Crime ki Kahani : प्रेमी का अपहरण कर पेचकस से फोड़ डालीं दोनों आंखे

Crime ki Kahani : लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अनिल उरांग जिस प्रियंका उर्फ दुलारी से प्यार करते थे, उस से पूर्णिया का शार्प शूटर अंकित यादव भी बेपनाह मोहब्बत करता था. इसी बीच ऐसा क्या हुआ कि यह हाथ ऐसा जुर्म कर बैठे कि…

लोक जनशक्ति पार्टी के आदिवासी प्रकोष्ठ के युवा प्रदेश अध्यक्ष 35 वर्षीय अनिल उरांव रोजाना की तरह उस दिन भी नाश्ता कर के क्षेत्र में भ्रमण के लिए तैयार हो कर ड्राइंगरूम में बैठे अपने भतीजे के आने का इंतजार कर रहे थे. तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. अपनी शर्ट की जेब से मोबाइल निकाल कर डिसप्ले पर उभर रहे नंबर पर नजर डाली तो वह नंबर जानापहचाना निकला. स्क्रीन पर डिसप्ले हो रहे नंबर को देख कर अनिल उरांव का चेहरा खुशियों से खिल उठा था. उन्होंने काल रिसीव करते हुए कहा, ‘‘हैलो!’’

‘‘नेताजी, प्रणाम.’’ दूसरी ओर से एक महिला की मीठी सी आवाज अनिल उरांव के कानों से टकराई.

‘‘प्रणाम…प्रणाम.’’ उन्होंने जबाव दिया, ‘‘कैसी हो प्रियंकाजी?’’ उस महिला का नाम प्रियंका उर्फ दुलारी था.

‘‘ठीक हूं, नेताजी.’’ प्रियंका जबाव देते हुए बोली, ‘‘मैं क्या कह रही थी कि जनता की खैरियत पूछने जब क्षेत्र में निकलिएगा तो मेरे गरीबखाने पर जरूर पधारिएगा. मैं आप की राह तकूंगी.’’

‘‘सुबह….सुबह क्यों मेरी टांग खींच रही हैं प्रियंकाजी. कोई और नहीं मिला था क्या आप को टांग खींचने के लिए? आलीशान और शानदार महल कब से गरीबखाना बन गया?’’ अनिल ने कहा.

‘‘क्या नेताजी? क्यों मजाक उड़ा रहे हैं इस नाचीज का. काहे का शानदार महल. सिर ढंकने के लिए ईंटों की छत ही तो है. बहुत मजाक करते हैं आप मुझ से. अच्छा, अब मजाक छोडि़ए और सीरियस हो जाइए. ये बताइए कि दोपहर तक आ रहे हैं न मेरी कुटिया में, मुझ से मिलने. कुछ जरूरी मशविरा करना है आप से.’’ वह बोली.

‘‘ऐसा कभी हुआ है प्रियंकाजी कि आप बुलाएं और हम न आएं. फिर जब आप इतना प्रेशर मुझ पर बना ही रही हैं तो भला मैं कैसे कह दूं कि मैं आप की कुटिया पर नहीं पधारूंगा, मैं जरूर आऊंगा. मुझे तो सरकार के दरबार में हाजिरी लगानी ही होगी.’’

नेता अनिल उरांव की दिलचस्प बातें सुन कर प्रियंका खिलखिला कर हंस पड़ी तो वह भी अपनी हंसी रोक नहीं पाए और ठहाका मार कर हंसने लगे. उस के बाद दोनों के बीच कुछ देर तक हंसीमजाक होती रही. फिर प्रियंका ने अपनी ओर से फोन डिसकनेक्ट कर दिया तो अनिल उरांव ने भी मोबाइल वापस अपनी जेब के हवाले किया. फिर भतीजे राजन के साथ मोटरसाइकिल पर सवार हो कर वह मनिहारी क्षेत्र की ओर निकल पड़े. वह खुद मोटरसाइकिल चला रहे थे और भतीजा पीछे बैठा था. यह 29 अप्रैल, 2021 की सुबह साढ़े 10 बजे की बात है. अनिल उरांव को क्षेत्र भ्रमण में निकले तकरीबन 10 घंटे बीत चुके थे. वह अभी तक घर वापस नहीं लौटे थे और न ही उन का फोन ही लग रहा था. घर वालों ने साथ गए जब भतीजे से पूछा कि दोनों बाहर साथ निकले थे तो तुम उन्हें कहां छोड़ कर आए?

इस पर उस ने जबाव दिया, ‘‘चाचा को रेलवे लाइन के उस पार छोड़ कर आया था. उन्होंने कहा था कि वह प्रियंका के यहां जा रहे हैं, बुलाया है, मीटिंग करनी है. थोड़ी देर वहां रुक कर वापस घर लौट आऊंगा, तब मैं बाइक ले कर घर लौट आया था.’’

नेताजी अचानक हुए लापता भतीजे राजन के बताए अनुसार अनिल प्रियंका से मिलने उस के घर गए थे. राजन उस के घर के पास छोड़ कर आया था तो फिर वह कहां चले गए? अनिल के घर वालों ने प्रियंका को फोन कर के अनिल के बारे में पूछा तो उस ने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया कि नेताजी तो उस के यहां आए ही नहीं. यह सुन कर सभी के पैरों तले से जमीन खिसक गई थी. वह प्रियंका के यहां नहीं गए तो फिर कहां गए? लोजपा नेता अनिल उरांव और प्रियंका काफी सालों से एकदूसरे को जानते थे. दोनों के बीच संबंध काफी मधुर थे. यह बात अनिल के घर वाले और प्रियंका के पति राजा भी जानते थे. बावजूद इस के किसी ने कभी कोई विरोध नहीं जताया था.

अनिल को ले कर घर वाले परेशान हो गए थे. उन के परिचितों के पास भी फोन कर के पता लगाया गया, लेकिन उन का कहीं पता नहीं चला. घर वालों को अंदेशा हुआ कि कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई. उसी दिन रात में नेता अनिल उरांव की पत्नी पिंकी कुछ लोगों को साथ ले कर हाट थाने पहुंची और पति की गुमशुदगी की एक तहरीर थानाप्रभारी सुनील कुमार मंडल को सौंप दी. तहरीर लेने के बाद थानाप्रभारी सुनील कुमार ने पिंकी को भरोसा दिलाया कि पुलिस नेताजी को ढूंढने का हरसंभव प्रयास करेगी. आप निश्चिंत हो कर घर जाएं. उस के बाद पिंकी वापस घर लौट आई.

मामला हाईप्रोफाइल था. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के आदिवासी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल उरांव की गुमशुदगी से  जुड़ा हुआ मामला था. उन्होंने अनिल उरांव की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कर ली और आवश्यक काररवाई में जुट गए. चूंकि यह मामला राज्य के एक बड़े नेता की गुमशुदगी से जुड़ा हुआ था, इसलिए उन्होंने इस बाबत एसपी दया शंकर को जानकारी दे दी थी. वह जानते थे कि अनिल उरांव कोई छोटीमोटी हस्ती नहीं है. उन के गुम होने की जानकारी जैसे ही समर्थकों तक पहुंचेगी, वो कानून को अपने हाथ में लेने से कभी नहीं हिचकिचाएंगे. इस से शहर की कानूनव्यवस्था बिगड़ सकती है, इसलिए किसी भी स्थिति से निबटने के लिए उन्हें मुस्तैद रहना होगा.

इधर पति के घर लौटने की राह देखती पिंकी ने पूरी रात आंखों में काट दी थी. लेकिन अनिल घर नहीं लौटे. पति की चिंता में रोरो कर उस का हाल बुरा था. दोनों बेटे प्रांजल (7 साल) और मोनू (2 साल) भी मां को रोता देख रोते रहे. रोरो कर सभी की आंखें सूज गई थीं. फिरौती की आई काल बात अगले दिन यानी 30 अप्रैल की सुबह की है. पति की चिंता में रात भर की जागी पिंकी की आंखें कब लग गईं, उसे पता ही नहीं चला. उस की आंखें तब खुलीं जब उस के फोन की घंटी की आवाज कानों से टकराई.  स्क्रीन पर डिसप्ले हो रहे नंबर को देख कर हड़बड़ा कर वह नींद से उठ कर बैठ गई. क्योंकि वह फोन नंबर उस के पति का ही था. वह जल्दी से फोन रिसीव करते हुए बोली,

‘‘हैलो! कहां हो आप? एक फोन कर के बताना भी जरूरी नहीं समझा और पूरी रात बाहर बिता दी. जानते हो कि हम सब आप को ले कर कितने परेशान थे रात भर. और आप हैं कि…’’

पिंकी पति का नंबर देख कर एक सांस में बोले जा रही थी. तभी बीच में किसी ने उस की बात काट दी और रौबदार आवाज में बोला, ‘‘तू मेरी बात सुन. तेरा पति अनिल मेरे कब्जे में है. मैं ने उस का अपहरण कर लिया है.’’

‘‘अपहरण किया है?’’ चौंक कर पिंकी बोली.

‘‘तूने सुना नहीं, क्या कहा मैं ने? तेरे पति का अपहरण किया है, अपहरण.’’

‘‘तुम कौन हो भाई.’’ बिना घबराए, हिम्मत जुटा कर पिंकी आगे बोली, ‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया? मेरे पति से तुम्हारी क्या दुश्मनी है, जो उन का अपहरण किया?’’

‘‘ज्यादा सवाल मत कर. जो मैं कहता हूं चुपचाप सुन. फिरौती के 10 लाख रुपयों का बंदोबस्त कर के रखना. मेरे दोबारा फोन का इंतजार करना. मैं दोबारा फोन करूंगा. रुपए कब और कहां पहुंचाने हैं, बताऊंगा. हां, ज्यादा चूंचपड़ करने या होशियारी दिखाने की कोशिश मत करना और न ही पुलिस को बताना. नहीं तो तेरे पति के टुकड़ेटुकड़े कर के कौओं को खिला दूंगा, समझी.’’ फोन करने वाले ने पिंकी को धमकाया.

‘‘नहीं…नहीं उन्हें कुछ मत करना.’’ पिंकी फोन पर गिड़गिड़ाने लगी, ‘‘तुम जो कहोगे, मैं वही करूंगी. मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं. मैं पुलिस को कुछ नहीं बताऊंगी. प्लीज, उन्हें छोड़ दो. पैसे कहां पहुंचाने हैं, बता दो. तुम्हारे पैसे समय पर पहुंच जाएंगे.

‘‘तुम बहुत समझदार हो. बहुत जल्द मेरी बात समझ गई. रुपए का इंतजाम कर के रखना, जल्द ही फोन कर के बताऊंगा कि पैसे कब और कहां पहुंचाने हैं.’’ इस के बाद दूसरी ओर से फोन कट गया. अपहर्त्ताओं को दिए 10 लाख रुपए स्क्रीन पर जिस नंबर को देख कर पिंकी की आंखों में चमक जागी थी, वह नंबर उस के पति का था. बदमाशों ने अनिल के फोन से काल कर के फिरौती की रकम मांगी थी. ताकि पुलिस उन तक पहुंच न सके. खैर, पति के अपहरण की जानकारी पिंकी ने जैसे ही घर वालों को दी, उस की बातें सुन कर सभी स्तब्ध रह गए. किंतु उन्हें इस बात से थोड़ी तसल्ली हुई थी कि अनिल जिंदा हैं और बदमाशों के कब्जे में हैं. अगर उन्हें फिरौती की रकम दे दी जाए तो उन की सहीसलामत वापसी हो सकती है.

अनिल उरांव की मिली लाश बदमाशों की धमकी सुन कर पिंकी और उस की ससुराल वालों ने पुलिस को बिना कुछ बताए 10 लाख रुपए का इंतजाम कर लिया और शाम होतेहोते बदमाशों के बताए अड्डे पर फिरौती के 10 लाख रुपए पहुंचा दिए गए. बदमाशों ने रुपए लेने के बाद देर रात तक अनिल को छोड़ देने का भरोसा दिया था. पूरी रात बीत गई, लेकिन अनिल उरांव लौट कर घर नहीं पहुंचे तो घर वाले परेशान हो गए. अनिल उरांव के फोन पर घर वालों ने काल की तो वह बंद आ रहा था. जिन दूसरे नंबरों से बदमाशों ने 3 बार काल की थी, वे नंबर भी बंद आ रहे थे. इस का मतलब साफ था कि फिरौती की रकम वसूलने के बाद भी बदमाशों ने अनिल उरांव को छोड़ा नहीं था. बदमाशों ने उन के साथ गद्दारी की थी. यह सोच कर घर वाले परेशान थे.

बात 2 मई, 2021 की सुबह की है. के. नगर थाने के झुन्नी इस्तबरार के डंगराहा गांव की महिलाएं सुबहसुबह गांव के बाहर खेतों में आई थीं. तभी उन्होंने खेत में जो दृश्य देखा, वह दंग रह गईं. किसी आदमी का एक हाथ जमीन के बाहर झांक रहा था. जमीन के बाहर हाथ देख कर महिलाएं उलटे पांव गांव की ओर भागीं और गांव पहुंच कर पूरी बात गांव के लोगों को बताई. खेत में लाश गड़ी होने की सूचना मिलते ही गांव वाले मौके पर पहुंच गए और इस की सूचना के. नगर थाने को दे दी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी डंगराहा पहुंच गए और गड्ढे से लाश बाहर निकलवाई. शव का निरीक्षण करने पर पता चला कि हत्यारों ने मृतक के साथ मानवता की सारी हदें पार कर दी थीं.

उन्होंने किसी नुकीली चीज से मृतक की दोनों आंखें फोड़ दी थीं और शरीर पर चोट के कई जगह निशान थे. डंगराहा में एक अज्ञात शव मिलने की सूचना जैसे ही अनिल के घर वालों को मिली, वे भी मौके पर जा पहुंचे थे. उन्होंने लाश देखते ही पहचान ली. घर वाले चीखचीख कर प्रियंका उर्फ दुलारी के ऊपर हत्या का आरोप लगा रहे थे. लोजपा नेता की लाश मिलते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. अपहर्त्ताओं ने धोखा किया था. रुपए लेने के बाद भी उन्होंने हत्या कर दी थी. जैसे ही नेताजी की हत्या की सूचना लोजपा कार्यकर्ताओं को मिली, वे उग्र हो गए और शहर के हर खास चौराहों को जाम कर आग के हवाले झोंक दिया तथा पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे.

इधर पुलिस ने लाश अपने कब्जे में ले कर वह पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी और आगे की काररवाई में जुट गए. पुलिस ने मृतक के घर वालों के बयान के आधार पर उसी दिन दोपहर के समय मृतक की प्रेमिका प्रियंका उर्फ दुलारी को उस के घर से हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए के. हाट थाने ले आई. प्रियंका ने पहले तो पुलिस को खूब इधरउधर घुमाया, किंतु जब उस की दाल नहीं गली तो उस ने पुलिस के सामने अपने घुटने टेक दिए. प्रेमिका प्रियंका ने उगला हत्या का राज अपना जुर्म कबूल करते हुए प्रियंका ने कहा,

‘‘इस कांड को अंजाम देने में मैं अकेली नहीं थी. 4 और लोग शामिल थे. घटना का मास्टरमांइड अंकित यादव है और उसी ने योजना के तहत इस घटना को अंजाम दिया था.’’

प्रियंका के बयान के बाद उस की निशानदेही पर पुलिस ने 2 बदमाशों मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर को धर दबोचा और थाने ले आई. घटना का मास्टरमाइंड अंकित यादव और उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव उर्फ मिट्ठू फरार थे. आरोपी मोहम्मद सादिक और चुनमुन झा ने भी अपने जुर्म कबूल कर लिए थे. पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के स्थान पर उपर्युक्त सभी को नामजद करते हुए भादंवि की धारा 302, 120बी, 364ए और एससी/एसटी ऐक्ट भी लगाया. पुलिस ने गिरफ्तार तीनों आरोपियों प्रियंका उर्फ दुलारी, मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर को अदालत में पेश कर उन्हें जेल भेज दिया और फरार आरोपियों अंकित यादव और मिट्ठू कुमार यादव की तलाश में सरगर्मी से जुट गई थी.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में आरोपितों के बयान के आधार पर कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय अनिल उरांव मूलरूप से बिहार के पूर्णिया जिले के के. हाट थाना क्षेत्र स्थित जेपी नगर के रहने वाले थे. पिता जयप्रकाश उरांव के 2 बच्चे थे. बड़ी बेटी सीमा और छोटा बेटा अनिल. जयप्रकाश एक रिहायशी एस्टेट के मालिक थे. विरासत में मिली अरबों की संपत्ति पुरखों की जमींदारी थी. उन्हें अरबों रुपए की यह चलअचल संपत्ति विरासत में मिली थी. आगे चल कर यही संपत्ति उन के बेटे अनिल उरांव के नाम हो गई थी. क्योंकि पिता के बाद वही इस संपत्ति का इकलौता वारिस था.

जयप्रकाश एक बड़ी प्रौपर्टी के मालिक थे. उन का समाज में बड़ा नाम था. उन के घर से कोई गरीब दुखिया कभी खाली हाथ नहीं जाता था. गरीब तबके की बेटियों की शादियों में वह दिल खोल कर दान करते थे. गरीबों की दुआओं का असर था कि कभी घर में धन की कमी नहीं हुई. अगर यह कहें कि लक्ष्मी घर के कोनेकोने में वास करती थी तो गलत नहीं होगा. यही नहीं, उन्होंने अपनी बिरादरी के लिए बहुत कुछ किया था, इसलिए लोग उन का सम्मान करते थे. बाद के दिनों में जब जयप्रकाश का स्वर्गवास हुआ तो उन्हीं के नाम पर उस कालोनी का नाम जेपी नगर रख दिया गया था.

बहरहाल, अनिल को यह संपत्ति विरासत में मिली थी, इसलिए उस की कीमत वह नहीं समझ रहे थे. पुरखों की यह दौलत अपने दोनों हाथों से यारदोस्तों पर पानी की तरह बहाने में जरा भी नहीं हिचकिचाते थे.  समय के साथ अनिल की पिंकी के साथ शादी हो गई. गृहस्थी बसते ही वह 2 बच्चों प्रांजल और मोनू के पिता बने. अनिल की जिंदगी मजे से कट रही थी. खाने को अच्छा भोजन था, पहनने के लिए महंगे कपड़े थे और सिर ढकने के लिए शानदार और आलीशान मकान था. कहते हैं, जब इंसान के पास बिना मेहनत किए दौलत आ जाए तो उस के पांव दलदल की ओर बढ़ने में देरी नहीं लगती है. अनिल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था.

जमींदार घर का वारिस तो थे ही वह. अरबों की अचल संपत्ति तो थी ही उन के पास. धीरेधीरे उन्होंने उन जमीनों को बेचना शुरू किया. बेशकीमती जमीनों के सौदों से उन के पास रुपए आते रहे. जब उन के पास रुपए आए तो राजनीति की चकाचौंध से आंखें चौधियां गई थीं. उन के रिश्ते के मामा राधा उरांव राजनीति के पुराने खिलाड़ी थे. राजनीति का ककहरा अनिल ने उसी मामा से सीखा और किस्मत आजमाने रामविलास पासवान के पास पहुंच गए. उन्होंने आशीर्वाद स्वरूप अपना हाथ अनिल के सिर पर रख दिया और उन्हें आदिवासी प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया. खद्दर का सफेद कुरता पायजामा पहन कर अनिल उरांव ताकतवर हो गए थे. यह घटना से 7 साल पहले की बात है.

अमीरों की तरह ठाठबाट थे प्रियंका के अनिल के पास अब पैसों के साथ साथ सत्ता की पावर थी और बड़ेबड़े माननीयों के बीच में उठनाबैठना भी. पहली बार अनिल ने सत्ता के गलियारे का मीठा स्वाद चखा था. माननीयों के सामने जब नौकरशाह सैल्यूट मारते थे, यह देख कर अनिल का दिल बागबाग हो जाता था. यहीं से प्रियंका उर्फ दुलारी नाम की महिला अनिल उरांव की किस्मत में दुर्भाग्य की कुंडली मार कर बैठ गई थी. तब कोई नहीं जानता था कि यही प्रियंका एक दिन नागिन बन कर अनिल को डस लेगी. 36 वर्षीया प्रियंका हाट थानाक्षेत्र में स्थित केसी नगर कालोनी में दूसरे पति राजा के साथ रहती थी. पहला पति उसे बहुत पहले तलाक दे चुका था. उस के कोई संतान नहीं थी लेकिन दोनों बड़े ठाठबाट से रहते थे, अमीरों की तरह.

कई कमरों वाले उस के शानदार और आलीशान मकान में सुखसुविधाओं की सारी चीजें मौजूद थीं. घर में कमाने वाला सिर्फ उस का पति था. एक आदमी की कमाई में ऐसी शानोशौकत देख कर मोहल्ले वाले दंग रहते थे. प्रियंका की शानोशौकत देख कर मोहल्ले वालों का दंग रहना जायज था. उस का पति राजा पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर राजनाथ यादव का एक मामूली सा कार ड्राइवर था. उस की इतनी आमदनी भी नहीं थी कि वह घर खर्च के अलावा नवाबों जैसी जिंदगी जिए. ये ऐशोआराम तो प्रियंका की खूबसूरती की देन थी. गोरीचिट्टी और तीखे नयननक्श वाली प्रियंका की मोहल्ले में बदनाम औरतों में गिनती होती थी. शहर के बड़ेबड़े धन्नासेठों, भूमाफियाओं और नेताओं का उस के घर पर उठनाबैठना था. उस में लोजपा का युवा नेता अनिल उरांव का नाम भी शामिल था.

शादीशुदा होते हुए भी अनिल उरांव प्रियंका की गोरी चमड़ी के इस कदर दीवाने हुए कि उसे देखे बिना रह नहीं पाते थे. लेकिन प्रियंका उन से तनिक भी प्यार नहीं करती थी. वह तो केवल उन की दौलत से प्यार करती थी. वह जानती थी कि अनिल एक एटीएम मशीन है. बस, उस से दौलत निकालते जाओ, निकालते जाओ और ऐश करते जाओ. प्रियंका ने बनाई योजना अनिल उरांव जिस प्रियंका के प्यार में दीवाने थे, पूर्णिया का शूटर अंकित यादव उर्फ अनंत भी उसी प्रियंका को बेपनाह चाहता था. अनिल का उस की प्रेमिका प्रियंका की ओर आकर्षित होना, अंकित के सीने पर सांप लोटने जैसा था.

उस ने प्रियंका से कह दिया था ‘‘तू अपने आशिक से कह देना कि मेरी चीज पर नजर न डाले, वरना जिस दिन मेरा भेजा गरम हो गया तो उस की खोपड़ी में रिवौल्वर की सारी गोलियां डाल दूंगा.’’

फिर उस ने अपने प्रेमी अंकित को समझाया, ‘‘देखो अंकित, तुम ठहरे गरम खून के इंसान. जब देखो गोली, कट्टा और बंदूक की बातें करते हो, कभी ठंडे दिमाग से काम नहीं लेते. जिस दिन से ठंडे दिमाग से सोचना शुरू कर दोगे, उस दिन बिना गोली, कट्टे के सारे काम बन जाएंगे. क्यों बेवजह परेशान हो कर अपना ब्लड प्रैशर बढ़ाते हो. मैं क्या कहती हूं, उसे ध्यान से सुनो. मेरे पास एक नायाब तरीका है. जिस से सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.’’

‘‘बता क्या कहना चाहती है तू.’’ अंकित ने पूछा.

‘‘यही कि अनिल उरांव का अपहरण कर लेते हैं और बदले में उस के घर वालों से फिरौती की एवज में मोटी रकम ऐंठ लेते हैं. नेताजी की जान के बदले उस के घर वालों के लिए 10-20 लाख देना कोई बहुत बड़ी बात नहीं होगी. बोलो क्या कहते हो?’’ प्रियंका ने प्लान बनाया.

‘‘ठीक है जो करना हो, जल्दी करना. उस गैंडे को तेरे नजदीक देख कर मेरे तनबदन में आग सी लग जाती है, कहीं ऐसा न हो कि मैं अपना आपा खो दूं और तू भी स्वाहा हो जाए. जो करना है, जल्दी करना, समझी.’’ अंकित बोला.

‘‘ठीक है, बाबा ठीक है. क्यों बिना मतलब के अपना खून जलाते हो. समझो कि काम हो गया और तुम्हारी राह का कांटा भी हट गया.’’ प्रियंका ने कहा.

प्रियंका और अंकित ने मिल कर अनिल के अपहरण की योजना बना ली. योजना के मुताबिक, 29 अप्रैल, 2021 की सुबह प्रियंका ने अनिल उरांव को फोन कर के अपने घर आने को कहा. अनिल भतीजे राजन को साथ ले कर मोटरसाइकिल से निकले और बीच रास्ते में खुद मोटरसाइकिल से नीचे उतर कर कहा प्रियंका के यहां जा रहा हूं. जब फोन करूं तो बाइक ले कर चले आना. फिरौती ले कर बदल गई नीयत अनिल प्रियंका के यहां पहुंचे तो उस के घर पर पहले से शूटर अंकित यादव उर्फ अनंत, उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव उर्फ मिट्ठू, मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर मौजूद थे.

अंकित को देख कर अनिल घबरा गए और वापस लौटने लगे तो चारों ने लपक कर उन्हें पकड़ लिया. अनिल ने बदमाशों के चंगुल से बचने के लिए खूब संघर्ष किया. कब्जे में लेने के लिए बदमाशों ने अनिल को लातघूंसों से खूब मारा और कपड़े वाली मोटी रस्सी से उन के हाथपैर बांध कर उन्हें कमरे में बंद कर दिया और उन का फोन भी अपने कब्जे में ले लिया ताकि वह किसी से बात न कर सकें. फिर उन्हीं के फोन से अंकित ने अनिल के घर वालों को फोन कर के अपहरण होने की जानकारी देते हुए फिरौती के 10 लाख रुपए की मांग की. उस के बाद मोबाइल फोन से सिम निकाल कर तोड़ कर फेंक दिया ताकि पुलिस उन तक पहुंच न पाए.

30 अप्रैल, 2021 को फिरौती की रकम मिलने के बाद बदमाशों की नीयत बदल गई. चारों ने प्रियंका के घर पर ही अनिल की गला दबा कर हत्या कर दी और पेचकस जैसे नुकीले हथियार से अंकित ने अनिल की दोनों आंखें फोड़ दीं. फिर उसी रात अनिल की लाश के. नगर थाने के डंगराहा के एक खेत में गड्ढा खोद कर दफना दी. जल्दबाजी में लाश दफन करते समय मृतक का एक हाथ बाहर निकला रह गया और वे कानून के शिकंजे में फंस गए. कथा लिखे जाने तक फरार चल रहा मुख्य आरोपी अंकित यादव उर्फ अनंत और उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव दोनों दरभंगा जिले से नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिए गए थे. दोनों आरोपियों ने लोजपा नेता अनिल उरांव के अपहरण और हत्या  करने का जुर्म स्वीकार लिया था.

जांचपड़ताल में प्रियंका के असम में करोड़ों रुपए संपत्ति का पता चला है, जो अपराध से कमाई गई थी. पुलिस ने संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. कथा लिखे जाने तक पुलिस पांचों आरोपियों प्रियंका उर्फ दुलारी, अंकित यादव, मिट्ठू कुमार यादव, मोहम्मद सादिक और चुनमुन झा के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही थी. पांचों आरोपी जेल की सलाखों के पीछे अपने किए की सजा भुगत रहे थे. Crime ki Kahani

—कथा मृतक के रिश्तेदारों और पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Hindi love Story in Short : एक नेता की प्रेम कहानी

Hindi love Story in Short : सोनिया भारद्वाज को अपने 2 पतियों से वह नहीं मिला, जिस की उसे आकांक्षा थी. तभी तो उस ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्वमंत्री उमंग सिंघार को तीसरा पति बनाने के लिए कदम बढ़ाए. लेकिन शादी के बंधन में बंधने से पहले ही जिस तरह सोनिया ने नेताजी के बंगले में सुसाइड किया, उस से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं.

‘अब मैं और सहन नहीं कर सकती. मैं ने अपनी तरफ से सब कुछ किया लेकिन उमंग का गुस्सा बहुत ज्यादा है. मुझे डर लगता है कि उमंग मुझे अपनी लाइफ में जगह नहीं देना चाहते… उन की किसी भी चीज को टच करो तो उन्हें बुरा लगता है. इस बार भी मैं खुद भोपाल आई, जबकि वह नहीं चाहते थे कि मैं आऊं. मैं कभी तुम्हारे जीवन का हिस्सा नहीं बन पाई. आर्यन सौरी, मैं तुम्हारी लाइफ के लिए कुछ नहीं कर पाई. मैं जो कुछ भी कर रही हूं अपनी मरजी से कर रही हूं, इस में किसी की कोई गलती नहीं है.

‘उमंग, आप के साथ मैं ने सोचा था कि लाइफ सेट हो जाएगी. आई लव यू. मैं ने बहुत कोशिश की एडजस्ट करने की, पर आप ने मुझे अपनी लाइफ में जगह नहीं दी. सौरी.’

यह लाइनें हैं उस पत्र की, जो सोनिया भारद्वाज ने एक पूर्वमंत्री के बंगले में आत्महत्या करने से पहले लिखा था. 37 वर्षीय सोनिया भारद्वाज की जिंदगी कई मायनों में आम औरतों से काफी अलग थी. बहुत कुछ होते हुए भी उस के पास कुछ नहीं था. वह निहायत खूबसूरत थी और उम्र उस पर हावी नहीं हो पाई थी. कोई भी उसे देख कर यह नहीं मान सकता था कि वह 19 साल के एक बेटे की मां भी है. औरत अगर खूबसूरत होने के साथसाथ विकट की महत्त्वाकांक्षी भी हो तो जिंदगी की बुलंदियां छूने से उसे कोई रोक नहीं सकता. लेकिन अगर वह अपनी शर्तों पर मंजिल और मुकाम हासिल करने की कोशिश करती है तो अकसर उस का अंजाम वही होता है जो सोनिया का हुआ.

बीती 16 मई की रात सोनिया ने आत्महत्या कर ली. भोपाल के पौश इलाके शाहपुरा के बी सेक्टर के बंगला नंबर 238 में फांसी के फंदे पर झूलने और सुसाइड नोट लिखने से पहले उस ने और क्याक्या सोचा होगा, यह तो कोई नहीं बता सकता. लेकिन अपने सुसाइड नोट में उस ने जो लिखा, उस से काफी हद तक यह समझ तो आता है कि वह अपने तीसरे प्रेमी और मंगेतर पूर्वमंत्री उमंग सिंघार की तरफ से भी नाउम्मीद हो चुकी थी. जिंदगी भर प्यार और सहारे के लिए भटकती सी रही हरियाणा के अंबाला के बलदेव नगर इलाके के सेठी एनक्लेव की रहने वाली सोनिया ने आखिरकार भोपाल आ कर एक पूर्व मंत्री उमंग सिंघार के बंगले पर ही खुदकुशी क्यों की, इस सवाल के जबाब में सामने आती है 2 अधेड़ों की अनूठी लव स्टोरी, जिसे शुरू हुए अभी बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.

हालांकि 2 साल एकदूसरे को समझने के लिए कम नहीं होते, पर लगता ऐसा है कि उमंग और सोनिया दोनों ही एकदूसरे को समझ नहीं पाए थे और अगर समझ गए थे तो काफी दूर चलने के बाद कदम वापस नहीं खींच पा रहे थे. सोनिया की पहली शादी कम उम्र में अंबाला के ही संजीव कुमार से हो गई थी. शादी के बाद कुछ दिन ठीकठाक गुजरे. इस दौरान उस ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम आर्यन रखा. 19 साल का हो चला आर्यन इन दिनों शिमला के एक इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा कर रहा है. आर्यन के जन्म के बाद संजीव और सोनिया में खटपट होने लगी, जिस का दोष सोनिया के सिर ही मढ़ा गया. जिस का नतीजा अलगाव की शक्ल में सामने आया.

कुछ समय तनहा गुजारने के बाद सोनिया ने एक बंगाली युवक से दूसरी शादी कर ली. लेकिन उस का दूसरा पति भी उसे जल्द छोड़ कर भाग खड़ा हुआ. फिर जरूर हुई सहारे की अब सोनिया के सामने सब से बड़ी चुनौती आर्यन की परवरिश की थी, जिस के लिए उस ने एक नामी कौस्मेटिक कंपनी में नौकरी कर ली . थोड़ा पैसा आया और जिंदगी पटरी पर आने लगी तो सोनिया को फिर एक सहारे की जरूरत महसूस हुई. यह सहारा उसे दिखा और मिला भी 47 वर्षीय उमंग सिंघार में, जिन से उस की जानपहचान एक मैट्रीमोनियल पोर्टल के जरिए हुई थी. उमंग सिंघार की गिनती मध्य प्रदेश के दबंग जमीनी और कद्दावर नेताओं में होती है. वह निमाड़ इलाके की गंधवानी सीट से तीसरी बार विधायक हैं और कमलनाथ मंत्रिमंडल में वन मंत्री भी रह चुके हैं.

उमंग की बुआ जमुना देवी अपने दौर की तेजतर्रार आदिवासी नेता थीं. उन की मौत के बाद उमंग को उन की जगह मिल गई. निमाड़ इलाके में जमुना देवी के बाद उमंग कांग्रेस के प्रमुख आदिवासी चेहरा हो गए, जिन के राहुल गांधी से अच्छे संबंध हैं. कहा यह भी जाता है कि वह उन गिनेचुने नेताओं में से एक हैं, जिन की पहुंच सीधे राहुल गांधी तक है. विरासत में मिली राजनीति को उमंग ने पूरी ईमानदारी और मेहनत से संभाला और पार्टी आलाकमान को कभी निराश नहीं किया. झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें वहां की जिम्मेदारी भी दी थी, जिस पर वह खरे उतरे थे. वहां उन्होंने आदिवासी इलाकों में ताबड़तोड़ दौरे किए थे, नतीजतन कांग्रेस और जेएएम का गठबंधन भाजपा से सत्ता छीनने में सफल हो गया था.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी एक अंतरंग इंटरव्यू के दौरान, जो रांची में उन के घर पर लिया गया था, इस प्रतिनिधि से उमंग की भूमिका की तारीफ की थी. उमंग सिंघार भी आदिवासियों को हिंदू नहीं मानते और आदिवासी इलाकों में हिंदूवादी संगठनों की गतिविधियों का अकसर विरोध करते रहते हैं. पिछले साल तो उन्होंने इन इलाकों में रामलीला किए जाने का भी विरोध किया था. राजनीतिक जीवन में सफल रहे उमंग की व्यक्तिगत जिंदगी बहुत ज्यादा सुखी और स्थाई नहीं रही. सोनिया की तरह उन की भी 2 शादियां पहले टूट चुकी हैं. पहली पत्नी से तो उन्हें 2 बच्चे भी हैं. यानी सोनिया से शादी हो पाती तो यह उन की भी तीसरी शादी होती.

बहरहाल, दोनों की जानपहचान जल्द ही मेलमुलाकातों में बदल गई और दोनों अकसर मिलने भी लगे. दिल्ली, अंबाला और भोपाल में इन दोनों ने काफी वक्त साथ गुजारा और दिलचस्प बात यह कि किसी को इस की भनक भी नहीं लगी. और जब लगी तो खासा बवंडर मच गया. आत्महत्या करने से पहले सोनिया ने अपने सुसाइड नोट में उमंग की तरफ इशारा करते हुए जो लिखा, वह ऊपर बताया जा चुका है. कोरोना की दूसरी लहर के कहर और लौकडाउन के चलते भोपाल भी सन्नाटे और दहशत में डूबा था. लोग अपने घरों में कैद थे. जैसे ही उमंग के बंगले पर एक युवती के आत्महत्या करने की खबर आम हुई तो इस की हलचल सियासी हलकों में भी हुई.

पुलिस की जांच में उजागर हुआ कि सोनिया भोपाल करीब 25 दिन पहले आई थी और तब से यहीं रह रही थी. एक तरह से दोनों लिवइन रिलेशनशिप में थे.  हादसे के 3 दिन पहले ही दोनों के बीच कहासुनी भी हुई थी. इस के तुरंत बाद उमंग अपने विधानसभा क्षेत्र गंधवानी चले गए थे. नौकर के बयान पर मामला दर्ज बंगले पर ड्यूटी बजा रहे उमंग के नौकर गणेश और उस की पत्नी गायत्री ने अपने बयान में इन दोनों के बीच होने बाली कलह की पुष्टि की. 17 मई, 2021 की सुबह जब गायत्री उमंग के औफिस, जो सोनिया के कमरे में तब्दील हो गया था, पहुंची तो वह अंदर से बंद था. सोनिया चूंकि पहले भी 2 बार इस बंगले में आ चुकी थी, इसलिए दोनों उस की वक्त पर उठने और कसरत करने की आदत से वाकिफ हो गए थे.

गायत्री ने यह बात गणेश को बताई और गणेश ने मोबाइल पर उमंग को बताई तो उमंग ने अपने नजदीकियों को बंगले पर देखने जाने को कहा. उमंग के परिचितों ने जैसेतैसे जब कमरा खोला तो वह यह देख कर सन्न रह गए कि सोनिया ग्रिल पर लटकी है और उस के गले में फांसी का फंदा कसा हुआ है. तुरंत ही इस की खबर उन्होंने उमंग और फिर पुलिस को दी. घबराए उमंग बिना देर किए भोपाल रवाना हो लिए. अब तक मध्य प्रदेश में अटकलों और अफवाहों का बाजार गरमा चुका था और पुलिस बंगले को घेर चुकी थी. शुरुआती जांच और पूछताछ के बाद सोनिया की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई और उस की मौत की खबर अंबाला में रह रही उस की मां कुंती, बेटे आर्यन और भांजे दीपांशु को भी दी गई .

दीपांशु ने पुलिस को बताया कि पिछली रात को ही सोनिया ने घर वालों से वीडियो काल के जरिए बात की थी, लेकिन तब वह खुश दिख रही थी. ये लोग भी भोपाल के लिए चल दिए. उमंग ने दिया सधा हुआ बयान अब हर किसी को उमंग की प्रतिक्रिया का इंतजार था, जिन्होंने भोपाल आ कर बेहद सधे ढंग से कहा कि सोनिया उन की अच्छी मित्र थी. उस के यूं आत्महत्या करने से मैं हैरान हूं. हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले थे. सोनिया के अंतिम संस्कार के वक्त वह उस की मां के गले से लिपट कर रोए तो बहुत कुछ स्पष्ट हो गया कि अब इस हाईप्रोफाइल मामले में कुछ खास नहीं बचा है सिवाय कानूनी खानापूर्ति करने के. क्योंकि सोनिया के परिजन उमंग को उस की आत्महत्या का जिम्मेदार नहीं मान रहे थे.

इधर फुरती दिखाते हुए पुलिस ने उमंग के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर लिया था, जिस का आधार सोनिया के सुसाइड नोट और नौकरों के बयानों को बनाया गया था. अब आर्यन का बयान अहम हो चला था उस ने कहा, ‘‘मेरी मां की पिछली रात ही नानी से बात हुई थी. बातचीत के दौरान उन्होंने खुशीखुशी बात की थी. अगर वह मानसिक तनाव में होतीं तो नानी को जरूर बतातीं और न भी बतातीं तो बातचीत से उन की तकलीफ उजागर जरूर होती. अगले महीने उमंग सिंघार मां से शादी करने बाले थे. हमें पिछले साल दिसंबर में इन के संबंधों के बारे में पता चला था. उमंग सिंघार पर हमें कोई शक नहीं है ऐसा कोई सबूत भी नहीं है.’’

आर्यन के बयान से मिला नेताजी को लाभ आर्यन का यह बयान उमंग की कई दुश्वारियां दूर करने वाला था, लिहाजा उन्होंने सरकार पर चढ़ाई करते कहा कि सरकार इस मामले पर राजनीति कर रही है. मैं पुलिस को अपना बयान दे चुका हूं. सोनिया से मेरी बात 15 मई को हुई थी, तब तक वह ठीक थी और उस ने खाना भी खाया था. मैं पुलिस को सहयोग कर रहा हूं. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह आला पुलिस अफसरों से भी मिले और दूसरे राजनैतिक हथकंडे भी इस्तेमाल किए. इसी दौरान सोनिया के भांजे दीपांशु ने यह भी उजागर किया कि उस की मौसी सोनिया डिप्रेशन की मरीज थीं और इस की गोलियां भी खा रहीं थीं.

दीपांशु की इस बात से उमंग का कानूनी पक्ष तो मजबूत हुआ, लेकिन वह पूरी तरह बेगुनाह हैं यह नहीं कहा जा सकता. मुमकिन है वह सोनिया से ऊब गए हों या फिर उस की उन्हीं बेजा हरकतों से आजिज आने लगे हों, जिन के चलते उस के दोनों पतियों ने उसे छोड़ दिया था. ऐसे में उन्हें अपनी प्रेमिका को सहारा देना चाहिए था, जो अगर चाहती तो उन्हें बदनाम भी कर सकती थी और सुसाइड नोट में सीधे भी उन्हें दोषी ठहरा सकती थी. लेकिन उस ने ऐसा कुछ किया नहीं. हालांकि सोनिया जैसी औरतें बहुत मूडी और जिद्दी होती हैं क्योंकि वे अपनी शर्तों पर जीने में यकीन करती हैं. लेकिन आत्महत्या कर लेने का उन का फैसला कतई समझदारी या बुद्धिमानी का नहीं माना जा सकता.

सफल और सुखी जिंदगी के लिए हर किसी को कई समझौते करने पड़ते हैं, यह बहुत ज्यादा हर्ज की बात भी नहीं. अगर सोनिया थोड़ा सब्र रखती तो मनचाही जिंदगी जी भी सकती थी. लेकिन डिप्रेशन उसे ले डूबा, जिस की सजा अगर कोई भुगतेगा तो वह उस का लाडला आर्यन होगा, जिसे कभी पिता का सुख मिला ही नहीं. Hindi love Story in Short

 

Delhi News : प्रेमिका की हत्या के आरोपी ने अस्पताल में की आत्महत्या

Delhi News : एक चौंकाने वाले मामले में 22 अप्रैल, 2025 को प्रेमिका की हत्या के आरोप में पकड़े गए एक सख्स ने अस्तपाल में फांसी लगाकर खुदखुशी कर ली. पुलिस जब अस्पताल में पहुंची तो वह  फंदे पर लटका हुआ था. पुलिस भी उसे देख कर दंग रह गई. सवाल उठता है आखिर इस शख्स ने खुदखुशी अस्पताल में ही क्यों की? पढ़ते हैं पूरी घटना विस्तार से-

यह घटना 13 जुलाई, 2025 को दिल्ली के तिहाड़ जेल की है, जहां रमेश करमाकर नामक एक मुलजिम ने जेल के अस्पताल की खिड़की पर लटक कर आत्महत्या कर ली. बताया गया कि 28 मई से रमेश करमाकर जेल नंबर 4 में बंद था.  उसे तिहाड़ की जेल नम्बर 3  में स्थित अस्पताल में इलाज के लिए लाया गया था. कर्मचारी जब 14 जुलाई को सुबह अस्पताल के कमरे में पहुंचे तो देखा कि कैदी फंदे पर लटका हुआ था. लटके हुए शव को देख पुलिस भी हैरान थी.

पुलिस ने तुंरत रमेश के शव को खिड़की से नीचे उतारा. घटना की जानकारी जब पुलिस प्रशासन को मिली तो पूरे जेल परिसर में हड़कंप मंच गया. पुलिस ने बताया कि मृतक का नाम रमेश  करमाकर था, जो होटल में साफ सफाई का काम किया करता था. उसे अपनी प्रेमिका की हत्या के आरोप में  तिहाड़ की 4 नम्बर की जेल लाया गया था.  जेल में रमेश को चक्कर आने की शिकायत होने लगी और उस के दाएं कान में दर्द होने लगा था. उस की सुनने की क्षमता कम होने के कारण उसे 28 मई, 2025 को तिहाड़ जेल के अस्पताल मे इलाज के लिए भरती कराया गया. जहां उस का इलाज चल रहा था, लेकिन 13 जलाई की सुबह पुलिस ने देखा कि रमेश ने सुसाइड कर लिया है.

पुलिस ने बताया कि रमेश को 22 अप्रैल को अपनी पार्टनर की हत्या के आरोप में अरेस्ट किया गया था. जांच में सामने आया रमेश की पार्टनर यानि उस की प्रेमिका उसे बारबार धमकी दे रही थी कि वह उन के रिश्ते की सच्चाई उस की पत्नी को बता देगी. इसी डर के कारण रमेश ने अपनी प्रेमिका की हत्या कर दी थी.

प्रशासन पर उठे सवाल

तिहाड़ जेल में सख्त सुरक्षा और सीसीटीवी कैमरे होने के बावजूद भी रमेश के सुसाइड ने पुलिस प्रशासन पर अब सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस अब हर पहलू पर जांच की कर रही है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं कर पा रही है कि रमेश को खुदखुशी क्यों  करनी पड़ी. पुलिस अधिकारी अब यह भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसी कौन सी वजह थी, जिस ने रमेश को आत्महत्या करने के लिए मजबूर  कर दिया था. पुलिस इस मामले की  गहराई से जांच कर रही है. Delhi News

UP Crime News : 6 साल की बेटी के पेट पर मां हो गई खड़ी और प्रेमी ने दबाया मुंह

UP Crime News : एक ऐसी शर्मनाक घटना सामने आई है, जिस ने लोगों का दिल दहला कर रख दिया है. जहां एक मां ने अपनी 7 साल की बेटी की हत्या कर दी. फिर शव को बेड के नीचे छिपा कर वह प्रेमी के साथ सो गई. जब बदबू फैली तो परफ्यूम छिड़क दिया. आखिर क्यों किया मां ने अपनी ही बेटी का कत्ल? क्या राज है इस खौफनाक मर्डर मिस्ट्री के पीछे का? चलिए जानते हैं मां का क्रूर चेहरा सामने लाने वाली  इस घटना को विस्तार से-

यह घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है, जहां रोशनी नाम की एक युवती ने 14-15 जुलाई, 2025 की रात करीब 3 बजे अपनी 7 साल की बेटी सायनारा की हत्या अपने प्रेमी उदित जायसवाल के साथ मिल कर की. वह प्रेमी के प्यार में इतनी अंधी हो चुकी थी कि बेटी सायनारा उर्फ सोना के पेट पर खड़ी हो गई और फिर उस के इशारे पर उदित जायसवाल ने बच्ची का मुंह दबा दिया. थोड़ी ही देर में सायनारा ने छटपटाकर दम तोड़ दिया.

इस के बाद दोनों ने बेटी का शव बेड के बौक्स में छिपा दिया. बेटी को ठिकाने लगाने के बाद रोशनी इतनी खुश हुई कि उस ने प्रेमी के साथ शराब पी फिर दोनों साथ सो गए. बाद में जब इन दोनों को लगा कि बच्ची के शव से दुर्गंध  आनी शुरू हो गई है तो इन्होंने शव को एसी के सामने रख कर उस पर काफी परफ्यूम छिड़क दिया. इस के बाद रोशनी ने प्रेमी के साथ मिल कर इस मामले में अपने पति शाहरुख को फंसाने का प्लान बनाया.  प्लान के अनुसार रोशनी ने पुलिस को सूचित कर दिया कि पति ने बेटी को मार डाला.

रोशनी एक डांसर थी. उस की शादी करीब 10 साल पहले लखनऊ के कैसरबाग क्षेत्र के खंदारी बाजार निवासी शाहरूख से हुई थी. इन के एक बेटी पैदा हुई, जिस का नाम सायनारा उर्फ सोना रखा गया. करीब 4 साल से  उदित जायसवाल नाम के एक युवक के साथ रोशनी के अवैध सम्बंध चले रहे हैं. उदित के साथ रहने की चाह में रोशनी ने अपने जेठ, सास और 2 ननदो पर झूठा आरोप लगाकर जेल  भिजवा दिया था. इन सभी को झूठे मामले में जेल भिजवाने के बाद रोशनी को किसी का कोई डर नही रह गया था.

इस के बाद वह प्रेमी उदित जायसवाल के साथ ससुराल में ही लिवइन रिलेशन में रहने लगी. अब वह पति को भी जेल भिजवाना चाहती थी, इसीलिए उस ने योजना बनाकर 7 वर्षीय बेटी का मर्डर किया था. जब रोशनी ने पुलिस को सूचित कर बताया कि पति उस के साथ झगड़ा कर ने के बाद बेटी सायनारा का कत्ल कर फरार हो गया है, तब पुलिस ने सब से पहले सायनारा के शव की जांच की तो मामला कुछ और ही निकला.

शव से तेज बदबू आ रही थी और कीड़े भी पड़ चुके थे. जिस से साफ हुआ कि बेटी की हत्या उस दिन नही बल्कि एक से 2-3 दिन पहले की गई होगी. तभी डेडबौडी डेमेज हो रही है. पुलिस को बेटी की मां रोशनी और उस के प्रेमी उदित जायसवाल  पर शक हुआ. दोनों को  हिरासत में लेने के बाद पुलिस ने उन से सख्ती से पूछताछ की तो उदित जायसवाल ने जुर्म कुबूल कर किया और बताया कि बेटी सायनारा ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. इसी कारण डर था कि वह अपने पापा को दोनों की सच्चाई न बता दे, इसलिए उस की हत्या की साजिश रची.

पूछताछ में पता चला कि सायनारा का गला घोंटते समय उदित ने बच्ची का मुंह दबाए रखा ताकि वह चीख न सके और रोशनी उस के पेट पर खड़ी हो गई, जिस से  बच्ची के मुंह से  खून तक निकल आया था. पुलिस ने दोनों को अरेस्ट कर लिया है और मामले की जांच पड़ताल जारी है. UP Crime News

Crime News : पिता ने प्रेमी संग बेटी को रंगेहाथों पकड़ा और कुल्हाड़ी से काट डाला

Crime News : सपना पड़ोस में रहने वाले शालू को न सिर्फ प्यार करती थी, बल्कि वह शादी भी करना चाहती थी. लेकिन इसे अपनी नाक का सवाल मान कर सपना के पिता शिवआसरे ने ऐसा नहीं होने दिया. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि सपना का प्यार बस अधूरा सपना बन कर रह गया. कानपुर जिले के घाटमपुर थाना अंतर्गत एक गांव है बिहारिनपुर. इसी गांव में शिवआसरे परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी मीना के अलावा 2 बेटियां सपना, रत्ना तथा 2 बेटे कमल व विमल थे. शिवआसरे ट्रक ड्राइवर था. उस के 2 अन्य भाई रामआसरे व दीपक थे, जो अलग रहते थे और खेतीबाड़ी से घर खर्च चलाते थे.

शिवआसरे की बेटी सपना भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह जैसेजैसे सयानी होने लगी, उस के रूपलावण्य में निखार आता गया. 16 साल की होतेहोते सपना की सुंदरता में चारचांद लग गए. मतवाली चाल से जब वह चलती, तो लोगों की आंखें बरबस उस की ओर निहारने को मजबूर हो जाती थीं. सपना जितनी सुंदर थी, उतनी ही पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने पतारा स्थित सुखदेव इंटर कालेज में 9वीं कक्षा में एडमिशन ले लिया था. जबकि उस की मां मीना उसे मिडिल कक्षा से आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी, लेकिन सपना की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. सपना के घर से कुछ दूरी पर शालू रहता था. शालू के पिता बैजनाथ किसान थे. उन के 3 बच्चों में शालू सब से बड़ा था.

17 वर्षीय शालू हाईस्कूल की परीक्षा पास कर चुका था और इंटरमीडिएट की पढ़ाई घाटमपुर के राजकीय इंटर कालेज से कर रहा था. शालू के पिता बैजनाथ और सपना के पिता शिवआसरे एक ही बिरादरी के थे, सो उन में गहरी दोस्ती थी. दोनों एकदूसरे का दुखदर्द समझते थे. किसी एक को तकलीफ हो तो दूसरे को दर्द खुद होने लगता. बैजनाथ और शिवआसरे बीते एक दशक से गांव में बटाई पर खेत ले कर खेती करते थे. हालांकि शिवआसरे ट्रक चालक था और खेतीबाड़ी में कम समय देता था. इस के बावजूद दोनों की पार्टनरशिप चलती रही. दोनों परिवारों में घरेलू संबंध भी थे. लिहाजा उन के बच्चों का भी एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था.

शालू सपना को चाहता था. सपना भी उस की आंखों की भाषा समझती थी. सपना के लिए शालू की आंखों में प्यार का सागर हिलोरें मारता था. सपना भी उस की दीवानी होने लगी. धीरेधीरे उस के मन में भी शालू के प्रति आकर्षण पैदा हो गया. सपना शालू के मन को भाई तो वह उस का दीवाना बन गया. सपना के स्कूल जाने के समय वह बाहर खड़ा उस का इंतजार करता रहता. सपना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहत भरी नजरों से तब तक देखता रहता, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो जाती. अब वह सपना के लिए तड़पने लगा था. हर पल उस के मन में सपना ही समाई रहती थी. न उस का मन काम में लगता था, न ही पढ़ाई में.

शालू का शिवआसरे के घर जबतब आनाजाना लगा ही रहता था. घर आनाजाना काम से ही होता था. लेकिन जब से सपना शालू के मन में बसी, शालू अकसर उस के घर ज्यादा जाने लगा. इस के लिए उस के पास बहाने भी अनेक थे. शिवआसरे के घर पहुंच कर वह बातें भले ही दूसरे से करता, लेकिन उस की नजरें सपना पर ही जमी रहती थीं. शालू की अपने प्रति चाहत देख कर उस का मन भी विचलित हो उठा. अब वह भी शालू के आने का इंतजार करने लगी. दोनों ही अब एकदूसरे का सामीप्य पाने को बेचैन रहने लगे थे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. शालू की चाहत भरी नजरें सपना के सुंदर मुखड़े पर पड़तीं तो सपना मुसकराए बिना न रह पाती.

वह भी उसे तिरछी निगाहों से घूरते हुए उस के आगेपीछे चक्कर लगाती रहती. अब शालू अपने दिल की बात सपना से कहने के लिए बेचैन रहने लगा. शालू अब ऐसे अवसर की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सपना से कह सके. कोशिश करने पर चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन शालू को मौका मिल ही गया. उस दिन सपना के भाईबहन मां मीणा के साथ ननिहाल चले गए थे और शिवआसरे ट्रक ले कर बाहर गया था. सपना को घर में अकेला पा कर शालू बोला, ‘‘सपना, यदि तुम बुरा न मानो तो मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

सपना जानती थी कि शालू उस से क्या कहेगा. इसलिए उस का दिल जोरजोर धड़कने लगा. घबराई सी वह शालू की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगी. शालू ने हकलाते हुए कहा, ‘‘सपना वो क्या है कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ…’’

‘‘मेरे बारे में…’’ चौंकने का नाटक करते हुए सपना बोली, ‘‘जो भी कहना है, जल्दी कहिए.’’ शायद वह भी शालू से प्यार के शब्द सुनने के लिए बेकरार थी.

‘‘कहीं तुम मेरी बात सुन कर नाराज न हो जाओ…’’ शालू ने थोड़ा झेंपते हुए कहा.

‘‘अरे नहीं…’’ मुसकराते हुए सपना बोली, ‘‘नाराज क्यों हो जाऊंगी. तुम मुझे गालियां तो दोगे नहीं. जो भी कहना है, तुम दिल खोल कर कहो, मैं तुम्हारी बातों का बुरा नहीं मानूंगी.’’

सपना जानबूझ कर अंजान बनी थी. जब शालू को सपना की ओर से कुछ भी कहने की छूट मिल गई तो उस ने कहा, ‘‘सपना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मुझे तुम्हारे अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता. हर पल तुम्हारी ही सूरत मेरी नजरों के सामने घूमती रहती है.’’

शालू की बातें सुन कर सपना मन ही मन खुश हुई, फिर बोली, ‘‘शालू, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, लेकिन मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘कैसा डर सपना?’’ शालू ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘यही कि हमारेतुम्हारे प्यार को घर वाले स्वीकार करेगें क्या?’’

‘‘हम एक ही जाति के हैं. दोनों परिवारों के बीच संबंध भी अच्छे हैं. हम दोनों अपनेअपने घर वालों को मनाएंगे तो वे जरूर मान जाएंगे.’’

उस दिन दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ, तो मानो उन की दुनिया ही बदल गई. फिर वे अकसर ही मिलने लगे. सपना और शालू के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूजे के बिना सब कुछ सूना लगने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में एक साथ बैठते और अपने ख्वाबों की दुनिया में खो जाते. प्यार में वे इस कदर खो गए कि उन्होंने जीवन भर एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें भी खा लीं. एक बार मन से मन मिला तो फिर दोनों के तन मिलने में भी देर नहीं लगी. सपना और शालू ने लाख कोशिश की कि उन के संबंधों की जानकारी किसी को न हो. लेकिन प्यार की महक को भला कोई रोक सका है. एक दिन पतारा बाजार से लौटते समय गांव में ही रहने वाले उन्हीं की जाति के युवक मोहन ने उन दोनों को रास्ते में हंसीठिठोली करते देख लिया.

घर आते ही उस ने सारी बात शिवआसरे को बता दी. कुछ देर बाद जब सपना घर लौटी तो शिवआसरे ने सपना को डांटाफटकारा और पिटाई करते हुए हिदायत दी कि भविष्य में वह शालू से न मिले. सपना की मां मीना ने भी इज्जत का हवाला दे कर बेटी को खूब समझाया. सपना पर लगाम कसने के लिए मां ने उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया. साथ ही उस पर कड़ी निगरानी रखने लगी. मीना ने शालू के घर जा कर उस के मांबाप से शिकायत की कि वह अपने बेटे को समझाएं कि वह उस की इज्जत से खिलवाड़ न करे. लेकिन कहावत है कि लाख पहरे बिठाने के बाद भी प्यार कभी कैद नहीं होता. सपना के साथ भी ऐसा ही हुआ. मां की निगरानी के बावजूद सपना और शालू का मिलन बंद नहीं हुआ. किसी न किसी बहाने वह शालू से मिलने का मौका ढूंढ ही लेती थी.

कभी दोनों नहीं मिल पाते तो वे मोबाइल फोन पर बतिया लेते और दिल की लगी बुझा लेते. सपना को मोबाइल फोन शालू ने ही खरीद कर दिया था. इस तरह बंदिशों के बावजूद उन का प्यार बढ़ता ही जा रहा था. दबी जुबान से पूरे गांव में उन के प्यार के चर्चे होने लगे थे. एक शाम सहेली के घर जाने का बहाना बना कर सपना घर से निकली और शालू से मिलने गांव के बाहर बगीचे में पहुंच गई. इस की जानकारी मीना को हुई तो सपना के घर लौटने पर मां का गुस्सा फट पड़ा, ‘‘बदजात, कुलच्छिनी, मेरे मना करने के बावजूद तू शालू से मिलने क्यों गई थी. क्या मेरी इज्जत का कतई खयाल नहीं?’’

‘‘मां, मैं शालू से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है.’’

‘‘आने दे तेरे बाप को. प्यार का भूत न उतरवाया तो मेरा नाम मीना नहीं.’’ मीना गुस्से से बोली.

‘‘आखिर शालू में बुराई क्या है मां? अपनी बिरादरी का है. पढ़ालिखा स्मार्ट भी है.’’ सपना ने मां को समझाया.

‘‘बुराई यह है कि शालू तुम्हारे चाचा का लड़का है. जातिबिरादरी के नाते तुम दोनों का रिश्ता चचेरे भाईबहन का है. अत: उस से नाता जोड़ना संभव नहीं है.’’ मां ने समझाया.

मांबेटी में नोकझोंक हो ही रही थी कि शिवआसरे घर आ गया. उस ने पत्नी का तमतमाया चेहरा देखा तो पूछा, ‘‘मीना, क्या बात है, तुम गुस्से से लाल क्यों हो?’’

‘‘तुम्हारी लाडली बेटी सपना के कारण. लगता है कि यह बिरादरी में हमारी नाक कटवा कर ही रहेगी. मना करने के बावजूद भी यह कुछ देर पहले शालू से मिल कर आई है और उस की तरफदारी कर जुबान लड़ा रही है.’’ मीना ने कहा.

पत्नी की बात सुन कर शिवआसरे का गुस्सा बेकाबू हो गया. उस ने सपना की जम कर पिटाई की और कमरा बंद कर दिया. गुस्से में उस ने खाना भी नहीं खाया और चारपाई पर जा कर लेट गया. रात भर वह यही सोचता रहा कि इज्जत को कैसे बचाया जाए. सुबह होते ही शिवआसरे शालू के पिता बैजनाथ के घर जा पहुंचा, ‘‘तुम शालू को समझाओ कि वह सपना से दूर रहे. अन्यथा अंजाम अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत के लिए वह किसी हद तक जा सकता है.’’

इस घटना के बाद दोनों परिवारों के बीच दरार पड़ गई. शिवआसरे और बैजनाथ के बीच साझेदारी भी टूट गई. इधर चौकसी बढ़ने पर शालू और सपना का मिलनाजुलना लगभग बंद हो गया था. जिस से दोनों परेशान रहने लगे थे. अब दोनों की बात चोरीछिपे मोबाइल फोन पर ही हो पाती थी. 14 मई, 2021 को शिवआसरे के साले मनोज की शादी थी. शिवआसरे ने घर की देखभाल की जिम्मेदारी भाई दीपक को सौंपी और सुबह ही पत्नी मीना व 2 बच्चों के साथ बांदा के बरुआ गांव चला गया. घर में रह गई सपना और सब से छोटा बेटा विमल. दिन भर सपना घर के काम में व्यस्त रही फिर शाम होते ही उसे प्रेमी शालू की याद सताने लगी. लेकिन चाचा दीपक की निगरानी से वह सहमी हुई थी.

रात 12 बजे जब पूरा गांव सो गया, तो सपना ने सोचा कि उस का चाचा भी सो गया होगा. अत: उस ने शालू से मोबाइल फोन पर बात की और मिलने के लिए उसे घर बुलाया. शालू चोरीछिपे सपना के घर आ गया. लेकिन उसे घर में घुसते हुए दीपक ने देख लिया. वह समझ गया कि वह सपना से मिलने आया है. उस ने तब दरवाजा बाहर से बंद कर ताला लगा दिया और बड़े भाई शिवआसरे को फोन कर के सूचना दे दी. शिवआसरे को जब यह सूचना मिली तो वह साले की शादी बीच में ही छोड़ कर अकेले ही बरुआ गांव से चल दिया. 15 मई की सुबह 7 बजे वह अपने घर पहुंच गया. तब तक शालू के मातापिता सीमा और बैजनाथ को भी पता चल चुका था कि उन के बेटे शालू को बंधक बना लिया गया है.

वे लोग शिवआसरे के घर पहले से मौजूद थे. शिवआसरे घर के अंदर जाने लगा तो बैजनाथ ने पीछे से आवाज लगाई. इस पर शिवआसरे ने कहा कि वह बस बात कर मामला हल कर देगा और घर के अंदर चला गया. पीछे से बैजनाथ और सीमा भी घर के अंदर दाखिल हुए. लेकिन वे अपने बेटे शालू तक पहुंच पाते, उस के पहले ही शिवआसरे शालू और सपना को ले कर एक कमरे में चला गया और उस में लगा लोहे का गेट बंद कर लिया. शालू के पिता बैजनाथ व मां सीमा खिड़की पर खड़े हो गए, जहां से वे अंदर देख सकते थे. बैजनाथ ने एक बार फिर शिवआसरे से मामला सुलझाने की बात कही. इस पर उस का जवाब यही था कि बस 10 मिनट बात कर के मामला सुलझा देगा.

इधर पिता का रौद्र रूप देख कर सपना कांप उठी. शिवआसरे ने दोनों से सवालजवाब किए तो सपना पिता से उलझ गई. इस पर उसे गुस्सा आ गया. शिवआसरे ने डंडे से सपना को पीटा. उस ने शालू की भी डंडे से पिटाई की. लेकिन पिटने के बाद भी सपना का प्यार कम नहीं हुआ. वह बोली, ‘‘पिताजी, मारपीट कर मेरी जान भले ही ले लो, पर मेरा प्यार कम न होगा. आखिरी सांस तक मेरी जुबान पर शालू का नाम ही होगा.’’ बेटी की ढिठाई पर शिवआसरे आपा खो बैठा. उस ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी उठाई और सपना के सिर व गरदन पर कई वार किए. जिस से उस की गरदन कट गई और मौत हो गई. इस के बाद उस ने कुल्हाड़ी से वार कर शालू को भी वहीं मौत के घाट उतार दिया.

यह खौफनाक मंजर देख कर शालू की मां सीमा की चीख निकल गई. सीमा और बैजनाथ जोरजोर से चिल्लाने लगे. सीमा ने मदद के लिए कई घरों के दरवाजे खटखटाए लेकिन कोई मदद को नहीं आया. प्रधान पति राजेश कुमार को गांव में डबल मर्डर की जानकारी हुई तो उन्होंने थाना घाटमपुर पुलिस तथा बड़े पुलिस अधिकारियों को फोन द्वारा सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी धनेश प्रसाद, एसपी (आउटर) अष्टभुजा प्रताप सिंह, एएसपी आदित्य कुमार शुक्ला तथा डीएसपी पवन गौतम पहुंच गए. शिवआसरे 2 लाशों के बीच कमरे में बैठा था. थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने उसे हिरासत में ले लिया. आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी कमरे में पड़ी थी. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया. जबकि शिवआसरे के अन्य भाई दीपक व रामआसरे पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने शिवआसरे से पूछताछ की तो उस ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया और कहा कि उसे दोनों को मारने का कोई गम नहीं है. पुलिस अधिकारियों ने गांव वालों तथा मृतक शालू के पिता बैजनाथ से पूछताछ की. बैजनाथ ने बताया कि वह और उस की पत्नी सीमा बराबर शिवआसरे से हाथ जोड़ कर कह रहे थे कि बेटे को बख्श दे. लेकिन वह नहीं माना और आंखों के सामने बेटे पर कुल्हाड़ी से वार कर उस की जान ले ली. पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक शालू व सपना के शवों को पोस्टमार्टम हेतु हैलट अस्पताल, कानपुर भिजवा दिया.

चूंकि शिवआसरे ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई थी, अत: थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने बैजनाथ की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत शिवआसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे गिरफ्तार कर लिया. 16 मई, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त शिवआसरे को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Chhattisgarh News : पिकनिक पर ले जाकर पति ने पत्नी को बाल पकड़ कर पीटा फिर गला घोंटा

Chhattisgarh News : जय कुमार सिदार ने अपने घर वालों को बताए बिना सरस्वती मरांडी से प्रेम विवाह कर तो लिया, लेकिन सामाजिक रूढि़यों की वजह से उस के घर वाले उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए. इस से बचने के लिए जय कुमार ने जो किया वह…

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला आदिवासी बाहुल्य है. यहां का लैलूंगा शहर जिला मुख्यालय से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. लैलूंगा घोर जनजातीय आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है. धीरेधीरे यहां का मिश्रित माहौल अपने आप में एक आकर्षण का माहौल पैदा करने लगा है, क्योंकि यहां पर अब भले ही बहुतेरे मारवाड़ी, ब्राह्मण, कायस्थ समाज के लोग आ कर रचबस रहे हैं, लेकिन आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की महक यहां आज भी स्वाभाविक रूप से महसूस की जा सकती है. लैलूंगा थाना अंतर्गत एक छोटे से गांव कमरगा में शदाराम सिदार एक सामान्य काश्तकार हैं. वह 2 बेटे और एक बेटी वाले छोटे से परिवार का बमुश्किल पालनपोषण कर रहे  थे.

शदाराम का बड़ा बेटा जय कुमार सिदार प्राइमरी तक पढ़ने के बाद पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटा रहा था. गरीबी और परिवार की दयनीय हालत देख कर के एक दिन 21 वर्ष की उम्र में वह अपने एक दोस्त रमेश के साथ छत्तीसगढ़ से सटे झारखंड राज्य के बोकारो शहर में रोजगार  के लिए चला गया. जल्द ही जय कुमार को स्थानीय राजू टिंबर ट्यूनिंग प्लांट में क्लीनर मशीन चलाने का काम मिल गया और जय का मित्र रमेश भी वहीं काम करने लगा. फिर उन्होंने बोकारो के एक मोहल्ले में कमरा किराए पर ले लिया. समय अपनी गति से बीत रहा था कि एक दिन जय और रमेश सुबह घर से अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे कि जय को साइकिल के साथ खड़ी एक परेशान सी लड़की दिख गई.

जय कुमार और रमेश थोड़ा आगे बढ़े तो जय ने रुक कर कहा, ‘‘यार, लगता है इस लड़की को कुछ मदद की जरूरत है.’’

दोनों  मुड़ कर वापस आए. तब युवती की ओर मुखातिब हो कर जय  ने कहा, ‘‘क्या बात है, आप क्यों परेशान खड़ी हो?’’

युवती थोड़ा सकुचाई  फिर बोली, ‘‘देखो न, साइकिल में पता नहीं क्या हो गया है, आगे ही नहीं बढ़ रही.’’

जय ने कहा, ‘‘लगता है साइकिल की चैन फंस गई है, किसी मिस्त्री को दिखानी होगी.’’

और नीचे बैठ कर वह साइकिल को ठीक करने की असफल कोशिश करने लगा. मगर चैन बुरी तरह फंस गई थी. थोड़ी देर तक प्रयास करने के बाद जय ने रमेश की ओर देखते हुए कहा, ‘‘चलो, इस की थोड़ी मदद कर देते हैं.’’

इस पर रमेश ने कहा, ‘‘यार, देर हो जाएगी, काम पर न पहुंचे तो प्रसादजी नाराज हो जाते हैं, तुम को तो पता ही है कि काम पर समय पर पहुंचना बहुत जरूरी है.’’

इस पर सहज रूप से जय सिदार ने कहा, ‘‘बात तो सही है, ऐसा करते हैं, तुम काम पर चले जाओ और उन से बता देना कि आज मैं छुट्टी पर रहूंगा… मैं इन की साइकिल ठीक करा देता हूं.’’

जय को रमेश आश्चर्य से देखता हुआ ड्यूटी पर चला गया. इधर जय ने युवती की मदद के लिए साइकिल अपने कंधे पर उठा ली और धीरेधीरे साइकिल मिस्त्री के पास पहुंचा. थोड़ी ही देर में मिस्त्री ने साइकिल ठीक कर दी. युवती जय के व्यवहार और हमदर्दी को देख कर बहुत प्रभावित हुई. फिर दोनों ने बातचीत में एकदूसरे का नाम और परिचय पूछा. युवती ने अपना नाम सरस्वती मरांडी बताया. जब जय वहां से जाने लगा तो सरस्वती ने उसे अचानक रोक कर कहा, ‘‘आप ने मेरे कारण आज अपना बहुत नुकसान कर लिया है बुरा न मानें तो क्या आप मेरे साथ एक कप चाय पी सकते हैं?’’

जय सिदार 19 वर्षीय सरस्वती की बातें सुन कर हंसता हुआ राजी हो गया. अब वह उसे अच्छी लगने लगी थी. मंत्रमुग्ध सा जय उस के साथ एक रेस्टोरेंट में चला गया. बातोंबातों में सरस्वती ने उसे बताया कि वह अपने गांव ढांगी करतस, जिला धनबाद की रहने वाली है और यहां स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा केंद्र में शिक्षिका है. इस बीच जय ने सरस्वती का मोबाइल नंबर ले लिया और अपने बारे में सब कुछ बताता चला गया. अब अकसर जय सिदार सरस्वती से बातें करता. सरस्वती भी उसे पसंद करती और दोनों के बीच प्रेम की बेलें फूट पड़ीं. जल्द ही एक दिन जय कुमार ने सरस्वती से झिझकते हुए कहा, ‘‘सरस्वती, मैं तुम्हें चाहने लगा हूं. तुम प्लीज मना मत करना, नहीं तो मैं मर ही जाऊंगा.’’

इस पर सरस्वती मुसकराते हुए बोली, ‘‘अच्छा, बताओ तो इस का तुम्हारे पास क्या सबूत है.’’

‘‘सरस्वती, तुम्हारे लिए मैं सब कुछ करने को तैयार हूं. बताओ, मुझे क्या करना है.’’ जय सिदार ने हिचकते हुए कहा.

‘‘मैं तो मजाक कर रही थी, मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत पसंद करते हो.’’ सरस्वती बोली.

यह सुन कर जय की हिम्मत बढ़ गई. वह बोला, ‘‘…और मैं.’’

सरस्वती ने धीरे से  कहा, ‘‘लगता है तुम तो प्यार के खेल में अनाड़ी हो. अरे बुद्धू, अगर कोई लड़की मुसकराए, बात करे, इस का मतलब तुम नहीं समझते…’’

यह सुन कर जय खुशी से उछल पड़ा. इस के बाद उन का प्यार परवान चढ़ता गया. फिर एक दिन सरस्वती और जय ने एक मंदिर में विवाह कर लिया. सन 2017 से ले कर मार्च, 2020 अर्थात कोरोना काल से पहले तक दोनों ही प्रेमपूर्वक झारखंड में एक छत के नीचे रह रहे थे. इस बीच दोनों ने मंदिर में विवाह कर लिया और पतिपत्नी के रूप में आनंदपूर्वक रहने लगे. मार्च 2020 में जब कोविड 19 का संक्रमण फैलने लगा तो जय का काम छूट गया. घर में खाली बैठेबैठे जय को अपने गांव और मातापिता की याद आने लगी. एक दिन जय ने सरस्वती से कहा,

‘‘चलो, हम गांव चलते हैं, वहां इस समय रहना ठीक रहेगा, पता नहीं ये हालात कब तक सुधरेंगे. और जहां तक रोजीरोटी का सवाल है तो हम गांव में ही कमा लेंगे. फिर आज सवाल तो जान बचाने का है.’’

सरस्वती को बात पसंद आ गई. उस समय गांव जाने के लिए कोई साधन नहीं था. तब जय कुमार पत्नी सरस्वती को अपनी साइकिल पर बैठा कर जिला रायगढ़ के गांव कामरगा में स्थित अपने घर की ओर चल दिया. लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय कर के जय कुमार अपने घर पहुंच गया. घर में पिता शदाराम और परिजनों ने जब जय को देखा, सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. साथ में सरस्वती को देखा तो पिता शदाराम ने पूछा, ‘‘यह कौन है?’’

जय ने सकुचाते हुए सरस्वती का परिचय पत्नी के रूप में परिजनों को करा दिया. उस समय किसी ने भी कुछ नहीं कहा. लौकडाउन का यह समय सभी को चिंतित किए हुए था. मगर स्थितियां सुधरने लगीं तो जय कुमार से सवालजवाब होने लगा. एक दिन पिता शदाराम ने कहा, ‘‘बेटा जय, गांव के लोग पूछ रहे हैं कि तुम्हारी बहू कहां की है किस जाति की है? जब मैं ने बताया तो समाज के लोगों ने नाराजगी प्रकट की है. इस से शादी कर के तुम ने बहुत बड़ी भूल की है बेटा.’’

‘‘पिताजी, अब मैं क्या करूं, जो होना था, वह तो हो चुका है.’’ यह सुन कर जय बोला.

‘‘बेटा, हम को भी समाज में रहना है, यहीं जीना है. यह हाल रहेगा तो हम, हमारा परिवार भारी मुसीबत में पड़ जाएगा. कोई हम से रोटीबेटी का रिश्ता तक नहीं रखेगा. ऐसे में हो सके तो तुम लोग कहीं और जा कर के जीवन बसर करो, ताकि समाज के लोग अंगुली न उठा सकें.’’

जय ने कहा, ‘‘पिताजी, अब क्या हो सकता है, मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा.’’

एक दिन एक निकट के परिजन ने जय से कहा, ‘‘अब देख लो, सोचसमझ के कुछ निर्णय लो. वैसे, पास के गांव के हमारे परिचित रामसाय ने अपनी बेटी के साथ तुम्हारे विवाह का प्रस्ताव भेजा था. वह पैसे वाले लोग भी हैं और हमारे समाज के भी हैं. ऐसा करो, सरस्वती को तुम छोड़ दो. फिर हम बात आगे बढ़ाते हैं.’’

यह सुन कर जय का मन भी बदल गया. क्योंकि सुमन को वह बचपन में पसंद करता था. वह सोचने लगा कि काश! वह सरस्वती के चक्कर में नहीं पड़ता तो आज सुमन उस की होती. इसी दरमियान जय गांव में ही तेजराम के यहां ट्रैक्टर चलाने लगा था. नौसिखिए जय सिदार से एक दिन अचानक दुर्घटना हो गई तो तेजराम ने उस की पिटाई कर दी और उस से नुकसान की भरपाई मांगने लगा. परिस्थितियों को देख कर जय पत्नी सरस्वती को ले कर पास के दूसरे गांव सरकेदा में अपने जीजा रवि के यहां गुजरबसर करने आ गया. जय का रवि के साथ अच्छा याराना था. बातोंबातों में एक दिन रवि ने कहा, ‘‘भैया, यह तुम्हारे गले कैसे पड़ गई, इस से कितनी सुंदर लड़कियां हमारे समाज में हैं.’’

यह सुन कर के जय मानो फट पड़ा. बोला, ‘‘भाटो (जीजा), बस यह भूल मुझ से हो गई है, अब मैं क्या करूं, मुझे तो लगता है कि सरस्वती से शादी कर के मैं फंस गया हूं.’’

रवि ने जय कुमार को बताया कि परिवार में चर्चा हुई थी कि सुमन के पिता तुम्हारे लिए 2-3 बार आ चुके हैं. अब क्या हो.’’

‘‘क्या करूं, क्या इसे बोकारो छोड़ आऊं?’’ विवशता जताता जय कुमार बोला.

‘‘…और अगर कहीं फिर वापस आ गई तो..?’’  रवि कुमार ने चिंता जताई.

जय कुमार असहाय भाव से जीजा रवि की ओर देखने लगा.

रवि मुसकराते हुए बोला, ‘‘एक रास्ता है…’’

और दोनों ने बातचीत कर के एक ऐसी योजना बनाई, जिस ने आगे चल कर दोनों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. वह 7 जनवरी, 2021 का दिन था. एक दिन पहले ही जय और रवि ने सरस्वती से बात कर के पिकनिक के लिए झरन डैम चलने की योजना बना ली थी. एक बाइक पर तीनों सुबहसुबह पिकनिक के लिए निकल गए. लैलूंगा शहर घूमने, खरीदारी के बाद 7 किलोमीटर आगे खम्हार जंगल के पास झरन डैम में पहुंच कर तीनों ने खूब मस्ती की. मोबाइल से फोटो खींचे और खायापीया. इस बीच सरस्वती ने एक दफा सहजता से कहा, ‘‘कितना अच्छा होता, आज सारे परिवार वाले भी हमारे साथ होते तो पिकनिक यादगार हो जाती.’’

इस पर रवि ने बात बनाते हुए कहा, ‘‘भाभी, आएंगे आगे सब को ले कर के आएंगे. आज तो हम लोगों ने सोचा कि चलो देखें, यहां का कैसा माहौल है अगली बार  सब को ले कर के पिकनिक मनाएंगे.’’

आज जय सिदार कुछ उखड़ाउखड़ा भी दिखाई दे रहा था. इस पर सरस्वती ने कहा था, ‘‘पिकनिक मनाने आए हो या फिर किसी और काम से…’’

यह सुन कर अचकचाए जय कुमार ने मुसकरा कर कहा, ‘‘ऐसीवैसी कोई बात होती तो मैं भला क्यों आता. तुम गलत समझ रही हो. क्या है सारे कामधंधे रुके पड़े हैं. पैसा कहीं से तो आ नहीं पा रहा है, बस इसी बात की टेंशन है सरस्वती.’’

सरस्वती को लगा कि जय जायज बात कर रहा है. थोड़ी देर बाद जब वापस चलने का समय हुआ तो एक जगह रवि कुमार रुक गया और छोटी अंगुली दिखा कर बोला, ‘‘मैं अभी फारिग हो कर आता हूं.’’

रवि झाडि़यों के अंदर चला गया. सही मौका देख कर के जय ने अचानक सरस्वती पर हमला कर दिया और उस के बाल पकड़ कर उसे मारने लगा और एक रस्सी निकाल कर के गला घोंटने लगा. वह वहीं गिर पड़ी और फटी आंखों से उसे देखती रह गई. जय आखिरी तक सरस्वती पर प्राणघातक हमला भी करता रहा. इतनी देर में रवि भी दौड़ कर आ गया और जय का साथ देने लगा.  देखते ही देखते सरस्वती के प्राणपखेरू उड़ गए. सरस्वती की मौत के बाद रवि ने उस के गले में एक नीली रस्सी बांधी और झाडि़यों में घसीट कर सरस्वती की लाश छिपा दी. 12 जनवरी, मंगलवार को शाम लगभग 5 बजे थाना लैलूंगा मैं अपने कक्ष में थानाप्रभारी एल.पी. पटेल रोजमर्रा के कामों को निपटा रहे थे कि दरवाजे पर आहट सुनाई दी.

उन्होंने देखा 3-4 ग्रामीणों के साथ खम्हार गांव के सरपंच शिवप्रसाद खड़े हैं. थानाप्रभारी ने उन सभी को अंदर बुला लिया. तभी सरपंच ने उन से कहा, ‘‘सर, जंगल में एक महिला की लाश मिली है. कुछ लोगों ने देखा तो मैं सूचना देने के लिए आया हूं. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआई व 2 कांस्टेबलों को थानाप्रभारी पटेल ने घटनास्थल की ओर रवाना किया और अपने काम में लग गए. लगभग एक घंटे बाद उन्हें सूचना मिली कि लाश किसी महिला की है. उन्होंने एसआई को स्थिति को देखते हुए सारे सबूतों को इकट्ठा करने और फोटोग्राफ लेने के निर्देश दिए और कहा कि वह स्वयं घटनास्थल पर आ रहे हैं.

थाने से निकलने से पहले एल.पी. पटेल ने एसपी (रायगढ़) संतोष सिंह और एएसपी अभिषेक वर्मा को महिला की लाश मिलने की जानकारी दी और घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. जब वह वहां पहुंचे तो थोड़ी देर में ही जिला मुख्यालय से डौग स्क्वायड टीम भी आ गई  और महिला की लाश को देख कर के उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि यह सीधेसीधे एक ब्लाइंड मर्डर का मामला है. पुलिस विवेचना में जांच अधिकारी एल. पी. पटेल के सामने शुरुआती परेशानी मृतका की पहचान की थी, जिस के लिए मशक्कत शुरू कर दी गई. इस कड़ी में रायगढ़ जिले के सभी थानों के गुम इंसानों के हुलिया से मृतका का मिलान किया गया.

जब सफलता नहीं मिली तो छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस पोर्टल पर राज्य के लगभग सभी जिलों के गुम इंसानों से हुलिया का मिलान कराया गया. सभी सोशल मीडिया ग्रुप में मृतका के फोटो वायरल किया जाने लगा. मगर सुराग नहीं मिल रहा था. आखिरकार एक दिन पुलिस को अच्छे नतीजे मिले. सोशल मीडिया में वायरल की गई तसवीर के जरिए मृतका की शिनाख्त सरस्वती मरांडी, पुत्री सुजीत मरांडी, उम्र 23 वर्ष निवासी ढांगी करतस, जिला धनबाद (झारखंड) के रूप में हुई. मृतका की शिनाख्त के बाद मामले में नया पहलू सामने आया, जिस से अनसुलझे हत्याकांड की गुत्थी सुलझती चली गई. लैलूंगा पुलिस को हत्याकांड में कमरगा गांव, थाना लैलूंगा के जयकुमार सिदार के मृतका का कथित पति होने की जानकारी भी मिली.

लैलूंगा पुलिस द्वारा गोपनीय तरीके से जयकुमार सिदार का उस के गांव में पता लगाया गया तो जानकारी मिली कि वह तथा उस का जीजा रवि कुमार सिदार दोनों ही अपनेअपने गांव से गायब हैं. हत्या के इस गंभीर मामले में एसपी संतोष सिंह द्वारा अज्ञात महिला के वारिसों और संदिग्धों की तलाश के लिए थाना लैलूंगा, धरमजयगढ़, चौकी बकारूमा की 3 अलगअलग टीमें बनाई गईं. एक टीम में एसडीपीओ सुशील नायक, एसआई प्रवीण मिंज, हैडकांस्टेबल सोमेश गोस्वामी, कांस्टेबल प्रदीप जौन, राजेंद्र राठिया, दूसरी टीम में थानाप्रभारी लैलूंगा इंसपेक्टर लक्ष्मण प्रसाद पटेल, कांस्टेबल मायाराम राठिया, धनुर्जय बेहरा, जुगित राठिया, अमरदीप एक्का और तीसरी टीम में एसआई बी.एस. पैकरा, एएसआई माधवराम साहू, हैडकांस्टेबल संजय यादव, कांस्टेबल इलियास केरकेट्टा को शामिल किया गया.

पहली टीम को किलकिला, फरसाबहार, बागबाहर और तपकरा तथा दूसरी टीम को पत्थलगांव, घरघोड़ा, लारीपानी, चिमटीपानी एवं टीम नंबर 3 को बागबाहर, कांसाबेल, कापू, दरिमा, अंबिकापुर की ओर जांच के लिए लगाया गया था. तीनों टीमों के अथक प्रयास पर आरोपियों को जिला जशपुर के गांव रजौरी से 20 जनवरी को हिरासत में ले कर थाने लाया गया. दोनों आरोपी पुलिस से लुकछिप कर रजौरी के जंगल में लकड़ी काटने का काम कर रहे थे. दोनों ने कड़ी पूछताछ में अंतत: सरस्वती मरांडी की हत्या करने का अपना अपराध स्वीकार लिया. रोजगार के सिलसिले में वह बोकारो, झारखंड गया था. वहां राजू टिंबर ट्यूनिंग प्लांट में क्लीनर मशीन चलाता था और किराए के मकान में रहा करता था. वहीं सरस्वती मरांडी से उस की जानपहचान हुई.

जय कुमार परेशान था और उस ने अपने जीजा रवि के साथ सरस्वती की हत्या का प्लान बनाया और उसी प्लान के तहत 7 जनवरी, 2021 को पिकनिक का बहाना कर सरस्वती को मोटरसाइकिल पर बिठा कर लैलूंगा ले कर आए. लैलूंगा बसस्टैंड पर खानेपीने के सामान व सरस्वती ने कपड़े खरीदे. तीनों फिर खम्हार के झरन डैम गए, जहां सरस्वती ने वही पीले रंग की सलवारकुरती पहनी, जो उस ने गांव कमरगा की सुनीता सिदार (टेलर) से बनवाई थी. वहां उन्होंने मोबाइल पर खूब सेल्फी ली. शाम करीब 5 बजे भेलवाटोली एवं खम्हार के बीच पगडंडी के रास्ते में रवि सिदार पेशाब करने का बहाना कर रुका. उसी समय जयकुमार सिदार ने सरस्वती के बाल पकड़ कर उसे जमीन पर पटक दिया और गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

इस के बाद रवि और जयकुमार सिदार ने सरस्वती के गले में चुनरी से गांठ बांध कर खींचा और लाश सरई झाडि़यों के बीच छिपा दी. दोनों आरोपी भागने की हड़बड़ी में अपनी चप्पलें, गमछा भी घटनास्थल के पास छोड़ आए. लैलूंगा पुलिस ने आरोपी जय कुमार सिदार (25 साल) और रवि सिदार ( 30 वर्ष) को गिरफ्तार कर घरघोड़ा की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. Chhattisgarh News

Hindi love Stories : एक्ट्रेस शनाया काटवे के प्यार में रोड़ा बना भाई तो करा दी हत्या

Hindi love Stories : शनाया काटवे एक उभरती हुई अभिनेत्री थी. उसे नियाज अहमद से मोहब्बत हो गई. उस की मोहब्बत में उस का भाई राकेश काटवे कांटा बना तो शनाया ने अपनी फिल्म की प्रमोशन वाले दिन ऐसी खूनी साजिश रची कि…

वह वर्गाकार बड़ा हाल था. हाल में मुख्यद्वार से सटे 3×6 के 2 मेज एकदूसरे को आपस में सटा कर बिछाए गए थे. नया और रंगीन कवर उन पर बिछाया गया था. मेज से सटी 4 कुरसियां थीं. कुरसियों पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की उभरती हुई अभिनेत्री शनाया काटवे, फिल्म के डायरेक्टर राघवंका प्रभु और 2 अन्य मेहमान बैठे हुए थे. मेज के सामने करीब 4 फीट की दूरी पर कुछ और कुरसियां रखी हुई थीं. उन पर शहर के नामचीन, वीआईपी, रिश्तेदार, दोस्त और स्थानीय समाचारपत्रों के खबरनवीस बैठे हुए थे. हाल का कोनाकोना दुलहन की तरह सजा था. रंगीन और दूधिया रौशनी के सामंजस्य से पूरा हाल नहा उठा था. खूबसूरत और शानदार सजावट से किसी की आंखें हट ही नहीं रही थीं.

अभिनेत्री शनाया काटवे की ओर से यह शानदार पार्टी उस के फिल्म प्रमोशन ‘ओंडू घंटेया काठे’ के अवसर पर आयोजित की गई थी. पार्टी देर रात तक चलती रही. घूमघूम कर शनाया मेहमानों का खयाल रख रही थी. पार्टी में शामिल आगंतुकों ने वहां जम कर लुत्फ उठाया था. पार्टी खत्म हुई तो देर रात शनाया काटवे अपने मांबाप के साथ घर पहुंची. वह बहुत थक गई थी. कपड़े वगैरह बदल कर हाथमुंह धो कर अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी तो दिन भर की थकान के चलते लेटते ही सो गई. उस के मांबाप अपने कमरे में जा कर सो गए थे. यह बात 9 अप्रैल, 2021 की है. अगली सुबह जब शनाया और उस के मांबाप की नींद खुली और वे फ्रैश हो कर डायनिंग हाल में नाश्ता करने बैठे तो उन्हें अपने इर्दगिर्द एक कमी का एहसास हुआ.

जब वे देर रात घर वापस लौटे थे तो भी घर पर उन का बेटा राकेश काटवे कहीं नजर नहीं आया था. जब सुबह नाश्ता करने के लिए सभी एक साथ डायनिंग हाल में बैठे तो भी राकेश वहां भी मौजूद नहीं था. यह देख कर शनाया के पापा बलदेव काटवे थोड़ा परेशान हो गए कि आखिर वह कहां है, घर में कहीं दिख भी नहीं रहा है. ऐसा पहली बार हुआ था जब वह घर से कहीं बाहर गया और हमें नहीं बताया, लेकिन वह जा कहां सकता है. यह तो हैरान करने वाली बात हुई. बलदेव काटवे और उन की पत्नी सोनिया का नाश्ता करने का मन नहीं हो रहा था. दोनों एकएक प्याली चाय पी कर वहां से उठ गए. मांबाप को उठ कर जाते देख शनाया भी नाश्ता छोड़ कर उठ गई और उन के कमरे में जा पहुंची, जहां वे बेटे को ले कर परेशान और चिंतित थे.

बात चिंता करने वाली थी ही. जो इंसान घर छोड़ कर कहीं न जाता हो और फिर वह अचानक से गायब हो जाए तो यह चिंता वाली बात ही है. बलदेव, सोनिया और शनाया ने अपनेअपने स्तर से परिचितों और दोस्तों को फोन कर के राकेश के बारे में पता किया, लेकिन वह न तो किसी परिचित के वहां गया था और न ही किसी दोस्त के वहां ही. उस का कहीं पता नहीं चला. राकेश का जब कहीं पता नहीं चला तो बलदेव काटवे ने बेटे की गुमशुदगी की सूचना हुबली थाने में दे दी. एक जवान युवक के गायब होने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य हरकत में आए और राकेश की खोजबीन में अपने खबरियों को लगा दिया. यह 10 अप्रैल, 2021 की बात है.

राकेश काटवे कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. उस के नाम के पीछे अभिनेत्री शनाया काटवे का नाम जुड़ा था, इसलिए यह मामला हाईप्रोफाइल बन गया था. मुकदमा दर्ज कर लेने के बाद पुलिस राकेश काटवे का पता लगाने में जुटी हुई थी. 5 टुकड़ों में मिली लाश इसी दिन शाम के समय हुबली थाना क्षेत्र के देवरागुडीहल के जंगल में एक कटा हुआ सिर बरामद हुआ तो इसी थाना क्षेत्र के गदर रोड से एक कुएं में गरदन से पैर तक शरीर के कई टुकड़े पानी पर तैरते बरामद हुए. टुकड़ों में मिली इंसानी लाश से इलाके में दहशत फैल गई थी. जैसे ही कटा सिर और टुकड़ों में बंटे शरीर के अंग पाए जाने की सूचना थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य को मिली, वह चौंक गए. वह तुरंत टीम ले कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए थे.

चूंकि राकेश काटवे की गुमशुदगी की सूचना थाने में दर्ज थी, घर वालों ने उस की एक रंगीन तसवीर थाने में दी थी. कटा हुआ सिर तसवीर से काफी हद तक मेल खा रहा था, इसलिए थानाप्रभारी ने घटनास्थल पर बलदेव काटवे को भी बुलवा लिया, जिस से उस की शिनाख्त हो जाए. छानबीन के दौरान संदिग्ध अवस्था में घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक मारुति रिट्ज और एक हुंडई कार बरामद की थी. दोनों कारों की पिछली सीटों पर खून के धब्बे लगे थे, जो सूख चुके थे. पुलिस का अनुमान था कि हत्यारों ने कार को लाश ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया होगा. पुलिस ने दोनों कारों को अपने कब्जे में ले लिया.

दोनों कारों को कब्जे में लेने के बाद उन्होंने इस की सूचना एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और पुलिस कमिश्नर लभु राम को दे दी थी. दिल दहला देने वाली घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने घटनास्थल और कटे हुए अंगों का निरीक्षण किया. शरीर के अंगों को देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने बड़े इत्मीनान से किसी  धारदार हथियार से उसे छोटेछोटे टुकड़ों में काटा होगा. पुलिस उन तक पहुंच न पाए, इसलिए लाश जंगल में ले जा कर अलगअलग जगहों पर फेंक दी, ताकि लाश की शिनाख्त न हो सके. बहरहाल, थानाप्रभारी की यह तरकीब वाकई काम कर गई. उन्होंने जब बलदेव काटवे को सिर के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही बलदेव काटवे पछाड़ मार कर जमीन पर गिर गए.

यह देख कर पुलिस वालों को समझते देर न लगी कि कटे हुए सिर की पहचान उन्होंने कर ली है. थोड़ी देर बाद जब वह सामान्य हुए तो वह दहाड़ मारमार कर रोने लगे. वह कटा हुआ सिर उन के लाडले बेटे राकेश काटवे का था. पुलिस यह जान कर और भी हैरान थी कि कहीं गदग रोड स्थित कुएं से बरामद कटे अंग राकेश के तो नहीं हैं. लेकिन पुलिस की यह आशंका भी जल्द ही दूर हो गई थी. बलदेव काटवे ने हाथ और पैर की अंगुलियों से लाश की पहचान अपने बेटे के रूप में कर ली थी. 24 घंटे के अंदर पुलिस ने राकेश काटवे की गुमशुदगी के रहस्य से परदा उठा दिया था. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतारा था.

पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. लेकिन एक बात से राकेश के मांबाप और पुलिस हैरान थे कि राकेश की जब किसी से दुश्मनी नहीं थी तो उस की हत्या किस ने और क्यों की? इस का जबाव न तो पुलिस के पास था और न ही उस के मांबाप के पास. दोनों ही इस सवाल से निरुत्तर थे. किस ने और क्यों, का जबाव तो पुलिस को ढूंढना था. राकेश की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को अपना हथियार बनाया. पुलिस ने सब से पहले राकेश काटवे के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुट गई कि आखिरी बार राकेश से किस की और कब बात हुई थी?

जांचपड़ताल में आखिरी बार उस की बहन शनाया से बातचीत के प्रमाण मिले थे. रात में 7 और 8 बजे के बीच में शनाया और राकेश के बीच लंबी बातचीत हुई थी. उस के बाद उस के फोन पर किसी और का फोन नहीं आया था. इस का मतलब आईने की तरह साफ था कि राकेश की हत्या रात 8 बजे के बाद की गई थी. पुलिस के सामने एक और हैरानपरेशान कर देने वाली सच्चाई सामने आई थी. घटना वाले दिन शनाया ने अपने फिल्म के प्रमोशन पर एक पार्टी रखी थी. उस पार्टी में राकेश को छोड़ घर के घर सभी सदस्य शमिल थे तो उस का भाई राकेश पार्टी में शामिल क्यों नहीं हुआ? वह कहां था?

इंसपेक्टर एस. शंकराचार्य के दिमाग में यह बात बारबार उमड़ रही थी कि जब घर के सभी सदस्य पार्टी में शमिल थे तो राकेश किस वजह से घर पर रुका रहा? इस ‘क्यों’ का जबाव मिलते ही हत्या की गुत्थी सुलझ सकती थी. आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई. घटनास्थल से बरामद हुई दोनों कारों में से एक मारुति रिट्ज कार मृतक राकेश काटवे की बहन शनाया काटवे के नाम पर रजिस्टर्ड थी. दूसरी हुंडई कार किसी अमन नाम के व्यक्ति के नाम पर थी. यह जान कर पुलिस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई कि शनाया काटवे की कार घटनास्थल पर कैसे पहुंची? राकेश के मर्डर से शनाया का क्या संबंध हो सकता है? क्या शनाया का हत्यारों के साथ कोई संबंध है? ऐसे तमाम सवालों ने पुलिस कमिश्नर लभु राम, एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और थानाप्रभारी को हिला कर रख दिया था.

एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत के नेतृत्व में राकेश काटवे हत्याकांड की बिखरी कडि़यों को जोड़ने के लिए थानाप्रभारी बेताब थे. उन्होंने घटना का परदाफाश करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया था. घटना के 4 दिनों बाद 14 अप्रैल को मुखबिर ने जो सूचना दी, उसे सुन कर थानाप्रभारी को मामले में प्रगति नजर आई. मुखबिर ने उन्हें बताया था कि भाईबहन शनाया और राकेश के बीच में अच्छे रिश्ते नहीं थे. बरसों से उन के बीच में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ था. मुखबिर की यह सूचना पुलिस के लिए काम की थी. पुलिस ने दोनों के बिखरे रिश्तों का सच तलाशना शुरू किया तो जल्द ही सारा सच सामने आ गया. दरअसल, राकेश शनाया के प्रेम की राह में एक कांटा बना हुआ था. शनाया का नियाज अहमद काटिगार के साथ प्रेम संबंध था. इसी बात को ले कर अकसर दोनों भाईबहन के बीच में झगड़ा हुआ करता था.

राकेश को बहन का नियाज से मेलजोल अच्छा नहीं लगता था, जबकि शनाया को भाई की टोकाटोकी सुहाती नहीं थी. यही दोनों के बीच खटास की वजह थी. घटना के खुलासे के लिए इतनी रौशनी काफी थी. सबूतों के आधार पर 17 अप्रैल को हुबली पुलिस ने नियाज अहमद काटिगार को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई. अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थेथाने में कड़ाई से हुई पूछताछ में नियाज अहमद पुलिस के सामने टूट गया और राकेश की हत्या का अपना जुर्म कबूल कर लिया. आगे की पूछताछ में उस ने यह भी बताया कि इस घटना में उस के साथ उस के 3 साथी तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला शमिल थे. उस के बयान के आधार पर उसी दिन तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

पुलिस पूछताछ के दौरान नियाज अहमद ने प्रेमिका शनाया काटवे के कहने पर राकेश की हत्या करना कबूल किया था. 5 दिनों बाद 22 अप्रैल, 2021 को राकेश हत्याकांड की मास्टरमाइंड शनाया काटवे को हुबली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. शनाया ने बड़ी आसानी से पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उस ने भाई राकेश की हत्या कराने का अपना जुर्म मान लिया था. पुलिस पूछताछ में राकेश काटवे हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

25 वर्षीया शनाया काटवे मूलरूप से उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिले की हुबली की रहने वाली थी. वह मां सोनिया काटवे और पिता बलदेव की इकलौती संतान थी. इस के अलावा काटवे दंपति की कोई और संतान नहीं थी. एक ही संतान को पा कर दोनों खुश थे और खुशहाल जीवन जी रहे थे. लेकिन बेटे की चाहत कहीं न कहीं पतिपत्नी के मन में बाकी थी. पतिपत्नी जब भी अकेले में होते तो एक बेटे की अपनी लालसा जरूर उजागर करते. आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे एक बेटे को गोद लेंगे, अपनी कोख से नहीं जनेंगे. जल्द ही काटवे दंपति की वह मंशा पूरी हो गई. गोद लिया भाई था राकेश उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के बेटे को कानूनी तौर पर गोद ले लिया और पालपोस कर उसे बड़ा किया. तब राकेश साल भर का रहा होगा. काटवे दंपति के गोद में राकेश पल कर बड़ा हुआ.

उन की अंगुलियां पकड़ कर चलना सीखा. सयाना और समझदार हुआ तो मांबाप के रूप में उन्हें ही सामने पाया. वही उस के मांबाप थे, राकेश यही जानता था. उन्होंंने भी शनाया और राकेश के बीच कभी फर्क नहीं किया. लेकिन शनाया जानती थी कि राकेश उस का सगा भाई नहीं है, उसे मांबाप ने गोद लिया है. बचपन से ही शनाया राकेश से नफरत करती थी, उस से चिढ़ती थी. चिढ़ उसे इस बात से हुई थी कि उस के हिस्से की आधी खुशियां और सुख राकेश की झोली में जा रहे थे. शनाया फुरसत में जब भी होती, यही सोचती कि वह नहीं होता तो जो सारी खुशियां, लाड़प्यार राकेश को मिलता है, उसे ही नसीब होता. लेकिन उस के हिस्से के प्यार पर डाका डालने न जाने वह कहां से आ गया.

यही वह खास वजह थी जब शनाया बचपन से ले कर जवानी तक राकेश को फूटी आंख देखना नहीं चाहती थी. उस से नफरत करती थी. लेकिन इस से राकेश को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि शनाया उसे प्यार करती थी या नफरत. वह तो उस की परछाईं को अपना समझ कर उस के पीछे भागता था, उसे बहन के रूप में प्यार करता था. क्योंकि उस के मांबाप ने उसे यही बताया था. खैर, शनाया और राकेश बचपन की गलियों को पीछे छोड़ अब जवानी की दहलीज पर खड़े थे. जिस प्यार को मांबाप ने दोनों में बराबर बांटा था, दोनों के अपने रास्ते अलगअलग थे. हुबली से ही स्नातक की डिग्री हासिल कर शनाया काटवे की बचपन से रुपहले परदे पर स्टार बन कर चमकने की दिली ख्वाहिश थी.

अपने सपने पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करती थी. इस के लिए उस ने मौडलिंग की दुनिया को सीढ़ी बना कर आगे बढ़ना शुरू किया. शनाया बला की खूबसूरत और बिंदास लड़की थी. अपनी सुंदरता पर उसे बहुत नाज था. आदमकद आईने के सामने घंटों खड़ी हो कर खुद को निहारना उस के दिल को सुकून देता था. यही नहीं, जीने की हसरत उस में कूटकूट कर भरी थी. उस के खयालों में नियाज अहमद काटिगार सुनहरे रंग भर रहा था. अमीर बाप की बिगड़ी औलाद था नियाज हुबली का रहने वाला 22 वर्षीय नियाज अहमद अमीर मांबाप की बिगड़ी हुई औलाद था. बाप के खूनपसीने से कमाई दौलत यारदोस्तों में दोनों हाथों से पानी की तरह बहा रहा था. उन यारदोस्तों में एक नाम शनाया काटवे का भी था.

नियाज के दिल की धड़कन थी शनाया. उस के रगों में बहने वाला खून थी शनाया. शनाया के बिना जीने की वह कभी कल्पना नहीं कर सकता था. शनाया और नियाज एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी. शनाया की खूबसूरती देख कर नियाज घायल हो गया था. वह पहली नजर में ही शनाया को दिल दे बैठा था. उठतेबैठते, सोतेजागते, खातेपीते हर जगह उसे शनाया ही नजर आती थी. ऐसा नहीं था कि मोहब्बत की आग एक ही तरफ लगी हो. शनाया भी उसी मोहब्बत की आग में जल रही थी. मोहब्बत की आग दोनों ओर बराबर लगी थी. एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें दोनों ने खाईं और भविष्य को ले कर सपने देख रहे थे.

खुले आसमान के नीचे अपनी बांहें फैलाए नियाज और शनाया भूल गए थे कि उन का प्यार ज्यादा दिनों तक चारदीवारी में कैद नहीं रह सकता. वह फिजाओं में खुशबू की तरह फैल जाता है. शनाया और नियाज की मोहब्बत भी ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रही. शनाया के भाई राकेश काटवे को बहन के प्रेम की सूचना मिली तो वह आगबबूला हो गया था. उस ने अपनी तरफ से सच्चाई का पता लगाया तो बात सच निकली. बहन को हिदायत दी थी राकेश ने शनाया एक मुसलिम युवक नियाज अहमद से प्यार करती थी. उस ने बड़े प्यार से एक दिन बहन से पूछा, ‘‘यह मैं क्या सुन रहा हूं शनाया?’’

‘‘क्या सुन रहे हो भाई, मुझे भी तो बताओ.’’ शनाया ने पूछा.

‘‘क्या तुम सचमुच नहीं जानती कि मैं क्या कहना चाहता हूं?’’ वह बोला.

‘‘नहीं, सचमुच मैं नहीं जानती, आप क्या कहना चाहते हो और मेरे बारे में आप ने क्या सुना है?’’ शनाया ने सहज भाव से कहा.

‘‘उस नियाज से तुम दूरी बना लो, यही तुम्हारी सेहत के अच्छा होगा. मैं अपने जीते जी खानदान की नाक कटने नहीं दूंगा. अगर  तुम ने मेरी बात नहीं सुनी या नहीं मानी तो यह नियाज मियां के सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा.’’ भाई के मुंह से नियाज का नाम सुनते ही शनाया के होश उड़ गए.

‘‘जैसा तुम सोच रहे हो भाई, हमारे बीच में ऐसी कोई बात नहीं है. हम दोनों एक अच्छे दोस्त भर हैं.’’ शनाया ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन वह घबराई हुई थी.

‘‘मेरी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश मत करना. तुम दोनों के बारे में मुझे सब पता है. कई बार मैं ने खुद तुम दोनों को एक साथ बांहों में बांहें डाले देखा है. जी तो चाहा कि तुम्हें वहीं जान से मार दूं, लेकिन मम्मीपापा के बारे में सोच कर मेरे हाथ रुक गए. तुम अब भी संभल जाओ. तुम्हारी सेहत के लिए यही अच्छा होगा. नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है, जो न मैं जानता हूं और न ही तुम, समझी.’’

‘‘प्लीज भाई, मम्मीपापा से कुछ मत कहना,’’ शनाया भाई के सामने गिड़गिड़ाई, ‘‘नहीं तो उन के दिल को बहुत ठेस लगेगी. वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे. मेरी उन की नजरों में सारी इज्जत खत्म हो जाएगी. प्लीज…प्लीज… प्लीज, मम्मीपापा से कुछ मत कहना, मेरे अच्छे भाई.’’

‘‘ठीक है, ठीक है, सोचूंगा. मुझे क्या करना होगा लेकिन तुम ने अपनी आदत में बदलाव नहीं लाया तो सोचना कि मैं तुम्हारे लिए कितना खतरनाक बन जाऊंगा, मैं खुद भी नहीं जानता.’’

राकेश ने शनाया को प्यार से समझाया भी और धमकाया भी. उस के बाद उस ने मम्मीपापा से बहन की पूरी हकीकत कह सुनाई. बेटी की करतूत सुन कर वे शर्मसार हो गए. मांबाप ने भी बेटी को समझाया और नियाज से दूर रहने की सलाह दी. वैसे भी शनाया भाई से छत्तीस का आंकड़ा रखती थी. उस के मना करने के बावजूद राकेश ने उस के प्यार वाली बात मांबाप से बता दी थी.  यह सुन कर उस के सीने में भाई के प्रति नफरत की आग धधक उठी थी. प्यार की राह का कांटा बना राकेश राकेश बहन के प्रेम की राह का कांटा बना हुआ था. राकेश के कई बार समझाने के बावजूद शनाया ने नियाज से मिलना बंद नहीं किया था. इसे ले कर दोनों में अकसर झगड़े होते रहते थे.

रोजरोज की किचकिच से शनाया ऊब चुकी थी. वह नहीं चाहती थी कि उस के और उस के प्यार के बीच में कोई कांटा बने. भाई की टोकाटोकी से तंग आ कर शनाया ने उसे रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बना ली. शनाया ने अपनी अदाओं से प्रेमी नियाज अहमद को उकसाया कि अगर मुझे प्यार करते हो तो हमारे प्यार के बीच कांटा बने भाई राकेश को रास्ते से हटा दो, नहीं तो मुझे हमेशा के लिए भूल जाओ. नियाज अहमद शनाया से दूर हो कर जीने की कल्पना भी कर नहीं सकता था. उस ने प्रेमिका का दिल जीतने के लिए राकेश को रास्ते से हटाने के लिए हामी भर दी. इस खतरनाक योजना को अंजाम देने के लिए उस ने अपने 3 साथियों तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला को शमिल कर लिया.

इस के बाद राकेश को रास्ते से हटाने की योजना बनी. खतरनाक योजना खुद शनाया ने ही बनाई. इसे 9 अप्रैल, 2021 को अंजाम देने की तारीख तय की गई. उस दिन उस ने अपनी नई फिल्म ‘आेंडू घंटेया काठे’ की प्रमोशन रखवाई थी. चतुर शनाया ने इसलिए यह तारीख निर्धारित की थी ताकि उस पर किसी का शक न जाए और रास्ते का कांटा सदा के लिए हट भी जाए. यानी सांप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे. योजना के मुताबिक, 9 अप्रैल, 2021 को शनाया काटवे फिल्म प्रमोशन के लिए जब पार्टी में पहुंची, तभी उस ने नियाज अहमद को फोन कर के बता दिया कि राकेश पार्टी में नहीं आएगा, वह घर पर अकेला है. मांबाप भी पार्टी में आए हुए हैं. यही सही वक्त है, काम को अंजाम दे दो.

घर पर ही किए थे राकेश के टुकड़े शनाया की ओर से हरी झंडी मिलते ही नियाज अहमद, साथियों के साथ अमन गिरनीवाला की हुंडई कार ले कर पार्टी वाली जगह पहुंचा. वहां से शनाया की मारुति रिट्ज कार ले कर रात साढ़े 8 बजे उस के घर पहुंचा. उस की कार नियाज अहमद खुद ड्राइव कर रहा था. उस कार में नियाज के साथ तौसीफ चन्नापुर बैठा था जबकि अमन गिरनीवाला की हुंडई कार में अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला सवार था. खैर, रात साढ़े 8 बजे जब नियाज शनाया के घर पहुंचा तो राकेश काटवे घर पर ही था. नियाज ने कालबैल बजाई तो राकेश ने दरवाजा खोल दिया. सामने नियाज को देख कर वह चौंक गया. इस से पहले कि वह सावधान हो पाता, नियाज और उस के साथी अचानक उस पर टूट पड़े.

नियाज ने गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए नियाज ने अपने साथ लाए धारदार चाकू से राकेश के शरीर को 5 टुकड़ों में काट दिया और फर्श पर पड़े खून को एक कपड़े से साफ कर साक्ष्य मिटा दिए. फिर एक पैकेट में सिर और दूसरे पैकेट में बाकी अंग रख कर चारों लोग 2 गाडि़यों में सवार हो कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए. नियाज ने राकेश का कटा सिर जंगल में फेंक दिया और दोनों कार वहीं छोड़ कर चारों गदग रोड जा पहुंचे. वहां एक कुएं में कटे अंग डाल कर सभी फरार हो गए.

शनाया काटवे ने मौत की परफैक्ट प्लानिंग की थी. लेकिन वह यह भूल गई थी कि अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है. शनाया ने भी वैसा ही किया. वह कानून के लंबे हाथों से बच नहीं पाई और पुलिस के हत्थे चढ़ गई. सभी अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. Hindi love Stories

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Kahani : कुख्यात बदमाश ने घात लगाकर दो पुलिस अधिकारियों की कर दी हत्या

Crime Kahani : फिरोजपुर निवासी कुख्यात बदमाश जयपाल भुल्लर ने जगराओं में 2 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर अपने आतंक का रौब दिखाने की कोशिश की है. अब पंजाब सहित 8 राज्यों की पुलिस उस के पीछे पड़ी है. जगराओं की घटना ने पंजाब पुलिस के 4 सालों में 3300 से ज्यादा गैंगस्टरों को गिरफ्तार करने के दावे पर भी सवालिया निशान लगा दिया है.

पंजाब का लुधियाना शहर हौजरी और गर्म कपड़ों के थोक व्यापार के लिए पूरे भारत में जाना जाता है. लुधियाना और उस के आसपास गर्म कपड़े बनाने के सैकड़ों छोटेबड़े उद्योग हैं. हर साल सर्दियों की शुरुआत से पहले ही खरीदारी के लिए यहां देश भर के व्यापारी आते हैं. इसी लुधियाना शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर एक शहर जगराओं है. इसी साल 15 मई की बात है. पुलिस के सीआईए स्टाफ के एएसआई दलविंदर सिंह और भगवान सिंह को शाम को करीब 6 बजे सूचना मिली कि जगराओं की नई दाना मंडी में एक ट्र्रक में नशे की बड़ी खेप आई है. इस सूचना पर दोनों एएसआई एक होमगार्ड जवान राजविंदर के साथ अपनी निजी स्विफ्ट कार से मौके पर रवाना हो गए.

नई दाना मंडी जगराओं में मोगा रोड पर है. एक आम आदमी की तरह कपड़े पहने हुए पुलिस के मुलाजिम 15-20 मिनट बाद जब वहां पहुंचे तो उन्होंने वहां एक कैंटर ट्र्रक खड़ा देखा. पुलिस वाले अपनी गाड़ी एक तरफ साइड में खड़ी कर उस ट्र्रक के पास पहुंचे और आसपास खड़े लोगों से पूछताछ करने लगे. वहां मौजूद लोगों से उन्हें कुछ पता नहीं चला, तो एएसआई भगवान सिंह ट्र्रक में आगे बने ड्राइवर केबिन में चढ़ गए. भगवान सिंह ने ट्र्रक में ड्राइविंग सीट पर बैठे शख्स को पहचान लिया. उसे देखते ही बोले, ‘‘ओय पुत्तर, तू तो जयपाल भुल्लर है. नामी गैंगस्टर.’’

वह शख्स भी भगवान सिंह की बात सुन कर समझ गया कि यह पुलिसवाला है. उस ने फुरती से अपने कपड़ों में से पिस्तौल निकाली और उस की कनपटी पर गोलियां मार दीं. गोलियां लगने से भगवान सिंह ट्र्रक से नीचे गिर गए. उन के सिर से खून बह निकला. गोली की आवाज सुन कर ट्र्रक के पास खड़े दूसरे एएसआई दलविंदर सिंह तेजी से ट्र्रक में चढ़ने लगे, तो पास में खड़ी एक आई-10 कार में सवार कुछ लोग बाहर निकल आए. वे लोग उन पुलिस वालों से मारपीट करने लगे. मारपीट के दौरान एक शख्स ने दलविंदर सिंह को भी गोली मार दी. गोली लगने से वह भी लहूलुहान हो गए. इस के बाद भी बदमाश नहीं रुके बल्कि दलविंदर और होमगार्ड जवान राजविंदर सिंह से मारपीट करते रहे. राजविंदर जैसेतैसे बदमाशों से अपनी जान बचा कर भाग निकला.

जब यह घटनाक्रम चल रहा था तो मंडी में कुछ युवक क्रिकेट खेल रहे थे. उन युवकों ने गोलियां चलने की आवाज सुनी तो वे वीडियो बनाने लगे और बदमाशों को पकड़ने के लिए दौड़े. इस पर बदमाशों ने गोलियां चला कर उन युवकों को धमकाया. उन युवकों के डर कर रुक जाने पर बदमाशों ने ट्र्रक से सामान निकाल कर अपनी आई-10 कार में रखा. इस के बाद बदमाशों ने वहां लहूलुहान पड़े पुलिस के दोनों मुलाजिमों की पिस्तौलें निकालीं और उस ट्र्रक व कार में सवार हो कर भाग गए. पुलिस के दोनों एएसआई गोलियां लगने से तड़प रहे थे. बदमाशों के भागने के बाद वहां लोगों की भीड़ जुट गई. पुलिस को सूचना दी गई. पुलिस ने घायल पड़े दोनों एएसआई को अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया.

सरेआम दिनदहाड़े पुलिस के 2 अधिकारियों की गोलियां मार कर हत्या कर देने की घटना से पूरे शहर और आसपास के इलाकों में सनसनी फैल गई. अफसरों ने पहुंच कर मौकामुआयना किया. जांच शुरू कर दी गई. बदमाशों की तलाश में शहर के सभी रास्तों पर नाके लगा दिए. पूरे पंजाब में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया. बदमाशों की तलाश में भागदौड़ कर रही पुलिस को कुछ ही देर बाद मोगा रोड पर एक ढाबे के बाहर वह ट्र्रक खड़ा मिल गया, जिसे बदमाश भगा ले गए थे. ट्र्रक में अफीम और चिट्टा बरामद हुआ. ट्र्रक के पिछले हिस्से में तलाशी के दौरान पुलिस को कई ब्रांडेड कपड़े मिले. इस से यह अंदाज लगाया गया कि ट्र्रक में कई लोग सवार थे. पुलिस ने वह ट्र्रक जब्त कर लिया.

ट्र्रक के नंबर की जांचपड़ताल की, तो वह फरजी निकला. यह नंबर फरीदकोट के एक जमींदार की मर्सिडीज कार का निकला. जांच में पता चला कि यह ट्र्रक मोगा के गांव धल्ले के रहने वाले एक शख्स के नाम पर था. उस ने ट्र्रक दूसरे को बेच दिया. इस के बाद भी यह ट्र्रक 2 बार आगे बिकता रहा. पुलिस अधिकारियों ने बदमाशों की चंगुल से जान बचा कर भागे होमगार्ड जवान राजविंदर सिंह से पूछताछ की, तो पता चला कि ड्रग्स की सूचना पर वे मौके पर गए थे. वहां ट्र्रक की चैकिंग के दौरान एएसआई भगवान सिंह ने जयपाल भुल्लर को पहचान लिया था. इस पर जयपाल ने उसे गोलियां मार दी थीं.

बाद में एएसआई दलविंदर आगे बढ़े तो जयपाल के साथी बदमाशों ने उन पर भी गोलियां चला दीं. होमगार्ड जवान राजविंदर सिंह के परचा बयान पर पुलिस ने जयपाल भुल्लर और उस के साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. दूसरे दिन पुलिस ने दोनों शहीद एएसआई भगवान सिंह और दलविंदर सिंह के शवों का सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया. इस के बाद शव उन के घरवालों को सौंप दिए. दलविंदर का शव उन के घर वाले अपने पैतृक गांव तरनतारन ले गए. भगवान सिंह का अंतिम संस्कार जगराओं में शेरपुरा रोड पर राजकीय सम्मान से किया गया. उन के 11 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी.

भगवान सिंह के अंतिम संस्कार में डीजीपी (रेलवे) संजीव कालड़ा, आईजी नौनिहाल सिंह, डीसी वरिंदर शर्मा, एसएसपी चरणजीत सिंह सोहल, कैप्टन संदीप संधु, विधायक सरबजीत सिंह मानूके आदि मौजूद रहे. डीजीपी ने ट्वीट कर दोनों शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार वालों को एकएक करोड़ रुपए और आश्रित को नौकरी देने का ऐलान किया. पुलिस ने जांचपड़ताल के लिए मौके के आसपास और बदमाशों के भागने के रास्तों की सीसीटीवी फुटेज देखी. इन से साफ हो गया कि दोनों पुलिस मुलाजिमों की हत्या कुख्यात गैंगस्टर जयपाल भुल्लर और उस के साथियों ने की थी. पुलिस ने जयपाल के 3 साथियों की पहचान खरड़ निवासी जसप्रीत सिंह जस्सी, लुधियाना के सहोली निवासी दर्शन सिंह और मोगा के माहला खुर्द निवासी बलजिंदर सिंह उर्फ बब्बी के रूप में की.

जगराओं पुलिस ने इन चारों पर हत्या, इरादा कत्ल और असलाह ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने इन चारों के पोस्टर जारी कर ईनाम भी घोषित कर दिया. पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता ने जयपाल पर 10 लाख रुपए, बलजिंदर सिंह उर्फ बब्बी पर 5 लाख रुपए, जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी और दर्शन सिंह पर 2-2 लाख रुपए का ईनाम घोषित किया. जयपाल भुल्लर का नाम पंजाब पुलिस के लिए नया नहीं है. पुलिस का हर नयापुराना मुलाजिम उस के नाम से परिचित है. जयपाल पर हत्या, अपहरण, डकैती, तसकरी, फिरौती आदि संगीन अपराधों के 45 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. बलजिंदर उर्फ बब्बी के खिलाफ हत्या का केस दर्ज है. जस्सी और दर्शन कुख्यात तसकर हैं. जयपाल पंजाब सहित कई राज्यों का मोस्टवांटेड अपराधी है.

जयपाल का दोनों एएसआई की हत्या की वारदात से 5 दिन पहले ही पुलिस से आमनासामना हुआ था. 10 मई को लुधियाना के दोराहा में जीटी रोड पर नाकेबंदी के दौरान पुलिस ने कार में सवार 2 युवकों को रोका था. चैकिंग के दौरान बहसबाजी होने पर दोनों युवकों ने वहां तैनात एएसआई सुखदेव सिंह और हवलदार सुखजीत सिंह को हमला कर घायल कर दिया था. बाद में दोनों युवक कार से भाग गए थे. भागते समय ये युवक एएसआई सुखदेव सिंह से पिस्तौल भी छीन ले गए थे. पुलिस वालों से मारपीट करने वाले दोनों युवक करीब 25-30 साल के पगड़ीधारी सिख थे. उन्होंने सफेद कुरतापायजामा पहन रखा था. हाथापाई के दौरान एक युवक का पर्स गिर गया था. इस पर्स में गुरप्रीत सिंह के नाम से ड्राइविंग लाइसैंस मिला था.

पुलिस को बाद में जांच में पता चला कि इस घटना में हमलावरों में एक युवक जयपाल था. पर्स भी उसी का गिरा था. पर्स में मिले ड्राइविंग लाइसैंस पर फोटो जयपाल की लगी थी, लेकिन फरजी नाम गुरप्रीत सिंह लिखा हुआ था. खास बात यह थी कि जगराओं में दोनों एएसआई की हत्या की वारदात के वक्त जयपाल क्लीन शेव था. यानी उस ने 5 दिन में ही अपना हुलिया बदल लिया था. वह बारबार हुलिया बदल कर ही पुलिस को चकमा देता रहता था. पुलिस ने जयपाल और उस के साथियों की तलाश में छापे मारे, तो पता चला कि गैंगस्टर जयपाल भुल्लर जोधां के गांव सहोली में अपने साथी कुख्यात तसकर दर्शन सिंह के खेतों में पिछले डेढ़ महीने से रहा था. दोराहा नाके पर हुई घटना से पहले वह केशधारी सरदार के रूप में रहता था. बाद में उस ने अपना रूप बदल कर चेहरा क्लीन शेव कर लिया.

जयपाल की तलाश में पुलिस ने सर्च अभियान शुरू किया. पुलिस को इनपुट मिले थे कि वारदात करने से पहले और बाद में जयपाल लुधियाना के आसपास के गांवों में आताजाता रहा है. इन गांवों में उस के ठिकाने हैं. इसे देखते हुए 17 मई को एडिशनल डीपीसी जसकिरणजीत सिंह तेजा, एसीपी जश्नदीप सिंह और डेहलो थानाप्रभारी सुखदेह सिंह बराड़ के नेतृत्व में पुलिस ने करीब डेढ़ दरजन गांवों में एकएक घर की तलाशी ली. इस दौरान किराएदारों का भी रिकौर्ड जुटाया गया और खासतौर से आई-10, आई-20, सियाज, फौरच्युनर और एंडेवर गाडि़यों की तलाशी ली गई.

दूसरी ओर, कुछ सूचनाओं के आधार पर लुधियाना और जगराओं पुलिस ने चंडीगढ़ में छापे मारे. इन छापों में कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया. इन लोगों से पता चला कि जयपाल फरजी ड्राइविंग लाइसैंस दिखा कर कई महीने तक चंडीगढ़ में एक एनआरआई के मकान में किराए पर भी रहा था. जयपाल के छिपने के ठिकानों का पता लगाने के लिए पुलिस की आर्गनाइज्ड क्राइम कंट्र्रोल यूनिट (ओक्कू) टीम ने उस के भाई अमृतपाल को बठिंडा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर हासिल किया. उस से पूछताछ की, लेकिन कोई पते की बात मालूम नहीं हो सकी. बाद में पुलिस ने उसे वापस जेल भेज दिया.

बदमाशों की तलाश में पुलिस ने लुधियाना, अमृतसर और मालेरकोटला सहित कई शहरों में छापे मारे और कई लोगों से पूछताछ की. विभिन्न जेलों में बंद जयपाल के साथियों से भी पूछताछ की. इन में पता चला कि दोनों पुलिस मुलाजिमों की हत्या की वारदात तक जयपाल करीब 6 महीने से जगराओं के गांव कोठे बग्गू में किराए के मकान में रह रहा था. वह इसी मकान से नशीले पदार्थों की तसकरी का धंधा चला रहा था. यह किराए का मकान हाईवे से केवल 5 मिनट के रास्ते पर था. इस रास्ते पर कोई सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे हुए थे. शायद इन्हीं सब बातों को देख कर जयपाल ने फरजी आईडी प्रूफ से इस गांव में किराए पर मकान लिया था. यह मकान कनाडा में रह रहे एनआरआई हरदीप सिंह का था.

पुलिस ने 19 मई, 2021 को जयपाल के साथी ईनामी बदमाश दर्शन सिंह के मकान की तलाशी ली. इस में जिम की एक किट बरामद हुई. इस किट में हथियार और 300 कारतूस मिले. इस के अलावा अलगअलग वाहनों की 8-10 आरसी भी मिलीं. ये आरसी उन वाहनों की थीं, जो हाईवे पर लूटे या चोरी किए गए थे. पुलिस ने दर्शन सिंह की पत्नी सतपाल कौर को हिरासत में ले कर उस से पूछताछ की. जयपाल ने छिपने के लिए पंजाब के अलावा राजस्थान में भी ठिकाने बना रखे थे. इसलिए पुलिस ने पंजाब और राजस्थान के उस के छिपने के संभावित ठिकानों पर भी छापे मारे. इस के अलावा ओक्कू टीम ने जयपाल के साथी गगनदीप जज को बठिंडा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर हासिल किया.

गगन ने जयपाल के साथ मिल कर फरवरी 2020 में लुधियाना में एक कंपनी से 32 किलोग्राम सोना लूटा था. गगनदीप को जयपाल के लगभग हर राज पता थे. इसी उम्मीद में उस से पूछताछ की गई, लेकिन पुलिस उस से भी कुछ नहीं उगलवा सकी. गगन से मिली कुछ जानकारियों के आधार पर पुलिस ने जयपाल की तलाश में उत्तर प्रदेश और राजस्थान के 8-10 गांवों में छापे मारे, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ. दर्शन सिंह के मकान पर दोबारा सर्च की गई. इस दौरान पुलिस को कुछ कारतूस और मिले. पुलिस ने 20 मई को दर्शन सिंह की पत्नी सतपाल कौर को गिरफ्तार कर लिया और मोगा के रहने वाले कैंटर मालिक गुरप्रीत सिंह लक्की को नामजद कर लिया.

2 पुलिसकर्मियों की हत्या की वारदात के एक सप्ताह बाद भी जयपाल और उस के साथियों का कोई सुराग नहीं मिलने पर पंजाब पुलिस ने अन्य राज्यों की पुलिस से संपर्क किया. इस के बाद 8 राज्यों की पुलिस की कोऔर्डिनेशन टीम बनाई गई. इस में पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनिंदा पुलिस अफसरों को शामिल किया गया. जयपाल के साथ फरार उस के साथी खरड़ निवासी जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी की पत्नी लवप्रीत कौर को मोहाली की सोहाना थाना पुलिस ने 20 मई को गिरफ्तार कर लिया.

मोहाली में पूर्वा अपार्टमेंट में उस के फ्लैट से करीब 8 बैंकों की पासबुक और दूसरे अहम दस्तावेज मिले. पुलिस ने बैंकों से स्टेटमेंट निकलवाई, तो पता चला कि इन खातों में करोड़ों रुपए का लेनदेन हो रहा था. कहा जाता है कि लवप्रीत इस फ्लैट में अकेली रहती थी जबकि उस की ससुराल खरड़ गांव में है. लोगों को गुमराह करने के लिए जसप्रीत उस से अलग रहता था, लेकिन असल में उस का पत्नी लवप्रीत से लगातार संपर्क था. वह इसी फ्लैट में आ कर पत्नी से मिलता था. लगातार चल रहे तलाशी अभियान के दौरान पुलिस ने जयपाल को शरण देने और उस की मदद करने वाले 5 लोगों को 21 मई को गिरफ्तार कर लिया. इन से कई हथियार और कारतूसों के अलावा 29 वाहनों की फरजी आरसी, 8 खाली आरसी कार्ड, टेलीस्कोप, पंप एक्शन गन आदि भी बरामद हुए.

गिरफ्तार आरोपियों में कैंटर मालिक मोगा के गांव धल्ले का रहने वाला गुरुप्रीत सिंह उर्फ लक्की और उस की पत्नी रमनदीप कौर, दर्शन सिंह का दोस्त सहोली गांव निवासी गगनदीप सिंह, जगराओं के आत्मनगर का रहने वाला जसप्रीत सिंह और सहोली गांव के रहने वाले नानक चंद धोलू शामिल रहे. इन से पूछताछ में पता चला कि जयपाल और उस के साथी गाडि़यां लूटने और चोरी करने के बाद उन की फरजी आरसी और नंबर प्लेट तैयार करते थे. फरजी आरसी तैयार करने के लिए उन्होंने एक माइक्रो मशीन ले रखी थी. जयपाल गिरोह के बदमाश कोई भी वारदात करने से पहले गाड़ी लूटते या चोरी करते थे और उस की फरजी आरसी व नंबर प्लेट मशीन से तैयार कर खुद ही बदल लेते थे ताकि अगर किसी कारणवश गाड़ी रास्ते में छोड़नी पड़े, तो पुलिस नंबरों में उलझी रहे.

सहोली गांव का रहने वाला गिरफ्तार नानक चंद धोलू मोबाइल सिम उपलब्ध कराता था. आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि जयपाल का फरार साथी जसप्रीत सिंह उर्फ जस्सी गवाहों को अपने बयान बदलने के लिए धमकाता भी था. पूछताछ के बाद पुलिस ने जयपाल और जसप्रीत सिंह के सोशल मीडिया अकाउंट ब्लौक करवा दिए. पता चला था कि ये बदमाश अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए युवाओं को जोड़ते और गैंग में शामिल होने के लिए तैयार करते थे. फिरोजपुर निवासी जयपाल भुल्लर पंजाब ही नहीं कई राज्यों में खौफ का पर्यायवाची नाम है. जिस जयपाल के पीछे 8 राज्यों की पुलिस लगी हुई थी, उस जयपाल के पिता भूपिंदर सिंह पंजाब पुलिस में इंसपेक्टर थे.

कहा जाता है कि पिता के कारण ही जयपाल के पुलिस महकमे में कई मुलाजिम अच्छे जानकार हैं. इसलिए वह पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहता था. उस के खिलाफ पुलिस रिकौर्ड 45 से ज्यादा अपराध दर्ज हैं. जयपाल पंजाब के कुख्यात गैंगस्टर विक्की गौंडर का साथी रहा था. विक्की गौंडर और प्रेमा लाहौरिया की मौत के बाद जयपाल ने गैंग की कमान संभाल ली थी. जयपाल पर मुख्यरूप से फिरोजपुर के सेखों करमती सहित दोहरे हत्याकांड, तरनतारन और लुधियाना में हत्या, सुक्खा काहलवां हत्याकांड, लुधियाना में व्यवसाई पंकज अग्निहोत्री के घर से 60 लाख की लूट, राजस्थान के किशनगढ़ में 2 करोड़ के तांबे से लदे ट्र्रक की लूट, लुधियाना में चिराग अपहरण केस, एयरटेल शोरूम में डकैती आदि के मामले दर्ज हैं.

पिछले साल फरवरी के महीने में लुधियाना की आईआईएफएल गोल्ड लोन कंपनी में 32 किलोग्राम सोने की लूट हुई थी. यह वारदात जयपाल ने अपने साथियों के साथ मिल कर की थी. जयपाल ने यह वारदात केशधारी सिख के वेश में अपने सगे भाई अमृतपाल और सब से विश्वसनीय साथी गगनदीप जज के साथ मिल कर की थी. वारदात के बाद जयदीप चंडीगढ़ में पगड़ी बांध कर और दाढ़ी बढ़ा कर एक फ्लैट में छिपा रहा था. पुलिस उसे 11 साल पुरानी क्लीन शेव फोटो के आधार पर ढूंढ रही थी. बाद में पुलिस ने छापा मारा तो अमृतपाल और गगनदीप जज पकड़े गए लेकिन जयपाल भाग निकला था. इस लूट का 17 किलोग्राम सोना अब तक बरामद नहीं हुआ है.

नानकसर में वर्ष 2015 में पुलिस की वरदी में बदमाशों ने कैश वैन लूट ली थी. इस वारदात में भी जयपाल का हाथ होने की आशंका है. वारदात के 6 साल बाद भी पुलिस इस की पुष्टि नहीं कर सकी है. सितंबर 2020 में जयपाल का नाम तब भी सामने आया था, जब जगराओं के मशहूर ढाबा मालिक से विदेशी नंबर से फोन कर 25 लाख रुपए की फिरौती मांगी गई थी. बाद में पुलिस ने एक आरोपी राघव नागपाल को पकड़ा था, लेकिन जयपाल के बारे में पुलिस को कोई सुराग नहीं मिले थे. जयपाल के गैंग में अनेक कुख्यात बदमाश शामिल रहे हैं. गांव हवेलियां का रहने वाला तसकर गुरजंट भोलू जनवरी 2016 में पकड़ा गया तो उस ने बताया कि वह जयपाल के लिए नशीले पदार्थों की तसकरी करता था.

भोलू बाद में पटियाला जेल में सुपरिंटेंडेंट की मदद से कैदियों से फिरौती वसूलने लगा. उस ने मुजफ्फरनगर बालिका गृह रेप केस के मुख्य आरोपी ब्रजेश सिंह ठाकुर से भी 10 लाख रुपए की फिरौती वसूली थी. इस का खुलासा होने पर उसे अमृतसर जेल भेज दिया गया. जयपाल के साथी हथियार सप्लायर रणजीत डुपला को 4 करोड़ रुपए के विदेशी हथियारों के साथ फरीदकोट पुलिस ने पकड़ा और उस पर अनलाफुल ऐक्टिविटी ऐक्ट लगाया था. लेकिन उस ने मिलीभगत कर 82 दिन में ही यह ऐक्ट हटवा लिया और जमानत ले कर अमेरिका भाग गया. बाद में ओकू ने उस पर पिछले साल फिर से अनलाफुल ऐक्टिविटी ऐक्ट लगाया.

पंजाब के फिरोजपुर का रहने वाला चंदू गैंगस्टर जयपाल का शार्पशूटर है. वह किशनगढ़ डकैती में पकड़ा गया था, तब से जेल में है. नाभा जेल में रहते हुए वह बड़े ठेकों में दखल देता था और बड़े ठेकेदारों से वसूली करता था. सितंबर 2020 में नाभा जेल में उस के पास मोबाइल मिला था. अब वह बठिंडा जेल में है. जयपाल का दूसरा शार्पशूटर फरीदकोट निवासी तीर्थ ढिलवां 4 मार्च, 2018 को पकड़ा गया था. उस के खिलाफ अपहरण, लूटपाट व हत्या जैसे करीब 2 दरजन मामले दर्ज हैं. पहली मई 2016 को हिमाचल प्रदेश के परवाणु में हुई जसविंदर रौकी की हत्या में जयपाल के साथ उस का भी नाम आता है. रौकी फाजिल्का का नेता और गैंगस्टर था.

यह पंजाब पुलिस, ओकू और इंटेलिजेंस की नाकामयाबी रही कि मोस्टवांटेड गैंगस्टर लुधियाना के गांव भुट्टा में अमृतसर के एक व्यक्ति के नाम पर जमीन खरीद कर अपनी कोठी बनवा रहा था. यह भी पुलिस के लिए फेलियर रहने वाली बात रही कि 10 मई, 2021 को दोराहा नाके पर एक एएसआई और हवलदार पर हमला कर उन से हथियार छीन ले जाने की घटना के 5 दिन बाद तक पुलिस जयपाल का पता नहीं लगा सकी थी, जबकि जयपाल उस जगह से कुछ किलोमीटर दूर गांव कोठे बग्गू में रह रहा था. पुलिस को जांच में यह भी पता लग गया था कि इस वारदात में जयपाल और उस का साथी जस्सी शामिल था. इसी का नतीजा रहा कि जयपाल ने 5 दिन बाद ही 15 मई को जगराओं में 2 एएसआई को मौत की नींद सुला दिया.

बदमाश दर्शन सिंह कुख्यात तसकर है. उस के खिलाफ भी कई मामले दर्ज हैं. उस के नजदीकी रिश्तेदार पंजाब पुलिस में एसपी के पद पर हैं. दर्शन सिंह जेल भी जा चुका है. करीब 5 साल पहले हत्या के मामले में अच्छा चालचलन बता कर लुधियाना की ब्रोस्टल जेल से 2 साल 4 महीने की उस की सजा माफ कर दी गई थी. जेल से बाहर आने के बाद वह जयपाल के साथ मिल कर नशा तसकरी और लूटपाट की बड़ी वारदातें करने लगा. पंजाब पुलिस की ओकू टीम ने दोनों एएसआई की हत्या की वारदात में शामिल गैंगस्टर दर्शन सिंह और बलजिंदर सिंह उर्फ बब्बी को 29 मई, 2021 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से गिरफ्तार कर लिया.

इन को पनाह देने वाले हरचरण सिंह को भी पकड़ लिया गया है. पुलिस को इन का सुराग इन के रिश्तेदारों के मोबाइल फोन टेप करने से लगा. जयपाल भले ही कितना भी छिप ले, कभी तो वह पकड़ा जाएगा. कथा लिखे जाने तक पुलिस उस की तलाश में जुटी हुई थी. जयपाल आजकल नशीले पदार्थों की तसकरी में लिप्त था. जयपाल ने अपने साथियों के साथ जगराओं में 2 पुलिसकर्मियों की हत्या की जो वारदात की है, उस ने पंजाब सरकार के उन दावों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं कि 4 साल में 3300 से ज्यादा गैंगस्टर पकड़े गए हैं. जगराओं की वारदात से यह साफ हो गया है कि पंजाब में गैंगस्टर बेखौफ हैं. Crime Kahani

 

Real Crime Story in Hindi : एक देवर ने भाभी के पैर पकड़े दूसरे ने गला दबा कर मार डाला

Real Crime Story in Hindi : सीआरपीएफ में कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के की पत्नी पूजा 2 बच्चों के साथ गांव में रहती थी. इस के बावजूद उस ने अन्नू से एक मंदिर में शादी कर ली. दो नावों पर सवारी करने वाला जितेंद्र ऐसा डूबा कि…

पूजा अस्के अपने घर के रोजमर्रा के काम कर रही थी, तभी किसी ने दरवाजे पर घंटी बजाई. ‘कौन आ गया’ कहते हुए वह दरवाजे की ओर बढ़ी. जैसे ही उस ने फ्लैट का दरवाजा खोला तो सामने खड़े 2 युवकों को देख कर उस के चेहरे पर मुसकान थिरक उठी थी. क्योंकि दोनों युवक उस के देवर थे. पूजा दरवाजा बंद कर दोनों को अंदर कमरे में ले आई. दोनों युवकों में से एक का नाम राहुल अस्के था, जो उस का सगा देवर था जबकि दूसरे का नाम नवीन था. नवीन राहुल की मौसी का बेटा था. अकसर दोनों कहीं भी साथ ही आतेजाते थे.

जबलपुर के धार मोहल्ले का रहने वाला राहुल अस्के प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर था. जबकि उस का बड़ा भाई जितेंद्र अस्के केंद्रीय रिजर्वपुलिस बल (सीआरपीएफ) में कंपनी कमांडर था. पूजा जितेंद्र अस्के की ही दूसरी पत्नी थी. जितेंद्र पूजा के साथ इंदौर की मल्हारगंज इलाके में स्थित कमला नेहरू कालोनी के रामदुलारी अपार्टमेंट में रहता था. दोनों अपनी भाभी से मिलने आए थे. पूजा उन्हें कमरे में बिठा कर किचन में चली गई. वह थोड़ी देर में दोनों देवरों और अपने लिए ट्रे में 3 प्याली चाय और नमकीन ले कर लौटी.  तीनों साथ बैठ कर नमकीन के साथ चाय की चुस्की ले रहे थे. चाय खत्म हुई तो पूजा राहुल की ओर मुखातिब हुई, ‘‘कैसे हो देवरजी.’’

‘‘ठीक हूं भाभी. आप बताओ, कैसी हो?’’

‘‘एकदम चकाचक, फर्स्टक्लास हूं.’’ चहक कर पूजा बोली, ‘‘मम्मीपापा कैसे हैं? उन की तबीयत कैसी है? घर पर सब खैरियत तो हैं न?’’

‘‘हां…हां, सब ठीक हैं भाभी, और मम्मीपापा भी एकदम ठीकठाक हैं.’’

‘‘और आप..?’’ पूजा ने पूछा.

‘‘एकदम चंगा, शेर की माफिक…’’

राहुल ने इस अंदाज में जवाब दिया था कि सभी अपनी हंसी नहीं रोक पाए और ठहाका लगाने लगे. कई महीने बाद राहुल अपनी भाभी पूजा से मिलने आया था तो पूजा भी उन के स्वागत में कसर नहीं छोड़ रही थी. दिल खोल कर उन के आवभगत में लगी रही. बीचबीच में देवर और भाभी के बीच हंसीमजाक भी होता रहा. 4-5 घंटे का समय कैसे बीत गया, किसी को पता ही नहीं चला. यह बात 24 अप्रैल, 2021 की दोपहर की है. बात उसी दिन शाम 7 बजे की है. पूजा की पड़ोसन सीमा उस से मिलने उस के कमरे पर पहुंची तो देखा दरवाजे के दोनों पट आपस में भिड़े हुए हैं.

पूजा इतनी देर तक अपना दरवाजा कभी बंद कर के नहीं रखती थी. यह देख कर सीमा को थोड़ा अजीब लगा. फिर बाहर दरवाजे से उस ने कई बार पूजा को आवाज लगाई लेकिन भीतर से कोई हरकत नहीं हुई तो उसे और भी अजीब लगा. सीमा ने दरवाजे को हलका सा धक्का दिया तो किवाड़ अंदर की ओर खुल गए. फिर आवाज लगाती हुई वह उस के कमरे में पहुंच गई, जहां बिस्तर पर पूजा सोती हुई नजर आ रही थी. सीमा ने फिर से उसे आवाज लगाई लेकिन पूजा ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसे कुछ शक हुआ. उस ने उसे हिलाडुला कर देखा तो शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी. वह बिस्तर पर अचेत पड़ी थी और उस का शरीर गरम था. यह देख कर सीमा बुरी तरह घबरा गई और वहां से अपने कमरे में वापस लौट आई.

उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? पूजा के घर पर उस के अलावा कोई नहीं था. उस का पति जितेंद्र अस्के जबलपुर स्थित अपने घर गया था. सीमा ने पूजा के बेहोश होने की जानकारी उस के पति जितेंद्र अस्के को फोन पर दे दी थी. इस के बाद सीमा ने आसपास के फ्लैटों में रहने वाले अपने जानकारों को पूजा के बेहोश होने की जानकारी दे दी. लोगों ने पूजा की हालत देखते हुए फोन कर सरकारी एंबलेंस बुला कर पूजा को अस्पताल ले गए. लेकिन अस्पताल के डाक्टरों ने पूजा को मृत घोषित कर दिया. उधर पत्नी की बेहोशी की जानकारी पा कर जितेंद्र अस्के घबरा गया और उसी समय प्राइवेट साधन से जबलपुर से इंदौर चल दिया. सुबह होतेहोते वह इंदौर पहुंच गया था.

जैसे ही अस्पताल में उसे पत्नी की मौत की जानकारी मिली तो वह वहां बिलख कर रोने लगा. लोगों ने किसी तरह उसे सांत्वना दे कर चुप कराया तो उस ने पूजा की मौत की सूचना अपनी ससुराल वालों को दी तो सुन कर जैसे उन के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. उस की मौत पर सहसा उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि कल तक तो पूजा अच्छीभली थी, अचानक उस की मौत कैसे हो सकती है. जरूर दाल में कुछ काला है. पूजा की छोटी बहन दुर्गा को भी बहन की मौत पर शक हो रहा था. वह घर वालों को साथ ले कर अस्पताल पहुंची, जहां पूजा की बौडी पड़ी थी. बहन की अचानक मौत पर दुर्गा अपने जीजा जितेंद्र अस्के से भिड़ गई. वह यह कतई मानने को तैयार नहीं थी कि उस की बहन की मौत अचानक हो सकती है.

क्योंकि वह बेहद जिंदादिल इंसान थी. वह भलीचंगी थी. उस की कोख में 8 माह का बच्चा पल रहा था. बच्चे को ले कर वह बेहद संजीदा थी. इस मौत को वह चीखचीख कर हत्या बता रही थी. अस्पताल में हंगामा खड़ा होता देख प्रशासन ने पुलिस को सूचित कर दिया. अस्पताल प्रशासन की सूचना पर थोड़ी देर बाद वहां मल्हारगंज थाने की पुलिस आ गई थी. अस्पताल उसी थानाक्षेत्र में आता था. पुलिस ने लाश अपने कब्जे में ले लिया. पुलिस ने लाश का निरीक्षण किया तो पूजा के गले पर कुछ निशान नजर आए. इस से पुलिस को भी मामला संदिग्ध लगा तो पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. एक दिन बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में गला दबा कर हत्या किए जाने का उल्लेख किया गया था. यानी दुर्गा का शक सच था. पूजा की हत्या की गई थी.

पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी की हत्या का आरोप जिस व्यक्ति पर लगाया जा रहा था वह उस का पति जितेंद्र अस्के था. जितेंद्र अस्के कोई मामूली व्यक्ति नहीं था. वह सीआरपीएफ की 34वीं बटालियन का कंपनी कमांडर था. अर्द्धसैनिक बल के अफसर पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप मढ़ा जा रहा था. फिर क्या था, शक के आधार पर 26 अप्रैल, 2021 को मल्हारगंज के थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर ने पूछताछ के लिए जितेंद्र अस्के को थाने बुला लिया. उसी समय पूजा की बहन दुर्गा भी थाने पहुंची. उस ने थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर को बताया कि घटना से एक दिन पहले शाम 7 से 8 बजे के बीच में फोन पर उस की पूजा से बात हुई थी. तब पूजा ने बताया था कि जितेंद्र उस के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहे हैं.

चरित्र पर लांछन लगा कर वह उस के साथ मारपीट करते हैं. और तो और जीजा ने अपनी पहली शादी के बारे में दीदी से छिपाया था, उन्हें सच्चाई नहीं बताई थी कि वह पहले से शादीशुदा हैं और 2 बच्चों के पिता भी. दुर्गा के बयान ने थाने में सनसनी फैला दी थी. उस के बयान में कितनी सच्चाई थी, यह जांच का विषय था. फिलहाल, दुर्गा के बयान ने पूजा हत्याकांड से रहस्य का परदा उठा दिया था. पूजा की हत्या निश्चित ही 2 औरतों के बीच की जंग की उपज थी. दोनों औरतों की लड़ाई ने पूजा को मौत के मुंह में ढकेला था. पुलिस हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए जितेंद्र से पूछताछ कर रही थी. कंपनी कमांडर जितेंद्र ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि जिस दिन घटना घटी थी उस दिन वह जबलपुर स्थित अपने गांव आया था. पत्नी की हत्या किस ने की, उसे नहीं पता.

पूछताछ के बाद पुलिस ने जितेंद्र को इस हिदायत के साथ छोड़ दिया कि वह शहर छोड़ कर कहीं नहीं जाए और कहीं जाने से पहले इस की सूचना थाने को देनी होगी. जितेंद्र को छोड़ने के बाद थानाप्रभारी ठाकुर ने उस की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उस के पीछे पुलिस लगा दी. दुर्गा की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा में मुकदमा दर्ज कर लिया और जांच की काररवाई शुरू कर दी. इंसपेक्टर प्रीतम सिंह ठाकुर हत्या की जांच करने के लिए अपनी टीम के साथ जितेंद्र के आवास रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंचे. पुलिस ने कमरे की गहराई से छानबीन की.

छानबीन के दौरान पुलिस को कोई ऐसा सुराग हाथ नहीं लगा, जिस से वह हत्यारों तक पहुंचती किंतु पड़ोसियों से की गई पूछताछ से इतना जरूर पता चल गया था कि घटना वाले दिन पूजा से मिलने उस के 2 देवर यहां आए थे. कुछ घंटों बाद वे उस के घर से चले गए थे. देवरों के जाने के बाद से पूजा के कमरे का दरवाजा लगातार बंद आ रहा था. इस का मतलब पूजा की हत्या उस के देवरों ने मिल कर की है. हत्या करने के बाद पुलिस से बचने के लिए वे मौके से फरार हो गए. अब तो उन दोनों के गिरफ्तार होने के बाद ही सच का पता चल सकता था. इस के बाद पुलिस ने अपने मुखबिर तंत्र से पता लगा लिया कि कंपनी कमांडर जितेंद्र आस्के की 2 शादियां हुई थीं.

पूजा आस्के उस की दूसरी पत्नी थी और उस ने प्रेम विवाह किया था. धोखे में रखने की वजह से दूसरी पत्नी ने पति जितेंद्र की नाक में दम कर दिया था और पहली पत्नी को छोड़ने के लिए उस पर निरंतर दबाव बनाए हुए थी. बहरहाल, थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ने घटना की सारी सच्चाई एसपी (वेस्ट) महेशचंद जैन और एएसपी (वेस्ट) प्रशांत चौबे को दी तो एसपी महेशचंद ने एएसपी के नेतृत्व में आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी प्रीतम सिंह ठाकुर को भी शामिल किया गया. पुलिस टीम ने जबलपुर के धार से पूजा के दोनों देवरों राहुल अस्के और नवीन अस्के को हिरासत में ले लिया. दोनों से कड़ाई से पूछताछ की तो राहुल अस्के ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. हत्या करने में नवीन ने बराबर का सहयोग किया था. उस ने बताया कि हत्या की साजिश बड़े भैया जितेंद्र अस्के के सामने रची गई थी.

दोनों आरोपितों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. इंदौर पुलिस दोनों आरोपितों को जबलपुर से ले कर इंदौर पहुंची. यहां पुलिस ने रामदुलारी अपार्टमेंट में दबिश दे कर जितेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. खैर, पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी हत्याकांड में तीनों आरोपियों जितेंद्र अस्के, जितेंद्र के भाई राहुल अस्के और नवीन अस्के को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. तीनों आरोपियों से की गई गहन पूछताछ में पूजा हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय जितेंद्र अस्के मूलरूप से जबलपुर के धार इलाके का रहने वाला था. मांबाप के अलावा उस के परिवार में एक भाई और एक बहन थी. इन में जितेंद्र सब से बड़ा था. बचपन से ही उसे पुलिस की नौकरी अच्छी लगती थी. बड़ा हो कर वह फौज में भरती होना चाहता था. जितेंद्र को पता था फौज में भरती होने के लिए मजबूत और कसरती बदन का होना जरूरी है. अपने धुन का पक्का जितेंद्र पुलिस में भरती होने के लिए अपने खानपान और शरीर पर विशेष ध्यान देता था और उस ने खुद को पुलिस में भरती होने वाला मजबूत और गठीला जिस्म बना लिया था. आखिरकार वह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल में भरती हो गया. वर्तमान में वह कंपनी कमांडर था.

जितेंद्र सीआरपीएफ में एक बड़ा अफसर बन गया था. उस की शादी के लिए अच्छेअच्छे रिश्ते आने लगे थे. घर वालों ने धार के रिश्ते को अपनी मंजूरी दे अन्नू के संग रिश्ता जोड़ कर उस की गृहस्थी बसा दी थी. पढ़ीलिखी, गुणी और संस्कारी अन्नू को पत्नी के रूप में पा कर वह बेहद खुश था. जितेंद्र और अन्नू की गृहस्थी बड़े मजे और खुशहाली से कट रही थी. उस के घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. मजे से दोनों के दिन कट रहे थे. समय से 2 बच्चे भी पैदा हुए. बच्चों की किलकारियों से जितेंद्र के आंगन का कोनाकोना महक उठा था. इसी बीच जितेंद्र अस्के ट्रांसफर हो कर इंदौर आ गया था. मांबाप के साथ पत्नी और बच्चे धार में ही रहते थे. इंदौर के आनंद बाजार में किराए का एक कमरा ले कर वह रहने लगा था. घर से ड्यूटी और ड्यूटी से घर, यही उस की दिनचर्या थी. वह कभीकभार आनंद बाजार जाता था.

एक दिन की बात है. जितेंद्र आनंद बाजार कुछ खरीदारी के लिए आया था. जिस दुकान से वह अपने लिए सामान खरीद रहा था, उसी के बगल में एक बेहद खूबसूरत युवती खड़ी सामान खरीद रही थी. अनजाने में उस युवती की कलाई कंपनी कमांडर जितेंद्र के हाथ से छू गई थी. उस युवती की कलाई के स्पर्श से जितेंद्र के जिस्म में अजीब सी लहर दौड़ गई थी. उस के बाद जितेंद्र ने पलट कर उस युवती की ओर देखा. गोरी रंगत वाली उस युवती कोे देख वह उस पर मुग्ध सा हो गया था. पलभर के लिए उस की नजरें उस के सुंदर चेहरे पर जा टिकी थीं. अपलक उसे देखते युवती भी मुसकरा पड़ी. सामान ले कर वह युवती वहां से चली गई. जितेंद्र उसे तब तक निहारता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

बाद में जितेंद्र ने अपने स्तर से पता लगा ही लिया कि उस युवती का नाम पूजा उर्फ जाह्नवी है और वह इसी आनंद बाजार मोहल्ले में अपने परिवार के साथ रहती थी. यह घटना से करीब 3 साल पहले की बात थी. खैर, उस दिन के बाद एक दिन बाजार में फिर से पूजा से उस की मुलाकात हो गई. इस के बाद तो अकसर दोनों की मुलाकात बाजार में हो जाया करती थी. धीरेधीरे यह मुलाकात दोस्ती के जरिए प्यार में बदल गई. कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के और पूजा प्यार की डोर में बंध गए थे. पुलिस अफसर जितेंद्र के मन में इश्क की ऐसी लगन लगी थी कि उस का तन और मन धधक रहा था. बाद में वे दोनों लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

पूजा को उस ने अपने आनंद बाजार वाले किराए के कमरे में रखा था. उस ने अपनी शादीशुदा जिंदगी को पूजा से छिपा लिया था. जितेंद्र ने खुद को कुंवारा बताया था. जितेंद्र के कुंवारा होने से पूजा के घर वाले बेहद खुश थे कि उस की लाडली बेटी ने अपने लिए कितना बढि़या वर चुना है. पूजा के घर वाले बेटी के ऐसे लिवइन रिलेशन के रिश्ते से खुश नहीं थे. वे चाहते थे कि दोनों शादी कर के रहें, जिस से कोई उन की बेटी के चरित्र पर अंगुली न उठाए. पूजा के घर वालों के दबाव से जितेंद्र कोर्ट मैरिज करने के लिए तैयार नहीं हुआ, अलबत्ता मंदिर में जा कर उस ने पूजा से विवाह कर लिया और उसे साथ ले कर रहने लगा.

जितेंद्र कानून का जानकार था. वह जानता था कि अगर पूजा को उस की पहली शादी वाली बात पता चल गई तो कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट को आधार बना कर वह उस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है, इसीलिए उस ने रजिस्टर्ड विवाह के बजाय मंदिर में शादी की थी, ताकि इस मैरिज का उस के पास कोई सबूत न बचे. पूजा से शादी रचाने के बाद जितेंद्र ने आनंद बाजार वाला किराए का कमरा छोड़ कर मल्हारगंज इलाके के रामदुलारी अपार्टमेंट में 3 कमरों वाला फ्लैट किराए पर ले लिया और ठाठ से वहां पूजा के साथ रहने लगा था. धीरेधीरे समय बीतता रहा. पूजा गर्भवती हो गई. वह बच्चे को ले कर बेहद संजीदा थी. पूजा ने एक दिन रात में पति को फोन पर किसी औरत से बात करते सुन लिया.

जब उस ने पति से पूछा कि इतनी देर रात को किस से बात कर रहे हो तो उस की बात सुन कर वह एकदम से हड़बड़ा गया और उस के माथे पर पसीने छूट गए थे. फिर वह बातें बनाते हुए औफिशियल बात कह कर टाल कर चुपचाप सो गया. न जाने क्यों पूजा को जितेंद्र पर संदेह हो गया था कि वह उस से कुछ छिपा रहा है. उस दिन के बाद से पूजा पति पर नजर रखने लगी. आखिरकार पूजा के सामने जितेंद्र की सच्चाई खुल कर आ ही गई. पूजा को पता चल गया कि जितेंद्र की जिंदगी में कोई दूसरी औरत है. वह औरत कोई और नहीं, उस की पहली बीवी है. यानी जितेंद्र पहले से शादीशुदा था और उस ने इतनी बड़ी बात उस से छिपा कर रखी थी.

उस के प्यार और विश्वास के साथ उस ने इतना बड़ा धोखा किया. पूजा को ऐसा लगा जैसे काटो तो खून नहीं. वह सिर पकड़ कर धम्म से गिर गई और कोख के ऊपर हाथ फेरते हुए सुबकने लगी थी. उस की आंखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया था. पलभर के लिए जैसे सोच नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे, कहां जाए, किस के कंधे पर सिर रख कर रो ले, ताकि उस का दुख थोड़ा कम हो जाए. पूजा इतनी आसानी से जितेंद्र को छोड़ने वाली नहीं थी. क्योंकि उस ने उसे धोखे में रख कर उस की जिंदगी बरबाद की थी. औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन अपने सुहाग को हिस्सों में बंटता कभी नहीं देख सकती. पहली औरत यानी सौतन को ले कर पूजा और जितेंद्र के बीच खूब झगड़ा हुआ.

उस ने जितेंद्र से सवाल किया कि मेरी जिंदगी को क्यों बरबाद किया, जब पहले से शादीशुदा थे, तो धोखा क्यों दिया? बताया क्यों नहीं उस के बच्चे भी हैं, जो कहीं और रहते हैं. पूजा चुप बैठने वालों में से नहीं थी. एक दिन उस ने पति की पहली पत्नी अन्नू को फोन कर के सारी असलियत बता दी. पति की सच्चाई जान कर अन्नू बिफर गई और सौतन को ले कर दोनों में खूब झगड़ा हुआ. अन्नू ने पति को धमकी दी कि अगर उस ने सौतन पूजा से संबंध नहीं तोड़ा तो वह बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेगी. पत्नी की आत्महत्या कर लेने की धमकी से जितेंद्र बुरी तरह डर गया और अगले दिन धार पत्नी के पास पहुंच गया. जितेंद्र ने जो गलती की थी, उस का तो परिणाम यही होना था.

2 नावों पर सवार जितेंद्र अस्के की जिंदगी अब डगमगाने लगी थी. वह किसे छोड़े और किसे अपनाए, इसी ऊहापोह में डूबा हुआ था. दोनों पत्नियों के बीच जितेंद्र पिस कर रह गया था. मंझधार में अटका जितेंद्र किनारे की तलाश में भटक कर रहा था, लेकिन उसे वह किनारा मिल नहीं रहा था. बात 22 अप्रैल, 2021 की है. जितेंद्र धार में पहली पत्नी अन्नू के साथ था. दोनों पत्नियों को ले कर महीनों से घर में महाभारत छिड़ी थी. बात नातेरिश्तेदारों तक पहुंच गई थी. चारों ओर जितेंद्र की थूथू हो रही थी. अब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा था. 2 दिन पहले ही जितेंद्र का छोटा भाई राहुल अस्के, जो मध्य प्रदेश पुलिस में एसआई था. उस की तैनाती छिंदवाड़ा में थी. उस समय वह घर आया था. राहुल की मौसी का बेटा नवीन भी वहां आया था.

उसी दौरान दोपहर के समय अन्नू के मोबाइल पर पूजा का फोन आया. पति के सामने फोन पर दोनों सौतनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. पूजा ने पति को भी खूब खरीखोटी सुनाई. बड़े भाई का अपमान राहुल देख नहीं पाया. उस के तनबदन में आग लग गई थी. उसी वक्त राहुल और नवीन ने जितेंद्र के सामने उस की सहमति से पूजा की हत्या की बात कही तो जितेंद्र अपनी ओर से उसे हरी झंडी दे दी. क्योंकि पूजा के रोजरोज के झगड़े से वह ऊब चुका था. भाई की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद 23 अप्रैल की शाम राहुल और नवीन इंदौर के लिए रवाना हो गए. 24 अप्रैल को दोपहर में दोनों इंदौर के मल्हारगंज स्थित रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंच गए. देवरों को देख कर पूजा खुश हुई थी. उसे क्या पता था कि जिन्हें देख कर वह खुश हो रही है, वह मेहमान के रूप में साक्षात यमदूत हैं, राहुल और नवीन को आते पड़ोसन सीमा ने देख लिया था.

खैर, पूजा देवरों को अंदर लाई और उन्हें कमरे में बिठाया और खुद उन के लिए चाय बनाने किचन में चली गई. थोड़ी देर बाद 3 प्याली में चाय और एक प्लेट में नमकीन ले कर आई. तीनों ने एक साथ बैठ कर चाय पी. जैसे ही पूजा खाली प्याली समेट कर किचन की ओर बढ़ी, तभी पीछे से राहुल और नवीन उस पर टूट पड़े. नवीन ने भाभी पूजा के दोनों पैर पकड़ लिए और राहुल ने गला घोंट कर उसे मार डाला. उस के बाद दोनों ने उस की लाश ले जा कर ऐसे सुला दी, जैसे वह बिस्तर पर सो रही हो. फिर बाद दोनों फरार हो गए. तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी के तीनों हत्यारोपी कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के, आरक्षक राहुल अस्के और नवीन अस्के जेल की सलाखों के पीछे कैद थे. पूजा की मौत का जितेंद्र को जरा भी गम नहीं था. Real Crime Story in Hindi

—कथा में सीमा परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है.

Hindi Stories love : अवैध संबंध का खौफनाक अंत – भतीजे ने चाची के प्यार में घोंटा चाचा का गला

Hindi Stories love : चाचीभतीजे का रिश्ता मांबेटे जैसा होता है. लेकिन जमना देवी ने 18 वर्षीय भतीजे मदनमोहन को अपने मोहपाश में ऐसा फांसा कि वह निकल न सका. फिर एक दिन…

राजस्थान के अलवर जिले के भिवाड़ी शहर के थाना यूआईटी के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को 15 फरवरी, 2021 की सुबह फोन पर सूचना मिली कि सेक्टर 4 व 5 के बीच सड़क पर एक व्यक्ति का शव पड़ा है. सूचना पा कर थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. मौके पर उन्हें वास्तव में एक युवक का शव पड़ा मिला. उन्होंने जब शव की जांच की तो उस के दोनों पैरों के अंगूठों से चमड़ी उधड़ी हुई दिखी. प्रथमदृष्टया ऐसा लग रहा था मानो मृतक की हत्या कहीं और कर के शव यहां ला कर डाला गया हो. पुलिस ने इस नजर से भी जांच की कि मृतक कहीं दुर्घटना का शिकार तो नहीं हो गया. मगर मौकाएवारदात और शव को देखने से ऐसा नहीं लग रहा था.

शव पर और किसी जगह चोट या रगड़ के निशान या खून निकला हुआ नहीं था. मामला सीधे हत्या का लग रहा था. मामला संदिग्ध लगा तो थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार ने मामले की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. भिवाड़ी एसपी राममूर्ति जोशी के संज्ञान में मामला आया तो उन्होंने एएसपी अरुण मच्या को घटनास्थल पर जा कर मामला देखने के निर्देश दिए. एएसपी अरुण मच्या और फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल टीम को भी वहां बुला कर साक्ष्य इकट्ठा करवाए. पुलिस अधिकारियों ने जांचपड़ताल के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भिजवा दिया. शव की शिनाख्त नहीं हुई थी. लेकिन जब तक शिनाख्त नहीं हो जाती.

तब तक पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठने वाली नहीं थी. पुलिस ने अज्ञात शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया. इस केस को सुलझाने के लिए एएसपी अरुण मच्या के निर्देशन में एक पुलिस टीम गठित की गई. इस टीम में यूआईटी थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार के साथ फूलबाग थानाप्रभारी जितेंद्र सिंह सोलंकी, एसआई अखिलेश, हैडकांस्टेबल मुकेश कुमार, राकेश कुमार, मोहनलाल, कर्मवीर, रामप्रकाश, राजेंद्र, संतराम, सुरेश, ओमप्रकाश व ऊषा को शामिल किया गया. मृतक की हुई शिनाख्त इस पुलिस टीम ने मृतक के फोटो एवं पैंफ्लेट बना कर भिवाड़ी में सार्वजनिक स्थानों पर लगवा कर लोगों से शव की शिनाख्त की अपील की. साथ ही पुलिस टीम ने 2 दिन में लगभग 800 घरों में संपर्क कर शव की शिनाख्त कराने की कोशिश की. वहीं पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले.

सीसीटीवी फुटेज में एक बाइक पर एक युवक और महिला किसी व्यक्ति को बीच में बैठा कर ले जाते दिखे. पुलिस ने मृतक की शिनाख्त कर ली. मृतक का नाम कमल सिंह उर्फ कमल कुमार था. मृतक कमल निवासी उमराया, छाता, जिला मथुरा का रहने वाला था और इन दिनों भिवाड़ी की प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में रह रहा था. पुलिस ने मृतक कमल के घर जा कर पूछताछ की तो मृतक की बीवी जमना देवी अपने पति की हत्या की बात सुन कर रोने लगी. पुलिस ने उसे ढांढस बंधाया और पूछताछ की. जमना देवी ने बताया कि उस का पति कमल एटीएम से रुपए निकलवाने गया था. जबकि मृतक के बड़े भाई भीम सिंह ने पुलिस को बताया कि 14 फरवरी, 2021 की रात कमल सिंह की पत्नी जमना देवी उन के घर आई थी. वह उस से बाइक की चाबी यह कह कर मांग कर लाई थी कि कमल को बल्लभगढ़ जाना है.

भीम सिंह ने तब बाइक की चाबी जमना को दे दी थी. पुलिस को लगा कि मृतक की बीवी गुमराह कर रही है. तब पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ करने के साथ ही सीसीटीवी फुटेज जमना देवी को दिखाई. सीसीटीवी फुटेज में बाइक पर बैठी महिला के कपड़े एवं जमना के पहने कपड़े एक ही थे. पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि कमल की हत्या में उस की पत्नी जमना का हाथ है. तब पुलिस ने जमना से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जमना टूट गई. उस ने कबूल कर लिया कि अपने प्रेमी और भतीजे मदनमोहन के साथ मिल कर पति की हत्या की थी. तब पुलिस ने मृतक कमल सिंह की बुआ के पोते 19 वर्षीय मदनमोहन को फरीदाबाद, हरियाणा से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने मदनमोहन को मोबाइल की लोकेशन के आधार पर साइबर सेल एक्सपर्ट की मदद से धर दबोचा था.

पुलिस गिरफ्त में आते ही मदनमोहन समझ गया कि उस का भांडा फूट गया है. इसलिए उस ने भी कमल सिंह की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. इस तरह 19 फरवरी, 2021 को पुलिस ने हत्या के इस मामले से परदा हटा दिया. मदनमोहन को यूआईटी थाना पुलिस थाने ले आई. शव की शिनाख्त होने के बाद कमल सिंह के शव का मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराया गया. मृतक के भाई भीम सिंह की तरफ से जमना देवी उर्फ लक्ष्मी जादौन और मदनमोहन जादौन के खिलाफ भादंसं की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया. आरोपियों जमना देवी उर्फ लक्ष्मी और उस के प्रेमी भतीजे मदनमोहन से की गई पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार निकली—

कमल सिंह और भीम सिंह जादौन सगे भाई थे. कई साल पहले वह अपने गांव उमराया, थाना छाता, जिला मथुरा, उत्तरप्रदेश से राजस्थान के अलवर के भिवाड़ी शहर में आ बसे थे. दोनों भाई भिवाड़ी में किराए के मकान में रहते थे. दोनों भाई माश मेटल कंपनी चौक भिवाड़ी में नौकरी करते थे. शादी के बाद दोनों भाई अलग हो गए थे. कमल सिंह अपनी पत्नी जमना देवी उर्फ लक्ष्मी के साथ प्रधान कालोनी, सेक्टर-2 में किराए के मकान में रहता था. वहीं भीम सिंह अपने बीवीबच्चों के साथ रामनिवास कालोनी, भिवाड़ी में रहता था. दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों की तनख्वाह भी अच्छीखासी थी. जिस से घरपरिवार का खर्च आराम से चल रहा था.

शादी में दे बैठे दिल जमना करीब एक साल पहले कमल की बुआ के पोते की शादी में गांव सांखी, मथुरा गई थी. शादी में वैसे भी सब लोग अच्छे कपड़े और शृंगार कर के शामिल होते हैं. महिलाएं और युवतियां तो ऐसे मौके पर सजनेसंवरने में कोई कसर नहीं छोड़तीं. जमना ने भी मेकअप करा कर अच्छे कपड़े पहने. वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. शादी श्रीचंद जादौन के बड़े बेटे की थी. दूल्हे का छोटा भाई मदनमोहन भी उस समय खूब सजाधजा हुआ था. वह शक्लसूरत से भी ठीक ही था. दूल्हे के आसपास घूमते मदनमोहन और जमना की नजरें एकदूसरे से मिलीं तो दोनों एकदूसरे से नजरें नहीं हटा सके. मदन को जहां जमना प्यारी लगी थी, वहीं जमना को भी मदन भा गया था. मदन उस समय 18 साल का गबरू जवान था. दोनों का रिश्ता वैसे तो चाचीभतीजे का था मगर उन की आंखों में एकदूजे के लिए अलग ही चाहत थी.

दोनों एकदूसरे को ऐसे देख रहे थे, मानो उन के अलावा उन के लिए वहां कोई और था ही नहीं. मदन ने जब भी इधरउधर देख कर जमना की तरफ देखा, वह उसे ही देखती मिली. मदनमोहन ने तब मौका पा कर जमना चाची से कहा, ‘‘चाची, क्या खूबसूरत लग रही हो. नयनों के तीर चुभो कर मेरा दिन घायल कर दिया.’’

सुन कर जमना हंस कर बोली, ‘‘तुम्हारे नयनों ने मेरा भी दिल घायल कर दिया. अब इस की मरहमपट्टी तुम्हें ही करनी पड़ेगी.’’

‘‘बंदा अभी हाजिर है. आप हुक्म करें. मैं दिल का नया डाक्टर हूं.’’ वह बोला.

‘‘अच्छा, तो डाक्टर साहब से दिल घायल हुआ उस का इलाज आज जरूर कराएंगे.’’ जमना ने हंस कर कहा.

ये बातें हो तो मजाक में रही थीं मगर दोनों के मन में एकदूजे के लिए चाहत जाग उठी थी. दोनों शादी के दौरान एकदूसरे से मिलते रहे. एकदूसरे की खूबसूरती की तारीफों के पुल बांधते रहे. मौका रात में मिला तो दोनों एकदूसरे की बांहों में समा गए. उन का चाचीभतीजे का रिश्ता वासना की आग में जल कर खाक हो गया. दोनों में एक नया रिश्ता कायम हो गया, जिस का अंत बहुत बुरा होने वाला था. अगले दिन जमना जब गांव सांखी बुआ सास के घर से भिवानी आने की तैयारी कर रही थी तो मदनमोहन ने कहा, ‘‘चाची, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे जाने के बाद मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी.’’

‘‘आज के बाद चाची नहीं जमना कहोगे.’’ जमना बोली.

तब मदनमोहन बोला, ‘‘जैसा आप का हुकम मेरी प्यारी डार्लिंग जमना. मुझे हर रोज फोन करना. मिलने भी बुलाना. क्योंकि मैं तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं कर पाऊंगा.’’

‘‘जरूर मेरे राजा, मुझे भी तुम्हारी बहुत याद सताएगी. याद करूं तब दौड़े आना.’’ वह बोली.

‘‘जरूर आऊंगा.’’ मदन ने जमना की ओर देखते हुए रुआंसे स्वर में कहा.

इस के बाद दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर लिया. जमना भिवाड़ी आ गई. वह भिवाड़ी आ जरूर गई थी, लेकिन अपना दिल तो भतीजे मदनमोहन के पास छोड़ आई थी. यही हाल मदनमोहन का भी था. उसे जमना के बगैर कुछ भी अच्छा नहीं लगता था. मगर करते भी तो क्या. दोनों फोन पर बातें कर के दिल को तसल्ली देते रहते. एकदो बार मदनमोहन भिवाड़ी भी आया और हसरतें पूरी कर वापस गांव मथुरा लौट आया. उन के बीच अवैध संबंध बने तो दोनों को दुनिया फीकी लगने लगी. मौका मिलने पर मदन भिवाड़ी आ कर जमना देवी से मिल जाता. दोनों कमल सिंह की गैरमौजूदगी में रास रचाते थे.

दोनों एकदूसरे से कोसों दूर रहते थे. एक भिवाड़ी में तो दूसरा मथुरा में. ऐसे में हर रोज मिलना संभव नहीं था. ऐसे में वे दोनों फोन पर बातें कर जी हलका करते थे. घटना से 6 महीने पहले एक दिन कमल ने अपनी पत्नी जमना को किसी से हंसहंस कर अश्लील बातें करते पकड़ लिया. तब कमल ने उस से पूछा कि किस से बातें कर रही थी. जमना ने बताया कि वह मदनमोहन से ही बात कर रही थी. तब उस ने कहा, ‘‘अरे शर्म नहीं आई तुझे उस से ऐसी बातें करते. अगर आज के बाद किसी से भी इस तरह की बात की तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

तब जमना ने कसम खा कर पति से कहा कि वह भविष्य में कभी भी मदनमोहन से बात नहीं करेगी. जमना ने पति से यह वादा कर तो लिया लेकिन मदन से बात किए बिना उस का मन नहीं लग रहा था. तब उस ने एक नई सिम ले ली. फिर वह उस नए नंबर से चोरीछिपे मदन से बतिया लेती. कमल ने सोचा कि बीवी ने मदनमोहन से बात करनी छोड़ दी है. 2 महीने बाद जमना को पुन: मदनमोहन से फोन पर बातें करते समय कमल ने पकड़ लिया. तब कमल ने जमना को जम कर पीटा और मदनमोहन को भी फोन कर के धमकाया, ‘‘हरामजादे, तेरे खिलाफ अपनी बीवी से बलात्कार करने का मुकदमा दर्ज कराऊंगा. तब तू सुधरेगा.’’

इतनी पिटाई के बाद भी जमना नहीं सुधरी. उसे अपने प्रेमी से बात करनी नहीं छोड़ी. इस के बाद कमल सिंह ने एक बार फिर बीवी को मदनमोहन से बात करते पकड़ा. तब बीवी को पीटा और मदनमोहन को धमकी दी कि उस ने अगर 2 लाख रुपए नहीं दिए तो वह बलात्कार का मामला दर्ज करा कर सारे परिवार व रिश्तेदारों से तुम दोनों के अवैध संबंधों की पोल खोल देगा. मदनमोहन डर गया. उस ने कहा कि उस के पास इतने रुपए नहीं हैं. वह रुपए किस्तों में दे देगा. वह बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज न कराएं. इस के बाद कमल ने 14 फरवरी, 2021 को फोन कर मदनमोहन को भिवाड़ी बुलाया. शाम 5 बजे मदनमोहन भिवाड़ी स्थित कमल के घर आया. इस के बाद कमल और मदनमोहन ने साथ बैठ कर शराब पी.

जब शराब का नशा चढ़ा तो कमल ने मदनमोहन से पूछा कि 2 लाख रुपए देगा तो बलात्कार का मामला दर्ज नहीं कराऊंगा. तब मदनमोहन ने कहा कि वह किस्तों में रुपए जरूर दे देगा. इस के बाद कमल, जमना व मदनमोहन कमरे में एक ही बैड पर सो गए. कमल के दिमाग में तो उस समय कुछ और ही चल रहा था. वह चुपके से उठा और पास में सो रही अपनी बीवी और मदनमोहन के इस तरह फोटो खींचने लगा जैसे वे दोनों एक साथ सो रहे हैं. फोटो खींच कर कमल ने मदनमोहन और जमना को जगा कर कहा, ‘‘अब मैं रिश्तेदारों को फोन कर के बुलाता हूं और पूरी कालोनी के लोगों को बुला कर बताता हूं कि मैं ने तुम दोनों को शारीरिक संबंध बनाते रंगेहाथों पकड़ा है.’’

तब कमल की पत्नी जमना बोली कि ऐसा मत करो. लेकिन कमल नहीं माना और जिद करने लगा कि वह लोगों को तुम्हारे अवैध संबंधों के बारे में बता कर ही रहेगा. अपनी पोल खुलने के डर से मदनमोहन ने कमल सिंह को पकड़ लिया और जमना ने अपनी चुन्नी पति के गले में डाल कर जोर से कस दी, जिस से कमल की मृत्यु हो गई. तब मदन और जमना के हाथपांव फूल गए. मगर कमल तो मर चुका था. तब दोनों ने कमल की लाश ठिकाने लगाने की योजना बनाई, जिस के तहत जमना उसी समय अपने जेठ भीम सिंह के घर गई और उन की बाइक की चाबी यह कह कर ले आई कि कमल को अभी एटीएम से पैसे निकालने बल्लभगढ़ जाना है.

जमना और मदन ने कमल की बाइक पर रात करीब एक बजे कमल के शव को इस तरह दोनों के बीच बिठा कर रखा जैसे किसी बीमार को अस्पताल ले जा रहे हैं. दोनों बाइक पर शव को बाबा मोहनराम के जंगलों में डालने के लिए रवाना हुए लेकिन सड़क पर आने पर बाइक के पीछे पुलिस गश्त की मोटरसाइकिल देख कर मदनमोहन ने बाइक हेतराम चौक से सेक्टर-5 की तरफ मोड़ दी. सेक्टर-5 व 6 वाली रोड पर बस की लाइट दिखाई देने पर दोनों ने शव को सेक्टर-5 में खाली प्लौट के सामने सड़क किनारे पटक दिया और वापस घर आ गए. मोटरसाइकिल पर मृतक कमल के पैर जमीन पर लटक रहे थे, जिस के कारण दोनों पैरों के अंगूठे आगे से रगड़ कर छिल गए थे. लाश ठिकाने लगाने के बाद आरोपी मदनमोहन फरीदाबाद चला गया.

अगली सुबह यानी 15 फरवरी, 2021 सड़क पर शव देख कर साढ़े 7 बजे थाना यूआईटी भिवाड़ी फेज-3 के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को किसी राहगीर ने शव पड़े होने की सूचना दी. इस के बाद थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. पुलिस ने मृतक की बाइक और जमना देवी व मदनमोहन के मोबाइल जब्त कर के पूछताछ के बाद दोनों को भिवाड़ी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. Hindi Stories love