hindi love stories : बचपन के प्यार को पाने की जिद में किया सब कुछ

hindi love stories : शाम का वक्त था. दिल्ली के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल का पूरा स्टाफ अपनी ड्यूटी पर था. तभी एक युवक अस्पताल के स्ट्रेचर को ठेलता हुआ अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में पहुंचा और बदहवासी में बोला, ‘‘डाक्टर साहब, मेरी वाइफ ने जहर खा लिया है, इसे बचा लो वरना मैं जी नहीं सकूंगा.’’

उस की बात सुन कर अस्पताल के डाक्टरों ने उस युवती का चैकअप शुरू किया. उस की नब्ज और धड़कन गायब थीं. चैकअप के बाद डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. डाक्टर द्वारा पूछे जाने पर मृतका के साथ आए युवक राहुल मिश्रा ने बताया कि उस ने औफिस से लौटने के बाद पूजा को फर्श पर बेसुध पड़े देखा, उस की बगल में ही एक सुसाइड नोट पड़ा था.

नोट को पढ़ने के बाद उस की समझ में आया कि पूजा ने जहर खा लिया है. इस के बाद वह पूजा को गाड़ी में डाल कर सीधे अस्पताल ले आया.

चूंकि मामला सुसाइड का था, इसलिए अस्पताल प्रशासन ने पूजा राय की मौत की सूचना इलाके के थाना किशनगढ़ को दे दी. थोड़ी ही देर में किशनगढ़ थाने की पुलिस वहां पहुंच गई. पूजा की लाश को अपने कब्जे में ले कर पुलिस राहुल मिश्रा से घटना के बारे में पूछताछ करने लगी.

पूछताछ के दौरान राहुल मिश्रा ने पुलिस को बताया कि वह गुड़गांव की एक बड़ी कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर तैनात है. थोड़ी देर पहले जब वह फ्लैट में पहुंचा तो पूजा फर्श पर पड़ी थी और उस के बगल में सुसाइड नोट रखा था, जिस में उस ने सुसाइड करने की बात लिखी थी.

पूजा की लाश को पोस्टमार्टम के लिए सफदरजंग अस्पताल भेज कर थानाध्यक्ष राजेश मौर्य पूजा के पति राहुल मिश्रा के साथ उस के फ्लैट में पहुंचे. राहुल ने उन्हें पूजा का लिखा हुआ सुसाइड नोट सौंप दिया. कमरे का मुआयना करने के बाद थानाध्यक्ष राजेश मौर्य किशनगढ़ थाना लौट गए. पहली नजर में उन्हें यह मामला सुसाइड का ही लग रहा था.

उसी दिन यानी 16 मार्च, 2019 को किशनगढ़ थाने में सीआरपीसी 173 के तहत यह मामला दर्ज कर लिया गया. अगले दिन डाक्टरों की एक टीम ने पूजा राय का पोस्टमार्टम किया. उस का विसरा भी जांच के लिए रख लिया गया. इस दौरान थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने पूजा के मायके सिंदरी, झारखंड को इस घटना की सूचना दे कर उस के पिता सुरेश राय को दिल्ली बुला लिया.

सुरेश राय ने अपने दामाद पर आरोप लगाते हुए थानाध्यक्ष राजेश मौर्य से कहा, ‘‘मेरी बेटी पूजा ने सुसाइड नहीं किया है, बल्कि उस की हत्या की गई है.’’

राजेश पर आरोप लगने के बाद पुलिस ने 18 मार्च को 3 डाक्टरों के पैनल से पूजा का पोस्टमार्टम कराया. डाक्टरों ने पोस्टमार्टम के बाद उस के विसरा को जांच के लिए भेज दिया. करीब एक महीने के बाद 27 अप्रैल, 2019 को पूजा का पोस्टमार्टम तथा विसरा रिपोर्ट आ गई, जिस में उस के मरने का कारण उस के सिर में घातक चोट का लगना तथा जहर मिला जूस पीना बताया गया.

इस के बाद पुलिस ने 31 अप्रैल को पूजा राय की हत्या का मामला आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत दर्ज कर लिया. इस मामले की तफ्तीश थानाध्यक्ष राजेश मौर्य को सौंपी गई.

केस की जांच संभालते ही थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने अपने आला अधिकारियों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा केस में आए इस बदलाव से अवगत करा दिया. साउथ वेस्ट दिल्ली के डीसीपी देवेंद्र आर्य इस मामले में पहले से ही दिलचस्पी ले रहे थे.

उन्होंने केस का खुलासा करने के लिए एसीपी ईश्वर सिंह की निगरानी में एक टीम बनाई, जिस में थानाध्यक्ष राजेश मौर्य, इंसपेक्टर संजय शर्मा, इंसपेक्टर नरेंद्र सिंह चहल, एसआई मनीष, पंकज, एएसआई अजीत, कांस्टेबल गौरव आदि को शामिल किया गया.

थानाध्यक्ष ने उसी दिन मृतका के पति राहुल मिश्रा को थाने बुला कर उसे बताया कि पूजा ने आत्महत्या नहीं की, बल्कि किसी ने उस की हत्या की है. इसलिए वह इस मामले को सुलझाने में सहयोग करें.

थानाध्यक्ष की बात सुन कर राहुल को हैरानी हुई. वह बोला, ‘‘सर, पूजा की तो किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. ऐसे में भला उस की हत्या कौन कर सकता है? अगर ऐसा है तो मेरी पत्नी के हत्यारे का पता लगा कर उसे जल्द से जल्द पकड़ने की कोशिश करें.’’

‘‘चिंता मत करो, पुलिस अपना काम करेगी. बस आप जांच में सहयोग करते रहना.’’ थानाध्यक्ष ने कहते हुए राहुल से उस से और पूजा से मिलने आने वाले सभी लोगों के फोन नंबर ले कर सभी नंबरों की काल डिटेल्स निकलवा कर उन की बारीकी से जांच की. राहुल की काल डिटेल्स में एक फोन नंबर ऐसा मिला, जिस पर उस की ज्यादा बातें होती थीं.

वह नंबर पद्मा तिवारी का था, जो दिल्ली के मयूर विहार में रहती थी. राहुल ने बताया कि पद्मा उस की दोस्त है. घटना वाले दिन भी पद्मा ने शाम के वक्त राहुल के मोबाइल पर फोन कर उस से काफी देर तक बातें की थीं. इस से दोनों ही पुलिस के शक के दायरे में आ गए.

इस के बाद थानाध्यक्ष राजेश मौर्य ने राहुल के फ्लैट पर पहुंच कर वहां आसपड़ोस में रहने वालों से पूछताछ की तो पता चला कि 16 मार्च, 2019 की सुबह पद्मा तिवारी पूजा से मिलने उस के फ्लैट पर आई थी. इस के बाद किसी ने पूजा को फ्लैट से बाहर निकलते नहीं देखा था. अलबत्ता शाम के वक्त राहुल पूजा को बेहोशी की हालत में ले कर फोर्टिस अस्पताल गया था.

थानाध्यक्ष को अब मामला कुछकुछ समझ में आने लगा था, लेकिन उस वक्त उन्होंने राहुल मिश्रा से ऐसा कुछ नहीं कहा जिस से उसे पता चले कि उन्हें उस के ऊपर शक हो गया है.

राहुल से पूछताछ के बाद जब वह अपनी टीम के साथ वहां से चलने को हुए तो राहुल को फिर से थाने में आने का आदेश दिया. इस के अलावा उन्होंने राहुल की दोस्त पद्मा तिवारी को भी फोन कर उसे किशनगढ़ थाने में पहुंच कर मामले की जांच में सहयोग करने के लिए कह दिया.

जब राहुल और पद्मा किशनगढ़ थाने में पहुंचे तो उन दोनों से उन की काल डिटेल्स तथा उन के द्वारा पूर्व में दिए गए बयानों में आ रहे विरोधाभासों के आधार पर अलगअलग पूछताछ की गई तो उन के बयानों में फिर से काफी विरोधाभास नजर आया.

सुसाइड नोट की राइटिंग की जांच के लिए पुलिस ने पद्मा की हैंडराइटिंग की जांच की. इस जांच में पुलिस को सुसाइड नोट की राइटिंग और पद्मा की हैंडराइटिंग काफी हद तक एक जैसी लगी.

तीखे पुलिसिया सवालों से आखिर पद्मा टूट गई. उस ने पूजा की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. फिर राहुल ने भी मान लिया कि पूजा की हत्या पूरी तरह सुनियोजित थी. इतना ही नहीं, घटना वाले दिन पद्मा ने उस के मोबाइल पर फोन कर उसे पूजा की हत्या की जानकारी दी थी.

उन्होंने पूजा की हत्या क्यों की, इस बारे में जब उन से विस्तार से पूछताछ की गई तो पूजा राय की हत्या के पीछे जो तथ्य उभर कर सामने आए, वह बचपन के प्यार को पाने की जिद की एक हैरतअंगेज कहानी थी.

कहा जाता है कि बचपन की दोस्ती और स्कूल के दिनों का प्यार भुलाए नहीं भूलता. और जब शादी के बाद वही बचपन का प्यार उस के शादीशुदा जीवन में अचानक सामने आ कर खड़ा हो जाए तो जिंदगी किस दोराहे या चौराहे पर पहुंचेगी, यह अनुमान लगाना आसान नहीं होता. कुछ ऐसा ही हुआ 32 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर राहुल मिश्रा और उस के बचपन की दोस्त 33 वर्षीय एमबीए पद्मा तिवारी के साथ.

राहुल मिश्रा अपने पिता रामदेव मिश्रा के साथ झारखंड के शहर सिंदरी में रहता था. वह वहां के डिनोबली स्कूल में पढ़ता था. पद्मा तिवारी भी उस के क्लास में थी. पद्मा तिवारी के मातापिता भी सिंदरी में रहते थे. दोनों बचपन से ही एकदूसरे के दोस्त थे. उम्र बढ़ने के साथ उन की दोस्ती प्यार में बदल गई.

12वीं पास करने के बाद दोनों आगे की पढ़ाई के लिए न चाहते हुए भी एकदूसरे से बिछड़ गए, क्योंकि राहुल मिश्रा ने ग्वालियर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी और सन 2010 में गुड़गांव स्थित एक कंपनी में उस की नौकरी लग गई. राहुल अपनी नौकरी में व्यस्त था. उस का पद्मा तिवारी से एक तरह से संपर्क टूट गया था.

सन 2015 में राहुल मिश्रा के स्कूल के दोस्तों ने एक वाट्सऐप ग्रुप बनाया, जिस में राहुल मिश्रा और पद्मा तिवारी का नाम भी शामिल था. इस ग्रुप के द्वारा पद्मा ने राहुल मिश्रा से मोबाइल फोन पर संपर्क किया. चूंकि उन की काफी दिनों बाद बातचीत हुई थी, इसलिए वे बहुत खुश हुए.

बातचीत से पता चला कि पद्मा ने नोएडा में रह कर एमबीए किया था. उस के बाद उसे नोएडा की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई थी. इस समय वह नोएडा में नौकरी कर रही थी, जहां उसे अच्छी खासी तनख्वाह मिलती थी. इस के बाद दोनों लगातार एकदूसरे से फोन पर बातें करने लगे.

इस से उन के स्कूल के दिनों का प्यार फिर से जीवित हो गया. अब दोनों ही अच्छी सैलरी ले रहे थे, इसलिए उन का जब मन होता, वे इधर उधर घूम कर दिल की बातें कर लेते थे. उन की नजदीकियां उस मुकाम पर पहुंच चुकी थीं कि अब दोनों को कोई जुदा नहीं कर सकता था.

लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. सन 2017 में जब राहुल मिश्रा के घर में उस की शादी की बात चली तो उन लोगों ने अपनी बहू के रूप में सिंदरी की ही रहने वाली पूजा राय को पसंद कर लिया. इस पर राहुल ने अपने घर वालों को बताया कि वह सिंदरी की रहने वाली सहपाठी पद्मा तिवारी से प्यार करता है और उसी से शादी करना चाहता है.

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                                                 राहुल और पूजा

राहुल ने घर वालों को यह भी बताया कि एमबीए करने के बाद पद्मा नोएडा की एक कंपनी में ऊंचे पद पर नौकरी कर रही है. लेकिन राहुल के पिता रामदेव मिश्रा ने राहुल की बात को हलके में लिया और उस की बात अनसुनी करते हुए पूजा से ही उस की शादी पक्की कर दी.

बनने लगी हत्या की योजना

राहुल को इस बात का दुख हुआ. वह अब ऐसा उपाय सोचने लगा कि किसी तरह उस की पूजा से शादी टूट जाए. उस ने तय कर लिया कि वह पूजा से मिल कर बता देगा कि उस का पद्मा के साथ अफेयर चल रहा है.

एक दिन वह पूजा राय के पास पहुंचा और अपने व पद्मा तिवारी के बीच सालों से चले आ रहे अफेयर की बात यह सोच कर बता दी कि यह सुन कर शायद वह उस से शादी करने से मना कर देगी. लेकिन पूजा समझदार लड़की थी.

वह राहुल की इस बात पर नाराज नहीं हुई बल्कि उसे उस की साफगोई अच्छी लगी कि राहुल दिल का साफ है जो उस ने यह बात उसे बता दी. यानी अपने होने वाले पति के मुंह से उस के पुराने अफेयर के बारे में जानकारी मिलने के बाद भी पूजा उस से शादी के लिए तैयार थी.

अप्रैल, 2017 में राहुल मिश्रा की शादी पूजा राय से हो गई. शादी के बाद राहुल पूजा को ले कर दिल्ली आ गया और साउथ दिल्ली के किशनगढ़ इलाके में किराए का एक फ्लैट ले कर रहने लगा. राहुल से शादी कर के पूजा बहुत खुश थी.

उस ने तय कर लिया था कि वह राहुल को इतना प्यार देगी कि वह अपना पिछला प्यार भूल जाएगा. पूजा ने राहुल की सेवा करने में सचमुच कोई कसर नहीं छोड़ी. यहां तक कि महंगाई के कारण घर चलाने के लिए जब अधिक रुपयों की जरूरत महसूस हुई तो उस ने भी नौकरी करने का फैसला कर लिया.

उधर राहुल पूजा से शादी के बाद भी पद्मा को अपने दिल से नहीं निकाल सका. पद्मा का हाल भी राहुल की तरह ही था. दोनों वक्त निकाल कर एकदूसरे से मिलतेजुलते रहे. पद्मा मयूर विहार में एक किराए के फ्लैट में रहती थी.

अक्तूबर 2018 में जब पूजा की नौकरी करने के लिए उस का बायोडाटा तैयार करने की बात आई तो राहुल ने इसी बहाने पद्मा को अपने फ्लैट पर बुला लिया. पद्मा ने पूजा का बायोडाटा तैयार कर दिया. आगे चल कर पूजा को भी गुड़गांव की एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी मिल गई. इस के बाद पद्मा किसी न किसी बहाने उस के यहां आती रही.

जब पद्मा का राहुल के यहां ज्यादा आनाजाना बढ़ गया तो पूजा को पद्मा और राहुल के रिश्तों पर शक हो गया. उसे पद्मा का बारबार फ्लैट पर आना अखरने लगा. तब पूजा उस के साथ रूखा व्यवहार करने लगी.

इतना ही नहीं, वह पद्मा को हंसीमजाक के दौरान राहुल को ले कर कुछ ऐसी बात कर देती जिसे सुन कर वह तिलमिला कर रह जाती थी. पर पद्मा दिल के हाथों मजबूर थी. वह राहुल को बहुत चाहती थी. इसलिए उस ने राहुल के फ्लैट पर आना नहीं छोड़ा. इसलिए पूजा के व्यंग्य करने के बाद भी वह उस के यहां आती रही.

पद्मा ने ही ली पूजा की जान

लेकिन जब पूजा ने उस के और राहुल के रिश्तों को ले कर जलीकटी सुनानी जारी रखीं तो एक दिन उस ने यह बात राहुल को बताई और इस का कोई हल निकालने को कहा. पद्मा की बात सुन कर राहुल को अपनी पत्नी पर बहुत गुस्सा आया. उसी दिन दोनों ने मिल कर निश्चय कर लिया कि वे इस के बदले पूजा को जरूर सबक सिखाएंगे. दोनों ने इस के लिए एक योजना भी बना ली.

16 मार्च, 2019 को शनिवार का दिन था. योजना के अनुसार राहुल सुबह तैयार हो कर गुड़गांव स्थित अपने औफिस चला गया. चूंकि पूजा की उस दिन छुट्टी थी, इसलिए वह फ्लैट पर अकेली आराम कर रही थी. राहुल के जाने के कुछ देर बाद पद्मा पूजा से मिलने फ्लैट पर पहुंची तो पूजा ने उस से कहा कि उसे किसी काम से बाहर निकलना है, इसलिए वह उसे अधिक समय नहीं दे पाएगी.

इस पर पद्मा ने उस से कहा, ‘‘कुछ देर बातचीत कर के मैं चली जाऊंगी तो तुम चली जाना.’’

पद्मा अपने साथ 2 गिलास फ्रूट जूस ले कर आई थी. उस ने दोनों गिलास पूजा के सामने टेबल पर रख दिए. उस वक्त काम करने वाली आया घर का कामकाज निपटा रही थी. इस बीच पूजा ने पद्मा के साथ नाश्ता किया. जब आया अपना काम खत्म कर वहां से चली गई तो पद्मा ने पूजा से जूस पी लेने के लिए कहा.

जैसे ही पूजा ने जूस पीने के लिए गिलास उठाना चाहा तो पद्मा ने कहा कि वह उस के लिए एक गिलास पानी ले आए. यह सुन कर पूजा जूस का गिलास वहीं छोड़ कर पानी लाने के लिए चली गई.

पूजा के जाते ही पद्मा ने अपने कपड़ों में छिपा कर लाया जहरीला पदार्थ उस के गिलास में डाल कर मिला दिया. पूजा किचन से पानी का गिलास ले कर लौटी और गिलास पद्मा को दे दिया. इस के बाद पूजा ने पद्मा द्वारा लाया जूस का गिलास उठाया और धीरेधीरे पूरा जूस खत्म कर दिया.

जूस पीने के थोड़ी देर बाद अचानक उस की तबीयत खराब होने लगी. उल्टी और पेट दर्द की शिकायत होने पर उस ने फ्लैट से बाहर निकलना चाहा लेकिन पद्मा ने उसे पकड़ कर दबोच लिया. पूजा के बेहोश होने पर पद्मा ने उस का सिर बारबार फर्श से पटका ताकि उस के जीवित रहने की संभावना न रहे.

पूजा की हत्या करने के बाद पद्मा ने फ्लैट को अच्छी तरह साफ किया और पेपर के बने उन दोनों गिलासों को अपने साथ ले कर वहां से मयूर विहार अपने कमरे पर लौट आई. शाम को उस ने अपने प्रेमी राहुल मिश्रा को फोन कर बता दिया कि आज उस ने उस की पत्नी पूजा का किस्सा तमाम कर दिया है.

साथ ही उस ने यह भी बताया कि उस ने पूजा के पास में सुसाइड नोट भी लिख कर छोड़ दिया है, जिसे पढ़ कर पुलिस और तमाम लोग यह समझेंगे कि पूजा ने किसी कारण परेशान हो कर सुसाइड कर लिया है.

शाम के वक्त राहुल औफिस से अपने फ्लैट पर पहुंचा तो योजना के अनुसार पूजा की डैडबौडी को ले कर वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल पहुंचा और वहां डाक्टर से नाटक करते हुए अपनी पत्नी की जान बचा लेने की गुहार लगाई.

लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेड इंजरी तथा पूजा को जूस में जहर देने की बात सामने आई, जिस से राहुल और पद्मा द्वारा रचे गए पूजा के नकली सुसाइड के रहस्य से पदा हटा दिया.

अगले दिन पुलिस ने दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर दिया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. hindi love stories

UP Crime News : दुबई से लौटे पति को काट कर सूटकेस में फेंका

UP Crime News : पिछले एक महीने में प्रेमिका के साथ मिल कर पति द्वारा पत्नी को ठिकाने लगाने या पत्नी द्वारा प्रेमी के साथ मिल कर पति का कत्ल करने की अलगअलग राज्यों में 20 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं. इन में जहां मेरठ की ड्रम वाली घटना में क्रूरता की पराकाष्ठा थी तो देवरिया की यह घटना भी उस से किसी मामले में कम नहीं है.

नौशाद के दुबई जाने के बाद रजिया सुलतान पूरी तरह रोमान के वश में आ गई थी. अब उस के लिए अलग घर बन ही गया था. नौशाद यहां जो पैसे भेजता था, उसी के अकाउंट में आता था. इसलिए उस के अकाउंट में काफी रकम जमा हो गई थी. यही वजह थी कि अब उसे लगने लगा था कि अगर नौशाद नहीं भी रहेगा तो वह रोमान के साथ आराम से गुजारा कर लेगी. क्योंकि रोमान भी तो कमाता था. उस के साथ वह सुखी रहेगी, क्योंकि वह उस के साथ रहेगा.

अब वह बाकी की जिंदगी अपने प्रेमी रोमान के साथ बिताना चाहती थी. लेकिन इस के लिए नौशाद से छुटकारा चाहिए था. नौशाद से वह तलाक लेना नहीं चाहती थी. इस की वजह यह थी कि अगर वह नौशाद से तलाक लेती तो उस के हाथ कुछ न लगता. घर भी छोडऩा पड़ता और नौशाद के रुपए भी देने पड़ते. जबकि वह यह सब हड़पने के चक्कर में थी.

अब नौशाद से छुटकारा पाने का एक ही तरीका बचा था कि उसे ठिकाने लगा दिया जाए यानी उस की हत्या कर दी जाए. लेकिन यह काम उस के अकेले के वश का नहीं था. अभी यह भी कंफर्म नहीं था कि रोमान नौशाद की हत्या के लिए तैयार होगा भी या नहीं. रजिया दुविधा में फंसी थी. लेकिन उस ने यह तय कर लिया था कि अब वह नौशाद के साथ नहीं, प्रेमी रोमान के साथ रहेगी. यह निर्णय लेने के बाद अब उसे रोमान को अपने मामा की हत्या के लिए तैयार करना था, साथ ही इस के लिए भी मनाना था कि सारा मामला शांत होने के बाद वह उस के साथ निकाह करेगा. इस के बाद उस ने धीरेधीरे रोमान को मनाना शुरू किया कि नौशाद के न रहने पर दोनों सुख और शांति से रह सकेंगे.

रोमान को भी मामी रजिया से जो सुख मिल रहा था, उसे वह किसी भी हालत में छोडऩा नहीं चाहता था. इस के लिए उसे चाहे कुछ भी करना पड़े. आखिर वह रजिया की देह के चक्कर में उस के लपेटे में आ ही गया और नौशाद की हत्या के लिए राजी हो गया. रोमान के राजी होने के बाद नौशाद की हत्या की योजना बनने लगी, क्योंकि इसी अप्रैल महीने में वह आने वाला था. हत्या करना तो आसान था, लेकिन मुश्किल काम था लाश को ठिकाने लगाना. फिर यह काम रोमान के अकेले के वश का भी नहीं था. इस काम में रजिया किसी तरह की मदद भी नहीं कर सकती थी.

काफी सोचविचार और सलाहमशविरे के बाद तय हुआ कि लाश का चेहरा बिगाड़ कर कहीं दूर ले जा कर फेंक दिया जाएगा, जहां कोई उसे पहचान नहीं पाएगा. उस के बाद दोनों निकाह कर के आराम से रहेंगे. रजिया और रोमान नौशाद के आने से पहले पूरी तैयारी कर लेना चाहते थे. क्योंकि इस बार रजिया नौशाद से छुटकारा पा लेना चाहती थी.

अपनी इस योजना को साकार करने के लिए रोमान को एक साथी की जरूरत थी. रोमान ड़ाइवर था. उस की तमाम ड्राइवरों से दोस्ती थी. लेकिन गांव विशौली के रहने वाले हिमांशु से उस की कुछ ज्यादा ही पटती थी. दोनों का अकसर रात का खानापीना साथ होता था. उसे रोमान और रजिया के संबंधों के बारे में पता भी था. इसलिए जब रोमान ने पूरी बात बता कर सहयोग मांगा तो हिमांशु हर तरह से उस की मदद करने को तैयार हो गया.

अब रजिया और रोमान को नौशाद के आने का इंतजार था. 10 अप्रैल, 2025 को जब नौशाद दुबई से घर आया तो रजिया ने बड़े जोश के साथ उस का स्वागत किया. नौशाद को लगा कि पत्नी अब सुधर गई है. वह बहुत खुश हुआ. वह भी एक साल पत्नी से अलग रहा था, इसलिए उस ने पत्नी को खूब प्यार किया. इस बीच रजिया सुलतान और रोमान की फोन पर बातें होती रहीं. नौशाद को कैसे मारा जाए, इस की योजना बनती रही. बात गला दबा कर मारने की आई तो नौशाद इतना हट्टाकट्टा था कि तीनों मिल कर उसे काबू नहीं कर सकते थे. किसी हथियार से मारने की बात चली तो चीखपुकार होती और सभी जान जाते.

इसलिए तय हुआ कि नौशाद को पहले नशे की दवा दे कर सुला दिया जाए. उस के बाद गला दबा कर हत्या कर दी जाए. फिर लाश को किसी चीज में लपेट कर कहीं दूर फेंक दिया जाए. इस बीच नौशाद दुबई जाने की तैयारी करने लगा था. वह हवाई टिकट की कोशिश में लगा था. नौशाद दुबई वापस चला जाए, उस के पहले ही उस का काम तमाम करना था. रोमान ने नशे की दवा की व्यवस्था कर दी तो 19 अप्रैल, 2025 की शाम रजिया ने रात के खाने में नींद की दवा नौशाद को खिला दी. दवा देने के बाद रजिया ने इस बात की जानकारी रोमान को दे दी.

रजिया की बेटी सो गई तो उसे उस ने अलग कमरे में सुला कर दरवाजा बंद कर दिया. अब्बू बाहर के कमरे में सोए थे. घर के अंदर रजिया और नौशाद ही थे. रात 11 बजे के आसपास रोमान और हिमांशु बोलेरो ले कर आ गए. रजिया ने पीछे का दरवाजा खोल कर दोनों को अंदर बुला लिया.

गहरी नींद में सोए शौहर को लगाया ठिकाने

नौशाद नशे में गहरी नींद सो रहा था. रजिया ने नौशाद के पैर पकड़ लिए तो हिमांशु ने सिर. इस के बाद रोमान ने नौशाद के सीने पर बैठ कर उस का गला दबा दिया. नौशाद थोड़ा छटपटाया, फिर शांत हो गया. नौशाद कहीं जीवित न रह जाए, रजिया ने मूसल से उस के सिर पर कई वार किए. जब उसे विश्वास हो गया कि नौशाद अब जीवित नहीं हो सकता तो उस की पहचान न हो सके, इस के लिए रजिया ने चापर की नोंक से उस का पूरा चेहरा गोद दिया.

अब बारी थी लाश को ठिकाने लगाने की. वे लाश को ले जा कर कहीं दूर फेंक आना चाहते थे, जहां लाश की शिनाख्त न हो सके. रजिया के घर में 2 सूटकेस थे. पहले उन्होंने लाश को छोटे सूटकेस में भरने की कोशिश की. लेकिन उस में लाश नहीं आई. तब रजिया ने बड़ा सूटकेस खाली किया और उसे ला कर रोमान को दिया.

रोमान और हिमांशु ने नौशाद के शव को बड़े सूटकेस में भरना चाहा तो लाश उस में भी नहीं आई. इस के बाद रोमान और हिमांशु ने नौशाद की लाश को कुल्हाड़ी और चापर से 2 हिस्सों में काट कर सूटकेस में भरा. तब भी पैर अंदर नहीं जा रहे थे. तब पैरों को तोड़ कर अंदर डाला और सूटकेस बंद कर दिया. रजिया ने सूटकेस खाली करते समय उस में से एकएक कागज तक निकाल लिया था, जिस से पता न चल सके कि सूटकेस किस का है.

इस के बाद रोमान और हिमांशु सूटकेस बोलेरो में रख कर चल पड़े. वे सूटकेस को ले कर वहां से 55 किलोमीटर दूर थाना तरकुलवा के अंतर्गत आने वाले गांव छापर पटखौली पहुंचे और एक खाली पड़े खेत में उसे फेंक दिया. उस समय सुबह के 4 बज रहे थे. लाश से भरा सूटकेस फेंक कर दोनों अपनेअपने घर चले गए. लाश फेंकने की सूचना रोमान ने रजिया को फोन द्वारा दे दी थी. उस के बाद वह निश्चिंत हो गई थी. उसे पूरा विश्वास था कि पुलिस किसी भी हालत में उस तक पहुंच नहीं पाएगी.

दूसरी ओर गांव छापर पटखौली के रहने वाले किसान जितेंद्र गिरि कंबाइन मशीन ले कर गेहूं कटवाने पहुंचे तो उन्हें बगल वाले खेत में एक बड़ा सा सूटकेस पड़ा दिखाई दिया. सूटकेस में खून लगा था, इसलिए उन्होंने इस बात की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. थोड़ी ही देर में थाना तरकुलवा पुलिस वहां आ गई. घटनास्थल की स्थिति देख कर थाना तरकुलवा के एसएचओ ने यह जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी थी. थाना पुलिस ने आते ही सब से पहले लोगों को वहां से हटा कर आसपास के इलाके को बैरिकेड्स करवा दिया था.

थोड़ी ही देर में एएसपी अरविंद वर्मा, सीओ (सिटी) संजय रेड्डी, स्वाट टीम के प्रभारी दीपक कुमार, डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम के साथ आ गए थे. अरविंद वर्मा ने सूटकेस खुलवाया तो उस में 2 टुकड़ों में एक युवक की लाश थी. सिर से कमर तक का हिस्सा प्लास्टिक में लिपटा था तो कमर से पैर तक का हिस्सा बोरे में भरा था. सिर पर चोट के तथा धारदार हथियार के निशान थे.

कैसे हुई लाश की पहचान

पुलिस ने इकट्ठा लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही, पर कोई मरने वाले युवक को पहचान नहीं सका. तब सूटकेस की तलाशी ली गई कि उसी से ऐसा कुछ मिल जाए, जिस से मरने वाले के बारे में कुछ पता चल जाए. पर यह कोशिश भी बेकार गई. तलाशी के दौरान ही अरविंद वर्मा की नजर सूटकेस पर लगे एक स्टिकर पर पड़ी, जो एयरपोर्ट का बारकोड था. सूटकेस से थोड़ी दूरी पर पुलिस को एक विदेशी सिम भी मिला.

तब उन्होंने वह बारकोड एयरपोर्ट पर भेज कर पता करवाया. उस बारकोड से पता चला कि वह सूटकेस देवरिया के ही थाना मईल के अंतर्गत आने वाले गांव भटौली के रहने वाले नौशाद का है. पुलिस को लगा कि यह लाश नौशाद की हो सकती है या फिर उस के किसी रिश्तेदार की. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा कर पुलिस भटौली गांव के लिए रवाना हो गई.

भटौली पहुंच कर पुलिस को पता चला कि वह लाश नौशाद की ही थी. नौशाद की पत्नी से नौशाद के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि वह रात को कहीं चले गए थे. पुलिस ने जाने का कारण और कहां गए होंगे, पूछा तो वह पुलिस को गुमराह करने लगी. पुलिस को उस की बातों से शक हुआ तो उस के घर की तलाशी ली. इस तलाशी में पुलिस को एक सूटकेस मिला, जिस में खून लगा था. यह वही सूटकेस था, जिस में पहले लाश रखने की कोशिश की गई थी.

इस के बाद पुलिस ने रजिया सुलतान से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने पति की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करते हुए हत्या के पीछे की पूरी कहानी सुना दी. पुलिस ने तुरंत उसे हिरासत में ले लिया और थाने ले आई. पूछताछ में पता चला कि रजिया ने बेहद चालाकी से नौशाद को ठिकाने लगाने की साजिश रची थी. जबकि वह ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी. शायद इसीलिए सूटकेस में लगे बारकोड का मतलब वह समझ नहीं सकी थी. उस ने सूटकेस का एकएक सामान तो निकाल लिया था, पर जल्दबाजी में वह बारकोड नहीं निकाल पाई थी.

सुबह जब नौशाद के पिता ने बेटे के बारे में पूछा था, तब उस ने कहा था कि रात में वह कहीं चले गए थे. इस के बाद पूरा परिवार उस की तलाश में लग गया था. दोपहर को पुलिस पहुंची तो पता चला कि उस की हत्या हो चुकी है.

आरोपियों से पूछताछ करने के बाद नौशाद की हत्या के पीछे की जो दिलचस्प कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया के थाना मईल के अंतर्गत आने वाले गांव भटौली का रहने वाला नौशाद अहमद और देवरिया से लगे जिला बलिया की रहने वाली रजिया सुलतान उर्फ शिबा एकदूसरे को तब से जानते थे, जब से वे समझने लायक हुए थे. इस की वजह यह थी कि रजिया नौशाद की फूफी यानी बुआ की बेटी थी. रजिया जब भी ननिहाल आती, हमउम्र होने की वजह से रजिया और नौशाद साथसाथ खेलते. ऐसे में ही एक दिन दरवाजे पर खेलने के बाद दोनों एकदूसरे का हाथ थामे घर में घुसे तो बरामदे में चारपाई पर बैठी नौशाद की अम्मी के मुंह से अचानक निकल गया,

”हाय रब्बा, दोनों की कितनी सुंदर जोड़ी है. एकदम गुड्डेगुडिय़ा की जोड़ी लग रही है. अगर इन दोनों का निकाह कर दिया गया तो बहुत सुंदर जोड़ी लगेगी.’’

बात सच भी थी. जितनी गोरीचिट्टी रजिया सुलतान उर्फ शिबा थी तो उस से जरा भी कम गोराचिट्टा नौशाद भी नहीं था, इसलिए रजिया की अम्मी को भी यह जोड़ी भा गई थी. उन्होंने उस समय तो कुछ नहीं कहा था, पर मन ही मन तय कर लिया था कि अगर उस के भाई मबू अहमद नौशाद के लिए रजिया का हाथ मांगने आएंगे तो वह खुशीखुशी बेटी का निकाह नौशाद के साथ कर देगी.

रजिया की अम्मी ने उस समय भले ही कोई जवाब नहीं दिया था, पर नौशाद की अम्मी रजिया को बहू बनाने का ख्वाब मन ही मन पालने लगी थीं. रजिया जब भी अपनी अम्मी के साथ मामा के घर आती, नौशाद की अम्मी ननद को यह बात जरूर याद दिलातीं. जब तक नौशाद और रजिया नासमझ थे, तब तक तो कोई बात नहीं थी. लेकिन जब दोनों समझदार हो गए तो एकदूसरे को देख कर लजाने लगे.

फुफेरी बहन रजिया से हुई नौशाद की शादी

रजिया सुलतान थोड़ा और बड़ी हुई तो उस ने शर्म की वजह से मामा के घर आनाजाना बंद कर दिया. उस की अम्मी कहती भी थीं कि इस में शरमाने की क्या बात है, पर रजिया किसी भी हालत में मामा के घर आने के लिए राजी नहीं होती थी. जबकि नौशाद रजिया से मिलने के लिए बेचैन रहता था. मबू अहमद ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं थे. उन की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए जब उन का बड़ा बेटा कमाने लायक हुआ तो उन्होंने उसे ड्राइविंग सिखवा दी. कुछ दिनों तक उस ने यहीं किसी की गाड़ी चलाई. फिर उस ने पासपोर्ट बनवाया और जुगाड़ लगा कर दुबई चला गया. दुबई जाने से पहले ही मबू अहमद ने उस का निकाह जैतून से कर दिया था.

बड़े भाई की ही तरह नौशाद भी दुबई जाना चाहता था, इसलिए उस ने भी ड्राइविंग सीख ली थी. कुछ दिनों तक यहां इधरउधर गाड़ी चलाते हुए उस ने अपना पासपोर्ट बनवा लिया. अब तक वह शादी लायक भी हो चुका था. मबू अहमद ने उस के लिए अपनी बहन से रजिया का हाथ मांगा तो उन्होंने खुशीखुशी इस रिश्ते को मंजूरी दे दी. क्योंकि नौशाद हर तरह से रजिया के लायक था. उसे यह भी पता था कि आज नहीं तो कल नौशाद दुबई चला ही जाएगा. फिर उस की बेटी राज करेगी. जल्दी ही घर वालों की मरजी से रजिया और नौशाद का निकाह हो गया. यह करीब 10 साल पहले की बात है.

निकाह के बाद नौशाद दुबई जाने की तैयारी में लग गया. वहां उस का बड़ा भाई भले ही रहता था, लेकिन अच्छी कंपनी में ड्राइवर का वीजा मिलने में उसे 3 साल लग गए. इस बीच वह एक बेटी का बाप भी बन गया. इस समय उस की वह बेटी 8 साल की है. नौशाद को वीजा मिल गया तो वह नौकरी करने दुबई चला गया. नौशाद को दुबई की जिस कंपनी में नौकरी मिली थी, उस में साल में केवल 15 दिन की ही छुट्टी मिलती थी. इसलिए नौशाद साल में केवल 15 दिनों के लिए ही परिवार के साथ रह पाता था. बाकी का समय वह अकेला दुबई में रहता था तो उस की पत्नी रजिया यहां गांव में परिवार के साथ रहती थी.

पति के विदेश चले जाने के बाद रजिया आजाद हो गई. सास थी नहीं, जेठानी से कोई मतलब नहीं था. देवर भी मुंबई कमाने चला गया था. घर में केवल ससुर था और एक बेटी. इसलिए काम भी ज्यादा नहीं होता था. सुबह नाश्ता और खाना एक साथ बना कर रख देती. इस तरह पूरा दिन खाली रहती. इस खाली समय को बिताने के लिए जैसा आजकल हो रहा है, वैसे ही वह भी मोबाइल का सहारा लेती या अगलबगल वालों के यहां जा कर गप्पें मारती. पैसे की कमी थी नहीं, नौशाद दुबई से भेजता ही था. इसलिए रजिया ठाठ से रहती थी. रजिया सुलतान शुरू से ही थोड़ा चंचल स्वभाव की थी. मनमाना खर्च मिलने लगा तो विलासी भी हो गई.

उसे सारे सुख तो मिल रहे थे, लेकिन पति से अलग रहने की वजह से उसे शारीरिक सुख यानी सैक्स का सुख नहीं मिल रहा था, जिस के लिए वह छटपटाती रहती थी. पति साल भर में केवल 15 दिनों के लिए ही आता था. साल भर की सैक्स की भूखी रजिया का 15 दिनों में कुछ नहीं होता था. उस की देह की आग बुझने के बजाय और भड़क उठती थी.

रजिया का दिल आया जवान भांजे पर

कुछ दिनों तक तो रजिया ने खुद को संभाला. पर जब उस का मन नहीं माना तो वह अपने लिए एक ऐसे पुरुष की तलाश में लग गई, जो उस की कामना पूरी कर सके. उस की यह तलाश पति नौशाद के ही भांजे रोमान सिद्दीकी पर जा कर ठहर गई. दरअसल, नौशाद की एक बहन नूनहार गांव में ही ब्याही थी. रोमान उसी बहन का बेटा था. उस की शादी अभी नहीं हुई थी. वह ज्यादा पढ़ालिखा भी नहीं था. आठवीं तक पढ़ाई कर के उस ने अपने मामा की तरह ड्राइविंग सीख ली थी और पहले छोटी गाडिय़ां चलाने लगा था. जब हाथ साफ हो गया तो ट्रक चलाने लगा. भांजा होने की वजह से वह बेरोकटोक रजिया यानी नौशाद के घर आताजाता था.

रोमान सिद्दीकी अजीब शख्सियत वाला था. कुंवारा होने की वजह से उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी. इसलिए जो कमाता था, उस में से थोड़ा घर वालों को दे कर बाकी खुद पर खर्च करता था. इस में उस के कुछ आवारा दोस्त भी शामिल थे, जिन के पास कोई कामधंधा नहीं था. रोमान जब भी गांव आता, उस के वे दोस्त रातदिन उस के आगेपीछे घूमा करते. रोमान जो कमा कर लाता था, अपने साथ उन पर भी खर्च करता. जेब में पैसे होते ही थे, इसलिए रोजाना रात को मुर्गा और शराब की पार्टी होती.

पार्टी कर के रोमान कभीकभी मामी के घर आ जाता. नशे में होने पर रोमान को मामी भी अच्छी लगती और उस से बातें करना भी. पुरुष की संगत को तरस रही रजिया को भी उस से बातें करना अच्छा लगने लगा था. इसलिए वह भी उस से खूब मजे ले कर बातें करती थी. कभीकभी नशा ज्यादा हो जाता तो रोमान रजिया के यहां ही सो जाता था. ऐसे में रजिया को ही उस के लिए बिस्तर की भी व्यवस्था करनी पड़ती और उस के जूते और कपड़े भी उतारने पड़ते. कपड़े उतारने में रोमान का शरीर उस के शरीर से छू जाता या रगड़ जाता तो वह रोमांचित हो उठती. मन भटकने लगता और जी करता कि उस से लिपट जाए. लेकिन संकोचवश वह ऐसा कर नहीं पाती थी.

रोमान भी जवान था, इसलिए किसी महिला का सान्निध्य पाने के लिए वह भी लालायित रहता था. जब कभी जवानी ज्यादा उफान मारती तो सड़क के किनारे ढाबों पर मिलने वाली औरतों के साथ इच्छा पूरी कर लेता था. पर उन के साथ वह मजा नहीं आता था, जिस की कामना रोमान करता था. इसलिए जवान मामी की ओर उस का भी झुकाव होने लगा था. इस की वजह यह थी कि उस ने रजिया की बातों से महसूस किया था कि वह सैक्स की भूखी है. क्योंकि कभीकभी बातचीत में वह रोमान से ऐसी बात कह देती, जो औरत किसी पराए मर्द से नहीं कह सकती.

इन्हीं बातों से रोमान को लगने लगा था कि अगर वह मामी से अपने मन की बात कहे तो मामी बुरा मानने के बजाय उस की इच्छा पूरी कर देगी. लेकिन मुंह से ऐसी बात कहना आसान नहीं होता. रोमान सोचता कुछ भी रहा हो, लेकिन रजिया मामी से दिल की बात कह नहीं सका. फिर इस के लिए उस ने एक नाटक किया. एक रात को जब वह रजिया के घर पहुंचा तो चल नहीं पा रहा था. लडख़ड़ाते हुए वह रजिया के दरवाजे पर पहुंचा और किसी तरह धीमे से दरवाजा खटखटाया. उस समय तक रजिया की छोटी सी बेटी सो चुकी थी. बूढ़ा ससुर घर के बाहर सोता था, इसलिए उसे पता नहीं चल सकता था.

रजिया ने दरवाजा खोला तो सामने नशे में धुत रोमान खड़ा था. दरवाजा खुलने पर वह घर में दाखिल होने लगा तो लडख़ड़ाया. रजिया ने झट उसे दोनों बांहों भर लिया कि कहीं वह गिर न पड़े. रोमान को ऐसे ही मौके की तलाश थी. उस ने भी अपनी दोनों बांहें फैला कर रजिया के दोनों कंधों पर रख दीं और अपना पूरा शरीर उस के ऊपर डाल दिया. रजिया उसे ले कर बैड के पास पहुंची तो रोमान रजिया को ले कर बैड पर गिरा तो उसे तभी उठने दिया, जब उस की इच्छा पूरी हो गई. सब कुछ होने के बाद दोनों के चेहरों पर मलाल होने के बजाए खुशी और संतुष्टि थी.

इस के बाद तो दोनों का जब मन होता, अपनी इच्छाएं पूरी कर लेते. रोमान रजिया का भांजा था, इसलिए उस का जब मन होता यानी जब उसे मौका मिलता, वह मामी के पास पहुंच जाता और फिर वही होता, जिस के बारे में कोई अन्य सोच भी नहीं सकता था. दोनों की उम्र में ज्यादा फर्क भी नहीं था, इसलिए दोनों एकदूसरे का पूरा साथ देते थे और शारीरिक सुख का पूरा आनंद उठाते थे.

रोमान अच्छाखासा कमाता था.  इसलिए वह पहले जो रुपए दोस्तों पर खर्च करता था, रजिया मामी से प्यार मिलने के बाद उस पर खर्च करने लगा. नौशाद दुबई से रजिया के लिए पैसे भेजता ही था. इसलिए अब उस के मजे ही मजे थे. वह ठाठ से रहती और खूब पैसे खर्च करती. बढिय़ाबढिय़ा कपड़े और गहने पहनती. जब मन होता, खरीदारी के लिए शहर चली जाती. शहर में रोमान मिलता तो सिनेमा दिखाता, होटल में खाना खिलाता और शौपिंग कराता.

बहू के चालचलन पर ससुर को कैसे हुआ शक

लेकिन यह सब ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रहा. जिस तरह रोमान रजिया के घर आनेजाने लगा था और रातदिन उस के घर में पड़ा रहने लगा था, उस से जल्दी ही वे लोगों की नजरों में चढ़ गए. अगलबगल वाले कानाफूसी करने लगे. फिर रजिया के ससुर मबू अहमद खुद ही अनुभवी थे. उन्होंने दुनिया देख रखी थी. घर में जवान बहू अकेली रहती थी. उस का पति परदेस में रहता था. ऐसे में किसी जवान आदमी का घर बेरोकटोक आना खतरे से खाली नहीं था.

वह सीधे बहू से कुछ कह नहीं सकते थे. क्योंकि अपनी आंखों से कुछ देखा तो था नहीं. फिर भी इशारोंइशारों में उस ने बहू को समझाया और रोमान को भी टोका. पर दोनों को जो सुख मिल रहा था, वे उसे छोडऩा नहीं चाहते थे. इसलिए नौशाद के पिता मबू अहमद की बातों का न तो रजिया सुलतान पर कोई असर पड़ा न तो नाती रोमान पर.

मबू अहमद ज्यादा कुछ कह नहीं सकते थे, क्योंकि बात खुलती तो बदनामी उन्हीं की होती. जब रजिया ने उन की बात पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने बड़ी बहू जैतून से इशारे में कहा कि वह अपनी देवरानी को समझाए. क्योंकि अब लोग उन से खुलेआम कहने लगे थे कि रोमान उन के घर कुछ ज्यादा ही आताजाता है. कभीकभी वह रात में भी उन के घर रुकता है. बेटा बाहर रहता है, कहीं बहू के पैर न फिसल जाएं. अगर ऐसा हो गया तो ऐसे संबंधों का परिणाम अच्छा नहीं होता.

मबू अहमद ने बड़ी बहू से देवरानी को समझाने को कहा था. ससुर के कहने पर जब जैतून ने देवरानी रजिया को समझाने की कोशिश की तो वह उस से लडऩे लगी. तब जैतून ने देवरानी से अपनी बेइज्जती कराने से अच्छा चुप रहना ही समझा. अंतत: मबू अहमद को ही खुल कर सामने आना पड़ा. उन्होंने रोमान को अपने घर आने से साफ मना कर दिया. रजिया को भी बाहर जाने से रोका, पर उस ने उन की बात नहीं मानी. अब रजिया रोमान से बाहर मिलती या फिर रात को चोरी से घर पर बुलाती. इस का भी पता घर वालों को चल गया. तब मजबूर हो कर मबू अहमद ने दुबई में रह रहे बेटे को इस बारे में बता दिया. यह करीब डेढ़ साल पहले की बात है.

अब्बू ने जो बताया था, नौशाद से हजम नहीं हुआ. उस ने तुरंत रजिया को फोन किया. वह ससुर को झूठा साबित करने के लिए हजार कसमें खाने लगी. पर नौशाद इतना भी बेवकूफ नहीं था कि वह पत्नी की बात पर विश्वास कर लेता और अब्बू की बात को नकार देता. उस ने छुट्टी ली और गांव आ गया. गांव में घर वालों ने ही नहीं, उस के यारदोस्तों और कुछ बुजुर्गों ने भी उसे बताया कि रजिया के कदम बहक गए हैं. उस का भांजा भी नालायक है. उस ने रिश्ते का भी लिहाज नहीं किया. इन बातों से नौशाद को बहुत तकलीफ पहुंची कि जिस पत्नी के लिए वह घरपरिवार छोड़ कर हजारों मील दूर पड़ा है, वही पत्नी उस के साथ विश्वासघात कर रही है.

उस ने रजिया सुलतान को समझाना चाहा तो वह अपनी जिद पर अड़ी रही कि सभी उस पर झूठा आरोप लगा रहे हैं. तब उसे रजिया पर गुस्सा आ गया और उस ने तलाक देने का फैसला कर लिया. पर रजिया इस के लिए तैयार नहीं थी. क्योंकि नौशाद जैसा कमाऊ पति जल्दी कहां मिलता. उस ने नौशाद से माफी मांगी और कसम खाई कि अब वह रोमान से कभी नहीं मिलेगी. पंचायत भी बुलाई गई थी. सभी के सामने रजिया और रोमान ने वचन दिया कि अब वे एकदूसरे से कभी नहीं मिलेंगे.

नौशाद भी रजिया से बहुत प्यार करता था, इसलिए उस ने अपना तलाक देने वाला फैसला रद्द कर दिया. इस के बाद रजिया ने नौशाद से अपना अलग घर बनवाने के लिए कहा तो नौशाद ने गांव के बाहर थोड़ी जमीन खरीदी और उस घर बनवाने की सारी व्यवस्था कर के अपनी नौकरी पर चला गया, क्योंकि उसे केवल 15 दिनों की ही छुट्टी मिली थी.

रजिया का गांव के बाहर अलग घर बन कर तैयार हो गया तो वह उसी में आ कर रहने लगी. उस का घर गांव से थोड़ा बाहर पड़ता था, इसलिए मबू अहमद उसी के घर रात को सोते थे. लेकिन इस का रजिया पर कोई असर नहीं पड़ता था. यहां आ कर उस का रोमान से मिलना और आसान हो गया था. इस घर में वह अकेली ही रहती थी. ससुर भले ही रात को उस के घर सोने आते थे. पर पीछे भी तो दरवाजा था. रोमान पीछे के दरवाजे से आता और जो करना होता, कर के पीछे से ही निकल जाता.

अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने नौशाद की बहन निशात द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर नौशाद की हत्या का मुकदमा रजिया सुलतान, रोमान और हिमांशु के खिलाफ दर्ज कर लिया था. रजिया को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. जबकि रोमान और हिमांशु फरार थे. अगले दिन फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने रोमान को भी गिरफ्तार कर लिया था. जबकि कहानी लिखे जाने तक हिमांशु नहीं पकड़ा जा सका था.

पुलिस ने उन हथियारों चापर, कुल्हाड़ी और मूसल को बरामद कर लिया था, जिन से नौशाद की हत्या की गई थी. पुलिस को उस बोलेरो की भी तलाश है, जिस से नौशाद की लाश को ठिकाने लगाने के लिए उतनी दूर ले जाया गया था.

Love Crime : एकतरफा इश्क में डॉक्टर ने प्रेमिका को मार डाला

Love Crime : डिगरी ले कर डाक्टर बन जाना ही सब कुछ नहीं होता. इस पेशे में डाक्टर के लिए सेवाभाव, संयम, विवेक और इंसानियत भी जरूरी हैं. विवेक तिवारी डाक्टर जरूर बन गया था, लेकिन उस में इन में से कोई भी गुण नहीं था. अपने एक तरफा प्यार में वह चाहता था कि डा. योगिता वही करे जो वह चाहता है. ऐसा नहीं हुआ तो…

बीते 19 अगस्त की बात है. उत्तर प्रदेश पुलिस को सूचना मिली कि आगरा फतेहाबाद हाईवे पर बमरोली कटारा के पास सड़क किनारे एक महिला की लाश पड़ी है. यह जगह थाना डौकी के क्षेत्र में थी. कंट्रोल रूप से सूचना मिलते ही थाना डौकी की पुलिस मौके पर पहुंच गई. मृतका लोअर और टीशर्ट पहने थी. पास ही उस के स्पोर्ट्स शू पड़े हुए थे. चेहरेमोहरे से वह संभ्रांत परिवार की पढ़ीलिखी लग रही थी, लेकिन उस के कपड़ों में या आसपास कोई ऐसी चीज नहीं मिली, जिस से उस की शिनाख्त हो पाती. युवती की उम्र 25-26 साल लग रही थी.

पुलिस ने शव को उलटपुलट कर देखा. जाहिरा तौर पर उस के सिर के पीछे चोट के निशान थे. एकदो जख्म से भी नजर आए. युवती के हाथ में टूटे हुए बाल थे. हाथ के नाखूनों में भी स्कीन फंसी हुई थी. साफतौर पर नजर आ रहा था कि मामला हत्या का है, लेकिन हत्या से पहले युवती ने कातिल से अपनी जान बचाने के लिए काफी संघर्ष किया था. मौके पर शव की शिनाख्त नहीं हो सकी, तो डौकी पुलिस ने जरूरी जांच पड़ताल के बाद युवती की लाश पोस्टमार्टम के लिए एमएम इलाके के पोस्टमार्टम हाउस भेज दी. डौकी थाना पुलिस इस युवती की शिनाख्त के प्रयास में जुट गई.

उसी दिन सुबह करीब साढ़े 9 बजे दिल्ली के शिवपुरी पार्ट-2, दिनपुर नजफगढ़ निवासी डाक्टर मोहिंदर गौतम आगरा के एमएम गेट पुलिस थाने पहुंचे. उन्होंने अपनी बहन डाक्टर योगिता गौतम के अपहरण की आशंका जताई और डाक्टर विवेक तिवारी पर शक व्यक्त करते हुए पुलिस को एक तहरीर दी. डाक्टर मोहिंदर ने पुलिस को बताया कि डाक्टर योगिता आगरा के एसएन मेडिकल कालेज से पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही है. वह नूरी गेट में गोकुलचंद पेठे वाले के मकान में किराए पर रहती है. कल शाम यानी 18 अगस्त की शाम करीब सवा 4 बजे डाक्टर योगिता ने दिल्ली में घर पर फोन कर के कहा था कि डाक्टर विवेक तिवारी उसे बहुत परेशान कर रहा है. उस ने डाक्टरी की डिगरी कैंसिल कराने की भी धमकी दी है. फोन पर डाक्टर योगिता काफी घबराई हुई थी और रो रही थी.

पुलिस ने डाक्टर मोहिंदर से डाक्टर विवेक तिवारी के बारे में पूछा कि वह कौन है? डा. मोहिंदर ने बताया कि डा. योगिता ने 2009 में मुरादाबाद के तीर्थकर महावीर मेडिकल कालेज में प्रवेश लिया था. मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान योगिता की जान पहचान एक साल सीनियर डा. विवेक से हुई थी. डाक्टरी करने के बाद विवेक को सरकारी नौकरी मिल गई. वह अब यूपी में जालौन के उरई में मेडिकल औफिसर के पद पर तैनात है. डा. विवेक के पिता विष्णु तिवारी पुलिस में औफिसर थे. जो कुछ साल पहले सीओ के पद से रिटायर हो गए थे. करीब 2 साल पहले हार्ट अटैक से उन की मौत हो गई थी.

डा. मोहिंदर ने पुलिस को बताया कि डा. विवेक तिवारी डा. योगिता से शादी करना चाहता था. इस के लिए वह उस पर लगातार दबाव डाल रहा था. जबकि डा. योगिता ने इनकार कर दिया था. इस बात को लेकर दोनों के बीच काफी दिनों से झगड़ा चल रहा था. डा. विवेक योगिता को धमका रहा था. नहीं सुनी पुलिस ने  पुलिस ने योगिता के अपहरण की आशंका का कारण पूछा, तो डा. मोहिंदर ने बताया कि 18 अगस्त की शाम योगिता का घबराहट भरा फोन आने के बाद मैं, मेरी मां आशा गौतम और पिता अंबेश गौतम तुरंत दिल्ली से आगरा के लिए रवाना हो गए. हम रात में ही आगरा पहुंच गए थे. आगरा में हम योगिता के किराए वाले मकान पर पहुंचे, तो वह नहीं मिली. उस का फोन भी रिसीव नहीं हो रहा था.

डा. मोहिंदर ने आगे बताया कि योगिता के नहीं मिलने और मोबाइल पर भी संपर्क नहीं होने पर हम ने सीसीटीवी फुटेज देखी. इस में नजर आया कि डा. योगिता 18 अगस्त की शाम साढ़े 7 बजे घर से अकेली बाहर निकली थी. बाहर निकलते ही उसे टाटा नेक्सन कार में सवार युवक ने खींचकर अंदर डाल लिया.  डा. मोहिंदर ने आरोप लगाया कि सारी बातें बताने के बाद भी पुलिस ने ना तो योगिता को तलाशने का प्रयास किया और ना ही डा. विवेक का पता लगाने की कोशिश की. पुलिस ने डा. मोहिंदर से अभी इंतजार करने को कहा.

जब 2-3 घंटे तक पुलिस ने कुछ नहीं किया, तो डा. मोहिंदर आगरा में ही एसएन मेडिकल कालेज पहुंचे. वहां विभागाध्यक्ष से मिल कर उन्हें अपना परिचय दे कर बताया कि उन की बहन डा. योगिता लापता है. उन्होंने भी पुलिस के पास जाने की सलाह दी. थकहार कर डा. मोहिंदर वापस एमएम गेट पुलिस थाने आ गए और हाथ जोड़कर पुलिस से काररवाई करने की गुहार लगाई. शाम को एक सिपाही ने उन्हें बताया कि एक अज्ञात युवती का शव मिला है, जो पोस्टमार्टम हाउस में रखा है. उसे भी जा कर देख लो. मन में कई तरह की आशंका लिए डा. मोहिंदर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे. शव देख कर उन की आंखों से आंसू बहने लगे. शव उन की बहन डा. योगिता का ही था. मां आशा गौतम और पिता अंबेश गौतम भी नाजों से पाली बेटी का शव देख कर बिलखबिलख कर रो पड़े.

शव की शिनाख्त होने के बाद यह मामला हाई प्रोफाइल हो गया. महिला डाक्टर की हत्या और इस में पुलिस अधिकारी के डाक्टर बेटे का हाथ होने की संभावना का पता चलने पर पुलिस ने कुछ गंभीरता दिखाई और भागदौड़ शुरू की. आगरा पुलिस ने जालौन पुलिस को सूचना दे कर उरई में तैनात मेडिकल आफिसर डा. विवेक तिवारी को तलाशने को कहा. जालौन पुलिस ने सूचना मिलने के 2 घंटे बाद ही 19 अगस्त की रात करीब 8 बजे डा. विवेक को हिरासत में ले लिया. जालौन पुलिस ने यह सूचना आगरा पुलिस को दे दी. जालौन पुलिस उसे हिरासत में ले कर एसओजी आफिस आ गई. जालौन पुलिस ने उस से आगरा जाने और डा. योगिता से मिलने के बारे में पूछताछ की, तो वह बिफर गया. उस ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से वह क्वारंटीन में है.

विवेक तिवारी बारबार बयान बदलता रहा. बाद में उस ने स्वीकार किया कि वह 18 अगस्त को आगरा गया था और डा. योगिता से मिला था. विवेक ने जालौन पुलिस को बताया कि वह योगिता को आगरा में टीडीआई माल के बाहर छोड़कर वापस उरई लौट आया था. आगरा पुलिस ने रात करीब 11 बजे जालौन पहुंचकर डा. विवेक को हिरासत में ले लिया. उसे जालौन से आगरा ला कर 20 अगस्त को पूछताछ की गई. पूछताछ में वह पुलिस को लगातार गुमराह करता रहा. पुलिस ने उस की काल डिटेल्स निकलवाई, तो पता चला कि शाम सवा 6 बजे से उस की लोकेशन आगरा में थी. डा. योगिता से उस की शाम साढ़े 7 बजे आखिरी बात हुई थी.

इस के बाद रात सवा बारह बजे विवेक की लोकेशन उरई की आई. कुछ सख्ती दिखाने और कई सबूत सामने रखने के बाद उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गई. आखिरकार उस ने डा. योगिता की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. बाद में पुलिस ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया. पुलिस ने 20 अगस्त को डाक्टरों के मेडिकल बोर्ड से डा. योगिता के शव का पोस्टमार्टम कराया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार डा. योगिता के शरीर से 3 गोलियां निकलीं. एक गोली सिर, दूसरी कंधे और तीसरी सीने में मिली. योगिता पर चाकू से भी हमला किया गया था. पोस्टमार्टम कराने के बाद आगरा पुलिस ने डा. योगिता का शव उस के मातापिता व भाई को सौंप दिया.

प्रतिभावान डा. थी योगिता पूछताछ में डा. योगिता के दुखांत की जो कहानी सामने आई, वह डा. विवेक तिवारी के एकतरफा प्यार की सनक थी. दिल्ली के नजफगढ़ इलाके की शिवपुरी कालोनी पार्ट-2 में रहने वाले अंबेश गौतम नवोदय विद्यालय समिति में डिप्टी डायरेक्टर हैं. वह राजस्थान के उदयपुर शहर में तैनात हैं. डा. अंबेश के परिवार में पत्नी आशा गौतम के अलावा बेटा डा. मोहिंदर और बेटी डा. योगिता थी. योगिता शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहती थी. उस की डाक्टर बनने की इच्छा थी. इसलिए उस ने साइंस बायो से 12वीं अच्छे नंबरों से पास की. पीएमटी के जरिए उस का सलेक्शन मेडिकल की पढ़ाई के लिए हो गया. उस ने 2009 में मुरादाबाद के तीर्थंकर मेडिकल कालेज में एमबीबीएस में एडमिशन लिया.

इसी कालेज में पढ़ाई के दौरान योगिता की मुलाकात एक साल सीनियर विवेक तिवारी से हुई. दोनों में दोस्ती हो गई. दोस्ती इतनी बढ़ी कि वे साथ में घूमनेफिरने और खानेपीने लगे. इस दोस्ती के चलते विवेक मन ही मन योगिता को प्यार करने लगा लेकिन योगिता की प्यारव्यार में कोई दिलचस्पी नहीं थी. वह केवल अपनी पढ़ाई और कैरियर पर ध्यान देती थी. इसी दौरान 2-4 बार विवेक ने योगिता के सामने अपने प्यार का इजहार करने का प्रयास किया लेकिन उस ने हंस मुसकरा कर उस की बातों को टाल दिया. योगिता के हंसनेमुस्कराने से विवेक समझ बैठा कि वह भी उसे प्यार करती है. जबकि हकीकत में ऐसा कुछ था ही नहीं. विवेक मन ही मन योगिता से शादी के सपने देखता रहा.

इस बीच, विवेक को भी डाक्टरी की डिगरी मिल गई और योगिता को भी. बाद में डा. विवेक तिवारी को सरकारी नौकरी मिल गई. फिलहाल वह उरई में मेडिकल आफिसर के पद पर कार्यरत था. डा. विवेक मूल रूप से कानपुर का रहने वाला है. कानपुर के किदवई नगर के एन ब्लाक में उस का पैतृक मकान है. इस मकान में उस की मां आशा तिवारी और बहन नेहा रहती हैं. विवेक के पिता विष्णु तिवारी उत्तर प्रदेश पुलिस में अधिकारी थे. वे आगरा शहर में थानाप्रभारी भी रहे थे. कहा जाता है कि पुलिस विभाग में विष्णु तिवारी का काफी नाम था. वे कानपुर में कई बड़े एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम में शामिल रहे थे. कुछ साल पहले विष्णु तिवारी सीओ के पद से रिटायर हो गए थे. करीब 2 साल पहले उन की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.

मुरादाबाद से एमबीबीएस की डिगरी हासिल कर डा. योगिता आगरा आ गई. आगरा में 3 साल पहले उस ने एसएन मेडिकल कालेज में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए एडमिशन ले लिया. वह इस कालेज के स्त्री रोग विभाग में पीजी की छात्रा थी. वह आगरा में नूरी गेट पर किराए के मकान में रह रही थी. इस बीच, डा. योगिता और विवेक की फोन पर बातें होती रहती थीं. कभीकभी मुलाकात भी हो जाती थी. डा. विवेक जब भी मिलता या फोन करता, तो अपने प्रेम प्यार की बातें जरूर करता लेकिन डा. योगिता उसे तवज्जो नहीं देती थी. दोनों के परिवारों को उन की दोस्ती का पता था. डा. विवेक के पास योगिता के परिजनों के मोबाइल नंबर भी थे. उस ने योगिता के आगरा के मकान मालिकों के मोबाइल नंबर भी हासिल कर रखे थे. कहा यह भी जाता है कि विवेक और योगिता कई साल रिलेशन में रहे थे.

पिछले कई महीनों से डा. विवेक उस पर शादी करने का दबाव डाल रहा था, लेकिन डा. योगिता ने इनकार कर दिया था. इस से डा. विवेक नाराज हो गया. वह उसे फोन कर धमकाने लगा. 18 अगस्त को विवेक ने योगिता को फोन कर शादी की बात छेड़ दी. योगिता के साफ इनकार करने पर उस ने धमकी दी कि वह उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा, उस की एमबीबीएस की डिगरी कैंसिल करा देगा. इस से डा. योगिता घबरा गई. उस ने दिल्ली में अपनी मां को फोन कर रोते हुए यह बात बताई. इसी के बाद योगिता के मातापिता व भाई दिल्ली से आगरा के लिए चल दिए थे.

योगिता को धमकाने के कुछ देर बाद डा. विवेक ने उसे दोबारा फोन किया. इस बार उस की आवाज में क्रोध नहीं बल्कि अपनापन था. उस ने कहा कि भले ही वह उस से शादी ना करे लेकिन इतने सालों की दोस्ती के नाम पर उस से एक बार मिल तो ले. काफी नानुकुर के बाद डा. योगिता ने आखिरी बार मिलने की हामी भर ली. उसी दिन शाम करीब साढ़े 7 बजे डा. विवेक ने योगिता को फोन कर के कहा कि वह आगरा आया है और नूरी गेट पर खड़ा है. घर से बाहर आ जाओ, आखिरी मुलाकात कर लेते हैं. योगिता बिना सोचेसमझे बिना किसी को बताए घर से अकेली निकल गई. यही उस की आखिरी गलती थी.

घर से बाहर निकलते ही नूरी गेट पर टाटा नेक्सन कार में सवार विवेक ने उसे कार का गेट खोल कर आवाज दी और तेजी से कार के अंदर खींच लिया. रास्ते में डा. विवेक ने योगिता से फिर शादी का राग छेड़ दिया, तो चलती कार में ही दोनों में बहस होने लगी. डा. विवेक उस से हाथापाई करने लगा. इसी हाथापाई में योगिता ने अपने हाथ के नाखूनों से विवेक के बाल खींचे और चमड़ी नोंची, तो गुस्साए विवेक ने उस का गला दबा दिया. डा. विवेक योगिता को कार में ले कर फतेहाबाद हाईवे पर निकल गया. एक जगह रुक कर उस ने अपनी कार में रखा चाकू निकाला. चाकू से योगिता के सिर और चेहरे पर कई वार किए. इतने पर भी विवेक का गुस्सा शांत नहीं हुआ, तो उस ने योगिता के सिर, कंधे और छाती में 3 गोलियां मारीं. यह रात करीब 8 बजे की घटना है.

हत्या कर के रातभर सक्रिय रहा विवेक इस के बाद योगिता के शव को बमरौली कटारा इलाके में सड़क किनारे एक खेत में फेंक दिया. पिस्तौल भी रास्ते में फेंक दी. रात में ही वह उरई पहुंच गया. रात को ही वह उरई से कानपुर गया और अपनी कार घर पर छोड़ आया. दूसरे दिन वह वापस उरई आ गया. बाद में पुलिस ने कानपुर में डा. विवेक के घर से वह कार बरामद कर ली. यह कार 2 साल पहले खरीदी गई थी. कार में खून से सना वह चाकू भी बरामद हो गया, जिस से हमला कर योगिता की जान ली गई थी. बहुत कम बोलने वाली प्रतिभावान डा. योगिता गौतम का नाम कोरोना संक्रमण काल में यूपी की पहली कोविड डिलीवरी करने के लिए भी दर्ज है. कोरोना महामारी जब आगरा में पैर पसार रही थी, तब आइसोलेशन वार्ड विकसित किया गया.

इस के लिए स्त्री और प्रसूति रोग विभाग की भी एक टीम बनाई गई. जिसे संक्रमित गर्भवतियों के सीजेरियन प्रसव की जिम्मेदारी दी गई. विभागाध्यक्ष डा. सरोज सिंह के नेतृत्व में गठित इस टीम में शामिल डा. योगिता ने 21 अप्रैल को यूपी और आगरा में कोविड मरीज के पहले सीजेरियन प्रसव को अंजाम दिया था. इस के बाद भी उन्होंने कई सीजेरियन प्रसव कराए. डा. योगिता के कराए प्रसव की कई निशानियां आज उन घरों में किलकारियां बन कर गूंज रही हैं. सिरफिरे डाक्टर आशिक के हाथों जान गंवाने से 5 दिन पहले ही 13 अगस्त को डा. योगिता का पीजी का रिजल्ट आया था. जिस में वह पास हो गई थी. पीजी कर योगिता विशेषज्ञ डाक्टर बन गई थी. लेकिन वक्त को कुछ और ही मंजूर था. लोगों की जान बचाने वाली डा. योगिता की उस के आशिक ने ही जान ले ली. घटना वाले दिन भी वह दोपहर 3 बजे तक अस्पताल में अपनी ड्यूटी पर थी.

डा. योगिता की मौत पर आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में कैंडल जला कर योगिता को श्रद्धांजलि दी गई. कालेज के जूनियर डाक्टरों की एसोसिएशन ने प्रदर्शन कर सच्ची कोरोना योद्धा की हत्या पर आक्रोश जताया. बहरहाल डा. विवेक ने अपने एकतरफा प्यार की सनक में योगिता की हत्या कर दी. उस की इस जघन्य करतूत ने योगिता के परिवार को खून के आंसू बहाने पर मजबूर कर दिया. वहीं, खुद का जीवन भी बरबाद कर लिया. डाक्टर लोगों की जान बचाने वाला होता है, लोग उसे सब से ऊंचा दर्जा देते हैं, लेकिन यहां तो डाक्टर ही हैवान बन गया. दूसरों की जान बचाने वाले ने साथी डाक्टर की जान ले ली.

 

UP News : सोते हुए डॉक्टर को महबूबा के आशिक ने चाकू से गोद डाला

UP News : उस का नाम था मायरा बानो, लेकिन उस की सूरत और सीरत की वजह से सब उसे चांदनी कहने लगे थे. चांदनी का पहला प्यार था इमरान और इमरान का पहला प्यार थी चांदनी. डाक्टर संजय भदौरिया ने जब चांदनी पर नजर डाली तो…

पेशे से डाक्टर संजय सिंह भदौरिया बरेली के धनेटा-शीशगढ़ मार्ग से सटे आनंदपुर गांव में रहते थे. उन के पिता राजेंद्र सिंह गांव के संपन्न किसान थे. परिवार में मां और पिता के अलावा एक छोटा भाई हरिओम और एक बहन पूनम थी. पूनम का विवाह हो चुका था. संजय डाक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1999 में बरेली के एक अस्पताल में अपनी सेवाएं देने लगे. सन 2000 में नीलम से उन का विवाह हो गया. लेकिन काफी समय बाद भी उन्हें संतान सुख नहीं मिला. छोटे भाई हरिओम का विवाह बाद में हुआ. हरिओम के 3 बेटे हुए. संजय ने उन्हीं में से एक बेटे को गोद ले लिया था. कई अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने के बाद डा. संजय ने अपना अस्पताल खोलने का निश्चय किया.

5 साल पहले उन्होने गौरीशंकर गौडि़या में किराए पर एक इमारत ले कर अस्पताल खोला. उन्होंने अस्पताल का नाम रखा ‘आनंद जीवन हौस्पिटल’. अस्पताल अच्छा चलने लगा. लेकिन घर से काफी दूर होने के कारण आनेजाने में दिक्कत होती थी. इसलिए डा. संजय कहीं घर के नजदीक अस्पताल खोलने पर विचार करने लगे. 6 महीने तक गौडि़या में अस्पताल चलाने के बाद संजय ने अपने गांव आनंदपुर से 2 किलोमीटर की दूरी पर विकसित गांव दुनका में एक इमारत किराए पर ले ली. इमारत दुनका गांव निवासी नत्थूलाल की थी, जिसे संजय ने 8 हजार रुपए मासिक किराए पर लिया था. संजय ने इमारत में बने हाल को 2 हिस्सों में बांट दिया.

एक हिस्से में बैठ कर वह मरीजों को देखते थे. जबकि दूसरा हिस्सा एडमिट किए गए मरीजों के लिए था. मरीजों को दवा भी वहीं दी जाती थी, जबकि यह काम उन के छोटे भाई हरिओम सिंह भदौरिया करते थे. हरिओम बड़े भाई के अन्य कामों में भी सहयोग करते थे. संजय और हरिओम के मामा नत्थू सिंह भी उन के साथ लगे रहते थे. संजय कई सालों से हिंदू युवा वाहिनी से भी जुडे़ थे. पिछले 5 सालों में संजय का अस्पताल अच्छा चल निकला था. रात में वह अधिकतर अस्पताल में ही रुकते थे. घर जाते तो कुछ ही देर में वापस लौट आते थे. रात में वह अस्पताल परिसर में चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सोते थे. इमारत के बाहर लोहे का एक बड़ा सा गेट था, जो दिन में खुला रहता था लेकिन रात में बंद कर दिया जाता था.

रात में कोई मरीज आता तो गेट खोल दिया जाता था. 16/17 सितंबर की रात डा. संजय अस्पताल परिसर में चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सो गए. उन के भाई हरिओम अस्पताल के अंदर मामा नत्थू सिंह के साथ सोए थे. 17 सितंबर की सुबह 6 बजे हरिओम उठ कर बाहर आए तो बड़े भाई संजय को मृत पाया. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन की हत्या कर दी थी. हरिओम के मुंह से चीख निकल गई. चीख की आवाज सुन कर मामा नत्थू सिंह भी वहां आ गए. भांजे को मरा पाया तो वह भी सकते में आ गए. हरिओम ने अपने घर वालों को सूचना देने के बाद शाही थाना पुलिस को घटना के बारे में बता दिया. थोड़ी देर में शाही थाना इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

हत्यारा इमरान था हिंदू युवा वाहिनी के तहसील अध्यक्ष डा. संजय भदौरिया की हत्या की खबर फैलते देर नहीं लगी. हिंदू नेता की हत्या से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया. कई थानों की पुलिस और फील्ड यूनिट के साथ एसएसपी रोहित सिंह सजवान स्वयं मौके पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक के गले, चेहरे, पेट व आंख पर किसी तेज धारदार हथियार से वार किए गए थे. हत्या इतनी बेदर्दी से की गई थी जैसे हत्यारे को मृतक से बेइंतहा नफरत रही हो. अस्पताल की इमारत के मालिक दुनका में रहने वाले नत्थूलाल थे. पीछे की ओर उन के भाई की दुकानों के टीन शेड में सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पुलिस ने उन कैमरों की रिकौर्डिंग की जांच की.

रिकार्डिंग में रात साढ़े 3 बजे के करीब एक युवक अस्पताल में खड़ी टाटा मैजिक के पीछे से निकलते दिखा. वह संजय की चारपाई के नजदीक आया. फिर उस ने मच्छरदानी हटाते ही धारदार छुरे से संजय पर वार करने शुरू कर दिए. एक मिनट के अंदर उस ने संजय का काम तमाम कर दिया और जिस रास्ते से आया था, उसी रास्ते से वापस लौट गया. हत्यारे युवक को हरिओम ने पहचान लिया. वह दुनका का ही रहने वाला इमरान था. हत्यारे की पहचान होते ही पुलिस अधिकरियों ने उस की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए. पुलिस की कई टीमें इमरान की तलाश में लग गईं. इंसपेक्टर वीरेंद्र राणा की टीम ने दोपहर पौने एक बजे इमरान को रतनपुरा के जंगल में खोज निकाला.

पुलिस को आया देख इमरान ने 315 बोर के तमंचे से पुलिस पर फायर कर दिया, जिस से कोई पुलिसकर्मी हताहत नहीं हुआ. जवाब में पुलिस ने उस के पैर को निशाना बना कर गोली चला दी, जो सीधे इमरान के पैर में लगी. गोली लगते ही इमरान के हाथ से तमंचा छूट गया और वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगा. पुलिस ने उसे दबोच लिया. इमरान के पास से पुलिस ने एक तमंचा, एक खोखा कारतूस, 2 जिंदा कारतूस और आलाकत्ल छुरा बरामद कर लिया. थाने ला कर जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो पूरा मामला आइने की तरह साफ हो गया. इमरान शाही थाना क्षेत्र के गांव दुनका में रहता था. वह भाड़े पर टाटा मैजिक चलाता था. इस से पहले वह संजय के अस्पताल के मालिक नत्थूलाल के यहां ड्राइवर था.

इमरान की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. उस के पिता छोटे तांगा चलाते थे. इमरान 3 भाइयों में सब से बड़ा था. इमरान के घर से कुछ दूरी पर चांदनी उर्फ मायरा बानो (परिवर्तित नाम) रहती थी. नाम के अनुसार उस के रूप की चांदनी भी लोगों को लुभाती थी. उम्र के 18वें बसंत में चांदनी का यौवन अपने चरम पर था. खूबसूरत देहयष्टि वाली चांदनी युवकों से बात करने में हिचकती थी, वह बातबात में शरमा जाती थी. यौवन द्वार पर आते ही उस में कई परिवर्तन आ गए थे, शारीरिक रूप से भी और सोच में भी. कई युवक उस के आगेपीछे मंडराते थे, लेकिन चांदनी इमरान को पसंद करती थी. इमरान काफी स्मार्ट था, वह उस की नजरों से हो कर दिल में उतर गया था.

इमरान भी उस के आगेपीछे मंडराता था. दोनों एकदूसरे से परिचित थे. घर वाले भी एकदूसरे के घर आतेजाते थे. ऐसे में उन के बीच बातचीत होती रहती थी. लेकिन जब से उन के बीच प्यार के अंकुर फूटने लगे थे, तब से उन के बीच संकोच की दीवार सी खड़ी हो गई थी. जब भी इमरान उस की आंखों के सामने होता तो उस की निगाहें उसी पर जमी रहतीं. चेहरे पर इस की खुशी साफ झलकती थी. इमरान को भी उस का इस तरह से देखना भाता था, क्योंकि उस का दिल तो वैसे भी चांदनी के प्यार का मरीज था. दोनों की आंखों से एकदूसरे के लिए प्यार साफ झलकता था. दोनों इस बात को महसूस भी करते थे, लेकिन बात जुबां पर नहीं आ पाती थी.

शुरू हो गई प्रेम कहानी एक दिन चांदनी जब इमरान के घर गई तो उस समय वह घर में अकेला था. चांदनी को देखते ही इमरान का दिल तेजी से धड़कने लगा. उसे लगा कि दिल की बात कहने का इस से अच्छा मौका नहीं मिलेगा. इमरान ने उसे कमरे में बैठाया और फटाफट 2 कप चाय बना लाया. चाय का घूंट भर कर चांदनी उस से दिल्लगी करती हुई बोली, ‘‘चाय तो बहुत अच्छी बनी है. बेहतर होगा कहीं चाय की दुकान खोल लो. खूब बिक्री होगी.’’

‘‘अगर तुम रोजाना दुकान पर आ कर चाय पीने का वादा करो तो मैं दुकान भी खोल लूंगा.’’ इमरान ने चांदनी की बात का जवाब उसी अंदाज में दिया तो चांदनी लाजवाब हो गई.लदोनों इसी बात पर काफी देर हंसते रहे, फिर इमरान गंभीर हो कर बोला, ‘‘चांदनी, मुझे तुम से एक बात कहनी थी.’’

‘‘हां, कहो न.’’

‘‘सोचता हूं कहीं तुम बुरा न मान जाओ.’’

‘‘जब तक कहोगे नहीं कि बात क्या है तो मुझे कैसे पता चलेगा कि अच्छा मानना है कि बुरा.’’

‘‘चांदनी, मैं तुम से दिलोजान से प्यार करता हूं. ये प्यार आज का नहीं बरसों का है जो आज जुबां पर आया है. ये आंखें तो बस तुम्हें ही देखना पसंद करती हैं, तुम्हारे पास रहने से दिल को करार आता है. तुम्हारे प्यार में मैं इतना दीवाना हो चुका हूं कि अगर तुम ने मेरा प्यार स्वीकार नहीं किया तो मैं पागल हो जाऊंगा.’’

इमरान के दिल की बात जुबां पर आ गई. सुन कर चांदनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया. पलकें झुक गईं, होंठों ने कुछ कहना चाहा लेकिन जुबां ने साथ नहीं दिया. चांदनी की यह हालत देख कर इमरान बोला, ‘‘कुछ तो कहो चांदनी. क्या मैं इस लायक नहीं कि तुम से प्यार कर के तुम्हारा साथ पा सकूं.’’

‘‘क्या कहना ही जरूरी है, तुम अपने आप को दीवाना कहते हो और मेरी आंखों में बसी चाहत को नहीं देख सकते. सच पूछो तो जो हाल तुम्हारा है, वही हाल मेरा भी है. मैं ने भी तुम्हें बहुत पहले से दिल में बसा लिया था. पर डरती थी कि कहीं यह मेरा एकतरफा प्यार न हो.’’ चांदनी ने अपनी चाहत का इजहार कर दिया तो इमरान खुशी से झूम उठा. उसे लगा जैसे सारी दुनिया की दौलत चांदनी के रूप में उस की झोली में आ समाई हो. एक बार दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ तो फिर उन के मिलनेजुलने का सिलसिला बढ़ गया. अब दोनों रोज गांव के बाहर एक सुनसान जगह पर मिलने लगे. वहां दोनों एकदूसरे पर जम कर प्यार बरसाते और हमेशा एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें खाते.

जैसेजैसे समय बीतता गया, दोनों की चाहत दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती गई. इसी बीच चांदनी को पेट दर्द की समस्या हुई तो उस ने इमरान को बताया. इमरान डा. संजय भदौरिया से परिचित था. इसलिए वह चांदनी को इलाज के लिए संजय के अस्पताल में ले आया. डा. संजय ने चांदनी का चैकअप किया, फिर कुछ दवाइयां लिख दीं, जोकि उन के हौस्पिटल के मैडिकल स्टोर में उपलब्ध थीं, हरिओम ने पर्चे में लिखी दवाइयां दे दीं. चांदनी को देखते और उसे छूते समय संजय को एक सुखद अनूभूति हुई थी. चांदनी की खूबसूरती को देख संजय की आंखें चुंधिया गई थीं, दिल में भी उमंगें उठने लगी थीं.

उस दिन के बाद चांदनी संजय के पास दवा लेने के लिए अकेले ही आने लगी. संजय उसे अकेले में देखता और उस से खूब बातें करता. बातोंबातों में उस ने चांदनी को अपने प्रभाव में लेना शुरू कर दिया. उस ने चांदनी से दवा के पैसे लेना भी बंद कर दिया था. डा. संजय ने छीना इमरान का प्यार चांदनी भी संजय से खुल कर बातें करती थी. एक दिन संजय ने उस से कहा, ‘‘चांदनी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो. लगता है मैं तुम्हें चाहने लगा हूं.’’

यह कह कर संजय ने चांदनी के चेहरे पर नजरें गड़ा दीं. यह सुन कर चांदनी पल भर के लिए चौंकी, फिर बोली, ‘‘आप मुझ से उम्र में बहुत बड़े हैं और शादीशुदा भी. ऐसे में प्यार मुझ से…’’

‘‘पगली, प्यार उम्र और बंधन को कहां देखता है, जिस से होना होता है, हो जाता है. तुम मुझे अब मिली हो, अगर पहले मिल जाती तो मैं तुम से ही शादी करता. खैर अब वह तो हो नहीं सकता, उस की क्या बात करें. मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगा, तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा.’’

‘‘मैं इमरान से प्यार करती हूं और हम दोनों शादी भी करने वाले हैं.’’

‘‘इमरान से प्यार कर के तुम्हें क्या मिलेगा? वह एक मामूली इंसान है. तुम्हारी खुशियों का खयाल नहीं रख पाएगा. मेरे पास पैसा है, शोहरत है. मैं तुम्हारे लिए बहुत कुछ कर सकता हूं. हर तरह से…’’

‘‘आप की बात तो सही है लेकिन…’’ दुविधा में पड़ी चांदनी इस से आगे कुछ नहीं बोल पाई.

‘‘सोच लो, विचार कर लो, वैसे भी जिंदगी के अहम फैसले जल्दबाजी में नहीं लिए जाते. कोई जल्दी नहीं, आराम से सोच कर बता देना.’’

इस के बाद चांदनी अस्पताल से घर लौट आई. उस के दिमाग में तरहतरह के विचार घुमड़घुमड़ रहे थे. इमरान उस का प्यार था लेकिन उस के सिर्फ प्यार से अच्छी जिंदगी नहीं गुजारी जा सकती थी. अच्छी जिंदगी के लिए पैसों की जरूरत होती है, वह जरूरत संजय से पूरी हो सकती थी. संजय के प्यार को स्वीकार कर के वह अच्छी जिंदगी गुजार सकती थी. आगे चल कर वह उसे शादी के लिए भी मना सकती थी, नहीं तो वह उस की दूसरी बीवी की तरह ताउम्र गुजार सकती थी. चांदनी का मन बदल गया और उस का फैसला संजय के हक में गया था. अगले ही दिन चांदनी संजय के अस्पताल पहुंच कर उस से मिली. उस के चेहरे की खुशी देख कर संजय जान गया था कि चांदनी ने उस का होने का फैसला कर लिया है. फिर भी अंजान बनते हुए उस ने चांदनी से पूछ लिया, ‘‘तो चांदनी, तुम ने क्या सोचा…इमरान या मैं?’’

‘‘जाहिर है आप, आप को न चुनती तो मैं यहां वापस आती भी नहीं.’’ चांदनी ने बड़ी अदा से मुसकराते हुए कहा. संजय उस का फैसला सुन कर खुश हो गया. उस दिन के बाद से संजय और चांदनी का मिलनाजुलना बढ़ गया. दोनों एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए. इन नजदीकियों के बाद चांदनी ने इमरान से दूरी बनानी शुरू कर दी. चांदनी का अपने प्रति रूखा व्यवहार देख कर इमरान को उस पर शक हो गया. वह उस पर नजर रखने लगा. जल्द ही उसे सारी सच्चाई पता चल गई. इमरान ने बदले की ठान ली इस बात को ले कर वह चांदनी से तो झगड़ा ही, संजय से भी लड़ा. संजय ने उसे डांटडपट कर वहां से भगा दिया. अपनी प्रेमिका को अपने से दूर जाते देख कर इमरान बौखला गया. वह उस दिन को कोसने लगा जब वह चांदनी को इलाज के लिए संजय के पास ले गया था.

संजय ने उस की पीठ में छुरा घोंपा था. इसलिए उस ने संजय की जिंदगी छीन लेने का फैसला कर लिया. 16/17 सितंबर की रात साढ़े 3 बजे के करीब वह संजय के अस्पताल में घुसा. उस ने संजय को बाहर चारपाई पर मच्छरदानी लगा कर सोते देखा. वह चारपाई के नजदीक पहुंचा और मच्छरदानी हटा कर साथ लाए छुरे से संजय पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए. सोता हुआ संजय चीख तक न सका और उस की मौत हो गई. संजय को मौत के घाट उतारने के बाद इमरान जिस रास्ते से आया था, उसी रास्ते से अस्पताल से बाहर निकल गया. वहां से जाने के बाद वह रतनपुरा के जंगल में जा कर छिप गया.

लेकिन उस का गुनाह तीसरी आंख में कैद हो गया था, जिस के बाद पुलिस को उस तक पहुंचने में देर नहीं लगी. इंसपेक्टर वीरेंद्र सिंह राणा ने हरिओम को वादी बना कर इमरान के विरुद्ध भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया. इस के अलावा मुठभेड़ के दौरान पुलिस पर जानलेवा हमला करने पर भी उस के खिलाफ धारा 307 का भी मुकदमा दर्ज किया गया. आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद इमरान को न्यायालय में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधा

Delhi News : प्रेमी की गला दबाकर हत्या, प्रेमिका का भाई बना वारदात में साझेदार

Delhi News : मां के मना करने के बावजूद साहिल ने वर्षा से कोर्टमैरिज तो कर ली, लेकिन वह उसे अपने घर नहीं ले जा सका. वर्षा द्वारा घरले जाने की जिद को वह टाल देता था. वर्षा की जिद को हर बार टालना साहिल को इतना भारी पड़ा कि…

11 सितंबर, 2020 की सुबह उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद थाने में एक राहगीर से सूचना मिली कि अमीना मसजिद के पास एक लाश पड़ी है. इस सूचना पर थाने से एसआई अशोक कुमार मसजिद के पास पहुंचे तो वास्तव में सड़क के किनारे एक युवक की लाश पड़ी थी. उस युवक की उम्र 25 साल के करीब लग रही थी. उस के गले पर हलके खरोंच के निशान थे. उस समय सुबह का वक्त था. कुछ लोग सड़क पर आजा रहे थे. उन्होंने कुछ लोगों को बुला कर लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की. चूंकि यह मामला हत्या का प्रतीत हो रहा था, इसलिए एसआई अशोक कुमार ने थानाप्रभारी पी.सी. यादव को घटना के बारे में सूचना दे दी.

थानाप्रभारी पी.सी. यादव थाने में मौजूद एएसआई प्रदीप, हैड कांस्टेबल कैलाश और कांस्टेबल अजय को साथ ले कर थोड़ी ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश का बारीकी से मुआयना किया. मृतक ने नारंगी रंग की टीशर्ट और स्लेटी रंग की पैंट पहन रखी थी. थानाप्रभारी ने क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी घटनास्थल पर बुला लिया, जिस ने लाश की कई कोण से फोटो खींची. मृतक के गले पर खरोंच के निशान के अलावा शरीर पर जख्म के निशान दिखाई नहीं दे रहे थे.

2 घंटे तक वहां के लोगों से लाश की शिनाख्त कराने के प्रयास किए. इस के बावजूद भी जब मृतक की पहचान नहीं हो सकी तो उसे पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज दिया गया. मोर्चरी में लाश पर चोटों के निशान देखने के लिए उस के कपड़े उतारे गए तो पता चला कि मृतक युवक मुसलिम है. उसी दिन थानाप्रभारी पी.सी. यादव के निर्देश पर मृतक की फोटो वजीराबाद के कई वाट्सऐप ग्रुप में भेज कर उन से लाश की शिनाख्त करने की अपील की गई. दोपहर में फोटो की पहचान वजीराबाद की गली नंबर 9 में रहने वाले साहिल उर्फ राजा के रूप में हो गई. उस के घर पहुंचने पर मृतक की मां मिली. उस ने मोबाइल पर लाश की फोटो देख कर उस की पुष्टि अपने बेटे साहिल के रूप के कर ली.

पूछताछ के दौरान उन्होंने थानाप्रभारी पी.सी. यादव को बताया कि कल रात साहिल ने उसे फोन कर बताया था कि वह अभी वर्षा के घर जा रहा है, इसलिए उस का इंतजार न करें. मां ने साहिल की हत्या का शक वर्षा पर जताया. 13 सितंबर को पुलिस ने साहिल की मां की शिकायत पर वर्षा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया और इस केस की जांच अतिरिक्त थानाप्रभारी गुलशन गुप्ता को सौंप दी गई. अतिरिक्त थानाप्रभारी गुलशन गुप्ता ने साहिल की मां से वर्षा के बारे में पूछताछ की तो पता चला कि वर्षा अपने भाई आकाश के साथ दिल्ली के ही शास्त्रीनगर में रहती है.

वर्षा के ठिकाने का पता लगते ही वह पुलिस टीम के साथ शास्त्रीनगर स्थित वर्षा के मकान पर पहुंचे. लेकिन उस के मकान पर ताला लटका हुआ था. उस के मकान मालिक का पता लगा कर उस से वर्षा के बारे में पूछताछ की, लेकिन मकान मालिक को भी वर्षा के मूल निवास स्थान की जानकारी मालूम नहीं थी. लेकिन उस ने पुलिस टीम को वर्षा के छोटे भाई आकाश का मोबाइल नंबर बता दिया, जिसे अतिरिक्त थानाप्रभारी गुलशन गुप्ता ने अपनी डायरी में नोट कर लिया. वर्षा के घर से गायब रहने के कारण जांच अधिकारी के मन में साहिल की हत्या में उस का हाथ होने का शक और पुख्ता हो गया.

इस के बाद उन्होंने साहिल के दोस्त साजिद से पूछताछ की तो साजिद ने बताया कि कल रात वह और साहिल औफिस से साथ निकले थे. बातचीत के दौरान साहिल ने उस से कहा भी था कि वह वर्षा के घर जा रहा है. उस ने भी वर्षा पर ही साहिल की हत्या का शक जाहिर किया. वहां से लौट कर गुलशन गुप्ता घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां से 50 मीटर की दूरी पर एक सीसीटीवी कैमरा लगा देखा, जिस का फोकस उसी तरफ था, जहां पर साहिल का शव मिला था. उन्होंने फौरन उस सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवा कर बीरीकी से इस की जांचपड़ताल करनी शुरू की तो देखा सुबह सवा 6 बजे के समय वहां पर एक आटो आ कर रुका, जिस से 3 औरतें बाहर निकलीं.

उन्होंने एक बेहोश से आदमी को आटो से बाहर निकाला और इस के बाद आटो वहां से चला गया. आटो के जाने के बाद तीनों उस आदमी को वहां से थोड़ी दूर घसीट कर ले गईं. फिर एक सुनसान सी जगह पर उसे लिटा कर फरार हो गईं. सीसीटीवी फुटेज को कई वार रिवर्स कर के देखने से आटो के पीछे लिखा ‘अंशुल दी गड्डी’ और आटो की नंबर प्लेट पढ़ कर उसे अपनी डायरी पर नोट कर लिया. करीब 200 आटो की खोजबीन करने के बाद वह आटो मिल गया, जिस के पीछे कवर पर अंशुल दी गड्डी लिखा था. आटो की नंबर प्लेट से उस के मालिक रविंद्र तथा ड्राइवर मुकेश का पता लगा लिया.

मुकेश से पूछताछ करने पर पता चला कि घटना वाली रात को तड़के 4 बजे वह अपने आटो के साथ कश्मीरी गेट बसअड्डे पर किसी सवारी का इंतजार कर रहा था. एक युवती उस के पास आई थी और अपने दोस्त के गहरे नशे में होने की बात कह कर उसे शास्त्री पार्क स्थित अपने कमरे पर ले गई. वहां से अपने बेहोश साथी को ले कर जगप्रवेश अस्पताल गई. उस के साथ 2 युवतियां और थीं. वहां किसी कारण इलाज नहीं होने पर उसे वजीराबाद ला कर वहां छोड़ दिया, जहां पर पुलिस ने सुबह लाश बरामद की थी. मुकेश का बयान दर्ज करने के बाद पुलिस टीम जगप्रवेश अस्पताल पहुंची और वहां के सीसीटीवी फुटेज की जांचपड़ताल की. उस में आटो और तीनों औरतें साफ दिख गईं.

अब तक की जांचपड़ताल से इतना पता चल गया था साहिल की हत्या में उन्हीं 3 औरतों का हाथ है. आकाश के मोबाइल नंबर की लोकेशन से पता चला कि वह इस समय उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में है. 13 सितंबर, 2020 को दिल्ली से एक पुलिस टीम वर्षा और उस के साथियों की तलाश में शाहजहांपुर पहुंची और वहां पर अपने एक रिश्तेदार के यहां छिपे वर्षा और उस के भाई आकाश को गिरफ्तार कर लिया. उन से पूछताछ करने पर तीसरे साथी अलका उर्फ अली हसन को भी उस के रिश्तेदार के यहां से गिरफ्तार कर लिया. तीनोें को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस टीम वजीराबाद थाने लौट आई.

वर्षा से पूछताछ की. पहले तो उस ने साहिल की हत्या करने से इनकार किया, लेकिन जब उसे सीसीटीवी फुटेज दिखाया गया तो वर्षा का चेहरा सफेद पड़ गया. उस ने साहिल की हत्या की बात स्वीकार करते हुए अपने इकबालिया बयान में जो बात बताई, वह हैरतअंगेज कर देने वाली थी. वर्षा से पूछताछ के बाद साहिल की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी. 23 वर्षीय साहिल उर्फ राजा अपनी अम्मी के साथ उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में रहता था. कई साल पहले उस के अब्बा का इंतकाल एक लंबी बीमारी के दौरान हो गया था.

कोई 4 साल पहले की बात है. तब साहिल ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर चुका था. अब्बा की मौत के बाद से ही घर में मुश्किलों का दौर शुरू हो गया था, जो अब तक कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. अम्मी जैसेतैसे घर का गुजारा चला रही थी. उस ने अपने लिए नौकरी की तलाश शुरू की. काफी भागदौड़ करने के बाद किसी तरह उसे शास्त्री पार्क स्थित एक स्थानीय अखबार के औफिस में नौकरी मिल गई. जहां वह रिपोर्टिंग के साथ अखबार के लिए विज्ञापन लाने का काम करता था. इस काम में उसे तनख्वाह और कमीशन मिलता था. उस से घर का गुजारा चलने लगा.

साहिल को अभी यह काम करते हुए कुछ महीने गुजरे थे कि एक दिन उस की मुलाकात वर्षा से हुई. 19 वर्षीय वर्षा देखने में काफी सुंदर होने के अलावा हंसमुख स्वभाव की थी. साहिल को वर्षा की बातें अच्छी लगीं. वर्षा ने साहिल को बताया कि वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गांव हसनपुर, हरदोई की रहने वाली है. गांव में उसे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए वह नौकरी की तलाश में अपने भाई के साथ दिल्ली आ गई. इस समय वह अपने छोटे भाई आकाश के साथ शास्त्री पार्क में रहती है. साहिल ने वर्षा से उस का मोबाइल नंबर ले लिया. वर्षा ने भी साहिल का मोबाइल नंबर सेव कर लिया. इस घटना के बाद साहिल और वर्षा हमेशा एकदूसरे के संपर्क में रहने लगे.

जब भी साहिल को काम से फुरसत मिलती वह वर्षा को बुला क र उस के साथ कहीं घूमने निकल जाता था. वर्षा भी साहिल को प्यार करती थी, इसलिए वह हमेशा उसे खुश रखने की कोशिश करती थी. चूंकि इश्क की आग दोनों तरफ बराबर लगी थी, सो जल्द ही उन के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. काफी दिनों तक ऐसा ही चलता रहा. बाद में वर्षा साहिल से शादी करने की जिद करने लगी तो पहले साहिल ने उस से शादी करने में कुछ आनाकानी की, लेकिन जब वर्षा ने साहिल से कहा कि बिना शादी के वह इस रिलेशन को नहीं रखना चाहती है तो साहिल ने वर्षा की जिद देखते हुए उस के साथ कोर्टमैरिज तो कर लिया, मगर उसे अपने घर नहीं ले गया.

उस ने वर्षा को समझाते हुए कहा कि उस की अम्मी अभी इस कोर्टमैरिज को स्वीकार नहीं करेंगी. जब उस की अम्मी उसे अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो जाएंगी तो वह उसे अपनी बेगम बना कर घर ले जाएगा. वर्षा ने साहिल की बात पर यकीन कर लिया. इस के बाद साहिल ने वर्षा के रहने के लिए शास्त्री पार्क में एक मकान किराए पर ले लिया, जिस में एक कमरा ग्राउंड फ्लोर पर और दूसरा कमरा ऊपरी मंजिल पर बना था. साहिल दिन में औफिस में काम करता था और रात में वर्षा के पास रुक जाता था. रात के समय में दोनों ऊपरी कमरे में सोते थे, जबकि वर्षा का भाई आकाश नीचे ग्राउंड फ्लोर पर सोता था.

आकाश को वर्षा और साहिल के रिश्ते की शुरू से जानकारी थी. उसे इस पर कोई ऐतराज नहीं था. वर्षा और आकाश के साथ उस के ही गांव हसनपुर का एक लड़का अली हसन उर्फ अलका भी रहता था. आकाश और अली हसन दिन के समय लड़कियों के कपड़े पहन कर हिजड़ों का रूप धारण कर लेते थे और शादीब्याह वाले घरों या जिस किसी के घर में बच्चे का जन्म होता, उस के घर जा कर बधाइयां गाने का काम करते थे. इस काम में उसे थोड़ी देर नाचनेगाने में ही अच्छीखासी रकम हाथ लग जाती थी. उन्हें मजदूरी करना काफी मेहनत का काम लगता था, इसलिए दोनों इसे नहीं करना चाहते थे. जबकि नकली हिजड़ा बन कर नाचगा कर मांगने का काम आकाश और अली हसन को आसान लगता था.

कुछ दिनों के बाद साहिल और वर्षा के रिश्ते की जानकारी साहिल की अम्मी को हो गई. दरअसल, साहिल अब रात में घर न पहुंच कर वर्षा के घर शास्त्री पार्क में अपनी रातें गुजारने लगा था. जब उस की अम्मी ने साहिल से इस का कारण पूछा तो उस ने अम्मी को वर्षा और अपने रिलेशनशिप के बारे में सब कुछ बता दिया. इस के बाद अम्मी ने साहिल का विरोध नहीं किया. सालों पहले शौहर की मौत हो जाने के बाद से वह एक बेवा की जिंदगी गुजार रही थी. अब बेटे को नाराज कर वह उसे खोना नहीं चाहती थी. इसी प्रकार साहिल और वर्षा के रिश्ते को 4 साल हो गए. वर्षा के रहनेखाने का सारा खर्च साहिल ही उठाता था, लेकिन वह उसे अपने घर ले जाने के लिए तैयार नहीं था. वर्षा जब भी साहिल को अपने घर ले चलने की बात कहती, साहिल कोई न कोई बहाना बना कर उस की बात को टाल जाता था.

पिछले 2 सालों से साहिल द्वारा लगातार टाले जाने से परेशान वर्षा के सब्र का बांध अब टूटने के कगार पर था. उस ने गंभीर हो कर यह बात अपने छोटे भाई आकाश को बताई तो वह भी बहन की परेशानी को समझ कर सोच में डूब गया. काफी सोचविचार के बाद यह तय हुआ कि आज वह साहिल से दोटूक बात करेगी. साहिल को हर हाल में उसे अपनाना ही पड़ेगा. आकाश और अली हसन दोनों ने वर्षा की बात का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘ठीक है, आज इस बात का फैसला हो कर ही रहेगा.’’

10 सितंबर, 2020 की रात लगभग 10 बजे साहिल जब वर्षा के घर पहुंचा तो वहां सब उस के आने का इंतजार कर रहे थे. किसी ने खाना नहीं खाया था. साहिल मार्केट जा कर सब के लिए खाना और शराब की बोतल ले आया. सब ने एक साथ मिल कर शराब पी और खाना भी खाया. इस के बाद साहिल रोमांटिक मूड में वर्षा को अपनी तरफ खींचते हुए ऊपर वाले कमरे में चलने के लिए कहने लगा तो वह उस की बांहों से छिटक कर अलग हो गई और बोली, ‘‘तुम रोज मेरे जिस्म से खेलते हो और जब मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे घर जा कर बीवी बन कर रहने की बात करती हूं तो बहाना बना कर टाल जाते हो. आज तुम साफसाफ बताओ कि तुम्हारे मन में क्या है?’’

वर्षा के इस बदले हुए तेवर को देख कर भी साहिल पर इस का जरा भी असर नहीं हुआ. उस ने समझा कि वर्षा थोड़ी नानुकुर करने के बाद उस की बात मान कर ऊपर के कमरे में चली जाएगी. लेकिन वह नहीं गई. वर्षा साहिल के बारबार टालने से काफी तंग आ चुकी थी, इसलिए वह साहिल के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हुई. वर्षा ने साहिल की इच्छा का विरोध करना शुरू कर दिया. इसी बात पर उन के बीच हाथापाई शुरू हो गई, जिस पर साहिल ने गुस्से में वर्षा के ऊपर हाथ उठा दिया. इस पर वर्षा ने अपने भाई आकाश और अली हसन के साथ मिल कर साहिल को फर्श पर पटक कर उस का गला घोंट दिया.

जब साहिल का बेजान जिस्म एक ओर लुढ़क गया तो उस की लाश देख कर उन तीनों के हाथपांव फूल गए. काफी देर तक आपस में विचार करने के बाद उन्हें लगा कि अगर साहिल को अस्पताल ले जाया जाए तो शायद उस की जान बच सकती है. ऐसा सोच कर उन्होंने कश्मीरी गेट बसअड्डे से आटो बुलाया और उसे आटो में ले कर जगप्रवेश अस्पताल पहुंचे, जहां डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया. डाक्टर की बात सुन कर तीनों एकदम बदहवास हो गए. साहिल के बेजान जिस्म को उसी आटो में लाद कर वे वजीराबाद पहुंचे और उस की लाश वहां उतार कर आटो वाले को वापस भेज दिया.

आटो के नजर से ओझल होते ही उन तीनों ने लाश थोड़ी दूर खींच कर एक साइड में डाल दी और वहां से फरार हो गए. सुबह पुलिस द्वारा पकड़े जाने से बचने के लिए तीनों शास्त्री पार्क स्थित मकान पर ताला लगा कर वहां से फरार हो गए. इसी दौरान उन्होंने यमुना नदी में साहिल का पर्स और मोबाइल फोन फेंक दिया. इस के बाद वे आनंद विहार पहुंचे और वहां से बस पकड़ कर हरदोई पहुंच गए. वहां भी जब उन्हें लगा कि पुलिस उन की तलाश में यहां भी पहुंच सकती है तो वे शाहजहांपुर स्थित अपने रिश्तेदार के यहां जा कर छिप गए.

लेकिन उन की चालाकी काम नहीं आई और दिल्ली पुलिस ने 13 सितंबर, 2020 को उन्हें दबोच लिया. 14 सितंबर को साहिल उर्फ राजा की हत्या के आरोप में उस की प्रेमिका वर्षा उस के भाई आकाश और अली हसन को तीसहजारी कोर्ट में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

 

Crime News : बहू ने नशीली खिचड़ी खिला कर सबको बेहोश किया, सामान लेकर प्रेमी संग हुई फरार

Crime News : शादीशुदा और 4 बच्चों की मां रीनू ने पहली गलती कपिल से अवैध संबंध बना कर की, दूसरी गलती उस ने इस संबंध को स्थाई बनाने के लिए अपनी छोटी बहन की शादी कपिल से करा कर की. उस की तीसरी गलती कपिल को रिश्तेदार बना कर घर में रखने की थी. और चौथी गलती पति शिवकुमार को मौत के घाट उतरवाने की. इतनी गलतियां करने के बाद…

इसलिए तकनीकी टीम के प्रभारी एसआई रामकुमार रघुवंशी और आरक्षक मोइन खान ने चाय व समोसे वाला बन कर उन की रैकी करनी शुरू कर दी, जिस से जल्द ही जानकारी हासिल कर सम्राट उर्फ वीरामान धामी को गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ में वीरामान पहले तो कुछ भी बताने की राजी नहीं था. लेकिन जब उस ने मुंह खोला तो चौंकाने वाला सच सामने आया. वास्तव में वीरामान खुद वारदात करने के लिए पचोर जाने वाली टीम में शामिल था. अन्य 2 पुरुषों और महिला के बारे में पूछताछ की तो सम्राट ने बताया कि अनुष्का अपने प्रेमी तेज के साथ नई दिल्ली के बदरपुर इलाके में रहती है.

पुलिस ने बदरपुर इलाके में छापेमारी कर के दोनों को वहां से गिरफ्तार कर उन के पास से चोरी का माल बरामद कर लिया. यहां तेज रोक्यो और अनुष्का उर्फ आशु उर्फ कुशलता भूखेल के साथ उन का तीसरा साथी भरतलाल थापा भी पुलिस गिरफ्त में आ गए. मौके पर की गई पूछताछ के बाद दिल्ली गई पुलिस टीम ने दिल्ली पुलिस की मदद से मामले के मुख्य आरोपी वीरामान उर्फ सम्राट मूल निवासी धनगढ़ी, नेपाल, अनुष्का उर्फ आशु उर्फ कुशलता भूखेल निवासी जनकपुर, तेज रोक्यो मूल निवासी जिला अछम, नेपाल, भरतलाल थापा को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की थी.

इस के अलावा आरोपियों को पचोर तक कार बुक करने वाला पवन थापा निवासी उत्तम नगर नई दिल्ली, बेहोशी की दवा उपलब्ध कराने वाला कमल सिंह ठाकुर निवासी जिला बजरा नेपाल, चोरी के जेवरात खरीदने वाला मोहम्मद हुसैन निवासी जैन कालोनी उत्तम नगर, जेवरात को गलाने में सहायता करने वाला विक्रांत निवासी उत्तम नगर भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए. अनुष्का को कंपनी में काम पर लगवाने वाली सरिता शर्मा निवासी किशनपुरा, नोएडा तथा अनुष्का को नौकरानी के काम पर लगाने वाला बिलाल अहमद उर्फ सोनू निवासी जामिया नगर, नई दिल्ली को गिरफ्तार कर के बरामद माल सहित पचोर लौट आई. जहां एसपी श्री शर्मा ने पत्रकार वार्ता में महज 7 दिनों के अंदर जिले में हुई चोरी की सब से बड़ी घटना का राज उजागर कर दिया.

अनुष्का ने बताया कि राम गोयल का पूरा परिवार उस पर विश्वास करता था. इसलिए परिवार के अन्य लोगों की तरह अनुष्का भी घर में हर जगह आतीजाती थी. एक दिन उस के सामने घर की तिजोरी खोली गई तो उस में रखी ज्वैलरी और नकदी देख कर उस की आंखें चौंधिया गईं और उस के मन में लालच आ गया. यह बात जब उस ने दिल्ली में बैठे अपने प्रेमी तेज रोक्यो को बताई तो उसी ने उसे तिजोरी पर हाथ साफ करने की सलाह दी. योजना को अंजाम देने के लिए उस का प्रेमी तेज रोक्यो ही दिल्ली से बेहोशी की दवा ले कर पचोर आया था. वह दवा उस ने रात में खिचड़ी में मिला कर पूरे परिवार को खिला दी.

जिस से खिचड़ी खाते ही पूरा परिवार गहरी नींद में सो गया. तब अनुष्का अलमारी में भरा सारा माल ले कर पे्रमी के संग चंपत हो गई. पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर एक करोड़ 53 लाख रुपए का चोरी का सामान और नकदी बरामद कर ली. पुलिस ने सभी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की जांच टीआई डी.पी. लोहिया कर रहे थे.

Crime Story : तीसरे पति की चाहत में दूसरे पति का मर्डर

Crime Story : पति की एक्सीडेंट में मौत हो जाने के बाद 3 बच्चों की मम्मी गीता यादव ने चरन सिंह से दूसरी शादी कर ली थी. इसी दौरान गीता की लाइफ में जबर सिंह आ गया. उस के आने से घर में ऐसा जलजला आया कि…

गीता यादव फितरती औरत थी. उसे बच्चों से तो हमदर्दी थी, लेकिन पति चरन सिंह फूटी आंख भी नहीं सुहाता था. पति रूपी बाधा को दूर करने के लिए एक रोज गीता ने प्रेमी जबर सिंह को उकसाया, ”जबर, हम कब तक परदेस में पड़े रहेंगे. कब तक हम मजदूरीधतूरी करते रहेंगे. तुम्हें मेरे साथ जीवन बिताना है तो कुछ करना होगा?’’

”क्या करना होगा?’’ जबर सिंह ने पूछा.

”तुम्हें मेरे सिंदूर को मिटाना होगा, ताकि मैं तुम्हारे हाथ का सिंदूर अपनी मांग में सजा सकूं. अभी तो मैं तुम्हारी रखैल ही हूं.’’

”चाहता तो मैं भी हूं, लेकिन पकड़े गए तो..?’’

”कुछ नहीं होगा. तुम चिंता मत करो. मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी. ऐसा प्लान बनाऊंगी कि सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.’’

कुछ देर चुप्पी साधने के बाद वह फिर बोली, ”चरन सिंह जीवित नहीं रहेगा तो उस के घर तथा जमीनजायदाद पर भी उसी का कब्जा हो जाएगा. हम दोनों उसी घर में बच्चों के साथ हंसीखुशी से रहेंगे.’’

”ठीक है. मैं तैयार हूं.’’ जबर सिंह ने सहमति जताई.

उस के बाद गीता और जबर सिंह ने कान से कान जोड़ कर चरन सिंह की हत्या का प्लान बनाया. तय हुआ कि इस बार जब गांव जाएंगे, तब योजना के तहत चरन सिंह को ठिकाने लगा देंगे. 14 नवंबर, 2024 को इटावा कोर्ट में गीता द्वारा पति के खिलाफ दर्ज कराए गए मारपीट के मुकदमे की तारीख थी. इसलिए गीता प्रेमी जबर सिंह के साथ सोनीपत से गांव रम्पुरा लौहरई आई. कोर्ट में तारीख पर गई, फिर शाम को वापस घर आ गई. उस ने घर में खाना पकाया और बच्चों को खिलाया. पति चरन सिंह से भी हमदर्दी भरी बातें कीं. चरन सिंह को लगा कि गीता को अपनी भूल का अहसास हो गया है. अब वह घर में बच्चों के साथ ही रहेगी, लेकिन यह उस की भूल थी.

गांव के बाहर प्राइमरी स्कूल था. यहां कई कमरे ऐसे थे, जिस में दरवाजे नहीं लगे थे. ऐसे ही एक कमरे में चरन सिंह का कब्जा था. यहां वह आलू का बीज रखे था, जिसे वह 2 दिन बाद खेत में लगाने वाला था. बीज की रखवाली के लिए वह रात में स्कूल वाले कमरे में सोता था. गीता ने इस की जानकारी पहले ही कर ली थी. 15 नवंबर, 2024 की शाम गीता पति चरन सिंह के साथ स्कूल वाले कमरे में सोने के लिए गई. इस की जानकारी गीता ने मोबाइल फोन के जरिए प्रेमी जबर सिंह को दे दी. योजना के तहत गीता चरन सिंह से मीठीमीठी बातें करती रही. चरन सिंह भी उस से बतियाता रहा. फिर वह सो गया. लेकिन गीता की आंखों में नींद नहीं थी. वह तो जबर सिंह के आने का इंतजार कर रही थी.

गीता क्यों बनी पति का काल

आधी रात को जब गांव के लोग गहरी नींद में सो गए, तब जबर सिंह लोहे की रौड ले कर घर से निकला. रौड का इंतजाम जबर सिंह ने गीता का फोन आने के बाद कर लिया था. जबर सिंह स्कूल पहुंचा तो गीता ने उस के कान में कुछ फुसफुसाया. इस के बाद गीता ने चरन सिंह के पैर दबोच लिए और जबर सिंह ने उस के सिर पर रौड से कई प्रहार किए. चरन सिंह की हल्की चीख निकली, फिर शांत हो गया. हत्या करने के बाद दोनों चरन सिंह के शव को स्कूल की टूटी बाउंड्री वाल के पास ले गए, फिर शव पर घासफूस डाल कर जलाने का प्रयास किया. इस के बाद जबर सिंह फरार हो गया और गीता अपने घर आ गई.

16 नवंबर, 2024 की सुबह पढऩे वाले बच्चे स्कूल पहुंचे तो उन्होंने बाउंड्री वाल के पास अधजला शव देखा. बच्चों ने शोर मचाया तो गांव वाले आ गए. ग्राम प्रधान सुधर सिंह ने थाना बसरेहर पुलिस को सूचना दी तो एसएचओ समित चौधरी पुलिस बल के साथ घटनास्थल आ गए. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को घटना से अवगत कराया तो एसएसपी संजय कुमार वर्मा तथा डीएसपी पुहुप सिंह मौकाएवारदात पर आ गए. अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

अब तक ग्रामीणों ने शव की पहचान कर ली थी. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बताया कि मृतक का नाम चरन सिंह है. वह रम्पुरा गांव का ही रहने वाला था. शव के पास मृतक की पत्नी गीता छाती पीटपीट कर रो रही थी. पुलिस अधिकारियों ने उसे धैर्य बंधाया, फिर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक चरन सिंह की उम्र 48 वर्ष के आसपास थी. उस की हत्या किसी ठोस वस्तु से सिर में प्रहार कर की गई थी. पहचान मिटाने के लिए शव को जलाने का प्रयास किया गया था. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर जांच की और सबूत जुटाए. निरीक्षण के बाद पुलिस ने चरन सिंह के शव को पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल इटावा भेज दिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर मौजूद मृतक की पत्नी गीता से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस के पति चरन सिंह की हत्या उस के देवर मुन्नालाल ने की है. वह उस की जमीन हड़पना चाहता था. यह पता चलते ही पुलिस ने मुन्नालाल को हिरासत में ले लिया. अधिकारियों ने जब मुन्नालाल से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गीता झूठ बोल रही है. वह उसे फंसाना चाहती है. रोनेधोने का नाटक कर वह पुलिस को गुमराह करना चाहती है. जबकि हकीकत यह है कि गीता ने ही अपने प्रेमी जबर सिंह के साथ मिल कर भाई की हत्या की है.

उस का भाई चरन सिंह नाजायज रिश्तों का विरोध करता था. गीता अपने पति व 3 बच्चों को छोड़ कर जबर सिंह के साथ भाग गई थी. वह सोनीपत में उस के साथ रहने लगी थी. अवैध रिश्तों की बात पता चली तो पुलिस अधिकारियों के आदेश पर एसएचओ समित चौधरी ने गीता को हिरासत में ले लिया. गीता की 13 वर्षीया बेटी सान्या ने भी पुलिस को बताया कि उस के पिता की हत्या मम्मी गीता ने जबर सिंह के साथ मिल कर की है.

एसएचओ समित चौधरी ने थाने पर जब गीता से चरन सिंह की हत्या के संबंध में पूछा तो वह साफ मुकर गई और त्रियाचरित्र दिखाने लगी, लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गई और उस ने प्रेमी जबर सिंह के साथ मिल कर पति की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. दूसरे रोज पुलिस ने नाटकीय ढंग से जबर सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने भी हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया और हत्या में प्रयुक्त लोहे की रौड भी बरामद करा दी, जिसे उस ने स्कूल के पास झाडिय़ों में छिपा दिया था.

हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की सूचना एसएचओ समित चौधरी ने पुलिस अधिकारियों को दी तो उन्होंने पुलिस लाइन स्थित सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्या का खुलासा किया. गीता यादव और उस के प्रेमी जबर सिंह से पूछताछ के बाद चरन सिंह की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह अवैध संबंधों की बुनियद पर रचीबसी निकली—

गीता 3 साल में हो गई विधवा

गीता के पिता रूपसिंह यादव औरैया जनपद के दिबियापुर कस्बे के रहने वाले थे. परिवार में पत्नी गोमती के अलावा एक बेटा भागीरथ तथा 2 बेटियां गीता व अनीता थी. रूपसिंह बढ़ईगीरी का काम करता था. इस काम में बेटा भागीरथ भी उस की मदद करता था. रूपसिंह की आर्थिक स्थिति कमजोर थी. बड़ी मुश्किल से परिवार चल पाता था.

भाईबहनों में सब से बड़ी गीता यादव थी. वह घर में सब की लाडली थी. इसी लाड़प्यार ने उसे बिगाड़ दिया था. उस का रूपरंग तो साधारण था, लेकिन नैननक्श आकर्षक थे. गीता ज्यादा पढ़ीलिखी नहीं थी, फिर भी ऊंचे ख्वाब देखा करती थी. जब वह बनठन कर अपनी जवानी के जलवे बिखेरती हुई गलियों से गुजरती तो मनचलों के दिलों पर बिजली सी गिरती थी. गीता यादव आजादखयाल की जरूर थी, लेकिन मनचलों को अपने पास फटकने नहीं देती थी. वह बस यही कल्पना करती कि उस का पति भी उसी की तरह हैंडसम और आजादखयाल का होगा.

गीता यौवन के भार से लद गई तो रूपसिंह को उस की शादी की चिंता हुई. रूपसिंह ने लड़का देखना शुरू किया तो उसे संजय के बारे में पता चला. संजय के पिता रामसिंह कानपुर के घाटमपुर कस्बे के रहने वाले थे. उन के 2 बेटे अजय व संजय थे. अजय का विवाह हो चुका था. संजय कुंवारा था. वह आटो चलाता था. संजय देखने में आकर्षक व शरीर से हृष्टपुष्ट था. कमाता भी था. अत: रूपसिंह ने संजय को अपनी बेटी गीता के लिए पसंद कर लिया. रिश्ता तय होने के बाद रूपसिंह ने गीता का विवाह संजय के साथ कर दिया.

शादी के बाद गीता व संजय ने बड़े प्यार से जिंदगी की शुरुआत की. सुखमय जीवन व्यतीत करते 5 साल कब बीत गए, दोनों में से किसी को पता ही नहीं चला. इन 5 सालों में गीता ने एक बेटी को जन्म दिया. गीता ने उस का नाम सान्या रखा. नन्ही परी सान्या से गीता व संजय दोनों ही बेहद प्यार करते थे. उस के पालनपोषण में कोई कमी नहीं रखते थे. संजय घाटमपुर-कानपुर मार्ग पर आटो चलाता था. वह सुबह 8 बजे घर से निकलता, फिर रात 8 बजे तक ही घर वापस आता था. दोपहर का खाना वह होटल पर खाता था, जबकि रात का खाना पत्नी व बेटी के साथ ही खाता था. गीता उस के खानपान का विशेष ध्यान रखती थी.

जीवन सुखमय बीत रहा था. लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था, जिस ने गीता की जिंदगी में अंधेरा कर दिया. उस दिन संजय सुबह आटो ले कर घर से निकला. दोपहर बाद गीता को खबर मिली कि संजय का एक्सीडेंट हो गया. उस के आटो में किसी लोडर चालक ने टक्कर मार दी. वह सीएचसी घाटमपुर में भरती है. गीता अपने ससुर रामसिंह के साथ अस्पताल पहुंची. लेकिन तब तक डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. बेटी सान्या अभी 3 साल की ही थी कि उस के सिर से पिता का साया उठ गया. गीता ने कुछ महीने तक तो आंसू बहाए, उस के बाद बेटी के भविष्य को ले कर चिंतित हो उठी. लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था. सासससुर ने कुछ दिनों तक तो हमदर्दी जताई, उस के बाद उन का भी रवैया बदल गया.

विधवा बहू व उस की बेटी उन्हें बोझ लगने लगी थी. वह उसे ताने भी मारने लगे थे. सास कहती, ‘बहू उस के बेटे को खा गई.’ ससुर कहता, ‘अभागिन बहू ने उस के बुढ़ापे का सहारा छीन लिया.’ गीता कब तक ससुराल वालों के ताने सहती. एक रोज उस ने बेटी को साथ लिया और मायके आ गई. मम्मीपापा ने उस के दर्द को समझा और उसे घर में शरण दे दी. गीता उन पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, अत: उस ने काम की तलाश शुरू कर दी. काफी प्रयास के बाद उसे बाल भारती स्कूल में आया की नौकरी मिल गई. नौकरी से वह अपना तथा बेटी का भरणपोषण करने लगी.

गीता भरी जवानी में विधवा हो गई थी. पेरेंट्स को चिंता सता रही थी कि वह पूरा जीवन कैसे बिताएगी. कोई न कोई सहारा उसे जरूर चाहिए. अत: रूपसिंह उस का घर बसाने के प्रयास में जुट गए. एक रोज एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें चरन सिंह के बारे में पता चला. चरन सिंह इटावा जिले के बसरेहर थाना के गांव रम्पुरा लौहरई का रहने वाला था. बड़ा भाई मुन्नालाल अपने परिवार के साथ अलग रहता था. दोनों भाइयों के बीच घर जमीन का बंटवारा हो चुका था. चरनसिंह किसान था. मनरेगा में भी मजदूरी कर लेता था. चरन सिंह उम्रदराज जरूर था, फिर भी रूपसिंह ने उसे पसंद कर लिया था. कारण उन की बेटी गीता भी विधवा और एक बेटी की मां थी.

दूसरे पति से खुश क्यों नहीं थी गीता

गीता और चरन सिंह का कोई मेल नहीं था. गीता 30 साल की थी तो चरन सिंह 40 साल का था. गीता दिखने में आकर्षक व सुंदर थी, जबकि चरन सिंह सांवले रंग का इकहरे बदन का था. इस बेमेल विवाह में गीता का विधवा होना तथा उस के पिता की गरीबी, चरन सिंह के लिए वरदान बन गई. मजबूरी में गीता का विवाह चरन सिंह से हो गया. मन मसोस कर गीता ने भी इस बेमेल संबंध को स्वीकार कर लिया. गीता जैसी जवान और सुंदर पत्नी पा कर अधेड़ उम्र का चरन सिंह अपने भाग्य पर इतरा उठा. गीता के घर संभालते ही चरन सिंह ने उसे घर की चाबी सौंप दी. वह गीता से तो प्यार करता ही था, उस की बेटी को भी भरपूर प्यार देता था. सान्या भी चरन सिंह को पापा कह कर बुलाती थी. अब चरन सिंह जो कमाता था, वह गीता के हाथ पर रखता था. दूसरे पति के रूप में गीता को चरन सिंह का सहारा मिल गया था. अत: उस के दिन सुख से बीतने लगे थे.

समय बीतता गया. गीता के एक बेटी पहले से थी. दूसरे पति चरन सिंह से उस ने एक के बाद एक 2 बेटों अमन व करन को जन्म दिया. इस तरह गीता अब 3 बच्चों की मां बन चुकी थी. गीता यादव अपने तीनों बच्चों से बेहद प्यार करती थी तथा उन के पालनपोषण में कोई कोताही नहीं बरतती थी. चरन सिंह भी अपने बेटों जैसा ही सान्या को भी प्यार देता था और उस की हर जिद पूरी करता था. गीता 3 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन उस के आकर्षण में कमी नहीं आई थी. वह अब भी हर रात पति का साथ चाहती थी. जबकि 2 बेटों के जन्म के बाद चरन सिंह की कामेच्छा कम हो गई थी.

5 साल भी नहीं बीते थे कि गीता की रातें काली होनी शुरू हो गईं. अब उस की समझ में आया कि चरन सिंह के हाथों से मंगलसूत्र पहनना उस के जीवन की सब से बड़ी भूल थी. ऐसी भूल, जिसे सुधारा भी नहीं जा सकता था. चरन सिंह तो बुझता हुआ दीया था. बुझने से पहले जिस तरह दीया भड़कता है, शादी के बाद चरन सिंह उसी तरह भड़का था. इसी अंतिम जोश में 2 बच्चे हो गए और खुद चरन सिंह बुझ गया. हर रात की असफलता चरन सिंह की रोजमर्रा बन गई तो शर्मिंदगी से बचने के लिए वह गीता का सामना करने से कतराने लगा. दिन में वह खेत पर रहता. शाम को दारू पी कर आता. कभी खाना खाता, कभी बिना खाए ही सो जाता. गीता रात भर करवटें बदलती रहती.

पति की उपेक्षा से गीता यादव का मन गृहस्थी में कम ही लगता था. अब तक उस की बेटी सान्या 10 वर्ष की उम्र पार कर चुकी थी. घर का कुछ काम वह संभाल लेती थी. दोनों भाइयों का भी खयाल रखती थी. पापा को भी नाश्तापानी खेत पर दे आती थी. वहीं गीता एक तरफ उदास रहती थी तो दूसरी तरफ उस का मन भटकता रहता था. चंचल चितवन की गीता के चेहरे पर अकसर उदासी के बादल छाए रहने से उस के घर से 4 घर दूर रहने वाला युवक जबर सिंह समझ गया कि अवश्य उसे कोई दुख कचोट रहा है. वह गीता को जब भी देखता, उसे बांहों में लेने को मचलने लगता. गीता भी उसे देख कभीकभी मुसकरा देती. इस से जबर सिंह को यकीन हो गया कि गीता उस से कुछ चाहती है.

जबर सिंह के पापा गजोधर की मौत हो चुकी थी. उस के 2 बेटे गब्बर व जबर सिंह थे. गब्बर दूध का व्यवसाय करता था. जबकि जबर सिंह खेतीकिसानी के साथ मनरेगा में मजदूरी भी करता था. मनरेगा मे काम करने के दौरान ही जबर सिंह की दोस्ती गीता के पति चरन सिंह से हुई थी. हालांकि जबर सिंह और चरन सिंह की उम्र में 10-12 साल का फासला था. लेकिन दोनों शराब के लती थे, सो उन के बीच दोस्ती हो गई थी. जबर सिंह का आनाजाना गीता के घर बना रहता था. देखनेभालने में जबर सिंह गठीले बदन वाला युवक था. गीता का हमउम्र था. बातें भी लच्छेदार करता था. गीता को उस की बातें अच्छी लगती थीं. वह जब भी जबर सिंह को देखती, सोचने लगती कि काश! उस का पति भी मजबूत कदकाठी वाला और चुहलबाज होता तो उस की भी जिंदगी मजे से बीतती.

चरन सिंह कमजोर शौहर तो था ही, शराब का लती भी था. इसलिए गीता उस से मन ही मन नफरत करने लगी. पति से निराश हुई तो उस का झुकाव जबर सिंह की तरफ होने लगा. जबर सिंह जब भी आता था, गीता व उस के बच्चों के लिए कुछ न कुछ खानेपीने की चीज जरूर लाता था. इस से गीता यही सोचती कि जबर सिंह उस का कितना खयाल रखता है. गीता का पति चरन सिंह उस के आनेजाने पर ऐतराज न करे, इसलिए जबर सिंह उस की आर्थिक मदद करता रहता था. चरन सिंह को दारू भी पिलाता था. उस के घर में बैठ कर एकदो पैग वह भी लगा लेता था. ऐसा वह गीता की नजदीकी हासिल करने के लिए करता था. इस बीच गीता और जबर के बीच नैनमटक्का चलता रहता था. कभीकभी चरन सिंह की नजर बचा कर वह गीता को छेड़ भी देता था.

इस के बावजूद चरन सिंह जब पत्नी और जबर सिंह को हंसीमजाक व बतियाते देख लेता था तो वह पत्नी पर नाराज होता था और लांछन लगाने लगता था. लेकिन जबर सिंह बीच में आ जाता और दारू का लालच दे कर चरन सिंह का गुस्सा शांत कर देता था. एक रोज जबर सिंह शाम को गीता के घर आया. उस के एक हाथ में बोतल तथा दूसरे में मीट की थैली थी. आते ही उस ने पूछा, ”भाभी, भैया नहीं दिख रहे हैं, आज मैं उन की मनपसंद चीज लाया हूं.’’

”ऐसी क्या चीज लाए हो, जिस से तुम्हारे भैया खुश हो जाएंगे?’’ गीता ने आंखें नचाईं.

”बकरे का मीट और शराब की बोतल.’’ जबर सिंह ने थैली और शराब दिखाते हुए गीता से कहा.

”लेकिन वो तो आज घर पर हैं नहीं.’’

”कहां गए हैं?’’ जबर ने पूछा.

”किसी काम से रिश्तेदारी में गए हैं. कल दोपहर तक वापस आएंगे.’’ गीता ने बताया.

”तब तो कल ही महफिल जमेगी.’’ जबर सिंह मायूस हो गया.

”अरे भैया नहीं तो क्या हुआ, मैं तो हूं. मैं मीट पका लूंगी. तुम मायूस क्यों होते हो.’’ कहते हुए उस ने मीट की थैली जबर सिंह के हाथ से ले ली. इस के बाद गीता ने पानी, गिलास तथा नमकीन जबर सिंह के आगे रख दी. गीता मटन पकाने लगी. जबर सिंह पैग बनाबना कर मजे से पीने लगा. रसोई का काम निपटा कर गीता पास आ बैठी तो नशे के सुरूर में जबर सिंह उस के हुस्न के कसीदे पढऩे लगा. गीता को उस की बातों में रस आ रहा था. जबर सिंह शराब का गिलास उठा कर बोला, ”भाभी, भैया न जानें क्यों शराब का नशा करते हैं, आप की मदभरी आंखों में इतना नशा है कि कोई भी शराब उस का मुकाबला नहीं कर सकती.’’

”ये तुम समझते हो, वो तो नहीं समझते.’’ गीता ने ठंडी आह भरी.

”मैं तो भाभी यह भी कहता हूं…’’ नशे की झोंक में वह गीता के पास खिसक आया फिर बोला, ”भाभी, तुम्हारे रस भरे होठों में इतनी तासीर है कि इन्हें अंगुली से छू कर शराब में अंगुली डुबो दो, नशा 4 गुना बढ़ जाएगा.’’

”वो कैसे?’’ गीता ने आंखें नचाते हुए पूछा.

”वो ऐसे भाभी,’’ जबर सिंह ने अपनी तर्जनी अंगुली गीता के निचले होंठ पर फिराई, फिर अंगुली शराब के गिलास में डुबो कर एक ही सांस में पूरी शराब गटक गया. जबर सिंह के इस स्पर्श ने गीता की देह में अंगारे भर दिए. कामाग्नि की आंच से उस का बदन सुलगने सा लगा. चारपाई से उठते हुए वह बोली, ”अब बस करो, बहुत पी चुके हो. मैं खाना ले कर आती हूं.’’

5 मिनट बाद ही गीता थाली परोस कर ले आई. जबर सिंह को लगा, शायद उस की हरकत से गीता नाराज है, इसलिए वह बिना कुछ बोले चुपचाप खाना खाता रहा और सामने बैठी गीता अपलक उसे देखती रही. देह की भड़की हुई प्यास उसे बेचैन किए थी. जबर सिंह का मजबूत बदन रहरह कर उस की कामनाओं को हवा दे रहा था. वह किसी तरह खुद को संभाले हुए थी. खाना खा कर जबर सिंह जाने लगा तो गीता फंसीफंसी आवाज में बोली, ”कैसे मर्द हो तुम? मुझ अकेली औरत को यूं तन्हा छोड़ कर जा रहे हो?’’

”तुम्हें डर लग रहा है तो मैं यहीं सो जाता हूं.’’ जबर सिंह बोला.

गीता के बच्चे दूसरे कमरे में सो रहे थे. बच्चे जाग न जाएं और उस के खेल में खलल न डाल दें, सो उस ने कमरे के दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद कर दी. गीता ने जबर सिंह की कलाई पकड़ी और अपने कमरे में ले गई. फिर चारपाई की ओर इशारा करते हुए बोली, ”जबर सिंह, तुम इस पर लेट जाओ.’’

”खाट तो एक ही है, फिर तुम कहां सोओगी?’’ जबर ने उत्सुकता से पूछा.

”इसी चारपाई पर तुम्हारे साथ.’’ वासना ने गीता का विवेक हर लिया था. उस ने धक्का दे कर जबर सिंह को चारपाई पर गिरा दिया और स्वयं उस पर ढेर हो गई, ”बुद्धू, इतना भी नहीं समझते कि शबाब मिले तभी शराब पीने का मजा आता है.’’

जबर सिंह नशे में था तो गीता कामातुर थी. पका हुआ फल खुद ही गोद में आ गिरा था. जबर सिंह ने कामातुर गीता को अपनी बांहों में भर लिया और चारपाई पर लुढ़क गया. उस के बाद कमरे में सीत्कार की आवाजें गूंजने लगीं. काम पिपासा मिटाने के बाद ही दोनों एकदूसरे से अलग हुए. दोनों के चेहरों पर पूर्ण संतुष्टि थी. गीता यादव और जबर सिंह एक बार अवैध संबंधों के दलदल में समाए तो समाते ही चले गए. दोनों को जब भी मौका मिलता, एकदूसरे में समा जाते. गीता ने जहां पति के साथ विश्वासघात किया था तो वहीं जबर सिंह ने दोस्ती में दगा दी थी. लेकिन उन दोनों को कोई मलाल न था.

जबर सिंह के बारबार घर आनेजाने पर चरन सिंह को शक हो गया कि जरूर इस का गीता के साथ कोई चक्कर चल रहा है, जिस से यह यहां इतने चक्कर लगाता है. एक दिन चरन सिंह ने इस बाबत पत्नी गीता से पूछा तो वह झूठ बोली, ”जरूर तुम्हें कोई वहम हो गया है. जैसा तुम सोच रहे हो, ऐसा कुछ नहीं है.’’

पति ने रंगेहाथ ऐसे पकड़ा गीता को

 

दिन भर का थकाहारा चरन सिंह शाम को घर में दाखिल हुआ तो उस की नजर कमरे में बैठे जबर सिंह पर पड़ी. वह उस की पत्नी गीता से हंसीठिठोली कर रहा था. गीता भी उस की बातों में सराबोर थी. यह देख कर चरन सिंह का गुस्सा सातवेें आसमान पर जा पहुंचा. वह चीखते हुए बोला, ”गीता, अपने यार से ही बतियाती रहेगी या फिर चायपानी को भी पूछेगी.’’

पति का कटाक्ष सुन कर गीता भी फट पड़ी, ”कैसी बातें करते हो, थोड़ा सोचसमझ कर बोला करो. जबर सिंह मेरा यार नहीं, गलीटोला के नाते देवर लगता है. वैसे भी जबर सिंह तुम्हारा ही दोस्त है. तुम्हीं उस के साथ उठतेबैठते हो, कामधंधा करते हो और शराब की महफिल सजाते हो. दोष तुम्हारा और लांछन मुझ पर लगाते हो. उस का घर आना तुम्हें इतना ही बुरा लगता है तो उसे बेइज्जत कर भगा दो. ताकि दोबारा उस के कदम घर की ओर न बढ़ें.’’

”तेरी लोमड़ी चाल को मैं अच्छी तरह समझता हूं. तू चाहती है कि मैं उस का बुरा बन जाऊं और तू उस की भली बनी रहे. मैं भी उड़ती चिडिय़ा के पर गिन लेता हूं. तेरे दिल में उस के लिए जो प्यार उमड़ता है, उसे मैं भलीभांति जानता हूं. तेरे कारण ही वह कुत्ते की तरह पूंछ हिलाता हुआ चला आता है. मुझ से मिलने का तो बस बहाना होता है.’’

गीता और चरन सिंह की तूतूमैंमैं की भनक जबर सिंह के कानों में पड़ी तो वह कमरे से निकल कर बरामदे में आ गया और बोला, ”चरन भैया, लगता है आप खेतों पर किसी से झगड़ कर आए हो. इसलिए मूड ठीक नहीं है और सारा गुस्सा भौजाई पर उतार रहे हो. लेकिन भैया, तुम चिंता मत करो. तुम्हारा मूड ठीक करने के लिए मैं साथ में लाल परी लाया हूं. हलक में उतरते ही मूड ठीक हो जाएगा.’’

चरन सिंह शराब का लती था. जबर सिंह ने शराब लाने की बात कही तो उस का सारा गुस्सा जाता रहा. वह खुशी का मुखौटा ओढ़ कर बोला, ”जबर सिंह, मैं तेरी भौजाई से झगड़ नहीं रहा था. बीजखाद का इंतजाम करने की बात कर रहा था.’’

उस के बाद उस ने हांक लगाई, ”गीता, कमरे में गिलास, पानी, नमकीन का इंतजाम कर दो. हम और जबर सिंह महफिल सजाएंगे.’’

पति की हांक सुन कर गीता मन ही मन बुदबुदाई, ”कैसा पति है. कुछ देर पहले लांछन लगा रहा था. जबर सिंह को भलाबुरा कह रहा था और अब देखो, शराब पार्टी की बात सुन कर कैसा गिरगिट की तरह रंग बदलने लगा है?’’

गीता ने कमरे में गिलास, पानी, नमकीन का इंतजाम किया. उस के बाद चरन सिंह और जबर सिंह शराब पीने लगे. शराब पीते वक्त जबर सिंह की निगाहें गीता पर ही टिकी रहीं. गीता भी मंदमंद मुसकरा कर जबर सिंह का नशा बढ़ाती रही. लेकिन गलत काम ज्यादा दिनों तक नहीं छिपता, एक न एक दिन उस की पोल खुल ही जाती है. एक रोज चरन सिंह खेतों पर जाने के लिए निकला ही था कि तभी जबर सिंह उस के घर आ गया. आते ही उस ने गीता को बांहों में भर लिया. दोनों काम वासना में अभी डूबे हुए ही थे कि चरन सिंह की पुकार सुन कर दोनों घबरा गए.

गीता ने अपने कपड़े तुरंत दुरुस्त किए और दरवाजा खोल दिया. घर में अंदर जबर सिंह मौजूद था. बिस्तर कुछ पल पहले गुजरे तूफान की चुगली कर रहा था. चरन सिंह सब समझ गया. उस ने गीता को धुनना शुरू किया तो जबर सिंह चुपके से खिसक लिया. चरन सिंह जान गया था कि जबर सिंह उस पर इतना मेहरबान क्यों था? अब उस ने जबर सिंह के साथ शराब पीना बंद कर दी और उस के घर आने पर पाबंदी भी लगा दी. देह की लगी पाबंदियों को भला कहां मानती है.

चरन सिंह ने जब एक रोज जबर सिंह को गीता के साथ बतियाते देख लिया तो उस ने जबर सिंह के साथ गालीगलौज व मारपीट की. साथ ही जबर सिंह को चेतावनी भी दे डाली कि वह उस की पत्नी का पीछा छोड़ दे, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा. यही नहीं, उस ने जबर की शिकायत भी उस के बड़े भाई गब्बर से कर दी. गब्बर सिंह ने भाई को समझाया और गीता से दूर रहने को कहा. लेकिन जबर सिंह ने भाई की बात नहीं मानी. वह गीता के इश्क में इतना अंधा हो चुका था कि उसे अपनी पत्नी बनाने के सपने देखने लगा था. दोनों के मिलने पर पाबंदी लगी तो वे मोबाइल फोन के जरिए एकदूसरे से बात करने लगे. गीता को मोबाइल फोन जबर सिंह ने ही मुहैया करा दिया था.

एक रात चरन सिंह ने पत्नी गीता को फोन पर बतियाते छत पर पकड़ा तो उस का गुस्सा सातवें आसमान जा पहुंचा. उस ने गीता से फोन छीन कर दूर फेंक दिया, फिर उस ने गीता को डंडे से जम कर पीटा. इस पिटाई से गीता का सिर फट गया. उस ने सुबह जा कर बसरेहर थाने में पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस पर पुलिस ने चरन सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 2 दिन बाद उसे जमानत मिली.

इस घटना के बाद गीता ने तय कर लिया कि वह पति की मार अब और सहन नहीं करेगी. वह उस के साथ रहेगी भी नहीं. गीता का नाजायज रिश्ता जबर सिंह के साथ बन ही चुका था, इसलिए उस ने जबर सिंह को तीसरे पति के रूप में चुन लिया और बच्चों का मोह त्याग कर जबर सिंह के साथ रहने की ठान ली. उस ने अपनी मंशा से जबर सिंह को भी अवगत करा दिया.

बच्चों को छोड़ प्रेमी के साथ भाग गई गीता

जबर सिंह तो गीता को पत्नी बनाने का प्रयास पहले से ही कर रहा था, अत: गीता ने प्रस्ताव रखा तो वह उसे पत्नी का दरजा देने को राजी हो गया. इस के बाद गीता और जबर सिंह ने गांव छोडऩे का निश्चय किया. उन्होंने इस की भनक किसी को नहीं लगने दी. मौका देख कर एक रात गीता अपने तीनों बच्चों को घर में छोड़ कर जबर सिंह के साथ भाग गई. जबर सिंह गीता को सोनीपत (हरियाणा) ले गया. वहां दोनों पतिपत्नी की तरह रहने लगे. जीविका चलाने के लिए दोनों मेहनतमजदूरी करने लगे. वहां गीता को किसी तरह का डर नहीं था. गीता व जबर सिंह को सोनीपत में बसाने का काम जबर सिंह के एक दूर के रिश्तेदार ने किया था, जो पहले से वहां रहता था.

इधर चरन सिंह की सुबह आंखें खुलीं तो पत्नी घर से गायब थी. तीनों बच्चे भी मां को खोजने लगे. चरन सिंह ने गांव भर में गीता की खोज की, जब वह नहीं मिली तो वह समझ गया कि गीता जबर सिंह के साथ भाग गई है. उस ने यह बात पूरे गांव को भी बता दी. कुछ लोगों ने उसे रिपोर्ट दर्ज कराने की सलाह दी. लेकिन उस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई. गीता कई महीने तक जबर सिंह के साथ रही, उस के बाद उसे बच्चों की याद सताने लगी. उस से नहीं रहा गया, तब वह एक रोज गांव वापस आ गई. बच्चों ने मां को सामने देखा तो उन की आंखों से आंसू बहने लगे. गीता ने बच्चों को गले लगा लिया. चरन सिंह भी बच्चों की देखभाल के लिए परेशान था सो उस ने झगड़ा करने की बजाय गीता को बच्चों के साथ रहने के लिए समझाया. उस ने मारपीट के लिए क्षमा भी मांगी.

लेकिन जबर सिंह के पौरुष की दीवानी गीता ने चरन सिंह की बात ठुकरा दी. वह सप्ताह भर बच्चों के साथ रही, उस के बाद सोनीपत लौट गई. इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. गीता 2-4 महीने में जबर सिंह के साथ गांव आती और हफ्ता-10 दिन बच्चों के साथ रहती, फिर दोनों वापस चले जाते. गांव प्रवास के दौरान गीता का चरन सिंह से झगड़ा भी होता. कुछ समय बाद गीता का मारपीट वाले मुकदमे की कोर्ट में तारीखें पडऩे लगीं. अत: उसे इटावा कोर्ट में तारीख पर आना पड़ता. तारीख पर आने के बाद वह बच्चों से भी मिल लेती थी. तारीख पर चरन सिंह भी जाता था.

वहां कभी दोनों की नोंकझोंक होती तो कभी साथ बैठ कर बतियाते और खातेपीते भी थे, लेकिन गीता केस में सुलह को राजी नहीं होती थी. फिर 15 नवंबर की रात को गीता यादव ने प्रेमी जबर सिंह के साथ मिल कर पति चरन सिंह की हत्या कर दी. चूंकि गीता यादव और जबर सिंह ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल लोहे की रौड भी बरामद करा दी थी, अत: एसएचओ समित चौधरी ने मृतक की बेटी सान्या की तहरीर के आधार पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 103(1), 238(ए) के तहत गीता व जबर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया तथा उन्हें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

19 नवंबर, 2024 को पुलिस ने गीताजबर सिंह को इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा में सान्या परिवर्तित नाम है

 

 

Meerut Crime : पति की गला दबाकर की हत्या फिर बगल में रख दिया सांप

Meerut Crime : यह घटना यूपी के मेरठ जिले की है, जिस में रविता नाम की एक युवती ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर पति अमित कश्यप का कत्ल किया. इतना ही नहीं उस ने अपने बचाव के लिए प्रेमी की मदद से एक सांप मंगवा कर उसे सोए हुए पति के नीचे रख दिया ताकि लोगों को यह लगे कि पति को सांप ने डंसा है और इस कारण मर गया है, लेकिन यह राज छिप न सका. यहां जानते हैं इस पूरी स्टोरी को विस्तार से

यह घटना उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की है, जहां रविता ने अपने प्रेमी अमरदीप के साथ मिलकर पति की हत्या कर दी. इस साजिश के तहत दोनों ने सबूत छिपाने के लिए एक सांप का इस्तेमाल किया. हत्या के बाद पति के शव के नीचे एक सांप को रख दिया, ताकि लगे कि पति की मौत सांप के डंसने से हुई है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया कि अमित की मौत सांप के डंसने से नहीं बल्कि गला घोंटने की वजह से हुई थी. पुलिस ने कातिल पत्नी और उस के प्रेमी को अरेस्ट कर लिया है.

प्रेमी अमरदीप ने पुलिस को बताया कि साजिश उस की प्रेमिका रविता ने ही रची थी. उस ने बताया कि 20 मार्च, 2025 को उस की और अमित की लड़ाई हुई थी. इस के बाद अमित ने उसे मारने के लिए कई लड़कों को लगा दिया. इन में से कई लड़के उस के घर भी आए थे और उन्होंने उसे घर के बाहर भी बुलाया, लेकिन वह बाहर नहीं गया. इस घटना के बाद भी अमित हर बार अमरदीप से कहता रहा कि वह उसे जान से मार डालेगा.

पति अमित को सांप से कटवाने का आइडिया कैसे आया

रविता के आशिक अमरदीप ने बताया कि अमित को सांप से कटवाने का आइडिया रविता का था. रविता अकसर उस से कहा करती थी कि अमित उसे बहुत प्रताड़ित करता रहता है. बेल्ट से मारता है, मैं उस से से तंग आ चुकी हूं. इसलिए मुझे अब अपने पति से छुटकारा पाना है. अमरदीप ने रविता को कई बार समझाया कि वह पुलिस थाने चली जाए और पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दे.

इस पर रविता ने कहा कि अमित मुझे तलाक नहीं दे रहा है. इसलिए किसी भी तरह पति अमित को खत्म कर दो. बाद में रविता ने ही अमरदीप से कहा कि तुम कहीं से एक सांप का इंतजाम कर दो. पुलिस की पुछताछ में अमरदीप ने बताया कि उस ने अपने गांव के एक दोस्त से सांप लाने की बात की थी. फिर दोस्त ने उसे एक मोबाइल नंबर दिया. वह नम्बर कृष्ण नाम के एक सपेरे का था, जो महमूदपुर सिखेड़ा गांव में रहता था. उस सपेरे से अमरदीप की बात हुई थी और उस ने एक हजार रुपए में सांप देने का सौदा किया.

इस के बाद अमरदीप ने सपेरे कृष्ण से सांप ले कर एक झोले में रख लिया था. फिर वह प्रेमिका की काल आने का इंतजार करने लगा. इस के बाद रविता की काल आई. उस ने बताया कि अमित सो गया है, तुम घर पर जल्दी आ जाओ.

इस के बाद अमरदीप रविता के घर पहुंच गया और प्रेमिका रविता के साथ मिलकर अमित का गला दबा दिया. जब दोनों अमित का गला दबा रहे थे तो किसी ने उस के चिल्लाने की आवाज नही सुनी थी. इस के बाद अमरदीप ने झोले से सांप निकाल कर उस की पूंछ अमित की लाश के नीचे दबा दी, ताकि वह सांप अमित को डंस ले.

कब मिले थे अमरदीप और रविता

अमरदीप और रविता की मुलाकत करीब 6 महीने पहले हुई थी. अमरदीप और रविता दोनों एक साथ काम करने जाया करते थे. इस के बाद दोनों के बीच प्रेम संबंध बन गए. उन के प्रेम सम्बंधों में अमित वाधक था, उसलिए दोनों ने उसे योजनानुसार ठिकाने लगा दिया. जांच में आता चला कि जिस सांप ने अमित को 10 बार डंसा था वह घोड़ा पछाड़ (धामन) था, जो जहरीला नहीं होता. इस सांप को किसानों का मित्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह चूहे और मेंढकों का शिकार करता है. बहरहाल, पुलिस ने दोनों आरोपियों को अरेस्ट कर लिया है दोनों से अभी पुछताछ जारी है.

Haryana Crime : धर्म परिवर्तन नहीं किया तो प्रेमिका को मार दी गोली

Haryana Crime : निकिता और तौसीफ के मामले में प्यार या दोस्ती जैसा कुछ नहीं था. फिर भी सवाल यह उठता है कि ज्यादातर मुसलिम युवक शादी के मामले को ले कर हिंदू युवतियों से धर्म परिवर्तन की बात क्यों करते हैं? ऐसी 5 कहानियां ‘मनोहर कहानियां’ के पिछले 2 अंकों में छपी हैं. क्या ये लव जिहाद नहीं है? अगर ऐसा नहीं है तो क्यों…

बीते 26 अक्तूबर की बात है. शाम के करीब 4 बजने वाले थे. निकिता तोमर अपनी सहेली के साथ परीक्षा  दे कर बल्लभगढ़ के अग्रवाल कालेज से बाहर निकल रही थी. उन का पेपर पौने 4 बजे खत्म हुआ था. निकिता बीकौम आनर्स फाइनल ईयर की छात्रा थी. उस का पेपर अच्छा हुआ था. फिर भी वह सहेली से एकदो सवालों के आंसर को ले कर संतुष्ट हो जाना चाहती थी. दोनों सहेलियां पेपर में आए सवालों पर बात करते हुए कालेज के बाहर सड़क पर निकल आईं. सड़क पर कोई ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. कालेज से परीक्षा दे कर बाहर निकली छात्राओं के अलावा कुछ वाहन आजा रहे थे. कुछ छात्राओं को उन के घर वाले लेने आए थे. कुछ अपने खुद के वाहन से आई थीं, तो कुछ आटोरिक्शा वगैरह से जा रही थीं.

निकिता को कालेज से लेने के लिए उस का भाई नवीन आने वाला था. इसलिए वह अपनी सहेली के साथ सड़क पर एक तरफ खड़ी हो कर भाई का इंतजार करने लगी. उन्हें खड़े हुए एकदो मिनट ही हुए थे कि वहां एक कार आ कर रुकी. कार में 2 युवक थे. एक गाड़ी चला रहा था और दूसरा उस के पास वाली सीट पर बैठा था. कार से एक युवक तेजी से निकला और निकिता की तरफ आया. निकिता उस युवक को देख कर घबरा गई. वह उसे पहले से जानती थी, लेकिन उस से नफरत करती थी. युवक को अपनी तरफ आता देख कर उस ने तेजी से भागने की कोशिश की. लेकिन युवक ने उसे पकड़ लिया और खींच कर कार की तरफ ले जाने लगा. युवक की मदद के लिए कार चला रहा उस का साथी भी आ गया था.

निकिता भले ही घबराई हुई थी, लेकिन उस ने साहस से दोनों युवकों का मुकाबला किया और खुद को उन के चंगुल से छुड़ा लिया. निकिता की सहेली और कुछ दूसरी छात्राओं ने भी निकिता को युवकों से बचाने में मदद की. निकिता के अपहरण में कामयाब नहीं होने पर उस परिचित युवक ने अपनी पैंट की जेब से देसी पिस्तौल निकाली और उसे गोली मार दी. गोली उस के बाएं कंधे से छाती को चीरती हुई बाहर निकल गई. गोली लगते ही वह जमीन पर गिर गई. जमीन पर खून बहने लगा. निकिता के गिरते ही दोनों युवक उसी कार में बैठ कर भाग गए. निकिता को गोली मारने के दौरान कालेज से परीक्षा दे कर निकल रही छात्राएं डर के मारे इधरउधर छिप गईं.

मामला सीधासादा नहीं था यह घटना हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ शहर की है. शहर में दिनदहाड़े कालेज के बाहर छात्रा को गोली मारने की घटना से सनसनी फैल गई. निकिता की सहेली की गुहार पर कुछ लोग लहूलुहान हालत में पड़ी निकिता को उठा कर अस्पताल ले गए. डाक्टरों ने उसे देख कर मृत घोषित कर दिया. पता चलने पर निकिता के मातापिता और भाई भी अस्पताल पहुंच गए. उस की मौत का पता चलने पर उन की आंखों से आंसू बह निकले. वे लोगों से पूछते ही रह गए कि कैसे हुआ.. क्या हुआ… निकिता के साथ की छात्राओं ने उन्हें सारी बात बताई, तो कोहराम मच गया.

सूचना मिलने पर पुलिस भी पहुंच गई. मामला संगीन था. पुलिस के उच्चाधिकारी भी पहले मौके पर और फिर अस्पताल पहुंचे. उन्होंने निकिता के घर वालों को ढांढस बंधाया. फिर उन से हत्यारों के बारे में पूछा. अधिकारियों के कहने पर निकिता के भाई ने तौसीफ और एक अन्य युवक के खिलाफ पुलिस को लिखित शिकायत दी. शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया. निकिता का शव पोस्टमार्टम के लिए बीके अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिया गया. पुलिस ने मौके से कुछ साक्ष्य जुटाए. जिन लोगों ने निकिता की हत्या होते देखी थी, उन से पूछताछ की. क्राइम ब्रांच ने भी जांचपड़ताल शुरू कर दी. घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई.

फुटेज में पुलिस को कार का नंबर मिल गया. इस के अलावा निकिता के अपहरण का प्रयास और इस में नाकाम रहने पर उसे गोली मारने के सारा घटनाक्रम भी कैमरे में कैद हो गया था. पुलिस में रिपोर्ट दर्ज हो गई थी, लेकिन पुलिस को निकिता की हत्या के आरोपी तौसीफ और उस के साथी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं चला था. इसलिए अधिकारियों ने निकिता के पिता मूलचंद तोमर को विश्वास में ले कर निकिता की हत्या के कारणों के बारे में पूछा. निकिता के घरवालों ने रोतेसुबकते हुए पुलिस को बताया कि सोहना इलाके के रोजका मेव का रहने वाला तौसीफ उसे स्कूल के समय से ही परेशान करता था. तौसीफ ने 2018 में भी उस का अपहरण किया था. उस समय बल्लभगढ़ शहर थाना पुलिस में तौसीफ के खिलाफ अपहरण का मामला भी दर्ज कराया गया था.

हालांकि निकिता को पुलिस ने 2 घंटे बाद ही बरामद कर लिया था. बाद में बेटी की बदनामी के डर से उन्होंने राजीनामा कर लिया था. इस के बाद भी वह निकिता से दोस्ती के साथ धर्म बदलने का दबाव बना रहा था. रसूखदार परिवार का था तौसीफ पुलिस को तौसीफ के परिवार के बारे में पता चला कि वह हरियाणा के रसूखदार राजनीतिक परिवार का लड़का है. उस के दादा कबीर अहमद पूर्व विधायक हैं. चचेरा भाई आफताब आलम इस समय हरियाणा के मेवात जिले की नूंह सीट से कांग्रेस विधायक है.  तौसीफ के चाचा और आफताब के पिता खुर्शीद अहमद हरियाणा की हुड्डा सरकार में मंत्री रह चुके हैं. तौसीफ के चाचा जावेद अहमद सोहना विधानसभा सीट से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.

आरोपी भले ही राजनीतिक रसूख वाला था, लेकिन कानून की नजर में अपराध तो अपराध ही होता है. फिर उस ने तो जघन्य अपराध किया था, वह भी दिनदहाड़े खुलेआम. इसी चुनौती के बीच पुलिस ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी.  फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह के निर्देश पर आरोपियों की तलाश में 10 टीमें जुट गईं. तौसीफ के मोबाइल को सर्विलांस पर ले लिया गया. उस ने मोबाइल बंद नहीं किया था. वह लगातार अपने आकाओं से बात कर रहा था. इसलिए पुलिस को उस की लोकेशन मिलती रही. पुलिस ने बल्लभगढ़ से ले कर फरीदाबाद और पलवल से ले कर नूंह तक भागदौड़ कर तौसीफ को रात को ही नूंह से गिरफ्तार कर लिया. जाकिर का बेटा तौसीफ आजकल गुड़गांव जिले के सोहना कस्बे के कबीर नगर में रहता था.

तौसीफ से पूछताछ में पता चला कि वारदात में उस के साथ नूंह के रेवासन गांव का रहने वाला रेहान भी था. पुलिस ने रेहान को भी रात को ही धर दबोचा. मूलरूप से उत्तर प्रदेश के हापुड़ के गांव रघुनाथपुर के रहने वाले मूलचंद तोमर कोई 25 साल पहले बल्लभगढ़ शहर आ कर बस गए थे. अब वे सेक्टर 23 के पास एक सोसायटी में परिवार के साथ रह रहे थे. परिवार में पत्नी विजय देवी, बड़ा बेटा नवीन और छोटी बेटी निकिता थी. मूलचंद बल्लभगढ़ में ही एक कंपनी में नौकरी करते हैं. घर में सुखसुविधाओं के साथ हर तरह की मौज थी. कहीं कोई परेशानी नहीं. बेटा नवीन बीटेक की पढ़ाई करने के बाद सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रहा था. अपना नाम राहुल राजपूत बताया निकिता ने 5वीं से 12वीं कक्षा तक की पड़ाई बल्लभगढ़ में सोहना रोड पर स्थित रौयल इंटरनेशनल स्कूल से की थी. तौसीफ भी उसी स्कूल में पढ़ता था. वह यहां हौस्टल में रहता था और निकिता से एक क्लास सीनियर था.

निकिता उसे जानती नहीं थी. एक बार उस ने खुद ही अपना परिचय राहुल राजपूत के रूप में दिया था. तब निकिता उसे राहुल के नाम से जानने लगी थी, लेकिन उस की राहुल में कोई दिलचस्पी नहीं थी. बाद में निकिता को पता चल गया कि राहुल का असली नाम तौसीफ है. इस के बाद वह उस से खफा हो गई. सन 2017 में निकिता ने 12वीं की परीक्षा 95 प्रतिशत अंकों से पास की. इस के बाद उस ने बीकौम करने के लिए शहर के अग्रवाल कालेज में प्रवेश ले लिया. तब तक निकिता की उम्र 17-18 साल हो गई थी. तौसीफ उस से 1-2 साल बड़ा था. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह फिजियोथैरेपी का कोर्स करने लगा था. अब वह अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. तौसीफ के मन में स्कूल के समय से ही निकिता के प्रति आकर्षण था. वह उस से दोस्ती करना चाहता था. लेकिन निकिता उस के पहले बोले गए झूठ से खफा थी.

वैसे भी निकिता इस तरह की लड़की नहीं थी. दोस्ती व प्यार के चक्करों से वह कोसों दूर थी और पढ़लिख कर अफसर बनना चाहती थी. सन 2018 में निकिता कालेज में प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी. उस साल 3 अगस्त को तौसीफ निकिता की 3-4 सहेलियों को कार में बैठा कर बल्लभगढ़ छोड़ने जा रहा था. उस ने निकिता से भी कार में साथ चलने को कहा. लेकिन निकिता ने साफ मना कर दिया, तो उस ने उसे जबरन कार में बैठा लिया. निकिता ने इसलिए ज्यादा विरोध नहीं किया क्योंकि उस की सहेलियां भी साथ थीं. कुछ दूर आगे जा कर तौसीफ ने बहाना बना कर सहेलियों को कार से उतार दिया और निकिता को कार में अगवा कर ले गया. निकिता के घरवालों को पता चला, तो उन्होंने बल्लभगढ़ सिटी थाने में तौसीफ के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई. उस समय पुलिस ने भागदौड़ कर के 2 घंटे में ही निकिता को बरामद कर लिया था.

उस समय अपहरण के आरोपी तौसीफ के घर वालों ने तोमर परिवार पर दबाव बनाया और वादा किया कि भविष्य में वह निकिता को कभी परेशान नहीं करेगा. निकिता के पिता मूलचंद तोमर ने आरोपी के घरवालों के दबाव और सामाजिक बदनामी के डर से उन से समझौता कर लिया था. बाद में पुलिस ने निकिता अपहरण केस की फाइल बंद कर दी थी. तौसीफ का कुछ नहीं बिगड़ा, तो उस के हौसले बढ़ गए. वह निकिता से दोस्ती करना चाहता था. साथ ही उस का धर्म परिवर्तन करा कर उस से शादी की इच्छा भी रखता था. इस के लिए वह उस पर बारबार दबाव डाल रहा था. जबकि निकिता उसे पहले ही दुत्कार चुकी थी.

एकतरफा प्यार में मात खाए तौसीफ ने निकिता के अपहरण की योजना बनाई. इसी योजना के तहत उस ने अपने रिश्तेदार की मार्फत नूंह इलाके के रहने वाले अजरुद्दीन नामक युवक से देसी पिस्तौल हासिल की. उस ने निकिता के बारे में सारी सूचनाएं जुटाई कि उस की परीक्षाएं कबकब हैं. वह कालेज कब आतीजाती है. उसे पता चला कि 26 अक्तूबर को निकिता की परीक्षा है. वह दोपहर करीब पौने 4 बजे परीक्षा दे कर कालेज से निकलेगी. इसी हिसाब से वह अपने साथी रेहान के साथ कार से तय समय पर अग्रवाल कालेज के बाहर पहुंच गया. कार रेहान चला रहा था और तौसीफ उस के पास आगे की सीट पर बैठा था.

निकिता पेपर दे कर कालेज से अपनी सहेली के साथ बाहर निकली, तभी तौसीफ ने कार उस के पास ले जा कर रुकवाई और खुद कार से उतर कर निकिता को कार की तरफ खींच कर अपहरण कर ले जाने का प्रयास किया, लेकिन निकिता साहस दिखाते हुए उस के चंगुल से निकल गई. इस से तौसीफ बौखला गया. वह हर कीमत पर निकिता को हासिल करना चाहता था. अपने मंसूबों पर पानी फिरता देख कर उस ने जेब से देसी पिस्तौल निकाली और निकिता पर फायर कर दिया. गोली उस के बांए कंधे से छाती को चीरते हुए निकल गई. इस से मौके पर ही उस की मौत हो गई. लोगों का आक्रोश निकिता की हत्या का पता चलने पर वारदात के दूसरे दिन 27 अक्तूबर को बल्लभगढ़ में लोगों में आक्रोश छा गया. आरोपियों को सख्त सजा दिलाने की मांग को ले कर निकिता के परिजनों के साथ विभिन्न संगठनों के लोगों ने सुबह से शाम तक शहर में कई जगह जाम लगा दिए.

सुबह 9 बजे सोहना रोड पर जाम का सिलसिला शुरू हुआ. शहर में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए लोगों ने हत्या के आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने की मांग की. बाद में लोग सोहना पुल के पास धरना दे कर बैठ गए. दूसरी तरफ गुस्साए लोग बीके अस्पताल पहुंच गए. वहां काफी देर तक शव मिलने का इंतजार करते रहे. पोस्टमार्टम के बाद भी जब पुलिस प्रशासन की ओर से निकिता के घरवालों को शव नहीं दिया गया, तो लोगों में गुस्सा भड़क गया. बीके अस्पताल चौक पर लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी और प्रदर्शन किया. लोगों ने इसे लव जिहाद का मामला बताया. गुडईयर के पास नैशनल हाइवे पर भी जाम लगाया गया.

शहर में जगहजगह जाम लगा कर प्रदर्शन करने का सिलसिला करीब 8 घंटे तक चलता रहा. इस दौरान पूरे शहर में जगहजगह पुलिस तैनात रही. शाम करीब साढ़े 4 बजे पुलिस ने निकिता का शव उस के घरवालों को सौंपा. निकिता के पिता ने प्रशासन के सामने चार मांगें रखी. इन में परिवार की सुरक्षा, एसआईटी से जांच और मामले की जल्द सुनवाई आदि शामिल थी. अधिकारियों ने ये मांगें मान लीं, इस के बाद अधिकारियों के आश्वासन पर जाम लगाने और प्रदर्शन करने का सिलसिला थमा. बाद में शाम को ही परिजनों ने निकिता के शव का अंतिम संस्कार कर दिया. इस से पहले पुलिस ने निकिता की हत्या के मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा में अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को 2 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया.

मामला तूल पकड़ने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी काररवाई की जाएगी. किसी को बख्शा नहीं जाएगा. गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह ने निकिता हत्याकांड की जांच एसआईटी को सौंप दी है. एसीपी (क्राइम) अनिल कुमार के नेतृत्व में स्पैशल इनवैस्टीगेशन टीम बनाई गई है. गृहमंत्री ने पुलिस कमिश्नर को पीडि़त परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए. हरियाणा के परिवहन मंत्री और बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा ने बीके अस्पताल जा कर निकिता के पिता मूलचंद तोमर से मुलाकात की और भरोसा दिलाया कि हत्या के आरोपियों को कठोर सजा दिलाई जाएगी.

खूब मचा बवाल वारदात के तीसरे दिन 28 अक्तूबर को इस मामले को ले कर हरियाणा से ले कर उत्तर प्रदेश तक खूब बवाल मचा. निकिता के पिता मूलचंद तोमर के पैतृक गांव हापुड़ के रघुनाथपुरा में पंचायत हुई. इस में निकिता के बड़े भाई नवीन ने हत्यारों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग की. बाद में पंचायत के लोगों ने एसडीएम को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा. एसआईटी ने हत्याकांड की जांच शुरू कर दी. टीम इंचार्ज एसीपी अनिल कुमार ने अधिकारियों के साथ निकिता के पिता से मिल कर जरूरी जानकारियां हासिल कीं. अनिल कुमार ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मामले में सभी साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं. हर हाल में परिवार को न्याय दिलाया जाएगा.

इस दौरान निकिता के घरवालों ने सत्तारूढ़ दल के नेताओं और जिला उपायुक्त यशपाल यादव को खूब खरीखोटी सुनाई. उन का कहना था कि एक दिन पहले वे बेटी का शव लेने के लिए दिनभर इंतजार करते रहे और पुलिस उन्हें शव देने को तैयार नहीं थी, तब आप लोग कहां थे?  परिवार की महिलाओं ने सवाल किया कि जब सरकार बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकती, तो उन्हें कोख में ही मारने की इजाजत क्यों नहीं दे देती? हत्या के आरोपी तौसीफ ने पुलिस की पूछताछ में कबूल किया कि निकिता ने उस से शादी करने से इनकार कर दिया था. इसलिए उस ने फैसला किया कि वह मेरी नहीं हो सकती तो उसे किसी दूसरे की भी नहीं होने दूंगा. उस ने बताया कि 2018 में भी उस ने शादी की नीयत से ही निकिता का अपहरण किया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल की गई कार और देसी पिस्तौल भी बरामद कर ली. इस हत्याकांड को ले कर बल्लभगढ़ शहर में विरोध प्रदर्शन होता रहा. एबीवीपी ने अग्रवाल कालेज के बाहर धरनाप्रदर्शन किया. संगठन के कार्यकर्ता सुबह 11 बजे से ले कर रात को भी धरने पर बैठे रहे.  एनएसयूआई ने फरीदाबाद में जिला उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर नारेबाजी की. कार्यकर्ताओं ने दोषियों को फांसी देने की मांग की. पलवल में सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन कर जुलूस निकाला. हाइवे पर जाम भी लगाया गया. राजस्थान सहित देश के कई हिस्सों में निकिता की हत्या के विरोध में प्रदर्शन किए गए और जुलूस निकाले गए.

विभिन्न संगठनों का धरनाप्रदर्शन 29 अक्तूबर को भी चलता रहा. निकिता को न्याय दिलाने के लिए करणी सेना भी मैदान में कूदी. करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूरजपाल अम्मू निकिता के निवास पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि खून के बदले खून चाहिए. मामले की फास्टट्रैक अदालत में एक महीने में सुनवाई पूरी कर हत्यारों को फांसी दी जाए.  हरियाणा कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने भी तोमर के मकान पर पहुंच कर सांत्वना दी. फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत ने ट्वीट कर निकिता को झांसी की रानी और रानी पद्मावती की तरह बहादुर बताया तथा भारत सरकार से निकिता को देवी नीरजा की तरह ब्रेवरी अवार्ड देने की मांग की.

शीघ्र होगी सजा हरियाणा सरकार ने निकिता के परिवार को सुरक्षा के लिए 3 गनर मुहैया करा दिए हैं. इस के बावजूद तोमर परिवार दहशत में है. उन्हें आशंका है कि हरियाणा की राजनीति में दखल रखने वाले आरोपी तौसीफ के रिश्तेदार कहीं पूरे परिवार की ही हत्या न करा दें. गृहमंत्री अनिल विज ने कहा है कि निकिता हत्याकांड में पुलिस जल्द से जल्द जांच पूरी कर अदालत में चालान पेश करेगी. मामले में 2018 से केस की भी जांच की जाएगी. केस की सुनवाई फास्टट्रैक अदालत में होगी. आरोपियों को जल्द से जल्द और सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी. पुलिस ने इस मामले में तीसरे आरोपी अजरुद्दीन को भी गिरफ्तार किया है. हत्या के मुख्य आरोपी तौसीफ को अजरुद्दीन ने ही देसी पिस्तौल दिलाई थी. इसी पिस्तौल से गोली मार कर निकिता की हत्या की गई थी.

कहा जा रहा है कि अजरुद्दीन ने तौसीफ के मामा के कहने पर उसे देसी पिस्तौल मुहैया कराई थी. तौसीफ का मामा इस्लामुद्दीन जून 2016 में गुरुग्राम में एक पुलिस इंसपेक्टर के अपहरण के मामले में भोंडसी जेल में 10 साल की सजा काट रहा है. इस्लामुद्दीन हरियाणा व दिल्ली का कुख्यात बदमाश है. पुलिस ने मुख्य आरोपी तौसीफ और उस के साथी रेहान के मोबाइल फोन भी जब्त किए हैं. सीसीटीवी फुटेज सहित अन्य इलैक्ट्रौनिक साक्ष्य भी जुटाए हैं. दूसरे सबूत भी एकत्र किए जा रहे हैं. पुलिस का दावा है कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जो उन्हें सख्त सजा दिलाएंगे.

बहरहाल, निकिता की हत्या के दोषियों को तो अदालत सजा देगी, लेकिन लव जिहाद और इस तरह महिलाओं की हत्या की घटना कैसे रुकेंगी, इस पर सरकार को सोचना होगा.

 

UP Crime : कार में पत्नी को बंद करके जिंदा जला डाला

UP Crime : अपने घर वालों को बिना बताए शुभम ने शिवांगी से लवमैरिज कर ली थी. एक बेटे के जन्म के बाद शुभम ने घर वालों को शादी की बात बताई. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि शुभम को अपने भाई के साथ मिल कर पत्नी शिवांगी को कार में जिंदा जलाने के लिए मजबूर होना पड़ा…

शिवांगी और शुभम ने उस छोटे से कमरे में प्रवेश किया तो हैरानी से उन की आंखें फैल गईं. कमरे को रंगीन गुब्बारों और चमकीली पन्नी की झालरों से अच्छी तरह सजाया हुआ था. कमरे में बैड के पास एक मेज पर दिल के आकार का केक रखा हुआ था, जिस के पास कुछ मोमबत्तियां और माचिस रखी हुई थी. शिवांगी ने चौंक कर शुभम की ओर देखा, ‘‘आज तुम्हारा जन्मदिन है शुभम और तुम ने मुझे बताया भी नहीं.’’

‘‘जन्मदिन मेरा नहीं तुम्हारा है जान.’’ शुभम उस का गाल थपथपा कर बोला तो शिवांगी ने सिर पकड़ लिया, ‘‘ओह! आज मेरा जन्मदिन है और मुझे ही याद नहीं है.’’

‘‘लेकिन मैं ने याद रखा है माई लव, चलो अब फटाफट केक काटो.’’

शिवांगी शुभम की ओर प्यार भरी नजरों से देखने लगी. शुभम ने केक पर मोमबत्तियां लगा कर जला दीं. शुभम ने इशारा किया तो शिवांगी ने जलती मोमबत्तियों को फूंक मार कर बुझा दिया. शुभम उसे तेज आवाज में बारबार बर्थडे विश करने लगा. शिवांगी ने चाकू से केक काटा और केक का टुकड़ा उठा कर शुभम के मुंह में रखा तो थोड़ा सा केक खा कर उस ने बाकी केक शिवांगी को खिला दिया. केक खाती हुई शिवांगी बोली, ‘‘तुम ने मेरे जन्मदिन की इतनी अच्छी तैयारी की है. बोलो, जन्मदिन पर तुम्हें क्या तोहफा दूं?’’

‘‘जन्मदिन तो तुम्हारा है, तोहफा तो तुम्हें मिलना चाहिए.’’

‘‘तुम मुझे दुनिया में सब से ज्यादा प्यार करते हो शुभम. तभी तो तुम मेरा इतना खयाल रखते हो. आज मैं दूंगी तुम्हें तोहफा, मांगो क्या मांगते हो?’’

‘‘जो मागूंगा, देने से इंकार तो नहीं करोगी?’’ शुभम ने शिवांगी की आंखों में झांक कर पूछा तो शिवांगी उस के दिल की मंशा समझ गई. फिर भी अंजान बनते हुए बोली, ‘‘मांग के तो देखो.’’

शुभम ने उस के दोनों कंधों पर हाथ रख कर उस की आंखों में देखते हुए कहा, ‘‘शिवांगी, हम दिल से तो एक हो गए हैं, तन से भी एक हो जाएं तो हमारा प्यार पूर्ण हो जाएगा. हमारे प्यार में कोई कमी नहीं रह जाएगी.’’

यह सुन कर शिवांगी ने आंखों के परदे गिरा कर मूक सहमति दी और शुभम के सीने से लग गई. यही वह दिन था, जब मन के बाद तन से भी दोनों एक हो गए. उन के प्यार में कोई कमी नहीं रह गई. उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के वजीरगंज कस्बा के बनिया मोहल्ले की रहने वाली थी शिवांगी. उस के पिता का नाम अजय पाल सिंह और मां का नाम मुन्नी देवी था. अजय पाल खेतीकिसानी करते थे. शिवांगी 3 भाईबहन थे. सब से बड़ी बहन रेखा, उस से छोटा भाई बौबी और सब से छोटी शिवांगी. रेखा का विवाह गाजियाबाद के साहिबाबाद में रहने प्रोफेसर राणा से हुई थी. राणा कनाडा में प्रोफेसर थे. रेखा के कोई बच्चा नहीं था. इसलिए रेखा घर में अकेली रहती थी. पति के कहने पर रेखा ने बहन शिवांगी को अपने यहां रहने के लिए बुला लिया.

शिवांगी ने बीए करने के बाद एमए प्रथम वर्ष में प्रवेश ले लिया था, लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर वह बहन के यहां चली गई. वहां रह कर वह ब्यूटीपार्लर में काम करने लगी. शिवानी की बहन के पड़ोस में ही शुभम लोहित रहता था. उस के पिता देवेंद्र सिंह एयरफोर्स में थे, वहां से सेवानिवृत्त होने के बाद वह स्पेलर, चक्की लगाने के साथ दूध डेयरी का भी काम करने लगे. घर में शुभम की मां गीता के अलावा एक बड़ा भाई शशांक उर्फ सनी और एक छोटा भाई सार्थक उर्फ शानू था. समारोह में हुई थी शिवानी से मुलाकात शशांक एक प्राइवेट बैंक में जौब करता था. शुभम होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद गाजियाबाद के एक होटल में नौकरी कर रहा था.

जहां शुभम रहता था, उसी क्षेत्र के एक परिचित के यहां वैवाहिक समारोह में शुभम शामिल हुआ. शादी का जश्न चल रहा था. जश्न की इसी चहलपहल में शुभम की नजर एक लड़की से टकरा गई तो वह उसे देखता रह गया. वह लड़की और कोई नहीं शिवांगी थी, जो अपनी बहन के साथ उस विवाह के जश्न में शामिल हुई थी. शिवांगी अपनी कुछ परिचित लड़कियों से बात कर रही थी. कभीकभी वह किसी बात पर खिलखिला कर हंसने लगती. पता नहीं शिवांगी की हंसी में ऐसा क्या था, जो शुभम के दिल में अंदर तक उतर कर असर कर रहा था. शुभम जानना चाहता था कि वह लड़की कौन है और कहां से आई है. वह उस का नाम भी जानना चाहता था. इसलिए वह उस के आसपास मंडराने लगा.

तभी उन लड़कियों में से एक ने शिवांगी को कंधा मारते हुए कहा, ‘‘शिवांगी, शादी के बारे में तेरा क्या इरादा है?’’ जवाब में शिवांगी फिर हंसने लगी. शुभम मुसकराया, ‘‘चलो नाम तो पता चला. अब यह जानना है कि वह रहती कहां है.’’ वह सोच ही रहा था कि शुभम के आसपास रहने वाले कुछ दोस्त वहां आ गए. दोस्तों ने वहां उस के खड़े होने के बारे में पूछा तो शुभम ने दोस्तों से पूछा, ‘‘उस लड़की को जानते हो तुम लोग?’’

एक दोस्त ने कहा, ‘‘वह शिवांगी है और तुम्हारे घर के पास ही अपनी बहन के यहां रहती है. लेकिन तू क्यों पूछ रहा है?’’

शुभम ने यह कहते हुए टाल दिया, ‘‘कुछ नहीं, मैं ने तो ऐसे ही पूछ लिया था.’’

उस रात शुभम घर तो आ गया लेकिन शिवांगी उस के खयालों में इर्दगिर्द मंडरा रही थी. अगले दिन शिवांगी की एक झलक देखने की कोशिश में वह उस की बहन के घर के पास गया, लेकिन शिवांगी उसे नहीं दिखी, तो उस की बेचैनी और बढ़ गई. यह बेचैनी अधिक दिन की नहीं थी. 2 दिन बाद ही उसे अपने काम पर जाते हुए शिवांगी दिख गई. वह अकेली थी. यह एक अच्छा मौका था. शुभम उस के पास पहुंच गया और प्यार से पूछा, ‘‘शिवांगी, शौपिंग करने निकली हो क्या?’’

शिवांगी ने पलट कर देखा, ‘‘तुम… तुम्हें तो मैं ने शादी के फंक्शन में देखा था. लेकिन तुम मेरा नाम कैसे जानते हो?’’

शुभम हंसा, ‘‘नाम जानना क्या मुश्किल है, मैं तो यह भी जानता हूं कि तुम अपनी बहन के घर में रहती हो.’’ इस के बाद शुभम ने शिवांगी को अपना नाम बताया और उस की बहन के घर के पास ही खुद के रहने की बात बताई और इसे अपने यहां एक कप चाय पीने का निमंत्रण दिया. शुभम का व्यवहार शिवांगी को काफी दिलचस्प लगा. उस ने शुभम का निमंत्रण स्वीकार कर लिया. उस के बाद दोनों एक रेस्टोरेंट में आ गए और चाय की चुस्कियों के बीच बात शुरू हुई. अचानक शुभम ने पूछा, ‘‘शिवांगी, मैं तुम्हें कैसा लगता हूं?’’

शिवांगी ने हैरानी से शुभम को देखा, ‘‘क्या मतलब, मैं समझी नहीं कि तुम कहना क्या चाहते हो?’’

शुभम गंभीर हो गया. उस ने शिवांगी से कहा, ‘‘जब से मैं ने तुम्हें देखा है, मेरा मन बेचैन है. दिल में एक बात है जो मैं तुम से कहना चाहता हूं. पता नहीं तुम क्या सोचोगी, पर यह सच है कि मैं तुम से प्यार करने लगा हूं.’’

शिवांगी ने स्वीकार किया प्यार शुभम की बात से शिवांगी घबरा गई. उस ने ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था. वह उठ खड़ी हुई और बोली, ‘‘चलो, अब चलते हैं.’’

शुभम को अपनी बात का कोई जवाब नहीं मिला था. शिवांगी सड़क पर आ गई और एक आटो में बैठ कर चली गई. शुभम को लगा जैसे उस के हाथ से कुछ छूट गया था. पता नहीं उस की बात की शिवांगी पर क्या प्रतिक्रिया हुई थी. वह मन ही मन डर गया. तनाव और विषाद में डूबे शुभम ने सोचा तक न था कि शिवांगी उस की मोहब्बत को कुबूल कर लेगी. अचानक उस के मोबाइल की घंटी बजी तो उधर से एक सुरीली आवाज आई, ‘‘मैं शिवांगी बोल रही हूं, शुभम.’’

शिवांगी के नाम से उस की धड़कनें तेज हो गईं. शिवांगी ने उसे बुलाया था. शुभम कुछ ही देर में शिवांगी के बताए स्थान पर पहुंच गया. शिवांगी उस का इंतजार कर रही थी. वह उसे देख कर मुसकराई. शुभम ने राहत की सांस ली. वे दोनों एकांत में आ कर बैठ गए. शिवांगी काफी गंभीर थी. उस ने चुप्पी तोड़ी, ‘‘शुभम, तुम जानते हो कि जिस रास्ते पर तुम मुझे ले जाना चाहते हो, वह कितना कांटों भरा है. क्या तुम परिवार और समाज के विरोध का मतलब समझते हो? कहीं प्यारमोहब्बत तुम्हारे लिए खेल तो नहीं है?’’

शुभम ने गौर से शिवांगी को देखा और उस का हाथ पकड़ लिया. उस ने शिवांगी को आश्वस्त किया कि वह उसे दिलोजान से चाहता है और हर बाधा को पार करने का साहस रखता है. शिवांगी ने अपना हाथ उस के हाथ में हमेशा के लिए थमा दिया. उस दिन के बाद दोनों की दुनिया ही बदल गई. उन की आंखों में सतरंगी सपने समा गए. उन के दिल मिले तो एक दिन खुशी के मौके पर तन भी मिल गए. उन का प्यार पूर्ण हो गया. शिवांगी शुभम से 10 साल बड़ी थी और उस की जाति की भी नहीं थी. फिर भी शुभम ने उस से अंतरजातीय विवाह करने का फैसला कर लिया. गाजियाबाद में ही एक कमरा ले कर दोनों लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगे. 2016 में दोनों ने मंदिर में विवाह कर लिया. शिवांगी ने विवाह की बात अपनी बहन रेखा को बता दी.

2017 की शुरुआत में ही एक दिन शिवांगी की बहन रेखा ने अपने मातापिता को शिवांगी द्वारा विवाह कर लेने की बात बता दी. यह सुन कर वे चुप हो गए. बेटी की खुशी में ही उन्होंने अपनी खुशी देखी और रस्म के नाम पर एक स्विफ्ट कार नंबर यूपी14डीएच 6794 गिफ्ट में दे दी. कार शिवांगी के नाम पर रजिस्टर थी. विवाह का एक साल पूरा होतेहोते शिवांगी एक बेटे की मां बन गई, जिस का नाम युवराज रखा गया. इसी दौरान शिवांगी की बहन रेखा की मृत्यु हो गई. 2018 में शुभम के बड़े भाई शशांक का विवाह हुआ. तब शुभम ने अपने घर वालों को बताया कि उस ने शिवांगी से विवाह कर लिया है. यह सुन कर सभी दंग रह गए.

जब यह पता चला कि शिवांगी शुभम से 10 साल बड़ी है और उन की जाति की नहीं है तो घर में कोहराम मच गया. लेकिन जो हो गया सो हो गया, की बात सोच कर शुभम के घर वाले शिवांगी को घर में रखने को तैयार हो गए. शुभम गया जर्मनी दोनों घर आ कर रहने लगे. इसी बीच शुभम का स्टडी वीजा बन कर आ गया. वह जर्मनी चला गया. वहां वह होटलों में काम के तौरतरीके सीखने गया था. उस के जाते ही घर में रोज छोटीबड़ी बात को ले कर कलह होने लगी. शिवांगी की सास गीता बातबात में उसे ताने मारती और घर के काम को ले कर भी उन में बहस हो जाती. गीता अपने बेटे शुभम को शिवांगी के बारे में गलतसलत बातें बोलने लगी.

रोज घर के कलह की बातें मां के मुंह से सुन कर शुभम का मन भी शिवांगी की तरफ से पलटने लगा. गीता अच्छी तरह जानती थी कि बेटा उस का कहा ही सुनेगा और उस की ही बात मानेगा. वही हो रहा था. गीता चाहती थी कि किसी तरह शिवांगी उस के बेटे की जिंदगी से निकल जाए तो वह उस का विवाह अपनी ही जाति की किसी लड़की से करा देगी. इसीलिए वह शिवांगी को चैन नहीं लेने देती थी. शुभम जर्मनी से लौट आया. गीता और शशांक दोनों ने शुभम को काफी समझाया, जिस से शुभम भी उन की तरफ हो गया. शिवांगी ताने सुनसुन कर पक गई थी. इसलिए पलट कर जवाब दे देती थी और जो मन होता वह काम करती, वरना नहीं करती.

शुभम को शिवांगी का यह रवैया पसंद नहीं आया. जून 2019 में शशांक और शुभम ने फैसला किया कि शिवांगी की हत्या कर दी जाए. लेकिन हत्या घर में करने से घर वालों पर हत्या का शक आएगा. इसलिए हत्या ऐसे की जाए कि हत्या न लग कर हादसा लगे. कई बार प्रयास किए लेकिन रास्ता नहीं बना. इसी बीच शुभम शिवांगी और बेटे युवराज को ले कर नैनीताल के थाना भवाली अंतर्गत गांव नगारी में अपने पिता के मकान में जा कर रहने लगा. वहां वह एक होटल लीज पर ले कर चलाना चाहता था. होटल को लीज पर लेने को ले कर बात चल रही थी कि लौकडाउन लग गया. इस वजह से उसे वापस अपने घर लौटना पड़ा.

शिवांगी की हत्या की बनी योजना लौकडाउन के दौरान शशांक और शुभम ने आराम से शिवांगी की हत्या को हादसा कैसे बनाना है, इस पर पूरी योजना बनाई. उन की इस योजना में शुभम का जिगरी दोस्त प्रशांत राजपूत भी शामिल था. प्रशांत गाजियाबाद के साहिबाबाद थाना क्षेत्र के पसौड़ा का रहने वाला था. शुभम और प्रशांत रोज बैठ कर साथ शराब पीते थे. पीने के बाद लांग ड्राइव पर जाते थे. वे दोस्ती में एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे. योजनानुसार शुभम ने शिवांगी से कहा कि वह कुछ दिन अपने मातापिता से मिल आए. उस का तो मन हो ही रहा होगा, उस के मातापिता को भी उसे देखने का मन होगा. शिवांगी खुश हो गई. वैसे भी वह एक बार फिर से गर्भवती हो गई थी.

लौकडाउन खुल चुका था. लौकडाउन की सारी बंदिशें हटीं तो शुभम उसे कार में बैठा कर मायके जा कर छोड़ने को तैयार हो गया. शिवांगी से उस ने पूरी ज्वैलरी पहनने को कहा कि घर जा रही हो तो घर के आसपास के लोग देखेंगे तो बिना ज्वैलरी के अच्छा नहीं लगेगा. शिवांगी ने पूरी ज्वैलरी पहन ली. शुभम उसे ले कर बदायूं स्थित शिवांगी के घर पहुंच गया. वहां उस ने शिवांगी के घर वालों से काफी घुलमिल कर बातें की. उसे वहां छोड़ कर शुभम वापस लौट आया. वापस आ कर उस ने फिर से पूरी योजना को सही से अंजाम देने के लिए शशांक और प्रशांत से बात की.

16 अक्तूबर, 2020 को कार से शुभम शिवांगी और बेटे युवराज को लेने बदायूं पहुंच गया. वापस लाते समय भी शुभम ने शिवांगी पर पूरी ज्वैलरी पहनने का दबाव डाला. शिवांगी ने पूरी ज्वैलरी पहन ली. शिवांगी को बिलकुल भी आभास नहीं था कि जिस से उस ने प्यार किया और शादी की. इतना विश्वास किया, वह उस की जान लेने तक को तैयार हो जाएगा. शाम 6 बजे कार से शुभम पत्नीबेटे को ले कर निकला. बरेली के बहेड़ी कस्बे में पहुंच कर उस ने कार रोकी. वहां एक दुकान से उस ने जूस खरीदा और उस में चालाकी से नशीली गोलियां मिला दीं. वह जूस उस ने शिवांगी को दिया तो उस ने पी लिया.

गोलियों का असर धीरेधीरे शिवांगी पर होने लगा. बहेड़ी कस्बे से निकल कर कुछ दूर नैनीताल रोड पर एक ढाबे के पास उस ने कार रोकी. उस ने युवराज को गोद में लिया और शिवांगी से उसे चौकलेट दिलाने की बात कह कर चल दिया. कार उस ने स्टार्ट छोड़ दी थी. उस समय तक काफी अंधेरा हो गया था. अगले ही पल शशांक प्रशांत के साथ बाइक से वहां पहुंचा. शशांक कार की ड्राइविंग सीट पर जा कर बैठ गया और कार को गति दे दी. प्रशांत बाइक से उस के पीछे चलने लगा. गांव आमडंडा के पास सुनसान सड़क पर शशांक ने कार रोकी. प्रशांत भी वहां पहुंच गया. दोनों शिवांगी के शरीर से ज्वैलरी उतारने लगे.

साथ ही साथ वे शिवांगी के साथ मारपीट भी करने लगे. शिवांगी उस समय होश में आ गई थी. वह अपने जेठ शशांक से कहने लगी, ‘‘आप को जो लेना है ले लो, लेकिन मुझे मारो मत.’’

योजना को दिया अंजाम ज्वैलरी उतारने के बाद उन्होंने कार को लौक कर दिया. इस के बाद प्रशांत बाइक की डिक्की में रखी पैट्रोल से भरी केन निकाल लाया और कार के ऊपर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. कार धूधू कर जलने लगी. शिवांगी कार के अंदर बंद फड़फड़ा कर चिल्लाने लगी लेकिन कार लौक होने से उस की आवाज बाहर नहीं आ रही थी. शिवांगी ने कार से निकलने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुई. कुछ गांव वालों ने दूर से कार को जलते देखा तो उस ओर दौड़ पड़े. गांव वालों को आता देख कर शशांक और प्रशांत बाइक पर बैठ कर वहां से भाग गए.

गांव वालों ने किसी तरह से शिवांगी को कार से निकाल कर बचाया. कार बाहर से जल रही थी, लेकिन आग अंदर तक नहीं पहुंची थी इसलिए शिवांगी जली नहीं थी, बस झुलस गई थी. गले पर कुछ निशान बन गए थे. बदहवास हालत में वह कार से थोड़ी दूर सड़क पर बैठ गई. दूसरी ओर योजनानुसार कार जाने के कुछ समय बाद शुभम चिल्लाने लगा. चिल्ला कर वह अपनी पत्नी के अपहरण की बात लोगों से कहने लगा. शुभम ने 112 नंबर पर पुलिस को पत्नी के अपहरण की सूचना भी दे दी. वायरलैस पर प्रसारित संदेश से बहेड़ी थाना पुलिस को घटना की सूचना मिली. सूचना पा कर बहेड़ी थाने के इंसपेक्टर पंकज पंत पुलिस टीम के साथ तुरंत ढाबे पर पहुंचे. वहां खड़े शुभम लोहित ने उन्हें पत्नी शिवांगी को अपहर्त्ताओं द्वारा कार से नैनीताल रोड पर ले जाने की बात बताई.

इंसपेक्टर पंत अपनी टीम के साथ नैनीताल रोड पर गए तो आमडंडा के पास उन को एक कार जलते हुए मिली. वहां गांव के काफी लोग मौजूद थे. पुलिस को देख कर गांव के लोगों ने पूरी बात बताई और शिवांगी से मिलवाया. शिवांगी ने जब घटना बताई तो अपनों द्वारा रची गई साजिश का खुलासा हुआ. इस के बाद शिवांगी को इंसपेक्टर पंत ने उपचार हेतु भेजा. फिर शुभम को हिरासत में ले कर थाने आ गए. कुछ सख्ती करने पर शुभम ने पूरी घटना बयान कर दी. जिस के बाद इंसपेक्टर पंकज पंत ने शुभम लोहित, शशांक लोहित और प्रशांत राजपूत के खिलाफ भादंवि की धारा 364/328/307/120बी के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. बेटे युवराज को भी शुभम से ले कर शिवांगी को सौंप दिया गया.

कागजी खानापूर्ति पूरी करने के बाद शुभम को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया. शुभम ने सोचा था कि इस तरह शिवांगी को मारने से उस पर या उस के घरवालों पर आरोप नहीं लगेगा. ज्वैलरी भी उस के पास आ जाएगी और कार के इंश्योरेंस की रकम भी उसे मिल जाएगी. शिवांगी से भी उसे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाएगा. लेकिन बुरा करने वालों का किस्मत कभी साथ नहीं देती. शुभम के साथ भी ऐसा ही हुआ.

कथा लिखे जाने तक शशांक और प्रशांत फरार थे. पुलिस उन की सरगर्मी से तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों और शिवांगी से पूछताछ पर