Hindi love Story in Short : एक नेता की प्रेम कहानी

Hindi love Story in Short : सोनिया भारद्वाज को अपने 2 पतियों से वह नहीं मिला, जिस की उसे आकांक्षा थी. तभी तो उस ने कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्वमंत्री उमंग सिंघार को तीसरा पति बनाने के लिए कदम बढ़ाए. लेकिन शादी के बंधन में बंधने से पहले ही जिस तरह सोनिया ने नेताजी के बंगले में सुसाइड किया, उस से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं.

‘अब मैं और सहन नहीं कर सकती. मैं ने अपनी तरफ से सब कुछ किया लेकिन उमंग का गुस्सा बहुत ज्यादा है. मुझे डर लगता है कि उमंग मुझे अपनी लाइफ में जगह नहीं देना चाहते… उन की किसी भी चीज को टच करो तो उन्हें बुरा लगता है. इस बार भी मैं खुद भोपाल आई, जबकि वह नहीं चाहते थे कि मैं आऊं. मैं कभी तुम्हारे जीवन का हिस्सा नहीं बन पाई. आर्यन सौरी, मैं तुम्हारी लाइफ के लिए कुछ नहीं कर पाई. मैं जो कुछ भी कर रही हूं अपनी मरजी से कर रही हूं, इस में किसी की कोई गलती नहीं है.

‘उमंग, आप के साथ मैं ने सोचा था कि लाइफ सेट हो जाएगी. आई लव यू. मैं ने बहुत कोशिश की एडजस्ट करने की, पर आप ने मुझे अपनी लाइफ में जगह नहीं दी. सौरी.’

यह लाइनें हैं उस पत्र की, जो सोनिया भारद्वाज ने एक पूर्वमंत्री के बंगले में आत्महत्या करने से पहले लिखा था. 37 वर्षीय सोनिया भारद्वाज की जिंदगी कई मायनों में आम औरतों से काफी अलग थी. बहुत कुछ होते हुए भी उस के पास कुछ नहीं था. वह निहायत खूबसूरत थी और उम्र उस पर हावी नहीं हो पाई थी. कोई भी उसे देख कर यह नहीं मान सकता था कि वह 19 साल के एक बेटे की मां भी है. औरत अगर खूबसूरत होने के साथसाथ विकट की महत्त्वाकांक्षी भी हो तो जिंदगी की बुलंदियां छूने से उसे कोई रोक नहीं सकता. लेकिन अगर वह अपनी शर्तों पर मंजिल और मुकाम हासिल करने की कोशिश करती है तो अकसर उस का अंजाम वही होता है जो सोनिया का हुआ.

बीती 16 मई की रात सोनिया ने आत्महत्या कर ली. भोपाल के पौश इलाके शाहपुरा के बी सेक्टर के बंगला नंबर 238 में फांसी के फंदे पर झूलने और सुसाइड नोट लिखने से पहले उस ने और क्याक्या सोचा होगा, यह तो कोई नहीं बता सकता. लेकिन अपने सुसाइड नोट में उस ने जो लिखा, उस से काफी हद तक यह समझ तो आता है कि वह अपने तीसरे प्रेमी और मंगेतर पूर्वमंत्री उमंग सिंघार की तरफ से भी नाउम्मीद हो चुकी थी. जिंदगी भर प्यार और सहारे के लिए भटकती सी रही हरियाणा के अंबाला के बलदेव नगर इलाके के सेठी एनक्लेव की रहने वाली सोनिया ने आखिरकार भोपाल आ कर एक पूर्व मंत्री उमंग सिंघार के बंगले पर ही खुदकुशी क्यों की, इस सवाल के जबाब में सामने आती है 2 अधेड़ों की अनूठी लव स्टोरी, जिसे शुरू हुए अभी बहुत ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.

हालांकि 2 साल एकदूसरे को समझने के लिए कम नहीं होते, पर लगता ऐसा है कि उमंग और सोनिया दोनों ही एकदूसरे को समझ नहीं पाए थे और अगर समझ गए थे तो काफी दूर चलने के बाद कदम वापस नहीं खींच पा रहे थे. सोनिया की पहली शादी कम उम्र में अंबाला के ही संजीव कुमार से हो गई थी. शादी के बाद कुछ दिन ठीकठाक गुजरे. इस दौरान उस ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम आर्यन रखा. 19 साल का हो चला आर्यन इन दिनों शिमला के एक इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा कर रहा है. आर्यन के जन्म के बाद संजीव और सोनिया में खटपट होने लगी, जिस का दोष सोनिया के सिर ही मढ़ा गया. जिस का नतीजा अलगाव की शक्ल में सामने आया.

कुछ समय तनहा गुजारने के बाद सोनिया ने एक बंगाली युवक से दूसरी शादी कर ली. लेकिन उस का दूसरा पति भी उसे जल्द छोड़ कर भाग खड़ा हुआ. फिर जरूर हुई सहारे की अब सोनिया के सामने सब से बड़ी चुनौती आर्यन की परवरिश की थी, जिस के लिए उस ने एक नामी कौस्मेटिक कंपनी में नौकरी कर ली . थोड़ा पैसा आया और जिंदगी पटरी पर आने लगी तो सोनिया को फिर एक सहारे की जरूरत महसूस हुई. यह सहारा उसे दिखा और मिला भी 47 वर्षीय उमंग सिंघार में, जिन से उस की जानपहचान एक मैट्रीमोनियल पोर्टल के जरिए हुई थी. उमंग सिंघार की गिनती मध्य प्रदेश के दबंग जमीनी और कद्दावर नेताओं में होती है. वह निमाड़ इलाके की गंधवानी सीट से तीसरी बार विधायक हैं और कमलनाथ मंत्रिमंडल में वन मंत्री भी रह चुके हैं.

उमंग की बुआ जमुना देवी अपने दौर की तेजतर्रार आदिवासी नेता थीं. उन की मौत के बाद उमंग को उन की जगह मिल गई. निमाड़ इलाके में जमुना देवी के बाद उमंग कांग्रेस के प्रमुख आदिवासी चेहरा हो गए, जिन के राहुल गांधी से अच्छे संबंध हैं. कहा यह भी जाता है कि वह उन गिनेचुने नेताओं में से एक हैं, जिन की पहुंच सीधे राहुल गांधी तक है. विरासत में मिली राजनीति को उमंग ने पूरी ईमानदारी और मेहनत से संभाला और पार्टी आलाकमान को कभी निराश नहीं किया. झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें वहां की जिम्मेदारी भी दी थी, जिस पर वह खरे उतरे थे. वहां उन्होंने आदिवासी इलाकों में ताबड़तोड़ दौरे किए थे, नतीजतन कांग्रेस और जेएएम का गठबंधन भाजपा से सत्ता छीनने में सफल हो गया था.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी एक अंतरंग इंटरव्यू के दौरान, जो रांची में उन के घर पर लिया गया था, इस प्रतिनिधि से उमंग की भूमिका की तारीफ की थी. उमंग सिंघार भी आदिवासियों को हिंदू नहीं मानते और आदिवासी इलाकों में हिंदूवादी संगठनों की गतिविधियों का अकसर विरोध करते रहते हैं. पिछले साल तो उन्होंने इन इलाकों में रामलीला किए जाने का भी विरोध किया था. राजनीतिक जीवन में सफल रहे उमंग की व्यक्तिगत जिंदगी बहुत ज्यादा सुखी और स्थाई नहीं रही. सोनिया की तरह उन की भी 2 शादियां पहले टूट चुकी हैं. पहली पत्नी से तो उन्हें 2 बच्चे भी हैं. यानी सोनिया से शादी हो पाती तो यह उन की भी तीसरी शादी होती.

बहरहाल, दोनों की जानपहचान जल्द ही मेलमुलाकातों में बदल गई और दोनों अकसर मिलने भी लगे. दिल्ली, अंबाला और भोपाल में इन दोनों ने काफी वक्त साथ गुजारा और दिलचस्प बात यह कि किसी को इस की भनक भी नहीं लगी. और जब लगी तो खासा बवंडर मच गया. आत्महत्या करने से पहले सोनिया ने अपने सुसाइड नोट में उमंग की तरफ इशारा करते हुए जो लिखा, वह ऊपर बताया जा चुका है. कोरोना की दूसरी लहर के कहर और लौकडाउन के चलते भोपाल भी सन्नाटे और दहशत में डूबा था. लोग अपने घरों में कैद थे. जैसे ही उमंग के बंगले पर एक युवती के आत्महत्या करने की खबर आम हुई तो इस की हलचल सियासी हलकों में भी हुई.

पुलिस की जांच में उजागर हुआ कि सोनिया भोपाल करीब 25 दिन पहले आई थी और तब से यहीं रह रही थी. एक तरह से दोनों लिवइन रिलेशनशिप में थे.  हादसे के 3 दिन पहले ही दोनों के बीच कहासुनी भी हुई थी. इस के तुरंत बाद उमंग अपने विधानसभा क्षेत्र गंधवानी चले गए थे. नौकर के बयान पर मामला दर्ज बंगले पर ड्यूटी बजा रहे उमंग के नौकर गणेश और उस की पत्नी गायत्री ने अपने बयान में इन दोनों के बीच होने बाली कलह की पुष्टि की. 17 मई, 2021 की सुबह जब गायत्री उमंग के औफिस, जो सोनिया के कमरे में तब्दील हो गया था, पहुंची तो वह अंदर से बंद था. सोनिया चूंकि पहले भी 2 बार इस बंगले में आ चुकी थी, इसलिए दोनों उस की वक्त पर उठने और कसरत करने की आदत से वाकिफ हो गए थे.

गायत्री ने यह बात गणेश को बताई और गणेश ने मोबाइल पर उमंग को बताई तो उमंग ने अपने नजदीकियों को बंगले पर देखने जाने को कहा. उमंग के परिचितों ने जैसेतैसे जब कमरा खोला तो वह यह देख कर सन्न रह गए कि सोनिया ग्रिल पर लटकी है और उस के गले में फांसी का फंदा कसा हुआ है. तुरंत ही इस की खबर उन्होंने उमंग और फिर पुलिस को दी. घबराए उमंग बिना देर किए भोपाल रवाना हो लिए. अब तक मध्य प्रदेश में अटकलों और अफवाहों का बाजार गरमा चुका था और पुलिस बंगले को घेर चुकी थी. शुरुआती जांच और पूछताछ के बाद सोनिया की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई और उस की मौत की खबर अंबाला में रह रही उस की मां कुंती, बेटे आर्यन और भांजे दीपांशु को भी दी गई .

दीपांशु ने पुलिस को बताया कि पिछली रात को ही सोनिया ने घर वालों से वीडियो काल के जरिए बात की थी, लेकिन तब वह खुश दिख रही थी. ये लोग भी भोपाल के लिए चल दिए. उमंग ने दिया सधा हुआ बयान अब हर किसी को उमंग की प्रतिक्रिया का इंतजार था, जिन्होंने भोपाल आ कर बेहद सधे ढंग से कहा कि सोनिया उन की अच्छी मित्र थी. उस के यूं आत्महत्या करने से मैं हैरान हूं. हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले थे. सोनिया के अंतिम संस्कार के वक्त वह उस की मां के गले से लिपट कर रोए तो बहुत कुछ स्पष्ट हो गया कि अब इस हाईप्रोफाइल मामले में कुछ खास नहीं बचा है सिवाय कानूनी खानापूर्ति करने के. क्योंकि सोनिया के परिजन उमंग को उस की आत्महत्या का जिम्मेदार नहीं मान रहे थे.

इधर फुरती दिखाते हुए पुलिस ने उमंग के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज कर लिया था, जिस का आधार सोनिया के सुसाइड नोट और नौकरों के बयानों को बनाया गया था. अब आर्यन का बयान अहम हो चला था उस ने कहा, ‘‘मेरी मां की पिछली रात ही नानी से बात हुई थी. बातचीत के दौरान उन्होंने खुशीखुशी बात की थी. अगर वह मानसिक तनाव में होतीं तो नानी को जरूर बतातीं और न भी बतातीं तो बातचीत से उन की तकलीफ उजागर जरूर होती. अगले महीने उमंग सिंघार मां से शादी करने बाले थे. हमें पिछले साल दिसंबर में इन के संबंधों के बारे में पता चला था. उमंग सिंघार पर हमें कोई शक नहीं है ऐसा कोई सबूत भी नहीं है.’’

आर्यन के बयान से मिला नेताजी को लाभ आर्यन का यह बयान उमंग की कई दुश्वारियां दूर करने वाला था, लिहाजा उन्होंने सरकार पर चढ़ाई करते कहा कि सरकार इस मामले पर राजनीति कर रही है. मैं पुलिस को अपना बयान दे चुका हूं. सोनिया से मेरी बात 15 मई को हुई थी, तब तक वह ठीक थी और उस ने खाना भी खाया था. मैं पुलिस को सहयोग कर रहा हूं. गिरफ्तारी से बचने के लिए वह आला पुलिस अफसरों से भी मिले और दूसरे राजनैतिक हथकंडे भी इस्तेमाल किए. इसी दौरान सोनिया के भांजे दीपांशु ने यह भी उजागर किया कि उस की मौसी सोनिया डिप्रेशन की मरीज थीं और इस की गोलियां भी खा रहीं थीं.

दीपांशु की इस बात से उमंग का कानूनी पक्ष तो मजबूत हुआ, लेकिन वह पूरी तरह बेगुनाह हैं यह नहीं कहा जा सकता. मुमकिन है वह सोनिया से ऊब गए हों या फिर उस की उन्हीं बेजा हरकतों से आजिज आने लगे हों, जिन के चलते उस के दोनों पतियों ने उसे छोड़ दिया था. ऐसे में उन्हें अपनी प्रेमिका को सहारा देना चाहिए था, जो अगर चाहती तो उन्हें बदनाम भी कर सकती थी और सुसाइड नोट में सीधे भी उन्हें दोषी ठहरा सकती थी. लेकिन उस ने ऐसा कुछ किया नहीं. हालांकि सोनिया जैसी औरतें बहुत मूडी और जिद्दी होती हैं क्योंकि वे अपनी शर्तों पर जीने में यकीन करती हैं. लेकिन आत्महत्या कर लेने का उन का फैसला कतई समझदारी या बुद्धिमानी का नहीं माना जा सकता.

सफल और सुखी जिंदगी के लिए हर किसी को कई समझौते करने पड़ते हैं, यह बहुत ज्यादा हर्ज की बात भी नहीं. अगर सोनिया थोड़ा सब्र रखती तो मनचाही जिंदगी जी भी सकती थी. लेकिन डिप्रेशन उसे ले डूबा, जिस की सजा अगर कोई भुगतेगा तो वह उस का लाडला आर्यन होगा, जिसे कभी पिता का सुख मिला ही नहीं. Hindi love Story in Short

 

MP Crime News : दगाबाज प्यार

MP Crime News : शादीशुदा 25 वर्षीय कविता गुप्ता के कदम पड़ोसी 25 वर्षीय नमन विश्वकर्मा की तरफ बहक गए. इस के बाद वह कविता को अपनी बाइक पर न सिर्फ घुमाता, बल्कि उस पर दिल खोल कर पैसे भी खर्च करने लगा. वह कविता पर शादी का दबाव बनाने लगा, लेकिन कविता इस के लिए तैयार नहीं थी. इसी जिद में नमन एक दिन ऐसा कांड कर बैठा कि उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा. आखिर क्या किया नमन ने?

25 मई, 2025 शाम का वक्त था, जब जबलपुर में बरगी डैम के किनारे बसे गांव बरबटी के लोगों ने डैम की तरफ से किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनी. पहले तो लोगों ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब बच्चे के रोने की आवाज लगातार आती रही तो कुछ लोग डैम की तरफ यह देखने चले गए कि पता नहीं कोई बच्चा इतनी देर से क्यों रो रहा है.

जब गांव वाले वहां पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर चौंक गए. डैम के किनारे एक युवती पड़ी थी. वह खून से लथपथ थी. उस घायल युवती के पास खड़ी 3-4 साल की बच्ची रो रही थी. इसी दौरान किसी ने इस की सूचना बरगी चौकी में फोन द्वारा दे दी. सूचना मिलते ही चौकी इंचार्ज एसआई सरिता पटेल मौके पर पहुंच गईं. उन्होंने देखा कि वहां लगभग 25 साल की निहायत ही खूबसूरत युवती गंभीर रूप से घायल पड़ी थी. जिस के पास खड़ी कोई 3-4 साल की एक बच्ची लगातार ‘मम्मी…मम्मी’ कहते हुए रोए जा रही थी.

एसआई पटेल ने बिना वक्त जाया किए घायल युवती को इलाज के लिए मैडिकल कालेज, जबलपुर भेज दिया. डाक्टरों ने तुरंत उस का इलाज शुरू कर दिया, लेकिन 27 मई को 2 दिन के उपचार के बाद घायल युवती ने दम तोड़ दिया. दम तोडऩे से पहले पुलिस को युवती अपना नाम कविता गुप्ता निवासी बलदेव बाग, जबलपुर बता चुकी थी. उस ने पुलिस को यह भी बताया कि उस के ऊपर हमला उस के पड़ोस में रहने वाले युवक नमन विश्वकर्मा ने किया था.

कविता गुप्ता की मौत के बाद पुलिस ने बलदेव बाग के ही रहने वाले नमन विश्वकर्मा के खिलाफ हत्या का मामला बीएनएस की धारा 109, 109 (1) के तहत दर्ज कर लिया. नमन आपराधिक प्रवृत्ति का युवक था. उस के खिलाफ थाने में कई मामले दर्ज थे. आरोपी नमन को गिरफ्तार करने के लिए एसपी (जबलपुर) संपत उपाध्याय ने एडिशनल एसपी (ग्रामीण) समर वर्मा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एसपी (सिटी) अंजुल अयंक मिश्रा, थाना बरगी के एसएचओ कमलेश चौरिया, बरगी नगर चौकी इंचार्ज सरिता पटेल, एसआई मुनेश लाल कोल, एएसआई भैयालाल वर्मा, हैडकांस्टेबल उदय प्रताप सिंह, कांस्टेबल अरविंद सनोडिया, मिथलेश जायसवाल, शेर सिंह बघेल, सतन मरावी, राजेश वरकडे, सत्येंद्र मरावी, सुखदेव अहाके, रवि शर्मा आदि को शामिल किया गया.

पुलिस के पास आरोपी का मोबाइल नंबर पहले से मौजूद था. उस घटना के बाद से वह बंद था, इसलिए पुलिस मुखबिरों की मदद से नमन की तलाश में जुटी थी. हफ्ते भर बाद पहली जून को पुलिस को खबर मिली कि नमन घटनास्थल के पास जंगल में छिपा कर रखी अपनी बाइक लेने बरगी डैम आया है. इस सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस चौकी में 25 वर्षीय नमन विश्वकर्मा से पूछताछ की तो वह कविता गुप्ता की हत्या में अपना हाथ होने से इंकार करता रहा, लेकिन पुलिस ने उस के मोबाइल की लोकेशन और घटना वाले दिन के कुछ सीसीटीवी फुटेज उस के सामने रखे, जिन में वह कविता गुप्ता को बाइक पर बैठा कर बरगी डैम की तरफ आता दिखाई दे रहा था. ये सारे सबूत देख कर उस ने कविता की हत्या करने का अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने हत्या के पीछे की सारी कहानी पुलिस के सामने बयां कर दी. पुलिस ने आरोपी नमन विश्वकर्मा के पास से हत्या में प्रयुक्त चाकू और बाइक बरामद कर ली.

