Murder Story : गन्ने के खेत में लेकर क्यों पत्नी ने पति को मरवाया

Murder Story : पतिपत्नी के बीच सब से बड़ी डोर विश्वास होती है, जिस के सहारे घरगृहस्थी चलती है. इसी विश्वास के नाते लाखों लोग घर से सैकड़ोंहजारों किलोमीटर दूर नौकरियां करते हैं. लेकिन जब किसी तीसरे की वजह से विश्वास की डोर कमजोर पड़ती है तो कई जिंदगियों में जलजला सा…

जिला मुरादाबाद से करीब 19 किलोमीटर दूर है थाना मूंढापांडे. इसी थाना क्षेत्र का एक गांव है जैतपुर विशाहट. रोहित सिंह इसी गांव का मूल निवासी था. वैसे वह अपनी पत्नी अन्नू के साथ मुरादाबाद शहर में रहता था. मुरादाबाद की पीतल बस्ती के कमल विहार में उस ने 400 वर्गगज में अपना मकान बनवा रखा था. रोहित पेशे से ट्रक ड्राइवर था और बरेली की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी करता था. रोहित हफ्ते में कम से कम एक बार अपने गांव जैतपुर जरूर जाता था. गांव में उस के पिता सत्यभान सिंह परिवार के साथ रहते थे.

रोहित का गांव मूंढापांडे कस्बे से करीब 6 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह गांव से बाइक से मूंढापांडे तक आता था और वहां पर भारतीय स्टेट बैंक के पास एक मोटर मैकेनिक की दुकान पर बाइक खड़ी कर के बस से बरेली चला जाता था. 23 अगस्त, 2020 को रोहित बरेली जाने के लिए अपने गांव जैतपुर विशाहट से दोपहर करीब 12 बजे बाइक ले कर  निकला. रात करीब 8 बजे रोहित के पिता सत्यभान सिंह ने रोहित को फोन किया तो उस का फोन बंद मिला. पिता ने उसे कई बार फोन मिलाया लेकिन हर बार फोन बंद मिला.

ऐसा कभी नहीं होता था, इसलिए फोन न मिलने से सत्यभान सिंह चिंतित हुए. उन्होंने बरेली की उस ट्रांसपोर्ट कंपनी में फोन किया, जहां रोहित नौकरी करता था. पता चला रोहित उस दिन अपनी ड्यूटी पर पहुंचा ही नहीं था.  सत्यभान परेशान हो गए. उन्होंने मुरादाबाद में रह रही रोहित की पत्नी अन्नू से पूछा तो उस ने  बताया कि वह मुरादाबाद नहीं आए, अपनी ड्यूटी पर ही होंगे. जबकि रोहित ड्यूटी पर नहीं पहुंचा था. बेटे की चिंता में सत्यभान और उन के घर वालों को रात भर नींद नहीं आई. सुबह होने पर वह उस मोटर मैकेनिक की दुकान पर पहुंचे, जहां रोहित अपनी बाइक खड़ी किया करता था. मैकेनिक ने बताया कि रोहित ने उस के यहां बाइक खड़ी नहीं की थी और न ही आया था.

उधर अन्नू भी पति का फोन बंद मिनने से परेशान थी. अपनी चिंता वह ससुर से व्यक्त कर रही थी. सत्यभान ने अपने तमाम रिश्तेदारों के यहां भी फोन कर के रोहित के बारे में  पता किया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. अंतत: सत्यभान ने 24 अगस्त, 2020 को थाना मूंढापांडे में बेटे रोहित की गुमशुदगी दर्ज करा दी. थानाप्रभारी नवाब सिंह ने गुमशुदगी दर्ज होने के बाद जरूरी काररवाई  शुरू कर दी. 2 दिन हो गए, रोहित का कहीं पता नहीं चला. घरवाले उस की चिंता में परेशान थे. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें.

25 अगस्त, 2020 मंगलवार  के अखबारों में अमरोहा देहात थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति की लाश मिलने की खबर छपी. लाश गांव कंकरसराय के गन्ने के एक खेत से मिली थी. उस का सिर कुचला हुआ था. सत्यभान के एक रिश्तेदार अमरोहा में रहते थे. रिश्तेदार ने सत्यभान को गन्ने के खेत में लाश मिली होने की जानकारी दी. साथ ही यह भी बताया कि मृतक के हाथ पर रोहित लिखा हुआ है, इसलिए आप अमरोहा देहात थाने आ कर लाश देख लें. खबर मिलते ही सत्यभान सिंह 26 अगस्त को परिवार के लोगों के साथ अमरोहा देहात थाने पहुंच गए. थानाप्रभारी ने सत्यभान को बरामद लाश के फोटो व कपड़े दिखाए. कपड़ों से सत्यभान ने पहचान लिया कि कपड़े उन के बेटे रोहित के हैं.

थानाप्रभारी लाश की शिनाख्त के लिए उन्हें जिला अस्पताल ले गए. मोर्चरी में रखी लाश देखते ही सत्यभान फूटफूट कर रोने लगे. वह लाश उन के बेटे रोहित की ही थी. लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद थानाप्रभारी ने राहत की सांस ली. पोस्टमार्टम हो जाने के बाद लाश उसी दिन मृतक के घर वालों को सौंप दी गई. पोस्टमार्टम में पता चला कि रोहित की मौत गला दबाने से हुई थी. इस के अलावा उस के सिर और लिंग को ईंट से बुरी तरह कुचला गया था. चूंकि गुमशुदगी का मामला थाना मूंढापांडे में दर्ज हुआ था, इसलिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट थाना मूंढापांडे पुलिस के पास आ गई.

थानाप्रभारी नवाब सिंह मामले को सुलझाने में जुट गए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचे कि हत्यारे की मृतक रोहित से कोई गहरी दुश्मनी थी, इसलिए उस ने इतनी क्रूरता दिखाई. उन्होंने मृतक के पिता से पूछा कि उन की किसी से कोई रंजिश वगैरह तो नहीं है? अगर उन्हें किसी पर कोई शक हो तो बता दें. सत्यभान सिंह ने मुरादाबाद की पीतल बस्ती के कमल विहार निवासी अजय पाल व 2 अन्य लोगों पर शक जताया. इस के बाद थानाप्रभारी ने एक टीम गठित की और 28 अगस्त को नामजद आरोपी अजय पाल और उस के साथी कुलदीप सैनी को मुरादाबाद स्थित उन के घरों से गिरफ्तार कर लिया.

उन दोनों से सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने मान लिया कि रोहित की हत्या उन्होंने ही की थी और यह सब कुछ मृतक की पत्नी अन्नू के इशारे पर किया था. पुलिस ने अन्नू और अजय पाल के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि घटना के दिन दोनों ने आपस में कई बार बात की थी और एकदूसरे को मैसेज भी भेजे थे. दोनों से पूछताछ के बाद रोहित की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प थी. करीब 10 साल पहले रोहित सिंह की शादी संभल जिले के गांव भोजपुर की अन्नू के साथ हुई थी. उस समय रोहित मुरादाबाद में आटोरिक्शा चलाया करता था.

रोहित का गांव मुरादाबाद शहर से करीब 19 किलोमीटर दूर था, इसलिए उसे रोजाना आनेजाने में परेशानी होती थी. इस परेशानी से बचने के लिए उस ने मुरादाबाद की पीतल बस्ती में 400 वर्गगज का एक प्लौट खरीद लिया. 5 साल पहले उस ने प्लौट पर अपना मकान बनवा लिया. उस की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. उस के 2 बच्चे थे, एक बेटा और एक बेटी. रोहित का एक दोस्त था अजय पाल. वह भी मुरादाबाद में आटोरिक्शा चलाता था. इसलिए दोनों की दोस्ती हो गई थी. शाम को दोनों अकसर साथ बैठ कर शराब पीते थे. अजय पाल का रोहित के घर आनाजाना लगा रहता था.

बाद में रोहित सिंह की बरेली की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी लग गई. वह ट्रांसपोर्ट कंपनी का ट्रक चलाता था, जिस की वजह से वह कईकई दिन बाद घर लौटता था. उसी दौरान अजय पाल के रोहित की पत्नी अन्नू से अवैध संबंध बन गए. पति की गैरमौजूदगी में अन्नू अपने प्रेमी के साथ खूब मौजमस्ती करती थी. उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था, इसलिए किसी का डर भी नहीं था. रोहित जब बरेली से घर लौटता तो पत्नी को फोन कर के सूचना दे देता था. अन्नू सतर्क हो जाती और प्रेमी से भी सतर्क रहने के लिए कह देती थी. घर लौटने के बाद रोहित की अपने दोस्त अजय पाल के साथ महफिल सजती थी. रोहित दोस्त पर विश्वास करता था, यह अलग बात थी कि वही दोस्त विश्वास की आड़ में उस के घर में सेंध लगा चुका था.

2-3 दिन घर रुकने के बाद रोहित मातापिता से मिलने अपने गांव जैतपुर वशाहट जाता और फिर अगले दिन वहीं से ड्यूटी पर बरेली चला जाता था. उधर अन्नू और अजय पाल के संबंध गहरे होते जा रहे थे. उन्होंने जीवन भर साथ रहने की कसम खा ली थी. अजय अन्नू पर घर से भाग चलने का दबाव डालता था, लेकिन अन्नू घर से भागने को मना कर देती. वह कहती थी कि घर से भागने की जरूरत क्या है, यदि रोहित का काम तमाम कर दो तो रास्ता अपने आप साफ हो जाएगा.

अन्नू के प्यार में अंधे हो चुके अजय पाल को प्रेमिका की यह सलाह बहुत अच्छी लगी. उस ने अन्नू से वादा कर दिया कि वह रोहित का काम तमाम करा देगा. इस के बाद अन्नू और अजय पाल ने रोहित को ठिकाने लगाने की योजना बनानी शुरू कर दी. अजय ने इस बारे में अपने दोस्त कुलदीप सैनी से बात की. वह भी अजय का साथ देने को तैयार हो गया. फिर वे उचित मौके का इंतजार करने लगे. 23 अगस्त, 2020 को उन्हें यह मौका मिल गया. क्योंकि उस दिन रोहित ड्यूटी से अपने घर मुरादाबाद आया हुआ था और उसी दिन उसे मुरादाबाद से अपने गांव जैतपुर वशाहट जाना था. सुबह 9 बजे नाश्ता करने के बाद वह बाइक से गांव जाने के लिए निकल गया.

अन्नू ने यह जानकारी फोन से अजय को दे दी. योजना के अनुसार अजय पाल अपने साथी कुलदीप सैनी को ले कर पीतल बस्ती के आगे गुलाबबाड़ी में सड़क किनारे खड़े हो कर रोहित के आने का इंतजार करने लगा. रोहित वहां पहुंचा तो अजय ने हाथ दे कर उस की बाइक रुकवाई. अजय ने कुलदीप का परिचय रोहित से कराते हुए कहा कि इस की बहन मूंढापांडे में रहती है. हम लोग वहीं जा रहे हैं. तुम हमें मूंढापांडे छोड़ कर अपने गांव निकल जाना. रोहित दोस्त की बात नहीं टाल सका. वह दोनों को अपनी बाइक पर बैठा कर चल दिया. अजय पाल और कुलदीप को मूंढापांडे छोड़ने के बाद रोहित अपने गांव जैतपुर विशाहट चला गया.

उस ने अजय को बता दिया कि वह मातापिता से मिलने के बाद आज ही ड्यूटी पर बरेली चला जाएगा. उस का गांव मूंढापांडे से करीब 6 किलोमीटर दूर था. अजय पाल को अपनी योजना को अंजाम देना था, इसलिए वह मूंढापांडे में ही रोहित के लौटने का इंतजार करने लगा. अजय को यह बात पता थी कि रोहित अपनी बाइक मूंढापांडे में एक मैकेनिक के पास खड़ी कर के बस से बरेली जाता है, इसलिए अजय और कुलदीप उस के आने का इंतजार करने लगे. मातापिता से मिलने के बाद रोहित ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकल गया. उसे अपनी बाइक मैकेनिक के पास खड़ी करनी थी, लेकिन उस से पहले ही रास्ते में उसे अजय पाल और कुलदीप  खड़े मिले. उन्हें देखते ही रोहित ने बाइक  रोक दी. उस ने पूछा, ‘‘तुम लोग अभी तक यहीं हो.’’

‘‘हां, हम तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे.’’ अजय बोला.

‘‘क्यों, क्या कोई खास बात है?’’ रोहित ने पूछा.

‘‘हां भाई, बात खास है तभी तो तुम्हारा इंतजार कर रहे थे.’’ अजय ने कहा.

‘‘बताओ क्या बात है?’’

‘‘रोहित बात यह है कि यहां पर कुलदीप के किसी के पास मोटे पैसे फंसे हुए थे. आज सारे पैसे मिल गए. इसलिए हम लोग बहुत खुश हैं और इसी खुशी में आज पार्टी करना चाहते हैं.’’ अजय बोला.

‘‘नहीं यार, अभी तो मैं ड्यूटी पर जा रहा हूं. फिर कभी पार्टी कर लेंगे.’’

‘‘अरे यार, एकएक पेग लेने में क्या बुराई है.’’ अजय ने जोर डाला.

रोहित अपने दोस्त की बात को टाल नहीं सका. तभी अजय का दोस्त कुलदीप सैनी एक बोतल और पकौड़े ले आया. तीनों ने पकौड़े के ठेले पर ही शराब पीनी शुरू कर दी. रोहित पर नशा ज्यादा चढ़ गया तो वह बोला, ‘‘आज मैं ड्यूटी नहीं जाऊंगा.’’ वे तीनों बाइक से दलपतपुर जीरो पौइंट हाइवे पर आ गए. हाइवे से सटा हुआ एक गांव है मछरिया. वहीं पर कुलदीप ने रोहित का मोबाइल ले कर उस की बैटरी निकाल दी, ताकि उस का किसी से संपर्क न हो सके.

इस के बाद तीनों हाइवे से होते हुए कस्बा पाकवड़ा पहुंचे. पाकवड़ा में तीनों ने फिर शराब पी और खाना खाया. खाना खाने के बाद रोहित ने घर चलने को कहा तो अजय बोला, ‘‘अभी चलते हैं. हमें अमरोहा में कुछ जरूरी काम है. अमरोहा यहां से थोड़ी ही दूर है. बस, काम निपटा कर आ जाएंगे.’’

अजय और कुलदीप अपनी योजना के अनुसार रोहित को अमरोहा ले गए. रात करीब 10 बजे तीनों अमरोहा देहात के गांव कंकरसराय पहुंचे. उस समय तक रोहित को ज्यादा नशा चढ़ चुका था. नशे की हालत में दोनों उसे गन्ने के खेत में ले गए और गला दबा कर उस की हत्या कर दी. रोहित की हत्या करने के बाद उन्होंने उस का सिर ईंट से कुचल दिया, जिस से उस का चेहरा पहचान में न आ सके. इस के अलावा उन्होंने उस के लिंग को भी ईंट से कुचल दिया. हत्या से पहले अजय के मोबाइल पर रोहित की पत्नी अन्नू का फोन आया था. अंजू ने उस से कहा था कि किसी भी हालत में रोहित को जिंदा मत छोड़ना.

मरने से पहले रोहित दोनों के सामने गिड़गिड़ाया था कि यार मुझ से क्या गलती हो गई, मुझे क्यों मार रहे हो लेकिन उन का दिल नहीं पसीजा. कुलदीप ने रोहित की टांगें पकड़ लीं और अजय ने गला दबा कर उस की हत्या कर दी थी. अजय ने हत्या की जानकारी अन्नू को दे दी थी. हत्यारों को  विश्वास था कि यहां रोहित की लाश कुछ दिनों में सड़गल जाएगी और पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंचेगी लेकिन उन की यह सोच गलत साबित हुई. वे पुलिस के हत्थे चढ़ ही गए. अभियुक्त अजय पाल और कुलदीप सैनी से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें रोहित की हत्या कर शव छिपाने के आरोप में गिरफ्तार कर 28 अगस्त, 2020 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया.

इस मामले में मृतक रोहित की पत्नी अन्नू का भी हाथ था, इसलिए पुलिस ने 29 अगस्त को अन्नू को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में अन्नू ने भी अपना गुनाह कबूल कर लिया. पुलिस ने उसे भी न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Aligarh News : सास दामाद की लवस्टोरी

Aligarh News : 16 अप्रैल, 2025 को मानसी की शादी राहुल के साथ होनी थी. ज्योंज्यों शादी की तारीख नजदीक आ रही थी, मानसी की खुशी बढ़ती जा रही थी. लेकिन शादी से 10 दिन पहले अचानक मानसी की 38 वर्षीय मम्मी अपने होने वाले 27 वर्षीय दामाद राहुल के साथ भाग गई. फिर क्या था, जल्द ही सासदामाद की लव स्टोरी पूरे देश में वायरल हो गई. आखिर क्या है, इस चर्चित लव स्टोरी के पीछे की कहानी?

16 अप्रैल, 2025 को उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के गांव मनोहर कायस्थ निवासी जितेंद्र कुमार उर्फ जीतू की बेटी मानसी की शादी थी. घर में शादी की जोरशोर से तैयारियां चल रही थीं. शादी के कार्ड छप चुके थे और उन्हें अपने रिश्तेदारों और परिचितों को बांटने का काम चल रहा था.

6 अप्रैल, 2025 को जितेंद्र की पत्नी अपना देवी उर्फ सपना ने पति से कहा, ”आप अपनी साली को भी बिटिया की शादी का कार्ड दे आओ.’’

इस पर जितेंद्र अपनी साली को कार्ड देने चला गया. रात लगभग 8 बजे जितेंद्र घर लौट कर आया. घर में जितेंद्र को जब पत्नी सपना नहीं दिखाई दी तो उस ने बेटी मानसी से पूछा, ”तेरी मम्मी दिखाई नहीं दे रही, कहीं गई है क्या?’’

मानसी ने बताया, ”मम्मी कुछ सामान लेने की बात कह कर शाम साढ़े 4 बजे गई थी, लेकिन अब तक नहीं लौटी है. कई बार फोन किया तो हर बार उन्होंने यही जबाव दिया कि बाजार में हूं, अभी कुछ देर में आती हूं.’’

जितेंद्र को लगा कि वह शादी के लिए कोई सामान खरीदने या किसी रिश्तेदार के घर गई होगी. उस ने कहा आ जाएगी किसी काम में फंस गई होगी.

जब रात के 10 बज गए तो जितेंद्र को चिंता हुई. फोन मिलाया तो पत्नी का फोन स्विच्ड औफ था. तब रिश्तेदारों को फोन लगा कर पत्नी के बारे में पूछा. लेकिन सब तरफ से उसे निराशा ही हाथ लगी.

पत्नी के साथ ऐसा क्या हुआ, जो उस का मोबाइल फोन भी बंद हो गया है. घबरा कर जितेंद्र ने अपने समधी होरीलाल नायक को फोन मिलाया और पत्नी सपना के बारे में जानकारी दी. उन्होंने होने वाले दामाद राहुल से बात कराने को कहा.

इस पर समधी होरीलाल ने बताया कि राहुल शादी के लिए शेरवानी व अन्य कपड़े खरीदने उत्तराखंड जाने को कह कर शाम को घर से निकला है.

तब जितेंद्र को दाल में कुछ काला नजर आने लगा. लड़की की मम्मी और दामाद दोनों अपने घर से एक ही समय पर निकले हैं.

परेशान जितेंद्र ने तब अपने होने वाले दामाद राहुल को फोन लगाया. 2-3 बार तो उस ने फोन काट दिया. फिर एक बार बात की. पहले तो वह टालमटोल करता रहा, फिर रात साढ़े 10 बजे उस ने होने वाले ससुर जितेंद्र को पूरी कहानी बता दी. राहुल ने आगे कहा, ”तुम्हारी शादी को 20 साल होने जा रहे हैं. इन को (सपना को) तुम ने बहुत परेशान किया है, अब इन्हें भूल जाओ. इन के बारे में कुछ मत सोचना.’’

होने वाले दामाद के ये धमकी भरे शब्द सुन कर जितेंद्र के पैरों तले जमीन खिसक गई. बेटी मानसी को पता चला तो उस के होश उड़ गए, क्योंकि 16 अप्रैल को राहुल से उस की शादी होने वाली थी और उस की शादी के 10 दिन पहले उस की मम्मी उस के होने वाले पति के साथ भाग गई.

होने वाले दामाद का यह जवाब सुन कर जितेंद्र समझ गया कि राहुल के साथ ही उस की पत्नी चली गई है.

बेटी की शादी से 10 दिन पहले पत्नी के घर से अचानक होने वाले दामाद के साथ भाग जाने से जितेंद्र बहुत परेशान हो गया. जितेंद्र की आंखों की नींद उड़ चुकी थी. अब वह करे तो क्या करे? पत्नी से बात करना अब बेकार था, क्योंकि पत्नी ने अपना मोबाइल स्विच औफ कर रखा था. अब राहुल ने भी अपना मोबाइल फोन बंद कर लिया था.

थकहार कर जितेंद्र कुमार ने जानपहचान वालों और अपने छोटे भाई को फोन कर पत्नी के होने वाले दामाद राहुल के साथ चले जाने की बात बताई. सारी रात उस ने जागते हुए काटी.

होने वाले दामाद के साथ क्यों भागी सपना

दूसरे दिन 7 अप्रैल को जितेंद्र ने थाना मडराक पहुंच कर अपनी 38 वर्षीय पत्नी अपना देवी उर्फ सपना की गुमशुदगी दर्ज कराई. आरोप लगाया कि उस की पत्नी 6 अप्रैल को शाम साढ़े 4 बजे घर से बिना बताए घर में रखे रुपए व जेवरात, जो बेटी की शादी के लिए रखे हुए थे, ले कर कहीं चली गई है. जिसे काफी तलाश किया, लेकिन कहीं कोई पता नहीं चला. पत्नी के पास एक मोबाइल भी है, जो स्विच औफ आ रहा है.

सासदामाद की लव स्टोरी में यह भी पता चला है कि दामाद राहुल की तबियत खराब होने पर सास अपना देवी पहली मार्च, 2025 को अपने गांव मनोहरपुर से 60 किलोमीटर दूर स्थित राहुल के घर गांव मछरिया में उसे देखने गई थी. शाम को जब सास अपना देवी दामाद का हाल जानने के बाद अपने घर जाने लगी तो राहुल ने उस से एक दिन और रुकने का आग्रह किया.

इस पर सास सपना दामाद राहुल की बात टाल नहीं सकी और वहीं रुक गई. राहुल के कहने पर इस तरह वह 5 दिन तक रुकी रही. इस बीच राहुल के कमरे में दोनों एक ही पलंग पर सोते थे. सास और दामाद का रिश्ता मांबेटे का माना जाता है, इसलिए किसी ने इस पर आपत्ति नहीं की.

इन 5 दिनों में दोनों ने क्या गुल खिलाया, किसी को पता नहीं चल सका. 6 मार्च को राहुल अपनी सास अपना देवी को उस के घर के पास स्थित प्राइमरी स्कूल के पास छोड़ कर वापस अपने घर चला गया.

भावी दामाद राहुल के साथ 5 दिन रहने के दौरान दोनों के बीच ऐसा प्यार हुआ कि दोनों अब एकदूसरे से बिना बात किए नहीं रह पाते थे.

जितेंद्र 31 मार्च को राहुल के घर पीली चिट्ठी दे कर आया था. एक लाख रुपए भी दिए थे. बाकी रुपए शादी पर देने थे. पत्नी के अपने होने वाले दामाद से लगातार 15-16 घंटे बात करने पर एक बार जब जितेंद्र ने उस से पूछा कि किस से बात कर रही हो तो पत्नी ने बताया कि रिश्तेदारी में बात कर रही थी.

जितेंद्र को लगा कि पत्नी बेटी की शादी के बारे में रिश्तेदारों व मायके वालों से बात करती होगी. दामाद पत्नी से बात करता था, जबकि वह बेटी मानसी से बिलकुल बात नहीं करता था.

जितेंद्र ने बताया कि फोन पर दोनों के घंटों बात करने पर शक तो हमें भी था, लेकिन दामाद और सास का रिश्ता पवित्र होता है इसलिए ध्यान नहीं दिया. पता चला कि दोनों की प्रेम कहानी 3 महीने से चल रही थी. राहुल दिसंबर 2024 से पत्नी से लगातार बात कर रहा था.

जितेंद्र कुमार उर्फ जीतू उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के थाना मडराक के अंतर्गत मथुरा रोड स्थित गांव मनोहर कायस्थ का निवासी है. उस ने बताया कि उस की शादी अपना देवी के साथ सन 2007 में हुई थी.

वह बेंगलुरु में कपड़े की फेरी लगाता है. इस कारण गांव कम ही आ पाता है. उस के 3 बच्चों में सब से बड़ी बेटी 18 साल की मानसी व 12 व 8 साल के 2 बेटे हैं. उस ने जीतोड़ मेहनत कर बेटी की अच्छी शादी करने के सपने संजोए थे. मार्च में ही जितेंद्र बेंगलुरु से अपने घर आया था, क्योंकि अब बेटी की शादी के कम दिन रह गए थे.

जितेंद्र ने बताया कि बेटी मानसी की शादी के लिए घर की अलमारी मे रखे साढ़े 3 लाख नकद तथा करीब साढ़े 5 लाख रुपए की ज्वैलरी ले कर पत्नी भागी है.

जितेंद्र ने बताया कि 8 महीने पहले थाना दादों के गांव मछरिया निवासी होरीलाल के बेटे राहुल के बारे में इंदौर में रहने वाले एक रिश्तेदार ने उसे बताया था. राहुल और उस का घरपरिवार भी देखने में अच्छा लगने के बाद बेटी मानसी का रिश्ता तय किया था.

होरीलाल के पास खेती की जमीन भी थी. बेटी मानसी 8वीं कक्षा तक पढ़ी थी. राहुल शादीविवाह तथा अन्य त्यौहारों पर मेहंदी लगाने का काम करता था. राहुल अपने परिवार में सब से बड़ा था, दूसरे नंबर की बहन है जिस की शादी हो गई है. इस के अलावा एक बहन, 2 भाई और हैं.

बेटी के सपनों को मम्मी ने किया चकनाचूर

मम्मी की हरकत से बेटी मानसी के सपने चकनाचूर हो गए. दुलहन के जोड़े में सजने का सपना देख रही मानसी के आंसू नहीं थम रहे. जिस लड़के से उस की शादी होने वाली थी, उसी के साथ मम्मी भाग गई. इस हादसे के बाद बेटी की तबियत बिगड़ गई. उसे घर पर ही ड्रिप चढ़वानी पड़ी. इस घटना के बाद पूरा परिवार सदमे में है. बेटी को ढांढस बंधाने आसपास की महिलाएं घर पर आने लगी थीं.

बेटी मानसी ने बताया कि मम्मी घर से करीब साढ़े 3 लाख रुपए और साढ़े 5 लाख रुपए के जेवर ले कर गई है. अब हमारे घर में 10 रुपए तक नहीं बचे हैं. उस ने कहा कि हमें सिर्फ अपना पैसा और जेवर वापस चाहिए. गुस्साई बेटी मानसी ने कहा कि दोनों कहीं भी जा कर मरें. हमें फर्क नहीं पड़ता.

सीओ (इगलास) महेश कुमार ने बताया, ”घर से गायब हुई महिला अपना देवी उर्फ सपना और युवक राहुल दोनों ही बालिग हैं. वे अपना अच्छाबुरा सोचने के लिए आजाद हैं. इसलिए कानूनी तौर पर कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है. लेकिन महिला के पति जितेंद्र ने लिखित शिकायत दी है कि पत्नी घर से जेवर और नकदी ले कर गई है, इसलिए गुमशुदगी दर्ज कर सर्विलांस और थाने की टीम को जांच में लगाया गया है.’’

पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया कि मानसी और राहुल की शादी तय हो जाने के बाद होने वाले दामाद ने एक मोबाइल की मांग की. इस पर सास सपना और ससुर जितेंद्र ने राहुल को एक स्मार्टफोन गिफ्ट किया था.

राहुल के जीजा के पास जितेंद्र की पत्नी का नंबर था, क्योंकि उन से अकसर बात होती रहती थी. उन के मोबाइल से राहुल ने अपनी सास का नंबर ले लिया और वह उस से बात करने लगा. इस तरह दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई और नजदीकियां बढ़ गईं.

दोनों में दिनरात बातचीत होती थी, कभीकभी तो 20-22 घंटे तक होती थी. दुलहन की मम्मी अपना देवी का होने वाले दामाद राहुल के साथ अफेयर शुरू हो गया. इस की भनक किसी को नहीं लगी. शादी के कार्ड तक बंट चुके थे. दहेज का सामान भी तैयार रखा हुआ था, लेकिन उस से पहले ही 27 वर्षीय राहुल अपनी होने वाली 38 वर्षीया सास अपना देवी उर्फ सपना को ले उड़ा.

इस अजीबोगरीब घटना से दोनों परिवारों में तनाव का माहौल बन गया. दोनों तरफ से शादी के कार्ड बांटे जा चुके थे और रिश्तेदारों को न्योता दिया जा चुका था. अब फेमिली वाले इस प्रेम कहानी से हतप्रभ थे. दोनों ही परिवार चाहते थे कि अपना देवी और राहुल लौट आएं, वे चाहते थे कि पुलिस जल्द से जल्द दोनों को पकड़ ले, ताकि इस लव स्टोरी का अंत हो सके.

सास पर लगाया वशीकरण का आरोप

6 अप्रैल, 2025 को राहुल अपने घर से यह कह कर निकला था कि वह शादी के कपड़ों की खरीदारी करने जा रहा है. बाद में उस ने अपने पापा होरीलाल को फोन कर कहा कि मुझे मत खोजना, मैं जा रहा हूं.

पापा कुछ पूछते, इस से पहले ही राहुल ने मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. होरीलाल ने कहा कि वह सब से बड़ा बेटा था. बेटे ने समाज में इज्जत को बट्टा लगाया है. इसलिए बेटे से अब किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखा जाएगा. उन्होंने उसे संपत्ति तक से बेदखल करने की बात कही. उन्होंने राहुल की सास अपना देवी पर बेटे पर वशीकरण करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि बीमारी के दौरान जब वो राहुल को देखने आई तो उस ने राहुल की बांह व कमर में ताबीज बांध दिया था.

बहुचर्चित सासदामाद की इस लव स्टोरी को प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक व सोशल मीडिया पर खूब उछाला गया. लोगों ने चटकारे ले कर खूब चर्चा की. मीम भी बने. यहां शादी से महज 10 दिन पहले होने वाला दामाद अपनी दुलहन नहीं, बल्कि होने वाली सास के साथ ही भाग गया.

मामले ने जब तूल पकड़ा, तब पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे चैक किए. कासगंज रेलवे स्टेशन पर केवल राहुल दिखाई दिया, अपना देवी उस के साथ नहीं दिखाई दी. वहीं दोनों की लोकेशन पता लगाने की कोशिश की गई. पुलिस ने आखिर पता लगा लिया कि दोनों कहां छिपे बैठे हैं. उन की लोकेशन उत्तराखंड के रुद्रपुर की दिखाई दी.

ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित रुद्रपुर अलीगढ़ से 206 किलोमीटर दूर है. पुलिस की टीम दोनों को पकडऩे के लिए रुद्रपुर रवाना हो गई. दरअसल, राहुल पहले रुद्रपुर में जौब करता था. ऐसे में अनुमान लगाया गया कि दोनों अलीगढ़ से भाग कर वहीं गए होंगे. लेकिन जब पुलिस टीम वहां पहुंची, तब तक दोनों वहां से निकल चुके थे.

बीचबीच में राहुल अपना मोबाइल फोन औन करता था. इस से पुलिस उस की लोकेशन ट्रेस कर लेती और उस जगह के लिए रवाना हो जाती थी, लेकिन वे लोग पुलिस के साथ आंखमिचौली का खेल 10 दिन तक खेलते रहे. इस बीच दोनों लखनऊ, मुजफ्फरपुर और नेपाल तक घूमते रहे.

10 दिन इश्क लड़ाने के बाद दोनों बेटी की शादी के दिन यानी 16 अप्रैल, 2025 को ही कार से थाना दादों पहुंचे. दोनों 6 अप्रैल से फरार थे. मडराक थाने की पुलिस 3 राज्यों में भागती रही. दोनों नेपाल बौर्डर तक  तक जा पहुंचे थे.

राहुल का कहना था कि उन्हें थाना मडराक पुलिस पर विश्वास नहीं है, इसलिए थाना दादों में आत्मसमर्पण करने आए हैं. हमें सोशल मीडिया के माध्यम से पता चला था कि हम दोनों को पुलिस तलाश रही है. इसलिए हम ने पुलिस को पूरी बात बताने का निर्णय लिया.

थाने में मीडिया के साथ ही पुलिस को अपना देवी ने बताया कि वे भागे नहीं थे. पति जितेंद्र शराब पी कर उस के साथ मारपीट करता था, एकएक पैसे का हिसाब लेता था. खर्च के लिए पैसे तक नहीं देता था. वह शादी के बाद आज तक मकान तक नहीं बना पाया.

अपना देवी ने इस बात का खुलासा किया कि वह जेवर और रुपए अपने साथ ले कर नहीं गई. केवल 200 रुपए, मंगलसूत्र तथा मोबाइल फोन ले कर गई थी. पति द्वारा लाखों रुपए के जेवर व नकदी ले जाने की बात को उस ने नकार दिया. पति की आदतों से परेशान हो कर उस ने अपने होने वाले दामाद संग जीवन बिताने का निर्णय लिया है.

राहुल उस का बहुत खयाल रखता है. अब जो मेरी जिंदगी में आ गया है, वही मेरा पति है. मुझे सम्मान चाहिए, जो अब मिल रहा है. उस घर में वापस जा कर मुझे पहले से बदतर जिंदगी जीनी पड़ेगी. पिछले 3 महीने से मैं वहां प्रताडऩा झेल रही थी.

वहीं राहुल ने बताया कि ससुर जितेंद्र के उत्पीडऩ से तंग आ कर सास अपना देवी उर्फ सपना आत्महत्या करने जा रही थी. सपना ने उस से कहा कि यदि तुम्हें मेरी जरा सी भी चिंता है तो तुम मुझे अपने साथ ले जाओ. तब उस ने यह निर्णय लिया, वरना वो अपनी जान दे देती.

दादों पुलिस ने दोनों को मडराक थाना पुलिस के सुपुर्द कर दिया, क्योंकि मामला उसी थाने में दर्ज था. वहां दोनों ने पुलिस को अपने बयान दर्ज कराए. 17 अप्रैल, 2025 को मडराक थाने में अपना देवी को उस के फेमिली वालों ने खूब समझाया, पर वह उन के पास लौटने को राजी नहीं हुई. अपना देवी को मैडिकल परीक्षण के बाद वन स्टाप सेंटर भेज दिया.

इस के बाद 18 अप्रैल को उसे परामर्श केंद्र भेजा गया. वहां भी समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन राहुल व अपना देवी टस से मस नहीं हुए. दोनों ने किसी की नहीं सुनी और साफ कर दिया कि अब हम दोनों इतने करीब आ चुके हैं कि दोनों साथ रहेंगे. अपना देवी ने कहा कि राहुल ही अब उस का जीवनसाथी है. पुलिस ने दोनों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा.

यहां तक कि सपना के छोटे बेटे कृष ने अपनी मम्मी को सीने से लगा कर घर लौट चलने का आग्रह किया. कहने को तो सपना भी बच्चे से मिल कर खूब रोई, लेकिन पति के साथ लौटने को तैयार नहीं हुई. सपना का मन नहीं पसीजा और उस ने साफ कह दिया कि अब रहेगी तो राहुल के साथ ही.

वहीं दूसरी ओर राहुल ने भी अब सपना के साथ ही रहने का फैसला किया है. सपना की जिद से परेशान पति जितेंद्र कुमार ने साफ कह दिया कि यह झूठ बोल रही है. उस ने हमें कंगाल कर दिया. उधार मांग कर जिंदगी चल रही है. जब तक यह हमारे रुपए और जेवर नहीं लौटाएगी, इसे तलाक नहीं देगा.

2 बार कर चुका है राहुल ऐसे कांड

सपना देवी का भाई राजेश भी मडराक थाने पहुंचा था. उस ने कहा कि मेरी बहन अपना देवी ने जीजा जितेंद्र के साथ अच्छा नहीं किया. वह मेरी बहन कहलाने लायक नहीं है. अब मेरे घर भी बहन की एंट्री बैन है. सपना पहले ऐसी नहीं थी. राहुल पर आरोप लगाते हुए उस ने कहा कि राहुल तो पहले भी 2 बार इसी तरह के कांड कर चुका है. वो महिलाओं को झूठे प्यार में फंसा कर उन से पैसे ऐंठता है.

वहीं राहुल ने इस बात को स्वीकार करते हुए बेबाकी से कहा कि वह इस से पहले केवल एक बार एक युवती को अपने साथ गांव लाया था. युवती हरदोई की हुशियारी थी, लेकिन बाद में पंचायत हुई तो युवती अपने घर चली गई.

पुलिस ने पूछताछ के बाद 18 अप्रैल, 2025 को सास अपना देवी उर्फ सपना को राहुल के सुपुर्द कर दिया. थाने से बाहर निकलने के बाद राहुल और सपना मीडिया से बचते नजर आए. मीडिया द्वारा बारबार पति से तलाक लिए बिना राहुल के साथ कैसे शादी करोगी?  पहले तलाक लेना पड़ेगा, कहने पर परेशान अपना देवी को गुस्सा आ गया. उस ने पत्रकारों से कहा, ”अभी कैमरा तोड़ दूंगी.’’

सास और दामाद की लव स्टोरी भले ही सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही थी, लेकिन रिश्तेदार और घर वाले इन के खिलाफ खड़े हो गए थे. थाने से रिहा होने के बाद राहुल  के साथ गई अपना देवी को राहुल के फेमिली वालों ने स्वीकार नहीं किया. उन्होंने इन्हें घर में नहीं रुकने दिया. रात दोनों ने पड़ोसी के घर में गुजारी.

इस के बाद सुबह दोनों फिर से गायब हो गए. पता चला कि राहुल का दोस्त दोनों को अपनी बाइक से पाली क्षेत्र में छोड़ आया था. राहुल के पापा अब कुछ भी बोलने से इंकार कर रहे हैं. दोनों अब गांव से भी चले गए हैं. दोनों फेमिली वालों ने भी चुप्पी साध ली है. वहीं जितेंद्र ने इतना जरूर बताया कि राहुल और पत्नी अपना देवी बंजारों का नगला बाखनेर में रह रहे हैं. बेटी की शादी अब वह अगले साल करेगा.

बम से उड़ाने की मिली धमकी

इस चर्चित सास दामाद की लव स्टोरी के मामले में उस समय नया मोड़ आ गया, जब राहुल के पापा होरीलाल को 18 अप्रैल को रात लगभग साढ़े 8 बजे बम से उड़ाने की धमकी मोबाइल पर दी गई. फोन करने वाले ने गालीगलौज करते हुए कहा कि परिवार सहित तुम्हें घर से उठा लेंगे, तुम्हारे द्वारा सही नहीं किया गया है, इसलिए बम से उड़ा दिया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर गांव के प्रधान को भी लगभग पौने 9 बजे बम से उड़ाने की धमकी दी गई है. गांव के प्रधान व राहुल के पापा होरीलाल ने थाना दादों में तहरीर दे कर काररवाई की मांग की. इस संबंध में पुलिस ने धमकी देने वाले शख्स की पहचान करने के लिए तकनीकी मदद लेने की बात कही.

धमकी के बाद परिवार में दहशत का माहौल बन गया. गांव के लोग भी इस घटनाक्रम को ले कर चिंतित हो गए.

मछरिया गांव के लोगों का कहना था कि सासदामाद लव स्टोरी के चलते दोनों ने न केवल कुल खानदान, बल्कि पूरे गांव की इज्जत को नीलाम कर दिया है. कलयुग में अब मांबेटे का रिश्ता भी सुरक्षित नहीं है. दोनों ने रिश्तों की मर्यादा को तारतार कर दिया है.

कहते हैं कि इश्क का जुनून सिर चढ़ कर बोलता है, अपना देवी और राहुल ने यह बात बिलकुल सच कर दिखा दी. दोनों की उम्र में 11 साल का अंतर है. उन्होंने दुनिया को बता दिया कि प्यार में उम्र की कोई सीमा नहीं होती.

इश्क एक बार आंखों से हो कर दिल में उतर जाए तो फिर इस के नशे के आगे दुनिया का हर नशा बेकार है. अपना देवी उर्फ सपना और राहुल घर से भाग गए. सपना की बेटी की शादी जिस लड़के से होनी थी, वह अब होने वाली सास के दिल की धड़कन बन चुका है.

यह मामला समाज में पारिवारिक संबंधों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन की जरूरत को दर्शाता है. अपना देवी उर्फ सपना और राहुल की कहानी ने समाज में एक नई बहस को जन्म दिया है, जहां परंपरागत रिश्तों की सीमाएं और व्यक्तिगत इच्छाएं टकरा रही हैं.

समधन भागी समधी के साथ

अलीगढ़ के सासदामाद की लव स्टोरी लगातार सुर्खियों में बनी हुई थी. वहीं अब उत्तर प्रदेश के ही जिला बदायूं के समधीसमधन का प्यार चर्चाओं में आ गया है. अलीगढ़ से बदायूं तक प्यार की बयार चल रही है.

4 बच्चों की मां ममता का दिल अपनी बेटी के ससुर यानी समधी शैलेंद्र पर ऐसा आया कि वह रातोंरात उस के साथ घर से जेवर और नकदी ले कर रफूचक्कर हो गई.

ममता के पति ट्रक ड्राइवर सुनील ने पत्नी ममता पर आरोप लगाते हुए कहा, ”ममता इस से पहले भी 3 बार भाग चुकी है. इस पर मैं ने घर में बहुत हंगामा किया था. फिर भी मैं ने उसे माफ कर दिया था. इस बार जब वह ट्रक  लेकर लखनऊ गया हुआ था तो 11 अप्रैल, 2025 को वह अपने समधी शैलेंद्र के साथ आधी रात को कार से फुर्र हो गई. समधी शैलेंद्र किराए पर कार ले कर रात में आया था.

सुनील ट्रक चलाता था, इस कारण वह अपने घर महीने में 1-2 बार ही आता था. समधन ममता और समधी शैलेंद्र दोनों एकदूसरे से मोबाइल पर प्यार का इजहार करते थे.

सुनील ने बताया कि 2022 में उस की बेटी की शादी शैलेंद्र के बेटे से हुई थी. दोनों ही परिवार शैलेंद्र और ममता की लव स्टोरी के बारे में जानते थे. शैलेंद्र की पत्नी ने भी दोनों को रंगेहाथों पकड़ा भी था.

सुनील के बेटे ने बताया कि शैलेंद्र मौसा रात में मम्मी से मिलने आते थे. घर में कलह न हो, इसलिए पापा को हम यह बात नहीं बताते थे. सुनील ने पत्नी के समधी के साथ जेवर व नकदी ले जाने पर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है. सुनील ने पत्नी के भागने की रिपोर्ट थाने में दर्ज करा दी है, लेकिन पुलिस उस की पत्नी की तलाश नहीं कर रही है.

अब यूपी पुलिस पर भी चढ़ा प्यार का जोश

उत्तर प्रदेश के ही हापुड़ जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिस ने अलीगढ़ की सासदामाद और बदायूं की समधीसमधन की लव स्टोरी को भी पीछे छोड़ दिया है. 15 दिन पहले जिस युवक नवीन की शादी हुई थी, उस के साथ एक महिला हैडकांस्टेबल निर्मला घर से फरार हो गई. घर से भागने के बाद दोनों ने मंदिर में शादी भी रचा ली. दूसरी ओर नवीन की नईनवेली दुलहन नेहा परेशान है. नवीन बिजली विभाग में काम करता है.

नेहा ने बताया कि शादी के 2 दिन बाद उसे पता चला कि पति नवीन का महिला पुलिस कांस्टेबल निर्मला के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है. नवीन नेहा को अपने हापुड़ स्थित मकान पर ले गया और जबरदस्ती हैडकांस्टेबल के पैर पकड़वाए और दबाव डाला कि दोनों को साथ रखूगा. एक को मेरठ और एक को गांव में रखूगा.

बाद में पीडि़ता नेहा को जानकारी हुई कि दोनों ने एक मंदिर में शादी कर ली है. पति धमकी दे रहा है कि वह निर्मला को ही पत्नी के रूप में रखेगा.

पीडि़ता ने बताया कि 16 अप्रैल, 2025 को रात करीब 9 बजे उस ने मोहल्ला साकेत कालोनी स्थित मकान में दोनों को पकड़ा था. नेहा की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. इस के बाद से दोनों फरार हैं.

महिला कांस्टेबल निर्मला को हाफिजपुर थाने में अटैच किया गया था. वह उत्तर प्रदेश के बागपत जिले की रहने वाली है और 3 बच्चों की मां है. पुलिस सरगर्मी से दोनों की तलाश में जुटी थी.

—कथा में मानसी परिवर्तित नाम है

 

 

Uttar Pradesh News : सूटकेस में सिमट गया चचेरे भाईबहन का प्यार

Uttar Pradesh News : 25 वर्षीय शिल्पा और 22 वर्षीय अमित तिवारी चचेरे भाईबहन थे, लेकिन दोनों ही एकदूसरे को प्यार करते थे. घर वालों की बंदिशों को तोड़ कर एक दिन शिल्पा सूरत से प्रेमी अमित के पास दिल्ली आ गई. दोनों हंसीखुशी से लिवइन रिलेशन में रहने लगे. इसी दौरान एक दिन शिल्पा की लाश सूटकेस में मिली. आखिर किस ने की उस की हत्या?

अमित तिवारी के कदम लडख़ड़ा रहे थे. वह अभीअभी शराब के ठेके से पूरा पव्वा खरीद कर गले से नीचे उतार चुका था. न पानी, न सोडा. और तो और अमित ने शराब की कड़वाहट कम करने के लिए चखना भी नहीं खरीदा था, जबकि ठेके के साथ ही ‘चखना फैक्ट्री’ नाम से एक दुकान थी, जहां नमकीन आइटम के ढेरों पैकेट सजा कर रखे हुए थे. पूरी शराब नीट पीने के बाद अमित पर गहरा नशा सवार हो गया था. वह सड़क पर लडख़ड़ा कर चल रहा था. वह गिरने वाला ही था, लेकिन बिजली के एक खंबे का सहारा ले कर थोड़ी देर के लिए नहीं खड़ा रहा. इस वजह से गिरने से बच गया.

कुछ ही देर बाद वह सड़क पर पैदल ही चलने लगा तो उस की चाल में लडख़ड़ाहट आना स्वाभाविक थी. वह चल रहा था, लडख़ड़ाते हुए, झूमते हुए. अब तो उस के होंठों पर एक फिल्मी तराना भी आ गया था— ‘पी ले..पी ले… ओ मोरे राजा, पी ले पी ले ओ मोरे जानी…’

मस्ती में गाते हुए अमित अपने घर के दरवाजे पर जब पहुंचा, उस वक्त रात के पौने 12 बज चुके थे. घर का दरवाजा बंद था. अमित ने इसे धकेला तो वह खुल गया. अंदर जीरो वाट का बल्ब जल रहा था. अमित लडख़ड़ाते हुए अपने बिस्तर की तरफ बढ़ा तो उस की नजर बैड पर सो रही शिल्पा पर चली गई. वैसे शिल्पा उस की चचेरी बहन थी, लेकिन फिलहाल वह उस की प्रेमिका थी, जो नींद की आगोश में सोई हुई थी. नींद की वजह से उसे अपने कपड़ों का होश नहीं था. उस की सलवार घुटनों से ऊपर सरक गई थी, जिस की वजह से उस की मखमली टांगें नग्न हो गई थीं. पेट से ऊपर तक उस का कुरता भी हट गया था.

सुतवां पेट और उस की खूबसूरत नाभि नशे में भी उस के होश उड़ा रही थी. शराब के बाद लाजवाब शवाब की कामना हर शराबी पुरुष के मन में पैदा होती है, जो जल्दी से हासिल नहीं होता. लेकिन यहां तो शवाब अद्र्धनग्न हालत में शराबी के सामने था. अमित की रगों में खून उबाल मारने लगा, उस की सांसें अनियंत्रित होने लगीं. वह लडख़ड़ाती चाल से आगे बढ़ा और प्रेमिका के पास लेट गया. उस ने अपना हाथ बढ़ा कर उस की गुदाज देह को अपनी तरफ खींचा तो प्रेमिका शिल्पा कुनमुनाई, उस की नींद से बोझिल आंखें हलकी सी खुलीं, फिर बंद हो गईं. उस ने नींद की खुमारी में अपनी बांहें अमित की गरदन में डाल दीं और उस के सीने से चिपक गई.

उस की गर्म सांसें अमित की चौड़ी छाती से टकराईं तो अमित की वासना और ज्यादा भड़क गई. उस ने शिल्पा को अपनी आगोश में समेट लिया और उस की देह पर छाता चला गया. रात को अमित ने प्रेमिका के साथ जी भर कर मौजमस्ती की, फिर उसे गहरी नींद आ गई, जब उस की आंखें खुलीं उस वक्त दिन के साढ़े 10 बज चुके थे. भरपूर अंगड़ाई ले कर वह उठने के लिए पांव नीचे रखने ही वाला था कि एक मधुर आवाज उस के कानों में पड़ी, ‘चाय… गरमागरम चाय’. अमित ने तिरछी नजर से देखा. शिल्पा उस की ओर चाय का कप बढ़ा रही थी. हाथ बढ़ा कर उस ने चाय का कप ले लिया. शिल्पा मुसकराती हुई उस के सामने बैठ गई. अमित ने उसे देखा.

वह नहा चुकी थी. उस के लंबे घने केशों से अभी भी पानी की बूंदे टपक रही थीं. उस के तन पर इस वक्त साफ धुला हुआ पिंक रंग का सूट था. उस ने हलका सा मेकअप किया था. अमित ने चाय का घूंट भरा. चाय बहुत बढिय़ा बनाई गई थी. एक ही घूंट ने अमित में ताजगी भर दी. शिल्पा उस के सामने बैठी मुसकरा रही थी. अमित उस के सामने बैठा जरूर था, लेकिन वह कहीं विचारों में खो गया था.

”हैलो!’’ शिल्पा ने उस की आंखों के सामने चुटकी बजाई, ”यहां मैं भी हूं जनाब.’’

अमित ने चौंकते हुए बोला, ”ओह! सौरी मैं कहीं खो गया था.’’

”सौरीवौरी छोड़ो और मेरी एक बात यह मान लो कि अब तुम बाहर से शराब पी कर मत आया करो. घर पर बैठ कर थोड़ीबहुत पी लिया करो. मैं पिछले 3 महीने से देख रही हूं कि तुम शराब ज्यादा पीने लगे हो.’’ शिल्पा ने अमित को समझाया.

”ठीक है मेरी जान, मैं ऐसा ही करूंगा.’’ अमित बोला.

कह कर अमित ने शिल्पा का चेहरा चूम लिया. शिल्पा ने उस के गले में प्यार से बांहें डाल दीं, ”तुम मेरी बाहों में हमेशा यूं ही खिलेखिले और मुसकराते रहोगे, मैं वादा करती हूं कि तुम्हारे हर सुखदुख में पूरा साथ दूंगी. अब उठो और फ्रेश हो जाओ, मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बनाती हूं.’’

”हां, अब पेट की भूख सताने लगी है.’’ अमित शिल्पा की बाहों से निकलते हुए उठ खड़ा हुआ और टावेल उठा कर वह बाथरूम की तरफ बढ़ गया.

सूटकेस में निकली लाश

26 जनवरी, 2025. जब देश 76वां गणतंत्र दिवस मनाने के लिए पूरे हर्षोल्लास से तैयार था. भोर के 4-सवा 4 बजे के बीच पुलिस कंट्रोल रूम को एक चौंका देने वाली सूचना मिली, ‘गाजीपुर आईएफसी पेपर मार्केट के पास शिवाजी रोड और अंबेडकर चौक के बीच में खाली पड़ी जगह पर जमा कूड़े के ढेर पर एक सूटकेस जली अवस्था में पड़ा है, जिस में किसी की लाश दिखाई दे रही है.’

कंट्रोल रूम से यह जानकारी पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर थाने में दी गई तो वहां के एसएचओ निर्मल झा पुलिस टीम के साथ थाने से सूचना में बताए गए पते पर रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे, वहां पर अच्छीखासी भीड़ लग चुकी थी. अभी दिन का उजाला नहीं फैला था, लेकिन सब से पहले जिस ने भी उस सूटकेस में जली लाश को देखा था, उस से यह बात आसपास की बस्ती तक पहुंच गई थी और लोग बिस्तरों से निकल कर वहां आ गए थे. सभी यह जानने को उत्सुक थे कि यह सूटकेस यहां कूड़े के ढेर पर कौन ले कर आया और इसे आग के हवाले क्या उसी व्यक्ति ने किया और इस में जो लाश है, वह किस की है.

पुलिस ने भीड़ को पीछे हटाया. एसएचओ श्री झा उस सूटकेस के पास आए, जो पूरी तरह जल चुका था. उस के स्टील के हैंडल आदि साफ दिखाई दे रहे थे. वह आग में जले नहीं थे. जले सूटकेस में एक लाश दिखाई दे रही थी, जो झुलस कर काली पड़ गई थी. लाश को पहचानना नामुमकिन था, लेकिन उस लाश से यह अनुमान लगाया जा सकता था कि लाश किसी युवती की है. उसे सूटकेस में जबरन ठूंसा गया था, वह जिस अवस्था में ठूंसी गई थी, उसी अवस्था में अभी भी थी. झुलस जाने के कारण वह पहचानी नहीं जा सकती थी.

एसएचओ निर्मल झा ने वहां बारीकी से जांच की, लेकिन वहां कोई ऐसा सूत्र उन्हें नहीं मिला, जिस से मृतका और कातिल के बारे में कुछ पता चल सके, लेकिन पुलिस को यह सिखाया जाता है कि राख के ढेर में भी सूई की तलाश की जा सकती है. निर्मल झा की नजरें वहां कुछ दूरी पर लगे सीसीटीवी कैमरे पर चली गई थीं. उन्हें विश्वास था उस सीसीटीवी कैमरे से इस सूटकेस को यहां फेंकने वाले का कुछ सुराग अवश्य मिलेगा. उन्होंने पूरी जांच के बाद ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी अभिषेक धानिया को इस घटना की जानकारी दे दी. एसएचओ ने तब फोरैंसिक टीम को भी घटनास्थल पर आने के लिए फोन कर दिया.

थोड़ी ही देर में डीसीपी अभिषेक धानिया वहां घटनास्थल पर पहुंच गए. एसएचओ निर्मल झा ने उन्हें सैल्यूट करने के बाद वह सूटकेस दिखाया, जो वहां फेंका गया था और उसे नष्ट करने के लिए आग के हवाले भी कर दिया गया था. डीसीपी धानिया ने सूटकेस सहित जली हुई लाश को ध्यान से देख कर कहा, ”यह युवती ज्यादा उम्र की नहीं लगती मिस्टर झा, इस की हत्या कर के जिस ने भी इसे सूटकेस में भर कर यहां फेंका है, वह इस का पति या प्रेमी हो सकता है. हमें दोनों को ध्यान में रख कर जांच करनी होगी. किसी महिला से पीछा छुड़ाने के लिए प्रेमी या पति ही ऐसा काम करते हैं.’’

”आप ठीक कह रहे हैं सर.’’ निर्मल झा बोले, ”इस की हत्या कर के लाश को ठिकाने लगाने के लिए इस के प्रेमी या पति ने इसे सूटकेस में ठूंसा और इस निर्जन नजर आने वाले स्थान पर ला कर सूटकेस सहित जला डाला. वह लाश की शिनाख्त मिटाने के मकसद से ऐसा कर गया. मेरे विचार से वह यहीं आसपास का ही होगा.’’

”यह आप किस आधार पर कह रहे हैं?’’ डीसीपी ने एसएचओ की ओर प्रश्नसूचक नजरों से देखते हुए पूछा.

”सर, आज 26 जनवरी है यानी हमारा गणतंत्र दिवस. इस के लिए 2 दिन पहले से ही हर बोर्डर, हर नाके पर पुलिस के बैरिकेड लग जाते हैं. कड़ी जांच होती है, हर वाहन को चैक किया जाता है. ऐसे में कोई इस सूटकेस को किसी वाहन में दूर से ले कर यहां नहीं आ सकता. मैं ने इसी से अनुमान लगाया है कि वह शख्स यहीं आसपास का ही होगा.’’

”गुड.’’ डीसीपी अभिषेक धानिया ने निर्मल झा की प्रसंशा की, ”आप का सोचना ठीक ही है. कड़ी चैकिंग के बीच कोई हत्यारा लाश ले कर दूर से यहां नहीं आएगा, वह आसपास का ही होगा. आप फोरैंसिक जांच करवा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए नजदीक के हौस्पिटल भेज दीजिए. मैं आप को इस ब्लाइंड केस को सौल्व करने के लिए नियुक्त कर रहा हूं, आप का साथ देने के लिए स्पैशल स्टाफ को भी मैं आप के साथ लगा रहा हूं. आप को हत्यारे का पता लगा कर उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाना है.’’

”मैं आप के विश्वास पर खरा उतरने की पूरी कोशिश करूंगा सर.’’ श्री निर्मल झा गंभीर स्वर में बोले.

डीसीपी धानिया कुछ जरूरी हिदायतें दे कर वहां से चले गए. फोरैंसिक टीम अपना काम निपटाने में लगी हुई थी. इस बीच निर्मल झा ने वहां उपस्थित भीड़ के पास जा कर इस सूटकेस के विषय में पूछा, ”क्या इस सूटकेस को यहां फेंकते हुए किसी ने देखा है?’’

सीसीटीवी फुटेज से मिली जांच को दिशा

भीड़ ने इस के लिए इंकार में सिर हिला दिया. तभी भीड़ में से एक अधेड उम्र का व्यक्ति आगे आया, ”सर, यह सूटकेस यहां रात को डेढ़ से 2 बजे के करीब ला कर जलाया गया है.’’

”तुम यह किस आधार पर कह रहे हो?’’ श्री झा ने हैरानी से पूछा.

”सर, मैं रात को लघुशंका के लिए उठा था, मेरा टौयलेट छत पर है, मैं वहां गया और मैं ने लघुशंका की. जब मैं वहां से लौटने लगा तो मुझे कूड़े के ढेर पर कुछ जलता हुआ दिखाई दिया. मेरा ध्यान एकाएक इधर इसलिए गया कि आग की लपटें बहुत ऊपर तक उठ रही थीं यानी कुछ ही देर पहले वह आग भड़की थी. मैं ने ज्यादा ध्यान यूं नहीं दिया कि अकसर यहां कूड़े में आग लगती रहती है. कुछ ऐसा ही समझ कर मैं नीचे कमरे में चला गया और सो गया. सुबह कालोनी में यह शोर हुआ कि कूड़े पर किसी सूटकेस को जलाया गया है, उस सूटकेस में लाश थी, जो बुरी तरह जल गई है. मैं यही देखने यहां आ गया.’’

”इस पर तुम ने कमरे में जा कर घड़ी देखी थी या लघुशंका को उठते समय घड़ी में समय देखा था?’’

”सर, लघुशंका कर के लौटने पर मैं ने मोबाइल में टाइम देखा था. उस वक्त 2 बजने में 10 मिनट शेष थे.’’ अधेड़ ने बताया.

”इस का मतलब यहां सूटकेस रात को डेढ़ बजे के बाद ही फेंका गया और जलाया गया है.’’

”हां साहब.’’ उस व्यक्ति ने सिर हिला कर कहा.

”तुम्हारी बात की पुष्टि हम जांच करेंगे तो हो जाएगी.’’ श्री झा ने कहा. अब तक फोरैंसिक टीम अपना काम निपटा चुकी थी. एसएचओ ने सूटकेस सहित लाश लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दी. फिर वह वहां एक सिपाही का पहरा लगवा कर वापस थाना गाजीपुर के लिए लौट आए. थाने में यह ब्लाइंड मर्डर केस बीएनएस की धारा 103(1), 238 (ए) के तहत दर्ज कर लिया गया. डीसीपी (पूर्वी जिला) अभिषेक धानिया के निर्देश पर पुलिस की स्पैशल स्टाफ और गाजीपुर थाने के एसएचओ निर्मल झा अपनी टीम के साथ सूटकेस में मिली लाश के केस पर काम करने के लिए पूरी मुस्तैदी से जुट गए थे.

सब से पहले उन्होंने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक की. कैमरे में सड़क से रात के एक बजे से 2 बजे के बीच जितने वाहन गुजरे थे, उन्हें देख कर नोट किया गया. इन में बड़े वाहन नहीं थे. कुछ स्कूटर और कारें वहां से रात को एक से 2 बजे के बीच सड़क पर आतेजाते दिखाई दिए. पुलिस टीम ने सिर्फ कारों को फोकस किया. इन में जो कारें संदिग्ध नजर आईं, उन के नंबर को आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन तकनीक द्वारा जांच कर के नोट कर लिया गया.

टीम ने इन कारों के रजिस्ट्रैशन नंबर से इन के मालिकों का पता मालूम किया और इन की जांचपड़ताल शुरू कर दी. लगभग सभी कारों के मालिकों को जांच में सही पाया गया, लेकिन एक कार के मालिक तक टीम लोनी (उत्तर प्रदेश) में उस के घर पहुंची तो उस ने बताया, ”साहब, मैं ने अपनी हुंडई वेरना कार कुछ दिन पहले अमित तिवारी नाम के व्यक्ति को बेच दी थी. मेरी कार का नंबर- यूपी16ईटी 0329 है, जिसे अब अमित कैब के रूप में इस्तेमाल कर रहा है.’’

”यह अमित कहां रहता है?’’ एसएचओ निर्मल झा ने पूछा.

”अमित तिवारी पुत्र गुलाब शंकर तिवारी, एसबीआई बिल्डिंग, थर्ड फ्लोर मंगल बाजार रोड, खोड़ा कालोनी, गाजीपुर. साहब, कार के सौदे में यहीं एड्रैस लिखवाया गया था मुझे.’’ उस व्यक्ति ने बताया.

यह एड्रैस पुलिस टीम को चौंका गया. कारण जिस सूटकेस को युवती की लाश सहित जिस जगह जलाया गया था, वह जगह खोड़ा रोड पर गाजीपुर पेपर मार्केट ही थी. पुलिस टीम तुरंत बिना देर किए अमित तिवारी की तलाश में उपरोक्त पते पर पहुंच गई. अमित तिवारी उस वक्त अपना बैग तैयार कर रहा था. वह कहीं जाने की फिराक में लग रहा था. दरवाजे पर पुलिस के दरजनों लोगों को देख कर उस के चेहरे का रंग उड़ गया. वह बुरी तरह घबरा गया.

”आप?’’ वह कांपते स्वर में बोला

”हां, हम.’’ एसएचओ मुसकराए, ”कहां भागने की तैयारी हो रही है अमित तिवारी?’’

”आ…प मेरा नाम कैसे जानते हैं?’’ अमित तिवारी घबराते हुए बोला.

”हम तुम्हारे बारे में बहुत कुछ जानते हैं तिवारी.’’ श्री निर्मल झा ने अंधेरे में तीर चलाया, ”रात को तुम ने जिस सूटकेस में अपनी प्रेमिका की लाश गाजीपुर की पेपर मार्किट के पास जलाई थी, यह भी हमें मालूम है. अब तुम चुपचाप थाने चलो. बाकी पूछताछ वहीं कर लेंगे.’’

”मैं ने किसी सूटकेस को नहीं जलाया, मैं तो कल रात अपने कमरे में ही सो रहा था.’’

”फिर तुम्हारी हुंडई वरना कार रात डेढ़ बजे पेपर मार्केट, गाजीपुर कौन चला कर ले गया था?’’

”म…मैं नहीं जानता सर.’’ अमित हकलाया.

श्री निर्मल झा ने इशारा किया तो 2 पुलिस वालों ने अमित तिवारी को दबोच लिया. वह चीखता रहा, लेकिन इस की परवाह न कर के पुलिस टीम उसे थाने ले गई. थाने में उस से सख्ती से पूछताछ हुई तो उस ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए कहा, ”सर, मैं ने शिल्पा की हत्या की थी, वह मुझ पर शादी के लिए दवाब बना रही थी. शनिवार को रात साढ़े 8 बजे मेरा उस से शादी की बात पर झगड़ा हुआ तो गुस्से में मैं ने उस का गला दबा कर जान से मार डाला.’’

शिल्पा को चचेरे भाई से हुआ प्यार

कहतेकहते अमित रोने लगा. रोते हुए ही बोला, ”सर, मैं ने शिल्पा को कभी दिल से नहीं चाहा, वही मेरे प्यार में पागल हो कर एक महीने पहले घर से भाग कर मेरे पास खोड़ा कालोनी (गाजियाबाद) में आ गई थी. वह मेरे साथ रहने लगी तो जवान होने के कारण हम बहक गए. हमारे बीच अनैतिक संबंध बन गए. बस यहीं मुझ से चूक हो गई. वह मुझ पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. मुझे धमकी देने लगी कि मैं शादी नहीं करूंगा तो रेप केस में फंसा देगी.. मुझे जेल में सड़ा देगी. आखिर तंग आ कर मैं ने उस की हत्या करने का निर्णय लिया और उसे मार डाला.’’

”उस का परिवार कहां रहता है, वह कहां से भाग कर तुम्हारे पास आई थी?’’ श्री झा ने पूछा.

”सर, मैं उस का चचेरा भाई हूं. हमारा परिवार प्लौट नंबर ए-19 खसरा नंबर 2020, शिवा ग्लोबल सिटी-4, मेन रोड, थाना बादलपुर, दादरी गौतमबुद्ध नगर में रहता है. शिल्पा के पिता गुजरात में नौकरी करते हैं तो उस का परिवार इस वक्त गुजरात के सूरत में ही है. शिल्पा वहीं से नवंबर, 2024 में भाग कर मेरे पास आई थी.’’

”तुम को शिल्पा की लाश सूटकेस में रखने का आइडिया किस ने दिया?’’

”मेरे दोस्त अनुज का आइडिया था. शिल्पा की हत्या करने के बाद मैं ने यह बात अनुज शर्मा को बता कर उस से लाश को ठिकाने लगाने के लिए सहयोग मांगा था. अनुज मेरे पास तुरंत आ गया. उस ने ही आइडिया दिया कि सूटकेस में लाश रख कर कैब से ले जाते हैं और उत्तरी पश्चिम उत्तर प्रदेश के इलाके में किसी नदी में इसे फेंक आते हैं.

”मेरे पास बड़ा सूटकेस था. मैं ने अनुज के सहयोग से लाश सूटकेस में रखी. हम पहले रास्ते की रैकी करने कैब से दोनों ही यूपी बौर्डर गए. वहां 26 जनवरी के चलते बहुत सख्त चैकिंग चल रही थी. हमारी वैन की भी 2 बार चैकिंग हुई तो हम घबरा गए. हमें लगा, यदि तलाशी में पुलिस को लाश वाला सूटकेस मिलेगा तो हम फंस जाएंगे. हम ने दूर जाने का प्लान छोड़ दिया.

”हम रात को एक बजे सूटकेस कैब की डिक्की में रख कर गाजीपुर की पेपर मार्किट की तरफ आए. हम ने एक पेट्रोल पंप से 160 रुपए का डीजल बोतल में भरवा दिया. हम गाजीपुर के शिवाजी रोड, खोड़ा रोड़ के नजदीक, आईएफसी पेपर मार्केट की तरफ आए. वहां कूड़े का ढेर लगा था. चारों ओर सन्नाटा था. हम ने कार की डिक्की से सूटकेस कूड़े के ढेर पर रखा, ऊपर घासफूस डाल कर उस पर डीजल डाला और आग लगा दी.

”आग की लपटें उठीं तो हम कैब ले कर वहां से भाग निकले. अनुज रात को ही अपने घर चला गया और मैं सो गया. आज मैं प्रयागराज भाग जाना चाहता था कि आप के द्वारा पकड़ा गया.’’

”अनुज का एड्रैस दो हमें.’’ श्री झा ने पूछा.

अमित तिवारी ने अनुज शर्मा का पता नोट करवा दिया. अनुज, डी-162, करण विहार, खोड़ा कालोनी में रहता था.

पुलिस ने उस के घर दबिश दी तो वह घर में ही मिल गया. उसे हिरासत में थाना गाजीपुर लाया गया. अनुज शर्मा की उम्र 22 साल थी, उस के पिता जगदीश शर्मा गांव में रहते थे. अनुज यहां वेल्डर का काम करता था. कभीकभी कैब भी चला लेता था. शिल्पा अमित से 3 साल बड़ी थी. अमित 22 साल का था और शिल्पा 25 साल की थी. पुलिस ने उस के परिवार को उस की हत्या की जानकारी फोन द्वारा दे दी. उन्हें गाजीपुर थाने आने को कह दिया गया.

शिल्पा की लाश का पोस्टमार्टम होने के बाद लाश को उस के घर वालों को सौंपना आवश्यक था. अमित तिवारी और अनुज शर्मा उर्फ भोला को डीसीपी अभिषेक धानिया के समक्ष पेश किया गया तो उन्होंने 24 घंटे में इस ब्लाइंड केस को हल करने के लिए इस केस को हैंडिल करने वाले स्पैशल पुलिस स्टाफ और गाजीपुर थाने के एसएचओ निर्मल झा को शाबासी दी. प्रैस कौन्फ्रैंस करने के बाद डीसीपी अभिषेक धानिया ने दोनों आरोपियों को जेल भिजवा दिया. कथा लिखे जाने तक पुलिस आगे की काररवाई निपटाने में व्यस्त हो गई थी.

 

 

Meerut News : प्रेमी की खातिर पति को सांप से डसवाया

Meerut News : 3 बच्चों की मां रविता ने पति अमित कश्यप की हत्या की फुलप्रूफ प्लानिंग की थी. प्लान के तहत उस ने पहले पति की गला घोंट कर हत्या की. इस के बाद उसे सांप से 10 बार डसवाया. लेकिन इस के बावजूद वह पुलिस की पकड़ में आ गई. आखिर रविता ने ऐसा क्यों किया?

अमित कश्यप की रोजरोज की पिटाई से रविता आजिज आ चुकी थी. वह ऐसे पति से अब निजात पाना चाहती थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि पति अमित से किस तरह छुटकारा पाए. पति की ज्यादती से तिलमिलाई रविता ने आखिर अपने प्रेमी अमरदीप से मदद मांगी. बात 10 अप्रैल, 2025  की है. अमरदीप जैसे ही रविता के पास आया, वह उस के गले से लिपट कर रोने लगी. बिलखती हुई बोली, ”अमरदीप, अब और बरदाश्त नहीं होता. मुझे यहां से कहीं ले चलो.’’

”पहले रोना बंद करो, चुप हो जाओ. आखिर हुआ क्या है, मुझे साफसाफ बताओ.’’ अमरदीप ने रविता को खुद से अलग किया और उसी के दुपट्टे से उस की आंखों के आंसू पोछने लगा. रविता शांत हुई और अमरदीप के लिए एक गिलास पानी ले आई. अमरदीप पानी का गिलास ले कर रविता के होंठों से लगाता हुआ बोला, ”पहले तुम पानी पीओ.’’

रविता पानी के 2 घूंट पी कर बोली, ”बीती रात तो मक्की (पति) ने हद ही कर दी. उस ने मेरी पिटाई कर दी. मेरी पीठ और जांघ पर बहुत चोटें आई हैं. जांघ में दर्द हो रहा है.’’

”अच्छा तो बात मारपीट तक आ गई है… तभी कहूं कि वह आज सुबह मुझ से मिला, लेकिन बात तक नहीं की. आंखें तरेरता हुआ निकल गया.’’ अमरदीप बोला.

”कुछ करो, वरना बहुत देर हो जाएगी. रोजरोज के ताने तो सुनती रही हूं…अब मुझे पीटने भी लगा है. मुझे यहां से ले चलो कहीं.’’ रविता फिर वही राग अलापने लगी.

”तुम कहो तो ड्रम कांड कर दूं उस का.’’ अमरदीप मजाकिया लहजे में बोला.

”ड्रम कांड! मैं कुछ समझी नहीं.’’ रविता अनजान बनती हुई बोली.

”अरे, ड्रम कांड नहीं जानती हो, तुम जैसी प्रेम करने वाली एक पत्नी ने अपने पति को मार कर ड्रम में भर दिया था.’’ अमरदीप बोला.

”अरे हां, मैं ने सुना तो है, मेरठ में ही तो उस ने पति को टुकड़ेटुकड़े काट कर ड्रम में भर कर सीमेंट से जमा दिया था.’’ बोल कर रविता चुप हो गई.

उस की चुप्पी तोड़ते हुए अमरदीप बोला, ”तुम कहो तो अमित का भी कर दूं कुछ वैसा ही.’’

”अरे नहीं, अब कहां से ड्रम और सीमेंट लाऊं!’’

”तो फिर क्या किया जाए, तुम्हीं बताओ?’’

”एक दूसरा उपाय है.’’ रविता बोली.

”तो तुम हम दोनों के प्रेम में बनी बाधा को हमेशा के लिए हटाने को तैयार हो?’’

”बिलकुल! मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. तुम से सच्चा सुख मिलता है. तुम्हारा प्रेम…’’

”बसबस, अब और मेरी तारीफ नहीं… लेकिन सच तो यह है रविता कि मैं भी तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता हूं.’’ अमरदीप ने भी अपने दिल की बात धीमे से कह डाली.

कुछ सेकेंड तक उन के बीच चुप्पी छाई रही. दोनों एकटक एकदूसरे को निहारते रहे. रविता अचानक अमरदीप से लिपट गई. अमरदीप ने भी उसे भींच लिया. कुछ पल में जब वे अलग हुए तब अमरदीप ने टोका, ”चलो, कुछ तो वैसा करना ही होगा, जिस से सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.’’

”मैं ने जो सोचा है, उस से सांप नहीं मरेगा, लेकिन उस के जहर का असर जरूर होगा.’’ रविता साजिश के अंदाज में बोली.

”मैं कुछ समझा नहीं, क्या तुम ने पहले से कुछ सोच रखा है?’’ अमरदीप बोला.

”हां, वही सोच रखा है, जो तुम्हारे खिलाफ मक्की के दिमाग में है.’’ रविता बोली.

”क्या? मक्की मेरे खिलाफ साजिश रच चुका है?’’

”और नहीं तो क्या? तभी तो तुम से कह रही हूं कि अब और देर करना ठीक नहीं होगा.’’ रविता बोली.

”अपनी प्लानिंग बताओ…मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगा.’’ अमरदीप बोला.

”यहां नहीं, कल मिलती हूं. हमें महमूदपुर सिखेड़ा गांव चलना है.’’ रविता बोली.

”वह तो सपेरों का गांव है. वहां क्या काम?’’ अमरदीप ने सवाल किया.

”वहीं तो राज की बात होगी.’’ रविता बोली.

अमरदीप अगले रोज मिलने का समय तय कर के वहां से चला गया. इस तरह से रविता और अमरदीप ने अमित के खिलाफ एक साजिश रच ली थी. दोनों ने सब इंतजाम कर लिए थे.

सांप ने 10 बार डसा अमित को

रविता 12 अप्रैल, 2025 को अमित के साथ सहारनपुर में शाकुंभरी देवी मंदिर में दर्शन करने गई थी. वहां से दोनों शाम होते ही लौट आए थे. आते ही दोनों झगड़ पड़े थे. एक बार तूतूमैंमैं शुरू हुई नहीं कि काफी समय तक वे झगड़ते रहे. पुराने किस्से, बीती बातें झगड़े का कारण थीं. उस में अमरदीप के साथ रविता के चल रहे प्रेम संबंध की बातें भी होने लगीं. किसी तरह दोनों शांत हुए. तब अमित ने रात का खाना खाया और सुबह जल्द काम पर जाने की कह कर सोने चला गया.

रात करीब साढ़े 9 बजे रविता ने अमरदीप को फोन किया. तब तक अमित सो चुका था. रविता के बुलाने पर अमरदीप उस के घर पहुंच गया.

”जो कहा था ले आए हो?’’ रविता अमरदीप के आते ही पूछ बैठी.

”हांहां, ये देखो.’’ अपने हाथ में पकड़े थैले को ऊपर उठा कर दिखाता हुआ अमरदीप बोला.

”ठीक है. अब आगे का काम करना है.’’ अमरदीप को हाथ से बुलाने का इशारा कर रविता उस कमरे में चली गई, जहां उस का पति अमित कश्यप सो रहा था. पीछेपीछे कमरे में पहुंच कर अमरदीप ने हाथ में पकड़े थैले को चारपाई के नीचे रख दिया और रविता के अगले आदेश का इंतजार करने लगा.

चारपाई पर अमित बेसुध सो रहा था. अमरदीप को इशारा कर जैसे ही रविता ने पति अमित का मुंह दबाया, वैसे ही अमरदीप ने दोनों हाथों से अमित की गरदन दबा दी. कुछ सेकेंड तक गहरी नींद में अमित छटपटाया और फिर शांत हो गया. रविता ने अपने दोनों हाथों की अंगुलियां बाहर की ओर झटकते हुए उस का काम तमाम हो जाने का इशारा किया. अमरदीप को देखती हुई धीमी आवाज में बोली, ”अच्छा हुआ मर गया हरामजादा, तुम्हें वह ऐसे ही मारना चाहता था, खुद मर गया.’’

इसी के साथ उस ने चारपाई के नीचे से वह थैला बाहर निकाल लिया, जो अमरदीप ले कर आया था. रविता थैले की गांठ खोलने लगी.

”बड़ी सख्त है, इसे खोलो भी.’’ कहते हुए उस ने थैला सावधानी से अमरदीप की ओर बढ़ा दिया.

 

अमरदीप ने थैला खोला और उस में हाथ डालने के बजाए उसे मृत अमित की देह पर उलट दिया. थैले से एक लंबा सांप निकला और अमित की देह पर रेंगने लगा. अमरदीप ने उस सांप की पूंछ अमित की कमर के नीचे दबा दी, ताकि सांप चारपाई पर ही रहे. उस के बाद अमित के ऊपर कंबल डाल कर दोनों कमरे से बाहर निकल आए. निकलते समय दरवाजा भिड़ा दिया. अगले रोज सुबहसुबह घर में कोहराम मच गया. पूरे मोहल्ले में सांप के काटने से एक व्यक्ति के मरने की खबर चर्चा का विषय बन चुकी थी. वह व्यक्ति कोई और नहीं अमित कश्यप ही था. अमित की लाश के नीचे सांप भी पड़ा था. उसे सांप ने कोई एकदो जगह नहीं, बल्कि 10 जगह डसा था.

अमित की मम्मी मुनेश और परिवार के दूसरे सदस्य उस की हालत देख कर रोनेबिलखने लगे, जबकि रविता चुपचाप वहीं खड़ी रही. मोहल्ले के कुछ लोग भी आ गए थे. उन्हीं में से किसी ने सांप का जहर निकालने वालों को बुलाने की सलाह दी. किसी ने सांप को पकडऩे वाले को तुरंत बुलाने के लिए कहा. सांप चारपाई पर अमित की कमर के पास कुंडली मारे हुए था. करीब एक घंटे में सपेरा भी वहां आ गया. उस ने उस सांप को पकड़ कर थैले में रख लिया.

इसी बीच किसी ने पुलिस को भी सूचना दे दी. अमित को तुरंत प्यारेलाल शर्मा जिला अस्पताल ले जाया गया. वहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया. मौत का कारण डाक्टर नहीं बता पाए, लेकिन इतना कहा कि इसे सांप ने कई बार डसा है. पुलिस ने इस वारदात को सांप के डसने से मरने का मामला बताया, लेकिन इस की जांच में भी जुट गई कि आखिर वहां सांप आया कैसे? इस की जांच के लिए लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. 2 दिनों तक पुलिस इसी उधेड़बुन में रही कि आखिर अमित की मौत के पीछे कौन कितना जिम्मेदार हो सकता है.

इस के लिए घर के सदस्यों में मृतक की पत्नी रविता, उस की मम्मी मुनेश और मोहल्ले वालों तक से पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. पुलिस द्वारा पड़ोसियों से पूछताछ में रविता और अमित के शाकुंभरी देवी दर्शन के जाने की बात सामने आई. घटना वाली रात का वाकया अमित की मम्मी ने बताया. उन्होंने पुलिस को बताया कि उस रात उन्हें कई अजीबोगरीब चीजें देखने को मिली थीं. जैसे कि रविता ने अमित को एक गिलास दूध दिया था, जिसे पीने के बाद वह सो गया था. अमित का दूध पिलाना मुनेश को कुछ अजीब महसूस हुआ.

दूसरी बात मुनेश को अजीब लगी कि अन्य दिनों के उलट उस रात 9 बजे घर की सभी लाइटें बंद कर दी गई थीं. वह उस रात 2 बार जागी थी. पहली बार, उस ने पाया कि घर में बिलकुल अंधेरा था और जब वह एक बजे वाशरूम जाने के लिए उठी, तब उस ने पाया कि कई लाइटें जल रही थीं. उस ने यह भी देखा कि बरामदे में खाट पर लेटे व्यक्ति ने खुद को कंबल से ढंक रखा था. गरमी में कंबल ढंक कर किसी का सोना अजीब लगा था. हालांकि उस ने इस बारे में किसी से पूछताछ नहीं की.

पुलिस की पूछताछ में पड़ोस के साजिद ने बताया कि अमित की मम्मी मुनेश को पहले से अपनी बहू रविता पर शक था. पिछले कुछ महीनों से रविता की अमित क े ही एक दोस्त अमरदीप के साथ नजदीकियां बढ़ रही थीं. अमित और अमरदीप एक ही गांव के रहने वाले हैं और टाइल्स लगाने का काम करतेकरते उन में दोस्ती हो गई थी. इसी वजह से अमरदीप का पिछले एक साल से अमित के घर ज्यादा आनाजाना हो गया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोली साजिश की पोल

अगले रोज 13 अप्रैल, 2025 को रविवार की सुबह अमित देर तक सो कर नहीं उठा तो उस का बेटा उसे चाय देने गया, लेकिन वह चिल्लाता हुआ कमरे से बाहर भाग आया. उस के चिल्लाने की आवाज सुन कर मुनेश कमरे में गई. उस ने अमित के बगल में एक सांप देखा. रविता वहां उस के पहुंचने से पहले पहुंच चुकी थी. वह वहीं खड़ी थी. उस में किसी भी तरह की हैरानीपरेशानी जैसी बात नजर नहीं आ रही थी. मुनेश को यह देख कर आश्चर्य हुआ क्योंकि वह मूकदर्शक बनी हुई थी.

उन्होंने पुलिस को बताया, ”अमित को बेहोशी की हालत में पड़ा देख कर हमें लगा कि उसे सांप ने डंस लिया है. यह संदेह उस के चेहरे और गरदन पर चोट के निशान देख कर हुआ. सभी ने एक सपेरे को बुलाया, जिस ने देखते ही कहा कि यह सांप के काटने का मामला नहीं है.

”हम अमित को झाडफ़ूंक करने वाले के पास ले गए. वहां भी यही जवाब मिला. झाडफ़ूंक करने वाले ने अमित के फेमिली वालों से कहा कि उस के शरीर में सांप के जहर के लक्षण नहीं दिख रहे. उस ने उसे कहीं और ले जाने को कहा. इस के बाद ही अमित को अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टर ने सांप के काटने से मौत की संभावना से इनकार किया.’’

”जब सपेरे ने सांप काटने से मौत की संभावना से इनकार किया तो अमित की मम्मी मुनेश का शक गहरा हो गया और उस ने चीखचीख कर अपनी बहू रविता पर अपने बेटे की हत्या के आरोप लगाए और उस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी. मुनेश ने बताया कि उस का बेटा अमित और अमरदीप साथ में काम करते थे. कुछ दिन पहले अमित को पता चला कि उस की पत्नी और अमरदीप के बीच संबंध हैं, जिस के बाद दोनों के बीच झगड़ा हुआ. साथ ही, उस के बेटे ने अमरदीप को रविता के साथ देख लिया था. इसी वजह से रविता ने अमरदीप के साथ मिल कर मेरे बेटे की हत्या की साजिश रची.

इसी के साथ मुनेश ने पुलिस से मांग की कि उस के बेटे की हत्या करने वालों को फांसी से कम सजा न मिले. चूंकि मौत के पीछे का कारण पता नहीं चल पाया था, इसलिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने का सुझाव दिया गया. इस पर रविता ने पोस्टमार्टम का कड़ा विरोध किया और सभी से गालीगलौज करने लगी. उस ने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया. डाक्टरों से शव को घर ले जाने की मांग करने लगी. हालांकि, अस्पताल प्रशासन ने उस की बात अनसुनी कर दी और अमित के शव का पोस्टमार्टम कर दिया. घटना के 2 दिन बाद 15 अप्रैल को अमित के फेमिली वालों को उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली तो उस से साफ हो गया कि उस की मौत सांप के जहर से नहीं, बल्कि गला घोंटने से हुई थी.

रविता को पति के दोस्त से हुआ प्यार

उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ में बहसूमा के अकबरपुर सादात गांव के रहने वाले विजयपाल के बेटे अमित कश्यप को परिवार में सभी प्यार से मिक्की कह कर बुलाते थे. मुजफ्फरनगर जिले के सैदपुर गांव की रविता से उस की 8 साल पहले शादी हुई थी. अमित और रविता का दांपत्य जीवन जैसेतैसे गुजर रहा था. घरेलू समस्याएं और भविष्य में जीवन को बेहतर बनाने को ले कर होने वाली नोकझोंक और गिलेशिकवे के बावजूद आपसी प्रेम में थोड़ा फीकापन आ गया था.

जब कभी किसी बात को ले कर उन के बीच तकरार होती, तब उन की शिकायत को सुनने वाला एकमात्र व्यक्ति अमरदीप था. दोनों अपनाअपना पक्ष अमरदीप के सामने रखते और अपना मन हल्का महसूस करते. हालांकि अमरदीप उन के परिवार का सदस्य नहीं था, लेकिन दोनों का सलाहकार जरूर था. वह अमित का सब से अच्छा दोस्त था. इस नाते उस का रविता से मिलनाजुलना बेरोकटोक बना रहता था. अमित घर पर रहे, न रहे, उस के पीछे घरेलू जरूरतों के लिए रविता भी अमरदीप को ही याद करती थी. अमरदीप पूरे अधिकार के साथ रविता से घुलमिल गया था.

इसी सिलसिले में अमरदीप और रविता एकदूसरे को प्यार करने लगे थे, इस का एहसास अमित को तब हुआ, जब उस ने पाया कि हर बात में रविता अमरदीप का पक्ष लेने लगी थी. अमित ने एकदो दफा दोनों को प्यार की तपिश में तपते हुए भी देख लिया था. एक अच्छा दोस्त होने के नाते अमित ने अमरदीप से सीधा विरोध करने के बजाए रविता पर ही अंकुश लगाना शुरू कर दिया था, लेकिन रविता ने पति की एक न सुनी. वह पति से छुटकारा पाने के उपाय खोजने लगी और फिर प्रेमी अमरदीप के साथ योजना बना कर उस ने पति अमित कश्यप की हत्या कर दी.

इस के बाद पुलिस ने रविता और अमरदीप को गिरफ्तार कर लिया. गहन पूछताछ में इस जघन्य हत्याकांड का खुलासा हुआ. पुलिस ने रविता और अमरदीप को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. रविता और अमरदीप ने पुलिस को सारी कहानी बता दी. पुलिस जांच में रविता और अमरदीप ने हत्या करने की अपनी साजिश के बारे में बताया तो सब के होश उड़ गए. इसी के साथ रविता ने बताया कि अमित ने उस के सामने ऐसे हालात पैदा कर दिए थे कि उसे यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

रविता ने बताया कि वह अमरदीप के साथ पिछले कई दिनों से पति की हत्या की योजना बना रही थी. दोनों ने योजना बनाई कि सोते समय अमित को मार कर उस के पास सांप छोड़ देंगे, ताकि किसी को उन पर शक न हो और अमित की मौत को सर्पदंश से हुई मान लिया जाए. सांप लाने का काम रविता ने अमरदीप को दिया, मगर अमरदीप को ऐसा सांप मिल नहीं पा रहा था, इसलिए यह योजना काफी दिनों तक टलती रही.

रविता ने यह स्वीकार कर लिया कि अमित के साथ रविता सहारनपुर स्थित मां शाकुंभरी देवी मंदिर घूमने गई थी. रात में लौटने पर अमित थका होने के कारण खाना खा कर सो गया. उस ने दूध में नींद की दवा दे कर अमित को बेहोश कर दिया था. फिर रात में रविता ने अमरदीप को बुलाया था. वह अपने साथ थैले में एक सांप भी ले कर आया था. यह सांप अमरदीप ने कृष्णा नाम के सपेरे से एक हजार रुपए में खरीदा था.

पहले दोनों ने मिल कर गला दबा कर अमित की हत्या कर दी थी. बाद में योजना के अनुसार, अमित के बिस्तर में सांप छोड़ कर ऊपर से कंबल से ढंक दिया था. इस के बाद अमरदीप चला गया. घर में 9 लोगों का परिवार था. फिर भी रविता और अमरदीप ने गजब की साजिश रच डाली थी. हैरान करने वाली बात भी थी कि किसी को कुछ भी पता नहीं चल पाया. घर के अंदर ग्राउंड फ्लोर पर 3 कमरे हैं. पहली मंजिल पर एक कमरा है. रोजाना की तरह घर के अंदर कश्यप परिवार के बच्चों समेत 9 लोग मौजूद थे.

रविता और अमरदीप ने इस सफाई से हत्या को अंजाम दिया कि किसी को खबर तक नहीं लग सकी. गेट के सामने ही रविता और अमित का कमरा है. रविता ने घटना की रात अमित की चारपाई कमरे के बाहर बरामदे में डाल दी. उस समय परिवार के सभी लोग अपनेअपने कमरों में चले गए थे. तीनों बच्चों को ले कर रविता भी कमरे के अंदर चली गई. रात को करीब 9 बजे रविता कमरे से बाहर आई. उस समय अमित सो गया था. तब रविता ने फोन कर अमरदीप को बुलाया और घटना को अंजाम दिया.

अमरदीप कृष्णा नाम के जिस सपेरे से सांप खरीद कर लाया था, वह सांप कृष्णा ने पड़ोसी सपेरे प्रीतम नाथ के घर से चुराया था. प्रीतम ने 2 दिन पहले ही वह घोड़ा पछाड़ (रैट स्नेक) सांप एक ग्रामीण के घर से पकड़ा था. बताया जाता है कि इस सांप में जहर नहीं होता. यह सांप बहुत तेज चलता है और चूहे व मेंढक का शिकार करता है. यही वजह रही कि इस सांप द्वारा अमित के 10 बार डसा गया, लेकिन अमित के शरीर में जहर नहीं पाया गया.

 

UP Crime News : धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर प्रेमिका के सिर को धड़ से अलग किया

UP Crime News : एजाज ने जिस तरह प्रिया को अपने जाल में फांसा, उस से शादी की और धर्म परिवर्तन की बात न मानने पर मार डाला, उसे भले ही लव जेहाद न कहा जाए, लेकिन समाज का एक बड़ा हिस्सा तो इसे जरूर…

जि ला: सोनभद्र, उत्तर प्रदेश. तारीख: 21 सितंबर 2020. वक्त: अपराह्न 3 बजे. स्थान: वाराणसी-शक्ति नगर राजमार्ग. इस राजमार्ग पर वन विभाग के एक भुखंड की झाडि़यों में किसी युवती की सिर कटी लाश मिली. जिस झाड़ी में लाश पड़ी थी, वह मुख्य मार्ग से 10 मीटर अंदर थी. यह खबर तेजी से फैली. कुछ ही देर में स्थानीय लोगों का वहां जमावड़ा लग गया. वहां के चौकीदार ने लाश देखी तो तत्काल स्थानीय थाना चोपन को लाश मिलने की सूचना दे दी. सूचना मिलते ही चोपन थाना इंसपेक्टर नवीन तिवारी पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. लाश घासफूस से ढकी हुई थी, जिसे हटवा कर उन्होंने लाश का निरीक्षण किया.

मृतका की उम्र लगभग 20-25 साल के बीच रही होगी. उस के धड़ पर जींस पैंट, टीशर्ट और पैरों में जूते थे. कपड़ों के साथ जूते भी काले रंग के थे. इंसपेक्टर तिवारी ने आसपास सिर की तलाश कराई, लेकिन सिर कहीं नहीं मिला. वहां मौजूद लोगों में से कोई भी लाश की शिनाख्त नहीं कर पाया. लाश के फोटो आदि करवाने के बाद इंसपेक्टर तिवारी ने लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी. फिर थाने वापस लौट गए. थाने में चौकीदार को वादी बना कर अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

लाश की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी. वह फोटो देखने के बाद मोहल्ला प्रीतनगर के वार्ड नंबर-7 निवासी लक्ष्मी नारायण सोनी अपनी छोटी बेटी शर्मिला के साथ थाना चोपन पहुंचे. जिस वन भूखंड में लाश मिली थी, वह प्रीतनगर में ही आता था. थाने पहुंचे लक्ष्मी नारायण ने मृतका के कपड़ों, जूतों व शरीर की बनावट के आधार पर लाश की शिनाख्त कर दी. वह उन की 21 वर्षीया बेटी प्रिया सोनी थी. लक्ष्मी नारायण ने बताया कि प्रिया ने उन की मरजी के बिना पड़ोसी युवक एजाज अहमद उर्फ आशिक से प्रेम विवाह कर लिया था और फिलहाल वह ओबरा में रह रही थी.

शिनाख्त होने के बाद मृतका के संबंध में कुछ अहम बातें पता चलीं तो इंसपेक्टर तिवारी ने राहत की सांस ली. लेकिन अभी तक प्रिया का सिर बरामद नहीं हुआ था. देर रात एएसपी (मुख्यालय) ओ.पी. सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. जबकि एसपी आशीष श्रीवास्तव ने मोर्चरी पहुंच कर प्रिया की लाश का निरीक्षण किया. इस के बाद उन्होंने स्वाट टीम प्रभारी प्रदीप सिंह को और सर्विलांस प्रभारी सरोजमा सिंह को थाना पुलिस की मदद के लिए लगा दिया ताकि जांच तेजी से और जल्दी हो. अगले दिन यानी 22 सितंबर को फिर से घटनास्थल पहुंच कर सिर की तलाश शुरू की गई. तलाशी के दौरान एक झाड़ी से लोहे की रौड और एक फावड़ा मिला.

फावड़ा मिलने से यह संभावना बढ़ गई कि हत्यारों ने सिर को कहीं जमीन में गड्ढा खोद कर दफनाया होगा. फावड़ा मिलने से तलाश तेज की गई तो एक झाड़ी से प्रिया का सिर मिल गया. सिर लाश मिलने वाली जगह से 150 मीटर की दूरी पर मिला. इंसपेक्टर नवीन तिवारी ने प्रिया के पति एजाज अहमद और उस के संपर्क में रहने वालों की लिस्ट बनाई. उन के मोबाइल नंबरों का पता लगा कर सारे नंबर सर्विलांस प्रभारी सरोजमा सिंह को सौंप दिए गए. सरोजमा सिंह और स्वाट प्रभारी प्रदीप सिंह ने उन सभी नंबरों की लोकेशन व काल रिकौर्ड की जांच की तो प्रिया का पति एजाज शक के घेरे में आ गया.

संदेह के फंदे में एजाज प्रिया और एजाज के मोबाइल नंबरों के काल रिकौर्ड की जांच की गई तो घटना के दिन दोपहर में दोनों के बीच बातचीत होने के सुबूत मिले. बातचीत के समय प्रिया की लोकेशन ओबरा में थी. बात होने के बाद प्रिया की लोकेशन ओबरा से होते हुए घटनास्थल तक आई. सड़क किनारे जिस जगह प्रिया की लाश मिली. उस के दूसरे किनारे पर एजाज की टायर रिपेयरिंग की दुकान थी. पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद इंसपेक्टर नवीन तिवारी ने 24 सितंबर को शाम साढ़े 5 बजे बग्घा नाला पुल के नीचे से एजाज अहमद को उस के साथी शोएब के साथ गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर दोनों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया और हत्या की वजह भी बयां कर दी.

लक्ष्मीनारायण सोनी का परिवार जिला सोनभद्र के थाना चोपन के मोहल्ला प्रीतनगर के वार्ड नंबर 7 में रहता था. उन की पत्नी सुमित्रा का देहांत हो चुका था. उन की 4 बेटियां थीं— प्रीति, शीना, प्रिया और शर्मिला. प्रीति और शीना का विवाह हो चुका था. लक्ष्मी नारायण ‘कन्हैया स्वीट हाउस ऐंड रेस्टोरेंट’ पर काम करते थे. इसी नौकरी से वह घर का खर्च चलाते थे. उन की सभी बेटियां होनहार और समझदार थीं. उन्होंने दिल लगा कर पढ़ाई की और जब कुछ करने लायक हुई तो नौकरी करने लगीं, जिस से खुद का खर्च स्वयं उठा सकें. प्रिया ने स्नातक तक शिक्षा ग्रहण कर ली थी. गोरा रंग, आकर्षक चेहरा और छरहरा बदन प्रिया की अलग पहचान बनाते थे. इसीलिए वह आसानी से किसी की भी नजरों में चढ़ जाती थी.

महत्त्वाकांक्षी प्रिया फैशनेबल कपड़े पहनती थी, मौडर्न बनने की चाह में वह अपने बालों को अलगअलग रंगों में रंगवा लेती थी. उस का रहनसहन हाईसोसायटी की लड़कियों की तरह था. जब फैशन उन की तरह था तो प्रिया की सोच भी उन की तरह ही थी. वह हर किसी से आसानी से हंसबोल लेती थी. शर्मसंकोच से वह कोसो दूर थी. प्रिया के घर से कुछ ही दूरी पर एजाज अहमद उर्फ आशिक का मकान था. उस के पिता जाकिर हुसैन टायर रिपेयरिंग का काम करते थे. एजाज भी पिता की दुकान पर बैठ कर उन के काम में हाथ बंटाता था. वह 4 भाईबहनों में दूसरे नंबर का था. प्रिया पर एजाज की नजर भी थी. उस की खूबसूरती को देख वह पागल सा हो गया था. यह जान कर भी कि वह उस के धर्म की नहीं है, इस के बावजूद वह उस की चाहत को पाने के लिए आतुर था.

पड़ोसी होने की वजह से प्रिया और एजाज एकदूसरे को जानते तो थे ही, जबतब बातचीत भी हो जाती थी. लेकिन जब से प्रिया ने अपने रूपयौवन को आधुनिक रूप से सजाना शुरू किया था, तब से वह कयामत ढाने लगी थी. प्रिया का यौवन जब कदमताल पर थिरकता तो एजाज का दिल तेजी से धड़कने लगता. एजाज अब प्रिया के नजदीक रहने की कोशिश करता. उस से किसी न किसी बहाने से बात करने की कोशिश करता. जब बारबार ऐसा होने लगा तो प्रिया भी समझ गई कि एजाज उस के नजदीक रहने और बात करने के बहाने ढूंढढूंढ कर पास आता है, ऐसा तभी होता है जब दिल में चाहत होती है.

वह समझ गई कि एजाज उसे चाहने लगा है, इसलिए उस के नजदीक रहने की कोशिश करता है. यह सब जान कर भी न जाने क्यों प्रिया को खराब नहीं लगा. बल्कि उस के दिल में भी कुछ कुछ होने लगा. इस का मतलब था कि उस के दिल में एजाज के लिए सौफ्ट कौर्नर था, जो उसे बुरा मानने नहीं दे रहा था. प्रिया ने एजाज को यह बात जाहिर नहीं होने दी कि वह उस की हरकतों को जान गई है. अपनी धुन में डूबा एजाज उस के नजदीक रह कर अपने दिल को तसल्ली देता रहता था. वह सोचता था कि एक न एक दिन अपनी बातों से प्रिया का दिल जीत ही लेगा. प्रिया भी उस की बातों में दिलचस्पी लेने लगी थी. बातों में वह भी पीछे नहीं रहती थी. बातें बढ़ीं तो दोनों एकदूसरे से काफी खुल गए.

अब दोनों को कोई भी बात कहने में संकोच नहीं होता था. दोनों साथ घूमने भी जाने लगे थे. दोनों खातेपीते और मौजमस्ती करते. इस से दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए. अब प्रिया एजाज पर विश्वास करने लगी थी. साथ ही वह यह भी सोचने लगी थी कि एजाज उसे हमेशा खुश रखेगा, कभी कोई कष्ट नहीं होने देगा. एजाज बड़ी ऐहतियात से कदम दर कदम आगे बढ़ रहा था. वह प्रिया के दिल में अपनी जगह बनाने के लिए वह सब कर रहा था, जो उसे करना चाहिए था. जब उसे लगा कि प्रिया उस के रंग में पूरी तरह रंग गई है, तो उस ने प्रिया से प्रेम का इजहार करने का फैसला कर लिया.

एजाज की दुकान के सामने सड़क पार किनारे पर वन विभाग की जमीन का छोटा सा टुकड़ा था. प्रिया से वह वहीं मिलता था. प्रिया भी जानती थी कि वह सुरक्षित जगह है, वहां कोई आताजाता नहीं था. उन दोनों को साथ देख बात मोहल्ले में फैल सकती थी. इसलिए प्रिया को एजाज से वहां मिलने से कोई गुरेज नहीं था. पहली मुलाकात में जब दोनों वहां बैठे थे, तो एजाज ने प्यार से प्रिया को निहारते हुए उस का हाथ अपने हाथ में ले लिया और बोला, ‘‘प्रिया,  मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं जो काफी दिन से मेरे दिल में कैद है.’’

‘‘कहो, तुम कब से अपनी बात कहने में संकोच करने लगे.’’ प्रिया ने उस की आंखों में देखते हुए मुसकरा अपनी भौंहें उचकाईं. इस से एजाज की हिम्मत बढ़ गई और वह बेसाख्ता बोल पड़ा, ‘‘प्रिया, आई लव यू… आई लव यू प्रिया.’’ कह कर एजाज ने बड़ी उम्मीद से प्रिया की ओर देखा. प्रिया को पहले ही एजाज से ऐसी उम्मीद थी. क्योंकि वह जो भूमिका बना रहा था, उस से ही जाहिर हो गया था कि एजाज अपने प्यार का इजहार करेगा. प्रिया ने भी बिना देरी लगाए प्यार का जवाब प्यार से दे दिया, ‘‘लव यू टू एजाज.’’

प्रिया के मुंह से प्यार के मीठे शब्द निकले तो एजाज ने खुशी से उसे अपनी बांहों में भर लिया. प्रिया ने भी उस की खुशी देख कर उस का साथ दिया. उस का जवाब सुन एजाज ने उस के होंठों को चूम लिया. प्रिया ने उस में भी उस का साथ दिया. लेकिन एजाज जब इस से आगे बढ़ने लगा तो प्रिया ने उसे रोक दिया, ‘‘इतने तक ठीक है, इस के आगे नहीं.’’ एजाज ने मन मसोस कर उस की बात मान ली. इस के बाद दोनों का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ने लगा. प्रिया अच्छी तरह जानती थी कि एजाज से प्यार की बात जानते ही घर में कोहराम मच जाएगा.

उस के पिता लक्ष्मी नारायण कभी भी गैरधर्म के युवक से शादी को तैयार नहीं होंगे. इसलिए उस ने एजाज से बात की. सलाह मशवरे के बाद दोनों ने घरवालों की बिना मरजी के शादी करने का मन बना लिया. धर्म के नाम पर पंगा घटना से डेढ़ महीने पहले दोनों ने चोरीछिपे शादी कर ली. शादी के बाद एजाज ने प्रिया को ओबरा के एक महिला लौज में ठहरा दिया. उस ने प्रिया से कहा कि जब मामला ठंडा हो जाएगा, तब उसे घर ले जाएगा. इस बीच वह अपने घर वालों को भी मना लेगा.

प्रिया ने उस की बात मान ली. वह महिला लौज में रहने लगी. उस ने पास की ही कपड़े की एक दुकान में नौकरी जौइन कर ली. शादी के कुछ ही दिन बीते थे कि एजाज प्रिया पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा. प्रिया इस के लिए तैयार नहीं थी. उस ने एजाज से कहा, ‘‘मैं ने तुम से प्यार किया है, तुम्हारे साथ रहने को तैयार हूं. लेकिन मैं अपना धर्म नहीं बदल सकती. जैसे तुम को अपने धर्म से प्यार है, वैसे ही मुझे अपना धर्म प्यारा है. जैसे मैं ने तुम्हें तुम्हारे धर्म के साथ स्वीकारा है, वैसे ही तुम मुझे मेरे धर्म के साथ स्वीकार करो. इस में दिक्कत क्या है. हमारे प्यार के बीच धर्म को क्यों ला रहे हो.’’

‘‘प्रिया, हमारे यहां गैरधर्म की लड़की को उस के धर्म के साथ नहीं स्वीकारा जाता. उसे अपना धर्म परिवर्तन करना ही पड़ता है. तुम मेरा धर्म स्वीकार कर लो तो मैं तुम्हें अपने घर ले चलूं.’’

‘‘मैं किसी भी हालत में अपना धर्म नहीं बदलूंगी. यह बात तुम्हें शादी और प्यार करने से पहले सोचना चाहिए था. मुझ से ही पूछ लेते तो ये नौबत न आती.’’

‘‘मैं ने सोचा जब तुम मुझ से प्यार कर सकती हो, शादी कर सकती हो तो मेरा धर्म भी स्वीकार कर लोगी.’’

‘‘सब तुम ने अपने आप ही सोच लिया, मुझ से एक बार भी पूछने की जहमत नहीं उठाई. इस में गलती तुम्हारी है, मेरी नहीं.’’

दोनों के बीच इस बात को ले कर काफी देर तक बहस होती रही लेकिन प्रिया नहीं मानी. फिर दो दोनों के बीच जबतब इस बात को ले कर विवाद होने लगा.

19 सितंबर को शाम 6:05 बजे प्रिया की एजाज से बात हुई. प्रिया ने उस से मिलने आने की बात कही. एजाज ने आने के लिए हां कर दी. प्रिया से बात होने के बाद एजाज ने फोन कर अपने दोस्त शोएब को बुला लिया. उस के साथ मिल कर उस ने योजना बनाई. प्रेमी का असली रूप कुछ देर बाद प्रिया ओबरा से आटो ले कर आई और एजाज की दुकान के सामने उतरी. एजाज ने उसे आते देख लिया था. वह उसे सड़क के दूसरी ओर वन विभाग की जमीन पर ले गया, जहां दोनों शादी से पहले मिला करते थे. एजाज और प्रिया लगभग 10 मीटर अंदर जा कर एक जगह बैठ गए. दोनों में बात हुई. एजाज ने एक बार फिर प्रिया से धर्म परिवर्तन करने की बात छेड़ी लेकिन प्रिया ने दोटूक जवाब दे दिया, ‘‘नहीं.’’

एजाज गुस्से से भर उठा, लेकिन उस ने प्रिया पर जाहिर नहीं होने दिया. एक मिनट में आने की बात कह कर वह दुकान पर आ गया. वहां से उस ने एक लीवर रौड और चाकू उठाया और शोएब को पीछे आने को कहा. एजाज फिर वहां पहुंचा, जहां प्रिया बैठी थी. प्रिया की पीठ उस की तरफ थी. एजाज ने प्रिया के सिर पर पीछे से लीवर रौड से तेज प्रहार किया. उस का वार इतने जोरों का था कि प्रिया चीख भी न सकी और वहीं ढेर हो गई. इस के बाद शोएब के वहां पहुंचने पर एजाज ने तेज धारदार चाकू से प्रिया का गला काट कर सिर धड़ से अलग कर दिया. फिर सिर को वहां से डेढ़ सौ मीटर दूर एक झाड़ी में फेंक दिया. इस के बाद धड़ को जमीन में दफनाने के लिए एजाज अपनी मारुति आल्टो कार से फावड़ा लेने चला गया.

बाजार से फावड़ा खरीद कर लाने के बाद दोनों ने जमीन को खोदने का प्रयास किया, लेकिन जमीन पथरीली होने के कारण दोनों गड्ढा नहीं खोद पाए. लाश को दफना नहीं सके तो दोनों ने आसपास उगी घास और पौधों से लाश ढक दी. प्रिया का मोबाइल उस की जींस की जेब में था. एजाज ने उस का मोबाइल निकाल कर अपनी जेब में रख लिया. लोहे की रौड, चाकू और फावड़ा झाडि़यों में छिपाने के बाद दोनों वापस लौट आए. अगले दिन 20 सितंबर को एजाज ने प्रिया के मोबाइल में उस का वाट्सऐप एकाउंट खोल कर प्रिया की तरफ से अपने नंबर पर न मिलने आने का मैसेज भेज दिया, जिस से उस पर शक न जाए. फिर उस ने प्रिया का मोबाइल स्विच्ड औफ कर के अपनी दुकान के पीछे फेंक दिया.

लेकिन उस का गुनाह छिप न सका. आखिर वह और शोएब कानून की गिरफ्त में आ ही गए. एजाज की निशानदेही पर प्रिया का मोबाइल और आल्टो कार भी पुलिस ने बरामद कर ली. हत्या में इस्तेमाल बाकी हथियार घटनास्थल से बरामद हो चुके थे. जरूरी कानूनी लिखापढ़ी के बाद दोनों को सीजेएम कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Love Crime : एकतरफा इश्क में डॉक्टर ने प्रेमिका को मार डाला

Love Crime : डिगरी ले कर डाक्टर बन जाना ही सब कुछ नहीं होता. इस पेशे में डाक्टर के लिए सेवाभाव, संयम, विवेक और इंसानियत भी जरूरी हैं. विवेक तिवारी डाक्टर जरूर बन गया था, लेकिन उस में इन में से कोई भी गुण नहीं था. अपने एक तरफा प्यार में वह चाहता था कि डा. योगिता वही करे जो वह चाहता है. ऐसा नहीं हुआ तो…

बीते 19 अगस्त की बात है. उत्तर प्रदेश पुलिस को सूचना मिली कि आगरा फतेहाबाद हाईवे पर बमरोली कटारा के पास सड़क किनारे एक महिला की लाश पड़ी है. यह जगह थाना डौकी के क्षेत्र में थी. कंट्रोल रूप से सूचना मिलते ही थाना डौकी की पुलिस मौके पर पहुंच गई. मृतका लोअर और टीशर्ट पहने थी. पास ही उस के स्पोर्ट्स शू पड़े हुए थे. चेहरेमोहरे से वह संभ्रांत परिवार की पढ़ीलिखी लग रही थी, लेकिन उस के कपड़ों में या आसपास कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से उस की शिनाख्त हो पाती. युवती की उम्र 25-26 साल लग रही थी.

पुलिस ने शव को उलटपुलट कर देखा. जाहिरा तौर पर उस के सिर के पीछे चोट के निशान थे. एकदो जख्म से भी नजर आए. युवती के हाथ में टूटे हुए बाल थे. हाथ के नाखूनों में भी स्कीन फंसी हुई थी. साफतौर पर नजर आ रहा था कि मामला हत्या का है, लेकिन हत्या से पहले युवती ने कातिल से अपनी जान बचाने के लिए काफी संघर्ष किया था. मौके पर शव की शिनाख्त नहीं हो सकी, तो डौकी पुलिस ने जरूरी जांच पड़ताल के बाद युवती की लाश पोस्टमार्टम के लिए एमएम इलाके के पोस्टमार्टम हाउस भेज दी. डौकी थाना पुलिस इस युवती की शिनाख्त के प्रयास में जुट गई.

उसी दिन सुबह करीब साढ़े 9 बजे दिल्ली के शिवपुरी पार्ट-2, दिनपुर नजफगढ़ निवासी डाक्टर मोहिंदर गौतम आगरा के एमएम गेट पुलिस थाने पहुंचे. उन्होंने अपनी बहन डाक्टर योगिता गौतम के अपहरण की आशंका जताई और डाक्टर विवेक तिवारी पर शक व्यक्त करते हुए पुलिस को एक तहरीर दी. डाक्टर मोहिंदर ने पुलिस को बताया कि डाक्टर योगिता आगरा के एसएन मेडिकल कालेज से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही है. वह नूरी गेट में गोकुलचंद पेठे वाले के मकान में किराए पर रहती है. कल शाम यानी 18 अगस्त की शाम करीब सवा 4 बजे डाक्टर योगिता ने दिल्ली में घर पर फोन कर के कहा था कि डाक्टर विवेक तिवारी उसे बहुत परेशान कर रहा है. उस ने डाक्टरी की डिगरी कैंसिल कराने की भी धमकी दी है. फोन पर डाक्टर योगिता काफी घबराई हुई थी और रो रही थी.

पुलिस ने डाक्टर मोहिंदर से डाक्टर विवेक तिवारी के बारे में पूछा कि वह कौन है? डा. मोहिंदर ने बताया कि डा. योगिता ने 2009 में मुरादाबाद के तीर्थकर महावीर मेडिकल कालेज में प्रवेश लिया था. मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान योगिता की जान पहचान एक साल सीनियर डा. विवेक से हुई थी. डाक्टरी करने के बाद विवेक को सरकारी नौकरी मिल गई. वह अब यूपी में जालौन के उरई में मेडिकल औफिसर के पद पर तैनात है. डा. विवेक के पिता विष्णु तिवारी पुलिस में औफिसर थे. जो कुछ साल पहले सीओ के पद से रिटायर हो गए थे. करीब 2 साल पहले हार्ट अटैक से उन की मौत हो गई थी.

डा. मोहिंदर ने पुलिस को बताया कि डा. विवेक तिवारी डा. योगिता से शादी करना चाहता था. इस के लिए वह उस पर लगातार दबाव डाल रहा था. जबकि डा. योगिता ने इनकार कर दिया था. इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी दिनों से झगड़ा चल रहा था. डा. विवेक योगिता को धमका रहा था. नहीं सुनी पुलिस ने  पुलिस ने योगिता के अपहरण की आशंका का कारण पूछा, तो डा. मोहिंदर ने बताया कि 18 अगस्त की शाम योगिता का घबराहट भरा फोन आने के बाद मैं, मेरी मां आशा गौतम और पिता अंबेश गौतम तुरंत दिल्ली से आगरा के लिए रवाना हो गए. हम रात में ही आगरा पहुंच गए थे. आगरा में हम योगिता के किराए वाले मकान पर पहुंचे, तो वह नहीं मिली. उस का फोन भी रिसीव नहीं हो रहा था.

डा. मोहिंदर ने आगे बताया कि योगिता के नहीं मिलने और मोबाइल पर भी संपर्क नहीं होने पर हम ने सीसीटीवी फुटेज देखी. इस में नजर आया कि डा. योगिता 18 अगस्त की शाम साढ़े 7 बजे घर से अकेली बाहर निकली थी. बाहर निकलते ही उसे टाटा नेक्सन कार में सवार युवक ने खींचकर अंदर डाल लिया.  डा. मोहिंदर ने आरोप लगाया कि सारी बातें बताने के बाद भी पुलिस ने ना तो योगिता को तलाशने का प्रयास किया और ना ही डा. विवेक का पता लगाने की कोशिश की. पुलिस ने डा. मोहिंदर से अभी इंतजार करने को कहा.

जब 2-3 घंटे तक पुलिस ने कुछ नहीं किया, तो डा. मोहिंदर आगरा में ही एसएन मेडिकल कालेज पहुंचे. वहां विभागाध्यक्ष से मिल कर उन्हें अपना परिचय दे कर बताया कि उन की बहन डा. योगिता लापता है. उन्होंने भी पुलिस के पास जाने की सलाह दी. थकहार कर डा. मोहिंदर वापस एमएम गेट पुलिस थाने आ गए और हाथ जोड़कर पुलिस से काररवाई करने की गुहार लगाई. शाम को एक सिपाही ने उन्हें बताया कि एक अज्ञात युवती का शव मिला है, जो पोस्टमार्टम हाउस में रखा है. उसे भी जा कर देख लो. मन में कई तरह की आशंका लिए डा. मोहिंदर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. शव देख कर उन की आंखों से आंसू बहने लगे. शव उन की बहन डा. योगिता का ही था. मां आशा गौतम और पिता अंबेश गौतम भी नाजों से पाली बेटी का शव देख कर बिलखबिलख कर रो पड़े.

शव की शिनाख्त होने के बाद यह मामला हाई प्रोफाइल हो गया. महिला डाक्टर की हत्या और इस में पुलिस अधिकारी के डाक्टर बेटे का हाथ होने की संभावना का पता चलने पर पुलिस ने कुछ गंभीरता दिखाई और भागदौड़ शुरू की. आगरा पुलिस ने जालौन पुलिस को सूचना दे कर उरई में तैनात मेडिकल आफिसर डा. विवेक तिवारी को तलाशने को कहा. जालौन पुलिस ने सूचना मिलने के 2 घंटे बाद ही 19 अगस्त की रात करीब 8 बजे डा. विवेक को हिरासत में ले लिया. जालौन पुलिस ने यह सूचना आगरा पुलिस को दे दी. जालौन पुलिस उसे हिरासत में ले कर एसओजी आफिस आ गई. जालौन पुलिस ने उस से आगरा जाने और डा. योगिता से मिलने के बारे में पूछताछ की, तो वह बिफर गया. उस ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से वह क्वारंटीन में है.

विवेक तिवारी बारबार बयान बदलता रहा. बाद में उस ने स्वीकार किया कि वह 18 अगस्त को आगरा गया था और डा. योगिता से मिला था. विवेक ने जालौन पुलिस को बताया कि वह योगिता को आगरा में टीडीआई माल के बाहर छोड़कर वापस उरई लौट आया था. आगरा पुलिस ने रात करीब 11 बजे जालौन पहुंचकर डा. विवेक को हिरासत में ले लिया. उसे जालौन से आगरा ला कर 20 अगस्त को पूछताछ की गई. पूछताछ में वह पुलिस को लगातार गुमराह करता रहा. पुलिस ने उस की काल डिटेल्स निकलवाई, तो पता चला कि शाम सवा 6 बजे से उस की लोकेशन आगरा में थी. डा. योगिता से उस की शाम साढ़े 7 बजे आखिरी बात हुई थी.

इस के बाद रात सवा बारह बजे विवेक की लोकेशन उरई की आई. कुछ सख्ती दिखाने और कई सबूत सामने रखने के बाद उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गई. आखिरकार उस ने डा. योगिता की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. बाद में पुलिस ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. पुलिस ने 20 अगस्त को डाक्टरों के मेडिकल बोर्ड से डा. योगिता के शव का पोस्टमार्टम कराया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार डा. योगिता के शरीर से 3 गोलियां निकलीं. एक गोली सिर, दूसरी कंधे और तीसरी सीने में मिली. योगिता पर चाकू से भी हमला किया गया था. पोस्टमार्टम कराने के बाद आगरा पुलिस ने डा. योगिता का शव उस के मातापिता व भाई को सौंप दिया.

प्रतिभावान डा. थी योगिता पूछताछ में डा. योगिता के दुखांत की जो कहानी सामने आई, वह डा. विवेक तिवारी के एकतरफा प्यार की सनक थी. दिल्ली के नजफगढ़ इलाके की शिवपुरी कालोनी पार्ट-2 में रहने वाले अंबेश गौतम नवोदय विद्यालय समिति में डिप्टी डायरेक्टर हैं. वह राजस्थान के उदयपुर शहर में तैनात हैं. डा. अंबेश के परिवार में पत्नी आशा गौतम के अलावा बेटा डा. मोहिंदर और बेटी डा. योगिता थी. योगिता शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहती थी. उस की डाक्टर बनने की इच्छा थी. इसलिए उस ने साइंस बायो से 12वीं अच्छे नंबरों से पास की. पीएमटी के जरिए उस का सलेक्शन मेडिकल की पढ़ाई के लिए हो गया. उस ने 2009 में मुरादाबाद के तीर्थंकर मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में एडमिशन लिया.

इसी कालेज में पढ़ाई के दौरान योगिता की मुलाकात एक साल सीनियर विवेक तिवारी से हुई. दोनों में दोस्ती हो गई. दोस्ती इतनी बढ़ी कि वे साथ में घूमनेफिरने और खानेपीने लगे. इस दोस्ती के चलते विवेक मन ही मन योगिता को प्यार करने लगा लेकिन योगिता की प्यारव्यार में कोई दिलचस्पी नहीं थी. वह केवल अपनी पढ़ाई और कैरियर पर ध्यान देती थी. इसी दौरान 2-4 बार विवेक ने योगिता के सामने अपने प्यार का इजहार करने का प्रयास किया लेकिन उस ने हंस मुसकरा कर उस की बातों को टाल दिया. योगिता के हंसनेमुस्कराने से विवेक समझ बैठा कि वह भी उसे प्यार करती है. जबकि हकीकत में ऐसा कुछ था ही नहीं. विवेक मन ही मन योगिता से शादी के सपने देखता रहा.

इस बीच, विवेक को भी डाक्टरी की डिगरी मिल गई और योगिता को भी. बाद में डा. विवेक तिवारी को सरकारी नौकरी मिल गई. फिलहाल वह उरई में मेडिकल आफिसर के पद पर कार्यरत था. डा. विवेक मूल रूप से कानपुर का रहने वाला है. कानपुर के किदवई नगर के एन ब्लाक में उस का पैतृक मकान है. इस मकान में उस की मां आशा तिवारी और बहन नेहा रहती हैं. विवेक के पिता विष्णु तिवारी उत्तर प्रदेश पुलिस में अधिकारी थे. वे आगरा शहर में थानाप्रभारी भी रहे थे. कहा जाता है कि पुलिस विभाग में विष्णु तिवारी का काफी नाम था. वे कानपुर में कई बड़े एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम में शामिल रहे थे. कुछ साल पहले विष्णु तिवारी सीओ के पद से रिटायर हो गए थे. करीब 2 साल पहले उन की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.

मुरादाबाद से एमबीबीएस की डिगरी हासिल कर डा. योगिता आगरा आ गई. आगरा में 3 साल पहले उस ने एसएन मेडिकल कालेज में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए एडमिशन ले लिया. वह इस कालेज के स्त्री रोग विभाग में पीजी की छात्रा थी. वह आगरा में नूरी गेट पर किराए के मकान में रह रही थी. इस बीच, डा. योगिता और विवेक की फोन पर बातें होती रहती थीं. कभीकभी मुलाकात भी हो जाती थी. डा. विवेक जब भी मिलता या फोन करता, तो अपने प्रेम प्यार की बातें जरूर करता लेकिन डा. योगिता उसे तवज्जो नहीं देती थी. दोनों के परिवारों को उन की दोस्ती का पता था. डा. विवेक के पास योगिता के परिजनों के मोबाइल नंबर भी थे. उस ने योगिता के आगरा के मकान मालिकों के मोबाइल नंबर भी हासिल कर रखे थे. कहा यह भी जाता है कि विवेक और योगिता कई साल रिलेशन में रहे थे.

पिछले कई महीनों से डा. विवेक उस पर शादी करने का दबाव डाल रहा था, लेकिन डा. योगिता ने इनकार कर दिया था. इस से डा. विवेक नाराज हो गया. वह उसे फोन कर धमकाने लगा. 18 अगस्त को विवेक ने योगिता को फोन कर शादी की बात छेड़ दी. योगिता के साफ इनकार करने पर उस ने धमकी दी कि वह उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा, उस की एमबीबीएस की डिगरी कैंसिल करा देगा. इस से डा. योगिता घबरा गई. उस ने दिल्ली में अपनी मां को फोन कर रोते हुए यह बात बताई. इसी के बाद योगिता के मातापिता व भाई दिल्ली से आगरा के लिए चल दिए थे.

योगिता को धमकाने के कुछ देर बाद डा. विवेक ने उसे दोबारा फोन किया. इस बार उस की आवाज में क्रोध नहीं बल्कि अपनापन था. उस ने कहा कि भले ही वह उस से शादी ना करे लेकिन इतने सालों की दोस्ती के नाम पर उस से एक बार मिल तो ले. काफी नानुकुर के बाद डा. योगिता ने आखिरी बार मिलने की हामी भर ली. उसी दिन शाम करीब साढ़े 7 बजे डा. विवेक ने योगिता को फोन कर के कहा कि वह आगरा आया है और नूरी गेट पर खड़ा है. घर से बाहर आ जाओ, आखिरी मुलाकात कर लेते हैं. योगिता बिना सोचेसमझे बिना किसी को बताए घर से अकेली निकल गई. यही उस की आखिरी गलती थी.

घर से बाहर निकलते ही नूरी गेट पर टाटा नेक्सन कार में सवार विवेक ने उसे कार का गेट खोल कर आवाज दी और तेजी से कार के अंदर खींच लिया. रास्ते में डा. विवेक ने योगिता से फिर शादी का राग छेड़ दिया, तो चलती कार में ही दोनों में बहस होने लगी. डा. विवेक उस से हाथापाई करने लगा. इसी हाथापाई में योगिता ने अपने हाथ के नाखूनों से विवेक के बाल खींचे और चमड़ी नोंची, तो गुस्साए विवेक ने उस का गला दबा दिया. डा. विवेक योगिता को कार में ले कर फतेहाबाद हाईवे पर निकल गया. एक जगह रुक कर उस ने अपनी कार में रखा चाकू निकाला. चाकू से योगिता के सिर और चेहरे पर कई वार किए. इतने पर भी विवेक का गुस्सा शांत नहीं हुआ, तो उस ने योगिता के सिर, कंधे और छाती में 3 गोलियां मारीं. यह रात करीब 8 बजे की घटना है.

हत्या कर के रातभर सक्रिय रहा विवेक इस के बाद योगिता के शव को बमरौली कटारा इलाके में सड़क किनारे एक खेत में फेंक दिया. पिस्तौल भी रास्ते में फेंक दी. रात में ही वह उरई पहुंच गया. रात को ही वह उरई से कानपुर गया और अपनी कार घर पर छोड़ आया. दूसरे दिन वह वापस उरई आ गया. बाद में पुलिस ने कानपुर में डा. विवेक के घर से वह कार बरामद कर ली. यह कार 2 साल पहले खरीदी गई थी. कार में खून से सना वह चाकू भी बरामद हो गया, जिस से हमला कर योगिता की जान ली गई थी. बहुत कम बोलने वाली प्रतिभावान डा. योगिता गौतम का नाम कोरोना संक्रमण काल में यूपी की पहली कोविड डिलीवरी करने के लिए भी दर्ज है. कोरोना महामारी जब आगरा में पैर पसार रही थी, तब आइसोलेशन वार्ड विकसित किया गया.

इस के लिए स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की भी एक टीम बनाई गई. जिसे संक्रमित गर्भवतियों के सीजेरियन प्रसव की जिम्मेदारी दी गई. विभागाध्यक्ष डा. सरोज सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में शामिल डा. योगिता ने 21 अप्रैल को यूपी और आगरा में कोविड मरीज के पहले सीजेरियन प्रसव को अंजाम दिया था. इस के बाद भी उन्होंने कई सीजेरियन प्रसव कराए. डा. योगिता के कराए प्रसव की कई निशानियां आज उन घरों में किलकारियां बन कर गूंज रही हैं. सिरफिरे डाक्टर आशिक के हाथों जान गंवाने से 5 दिन पहले ही 13 अगस्त को डा. योगिता का पीजी का रिजल्ट आया था. जिस में वह पास हो गई थी. पीजी कर योगिता विशेषज्ञ डाक्टर बन गई थी. लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था. लोगों की जान बचाने वाली डा. योगिता की उस के आशिक ने ही जान ले ली. घटना वाले दिन भी वह दोपहर 3 बजे तक अस्पताल में अपनी ड्यूटी पर थी.

डा. योगिता की मौत पर आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में कैंडल जला कर योगिता को श्रद्धांजलि दी गई. कालेज के जूनियर डाक्टरों की एसोसिएशन ने प्रदर्शन कर सच्ची कोरोना योद्धा की हत्या पर आक्रोश जताया. बहरहाल डा. विवेक ने अपने एकतरफा प्यार की सनक में योगिता की हत्या कर दी. उस की इस जघन्य करतूत ने योगिता के परिवार को खून के आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया. वहीं, खुद का जीवन भी बरबाद कर लिया. डाक्टर लोगों की जान बचाने वाला होता है, लोग उसे सब से ऊंचा दर्जा देते हैं, लेकिन यहां तो डाक्टर ही हैवान बन गया. दूसरों की जान बचाने वाले ने साथी डाक्टर की जान ले ली.

 

Uttarakhand News : आशिकमिजाज औरत ने दूसरे प्रेमी से पहले प्रेमी की कराई हत्या

Uttarakhand News : सुखविंदर कौर कुलदीप को जी जान से चाहती थी, लेकिन राजस्थान में नौकरी पर चले जाने के बाद वह सुखविंदर को भूल सा गया. इसी दौरान सुखविंदर के अली हुसैन उर्फ आलिया से संबंध बन गए. जब कुलदीप ने उन के प्यार में रोड़ा बनने की कोशिश की तो…

29 जून, 2020 की रात कुलदीप सिंह खाना खाने के बाद टहलने के लिए घर से निकला ही था कि उस के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया. कुलदीप फोन पर बात करतेकरते सड़क पर आगे बढ़ गया. लेकिन जब वह काफी देर तक घर वापस नहीं लौटा तो उस के परिवार वाले परेशान हो गए. उन की चिंता इसलिए भी बढ़ी, क्योंकि उस का मोबाइल भी बंद था. जब उस के घर वाले बारबार फोन लगाने लगे तो रात के कोई 10 बजे उस का फोन 2 बार कनेक्ट हुआ, लेकिन उस के बाद तुरंत कट गया. उन्होंने तीसरी बार कोशिश की तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस से उस के घर वाले बुरी तरह घबरा गए.

कुलदीप जिस गांव में रहता था, वह ज्यादा बड़ा नहीं था. उस के परिवार वालों ने उस के बारे में गांव के सभी लोगों से पूछताछ की, गांव की गलीगली छान मारी लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं चल सका. किसी अनहोनी की आशंका के चलते कुलदीप के चाचा बूटा सिंह आईटीआई थाने पहुंचे. लेकिन वहां पर पूरा थाना क्वारंटीन होने के कारण उन्हें पैगा चौकी भेज दिया गया. अगले दिन सुबह ही पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल ने कुलदीप के गांव जा कर उस के घर वालों से उस के बारे में जानकारी हासिल की. पुलिस अभी कुलदीप को इधरउधर तलाश कर रही थी कि उसी दौरान 2 जुलाई को गांव के कुछ युवकों ने गांव के बारात घर से 200 मीटर की दूरी पर खेतों के किनारे स्थित नाले में एक शव पड़ा देखा. उन्होंने यह जानकारी ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह को दी.

ग्राम प्रधान ने कुछ गांव वालों को साथ ले जा कर शव को देखा तो उस की शिनाख्त लापता  कुलदीप सिंह के रूप में हो गई. नाले में पड़े गलेसड़े शव की सूचना पाते ही एएसपी राजेश भट्ट, सीओ मनोज ठाकुर, आईटीआई थानाप्रभारी कुलदीप सिंह, पैगा पुलिस चौकी इंचार्ज अशोक फर्त्याल मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने कुलदीप सिंह के शव को बाहर निकलवा कर उस की जांचपड़ताल कराई तो उस के शरीर पर किसी भी प्रकार की चोट के निशान नहीं थे. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. शव का पोस्टमार्टम 2 डाक्टरों के पैनल ने किया. पैनल में डा. शांतनु सारस्वत, और डा. के.पी. सिंह शामिल थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि कुलदीप सिंह की मौत गला दबाने से हुई थी. जहर की पुष्टि हेतु जांच के लिए विसरा सुरक्षित रख लिया गया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने मृतक कुलदीप के परिवार वालों से जानकारी जुटाई तो पता चला कुलदीप का गांव की ही एक युवती के साथ चक्कर चल रहा था. सुखविंदर कौर नाम की युवती कुलदीप के मोबाइल पर घंटों बात करती थी. इस जानकारी के बाद पुलिस ने सुखविंदर कौर को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. पुलिस पूछताछ के दौरान पहले तो सुखविंदर ने इस मामले में अनभिज्ञता दिखाने की कोशिश की. लेकिन बाद में उस ने स्वीकार किया कि उस रात कुलदीप उस से मिला जरूर था, लेकिन उस के बाद वह घर जाने की बात कह कर चला गया था. वह कहां गया उसे कुछ नहीं मालूम. पुलिस ने सुखविंदर को घर भेज दिया.

सुखविंदर से बात करने के दौरान पुलिस इतना तो जान ही चुकी थी कि दोनों के बीच गहरे संबध थे. उन्हीं संबंधों के चक्कर में कुलदीप को जान से हाथ धोना पड़ा होगा. पुलिस ने कुलदीप के दोनों मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए तो पता चल गया कि घटना वाली रात कुलदीप सुखविंदर कौर के संपर्क में आया था. पुलिस ने सुखविंदर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला कि वह कुलदीप के साथसाथ गांव के ही शाकिर के बेटे अली हुसैन उर्फ आलिया के संपर्क में भी थी. उस रात सुखविंदर ने कुलदीप के मोबाइल पर कई बार काल की थी. लेकिन उस ने उस का मोबाइल रिसीव नहीं किया था. शाम को फोन मिला तो सुखविंदर ने कुलदीप से काफी देर बात की थी. यह भी पता चला कि उस रात सुखविंदर ने आलिया के मोबाइल पर भी कई बार बात की थी.

इस से यह बात तो साफ हो गई कि कुलदीप की हत्या का कारण आलिया और सुखविंदर दोनों ही थे. यह बात सामने आते ही पुलिस ने फिर से सुखविंदर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उस से सख्ती से पूछताछ की. उस ने स्वीकार कर लिया कि पिछले 2 साल से उस के कुलदीप से प्रेम संबंध थे. लेकिन पिछले कुछ महीनों से उस की अपने ही पड़ोस में रहने वाले युवक आलिया से नजदीकियां बढ़ गई थीं. लेकिन कुलदीप उस का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं था. उस की इसी बात से तंग आ कर उस ने आलिया को अपने प्रेम संबंधों का वास्ता दे कर कुलदीप की हत्या करा दी. कुलदीप की हत्या का राज खुलते ही पुलिस ने सुखविंदर के दूसरे प्रेमी आलिया को भी तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने उस से भी पूछताछ की. उस ने बताया कि उस ने सुखविंदर के कहने पर ही कुलदीप की हत्या करने में उस का सहयोग किया था.

पुलिस ने आलिया और सुखविंदर कौर की निशानदेही पर बलजीत के खेत से कुलदीप के मोबाइल के अलावा एक खाली गिलास, पीले रंग का गमछा और जहर की एक खाली शीशी भी बरामद की. पुलिस पूछताछ में पता चला कि सुखविंदर एक साथ 2 नावों में यात्रा कर रही थी, जो कुलदीप को बिलकुल पसंद नहीं था. उसी से चिढ़ कर उस ने अपने दूसरे प्रेमी आलिया के साथ मिल कर उस की हत्या करा दी. इस प्रेम त्रिकोण का अंत कुलदीप की हत्या से ही क्यों हुआ, इस के पीछे एक विचित्र सी कहानी सामने आई. काशीपुर (उत्तराखंड) कोतवाली के अंतर्गत थाना आईटीआई के नजदीक एक गांव है बरखेड़ी. यह सिख बाहुल्य आबादी वाला छोटा सा गांव है. इस गांव में कई साल पहले सरदार हरभजन सिंह आ कर बसे थे.

वह पेशे से डाक्टर थे. उस समय आसपास के क्षेत्र में उन के अलावा अन्य कोई डाक्टर नहीं था. इसी वजह से यहां आते ही उन का काम बहुत अच्छा चल निकला था. समय के साथ उन की बीवी प्रकाश कौर 3 बेटियों की मां बनीं. सुखविंदर कौर उन में सब से छोटी थी. हरभजन सिंह ने डाक्टरी करते हुए इतना पैसा कमाया कि अपना मकान भी बना लिया और 2 बेटियों की शादी भी कर दी. उस समय सुखविंदर काफी छोटी थी. डाक्टरी पेशे से जुड़े होने के कारण हरभजन सिंह ने इस इलाके में अपनी अच्छी पहचान बना ली थी. अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व किसी लाइलाज बीमारी के चलते हरभजन की मौत हो गई. उन के निधन के बाद उन की बीवी प्रकाश कौर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. प्रकाश कौर के पास न तो कोई बैंक बैलेंस था और न कोई आमदनी का जरिया.

हालांकि हरभजन सिंह अपनी 2 बेटियों की शादी कर चुके थे, लेकिन उन्हें छोटी बेटी की शादी की चिंता थी. प्रकाश कौर के सामने अजीब सी मजबूरी आ खड़ी हुई. जब प्रकाश कौर के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई तो उन्हें हालात से समझौता करना पड़ा. उन्हें गांव में मेहनतमजदूरी करने पर विवश होना पड़ा. उन्होंने जैसेतैसे मेहनतमजदूरी कर बेटी सुखविंदर कौर को पढ़ाया लिखाया. उस ने हाई  स्कूल कर लिया. सिर पर बाप का साया न होने की वजह से सुखविंदर कौर के कदम डगमगाने लगे थे. मां प्रकाश कौर रोजी रोटी कमाने के लिए घर से निकल जाती तो सुखविंदर कौर घर पर अकेली रह जाती थी. उसी दौरान उस की मुलाकात कुलदीप से हुई. कुलदीप गांव का ही रहने वाला था.

उस के पिता गुरमीत सिंह की गांव में अच्छी खेतीबाड़ी थी. गुरमीत सिंह का परिवार भी काफी बड़ा था. हर तरह से साधनसंपन्न इस परिवार में 7 लोग थे. भाईबहनों में हरजीत सब से बड़ा, उस के बाद कुलदीप, निशान सिंह और उन से छोटी 2 बेटियां थीं. हरजीत सिंह की शादी हो चुकी थी. उस के बाद कुलदीप सिंह का नंबर था. कुलदीप सिंह होनहार था. सुखविंदर कौर उस समय हाईस्कूल में पढ़ रही थी. उसी उम्र में वह कुलदीप सिंह को दिल दे बैठी. सुखविंदर कौर स्कूल जाती तो कुलदीप सिंह से भी मिल लेती थी. वह उस के परिवार की हैसियत जानती थी. जिस तरफ सुखविंदर का घर था, वह रास्ता कुलदीप के खेतों पर जाता था. खेतों पर आतेजाते कुलदीप की सुखविंदर से जानपहचान हुई. जब दोनों एक दूसरे के संपर्क में आए तो उन के बीच प्रेम का बीज अंकुरित हो गया.

मां के काम पर निकल जाने के बाद सुखविंदर घर पर अकेली होती थी. उसी का लाभ उठा कर वह उस रास्ते से निकल रहे कुलदीप को अपने घर में बुला लेती. फिर दोनों मौके का लाभ उठा कर प्यार भरी बातों में खो जाते थे. कुलदीप उसे जी जान से प्यार करता था. प्यार की राह पर चलतेचलते दोनों ने जिंदगी भर एक दूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाईं. कुलदीप उस के प्यार में इस कदर गाफिल था. उस ने बीकौम करने के बाद आईटीआई का कोर्स कर लिया था, जिस के बाद उसे रुद्रपुर की एक फैक्ट्री में अस्थाई नौकरी मिल गई थी.

रुद्रपुर में नौकरी मिलते ही कुलदीप वहीं पर कमरा ले कर रहने लगा. उस के रुद्रपुर चले जाने पर सुखविंदर परेशान हो गई. जब उसे उस की याद सताती तो वह मोबाइल पर बात कर लेती थी. लेकिन मोबाइल पर बात करने से उस के दिल को सुकून नहीं मिलता था. उसी दौरान उस ने कई बार कुलदीप पर शादी करने का दबाव बनाया. लेकिन कुलदीप कहता कि जब उसे सरकारी नौकरी मिल जाएगी, वह उस से शादी कर लेगा. जबकि सुखविंदर उस की सरकारी नौकरी लगने तक रुकने को तैयार नहीं थी. एक साल रुद्रपुर में नौकरी करने के बाद उस की जौब राजस्थान की एक बाइक कंपनी में लग गई. कुलदीप को राजस्थान जाना पड़ा.

कुलदीप के राजस्थान चले जाने के बाद तो सुखविंदर की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर गया. जब कभी वह मोबाइल पर कुलदीप से बात करती तो उस का मन बहुत दुखी होता था. कुलदीप ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उस की एक भी बात मानने को तैयार नहीं थी. घटना से लगभग 6 महीने पहले सुखविंदर की नजर अपने पड़ोसी अली हुसैन उर्फ आलिया पर पड़ी. गांव में शाकिर हुसैन का अकेला मुसलिम परिवार रहता था. यह परिवार पिछले 40 वर्षों से इस गांव में रह रहा था. 8 महीने पहले ही ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने इस परिवार को ग्राम समाज की जमीन उपलब्ध कराई थी, जिस पर शाकिर ने मकान बनवा लिया था.

शाकिर हुसैन का एक भाई कलुआ बहुत पहले बरखेड़ी छोड़ कर दूसरे गांव बरखेड़ा पांडे में जा बसा था. वहां पर उस का आनाजाना बहुत कम होता था. शाकिर हुसैन के पास खेतीबाड़ी की जमीन नहीं थी. वह शुरू से ही गांव वालों के खेतों में मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार का पालनपोषण करता आ रहा था. उस के 3 बेटों मोहम्मद , रशीद और रफीक में अली हुसैन उर्फ आलिया सब से छोटा था. वह हर वक्त बनठन कर रहता था. वह गांव के लोगों के खेतों में काम करना अपनी तौहीन समझता था. लेकिन न तो उस के खर्चों में कमी थी और न ही उस की शानशौकत में. उस के रहनसहन को देख गांव वाले हैरत में थे कि उस के पास खर्च के लिए पैसा कहां से आता है.

गांव में छोटीमोटी चोरी होती रहती थी, लेकिन कभी भी कोई चोर किसी की पकड़ में नहीं आया था. गांव के अधिकांश लोग उसी पर शक करते थे. लेकिन बिना किसी सबूत के कोई उस पर इल्जाम नहीं लगाना चाहता. जब एक चोरी में उस का नाम सामने आया तो उस की हकीकत सामने आ गई. उस के बाद गांव वाले उस से सावधान रहने लगे. आलिया गांव के हर शख्स पर निगाह रखता था. इस सब के चलते आलिया को पता चला कि कुलदीप के सुखविंदर कौर के साथ अनैतिक संबंध हैं. उस ने कुलदीप को कई बार उस के घर से निकलते देखा था. उसी का लाभ उठा कर उस ने मौका देख सुखविंदर से उस के और कुलदीप के प्रेम संबंधों को ले कर बात की. शुरू में सुखविंदर ने इस बारे में उस से कोई बात नहीं की. लेकिन वह कुलदीप को ले कर परेशान जरूर थी. उस के साथ बिताए दिन उस के दिल में कांटा बन कर चुभने लगे थे.

सुखविंदर खुद भी कुलदीप के पीछे पड़तेपड़ते तंग आ चुकी थी. उस की की तरफ से उम्मीद कमजोर पड़ी तो उस ने आलिया से नजदीकियां बढ़ा लीं. वह कुलदीप की प्रेम राह को त्याग कर आलिया के प्रेम जाल में जा फंसी. फिर आलिया उस के दिल पर राज करने लगा. आलिया के संपर्क में आया तो वह कुलदीप को भुला बैठी. कई बार कुलदीप राजस्थान से उस के मोबाइल पर काल मिलाता तो वह रिसीव ही नहीं करती थी. कुलदीप उस के बदले व्यवहार को देख कर परेशान रहने लगा था. उस दौरान वह कई बार काशीपुर अपने गांव आया. उस ने सुखविंदर से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन सुखविंदर ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई.

तभी उसे गांव के एक दोस्त से उस की हकीकत पता की, तो उसे पता चला कि सुखविंदर कौर का आलिया से चक्कर चल रहा है. यह सुनते ही कुलदीप को जोरों का धक्का लगा. उसे सुखविंदर कौर से ऐसी उम्मीद नहीं थी. वह जैसेतैसे सुखविंदर कौर से मिला और उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन सुखविंदर ने उस की एक बात नहीं मानी. कुलदीप निराश हो कर राजस्थान चला गया. लेकिन वहां जाने के बाद भी वह सुखविंदर कौर की बेवफाई से परेशान था. वह चाह कर भी उसे अपने दिल से नहीं निकाल पा रहा था. सुखविंदर कौर की बेवफाई का सिला मिलने के बाद उस का नौकरी से मन उचट गया था. तभी देश में कोरोना बीमारी के चलते लौकडाउन लग गया.

लौकडाउन से उस की फैक्ट्री बंद हुई तो उसे अपने घर काशीपुर लौटना पड़ा. तब तक देश भर में इमरजेंसी जैसे हालात हो गए थे. लोग अपनेअपने घरों में कैद हो कर रह गए थे. काशीपुर आने के कुछ समय बाद उसे मुरादाबाद रोड स्थित किसी फैक्ट्री में काम मिल गया. कुलदीप ने मौका देख कर कई बार सुखविंदर से संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन उस ने उस से मिलने में कोई रुचि नहीं दिखाई. कुलदीप ने घर पर रहते कई बार उस के मोबाइल पर फोन मिलाया तो अधिकांशत: व्यस्त ही मिला. फिर एक अन्य युवक से यह जानकारी मिली कि सुखविंदर आलिया से ज्यादा घुलमिल गई है. बात कुलदीप को बरदाश्त नहीं था.

कुलदीप कई बार आलिया से भी मिला और उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन आलिया ने साफ शब्दों में कह दिया कि अगर वह और सुखविंदर प्यार करते हैं तो उसे समझाए, वह सुखविंदर के पीछे नहीं बल्कि सुखविंदर ही उस के पीछे पड़ी है. कुलदीप किसी भी कीमत पर सुखविंदर कौर को छोड़ने को तैयार नहीं था. जब सुखविंदर कौर और आलिया कुलदीप की हरकतों से परेशान हो उठे तो दोनों ने कुछ ऐसा करने की सोची, जिस से कुलदीप से पीछा छूट जाए. सुखविंदर यह जानती थी कि कुलदीप अभी भी उस का दीवाना है. वह उस की एक काल पर ही कहीं भी आ सकता है. इसी का लाभ उठा कर उस ने कुलदीप को रास्ते से हटाने के लिए आलिया को पूरा षडयंत्रकारी नक्शा तैयार कर के दे दिया.

पूर्व नियोजित षडयंत्र के तहत 29 जून को सुखविंदर कौर ने दिन में कई बार कुलदीप के मोबाइल पर काल की. लेकिन कुलदीप सिंह अपनी ड्यूटी पर था, उस ने सुखविंदर की काल रिसीव नहीं की. शाम को दोबारा कुलदीप के मोबाइल पर उस की काल आई तो सुखविंदर ने उसे शाम को गांव के पास स्थित बलजीत सिंह के बाग में मिलने की बात पक्की कर ली. कुलदीप सिंह उस की हरकतों से पहले ही दुखी था, लेकिन प्रेमिका होने के नाते वह उस की पिछली हरकतों को भूल कर मिलने के लिए तैयार हो गया. उसे विश्वास था कि जरूर कोई खास बात होगी, इसीलिए सुखविंदर उसे बारबार फोन कर रही है. यही सोच कर कुलदीप सिंह खुश था.

शाम को उस ने जल्दी खाना खाया और वादे के मुताबिक बाहर घूमने के बहाने घर से निकल गया. घर से निकलते ही उस ने सुखविंदर को फोन कर उस की लोकेशन पता की. उस के बाद वह बताई गई जगह पर पहुंच गया. गांव के बाहर मिलते ही सुखविंदर ने कुलदीप को अपने आगोश में समेट लिया. कुलदीप को लगा कि सुखविंदर आज भी उसे पहले की तरह प्यार करती है. इसीलिए वह उस से इतनी गर्मजोशी से मिल रही है. कुलदीप उस की असल मंशा को समझ नहीं पाया. सुखविंदर कौर पूर्व प्रेमी कुलदीप का हाथ हाथों में थामे बाग की ओर बढ़ गई.

बाग में एक जगह बैठते हुए उस ने पुराने सभी गिलेशिकवे भूल जाने को कहा. सुखविंदर ने कुलदीप से कहा कि आज वह काफी दिनों बाद मिल रही है. इसी खुशी में वह उस के लिए स्पैशल दूध बना कर लाई है. कुलदीप इतना नादान था कि उस के प्यार में पागल हो कर उस की चाल को समझ नहीं पाया. उस ने थैली से दूध निकाल कर गिलास में डाला और कुलदीप को पीने को दे दिया. सुखविंदर ने थैली में थोड़ा दूध यह कह कर बचा लिया था कि इसे बाद में वह पी लेगी. दूध पीने के बाद कुलदीप को कुछ अजीब सा जरूर लगा लेकिन सुखविंदर को बुरा न लगे, इसलिए कुछ नहीं बोला. दूध पीते ही कुलदीप का सिर घूमने लगा.

जब सुखविंदर को लगा कि जहर कुलदीप पर असर दिखाने लगा है तो उस ने पास ही छिपे अली हुसैन उर्फ आलिया को इशारा कर बुला लिया. आलिया ने मौके का लाभ उठा कर गमछे से गला घोंट कर कुलदीप की हत्या कर दी. बेहोश होने के कारण कुलदीप विरोध भी नहीं कर पाया. सांस रुकने से कुलदीप मौत की नींद सो गया. कुलदीप को मौत की नींद सुला कर आलिया और सुखविंदर ने उस के शव को खींच कर पास के नाले में फेंक दिया, ताकि उस की लाश जल्दी से न मिल सके. फिर दोनों अपनेअपने घर चले आए. सुखविंदर कौर और आलिया को पूरा विश्वास था कि उस की हत्या का राज राज ही बन कर रह जाएगा. फिर दोनों शादी कर लेंगे. लेकिन आलिया और सुखविंदर की चालाकी धरी की धरी रह गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने कुलदीप हत्याकांड की आरोपी सुखविंदर कौर उस के प्रेमी अली हुसैन उर्फ आलिया को भादंवि की धारा 302/201 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. आलिया को पुलिस हिरासत में लेते ही उस का पिता अपने घर का खासखास सामान समेट कर अपने भाई कलुआ के घर बरखेड़ा पांडे चला गया. गांव वाले कुलदीप की हत्या से आहत थे, इसलिए उन्होंने गांव से नामोनिशान मिटाने के लिए उस के घर में आग लगा दी. इतना ही नहीं आक्रोशित गांव वालों ने रात में जेसीबी से उस का घर तोड़फोड़ दिया. इस घटना से पूरे गांव में अफरातफरी का माहौल था. इस घटना की सूचना किसी ने पुलिस को दे दी.

सूचना मिलते ही सीओ मनोज कुमार ठाकुर, कोतवाल चंद्रमोहन सिंह, पैगा चौकीप्रभारी अशोक फर्त्याल समेत बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स मौके पर पहुंची. जिस के बाद भीड़ तितरबितर हो गई. पुलिस पूछताछ के दौरान ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया कि जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी फिर से गांव में आ कर न रहने लगे, यह सोच कर गांव वालों ने उस के घर को क्षति पहुंचाने की कोशिश की थी. इस मामले में भी पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए कुलदीप के ताऊ बूटा सहित 30-35 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147,427,436,के तहत केस दर्ज किया.

UP News : सोते हुए डॉक्टर को महबूबा के आशिक ने चाकू से गोद डाला

UP News : उस का नाम था मायरा बानो, लेकिन उस की सूरत और सीरत की वजह से सब उसे चांदनी कहने लगे थे. चांदनी का पहला प्यार था इमरान और इमरान का पहला प्यार थी चांदनी. डाक्टर संजय भदौरिया ने जब चांदनी पर नजर डाली तो…

पेशे से डाक्टर संजय सिंह भदौरिया बरेली के धनेटा-शीशगढ़ मार्ग से सटे आनंदपुर गांव में रहते थे. उन के पिता राजेंद्र सिंह गांव के संपन्न किसान थे. परिवार में मां और पिता के अलावा एक छोटा भाई हरिओम और एक बहन पूनम थी. पूनम का विवाह हो चुका था. संजय डाक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1999 में बरेली के एक अस्पताल में अपनी सेवाएं देने लगे. सन 2000 में नीलम से उन का विवाह हो गया. लेकिन काफी समय बाद भी उन्हें संतान सुख नहीं मिला. छोटे भाई हरिओम का विवाह बाद में हुआ. हरिओम के 3 बेटे हुए. संजय ने उन्हीं में से एक बेटे को गोद ले लिया था. कई अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने के बाद डा. संजय ने अपना अस्पताल खोलने का निश्चय किया.

5 साल पहले उन्होने गौरीशंकर गौडि़या में किराए पर एक इमारत ले कर अस्पताल खोला. उन्होंने अस्पताल का नाम रखा ‘आनंद जीवन हौस्पिटल’. अस्पताल अच्छा चलने लगा. लेकिन घर से काफी दूर होने के कारण आनेजाने में दिक्कत होती थी. इसलिए डा. संजय कहीं घर के नजदीक अस्पताल खोलने पर विचार करने लगे. 6 महीने तक गौडि़या में अस्पताल चलाने के बाद संजय ने अपने गांव आनंदपुर से 2 किलोमीटर की दूरी पर विकसित गांव दुनका में एक इमारत किराए पर ले ली. इमारत दुनका गांव निवासी नत्थूलाल की थी, जिसे संजय ने 8 हजार रुपए मासिक किराए पर लिया था. संजय ने इमारत में बने हाल को 2 हिस्सों में बांट दिया.

एक हिस्से में बैठ कर वह मरीजों को देखते थे. जबकि दूसरा हिस्सा एडमिट किए गए मरीजों के लिए था. मरीजों को दवा भी वहीं दी जाती थी, जबकि यह काम उन के छोटे भाई हरिओम सिंह भदौरिया करते थे. हरिओम बड़े भाई के अन्य कामों में भी सहयोग करते थे. संजय और हरिओम के मामा नत्थू सिंह भी उन के साथ लगे रहते थे. संजय कई सालों से हिंदू युवा वाहिनी से भी जुडे़ थे. पिछले 5 सालों में संजय का अस्पताल अच्छा चल निकला था. रात में वह अधिकतर अस्पताल में ही रुकते थे. घर जाते तो कुछ ही देर में वापस लौट आते थे. रात में वह अस्पताल परिसर में चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सोते थे. इमारत के बाहर लोहे का एक बड़ा सा गेट था, जो दिन में खुला रहता था लेकिन रात में बंद कर दिया जाता था.

रात में कोई मरीज आता तो गेट खोल दिया जाता था. 16/17 सितंबर की रात डा. संजय अस्पताल परिसर में चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सो गए. उन के भाई हरिओम अस्पताल के अंदर मामा नत्थू सिंह के साथ सोए थे. 17 सितंबर की सुबह 6 बजे हरिओम उठ कर बाहर आए तो बड़े भाई संजय को मृत पाया. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन की हत्या कर दी थी. हरिओम के मुंह से चीख निकल गई. चीख की आवाज सुन कर मामा नत्थू सिंह भी वहां आ गए. भांजे को मरा पाया तो वह भी सकते में आ गए. हरिओम ने अपने घर वालों को सूचना देने के बाद शाही थाना पुलिस को घटना के बारे में बता दिया. थोड़ी देर में शाही थाना इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

हत्यारा इमरान था हिंदू युवा वाहिनी के तहसील अध्यक्ष डा. संजय भदौरिया की हत्या की खबर फैलते देर नहीं लगी. हिंदू नेता की हत्या से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया. कई थानों की पुलिस और फील्ड यूनिट के साथ एसएसपी रोहित सिंह सजवान स्वयं मौके पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक के गले, चेहरे, पेट व आंख पर किसी तेज धारदार हथियार से वार किए गए थे. हत्या इतनी बेदर्दी से की गई थी जैसे हत्यारे को मृतक से बेइंतहा नफरत रही हो. अस्पताल की इमारत के मालिक दुनका में रहने वाले नत्थूलाल थे. पीछे की ओर उन के भाई की दुकानों के टीन शेड में सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पुलिस ने उन कैमरों की रिकौर्डिंग की जांच की.

रिकार्डिंग में रात साढ़े 3 बजे के करीब एक युवक अस्पताल में खड़ी टाटा मैजिक के पीछे से निकलते दिखा. वह संजय की चारपाई के नजदीक आया. फिर उस ने मच्छरदानी हटाते ही धारदार छुरे से संजय पर वार करने शुरू कर दिए. एक मिनट के अंदर उस ने संजय का काम तमाम कर दिया और जिस रास्ते से आया था, उसी रास्ते से वापस लौट गया. हत्यारे युवक को हरिओम ने पहचान लिया. वह दुनका का ही रहने वाला इमरान था. हत्यारे की पहचान होते ही पुलिस अधिकरियों ने उस की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए. पुलिस की कई टीमें इमरान की तलाश में लग गईं. इंसपेक्टर वीरेंद्र राणा की टीम ने दोपहर पौने एक बजे इमरान को रतनपुरा के जंगल में खोज निकाला.

पुलिस को आया देख इमरान ने 315 बोर के तमंचे से पुलिस पर फायर कर दिया, जिस से कोई पुलिसकर्मी हताहत नहीं हुआ. जवाब में पुलिस ने उस के पैर को निशाना बना कर गोली चला दी, जो सीधे इमरान के पैर में लगी. गोली लगते ही इमरान के हाथ से तमंचा छूट गया और वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगा. पुलिस ने उसे दबोच लिया. इमरान के पास से पुलिस ने एक तमंचा, एक खोखा कारतूस, 2 जिंदा कारतूस और आलाकत्ल छुरा बरामद कर लिया. थाने ला कर जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो पूरा मामला आइने की तरह साफ हो गया. इमरान शाही थाना क्षेत्र के गांव दुनका में रहता था. वह भाड़े पर टाटा मैजिक चलाता था. इस से पहले वह संजय के अस्पताल के मालिक नत्थूलाल के यहां ड्राइवर था.

इमरान की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. उस के पिता छोटे तांगा चलाते थे. इमरान 3 भाइयों में सब से बड़ा था. इमरान के घर से कुछ दूरी पर चांदनी उर्फ मायरा बानो (परिवर्तित नाम) रहती थी. नाम के अनुसार उस के रूप की चांदनी भी लोगों को लुभाती थी. उम्र के 18वें बसंत में चांदनी का यौवन अपने चरम पर था. खूबसूरत देहयष्टि वाली चांदनी युवकों से बात करने में हिचकती थी, वह बातबात में शरमा जाती थी. यौवन द्वार पर आते ही उस में कई परिवर्तन आ गए थे, शारीरिक रूप से भी और सोच में भी. कई युवक उस के आगेपीछे मंडराते थे, लेकिन चांदनी इमरान को पसंद करती थी. इमरान काफी स्मार्ट था, वह उस की नजरों से हो कर दिल में उतर गया था.

इमरान भी उस के आगेपीछे मंडराता था. दोनों एकदूसरे से परिचित थे. घर वाले भी एकदूसरे के घर आतेजाते थे. ऐसे में उन के बीच बातचीत होती रहती थी. लेकिन जब से उन के बीच प्यार के अंकुर फूटने लगे थे, तब से उन के बीच संकोच की दीवार सी खड़ी हो गई थी. जब भी इमरान उस की आंखों के सामने होता तो उस की निगाहें उसी पर जमी रहतीं. चेहरे पर इस की खुशी साफ झलकती थी. इमरान को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल तो वैसे भी चांदनी के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों से एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. दोनों इस बात को महसूस भी करते थे, लेकिन बात जुबां पर नहीं आ पाती थी.

शुरू हो गई प्रेम कहानी एक दिन चांदनी जब इमरान के घर गई तो उस समय वह घर में अकेला था. चांदनी को देखते ही इमरान का दिल तेजी से धड़कने लगा. उसे लगा कि दिल की बात कहने का इस से अच्छा मौका नहीं मिलेगा. इमरान ने उसे कमरे में बैठाया और फटाफट 2 कप चाय बना लाया. चाय का घूंट भर कर चांदनी उस से दिल्लगी करती हुई बोली, ‘‘चाय तो बहुत अच्छी बनी है. बेहतर होगा कहीं चाय की दुकान खोल लो. खूब बिक्री होगी.’’

‘‘अगर तुम रोजाना दुकान पर आ कर चाय पीने का वादा करो तो मैं दुकान भी खोल लूंगा.’’ इमरान ने चांदनी की बात का जवाब उसी अंदाज में दिया तो चांदनी लाजवाब हो गई.लदोनों इसी बात पर काफी देर हंसते रहे, फिर इमरान गंभीर हो कर बोला, ‘‘चांदनी, मुझे तुम से एक बात कहनी थी.’’

‘‘हां, कहो न.’’

‘‘सोचता हूं कहीं तुम बुरा न मान जाओ.’’

‘‘जब तक कहोगे नहीं कि बात क्या है तो मुझे कैसे पता चलेगा कि अच्छा मानना है कि बुरा.’’

‘‘चांदनी, मैं तुम से दिलोजान से प्यार करता हूं. ये प्यार आज का नहीं बरसों का है जो आज जुबां पर आया है. ये आंखें तो बस तुम्हें ही देखना पसंद करती हैं, तुम्हारे पास रहने से दिल को करार आता है. तुम्हारे प्यार में मैं इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

इमरान के दिल की बात जुबां पर आ गई. सुन कर चांदनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया. पलकें झुक गईं, होंठों ने कुछ कहना चाहा लेकिन जुबां ने साथ नहीं दिया. चांदनी की यह हालत देख कर इमरान बोला, ‘‘कुछ तो कहो चांदनी. क्या मैं इस लायक नहीं कि तुम से प्यार कर के तुम्हारा साथ पा सकूं.’’

‘‘क्या कहना ही जरूरी है, तुम अपने आप को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. सच पूछो तो जो हाल तुम्हारा है, वही हाल मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया था. पर डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ चांदनी ने अपनी चाहत का इजहार कर दिया तो इमरान खुशी से झूम उठा. उसे लगा जैसे सारी दुनिया की दौलत चांदनी के रूप में उस की झोली में आ समाई हो. एक बार दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ तो फिर उन के मिलनेजुलने का सिलसिला बढ़ गया. अब दोनों रोज गांव के बाहर एक सुनसान जगह पर मिलने लगे. वहां दोनों एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते.

जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती गई. इसी बीच चांदनी को पेट दर्द की समस्या हुई तो उस ने इमरान को बताया. इमरान डा. संजय भदौरिया से परिचित था. इसलिए वह चांदनी को इलाज के लिए संजय के अस्पताल में ले आया. डा. संजय ने चांदनी का चैकअप किया, फिर कुछ दवाइयां लिख दीं, जोकि उन के हौस्पिटल के मैडिकल स्टोर में उपलब्ध थीं, हरिओम ने पर्चे में लिखी दवाइयां दे दीं. चांदनी को देखते और उसे छूते समय संजय को एक सुखद अनूभूति हुई थी. चांदनी की खूबसूरती को देख संजय की आंखें चुंधिया गई थीं, दिल में भी उमंगें उठने लगी थीं.

उस दिन के बाद चांदनी संजय के पास दवा लेने के लिए अकेले ही आने लगी. संजय उसे अकेले में देखता और उस से खूब बातें करता. बातोंबातों में उस ने चांदनी को अपने प्रभाव में लेना शुरू कर दिया. उस ने चांदनी से दवा के पैसे लेना भी बंद कर दिया था. डा. संजय ने छीना इमरान का प्यार चांदनी भी संजय से खुल कर बातें करती थी. एक दिन संजय ने उस से कहा, ‘‘चांदनी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. लगता है मैं तुम्हें चाहने लगा हूं.’’

यह कह कर संजय ने चांदनी के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं. यह सुन कर चांदनी पल भर के लिए चौंकी, फिर बोली, ‘‘आप मुझ से उम्र में बहुत बड़े हैं और शादीशुदा भी. ऐसे में प्यार मुझ से…’’

‘‘पगली, प्यार उम्र और बंधन को कहां देखता है, जिस से होना होता है, हो जाता है. तुम मुझे अब मिली हो, अगर पहले मिल जाती तो मैं तुम से ही शादी करता. खैर अब वह तो हो नहीं सकता, उस की क्या बात करें. मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगा, तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा.’’

‘‘मैं इमरान से प्यार करती हूं और हम दोनों शादी भी करने वाले हैं.’’

‘‘इमरान से प्यार कर के तुम्हें क्या मिलेगा? वह एक मामूली इंसान है. तुम्हारी खुशियों का खयाल नहीं रख पाएगा. मेरे पास पैसा है, शोहरत है. मैं तुम्हारे लिए बहुत कुछ कर सकता हूं. हर तरह से…’’

‘‘आप की बात तो सही है लेकिन…’’ दुविधा में पड़ी चांदनी इस से आगे कुछ नहीं बोल पाई.

‘‘सोच लो, विचार कर लो, वैसे भी जिंदगी के अहम फैसले जल्दबाजी में नहीं लिए जाते. कोई जल्दी नहीं, आराम से सोच कर बता देना.’’

इस के बाद चांदनी अस्पताल से घर लौट आई. उस के दिमाग में तरहतरह के विचार घुमड़घुमड़ रहे थे. इमरान उस का प्यार था लेकिन उस के सिर्फ प्यार से अच्छी जिंदगी नहीं गुजारी जा सकती थी. अच्छी जिंदगी के लिए पैसों की जरूरत होती है, वह जरूरत संजय से पूरी हो सकती थी. संजय के प्यार को स्वीकार कर के वह अच्छी जिंदगी गुजार सकती थी. आगे चल कर वह उसे शादी के लिए भी मना सकती थी, नहीं तो वह उस की दूसरी बीवी की तरह ताउम्र गुजार सकती थी. चांदनी का मन बदल गया और उस का फैसला संजय के हक में गया था. अगले ही दिन चांदनी संजय के अस्पताल पहुंच कर उस से मिली. उस के चेहरे की खुशी देख कर संजय जान गया था कि चांदनी ने उस का होने का फैसला कर लिया है. फिर भी अंजान बनते हुए उस ने चांदनी से पूछ लिया, ‘‘तो चांदनी, तुम ने क्या सोचा…इमरान या मैं?’’

‘‘जाहिर है आप, आप को न चुनती तो मैं यहां वापस आती भी नहीं.’’ चांदनी ने बड़ी अदा से मुसकराते हुए कहा. संजय उस का फैसला सुन कर खुश हो गया. उस दिन के बाद से संजय और चांदनी का मिलनाजुलना बढ़ गया. दोनों एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए. इन नजदीकियों के बाद चांदनी ने इमरान से दूरी बनानी शुरू कर दी. चांदनी का अपने प्रति रूखा व्यवहार देख कर इमरान को उस पर शक हो गया. वह उस पर नजर रखने लगा. जल्द ही उसे सारी सच्चाई पता चल गई. इमरान ने बदले की ठान ली इस बात को ले कर वह चांदनी से तो झगड़ा ही, संजय से भी लड़ा. संजय ने उसे डांटडपट कर वहां से भगा दिया. अपनी प्रेमिका को अपने से दूर जाते देख कर इमरान बौखला गया. वह उस दिन को कोसने लगा जब वह चांदनी को इलाज के लिए संजय के पास ले गया था.

संजय ने उस की पीठ में छुरा घोंपा था. इसलिए उस ने संजय की जिंदगी छीन लेने का फैसला कर लिया. 16/17 सितंबर की रात साढ़े 3 बजे के करीब वह संजय के अस्पताल में घुसा. उस ने संजय को बाहर चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सोते देखा. वह चारपाई के नजदीक पहुंचा और मच्छरदानी हटा कर साथ लाए छुरे से संजय पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए. सोता हुआ संजय चीख तक न सका और उस की मौत हो गई. संजय को मौत के घाट उतारने के बाद इमरान जिस रास्ते से आया था, उसी रास्ते से अस्पताल से बाहर निकल गया. वहां से जाने के बाद वह रतनपुरा के जंगल में जा कर छिप गया.

लेकिन उस का गुनाह तीसरी आंख में कैद हो गया था, जिस के बाद पुलिस को उस तक पहुंचने में देर नहीं लगी. इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा ने हरिओम को वादी बना कर इमरान के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस के अलावा मुठभेड़ के दौरान पुलिस पर जानलेवा हमला करने पर भी उस के खिलाफ धारा 307 का भी मुकदमा दर्ज किया गया. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद इमरान को न्यायालय में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधा

Extramarital Affair : दुपट्टे से गला घोंटकर प्रेमी से करवाया पति का कत्ल

Extramarital Affair : ड्राइवर नरेंद्र राठी शराब का इतना आदी हो गया था कि उस ने अपनी घरगृहस्थी की तरफ ध्यान नहीं दिया. इस का नतीजा यह हुआ कि उस की पत्नी पूजा राठी के पांव बहक गए. पूजा ने अपने प्रेमी अमन के साथ मिल कर ऐसी साजिश रची कि…

वह 10 जुलाई, 2020 का दिन था. दोपहर के 3 बज रहे थे. उत्तराखंड की योगनगरी ऋषिकेश के कोतवाल रीतेश शाह कोतवाली में ही थे. तभी एक महिला उन के पास पहुंची. महिला ने बताया, ‘‘सर, मैं गली नंबर 2, चंद्रशेखर नगर में रहती हूं और मेरा नाम कुसुम है. मेरा बेटा नरेंद्र राठी टैक्सी चलाता है. वह शादीशुदा है और उस के 2 बेटे हैं. वह पहली जुलाई को घर से निकला था, उस के बाद वह अभी तक नहीं लौटा है.’’

‘‘आप के बेटे की किसी से दुश्मनी तो नहीं थी?’ शाह ने पूछा

‘‘नहीं सर, उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, बल्कि वह तो अपने काम से काम रखता था.’’ कुसुम ने बताया.

‘‘तुम ने उसे कहांकहां तलाश किया है?’’ शाह ने पूछा.

‘‘सर पिछले 10 दिनों में मैं और मेरे रिश्तेदार नरेंद्र के दोस्तों और अपने सभी रिश्तेदारों के घर पर उसे तलाश कर चुके हैं, मगर हमें अभी तक उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. सर, मेरी आप से विनती है कि आप मेरे बेटे को तलाश करने में मेरी मदद करें.’’ कुसुम बोली. इंसपेक्टर रीतेश शाह ने नरेंद्र राठी की गुमशुदगी दर्ज कर ली और जांच एसआई चिंतामणि को सौंप दी. एसआई चिंतामणि ने सब से पहले नरेंद्र राठी की पत्नी पूजा से पूछताछ की. इस के बाद उन्होंने नरेंद्र के पड़ोसियों से भी उस के बारे में जानकारी जुटाई. उन्हें पता चला कि नरेंद्र के अपनी पत्नी पूजा के साथ अच्छे संबंध नहीं थे. वह अकसर शराब पी कर उस से मारपीट करता था. इस के अलावा यह भी जानकारी मिली कि नरेंद्र की गैरमौजूदगी में उस के घर पर अमन नामक एक प्लंबर ठेकेदार अकसर आताजाता है.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने नरेंद्र के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. इस से पुलिस को जानकारी मिली कि नरेंद्र का मोबाइल 27 जून, 2020 से स्विच्ड औफ चल रहा था. इस बाबत पूजा ने बताया कि नरेंद्र का मोबाइल खराब हो गया है. उन्होंने सिम अपने पास रख कर मोबाइल को ठीक करने के लिए एक दुकानदार को दे रखा है. पुलिस के पास नरेंद्र तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं था. पुलिस ने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उस के साथ कोई अप्रिय घटना हो गई हो और हत्यारे ने लाश गंगा नदी में बहा दी हो. इस आशंका को दूर करने के लिए एसएसआई ओमकांत भूषण ने जल पुलिस के साथ ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट से बैराज तक गंगा किनारे तलाश करवाई, मगर कोई जानकारी नहीं मिल सकी.

अचानक 20 जुलाई, 2020 को नरेंद्र राठी की पत्नी पूजा राठी कोतवाली ऋषिकेश पहुंची. उस ने पुलिस को बताया कि 4 दिन पहले मेरे पति नरेंद्र राठी ने मुझे फोन कर के जान से मारने की धमकी दी थी. उस की धमकी के बाद मुझे बहुत डर लग रहा है. आप तुरंत उस के खिलाफ काररवाई करें. यह सुन कर पुलिस चौंकी. आखिर ऐसी कौन सी वजह है जो पति अपनी पत्नी को जान से मारने की धमकी दे रहा है. इस शिकायत से तो यही लग रहा था कि नरेंद्र जहां कहीं भी है, ठीकठाक है. इंसपेक्टर रीतेश शाह ने यह जानकारी एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल को दी. एसपी डोवाल ने एसएसआई को नरेंद्र राठी के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाने के निर्देश दिए ताकि उसकी लोकेशन पता चल सके.

एसएसआई ओमकांत भूषण ने तुरंत नरेंद्र राठी के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पता चला कि नरेंद्र राठी के नंबर से 2 काल्स पूजा राठी को तथा 3 काल्स कुसुम राठी को की गई थीं. जिस वक्त ये काल्स की गई थी, उस समय उस के फोन की लोकेशन हरिद्वार की थी. इस के बाद उस का फोन स्विच्ड औफ हो गया था. जिस फोन से ये काल्स की गई थीं, पुलिस ने उस का आईएमईआई नंबर हासिल कर लिया था. जांच अधिकारी ने नरेंद्र की पत्नी पूजा के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. इस से पुलिस को चौंकाने वाली जानकारी मिली.

पता चला कि जिस फोन का प्रयोग पूजा को धमकी देने के लिए किया गया था, उसी फोन में कोई दूसरा सिमकार्ड डाल कर पूजा से पहले काफीकाफी देर तक बातें हुई थीं. पुलिस ने इस की जांच की तो वह मोबाइल नंबर उसी ठेकेदार का निकला, जिस का पूजा के घर आनाजाना था. अब पूजा और अमन पुलिस के शक के दायरे में आ गए. पुलिस को संदेह हो गया कि नरेंद्र राठी की गुमशुदगी में कहीं न कहीं पूजा व अमन का हाथ है. इस के बाद पुलिस ने अमन व पूजा को पूछताछ के लिए कोतवाली बुलवाया. जानकारी मिलने पर सीओ भूपेंद्र सिंह धोनी व एसपी (देहात) प्रमेंद्र डोवाल भी वहां पहुंच गए थे. पुलिस ने पूजा व अमन से नरेंद्र के गायब होने के मामले में गहन पूछताछ शुरू की.

पहले तो दोनों पुलिस को इधरउधर की बातें कर के गच्चा देते रहे,  मगर जब दोनों से अलगअलग ले जा कर पूछताछ की गई, तो दोनों के बयान भिन्नभिन्न निकले. इसी के मद्देनजर जब पुलिस ने उन से सख्ती की तो वे टूट गए और दोनों ने पुलिस के सामने नरेंद्र की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उन्होंने उस की हत्या के पीछे की जो कहानी बताई, इस प्रकार निकली—

पूजा उत्तराखंड के शहर ऋषिकेश के मोहल्ला चंद्रशेखर नगर, शीशम झाड़ी के रहने वाले संतोष की बेटी थी. रुढि़वादी विचारों वाले संतोष ने वर्ष 2002 में नरेंद्र राठी से पूजा का विवाह तब कर दिया था, जब वह मात्र 13 साल की थी. नरेंद्र ड्राइवर था. वह जब ससुराल पहुंची तो पता चला उस का पति शराबी है और कुसुम उस की सौतेली मां है. पूजा ने जब पति को समझाने की कोशिश की तो उस पर समझाने का कोई असर नहीं हुआ. पूजा जब भी शराब पीने का विरोध करती तो वह उस की पिटाई कर देता था. पूजा ने यह बात जब अपनी सौतेली सास कुसुम को बताई, तो उस ने भी इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया.

इसी तरह कलह के साथ समय गुजरता गया और पूजा 2 बेटों की मां बन गई. शराब पी कर नरेंद्र अकसर पूजा की पिटाई करता था. करीब एक साल पहले पूजा राठी का सिटी गेट, ऋषिकेश में एक ट्रक से एक्सीडेंट हो गया था. एक्सीडेंट के समय उधर से बापू ग्राम निवासी प्लंबर अमन जा रहा था. उस ने पूजा को तत्काल ऋषिकेश के एक अस्पताल में भरती कराया. खबर मिलने पर पूजा के घर वाले भी अस्पताल पहुंच गए. उन सभी ने अमन की बहुत तारीफ की. जब तक पूजा अस्पताल में रही, अमन ने ही उस की सब से ज्यादा देखभाल की. दोनों में लंबीलंबी बातें होने लगीं और बाद में दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. उसी दौरान दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए.

जब अमन का नरेंद्र के घर में ज्यादा आनाजाना हुआ तो नरेंद्र को पत्नी पर संदेह हो गया. इस के बाद वह पूजा से ज्यादा मारपीट करने लगा था. रोजरोज की पिटाई से पूजा आजिज आ चुकी थी. इस बारे में उसने प्रेमी अमन से बात की. दोनों ने मिल कर नरेंद्र को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. वह पहली जुलाई, 2020 का दिन था. उस दिन शाम को ही पूजा ने अमन को अपने मकान में बुला कर छिपा दिया था. इस के बाद रात को उस ने दोनों बच्चों का छत पर सुला दिया और ठंडी हवा के लिए कूलर चला दिया था. कूलर तेज आवाज करता था. रात को जब नरेंद्र शराब के नशे में घर आया तो उस ने पहले पत्नी से आमलेट बनवा कर खाया और फिर सो गया. इस के बाद अमन ने दुपट्टे का फंदा बना कर गहरी नींद में सोए नरेंद्र का गला घोंट दिया.

इस दौरान पूजा उस के पैर पकड़े रही थी. जब दोनों को यकीन हो गया कि नरेंद्र मर चुका है, तो उन्होंने उस की लाश प्लास्टिक के एक सफेद बोरे में छिपा कर घर में रख दी. अगले दिन अमन 2 मजदूरों को घर में ले कर आया. इस के बाद अमन ने मजदूरों की मदद से टौयलेट की शीट उखड़वाई और शौचालय के गड्ढे में लाश सहित बोरे को डाल दिया. फिर अमन ने वहां पर नई टौयलेट शीट व नई टाइल्स लगवा कर शौचालय सही कर दिया था. उधर हफ्ता भर तक जब कुसुम को नरेंद्र नहीं दिखा तो उस ने कुसुम से नरेंद्र के बारे में पूछा. पूजा ने अपनी सास को बताया कि वह पहली जुलाई को गाड़ी ले कर गए थे, लेकिन अभी तक नहीं लौटे हैं.

नरेंद्र इतने दिनों तक जब कभी घर के बाहर रहता तो कुसुम को फोन जरूर कर दिया करता था. लेकिन इस बार उस ने कोई फोन नहीं किया, जिस से कुसुम को उस की चिंता हुई और उस ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. नरेंद्र के बारे में खोजबीन करते हुए 8 दिन बीत गए लेकिन पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिल रही थी. नरेंद्र की हत्या करने के बाद उस के मोबाइल का सिम पूजा ने अपने पास रख लिया था. खुद को इस अपराध से बचाने व पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए उन दोनों ने एक ऐसी योजना बनाई जिस से पुलिस को उन पर शक न हो तथा नरेंद्र की सौतेली मां को यह भ्रम रहे कि नरेंद्र अभी जिंदा है.

योजना के अनुसार 18 जुलाई को अमन ने अपने मोबाइल में नरेंद्र का सिम डाला और हरिद्वार जा कर उसी मोबाइल से 2 बार पूजा को फोन किया तथा 3 मिस काल कुसुम के मोबाइल नंबर पर की थीं. पुलिस ने पूजा राठी और अमन से पूछताछ के बाद इस केस में भादंवि की धाराएं 302, 201 तथा 34 और बढ़ा दीं. इस के बाद पुलिस उन्हें ले कर पूजा के घर पहुंची और उन की निशानदेही पर शौचालय के गड्ढे की खुदाई कराई. खुदाई में गड्ढे में नरेंद्र का सड़ागला शव पुलिस ने बरामद कर लिया, जिसे उन्होंने पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.

काररवाई पूरी करने के बाद एसएसआई ओमकांत भूषण ने अमन के कब्जे से वह मोबाइल भी बरामद कर लिया, जिस में उस ने नरेंद्र का सिमकार्ड डाल कर हरिद्वार से पूजा और कुसुम को काल की थीं. उस मोबाइल में नरेंद्र का ही सिम था. अमन के पास से पुलिस ने 2 कागज भी बरामद किए थे, जिन में क्रमश: नरेंद्र व कुसुम के फोन नंबर लिखे थे. पूजा राठी और अमन से विस्तार से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया. पुलिस ने नरेंद्र राठी के शव का विसरा और डीएनए टेस्ट के सैंपल जांच के लिए एफएसएल देहरादून भिजवा दिए. कथा लिखे जाने तक एसएसआई ओमकांत भूषण द्वारा इस केस की विवेचना की जा रही थी.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Ujjain News : पैसे के लिए प्रेमी से कराया पति का कत्ल

Ujjain News : सीआरपीएफ के जवान बलवीर सिंह चौहान की पत्नी रेखा 3 बच्चों की मां थी. उसे किसी भी तरह की आर्थिक समस्या नहीं थी. इस के बावजूद ऐसा क्या हुआ कि रेखा ने सीआरपीएफ के ही दूसरे जवान रवि कुमार पनिका के साथ मिल कर…

सूरज सिर पर चढ़ जाने के बावजूद बलवीर सिंह चौहान सो कर नहीं उठे तो उन की पत्नी रेखा को चिंता हुई. दीवार पर टंगी घड़ी में उस समय सुबह के 9 बज चुके थे. अपनी दिनचर्या के मुताबिक, वह सुबह 6 बजते ही उठ जाते थे. 54 वर्षीय बलवीर सिंह चौहान सीआरपीएफ में हेडकांस्टेबल थे. रेखा ने छत के फर्श पर दरी बिछा कर सो रहे पति को पहले तो आवाज दे कर जगाने की कोशिश की. लेकिन जब वह नहीं उठे तो उस ने पति को हिलाडुला कर उठाने की कोशिश की. लेकिन बलवीर के शरीर में कोई हरकत नहीं हुई तो रेखा समझ गई कि अब वह दुनिया में नहीं रहे. उन की मौत हो चुकी थी.

पति के शव के पास बैठी रेखा जोरजोर से रोने लगी. मां के रोने की आवाज सुन कर उस के तीनों बच्चे दौडे़भागे छत पर पहुंचे. मां को रोते देख वे भी हकीकत समझ गए, इसलिए वे भी पिता की मौत पर रोने लगे. अचानक बलवीर के घर में रोने की आवाज सुन कर पड़ोसी उन के घर पहुंचने लगे. लेकिन यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी कि चौहान साहब की अचानक मृत्यु कैसे हो गई. जिस ने भी बलवीर सिंह की मौत की खबर सुनी, हैरान रह गया. रेखा ने फोन कर के पति की मौत की सूचना सीआरपीएफ के अधिकारियों को दे दी थी. हेडकांस्टेबल बलवीर की अचानक मौत की सूचना पा कर अधिकारी भी चकित रह गए. मामला संदिग्ध था, अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी.

बलवीर की मौत की सूचना मिलने के कुछ देर बाद माधवनगर थाने के इंसपेक्टर रघुवीर सिंह, एएसपी अमरेंद्र सिंह और एसपी (सिटी) रविंद्र वर्मा बलवीर के घर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने सब से पहले छत का मुआयना किया, जहां बलवीर सिंह चौहान का शव बिस्तर पर पड़ा हुआ था. पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से लाश का मुआयना किया. लाश देख कर ऐसा नहीं लग रहा था कि बलवीर की मौत स्वाभाविक रूप से हुई है. क्योंकि खून कान से निकल कर नाक की ओर बहा था, जो पतली रेखा के रूप में जम कर सूख गया था. गले पर दाहिनी ओर चोट जैसा निशान दिख रहा था.

कुल मिला कर बलवीर की मौत रहस्यमई लग रही थी, जबकि मृतक की पत्नी रेखा पुलिस अधिकारियों के सामने चीखचीख कर बारबार यही कह रही थी कि ड्यूटी से देर रात घर लौट कर इन्होंने कपड़े बदले, फ्रैश होने के बाद खाना खाया. फिर ज्यादा गरमी की वजह से कमरे में न सो कर छत पर सोने चले आए थे, जबकि वह बेटी के साथ कमरे में सो गई थी. दोनों बेटे रमेश और चंदन दूसरे कमरे में सो रहे थे. आदत के मुताबिक वह रोज सुबह 6 बजे उठ जाते थे. जब सुबह के 9 बजे भी वह छत से नीचे नहीं आए तो चिंता हुई. उन्हें जगाने छत पर पहुंची तो देखा वह बिस्तर पर मरे पड़े थे.

कहतेकहते रेखा फिर से रोने लगी. खैर, पुलिस ने कागजी काररवाई पूरी कर के मृतक बलवीर की लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही बलवीर की मौत की सही मिल सकती थी. यह 18 जून, 2020 की बात है. हेडकांस्टेबल बलवीर सिंह चौहान की रहस्यमय मौत से पूरी बटालियन में शोक था.खुशमिजाज और अपनी बातों से सभी को गुदगुदाने वाले चौहान साहब सदा के लिए खामोश हो चुके थे. पुलिस अधिकारियों को जिस बात की आशंका थी, वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सच साबित हुई. बलवीर की मौत स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि उन की गला दबा कर हत्या की गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफतौर पर बताया गया था बलवीर की मौत गले की हड्डी टूट कर सांस रुकने से हुई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाने के बाद आईजी राकेश गुप्त ने एसपी (सिटी) रवींद्र वर्मा को घटना का जल्द से जल्द परदाफाश करने का आदेश दिया. आईजी का आदेश मिलने के बाद एसपी (सिटी) रवींद्र वर्मा ने उसी दिन अपने औफिस में मीटिंग बुलाई. मीटिंग में एएसपी अमरेंद्र सिंह और माधवनगर थाने के इंसपेक्टर रघुवीर सिंह भी शामिल थे. रवींद्र वर्मा ने एएसपी अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक टीम का गठन कर दिया. घटना की मौनिटरिंग एएसपी अमरेंद्र सिंह को करनी थी. थानाप्रभारी रघुवीर सिंह के साथसाथ अमरेंद्र सिंह खुद भी घटना के एकएक पहलू पर नजर गड़ाए हुए थे. इधर रिपोर्ट में हत्या की बात सामने आने के बाद पुलिस ने मृतक की पत्नी रेखा की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर रघुवीर सिंह को सौंपी गई. रघुवीर सिंह ने फूंकफूंक कर एकएक कदम आगे बढ़ाते हुए जांच शुरू की. उन के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि बलवीर की हत्या किस ने और क्यों की? उन की मौत से सब से ज्यादा फायदा किसे होने वाला था? इन सवालों का जवाब बलवीर के घर से ही मिल सकता था. इसलिए उन्होंने चौहान की मौत की वजह उन के घर से ही खोजनी शुरू की. विवेचना के दौरान मृतक की पत्नी रेखा का चरित्र संदिग्ध लगा तो पुलिस की नजर उस के क्रियाकलापों पर जम गई.

पुलिस ने रेखा का मोबाइल नंबर ले कर सर्विलांस पर लगा दिया. साथ ही उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर उस के अध्ययन में जुट गई. इसी बीच पुलिस को एक खास जानकारी मिली. पता चला कि रेखा से पहले बलवीर की 2 शादियां हुई थीं. उन की पहली पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी, जबकि दूसरी पत्नी की एक हादसे में मौत हो चुकी थी. सन 2003 में बलवीर ने रेखा से शादी की थी. बलवीर के तीनों बच्चे रेखा से ही जन्मे थे. बलवीर और रेखा की उम्र में करीब 20 साल का अंतर था. इस से भी बड़ी बात यह थी कि पतिपत्नी दोनों के रिश्ते खराब थे. दोनों के बीच झगड़े होते रहते थे.

पुलिस ने रेखा के फोन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो पता चला कि घटना वाली रात रेखा की एक ही नंबर पर कई बार बातचीत हुई थी. आखिरी बार दोनों के बीच उसी नंबर पर करीब साढ़े 11 बजे बात हुई थी. तमाम सबूत रेखा के खिलाफ थे. वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पुलिस यह मान चुकी थी कि बलवीर की हत्या में उस की पत्नी रेखा का ही हाथ है. शक के आधार पर पुलिस रेखा को हिरासत में ले कर थाने ले आई. थानाप्रभारी रघुवीर सिंह ने इस की सूचना एएसपी अमरेंद्र सिंह को दे दी थी. सूचना मिलते ही एएसपी अमरेंद्र सिंह उस से पूछताछ करने के लिए थाने पहुंच गए. यह 20 जून, 2020 की बात है.

‘‘रेखा, मैं जो सवाल करूंगा, उस का जवाब ठीक से देना, तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा.’’ समझाते हुए एएसपी अमरेंद्र ने रेखा से सख्त लहजे में कहा.

रेखा बुत बनी बैठी रही तो उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह बताओ कि तुम ने बलवीर की हत्या क्यों की?’’

‘‘मैं ने उन की हत्या नहीं की, मैं निर्दोष हूं.’’ रेखा ने सपाट लहजे में जवाब दिया.

‘‘तो तुम ऐसे नहीं बताओगी. ठीक है, मत बताओ. यह तो बता सकती हो कि रवि कौन है और उसे तुम कैसे जानती हो?’’ एएसपी अमरेंद्र ने रेखा की आंखों में झांक कर सवाल किया. सवाल सुन कर रेखा सन्न रह गई.

‘‘क..क..क…कौन रवि.’’ वह हकलाती हुई बोली, ‘‘मैं किसी रवि को नहीं जानती.’’

‘‘वही रवि, जिस से घटना वाले दिन फोन पर तुम्हारी कई बार बात हुई थी.’’

सिर पर एक महिला सिपाही खड़ी थी. एएसपी ने उसे इशारा कर के कहा, ‘‘अगर ये झूठ बोले तो बिना कहे शुरू हो जाना.’’

इस पर रेखा हाथ जोड़ते हुए बोली, ‘‘सर, पति की हत्या मैं ने ही अपने प्रेमी रवि के साथ मिल कर की थी, मुझे माफ कर दीजिए. प्यार में अंधी हो कर मैं ने ही अपने हाथों अपना घर उजाड़ दिया.’’

इस के बाद रेखा पति की हत्या की पूरी कहानी सिलसिलेवार बताती चली गई. हेडकांस्टेबल बलवीर सिंह चौहान की हत्या के मामले से पुलिस ने 72 घंटे के भीतर परदा उठा दिया था. रेखा का प्रेमी रवि भी सीआरपीएफ का जवान था. वह शहडोल में तैनात था. पुलिस जब उसे गिरफ्तार करने शहडोल पहुंची तब तक वह फरार हो गया था. अगले दिन एएसपी अमरेंद्र सिंह और एसपी रवींद्र वर्मा ने मिल कर प्रैसवार्ता की. पत्रकारों के सामने भी रेखा ने अपना जुर्म कबूल लिया. उस ने पति की हत्या की जो कहानी बताई, चौंकाने वाली थी—

54 वर्षीय बलवीर सिंह चौहान मूलरूप से उज्जैन में माधवनगर के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी रेखा के अलावा 2 बेटे रमेश और चंदन और एक बेटी शालिनी थी. कहने को तो बलवीर का दांपत्य जीवन खुशहाल था लेकिन हकीकत में वह अपनी पत्नी रेखा से खुश नहीं रहते थे. रेखा ने जब बलवीर के जीवन में कदम रखा, तब से उन के जीवन में खुशियां ही खुशियां थीं. रेखा उन की तीसरी पत्नी थी. बलवीर सिंह चौहान की 2 शादियां पहले भी हुई थीं. बलवीर की पहली पत्नी किरन थी. जब वह ब्याह कर ससुराल आई थी, बलवीर की किस्मत का ताला खुल गया था. शादी के बाद उन की सीआरपीएफ में नौकरी पक्की हुई थी.

बलवीर की नईनई शादी हुई थी. घर में नई दुलहन आई थी. अभी किरन के हाथों की मेहंदी का रंग फीका भी नहीं पड़ा था कि उसे अकेले घर पर छोड़ बलवीर नौकरी चले गए. रात में पत्नी जब बिस्तर पर होती तो पति के बिना बिस्तर काटने को दौड़ता था. वह बेचैन हो जाती थी. पति की दूरियां उस से बरदाश्त नहीं हो रही थीं. जब सब कुछ बरदाश्त के बाहर हो गया तो किरन ने कमरे के पंखे से झूल कर आत्महत्या कर कर ली. पत्नी की आत्महत्या से बलवीर बुरी तरह टूट गए. वह बेपनाह मोहब्बत करते थे. लेकिन नौकरी के फर्ज और घर की जिम्मेदारी के बीच पिस कर उन्होंने 28 साल की उम्र में पत्नी को गंवा दिया था.

पत्नी की मौत के बाद से बलवीर गुमसुम रहने लगे. पूरी जिंदगी सामने थी. अकेले काटना मुश्किल था. इसी नजरिए से मांबाप उन की दूसरी शादी की सोचने लगे. बलवीर सरकारी नौकरी में थे, इसलिए उन की दूसरी शादी के लिए कई प्रस्ताव आए. काफी सोचने के बाद मांबाप ने उस की दूसरी शादी आभा से करवा दी. जब आभा बलवीर की जिंदगी में पत्नी बन कर आई, तो धीरेधीरे बलवीर के जीवन में बदलाव आने लगा. लेकिन बलवीर की ये खुशी भी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रही. एक सड़क हादसे ने बलवीर से आभा को भी छीन लिया. एक बार फिर अकेले पड़ गए. 2-2 पत्नियों की मौत से बलवीर जीवन से निराश होने लगे.

कुछ दिनों बाद बलवीर की जिंदगी में रेखा तीसरी पत्नी बन कर आई. वह दोनों की यह शादी साल 2003 में मंदिर में हुई थी. दोनों की उम्र में करीब 20 साल का फासला था. रेखा के आने से बलवीर की जिंदगी फिर से संवर गई. पहले की दोनों बीवियों से बलवीर की कोई संतान नहीं थी, लेकिन रेखा से बलवीर के यहां 3 बच्चे पैदा हुए. 2 बेटे रमेश व चंदन और एक बेटी शालिनी. रेखा भले ही बलवीर के 3 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन वह पति के प्यार से संतुष्ट नहीं थी. इसी के चलते रेखा के पांव बहक गए. शहडोल जिले के उमरिया की रहने वाली रेखा को अपना पुराना प्यार याद आ गया. उस का नाम था रवि कुमार पनिका. रवि और रेखा कालेज के जमाने से एकदूसरे को जानते थे.

उन्हीं दिनों दोनों में प्यार हुआ था. लेकिन दोनों के सपने पूरे नहीं हुए थे. रेखा बलवीर की जिंदगी की डोर से बंध गई थी. यह बात घटना से करीब 4 साल पहले की है. रेखा का वही प्यार एक बार फिर से जवां हो गया. उस के तीनों बच्चे 10-12 साल के हो चुके थे. पति अकसर ड्यूटी पर घर से बाहर रहते थे. इस बीच रेखा घर पर अकेली रहती थी. इस अकेलेपन के दौरान वह रवि के साथ फोन पर चिपकी रहती थी. कभीकभार बलवीर जब बच्चों का हालचाल लेने के लिए पत्नी को फोन लगाता तो वह अकसर व्यस्त मिलता था. यह देख कर बलवीर की त्यौरी चढ़ जाती थी कि आखिर दिन भर वह फोन पर किस से चिपकी रहती है.

35 वर्षीय रवि कुमार पनिका सीआरपीएफ का जवान था. वह रायपुर के जगदलपुर में तैनात था, शादीशुदा. उस के भी बालबच्चे थे. उस का परिवार उमरिया में रहता था. बीचबीच में छुट्टी मिलने पर वह घर जाता था. रेखा रवि की पुरानी प्रेमिका थी. कालेज के दिनों में दोनों एकदूसरे से जुनूनी हद तक प्यार करते थे. उस समय तो दोनों एक नहीं हो सके थे लेकिन अब दोनों एक होने को लालायित थे. जब से रेखा ने प्रेमी रवि को दिल से पुकारा था, रवि का दीवानापन हद से ज्यादा बढ़ गया था. रायपुर से नौकरी से छुट्टी ले कर रवि रेखा से मिलने उज्जैन स्थित उस के घर पहुंच जाता था. दोनों अपनी जिस्मानी आग ठंडी करते और फिर रवि रायपुर लौट जाता. रेखा प्रेमी रवि को घर तभी बुलाती थी जब उस के तीनों बच्चे स्कूल में होते थे और पति नौकरी पर.

रेखा की इस आशनाई का खेल सालों तक चलता रहा. अब रेखा पति को देख कर वैसा आनंदित नहीं होती थी, जैसे पहले हुआ करती थी. पहले की अपेक्षा रेखा के तेवर और रूपरंग में भी बदलाव आ गया था. उस के बदलेबदले तेवर और रूपरंग को देख कर बलवीर को उस पर शक गया. ऊपर से हर समय उस के फोन का बिजी आना. ये उस के शक को और बढ़ावा दे रहा था. वह ठहरा एक पुलिस वाला, जिन की एक आंख में शक तो दूसरी आंख में यकीन होता है. ऐसे में रेखा पति की नजरों से कहां बचने वाली थी. एक दिन बलवीर ने पत्नी से पूछ ही लिया, ‘‘तुम्हारा फोन अक्सर बिजी क्यों रहता है. जब भी फोन लगाओ तुम किसी से बात करती मिलती हो, किस से बात करती रहती हो? कौन है वो?’’

पति का इतना पूछना था कि रेखा बिदक गई, ‘‘आप मुझ पर शक करते हो. मैं ऐसीवैसी औरत नहीं हूं जो पति की गैरमौजूदगी में यहांवहां मुंह मारती फिरूं.’’

रेखा ने पति की आंखों के सामने ज्यामिति की ऐसी टेढ़ीमेढ़ी रेखा खींची कि उस की बोलती बंद कर दी. भले ही रेखा ने अपने त्रियाचरित्र से पति की आंखों पर परदा डाल दिया था, लेकिन बलवीर को यकीन हो चुका था कि पत्नी का किसी गैरपुरुष से नाजायज रिश्ता है. इस बात को ले कर अकसर दोनों के बीच विवाद होता रहता था. रेखा जान चुकी थी कि पति को उस पर शक हो गया है. लेकिन पति नाम के कांटे को वह अपने जीवन से कैसे निकाले, समझ नहीं पा रही थी. बात पिछले साल दिसंबर 2019 की है. बलवीर अपने जानकारों से जान चुके थे कि पत्नी का नाजायज रिश्ता उस के पुराने आशिक रवि कुमार पनिका से बन गया है.

इसे ले कर दोनों के बीच खूब लड़ाई हुई. घर में शांति और सुकून जैसे गायब हो गया था. जब देखो पतिपत्नी के बीच विवाद होता रहता था. मांबाप के झगड़ों से बच्चे भी परेशान हो चुके थे. लेकिन वे कर भी क्या सकते थे, चुप रहने के अलावा. पति से नाराज हो कर रेखा प्रेमी रवि के पास रायपुर चली गई. अगले 25 दिनों तक वह उसी के साथ रही. इस दौरान दोनों ने जबलपुर, कटनी, मंडसला और रायपुर के अलगअलग होटलों में रातें रंगीन कीं. इसी दौरान दोनों ने बलवीर सिंह चौहान को रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बनाई. योजना ऐसी कि बलवीर की मौत स्वाभाविक लगे और दोनों का लाखों का फायदा हो. रवि ने रेखा को बताया कि बलवीर का एक बड़ी रकम का जीवन बीमा करा दिया जाए. उस की मौत के बाद वह रकम उस की पत्नी यानी तुम्हें मिल जाएगी.

उस रकम को हम दोनों आधाआधा बांट लेंगे. किसी को हम पर शक भी नहीं होगा और हमारा काम भी हो जाएगा. इस तरह साला बूढ़ा तेरे जीवन से भी निकल जाएगा. फिर हमें मौजमस्ती करने से कोई नहीं रोक सकेगा. पूरी योजना बन जाने के बाद रेखा घर लौट आई और घडि़याली आंसू बहाते हुए पति के पैरों में गिर कर अपनी गलती की माफी मांग ली. बलवीर ने उसे माफ कर दिया लेकिन उसे अपना नहीं सके. सामाजिक मानप्रतिष्ठा के चलते बलवीर ने समझदारी से काम लिया. उन्होंने बच्चों को देखते हुए रेखा को घर में पनाह तो दे दी, लेकिन दोनों के बीच गहरी खाई खुद चुकी थी, जो पट नहीं सकती थी. रेखा को पति की भावनाओं से कोई लेनादेना नहीं था.

बच्चों से भी उस का कोई वास्ता नहीं था. वह तो योजना बना कर अपने रास्ते के कांटे को सदा के लिए हटाने के लिए आई थी. योजना के अनुसार, रवि और रेखा ने मिल कर 54 साल के बलवीर का 40 लाख रुपए का जीवन बीमा करा दिया, जिस की किस्त 45 हजार रुपए वार्षिक बनी. पहली किस्त के रूप में रवि ने 25 हजार और रेखा ने 20 हजार यानी 45 हजार रुपए फरवरी महीने में जमा करा दिए और निश्चिंत हो गए. अब बारी थी बलवीर को रास्ते से हटाने की. दोनों बेकरार थे कि उन्हें कब सुनहरा मौका मिलेगा. आखिरकार उन्हें वह अवसर मिल ही गया.

मई, 2020 के आखिरी सप्ताह में बलवीर कुछ दिनों की छुट्टी ले कर घर आए. रेखा यह सुनहरा अवसर अपने हाथों से जाने नहीं देना चाहती थी. 29 मई को फोन कर के उस ने रवि को बता दिया कि शिकार हलाल होने के लिए तैयार है, आ जाओ. प्रेमिका की ओर से हरी झंडी मिलते ही रवि तैयार हो गया. रवि उन दिनों अपने घर शहडोल आया हुआ था. शहडोल से उज्जैन की दूरी 738 किलोमीटर थी. सड़क मार्ग से ये दूरी करीब 18 घंटे में तय की जा सकती थी. रेखा के हां करते ही रवि 30 मई, 2020 को अपनी मोटरसाइकिल से शहडोल से उज्जैन रवाना हो गया. अगले दिन 31 मई को वह उज्जैन पहुंच गया और एक होटल में ठहरा.

फिर फोन कर के रेखा को बता दिया कि वह उज्जैन पहुंच चुका है. आगे की योजना बताओ. रेखा ने रात ढलने तक होटल में ही रुके रहने को कहा. साथ ही यह भी कि जब वह फोन करे तो घर आ जाए.  होटल से रेखा का घर कुछ ही दूरी पर था. रेखा ने रात साढ़े 11 बजे फोन कर के रवि को घर बुला लिया. साथ ही बता भी दिया कि घर का मुख्यद्वार खुला रहेगा. चुपके से घर में आ जाए. उस समय बलवीर नीचे अपने कमरे में सोए हुए थे और तीनों बच्चे दूसरे कमरे में सो रहे थे. बेचैन रेखा बिस्तर पर करवटें बदल रही थी. ठीक साढ़े 11 बजे रवि रेखा के घर पहुंच गया और दबेपांव घर में घुस आया. वैसे भी वह घर के कोनेकोने से वाकिफ था.

रवि को आया देख वह खुशी से उछल पड़ी और उस की बांहों में समा गई. थोड़ी देर बाद रेखा जब होश में आई तो बिस्तर पर पति को सोता देख उस ने नफरत भरी नजर डाली और रवि को इशारा किया. फिर इशारा मिलते ही रवि ने अपने हाथों से बलवीर का गला तब तक दबाए रखा, जब तक उस की मौत हुई. बलवीर की मौत हो चुकी थी. हत्या की घटना को दोनों स्वाभाविक मौत दिखाना चाहते थे. इसलिए दोनों ने योजना बनाई. रेखा छत पर बिस्तर लगा आई. फिर दोनों बलवीर की लाश उठा कर छत पर ले गए और बिस्तर पर ऐसे लिटा दिया जैसे वह खुद वहां आ कर सो गए हों.

रेखा और रवि के रास्ते का कांटा हट गया था. सुबह होते ही जब रवि जाने लगा तो रेखा ने उस से कहा कि वह उसे कमरे में बंद कर दरवाजे पर बाहर से सिटकनी चढ़ा दे. रवि ने वही किया, जैसा रेखा ने करने को कहा था. सुबह जब बच्चे उठे तो मां का कमरा बाहर से बंद देख चौंके. उन्होंने कमरे की सिटकनी खोल दी. बच्चों ने देखा उन के पिता कमरे में नहीं थे. पापा के बारे में मां से पूछा तो उस ने बच्चों से झूठ बोलते हुए कहा कि तुम्हारे पापा देर रात लौटे थे और छत पर सो गए. वहीं सो रहे होंगे. उस के बाद रेखा समय का इंतजार करने लगी ताकि अपना ड्रामा शुरू करे.

रेखा और रवि ने बलवीर की हत्या को इस तरह अंजाम दिया था कि उस की मौत स्वाभाविक लगे, लेकिन पुलिस तहकीकात ने उन के सारे राज से परदा उठा दिया. उन के 40 लाख के सपने धरे के धरे रह गए. रेखा तो गिरफ्तार कर ली गई, लेकिन रवि कुमार पनिका फरार था. रवि को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने कई जगह दबिश दी लेकिन वह पुलिस की पकड़ में नहीं आ सका. 72 घंटे के भीतर घटना का खुलासा करने पर आईजी राकेश गुप्ता ने पुलिस टीम को 25 हजार रुपए नकद देने की घोषणा की. कथा लिखे जाने तक रेखा जेल में थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित