उन्होंने सीटीआई नहर किनारे सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की बाउंड्री वाल के पास एक लावारिस कार खड़ी देखी. स्थानीय लोगों में चर्चा शुरू हुई, तो लोगों की भीड़ जुट गई. इसी बीच किसी ने फोन कर के थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने कार का बारीकी से निरीक्षण किया. कार के शीशों पर काली फिल्म चढ़ी थी, जिस से अंदर का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था.

कार के पिछले शीशे पर एक स्टिकर चिपका था, जिस पर लिखा था ‘अमर स्तंभ हिंदी दैनिक समाचार पत्र’ आशू यादव संवाददाता. स्टिकर पर ‘पुलिस’ और मोबाइल नंबर भी लिखा था. हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कार किसी पत्रकार की हो सकती है. उन्होंने स्टिकर पर लिखा मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन वह बंद था. कार के अंदर की स्थिति को जानने के लिए हरमीत सिंह ने कार का पिछला दरवाजा खोला, तो वह सहम गए. पिछली सीट पर एक युवक की लाश पड़ी थी. हरमीत सिंह ने लावारिस कार से शव बरामद होने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो मौके पर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल, एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा सीओ (गोविंद नगर) विकास कुमार पांडेय आ गए.

पुलिस अधिकारियोें ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से कार तथा शव का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे और गले पर रगड़ का निशान था. इस से अनुमान लगाया कि युवक की हत्या रस्सी से गला घोंट कर की गई होगी. हत्या से पहले संभवत: उस के साथ मारपीट भी की गई थी. फोरैंसिक टीम ने कार से फिंगरप्रिंट लिए तथा अन्य साक्ष्य जुटाए. कार की तलाशी में शराब की एक खाली बोतल, 4 शिकायती पत्र, 2 माइक, आगे की सीट के नीचे प्लास्टिक बैग में 2 टेडीबियर, कोटी, फोटो लगे कई स्टिकर तथा मृतक की जेब से 300 रुपए बरामद हुए. इस सामान को पुलिस ने जाब्ते में ले लिया.

अब तक शव को सैकड़ों लोग देख चुके थे, लेकिन कोई उस की पहचान नहीं कर पाया था. जिस से पुलिस अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि मृतक आसपास का नहीं है. अत: उन्होंने शव की पहचान कराने के लिए कानपुर शहर के सभी थानों को कंट्रोलरूम से अज्ञात लाश मिलने के संबंध में सूचना प्रसारित करा दी. कुछ देर बाद ही थाना रेलबाजार के थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को सूचना दी कि उन के थाने में आशू यादव नाम के युवक की गुमशुदगी दर्ज है, जो कथित पत्रकार तथा हिस्ट्रीशीटर है. चूंकि कार में लगे पोस्टर में भी आशू यादव का नाम छपा था, अत: एसपी अग्रवाल ने दधिबल तिवारी को आदेश दिया कि वह आशू के घरवालों को साथ ले कर जल्द ही धर्मेंद्र नगर कच्ची बस्ती स्थित नहर की पटरी पर पहुंचें.

आदेश पाते ही दधिबल तिवारी ने आशू यादव के घरवालों को सूचना दी, फिर उन्हें साथ ले कर वहां पहुंच गए. घरवालों ने कार में पड़े शव को देखा तो वे फफक कर रो पड़े. कंचन, शानू, धर्मेंद्र तथा जितेंद्र ने बताया कि शव उन के भाई आशू यादव का है. कार भी उसी की है. रात से लापता था मृतक की बहन शानू व कंचन ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे किसी का फोन आने पर आशू अपनी कार ले कर घर से निकला था, फिर रात को वापस नहीं आया. आशू अपने पास 3 मोबाइल फोन रखता था. सुबह हम लोगों ने उस के तीनों नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन तीनों नंबर बंद थे.

इस के बाद हम लोग उस की खोज में जुट गए. चिंता इसलिए भी बढ़ गई थी कि पहली जनवरी को उस का जन्मदिन था. अपना जन्मदिन वह धूमधाम से मनाता था और दोस्तों को बुलाता था. लेकिन उस का कुछ पता नहीं चल रहा था. दिन भर खोजने के बाद जब उस का कुछ भी पता नहीं चला तो उन्होंने शाम को थाना रेलबाजार जा कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी. बहन कंचन ने यह भी बताया कि आशू गले में सोने की चेन तथा दोनों हाथों में सोने की 6 अंगूठियां पहने हुआ था. हत्यारों ने उस के तीनों मोबाइल, चेन तथा अंगूठियां लूट ली हैं. चूंकि शव की शिनाख्त हो गई थी. अत: पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया.

आशू यादव की गुमशुदगी थाना रेलबाजार में दर्ज थी, अत: थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने मृतक की बहन कंचन की ओर से भादंवि की धारा 364/302/201/120बी के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने मृतक आशू यादव के भाई धर्मेंद्र यादव से घटना के संबंध में पूछताछ की. पूछताछ में धर्मेंद्र ने बताया कि उस का भाई आशू हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘अमर स्तंभ’ में काम करता था. कुछ समय पहले उस ने क्षेत्रीय पार्षद मधु के पति राजू सोनकर व उन के बेटों के कारनामोें के खिलाफ समाचार छापा था, जिस पर राजू ने झगड़ा किया था और उस के बेटे अति व सोनू सोनकर ने आशू को जान से मारने की घमकी दी थी. आशू की हत्या में इन्हीं लोगों का हाथ है.

संदेह के आधार पर पुलिस ने राजू व उस के बेटों से पूछताछ की. लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. अत: पूछताछ के बाद उन्हें थाने से घर भेज दिया गया. चूंकि मामला एक कथित पत्रकार व हिस्ट्रीशीटर की हत्या का था. अत: एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने इस ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझाने के लिए तीन टीमों का गठन किया. इन तीनों टीमों को एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल व एसपी (साउथ) दीपक भूकर के निर्देशन में काम करना था. इन टीमों में इंसपेक्टर (नौबस्ता) सतीश कुमार सिंह, इंसपेक्टर (बर्रा) हरमीत सिंह, इंसपेक्टर (रेलबाजार) दधिबल तिवारी, सीओ (गोविंदनगर) विकास कुमार पांडेय तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

पुलिस की तीनों टीमों ने अलगअलग जांच शुरू की. आशू यादव 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे अपने घर खपरा मोहाल से निकला था और उस के मोबाइल फोन की आखिरी लोकेशन 31 दिसंबर की रात 2:37 बजे मसवानपुर की मिली थी. मिलने लगे सबूत पुलिस की एक टीम ने खपरा मोहाल से घंटाघर, जरीब चौकी, विजय नगर व मसवानपुर तक रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तथा दूसरी टीम ने दूसरे रोड की फुटेज को खंगाला, जिस में आशू की कार मसवानपुर जाते समय फजलगंज व विजयनगर चौराहे पर जाते समय तो दिखी पर लौटते समय दिखाई नहीं दी.

जाहिर था कि हत्या के बाद हत्यारे आशू की कार को किसी दूसरे रूट से लाए थे और धर्मेंद्र नगर स्थित नहर पटरी पर कार को खड़ा कर दिया था. सर्विलांस टीम ने मृतक आशू के तीनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि 31 दिसंबर की देर रात आशू के मोबाइल फोन पर आखिरी काल एक महिला की आई थी. वह महिला सीतापुर में रहने वाली शालिनी थी. पुलिस जब उस के पते पर पहुंची तो पता चला कि उस फोन नंबर का इस्तेमाल मसवानपुर निवासी दीपिका शुक्ला कर रही थी.

टीम ने दीपिका के संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह शातिर अपराधी है. शिवली, सचेंडी व कोहना थाने में उस के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं. नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में वह पति के साथ जेल गई थी और अब जमानत पर थी. सर्विलांस टीम ने उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो हिस्ट्रीशीटर अमित गुप्ता के बारे में जानकारी मिली. अमित गुप्ता के फोन की डिटेल्स के जरिए टीम को उस के 2 साथियों जूहीलाल कालोनी निवासी किशन वर्मा व सचिन वर्मा की जानकारी मिली. अमित के मोबाइल फोन पर 31 दिसंबर की रात 2:08 बजे एक मैसेज भेजा गया था, जिस में लिखा था- ‘बुला लो भाई उस को, आज हो जाएगा काम.’ जांच से पता चला कि जिस नंबर से मैसेज भेजा गया था, वह किशन का था.

पुख्ता सबूत मिलने के बाद पुलिस की संयुक्त टीमों ने 3 जनवरी, 2021 की रात 11 बजे किशन वर्मा व सचिन वर्मा के जूही लाल कालोनी स्थित घर से दोनों को गिरफ्तार कर लिया. उन दोनों को थाना रेलबाजार लाया गया. थाने में जब किशन व सचिन वर्मा से आशू यादव की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे टूट गए और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उन दोनों की निशानदेही पर पुलिस टीमों ने मसवानपुर स्थित दीपिका के घर छापा मारा. लेकिन दीपिका और अमित फरार हो चुके थे. दीपिका के घर से पुलिस ने वह रस्सी बरामद कर ली, जिस से आशू का गला घोंटा गया था.

पूछताछ में आरोपी किशन वर्मा व सचिन ने बताया कि आशू की हत्या प्रेम त्रिकोण में की गई थी. आशू व अमित दोनों का दीपिका से नाजायज रिश्ता था. अमित को आशू और दीपिका की नजदीकियां पसंद नहीं थीं, इसलिए उस ने दीपिका के साथ मिल कर आशू को मौत की नींद सुला दिया. रुपयों के लालच में उन दोनों ने भी अमित का साथ दिया. हत्या मसवानपुर स्थित दीपिका के घर की गई थी. 4 जनवरी, 2021 को रेलबाजार थाना प्रभारी दधिबल तिवारी ने आशू यादव की हत्या का खुलासा करने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल, एसपी (साउथ) दीपक भूकर ने पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की. एसएसपी ने केस का खुलासा करने वाली टीम को 25 हजार रुपया ईनाम देने की भी घोषणा की.

चूंकि आशू यादव की हत्या का मुकदमा रेलबाजार थाने में पहले से अज्ञात में दर्ज था. अत: खुलासा होने के बाद थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने इस मामले में 4 आरोपी दीपिका शुक्ला, अमित गुप्ता, किशन वर्मा व सचिन वर्मा को नामजद कर दिया. 2 आरोपी दीपिका व अमित फरार थे. आरोपियों से पूछताछ में प्रेम त्रिकोण में हुई हत्या का सनसनीखेज खुलासा हुआ. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के थाना रेलबाजार के अंतर्गत एक मोहल्ला है-खपरा मोहाल. इसी मोहल्ले के मकान नंबर डी-19 में छोटे सिंह यादव रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मालती के अलावा 3 बेटे धर्मेंद्र, जितेंद्र, आशू तथा 2 बेटियां शानू व कंचन थीं. छोटे सिंह की जनरल स्टोर की दुकान थी. उसी की आमदनी से परिवार का भरणपोषण होता था.

3 भाइयों में आशू यादव मंझला था. छोटे सिंह का पूरा परिवार आपराधिक प्रवृत्ति का था. आशू का भाई धर्मेंद्र व चाचा बड़े यादव रेलबाजार थाने के हिस्ट्रीशीटर थे. आशू भी अपने घरवालों की राह पर चल पड़ा. यद्यपि वह पढ़ालिखा व तेजतर्रार था. आशू ने अपराध जगत से नाता जोड़ा तो उस ने अपने चाचा व भाइयों को भी पीछे छोड़ दिया. कुछ समय बाद ही उस पर थाना रेलबाजार, छावनी, फीलखाना समेत अन्य थानों में एनडीपीएस ऐक्ट, शस्त्र अधिनियम, गुंडा अधिनियम, रंगदारी, अपहरण समेत अन्य संगीन धाराओं के 10 मुकदमे दर्ज हो गए. वह रेलबाजार थाने का हिस्ट्रीशीटर बन गया.

आशू यादव ने पुलिसकर्मी राकेश कुमार की बेटी ज्योति से लवमैरिज की थी. राकेश कुमार उन दिनों कानपुर शहर के हरवंश मोहाल थाने में तैनात थे. उन का परिवार भी साथ रहता था. इसी दौरान आशू की मुलाकात ज्योति से हुई. दोनों में प्रेम संबंध बने, फिर ज्योति ने घरवालोें की मरजी के खिलाफ आशू से प्रेम विवाह कर लिया. ज्योति के 7 वर्षीय बेटा शुभ तथा 5 वर्षीया बेटी सोनाक्षी हैं. हिस्ट्रीशीटर बन गया पत्रकार आशू यादव बड़ी ही शानोशौकत से रहता था. अवैध कमाई से उस ने कार भी खरीद ली थी. वह शातिर दिमाग था.

पुलिस से बचने के लिए उस ने हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘अमर स्तंभ’ में काम करना शुरू कर दिया था. उस ने अपनी कार पर भी अमर स्तंभ का स्टिकर लगा लिया था. शासनप्रशासन के अधिकारियों से वह पत्रकार के रूप में ही मिलता था. पत्रकारिता की आड़ में वह जायजनाजायज काम करने लगा था. लोगों से धन वसूली भी करता था. सन 2019 में आशू यादव किसी मामले में जेल गया तो वहां उस की मुलाकात मोती मोहाल निवासी अमित गुप्ता व कल्याणपुर निवासी अवनीश कुमार शर्मा से हुई. तीनों एक ही बैरक में थे. अमित शातिर अपराधी था. उस ने रुपए व जेवर हड़पने के लिए कल्याणपुर निवासी बुआ बिट्टो, फूफा पवन गुप्ता तथा बिट्टो की सास रानी की हत्या कर दी थी.

पकड़े जाने के बाद अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. अवनीश कुमार शर्मा नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में जेल में था. चूंकि तीनों शातिर अपराधी थे, अत: उन के बीच दोस्ती हो गई. अवनीश शर्मा की ही पत्नी का नाम दीपिका शुक्ला था. वह भी पति के अवैध कारोबार में हाथ बंटाती थी. दीपिका मूलरूप से शिवली थाने के गांव भीखर की रहने वाली थी. उस के पिता अशोक चतुर्वेदी मुंबई पुलिस में हवलदार थे. रिटायर होने के बाद उन की मुजफ्फरनगर में हत्या कर दी गई थी. कुछ दिनों बाद मां की भी मौत हो गई. उस के बाद सन 2002 में दीपिका ने शिवली थाने के बैरी सवाई गांव निवासी बल्ली शुक्ला उर्फ हरीराम शुक्ला से शादी कर ली.

बल्ली शुक्ला से दीपिका ने 2 बेटियों को जन्म दिया. बल्ली शुक्ला के पड़ोस में अवनीश शर्मा रहता था. उस का बल्ली शुक्ला के घर आनाजाना था. घर आतेजाते अवनीश शर्मा ने दीपिका को अपने प्यार के जाल में फंसा लिया. वर्ष 2016 में अवनीश की दीवानी दीपिका 2 बेटियों को छोड़ कर अवनीश के साथ भाग गई. अवनीश कल्याणपुर में रहता था और नकली शराब बनाता व बेचता था. दीपिका भी अवनीश के साथ नकली शराब बनाने व बेचने का काम करने लगी. उस ने कई शराब तस्करों से अपने संबंध मजबूत कर लिए और उन के मार्फत शिवली, सचेंडी, घाटमपुर तथा कानपुर में नकली शराब बेचने लगी थी.

सन 2017 में नकली व जहरीली शराब पीने से घाटमपुर व सचेंडी में 17 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में वह अवनीश के साथ पहली बार जेल गई. उस के बाद सन 2019 में कोहना तथा शिवली थाने से भी नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में जेल गई. कोहना थाने से उसे गैंगस्टर ऐक्ट में जेल भेजा गया था. इस मामले में उसे जून 2020 में जमानत मिली और वह बाहर आ गई. आशू यादव जब जेल से बाहर आया तो उस ने दीपिका से मुलाकात की. मुलाकातें प्यार में बदलीं, फिर दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया. दीपिका उस की कार में घूमने लगी तथा उस के घर भी जाने लगी. आशू उस की आर्थिक मदद भी करने लगा.

इधर आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे अमित गुप्ता को सितंबर 2020 में पैरोल मिल गई. अमित पैरोल पर बाहर आ रहा था, तो अवनीश ने उस से कहा कि वह उस की पत्नी दीपिका का खयाल रखे तथा उसे भी जेल से बाहर निकलवाने की कोशिश करे. कपड़ों की तरह बदलती रही प्रेमी अमित ने जेल से बाहर आ कर दीपिका से संपर्क किया. कुछ दिनों में ही दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. वह दीपिका को ले कर अपने घर मोतीमोहाल पहुंचा. अमित के घरवालों ने दीपिका को घर में रखने की इजाजत नहीं दी. इस पर वह दीपिका को ले कर मसवानपुर में अनिल शुक्ला के मकान में किराए पर रहने लगा. दिखावे के लिए उस ने बाजार में कपड़े की दुकान खोल ली.

दीपिका के साथ रहते अमित को पता चला कि दीपिका के उस के दोस्त आशू यादव से पहले से ही नाजायज संबंध हैं. यह बात अमित को नागवार लगी और उस ने आशू को मिटाने की ठान ली. उस ने दीपिका से साथ देने को कहा तो वह आनाकानी करने लगी. इस पर अमित ने दीपिका को धमकी दी कि वह साथ नहीं देगी तो वह आशू और उस के नाजायज रिश्तों की बात उस के पति अवनीश को बता देगा. इस धमकी से दीपिका डर गई और वह अमित का साथ देने को राजी हो गई. इस के बाद अमित ने दीपिका के साथ मिल कर आशू के कत्ल की योजना बनाई और अपनी योजना में दोस्त किशन वर्मा व सचिन वर्मा को भी पैसों का लालच दे कर शामिल कर लिया.

योेजना के तहत 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे दीपिका ने आशू के मोबाइल फोन पर काल की और जन्मदिन की बधाई दी. साथ ही घर आने तथा मौजमस्ती करने का आमंत्रण भी दिया. इस के बाद आशू सजसंवर कर अपनी कार से दीपिका के घर मसवानपुर पहुंच गया. जन्मदिन की खुशी में दीपिका ने उसे खूब शराब पिलाई. आशू जब नशे में धुत हो गया तभी अमित अपने साथियों किशन व सचिन के साथ घर आ गया. दोनों ने आशू को दबोच लिया और खूब पिटाई की. फिर अमित व दीपिका ने मिल कर रस्सी से आशू का गला घोंट दिया. इस बीच दीपिका ने आशू के 3 मोबाइल फोन कब्जे में ले कर स्विच्ड औफ कर दिए तथा आशू के गले से सोने की चेन तथा दोनों हाथों से सोने की 6 अंगूठियां उतार लीं.

इस के बाद सब ने मिल कर आशू के शव को उस की कार में रखा और कार बर्रा थाना क्षेत्र के धर्मेंद्र नगर कच्ची बस्ती ला कर नहर की पटरी पर खड़ी कर दी. उस के बाद वे सब फरार हो गए. थाना रेलबाजार पुलिस ने अभियुक्त किशन वर्मा व सचिन वर्मा से पूछताछ के बाद उन्हें 4 जनवरी, 2021 को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मुख्य आरोपी अमित गुप्ता तथा दीपिका शुक्ला फरार थीं. पुलिस सरगरमी से उन की तलाश में जुटी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP News : भतीजे संग रंगे हाथों पकड़ी गई पत्नी को मारकर पंखे में लटकाया

UP News : पारिवारिक रिश्ते और मानमर्यादाएं परिवार को बांधने और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन 2 बच्चों की मां सुमन ने इन रिश्तों को इस तरह तारतार किया कि…

महेंद्र सिंह को पिछले कुछ दिनों से अजय का अपने घर में आनाजाना ठीक नहीं लग रहा था. वह आता था तो उस की पत्नी सुमन उस से कुछ ज्यादा ही घुलमिल कर बातें करती थी. वैसे तो अजय उस के भाई का ही बेटा था, लेकिन महेंद्र सिंह को उस के लक्षण कुछ ठीक नहीं लग रहे थे. अजय जब महेंद्र सिंह की मानसिक परेशानी का कारण बनने लगा तो एक दिन उस ने सुमन से पूछा कि अजय क्यों बारबार घर के चक्कर लगाता है. इस पर सुमन ने तुनकते हुए कहा, ‘‘अजय तुम्हारे भाई का बेटा है. वह आता है, तो क्या मैं इसे घर से निकाल दूं?’’

महेंद्र सिंह को सुमन की बात कांटे की तरह चुभी तो लेकिन उस के पास सुमन की बात का जवाब नहीं था. वह चुप रह गया. महेंद्र सिंह कानपुर शहर के बर्रा भाग 6 में रहता था. वह मूलरूप से औरैया जिले के कस्बा सहायल का रहने वाला था. वह अपने भाइयों में सब से छोटा था. उस से बड़े उस के 2 भाई थे— मानसिंह और जयसिंह. सब से बड़े भाई मानसिंह के 2 बेटे थे अजय सिंह और ज्ञान सिंह. ज्ञान सिंह की शादी हो गई थी. अजय सिंह अविवाहित था. महेंद्र सिंह की शादी जिला कन्नौज के कस्बा तिर्वा निवासी नरेंद्र सिंह की बेटी सुमन के साथ हुई थी. नरेंद्र के 2 बच्चे थे सुमन और गौरव. लाडली और बड़ी होने की वजह से सुमन शुरू से ही जिद्दी स्वभाव की थी. वह जो ठान लेती, वही करती.

शादी हो कर सुमन जब ससुराल आई, तो उसे ससुराल रास नहीं आई. चंद महीने बाद ही वह पति के साथ कानपुर आ कर रहने लगी. सुमन का पति महेंद्र सिंह दादानगर स्थित एक फैक्ट्री में सुरक्षागार्ड की नौकरी करता था. उस की आमदनी सीमित थी. इस के बावजूद सुमन फैशनपरस्त थी. वह अपने बनावशृंगार पर खूब खर्च करती थी. लेकिन शुरूशुरू में जवानी का जुनून था, इसलिए महेंद्र सिंह ने इन सब पर ध्यान नहीं दिया था. उसे तो बस उस की अदाएं पसंद थीं. समय के साथ सुमन ने पूजा और विभा 2 बेटियों को जन्म दिया. शादी के कुछ समय बाद ही महेंद्र सिंह महसूस करने लगा था कि उस की पत्नी उस के साथ संतुष्ट नहीं है.

दरअसल, सुमन नरेंद्र सिंह की एकलौती बेटी थी और अपनी शादी के बारे में बड़ेबड़े ख्वाब देखा करती थी. लेकिन उस के पिता ने उस की शादी एक साधारण सुरक्षा गार्ड से कर दी थी, जिस से उस के सारे अरमान चूरचूर हो गए थे. और वह बच्चों और चौकेचूल्हे में उलझ कर रह गई थी. फिर भी जिंदगी की गाड़ी जैसेतैसे चलती रही. कहानी ने मान सिंह के बड़े बेटे ज्ञान सिंह की शादी के बाद एक नया मोड़ लिया. ज्ञान सिंह की शादी के मौके पर सुमन ने महसूस किया कि अजय उस का कुछ ज्यादा ही खयाल रख रहा है. वह खाने की थाली ले कर सुमन के पास आया और उस के सामने टेबल पर रखते हुए बोला, ‘‘यहां बैठ कर खाओ चाची.’’

सुमन मुसकरा कर थाली अपनी ओर खिसकाने लगी, तो अजय भी उस की ओर देख कर मुसकराते हुए चला गया. थोड़ी देर बाद वह वापस लौटा तो उस के हाथों में दूसरी थाली थी. वह सुमन के पास ही बैठ कर खाना खाने लगा. खाना खातेखाते दोनों के बीच बातों का सिलसिला जुड़ा, तो अजय बोला, ‘‘चाची तुम सुंदर भी हो और स्मार्ट भी. लेकिन चाचा ने तुम्हारी कद्र नहीं की.’’

अजय सिंह ने यह कह कर सुमन की दुखती रग पर हाथ रख दिया था. ज्ञान सिंह की बारात करीब के ही गांव में जानी थी. शाम को रिश्तेदार व परिवार के लोग बारात में चले गए. लेकिन अजय बारात में नहीं गया. उसी रात जब दरवाजे पर दस्तक हुई, तो सुमन ने दरवाजा खोला. दरवाजे पर अजय खड़ा था. सुमन ने हैरानी से पूछा, ‘‘तुम… बारात में नहीं गए. यहां कैसे?’’

दरवाजा खुला था, अजय सिंह अंदर आ गया तो सुमन ने दरवाजा बंद कर दिया. सुमन की आंखें तेज थीं. उस ने अजय की आंखों की भाषा पढ़ ली.

‘‘चाची, मुझे तुम से कुछ कहना है. बहुत दिनों से सोच रहा हूं, पर मौका ही नहीं मिल पा रहा था. आज अच्छा मौका मिला, इसलिए मैं बारात में नहीं गया.’’ अजय ने कमरे में पड़े पलंग पर बैठते हुए कहा.

