UP News : जिंदा बेटी के कत्‍ल के इल्‍जाम में पिता महीनों रहा जेल में बंद

UP News : बेटी कमलेश के गायब होने के बाद सुरेश ने नामजद रिपोर्ट लिखाई. लेकिन पुलिस ने डंडे के बल पर सुरेश, उस के बेटे व रिश्तेदार को औनर किलिंग के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. फिर 17 महीने बाद कमलेश अपने प्रेमी के साथ जीवित मिली तो…

चंद्रवती के पति और बेटे को जेल गए लगभग 7 महीने बीत चुके थे. लेकिन उसे अभी भी न्याय मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी. उन दोनों की जमानत होने की सब से बड़ी अड़चन थी देश में लौकडाउन का लगना. इस लौकडाउन के चलते उस के घर की आर्थिक स्थिति चरमरा गई थी. कोर्ट में कुछ इमरजेंसी केसों की औनलाइन सुनवाई चालू हुई तो चंद्रवती ने अपने वकील से मिल कर पति सुरेश सिंह और बेटे रूपकिशोर की जमानत की अरजी लगवा दी. पति और बेटे को जेल से छुड़ाने के लिए चंद्रवती ने जुतासे की अपनी ढाई बीघा जमीन भी बेच दी. लेकिन उस के बाद भी उस के हाथ खाली के खाली रहे.

चंद्रवती ने जैसेतैसे 6 अगस्त, 2020 को 5 हजार रुपयों का बंदोबस्त किया और वह पैसे अपने बेटे राहुल को देते हुए वकील साहब के खाते में डालने को कहा, जिस से पति और बेटे की जमानत की प्रक्रिया आगे बढ़ सके. राहुल बाइक ले कर हसनपुर स्थित बैंक चला गया. उस समय न तो उस के पास बाइक के कागज थे और न ही ज्यादा पैट्रोल. अपना काम पूरा करने के बाद उस ने घर का रुख किया तो रास्ते में एक जगह पुलिस वाहनों की चैकिंग करती मिली. चैकिंग के डर से राहुल ने अपना रास्ता बदला. वह गांव रहरा से पौरारा गांव की ओर चल पड़ा. लेकिन परेशानी ने उस का वहां भी पीछा नहीं छोड़ा.

पौरारा गांव पहुंचते ही उस की बाइक का पैट्रोल खत्म हो गया. बाइक साइड में लगा कर राहुल सोचने लगा कि अब क्या करे. उसी दौरान उस की नजर सामने के घर से निकलती एक युवती पर पड़ी तो उस का माथा झनझना उठा. पलभर के लिए उसे लगा कि कहीं सपना तो नहीं देख रहा. एकबारगी आंखों पर यकीन नहीं हुआ तो उस ने आंखें मल कर फिर देखा. लेकिन उस ने जो देखा था, उस पर वह उस का मन विश्वास करने को तैयार नहीं था. उस के दिमाग से बाइक का पैट्रोल खत्म होने की बात पूरी तरह निकल गई थी. उस ने घर पर फोन मिला कर मां को वह बात बताई तो चंद्रवती ने राहुल को समझाया,

‘‘बेटा, पागल हो गया है क्या. जिस की हत्या के आरोप में तेरा बाप और भाई जेल काट रहे हैं, तू उस के जिंदा होने की बात कह रहा है.’’

राहुल किसी भी कीमत पर अपनी आंखों देखी बात झुठलाने को तैयार नहीं था. फिर भी उस ने जैसेतैसे पौरारा गांव में किसी से पैट्रोल लिया और घर लौट आया. जब वह घर पहुंचा, तो उस के घर वाले उसी बात की चर्चा कर रहे थे. राहुल ने घर वालों को अपनी बहन कमलेश, जो मर चुकी थी, के जिंदा होने की बात बताई तो घर वालों को सहजता से यकीन नहीं हुआ. उसी शाम राहुल ने यह बात घर के सभी सदस्यों और गांव वालों के सामने रखी. राहुल की बात की सच्चाई जानने के लिए गांव वालों ने अगली सुबह पौरारा गांव जाने की योजना बना ली. 7 अगस्त, 2020 को राहुल गांव वालों के साथ गांव पौरारा जा पहुंचा. जिस घर में राहुल ने युवती को देखा था, उस घर में पहुंच कर सब ने जो देखा, उसे देख सब की आंखें फटी रह गईं.

घर के आंगन में कमलेश अपने नवजात शिशु को खिला रही थी. उस के पास ही एक चारपाई और पड़ी थी, जिस पर एक युवक बैठा उन दोनों को देख रहा था. घर में अचानक आए दरजनों लोगों को देख कर दोनों सहम गए. पलभर को उन की समझ में कुछ नहीं आया. लेकिन जैसे ही कमलेश की नजर मां और भाई पर पड़ी तो उसे सब कुछ समझ आ गया. बेटी की हकीकत जानने के बाद मांबेटा दोनों आदमपुर थाने पहुंच गए. चंद्रवती ने पुलिस को बताया कि जिस बेटी की हत्या के आरोप में उस का पति और बेटा जेल की सजा काट रहे हैं, वह जिंदा है. लेकिन पुलिस ने उन की बात को गंभीरता से नहीं लिया. इस के बाद चंद्रवती ने सीओ सत्येंद्र सिंह को इस बात से अवगत कराया, जिन के आदेश के तुरंत बाद थाना पुलिस हरकत में आई. आननफानन में पुलिस गांव पौरारा पहुंच गई.

जिस वक्त पुलिस राहुल के बताए घर पर पहुंची, उस वक्त कमलेश और उस का प्रेमी घर पर मौजूद थे. कमलेश के जिंदा होने की खबर क्षेत्र में फैल गई थी. लेकिन कमलेश को देख कर पुलिस को जैसे सांप सूंघ गया था. कमलेश के जिंदा होने की खबर पा कर मलकपुर के सैकड़ों ग्रामीण पहले ही पौरारा पहुंच गए थे. कमलेश को ले कर काफी हंगामा हुआ. कमलेश की हकीकत आई सामने अपने घर पर हंगामा होते देख कमलेश का प्रेमी राकेश अपने मोबाइल से लोगों की रिकौर्डिंग करने लगा तो उत्तेजित भीड़ ने उस का मोबाइल छीन लिया. उस के बाद कमलेश की मां ने उसे खरीखोटी सुनानी शुरू की तो कमलेश अपने पति राकेश के बचाव में सामने आ खड़ी हुई.

उस का साफ कहना था कि राकेश उस का पति है. उस ने उस के साथ प्रेम विवाह किया है. अगर किसी ने भी उस के ऊपर हाथ उठाने की कोशिश की तो उस का अंजाम अच्छा नहीं होगा. राकेश के घर पर भीड़ को बेकाबू होते देख पुलिस दोनों को अपने साथ थाने ले आई. जहां पर पुलिस ने दोनों से विस्तार से पूछताछ की. पुलिस पूछताछ में कमलेश के गायब होने की जो गाथा खुल कर सामने आई, उस से खुद पुलिस ही अपराधी के कटघरे में आ खड़ी हुई. उत्तर प्रदेश के जिला अमरोहा का एक थाना है आदमपुर. इस थाना क्षेत्र का का एक गांव है मलकपुर. सुरेश सिंह का 11 सदस्यों का परिवार इसी गांव में रहता था. सुरेश के पास गांव में जुतासे की जमीन थी, जिस के सहारे उस के परिवार की जीविका चलती थी. बेटे बड़े हुए तो सुरेश का सहारा बन गए. वे खेती के अलावा दूसरा कामधंधा कर के पैसा कमाने लगे.

कमलेश सुरेश के बच्चों में चौथे नंबर की बेटी थी. वह अभी नाबालिग थी. सुरेश सिंह को उस की शादी की अभी कोई चिंता भी नहीं थी. सुरेश सिंह के परिवार में सब कुछ ठीक ही चल रहा था कि 6 फरवरी, 2019 को खेतों से चारा लेने गई कमलेश वापस नहीं लौटी. उस के गायब होने से पूरा गांव सन्न सा रह गया. उस के घर वालों ने गांव वालों के सहयोग से उसे हरसंभव जगह पर खोजा, लेकिन उस का कोई पता नहीं चल सका. जब सुरेश के घर वाले कमलेश की तलाश करतेकरते थक गए तो उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट लिखाई. रिपोर्ट में सुरेश ने अपने एक रिश्तेदार की संलिप्तता का शक जाहिर किया था. कमलेश के गायब होने से 15 दिन पूर्व कमलेश की चचेरी बहन भी अचानक गायब हो गई थी, जिस के गायब होने में 2 लोगों के नाम सामने आए थे.

ये दोनों लोग सुरेश के दूर के रिश्तेदार थे. लेकिन पुलिस ने उन दोनों पर कोई काररवाई नहीं की थी. इसी आधार पर सुरेश को कमलेश के लापता होने में उन्हीं का हाथ होने की शंका थी. फरवरी, 2019 को सुरेश सिंह के बेटे रूपकिशोर की ओर से थाना बछरायूं, सुल्तानपुर निवासी होमराम, हरफूल, खेमवती, जयपाल और सुरेंद्र के खिलाफ कमलेश के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. एक युवती के अपहरण की नामजद रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने त्वरित काररवाई कर के इस मामले में होमराम व हरफूल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

इस मामले की विवेचना स्वयं आदमपुर थानाप्रभारी अशोक कुमार शर्मा कर रहे थे. उसी विवेचना के दौरान पुलिस को पता चला कि सुरेश का अपने भाइयों के साथ जुतासे की जमीन को ले कर विवाद चल रहा था. जिस का फैसला होने में भाई का दामाद होमराम और हरफूल व उन के रिश्तेदार फैसला नहीं होने दे रहे थे. इसी रंजिश के चलते सुरेश ने दोनों को अपनी लड़की के अपहरण के आरोप में जेल भिजवा दिया था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने इस मामले की फिर से तफ्तीश शुरू की. जांच अधिकारी अशोक कुमार ने इस केस को नया मोड़ देते हुए 28 दिसंबर, 2019 को दूसरे पक्ष के लोगों के दबाव में आ कर सुरेश व उस के बेटे रूपकिशोर और उस के एक रिश्तेदार देवेंद्र को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. तीनों से गहनता के साथ पूछताछ की गई.

सुरेश पहले ही अपनी बेटी के गायब होने से परेशान था, पुलिस की उलटी काररवाई देख उस का मनोबल पूरी तरह से टूट गया. पुलिस ने सुरेश और उस के बेटे के साथ उस के एक रिश्तेदार को इतना टौर्चर किया कि सुरेश का मानसिक संतुलन ऐसा गड़बड़ाया कि उस ने स्वयं को बेटी का हत्यारा मान लिया. पुलिस की काररवाई ने सुरेश व उस के घर वालों को ऐसा दर्द दिया कि उन की रातों की नींद ही उड़ गई थी. पहले से ही अपनी बेटी के खो जाने का गम मन में पाले सुरेश सिंह की बीवी ने अपने पति और बेटे पर बेटी की मौत का कलंक लगने से क्षुब्ध थी और खानापीना त्याग दिया था.

आखिर पुलिस ने बना दिया रस्सी का सांप पुलिस की बेरहमी के सामने दुखी और कुंठित सुरेश ने आत्मसमर्पण तो कर दिया, लेकिन पुलिस ने उस के कबूलनामे में जो बात पत्रकारों को बताई, वह निराधार थी. पुलिस विवेचना के अनुसार सुरेश ने अपनी बेटी की हत्या का जुर्म कबूलते हुए बताया था कि उस की लड़की गलत संगत में पड़ गई थी, उस के चालचलन से बदनामी हो रही थी. काफी समझाने की कोशिश की गई, लेकिन उस ने उस की एक नहीं मानी. उसी से तंग आ कर उस ने अपने बेटे रूपकिशोर और रिश्तेदार देवेंद्र के साथ मिल कर कमलेश की गोली मार कर हत्या कर दी. इस के बाद तीनों ने उस की लाश बोरे में भर कर गंगा नदी में फेंक दी थी.

कमलेश को मौत के घाट उतारने के बाद तीनों अपने घर चले आए. उस के बाद उन्होंने इस केस में अपने भाई रोहताश के दामाद होमराम और उस के परिजनों को फंसाने के लिए षडयंत्र रचा. फिर होमराम और उस के घर वालों सहित 5 लोगों के खिलाफ अपनी बेटी के अपहरण का झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया था, ताकि उन के जेल चले जाने के बाद विवाद वाली भूमि उन्हें मिल जाए. पुलिस ने आरोपी पिता सुरेश की निशानदेही पर उसी के घर के संदूक से कमलेश की हत्या में इस्तेमाल तमंचा, कारतूस और जंगल में छिपाए गए कमलेश के कपड़े बरामद कर लिए. इस केस का खुलासा स्वयं अमरोहा एसपी डा. विपिन ताड़ा व एएसपी ने किया था. 29 दिसंबर, 2019 को पुलिस ने सुरेश सिंह व उस के बेटे रूपकिशोर व टेलर देवेंद्र को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

पुलिस ने इस मामले की तहकीकात में लगी पुलिस टीम में शामिल एसएसआई विनोद कुमार त्यागी, एसआई राकेश कुमार, आरिफ मोहम्मद, कांस्टेबल कृष्णवीर सिंह, दीपक कुमार, अनिरुद्ध, महिला कांस्टेबल अपेक्षा तोमर और निधि सिंह की भी इस केस को खोलने में सराहना की थी. सुरेश सिंह के जेल जाने से पूरे परिवार पर जैसे मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. गांव वालों की नजरों में सुरेश और उस का परिवार बेटी का कातिल बन गया था. गांव के लोग उस के परिवार वालों से मिलते हुए भी कतराने लगे थे. लेकिन उस के घर वालों को उम्मीद थी कि जिस तरह का इलजाम सुरेश सिंह पर लगाया गया है वह निराधार  है.

घर वाले जेल में सुरेश से मिलने जाते. उस से हकीकत पूछते तो उस का साफ कहना होता था कि वह इतना पागल नहीं कि अपनी ही बेटी को मौत की नींद सुला सके. सुरेश हर बार यही सफाई देता कि पुलिस ने होमराम और उस के परिवार वालों से मिल कर उसे साजिशन फंसाया है. यह बात जब गांव वालों के सामने आई तो गांव वाले भी उस की जमानत कराने की कोशिश करने लगे. इसी दौरान घर वालों ने जेल में बंद पिता और बेटे की जमानत के लिए 2 बार आवेदन किया. लेकिन पुलिस के पक्के दावे के कारण दोनों बार आवेदन खारिज हो गया. इस पर घर वालों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण लेते हुए बेटी का शव बरामद नहीं होने को आधार बना कर जमानत पत्र दाखिल किया. लेकिन लौकडाउन के चलते सब कुछ खटाई में पड़ गया.

सुरेश के वकील ने हर तारीख पर तीनों को झूठे मुकदमे में फंसाने की वकालत की, लेकिन पुलिस की ओर से इस मामले को औनर किलिंग का मामला दिखा कर केस को काफी मजबूती से पेश किया गया था, जिस के चलते उन की जमानत में अड़चनें आ रही थीं. समय गुजरता गया. सुरेश जेल की सलाखों में पड़ा अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहाता रहा. एक बार उस की जमानत की उम्मीद जागी तो देश में लौकडाउन लग गया. देश की सभी अदालतों के दरवाजे बंद हुए तो सुरेश सिंह की दिक्कतें और भी बढ़ गईं. इस मामले को हुए पूरे 17 महीने गुजर गए.

अपनी बेटी को खो चुके सुरेश के परिवार वाले उस की जमानत के लिए तारीखों पर पैसे खर्च कर रहे थे. 2 महीने पहले सुरेश के एक मिलने वाले ने उस की बीवी चंद्रवती को बताया कि उस ने बिलकुल उस की बेटी की तरह एक लड़की को देखा है. लेकिन किसी ने भी उस की बात पर गहराई से नहीं सोचा. जबकि चंद्रवती अपनी बेटी जैसी युवती दिखने वाली बात सुन कर परेशान हो उठी. चंद्रवती को पूरा विश्वास था कि उस की बेटी जिंदा है और एक न एक दिन घर वापस जरूर आएगी. यही सोच कर चंद्रवती ने अपनी बेटी के जिंदा होने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर उसे बरामद कराने की मांग की थी. लेकिन लौकडाउन के चलते उस के प्रार्थना पर कोई सुनवाई न हो सकी.

कमलेश को जीवित देख कर पुलिस रह गई भौचक मामला खुलने पर जब पुलिस को पता चला कि जिस कमलेश की हत्या के आरोप में वह उस के पिता और भाई को 7 महीने पहले जेल भेज चुकी है, वह जिंदा मिल गई है तो पुलिस के होश फाख्ता हो गए. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसपी डा. विपिन ताड़ा, सीओ धनौरा और इंसपेक्टर पंकज वर्मा ने किशोरी व राकेश से विस्तृत जानकारी हासिल की. इस मामले में पुलिस का फरजीवाड़ा उजागर होते ही लोगों का गुस्सा भड़क उठा. देखते ही देखते थाने पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई. उस के बाद भीड़ ने खूब हंगामा किया. थाने पर लोगों की भीड़ जुटने की सूचना पाते ही शासनप्रशासन हिल गया.

सूचना पाते ही एसपी डा. विपिन ताड़ा थाने पहुंचे और वहां पर इकट्ठा भीड़ को भरोसा दिया कि इस मामले में फिर से निष्पक्ष जांच कर के दोषी पाए जाने वाले पुलिसकर्मियों को उचित दंड दिया जाएगा. इस के तुरंत बाद उन्होंने थानाप्रभारी अशोक कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया. पुलिस ने कमलेश और राकेश से कड़ी पूछताछ की. पुलिस पूछताछ में राकेश और उस की प्रेमिका कमलेश के द्वारा जो जानकारी मिली वह इस प्रकार थी. मलकपुर गांव से लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित था राकेश का गांव पौरारा. राकेश सैनी शादियों में खाना बनाने का काम करता था. उसी काम के सिलसिले में उसे आसपास के गांवों में जाना पड़ता था.

सुरेश ने अपनी बेटी राधा और बेटे राहुल की शादी में खाना बनवाने के लिए राकेश को ही बुलाया था. उसी दौरान राकेश को खाना बनाने के लिए किसी सामान की जरूरत होती तो घर के सदस्यों के व्यस्त होने की वजह से कमलेश ही सामान ला कर देती थी. इसी के चलते कमलेश उस के दिल को भा गई थी. उस की नजर हर वक्त उसी की राह ताकती रहती थी. हालांकि कमलेश नाबालिग थी. लेकिन उसे दूसरों की नजरें पढ़ने का भी ज्ञान था. वह समझ गई कि राकेश उस से क्या चाहता है. धीरेधीरे दोनों के दिलों में एकदूसरे के प्रति प्यार अंकुरित हुआ. राकेश ने कमलेश को अपने दिल की रानी बनाने का निर्णय ले लिया.

कमलेश ने राकेश का मोबाइल नंबर ले लिया और उस के जाने के बाद जब कभी उस की याद सताती तो वह परिवार वालों से नजर बचा कर उस से बात करने लगी थी. राकेश भी उस के गांव आ कर कमलेख से खेतों पर मिलने लगा. राकेश के साथ हो गई फरार इस प्रेम कहानी के चलते दोनों को फिर से रूबरू होने का मौका मिल जाता. राकेश और कमलेश के बीच काफी समय से प्रेम प्रसंग चला आ रहा था, लेकिन उस के परिवार वालों को इस की भनक तक नहीं थी. इसी प्रेम प्रसंग के चलते ही दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसम ली और जिंदगी के सफर पर आगे बढ़ने के लिए घर से भागने का फैसला भी कर लिया.

6 फरवरी, 2019 को वादे के मुताबिक दोनों अपनेअपने घरों से निकले. राकेश को कहीं भी जाने से रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. कमलेश ने उस दिन घर वालों से खेतों पर जाने की बात कही और निकल पड़ी गंगा किनारे की ओर. राकेश पहले से ही गंगा पुल पर खड़ा मिल गया. राकेश पक्का खिलाड़ी था. उस ने घाटघाट का पानी पी रखा था. कमलेश को साथ ले कर वह सीधा दिल्ली पहुंचा. वहां उस ने दोस्त की मदद से दिल्ली में एक किराए का कमरा लिया और वहीं रह कर काम करने लगा. कुछ दिन दिल्ली में रहने के बाद दोनों गाजियाबाद में आ कर रहने लगे थे. वहीं पर दोनों ने लव मैरिज कर ली. लव मैरिज कर के दोनों घर वालों की चिंता से मुक्त हो गए. राकेश के साथ शादी करने के बाद कमलेश ऐसी मस्त हुई कि उस ने एक बार भी अपने परिवार वालों की खैरखबर तक जानने की कोशिश नहीं की.

गाजियाबाद में शादी कर के राकेश कमलेश को साथ ले कर मुरादाबाद आ कर रहने लगा था. मुरादाबाद में उस का काम ठीकठाक चलने लगा था. इसी दौरान कमलेश एक बेटे की मां बनी. मुरादाबाद आ कर राकेश की आर्थिक स्थिति ठीकठाक हो गई थी. लेकिन इसी दौरान मार्च में लौकडाउन लग गया, जिस के बाद शहर में काम के लाले पड़ने लगे थे. ऐसे में राकेश को कमलेश के साथ अपने गांव पौरारा लौट पड़ा. तब से दोनों गांव में रह रहे थे. इसी दौरान राहुल को घर के बाहर कमलेश दिखाई दी. जिस के बाद उस की पोल खुल गई थी. षडयंत्रकारी आदमपुर पुलिस की झूठी स्क्रिप्ट ने सुरेश और उस के परिवार वालों को जो दर्द दिया, उस की भरपाई कभी नहीं हो सकती.

लेकिन सुरेश के परिवार को इस बात की खुशी थी कि उस पर लगने वाला बेटी के कत्ल का कलंक गया था. उन्हें गम भी नहीं था कि उन की बेटी ने घर से भाग कर उन के चेहरे पर कालिख पोती थी. उन्हें सब से ज्यादा दुख पुलिस की षडयंत्रकारी दरिंदगी का था. पुलिस ने सुरेश सिंह, उस के बेटे रूपकिशोर व रिश्तेदार को असहनीय यातनाएं दे कर मुलजिम बना कर जेल में डाल दिया था. इस केस के खुलते ही इस केस की तफ्तीश कर रहे पंकज वर्मा ने कमलेश के सीआरपीसी की धारा 164 के तहत न्यायालय में बयान दर्ज कराए. कोर्ट ने कमलेश को मुरादाबाद स्थित बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया. समिति के सदस्य मसरूर सिद्दीकी और जहीरुल इसलाम ने कमलेश की काउंसलिंग की.

समिति ने कमलेश के सामने नारी निकेतन या फिर अपने मातापिता के पास जाने के विकल्प रखे. कमलेश ने अपने पति राकेश के साथ जाने की इच्छा जताई. उस की मां चंद्रवती ने उस से अनुरोध किया कि वह उस के साथ घर चले. कोई भी उसे कुछ नहीं कहेगा लेकिन कमलेश अपनी जिद पर अड़ी रही. इसलिए समिति ने उसे 6 महीने के लिए नारी निकेतन भेज दिया ताकि वह सोच कर अपने लिए सही फैसला कर सके.  दूसरी ओर आदमपुर पुलिस ने बेगुनाही में जेल में बंद उस के पिता सुरेश सिंह, भाई रूपकिशोर और रिश्तेदार देवेंद्र की रिहाई के लिए कोर्ट में प्रार्थनापत्र दे दिया. कानूनी प्रक्रियाओं के बाद तीनों को रिहा कर दिया गया.

 

Bihar Crime : 3 लाख की सुपारी देकर कराई पति की हत्या

Bihar Crime : शोभा सरकारी कर्मचारी पंकज कुमार गुप्ता की पत्नी थी, खुशहाल जिंदगी जी रही थी. इस के बावजूद 2 बच्चों की मां शोभा अपनी उम्र से 7 साल छोटे सन्नी से प्यार कर बैठी. इस के बाद जो हुआ, उस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.

बात 8 जुलाई, 2020 की है. सुबह के साढे़ 7 बज गए थे. पंकज गुप्ता स्टील की 2 लीटर वाली डोलची हाथ में लटकाए दूध लेने शहरी बाजार समिति की ओर जा रहा था. वह रोजाना दूध लेने इसी समय पर जाया करता था. ऐसा नहीं था कि मोहल्ले में कोई दूधिया दूध देने नहीं आता था, लेकिन पंकज को आशंका थी कि दूधिए दूध में मिलावट करते हैं, इसलिए वह उन से दूध नहीं लेता था. दूसरे इसी बहाने उस की मार्निंग वाक भी हो जाती थी. इसलिए वह सुबहसुबह दूध लेने पैदल ही निकल जाता था. पंकज बिजली विभाग में नौकरी करता था. पंकज जैसे ही शहरी समिति के गेट के सामने पहुंचा, पीछे से तेजी से एक अपाचे मोटरसाइकिल उस के बगल से हो कर गुजरी.

बाइक पर 2 युवक सवार थे. बगल से बाइक गुजरने पर विकास हड़बड़ा गया और गिरतेगिरते बचा. ससंभल कर बुदबुदाते हुए वह आगे बढ़ा. वह थोड़ी दूर ही बढ़ा होगा कि वही बाइक मुड़ कर फिर उसी की ओर आई. बाइक को आता देख पंकज यह सोच कर रुक गया कि शायद बाइक सवार युवकों की नीयत ठीक नहीं है. उन के निकल जाने के बाद ही आगे बढ़ेगा. पंकज सोच रहा था कि बाइक निकले तो आगे बढ़े, लेकिन बाइक उस के पास आ कर रुक गई. इस से पहले कि पंकज कुछ समझ पाता, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने निशाना साध कर 2 गोलियां उस के सिर में उतार दीं और मौके से फरार हो गए.