मध्य प्रदेश के जिला जबलपुर के कोतवाली थाना इलाके में स्थित संगम कालोनी, बलदेव बाग में रहने वाली कविता गुप्ता का पति पुनीत गुप्ता सिविक सेंटर चौपाटी पर पावभाजी का ठेला लगाता था. पति का सुबह का समय दुकान के लिए माल तैयार करने में निकल जाता था, जिस के बाद शाम को वह अपना ठेला ले कर सिविक सेंटर निकल जाता था. उस के बाद वह देर रात वापस आता था. कविता गुप्ता पढ़ीलिखी और खूबसूरत होने के अलावा माडर्न खयालों की युवती थी. वह जब जींसटौप पहन कर बाजार में निकलती तो न तो कोई उसे शादीशुदा कह सकता था और न किसी खोमचे वाले की पत्नी.

पति खूब प्यार करता था, कमाता भी अच्छा था, इसलिए कविता गुप्ता को पति से केवल एक ही शिकायत थी कि वह उस के लिए उतना समय नहीं निकाल पाता था, जितना वह चाहती थी. शहर में मनाए जाने वाले त्यौहार, उत्सव और दूसरे ऐसे मौकों पर जब लोग परिवार को ले कर घरों से बाहर निकलते थे, तब कविता गुप्ता को अकेले ही बेटी को ले कर उसे शहर की रौनक दिखाने जाना पड़ता था, क्योंकि ऐसे मौकों पर पति का धंधा ज्यादा चलने के कारण वह फ्री होने के बजाए और ज्यादा बिजी रहता था.

कोई 2 साल पुरानी बात है. एक रोज कविता गुप्ता अपनी बेटी को ले कर ग्वारी घाट जाने के लिए निकली, तभी पीछे से बाइक ले कर उस के पड़ोस में रहने वाला युवक नमन विश्वकर्मा आ कर उस से नमस्ते करते हुए बोला, ”भाभीजी, कहां जा रही हैं आप?’’

कविता गुप्ता उसे जानती थी. इसलिए उस ने छोटा सा जबाव दिया, ”ग्वारी घाट.’’

”मैं उसी तरफ जा रहा हूं. चलिए, मैं छोड़ देता हूं आप को.’’

कविता गुप्ता को नमन के साथ बाइक पर बैठने में कोई बुराई नजर नहीं आई, इसलिए अपनी 3 वर्षीय बेटी को गोद में लिए हुए वह नमन के साथ बाइक पर बैठ गई. ग्वारी घाट पर उतर कर उस ने नमन को धन्यवाद दिया. नमन बोला, ”अभी अपना धन्यवाद बचा कर रखिए. मैं 2 घंटे बाद इसी जगह मिलूंगा. आप को वापस ले चलूंगा, तभी धन्यवाद दे देना.’’ कहते हुए वह कविता गुप्ता का जवाब सुने बिना वहां से चला गया.

फिर 2 घंटे बाद नमन वहां आया तो कविता बेटी के साथ वहीं मिली. नमन ने उसे बाइक पर बिठाया और उसे वापस घर छोड़ दिया. उसी समय उस ने कविता को अपना फोन नंबर देते हुए कहा, ”जब भी कहीं जाना हो फोन कर दीजिए, आप की मदद कर के मुझे खुशी होगी.’’

कविता गुप्ता ने उस का नंबर घर जा कर मोबाइल में सेव कर लिया. लेकिन यह बात उसे परेशान कर रही थी कि आखिर नमन उस का इतना ध्यान क्यों रखना चाहता है. इसलिए घंटे भर बाद ही उस ने नमन को फोन लगा कर उस रोज की मदद के लिए धन्यवाद देते हुए उस की इस मेहरबानी का कारण भी पूछा.

नमन बोला, ”अरे, कोई खास कारण नहीं है भाभीजी. मैं जानता हूं कि भैया बिजी रहते हैं, इसलिए आप को अकेले परेशान होते देख कर मुझे अच्छा नहीं लगता.’’

कविता गुप्ता हाजिरजवाब थी, सो तुरंत बोली, ”इस अच्छा न लगने का कारण?’’

”कारण तो कई हो सकते हैं. वक्त आने पर बता भी दूंगा, लेकिन फिलहाल तो इसे पड़ोसी धर्म मान लो.’’

कविता गुप्ता को नमन का जवाब अच्छा लगा, जिस से दोनों काफी देर तक बातें करते रहे. इसी बीच कविता गुप्ता को मालूम चला कि नमन के खिलाफ मारपीट आदि के कई मामले थाने में दर्ज हैं. इस से उस ने सोच लिया कि वह नमन को समझाबुझा कर सही रास्ते पर चलने को प्रेरित करेगी. उसे भरोसा था कि नमन उस की बात नहीं टाल सकता.

इस के बाद एक रोज कविता गुप्ता ने उस से कहा, ”नमन, मैं ने सुना है कि तुम्हारे खिलाफ थाने में कुछ मामले दर्ज हैं. क्यों लड़तेझगड़ते हो? मेरी बात सुनो, आज से तुम अच्छे आदमी बनोगे.’’

”भाभीजी, मैं किस के लिए अच्छा बनूं, कोई तो ऐसा नहीं, जिस के लिए मैं खुद को बदलूं.’’

”मेरे लिए बदल लो खुद को, यह समझो कि आज से मैं तुम्हारी दोस्त हूं.’’

”ठीक है, इस बात पर भाभीजी आप को मेरे साथ कौफी पीने भेड़ाघाट चलना होगा.’’ नमन ने कहा.

कविता गुप्ता ने नमन की बात मान ली. जिस के बाद दोनों शाम तक भेड़ाघाट में घूमते रहे, फिर नमन ने उसे घर छोड़ दिया.

वास्तव में कविता गुप्ता उस रोज काफी खुश थी क्योंकि कोई था, जो उस के घूमनेफिरने का शौक पूरा करवाने को तैयार था. लेकिन रोजरोज नमन के साथ घूमने जाने का नतीजा यह हुआ कि दोनों एकदूसरे के बेहद करीब आ गए. पहली मुलाकात के 2 माह बीततेबीतते उन के बीच पनपा प्यार यहां तक पहुंच गया कि उन के बीच शारीरिक संबंध भी कायम हो गए. कविता गुप्ता के लिए यह कोई प्लानिंग का हिस्सा नहीं था, बल्कि बस सब कुछ यूं ही अचानक होता गया. फिर जैसा कि होता है, वक्त के साथ यह रिश्ता उस के मन को भाने भी लगा, जिस से वह नमन के साथ लगभग रोज ही एकांत में समय बिताने लगी.

बीचबीच में वह नमन को लड़ाईझगड़े से दूर रहने की हिदायत भी देती रहती, लेकिन वक्त के साथ नमन कविता गुप्ता के साथ शादी करने के सपने देखने लगा था. इसलिए साल भर के प्यार के बाद एक रोज नमन ने कविता के सामने प्रस्ताव रखा कि वह पति को छोड़ कर उस से शादी कर ले. यह सुन कर कविता गुप्ता चौंक गई. उस ने नमन को टालने के लिए बोल दिया कि ठीक है, मुझे सोचने का समय दो.

इसी बीच एक रोज वह शादी समारोह में शामिल होने गई थी. इसी दौरान नमन ने उसे फोन किया, लेकिन समारोह में शोरगुल होने की वजह से वह उस की काल रिसीव नहीं कर पाई तो नमन उस के घर आ धमका, जहां कविता का पति पुनीत गुप्ता मिला. नमन ने पुनीत से कविता के बारे में पूछा. इसी बात को ले कर उस का पुनीत से झगड़ा हो गया. तब नमन ने उस के पति के साथ मारपीट की और घर में तोडफ़ोड़ कर दी. कविता जब घर लौटी तो पुनीत ने उसे सारी बात बता दी कि यह सब नमन विश्वकर्मा ने किया है. इस घटना के बाद कविता गुप्ता समझ गई कि कितना भी घी गुड़ के साथ नीम खाओ वह कभी मीठा नहीं हो सकता, इसलिए उस ने नमन से फोन पर बात करना पूरी तरह बंद कर दी.

इस से नमन चिढ़ गया और कविता गुप्ता से आरपार का फैसला करने की बात सोच वह 25 मई, 2025 को उस के घर जा पहुंचा. उस समय पुनीत गुप्ता घर पर नहीं था. आखिरी बार बैठ कर बात करने की बात कह कर वह कविता गुप्ता को ले कर पल्सर बाइक से बरगी डैम पर बरबटी गांव के पास पहुंचा. उस ने कविता गुप्ता से शादी करने वाली बात दोहराई और उस से साथ में भाग चलने को कहा, लेकिन कविता गुप्ता ने साफ मना कर दिया कि वह पति को छोड़ कर नहीं जा सकती.

तब नमन उस से झगडऩे लगा और उस ने बटन वाला चाकू निकाल कर उस के ऊपर लगातार कई वार किए. उसे मरा जान कर वह वहां से भाग गया. जाते समय उस ने अपनी बाइक रमनपुर घाटी के पास जंगल में छिपा दी और कपड़े बदल कर बस से सिवनी, फिर रायपुर चला गया. 2 दिन बाद वह अपनी छिपाई हुई बाइक लेने आया, तभी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने आरोपी नमन विश्वकर्मा की निशानदेही पर कत्ल में प्रयुक्त चाकू, खून सने कपड़े, बाइक बरामद करने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. MP Crime News

 

 

UP Crime News : सिर्फ संदेह पर खूनी हथौड़ा

UP Crime News : नोएडा की एक कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था तो वहीं उस की पत्नी आसमां बेगम भी एक इंजीनियर थी. 2 बच्चों के साथ दोनों अपने मकान में हंसीखुशी से रहते थे. इसी बीच नुरुल्लाह की नौकरी छूट गई. फिर हालात ऐसे बने कि वह पत्नी से रोजाना ही क्लेश करने लगा. फिर एक दिन नुरुल्लाह ने वह कर डाला, जिस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.

पापा को मम्मी के कमरे से तेजी के साथ दरवाजा बंद कर के निकलते देख जाहिदा को थोड़ा अटपटा लगा. आमतौर पर उदासीन और शांत रहने वाले अपने पापा का उस दिन ऐसा व्यवहार उसे कुछ अजीब लगा. उन्हें तेजी के साथ बिना कोई जवाब दिए सीढिय़ों से नीचे उतरते देख पता नहीं क्यों 14 साल की जाहिदा को लगा कि कोई न कोई गड़बड़ जरूर है. गड़बड़ क्या है, यह जानने के लिए जाहिदा तेजी से अपनी मां के कमरे की तरफ भागी. क्योंकि उसे पूरी आशंका थी कि पापा नुरुल्लाह हैदर के अपसेट होने की वजह कहीं न कहीं मम्मी के साथ उन का झगड़ा हो सकता है.

जाहिदा तेजी से चलते हुए अपनी मम्मी आसमां बेगम के कमरे तक पहुंची और दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर देखा तो उस के हलक से एक चीख निकली.

एक पल फटी आंखों से पलंग पर पड़े अपनी मम्मी के खून से लथपथ शरीर को देखने के बाद अगले ही पल ‘भैया…मम्मी’ चीखते हुए वह उलटे पांव अपने भाई के कमरे की तरफ दौड़ी.

जाहिदा की चीख इतनी तेज थी कि अपने कमरे में स्टडी टेबल पर बैठ कर पढाई कर रहा उस का बड़ा भाई नईम तेजी से दौड़ता हुआ अपने कमरे से बाहर निकला.

”क्या हुआ, चीख क्यों रही हैं? जाहिदा, क्या हुआ मम्मी को? इतनी हड़बड़ा क्यों रही हो?’’ नईम ने पूछा.

”भाई, वो मम्मी अपने कमरे में खून से लथपथ पड़ी हैं.’’ जाहिदा ने टूटेफूटे शब्दों में जैसेतैसे जवाब दिया.

”क्याऽऽ…’’ इतना सुनते ही नईम तेजी से अपनी अम्मी आसमां बेगम के कमरे की तरफ भागा और अंदर पहुंचते ही खंभे की तरह जड़वत हो गया. सामने बैड पर उस की अम्मी की खून से लथपथ लाश पड़ी थी.

रोतेबिलखते जाहिदा ने अपने भाई को बता दिया कि उस ने किस तरह कुछ देर पहले पापा को हड़बड़ी में मम्मी के कमरे से बाहर निकलते देखा था और उस के बाद उस ने मम्मी को कमरे में उस अवस्था में देखा. नईम समझ गया कि ये सब उस के पापा का ही किया धरा है, इसलिए उस ने तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर मम्मी के जख्मी होने की सूचना दे दी. यह मामला देश की राजधानी दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा शहर का है. 4 अप्रैल, 2025 को पुलिस कंट्रोल रूम को नईम खान की तरफ से जो फोन किया गया था, उस के बताए गए पते के मुताबिक ये घटनास्थल थाना फेज वन के अंतर्गत आता था.

थाने में काम निबटा कर फेज वन थाने के एसएचओ अनिल कुमार मान डीसीपी औफिस जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन्हें बताया गया कि नोएडा के सेक्टर-15 में मकान नंबर सी 154 में आसमां नाम की एक महिला को उस के पति नुरुल्लाह हैदर ने हमला कर जख्मी कर दिया है. एसएचओ मान ने घटना के बारे में अपने उच्चाधिकारियों एसीपी विवेक रंजन राय और डीसीपी राम बदन सिंह को इत्तिला दे दी. अपने मातहतों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचने से पहले उन्होंने फोरैंसिक टीम और मैडिकल टीम को घटनास्थल पर पहुंचने के आदेश दिए.

एसएचओ मान को घटनास्थल तक पहुंचने में करीब 20 मिनट लगे, क्योंकि थाने से घटनास्थल की दूरी करीब ढाई किलोमीटर थी. पुलिस के वहां पहुंचने से पहले घटनास्थल पर आसपड़ोस के लोगों की भीड़ एकत्र हो चुकी थी. सेक्टर 15 नोएडा का पौश इलाका था और ब्लौक सी के जिस मकान में वारदात हुई थी, वहां बड़ीबड़ी कोठियां बनी हुई थीं. पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचते ही नईम और जाहिदा इंसपेक्टर मान को फस्र्ट फ्लोर पर बने अपनी मम्मी के कमरे में ले गए. फोरैंसिक एक्सपर्ट और मैडिकल टीम उन के आने से पहले ही वहां पहुंच चुकी थी और उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया था.

कातिल खुद पहुंचा थाने

मान ने आसमां बेगम के कमरे में जा कर देखा कि उन का खून से लथपथ शरीर डबल बैड पर इस तरह पडा था, मानो वह सोई हुई हों और उन पर सोते समय किसी भारी वस्तु से वार किया गया हो. वहां खून से सना हथौड़ा पड़ा था, शायद उसी से आसमां के सिर पर वार किया गया होगा. फोरैंसिक टीम ने उस हथौड़े को अपने कब्जे में ले लिया. पलंग पर ही सब्जी काटने वाला एक चाकू भी पड़ा था, जो खून से सना था. दोधारी चाकू एक तरफ से धार व दूसरी तरफ से कांटेदार था. आसमां के गले पर किसी धारदार हथियार से काटे जाने का भी निशान था. शायद उसी चाकू से उस का गला रेता गया होगा.

इंसपेक्टर मान के कहने पर फोरैंसिक टीम ने चाकू को भी बरामद कर लिया. कमरे में दीवारों पर खून के छींटों के अलावा और कोई खास चीज नहीं मिली. संभावित जगहों से फोरैंसिक टीम ने हाथ की अंगुलियों के निशान उठा लिए थे. मैडिकल व फोरैंसिक टीम वहां पहुंचते ही बता चुकी थी कि आसमां बेगम की मौत हो चुकी है. मान अपनी जांचपड़ताल और परिवार के लोगों से पूछताछ कर ही रहे थे कि एसीपी विवेक रंजन और डीसीपी रामबदन सिंह भी मौके पर पहुंच गए. सभी ने परिवार के लोगों से घटना के बारे में जानकारी हासिल की और शव का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने की तैयारी करने लगे.

उसी दौरान सेक्टर 20 थाने से वायरलैस के माध्यम से एक सूचना प्रसारित की गई कि सेक्टर 15 के सी ब्लौक में रहने वाला एक व्यक्ति नुरुल्लाह हैदर सेक्टर 20 थाने पहुंचा है और उस ने बताया है कि उस ने अपनी पत्नी का खून कर दिया है, उसे गिरफ्तार कर लो और जा कर उस की बीवी की लाश उठा लो.  जांच आगे बढ़ती, उस से पहले ही केस का खुलासा हो गया और कातिल खुद ही पुलिस के पास पहुंच गया. इंसपेक्टर मान के लिए यह सुकून देने वाली सूचना थी. जब नईम और जाहिदा से उन के पापा के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उन के ही पापा का नाम नुरुल्लाह हैदर है.

डीसीपी राम बदन सिंह ने सेक्टर 20 थाने की पुलिस को निर्देश जारी करवाया कि जिस नुरुल्लाह ने अपनी पत्नी का मर्डर किया है, वह फेज वन थाने का मामला है और एसएचओ व अन्य पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर ही हैं. इसलिए पुलिस की एक टीम उसे फेज वन थाने पहुंचा दे. इधर सेक्टर 20 थाने की पुलिस नुरुल्लाह को फेज वन थाने में पहुंचा रही थी, उसी बीच मृतका आसमां बेगम के मायके वाले भी घटनास्थल पर पहुंच गए. एसएचओ मान ने उन से भी घटना के बारे में और आसमां बेगम व नुरुल्लाह के बारे में पूछताछ कर घटना के कारणों की टोह ली.

पूरी जांचपड़ताल के बाद आसमां के शव का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. उस के बाद पुलिस फेमिली वालों को साथ ले कर फेज वन थाने आ गई. एसीपी विवेक रंजन के आदेश पर इंसपेक्टर मान ने मृतका के बेटे नईम की तहरीर पर उस के पापा नुरुल्लाह हैदर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवा कर जांच का काम अपने हाथ में ले लिया. उस के बाद नुरुल्लाह से वारदात के कारणों को ले कर गहन पूछताछ शुरू हुई. थाने में मौजूद फेमिली वालों से भी नुरुल्लाह के बयान की पुष्टि की गई.

विस्तार से पूछताछ के बाद आसमां बेगम हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस ने सभ्य समाज में पनप रही एक चिंताजनक समस्या के पहलू को उजागर कर दिया. समाज में पनप रही यह समस्या ऐसी है, जिस में पतिपत्नी के बीच एकदूसरे के चरित्र को ले कर किए जा रहे शक के कारण हजारों परिवार या तो बिखर रहे हैं या इस शक के जहर में पैदा हुई नफरत से एकदूसरे की जान ले रहे हैं. आसमां बेगम हत्याकांड की कहानी भी संदेह के उसी जहर से पैदा हुई एक ऐसी ही घटना निकली.

55 वर्षीय नुरुल्लाह हैदर मूलरूप से बिहार के चंपारण जिले का रहने वाला है. उस ने एमसीए की पढ़ाई की थी. उन दिनों वह दक्षिणी दिल्ली के ही जामिया नगर इलाके में रहता था. जामिया नगर इलाके में ही आसमां बेगम का परिवार भी रहता था. भरेपूरे और पढ़ेलिखे उस के परिवार में 3 भाई और 2 बहनें थीं. आसमां सब से छोटी थी. 22 की उम्र में जब उस ने बीटेक की पढ़ाई पूरी की तो परिवार के लोगों को उस के निकाह की चिंता सताने लगी. वैसे भी आम मुसलिम परिवारों में बच्चों की शादियां करने के लिए ये उम्र ही सही मानी जाती है.

लेकिन परिवार ने जब आसमां के लिए एक पढ़ेलिखे और काबिल लड़के की तलाश शुरू की तो उन के हाथ निराशा ही लगी. कहीं लड़का अच्छा था तो पढ़ालिखा नहीं था, कहीं परिवार प्रतिष्ठित नहीं था तो कहीं लड़के के परिवार की माली हालत आड़े आ जाती थी. कहीं सब चीजें ठीक हो जातीं तो लड़के के रूपरंग खूबसूरत आसमां से मैच नहीं करता था. परिवार निराश होने लगा था कि इसी बीच किसी जानकार ने आसमां के पापा को नुरुल्लाह हैदर के बारे में बताया.