‘‘ऐसी क्या बात है, जिस के लिए तुम्हें मौके की तलाश थी?’’ सुमन ने पूछा, तो अजय तपाक से बोला,‘‘चाची आया हूं तो मन की बात कहूंगा जरूर. तुम्हें बुरा लगे या अच्छा. दरअसल बात यह है कि तुम मेरे मन को भा गई हो और मैं तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

‘‘प्यार…’’ सुमन ने अजय को गौर से देखा.

आज वह पहले वाला अजय नहीं था, जिसे वह बच्चा समझती थी. अजय जवान हो चुका था. पलभर के लिए सुमन डर गई. उस ने कभी नहीं सोचा था कि वह उस से ऐसा भी कुछ कह सकता है.

‘‘अजय, तुम यहां से जाओ, अभी इसी वक्त.’’ सुमन ने सख्ती से कहा, तो अजय ने पूछा, ‘‘चाची क्या तुम मेरी बात का बुरा मान गईं. मैं ने तो मजाक में कहा था.’’

‘‘अजय, मैं ने कहा न जाओ यहां से.’’ डांटते हुए सुमन ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया, तो उस के तेवर देख अजय डर कर वहां से चला गया.

अजय तो चला गया लेकिन सुमन रात भर सोच में डूबी अपने मन को टटोलती रही. वह सचमुच महेंद्र सिंह से संतुष्ट नहीं थी. उस की जिंदगी फीकी दाल और सूखी रोटी की तरह थी. पिछले कुछ समय से महेंद्र सिंह की तबियत भी ढीली चल रही थी. ड्यूटी से आने के बाद वह खाना खाते ही सो जाता था. वह पति से क्या चाहती है, यह महेंद्र सिंह ने न तो कभी सोचा और न जानने की कोशिश की. यही वजह थी कि सुमन का मन विद्रोह कर उठा. उस ने मन को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन न चाहते हुए भी उस की सोच नएनए जवान हुए अजय के आस पास ही घूमती रही. उस का मन पूरी तरह बेइमान हो चुका था.

आखिरकार उस ने निर्णय ले लिया कि अब वह असंतुष्ट नहीं रहेगी. चाहे इस के लिए रिश्तों को तारतार क्यों न करना पड़े. कोई भी औरत जब बरबादी के रास्ते पर कदम रखती है तो उसे रोक पाना मुश्किल होता है. यही सुमन के मामले में हुआ. दूसरी ओर अजय यह सोच कर डरा हुआ था कि चाची ने चाचा को सब कुछ बता दिया तो तूफान आ जाएगा. इसी डर से वह सुमन से नहीं मिला. इधर सुमन फैसला करने के बाद तैयार बैठी अजय का इंतजार कर रही थी. उस ने मिलने की कोशिश नहीं की, तो सुमन ने उसे स्वयं ही बुला लिया.

अजय आया तो सुमन ने उसे देखते ही उलाहने वाले लहजे में कहा, ‘‘मुझे राह बता कर खुद दूसरी राह चले गए. क्या हुआ, आए क्यों नहीं?’’

‘‘मैं ने सोचा, शायद तुम्हें मेरी बात बुरी लगी. इसीलिए…’’ अजय ने कहा तो सुमन बोली, ‘‘रात में आना, मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’

अजय सिंह समझ गया कि उस का तीर निशाने पर भले ही देर से लगा हो, पर लग गया है. वह मन ही मन खुश हो कर लौट गया. सुमन का पति महेंद्र सिंह दूसरे दिन ही बारात से लौटने के बाद वापस कानपुर आ गया था. लेकिन पत्नी व बच्चों को गांव में ही छोड़ गया था. इसी बीच सुमन और अजय नजदीक आने का प्रयास करने लगे थे. सुमन ने अजय को मिलन का खुला आमंत्रण दिया था. अत: वह बनसंवर कर देर शाम सुमन के कमरे पर पहुंच गया. उस ने दरवाजे पर दस्तक दी तो सुमन ने दरवाजा खोल कर उसे तुरंत अंदर बुला लिया. उस के अंदर आते ही सुमन ने दरवाजा बंद कर लिया.

अजय पलंग पर बैठ गया, तो सुमन उस के करीब बैठ कर उस का हाथ सहलाने लगी. अजय के शरीर में हलचल मचने लगी. वह समझ गया कि चाची ने उस की मोहब्बत स्वीकार कर ली. इसी छेड़छाड़ के बीच कब संकोच की सारी दीवारें टूट गईं, दोनों को पता हीं नहीं चला. बिस्तर पर रिश्ते की मर्यादा भले ही टूट गई, लेकिन सुमन और अजय के बीच स्वार्थ का पक्का रिश्ता जरूर जुड़ गया. अपने इस रिश्ते से दोनों ही खुश थे. सुमन अपनी मौजमस्ती के लिए पाप की दलदल में घुस तो गई, पर उसे यह पता नहीं था कि इस का अंजाम कितना भयंकर हो सकता है. उस दिन के बाद अजय और सुमन बिस्तर पर जम कर सामाजिक रिश्तों और मानमर्यादाओं की धज्जियां उड़ाने लगे.

अजय सुमन के लिए बेटे जैसा था और अजय के लिए वह मां जैसी. लेकिन वासना की आग ने उन के इन रिश्तों को जला कर खाक कर दिया था. सुमन लगभग एक माह तक गांव में रही और गबरू जवान अजय के साथ मौजमस्ती करती रही. उस के बाद वह वापस कानपुर आ गई और पति के साथ रहने लगी. अजय और सुमन के बीच अब मिलन तो नहीं हो पाता था, लेकिन मोबाइल फोन पर दोनों की बात होती रहती थी. सुमन के बिना न अजय को चैन था और न अजय के बिना सुमन को. आखिर जब अजय से न रहा गया तो वह सुमन के बर्रा भाग 6 स्थित घर पर किसी न किसी बहाने से आने लगा. उस ने सुमन के साथ फिर से संबंध बना लिए. कुछ दिनों तक तो सब गुपचुप चलता रहा.

लेकिन फिर अजय का इस तरह सुमन के पास आनाजाना पड़ोसियों को खटकने लगा. लोगों को पक्का यकीन हो गया कि चाचीभतीजे के बीच नाजायज रिश्ता है. नाजायज रिश्तों को ले कर पड़ोसियों ने टोकाटाकी की तो महेंद्र सिंह के होश उड़ गए. उस की पत्नी उसी के सगे भतीजे के साथ मौजमस्ती कर रही थी, यह बात भला वह कैसे बरदाश्त कर सकता था. वह गुस्से में तमतमाता घर पहुंचा. सुमन उस समय घर के कामकाज निपटा रही थी. उसे देखते ही वह गुस्से में बोला, ‘‘तेरे और अजय के बीच क्या चल रहा है?’’

‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’ सुमन ने धड़कते दिल से पूछा.

‘‘मतलब छोड़ो. यह बताओ कि अजय यहां क्या करने आता है?’’ महेंद्र सिंह ने पूछा तो सुमन बोली, ‘‘कैसी बातें कर रहे हो तुम? अजय तुम्हारा भतीजा है. बात क्या है. उखड़े हुए से क्यों लग रहे हो?’’

‘‘तू मेरी पीठ पीछे क्या करती है, मुझे सब पता है. तेरी पाप लीला पूरे मोहल्ले के सामने आ चुकी है. तूने मुझे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा.’’

‘‘अपनी पत्नी पर गलत इलजाम लगा रहे हो. तुम्हें शर्म आनी चाहिए.’’ सुमन ने रोते हुए कहा, तो महेंद्र सिंह बोला, ‘‘देखो, अब भी वक्त है. संभल जा, नहीं तो अंजाम अच्छा न होगा.’’

महेंद्र सिंह ने भतीजे अजय सिंह को भी फटकार लगाई और बिना मतलब घर न आने की हिदायत दी. महेंद्र सिंह की सख्ती से सुमन और अजय डर गए. अजय का आनाजाना भी कम हो गया. अब वह तभी आता जब उसे कोई जरूरी काम होता. वह भी चाचा महेंद्र सिंह की मौजूदगी में. महेंद्र सिंह अपने बड़े भाई मान सिंह का बहुत सम्मान करता था. इसलिए उस ने अजय की शिकायत भाई से नहीं की थी. लौकडाउन के दौरान मान सिंह ने महेंद्र सिंह से 5 हजार रुपए उधार लिए थे और फसल तैयार होने के बाद रुपया वापस करने का वादा किया था. अजय का आनाजाना कम हुआ तो महेंद्र सिंह ने राहत की सांस ली. उसे भी लगने लगा था कि अब सुमन और अजय का अवैध रिश्ता खत्म हो गया है. लिहाजा उस ने सुमन पर निगाह रखनी भी बंद कर दी थी.

20 जनवरी, 2021 की दोपहर 12 बजे महेंद्र सिंह ने पड़ोसियों को बताया कि उस की पत्नी सुमन ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. उस की बात सुन कर पड़ोसी सन्न रह गए. कुछ ही देर बाद उस के दरवाजे पर भीड़ बढ़ने लगी. इसी बीच महेंद्र सिंह ने पत्नी के मायके वालों तथा थाना बर्रा पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह घटनास्थल पर आ गए. उस समय महेंद्र सिंह के घर पर भीड़ जुटी थी. मृतका सुमन की लाश कमरे में पलंग पर पड़ी थी. उस के गले में फांसी का फंदा था, किंतु गले में रगड़ के निशान नहीं थे. फांसी के अन्य लक्षण भी नजर नहीं आ रहे थे.

संदेह होने पर थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह ने पुलिस अधिकारियों को सूचित किया तो कुछ देर बाद एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा डीएसपी विकास पांडेय आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन्हें भी महिला की मौत संदिग्ध लगी. फोरैंसिक टीम को भी आत्महत्या जैसा कोई सबूत नहीं मिला. पुलिस अधिकारी मौकाएवारदात पर अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि मृतका सुमन के मायके पक्ष के दरजनों लोग आ गए. आते ही उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया और महेंद्र पर सुमन की हत्या का आरोप लगाया तथा उसे गिरफ्तार करने की मांग की.

चूंकि पुलिस अधिकारी वैसे भी मामले को संदिग्ध मान रहे थे, अत: पुलिस ने मृतका के पति महेंद्र सिंह को हिरासत में ले लिया तथा शव पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया. दूसरे रोज शाम 5 बजे मृतका सुमन की पोस्टमार्टम रिपोर्ट थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह को प्राप्त हुई. उन्होंने रिपोर्ट पढ़ी तो उन की शंका सच साबित हुई. रिपोर्ट में बताया गया कि सुमन ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि गला दबा कर उस की हत्या की गई थी. रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने मृतका के पति महेंद्र सिंह से सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया और उस ने पत्नी सुमन की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

महेंद्र सिंह ने बताया कि उस की पत्नी सुमन के भतीजे अजय सिंह से नाजायज संबंध पहले से थे. उस ने कल शाम 4 बजे सुमन और अजय को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. उस समय अजय तो सिर पर पैर रख कर भाग गया. लेकिन सुमन की उस ने जम कर पिटाई की. देर रात अजय को ले कर उस का फिर सुमन से झगड़ा हुआ. गुस्से में उस ने सुमन का गला कस दिया, जिस से उस की मौत हो गई. पुलिस और पड़ोसियों को गुमराह करने के लिए उस ने सुमन के शव को उसी की साड़ी का फंदा बना कर कुंडे से लटका दिया. सुबह वह बड़ी बेटी पूजा को ले कर डाक्टर के पास चला गया.

उसे हल्का बुखार था. वहां से दोपहर 12 बजे वापस आया तो उस ने पत्नी द्वारा आत्महत्या कर लेने का शोर मचाया. उस के बाद पड़ोसी आ गए. चूंकि महेंद्र सिंह ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह ने मृतका के भाई गौरव को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत महेंद्र सिंह के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे गिरफ्तार कर लिया. 22 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त महेंद्र सिंह को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. सुमन की मासूम बेटियां पूजा और विभा ननिहाल में नानानानी के पास रह रही थीं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Social Crime News : रसूखदार कानूनगो की पोर्न स्टोरी

Social Crime News : रिटायर्ड कानूनगो और नेता रामबिहारी राठौर अय्याश प्रवृत्ति का था. वह नाबालिग बच्चों के साथ न सिर्फ कुकर्म करता था बल्कि वीडियो भी बना लेता था. फिर एक दिन ऐसा हुआ कि…

10 जनवरी, 2021 की सुबह 9 बजे रिटायर्ड लेखपाल रामबिहारी राठौर कोतवाली कोंच पहुंचा. उस समय कोतवाल इमरान खान कोतवाली में मौजूद थे. चूंकि इमरान खान रामबिहारी से अच्छी तरह परिचित थे. इसलिए उन्होंने उसे ससम्मान कुरसी पर बैठने का इशारा किया. फिर पूछा, ‘‘लेखपालजी, सुबहसुबह कैसे आना हुआ? कोई जरूरी काम है?’’

‘‘हां सर, जरूरी काम है, तभी थाने आया हूं.’’ रामबिहारी राठौर ने जवाब दिया.

‘‘तो फिर बताओ, क्या जरूरी काम है?’’ श्री खान ने पूछा.

‘‘सर, हमारे घर में चोरी हो गई है. एक पेन ड्राइव और एक हार्ड डिस्क चोर ले गए हैं. हार्ड डिस्क के कवर में 20 हजार रुपए भी थे. वह भी चोर ले गए हैं.’’ रामबिहारी ने जानकारी दी.

‘‘तुम्हारे घर किस ने चोरी की. क्या किसी पर कोई शक वगैरह है?’’ इंसपेक्टर खान ने पूछा.

‘‘हां सर, शक नहीं बल्कि मैं उन्हें अच्छी तरह जानतापहचानता हूं. वैसे भी चोरी करते समय उन की सारी करतूत कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद है. आप चल कर फुटेज में देख लीजिए.’’

‘‘लेखपालजी, जब आप चोरी करने वालों को अच्छी तरह से जानतेपहचानते हैं और सबूत के तौर पर आप के पास फुटेज भी है, तो आप उन का नामपता बताइए. हम उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लेंगे और चोरी गया सामान भी बरामद कर लेंगे.’’

‘‘सर, उन का नाम राजकुमार प्रजापति तथा बालकिशन प्रजापति है. दोनों युवक कोंच शहर के मोहल्ला भगत सिंह नगर में रहते हैं. दोनों को दबंगों का संरक्षण प्राप्त है.’’ रामबिहारी ने बताया. चूंकि रामबिहारी राठौर पूर्व में लेखपाल तथा वर्तमान में कोंच नगर का भाजपा उपाध्यक्ष था, अत: इंसपेक्टर इमरान खान ने रामबिहारी से तहरीर ले कर तुरंत काररवाई शुरू कर दी. उन्होंने देर रात राजकुमार व बालकिशन के घरों पर दबिश दी और दोनों को हिरासत में ले लिया. उन के घर से पुलिस ने पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क भी बरामद कर ली. लेखपाल के अनुरोध पर पुलिस ने उस की पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क वापस कर दी.

पुलिस ने दोनों युवकों के पास से पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क तो बरामद कर ली थी. लेकिन 20 हजार रुपया बरामद नहीं हुआ था. इंसपेक्टर खान ने राजकुमार व बालकिशन से रुपयों के संबंध में कड़ाई से पूछा तो उन्होंने बताया कि रुपया नहीं था. लेखपाल रुपयों की बाबत झूठ बोल रहा है. वह बड़ा ही धूर्त और मक्कार इंसान है. इंसपेक्टर इमरान खान ने जब चोरी के बाबत पूछताछ शुरू की तो दोनों युवक फफक पड़े. उन्होंने सिसकते हुए अपना दर्द बयां किया तो थानाप्रभारी के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. बालकिशन व राजकुमार प्रजापति ने बताया कि रामबिहारी इंसान नहीं हैवान है. वह मासूमों को अपने जाल में फंसाता है और फिर उन के साथ कुकर्म करता है.

एक बार जो उस के जाल में फंस जाता है, फिर निकल नहीं पाता. वह उन के साथ कुकर्म का वीडियो बना लेता फिर ब्लैकमेल कर बारबार आने को मजबूर करता. 8 से 14 साल के बीच की उम्र के बच्चों को वह अपना शिकार बनाता है. गरीब परिवार की महिलाओं, किशोरियों और युवतियों को भी वह अपना शिकार बनाता है. राजकुमार व बालकिशन प्रजापति ने बताया कि रामबिहारी राठौर पिछले 5 सालों से उन दोनों के साथ भी घिनौना खेल खेल रहा था. उन दोनों ने बताया कि जब उन की उम्र 13 साल थी, तब वे जीवनयापन करने के लिए ठेले पर रख कर खाद्य सामग्री बेचते थे.

एक दिन जब वे दोनों सामान बेच कर घर आ रहे थे, तब लेखपाल रामबिहारी राठौर ने उन दोनों को रोक कर अपनी मीठीमीठी बातों में फंसाया. फिर वह उन्हें अपने घर में ले गया और दरवाजा बंद कर लिया. फिर बहाने से कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिला कर पिला दिया. उस के बाद उस ने उन दोनों के साथ कुकर्म किया. बाद में उन्होंने विरोध करने पर फरजी मुकदमे में फंसा देने की धमकी दी. कुछ दिन बाद जब वे दोनों ठेला ले कर जा रहे थे तो नेता ने उन्हें पुन: बुलाया और कमरे में लैपटाप पर वीडियो दिखाई, जिस में वह उन के साथ कुकर्म कर रहा था.

इस के बाद उन्होंने कहा कि मेरे कमरे में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं और मैं ने तुम दोनों का वीडियो सुरक्षित रखा है. यदि तुम लोग मेरे बुलाने पर नहीं आए तो यह वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दूंगा. इस के बाद नेताजी ने कुछ और वीडियो दिखाए और कहा कि तुम सब के वीडियो हैं. यदि मेरे खिलाफ किसी भी प्रकार की शिकायत की, मैं उलटा मुकदमा कायम करा दूंगा. युवकों ने बताया कि डर के कारण उन्होंने मुंह बंद रखा. लेकिन नेताजी का शोषण जारी रहा. हम दोनों जैसे दरजनों बच्चे हैं, जिन के साथ वह घिनौना खेल खेलता है.

उन दोनों ने पुलिस को यह भी बताया कि 7 जनवरी, 2021 को नेता ने उन्हें घर बुलाया था, लेकिन वे नहीं गए. अगले दिन फिर बुलाया. जब वे दोनों घर पहुंचे तो नेता ने जबरदस्ती करने की कोशिश की. विरोध जताया तो उन्होंने जेल भिजवाने की धमकी दी. इस पर उन्होंने मोहल्ले के दबंग लोगों से संपर्क किया, फिर नेता रामबिहारी का घिनौना सच सामने लाने के लिए दबंगों के इशारे पर रामबिहारी की पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क उस के कमरे से उठा ली. यह दबंग, रामबिहारी को ब्लैकमेल कर उस से लाखों रुपया वसूलना चाहते थे. पूर्व लेखपाल व भाजपा नेता रामबिहारी का घिनौना सच सामने आया तो इंसपेक्टर इमरान खान के मन में कई आशंकाएं उमड़ने लगीं.

वह सोचने लगे, कहीं रामबिहारी बांदा के इंजीनियर रामभवन की तरह पोर्न फिल्मों का व्यापारी तो नहीं है. कहीं रामबिहारी के संबंध देशविदेश के पोर्न निर्माताओं से तो नहीं. इस सच को जानने के लिए रामबिहारी को गिरफ्तार करना आवश्यक था. लेकिन रामबिहारी को गिरफ्तार करना आसान नहीं था. वह सत्ता पक्ष का नेता था और सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं से उस के ताल्लुकात थे. उस की गिरफ्तारी से बवाल भी हो सकता था. अत: इंसपेक्टर खान ने इस प्रकरण की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पाते ही एसपी डा. यशवीर सिंह, एएसपी डा. अवधेश कुमार, डीएसपी (कोंच) राहुल पांडेय तथा क्राइम प्रभारी उदयभान गौतम कोतवाली कोंच आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने दोनों युवकों राजकुमार तथा बालकिशन से घंटों पूछताछ की फिर सफेदपोश नेता को गिरफ्तार करने के लिए डा. यशवीर सिंह ने डीएसपी राहुल पांडेय की निगरानी में एक पुलिस टीम का गठन कर दिया तथा कोंच कस्बे में पुलिस बल तैनात कर दिया. 12 जनवरी, 2021 की रात 10 बजे पुलिस टीम रामबिहारी के भगत सिंह नगर मोहल्ला स्थित घर पर पहुंची. लेकिन वह घर से फरार था. इस बीच पुलिस टीम को पता चला कि रामबिहारी पंचानन चौराहे पर मौजूद है. इस जानकारी पर पुलिस टीम वहां पहुंची और रामबिहारी को नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया.

उसे कोतवाली कोंच लाया गया. इस के बाद पुलिस टीम रात में ही रामबिहारी के घर पहुंची और पूरे घर की सघन तलाशी ली. तलाशी में उस के घर से लैपटाप, पेन ड्राइव, मोबाइल फोन, डीवीआर, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क तथा नशीला पाउडर व गोलियां बरामद कीं. थाने में रामबिहारी से कई घंटे पूछताछ की गई. रामबिहारी राठौर के घर से बरामद लैपटाप, पेन ड्राइव, मोबाइल, डीवीआर तथा हार्ड डिस्क की जांच साइबर एक्सपर्ट टीम तथा झांसी की फोरैंसिक टीम को सौंपी गई. टीम ने झांसी रेंज के आईजी सुभाष सिंह बघेल की निगरानी में जांच शुरू की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. फोरैंसिक टीम के प्रभारी शिवशंकर ने पेन ड्राइव व हार्ड डिस्क से 50 से अधिक पोर्न वीडियो निकाले. उन का अनुमान है कि हार्ड डिस्क में 25 जीबी अश्लील डाटा है.

इधर पुलिस टीम ने लगभग 50 बच्चों को खोज निकाला, जिन के साथ रामबिहारी ने दरिंदगी की और उन के बचपन के साथ खिलवाड़ किया. इन में 36 बच्चे तो सामने आए, लेकिन बाकी बच्चे शर्म की वजह से सामने नहीं आए. 36 बच्चों में से 18 बच्चों ने ही बयान दर्ज कराए. जबकि 3 बच्चों ने बाकायदा रामबिहारी के विरुद्ध तहरीर दी. इन बच्चों की तहरीर पर थानाप्रभारी इमरान खान ने भादंवि की धारा 328/377/506 तथा पोक्सो एक्ट की धारा (3), (4) एवं आईटी एक्ट की धारा 67ख के तहत रामबिहारी राठौर के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे न्यायसम्मत गिरफ्तार कर लिया. भाजपा नेता रामबिहारी के घिनौने सच का परदाफाश हुआ तो कोंच कस्बे में सनसनी फैल गई.

लोग तरहतरह की चर्चाएं करने लगे. किरकिरी से बचने के लिए नगर अध्यक्ष सुनील लोहिया ने बयान जारी कर दिया कि भाजपा का रामबिहारी से कोई लेनादेना नहीं है. रामबिहारी ने पिछले महीने ही अपने पद व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसे मंजूर कर लिया गया था. इधर सेवानिवृत्त लेखपाल एवं उस की घिनौनी करतूतों की खबर अखबारों में छपी तो कोंच कस्बे में लोगों का गुस्सा फट पड़ा. महिलाओं और पुरुषों ने लेखपाल का घर घेर लिया और इस हैवान को फांसी दो के नारे लगाने लगे. भीड़ रामबिहारी का घर तोड़ने व फूंकने पर आमादा हो गई. कुछ लोग उस के घर की छत पर भी चढ़ गए.

लेकिन पुलिस ने किसी तरह घेरा बना कर भीड़ को रोका और समझाबुझा कर शांत किया. कुछ महिलाएं व पुरुष कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने रामबिहारी को उन के हवाले करने की मांग की. दरअसल, वे महिलाएं हाथ में स्याही लिए थीं, वे रामबिहारी का मुंह काला करना चाहती थी. लेकिन एसपी डा. यशवीर सिंह ने उन्हें समझाया कि अपराधी अब पुलिस कस्टडी में है. अत: कानून का उल्लंघन न करें. कानून खुद उसे सजा देगा. कड़ी मशक्कत के बाद महिलाओं ने एसपी की बात मान ली और वे थाने से चली गईं. रामबिहारी राठौर कौन था? वह रसूखदार सफेदपोश नेता कैसे बना? फिर इंसान से हैवान क्यों बन गया? यह सब जानने के लिए हमें उस के अतीत की ओर झांकना होगा.

जालौन जिले का एक कस्बा है-कोंच. तहसील होने के कारण कोंच कस्बे में हर रोज चहलपहल रहती है. इसी कस्बे के मोहल्ला भगत सिंह नगर में रामबिहारी राठौर अपनी पत्नी उषा के साथ रहता था. रामबिहारी का अपना पुश्तैनी मकान था, जिस के एक भाग में वह स्वयं रहता था, जबकि दूसरे भाग में उस का छोटा भाई श्यामबिहारी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ रहता था. रामबिहारी पढ़ालिखा व्यक्ति था. वर्ष 1982 में उस का चयन लेखपाल के पद पर हुआ था. कोंच तहसील में ही वह कार्यरत था. रामबिहारी महत्त्वाकांक्षी था. धन कमाना ही उस का मकसद था. चूंकि वह लेखपाल था, सो उस की कमाई अच्छी थी. लेकिन संतानहीन था. उस ने पत्नी उषा का इलाज तो कराया लेकिन वह बाप न बन सका.

उषा संतानहीन थी, सो रामबिहारी का मन उस से उचट गया और वह पराई औरतों में दिलचस्पी लेने लगा. उस के पास गरीब परिवार की महिलाएं राशन कार्ड बनवाने व अन्य आर्थिक मदद हेतु आती थीं. ऐसी महिलाओं का वह मदद के नाम पर शारीरिक शोषण करता था. वर्ष 2005 में एक महिला ने सब से पहले उस के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया. लेकिन रामबिहारी ने उस के घरवालों पर दबाव बना कर मामला रफादफा कर लिया. कोंच तहसील के गांव कुंवरपुरा की कुछ महिलाओं ने भी उस के खिलाफ यौनशोषण की शिकायत तहसील अफसरों से की थी. तब रामबिहारी ने अफसरों से हाथ जोड़ कर तथा माफी मांग कर लीपापोती कर ली.

सन 2017 में रामबिहारी को रिटायर होना था. लेकिन रिटायर होने के पूर्व उस की तरक्की हो गई. वह लेखपाल से कानूनगो बना दिया गया. फिर कानूनगो पद से ही वह रिटायर हुआ. रिटायर होने के बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गया. उस ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली. कुछ समय बाद ही उसे कोंच का भाजपा नगर उपाध्यक्ष बना दिया गया. रामबिहारी तेजतर्रार था. उस ने जल्द ही शासनप्रशासन में पकड़ बना ली. उस ने घर पर कार्यालय बना लिया और उपाध्यक्ष का बोर्ड लगा लिया. नेतागिरी की आड़ में वह जायजनाजायज काम करने लगा. वह कोंच का रसूखदार सफेदपोश नेता बन गया.

रामबिहारी का घर में एक स्पैशल रूम था. इस रूम में उस ने 5 सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. घर के बाहर भी कैमरा लगा था. कमरे में लैपटाप, डीवीआर व हार्ड डिस्क भी थी. आनेजाने वालों की हर तसवीर कैद होती थी. हनक बनाए रखने के लिए उस ने कार खरीद ली थी और पिस्टल भी ले ली थी. रामबिहारी अवैध कमाई के लिए अपने घर पर जुआ की फड़ भी चलाता था. उस के घर पर छोटामोटा नहीं, लाखों का जुआ होता था. खेलने वाले कोंच से ही नहीं, उरई, कालपी और बांदा तक से आते थे. जुए के खेल में वह अपनी ही मनमानी चलाता था.

जुआ खेलने वाला व्यक्ति अगर जीत गया तो वह उसे तब तक नहीं जाने देता था, जब तक वह हार न जाए. इसी तिकड़म में उस ने सैकड़ों को फंसाया और लाखों रुपए कमाए. इस में से कुछ रकम वह नेता, पुलिस, गुंडा गठजोड़ पर खर्च करता ताकि धंधा चलता रहे. रामबिहारी राठौर जाल बुनने में महारथी था. वह अधिकारियों, कर्मचारियों एवं सामान्य लोगों के सामने अपने रसूख का प्रदर्शन कर के उन्हें दबाव में लेने की कोशिश करता था. बातों का ऐसा जाल बुनता था कि लोग फंस जाते थे. हर दल के नेताओं के बीच उस की घुसपैठ थी. उस के रसूख के आगे पुलिस तंत्र भी नतमस्तक था. किसी पर भी मुकदमा दर्ज करा देना, उस के लिए बेहद आसान था.

रामबिहारी राठौर बेहद अय्याश था. वह गरीब परिवार की महिलाओं, युवतियों, किशोरियों को तो अपनी हवस का शिकार बनाता ही था, मासूम बच्चों के साथ भी दुष्कर्म करता था. वह 8 से 14 साल की उम्र के बच्चों को अपने जाल में फंसाता था. बच्चे को रुपयों का लालच दे कर घर बुलाता फिर कोेल्ड ड्रिंक में नशीला पाउडर मिला कर पीने को देता. बच्चा जब बेहोश हो जाता तो उस के साथ दुष्कर्म करता. दुष्कर्म के दौरान वह उस का वीडियो बना लेता. कोई बच्चा एक बार उस के जाल में फंस जाता, तो वह उसे बारबार बुलाता. इनकार करने पर अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी देता, जिस से वह डर जाता और बुलाने पर आने को मजबूर हो जाता.

वह जिस बच्चे को जाल में फंसा लेता, उसे वह दूसरे बच्चे को लाने के लिए कहता. इस तरह उस ने कई दरजन बच्चे अपने जाल में फंसा लिए थे, जिन के साथ वह दरिंदगी का खेल खेलता था. वह स्वयं भी सेक्सवर्धक दवाओं का सेवन करता था और किसी बाहरी व्यक्ति को अपने कमरे में नहीं आने देता था. रामबिहारी राठौर के घर सुबह से देर शाम तक कम उम्र के बच्चों का आनाजाना बना रहता था. उस के कुकृत्यों का आभास आसपड़ोस के लोगों को भी था. लेकिन लोग उस के बारे में कुछ कहने से सहमते थे. कभी किसी ने अंगुली उठाई तो उस ने अपने रसूख से उन लोगों के मुंह बंद करा दिए.

किसी के खिलाफ थाने में झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी तो किसी को दबंगों से धमकवा दिया. बाद में उस की मदद का ड्रामा कर के उस का दिल जीत लिया. लेकिन कहते हैं, गलत काम का घड़ा तो एक न एक दिन फूटता ही है. वही रामबिहारी के साथ भी हुआ. दरअसल रामबिहारी ने मोहल्ला भगत सिंह नगर के 2 लड़कों राजकुमार व बालकिशन को अपने जाल में फंसा रखा था और पिछले कई साल से वह उन के साथ दरिंदगी का खेल खेल रहा था. इधर रामबिहारी की नजर उन दोनों की नाबालिग बहनों पर पड़ी तो वह उन्हें लाने को मजबूर करने लगा. यह बात उन दोनों को नागवार लगी और उन्होंने साफ मना कर दिया. इस पर रामबिहारी ने उन दोनों का अश्लील वीडियो वायरल करने तथा जेल भिजवाने की धमकी दी.

रामबिहारी की धमकी से डर कर राजकुमार व बालकिशन प्रजापति मोहल्ले के 2 दबंगों के पास पहुंच गए और रामबिहारी के कुकृत्यों का चिट्ठा खोल दिया. उन दबंगों ने तब उन को मदद का आश्वासन दिया और रामबिहारी को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई. योजना के तहत दबंगों ने राजकुमार व बालकिशन की मार्फत रामबिहारी के घर में चोरी करा दी. उस के बाद दबंगों ने रामबिहारी से 15 लाख रुपयों की मांग की. भेद खुलने के भय से रामबिहारी उन्हें 5 लाख रुपए देने को राजी भी हो गया. लेकिन पैसों के बंटवारे को ले कर दबंगों व पीडि़तों के बीच झगड़ा हो गया.

इस का फायदा उठा कर रामबिहारी थाने पहुंच गया और चोरी करने वाले दोनों लड़कों के खिलाफ तहरीर दे दी. तहरीर मिलते ही कोंच पुलिस ने चोरी गए सामान सहित उन दोनों लड़कों को पकड़ लिया. पुलिस ने जब पकड़े गए राजकुमार व बालकिशन से पूछताछ की तो रामबिहारी राठौर के घिनौने सच का परदाफाश हो गया. पुलिस जांच में लगभग 300 अश्लील वीडियोे सामने आए हैं और लगभग 50 बच्चों के साथ उस ने दुष्कर्म किया था. जांच से यह भी पता चला कि रामबिहारी पोर्न फिल्मों का व्यापारी नहीं है. न ही उस के किसी पोर्न फिल्म निर्माता से संबंध हैं. रामबिहारी का कनेक्शन बांदा के जेई रामभवन से भी नहीं था.

13 जनवरी, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त रामबिहारी राठौर को जालौन की उरई स्थित कोर्ट में मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित

Crime News : फिरौती नहीं दी तो गला दबाकर कर दी हत्या

Crime News : उत्तर प्रदेश में बढ़ रही आपराधिक घटनाएं बता रही हैं कि अपराधी अब बेलगाम हो चुके हैं. कानपुर, गोंडा और गोरखपुर में अपहरण के बाद हुई हत्याओं ने साबित कर दिया कि अब अपराधियों के दिल में पुलिस नाम का कोई डर नहीं है.  लगातार बढ़ रही घटनाओं से पुलिस भी शक के घेरे में आ रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में 14 वर्षीय बलराम गुप्ता की अपहरण के बाद हुई हत्या से प्रदेश के लोगों में डर बैठ गया है. लोगों का सोचना है कि जब मुख्यमंत्री के जिले के लोग ही सुरक्षित नहीं हैं तो और लोग कैसे सुरक्षित रह सकते हैं.

गोरखपुर जिले के थाना पिपराइच के गांव जंगल छत्रधारी टोला मिश्रौलिया के रहने वाले बच्चे बलराम गुप्ता का जिस तरह अपहरण करने के बाद उस की हत्या कर दी गई, उस से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई. 5वीं कक्षा में पढ़ने वाला बलराम गुप्ता 26 जुलाई, 2020 को दोपहर 12 बजे खाना खा कर रोजाना की तरह घर से बाहर खेलने निकला. अपने दोस्तों के साथ खेलने के बाद वह अकसर डेढ़दो घंटे में घर लौट आता था, लेकिन उस दिन वह घर नहीं लौटा. उस की मां और बहन ने उसे आसपास ढूंढा, लेकिन बलराम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली. बलराम के पिता महाजन गुप्ता घर के पास में ही पान की दुकान चलाते थे. इस के अलावा वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम भी करते थे.

जब उन्हें पता लगा कि बलराम दोपहर के बाद से गायब है तो वह भी परेशान हो गए. करीब 3 बजे महाजन गुप्ता के मोबाइल फोन पर एक ऐसी काल आई जिस से घर के सभी लोग असमंजस में पड़ गए. फोन करने वाले ने कहा कि तुम्हारा बेटा बलराम हमारे कब्जे में है. अगर उसे जिंदा चाहते हो तो एक करोड़ रुपए का इंतजाम कर लो, अन्यथा बहुत पछताना पड़ेगा. यह खबर सुनते ही महाजन गुप्ता घबरा गए. उन्होंने अपहर्त्ता से कहा कि वह उन के बेटे का कुछ न करें. जैसा वे कहेंगे वैसा ही करने को तैयार हैं. बलराम अपनी 5 बहनों के बीच इकलौता भाई था, इसलिए वह घर में सभी का लाडला था. बलराम के अपहरण की जानकारी उस की मां और बहनों को हुई तो सभी परेशान हो गईं.

महाजन गुप्ता की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं थी कि वह एक करोड़ रुपए की व्यवस्था कर सकें, इसलिए वह यह सोचसोच कर परेशान हो रहे थे कि इतने पैसों का इंतजाम कहां से करें. उसी दौरान अपहर्त्ताओं ने उन्हें दोबारा फोन किया, ‘‘एक बात याद रखना पुलिस को सूचना देने की भूल मत करना…’’

‘‘नहींनहीं, मैं ऐसा हरगिज नहीं करूंगा. लेकिन आप जितने पैसे मांग रहे हैं, मेरे पास नहीं हैं. अगर कुछ कम कर लेंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी.’’ महाजन गुप्ता ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘इस बारे में हम 5 बजे के करीब फिर बात करेंगे. तब तक तुम पैसों का इंतजाम करो.’’ अपहर्त्ता ने कहा.

महाजन को लगा कि वह अपहर्त्ताओं द्वारा मांगी गई फिरौती का इंतजाम नहीं कर सकते, इसलिए उन्होंने इस की जानकारी पुलिस को दे दी. बच्चे के अपहरण की सूचना मिलते ही थाना पपराइच पुलिस उसी समय महाजन के घर पहुंच गई. घर वालों से बातचीत करने के बाद पुलिस ने उन बच्चों से भी पूछताछ की, जिन के साथ बलराम अकसर खेला करता था. थाना पुलिस अभी यह जांच कर ही रही थी कि पुलिस को सूचना मिली कि गांव से 3-4 किलोमीटर दूर नहर में एक बच्चे की लाश पड़ी है. सूचना मिलने पर पुलिस महाजन गुप्ता को ले कर नहर पर पहुंच गई. नहर में मिली लाश बलराम की ही निकली, जिस की शिनाख्त महाजन ने कर ली.

बेटे की लाश देखते ही महाजन गुप्ता गश खा कर वहीं गिर गए. गांव में यह खबर फैली तो सभी सन्न रह गए. महाजन के घर में तो हाहाकार मच गया. गांव वाले समझ नहीं पा रहे थे कि प्रदेश में यह क्या हो रहा है. अपराधी बेलगाम हो कर वारदात पर वारदात कर रहे हैं और पुलिस कान में तेल डाले सो रही है. लिहाजा बलराम की हत्या के बाद ग्रामीणों में पुलिस के प्रति आक्रोश बढ़ने लगा, जिस के बाद खबर मिलने पर जिला स्तर के पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. चूंकि मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जनपद का था, इसलिए मुख्यमंत्री को भी इस घटना की जानकारी मिल गई. उन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए शीघ्र ही केस का खुलासा करने के आदेश दिए.

मुख्यमंत्री के आदेश पर थाना पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच और एसटीएफ भी केस को खोलने में जुट गई. पुलिस टीमों ने सब से पहले महाजन गुप्ता से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश तो नहीं है. महाजन ने जब दुश्मनी होने से इनकार कर दिया तो जांच टीमों ने उस फोन नंबर की जांच शुरू कर दी,जिस से महाजन के पास फिरौती की काल आई थी. उस फोन नंबर की जांच के सहारे पुलिस रिंकू नाम के उस शख्स के पास पहुंच गई, जिस ने वह सिम कार्ड फरजी आईडी पर दिया था. रिंकू ने बताया कि वह सिम उस ने दयानंद राजभर नाम के व्यक्ति को दिया था. रिंकू को हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने  उस की निशानदेही पर दयानंद राजभर को भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने स्वीकार कर लिया कि बलराम की हत्या में अजय चौहान और नितिन चौहान भी शामिल थे. उन्होंने फिरौती के चक्कर में उस की हत्या की थी.

बलराम की हत्या का केस लगभग खुल चुका था. अब केवल अन्य अभियुक्तों की गिरफ्तारी बाकी थी. पुलिस टीमों ने अन्य अभियुक्तों की तलाश में संभावित स्थानों पर दबिश डालनी शुरू की. अगले दिन 27 जुलाई को पुलिस को सूचना मिली कि आरोपी अजय चौहान और नितिन उर्फ मुन्ना चौहान को हैदरगंज के गुलरिहा गांव में रहने वाले उन के एक रिश्तेदार ने कमरे में बंद कर लिया है. सूचना मिलने पर भारी तादाद में पुलिस गुलरिहा पहुंच गई और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर थाने ले आई. अब तक पुलिस के हत्थे 5 आरोपी चढ़ चुके थे, जिन में 3 लोग बलराम के अपहरण और हत्या में शामिल थे और 2 पर फरजी कागजात के जरिए सिम कार्ड बेचने की बात सामने आई.

पूछताछ में अभियुक्तों ने बताया कि उन्हें खबर मिली थी कि महाजन गुप्ता प्रौपर्टी डीलिंग में अच्छी कमाई करते हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी कोई जमीन अच्छे पैसों में बेची थी. मोटी फिरौती के लालच में उन्होंने उन के इकलौते बेटे बलराम का अपहरण किया था. बलराम का अपहरण करने के बाद वे उसे एक दुकान में ले गए थे और भेद खुलने के डर से उस की गला घोंट कर हत्या कर दी थी. फिर उस की लाश नहर में डाल आए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी नितिन उर्फ मुन्ना चौहान और अजय चौहान गुलरिहा स्थित अपनी मौसी के घर छिपने के लिए पहुंचे. उन्होंने मौसी को सच्चाई बता दी. मौसी को इस बात का डर था कि कहीं उन के चक्कर में पुलिस एनकाउंटर कर के उस के बच्चों की जान न ले ले, इसलिए उन्होंने आत्मसमर्पण करने की सलाह दी.

दोनों आरोपियों को डर था कि आत्मसमर्पण के बाद भी पुलिस उन का एनकाउंटर कर सकती है. तब रिश्तेदारों ने पूरे गांव वालों के सामने उन का आत्मसमर्पण करने की योजना बनाई. अजय और नितिन को एक कमरे में बंद कर उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया और जब पुलिस उन दोनों को गिरफ्तार कर ले जा रही थी तो उस समय पूरा गांव जमा हो गया था. 14 वर्षीय बलराम के अपहरण और हत्या के आरोप में पुलिस ने 5 अभियुक्तों को गिरफ्तारकर लिया. एसएसपी डा. सुनील गुप्ता ने लापरवाही बरतने के आरोप में एक दरोगा और 2 सिपाहियों को सस्पेंड कर दिया. उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलराम गुप्ता की हत्या पर संवेदना व्यक्त की और उस के परिजनों को 5 लाख रुपए की सहायता राशि जिलाधिकारी के माध्यम से भिजवाई.

बलराम एक साल पहले एक रिश्तेदार के घर से रहस्यमय तरीके से लापता हो गया था, जिसे 4-5 दिन बाद पुलिस ने कुसमही के जंगल से बरामद किया था. लेकिन इस बार गायब होने पर उस की लाश मिली.

MP News : आरटीओ सिपाही निकला धनकुवेर

MP News : आरटीओ डिपार्टमेंट के कांस्टेबल सौरभ शर्मा ने 8 साल की नौकरी में पौने 3 क्विंटल से ज्यादा सोनाचांदी, करोड़ों रुपए की संपत्ति और करोड़ों रुपए नकद जमा किए. इस से अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिपार्टमेंट के अन्य अधिकारियों ने कितना पैसा बटोरा होगा. आखिर उन अधिकारियों पर क्यों नहीं हो रही काररवाई?

सौरभ शर्मा के पास से आयकर विभाग, ईडी, लोकायुक्त को करोड़ों रुपए कैश मिलने के बाद जब जंगल में खड़ी लावारिस कार में 54 किलोग्राम सोने के बिसकुट मिले तो प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें एक के बाद एक खुलने लगीं. पढि़ए, किस तरह परिवहन विभाग का एक अदना सा सिपाही 8 साल की नौकरी में धनकुबेर बन गया…

लोकायुक्त की स्पैशल कोर्ट में 28 जनवरी, 2025 को विशेष चहलपहल दिखाई दे रही थी. सुबह से मीडिया वालों के साथ तमाशबीनों की भीड़ जमा होने लगी थी. एक दिन पहले 27 जनवरी को सौरभ शर्मा के वकील राकेश पाराशर ने कोर्ट को सौरभ के सरेंडर का आवेदन दिया था, जिस पर विचार करने के लिए कोर्ट ने दूसरे दिन 11 बजे का समय तय किया था. सौरभ अपने वकील के साथ कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचता, इस के पहले ही लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ को कोर्ट के गेट से गिरफ्तार कर लिया और उसे सीधे लोकायुक्त कार्यालय ले गई, जहां पूछताछ के दौरान ही सौरभ के साथ आए सहयोगी चेतन सिंह गौर को भी लोकायुक्त पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

कुछ देर बाद एक और सहयोगी शरद जायसवाल भी अपने वकील के साथ लोकायुक्त कार्यालय पहुंचा, जहां उसे भी पूछताछ के बाद हिरासत में ले लिया गया. सौरभ से लोकायुक्त पुलिस ने तकरीबन 5 घंटे तक पूछताछ की और फिर सौरभ और चेतन सिंह गौर को लोकायुक्त की स्पैशल कोर्ट के सामने पेश किया गया. कोर्ट में स्पैशल जज रामप्रताप मिश्रा के समक्ष लोकायुक्त पुलिस के वकील ने अपने तर्क देते हुए कहा, ”योर औनर, सौरभ के पास अकूत संपत्ति जब्त की गई है, जिस के बारे में डिटेल में पूछताछ करनी जरूरी है, इसलिए सौरभ को 7 दिनों की रिमांड पर पुलिस को सौंपा जाए.’’

सौरभ के वकील राकेश पराशर ने विरोध  दर्ज कराते हुए अपनी दलील दी, ”योर औनर, मेरे मुवक्किल के पास जो संपत्ति है, उस के वैधानिक दस्तावेज भी हैं. पूछताछ करने वाली एजेंसियों को सारी जानकारी दे दी गई है. उन के क्लाइंट की छवि साफसुथरी है, वह कोर्ट में सरेंडर करने आया था. उस के बयान दर्ज कराए गए, उस ने अब तक एजेंसियों को जांच में सहयोग किया है. इस में रिमांड की जरूरत नहीं है.’’

इस का लोकायुक्त की तरफ से पेश वकील ने विरोध करते हुए कहा, ”योर औनर, यह गलत बोल रहे हैं. सौरभ शर्मा से बहुत सी जब्तियां अभी और होनी हैं. यह गंभीर मामला है और उस से पूछताछ के लिए पुलिस को वक्त चाहिए. सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ करनी है, इसलिए सौरभ को रिमांड पर लिया जाना बेहद जरूरी है.’’

सौरभ के वकील राकेश पाराशर बोले, ”योर औनर, पुलिस 5 घंटे लगातार उस से पूछताछ कर चुकी है. सौरभ को रिमांड पर देने से उस की जान को खतरा हो सकता है.’’

इस पर लोकायुक्त के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त करते हुए कहा, ”योर औनर, सौरभ और विवेचना में शामिल सभी लोगों से पूछताछ होगी. इस में सौरभ कहांकहां रहा, यह पूछताछ में पता चलेगा. जांच एजेंसियों से सौरभ को कोई जान का खतरा नहीं होगा.’’

करीब 2 घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को 4 फरवरी तक की रिमांड पर लोकायुक्त पुलिस को सौंप दिया.

आय से अधिक संपत्ति के मामले में निशाने पर था सौरभ

परिवहन विभाग में एक अदने से पद पर केवल 8 साल नौकरी करने वाले सौरभ शर्मा की लग्जरी लाइफस्टाइल लोगों के गले नहीं उतर रही थी. बीते साल 2024 के  आखिरी महीने में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में सरकारी एजेसियों ने जब सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की तो चल और अचल संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए. 19 दिसंबर, 2024 को लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के अरेरा कालोनी में स्थित घर और औफिस पर छापेमारी की थी. 2 दिनों के सर्च अभियान में लोकायुक्त को 7 करोड़ 98 लाख रुपए की चल संपत्ति मिली थी, इस में 234 किलोग्राम चांदी भी मिली थी.

जगहजगह सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी चल ही रही थी, इसी दौरान 19 दिसंबर, 2024 की रात भोपाल के मेंडोरी में इनकम टैक्स अधिकारियों को पुलिस से एक लावारिस कार की सूचना मिली थी. इनकम टैक्स अधिकारी व पुलिस की टीम मौके पर पहुंची, जहां पर एक सफेद रंग की एमपी07 बीए0050 नंबर की इनोवा कार लौक पोजीशन में खड़ी थी.

पुलिसकर्मियों ने कार का शीशा तोड़ कर गेट खोला तो बड़े थैलों में 500, 200 और 100 रुपए के नोटों की गड्डियां रखी हुई थीं, जबकि दूसरे बैग में सोने के बिसकुट रखे थे, जिसे देख कर इनकम टैक्स अधिकारियों की आंखें फटी की फटी रह गईं. इनकम टैक्स विभाग की टीम को कार से 52 किलोग्राम सोना और 11 करोड़ रुपए नकद मिले.

इनोवा कार से सोने के जो 54 बिसकुट मिले थे, वे सारे एकएक किलोग्राम के थे. उन पर वजन भी लिखा हुआ था. सभी 54 बिस्किट एक किलोग्राम वजन के थे. बिसकुट मिलने के बाद इनकम टैक्स अधिकारियों की दूसरी टीम 30 पुलिसकर्मियों के साथ पहुंची और मौके पर ही मशीन से नोटों की गिनती की गई. बरामद कार में 2 हूटर लगे हुए थे. और तो और आरटीओ लिखी हुई पट्टी भी लगी मिली थी. पुलिस के मुताबिक, सोने की अनुमानित कीमत 43 करोड़ रुपए से अधिक आंकी गई. जब इस कार के नंबर की पड़ताल की गई तो पता चला कि यह कार चेतन सिंह गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है. चेतन सौरभ के कारोबार में सहयोगी की भूमिका निभा रहा था.

इनकम टैक्स विभाग की पूछताछ में यह बात पता चली है कि सोने से लदी इनोवा कार को जंगल तक ले जाने में सौरभ के एक रिश्तेदार का हाथ था, जिसे वह जीजा कहता था. उस रिश्तेदार का बेटा भी इन लोगों के साथ शामिल था. उन दोनों ने काफिले की सुरक्षा के साथ कार को जंगल तक पहुंचाया था. कार जिस प्लौट पर मिली थी, वह भी सौरभ की रिश्ते में मौसी लगने वाली एक महिला की बेटी के नाम पर रजिस्टर था. अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास जंगल में मिली सोने और कैश से लदी कार का सौरभ शर्मा से कनेक्शन पूरी तरह साफ हो चुका था. इस के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में सौरभ, उस के रिश्तेदारों और सहयोगियों के पास जो बेनामी संपत्तियां मिली थीं,

उन्हें भी इनकम टैक्स अधिकारियों ने जांच में लेते हुए संपत्तियों को अटैच करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. सौरभ को यह डर सताता था कि नोट जल्दी खराब हो जाते हैं, इस वजह से रुपए के  बदले में उस ने सोना और चांदी का स्टौक बनाना शुरू कर दिया था. बताया जाता है कि सौरभ समयसमय पर अपने जमा नोटों पर एक स्प्रे भी करता था, जिस से दीमक लगने का डर नहीं रहता था.

घर पर मिला बेशकीमती सामान

इस के बाद 27 दिसंबर, 2024 को सौरभ और उस के सहयोगियों के भोपाल, ग्वालियर और जबलपुर के ठिकानों पर ईडी ने रेड की और  6 करोड़ की एफडी, 4 करोड़ बैंक खातों में जमा और 23 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज बरामद किए. 17 जनवरी, 2025 को ईडी ने सौरभ शर्मा से जुड़े रिश्तेदारों और करीबियों के भोपाल, ग्वालियर और पुणे के ठिकानों पर छोपमारी की, जहां से 12 लाख रुपए नकद, 9.9 किलोग्राम चांदी और डिजिटल डिवाइस को बरामद किया था.

मामला सामने आने के बाद जब पुलिस ने सौरभ शर्मा की मम्मी उमा शर्मा से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि सौरभ जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी के मामले में मुंबई गया है, लेकिन खोजबीन करने पर पाया गया कि वह दुबई में है. वहीं लोकायुक्त ने अरेरा कालोनी के जिस औफिस में छापा मारा था, उस में भी जयपुरिया स्कूल की फ्रेंचाइजी का एक बोर्ड मिला था, क्योंकि सौरभ यही स्कूल खोलने वाला था. खास बात यह है कि इसी औफिस में जमीन के नीचे 2.34 क्विंटल चांदी की सिल्लियां दबी हुई थीं, जिसे लोकायुक्त ने निकाला था. जबकि स्कूल का निर्माण जिस जमीन पर किया जा रहा था, वह जमीन एनजीओ की बताई गई.

ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि उसे एनजीओ की जमीन मिली कैसे. स्कूल की बिल्डिंग से ले कर सेटअप तक में 10 करोड़ रुपए का खर्च होने का अनुमान लगाया गया. बताया जा रहा है कि सौरभ 2025 से यह स्कूल शुरू करने की तैयारी में था. सौरभ के घर पर 3 अलमारियों से 100 से ज्यादा फाइलें, लाखों रुपए कीमत की हीरे की अंगूठी, 15 लाख की कीमत का लेडीज पर्स, ढाई लाख नकद, आरटीओ की रसीदों के कट्टे, 74 एलईडी टीवी, एक कार समेत 2.21 करोड़ रुपए का सामान, सोने और हीरे के करीब 50 लाख रुपए के जेवर, 1.15 करोड़ रुपए नकद मिला कर घर से कुल मिला कर 3.86 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई. जबकि सौरभ के दूसरे ठिकानों से 7.98 करोड़ रुपए का सामान बरामद किया गया.

2023 तक परिवहन विभाग का कांस्टेबल रहा सौरभ शर्मा मूलरूप से मध्य प्रदेश के मुरैना जिले का रहने वाला है. असल में उस के फादर डा. आर.के. शर्मा ग्वालियर जेल में स्वास्थ्य अधिकारी थे. लिहाजा उन का परिवार ग्वालियर में ही रहने लगा था. सौरभ की शुरुआती पढ़ाईलिखाई ग्वालियर में ही पूरी हुई थी. सौरभ शर्मा का सपना आईएएस बनने का था, वह बड़ा अधिकारी बनना चाहता था. कालेज तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सौरभ अपने भाई के साथ दिल्ली चला गया.  वहां रह कर वह संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करने लगा.

दोनों भाई दिल्ली में रह कर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी तो करने लगे, लेकिन सौरभ का सेलेक्शन यूपीएससी या पीसीएस  के लिए नहीं हो पाया, जबकि उस के बड़े भाई सचिन का चयन छतीसगढ़ लोक सेवा आयोग में हो गया. इस के बाद भी सौरभ लगातार सिविल सर्विसेज की तैयारी करता रहा, लेकिन सफलता उस से कोसों दूर ही रही. सौरभ जब सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था, उसी समय वर्ष 2015 में उस के पापा की हार्टअटैक से मौत हो गई. इस के बाद तो सौरभ के सपने बिखर गए. उस ने यूपीएससी और सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी छोड़ दी.

सौरभ शर्मा को 2015 में राज्य परिवहन विभाग में अनुकंपा के आधार पर कांस्टेबल के रूप में नियुक्ति मिल गई. इस के बाद उस ने वर्ष 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले लिया. कहते हैं कि सौरभ बचपन में शांत स्वभाव का था. वह परिवहन विभाग में नौकरी लगने के बाद भोपाल ही रहता था. उस की मम्मी उमा शर्मा राजनीति में सक्रिय रहती थीं. उन के मायके में 3 लोग डीएसपी थे.

कैसे बना कांस्टेबल से करोड़ों का बिल्डर

2023 में नौकरी से वीआरएस लेने के बाद सौरभ ने अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई. ड्राइवर की भूमिका में दिखने वाला चेतन सिंह गौर, शरद जायसवाल और रोहित तिवारी इसी कंपनी में डायरेक्टर थे. दिलचस्प बात यह है कि 22 नवंबर, 2021 को शुरू की गई यह कंपनी कारपोरेट अफेयर्स मंत्रालय से रजिस्टर्ड है. अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआती लागत 10 लाख रुपए थी. वर्तमान में कंपनी का टर्नओवर नहीं खोला गया है. 31 मार्च, 2023 को कंपनी की आखिरी वार्षिक बैठक हुई थी. बताया जाता है कि पूर्व मंत्री के.पी. सिंह ने सौरभ से शरद जायसवाल की मुलाकात कराई थी.

आरटीओ में ही कार्यरत एक स्टेनोग्राफर सौरभ का रिश्तेदार था, उसी ने सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति कराने के लिए लौबिंग की थी. इस के बाद तो सौरभ ने ऐसे दांवपेंच खेले कि वह एक पूर्व मंत्री का खास बन गया. सौरभ ने अपने स्टेनोग्राफर रिश्तेदार के जरिए चिरुला बैरियर को ठेके पर ले कर चलवाया. कमाई का ऐसा चस्का लगा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के सभी बैरियर के ठेके लेने लगा. इस बीच प्रदेश में बीजेपी की सरकार आई और मुख्यमंत्री का चेहरा बदल गया. पूर्व मंत्री को इस बार मंत्री पद नहीं मिला. इसी बात से खौफ में आ कर सौरभ ने नौकरी से वीआरएस ले लिया. लेकिन उस ने परिवहन विभाग में और अपने ही दोस्तों से दुश्मनी मोल ले ली थी.

सौरभ के 2 खास व्यक्तियों ने वर्तमान सरकार के करीबियों को इस की मुखबिरी कर जांच एजेंसियों को इस की खबर कर दी. जांच के अनुसार सौरभ शर्मा के परिवार का कारोबार लगभग 500 करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. इस भ्रष्टाचार में सौरभ की पत्नी दिव्या तिवारी, ससुर चेतन, मां उमा, और बेटे अविरल का नाम सामने आया है. ये सभी परिवार के सदस्य काले धन के अलगअलग स्रोतों से जुड़े हुए हैं और उन के नाम पर कई संपत्तियां दर्ज हैं.

इंद्रा सागर डैम का टेंडर सौरभ की पत्नी दिव्या तिवारी और ससुर चेतन के नाम पर है. इस के अलावा इंदौर में 3 घर और ग्वालियर में 18 एकड़ जमीन दिव्या और चेतन के नाम पर पाई गई. उस के बेटे अविरल के नाम पर लाखों रुपए की एफडी भी मिली है. परिवार के बाकी सदस्यों सास उमा और ससुर चेतन के नाम पर भी कई संपत्तियां मिलीं, जिन में सूखी सेवनिया में वेयरहाउस और कोलार में एक स्कूल शामिल है. सौरभ शर्मा के परिवार की संपत्तियां केवल मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं हैं बल्कि देश भर में फैली हुई है. मयूर विहार, अरेरा कालोनी, 11 नंबर और प्रधान मंडपम में 4 बंगले हैं, जिन का मालिकाना अधिकार फेमिली के पास है. इस के अलावा होशंगाबाद रोड और औबेदुल्लागंज रोड पर 3 पेट्रोल पंप हैं, जो परिवार के नाम पर हैं. शाहपुरा में एक निर्माणाधीन स्कूल और इंदौर के विजयनगर में एक होटल भी है.

सौरभ शर्मा के साथी शरद जायसवाल के नाम पर भी कई संपत्तियां हैं, इन में ई-8 में एक 3.30 करोड़ रुपए की कीमत का घर शामिल है. इस के अलावा शाहपुरा में एक फजीटो नाम का रेस्टोरेंट भी है, जो इस परिवार के बिजनैस नेटवर्क का हिस्सा है. इन सभी खुलासों से ये स्पष्ट होता है कि सौरभ शर्मा और उस के परिवार ने भ्रष्टाचार और काले धन के माध्यम से अपनी संपत्ति को बढ़ाया.

पत्नी दिव्या तिवारी के थे ठाठ निराले

सौरभ शर्मा के पास अकूत धनसंपत्ति है. परिवहन विभाग में रह कर अपनी राजनीतिक पहुंच के बलबूते उस ने अपनी कमाई के जरिए करोड़ों रुपए छापे. साथ ही उस दौलत को सफेद बनाने के लिए कई ट्रिक भी अपनाई थीं. सौरभ ने अपने पैसों को दूसरे के जरिए निवेश करवाया, साथ ही वह संपत्ति अपनी मम्मी के नाम पर दान के रूप में ली. यही नहीं, सौरभ की पत्नी दिव्या तिवारी भी रईसी ठाठ से रहती थी. किसी को शक न  हो कि वह सौरभ की पत्नी है, इसलिए दस्तावेजों पर अकसर अपने पिता का नाम लिखती थी. लोकायुक्त की छापेमारी के बाद कुछ ऐसे दस्तावेज सामने आए, जिस में सौरभ के साम्राज्य के बारे में खुलासा हुआ.

दिव्या तिवारी ने पहली अप्रैल, 2022 को ग्वालियर के गांव मुगालिया कोट में 2.6150 हेक्टेयर जमीन किसान काशीराम से खरीदी थी. रजिस्ट्री के समय इस जमीन का बाजार मूल्य एक करोड़ रुपए से अधिक था. इसी प्लौट का हिस्सा दिव्या तिवारी ने अपनी बहन रेखा तिवारी को दान में दिया. दिव्या ने यह जमीन 11 जुलाई, 2023 को दान में दी थी. दान की गई भूमि 1.012 हेक्टेयर है, इस के पेपर भी जांच अधिकारियों के हाथ लग गए.

अविरल कंस्ट्रक्शन में शरद और चेतन को क्यों बनाया भागीदार

पता चला कि इसी साल नवरात्रि के समय दिव्या तिवारी ने अहमदाबाद से स्पैशल लहंगा और्डर किया था. यह लहंगा उस ने गरबा के लिए और्डर किया था. इस लहंगे की कीमत करीब 14 लाख रुपए बताई गई. इस के दस्तावेज इनकम टैक्स अधिकारियों के हाथ लग गए. सौरभ को महंगी घडिय़ों का शौक था. उस के घर से रोलेक्स घड़ी मिली है, जिस की कीमत करीब 10 लाख रुपए बताई जा रही है. साथ ही लग्जरी गाडिय़ां भी मिली हैं. यही नहीं, सौरभ शर्मा का मकान भी भोपाल के पौश इलाके में है. एजेंसियों की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि उस की मम्मी उमा शर्मा को भी गिफ्ट में कई प्लौट मिले हैं.

सौरभ के प्रमुख सहयोगी शरद जायसवाल ने मुंबई के एक प्रतिष्ठित कालेज से मास्टर औफ बिजनैस एडमिनिस्ट्रैशन (एमबीए) किया है. इस के बाद उस ने नागपुर, भोपाल और इंदौर में कंस्ट्रक्शन के कई काम किए. 4 साल पहले उस की पत्नी और उस ने सेपरेट होने का फैसला लिया. शरद के दोनों बच्चों की कस्टडी उसी के पास है. शरद बैडमिंटन और क्रिकेट का अच्छा प्लेयर है और भोजपुर क्लब का रजिस्टर्ड मेंबर है. शरद के पापा वल्लभ भवन के क्लास टू अफसर रहे हैं और अब वे रिटायर हो चुके हैं. लोकायुक्त की पूछताछ में शरद ने बताया कि पुश्तैनी जमीन को बेचने के बाद पिता ने उसे कारोबार शुरू कराया था.

लोकायुक्त पुलिस को पूछताछ में शरद ने बताया, ”सौरभ से मेरी मुलाकात करीब साढ़े 4 साल पहले हुई थी. मैं पहले से ही कंस्ट्रक्शन फील्ड में था. सौरभ ने रोहित तिवारी के नाम से  भोपाल में ई-7/78 नंबर बंगला खरीदा था. इस बंगले के मोडिफिकेशन का काम मैं ने किया था. सौरभ मेरे काम की अकसर तारीफ करता था, इस वजह से हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई. शुरुआत में वह खुद को आरटीओ का अधिकारी बताता था. धीरेधीरे सौरभ को मेरे काम में इंटरेस्ट दिखाई देने लगा तो सौरभ ने मुझे कंस्ट्रक्शन के बड़े ठेके उठाने का औफर दिया.’’

इस के बाद दोनों ने साथ काम शुरू किया. रुपए की कमी होने पर सौरभ पूरी मदद करता. कई जमीनों की खरीदफरोख्त सौरभ ने शरद के कहने पर की. धीरेधीरे सौरभ ने शरद को होटल संचालन और रेस्टोरेंट बिजनैस की देखरेख का जिम्मा भी दिया. फिर अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी का रजिस्ट्रैशन कराया, जिस में चेतन और शरद को बराबरी का हिस्सेदार बनाया.

अपनी बेगुनाही को साबित करने के लिए शरद ने अपनी पूरी संपत्ति का हिसाब देने की बात कही. शरद की मानें तो चेतन जयपुरिया स्कूल में सौरभ का अदना सा कर्मचारी था, जो 2 कमरों में रहता था. उस के नाम पर जो करोड़ों रुपए की संपत्ति है, वह सौरभ की है. चेतन ने लोकायुक्त के अधिकारियों को बताया कि 5 साल पहले सौरभ उसे ग्वालियर से भोपाल लाया था, वह सौरभ के पास सैलरी पर जौब करता था. सौरभ के करीबी चेतन सिंह गौर के नाम पर अविरल पेट्रोप पंप संचालित है. इस पेट्रोल पंप से भी सौरभ को लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन होने के सबूत मिले. यहां भी नकद में काली कमाई का उपयोग करने का संदेह अधिकारियों को है. इस के अलावा सौरभ के शेयर मार्केट में भी पैसा लगाने की जानकारी मिली है.

सौरभ शर्मा ने उत्तर प्रदेश के ललितपुर में चेतन सिंह गौर के नाम पर राजघाट में मछली पालन का ठेका लिया, यहां से हर दिन डेढ़ से 2 लाख रुपए का ट्रांजैक्शन होने की जानकारी सामने आई. ऐसे में एजेंसी को शक है कि काली कमाई को सफेद करने के लिए इस का इस्तेमाल किया गया है.

चैकपोस्ट से होती थी वसूली, डायरी ने खोले छिपे हुए राज

सौरभ शर्मा के केस में एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हुए. आईटी टीम के हाथ सौरभ शर्मा की डायरी लगी. इस डायरी में परिवहन विभाग की वसूली का लेखाजोखा लिखा गया था, जिस में एमपी के 52 जिलों के आरटीओ, 23 चैकपोस्ट से वसूले पैसे के वितरण की नामजद लिस्ट भी थी. जांच अधिकारियों को यह भी पता चला है कि सौरभ परिवहन विभाग में तबादलों के रेट फिक्स करता था. आदेश तत्कालीन परिवहन मंत्री के करीबी संजय निकलवाते थे. डायरी हाथ लगने के बाद परिवहन विभाग के जरिए काली कमाई करने वालों में हलचल मच गई.

सौरभ शर्मा के घर से जांच एजेंसियों को परिवहन चौकियों के हिसाब का ब्यौरा मिला, जो कई डायरियों में दर्ज था. इन में मध्य प्रदेश के कई चैकपोस्ट से रोजाना होने वाली वसूली का जिक्र है. डायरियों के अलावा एजेंसियों को कई टेक्निकल एविडेंस भी मिले, जिन की जांच जारी है. सोशल मीडिया में एक कथित सूची वायरल हुई, जिस में टीएम और टीसी जैसे शब्दों के साथ नीचे परिवहन चौकियों के नाम और उस के आगे राशि लिखी हुई है. राशि हजार में, लाख में या करोड़ में है, यह सूची में नहीं है. अनुमान लगाया जा रहा है कि सूची में लिखा टीएम यानी ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर और टीसी यानी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हो सकता है.

इस डायरी को ले कर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते हुए बयान दिया था, ”तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ऊपर सिंधिया का इतना दबाव था कि परिवहन मंत्रालय गोविंद राजपूत को दिया जाए. परिवहन विभाग में नियुक्ति के लिए कमलनाथ ने एक बोर्ड बना दिया था. बोर्ड के जरिए नियुक्ति होती थी. कांग्रेस सरकार गिरने पर कमलनाथ द्वारा गठित बोर्ड को खत्म करवा दिया गया.’’

मध्य प्रदेश में काली कमाई का कारोबार किस कदर बढ़ रहा है, इस का अंदाजा सौरभ शर्मा के पास मिले करोड़ों रुपए के कैश और संपत्ति से लगाया जा सकता है. राज्य की लोकायुक्त पुलिस ने सौरभ शर्मा के घर और औफिस से 2 करोड़ 87 लाख नकद जब्त किए थे. अब ईडी द्वारा 23 करोड़ रुपए नकद बरामद होने के बाद सौरभ शर्मा के पास से कुल बरामद कैश की कीमत बढ़ कर 25 करोड़ 87 लाख रुपए हो गई है.

रोहित तिवारी ने मिलाया था शरद से

सौरभ को शरद जायसवाल से रोहित तिवारी ने मिलवाया था. रोहित सौरभ का साला है. सौरभ ने अपने साले रोहित को जबलपुर में एक आलीशान कोठी बना कर दी थी, जिस का नाम मां उमा निवास रखा गया. ईडी की पूछताछ में यह बात सामने आई कि आरटीओ का करोड़पति पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा और उस का सब से बड़ा राजदार शरद जायसवाल, जबलपुर के रोहित तिवारी के मार्फत एकदूसरे के संपर्क में आए थे. 2014-15 में भोपाल की एक फर्म ने जबलपुर में कालोनी बनाई थी, इस में शरद जायसवाल ने कई प्लौट बिकवाए थे. यहीं से शरद सौरभ के साले रोहित तिवारी के संपर्क में आया और उस का भरोसेमंद हो गया.

2015-16 में सौरभ ने भोपाल की प्रौपर्टी डीलिंग फर्म से किनारा किया, बाद में रोहित तिवारी के लिए इनवेस्टर तलाशने का काम करने लगा. इस के बाद भोपाल के चूना भट्टी में फगीटो रेस्टोरेंट शुरू किया. इसी दौरान रोहित ने शरद और सौरभ की मुलाकात कराई. शरद की मदद से सौरभ ने भोपाल, इंदौर में कई संपत्तियां खरीदीं. 2011 में शरद जायसवाल भोपाल के 10 नंबर मार्केट स्थित एक फर्म में जौब करता था. यह फर्म बिल्डर्स की प्रौपर्टी बिकवाने का काम करती थी. इस में 50 से अधिक कर्मचारी थे. शरद 10 ब्रोकर्स की टीम का लीडर था. उस समय वह 6 नंबर स्थित एक साधारण फ्लैट में फेमिली के साथ रहता था.

अवैध खनन और शराब से जोड़ी दौलत

इसी फर्म ने 2014 में जबलपुर में एक प्रोजेक्ट लांच किया. फर्म का बतौर कालोनाइजर जबलपुर में यह पहला प्रोजेक्ट था. शरद इस फर्म के कर्ताधर्ताओं का खास था. लिहाजा उसे जबलपुर के प्रोजेक्ट की लांचिंग से ले कर बिक्री तक की बड़ी जिम्मेदारी मिली. यहां उस ने अपने संपर्क का इस्तेमाल कर कई प्लौट्स की बिक्री कराई. लोकल सपोर्ट के लिए सौरभ के साले बिल्डर रोहित तिवारी को भी इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था. यहीं से शरद और रोहित संपर्क में आए थे. उस ने रोहित का भरोसा जीता. 2016 में भोपाल की फर्म से रिजाइन दिया और बाद में स्वयं ठेकेदारी करने लगा.

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा से बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी ने सौरभ शर्मा केस में पिछोर से पूर्व विधायक के.पी. सिंह की ओर बड़ा निशाना साधा है. उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा कि मध्य प्रदेश में कुबेर का खजाना पकड़ा गया और वह कुबेर का खजाना हमारे पिछोर के पूर्व विधायक का है. हमारे पूर्व विधायक ने पिछोर का पूरा खजाना खाली कर दिया. यह पिछोर व इस के आसपास किए गए अवैध उत्खनन और शराब का अवैध पैसा है.

खोदा पहाड़ निकली चुहिया

पूरे मामले में सरकारी जांच एजेंसियों की लचर कार्यप्रणाली को ले कर फिर आलोचना हो रही है. 10 फरवरी को ईडी ने तीनों को एक सप्ताह की रिमांड पर लिया था. लेकिन एक सप्ताह की पूछताछ में भी ईडी यह पता लगाने में नाकामयाब रही कि करोड़ों रुपए के कैश और 54 किलोग्राम सोना और 2.34 क्विंटल चांदी आखिर किस की है. लोकायुक्त ने 29 जनवरी को सौरभ को भोपाल से गिरफ्तार किया था. इस के बाद उसी दिन चेतन और शरद को भी हिरासत में ले लिया. 4 फरवरी तक लोकायुक्त पुलिस ने उन से पूछताछ की, लेकिन कोई बड़ा खुलासा नहीं हुआ.

लोकायुक्त पुलिस पूरे समय तीनों आरोपियों के सुरक्षा प्रोटोकाल पर ज्यादा फोकस करती रही. हर दिन मैडिकल जांच कराई गई, लेकिन टीम सौरभ से यह नहीं उगलवा पाई कि आखिर इतना पैसा कहां से आया? लोकायुक्त अधिकारियों ने यह भी कहा कि उन की जांच का फोकस सिर्फ सौरभ की 8 साल की नौकरी में हासिल की गई प्रौपर्टी है. इस दौरान अर्जित की गई काली कमाई का उस ने कहांकहां निवेश किया? अविरल कंस्ट्रक्शन नाम की जिस कंपनी के नाम पर सौरभ ने कई शहरों में प्रौपर्टी खरीदी है, उस के लिए पैसा कहां से आया, यह भी बहुत स्पष्ट नहीं हो सका है.

7 दिनों की रिमांड खत्म होने के बाद 17 फरवरी, 2025 को सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल को कोर्ट में पेश किया गया. इस दौरान तीनों आरोपियों के फेमिली वाले भी अदालत में मौजूद थे. ईडी की विशेष अदालत में सौरभ, चेतन और शरद को ले कर सुनवाई पूरी हुई, जिस के बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को 14 दिन की ज्यूडिशियल रिमांड पर भेज दिया.