UP Crime News : दहेज का लालच जिंदा जली निक्की

UP Crime News : एक तरफ पूरे देश में दहेज हत्या के झूठे मामलों में परिजनों को फंसाने जैसे अपराधों पर बहस छिड़ी है, वहीं इसी बीच ग्रेटर नोएडा में विपिन भाटी और उस के फेमिली वालों पर 27 वर्षीय पत्नी निक्की को जला कर मारने का आरोप लगा है. क्या वास्तव में निक्की दहेज लोभियों के लालच में जलाई गई या इस के पीछे की सच्चाई कुछ और है? पढ़ें रोंगटे खड़े कर देने वाली यह कहानी.

दिल्ली के पास ग्रेटर नोएडा के दादरी इलाके के रूपवास गांव की रहने वाली निक्की और उस की बड़ी बहन कंचन की शादी 27 दिसंबर, 2016 में ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में एक ही परिवार के 2 भाइयों से हुई थी. बड़े भाई रोहित से भिखारी सिंह की बड़ी बेटी कंचन और छोटे भाई विपिन से छोटी बेटी निक्की की शादी हुई थी. भिखारी सिंह पायला कभी गांव के बड़े काश्तकार थे, लेकिन ग्रेटर नोएडा के विकास के साथ उन की जमीनें ग्रेटर नोएडा अथौरिटी ने अधिग्रहीत कर लीं.

मुआवजे के रूप में मिली करोड़ों की रकम ने भिखारी सिंह के परिवार की जिंदगी का कायाकल्प कर दिया. परिवार में पत्नी वसुंधरी के अलावा 2 बेटियां और 2 बेटे रोहित व अतुल थे. रोहित की 2016 में शादी भी हो चुकी है, लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण अब उस की पत्नी मीनाक्षी अपने मायके में है.

दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा के सिरसा गांव में रहने वाले सत्यवीर सिंह के परिवार में पत्नी दयावती के अलावा 2 बेटे हैं रोहित व विपिन. सत्यवीर सिंह अपने गांव के एक छोटे काश्तकार थे. उन की हैसियत भिखारी सिंह जैसी तो नहीं थी, लेकिन उन की जमीन का भी कुछ मुआवजा मिला था, जिस से उन्होंने गांव में अच्छा सा घर बनवा लिया. साथ ही घर के बाहरी इलाके में कुछ दुकानें बना कर किराए पर दे दीं. इस के अलावा उन्होंने एक किराना की दुकान खुद भी खोल ली. इसी दुकान पर सत्यवीर व उन के दोनों बेटे रोहित और विपिन भी बैठने लगे. उन की आमदनी के बस यही जरिया था.

निक्की (27 वर्ष) व कंचन (29 वर्ष)  की शादी दोनों सगे भाइयों से तब हुई, जब देश में नोटबंदी के बाद ज्यादातर लोगों के पास नकदी की कमी थी. इसीलिए उस वक्त दोनों बहनों की शादी सादगीपूर्ण तरीके से जरूर हुई, लेकिन नोटबंदी के बावजूद भिखारी सिंह ने दिल खोल कर पैसा खर्च किया.

बाद में हालात सामान्य होने पर निक्की के पिता भिखारी सिंह ने शादी में दिए जाने वाले सामान की भरपाई कर दी. निक्की के पति को शादी के बाद एक स्कौर्पियो कार के अलावा आभूषण, नकदी और भोग विलास की हर चीज दी. वक्त धीरेधीरे गुजरता गया. निक्की की बहन कंचन के 2 बच्चे हुए. बेटी लाव्या (7 साल) व बेटा विनीत (4 साल), जबकि निक्की का एक बेटा है जो अब करीब 6 साल का है.

विपिन कोई काम नहीं करता था,  इसलिए निक्की ने कुछ साल पहले अपनी बहन के साथ मिल कर ससुराल के घर की ऊपरी मंजिल पर एक ब्यूटी पार्लर खोला था. पार्लर का काम काफी अच्छा चल रहा था, लेकिन ससुराल वालों के दबाव में कुछ ही महीने पहले उन्हें ब्यूटी पार्लर बंद करना पड़ा.

शादी के 9 साल बाद अचानक 21 अगस्त, 2025 की देर शाम को बड़ी बहन कंचन ने ग्रेटर नोएडा के पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी कि शाम करीब साढ़े 5 बजे उस की सास दयावती और देवर विपिन ने उस की बहन निक्की को ज्वलनशील पदार्थ डाल कर जला दिया है. सास ने अपने हाथ में ज्वलनशील पदार्थ लिया और विपिन को पकड़ाया, जिसे विपिन ने निक्की के ऊपर डाल दिया. साथ ही निक्की के गले पर हमला किया. जिस के बाद उस की बहन बेहोश हो गई. जब मैं ने इस का विरोध किया तो मेरे साथ भी मारपीट की गई. कंचन ने पुलिस को दी शिकायत में कहा कि उस का पति रोहित भाटी और ससुर सत्यवीर मौके पर मौजूद थे.

गंभीर हालत में निक्की को पड़ोसियों की मदद से वह फोर्टिस हौस्पिटल एच्छर, ग्रेटर नोएडा ले गई, जहां हालत बिगडऩे पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. वहां इलाज के दौरान उस की मौत हो गई. कंचन ने पुलिस को बताया कि जिस समय उस की बहन की हत्या की गई, वह मौके पर थी, लेकिन वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी.

बहन की मौत से गुस्साई कंचन ने अगली सुबह ससुरालियों पर दहेज हत्या का आरोप लगाते हुए कासना कोतवाली में तहरीर दे कर पिता सतवीर भाटी, सास दयावती और दोनों बेटों रोहित व विपिन के खिलाफ बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या), 115(2) (चोट पहुंचाना) और 61(2) के तहत केस दर्ज कर दिया.

ससुराल वालों द्वारा दहेज की मांग के लिए निक्की की जला कर हत्या करने की खबर अगली सुबह पूरे नोएडा व एनसीआर के साथ गुर्जर समाज के बीच जंगल की आग की तरह फैल गई थी. जगहजगह निक्की के हत्यारों की गिरफ्तारी और न्याय की मांग के लिए धरनेप्रर्दशन होने लगे. हाथों में ‘जस्टिस फौर निक्की बहन’ की तख्ती और बैनर ले कर दरजनों  बसों, कारों, ट्रैक्टर ट्रौली, दोपहिया ले कर सैकड़ों ग्रामीणों के साथ परिजन कासना कोतवाली जा पहुंचे. इस दौरान उन के साथ किसान संगठन और समाजवादी छात्र से जुड़े लोग भी रहे.

मृतका की बहन कंचन का साफ कहना था कि उस की बहन को कई दिनों से परेशान किया जा रहा था. साजिश के तहत जला कर उस की हत्या की गई है. उस का पति विपिन उस से पूरी रात मारपीट करता था. वह अपनी बहन को इंसाफ दिलाना चाहती है. जिस तरह से उस की बहन तड़पतड़प कर मरी, उसी तरह से आरोपियों को भी फांसी की सजा मिलनी चाहिए.

कोतवाली प्रभारी धर्मेंद्र शुक्ल व ग्रेटर नोएडा जोन के एडिशनल डीसीपी सुधीर कुमार पर आरोपियों को पकडऩे का दबाव लगातार बढ़ रहा था. फेमिली वालों का सीधा आरोप था कि विपिन भाटी व उस के घर वाले निक्की को दहेज के लिए लगातार परेशान कर रहे थे. पिछले कुछ समय से वे निक्की पर दबाव डाल रहे थे कि जो मर्सिडीज गाड़ी भिखारी सिंह ने अपने लिए खरीदी है, वह उसे गिफ्ट की जाए तथा कामधंधा शुरू करने के लिए 35 लाख रुपए नकद दिए जाएं.

परिजनों का साफ आरोप है कि शादी के बाद से ही विपिन लगातार कुछ न कुछ मांग करता रहता था, लेकिन शादी के 9 साल बाद अब उस की मांगें पूरी करना उन के वश से बाहर हो गया था.

वायरल वीडियो से पेचीदा हुआ मामला

घटना के दौरान घर में मौजूद कंचन ने अपनी छोटी बहन के साथ मारपीट और आग के हवाले करने का वीडियो भी बनाया था. इस दौरान निक्की का बेटा भी मौजूद था. महिला को आग लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर अगले दिन जम कर वायरल हो गया. वीडियो में दिखाई दे रहा है कि विपिन और मृतका की सास निक्की के बाल खींच कर मारपीट करते हैं. साथ ही एक दूसरे वीडियो में आग लगने के दौरान निक्की सीढिय़ों से उतरती हुई दिख रही है.

वीडियो में देखा जा सकता है कि आग में झुलसने के दौरान उस के शरीर के कपड़े भी जल जाते हैं. वह पूरी तरह से झुलसने के बाद बदहवास हालत में जमीन पर बैठी है. वहीं एक अन्य वीडियो में निक्की के बेटे को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उस के पापा ने मम्मा को लाइटर से जलाया.

कंचन के बयान और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद ग्रेटर नोएडा पुलिस पर दबाव इस कदर बढ़ा कि पुलिस की कई टीमें गठित कर दबिशें शुरू की गईं. परिणामस्वरूप निक्की की हत्या में नामजद चारों आरोपियों विपिन भाटी, उस के पिता सत्यवीर भाटी, भाई रोहित भाटी व मां दयावती को अलगअलग इलाकों से गिरफ्तार कर लिया गया.

लेकिन विपिन भाटी को जब पुलिस ज्वलनशील पदार्थ बरामद करने के लिए ले जा रही थी तो उस ने एक दरोगा का रिवौल्वर छीन कर भागने की कोशिश की. विपिन ने पुलिस टीम पर फायर किया तो आत्मरक्षा में पुलिस ने भी जवाबी फायर किया, जिस में पुलिस की गोली विपिन की टांग में लगी. इस के बाद विपिन पर एक अन्य केस भी दर्ज हो गया. लेकिन पुलिस हिरासत में विपिन ने जो बयान मीडिया को दिया, वह इशारा करता है कि दाल में कुछ काला जरूर है. उस ने मीडिया से कहा कि उस ने अपनी पत्नी को नहीं जलाया और मारा, बाकी लड़ाईझगड़ा तो हर फेमिली में होता है. इस से ज्यादा मैं कुछ नहीं कहूंगा.

एक कत्ल 2 कहानी से गहराता रहस्य

निक्की भाटी मर्डर केस की जांच जैसेजैसे आगे बढ़ रही है, नए सबूत, लोगों के बयान और कुछ नए वीडियो सामने आ रहे हैं, वैसेवैसे कहानी एक रहस्यमयी पहेली में बदलती जा रही है. 27 वर्षीय निक्की की मौत के बाद आरोपप्रत्यारोप का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. मायके वाले इसे साफसाफ दहेज हत्या करार दे रहे हैं. दूसरी तरफ आरोपी विपिन भाटी तथा उस के कुछ पड़ोसियों का कहना है कि दोनों के बीच तनाव की असली वजह सोशल मीडिया पर निक्की और कंचन की मौजूदगी थी.

इस केस की जांच कर रही कासना पुलिस असमंजस में है. अभी पुलिस भी मिले सबूतों के आधार पर पैसों और गाड़ी की मांग को ही हत्या की वजह मान रही है, लेकिन साथ ही पुलिस नए सिरे से जांच भी कर रही है. दरअसल, जांच टीम के सामने अब 2 परस्पर विरोधी कहानियां हैं.

पहली कहानी यह कि निक्की भाटी को उस के पति और ससुराल वाले लगातार दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे. उस से 35 लाख रुपए की मांग की जा रही थी और यही प्रताडऩा उस की मौत का कारण बनी. दूसरी कहानी यह है कि निक्की और उस की बड़ी बहन कंचन इंस्टाग्राम पर रील्स बनाया करती थीं. यह बात उन के पति और ससुराल वालों को बुरी लगती थी. इस वजह से उन के बीच अकसर तनाव होता था, जो खूनी अंजाम तक पहुंच गया.

निक्की भाटी की ससुराल सिरसा गांव में है. उस के ससुराल के आसपास के लोगों का कहना है कि निक्की और कंचन अपने घर से छोटा ब्यूटी पार्लर चलाती थीं. इस के साथ ही दोनों बहनें इंस्टाग्राम पर मेकओवर रील्स बना कर पोस्ट करती थीं. इन रील्स में वे साधारण लुक से ट्रांजिशन कर तैयार और स्टाइलिश अंदाज में नजर आती थीं. ये रील्स उन के पतियों, विपिन और रोहित भाटी को नागवार गुजरती थीं. एक पड़ोसी ने बताया, रील्स बनाने को ले कर उन के बीच अकसर झगड़ा हुआ करता था.

बताया जा रहा है कि इसी साल 11 फरवरी को निक्की व विपिन और कंचन व रोहित के बीच जम कर झगड़ा हुआ था. इस दौरान दोनों बहनों के साथ मारपीट भी हुई थी. इस वजह से दोनों बहनें अपने मायके रूपबास गांव चली गई थीं.

लड़कियों को मायके में देख कर आसपास के लोग आवाज उठाने लगे तो पंचायत बैठाई गई. 18 मार्च, 2025 को सुलह इस शर्त पर हुई कि दोनों बहनें आगे से रील्स नहीं बनाएंगी. वे मान भी गईं, लेकिन चंद दिनों बाद दोनों ने फिर से वीडियो पोस्ट करना शुरू किया और तनाव दोबारा गहराने लगा.

विपिन भाटी के चचेरे भाई देवेंद्र ने बताया कि जिस समय घटना हुई, उस समय विपिन घर पर नहीं था. इधर, निक्की को जिस अस्पताल में भरती कराया गया था, उस अस्पताल की रिपोर्ट भी सामने आ गई है. उस में बताया गया है कि निक्की की मौत सिलेंडर फटने के कारण आग लगने से हुई है. हालांकि जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो वहां सिलेंडर फटने के कोई सबूत नहीं मिले. पर ज्वलनशील पदार्थ का डिब्बा और लाइटर मिला है. वहीं, जिस वक्त घर में निक्की को आग लगी, उस वक्त के सीसीटीवी में उस का पति विपिन घर के पास एक दुकान के बाहर खड़ा दिखाई दे रहा है. इन तमाम सबूतों ने निक्की की मौत को बुरी तरह उलझा दिया है.

मौत की जांच में आया नया मोड़

नया मोड़ लेती निक्की भाटी की मौत में निक्की के कमरे से बरामद ज्वलनशील पदार्थ और कई नए वीडियो क्लिप ने पुलिस जांच की दिशा ही बदल दी है. अब नए सिरे इस घटना की जांच की जा रही है. इस मामले की जांच कर रही पुलिस को निक्की के कमरे से ज्वलनशील तरल पदार्थ बरामद हुआ, जिसे फोरैंसिक जांच के लिए भेजा गया. इस के साथ ही 21 अगस्त की घटना से जुड़े कई छोटे वीडियो क्लिप भी सामने आए हैं.

इन की वजह से पूरी जांच की दिशा बदल गई है. एक नया वीडियो सामने आया है, जिस में सास दयावती अपने बेटे विपिन और बहू निक्की को झगड़े के दौरान अलग करती नजर आ रही है. एक दूसरा वीडियो, जिसे निक्की की बहन कंचन ने शूट किया था, उस में एक आवाज सुनाई देती है, ‘ये क्या कर लिया.’ इस बयान और वीडियो के सामने आने के बाद अब नए सिरे से केस जांच की जा रही है. पुलिस जांच के दौरान एक सीसीटीवी फुटेज भी मिला है. इस में विपिन घटना से ठीक पहले अपने घर के बाहर खड़ा नजर आया है. इस के अलावा ग्रेटर नोएडा के जारचा इलाके में पिछले साल अक्तूबर में दर्ज एक पुराने मामले की भी जांच की जा रही है, जिस में विपिन पर प्रीति नामक लड़की के साथ मारपीट करने और उसे धमकी देने का आरोप लगा था.

इस के साथ ही एक निजी अस्पताल के मेमो के अनुसार निक्की घर में गैस सिलेंडर फटने से झुलसी थी. उसे विपिन का चचेरा भाई देवेंद्र अस्पताल ले कर पहुंचा था. वहीं दूसरी ओर बहन कंचन का आरोप है कि यह सुनियोजित दहेज हत्या थी. देवेंद्र का बयान भी मामले को उलझा रहा है. उस का कहना है कि निक्की बारबार पानी मांग रही थी. उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसी बीच निक्की और कंचन के पिता भिखारी सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया कि उन की बेटी को दहेज के लिए जिंदा जला दिया गया.

पुलिस की जांच अब 3 बिंदुओं पर टिक गई है. पहला ज्वलनशील पदार्थ की फोरैंसिक रिपोर्ट, नए वीडियो क्लिप और कंचन के बदलते बयान. यही 3 कडिय़ां यह तय करेंगी कि निक्की की मौत गैस सिलेंडर हादसा थी या एक साजिश के तहत की गई दहेज हत्या. निक्की भाटी की डेथ मिस्ट्री उलझती क्यों जा रही है, इस का जवाब सिर्फ निक्की की मौत के सच से ही नहीं लगेगा, बल्कि निक्की की भाभी यानी भाई की पत्नी के आरोप भी इस मामले को उलझा रहे हैं.

यह मामला अब महज एक केस नहीं, परिवार के भीतर छिपी 2 सच्चाइयों की जंग का रूप ले चुका है. दरअसल, निक्की की भाभी मीनाक्षी ने कहा कि दहेज की आग ने उस की शादी को भी खत्म कर दिया है. मीनाक्षी का कहना है कि साल 2016 में भिखारी सिंह पायला के बेटे रोहित पायला से उस की शादी हुई. पिता ने दहेज में सियाज कार और 20 तोला सोना दिया. लेकिन एक्सीडेंट का बहाना बना कर कार एक हफ्ते में बेच दी गई.

इस के बाद ताने, मारपीट और अपमान का सिलसिला शुरू हुआ और इस की रफ्तार बढ़ती गई. सास और दोनों ननद उस के बाल पकड़ कर घसीटती थीं. पति भी मारपीट करता था. एक बार तो उस ने गोली तक चला दी. मीनाक्षी का आरोप सिर्फ हिंसा तक सीमित नहीं है. वह दोहरी नीति की बात करती है. वह कहती है, ”मुझे फोन रखने तक की इजाजत नहीं थी, लेकिन बेटियों के लिए पार्लर, सोशल मीडिया पर रील्स, इंस्टाग्राम, सब मंजूर था. यदि बहू के लिए नियम थे तो बेटियों के लिए क्यों नहीं? एक जैसी सख्ती क्यों नहीं?’’

मीनाक्षी के मुताबिक उस की शादी के 9 साल हो गए, लेकिन वह मुश्किल से 9 महीने ही ससुराल में रह पाई. दहेज पर पंचायतें बैठीं. एक नहीं, 100 बार पंचायत हुई. हर बार नतीजा यही कि बहू घर छोड़ दे. साल 2018 में दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज हुआ, लेकिन साल 2020 में दबाव और समझौते की राजनीति के बीच केस वापस लेना पड़ा. उसी साल पिता चल बसे. मीनाक्षी कहती है, ”जिस दिन पापा गए, उसी दिन मेरे लिए सब कुछ खत्म हो गया. मुझे बेघर कर दिया गया. मेरी सारी उम्मीदें खत्म हो गईं. तब से मैं अपने मायके में हूं.’’

मीनाक्षी के सारे आरोपों के बीच ससुर भिखारी सिंह पायला जवाब देते हुए कहते हैं, ”मेरे बेटे रोहित ने कभी मीनाक्षी पर हाथ नहीं उठाया. मेरे पास सारे सबूत हैं. हमारे दरवाजे हमेशा मीनाक्षी के लिए खुले हैं. मीनाक्षी कभी भी आ कर यहां रह सकती है.’’ वे अपने परिवार के पक्ष में खड़े दिखते हैं और मीनाक्षी की बातों को साफतौर पर खारिज करते हैं. फिलहाल ग्रेटर नोएडा पुलिस नए सबूतों और बयानों के आधार पर इस केस की जांच नए सिरे से कर रही है. कंचन व निक्की के तीनों बच्चे अपने नाना के पास हैं. परिवार अब कंचन को भी उस की ससुराल में भेजना नहीं चाहता.

विरोधाभासी सबूतों के कारण कासना पुलिस भले ही विपिन भाटी व उस के परिजनों को निक्की भाटी की दहेज के लिए हत्या करने के आरोप में जेल भेज कर उन पर मुकदमा चलाए. लेकिन यह कहना अभी जल्दबाजी हो सकती है कि निक्की की मौत एक सोचीसमझी साजिश है. हो सकता है यह एक हादसा भी हो.

दहेज ने ली संजू की जान, बच्ची संग जल मरी

राजस्थान के जोधपुर में ग्रेटर नोएडा जैसी दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है. यहां दहेज प्रताडऩा से तंग आ कर एक स्कूल टीचर ने अपनी मासूम बच्ची के साथ जान दे दी. पीडि़ता की पहचान 32 वर्षीय संजू बिश्नोई के रूप में हुई है. उस ने अपनी 3 साल की बेटी को गोद में ले कर पेट्रोल डाला और खुद को आग के हवाले कर दिया. बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उस ने अस्पताल में दम तोड़ दिया.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना 22 अगस्त, 2025 की है. महिला ने जब खुद को और अपनी बेटी को आग लगाई, उस वक्त उस का पति दिलीप बिश्नोई घर पर मौजूद नहीं था. अचानक धुआं उठता देख पड़ोसी घबराए और तुरंत महिला के पापा को फोन किया. जब परिवार घर पहुंचा तो उन्होंने संजू को जलती हालत में पाया. बच्ची ने उन की आंखों के सामने ही दम तोड़ दिया.

सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची. मंडोर के एसीपी नागेंद्र कुमार ने बताया कि बच्ची की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि महिला का जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में इलाज के दौरान शनिवार को निधन हो गया. उस के पिता ने 24 अगस्त को स्थानीय थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई. इस में साफतौर पर आरोप लगाया गया कि उस की बेटी को लगातार दहेज के लिए प्रताडि़त किया जा रहा था. इस से तंग आ कर बेटी ने बच्ची सहित जान दे दी.

पुलिस ने पीडि़ता के पिता की शिकायत के आधार पर उस के पति दिलीप बिश्नोई, सास, ससुर और ननद के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है. पीडि़ता के फेमिली वालों ने यह भी आरोप लगाया है कि ससुराल वालों ने मिल कर संजू को आत्महत्या के लिए उकसाया. पुलिस को घटनास्थल से एक नोट भी बरामद हुआ है, जिस में संजू ने अपने ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. एसीपी ने बताया कि मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया है और जांच के लिए फोरैंसिक साइंस लैब भेजा गया है. मोबाइल से कई अहम जानकारियां सामने आने की उम्मीद है.

बताया जा रहा है कि संजू बिश्नोई साल 2021 से एक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में टीचर के पद पर तैनात थी. 10 साल पहले उस की शादी दिलीप बिश्नोई के साथ हुई थी. उसी समय से उस का पति और ससुराल वाले उसे प्रताडि़त कर रहे थे. पिछले कुछ समय से ससुराल वालों के साथ झगड़ा ज्यादा बढ़ गया था. शनिवार को भी उन के बीच विवाद हुआ था. इस की वजह से संजू बहुत नाराज और दुखी थी. उस ने स्कूल से वापस आने के बाद अपनी बच्ची को गोद में लिया और अपने ऊपर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा ली. दोनों शवों का महात्मा गांधी अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया.

गाड़ी न मिलने पर शालवी की बलि

बीहार के पश्चिमी चंपारण में बगहा जिले के चौतरवा थाना क्षेत्र के अहिरवलिया गांव में 24 अगस्त की रात दहेज के लिए एक विवाहिता शालवी देवी की हत्या का मामला प्रकाश में आया है. मृतका लगुनाहा-चौतरवा पंचायत की मुखिया शैल देवी की 23 वर्षीय बहू शालवी देवी थी.  घटना के संबंध में बताया जाता है कि मुखिया शैल देवी के बेटे अमित शाही की शादी जनवरी, 2023 में शालवी के साथ धूमधाम से हुई थी. शादी के बाद शालवी अपनी ससुराल अहिरवलिया आई, जहां कुछ दिनों तक उसे ठीक से रखा गया.

इधर, मृतका के चाचा व बेतिया के सिकटा थाने के जगीरहा निवासी तथा बलथर पंचायत के मुखिया सुनील सिंह ने आरोप लगाया कि 27 जनवरी, 2023 को उन की भतीजी शालवी की शादी अहिरवालिया निवासी स्व. घनश्याम शाही एवं वर्तमान मुखिया शैल देवी के बेटे अमित शाही से हुई थी. शादी के बाद से ही चार पहिया वाहन की मांग को ले कर शालवी को बारबार प्रताडि़त किया जा रहा था. बीच में कई बार मेरे द्वारा अहिरवलिया आ कर मामले में दोनों परिवार के बीच कई बार पंचायत भी हुई. शालवी द्वारा बारबार फोन पर कहा जाता था कि आप लोग गाड़ी दे दीजिए. नहीं तो ये लोग मुझे मार डालेंगे.

2 महीने पहले अहिरवलिया आ कर अमित शाही से उन्होंने खुद कहा था कि मुझे 6 महीने का समय दीजिए, आप को मैं स्वयं गाड़ी दूंगा. अभी 2 माह भी नहीं हुए कि ससुराल वालों ने मेरी भतीजी को बड़ी बेरहमी से प्रताडि़त कर मार डाला. आरोप लगाया कि मेरी भतीजी के हत्यारों ने आंखें फोडऩे के बाद उस का हाथ भी तोड़ दिया था. संभावना है कि उस की हत्या तकिया से मुंह दबा कर की गई थी. कारण कि ससुराल का कोई भी व्यक्ति घर पर नहीं है. लोगों ने पुलिस को फोन किया. तब पुलिस ने पहुंच कर शव को अपने कब्जे में लिया है.

शादी के अभी मात्र 17 महीने हुए हैं. उसे 7 माह की एक बच्ची भी है. अस्पताल में डौ. अशोक कुमार तिवारी के नेतृत्व में 3 सदस्यीय टीम डौ. अरुण कुमार, डौ. तारिक नदीम ने मृतका का पोस्टमार्टम किया. मामले में एसएचओ राहुल कुमार ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता लग पाएगा. UP Crime News

 

 

UP Crime News : मां का मदहोशी प्यार

UP Crime News : जवान बेटे होने के बावजूद 35 वर्षीय यशोदा शर्मा ने पति संजय शर्मा के होते हुए जेठ रामनिवास से शादी कर ली. तब वह रामनिवास के साथ ही रहने लगी. इस अपमान को संजय शर्मा बरदाश्त नहीं कर सका, उस की मौत हो गई. बेटों को भी समाज में जलालत भरी जिंदगी नासूर बनती दिखी तो उन्होंने ऐसा कदम उठाया कि…

जैसेजैसे समय बीतता जा रहा था, वैसेवैसे कौशल शर्मा की उलझन बढ़ती जा रही थी. कौशल एक टीचर था. उस का दिन तो स्कूल के बच्चों को पढ़ाने में बीत जाता था, लेकिन रातें करवटें बदलते बीतती थीं. उस की इस उलझन का कारण थी, उस की सगी मम्मी यशोदा देवी. दरअसल, यशोदा देवी ने पति संजय शर्मा का साथ छोड़ कर रिश्ते के जेठ लगने वाले रामनिवास शर्मा से शादी रचा ली थी. मम्मी के इस गलत कदम से कौशल शर्मा की पूरे समाज में घोर बदनामी हो रही थी. बिरादरी के कुछ परिवारों ने उस का हुक्कापानी भी बंद कर दिया था. उस के पापा संजय शर्मा तो इस बदनामी से इतना ज्यादा दुखी हुए कि मम्मी द्वारा शादी रचाने के एक माह बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया.

मम्मी की चरित्रहीनता ने कौशल को झकझोर कर रख दिया था. उस का गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया था. गांव के लोग मम्मी के चरित्र को ले कर उस पर कमेंट करते तो उस के दिल को गंभीर चोट लगती. हमउम्र युवक मम्मी को ले कर गंदी व अश्लील बातें करते तो कौशल तिलमिला उठता. कभीकभी कमेंट करने वालों से उस का झगड़ा व मारपीट भी हो जाती थी. कई साल बीत गए थे, लेकिन मम्मी की चरित्रहीनता उस का पीछा नहीं छोड़ रही थी. इसी के चलते कौशल अभी तक कुंवारा था. जो भी रिश्ता आता, मम्मी के चालचलन की वजह से टूट जाता. गांव के लोग भी आग में घी डालने का काम करते, जिस के कारण कोई भी बाप अपनी बेटी का हाथ देने को राजी न होता.

समय बीतते कौशल शर्मा के मन में मम्मी के प्रति नफरत पनपने लगी. नफरत पनपने का दूसरा कारण यह भी था कि वह कौशल से जमीन व मकान में अपना हिस्सा मांगने लगी थी. कौशल दिखावे के तौर पर तो मम्मी से मिलने उस के घर जाता था और बतियाता भी था, लेकिन सीने में नफरत की चिंगारी सुलगती थी. कौशल शर्मा अब तक अच्छी तरह समझ चुका था कि जब तक उस की मम्मी जीवित है, तब तक उस की जिंदगी में जहर घुला रहेगा. न उस का घर बसेगा, न ही उस के भाई का. मम्मी उस की जमीन भी हड़प लेगी, अत: मम्मी को सबक सिखाना ही पड़ेगा.

उस रोज कौशल की उलझन बढ़ी तो उस ने फोन कर दोस्तों को घर बुला लिया. थोड़ी देर बाद ही बौबी, रजत, सतबीर, कबीर व सौरभ उस के घर आ गए. कौशल ने दोस्तों से कहा कि मम्मी ने जीना हराम कर रखा है. इसलिए मैं मम्मी को सबक सिखाना चाहता हूं. इस में मुझे तुम सब का साथ चाहिए.

”कौशल भैया, आप ने अपनी मम्मी को सबक सिखाने में बहुत देर कर दी. तुम्हारी जगह मैं होता तो बदचलन मम्मी को कब का सबक सिखा दिया होता.’’ रजत बोला.

रजत की बात का उस के अन्य दोस्तों ने भी समर्थन किया और उस का साथ देने का वादा किया. इस के बाद कौशल ने दोस्तों के साथ मिल कर मम्मी को सबक सिखाने की योजना बनाई. 28 जुलाई, 2025 की रात 10 बजे थाना बलरई के एसएचओ दिवाकर सरोज को सूचना मिली कि यमुना नदी पर बने खंदिया पुल के पास सड़क किनारे एक महिला की लाश पड़ी है. यह सूचना इटावा जिले के फकीरे की मड़ैया गांव निवासी धीरेंद्र सिंह ने मोबाइल फोन के जरिए दी थी. प्राप्त सूचना से दिवाकर सरोज ने पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया, फिर पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उस समय पानी बरस रहा था और रात का अंधेरा छाया था, जिस से कोई भी काररवाई संभव न थी.

अत: महिला के शव को सुरक्षित कर घटनास्थल पर पुलिस का पहरा लगा दिया गया. आसपास के गांवों में महिला की सड़क किनारे लाश पड़ी होने की खबर फैली तो वहां ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी. कुछ देर बाद इटावा के एसएसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी (सिटी) अभयनाथ त्रिपाठी तथा सीओ (जसवंत नगर) आयुषि सिंह भी घटनास्थल पर आ गईं. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया. पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. सड़क किनारे पड़ी मृत महिला की उम्र 35 साल के आसपास थी.

उस के शरीर पर गुलाबी रंग की साड़ी लिपटी थी. साड़ी पर सफेद रंग के फूलों के प्रिंट थे. हाथों में सुनहरे रंग की चूडिय़ां पहने थी. उस के सिर व माथे पर चोट के निशान थे. खून जम चुका था. उस का रंग साफ तथा शरीर स्वस्थ था. जामातलाशी में उस के पास कोई भी सामान बरामद नहीं हुआ. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि महिला की मौत या तो सड़क दुर्घटना में हुई या फिर हत्या कर लाश यहां फेंकी गई. लूटपाट के साथ रेप की आशंका भी जताई. अब तक सैकड़ों ग्रामीण शव को देख चुके थे, लेकिन कोई भी शव को पहचान नहीं पाया था.

अत: अधिकारियों ने यह भी अनुमान लगाया कि शायद मृतका दूरदराज के किसी गांव, शहर या कस्बे की रहने वाली है. चूंकि लाश की पहचान नहीं हो पाई थी, इसलिए पुलिस अधिकारियों के निर्देश पर एसएचओ दिवाकर सरोज ने महिला के शव के फोटो हुलिए सहित सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया. साथ ही आसपास के थानों में भी सूचना भेज दी. इस के अलावा इटावा सीमा से सटे आगरा जिले के थाना चित्राहट व जैतपुर को भी महिला का शव पाए जाने की जानकारी दे दी. इस के बाद शव का पंचनामा सीओ आयुषी सिंह की निगरानी में करा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए इटावा के जिला अस्पताल भेज दिया गया.

एसएचओ दिवाकर सरोज 30 जुलाई, 2025 की सुबह 10 बजे अपने कक्ष में मौजूद थे. तभी एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आया. उस ने कहा, ”हुजूर, मेरा नाम रामनिवास शर्मा है. मैं आगरा जिले के थाना जैतपुर के गांव बिठौना का रहने वाला हूं. मेरी पत्नी यशोदा दवा लेने जैतपुर कस्बा 28 जुलाई, 2025 की शाम गई थी. उस के बाद वापस घर नहीं आई. उस का मोबाइल फोन भी बंद है. बीती शाम हम गुमशुदगी दर्ज कराने थाना जैतपुर गए थे. वहां पता चला कि बलरई थाना क्षेत्र में एक महिला की लाश सड़क किनारे मिली है. कहीं वह लाश मेरी पत्नी यशोदा की तो नहीं? इसलिए थाने आया हूं.’’

उस की बात सुनने के बाद एसएचओ दिवाकर सरोज ने उसे लाश के फोटो दिखाए. फोटो देखते ही रामनिवास शर्मा की आंखों में आंसू छलक आए. बोले कि यह तो उस की बीवी यशोदा है. लाश की शिनाख्त होने पर एसएचओ ने राहत की सांस ली. क्योंकि अब अगला काम हत्यारों का पता लगाना था. वह उन्हें मोर्चरी ले गए. मोर्चरी में शव देखते ही रामनिवास रो पड़े और बोले, ”हुजूर, यह लाश मेरी पत्नी यशोदा की है. उस की मौत सड़क दुर्घटना में नहीं हुई, बल्कि उस की हत्या की गई है. आप रिपोर्ट दर्ज कर काररवाई करें.’’

शव की शिनाख्त हो जाने पर एसएसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने केस के खुलासे के लिए एक पुलिस टीम एसपी (सिटी) अभयनाथ त्रिपाठी व सीओ (जसवंत नगर) आयुषी सिंह की निगरानी में गठित कर दी. इस गठित पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का फिर से निरीक्षण कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. रिपोर्ट के मुताबिक यशोदा देवी की मौत किसी वाहन से कुचलने से लग रही थी. सिर और माथे पर चोट लगना मौत का कारण बना था. उस के साथ बलात्कार करने जैसी बात सामने नहीं आई. टीम ने मृतका के पति रामनिवास शर्मा से भी पूछताछ की तथा उस का बयान दर्ज किया. उस ने बताया कि यशोदा के पास मोबाइल फोन था. वह नहीं मिला.

सीसीटीवी फुटेज से मिला हत्यारों का सुराग

पुलिस टीम ने खंदिया पुल के रास्तेे सड़क किनारे लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला तो बाइक से महिला को ले जाते एक युवक दिखा. इस फुटेज को पुलिस टीम ने मृतका के पति रामनिवास शर्मा को दिखाया तो उस ने बाइक चलाने वाले युवक को तुरंत पहचान लिया. उस ने पुलिस को बताया कि बाइक चलाने वाला युवक कोई और नहीं यशोदा का बड़ा बेटा कौशल शर्मा है और पीछे बैठी उस की मम्मी यशोदा है. रामनिवास शर्मा की बात सुन कर पुलिस टीम चौंक पड़ी. टीम ने फिर यशोदा के बेटे कौशल शर्मा को हिरासत में लेने का जाल बिछाया.

पुलिस टीम ने पहले उस के गांव खुरियापुर में छापा मारा, लेकिन वह घर से फरार था. उस के बाद पुलिस ने जैतपुर कस्बा स्थित मकान पर छापा मारा, वह पुलिस को चकमा दे गया. 2 अगस्त, 2025 की रात 8 बजे पुलिस टीम ने नाटकीय ढंग से कौशल शर्मा को जैतपुर कस्बा के बस स्टाप से गिरफ्तार कर लिया. उसे थाना बलरई लाया गया. थाने में जब पुलिस टीम ने कौशल शर्मा से यशोदा की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गया, लेकिन जब उस से पुलिसिया अंदाज में पूछताछ शुरू हुई तो वह ज्यादा देर तक टिक नहीं सका और अपनी मम्मी यशोदा की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. इतना ही नहीं, उस ने इस वारदात में शामिल लोगों के नाम भी बता दिए.

कौशल शर्मा के कुबूलनामे के बाद पुलिस टीम ने रात में ही उस के साथियों के घर दबिश दी और कौशल शर्मा की निशानदेही पर गड़ा रमपुरा थाना जैतपुर (आगरा) निवासी बौबी तथा इसी थानाक्षेत्र के गांव कमतरी गोपालपुरा थाना निवासी रजत को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन जैतपुर कस्बा निवासी सतबीर, कबीर और सौरभ पुलिस के हाथ नहीं आए. पुलिस ने उन की गिरफ्तारी के लिए मुखबिरों को लगा दिया. पुलिस टीम ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त होंडा शाइन बाइक, स्कौर्पियो कार तथा 3 मोबाइल फोन बरामद किए.

इस के अलावा मृतका का मोबाइल फोन भी कौशल शर्मा की निशानदेही पर बरामद किया, जिसे उस ने तोड़ कर जला दिया था. बौबी व रजत ने भी बिना किसी दबाव के हत्या का जुर्म कुबूल किया. गिरफ्तारी व बरामदगी के बाद एसपी (सिटी) अभयनाथ त्रिपाठी व सीओ आयुषी सिंह ने पुलिस सभागार में संयुक्त प्रैसवार्ता की और मीडिया के समक्ष यशोदा देवी हत्याकांड का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपियों ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और हत्या में प्रयुक्त कार व बाइक को भी बरामद करा दिया था. अत: पुलिस ने मृतका के दूसरे पति रामनिवास शर्मा को वादी बना कर बीएनएस की धारा 103(1) तथा 201(3) (5) के तहत कौशल शर्मा, बौबी, रजत, सतबीर, कबीर व सौरभ के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. पुलिस जांच में कलियुगी बेटे द्वारा अपनी मम्मी की हत्या की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

घूंघट से ऐसे निकले मोहब्बत के तीर

उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद के थाना जैतपुर अंतर्गत एक गांव है-खुरियापुर. इसी गांव में संजय शर्मा सपरिवार रहता था. उस के परिवार में पत्नी यशोदा देवी के अलावा 2 बेटे कौशल व अनुपम थे. संजय शर्मा के पास लगभग 10 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. खेतीबाड़ी से ही वह परिवार का भरणपोषण करता था. संजय शर्मा स्वयं तो ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था, लेकिन वह अपने दोनों बेटों को पढ़ालिखा कर अफसर बनाना चाहता था. इसी कारण वह घर खर्च में कटौती कर बेटों की पढ़ाई पर ध्यान देता था.

समय बीतते बड़े बेटे कौशल ने बीए पास कर लिया. उस का रुझान शिक्षा विभाग की ओर था. वह बीएड की परीक्षा पास कर अध्यापक बनना चाहता था. जबकि अनुपम का सपना अफसर बनने का था, अत: वह भी मन लगा कर पढ़ता था. उस ने भी इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में पास कर ली थी. संजय शर्मा किसान था. वह खेतों पर हाड़तोड़ मेहनत करता था. अधिक मेहनत करने से संजय शर्मा का शरीर कमजोर हो गया था और वह बीमार रहने लगा था. अब वह खेतों की उचित देखभाल नहीं कर पाता था, जिस से उपज कम होने लगी थी और उस की कृषि आय में कमी आ गई थी. उसे अब आर्थिक संकट से जूझना पड़ता था.

पापा की आर्थिक स्थिति खराब हुई तो कौशल व अनुपम ट्यूशन पढ़ा कर अपनी पढ़ाई का खर्च पूरा करने लगे. साथ ही खेतों की भी देखभाल करने लगे. संजय शर्मा जितना सीधा था, उस की पत्नी यशोदा उतनी ही तेजतर्रार थी. वह बनसंवर कर रहती थी. उसे देख कर कोई कह नहीं सकता था कि वह 2 जवान बेटों की मां है. यशोदा घर की मालकिन थी. उसे घर में वैसे तो सब सुख था, लेकिन पति सुख से वंचित रहती थी. दरअसल, बीमारी के चलते वह पत्नी से दूरी बनाए रखता था. जबकि यशोदा अब भी पति का साथ चाहती थी.

35 वर्षीया यशोदा माथे पर बिंदी सजा कर और काला चश्मा लगा कर घर से बाजारहाट जाने को निकलती तो गांव के लोग उसे घूरघूर कर देखते. लोगों का घूर कर देखना यशोदा को मन ही मन तो अच्छा लगता, लेकिन दिखावे के तौर पर वह आंखें तरेरती. हालांकि कभीकभी कोई युवक फब्तियां भी कस देते, ”बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम.’’

यह कमेंट सुन यशोदा आपे से बाहर हो जाती और उस युवक को खूब खरीखोटी सुनाती. यशोदा अब ऐसे अधेड़ की तलाश में रहने लगी जो उस की कामनाओं को पार लगाए साथ ही आर्थिक मदद भी करे. उस के घर आनेजाने पर किसी को शक भी न हो और उस की इज्जत भी बरकरार रहे. उन्हीं दिनों एक रोज रामनिवास शर्मा यशोदा के घर आया. वह पड़ोस के गांव बिठौना का रहने वाला था. 40 वर्षीय रामनिवास रिश्ते में यशोदा का जेठ लगता था. वह अभी तक अविवाहित था. पेशे से वह भी किसान था. उस के पास 15-20 बीघा जमीन थी. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. शरीर से वह तंदुरुस्त था.

यशोदा का पति संजय शर्मा व रामनिवास रिश्ते में चचेरे भाई थे. बीमार चल रहे छोटे भाई संजय का हालचाल लेने ही रामनिवास उस के घर आया था. उस रोज दोनों भाइयों के बीच खूब बातें हुईं. यशोदा ने भी जेठ की खूब खातिरदारी की. यशोदा की खातिरदारी से रामनिवास खूब गदगद हुआ. उस ने खुशी जाहिर करते हुए यशोदा के हाथ पर चंद नोट रखे, जिन्हें यशोदा ने नानुकुर के बाद स्वीकार कर लिए.

इस के बाद रामनिवास बीमार भाई को देखने के बहाने अकसर यशोदा के घर आने लगा. घर आतेजाते ही रामनिवास की नजर छोटे भाई संजय की पत्नी यशोदा पर पड़ी. यशोदा रामनिवास से परदा करती थी. घूंघट के भीतर वह उसे हूर की परी लगती थी. रामनिवास यशोदा को मन ही मन चाहने लगा और उसे अपना बनाने के लिए जुगत भिड़ाने लगा. अब रामनिवास जब भी आता, यशोदा को रिझाने के लिए कोई न कोई सामान जरूर लाता. वह उस से खूब बतियाता और उस के रूप तथा व्यवहार की तारीफ करता. धीरेधीरे यशोदा को भी जेठ की बातों में रस आने लगा. घूंघट के भीतर वह तिरछी नजरों से जेठ को देखती और उस की रसभरी बातों का उसी अंदाज में जवाब देती.

कहते हैं मर्द की नजर को कोई भी औरत बहुत जल्दी भांप लेती है. यशोदा भी भांप गई थी कि जेठ रामनिवास की नजर में खोट है. उस की नजरें सदैव उस के जिस्म पर गड़ी रहती हैं. वह उस के जिस्म को पाने के लिए बेताब है. इसलिए वह उसे ललचाई नजरों से देखता है. उस से रसभरी बातें करता है और तोहफे लाता है.

ऐसे ढह गई रिश्तों की दीवार

एक रोज परखने के लिए यशोदा बोली, ”जेठजी, आप जब भी आते हैं, मेरे आगेपीछे घूमते रहते हैं. मुझ से मीठीमीठी बातें करने का प्रयास करते हैं. मेरे रूप की भी तारीफ करते हो और मेरे लिए तोहफे भी लाते हो. आखिर आप मुझ से चाहते क्या हो?’’

”मैं तुम्हें चाहने लगा हूं यशोदा और तुम्हें अपना बनाना चाहता हूं. तुम्हारे बिना अब मेरा जीवन अधूरा है. तुम ने मेरा प्यार स्वीकार न किया तो मैं तड़पता रहूंगा.’’ आखिर रामनिवास की दिल की बात जुबान पर आ ही गई.

जेठ रामनिवास की बात सुन कर यशोदा मन ही मन खुश हुई. लेकिन दिखावे के तौर पर बोली, ”जेठजी, आप यह क्या कह रहे हैं. मैं आप की बहू हूं. लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे. नहींनहीं, यह अनर्थ है.’’

”मैं कुछ नहीं जानता. मैं तो तुम्हें अपनी घरवाली बनाना चाहता हूं और वो सुख देना चाहता हूं, जो मेरा भाई संजय तुम्हें अभी तक नहीं दे पाया. वैसे भी हम दोनों का दर्द एक समान है. तुम पति सुख से वंचित हो और मैं स्त्री सुख से. हम दोनों मिल जाएं तो जीवन में बहार आ जाएगी.’’

यशोदा तो रामनिवास जैसे ही अधेड़ पुरुष की तलाश में थी, अत: उस ने रामनिवास को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया. फैसले के बाद यशोदा ने जेठ को खुली छूट दे दी. वह उस के समक्ष अपने सुघड़ अंगों का भी प्रदर्शन करने लगी. उस ने जेठ से परदा करना भी बंद कर दिया और खुल कर बतियाने लगी. एक दोपहर रामनिवास यशोदा के घर आया तो वह घर में अकेली थी. पति संजय दवा लेने जैतपुर गया था और दोनों बेटे कालेज में थे. सूना घर पा कर रामनिवास ने यशोदा को बांहों में भर लिया और शारीरिक छेड़छाड़ करने लगा. यशोदा ने कुछ पल बनावटी विरोध किया, उस के बाद बिस्तर पर स्वयं ही सहयोग करने लगी. फिर तो उस रोज जेठबहू के रिश्ते की दीवार ढह गई. दोनों ने ही अपनी हसरतें पूरी कीं.

अवैध संबंधों का रिश्ता एक बार कायम हुआ तो वक्त के साथ बढ़ता ही गया. उन्हें जब भी मौका मिलता, एकदूसरे की बांहों में समा जाते. यशोदा ने सारी मर्यादाओं का ताक पर रख दिया और आए दिन जेठ के साथ रास रचाने लगी. वह भूल गई कि वह 2 जवान बेटों की मां है और परिवार की समाज में प्रतिष्ठा है.

यशोदा के दोनों बेटे कौशल व अनुपम, रामनिवास शर्मा को ताऊ कह कर बुलाते थे और पैर छू कर आशीर्वाद लेते थे. उन्हें पता ही नहीं था कि रिश्ते का ताऊ उन की इज्जत तारतार कर रहा है. संजय शर्मा भी बड़े भाई रामनिवास को अपना हमदर्द समझता था, इसलिए उस के आनेजाने पर कोई पाबंदी नहीं थी. संजय को भी पता नहीं था कि बड़ा भाई उस के साथ विश्वासघात कर रहा है और इज्जत का छुरा उस की पीठ में घोंप रहा है.

जब रामनिवास का उस के यहां आनाजाना बढ़ा और उस के द्वारा मदद शुरू की तो उसे उस पर शक हुआ. लेकिन यशोदा ने कोई ऐतराज नहीं जताया तो वह शांत हो गया. कहते हैं कि कोई भी गलत काम ज्यादा दिनों तक नहीं छिप सकता है. यशोदा और रामनिवास के साथ भी ऐसा ही हुआ. एक रात संजय शर्मा ने पत्नी यशोदा को रामनिवास के साथ रंगेहाथों पकड़ लिया. फिर तो उस रात घर में खूब कोहराम मचा. संजय ने रामनिवास को खूब खरीखोटी सुनाई और यशोदा की पिटाई की. मम्मी की करतूत की जानकारी बेटों को हुई तो उन्होंने शर्म से सिर झुका लिया.

इस घटना के बाद संजय व उस के बेटे कौशल ने रामनिवास के घर आने पर प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन प्रतिबंध के बावजूद यशोदा व रामनिवास का मिलन बंद नहीं हुआ. वह बहाने से घर से निकलती और पड़ोसी गांव बिठौना में रामनिवास के घर पहुंच जाती और मिलन कर वापस आ जाती. लेकिन यहां भी एक रोज हंगामा हो गया. अब तक यशोदा और रामनिवास एकदूसरे के इतने दीवाने बन गए थे कि उन्होंने शादी रचाने का निश्चय कर लिया, लेकिन शादी रचाने की भनक उन्होंने किसी को भी नहीं लगने दी. रामनिवास ने गुपचुप तरीके से शादी की पूरी तैयारी कर ली.

10 जनवरी, 2017 की दोपहर रामनिवास यशोदा को साथ ले कर गांव के बाहर स्थित शीतला माता के मंदिर पहुंचा. फिर एकदूसरे के गले में माला पहना कर शादी रचा ली. रामनिवास ने यशोदा की मांग में सिंदूर भर कर अपनी जीवनसंगिनी बना लिया. यशोदा ने भी रामनिवास को दूसरे पति के रूप में स्वीकार कर लिया. यशोदा रामनिवास की दुलहन बन कर उस के घर आई तो पूरे बिठौना गांव में चर्चाएं शुरू हो गईं. महिलाएं चटखारे ले कर बातें करतीं और हंसीठिठोली करती. शाम होतेहोते यशोदा की शादी की बात खुरियापुर गांव भी पहुंच गई. फिर तो गांव में कोलाहल मच गया.

यशोदा द्वारा दूसरा विवाह रचाने की बात संजय शर्मा के कानों में पड़ी तो उसे लगा जैसे उस के कानों में किसी ने गर्म शीशा उड़ेल दिया. वह अवाक रह गया. उस ने अपना माथा पीट लिया. उस के बेटे कौशल का भी सिर शर्म से झुक गया. दोनों कई दिनों तक घर से बाहर नहीं निकले. पत्नी यशोदा के गलत कदम से संजय शर्मा को गहरा सदमा लगा. वह बीमार पड़ गया और कुछ दिनों में ही दम तोड़ दिया. पापा की मौत से कौशल और अनुपम को बड़ा दुख हुआ. पापा की मौत का दोषी उन दोनों ने मम्मी को ही ठहराया.

नासूर बन रही थी अपमान की जिंदगी

यशोदा द्वारा दूसरी शादी रचाने से परिवार की प्रतिष्ठा धूल में मिल गई थी. कौशल का भी गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया था. गांव के लोग उस की मम्मी के चरित्र को ले कर कमेंट करते तो वह तिलमिला उठता था. इस समस्या से निपटने के लिए कौशल ने कुछ समय बाद गांव छोड़ दिया और जैतपुर कस्बा में जा कर बस गया. कस्बे में उस ने स्कूल खोल लिया और कक्षा 8 तक के बच्चों को पढ़ाने लगा. उस ने गांव की जमीन को बंटाई पर दे दिया. वहीं यशोदा पति संजय शर्मा की जायदाद से भी हिस्सा मांग रही थी.

कौशल शर्मा कस्बे में रहता जरूर था, लेकिन मम्मी की चरित्रहीनता अब भी उस का पीछा नहीं छोड़ रही थी. जब भी गांव का कोई युवक या यारदोस्त उस के सामने पड़ता, वह कमेंट जरूर करता. मम्मी की चरित्रहीनता से उस का विवाह भी नहीं हो पा रहा था. इस सब के बावजूद कौशल ने मम्मी से रिश्ता जोड़ रखा था. वह दिखावे के तौर पर मम्मी से मिलने जाता, लेकिन दिल में नफरत की चिंगारी सुलगती रहती थी.

कौशल के 2 खास दोस्त थे— रजत और बौबी. रजत कमतरी गोपालपुरा का रहने वाला था, जबकि बौबी गढ़ी रमपुरा का था. इन दोनों के मार्फत ही कौशल की 3 अन्य जैतपुरा कस्बा निवासी सतबीर, कबीर व सौरभ से दोस्ती हो गई. रविवार वाले दिन सभी साथ घूमते और पार्टी करते. कौशल अपने दोस्तों से दुखदर्द साझा करता था. एक शाम कौशल ने अपने पांचों दोस्तों को अपने घर बुलाया और अपना दर्द बयां कर मम्मी को सबक सिखाने व साथ देने के लिए कहा. चूंकि उन में गहरी दोस्ती थी, अत: वे सब कौशल का साथ देने को राजी हो गए. इस के बाद कौशल ने दोस्तों के साथ मिल कर यशोदा की हत्या की योजना बनाई.

28 जुलाई, 2025 की शाम कौशल शर्मा अपनी मम्मी यशोदा से मिलने बिठौना गांव पहुंचा. गांव के बाहर सड़क पर उसे मम्मी दिखाई पड़ी. वह मम्मी के पास पहुंचा और पूछा, ”मम्मी, तुम कहां जा रही हो?’’

यशोदा ने जवाब दिया, ”बेटा, कई दिनों से बीमार हूं. दवा लेने जैतपुर कस्बे जा रही थी. टैंपो के इंतजार में खड़ी हूं.’’

”मम्मी, तुम बाइक पर बैठो. मैं तुम्हें इटावा के अच्छे डाक्टर को दिखाऊंगा. उस की दवा से तुम जल्दी ठीक हो जाओगी. फिर बारबार बीमार नहीं पड़ोगी.’’

यशोदा कौशल की चाल को समझ नहीं सकी और उस की बाइक पर बैठ कर चल दी. कुछ दूर जा कर कौशल ने बाइक रोकी और दोस्त सौरभ से फोन पर बात की, ”सौरभ, तुम अपनी कार से दोस्तों को साथ ले कर यमुना नदी के खंदिया पुल पर आ जाओ. मम्मी मेरे साथ में है.’’

सौरभ समझ गया कि कौशल मम्मी को सबक सिखाने ले गया है. अत: सौरभ ने अपनी स्कौर्पियो कार यूपी75एक्यू0876 निकाली फिर दोस्त रजत, बौबी, सतबीर व कबीर को कार में बिठा कर बलरई कस्बे की ओर चल पड़ा. लगभग एक घंटे बाद वह खंदई पुल पहुंच गया. खंदई पुल पर कौशल व उस की मम्मी यशोदा पहले से मौजूद थी. इशारा पा कर रजत व बौबी ने यशोदा को कार में बिठा लिया फिर कार धीमी गति से बढ़ा दी. कार के पीछे बाइक से कौशल चल रहा था. लगभग एक किलोमीटर दूर जा कर रजत व बौबी ने यशोदा को कार से सड़क पर फेंक दिया, फिर कार से कुचल कर मार डाला.

हत्या करने के बाद शव को खंदिया पुल के पास सड़क किनारे फेंक दिया. कौशल ने मम्मी के मोबाइल फोन को कूंच कर जला दिया. उस के बाद सड़क के रास्ते सभी फरार हो गए. इधर दवा लेने गई यशोदा देवी रात 10 बजे तक वापस घर नहीं आई तो रामनिवास को चिंता हुई. उस ने यशोदा को काल लगाई तो उस का फोन बंद था. दूसरे रोज रामनिवास पत्नी यशोदा की गुमशुदगी दर्ज कराने थाना जैतपुर गया तो वहां बलरई थाना क्षेत्र के खंदिया पुल के पास सड़क किनारे अज्ञात महिला की लाश पाए जाने की जानकारी हुई.

तब रामनिवास थाना बलरई पहुंचा और मोर्चरी में रखी महिला की लाश को अपनी पत्नी यशोदा के रूप में शिनाख्त की. उस ने हत्या की आशंका जताई तो पुलिस ने गंभीरता से जांच कर हत्या का खुलासा किया और आरोपियों को गिरफ्तार किया. 4 अगस्त, 2025 को पुलिस ने आरोपी कौशल शर्मा, रजत व बौबी को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. कथा  संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. फरार आरोपी सतबीर, कबीर व सौरभ की तलाश में पुलिस जुटी थी. UP Crime News

 

 

Love Story in Hindi : बेटी का मर्डर कर टू पीस पहन नाची मां

Love Story in Hindi : बार डांसर रोशनी खान उर्फ नाज 7 वर्षीय बेटी के पेट पर खड़े हो कर तब तक कूदती रही, जब तक बेटी के मुंह से खून नहीं निकल गया. इस के बाद उस ने लिवइन पार्टनर उदित जायसवाल के साथ शराब की पार्टी कर टू पीस कपड़ों में मदमस्त डांस किया. आखिर एक मां इतनी क्रूर क्यों हो गई? क्यों किया उस ने इकलौती बेटी का मर्डर? पढ़ें, लव क्राइम की यह सनसनीखेज कहानी.

बात 13 जुलाई, 2025 की है. शाम का वक्त था. बार डांसर रोशनी खान क्लब में थी. 2 आइटम सांग पर डांस पेश करने के बाद वह ड्रेसिंग रूम में आ गई थी. उस के बाद दूसरी डांसर की बारी थी. रोशनी ने अपना मोबाइल औन किया. उस पर 8 मिस काल थे. सभी काल उदित के थे. 2 वाट्सऐप मैसेज भी थे. पहले उस ने मैसेज पढ़ा, जिस में लिखा था, ”फ्री हो कर काल करना!’’

अगले मैसेज में लव के 3 इमोजी थे. इमोजी की संख्या देख कर ही रोशनी समझ गई कि उदित के दिमाग में क्या है? अभी वह कालबैक करने की सोच ही रही थी, तभी उदित की फिर से काल आ गई.

रोशनी ने 2 रिंग में ही काल रिसीव करते हुए कहा, ”हां, बोलो डार्लिंग!’’

”तुम्हारा आइटम हो चुका हो तो बोलो, आ जाऊं?’’

”अभी 10 मिनट बाद एक और होगा. फिर मैं फ्री हो जाऊंगी.’’

”ठीक है, अरे यार! मैं ने आज तुम्हारे लिए खास इंतजाम किए हैं. महंगी विदेशी वाइन की बोतल खरीदी है.’’ उदित बोला.

”आज पूरे मूड में लग रहे हो!’’ रोशनी मजे लेती हुई बोली.

”ऐसा ही समझो मेरी छम्मकछल्लो, आज घर पर ही तुम्हारा बार डांस होगा. वह भी सिर्फ मेरे लिए.’’ उदित बोला.

”नोट की गड्डियां भी उड़ाओ तब जानूं!’’ रोशनी मजाक के अंदाज में बोली.

”वह भी होगा, लेकिन तुम्हारी लाडली सायनारा सो जाएगी, तभी तो बात बनेगी. असली बार डांस का मजा आएगा.’’ उदित चिंता जताते हुए बोला.

”उस की फिक्र मत करो, उसे मैं सुला दूंगी. वैसे भी साढ़े 9 बजतेबजते वह सो जाती है. नहीं सोई तो उसे भी खांसी वाली सिरप में एकाध चम्मच वाइन मिला कर पिला दूंगी.’’

”मतलब तुम्हारा भी आज जश्न मनाने का पूरा इरादा है.’’ उदित बोला.

”अच्छा, अब फोन रखती हूं. मेरे शो का टाइम होने वाला है. तुम 15 मिनट बाद क्लब के बाहर मिलो.’’ रोशनी ने कहते हुए फोन कट कर दिया.

रात के 10 बजे रोशनी कैसरबाग के खंदारी बाजार स्थित अपने फ्लैट में उदित के साथ पहुंच गई थी. अपने साथ ले कर गई चाबी से बाहर का दरवाजा खोल लिया था. भीतर एक कमरे में उस की बेटी सायनारा सो रही थी. मात्र 7 साल की सायनारा काफी समझदारी से फ्लैट का दरवाजा भीतर चाबी से बंद रखती थी. दूसरी चाबी रोशनी हमेशा अपने पास रखती थी, ताकि जब चाहे वह दरवाजा खोल कर आनाजाना कर सके. उदित दबेपांव दूसरे कमरे में चला गया, जहां कभी रोशनी का पति शाहरुख हुआ करता था. रोशनी बाथरूम में अपना मेकअप उतारने के बाद कुछ मिनटों बाद वहीं आ गई थी. उदित बेड पर अधलेटा था. उस का चेहरा दरवाजे की तरफ था. दरवाजे से रोशनी आती दिखी.

उस के अस्तव्यस्त कपड़ों से झांकते यौवन की सराहना करते हुए वह बोल पड़ा, ”आज तो तुम गजब ढा रही हो!’’

जैसे ही रोशनी उस के बैड के पास आई, उदित ने उसे खींच लिया. वह धम्म से उस के फैलेपसरे बदन पर जा गिरी. उस के संभलने से पहले ही उदित ने बाहों में जकड़ लिया. भींच लिया. रोशनी ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया. कुछ पल में उदित उसे बेतहाशा चूमने लगा था. रोशनी का साथ मिलने पर वह और भी वासना से भर चुका था. वासना की चिंगारी तो रोशनी के बदन में भी सुलग चुकी थी. उस की ज्वाला मानो भड़कने ही वाली थी. उन की तंद्रा तब अचानक भंग हो गई, जब दरवाजे की कुंडी के जोर से खटखटाने की आवाज सुनाई दी.

रोशनी ने चौंक कर बैड से ही दरवाजे की ओर सिर घुमा कर देखा. उस की नजर बेटी सायनारा पर गई. वह कह रही थी, ”अम्मी! क्या कर रहे हो? मैं अब्बू से शिकायत करूंगी.’’

रोशनी अपने कपड़ों को ठीक करती हुई दरवाजे पर खड़ी सायनारा के पास आ कर बोली, ”सायनारा, बेटा तुम ने खाना खाया? …मैं तुम्हारी पसंद की सब्जी पका कर गई थी.’’

सायनारा जब कुछ नहीं बोली, तब रोशनी ने प्यार से उस के सिर पर हाथ रख सहलाने लगी थी. अम्मी के दुलार भरे हाथ को सायनारा ने झटके में हटा दिया. वह गुस्से में थी. एक सुर में बोलने लगी, ”तुम गंदी हो, सब अब्बू को बताऊंगी. तुम्हारे बारे में कहूंगी…तुम बहुत गंदी अम्मी हो.’’

रोशनी उसे समझाने की कोशिश कर रही थी. दूसरीदूसरी बातों में उलझाने की कोशिश कर रही थी, जबकि सायनारा एक ही रट ‘शिकायत’ करने की लगाए हुए थी. उस की रट से रोशनी घबरा गई. किसी तरह से उसे मनाने की कोशिश की. कोई असर होता नहीं देख, रोशनी ने आपा खो दिया. गुस्से में 2-3 जोरदार थप्पड़ बेटी के गालों पर जड़ दिया. झन्नाटेदार थप्पड़ खा कर सायनारा रोने लगी. बिफरती हुई अपने कमरे की ओर भागती हुई फिर वही रट लगाने लगी, ”बोलूंगी… बोलूंगी…बोलंूगी…तुम दोनों की शिकायत करूंगी…’’

”ये ले…तू रहेगी तब न बोलेगी, अब्बू की चमची!’’

रोशनी ने बेटी सायनारा को फर्श पर गिरा दिया. इस के बाद उस के पेट पर खड़ी हो कर कूदने लगी. बेटी चीखती रही, लेकिन रोशनी का दिल नहीं पसीजा. सायनारा के मुंह से खून निकलनेलगा. इस के बाद रोशनी ने दोनों हाथों से बेटा का गला घोंट दिया. कुछ सेकेंड में ही सायनारा का शरीर ढीला पड़ गया था यानी उस की मौत हो गई थी. तब तक बैड पर तमाशबीन बना उदित उन के पास आ गया. सायनारा की हालत देख कर वह भी घबरा गया. उस की नाक के पास अपनी अंगुली ले गया. नब्ज देखने के बाद सहसा बोल पड़ा, ”ये तूने तो गजब कर डाला? अब क्या करें?’’

 

सामने पड़ी सायनारा को देख कर उदित की आंखें फैल गई थीं.

”घबराने की कोई जरूरत नहीं है. वह इस दुनिया से अलविदा हो चुकी है…अब आगे जो करूंगी, उसे सुन कर तुम्हारी बांछें खिल जाएंगीं.’’ रोशनी आंखें नचाती हुई बोली.

”अच्छा! मैं भी तो सुनूं तुम्हारी आगे की प्लानिंग.’’ उदित बोला.

”कान इधर लाओ.’’ उदित रोशनी की योजना जानने के लिए उस के काफी करीब आ गया.

उस के बाद रोशनी ने जो कुछ बताया, सुनते ही उदित ने उसे गले से लगा लिया. फिर बेतहाशा चूमने लगा. अलग होने के बाद बोला, ”तो फिर क्यों न हो जाए डांस पार्टी!’’

”जरूर, डार्लिंग जरूर… आज तो मैं तुम्हारे लिए केवल टू पीस पहन कर डांस करूंगी. पहले इसे ठिकाने लगाने में मेरी मदद करो.’’

क्लब और होटलों की बार डांसर रोशनी के माथे पर बेटी के मौत की शिकन तक नहीं थी. चेहरे पर नाम मात्र का भी गम नहीं था. उस ने डबल बैड की आधी खाली जगह में सायनारा की लाश ठूंस दी. उस के बाद उदित और रोशनी वहीं तेज म्यूजिक की धुन में जश्न मनाने में मग्न हो गए. रोशनी डांस करने लगी. उदित शराब का पैग बनाने लगा. एकदो पैग रोशनी को भी पिलाए. उन्होंने छक कर शराब पी. थोड़ी देर में ही रोशनी का टू पीस डांस और उदित की मस्ती का काकटेल बन गया था. मस्ती में डूबे दोनों ने वासना में उसी बैड पर गोते लगाए, जिस में सायनारा की लाश थी.

उस के बाद दोनों सुबह होने से पहले ही वहां से फरार हो गए. एक दिन बाद 14-15 जुलाई की रात 3 बजे रोशनी ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन घुमाया. पुलिस से झूठी कहानी गढ़ दी. बताया कि उस के पति शाहरुख खान ने उस की बेटी की हत्या कर दी है. इस शिकायत की उस ने पहले ही योजना बना ली थी. इस के पीछे उस की मंशा शाहरुख को जेल भिजवाने की थी. सूचना पाते ही लखनऊ के थाना कैसरबाग की पुलिस 15 जुलाई की सुबह खंदारी बाग बाजार लेन की रहने वाली रोशनी खान उर्फ नाज के फ्लैट के बारे में पता लगाया.

उस के फ्लैट पर पहुंच कर पुलिस टीम ने पाया कि उस के एक कमरे से सड़ांध आ रही है. दुर्गंध बैड के पास अधिक तेज थी. पुलिस टीम ने बैड खोला तो वहां 7 साल की लड़की की लाश पड़ी थी. उस में सडऩ शुरू हो चुकी थी. कुछ कीड़े भी रेंग रहे थे. पासपड़ोसियों से उस फ्लैट में रहने वालों के बारे में मालूम करने पर रोशनी और उदित जायसवाल के बारे में पता चला. दोनों पिछले कुछ महीने से लिवइन में रह रहे थे, जबकि रोशनी शादीशुदा थी. उस का पति शाहरुख खान 2 माह पहले ही वहां से जा चुका था. वे दोनों 13 जुलाई, 2025 को ही दिखाई दिए थे. उस के बाद से घर में ताला लगा था.

इस मामले की जांच की शुरुआत एसआई ऋषिकेश राय ने की थी. उन्होंने इस की जानकारी थाना कैसरबाग के एसएचओ अश्विनी कुमार मिश्रा को दी. एसएचओ ने डीसीपी विश्वजीत श्रीवास्तव, एडिशनल डीसीपी धनंजय कुमार सिंह और एसीपी रत्नेश सिंह को भी इस वारदात से अवगत करवा दिया. उन के साथ पुलिस टीम में एसआई रामकेश सिंह, प्रशांत कुमार, विशाल सिंह, सीमा यादव, लेडी कांस्टेबल राधा यादव और रूबी थीं. मामले की जांच करने पहुंची पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की. इलाके के दुकानदार इस घटना के बारे में सुन कर चौंक गए. पुलिस जांच की काररवाई के दौरान शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

कमरे के माहौल को देख कर पुलिस ने सहज अंदाजा लगा लिया कि वारदात की रात वहां शराब पार्टी हुई होगी. घटना के पहलू को जानने के लिए फोरैंसिक टीम की मदद ली गई. जांच में आगे की काररवाई सीसीटीवी फुटेज से की गई. पाया गया कि रोशनी 13-14 जुलाई की आधी रात में ही अपने प्रेमी उदित जायसवाल के साथ फरार हो गई थी. तभी से उस के मकान में ताला लगा था. दोनों की तलाश में पुलिस जुट गई थी. मौके पर सर्विलांस और फोन काल्स का मिलान किया गया. उस से पता चला कि रोशनी हुसैनगंज के एक होटल में है.

पुलिस ने दबिश दी. 16 जुलाई, 2025 को ही रोशनी पुलिस की हिरासत में ले ली गई. सख्ती से पूछताछ की तो उस ने हत्या करना स्वीकर कर लिया कि बेटी सायनारा की हत्या उसी ने की थी. इस की पुष्टि सायनारा के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी हो गई. उसी रोज उस का प्रेमी उदित जायसवाल भी गिरफ्तार कर लिया गया. रोशनी पर दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक वह बार डांसर का काम करती थी. रोशनी उर्फ नाज शहर की पौश कालोनी थाना कैसरबाग स्थित खंदारी बाग की रहने वाली थी. वहीं उस का फ्लैट नंबर 119/52 चौथे तल पर है. उस ने ही अपनी मासूम बेटी का कत्ल किया था.

शाहरुख से शादी, उदित से प्यार और दिल दहला देने वाली एक कातिल मां की क्राइम स्टोरी काफी रोमांच से भरी हुई है. साथ ही इस कहानी में कई सवाल भी हैं कि पति को छोड़ कर प्रेमी उदित के संपर्क में वह कैसे आई? शाहरुख खान और रोशनी के रिश्ते किस कारण बिगड़ गए? इन सवालों का परतदरपरत खुलासा उस के बयानों से हुआ. वह सनसनीखेज कहानी इस प्रकार है—

रोशनी का निकाह लखनऊ के कैसरबाग के खंदारी बाग इलाके में रहने वाले शाहरुख खान से लगभग 10 साल पहले हुआ था. दोनों पारंपरिक मुसलिम समाज के मध्यमवर्गीय परिवार से थे. हालांकि दोनों ने शादी से पहले एकदूसरे को एक पार्टी के दौरान पसंद किया था. उस के बाद ही उन के फेमिली वालों की सहमति से दोनों का निकाह हुआ था. दोनों का दांपत्य जीवन सही तरह से शुरू हुआ. शाहरुख जहां सामाजिक और पारिवारिक बंधनों में बंधा मेहनतकश युवक था, जबकि रोशनी एक अतिमहत्त्वाकांक्षी युवती थी. वह कुछ नया और अपने मन का करने के सपने देखती थी.

वह आधुनिक जीवनशैली में जीने की तमन्ना रखती थी. सुंदर थी. ग्लैमर से लबालब थी. वैसा ही बने रहने की चाहत थी. इस के लिए उस ने ब्यूटीशियन का काम सीख लिया था. उसे डांस करने का भी शौक था. वह डांस सीखने के बाद बौलीवुड अभिनेत्री बनना चाहती थी. दूसरी तरफ शाहरुख को इन सब में कोई दिलचस्पी नहीं थी. जल्द ही दोनों के विरोधाभासी विचार आपस में टकराने लगे. दांपत्य जीवन में खटपट होने लगी. बातबात पर मतभेद होने लगा. इसी बीच रोशनी एक बेटी की मां बन गई, जिस का नाम सायनारा रखा. जैसेजैसे बेटी बड़ी होती चली गई, वैसेवैसे उन के बीच झगड़े बढऩे लगे.

रोशनी शादी से पहले पढ़लिख कर नौकरी करना चाहती थी. ऐसा नहीं होने पर वह अपने करिअर को ले कर काफी चिंतित रहने लगी थी. आत्मनिर्भर बनने की इच्छा थी. वह सशक्त महिला कहलाना चाहती थी. उस ने लखनऊ में ही ब्यूटीशियन का कोर्स कर रखा था. साथ ही वह मौडलिंग करना भी चाहती थी. अपनी उमंगों को उड़ान देने के लिए समय के अनुकूल अवसर की तलाश में लगी रहती थी. उस के स्वभाव और दिली तमन्ना के अनुसार उसे अच्छे हमसफर की तलाश बनी हुई थी. वह अपनी महत्त्वाकांक्षी भावनाओं को पंख देना चाहती थी. उस के सहारे अपने सपने को साकार करना चाहती थी. वह सब नहीं होने के कारण घुटन महसूस किया करती थी.

उदित से मिलते ही पति से काटी कन्नी

उस ने ब्यूटीशियन और मौडलिंग के साथसाथ डांसर का कोर्स करने के लिए अकेली दिल्ली जाने का मन बना लिया. लखनऊ में उस के अम्मीअब्बू की काफी अच्छी हैसियत थी. रुपएपैसों की कमी नहीं थी. अच्छीखासी प्रौपर्टी होने के कारण आमदनी अच्छी होती थी. उसे एक अखबार में डांसर की ट्रेनिंग सेंटर के विज्ञापन से उस का पता मिल गया था. फिर क्या था, अपने रिश्ते की खाला के बेटे मोहसिन को साथ ले कर दिल्ली चली गई. वहां उस ने 2 साल तक मौडलिंग व डांसिंग की ट्रेनिंग ली. वहां का खर्च चलाने के लिए पार्टटाइम एक बार में नौकरी भी कर ली. वहां रह कर उस ने बार के तौरतरीके सीखे. उस समय वह 26 साल की हो चुकी थी.

शादी के बाद शाहरुख खान उस का नाम भर का पति था. वैसे सीधेसरल स्वभाव का शाहरुख भी रोशनी की आदतों से खुश नहीं था. वह अपने पेरेंट्स के साथ परिवार में खुश था. उस ने यह कभी जाना ही नहीं कि पत्नी सुख क्या होता है. उस का रोशनी से संबंध महज दैहिक सुख की खानापूर्ति के लिए ही था. वह रोशनी के दबाव में रहता था. उस के कहने पर ही शाहरुख रातें एक कमरे में गुजरती थीं. उस के बाद वह सास परवीन द्वारा बनाए गए फ्लैट पर चली जाती थी.

रोशनी को दिल्ली में एक ऐसे युवक की तलाश थी, जो उस के इशारे को समझते हुए उस की सभी बातों को माने. जिस बार में वह काम करती थी, वहां आनेजाने वाले युवकों पर उस की निगाह जमी रहती थी. उन में से ही किसी को अपने मनमुताबिक हमसफर की तलाश में लगी हुई थी. धीरेधीरे समय बीतता रहा. डांसिंग कोर्स पूरा होने का समय आ गया. वह लखनऊ वापसी की तैयारी में जुट गई. दरअसल, उस की नजर ससुराल में करोड़ों की प्रौपर्टी पर भी थी. लखनऊ वापस आने के बाद रोशनी ने जल्द ही एक बार में डांसर का काम ढूंढ लिया. अपने भरपूर यौवन और सुंदरता का डांस शो जबरदस्त प्रदर्शन किया. जल्द ही वह लोकप्रिय हो गई. अच्छा पैसा भी मिलने लगा. इसी दौरान उस ने लखनऊ में एक बड़ा ब्यूटीपार्लर ट्रेनिंग सेंटर खोलने का मन बनाया.

जब उस के पति को बार में नौकरी के बारे में मालूम हुआ, तब उस ने इस पर आपत्ति जताई. इसे ले कर रोशनी के साथ आए दिन विवाद होने लगा. इस बीच रोशनी ने एक बेटी को जन्म दिया. कुछ दिनों बाद वह फिर से डांस बार में सक्रिय हो गई. एक दिन अचानक उस की मुलाकात एक ऐसे युवक से हो गई, जिस की उसे वर्षों से तलाश थी. वह लखनऊ का उदित जायसवाल था. लखनऊ के उदयगंज पीपलपानी का रहने वाला उदित रुपएपैसे से उस की मदद करता था और हमेशा आत्मनिर्भर बनने का पाठ पढ़ाता रहता था. पति के विरोध के बावजूद रोशनी उदित से मिलने उदयगंज स्थित कंपनी के कार्यालय पर जानेआने लगी थी.

जब भी उदित को मौका मिलता, वह रोशनी को फोन कर के अपने पास बुला लेता था. दोनों के बीच पनपा प्रेम कितना अथाह था, नहीं कहा जा सकता. लेकिन रोशनी ने उदित से अपनी शादी का राज काफी दिनों तक छिपाए रखा. किंतु जब उस ने सायनारा को देखा, तब उसे पता चला कि सायनारा रोशनी की बेटी है और उस की पति से अनबन रहती है. उदित के पूछने पर रोशनी ने बताया कि वह खंदारी बाग में अपने अपार्टमेंट में अपने पति से अलग रहती है और उस का तलाक व संपत्ति को ले कर पति से मुकदमा चल रहा है. यह जानकारी उस के लिए राहत भरी थी. फिर उदित रोशनी से मिलने घर आने लगा.

उस के बाद रोशनी पति से और रूखा व्यवहार करने लगी. उधर पत्नी की ऊटपटांग हरकतों और बार में नौकरी करने को ले कर शाहरुख परेशान रहने लगा. घर में वह घंटों मोबाइल में उलझी रहती थी. बेटी की देखभाल भी उसे ही करनी होती थी. यह बात शाहरुख को काफी अखरने लगा था. शाहरुख पारिवारिक और सामाजिक मर्यादाओं में बंध कर रह गया था. उसे अपनी बेटी के जीवन और भविष्य की चिंता सताने लगी थी. धीरेधीरे वह 6 साल से अधिक की हो गई थी.

रोशनी का बाहरी युवकों से आए दिन संपर्क होने के कारण घर में कलह का वातावरण बन चुका था. मई 2025 में शाहरुख का रोशनी के साथ खूब झगड़ा हुआ. गुस्से में वह उसे छोड़ कर कहीं और रहने लगा. इस का फायदा उस ने लंबे समय से प्रेम में बंधे प्रेमी उदित जायसवाल को ले कर उठाया. वह उदित को अपने घर पर बेरोकटोक बुलाने लगी. उदित उस का एक तरह से लिवइन पार्टनर बन चुका था. वहीं रोशनी की बेटी सायनारा भी रहती थी. रात को सायनारा के सोने के बाद रोशनी और उदित रंगरलियां मनाते थे. रोशनी प्रेमी के सहयोग से ब्यूटीपार्लर खोलने की कोशिश में थी.

जल्द ही रोशनी को इस में सफलता मिल गई. उदित के सहयोग से उस ने उदयगंज लेन में एक ब्यूटीपार्लर खोल लिया. एक तरफ शाहरुख की जिंदगी उजड़ रही थी तो दूसरी तरफ रोशनी और उदित अपनी तरक्की की राह पकड़े हुए थे. 13-14 जुलाई, 2025 की रात  तीनों के लिए काल बन कर आई. शाहरुख अपने घर में बेचैनी भरी करवटें बदल रहा था, जबकि उदित और रोशनी अय्याशी में डूबे थे. इन सब से बेखबर 7 साल की सायनारा अपने कमरे में सो रही थी. अचानक घर में हुई खटपट से उस की नींद खुल गई. उस ने पाया बगल के कमरे में बत्ती जल रही है. जब वह वहां दरवाजे पर पहुंची तो वहां का नजारा देख कर चौंक गई.

उसे दरवाजे पर आया देख कर रोशनी भी चौंक गई. उस के आने से उस की वासना में खलल आ गई थी. उस ने वहां पर आपत्ति जताई. इस का जब सायनारा ने विरोध किया, तब रोशनी गुस्से में आ गई और गला दबा कर उसे मार डाला. खुद को बचाने के लिए वह सायनारा के पेट पर खड़ी हो गई, ताकि उस के मुंह से खून निकल आए. थोड़ी देर तक मासूम बच्ची दर्द से तड़पती रही. जब उस के प्राणपखेरू उड़ गए, तब रोशनी और उस के प्रेमी उदित ने शव को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. सफलता नहीं मिलने पर पकड़े जाने के डर से दोनों भयभीत हो गए. दोनों ने सबूत मिटाने शुरू किए और अपने मोबाइल सिमों को निकाल कर फेंक दिया.

मोबाइल सेट 8 हजार रुपए में एक दुकान पर जा कर बेच दिया, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया. रोशनी ने अगले रोज इस की सूचना पुलिस को दे कर इस का दोष पति शाहरुख पर मढ़ दिया. इस आरोप को पुलिस ने जांच के बाद खारिज कर दिया. रोशनी और उदित के द्वारा दिए गए अलगअलग बयानों में पुलिस ने विरोधाभास पाया. जांच में पुलिस ने पाया कि अप्रैल 2025 में रोशनी के ससुराल पक्ष से संपत्ति विवाद के कारण रोशनी के जेठ सलमान, सास परवीन और 2 ननदों के खिलाफ थाना कैसरबाग में रेप का मुकदमा रजिस्टर हुआ था, जिस में वे सभी जेल भेज दिए गए थे. इसी विवाद के चलते रोशनी का पति शाहरुख खान अमीनाबाद स्थित अपनी एक रिश्तेदारी में जा कर रहने लगा था. तब से वह अलग रह रहा था.

इंसपेक्टर अश्विनी कुमार मिश्रा के निर्देशन में कैसरबाग पुलिस द्वारा सायनारा की हत्या के आरोप में रोशनी व उदित जायसवाल के खिलाफ धारा-103(1) बीएनएस के अंतर्गत 15 जुलाई, 2025 को मुकदमा दर्ज करने के बाद उदित जायसवाल और रोशनी खान को जेल भेजने के लिए न्यायालय में पेश किया गया, जहां उन्हें दिनांक 16 जुलाई, 2025 को पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. Love Story in Hindi

कथा लिखे जाने तक मामले की विवेचना चल रही थी.

 

 

Hindi Story : ये तन मांगे मोर

Hindi Story : कुछ महिलाएं अपने घमंडी व जिद्दी स्वभाव की वजह से अपनी गृहस्थी में खुद ही आग लगा लेती हैं. 2 बच्चों की मां लता चौहान भी ऐसी ही थी. लड़झगड़ कर पति को घर से भगाने के बाद उस ने भांजे अंकित के साथ अवैध संबंध बना लिए. इस के बाद उस ने…

19 वर्षीया काजल उस समय बेचैन हो कर अपने घर में टहल रही थी. वह बारबार अपने रो रहे छोटे भाई शिवम को चुप कराती थी, मगर शिवम बारबार मां को याद कर के रोने लगता था. हरिद्वार जिले के गांव हेतमपुर की रहने वाली काजल व शिवम की मां लता चौहान (38) गत शाम को पास के ही कस्बे बहादराबाद में सब्जी खरीदने के लिए घर से निकली थी, मगर आज तक वह वापस घर नहीं लौटी थी. उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ आ रहा था. मां के वापस न लौटने व मोबाइल के स्विच्ड औफ होने से काजल व शिवम का रोरो कर बुरा हाल हो रहा था.

दोनों भाईबहन पिछली शाम से ही अपने सभी रिश्तेदारों को फोन कर कर के अपनी मां के बारे में जानकारी कर रहे थे, मगर उन की मां के बारे में सभी रिश्तेदारों ने मोबाइल पर अनभिज्ञता जताई. इस के बाद सूचना पा कर कुछ रिश्तेदारों व कुछ पड़ोसियों का भी उन के घर पर आना शुरू हो गया था. सभी दोनों भाईबहन को दिलासा दे कर चले जाते. इसी प्रकार 3 दिन बीत गए थे तथा काजल व शिवम को अपनी मां के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिली. इस के बाद अब उन के रिश्तेदार काजल पर लता की गुमशुदगी थाने में दर्ज कराने पर जोर देने लगे. लेकिन थाने जाने के नाम से काजल को एक अंजाना सा डर लग रहा था.

वह 14 जून, 2021 का दिन था. आखिर उस दिन काजल थाना सिडकुल पहुंच ही गई. वह थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला से मिली और उन्हें अपनी मां लता चौहान के गत 4 दिनों से लापता होने की जानकारी दी. जब थानाप्रभारी बुटोला ने काजल से उस के पिता के बारे में पूछा तो काजल ने बताया, ‘‘सर पिछले 2-3 सालों से मेरे पिता चंदन सिंह नेगी व मां लता चौहान के बीच अनबन चल रही है. मेरे पिता फरीदाबाद (हरियाणा) में रह कर ड्राइवरी करते हैं. यहां पर 2 साल पहले मेरे फुफेरे भाई अंकित चौहान ने हमें एक मकान खरीद कर दिया था. इस मकान में हम तीनों रहते हैं. घर से चलते समय मेरी मां हरे रंग का सूट सलवार व पैरों में सैंडिल पहने थी.’’

इस के बाद काजल ने मां का मोबाइल नंबर भी थानाप्रभारी बुटोला को नोट करा दिया. इस के बाद काजल वापस घर आ गई. काजल की तहरीर पर थानाप्रभारी बुटोला ने लता की गुमशुदगी दर्ज कर ली और इस केस की जांच एसआई अमित भट्ट को सौंप दी. लता की गुमशुदगी का केस हाथ में आते ही अमित भट्ट सक्रिय हो गए. उन्होंने सब से पहले लता के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए साइबर थाने से संपर्क किया था और थाने के 2 सिपाहियों को लता चौहान की डिटेल्स का पता करने के लिए सादे कपड़ों में गांव हेतमपुर में तैनात कर दिया. उसी दिन शाम को थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला ने लता की गुमशुदगी की सूचना एएसपी डा. विशाखा अशोक भडाने व एसपी (सिटी) कमलेश उपाध्याय को दी.

2 दिनों में पुलिस को लता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स मिल गई थी. काल डिटेल्स के अनुसार 10 जून, 2021 की शाम को लता चौहान व उस के भांजे अंकित चौहान की लोकेशन हेतमपुर से सलेमपुर की गंगनहर तक एक साथ थी. इस से पहले दोनों में बातें भी हुई थीं. इस के अलावा लता के मोबाइल पर अंतिम काल अंकित चौहान के ही मोबाइल से आई थी. इस के कुछ समय बाद लता चौहान व अंकित चौहान की लोकेशन भी अलगअलग हो गई थी. काल डिटेल्स की यह जानकारी तुरंत ही थानाप्रभारी ने एसपी (सिटी) कमलेश उपाध्याय को दी. इस के बाद उपाध्याय ने थानाप्रभारी बुटोला व एसआई अमित भट्ट को अंकित चौहान से पूछताछ करने के निर्देश दिए. बुटोला व भट्ट ने जब अंकित चौहान से संपर्क करने का प्रयास किया, तो उस का मोबाइल स्विच्ड औफ मिला.

पुलिस ने जब अंकित चौहान के बारे में जानकारी की तो पता चला कि वह लता का सगा भांजा था. अंकित मूलरूप से बिजनौर जिले के गांव मानपुर शिवपुरी का रहने वाला था. अंकित एमएससी करने के बाद किसी अच्छी नौकरी की तलाश में था. 3 साल पहले जब लता के अपने पति से संबंध बिगड़ गए थे, तब से अंकित की लता से नजदीकियां बढ़ गई थीं. इस दौरान अंकित लता व उस के दोनों बच्चों का पूरापूरा खयाल रखता था. लता के रहनेखाने से ले कर वह उन्हें हर चीज मुहैया कराता था. यह जानकारी प्राप्त होने पर बुटोला व अमित भट्ट ने अंकित की तलाश में धामपुर व हेतमपुर में कुछ मुखबिर सतर्क कर दिए थे. विवेचक अमित भट्ट ने भी अंकित की तलाश में उस के धामपुर स्थित गांव मानपुर शिवपुरी में कई बार दबिश दी, मगर अंकित उन्हें न मिल पाया.

इसी प्रकार 9 दिन बीत गए तथा पुलिस को अंकित चौहान के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई. वह 27 जून, 2021 का दिन था. शाम के 7 बज रहे थे. तभी श्री बुटोला के मोबाइल पर उन के खास मुखबिर का फोन आया. मुखबिर ने उन्हें बताया कि सर, जिस अंकित को तलाश कर रहे हो, वह इस समय यहां हरिद्वार के रोशनाबाद चौक पर खड़ा है. यह सुनते ही बुटोला की बांछें खिल गईं. बुटोला ने इस मामले में विलंब करना उचित नहीं समझा. उन्होंने तुरंत अपने साथ विवेचक अमित भट्ट व फोर्स को साथ लिया और 5 मिनट में ही रोशनाबाद चौक पर पहुंच गए. मुखबिर के इशारे पर उन्होंने वहां से अंकित को हिरासत में ले लिया. वह उसे थाने ले आए.

यहां पर जब बुटोला व भट्ट ने उस से लता के लापता होने के बारे में पूछताछ की, तो पहले तो वह पुलिस को गच्चा देने की कोशिश करता रहा. वह पुलिस को बताता रहा कि लता उस की मामी अवश्य थी, मगर अब वह कहां है, उस की उसे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन सख्ती करने पर वह टूट गया और बोला, ‘‘साहब, अब लता इस दुनिया में नहीं है. 10 जून, 2021 की रात को मैं ने अपने दोस्त अमन निवासी कस्बा शेरकोट जिला बिजनौर, उत्तर प्रदेश के साथ मिल कर उस की गला घोंट कर हत्या कर दी थी तथा उस की लाश को हम ने गांव सलेमपुर स्थित गंगनहर में फेंक दी थी. लता को मैं घुमाने की बात कह कर सलेमपुर गंगनहर तक लाया था.’’

अंकित के मुंह से लता की हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी बुटोला तथा वहां मौजूद अन्य पुलिस वाले सन्न रह गए. पूछताछ में उस ने लता की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

गांव मानपुर में अपने बाप हरगोविंद, मां सरोज तथा छोटे भाई अनुज के साथ रहता था. उस ने बताया कि 3 साल पहले जब लता का अपने पति के साथ विवाद हुआ था तो उस दौरान अंकित ने ही लता की काफी मदद की थी. उसी दौरान लता उस की ओर आकर्षित हो गई थी. लता और अंकित के बीच अवैध संबंध बन गए थे. इस के बाद अंकित ने लता को हेतमपुर में एक मकान खरीद कर दे दिया था. सब कुछ ठीक चल रहा था कि करीब 2 महीने पहले अंकित ने लता को उस के पड़ोसी के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ लिया था, यह देख कर अंकित को गुस्सा आ गया था. गुस्से में उस ने लता को उसे खरीद कर दिया हुआ मकान अपने नाम वापस करने का कहा तो वह टालने लगी और 2 लाख रुपए की मांग करने लगी.

लता की इस हरकत से अंकित परेशान हो गया था और अंत में वह उस की हत्या की योजना बनाने लगा. यह बात उस ने अपने दोस्त अमन को बताई तो वह भी अंकित का साथ देने को राजी हो गया. दोनों ने इस की योजना बनाई. योजना के अनुसार 10 जून, 2021 को अंकित अमन के साथ रात 8 बजे लता के घर पहुंचा था. इस के बाद उसे घुमाने की बात कह कर वह लता को ले कर गंगनहर किनारे गांव सलेमपुर पहुंचा था. उस समय वहां रात का अंधेरा छाया था. मौका मिलने पर अमन ने तुरंत ही लता को पकड़ कर उस का गला घोंट दिया था. लता के मरने के बाद दोनों ने उस की लाश गंगनहर में फेंक दी थी. उस समय रात के 11 बज चुके थे. इस के बाद अमन वापस अपने घर चला गया था. लता का मोबाइल उस समय अंकित के पास ही था.

जब उस ने 12 जून 2021 को मोबाइल औन किया तो उस में कालें आनी शुरू हो गई थीं. तब अंकित ने उस में से सिमकार्ड निकाल कर मोबाइल व सिम को सिंचाई विभाग की गंगनहर में फेंक दिया था. इस के बाद पुलिस ने अंकित के बयान दर्ज कर लिए और लता की गुमशुदगी के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. पुलिस ने इस केस में आईपीसी की धाराएं 302 व 120बी और बढ़ा दी थीं. 2 जुलाई, 2021 को पुलिस ने अंकित को अदालत में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक आरोपी अंकित जेल में ही बंद था. थानाप्रभारी लखपत सिंह बुटोला द्वारा गंगनहर में लता के शव को तलाश किया जा रहा था. दूसरी ओर पुलिस दूसरे आरोपी अमन की तलाश में जुटी थी.

—पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

UP Crime News : बोरियों में मिला महिला का सिर विहीन धड़

UP Crime News : एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक कुएं में 2 बोरियां मिलीं. जिसे देख आसपास के लोग हैरान रह गए. इस की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और कुएं में से दोनों बोरियां बाहर निकालीं. दोनों बोरियां में किसी महिला का शव था, जिस के कई अंग गायब थे. इस हत्या की सूचना मिलते ही पूरे इलाके में दहशत फैल गई. आखिर कौन थी वह महिला और उसे किस ने मार डाला? चलिए जानते हैं इस क्राइम से जुड़ी खबर को को विस्तार से-

यह घटना उत्तर प्रदेश के झांसी जिले की है, जहां 13 अगस्त, 2025 को पुलिस को सूचना मिली कि एक खेत के पास कुएं में 2 बोरियां पड़ी हैं, जिन में से तेज बदबू आ रही है. पुलिस मौके पर पहुंची और उन दोनों बोरियों को बाहर निकाला.

पुलिस ने उन दोनों बोरियों को खोला तो उन में एक महिला का शव था, जिसके हाथ पैर गायब थे. यह दृश्य देख इलाके में अफरातफरी मच गई. इस के बाद पुलिस ने आसपास इलाके में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगालना शुरू किया. ताकि महिला की पहचान हो और हत्यारोपी का पता लगया जा सके.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, झांसी जिले के एक गांव का रहने वाला किसान विनोद पटेल रोजाना की तरह महोबा रोड के पास अपने खेत की रखवाली के लिए गया हुआ था. विनोद खेत के पास पहुंचा तो उसे तेज बदबू आने लगी. बदबू कहां से आ रही है, खोजते हुए वह आगे गया तो वह कुएं के पास जा पहुंचा. कुएं में झांका तो उस में पानी में 2 बोरियां तैरती नजर आईं.

विनोद ने तुरंत गांव में इस की सूचना दी तो तमाम लोगों की भीड़ कुएं के पास जुट गई. बाद में गांव वालों ने पुलिस को भी फोन करके इस कि सूचना दे दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने बोरियों को बाहर निकाला तो उन में कमर से गरदन तक का हिस्सा था, जबकि बाकी शरीर के अंग गायब थे.

पुलिस अब तक पता नहीं कर पाई है कि मृतक महिला कौन है? मृतका कर शेष अंग ढूंढने के लिए पुलिस ने आसपास के इलाके में तलाशी अभियान चलाया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

एसपी (ग्रामीण) डा. अरविंद कुमार ने बताया कि शव पुराना है और पहचान के लिए कई टीमें लगाई गई हैं. घटना स्थल की बारीकी से जांच के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है. जांच अभी जारी है. UP Crime News

Love Crime : पिता ने बेटी के प्रेमी के सीने में मारी गोली

Love Crime : अमित और बेबी का परचून की दुकान से शुरू हुआ प्यार पूरे गांव में आम हो गया था. दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन जाति की दीवार ने ऐसा रंग दिखाया कि दोनों के खून के छींटे पूरे गांव में फैल गए…

उत्तर प्रदेश के शहर बरेली का एक थाना है बिशारतगंज. इस्माइलपुर गांव इसी थाना क्षेत्र में आता है. गुड्डू अपने परिवार के साथ इसी गांव में रहता था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा बेटी बेबी और एक बेटा प्रकाश था. बेटी बीए फाइनल में पढ़ रही थी. गुड्डू खेतीकिसानी करता था. इसी से उस के परिवार की गुजरबसर होती थी. बेबी के घर के पास गांव के 22 वर्षीय अमित गुप्ता की किराने की दुकान थी. बेबी घर का खानेपीने का सामान अमित की दुकान से लाती थी. इसी आनेजाने में वह मन ही मन अमित को पसंद करने लगी थी. लेकिन उस ने अपने मन की बात अमित पर जाहिर नहीं होने दी थी.

अमित के पिता रामकुमार का कई साल पहले निधन हो गया था, मां अभी थी. भाईबहनों से उस का परिवार भरा पूरा था. अमित का पढ़ाई में मन नहीं लगा तो उस ने परचून की दुकान खोल ली थी. एक दिन बेबी जब अमित की दुकान पर पहुंची, तो वहां उस के अलावा कोई ग्राहक नहीं था. सौदा लेने के बाद चलते समय उस ने अमित से कहा, ‘‘तुम बहुत सुंदर हो.’’

अकसर ऐसी प्यार भरी बातें चाहने वाले लड़के अपनी प्रेमिका से कहते हैं. जबकि यहां यह बात एक युवती कह रही थी. सुन कर अमित के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई. उस ने भी मुसकरा कर कह दिया, ‘‘अच्छा…’’

और बेबी शरमा कर वहां से चली गई. दुकान पर आतेजाते उसे अमित अच्छा लगने लगा था. काफी दिनों तक तो उस ने अपने दिल पर काबू रखा था. लेकिन उस दिन उस ने हिम्मत कर के अमित से सुंदर लगने वाली बात कह ही दी थी. अब बेबी इसी ताक में रहने लगी कि जब अमित की दुकान पर कोई ग्राहक न हो तभी सामान लेने जाए. एक दिन उसे यह मौका मिल गया. सामान लेते समय अमित ने उस का हाथ पकड़ कर पूछा, ‘‘उस दिन तुम क्या कह रही थीं?’’

‘‘कुछ भी तो नहीं,’’ बेबी ने भोली बन कर हंसते हुए कहा, ‘‘तुम सच में बड़े भोले हो, तुम्हारी यह अच्छाई मुझे बहुत पसंद है.’’

अपनी प्रशंसा सुन कर अमित खुश हो गया. वह बोला, ‘‘बेबी तुम भी बहुत अच्छी लगती हो मुझे. जब भी तुम आती हो मेरे दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं.

‘‘अच्छा…’’ इतना कह कर बेबी मुसकराती हुई वहां से चली गई.

बेबी और अमित करीबकरीब हमउम्र थे. दोनों के बीच बातचीत का दायरा बढ़ता गया और नजदीकियां सिमटती गईं. अमित जब भी बेबी को देखता, खुशी के मारे उस का दिल बागबाग हो उठता. बेबी भी अमित को देख कर खुश हो जाती थी. धीरेधीरे दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. जब तक दोनों एकदूसरे को देख नहीं लेते, दिलों को चैन नहीं मिलता था. दोनों के इस प्रेमप्रसंग की किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी. यहां तक कि उन के घर वालों तक को भी नहीं. बाद में दोनों दुकान के अलावा चोरीछिपे भी मिलने लगे. हालांकि दोनों की जाति अलगअलग थी, इस के बावजूद उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. एक बार बेबी ने अमित से पूछ लिया, ‘‘अमित, वैसे तो मैं जातपात में विश्वास नहीं करती, पर समाज से डर कर तुम मुझे कहीं भूल तो नहीं जाओगे?’’

इस पर अमित ने उस के होंठों पर हाथ रख कर चुप कराते हुए कहा, ‘‘बेबी, अगर हमारा प्यार सच्चा है तो चाहे कितनी भी बाधाएं आएं, हम जुदा नहीं होंगे.’’

दोनों ने फैसला किया कि एकदूसरे के लिए ही जिएंगे. आखिर किसी तरह बेबी के घर वालों को पता चल गया कि उन की बेटी का गांव के ही दूसरी जाति के युवक से प्रेमप्रसंग चल रहा है. इस से घर वालों की चिंता बढ़ गई. गुड्डू ने पत्नी से कहा कि वह बेटी पर ध्यान दे. उस के पांव बहक रहे हैं. हाथ से निकल गई या कोई ऊंचनीच कर बैठी तो समाज में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे. उसे अमित के करीब जाने से मना कर दे. बेबी की मां ने समझदारी दिखाते हुए यह बात बेटी को सीधे तरीके से न कह कर अप्रत्यक्ष ढंग से समझाई. वह जानती थी कि बेटी सयानी हो चुकी है. सीधेसीधे बात करने से उसे बुरा लग सकता था. वैसे भी बेबी जिद्दी स्वभाव की थी, जो मन में ठान लेती थी, उसे पूरा करती थी.

बेबी अपनी मां की बात को अच्छी तरह समझ गई थी कि वह क्या कहना चाहती है. लेकिन उस के सिर पर अमित के इश्क का भूत सवार था. उसे अमित के अलावा किसी और की बात समझ में नहीं आती थी. उस ने मां से साफसाफ कह दिया कि वह अमित से प्यार करती है और शादी भी  उसी से करेगी. अमित और बेबी जान चुके थे कि उन के प्यार के बारे में दोनों के घर वालों को पता लग चुका है. दोनों परिवार इस रिश्ते को किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेंगे, इस बात को ले कर अमित काफी परेशान रहने लगा था. बेबी किसी भी तरह अपने मांबाप की बात मानने को तैयार नहीं हुई. अमित और बेबी के प्रेम प्रसंग के चर्चे अब गांव में भी होने लगे थे. बात जब हद से आगे निकलने लगी तो गुड्डू ने बिरादरी में होने वाली बदनामी से बचने के लिए अपने चचेरे भाई सचिन से इस संबंध में बात की.

निर्णय लिया गया कि बिना देरी किए बेबी के लिए लड़का तलाश कर उस के हाथ पीले कर दिए जाएं. इस की भनक जब बेबी को लगी तो उस ने विरोध किया. उस ने कह दिया कि अभी वह पढ़ रही है. पढ़ाई पूरी नहीं हुई है. इसलिए शादी नहीं करेगी. वह पढ़ाई कर के नौकरी करना चाहती है. लेकिन चाचा सचिन ने उस की बात का विरोध करते हुए कहा, ‘‘पढ़ाई का शादी से कोई संबंध नहीं होता. पढ़ने से तुम्हें ससुराल में भी कोई नहीं रोकेगा.’’

घर वालों ने भागदौड़ कर बदायूं के दातागंज में बेबी की शादी तय कर दी. एक माह बाद यानी 16 जून, 2020 को गांव में बेबी की बारात आनी थी. जब अमित को इस बात का पता चला, तो उस का दिल टूट गया. उस ने बेबी के साथ भविष्य के जो सपने संजोए थे, बिखरते दिखे. एक दिन अमित बेबी के घर जा पहुंचा. उस ने बेबी के घर वालों को बताया कि वह और बेबी एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं. घर में मौजूद बेबी ने भी अमित के अलावा किसी दूसरे के साथ शादी करने से इनकार कर दिया. लेकिन बेबी के घर वालों के सामने अमित और बेबी की एक नहीं चली. घर वालों ने अमित से बेबी की शादी से साफ मना कर दिया. उन्होंने कहा कि बेबी की शादी अपनी जाति के लड़के से ही करेंगे.

बेबी की शादी में मात्र 2 दिन शेष रह गए थे. 2 दिन बाद प्रेमिका के घर शहनाइयां बजने वाली थीं. अमित को कुछ सूझ नहीं रहा था. उस की हालत पागलों जैसी हो गई थी. अमित की दुकान भी कई दिनों से बंद थी. उस का मन बेबी में अटका हुआ था. वह किसी तरह एक बार बेबी से मिल कर दिल की बात कहना चाहता था. लेकिन बेबी पर उस के घर वालों का कड़ा पहरा था. बेबी के परिवार में खुशियों का माहौल था. शादी की तैयारियों में घर वालों के साथसाथ रिश्तेदार व गांव के परिचित भी लगे हुए थे. 14 जून की सुबह 5 बजे बेबी अपनी बुआ, तहेरी बहन और ताई के साथ खेतों की ओर निकली.

आधे घंटे बाद बेबी खेत से घर लौट रही थी. वह अपने घर के दरवाजे के पास पहुंची तभी अमित आ गया. उस ने बेबी से साथ चलने को कहा. पर बेबी ने उस के साथ जाने से मना कर दिया. अमित ने अपने प्यार की दुहाई दी, लेकिन बेबी पर कोई असर नहीं हुआ. इस से अमित आपा खो बैठा और साथ लाए तंमचे से बेबी के ऊपर फायर कर दिया. गोली बेबी की कमर व बांह में लगी, वह चीख कर वहीं गिर पड़ी. बेबी को गोली मारने के बाद अमित तमंचा लहराता हुआ गांव के बाहर भागा. कुछ देर बाद पता चला कि अमित ने बेबी के घर से लगभग 400 मीटर दूर ग्राम प्रधान के घर के पास खाली मैदान में खुद को गोली मार ली है.

सुबहसुबह गांव में गोली चलने की आवाज सुन कर गांव वाले एकत्र हो गए. अमित की रक्तरंजित लाश देख कर गांव में हड़कंप मच गया, जिस ने भी यह दृश्य देखा वह सन्न रह गया. किसी ने अमित के घर वालों को घटना की जानकारी दे दी. जानकारी मिलते ही अमित के घर वाले घटनास्थल की ओर दौड़े, अमित के सीने में गोली लगी थी. उस की मौत हो चुकी थी. लाश के पास ही तमंचा पड़ा था. अमित की मौत की खबर सुन कर उस की मां रोतेरोते बेहोश हो गई. चौकीदार नत्थूलाल की सूचना पर थाने से पुलिस टीम के साथ एसआई खेम सिंह गांव इस्माइलपुर पहुंच गए. गांव की सीमा पर भीड़ जुटी थी.

एसआई ने मैदान में युवक की लाश के पास सिपाही तैनात करने के साथ ही घायल बेबी को एंबुलेंस से मझगवां अस्पताल भिजवाया, जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया. इस बीच जानकारी होने पर थानाप्रभारी राजेश कुमार सिंह व सीओ आंवला रामप्रकाश भी घटनास्थल पर पहुंच गए. थानाप्रभारी ने पुलिस के आला अधिकारियों को भी घटना की जानकारी दे दी. इस पर एसएसपी शैलेश पांडेय व एसपी (देहात) संसार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया गया. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. साथ ही गांव वालों से पूछताछ भी की. मृतक व घायल युवती के घर वालों से भी घटना के संबंध में जानकारी हासिल की गई.

युवक के घर वालों ने जहां युवती के घर वालों पर औनरकिलिंग का आरोप लगाया, वहीं युवती के घर वालों ने बताया कि मृतक ने हमारी बेटी को गोली मार कर घायल किया और फिर खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली. पुलिस ने मौकाएवारदात से 312 बोर का एक तमंचा बरामद किया. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. फोरैंसिक टीम ने भी युवती के दरवाजे के पास से व युवक की लाश के आसपास जांच कर आवश्यक साक्ष्य जुटाए. बेबी की गंभीर हालत को देखते हुए उसे जिला अस्पताल से एक निजी मिशन अस्पताल में ले जाया गया. इस सनसनीखेज घटना के बाद गांव में तनाव की स्थिति बन गई थी. इसे देखते हुए गांव में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई.

पुलिस भले ही प्रेमिका को गोली मार कर प्रेमी द्वारा खुदकुशी करने की बात कह रही थी, लेकिन गांव के बहुत से लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही थी. उन का कहना था कि यदि अमित अपनी प्रेमिका को गोली मार कर उस के साथ अपना भी जीवन खत्म करना चाहता था तो उस ने खुदकुशी करने के लिए वहां से लगभग 400 मीटर दूर जगह क्यों चुनी. दूसरी बात खुदकुशी करने वाला तमंचे से गोली अकसर अपनी कनपटी पर मारता है, जबकि अमित के सीने में गोली लगी थी. तमंचा उस के शव से 3 मीटर दूर पड़ा मिला. वहीं खोखा भी एक ही मिला, जबकि गोली 2 चली थीं. गांव में प्रेमप्रसंग में हत्या किए जाने का शक जाहिर किया जा रहा था.

बेबी की मां का कहना था कि प्रेम प्रसंग नहीं था. उन की बेटी व मृतक की बहन पक्की सहेली थीं. नौकरी के लिए फार्म भरने को बेटी ने उसे अपने प्रमाणपत्र दिए थे. मृतक की बहन अब उन्हें नहीं लौटा रही थी. जिन्हें न देने की वजह से दोनों परिवारों में तनातनी थी. बेबी अमित से प्यार नहीं करती थी. अमित की मां के अनुसार युवती की शादी तय हो जाने व उस के घर से बाहर निकलने पर पाबंदी लगाने से अमित मानसिक रूप से परेशान था. कुछ दिन पहले उस ने नींद की गोलियां खा कर भी जान देने की कोशिश की थी. वह बेबी से शादी करना चाहता था. लड़की भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस के घर वालों ने धमकी दी थी कि तुझे और अमित दोनों को मार देंगे. इस के बाद भी लड़की नहीं मान रही थी.

मां ने बताया कि सुबह अमित के पास वीरपाल प्रधान का फोन आया था. वह उसे बुला रहे थे, वह उसी समय घर से चला गया था. इस के बाद यह घटना हो गई. वहीं पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे अमित के बड़े भाई राजबाबू के अनुसार अमित पिछले 2 साल से बेबी के संपर्क में था, 3 माह पूर्व दोनों ने गुपचुप तरीके से कोर्टमैरिज कर ली थी. इस बात की जानकारी घटना से कुछ दिन पहले ही अमित ने घर वालों को दी थी. लेकिन हम ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया था. उधर युवती भी दूसरी जगह शादी नहीं करना चाहती थी. वह भी अमित से शादी की जिद पर अड़ी थी. उस ने अपने घर वालों से कह दिया था कि बारात लौटा दो. यह जानकारी मिलने पर बेबी के घर वालों ने प्रधान से साजिश कर पहले अपनी बेटी और फिर उस के भाई को गोली मार दी.

शाम को पोस्टमार्टम के बाद अमित के घर वालों ने मझगवां-आंवला मार्ग पर उस का शव रख कर हंगामा किया. घर वालों का आरोप था कि अमित की हत्या बेबी के घर वालों ने की है. पुलिस उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है. सूचना पर मौके पर पहुंचे एसडीएम कमलेश कुमार सिंह व सीओ रामप्रकाश ने उन्हें समझाया, लेकिन जब वे नहीं माने तब हलका बल प्रयोग कर उन्हें वहां से हटा दिया. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी आ गई. रिपोर्ट में अमित द्वारा सल्फास खाने की भी पुष्टि हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक गोली ऐन दिल पर लगी थी, छर्रे आसपास भी धंसे थे. घायल युवती के पिता गुड्डू ने थाने में मृतक अमित व उस के भाइयों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई.

बेबी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने आत्महत्या करने वाले प्रेमी अमित सहित उस के भाइयों राजबाबू, अजय, सुमित, कल्लू व विनोद गुप्ता के खिलाफ जान से मारने की नीयत से हमला करने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. वहीं एसआई खेम सिंह की ओर से भी मृतक पर अवैध तमंचा रखने तथा खुदकुशी करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया. रिपोर्ट में मृतक पर एकतरफा प्यार करने का भी आरोप लगाया गया था.

इस तरह एक प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत हो गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Crime News : यूट्यूबर कंचन पर निहंगों का चाबुक

Family Crime News : लुधियाना की कंचन कुमारी सोशल मीडिया पर कमल कौर भाभी के नाम से मशहूर थी. उस के रील्स की सनसनी गजब की थी. लाखों फालोअर्स पंजाब से ले कर विदेशों तक के थे. हर रील पर मिले कमेंट में तारीफों के पुल बंधे होते थे तो भद्दी गालियां और धमकियां तक होती थीं. उस का कत्ल हो गया. उसे किस ने और क्यों मारा? आखिर क्या हुआ, जो इस कत्ल से हंगामा भारत से ले कर यूएई तक मच गया? पढ़ें, इस कहानी में सब कुछ.

पंजाब की बेहद फेमस इंफ्लुएंसर कमलजीत कौर उर्फ कंचन कुमारी की पहचान ‘कमल कौर भाभी’ के  रूप में थी. वह पिछले 7 सालों से सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर सनसनी बनी हुई थी. उस के ओनलीफैंस पर भी सब्सक्राइबर्स थे, जहां वह अपने वीडियो पोस्ट करती थी. बात दिसंबर 2024 की है. उसे उस के अश्लील वीडियो के लिए अर्श डल्ला नाम के व्यक्ति की धमकी मिली. उस ने चेतावनी दी कि अश्लील वीडियो बनाना बंद करे, वरना उसे जान से हाथ धोना पड़ेगा.

जबकि लुधियाना के लक्ष्मण नगर में अपनी मम्मी के साथ रह रही 27 वर्षीया कमलजीत कौर द्वारा  वीडियो बनाना रोजीरोटी से जुड़ा था. इस से वह पैसे कमाती थी. घर चलता था. परिवार को मदद मिलती थी. वह छोटेबड़े दुकानदारों के लिए प्रचार का काम करती थी. उन के सामान का वीडियो बना कर अपने सोशल मीडिया चैनल पर डालती थी. बदले में उन से पैसे मिलते थे. उस के द्वारा मौडलिंग में पहनी जाने वाली सैक्स अपील की ड्रेस, अदाएं आदि पर आपत्ति थी. इस तरह के कंटेंट बनाने वाली वह अकेली नहीं थी. पंजाब में कई लड़कियां सोशल मीडिया पर मौडलिंग कर पैसा कमाती हैं. उन्हें वीडियो शूट करने या फिर प्रमोशन के लिए बुलाया जाता है. क्लाइंट की जरूरत के मुताबिक वे वीडियो शूट करने  के लिए एक शहर से दूसरे शहर जाती रहती हैं.

कमलजीत कौर को जब से जान से मारने की धमकी मिली थी, तब से वह परेशान रहने लगी थी. वह वीडियो बनाने के लिए मना करने वालों से दुखी थी. उसे जानने वाले लोग उसे शालीनता की नसीहत देते थे. अपने सिख समुदाय की गरिमा का पाठ पढ़ाते हुए उस के वीडियो को गलत बताते थे, जबकि उस के वीडियो उन्हें भी पसंद थे. जून के पहले सप्ताह में 3 तारीख को उस ने खिन्न मन से इंस्टाग्राम पर एक वीडियो अपलोड किया था. उस पर हिंदी और अंगरेजी में कैप्शन लिखा था, ‘नो इमोशन, नो लव, नो एफ. ओनली डाउट, डाउट, डाउट इज लेफ्ट!’

इस पर 3,800 से ज्यादा कमेंट्स आए थे. कुछ में ‘वाहेगुरु’ कह कर शोक जताया गया तो कुछ में गुस्सा और सामाजिक टिप्पणियां की गईं. उस के बाद से वह एकांत में खो गई थी. उस की चंचलता और चपलता को मानो किसी की नजर लग गई हो. उसे उदास देख कर खाने के टेबल पर उस की मम्मी पूछ बैठीं, ”क्या बात है, तुम इतनी गुमसुम क्यों हो? किसी ने फिर कुछ कहा?’’

”कुछ नहीं मम्मी.’’

”क्या सब्सक्राइबर कम हो गए?’’

”नहीं.’’

”तो क्या बात है? मम्मी को नहीं बताएगी… किसी ने फिर धमकी दी? भाई ने कुछ कहा?’’ कमलजीत की मम्मी उस की चुप्पी तोडऩे का प्रयास करती रहीं.

”प्लीज मम्मा! मुझे कल एक इवेंट पर जाना है. उस की तैयारी करनी है.’’ कमलजीत धीमी आवाज में बोली.

”चलो अच्छा है, तुम पिछले 6 दिनों से घर में पड़ी थी… वैसे कहां जाना है?’’

”बठिंडा.’’

”संभल कर जाना.’’ मम्मी बोलीं.

अगले रोज 9 जून, 2025 को सुबह में ही कमलजीत कौर अपने घर से मम्मी को कह कर निकली थी कि वह एक प्रमोशनल इवेंट के लिए बठिंडा जा रही है. उस रोज शाम तक उस की मम्मी से फोन पर बात होती रही, किंतु रात होने तक उस का फोन बंद हो गया. मम्मी ने उस पर ध्यान नहीं दिया, किंतु जब देर रात तक वापस नहीं लौटी, तब उन को उस की चिंता सताने लगी. उन्होंने अपने बेटे को काल कर अपनी चिंता बताई. बेटे ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया. उस ने कहा, ”आ जाएगी.’’

अगले रोज 10 जून को भी कमलजीत घर नहीं लौटी. उस रोज सुबह से ही उस का फोन बंद आ रहा था. मम्मी ने अपने बेटे और बेटी को भी इस बारे में बताया. फिर उन्होंने अपनी जानपहचान वालों से संपर्क कर कमल के बारे में पता लगाने की कोशिश की, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला

इंस्टाक्वीन की कार में मिली लाश

11 जून, 2025 की रात को एक समाजसेवी संस्था के कार्यकर्ताओं ने पाया कि बठिंडाचंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित आदेश मैडिकल यूनिवर्सिटी की पार्किंग में खड़ी कार में से तेज दुर्गंध फैल रही है. उन्होंने पास जा कर देखा. कार के शीशे बंद थे और उस की पिछली सीट पर एक महिला का शव पड़ा था. उस से ही तेज बदबू फैल रही थी. उन्होंने घटना की सूचना बठिंडा कैंट थाने को दी. कैंट थाने के एसएचओ दलजीत सिंह पूरी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और अज्ञात महिला के शव की शिनाख्त के लिए जांच शुरू की.

जांच में गाड़ी की पहचान नहीं हो पाई. पुलिस ने घटनास्थल से कार को कब्जे में लिया, जिस पर लुधियाना का नंबर था, लेकिन पुलिस को उस के नकली नंबर होने का शक हुआ. शव 3 से 4 दिन पुराना लग रहा था. सूचना मिलने पर एसपी (सिटी) नङ्क्षरदर सिंह भी मौके पर पहुंच गए. वहां की काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया. गाड़ी में मिले सामान की जांच की गई, जिस से मृतका का नाम कंचन कुमारी पता चला. उस की पहचान सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के रूप में हुई. पता चला कि गाड़ी में मिली लाश ‘इंस्टाक्वीन’ कमल कौर भाभी की थी. उस के घर का फोन नंबर भी पुलिस को मिल गया तो फेमिली वालों को घटना की सूचना दे दी गई.

कमल कौर भाभी की मौत की खबर थोड़ी देर में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. जिस ने भी सुना, हैरान रह गया. दूसरी तरफ बठिंडा की पुलिस इस की तहकीकात में जुट गई थी. तुरंत सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए. पुलिस की 5 टीमें बनाई गईं. शुरुआती जांच में अस्पताल की सिक्योरिटी ने बताया कि गाड़ी 10 जून से वहां पार्किंग में खड़ी थी. बदबू आने पर कार के पास गए तो गाड़ी अंदर से लौक मिली. इस के बाद पुलिस को जानकारी दी गई. पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की कि गाड़ी वहां कौन लाया था? क्या कमलजीत कौर खुद गाड़ी चला कर आई थी या फिर उस की हत्या कर कोई और उसे गाड़ी के अंदर छोड़ कर चला गया था?

जांच में पुलिस को उस आडियो के बारे में पता चला, जिस में करीब 7 महीने पहले विदेश में बैठे आतंकी अर्श डल्ला द्वारा उसे जान से मारने की धमकी दी थी. इसी बीच कमल कौर भाभी की हत्या मामले में नया मोड़ तब आ गया, जब एक शख्स ने सोशल मीडिया पोस्ट कर इस हत्या की जिम्मेदारी ली. हत्या की जिम्मेदारी लेने वाला वह व्यक्ति अमृतपाल सिंह मेहरों था. उस ने लिखा, ‘खालसा कभी भी महिलाओं पर हमला नहीं करता है, लेकिन जब एक महिला ने हमारे तख्तों पर हमला किया तो उसे मार दिया गया. कंचन, जिस ने सिख इतिहास और संस्कृति को बदनाम करने के लिए ‘कौर’ नाम का दुरुपयोग किया था, को सजा दी गई है.’

यानी कि कंचन कुमारी उर्फ कमलजीत कौर की हत्या के बाद अमृतपाल सिंह मेहरों ने एक वीडियो पोस्ट की, जिस में इस काररवाई के पीछे का कारण बताया गया. उस ने सबूत के तौर पर कंचन का एक अश्लील वीडियो दिखाया. अमृतपाल सिंह मेहरों ने अन्य इंस्टाग्राम यूजर्स को ऐसी सामग्री पोस्ट न करने की भी चेतावनी दी. मेहरों ने धमकी देते हुए कहा कि अगर ऐसे लोग ऐसा करना बंद नहीं करते तो उन का भी यही हाल होगा. उस ने कहा कि जब तक वह जिंदा है, वह पंजाब में ऐसी अश्लील सामग्री फैलने नहीं देगा.

जल्द ही इंस्टाक्वीन कमल कौर भाभी की हत्या के मामले में बठिंडा पुलिस ने 2 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. इस बारे में बठिंडा की एसएसपी अमनीत कौंडल ने खुलासा किया कि उन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है. अलगअलग टीमें बना कर जांच शुरू कर दी. जांच के दौरान पता चला कि इस हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता जसप्रीत सिंह है, जिस ने अपना नाम अमृतपाल सिंह मेहरों बताया था. वह 7-8 जून को कंचन के घर भी गया था, लेकिन कंचन घर पर नहीं मिली थी. वह कंचन को 9 जून को प्रमोशन के बहाने अपने साथ कार में ले गया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक कमल कौर की हत्या बीती 9 व 10 जून, 2025 की मध्यरात्रि को की गई थी. अमृतपाल मेहरों ने अपने साथियों जसप्रीत सिंह और निमरतजीत सिंह के साथ मिल कर कंचन कुमारी की कार में गला घोंट कर हत्या कर दी थी. इस के बाद उस का शव भुच्चो स्थित आदर्श मैडिकल कालेज और अस्पताल की पार्किंग में कार छोड़ कर फरार हो गए थे. वही कार 11 जून की शाम को बरामद हुई थी. पुलिस ने जांच में पाया कि कंचन की सोशल मीडिया पोस्टों को ले कर सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का हवाला दे कर यह हत्या की गई थी, इसे ‘अनधिकृत नैतिक पुलिसिंग’ (मोरल पुलिसिंग) करार दिया गया.

पता चला कि रंजीत ने ही मेहरों को अमृतसर पहुंचाने में मदद की थी. साथ ही उसे अमृतसर छोडऩे में सहायता करने वाले पांचवें आरोपी की पहचान और बाकी फरार आरोपियों की गिरफ्तारी की जानी थी. आरोपी रंजीत सिंह तरनतारन का रहने वाला है और निहंग पंथ से जुड़ा बताया जा रहा है. उस की गिरफ्तारी के लिए विभिन्न ठिकानों पर दबिश दी गई.

सौफ्ट पोर्न’ जैसी अश्लील बताईं रील्स

कमल कौर की लाइफ बेहद लग्जरी थी. वह एक निजी बैंक में नौकरी करती थी, लेकिन कोरोना काल के दौरान उस ने नौकरी छोड़ दी थी. नौकरी छोडऩे के पीछे की वजह जो भी हो, वह महंगे कपड़े पहनने की शौकीन थी और अकसर बड़े होटलों व सैलून में जाती थी. वह सोशल मीडिया पर अकसर शौपिंग और जीवनशैली से जुड़ी रील्स पोस्ट करती थी. कई बार वह महिलाओं के अंडरगारमेंट्स पर भी कंटेंट बना कर पोस्ट करती थी. कंचन की कुछ रील्स में वह बारबार जस्सी नाम का जिक्र करती थी. यह जस्सी कौन है, इस पर भी पुलिस जांच कर रही है. साथ ही कंचन की काल डिटेल्स की भी गहराई से जांच की जा रही है, जिस से कुछ संदिग्ध नंबरों की सूची तैयार की जा रही है. उस की बहन नीतू ने बताया कि कमलजीत ही घर का पूरा खर्च उठाती थी.

उस का कमल कौर भाभी नाम का सोशल मीडिया पर वेरिफाइड अकाउंट था. इस में उस के 1,351 से अधिक तरहतरह के वीडियो पोस्ट थे. उन की वीडियो के दीवाने किस कदर थे, इस का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. इंस्टाग्राम पर 4.27 लाख फालोअर्स थे, जिन की संख्या उस की मौत के बाद और बढ़ गई. यूट्यूब पर उस के 2.39 लाख सब्सक्राइबर थे और फेसबुक पर 7.7 लाख फालोअर्स. उस के कुछ वीडियो निहंग संप्रदाय के कुछ कट्टरपंथियों को फूटी आंख नहीं सुहाते थे. उन्हें उन में अश्लीलता नजर आई थी. हाल की पोस्ट्स में वह कार में अपने भतीजों के साथ मस्ती करती दिखी या किसी गाने पर डांस कर रही होती है.

उस का कंटेंट कभीकभी पीजी-रेटेड लेवल पर इशारों वाला होता था— जैसे कि डीप नेक ड्रेस पहन कर पोज करना या शाट्र्स पहन कर घूमना. लेकिन अब कुछ डिलीट हो चुकी पोस्ट्स इस से भी आगे ‘सौफ्ट पोर्न’ को दर्शाती थीं, जिन्हें कुछ लोग देसी ओनलीफैंस जैसा मानते हैं.

ओनलीफैंस (OnlyFans) लंदन, यूनाइटेड किंगडम में इंटरनेट कंटेंट की वेबसाइट है. इस सेवा का उपयोग मुख्य रूप से वैसे यौनकर्मी यानी सैक्सवर्कर करते हैं, जो अश्लील कंटेंट बनाते हैं. इस वेबसाइट पर पोस्ट किए जाने वाले कंटेंट यूजर्स द्वारा बनाए जाते हैं, जिस से उन की मासिक सदस्यता राशि, टिप और हर बार देखने के लिए ‘पे पर व्यू’ के जरिए आमदनी होती है. ओनलीफैंस का उपयोग मुख्यरूप से अश्लील सामग्री बनाने वालों द्वारा किया जाता है.

कमल कौर अकसर ऐसे परिधानों में नजर आती थी, जिन्हें पंजाब के रुढि़वादी मानकों के हिसाब से सही नहीं माना जाता. कमल कौर सिर्फ ध्यान खींचने के लिए ऐसा नहीं कर रही थी. यह उस के पेड सब्सक्राइबरों और फेसबुक पर ‘कस्टम वीडियो’ के जरिए एक बिजनैस की रणनीति थी. उल्लेखनीय है कि एडल्ट एंटरटेनमेंट का बाजार बहुत बड़ा है. इस की वैश्विक वैल्यू 71.95 बिलियन डालर है और 2034 तक इस के 100 बिलियन डालर पार करने का अनुमान है. भारत में इस का कोई सटीक आंकड़ा भले ही नहीं है, लेकिन स्टेटिस्टा के मुताबिक हर महीने 1.5 करोड़ भारतीय ओनलीफैंस पर लौगिन करते हैं, जहां यूजर्स अपने सब्सक्राइबरों के लिए विशेष तरह के कंटेंट पोस्ट करते हैं. भारत में अश्लील कंटेंट पोस्ट करना गैरकानूनी है, लेकिन ऐसा कंटेंट इंटरनेट पर आम है.

बताते हैं कि इसी में कमल कौर के वीडियो होते थे, जो मेहरों की नजर में सिख संप्रदाय की नैतिकता के खिलाफ था. कमल की हत्या के बाद मेहरों ने एक वीडियो बयान में कहा, ”तो क्या हुआ अगर वो मारी गई? अच्छा हुआ मारी गई. असल में उसे 5-7 साल पहले ही मार देना चाहिए था.’’

मेहरों के वीडियो में कमल कौर के कुछ पुराने वीडियो के क्लिप्स जोड़े गए हैं. एक में वह कहती है, ”गंदी बात करनी है तो काल करो.’’

दूसरे में वह चमकीला का एक गाना बजाते हुए शावर ले रही है. एक और में वह अपनी प्यूबिक हेयर शेव करने की बात कर रही है. मेहरों के अनुसार इसी तरह की वीडियो ने कमल कौर की हत्या करने के लिए मजबूर किया.

मेहरों का कहना है, ”मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मैं सही हूं या गलत. मुझे पंजाबी पीढ़ी को बचाना है, अगर पंजाब की धरती पर ऐसा कोई और वीडियो बना तो देख लेना!’’

कमल कौर भाभी की हत्या मामले में बठिंडा की एसएसपी अमनीत कोंडल ने बताया कि मुख्य आरोपी निहंग अमृतपाल सिंह मेहरों हत्या के कुछ घंटे बाद ही विदेश भाग गया था. पकड़े गए आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि कमल कौर की हत्या के बाद अमृतपाल अपने साथी रणजीत सिंह और एक अज्ञात व्यक्ति के साथ उन की कार में बैठ कर सीधा अमृतसर के एयरपोर्ट गया और वहां से 10 जून की सुबह सवा 9 बजे फ्लाइट पकड़ कर यूएई भाग गया. इस की पुष्टि अमृतपाल के पासपोर्ट की डिटेल निकालने पर हो गई. उस के बाद पंजाब पुलिस ने अमृतपाल का लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया है. उस के सभी सोशल मीडिया अकाउंट बैन करवा दिए हैं.

आरोपी के खिलाफ जारी हुआ लुकआउट सर्कुलर

अमृतपाल ने विदेश जाने के बाद भी पंजाब के अन्य सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स को धमकियां दी हैं. इन में अमृतसर की इंफ्लुएंसर दीपिका लूथरा और तरनतारन की इंफ्लुएंसर प्रीत जट्टी को भी जान से मारने की धमकी मिली है. सिमरनजीत प्रीत जट्टी गांव बाणियां की रहने वाली है. इसी नाम से उन का सोशल मीडिया अकाउंट है, जिस में वह पोस्ट डालती है. शनिवार 14 जून, 2025 को उस ने एसएसपी कार्यालय जा कर शिकायत की कि विदेशी नंबरों से उसे जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. उस का कहना था कि उस ने अभी तक कोई ऐसी आपत्तिजनक वीडियो बना कर पोस्ट नहीं की है.

सिमरनजीत के लिखित बयान के आधार पर एसपी (आई) अजयराज सिंह ने सब डिविजन गोइंदवाल साहिब के डीएसपी अतुल सोनी को जांच के आदेश दे दिए. इसी तरह दूसरे सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर दीपिका लूथरा को निहंग अमृतपाल सिंह मेहरों ने ईमेल पर भी जान से मारने की धमकी दी थी. मेल से मिली इस धमकी में आतंकी संगठन बब्बर खालसा भी लिखा है. अमृतसर पुलिस साइबर सेल ने मेहरों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद दीपिका की सुरक्षा में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है. जिस ईमेल और मोबाइल नंबरों से धमकियां मिलीं, उन की भी जांच की जा रही है.

दीपिका लूथरा को वीडियो जारी कर कहा गया कि पार्किंग सिर्फ बठिंडा में नहीं होती और हर बार लाश मिले, यह भी जरूरी नहीं. उस के मन में खौफ का माहौल है. अमृतपाल सिंह मेहरों के नाम का डर ऐसा फैल गया कि सोशल मीडिया पर पोस्ट करने वाले कई इंफ्लुएंसर अब पंजाब पुलिस की शरण में हैं. धमकी के बाद अमृतसर पुलिस के साइबर सेल ने अमृतपाल सिंह मेहरों के खिलाफ साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता की धारा 308, 79, 351 (3), 324 (4) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया है.

अमृतसर के पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर के अनुसार दीपिका लूथरा की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है और उन्हें आवश्यक सुरक्षा मुहैया करा दी गई है. उन के घर के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है. लगातार मिल रही धमकियों के चलते उन्होंने अपना सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिया है. अमृतसर की एक युवा कंटेंट क्रिएटर दीपिका लूथरा ने धीरेधीरे फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपनी पहचान बनाई थी. वह अमृतसर और आसपास के जिलों में किसी कपड़ों के शोरूम या नए कैफे जैसे छोटे हाइपरलोकल ब्रांड्स का प्रचार कर के अतिरिक्त कमाई करती है.

इसलिए जब फरवरी के आखिरी सप्ताह में उसे तरनतारण के चीमा कलां गांव में एक नए मोबाइल फोन स्टोर का प्रचार करने के लिए काल आया तो यह उस के लिए कोई असामान्य बात नहीं थी. क्लाइंट ने एडवांस में 2 हजार रुपए भी भेजे. 2 मार्च, 2024 को वह तय जगह पर पहुंची, लेकिन यह एक बुरा सपना बन गया. लूथरा और उस के कैमरा परसन को कथित तौर पर अमृतपाल सिंह मेहरों और उस के साथियों ने बंधक बना लिया. उन की कार को लौक कर दिया गया, ताकि वे वहां से निकल न सकें और उन्हें घुटनों के बल बैठ कर माफी मांगने के लिए मजबूर किया गया.

लूथरा ने इस वारदात के बारे में पुलिस को बताया, ”7-8 लोग नीले (निहंग कपड़ों) में वहां मौजूद थे. उन्होंने मेरा फोन और कार की चाबियां छीन लीं और मेरा फोन चैक करने लगे. वे मेरी पोस्ट की गई कंटेंट को ले कर मुझ पर चिल्ला रहे थे.’’

माहौल को जल्दी शांत करने के लिए लूथरा ने वादा किया कि वह अपने पेज पर ‘डबल मीनिंग’ यानी अश्लील संकेत वाले पोस्ट करना बंद कर देगी, लेकिन उन लोगों ने इस पर जोर दिया कि वह अपनी पूरी सोशल मीडिया पर मौजूदगी हटा दे. यह उस के लिए संभव नहीं था, क्योंकि यही उस की आमदनी का जरिया है.

लूथरा ने कहा, ”उस ने भीड़ के बीच सड़क पर अपनी कृपाण रखी और मुझे कहा कि मैं उस पर झुक कर माफी मांगूं, पंजाब की जनता से माफी मांगूं कि मैं कैसी कंटेंट पोस्ट कर रही हूं. मैं ने लिखित रूप में भी माफी मांगी. मैं ने पूरा सहयोग किया, फिर भी उन की धमकियां बंद नहीं हुईं.’’

पंजाब पुलिस और साइबर सेल की काररवाई में अमृतपाल के ब्लौक किए गए इंस्टाग्राम हैंडल्स में amritpalsinghmehron, amritpalsingh_mehron, amritpal.singh.mehron ¥æñÚU kaum.de.rakhe हैं. ये 4 इंस्टाग्राम हैंडल्स मौजूदा समय में भारत में नहीं देखे जा सकते हैं.

इस से पहले मार्च 2023 में भी अमृतपाल के फेसबुक और इंस्टाग्राम पर आरोप लगा था, जिस में उस का व्यक्तिगत और संगठनात्मक द्मड्डह्वद्व.स्रद्ग.ह्म्ड्डद्मद्धद्ग अकाउंट शामिल था. साथ ही उसे टिंडर पर भी एक प्रोफाइल के आरोप में जांच के दायरे में लाया गया है. पंजाब पुलिस ने मई 2025 में टिंडर से उस के अकाउंट (स्थान, आईपी, चैट हिस्ट्री) की जानकारी मांगी थी.

मुसलिम से सिख बना था अमृतपाल

पंजाब पुलिस की निगाह में वही कमल कौर भाभी की हत्या का मास्टरमाइंड बताया जाता है. उस के बारे में छानबीन करने पर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए. जांच में सामने आया है कि निहंग अमृतपाल मेहरों पहले से सिख नहीं था, बल्कि वह मुसलमान था. और तो और, भारतपाक बंटवारे के वक्त अमृतपाल के पूर्वज पाकिस्तान से भारत आए थे. अमृतपाल ने करीब 12 साल पहले पूरे परिवार समेत सिख धर्म अपना लिया था. 30 वर्षीय अमृतपाल सिंह मेहरों मोगा जिले के गांव मेहरों का रहने वाला है. उस ने 12वीं तक की स्कूली पढ़ाई की है, लेकिन 2014 में उस ने मोगा की आईटीआई से डीजल मैकेनिक का डिप्लोमा किया है.

उस का पूरा परिवार इसी गांव में रहता है. उस के परिवार में मातापिता और एक बड़ा भाई भी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अमृतपाल के अपने फेमिली वालों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं. उस का एक बड़ा भाई परिवार से अलग रहता है. अमृतपाल की एक शादीशुदा बहन है, जो अपनी ससुराल में रहती है. वह वर्ष 2022 में शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के टिकट पर तरनतारन के धर्मकोट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुका है. चुनाव के दौरान उस पर लुधियाना में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग को धमकाने के आरोप में मामला भी दर्ज किया गया था.

अमृतसर में मूर्तियों को नुकसान पहुंचाने के मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 427 के तहत उस के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. इस के अलावा बरनाला जिले के धनौला थाने में उस के खिलाफ धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 506 (आपराधिक धमकी), 148 (दंगा करने के लिए हथियारों से लैस होना), और 149 (गैरकानूनी जमावड़े के लिए जिम्मेदारी) सहित अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं.

‘कौम दे राखे’ नामक कट्टरपंथी संगठन का मुखिया अमृतपाल सिंह मेहरों को संयुक्त अरब अमीरात से भारत लाने की प्रक्रिया पुलिस ने तेज कर दी है. बठिंडा पुलिस ने ब्यूरो औफ इन्वेस्टिगेशन को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंप कर मेहरों के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है.

पुलिस ने 17 जून को स्थानीय अदालत से उस के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी हासिल कर लिया. एसएसपी अमनीत कोंडल का कहना है कि उन्होंने ब्यूरो औफ इन्वेस्टिगेशन (बीओआई) को जो पत्र भेजा है, उस में हत्या और आरोपी की भूमिका से जुड़ी तमाम जानकारियां दी गई हैं. यह पत्र इंटरपोल की मदद से उस की विदेश में गिरफ्तारी के लिए महत्त्वपूर्ण साबित होगा. इस के बावजूद पंजाब और हरियाणा के कई धार्मिक नेताओं और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स ने मेहरों के पक्ष में बयान दिए हैं, लेकिन उन के खिलाफ अब तक कोई काररवाई नहीं की गई है.

जबकि कथा लिखे जाने तक इस मामले में 5 लोगों को आरोपी बनाया गया है. जसप्रीत सिंह और निमरतजीत सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. एक अन्य आरोपी रंजीत सिंह तरनतारन का रहने वाला है, फरार था. उस के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया गया है. पता चला है कि रंजीत ने ही मेहरों को अमृतसर पहुंचाने में मदद की थी.

लाखों फालोअर्स, लेकिन क्रियाकर्म में सिर्फ 3 लोग

सोशल मीडिया पर चमकने वाली कमल कौर के कत्ल के साथसाथ हैरान करने वाली एक बात और सामने आई. वह यह कि उन के अंतिम संस्कार के मौके पर केवल 3 लोग ही आए, जबकि इंस्टाग्राम पर लाखों फालोअर्स थे और उस की आकस्मिक मौत की खबर सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हुई थी. यानी कि लाखों चहेतों में से एक ने भी मशहूर कमल भाभी को अंतिम विदाई नहीं दी. बेरहमी से हत्या के बाद कमल कौर को पूरे मोहल्ले, यहां तक कि अपने परिवार ने भी ठुकरा दिया. अब कोई उस से जुडऩा नहीं चाहता. कोई भी उस की हत्या की निंदा नहीं करना चाहता.

उस का शव लुधियाना स्थित पुश्तैनी घर नहीं लाया गया. उस का अंतिम संस्कार बठिंडा में ही कर दिया गया. भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 103 (हत्या), 238 (लापता होना), और 61(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई. उस के अंतिम संस्कार के मौके सिर्फ उस का भाई, बहन और मम्मी ही शामिल हुए थे. उन्होंने मृतका का अंतिम संस्कार जनसेवा संस्था की सहायता से बठिंडा के श्मशान घाट में किया गया. वैसे उस की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार आरोपी सिख युवा हैं. बताते हैं कि आरोपियों ने अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने को ले कर कमल कौर की हत्या की थी.

उन का आरोप है कि कमल कौर इंस्टाग्राम पर विवादित और अश्लील रील बनाती थी और वह अपनी मम्मी के साथ रहती थी. वह अकसर सोशल मीडिया पर लाइव आ कर परिवार के सदस्यों को गालियां देती थी. Family Crime News

 

 

True Crime Stories Hindi : पत्नी और प्रेमी की साजिश

True Crime Stories Hindi : अपने साले रामविलास वर्मा की शादी में 25 वर्षीय हरेंद्र वर्मा ने बढ़चढ़ कर भाग लिया था. रिसैप्शन समारोह में भी वह सभी मेहमानों की गर्मजोशी से आवभगत कर रहा था. उसी दौरान किसी का हरेंद्र के मोबाइल पर फोन आया तो वह बात करने के लिए समारोह स्थल से बाहर निकला. कुछ देर बाद गरदन कटी उस की लाश मिली. किस ने और क्यों की हरेंद्र की हत्या? पढ़ें, लव क्राइम की यह दिलचस्प स्टोरी.

अप्रैल 2025 की बात है. 25 वर्षीय हरेंद्र वर्मा अपनी पत्नी को बुलाने के लिए बलरामपुर जिले के जुबरी कलां गांव में स्थित ससुराल आया हुआ था. ग्रामीण क्षेत्र में परंपरा होती है कि पत्नी के मायके में पति को उस से दूर ही सुलाया जाता है. हरेंद्र अपनी ससुराल में दालान में लेटा हुआ था. उसे नींद नहीं आ रही थी. उस के ससुर और सालों की खटिया भी उसी के पास बरामदे में पड़ी थी. वे लोग गहरी नींद में सो रहे थे.

रात के लगभग 12 बजे थे. मेन गेट खुला हुआ था. हरेंद्र वाशरूम जाने के लिए जैसे ही गेट के बाहर निकला, उस ने देखा कि उस की पत्नी उमा देवी एक युवक के साथ घर की ओर आ रही थी. यह देखते ही हरेंद्र चौंक गया और सोचने लगा कि यह युवक कौन है? और इतनी रात में यह इस के साथ कहां से आ रही है? हरेंद्र गेट के पीछे छिप गया. जैसे ही पत्नी गेट के अंदर घुसी तो हरेंद्र ने पत्नी का हाथ पकड़ा और पूछा, ”बताओ, आधी रात को कहां से आ रही हो और यह लड़का कौन है?’’

”अब आप ने सब कुछ देख ही लिया है तो सुनो, यह मेरा सब कुछ है. मैं इस से शादी से पहले से ही प्यार करती हूं. मैं इस को कभी नहीं भूल पाऊंगी और न ही इस का साथ छोड़ूंगी. अब फैसला आप के हाथ में है.’’ उमा देवी ने सच बता दिया.

इतना सुनते ही हरेंद्र का माथा ठनका, उसे चक्कर आने लगा. उस का हाथ कांप गया और पत्नी का हाथ उस के हाथ से छूट गया. बेशरमी की चादर ओढ़ उमा भी धीरेधीरे कदमों से घर के अंदर चली गई. हरेंद्र मूकदर्शक बना उसे जाते देखता रहा. फिर वह दलान में आ कर अपनी चारपाई पर लेट गया. पत्नी के बारे में तरहतरह के विचार उस के दिमाग में कौंधने लगे. उधर उमा देवी ने उसी दिन से हरेंद्र को रास्ते से हटाने की मन में ठान ली.

रात में ही उस ने अपने प्रेमी जितेंद्र वर्मा को मोबाइल फोन पर पूरी बात बताई और कहा कि तुम तो मुझे गेट तक छोड़ कर चले गए, मगर वह कमीना पति, पता नहीं कैसे गेट के पीछे ही छिपा हुआ था. उस ने सब कुछ देख लिया है. उसे ठिकाने लगाना होगा. जल्दी से जल्दी कोई प्लान बना लो. अगर तुम मुझ से वास्तव में सच्चा प्यार करते हो तो हरेंद्र को रास्ते से हटाना ही होगा. उसे सब कुछ पता चल गया है. मैं उसे अब आगे कैसे बरदाश्त करूंगी. वरना हमारे प्यार का ही नहीं, मेरे जीवन का भी अंत हो जाएगा.

”यह तो बहुत बुरा हुआ. मगर मैं ऐसा नहीं होने दूंगा. हमारा प्यार जिंदा रहेगा और परवान भी चढ़ता रहेगा. हमें दुनिया की कोई ताकत जुदा नहीं कर सकती. मैं तो आधी रात को अभी किसी समय उस को सोते में ही ठिकाने लगा देता, लेकिन यह संभव नहीं है. तुम ने बताया है कि तुम्हारे पापा और भाई भी उस के साथ ही दालान में लेटे हुए हैं.

”दूसरे यह कि किसी नौजवान युवक की हत्या करना अकेले आदमी का काम नहीं है, क्योंकि इतना सब कुछ देखने के बाद उसे नींद नहीं आ रही होगी. जागते हुए आदमी को मारना आसान नहीं होता.’’ जितेंद्र वर्मा बोला.

”कुछ और सोचो! तुम तो आसमान से तारे तोड़ के लाने की बातें करते थे. अब सिर्फ एक आदमी ठिकाने लगाने का साहस दिखाने की जरूरत है.’’ उमा ने उसे चुनौती दी.

”दूसरा रास्ता यह है कि जिस समय सुबह वह तुम्हारे घर से अपने घर जाने के लिए निकले तो उसे रास्ते में कहीं ठिकाने लगा दिया जाए, लेकिन अब इतना समय नहीं है. साथ देने के लिए 2 -4 लोग और होने चाहिए. इतनी आसानी से वह कब्जे में नहीं आएगा. तमंचे वगैरह का इंतजाम नहीं है. गोली मार के हत्या करने से दिन में तो बवाल हो जाएगा. कहीं आसपास के लोगों ने आ कर घेर लिया तो जान खतरे में पड़ जाएगी. वैसे भी इतनी जल्दी किसी हथियार का इंतजाम नहीं हो सकता.’’ जितेंद्र ने कहा.

”देखो, हरेंद्र कल किसी कीमत पर यहां नहीं रुकेगा. फिर उस के घर जा कर उस की हत्या करना आसान ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है. तुम्हारे अंदर बुद्धि नहीं है, मैं ही कोई प्लानिंग करती हूं. ऐसा करो तुम 1-2 अच्छे चाकू और 2-4 लोगों का इंतजाम कर के रखो.’’

उधर आधी रात के बाद जितेंद्र के साथ उमा को देखने के बाद हरेंद्र ससुराल नहीं आया. उमा देवी मायके में ही थी. अपनी योजना के अनुसार, उमा देवी ने अपना त्रियाचरित्र दिखाते हुए मोबाइल फोन से अपने पति हरेंद्र से माफी तलाफी की और कहा कि अब कभी कोई शिकायत नहीं मिलेगी. गलती इंसान से ही हो जाती है. आप मुझे क्षमा कर दें.

हरेंद्र के पास इस के अलावा कोई रास्ता भी नहीं था. दोनों में मोबाइल फोन पर प्यार भरी बातें होती रहतीं. उमा के भाई की मई 2025 में शादी थी. उधर अपने साले रामविलास वर्मा से हरेंद्र की खूब अच्छी दोस्ती हो गई थी. वैसे भी वह उस का साला था. वह अपनी शादी का कार्ड ले कर हरेंद्र के घर आया. बहुत अच्छे माहौल में बातचीत हुई. हरेंद्र और परिवार के सभी लोगों ने वादा किया कि शादी में जरूर आएंगे. दूसरे दिन उमा देवी का भी फोन आया. उस ने भी कहा कि सभी लोग शादी में जरूर आएं. उमा देवी ने यह भी वादा किया कि शादी के बाद वह भी साथ में ससुराल आ जाएगी.

29 अप्रैल, 2025 को तेल पूजन का कार्यक्रम था. हरेंद्र इस मौके पर अपनी ससुराल पहुंच गया. गांव में उत्सव का माहौल था. विजय वर्मा का घर सजा हुआ था. रंगबिरंगी लाइटें, फूलों की मालाएं और खाने की खुशबू सब कुछ ऐसा था, जैसे कोई त्यौहार हो. विजय वर्मा गांव में एक सम्मानित व्यक्ति थे, जिन का घर हमेशा मेहमानों से गुलजार रहता था.

सब कुछ ठीकठाक अच्छा व खूबसूरत था. 30 अप्रैल, 2025 को जुगली कलां में हरेंद्र के लिए बहुत ही खुशी का मौका था. हरेंद्र का साला रामविलास शादी के बंधन में बंधने जा रहा था. शादी का कार्यक्रम भी बहुत अच्छा और हंसीखुशी से बीत गया. हरेंद्र के घर वाले जो रामविलास की शादी में शिरकत करने आए थे, विवाह समारोह के बाद अपने घर वापस चले गए. शादी के बाद शुक्रवार 2 मई, 2025  को बहूभोज का आयोजन था. यह एक तरह से रिसैप्शन का कार्यक्रम था. इस क्षेत्र में इसे बहूभोज के नाम से जाना जाता है.

गांव के लोग रिश्तेदार और आसपास के इलाकों से मेहमान आए थे. विजय वर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी. बड़ेबड़े शामियाने लगाए गए, पंडाल सजा था और तरहतरह के पकवान बन रहे थे. हरेंद्र हमेशा की तरह मेहमानों की आवभगत में जुटा था. वह कभी बच्चों के साथ मजाक करता तो कभी बड़ों के साथ गप्पें मारता. उस की हंसी उस रात की रौनक को और बढ़ा रही थी. बहूभोज का कार्यक्रम अपने चरम पर था. मेहमान खाना खा रहे थे. बच्चे इधरउधर दौड़ रहे थे और महिलाएं गीत गा रही थीं. तभी हरेंद्र के फोन की घंटी बजी. उस ने फोन उठाया और बात करते हुए धीरेधीरे पंडाल से बाहर निकल गया. कुछ लोगों ने उसे कंपोजिट विद्यालय की ओर जाते देखा.

इस के कुछ देर बाद जब कुछ मेहमान खाना खा कर घर लौट रहे थे तो उन की नजर सड़क किनारे गन्ने के खेत पर पड़ी. वहां खून से लथपथ हरेंद्र की लाश पड़ी थी. उस का गला इतनी बेरहमी से रेता गया था कि सिर शरीर से बस नाममात्र का जुड़ा था. चारों ओर खून बिखरा था. जैसे किसी ने जानबूझ कर उसे तड़पातड़पा कर मारा हो. पास में उस का मोबाइल फोन पड़ा था. स्क्रीन पर अब भी कोई नंबर चमक रहा था. हरेंद्र की लाश मिलने की खबर आग की तरह गांव में फैल गई. विजय वर्मा का घर जो कुछ देर पहले हंसीखुशी से गूंज रहा था, अब मातम में डूब गया. हरेंद्र की पत्नी उमा देवी बेसुध हो कर रो रही थी. गांव के लोग हैरान थे. कोई समझ नहीं पा रहा था कि आखिर यह हुआ कैसे?

सूचना मिलते ही यूपी डायल 112 की टीम मौके पर पहुंची. महराजगंज तराई थाने के इंसपेक्टर अखिलेश पांडेय ने स्थिति को संभाला. जल्द ही हरैया और ललिया पुलिस की टीमें भी मौके पर आ गईं. एसपी विकास कुमार खुद फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. फोरैंसिक टीम ने वैज्ञानिक तरीके से साक्ष्य जुटाने शुरू किए.

24 घंटे में ऐसे खुला हत्या का केस

खून से सने चप्पल के निशान, बिखरा हुआ खून और हरेंद्र का मोबाइल हर चीज को बारीकी से देखा गया. पुलिस ने घटनास्थल को पट्टिका से घेर कर सील कर दिया गया. घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने हरेंद्र के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. मृतक के चाचा लल्लू वर्मा की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू की गई. महाराजगंज तराई थाने के एसएचओ अखिलेश कुमार पांडेय के नेतृत्व में स्वाट व सर्विलांस टीम ने छानबीन शुरू की. पता चला कि मृतक की पत्नी उमा का जितेंद्र वर्मा से चक्कर चल रहा है.

शुक्रवार की देर रात हरेंद्र की हत्या के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शनिवार को ही संदेह होने पर उस की पत्नी उमा देवी को हिरासत में ले लिया था. उसी से पूछताछ कर उस के प्रेमी जितेंद्र वर्मा व उस के 5 साथियों को भी उठाया. जांच में पता चला कि मुख्य आरोपी जितेंद्र वर्मा ने उमा देवी वर्मा, मुकेश कुमार, सचिन यादव, अखिलेश यादव, संतोष व मुकेश साहू के साथ वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया.

पता चला कि घटना के पहले हरेंद्र वर्मा को मोबाइल से फोन कर के गांव के बाहर गन्ने के खेत के पास बुलाया गया. जितेंद्र वर्मा के साथ गांव के ही मुकेश कुमार, सचिन यादव, अखिलेश यादव, संतोष और मुकेश साहू वहां मौजूद थे. हरेंद्र शराब या किसी नशे का आदी नहीं था, इसलिए जितेंद्र ने इतने लोगों को इकट्ठा किया.

जैसे ही हरेंद्र घर से बाहर थोड़ी दूर आया तो इन सब ने उसे दबोच लिया और खींच कर गन्ने के खेत के पास ले गए. उसे वहीं गिरा लिया. हरेंद्र ने बहुतेरे हाथपैर फेंके, लेकिन इतने लोगों के सामने वह बेबस हो गया. एक ने उस की खोपड़ी पकड़ कर मुंह बंद कर रखा था, जिस से कि उस की चीखने की आवाज बाहर न निकल सके. बाकी लोगों ने इतना कस कर उसे दबोच लिया कि वह हाथपैर भी न हिला सका. जितेंद्र ने उस के गले पर बड़ी बेरहमी से चाकू रख दिया. इस तरह योजनाबद्ध तरीके से हरेंद्र वर्मा की चाकू से गला रेत कर निर्मम हत्या कर दी. आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद हरेंद्र वर्मा की हत्या के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली निकली—

उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खरबूपुर थाना क्षेत्र के देवरहना के युवक हरेंद्र वर्मा का विवाह करीब 4 साल पहले बलरामपुर जिले के महाराजगंज तराई थाना के गांव जुबली कलां की रहने वाली उमा वर्मा के साथ हुआ था. ग्रामीण परंपरा के अनुसार किशोर और किशोरी की उम्र परिपक्व न होने के कारण विवाह तो हो जाता है, लेकिन विवाह के समय दुलहन की विदाई नहीं होती. ग्रामीण भाषा में विदाई की इस रस्म को गौना कहते हैं. इन दोनों का भी 2 साल बाद गौना हुआ था.

गौना के बाद हरेंद्र वर्मा अपनी पत्नी को विदा करा के घर ले आया. वैवाहिक जीवन ठीकठाक गुजर रहा था, लेकिन पत्नी उस के प्रति इतनी गंभीर नहीं थी, जितनी कि एक नए शादीशुदा युवक को उस से अपेक्षाएं होती हैं. पत्नी का प्यार भरा रवैया न होने पर वह बड़ा मायूस रहता था. उमा देवी ज्यादातर खामोश रहती थी. उस का मुंह फूलाफूला रहता था. न घर के काम में उसे कोई दिलचस्पी थी, न ही पति के प्रति कोई दिलचस्पी दिखाई दी.

उमा देवी हमेशा मायके जाने के लिए तत्पर रहती. वह एक हफ्ता ससुराल में रहती तो 2 हफ्ते मायके में गुजारती. वैसे तो मायके वालों को भी उस का बारबार आना पसंद नहीं था, फिर भी औलाद तो औलाद ही होती है. उस के पेरेंट्स और भाई उस की इस हरकत पर उसे समझाते भी और जब वापस मायके आ जाती तो फिर निभाते भी थे. शादी हो जाने के बाद भी उमा अपने प्रेमी जितेंद्र वर्मा के टच में रहती थी. वह जब अपने मायके आती तो जितेंद्र वर्मा से उस की बराबर बातें होतीं. उमा ससुराल में पहुंचने के बाद भी चोरीछिपे मोबाइल से जितेंद्र से बात कर लिया करती थी. दोनों के इस रिश्ते की बात हरेंद्र को उड़तेउड़ते पता चली तो उस ने पत्नी को कई बार इधरउधर की मिसालें दे कर समझाया.

दिन गुजरते रहे. एक दिन उमा देवी अपनी ससुराल में थी, तभी प्रेमी जितेंद्र वर्मा उस की ससुराल पहुंच गया. हरेंद्र ने पत्नी से उस युवक की बाबत जानकारी की तो उमा देवी ने बताया कि यह उस का कजिन है. नाम है जितेंद्र वर्मा. अतिथि की तरह हरेंद्र ने उस की आवभगत की. उस दौरान हरेंद्र ने नोट किया कि जितेंद्र वर्मा का व्यवहार उमा देवी के प्रति भाईबहन जैसा नहीं था. वह अपने गांव के कजिन जितेंद्र वर्मा से बड़े खुल कर हंस कर इस तरह बात कर रही थी, जैसे अपने किसी प्रेमी से कर रही हो. उस समय उस ने पति को बिलकुल नजरअंदाज कर रखा था.

कुछ घंटे रुकने के बाद जितेंद्र वर्मा चला गया तो हरेंद्र को शक हुआ कि यही वह युवक है, जिस से उमा छिपछिप कर फोन पर बात करती है. उस के जाने के बाद पत्नी से हरेंद्र ने अपने शक का इजहार किया. इस पर उमा ने साफ इनकार कर दिया. कई तरह की कसमें खा कर उस ने पति को यकीन दिलाया कि उस का किसी से कोई चक्कर नहीं है. उस के बाद से उमा देवी का रवैय्या एकदम बदल गया. वह पति पर प्यार लुटाने लगी. घर वालों की सेवा में भी कोई कमी नहीं करती, इसलिए हरेंद्र ने जितेंद्र वर्मा की तसवीर दिमाग से निकाल दी. उसे ऐसा लगा कि यह उस के मन का वहम था. वह भी पत्नी का खयाल ठीक से रखने लगा. वह खुश भी दिखती. उस के इस तरह के बदलाव से हरेंद्र भी हैरान था.

जबकि असलियत कुछ और ही थी. दरअसल, उमा के लिए यह शादी सिर्फ एक ऐसा बंधन था, जिस में उसे जबरदस्ती उस की मरजी के खिलाफ बांधा गया था. लिहाजा वह अपना झूठा चेहरा पति के सामने दिखाने लगी थी कि वह खुश है. लेकिन अंदर ही अंदर वह अपने पति से बेइंतहा नफरत करती थी. वह एक मौके की तलाश में थी.

उस के दिल की धड़कनें शादी के 4 साल बाद भी अपने प्रेमी के लिए धड़कती थीं. कई बार मांबाप अपनी इज्जत अपने समाज के दिखावे और अपनी इच्छाओं के चलते अपनी संतान के दिल की आवाज को नजरअंदाज कर देते हैं. बलरामपुर जिले के महाराजगंज तराई थाना के गांव जुबली कलां के विजय वर्मा की बेटी उमा देवी की भी यही कहानी है. उमा देवी का गांव के ही एक युवक जितेंद्र से प्रेम प्रसंग चल रहा था.

फेमिली वालों ने क्यों नहीं मानी उमा की बात

एक ही गांव के जितेंद्र वर्मा और उमा देवी एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाते थे और दोनों ने यह कहा था कि वे एकदूसरे के बिना रह नहीं पाएंगे. लिहाजा दोनों ने अपने फेमिली वालों को इस बात की जानकारी दी. जितेंद्र के घर वाले इस शादी के लिए तैयार हो गए. उन्होंने सोचा कि जहां बेटे की खुशी वहीं हमारी खुशी. अगर बेटा यह चाहता है तो ठीक, यही सही, लेकिन उमा के घर वाले इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं हुए.

उन का कहना था कि जिस तरह का लड़का वो चाहते हैं उस तरह का जितेंद्र नहीं है. इस पैमाने पर वह फिट नहीं बैठता. वह उन की बेटी को खुश नहीं रख सकता. दोनों के सामाजिक स्तर में जमीनआसमान का फर्क था. उमा इस दौरान अपनी मम्मी को लाख समझाती रही कि वह उस के साथ खुश रहेगी. जितेंद्र उसे खूब खुश रखेगा. जितेंद्र उस का ख्याल रखेगा, लेकिन उमा की हर बात को मम्मी ने दरकिनार कर दिया.

उन्होंने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा, तुम्हें अभी जीवन का अनुभव नहीं है. तुम्हारी उम्र अभी 18-19 साल है. तुम्हें क्या पता जीवन में क्या होता है. जीवन की गाड़ी कैसे चलती है. तुम्हें कुछ नहीं पता है. तुम अपने फैसले नहीं ले सकतीं. इस तरह जबरदस्ती उमा की आवाज को हमेशा के लिए चुप करा दिया गया. उमा का जितेंद्र के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा है, इस की चर्चा पूरे गांव में होते हुए विजय वर्मा के कानों तक भी पहुंची. उन में चिंता और आक्रोश का ज्वालामुखी अंदर ही अंदर धधकने लगा. अपने आक्रोश को दबाते हुए उन्होंने बेटी से बड़े प्यार से कहा कि बेटी यह मैं ने क्या सुना है कि तुम गांव के किसी लड़के के चक्कर में पड़ गई हो.

उमा अपने पापा के सामने बोलने का साहस नहीं जुटा पाई. बस नीचे सिर कर के गुमसुम बैठी रही. उस की आंखें नम हो गई थीं. इस से पहले कि वह बिलखबिलख कर रोने लगती, उस की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ता, विजय वर्मा स्थिति को भांप कर चुपचाप दूसरे कमरे में चले गए.

विजय वर्मा ने सोचा कि इस पूरे प्रकरण की जानकारी उन की पत्नी को जरूर होगी. अपनी पत्नी के माध्यम से इस समस्या को सुलझाने का मन बनाया. उन्होंने पत्नी से कहा कि बेटी को समझाओ. हम गांव के सम्मानित और इज्जतदार लोग हैं. अगर ऐसे लुच्चेलफंगे के साथ हम ने अपनी बेटी का विवाह कर दिया तो हमारी समाज में क्या इज्जत रह जाएगी. वैसे भी पुरानी कहावत है, समधियाना और पाखाना दूर का ही सही रहता है. विजय वर्मा के स्वभाव को उन की पत्नी भलीभांति जानती थी. इस से पहले कि वह आक्रोश की आग में जल उठें, उन का ब्लड प्रैशर हाई हो. पत्नी ने कहा कि आप चिंता न करें, मैं उसे समझा दूंगी. इस के लिए कोई रिश्ता  ढूंढना शुरू कर दें. शादी हो जाएगी तो सब कुछ नारमल हो जाएगा. न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी.

उमा देवी की मम्मी उसे पहले ही अपना फैसला सुना चुकी थी. कह चुकी थी कि यह शादी हरगिज नहीं हो सकती. मम्मी ने बेटी उमा देवी को समझाया. कहा बेटी बचपन लड़कपन में बच्चों से ऐसा हो जाता है. किसी से ज्यादा बोलचाल दोस्ती एक लिमिट तक ही रहनी चाहिए. आजकल जमाना ठीक नहीं है. लड़के अपना काम निकाल कर भूल जाते हैं. ऐसी घटनाएं भी होती हैं कि फोटो या वीडियो बना कर ब्लैकमेल करते रहते हैं. आए दिन घटनाएं होती हैं. प्रेमव्रेम का चक्कर अच्छा नहीं है. मम्मीपापा जो शादी करते हैं, वह सब कुछ देखभाल कर करते हैं. अरेंज मैरिज ही ज्यादा कामयाब है. उमा देवी चुपचाप मम्मी की बात सुनती रही और कुछ नहीं बोली. अंत में उस ने कहा ठीक है मम्मी.

जितेंद्र वर्मा का उमा देवी से आमनासामना स्कूल आतेजाते हो जाता. गांव की और भी लड़कियां स्कूल आतीजाती थीं, लेकिन गांव के लड़के अपने गांव की लड़कियों से किसी तरह का कोई हंसीमजाक नहीं करते, बल्कि उन का मानसम्मान करते. आतेजाते सिर्फ इस तरह से एकदूसरे को देख लिया करते, जैसे राह चलते अनजान लोग एकदूसरे को देख कर अपनीअपनी मंजिल की तरफ आतेजाते हैं.

4 साल पहले की बात है. गांव में एक शादी समारोह चल रहा था. रात का समय था. सब अपनीअपनी प्लेट लिए खाना हासिल करने की जद्ïदोजहद कर रहे थे. भीड़ काफी थी. जो लोग प्लेट में खाना प्राप्त कर लेते, वह इस तरह से पीछे हटते जैसे कोई मुकाबला जीत लिया हो. उमा देवी भी प्लेट में खाना ले कर तेजी से बाहर निकली तो जितेंद्र वर्मा से टकरा गई. प्लेट में रखी सब्जियों ने जितेंद्र वर्मा की शर्ट से ले कर पैंट तक को अपनी चपेट में ले लिया. वह पछतावा भरी नजरों से जितेंद्र वर्मा को देख रही थी. जितेंद्र ने उमा देवी को देखा.

दोनों की नजरें एकदूसरे को काफी देर तक देखती रहीं. उस की आंखों में एक गहराई थी, जादू नहीं, बल्कि सुकून था. काजल से सजी वो नजरें कुछ कह नहीं रही थीं, बस चुपचाप दिल तक उतर गईं. वह मुसकराने लगी, उस की मुसकान में मासूमियत और शरारत का अजीब सा मेल था, जैसे सावन की पहली फुहारें किसी तपती दोपहर को छू जाएं. उस की गरदन की हलकी सी लचक, बालों को धीमे से झटकना और दुपट्टे का नजाकत से इस तरह संवारना कि स्तनों को पूरी तरह दिखा कर एक हाथ से ही दुपट्टे का एक पहलू सिर पर रखना, यह सब नजारे जितेंद्र वर्मा के दिल में बस गए. उस का रंग सांवला नहीं था, गोरा भी नहीं, लेकिन उस में वो चमक थी, जो उस की भरपूर जवानी का दस्तक दे रही थी.

जितेंद्र वर्मा ने चुप्पी तोड़ी, ”कोई बात नहीं भीड़भाड़ में ऐसा हो ही जाता है.’’

जवाब में उमा देवी ने कहा, ”नहीं, मेरी गलती है. सौरी… आप मुझे क्षमा कर दें.’’

इतनी देर में ही दोनों के बीच प्यार की नींव रख गई. उस समय उमा और जितेंद्र दोनों की उम्र 18 साल के आसपास ही रही होगी. उमा देवी के घर से 100 कदम की दूरी के बाद ही खेती की जमीनों का क्षेत्र शुरू हो जाता है. जितेंद्र वर्मा खेतों की तरफ आ जाता, उमा वायदे के अनुसार वहां मिल जाती. पेड़पौधों की आड़ में बैठ कर दोनों प्रेम की बातें करते और भविष्य की प्लानिंग बनाते. इश्क और मुश्क छिपता नहीं यह कहावत यहां भी चरितार्थ हो गई. दोनों के प्यार के चर्चे गांव में होने लगे. उमा देवी के फेमिली वालों को पता चला तो उन्होंने उस पर रोक लगा दी. निगरानी शुरू कर दी. समाज की ये दीवारें प्यार करने वालों को कहां रोक पाती हैं.

दोनों के बीच मोबाइल फोन पर बातें होती रहतीं. मौका मिलता, दोनों छिपछिप कर मिल लिया करते. जितेंद्र के फेमिली वालों को उन की प्रेम कहानी का पता चला. उस की मम्मी ने जितेंद्र को समझाते हुए कहा कि हमारा उमा देवी के परिवार से बिरादरी का रिश्ता तो है, लेकिन बराबरी का नहीं है. वे लोग शादी के लिए तैयार नहीं होंगे. बेटा, ऐसा करो उसे भूल जाओ, वरना समस्याओं में ही घिरोगे. कोई हल नहीं निकलेगा. वे दबंग और असरदार लोग हैं. वे हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं.

जितेंद्र ने कहा, ”मम्मी, उन के घर एक बार रिश्ता भिजवा कर तो देख लो, कभी उमा की खुशी के लिए वे लोग शादी के लिए तैयार हो जाएं.’’

बेटे की जिद को देखते हुए जितेंद्र के फेमिली वालों ने शादी के लिए उमा के घर रिश्ता भेजा, लेकिन उन्होंने बेटी का शादी जितेंद्र के साथ करने से साफ मना कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने नाराजगी भी जताई. विजय वर्मा अपनी बेटी की शादी के लिए रिश्ते की तलाश कर ही रहे थे कि इसी बीच उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के खरबूपुर थाना क्षेत्र के देवरहना के युवक हरेंद्र वर्मा के बारे में उन्हें पता चला. उन के पिता चंद्रप्रकाश वर्मा गांव के सम्मानित व मेहनती किसान थे, उन्हें गांव में चंदू के नाम से जाना जाता था.

हरेंद्र की 3 बहनें थीं. एक हरेंद्र से बड़ी बहन और 2 उस से छोटी हैं. बड़ी बहन की शादी हो गई. हरेंद्र से छोटी 2 बहनों की शादी नहीं हुई थी. चंद्रप्रकाश वर्मा अपनी एक और बेटी का विवाह करने के बाद हरेंद्र की शादी करना चाहते थे. बिचौलिए की बातों में आ कर वह हरेंद्र की शादी के लिए तैयार हो गए. सभी तरफ से जानकारी करने पर परिवार को अच्छा ही बताया गया. हरेंद्र का बचपन गांव की गलियों में दोस्तों के साथ हंसतेखेलते बीता, वह पढ़ाई में ठीकठाक था. उस का असली हुनर लोगों से मिलनाजुलना था. उस से बात कर के कोई भी उदास नहीं रह सकता था, बल्कि प्रभावित हो जाता था. करीब 20 वर्षीय चंचल और लंबाचौड़ा हरेंद्र उमा देवी के फेमिली वालों को पसंद आ गया और आननफानन में दोनों का विवाह कर दिया.

हरेंद्र वर्मा से शादी हो जाने के बाद भी उमा ने अपने प्रेमी जितेंद्र वर्मा से मिलना जारी रखा. वह किसी भी हालत में जितेंद्र से दूर नहीं होना चाहती थी. बाद में जब हरेंद्र को पत्नी के अवैध संबंधों की जानकारी हो गई तो उमा ने प्रेमी के साथ मिल कर पति को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया. फिर मौका मिलने पर 2 मई, 2025 को पति की हत्या करा दी. पुलिस ने हत्यारोपी उमा देवी, उस के प्रेमी जितेंद्र वर्मा, मुकेश कुमार, सचिन यादव, अखिलेश यादव, संतोष और मुकेश साहू को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

एसपी विकास कुमार ने 24 घंटे के अंदर ही घटना का परदाफाश करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की. True Crime Stories Hindi

 

UP News : फरजी कर्नल बन कर ठगी

UP News : फरजी कर्नल बन कर राहुल कुमार ने बेरोजगार युवकयुवतियों को आर्मी में नौकरी दिलाने का झांसा दे कर ठगना शुरू कर दिया. वह उन्हें जौइनिंग लेटर तक दे देता था. आखिर उस का यह फरजीवाड़ा पुलिस की पकड़ में गया. फिर उस की ठगी की जो कहानी सामने आई, वह…

उत्तर प्रदेश के जिला मुजफ्फरनगर के थाना खतौली के अंतर्गत आने वाले गांव तकराला का रहने वाला राहुल कुमार सेना में नौकरी करना चाहता था, इसलिए आठवीं पास करने के बाद से ही वह सेना में जाने की तैयारी करने लगा था. रोजाना सुबह जल्दी उठ कर वह दौडऩे जाता, घर आ कर उठकबैठक करता. घर वाले भी उस के खानेपीने का खयाल रखते थे. इसलिए दसवीं पास करतेकरते उस का शरीर पहलवानों जैसा हो गया था. एक साल उस ने सेना में पूछे जाने वालों सवालों की जम कर पढ़ाई भी की. यही वजह थी कि पहले प्रयास में ही वह सेना में भरती हो गया था. यह साल 2019 की बात है.

राहुल सेना में भरती जरूर हो गया था, लेकिन अधिकारियों का रौबदाब और उन की सुखसुविधाएं देख कर वह हीनभावना का शिकार होने लगा. क्योंकि सेना में सिपाही और अधिकारियों के बीच का जो फासला होता है, वह बहुत बड़ा होता है. उस फासले को पार करना आसान नहीं होता. हीनभावना से ग्रसित हो कर वह सेना में होते हुए ही गलत काम करने लगा था. उन्हीं कामों में एक चोरी भी थी. आखिरकार एक दिन वह चोरी करते पकड़ा गया और नौकरी से निकाल दिया गया, जिस का केस आज भी चल रहा है. यह साल 2022 की बात है.

नौकरी से निकाले जाने के बाद वह बेरोजगार हो गया था. घर वाले भी उस से नाराज थे. क्योंकि अच्छीभली नौकरी उस की गलतियों की वजह से चली गई थी. जीना है तो पैसे चाहिए ही. क्योंकि बिना पैसों के कुछ हो ही नहीं सकता. राहुल कुमार की नौकरी छूट गई तो पैसे कहां से आते. घर वाले भी नाराज थे. इसलिए उन से भी कोई मदद नहीं मिल रही थी. ऐसे में राहुल को कुछ नहीं सूझा तो उस ने लोगो को ठगने का विचार बना लिया.

सेना में नौकरी पाने का हर मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे का सपना होता है. इस की वजह यह होती है कि कम पढ़ाई में इस से बढिय़ा दूसरी कोई नौकरी नहीं है. रिटायर होने पर किसी अन्य नौकरी में पेंशन नहीं मिलती, जबकि सेना की नौकरी से रिटायर होने पर आजीवन पेंशन भी मिलती है. घर वाले भी खुश होते हैं कि उन्हें आगे की पढ़ाई का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा.

राहुल को यह बात पता थी, इसलिए उस ने इसी बात का फायदा उठाने का विचार किया. कर्नल की वरदी और बैज वह चुरा कर लाया ही था. इसलिए उस ने उस वरदी को पहन कर लोगों को ठगने का विचार किया. वह कर्नल की वरदी पहन कर कर्नल बन जाता और शिकार की तलाश में किसी इंटर कालेज के सामने पहुंच जाता, जहां वह दसवीं बारहवीं के बच्चों से मिलता. वह उन्हें सेना में नौकरी दिलाने का भरोसा देता और उन से मोटी रकम यानी डेढ़ से ढाईतीन लाख रुपए ले कर फरार हो जाता.

राहुल बहुत शातिर था. उस ने यह काम अपने गांव के आसपास करना उचित नहीं समझा. क्योंकि उसे पता था कि पैसे लेने के बाद वह नौकरी तो दिला नहीं पाएगा. लोग उस के घर तक आ जाएंगे. तब उस की और फजीहत होगी. इसलिए ठगी का यह काम करने के लिए वह लखनऊ के पास सीतापुर आ गया. सीतापुर के नारायणनगर में उस ने एक मकान किराए पर लिया और उसी में रह कर वह ठगी का अपना धंधा करने लगा. शिकार की तलाश में वह सीतापुर से लखनऊ आता और शिकार मिल जाता तो उस से मोटी रकम ले कर सीतापुर निकल जाता और आराम से रहता.

लड़कियों को भी दिया नौकरी का झांसा

ऐसे में ही उस की मुलाकात लखनऊ की रहने वाली मुसकान माहौर और कल्पना कुमारी से हुई. दोनों सहेलियां थीं और एक ही कालेज में पढ़ती थीं. एक दिन कालेज में जल्दी छुट्टी होने पर दोनों कालेज के बाहर पार्क की बेंच पर बैठी बातें कर रही थीं, तभी राहुल कुमार कर्नल की वरदी में आ कर उसी बेंच पर बैठ गया. थोड़ी देर वह चुपचाप बैठा रहा. उस के बाद मुसकान से पूछा, ”आप लोग क्या करती हैं?’’

 

”हम दोनों पढ़ती हैं.’’ मुसकान ने जवाब दिया.

”बीए कर रही हैं या बीएससी?’’

”मतलब?’’ जवाब देने के साथ मुसकान ने सवाल कर दिया.

”ऐसे ही पूछ लिया. वैसे अगर आप लोग नौकरी करना चाहें तो मैं आप लोगों को सेना में नर्सिंग असिस्टेंट की नौकरी दिलवा सकता हूं.’’ राहुल कुमार ने कहा, ”लेकिन इस के लिए आप लोगों को कुछ खर्च करना होगा.’’

राहुल कुमार की इस बात से मुसकान और कल्पना ने उसे गौर से देखा. उस की वरदी पर जो नेमप्लेट लगी थी, उस में राहुल कुमार लिखा था. कंधे पर अशोक चिह्न और 2 स्टार लगे थे. शरीर और बातचीत से भी वह फौजी जैसा लगता था. राहुल फौज में था ही, इसलिए उसे फौज के अधिकारियों के बात करने का लहजा एवं व्यवहार के बारे में पता ही था.

”मैं आप को जानती भी नहीं, फिर आप पर विश्वास कैसे करें?’’ मुसकान ने कहा, ”जमाना बहुत खराब है. रोजाना ठगी के तमाम किस्से अखबारों में पढऩे को मिलते हैं, इसलिए जल्दी से किसी पर विश्वास नहीं होता.’’

”मैं जिला मुजफ्फरनगर के थाना खतौली के अंतर्गत आने वाले गांव तकराला का रहने वाला हूं. लेकिन इस समय सीतापुर के नारायणनगर स्थित मकान नंबर 302 में रह रहा हूं.’’ इतना कह कर राहुल ने मुसकान को अपना सेना का आईडी कार्ड दिखाया.

इस के बाद मुसकान को थोड़ा विश्वास हुआ. उस ने कहा, ”पहले घर वालों से बात कर लूं. उस के बाद ही कुछ कह सकती हूं. क्योंकि नौकरी के लिए थोड़े पैसे तो लगेंगे नहीं.’’

”जी, कम से कम ढाईतीन लाख रुपए तो देने ही होंगे. इसलिए घर वालों से बात करनी ही पड़ेगी.’’

”ठीक है, बात कर लो. बात कर के जल्दी बताना.’’ राहुल ने कहा.

”कहां बताऊंगी? आप अपना मोबाइल नंबर दे दीजिए. घर वालों से बात कर के आप को फोन कर दूंगी.’’ मुसकान बोली.

”इस तरह की बातें फोन पर नहीं की जातीं. आप बात कर लेना. मैं 2 दिन बाद इसी समय यहां आऊंगा. आप के घर वाले जो कहें, बता देना.’’ राहुल ने कहा.

इस के बाद थोड़ीबहुत औपचारिक बातें हुईं और फिर तीनों अपनेअपने रास्ते चले गए. मुसकान और कल्पना ने इस बारे में अपनेअपने घरों में बात की. राहुल ने नौकरी दिलाने के लिए जो रकम मांगी थी, वह कम नहीं थी. इतने रुपए हर किसी के घर में नहीं होते. फिर मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए तो यह एक बड़ी रकम थी. लेकिन बेटी के भविष्य की बात थी, इसलिए मुसकान और कल्पना के घर वाले पैसों की व्यवस्था करने में लग गए. क्योंकि उन लोगों को यही लगता था कि आर्मी वाले ईमानदार होते हैं. वे किसी के साथ ठगी कर ही नहीं सकते. मुसकान की मम्मी ने तो पूरे ढाई लाख रुपयों की व्यवस्था कर ली थी. जबकि कल्पना के पेरेंट्स मात्र डेढ़ लाख रुपए ही इकट्ठा कर पाए थे. इस पर राहुल ने कहा था कि बाकी रकम वह जौइनिंग लेटर पाने के बाद दे देना.

पैसे देने के बाद मुसकान और कल्पना खुश थीं कि अब उन्हें सेना में नर्सिंग असिस्टेंट की नौकरी मिल जाएगी. इसी के साथ वे खुशहाल जीवन के तरहतरह के सपने देखने लगी थीं. इंतजार के दिन बहुत मुश्किल से कटते हैं. मुसकान और कल्पना का भी एकएक दिन बहुत मुश्किल से कट रहा था. इस की वजह यह थी कि वे चाहती थीं कि जल्दी से नौकरी मिल जाए और वे महीने में मिलने वाले वेतन से मजे करें, साथ ही घर वालों ने उन की नौकरी के लिए जो रुपए उधार लिए हैं, उन्हें भी अदा कर सकें.

आखिर उन के इंतजार की घडिय़ां खत्म हुईं और राहुल कुमार का फोन आ गया. उस ने मुसकान को फोन कर के लखनऊ के कैंट इलाके में बुलाया. उस ने कहा कि उन के जौइनिंग लेटर उस के पास हैं, आ कर ले लें और जल्दी से अपनी नौकरी जौइन कर लें. मुसकान कल्पना के साथ घर से निकलने की तैयारी कर रही थी कि राहुल का फिर फोन आ गया. इस बार उस ने कहा कि किसी जरूरी काम से वह सीतापुर आ गया है. उन के जौइनिंग लेटर उस के पास ही ही हैं. वे कैसरबाग बसस्टैंड से बस पकड़ कर सीतापुर आ जाएं. वह उन के जौइनिंग लेटर दे देगा.

ऐसे दबोचा फरजी कर्नल

सीतापुर पहुंच कर मुसकान ने राहुल को फोन किया. राहुल ने लालबाग चौराहे के पास स्थित आर्मी कैंटीन में बुलाया. मुसकान और कल्पना आर्मी कैंटीन पहुंचीं तो राहुल उन्हें वहां उन का इंतजार करते मिला. उस ने दोनों को नाश्ता करा कर चाय पिलाई. इस के बाद उस ने दोनों के जौइनिंग लेटर दे दिए. दोनों जौइनिंग लेटर ले कर घर तो आ गईं, पर घर आ कर जब दोनों ने अपने जौइनिंग लेटर देखे तो उन्हें संदेह हुआ. उन्हें लगा कि ये फरजी हैं. उन्होंने तुरंत राहुल कुमार को फोन किया. जब मुसकान और कल्पना ने उस से जौइनिंग लेटर फरजी होने की बात कही तो सीधे मुंह बात करने के बजाय वह नाराज हो कर बदतमीजी करने लगा.

दोनों से अभद्रता करते हुए धमकी देते हुए कहा कि जौइनिंग लेटर फरजी हैं तो क्या हुआ? उन्हें जो करना है, कर लें. उस की इतनी पहुंच है कि वे उस का कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं. मुसकान और कल्पना के पास पुलिस के पास शिकायत करने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं था. उन्होंने पुलिस में उस के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी. यह शिकायत सीतापुर एसटीएफ को ट्रांसफर कर दी गई. उत्तर प्रदेश एसटीएफ को पहले से ही शिकायत मिल रही थी कि सीतापुर में रह कर सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर एक युवक फरजी कर्नल बन कर ठगी कर रहा है.

मुसकान और कल्पना से एसटीएफ को राहुल कुमार का नंबर और पता मिल गया था. फिर क्या था, एसटीएफ इंसपेक्टर संतोष कुमार सिंह ने रात को नारायणनगर स्थित राहुल के किराए के मकान पर छापा मार कर उसे गिरफ्तार कर लिया. एसटीएफ जब राहुल कुमार को गिरफ्तार करने पहुंची थी तो वह एसटीएफ की टीम से भिड़ गया था. वह उन से हाथापाई करने लगा था, लेकिन आरोपी भला पुलिस से कहां तक मुकाबला करता. एसटीएफ ने उसे दबोच कर गिरफ्तार कर लिया. तलाशी में पुलिस को उस के कमरे से कर्नल की वरदी, फरजी आईडी कार्ड, फरजी दस्तावेज और 4 लाख रुपए मिले थे, जो ठगी द्वारा राहुल कुमार को मिले थे.

एसटीएफ ने सीतापुर थाना कोतवाली में राहुल कुमार के खिलाफ बीएनएस की धारा 319(ठ), 318(4), 352, 351(2), 336(1), 338, 341(1), 205 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कराया तो सीओ (सिटी) अमन सिंह की उपस्थिति में उस से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में राहुल कुमार ने बताया कि वह मुजफ्फरनगर का रहने वाला है. साल 2019 में वह सेना में भरती हुआ था. वह महार रेजिमेंट सागर, मध्य प्रदेश में सिपाही के पद पर तैनात था. तभी साल 2022 में उस की गलत हरकतों की वजह से उसे सेना से निकाल दिया गया था. उस का बैज नंबर 10391419एम था. उस का डीसीएम बौडी (सैन्य न्यायालय) केस चल रहा है.

इस का मतलब था कि इस समय वह ड्यूटी पर नहीं था. कर्नल की वरदी, बैज वगैरह वह सेना में नौकरी करने के दौरान चुरा लाया था. नौकरी से निकाले जाने के बाद वह वही कर्नल की वरदी पहन कर बेरोजगार लड़कों और लड़कियों को सेना के विभिन्न पदों पर नौकरी दिलाने के नाम पर मोटी रकम ले कर फरजी दस्तावेज तैयार कर के ठग रहा था. पूछताछ के बाद कोतवाली पुलिस ने राहुल कुमार को अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया और अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसे सेना से क्यों निकाला गया था? अब तक उस ने और कितने लोगों को ठगा है? कथा लिखे जाने तक पुलिस ने उसे फिर से अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया था.

एक और फरजी कर्नल मेरठ से गिरफ्तार

इसी तरह मेरठ एसटीएफ ने भी कुछ दिनों पहले मेरठ के थाना गंगानगर निवासी एक फरजी कर्नल सतपाल सिंह यादव को गिरफ्तार किया था. मेरठ में सेना की छावनी है. वहां सेना को कहीं से जानकारी मिली थी कि कोई आदमी सेना का कर्नल बन बेरोजगार युवकों को सेना में भरती कराने के नाम पर ठगी कर रहा है. सेना ने यह सूचना एसटीएफ को दी तो एसटीएफ इंसपेक्टर एस.पी. सिंह ने छापा मार कर मेरठ के थाना गंगानगर के अंतर्गत रहने वाले सतपाल सिंह यादव को गिरफ्तार किया था.

सतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के साथ एसटीएफ ने उस के घर से कई बैंकों की चेकबुकें, फरजी परिचय पत्र, फरजी नियुक्ति पत्र, स्टांप, प्रिंटर, भारतीय सेना के कर्नल की वरदी, फरजी पहचान पत्र, रसीदी टिकट, आर्मी कर्नल का आईडी कार्ड और अन्य तमाम फरजी दस्तावेज बरामद किए थे. आरोपी सतपाल सिंह यादव अपने बेटे के साथ मिल कर ठगी का धंधा चला रहा था. सतपाल साल 2003 में सेना से ड्राइवर के पद से रिटायर हुआ था. वह पुणे में तैनात एक कर्नल डी.एस. चौहान की गाड़ी चलाता था.

रिटायर होने के बाद सतपाल सिंह ने कर्नल डी.एस. चौहान के नाम की वरदी बनवाई और उन्हीं के नाम का फरजी आईडी कार्ड भी बनवाया. इस के बाद खुद को सेना का कर्नल बता कर बेरोजगार युवकों को सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने लगा था. पिछले 7 सालों से वह बेरोजगार युवकों को ठग रहा था. इस काम में उस का बेटा उस की मदद कर रहा था. अब तक वह करोड़ों की ठगी कर चुका है. बुलंदशहर से ले कर नोएडा और मेरठ ही नहीं, लखनऊ तक के युवकों को ठग चुका है.

एसपी कमलेश बहादुर सिंह के अनुसार, सतपाल सिंह लोगों को फरजी जौइनिंग लेटर दे कर मोटी रकम लेता था. उस ने कई युवकों को फरजी ट्रेनिंग भी करवाई है. उस के खिलाफ बुलंदशहर में शिकायत दर्ज कराई गई थी. बुलंदशहर के उस युवक से उस ने 16 लाख रुपए लिए थे. उसी के बाद एसटीएफ ने उसे गिरफ्तार किया था. फिलहाल सतपाल सिंह अपने बेटे के साथ जेल में है. UP News

 

 

UP Crime News : पूजा ने प्रौपर्टी के लिए सास को मरवाया

UP Crime News : पति को छोडऩे के बाद 28 वर्षीय पूजा को कल्याण राजपूत से प्यार हो गया. उस के साथ वह लिवइन रिलेशन में रहने लगी. एक्सीडेंट में कल्याण की मृत्यु हो जाने के बाद पूजा ने जेठ संतोष राजपूत को फांस लिया. खूबसूरत पूजा से शादी करने के बाद संतोष की पहली पत्नी रागिनी उपेक्षा के चलते मायके चली गई. इसी बीच पूजा की 55 वर्षीय सास सुशीला की हत्या हो गई. किस ने की यह हत्या और इस की क्या वजह रही?

पूजा अपनी मासूम बेटी रूबी के साथ बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी के घर ग्वालियर पहुंची तो कमला ने उसे हाथोंहाथ लिया और खूब खातिरदारी की. पूजा को बहन के घर रहते कई दिन बीत चुके थे, लेकिन वह खुश नहीं थी. वह हमेशा चिंता में डूबी रहती. न ढंग से खाना खाती और न ही चेहरे पर मुसकान होती.

कमला उर्फ कामिनी ने छोटी बहन को इस हाल में देखा तो एक रोज शाम को चाय पीने के दौरान उस ने पूछा, ”पूजा, तुम दिनरात किस चिंता में डूबी रहती हो. न ढंग से बात करती हो और न ही हंसतीमुसकराती हो. क्या पति से झगड़ कर आई हो या फिर ससुर ने कुछ कहा है. जो भी बात हो मुझे खुल कर बताओ.’’

”दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है. न मैं पति से झगड़ कर आई हूं और न ही ससुर ने कुछ कहा है. वे दोनों तो मुझे खूब प्यार करते हैं और हर बात मानते हैं. उन से हमें कोई शिकवाशिकायत नहीं है.’’ पूजा बोली.

”फिर इतनी परेशान क्यों है?’’ कमला ने पूजा को बीच में ही टोका.

”दीदी, मेरी परेशानी की वजह मेरी सास सुशीला देवी है.’’

”वह कैसे?’’ कमला ने पूजा के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं.

”दीदी, मैं अपने हिस्से की 8 बीघा जमीन बेच कर ग्वालियर शहर में बसना चाहती हूं. मेरी बेटी अब सयानी हो रही है. उसे शहर में पढ़ालिखा कर उस का जीवन संवारना चाहती हूं. मेरे पति व ससुर तो जमीन बेचने को राजी हैं, लेकिन सास सुशीला देवी अड़चन बनी है.’’

कमला और पूजा अभी आपस में बातें कर ही रही थीं कि तभी कमला का प्रेमी अनिल वर्मा वहां आ गया. वह भी उन की बातों में शामिल हो गया. पूजा की समस्या को समझने के बाद अनिल वर्मा बोला, ”पूजा, यदि सासरूपी तुम्हारी बाधा को मैं दूर कर दूं तो मुझे और कमला को क्या हासिल होगा?’’

पूजा को बाधा यानी यह समस्या दूर होने की उम्मीद जागी तो वह बोली, ”जमीन बिकने पर जो पैसा मिलेगा, उस में से तुम दोनों को भी हिस्सा दूंगी. बस किसी तरह इस प्रौब्लम दूर कर दो.’’

पैसा मिलने के लालच में अनिल वर्मा व उस की प्रेमिका कमला उर्फ कामिनी, पूजा की सास सुशीला देवी की हत्या करने को राजी हो गए. इस के बाद पूजा, कमला व अनिल वर्मा ने कान से कान जोड़ कर सुशीला देवी की हत्या की योजना बनाई. साथ ही प्लान ए और बी भी बनाया. प्लान ए के तहत हत्या के आरोप में पूजा के ससुर को जेल भिजवाना तथा प्लान बी के तहत पुलिस से बचाव करना.

22 मई 2025 को पूजा की बेटी रूबी का जन्मदिन था. पूजा ने योजना के तहत अपने पति संतोष राजपूत व ससुर अजय प्रताप राजपूत से फोन पर बात की और उन्हें बेटी के जन्मदिन पर आने का न्योता दिया और ग्वालियर आने को कहा. उस ने ऐसा इसलिए किया ताकि घर में सास सुशीला अकेली पड़ जाए और उस की हत्या आसानी से की जा सके.

पूजा के बुलाने पर संतोष और उस के पापा अजय प्रताप राजपूत ग्वालियर आ गए. रूबी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया. जश्न में कमला का प्रेमी अनिल वर्मा भी शामिल हुआ. दूसरे रोज पूजा ने पति संतोष को यह कह कर रोक लिया कि वह पेट से है, लेकिन दूसरा बच्चा अभी नहीं चाहती. अत: अस्पताल चल कर गर्भपात कराना है. ससुर अजय प्रताप को भी पूजा ने बहाने से रोक लिया. ससुर ने उसे 5 हजार रुपए भी खर्च के लिए दिए. अजय प्रताप को क्या पता था कि उस की शातिर बहू उसी के साथ छल कर रही है और उस की पत्नी का काल बनने जा रही है.

पूजा का पति व ससुर ग्वालियर में थे और पूजा की सास सुशीला देवी गांव में अकेली थी, अत: उचित मौका देख कर योजना के तहत कमला और अनिल वर्मा 24 जून, 2025 की सुबह 5 बजे बाइक से कुम्हरिया गांव स्थित सुशीला देवी के घर पहुंचे. सुशीला घर पर ही थी. पूजा की बहन कमला को सुशीला जानती थी. अत: उस ने उसे घर के अंदर आदर भाव से बिठाया और चायनाश्ता कराया. दोनों ने आधेआधे कप चाय पी. फिर अनिल और कमला ने सुशीला को अचानक दबोच लिया और बैड पर गिरा कर रस्सी से उस के हाथपैर बांध कर बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया.

सुशीला चीख न सके, इस के लिए उन दोनों ने उस के मुंह में कपड़ा ठूूंस दिया, फिर उसी की चुनरी से उसे गला घोंट कर मार डाला. हत्या करने के बाद कमला व अनिल ने घर में लूटपाट की और नकदी तथा सोनेचांदी के गहने ले कर फरार हो गए. 24 जून, 2025 को दोपहर बाद अजय प्रताप राजपूत ग्वालियर से कुम्हरिया गांव स्थित अपने घर पहुंचे तो घर के मुख्य दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद थी. वह कुंडी खोल कर घर के अंदर कमरे में पहुंचे तो कमरे का नजारा देख कर चौंक गए. बैड पर उन की पत्नी सुशीला देवी की लाश पड़ी थी. वह चीखते हुए बाहर आए.

चाचा की चीख सुन कर सौरभ राजपूत आ गया. उस ने चाची की हत्या की बात सुनी तो वह भी दंग रह गया. इस के बाद तो पूरे गांव में कोहराम मच गया और लोगों की भीड़ अजय प्रताप के घर जुटने लगी. इसी बीच सौरभ ने चाची सुशीला की हत्या की सूचना थाना टहरौली पुलिस तथा डायल 112 पर दे दी. हत्या की सूचना पाते ही एसएचओ सुरेश कुमार पुलिस टीम के साथ कुम्हरिया गांव पहुंच गए. उन की सूचना पर एसएसपी बी.बी.जी.टी.एस. मूर्ति, सीओ अरुण कुमार राय तथा एसपी (सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया.

मृतका सुशीला का शव बैड पर पड़ा था. बैड के एक सिरे से उस के हाथ तथा दूसरे सिरे से रस्सी से उस के पैर बंधे थे. मुंह में कपड़ा ठूंसा गया था. मृतका की उम्र 55 वर्ष के आसपास थी. उस की हत्या बेहोश कर गला घोंट कर की गई थी. बेहोशी का इंजेक्शन बेड के नीचे पड़ा था. साक्ष्य के तौर पर पुलिस ने उस खाली पड़े इंजेक्शन को सुरक्षित कर लिया. एक कमरे का ताला टूटा पड़ा था और बक्से का ताला भी टूटा पड़ा था. उस में रखा सामान कमरे में फैला था. जिस कमरे में बैड पर लाश पड़ी थी, उसी कमरे में छोटी सी मेज पर चाय के 2 कप तथा नमकीन, बिसकुट की प्लेटें रखी थीं. आधाआधा कप ही चाय पी गई थी.

निरीक्षण के बाद एसएसपी ने शव को झांसी के जिला अस्पताल पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया और एसपी (सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह को हत्या के खुलासे की जिम्मेदारी सौंपी. ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने तब एक स्पैशल टीम बनाई, जिस में एसएचओ के अलावा सर्विलांस तथा एसओजी के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को शामिल किया गया. साथ ही खास खबरियों को भी लगा दिया. पुलिस की इस स्पैशल टीम ने सब से पहले घर के मुखिया अजय प्रताप से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि हत्यारे एक लाख नकद तथा 8 लाख के जेवर भी लूट ले गए थे.

”तुम्हें किसी पर शक है?’’ एसपी ज्ञानेंद्र सिंह ने अजय राजपूत से पूछा.

”हां सर, मुझे बड़ी बहू रागिनी और उस के भाई आकाश पर शक है. रागिनी सुशीला से खुन्नस रखती थी. इसी खुन्नस में दोनों ने मिल कर मेरी पत्नी की हत्या की होगी.’’

अजय राजपूत के अलावा पुलिस टीम ने उस के बेटे संतोष व भतीजे सौरभ राजपूत से भी पूछताछ की.

ससुर को क्यों फंसाना चाहती थी पूजा

अजय के भतीजे सौरभ राजपूत ने बताया कि चाचा की चीख सुन कर वह घर आया तो चाची बैड पर मृत पड़ी थीं. उस ने ही पुलिस को सूचना दी थी. उस ने बताया कि सुबह 5 बजे एक युवक व एक युवती चाची के घर बाइक से आए थे. वे दोनों मुंह पर कपड़ा बांधे थे. उन्होंने घर से करीब 100 मीटर दूर अपनी बाइक खड़ी की थी. लगभग डेढ़ घंटा बाद वे चले गए थे. उस समय भी दोनों के मुंह पर कपड़ा बंधा था, इसलिए वह उन दोनों को पहचान नहीं पाया था. बाइक दूर खड़ी थी, इसलिए नंबर भी नोट नहीं कर पाया.

सौरभ ने यह भी बताया कि 3:10 बजे उस की पत्नी के मोबाइल फोन पर एक काल आई थी. यह काल पूजा ने अपने नंबर से न कर के दूसरे के मोबाइल नंबर से की थी और चाची का हालचाल पूछा था. सौरभ ने वह नंबर पुलिस को दे दिया. इधर संदेह के आधार पर पुलिस ने अजय प्रताप की तहरीर पर दतिया निवासी आकाश व उस की बहन रागिनी के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच में जुट गई. पुलिस टीम दूसरे रोज रागिनी व आकाश की तलाश में दतिया को निकलने ही वाली थी कि आकाश और रागिनी स्वयं ही थाना टहरौली आ गए. उन्होंने बताया कि जब उन्हें पता चला कि सुशीला देवी की हत्या हो गई है और रिपोर्ट उन के खिलाफ दर्ज की गई है तो वे घबरा गए और थाने आ गए.

रागिनी ने पुलिस के सामने कहा कि यह बात सही है कि वह पूरे परिवार से नफरत करती है, क्योंकि पति संतोष राजपूत ने विधवा देवरानी पूजा से शादी रचा कर उस के साथ छल किया तो दूसरी ओर सासससुर ने पूजा को जरूरत से ज्यादा प्यारदुलार दे कर उस के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई. वह सौतन को कब तक बरदाश्त करती. इसलिए ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. रागिनी ने कहा कि उस ने सास की हत्या नहीं की. उसे और उस के भाई को हत्या के मामले में झूठा फंसाया जा रहा है. सास की हत्या का राज ससुर अजय व उस की बहू पूजा के पेट में ही छिपा है.

रागिनी ने जिस बेबाकी से अपनी बात पुलिस को बताई, उस से पुलिस को लगा कि रागिनी व उस का भाई आकाश निर्दोष हैं. उन्हें थाने से जाने दिया. हां, इतना जरूर कहा कि सहयोग के लिए जब भी उन्हें बुलाया जाए, वे थाने पर जरूर आएं. रागिनी के बयान के आधार पर अजय प्रताप की बहू पूजा शक के दायरे में आ गई थी. शक का दूसरा कारण यह भी था कि सास सुशीला की हत्या को 3 दिन बीत गए थे, लेकिन पूजा ग्वालियर से ससुराल नहीं आई थी. मोबाइल फोन के जरिए ही वह पति व ससुर के संपर्क में थी और पुलिस की हर गतिविधि की जानकारी ले रही थी. जबकि सास की मौत की खबर पाते ही उसे ससुराल आ जाना चाहिए था.

27 जून, 2025 को पुलिस टीम ने शक के आधार पर पूजा को उस के पति संतोष के सहयोग से ग्वालियर स्थित घर से हिरासत में ले लिया और थाना टहरौली ले आई. थाने में उस से सास सुशीला की हत्या के बारे में पूछा गया तो वह साफ मुकर गई. बोली, ”साहब, मैं तो ग्वालियर में थी. पति व ससुर भी मेरे साथ थे. मुझे क्या पता कि सास को किस ने मारा?’’

”तुम ने सुशाीला की हत्या नहीं की तो फिर किस ने की?’’ टीम के एक दरोगा ने उस से पूछा.

”साहब, मुझे तो अपने ससुर अजय प्रताप राजपूत पर ही शक है. वह सास से खुन्नस रखते थे. सास को शक था कि ससुर मुझे चाहते हैं और संबंध बनाना चाहते हैं.’’

पूजा के बयान के आधार पर पुलिस टीम कुम्हरिया गांव पहुंची और अजय प्रताप राजपूत को पकड़ कर थाने ले आई. रात भर उन से सख्ती से पूछताछ की गई, लेकिन वह अपनी बेगुनाही के सबूत पेश करते रहे.

सुबह पुलिस टीम ने पूजा व अजय प्रताप राजपूत को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की. पूजा ने अपनी बात दोहराई और ससुर अजय प्रताप से कहा कि वह सास की हत्या का जुर्म कुबूल कर लें. वह उन्हें जल्द ही जमानत पर छुड़ा लेगी.

पूजा की बात सुन कर अजय प्रताप सन्न रह गए. वह सोचने लगे जिस बहू को उन्होंने ससम्मान घर में रखा, लाड़प्यार दिया, वही बहू उसे हत्या जैसे मामले में फंसाना चाहती है. उन के दिमाग में विचार कौंधा कि कहीं पूजा ने ही तो सुशीला की हत्या नहीं कराई. क्योंकि पूजा जमीन बेचना चाहती थी और सुशीला विरोध करती थी.

अजय ने तब सारी बात पुलिस को बताई और अब हत्या का शक पूजा पर जताया. पूजा अब पूरी तरह से शक के घेरे में आ गई थी. अत: पुलिस टीम ने पूजा से सख्ती से पूछताछ की. पूजा ने तब सास की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. पूजा ने बताया कि मैं अपने हिस्से की 8 बीघा जमीन बेच कर ग्वालियर में बसना चाहती थी. लेकिन सास सुशीला बाधक बन गई थी. इसी जमीन के लिए मैं ने सास की हत्या करवाई. हत्या के लिए मैं ने रुपयों का लालच दे कर बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी व उस के प्रेमी अनिल वर्मा को तैयार किया. ससुर को फंसाना भी साजिश का हिस्सा था. ससुर जेल चले जाते तो जमीन बिकने में कोई अड़चन नहीं आती. कमला व उस के प्रेमी अनिल वर्मा ने ही प्लान के तहत सास की हत्या की और घर में लूटपाट भी की.

पूजा ने गुनाह कुबूल किया तो पूजा की मदद से पुलिस टीम ने पूजा की बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी को भी ग्वालियर से गिरफ्तार कर लिया. लेकिन अनिल वर्मा पुलिस को चकमा दे गया. कमला उर्फ कामिनी को थाना टहरौली लाया गया. एसपी (सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह व सीओ (टहरौली) अरुण कुमार राय ने जब कमला से सुशीला की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने सहज ही हत्या व लूटपाट का जुर्म कुबूल कर लिया, लेकिन उस के पास से लूटपाट की ज्वैलरी बरामद नहीं हुई. जेवर के बारे में पूछने पर कमला ने बताया कि लूटपाट के जेवर उस के प्रेमी अनिल वर्मा के पास हैं. वह जेवर को बेचने की फिराक में किसी ज्वैलर के संपर्क में है.

चूंकि पूजा और उस की बहन कमला उर्फ कामिनी ने सुशीला देवी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: पुलिस ने मृतका के पति अजय प्रताप की तहरीर पर बीएनएस की धारा 103(1) व (61) के तहत आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. दूसरे रोज (29 जून) को उन्हें झांसी की कोर्ट में पेश कर जिला जेल भेज दिया गया. चूंकि लूट का माल कमला के प्रेमी अनिल वर्मा के पास था. उस की खोज में पुलिस टीम जुट गई. पुलिस ने उस की टोह में खास खबरियों को भी लगा दिया.

30 जून, 2025 की रात 9 बजे एक खास मुखबिर से थाना टहरौली के एसएचओ सुरेश कुमार को सूचना मिली कि वांछित अपराधी अनिल वर्मा किसी रिश्तेदार के यहां लूटी गई ज्वैलरी पहुंचाने के इरादे से बघौरा के घुरैया तिराहे से निकलने वाला है. इस सूचना पर सीओ (टहरौली) अरुण कुमार राय, इंसपेक्टर सुरेश कुमार तथा उल्दन थाने के एसएचओ दिनेश कुमार पुलिस टीम के साथ घुरैया तिराहे पहुंचे और चैकिंग शुरू कर दी.

रात 10 बजे के लगभग पुलिस को एक संदिग्ध बाइक सवार आता दिखा. पुलिस ने रुकने का इशारा किया, लेकिन उस ने बाइक दौड़ा दी और पुलिस पर फायर झोंक दिया. जवाबी काररवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई. गोली अनिल वर्मा के पैर में लगी और वह घायल हो गया. पुलिस ने तब अनिल वर्मा को दबोच लिया. पुलिस को उस के पास से 8 लाख रुपए कीमत के आभूषण बरामद हो गए, जो उस ने सुशीला देवी हत्या के बाद लूटे थे. पुलिस ने हत्या में प्रयोग उस की बाइक तथा तमंचा भी अपने कब्जे में ले लिया. उस ने हत्या में प्रयुक्त सीरिंज भी बरामद करा दी, जो उस ने बाइक की डिक्की में छिपा दी थी.

पुलिस जांच, आरोपियों के बयानों एवं मृतका के फेमिली वालों द्वारा दी गई जानकारी के तहत झांसी की कातिल हसीना की दिल को झकझोर देने वाली कहानी प्रकाश में आई. उत्तर प्रदेश के झांसी शहर के थाना प्रेमनगर अंतर्गत एक मोहल्ला है— नगरा महावीरन. इसी मोहल्ले में बोधराम जाटव परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटे निरपत, गणपत तथा 2 बेटियां कमला तथा पूजा थीं. बोधराम रेलवे में लोको पायलट थे. बड़ी बेटी कमला उर्फ कामिनी सयानी हुई तो उन्होंने उस का विवाह हजीरा (ग्वालियर) निवासी सूरज जाटव से कर दिया.

बोधराम की बेटी पूजा अपने भाईबहनों में सब से छोटी थी. जब वह 7 साल की थी, तभी उस की मम्मी सरला की मौत हो गई थी. पूजा की भाभी लीलावती ने उसे पालपोस कर बड़ा किया था. यौवन की दहलीज पर आते ही उस की खूबसूरती में और भी निखार आ गया था. जो भी उसे देखता, मंत्रमुग्ध सा हो जाता. घर के सभी लोग उसे बेहद प्यार करते थे. इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद पूजा की पढ़ाई पर विराम लग गया था. पूजा सयानी हुई तो बोधराम को उस के विवाह की चिंता सताने लगी. उस ने बेटी के लिए योग्य वर की खोज शुरू की तो उसे रमेश जाटव पसंद आ गया. रमेश जाटव रेलवे में नौकरी करता था और संयुक्त परिवार के साथ ओरछा में रहता था. रमेश पसंद आया तो बोधराम ने 4 मई, 2014 को पूजा का विवाह रमेश के साथ धूमधाम से कर दिया.

शादी के बाद कुछ माह तक दोनों का जीवन हंसीखुशी से बीता. उस के बाद दोनों के बीच कलह होने लगी. कलह का पहला कारण था संयुक्त परिवार में रहना. पूजा अपने सासससुर के साथ रहने के बजाय अलग रहना चाहती थी. लेकिन रमेश को अलग रहना पसंद न था. दूसरा कारण था पूजा की फैशनपरस्ती. वर्ष 2016 के जुलाई माह में रमेश पर किसी ने जानलेवा हमला किया. उस पर गोली चला दी, लेकिन उस की जान बच गई. उस रोज वह पूजा को मायके से ले कर अपने घर ओरछा जा रहा था. रमेश को शक हुआ कि गोली पूजा ने चलवाई थी, अत: उस ने थाना प्रेमनगर में पूजा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने पूजा को आम्र्स एक्ट की धारा 25/4 व आईपीसी की धारा 506 के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. इस के बाद पूजा व रमेश के बीच अलगाव हो गया. पूजा लगभग 6 माह तक जेल में रही. उस के बाद बोधराम ने पूजा की जमानत करा ली और वह मायके में रहने लगी. मुकदमे की पैरवी के लिए पूजा झांसी कोर्ट जाती थी. कोर्ट में ही एक रोज पूजा की मुलाकात कल्याण उर्फ लाखन राजपूत से हुई. कल्याण पर भी चोरी, लूट व मारपीट के लगभग आधा दरजन मुकदमे दर्ज थे. इन्हीं की पैरवी के लिए वह भी कोर्ट आता था.

कोर्ट की हुई मुलाकात ऐसे बदली प्यार में

कल्याण उर्फ लाखन के पापा अजय प्रताप राजपूत झांसी जिले के कुम्हरिया गांव के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी सुशीला देवी के अलावा 2 बेटे संतोष व कल्याण थे. उन के पास खेती की 16 बीघा भूमि थी. बड़े बेटे संतोष की शादी हो चुकी थी. उस की पत्नी रागिनी सुंदर व सुशील थी. घरगृहस्थी वही संभालती थी. उन का छोटा बेटा कल्याण उर्फ लाखन अपराधी प्रवृत्ति का था, इसलिए उस का विवाह नहीं हुआ था.  पूजा और कल्याण राजपूत पहली ही मुलाकात में एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए थे. उन के बीच दोस्ती हो गई और खुल कर बातचीत होने लगी. मोबाइल फोन पर भी वे घंटों बतियाने लगे. धीरेधीरे उन की दोस्ती प्यार में बदल गई.

प्यार परवान चढ़ा तो पूजा झांसी के गुमनावारा में किराए के मकान में कल्याण के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी. पूजा के भाई निरपत को कल्याण के साथ रहना अच्छा न लगा, इसलिए उस ने पूजा से रिश्ता खत्म कर लिया. बोधराम भी चिंता में लकवाग्रस्त हो गए. उन्होंने भी पूजा से नाता तोड़ दिया. 25 मई, 2019 को कोंछा झाबर के पास सड़क दुर्घटना में कल्याण की मौत हो गई. पूजा विधवा हो गई और उस पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा. बेटे की मौत का अजय व उन की पत्नी सुशीला को भी गहरा सदमा लगा.

कल्याण की तेरहवीं वाले दिन पूजा कुम्हरिया गांव ससुराल आ गई. वह सुशीला देवी की गोद में सिर रख कर रोने लगी और बोली, ”मम्मी, अब मैं कहां जाऊं. मेरा कोई नहीं है. बचपन में मम्मी मर गई और भाई व पापा ने भी नाता तोड़ लिया. अब मैं एक तरह से अनाथ हूं.’’

पूजा के आंसुओं ने सुशीला देवी का दिल पिघला दिया. उस ने पूजा को गले लगा कर उसे बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. हालांकि फेमिली के लोगों ने विरोध किया और कहा कि वह छोटी जाति की है. लेकिन सुशीला के आगे किसी की नहीं चली.

पूजा अब ससुराल में खुशीखुशी रहने लगी. रागिनी ने भी पूजा को अपनी देवरानी के रूप में स्वीकार कर लिया. देवरानीजेठानी घर का काम मिलजुल कर करतीं और हंसीखुशी से रहतीं. पूजा ने अपनी सेवा से सासससुर का भी दिल जीत लिया था. पूजा खूबसूरत व जवान थी. उस ने जेठ संतोष पर नजरें गड़ानी शुरू कर दीं. संतोष भी पूजा की खूबसूरती का कायल था और मन ही मन उसे चाहता था. संतोष रंगीनमिजाज था. रिश्तेनाते उस के लिए कोई मायने नहीं रखते थे. बहू और जेठ का रिश्ता होने के बावजूद वह पूजा के जिस्म को पाने के लिए लालायित रहने लगा. पूजा को रिझाने के लिए उस ने तरहतरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए.

मर्द जिस नजर से औरत को देखता है, उस से वह उस के मन का भाव समझ जाती है. संतोष जिस तरह से ललचाई नजरों से उस के शबाब को निहारता था, उस से पूजा समझ गई कि जेठ की नीयत ठीक नहीं है. पूजा भी जेठ को अपना बनाना चाहती थी, इसलिए उस ने कभी टोकाटाकी नहीं की.

जेठ को फांस कर जेठानी को किया दूर

संतोष अब पूजा से बतियाने भी लगा था. बातचीत में वह पूजा के रूप की प्रशंसा तो करता ही, उस के व्यवहार की भी खूब तारीफ करता. पूजा भी उस की बातों में रस लेने लगी थी. धीरेधीरे दोनों के बीच का परदा हटता गया और फिर एक दिन उन के बीच नाजायज रिश्ता बन गया. रागिनी मायके से वापस आई तो उसे पूजा की चालढाल पर शक हुआ. उस ने निगरानी शुरू की तो एक रात उस ने पति को पूजा की बांहों में झूलते देख लिया. वह समझ गई कि पूजा उस की सौतन बन गई है.

उस ने इस नाजायज रिश्ते का विरोध किया तो संतोष और पूजा उसी पर हावी हो गए. सास और ससुर ने भी चुप्पी साध ली. उन दोनों ने रागिनी को समझाया कि घर की बात है, घर में ही रहने दो. मजबूरन रागिनी ने पूजा को सौतन के रूप में स्वीकार कर लिया. कुछ दिनों बाद मामला ठंडा पड़ा तो संतोष ने पूजा के साथ शादी रचा ली और उसे पत्नी का दरजा दे दिया. शादी के एक साल बाद पूजा ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से घर में खुशियां छा गईं. सभी उसे बेहद चाहते थे.

पूजा से शादी करने के बाद संतोष ज्यादा समय उसी के साथ बिताता था. वह पूजा की हर बात मानता था और उसे भरपूर प्यार देता था. जबकि रागिनी पति के प्यार के लिए तरसती रहती थी. संतोष उस की कोई बात नहीं मानता था और अकसर उसे अपमानित करता रहता था. वक्त के साथ पूजा की बेटी 3 साल की हो गई थी. पूजा को गांव में अच्छा नहीं लगता था. वह ग्वालियर शहर में बसना चाहती थी. एक रोज उस ने पति व ससुर के सामने इच्छा जताई कि वह अपने हिस्से की 8 बीघा जमीन बेचना चाहती है. इस पर थोड़ा नानुकुर के बाद संतोष व अजय प्रताप राजी हो गए, लेकिन जब सास सुशीला को जमीन बेचने की बात पता चली तो उस ने पूजा को आड़े हाथों लिया और जमीन बेचने का विरोध किया.

इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. पूजा जब भी जमीन बेचने की बात करती, सास सुशीला विरोध करती. इस विरोध के कारण पूजा मन ही मन सास से नफरत करने लगी थी. हालांकि पूजा अपने लाड़प्यार तथा सेवा भाव से सास को पटाने की पूरी कोशिश करती थी. इधर घर में रागिनी की हैसियत एक दासी जैसी थी. उसे न कोई प्यार देता था न सम्मान. सास ने मंगलसूत्र भी उस से छीन लिया था. हताश रागिनी का ससुराल में जीना दूभर हो गया तो पिछले साल से वह अपने मायके दतिया में आ कर रहने लगी.

मई, 2025 के पहले सप्ताह में पूजा ने फिर से जमीन बेचने की बात चलाई तो सास सुशीला बाधा बन गई. उस ने पूजा को डांटफटकार भी लगाई. पूजा तब सास से लड़झगड़ कर 16 मई, 2025 को अपनी बड़ी बहन कमला उर्फ कामिनी के घर हजीरा (ग्वालियर) आ गई. बहन के घर रह कर पूजा ने सास सुशीला की हत्या की योजना बनाई.

3 जुलाई, 2025 को पुलिस ने आरोपी अनिल वर्मा को झांसी कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. पूजा व कमला पहले ही जेल जा चुकी थीं.पूजा के जेल जाने के बाद उस की बेटी संतोष के घर पलबढ़ रही थी. UP Crime News