गोली लगते ही पंकज धड़ाम से जमीन पर गिर पड़ा. चूंकि सुबह का वक्त था, लोग अभी अपनेअपने घरों में ही थे. गोली की आवाज सुन कर पासपड़ोस के लोग जमा हो गए. उन्होंने जमीन पर खून से लथपथ पड़े पंकज को पहचान लिया. पंकज पटना शहर के मोहल्ले अगवानपुर में रहता था. घटनास्थल से उस का घर थोड़ी दूर पर था. भीड़ में से किसी ने वारदात की सूचना बाढ़ थाने को दे दी और पंकज के घर पर भी खबर भिजवा दी. घटना की सूचना मिलते ही उस के घर में कोहराम मच गया. पत्नी शोभा और दोनों मासूम बेटियां चीखचीख कर रोने लगी. शोभा जिस हाल में थी, मासूमों को साथ लिए उसी हाल में घटनास्थल की ओर दौड़ी.

मौके पर पहुंची तो देखा पति पंकज हाथ में बाल्टी लिए चित अवस्था में लहूलुहान पड़ा है. पुलिस के खिलाफ पति की लाश से लिपट कर रोने लगी. मां को रोते देख कर बच्चे भी बिलखबिलख कर रो रहे थे. बच्चों को रोते देख वहां खड़े लोगों का दिल पसीजने लगा. उसी समय बाढ़ थाने के थानाप्रभारी संजीत कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस को देख कर स्थानीय लोग जाने के बजाए वहीं डटे रहे. उन में पुलिस के खिलाफ भारी आक्रोश था. दरअसल, उसी इलाके में कुछ दिनों पहले भी 2 हत्याएं हो चुकी थीं. दोनों घटनाओं के हत्यारे अभी भी फरार थे. अब तीसरी हत्या बिजलीकर्मी पंकज की हो गई थी.

इस हत्या से स्थानीय नागरिकों में पुलिस की भूमिका को ले कर गहरा आक्रोश था. आक्रोश बढ़ने पर लोग पंकज की हत्या के विरोध में राष्ट्रीय राजमार्ग 31 को जाम कर प्रदर्शन करने लगे. नागरिकों के धरने पर बैठते ही पुलिस के हाथपांव फूल गए. आननफानन में थानाप्रभारी संजीत कुमार ने एएसपी अंबरीश राहुल और एसएसपी उपेंद्र शर्मा को घटना की जानकारी दे दी. स्थिति तनावपूर्ण और विस्फोटक होती जा रही थी. स्थिति पर काबू पाने के लिए पुलिस ने सब से पहले मृतक की लाश अपने कब्जे में ली और कागजी काररवाई कर के पोस्टमार्टम के लिए पटना मैडिकल कालेज भिजवा दी.

घटनास्थल का निरीक्षण करने पर पुलिस को वहां से कारतूस के 2 खोखे मिले, जिन्हें पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर कब्जे में ले लिया. उधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम की सूचना मिलते ही एएसपी अंबरीश राहुल मौके पर पहुंच कर प्रदर्शनकारियों को मनाने में जुट गए. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि हत्यारों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी हो. एएसपी ने उन्हें भरोसा दिया कि अपराधी जो भी होंगे, उन की गिरफ्तारी जल्द से जल्द होगी.  एएसपी के आश्वासन पर प्रदर्शनकारियों ने जाम खोला. मृतक की पत्नी शोभा की तहरीर पर थानाप्रभारी संजीत कुमार ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

पुलिस के लिए पंकज हत्याकांड चुनौती की तरह था, क्योंकि इस के पहले 2 हत्याओं का अब तक खुलासा नहीं हो सका था. हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए नागरिकों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. अगले दिन कुछ सम्मानित लोग बिजली कर्मचारी पंकज कुमार गुप्ता हत्याकांड के खुलासे के लिए एसएसपी उपेंद्र कुमार शर्मा से मिले और हत्यारों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसएसपी ने अपने दफ्तर में आपात बैठक बुलाई.  बैठक में एएसपी अंबरीश राहुल और 4 थानों के थानाप्रभारियों एसओ (बख्तियारपुर) कमलेश प्रसाद शर्मा, एनटीपीसी एसओ अमरदीप कुमार, मोकामा एसओ राजनंदन, एसओ (बाढ़) संजीत कुमार, एएसआई राकेश कुमार रंजन, अनिरुद्ध कुमार, सिपाही अमित कुमार और शिव चंद्र शाह शामिल हुए.

एसएसपी ने शहर में हुई हत्याओं के खुलासे न होने पर नाराजगी जताई और पंकज गुप्ता के केस को खोलने के लिए उसी समय टीम बना दी. टीम का नेतृत्व उन्होंने एएसपी राहुल को सौंपा. पुलिस टीम जांच में जुट गई. उस के लिए सब से बड़ा सवाल यह था कि पंकज की हत्या क्यों की गई? इस सवाल का जवाब मृतक की पत्नी ही दे सकती थी. पुलिस ने अपनी तफ्तीश मृतक के घर से शुरू की. पुलिस ने शोभा से पंकज की किसी से दुश्मनी के बारे में पूछा तो उस ने पति की किसी से भी दुश्मनी होने की जानकारी से इनकार कर दिया. ऐसे में यह घटना पुलिस के लिए चुनौती बन गई. घटना की तह तक पहुंचने के लिए पुलिस ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई और मदद के लिए मुखबिरों की भी मदद ली.

मृतक की काल डिटेल्स में पुलिस को ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से घटना का खुलासा हो पाता. लेकिन 2 दिनों बाद यानी 10 जुलाई को मुखबिर ने पुलिस को जो चौंकाने वाली जानकारी दी, उसे सुन कर पुलिस अधिकारी हैरान रह गए. मुखबिर ने एसओ संजीत कुमार को बताया कि 9 जुलाई को शोभा ने अपने भारतीय स्टेट बैंक के एकाउंट से करीब पौने 3 लाख रुपए निकाले थे.

यह बात पुलिस को खटकी कि आखिर इतनी बड़ी रकम उस ने क्यों निकाली? पुलिस को हैरान करने वाली यह रकम ही सुराग की कड़ी बनी. एएसपी अंबरीश राहुल को शोभा पर शक हुआ कि कहीं पति की हत्या में पत्नी का ही हाथ तो नहीं है? पुलिस ने शोभा का फोन नंबर हासिल किया. उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और साथ ही उस के नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. संजीत कुमार ने काल डिटेल्स का बारीकी से अध्ययन किया तो चौंके. उन का शक सही निकला. घटना वाली रात से सुबह घटना के बाद तक शोभा लगातार किसी से फोन पर बात करती रही थी. काल डिटेल्स से घटना की तसवीर साफ होती दिख रही थी. जिस नंबर पर शोभा ने बात की थी, पुलिस ने उस नंबर की डिटेल्स निकलवा ली. वह नंबर सन्नी उर्फ गोलू निवासी अगवानपुर का था. मुखबिर के जरिए पुलिस को हत्यारे की सही जानकारी मिल गई थी.

पंकज की हत्या में उस की पत्नी शोभा भी शामिल थी. शोभा ने प्रेमी सन्नी को सवा 3 लाख की सुपारी दे कर पति की हत्या करवाई थी. इस के बाद पुलिस ने हत्या की अलगअलग कडि़यों को जोड़ना शुरू किया. 12 जुलाई को हत्या की कड़ी पूरी तरह जुड़ गई तो पुलिस ने शोभा और उस के प्रेमी सन्नी दोनों को अगवानपुर से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने दोनों से सख्ती से पूछताछ शुरू की. जल्द ही दोनों ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. गोलू ने पंकज की हत्या में शामिल अन्य साथियों के नाम भी बता दिए. गोलू की निशानदेही पर पुलिस ने 5 और आरोपियों मुकेश (मृतक का सगा साला), मनीष कुमार, मोहित कुमार उर्फ आदित्य, राजा सिंह और आयुष को गिरफ्तार कर लिया. मुकेश को छोड़ बाकी सभी आरोपी अगवानपुर के ही निवासी थे.

अगले दिन 13 जुलाई, 2020 को एएसपी अंबरीश राहुल ने पुलिस लाइन में पत्रकारवार्ता बुलाई, जिस में पंकज हत्याकांड के सातों आरोपितों को  पत्रकारों के सामने पेश किया. सभी आरोपियों ने हत्या में शामिल होने का जुर्म कबूल कर लिया. इस के बाद उन्होंने हत्या की पूरी कहानी पत्रकारों के सामने परोस दी. वार्ता संपन्न होने के बाद पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. आरोपियों से पूछताछ के बाद कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय पंकज कुमार गुप्ता मूलरूप से पटना जिले के बाढ़ थाने के अगवानपुर का रहने वाला था. उस के परिवार में कुल 4 सदस्य थे. पतिपत्नी और 2 बच्चे. उस का परिवार हर तरह सुखी था. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. वह बिजली विभाग में नौकरी करता था, जहां से उसे अच्छीभली तनख्वाह मिलती थी. कुछ ऊपर से भी कमाई कर लेता था. पंकज की पत्नी शोभा भले ही खूबसूरत नहीं थी लेकिन वह पढ़ीलिखी और सलीकेदार औरत थी. वह परिवार के अच्छेबुरे का खयाल रखती थी. पंकज और शोभा दोनों एकदूसरे की खुशियों पर पूरा ध्यान देते थे. लेकिन कालांतर में पता नहीं उन की खुशियों को किस की बुरी नजर लग गई, जिस ने हंसतेखेलते परिवार को महाभारत का मैदान बना दिया. कल तक जो पतिपत्नी एकदूसरे पर अपनी जान छिड़कते थे, वही अब एकदूसरे के खून के प्यासे हो गए थे.

कहानी में जिस दिन से गोलू उर्फ सन्नी नाम के किरदार का प्रवेश हुआ था उसी दिन से पंकज के हंसतेखेलते घर में कलह शुरू हो गई थी. हुआ कुछ यूं था कि पंकज दिन भर ड्यूटी पर घर से बाहर रहता था. उस के 2 छोटे बच्चे थे. उन की देखभाल शोभा ही करती थी. पंकज पैसे कमा कर पत्नी की हथेली पर रख देता था. उस के बाद घर में क्या हो रहा है, इस से उसे कोई मतलब नहीं रहता था. पति के इस रवैए से शोभा खिन्न रहती थी और दुखी भी. बात 2 साल पहले की है. शोभा की बड़ी बेटी तान्या की तबियत ज्यादा खराब हो गई थी. उसे अस्पताल ले जा कर डाक्टर को दिखाना था. शोभा पति से कई बार कह चुकी थी कि बेटी को ले जा कर डाक्टर को दिखा दे. लेकिन पंकज नौकरी की दुहाई दे कर उस से कहता कि वही उसे ले जा कर किसी अच्छे डाक्टर को दिखा लाए.

अगवानपुर से कुछ दूरी पर एक नर्सिंगहोम था. शोभा बच्चों के इलाज के लिए यहीं आया करती थी. उस दिन भी वह बेटी को दिखाने इसी नर्सिंगहोम में आई थी. वहीं पर गोलू उर्फ सन्नी नाम का एक युवक भी अपने किसी परिचित को दिखाने आया था. बातोंबातों में दोनों के बीच परिचय हुआ. पता चला कि दोनों एक ही मोहल्ले अगवानपुर के रहने वाले हैं. गोलू साधारण शक्लसूरत का गबरू जवान था. लेकिन चपल और बातूनी. अपनी बातों से हर घड़ी सभी को गुदगुदाता रहता था. शोभा उस की बातें सुन कर अपनी हंसी काबू नहीं कर पा रही थी. वह खिलखिला कर हंस पड़ती थी. शोभा की हंसी गोलू के दिल में मकाम कर गई. हर घड़ी उस की आंखों के सामने शोभा का हंसता चेहरा थिरकता रहता था. कुंवारा गोलू समझ नहीं पा रहा था उसे ये क्या गया है.

शोभा 28 साल की शादीशुदा औरत थी जबकि गोलू उस से 7 साल छोटा यानी 21 साल का नौजवान था. गोलू के दिमाग पर शोभा के अक्स की रंगीन चादर बिछी थी, जो हटने का नाम ही नहीं ले रही थी. एक ही मुलाकात में गोलू को शोभा के गदराए जिस्म से प्यार हो गया था. वह उस के दीदार के लिए बेचैन रहने लगा. शोभा गोलू की इस चाहत से अंजान थी. उसे नहीं पता था एक ही मुलाकात में गोलू उस का दीवाना बन जाएगा. उस दिन के बाद शोभा बेटी को ले कर कई बार नर्सिंगहोम गई. इत्तफाक की बात यह रही कि शोभा जबजब बेटी को दिखाने नर्सिंगहोम पहुंचती, उसे उसे गोलू वहीं मिल जाता था. शोभा गोलू को देखती, उसे देखते ही उस के होंठों पर मीठी सी मुसकान थिरक उठती थी. गोलू भी उसे देख कर मुसकरा देता था.

धीरेधीरे दोनों के बीच दोस्ती हो गई. बाद में ये दोस्ती प्यार में बदल गई. दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. एक शादीशुदा औरत के इश्क में गोलू ऐसा डूबा कि उसी का हो कर रह गया. उसे देखे बिना गोलू को चैन नहीं मिलता था. इधर पति के ड्यूटी पर चले जाने के बाद शोभा फोन कर के गोलू को अपने घर बुला लेती और उस के साथ घंटों रंगरेलियां मनाती. बंद दरवाजे के अंदर शोभा और गोलू का प्यार जवां हो रहा था. जमाने की नजरों से बेखबर दोनों मोहब्बत के सागर में गोते लगा रहा थे. वे समझते थे कि उन की मोहब्बत के बारे में कोई नहीं जानता. हर प्यार करने वाले को यही भ्रम होता है. जबकि मोहल्ले में दोनों के प्रेम के चर्चे होने लगे थे. फिजाओं में फैली उन के प्यार की खुशबू आखिरकार पति पंकज तक पहुंच ही गई.

पंकज को यकीन नहीं हुआ. वह तो पत्नी को बेहद प्यार जो करता था. वह सोच रहा था कि पत्नी उसे धोखा कैसे दे सकती है. किसी की बातों पर उसे यकीन नहीं हो रहा था. लेकिन वह उन बातों को झुठला भी नहीं पा रहा था. सच सामने लाने के लिए वह पत्नी की जासूसी में जुट गया. जब भी पंकज पत्नी को फोन करता, उस का फोन व्यस्त मिलता था. अब पंकज को यकीन होने लगा कि जरूर शोभा का किसी के साथ चक्कर है. समझदारी का परिचय देते हुए एक दिन पंकज ने पत्नी को उस के अफेयर को ले कर अप्रत्यक्ष तौर से समझाया ताकि पत्नी को यह न पता चले कि उसे उस के संबंधों के बारे में पता चल चुका है. पति का बारबार उसी की ओर इशारा कर के बात करने से शोभा समझ गई कि पति को उस पर शक हो गया है.

फिर क्या था, उस दिन के बाद से शोभा संभल गई और प्रेमी गोलू को भी सावधान कर दिया कि पति को उन के संबंधों पर शक हो गया है. जब तक वह उस के शक को मिटा नहीं देती, तब तक हमारा मिलना कम होगा. हम फोन पर ही बातें करेंगे. शोभा ने पति को विश्वास दिलाने के लिए कई कलाएं पेश कीं, लेकिन पंकज सब समझ रहा था. उसे उस की बातों पर तनिक भी यकीन नहीं हुआ. एक दिन तो पंकज ने शोभा को फोन पर प्रेमी से बात करते रंगेहाथ पकड़ लिया. यही नहीं उस ने जब पत्नी के हाथ पर गोलू के नाम का लिखा टैटू देखा तो उस का खून खौल उठा.

कोई भी पति यह बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस की पत्नी अपने जिस्म पर किसी पराए मर्द का नाम लिखाए. उस दिन पंकज का गुस्सा पत्नी के अंगअंग पर टूटा. कई दिनों का गुस्सा पंकज ने उस पर उतार दिया. साथ ही सख्त हिदायत भी दी कि आज के बाद फिर प्रेमी से बात करने या मिलने की कोशिश की तो वह उसे जान से मार देगा. पति से पिटी शोभा ने भी उस से कह दिया, ‘‘गोलू मेरी जान है. मैं उस से दूर रह कर जिंदा नहीं रह सकती. तुम चाहो तो मेरी जान ही क्यों न ले लो. मुझे मर जाना मंजूर है लेकिन गोलू के बिना जीना मंजूर नहीं.’’

इस के बाद इसी बात को ले कर अकसर रोजाना ही शोभा की पिटाई होने लगी. पति की रोजरोज मारपीट से शोभा ऊब गई थी. उस ने पति नाम की बीमारी से छुटकारा पाने की योजना बनाई और प्रेमी गोलू से पति को रास्ते से हमेशा के लिए हटाने की बात कही. शोभा के प्यार में अंधे गोलू ने प्रेमिका की बात मान ली और पंकज को रास्ते से हटाने की योजना बना ली. इस काम के लिए गोलू ने अपने दोस्त मनीष से मदद मांगी और साजिश में शामिल कर लिया. मनीष गोलू का साथ देने के लिए तैयार हो गया. गोलू जानता था कि मनीष का एक दोस्त है, जो भाड़े पर हत्या करता है. गोलू के कहने पर मनीष ने क्रिमिनल मोहित से संपर्क साधा और काम करने को कहा लेकिन मोहित ने यह कहते हुए हत्या की सुपारी लेने से इनकार कर दिया कि वह ये काम नहीं करता.

लेकिन उस का एक दोस्त राजा सिंह है जो ये काम करता है, उन्हें उस से मिला देगा, काम हो जाएगा. मोहित ने मनीष को राजा सिंह से मिलवा दिया. राजा ने काम के बदले एडवांस के रूप में 50 हजार रुपए मांगे. मनीष ने यह बात गोलू को बताई और गोलू ने प्रेमिका शोभा से एडवांस के 50 हजार रुपए मांगे. शोभा के पास इतनी रकम नहीं थी. उस ने अपने भाई मुकेश से पैसे मांगे तो उस ने भी हाथ खड़े कर दिए, लेकिन उस की साजिश में शामिल हो कर उस का साथ देने लगा. शोभा ने पति की हत्या के लिए उस के बनवाए अपने सोने के झुमके 45 हजार रुपए में बेच दिए. यह रकम राजा सिंह को दे दी गई.

उस के बाद आगे की योजना तय हो गई. फिर राजा सिंह ने घटना को अंजाम देने के लिए शूटर आयुष को सुपारी दी. आयुष ने काम के बदले शोभा से 3 लाख रुपए की डिमांड की. लेकिन ये सौदा सवा 3 लाख में तय हुआ. शोभा ने आयुष को बताया कि वह एडवांस के रूप में राजा सिंह को 50 हजार रुपए दे चुकी है. बाकी के पैसे काम होने के बाद दे देगी. शूटर आयुष को विश्वास दिलाने के लिए शोभा ने दस्तखत कर के एक ब्लैंक चैक उसे दे दिया. चैक पाने के बाद शूटर ने 8 जुलाई को घटना को अमली जामा पहना दिया. 7/8 जुलाई, 2020 की रात शोभा ने पति की हत्या के संबंध में गोलू को फोन में बातें की थीं. रोज की तरह पंकज सुबह दूध लेने स्टील की डोलची ले कर घर से निकला तो शोभा ने गोलू को फोन कर के बता दिया कि पंकज घर से निकल चुका है.

उस ने यह भी कहा कि आयुष पंकज को गोली मारे तो गोली की आवाज उसे जरूर सुनाए. गोलू ने उस से कहा ऐसा ही होगा. पंकज के घर से निकलने की बात गोलू ने शूटर आयुष को बता दी. उस समय आयुष पंकज के घर के आसपास ही मंडरा रहा था. जैसे ही गोलू का फोन आया वह सतर्क हो गया और अपाचे मोटरसाइकिल ले कर पंकज के पीछेपीछे लग गया. आयुष बाइक पर पीछे बैठा था, जबकि राजा सिंह बाइक चला रहा था. घर से निकल कर पंकज जैसे ही शहर समिति गेट के पास पहुंचा, बाइक पर पीछे बैठे शूटर आयुष ने पंकज को लक्ष्य साध कर उस के सिर में 2 गोलियां उतार दीं. गोली मारते समय आयुष ने अपना मोबाइल फोन औन किया हुआ था, उधर शोभा अपने फोन को कान से लगाए हुए थी.

गोली की आवाज सुन कर शोभा की खुशियों का ठिकाना नहीं रहा. इधर गोली मारने के बाद दोनों बदमाश बाइक ले कर फरार हो गए.  घटना के दूसरे दिन शोभा भाई मुकेश को ले कर भारतीय स्टेट बैंक पहुंची और बैंक से 2 लाख 80 हजार रुपए निकाल कर शूटर आयुष को दे दिए. मुखबिर के जरिए यह बात पुलिस को पता चल गई. एएसपी अंबरीश राहुल की सूझबूझ से पंकज कुमार गुप्ता हत्याकांड से परदा उठ गया और घटना में शामिल सभी अपराधी जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए. पुलिस ने आरोपियों से हत्या में प्रयुक्त बाइक, पिस्टल और 2 जिंदा कारतूस बरामद किए. जिस प्रेमी गोलू से शोभा शादी रचाने का ख्वाब देख रही थी, उस ने भी इस घटना के बाद उस से शादी करने से इनकार कर दिया था. शोभा न इधर की रही, न उधर की.

पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

करनाल में खौफनाक वारदात : बेटे ने ड्रिल मशीन से मां बाप को मारा

Haryana Crime : एक बेटे ने इंसानियत की सभी हदें पार कर अपने ही मम्मीपापा की बेरहमी से हत्या कर दी. यह खबर जिस ने भी सुनी वह हैरान रह गया.

घटना हरियाणा (Haryana Crime) के करनाल जिले की है, जिस में एक बेटे ने प्रौपर्टी के लालच में आ कर अपने ही मम्मीपापा की ड्रिल मशीन से हत्या कर दी. बेटे ने ड्रिल मशीन से पाप के सिर और गले में सुराख कर दिए और जब इस खौफनाक मंजर को देख मम्मी चिल्लाई तो उस ने पहले मम्मी का गला दबाया और फिर ड्रिल मशीन से मम्मी के गले में भी सुराख कर दिया. मम्मी और पापा की हत्या करने के बाद उस ने दोनों लाशों को नहर में फेंक दिया.

तफ्तीश में हुआ खुलासा

पुलिस ने जब जांच की तो एक बड़ा खुलासा हुआ जिस में पता चला कि मम्मीपापा की हत्या करने से पहले बेटे क्राइम पेट्रोल और मर्डर की वैब सीरीज भी देखी थी. बेटे ने वैब सीरीज से कत्ल से ले कर बचने तक का उपाय तलाशा. हालांकि जब मम्मी इस के प्लान में शामिल नहीं हुई तो बेटे की सारी पोल खुल गई.

पुलिस तक कैसे पहुंचा मामला

हरियाणा (Haryana Crime) के करनाल जिले के गांव मेंकमालपुर रोड़ान में महेंद्र अपनी पत्नी राजबाला के साथ रहता था. 13 मार्च, से ले कर 15 मार्च, 2025 तक जब महेंद्र का घर बंद दिखा तो परिजनों को शक हुआ.

इस के बाद जब परिजनों ने दीवार पर चढ़ कर घर के अंदर देखा तो लोगों के रौंगटे खड़े हो गए. चारों तरफ खून फैला हुआ था. इस के तुरंत बाद ही पुलिस को सूचना दी गई.

पुलिस पहले तो इस मामले को लूट से जोड़ कर देख रही थी, लेकिन बाद में अंदर लाश को देख कर मामला उलझ गया. करनाल पुलिस जब जांच में लगी तो पाया कि पानीपत में 16 मार्च, 2025 को एक महिला की लाश मिली है. पुलिस को पता चला कि यह तो करनाल से गायब हुई राजबाला है.

इकबालिया बयान

बेटे हिम्मत ने पुलिस को बताया कि मैं और पापा कोर्ट में पेश हुए थे. कोर्ट में उस ने पापा को समझाने की कोशिश की, लेकिन पापा अपनी बात पर अड़े रहे. पापा ने मुझ से कहा कि मैं तुझे अपनी प्रौपर्टी में से बिलकुल हिस्सा नहीं दूंगा. इसी बात से नाराज हिम्मत ने तय कर लिया कि अब पापा को रास्ते से हटाना ही होगा.

कोर्ट से लौटने के बाद हिम्मत पेशी स्कूल चला गया और वहां से एक मिस्त्री के पास पहुंच कर एक ड्रिल मशीन ले आया. उस ने उस से कहा कि यह मशीन कल वापस कर दूंगा, आज कुछ काम है.

वारदात की रात

रात को हिम्मत दीवार फांद कर घर के अंदर घुस आया. उस ने देखा कि पापा फर्राटा पंखा लगा कर सोए हुए हैं. महेंद्र ने पंखे का तार हटाया और ड्रिल मशीन के तार बिजली बोर्ड के शाकेट में लगा दिए. इस के बाद पापा के पास जा कर उस ने पहले उन का मुंह दबाया जिस से वह चिल्ला न सकें. इस के बाद उस ने ड्रिल मशीन से पापा के सिर और गले में सुराख कर दिए.

ड्रिल मशीन की आवाज सुन कर मम्मी राजबाला की आंखें खुल गईं और जब वह कमरे में पहुंची तो देखा कि बेटे के हाथ में ड्रिल मशीन है और वह उसे अपने पापा के गले पर चला रहा है.

हैरान रह गई मां

यह सब देख राजबाला हैरान रह गई और जोर से चिल्लाने लगी. लेकिन हिम्मत ने मम्मी का मुंह दबा दिया, जिस से कि वह जोर से चिल्ला न सके. हिम्मत ने मम्मी से कहा कि मेरा पाप गंदा था इसलिए मैं ने उन का कत्ल कर दिया.

इसी बात को ले कर राजबाला जोरजोर से चिल्लाने लगी. इस से हिम्मत डर गया और सोचने लगा कि मम्मी ऐसे जोरजोर से चिल्लाएगी तो आसपड़ोस में सभी को पता चल जाएगा.

इस के बाद हिम्मत ने मम्मी का भी गला घोंट दिया और जब वह बेहोश हो गई, तो ड्रिल मशीन से उस के सिर में सुराख कर दिया.

हत्या के बाद

मम्मी और पापा की हत्या करने बाद हिम्मत ने घर का मेन गेट अंदर से खोला और बाहर खङी कार को ले आया. इस के बाद उस ने लाश को दरी में लपेट दिया.

कार को अंदर ला कर उस ने पहले कार में रजाई बिछा दी जिस से खून न टपके. इस के बाद कार में पापा महेंद्र की लाश को रखा और उस के ऊपर मम्मी की लाश को भी रख दिया.
इस के बाद हिम्मत ने घर के गेट पर ताला लगा दिया जिस से सभी को लगे कि पतिपत्नी घर से बाहर गए हुए हैं. फिर उस ने मम्मी और पाप की लाश नहर में ठिकाने लगा दीं.

साजिश में मम्मी को शामिल करना चाहता था हिम्मत

हिम्मत ने पापा का कत्ल करने से पहले क्राइम पैट्रोल और मर्डर से जुड़ी वैब सीरीज को देखा, जिस से कि वह पकड़ा न जाए. जब हिम्मत पापा का कत्ल करने के लिए गया, तब उस ने अपना मोबाइल किराए के मकान पर ही छोड़ दिया था ताकि उस की लोकेशन ट्रेस न हो.

कैसे पकड़ा गया कातिल बेटा

पुलिस ने जांच करते हुए सीसीटीवी फुटेज खंगालनी शुरू की. इसी दौरान हिम्मत घर के आसपास नजर आया, जिस से पुलिस को लगा कि कातिल बेटा ही है.

पुलिस ने जब हिम्मत से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. (Haryana Crime) खबर लिखे जाने तक आरोपी हिम्मत से पूछताछ जारी थी.पुलिस के द्वारा अभी और मां के कातिल बेटे से पूछताछ जारी थी. पुलिस महेंद्र की लाश वरामद नहीं कर पाई थी.

Crime Stories : लोहे की रौड से पति का किया कत्ल

Crime Stories : उमेश और रिशु ने सोचा था कि अशोक को रास्ते से हटा देने पर उन्हें रोकनेटोकने वाला कोई नहीं रहेगा. दोनों ने मिल कर योजना बनाई और अशोक को ठिकाने लगा दिया. लेकिन यह सब करते वक्त दोनों यह भूल गए कि पुलिस जड़ें खोदने में तेज होती है. जब पुलिस ने जांच शुरू की तो…

महमदपुर गांव के कुछ लोग सुबहसुबह घूमने निकले तो उन्होंने इमामपुर मार्ग पर खेत में एक बोलेरो खड़ी देखी. उन्हें आश्चर्य हुआ कि बोलेरो सड़क किनारे खड़ी करने के बजाय खेत के बीच में क्यों खड़ी की गई. मन में शंका हुई तो वे उत्सुकतावश उस कार के पास गए. वहां उन्होंने जो देखा, उस से उन की घिग्घी बंध गई. बोलेरो के अंदर एक युवक की लाश पड़ी थी. लाश देख कर वे गांव की ओर भागे. रास्ते में उन्हें जो भी मिला, उसे बताया फिर गांव पहुंच कर यह बात सब को बता दी. गांव में कोहराम सा मच गया, जरा सी देर में खेत पर भीड़ उमड़ पड़ी. इसी बीच किसी ने मोबाइल से यह खबर थाना खुटहन पुलिस को दे दी. यह बात 25 जुलाई, 2020 की सुबह 8 बजे की है.

सुबहसवेरे हत्या की सूचना पा कर खुटहन थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा का मन कसैला हो गया. उन्होंने मर्डर की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय वहां गांव वालों की भीड़ जुटी थी. भीड़ को हटा कर पुलिस वहां पहुंची, जहां बोलेरो खड़ी थी. कार का दरवाजा खुला था. पिछली सीट पर एक युवक की लाश पड़ी थी. लाश को उन्होंने कार से बाहर निकलवाया और शिनाख्त कराने की कोशिश की. गनीमत यह रही कि लोगों ने लाश को देखते ही पहचान लिया. उन्होंने थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा को बताया कि लाश अशोक कुमार उर्फ दीपक बरनवाल की है, जो पड़ोस के गांव तिधरा में रहता है और किराना व्यवसाई है.

अशोक की हत्या किसी भारी चीज से सिर पर प्रहार कर के की गई थी, जिस से उस का सिर फट गया था. उस की उम्र 40 के आसपास थी. शरीर से वह हृष्टपुष्ट था. कार के पास ही शराब की खाली बोतल, प्लास्टिक के 2 गिलास और नमकीन के 2 खाली पैकेट पड़े थे. पुलिस ने इस सामान को जाब्ते की काररवाई में शामिल कर के सुरक्षित कर लिया. मृतक के घर उस की हत्या की सूचना भिजवा दी. मृतक की पत्नी रिशु को पति की हत्या की सूचना मिली तो वह घटनास्थल पर आ गई और पति के शव से लिपट कर रोने लगी. थानाप्रभारी कुशवाहा ने उसे धैर्य बंधा कर शव से दूर किया. रिशु को साथ आई महिलाओं ने संभाला.

थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अशोक कुमार, एएसपी त्रिभुवन सिंह तथा सीओ जितेंद्र कुमार दुबे भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने कार और घटनास्थल की जांच कर साक्ष्य जुटाए. खोजी कुत्ता शव को सूंघ कर भौंकते हुए कुछ दूर गया और गन्ने के खेत के पास जा कर भौंकने लगा. इस पर टीम ने गन्ने के खेत की सघन तलाशी ली. खेत के अंदर खून सनी लोहे की रौड व खून सना गमछा मिला. टीम ने अनुमान लगाया कि संभवत: उसी रौड से मृतक की हत्या की गई होगी और गमछे से चेहरे का खून पोंछा गया होगा. सबूत के तौर पर टीम ने रौड तथा गमछे को सुरक्षित कर लिया.

कुछ नहीं बताया रिशु ने मौकाएवारदात पर पुलिस अधिकारियों ने मृतक के कपड़ों की जामातलाशी कराई तो उस की पैंट की जेब से एक पर्स बरामद हुआ, जिस में ड्राइविंग लाइसैंस और कुछ रुपए थे. दूसरी जेब से उस का मोबाइल फोन मिला. पुलिस ने पर्स व मोबाइल फोन सुरक्षित कर लिया. बोलेरो कार को थाने भिजवा दिया गया. घटनास्थल पर मृतक अशोक की पत्नी रिशु मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की तो उस ने बताया कि अशोक कल रात 8 बजे घर से बोलेरो कार ले कर निकले थे. पूछने पर उन्होंने बताया था कि वह कस्बा जाफराबाद में एक बारात में जा रहे हैं. रात 11 बजे के पहले लौट आएंगे. लेकिन वह वापस घर नहीं आए. किसी ने उन की हत्या कर दी. आज सुबह 10 बजे जब पुलिस से सूचना मिली तब वह यहां आई.

‘‘तुम्हारे पति की किसी से रंजिश या लेनदेन का कोई झगड़ा तो नहीं था?’’ पुलिस अधिकारियों ने पूछा.

‘‘सर, उन की न तो किसी से रंजिश थी और न ही किसी से लेनदेन था. वह अपनी किराने की दुकान चलाते थे. सरल स्वभाव की वजह से उन की पासपड़ोस के गांवों तक जानपहचान थी. पता नहीं किस ने उन की हत्या कर दी.’’

‘‘तुम्हें किसी पर शक है?’’ एएसपी त्रिभुवन सिंह ने रिशु से पूछा.

‘‘सर, हमें किसी पर शक नहीं है. हम नाम ले कर किसी को झूठमूठ नहीं फंसाना चाहते.’’

घटनास्थल का निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए जौनपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया. एसपी अशोक कुमार ने इस ब्लाइंड मर्डर का रहस्य खोलने के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा, सीओ (शाहगंज) जितेंद्र कुमार दुबे, एसआई मनोज सिंह, भूपत राम, कांस्टेबल करतार सिंह, जयदेव मिश्रा, महिला सिपाही राखी यादव, पूनम तथा सर्विलांस टीम को सम्मिलित किया गया. टीम की कमान एएसपी त्रिभुवन सिंह को सौंपी गई. गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण कर के पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया.

फिर मृतक की पत्नी रिशु तथा उस के पड़ोसियों से पूछताछ की. रिशु ने तो अपना रटारटाया बयान ही दिया. लेकिन पड़ोेसियोंं ने पुलिस को जानकारी दी कि रिशु मनचली औरत है. उस के घर उमेश का आनाजाना था, जो अशोक को अच्छा नहीं लगता था. वह इस का विरोध करता था. उमेश को ले कर अशोक व रिशु में झगड़ा भी होता था. अशोक की हत्या का रहस्य रिशु के पेट में ही छिपा हो सकता है. रिशु रडार पर आई तो पुलिस टीम ने उस से दोबारा कड़ाई से पूछताछ की. साथ ही उस का मोबाइल भी ले लिया.

पुलिस टीम ने उस का फोन खंगाला तो पता चला कि घटना वाली रात वह 2 मोबाइल नंबरों पर सक्रिय थी. जिन में एक नंबर उस के पति अशोक का था, जबकि दूसरा नंबर ड्राइवर उमेश का था जो तिधरा का ही रहने वाला था. पुलिस टीम ने उमेश के घर दबिश दी तो उस के घर पर ताला लटका मिला. इस से उस पर पुलिस का शक और भी बढ़ गया. पुलिस टीम ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया और 26 जुलाई की दोपहर उसे तिधरा मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना खुटहन लाया गया. इसी बीच रिशु को भी हिरासत में ले लिया गया था. खुल गई कलई थाने पर जब उमेश से अशोक उर्फ दीपक की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. उस ने कहा कि अशोक उस का दोस्त था, दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. उस ने अशोक की हत्या नहीं की.

उमेश ने बरगलाने का प्रयास किया तो पुलिस ने उस के साथ सख्ती की. इस से वह टूट गया. उस ने हत्या का अपराध कबूल कर लिया. उमेश के टूटते ही रिशु भी लाइन पर आ गई. उस ने पति की हत्या की बात मान ली. उमेश ने बताया कि रिशु से उस के नाजायज संबंध थे. अशोक इन संबंधों का विरोध करता था और बाधक बनने लगा था. उस ने रिशु को भी प्रताडि़त करना शुरू कर दिया था. इस पर हम दोनों ने अशोक को ठिकाने लगाने की योजना बनाई और उसे मौत के घाट उतार दिया. चूंकि उमेश व रिशु ने हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया था, अत: थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा ने अज्ञात में दर्ज हत्या के केस में उमेश व रिशु को नामजद कर के उन पर भादंवि की धारा 302/120बी लगा दीं. दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस जांच में अवैध रिश्तों की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

जौनपुर जिले के खुटहन थाना क्षेत्र में बड़ी जनसंख्या वाला गांव है- तिधरा. यहां सप्ताह में 2 दिन बाजार लगता है. अशोक कुमार उर्फ दीपक बरनवाल इसी तिधरा में रहता था. वैसे वह खेता सराय कस्बे का मूल निवासी था, लेकिन शादी के बाद ससुराल में रहने लगा था. उस ने तिधरा बाजार में एक मकान खरीद लिया था और उसी में परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी रिशु के अलावा 2 बच्चे थे, बेटा राहुल तथा बेटी आरती. अशोक कुमार किराना व्यवसाई था. मकान के भूतल पर उस की किराने की दुकान थी. अशोक के कुशल व्यवहार से दुकान पर ग्राहकों की भीड़ जुटी रहती थी. बाजार वाले दिन भीड़ कुछ ज्यादा होती थी, सो उस की पत्नी रिशु को भी दुकान पर बैठना पड़ता था. वह रुपयों का लेनदेन करती थी.

दुकान की कमाई से अशोक ने एक बोलेरो कार खरीद ली थी. इसे वह बुकिंग पर स्वयं चलाता था. इस से उसे अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी. कुल मिला कर उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. अशोक की पत्नी रिशु पढ़ीलिखी, सुंदर और चंचल स्वभाव की महिला थी. उस ने ब्यूटीशियन का कोर्स कर घर में ही ब्यूटीपार्लर खोल लिया था. शुरू में तो उस का यह काम फीका रहा, लेकिन बाद में ठीकठाक चलने लगा था, इस के मद्देनजर उस ने एक युवती को भी नौकरी पर रख लिया. वह बुकिंग पर भी जाने लगी थी. पतिपत्नी की कमाई से घर की आर्थिक स्थिति तो मजबूत हुई थी, लेकिन दोनों के बीच दूरियां आ गई थीं. एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों पतिपत्नी का रिश्ता नहीं निभा पा रहे थे. अशोक दिन भर किराने की दुकान चलाता था. शाम तक वह इतना थक जाता था कि खाना खाते ही पलंग पर पसर जाता और खर्राटे भरने लगता. पति के खर्राटे रिशु को शूल की तरह चुभते थे.

रिशु 2 बच्चों की मां जरूर थी, पर उस की कामेच्छाएं प्रबल थीं. वह हर रात पति का साथ चाहती थी, जो उसे नहीं मिल पा रहा था. एक रोज अशोक की बोलेरो कार की बुकिंग किसी बारात में थी, पर उस की तबियत खराब थी. वह परेशान था कि बारात की बुकिंग कैसे निपटाए. तभी उसे उमेश की याद आई. उमेश तिधरा में ही रहता था और कुशल ड्राइवर था. दोनों में दोस्ती थी. कभी किसी बारात या कहीं और मिलते तो शराब पार्टी कर लेते थे. उमेश भी शादी समारोहों वगैरह में गाड़ी ले कर जाता था. खुद घर बुलाई मौत अशोक ने मोबाइल पर उमेश से बात की तो वह खाली था. अशोक ने उमेश को बुला कर बात की और बोलेरो उसे सौंप कर बुकिंग पर भेज दिया.

दूसरे रोज सुबह 10 बजे उमेश अशोक के घर पहुंचा और कार खड़ी कर चाबी तथा रुपयों का हिसाब अशोक को सौंप दिया. अशोक ने मेहनताने के रूप में 300 रुपए उमेश को दे दिए. हिसाब हो गया तो अशोक ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘सुनती हो, तुम्हारा देवर आया है, पानी तो ले आओ.’’

रिशु पानी ले कर बैठक में पहुंची, तो उस के होठों पर मुसकान थी. उमेश ने एकदो बार दूर से रिशु को देखा था, आमनासामना पहली बार हो रहा था. रिशु ने पानी उस की तरफ बढ़ाया, उमेश ने पानी पीने के लिए हाथ बढ़ाया, तो अनायास ही उस का हाथ रिशु के हाथ को छू गया. वह सकपकाया, तभी दोनो की नजरें मिलीं. रिशु के होंठों पर मुसकराहट थी, जबकि आंखों में कामुक शरारत नाच रही थी. उमेश भी हड़बड़ाहट में मुसकरा दिया और उस के मुंह से निकला, ‘‘शुक्रिया भाभी.’’

पहली ही नजर में उमेश और रिशु एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए. उमेश जहां गबरू जवान था, वहीं रिशु भी खूबसूरती में कम नहीं थी. दोनों ने एकदूसरे को दिल में बसा लिया. 3-4 दिन तक उमेश कशमकश में पड़ा रहा कि वह रिशु से मिलने जाए या न जाए. क्योंकि अशोक उस का दोस्त था और रिशु उस की पत्नी. लेकिन रिशु का आमंत्रण उस के जेहन को मथ रहा था. आखिर एक दिन दोपहर में वह अशोक के घर पहुंच ही गया. संयोग से उस रोज अशोक किसी काम से जौनपुर गया हुआ था. चारों तरफ सन्नाटा पसरा था. ऐसे में उमेश को देखने वाला भी कोई नहीं था. उस ने घर के दरवाजे पर दस्तक दी, तो दरवाजा रिशु ने ही खोला. फिर चहक कर बोली, ‘‘देवरजी आप! बड़ी देर कर दी मेहरबां आतेआते. जानते हो, मैं हर रोज तुम्हारी राह देखती थी.’’

‘‘ऐसी कौन सी बात थी, जो आप को मेरा इंतजार था?’’ उमेश ने उस के मन की थाह ली.

‘‘पहले अंदर तो आओ.’’ रिशु ने बेहिचक उस का हाथ थामा और अंदर खींच लिया. फिर उसे पलंग पर बिठा कर पूछा, ‘‘पानी लाऊं?’’

‘‘नहीं, प्यास नहीं है.’’ उमेश बोला.

रिशु ने नैन मटकाए, ‘‘देवरजी, झूठ मत बोलो. प्यास नहीं होती, तो सुनसान दोपहर में भाभी के पास क्यों आते?’’ कहने के साथ उस ने नैनों की कटार चला दी. उमेश कुछ कह पाता, रिशु पलटी. दरवाजा बंद किया और अंदर से कुंडी भी चढ़ा दी. उमेश समझ गया कि रिशु क्या चाहती है. उस ने भी मन बना लिया. जो होगा, देखा जाएगा. रिशु आ कर उस के बगल में बैठ गई. उस ने साफ शब्दों में दिल की बात कह दी, ‘‘जब से तुम्हें देखा, मन के साथ तन भी विचलित है. मुझे तुम से प्यार हो गया है.’’

‘‘भाभी, यह क्या कह रही हो. तुम किसी की पत्नी हो और मैं किसी का दोस्त.’’ उमेश ने तर्क दिया.

‘‘उस से पहले मैं एक औरत हूं, जो स्वयं अधूरी है और तुम एक मर्द, जो पराई औरत का आमंत्रण पा कर आए हो.’’

अपनी बात कहने के साथ रिशु ने उस के सीने पर हाथ रख दिया, ‘‘जरा देखूं तो, तुम घबरा तो नहीं रहे हो.’’

रिशु का स्पर्श पा कर उमेश के बदन में करंट सा दौड़ने लगा. उस ने उसे बांहों में भर लिया. बाहर दोपहर का सन्नाटा था. ऐसे में वासना में डूबी 2 देह एकदूसरे में गुंथ गईं. कमरे में सांसों की सरगम गूंजने लगी. यह सब तभी थमा जब दोनों तृप्त हो गए. अवैध संबंधों का खेल एक बार शुरू हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. रिशु थी ही इतनी मादक कि उमेश उसे पाने का लोभ छोड़ नहीं पाता था. जिस दिन अशोक की बोलेरो कार की बुकिंग होती, रिशु फोन कर उमेश को घर बुला लेती और रंगरेलियां मनाती. अशोक कुमार इस सब से बेखबर था कि बीवी घर में क्या गुल खिला रही है. दरअसल, रिशु को पति से संतुष्टि नहीं मिल पाती थी. वह उन औरतों में से थी जिन्हें हर रात पति का साथ चाहिए होता है. वह पति से निराश हुई तो उस ने उमेश को कामनाओं का साथी बना लिया. उस का मानना था कि वह बदचलन हो कर कोई गुनाह नहीं कर रही है.

लेकिन अवैध रिश्ते को कब तक छिपाए रखा जा सकता है. उमेश का चोरीछिपे अशोक के घर आना, लोगों से छिपा न रह सका. इसे ले कर किसी ने अशोक के कान भर दिए. उस ने बीवी से जवाबतलब किया तो रिशु ने त्रियाचरित्र दिखाते हुए उलटे उस पर ही आक्षेप लगाना शुरू कर दिया कि वह उस पर लांछन लगा रहा है. अशोक जानता था कि बिना आग धुंआ नहीं उठता है. अत: वह उमेश के घर पहुंच गया. उस ने गहरी नजर से उमेश को देखा, ‘‘आजकल बहुत पर निकल आए हैं तुम्हारे.’’

‘‘मैं ने क्या किया है भाई, जो आप की त्यौरी चढ़ी हुई है.’’ उमेश ने पूछा.

अशोक सख्त लहजे में बोला, ‘‘मेरी गैरहाजिरी में मेरे घर क्यों जाते हो?’’

‘‘नहीं तो, एकदो बार भाभी ने कुछ सामान मंगाया था, सामान देने जरूर गया था.’’

‘‘कान खोल कर सुन लो, आइंदा तुम्हें हमारे घर जाने की कोई जरूरत नहीं है.’’ कह कर अशोक तमतमाया हुआ बाहर निकल गया. अशोक यही सोच रहा था कि उस ने उमेश को समझा दिया है और अब सब कुछ ठीक हो जाएगा, लेकिन यह सोचना उस की भूल थी. उमेश ने रिशु को मोबाइल पर फोन कर के बता दिया कि अशोक ने उसे चेतावनी दी है. अब वह उस से मिलने नहीं आएगा. कुछ दिन दोनों नहीं मिले. फिर दोनों ने नया रास्ता खोज लिया. दोनों घर के बाहर मिलने लगे. लेकिन एक शाम अशोक ने दोनों को गांव के बाहर प्रमोद की ट्यूबवैल वाली कोठरी में रंगेहाथ पकड़ लिया.

उमेश तो भाग निकला. लेकिन रिशु की उस ने जम कर पिटाई की. रिशु ने गलती के लिए माफी मांग ली. रिशु ने रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद माफी जरूर मांग ली थी, लेकिन उस ने पति को मिटाने का निश्चय भी कर लिया था. उस ने अपने इरादों से उमेश को भी अवगत करा दिया था. एक दिन मौका मिलने पर दोनों ने सिर से सिर जोड़ कर अशोक को ठिकाने लगाने की योजना बनाई और उचित समय का इंतजार करने लगे. बन गई भूमिका हत्या की 24 जुलाई, 2020 की शाम अशोक कुमार ने पत्नी रिशु को बताया कि उसे जाफराबाद कस्बा में एक मुसलिम भाई की शादी में शामिल होेने जाना है. रात 11 बजे से पहले लौट आएगा.

रिशु ने इस की जानकारी उमेश को दे दी और कहा अच्छा मौका है, काम तमाम कर दो. इस पर उमेश ने अपनी योजना तैयार कर ली. रात 8 बजे अशोक अपनी बोलेरो कार से जफराबाद जाने के लिए निकला. तभी योजना के तहत उमेश ने तिधरा मोड़ पर हाथ दे कर उसे रोक लिया और बोला, ‘‘भाई जाफराबाद तक छोड़ दो, मुझे एक जरूरी काम है.’’

अशोक की इच्छा उसे गाड़ी पर बिठाने की नहीं थी, पर पुराना दोस्त था सो इनकार भी नहीं कर सका और बिठा लिया. उमेश ने अपनी लच्छेदार बातों से अशोक को मूड बनाने के लिए राजी कर लिया. उमेश ने जफराबाद के ठेके पर कार रुकवा कर शराब, पानी, गिलास व नमकीन लिया. फिर दोनों ने गाड़ी में बैठ कर शराब पी. चालाकी से उमेश ने अशोक के गिलास में नशीला पदार्थ मिला दिया, जिस से कुछ देर बाद वह बेहोश हो कर गाड़ी की पिछली सीट पर लुढ़क गया. उमेश ड्राइवर था ही, सो वह बोलेरो को महमदपुर गांव के पास लाया और सड़क किनारे खेत में खड़ी कर दी. इस के बाद उस ने कार से लोहे की रौड निकाली और अशोक के सिर पर कई प्रहार किए. अशोक का सिर फट गया. अधिक खून बहने से उस की मौत हो गई.

अशोक की हत्या के बाद उस ने गमछे से हाथ व माथे का खून पोंछा. शराब की खाली बोतल, गिलास व नमकीन के खाली पैकेट कार के बाहर फेंके. फिर रौड व गमछे को गन्ने के खेत में छिपा कर फरार हो गया. 25 जुलाई की सुबह कुछ ग्रामीणों ने खेत में खड़ी बोलेरो में लाश देखी, तब पुलिस को सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी जगदीश कुशवाहा मौके पर पहुंचे और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में अवैध रिश्तों में हुई हत्या का परदाफाश हुआ. 27 जुलाई, 2020 को थाना खुटहन पुलिस ने अभियुक्त उमेश तथा रिशु को जौनपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Love Crime : भागकर शादी करने पर पिता ने बेटी और दामाद को मारी गोली

Love Crime : प्यार करने वालों का सदियों से जमाना दुश्मन रहा है. लेकिन नाजिया के तो उस के घर वाले ही दुश्मन बन बैठे. पिता मुजम्मिल और भाई मोहसिन ने उस की लौकडाउन की लवस्टोरी का इस तरह अंत किया कि…

कोरोना काल के चलते जहां एक तरफ पूरी दुनिया अस्तव्यस्त हुई, वहीं आम इंसान के जीवन पर  भी काफी असर पड़ा है. यही कारण है कि आज आम जनता अपनेअपने घरों में कैद रहने के लिए विवश है. 7 सितंबर, 2020 को रात के साढ़े 8 बजे काशीपुर शहर में सड़क पर सन्नाटा पसरा था. उस वक्त नाजिया अपने शौहर राशिद के साथ दवा लेने डाक्टर के पास गई हुई थी. तभी उस के मोबाइल पर उस के अब्बू की काल आई. अपने अब्बू की काल देखते ही उस के दिल की धड़कनें दोगुनी हो चली थीं. क्योंकि उस के अब्बू ने बहुत समय बाद उसे फोन किया था. अब्बू ने न जाने किस लिए फोन किया, उस की समझ में नहीं आ रहा था. यह उस के लिए जिज्ञासा के साथसाथ चिंता का विषय भी था.

नाजिया अपनी दवाई ले चुकी थी. राशिद ने अपनी बाइक स्टार्ट की और घर की ओर निकल पड़ा. उस के पीछे बैठी नाजिया अपने अब्बू से मोबाइल पर बात करने लगी. नाजिया को पता था कि उसे घर पहुंचने में केवल 3-4 मिनट ही लगेंगे. उस के बाद वह घर पर आराम से उन से बात कर लेगी. जैसे ही राशिद की बाइक उस के घर के मोड़ पर पहुंची. सामने से आ रहे कुछ लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. इस से पहले कि राशिद और नाजिया कुछ समझ पाते, दोनों ही बाइक से नीचे सड़क पर गिर कर तड़पने लगे. उन के कई गोलियां लगी थीं. देखते ही देखते सड़क उन के खून से तरबतर हो गई.

अधिक खून रिसाव के कारण दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना के घटते ही नाजिया के हाथ से मोबाइल छूट कर वहीं गिर गया था. खामोशी में डूबे मोहल्ले में अचानक 4-5 गोलियों के चलने की आवाज ने लोगों में दहशत पैदा कर दी थी. दोनों पर की ताबड़तोड़ फायरिंग घटनास्थल के आसपास बने मकानों की खिड़कियां खुलीं और लोगों ने सड़क का मंजर देखा तो देखते ही रह गए. सड़क पर एक साथ 2 लाशें पड़ी हुई थीं. एक युवक और एक युवती की. उन के पास में ही एक बाइक पड़ी हुई थी. मतलब साफ था कि कोई युवकयुवती का मर्डर कर फरार हो चुका था. यह मंजर देख कर आसपड़ोस वालों ने हिम्मत जुटाई और सड़क पर बाहर निकल आए थे. एक के बाद एक लोगों के घर से निकलने का सिलसिला शुरू हुआ, तो घटनास्थल पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा.

दोनों मृतक उसी मोहल्ले के रहने वाले थे, इसी कारण दोनों की शिनाख्त होने में भी कोई परेशानी नहीं आई. वहां पर मौजूद लोगों में से किसी ने मृतक युवक राशिद के भाई के मोबाइल पर फोन कर इस घटना की जानकारी दी. घटना की जानकारी मिलते ही उस के घर वालों के साथ उस के पड़ोसी भी तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच गए. घटनास्थल पर पहुंचते ही राशिद के परिवार वालों ने उस के शरीर को छू कर देखा, जो पूरी तरह से ठंडा पड़ चुका था. उस की मौत हो चुकी थी. उस के पास पड़ी नाजिया भी मौत की नींद सो चुकी थी. घटनास्थल पर पड़े खून को देख कर सभी लोगों का मानना था कि उन्हें डाक्टर के पास ले जाने का भी कोई लाभ नहीं होगा.

जैसेजैसे लोगों को इस मामले की जानकारी मिलती गई, वैसेवैसे वहां पर लोगों का जमघट लगता गया. तुरंत ही इस सनसनीखेज मामले की सूचना किसी ने पुलिस नियंत्रण कक्ष को दे दी. चूंकि यह क्षेत्र काशीपुर कोतवाली के अंतर्गत आता है, इसलिए कोतवाली प्रभारी सतीशचंद्र कापड़ी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. सूचना मिलने पर एएसपी राजेश भट्ट, सीओ मनोज ठाकुर भी मौके पर पहुंचे.  घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस ने जांचपड़ताल की. युवकयुवती दोनों की लाशें पासपास पड़ी हुई थीं. युवक राशिद का चेहरा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका था. मृतक के चेहरे को देख कर लगता था कि हत्यारों ने उस के सिर से सटा कर गोली चलाई थी. जिस के कारण उस के चेहरे की पहचान ही खत्म हो गई थी.

इस मामले को ले कर पुलिस ने युवक युवती के परिवार वालों के बारे में जानकारी जुटाई. राशिद के परिवार वालों ने बताया कि दोनों का काफी लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था, जिस के चलते दोनों घर से भाग गए थे. उसी दौरान जून, 2020 में दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया था. फिर कुछ समय बाद दोनों काशीपुर वापस आ गए थे. तब से पास में ही दोनों किराए का कमरा ले कर रह रहे थे. नाजिया की तबीयत खराब होने के कारण उस शाम दोनों बाइक से दवाई लेने डाक्टर के पास गए थे. वहां से वापसी के दौरान किसी ने उन की गोली मार कर हत्या कर दी. औनर किलिंग का शक घटनास्थल की जांचपड़ताल के दौरान पुलिस ने मृतक राशिद और उस की बीवी नाजिया के मोबाइल अपने कब्जे में ले लिए थे.

पुलिस ने दोनों के मोबाइल चैक किए तो पता चला कि घटना के वक्त नाजिया अपने पिता के मोबाइल पर बात कर रही थी. यह बात सामने आते ही पुलिस समझ गई कि उन दोनों की हत्या में जरूर युवती के पिता मुजम्मिल का हाथ हो सकता है. पुलिस ने तुरंत ही युवती के घर पर जा कर उस के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि मुजम्मिल घर से फरार है. उस के घर पर ताला लटका हुआ था. उस के अन्य परिवार वाले भी घर से गायब थे. घर के सभी लोगों के अचानक फरार होने से इस हत्याकांड में उस की संलिप्तता साफ जाहिर हो गई थी. पुलिस ने युवती के घर वालों को सब जगह खोजा,लेकिन उन का कहीं भी अतापता न लग सका.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिए. इस केस में मृतक राशिद के भाई नईम की तहरीर के आधार पर पुलिस ने 4 आरोपियों मुजम्मिल, उस के बेटे मोहसिन के अलावा अफसर अली, जौहर अली पुत्र निसार अली निवासी अलीखां के खिलाफ भांदंवि की धारा 302/342/504/34 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस केस में नामजद मुकदमा दर्ज होते ही इस घटना की जांच एएसपी (काशीपुर) राजेश भट्ट व सीओ मनोज ठाकुर के नेतृत्व में अलगअलग 3 पुलिस टीमों का गठन किया गया. इन टीमों में काशीपुर कोतवाली प्रभारी सतीशचंद्र कापड़ी, एसआई अमित शर्मा, रविंद्र सिंह बिष्ट, दीपक जोशी, कैलाशचंद्र, कांस्टेबल वीरेंद्र यादव, राज पुरी, अनुज त्यागी, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र प्रसाद, सुनील तोमर, दलीप बोनाल, संजीत प्रसाद, प्रियंका, रिचा आदि को शामिल किया गया.

पुलिस टीमों ने आरोपियों के शरीफ नगर, ठाकुरद्वारा, रामपुर और मुरादाबाद में कई संभावित स्थानों पर दबिश डाली. काफी प्रयास करने के बाद भी आरोपी पुलिस पकड़ में नहीं आए. पुलिस काररवाई के दौरान 9 सितंबर, 2020 को पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली कि मुजम्मिल और उस का बेटा मोहसिन दोनों ही दडि़याल रोड लोहिया पुल के पास कहीं जाने की फिराक में खड़े हैं. आरोपी चढ़े पुलिस के हत्थे सूचना पाते ही काशीपुर कोतवाली प्रभारी सतीश कुमार कापड़ी तुरंत पुलिस टीम ले कर लोहिया पुल पर पहुंचे. पुलिस ने चारों ओर से घेराबंदी करते हुए दोनों को गिरफ्तार कर लिया. दोनों को हिरासत में ले कर पुलिस कोतवाली आ गई.

पुलिस ने दोनों से इस दोहरे हत्याकांड के बारे में कड़ी पूछताछ की. कुछ समय तक तो मुजम्मिल ने पुलिस को घुमाने की पूरी कोशिश की. फिर बाद में मुजम्मिल ने बताया कि जिस समय वह बेटे के साथ अपनी बेटी नाजिया से मिलने के लिए घर के नुक्कड़ पर पहुंचा, उस वक्त तक उन दोनों की हत्या हो चुकी थी. उस ने अपने बेटे के साथ दोनों को मृत पाया तो वह बुरी तरह से घबरा गया. उन के जाने से पहले ही उन दोनों को कोई मौत के घाट उतार चुका था. उन को उस हालत में देख कर बापबेटे दोनों बुरी तरह से घबरा गए थे. उन्हें डर था कि उन की हत्या का इलजाम उन पर न लग जाए. इसी कारण वे तुरंत ही मौके से फरार हो गए थे.

उस की बातें सुन कर कोतवालीप्रभारी सतीशचंद्र कापड़ी को उस पर शक हो रहा था कि यह झूठ बोल रहा है. उन्होंने मुजम्मिल और उस के बेटे मोहसिन पर थोड़ी सी सख्ती बरती तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस के तुरंत बाद ही पुलिस ने उन की निशानदेही पर 315 बोर के 2 तमंचे बरामद कर लिए. पुलिस ने दोनों के खिलाफ 3/25 शस्त्र अधिनियम के 2 अलग मुकदमे भी दर्ज कर लिए. सरेआम ताबड़तोड़ फायरिंग कर दोहरे हत्याकांड को अंजाम देने वाले आरोपियों से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने पूछताछ करने पर जो जानकारी सामने आई, वह इस प्रकार थी. उत्तराखंड के शहर काशीपुर के मोहल्ला अली खां में रहता था कमरूद्दीन का परिवार. कमरुद्दीन का बड़ा परिवार था. लेकिन बच्चों के बड़े होते ही वह भी पैसे कमाने लगे, जिस से उस के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो गई थी.

उस का एक बेटा काम करने दुबई चला गया और दूसरा सऊदी अरब. उन के और लड़के भी काशीपुर में ही अपना कामधंधा करते थे. कमरुद्दीन के घर के पास ही मुजम्मिल का मकान भी था. मुजम्मिल की आर्थिक स्थिति पहले से ही मजबूत थी. मुजम्मिल मूलत: शरीफनगर (ठाकुरद्वारा) का निवासी था. गांव में उस की काफी जमीनजायदाद थी. अब से लगभग 10 साल पहले मुजम्मिल ने अपनी गांव की कुछ जुतासे की जमीन बेची और काशीपुर के मोहल्ला अलीखां में आ कर बस गया. उस की ससुराल भी यहीं पर थी. काशीपुर आने के तुरंत बाद ही उस ने यहां पर कुछ जुतासे की जमीन खरीदी और उस पर खेती का काम करना शुरू किया. मुजम्मिल के परिवार में उस की बीवी सहित कुल 8 सदस्य थे.

जमीन के बाकी बचे पैसों से मुजम्मिल ने एक कैंटर खरीद लिया था. मुजम्मिल के 4 बेटे जवान थे, जो काफी समय पहले से ही अपना कामधंधा करने लगे थे. कैंटर मुजम्मिल स्वयं ही चलाता था, जिस से काफी आमदनी हो जाती थी. 2 बेटियों में वह एक की पहले ही शादी कर चुका था, उस के बाद सब से छोटी नाजिया बची थी. नाजिया और राशिद की लवस्टोरी कमरुद्दीन और मुजम्मिल दोनों ही पड़ोसी थे, इसी नाते दोनों परिवार एकदूसरे के घर आतेजाते थे. भले ही दोनों अलगअलग जाति से ताल्लुक रखते थे, लेकिन दोनों परिवारों में घर जैसे ही ताल्लुकात थे. मुजम्मिल के बेटे राशिद की मोहसिन से अच्छी दोस्ती भी थी. राशिद और मोहसिन का जब कभी भी कहीं काम होता तो दोनों साथसाथ ही घर से निकलते थे.

मोहसिन की एक बहन थी नाजिया. नाजिया देखनेभालने में जितनी सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा तेजतर्रार भी थी. भले ही नाजिया राशिद के दोस्त की बहन थी, लेकिन उस के दिल को वह भा गई थी. घर आनेजाने की कोई पाबंदी थी नहीं. इसी आनेजाने के दौरान नाजिया ने राशिद की आंखों में अपने प्रति प्यार देखा तो वह भी उस की अदाओं पर मर मिटी. प्यार का सुरूर आंखों के रास्ते उतरा तो दिल में जा कर समा गया. दोनों के बीच मोहब्बत का सफर चालू हुआ तो अमरबेल की तरह बढ़ने लगा. देखतेदेखते उन के प्यार के चर्चे घर की दीवारों को लांघ कर मोहल्ले में छाने लगे थे. यह बात नाजिया के घर वालों को पता चली तो आगबबूला हो उठे. मुजम्मिल ने अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह राशिद को छोड़ने को तैयार न थी.

उस के बाद मुजम्मिल ने राशिद के परिवार वालों को उन के बेटे की काली करतूतों का हवाला देते हुए उसे समझाने को कहा. लेकिन राशिद भी प्रेम डगर से पीछे हटने को तैयार न था. एक पड़ोसी होने के नाते जितना दोनों परिवारों में प्यार था, पल भर में वह नफरत में बदल गया. हालांकि दोनों ही परिवार वालों ने अपनेअपने बच्चों को समझाने का अथक प्रयास किया. लेकिन दोनों ही अपनी जिद पर अड़े थे. इस मामले को ले कर दोनों परिवारों के बीच विवाद बढ़ा तो मामला पंचायत तक जा पहुंचा. भरी पंचायत में फैसला हुआ कि राशिद काशीपुर छोड़ कर कहीं बाहर जा कर काम देखे. परिवार वालों के दबाव में राशिद रोजगार की तलाश में सऊदी चला गया. राशिद के काशीपुर छोड़ कर चले जाने के बाद नाजिया उस की याद में तड़पने लगी.

कुछ ही दिनों में उस ने राशिद से सऊदी में भी मोबाइल द्वारा संपर्क बना लिए. फिर दोनों ही मोबाइल पर प्रेम भरी बातें करते हुए साथसाथ जीनेमरने की कसमें खाने लगे. पूरी दुनिया में कोरोना का कहर बरपा तो राशिद अपने घर लौट आया. इस वक्त घर आना उस की मजबूरी बन गई थी. अपने घर काशीपुर आते ही उस ने शहर में एक टायर शोरूम में नौकरी कर ली. उसी दौरान मोहसिन अपनी पुरानी रंजिश को भूल कर राशिद से मिला. मोहसिन जानता था कि लौकडाउन खुलते ही राशिद दोबारा सऊदी चला जाएगा. दरअसल राशिद के सऊदी चले जाने के बाद से ही मोहसिन के दिल में भी सऊदी जाने की तमन्ना पैदा हो गई थी. मोहसिन जानता था कि वह राशिद के संपर्क में रह कर ही सऊदी तक पहुंच सकता है. मोहसिन के संपर्क में आने के बाद राशिद को मनचाही मंजिल और भी आसान लग रही थी.

उसी दोस्ती के कारण राशिद का नाजिया के घर आनाजाना बढ़ गया था. यही आनाजाना दोनों को उस मुकाम तक ले गया, जहां से दोनों का लौटना नामुमकिन हो गया था. यानी उन के प्रेम संबंध और ज्यादा मजबूत हो गए. फिर अब से लगभग 3 महीने पहले राशिद और नाजिया अचानक घर से फरार हो गए. नाजिया के घर से फरार होते ही उस के घर वालों को गहरा सदमा लगा. उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन की बेटी एक दिन उन की इज्जत को तारतार कर देगी. मुजम्मिल को पता था कि वह जरूर राशिद के साथ गई होगी. राशिद के बारे में जानकारी लेने पर पता चला वह भी घर से गायब था. मुजम्मिल को दुख इस बात का था कि उस की बेटी ने गैरबिरादरी के लड़के के साथ भाग कर समाज में उस की नाक कटवा दी थी.

मुजम्मिल के मानसम्मान को ठेस पहुंची तो उस ने दोनों से मोबाइल पर बात कर उन्हें जान से मारने की धमकी दे डाली थी. उस के बावजूद भी दोनों ने बाहर रहते ही चोरीछिपे एक मौलवी के सामने निकाह भी कर लिया. यह बात जब नाजिया के घर वालों को पता चली तो घर में मातम सा छा गया. बदनामी की वजह से साधी चुप्पी समाज में अपनी इज्जत को देख नाजिया के अब्बू मुजम्मिल ने इस राज को राज ही बने रहने दिया. मुजम्मिल ने इस मामले में पूरी तरह से चुप्पी साध ली और फिर नाजिया और राशिद के वापस आने का इंतजार करने लगा. राशिद ने नाजिया के साथ निकाह करते ही अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था, जिस के बाद मुजम्मिल की उन से बात नहीं हो पाई थी. मुजम्मिल पेशे से ड्राइवर होने के नाते काफी तेजतर्रार था. वह किसी तरह से राशिद का नया मोबाइल नंबर हासिल करना चाहता था.

वह जानता था कि राशिद के घर वालों से ही उस का नंबर मिल सकता है. उस ने किसी तरह उस की अम्मी को विश्वास में लेते हुए उस का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. जब मुजम्मिल के सब्र का बांध टूट चुका तो उस ने दूसरी चाल चली. मुजम्मिल ने एक दिन अपनी बेटी को फोन कर कहा, ‘‘नाजिया बेटी, तुम ने जो भी किया ठीक ही किया. बेटा बहुत दिन हो गए. तुम्हारे बिना हम से रहा नहीं जाता. हमें अब तुम से कोई गिलाशिकवा नहीं है. तुम दोनों घर वापस आ जाओ. हम चाहते हैं कि तुम दोनों का धूमधाम से निकाह करा दें.’’

मुजम्मिल की बात सुन कर नाजिया को विश्वास नहीं हुआ. उस ने यह बात पति राशिद को बताई. साथ ही यह भी समझाया कि आप मेरे अब्बू की बातों में मत आना. मैं उन की नसनस से वाकिफ हूं. वह झूठा प्यार दिखा कर हमें काशीपुर बुलाने के बाद हमारे साथ क्या कर डालें, कुछ पता नहीं. इस के बावजूद राशिद मुजम्मिल की बातों में आ कर नाजिया को साथ ले कर काशीपुर चला आया. काशीपुर आने के बाद राशिद ने मोती मसजिद के पास अलीखां मोहल्ले में ही एक किराए का कमरा ले लिया और वहीं पर नाजिया के साथ रहने लगा. यह बात मुजम्मिल को भी पता लग गई थी. उस के बाद मुजम्मिल अपने दिल में राशिद और नाजिया के प्रति फैली नफरत को खत्म करने के लिए उचित समय का इंतजार करने लगा.

बापभाई ही बने प्यार के दुश्मन अपनी बेटी और राशिद के प्रति उस के दिल में इस कदर नफरत पैदा हो गई थी कि वह किसी भी सूरत में दोनों को मौत के घाट उतारने की योजना बना चुका था. उसी योजना के तहत मुजम्मिल ने उत्तर प्रदेश के एक गांव से 315 बोर के 2 तमंचे और 8 कारतूस खरीदे. उस के बाद मुजम्मिल अपने बेटे मोहसिन को साथ ले कर दोनों का साए की भांति पीछा करने लगा. राशिद और नाजिया कब, कहां और क्यों जाते हैं, यह जानना उस की दिनचर्या में शामिल हो गया. इस घटना से 15 दिन पहले मुजम्मिल को जानकारी मिली कि नाजिया राशिद के साथ जसपुर स्थित कालू सिद्ध की मजार पर गई हुई है.

कालू सिद्ध की मजार पतरामपुर के जंगलों में स्थित है. जहां पर दूरदूर तक झाड़झंखाड़ और वन फैला है. यह जानकारी मिलते ही मुजम्मिल अपने बेटे मोहसिन को साथ ले कर कालू सिद्ध के रास्ते में भी छिप कर बैठा. लेकिन उस दिन उन्हें नाजिया अकेले ही दिखाई दी थी. जबकि मुजम्मिल नाजिया के साथ राशिद को भी खत्म करने की फिराक में था. लेकिन उस दिन दोनों बापबेटे गम का घूंट निगल कर अपने घर वापस आ गए.  फिर दोनों के साथ मिलने की ताक में रहने लगे. 7 सितंबर 2020 की शाम को पता चला कि राशिद नाजिया को साथ ले कर बाइक से कहीं पर गया हुआ है. यह जानकारी मिलते ही उस ने अपनी योजना को अंजाम देने के लिए पूरी तैयारी कर ली. लेकिन उस वक्त उसे यह जानना भी जरूरी था कि वे दोनों शहर में गए हैं या फिर कहीं बाहर.

यह जानकारी लेने के लिए वह अपने घर के मोड़ पर एक चबूतरे पर जा बैठा. वहां पर पहले से ही कई लोग बैठे हुए थे. वहां पर भी उस का मन नहीं लगा. उस के मन में राशिद और नाजिया को ले कर जो खिचड़ी पक रही थी, वह उसे ले कर परेशान था. मुजम्मिल वहां से उठ कर अपने घर चला आया. जब राशिद और नाजिया को गए हुए काफी समय बीत गया तो उस के सब्र का बांध टूट गया. उस ने उसी समय नाजिया को फोन मिला दिया. अपने अब्बू का फोन आते ही वह भावुक हो उठी और उस ने बता दिया कि वह दवाई लेने आई हुई थी. अब वह कुछ ही देर में घर की ओर ही निकल रही है. यह जानकारी मिलते ही मुजम्मिल अपने बेटे मोहसिन को साथ ले कर अपने घर की ओर आने वाले मोड़ पर जा पहुंचा. उस वक्त तक वहां पर बैठे लोग भी अपनेअपने घर जा चुके थे.

जैसे ही राशिद नाजिया को साथ ले कर घर की ओर जाने वाले मोड़ पर पहुंचा, मुजम्मिल और उस के बेटे मोहसिन ने इस घटना को अंजाम दे डाला. पुलिस ने मुजम्मिल और उस के बेटे मोहसिन से विस्तार से पूछताछ के बाद उन्हें 10 सितंबर, 2020 को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया था. इस केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की सराहना करते हुए एएसपी राजेश भट्ट ने ढाई हजार रुपए देने की घोषणा की.

 

Bijnor News : जिस प्रेमी ने प्रेमिका के लिए प्लौट का नौमिनी बनाया, उसी ने ही ले ली प्रेमी की जान

Bijnor News : मुसकान और शारिक एकदूसरे से दिली मोहब्बत करते थे, ऐसी मोहब्बत कि शारिक ने मुसकान को अपने प्लौट का नौमिनी तक बना दिया था. एक मामले में शारिक के जेल जाने के बाद मुसकान ने उस के जिगरी दोस्त अनस से नजदीकियां बढ़ा लीं. इन दोनों की दोस्ती में फांस बनी मुसकान ने आखिर एक दिन…

दोपहर करीब एक बजे का समय था. मुसकान खाना खाने के बाद घर पर आराम कर रही थी. उस की नजर घड़ी पर गई तो बिस्तर से उठ कर फटाफट तैयार होने लगी. उस ने धानी रंग का टौप और काले रंग की स्किन टाइट जींस पहनी तो उस का खूबसूरत बदन और भी खूबसूरत लगने लगा. कपड़े पहनने के बाद जब उस ने आइने में अपने आप को निहारा तो खुशी से फूली नहीं समाई. यह उस की आदत में भी शुमार था कि रोज आइने के सामने अपने संगमरमरी बदन को देख कर एक बार दिल से मुसकराती थी. वह तैयार हो कर घर से उस स्थान की तरफ निकल गई, जहां वह रोज अपने प्रेमी शारिक उर्फ शेट्टी से मिलती थी. जब वह उस स्थान पर पहुंची तो शारिक वहां पहले से बैठा था. वह बेसब्री से उसी का इंतजार कर रहा था.

मुसकान चुपचाप शारिक के पीछे पहुंची और उस की आंखों को अपने हाथों से बंद कर लिया. यह देख कर पहले तो शारिक हड़बड़ाया लेकिन मुसकान के हाथों को छू कर वह जान गया कि वह कोई और नहीं बल्कि उस की मुसकान है. उस ने मुसकान के हाथों को अपनी आंखों से हटाया तो वह उस के सामने आ कर खड़ी हो गई. उस की खूबसूरती देख शारिक की आंखों में अलग तरह की चमक आ गई.

‘‘क्या बात है मुसकान, आज तो तुम बिजली गिरा रही हो.’’

‘‘धत्त! लगता है, आज तुम ने मुझे बेवकूफ बनाने का इरादा कर रखा है.’’

‘‘नहीं मुसकान, मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रहा. तुम तो हीरा हो और हीरे की चमक को सिर्फ जौहरी ही जान सकता है.’’

‘‘अच्छा जौहरी साहब, आप ने इस हीरे की पहचान कर ली हो तो अब जरा यह भी बता दीजिए कि यह हीरे की चमक है या कुछ और…’’ मुसकान उस से नजरें मिलाते हुए बोली.

‘‘यह खूबसूरती और चमक खालिस हीरे की ही हो सकती है. लेकिन इस जौहरी ने अगर अपना जौहर हीरे पर दिखा दिया तो इस हीरे की खूबसूरती और चमक दोगुनी हो जाएगी.’’ शारिक ने मुसकान की आंखों में आंखें डाल कर प्यार से कहा तो मुसकान को भी उस की बात की गहराई समझते देर नहीं लगी. मुसकान अपनी पलकें झुकाते हुए बोली, ‘‘इस हीरे की चाहत सिर्फ तुम हो.’’ इतना कह कर उस ने आस भरी नजरों से शारिक की तरफ देखा तो वह मुसकरा रहा था. शारिक ने मुसकान का हाथ अपने हाथों में लिया और बड़े विश्वास के साथ बोला, ‘‘मुसकान, हम दोनों की चाहत जरूर पूरी होगी.’’

शारिक के प्यार के जुनून को देख कर मुसकान खुश हो गई. मुसकान उत्तर प्रदेश के जनपद बिजनौर के थाना नगीना देहात के गांव हरजानपुर में रहने वाले नाजिम की बेटी थी. उस के 2 भाई थे, जो दूसरे शहर में काम करते थे. मुसकान परिवार में इकलौती बेटी थी, इसी नाते उसे घर में ज्यादा लाड़प्यार मिला. इसी प्यार दुलार ने मुसकान को बेलगाम बना दिया था. घर में मिली खुली छूट से वह बेपरवाह हो गई थी. मुसकान खूबसूरत थी. इस का इल्म उसे तब होता, जब वह आइने के सामने खड़ी होती. अपने आप को आइने में देख कर वह किसी हीरोइन से कम नहीं समझती थी. शुरू में तो मुसकान का मन पढ़ाई में खूब लगा, लेकिन जैसे ही उस के बदन पर सोलहवें साल का यौवन उतरा, पढ़ाई से उस का मन उचट गया और वह सतरंगी सपनों की दुनिया में खोई रहने लगी.

मुसकान में भी दूसरी लड़कियों की तरह अच्छे रहनसहन की ललक थी. वह एक सामान्य परिवार से जरूर थी लेकिन पूरी जिंदगी सुख और खुशी से गुजारना चाहती थी. बिजनौर के मोहल्ला भाटान कुम्हारों वाली गली में शमीम रहते थे. उन के 5 बेटे और एक बेटी थी. बेटी का विवाह हो चुका था. शमीम के सभी बेटे कमाखा रहे थे सिवाय शारिक के. शारिक चौथे नंबर का बेटा था. उसे सीधे तरीके से पैसे कमाना अच्छा नहीं लगता था. उसे अपराध की दुनिया लुभाती थी, जिस में एक झटके में मालामाल हो जाने के रास्ते थे. जैसी चाहत हो, इंसान वैसी ही संगत ढूंढता है. शारिक ने भी अपराध की दुनिया में कदम रखा तो उस के दोस्त भी वैसे ही बन गए. वह आपराधिक वारदातों में शरीक हुआ तो शमीम ने शारिक से किनारा कर लिया.

शारिक ने भी घर जाना बंद कर दिया. वह यारदोस्तों के साथ रहता. जब कभी जेल जाता तो उस के यारदोस्त ही उस की जमानत करा देते. वर्तमान में शारिक पर शहर कोतवाली में ही 7 मुकदमे दर्ज थे. शारिक का हरजानपुर गांव जाना होता था, वहीं उस का एक परिचित रहता था. वहां आनेजाने के दौरान शारिक की मुलाकात मुसकान से हुई थी. इस के बाद दोनों में दोस्ती हो गई. दोनों जबतब मिलने लगे. दिन में मुसकान घर पर अकेली होती थी. इसलिए वह उस के घर पर मिलने आने लगा. इन मुलाकातों में उसे पता चल गया कि मांबाप के काम पर जाने के बाद वह घर में अकेली रहती है. यह जान कर तो उसे जैसे मुंहमांगी मुराद मिल गई.

अब वह उसी समय उस के घर जाता, जब वह घर में अकेली होती. उस से खूब बातें करता, घुमाने ले जाता और उस की पसंद की चीजें खिलातापिलाता. जिस से मुसकान को भी उस का साथ अच्छा लगने लगा था. एक दिन शारिक जब मुसकान के घर पहुंचा तो मुसकान घर में अकेली थी. वह उसी समय नहा कर निकली थी. उस ने बदन पर सिर्फ एक हलकी मैक्सी डाल रखी थी. बाल गीले थे, इसलिए उसने अपना सिर तौलिए से ढक रखा था. उसी ने दरवाजा खोला. शारिक को उस ने अंदर आने को कहा लेकिन उस ने जैसे सुना ही नहीं, वह तो मुसकान के भीगे रूपसौंदर्य में खो सा गया था. उस का दिल कर रहा था कि वह आगे बढ़े और मुसकान को अपनी बांहों में भर ले.

शारिक की निगाहों का निशाना समझ कर मुसकान मुसकरा कर रह गई. फिर वह उसे झिंझोड़ते हुए बोली, ‘‘क्या बात है, कहां खो गए? अंदर भी आओगे या बाहर से ही लौटना है?’’

शारिक हड़बड़ाया, उस की तंद्रा भंग हुई तो एहसास हुआ कि वह अभी बाहर ही खड़ा हुआ है. वह बोला, ‘‘सौरी, क्या करूं, तुम इस समय कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही हो, इसलिए तुम्हारे बदन से नजरें हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं.’’

‘‘मजाक मत करो, मैं जानती हूं कि मैं इतनी खूबसूरत नहीं लग रही.’’ मुसकान शारिक के मुंह से अपनी तारीफ सुन कर झेंप सी गई.

‘‘मैं सच कह रहा हूं मुसकान, तुम खूबसूरत तो हो ही, आज तो कयामत ढा रही हो.’’

घर के अंदर ले गई मुसकान मुसकान उसे ले कर घर के अंदर आ गई. शारिक उस से बोला, ‘‘देखो मुसकान, मेरी बात तुम्हें कुछ अजीब लग सकती है. मगर यह सच है कि पिछले काफी समय से तुम्हारे प्रति मेरी चाहत बढ़ती जा रही है. मुझे तुम से प्यार हो गया है. बताओ क्या तुम्हें मेरा प्यार स्वीकार है?’’

मुसकान ने मुसकराते हुए शारिक के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहा, ‘‘हां शारिक, मुझे भी तुम से प्यार है. मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो.’’ कह कर मुसकान ने नजरें झुका लीं. मगर उस के शब्दों ने शारिक पर जादू सा असर दिखाया था. शारिक ने आगे बढ़ कर मुसकान को अपनी बांहों में भर लिया और दोनों मस्ती में एकदूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. जब शारिक हद से आगे बढ़ने लगा तो मुसकान ने अपने तन को बेकाबू होने से रोका, साथ ही शारिक को भी हटा कर अलग कर दिया. वह अपनी धड़कनों और सांसों पर काबू करने का प्रयास करने लगी.

शारिक को यह अच्छा नहीं लगा, लेकिन उस ने बुरा नहीं माना. उस ने सोचा जब आज इतनी हद पार हो गई है तो किसी और दिन बाकी भी हो जाएगा. दूसरी तरफ मुसकान की धड़कनें और सांसें सामान्य स्थिति में आईं तो वह बोली, ‘‘प्लीज शारिक, इतना तक तो ठीक है लेकिन इस के आगे बढ़ने की कभी उम्मीद न करना और न ही कोशिश करना.’’

‘‘ठीक है, लेकिन जब हम प्यार करते हैं, हमारे दिल मिल चुके हैं तो शारीरिक मिलन में क्या दिक्कत है?’’

‘‘नहीं, जब तक मैं इस के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होऊंगी, तब तक ऐसावैसा कुछ नहीं करूंगी.’’

मुसकान ने शारिक को कुछ इस तरह समझाया कि वह बुरा भी न माने और वह उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने का जरिया बनाए रखे. शारिक मुसकान की जरूरतों का पूरापूरा खयाल रखने लगा. मुसकान ने जब पूरी तरह से शारिक को अपने ऊपर मेहरबान देखा तो एक दिन उस की चाहत को भी पूरा कर दिया. इस के बाद तो वह उस का पूरी तरह से दीवाना हो गया. मुसकान को बनाया नौमिनी शारिक ने शहर में एक प्लौट खरीद रखा था, दीवानगी में उस ने मुसकान को प्लौट का नौमिनी बना दिया. उस ने नोटरी से प्रमाणित एक शपथपत्र में मुसकान को लिख कर दे दिया कि अगर उसे कुछ हो जाता है तो उस प्लौट की मालकिन मुसकान होगी, वह उसे बेच भी सकती है.

इस शपथपत्र से मुसकान बहुत खुश हुई. खुशी की बात भी थी, क्योंकि वक्तबेवक्त वह प्लौट उस के बहुत काम आ सकता था’ इसी बीच शारिक लंबे समय के लिए जेल चला गया. मुसकान अकेली पड़ गई. शारिक के न होने से उस की शारीरिक और आर्थिक जरूरतें दोनों ही पूरी नहीं हो पा रही थीं. ऐसे में मुसकान की नजर इधरउधर पड़ने लगी. उसे अपनी नजर को दूर तक नहीं ले जाना पड़ा. शारिक का एक जिगरी दोस्त था अनस. अनस शहर कोतवाली के काजीपाड़ा मोहल्ले में रहता था. अनस भी आपराधिक प्रवृत्ति का था. उस पर नगीना देहात थाने में एनडीपीएस ऐक्ट और बाइक चोरी के 2 मुकदमे दर्ज थे.

दोस्ती के कारण हर गलत काम में दोनों एकदूसरे का साथ देते थे. दोनों ही नशे के भी आदी थे. अनस शारिक और मुसकान के प्रेम संबंध से पूरी तरह वाकिफ था. मुसकान भी अनस को बखूबी जानती थी. शारिक के न होने पर वह अनस की ही मदद लेने लगी. जब शारिक ने अनस को पहली बार मुसकान से मिलाया था तो अनस मुसकान को एकटक देखता रह गया था. मुसकान अनस से बड़े प्यार से पेश आने लगी. अपनी आंखों से अनस को उस की चाहत का दीदार कराने की कोशिश करने लगी. बातोंबातों और हंसीमजाक में उस के बदन से चिपकने लगी तो अनस को भी भांपते देर नहीं लगी कि मुसकान का मन बदल रहा है. जो वह चाहता था, उसे हकीकत में होता देख खुशी फूला नहीं समाया.

अब मुसकान की वजह से 2 दोस्तों की गहरी दोस्ती खतरे में आने वाली थी. वैसे भी अपराध की दुनिया में कोई स्थाई दोस्त या दुश्मन नहीं होता, मतलब और समय के हिसाब से सब कुछ बदलता रहता है. अनस मुसकान को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था. एक दिन जब मुसकान उस के कंधे पर सिर रख कर चाहत दर्शाने लगी तो अनस से रहा न गया, वह बोला, ‘‘तुम्हारा तनमन बहुत खूबसूरत है. तुम इतनी प्यारी हो कि तुम्हारी तसवीर मेरे छोटे से दिल में बस गई है. उस तसवीर को मैं हमेशा अपने दिल में बसाए रखना चाहता हूं. ऐसे में मेरा यह जानना जरूरी है कि तुम मेरे दिल और नजरों की चाहत को पूरा करने की तमन्ना रखती हो कि नहीं?’’

मुसकान अनस के खूबसूरत जज्बातों को बड़े ही प्यार से सुनसमझ रही थी. उस की बात सुन कर मुसकान बोली, ‘‘अनस, मैं भी तुम से यहीं कहना चाह रही थी लेकिन बारबार मेरे जज्बात सीने में कैद हो कर रह जाते थे. यह सोच कर कि कहीं तुम मेरे दिल की बात को न समझ पाए तो मैं अंदर से टूट जाऊंगी.

‘‘लेकिन आज तुम्हारी बातें सुन कर मेरे दिल को बहुत सुकून पहुंचा है. हम दोनों के विचार आपस में मिलते हैं, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई है. मैं भी तुम्हारे साथ जिंदगी बिताने का सपना देख रही थी, जो आज सच हो गया.’’ भावविभोर हो कर मुसकान अनस के सीने से लग गई. मुसकान ने बदल दिया प्रेमी अनस ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. इस से दोनों ने राहत की सांस ली और एकदूसरे के प्यार की गरमी को नजदीक से महसूस किया. इस के बाद दोनों के बीच एक बार जो संबंध बने, वह बेरोकटोक बनने लगे. 21 जुलाई की सुबह 6 बजे का समय था. खेतों पर काम करने वाले मजदूर काम पर जाने लगे थे. थाना कीरतपुर क्षेत्र के मोहल्ला अफगानान के पश्चिम में वासित खां के आम के बाग में मजदूरों ने एक चारपाई पर किसी अज्ञात युवक की लाश पड़ी देखी.

मजदूरों ने यह सूचना मोहल्ले वालों को दी. मोहल्ले वालों ने जा कर देखा तो वाकई वहां किसी युवक की लाश पड़ी थी. लाश मिलने की सूचना कीरतपुर थाना पुलिस को दे दी गई. थाना इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र करीब 27-28 साल रही होगी. उस के माथे पर 3 गहरे घाव थे, जो किसी धारदार हथियार से किए गए मालूम हो रहे थे. कपड़ों की तलाशी लेने पर मृतक की जेब से जो आधार कार्ड मिला, उस से पता चला कि वह लाश शमीम के बेटे शारिक की है. इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने मृतक शारिक के घरवालों को घटना की सूचना भिजवा दी. फिर जरूरी काररवाई कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया और थाने वापस आ गए.

शारिक के पिता शमीम थाने आए तो उन की तरफ से अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. केस की जांच शुरू करते हुए इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने शमीम से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि डेढ़दो साल से शारिक घर नहीं आया था. वह अपने दोस्तों के साथ ही रहता था, जेल जाता था तो पता नहीं कौन लोग उस की जमानत कराते थे. इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने शारिक के जमानतदारों व दोस्तों का पता लगाया तो उन में से कुछ नाम शक के घेरे में आए. उन सब की डिटेल्स खंगाली गई तो उन में से अनस नाम के युवक पर उन का शक पुख्ता हो गया. अनस ही वह व्यक्ति था जो शारिक के सब से करीब था. दोनों हर काम साथ करते थे.

घटना वाले दिन की अनस के फोन की लोकेशन शारिक के साथ घटनास्थल की आ रही थी. शारिक और अनस की काल डिटेल्स में एक नंबर कौमन था, जिस पर दोनों की बातें होती थीं, उस नंबर से घटना की रात 12 बजे शारिक के नंबर पर काल भी की गई थी, शारिक ने बात भी की थी. जांच में वह नंबर मुसकान का निकला. शारिक की हत्या में दोनों का हाथ होने के पुख्ता सुबूत मिले तो इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने दोनों की गिरफ्तारी के प्रयास शुरू कर दिए. लेकिन दोनों ही घर से गायब थे. 25 जुलाई, 2020 की सुबह करीब सवा 5 बजे इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार ने दोनों को मोतीचूर गेट के पास से गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया और हत्या की वजह भी बयां कर दी.

अनस और मुसकान के बीच के संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि दोनों निकाह कर के एक साथ रहने की सोचने लगे थे. इन सब में सब से बड़ी अड़चन था शारिक. शारिक घटना से कुछ समय पहले ही एनडीपीएस के एक मामले में जमानत पर जेल से छूटा था. जब से वह आया था, दोनों खुल कर नहीं मिल पा रहे थे. मुसकान को आ गया लालच मुसकान अगर अनस के साथ रहती तो शारिक से मिलने वाला प्लौट उस के हाथ से चला जाता और शारिक भी उस की और अनस की जान का दुश्मन बन जाता. ऐसे में अनस के साथ मिल कर शारिक को ही अपने रास्ते से हटाने की योजना मुसकान ने बना ली.

शारिक के हटने से प्लौट और अनस दोनों ही उसे मिल जाने वाले थे. अनस को भी एक तरफ मुसकान मिलती तो दूसरी तरफ मुसकान की वजह से प्लौट भी उस का हो जाता, इसलिए वह अनस की हत्या करने को तैयार हो गया. दूसरी ओर शारिक को इस बात की भनक तक नहीं थी कि उस की प्रेमिका उस से बेवफाई और दोस्त दगाबाजी करने पर उतर आए हैं. 20-21 जुलाई की रात अनस ने शारिक के साथ शराब पी. उस ने खुद तो कम पी, शारिक को अधिक पिलाई. अनस उसे बातों में लगा कर कीरतपुर के मोहल्ला अफगानान में वासित खां के आम के बाग में ले गया.

रात 12 बजे मुसकान ने फोन किया तो शारिक ने मुसकान से बात की. उस के लगभग एक घंटे बाद नशे में बेसुध हो कर शारिक वहीं पड़ी चारपाई पर लुढ़क गया. अनस ने साथ लाए सब्बल से बेसुध पड़े शारिक के माथे पर 3 प्रहार किए, जिस से उस की मौत हो गई. इस के बाद अनस ने शारिक का मोबाइल जेब से निकाल लिया. फिर सब्बल और शारिक का मोबाइल छिपा कर घर लौट गया. पकड़े जाने के डर से वह मुसकान के साथ घर से फरार हो गया.

लेकिन उन का जुर्म छिप न सका और दोनों कानून की गिरफ्त में आ गए. अनस की निशानदेही पर शारिक का मोबाइल और हत्या में इस्तेमाल सब्बल बरामद कर लिया गया. इस के अलावा पुलिस ने मुसकान और अनस का मोबाइल, मुसकान का आधार कार्ड, शारिक का आधार कार्ड और शपथपत्र की छाया प्रति भी बरामद कर ली. कागजी खानापूर्ति पूरी करने के बाद दोनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Extramarital Affair : कोल्‍ड ड्रिंक में नशीली गोलियां मिला कर पहले पति को पिलाया, फिर किया कत्‍ल

Extramarital Affair : महत्त्वाकांक्षी होना कोई गलत बात नहीं है. लेकिन उस के चक्कर में देहरी लांघ जाना ठीक नहीं. 2 बच्चों की मां गजाला इस बात को समझ जाती तो उस का पति शाहिद तो जीवित होता ही, साथ ही गजाला को भी जेल न जाना पड़ता…

10 जुलाई, 2020 की सुबह आगरा के महात्मा दूधाधारी इंटर कालेज के पास नगला कमाल के रास्ते पर एक युवक की लाश पड़ी थी. सूचना मिलते ही मौके पर गांव वाले पहुंच गए, भाजपा नेता उदय प्रताप भी वहां पहुंचे. उन्होंने इस की सूचना थाना खेरागढ़ पुलिस को दे दी. लाश पड़ी होने की सूचना पा कर थानाप्रभारी अवधेश अवस्थी पुलिस टीम के मौके पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने फौरेंसिक टीम और डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. इस के बाद थानाप्रभारी ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 28 से 30 वर्ष के बीच रही होगी. उस के गले पर किसी तेज धारदार हथियार के निशान थे.

कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस की पैंट की जेब में आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड मृतक का ही था. उस में उस का नाम शाहिद खान लिखा था. पता कटघर ईदगाह, आगरा लिखा था. इस के अलावा कोई साक्ष्य नहीं था. आधार कार्ड को जाब्ते में लेने के बाद थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी. फिर थाने वापस लौट आए. पुलिस ने इस की सूचना मृतक के घरवालों को दे दी. शाहिद की हत्या की खबर मिलते ही घर में हाहाकार मच गया. घर वाले थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी अवस्थी ने उन से पूछताछ की तो पता चला मृतक शाहिद खान खुद का टैंपो चलाता था.

4 साल से वह पत्नी गजाला और 2 बच्चों के साथ रैना नगर, धनौली में किराए पर रह रहा था. उन से पूछताछ के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी अवधेश अवस्थी मृतक के घर गए तो घर पर शाहिद की पत्नी गजाला मिली. पूछने पर उस ने बताया कि एक दिन पहले यानी 9 जुलाई की शाम शाहिद टैंपो ले कर निकला था, तब से वापस नहीं आया. थाने लौटने के बाद थानाप्रभारी अवस्थी ने मामले पर विचार किया कि कहीं शाहिद की हत्या की वजह लूटपाट तो नहीं है, क्योंकि उस का टैंपो भी नहीं मिला था. लेकिन अगले ही पल दिमाग में आया कि हत्या लूट के लिए की गई होती तो लुटेरे लाश को इतना दूर क्यों फेंकते.

इंसपेक्टर अवस्थी ने दिमाग पर जोर दिया तो उन्हें शाहिद की पत्नी गजाला की हरकतें कुछ अटपटी लगीं. जब वह शाहिद के घर गए थे तो गजाला घबराई हुई थी. वह रो तो रही थी लेकिन उस की आंखें बराबर इधरउधर चल रही थीं. वह बराबर पुलिस की गतिविधि पर नजर रख रही थी. थानाप्रभारी को गजाला पर शक हुआ तो उन्होंने उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की काल डिटेल्स में एक ऐसा नंबर था, जिस पर वह रोजाना बातें करती थी. वह नंबर रैना नगर के ही रहने वाले राहुल हुसैन का था. इस के बाद सर्विलांस टीम की मदद ली गई. सर्विलांस टीम ने जांच की तो पता चला घटना वाले दिन 9 जुलाई की शाम को राहुल हुसैन शाहिद खान के साथ था.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने 12 जुलाई को राहुल हुसैन को गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के दोस्त इमरान को भी उठा लिया. दोनों से पूछताछ के बाद गजाला को उस के घर से गिरफ्तार किया गया. तीनों से जब पुलिसिया अंदाज में पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. 30 वर्षीय शाहिद खान आगरा के खेरागढ़ के कटघर ईदगाह (रकाबगंज) मोहल्ले में रहने वाले हबीब खान का बेटा था. 2 भाइयों में सब से बड़ा शाहिद अपना खुद का टैंपो चलाता था. 8 साल पहले शाहिद का निकाह रैना नगर, धनौली (मलपुरा) में रहने वाली गजाला के साथ हुआ था. शाहिद गजाला जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर बहुत खुश था. जबकि सांवले रंग के साधारण शौहर शाहिद से गजाला खुश नहीं थी.

दरअसल गजाला ने अपने मन में जिस तरह शौहर की कल्पना की थी, शाहिद वैसा नहीं था. गजाला ने सपना संजो रखा था कि उस का शौहर हैंडसम और सुंदर होगा. जबकि शाहिद उस की अपेक्षाओं के बिलकुल विपरीत था. गजाला अपने हिसाब से उसे मौडर्न बनाने की कोशिश भी करती, शाहिद फैशनेबल कपड़े पहनता भी तो उस पर वे जंचते नहीं थे, वह रंगरूप से मात खा जाता था. गजाला मन मसोस कर रह जाती. इसी चक्कर में वह कुंठित और चिड़चिड़ी हो गई. वह बातबात में शाहिद से झगड़ने लगती थी. उस की यह आदत सी बन गई थी. पतिपत्नी के रोजरोज के झगड़ों से शाहिद के घरवाले परेशान रहने लगे. इस सब के चलते गजाला एक बेटा और एक बेटी की मां बन गई. 4 साल पहले शाहिद रैना नगर, धनौली में ससुराल के पास किराए पर कमरा ले कर रहने लगा.

शाहिद सुबह टैंपो ले कर निकल जाता तो देर रात घर लौटता था. उस के चले जाने के बाद चंचल हसीन और खूबसूरत गजाला को रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. उस का मन नहीं लगता तो वह बनसंवर कर घर से निकल कर ताकझांक करने लगती. चूंकि पास में ही उस का मायका था, इसलिए वह कुछ देर के लिए मायके चली जाती थी. गजाला भले ही 2 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की महत्त्वाकांक्षा उसे चंचल बना रही थी, मर्यादा हनन करने को उकसा रही थी. रैना नगर में ही राहुल हुसैन रहता था. वह अपने मांबाप की एकलौती संतान था. देखने में स्मार्ट और अविवाहित. गजाला जब उस के मोहल्ले में पति के साथ रहने आई, तभी उस की नजर गजाला पर पड़ चुकी थी. उसे गजाला का रूपसौंदर्य पहली नजर में ही भा गया था.

गजाला राहुल से परिचित थी. शाहिद के घर न होने पर राहुल उसके पास पहुंचने लगा. गजाला को उस से बात करना अच्छा लगता था. चंद मुलाकातों में दोनों के बीच काफी नजदीकियां हो गईं. राहुल और गजाला में हंसीमजाक भी होने लगी. गजाला राहुल के मजाक का बिलकुल बुरा नहीं मानती थी.  राहुल बातूनी था, इसलिए वह भी उस से खूब बतियाती थी. दरअसल गजाला के दिल में राहुल के प्रति चाहत पैदा हो गई थी.  राहुल जब भी उस के रूपसौंदर्य की तारीफ करता तो गजाला के शरीर में तरंगें उठने लगती थीं. 2 बच्चों की मां बनने के बाद गजाला का गदराया यौवन और रसीला हो गया था. आंखों में मादकता छलकती थी.

एक दिन राहुल ने उस के हुस्न और जिस्म की तारीफ  की तो वह गदगद हो गई. फिर वह बुझे मन से बोली, ‘‘ऐसी खूबसूरती किस काम की, जिस पर शौहर ध्यान ही न दे.’’

राहुल को गजाला की ऐसी ही किसी कमजोर नस की ही तलाश थी. जैसे ही उस ने पति की बेरुखी का बखान किया, राहुल ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘तुम क्यों चिंता करती हो, हीरे की परख जौहरी ही करता है. आज से तुम्हारे सारे दुख मेरे हैं और मेरी सारी खुशियां तुम्हारी.’’

राहुल की लच्छेदार बातों ने गजाला का मन मोह लिया. वह उस की बातों और व्यक्तित्व की पूरी तरह कायल हो गई. उस के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. मन बेकाबू होने लगा तो गजाला ने थरथराते होठों से कहा, ‘‘अब तुम जाओ. उन के आने का समय हो गया है. कल दोपहर में आना, मैं इंतजार करूंगी.’’

राहुल ने वह रात करवटें बदलते काटी. सारी रात वह गजाला के खयालों में डूबा रहा. सुबह वह देर से जागा. दोपहर तक सजसंवर कर वह गजाला के घर पहुंचा. गजाला उसी का इंतजार कर रही थी. उस ने उस दिन खुद को विशेष ढंग से सजायासंवारा था. राहुल ने पहुंचते ही गजाला को अपनी बांहों में समेट लिया, ‘‘आज तो तुम हूर लग रही हो.’’

‘‘थोड़ा सब्र से काम लो. इतनी बेसब्री ठीक नहीं होती.’’ गजाला ने मुसकरा कर कहा, ‘‘कम से कम दरवाजा तो बंद कर लो, वरना किसी आनेजाने वाले की नजर पड़ गई तो हंगामा हो जाएगा.’’

राहुल ने फौरन कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. जैसे ही उस ने अपनी बांहें फैलाईं तो गजाला उन में समा गई. राहुल के तपते होंठ गजाला के नर्म और सुर्ख अधरों पर जम गए. इस के बाद एक शादीशुदा औरत की पवित्रता, पति से वफा का वादा सब कुछ जल कर स्वाहा हो गया. अवैध संबंधों का यह सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर रुकने का नाम नहीं लिया. ऐसी बातें समाज की नजरों से कब तक छिपी रह सकती हैं. शाहिद की गैरमौजूदगी में राहुल का उस के कमरे पर बने रहना पड़ोसियों के मन में शक पैदा कर गया. किसी पड़ोसी ने यह बात शाहिद के कान में डाल दी. यह सुन कर उस पर जैसे पहाड़ टूट पड़ा.

बीवी के बारे में ऐसी बात सुन कर शाहिद परेशान हो गया. उस का काम से मन उचट गया. बड़ी मुश्किल से शाम हुई तो वह घर लौट आया. गजाला को पता नहीं था कि उस के शौहर को उस की आशनाई के बारे में पता चल गया है. वह खनकती आवाज में बोली, ‘‘क्या बात है, आज बड़ी जल्दी घर लौट आए.’’

‘‘सच जानना चाहती हो तो सुनो. तुम जो राहुल के साथ गुलछर्रे उड़ा रही हो, मुझे सब पता चल गया है.’’ शाहिद ने बड़ी गंभीरता से कहा, ‘‘अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि मुझ से बिना कुछ छिपाए सब कुछ सचसच उगल दो. उस के बाद मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हारा क्या करना है.’’

गजाला शौहर की बात सुन कर अवाक रह गई. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक न एक दिन शाहिद को सब पता चल जाएगा. भय के मारे उस का चेहरा उतर गया. वह घबराए स्वर में कहने लगी, ‘‘जिस ने भी तुम से मेरे बारे में यह सब कहा है, वह झूठा है. लोग हम से जलते हैं, इसलिए किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’

गजाला ने जान लिया था कि अब त्रियाचरित्र दिखाने में ही उस की भलाई है. वह भावुक स्वर में बोली, ‘‘मैं कल भी तुम्हारी थी और आज  भी तुम्हारी हूं. कोई दूसरा मेरा बदन छूना तो दूर मेरी ओर देखने की हिम्मत भी नहीं कर सकता.

‘‘तुम मुझ पर यकीन करो. तुम ने जो कुछ सुना है, वह सिर्फ अफवाह है. कुछ लोग मेरे पीछे पड़े हैं, वह मुझे हासिल नहीं कर सके तो हमारे बीच आग लगा कर हमारा जीना हराम करना चाहते हैं.’’

आखिरकार गजाला की बातों से शाहिद को लगा कि वह सच कह रही है. उस ने गजाला पर यकीन कर लिया. घर में कुछ दिन और शांति बनी रही. फिर एकदो लोगों ने टोका, ‘‘शाहिद, तुम दिन भर बाहर रहते हो, देर रात को लौटते हो. इस बीच गजाला किस के साथ गुलछर्रे उड़ा रही है, तुम्हें क्या मालूम, अब भी समय है, चेत जाओ वरना ऐसा न हो कि किसी दिन तुम्हें पछताना पड़े.’’

शाहिद को उन की बात समझ में आ गई. वह जान गया कि धुंआ तभी उठता है, जब कहीं आग लगती है. उस ने गजाला को चेतावनी दी कि अब कभी उस ने कोई गलत काम किया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा. अच्छा हुआ भी नहीं. कोई न कोई गजाला की खबर उस तक पहुंचा देता था, इस से आजिज आ कर शाहिद गजाला के साथ झगड़ा और मारपीट करने लगा. घटना से 6 दिन पहले गजाला की बहन तनु की शादी थी. शाहिद ने शादी के बाद भी गजाला को पीटा. गजाला पति से परेशान हो चुकी थी. उस ने फोन पर रोतेरोते यह बात राहुल को बताई. वैसे भी गजाला राहुल से निकाह कर के उस के साथ रहने का मन बना चुकी थी.

राहुल भी यही चाहता था. ऐसे में राहुल ने शाहिद को रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. गजाला को उस ने बताया तो उस ने भी अपनी सहमति दे दी. शाहिद की हत्या करने के लिए राहुल ने अपने दोस्त इमरान को भी शामिल कर लिया. वह उसी मोहल्ले में रहता था.  9 जुलाई, 2020 की देर शाम को राहुल ने शाहिद का टैंपो भाड़े पर बुक किया और उसे सब्जी मंडी बुलाया. वहां राहुल इमरान के साथ पहले से मौजूद था. शाहिद के वहां पहुंचने पर राहुल ने उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाई, जिस में उस ने नशीली गोलियों का पाउडर मिला दिया था. कोल्ड ड्रिंक पी कर शाहिद बेहोश हो गया. दोनों ने उसे टैंपो की पिछली सीट पर लिटा दिया. इमरान टैंपो चलाने लगा.

दोनों बेहोश हुए शाहिद को दूधाधारी इंटर कालेज के पास ले गए. वहां दोनों ने तेज धारदार चाकू से शाहिद का गला रेत कर उस की हत्या कर दी और उस की लाश वहीं फेंक कर फरार हो गए. लेकिन आखिरकार कानून की गिरफ्त में आ ही गए. राहुल और इमरान की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल चाकू और शाहिद का टैंपो भी बरामद कर लिया. इस के बाद कानूनी लिखापढ़ी कर के गजाला, राहुल और इमरान को न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया़

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Dispute : पत्नी मायके गई तो पति ने कर ली आत्महत्या

Family Dispute : कुसुमा ने अपने दामाद एडवोकेट विपिन कुमार निगम से वादा किया था कि अगर बड़ी बेटी उन के बच्चे की मां नहीं बनी तो वह उस के साथ अपनी छोटी बेटी काजल का विवाह कर देगी. लेकिन 4 साल बाद कुसुमा अपने वादे से मुकर गई. इस के बाद परिवार में कलह इतनी बढ़ गई कि… सिकंदरपुर कस्बे के सुभाष नगर मोहल्ले में सुबह सवेरे यह खबर फैल गई कि विचित्र लाल के वकील बेटे विपिन कुमार निगम ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली है, जिस ने भी यह खबर सुनी, स्तब्ध रह गया. कुछ ही देर में विचित्र लाल के घर के बाहर लोगों का मजमा लग गया. लोग आपस में कानाफूसी करने लगे. इसी बीच मृतक के छोटे भाई नितिन ने फोन पर भाई के आत्महत्या कर लेने की सूचना थाना छिबरामऊ पुलिस को दे दी. यह बात 22 मई, 2020 की सुबह की है. मामला एक वकील की आत्महत्या का था. थानाप्रभारी शैलेंद्र कुमार मिश्र ने वारदात की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी और चौकी इंचार्ज अजब सिंह व अन्य पुलिसकर्मियों को साथ ले कर सुभाष नगर स्थित विचित्र लाल निगम के घर पहुंच गए.

थानाप्रभारी उस कमरे में पहुंचे, जिस में विपिन कुमार निगम की लाश कमरे की छत के कुंडे से लटकी हुई थी. उन्होंने सहयोगी पुलिसकर्मियों की मदद से शव को फांसी के फंदे से नीचे उतरवाया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. मृतक की जामातलाशी ली गई तो पैंट की दाहिनी जेब से एक पर्स तथा शर्ट की ऊपरी जेब से एक मोबाइल फोन मिला. पर्स तथा मोबाइल फोन पुलिस ने अपने पास रख लिया. थानाप्रभारी शैलेंद्र कुमार मिश्र अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह और एएसपी विनोद कुमार भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. टीम ने उस प्लास्टिक स्टूल की भी जांच की जिस पर चढ़ कर मृतक ने गले में रस्सी का फंदा डाला था और स्टूल को पैर से गिरा दिया था. मृतक विपिन कुमार निगम शादीशुदा था, पर घटनास्थल पर न तो उस की पत्नी प्रियंका थी और न ही प्रियंका के मातापिता और भाई में से कोई आया था. यद्यपि उन्हें सूचना सब से पहले दी गई थी. मौका ए वारदात पर मृतक का पूरा परिवार मौजूद था. मृतक के कई अधिवक्ता मित्र भी वहां आ गए थे जो परिवार वालों को धैर्य बंधा रहे थे. मित्र के खोने का उन्हें भी गहरा दुख था.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर मौजूद मृतक के छोटे भाई नितिन कुमार से पूछताछ की तो उस ने बताया कि भैया सुबह जल्दी उठ जाते थे और केसों से संबंधित उन फाइलों का निरीक्षण करने लगते थे, जिन की उसी दिन सुनवाई होती थी. आज सुबह 8 बजे जब मैं उन के कमरे पर पहुंचा तो कमरा बंद था और कूलर चल रहा था. यह देख कर मुझे आश्चर्य हुआ. मैं ने दरवाजा थपथपाया और आवाज दी. पर न तो दरवाजा खुला और न ही अंदर से कोई प्रतिक्रिया हुई. मन में कुछ संदेह हुआ तो मैं ने मातापिता और अन्य भाइयों को बुला लिया. उन सब ने भी आवाज दी, दरवाजा थपथपाया पर कुछ नहीं हुआ.

इस के बाद हम भाइयों ने मिल कर जोर का धक्का दिया तो दरवाजे की सिटकनी खिसक गई और दरवाजा खुल गया. कमरे के अंदर का दृश्य देख कर हम लोगों की रूह कांप उठी. भैया फांसी के फंदे पर झूल रहे थे. इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया. खबर फैली तो मोहल्ले के लोग आने लगे. इसी बीच हम ने घटना की जानकारी भाभी प्रियंका, रिश्तेदारों, भैया के दोस्तों और पुलिस को दी.

‘‘क्या तुम बता सकते हो कि तुम्हारे भाई ने आत्महत्या क्यों की?’’ एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने नितिन से पूछा.

‘‘सर, भैया ने पारिवारिक कलह के चलते आत्महत्या की है. दरअसल प्रियंका भाभी और उन के मायकों वालों से नहीं पटती थी. 2 दिन पहले ही भाभी ने कलह मचाई तो भैया उन्हें मायके छोड़ आए थे. उसी के बाद से वह तनाव में थे. शायद इसी तनाव में उन्होंने आत्महत्या कर ली.’’ निखिल ने बताया.

इसी बीच एएसपी विनोद कुमार ने मृतक के अंदर वाले कमरे की तलाशी कराई तो उन्हें एक सुसाइड नोट फ्रिज कवर के नीचे से तथा दूसरा सुसाइड नोट टीवी कवर के नीचे से बरामद हुआ. एक अन्य सुसाइड नोट उन के पर्स से भी मिला. यह पर्स जामातलाशी के दौरान मिला था. पर्स में पेन कार्ड, आधार कार्ड और कुछ रुपए थे. विपिन के सुसाइड नोट फ्रिज कवर के नीचे से जो पत्र बरामद हुआ था, उस में विपिन कुमार ने अपनी सास कुसुमा देवी को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘सासूजी, आप ने वादा किया था कि प्रियंका 3 साल तक बच्चे को जन्म नहीं दे पाई तो आप दूसरी बेटी काजल की शादी मेरे साथ कर देंगी. पर 3 साल बाद आप मुकर गईं. इस से मुझे गहरी ठेस लगी.

प्रियंका के कटु शब्दों ने मेरे दिल को छलनी कर दिया है. उस के मायके जाने के बाद मैं 2 दिन बेहद परेशान रहा. रातरात भर नहीं सोया. आखिर परेशान हो कर मैं ने अपने आप को मिटाने का निर्णय ले लिया.’ विपिन निगम. दूसरा पत्र जो टीवी कवर के नीचे से बरामद हुआ था. वह पत्र विपिन ने अपनी पत्नी प्रियंका को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘प्रियंका, तुम मेरे जीवन में बवंडर बन कर आई, जिस ने आते ही सब कुछ तहसनहस कर दिया. शादी के कुछ महीने बाद ही तुम रूठ कर मायके चली गईं. मांबाप के कान भर कर, झूठे आरोप लगा कर तुम ने मेरे तथा मेरे मातापिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

‘किसी तरह मामला रफादफा कर मैं तुम्हें मना कर घर ले आया. डिलीवरी के दौरान मैं ने अपना खून दे कर तुम्हारी जान बचाई. यह बात दीगर है कि बच्चे को नहीं बचा सका. इतना सब करने के बावजूद तुम मेरी वफादार न बन सकी. ‘तुम ने कहा था कि 3 साल तक बच्चा न दे पाऊं तो मेरी छोटी बहन काजल से शादी कर लेना. पर तुम मुकर गई. लड़झगड़ कर घर चली गई. तुम सब ने मिल कर मेरी जिंदगी तबाह कर दी. अब मैं ऐसी जिंदगी से ऊब गया हूं जिस में गम ही गम हैं. —विपिन निगम.

तीसरा पत्र जो पर्स से मिला था, विपिन ने अपनी साली काजल को संबोधित करते हुए लिखा था, ‘आई लव यू काजल, तुम मेरी मौत पर आंसू न बहाना. तुम्हारा कोई कुसूर नहीं है. तुम तो मेरी आंखों का काजल बन चुकी थीं. मुझे यह भी पता है कि तुम मुझ से शादी करने को राजी थीं. पर तुम्हारी मां मंथरा बन गई.

‘उस ने नफरत भरने के लिए दोनों बहनों के कान भरे और फिर शादी के वादे से मुकर गई. मैं तुम दोनों बहनों को खुश रखना चाहता था, लेकिन ऐसा हो न सका. मैं निराश हूं. तन्हा जीवन से मौत भली. काजल, आई लव यू. मेरी मौत पर आंसू न बहाना. तुम्हारा विपिन.’

विपिन की शर्ट की जेब से उस का मोबाइल भी बरामद हुआ था. एएसपी विनोद कुमार ने जब फोन को खंगाला तो पता चला कि विपिन ने अपनी जीवनलीला खत्म करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट पर शायराना अंदाज में एक पोस्ट लिखी थी. सुसाइड नोट्स से समझ आया माजरा विपिन के सुसाइड नोट पढ़ने के बाद पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि युवा अधिवक्ता विपिन कुमार निगम ने पारिवारिक कलह के कारण आत्महत्या की है. वह अपनी पत्नी प्रियंका और सास कुसुमा देवी से पीडि़त था. साक्ष्य सुरक्षित करने के बाद पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए कन्नौज के जिला अस्पताल भिजवा दिया. पुलिस जांच और मृतक के परिवार वालों द्वारा दी गई जानकारी से आत्महत्या प्रकरण की जो कहानी सामने आई उस का विवरण इस प्रकार से है—

ग्रांट ट्रंक रोड (जीटीरोड) पर बसा कन्नौज शहर कई मायने में चर्चित है. कन्नौज सुगंध की नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां का बना इत्र फुलेल पूरी दुनिया में मशहूर है. दूसरे यह ऐतिहासिक धरोहर भी है. चंदेल वंश के राजा जयचंद की राजधानी कन्नौज ही थी. उन का किला खंडहर के रूप में आज भी दर्शनीय है. गंगा के तट पर बसा कन्नौज तंबाकू और आलू के व्यापार के लिए भी मशहूर है. पहले कन्नौज, फर्रुखाबाद जिले का एक कस्बा था, जिसे बाद में जिला बनाया गया. इसी कन्नौज जिले का एक कस्बा सिकंदरपुर है, जो छिबरामऊ थाने के अंतर्गत आता है. इसी कस्बे के सुभाष नगर मोहल्ले में विचित्र लाल निगम अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सरिता निगम के अलावा 4 बेटे थे.

जिस में विपिन कुमार निगम सब से बड़ा तथा नितिन कुमार सब से छोटा था. विचित्र लाल व्यापारी थे, आर्थिक स्थिति मजबूत थी. कायस्थ बिरादरी में उन की अच्छी पैठ थी. विपिन कुमार निगम अपने अन्य भाइयों से कुछ ज्यादा ही तेजतर्रार था. वह वकील बनना चाहता था. उस ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर से एलएलबी की पढ़ाई की. इस के बाद वह छिबरामऊ तहसील में वकालत करने लगा. विपिन कुमार निगम दीवानी और फौजदारी दोनों तरह के मुकदमे लड़ता था. कुछ दिनों बाद उस के पास अच्छेखासे केस आने लगे थे. उस ने तहसील में अपना चैंबर बनवा लिया और 2 सहयोगी कर्मियों को भी रख लिया.

विपिन कुमार निगम अच्छा कमाने लगा तो उस के पिता विचित्र लाल ने 6 जनवरी, 2014 को औरैया जिले के उजैता गांव के रहने वाले राजू निगम की बेटी प्रियंका से शादी कर दी. राजू निगम किसान थे. उन के 2 बेटियां और एक बेटा था, जिन में प्रियंका सब से बड़ी थी. खूबसूरत प्रियंका, विपिन की दुलहन बन कर ससुराल आई तो सभी खुश थे, पर प्रियंका खुश नहीं थी. उसे शोरगुल पसंद नहीं था. यद्यपि उसे पति से कोई शिकवा शिकायत न थी. प्रियंका ससुराल में 10 दिन रही. उस के बाद उस का भाई आकाश आया और उसे विदा करा ले गया.

प्रियंका ने दिखाए ससुराल में तेवर लगभग 2 महीने बाद प्रियंका दोबारा ससुराल आई तो उस ने अपना असली रूप दिखाना शुरू कर दिया. वह सासससुर से कटु भाषा बोलने लगी, देवरों को झिड़कने लगी. सास सरिता बेस्वाद खाना बनाने को ले कर टोकती तो जवाब देती कि स्वादिष्ट खाना बनाने को नौकरानी रख लो. घर के काम के लिए कहती तो जवाब मिलता कि वह नौकरानी नहीं, घर की बहू है. यही नहीं उस ने दहेज में मिला सामान पलंग, टीवी, फ्रिज, अलमारी पहली मंजिल पर बने 2 बड़े कमरों में सजा लिया और एक तरह से परिवार से अलग रहने लगी. इसी बीच उस के पैर भारी हो गए. ससुराल वालों के लिए यह खबर खुशी की थी लेकिन उस के दुर्व्यवहार के कारण किसी ने खुशी जाहिर नहीं की.

विपिन परिवार के प्रति पत्नी के दुर्व्यवहार से दुखी था. उस ने प्रियंका पर सख्ती कर लगाम कसने की कोशिश की तो वह त्रिया चरित्र दिखाने लगी. अपनी मां कुसुमा को रोरो कर बताती कि ससुराल वाले उसे प्रताडि़त करते हैं. मां ने भी बेटी की बातों पर सहज ही विश्वास कर लिया और उसे मायके बुला लिया. इस के बाद मांबेटी ने सोचीसमझी रणनीति के तहत ससुराल वालों पर झूठे आरोप लगा कर थाना फफूंद में दहेज उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करा दी. जब विपिन को पत्नी द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने की जानकारी हुई तो वह सतर्क हो गया. वह ससुराल पहुंचा और किसी तरह पत्नी व सास का गुस्सा शांत किया, जिस से फिर मुकदमे में समझौता हो गया.

इस के बाद कई शर्तों के साथ कुसुमा देवी ने प्रियंका को ससुराल भेज दिया. ससुराल आ कर प्रियंका स्वच्छंद हो कर रहने लगी. उस ने पति को भी अपनी मुट्ठी में कर लिया था. फिर जब प्रसव का समय आया तो प्रियंका मायके आ गई. कुसुमा ने उसे प्रसव के लिए इटावा के एक निजी नर्सिंग होम में भरती कराया. डाक्टरों ने उस का चेकअप किया तो खून की कमी बताई. और यह भी साफ कर दिया कि बच्चा औपरेशन से होगा. कुसुमा चालाक औरत थी. वह जानती थी कि नर्सिंग होम का खर्चा ज्यादा आएगा. अत: उस ने दामाद विपिन को पहले ही नर्सिंग होम बुलवा लिया था. 9 जनवरी, 2015 को विपिन ने अपना खून दे कर प्रियंका की जान तो बचा ली, लेकिन बच्चा नहीं बच सका.

लगभग एक हफ्ते तक अस्पताल में भरती रहने के बाद प्रियंका मां के घर आ गई. डिस्चार्ज के दौरान डाक्टर ने एक और चौंकाने वाली जानकारी दी कि प्रियंका दोबारा मां नहीं बन पाएगी. यह जानकारी जब विपिन व प्रियंका को हुई तो दोनों दुखी हुए. इस पर सास कुसुमा ने बेटी दामाद को समझाया और कहा, ‘‘कुदरत का खेल निराला होता है, फिर भी यदि 3 साल तक प्रियंका बच्चे को जन्म न दे पाई तो मैं वादा करती हूं कि अपनी छोटी बेटी काजल का विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगी.’’

सासू मां की बात सुन कर विपिन मन ही मन खुश हुआ. प्रियंका व काजल ने भी अपनी सहमति जता दी. इस के बाद प्रियंका पति के साथ ससुराल में आ कर रहने लगी. विपिन कुमार भी अपने वकालत के काम में व्यस्त हो गया. प्रियंका कुछ माह ससुराल में रहती तो एकदो माह के लिए मायके चली जाती. इसी तरह समय बीतने लगा. प्रियंका के रहते विपिन के मन में पहले कभी भी साली के प्रति आकर्षण नहीं रहा, किंतु जब से सासू मां ने शादी करने की बात कही तब से उस के मन में काजल का खयाल आने लगा था. 17वां बसंत पार कर चुकी काजल की काया कंचन सी खिल चुकी थी. उस की आंखें शरारत करने लगी थीं. काजल का खिला रूप विपिन की आंखों में बस गया.

अब वह उस से खुल कर हंसीमजाक करने लगा था. काजल की सोच भी बदल गई थी. वह जीजा के हंसीमजाक का बुरा नहीं मानती थी. दरअसल वह मान बैठी थी कि दीदी यदि बच्चे को जन्म न दे पाई तो विपिन उस का जीजा नहीं भावी पति होगा. पत्नी और ससुरालियों के बयान से टूट गया विपिन धीरेधीरे 3 साल बीत गए पर प्रियंका बच्चे को जन्म नहीं दे पाई. तब विपिन ने सासू मां से कहना शुरू किया कि वह वादे के अनुसार काजल की शादी उस से कर दे लेकिन कुसुमा देवी उसे किसी न किसी बहाने टाल देती. इस तरह एक साल और बीत गया.

विपिन को अब दाल में कुछ काला नजर आने लगा. अत: एक रोज वह ससुराल पहुंचा और सासू मां पर शादी का दबाव डाला, इस पर वह बिफर पड़ी, ‘‘कान खोल कर सुन लो दामादजी, मैं अपनी फूल सी बेटी का ब्याह तुम से नहीं कर सकती.’’

‘‘पर आप ने तो वादा किया था. इस में आप की दोनों बेटियां रजामंद थीं.’’ विपिन गिड़गिड़ाया.

‘‘रजामंदी तब थी, पर अब नहीं. प्रियंका भी नहीं चाहती कि काजल की शादी तुम से हो.’’ कुसुमा ने दोटूक जवाब दिया. इस के बाद विपिन वापस घर आ गया. उस ने इस बाबत प्रियंका से बात की तो उस ने मां की बात का समर्थन किया. इस के बाद काजल से शादी को ले कर विपिन का झगड़ा प्रियंका से होने लगा. 18 मई, 2020 को भी प्रियंका और विपिन में झगड़ा हुआ. उस के बाद वह प्रियंका को उस के मायके छोड़ आया.

पत्नी मायके चली गई तो विपिन कुमार तन्हा हो गया. उसे सारा जहान सूनासूना सा लगने लगा. उस की रातों की नींद हराम हो गई. वह बात करने के लिए पत्नी को फोन मिलाता, पर वह बात नहीं करती. विपिन जब बेहद परेशान हो उठा, तब उस ने आखिरी फैसला मौत का चुना. उस ने 3 पत्र कुसुमा देवी, प्रियंका तथा काजल के नाम लिखे. काजल को लिखा पत्र उस ने अपने पर्स में रख लिया और सास को लिखा पत्र फ्रिज कवर के नीचे व पत्नी को लिखा पत्र टीवी कवर के नीचे रख दिया. 21 मई, 2020 की आधी रात के बाद अधिवक्ता विपिन कुमार निगम ने अपनी जीवन लीला खत्म करने से पहले अपने फेसबुक एकाउंट में एक पोस्ट डाली. फिर कमरे की छत के कुंडे में रस्सी बांध कर फंदा बनाया और फिर स्टूल पर चढ़ कर फांसी का फंदा गले में डाल कर झूल गया.

इधर सुबह घटना की जानकारी तब हुई जब विपिन का छोटा भाई नितिन कमरे पर पहुंचा. मृतक विपिन कुमार निगम ने अपने सुसाइड नोट मे अपनी मौत का जिम्मेदार अपनी सास कुसुम देवी और पत्नी प्रियंका को ठहराया था, लेकिन मृतक के घर वालों ने कोई तहरीर थाने में नहीं दी जिस से पुलिस ने मुकदमा ही दर्ज नहीं किया और इस प्रकरण को खत्म कर दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Stories : इलैक्ट्रिक कटर मशीन से सालियों ने किए जीजा के 6 टुकड़े

Crime Stories : सीमा, प्रियंका और बबीता सगी बहनें थीं. तीनों की जिंदगी भी मजे से गुजर रही थी, इन की कोई आपराधिक पृष्ठभूमि भी नहीं थी. लेकिन तीनों बहनों ने जो जघन्य अपराध किया उसे जान कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाते. और वजह सिर्फ यह थी कि तीनों बहनों में से एक बहन सीमा गौना कर के ससुराल न जा पाए…

इसी 11 अगस्त की बात है. सुबह के करीब 9 बजे थे. सूर्यनगरी के नाम से विख्यात राजस्थान के जोधपुर शहर में नांदड़ी गोशाला के पीछे नगर निगम की एक टीम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की हौदी की सफाई कर रही थी. सफाई करते समय टीम को कचरे की एक थैली मिली. इस थैली में इंसान के कटे हुए 2 हाथ और 2 पैर थे. कटे हाथपैर मिलने से वहां काम कर रहे सफाई कर्मचारियों में दहशत फैल गई. सफाई कर्मियों ने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी. सूचना मिलते ही बनाड़ थाना पुलिस वहां पहुंच गई. वहां प्लांट सुपरवाइजर पूनमचंद बाल्मीकि और औपरेटर पप्पू मंडल ने बताया कि प्लांट में जाने वाली हौदी की सफाई करते समय कपड़े की एक थैली निकली.

थैली में किसी इंसान के कटे हुए 2 हाथ और 2 पैर हैं. सफेदलाल रंग इस थैली पर भाग्य लक्ष्मी टेक्सटाइल, कपड़े के व्यापारी, आनंदपुर कालू, जिला पाली छपा हुआ है. इंसान के कटे हाथपैर मिलने का मामला गंभीर था. पुलिस टीम ने संबंधित जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी. इस पर जोधपुर के डीसीपी (ईस्ट) धर्मेंद्र सिंह यादव, एडीसीपी (ईस्ट) भागचंद, मंडोर एसीपी राजेंद्र दिवाकर, बनाड़ थानाधिकारी अशोक आंजना मौके पर पहुंच गए. कटे हाथपैरों का निरीक्षण करने के बाद पुलिस ने अंदाजा लगाया कि अंग किसी पुरुष के हैं, जिन्हें किसी धारदार कटर मशीन से काटा गया है. निस्संदेह किसी व्यक्ति की निर्दयता से हत्या कर उस के शरीर के टुकड़ेटुकड़े कर फेंके गए थे.

पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि मृतक का सिर और धड़ कहां है? क्योंकि केवल हाथपैरों से उस की शिनाख्त मुश्किल थी और बिना शिनाख्त के केस आगे नहीं बढ़ सकता था. इसलिए अधिकारियों ने डौग स्क्वायड और एफएसएल टीम को मौके पर बुला लिया, लेकिन पुलिस को तत्काल ऐसी कोई जानकारी नहीं मिल सकी, जिस से मृतक या कातिल के बारे में कुछ पता चल पाता. पुलिस ने कटे हुए हाथपैर एमजीएच अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिए. सब से पहले मृतक का सिर और धड़ मिलना जरूरी था. इस के लिए पुलिस ने आसपास के इलाकों और ट्रीटमेंट प्लांट हौदी से जुड़ी सीवरेज पाइप लाइनों में जेट मशीनों से धड़ व सिर की तलाश शुरू कराई.

इस के अलावा आसपास के जिलों में वायरलैस संदेश भेज कर गुमशुदा लोगों की जानकारी भी मांगी गई. पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी कि उसी दिन शाम करीब 4 बजे सूचना मिली कि ट्रीटमेंट प्लांट की सीवरेज लाइन में एक और थैली मिली है, जिस में कटा हुआ सिर है. इस पर पुलिस अधिकारी दोबारा प्लांट पर पहुंचे. जिस थैली में सिर मिला, उस पर नागौर जिले के मेड़ता सिटी की एक दुकान का पता छपा था. जरूरी जांच पड़ताल के बाद कटा सिर भी अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया गया. बनाड़ पुलिस थाने में एएसआई गोरधन राम की रिपोर्ट पर अज्ञात मुलजिमों के खिलाफ अज्ञात व्यक्ति की हत्या कर सबूत नष्ट करने का केस दर्ज कर लिया गया.

अपराध की गंभीरता को देखते हुए जांच पड़ताल के लिए पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर एडीसीपी भागचंद के नेतृत्व में एसीपी राजेंद्र दिवाकर, बनाड़ थानाधिकारी अशोक आंजना और डांगियावास थानाधिकारी लीलाराम की टीम गठित की गई. धड़ की तलाश जरूरी थी. इस के लिए अधिकारियों ने सीवरेज प्लांट में आने वाले नाले में आधुनिक तकनीकी मशीनों से धड़ की तलाश शुरू कराई. उसी दिन रात को जोधपुर पुलिस को नागौर जिले से सूचना मिली कि चरणसिंह उर्फ सुशील चौधरी 10 अगस्त से लापता है. उस की गुमशुदगी का मामला मेड़ता सिटी थाने में दर्ज है. जोधपुर पुलिस ने चरणसिंह के फोटो मंगा कर सीवरेज लाइन में मिले कटे सिर के फोटो से मिलान किया, तो दोनों में समानता पाई गई.

जोधपुर पुलिस ने मेड़ता सिटी थाना पुलिस को सूचना भेज कर चरणसिंह के परिजनों को बुलाया. दूसरे दिन यानी 12 अगस्त को मिले कटे अंगों की शिनाख्त मेड़ता के खाखड़की गांव निवासी 27 वर्षीय चरणसिंह उर्फ सुशील जाट के रूप में हो गई. चरणसिंह के मामा के बेटे राजेंद्र गोलिया ने की. राजेंद्र गोलिया ने जोधपुर पुलिस को बताया कि 2 महीने पहले ही चरणसिंह राजस्थान सरकार के कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी के रूप में नियुक्त हुआ था. उस की पोस्टिंग नागौर जिले के डेगाना तहसील के खुडि़याला गांव में थी. चरणसिंह 10 अगस्त को घर से निकला था, लेकिन वापस नहीं लौटा. मिलने लगे सुराग कटे हुए अंगों की शिनाख्त हो जाने से पुलिस को तहकीकात में कुछ मदद मिली. पुलिस ने चरणसिंह के परिजनों से जरूरी पूछताछ की ताकि कत्ल के कारण और कातिलों का पता लगाया जा सके.

पूछताछ में पता चला कि 2013 में चरणसिंह की शादी बोरूंदा निवासी पोकर राम जाट की बेटी सीमा से हुई थी, लेकिन अभी गौना (शादी के बाद की एक रस्म) नहीं हुआ था. इन दिनों उस के गौने की बात चल रही थी. यह भी सामने आया कि चरणसिंह के परिवार और उस की ससुराल वालों के बीच बोरूंदा स्थित एक चूना भट्ठे को ले कर कुछ विवाद था. दरअसल, चरणसिंह के पिता नेमाराम कई सालों से बोरूंदा में पोकर राम के चूना भट्ठे पर काम करते थे. बाद में चरणसिंह की शादी पोकरराम की बेटी सीमा से हो गई. कुछ साल पहले पोकर राम को लकवा आ गया था, तब नेमाराम ने चूना भट्ठे का सारा काम संभाल लिया था.

बाद में इस भट्टे के मालिकाना हक को ले कर नेमाराम और पोकर राम के बीच विवाद हो गया. नेमाराम अपने बेटे चरणसिंह का गौना करवाना चाहते थे, जबकि पोकर राम के परिवार वाले पहले भट्ठे का विवाद सुलझाना चाहते थे. एक तरफ पुलिस मामले की गहराई में जा कर हत्या के कारणों और हत्यारों की तलाश में जुटी थी, वहीं दूसरी तरफ सीवरेज प्लांट से जुड़े नालों और पाइप लाइनों में चरणसिंह के धड़ की तलाश की जा रही थी. इस बीच, जोधपुर पुलिस को सूचना मिली कि मेड़ता सिटी में पब्लिक पार्क के पास एक लावारिस मोटरसाइकिल खड़ी मिली है, जो चरणसिंह की है. पुलिस ने इस पब्लिक पार्क के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली.

इन फुटेज में 10 अगस्त की शाम करीब 4:50 बजे सलवारसूट पहने 2 युवतियां मोटर साइकिल खड़ी करती नजर आईं. चरणसिंह की बाइक पर सवार हो कर आई 2 युवतियों से पुलिस ने अनुमान लगाया कि हत्या की कडि़यां उस की ससुराल से जुड़ी हो सकती हैं. अब पुलिस ने अपनी जांच का फोकस मानव अंग मिलने वाले जोधपुर के नांदड़ी इलाके के साथसाथ मेड़ता और बोरूंदा पर केंद्रिंत कर दिया. इस में साइबर टीम के जरिए तकनीकी जानकारियां भी जुटाई गईं. 3 सगी बहनों के नाम आए सामने पुलिस ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए चरणसिंह की पत्नी के अलावा 2 सालियों, एक साले और चूना भट्टे से जुड़े कई लोगों से पूछताछ की.

गहन पूछताछ और जांच पड़ताल कर जरूरी सबूत जुटाने के बाद जोधपुर पुलिस ने 13 अगस्त को सहायक कृषि अधिकारी चरणसिंह उर्फ सुशील चौधरी की हत्या के मामले में उस की 23 वर्षीय पत्नी सीमा के अलावा 2 बड़ी सालियों 25 वर्षीया प्रियंका और 27 वर्षीया बबीता के साथ प्रियंका के बौयफ्रैंड भींयाराम जाट को गिरफ्तार कर लिया. भींया राम खींवसर थाना इलाके के गांव कांटिया का रहने वाला था जबकि तीनों बहनें सीमा, प्रियंका और बबीता बोरूंदा के डांगों की ढाणियों की रहने वाली थी. ये तीनों बहनें शादीशुदा थीं. पोकर राम जाट की इन तीनों बेटियों में सीमा का अभी गौना नहीं हुआ था. तीनों बहनों और भींयाराम की निशानदेही पर पुलिस ने उसी दिन शाम को मंडोर 9 मील इलाके में नाले की तलाशी करवाकर चरणसिंह का धड़ भी बरामद कर लिया.

पुलिस की पूछताछ में चरणसिंह की नृशंस हत्या के लिए राक्षसी बनीं तीनों सगी बहनों की सामने आई कहानी में फिल्मों की तरह थ्रिल भी था और सस्पेंस भी. इस में प्यार भी था और नफरत भी. कुल जमा 5 किरदारों की कहानी थी यह. ये किरदार थे पति चरणसिंह, उस की पत्नी सीमा, साली प्रियंका और बबीता. साथ ही प्रियंका से 15 साल बड़ा उस का बौयफ्रैंड भींयाराम. इसे कथा कहानी पटकथा कुछ भी कहें, इस में आजाद ख्याल तीनों बहनों की महत्वाकांक्षाएं शामिल थीं. अपनी इच्छा से आजाद जीवन जीने के लिए तीनों बहनों ने ऐसा खूनी खेल खेला, जिस के बारे में चरणसिंह तो क्या कोई भी सोच तक नहीं सकता था कि उस की पत्नी और सालियां ऐसी नृशंसता करेंगी. हत्या की आरोपी तीनों बहनों और भींयाराम से पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है—

बोरूंदा के डांगों के रहने वाले पोकर राम की 7 बेटियां हैं और एक बेटा. पोकर राम का बोरूंदा में चूना भट्टा था. इस से उस की ठीकठाक कमाई हो जाती थी. इसी कमाई से उस ने एकएक कर 7 बेटियों की शादी कर दी थी. इन में 4 बेटियां अपने ससुराल में पति और बच्चों के साथ सुखी हैं. बाकी रह गई 3 बेटियां सीमा, प्रियंका और बबीता. इन तीनों की भी शादी हो चुकी थी. इन में बबीता और प्रियंका ने अपनेअपने पति को छोड़ दिया था. सीमा सब से छोटी थी. उस की शादी 2013 में नागौर जिले के मेड़ता सिटी निवासी नेमाराम जाट के बेटे चरणसिंह उर्फ सुशील से हुई थी, लेकिन गौना नहीं होने के कारण सीमा अभी तक ससुराल नहीं गई थी.

तीनों बहनें पढ़ीलिखी थीं. सीमा वेटनरी (पशुपालन) सहायक थी. बबीता ने एएनएम (नर्सिंग) का कोर्स कर रखा था, लेकिन अभी उसे सरकारी नौकरी नहीं मिली थी. वह पटवारी भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी. प्रियंका भी स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी. वह एक मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) कंपनी से जुड़ी हुई थी और सौंदर्य व स्वास्थ्य संबंधी प्रसाधन सामग्री औनलाइन मंगा कर बेचने का काम करती थी. नागौर जिले के खींवसर थाना इलाके के कांटिया गांव का रहने वाला भींयाराम प्रियंका के साथ काम करता था. इसीलिए प्रियंका और भींयाराम की दोस्ती थी. भींयाराम पूर्व फौजी था. हालांकि वह प्रियंका से 15 साल बड़ा था, फिर भी दोनों में दोस्ती थी. प्रियंका और बबीता पतियों से अलग होने के बाद जोधपुर शहर के नांदड़ी इलाके में किराए पर रहती थीं. हालांकि इस बीच बबीता का रिश्ता दूसरी जगह तय हो गया था.

अगर चरणसिंह की बात करें तो वह प्रतिभाशाली युवक था. 10वीं और 12वीं की परीक्षा में मेरिट हासिल करने के बाद उस ने बीएससी की पढ़ाई की थी. इसी दौरान उस की शादी सीमा से हो गई थी. बाद में चरणसिंह ने जोधपुर के मंडोर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में एसआरएफ के रूप में काम किया. इसी दौरान चरणसिंह अच्छी नौकरी हासिल करने के लिए प्रतियोगी परीक्षाएं देता रहा. इसी के चलते उस का चयन बैंक अधिकारी के रूप में हो गया. उसे पहली नियुक्ति उत्तर प्रदेश के अयोध्या में मिली. करीब 10-12 महीने काम करने के दौरान चरणसिंह का चयन राजस्थान के कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी के रूप में हो गया. इसी साल 23 मई को उस ने नौकरी ज्वाइन की थी.

चरणसिंह की शादी हुए 7 साल हो चुके थे. उस की उम्र भी 27 साल हो गई थी. साथ ही अच्छी सरकारी नौकरी भी मिल गई थी, लेकिन विवाहित होने के बावजूद वह पत्नी सुख से वंचित था. चरणसिंह के परिवार वाले काफी दिनों से सीमा का गौना कराने का दबाव डाल रहे थे, लेकिन सीमा के कहने पर उस के परिजन हर बार टाल जाते थे जबकि सीमा भी 23 साल की हो चुकी थी. चूंकि सीमा पत्नी थी, इसलिए चरणसिंह कई बार उस से मोबाइल पर बात कर लेता था. सीमा वैसे तो हंसहंस कर प्यार की बातें करती थी, लेकिन गौने के नाम पर भड़क जाती थी. चरणसिंह हंसमुख, स्मार्ट, सरकारी अधिकारी था, फिर भी पता नहीं किन कारणों से सीमा उसे पसंद नहीं करती थी. कहा जाता है कि वह समलैंगिंक थी. उस के किसी महिला से संबंध थे. वह पुरुषों से दूर रहना पसंद करती थी. इसीलिए वह गौना करा कर ससुराल नहीं जाना चाहती थी.

आरोप है कि सीमा के व्यवहार से परेशान चरणसिंह अपनी बड़ी साली प्रियंका से फ्लर्ट करता था. प्रियंका जीजासाली के रिश्ते को देखते हुए इस का विरोध नहीं कर पाती थी, लेकिन वह चरणसिंह की बातों से परेशान जरूर हो जाती थी. षडयंत्र ऐसा कि पुलिस भी चकरा गई कुछ दिन पहले जब चरणसिंह के परिवार की ओर से गौने का ज्यादा दबाव पड़ा, तो सीमा ने अपनी दोनों बड़ी बहनों प्रियंका और बबीता से कहा कि वह आत्महत्या कर लेगी लेकिन चरणसिंह के साथ नहीं जाएगी. इस पर बबीता और प्रियंका ने उस से कहा कि उसे आत्महत्या करने की जरूरत नहीं है, हम मिल कर उसे ही निपटा देंगे, जिस से तू परेशान है.

इस के बाद तीनों बहनें चरणसिंह की हत्या की साजिश रचने लगी. काफी सोचविचार के बाद उन्होंने अपनी योजना को अंतिम रूप दे दिया. चरणसिंह की हत्या को अंजाम देने के लिए उन्होंने बाजार से इलैक्ट्रिक ग्राइंडर कटर मशीन खरीदी. यह मशीन जोधपुर में प्रियंका व बबीता के मकान पर रख दी गई. योजना के तहत सीमा ने फोन कर चरणसिंह को 10 अगस्त को जोधपुर बुलाया. चरणसिंह उसी दिन अपनी मोटर साइकिल से जोधपुर पहुंच गया. सीमा उसे इंतजार करती मिली. वह चरणसिंह की मोटर साइकिल पर बैठ कर उसे अपनी दोनों बहनों के मकान पर नांदड़ी ले गई. वहां सीमा, प्रियंका व बबीता ने कुछ देर तो इधरउधर की बातें की, फिर चरणसिंह को शराब पिलाई. बाद में कोल्डड्रिंक में नींद की गोलियां मिला कर उसे पिला दी गईं.

कुछ ही देर में चरणसिंह अचेत हो गया, तो उसे एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया गया ताकि उस के होश में आने की कोई गुंजाइश ही न रहे. बाद में तीनों बहनों ने उसे गला दबा कर उसे हमेशा के लिए मौत की नींद सुला दिया. इस के बाद तीनों ने इलैक्ट्रिक ग्राइंडर कटर मशीन से चरणसिंह के शव को 6 टुकड़ों में काटा. इन टुकड़ों को 3 थैलियों में भर दिया गया. शव के टुकड़े करने के दौरान फर्श पर फैले खून को साफ करने के लिए पूरे घर को धो दिया गया. इस सब के बाद तीनों बहनें मकान पर ताला लगा कर चरणसिंह की मोटर साइकिल से बोरूंदा पहुंची. वहां सीमा को उतार दिया गया. फिर प्रियंका और बबीता उसी मोटर साइकिल से मेड़ता सिटी गईं. वहां इन दोनों ने पब्लिक पार्क के बाहर चरणसिंह की मोटर साइकिल खड़ी कर दी.

मेड़ता सिटी से दोनों बहनें बस से जोधपुर आ गईं. इन बहनों के पास केवल एक स्कूटी थी. जिस पर शव के टुकड़ों को ले जा कर ठिकाने लगाना जोखिम भरा काम था. इसलिए प्रियंका ने अपने बौयफ्रैंड भींयाराम को फोन कर के जरूरी काम होने की बात कह कर बुलाया. भींयाराम 10 अगस्त की रात कार ले कर उन के मकान पर पहुंचा, तो प्रियंका और बबीता ने उसे चरणसिंह की हत्या कर टुकड़े थैलियों में भर कर रखने की बात बताई. साथ ही उस से उन्हें ठिकाने लगाने में मदद मांगी. भींयाराम ने इस काम में उन का साथ देने से इनकार कर दिया, तो प्रियंका व बबीता ने कहा कि अगर वह साथ नहीं देगा, तो तीनों बहनें सुसाइड कर लेंगी और सुसाइड नोट में मौत का जिम्मेदार उसे बता देंगी.

डरासहमा भींयाराम आखिर उन का साथ देने को राजी हो गया. उस ने तीनो थैलियां अपनी कार की पिछली सीट पर रखीं. दोनों बहनें आगे की सीट पर बैठ गईं. इन्होंने चरणसिंह के कटे हाथपैर और सिर वाली 2 थैलियां नांदड़ी में अपने घर से करीब 100 मीटर दूर सीवरेज लाइन में डाल दीं. धड़ वाली तीसरी थैली इन्होंने रातानाड़ा पुलिस लाइन के पीछे नाले में डालने की सोची, लेकिन वहां पुलिस का नाका देख कर वे लोग नागौर रोड़ की तरफ निकल गए, वहां नाले में तीसरी थैली फेंक दी. इस के बाद तीनों नांदड़ी आ गए. प्रियंका ने रात को डर लगने की बात कह कर भीयाराम को रोकने की कोशश की, लेकिन उस ने रुकने से इनकार कर दिया और अपने घर चला गया. हाथपैर व सिर वाली 2 थैलियां 11 अगस्त को नांदड़ी गोशाला के पीछे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की हौदी की सफाई के दौरान मिली थी. चारों आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद 13 अगस्त को उन की निशानदेही पर धड़ वाली थैली बरामद की गई.

पुलिस ने 14 अगस्त को जोधपुर के एमजीएच अस्पताल में 5 डाक्टरों के मेडिकल बोर्ड से शव के 6 टुकड़ों का पोस्टमार्टम कराया. डाक्टरों की टीम ने शव के सभी 6 टुकड़ों के डीएनए सैंपल लिए ताकि पुष्टि हो सके कि ये एक ही व्यक्ति के थे. तीनों बहनें इतनी शातिर निकली कि जब चरणसिंह के लापता होने और मेड़ता सिटी थाने में गुमशुदगी दर्ज होने की खबरें सोशल मीडिया पर चलने लगीं, तो उन्होंने चरणसिंह के रिश्तेदारों को फोन कर पूछा कि वे कहां गायब हो गए? पुलिस ने 12 अगस्त को जब तीनों बहनों से अलगअलग पूछताछ की, तो वे पूरे आत्मविश्वास से पुलिस को छकाती रहीं और चरणसिंह की हत्या में अपना हाथ होने से इनकार करती रहीं.

बाद में पुलिस ने भींयाराम को भी हिरासत में ले लिया और सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य कई सबूत उन के सामने रख कर पूछताछ की, तो वे टूट गईं और चरणसिंह की हत्या कर उस के शव के टुकड़े कर सीवरेज के नालों में फेंकने की बात स्वीकार कर ली. इस के बाद 13 अगस्त को चारों को गिरफ्तार कर लिया गया. पति चरणसिंह से नफरत करने वाली सीमा ने अपनी आजादी और शौक पूरे करने के लिए उसे मौत के घाट उतार कर खुद के साथ अपनी 2 बड़ी बहनों और एक बहन के दोस्त का जीवन बरबाद कर दिया. अपने पतियों की ना हो सकी तीनों बहनों ने पिता पोकर राम को बुढ़ापे में ऐसा दर्द दिया है कि वह जीते जी उसे सालता रहेगा.

(कहानी पुलिस सूत्रों और विभिन्न रिपोर्ट्स पर आधारित)

नोट-पुलिस ने सीमा के समलैंगिक संबंधों की पुष्टि की है, समाचार पत्रों में भी सीमा के समलैंगिक होने की बात छपी है.

 

UP Crime : पिता के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखी पत्नी तो गुस्साए बेटे ने कर दिया कत्ल

UP Crime : ससुर के लिए बहू बेटी जैसी होनी चाहिए. लेकिन वंशलाल की नजरों में बहू विनीता कुछ और ही थी, तभी तो उस ने उस की इज्जत लूट ली. इस का खामियाजा वंशलाल को ऐसा भुगतना पड़ा कि…

सुबह के करीब 10 बज रहे थे. फतेहपुर जिले के बिंदकी थानाप्रभारी नंदलाल सिंह थाने में मौजूद थे. वह एक शातिर बदमाश को गिरफ्तार कर के लाए थे और उस से उस के अन्य साथियों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह बेहद घबराया हुआ था. थानाप्रभारी ने उस पर एक नजर डाली फिर पूछा, ‘‘क्या बात है तुम कुछ परेशान लग रहे हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम अनिल कुमार है. मैं कमरापुर गांव में रहता हूं और आप के थाने में तैनात होमगार्ड वंशलाल का बेटा हूं. बीती रात किसी ने मेरे पिता की हत्या कर दी. उन की लाश घर में ही पड़ी है.’’

अनिल की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंकते हुए बोले, ‘‘क्या कहा, वंशलाल की हत्या हो गई. कल शाम को ड्यूटी पूरी कर घर गया था. फिर किस ने उस की हत्या कर दी. खैर, मैं देखता हूं.’’

चूंकि थाने में तैनात होमगार्ड की हत्या का मामला था, अत: थानाप्रभारी ने होमगार्ड इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार, अखिलेश मौर्या तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को साथ लिया और जीप से घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. यह 17 मार्च, 2020 की बात है. कमरापुर गांव थाने से 8 किलोमीटर दूर बिंदकी अमौली रोड पर था. पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. घटनास्थल पर पहुंच कर थानाप्रभारी निरीक्षण में जुट गए. वंशलाल की लाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर पड़ी थी. वह कच्छा बनियान पहने था. उस की होमगार्ड की वर्दी खूंटी पर टंगी थी. उस की हत्या शायद गला दबा कर की गई थी. उस की उम्र 55 साल के आसपास थी.

निरीक्षण के दौरान थानाप्रभारी नंदलाल सिंह की नजर मृतक के कच्छे पर पड़ी जो खून से तरबतर था. लग रहा था जैसे गुप्तांग से खून निकला था. शरीर पर अन्य किसी चोट का निशान नहीं था. पुलिस ने जांच की तो उस का गुप्तांग कुचला हुआ मिला. थानाप्रभारी को शक हुआ कि कही वंशलाल की हत्या नाजायज संबंधों के चलते तो नहीं हुई, किंतु उन्होंने अपना शक जाहिर नहीं किया. थानाप्रभारी नंदलाल सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी प्रशांत कुमार वर्मा, एएसपी चक्रेश मिश्रा तथा सीओ अभिषेक तिवारी भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर सबूत जुटाए.

डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर डौग को छोड़ा. उस ने शव को सूंघ तख्त के 2 चक्कर लगाए, फिर भौंकते हुए गली की ओर बढ़ गया. 2 मकान छोड़ कर वह तीसरे मकान पर जा कर रुक गया और जोरजोर से भौंकने लगा. पर उस मकान में ताला लटक रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस मकान के बारे में पूछा तो मृतक के बड़े बेटे अनिल कुमार ने बताया कि इस मकान में उस का छोटा भाई मनीष कुमार अपनी पत्नी विनीता के साथ रहता है. बीती शाम मनीष घर पर ही था, पर रात में कहां चला गया, उसे पता नहीं है. अनिल की बात सुन कर पुलिस अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं मनीष और विनीता ने मिल कर तो वंशलाल की हत्या नहीं कर दी. उन का फरार होना भी इसी ओर इशारा कर रहा था. पुलिस ने मनीष व विनीता की तलाश शुरू कर दी.

निरीक्षण के बाद घटनास्थल की काररवाई के बाद वंशलाल का शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. इस के बाद पुलिस ने बरामदे में खूंटी पर टंगी मृतक की वर्दी की जामातलाशी कराई तो पैंट की जेब से एक छोटी डायरी तथा पर्स बरामद मिला. कमीज की जेब से एक मोबाइल फोन भी मिला. मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि रात 9:24 बजे वंशलाल की एक नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी. जांच में वह नंबर मनीष की पत्नी विनीता का निकला. जांच के हर बिंदु पर जब मनीष और विनीता शक के दायरे में आए तो एसपी प्रशांत कुमार वर्मा ने उन्हें पकड़ने के लिए सीओ अभिषेक तिवारी के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी नंदलाल सिंह, एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल अखिलेश मौर्या, शैलेंद्र कुमार तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को शामिल किया गया.

तलाश बहू और बेटे की टीम ने सब से पहले मृतक वंशलाल के बड़े बेटे अनिल कुमार, तथा उस की पत्नी रमा देवी के बयान दर्ज किए. अनिल कुमार ने अपने बयान में बताया कि पिताजी रंगीनमिजाज और शराब के आदी थे. मनीष की पत्नी विनीता ने अम्मा से उन की रंगीनमिजाजी की शिकायत भी की थी. इसी आदत की वजह से मनीष और विनीता अलग रहने लगे थे. संभव है कि उन की हत्या में उन दोनों का हाथ हो. पुलिस टीम ने मृतक वंशलाल के पड़ोस में रहने वाले कुछ खास लोगों से बात की तो पता चला कि वंशलाल दबंग किस्म का व्यक्ति था. वह होमगार्ड जरूर था, पर गांव के लोग उसे छोटा दरोगा कहते थे. गांव का कोई भी मामला थाने पहुंचता तो उस का निपटारा वंशलाल द्वारा ही होता था. मनीष जब घर से अलग हुआ था, तब ऐसी चर्चा फैली थी कि वंशलाल अपनी बहू पर गलत नजर रखता था, जिस से वह अलग रहने लगी थी.

पुलिस टीम ने मनीष और विनीता की तलाश तेज कर दी और विनीता के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया. इस के अलावा पुलिस ने अपने खास मुखबिरों को भी उन की टोह में लगा दिया. विनीता का मायका नगरा गांव में था. उस की लोकेशन भी वहीं की मिल रही थी. अत: पुलिस टीम ने आधी रात को विनीता के पिता विजय पाल के घर छापा मारा, लेकिन मनीष और विनीता पुलिस के हाथ नहीं लगे. 20 मार्च, 2020 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर फरीदपुर मोड़ से मनीष और उस की पत्नी विनीता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से वंशलाल पाल की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे दोनों टूट गए और वंशलाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने वंशलाल पाल उर्फ बैजनाथ पाल की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो सीओ अभिषेक तिवारी कोतवाली बिंदकी आ गए. उन्होंने कातिल मनीष कुमार तथा उस की पत्नी विनीता से विस्तृत पूछताछ की. अभियुक्तों के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली तो सीओ अभिषेक तिवारी भी कोतवाली बिंदकी पहुंच गए और अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की. फिर आननफानन प्रैसवार्ता की. उन्होंने आरोपियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपी मनीष कुमार तथा विनीता ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी नंदलाल सिंह ने मृतक के बड़े बेटे को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत मनीष और विनीता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हेें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस जांच में एक ऐसी बहू की कहानी सामने आई, जिस ने पति के साथ मिल कर कामी ससुर को ठिकाने लगाने की गहरी साजिश रची. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिंदकी थाना क्षेत्र में एक गांव है नगरा. इसी गांव में विजय पाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा 2 बेटे राजन, अजय तथा 2 बेटियां अनीता व विनीता थीं. विजय पाल के पास मात्र 2 बीघा उपजाऊ भूमि थी. इस की उपज से उस के परिवार का भरणपोषण मुश्किल था. अत: वह दूध का व्यवसाय भी करने लगा. इस काम में उस के दोनों बेटे भी सहयोग करते थे. छोटी बेटी विनीता 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर की थी. हाईस्कूल पास करने के बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मातापिता दूरदराज कस्बे में पढ़ाने को राजी न थे, इसलिए उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

जब विनीता सयानी हो गई तो उस की शादी कमरापुर गांव के मनीष से कर दी गई. मनीष का पिता वंशलाल उर्फ बैजनाथ पाल बिंदकी थाने में होमगार्ड था. उस के परिवार में पत्नी माया देवी के अलावा 2 बेटे अनिल कुमार, मनीष कुमार तथा एक बेटी रूपाली थी. वंशलाल पाल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. गांव में उस के 2 मकान तथा 2 एकड़ खेती की जमीन थी. 2015 में वंशलाल ने छोटे बेटे मनीष की शादी नगरा गांव की विनीता से कर दी. कुछ ही दिनों में विनीता ने अपने काम और व्यवहार से अपने पति, सासससुर को प्रभावित किया. विनीता का पति व जेठ सबेरा होते ही खेत पर चले जाते थे, जबकि ससुर वंशलाल ड्यूटी करने थाना बिंदकी जाता था. वह शाम को 7 बजे के बाद ही लौटता था. कभी वह शराब पी कर घर आता तो कभी घर पर बैठ कर पीता था.

विनीता को शराब से नफरत थी, पर वह मना भी नहीं कर सकती थी. वैसे भी पूरे घर पर ससुर का ही राज था. उस की इजाजत के बिना कोई कुछ काम नहीं कर सकता था. कृषि उपज का हिसाबकिताब तथा अन्य खर्चों का लेखाजोखा भी वही रखता था. अगर विनीता को जेब खर्च के लिए पैसे की जरूरत होती थी, तो वह भी ससुर से ही मांगती थी. बात उन दिनों की है, जब विनीता की जेठानी रमा मायके गई हुई थी. घर की साफसफाई से ले कर खाना पकाने तक की जिम्मेदारी विनीता पर थी. इधर कुछ दिनों से विनीता घूंघट के भीतर से ही अनुभव कर रही थी कि ससुर वंशलाल जब खाना खाने बैठता है, तो उस की नजर उस के चेहरे पर ही जमी रहती है.

वह उस के खाना पकाने की तारीफ करता, साथ ही ललचाई नजरों से उसे देखता भी था. विनीता समझ नहीं पा रही थी कि आखिर ससुरजी के मन में चल क्या रहा है. उन्हीं दिनों एक शाम विनीता रसोई में खाना पका रही थी कि ससुर वंशलाल आ पहुंचा. वह नशे में था. ससुर को देख कर विनीता ने सिर पर साड़ी का पल्लू डाल लिया और पूर्ववत अपने काम में लगी रही. औपचारिकता के नाते उस ने पूछा, ‘‘बाबूजी, आप को किसी चीज की जरूरत है क्या?’’

‘‘विनीता, बहुत अच्छी खुशबू आ रही है.’’ पीछे से वंशलाल ने विनीता के कंधे पर हाथ रखा और उसे धीमेधीमे दबाते हुए बोला, ‘‘खुशबू से भूख जाग गई है.’’

ससुर के इस व्यवहार से विनीता सकपका गई. पिता समान कोई ससुर ऐसे मस्ताने अंदाज में बहू का कंधा नहीं दबाता. विनीता के मन में यह खयाल भी सिर पटकने लगा कि ससुर का इशारा किस खुशबू की तरफ है, भोजन की खुशबू या उस के बदन की खुशबू. उस को कौन सी भूख जागी है, पेट की या कामनाओं की. विनीता असहज हो चली थी वह अपने कंधे से उस का हाथ हटाना ही चाह रही थी कि वंशलाल ने खुद ही हाथ हटा लिया और एकदम से उस के सामने आ कर बोला, ‘‘बहू, जिन हाथों से तुम लजीज और खुशबूदार खाना बनाती हो, जी चाहता है उन हाथों को चूम लूं.’’

इसी के साथ वंशलाल ने उस का हाथ पकड़ लिया और उसे होंठोें से लगा कर दनादन चूमने लगा. विनीता हतप्रभ रह गई कि ससुर यह क्या कर रहा है. कहीं उस के मन में सचमुच पाप तो नहीं. विनीता के मस्तिष्क में विचारों की उथलपुथल चल ही रही थी कि वंशलाल ने खुद ही उस का हाथ छोड़ दिया. उस के बाद वह हंस कर बोला, ‘‘किसी दिन मैं फिर तुम्हारे हाथ के साथ होंठ भी चूमूंगा.’’

विनीता ने सोच लिया कि सब लोग इत्मीनान से खाना खा लेंगे तो वह सास माया को ससुर की करतूत बताएगी. लेकिन उस की यह इच्छा तब अधूरी रह गई, जब सास खाना खा कर चारपाई पर लेटी और थोड़ी ही देर में गहरी नींद के आगोश में समा गई. सास की नसीहत अगले दिन जब पति, जेठ व ससुर अपनेअपने काम पर चले गए, तब विनीता सास के पास जा बैठी, ‘‘अम्मा मुझे आप से एक जरूरी बात करनी है.’’

माया देवी हंसी, ‘‘एक नहीं चार बात करो बहू. मैं तो यही चाहती हूं कि तुम खूब बात करो. तुम्हारा मन बहल जाएगा और मेरा भी समय कट जाएगा.’’

‘‘अम्मा, मन बहलाने व समय काटने वाला मुद्दा नहीं है,’’ विनीता आहिस्ता से बोली, ‘‘मुझे जो कहना है, वह बात बहुत गंभीर है.’’

माया देवी भी संजीदा हो गई, ‘‘बोलो बहू, क्या बात है?’’

विनीता ने सिर झुका कर मर्यादित शब्दों में ससुर की करतूत कह डाली.

माया देवी ने पैनी निगाहों से बहू को देखा फिर बोली, ‘‘मनीष के बाबू ने नशे में कंधे पर हाथ धर दिया होगा और हाथ चूम लिया होगा. बस इतनी सी बात पर तुम शिकायत ले कर आ गई.’’

‘‘अम्मा…’’ विनीता के मुंह से घुटीघुटी सी चीख निकल गई, ‘‘मेरा खयाल था कि इस शिकायत से आप बाबूजी को मर्यादा का पाठ पढ़ाओगी, लेकिन आप तो उन्हें शह दे रही हो.’’

‘‘चुपऽऽ’’ माया देवी ने विनीता को डांट दिया, ‘‘एक तो जिस के पैसे का खातीपहनती है, जिस के घर में रहती है, सुबहसुबह उस की बुराई करने बैठ गई और दूसरे अम्माअम्मा किए जा रही है. उठ यहां से और अपना काम कर.’’ माया देवी ने विनीता को हड़काया. आंखों में आंसू लिए विनीता, सास के पास से उठ गई. उस की आंखें ही नहीं बरस रही थीं, दिल भी रो रहा था. सास की उदासीनता ने विनीता की घबराहट और बढ़ा दी थी. वह सोचने लगी अपनी अस्मत की हिफाजत के लिए उसे खुद ही कुछ करना होगा. लगभग एक सप्ताह तक ससुर ने कोई हरकत नहीं की तो विनीता थोड़ा निश्चिंत हो गई. सोचा कि शायद उसे कोई गलतफहमी हो गई हो. ससुर के मन में पाप नहीं है. पाप होता तो चुप हो कर नहीं बैठता.

किंतु दूसरे सप्ताह के शुरू में ही विनीता की गलतफहमी दूर हो गई. हुआ यह कि रोज की तरह विनीता शाम को खाना पका चुकी तो वह अपने कमरे में आ कर बैड पर लेट गई. वह आंखें बंद किए हुए लेटी थी, तभी उसे किसी के आने की आहट हुई. विनीता ने झट से आंखें खोल दीं, देखा सामने ससुर वंशलाल खड़ा मुसकरा रहा था. ससुर को देख कर विनीता घबरा गई और बैड से उठ कर खड़ी हो गई. उस ने सिर पर साड़ी का पल्लू डालते हुए पूछा,  ‘‘बाबूजी खाना लगा दूं क्या?’’

‘‘नहीं, मुझे पेट की नहीं शरीर की भूख सता रही है. आज मैं इस भूख को शांत करूंगा.’’ कहते हुए वंशलाल ने विनीता को अपनी बांहों में भर लिया. इज्जत पर आए संकट को देख विनीता ने जोर लगा कर खुद को छुड़ाया और बोली, ‘‘बाबूजी, आप नशे में हैं, इसलिए समझ नहीं पा रहे हैं कि आप को मुझ से ऐसी शर्मनाक बात नहीं करनी चाहिए.’’

वंशलाल के चेहरे पर कुटिल मुसकान फैल गई, ‘‘विनीता, नशे में ही आदमी सच बोलता है.’’

विनीता जानती थी कि ससुर वंशलाल अपनी बेशर्मी से बाज नहीं आने वाला, लिहाजा उस ने उस के सामने से हट जाने में ही अपनी भलाई समझी. कन्नी काट कर वह दूसरे कमरे में जा पहुंची. वहां वह सोचने लगी कि अब इस पूरे मामले को पति की जानकारी में लाना जरूरी हो गया है. वरना ससुर का हौसला इसी तरह बढ़ता रहा, तो वह उस की काया ही नहीं, आत्मा तक को मैली कर देगा. पति को बता दी पूरी कहानी  रात को कमरा बंद कर के विनीता पति के साथ बिस्तर पर लेटी तो वह उदास थी. मनीष ने उदासी का कारण पूछा तो विनीता की आंखों से गंगाजमुना बह निकली. हिचकियां लेते हुए उस ने पूरी दास्तान सुना दी फिर मनीष के कंधे पर सिर टिका कर बोली, ‘‘बाबूजी के मन में पाप समाया है. मेरी इज्जत खतरे में है. यहां रही तो मेरे तन पर अमिट दाग लग जाएगा. तुम दूसरा मकान ले लो. अब हम अलग रहेंगे.’’

मनीष ने कंधे से विनीता का सिर हटा कर उस के आंसू पोंछे, ‘‘अब मेरी समझ में आया कि नशे की झोंक में बाबूजी तुम्हारी इतनी तारीफ क्यों किया करते थे, उन का मन डोला हुआ था तुम पर.’’

‘‘इसीलिए तो मैं तुम से कह रही हूं,’’ विनीता उत्साहित हो कर बोली, ‘‘बाबूजी मेरी इज्जत पर हाथ डालें, उस से पहले ही तुम अपनी घरगृहस्थी अलग कर लो.’’ वह बोली.

मनीष कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘बात तो तुम सही कह रही हो, पर तुम्हें ले कर मैं अलग हुआ नहीं कि बाबूजी मुझे परिवार से अलग कर देंगे. तब हम खाएंगे क्या.’’

‘‘लालच छोड़ो और मेरी इज्जत के बारे में सोचो. हम मेहनतमजदूरी कर गुजारा कर लेंगे. भूखा भी रहना पड़ा तो रह लेंगे. पर इज्जत बचाने को घरगृहस्थी अलग कर लो.’’

पत्नी की बात मान कर मनीष ने अपनी गृहस्थी अलग करने की बात कही तो वंशलाल भड़क उठा, ‘‘बेशक तुम अलग रहो. पर मैं अपनी जमीन का एक इंच भी जोतनेबोने को नहीं दूंगा. तुम्हें खुद कमानाखाना पड़ेगा.’’

मनीष को पहले से यही उम्मीद थी. अत: उस ने पिता की धमकी की परवाह नहीं की और पिता के खाली पड़े मकान में अलग रहने लगा. उसे दहेज में जो सामान मिला था, उस से उस ने अपना घर सजा लिया और पत्नी के साथ रहने लगा. जेठानी रमा को देवरानी का अलग होना खलने लगा. क्योंकि अब उसे ही घर के कामों के अलावा सास की सेवा करनी पड़ती थी. सास मायादेवी बीमार रहने लगी थी, जिस से उन की दवा आदि का विशेष खयाल रखना पड़ता था. विनीता को भी जब समय मिलता था, तो सास की सेवा में पहुंच जाती थी . इस बहाने देवरानीजेठानी बतिया लेती थी. रामादेवी उसे चोरीछिपे घरगृहस्थी का सामान भी दे देती थी.

वंशलाल बना हैवान विनीता की मुश्किल तब बढ़ी जब मनीष जनवरी, 2019 में बीमार पड़ गया और उस का काम भी छूट गया. उस ने कुछ सप्ताह तो जैसेतैसे काटे और पति का इलाज भी कराया लेकिन जब आर्थिक परेशानी ज्यादा बढ़ी तो एक रोज उस ने ससुर वंशलाल को घर बुलाया और आर्थिक मदद की गुहार लगाई. विनीता पर वंशलाल की गिद्ध दृष्टि पहले से ही थी. अत: लालच में उस ने विनीता की आर्थिक मदद कर दी. इलाज होने पर मनीष स्वस्थ हो गया और फिर से काम करने लगा.

वंशलाल हर हाल में बहू के जिस्म को हासिल करना चाहता था. अत: मदद के बहाने वह विनीता के घर आनेजाने लगा. ससुर होने के नाते विनीता कभी चाय को पूछ लेती तो कभी खाने को. विनीता घूंघट की ओट से ही ससुर से बातें करती थी और चायपानी देती थी. इस बीच वंशलाल किसी प्रकार की अश्लील हरकत नहीं करता था, जिस से विनीता को लगने लगा था कि शायद वह सुधर गया है, पर यह उस की भूल थी. एक शाम वंशलाल डयूटी से घर आया तो उसे पता चला कि उस का बेटा अपनी ससुराल नगरा गया है. यह पता चलते ही उस के जिस्म की भूख जाग उठी. उस ने मन ही मन निश्चय किया कि आज वह अपनी भूख मिटा कर ही रहेगा.

रात 10 बजे जब गली में सन्नाटा पसर गया तो वह विनीता के घर पहुंचा और कुंडी खटखटाई. विनीता ने सोचा कि कहीं मनीष तो नहीं लौट आया. उस ने अलसाई आंखों से दरवाजा खोल दिया. सामने ससुर वंशलाल खड़ा था. इस से पहले कि विनीता कुछ पूछती, ससुर ने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और बहू विनीता को दबोच लिया. फिर वह उसे बिस्तर पर ले गया और मनमानी करने लगा. विनीता ने ससुर की बांहों से छूटने का भरसक प्रयास किया, गिड़गिड़ाई, इज्जत की दुहाई दी, पर वंशलाल पर तो हवस का शैतान सवार था. हाथपांव चलाने के बावजूद उस ने विनीता को नहीं छोड़ा. शारीरिक भूख मिटाने के बाद ही वह विनीता के जिस्म से अलग हुआ. इस के बाद वह वापस चला गया.

विनीता चाहती तो चीखचिल्ला कर पूरे मोहल्ले को इकट्ठा कर लेती. पर उस ने ऐसा कुछ नहीं किया. इस की वजह यह थी कि लोग उसे ही दोषी ठहराते. पुलिस में जाती तो उस की कोई नहीं सुनता. क्योंकि वह बिंदकी थाने में ही ड्यूटी करता था. बाहर भी उस की सुनवाई नहीं होती. इसलिए इज्जत लुटाने के बावजूद वह चुप रही. दूसरे रोज पति आया तो उस ने उसे भी कुछ नहीं बताया. क्योंकि बताने से बापबेटे में द्वंद होता फिर पूरे गांव में इज्जत नीलाम होती. इसलिए सारा जहर विनीता स्वयं ही पी गई. इधर जब घर में कोई शोरशराबा या शिकवाशिकायत नहीं हुई तो वंशलाल का हौसला बढ़ गया. उसे लगा कि विनीता ने दिखावे के तौर पर विरोध किया, पर अंतर्मन से उस की भी रजामंदी है.

हौसला बढ़ते ही एक शाम वंशलाल, विनीता के घर आ पहुंचा. उस ने मदद के नाम पर विनीता की हथेली पर हजार रुपए रखे, फिर उसे बिस्तर पर ले गया और हवस मिटा कर चला गया. इस के बाद तो यह सिलसिला ही बन गया. वंशलाल को जब भी मौका मिलता, बहू के साथ खेल लेता. परंतु गलत काम ज्यादा दिन छिपा नहीं रहता. वंशलाल के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस शाम वंशलाल बहू से मुंह काला कर के घर से निकल रहा था, तभी मनीष आ गया. मनीष ने बाप को घर से निकलते देखा तो उस का माथा ठनका. वह अंदर पहुंचा तो विनीता अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर बैठी सुबक रही थी.

विनीता को उस अवस्था में देख कर मनीष समझ गया कि चंद मिनट पहले ही ससुरबहू ने वासना का खेल खेला है. अत: उस ने गुस्से में विनीता की पिटाई की फिर उस का गला दबाते हुए बोला, ‘‘बता यह सब कब से चल रहा है?’’

विनीता ने किसी तरह अपना बचाव किया फिर बोली, ‘‘मेरा गला क्यों दबा रहे हो. दबाना ही है तो अपने बाप का दबाओ, जो मुझे जबरदस्ती हवस का शिकार बनाता है. मैं गिड़गिड़ाती रहती, पर हवस के उस दरिंदे को जरा भी दया नहीं आती.’’

मनीष ने रची बाप की हत्या की साजिश मनीष ने पत्नी की बात पर सहज भरोसा कर लिया. फिर गुस्से से बोला, ‘‘अगर ऐसी बात है तो बाप को सबक सिखाना ही पड़ेगा. पर इस के लिए मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘मैं साथ देने को तैयार हूं,’’  विनीता ने वादा किया.

इस के बाद मनीष और विनीता ने वंशलाल की हत्या की योजना बनाई और समय का इंतजार करने लगे. 16 मार्च, 2020 की शाम 7 बजे होमगार्ड वंशलाल थाना बिंदकी से ड्यूटी पूरी कर घर लौटा. फिर शराब पीने बैठ गया. रात 9 बजे उस ने खाना खाया और घर के बाहर बरामदे में आ कर वर्दी उतार कर खूंटी पर टांग दी और तख्त पर लेट गया. उसे लेटे हुए अभी चंद मिनट ही बीते थे कि उस के मोबाइल पर काल आई. उस ने मोबाइल नंबर देखा तो विनीता का था. वंशलाल ने काल रिसीव की तो विनीता बोली, ‘‘बाबूजी, मनीष घर पर नहीं है. मैं घर पर अकेली हूं. डर लग रहा है. आप आ जाइए.’’

वंशलाल बहू की चाल को समझ नहीं पाया और बोला, ‘‘तुम डरो मत, मै तुरंत आ रहा हूं.’’

इस के बाद वह कच्छाबनियान पहने ही विनीता के घर पहुंच गया. घर पर मनीष घात लगाए बैठा ही था. वंशलाल के पहुंचते ही उस ने उसे दबोच लिया. पहले दोनों ने वंशलाल कोे लातघूंसों से पीटा, फिर अंगौछे से गला कस कर मार डाला. इस बीच नफरत से भरी विनीता ने फुंकनी से ससुर के गुप्तांग पर चोट पहुंचाई और बुरी तरह कुचल डाला, जिस से खून बहने लगा. हत्या करने के बाद दोनों मिल कर शव को तख्त पर डाल गए फिर घर में ताला लगा कर फरार हो गए. सुबह अनिल जब दिशामैदान को घर से निकला तो उस ने पिता का शव तख्त पर पड़ा देखा. अनिल ने शोर मचाया तो पड़ोसी आ गए. फिर अनिल थाना बिंदकी पहुंचा और बाप की हत्या की सूचना दी.

मनीष और उस की पत्नी विनीता से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 21 मार्च, 2020 को दोनों को फतेहपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रेट बी.के. सहगल की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधा