जब बिगड़ी बात तब हुआ फसाद

हेमंत कटारे मध्य प्रदेश में भिंड जिले की अटेर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक हैं. इस सीट से साल 2013 में उन के पिता सत्यदेव कटारे जीते थे जो विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.

पिता की मौत से उपजी हमदर्दी और कांग्रेस के दिग्गज नेता व गुना के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया से नजदीकियों का फायदा हेमंत कटारे को उपचुनाव में मिला और उन्होंने भाजपा के वजनदार उम्मीदवार अरविंद भदौरिया को 800 वोटों के अंतर से हरा दिया.

हेमंत कटारे जीत कर भोपाल आए तो उन का स्वागत किसी हीरो की तरह धूमधड़ाके से हुआ. कई पत्रकारों ने उन के इंटरव्यू लिए थे. उन में से एक थी 21 साला खूबसूरत प्रिंशु सिंह जो कुछ करगुजरने की चाह लिए पत्रकारिता की पढ़ाई करने भोपाल आई थी.

प्रिंशु सिंह भोपाल की माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता यूनिवर्सिटी के आखिरी साल में थी और पिछले साल उस ने पढ़ाई में गोल्ड मैडल हासिल किया था.

यह प्यार था या…

हेमंत कटारे और प्रिंशु सिंह की नजर पहली दफा जो मिली तो वे दोनों दोस्त बन गए और फिर आम प्रेमियों की तरह भोपाल में छिप कर इधरउधर मिलने लगे.

हेमंत कटारे इस प्यार को छिपाए रखना चाहते थे क्योंकि उन के राजनीतिक कैरियर की अभी शुरुआत थी. प्यार उजागर होता तो बदनामी भी होती. दो टूक कहा जाए तो वे इश्क की रंगीनियों में तो रहना चाहते थे लेकिन प्रिंशु सिंह से शादी नहीं करना चाहते थे और इस बाबत उन्होंने प्रिंशु सिंह से कोई वादा भी नहीं किया था.

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आजकल के ज्यादातर नौजवान प्यार तो किसी और से करते हैं पर शादी किसी और से करते हैं. इसी दौरान दोनों मरजी से हमबिस्तरी का भी लुत्फ उठा लें तो भी बात हैरत की नहीं रह जाती.

प्यार में दिक्कत तब खड़ी होती है जब दोनों में से कोई एक जज्बातों और हमबिस्तरी की कीमत मांगते हुए दूसरे को ब्लैकमेल करने लगे, धमकी देने लगे या फिर डर के मारे किसी तरह का जिस्मानी नुकसान पहुंचाए.

प्यार अगर वक्तीतौर पर जिस्मानी सुख भोगने का जरीया हो और वक्त रहते ही आशिकमाशूक अपने रास्ते अलग न करें तो तय है कि वे किसी हादसे या आफत की गिरफ्त में आने वाले होते हैं. ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ.

जब खुले राज तो

मध्य प्रदेश की सियासत में जनवरी और फरवरी के महीने में हेमंत कटारे और प्रिंशु सिंह की मुहब्बत के चर्चे अलगअलग अंदाज से किसी टैलीविजन सीरियल की तरह होते रहे जिन्हें आम लोगों ने भी चटकारे ले कर दिलचस्पी से सुना.

14 जनवरी, 2018 को प्रिंशु सिंह ने एक वीडियो वायरल करते हुए हेमंत कटारे पर इलजाम लगाए कि वे उस का बलात्कार करते रहे हैं. प्रिंशु सिंह ने यह भी दावा किया कि उस के पास हेमंत कटारे के ऐसे वीडियो और आडियो हैं जिन से यह साबित होता है कि हेमंत कटारे उसे प्यार के झांसे में ले कर धोखा देते रहे हैं और अब उसे डराधमका रहे हैं.

वीडियो वायरल हुआ तो हाहाकार मच गया. वजह, इलजाम पत्रकारिता की एक छात्रा ने विधायक पर लगाया था. शुरुआत में तो लोग इसे प्रिंशु सिंह की सनक और ब्लैकमेलिंग समझते रहे पर दाल में काला है यह खुद हेमंत कटारे ने साबित कर दिखाया.

तीसरे दिन ही हेमंत कटारे ने भी खुद का बनाया एक वीडियो वायरल किया जिस में वे कह रहे हैं कि प्रिंशु सिंह उन्हें ब्लैकमेल कर रही है और 2 करोड़ रुपए न देने पर उन की राजनीतिक और निजी जिंदगी तबाह करने की धमकी दे रही है.

इस वीडियो में हेमंत कटारे ने विक्रमजीत सिंह नाम के एक शख्स का भी जिक्र किया कि उस ने प्रिंशु सिंह की तरफ से पैसे मांगे थे.

विक्रमजीत सिंह भोपाल के एक कार शोरूम जीवन मोटर्स में काम करता है और भारतीय जनता पार्टी का छोटामोटा नेता भी है इसलिए मामला मुहब्बत का कम सियासत का ज्यादा हो चला.

हेमंत कटारे को विक्रमजीत सिंह और प्रिंशु सिंह मिल कर ब्लैकमेल कर रहे थे या नहीं यह राज अब देर से ही सही पर खुलेगा जरूर लेकिन प्रिंशु सिंह को हेमंत कटारे से इस तरह के सख्त जवाब की उम्मीद नहीं थी.

हेमंत कटारे ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा दी थी और प्रिंशु सिंह की गिरफ्तारी के बाद वीडियो वायरल किया था.

पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद हेमंत कटारे ने प्रिंशु सिंह को भोपाल के कारोबारी इलाके एमपी नगर के पास चेतक ब्रिज पर बुलाया और उसे एडवांस में 5 लाख रुपए दिए.

इस तयशुदा जगह पर पुलिस वाले सादी वरदी में पहले से ही तैनात थे जिन्होंने प्रिंशु सिंह को नकद 5 लाख रुपए के साथ गिरफ्तार कर ब्लैकमेलिंग के इलजाम में जेल भेज दिया.

हेमंत कटारे का वीडियो वायरल हुआ तो एक तरह से यह साफ हो गया कि प्रिंशु सिंह उस से सौदेबाजी कर रही थी और उस सौदे की दलाली विक्रमजीत सिंह कर रहा था.

रोजे गले पड़े

प्रिंशु सिंह के जेल चले जाने के बाद हेमंत कटारे ने छुटकारे की मीलों लंबी सांस ली कि चलो पिंड छूटा. पर तब तक राज्य की सियासत में काफी भूचाल आ चुका था. भाजपाई तो खामोश थे लेकिन कांग्रेसी दिग्गज नेता अजय सिंह राहुल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी हेमंत कटारे को बेगुनाह बताते हुए इस मामले को भाजपा की साजिश बताया.

जेल जा कर प्रिंशु सिंह खामोश नहीं बैठी बल्कि पेशी के दिन उस ने अदालत में पत्रकारिता यूनिवर्सिटी से आए अपने दोस्तों से कहा कि वह बेगुनाह है. हेमंत कटारे और पुलिस वाले मिले हुए हैं.

प्रिंशु सिंह का दूसरा वीडियो उस की गिरफ्तारी के बाद वायरल हुआ था जिस में वह अपने पहले के वीडियो के बाबत बारबार माफी मांगती नजर आ रही थी कि उस ने यों ही मजाक में वीडियो वायरल कर दिया था, क्योंकि हेमंत कटारे ने उस से मिलने की पेशकश बड़ी बेरुखी से ठुकरा दी थी.

यह वीडियो तब वायरल हुआ जब प्रिंशु सिंह जेल में थी और पुलिस उस का मोबाइल फोन जब्त कर चुकी थी. फिर वीडियो कैसे बना और वायरल हुआ इस बाबत प्रिंशु सिंह साफसाफ कुछ नहीं बोली तो अंदाजा यह लगाया गया कि विक्रमजीत सिंह ने बचाव के लिए यह वीडियो पहले से ही तैयार कर रखा था कि अगर हेमंत कटारे झांसे या धमकी में न आए तो मामले पर लीपापोती यों ही हंसीमजाक में की जा सके.

जेल से प्रिंशु सिंह ने हेमंत कटारे पर फिर पुराने इलजाम दोहराए और जमानत की मांग की जो उसे मिल भी गई. बारी अब खुद को सयाना समझ रहे हेमंत कटारे की थी जिन के खिलाफ पुलिस ने प्रिंशु सिंह की शिकायत पर बलात्कार और अपहरण का मामला दर्ज कर लिया.

वारंट जारी होते ही हेमंत कटारे फरार हो गए और खुद की बेगुनाही साबित करने का वीडियो वायरल करते रहे.

इधर विक्रमजीत सिंह ने भी एक वीडियो वायरल कर डाला कि वह तो हेमंत कटारे के कहने पर इन दोनों के बीच बात बनाने की कोशिश कर रहा था.

बकौल विक्रमजीत सिंह, हेमंत कटारे ने एक कांग्रेसी नेता के जरीए उसे कहलवाया था कि मामला रफादफा करवाओ, क्योंकि उन की सगाई हो चुकी है और अप्रैल में शादी होने वाली है.

यानि कुछ ऐसा था जिस से हेमंत कटारे डर रहे थे, लेकिन वह जो भी था इतना नहीं था कि उस की कीमत 2 करोड़ रुपए दी जाए पर सौदा 50 लाख रुपए में तय हुआ था.

पुलिस ने बिगाड़ी बात

देखा जाए तो यह प्यार में सौदेबाजी का मामला था जिस में प्रिंशु सिंह हेमंत कटारे की जिंदगी से हट जाने और राज छिपाए रखने की कीमत मांग रही थी. चूंकि यह काम वह अकेले नहीं कर सकती थी इसलिए उस ने अपने दोस्त विक्रमजीत सिंह को साथ मिला लिया था.

प्रिंशु सिंह को उम्मीद थी कि पहला वीडियो वायरल होते ही हेमंत कटारे डर के मारे उस की मांगें मान लेंगे और उसे तगड़ी रकम मिल जाएगी, लेकिन मामला पुलिस में पहुंचा तो फिर इन दोनों के हाथ में कुछ नहीं रह गया.

पुलिस वालों ने इस मामले में दोनों तरफ से मलाई काटी और चाटी. पहले प्रिंशु सिंह को गिरफ्तार कर हेमंत कटारे को बेफिक्र कर दिया गया और फिर उन्हें ही गिरफ्तार कर हमेशा के लिए उन के दामन पर दाग लगा दिया.

इधर प्रिंशु सिंह की मां भोपाल आईं और उन्होंने भी वीडियो के जरीए कहा कि उन की बेटी बेकुसूर है, उस के साथ कोई गंदा काम नहीं हुआ है. विक्रमजीत सिंह ने प्रिंशु सिंह को बहकाया है.

किस ने किस को कितना बहलाया था यह सब अब अदालत में तय होगा. एक तरफ मां हेमंत कटारे को क्लीन चिट दे रही हैं तो बेटी खुलेआम उन्हें बलात्कारी बता रही है.

हेमंत कटारे को एक लड़की से सैक्सी चैटिंग भारी पड़ गई या सचमुच उन के प्रिंशु सिंह से जिस्मानी रिश्ते थे, ऐसे कई राज अब अदालत में खुलेंगे. जाहिर है कि कई राज दफन भी रहेंगे.

हेमंत कटारे की फरारी ने उन्हें शक के दायरे में ला खड़ा कर दिया. कल तक कंधे से कंधा मिला कर चल रहे कांग्रेसी अब उन से किनारा करने लगे हैं.

महंगा पड़ा नौसिखियापन

हेमंत कटारे की समझ पर जवानी का जोश भारी पड़ा और वे सियासत का पहला सबक भी नहीं समझ पाए कि इस में कोई किसी का सगा नहीं होता. इस नौसिखिएपन और नासमझी की सजा वे भुगत भी रहे हैं. कल तक जिन विधायक के साथ गनमैनों और समर्थकों का कारवां चला करता था, वे अब तनहाई में दिन काट रहे हैं.

मुद्दे की बात प्यार में बेईमानी है जो प्रिंशु सिंह ने भी की थी और हेमंत कटारे ने भी. पर दोनों को बेईमानी का भी सलीका नहीं आता था.

मामूली खातेपीते घर की प्रिंशु सिंह रातोंरात नाम कमा लेना चाहती थी जो उसे मिला तो पर इस तरीके से कि शायद ही कोई मीडिया हाउस अब उसे नौकरी दे. उस के एक दोस्त के मुताबिक प्रिंशु सिंह की शादी 23 फरवरी को होनी थी जो इस मामले की वजह से खटाई में पड़ गई है.

हेमंत कटारे का राजनीतिक कैरियर भी डांवांडोल हो गया है. जो साख उन के पिता ने कमाई थी वह एक नासमझी के चलते धूल में मिल गई है.

बेपनाह इश्क की नफरत : 22 साल की प्रेमिका का कत्ल

ज्योति की मोहब्बत में छिपा खंजर

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के गांव दिखतौली के पास प्रतापपुर रोड के किनारे खेतों में ग्रामीण अपने पशुओं को चरा रहे थे. दोपहर एक बजे का समय था. तभी एक ग्रामीण की नजर सड़क किनारे खंदी में पेड़ के नीचे पड़ी बोरी पर गई. पास जा कर देखा तो बोरी से खून रिस रहा था.

उस ने आवाज दे कर अन्य साथियों को वहां बुला लिया. ग्रामीणों को यह समझते देर नहीं लगी कि बोरे में लाश है. इसी बीच किसी ने थाना शिकोहाबाद में फोन कर के पुलिस को सूचना दे दी.

सूचना पा कर कुछ ही देर में एसएचओ प्रदीप कुमार कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. शव को 2 बोरियों में भर कर यहां डाला गया था. एक बोरी सिर की ओर तथा दूसरी पैरों की ओर से पहनाई गई थी, जबकि शरीर का बीच का हिस्सा एक बैडशीट में लपेटा गया था. पुलिस ने दोनों बोरियों को हटा कर लाश को बाहर निकाला.

वह लाश 32-33 साल के किसी हट्टेकट्टे युवक की थी. मृतक काले रंग की शर्ट व सफेद पैंट पहने हुए था. पहनावे से युवक किसी अच्छे परिवार का लग रहा था. उस के सिर पर गहरी चोट थी, जिस से खून रिस रहा था. ऐसा लग रहा था कि युवक की हत्या कुछ घंटे पहले ही की गई थी.

इस के अलावा भी शरीर पर चोटों के निशान दिखाई दे रहे थे. शव की बाईं कलाई में घड़ी बंधी थी, वहीं कलाई पर अंगरेजी में बबलू सिंह गुदा हुआ था. जबकि दाएं हाथ पर ‘ॐ’ गुदा था. साथ ही मौली व काला धागा बंधा हुआ था. मृतक के गले में काले मोतियों की माला थी. सूचना मिलते ही सीओ देवेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

बोरी में लाश मिलने की खबर सुन कर वहां हड़कंप मच गया. बड़ी संख्या में ग्रामीण जमा हो गए. पुलिस ने उन से लाश की शिनाख्त कराने का प्रयास किया, लेकिन वहां मौजूद कोई भी व्यक्ति लाश को पहचान नहीं सका.

इस से पुलिस ने यही अनुमान लगाया कि युवक शायद कहीं बाहर का रहने वाला है और उस की हत्या कहीं और कर लाश किसी वाहन से रात के समय यहां ला कर फेंक दी गई है. अब सवाल यह था कि कत्ल का क्या मकसद हो सकता है? पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को मोर्चरी भेज दिया. यह घटना 14 नवंबर, 2022 की है.

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इस के बाद पुलिस ने यह पता करना शुरू कर दिया कि आसपास के थानों में इस उम्र का कोई युवक गायब तो नहीं है. लेकिन हाल के दिनों में इस तरह का कोई युवक लापता नहीं हुआ था. न ही जिले के किसी थाने में ऐसी कोई गुमशुदगी ही दर्ज थी.

हत्या के इस मामले की जांच का जिम्मा खुद एसएचओ प्रदीप कुमार ने अपने हाथ में लिया. युवक की हत्या की जानकारी मिलने पर एसएसपी आशीष तिवारी व एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने पूरे घटनाक्रम का ब्यौरा लिया.

सीओ देवेंद्र सिंह के निर्देशन में मृतक के फोटो को सोशल मीडिया पर शिनाख्त के लिए शेयर किया गया. मृतक की फोटो को दूसरे जिले के थानों में भी भेजा गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में युवक की मौत का कारण सिर पर गंभीर चोटें आना व घावों से अत्यधिक खून बहना बताया गया. 72 घंटे बाद भी शव की शिनाख्त न होने पर शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने युवक की शिनाख्त व हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की एक टीम तैयार की. इसी बीच 19 नवंबर को थाना शिकोहाबाद में कुछ लोग पहुंचे और बताया कि सोशल मीडिया से उन्हें जानकारी मिली है कि 14 नवंबर को एक युवक का बोरी में बंद शव मिला है, जिस की कलाई पर बबलू सिंह गुदा हुआ था.

पुलिस ने वहां आए हुए लोगों को बरामद अज्ञात लाश के कपड़े, घड़ी आदि सामान दिखाया तो अभय सिंह नाम के युवक ने बताया कि यह सब तो उस के भाई बबलू के हैं. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद एसएचओ ने अभय सिंह निवासी मरैहिया, थाना लोरिया, जिला पश्चिमी चंपारण (बिहार) की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएसपी आशीष तिवारी ने एसएचओ प्रदीप कुमार को शीघ्र ही घटना के खुलासे का निर्देश दिया. इस के बाद पुलिस ने मृतक के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पता चला कि बबलू का मोबाइल 13 नवंबर को शिकोहाबाद के मैनपुरी चौराहा स्थित मोहल्ला ओमनगर में आ कर बंद हुआ था.

मृतक के घर वालों से पूछताछ में पता चला कि बबलू वेल्डिंग का काम करता था. काम के सिलसिले में कभी शिकोहाबाद तो कभी इटावा भी आताजाता रहता था. यहां रहने वाली एक युवती से भी फोन पर बात करता था. काल डिटेल्स से यह भी पता चला कि बबलू की उस युवती से अकसर काफी देर तक बातें होती थीं.

इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि घटना  के पीछे इस युवती का ही हाथ हो सकता है. इसी आधार पर 19 नवंबर, 2022 को ही पुलिस टीम ने ओमनगर निवासी ज्योति नाम की उस युवती के यहां दबिश दी.

पुलिस टीम में एसएचओ प्रदीप कुमार, एसआई पुष्पेंद्र कुमार, अंकित मलिक, विक्रांत तोमर आदि शामिल थे. घर पर पता चला कि उस की शादी शिकोहाबाद के ही मोहल्ला कटरा मीरा निवासी बौबी के साथ 6 महीने पहले हुई थी. वह इस समय अपनी ससुराल में है.

तब पुलिस ने ज्योति के भाई शेखर उर्फ बृजेश को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने उस से बबलू और ज्योति के संबंधों के बारे में पूछताछ की तो वह अनभिज्ञता जाहिर करता रहा. तब पुलिस ने 25 वर्षीय ज्योति को उस की ससुराल से हिरासत में ले लिया.

पूछताछ करने पर ज्योति ने शुरू में नानुकुर की, लेकिन जब पुलिस ने काल डिटेल दिखाई तो वह टूट गई और बबलू की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.

इस हत्याकांड में ज्योति, पति बौबी व देवर राजकुमार के शामिल होने की बात भी बताई. इस पर पुलिस ने आननफानन में मोहल्ला कटरा मीरा में दबिश दे कर ज्योति, बौबी व राजकुमार को भी गिरफ्तार कर लिया.

गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त लोहे की सरिया, पाइप, लाश को फेंकने के लिए प्रयोग में लाया गया टाटा मैजिक लोडर वाहन, बबलू का आधार कार्ड, मोबाइल फोन आदि बरामद किया.

एसपी (ग्रामीण) कुंवर रणविजय सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस में बबलू की हत्या का परदाफाश करते हुए बताया कि मृतक बबलू का अपनी प्रेमिका ज्योति से पिछले 2 साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. बबलू शादी करने पर अड़ गया था. जबकि ज्योति की शादी 6 माह पहले ही हो चुकी थी. ज्योति ने अपने परिजनों के साथ षडयंत्र रच कर अपने प्यार की हत्या कर दी. बबलू की हत्या के पीछे जो कहानी निकली, वह चौंकाने वाली थी.

फिरोजाबाद जिले के कस्बा शिकोहाबाद के मोहल्ला ओमनगर निवासी 25 वर्षीय ज्योति का कासगंज में मोहन (परिवर्तित नाम) नाम का रिश्तेदार रहता है. यह रिश्तेदार भिवाड़ी (राजस्थान) में पश्चिमी चंपारण निवासी बबलू के साथ काम करता था. हमउम्र मोहन ने बबलू को ज्योति का नंबर दे दिया. ज्योति का नंबर मिलने के बाद एक दिन बबलू ने उस नंबर को मिलाया.

दूसरी ओर से किसी युवती की आवाज आई. बबलू ने पूछा, ‘‘क्या आप ज्योति बोल रही हैं?’’

एक अनजान नंबर से आए फोन पर अपना नाम सुन कर ज्योति ने पूछा, ‘‘आप कौन बोल रहे हैं? आप को मेरा नंबर किस ने दिया?’’

इस पर बबलू ने कहा, ‘‘आप के रिश्तेदार मोहन ने ये नंबर दिया है. मोहन मेरे साथ ही काम करता है.’’

इस के बाद ज्योति और बबलू की बातें  होने लगीं. बातचीत के दौरान ज्योति ने बबलू को बताया कि वह फेसबुक पर भी है.

मोबाइल पर होने वाली लंबी बातचीत धीरेधीरे दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई. ज्योति फोन कर के बबलू को शिकोहाबाद बुला लेती. फिर दोनों की मुलाकातें भी होने लगीं. ये मुलाकातें नगर के एक गेस्टहाउस में होतीं. प्रेम प्रसंग के बीच अवैध संबंध भी बन गए. बबलू ने ज्योति की कुछ अश्लील वीडियो भी बना ली थीं.

बबलू तो ज्योति की सुंदरता पर रीझ गया था. ऊपर से ज्योति की प्यार भरी मीठीमीठी बातें उसे बहुत अच्छी लगती थीं. ज्योति ने अपने रूप जाल में बबलू को इस तरह उलझाया कि वह पूरी तरह उस का दीवाना हो गया था. बबलू उस की हर फरमाइश पूरी करता.

बबलू हर हाल में ज्योति को पाना चाहता था. वह उस से जब भी शादी करने को कहता, ज्योति कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. क्योंकि उसे तो बबलू के रूप में एटीएम मिल गया था. ज्योति बबलू से रुपए भी ऐंठती रहती थी. उस ने अपने प्यार के जाल में बबलू को जिस तरह फंसाया था, वह चौंकाने वाला था.

अपने प्रेमी को अपने मोहपाश में फंसाने के बाद उस की फरमाइशें पूरी हो रही थीं. बबलू शिकोहाबाद आता और ज्योति पर जम कर खर्च करता, उस के साथ मौजमस्ती कर 1-2 दिन में वापस चला जाता.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. इसी बीच ज्योति के घरवालों ने उस की शादी शिकोहाबाद के कटरा मीरा में रहने वाले बौबी के साथ कर दी.

शादी हो जाने के बाद भी बबलू और ज्योति के बीच प्रेम प्रसंग चलता रहा. ज्योति ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को बबलू से छिपाए रखा. बबलू ज्योति से शादी करने को ले कर उस के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था.

जब ज्योति ने शादी से मना किया तो बबलू ने उसे ब्लैकमेल की धमकी दी. उस ने कहा, उस के साथ जो फोटो हैं उन्हें सोशल मीडिया पर डाल कर उसे बदनाम कर देगा.

बबलू को ज्योति के शादीशुदा होने के बारे में नहीं पता था. इसलिए वह ज्योति पर शादी का दबाव बनाने लगा था.  इस पर ज्योति ने बबलू से फोन पर बात करनी भी कम कर दी थी. शादी के लिए दबाव बनाने से प्रेमिका ज्योति परेशान हो गई. अब वह अपने किए पर पछता रही थी. उस के सामने अब प्रेमी बबलू से छुटकारा पाने का कोई रास्ता ही नहीं था. एक तरफ कुंआ तो दूसरी ओर खाई थी.

पोल खुलने के डर से ज्योति बुरी तरह डर गई थी. अंत में हिम्मत कर के ज्योति ने अपने पति बौबी को सच्चाई बताने का फैसला लिया. उस ने पति को बताया कि शादी से पहले उस की दोस्ती भिवाड़ी के एक युवक बबलू से हो गई थी. वह अब उस पर शादी के लिए दबाव बना रहा है. उस के पास उस के कुछ फोटो व वीडियो भी हैं, जिन्हें वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दे रहा है. इस पर बौबी गुस्से से उबल पड़ा.

फिर एक षडयंत्र रचा गया. 13 नवंबर, 2022 को बबलू को ज्योति ने फोन किया और  झांसा दे कर शिकोहाबाद स्थित अपने घर पर बुला लिया. शाम तक बबलू ज्योति के घर ओमनगर आ गया. रात में उस की जम कर खातिरदारी की गई. खाना खाने के बाद डबलबैड पर ज्योति और बबलू बैठ कर प्यार भरी बातें करने लगे. ज्योति के आगोश में प्यार की बातों के दौरान ही थके हुए बबलू को नींद आ गई.

रात गहराने लगी थी. ज्योति का पति और देवर ज्योति के सिगनल यानी फोन का इंतजार कर रहे थे. सिगनल मिलते ही वे आ गए. उस समय डबलबैड पर बबलू गहरी नींद में सो रहा था.

बबलू के सोते ही ज्योति, उस के पति बौबी, भाई शेखर उर्फ ब्रजेश ने बबलू के सिर पर लोहे के पाइप व सरिए से प्रहार करने शुरू कर दिए.

अचानक हुए हमले से बबलू चीख भी नहीं सका. सिर पर हुए ताबड़तोड़ प्रहार से वह वहीं ढेर हो गया. खून से बैड की चादर लाल हो गई थी. हत्यारों ने बबलू की हत्या  करने के बाद उस की लाश को डबलबैड की चादर में ही लपेट दी. इस के बाद सिर और पैर की ओर से एकएक बोरी पहना दी गई.

देवर राजकुमार लाश को ठिकाने लगाने के लिए अपनी टाटा मैजिक लोडर गाड़ी लिए घर के बाहर तैयार खड़ा था. शव को लोडर में डाल कर बौबी, शेखर व राजकुमार दिखतौली रोड पहुंचे. उस समय रात के 2 बज रहे थे. पूरी सड़क सुनसान पड़ी थी. लोडर को सड़क किनारे एक स्थान पर रोक कर तीनों ने लाश को लोडर से उतारा और सड़क किनारे खंदी में फेंक दी. शव को ठिकाने लगाने के बाद तीनों वापस आ गए. ज्योति ने इस बीच घर में शव से टपका खून साफ कर दिया था.

ज्योति अपने पति और देवर के साथ कटरा मीरा स्थित अपनी ससुराल चली गई. बबलू को ठिकाने लगाने के बाद सभी ने राहत की सांस ली. ज्योति को लगा कि अब रास्ते का कांटा निकल गया है. लेकिन यह उस की भूल थी. पुलिस ने चारों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

दो नावों में पैर रख कर सवारी करना कितना खतरनाक होता है, यदि ज्योति ने शादी हो जाने के बाद इस बात को जान लिया होता तो उस की जिंदगी की नाव नहीं डगमगाती. लेकिन उस ने प्रेमी से सच्चाई छिपा कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली थी.

ज्योति की जिंदगी के जब खुशहाली के दिन शुरू हुए ही थे, तब अफेयर और फरेब के चलते अपने साथ 3 अन्य को भी जेल की सलाखों के पीछे भिजवा दिया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अंधे प्रेम का विष : क्या कसूर था चंद्रभूषण का

लाभनी साहू ने हाथ जोड़ कर बाल कल्याण समिति न्यायालय में कहा, ‘‘सर, मेरे बच्चे को मुझे सौंप दिया जाए,  मैं उस का लालनपालन करूंगी. मैं मां हूं, मुझे मेरा बच्चा सौंप दिया जाए. इस के बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’

यह कहते हुए लाभनी की आंखों में आंसू आ गए थे. लाभनी साहू और उस के पति गोविंद साहू का पारिवारिक प्रकरण बाल कल्याण समिति, राजनांदगांव में चल रहा था, जहां अन्य सदस्यों के साथ चंद्रभूषण ठाकुर न्यायकर्ता सदस्य के रूप में बैठा हुआ था.

उन्हें यह फैसला करना था कि आखिर 5 साल के राजू को मां को सौंपा जाए या पिता गोविंद साहू को. हर दृष्टि से लाभनी साहू का दावा मजबूत था, क्योंकि कानून और प्राकृतिक न्याय की दृष्टि से वह मां होने के कारण अपने बेटे राजू को अपने पास रख कर परवरिश कर सकती थी.

मगर उस के पति गोविंद साहू ने बच्चे को अपने पास जबरदस्ती रख कर के उसे सौंपने से इंकार कर दिया था. वह बाल कल्याण समिति पर प्रभाव डालने का प्रयास कर रहा था कि जिस तरह पुलिस थाने में उस का पक्ष मजबूत रहा है, यहां भी वह अपने बेटे का संरक्षण प्राप्त कर ले.

लाभनी साहू की भोली सूरत और आंखों में आंसुओं को देख कर चंद्रभूषण ठाकुर ने अन्य सदस्यों से चर्चा कर कहा, ‘‘देखो मिस्टर साहू, कानून को अपने घर की जागीर मत समझो. मां तो मां होती है और आज हम सभी सदस्य यह फैसला करते हैं कि राजू जब तक नाबालिग है, वह अपनी मां के पास ही रहेगा. और तुम्हें राजू की परवरिश का खर्च भी उठाना होगा.’’

यह सुनना था कि लाभनी साहू की आंखों से और मोटेमोटे आंसू टपकने लगे और दौड़ कर के वह बेटे राजू को अपने गले से लगा कर बिलखने लगी. गोविंद साहू को आखिरकार बाल कल्याण समिति में मुंह की खानी पड़ी और बाल कल्याण समिति के फैसले के बाद लाभनी को उस का बेटा राजू सौंप दिया गया.

जब मामला समाप्त हो गया तो बाहर शहर के गुप्ता होटल में चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी व उस के बेटे राजू की मुलाकात हुई. चंद्रभूषण ने लाभनी से कहा, ‘‘देखो, तुम्हें राजू तो मिल गया है मगर अब तुम्हारे सामने लंबी जिंदगी पड़ी है,राजू का अच्छे से लालन-पालन और शिक्षा की व्यवस्था करनी है.’’

‘‘सर, मैं तो गरीब हूं. मगर जैसे भी हो, इसे पालूंगी और बड़ा आदमी बनाऊंगी.’’ लाभनी बोली.

चंद्रभूषण ठाकुर ने कहा, ‘‘तुम्हारे जज्बे को सलाम है. मैं बाल कल्याण समिति में साल भर से हूं. कितने ही मामले आते हैं मगर आज तुम्हारे जैसा मामला मैं ने पहले कभी नहीं देखा था. तुम सच्ची मां हो और सुनो कभी मेरे लायक कोई भी मदद हो तो मुझे निस्संकोच याद करना.’’

चंद्रभूषण ठाकुर ने लाभनी को अपना मोबाइल नंबर दे कर उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया. इसी दिन चंद्रभूषण ठाकुर की नीयत लाभनी  पर आ गई थी. उस के रूप और यौवन पर चंद्रभूषण लट्टू हो गया. इस के बाद धीरेधीरे दोनों की मुलाकात होने लगी और बहुत जल्द चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी साहू एकदूसरे से प्रेम करने लगे और दोनों के संबंध प्रगाढ़ हो गए.

छत्तीसगढ़ का जिला राजनांदगांव प्रदेश की संस्कारधानी के रूप में देश भर में जाना जाता है. यह अपने साहित्य और संस्कृति की धरोहर के कारण प्रसिद्ध है. रियासत काल में राजनांदगांव एक राज्य के रूप में विकसित था. यहां पर कभी सोमवंशी, कलचुरी और मराठों का शासन रहा.

पहले यह नंदग्राम के नाम से जाना जाता था. यहां रियासतकालीन महल, हवेलियां राजमंदिर इत्यादि अभी भी आकर्षण का केंद्र हैं. राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य भाग में स्थित है. जिला मुख्यालय दक्षिण पूर्व रेलवे मार्ग पर स्थित है. राजधानी रायपुर से यहां की दूरी करीब 80 किलोमीटर है.

राजनांदगांव के कोतवाली थानाक्षेत्र के चंद्रभूषण ठाकुर कांग्रेस की राजनीति में एक जानापहचाना नाम बन चुका था. प्रदेश में भूपेश बघेल सरकार द्वारा बाल कल्याण समिति में चंद्रभूषण ठाकुर की सदस्य के रूप में नियुक्ति की गई तो उस का रुतबा शहर में और भी बढ़ गया था.

चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी की अब रोजाना ही मुलाकात होती थी. एक दिन चंद्रभूषण ने मौका देख कर के घर में लाभनी का हाथ पकड़ लिया. जब वह हाथ छुड़ाने लगी तो उस ने उसे आगोश में ले कर अपने प्रेम का इजहार किया. लाभनी भी उस का विरोध नहीं कर सकी.

उसी दिन चंद्रभूषण ने प्रसन्न हो कर कहा, ‘‘मैं तुम्हें एक दुकान खुलवा देता हूं ताकि तुम अपने खर्चे खुद उठा सको और बच्चे का लालनपालन भी कर सको.’’

‘‘मैं भला कैसे दुकान चला पाऊंगी.’’ लाभनी बोली.

चंद्रभूषण ठाकुर ने उस का हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हें डेढ़दो लाख रुपए की व्यवस्था करवा दूंगा. उस पैसे से तुम आराम से 4 पैसे कमा लोगी और जब कभी कमाई हो जाए तो मेरे पैसे लौटा देना.’’ यह कह कर के चंद्रभूषण ने उस का चेहरा अपने हाथों में ले लिया.

लाभनी ने हंस कर कहा, ‘‘ऐसा होगा तो अच्छा है, मैं भी किसी की मोहताज नहीं रहना चाहती.’’

इस के बाद चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी के संबंध और भी गहरे हो गए. चंद्रभूषण जब भी समय मिलता, लाभनी के घर जाता और दोनों प्रेम में डूब जाते. लाभनी ने एकदो दफा जब उसे दुकान की याद दिलाई तो चंद्रभूषण ने कहा, ‘‘मैं ने दुकान तय कर ली है बस कुछ ही दिनों में पैसे आ जाएंगे तो मैं तुम्हें दुकान खुलवा दूंगा.’’

और एक दिन चंद्रभूषण ने जो कहा था, वह कर के भी दिखा दिया. फास्टफूड की एक दुकान किराए पर  लाभनी को दिलवा दी.

चंद्रभूषण ठाकुर और लाभनी कुछ समय तक तो हंसीखुशी दिन बिताते रहे. एक दिन चंद्रभूषण को यह जानकारी मिली कि लाभनी के यहां नूतन साहू (25 वर्ष) नामक नवयुवक आजकल कुछ ज्यादा ही आजा रहा है.

इसे जानने के लिए चंद्रभूषण ने निगाह रखनी शुरू कर दी और एक दिन दोनों को रंगेहाथ पकड़ भी लिया और लाभनी को फटकार लगाई तो लाभनी ने पलट कर जवाब दिया, ‘‘तुम कौन होते हो मुझे रोकने वाले? मुझे तो मेरा बाप भी कुछ नहीं बोल पाता है.’’

यह सुन कर के चंद्रभूषण मानो आसमान से जमीन पर गिर पड़ा. चंद्रभूषण ने जिस तरह लाभनी की 2 लाख रुपए से अधिक की मदद की थी, उस से वह समझता था कि लाभनी अब उस की संपत्ति है और उस पर उस का अधिकार है. लेकिन उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि लाभनी इस तरह उस का विरोध कर सकती है.

चंद्रभूषण को बहुत गुस्सा आया. उस ने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकली. आज जब मैं ने तुम्हारी सच्चाई अपनी आंखों से देख ली है तो अब तुम्हारे और हमारे संबंध खत्म. और सुनो, मेरा पैसा एक सप्ताह के अंदर मुझे लौटा दो.’’

‘‘पैसा, कैसा पैसा, किस का पैसा?’’ लाभनी चीखने लगी.

‘‘देखो, तुम मुझे नहीं जानती हो, मैं कौन हूं. पूरे 2 लाख रुपए मैं ने तुम्हें दुकान खुलवाने के लिए दिया है. एकएक पैसा तुम्हें लौटाना होगा…’’

इस पर लाभनी नरम हो गई और धीरे से कहा, ‘‘तुम ने मेरी मदद तो क्या सिर्फ मेरे शरीर के लिए की है, मैं तुम्हें धीरेधीरे रुपए लौटा दूंगी.’’

‘‘नहीं, एक सप्ताह के भीतर मुझे मेरा पूरा पैसा चाहिए, यह मेरी  चेतावनी है.’’ कह कर चंद्रभूषण फुंफकारने लगा.

तभी नूतन साहू सामने आ गया और बोला, ‘‘तुम यहां से चले जाओ, नहीं तो ठीक नहीं होगा.’’

जैसेतैसे लाभनी ने दोनों को अलग किया और हाथ जोड़ कर बोली, ‘‘ठीक है, तुम्हारे पैसे हम लौटा देंगे.’’

चंद्रभूषण ठाकुर अपने से आधी उम्र (27 साल) की लाभनी को बहुत चाहता था. उस के रूपलावण्य पर एक तरह से फिदा था. उस के हाथ से लाभनी के निकलने से बड़ा दुख हो रहा था. यही कारण है कि उस ने सीधे अपने रुपए मांग लिए थे और सोच रहा था कि पैसे मांगने पर वह आत्मसमर्पण कर देगी. मगर जब पलट कर लाभनी ने रुपए लौटाने की बात कही तो वह मन ही मन टूट गया.

एक हफ्ता गुजर गया, चंद्रभूषण ठाकुर ने अपने रुपए के लिए तकादा नहीं किया. करीब 15 दिन बाद यह सोच कर कि लाभनी शायद उस के दबाव में आ जाएगी, उस के पास पहुंचा और बड़े ही हंसमुख तरीके से उस से बात करने लगा. लाभनी ने भी उस के सवालों का जवाब दिया.

चंद्रभूषण ठाकुर को बातचीत से समझ आ गया कि उस का काम अब बिगड़ चुका है. अत: उस ने खुल कर कहा, ‘‘मेरे रुपए का क्या हुआ?’’

लाभनी ने तल्ख लहजे में जवाब दिया, ‘‘मै जल्दी लौटा दूंगी.’’

चंद्रभूषण ने बहुत कोशिश की कि लाभनी उस के दबाव में आ कर नूतन साहू को भूल जाए. मगर ऐसा नहीं हो पा रहा था. उस ने रुपए के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. इधर जब लाभनी और नूतन साहू की मुलाकात हुई और पैसे की बात सामने आई तो नूतन ने कहा, ‘‘क्यों न एक दिन हम इस का काम ही तमाम कर दें.’’

लाभनी को नूतन की बात अच्छी लगी क्योंकि इस के अलावा और कोई दूसरा चारा उसे दिखाई नहीं दे रहा था. दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई और उस को अंजाम देने के लिए आगे बढ़े.

राजनांदगांव कोतवाली में कोतवाल नरेश पटेल जब शाम के समय पहुंचे तो देखा सामने 2-3 लोग उन से मिलने के लिए खड़े हैं. एक महिला ने आगे आ कर उन से कहा, ‘‘सर, मेरे पति चंद्रभूषण ठाकुर कल से घर नहीं आए हैं.’’ महिला ने अपना नाम हेमलता ठाकुर बताया.

हेमलता ने जब बताया कि पति चंद्रभूषण ठाकुर बाल कल्याण समिति के छत्तीसगढ़ शासन सदस्य हैं तो उन्होंने महिला को अपने कक्ष में बैठा कर के पूरी जानकारी ली और गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली.

हेमलता ठाकुर ने उन्हें बताया कि लाभनी साहू का फोन आया था वह बता रही थी कि उन की स्कूटी उस के घर के बाहर ही खड़ी है. बातोंबातों में टीआई नरेश पटेल को हेमलता ने यह भी बताया कि कुछ समय से उस के पति का लाभनी के यहां कुछ ज्यादा ही आनाजाना था.

पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू की, मगर कोई भी सूत्र नहीं मिल पा रहा था जिस से कि पुलिस आगे बढ़ सके.

इस बीच 16 दिसंबर, 2022, दिन शुक्रवार को राजनांदगांव जिले से 60 किलोमीटर की दूरी पर डोंगरगढ़ स्थित बोरा तालाब के पास कोटना पानी जंगल में लोगों ने एक लाश देखी और स्थानीय चौकीदार दूधराम भैंसारे बोरा तालाब थाने में इंसपेक्टर ओमप्रकाश धु्रव को यह सूचना दे दी.

पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो पाया कि लाश पूरी तरह नग्न थी और जली हुई थी. पुलिस ने मौके की काररवाई कर शव को डोंगरगढ़ की मोर्चरी भेज दिया और अज्ञात शव मिलने की जानकारी स्थानीय अखबारों और वाट्सऐप ग्रुप में शेयर कर दी गई.

जब इस लाश को हेमलता और चंद्रभूषण ठाकुर के अन्य परिजनों दिखाया गया तो लाश देखते ही हेमलता बिलखने लगी. हेमलता ने उस की शिनाख्त अपने पति चंद्रभूषण ठाकुर के रूप में कर दी. पुलिस के सामने अब यह स्थिति स्पष्ट थी कि किसी ने चंद्रभूषण को मार कर उस के शव को जलाने की कोशिश की है.

इस के बाद पुलिस ने इस मामले की जांचपड़ताल तेज कर दी. चंद्रभूषण ठाकुर के घर वालों से बातचीत करने के बाद पुलिस का शक लाभनी साहू पर ही हुआ.

पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी. पहले तो लाभनी ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. लेकिन जब पुलिस ने उस के सामने अनेक तथ्य रखे और एक ड्रम को ले जाते हुए सीसीटीवी फुटेज दिखा कर उस से पूछताछ की, तब अंतत: वह टूट गई.

उस ने बताया कि अपने प्रेमी नूतन साहू के साथ मिल कर उस की हत्या की थी. 14 दिसंबर, 2022 को हत्या की मंशा से उस ने चंद्रभूषण ठाकुर को फोन किया. जब चंद्रभूषण ने काल रिसीव की तो उस ने कहा, ‘‘हैलो, मैं तुम से मिलना चाहती हूं.’’

लाभनी की आवाज सुन कर चंद्रभूषण ठाकुर ने कहा, ‘‘क्या बात है, आज कुछ ज्यादा ही मीठी हो गई हो. क्या तुम ने मेरा औफर स्वीकार कर लिया है?’’

‘‘हां, मैं आप की बात समझ गई हूं. मैं ही गलत थी.’’

‘‘लाभनी, तुम कैसे उस के चक्कर में आ गई? क्या है उस के पास? मैं ने तुम्हारे लिए दुकान खुलवा दी, पैसे दिए आगे भी दूंगा, यह सब तुम भूल गई और मेरे साथ दगा किया. मुझे कितना दुख हुआ है. मैं तुम्हें कितना चाहता हूं, प्रेम करता हूं तुम शायद नहीं समझती. मैं सच कह रहा हूं कि उस वक्त मुझे बहुत दुख हुआ था.’’

‘‘चलो ठीक है, आज शाम को आओ घर पर, सारे गिलेशिकवे दूर कर दूंगी. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी.’’ लाभनी बोली.

शाम को सजसंवर कर चंद्रभूषण ठाकुर यह सोच कर के लाभनी के घर पहुंचा कि वहां उस का स्वागत लाभनी अपनी बाहों में ले कर करेगी. लाभनी ने चंद्रभूषण को बड़े प्रेम से बैठाया और दोनों में बातें होने लगीं.

धीरेधीरे चंद्रभूषण को यह महसूस होने लगा कि लाभनी में कोई सुधार नहीं आया है. तभी अचानक वहां पीछे से नूतन साहू ने आ कर के कपड़े का एक फंदा चंद्रभूषण ठाकुर के गले में डाल दिया और दोनों ने मिल कर चंद्रभूषण की गला घोट कर हत्या कर दी.

फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए एक ड्रम में उसे डाल दिया. स्कूटी पर उस ड्रम को रख कर के डोंगरगढ़ की ओर निकल गए और कोटना पानी जंगल के पास गढ़ माता डोंगरी पहाड़ी जंगल में लाश के सारे कपड़े उतार दिए, ताकि कोई उसे पहचान ना सके.

लेकिन जब उन्हें लगा कि कोई न कोई लाश को पहचान लेगा तो नूतन ने स्कूटी से पैट्रोल निकाल कर के उस के चेहरे को भी जला दिया और यह सोच कर कि कि अब उन्हें कोई छू भी नहीं सकेगा, दोनों खुशीखुशी घर आ गए.

इस केस के जांच अधिकारी ओमप्रकाश धु्रव ने बताया कि केस के खुलासे में महत्त्वपूर्ण भूमिका सीसीटीवी फुटेज की थी, जो पुलिस को बड़ी मशक्कत के बाद मिली. जिस में लाभनी साहू और नूतन साहू स्कूटी पर एक ड्रम को ले कर जा रहे थे. उसी ड्रम में चंद्रभूषण की लाश थी.

पुलिस ने आरोपी नूतन साहू और लाभनी को घटनास्थल पर ले जा कर मामले की जांच की और उन की निशानदेही पर मृतक चंद्रभूषण ठाकुर का मोबाइल भनपुरी नदी से और कपड़े भी बरामद किए.

पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कर न्यायिक दंडाधिकारी, डोंगरगढ़ के समक्ष पेश  किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित हैa