नुरुल्लाह हैदर बिहार का रहने वाला था. वह पढ़ेलिखे परिवार से ताल्लुक रखता था. एमसीए करने के बाद ओखला की एक कंपनी में अच्छे पद और ऊंची तनख्वाह पर नौकरी करता था. उस के परिवार के ज्यादातर लोग या तो सऊदी अरब या विदेशों में नौकरी करते थे. परिवार में अम्मी और अब्बू ही चंपारण में अपने गांव में रहते थे. बस एक ही कमी थी कि नुरुल्लाह उम्र में आसमां बेगम से 13 साल बड़ा था. आसमां के फेमिली वालों ने नुरुल्लाह की फेमिली की बैकग्राउंड के साथ उस की शिक्षादीक्षा पर विचारविमर्श किया तो उन्हें लगा कि उम्र ज्यादा भले ही हो, लेकिन नुरुल्लाह के पास उन का जो फोटो था, उस के मुताबिक वह उतनी उम्र का लगता नहीं था.

इसलिए परिवार वालों ने बिचौलिए से बात आगे बढ़ाने के लिए कहा और जल्द ही आसमां के फेमिली वालों तथा नुरुल्लाह की एक मीटिंग हुई, जिस में दोनों पक्षों के बीच शादी के प्रस्ताव को ले कर बातचीत हुई. नुरुल्लाह से मुलाकात के बाद आसमां के फेमिली वालों को जो थोड़ीबहुत आशंका थी, वह भी दूर हो गई. क्योंकि नुरुल्लाह एक नेक और जहीन इंसान होने के साथ बेहद हैंडसम था. आसमां और नुरुल्लाह ने भी एकदूसरे को पहली ही मुलाकात में पसंद कर लिया. बातचीत आगे बढ़ी और नुरुल्लाह के फेमिली वालों ने भी आ कर आसमां के पेरेंट्स से बातचीत की, जिस के बाद निकाह की बात पक्की हो गई.

पति को ले कर क्यों बदला आसमां का नजरिया

एमसीए पास नुरुल्लाह हैदर की शादी 2004 में जामिया नगर दिल्ली निवासी आसमां से हो गई. शादी के बाद नुरुल्लाह ने जामिया नगर का अपना फ्लैट छोड़ कर नोएडा में बड़ा फ्लैट किराए पर ले लिया. कुछ समय बाद उस ने दिल्ली की नौकरी छोड़ कर नोएडा में ही एक दूसरी कंपनी में नौकरी भी तलाश कर ली. वक्त धीरेधीरे अपनी रफ्तार से गुजरने लगा. आसमां बेगम को भी नोएडा की एक कंपनी में बतौर इंजीनियर नौकरी मिल गई. पतिपत्नी दोनों कमाते थे. दोनों ने मिल कर नोएडा के सेक्टर 15 स्थित बी ब्लौक में 200 गज का प्लौट खरीद कर उस पर ढाई मंजिला मकान भी बनवा लिया. मकान बनवाने के लिए आसमां ने अपने परिवार से भी आर्थिक मदद ली.

कुछ समय बाद आसमां बेगम एक के बाद एक 2 बच्चों की मां बन गई. बड़ा बेटा नईम अब 21 साल का हो गया था और एमिटी यूनिवर्सिटी से बीटेक कर रहा था. जबकि छोटी बेटी 13 साल की जाहिदा एक प्राइवेट स्कूल में 8वीं क्लास में पढ़ रही थी. सब कुछ ठीक ही चल रहा था, अचानक नुरुल्लाह की जिंदगी में एक नया मोड़ आ गया. 10 साल पहले अचानक उस की नौकरी छूट गई. बिना नौकरी के 1-2 साल गुजर गए, लेकिन कहीं दूसरी नौकरी नहीं मिली.

थकहार कर नुरुल्लाह ने छोटेमोटे कुछ काम शुरू कर दिए, जैसे कुछ कंपनियों को कंसलटेंसी देना और औनलाइन शेयर ट्रेडिंग करना. इस से वह अपने निजी खर्चे तो निकाल लेता था, लेकिन परिवार को चलाने का सारा बोझ पत्नी आसमां के सिर पर ही था. घर के ग्राउंड फ्लोर पर चलने वाले पीजी से जो किराया आता, उस के कारण भी परिवार की काफी हद तक मदद हो जाती थी. नुरुल्लाह हैदर की स्थाई नौकरी नहीं थी, जिस के कारण घर में थोड़ीबहुत परेशानी तो थी, लेकिन इस के बावजूद परिवार में पतिपत्नी और बच्चों का एकदूसरे के लिए प्यार भरपूर था. यूं ही कई साल गुजर गए.

नुरुल्लाह का नौकरी की तलाश का संघर्ष कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया. कोरोना महामारी के बाद तो नुरुल्लाह को नौकरी मिलना जैसे असंभव सा हो गया. जैसेजैसे वक्त बीता, इस का असर आसमां और नुरुल्लाह हैदर के संबधों पर भी पडऩे लगा. एक तरफ जहां नुरुल्लाह लंबे समय से बेरोजगार था तो अब आसमां सेक्टर- 62 की मल्टीनैशनल कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर काम कर रही थी. बतौर सिविल इंजीनियर मोटी पगार पर नौकरी करती थी. अचानक एक साल पहले नुरुल्लाह के मन में संदेह का एक ऐसा बीज अंकुरित हो गया, जो किसी भी इंसान के परिवार को बरबाद करने के लिए काफी होता है.

दरअसल, एक दिन जब आसमां बेगम कमरे में मौजूद नहीं थी तो उस की गैरमौजूदगी कमरे में रखे उस के फोन पर आए नोटिफिकेशन में लव यू और दिल का इमोजी बना संदेश पढ़ लिया. अब चूंकि आसमां एक मल्टीनैशनल कंपनी में बड़े ओहदे पर थी और हर रोज औफिस आतीजाती थी तो जाहिर है कि बनसंवर कर सलीके से अच्छे कपड़े पहन कर ही जाती होगी. आसमां के फोन पर आए उस मैसेज को देखने के बाद नुरुल्लाह को लगने लगा कि हो न हो अपने औफिस या बाहर के किसी शख्स से आसमां का अफेयर चल रहा है.

इस के बाद उस ने लगातार अपनी पत्नी की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी. अब उस ने महसूस किया कि आसमां औफिस टाइम से ज्यादा वक्त काम की अधिकता का बहाना कर के बाहर गुजारती थी. औफिस के काल की बात कह कर देरदेर तक लोगों से फोन पर बात करती थी या वाट्सऐप पर चैट करती रहती थी. शुरू में बात ज्यादा आगे न बढ़ाते हुए नुरुल्लाह ने आसमां को बस इतना कहा कि औफिस के काम घर मत लाया करो. घर आने के बाद भी तुम औफिस के लोगों से काल या चैट करती रहती हो, यह ठीक नहीं है.

शुरू में आसमां ने भी यही कहा कि जब ज्यादा जरूरी होता है तो औफिस के लोग फोन करते ही हैं. नौकरी करनी है तो थोड़ा एडजस्टमेंट करना पड़ता है. कुछ दिनों बाद भी जब कुछ नहीं बदला तो नुरुल्लाह ने थोड़ा सख्ती के साथ यह बात कहनी शुरू कर दी. पहले कभी भी अपने पति से ऊंची आवाज में बात न करने वाली आसमां को भी अब पति की टोकाटाकी से चिढ़ होने लगी थी, इसलिए उस ने एक दिन थोड़ा सख्ती के साथ बोल दिया, ”हैदर मियां, आप तो 10 साल से खाली बैठे हो. इतने सालों में दुनिया कितनी बदल गई है, शायद आप को पता नहीं है.

आज की तारीख में औफिस की नौकरी के अलावा भी बहुत कुछ करना पड़ता है.भले ही आप घर में हो, काल भी लेने पर पड़ते हैं और वाट्सऐप मैसेज के जवाब भी देने पड़ते हैं. अगर ऐसा न करूं तो एक दिन में नौकरी चली जाएगी. फिर कैसे चलेगा घर. आप तो कुछ कमाते नहीं हो, मैं आप के हिसाब से चल कर नौकरी खो दूंगी तो किस के सामने हाथ फैलाएंगे.’’

आसमां का तर्क तो ठीक था, लेकिन उस शक का क्या करें जो नुरुल्लाह के दिलोदिमाग में बैठ चुका था. हर दिन उसे पत्नी के व्यवहार में अपने लिए बदलाव नजर आने लगा. पहले वह कभी उस की बात पर पलट कर जवाब नहीं देती थी. लेकिन अब वह न सिर्फ जवाब देती थी, बल्कि एक तरह से उस की उपेक्षा करती रहती थी. नुरुल्लाह की बातों को वह एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती थी. यह सब कुछ पिछले करीब 6 महीने से ज्यादा ही हो रहा था. हालांकि नुरुल्लाह को खुद ही भरोसा नहीं था कि आसमां के किसी से संबंध है तो किस तरीके के हैं और वो कौन है. लेकिन उस के व्यवहार और बदलते व्यवहार से नुरुल्लाह का शक हर रोज यकीन में बदलता जा रहा था.

इसी के साथ आसमां के ऊपर उस की टोकाटाकी भी बढ़ती जा रही थी. कुछ दिन पहले की ही बात है. जब नुरुल्लाह घर के बाहर गया हुआ था, अचानक बाहर से लौट कर वह अपने कमरे में आया तो देखा आसमां किसी से वाट्सऐप काल पर बात कर रही थी. उस के कमरे में घुसते ही आसमां ने काल डिसकनेक्ट कर दी. साथ ही उस ने अपने वाट्सऐप से कुछ चैट भी डिलीट कर दी. पत्नी का यह व्यवहार मन में संदेह पैदा करने वाला था, लिहाजा नुरुल्लाह ने पूछा, ”क्या बात है, काल क्यों काट दी? ऐसी क्या बात थी, जो मेरे सामने नहीं कर सकती थी? मुझे भी तो पता चलना चाहिए किस से बात कर रही थी?’’ कहते हुए नुरुल्लाह ने बीवी का फोन लेना चाहा.

आसमां ने झट से फोन दबाए अपना हाथ पीछे करते हुए झिड़कते हुए नुरुल्लाह से कहा, ”फिर शुरू हो गया तुम्हारा शक्की ड्रामा. खुद तो कोई कामधाम करते नहीं हो और मेरी जिंदगी को हर समय जहन्नुम बना रखा है.’’

”मेरे पास नौकरी नहीं है और तुम कमाती हो तो इस का मतलब यह तो नहीं कि पराए मर्दों के साथ अय्याशी करती रहोगी और मैं चुपचाप अपनी आंखों से देखता रहूंगा.’’ नुरुल्लाह गुस्से में बोला.

बस उस दिन बात इतनी बढ़ गई कि दोनों में जम कर झगड़ा हुआ और नुरुल्लाह ने बीवी पर हाथ तक छोड़ दिया.

पत्नी पर शक की क्या थी वजह

दिलोदिमाग में बीवी के खिलाफ फैला शक और संदेह का कीड़ा उस दिन के बाद खादपानी ले कर और ज्यादा मजबूत हो गया. उस के बाद नौबत यहां तक आ गई कि आसमां ने अपने भाइयों, मम्मीपापा और रिश्तेदारों को बुला लिया. अब चूंकि नुरुल्लाह का तो दिल्ली या आसपास कोई रहने वाला था नहीं, इसलिए आसमां के फेमिली वाले आए और नुरुल्लाह को ही भलाबुरा कहते हुए उस के ऊपर चढ़ गए. सब ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई, उस की बेरोजगारी पर जम कर तंज किए और यहां तक धमकी दी कि अगर अगली बार उस ने आसमां के साथ ज्यादा बदतमीजी की तो वे उसे जेल भिजवा देंगे. उस दिन नुरुल्लाह की खुद्ïदारी और आत्मसम्मान पर गहरी चोट लगी थी.

नुरुल्लाह ने यह बात नोटिस की कि उस घटना के बाद आसमां ने और ज्यादा सजसंवर कर रहना शुरू कर दिया था. औफिस जाते समय वह खासतौर से अच्छा दिखने का प्रयास करती थी. इतना ही नहीं, उस के फोन पर आने वाली काल और वाट्सऐप पर आने वाले मैसेज भी अब ज्यादा बढ़ गए थे. उसे लगने लगा कि आसमां ने अब उसे पूरी तरह इग्नोर करना शुरू कर दिया है और हर बात पर वह उसे पलट कर जवाब देने लगी है. नुरुल्लाह हैदर अपनी पत्नी के फोन पर आने वाले काल से और ज्यादा परेशान और खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा था. उस का शक दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा था. शक का यह जहर अब अपनी सीमा पार करने लगा था.

जिस दिन यानी 4 अप्रैल शुक्रवार को जब उस ने आसमां की हथौड़ा मार कर हत्या की तो उस से पहले वाली रात को भी दोनों के बीच बहुत झगड़ा हुआ था. दरअसल, उस दिन शाम को औफिस से आने के बाद आसमां किसी से वाट्सऐप पर वीडियो काल पर बात कर रही थी. नुरुल्लाह ने कमरे में आने से पहले हैदर ने दरवाजे पर कान लगा कर बात सुनी तो उस का पारा चढ़ गया. एक तो बेरोजगार इंसान वैसे ही खुद को उपेक्षित और असुरक्षित समझता है. उस पर अगर उसे कमाऊ बीवी का किसी इंसान से अफेयर होने का शक हो जाए तो वह और ज्यादा चिढ़चिढ़ा हो जाता है.

इसीलिए कमरे में घुसते ही उस ने बीवी से कहा, ”अभी थोड़ी देर पहले ही तो यारों से मिल कर आ रही हो. मन नहीं भरा था तो घर आते ही फिर शुरू हो गई.’’

”मैं ने तुम से पहले भी कहा था, जरा मुंह संभाल कर बात किया करो. अब तुम अपनी सारी हदें पार करते जा रहे हो.’’ आसमां ने जवाब दिया.

बस, उस के बाद क्या था घर में फिर से क्लेश हुआ और देर रात तक वही झगड़ा होता रहा, जो हर रोज होता था. दोनों बच्चों ने मिल कर किसी तरह अम्मी और अब्बू को शांत कराया.

लेकिन उस दिन आसमां ने भी ठान लिया कि वह अब नुरुल्लाह के आए दिन के तानों और शक करने को ज्यादा दिन नहीं सहेगी. इसलिए उस ने रात को ही अपने फेमिली वालों को सारी बात बताई और सुबह अपने घर आने के लिए कहा. सुबह 6 बजते ही आसमां की बहनबहनोई और अम्मीअब्बू उस के घर पहुंच गए. हमेशा की तरह इस बार भी सब ने मिल कर नुरुल्लाह को जम कर खरीखोटी सुनाई और वार्निंग दे दी कि अगर अगली बार ऐसा किया तो वे उसे जेल की हवा जरूर खिला देंगे.

उस के बाद बहनबहनोई और अब्बा तो चले गए, लेकिन आसमां की अम्मी तबियत खराब होने के कारण वहीं रुक गई. घर में हुई इस पंचायत के कारण आसमां भी उस दिन औफिस नहीं जा सकी थी. वैसे भी देर रात तक झगड़ा होने के कारण वह ठीक से सो नहीं सकी थी. खाना खाने के बाद सब अपने कमरों में आराम करने चले गए. दोनों बच्चे अपने कमरों में थे और आसमां की अम्मी गेस्टरूम में थीं. आसमां भी अपने कमरे में आ कर सो गई. लेकिन उस दिन नुरुल्लाह के दिलोदिमाग में अपमान और तिरस्कार के कारण विचारों के अंधड़ चल रहे थे.

नुरुल्लाह को लग रहा था कि बात अब सिर से ऊपर गुजर चुकी है. न तो आसमां मानने वाली है न ही उस के फेमिली वाले उस की बात पर यकीन करेंगे. वे हमेशा अपनी बेटी को ही सही मानते हैं. ऐसा अब शायद जिंदगी भर चलता रहेगा, लेकिन वह अपमान का घूंट अब आगे पीने के लिए तैयार नहीं था. उस ने फैसला कर लिया कि वह आज ही इस परेशानी को खत्म कर देगा. वह आज ही आसमां का काम तमाम कर देगा. न तो वह जिंदा रहेगी न ही अब ये किस्सा आगे चलेगा.

मन में चल रही विचारों की आंधियों के बीच नुरुल्लाह ने तय कर लिया कि आज वह आसमां को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देगा.

नुरुल्लाह क्यों हो गया इतना खूंखार

दोपहर करीब एक बजे का समय था, जब आसमां अपने कमरे में गहरी नींद सो रही थी और घर में मौजूद अन्य तीनों सदस्य अपनेअपने कमरों में थे. उसी वक्त नुरुल्लाह किचन में गया और वहां रखा भारीभरकम हथौड़ा उठाया और किचन में रखा एक दुधारी चाकू, जो सब्जी व मांस की चौपिंग के काम आता है, उसे हाथ में ले कर आसमां के कमरे गया. आसमां के सोते समय ही उस ने हथौड़े से वार कर उस की हत्या कर दी. वह किसी भी हाल में जिंदा न बचे, इसलिए दोधारी चाकू से उस का गला भी रेत दिया.

चूंकि आसमां के सिर पर जब हथौड़े का भारीभरकम वार किया गया, उस वक्त वह गहरी नींद में थी, इसलिए हथौड़े के पहले भरपूर वार के बाद ही उस के सिर की हड्ïडी टूट गई और वह मुंह से हल्की सी भी चीख निकाले बिना कोमा में चली गई. इस वार के बाद नुरुल्लाह ने कई और वार उस के सिर पर किए, जिस से आसमां की मौत हो गई थी. चूंकि वह किसी भी हालत में आसमां को जिंदा नहीं छोडऩा चाहता था, इसलिए उस ने हथौड़ा जमीन पर रख दिया और किचन से लाए गए चाकू से उस की गरदन रेत दी.

काम पूरा होने के बाद नूर को जब यकीन हो गया कि उस की जिंदगी को नासूर बनाने वाली बीवी की मौत हो चुकी है तो वह हथौड़ा और चाकू वहीं छोड़ कर कमरे से बाहर निकल गया. लेकिन बाहर निकलने से पहले खून से सराबोर हो चुकी अपनी शर्ट उतार कर दूसरी टीशर्ट पहनी और उस के बाद कमरे से बाहर निकला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी पता चला कि आसमां की मौत सिर में हथौड़े से किए गए वार से हुई थी. सिर की हड्डी टूटने और अत्यधिक खून निकल जाने के कारण उस की मौत हुई थी.

आसमां के कमरे से निकलते वक्त बेटी जाहिदा ने नुरुल्लाह को हड़बड़ी में जाते देख कर टोका था, लेकिन वह रुका नहीं और वहां से निकल कर सीधे थाना सेक्टर-20 पहुंचा. क्योंकि एकदो साल पहले तक उस का घर इसी थाने में आता था, लेकिन बाद में जब फेज वन नया थाना बना तो वह इलाका फेज वन में चला गया. इसीलिए वह गलती से सेक्टर 20 थाने में चला गया. आसमां का पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस ने उस के शव को उस के मायके वालों को सौंप दिया, जिन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

पेरेंट्स के झगड़ों से परेशान आसमां के बेटे नईम ने अम्मी से कहा भी था कि वह कुछ दिन के लिए नानी के घर चली जाएं, लेकिन आसमां ने बेटे की बात नहीं मानी. हालांकि आसमां की जिद देख कर उस की अम्मी भी बेटी के घर पर ही रुक गई. अगर वह अपनी बहन या अम्मी के साथ उस दिन अपने मायके चली जाती तो शायद वो नुरुल्लाह के संदेह के जहर में गुस्से का शिकार होने से बच जाती.

जांच अधिकारी अनिल कुमार मान ने विस्तृत पूछताछ के बाद नुरुल्लाह हैदर को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. UP Crime News

(कथा में जाहिदा परिवर्तित नाम है)

 

 

Hindi Crime Story : जोंक बन गया शादी से पहले का प्यार

Hindi Crime Story : निरंजन कुमार से शादी हो जाने के बाद भी 22 वर्षीय मधु कुमारी का 21 वर्षीय प्रेमी रोशन कुमार से प्यार जारी रहा. किसी न किसी बहाने रोशन मधु की ससुराल भी आनेजाने लगा था. जोंक बन चुके इन के प्यार से निरंजन कुमार भी परेशान रहने लगा. आखिर अवैध संबंधों का यह मामला एक दिन ऐसा खूनी खेल बन गया कि…

निरंजन कुमार उर्फ अंकुश अपनी 22 वर्षीय पत्नी मधु कुमारी को बहुत ही प्यार करता था. इसी कारण वह उसे किसी भी गलती पर डांटताफटकारता नहीं था, लेकिन रोशन के कारण मियांबीवी के दिलों में खटास पैदा होने लगी थी. जिस के बाद वह मन ही मन रोशन से नफरत करने लगा था. इतना ही नहीं, वह रोशन को अपने और पत्नी बीच से निकाल फेंकने के लिए कोई रास्ता खोजने लगा था. रोशन को ले कर मियांबीवी के बीच तकरार बढ़ी तो यह बात निरंजन के परिवार के सामने भी आ गई.

एक दिन मधु कुमारी के ससुराल वाले किसी काम से बाहर गए हुए थे. उस दिन वह घर में अकेली थी. यह बात 21 वर्षीय रोशन कुमार को पता चली तो वह मधु से मिलने पहुंच गया. मौका पाते ही दोनों दुनियादारी को भूल कर मौजमस्ती में जुट गए. उस दिन इत्तफाक की बात यह रही कि उसी वक्त निरंजन अपने घर आ गया. निरंजन को आते देख रोशन तो किसी तरह से वहां से भाग गया, लेकिन उस का गुस्सा कहर बन कर मधु कुमारी पर टूट पड़ा. उस दिन उस ने पत्नी को लातघंूसों से खूब मारा. उस दिन मधु ने निरंजन को वचन दिया कि भविष्य में वह रोशन के साथ कोई संबंध नहीं रखेगी.

उस के बाद भी निरंजन ने रोशन की हत्या करने का प्लान बना लिया. इस के लिए उस ने पत्नी को भी अपनी योजना में शामिल करने की सोची. उस ने पत्नी से कहा, ”मधु, मैं तुझे पूरी तरह से माफ कर सकता हूं, लेकिन उस के बदले तुझे एक काम करना होगा. तुझे रोशन को फोन कर के मेरे द्वारा बताई जगह पर बुलाना होगा. अगर तूने इस में भी कोई चालाकी की तो मैं रोशन से पहले तेरी ही जान ले लूंगा.’’

मधु कुमारी को धमकाने के बाद उसी दिन निरंजन ने अपने कुछ साथियों को इस काम के लिए तैयार कर लिया था.

16 दिसंबर, 2024 को योजनानुसार निरंजन ने पत्नी से रोशन को फोन करने को कहा. मधु ने रोशन को फोन करते हुए कहा कि वह अपनी ससुराल से भाग कर बिहार के जिला मुंगेर के गांव नया रामनगर बनरघड़ पहाड़ी के पास पहुंच गई है. वह जितनी भी जल्दी हो सके, वहां पर पहुंचे.

पे्रमिका मधु का फोन सुनते ही रोशन उस से मिलने के लिए बेचैन हो उठा. उस ने तुरंत ही अपने कपड़े बदले और अपने फेमिली वालों को कुछ बताए बिना ही घर से निकल गया. घर से निकल कर जैसे ही वह पहाड़ी के पास पहुंचा, उसे वहीं पर मधु खड़ी मिली. जबकि उस का पति और उस के साथी पास में ही छिपे हुए थे. रोशन के आते ही सभी बाहर निकल आए और उस को पकड़ कर पीटने लगे. उन्होंने पत्थरों से कुचलकुचल कर उस की हत्या कर दी. उस के खत्म होते ही निरंजन और उस के साथियों ने उस की लाश पास की झाडिय़ों में फेंक दी. इस के बाद सभी अपनेअपने घर आ गए थे.

21 दिसबंर, 2024 को बिहार के मुंगेर जिले के असरगंज थाना क्षेत्र के गांव सादपुर मासूमगंज निवासी ब्रह्मïदेव थाने पहुंचे. थाने पहुंचते ही उन्होंने पुलिस को बताया कि उन का 21 वर्षीय बेटा रोशन कुमार 16 दिसंबर को किसी का फोन आने के बाद घर से निकला था, लेकिन उस के बाद वह घर वापिस नहीं आया. ब्रह्मïदेव ने पुलिस को बताया कि उन्होंने उसे सब जगह ढूंढा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता न चल सका. जिस के बाद असरगंज पुलिस ने ब्रह्मïदेव की तरफ से रोशन की गुमशुदगी दर्ज कर ली थी. तब पुलिस ने रोशन को हरसंभव स्थान पर खोजा, लेकिन कहीं से भी उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली थी.

24 दिसबंर 2024 को बिहार के नयारामनगर थाने के अंतर्गत कोल पहाड़ी पर कुछ चरवाहे जानवर चराने गए हुए थे. उसी दौरान उन को वहां पर एक व्यक्ति की लाश पड़ी नजर आई. पहाड़ी पर मिली लाश की जानकारी चरवाहों ने ग्रामीणों को दी. ग्रामीणों ने यह सूचना नया रामनगर थाने के एसएचओ विनोद कुमार झा को दी. सूचना पाते ही विनोद कुमार एफएसएल टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. सूचना पाते ही एसपी सैयद इमरान मसूद भी मौके पर पहुंच गए थे.

घटनास्थल पर पहुंचते ही पुलिस ने जांच पड़ताल की, जिस से पता चला कि मृतक कोई 21 वर्ष का रहा होगा. शव की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि उस का चेहरा भी पहचान में नहीं आ रहा था. उस की हालत को देखते हुए पुलिस ने अनुमान लगाया कि वह शव 3 से 4 दिन पहले का था. घटनास्थल पर कोई साक्ष्य भी मौजूद नहीं थे, जिस से अंदाजा लगाया गया कि उस व्यक्ति की दूसरी जगह हत्या कर बाद में पहाड़ी पर ला कर डाल दिया था.

इस शव के पहाड़ी जंगल में पड़े होने के कारण उस की शिनाख्त भी नहीं हो पाई थी. साथ ही शव की स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी, उस का सैंपल भी नहीं लिया जा सकता था. इसी कारण पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज की. बाद में पुलिस ने उस शव को पोस्टमार्टम हेतु मुंगेर सदर अस्पताल भेज दिया था. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने उस शव को 72 घंटे के लिए मोर्चरी में रखवा दिया था.

अपनी काररवाई को पूरा करते ही पुलिस ने उस शव की पहचान करने के लिए जिले के सभी थानों को मृतक की फोटो भिजवा दी थी. उस के साथ ही पुलिस ने उस की फोटो को सोशल मीडिया पर भी शेयर कर दिया. मृतक की तसवीर वायरल होते ही असरगंज थाना क्षेत्र के सादपुर मासूमगंज निवासी ब्रह्मïदेव ने उस की पहचान अपने 21 वर्षीय बेटे रोशन के रूप में की. मृतक की पहचान हो जाने के बाद असरगंज थाना पुलिस ने ब्रह्मादेव को उस की शिनाख्त करने के लिए नयारामनगर थाना भेज दिया, जहां पर मृतक के फेमिली वालों ने रोशन के हाथ में पहने मठिया, गमछा और उस के कपड़ों से उस की शिनाख्त रोशन के रूप में कर ली.

शव की शिनाख्त होते ही पुलिस ने उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखी तो पता चला कि युवक के शरीर पर किसी भारी वस्तु से प्रहार कर हत्या की गई थी. उस के शरीर पर चोटों के अनेक निशान भी पाए गए थे. ब्रह्मïदेव ने भी पुलिस को बताया कि किसी का फोन आने के बाद ही वह घर से निकला था. जिस से साफ जाहिर था कि किसी ने उसे फोन कर के बुलाया और बाद में उस की हत्या कर पहाड़ी पर ले जा कर डाल दिया था. तब पुलिस ने वैज्ञानिक और तकनीकी जांच के आधार पर मृतक के मोबाइल की लोकेशन और काल डिटेल्स को खंगाला.

इस जांच से पता चला कि मृतक रोशन और मधु कुमारी नाम की युवती दिन में कई बार बात करते थे. जिस दिन रोशन गायब हुआ था, उस दिन भी रोशन की उसी नंबर पर आखिरी बात हुई थी. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने मधु के फोन की लोकेशन पर उसे सफियाबाद थाना क्षेत्र के हेरूदियारा कासिम बाजार से गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तार करते ही पुलिस ने उस का मोबाइल जब्त कर लिया. थाने में उस से कड़ी पूछताछ की. पुलिस पूछताछ में मधु ने बताया कि उस ने रोशन की हत्या अपने पति निरंजन के साथ मिल कर की थी. मधु कुमारी से पूछताछ के बाद इस केस में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी.

बिहार के जिला मुंगेर में एक गांव पड़ता है असरगंज सादपुर मासूमगंज. इसी गांव में रहता था ब्रह्मïदेव शाह का परिवार. ब्रह्मïदेव के 6 बच्चों में 3 बेटियां और 3 बेटे थे. बेटों में रोशन तीसरे नंबर का था. ब्रह्मïदेव मेहनतमजदूरी कर के अपने परिवार का लालनपालन करते आ रहे थे. उसी मेहनतमजदूरी के बल पर उन्होंने बच्चों को लिखायापढ़ाया भी था. रोशन शुरू से ही पढ़ाईलिखाई से मन चुराता था. पढ़ाई दौरान ही वह गलत संगत में पड़ गया. वह हर समय आवारा किस्म के लड़कों के साथ समय गुजारने लगा था.

ब्रह्मïदेव के घर से कुछ ही दूरी पर रहता था रामचंद्र का परिवार. मधु कुमारी उसी की बेटी थी. मधु कुमारी जैसे देखने भालने में सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा तेजतर्रार भी थी. उसे शुरू से ही सजसंवर कर रहने का शौक था. वह रोशन की हमउम्र ही थी. साथ ही उन का एकदूसरे के घर पर आनाजाना भी था.

जब कभी भी रोशन अकेला होता तो किसी भी बहाने से उस के घर पर चला जाता था. दोनों जवानी की दहलीज पर पांव रख चुके थे. दोनों के बीच शुरू से ही आकर्षण पैदा हो गया था. फिर जवानी की दहलीज पर पांव रखते ही दोनों के बीच कब चाहत पैदा हो गई, दोनों इस बात से अंजान थे.

एक दिन ऐसा भी आया कि दोनों का एकदूसरे को देखे बिना मुश्किल होने लगा था. उन के दिलों में प्यार पनपते ही एकदूसरे की चाहत में मर मिटने लगे.

एक दिन की बात है, दोपहर का समय था. मधु कुमारी अपने घर में अकेली थी. उस के घर के बाकी सदस्य किसी काम से बाहर गए हुए थे. रोशन अचानक उस से मिलने पहुंचा. उस वक्त मधु घर के काम में लगी हुई थी. मधु को घर पर अकेला पाते ही रोशन ने उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया.

उस दौरान मधु भी उस की इस हरकत का विरोध नहीं कर सकी. शायद वह भी इस दिन का कब से इंतजार कर रही थी. उस की बाहों के आगोश में रहते हुए वह उस से प्यारभरी बातें करने लगी थी. वे खुद पर कंट्रोल नहीं कर सके और बातों ही बातों में दोनों सामाजिक मर्यादाओं को ताख पर रख कर एकदूसरे में समाते चले गए.

उस दिन दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ते कायम हुए तो अकसर ही अवसर मिलते ही अपनी हसरतें पूरी करने लगे थे. हालांकि दोनों ही समाज की नजरों से छिपतेछिपाते अपने दिलों के अरमानों को ठंडा करते आ रहे थे, लेकिन यह बात एक दिन मधु के फेमिली वालों के सामने जा पहुंची थी.

इस जानकारी के मिलते ही मधु के फेमिली वालों ने उस के घर से निकलने पर पाबंदी लगा दी थी. उस वक्त उन्होंने मधु को काफी डांटफटकार भी लगाई. उस के साथ ही मधु के पापा रामचंद्र ने रोशन को खरीखोटी सुनाते हुए अपने घर आने से साफ मना कर दिया था.

अपनी बेटी की हरकतों को देखते ही रामचंद्र ने उस की शादी के लिए लड़के की तलाश शुरू कर दी थी. थोड़ी मेहनत के बाद जल्दी ही उन्हें एक लड़का भी मिल गया. वह साफियाबाद के हेरू निवासी निरंजन कुमार उर्फ अंकुश था. दोनों तरफ से बात पक्की होते ही वर्ष 2022 में सामाजिक रीतिरिवाज से मधु कुमारी की शादी निरंजन कुमार उर्फ अंकुश से हो गई थी.

उस वक्त निरंजन दिल्ली में नौकरी करता था. निरंजन खूबसूरत मधु को पा कर बेहद खुश था, लेकिन निरंजन से मधु बिलकुल खुश नहीं हुई थी. उस के खुश न होने का कारण रोशन था. उस के दिलोदिमाग पर प्रेमी रोशन की छवि ही छाई हुई थी. वह उस के साथ ही शादी कर के अपना घर बसाने का सपना देखती आ रही थी, जिस के बिना वह एक पल भी काटने के लिए राजी नहीं थी.

रोशन ने 12वीं तक पढ़ा था. उस के बाद उस ने कई जगह पर सरकारी नौकरियों के लिए एप्लाई किया, लेकिन उस को कहीं भी नौकरी नहीं मिली. मधु की शादी के बाद वह भी दिल्ली में काम करने के लिए चला गया. दिल्ली जाने के बाद रोशन एक कंपनी में काम करने लगा. लेकिन उस वक्त भी उस के दिल में मधु ही छाई हुई थी. वह भी उस का प्यार पाने के लिए दिनरात उस की विरह की अग्नि में तप रहा था. उस का मधु के बिना दिल्ली में मन नहीं लग रहा था. फिर वह किसी न किसी बहाने से दिल्ली से काम से छुट्टी ले कर घर चला आता था.

यही हाल मधु कुमारी के दिल का भी था. उस का पति निरंजन दिल्ली में काम करता था. उसे ससुराल में उस के बिना अकेले ही रहना पड़ता था. मधु भी पति के दिल्ली जाने के बाद ससुराल में कम मायके में ज्यादा समय बिताने लगी थी, लेकिन उस वक्त उस की मुलाकात रोशन से नहीं हो पाती थी.

एक दिन की बात है. रोशन को प्रेमिका मधु की कुछ ज्यादा ही याद सता रही थी. काफी दिन से उस ने मधु कुमारी को देखा नहीं था. एक दिन रोशन ने प्रण किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वह मधु से उस की ससुराल मिलने जरूर जाएगा. यही सोचने हुए उस ने एक दिन हिम्मत की और मधु से मिलने उस की ससुराल जा पहुंचा. अचानक रोशन को अपने घर आया देख मधु का चेहरा खिल उठा. उस के दिल में तरहतरह के सपने आने लगे, लेकिन उसी दिन अचानक ही उस का पति निरंजन भी दिल्ली से छुट्टी ले कर घर आ गया. निरंजन को घर आया देख मधु का चेहरा ही उतर गया. फिर भी उस ने किसी तरह से अपने को संभाला.

उस रात रोशन उसी की ससुराल में रुक गया था. निरंजन, रोशन और मधु कुमार देर रात तक आपस में बातें करते रहे. अगले दिन सुबह होते ही रोशन अपने घर चला आया, लेकिन उस रात निरंजन को मधु और रोशन की बात सुन कर दोनों पर कुछ अजीब सा शक जरूर हो गया था. लेकिन यह बात उस ने मन ही मन में रखी.

कुछ समय के अंतराल पर एक दिन निरंजन मधु को साथ ले कर अपनी ससुराल गया हुआ था. मधु के मायके जाते ही रोशन ने भी उस के घर के कई चक्कर लगाए. उस के बाद निरंजन का शक और भी गहरा गया. दोनों के संबधों को ले कर निरंजन परेशान हो उठा था. तभी उस ने रोशन की हकीकत जानने के लिए एक अंजान बनते हुए गांव के ही एक व्यक्ति से उस के बारे में जानकारी ली. वह व्यक्ति शायद निरंजन से अंजान था. उस व्यक्ति ने रोशन और मधु कुमारी के बीच संबंधों की सारी पोल खोल कर रख दी. जिसे सुन कर वह बात उस ने अपने दिल में ही दबा ली थी. उस के अगले ही दिन निरंजन को साथ ले कर अपने घर चला गया था.

मधु की ससुराल जाने का रोशन के लिए एक बार रास्ता खुला तो वह अकसर ही जाने लगा था. उस के बारबार जाने से उस के ससुराल वाले भी उसे शक की निगाहों से देखने लगे थे. यह बात जल्दी ही निरंजन तक पहुंच गई थी. जिस को सुन कर निरंजन भी परेशान रहने लगा था. उस के बाद एक दिन निरंजन अपने गांव आया तो उस ने मधु कुमारी को समझाते हुए रोशन को अपने घर बुलाने से साफ मना कर दिया. इस बात को ले कर निरंजन और मधु के बीच हलका विवाद भी पैदा हो गया था.

रोशन के कारण ही उस की बसी बसाई गृहस्थी में आग लगने जा रही थी. अपनी गृहस्थी को बचाने के लिए एक दिन निरंजन ने अपनी बीवी को विश्वास में लेते हुए रोशन की हत्या को अंजाम दे दिया था.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने मृतक रोशन की प्रेमिका मधु कुमारी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. उस का पति निरंजन और उस के साथी फरार थे, जिन की तलाश में पुलिस लगी हुई थी. Hindi Crime Story

 

 

Hindi Short Stories : सिरफिरे आशिकों से बचना जरूरी मोहब्बत हुई खूनी

Hindi Short Stories : 18 वर्षीय महक जैन दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए (आनर्स) इंगलिश की पढ़ाई कर रही थी. पहली जून 2025 को वह कालेज जाने के लिए घर से निकली थी, उसी दिन 22 वर्षीय अर्शकृत सिंह ने संजय वन में चाकू से गोद कर उस की हत्या कर दी. कौन है अर्शकृत सिंह और उस ने महक की हत्या क्यों की? पढ़ें, लव क्राइम की यह कहानी.

प्रीति जैन दोपहर से ही बहुत परेशान थी. उस की छोटी 18 वर्षीय बहन महक जैन सुबह अपने कालेज के लिए गई थी. उस ने 10 बजे प्रीति को फोन किया था कि वह जल्दी घर लौट आएगी. हमेशा महक एकडेढ़ बजे घर वापस आ जाती थी, लेकिन अब दोपहर बाद के 3 बजने को आ गए थे, महक का कोई अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद आ रहा था. प्रीति के लिए यही चिंता की बात थी. उसे मालूम था कि महक कभी भी अपना फोन स्विच्ड औफ नहीं करती थी, उस के फोन की बैटरी भी फुल रहती थी, इसलिए महक का फोन बंद होने की वजह वह नहीं समझ पा रही थी.

