Love Crime : पिता ने बेटी के प्रेमी के सीने में मारी गोली

Love Crime : अमित और बेबी का परचून की दुकान से शुरू हुआ प्यार पूरे गांव में आम हो गया था. दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन जाति की दीवार ने ऐसा रंग दिखाया कि दोनों के खून के छींटे पूरे गांव में फैल गए…

उत्तर प्रदेश के शहर बरेली का एक थाना है बिशारतगंज. इस्माइलपुर गांव इसी थाना क्षेत्र में आता है. गुड्डू अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी बेबी और एक बेटा प्रकाश था. बेटी बीए फाइनल में पढ़ रही थी. गुड्डू खेतीकिसानी करता था. इसी से उस के परिवार की गुजरबसर होती थी. बेबी के घर के पास गांव के 22 वर्षीय अमित गुप्ता की किराने की दुकान थी. बेबी घर का खानेपीने का सामान अमित की दुकान से लाती थी. इसी आनेजाने में वह मन ही मन अमित को पसंद करने लगी थी. लेकिन उस ने अपने मन की बात अमित पर जाहिर नहीं होने दी थी.

अमित के पिता रामकुमार का कई साल पहले निधन हो गया था, मां अभी थी. भाईबहनों से उस का परिवार भरा पूरा था. अमित का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उस ने परचून की दुकान खोल ली थी. एक दिन बेबी जब अमित की दुकान पर पहुंची, तो वहां उस के अलावा कोई ग्राहक नहीं था. सौदा लेने के बाद चलते समय उस ने अमित से कहा, ‘‘तुम बहुत सुंदर हो.’’

अकसर ऐसी प्यार भरी बातें चाहने वाले लड़के अपनी प्रेमिका से कहते हैं. जबकि यहां यह बात एक युवती कह रही थी. सुन कर अमित के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई. उस ने भी मुसकरा कर कह दिया, ‘‘अच्छा…’’

और बेबी शरमा कर वहां से चली गई. दुकान पर आतेजाते उसे अमित अच्छा लगने लगा था. काफी दिनों तक तो उस ने अपने दिल पर काबू रखा था. लेकिन उस दिन उस ने हिम्मत कर के अमित से सुंदर लगने वाली बात कह ही दी थी. अब बेबी इसी ताक में रहने लगी कि जब अमित की दुकान पर कोई ग्राहक न हो तभी सामान लेने जाए. एक दिन उसे यह मौका मिल गया. सामान लेते समय अमित ने उस का हाथ पकड़ कर पूछा, ‘‘उस दिन तुम क्या कह रही थीं?’’

‘‘कुछ भी तो नहीं,’’ बेबी ने भोली बन कर हंसते हुए कहा, ‘‘तुम सच में बड़े भोले हो, तुम्हारी यह अच्छाई मुझे बहुत पसंद है.’’

अपनी प्रशंसा सुन कर अमित खुश हो गया. वह बोला, ‘‘बेबी तुम भी बहुत अच्छी लगती हो मुझे. जब भी तुम आती हो मेरे दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं.

‘‘अच्छा…’’ इतना कह कर बेबी मुसकराती हुई वहां से चली गई.

बेबी और अमित करीबकरीब हमउम्र थे. दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया और नजदीकियां सिमटती गईं. अमित जब भी बेबी को देखता, खुशी के मारे उस का दिल बागबाग हो उठता. बेबी भी अमित को देख कर खुश हो जाती थी. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. जब तक दोनों एकदूसरे को देख नहीं लेते, दिलों को चैन नहीं मिलता था. दोनों के इस प्रेमप्रसंग की किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. यहां तक कि उन के घर वालों तक को भी नहीं. बाद में दोनों दुकान के अलावा चोरीछिपे भी मिलने लगे. हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थी, इस के बावजूद उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. एक बार बेबी ने अमित से पूछ लिया, ‘‘अमित, वैसे तो मैं जातपात में विश्वास नहीं करती, पर समाज से डर कर तुम मुझे कहीं भूल तो नहीं जाओगे?’’

इस पर अमित ने उस के होंठों पर हाथ रख कर चुप कराते हुए कहा, ‘‘बेबी, अगर हमारा प्यार सच्चा है तो चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम जुदा नहीं होंगे.’’

दोनों ने फैसला किया कि एकदूसरे के लिए ही जिएंगे. आखिर किसी तरह बेबी के घर वालों को पता चल गया कि उन की बेटी का गांव के ही दूसरी जाति के युवक से प्रेमप्रसंग चल रहा है. इस से घर वालों की चिंता बढ़ गई. गुड्डू ने पत्नी से कहा कि वह बेटी पर ध्यान दे. उस के पांव बहक रहे हैं. हाथ से निकल गई या कोई ऊंचनीच कर बैठी तो समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. उसे अमित के करीब जाने से मना कर दे. बेबी की मां ने समझदारी दिखाते हुए यह बात बेटी को सीधे तरीके से न कह कर अप्रत्यक्ष ढंग से समझाई. वह जानती थी कि बेटी सयानी हो चुकी है. सीधेसीधे बात करने से उसे बुरा लग सकता था. वैसे भी बेबी जिद्दी स्वभाव की थी, जो मन में ठान लेती थी, उसे पूरा करती थी.

बेबी अपनी मां की बात को अच्छी तरह समझ गई थी कि वह क्या कहना चाहती है. लेकिन उस के सिर पर अमित के इश्क का भूत सवार था. उसे अमित के अलावा किसी और की बात समझ में नहीं आती थी. उस ने मां से साफसाफ कह दिया कि वह अमित से प्यार करती है और शादी भी  उसी से करेगी. अमित और बेबी जान चुके थे कि उन के प्यार के बारे में दोनों के घर वालों को पता लग चुका है. दोनों परिवार इस रिश्ते को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेंगे, इस बात को ले कर अमित काफी परेशान रहने लगा था. बेबी किसी भी तरह अपने मांबाप की बात मानने को तैयार नहीं हुई. अमित और बेबी के प्रेम प्रसंग के चर्चे अब गांव में भी होने लगे थे. बात जब हद से आगे निकलने लगी तो गुड्डू ने बिरादरी में होने वाली बदनामी से बचने के लिए अपने चचेरे भाई सचिन से इस संबंध में बात की.

निर्णय लिया गया कि बिना देरी किए बेबी के लिए लड़का तलाश कर उस के हाथ पीले कर दिए जाएं. इस की भनक जब बेबी को लगी तो उस ने विरोध किया. उस ने कह दिया कि अभी वह पढ़ रही है. पढ़ाई पूरी नहीं हुई है. इसलिए शादी नहीं करेगी. वह पढ़ाई कर के नौकरी करना चाहती है. लेकिन चाचा सचिन ने उस की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘पढ़ाई का शादी से कोई संबंध नहीं होता. पढ़ने से तुम्हें ससुराल में भी कोई नहीं रोकेगा.’’

घर वालों ने भागदौड़ कर बदायूं के दातागंज में बेबी की शादी तय कर दी. एक माह बाद यानी 16 जून, 2020 को गांव में बेबी की बारात आनी थी. जब अमित को इस बात का पता चला, तो उस का दिल टूट गया. उस ने बेबी के साथ भविष्य के जो सपने संजोए थे, बिखरते दिखे. एक दिन अमित बेबी के घर जा पहुंचा. उस ने बेबी के घर वालों को बताया कि वह और बेबी एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. घर में मौजूद बेबी ने भी अमित के अलावा किसी दूसरे के साथ शादी करने से इनकार कर दिया. लेकिन बेबी के घर वालों के सामने अमित और बेबी की एक नहीं चली. घर वालों ने अमित से बेबी की शादी से साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बेबी की शादी अपनी जाति के लड़के से ही करेंगे.

बेबी की शादी में मात्र 2 दिन शेष रह गए थे. 2 दिन बाद प्रेमिका के घर शहनाइयां बजने वाली थीं. अमित को कुछ सूझ नहीं रहा था. उस की हालत पागलों जैसी हो गई थी. अमित की दुकान भी कई दिनों से बंद थी. उस का मन बेबी में अटका हुआ था. वह किसी तरह एक बार बेबी से मिल कर दिल की बात कहना चाहता था. लेकिन बेबी पर उस के घर वालों का कड़ा पहरा था. बेबी के परिवार में खुशियों का माहौल था. शादी की तैयारियों में घर वालों के साथसाथ रिश्तेदार व गांव के परिचित भी लगे हुए थे. 14 जून की सुबह 5 बजे बेबी अपनी बुआ, तहेरी बहन और ताई के साथ खेतों की ओर निकली.

आधे घंटे बाद बेबी खेत से घर लौट रही थी. वह अपने घर के दरवाजे के पास पहुंची तभी अमित आ गया. उस ने बेबी से साथ चलने को कहा. पर बेबी ने उस के साथ जाने से मना कर दिया. अमित ने अपने प्यार की दुहाई दी, लेकिन बेबी पर कोई असर नहीं हुआ. इस से अमित आपा खो बैठा और साथ लाए तंमचे से बेबी के ऊपर फायर कर दिया. गोली बेबी की कमर व बांह में लगी, वह चीख कर वहीं गिर पड़ी. बेबी को गोली मारने के बाद अमित तमंचा लहराता हुआ गांव के बाहर भागा. कुछ देर बाद पता चला कि अमित ने बेबी के घर से लगभग 400 मीटर दूर ग्राम प्रधान के घर के पास खाली मैदान में खुद को गोली मार ली है.

सुबहसुबह गांव में गोली चलने की आवाज सुन कर गांव वाले एकत्र हो गए. अमित की रक्तरंजित लाश देख कर गांव में हड़कंप मच गया, जिस ने भी यह दृश्य देखा वह सन्न रह गया. किसी ने अमित के घर वालों को घटना की जानकारी दे दी. जानकारी मिलते ही अमित के घर वाले घटनास्थल की ओर दौड़े, अमित के सीने में गोली लगी थी. उस की मौत हो चुकी थी. लाश के पास ही तमंचा पड़ा था. अमित की मौत की खबर सुन कर उस की मां रोतेरोते बेहोश हो गई. चौकीदार नत्थूलाल की सूचना पर थाने से पुलिस टीम के साथ एसआई खेम सिंह गांव इस्माइलपुर पहुंच गए. गांव की सीमा पर भीड़ जुटी थी.

एसआई ने मैदान में युवक की लाश के पास सिपाही तैनात करने के साथ ही घायल बेबी को एंबुलेंस से मझगवां अस्पताल भिजवाया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. इस बीच जानकारी होने पर थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह व सीओ आंवला रामप्रकाश भी घटनास्थल पर पहुंच गए. थानाप्रभारी ने पुलिस के आला अधिकारियों को भी घटना की जानकारी दे दी. इस पर एसएसपी शैलेश पांडेय व एसपी (देहात) संसार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया गया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही गांव वालों से पूछताछ भी की. मृतक व घायल युवती के घर वालों से भी घटना के संबंध में जानकारी हासिल की गई.

युवक के घर वालों ने जहां युवती के घर वालों पर औनरकिलिंग का आरोप लगाया, वहीं युवती के घर वालों ने बताया कि मृतक ने हमारी बेटी को गोली मार कर घायल किया और फिर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने मौकाएवारदात से 312 बोर का एक तमंचा बरामद किया. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. फोरैंसिक टीम ने भी युवती के दरवाजे के पास से व युवक की लाश के आसपास जांच कर आवश्यक साक्ष्य जुटाए. बेबी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल से एक निजी मिशन अस्पताल में ले जाया गया. इस सनसनीखेज घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बन गई थी. इसे देखते हुए गांव में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई.

पुलिस भले ही प्रेमिका को गोली मार कर प्रेमी द्वारा खुदकुशी करने की बात कह रही थी, लेकिन गांव के बहुत से लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही थी. उन का कहना था कि यदि अमित अपनी प्रेमिका को गोली मार कर उस के साथ अपना भी जीवन खत्म करना चाहता था तो उस ने खुदकुशी करने के लिए वहां से लगभग 400 मीटर दूर जगह क्यों चुनी. दूसरी बात खुदकुशी करने वाला तमंचे से गोली अकसर अपनी कनपटी पर मारता है, जबकि अमित के सीने में गोली लगी थी. तमंचा उस के शव से 3 मीटर दूर पड़ा मिला. वहीं खोखा भी एक ही मिला, जबकि गोली 2 चली थीं. गांव में प्रेमप्रसंग में हत्या किए जाने का शक जाहिर किया जा रहा था.

बेबी की मां का कहना था कि प्रेम प्रसंग नहीं था. उन की बेटी व मृतक की बहन पक्की सहेली थीं. नौकरी के लिए फार्म भरने को बेटी ने उसे अपने प्रमाणपत्र दिए थे. मृतक की बहन अब उन्हें नहीं लौटा रही थी. जिन्हें न देने की वजह से दोनों परिवारों में तनातनी थी. बेबी अमित से प्यार नहीं करती थी. अमित की मां के अनुसार युवती की शादी तय हो जाने व उस के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाने से अमित मानसिक रूप से परेशान था. कुछ दिन पहले उस ने नींद की गोलियां खा कर भी जान देने की कोशिश की थी. वह बेबी से शादी करना चाहता था. लड़की भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस के घर वालों ने धमकी दी थी कि तुझे और अमित दोनों को मार देंगे. इस के बाद भी लड़की नहीं मान रही थी.

मां ने बताया कि सुबह अमित के पास वीरपाल प्रधान का फोन आया था. वह उसे बुला रहे थे, वह उसी समय घर से चला गया था. इस के बाद यह घटना हो गई. वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे अमित के बड़े भाई राजबाबू के अनुसार अमित पिछले 2 साल से बेबी के संपर्क में था, 3 माह पूर्व दोनों ने गुपचुप तरीके से कोर्टमैरिज कर ली थी. इस बात की जानकारी घटना से कुछ दिन पहले ही अमित ने घर वालों को दी थी. लेकिन हम ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया था. उधर युवती भी दूसरी जगह शादी नहीं करना चाहती थी. वह भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस ने अपने घर वालों से कह दिया था कि बारात लौटा दो. यह जानकारी मिलने पर बेबी के घर वालों ने प्रधान से साजिश कर पहले अपनी बेटी और फिर उस के भाई को गोली मार दी.

शाम को पोस्टमार्टम के बाद अमित के घर वालों ने मझगवां-आंवला मार्ग पर उस का शव रख कर हंगामा किया. घर वालों का आरोप था कि अमित की हत्या बेबी के घर वालों ने की है. पुलिस उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है. सूचना पर मौके पर पहुंचे एसडीएम कमलेश कुमार सिंह व सीओ रामप्रकाश ने उन्हें समझाया, लेकिन जब वे नहीं माने तब हलका बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटा दिया. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में अमित द्वारा सल्फास खाने की भी पुष्टि हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक गोली ऐन दिल पर लगी थी, छर्रे आसपास भी धंसे थे. घायल युवती के पिता गुड्डू ने थाने में मृतक अमित व उस के भाइयों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई.

बेबी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने आत्महत्या करने वाले प्रेमी अमित सहित उस के भाइयों राजबाबू, अजय, सुमित, कल्लू व विनोद गुप्ता के खिलाफ जान से मारने की नीयत से हमला करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. वहीं एसआई खेम सिंह की ओर से भी मृतक पर अवैध तमंचा रखने तथा खुदकुशी करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. रिपोर्ट में मृतक पर एकतरफा प्यार करने का भी आरोप लगाया गया था.

इस तरह एक प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत हो गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Love Crime : जिस्म की खातिर किया इश्क

Love Crime : मीना अपने 3 भाईबहनों में सब से बड़ी ही नहीं, खूबसूरत भी थी. उस का परिवार औरैया जिले के कस्बा दिबियापुर में रहता था. उस के पिता अमर सिंह रेलवे में पथ निरीक्षक थे. उस ने इंटर पास कर लिया तो मांबाप उस के विवाह के बारे में सोचने लगे. उन्होंने उस के लिए घरवर की तलाश शुरू की तो उन्हें कंचौसी कस्बा के रहने वाले राम सिंह का बेटा अनिल पसंद आ गया.

जून, 2008 में मीना की शादी अनिल से हो गई. मीना सुंदर तो थी ही, दुल्हन बनने पर उस की सुंदरता में और ज्यादा निखार आ गया था. ससुराल में जिस ने भी उसे देखा, उस की खूबसूरती की खूब तारीफ की. अपनी प्रशंसा पर मीना भी खुश थी. मीना जैसी सुंदर पत्नी पा कर अनिल भी खुश था.

दोनों के दांपत्य की गाड़ी खुशहाली के साथ चल पड़ी थी. लेकिन कुछ समय बाद आर्थिक परेशानियों ने उन की खुशी को ग्रहण लगा दिया. शादी के पहले अनिल छोटेमोटे काम कर के गुजारा कर लेता था. लेकिन शादी के बाद मीना के आने से जहां अन्य खर्चे बढ़ ही गए थे, वहीं मीना की महत्त्वाकांक्षी ख्वाहिशों ने उस के इस खर्च को और बढ़ा दिया था. आर्थिक परेशानियों को दूर करने के लिए वह कस्बे की एक आढ़त पर काम करने लगा था.

आढ़त पर काम करने की वजह से अनिल को कईकई दिनों घर से बाहर रहना पड़ता था, जबकि मीना को यह कतई पसंद नहीं था. पति की गैरमौजूदगी में वह आसपड़ोस के लड़कों से बातें ही नहीं करने लगी थी, बल्कि हंसीमजाक भी करने लगी थी. शुरूशुरू में तो किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. लेकिन जब उस की हरकतें हद पार करने लगीं तो अनिल के मातापिता से यह देखा नहीं गया और वे यह कह कर गांव चले गए कि अब वे गांव में रह कर खेती कराएंगे.

सासससुर के जाने के बाद मीना को पूरी आजादी मिल गई थी. अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए उस ने इधरउधर नजरें दौड़ाईं तो उसे राजेंद्र जंच गया. फिर तो वह उसे मन का मीत बनाने की कोशिश में लग गई. राजेंद्र मूलरूप से औरैया का रहने वाला था. उस के पिता गांव में खेती कराते थे. वह 3 भाईबहनों में सब से छोटा था. बीकौम करने के बाद वह कंचौसी कस्बे में रामबाबू की अनाज की आढ़त पर मुनीम की नौकरी करने लगा था.

राजेंद्र और अनिल एक ही आढ़त पर काम करते थे, इसलिए दोनों में गहरी दोस्ती थी. अनिल ने ही राजेंद्र को अपने घर के सामने किराए पर कमरा दिलाया था. दोस्त होने की वजह से राजेंद्र अनिल के घर आताजाता रहता था. जब कभी आढ़त बंद रहती, राजेंद्र अनिल के घर आ जाता और फिर वहीं पार्टी होती. पार्टी का खर्चा राजेंद्र ही उठाता था.

राजेंद्र पर दिल आया तो मीना उसे फंसाने के लिए अपने रूप का जलवा बिखेरने लगी. मीना के मन में क्या है, यह राजेंद्र की समझ में जल्दी ही आ गया. क्योंकि उस की निगाहों में जो प्यास झलक रही थी, उसे उस ने ताड़ लिया था. इस के बाद तो मीना उसे हूर की परी नजर आने लगी थी. वह उस के मोहपाश में बंधता चला गया था.

एक दिन जब राजेंद्र को पता चला कि अनिल 2 दिनों के लिए बाहर गया है तो उस दिन उस का मन काम में नहीं लगा. पूरे दिन उसे मीना की ही याद आती रही. घर आने पर वह मीना की एक झलक पाने को बेचैन था. उस की यह ख्वाहिश पूरी हुई शाम को. मीना सजधज कर दरवाजे पर आई तो उस समय वह उसे आसमान से उतरी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. उसे देख कर उस का दिल बेकाबू हो उठा.

राजेंद्र को पता ही था कि अनिल घर पर नहीं है, इसलिए वह उस के घर जा पहुंचा. राजेंद्र को देख कर मीना ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘आज तुम आढ़त से बड़ी जल्दी आ गए, वहां कोई काम नहीं था क्या?’’

‘‘काम तो था भाभी, लेकिन मन नहीं लगा.’’

‘‘क्यों?’’ मीना ने पूछा.

‘‘सच बता दूं भाभी.’’

‘‘हां, बताओ.’’

‘‘भाभी, तुम्हारी सुंदरता ने मुझे विचलित कर दिया है, तुम सचमुच बहुत सुंदर हो.’’

‘‘ऐसी सुंदरता किस काम की, जिस की कोई कद्र न हो.’’ मीना ने लंबी सांस ले कर कहा.

‘‘क्या अनिल भाई, तुम्हारी कद्र नहीं करते?’’

‘‘जानबूझ कर अनजान मत बनो. तुम जानते हो कि तुम्हारे भाई साहब महीने में 10 दिन तो बाहर ही रहते हैं. ऐसे में मेरी रातें करवटों में बीतती हैं.’’

‘‘भाभी जो दुख तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं भी तुम्हारी यादों में रातरात भर करवट बदलता रहता हूं. अगर तुम मेरा साथ दो तो हमारी समस्या खत्म हो सकती है.’’ कह कर राजेंद्र ने मीना को अपनी बांहों में भर लिया.

मीना चाहती तो यही थी, लेकिन उस ने मुखमुद्रा बदल कर बनावटी गुस्से में कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे.’’

‘‘प्लीज भाभी शोर मत मचाओ, तुम ने मेरा सुखचैन सब छीन लिया है.’’ राजेंद्र ने कहा.

‘‘नहीं राजेंद्र, छोड़ो मुझे. मैं बदनाम हो जाऊंगी, कहीं की नहीं रहूंगी मैं.’’

‘‘नहीं भाभी, अब यह मुमकिन नहीं है. कोई पागल ही होगा, जो रूपयौवन के इस प्याले के इतने करीब पहुंच कर पीछे हटेगा.’’ कह कर राजेंद्र ने बांहों का कसाव बढ़ा दिया.

दिखावे के लिए मीना न…न…न… करती रही, जबकि वह खुद राजेंद्र के शरीर से लिपटी जा रही थी. राजेंद्र कोई नासमझ बच्चा नहीं था, जो मीना की हरकतों को न समझ पाता. इस के बाद वह क्षण भी आ गया, जब दोनों ने मर्यादा भंग कर दी.

एक बार मर्यादा भंग हुई तो राजेंद्र को हरी झंडी मिल गई. उसे जब भी मौका मिलता, वह मीना के घर पहुंच जाता और इच्छा पूरी कर के वापस आ जाता. मीना अब खुश रहने लगी थी, क्योंकि उस की शारीरिक भूख मिटने लगी थी, साथ ही आर्थिक समस्या का भी हल हो गया था. मीना जब भी राजेंद्र से रुपए मांगती थी, वह चुपचाप निकाल कर दे देता था.

काम कोई भी हो, ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रहता. ठीक वैसा ही मीना और राजेंद्र के संबंधों में भी हुआ. उन के नाजायज संबंधों को ले कर अड़ोसपड़ोस में बातें होने लगीं. ये बातें अनिल के कानों तक पहुंची तो वह सन्न रह गया. उसे बात में सच्चाई नजर आई. क्योंकि उस ने मीना और राजेंद्र को खुल कर हंसीमजाक करते हुए कई बार देखा था. तब उस ने इसे सामान्य रूप से लिया था. अब पडोसियों की बातें सुन कर उसे दाल में काला नजर आने लगा था.

अनिल ने इस बारे में मीना से पूछा तो उस ने कहा, ‘‘पड़ोसी हम से जलते हैं. राजेंद्र का आनाजाना और मदद करना उन्हें अच्छा नहीं लगता, इसलिए वे इस तरह की ऊलजुलूल बातें कर के तुम्हारे कान भर रहे हैं. अगर तुम्हें मुझ पर शक है तो राजेंद्र का घर आनाजाना बंद करा दो. लेकिन उस के बाद तुम दोनों की दोस्ती में दरार पड़ जाएगी. वह हमारी आर्थिक मदद करना बंद कर देगा.’’

अनिल ने राजेंद्र और मीना को रंगेहाथों तो पकड़ा नहीं था, इसलिए उस ने मीना की बात पर यकीन कर लिया. लेकिन मन का शक फिर भी नहीं गया. इसलिए वह राजेंद्र और मीना पर नजर रखने लगा. एक दिन राजेंद्र आढ़त पर नहीं आया तो अनिल को शक हुआ. दोपहर को वह घर पहुंचा तो उस के मकान का दरवाजा बंद था और अंदर से मीना और राजेंद्र के हंसने की आवाजें आ रही थीं. अनिल ने खिड़की के छेद से अंदर झांक कर देखा तो मीना और राजेंद्र एकदूसरे में समाए हुए थे.

अनिल सीधे शराब के ठेके पर पहुंचा और जम कर शराब पी. इस के बाद घर लौटा और दरवाजा पीटने लगा. कुछ देर बाद मीना ने दरवाजा खोला तो राजेंद्र कमरे में बैठा था. उस ने राजेंद्र को 2 तमाचे मार कर बेइज्जत कर के घर से भगा दिया. इस के बाद मीना की जम कर पिटाई की. मीना ने अपनी गलती मानते हुए अनिल के पैर पकड़ कर माफी मांग ली और आइंदा इस तरह की गलती न करने की कसम खाई.

अनिल उसे माफ करने को तैयार नहीं था, लेकिन मासूम बेटे की वजह से अनिल ने मीना को माफ कर दिया. इस के बाद कुछ दिनों तक अनिल, मीना से नाराज रहा, लेकिन धीरेधीरे मीना ने प्यार से उस की नाराजगी दूर कर दी. अनिल को लगा कि मीना राजेंद्र को भूल चुकी है. लेकिन यह उस का भ्रम था. मीना ने मन ही मन कुछ दिनों के लिए समझौता कर लिया था.

अनिल के प्रति यह उस का प्यार नाटक था, जबकि उस के दिलोदिमाग में राजेंद्र ही बसता था. उधर अनिल द्वारा अपमानित कर घर से निकाल दिए जाने पर राजेंद्र के मन में नफरत की आग सुलग रही थी. उन की दोस्ती में भी दरार पड़ चुकी थी. आमनासामना होने पर दोनों एकदूसरे से मुंह फेर लेते थे. मीना से जुदा होना राजेंद्र के लिए किसी सजा से कम नहीं था.

मीना के बगैर उसे चैन नहीं मिल रहा था. अनिल ने मीना का मोबाइल तोड़ दिया था, इसलिए उस की बात भी नहीं हो पाती थी. दिन बीतने के साथ मीना से न मिल पाने से उस की तड़प बढ़ती जा रही थी. आखिर एक दिन जब उसे पता चला कि अनिल बाहर गया है तो वह मीना के घर जा पहुंचा. मीना उसे देख कर उस के गले लग गई. उस दिन दोनों ने जम कर मौज की.

लेकिन राजेंद्र घर के बाहर निकलने लगा तो पड़ोसी राजे ने उसे देख लिया. अगले दिन अनिल वापस आया तो राजे ने उसे राजेंद्र के आने की बात बता दी. अनिल को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन वह चुप रहा. उसे लगा कि जब तक राजेंद्र जिंदा है, तब तक वह उस की इज्जत से खेलता रहेगा. इसलिए इज्जत बचाने के लिए उस ने अपने दोस्त की हत्या की योजना बना डाली.

उस ने मीना को उस के मायके दिबियापुर भेज दिया. उस ने उसे भनक तक नहीं लगने दी थी कि उस के मन में क्या चल रहा है. मीना को मायके पहुंचा कर उस ने राजेंद्र से पुन: दोस्ती गांठ ली. राजेंद्र तो यही चाहता था, क्योंकि दोस्ती की आड़ में ही उस ने मीना को अपनी बनाया था. एक बार फिर दोनों की महफिल जमने लगी.

एक दिन शराब पीते हुए राजेंद्र ने कहा, ‘‘अनिलभाई, तुम ने मीना भाभी को मायके क्यों पहुंचा दिया? उस के बिना अच्छा नहीं लगता. मुझे आश्चर्य इस बात का है कि उस के बिना तुम्हारी रातें कैसे कटती हैं?’’

अनिल पहले तो खिलखिला कर हंसा, उस के बाद गंभीर हो कर बोला, ‘‘दोस्त मेरी रातें तो किसी तरह कट जाती हैं, पर लगता है तुम मीना के बिना बेचैन हो. खैर तुम कहते हो तो मीना को 2-4 दिनों में ले आता हूं.’’

अनिल को लगा कि राजेंद्र को उस की दोस्ती पर पूरा भरोसा हो गया है. इसलिए उस ने राजेंद्र को ठिकाने लगाने की तैयारी कर ली. उस ने राजेंद्र से कहा कि वह भी उस के साथ मीना को लाने चले. वह उसे देख कर खुश हो जाएगी. मीना की झलक पाने के लिए राजेंद्र बेचैन था, इसलिए वह उस के साथ चलने को तैयार हो गया.

5 जुलाई, 2016 की शाम अनिल और राजेंद्र कंचौसी रेलवे स्टेशन पहुंचे. वहां पता चला कि इटावा जाने वाली इंटर सिटी ट्रेन 2 घंटे से अधिक लेट है. इसलिए दोनों ने दिबियापुर (मीना के मायके) जाने का विचार त्याग दिया. इस के बाद दोनों शराब के ठेके पर पहुंचे और शराब की बोतल, पानी के पाउच और गिलास ले कर कस्बे से बाहर पक्के तालाब के पास जा पहुंचे.

वहीं दोनों ने जम कर शराब पी. अनिल ने जानबूझ कर राजेंद्र को कुछ ज्यादा शराब पिला दी, जिस से वह काफी नशे में हो गया. वह वहीं तालाब के किनारे लुढ़क गया तो अनिल ने ईंट से उस का सिर कुचल कर उस की हत्या कर दी. राजेंद्र की हत्या कर के अनिल ने उस के सारे कपडे़ उतार लिए और खून सनी ईंट के साथ उन्हें तालाब से कुछ दूर झाडि़यों में छिपा दिया. इस के बाद वह ट्रेन से अपनी ससुराल दिबियापुर चला गया.

इधर सुबह कुछ लोगों ने तालाब के किनारे लाश देखी तो इस की सूचना थाना सहावल पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी धर्मपाल सिंह यादव फोर्स ले कर घटनास्थल पहुंच गए. तालाब के किनारे नग्न पड़े शव को देख कर धर्मपाल सिंह समझ गए कि हत्या अवैध संबंधों के चलते हुई है.

लाश की शिनाख्त में पुलिस को कोई परेशानी नहीं हुई. मृतक का नाम राजेंद्र था और वह रामबाबू की आढ़त पर मुनीम था. आढ़तिया रामबाबू को बुला कर राजेंद्र के शव की पहचान कराई गई. उस के पास राजेंद्र के पिता रामकिशन का मोबाइल नंबर था. धर्मपाल सिंह ने उसी नंबर पर राजेंद्र की हत्या की सूचना दे दी.

घटनास्थल पर बेटे की लाश देख कर रामकिशन फफक कर रो पड़ा. लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. धर्मपाल सिंह ने जांच शुरू की तो पता चला कि मृतक राजेंद्र कंचौसी कस्बा के कंचननगर में किराए के कमरे में रहता था. उस की दोस्ती सामने रहने वाले अनिल से थी, जो उसी के साथ काम करता था.

राजेंद्र का आनाजाना अनिल के घर भी था. उस के और अनिल की पत्नी मीना के बीच मधुर संबंध भी थे. अनिल जांच के घेरे में आया तो धर्मपाल सिंह ने उस पर शिकंजा कसा. उस से राजेंद्र की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो पहले वह साफ मुकर गया. लेकिन जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो वह टूट गया.

उस ने बताया कि राजेंद्र ने उस की पत्नी मीना से नाजायज संबंध बना लिए थे, जिस से उस की बदनामी हो रही थी. इसीलिए उस ने उसे ईंट से कुचल कर मार डाला है. अनिल ने हत्या में प्रयुक्त ईंट तथा खून सने कपड़े बरामद करा दिए, जिसे उस ने तालाब के पास झाडि़यों में छिपा रखे थे.

अनिल ने हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया था. इसलिए धर्मपाल सिंह ने मृतक ने पिता रामकिशन को वादी बना कर राजेंद्र की हत्या का मुकदमा दर्ज कर अनिल को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. Love Crime

Crime ki Kahani : बेटी को प्रेमी संग रंगेहाथ पकड़ा फिर कैंची से की हत्या

Crime ki Kahani : कहते हैं कि इश्क की आग में जलते प्रेमी किसी भी हद तक जा सकते हैं, लेकिन जब कभी वह बेकाबू वासना को नियंत्रित नहीं कर पाते, तब अनहोनी की आशंका बढ़ जाती है. दिल्ली के करावल नगर की घटना एक ऐसे ही प्रेमी युगल की दास्तान है, जो वासना की भेंट चढ गया. करीब डेढ़ साल पहले दीपक दिल्ली में अपने चाचा रमेश के पास रहने गया था. वहां रह कर वह कोई काम सीखना चाहता था, लेकिन इसी बीच मार्च 2020 में लौकडाउन लगने पर वह वापस अपने घर बागपत लौट आया था. इस साल मार्च में दोबारा दिल्ली जाने वाला ही था कि तभी दोबारा लौकडाउन लग गया.

अब वह यही सोच रहा था कि जितनी जल्द हो सके यह लौकडाउन खुले, जिस से वह दिल्ली जाए. जून में जब दिल्ली का लौकडाउन खुल गया तो वह दिल्ली जाने के लिए मां से जिद करने लगा, ‘‘मम्मी मैं दिल्ली जाऊंगा.’’

‘‘क्यों बेटा अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है.’’ मां बोली.

‘‘लेकिन मम्मी, लौकाडाउन तो खत्म हो गया है.’’

‘‘वहां जा कर करेगा क्या?’’ मां ने पूछा.

‘‘कोई काम करूंगा. पैसे कमा कर लाऊंगा. वैसे भी यहां भी तो खाली हूं.’’

‘‘ठीक है, इस बारे में पहले मैं तेरे पापा से बात करूंगी,’’ मां बोली.

बागपत का रहने वाला दीपक अपनी मां से दिल्ली जाने की जिद पर अड़ा था. इस बारे में उस की मां ने अपने पति से बात की तो पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मिन्नत करने पर वह मान गए. अपने मातापिता को मना कर दीपक 2 जुलाई, 2021 को दिल्ली के करावल नगर में रह रहे अपने चाचा रमेश के पास आ गया. उस के मातापिता भले ही समझ रहे थे कि उन का बेटा दिल्ली काम करने के लिए गया है, लेकिन उस के दिल्ली आने की वजह कुछ और ही थी. रमेश करावल नगर में किराए के कमरे में अकेले रहते थे. उन के पास दीपक दिन में ही आ गया था. उस दिन वह अपने काम पर नहीं गए थे. क्योंकि उन की शिफ्ट बदल गई थी.

अचानक दीपक को आया देख वह चौंक गए. परिवार में सब का हालचाल लिया, फिर सुबह जो कुछ खाना पकाया था, वह उसे खाने को दिया. दीपक खाना खा कर अपने पुराने दोस्त से मिलने को कह कर निकल गया. उस के चाचा भी खानेपीने का सामान लाने बाजार चले गए. दीपक सीधा अपनी प्रेमिका पूजा के पास गया. पूजा भी उसे अचानक आया देख चौंक गई. लंबे समय बाद दीपक को देख वह उस के गले लिपट गई. कुछ पलों बाद वह अलग हुई और अपना नया मोबाइल नंबर दीपक को देते हुए बोली, ‘‘दीपक, तुम अभी चले जाओ, अब शाम को मिलना. मैं फोन करूंगी. क्योंकि अभी पापा आने वाले हैं.’’

‘‘ सब ठीक है न?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘ हांहां, मैं ठीक हूं. ये मास्क लो, लगा लेना नहीं तो फाइन भरना पड़ेगा.’’ पूजा ने मास्क दिया.

‘ पापा अभी भी नाराज हैं?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘ हां, लेकिन मैं उन्हें मना लूंगी. ये मोहल्ले वाले ही उन को हमेशा भड़काते रहते हैं.’’

‘‘ कोई बात नहीं, मैं अभी चलता हूं. फोन करूंगा. आज ही नया नंबर ले लूंगा.’’

उस समय पूजा के पिता सत्यवीर सिंह घर पर नहीं थे. गलीमोहल्ले वाले दीपक को अच्छी तरह से पहचानते थे. वह उस के और पूजा के संबंधों के बारे में जानते थे. उन्हें यह भी पता था कि उस की वजह से पिछले साल गली में कितना हंगामा खड़ा हो गया था. उस रोज भी दीपक का पूजा के घर जाना गली के अधिकतर लोगों ने देखा. उन्हीं में से एक ने सत्यवीर को दीपक के आने की जानकारी दे दी. यह भी हिदायत दी कि उस की बेटी पूजा की करतूत अभी भी ठीक नहीं है. उसे संभालें, अच्छे से समझाएं. उस की हरकतों का असर उन के बच्चों पर भी पड़ेगा. यह जान कर सत्यवीर अपनी बेटी पर आगबबूला हो गया था. उस ने पूजा को काफी डांटफटकार लगाई.

हालांकि सत्यवीर की डांट और चेतावनी का असर पूजा पर कुछ भी नहीं हुआ. इस का कारण भी था, वह दीपक से बेइंतहा प्यार करती थी. काफी समय से उस से मिलने को बेचैन थी. उस के मन में दीपक के लिए प्यार दबा हुआ था. उस के प्यार का उफान पिता की डांट से कहां थमने वाला था. दीपक की हालत उस से कहीं अधिक बेचैनी वाली थी. अब जा कर उसे मिलने का मौका मिला था. उस ने तुरंत एक सैकंडहैंड स्मार्टफोन खरीदा और अपने चाचा की आईडी से नया सिम कार्ड ले लिया. उस के एक्टिवेट होते ही सब से पहली काल उस ने प्रेमिका पूजा को कर के अपना नया नंबर सेव करने के लिए कहा.

उन की बातें फोन पर लगातार होने लगीं. पूजा ने फिलहाल उसे घर आने से मना किया था. इसी तरह 4-5 दिन निकल गए. दीपक पूजा से फिर मिलने को बेचैन हो गया था. उसे लग रहा था कि पास आ कर भी वह पूजा से दूर क्यों है? दीपक के मन में पूजा के लिए दबी कुंठाएं अब दबने का नाम ही नहीं ले रही थीं. ऐसा ही हाल पूजा का भी था. 7 जुलाई, 2021 की रात को दीपक ने पूजा को फोन कर के मिलने की जिद कर डाली. उस का मन प्रेमिका से मिलने के लिए बेचैन हो रहा था.

‘‘पूजा मेरी जान, नींद नहीं आ रही है. बताओ मैं क्या करूं?’’ दीपक ने अपनी बेचैनी का इजहार किया.

‘‘क्या करूं, मैं भी मिलना चाहती हूं, लेकिन ये मोहल्ले वाले हमारी मोहब्बत के दुश्मन बने बैठे हैं.’’ पूजा मायूसी से बोली.

‘‘क्या आज रात को मुलाकात हो सकती है? अभी तो मोहल्ले वाले सो रहे होंगे.’’ दीपक ने कहा.

‘‘कोशिश करती हूं, अभी रात के 10 बजे हैं. ’’ पूजा बोली.

‘‘अभी आ जाऊं?’’ दीपक ने कहा.

‘‘अभी नहीं, डेढ़ बजे आना. तब तक गली में सन्नाटा हो जाता है. पापा भी सोए होंगे.’’ इतना कह कर पूजा ने काल डिस्कनेक्ट कर दी.

यह सुन दीपक खुश हो गया. पूजा द्वारा डेढ़ बजे बुलाने से उस के मन में खुशियों की लहर दौड़ पड़ी. वह तुरंत कमरे से बाहर निकला. सीधा मैडिकल स्टोर गया. कंडोम का पैकेट खरीदा. किराने की दुकान से गली के कुत्तों को चुप कराने के लिए बिसकुट का एक पैकेट भी खरीद लिया. फिर कमरे पर वापस आ कर रात के डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा. क्योंकि यह रात उस के जीवन की सब से अनोखी रातों में से एक होने वाली थी. जिसे बारबार सोच कर ही वह पागल हुए जा रहा था. दीपक और पूजा के घर में करीब 5 मिनट के पैदल की दूरी थी. दीपक के मन में वासना की इतनी बेताबी थी कि उसे डेढ़ बजे तक का इंतजार बड़ा लंबा लग रहा था. इसलिए वह रात को एक बजे ही अपने घर से पूजा से मिलने निकल पड़ा.

गली में सन्नाटा था, फिर भी इक्कादुक्का आतेजाते लोगों से नजरें बचाता हुआ पूजा के घर के बाहर जा पहुंचा. आसपास टहलते कुत्तों के सामने साथ लाए बिसकुट फेंक दिए. उस के घर के नीचे बैठ कर डेढ़ बजने का इंतजार करने लगा.  रात के डेढ़ बजते ही पूजा हल्के कदमों से दरवाजे की कुंडी खोल नीचे उतरी. दरवाजा आधा खोल दीपक का कालर पकड़ा और अपने मुंह पर उंगली रख कर उसे शांत रहने का इशारा किया. पूजा के इशारे पर दीपक आहिस्ता से उस के पीछेपीछे हो लिया. दोनों सीढि़यों से ऊपर चढ गए. सीढि़यां खत्म होते ही सामने बाथरूम था. पूजा ने बिना किसी आवाज के दीपक को अंधेरे में ही बाथरूम में जाने का इशारा किया और वह खुद अपने कमरे के दरवाजे पर लगा परदा हटा कर देखने लगी.

जब वह आश्वस्त हो गई कि घर में कोई जागा तो नहीं है, तब वह भी उसी बाथरूम में घुस गई, जहां दीपक पहले से था. दोनों ने बंद दरवाजे के पीछे बिना किसी शोर के अपनी सारी दबी इच्छाएं शांत कीं. इतने महीनों से दोनों के मन में जो हसरतें दबी हुई थीं, चुपचाप वह पूरी कर लीं. पूजा को इस बात का अंदेशा नहीं था कि उस के पिता की नींद टूट चुकी है. पिता सत्यवीर ने आधी नींद में ही उठ बाथरूम जाने के लिए कदम बढ़ाए. इस की पूजा को भनक तक नहीं लगी और न ही दीपक को एहसास हुआ. सत्यवीर ने बाथरूम का दरवाजा बाहर की ओर खोलने की कोशिश की. बंद पा कर कुछ समय रुक कर सोचने लगा कि शायद बाथरूम में पूजा हो. उस ने दरवाजे पर 2 थपकी देते हुए धीमी आवाज में कहा, ‘‘पूजा, जल्दी निकल.’’

यह सुनते ही अर्धनग्नावस्था में पूजा और दीपक सिहर उठे. पूजा डर गई. वह कांपने लगी. हड़बड़ाहट में जैसेतैसे कुछ अपने कपड़े पहने और कुछ हाथों में उठा लिए. उस में कुछ कपड़े दीपक के भी आ गए थे. उसे कुछ नहीं सूझा और बाथरूम का दरवाजा खोल कर बाहर निकल दौड़ती हुई अपने कमरे की ओर भाग चली. इसी बीच दीपक का बनियान और अंडरवीयर दरवाजे पर गिर गया. बाथरूम में अब केवल दीपक अकेला रह गया था. सत्यवीर अपनी बेटी को इस तरह से भाग कर कमरे की ओर जाते देख चौंक गया. उस के पैर पर कपड़ा गिरने का एहसास हुआ. उस ने बाथरूम की लाइट जलाई. लाइट जलते ही नीचे गिरा जेंटस का कपड़ा देख कर वह भुनभुनाने लगा.

तभी बाथरूम में दीपक नजर आया. वह नीचे झुक कर कुछ ढूंढ रहा था. केवल शर्ट पहने था. पैंट हाथ में पकड़े हुए था. यह देख सत्यवीर सन्न रह गया. उस की आंखों में बचीकुची नींद पूरी तरह उड़न छू हो गई. सत्यवीर ने देरी किए बगैर दीपक का हाथ पकड़ कर बाथरूम से बाहर खींचा. उस के कपड़े को दिखाते हुए बोला, ‘‘ यही ढूंढ रहा है, बदतमीज!’’

दीपक को बाहर निकालते ही उस के गालों पर जोरदार 2 थप्पड़ जड़ दिए. थप्पड़ खा कर दीपक तिलमिला गया. स्तब्ध हो जड़वत दीपक पर सत्यवीर ने दनादन 2-4 थप्पड़ और जड़ दिए. दीपक को जरा भी आभास नहीं था कि वह इस बार पकड़ा जाएगा. दरअसल वह पूजा के इश्क में इस कदर डूबा हुआ था और वासना की आग में जल रहा था कि इस बारे में कोई विचार ही नहीं आया था. जिस का उसे गहरा सदमा लगा था. दीपक की आंखों से आंसू निकल आए. वह सत्यवीर के पैरों पर गिर कर माफी मांगने लगा, लेकिन तब तक सत्यवीर का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा था.

उस ने दीपक को बगल के खाली कमरे में ले जाकर बंद कर दिया. पूजा का कमरा बाहर से बंद किया और अपने कमरे से बेल्ट ले कर आया. कमरे का दरवाजा बंद कर बेल्ट से दीपक की जम कर पिटाई करनी शुरू कर दी. उसी दौरान उस ने उस के ऊपर कैंची से भी वार किए. दीपक  छोड़ देने की भीख मांगता रहा, लेकिन सत्यवीर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. बेल्ट से हमला करने की वजह से दीपक के कई नाजुक हिस्सों पर चोट लगी जिस से वह अधमरा हो गया. सत्यवीर गुस्से में अपना आपा पूरी तरह से खो चुका था. उस ने पहले से जख्मी दीपक के हाथ पैर रस्सी से कस कर बांध दिए.

8 जुलाई, 2021 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे उत्तरपूर्वी दिल्ली के करावल नगर क्षेत्र में लोग अधखुली आंखों से बिस्तर छोड़ अपनेअपने काम की तैयारी में जुट गए थे. कई लोग अपनी दुकानें खोलने में लग गए थे, तो कुछ लोग अपने कामधंधे के लिए निकल पड़े थे. इसी बीच करावल नगर के भगत विहार में स्थित वर्ल्ड जिम के पास एक लाश पड़ी होने की खबर फैल गई. अधनंगी औंधे मुंह लाश जिम के बाहर पड़ी थी. शरीर पर काफी निशान थे. पास खड़े लोग निशानों को देख हैरान थे. उन से खून भी रिस रहा था. कहीं खून सूख भी चुका था, लेकिन उस के पहने कपड़े खून से सने हुए और गीले थे.

उस के शरीर को देख कर कोई भी यह अंदाजा लगा सकता था की उस की मौत ज्यादा खून बह जाने की वजह से हुई होगी. निश्चित तौर पर किसी ने पीटपीट कर उस की हत्या की. जरूर वह किसी बदले का शिकार हुआ. देखते ही देखते जिम के बाहर लाश देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी. लोग आपस में खुसरफुसर करने लगे. इसी बीच किसी ने दिल्ली पुलिस के 100 नंबर पर फोन कर इस की सूचना दे दी. सूचना पा कर पुलिस कंट्रौल रूम की टीम वहां पहुंच गई. कुछ देर बाद स्थानीय करावल नगर थाने से थानाप्रभारी रामअवतार अपने साथ इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार और एसआई मनदीप पुखाना को साथ ले कर मौके पर पहुंच गए.

दोनों अधिकारियों ने सब से पहले लाश की शिनाख्त करने के लिए वहां मौजूद लोगों से उस के बारे में पूछताछ की. कुछ ही देर में डीसीपी भी घटनास्थल पर पहुंच गए. लाश 19-20 साल के युवक की लग रही थी. घटनास्थल पर मौजूद भीड़ में से एक व्यक्ति ने बताया कि लाश करावल नगर के दयालपुर स्थित रामा गार्डन में रहने वाले दीपक की है. वह अपने चाचा रमेश के साथ रहता था. मृतक की जेब से कंडोम का पैकेट भी मिला, उस के चेहरे पर भी काफी जख्म के निशान थे. कंडोम का पैकेट बरामद होने से पुलिस उस की मौत का कारण समझ गई. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए पास के शाहदरा में स्थित जगप्रवेश चंद्र अस्पताल भेज दी.

शुरुआती जांच से पुलिस को मृत व्यक्ति की पहचान की तो जानकारी मिल गई कि मृतक का नाम दीपक है. इस हत्या की वजह तलाशनी बाकी थी. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने मौके पर मौजूद कुछ और लोगों से बात कर मृतक दीपक के बारे में शुरुआती जानकारी जुटा ली थी. डीसीपी संजय सैन के निर्देश पर राजेंद्र कुमार रमेश के घर पहुंचे तब मालूम हुआ कि रमेश पहले से ही दीपक की तलाश कर रहा है. वह काफी परेशान दिखा. इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार को रमेश ने बताया कि दीपक बीती रात से ही घर से गायब था. पुलिस ने रमेश से उस की किसी के साथ दुश्मनी की बात, किसी से पैसे के लेनदेन या किसी झगड़े में शामिल होने के बारे में पूछा.

इस पर रमेश ने साफ तौर पर मना कर दिया. हालांकि पुलिस ने महसूस किया कि रमेश कुछ बातें छिपा रहा है. जब उस से सख्ती से पूछा, तब रमेश ने कुछ और जानकारी दी. रमेश ने बताया कि दीपक 2 जुलाई, 2021 को ही अपने गांव बागपत से दिल्ली लौटा था. रमेश ने बताया कि दीपक का पास में ही रहने वाले सत्यवीर की बेटी पूजा के साथ अफेयर था. इस अफेयर के बारे में मोहल्ले में रहने वाले कई लोगों को पता भी था. इस पूछताछ के बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद आए शव की पहचान के लिए रमेश को अस्पताल में बुलाया. लाश देखने के बाद रमेश अस्पताल में ही फूटफूट कर रोने लगा. रोते हुए बोला, ‘‘ये हत्या उसी लड़की की वजह से हुई है.’’

दरअसल उत्तर प्रदेश के बागपत का रहने वाला 18 वर्षीय दीपक, दिल्ली के करावल नगर में अपने चाचा रमेश के घर बचपन से ही रहता था. दीपक के परिवार में उस के मातापिता की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण कई सालों से उन्होंने पढ़ाई के लिए दिल्ली में रमेश के पास उसे छोड़ दिया था. दीपक पढ़नेलिखने में कमजोर था, और उस का ध्यान पढ़ाईलिखाई के अलावा मटरगश्ती में ज्यादा लगा रहता था. उस की इसी मटरगश्ती वाली आदतों की वजह से उस के चाचा रमेश ने उसे 10वीं पास होने पर सेकंडहैंड स्मार्टफोन खरीद कर दिया था. ताकि उस से संपर्क बना रहे और पता लगाया जा सके कि वह कहां हैं?

साल 2019 में जब वह 11वीं क्लास में था और जिस ट्यूशन सेंटर पर वह पढ़ने के लिए जाता था, वहां उस की मुलाकात पूजा से हुई थी. पूजा दीपक से एक क्लास जूनियर थी. दोनों ही इलाके के सरकारी स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन उन के स्कूल अलगअलग थे. पूजा के अफेयर को अभी सिर्फ 4-5 महीने ही हुए थे कि 2020 में कोरोना की वजह से लौकडाउन लग गया. लौकडाउन के दौरान दीपक और पूजा के संपर्क का एकलौता जरिया फोन ही था. दोनों का ही लौकडाउन की वजह से स्कूल, ट्यूशन, घूमनाफिरना सब बंद हो गया था. दोनों अपनेअपने घरों में मानो कैद हो गए थे.

पूजा के पास अपना कोई फोन नहीं था, लेकिन वह घर में मौजूद फोन से अकसर दीपक को फोन कर उस से बात किया करती थी. उन की उम्र ही ऐसी थी कि वे प्यार में बंधते चले गए. दोनों का पहला प्यार दैहिक आकर्षण में भी बदल गया. एकदूसरे के लिए बेचैनियां और फिक्र दोनों होने लगी.  कोरोना की वजह से लौकडाउन के चलते बनी सामाजिक और शारीरिक दूरी ने उन की बेचैनियों को और बढ़ा दिया. ऐसे में दोनों के परिवार में शक होना आम बात थी. दीपक को दिन भर फोन पर लगा देख उस के चाचा रमेश को शक हुआ कि कहीं यह किसी बुरी संगत में तो नहीं पड़ गया. इसलिए जैसे ही सरकार ने लौकडाउन में ढील दी, तभी रमेश ने अपने भतीजे दीपक को आनंद विहार बस अड्डा से प्राइवेट बस के जरिए उस के मांबाप के घर बागपत भेज दिया.

दूसरी तरफ पूजा के पिता सत्यवीर सिंह को भी अपनी बेटी को दिन भर फोन पर लगे रहने की वजह से शक होने लगा था. उस के शक को कुछ पासपड़ोस वालों ने भी बढ़ा दिया. तब उस ने अपनी बेटी पर पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं. जब भी पूजा के हाथों में फोन होता वह उसे डांट देता. वह कुछ भी करती तो उस पर वह नजर रखी जाती. फिर भी पूजा अपने पिता की नजरों से बचते हुए कहीं से भी फोन का जुगाड़ कर दीपक से बात कर लिया करती थी. इन पाबंदियों और रोकाटोकी के बीच दीपक और पूजा के बीच प्रेम संबंध और भी गहरा हो गया था. पूजा पर उस के पिता द्वारा शक करने की वजह से वह अकसर रात को ही अपने प्रेमी दीपक से बातें किया करती थी.

कई बार तो दोनों पूरी रात बातें करते रह जाते थे. उन के बीच घर, परिवार, दोस्त, रिश्तेदार, फिल्में, सीरियल, फैशन, कपड़े आदि हर तरह की बातें होती थीं. यहां तक कि वे सैक्स संबंधी बातें भी किया करते थे. जब दीपक अपने घर चला गया था, तब पूजा बारबार दीपक को फोन कर के दिल्ली आने को कहती थी. दीपक पूजा के लिए दिल्ली वापस आना तो चाहता था, लेकिन उस के मातापिता उसे आने से रोक रहे थे. किसी तरह दीपक ने अपने मातापिता को दिल्ली जाने के लिए राजी कर लिया था. पुलिस को जब पूजा के साथ दीपक के प्रेम संबंध की जानकारी मिली तब इंसपेक्टर राजेंद्र कुमार ने पूजा और उस के पिता को भी थाने बुलाकर पूछताछ की गई.

थाने में पूजा ने अपने और दीपक के प्रेम संबंधों को स्वीकार लिया. उस के पिता ने भी अपना जुर्म मान लिया. उस ने बताया कि ऐसा उस ने अपनी बेटी की इज्जत के साथ खिलवाड़ करने के कारण किया. उस ने दीपक को जब पकड़ा था, तब वह अपने बेकाबू गुस्से को रोक नहीं पाया. उस ने बताया कि उस ने कैंची से भी दीपक के ऊपर वार किए थे. जिस की वजह से दीपक के शरीर से खून निकल आया. खून लगातार बहने की वजह से दीपक बेहोश हो गया. उधर कमरे में पूजा बिस्तर में तकिए के नीचे अपना मुंह दबाए रोए जा रही थी. उसे कोई अंदाजा ही नहीं था कि दीपक के साथ उस के पिता ने क्या किया है.

कुछ ही देर में ज्यादा खून बह जाने की वजह से दीपक का दम निकल गया. जब दीपक ने बिलकुल हिलनाडुलना बंद कर दिया तो उस का गुस्सा शांत हुआ. इस के बाद वह घबरा गया. लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सत्यवीर ने बताया कि दीपक की हालत देख कर उस के दिमाग में तरहतरह के खयाल पैदा होने लगे. जिस से उस के मन में बेहद खौफ पैदा हो गया था. इस के लिए उस ने रात के 3 बजे मोहल्ले में ही रहने वाले जानकार अनुज को फोन किया. 5-6 बार फोन किया तो उस ने नहीं उठाया, लेकिन 5 मिनट के बाद अनुज का ही उस के पास फोन आया. तब उस ने उसे ये सारा किस्सा फोन पर बताया और जल्द ही घर आने के लिए कहा. करीब 5 मिनट के बाद ही अनुज अपनी बाइक पर सत्यवीर के घर आ गया.

सत्यवीर और अनुज ने दीपक को पहले उल्टेसीधे कपड़े पहनाए फिर उस के शव को सीढि़यों से नीचे उतारा और उसे बाइक पर बीच में बैठा कर अपने घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर करावल नगर के भगत विहार में स्थित वर्ल्ड जिम के बाहर डाल आए. सत्यवीर के जुर्म कुबूल करने के बाद पुलिस ने उसे हत्या कर लाश ठिकाने लगाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया. बाद में लाश ठिकाने लगवाने वाले दूसरे आरोपी अनुज ने थाने में सरैंडर कर दिया. जहां से उसे भी जेल भेज दिया गया. Crime ki Kahani

(कथा में पूजा परिवर्तित नाम है, कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

Love Crime : एकतरफा प्रेमी ने ली प्रेमिका की सहेली की जान

Love Crime : 10 जुलाई, 2023 को रात के लगभग 8 बजे का वक्त रहा होगा, दिव्या रोज की तरह अपनी सहेली अक्षया यादव की स्कूटी पर बैठ कर कोचिंग से घर वापस लौट रही थी. उन दोनों सहेलियों में से किसी को जरा भी अनुमान नहीं था कि मौत दबे पांव उन की ओर बढ़ी आ रही है.

उसी समय अक्षया की स्कूटी के नजदीक से एक बाइक गुजरी. उस पर 4 नवयुवक सवार थे. बाइक पर सवार उन युवकों में से 2 के हाथ में देशी पिस्टल थी. उन चारों में से 2 को पहचानने में अक्षया और उस की सहेली दिव्या ने भूल नहीं की. वे दोनों आर्मी की बजरिया में रहने वाले सुमित रावत और उपदेश रावत थे.

एक नजर चारों तरफ देखने के बाद सुमित नाम के युवक ने रुकने का इशारा कर के अक्षया को बेटी बचाओ चौराहा (मैस्काट चिकित्सालय) के पास रोक लिया.

सडक़ पर ही सुमित और दिव्या में होने लगी नोंकझोंक

अक्षया के स्कूटी रोकते ही सुमित दिव्या से बात करने लगा. कुछ ही पल की बातचीत में दिव्या और सुमित में नोंकझोंक शुरू हो गई. दोनों के बीच सडक़ पर नोंकझोंक होती देख उधर से गुजर रहे कुछ राहगीरों ने महज शिष्टाचार निभाते हुए रुक कर सुमित को समझाने का प्रयास किया, लेकिन सुमित ने लोगों से दोटूक शब्दों में कह दिया कि अगर कोई भी हम दोनों के बीच में आया तो उसे सीधे यमलोक पहुंचा दूंगा.

इतना ही नहीं, सुमित और उस के साथ बाइक पर सवार हो कर आए अपराधी किस्म के साथी तमंचा दिखा कर राहगीरों को बिना किसी हिचकिचाहट के धमकाने लगे. सुमित को समझाने की कोशिश में लगे राहगीर उन युवकों के हाथों में तमंचा देख डर कर दूर हट गए.

राहगीरों के दूर हटते ही सुमित दिव्या को धमकाने लगा, “सोनाक्षी, मैं तुम्हें हमेशा के लिए भूल जाऊं, ये कभी नहीं हो सकता. और मेरे रहते किसी भी सूरत में तुम्हें अपने से मुंह नहीं फेरने दूंगा. अब अपनी जान की खैरियत चाहती हो तो चुपचाप जैसा में कहूं वैसा करो, वरना तुम्हारी लाश ही यहां से जाएगी.

अपनी आगे की जिंदगी का निर्णय खुद तुम्हें लेना है, मेरे साथ दोस्ती रखना चाहती हो याा नहीं? तुम और तुम्हारी मां ने मुकदमा दर्ज करा कर मुझे जेल भिजवा कर मेरी जिंदगी को तबाह कर के रख दिया है. अब बचा ही क्या है मेरी जिंदगी में.”

“सुमित, तुम कान खोल कर सुन लो, सिर्फ मेरी मां ही नहीं मैं भी तुम से नफरत करती हूं. मैं अपने जीते जी तुम जैसे घटिया इंसान से कभी भी दोस्ती नहीं रखूंगी, ये मेरा आखिरी निर्णय है.” दिव्या ने भी उसे साफ बता दिया.

दिव्या का यह फैसला सुन कर सुमित की त्यौरियां चढ़ गईं. उस ने दिव्या को भद्दी सी गाली देते हुए कहा, “साली, तू और तेरी मां अपने आप को समझती क्या है?”

दिव्या की जान खतरे में देख कर सडक़ चल रहे किसी राहगीर ने समूचे घटनाक्रम की सूचना माधोगंज थाने को दे दी.

दिव्या पर चली गोली से अक्षया की गई जान

इस से पहले कि पुलिस घटनास्थल पर पहुंच पाती, सुमित ने बिना एक पल गंवाए देशी कट्टे का रुख दिव्या की ओर कर गोली दाग दी, लेकिन दुर्भाग्यवश गोली दिव्या को न लग कर उस की सहेली अक्षया के सीने में जा धंसी. उस के शरीर से खून का फव्वारा फूट पड़ा. इस के बाद वे सभी युवक वहां से फरार हो गए. मदद के लिए आगे आए राहगीर अक्षया को बगैर वक्त गंवाए आटोरिक्शा में डाल कर जेएएच अस्पताल ले गए.

यह खबर समूचे शहर में आग की तरह फैल गई. देखते ही देखते घटनास्थल पर लोगों का जमघट लग गया. मृतका स्व. मेजर गोपाल सिंह व पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह यादव की नातिन थी और घटनास्थल के करीब ही सिकंदर कंपू में रहती थी.

इसी दौरान किसी परिचित ने फोन से इस घटना की खबर अक्षया के पापा शैलेंद्र सिंह को दे दी. शैलेंद्र सिंह को जैसे ही अपनी एकलौती बेटी के गोली लगने की खबर लगी, वह और उन की पत्नी विक्रांती देवी हैरत में पड़ गए. क्योंकि वह काफी विनम्र स्वभाव की थी तो किसी ने उसे गोली क्यों मार दी? अक्षया को गोली मारे जाने की खबर से समूचे सिकंदर कंपू इलाके में सनसनी फैल गई.

सरेराह बेटी को गोली मारे जाने की सूचना मिलने के बाद शैलेंद्र सिंह कार से पत्नी विक्रांती देवी को साथ ले कर अस्पताल के लिए निकले, लेकिन रास्ते में उन की कार सडक़ खुदी होने से फंस कर रह गई. इस के बाद वे अपने दोस्त की गाड़ी से अस्पताल पहुंचे, लेकिन बेटी का इलाज शुरू होने से पहले ही उस ने दम तोड़ दिया.

हत्यारे अपना काम करके हथियार लहराते हुए मौकाएवारदात से चले गए. तब माधोगंज थाने के एसएचओ महेश शर्मा पुलिस टीम के साथ मौकाएवारदात पर पहुंचे. वहां पहुंचने के बाद उन्होंने आसपास के लोगों से घटना के बारे में पूछताछ की. घटनास्थल पर 2 पुलिसकर्मियों को छोड़ कर वह जेएएच अस्पताल की ओर चल पड़े. वारदात की सूचना उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी.

खबर पा कर एसपी राजेश सिंह चंदेल, एसपी (सिटी पूर्व, अपराध) राजेश दंडोतिया, एसपी (सिटी पश्चिम) गजेंद्र सिंह वर्धमान, सीएसपी विजय सिंह भदौरिया सहित क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर अमर सिंह सिकरवार भी अस्पताल पहुंच गए. वहां मौजूद मृतका के मम्मीपापा को ढांढस दिलाते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि हत्यारों पर ईनाम घोषित कर दिया गया है. सभी आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

उधर डाक्टरों के द्वारा अक्षया को मृत घोषित करते ही एसएचओ महेश शर्मा ने जरुरी काररवाई निपटाने के बाद अक्षया की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मृतका की 16 वर्षीया सहेली दिव्या शर्मा निवासी बारह बीघा सिकंदर कंपू की तहरीर पर सुमित रावत, उस के बड़े भाई उपदेश रावत सहित 2 अज्ञात युवकों के खिलाफ भादंवि की धारा 307,34 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर लिया.

पुलिस ने आरोपियों को पकडऩे के लिए तत्काल संभावित स्थानों पर दबिश देनी शुरू कर दी थी, लेकिन हत्यारे हाथ नहीं लगे. क्योंकि आरोपी घर छोड़ कर फरार हो चुके थे. अनेक स्थानों पर असफलता मिलने के बावजूद पुलिस टीम हताश नहीं हुई.

पुलिस आरोपियों की तलाश बड़ी ही सरगर्मी से कई टीमों में बंट कर कर रही थी, लेकिन शहर के बहुचर्चित अक्षया हत्याकांड के हत्यारे पता नहीं किस बिल में जा कर छिप गए थे. अक्षया की हत्या हुए तकरीबन 24 घंटे होने को थे, लेकिन उस के हत्यारों को पकडऩे की बात तो दूर, पुलिस को उन का कोई सुराग तक नहीं मिला था.

12 जुलाई, 2023 की सुबह का समय था, तभी एक मुखबिर ने पुलिस को बताया कि अक्षया के जिन हत्यारों को वह तलाश रही है, उन में से एक आरोपी उपदेश रावत कोट की सराय डबरा हाईवे पर अपनी ससुराल में छिपा हुआ है. यह खबर मिलते ही क्राइम ब्रांच व थाना माधोगंज की टीम ने मुखबिर के द्वारा बताई जगह पर छापा मार कर मुख्य आरोपी सुमित रावत के बड़े भाई उपदेश रावत को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अलगअलग राज्यों से किए 7 आरोपी गिरफ्तार

10 हजार रुपए के ईनामी उपदेश को पुलिस टीम ने थाने ला कर उस से अक्षया यादव की हत्या के संदर्भ में पूछताछ शुरू की. पहले तो उपदेश अपने आप को निर्दोष बता कर पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश करता रहा, लेकिन जब पुलिस ने थोड़ी सख्ती की तो वह टूट गया.

उस ने पूछताछ में खुलासा किया कि इस हत्याकांड में 7 लोग शामिल थे. उक्त वारदात को अंजाम देने से पहले हत्या का षडयंत्रकारी सुमित रावत 6 जुलाई को अपने दोस्तों के साथ कंपू स्थित होटल में रुका था. होटल में 7 जुलाई को विवाद होने पर वह अपने दोस्तों के साथ लाज में ठहरने चला गया था. इस वारदात से पहले तक लाज में ही ठहरा था.

यहीं पर हिस्ट्रीशीटर बाला सुबे के साथ बैठ कर दिव्या और उस की मां करुणा की हत्या की उस ने योजना बनाई थी. इन दोनों की हत्या के लिए हथियारों का इंतजाम भी बाला सुबे ने ही कराया था.

पूछताछ में यह भी पता चला कि हत्या वाले दिन से ठीक एक दिन पहले इस हत्याकांड में उस का नाम न आए, इसलिए शातिरदिमाग बाला सुबे एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के धुले में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया था. धुले में सुमित रावत व उस के सहयोगी विशाल शाक्य की फरारी की व्यवस्था बाला सुबे ने ही कर रखी थी.

योजनानुसार उपदेश और उस के छोटे भाई सुमित अपने 2 साथियों विशाल शाक्य व मनोज तोमर एक बाइक पर तथा दूसरी बाइक पर राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर ने सवार हो कर मृतका व उस की सहेली की रेकी की थी.

आरोपियों के नामों का खुलासा होने पर पुलिस ने बिना देरी किए सातों आरोपियों की कुंडली खंगाली और सभी आरोपियों सुमित रावत, उपदेश रावत,विशाल शाक्य, मनोज तोमर, राकेश सिकरवार, अशोक गुर्जर सहित बाला सुबे को अलगअलग राज्यों से हिरासत में ले लिया. मुख्य आरोपी सुमित रावत से की पूछताछ के बाद अक्षया हत्याकांड की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह कुछ इस तरह थी.

16 वर्षीय दिव्या ग्वालियर शहर के बारह बीघा सिकंदर कंपू के रहने वाले विवेक शर्मा की बेटी थी. दिव्या एक होनहार छात्रा थी. इन दिनों वह ग्यारहवीं की तैयारी कर रही थी. उस ने सुमित के बारे में अपनी मां से कुछ भी नहीं छिपाया था.

सुमित उस का 3 साल पुराना फेसबुक फ्रैंड अवश्य था, लेकिन अपराधी प्रवृत्ति का था. जैसे ही उसे सुमित की हकीकत पता चली तो उस ने उसे ब्लौक कर दिया. ब्लौक किए जाने के बाद सुमित दिव्या को फोन ही नहीं करने लगा, बल्कि उस ने प्यार का इजहार भी कर दिया.

सिरफिरा आशिक निकला सुमित रावत

दिव्या के लिए तो यह परेशानी वाली बात थी. वह उस से इसलिए नाराज थी कि पहले तो उस ने शरीफ युवक बन कर उस से दोस्ती की और जैसे ही सारी हकीकत सामने आई तो फोन पर प्यार का इजहार करने लगा. सुमित के इस दुस्साहस से नाराज दिव्या ने उसे जम कर लताड़ा और आइंदा कभी फोन न करने की हिदायत दी.

लेकिन सुमित नहीं माना. दिव्या द्वारा उस की काल रिसीव न करने पर वह उसे मैसेज करने लगा. इस से दिव्या और उस की मां करुणा को लगा कि सुमित अव्वल दरजे का बेशर्म और सिरफिरा लडक़ा है, यह मानने वाला नहीं है, इसलिए उन दोनों ने उस पर गौर करना बंद कर दिया और दिव्या अपनी पढ़ाई में मन लगाने लगी.

जब दिव्या सुमित की फोन काल और मैसेज की अनदेखी करने लगी तो सुमित उस की मम्मी करुणा शर्मा को फोन कर दिव्या से बात कराने की हठ करने लगा. करुणा शर्मा ने सख्ती दिखाते हुए बात कराने से उसे मना कर दिया तो कभी वह करुणा शर्मा के गुढ़ा स्थित सेंट जोसेफ स्कूल पहुंच कर हडक़ाने लगता था.

करुणा शर्मा पेशे से शिक्षक हैं, पति का निधन हो जाने के बाद से वह प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर अपने बेटेबेटी का पालनपोषण कर रही हैं. उन के दिव्या के अलावा एक 12 वर्षीय बेटा है.

दिव्या काफी होशियार और समझदार लडक़ी थी. उस का पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई और कैरियर पर रहता था. अपनी इसी इच्छा को पूरा करने के लिए उस ने अपनी सहेली के साथ लक्ष्मीबाई कालोनी में कोचिंग जौइन कर रखी थी और बारह बीघा सिकंदर कंपू क्षेत्र में सुकून के साथ अपनी मां और छोटे भाई के साथ रह रही थी.

दिव्या के साथ उस की मम्मी को भी धमकाना शुरू कर दिया सुमित ने

बेहद हंसमुख और खूबसूरत दिव्या का अधिकांश समय पढ़ाईलिखाई में बीतता था. दिन में फुरसत के वक्त वह सोशल मीडिया फेसबुक पर बिता देती थी. फेसबुक का उपयोग करते वक्त क्याक्या ऐहतियात बरतनी चाहिए, उस के बारे में भी उसे जानकारी थी. इसलिए अंजान लोगों और खासकर लडक़ों से वह दोस्ती नहीं करती थी. लेकिन सुमित के मामले में वह भूल कर बैठी, जिसे वक्त रहते उस ने सुधार लिया था.

हालांकि सुमित से चैटिंग के दौरान दिव्या ने अंतरंग बातें कर ली थीं, जो स्वाभाविक भी थी, क्योंकि वह तो उसे बेहद शरीफ समझ रही थी. उसे इस बात का कतई अहसास नहीं था कि इस मासूम से चेहरे के पीछे हैवानियत और वहशीपन छिपा है, लेकिन जैसे ही दिव्या ने सुमित से दूरी बनानी शुरू की तो उस ने उस की मम्मी के साथ बदसलूकी और उन्हें धमकाना शुरू कर दिया. तब दिव्या को अपनी ग़लती का अहसास हुआ.

सुमित दिव्या शर्मा के पीछे इस कदर हाथ धो कर पड़ा था कि उस की कारगुजारियों का खुल कर विरोध करने वाली करुणा शर्मा को भी उस ने नहीं छोड़ा था. सुमित ने उन के साथ भी सरेराह उसी रास्ते पर कट्टा अड़ा कर छेड़छाड़ की थी, जहां दिव्या की सहेली अक्षया यादव की हत्या को अंजाम दिया था.

तब अंत में दिव्या ने कंपू थाने में सुमित रावत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. उस की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

बात 18 नवंबर, 2022 की है. रोज की तरह सेंट जोसेफ स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका करुणा शर्मा अपने नाबालिग बेटे के साथ सुबह के समय स्कूल जा रही थीं. वह जैसे ही कंपू थाना क्षेत्र स्थित हनुमान सिनेमा तिराहे के निकट पहुंची ही थी कि तभी अचानक सुमित रावत आ धमका. उस ने उन का रास्ता रोक कर सरेराह बिना किसी संकोच के उन के साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी.

मां के साथ सुमित रावत द्वारा की जा रही छेड़छाड़ को देख कर बेटा बुरी तरह से खौफजदा हो गया था. करुणा ने सुमित की इस हरकत का खुल कर विरोध किया तो वह बौखला गया. उस ने कट्टा निकाल कर करुणा के सीने से लगा दिया. सुमित खुलेआम कट्टे की नोंक पर राहगीरों के सामने करुणा के साथ छेड़छाड़ करता रहा, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया.

सुमित जान से मारने की धमकी दे कर कट्टा लहराते हुए भाग गया. इस घटना के बाद करुणा ने थाने पहुंच कर सुमित के खिलाफ भादंवि की धारा 341, 354, 345, 506 के तहत प्राथमिकी दर्ज करा दी. इस के बाद पुलिस ने सुमित को दबोच कर जेल भेज दिया था. करुणा शर्मा अभी तक उस घटना को नहीं भूल सकी हैं.

उधर अक्षया यादव हत्याकांड में संलिप्त सातों आरोपियों को अलगअलग जगहों से गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त 2 देशी कट्टे और बाइक बरामद करने के बाद मुख्य अभियुक्त सुमित रावत , उपदेश रावत, विशाल शाक्य सहित बाला सुबे को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया, जबकि अन्य तीन आरोपियों के नाबालिग होने की वजह से बाल न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन तीनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.

गौरतलब बात है कि सुमित रावत पर पुलिस के मुताबिक 2 हत्या सहित आधा दरजन प्रकरण दर्ज हैं. इसी क्रम में बाला सुबे पर 27 आपराधिक मामले, उपदेश रावत पर मारपीट और गोली चलाने के 7 मामले, विशाल शाक्य पर गोली चलाने का एक प्रकरण दर्ज है.

72 घंटे में पुलिस की आधा दरजन टीमों के द्वारा महाराष्ट्र, दिल्ली और धौलपुर से अक्षया यादव हत्याकांड में शामिल सातों आरोपियों को दबोचे जाने के बाद एडिशनल डीजीपी डी. श्रीनिवास वर्मा, एसपी राजेश सिंह चंदेल व एडिशनल एसपी राजेश डंडोतिया ने संयुक्त रूप से प्रैस कौन्फ्रैंस कर पत्रकारो को अपराधियों के बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी सुमित रावत को जब पुलिस की टीम ग्वालियर ले कर आ रही थी, तभी उस ने घाटीगांव पनिहार के बीच लघुशंका के बहाने पुलिस का वाहन रुकवाया और वाहन से उतरते ही भागने का प्रयास किया. इस प्रयास में गिर जाने से उस के पैर में फ्रैक्चर हो गया था, अत: उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 17 जुलाई को अस्पताल ने उसे डिस्चार्ज कर दिया तो न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है.

हकीकत यह थी कि सुमित दिव्या से एकतरफा प्यार करने लगा था और उस के इंकार करने से बुरी तरह बौखला गया था. फेसबुक की दोस्ती में ऐसे अपराध वर्तमान दौर में आम हो चले हैं, जिन का शिकार दिव्या जैसी भोलीभाली लड़कियां हो रही है. ऐसे में उन्हें और ज्यादा संभल कर रहने की जरूरत है.

दिव्या उस का पहला प्यार था और उस के ठुकरा देने से वह उस से नफरत करने लगा था. उस की इसी नफरत की आग ने बेकुसूर छात्रा अक्षया यादव की जान ले ली. हालांकि अक्षया की हत्या के बाद उस के मातापिता की शेष जिंदगी तो अब दर्द में ही निकलेगी.

ताउम्र ये सवाल चुभेगा कि हमारी लाडली बिटिया ही क्यों? लेकिन पुलिस के लिए यह सिर्फ एक केस नंबर रहेगा. कुछ समय बाद ये नंबर भी शायद ही किसी को याद रहे. बेटी के बदमाशों के हाथों मारे जाने के गम का बोझ तो मातापिता को ही उठाना होगा. Love Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में मनोज तोमर, राकेश सिकरवार और अशोक गुर्जर परिवर्तित नाम हैं.

True Crime Stories : बॉयफ्रेंड संग मिलकर पत्नी ने चारपाई पर पति को पटक कर गला दबा डाला

True Crime Stories : दुलारी 2 बेटियों की शादी कर चुकी थी और बाकी बचे 2 बच्चे भी शादी लायक हो चुके थे. इस उम्र में अधेड़ उम्र का यह इश्क आगे चल कर किस खतरनाक मोड़ पर पहुंचेगा इस की उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी. फिर एक दिन…

बांदा जिले के बुधेड़ा गांव के रहने वाले शिवनारायण निषाद 18 जून, 2021 की रात गांव की में रामसेवक के घर एक शादी के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. जब वह देर रात तक वापस नहीं लौटे तो घर पर मौजूद पत्नी दुलारी की चिंता बढ़ने लगी. उस समय दुलारी घर पर अकेली थी. उस का 20 वर्षीय बेटा और 17 वर्षीय बेटी राधा गांव अलमोर में स्थित एक रिश्तेदारी में गए हुए थे. दुलारी ने पति की चिंता में जैसेतैसे कर के रात काटी. सुबह होने पर दुलारी ने अपने बेटे को फोन कर के रोते हुए कहा, ‘‘बेटा, तुम्हारे पिताजी गांव में ही रामसेवक चाचा के घर मंडप पूजन के कार्यक्रम में शामिल होने गए थे, लेकिन अभी तक वह घर वापस नहीं लौटे हैं.’’

बेटे दीपक ने जब पिता शिवनारायण के गायब होने ही बात सुनी तो वह भी घबरा गया. फिर वह मां को समझाते हुए बोला, ‘‘घबराओ मत मां, मैं घर आ रहा हूं. हो सकता है पिताजी रात होने पर वहीं रुक गए हों. फिर भी आप उन के घर जा कर पूछ आओ.’’

‘‘ठीक है बेटा, मैं रामसेवक चाचा के घर पता करने जा रही हूं.’’ दुलारी ने दीपक से कहा. दुलारी जब रामसेवक के घर पहुंची तो रामसेवक ने बताया कि शिवनारायण गांव के ही 2 लोगों सूबेदार और चौथैया के साथ रात 10 बजे ही वहां से लौट गए थे. यह बात दुलारी ने दीपक को फोन कर के बताई तो दीपक के मन में तमाम तरह की आशंकाओं ने जन्म लेना शुरू कर दिया. उसी दिन दीपक अपनी बहन के साथ गांव अलमोर से घर वापस लौट आया. दुलारी और घर के लोग सोचने लगे कि जब वह रामसेवक चाचा के यहां से लौट आए तो कहां चले गए. अभी तक वह घर क्यों नहीं आए? उस दिन दीपक अपने ताऊ पिता रामआसरे, मां दुलारी और परिजनों के साथ पिता को आसपास खोजने में लगा रहा.

इस के बाद परिजनों ने सूबेदार और चौथैया से शिवनारायण के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि हम लोग रात में 10 बजे साथ ही लौटे थे और गांव के शिवलाखन की पान परचून की दुकान पर गए, लेकिन उस समय उस की दुकान बंद थी. तब हम लोग अलगअलग हो कर अपनेअपने घरों को वापस लौट गए थे. इस के बाद शिवनारायण कहां गया, हमें नहीं पता. शिवनारायण की 2 बेटियां, जो अपनी ससुराल में थीं, वह भी पिता के लापता होने की सूचना मिलने पर मायके आ चुकी थीं. अब शिवनारायण के घर वालों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं जन्म लेने लगी थीं. बेटे दीपक और बेटियों का रोरो कर बुरा हाल था.

इस दौरान बेटे ने अपने सभी रिश्तेदारियों में फोन कर उन के बारे में जानना चाहा. लेकिन सभी जगह निराशा ही हाथ लग रही थी. शिवनारायण को गायब हुए 2 दिन होने वाले थे, फिर भी घर वाले पुलिस के पास न जा कर इधरउधर खोजने में ही लगे हुए थे. इसी दौरान 20 जून, 2021 की सुबह गांव के सूबेदार और अन्य लोग जब यमुना नदी किनारे से जा रहे थे. तो उन्होंने हाथपैर बंधे घुटनों के बीच डंडा फंसे एक लाश पड़ी देखी. यह बात उन्होंने गांव के अन्य लोगों को बताई. इस के बाद वह लाश देखने के लिए यमुना किनारे गए. ग्रामीणों की भीड़ इकट्ठा होने लगी थी. गांव वालों ने वह लाश पहचान ली. मृतक और कोई नहीं 2 दिन से गायब हुआ शिवनारायण ही था.

इधर ग्रामीणों ने नदी के किनारे लाश मिलने की सूचना स्थानीय थाने जसपुरा के थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह को भी दे दी. थानाप्रभारी सुनील इस घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को देने के बाद अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर रवाना हो गए. नदी के किनारे लाश मिलने की सूचना पा कर शिवनारायण निषाद के परिजन भी रोतेबिलखते वहां पहुंच चुके थे. पति की लाश देख कर दुलारी दहाड़ें मार कर रोने लगी. सूचना पा कर बांदा के एसपी अभिनंदन के अलावा एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह चौहान, सीओ (सदर) सत्यप्रकाश शर्मा के साथ मौके पर पहुंच गए.

पुलिस नें अपनी जांच में पाया कि लाश पानी में फूल कर उतरा कर नदी के किनारे आई है. ऐसे में अनुमान लगाया कि शिवनारायण की हत्या 18 जून की रात में कर दी गई थी. क्योंकि पानी में पड़ा शव करीब 24 घंटे बाद ही उतरा कर ऊपर आता है. थानाप्रभारी ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने वहां से कुछ सबूत भी जुटाए. पुलिस ने लाश को देख कर यह कयास लगाया कि हत्या में एक से ज्यादा लोग शामिल रहे होंगे. क्योंकि पुलिस को घटनास्थल पर ऐसा कोई निशान और न ही दोपहिया व चार पहिया वाहनों के टायरों के निशान मिले, जिस से यह कहा जा सके कि हत्या इसी जगह पर की गई थी.

इसी को आधार बना कर पुलिस यह मान रही थी कि हत्या कहीं और की गई है. लाश को नदी में ठिकाने लगाने के उद्देश्य से यहां ला कर फेंका गया था. जिस समय बुधेड़ा गांव में पुलिस अधिकारी व थाने की पुलिस घटनास्थल का मौकामुआयना कर रही थी, पुलिस को वहां जमीन पर खून पड़ा भी मिला. साथ ही कुछ दूरी पर चूडि़यों के टुकड़े भी बरामद हुए थे. जिन्हें फोरैंसिक टीम ने अपने कब्जे में ले लिया. मौके पर मौजूद गांव वालों ने बताया कि टूटी चूडि़यां मृतक की पत्नी दुलारी की हैं. उन का कहना था कि मामले की जानकारी होने पर दुलारी वहां बैठ कर रो रही थी. हो सकता है उस दौरान चूडि़यां टूट कर बिखर गई हों.

लेकिन पुलिस किसी भी साक्ष्य को हलके में नहीं ले रही थी, इसलिए वहां मौजूद हर संदिग्ध वस्तु को अपने कब्जे में ले रही थी. इस दौरान हत्या से जुड़े साक्ष्यों को इकट्ठा करने के लिए पुलिस ने शव मिलने वाले स्थान से पैदल ही नदी किनारे करीब डेढ़ किलोमीटर तक छानबीन की, लेकिन वहां से पुलिस को कोई अन्य और खास सबूत नहीं मिला. पुलिस ने जरूरी साक्ष्यों को इकट्ठा करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. इस दौरान पुलिस ने परिजनों से शिवनारायण के घर वालों से किसी से रंजिश होने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि उन की किसी से कोई रंजिश नहीं थी.

दोपहर तक पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला घोंट कर हत्या करने और फेफड़ों में पानी न होने की पुष्टि हुई. इस के बाद पुलिस ने शिवनारायन बेटे दीपक की तहरीर पर शिवनारायण की हत्या का मुकदमा भादंवि की धारा 302 व 201  तहत दर्ज कर लिया. रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने एसपी के निर्देश पर जांच के लिए एक टीम गठित की, जिस में कांस्टेबल शुभम सिंह, सौरभ यादव, अमित त्रिपाठी, महिला कांस्टेबल अमरावती व संगीता वर्मा को शामिल कर जांच शुरू की. थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह को शुरुआती पूछताछ में मृतक शिवनारायण के बड़े भाई रामआसरे और बेटे दीपक ने बताया कि 6 महीने पहले गांव के ही एक दुकानदार ने शिवनारायण से विवाद किया था और धमकी दी थी.

इस के बाद पुलिस ने दुकानदार और रात में दावत में साथ रहे व लाश मिलने की सूचना देने वाले सूबेदार सहित 4 लोगों को पूछताछ के लिए थाने ले गई. लेकिन पुलिस को उन लोगों से पूछताछ में ऐसी कोई बात नहीं मिली, जिस से उन पर हत्या का शक किया जा सके. जसपुरा थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह शिवनारायण निषाद के हत्या की हर एंगल से जांच कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने मृतक के घर के हर सदस्य का बयान दर्ज किया था. उन्हें जांच में पता चला कि शिवनारायण रात के 9 बजे ही दावत से अपने घर के लिए वापस लौट लिए थे. चूंकि उस समय हलकी बारिश हो रही थी, ऐसे में 45 साल की उम्र में उन के कहीं जाने का सवाल ही नहीं उठता था.

ऐसे में पुलिस यह मान कर चल रही थी कि शिवनारायण घर लौटे थे और उन के साथ घर पर ही कोई घटना हुई थी. उस दिन घर पर मृतक शिवनारायण की पत्नी ही मौजूद थी. क्योंकि शिवनारायण के बच्चे रिश्तेदारी में पैलानी थानांतर्गत अमलोर गांव गए हुए थे. मौके पर मिली चूडि़यों के टुकड़े के आधार पर पुलिस का शक पत्नी दुलारी पर और भी पुख्ता होता जा रहा था. उधर पुलिस को मृतक के हाथपांव के बांधने और घुटनों के बीच डंडा बांधने की बात समझ आ चुकी थी. यह हत्या के बाद लाश को उठा कर ले जाने में उपयोग किया गया होगा. इसी दौरान पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि उसी गांव के रहने वाले जगभान सिंह उर्फ पुतुवा का अकसर शिवनारायण निषाद के घर आनाजाना था.

चूंकि शिवनारायण जगभान के खेत में बंटाई पर खेती करता था. इसी दौरान जगभान का  शिवनारायण की पत्नी दुलारी से अवैध संबंध हो गए थे. जिस की जानकारी होने पर शिवनारायण और जगभान के बीच खटास पैदा हो गई थी. अब पुलिस शिवनारायण की पत्नी दुलारी और जगभान पर अपनी जांच केंद्रित कर आगे बढ़ रही थी. इसी सिलसिले में थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने जगभान के घर जा कर पता करना चाहा तो वह घर पर नहीं मिला. लेकिन उस की पत्नी ने पुलिस को बताया कि वह शाम को 6 बजे पास के एक गांव में शादी में गया था. वहां से वह साढ़े 11 बजे रात में लौट कर आए थे. उस की पत्नी ने यह भी बताया कि उन के साथ ही गांव के भोला निषाद की 4 बेटियां भी शादी में गई थीं. जहां भोला की 3 लड़कियां वहीं रुक गई थीं, जबकि एक उन के साथ वापस आई थी.

इस के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार सिंह ने जहां शादी थी, वहां पता किया तो लोगों ने बताया कि जगभान वहां से साढ़े 8 बजे ही निकल  गया था. फिर पुलिस ने भोला निषाद के घर जा कर पूछताछ की तो  लड़कियों ने बताया कि जगभान उन के घर 9 बजे आए थे, उस के बाद तुरंत वह वापस चले गए. अब पुलिस के सामने सवाल यह था कि जगभान जब भोला के घर से 9 बजे चला आया तो वह अपने घर साढ़े 11 बजे रात में पहुंचा था. तो इन ढाई घंटों के दौरान वह कहां रहा. इस आशंका के आधार पर पुलिस ने जगभान सिंह से ढाई घंटे गायब रहने का कारण पूछा तो वह उस का सही जबाब नहीं दे पाया.

पुलिस ने जब कड़ाई से मृतक की पत्नी दुलारी और जगभान सिंह से पूछताछ की गई तो उन दोनों ने शिवनारायण की हत्या किए जाने की बात स्वीकारते हुए हत्या का राज उगल दिया. उन दोनों ने शिवनारायण की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी. उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के जसपुरा थाना क्षेत्र के बुधेड़ा गांव के निवासी शिवनारायण गांव में रह कर खेती करता था. वह दूसरों के खेत बंटाई पर ले कर भी खेती करता था. शिवनारायण ने गांव के ही जगभान सिंह का खेत भी बंटाई पर ले रखा था. खेत बंटाई में लेने के कारण खेत मालिक जगभान शिवनारायण के घर आनेजाने लगा था. इस बीच जगभान और शिवनारायण की पत्नी दुलारी के बीच नजदीकियां बढ़ाने लगी थीं.

दोनों की ये नजदीकियां कब शारीरिक संबंधों में बदल गईं, उन्हें पता ही नहीं चला. लेकिन एक दिन शिवनारायण ने जगभान और दुलारी को साथ में देख लिया तो वह आगबबूला हो गया और जगभान सिंह को घर न आने कि कड़ी हिदायत दे डाली. इस के बावजूद भी जगभान सिंह शिवनारायण के घर आता रहा. लेकिन बारबार शिवनारायण द्वारा जगभान को घर आने से मना करने की वजह से बीते साल जगभान ने शिवनाराण को अपना खेत बंटाई पर नहीं दिया, तभी से दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था. इसी बात से जगभान और दुलारी शिवनारायण से खार खाए बैठे थे. वह इसी उधेड़बुन में थे कि किसी तरह शिवनारायण को ठिकाने लगाया जाए.

हत्यारोपी दुलारी ने बताया कि घटना वाले दिन उन का अविवाहित बेटाबेटी गांव अलमोर में अपने एक दिश्तेदार के घर गए हुए थे. उस दिन घर में कोई नहीं था. उसी दिन दोनों ने शिवनरायण को ठिकाने लगाने के लिए तानाबाना बुन लिया था. जगभान दावत से लौटने के बाद  रात के 9 बजे दुलारी के घर पहुंच गया. इधर मंडप कार्यक्रम से घर लौटे शिवनरायण ने दुलारी को जगभान के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखा तो गुस्से में उस का खून खौल गया और वह पत्नी को मारनेपीटने लगा और जगभान से गालीगलौज करने लगा. तभी दुलारी ने प्रेमी जगभान के साथ मिल कर अपने पति को चारपाई पर पटक दिया और गला दबा कर उस की हत्या कर दी. उसी दौरान उन लोगों नें लाश को ठिकाने लगाने का प्रयास किया, लेकिन गांव के लोग उस समय जग रहे थे.

ऐसे में उन्होंने शिवनारायण की लाश चारपाई के नीचे छिपा दी. इस के बाद जगभान रात के 11 बजे अपने घर चला आया. जगभान ने बताया कि रात करीब 2 बजे जब मोहल्ले के लोग गहरी नींद में सो रहे थे, तब वह रात के सन्नाटे में फिर से शिवनारायण के घर पहुंचा. जहां उस ने और दुलारी ने शिवनारायण के लाश के हाथपांव बांध कर दोनों पैरों के बीच डंडा डाल कर लाश को यमुना नदी में फेंक आए. इतना सब करने के बाद दुलारी और जगभान अपनेअपने घर चले गए. घर आने के बाद दुलारी ने पति के गायब होने की खबर पूरे गांव में फैला दी और जानबूझ कर पति को खोजने का नाटक करती रही. लेकिन पुलिसिया जांच में उन का जुर्म छिप नहीं सका.

पुलिस ने मृतक शिवनारायण की पत्नी दुलारी और उस के आशिक जगभान के से पूछताछ करने के बाद दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया. वहीं एसपी अभिनंदन ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को ईनाम देने की घोषणा की है. True Crime Stories

 

UP Crime News : प्रेमिका संग बनाए संबंध फिर चाकू मारकर किया कत्ल

UP Crime News : बीएससी में पढ़ने वाली सीमा एक होशियार लड़की थी. वह मोहम्मद कैफ से बहुत प्यार करती थी. इसी प्यार और सैक्स के चक्कर में वह एक दिन ऐसी फंसी कि..

‘‘सी मा, देखो शाम का समय है. मौसम भी मस्तमस्त हो रहा है. घूमने का मन कर रहा है. चलो, हम लोग कहीं घूम कर आते हैं.’’ लखनऊ के स्कूटर इंडिया के पास रहने वाली सीमा नाम की लड़की से उस के बौयफ्रैंड कैफ ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा.

‘‘कैफ, अभी तो कोई घर में है नहीं, बिना घर वालों के पूछे कैसे चलें?’’ सीमा ने अनमने ढंग से मोहम्मद कैफ को जबाव दिया.

‘‘यार जब घर में कोई नहीं है तो बताने की क्या जरूरत है? हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे. जब तक तुम्हारे पापा आएंगे उस के पहले ही हम वापस लौट आएंगे. किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.’’ कैफ को जैसे ही यह पता चला कि घर में सीमा अकेली है, वह जिद करने लगा. सीमा भी अपने प्रेमी कैफ को मना नहीं कर पाई. सीमा के पिता सीतापुर जिले के खैराबाद के रहने वाले थे. लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक प्राइवेट कंपनी में वह शिफ्ट के हिसाब से काम करते थे. सीमा ने पिछले साल बीएससी में एडमिशन लिया था. इसी बीच कोरोना के कारण स्कूलकालेज बंद हो गए. इस के बाद वह अपने पिता रमेश कुमार के पास रहने चली आई थी. सीमा के एक छोटा भाई और एक बहन भी थी.

घर में वह बड़ी थी. इसलिए पिता की मदद के लिए उस ने पढ़ाई के साथ नादरगंज में चप्पल बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली. गांव और शहर के माहौल में काफी अंतर होता है. लखनऊ आ कर सीमा भी यहां के माहौल में ढलने लगी थी. चप्पल फैक्ट्री में काम करते समय वहां कैफ नाम के लड़के से उस की दोस्ती हो गई. यह बात फैक्ट्री के गार्ड को पता चली तो वह भी उसे छेड़ने की कोशिश करने लगा. यह जानकारी जब सीमा के पिता को हुई तो उन्होंने चप्पल फैक्ट्री से बेटी की नौकरी छुड़वा दी. नौकरी छोड़ने के बाद सीमा ज्वैलरी शौप पर नौकरी करने लगी. कैफ के साथ दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. अब वह घर वालों को बिना बताए उस से मिलने जाने लगी थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे.

12 जून की शाम करीब साढ़े 7 बजे सीमा के पिता रमेश कुमार अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे. सीमा उस समय शौप से वापस आ चुकी थी. रमेश कुमार ने सीमा को समझाते कहा, ‘‘बेटी रात में कहीं जाना नहीं. कमरे का दरवाजा बंद कर लो. खाना खा कर चुपचाप सो जाना.’’

‘‘जी पापा, आप चिंता न करें. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर ही रहूंगी.’’

इस के बाद पिता के जाते ही कैफ का फोन आ गया और सीमा उसे मना करती रही पर उस की जबरदस्ती के आगे वह कुछ कर नहीं सकी. शाम 8 बजे के करीब कैफ सीमा के घर के पास आया और उसे बुला लिया. मां ने शाम 5 बजे के करीब बेटी से फोन पर बात की थी. उसे हिदायत दी थी कि कहीं जाना नहीं. पिता ने भी उसे समझाया था कि घर में ही रहना, कहीं जाना नहीं. इस के बाद भी सीमा ने बात नहीं मानी. वह अपने प्रेमी मोहम्मद कैफ के साथ चली गई. पिता जब अगली सुबह 8 बजे ड्यूटी से वापस घर आए तो सीमा वहां नहीं थी. उन्होंने सीमा के फोन पर काल करनी शुरू की तो उस का फोन बंद था. यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो बेटी की चिंता में वह सीतापुर से लखनऊ के लिए निकल गई.

इस बीच पिपरसंड गांव के प्रधान रामनरेश पाल ने सरोजनीनगर थाने में सूचना दी कि गहरू के जंगल में एक लड़की की लाश पड़ी है. लड़की के कपडे़ अस्तव्यस्त थे. देखने में ही लग रहा था कि पहले उस के साथ बलात्कार किया गया है. गले में दुपट्टा कसा हुआ था. पास में ही शराब, पानी की बोतल, 2 गिलास, एक रस्सी और सिगरेट के टुकड़े भी पड़े थे. घटना की सूचना पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर, डीसीपी (सेंट्रल) सोमेन वर्मा और एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) सी.एन. सिन्हा को भी दी गई. पुलिस ने छानबीन के लिए फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम को भी लगाया.

इस बीच तक सीमा के मातापिता भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस ने अब तक मुकदमा अज्ञात के खिलाफ कायम कर के छानबीन शुरू कर दी थी. सीमा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि मोहम्मद कैफ नाम के लड़के पर उन्हें शक है. दोनों की दोस्ती की बात सामने आई थी. पुलिस ने मोहम्मद कैफ के मोबाइल और सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की. पुलिस को कैफ के मोबाइल को चैक करने से पता चला कि उस ने सीमा से बात की थी. उस के बाद से सीमा का फोन बंद हो गया. अब पुलिस ने कैफ को पकड़ा और उस से पूछताछ की तो प्यार, सैक्स और हत्या की दर्दनाक कहानी सामने आ गई.

12 जून, 2021 की शाम मोहम्मद कैफ अपने 2 दोस्तों विशाल कश्यप और आकाश यादव के साथ बैठ कर ताड़ी पी रहा था. ये दोनों दरोगाखेड़ा और अमौसी गांव के रहने वाले थे. ताड़ी का नशा तीनों पर चढ़ चुका था. बातोंबातों में लड़की की बातें आपस में होने लगीं.  कैफ ने कहा, ‘‘ताड़ी पीने के बाद तो लड़की और भी नशीली दिखने लगती है.’’

आकाश बोला, ‘‘दिखने से काम नहीं होता. लड़की मिलनी भी चाहिए.’’

कैफ उसे देख कर बोला, ‘‘तुम लोगों का तो पता नहीं, पर मेरे पास तो लड़की है. अब तुम ने याद दिलाई है तो आज उस से मिल ही लेते हैं.’’

यह कह कर कैफ ने सीमा को फोन मिलाया और कुछ देर में वह सीमा को बुलाने चला गया. इधर आकाश और विशाल को भी नशा चढ़ चुका था. दोनों भी इस मौके का लाभ उठाना चाहते थे. उन को पता था कि कैफ कहां जाता है. ये दोनों जंगल में पहले से ही पहुंच गए और वहीं बैठ कर पीने लगे. सीमा और कैफ ने जंगल में संबंध बनाए. तभी विशाल और आकाश वहां पहुंच गए. वे भी सीमा से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे. पहले तो कैफ इस के लिए मना करता रहा, बाद में वह भी सीमा पर दबाव बनाने लगा. जब सीमा नहीं मानी तो तीनों ने जबरदस्ती उस के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अब सीमा ने खुद को बचाने के लिए शोर मचाना चाहा और कच्चे रास्ते पर भागने लगी. इस पर विशाल ने सीमा की पीठ पर चाकू से वार किया. सीमा इस के बाद भी बबूल की झडि़यों में होते हुए भागने लगी.

‘‘इसे मार दो नहीं तो हम सब फंस जाएंगे.’’ विशाल और आकाश ने कैफ से कहा.

सीमा झाडि़यों से निकल कर जैसे ही बाहर खाली जगह पर आई, तीनों ने उसे घेर लिया. ताबड़तोड़ वार करने के साथ ही साथ उस के गले को भी दबा कर रखा. मारते समय चाकू सीमा के पेट में होता हुआ पीठ में फंस गया और वह टूट गया. 15 से 20 गहरे घाव से खून बहने के कारण सीमा की मौत हो गई. पेट में चाकू के वार से सीमा का यूरिनल थैली तक फट गई थी. 2 महीने पहले जब सीमा ने मोहम्मद कैफ से दोस्ती और प्यार में संबंध बनाए थे, तब यह नहीं सोचा था कि एक दिन उसे यह दिन देखना पड़ेगा.

लखनऊ पुलिस ने एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की अगुवाई में बनी पुलिस टीम को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की. पुलिस ने मोहम्मद कैफ और उस के दोनों साथी विशाल और आकाश को भादंवि की धारा 302 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. UP Crime News

(कथा में सीमा और उस के परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं

Crime Story : प्रेमिका की हत्या कर पिता को फंसाने की रची चाल

Crime Story : कृष्णा कुमारी की हत्या के बाद पुलिस को जांच में जो सबूत मिल रहे थे, उस से मामला औनर किलिंग का लग रहा था, लेकिन कृष्णा कुमारी के पिता और भाई खुद को बेकसूर ही बताते रहे. इसी दौरान कृष्णा कुमारी के प्रेमी संजय चौहान से पूछताछ की तो न सिर्फ केस का खुलासा हो गया बल्कि इस की कहानी भी प्यार के इर्दगिर्द की निकली…

30 मई, 2021 की सुबह छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के गांव तुमान में दिगपाल सिंह वैष्णव जब अपनी कोरा बाड़ी की ओर हमेशा की तरह दातून कर के चहलकदमी करते हुए पहुंचा था तो उस ने देखा कि उस की बेटी कृष्णा बेसुध पड़ी हुई है. गले में साड़ी का फंदा फंसा हुआ है. दिगपाल यह देखते ही घबरा गया. उस ने दातून एक तरफ फेंकी और तेजी से बेटी कृष्णा के पास पहुंच गया. उस ने सब से पहले उस के गले में पड़ी साड़ी की गांठ खोल दी. उस ने अपनी बेटी को खूब हिलायाडुलाया. लेकिन उस में कोई हरकत नहीं हुई तो वह घबरा गया. उस के आंसू टपकने लगे. उसे लगा कि कहीं कृष्णा ने आत्महत्या तो नहीं कर ली है या फिर उस की यह हालत किस ने की है.

वह समझ गया कि कृष्णा की सांसें थम चुकी हैं. दिगपाल चिल्लाता हुआ अपने घर की ओर भागा, ‘‘कृष्णा की मां… कृष्णा की मां, देखो यह कैसा अनर्थ हो गया है. किसी ने हमारी बेटी को मार कर घर के पिछवाड़े बाड़ी में फेंक दिया है.’’

यह सुन कर दिगपाल की पत्नी भी रोने लगी. कहने लगी कि किस ने मार दिया बेटी को. थोड़ी ही देर में यह खबर तुमान गांव में फैल गई. इस के बाद तो दिगपाल के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुटने लगी. उसी समय गांव के सरपंच सचिन मिंज ने कटघोरा थाने फोन कर के घटना की जानकारी थानाप्रभारी अविनाश सिंह को दे दी. थानाप्रभारी अविनाश सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हुए और सुबह लगभग 8 बजे तुमान गांव पहुंच कर घटनास्थल का मुआयना करने में जुट गए. थानाप्रभारी ने घटनास्थल से ही अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) रामगोपाल कारियारे, एसपी अभिषेक सिंह मीणा को घटना की जानकारी दे दी.

कुछ ही देर में कोरबा से डौग स्क्वायड टीम वहां पहुंच गई. जांच के लिए खोजी कुत्ता बाघा को मृत शरीर के पास ले जा कर अपराधी को पकड़ने के लिए छोड़ दिया गया. यह अजूबा पहली बार गांव वालों ने देखा. जब खोजी कुत्ता अपराधी को पकड़ने के लिए शव को सूंघ रहा था तो लोग यह मान रहे थे कि अब जल्द ही वह आरोपी को पकड़ लेगा. मगर लोगों ने आश्चर्य से देखा कुत्ता इधरउधर घूमते हुए मृतका कृष्णा कुमारी के पिता दिगपाल वैष्णव और भाई राजेश के आसपास मंडराने लगा. यह देखते ही थानाप्रभारी अविनाश सिंह ने कृष्णा के पिता दिगपाल और राजेश को हिरासत में लेने का निर्देश दिए.

दिगपाल वैष्णव स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंपाउंडर था. क्षेत्र में उस की अच्छी इज्जत थी. इसलिए वह थानाप्रभारी से गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘साहब, मैं भला क्यों अपनी ही बेटी को मारूंगा. आप यकीन मानिए, मैं ने कृष्णा को नहीं मारा है.’’

वह बारबार कह रहा था, मगर 2 सिपाहियों ने उसे हिरासत में ले लिया और एक कमरे में ले जा कर के उस से इकबालिया बयान देने को कहा. तब वह आंसू बहाते हुए हाथ जोड़ कर बोला, ‘‘साहब, मैं बिलकुल सच कह रहा हूं कि मैं ने कृष्णा को नहीं मारा है, कृष्णा मुझे जान से भी ज्यादा प्यारी थी, मैं उसे नहीं मार सकता.’’

इस पर अविनाश सिंह ने कहा, ‘‘देखो, पुलिस के सामने सचसच बता दो, जितना हो सकेगा हम तुम्हारे साथ रियायत करेंगे. खोजी डौग गलत नहीं हो सकता, यह जान लो.’’

इस पर आंसू बहाते हुए दिगपाल वैष्णव ने कहा, ‘‘साहब, मेरा यकीन मानिए मैं ने कृष्णा को नहीं मारा है. मैं तो  सुबह जब गया तो उसे मृत अवस्था में देखा था और उसे अपनी गोद में ले कर के रोता रहा था.’’

दिगपाल को याद आया कि यही कारण हो सकता है कि कुत्ते ने उसे आरोपी माना है. जब यह बात उस ने जांच अधिकारी अविनाश सिंह को बताई तो उन्हें समझ में आया. उन्होंने गंभीर स्वर में कहा, ‘‘तुम्हारी बात सही हो सकती है, मगर यह जान लो कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं. हमारी जांच में और भी बहुत सारे ऐसे सबूत हमें आखिर मिल ही जाएंगे, जिस से यह सिद्ध हो जाएगा कि आरोपी कौन है. अच्छा है कि अभी भी अपना अपराध कबूल कर लो.’’

‘‘नहींनहीं साहब, मैं ने यह कर्म नहीं किया है.’’ दिगपाल ने कहा.

विवेचना अधिकारी और अन्य पुलिस जो जांच कार्य में लगी हुई थी, ने यह निष्कर्ष निकाला कि हो सकता है सुबह जब कृष्णा की लाश दिगपाल ने देखी तो उसे स्पर्श किया होगा. शायद यही कारण है कि खोजी कुत्ता उसे आरोपी मान रहा है. इस तरह जांच आगे एक नई दिशा में आगे बढ़ने लगी. जांच में पता चला कि पिछले लंबे समय से कृष्णा कुमारी का प्रेमसंबंध पास के गांव पुटुंवा निवासी संजय चौहान (23 साल) नामक युवक से था और उन के संबंध इतने मजबूत थे कि कृष्णा कुमारी ने संजय चौहान को एक बाइक और मोबाइल भी गिफ्ट किया था. जांच अधिकारी अविनाश सिंह ने गौर किया. जब संजय चौहान घटनास्थल पर पहुंचा था तो उस समय उस का चेहरा उतरा हुआ था और आंखें लाल थीं, ऐसा लग रहा था कि वह बहुत रोया हो.

अविनाश सिंह ने जब उस से पूछताछ की तो उस ने उन के सामने अपना मोबाइल रख दिया, जिसे देख कर थानाप्रभारी चौंक गए. उस मैसेज से यह बात स्पष्ट थी कि हत्यारा दिगपाल वैष्णव ही है. संजय चौहान के मोबाइल में कृष्णा कुमारी का  मैसेज था, जिस में लिखा था, ‘आज की रात मैं नहीं बच पाऊंगी, मेरे पिता मुझे मार डालेंगे, मुझे बचा लो…’

यह मैसेज यह बता रहा था कि हत्या दिगपाल ने ही की है. इस सबूत के बाद अविनाश सिंह ने दिगपाल को फिर तलब किया और उसे मैसेज दिखाते हुए कठोर शब्दों में कहा, ‘‘दिगपाल, अब तुम सचसच बता दो, अब हमारे हाथ में सबूत आ गया है. यह देखो, तुम्हारी बेटी ने कल रात संजय को यह मैसेज किया था. बताओ, रात को क्याक्या हुआ था.’’

यह सुन कर दिगपाल भयभीत होते हुए बोला, ‘‘साहब, क्या मैसेज लिखा है मुझे बताया जाए.’’

इस पर थानाप्रभारी ने संजय के मोबाइल में लिखा हुआ मैसेज उसे पढ़ कर सुना दिया. उसे सुन कर वह आंसू बहाने लगा और सिर पकड़ कर बैठ गया. थानाप्रभारी ने थोड़ी देर बाद उस से कहा, ‘‘अब बताओ, तुम स्वीकार करते हो कि कृष्णा की हत्या तुम्हीं ने की है. हमें यह जानकारी भी मिली है कि तुम उस का विवाह दूसरी जगह करने वाले थे, जिस से वह बारबार मना भी कर रही थी. मगर इस बात पर घर में विवाद भी चल रहा था. इन सब बातों को देखते हुए स्पष्ट है कि हत्या कर के तुम्हीं लोगों ने की है.’’

दिगपालरोआंसा हो गया. उस ने कहा, ‘‘साहबजी, मैं फिर हाथ जोड़ कर बोल रहा हूं कि कृष्णा मेरी जान से भी प्यारी थी. मैं ने उसे नहीं मारा है.’’

यह सुन कर जांच अधिकारी अविनाश सिंह ने कहा, ‘‘तुम चाहे जितना भी कहो, सारे सबूत चीखचीख कर तुम्हें हत्यारा बता रहे हैं. साक्ष्य तुम्हारे खिलाफ हो चुके हैं. तुम बताओ, तुम्हारे पास ऐसा क्या सबूत है, जिस से यह सिद्ध हो सके कि तुम ने बेटी की हत्या नहीं की.’’

यह सुन कर दिगपाल बोला, ‘‘मैं क्या बताऊं मेरे पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है. मगर मैं यही कहूंगा कि मैं ने अपनी बेटी को नहीं मारा है.’’

इस पर अविनाश सिंह ने गुस्से में कहा, ‘‘तुम पुलिस को चाहे कितना ही चक्कर पर चक्कर लगवाओ, मैं यह जान चुका हूं कि कृष्णा का मर्डर तुम्हारे ही हाथों से हुआ है. तुम बड़े ही शातिर और चालाक हत्यारे हो.’’

थानाप्रभारी अविनाश सिंह ने वहां मौजूद अपने स्टाफ से कहा, ‘‘इसे हिरासत में ले कर  थाने ले चलो, बापबेटे से आगे की पूछताछ वहीं पुलिसिया अंदाज में करेंगे.’’

छत्तीसगढ़ का औद्योगिक जिला कोरबा ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है. इस के अलावा यह कोयला खदानों के कारण एशिया भर में विख्यात है. कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर तुमान गांव स्थित है. यह ऐतिहासिक तथ्य है कि तुमान छत्तीसगढ़ यानी दक्षिण कौशल की प्रथम राजधानी हुआ करती थी. यहां का एक रोमांचक इतिहास अभी भी लोगों को पर्यटनस्थल के रूप में तुमान की ओर आकर्षित करता है. इतिहास के अनुसार, सन 850-1015 के मध्य कलचुरी राजाओं का शासन था. वर्तमान जिला बिलासपुर की रतनपुर नगरी  राजा रत्नसेन प्रथम का प्राचीन काल में यहां शासन था और हैहय वंश ने यहां अपनी राजधानी बनाई थी. यहीं से पूरे छत्तीसगढ़ का राजकाज संभाला जाता था.

थाना कटघोरा में जब दिगपाल और उन के बेटे राजेश से पूछताछ की गई तो वह एक ही बात कहते रहे कि उन्होंने कृष्णा को नहीं मारा है… नहीं मारा है. मगर विवेचना के बाद सारे सबूत यही कह रहे थे कि मामला सीधेसीधे औनर किलिंग का है. पुलिस यह मान कर चल रही थी कि कृष्णा कुमारी की हत्या पिता दिगपाल और भाई राजेश ने ही की है. जांच अधिकारी अविनाश सिंह यही सब सोचते हुए अपने कक्ष में बैठे कुछ दस्तावेजों को देख रहे थे कि थोड़ी देर में एक एसआई ने उन के सामने मृतका कृष्णा के एक दूसरे प्रेमी नेवेंद्र देवांगन को सामने ला कर खड़ा कर दिया.

कटघोरा निवासी नेवेंद्र देवांगन जोकि रायपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुका था. कृष्णा उस से भी कुछ समय से वाट्सऐप पर चैट यानी बातचीत करती थी. नेवेंद घबराया हुआ सामने खड़ा था. अविनाश सिंह ने उस की आंखों में देखते हुए  कहा, ‘‘कृष्णा कुमारी को तुम कब से जानते हो? सब कुछ सचसच बताओ, कोई भी बात छिपाना नहीं. देखो तुम पढ़ेलिखे नौजवान हो और मामला हत्या का है.’’

यह सुन कर उस ने डरतेडरते कहा, ‘‘सर, लगभग एक महीने से एक लूडो गेम में खेलते हुए कृष्णा से मेरा परिचय हुआ था. इस के बाद हमारी अकसर मोबाइल पर ही बात होती थी. मैं कभी उस से आमनेसामने नहीं मिला हूं. मगर हां, बीती रात उस का यह मैसेज आया था.’’ कह कर उस ने अपना मोबाइल अविनाश सिंह के समक्ष रख दिया. थानाप्रभारी अविनाश सिंह ने देखा, मैसेज जैसा संजय चौहान के मोबाइल में था, ठीक वैसा ही नेवेंद्र के मोबाइल में भी आया था. सब कुछ साफ था. अब तो अविनाश सिंह के सामने पूरा चित्र स्पष्ट था कि हत्या औनर किलिंग में दिगपाल और उस के बेटे ने ही की है.

उन्होंने नेवेंद्र का पूरा बयान रिकौर्ड किया. उच्च अधिकारियों को सारी जानकारी से अवगत कराते हुए बताया कि मामला लगभग स्पष्ट हो चुका है हत्या बाप और बेटे ने ही की है. दिगपाल और राजेश को कृष्णा कुमारी के हत्या के आरोप में पुलिस न्यायालय में पेश करने की तैयारी कर रही थी कि इस बीच अविनाश सिंह के दिमाग में एक आइडिया कौंध गया. उन्होंने दिगपाल और राजेश को फिर से अपने कक्ष में बुलाया और सामने बैठा कर के पानी और चाय पिलवाई और फिर धीरे से कहा, ‘‘देखो दिगपाल, तुम जिन परिस्थितियों में थे, वैसे में कोई भी बेटी की करतूत को बरदाश्त नहीं कर सकता. मैं जानता हूं, गलती तुम से हो गई है.

यह मैं भलीभांति समझ रहा हूं. अच्छा है कि पुलिस को सहयोग करो और सारी परिस्थितियों को हमारे सामने साझा करो, ताकि मैं तुम्हारी ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकूं.’’

यह एक पुलिसिया पासा था. मगर इस के बाद भी दिगपाल ने भीगी पलकों से कहा, ‘‘साहब, मैं अपनी बेटियों की कसम खा कर कहता हूं कि मैं ने कृष्णा को नहीं मारा है. अगर यह काम मुझ से हुआ होता तो मैं अवश्य आप को बता देता.’’

कृष्णा कुमारी के भाई राजेश से भी अलग से पूछताछ की गई. उस ने भी साफसाफ यही कहा कि उस ने कृष्णा को नहीं मारा है. अब अविनाश सिंह के सामने एक ऐसा मोड़ था, जहां से रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था. उन्हें बापबेटे की बातों में सच्चाई का एहसास हो रहा था. मगर लाख टके का सवाल यह था कि आखिर जब इन लोगों ने हत्या नहीं की तो फिर हत्यारा कौन है? कृष्णा की हत्या में सारे साक्ष्य साफ कह रहे थे कि हत्या पिता और पुत्र ने ही की है. वह कुछ समय तक अपने कक्ष में सिर पर हाथ रख कर आंख मूंद कर बैठ गए और सोचते रहे कि आखिर क्या हो सकता है, आखिर कृष्णा की हत्या कौन कर सकता है?

जांच अधिकारी के दिमाग में अब एक ही संदिग्ध सामने था और वह था कृष्णा का प्रेमी संजय चौहान. अगर कोई हत्या कर सकता था तो वह संजय हो सकता था. मगर उस के खिलाफ कोई भी सबूत पुलिस के पास नहीं था. इस के बावजूद संजय चौहान को उन्होंने तलब किया और उस से एक बार फिर पूछताछ शुरू की गई. 23 वर्षीय संजय चौहान ने बताया कि लगभग 8 साल से उस के कृष्णा के साथ शारीरिक संबंध हैं. लेकिन अलगअलग जाति के होने के कारण उन का विवाह नहीं हो पाया था. मगर जल्द ही वे आर्यसमाज मंदिर, बिलासपुर में विवाह भी करने वाले थे. उस ने जोर दे कर यह भी कहा कि हमारे विवाह में सब से बड़ी बाधा कृष्णा के पिता दिगपाल वैष्णव थे, जो उस का विवाह कहीं दूसरी जगह करने के लिए अकसर कृष्णा पर दबाव डालते थे, उस से झगड़ा करते थे.

पुलिस के सामने एक बार फिर यह तथ्य भी सामने आ गए कि हत्या दिगपाल और उस के भाई राजेश ने ही की है. अविनाश सिंह के समक्ष दिगपाल का मासूम चेहरा घूम रहा था, जो बड़े ही दुख के साथ यह कह रहा था कि उस ने हत्या नहीं की है. अविनाश सिंह ने अंतिम जांच प्रक्रिया के तहत मनोवैज्ञानिक तरीके से संजय चौहान से पूछताछ करने का निर्णय किया और 3 अलगअलग अधीनस्थ अधिकारियों को कहा कि इस से थोड़ीथोड़ी देर में मिलना है और इस के बयान लेना है. हमें देखना है यह बयान में क्या कहता है. संजय चौहान ने एक एसआई से जांच के दौरान कहा, ‘‘कृष्णा और उस का बहुत पुराना प्रेम संबंध है.’’

एसआई ने जब उस से पूछा कि उस ने घटना के दिन अपना फोन बंद क्यों रखा था. इस के जवाब में उस ने कहा, ‘‘सर, मेरी उस रात तबीयत ठीक नहीं थी.’’

एक एएसआई से जब संजय का अलग से सामना हुआ तो बातोंबातों में उस ने कहा, ‘‘साहब, उस दिन मोबाइल की बैटरी लो हो गई थी. इसलिए मोबाइल बंद हो गया था.’’

जबकि तीसरे अधिकारी को उस ने अपने बयान में कहा, ‘‘सर, मोहल्ले में झगड़ा होने के कारण मैं ने अपना मोबाइल बंद कर दिया था.’’

तीनों अधिकारियों ने संजय के तीनों अलगअलग बयानों के बारे में बताया तो वह खुशी से उछल पड़े और बोले कि अब बहुत कुछ स्पष्ट हो चुका है. कृष्णा की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि संजय ने ही की है. उन्होंने संजय को बुला कर बातचीत की तो उन्होंने यह नोट किया कि बात करते समय वह उन से आंखें चुरा लेता. जांच अधिकारी अविनाश सिंह ने उस से पूछा, ‘‘मैं ने गौर किया कि जब तुम सुबह घटनास्थल पर आए थे तो तुम्हारी आंखें लाल थीं. इस का क्या कारण है?’’

इस पर संजय ने कहा, ‘‘साहब मेरी तबीयत ठीक नहीं थी. रात को मैं सो भी नहीं पाया था.’’

अविनाश सिंह ने कहा, ‘‘हम ने तुम्हारे मोबाइल फोन की जांच करवाई है और यह जानकारी सामने आई है कि तुम कभी भी अपना मोबाइल रात को बंद नहीं करते थे. फिर उस रात आखिर मोबाइल क्यों बंद किया.

‘‘अगर मोबाइल बंद भी कर दिया तो फिर सुबह उस में सारे मैसेज को तुम ने डिलीट क्यों किया था? हमें अब विश्वास है कि हत्या तुम ने ही की है. सबूत हमें मिल चुका है, तुम सचसच बताओ. इसी में तुम्हारी भलाई है.’’

इस पर संजय चौहान गिड़गिड़ाते हुए बोला, ‘‘साहब, कृष्णा की हत्या की बात सुन कर मैं घबरा गया था, इसलिए अपने मोबाइल का सारा मैसेज डिलीट कर दिया था.’’

संजय चौहान को घूरते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब तुम घर में थे तो तुम्हें कैसे पता चल गया कि कृष्णा की हत्या हुई है, बिना देखे जाने?’’

संजय चौहान ने घबरा कर आंखें चुराते हुए कहा, ‘‘मैं ने सुना तो मुझे लगा कि जरूर परिवार वालों ने उसे मार कर फेंक दिया है.’’

‘‘देखो, तुम पुलिस को धोखा नहीं दे सकते, तुम ने बारबार अपना बयान बदला है और तीनों बातें सही नहीं हो सकतीं. अब साफसाफ बता दो, हम ने तुम्हारे मोबाइल की काल डिटेल्स भी चैक करवाई है.’’ थानाप्रभारी ने कहा. अब संजय चौहान टूट गया और बोला, ‘‘सर…गलती मुझ से हुई है. मैं बताता हूं उस रात क्या हुआ था.’’

और उस ने जो कहानी बताई, उस के अनुसार कृष्णा कुमारी और वह दोनों आर्यसमाज मंदिर, बिलासपुर में जल्द ही शादी करने वाले थे कि नेवेंद्र की उन के बीच एंट्री हुई. अकसर कृष्णा नेवेंद्र से मोबाइल पर बात करती थी, एक दिन जब वह रात को कृष्णा से मिलने गया तो मोबाइल मैं उस ने नेवेंद्र का चैट पढ़ लिया. चैट पढ़ कर उस का दिमाग घूमने लगा. उस ने उसी समय स्वयं कृष्णा के रूम में रात को जब वाट्सऐप पर नेवेंद्र से बातें की तो उस के सामने खुलासा हो गया कि कृष्णा का उस से कुछ ज्यादा ही गहरा संबंध हो चुका है. दोनों आपस में अश्लील बातें भी किया करते थे.

इस पर एक दिन कृष्णा से झगड़ा कर के संजय चौहान ने कहा, ‘‘सारी सच्चाई मैं जान गया हूं. तुम अगर अब आगे उस के साथ बात करोगी तो ठीक नहीं होगा.’’

इस पर कृष्णा कुमारी ने तुनक कर कहा, ‘‘मैं किसी की जायजाद नहीं हूं. ऐसा है तो अभी से संबंध खत्म समझो.’’

संजय को भी गुस्सा आ गया. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘कृष्णा, अगर तुम मेरी नहीं होगी तो मैं किसी की तुम्हें नहीं होने दूंगा, मैं तुम्हें मार दूंगा.’’

संजय ने बताया कि एक टीवी सीरियल में उस ने ऐसी ही कहानी देखी थी, वही सीरियल देख कर उस ने प्रेमिका कृष्णा की हत्या कर उस के पिता को फंसाने की योजना बनाई. योजनानुसार, 29 मई 2021 की रात को जब संजय चौहान कृष्णा से  मिलने गया तो अपनी बाइक को दूर झाडि़यों के पास खड़ी कर गया था और पैदल बिना चप्पल के धीरेधीरे उस के घर की ओर गया. रात को लगभग 12 बजे उस ने एक पत्थर इशारे के रूप में कृष्णा की छत पर फेंका. बाद में थोड़ी देर में कृष्णा आई और दोनों एक कमरे में बैठ कर के आपस में बातचीत कर रहे थे. इसी तरह से वह पहले भी कृष्णा से मिलता था.

संजय ने उसे फुसला कर कहा, ‘‘कृष्णा, तुम एक मैसेज लिखो कि मुझे मेरे पिता मार डालेंगे, मुझे बचा लो. और यह मैसेज मुझे और नेवेंद्र को भेज दो.’’

कृष्णा ने विश्वास में आ कर ऐसा ही किया. बाद में कृष्णा ने वह मैसेज अपने फोन से डिलीट कर दिया. आगे बातों ही बातों में जब उसे यह समझ में आया कि कृष्णा अब उस के हाथ से पूरी तरह निकल चुकी है तो उस ने वहीं पास में रखी हुई एक साड़ी उस के गले में डाल कर उस का गला घोंट दिया फिर लाश उठा कर के बाड़ी में फेंक कर अपने घर चला गया. पुलिस ने संजय चौहान के इकबालिया बयान के बाद उसे कृष्णा कुमारी वैष्णव की हत्या के आरोप में 31 मई, 2021 को भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी, कटघोरा की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. Crime Story

 

 

Crime Story Hindi : बेटी और प्रेमी संग मिलकर कर डाला पति का कत्ल

Crime Story Hindi : लौकडाउन में पति अशोक घर पर रहा तो उस की पत्नी राजबाला की परेशानी बढ़ गई, क्योंकि पति के रहते हुए वह प्रेमी वीरेंद्र उर्फ ढिल्लू से नहीं मिल पा रही थी. प्रेमी के सिंदूर के लिए बेटी शीतल के साथ मिल कर राजबाला ने इस का ऐसा रास्ता निकाला कि…

17 मई की शाम करीब साढ़े 5 बजे थे जब दिल्ली में द्वारका सेक्टर 29 से सटे छावला के थाने के टेलीफोन की घंटी बजी. ड्यूटी औफिसर ने तुरंत फाइल समेटते हुए अपना हाथ टेलीफोन का रिसीवर उठाने के लिए आगे बढ़ाया. जैसे ही ड्यूटी औफिसर ने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से किसी ने घबराते हुए बोला, ‘‘छावला पुलिस स्टेशन?’’

ड्यूटी औफिसर, ‘‘मैं छावला थाने से बोल रहा हूं. बताइए आप क्या कहना चाहते हैं?’’ ड्यूटी औफिसर ने कहा.

‘‘साहब, निर्मलधाम के पास सड़क किनारे एक आदमी की लाश पड़ी है. मैं यहां से गुजर रहा था तो मैं ने देखा. आप यहां आ कर देख लीजिए.’’

ड्यूटी औफिसर ने फोन के रिसीवर को अपने दांए कंधे और कान के सहारे दबाया, अपने दोनों हाथों को आजाद किया और टेबल पर कहीं पड़े नोट्स वाली डायरी ढूंढने लगे. वह लगातार फोन पर उस राहगीर से वारदात की घटना के बारे में पूछ रहे थे और डायरी ढूंढ रहे थे. टेबल पर बिखरे सारे सामान को उलटने पुलटने के बाद जब डायरी नहीं मिली तो एक फाइल के पीछे ही उन्होंने वारदात की जगह समेत बाकी जरूरी जानकारियां लिख डालीं. ड्यूटी औफिसर ने उस राहगीर को वारदात की जगह से कहीं भी हिलने से मना कर दिया और फोन काट दिया. ये सारी जानकारी ड्यूटी औफिसर ने उस समय थाने में मौजूद थानाप्रभारी राजवीर राणा को दी. राजवीर राणा बिना किसी देरी के थाने में मौजूद स्टाफ को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

वहां पहुंचते ही पुलिस की टीम ने उस सुनसान सी सड़क के एक किनारे पर एक बाइक खड़ी देखी. बाइक के बिलकुल बगल में खून से लथपथ एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. लाश को देखते ही वहां मौजूद पुलिस टीम चौकन्नी हो गई और सबूत जमा करने के मकसद से घटनास्थल के इर्दगिर्द फैल गई. थानाप्रभारी राजवीर राणा जब लाश का मुआयना करने के लिए बौडी के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उस के बदन पर किसी धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. जो साफ दिखाई दे रहे थे. उन्होंने लाश के अगलबगल नजर घुमाई तो एक मोबाइल फोन वहीं पास में पड़ा था, जो कि संभवत: मरने वाले शख्स का रहा होगा. रात होने को थी.

मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने बिना किसी देरी के बाइक और मोबाइल जब्त कर लिया और लाश की काररवाई आगे बढ़ाने के लिए क्राइम इनवैस्टीगैशन टीम के आने का इंतजार करने लगे. उस सड़क से पैदल आने जाने वाले लोगों ने पुलिस और वहां मौजूद लाश को देख कर घटनास्थल पर जमावड़ा लगा दिया. सब टकटकी लगाए पुलिस को अपना काम करते देख आपस में फुसफुसाहट करने लगे. जब वहां मौजूद पुलिस ने आसपास के मूकदर्शक बने लोगों से लाश की पहचान करने के लिए पूछताछ की तो कुछ लोगों ने लाश की शिनाख्त करते हुए कहा कि इस का नाम अशोक कुमार है और यह पेशे से टैक्सी ड्राईवर है.

तब तक मौके पर क्राइम इनवैस्टीगैशन टीम भी आ पहुंची. टीम ने अपना काम शुरू किया. उन्होंने सब से पहले लाश की फोटोग्राफी की. उन्होंने सबूत के तौर पर घटनास्थल से खून लगी मिट्टी के नमूने इकट्ठा कर लिए. यह सब काम कर लेने के बाद थानाप्रभारी राजवीर राणा ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मौर्चरी भेज दिया. सारे काम निपटा लेने के बाद पुलिस की टीम थाने लौट आई तथा इस केस के संबंध में काम आगे बढ़ाने लगी. पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और जांच की जिम्मेदारी थानाप्रभारी राजवीर राणा ने स्वयं संभाली. केस की तफ्तीश को आगे बढ़ाने के लिए थानाप्रभारी राणा ने सब से पहले घटनास्थल से बरामद किए गए मोबाइल फोन को निकलवाया. यह फोन टूटा नहीं था. सिर्फ बैटरी चार्जिंग खत्म होने की वजह से बंद हो गया था.

उस की काल डिटेल्स निकलवाई और देखा कि आखिरी बार एक नंबर से अशोक कुमार को कई बार काल की गई थी. इस के कुछ देर बाद ही अशोक कुमार की हत्या हो गई थी. शक की सूई अब इसी आखिरी नंबर पर आ कर रुक गई थी. राजवीर राणा ने अपने फोन से इस नंबर को डायल किया तो दूसरी तरफ से किसी महिला की आवाज आई. थानाप्रभारी ने पहले अपना परिचय दिया और उस के बाद उस महिला से अशोक कुमार के रिश्ते के बारे में पूछा. महिला ने अपना नाम शीतल और खुद को अशोक कुमार की बेटी बताया. राजवीर ने फोन पर बड़े दु:ख के साथ शीतल को बताया कि उस के पिता सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो चुके हैं, यह जानने के बाद शीतल उसी समय ही बिलखने लगी.

उन्होंने उस से उस की मां के बारे में पूछा तो शीतल ने अपनी मां राजबाला से उन की बात करा दी. थानाप्रभारी ने राजबाला को अशोक की मौत की खबर देते हुए उन से शीघ्र ही थाने पहुंचने को कहा 2-3 घंटे बाद जब राजबाला थाने पहुंची तो वह राजवीर राणा को देखते ही फफकफफक कर रोने लगी. अपने पति की हत्या की खबर सुन कर वह आहत थी. राजवीर राणा ने राजबाला को हौसला रखने को कहा और उस से उस के पति से किसी से साथ दुश्मनी होने के बारे में पूछा. राजबाला ने रोते हुए कहा कि अशोक की किसी के साथ भी कोई दुश्मनी नहीं थी. राजबाला से बात करते समय थानाप्रभारी राजवीर राणा को उस की बातों से ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे पति की मौत का दुख है. बेशक राजबाला राजवीर राणा के सामने रो रही थी और दुखी दिखाई दे रही थी. लेकिन राजवीर को राजबाला पर शक हो चुका था.

राजबाला के आंसू घडि़याली लग रहे थे. दाल में कहीं तो कुछ काला जरुर था, जिस का पता लगाना जल्द से जल्द जरुरी था. आखिर एक व्यक्ति का कत्ल जो हुआ था. राजबाला से पूछताछ खत्म होने पर वह अपने घर के लिए रवाना हो गई और पीछे कई तरह के शक और सवाल छोड़ गई. इन सभी शकों को दूर करने के लिए और इस मामले से जुडे़ सभी सवालों के जवाब ढूंढने के लिए थानाप्रभारी ने शीतल और राजबाला की काल डिटेल्स मंगवाई. उन्होंने दोनों की काल डिटेल्स को बेहद बारीकी से परखी और उस की जांच की तो वह बेहद हैरान रह गए.

काल डिटेल्स से उन्हें यह पता लगा कि शीतल जिस समय अशोक को लगातार काल कर रही थी उस के ठीक बाद उस ने एक अन्य नंबर पर काफी देर तक बातचीत की थी. यह सब देख कर पुलिस ने यह अनुमान लगाया कि यदि इस मामले में शीतल को थोडा ढंग से कुरेदा जाए तो शायद इस केस में एक और लीड मिल सकती है. राजवीर ने बिना देरी किए फिर से एक बार राजबाला और शीतल को थाने बुला लिया. उन्होंने इस बार दोनों से अलगअलग पूछताछ की. उन्होंने पहले शीतल से इस घटना के बारे में विस्तार से पूछा. शीतल का बयान लेने के बाद उन्होंने राजबाला से इस मामले में फिर से पूछताछ की. क्रास पूछताछ में दोनों की चोरी पकड़ी गई.

दोनों के बयान एक दूसरे से अलग थे. जब राजवीर राणा ने दोनों को कानून का थोड़ा डर दिखा कर उन पर दबाव बनाया तो शीतल ज्यादा देर टिक नहीं सकी. शीतल ने रोतेबिलखते, अपने हाथ से अपना सिर पीटते हुए अपनी मां राजबाला और उस के प्रेमी वीरेंद्र उर्फ ढिल्लू के साथ साजिश रच कर अपने पिता की हत्या कराने की बात कबूल कर ली. यह सब सुनते ही बेटी के सामने राजबाला का चेहरा पीला पड़ गया. उसे जैसे न तो कुछ सुनाई दे रहा था और न ही कुछ दिखाई दे रहा था. थाने में शीतल के सामने राजबाला अपनी बेटी को घूरे जा रही थी. वह उसे ऐसे घूर रही थी जैसे मानो अगर उसे मौका मिलता तो वह वहीं पर शीतल का भी कत्ल कर बैठती.

शीतल द्वारा जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. फिर राजबाला की निशानदेही पर उस के प्रेमी वीरेंद्र को भी उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. वीरेंद्र से पूछताछ की गई तो उस ने अशोक की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. वीरेंद्र के बताए हुए पते पर जा कर पुलिस टीम ने अशोक कुमार की हत्या में इस्तेमाल किए जाने वाले चाकू और उस की कार बरामद कर ली. तीनों की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में अशोक कुमार की हत्या के पीछे अवैध संबंधों की जो सनसनीखेज दास्तान सामने आई, कुछ इस तरह थी—

अशोक कुमार दिल्ली के नजफगढ़ के नजदीक भरथल गांव में अपने परिवार के साथ रहता था. उस का 3 सदस्यों का छोटा परिवार था जिस में अशोक, उस की पत्नी राजबाला और बेटी शीतल ही थी. अशोक की कमाई का जरिया उस की टैक्सी थी. वह बेटी शीतल की शादी जाफरपुर कला के पास इशापुर गांव के रहने वाले हिमांशु से कर चुका था. शीतल अपने पति के साथ बेहद खुश थी. बेटी की शादी के बाद अशोक के सिर पर अब कोई और जिम्मेदारी नहीं थी. लेकिन पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश में लौकडाउन लगा तो ज्यादातर लोगों की तरह अशोक भी अपने घर में कैद हो कर रह गया. उस का काम न के बराबर रह गया. घर पर रहने पर अशोक बहुत ज्यादा परेशान नहीं था.

अशोक को महसूस हुआ कि वैसे भी अपने काम के दौरान वह अकसर अपने घर से बाहर ही रहता है, ऐसे में न जाने कितने अरसे बाद उसे इतने लंबे समय के लिए घर में रहना नसीब हुआ है. अपने काम से हमेशा बाहर रहने वाले व्यक्ति को जब घर में कैद होना पड़ जाए तो जाहिर सी बात है कि वह घर की हर एक चीज को बारीकी से परखता है, गौर करता है. ऐसे ही लौकडाउन के एक दिन अशोक घर का सामान लेने के लिए गांव में निकला तो दुकानदार से बातचीत के दौरान उस ने जो सुना उस से उस के होश ही उड़ गए. दुकानदार ने कहा, ‘‘क्या भई अशोक. मजा आ रहा है घर में कैद हो कर?’’

‘‘कैद होना किस को अच्छा लगता है भला. अब समस्या सिर पर बैठी है तो हम बस उसे झेलने को मजबूर हैं. घर में रहने के अलावा और कुछ कर भी तो नहीं सकते.’’ अशोक बोला.

‘‘अब तो तुम्हारी महरिया भी तुम्हारे साथ कैद हो गई होगी. अब तो लोग आ जा भी नहीं सकते तुम्हारे घर. दुकानदार ने जोर देते हुए कहा.’’

‘‘वो घर में कैद हो गई…? क्या मतलब. और घर में लोगों के आने की क्या बात कह रहे हो.’’ अशोक भौंहें चढ़ाते हुए बोला.

दुकानदार ने धीमी, दबी आवाज में कहा, ‘‘अरे वो तो लौकडाउन लग गया तब जा कर तुम्हारी महरिया घर पर रुकने को मजबूर है. नहीं तो तुम्हारे घर से निकलते ही तुम्हारी महरिया आशिकी करने निकल जाती थी.’’

‘‘यह तुम कैसी बातें कर रहे हो. कौन है उस का आशिक?’’ अशोक ने गुस्से से पूछा.

दुकानदार दबी आवाज में बोला, ‘‘अरे ढिल्लू का नाम सुना है न तुम ने? वीरेंद्र का? वही तो है जो शीतल की मां के साथ आशिकी करता फिरता है. यह बात तो पूरे गांव वालों को पता है. चाहे तो पूछ लो.’’

ये सब सुनते ही अशोक के दाएं हाथ में थामी पौलिथिन थैली छूट गई. थैली फटने से चीनी, आटा, दाल और घर का कुछ और सामान नीचे पथरीली सड़क पर गिर कर फैल गया. अशोक को इस बात पर जितना सदमा लगा था उस से कहीं ज्यादा उसे इस बात को सुन कर गुस्सा आ रहा था. लोग उस की पत्नी राजबाला और गांव के बदमाश वीरेंद्र के बारे में उलटी सीधी बातें कर रहे थे. दुकानदार से यह सब सुन कर उस ने 2-4 और लोगों से इस बारे में पूछताछ की. हर किसी ने दबी आवाज में अशोक को वही बताया जो कि उस दुकानदार ने बताया था. दरअसल 43 वर्षीय वीरेंद्र उर्फ ढिल्लू भरथल का ही निवासी था. वीरेंद्र उस इलाके का नामचीन बदमाश था. दिल्ली के कई थानों में उस के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे. एक तरह से जेल उस का दूसरा घर था.

लोगों के अनुसार जब अशोक घर पर नहीं रहता था तब उस के पीठ पीछे वीरेंद्र राजबाला के साथ गुलछर्रे उड़ाता था. अशोक ने बिना किसी हिचकिचाहट के राजबाला से इस बारे में पूछा. लेकिन राजबाला ने पति की बात से कन्नी काट ली. उस ने उस की बात से साफ इनकार कर दिया. लेकिन उस दिन के बाद राजबाला अशोक की नजरों का ज्यादा देर तक सामना नहीं कर पाई. राजबाला के मोबाइल पर जब कभी भी वीरेंद्र का फोन आता तो वह पति से दूर जा कर बात करती, जब अशोक उस से पूछता कि किस का फोन आया था तो वह रिश्तेदार होने का बहाना बनाने लगती. यह सब कुछ देख कर अशोक को यह यकीन जरूर हो गया कि दाल में जरूर कुछ काला है.

अकसर पति के घर पर रहने से पत्नी को खुशी होती है लेकिन अशोक के घर पर होने से राजबाला की खुशियों पर मानो बादल छा गए थे. राजबाला वीरेंद्र से मिलने के लिए तड़पने लगी. उसे अपने पति से ज्यादा वीरेंद्र पसंद था. वीरेंद्र के साथ मां की आशिकी के किस्से बेटी शीतल से भी नहीं छिपे थे. वह भी उन के रिश्ते के बारे में बखूबी जानती थी और वह भी तो वीरेंद्र से पिता का महत्त्व देती थी. शीतल वीरेंद्र को पिता अशोक से ज्यादा पसंद करती थी. क्योंकि अशोक जब घर पर नहीं रहता था, उस समय वीरेंद्र राजबाला से मिलने आता तो शीतल के लिए महंगे तोहफे साथ लाता था. दरअसल लौकडाउन की वजह से अशोक अपनी पत्नी राजबाला, बेटी शीतल और वीरेंद्र के लिए गले की हड्डी बन गया था.

लौकडाउन के चलते जेल में बंद वीरेंद्र को भी पैरोल पर छोड़ दिया गया था. एक दिन अशोक की नजरों से बचते बचाते वीरेंद्र राजबाला से मिला. उस दिन राजबाला ने वीरेंद्र पर इस कदर प्यार लुटाया जैसे वीरेंद्र के पर लग गए हों. शारीरिक सुख भोग लेने के बाद जब राजबाला और वीरेंद्र एकदूसरे से अलग हुए तो उस ने वीरेंद्र्र से कहा कि अगर उस ने उस के पति अशोक को जल्द ठिकाने नहीं लगाया तो वह आत्महत्या कर लेगी. तब वीरेंद्र ने प्रेमिका से कहा, ‘‘तुम्हें आत्महत्या करने की जरूरत नहीं है. मैं उसे ही निपटा दूंगा.’’

इस के बाद राजबाला और वीरेंद्र ने योजना बनाई. इस योजना में उन्होंने शीतल को शामिल कर लिया. शीतल इस काम के लिए खुशी से तैयार हो गई. 17 मई, 2021 को शीतल ने अपने पिता अशोक को मिलने के लिए निर्मलधाम बुलाया. अशोक अपनी बाइक से निर्मलधाम के रास्ते में ही था. शीतल पलपल पिता को काल कर उस से खबर लेती रही. जब अशोक निर्मलधाम के नजदीक पहुंचा तो शीतल ने वीरेंद्र को काल कर यह बात बता दी. वीरेंद्र अपनी हुंडई कार से वहां पहुंच गया और अशोक को सड़क किनारे रोक कर चाकू से गोद दिया. अशोक की लाश को वहीं छोड़ कर वीरेंद्र्र वहां से फरार हो गया. काम हो जाने पर वीरेंद्र्र ने राजबाला और शीतल को इस बात की जानकारी फोन कर के दी.

राजबाला, शीतल और वीरेंद्र्र तीनों अपनी कामयाबी का जश्न मना रहे थे लेकिन पुलिस ने अपनी सूझबूझ के साथ 12 घंटे के अंदर ही अशोक कुमार हत्याकांड का परदाफाश कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. मामले की तफ्तीश थानाप्रभारी राजवीर राणा कर रहे थे. Crime Story Hindi

 

Social Stories in Hindi : बेटी ने मातापिता को नींद की गोलियां देकर कराई 13 लाख की चोरी

Social Stories in Hindi : मांबाप के मना करने के बावजूद भी खूशबू अपने प्रेमी विनय यादव को छोड़ना नहीं चाहती थी. फिर एक दिन उस ने अपने प्यार के लिए अपने ही घर में एक ऐसा अपराध किया कि…

गांव की एक बहुत प्रचलित कहावत है, ‘भूख न देखे रूखा भात, प्यार न जाने जातपात और नींद न देखे टूटी खाट’. वास्तव में पे्रम जाति और धर्म का बंधन नहीं देखता है. कई बार वह ऊंचनीच और नातेरिश्तों को भी भूल जाता है. ऐसे में प्यार की पगडंडी पर चल कर कभीकभी ऐसे कदम भी उठ जाते हैं, जो अपराध को भी बढ़ावा देने से पीछे नहीं हटते. लखनऊ शहर के रसूलपुर आशिक अली के रहने वाले मनोज कुमार की 19 साल की बेटी खुशबू कुमार की कहानी भी कुछ इसी तरह की है. खुशबू की शहर के ही लालशाह का पुरवा मलौली के रहने वाले विनय यादव के साथ दोस्ती हो गई थी. 21 साल का विनय खुशबू को बेहद प्यार करता था.

लेकिन उन के बीच जातपात की गहरी खाई थी. दोनों ही परिवारों को इन की दोस्ती पसंद नहीं थी. इस के बाद भी विनय और खुशबू किसी भी तरह एकदूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे. लेकिन परेशानी यह थी कि उन्हें साथ रहने का रास्ता नहीं दिख रहा था. अच्छी बात यह थी कि विनय और खुशबू के बीच एक सामंजस्य बना हुआ था. दोनों ही मिल कर अपने दिल की बात कर लेते थे. इस बात की खबर जब खुशबू के घर वालों को होती तो वे विनय के घर वालों से शिकायत करते, जिस से दोनों परिवारों के बीच तनातनी हो जाती थी. जिसे प्रेमी युगल भी घबरा जाते. खुशबू पर भी मनोज इस बात का दबाव बनाता कि वह विनय से मिलना छोड़ दे.

एक दिन खुशबू ने विनय से कहा, ‘‘विनय, तुम अब यह देखो कि हम लोग कैसे एक साथ रह सकते हैं. क्योंकि अब घर में परेशानियां बढ़ने लगी हैं. हमारा तुम्हारा इस तरह मिलना संभव नहीं हो पाएगा. मैं कब तक घर वालों से झगड़ा करती रहूंगी.’’

‘‘खुशबू तुम्हें लगता है कि जैसे मैं कुछ सोचता नहीं. ऐसी बात नहीं है. पर मेरी समझ में कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा. पहले तो सिटी में नौकरी कर लेता था. लौकडाउन हुआ तो नौकरी चली गई. अब तो अपने खर्च उठाना और भी मुश्किल हो गया है. अपने पास घर और नौकरी दोनों नहीं होगी तो काम ही नहीं चलेगा.’’ विनय ने खुशबू को अपनी परेशानी से अवगत कराते हुए समझाया. खुशबू को वह समय याद आ रहा था जब उस की पहली मुलाकात विनय से हुई थी. विनय उसे हर लड़के से अलग लगता था. हमेशा उस का खयाल रखता और बहुत सारी चीजें भी देता रहता था. खुशबू और विनय के बीच जब थोड़ी दोस्ती बढ़ गई तो खुशबू उस के साथ शादी और बाकी जीवन गुजरबसर करने के सपने देखने लगी.

खुशबू ने सोचा था कि जब उस के घर परिवार के लोग इस दोस्ती और प्यार को शादी के रिश्ते में बदलने नहीं देंगे तो वह गांव छोड़ कर विनय के साथ शहर चली जाएगी. वहां दोनों साथसाथ रहेंगे. विनय नौकरी करेगा और वह घर को संभालेगी. विनय के वापस आने का इंतजार करेगी. ऐसे ही हसीन सपनों में दोनों का समय गुजर रहा था. अब दोनों ही अपनी दोस्ती को रिश्ते में बदलने का इंतजार कर रहे थे. इसी बीच पिछले साल कोरोना महामारी बढ़ने पर लौकडाउन लग गया तो दुकानें, होटल, फैक्ट्री आदि पिछले साल बंद हो गईं, जिस से बहुत सारे लोग घर बैठ गए. शुरुआत में लगा कि 10-20 दिनों में लौकडाउन खत्म जाएगा. उस के बाद बाजार और कामधंधे शुरू हो जाएंगे. लेकिन धीरेधीरे करीब 3 माह का समय बीत गया था. सारा कारोबार चौपट हो चुका था.

3 माह के बाद जब विनय अपने काम पर वापस गया तो उसे बताया गया कि अब औफिस में काम कम हो गया है. लिहाजा अब उस की वहां जरूरत नहीं रह गई. उस के बाद जब विनय ने अपने 3 माह का बकाया वेतन मांगा तो कहा गया कि जब तुम ने काम हीं नहीं किया तो वेतन किस बात का. तुम ने मार्च महीने में 20 दिन काम किया था. उन 20 दिनों का पैसा ले लो और अब नौकरी पर नहीं आना है. विनय का गांव तो लखनऊ से 20-22 किलोमीटर ही दूर था. ऐसे में वह रोज साइकिल और आटो से आताजाता था. खुशबू को साथ रखने की योजना की वजह से उस ने उस समय लखनऊ में एक कमरा किराए पर ले लिया था.

इस का भी 5 हजार रुपए देना पड़ता था. ऐसे में जब वह वहां अपना रखा सामान लेने गया तो मकान मालिक ने 15 हजार रुपए किराए के मांगे. विनय के पास उतना तो नहीं था. उसे 10 हजार औफिस से मिले थे, उसी में से 8 हजार मकान मालिक को दे कर अपना सामान साथ ले आया. कोरोना के बाद शहर से जैसे उस का नाता टूट गया. कोरोना ने जिस तरह से काम धंधों पर रोक लगाई, उस से विनय और खुशबू जैसे युवाओं के सामने भी अपने भविष्य को ले कर प्रश्नचिह्न लगा दिए. बेरोजगारी ने आगे के सभी रास्ते बंद कर दिए. यह उम्मीद थी कि 3 महीने के बाद जब लौकडाउन खुलेगा तो सब कुछ पटरी पर आ जाएगा. लेकिन इस के बाद भी कोई कामधंधा नहीं बढ़ा. मार्च, 2021 में जब कोरोना का संकट फिर से बढ़ा तो विनय को जो कामधंधा मिल जाता था, वह भी बंद हो गया.

विनय और खुशबू अपने जीवन को ले कर गंभीर थे. एक दिन विनय ने कहा, ‘‘खुशबू, अगर हमारे पास 15-20 लाख रुपए होते तो हम अपना काम भी शुरू कर लेते और एक रहने की जगह भी बना लेते, जिस से कम से कम हमें किराया तो नहीं देना पड़ता.’’

‘‘विनय, पैसे तो मिल सकते हैं. बस सावधानी बरतने की जरूरत है. और यदि हम पकड़े न जाएं तो मदद हो सकती है.’’ खुशबू ने कहा.

‘‘तुम रास्ता बताओ. बाकी हम कर लेंगे. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.’’ विनय ने उत्सुकता दिखाई और खुशबू को पूरा भरोसा दिलाते हुए कहा.

‘‘देखो विनय, मेरे घर में इतने रुपए और जेवर रखे हैं, जिन को मिला कर जितने पैसों की तुम बात कर रहे हो उतने हो जाएंगे. हम लोग एक दिन वह रुपए किसी तरह चोरी कर लें. चोरी होने से यह भी नहीं पता चलेगा कि किस ने यह काम किया है. फिर जब सब काम हो जाएगा, तब हम साथसाथ रहने लगेंगे.’’ खुशबू बोली. खुशबू को उस के घर वाले भी मानसिक रूप से इतना परेशान करते थे कि वह किसी भी तरह से अपने घर में रहने को तैयार नहीं थी. अपने घर में चोरी की योजना बनाते समय उसे किसी भी तरह का डर या संकोच भी नहीं हुआ.

इधर विनय ने अपने साथी गांव के रहने वाले शुभम यादव को भी इस योजना में शामिल कर लिया. खुशबू के साथ योजना बनाते समय विनय ने उसेनींद की 8 गोलियां ला कर दीं और कहा कि 4-4 गोलियां काढे़ में डाल कर रात में अपने मम्मी और पापा को पिला देना. जिस से वे रात भर गहरी नींद में सोते रहेंगे. खुशबू ने 28 मई, 2021 की रात ऐसा ही किया. जब उस के मातापिता गहरी नींद में सो गए तो विनय और शुभम ने खुशबू के साथ मिल कर उस के घर से 13 लाख रुपए नकद और 3 लाख के जेवर चोरी कर लिए. जेवर और रुपए ले कर विनय और शुभम चले गए. सुबह जब खुशबू के पिता मनोज कुमार सो कर उठे तो देखा कि उन की अलमारी टूटी हुई थी और उस में रखी नकदी व जेवर गायब थे.

वह थाना गोसाईंगंज गए. वहां पर उन्होंने यह जानकारी थानाप्रभारी अमरनाथ वर्मा को दी तो थानाप्रभारी ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 457 और 380 आईपीसी के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया. लखनऊ के पुलिस कमिशनर धु्रवकांत ठाकुर के निर्देशन में डीसीपी ख्याति गर्ग, एडिशनल डीसीपी (साउथ) पुर्णेंदु सिंह, एसीपी स्वाति चौधरी, इंसपेक्टर गोसाईंगंज अमरनाथ वर्मा ने अपनी टीम के साथ चोरों को पकड़ने का काम शुरू किया. पुलिस टीम में एसआई जय सिंह, दीपक कुमार पांडेय, विवेक कुमार, फिरोज आलम सिद्दीकी, अनिल कुमार, हैडकांस्टेबल अमीर हमजा, अकबर, सुशील चौहान, अंकित यादव, राजेश कुमार, पूनम शर्मा, मजीत सिंह, सुनील कुमार और रवींद्र कुमार शामिल थे.

मोबाइल की काल डिटेल्स में खुशबू और विनय के बीच बातचीत और रात में दोनों की लोकेशन एक होने से पुलिस का शक खुशबू पर गया. पुलिस ने खुशबू से पूछताछ की तो उस ने सच कबूल लिया. खुशबू की बताई बातों के आधार पर पुलिस ने पहले विनय और फिर शुभम को हिरासत में ले लिया. सभी ने अपना अपराध कबूल कर लिया. पुलिस ने विनय, खुशबू और शुभम की निशानदेही पर चोरी गए रुपए और जेवर बरामद कर लिए. इस के बाद इन सभी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. Social Stories in Hindi

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Crime Story Real : देवर संग मिलकर पत्नी ने रची साजिश फिर पति का गला दबाकर मार डाला

Crime Story Real :  दिव्यांग सिकंदर शरीर से कमजोर था पर मेहनतकश था. लेकिन काम के चक्कर में वह पत्नी ललिता की खुशियों का गला घोंटता रहा. सिकंदर की यह लापरवाही ललिता पर भारी पड़ने लगी. इसी दौरान ललिता ने अपने कदम देवर जितेंद्र की तरफ बढ़ा दिए. यहीं से ललिता की ऐसी खतरनाक लीला शुरू हुई कि… दे

32 वर्षीया ललिता झारखंड के कोडरमा जिले के गांव दौंलिया की रहने वाली थी. उस की मां का नाम राजवती और पिता का नाम दुल्ली था. वह 4 भाइयों की इकलौती बहन थी. इसलिए घर में सभी की लाडली थी. 16 साल की होते ही उस पर यौवन की बहारें मेहरबान हो गई थीं. बाद में समय ऐसा भी आया कि वह किसी प्रेमी की मजबूत बांहों का सहारा लेने की कल्पना करने लगी. गांव के कई नवयुवक ललिता पर फिदा थे. ललिता भी अपनी पसंद के लड़के से नैन लड़ाने लगी. इस के बाद तो दिन प्रतिदिन उस की आकांक्षाएं बढ़ने लगीं तो अनेक लड़कों के साथ उस के नजदीकी संबंध हो गए.

Ghar ki Kahaniyan

दुल्ली के कुछ शुभचिंतक उसे आईना दिखाने लगे, ‘‘तुम्हारी बेटी ने तो यारबाजी की हद कर दी. वह खुद तो खराब है, गांव के लड़कों को भी खराब कर रही है. लड़की जब दरदर भटकने की शौकीन हो जाए तो उसे किसी मजबूत खूंटे से बांध देना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके, ललिता का विवाह कर दो, वरना तुम बहुत पछताओगे.’’

अपमान का घूंट पीने के बाद दुल्ली ने एक दिन ललिता को समझाया. उसी दौरान मां राजवती ने ललिता की पिटाई करते हुए चेतावनी दी, ‘‘आज के बाद तेरी कोई ऐसीवैसी बात सुनने को मिली तो मैं तुझे जिंदा जमीन में दफना दूंगी.’’

उस समय ललिता ने कसम खा कर किसी तरह अपनी मां को यकीन दिला दिया कि वह किसी लड़के से बात नहीं करेगी. ललिता बात की पक्की नहीं, बल्कि ख्वाहिशों की गुलाम थी. कुछ समय तक ललिता ने अपनी जवानी के अरमानों को कैद रखा, लेकिन अरमान बेलगाम हो कर उस के जिस्म को बेचैन करते तो वह अंकुश खो बैठी और फिर से लड़कों के साथ मटरगश्ती करने लगी. लेकिन यह मटरगश्ती अधिक दिनोें तक नहीं चल सकी. इस की वजह थी कि उस के पिता दुल्ली ने उस का रिश्ता तय कर दिया था. ललिता का विवाह कोडरमा जनपद के ही गांव करौंजिया निवासी काली रविदास के बेटे सिकंदर रविदास से तय हुआ था.

सिकंदर किसान था और एकदम सीधासादा इंसान था. लेकिन एक पैर से दिव्यांग था. उस का एक छोटा भाई जितेंद्र रविदास था. सिकंदर की उम्र विवाह योग्य हो चुकी थी, इसलिए ललिता का रिश्ता सिकंदर के लिए आया तो काली रविदास मना नहीं कर सके.  12 साल पहले दोनों का विवाह बड़ी धूमधाम से हो गया. कालांतर में ललिता 3 बेटों की मां बन गई. विवाह के बाद से ही सिकंदर ललिता के साथ अलग मकान में रहने लगा था. सिकंदर का छोटा भाई जितेंद्र अपने मातापिता के साथ रहता था. सिकंदर दिव्यांग होने पर भी खेतों में दिनरात मेहनत करता रहता था. इसलिए जब वह घर पर आता तो थकान से चूर हो कर सो जाता था, जिस से ललिता की ख्वाहिशें अधूरी रह जाती थीं.

पति के विमुख होने से ललिता बेचैन रहने लगी. इस स्थिति में कुछ औरतों के कदम गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं, ऐसा ही ललिता के साथ भी हुआ. अब उसे ऐसे शख्स की तलाश थी, जो उसे भरपूर प्यार दे और उस की भावनाओं की इज्जत करे. उस शख्स की तलाश में उस की नजरों को अधिक भटकना नहीं पड़ा. घर में ही वह शख्स उसे मिल गया, वह था जितेंद्र. सिकंदर जहां अपने भविष्य के प्रति गंभीर तथा अपनी जिम्मेदारियों को समझने वाला था, वहीं जितेंद्र गैरजिम्मेदार था. जितेंद्र का किसी काम में मन नहीं लगता था.

जितेंद्र की निगाहें ललिता पर शुरू से थीं. वह देवरभाभी के रिश्ते का फायदा उठा कर ललिता से हंसीमजाक भी करता रहता था.  जितेंद्र की नजरें अपनी ललिता भाभी का पीछा करती रहती थीं. दरअसल जितेंद्र ने ललिता को विवाह मंडप में जब पहली बार देखा था, तब से ही वह उस के हवास पर छाई हुई थी. अपने बड़े भाई सिकंदर के भाग्य से उसे ईर्ष्या होने लगी थी. वह सोचता था कि ललिता जैसी सुंदरी के साथ उस का विवाह होना चाहिए था. काश! ललिता उसे पहले मिली होती तो वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाता और उस की जिंदगी इस तरह वीरान न होती, उस की जिंदगी में भी खुशियां होतीं.

ललिता के रूप की आंच से आंखें सेंकने के लिए ही वह ललिता के घर के चक्कर लगाता. चूंकि वह घर का ही सदस्य था, इसलिए उस के आनेजाने और वहां हर समय बने रहने पर कोई शक नहीं करता था. जितेंद्र की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए वह ललिता से आंखें लड़ा कर और हंसमुसकरा कर उस पर डोरे डाला करता था. सिकंदर सुबह खेत पर जाता तो दीया बाती के समय ही लौट कर आता. जितेंद्र के दिमाग में अब तक ललिता के रूप का नशा पूरी तरह हावी हो गया था. इसलिए ललिता को पाने की चाह में उस के सिकंदर के घर के फेरे जरूरत से ज्यादा लगने लगे.

ललिता घर पर अकेली होती थी, इसलिए जितेंद्र के पास मौके ही मौके थे. एक दिन जितेंद्र दोपहर के समय आया तो ललिता दोपहर के खाने में तहरी बनाने की तैयारी कर रही थी, जिस के लिए आलू व टमाटर काट रही थी. जितेंद्र ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘लगता है, आज अपने हाथों से स्वादिष्ट तहरी बनाने जा रही हो.’’

‘‘हां, खाने का इरादा है क्या?’’

‘‘मेरा ऐसा नसीब कहां, जो तुम्हारे हाथों का बना स्वादिष्ट खाना खा सकूं. नसीब तो सिकंदर भैया का है, जो आप जैसी रूपसी उन को पत्नी के रूप में मिलीं.’’

यह सुन कर ललिता मुसकान बिखेरती हुई बोली, ‘‘ठीक है, मुझ से विवाह कर के तुम्हारे भैया ने अपनी किस्मत चमका ली तो तुम भी किसी लड़की की मांग में सिंदूर भर कर अपनी किस्मत चमका लो.’’

‘‘मुझे कोई दूसरी नहीं, तुम पसंद हो. भाभी, अगर तुम तैयार हो तो मैं तुम्हारे साथ अपना घर बसाने को तैयार हूं.’’

ललिता जितेंद्र के रोज हावभाव पढ़ती रहती थी. इसलिए जान गई थी कि जितेंद्र के दिल में उस के लिए नाजुक एहसास है. लेकिन वह इस तरह चाहत जाहिर कर के उस से प्यार की सौगात मांगेगा, ललिता ने सोचा तक न था. अचानक सामने आई ऐसी असहज स्थिति से निपटने के लिए वह उस से आंखें चुराने लगी और कटी हुई सब्जी उठा कर रसोई की तरफ चल दी. तभी उस के बच्चे भी घर आ गए. प्यार में विघ्न पड़ता देख कर जितेंद्र भी वहां से उठ गया. उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, वह ललिता के पास पहुंच जाता और अपने प्यार का विश्वास दिलाता. धीरेधीरे ललिता को उस के प्यार पर यकीन होने लगा. उसे भी अपने प्रति जितेंद्र की दीवानगी लुभाने लगी थी.

उस की दीवानगी को देख कर ललिता के दिल में उस के लिए प्यार उमड़ पड़ा. कल तक जो ललिता जितेंद्र के हवास पर छाई थी, अब जितेंद्र ललिता के हवास पर छा गया. एक दिन जितेंद्र ने फिर से ललिता के सामने अपने प्यार का तराना सुनाया तो वह बोली, ‘‘जितेंद्र, मेरे प्यार की चाहत में पागल होने से तुम्हें क्या मिलेगा. मैं विवाहित होने के साथसाथ 3 बच्चों की मां भी हूं. इसलिए मुझे पाने की चाहत अपने दिल से निकाल दो.’’

‘‘यही तो मैं नहीं कर पा रहा, क्योंकि यह दिल पूरी तरह से तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार है.’’

ललिता कुछ नहीं बोल सकी. जैसे उस के जेहन से शब्द ही मिट गए थे. जितेंद्र ने अपने हाथ उस के कंधे पर रख दिए, ‘‘भाभी, कब तक तुम अपने और मेरे दिल को जलाओगी. कुबूल कर लो, तुम्हें भी मुझ से प्यार है.’’

ललिता ने सिर झुका कर जितेंद्र की आंखों में देखा और फिर नजरें नीची कर लीं. प्रेम प्रदर्शन के लिए शब्द ही काफी नहीं होते, शारीरिक भाषा भी मायने रखती है. जितेंद्र समझ गया कि मुद्दत बाद सही, ललिता ने उस का प्यार कुबूल कर लिया है. उस ने ललिता के चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी. ललिता भी सुधबुध खो कर जितेंद्र से लिपट गई. उस समय मन के मिलन के साथ तन की तासीर ऐसी थी कि ललिता का जिस्म पिघलने लगा.  इस के बाद दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. यह बात करीब 6 साल पहले की है. बाद में यह मौका मिलने पर चलता रहा.

13 मई, 2021 को दोपहर करीब 12 बजे सिकंदर दास लोचनपुर गांव के निजी कार चालक विजय दास के साथ चरवाडीह के संजय दास के यहां शादी समारोह में गया. सिकंदर और विजय दोनों कार से गए थे. कार विजय की थी. साढ़े 3 बजे शादी से दोनों निकल आए. लेकिन सिकंदर दास घर नहीं लौटा. उस के नंबर पर सिकंदर के चाचा ने फोन किया गया तो विजय ने उठाया. उस से पूछा गया कि सिकंदर कहां है तो विजय द्वारा अलगअलग ठिकाने का पता बताते हुए फोन काट दिया. इस के बाद सिकंदर की काफी तलाश की गई, वह नहीं मिला. 16 मई को ललिता ने कोडरमा के थानाप्रभारी और एसपी को एक पत्र दिया, जिस में उस ने अपने पति सिकंदर दास के लापता होने की बात लिखी. सिकंदर के गायब होने का आरोप उस ने कार चालक विजय दास पर लगाया था.

चूंकि मामला चांदवारा थाना क्षेत्र के करौंजिया गांव का था. इसलिए एसपी पुलिस ने मामला चांदवारा थाने में ट्रांसफर कर दिया. चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह ने पूरा मामला जान कर थाने में सिकंदर की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थानाप्रभारी सोनी प्रताप ने 20 मई को जामू खाड़ी से विजय दास को गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पुलिस ने पूछताछ की तो विजय ने सिकंदर की हत्या करने की बात स्वीकारी. उस ने इस हत्या में सिकंदर की पत्नी ललिता और भाई जितेंद्र का भी हाथ होने की बात बताई. 20 मई को विजय के बाद ललिता और जितेंद्र को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर रात में कोटवारडीह के बंद पड़े मकान से सिकंदर की लाश बरामद कर ली.

वह अर्द्धनिर्मित मकान सिकंदर का था. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद चांदवारा थाने के थानाप्रभारी सोनी प्रताप सिंह अभियुक्तों को ले कर थाने आ गए. थाने में सख्ती से की गई पूछताछ में उन्होंने हत्या के पीछे की पूरी कहानी बयां कर दी. एक दोपहर को जितेंद्र और ललिता घर में बेधड़क रंगरलियां मना रहे थे कि अचानक किसी काम से सिकंदर खेतों से घर लौटा तो उस ने उन दोनों को रंगरलियां मनाते रंगेहाथों पकड़ लिया. यह देख कर उसे एक बार तो अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ कि उस की पत्नी ऐसा भी कर सकती है. वह ललिता पर खुद से भी ज्यादा विश्वास करता था. लेकिन हकीकत तो सामने उस की दगाबाजी की तरफ इशारा कर रही थी.

दूसरी ओर सगा छोटा भाई जितेंद्र था, जिसे वह बहुत प्यार करता था, उस का खूब खयाल रखता था. वही उस की गृहस्थी में आग लगा रहा था. अपनों की इस दगाबाजी से सिकंदर इतना आहत हुआ कि उस ने पूरे घर को सिर पर उठा लिया. ललिता और जितेंद्र ने भी उस से अपनी गलती की माफी मांग ली और भविष्य में ऐसा कुछ न करने का वादा किया तो सिकंदर शांत हुआ. जितेंद्र और ललिता ने उस समय तो अपनी जान छुड़ाने के लिए वादा कर दिया था, लेकिन वे इस पर अमल करने को कतई तैयार नहीं थे. लेकिन उन का भेद खुल चुका था, इसलिए मिलन में उन को बहुत ऐहतियात बरतनी पड़ती थी. वे चोरीछिपे फिर से मिल लेते थे.

सिकंदर ने देखा तो उस ने विरोध किया. मामला घर की चारदीवारी से निकल कर गांव के लोगों तक पहुंच गया. पंचायत तक बैठ गई. भरी पंचायत में ललिता ने जितेंद्र के साथ रहने की बात कही. लेकिन फैसला न हो सका. इस के बाद सिकंदर उन दोनों के बीच की एक बड़ी दीवार था, जिसे गिराए बिना वे हमेशा के लिए एक नहीं हो सकते थे. इसलिए ललिता और जितेंद्र ने सिकंदर की हत्या करने की ठान ली. सिकंदर दास ने विजय दास से लोन दिलाने के नाम पर डेढ़ लाख रुपए लिए थे. सिकंदर ने जब लोन नहीं दिलाया तो विजय उस से अपने दिए रुपए वापस मांगने लगा. सिकंदर रुपए देने में टालमटोल कर रहा था. ऐसे में ललिता ने जितेंद्र से बात कर के विजय को अपने प्लान में शामिल करने की बात कही.

उस ने यह भी कहा कि सिकंदर का काम तमाम होने के बाद वह अकेले विजय को उस की हत्या में फंसवा देगी, जिस से वे दोनों बच जाएंगे. जितेंद्र को उस की बात सही लगी. दोनों ने विजय से बात की तो वह सिकंदर की हत्या में उन दोनों का साथ देने को तैयार हो गया. 13 मई, 2021 को एक शादी समारोह से लौटने के बाद विजय सिकंदर को ले कर कोटवारडीह में उस के अर्धनिर्मित मकान पर ले गया. वहां ललिता और जितेंद्र पहले से मौजूद थे. तीनों ने मिल कर सिकंदर की गला दबा कर हत्या कर दी और लाश एक कमरे में डाल कर कमरा बंद कर दिया.

लेकिन सिकंदर की हत्या में विजय को फंसाने की योजना ही ललिता और जितेंद्र को भारी पड़ गई. ललिता ने उस पर शक जताया तो पुलिस विजय को पकड़ कर उन तक पहुंच गई. तीनों अभियुक्तों के खिलाफ हत्या व साक्ष्य छिपाने का मुकदमा दर्ज कर के चांदवारा पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. Crime Story Real

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित