family story in hindi : रूपा ने अपने जेठ तपन दास को अपने रूप के जाल में फांस लिया. फिर योजना के अनुसार तपन ने अपने छोटे भाई और रूपा के पति उत्तम को ठिकाने भी लगवा दिया. फिर 4 महीने बाद इस केस का खुलासा इस तरह हुआ कि…
राजस्थान के उदयपुर शहर को झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है. इसी शहर के प्रतापनगर थाने के अंतर्गत उदयसागर झील स्थित है. 17 नवंबर, 2020 को लोगों ने उदयसागर में एक बोरा पानी के ऊपर तैरता देखा. लग रहा था जैसे उस में कोई चीज बंधी हो. किसी ने इस की सूचना प्रतापनगर थाने में फोन द्वारा दे दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी विवेक सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. उन्होंने झील से बोरा निकलवाया. जब बोरा खोला गया तो उस में किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का शव पड़ा था. मृतक की उम्र 45 वर्ष के आसपास लग रही थी.
मृतक ने पैंटशर्ट पहनी हुई थी. चेहरे से लग रहा था कि वह असम, मणिपुर इलाके का है. मृतक की जामातलाशी में कुछ नहीं मिला था, जिस से कि मृतक की शिनाख्त हो पाती. शव की शिनाख्त नहीं होने पर कागजी काररवाई कर शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया. पुलिस ने अज्ञात शव की शिनाख्त कराने की पूरी कोशिश की. मगर किसी ने उस व्यक्ति की शिनाख्त नहीं की. एक सप्ताह तक मृतक की पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने शव को लावारिस मान कर मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर उस की अंत्येष्टि करा दी.
प्रतापनगर थाने में अज्ञात व्यक्ति का शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक को गला दबा कर मारा गया था. यह हत्या का मामला था. मगर जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक पुलिस काररवाई करती भी तो कैसे. पुलिस ने खूब हाथपैर मारे कि शव की कोई तो पहचान करे. मगर किसी ने इस व्यक्ति का ेदेखा नहीं था. पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी अज्ञात शव की सुरागसी के लिए लग रखा था. मगर साढ़े 4 महीने तक कुछ पता नहीं चला. मगर अचानक उदयपुर पुलिस की जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग एक मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात कहते हुए कई पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं.
तब प्रह्लाद पाटीदार एवं स्पैशल टीम के इंचार्ज हनुमंत सिह भाटी की टीम ने जब 2 लोगों पर निगरानी रखी तो किसी व्यक्ति की मौत के बाद फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात सामने आई. टीम ने जब दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपने 3 अन्य साथियों के साथ मिल कर असम के उत्तम दास की हत्या करने की बात स्वीकार की. उन्होंने बताया कि उत्तम दास की हत्या उस के बड़े भाई तपन दास ने कराई थी. आरोपियों ने बताया कि तपनदास ने उन्हें इस काम के लिए साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दी थी.
स्पैशल टीम और प्रतापनगर थाना पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ी तो फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के मामूली से प्रयास के पीछे अपराध की बड़ी कहानी निकल आई. किसी ने ऐसा सोचा नहीं था. इस खुलासे के बाद न सिर्फ घिनौना अपराध सामने आया बल्कि उदयसागर में 17 नवंबर, 2020 को मिली अज्ञात व्यक्ति की लाश की वह गुत्थी भी सुलझ गई, जो करीब पौने 5 माह से प्रतापनगर थाना पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई थी. मामला असम के रहने वाले एक परिवार में अवैध संबंधों का निकला, जिस में तपन दास को छोटे भाई उत्तम दास की पत्नी से प्यार हो गया तो आगे चल कर प्यार के इस खेल में एक व्यक्ति बलि का बकरा बन गया और उस की लाश हजारों किलोमीटर दूर उदयपुर की उदयसागर झील में फिंकवा दी.
सुपारी किलर 5 युवकों से पूरी जानकारी एवं मृतक के भाई तपनदास का मोबाइल नंबर पुलिस ने हासिल कर लिया. इस के बाद एक विशेष पुलिस टीम गठित की गई. इस टीम में जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की विशेष भूमिका रही. इस के अलावा जिला स्पैशल टीम में प्रतापनगर थाने के एसआई मांगीलाल, एएसआई गोविंद सिंह, सुखदेव सिंह, विक्रम सिंह, अनिल पूनिया, मोड़ सिंह, कांस्टेबल अचलाराम, विश्वेंद्र सिंह, नंदकिशोर, उमेश, हरिकिशन, नवलराम, फिरोज, साइबर सेल से गजराज सिंह की शामिल किया गया.
फिर एसआई मांगीलाल, कांस्टेबल नंदकिशोर को फ्लाइट से गुवाहाटी भेजा गया. इन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद से मुख्य आरोपी तपनदास की तलाश की. तपन दास से पूछताछ के बाद मृतक की पत्नी रूपा दास को भी हिरासत में ले लिया. मृतक के परिजनों से भी पूछताछ की गई. उन लोगों ने बताया कि रूपा ने दिसंबर 2020 के दूसरे हफ्ते बताया कि उदयपुर में उत्तम दास की कोरोना से मृत्यु हो गई है. कोरोना होने के कारण शव की वहीं अंतिम संस्कार की रस्में कर दी गईं. इस के बाद मृतक के पैतृक निवास पर विधिविधान से अंतिम क्रियाएं की गई थीं.
मृतक के परिजन तो उत्तम दास की मौत कोरोना से होने की मान रहे थे, मगर उदयपुर पुलिस ने घर वालों को बता दिया कि उत्तम की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई थी, बल्कि बड़े भाई तपन दास ने साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस की हत्या कराई थी. पुलिस से सच जान कर मृतक के परिजन बहू और हत्यारे बेटे तपन दास को कोसने लगे और विलाप करने लगे. पुलिस टीम दोनों आरोपियों रूपा दास और उस के जेठ तपन दास को गिरफ्तार कर उदयपुर ले आई. उदयपुर में थाना प्रतापनगर में सातों आरोपियों से मृतक उत्तम दास की हत्या के संबंध में एसपी डा. राजीव पचार, एएसपी (सिटी) गोपालस्वरूप मेवाड़ा, डीएसपी राजीव जोशी, थानाप्रभारी (प्रतापनगर) विवेक सिंह ने कड़ी पूछताछ की.
पूछताछ में सभी आरोपियों ने उत्तम की हत्या करने का जुर्म कबूल कर के सारी कहानी बयां कर दी. इस के बाद एसपी डा. राजीव पचार ने 9 अप्रैल, 2021 को प्रैसवार्ता कर पत्रकारों को इस मामले की जानकारी दी. पुलिस पूछताछ में अवैध संबंध हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है. मनमोहन दास जिला कामरूप मेट्रो, असम के रहने वाले थे. उन के 2 बेटे थे. बड़ा तपन और छोटा उत्तम. उत्तम ने रूपा से लवमैरिज की थी. रूपा उन महिलाओं की तरह थी, जो कभी एक मर्द के पल्ले से बंध कर नहीं रहतीं. उत्तम से लव मैरिज के बाद रूपा को अहसास हुआ कि उस ने गलत और ठंडे व्यक्ति से शादी की है. रूपा चाहती थी कि उसे पति रात भर बांहों में भर कर मथता रहे. मगर उत्तम में इतना दमखम नहीं था.
ऐसे में जब कई महीनों तक भी रूपा के बदन की आग मंद नहीं पड़ी तब उस के कदम बहक गए. उस ने घर में ही अपने जेठ तपन दास पर ध्यान देना शुरू कर दिया. तपन उस से उम्र में 10 साल बड़ा था, मगर वह था गबरू. हृष्टपुष्ट तपन ने छोटे भाई की पत्नी रूपा को अपनी तरफ ताकते व मूक आमंत्रण देते देखा तो वह आशय समझ गया. एक रोज घर में जब कोई नहीं था तो तपन ने रूपा को अपनी मजबूत बांहों में भर लिया. रूपा ने कुछ प्रतिक्रिया नहीं की, तो तपन का हौसला बढ़ गया. वह उसे बिस्तर पर ले गया. तब दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.
वैसे तो तपन की बहू लगती थी रूपा. मगर उन दोनों ने जेठ बहू के रिश्ते को कलंकित कर के एक नया रिश्ता बना लिया था, अवैध संबंधों का रिश्ता. एक बार दोनों के बीच की मर्यादा रेखा टूटी तो वे अकसर मौका निकाल कर हसरतें पूरी करते रहे. तपन उदयपुर, राजस्थान में एक कंपनी में नौकरी करता था. वह छुट्टी आने पर रूपा के इर्दगिर्द ही मंडराता रहता था. दोनों एकदूसरे से खुश थे. मगर कभीकभार उन का मन होने पर भी उत्तम के होने की वजह से संबंध नहीं बना पाते थे. ऐसे में उन्हें उत्तम राह का कांटा दिखने लगा. उत्तम दास वहीं कामरूप में ही काम करता था. कई साल तक रूपा और तपन के बीच यह खेल चोरीछिपे चलता रहा. घरपरिवार में किसी को भनक तक नहीं लगी थी.
तपन की उम्र 50 वर्ष की हो गई थी फिर भी वह बिस्तर का अच्छा खिलाड़ी था. रूपा ने तय कर लिया कि वह उत्तम को रास्ते से हटवा कर उस की पैतृक संपत्ति एवं इंश्योरेंस के पैसे से तपन के साथ ताउम्र मौज करेगी. उस ने अपनी योजना प्रेमी जेठ तपन को बताई तो वह बहुत खुश हुआ. वह भी यही चाहता था. सन 2020 में कोरोना के कारण कामधंधा बंद हो गया था. तपन उदयपुर से अपने घर कामरूप लौट आया. जब कामधंधा शुरू होने वाला था तब तपन ने अपने भाई उत्तम से कहा, ‘‘उत्तम, यहां काम नहीं है. मैं ने तेरे लिए उदयपुर स्थित अपनी कंपनी में बात की है. तुम वहां जा कर साइट देख लो. पसंद आए तो वहीं काम करना.’’
उत्तम को बड़े भाई की बात बात जंच गई. वह अगले दिन ही उदयपुर के लिए निकल पड़ा. तपन ने इस से पहले रूपा के साथ मिल कर उत्तम की कहानी खत्म करने की योजना बना ली थी. रूपा ने तपन को साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दे कर कहा था कि पति जिंदा नहीं लौटना चाहिए. तपन अपने भाई से मोबाइल के जरिए कांटैक्ट में रहा. तपन ने उदयपुर में अपनी पहचान के राकेश लोहार को फोन कर के कहा, ‘‘एक आदमी जयपुर आ रहा है. उसे गाड़ी में ले जा कर उस का काम तमाम कर देना. तुम्हें साढ़े 12 लाख रुपए दे दूंगा.’’
‘‘ठीक है तपन भाई. उस का मोबाइल नंबर दे दो. मैं मिलता हूं और उस का खेल खत्म कर दूंगा.’’ राकेश लोहार ने भरोसा दिया. राकेश लोहार ने उत्तम का मोबाइल नंबर ले लिया. राकेश ने अपने 4 साथियों सुरेंद्र, संजय, अजय व जयवर्द्धन को पूरी बात बता कर कहा कि एक दिन में 2-2 लाख रुपए मिलेंगे. राकेश ने खुद साढ़े 4 लाख रुपए रखे. सब दोस्त गाड़ी ले कर जयपुर पहुंच गए. मोबाइल पर उत्तम से संपर्क कर उसे गाड़ी में बिठा लिया. उधर तपन भी असम से फ्लाइट पकड़ कर उदयपुर आ गया. ये लोग जयपुर से उदयपुर तक मौका नहीं मिलने के कारण उत्तम को मार नहीं सके. ये लोग उदयपुर आ गए. उन से तपन भी आ मिला.
इस के बाद शराब में नींद की गोलियां डाल कर उत्तम को रास्ते में ही पिला कर नींद की आगोश में पहुंचा दिया. उत्तम के पास से मोबाइल फोन, पर्स व अन्य दस्तावेज आरोपियों ने ले लिए थे, ताकि उस की शिनाख्त न हो सके. इस के बाद राकेश और उस के साथियों ने गला घोंट कर उत्तम को मार कर लाश बोरे में भर कर उदयसागर झील में फेंक दी. उत्तम का काम तमाम कर तपन असम गया और रूपा को उत्तम के मर्डर की बधाई दी. रूपा बहुत खुश हुई. उस ने बधाई में जेठ को अपने साथ सुलाया. वे मौज करने लगे और फिर घर वालों से कह दिया कि कोरोना से उत्तम की मौत राजस्थान में हो गई.
अस्पताल वालों ने उस की लाश नहीं सौंपी तो वहीं पर उस का अंतिम संस्कार कर दिया. घर वालों को उत्तम की मौत का बड़ा दुख हुआ और उन्होंने विधिविधान से सारे संस्कार किए. रूपा दिखावे के लिए आंसू बहाती रही ताकि परिजनों को लगे कि वह अपने पति के जाने से बहुत दुखी है. वहीं रूपा रात होने पर जेठ तपन के साथ कमरे में बंद हो जाती. सारी रात पति की मौत की खुशी शारीरिक संबंध बना कर व्यक्त करते. रूपा के बूढ़े सासससुर दिन अस्त होते ही घर में कैद हो जाते थे. रूपा और तपन जी भर कर मौज कर रहे थे. मार्च 2021 का आधा महीना बीत गया था. मगर उत्तम की मृत्यु का प्रमाणपत्र नहीं मिलने पर रूपा को अपने पति के एलआईसी इंश्योरेंस एवं अन्य बीमा कंपनियों से रकम नहीं पा रही थी.
साथ ही पति के नाम पैतृक संपत्ति भी रूपा के नाम नहीं हो रही थी. तब रूपा ने अपने जेठ प्रेमी से कहा, ‘‘उत्तम का मृत्यु प्रमाणपत्र कोरोना बीमारी की वजह से बनवाओ. मृत्यु प्रमाणपत्र के बिना एक रुपया भी नहीं मिलेगा. मेरे पास साढ़े 12 लाख रुपए थे वो मैं ने तुम्हें दे दिए हैं. जल्द से जल्द किसी तरह प्रमाणपत्र बनवाओ.’’
सुन कर तपन बोला, ‘‘अभी मैं राकेश को बोलता हूं. तुम चिंता मत करो. राकेश मृत्यु प्रमाणपत्र बनवा देगा.’’
कह कर तपन ने राकेश को फोन कर उत्तम दास का कोरोना से मौत होने का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने को कहा. राकेश को तपन ने कहा कि जो पैसा लगेगा वह दे देगा. इस के बाद राकेश ने सुरेंद्र को साथ लिया और दोनों लोग पंचायतों के चक्कर काटने लगे. राकेश वगैरह के पास उत्तम के नाम की कोई मैडिकल रिपोर्ट और अन्य कोई प्रमाण नहीं थे. इस कारण मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं बन रहा था. तब वे लोग पैसे दे कर प्रमाणपत्र बनवाने का जुगाड़ भी लगाने लगे थे. ऐसे में ये लोग स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की निगाह में चढ़ गए. प्रह्लाद ने टीम प्रभारी डीएसपी हनुमंत सिंह भाटी को इस बारे में जानकारी दी और फिर निगाह रख कर इन्हें धर दबोच लिया.
इस की जानकारी एक मुखबिर ने स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद को दी और फिर सब पकड़ लिए गए. पूछताछ होने पर सातों आरोपियों रूपा, उस के जेठ तपन दास, राकेश लोहार, सुरेंद्र, संजय, अजय और जयवर्द्धन को प्रतापनगर थाना पुलिस ने उदयपुर कोर्ट में 10 अपै्रल, 2021 को पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. family story in hindi
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित