MP News : प्रेमिका की हत्या कर शव को कुत्ते की लाश संग गड्ढे में दबाया

MP News : डा. आशुतोष त्रिपाठी संपन्न परिवार से था. अपनी अटैंडेंट विभा केवट को शादी का झांसा दे कर उस ने इसलिए संबंध बनाए थे, ताकि वह उस के साथ जब चाहे मौजमस्ती कर सके. लेकिन उसे क्या पता था कि उस का यह कदम उसे …

विभा केवट की उम्र 24 साल थी. सामान्य कदकाठी की विभा देखने में सुंदर होने के साथ पढ़नेलिखने में भी होशियार थी. चूंकि उस के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए पिछले 2 सालों से वह फैमिली दंत चिकित्सालय में अटेंडेंट की नौकरी कर रही थी. सतना के धावरी स्थित कलैक्ट्रेट रोड पर यह दंत चिकित्सालय डा. आशुतोष त्रिपाठी का था. विभा का घर मल्लाह मोहल्ले में था. वह हर रोज सुबह 8 बजे घर से क्लीनिक के लिए निकल जाती थी और पेशेंट देखने में डा. आशुतोष की मदद करती थी.

दोपहर में वह लंच करने के लिए घर लौटती. लंच के बाद फिर वापस क्लीनिक में लौट आती थी. रात के 8 बजे डा. आशुतोष त्रिपाठी क्लीनिक बंद कर के कार से पहले विभा को उस के घर के पास छोड़ता फिर अपने घर जाता था. यह विभा की रोज की दिनचर्या थी. नौकरी में अपना अधिकतर समय देने के बाद भी विभा पढ़ाई के लिए समय निकाल लेती थी. उस का सपना एलएलबी कर के वकील बनने का था. वह एक प्राइवेट कालेज से एलएलबी कर रही थी. चूंकि घर की हालत सही न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में असमर्थ थी. इसलिए पिछले 2 सालों से इस क्लीनिक में नौकरी कर रही थी.

वह अपने काम से खुश थी और जिंदगी सामान्य ढर्रे पर चल रही थी. पिछले साल 14 दिसंबर को वह रोज की तरह घर से ड्यूटी पर गई थी. दोपहर के समय वह घर आई और लंच कर के वापस ड्यूटी पर लौट गई. उस रात नौ बजे तक वह घर नहीं लौटी तो उस के पिता रामनरेश केवट और मां रमरतिया की आंखों में परेशानियों के बादल घुमड़ने लगे. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. उन के मन में तरह तरह के बुरे खयाल आ रहे थे. रात भर इंतजार के बाद सुबह भी विभा घर नहीं लौटी तो क्लीनिक खुलने के समय दोनों डाक्टर से मिलने उस के क्लीनिक जा पहुंचे. डा. आशुतोष क्लीनिक में पेशेंट देख रहे थे. बुरी तरह परेशान रामनरेश केवट ने जब डा.

आशुतोष से बेटी के बारे में पूछा तो उस ने विभा के घर नहीं पहुंचने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि कल शाम विभा ने उस से पगार के छह हजार रुपए लिए और कुछ जरूरी काम से बाहर जाने की बात कह कर चली गई थी. लगता है, उस ने कहीं दूसरी जगह काम पकड़ लिया है. चिंता न करो वह कुछ दिनों में खुद ही घर लौट आएगी. रामनरेश और रमरतिया वहां से घर लौट आए और बारबार विभा के मोबाइल पर काल कर उस से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे. लेकिन बीती रात से ही उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था. रामनरेश ने अपने सभी रिश्तेदारों से फोन कर पूछा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.

बाद में रामनरेश ने फिर डा. आशुतोष त्रिपाठी से विभा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि विभा ने उस के यहां से नौकरी छोड़ दी है. वह तुम लोगों से नाराज है और किसी दूसरी जगह पर कमरा ले कर रहने लगी है. उस ने अपना फोन नंबर भी बदल लिया है. विभा ने कहां पर कमरा लिया है इस की जानकारी उसे नहीं है. बेटी के अलग रहने की बात रामनरेश और रमरतिया के गले से नहीं उतरी. फिर भी उन्होंने बेटी की तलाश में शहर का चप्पाचप्पा छान मारा लेकिन वह उस का पता लगाने में नाकामयाब रहे. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया.

दरअसल, विभा के मातापिता को ऐसा लग रहा था जैसे डाक्टर को विभा के बारे में जानकारी है और वह शायद बाद में विभा के बारे उन्हें बता देगा. विभा की तलाश करतेकरते डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो रमरतिया ने एक फरवरी, 2021 को धवारी की सिटी कोतवाली में बेटी की गुमशुदगी दर्ज करा दी और पुलिस अधिकारियों से उसे तलाश करने की गुहार लगाई. सिटी कोतवाली इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने 24 वर्षीय युवती विभा केवट के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया. वह इस की जांच में जुट गईं.

इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने विभा के मातापिता से उस के गायब होने के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर की सुबह विभा डा. आशुतोष के क्लीनिक में ड्यूटी पर गई थी. जहां डाक्टर के अनुसार उस ने शाम तक ड्यूटी की. इस के बाद वह डाक्टर से 6 हजार रुपए लेने के बाद कहीं दूसरी जगह रहने चली गई. उस ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था. यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को कोतवाली बुला कर उस से विभा केवट के बारे में पूछताछ की. थोड़ी पूछताछ के बाद डा. आशुतोष को घर जाने की इजाजत मिल गई.

लेकिन डाक्टर के बारबार बदले बयानों को ले कर इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी को उस पर संदेह हो गया था. उन्होंने डा. आशुतोष त्रिपाठी और विभा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर देखी तो पता चला कि विभा ने आखिरी बार 14 दिसंबर को डा. आशुतोष त्रिपाठी से 750 सेकंड बातें की थीं. इस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था, जो फिर औन नहीं हुआ था. इस का मतलब था कि विभा के गायब होने का राज डा. आशुतोष को मालूम था. इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को दोबारा थाने बुला कर मनोवैज्ञानिक तरीके से कुरेदना शुरू किया तो वह ज्यादा देर तक नहीं टिक सका.

उस ने विभा के बारे में जो कुछ बताया उसे सुन कर अर्चना द्विवेदी आश्चर्यचकित रह गईं. उस ने बताया कि दरअसल विभा का कत्ल हो चुका है और उस की लाश एक गड्ढे में दबा दी गई थी. कत्ल की बात पता चलते ही इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया और इस की सूचना सतना के एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह को दी. 20 फरवरी, 2021 शनिवार को एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह, तहसीलदार अनुराधा सिंह, नायब तहसीलदार हिमांशु भलवी, यातायात थानाप्रभारी राजेंद्र सिंह राजपूत और इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी आरोपी डा. आशुतोष के साथ घटनास्थल पर पहुंचे जहां पर विभा की लाश एक गड्ढे में दबी थी.

मिल गई विभा की लाश डा. आशुतोष की निशानदेही पर नगर निगम के श्रमिकों की मदद से गड्ढे की खुदाई की गई तो कुछ देर खुदाई के बाद उस में से एक कुत्ते की लाश निकली. कुत्ते की लाश को बाहर निकालने के बाद थोड़ी और खुदाई की गई तो वहां एक युवती की लाश दिखाई पड़ी. लाश को बाहर निकाला गया. लाश के गले में एक दुपटटा तथा कमर के नीचे लोअर मौजूद था. रामनरेश केवट और उस की पत्नी रमरतिया को लाश दिखाई गई तो दोनों ने कपड़ों के आधार पर उस की पहचान अपनी बेटी विभा केवट के रूप में की. शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. डा. आशुतोष के बयान और पुलिस की तहकीकात के आधार पर विभा केवट हत्याकांड के पीछे एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई—

सतना के धावरी इलाके में चांदमारी रोड, मंगल भवन के पीछे अंग्रेजी के शिक्षक नरेंद्र त्रिपाठी अपने परिवार के साथ रहते थे. वह राजकीय कन्या विद्यालय, धावरी में नौकरी करते हैं. उन के 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा अभिषेक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर स्थित एक रियल एस्टेट फर्म में बतौर फाइनेंस मैनेजर कार्यरत है. दूसरा बेटा आशुतोष डेंटिस्ट है. 2 साल पहले आशुतोष को अपने क्लीनिक के लिए एक अटेंडेंट की जरूरत थी. मल्लाह मोहल्ले में रहने वाले रामनरेश केवट की दूसरी बेटी विभा को जब इस नौकरी बारे में पता चला तो उस ने डा. आशुतोष से मिल कर उस के यहां काम करने की इच्छा जाहिर की.

डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित जरूरी कामकाज के बारे में समझाते हुए जब सैलरी के बारे में उसे बताया तो उस ने वहां काम करने के लिए हामी भर दी. यह बात सन 2018 की थी. डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित सभी बातों को समझने के बाद यह भी समझा दिया कि वहां आने वाले पेशेंट से किस प्रकार व्यवहार करना है. फिर उसे अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि अगर उस की अनुपस्थिति में उसे कोई भी मुश्किल आए तो मुझे कभी भी काल कर सकती हो. उसी समय विभा और डा. आशुतोष ने अपनेअपने मोबाइल में एक दूसरे के नंबर सेव कर लिए. विभा तेजतर्रार युवती थी. थोड़े ही दिनों में वह सारा काम सीख गई. उस की कुशलता देख कर डा. आशुतोष भी खुश हुआ.

विभा यहां काम पा कर पूरी तरह संतुष्ट थी. क्योंकि उस के प्रति डाक्टर का व्यवहार ठीक था. वह वेतन भी टाइम से दे देता था. इस तरह धीरेधीरे समय का पहिया घूमता रहा. सालभर गुजर जाने के बाद डाक्टर आशुतोष और विभा आपस में काफी घुलमिल गए थे. पेशेंट की मौजूदगी में वे दोनों एक दूसरे से सिर्फ काम की ही बातें करते थे. लेकिन जब वहां कोई नहीं होता तो वे हंसीमजाक से ले कर दुनियाजहान की बातें करते थे. बातों बातों में वक्त आसानी से कट जाता था. इसी दौरान डाक्टर आशुतोष ने मन ही मन विभा को पाने की योजना तैयार की और उस पर अमल करना आरंभ कर दिया.

अपनी योजना के तहत शाम को जब वह क्लीनिक बंद करता तो घर जाने से पहले विभा को उस के घर छोड़ने जाने लगा. विभा डा. आशुतोष के इस बदले हुए व्यवहार के पीछे की चाल को नहीं भांप सकी. उस ने सोचा कि डा. आशुतोष खुश हो कर उस की मदद कर रहे हैं. कभीकभार वह विभा को घर छोड़ने से पहले किसी होटल या रेस्टोरेंट में ले जाता जहां खाने के दौरान वह विभा का दिल जीतने की कोशिश करता था. विभा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी. जल्द ही वह उस की बातों में आ गई. डा. आशुतोष ने जब ताड़ लिया कि विभा उस की इच्छा का विरोध नहीं करेगी तो एक दिन उस ने विभा को शादी करने का झांसा दे कर उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिया.

उस दिन के बाद विभा के प्रति डा. आशुतोष का व्यवहार एकदम बदल गया. विभा को खुश रखने के लिए वह उसे महंगे तोहफे आदि देता रहता था. ताकि उस की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने में विभा आनाकानी न करे. अलबत्ता एक दिन विभा ने अपनी बड़ी बहन को आशुतोष से अपने अफेयर की बात बता दी और यह भी कहा कि कुछ दिनों के बाद डाक्टर उस से शादी कर लेगा. इस पर उस की बहन ने उसे समझाते हुए कहा भी कि अमीर लोग गरीब घर की लड़की से शादी करने की बात अपना मतलब निकालने के लिए करते हैं. कहीं तुम आगे चलकर ठगी न जाओ, इसलिए जितनी जल्दी हो सके शादी कर लो.

बहन की बात सुन कर विभा ने उसे जवाब दिया कि उस का प्यार इतना कच्चा नहीं है कि डाक्टर उस से शादी का बहाना कर असानी से अपना मुंह फेर ले. उस वक्त कहने के लिए तो विभा ने बड़़े ही आत्मविश्वाश के साथ अपनी बड़ी बहन को जवाब दे दिया. लेकिन उसी दिन उस ने मन में ठान लिया कि वह डाक्टर से जल्द शादी करने को कहेगी. विभा बन गई गले की हड्डी इस के बाद जब भी आशुतोष विभा को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने की कोशिश करता तो वह उस से पहले शादी करने की बात करती. इतना ही नहीं, जब भी दोनों क्लीनिक में अकेले होते वह उस से शादी करने का दबाव डालना शुरू कर देती थी. आशुतोष एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखता था. समाज में उस की अपनी अच्छीखासी हैसियत थी.

उस ने तो केवल विभा के साथ मौजमस्ती करने के लिए उस से शादी की बात कही थी. वास्तव में उस ने दिल से कभी विभा से शादी के बारे में सोचा तक नहीं था. इसलिए जब विभा ने उस पर शादी का अधिक दबाव बनाना शुरू किया तो 14 दिसंबर, 2020 को आशुतोष ने बात बढ़ जाने पर विभा की गला घोंट कर हत्या कर दी. उस समय क्लीनिक में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था. विभा की हत्या करने के बाद आशुतोष ने उस की लाश एक बोरी में डाल कर क्लीनिक के अंदर ही एक कोने में रख दी. अगले दिन वह क्लीनिक में पेशेंट का इलाज करते हुए मन ही मन विभा की लाश को ठिकाने लगाने की तरकीब सोचता रहा.

दोपहर के बाद उस ने कुछ मजदूरों को बुलाया और क्लीनिक के पीछे बारिश का गंदा पानी जमा करने की बात कह कर एक 6 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया. रात को उस ने विभा की लाश गड्ढे में डाल कर उस के उपर नमक डाला फिर उस पर थोड़ी मिट्टी डाल दी. इस के बाद कहीं से उस ने एक कुत्ते की लाश का इंतजाम किया. कुत्ते की लाश को उसी गड्ढे में डालने के बाद उस ने उस के उपर अच्छी तरह मिट्टी भर दी. कुत्ते की लाश गड्ढे में इसलिए डाली गई कि ताकि विभा की लाश की बदबू आसपास फैलने पर अगर लोग बदबू उठने का कारण पूछे तो वह सब को बता सके कि वहां कुत्ते की लाश दबाई गई है.

इस तरह विभा की लाश इस गड्ढे में दबी होने की बात उजागर नहीं होगी. लेकिन पुलिस को विभा की अंतिम काल और उस के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर आशुतोष के ऊपर शक हो गया. जब उस से थोड़ी सख्ती बरती गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. विभा की लाश का डीएनए टेस्ट कराने के लिए सैंपल भी सुरक्षित रख लिया गया ताकि तय हो सके कि लाश विभा की ही थी. विभा की लाश की बरामदगी के बाद इस मामले में हत्या और साजिश की धारा 302, 201, जोड़ दी गई. पुलिस ने आशुतोष त्रिपाठी से पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार कर सतना की अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. MP News

UP Crime News : युवक के इश्क में बड़ी बहन ने छोटी बहन का गला घोंटा फिर शव तालाब में फेंका

UP Crime News  : 21 वर्षीय सुनीता 2 बच्चों के पिता पवन तोमर से दिल लगा बैठी. वह उसे तलाक दिला कर शादी का दबाव बना रही थी. इस में वह नाकाम रही तो उस ने चस्पा कर दिया अपहरण का खूनी नोटिस…

फिरोजाबाद जिले के थाना शिकोहाबाद का एक गांव है नगला सैंदलाल. इसी गांव में राजमिस्त्री रामभरोसे अपने परिवार के साथ रहता था. रामभरोसे की पहली शादी बिरमा देवी के साथ हुई थी. उस से 2 बेटियां सुनीता, गीता के अलावा एक बेटा विक्रम है. बिरमा देवी की बीमारी से मौत हो जाने के बाद रामभरोसे ने अपनी तीसरे नंबर की साली सोमवती से शादी कर ली. इस से एक बेटा करन व 3 बेटियां विनीता, खुशी और हिमांशी पैदा हुईं. बात 9 मार्च, 2021 की है. सुबह करीब 7 बजे रामभरोसे की सब से छोटी बेटी 6 वर्षीय हिमांशी खेत पर जाते समय रास्ते से अचानक गायब हो गई.

हुआ यह कि रामभरोसे की 21 वर्षीय बड़ी बेटी सुनीता छोटी बहन हिमांशी के साथ घर से खेत के लिए निकली थी. रास्ते में हिमांशी पीछे रह गई और सुनीता खेत पर पहुंच गई. सुनीता हिमांशी के आने का इंतजार करती रही. जब करीब आधा घंटा बीत गया और हिमांशी नहीं आई तो सुनीता को चिंता हुई. उस ने लौट कर मां को बताया कि हिमांशी उस के साथ खेत पर जाने के लिए निकली थी, लेकिन वह रास्ते से कहीं गायब हो गई. इस पर मां ने सोचा कि रास्ते में कहीं खेलती रह गई होगी, आ जाएगी. लेकिन जब लगभग 2 घंटे बाद भी हिमांशी घर नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. पड़ोसियों के साथ ही घर वाले हिमांशी की खोजबीन में जुट गए.

लेकिन हिमांशी का कोई पता नहीं चला. इसी बीच गांव वालों की नजर रामभरोसे के घर के दरवाजे पर चिपके एक पत्र पर गई. पत्र में सब से ऊपर पवन तोमर का नाम लिखा था. पत्र में लिखा था कि यदि सुनीता की शादी पवन से नहीं कराई तो बच्ची को मार दूंगा. हिमांशी के अपहरण की बात पता चलते ही पिता रामभरोसे गांव के कुछ लोगों के साथ थाना शिकोहाबाद पहुंच गया और पुलिस को बेटी के अपहरण होने की पूरी जानकारी दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर अपनी टीम के साथ गांव पहुंच गए. उन्होंने सुनीता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. अपने स्तर से पुलिस ने गांव में व आसपास के क्षेत्र में हिमांशी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

दिनदहाड़े गांव से लड़की के लापता होने से घर वालों के साथ ही गांव वालों की चिंता और आक्रोश बढ़ता जा रहा था. इस पर थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. जानकारी होते ही एसएसपी अजय कुमार पांडेय एसपी (ग्रामीण) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ बलदेव सिंह खनेडा, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह सहित कई थानों की फोर्स व डौग स्क्वायड की टीम के साथ गांव पहुंच गए. अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. खोजी कुत्ते को हिमांशी के पुराने कपड़े सुंघाए गए. इस के बाद उसे छोड़ा गया तो वह घर के पीछे ईंट भट्ठा तक पहुंचा. पुलिस आसपास सुराग खोजती रही, लेकिन बालिका हिमांशी का पता नहीं चला.

पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के ही पवन और सुनीता के बीच प्रेमसंबंध थे. रामभरोसे के दरवाजे पर चिपके पत्र में भी लिखा था कि पवन का तलाक करवा कर सुनीता से शादी करवा दो. इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं सुनीता का इस मामले में हाथ हो सकता है. सुनीता या तो हिमांशी के अपहरण में खुद शामिल है या फिर उस ने किसी से यह काम करवाया है. जांच के दौरान कुछ नाम और भी सामने आए. सुनीता से इस संबंध में पूछताछ की गई तो वह पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञता व्यक्त करती रही. वह एक ही बात की रट लगाए जा रही थी कि खेत पर जाते समय हिमांशी पीछे रह गई थी और वह रास्ते से ही गायब हो गई थी.

शादीशुदा पवन से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन उस ने हिमांशी के संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर दिया. एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने दीवार पर चस्पा किए गए पत्र की लिखावट को पढ़ा. पवन की हैंडराइटिंग का मिलान कराया गया, लेकिन उस की हैंडराइटिंग अलग थी. इस के बाद सुनीता से पूछताछ की गई.  पत्र की बारीकी से जांच के बाद शक की सुई सुनीता पर टिक गई. तब पुलिस सुनीता और पवन को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. इस बीच एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में उन की टीम गांव में जा कर जांच में जुटी रही.  थाने ला कर पुलिस ने पवन व सुनीता से कड़ाई से पूछताछ की.

पूछताछ पूरी करने के बाद शाम 3 बजे दोनों को ले कर पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे. सुनीता को गांव के तालाब पर ले जाया गया. जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में गांव वाले भी तालाब पर पहुंच गए. सुनीता की निशानदेही पर तालाब के एक किनारे से हिमांशी का शव बरामद कर लिया गया. हिमांशी की तलाश के लिए पुलिस की तत्परता देख मां सोमवती को अपनी बेटी के मिलने का भरोसा था, लेकिन उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह मृत अवस्था में मिलेगी. हिमांशी का शव मिलने की जानकारी होते ही वह बुरी तरह फूट पड़ी. अन्य भाईबहन भी तालाब के किनारे पहुंच कर रोनेबिलखने लगे. अपनी लाडली बेटी की हत्या से गमगीन पिता रामभरोसे को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बड़ी बहन घटिया सोच के चलते अपनी छोटी बहन की हत्या कर देगी.

पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया. सुनीता पुलिस से यही कहती रही कि पैर फिसलने से हिमांशी तालाब में गिर गई और डूब गई थी. सुनीता का अब भी यह कहना था कि यह बात उस ने डर की वजह से घर वालों को नहीं बताई थी. पुलिस ने उसी दिन शाम को शव का पोस्टमार्टम करा दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने  दूसरे दिन 10 मार्च, 2021 को हिमांशी हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. शादीशुदा युवक के इश्क में पागल सुनीता ने ही अपनी छोटी बहन हिमांशी का गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को तालाब में फेंक दिया था.

हत्यारोपी सुनीता ने ही घर वालों, पुलिस और गांव वालों को गुमराह करने के लिए दरवाजे के बाहर अपहरण का पत्र चिपकाया था. पुलिस ने पिता द्वारा दर्ज कराए गए अपहरण के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. सुनीता कंप्यूटर कोर्स कर रही थी. एसओजी टीम ने उस के बैग की कौपियां देखीं तो एक कौपी का पन्ना फटा था, जिस का मिलान पत्र से हो गया. असल में सुनीता ने पत्र लिखने के लिए जो कागज इस्तेमाल किया था, वह उस ने अपनी ही कौपी से फाड़ा था. उसे चिपकाने की लेई भी उस ने खुद बनाई थी. लेई की कटोरी भी घर के अंदर से बरामद कर ली गई.

इस सनसनीखेज कांड का खुलासा करने वाली टीम को एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. सुनीता से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि उस ने अपने ही हाथों अपनी मासूम बहन की हत्या कर के अपने प्रेमी पवन को फंसाने की एक गहरी साजिश रची थी. इस केस की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

अपनी मां की मौत के बाद पिता ने उस की मौसी सोमवती से शादी कर ली. सौतेली मां सोमवती के व्यवहार से सुनीता परेशान रहती थी. कुछ समय पहले एक प्लौट पिता ने खरीदा था. उस प्लौट को भी सोमवती ने अपने नाम करा लिया था. सारे दिन सुनीता घर के काम में ही लगी रहती थी. इसलिए उस ने कंप्यूटर सीख कर नौकरी करने का निर्णय लिया. सोमवती इस बात से खुश नहीं थी. वह चाहती थी सुनीता उस के साथ घरगृहस्थी के काम में हाथ बंटाए. सुनीता ने गांव के पवन तोमर जो शिकोहाबाद में मैनपुरी चौराहा पर एक जनसेवा केंद्र चलाता था, के सेंटर पर कंप्यूटर ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया.

वह उस के सेंटर पर जाने लगी. कंप्यूटर ट्रेनिंग के दौरान पवन और सुनीता का झुकाव एकदूसरे के प्रति हो गया. धीरेधीरे पवन और सुनीता के प्रेमसंबंध हो गए. पवन शादीशुदा था और उस की पत्नी व 2 बेटियां हैं. पवन भी सुनीता को बहुत प्यार करता था. अगर किसी दिन सुनीता सेंटर पर नहीं आती तो वह बेचैन हो जाता था. वे मिलने में पूरी सावधानी बरतते थे. दोनों कंप्यूटर सेंटर पर ही एकदूसरे से मिलते थे. और गांव में तो वे एकदूसरे से बात तक नहीं करते थे. कंप्यूटर सेंटर गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए दोनों के प्रेम संबंधों के बारे में गांव में किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई थी.

सुनीता ने एक दिन पवन से कहा, ‘‘पवन, ऐसा कब तक चलेगा. हम दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं. आखिर हम छिपछिप कर कब तक मिलते रहेंगे? तुम मुझ से शादी कर लो.’’

‘‘सुनीता तुम तो जानती हो कि मेरी पत्नी और 2 बेटियां हैं, ऐसे में मैं तुम से कैसे शादी कर सकता हूं.’’ पवन ने कहा.

सुनीता समझ गई कि पवन के शादीशुदा होने से शादी में पेंच फंस रहा था. वह कुछ क्षण सोचने के बाद बोली, ‘‘पवन, इस का एक उपाय यह है कि तुम अपनी पत्नी को तलाक दे दो और मुझ से शादी कर लो. क्योंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.’’

पवन ने सुनीता को समझाया कि वह उस से प्यार तो करता रहेगा लेकिन शादी नहीं कर सकता. जब सुनीता के लाख समझाने का भी पवन पर कोई असर नहीं हुआ तो उस ने पवन पर दवाब बनाने के लिए एक खौफनाक षडयंत्र रचा. सुबह खेत पर जाते समय सुनीता छोटी बहन हिमांशी को भी साथ ले गई. तालाब के किनारे पेड़ों और झाडि़यों की आड़ में ले जा कर उस ने अपने हाथों से सौतेली बहन हिमांशी की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद उस के शव को तालाब में फेंक दिया. इस के बाद वह घर आ कर हिमांशी के लापता होने का नाटक करने लगी. इसी बीच उस ने पहले से लिखे पत्र को घर के दरवाजे पर लेई से चिपका दिया.

गांव के एक कोने पर घर होने से सुनीता की कारगुजारी को कोई देख नहीं पाया था. 10 मार्च, 2021 को पुलिस ने सुनीता को सौतेली बहन की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.  अपराध करने वाला कितना भी शातिर हो, वह अपराध के बाद निशान छोड़ ही जाता है. फिर सुनीता तो अभी 21 साल की ही थी. गेम प्लान सुनीता ने रचा था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. UP Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

crime stories in hindi : प्रेमी से पति को गोली मारकर कराई हत्या

crime stories in hindi : झगड़ालू और चरित्रहीन निशा ने अपने स्वार्थ की खातिर पहले पति के परिवार को बिखेरा, फिर यार को पाने के लिए अपने बच्चों के भविष्य की परवाह करने के बजाए पति को ही…

28 फरवरी, 2021 को अपने भाई को घर आया देख निशा की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस का भाई काफी समय बाद उसे ससुराल से लेने आया था. उस वक्त निशा और उस का पति रिंकू घरगृहस्थी में आए उतारचढ़ाव को ले कर काफी परेशान चल रहे थे. जिस के चलते उन का घर चिंता और परेशानियों से घिरा हुआ था. इस दौरान निशा ने कई बार अपने मायके जाने की सोची भी, लेकिन वह रिंकू को ऐसी स्थिति में छोड़ कर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी. रिंकू की परेशानी का कारण यह था कि सन 2017 में उस के परिवार में एक ऐसी अनहोनी हो गई थी, जिस में उस की मां और उस के 2 भाइयों की मौत हो गई थी. उस की मां की एक जीवनबीमा पौलिसी थी.

मां की मौत के बाद बीमा की रकम मिली तो उस के छोटे भाई विपिन ने चालाकी से सारी रकम हड़प ली. भाई के विश्वासघात से रिंकू को जबरदस्त झटका लगा था. बाद में उस का छोटा भाई विपिन उस की जान का दुश्मन बन गया था. अपने साले दीपक के आने के बाद रिंकू ने निशा को समझाबुझा कर उसी दिन उस के साथ मायके भेज दिया. मायके पहुंचने के बाद भी निशा बारबार अपने पति को फोन कर के उस की खैरखबर लेती रही. 28 फरवरी को रात करीब 10 बजे निशा की रिंकू से फोन पर आखिरी बार बात हुई. रिंकू ने निशा को बताया था कि उस का भाई विपिन कुछ लोगों के साथ उस के पास आया था और उस ने गालीगलौज की थी. उस के बाद से उस का मोबाइल बंद हो गया था.

अगले दिन पहली मार्च, 2021 को सुबह निशा ने फिर से रिंकू को फोन मिलाया तो उस समय भी उस का मोबाइल बंद आ रहा था. रात से लगातार रिंकू का फोन बंद आने से निशा परेशान हो उठी. जब उस से नहीं रहा गया तो वह भाई दीपक को साथ ले कर ससुराल जा पहुंची. लेकिन वहां उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था, जिसे देख निशा और उस का भाई दीपक परेशान हो उठे. उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दी, जिस के बाद कालोनी के कुछ लोग दीवार फांद कर घर के अंदर पहुंचे तो अंदर रिंकू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. पति की लाश देखते ही निशा चक्कर खा कर गिर पड़ी. रिंकू की हत्या की बात सुन कर पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल गई. इस बात की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई.

बंद घर में एक युवक की हत्या की बात सुनते ही पुलिस आननफानन में घटनास्थल पर पहुंच गई. यह घटना रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से सटे भदईपुरा इलाके की है. वह जगह रमपुरा चौकी के अंतर्गत आता था. इसलिए जानकारी मिलते ही रमपुरा चौकीप्रभारी अनिल जोशी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और खुद घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. सूचना मिलते ही रुद्रपुर कोतवाल एन.एन. पंत, सीओ (सिटी) अमित कुमार, एसपी (क्राइम) मिथिलेश सिंह और एसएसपी दलीप सिंह कुंवर भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

रिंकू की लाश बंद घर के अंदर मिली थी. किसी ने रिंकू के सिर में सटा कर गोली मारी थी, जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस हत्या की जांचपड़ताल करते हुए पुलिस ने सब से पहले मृतक की बीवी निशा से पूछताछ शुरू की. निशा ने बताया कि वह एक दिन पहले ही अपने भाई के साथ मायके चली गई थी. जहां पर उसे पति द्वारा ही पता चला था कि उस के भाई विपिन ने उस के साथ गालीगलौज की थी. उस के बयान के आधार पर पुलिस ने मृतक के भाई विपिन और उस के एक सहयोगी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. एसएसपी ने केस की तह तक जाने के लिए एसओजी समेत 3 टीमों को लगाया.

लाश को देख कर लग रहा था कि रिंकू की हत्या कई घंटे पहले की गई थी. पुलिस ने पड़ोसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने गोली की कोई आवाज नहीं सुनी थी. हालांकि मृतक की बीवी ने अपने ही देवर पर रिंकू की हत्या का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस के लिए इस तरह के सबूत तब तक मायने नहीं रखते जब तक पुलिस हत्या से सबंधित कोई तथ्य न जुटा ले. पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए रिंकू की लाश पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल भिजवा दी. लेकिन पोस्टमार्टम होने से पहले ही मृतक के ससुराल वालों ने पोस्टमार्टम का विरोध करते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया.

उन का कहना था कि पहले इस हत्या केस का खुलासा करो, बाद में पोस्टमार्टम कराना. पुलिस के काफी समझाने के बाद भी वे लोग मानने को तैयार नहीं हुए थे. रिंकू के ससुराल वाले उस के छोटे भाई समेत अन्य कई रिश्तेदारों पर उस की मां के एक्सीडेंट क्लेम के रुपए हड़पने के लिए हत्या का आरोप लगा रहे थे. तफ्तीश में जुटी पुलिस इस मामले में रिंकू ने कोर्ट के माध्यम से 22 फरवरी, 2020 को रुद्रपुर कोतवाली में अपने छोटे भाई विपिन के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था. यह बात पुलिस के संज्ञान में थी. उन्हीं तथ्यों के आधार पर पहली मार्च को निशा यादव की ओर से देवर विपिन यादव, सचिन यादव और दीपक यादव के खिलाफ कोतवाली में रिंकू की हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली गई.

मुकदमा भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया. पुलिस ने इस केस की तहकीकात शुरू करते हुए सर्विलांस की मदद से रिंकू के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने शुरू कर दिए. उसी दौरान पुलिस ने रिंकू के घर के पास स्थित दुकानदार पुष्पेंद्र से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 28 फरवरी की शाम रिंकू उस की दुकान से सिगरेट लेने आया था. उस वक्त उस के साथ 3 अन्य लोग भी थे, जिन्हें वह नहीं जानता. इस बात की जानकारी मिलते ही पुलिस ने रिंकू के मोबाइल की कालडिटेल्स खंगाली, जिस से पता चला कि उस वक्त उस की पत्नी ने ही उस से बात की थी.

पुलिस ने निशा से पूछताछ की तो निशा ने अपनी सफाई देते हुए अपनी तरफ से अपने 2 गवाह पेश कर के साबित करने की कोशिश की कि उस के भाई और बहन ने विपिन और उस के साथियों को घर से तमंचा ले कर भागते हुए देखा था. पुलिस ने उस के भाई और बहन के बारे में जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस के भाईबहन भदईपुरा में रहते ही नहीं तो उन्होंने उन को भागते हुए कैसे देख लिया. निशा का बिछाया यही जाल उस के लिए जी का जंजाल बन गया. पुलिस को संदेह हो गया कि जरूर रिंकू की हत्या करने में निशा की ही भूमिका रही होगी.

हालांकि पुलिस ने इस केस को पारिवारिक विवाद से जोड़ कर 2 संदिग्धों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी शुरू कर दी थी, लेकिन जब पुलिस को निशा ही संदिग्ध लगी तो पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. निशा को हिरासत में ले कर पुलिस ने उस की कालडिटेल्स निकाली तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा बात भदईपुरा निवासी उस के पड़ोसी अभिषेक यादव से होती पाई गई. 28 फरवरी, 2021 को भी निशा और अभिषेक यादव के बीच कई बार बात हुई थी. पुलिस ने निशा से कड़ी पूछताछ की तो वह पुलिस के दांवपेंच में फंसती चली गई. आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अभिषेक से मिल कर अपने पति की हत्या कराई है.

उस ने पुलिस को बताया कि अभिषेक यादव और उस के बीच काफी समय से अवैध संबंध थे. इस बात का शक उस के पति रिंकू को हो गया था. उस ने एक दिन हम दोनों को रंगेहाथों घर में ही पकड़ लिया था, जिस के बाद उस का पति से मनमुटाव हो गया था. उसी मनमुटाव के चलते उस ने अभिषेक से मिल कर उस की हत्या करा दी. नाजायज फायदा उठाया उस के बाद उस ने अपने पारिवारिक संबंधों का नाजायज फायदा उठाते हुए इस केस में अपने ही परिवार वालों को घसीटने की कोशिश की. निशा तेजतर्रार महिला थी. उस ने रिंकू के साथ कोर्टमैरिज की थी. रिंकू से कोर्टमैरिज करने के बाद उस ने रिंकू को कैसे अपनी अंगुलियों के इशारे पर नचाया, यह रोमांचक कहानी है.

रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से लगभग एक किलोमीटर दूर किच्छा मार्ग पर एक कालोनी है भदईपुरा. इसी कालोनी में भान सिंह यादव का परिवार रहता था. भान सिंह के 4 बेटे थे. समय के साथ चारों बेटे जवान हुए तो वे भी कामों में अपने पिता का सहयोग करने लगे. चारों बेटों ने मिलजुल कर काम करना शुरू किया तो भान सिंह के परिवार की स्थिति इतनी मजबूत हो गई कि उसी कमाई के सहारे उस ने मकान भी बनवा लिया. भान सिंह ने समय से 2 बेटों की शादी कर दी थी. रिंकू तीसरे नंबर का था. रिंकू ने किसी फोटोग्राफर के यहां रह कर फोटोग्राफी का काम सीखा और वह शादीविवाह में फोटोशूट का काम करने लगा. उसी दौरान किसी बीमारी के चलते भान सिंह की मृत्यु हो गई.

भान सिंह के निधन से घर की जिम्मेदारी चारों बेटों पर आ गई. चारों बेटे पहले की तरह ही एकमत हो कर घर की सारी जिम्मेदारी निभाते रहे. रिंकू भी शादी लायक हो गया था. रिंकू फोटोग्राफी का काम करता था, इसलिए उसे अकसर बाहर रहना पड़ता था. अब से करीब 8 साल पहले रिंकू दिल्ली में किसी शादी में फोटोशूट के लिए गया हुआ था. उसी दौरान उस की मुलाकात निशा से हुई. निशा देखनेभालने में ठीकठाक थी. शादी में फोटोशूट के दौरान वह रिंकू से इंप्रैस हुई तो उस ने रिंकू का फोन नंबर ले लिया. उस शादी के बाद रिंकू अपने घर आ गया. रिंकू के घर आने के एकदो दिन बाद ही रिंकू के पास निशा के फोन आने लगे.

फोन पर बात होने के दौरान ही निशा ने बताया कि हल्द्वानी और रुद्रपुर में उस की बहनें रहती हैं. वह उन के घर भी आतीजाती है. समय गुजरते निशा और रिंकू के बीच प्रेम अंकुरित हुआ और दोनों ही एकदूसरे के साथ जिंदगी बिताने के सपने देखने लगे. उस दौरान निशा कई बार अपनी बहन के घर आई तो उस ने रिंकू को मिलने के लिए अपनी बहन के घर बुलाया. उसी दौरान रिंकू के परिवार वालों को भी पता चल गया था कि वह निशा नाम की किसी लड़की से प्यार करता है. उस के परिवार वालों ने उसे समझाने की कोशिश की कि शादी के मामले इतने आसान नहीं होते. ऐसे मौके इंसान की जिंदगी में बारबार नहीं आते.

किसी की लड़की घर में लाने से पहले उस के परिवार के बारे में जानकारी जुटाना बहुत जरूरी होता है. लेकिन रिंकू अपने परिवार वालों की एक भी बात मानने को तैयार न था. वह निशा के प्यार में इस कदर पागल हो चुका था कि किसी भी कीमत पर उसे छोड़ने को तैयार न था. परिवार के इसी विरोध के चलते रिंकू ने परिवार वालों को बिना बताए निशा से कोर्टमैरिज कर ली. निशा से शादी कर के रिंकू ने शहर में ही उसे किराए का एक कमरा दिला दिया. वह भी उसी के साथ रहने लगा. जब घर वालों को उस की हकीकत पता चली तो उन्होंने उस की मजबूरी समझ कर निशा को घर लाने को कहा. ससुराल में शुरू की कलह निशा रिंकू के घर वालों के रहमोकरम पर बहू बन कर परिवार के बीच रहने लगी. शादी के कुछ समय बाद तक निशा ठीकठाक रही. लेकिन कुछ ही दिनों में उस का व्यवहार बदलने लगा.

वह रिंकू के घर वालों के साथ गलत व्यवहार करने लगी. उस के घर वाले उसे बोझ लगने लगे. जिस के चलते वह रिंकू पर घर वालों से अलग रहने का दबाव बनाने लगी. यहां तक वह परिवार वालों का खाना बनाने के लिए भी तैयार नहीं थी. रिंकू का छोटा भाई विपिन उस वक्त कुंवारा था. घर में आई बहू की हालत देख उस के घर वालों ने अपने छोटे बेटे विपिन की शादी करने का फैसला कर लिया. विपिन की शादी की बात चली तो उस के योग्य एक लड़की मिल गई. विपिन की शादी उत्तर प्रदेश के बिलासपुर कस्बे से हुई. विपिन की शादी होते ही घर में दूसरी बहू आई तो घर वालों को कुछ राहत मिली.

विपिन की शादी होते ही रिंकू अपनी पत्नी निशा को ले कर अलग रहने लगा. खानापीना घर परिवार से अलग बनने लगा, लेकिन रहनसहन उसी घर में था. भाई तो भाई होते हैं लेकिन एक ही छत के नीचे चार बहुओं का रहना किसी मुसीबत से कम नहीं था. यही कारण था कि परिवार में आए दिन किसी न किसी बात पर मनमुटाव होता रहता था. जिस घर में कलह होने लगे तो वहां शांति के लिए कोई जगह नहीं रह जाती. वही इस परिवार में भी हुआ. सन 2017 में रिंकू की मां द्रौपदी अपने 2 बेटों भारत यादव और सुनील यादव के साथ किसी काम से बरेली गई हुई थी. वहां से घर लौटते समय उन की बाइक किसी गाड़ी की चपेट में आ गई, जिस से उन तीनों की मौत हो गई.

घर में एक साथ 3 मौतें हो जाने के कारण रिंकू को जबरदस्त झटका लगा. उस के बावजूद उस ने जैसेतैसे अपने परिवार को संभालने की कोशिश की. दोनों भाइयों की विधवा बीवी और बच्चों की जिम्मेदारी भी उसी ने संभाली. लेकिन यह सब निशा को पसंद नहीं था. निशा शुरू से ही तेजतर्रार थी. पैसे से उसे कुछ ज्यादा ही प्यार था. उसी दौरान निशा को पता चला कि उस की सास द्रौपदी का जीवनबीमा था, जिस का क्लेम उन के नौमिनी को मिलना था. रिंकू के सभी परिवार वाले यह बात जानते थे कि अगर पैसा रिंकू के हाथ में चला गया तो उस की बीवी सारे पैसे पर अपना कब्जा जमा लेगी.

दूसरे रिंकू के घर अभिषेक यादव का बहुत आनाजाना था. अभिषेक यादव आवारा युवक था, जिस का घर में आना उस के परिवार वालों को बिलकुल पसंद नहीं था. अभिषेक का घर आनाजाना रिंकू को भी खलता था. लेकिन निशा को बुरा न लगे, इसलिए वह अपनी जुबान बंद रखता था. रिंकू के भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों ने पूरी कोशिश की कि पैसा किसी भी हाल में रिंकू या उस की बीवी के हाथ में न जाने पाए. जब यह जानकारी निशा को हुई तो उस ने घर में बवाल खड़ा कर दिया. पैसे ने भाइयों में डाली फूट अपने भाई की मजबूरी और अपनी भाभी के चरित्र और व्यवहार को देखते हुए विपिन ने एलआईसी से मिलने वाली मां की पौलिसी की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली.

यह जानकारी निशा को हुई तो घर में तूफान आ गया. निशा ने घर में जम कर हंगामा किया. उस ने रिंकू का भी जीना हराम कर दिया. वह बातबात पर उस से लड़नेझगड़ने लगी. इस बीच अभिषेक यादव का भी आनाजाना बढ़ गया था, जिस से उस के परिवार वाले बुरी तरह चिढ़ते थे. विपिन के खाते में रुपए जाने के बाद निशा उस से बुरी तरह चिढ़ने लगी थी. उस ने पति रिंकू से साफ शब्दों में कह दिया कि इस घर में या तो मैं और मेरा परिवार रहेगा या फिर विपिन. रिंकू निशा की जिद से परेशान था. उस ने कह दिया कि जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा. इस तरह निशा ने रिंकू को अपने भाई के सामने खड़ा करा कर दोनों में मनमुटाव करा दिया, साथ ही उस के नाम मां की एलआईसी के रुपए हड़पने का आरोप लगा कर रुद्रपुर कोतवाली में एक एफआईआर भी दर्ज करा दी.

विपिन ने अपने कुछ रिश्तेदारों के सहयोग से पुलिस से मिल कर जैसेतैसे वह मामला निपटाया. इस से विपिन को लगा कि अब उस घर में अपने भाई के साथ रहना उस की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है. वह अपना घर छोड़ कर अपनी ससुराल बिलासपुर में जा कर रहने लगा. तब से वह वहीं पर रह रहा था. विपिन के घर छोड़ते ही निशा के सारे बंद रास्ते खुल गए. सुबह होते ही रिंकू अपने काम पर निकल जाता. उस के बाद वह अभिषेक को फोन कर के अपने घर बुला लेती थी. रिंकू के अभी 2 ही बच्चे थे, जिन में बड़ी बेटी मानवी 5 वर्ष की थी और उस से छोटा बेटा मानव 3 वर्ष का था. मानवी तो स्कूल जाने लगी थी. लेकिन बेटा अभी छोटा था, जिस से निशा को कोई खास परेशानी नहीं होती थी.

वह रिंकू की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हुए आए दिन अभिषेक यादव के साथ मस्ती करती थी. अभिषेक का आनाजाना बढ़ गया तो मोहल्ले वालों को भी अखरने लगा. चलतेचलते यह बात रिंकू के सामने भी जा पहुंची. रिंकू ने निशा को समझाने की कोशिश की. लेकिन निशा ने उलटे उसे ही समझाते हुए कहा कि अभिषेक उस का दूर का रिश्तेदार है. वह उस के घर पर आने पर रोक नहीं लगा सकती. निशा के सामने रिंकू की एक न चली. रिंकू का आए दिन बाहर आनाजाना लगा रहता था. उसी दौरान एक दिन रिंकू ने अभिषेक और निशा को अपने घर में ही आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. अभिषेक तो छत की सीढि़यों से पीछे कूद कर भाग गया.

उस रात रिंकू और निशा के बीच खूब गालीगलौज हुई. रिंकू ने निशा को बहुत भलाबुरा कहा. लेकिन निशा को जैसे सांप सूंघ गया था. उस ने रिंकू के सामने माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई. रिंकू जानता था कि बात ज्यादा बढ़ाने से उसी की बेइज्जती होगी, लिहाजा वह सहन कर गया. निशा जानती थी कि अब रिंकू को अभिषेक के बारे में सब कुछ पता चल चुका है, वह आगे किसी भी कीमत पर अभिषेक को सहन नहीं करेगा. उस दिन से अभिषेक काफी दिनों तक उस गली से नहीं गुजरा. लेकिन वह मोबाइल पर हमेशा निशा के संपर्क में रहता था. जब रिंकू कहीं काम से बाहर जाता तो वह घंटों तक अभिषेक से मोबाइल पर बात करती रहती. मोबाइल पर उस ने अभिषेक यादव से कहा कि अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मुझे इस नर्क से निकाल कर कहीं दूसरी जगह ले चलो.

लेकिन अभिषेक यादव जानता था कि उस के छोटेछोटे 2 बच्चे हैं, वह उन का क्या करेगा. निशा ने रची साजिश अंतत: निशा ने अभिषेक के साथ मिल कर रिंकू से पीछा छुड़ाने के लिए एक साजिश रच डाली. साजिश के तहत निशा ने अभिषेक को बताया कि वह 28 फरवरी, 2021 को अपनी बहन के घर हल्द्वानी जा रही है. अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मेरे आने से पहले रिंकू को दुनिया से विदा कर दो. फिर हम दोनों इसी घर में मौजमस्ती करेंगे. अभिषेक यादव निशा के प्यार में पागल था. वह उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था. वह उस की साजिश का हिस्सा बन गया.

रिंकू की हत्या करने के लिए उस ने अपने दोस्त आकाश यादव, साहिल व सूरज को भी शामिल कर लिया. निशा और अभिषेक यादव ने आकाश को 20 हजार रुपए देने के साथ ही एक तमंचा भी दिला दिया था. योजना के तहत निशा ने अपने भाई को अपने घर बुलाया और 28 फरवरी को वह उस के साथ चली गई. निशा के जाने के बाद रिंकू घर पर अकेला रह गया था. 28 फरवरी की शाम को पूर्व योजनानुसार आकाश यादव उर्फ बांडा निवासी भदईपुरा, साहिल निवासी भूत बंगला ने रिंकू के घर पर पार्टी करने की योजना बनाई, जिस में शराब के साथ मुर्गा भी बनाया गया. पार्टी में तीनों ने रिंकू को ज्यादा शराब पिलाई. उस शाम रिंकू के घर के पास एक शादी भी थी, जिस में डीजे बज रहा था.

डीजे की आवाज में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. देर रात तक चली पार्टी में जब रिंकू बेहोशी की हालत में हो गया तो मौका पाते ही तीनों ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. रिंकू की हत्या करने के बाद उन्होंने उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ कर दिया था. उस के बाद तीनों घर के दरवाजे पर अंदर से ताला लगा कर छत के रास्ते नीचे कूद कर चले गए. रिंकू की हत्या के बाद आकाश ने अभिषेक को बता दिया कि उस का काम हो गया है. उस के आगे का काम स्वयं निशा ने संभाला. योजनानुसार निशा ने इस केस में रिंकू के छोटे भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों को फंसाने की योजना बना रखी थी. लेकिन उस का यह दांव चल नहीं सका और वह खुद ही अपने जाल में उलझ गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने पांचों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम में शामिल कोतवाल एन.एन. पंत, एसएसआई सतीश कापड़ी, एसआई पूरनी सिंह, रमपुरा चौकीप्रभारी मनोज जोशी, एसओजी प्रभारी उमेश मलिक, कांस्टेबल प्रकाश भगत और राजेंद्र कश्यप को आईजी ने 5 हजार, एसएसपी ने ढाई हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. crime stories in hindi

hindi love story in short : आयशा की कहानी – मरते दम तक पति से किया बेइंतहा प्यार, जानिए कौन था वो

hindi love story in short : तमाम तरह से प्रताडि़त होने के बावजूद आयशा अपने शौहर आरिफ को दिलोजान से मोहब्बत करती थी, लेकिन लालची आरिफ आयशा के बजाय अपनी प्रेमिका को चाहता था. निकाह के एक साल बाद आरिफ ने ऐसे हालात बना दिए कि आयशा को अपनी मौत का वीडियो बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा…

अहमदाबाद में साबरमती नदी की उफान मारती लहरों पर अटकी मेरी निगाहों में उस वक्त अतीत के लम्हे एकएक कर चलचित्र की तरह तैर रहे थे. रिवरफ्रंट के किनारे चहलकदमी करने वाले लोगों से बेपरवाह मेरे जेहन में सिर्फ जिंदगी के वे अफसोस भरे लम्हे उभर कर सामने आ रहे थे, जिन के कारण आज मेरी जिंदगी इतने अवसाद में भर चुकी थी कि मैं ने एक जिंदगी का सब से कठिन फैसला ले लिया था. मैं अपने अब्बू लियाकत अली मरकाणी की 2 संतानों में सब से बड़ी थी, मुझ से छोटा एक भाई है. अब्बू पेशे से टेलर मास्टर थे. अब्बू बचपन से ही कहा करते थे कि मेरी आयशा बड़ी टैलेंटेड लड़की है.

अब्बू ज्यादा पढ़लिख नहीं सके थे, लेकिन उन का सपना था कि उन के बच्चे पढ़लिख कर काबिल इंसान बनें और लोग उन्हें उन के बच्चों की शोहरत के कारण जानें. अब्बू ने मुझे पढ़ालिख कर या तो आईएएस बनाने या टीचर बनाने का सपना देखा था. इधर अम्मी ने भी मुझे बचपन से ही घर के हर काम में पारंगत कर दिया था. वे कहा करती थीं कि पराए घर जाना है इसलिए अपने घर की जिम्मेदारियां संभाल कर ही ससुराल की जिम्मेदारियों के लिए तैयार होना पड़ता है. मेरा ख्वाब था कि मैं पीएचडी कर के लेक्चरर या प्रोफैसर बनूं. लेकिन कहते हैं न कि इंसान की किस्मत में जो लिखा हो, होता वही है. मुझे राजस्थान के जालौर से बचपन से ही लगाव था.

क्योंकि यहां शहर के राजेंद्र नगर में मेरे मामू अमरुद्दीन रहा करते थे. बचपन से ही जब भी स्कूल की छुट्टियां होती थीं तो मैं मामू के पास ननिहाल आ जाती थी. मामू भी कहते थे कि आयशा तुझे जालौर से जिस तरह का लगाव है उसे देख कर लगता है तेरी शादी यहीं करानी पडे़गी. बचपन में मामू की कही गई ये बातें एक दिन सच साबित हो जाएंगी, इस का मुझे उस वक्त अहसास नहीं था. बात सन 2017 की है, मैं ने ग्रैजुएशन पूरी कर ली थी. हमेशा गरमियों की छुट्टियों की तरह उस साल भी मैं मामू के घर चली गई थी. लेकिन इस बार एक अलग अहसास ले कर लौटी. इस बार मेरी मुलाकात वहां जालौर के ही रहने वाले आरिफ खान से हुई थी.

पता नहीं, वह कौन सा आकर्षण था कि पहली ही नजर में आरिफ मेरे दिल में उतर गया. उस से मिलने के बाद दिल में अजीब सा अहसास जागा, पहली मुलाकात के बाद जब वापस लौटी तो लगा जैसे कोई ऐसा मुझ से दूर चला गया है, जिस के बिना जीवन अधूरा है. मुझे लगा शायद मैं उसे अपना दिल दे बैठी थी. बस यही कारण था कि आरिफ से मिलनेजुलने का सिलसिला लगातार शुरू हो गया. आरिफ में भी मैं ने खुद से मिलने की वैसी ही तड़प देखी, जैसी मुझ में थी. मिलनेजुलने का सिलसिला शुरू होते ही हम दोनों अपने परिवारों के बारे में भी एकदूसरे को जानकारी देने लगे.

आरिफ अपने पिता बाबू खान के साथ जालौर की एक ग्रेनाइट फैक्ट्री में काम करता था. उस के अपने पुश्तैनी घर के बाहर 2 दुकानें थीं, जो उस ने किराए पर दे रखी थीं. आरिफ ग्रेनाइट फैक्ट्री में सुपरवाइजर के पद पर तैनात था, जबकि उस के पिता कंस्ट्रक्शन कंपनी की देखरेख का काम करते थे. जल्द ही हम दोनों की मुलाकातें प्यार में बदल गईं. आरिफ से बढ़ते प्यार के बारे में अपनी मामीजान को सारी बात बताई तो उन्होंने मामा से आरिफ के बारे में बताया. मामा ने पहले आरिफ से मुलाकात की और उस से जानना चाहा कि क्या वह सचमुच मुझ से प्यार करता है. जब उस ने कहा कि वह मुझ से निकाह करना चाहता है तो मामूजान ने आरिफ के अब्बा व अम्मी से मुलाकात की.

उस के बाद जब सब कुछ ठीक लगा तो मामू ने मेरे अब्बू व अम्मी को आरिफ के बारे में बताया. शादी में बदल गया प्यार मिडिल क्लास फैमिली की तरह बेटी के जवान होते ही मातापिता को बेटी के हाथ पीले करने की फिक्र होने लगती है. मेरे अब्बू  और अम्मी मेरे लिए काबिल शौहर तथा एक भले परिवार की तलाश कर ही रहे थे. मामू ने अब्बू को यह भी बता दिया कि उन्होेंने आरिफ व उस के परिवार के बारे में पता कर लिया है. अच्छा खातापीता और शरीफ परिवार है. अब्बू को भी लगा कि चलो बेटी ननिहाल स्थित अपनी ससुराल में रहेगी तो उन्हें  भी चिंता नहीं रहेगी.

इस के बाद मेरे परिवार ने आरिफ के परिवार वालों से मिल कर आरिफ से मेरे रिश्ते की बात चलानी शुरू की. एकदो मुलाकात व बातचीत के बाद आरिफ से मेरा रिश्ता पक्का हो गया. 6 जुलाई, 2018 को आरिफ से मेरे निकाह की रस्म पूरी हो गई और मैं आयशा आरिफ खान के रूप में नई पहचान ले कर अपने मायके से ससुराल जालौर पहुंच गई. हालांकि शादी में दानदहेज देने की कोई बात तय नहीं हुई थी, लेकिन अब्बा ने शादी में अपनी हैसियत के लिहाज से जरूरत की हर चीज दी. आरिफ की मोहब्बत में निकाह के कुछ दिन कैसे बीत गए, मुझे पता ही नहीं चला.

निकाह के 2 महीने बाद ही मेरी जिंदगी में संघर्ष का एक नया अध्याय शुरू हो गया. 2 महीने के भीतर ही मुझे समझ आने लगा कि निकाह के बाद पहली रात को अपने अंकपाश में लेते हुए आरिफ ने मुझ से ताउम्र मोहब्बत करने और जिंदगी भर साथ निभाने का जो वादा किया था, वह दरअसल एक फरेब था. असल में उस की जिदंगी में पहले से ही एक लड़की थी. बेवफाई आई सामने घर वाली के रूप में मेरे शरीर को भोगने के अलावा मोहब्बत तो आरिफ अपनी उस प्रेमिका से करता था, जिस से अब तक वह चोरीछिपे वाट्सऐप पर चैट और वीडियो काल कर के दिन के कई घंटे बातचीत में बिताता था. निकाह के 2 महीने बाद जब आरिफ के फोन से यह भेद खुला तो मेरे ऊपर तो जैसे पहाड़ ही टूट पड़ा.

आरिफ बेवफा होगा, इस की मुझे तनिक भी उम्मीद नहीं थी. एक औरत कुछ भी बांट सकती है, लेकिन पति का बंटवारा उसे कतई गवारा नहीं. जाहिर था, मैं भी एक औरत होने के नाते इस सोच से अछूती नहीं रही. मैं ने आरिफ की इस बात का विरोध किया कि आखिर मुझ में ऐसी कौन से कमी है, जो वह किसी दूसरी औरत में मेरी उस कमी को तलाश रहा है. उस दिन आरिफ ने जो कहा मेरे लिए वह किसी कहर से कम नहीं था. आरिफ ने मुझे बताया कि वह तो शादी से पहले ही एक लड़की से प्यार करता था, मगर जातपात की ऊंचनीच के कारण परिवार वाले उस से शादी के लिए तैयार नहीं हुए.

उस ने तो बस परिवार की खातिर मुझ से निकाह किया था. यह बात मेरे लिए कितनी पीड़ादायक थी, इस का अहसास दुनिया की हर उस औरत को आसानी से हो सकता है जिस ने अपने पति से दिल की गहराइयों से प्यार किया होगा. यह दुख, दर्द, तकलीफ मेरे लिए असहनीय थी. फिर अकसर ऐसा होने लगा कि आरिफ उस प्रेम कहानी को ले कर मेरे ऊपर हाथ छोड़ने लगा. इतना ही नहीं, अब तो वह चोरीछिपे नहीं मेरी मौजूदगी में ही अपनी प्रेमिका से वीडियो काल तक करने लगा था. आंखों से आंसू और दिल में दर्द लिए मैं सब कुछ तड़प कर सह जाती थी.

आरिफ की कमाई के साधन तो सीमित थे, लेकिन उस की आशिकी के कारण उस के खर्चे बेहिसाब थे. इसलिए जब भी उसे पैसे की जरूरत होती तो वह मुझे जरूरत बता कर दबाव बनाता कि मैं अपने अब्बू से पैसे मंगा कर दूं. जिंदगी में पति के साथ दूरियां तो बन ही चुकी थीं, सोचा कि चलो इस से ही आरिफ के साथ संबध सुधर जाएंगे. एकदो बार मैं ने 10-20 हजार मंगा कर आरिफ को दे दिए. लेकिन पता चला कि ये पैसा आरिफ ने अपनी महबूबा के साथ अय्याशियों के लिए मंगाया था. कुछ समय बाद ऐसा होने लगा कि आरिफ ने मुझे एकएक पाई के लिए तरसाना शुरू कर दिया और अपनी सारी कमाई आशिकी में लुटाने लगा. पैसे की कमी होती तो मुझ पर अब्बू से पैसा लाने का दबाव बनाता.

आखिर मैं भी एक साधारण परिवार की लड़की थी, लिहाजा मैं ने कह दिया कि अब मैं अब्बू से कोई पैसा मंगा कर नहीं दूंगी. दरअसल, मैं इतना सब होने के बाद खामोश थी तो इसलिए कि मैं अपने गरीब मातापिता की इज्जत बचाना चाहती थी. पति से मिलने वाले दर्द को छिपाते हुए मैं हर पल एक नई तकलीफ से गुजरती थी, लेकिन इस के बावजूद सहती रही. मेरा दर्द सिर्फ इतना नहीं था. एक बार आरिफ मुझे अहमदाबाद मेरे मायके छोड़ गया. मैं उस समय प्रैग्नेंट थी. आरिफ ने कहा था कि जब मेरे अब्बू डेढ़ लाख रुपए दे देंगे तो वह मुझे अपने साथ ले जाएगा. अचानक इस हाल में मायके आ जाने और आरिफ की शर्त के बाद मुझे परिवार को अपना सारा दर्द बताना पड़ा.

प्रैग्नेंसी के दौरान एक बार आरिफ ने मेरी पिटाई की थी. उसी के बाद से मुझे लगातार ब्लीडिंग होने लगी थी. मायके आने के बाद अब्बू ने मुझे हौस्पिटल में भरती कराया. तब डाक्टर ने तुरंत सर्जरी की जरूरत बताई, लेकिन गर्भ में पल रहे मेरे बच्चे को नहीं बचाया जा सका. इस के बाद जिंदगी में पूरी तरह अवसाद भर चुका था. प्रैग्नेंसी के दौरान आरिफ के बर्ताव से मैं बुरी तरह टूट गई थी. लेकिन ऐसे में अम्मीअब्बू ने मुझे सहारा दिया और मेरा मनोबल बढ़ा कर कहने लगे कि अगर आरिफ नालायक है तो इस के लिए मैं क्यों अपने को जिम्मेदार मान रही हूं.

लेकिन मेरी पीड़ा इस से कहीं ज्यादा इस बात पर थी कि इतना सब हो जाने पर भी आरिफ और उस के परिवार वाले मुझे देखने तक नहीं आए. मुझे लगने लगा कि आरिफ और उस के परिवार के लिए शायद पैसा ही सब कुछ है. वे यही रट लगाए रहे कि जब तक पैसा नहीं मिलेगा, मुझे अपने साथ नहीं ले जाएंगे. मैं या अब्बूअम्मी जब भी आरिफ या उस के परिवार वालों से बात कर के ले जाने के लिए कहते तो वे फोन काट देते. निकाह के बाद दहेज के लिए किसी लड़की की जिंदगी नर्क कैसे बनती है, मैं इस का जीताजागता उदाहरण बन चुकी थी.

सब कुछ असहनीय था मैं थक चुकी थी. मैं ने परिवार वालों को कुछ नहीं बताया. लेकिन मेरे बच्चे की मौत और आरिफ का मुझ से मुंह मोड़ लेना असहनीय हो गया था. लिहाजा थकहार कर 21 अगस्त, 2020 को मैं ने अब्बू के साथ जा कर अहमदाबाद के वटवा थाने में आरिफ और अपने सासससुर तथा ननद के खिलाफ दहेज की मांग तथा घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया. 10 मार्च, 2020 से आरिफ जब से मुझे अब्बू के घर छोड़ कर गया था, तब से मुझे लगने लगा था कि मैं अपने गरीब परिवार पर बोझ बन चुकी हूं. इसलिए मैं ने अहमदाबाद के रिलीफ रोड पर स्थित एसवी कौमर्स कालेज में इकोनौमिक्स से प्राइवेट एमए की पढ़ाई शुरू कर दी और एक निजी बैंक में नौकरी करने लगी.

जिंदगी चल रही थी, गुजर रही थी लेकिन न जाने क्यों मुझे लगने लगा था कि जिदंगी पराई हो गई है. मैं अब भी अपना परिवार जोड़ना चाहती थी. मुकदमा दर्ज होने के बाद भी मैं आरिफ को समझाती रही कि अगर वह मुझे अपना लेगा तो अब्बू से कह कर सब ठीक करा दूंगी. मैं हर तरीके से अपने परिवार को वापस जोड़ने की कोशिश कर रही थी. लेकिन आरिफ मेरी हर बात को बारबार नकारता रहा. 22 फरवरी, 2021 को मैं ने आरिफ से आखिरी बार फोन पर बात की थी. लेकिन आरिफ ने उस दिन जो कुछ कहा, उस ने मुझे भीतर से तोड़ दिया. उस ने कहा कि वह मर भी जाए तो भी मुझे ले कर नहीं जाएगा.

मैं ने आरिफ से कहा कि अगर वह ले कर नहीं जाएगा तो मैं जान दे दूंगी. इस पर आरिफ ने कहा अगर मरना है तो मर जाए, लेकिन मरने से पहले वीडियो बना कर भेज दे. मैं ने भी वादा कर लिया कि ठीक है, मरूंगी जरूर और वीडियो भी भेजूंगी. उसी दिन से मन जिंदगी के प्रति निराशा से भर गया था. 25 फरवरी को मैं उसी निराशा और हताशा में मन की शांति के लिए साबरमती रिवरफ्रंट पर जा पहुंची. यहीं पर बैठेबैठे अतीत के पन्नों  को पढ़ते हुए हताशा ने मुझे एक बार फिर इस तरह घेर लिया कि सोचा जब जीवन खत्म ही करना है तो क्यों न आज ही कर लिया जाए.

वीडियो में उस ने जिक्र किया कि इस मामले में आरिफ को परेशान न किया जाए. मैं आरिफ से प्यार करती थी, इसलिए उस से किया गया वादा पूरा करने के लिए मैं ने एक वीडियो बनाया. आयशा का आखिरी वीडियो ‘हैलो, अस्सलाम आलैकुम, मेरा नाम आयशा आरिफ खान है और मैं अब जो करने जा रही हूं, अपनी मरजी से करने जा रही हूं. मुझ पर कोई दबाव नहीं था. अब मैं क्या बोलूं? बस, यह समझ लीजिए कि अल्लाह द्वारा दी गई जिंदगी इतनी ही है और मेरी यह छोटी सी जिंदगी सुकून वाली थी. डियर डैड आप कब तक लड़ेंगे अपनों से? केस वापस ले लीजिए. नहीं लड़ना.

‘आयशा लड़ाइयों के लिए नहीं बनी. प्यार करते हैं आरिफ से, उसे परेशान थोड़े ही न करेंगे. अगर उसे आजादी चाहिए तो ठीक है वो आजाद रहे. चलो, अपनी जिंदगी तो यहीं तक है.

‘मैं खुश हूं कि मैं अल्लाह से मिलूंगी और पूछूंगी कि मुझ से गलती कहां हो गई. मां बाप बहुत अच्छे मिले, दोस्त भी बहुत अच्छे मिले, पर शायद कहीं कमी रह गई मुझ में या फिर तकदीर में. मैं खुश हूं सुकून से जाना चाहती हूं, अल्लाह से दुआ करती हूं कि वो दोबारा इंसानों की शक्ल न दिखाए.

‘एक चीज जरूर सीखी है मोहब्बत करो तो दोतरफा करो, एकतरफा में कुछ हासिल नहीं है. कुछ मोहब्बत तो निकाह के बाद भी अधूरी रहती हैं. इस प्यारी सी नदी से प्रेम करती हूं कि ये मुझे अपने आप में समा ले.

‘मेरे पीछे जो भी हो प्लीज ज्यादा बखेड़ा खड़ा मत करना, मैं हवाओं की तरह हूं, सिर्फ बहना चाहती हूं. मैं खुश हूं आज के दिन, मुझे जिन सवालों के जवाब चाहिए थे वो मिल गए, जिसे जो बताना चाहती थी सच्चाई बता चुकी हूं. बस इतना काफी है. मुझे दुआओं में याद रखना. थैंक यू, अलविदा.’

आरिफ से मेरा यही वादा था, इसलिए इस वीडियो को मैं ने आरिफ और उस के परिवार वालों को सेंड कर दिया है ताकि उस को समझ आ जाए कि मैं वाकई उस से सच्ची मोहब्बत करती थी और मरने के बाद भी उसे किसी पचडे़ में नहीं फंसाना चाहती. इस वीडियो संदेश को आरिफ को भेजने के बाद मैं ने अपने अब्बू व अम्मी से बात की. उन्हेंबता दिया कि मैं साबरमती के किनारे खड़ी हूं और मरने जा रही हूं.

हालांकि अब्बू  ने खूब मन्नतें की कि कोई गलत कदम न उठाऊं. लेकिन मैं ने खुद की जिंदगी खत्म  करने का फैसला ले लिया था. मरने से पहले भी आरिफ के लिए मेरा प्यार कम नहीं हुआ था इसीलिए मैं ने अब्बू से कहा कि वे आरिफ और उस के खिलाफ दर्ज मामले को वापस ले लें. मैं ने साबरमती के किनारे खड़े हो कर अपने इस फोन और बैग को किनारे रखा और साबरमती के सामने अपनी बांहें फैला दीं और उस के बाद मैं ने अपना भार साबरमती पर छोड़ दिया. hindi love story in short

 

hindi stories love : टीचर के प्यार में स्टूडेंट ने फांसी लगाकर दे दी जान

hindi stories love : आराधना एक्का ओम की टीचर थी, गुरु शिष्य का नाता था दोनों में. लेकिन अराधना ने ओम को शिष्य नहीं बल्कि एक नवयुवक समझ कर पेंच लड़ाए और इस स्थिति तक पहुंचा दिया कि एक अभागिन मां के एकलौते बेटे को…

इसी साल 18 मार्च की बात है. शाम का समय था. करीब 6-साढ़े 6 बज रहे थे. छत्तीसगढ़ के शहर बिलासपुर में रहने वाली सरिता श्रीवास्तव मंदिर जाने की तैयारी कर रही थीं. बेटा ओम प्रखर घर पर अपने कमरे में पढ़ रहा था. इसी दौरान डोर बेल बजी. सरिता ने बाहर आ कर गेट खोला. गेट पर 25-30 साल की एक युवती खड़ी थी.

सरिता ने युवती की ओर देख कर सवाल किया, ‘‘हां जी, बताओ क्या काम है?’’

युवती ने अपने दोनों हाथ जोड़ कर सरिता से कहा, ‘‘मैम नमस्ते. ओम घर पर है क्या?’’

‘‘हां, ओम घर पर ही है.’’ सरिता ने युवती को जवाब दे कर सवाल किया, ‘‘आप को उस से क्या काम है?’’

‘‘मैम, मेरा नाम आराधना एक्का है. मैं ओम के स्कूल में टीचर हूं. इधर से जा रही थी, तो सोचा ओम से मिलती चलूं.’’ युवती ने बताया.

बेटे की टीचर होने की बात जान कर सरिता ने आराधना को अंदर बुलाते हुए ओम को आवाज दे कर कहा, ‘‘ओम, आप की मैम मिलने आई हैं.’’

ओम बाहर आया, तो टीचर उसे देख कर मुसकरा दी. सरिता को मंदिर जाने को देर हो रही थी. इसलिए उन्होंने ओम से कहा, ‘‘ओम, अपनी टीचर को चायपानी पिलाओ. मुझे मंदिर के लिए देर हो रही है.’’

‘‘ठीक है मम्मी, आप मंदिर जाइए.’’ ओम ने मम्मी को आश्वस्त किया और अपनी टीचर से कहा, ‘‘मैम, आ जाओ, कमरे में बैठते हैं.’’

‘‘हां बेटे, तुम बातें करो. मैं मंदिर हो कर आती हूं.’’ कह कर सरिता घर से निकल गईं.

मंदिर सरिता के घर से दूर था. जब वह मंदिर से घर लौटीं, तो रात के करीब 8 बज गए थे. घर का गेट खुला देख कर सरिता को थोड़ा ताज्जुब हुआ, ओम की लापरवाही पर खीझ भी हुई. वह ओम को आवाज देती हुई घर में घुसीं. ओम का जवाब नहीं आने पर उन्होंने कमरे में जा कर देखा, तो उन के मुंह से चीख निकल गई. ओम अपने कमरे में पंखे के हुक से लटक रहा था. सरिता पढ़ीलिखी हैं. वह निजी स्कूल चलाती हैं. अपने 16-17 साल के बेटे ओम को फंदे पर लटका देख कर वह कुछ समझ नहीं पाईं. उन्होंने रोते हुए तुरंत घर से बाहर आ कर जोर से आवाज दे कर पड़ोसियों को बुलाया.

पड़ोसियों की मदद से पंखे से लटके ओम को नीचे उतारा गया. ओम को फंदे से उतार कर उस की नब्ज देखी, तो सांस चलती हुई नजर आई. सरिता पड़ोसियों की मदद से बेटे को तुरंत बिलासपुर के अपोलो हौस्पिटल ले गईं. डाक्टरों ने बच्चे की जांचपड़ताल करने के बाद उसे मृत घोषित कर दिया. अस्पताल वालों ने इस की सूचना तोरवा थाना पुलिस को दी. मामला सुसाइड का था, इसलिए पुलिस अस्पताल पहुंच गई. पुलिस ने सरिता से पूछताछ के बाद ओम का शव पोस्टमार्टम के लिए अपने कब्जे में ले लिया. इस के बाद पुलिस देवरीखुर्द हाउसिंग बोर्ड इलाके में सरिता के घर पहुंची. उस समय तक रात के करीब 10 बज गए थे. इसलिए पुलिस ने वह कमरा सील कर दिया, जिस में ओम ने फांसी लगाई थी.

दूसरे दिन तोरवा थाना पुलिस ने ओम के शव का पोस्टमार्टम कराया. एक पुलिस टीम ने सरिता के मकान पर पहुंच कर ओम के कमरे की जांचपड़ताल की. कमरे में पुलिस को ओम का मोबाइल स्टैंड पर लगा हुआ मिला. मोबाइल का डिजिटल कैमरा चालू था. पुलिस ने मोबाइल की जांच की, तो उस में ओम के फांसी लगाने का पूरा वीडियो मिला. ओम ने अपना मोबाइल स्टैंड पर इस तरह सेट किया था कि उस के फांसी लगाने की प्रत्येक गतिविधि कैमरे में कैद हो गई थी. पुलिस ने मोबाइल जब्त कर लिया. पुलिस ने ओम की किताब, कौपियां भी देखीं, लेकिन कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. उस के कमरे से दूसरी कोई संदिग्ध चीज भी नहीं मिली.

पुलिस ने सरिता श्रीवास्तव से ओम के फांसी लगाने के कारणों के बारे में पूछा, लेकिन उन्हें कुछ पता ही नहीं था, तो वे क्या बतातीं. उन्होंने मंदिर जाने से पहले ओम की टीचर आराधना के घर आने और मंदिर से वापस घर आने तक का सारा वाकया पुलिस को बता दिया. लेकिन इस से ओम के आत्महत्या करने के कारणों का पता नहीं चला. तोरवा थाना पुलिस ने ओम की आत्महत्या का मामला दर्ज कर लिया. जब्त किए उस के मोबाइल पर कुछ चीजों में लौक लगा हुआ था. मोबाइल का लौक खुलवाने के लिए उसे साइबर सेल में भेज दिया गया. पुलिस जांचपड़ताल में जुट गई, लेकिन यह बात समझ नहीं आ रही थी कि ओम ने सुसाइड क्यों किया और सुसाइड का वीडियो क्यों बनाया?

ओम प्रखर एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. इस के साथ ही एक इंस्टीट्यूट में कोचिंग भी कर रहा था. ओम सरिता का एकलौता बेटा था. पति सुनील कुमार से अनबन होने के कारण सरिता बेटे के साथ घर में अकेली रहती थीं. सरिता परिजात स्कूल की प्राचार्य थीं. यह स्कूल वह खुद चलाती थीं. पुलिस ओम के सुसाइड मामले की जांचपड़ताल कर रही थी, इसी बीच उस के कुछ दोस्तों के मोबाइल पर डिजिटल फौर्मेट में कुछ सुसाइट नोट पहुंचे. पता चलने पर पुलिस ने ये सुसाइड नोट जब्त कर लिए. इन सुसाइड नोट में ओम ने कई तरह की बातें लिखी थीं, जिन में वह जीने की इच्छा जाहिर कर रहा था और अपने व अपनों के लिए कुछ करने की बात भी कह रहा था.

सुसाइड नोट में ओम ने किसी लड़की का जिक्र करते हुए लिखा था कि वह उस का मोबाइल नंबर कभी ब्लौक तो कभी अनब्लौक कर देती है. उस ने सुसाइड नोट में अपनी मौत से उसे दर्द पहुंचाने की बात भी लिखी थी. यह सुसाइड नोट सामने आने से पुलिस को यह आभास हो गया कि यह मामला प्रेम प्रसंग का हो सकता है. इसलिए पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर जांच आगे बढ़ाई. इस दौरान ओम के दोस्तों के पास उस के सुसाइड से जुड़े मैसेज आते रहे. जांच में पता चला कि ओम ने सुसाइड से पहले मोबाइल में 2-3 सुसाइड नोट रिकौर्ड किए थे. इस के अलावा कुछ अन्य मैसेज भी लिखे थे.

ये मैसेज और सुसाइड नोट दोस्तों को अलगअलग समय पर मिलें, इस के लिए उस ने टाइम सेट किया था. टाइम सेट किए जाने के कारण ही ओम के दोस्तों को उस के सुसाइड नोट और मैसेज अलगअलग समय पर मिले. सुसाइड नोट और मैसेज के आधार पर पुलिस ने 23 मार्च को ओम को आत्महत्या के लिए उकसाने और पोक्सो ऐक्ट के तहत मामला दर्ज कर शिक्षिका आराधना एक्का को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस की ओर से एकत्र किए सबूतों के आधार पर जो कहानी सामने आई है, वह 16-17 साल के किशोर ओम प्रखर को उस की टीचर आराधना एक्का द्वारा अपने प्रेमजाल में फंसाने और उस का दैहिक शोषण करने की कहानी थी.

30 साल की आराधना एक्का बिलासपुर के सरकंडा इलाके में एक निजी स्कूल में कैमिस्ट्री की टीचर थी. ओम भी इसी स्कूल में 12वीं कक्षा में पढ़ता था. ओम अपनी क्लास का होशियार विद्यार्थी था. पढ़ातेपढ़ाते आराधना का झुकाव ओम की ओर होने लगा. वह गुरुशिष्य का रिश्ता भूल कर ओम को प्यार करने लगी. आराधना ने ओम का मोबाइल नंबर भी ले लिया. वह कभी ओम को क्लास में रोक कर उसे छूती और प्यार भरी बातें करती, तो कभी घर पर बुला लेती. ओम जवानी की दहलीज पर खड़ा था. वह प्रेम प्यार का ज्यादा मतलब तो नहीं समझता था, लेकिन इस उम्र में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण बढ़ जाना स्वाभाविक है.

आराधना जब उसे छूती और उस के नाजुक अंगों को सहलाती, तो ओम को अच्छा लगता. किशोरवय ओम जल्दी ही अपनी टीचर के प्यार की गिरफ्त में आ गया. आराधना उस का शारीरिक शोषण भी करने लगी. इसी बीच आराधना का अपने स्कूल के एक शिक्षक से प्रेम प्रसंग शुरू हो गया. इस के बाद आराधना ने ओम की तरफ ध्यान देना कम कर दिया. इस से ओम बेचैन रहने लगा. आराधना ने उसे प्यार की ऐसी गिरफ्त में ले लिया था कि ओम को उस के बिना सब कुछ सूनासूना सा लगता था. ओम जब आराधना को फोन करता, तो कई बार वह फोन नहीं उठाती थी. इस पर ओम को कोफ्त होती थी.

ओम ने पता किया, तो मालूम हुआ कि आराधना का एक टीचर से चक्कर चल रहा है. यह बात जान कर ओम परेशान हो उठा. एक दिन आराधना ने ओम को बिलासपुर के एक मौल में बुलाया. ओम वहां गया, तो उस ने बहाने से आराधना का मोबाइल ले लिया. ओेम ने आराधना की आंख बचा कर उस के मोबाइल को हैक कर लिया. इस के बाद आराधना जब भी अपने प्रेमी टीचर से बातें करती या सोशल मीडिया पर कोई मैसेज भेजती, तो सारी बातें ओम को पता चल जातीं. आराधना की बेवफाई की बातें सुन और पढ़ कर ओम ज्यादा परेशान रहने लगा.

18 मार्च को आराधना जब ओम के घर आई, तब उस की मम्मी सरिता श्रीवास्तव मंदिर जा रही थीं. मां के मंदिर जाने के बाद ओम ने आराधना से उस की बेवफाई के बारे में पूछा, तो आराधना ने उसे फटकार दिया और अपनी मनमर्जी की मालिक होने की बात कहते हुए चली गई. आराधना की बातों से किशोरवय ओम के दिल को गहरी ठेस पहुंची. नासमझी में उस ने सुसाइड करने का फैसला कर लिया. उस ने किसी खास ऐप की मदद से कोड लैंग्वेज में कुछ सुसाइड नोट लिखे. एकदो सुसाइड नोट उस ने हिंदी में भी लिखे. ये सुसाइड नोट लिख कर उस ने टाइम सेट कर दिया और अपने दोस्तों को भेज दिए.

इस के बाद घर में अकेले ओम ने एक रस्सी से फांसी का फंदा बनाया और कमरे में लगे पंखे से लटक कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली. सुसाइड नोट के टाइम सेट किए जाने के कारण ओम के दोस्तों को उस के सुसाइड नोट अलगअलग तय समय पर मिले. दोस्तों को सुसाइड नोट मिलने पर ओम के सुसाइड करने के कारणों का पता चला. पुलिस ने ओम के मोबाइल का लौक खुलवा कर जांचपड़ताल की, तो उस में कोड वर्ड में लिखा सुसाइड नोट मिला. पुलिस ने साइबर विशेषज्ञों की मदद से सुसाइड नोट के कोड वर्ड को डिकोड कराया.

सुसाइड नोट में आराधना के लिए एक जगह लिखा था कि उसे पता था कि मैं बेस्ट हूं लेकिन उस ने मुझे बरबाद कर दिया. मैं जिंदा रहना चाहता हूं, अपने लिए, अपने घर वालों के लिए. जो मुझ से प्यार करते हैं, उन के लिए बहुत कुछ करना चाहता हूं. मैं जिंदगियां बचाना चाहता हूं, लेकिन मुझे कोई नहीं बचा सकता. आराधना की बेवफाई का जिक्र करते हुए ओम ने सुसाइड नोट में लिखा कि वह मुझे अकसर ब्लौक कर देती थी और खुद की जरूरत पड़ने पर अनब्लौक. मैं ने उस से पूछा था कि वास्तविक जीवन में कैसे ब्लौक करोगी?

मैं ने उस से मजाक में यह भी पूछा था कि क्या कोई और मिल गया है, तो उस ने कहा था, क्या मेरा एक साथ 10 के साथ चक्कर चलेगा? फिर बोली थी कि कभी शक मत करना. पहले उस ने मुझे प्यार में फंसाया. फिर जब मुझे गहराई से प्यार हो गया, तो वह मुझे छोड़ने की बात करने लगी. मैं मनाता था, तो मान भी जाती थी. वह मुझे इस्तेमाल करती थी. मैं ने उसे सब कुछ दे दिया. आरोपी टीचर आराधना ने पुलिस से बताया कि ओम ही उसे परेशान करता था. वह कम उम्र का था, इसलिए उस ने कभी उस की शिकायत उस के घर वालों से नहीं की.

पुलिस ने आरोपी टीचर को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश किया. अदालत के आदेश पर उसे 24 मार्च को जेल भेज दिया गया. पुलिस ने उस का मोबाइल भी जब्त कर लिया. बहरहाल, आराधना ने अपनी काम इच्छा की पूर्ति के लिए किशोर उम्र के ओम का इस्तेमाल किया. हवस में अंधी आराधना की बेवफाई ने ओम को तोड़ दिया. उस ने सुसाइड कर लिया. बेटे ओम की मौत से सरिता श्रीवास्तव पर दोहरा वज्रपात हुआ. एक तो वह पति से पहले ही अलग रहती थीं. अब बेटे की मौत ने उन की जिंदगी की रहीसही खुशियां भी छीन लीं. hindi stories love

Rajasthan News : 9 साल का बेटा बना पिता की हत्या का गवाह, मां और प्रेमी ने कराई हत्या

Rajasthan News : एक ऐसी दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है जहां महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी. वो भी अपने 9 साल के बेटे के सामने. इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है. इस घटना ने पतिपत्नी वफादारी के रिश्ते को तारतार कर दिया है. जानते हैं इस स्टोरी को विस्तार से

यह घटना राजस्थान जिले के अलवर के खेड़ली कस्बे में 7 जून को हुई. जहां एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही बेटे के सामने अपने पति का कत्ल करवा डाला. पुलिस ने महिला अनीता और काशीराब और ब्रजेश जाटव को अरेस्ट कर लिया गया है और बाकी के तीन आरोपी विष्णु, नवीन और चेतन फरार हैं. मृतक का नाम वीरु है और वह एक टेंट से जुड़ा व्यवसाय करता था. वीरुर की उम्र 32 साल है. वीरु को उसके मोहल्ले के लोग मान सिंह जाटव के नाम से भी जानते है.

देवर को शक हुआ भाभी पर

पति की मौत के बारे में पूछे जाने पर पत्नी अनीता ने कहा कि उसकी मौत बीमारी के कारण हुई है. उसने अपनी भाभी को फोन कर बताया की वीरू को साइलेंट अटैक हुआ है जिससे उसकी तबीयत खराब होने लगी और मौत हो गई है. लेकिन मृतक का भाई गब्बर जाटव को भाई के गले पर निशान देख कर उसकी मौत के कारण पर शक होने लगा, उसे यह लगने लगा कि उसकी भाई की हत्या गला घोंट कर की गई है. इसी शक के आधार पर गब्बर जाटव ने पुलिस को सूचना दी.

पुलिस ने मामला संदिग्ध मानकर जांच शुरू की और आस पास के 100 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगाले. साथ ही कौल डिटेल्स की जांच भी की. जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए. इसी आधार पर वीरु की हत्या का पता चल सका. पुलिस ने इस वारदात मे मृतक की पत्नी अनीता, उसका प्रेमी काशीराम और उसके साथी को अरेस्ट कर लिया. जबकि बाकी अपराधी अभी फरार है. उनकी भी तलाश जारी है.

मुख्य गवाह बना बेटा

बेटे ने पुलिस को बताया कि पिता जी रात को देर से घर लौटे थे और फोन चार्ज करने के लिए कहा था. मां ने मुझे जल्दी सोने के लिए कहा था. लेकिन खाट हिलने की आवाज आ रही थी तो मेरी आंखे खुल गई. मैंने देखा, मां ने घर का दरवाजा खोल दिया था और काशीराम अंकल अंदर आए. बच्चे ने कहा कि मैं डर गया था इसलिए मैं चुप रहा. वे सभी कमरे में अंदर गए और मां खाट पर खड़ी थी. उन सभी ने पापा को मुक्का मारा और पैर पकड़ लिए थे. वहीं काशीराम अंकल ने पापा का गला तकिए से दबाकर मार डाला. फिर पापा ने हिलना बंद कर दिया बाद में सभी चले गए. मम्मी ने कुछ भी नही कहा था वह देखती रही.

2 लाख में दी थी सुपारी

एसएचओ धीरेंद्र शास्त्री ने बताया की अनीता ने अपने प्रेमी काशीराम के साथ मिलकर चार किराए के हत्यारों को 2 लाख रुपए में सुपारी देकर पति वीरु का कत्ल कराया. अनीता ने साजिश के तहत रात को अपना घर का दरवाजा जानबूझकर खुला छोड़ दिया ताकि अपराधी आसानी से घर के अंदर आकर घटना का अंजाम दे सके. इसके बाद काशीराम अपने चार साथियों चेतन, विष्णु, नवीन और बृजेश जाटव के साथ मिलकर में घर में दाखिल हुआ और सोते हुए वीरु पर हमला कर दिया. पहले चोरों ने मिलकर उसे मुक्का मार कर पीटा फिर तकिए से गला दबा कर मार डाला. यह पूरी वारदात एक सुनियोजित साजिश के तहत अंजाम दी गई थी. Rajasthan News

Best Crime Story : प्रेमिका का चुन्नी से गला घोंटा फिर सबूत मिटाने के लिए चुन्नी और मोबाइल फोन नहर में फेंका

Best Crime Story : राजेंद्र और रीता बालबच्चेदार थे. दोनों के बच्चे जवान थे. इस के बावजूद दोनों के बीच नाजायज संबंध बन गए. अधेड़ उम्र के संबंध इतने खतरनाक साबित हुए कि…

36 वर्षीया रीता मनचली भी थी और महत्त्वाकांक्षी भी. कस्बे के तमाम लोग उस से नजदीकियां बढ़ाना चाहते थे. मगर पिछले 4 सालों से उस के मन में बसा हुआ था, पड़ोस में रहने वाला 41 वर्षीय राजेंद्र सिंह. वह उस का रिश्तेदार भी था और हर समय उस का ध्यान भी रखता था. शादीशुदा होते हुए भी रीता और राजेंद्र के संबंध बहुत गहरे थे. राजेंद्र 3 बच्चों का बाप था तो रीता भी 2 बच्चों की मां थी. राजेंद्र और रीता का पति मनोज दोनों ईंट भट्ठे पर काम करते थे. वहीं पर दोनों के बीच नजदीकियां बनी थीं.

राजेंद्र व रीता के संबंधों की जानकारी रीता के पति मनोज को भी थी और कस्बे के लोगों को भी. इस बाबत रीता के पति मनोज ने दोनों को समझाने का काफी प्रयास भी किया था, मगर न तो रीता मानी और न ही राजेंद्र. उन दोनों का आपस में मिलनाजुलना चलता रहा. दोनों का लगाव इस स्थिति तक पहुंच गया था कि दोनों एकदूसरे के बगैर नहीं रह सकते थे. इसी दौरान 16 मार्च, 2021 को रीता गायब हो गई. उस के पति मनोज ने उसे सभी संभावित जगहों पर ढूंढा. वह नहीं मिली तो वह झबरेड़ा थाने जा पहुंचा. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार को उस ने बताया, ‘‘साहब, कल मेरी पत्नी रीता काम से अपनी सहेली हुस्नजहां के साथ बैंक गई थी लेकिन आज तक वापस नहीं लौटी है.

मैं उसे आसपास व अपनी सभी रिश्तेदारियों में जा कर तलाश कर चुका हूं, मगर उस का कुछ पता नहीं चल सका.’’

थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की बाबत मनोज से कुछ जानकारी ली. साथ ही उस का मोबाइल नंबर भी नोट कर लिया. पुलिस ने रीता की गुमशुदगी दर्ज कर मनोज को घर भेज दिया. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने रीता की गुमशुदगी को गंभीरता से लिया. उन्होंने रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और इस प्रकरण की जांच थाने के तेजतर्रार थानेदार संजय नेगी को सौंप दी. मामला महिला के लापता होने का था, इसलिए रविंद्र कुमार ने इस बाबत सीओ पंकज गैरोला व एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय को जानकारी दी. अगले दिन रीता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स पुलिस को मिल गई.

संजय नेगी ने विवेचना हाथ में आते ही क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली. सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में रीता अपने पड़ोसी राजेंद्र के साथ बाइक पर बैठ कर जाती दिखाई दी. इस के बाद शक के आधार पर एसआई संजय नेगी ने राजेंद्र को हिरासत में ले लिया और उस से रीता के लापता होने के बारे में गहन पूछताछ की. पूछताछ के दौरान राजेंद्र पुलिस को बरगलाते हुए कहता रहा कि उस की रीता से रिश्तेदारी है और उस ने 2 दिन पहले रीता को थोड़ी दूर तक बाइक पर लिफ्ट दी थी. लेकिन अब रीता कहां है, उसे इस बाबत कोई जानकारी नहीं है.

शाम तक राजेंद्र इसी बात की रट  लगाए रहा. शाम को अचानक ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी कि सैदपुरा के पास गंगनहर में एक महिला का शव तैर रहा है. इस सूचना पर थानेदार संजय नेगी अपने साथ रीता के पति मनोज को ले कर वहां पहुंचे. संजय नेगी ने ग्रामीणों की मदद से शव को गंगनहर से बाहर निकलवाया. मनोज ने शव को देखते ही पहचान लिया कि वह शव उस की पत्नी रीता का ही है. शव के गले पर निशान थे. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटा कर शव पोस्टमार्टम के लिए राजकीय अस्पताल रुड़की भेज दिया. रीता का शव बरामद होने की सूचना पा कर एसपी (क्राइम) प्रदीप कुमार राय थाना झबरेड़ा पहुंचे.

राय ने जब राजेंद्र से पूछताछ की तो वह अपने को बेगुनाह बताने लगा. राय व थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने जब सख्ती से राजेंद्र से पूछताछ की तो वह टूट गया. उस ने रीता की हत्या करना स्वीकार कर लिया और उस से पिछले कई सालों से चल रहे आंतरिक संबंधों को भी कबूल कर लिया. रीता की हत्या करने की राजेंद्र ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस तरह थी—

राजेंद्र जिला हरिद्वार के कस्बा झबरेड़ा स्थित एक ईंट भट्ठे पर पिछले 20 साल से काम कर रहा था. उस के परिवार में उस की पत्नी सुनीता, बेटी प्रिया (21), दूसरी बेटी खुशी (15) व बेटा कार्तिक (12) था. ईंट भट्ठे पर काम कर के राजेंद्र को 15 हजार रुपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती थी. इस तरह से राजेंद्र के परिवार की गाड़ी अच्छी से चल रही थी. उसी ईंट भट्ठे पर रीता का पति मनोज भी काम करता था. साथ काम करतेकरते मनोज और राजेंद्र में दोस्ती हो गई. फिर दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना शुरू हो गया. इस आनेजाने में रीता और राजेंद्र के बीच नाजायज संबंध बन गए.

वह दोनों आपस में दूर के रिश्तेदार भी थे. दोनों के संबंधों की खबर उन के घर वालों को ही नहीं बल्कि गांव वालों को भी हो गई थी. इस के बावजूद उन्होंने एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा. उन के संबंध करीब 7 सालों तक बने रहे. पिछले साल अचानक राजेंद्र व रीता के जीवन में एक ऐसा मोड़ आ गया कि दोनों के बीच में दूरियां बढ़ने लगीं. 30 मार्च, 2020 का दिन था. उस समय देश में लौकडाउन चल रहा था. उस दिन जब राजेंद्र से रीता मिली तो उस ने राजेंद्र के सामने शर्त रखी कि वह उस के साथ शादी कर के अलग घर में रहना चाहती है.

रीता की बात सुन कर राजेंद्र सन्न रह गया. उस ने रीता को समझाया कि अब इस उम्र में यह सब करना हम दोनों के लिए ठीक नहीं होगा, क्योंकि हम दोनों पहले से ही शादीशुदा व बड़े बच्चों वाले हैं. अलग रहने से हम दोनों के परिवार वालों की जगहंसाई होगी. हम किसी परेशानी में भी पड़ सकते हैं. राजेंद्र के काफी समझाने पर भी रीता नहीं मानी और राजेंद्र से शादी करने के लिए जिद करने लगी. खैर उस वक्त तो राजेंद्र किसी तरह से रीता को समझाबुझा कर वापस आ गया. इस के बाद उस ने रीता से दूरी  बनानी शुरू कर दी. उस ने उस का मोबाइल अटैंड करना कम कर दिया और उस से कन्नी काटने लगा.

अपनी उपेक्षा से आहत रीता घायल शेरनी की तरह क्रोधित हो गई. उस ने मन ही मन में राजेंद्र से बदला लेने का निश्चय कर लिया. उस दौरान राजेंद्र अपनी बड़ी बेटी प्रिया की शादी के लिए वर की तलाश में था. राजेंद्र अपनी बिरादरी के लोगों से शादी के लिए प्रिया के संबंध में बात करता रहता था. जब इस बात का पता रीता को चला कि राजेंद्र अपनी बेटी के लिए लड़का तलाश रहा है तो उस ने राजेंद्र की बेटी की शादी में अड़ंगा लगाने का निश्चय किया. इस के बाद जो भी लोग प्रिया को शादी के लिए देखने आते रीता उन लोगों से संपर्क करती और उन्हें बताती कि राजेंद्र की बेटी प्रिया का किसी से चक्कर चल रहा है.

रीता के मुंह से यह सुन कर राजेंद्र की बेटी से शादी करने वाले लोग शादी का विचार बदल देते थे. इस तरह रीता ने प्रिया से शादी करने वाले 2 परिवारों को झूठी व भ्रामक जानकारी दे कर प्रिया के रिश्ते तुड़वा दिए थे. जब इस बात की जानकारी राजेंद्र को हुई तो वह तिलमिला कर रह गया. धीरेधीरे समय बीतता गया. वह 28 फरवरी, 2021 का दिन था. उस दिन अचानक एक ऐसी घटना घट गई, जिस से राजेंद्र तड़प उठा और उस ने रीता की हत्या करने की योजना बना डाली. हुआ यूं कि 28 फरवरी, 2021 को कस्बे में रविदास जयंती मनाई जा रही थी. उस समय राजेंद्र की छोटी बेटी खुशी ट्यूशन पढ़ कर वापस घर जा रही थी. तभी रास्ते में उसे रीता का बेटा सौरव खड़ा दिखाई दिया.

खुशी कुछ समझ पाती, इस से पहले ही सौरव ने खुशी के साथ अश्लील हरकतें करनी शुरू कर दीं. इस पर खुशी ने शोर मचा दिया. खुशी के शोर मचाने पर सौरव वहां से भाग गया. खुशी ने घर आ कर इस छेड़खानी की जानकारी अपने पिता राजेंद्र को दी. इस के बाद राजेंद्र ने रीता को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. राजेंद्र रीता की हत्या का तानाबाना बुनने लगा. दूसरी ओर रीता राजेंद्र के इस खतरनाक इरादे से बेखबर थी. योजना के तहत राजेंद्र ने 15 मार्च, 2021 को रीता को फोन कर के कहा कि वह उसे 20 हजार रुपए देना चाहता है, इस के लिए उसे मंगलौर आ कर मिलना पड़ेगा.

उस की इस बात पर लालची रीता राजी हो गई. 16 मार्च को रीता उस के साथ बाइक पर बैठ कर मंगलौर के लिए चल पड़ी. जब दोनों सैदपुरा की गंगनहर पटरी पर पहुंचे तो राजेंद्र ने बाइक रोक कर रीता से कहा, ‘‘मैं तुम्हें सरप्राइज दे कर 20 हजार रुपए देना चाहता हूं, तुम जरा मुंह दूसरी ओर घुमा लो.’’

जैसे ही रीता ने मुंह दूसरी ओर घुमाया तो राजेंद्र ने रीता के गले में लिपटी चुन्नी से उस का गला घोंट दिया. रीता की हत्या के सबूत मिटाने के लिए उस ने उस का मोबाइल व चुन्नी गंगनहर के पानी में फेंक दिए. फिर वह बाइक से अपने घर लौट आया. पुलिस ने राजेंद्र के बयान दर्ज कर लिए और इस प्रकरण में उस के खुलासे के बाद इस मुकदमे में धारा 302 व 201 बढ़ा दी. एसआई संजय नेगी ने अभियुक्त की निशानदेही पर गंगनहर की पटरी से सही झाडि़यों में फंसी रीता की चुन्नी बरामद कर ली. रीता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उस की मौत का कारण गला घोंटने से दम घुटना बताया गया. राजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. Best Crime Story

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

crime kahani : पत्नी ने दो प्रेमियों संग साजिश रचकर गला दबाकर पति की कराई हत्या

crime kahani : अवैध संबंधों का नतीजा अकसर एक गुनाह को जन्म देता है. इस बात को अगर मंजू समझ जाती तो अपने प्रेमियों के साथ जेल जाने के बजाय वह अपनी घरगृहस्थी को संभाल रही होती…

सुबह के यही कोई 7 बजे थे, तभी धार जिले के अमझेरा थानाप्रभारी रतनलाल मीणा को थाना इलाके में एक युवक द्वारा आत्महत्या करने की खबर मिली.  सूचना पाते ही टीआई मीणा के निर्देश पर एसआई राजेश सिंघाड पुलिस टीम को ले कर मौके पर पहुंच गए, जहां कमरे की छत पर लगभग 28 वर्षीय अजय भायल की लाश छत में लगे कुंदे के सहारे फांसी पर लटकी थी. घटना के समय घर में अजय की पत्नी मंजू मौजूद थी, जिस ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि रात को हम दोनों खाना खा कर अपने बिस्तर पर सो गए थे. जिस के बाद सुबह उठ कर उस ने पति को फांसी पर लटका देखा तो उस ने लोगों को घटना की जानकारी दी.

एसआई सिंघाड को मंजू के हावभाव कुछ अजीब लगे. क्योंकि मंजू बेबाक हो कर घटना की जानकारी दे रही थी. जबकि एक जवान पति के मरने के बाद किसी भी औरत का इस तरह बात करना असंभव था. वह भी तब जब उस के पति का शव उस के सामने फांसी के फंदे पर झूल रहा हो. एसआई राजेश सिंघाड ने यह बात अपने ध्यान में नोट कर शव को फंदे से उतारा. उन्होंने पूरी स्थिति से टीआई रतनलाल मीणा को अवगत कराया. शव पोस्टमार्टम के लिए भेजने से पहले उन्होंने पूरे घर की अच्छी तरह से तलाशी ली, पर वहां कहीं भी कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. यह बात 26 अगस्त, 2020 की है.

यह आत्महत्या है या अजय की हत्या की गई है, यह तय करने के लिए पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. तब तक मामला संदिग्ध था. इस दौरान प्रारंभिक पूछताछ में अजय के घर वालों ने अपने बेटे की मौत को हत्या बताते हुए उस की पत्नी मंजू पर शक जाहिर किया. उन का कहना था कि मंजू का चालचलन ठीक नहीं था, जिस के कारण पतिपत्नी में आए दिन झगड़ा होता रहता था. इतना ही नहीं, जिस रात अजय का शव फांसी पर लटका मिला उस रात भी उस की पत्नी और अजय के बीच झगड़ा होने की बात पुलिस की जानकारी में आई, मगर मंजू ने इस बात से इनकार कर दिया.

उस का कहना था कि उस के पति कई दिनों से परेशान रहने लगे थे. मैं ने उन से परेशानी का कारण भी जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं बताया. जांच अधिकारी एसआई राजेश सिंघाड ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले ही जांच कर पता कर लिया था कि मृतक अजय और उस की पत्नी दोनों न केवल शराब पीने के शौकीन थे, बल्कि गांव में अवैध रूप से शराब का धंधा भी करते थे. जाहिर सी बात है जहां शराब का धंधा होता हो, वहां लड़ाईझगड़ा होना कोई अजूबा नहीं है. इसलिए दोनों के झगडे़ पर कोई ध्यान नहीं देता था. इस बीच पुलिस को अजय की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई, जिस में साफ बताया गया कि अजय की मौत फांसी लगने के पहले ही हो चुकी थी.

बात साफ थी कि उस की हत्या करने के बाद उसे आत्महत्या साबित करने की गरज से फांसी पर लटकाया गया था. चूंकि अजय का शव घर के अंदर मिला था और रात में उस की 25 वर्षीय बेहद खूबसूरत पत्नी मंजू उस के साथ में थी. इसलिए टीआई मीणा जानते थे कि यह संभव नहीं है कि पत्नी घर में सोती रहे और कोई बाहर से आ कर पति की हत्या कर के चला जाए. इसलिए उन के निर्देश पर जांच अधिकारी एसआई सिंघाड ने मृतक की पत्नी मंजू से बारबार पूछताछ की, जिस में एक समय ऐसा आया कि वह खुद अपने बयानों में उलझ गई, जिस से उस ने अपने 2 प्रेमियों मनोहर और सावन निवासी राजपुरा के साथ मिल कर पति की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

पुलिस ने आरोपियों के ठिकानों पर छापे मार कर उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया, जिस के बाद अपने दोनों प्रेमियों के साथ मिल कर हत्या कर दिए जाने की कहानी इस प्रकार से सामने आई. अजय मध्य प्रदेश के जिला धार के गांव नालापुरा में अपनी पत्नी मंजू के साथ रहता था. अजय के पास आय का कोई साधन नहीं था. इसलिए अजय ने घर पर छोटीमोटी किराने की दुकान खोल रखी थी, जिस से उस का मुश्किल से ही गुजारा हो पाता था. अजय की पत्नी मंजू जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही दिमाग से तेज भी थी इसलिए उस ने अजय को सलाह दी कि अकेला गुड़, तेल बेचने से उन की दालरोटी नहीं चलने वाली, इसलिए हम किराने की ओट में शहर से शराब ला कर बेचना शुरू कर देते हैं, जिस से काफी कमाई हो सकती है.

इस काम में अजय ने पुलिस का डर होने की बात कही तो मंजू ने कहा कि यह बात तुम मुझ पर छोड़ दो. अजय पत्नी की बात पर राजी हो गया, जिस से उस ने शहर से शराब ला कर दुकान में रख कर बेचनी शुरू कर दी थी. कहना नहीं होगा कि शराब पीने वाले रेट के चक्कर में नहीं पड़ते, इसलिए गांव के शौकीन लोग मंजू से मुंहमांगे दाम पर शराब खरीदने लगे. गांव का संपन्न किसान मनोहर पडियार भी शराब का शौकीन था. इसलिए जब उसे पता चला कि मंजू और अजय गांव में शराब बेचने लगे हैं, तब से मनोहर ने शहर से शराब खरीदनी ही बंद कर दी.

मंजू जानती थी कि शराब के शौकीन मजबूरी में ही महंगी शराब उस से खरीदते हैं, वरना लोग शहर से ही अपने लिए शराब खरीद कर लाते थे. लेकिन मनोहर उस का रोज का ग्राहक था. इसलिए एक दिन मंजू ने मनोहर से पूछ लिया, ‘‘अब शहर से शराब खरीद कर नहीं लाते क्या?’’

‘‘मेरा यहां रोजरोज आना तुम्हें अच्छा नहीं लगता क्या?’’ मनोहर ने उलटा उसी से सवाल कर दिया.

‘‘नहीं, यह बात नहीं है, बस ऐसे ही पूछ लिया.’’ वह बोली.

‘‘अब पूछ लिया है तो कारण भी सुन लो. तुम जिस बोतल को हाथ लगा देती हो न, उस बोतल का नशा और भी बढ़ जाता है. इसलिए मुझे तुम्हारे यहां की शराब अच्छी लगती है.’’  मनोहर ने मंजू की प्रशंसा करते हुए कहा.

‘‘ऐसा है क्या?’’ मनोहर की बात सुन कर मंजू ने मुसकराते हुए बोली.

‘‘हां, क्योंकि तुम्हारे छू भर लेने से शराब में तुम्हारा नशा भी घुल जाता है.’’ मनोहर ने मुसकराते हुए कहा और शराब की बोतल पकड़ते समय मंजू की अंगुलियां दबा दीं.

मंजू बच्ची तो थी नहीं, जो इस का मतलब न समझती हो. लेकिन वह अपने रोज के ग्राहक को नाराज नहीं करना चाहती थी, इसलिए मुसकराते हुए बोली, ‘‘क्या बात है मनोहर बाबू, आज पीने से पहले ही चढ़ गई क्या?’’

‘‘हां, तुम से चार बातें जो हो गईं.’’ मनोहर ने उस से कहा और अपनी बोतल ले कर चला गया. उस दिन के बाद से मनोहर और मंजू के बीच अनकहे तौर पर नजदीकी बढ़ने लगी. जिस से कुछ दिनों बात मनोहर मंजू के घर में ही बैठ कर शराब पीने लगा. मंजू भी शराब पीने की शौकीन थी, सो एक दिन वह भी मनोहर के साथ पेग से पेग भिड़ाने लगी. जिस के चलते शराब के नशे में दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. मंजू खूबसूरत और जवान थी. मनोहर को उस की जरूरत थी और मंजू को मनोहर के पैसों की. इसलिए मनोहर उस पर पैसे लुटाते हुए लगभग रोज ही मंजू के साथ उस वक्त समय बिताने लगा, जब उस का पति अजय दुकान का सामान लेने शहर गया होता था.

राजपुरा गांव का रहने वाला सावन हेयर कटिंग सैलून चलाता था. वह शराब का शौकीन भी था और मनोहर का दोस्त भी. इसलिए कभीकभार वह मनोहर के साथ मंजू के यहां शराब पीने चला जाया करता था. इस दौरान वह जल्दी ही समझ गया कि मनोहर और मंजू के बीच शारीरिक संबंध भी हैं तो मौके का फायदा उठा कर उस ने मनोहर से कहा कि वह उसे भी मंजू संग सोने का मौका दिलवा दे. मनोहर ने मंजू से सावन को एक बार खुश करने को कहा तो मंजू थोड़ी नानुकुर के बाद मान गई. लेकिन इस के बाद कुछ ऐसा हुआ कि मनोहर के अलावा सावन के साथ भी मंजू के स्थाई अवैध संबंध बन गए.

चूंकि मनोहर और सावन दोनों दोस्त थे और साथ में ही शराब पीया करते थे, इस कारण कई बार वे दोनों एक साथ मंजू के संग अय्याशी कर चुके थे. लेकिन कोरोना के कारण देश में लौकडाउन लग जाने से अजय का सामान खरीदने के लिए शहर जाना बंद हो गया. दूसरा उस के पास शराब का स्टौक भी खत्म हो गया. इस से अजय और मंजू की कमाई पर ब्रेक तो लगा ही, साथ ही मंजू के संग मनोहर और सावन की अय्याशी पर भी ब्रेक लग गया. जिस से दोनों दोस्त मंजू से मिलने के लिए परेशान होने लगे. इस बीच एक दिन गांव में अपने दोस्तों के साथ अजय को ताश खेलते देख मनोहर और सावन मंजू के घर पहुंच गए और एक साथ मंजू के संग वासना का खेल खेलने लग गए.

इसी बीच अजय के घर आ जाने से तीनों रंगेहाथ पकड़े गए. पत्नी को अय्याशी का घिनौना खेल खेलते देख अजय पागल हो कर गुस्से में उस की पिटाई करने लगा. जिस के बाद तो यह आए दिन का काम होने लगा. अजय बातबात पर उस की अय्याशी का ताना दे कर उसे पीटने लगा. इस से मंजू तंग आ गई. उस ने यह बात अपने प्रेमियों को बताई तो वे अजय के साथ रंजिश रखने लगे. इस दौरान लौकडाउन फिर से हट जाने से मंजू अवैध शराब बेचने लगी, मनोहर शराब लेने उस की दुकान पर अभी भी जाया करता था. लेकिन अब पहले जैसी अय्याशी संभव नहीं थी. इसलिए मनोहर और सावन दोनों ही अजय को रास्ते से हटाने की सोचने लगे थे.

आरोपियों ने बताया कि घटना की रात अजय फिर मंजू को उस के अवैध संबंध को ले कर उस के साथ मारपीट कर रहा था. इस बात की जानकारी मंजू ने मनोहर को फोन पर दी तो मनोहर सावन को ले कर मंजू के घर पहुंच गया. जहां उस ने अजय को समझाबुझा कर अपने साथ शराब पीने को राजी कर लिया. इस के बाद उस ने अजय से ही खरीद कर उसे खूब शराब पिलाई और जब उस ने देखा कि पर्याप्त नशा हो गया है तो सावन, मंजू और मनोहर तीनों ने मिल कर गला दबा कर अजय की हत्या कर दी. उस के बाद लाश को फांसी पर लटका दिया ताकि पुलिस समझे कि उस ने आत्महत्या की है. लेकिन टीआई रतनलाल मीणा के नेतृत्व में एसआई राजेश सिंघाड की सटीक जांच से तीनों आरोपी हफ्ते भर में ही कानून की गिरफ्त में आ गए.

मंजू के बारे में बताया जाता है कि पति की हत्या करने के बाद उसे कानून का जरा भी डर नहीं था. इसलिए दोनों प्रेमियों संग मिल कर पति की हत्या के बाद उस के शव को फंदे पर लटका कर दोनों प्रेमियों संग मस्ती करते हुए शराब पीने के बाद खाना भी खाया और फिर जिस कमरे में पति की लाश लटकी थी, उसी कमरे में सो गई थी. उस ने पुलिस को बताया कि सुबह उठने के बाद उस ने मोहल्ले वालों को बुला कर पति द्वारा आत्महत्या करने की बाद बताई.  पुलिस ने मंजू और उस के दोनों प्रेमियों मनोहर व सावन को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. crime kahani

love stories in hindi short : आशिकी में गई एसएचओ की जान

love stories in hindi short : छतरपुर के 48 वर्षीय तेजतर्रार एसएचओ अरविंद कुजूर ने 21 वर्षीय कमसिन आशी राजा से दिल तो लगा लिया था, लेकिन उन्होंने न अपनी अधेड़ावस्था का खयाल रखा और न ही अपने पुलिसिया रुतबे का. प्रेमिका आशी राजा पर महंगे तोहफे लुटातेलुटाते वह उस की ब्लैकमेल की गिरफ्त में ऐसे आ फंसे कि चाह कर भी निकल नहीं पा रहे थे. उस के सामने उन के पुलिसिया रौब की भी हवा निकल गई. फिर इस के बाद जो हुआ, उस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी. 

मध्य प्रदेश के शहर छतरपुर की कोतवाली के एसएचओ (टीआई) अरविंद कुजूर 5 मार्च, 2025 को सुबह के 10 बजे अपने सरकारी क्वार्टर में थे. दिनचर्या से निपटे ही थे कि उन के केयर टेकर प्रदीप अहिरवार ने किसी के आने सूचना दी. आने वाले का नाम सुन कर कुजूर की भौंहें तन गईं. वह बुदबुदाए, ‘सुबहसुबह क्यों चली आई!’

‘‘साहब, साथ में एक लडक़ा भी है.’’

‘‘लडक़ा? उसे पहचानते हो!’’ कुजूर ने पूछा.

‘‘नहीं साहब, उसे पहली बार देखा है. आप ने ही कहा था उस मैडम के बारे में… मैं ने उन्हें बाहर बरामदे में सोफे पर बैठा दिया है.’’

‘‘तुम ने उस से क्या बोला?’’

‘‘साहब, वाशरूम में हैं!’’ प्रदीप बोला.

‘‘उन्हें बाहर ही चाय पिला दो. जब मैं कहूं तभी अंदर हाल में बुलाना.’’ कुजूर ने प्रदीप को समझाया.

‘‘जी साहब!’’ कहता हुआ प्रदीप पहले 2 गिलास पानी ले कर बाहर गया, फिर रसोई में आ कर चाय बनाने लगा. जबकि कुजूर अपने बैडरूम चले गए.

करीब आधे घंटे के बाद कुजूर ने प्रदीप को आवाज लगाई, जो उस वक्त रसोई में सुबह का नाश्ता बना रहा था. बाहर बरामदे में आगंतुक युवती और युवक बैठे आपस में बातें कर रहे थे. तभी युवती ने भी प्रदीप को आवाज लगाई, ‘‘साहब रेडी हो गए हों तो उन्हें बता दो, आशी कब से उन का इंतजार कर रही है.’’

‘‘उन को भी बोल दो अंदर आ जाएं…और हां! प्रदीप, उन के लिए भी नाश्ता बना लेना.’’ कुजूर बैडरूम से ही बोले.

थोड़े समय में डायनिंग टेबल पर कुजूर के सामने दोनों युवक और युवती बैठे थे. उन लोगों के बीच कोई बातचीत नहीं हो रही थी. वहां की शांति को भंग करती हुई बरतनों की आवाजों के सिवाय और कुछ नहीं था. प्रदीप उन के लिए नाश्ता लगा रहा था. प्लेट, चम्मच और गिलास की आवाजों के बीच कुजूर बोले, ‘‘हां आशी, तुम आज सुबहसुबह… कैसे आना हुआ?’’

‘‘कई दिन हो गए थे…इसलिए!’’

‘‘यूं ही या कुछ खास बात है?’’

‘‘समझो ऐसा ही…’’

‘‘तुम्हारे साथ ये कौन है? इसे मैं पहली बार देख रहा हूं.’’

‘‘हां, यह सोनू है, सोनू ठाकुर!’’ आशी अपने साथ आए युवक के नाम पर जोर दे कर बोली.

‘‘रेंट का पैसा तो मिल गया होगा!’’

‘‘हां, लेकिन खर्च का नहीं मिला, अभी तक!’’ आशी बोली.

‘‘सोनू क्या करता है? मेरा मतलब है, पढ़ाई या कोई काम वगैरह!’’ अचानक कुजूर बात बदलते हुए पूछ बैठे.

आशी भी उसी तरह से अलसाए अंदाज में बोली, ‘‘क्या करेगा? बेरोजगार है…नौकरी ढूंढ रहा है?’’

‘‘कहीं अप्लाई किया है या यूं ही हाथपांव मार रहा है.’’ कुजूर बोले.

‘‘बात बदल रहे हो.’’ आशी बोली.

‘‘क्यों? जिस से पहली बार मिलूं, उस के बारे में जानना जरूरी नहीं. वह भी डायनिंग टेबल पर!’’ कुजूर तहकीकात के अंदाज में बोले.

‘‘आखिर तुम हो तो पुलिस वाले ही न! सोनू मेरा क्लासमेट रह चुका है. मुझ से मदद मांगी, सो यहां साथ ले आई. लेकिन मेरे काम का क्या हुआ?’’ आशी की आवाज बोलतेबोलते तीखी होने लगी थी.

‘‘नाराज क्यों होती हो, समय पर सब कुछ हो जाएगा. मुझे थोड़ा वक्त चाहिए.’’

‘‘कैसे नाराज नहीं होना, कब से बोल रहे हो काम हो जाएगा…हुआ तो नहीं अभी तक.’’ आशी बोली और साथ बैठे सोनू की ओर इशारा किया.

वह वहीं अपना लैपटाप खोले हुए था. एक हाथ से नाश्ता करते हुए बीचबीच में कीबोर्ड पर अंगुलियां चला रहा था.

‘‘वह क्या कर रहा है लैपटाप पर?’’ कुजूर बोले.

‘‘बायोडेटा निकाल रहा है.’’

‘‘किस का?’’

‘‘देखोगे तब मालूम पड़ जाएगा.’’ यह कहते हुए उस ने लैपटाप की स्क्रीन उन की ओर घुमा दी. स्क्रीन पर कुछ तसवीरें थीं, जिन्हें देखते ही कुजूर के माथे पर पसीना आ गया.

‘‘क्या हुआ… यह तो ट्रेलर है. पूरी पिक्चर दिखाऊं क्या?’’ आशी बोली.

‘‘यह सब कब लिया? क्यों लिया?…क्यों किया यह सब तुम ने…’’ कुजूर बोलतेबोलते हांफने लगे थे.

‘‘बीपी की दवाई खा लो, फिर सभी सवालों का जवाब देती हूं.’’ आशी का यह कहना था कि कुजूर करीबकरीब चीख कर बोले, ‘‘लाओ, इधर लैपटाप!’’

उन की तेज आवाज प्रदीप ने भी सुनी और भागता हुआ आया, ‘‘क्या लाऊं साहब!’’

‘‘कुछ नहीं, तुम्हें नहीं बुलाया.’’

‘‘साहब जो दवाई खाते हैं, वह मांग रहे हैं.’’ कुजूर के कुछ बोलने से पहले 21 वर्षीय आशी राजा ही बोल पड़ी.

प्रदीप अपने साहब की ओर देखता हुआ बोला, ‘‘साहब, वह दवाई खत्म हो गई है, बाजार से लानी होगी. आप कहो तो अभी खरीद लाऊं?’’

‘‘हां, जाओ. पहले हम सभी के लिए जूस ले आओ.’’ कुजूर बोले.

थोड़ी देर तक हाल में पहले की तरह शांति छा गई. तीनों नाश्ता करने लगे. डायनिंग टेबल पर जूस के 3 गिलास भी आ चुके थे.

प्रदीप दवाई लाने के लिए बाजार चला गया था. जल्द ही वह वापस लौट आया. अपने साहब को दवाई दी और घर के बिखरे काम को निपटाने में जुट गया. इस बीच उस ने महसूस किया कि उस के साहब तनाव में हैं. वे हाल में ही सोफे पर बैठे दोनों अतिथियों से बातें कर रहे हैं. प्रदीप उन की बातों का कोई मतलब नहीं निकाल पाया. वह औफिस की बात समझ कर अपने काम में लगा रहा. वहां आने वालों को उस ने पहले कभी नहीं देखा था, लेकिन इतना समझ गया था कि साहब से उन का खास संबंध है.

‘‘ठीक है… आप लोग यहीं ठहरो, मैं प्रदीप को बोल देता हूं. लंच यहीं करो… और मैं ने जो कहा है, वह पूरा करो! फिर मैं भी तुम्हारा काम कर दूंगा.’’ कुजूर आशी और सोनू से बोलते हुए खड़े हो गए. बैडरूम की तरफ जाने लगे. जातेजाते प्रदीप को आवाज दी. उसे दोनों के लिए दोपहर का खाना बनाने का आदेश दिया.

‘‘कब तक लौटोगे?’’ आशी ने पूछा.

‘‘जल्द लौट आऊंगा…एक तहकीकात के सिलसिले में जाना है… लेकिन हां, काम खत्म हो जाना चाहिए.’’

‘‘मेरे लिए तो चुटकी भर का काम है…तुम ही मुकर रहे हो?’’

कुछ देर में कुजूर वहां से चले गए. क्वार्टर में प्रदीप के अलावा आशी ओर सोनू थे. दोनों लैपटाप पर क्या कर रहे थे, प्रदीप की समझ से बाहर था, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रहा था कि हाईटेक खूबसूरत युवती खुद से दुगनी उम्र के उस के साहब से तुमतुम कर के क्यों बातें कर रही थी?…और वह बातबात पर नाराज क्यों हो जाती थी?

एसएचओ ने कमरे में कर लिया सुसाइड

अरविंद कुजूर मध्य प्रदेश के जिला छतरपुर के थाना कोतवाली के एसएचओ (टीआई) थे. उन की उम्र 48 वर्ष थी. उन की थाने से ले कर पूरे इलाके तक में धाक थी. उन की ताकत और कानूनव्यवस्था को लोग अगस्त 2023 में देख चुके थे. तब उन्होंने स्थानीय भीड़ द्वारा की गई पत्थरबाजी को अपने साहस से काबू में करने में सफलता पाई थी, जिस में घायल तक हो गए थे. उन की कर्तव्यनिष्ठा की चर्चा पूरे पुलिस महकमे में होती थी. वह छतरपुर की ही पेप्टेक कालोनी में रहते थे.

परिवार साथ नहीं रहता था. उन की पत्नी 12 और 8 साल की बेटियों के साथ सागर में रहती थी. उन्होंने एक केयरटेकर के तौर पर प्रदीप अहिरवार को रखा हुआ था. थाना कोतवाली में शाम लगभग पौने 7 बजे टीआई अरविंद कुजूर के बारे जो सूचना मिली, उस से थाने में हडक़ंप मच गया. जिस ने भी सुना अवाक रह गया, ‘‘यह क्या हो गया?’’

महिला पुलिसकर्मी बोल पड़ी, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता! जरूर किसी ने मजाक किया है?’’

‘‘सूचना सच है, उन के केयरटेकर ने ही काल कर के बताया है. उन के बंद कमरे से गोली चलने की आवाज आई है.’’

थाना कोतवाली की पुलिस टीम तुरंत अरविंद कुजूर के पेप्टेक कालोनी में स्थित आवास पर पहुंच गई. कुजूर के कमरे का दरवाजा भीतर से बंद था. कमरे के बाहर मौजूद प्रदीप अहिरवार ने बताया कि भीतर कमरे में सिर्फ गोली चलने की आवाज आई. उस के बाद से एकदम शांति है. उस ने कई बार दरवाजे को थपथपाया. कुंडी खटकाई. उस के साहब कुछ नहीं बोल रहे हैं.

वहां आई पुलिस ने दरवाजा तोड़ दिया. कमरे में टीआई कुजूर की रक्तरंजित लाश पड़ी थी. उन का आधा शरीर बैड पर और पैर जमीन पर था. उन का सर्विस रिवौल्वर उन के दाहिने हाथ के पास था. दाहिनी कनपटी पर गोली का निशान था.

पुलिस टीम को समझने में देर नहीं लगी कि कुजूर ने आत्महत्या कर ली है. कमरे की तलाशी ली गई. अमूमन आत्महत्या करने वाला व्यक्ति सुसाइड नोट छोड़ जाता है, लेकिन कुजूर का लिखा कोई सुसाइड नोट नहीं मिला. इस वारदात की सूचना तुरंत एसपी अगम जैन के अलावा कुजूर के भाई, रिश्तेदार और उन की पत्नी को भेज दी गई, जो दूसरे शहरों में रहते थे. मौके की जांच करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. तहकीकात और पूछताछ की शुरुआत केयर टेकर प्रदीप अहिरवार से हुई. प्रदीप ने बताया कि उस ने अपने साहब को 5 मार्च, 2025 की सुबह से ही परेशान पाया था. वे आशी राजा मैडम और सोनू ठाकुर के आने के बाद से और भी ज्यादा परेशान दिखे थे.

पहले तो उन्होंने दोनों को बाहर से ही बहाना बना कर चलता करने को कहा था. फिर उन के मन में न जाने क्या आया, जो उन को घर के भीतर बुलाया, नाश्ता करवाया, लंच और डिनर साथ में किया. दोनों उन के घर में 6 मार्च को करीब 4 बजे तक रहे. उस के बाद वह खुद बाजार चला गया था. टीआई कुजूर के साथ किस तरह की बातें होती रहीं? वे करीब 30 घंटे तक कुजूर के घर पर क्यों रुके रहे? इस बारे में प्रदीप कुछ नहीं बता पाया, लेकिन इतना जरूर बताया कि दोनों के जाने के बाद उस के साहब बहुत परेशान दिख रहे थे. दोनों से बातोंबातों में वह बारबार ‘ब्लैकमेल…ब्लैकमेल’ बोल रहे थे.

केयरटेकर ने यह भी बताया कि उस रोज साहब बहुत ही गुस्से में थे और उन दोनों के जाने के बाद भी फोन पर गुस्से में बातें कर रहे थे. घटनास्थल पर पहुंचे डीआईजी ललित शाक्यवार, एसपी अगम जैन, एएसपी विक्रम सिंह सहित जिले के तमाम बड़े अधिकारियों ने वारदात की जांचपड़ताल की. वहां पहुंचने वालों में कलेक्टर पार्थ जायसवाल, एसडीएम अखिल राठौर, तहसीलदार संदीप तिवारी के साथ ही विधायक ललिता यादव भी थीं. फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड ने गहन जांच की. आगे तहकीकात के लिए पुलिस टीम ने इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का सहारा लिया.

आशी राजा और सोनू ठाकुर की तसवीरों के आधार पर जांच को आगे बढ़ाया गया, किंतु पुलिस उन तक पहुंच नहीं पाई. पड़ताल में यह पता चला कि टीआई अरविंद कुजूर एबीवीपी की नेता आशी राजा के संपर्क में थे. वह फरार हो चुकी थी. उन तक पहुंचने के लिए एसपी अगम जैन ने 3 टीमें बनाईं. पुलिस टीमों ने उन की तलाश शुरू की. यह घटना ओरछा रोड थाना इलाके में हुई थी. पुलिस ने शहर के 15 से ज्यादा लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया, जिस में कई लड़कियां भी शामिल थीं. इन्हीं में एक युवती और उस का प्रेमी सोनू ठाकुर बुंदेला था. वे पन्ना जिले से गिरफ्तार किए गए.

पुलिस को कई सूत्रों से जो जानकारी मिली उस से पता चला कि टीआई साहब और आशी राजा के बीच चक्कर चल रहा था. टीआई कुजूर अपनी प्रेमिका पर इस कदर फिदा थे कि अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा उस पर खर्च करते थे. शहर के कई नेताओं और अधिकारियों से भी उस का मिलनाजुलना होता था. इस आधार पर पुलिस ने उन की मौत को हनीट्रैप का मामला समझा.

21 साल की आशी से थे एसएचओ के संबंध

पुलिस को यह आशंका हुई कि कुजूर एक ऐसे गिरोह की गिरफ्त में आ गए होंगे, जिस में कुछ युवक और युवतियां भी शामिल होंगी. उन के जरिए कुजूर के अंतरंग पलों के वीडियो बनाए गए होंगे. फिर उन के जरिए उन को ब्लैकमेल किया गया होगा. जांच का सिलसिला जैसेजैसे आगे बढ़ा, कुजूर और आशी की कहानी सामने आने लगी. टीआई कुजूर कोई दूध के धुले नहीं थे, बल्कि उन्होंने भी काली कमाई की थी और अय्याश किस्म के इंसान थे. तभी तो उन का 21 वर्षीय आशी राजा के साथ अफेयर चल रहा था.

खुद को गोली मार कर आत्महत्या करने वाले टीआई कुजूर की मौत सनसनीखेज और पूरे शहर को स्तब्ध करने वाली थी. आत्महत्या के कारणों को ले कर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया था. हर कोई इस का कारण जानने को उत्सुक था. अरविंद कुजूर पुत्र विलियम कुजूर मूलरूप से छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे. वह पिछले 10 सालों से छतरपुर और पन्ना जिले के विभिन्न थानों में तैनात रहे. करीब 2 साल पहले वह सिटी कोतवाली छतरपुर के टीआई बनाए गए थे. उन की पत्नी सागर के पौलिटेक्निक कालेज में प्रोफेसर हैं. वह 12 और 8 साल की 2 बेटियों के साथ सागर में ही रहती हैं. कुजूर ने शहर में अमनचैन बहाल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई.

कोतवाली में हुए बहुचर्चित पत्थर कांड के समय अरविंद कुजूर ही टीआई थे और उन्होंने कोतवाली पर हमला करने की जुर्रत करने वाले सभी नामजद सहित अनेक आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई थी. बताते हैं कि कुजूर अपनी खुदकुशी से 2 दिन पहले बाहर थे. जांच का सिलसिला जैसेजैसे आगे बढ़ा, वैसेवैसे आशी राजा का नाम केंद्र में आता चला गया. पुलिस ने पाया कि कुजूर उस पर काफी मेहरबान थे. वह उस के साथ शादी भी करना चाहते थे. इतना ही नहीं, उन्होंने आशी को रेंट पर एक मकान भी दिलवाया हुआ था.

आशी राजा महज 21 साल की बेहद खूबसूरत कमसिन बाला थी. उस की सुंदरता और अदाओं पर कुजूर का दिल आ गया था. बदले में उस पर महंगे तोहफे और सोनेचांदी की ज्वैलरी लुटाते रहते थे. यहां तक कि गाड़ी, मकान और प्लौट तक खरीद कर दिए थे. इन तोहफों की कीमत लाखों में थी. इस में डायमंड नेकलेस से ले कर महंगी गाडिय़ां तक शामिल हैं. आत्महत्या के 5 दिन बाद इस मामले में ओरछा थाने में आशी राजा और सोनू ठाकुर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. जिस में खुलासा हुआ है कि आशी राजा और उस का बौयफ्रेंड सोनू ठाकुर टीआई अरविंद को काफी समय से ब्लैकमेल कर रहे थे.

आरोप लगा कि यह लडक़ी डायमंड का नेकलेस और जमीन जैसी महंगी चीजों की मांग कर रही थी. जब टीआई अरविंद ने उन की मांगें पूरी नहीं कीं तो उन्हें बेनकाब करने की धमकी दी गई. आशी और सोनू की गिरफ्तारी होने के बाद पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया और एक दिन की रिमांड मंजूर हो गई.  पुलिस ने उन से पूछताछ की. पूछताछ में ब्लैकमेलिंग के चौंकाने वाले कई खुलासे हुए. ब्लैकमेलिंग के पैसों से उन्होंने काफी प्रौपर्टी बना ली थी.

कुजूर की गिनती छतरपुर पुलिस में तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों में होती थी. उन की जहां ड्यूटी होती थी, वहां उन का बोलबाला रहता था, लेकिन यह कम लोगों को पता था कि जिस 21 साल की हसीना को वह पुलिस की मुखबिर बता कर लोगों से मिलवाते थे, वह उन की प्रेमिका थी. आशी टीआई कुजूर को नोट छापने की मशीन समझती थी. अपने प्रेमी के साथ मिल कर वह टीआई की भावनाओं से खेलने लगी. आशी राजा ने टीआई अरविंद कुजूर को बुरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया था. बताते हैं कि मौका देख कर उस ने अंतरंग संबंधों के वीडियो भी बना लिए थे. कुजूर आशी की हर मांग को पूरा करने को मजबूर थे.

घटना के दिन ही आशी ने उस से सोनू ठाकुर को मिलवाया, जो उस का बौयफ्रेंड है. फिर दोनों मिल कर टीआई को ब्लैकमेल करने लगे. साथ ही अधिक रुपए और नई गाड़ी की मांग की. यहां तक कि वे एक प्लौट अपने नाम करवाने की जिद कर रहे थे. आशी राजा और सोनू ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद टीआई अरविंद कुजूर के मामले में और कई सवाल उठने लगे कि उन के पास महंगे तोहफे दिलाने के लिए इतने रुपए कहां से आए. हालांकि इस पर कथा लिखे जाने तक जांच शुरू नहीं हुई थी. पूरी जांच उन की खुदकुशी पर टिकी हुई थी.

इस जांच में आशी राजा के पास से गुच्ची ब्रांड का डेढ़ लाख रुपए का बैग, डायमंड का नेकलेस, आईफोन, सोने के झुमके, 2 प्लौट के कागज और एक कार बरामद हुई. जबकि सोनू के पास से एक सफारी कार और आईफोन मिला. पुलिस को कुजूर और आशी के बीच वाट्सऐप चैट भी मिले, जिन से पता चल गया कि वे पन्ना रोड पर एक घर खरीदने की योजना बना रहे थे. शायद यही उन की ब्लैकमेलिंग और विवाद की आखिरी वजह बनी. love stories in hindi short

family story in hindi : स्मार्ट मदर जवान प्रेमी और मर्डर

family story in hindi : रेखा 2 बच्चों की मां जरूर बन गई थी, लेकिन अपनी खूबसूरती और शारीरिक कसावट की वजह से वह वास्तविक उम्र से कम की दिखती थी. तभी तो गांव का ही रहने वाला 18 वर्षीय मंजीत उस पर फिदा हो गया था. वह अपनी कार से रोजाना रेखा को उस के औफिस छोडऩे जाने लगा. इसी दौरान इस एकतरफा प्यार ने रेखा पर ऐसा खूनी वार किया कि… 

दिन के 9 बजने को आए थे. झज्जर जिले के गांव बहू में रहने वाले रवि की पत्नी रेखा ने जल्दीजल्दी घर के काम निपटा लिए थे और काम पर जाने के लिए तैयार होने लगी थी. उस की एक नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर थी. जैसे ही घड़ी ने सवा 9 बजाए, रेखा अपना बैग कंधे पर टांग कर घर से बाहर हो गई. वह लंबेलंबे कदम बढ़ाते हुए घर से कुछ दूर बने बस स्टाप पर आ गई और बस का इंतजार करने लगी. समय धीरेधीरे आगे बढ़ रहा था. बस उसे दूरदूर तक आती हुई नजर नहीं आ रही थी.

रेखा के माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगीं, क्योंकि 10 से ज्यादा का समय हो गया, किंतु बस नदारद थी. ‘इस मुई बस के चक्कर में मुझे रोज ही काम पर पहुंचने में लेट होना पड़ता है.’ वह झल्लाते हुए बड़बड़ाई. अभी तक उस बस स्टाप पर रेखा अकेली ही खड़ी थी, कोई दूसरा व्यक्ति वहां नहीं आया था. रेखा की झल्लाहट बढऩे लगी. आज उस बस का दूर तक कोई अतापता नहीं था, जो रोज 10 बजे तक बस स्टाप पर आ जाती थी. ‘लगता है आज बस खराब हो गई है, मुझे अब पैदल ही झाड़ली के एनटीपीसी पावर प्लांट तक जाना पड़ेगा. क्योंकि वह उसी प्लांट में नौकरी करती थी. मौसम बड़ा ठंडा है.

लेकिन घबराहट में मुझे पसीने छूटने लगे हैं, लगता है किसी दिन मुझे इस बस के चक्कर में काम से हाथ धोना पड़ेगा.’ सोचते हुए रेखा ने दूरदूर तक सुनसान नजर आ रही उस डामर की सड़क पर कदम बढ़ा दिए. सफर लंबा था. अभी वह थोड़ी ही दूरी पार कर पाई थी कि पीछे से उसे किसी गाड़ी का हार्न सुनाई दिया. रेखा ने पीछे मुड़ कर देखा. यह एक कार थी, जो उसी की साइड पर आ रही थी. रेखा जल्दी से सड़क से नीचे कच्चे राह पर उतर गई. कार तेजी से आ कर उस के बराबर में रुक गई. ब्रेक लगने से कार के टायर सड़क पर रगड़ खा गए थे और उस में से अजीब सी आवाज आई थी. रेखा की ओर की खिड़की खुली और उस में से एक युवक का सिर बाहर निकला. यह युवक 18-19 साल का युवा ही नजर आता था.

”आज बस नहीं आई है क्या, जो तुम पैदल ही सफर करने के लिए निकल गई हो?’’ उस युवक ने पूछा.

रेखा उसे देख कर उपेक्षा से कंधे झटक कर बोली, ”बस खराब हो गई होगी. मैं काम पर जाने के लिए लेट हो रही हूं, इसलिए पैदल जाना पड़ रहा है.’’

”आओ, मेरी कार में बैठ जाओ, मैं तुम्हें तुम्हारे काम पर पहुंचा देता हूं.’’ युवक ने कहा.

”नहीं, मैं पैदल ही चली जाऊंगी.’’ रेखा ने गंभीरता से कहा और आगे बढ़ गई.

”मैं तुम्हारे लिए अजनबी हो सकता हूं रेखा, लेकिन मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूं. आओ कार में बैठ जाओ.’’

युवक की बात पर रेखा चौंकी, ”तुम मुझे कैसे जानते हो, मेरा नाम भी तुम्हें मालूम है.’’

युवक ने बताया, ”मैं बहू गांव में ही रहता हूं, तुम्हारा घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं है.’’ युवक ने बताया, ”मैं ने तुम्हें कई बार हाटबाजार में देखा है. एक ही गांव का हूं, इसलिए नाम भी जानता हूं. संकोच मत करो, मैं गांव के नाते से तुम्हारी मदद करना चाहता हूं, ज्यादा सोचोगी तो लेट हो जाओगी काम से.’’

रेखा को युवक की बात पर विश्वास करना पड़ा. वैसे भी उसे काम पर पहुंचने में देर हो रही थी. वह कार में बैठ गई. युवक ने उसे अपनी बाईं ओर बिठा लिया था. कार को युवक ने तेजी से आगे बढ़ा दिया. थोड़ी देर तक दोनों मौन रहे, फिर रेखा ने ही मुंह खोला, ”तुम मेरा नाम जानते हो, लेकिन तुम ने अपना नाम नहीं बताया मुझे.’’

”मेरा नाम मंजीत है.’’ युवक बोला.

”क्या करते हो मंजीत?’’

”फिलहाल कुछ नहीं. अभी मैं ने 12वीं पास की है. सोच रहा हूं कालेज में दाखिला ले लूं.’’

”अच्छा विचार है, आजकल पढऩेलिखने से ही अच्छी नौकरी मिलती है. तुम किसी कालेज में एडमिशन ले लो.’’

”हां.’’ मंजीत ने धीरे से कहा और कार की विंडस्क्रीन से बाहर देखने लगा. कुछ ही दूरी पर झाड़ली पावर प्लांट नजर आ रहा था. कार जब वहां पहुंची तो रेखा ने जल्दी से कहा, ”मंजीत, यहीं कार रोक दो. मैं यहीं पर काम करती हूं.’’

मंजीत ने कार एक साइड कर के रोक दी. रेखा दरवाजा खोल कर नीचे उतरी और उस ने शिष्टाचार दिखाते हुए मंजीत का मुसकरा कर शुक्रिया किया, फिर अपने काम पर झाड़ली पावर प्लांट की तरफ बढ़ गई. मंजीत कुछ देर तक रेखा को देखता रहा, जब वह आंखों से ओझल हो गई तो उस ने कार को घुमा लिया और वापस गांव की ओर लौटने लगा. उस के जेहन में रेखा को ले कर तरहतरह के विचार आने लगे थे. रेखा बला की हसीन और भरेपूरे बदन की युवती थी. वह उस के मन को भा गई थी. मंजीत उसे अपने दिल में जगह देने का सपना संजोने लगा.

इस के बाद वह अकसर रोजाना ही अपनी कार से रेखा को बस स्टाप से एनटीपीसी पावर प्लांट तक छोडऩे जाने लगा. इस तरह दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. शाम ढलने को थी. भैंसें चराने वाला चरवाहा अपनी भैंसों को ले कर अब गांव के लिए लौट जाने की तैयारी करने लगा था. उस ने पेड़ के सहारे रखा लट्ठ उठाया और उठ कर खड़ा हो गया. भैंसें अभी भी खेतों में चर रही थीं. उस ने उन्हें इकट्ठा करना शुरू किया और पानी पिलाने के विचार से उन्हें पास में ही स्थित तालाब की तरफ हांक कर ले आया. जैसे ही वह तालाब पर पहुंचा, उस के मुंह से चीख निकल गई.

तालाब की सतह पर एक युवती की लाश तैर रही थी. चरवाहा बुरी तरह घबरा गया. वह कुछ क्षण बुत बना वहां खड़ा लाश को देखता रहा. फिर गांव की तरफ दौड़ पड़ा. यह झज्जर जिले का ही रुडिय़ावास गांव था, जो हरियाणा के झज्जर जिले के अंतर्गत आता है. चरवाहा यहां अकसर भैंसें चराने आता रहता था, इसलिए वह गांव के चौकीदार को अच्छी तरह जानता था. चरवाहे को चौकीदार गांव की चौपाल पर हुक्का पीता हुआ मिल गया. वहां गांव के कुछ बड़ेबूढ़े भी बैठे हुए थे. बदहवास हालत में चरवाहे को वहां भागता हुआ आया देख कर चौकीदार उठ कर खड़ा हो गया. उस ने उसे देख कर हैरानी से पूछा, ”क्या हुआ, तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

”चाचा…म..मैं ने तालाब में एक युवती की लाश देखी है.’’ चरवाहे ने हांफते हुए बताया.

”लाश!’’ चौकीदार घबरा कर बोला, ”सुबह तो तालाब में कुछ नहीं था.’’

”मैं ने अपनी आंखों से देखी है.’’ चरवाहे ने कहा, ”तुम चल कर देख लो.’’

लाश की बात सुन कर वहां बैठे गांव वाले भी घबरा कर खड़े हो गए. चौकीदार के साथ वह लोग भी तालाब की तरफ चल पड़े. चरवाहा भी उन के पीछे था.

कुछ ही देर में वह सब तालाब पर पहुंच गए. वास्तव में तालाब में एक युवती की लाश तैर रही थी.

रुडिय़ावास गांव के चौकीदार और गांव वाले बुजुर्गों ने उस युवती की लाश को ध्यान से देखा.

वह जवान और सुंदर थी. पेट में पानी चले जाने की वजह से लाश फूल कर पानी के ऊपर तैरने लगी थी.

”यह गांव की तो नहीं है चौधरी.’’ एक बुर्जुग बोला, ”मुझे तो लग रहा है किसी ने इसे मार कर यहां ला कर डाल दिया है.’’

”ऐसा ही लग रहा है ताऊ.’’ दूसरा व्यक्ति जो उम्र में इन से कम लग रहा था, अपनी बात कहता हुआ चौकीदार की तरफ घूमा, ”भाई, तुम पुलिस थाना साल्हावास में इस लाश की खबर दे दो. पुलिस तहकीकात कर लेगी कि यहां यह लाश कैसे आई.’’

चौकीदार ने सिर हिलाया और जेब से मोबाइल निकाल कर उस ने थाना साल्हावास से संपर्क कर लिया. कुछ देर घंटी बजती रही फिर किसी ने काल अटेंड की, ”हैलो! मैं थाना साल्हावास से एसएचओ हरीश कुमार बोल रहा हूं. आप को किस से बात करनी है?’’

”मैं साल्हावास गांव का चौकीदार बोल रहा हूं साहब. यहां तालाब में एक युवती की लाश तैर रही है.’’

”लाश!’’ दूसरी ओर एसएचओ चौंके, ”लाश तुम ने देखी है क्या?’’

”हां साहब, मैं इस समय तालाब के किनारे पर ही खड़ा हूं. लाश अभी भी तालाब में तैर रही है.’’ चौकीदार ने बताया.

”तुम वहीं रहो. मैं आधा घंटा में वहां पहुंच रहा हूं.’’ एसएचओ हरीश कुमार बोले. चौकीदार ने मोबाइल स्विच्ड औफ किया और मोबाइल को जेब में डाल लिया.

अब तक इस लाश की खबर गांव रुडिय़ावास में फैल गई थी. गांव के तमाम लोग वहां लाश देखने के लिए आ कर इकट्ठा हो गए. चौकीदार ने सभी को तालाब से दूर खड़े रहने की हिदायत दे दी. सभी लाश को बड़ी हैरानी से देख रहे थे. अभी तक एक भी ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया, जो मृतका को पहचानने का दावा करता हो. पुलिस वहां पौना घंटा में पहुंची. सूरज इस बीच पश्चिम दिशा में आ चुका था और अस्त होने जा रहा था. रोशनी घटने लगी थी, लेकिन अभी लाश दूर से भी देखी जा सकती थी. एसएचओ ने उस युवती की लाश को पानी से निकलवाने के बाद उस का बारीकी से निरीक्षण किया.

वह युवती गोरे रंग की बेहद खूबसूरत थी. नाकनक्श सांचे में ढले प्रतीत हो रहे थे. मृतका के शरीर पर कहीं भी चोट का निशान नजर नहीं आ रहा था. कपड़े भी सहीसलामत दिखाई दे रहे थे. ऐसा नहीं लग रहा था कि किसी ने इस के साथ जोरजबरदस्ती की हो और फिर मार कर फेंक दिया हो. डैडबौडी पर कहीं भी खरोंच के निशान नहीं थे. एसएचओ ने अनुमान लगाया कि इस का गला दबा कर मारा गया है. यह आपसी रंजिश का मामला नजर आता था. जांच पूरी कर लेने के बाद एसएचओ ने कागजों की खानापूर्ति की और फिर ऊंची आवाज में वहां मौजूद लोगों से पूछा, ”क्या आप में से कोई इस युवती को पहचानता है?’’

”नहीं साहब.’’ कई स्वर एक साथ उभरे.

लाश की जामातलाशी में भी कुछ हाथ नहीं आया था. एक प्रकार से उस मृतका की शिनाख्त नहीं हो पाई थी. एसएचओ हरीश कुमार ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए झज्जर के सरकारी अस्पताल में भिजवा दिया.

यहां के काम को पूरा कर के उन्होंने चौकीदार से पूछा, ”तुम्हें इस लाश की जानकारी कैसे मिली थी?’’

”यह चरवाहा यहां भैंसें चराने आया हुआ था साहब, इस ने ही तालाब में इस की लाश देखी और मुझे इत्तला देने दौड़ता हुआ गांव रुडिय़ावास पहुंच गया.’’ चौकीदार ने बताते हुए चरवाहे के कंधे पर हाथ रख दिया.

”तुम यहां भैंसें चराने कब से आते हो?’’

”मैं सर्दी में यहां आता हूं साब, गरमी में मैं गांव बहू के खेतों में जानवर चरा लेता हूं. मैं ने आज शाम को घर जाने से पहले भैंसें इकट्ठी कीं और इन्हें पानी पिलाने के लिए तालाब पर आया तो उस लाश तैरती देखी थी.’’

”दिन भर तुम यहीं थे आज?’’ एसएचओ ने पूछा.

”जी हां.’’ चरवाहे ने बताया, ”लेकिन मैं ने दिन में इधर किसी को भी नहीं देखा है.’’

”तुम यहां कितने बजे आ गए थे?’’

”मैं दोपहर में एक बजे यहां भैंसें ले कर आया था. तब से कोई इधर आया ही नहीं.’’

”शायद हत्या कहीं और कर के कोई यहां लाश फेंकने आया होगा तो वह एक बजे से पहले आया होगा.’’ एसएचओ हरीश कुमार ने गंभीर स्वर में कहा, ”अब तुम अपना नामपता दरोगाजी को लिखवा दो और चले जाओ. जरूरत पडऩे पर तुम्हें याद कर लिया जाएगा.’’

”ठीक है साहब.’’ चरवाहे ने धीरे से कहा और भैंसें ले कर वह गांव बहू की ओर रवाना हो गया. रुडिय़ावास गांव के लोग भी गांव में लौट गए. एसएचओ जीप में सवार हुए और थाने की तरफ रवाना हो गई.

हरियाणा के झज्जर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव बहू का रहने वाला रवि 4 मई, 2025 को बारबार घड़ी देख रहा था. घड़ी शाम के 7 बजा रही थी. उस की पत्नी रेखा 6 बजे तक रोज ड्ïयूटी से लौट कर घर आ जाती थी, लेकिन उस दिन एक घंटा ऊपर हो गया था, वह काम से घर नहीं लौटी थी. रवि के माथे पर अब चिंता की रेखाएं उभरने लगी थीं. घड़ी ने जब साढ़े 7 बजाए तो वह पत्नी रेखा की तलाश में पैदल ही बस स्टाप की तरफ बढ़ गया.

बस स्टैंड दूर था और अंधेरा भी घिर आया था. रवि जब बस स्टैंड पर पहुंचा तो वहां गहरा सन्नाटा फैला हुआ था. दूरदूर तक कोई इंसान वहां नजर नहीं आ रहा था. रवि परेशान हालत में घर लौट कर आया तो रेखा अभी तक घर नहीं पहुंची थी.

‘कहां रह गई यह… साढ़े 8 से ऊपर का समय हो गया. पहले तो वह कभी इतनी देर घर से बाहर नहीं रही.’ रवि बड़बड़ाया और उस ने अपने छोटे भाई को बताया कि रेखा घर नहीं आई है आज.

”कहीं वह अपने मायके में तो नहीं चली गई है भैया!’’ नवीन (काल्पनिक नाम) ने कहा, ”आप उन के घर फोन कर के पूछो. हो सकता है वहीं गई हों.’’

रवि ने मोबाइल निकाल कर झज्जर जिले के ही कड़ौधा गांव में रहने वाले रेखा के पापा अजमेर को काल लगा दी. रेखा से उस की शादी 8 साल पहले हुई थी, जिस के 2 बच्चे भी हैं. दूसरी ओर घंटी बजी और फिर काल उठा ली गई, ”हां दामादजी, कैसे फोन कर रहे हो? घर में सब ठीकठाक है न?’’ अजमेर ने पूछा.

”सब ठीक है पापा.’’ रवि जल्दी से बोला, ”क्या रेखा वहां पहुंची है? अभी तक वह काम से नहीं लौटी है.’’

”नहीं दामादजी, रेखा तो यहां नहीं आई.’’ अजमेर के स्वर में परेशानी के भाव थे, ”रेखा से तुम्हारी कहासुनी हुई थी क्या?’’

”नहीं पापाजी, वह सुबह अच्छे मूड में काम पर निकली थी.’’ कहने के बाद रवि ने फोन काट दिया.

”नवीन, रेखा कडौधा में नहीं गई है. उस के पापा ने बताया है.’’ रवि चिंतित स्वर में बोला, ”तुम अपनी भाभी के काम पर झाड़ली जा कर पता लगाओ, यारदोस्तों से भी कहो, वह रेखा को ढूंढें. मुझे तो बहुत घबराहट हो रही है.’’

”आप बैठ जाइए, आप की तबियत वैसे भी ठीक नहीं रहती है. मैं झाड़ली में पावर प्लांट पर जा कर मालूम करता हूं. 1-2 दोस्तों को भी साथ ले जाऊंगा. हो सकता है भाभी का ओवरटाइम चल रहा हो.’’ नवीन ने कहा और घर से साइकिल ले कर निकल गया.

नवीन ने झाड़ली जा कर पावर प्लांट में भाभी रेखा के बारे में मालूम किया तो उसे बताया गया कि रेखा आज तो काम पर आई ही नहीं थी. नवीन हैरान रह गया. उस ने सुबह भाभी रेखा को बैग कंधे पर टांग कर काम के लिए घर से निकलते देखा था. अगर वह काम पर नहीं पहुंची तो फिर कहां चली गई. नवीन अपने एक दोस्त श्याम को साथ ले कर आया था. वह उस के साथ भाभी को तलाश करने लगा. झाड़ली की तरफ आने वाले रास्ते के दोनों ओर उन्होंने अच्छी तरह देखा कि कहीं रेखा भाभी का सुबह रास्ते में एक्सीडेंट वगैरह न हुआ हो. वह रेखा को तलाश करते हुए गांव बहुलौर आए. गांव में भी रेखा की ढूंढाढांढी चलती रही, लेकिन उस का कहीं पर भी पता नहीं चला.

रेखा की तलाश करते हुए सुबह हो गई. पूरा घर और पड़ोसी पूरी रात रेखा को ढूंढते रहे, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. किसी पड़ोसी ने अपने वाट्सऐप पर सुबह एक युवती के शव का फोटो देखा. वह रेखा लग रही थी. उस ने यह बात नवीन और रवि को बताई तो उन्होंने वाट्सऐप पर पुलिस की ओर से शेयर की गई उस युवती की तसवीर को देख कर पहचान लिया कि वह रेखा ही है. तसवीर एक मृत युवती की थी और पुलिस की ओर से इस मृत युवती की पहचान करने की अपील की गई थी. रेखा की यह तसवीर देखते ही घर में कोहराम मच गया. सभी रोने लगे. थोड़ी देर बाद नवीन, रवि और 2-3 पड़ोस के लोग साल्हावास थाने के लिए एक ट्रैक्टर से निकल गए. रेखा की यह तसवीर वाट्सऐप पर यहीं के थाने से शेयर की गई थी.

उधर जब पुलिस को मृत युवती की पहचान कराने में सफलता नहींमिली तो उस का फोटो गांव वालों के वाट्सऐप पर शेयर कर दिया. इस के अलावा किसी सूत्र की तलाश में 2 कांस्टेबल रुडिय़ावास भेजे गए. उन्हें वहां तालाब के किनारे घास में एक महिला का पर्स मिला था. उस पर्स में एक आईकार्ड मिला, जो एनटीपीसी पावर प्लांट झाड़ली का था. इस से अनुमान लगाया गया कि मृत मिली वह युवती इस पावर प्लांट में नौकरी करती थी. एसएचओ झाड़ली जा कर इस आईकार्ड के बारे में मालूम करना चाहते थे कि उस से पहले एक कांस्टेबल ने अंदर कक्ष में आ कर बताया, ”सर, एक ट्रैक्टर में कुछ ग्रामीण लोग थाने आए ओर वह आप से मिलना चाहते हैं.’’

एसएचओ उठ कर बाहर आ गए. ट्रैक्टर से आए लोग उतर कर उन के पास आ गए. उन्हें ‘रामराम’ करने के बाद नवीन ने आगे आ कर बताया, ”साहब, हम गांव बहू से आए हैं. वाट्सऐप पर जिस युवती की लाश का फोटो शेयर किया गया है, पहचान के लिए वह मेरी भाभी रेखा से मिलतीजुलती है. मेरी भाभी रेखा कल शाम को काम से घर नहीं लौटी है.’’

”क्या? तुम्हारी भाभी रेखा झाड़ली में एनटीपीसी पावर प्लांट में नौकरी करती थी?’’ एसएचओ हरीश कुमार ने पूछा.

”हां साहब,’’ नवीन ने कहा.

”तो हमें जो लाश रुडिय़ावास तालाब में मिली है, वह रेखा की है. हमें एक पर्स तालाब के पास से मिला है. उसे पहचान कर बताओ क्या वह पर्स तुम्हारी भाभी रेखा का ही है.’’ कहने के बाद एसएचओ ने कांस्टेबल को कक्ष में रखा पर्स ले कर आने को कहा.

कांस्टेबल वह पर्स उठा लाया तो नवीन ने देखते ही बता दिया, ”यह पर्स मेरी भाभी रेखा का ही है साहब.’’

”लाश पोस्टमार्टम के लिए झज्जर भेजी गई है.’’ एसएचओ ने बताया, ”तुम यह बताओ कि तुम्हें किसी पर शक है? ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारी भाभी से खुंदक रखता हो.’’

नवीन कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया फिर बोला, ”ऐसा तो कोई व्यक्ति नहीं था साहब, मेरी भाभी लड़ाकू टाइप की नहीं थी. वह किसी से ज्यादा वास्ता भी नहीं रखती थी.’’

”लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति तुम्हारी भाभी की जिंदगी में जरूर रहा है नवीन, जिस ने किसी बात पर उस की हत्या कर दी और लाश को रुडिय़ावास में ले जा कर तालाब में फेंक दिया.’’ एसएचओ ने बहुत गंभीर स्वर में कहा, ”तुम्हारी भाभी अकेली तो रुडिय़ावास नहीं जा सकती.’’

”ऐसा कौन हो सकता है साहब!’’ नवीन ने दिमाग पर जोर डाला फिर जैसे कोई तसवीर उस की आंखों के सामने उभरी. नवीन ने राजदाराना अंदाज में कहा, ”साहब, आजकल भाभी किसी की कार में बैठ कर झाड़ली पावर प्लांट पर जाने लगी थी. मैं ने खुद भाभी को उस कार में बस स्टैंड से बैठते हुए कई बार देखा था. शुरू मे मुझे लगा कि गाड़ी पावर प्लांट वालों की ओर से लगाई गई है, उस में पावर प्लांट में काम करने वाले और भी वर्कर आते होंगे, लेकिन बाद में मुझे संदेह हुआ कि कार में सिर्फ भाभी ही बैठती है, दूसरा कोई और नहीं.’’

”कार किस रंग की है?’’

”रंग को छोडि़ए साहब, मैं ने उस कार का नंबर दिमाग में बिठा रखा है. मैं इस के विषय में मौका देख कर भाभी से पूछताछ करने वाला था कि यह हादसा हो गया.’’

”मुझे कार का नंबर बताओ.’’ एसएचओ ने उत्सुकता से पूछा.

नवीन ने कार का नंबर बता दिया, जिसे एसएचओ हरीश कुमार ने डायरी में नोट कर लिया. फिर उन्होंने एक कांस्टेबल के साथ इन लोगों को झज्जर के सरकारी हौस्पिटल जाने के लिए भेज दिया और केस डायरी में अज्ञात के खिलाफ रेखा की हत्या का मामला दफा दर्ज कर लिया.

एसएचओ ने एसआई को बुला कर उसे नवीन द्वारा नोट कराए कार का नंबर दे कर कहा कि वह मालूम करें कि यह कार किस के नाम से रजिस्टर्ड है. एसआई ने एक घंटे में ही उस कार के नंबर से उस के मालिक का नामपता मालूम कर लिया और एसएचओ को जानकारी दे दी. यह कार गांव बहू के एक व्यक्ति के नाम रजिस्टर थी, जिस का नाम जयपाल (काल्पनिक) था. गांव बहू का नाम सुन कर एसएचओ हरीश कुमार बुरी तरह से चौंके. रेखा भी तो गांव बहू की ही थी. एसएचओ तुरंत 4 कांस्टेबल साथ ले कर उस व्यक्ति से मिलने गांव बहू के लिए चल पड़े, जिस के नाम से कार का रजिस्ट्रैशन था. वह व्यक्ति गांव बहू में अपने घर पर ही मिल गया.

पूछताछ करने पर उस ने कहा, ”साहब, यह कार मेरे ही नाम से है, लेकिन मैं ने यह अपने भांजे मंजीत को दे रखी है. मेरी बहन आजकल बीमार रहती है. मेरे जीजा का 2021 में रोड एक्सीडेंट हो गया था. उन के बाद अपनी बहन के घर की मैं ही देखभाल करता हूं. कार मैं ने इसलिए दी कि मंजीत अपनी मम्मी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाए और ले कर आए. क्या कुछ एक्सीडेंट कर दिया मंजीत ने?’’

”नहीं. बात कुछ और है, तुम हमें अपनी बहन के घर ले चलो. हमें मंजीत से कुछ पूछताछ करनी है.’’ एसएचओ ने कहा.

जयपाल एसएचओ को अपनी बहन के घर ले गया. यहां मंजीत के बारे में पूछने पर मालूम हुआ कि वह कल से कहीं गया हुआ है. कार घर पर खड़ी कर गया है.

एसएचओ का शक मंजीत पर गहरा हो गया. उन्होंने मंजीत का फोटो मंजीत की मम्मी से मांगा और उसे ले कर थाने लौट आए. उन्होंने मंजीत का फोटो मुखबिरों को दिखा कर उन्हें मंजीत की टोह लेने के काम पर लगा दिया. मुखबिर अपने काम में लग गए. एसएचओ खुद मंजीत के मिलने वाली संभावित स्थानों पर दबिश देने लगे.

काफी भागदौड़ करने के बाद मंजीत 10 मई, 2025 को एक मुखबिर की काल आने के बाद पकड़ लिया गया. उसे थाना साल्हावास लाया गया. वह अभी 18 वर्ष का युवा था. वह काफी डरा हुआ था. उस से कड़ी पूछताछ शुरू की गई तो उस ने रेखा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

”तुम ने रेखा की हत्या क्यों की?’’ एसएचओ हरीश कुमार ने पूछा.

”सर, यह सुनने से पहले आप मेरे प्रेम की दास्तां सुन ले, आप को मालूम हो जाएगा, मुझे रेखा की हत्या क्यों करनी पड़ी.’’ मंजीत ने गंभीर स्वर में कहा और बगैर इजाजत मिले वह अपनी प्रेम कहानी के पन्ने खोलने लगा.

”सर, मैं गांव बहू का रहने वाला हूं, रेखा भी इसी गांव की थी. मैं ने उसे कई बार देखा था. उस का पति शराबी और कामचोर था, इसलिए रेखा ने घर चलाने के लिए झाड़ली पावर प्लांट में साफसफाई का काम पकड़ लिया था. वह रोज बस से झाड़ली जाती थी. एक दिन वह मुझे गांव के बाहर बस स्टाप पर परेशान हालत में मिली थी. उस दिन बस खराब थी, आई नहीं थी.’’

मंजीत ने आगे बताया, ”मैं ने रेखा को कार में लिफ्ट देनी चाही. काफी नानुकुर के बाद वह मेरी कार में बैठी. मैं उसे झाड़ली छोड़ कर आया. उस दिन के बाद से मैं हर रोज रेखा को उस के काम पर छोडऩे जाने लगा. साथ मिला तो मेरे दिल में रेखा के लिए प्यार का अंकुर फूट गया. मैं रेखा को चाहने लगा. उस का खयाल रखने लगा.

”मुझे अपने पापा रामपाल के एक्सीडेंट क्लेम का रुपया मिलता था. मेरे मामा हरपाल भी मदद करते थे. मैं उन पैसों में से रेखा को गिफ्ट वगैरह देने लगा तो धीरेधीरे रेखा भी मेरी तरफ झुक गई. हम दोनों प्यार करने लगे.’’

मंजीत कुछ देर के लिए रुका, फिर सांसें दुरुस्त कर के आगे बताने लगा.

”सर, रेखा को मैं सच्चा प्यार करने लगा था. वह 2 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन लगती नहीं थी. मैं रेखा को अपनी बनाने का ख्वाब सजाने लगा था कि एक दिन यानी 4 मई, 2025 को मैं ने रेखा को अपनी कार में बस स्टाप से बिठाया तो वह काफी खुश थी.

”मैं ने उस से खुशी का कारण पूछा तो उस ने कुछ नहीं बताया. कार चलाते हुए मैं ने यूं ही रेखा का मोबाइल हाथ में ले लिया और उसे औन किया तो उस में किसी के साथ रेखा की चैटिंग देख कर चौंक पड़ा. मैं ने रेखा से पूछा कि वह किस के साथ चैटिंग कर रही थी?

”रेखा ने मुझे जवाब नहीं दिया. मैं ने कहा तुम मेरे सामने उस युवक को काल लगा कर बात करो, लेकिन रेखा ने यह कह कर बात समाप्त करनी चाही कि वह उस युवक से मिल कर काल आदि करने के लिए मना कर देगी. चूंकि मेरे मन में शक घर कर गया था, इसलिए मैं रेखा पर दबाव बनाने लगा कि वह उस युवक से मेरे सामने बात करे.’’

मंजीत ने गहरी सांस ली, ”रेखा नहीं मानी सर. मैं ने गुस्से में उस का फोन छीन कर तोड़ डाला. इस बात पर रेखा को गुस्सा आ गया. उस ने मुझे थप्पड़ मार दिया. कोई लड़की लड़के को थप्पड़ मारेगी तो कहां बरदाश्त होगा. मैं ने क्रोध में रेखा की चुन्नी से उस का गला घोंटना शुरू कर दिया.

 

”कार मैं ने सड़क के किनारे खड़ी कर दी थी. यहां गहरा सन्नाटा था. मैं ने क्रोध में रेखा का गला इतनी जोर से दबाया कि उस की सांसें थम गईं. वह मर गई तो मैं बुरी तरह घबरा गया. मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं.

”मैं काफी देर तक बेमतलब कार को सड़क पर दौड़ाता रहा, फिर मैं रुडिय़ावास की ओर चला गया. वहां एक तालाब मुझे दिखाई दिया. यहां सन्नाटा था. मैं ने रेखा की लाश उस तालाब में फेंक दी और उस का बैग झाडिय़ों में डाल कर वापस गांव बहू आ गया.

”यहां घर पर मैं ने कार खड़ी की और राजस्थान भाग गया. एक हफ्ते बाद मैं गांव की तरफ लौटते वक्त मुखबिर द्वारा पहचान लिया गया और मुझे पकड़ लिया गया. मैं रेखा की हत्या का गुनाह कुबूल करता हूं.’’

चूंकि मंजीत ने गुनाह कुबूल कर लिया था और रेखा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हो गया था कि उस की मौत गला घुटने से हुई है. एसएचओ हरीश कुमार ने दोबारा मंजीत को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस ने मंजीत की कार, रेखा का बैग और मोबाइल जो टूटी दशा में था, जब्त कर लिया. रेखा की लाश उस के फेमिली वालों को सौंप दी. वह लोग रेखा का अंतिम क्रियाकर्म करने में व्यस्त हो गए. अपने से कम उम्र के लड़के की ओर रेखा ने झुक कर अपना विवेक, पति और बच्चे खोए और भरी जवानी में ही वह प्रेमी के हाथों अपना जीवन गंवा बैठी. family story in hindi