घड़ी की सूइयां जैसेजैसे आगे सरक रही थीं, प्रीति के दिल की धड़कनें वैसेवैसे बढ़ती जा रही थीं. कुछ सोच कर उस ने अर्शकृत सिंह को फोन लगाया. घंटी बजने के साथ ही अर्शकृत ने फोन उठा लिया, ”हैलो प्रीति. कैसी हो?’’ अर्शकृत के स्वर में अपनापन था.

”मैं ठीक हूं अर्श, मुझे महक के लिए बात करनी है, वह कहां पर है?’’ प्रीति ने गंभीर स्वर में पूछा.

”मुझे क्या मालूम प्रीति, मैं तो उस से 2 दिन से नहीं मिला हूं.’’ अर्शकृत ने बताया.

”बनो मत अर्श, परसों तुम ने महक का पीछा किया था.’’ प्रीति गुस्सा हो कर बोली, ”महक ने यह बात मुझे खुद बताई थी.’’

”ओह!’’ अर्श ने बड़े इत्मीनान से कहा, ”मैं क्यों महक का पीछा करूंगा प्रीति. हो सकता है जिस रास्ते से मैं जा रहा था, महक उसी रास्ते पर मुझ से आगे रही हो और उसे लगा कि मैं उस का पीछा कर रहा हूं तो यह उस की गलतफहमी रही है.’’

”चलो छोड़ो, अब ठीकठीक बता दो महक कहां है. प्लीज बता दो, मुझे और मम्मी को बहुत टेंशन हो रही है.’’

”मैं ने कहा न प्रीति, मैं महक के विषय में कुछ नहीं जानता, तुम उस की किसी सहेली से मालूम करो.’’ अर्श ने कहने के बाद अपनी तरफ से फोन काट दिया.

प्रीति ने गहरी सांस ली. उसे पूरा विश्वास था कि अर्शकृत महक के बारे में जरूर जानता होगा, लेकिन अर्श की ओर से इंकार कर देने के बाद प्रीति की चिंता और ज्यादा बढ़ गई.

वह अंदर मम्मी मधु जैन के कमरे में आ गई. उस वक्त मधु जैन फोन पर अपने पति राकेश जैन से बात कर रही थी. प्रीति को आया देख कर उस ने पूछा, ”कुछ पता लगा महक का?’’

”नहीं मम्मी. मैं ने अर्श से भी पूछा है, वह कह रहा है कि उस ने महक को नहीं देखा है.’’ प्रीति ने बताया.

”हे मालिक!’’ मधु परेशान स्वर में बोली, ”कहां रह गई यह लड़की आज. रोज तो दोपहर में ही घर आ जाती थी, कभी रुकना होता था तो फोन कर के बता भी देती थी. आज तो उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ आ रहा है. तेरे पापा को बताया तो वह भी परेशान हो गए हैं, वह घर लौट रहे हैं.’’

प्रीति कुछ नहीं बोली. वह सोफे पर सिर झुका कर बैठ गई. मधु उस के पास आ गई. उस के कंधे पर हाथ रख कर बोली, ”तूने उस की सहेलियों से मालूम किया है?’’

”मेरे पास महक की 3 सहेलियों के नंबर हैं, मैं तीनों से मालूम कर चुकी हूं. उन्होंने आज महक को कालेज के अंदर भी नहीं देखा है मम्मी.’’

”अगर महक कालेज ही नहीं गई तो फिर सुबहसुबह कहां चली गई?’’ मधु का स्वर भीगने लगा. उन की आंखें गीली हो गईं. प्रीति की भी आंखें भर आईं.

करीब आधे घंटे बाद राकेश जैन घर आ गए. पत्नी और बेटी को रोता देख कर वह विचलित हो गए. दोनों को ढांढस बंधाते हए वह बोले, ”रोओ मत. मैं कालेज जा कर देखता हूं.’’

”कालेज तो वह पहुंची ही नहीं है पापा.’’ प्रीति ने रोते हुए बताया, ”उस की एक सहेली ने यह बात बताई है.’’

”ओह!’’ राकेश जैन घबरा गए, ”फिर तो शायद रास्ते में ही महक के साथ कोई अनहोनी हुई होगी. मैं देखता हूं जा कर.’’ राकेश जैन ने कहा और जैसे ही उन्होंने बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाया, उन का फोन बजने लगा.

”शायद महक का फोन है.’’ आशा भरे स्वर राकेश जैन के मुंह से निकले. उन्होंने मोबाइल निकाला तो उस पर एक नया नंबर देख कर चौंके.

मोबाइल की घंटी बज रही थी. उन्होंने उस नंबर की काल को रिसीव कर लिया, ”हैलो! मैं राकेश जैन बोल रहा हूं.. आप?’’

”मैं सुरजीत सिंह बोल रहा हूं.’’ दूसरी ओर से बोलने वाला बहुत घबराया हुआ लगा, ”आप की बेटी महक ने मेरे बेटे अर्शकृत पर अपने दोस्तों से हमला करवाया है.’’

”क्या बकवास कर रहे हैं आप?’’ राकेश जैन क्रोध से चीख पड़े, ”मेरी बेटी ऐसा क्यों करेगी?’’

”यह तो अपनी बेटी से पूछना तुम. मेरा बेटा अर्शकृत पीतमपुरा के प्राइवेट अस्पताल में घायल पड़ा है. यदि मेरे बेटे को कुछ हुआ तो मैं महक को जेल की चक्की पिसवा दूंगा राकेश जैन.’’ सुरजीत भी गुस्से में चीख पड़ा और उस ने फोन काट दिया.

”क्या हुआ जी?’’ मधु घबरा कर बोली, ”क्या किया महक ने?’’

”उस आवारा लड़के अर्श के बाप का फोन था. कह रहा था कि महक ने उस के बेटे अर्श पर अपने दोस्तों के द्वारा हमला करवाया है, उस का बेटा अर्श अस्पताल में है.’’

”बकवास कर रहे हैं अर्श के डैडी. महक इतनी शांत स्वभाव की है. वह भला अर्श पर क्यों हमला करवाएगी.’’ प्रीति सोफे से उठते हुए बोली.

”वह कहां है यह तो पूछते आप अर्श के डैडी से.’’ मधु जैन परेशान हो कर बोली, ”उन्हें फिर फोन लगाओ.’’

राकेश जैन ने कुछ देर पहले उन के मोबाइल पर आए नंबर को रिडायल किया. दूसरी तरफ से फोन सुरजीत सिंह ने ही अटेंड किया, ”हां बोलो.’’

”महक कहां है?’’

”मुझे नहीं मालूम.’’ सुरजीत सिंह ऐंठ कर बोला.

”आप के बेटे पर महक ने कहां हमला करवाया है, वह जगह तो आप बता ही सकते हैं?’’

”महरौली में संजय वन के पास महक ने अपने दोस्तों के साथ मेरे बेटे को घेर कर चाकू मारे हैं. मैं छोड़ूंगा नहीं महक को,’’ सुरजीत ने कहने के बाद काल डिसकनेक्ट कर दी.

”महरौली के संजय वन में अर्श पर हमला हुआ है. सुरजीत का कहना है कि महक ने अपने दोस्तों के साथ वहां अर्श को घेरा था.’’ राकेश जैन ने बताया फिर प्रीति से बोले, ”तुम साथ चलो बेटी. हम संजय वन जा कर हकीकत मालूम करते हैं. वहां ऐसा कुछ हुआ होगा तो वहां के आसपास पटरी पर खोमचा लगाने वाले बता ही देंगे. महक का भी पता चल जाएगा.’’

”ठीक है पापा,’’ प्रीति ने कहा और तुरंत तैयार हो कर वह अपने पापा के साथ घर से निकल गई.

राकेश जैन ने बेटी प्रीति के साथ महरौली पहुंच कर संजय वन के आसपास पटरी लगाने वालों से वहां आज हुई किसी वारदात के विषय में पूछताछ की. किसी ने भी इस बात की पुष्टि नहीं की कि आज वहां किसी प्रकार की मारपीट या चाकूबाजी की घटना घटी है. सुबह से ही वहां का वातावरण और दिनों की तरह ही था.

”पापा. मुझे तो लगता है अर्श झूठ बोल रहा है. वह महक को फंसाना चाहता है.’’ प्रीति ने अपनी आशंका जाहिर की.

”इस के लिए महक का मिलना भी तो जरूरी है बेटी. वही बताएगी कि सच्चाई क्या है.’’

”मुझे तो अर्शकृत पर शक है. वह जानता है कि महक कहां है, लेकिन बता नहीं रहा है.’’

”हमें अर्शकृत से मिलना चाहिए बेटी.’’ राकेश जैन ने कहा.

”चलिए, हम पीतमपुरा चलते हैं. वह यदि किसी अस्पताल में होगा तो मालूम हो जाएगा, महक कहां है और उस ने कैसे हमला करवाया.’’ प्रीति बोली.

दोनों महरौली से पीतमपुरा के लिए निकले. रास्ते में ही राकेश जैन ने सुरजीत को फोन कर के मालूम कर लिया कि अर्शकृत किस अस्पताल में एडमिट है.

अस्पताल में राकेश जैन अपनी बेटी के साथ पहुंचे तो उन्हें अर्शकृत एक बैड पर पड़ा मिल गया. वह वहां अकेला था.

राजेश जैन ने देखा, उस के हाथों पर 1-2 जगह पट्टियां बंधी थीं. वह आराम से बैड पर लेटा हुआ था. उसे देख कर नहीं लग रहा था कि उस पर चाकुओं से जानलेवा हमला हुआ है. प्रीति को अपने पापा राकेश जैन के साथ देख कर उस ने जख्मी हाथ ऊपर उठा कर कहा, ”देख लो अपनी बेटी की करतूत. उस ने मुझ पर अपने दोस्तों से हमला करवाया है.’’

”महक कहां पर है?’’ राकेश जैन ने पूछा.

”मुझ पर हमला करवा कर भाग गई. कहां गई, मैं नहीं जानता.’’ अर्शकृत ने कहने के बाद चेहरा घुमा लिया.

कुछ सोच कर राकेश जैन बेटी प्रीति को साथ ले कर घर लौट आए. पत्नी से सलाह करने के बाद वह उसे साथ ले कर जहांगीरपुरी थाने पहुंच गए.

वहां उन्होंने एसएचओ सतविंदर सिंह को अपना परिचय दिया और बताया, ”सर, मैं जहांगीरपुरी के के-ब्लौक में अपनी पत्नी मधु और 2 बेटियों के साथ रहता हूं. मेरी छोटी बेटी दिल्ली यूनिवर्सिटी से ओपन लर्निंग कोर्स द्वारा इंगलिश आनर्स की पढ़ाई कर रही है. साथ ही वह मूलचंद में एक इंस्टीट्यूट से कोरियन लैंग्वेज भी सीख रही है.

”वह आज सुबह 8 बजे घर से यह कह कर निकली थी कि वह कालेज जा रही है. वह कालेज से एकडेढ़ बजे तक घर लौट आती थी. आज वह 3 बजे तक नहीं लौटी तो मधु और प्रीति ने उस के विषय में हर संभव जगह पर फोन कर के मालूम किया. चूंकि महक का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था, उस की सहेलियों से और अर्शकृत से भी मालूम किया.

”महक की सहेली का कहना था कि महक आज कालेज नहीं आई. जबकि अर्श पहले कहता रहा कि वह महक से 2 दिन से नहीं मिला है, लेकिन सर वह सुबह से महक के विषय में जानता रहा है. क्योंकि…’’

”यह अर्शकृत कौन है?’’ एसएचओ ने पूछा.

”यह महक को एकतरफा प्यार करने वाला सिरफिरा आशिक है. हम ने उसे कितनी ही बार महक से न मिलने और महक को तंग न करने की हिदायत दी थी, लेकिन वह बाज नहीं आया. वह महक के पीछे घर तक भी पहुंचने लगा था सर.’’

”आप कह रहे हैं अर्श आज सुबह महक के साथ था, आप यह बात किस अनुमान से कह रहे हैं?’’

”सर, आज जब हम महक की खोजखबर में परेशान थे, मुझे अर्श के पिता का फोन आया कि अर्श पर महक ने अपने दोस्तों के साथ जानलेवा हमला करवाया है. जगह के बारे में पूछने पर हमें बताया गया कि महरौली के संजय वन के पास यह घटना घटी है. मैं अपनी बेटी के साथ संजय वन गया. वहां पूछताछ की तो मालूम हुआ वहां ऐसी कोई वारदात नहीं हुई.’’

”इस का मतलब अर्श झूठ बोल रहा है.’’

”कह नहीं सकते सर, मैं ने बेटी के साथ पीतमपुरा के प्राइवेट अस्पताल में जा कर अर्श से मुलाकात की. उस के हाथ पर मामूली जख्म है, जिस की पट्टी करवा कर वह अस्पताल के बैड पर आराम से पड़ा हुआ है. वह महक के विषय में कुछ भी नहीं बता रहा है.’’

”ठीक है, मैं अर्शकृत से मिलता हूं. असलियत क्या है वही बताएगा.’’ एसएचओ ने कहने के बाद मधु जैन के द्वारा महक के लापता होने का मामला दर्ज कर लिया और उन का फोन नंबर नोट कर के उन्हें थाने से वापस घर भेज दिया.

जहांगीरपुरी पुलिस ने उसी शाम अर्शकृत से पीतमपुरा के प्राइवेट अस्पताल में जा कर पूछताछ की. अर्शकृत ने पुलिस को यही बताया कि महक ने अपने 2 दोस्तों द्वारा उस पर चाकुओं से हमला करवाया है.

”यह घटना कहां पर घटी है, बताओगे मुझे?’’ एसएचओ सतविंदर सिंह ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

”महरौली के संजय वन में सर.’’

”महक वहां कैसे पहंची, क्या उसे तुम ने बताया था कि तुम महरौली में खड़े हो?’’

इस प्रश्न पर अर्शकृत अचकचा गया. उस ने चेहरा झुका कर धीरे से कहा, ”यह तो महक ही जाने सर.. मैं आज सुबह महरौली गया था.’’

”तुम पर जिन 2 युवकों ने हमला किया, उन्हें पहचानते हो? उन के नामपते नोट करवाओ मुझे.’’

”म… मैं उन्हें नहीं जानता. यह महक जानती होगी, वही उन्हें वहां पर लाई थी.’’

”क्या महक उस वक्त उन युवकों के साथ थी, जिन्होंने तुम पर चाकुओं से हमला किया?’’

”जी हां सर. तभी तो मैं कह रहा हूं, यह महक की ओर से मुझ पर कातिलाना हमला था.’’

”महक ने ऐसा क्यों किया, क्या तुम से उस की दुश्मनी रही है?’’

”कह नहीं सकता सर.’’

”मुझे तो बताया गया है तुम महक से प्यार करते थे, यदि ऐसा था तो कोई लड़की अपने प्रेमी पर हमला क्यों करवाएगी?’’ एसएचओ ने पूछा.

”यह तो सर, महक ही जाने.’’

”मैं बताता हूं.’’ एसएचओ सतविंदर सिंह ने अर्शकृत को जलती आंखों से घूरते हुए कहा, ”तुम महक के पीछे पड़े हुए थे. वह तुम्हें नहीं चाहती थी, लेकिन तुम उसे हर रोज तंग करते थे. इसी से नाराज हो कर उस ने तुम पर हमला करवाया है.’’

”जी, वह भी मुझे प्यार करती थी,’’ अर्शकृत जल्दी से बोला, ”वह मेरी किस बात पर नाराज हो गई, मैं नहीं जानता.’’

”तुम पर जानलेवा हमला हुआ. वे 2 युवक थे, फिर भी तुम्हारे एक ही हाथ पर मामूली सा जख्म हुआ. कहीं किसी पर चाकू चलाने में तो यह हाथ घायल नहीं हुआ है? महक भी सुबह से लापता है, सच्चाई क्या है, बताओगे मुझे?’’

अर्शकृत का चेहरा सफेद पड़ गया. वह अपने को संभाल कर तुरंत बोला, ”आप मुझ पर ही संदेह कर रहे हैं सर, मुझ पर जानलेवा हमला हुआ है, मैं जख्मी हूं… आप जाइए और संजय वन में घटनास्थल देखिए. मैं आराम करना चाहता हूं.’’

एसएचओ मुसकराते हुए खड़े हो गए और मन ही मन बड़बड़ाए, ”बेटा, मैं ने कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं. तुम पर जानलेवा हमला नहीं हुआ है, तुम ने महक पर जानलेवा हमला किया है. हम संजय वन चेक कर लें, फिर तुम्हें हथकडिय़ां पहनाऊंगा.’’

एसएचओ सतविंदर सिंह उठ कर अपनी टीम के साथ अस्पताल से बाहर आ गए. अभी अंधेरा नहीं हुआ था. उन्होंने संजय वन जा कर देख लेना उचित समझा तो टीम के साथ महरौली निकल पड़े. महरौली में संजय वन पहुंच कर उन्होंने महक को तलाश किया. उन्हें संदेह था कि यदि अर्शकृत ने महक पर जानलेवा हमला किया होगा तो वह जीवित या मृत अंदर संजय वन में ही पड़ी मिलेगी. 2 घंटे तक अपनी टीम के साथ उन्होंने संजय वन में तलाशा, लेकिन महक उन्हें नहीं मिली.

अंधकार जमीन पर उतर आया था, इसलिए वह टीम के साथ थाने में लौट आए. एसएचओ सतविंदर सिंह ने यह जानकारी एसीपी प्रवीण कुमार को दी तो उन्होंने उन्हें यह केस महरौली थाने को देने के लिए कह दिया. यह दक्षिणी दिल्ली के थाना महरौली की घटना थी. इसलिए यहां की जांच का थाना महरौली ही पड़ता था. एसएचओ सतविंदर सिंह (जहागीरपुरी) ने सारी घटना की जानकारी महरौली थाने को दे कर महक की गुमशुदगी वाला केस उन को हैंडओवर कर दिया.

महरौली थाने में यह मामला बीएनएस की धारा 103 के तहत दर्ज कर के यहां के एसएचओ संजय कमार सिंह ने डीसीपी अंकित चौहान और एसीपी रघुबीर सिंह को पूरी घटना की जानकारी दे दी. उन्होंने एसएचओ संजय कुमार सिंह को यह मामला हल करने का दायित्व सौंप दिया. दूसरी सुबह वह पीतमपुरा के अस्पताल में 22 वर्षीय अर्शकृत से मिलने पहुंचे तो वह वहां से डिसचार्ज हो चुका था.

अस्पताल से उन्हें उस के घर का पता मिल गया. अर्शकृत के पिता सुरजीत सिंह, डब्ल्यूजेड-1552, रानी बाग, दिल्ली में रहते थे. पुलिस टीम वहां पहुंच गई. अर्शकृत को उम्मीद नहीं थी कि पुलिस घर के दरवाजे तक पहुंच जाएगी. पुलिस का सामना उस के पिता सुरजीत सिंह ने किया.

”आप मेरे दरवाजे किसलिए आए हैं?’’ सुरजीत सिंह ने रौब से पूछा.

”आप कौन हैं, हमें अर्शकृत से मिलना है.’’ एसआई विनोद भाटी ने कहा.

”मैं अर्शकृत का फादर हूं. आप अर्शकृत से क्यों मिलना चाहते हैं?’’

”महक के विषय में उस से कुछ पूछताछ करनी है, बुलाइए उसे बाहर.’’

”महक ने तो मेरे बेटे पर जानलेवा हमला करवाया है. आप महक से मिलिए…’’

”आप उसे बुलाते हैं या मैं पुलिस को अंदर भेजूं.’’ विनोद भाटी इस बार कड़क लहजे में बोले तो सुरजीत सिंह की ऐंठन कम हो गई. उस ने अर्शकृत को बाहर बुला लिया.

एसआई भाटी ने उस का हाथ पकड़ लिया और पुलिस वैन में ले आए. पुलिस टीम उसे ले कर महरौली थाने में आ गई.

”अर्शकृत, तुम ने बहुत नाटक कर लिया. अब यदि तुम ने सीधी तरह सच्चाई नहीं उगली तो मुझे सख्ती से पूछताछ करनी पड़ेगी.’’ एसएचओ संजय कुमार सिंह ने रौबदार आवाज में कहा, ”बताओ, महक कहां है?’’

”मैं ने उसे मार डाला है.’’ अर्शकृत सिर झुका कर बोला.

उस की बात पर पुलिस चौंक पड़ी. एसएचओ संजय कुमार सिंह ने गहरी सांस ली, ”महक की लाश कहां है?’’

”संजय वन में मैं ने छिपा दी है सर.’’ अर्शकृत ने बताया.

”चलो, हमें महक की लाश बरामद करवाओ.’’ एसएचओ सिंह ने कहा.

अर्शकृत को संजय वन ले जाने से पहले श्री सिंह ने महक के पिता राकेश जैन को महक की हत्या अर्शकृत द्वारा किए जाने की जानकारी दे दी.

अर्शकृत को पुलिस टीम अपने साथ ले कर संजय वन आ गई. इस समय एसएचओ संजय कुमार सिंह के साथ इंसपेक्टर (कानून एवं व्यवस्था) अनुराग सिंह और एसआई विनोद भाटी भी थे.

अर्शकृत पुलिस को संजय वन के उस कोने में ले गया, जहां ज्यादा पेड़पौधे और जंगली घास थी. महक की लाश अर्शकृत ने जंगली घास में छिपा रखी थी. उस की लाश खून से पूरी तरह सनी हुई थी, खून सूख चुका था. महक का चेहरा और शरीर का कुछ हिस्सा जला हुआ था. महक के शरीर पर कई जगह चाकू के गहरे घाव देखे जा सकते थे. उस की आंखें फटी पड़ी थीं. उस का गला भी घोंटा गया था.

संजय सिंह ने फोन कर के महक की लाश संजय वन में मिलने की जानकारी डीसीपी (दक्षिणी दिल्ली) अंकित चौहान और एसीपी रघुबीर सिंह को दे दी. उन्होंने घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. आधे घंटे में उच्चाधिकारी और फोरैंसिक टीम संजय वन में आ पहुंचे. फोरैंसिक टीम अपने काम में लग गई. डीसीपी अंकित चौहान और एसीपी रघुबीर सिंह ने महक की लाश का निरीक्षण किया, फिर वह इंसपेक्टर संजय कुमार सिंह को कुछ निर्देश दे कर वहां से चले गए.

लाश की काररवाई पूरी कर के इंसपेक्टर संजय कुमार सिंह निपटे ही थे कि महक के मम्मीपापा और बड़ी बहन प्रीति वहां आ गए. अपनी फूल जैसी बेटी का चाकू से गोदा गया जिस्म और जला हुआ चेहरा देख कर मधु जैन और प्रीति दहाड़े मार कर रोने लगीं. राकेश जैन भी फफक कर रोने लगे. उन्हें सांत्वना देते हुए एसएचओ संजय कुमार सिंह ने कहा, ”महक की हत्या हो जाने का मुझे भी दुख है. महक का हत्यारा हमारी पकड़ में है. मैं कोशिश करूंगा, इसे फांसी का फंदा मिले.’’

”मैं भी चाहता हूं सर,’’ राकेश जैन भर्राए स्वर में बोले, ”इसे फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए.’’

कागजी काररवाई करने के बाद महक का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. उस के परिजन भी मोर्चरी के लिए चले गए. अर्शकृत को ले कर पुलिस टीम थाने लौट आई.

पुलिस टीम ने संजय वन और बाहर लगे सभी सीसीटीवी चैक किए तो उन्हें अर्शकृत और महक संजय वन में जाते नजर आ गए. अर्शकृत के हाथ में बोतल भी दिखाई दे रही थी. उस से हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया गया था. यह अर्शकृत के खिलाफ पुख्ता सबूत थे कि उस ने महक का कत्ल किया है.

थाना महरौली में डीसीपी अंकित चौहान की उपस्थिति में अर्शकृत से महक की हत्या करने का कारण पूछा गया तो उस ने बताया, ”मेरी पहचान महक से कालेज में हुई थी. महक ओपन लर्निंग द्वारा इंगलिश आनर्स की पढ़ाई कर रही थी. मैं बीकाम फस्र्ट ईयर का स्टूडेंट था. महक और मैं पहले हायहैलो करते रहे, फिर धीरेधीरे हम प्यार करने लगे. महक मेरे बुलाने पर कहीं भी आ जाती थी. वह मुझे बहुत प्यार करती थी, लेकिन उस के पेरेंट्स मुझे पसंद नहीं करते थे. उन्होंने कई बार मुझे धमकाया कि मैं महक से न मिलूं. उन्होंने महक को भी मुझ से दूर करने की कोशिश की और वे कामयाब हो गए.’’

अर्शकृत ने रुक कर लंबी सांस ली, फिर बोला, ”सर, मैं महक को बहुत प्यार करता था. वह मुझ से कटने लगी तो मुझे बहुत बुरा लगता था. मैं जानता था महक मेरी है, मेरे लिए ही उस ने धरती पर जन्म लिया है. मैं तब बहुत तड़पा, जब महक ने मुझ से बोलना छोड़ दिया. मैं ने महक से कई बार मिलने की कोशिश की तो वह नहीं मिली. उस के घर गया तो घर वालों ने मेरी बेइज्जती कर के मुझे महक से मिलने नहीं दिया. इस से मेरे अंदर महक के प्रति गुस्सा भरता चला गया.

”मैं ने 2 दिन पहले इरादा बनाया कि महक मेरी नहीं होगी तो किसी दूसरे की नहीं होगी. मैं ने कल पहली जून को पेट्रोल खरीद कर बोतल में भर लिया. चाकू मैं ने पहले ही खरीद लिया था. मैं ने सुबह महक को फोन कर के कहा कि वह एक बार मुझ से मिल ले, फिर बेशक मुझ से किनारा कर लेना.

”महक मान गई. मैं ने महक को महरौली संजय वन में बुलाया. मैं सुबह सवा 8 बजे संजय वन पहुंच गया. महक 10 बजे के बाद आई. मैं ने महक को फिर से दोस्ती करने के लिए कहा, लेकिन उस ने मना कर दिया. हमारी इसी बात पर लड़ाई हो गई. मैं महक को घसीट कर संजय वन के कोने में ले आया.

”मैं गुस्से में था. मैं ने महक पर चाकू से हमला किया, मैं ने कितने चाकू मारे मुझे नहीं मालूम. महक मर गई तो मैं ने उस का गला घोंटा, फिर पेट्रोल डाल कर उस का चेहरा जला दिया ताकि उस की पहचान न हो सके. मैं उस की लाश छिपा कर घर आ गया और फिर प्लान बना कर अस्पताल में एडमिट हो गया. मैं ने अपने पापा से कहा कि महक ने मुझ पर जानलेवा हमला किया है. मैं ने महक का कत्ल किया है. मैं कुबूल करता हूं.’’

अर्शकृत के कबूलनामे के बाद पुलिस ने उसे उसी दिन कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक पुलिस उस के खिलाफ ठोस सबूत जुटा रही थी. Hindi Short Stories

 

 

 

Crime News : पिता ने प्रेमी संग बेटी को रंगेहाथों पकड़ा और कुल्हाड़ी से काट डाला

Crime News : सपना पड़ोस में रहने वाले शालू को न सिर्फ प्यार करती थी, बल्कि वह शादी भी करना चाहती थी. लेकिन इसे अपनी नाक का सवाल मान कर सपना के पिता शिवआसरे ने ऐसा नहीं होने दिया. इस के बाद ऐसा क्या हुआ कि सपना का प्यार बस अधूरा सपना बन कर रह गया. कानपुर जिले के घाटमपुर थाना अंतर्गत एक गांव है बिहारिनपुर. इसी गांव में शिवआसरे परिवार सहित रहता था. उस के परिवार में पत्नी मीना के अलावा 2 बेटियां सपना, रत्ना तथा 2 बेटे कमल व विमल थे. शिवआसरे ट्रक ड्राइवर था. उस के 2 अन्य भाई रामआसरे व दीपक थे, जो अलग रहते थे और खेतीबाड़ी से घर खर्च चलाते थे.

शिवआसरे की बेटी सपना भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह जैसेजैसे सयानी होने लगी, उस के रूपलावण्य में निखार आता गया. 16 साल की होतेहोते सपना की सुंदरता में चारचांद लग गए. मतवाली चाल से जब वह चलती, तो लोगों की आंखें बरबस उस की ओर निहारने को मजबूर हो जाती थीं. सपना जितनी सुंदर थी, उतनी ही पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने पतारा स्थित सुखदेव इंटर कालेज में 9वीं कक्षा में एडमिशन ले लिया था. जबकि उस की मां मीना उसे मिडिल कक्षा से आगे नहीं पढ़ाना चाहती थी, लेकिन सपना की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. सपना के घर से कुछ दूरी पर शालू रहता था. शालू के पिता बैजनाथ किसान थे. उन के 3 बच्चों में शालू सब से बड़ा था.

17 वर्षीय शालू हाईस्कूल की परीक्षा पास कर चुका था और इंटरमीडिएट की पढ़ाई घाटमपुर के राजकीय इंटर कालेज से कर रहा था. शालू के पिता बैजनाथ और सपना के पिता शिवआसरे एक ही बिरादरी के थे, सो उन में गहरी दोस्ती थी. दोनों एकदूसरे का दुखदर्द समझते थे. किसी एक को तकलीफ हो तो दूसरे को दर्द खुद होने लगता. बैजनाथ और शिवआसरे बीते एक दशक से गांव में बटाई पर खेत ले कर खेती करते थे. हालांकि शिवआसरे ट्रक चालक था और खेतीबाड़ी में कम समय देता था. इस के बावजूद दोनों की पार्टनरशिप चलती रही. दोनों परिवारों में घरेलू संबंध भी थे. लिहाजा उन के बच्चों का भी एकदूसरे के घर आनाजाना लगा रहता था.

शालू सपना को चाहता था. सपना भी उस की आंखों की भाषा समझती थी. सपना के लिए शालू की आंखों में प्यार का सागर हिलोरें मारता था. सपना भी उस की दीवानी होने लगी. धीरेधीरे उस के मन में भी शालू के प्रति आकर्षण पैदा हो गया. सपना शालू के मन को भाई तो वह उस का दीवाना बन गया. सपना के स्कूल जाने के समय वह बाहर खड़ा उस का इंतजार करता रहता. सपना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहत भरी नजरों से तब तक देखता रहता, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो जाती. अब वह सपना के लिए तड़पने लगा था. हर पल उस के मन में सपना ही समाई रहती थी. न उस का मन काम में लगता था, न ही पढ़ाई में.

शालू का शिवआसरे के घर जबतब आनाजाना लगा ही रहता था. घर आनाजाना काम से ही होता था. लेकिन जब से सपना शालू के मन में बसी, शालू अकसर उस के घर ज्यादा जाने लगा. इस के लिए उस के पास बहाने भी अनेक थे. शिवआसरे के घर पहुंच कर वह बातें भले ही दूसरे से करता, लेकिन उस की नजरें सपना पर ही जमी रहती थीं. शालू की अपने प्रति चाहत देख कर उस का मन भी विचलित हो उठा. अब वह भी शालू के आने का इंतजार करने लगी. दोनों ही अब एकदूसरे का सामीप्य पाने को बेचैन रहने लगे थे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. शालू की चाहत भरी नजरें सपना के सुंदर मुखड़े पर पड़तीं तो सपना मुसकराए बिना न रह पाती.

वह भी उसे तिरछी निगाहों से घूरते हुए उस के आगेपीछे चक्कर लगाती रहती. अब शालू अपने दिल की बात सपना से कहने के लिए बेचैन रहने लगा. शालू अब ऐसे अवसर की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सपना से कह सके. कोशिश करने पर चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन शालू को मौका मिल ही गया. उस दिन सपना के भाईबहन मां मीणा के साथ ननिहाल चले गए थे और शिवआसरे ट्रक ले कर बाहर गया था. सपना को घर में अकेला पा कर शालू बोला, ‘‘सपना, यदि तुम बुरा न मानो तो मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

सपना जानती थी कि शालू उस से क्या कहेगा. इसलिए उस का दिल जोरजोर धड़कने लगा. घबराई सी वह शालू की ओर प्रश्नवाचक निगाहों से देखने लगी. शालू ने हकलाते हुए कहा, ‘‘सपना वो क्या है कि मैं तुम्हारे बारे में कुछ…’’

‘‘मेरे बारे में…’’ चौंकने का नाटक करते हुए सपना बोली, ‘‘जो भी कहना है, जल्दी कहिए.’’ शायद वह भी शालू से प्यार के शब्द सुनने के लिए बेकरार थी.

‘‘कहीं तुम मेरी बात सुन कर नाराज न हो जाओ…’’ शालू ने थोड़ा झेंपते हुए कहा.

‘‘अरे नहीं…’’ मुसकराते हुए सपना बोली, ‘‘नाराज क्यों हो जाऊंगी. तुम मुझे गालियां तो दोगे नहीं. जो भी कहना है, तुम दिल खोल कर कहो, मैं तुम्हारी बातों का बुरा नहीं मानूंगी.’’

सपना जानबूझ कर अंजान बनी थी. जब शालू को सपना की ओर से कुछ भी कहने की छूट मिल गई तो उस ने कहा, ‘‘सपना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मुझे तुम्हारे अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता. हर पल तुम्हारी ही सूरत मेरी नजरों के सामने घूमती रहती है.’’

शालू की बातें सुन कर सपना मन ही मन खुश हुई, फिर बोली, ‘‘शालू, प्यार तो मैं भी तुम से करती हूं, लेकिन मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘कैसा डर सपना?’’ शालू ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘यही कि हमारेतुम्हारे प्यार को घर वाले स्वीकार करेगें क्या?’’

‘‘हम एक ही जाति के हैं. दोनों परिवारों के बीच संबंध भी अच्छे हैं. हम दोनों अपनेअपने घर वालों को मनाएंगे तो वे जरूर मान जाएंगे.’’

उस दिन दोनों के बीच प्यार का इजहार हुआ, तो मानो उन की दुनिया ही बदल गई. फिर वे अकसर ही मिलने लगे. सपना और शालू के दिलोदिमाग पर प्यार का ऐसा जादू चढ़ा कि उन्हें एकदूजे के बिना सब कुछ सूना लगने लगा. जब भी मौका मिलता, दोनों एकांत में एक साथ बैठते और अपने ख्वाबों की दुनिया में खो जाते. प्यार में वे इस कदर खो गए कि उन्होंने जीवन भर एकदूसरे का साथ निभाने की कसमें भी खा लीं. एक बार मन से मन मिला तो फिर दोनों के तन मिलने में भी देर नहीं लगी. सपना और शालू ने लाख कोशिश की कि उन के संबंधों की जानकारी किसी को न हो. लेकिन प्यार की महक को भला कोई रोक सका है. एक दिन पतारा बाजार से लौटते समय गांव में ही रहने वाले उन्हीं की जाति के युवक मोहन ने उन दोनों को रास्ते में हंसीठिठोली करते देख लिया.

घर आते ही उस ने सारी बात शिवआसरे को बता दी. कुछ देर बाद जब सपना घर लौटी तो शिवआसरे ने सपना को डांटाफटकारा और पिटाई करते हुए हिदायत दी कि भविष्य में वह शालू से न मिले. सपना की मां मीना ने भी इज्जत का हवाला दे कर बेटी को खूब समझाया. सपना पर लगाम कसने के लिए मां ने उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया. साथ ही उस पर कड़ी निगरानी रखने लगी. मीना ने शालू के घर जा कर उस के मांबाप से शिकायत की कि वह अपने बेटे को समझाएं कि वह उस की इज्जत से खिलवाड़ न करे. लेकिन कहावत है कि लाख पहरे बिठाने के बाद भी प्यार कभी कैद नहीं होता. सपना के साथ भी ऐसा ही हुआ. मां की निगरानी के बावजूद सपना और शालू का मिलन बंद नहीं हुआ. किसी न किसी बहाने वह शालू से मिलने का मौका ढूंढ ही लेती थी.

कभी दोनों नहीं मिल पाते तो वे मोबाइल फोन पर बतिया लेते और दिल की लगी बुझा लेते. सपना को मोबाइल फोन शालू ने ही खरीद कर दिया था. इस तरह बंदिशों के बावजूद उन का प्यार बढ़ता ही जा रहा था. दबी जुबान से पूरे गांव में उन के प्यार के चर्चे होने लगे थे. एक शाम सहेली के घर जाने का बहाना बना कर सपना घर से निकली और शालू से मिलने गांव के बाहर बगीचे में पहुंच गई. इस की जानकारी मीना को हुई तो सपना के घर लौटने पर मां का गुस्सा फट पड़ा, ‘‘बदजात, कुलच्छिनी, मेरे मना करने के बावजूद तू शालू से मिलने क्यों गई थी. क्या मेरी इज्जत का कतई खयाल नहीं?’’

‘‘मां, मैं शालू से प्यार करती हूं. वह भी मुझे चाहता है.’’

‘‘आने दे तेरे बाप को. प्यार का भूत न उतरवाया तो मेरा नाम मीना नहीं.’’ मीना गुस्से से बोली.

‘‘आखिर शालू में बुराई क्या है मां? अपनी बिरादरी का है. पढ़ालिखा स्मार्ट भी है.’’ सपना ने मां को समझाया.

‘‘बुराई यह है कि शालू तुम्हारे चाचा का लड़का है. जातिबिरादरी के नाते तुम दोनों का रिश्ता चचेरे भाईबहन का है. अत: उस से नाता जोड़ना संभव नहीं है.’’ मां ने समझाया.

मांबेटी में नोकझोंक हो ही रही थी कि शिवआसरे घर आ गया. उस ने पत्नी का तमतमाया चेहरा देखा तो पूछा, ‘‘मीना, क्या बात है, तुम गुस्से से लाल क्यों हो?’’

‘‘तुम्हारी लाडली बेटी सपना के कारण. लगता है कि यह बिरादरी में हमारी नाक कटवा कर ही रहेगी. मना करने के बावजूद भी यह कुछ देर पहले शालू से मिल कर आई है और उस की तरफदारी कर जुबान लड़ा रही है.’’ मीना ने कहा.

पत्नी की बात सुन कर शिवआसरे का गुस्सा बेकाबू हो गया. उस ने सपना की जम कर पिटाई की और कमरा बंद कर दिया. गुस्से में उस ने खाना भी नहीं खाया और चारपाई पर जा कर लेट गया. रात भर वह यही सोचता रहा कि इज्जत को कैसे बचाया जाए. सुबह होते ही शिवआसरे शालू के पिता बैजनाथ के घर जा पहुंचा, ‘‘तुम शालू को समझाओ कि वह सपना से दूर रहे. अन्यथा अंजाम अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत के लिए वह किसी हद तक जा सकता है.’’

इस घटना के बाद दोनों परिवारों के बीच दरार पड़ गई. शिवआसरे और बैजनाथ के बीच साझेदारी भी टूट गई. इधर चौकसी बढ़ने पर शालू और सपना का मिलनाजुलना लगभग बंद हो गया था. जिस से दोनों परेशान रहने लगे थे. अब दोनों की बात चोरीछिपे मोबाइल फोन पर ही हो पाती थी. 14 मई, 2021 को शिवआसरे के साले मनोज की शादी थी. शिवआसरे ने घर की देखभाल की जिम्मेदारी भाई दीपक को सौंपी और सुबह ही पत्नी मीना व 2 बच्चों के साथ बांदा के बरुआ गांव चला गया. घर में रह गई सपना और सब से छोटा बेटा विमल. दिन भर सपना घर के काम में व्यस्त रही फिर शाम होते ही उसे प्रेमी शालू की याद सताने लगी. लेकिन चाचा दीपक की निगरानी से वह सहमी हुई थी.

रात 12 बजे जब पूरा गांव सो गया, तो सपना ने सोचा कि उस का चाचा भी सो गया होगा. अत: उस ने शालू से मोबाइल फोन पर बात की और मिलने के लिए उसे घर बुलाया. शालू चोरीछिपे सपना के घर आ गया. लेकिन उसे घर में घुसते हुए दीपक ने देख लिया. वह समझ गया कि वह सपना से मिलने आया है. उस ने तब दरवाजा बाहर से बंद कर ताला लगा दिया और बड़े भाई शिवआसरे को फोन कर के सूचना दे दी. शिवआसरे को जब यह सूचना मिली तो वह साले की शादी बीच में ही छोड़ कर अकेले ही बरुआ गांव से चल दिया. 15 मई की सुबह 7 बजे वह अपने घर पहुंच गया. तब तक शालू के मातापिता सीमा और बैजनाथ को भी पता चल चुका था कि उन के बेटे शालू को बंधक बना लिया गया है.

वे लोग शिवआसरे के घर पहले से मौजूद थे. शिवआसरे घर के अंदर जाने लगा तो बैजनाथ ने पीछे से आवाज लगाई. इस पर शिवआसरे ने कहा कि वह बस बात कर मामला हल कर देगा और घर के अंदर चला गया. पीछे से बैजनाथ और सीमा भी घर के अंदर दाखिल हुए. लेकिन वे अपने बेटे शालू तक पहुंच पाते, उस के पहले ही शिवआसरे शालू और सपना को ले कर एक कमरे में चला गया और उस में लगा लोहे का गेट बंद कर लिया. शालू के पिता बैजनाथ व मां सीमा खिड़की पर खड़े हो गए, जहां से वे अंदर देख सकते थे. बैजनाथ ने एक बार फिर शिवआसरे से मामला सुलझाने की बात कही. इस पर उस का जवाब यही था कि बस 10 मिनट बात कर के मामला सुलझा देगा.

इधर पिता का रौद्र रूप देख कर सपना कांप उठी. शिवआसरे ने दोनों से सवालजवाब किए तो सपना पिता से उलझ गई. इस पर उसे गुस्सा आ गया. शिवआसरे ने डंडे से सपना को पीटा. उस ने शालू की भी डंडे से पिटाई की. लेकिन पिटने के बाद भी सपना का प्यार कम नहीं हुआ. वह बोली, ‘‘पिताजी, मारपीट कर मेरी जान भले ही ले लो, पर मेरा प्यार कम न होगा. आखिरी सांस तक मेरी जुबान पर शालू का नाम ही होगा.’’ बेटी की ढिठाई पर शिवआसरे आपा खो बैठा. उस ने कमरे में रखी कुल्हाड़ी उठाई और सपना के सिर व गरदन पर कई वार किए. जिस से उस की गरदन कट गई और मौत हो गई. इस के बाद उस ने कुल्हाड़ी से वार कर शालू को भी वहीं मौत के घाट उतार दिया.

यह खौफनाक मंजर देख कर शालू की मां सीमा की चीख निकल गई. सीमा और बैजनाथ जोरजोर से चिल्लाने लगे. सीमा ने मदद के लिए कई घरों के दरवाजे खटखटाए लेकिन कोई मदद को नहीं आया. प्रधान पति राजेश कुमार को गांव में डबल मर्डर की जानकारी हुई तो उन्होंने थाना घाटमपुर पुलिस तथा बड़े पुलिस अधिकारियों को फोन द्वारा सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी धनेश प्रसाद, एसपी (आउटर) अष्टभुजा प्रताप सिंह, एएसपी आदित्य कुमार शुक्ला तथा डीएसपी पवन गौतम पहुंच गए. शिवआसरे 2 लाशों के बीच कमरे में बैठा था. थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने उसे हिरासत में ले लिया. आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी कमरे में पड़ी थी. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया. जबकि शिवआसरे के अन्य भाई दीपक व रामआसरे पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने शिवआसरे से पूछताछ की तो उस ने सहज ही जुर्म कबूल कर लिया और कहा कि उसे दोनों को मारने का कोई गम नहीं है. पुलिस अधिकारियों ने गांव वालों तथा मृतक शालू के पिता बैजनाथ से पूछताछ की. बैजनाथ ने बताया कि वह और उस की पत्नी सीमा बराबर शिवआसरे से हाथ जोड़ कर कह रहे थे कि बेटे को बख्श दे. लेकिन वह नहीं माना और आंखों के सामने बेटे पर कुल्हाड़ी से वार कर उस की जान ले ली. पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक शालू व सपना के शवों को पोस्टमार्टम हेतु हैलट अस्पताल, कानपुर भिजवा दिया.

चूंकि शिवआसरे ने डबल मर्डर का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई थी, अत: थानाप्रभारी धनेश प्रसाद ने बैजनाथ की तरफ से भादंवि की धारा 302 के तहत शिवआसरे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और उसे गिरफ्तार कर लिया. 16 मई, 2021 को पुलिस ने अभियुक्त शिवआसरे को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. Crime News

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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Chhattisgarh News : जय कुमार सिदार ने अपने घर वालों को बताए बिना सरस्वती मरांडी से प्रेम विवाह कर तो लिया, लेकिन सामाजिक रूढि़यों की वजह से उस के घर वाले उसे अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए. इस से बचने के लिए जय कुमार ने जो किया वह…

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ जिला आदिवासी बाहुल्य है. यहां का लैलूंगा शहर जिला मुख्यालय से लगभग 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. लैलूंगा घोर जनजातीय आदिवासी बाहुल्य विकास खंड है. धीरेधीरे यहां का मिश्रित माहौल अपने आप में एक आकर्षण का माहौल पैदा करने लगा है, क्योंकि यहां पर अब भले ही बहुतेरे मारवाड़ी, ब्राह्मण, कायस्थ समाज के लोग आ कर रचबस रहे हैं, लेकिन आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की महक यहां आज भी स्वाभाविक रूप से महसूस की जा सकती है. लैलूंगा थाना अंतर्गत एक छोटे से गांव कमरगा में शदाराम सिदार एक सामान्य काश्तकार हैं. वह 2 बेटे और एक बेटी वाले छोटे से परिवार का बमुश्किल पालनपोषण कर रहे  थे.

शदाराम का बड़ा बेटा जय कुमार सिदार प्राइमरी तक पढ़ने के बाद पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटा रहा था. गरीबी और परिवार की दयनीय हालत देख कर के एक दिन 21 वर्ष की उम्र में वह अपने एक दोस्त रमेश के साथ छत्तीसगढ़ से सटे झारखंड राज्य के बोकारो शहर में रोजगार  के लिए चला गया. जल्द ही जय कुमार को स्थानीय राजू टिंबर ट्यूनिंग प्लांट में क्लीनर मशीन चलाने का काम मिल गया और जय का मित्र रमेश भी वहीं काम करने लगा. फिर उन्होंने बोकारो के एक मोहल्ले में कमरा किराए पर ले लिया. समय अपनी गति से बीत रहा था कि एक दिन जय और रमेश सुबह घर से अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे कि जय को साइकिल के साथ खड़ी एक परेशान सी लड़की दिख गई.

जय कुमार और रमेश थोड़ा आगे बढ़े तो जय ने रुक कर कहा, ‘‘यार, लगता है इस लड़की को कुछ मदद की जरूरत है.’’

दोनों  मुड़ कर वापस आए. तब युवती की ओर मुखातिब हो कर जय  ने कहा, ‘‘क्या बात है, आप क्यों परेशान खड़ी हो?’’

युवती थोड़ा सकुचाई  फिर बोली, ‘‘देखो न, साइकिल में पता नहीं क्या हो गया है, आगे ही नहीं बढ़ रही.’’

जय ने कहा, ‘‘लगता है साइकिल की चैन फंस गई है, किसी मिस्त्री को दिखानी होगी.’’

और नीचे बैठ कर वह साइकिल को ठीक करने की असफल कोशिश करने लगा. मगर चैन बुरी तरह फंस गई थी. थोड़ी देर तक प्रयास करने के बाद जय ने रमेश की ओर देखते हुए कहा, ‘‘चलो, इस की थोड़ी मदद कर देते हैं.’’

इस पर रमेश ने कहा, ‘‘यार, देर हो जाएगी, काम पर न पहुंचे तो प्रसादजी नाराज हो जाते हैं, तुम को तो पता ही है कि काम पर समय पर पहुंचना बहुत जरूरी है.’’

इस पर सहज रूप से जय सिदार ने कहा, ‘‘बात तो सही है, ऐसा करते हैं, तुम काम पर चले जाओ और उन से बता देना कि आज मैं छुट्टी पर रहूंगा… मैं इन की साइकिल ठीक करा देता हूं.’’

जय को रमेश आश्चर्य से देखता हुआ ड्यूटी पर चला गया. इधर जय ने युवती की मदद के लिए साइकिल अपने कंधे पर उठा ली और धीरेधीरे साइकिल मिस्त्री के पास पहुंचा. थोड़ी ही देर में मिस्त्री ने साइकिल ठीक कर दी. युवती जय के व्यवहार और हमदर्दी को देख कर बहुत प्रभावित हुई. फिर दोनों ने बातचीत में एकदूसरे का नाम और परिचय पूछा. युवती ने अपना नाम सरस्वती मरांडी बताया. जब जय वहां से जाने लगा तो सरस्वती ने उसे अचानक रोक कर कहा, ‘‘आप ने मेरे कारण आज अपना बहुत नुकसान कर लिया है बुरा न मानें तो क्या आप मेरे साथ एक कप चाय पी सकते हैं?’’

जय सिदार 19 वर्षीय सरस्वती की बातें सुन कर हंसता हुआ राजी हो गया. अब वह उसे अच्छी लगने लगी थी. मंत्रमुग्ध सा जय उस के साथ एक रेस्टोरेंट में चला गया. बातोंबातों में सरस्वती ने उसे बताया कि वह अपने गांव ढांगी करतस, जिला धनबाद की रहने वाली है और यहां स्थानीय प्रौढ़ शिक्षा केंद्र में शिक्षिका है. इस बीच जय ने सरस्वती का मोबाइल नंबर ले लिया और अपने बारे में सब कुछ बताता चला गया. अब अकसर जय सिदार सरस्वती से बातें करता. सरस्वती भी उसे पसंद करती और दोनों के बीच प्रेम की बेलें फूट पड़ीं. जल्द ही एक दिन जय कुमार ने सरस्वती से झिझकते हुए कहा, ‘‘सरस्वती, मैं तुम्हें चाहने लगा हूं. तुम प्लीज मना मत करना, नहीं तो मैं मर ही जाऊंगा.’’

इस पर सरस्वती मुसकराते हुए बोली, ‘‘अच्छा, बताओ तो इस का तुम्हारे पास क्या सबूत है.’’

‘‘सरस्वती, तुम्हारे लिए मैं सब कुछ करने को तैयार हूं. बताओ, मुझे क्या करना है.’’ जय सिदार ने हिचकते हुए कहा.

‘‘मैं तो मजाक कर रही थी, मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत पसंद करते हो.’’ सरस्वती बोली.

यह सुन कर जय की हिम्मत बढ़ गई. वह बोला, ‘‘…और मैं.’’

सरस्वती ने धीरे से  कहा, ‘‘लगता है तुम तो प्यार के खेल में अनाड़ी हो. अरे बुद्धू, अगर कोई लड़की मुसकराए, बात करे, इस का मतलब तुम नहीं समझते…’’

यह सुन कर जय खुशी से उछल पड़ा. इस के बाद उन का प्यार परवान चढ़ता गया. फिर एक दिन सरस्वती और जय ने एक मंदिर में विवाह कर लिया. सन 2017 से ले कर मार्च, 2020 अर्थात कोरोना काल से पहले तक दोनों ही प्रेमपूर्वक झारखंड में एक छत के नीचे रह रहे थे. इस बीच दोनों ने मंदिर में विवाह कर लिया और पतिपत्नी के रूप में आनंदपूर्वक रहने लगे. मार्च 2020 में जब कोविड 19 का संक्रमण फैलने लगा तो जय का काम छूट गया. घर में खाली बैठेबैठे जय को अपने गांव और मातापिता की याद आने लगी. एक दिन जय ने सरस्वती से कहा,

‘‘चलो, हम गांव चलते हैं, वहां इस समय रहना ठीक रहेगा, पता नहीं ये हालात कब तक सुधरेंगे. और जहां तक रोजीरोटी का सवाल है तो हम गांव में ही कमा लेंगे. फिर आज सवाल तो जान बचाने का है.’’

सरस्वती को बात पसंद आ गई. उस समय गांव जाने के लिए कोई साधन नहीं था. तब जय कुमार पत्नी सरस्वती को अपनी साइकिल पर बैठा कर जिला रायगढ़ के गांव कामरगा में स्थित अपने घर की ओर चल दिया. लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय कर के जय कुमार अपने घर पहुंच गया. घर में पिता शदाराम और परिजनों ने जब जय को देखा, सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. साथ में सरस्वती को देखा तो पिता शदाराम ने पूछा, ‘‘यह कौन है?’’

जय ने सकुचाते हुए सरस्वती का परिचय पत्नी के रूप में परिजनों को करा दिया. उस समय किसी ने भी कुछ नहीं कहा. लौकडाउन का यह समय सभी को चिंतित किए हुए था. मगर स्थितियां सुधरने लगीं तो जय कुमार से सवालजवाब होने लगा. एक दिन पिता शदाराम ने कहा, ‘‘बेटा जय, गांव के लोग पूछ रहे हैं कि तुम्हारी बहू कहां की है किस जाति की है? जब मैं ने बताया तो समाज के लोगों ने नाराजगी प्रकट की है. इस से शादी कर के तुम ने बहुत बड़ी भूल की है बेटा.’’

‘‘पिताजी, अब मैं क्या करूं, जो होना था, वह तो हो चुका है.’’ यह सुन कर जय बोला.

‘‘बेटा, हम को भी समाज में रहना है, यहीं जीना है. यह हाल रहेगा तो हम, हमारा परिवार भारी मुसीबत में पड़ जाएगा. कोई हम से रोटीबेटी का रिश्ता तक नहीं रखेगा. ऐसे में हो सके तो तुम लोग कहीं और जा कर के जीवन बसर करो, ताकि समाज के लोग अंगुली न उठा सकें.’’

जय ने कहा, ‘‘पिताजी, अब क्या हो सकता है, मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा.’’

एक दिन एक निकट के परिजन ने जय से कहा, ‘‘अब देख लो, सोचसमझ के कुछ निर्णय लो. वैसे, पास के गांव के हमारे परिचित रामसाय ने अपनी बेटी के साथ तुम्हारे विवाह का प्रस्ताव भेजा था. वह पैसे वाले लोग भी हैं और हमारे समाज के भी हैं. ऐसा करो, सरस्वती को तुम छोड़ दो. फिर हम बात आगे बढ़ाते हैं.’’

यह सुन कर जय का मन भी बदल गया. क्योंकि सुमन को वह बचपन में पसंद करता था. वह सोचने लगा कि काश! वह सरस्वती के चक्कर में नहीं पड़ता तो आज सुमन उस की होती. इसी दरमियान जय गांव में ही तेजराम के यहां ट्रैक्टर चलाने लगा था. नौसिखिए जय सिदार से एक दिन अचानक दुर्घटना हो गई तो तेजराम ने उस की पिटाई कर दी और उस से नुकसान की भरपाई मांगने लगा. परिस्थितियों को देख कर जय पत्नी सरस्वती को ले कर पास के दूसरे गांव सरकेदा में अपने जीजा रवि के यहां गुजरबसर करने आ गया. जय का रवि के साथ अच्छा याराना था. बातोंबातों में एक दिन रवि ने कहा, ‘‘भैया, यह तुम्हारे गले कैसे पड़ गई, इस से कितनी सुंदर लड़कियां हमारे समाज में हैं.’’

यह सुन कर के जय मानो फट पड़ा. बोला, ‘‘भाटो (जीजा), बस यह भूल मुझ से हो गई है, अब मैं क्या करूं, मुझे तो लगता है कि सरस्वती से शादी कर के मैं फंस गया हूं.’’

रवि ने जय कुमार को बताया कि परिवार में चर्चा हुई थी कि सुमन के पिता तुम्हारे लिए 2-3 बार आ चुके हैं. अब क्या हो.’’

‘‘क्या करूं, क्या इसे बोकारो छोड़ आऊं?’’ विवशता जताता जय कुमार बोला.

‘‘…और अगर कहीं फिर वापस आ गई तो..?’’  रवि कुमार ने चिंता जताई.

जय कुमार असहाय भाव से जीजा रवि की ओर देखने लगा.

रवि मुसकराते हुए बोला, ‘‘एक रास्ता है…’’

और दोनों ने बातचीत कर के एक ऐसी योजना बनाई, जिस ने आगे चल कर दोनों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. वह 7 जनवरी, 2021 का दिन था. एक दिन पहले ही जय और रवि ने सरस्वती से बात कर के पिकनिक के लिए झरन डैम चलने की योजना बना ली थी. एक बाइक पर तीनों सुबहसुबह पिकनिक के लिए निकल गए. लैलूंगा शहर घूमने, खरीदारी के बाद 7 किलोमीटर आगे खम्हार जंगल के पास झरन डैम में पहुंच कर तीनों ने खूब मस्ती की. मोबाइल से फोटो खींचे और खायापीया. इस बीच सरस्वती ने एक दफा सहजता से कहा, ‘‘कितना अच्छा होता, आज सारे परिवार वाले भी हमारे साथ होते तो पिकनिक यादगार हो जाती.’’

इस पर रवि ने बात बनाते हुए कहा, ‘‘भाभी, आएंगे आगे सब को ले कर के आएंगे. आज तो हम लोगों ने सोचा कि चलो देखें, यहां का कैसा माहौल है अगली बार  सब को ले कर के पिकनिक मनाएंगे.’’

आज जय सिदार कुछ उखड़ाउखड़ा भी दिखाई दे रहा था. इस पर सरस्वती ने कहा था, ‘‘पिकनिक मनाने आए हो या फिर किसी और काम से…’’

यह सुन कर अचकचाए जय कुमार ने मुसकरा कर कहा, ‘‘ऐसीवैसी कोई बात होती तो मैं भला क्यों आता. तुम गलत समझ रही हो. क्या है सारे कामधंधे रुके पड़े हैं. पैसा कहीं से तो आ नहीं पा रहा है, बस इसी बात की टेंशन है सरस्वती.’’

सरस्वती को लगा कि जय जायज बात कर रहा है. थोड़ी देर बाद जब वापस चलने का समय हुआ तो एक जगह रवि कुमार रुक गया और छोटी अंगुली दिखा कर बोला, ‘‘मैं अभी फारिग हो कर आता हूं.’’

रवि झाडि़यों के अंदर चला गया. सही मौका देख कर के जय ने अचानक सरस्वती पर हमला कर दिया और उस के बाल पकड़ कर उसे मारने लगा और एक रस्सी निकाल कर के गला घोंटने लगा. वह वहीं गिर पड़ी और फटी आंखों से उसे देखती रह गई. जय आखिरी तक सरस्वती पर प्राणघातक हमला भी करता रहा. इतनी देर में रवि भी दौड़ कर आ गया और जय का साथ देने लगा.  देखते ही देखते सरस्वती के प्राणपखेरू उड़ गए. सरस्वती की मौत के बाद रवि ने उस के गले में एक नीली रस्सी बांधी और झाडि़यों में घसीट कर सरस्वती की लाश छिपा दी. 12 जनवरी, मंगलवार को शाम लगभग 5 बजे थाना लैलूंगा मैं अपने कक्ष में थानाप्रभारी एल.पी. पटेल रोजमर्रा के कामों को निपटा रहे थे कि दरवाजे पर आहट सुनाई दी.

उन्होंने देखा 3-4 ग्रामीणों के साथ खम्हार गांव के सरपंच शिवप्रसाद खड़े हैं. थानाप्रभारी ने उन सभी को अंदर बुला लिया. तभी सरपंच ने उन से कहा, ‘‘सर, जंगल में एक महिला की लाश मिली है. कुछ लोगों ने देखा तो मैं सूचना देने के लिए आया हूं. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआई व 2 कांस्टेबलों को थानाप्रभारी पटेल ने घटनास्थल की ओर रवाना किया और अपने काम में लग गए. लगभग एक घंटे बाद उन्हें सूचना मिली कि लाश किसी महिला की है. उन्होंने एसआई को स्थिति को देखते हुए सारे सबूतों को इकट्ठा करने और फोटोग्राफ लेने के निर्देश दिए और कहा कि वह स्वयं घटनास्थल पर आ रहे हैं.

थाने से निकलने से पहले एल.पी. पटेल ने एसपी (रायगढ़) संतोष सिंह और एएसपी अभिषेक वर्मा को महिला की लाश मिलने की जानकारी दी और घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. जब वह वहां पहुंचे तो थोड़ी देर में ही जिला मुख्यालय से डौग स्क्वायड टीम भी आ गई  और महिला की लाश को देख कर के उन्हें समझने में देर नहीं लगी कि यह सीधेसीधे एक ब्लाइंड मर्डर का मामला है. पुलिस विवेचना में जांच अधिकारी एल. पी. पटेल के सामने शुरुआती परेशानी मृतका की पहचान की थी, जिस के लिए मशक्कत शुरू कर दी गई. इस कड़ी में रायगढ़ जिले के सभी थानों के गुम इंसानों के हुलिया से मृतका का मिलान किया गया.

जब सफलता नहीं मिली तो छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस पोर्टल पर राज्य के लगभग सभी जिलों के गुम इंसानों से हुलिया का मिलान कराया गया. सभी सोशल मीडिया ग्रुप में मृतका के फोटो वायरल किया जाने लगा. मगर सुराग नहीं मिल रहा था. आखिरकार एक दिन पुलिस को अच्छे नतीजे मिले. सोशल मीडिया में वायरल की गई तसवीर के जरिए मृतका की शिनाख्त सरस्वती मरांडी, पुत्री सुजीत मरांडी, उम्र 23 वर्ष निवासी ढांगी करतस, जिला धनबाद (झारखंड) के रूप में हुई. मृतका की शिनाख्त के बाद मामले में नया पहलू सामने आया, जिस से अनसुलझे हत्याकांड की गुत्थी सुलझती चली गई. लैलूंगा पुलिस को हत्याकांड में कमरगा गांव, थाना लैलूंगा के जयकुमार सिदार के मृतका का कथित पति होने की जानकारी भी मिली.

लैलूंगा पुलिस द्वारा गोपनीय तरीके से जयकुमार सिदार का उस के गांव में पता लगाया गया तो जानकारी मिली कि वह तथा उस का जीजा रवि कुमार सिदार दोनों ही अपनेअपने गांव से गायब हैं. हत्या के इस गंभीर मामले में एसपी संतोष सिंह द्वारा अज्ञात महिला के वारिसों और संदिग्धों की तलाश के लिए थाना लैलूंगा, धरमजयगढ़, चौकी बकारूमा की 3 अलगअलग टीमें बनाई गईं. एक टीम में एसडीपीओ सुशील नायक, एसआई प्रवीण मिंज, हैडकांस्टेबल सोमेश गोस्वामी, कांस्टेबल प्रदीप जौन, राजेंद्र राठिया, दूसरी टीम में थानाप्रभारी लैलूंगा इंसपेक्टर लक्ष्मण प्रसाद पटेल, कांस्टेबल मायाराम राठिया, धनुर्जय बेहरा, जुगित राठिया, अमरदीप एक्का और तीसरी टीम में एसआई बी.एस. पैकरा, एएसआई माधवराम साहू, हैडकांस्टेबल संजय यादव, कांस्टेबल इलियास केरकेट्टा को शामिल किया गया.

पहली टीम को किलकिला, फरसाबहार, बागबाहर और तपकरा तथा दूसरी टीम को पत्थलगांव, घरघोड़ा, लारीपानी, चिमटीपानी एवं टीम नंबर 3 को बागबाहर, कांसाबेल, कापू, दरिमा, अंबिकापुर की ओर जांच के लिए लगाया गया था. तीनों टीमों के अथक प्रयास पर आरोपियों को जिला जशपुर के गांव रजौरी से 20 जनवरी को हिरासत में ले कर थाने लाया गया. दोनों आरोपी पुलिस से लुकछिप कर रजौरी के जंगल में लकड़ी काटने का काम कर रहे थे. दोनों ने कड़ी पूछताछ में अंतत: सरस्वती मरांडी की हत्या करने का अपना अपराध स्वीकार लिया. रोजगार के सिलसिले में वह बोकारो, झारखंड गया था. वहां राजू टिंबर ट्यूनिंग प्लांट में क्लीनर मशीन चलाता था और किराए के मकान में रहा करता था. वहीं सरस्वती मरांडी से उस की जानपहचान हुई.

जय कुमार परेशान था और उस ने अपने जीजा रवि के साथ सरस्वती की हत्या का प्लान बनाया और उसी प्लान के तहत 7 जनवरी, 2021 को पिकनिक का बहाना कर सरस्वती को मोटरसाइकिल पर बिठा कर लैलूंगा ले कर आए. लैलूंगा बसस्टैंड पर खानेपीने के सामान व सरस्वती ने कपड़े खरीदे. तीनों फिर खम्हार के झरन डैम गए, जहां सरस्वती ने वही पीले रंग की सलवारकुरती पहनी, जो उस ने गांव कमरगा की सुनीता सिदार (टेलर) से बनवाई थी. वहां उन्होंने मोबाइल पर खूब सेल्फी ली. शाम करीब 5 बजे भेलवाटोली एवं खम्हार के बीच पगडंडी के रास्ते में रवि सिदार पेशाब करने का बहाना कर रुका. उसी समय जयकुमार सिदार ने सरस्वती के बाल पकड़ कर उसे जमीन पर पटक दिया और गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

इस के बाद रवि और जयकुमार सिदार ने सरस्वती के गले में चुनरी से गांठ बांध कर खींचा और लाश सरई झाडि़यों के बीच छिपा दी. दोनों आरोपी भागने की हड़बड़ी में अपनी चप्पलें, गमछा भी घटनास्थल के पास छोड़ आए. लैलूंगा पुलिस ने आरोपी जय कुमार सिदार (25 साल) और रवि सिदार ( 30 वर्ष) को गिरफ्तार कर घरघोड़ा की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया. Chhattisgarh News

Hindi love Stories : एक्ट्रेस शनाया काटवे के प्यार में रोड़ा बना भाई तो करा दी हत्या

Hindi love Stories : शनाया काटवे एक उभरती हुई अभिनेत्री थी. उसे नियाज अहमद से मोहब्बत हो गई. उस की मोहब्बत में उस का भाई राकेश काटवे कांटा बना तो शनाया ने अपनी फिल्म की प्रमोशन वाले दिन ऐसी खूनी साजिश रची कि…

वह वर्गाकार बड़ा हाल था. हाल में मुख्यद्वार से सटे 3×6 के 2 मेज एकदूसरे को आपस में सटा कर बिछाए गए थे. नया और रंगीन कवर उन पर बिछाया गया था. मेज से सटी 4 कुरसियां थीं. कुरसियों पर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की उभरती हुई अभिनेत्री शनाया काटवे, फिल्म के डायरेक्टर राघवंका प्रभु और 2 अन्य मेहमान बैठे हुए थे. मेज के सामने करीब 4 फीट की दूरी पर कुछ और कुरसियां रखी हुई थीं. उन पर शहर के नामचीन, वीआईपी, रिश्तेदार, दोस्त और स्थानीय समाचारपत्रों के खबरनवीस बैठे हुए थे. हाल का कोनाकोना दुलहन की तरह सजा था. रंगीन और दूधिया रौशनी के सामंजस्य से पूरा हाल नहा उठा था. खूबसूरत और शानदार सजावट से किसी की आंखें हट ही नहीं रही थीं.

अभिनेत्री शनाया काटवे की ओर से यह शानदार पार्टी उस के फिल्म प्रमोशन ‘ओंडू घंटेया काठे’ के अवसर पर आयोजित की गई थी. पार्टी देर रात तक चलती रही. घूमघूम कर शनाया मेहमानों का खयाल रख रही थी. पार्टी में शामिल आगंतुकों ने वहां जम कर लुत्फ उठाया था. पार्टी खत्म हुई तो देर रात शनाया काटवे अपने मांबाप के साथ घर पहुंची. वह बहुत थक गई थी. कपड़े वगैरह बदल कर हाथमुंह धो कर अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी तो दिन भर की थकान के चलते लेटते ही सो गई. उस के मांबाप अपने कमरे में जा कर सो गए थे. यह बात 9 अप्रैल, 2021 की है. अगली सुबह जब शनाया और उस के मांबाप की नींद खुली और वे फ्रैश हो कर डायनिंग हाल में नाश्ता करने बैठे तो उन्हें अपने इर्दगिर्द एक कमी का एहसास हुआ.

जब वे देर रात घर वापस लौटे थे तो भी घर पर उन का बेटा राकेश काटवे कहीं नजर नहीं आया था. जब सुबह नाश्ता करने के लिए सभी एक साथ डायनिंग हाल में बैठे तो भी राकेश वहां भी मौजूद नहीं था. यह देख कर शनाया के पापा बलदेव काटवे थोड़ा परेशान हो गए कि आखिर वह कहां है, घर में कहीं दिख भी नहीं रहा है. ऐसा पहली बार हुआ था जब वह घर से कहीं बाहर गया और हमें नहीं बताया, लेकिन वह जा कहां सकता है. यह तो हैरान करने वाली बात हुई. बलदेव काटवे और उन की पत्नी सोनिया का नाश्ता करने का मन नहीं हो रहा था. दोनों एकएक प्याली चाय पी कर वहां से उठ गए. मांबाप को उठ कर जाते देख शनाया भी नाश्ता छोड़ कर उठ गई और उन के कमरे में जा पहुंची, जहां वे बेटे को ले कर परेशान और चिंतित थे.

बात चिंता करने वाली थी ही. जो इंसान घर छोड़ कर कहीं न जाता हो और फिर वह अचानक से गायब हो जाए तो यह चिंता वाली बात ही है. बलदेव, सोनिया और शनाया ने अपनेअपने स्तर से परिचितों और दोस्तों को फोन कर के राकेश के बारे में पता किया, लेकिन वह न तो किसी परिचित के वहां गया था और न ही किसी दोस्त के वहां ही. उस का कहीं पता नहीं चला. राकेश का जब कहीं पता नहीं चला तो बलदेव काटवे ने बेटे की गुमशुदगी की सूचना हुबली थाने में दे दी. एक जवान युवक के गायब होने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य हरकत में आए और राकेश की खोजबीन में अपने खबरियों को लगा दिया. यह 10 अप्रैल, 2021 की बात है.

राकेश काटवे कोई छोटामोटा आदमी नहीं था. उस के नाम के पीछे अभिनेत्री शनाया काटवे का नाम जुड़ा था, इसलिए यह मामला हाईप्रोफाइल बन गया था. मुकदमा दर्ज कर लेने के बाद पुलिस राकेश काटवे का पता लगाने में जुटी हुई थी. 5 टुकड़ों में मिली लाश इसी दिन शाम के समय हुबली थाना क्षेत्र के देवरागुडीहल के जंगल में एक कटा हुआ सिर बरामद हुआ तो इसी थाना क्षेत्र के गदर रोड से एक कुएं में गरदन से पैर तक शरीर के कई टुकड़े पानी पर तैरते बरामद हुए. टुकड़ों में मिली इंसानी लाश से इलाके में दहशत फैल गई थी. जैसे ही कटा सिर और टुकड़ों में बंटे शरीर के अंग पाए जाने की सूचना थानाप्रभारी एस. शंकराचार्य को मिली, वह चौंक गए. वह तुरंत टीम ले कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए थे.

चूंकि राकेश काटवे की गुमशुदगी की सूचना थाने में दर्ज थी, घर वालों ने उस की एक रंगीन तसवीर थाने में दी थी. कटा हुआ सिर तसवीर से काफी हद तक मेल खा रहा था, इसलिए थानाप्रभारी ने घटनास्थल पर बलदेव काटवे को भी बुलवा लिया, जिस से उस की शिनाख्त हो जाए. छानबीन के दौरान संदिग्ध अवस्था में घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक मारुति रिट्ज और एक हुंडई कार बरामद की थी. दोनों कारों की पिछली सीटों पर खून के धब्बे लगे थे, जो सूख चुके थे. पुलिस का अनुमान था कि हत्यारों ने कार को लाश ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया होगा. पुलिस ने दोनों कारों को अपने कब्जे में ले लिया.

दोनों कारों को कब्जे में लेने के बाद उन्होंने इस की सूचना एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और पुलिस कमिश्नर लभु राम को दे दी थी. दिल दहला देने वाली घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे. उन्होंने घटनास्थल और कटे हुए अंगों का निरीक्षण किया. शरीर के अंगों को देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने बड़े इत्मीनान से किसी  धारदार हथियार से उसे छोटेछोटे टुकड़ों में काटा होगा. पुलिस उन तक पहुंच न पाए, इसलिए लाश जंगल में ले जा कर अलगअलग जगहों पर फेंक दी, ताकि लाश की शिनाख्त न हो सके. बहरहाल, थानाप्रभारी की यह तरकीब वाकई काम कर गई. उन्होंने जब बलदेव काटवे को सिर के फोटो दिखाए तो फोटो देखते ही बलदेव काटवे पछाड़ मार कर जमीन पर गिर गए.

यह देख कर पुलिस वालों को समझते देर न लगी कि कटे हुए सिर की पहचान उन्होंने कर ली है. थोड़ी देर बाद जब वह सामान्य हुए तो वह दहाड़ मारमार कर रोने लगे. वह कटा हुआ सिर उन के लाडले बेटे राकेश काटवे का था. पुलिस यह जान कर और भी हैरान थी कि कहीं गदग रोड स्थित कुएं से बरामद कटे अंग राकेश के तो नहीं हैं. लेकिन पुलिस की यह आशंका भी जल्द ही दूर हो गई थी. बलदेव काटवे ने हाथ और पैर की अंगुलियों से लाश की पहचान अपने बेटे के रूप में कर ली थी. 24 घंटे के अंदर पुलिस ने राकेश काटवे की गुमशुदगी के रहस्य से परदा उठा दिया था. हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से उसे मौत के घाट उतारा था.

पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. लेकिन एक बात से राकेश के मांबाप और पुलिस हैरान थे कि राकेश की जब किसी से दुश्मनी नहीं थी तो उस की हत्या किस ने और क्यों की? इस का जबाव न तो पुलिस के पास था और न ही उस के मांबाप के पास. दोनों ही इस सवाल से निरुत्तर थे. किस ने और क्यों, का जबाव तो पुलिस को ढूंढना था. राकेश की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को अपना हथियार बनाया. पुलिस ने सब से पहले राकेश काटवे के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुट गई कि आखिरी बार राकेश से किस की और कब बात हुई थी?

जांचपड़ताल में आखिरी बार उस की बहन शनाया से बातचीत के प्रमाण मिले थे. रात में 7 और 8 बजे के बीच में शनाया और राकेश के बीच लंबी बातचीत हुई थी. उस के बाद उस के फोन पर किसी और का फोन नहीं आया था. इस का मतलब आईने की तरह साफ था कि राकेश की हत्या रात 8 बजे के बाद की गई थी. पुलिस के सामने एक और हैरानपरेशान कर देने वाली सच्चाई सामने आई थी. घटना वाले दिन शनाया ने अपने फिल्म के प्रमोशन पर एक पार्टी रखी थी. उस पार्टी में राकेश को छोड़ घर के घर सभी सदस्य शमिल थे तो उस का भाई राकेश पार्टी में शामिल क्यों नहीं हुआ? वह कहां था?

इंसपेक्टर एस. शंकराचार्य के दिमाग में यह बात बारबार उमड़ रही थी कि जब घर के सभी सदस्य पार्टी में शमिल थे तो राकेश किस वजह से घर पर रुका रहा? इस ‘क्यों’ का जबाव मिलते ही हत्या की गुत्थी सुलझ सकती थी. आखिरकार पुलिस की मेहनत रंग लाई. घटनास्थल से बरामद हुई दोनों कारों में से एक मारुति रिट्ज कार मृतक राकेश काटवे की बहन शनाया काटवे के नाम पर रजिस्टर्ड थी. दूसरी हुंडई कार किसी अमन नाम के व्यक्ति के नाम पर थी. यह जान कर पुलिस के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई कि शनाया काटवे की कार घटनास्थल पर कैसे पहुंची? राकेश के मर्डर से शनाया का क्या संबंध हो सकता है? क्या शनाया का हत्यारों के साथ कोई संबंध है? ऐसे तमाम सवालों ने पुलिस कमिश्नर लभु राम, एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत और थानाप्रभारी को हिला कर रख दिया था.

एसपी (ग्रामीण) पी. कृष्णकांत के नेतृत्व में राकेश काटवे हत्याकांड की बिखरी कडि़यों को जोड़ने के लिए थानाप्रभारी बेताब थे. उन्होंने घटना का परदाफाश करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया था. घटना के 4 दिनों बाद 14 अप्रैल को मुखबिर ने जो सूचना दी, उसे सुन कर थानाप्रभारी को मामले में प्रगति नजर आई. मुखबिर ने उन्हें बताया था कि भाईबहन शनाया और राकेश के बीच में अच्छे रिश्ते नहीं थे. बरसों से उन के बीच में छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ था. मुखबिर की यह सूचना पुलिस के लिए काम की थी. पुलिस ने दोनों के बिखरे रिश्तों का सच तलाशना शुरू किया तो जल्द ही सारा सच सामने आ गया. दरअसल, राकेश शनाया के प्रेम की राह में एक कांटा बना हुआ था. शनाया का नियाज अहमद काटिगार के साथ प्रेम संबंध था. इसी बात को ले कर अकसर दोनों भाईबहन के बीच में झगड़ा हुआ करता था.

राकेश को बहन का नियाज से मेलजोल अच्छा नहीं लगता था, जबकि शनाया को भाई की टोकाटोकी सुहाती नहीं थी. यही दोनों के बीच खटास की वजह थी. घटना के खुलासे के लिए इतनी रौशनी काफी थी. सबूतों के आधार पर 17 अप्रैल को हुबली पुलिस ने नियाज अहमद काटिगार को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई. अपराधी चढ़े पुलिस के हत्थेथाने में कड़ाई से हुई पूछताछ में नियाज अहमद पुलिस के सामने टूट गया और राकेश की हत्या का अपना जुर्म कबूल कर लिया. आगे की पूछताछ में उस ने यह भी बताया कि इस घटना में उस के साथ उस के 3 साथी तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला शमिल थे. उस के बयान के आधार पर उसी दिन तीनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

पुलिस पूछताछ के दौरान नियाज अहमद ने प्रेमिका शनाया काटवे के कहने पर राकेश की हत्या करना कबूल किया था. 5 दिनों बाद 22 अप्रैल, 2021 को राकेश हत्याकांड की मास्टरमाइंड शनाया काटवे को हुबली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. शनाया ने बड़ी आसानी से पुलिस के सामने घुटने टेक दिए. उस ने भाई राकेश की हत्या कराने का अपना जुर्म मान लिया था. पुलिस पूछताछ में राकेश काटवे हत्याकांड की कहानी ऐसे सामने आई—

25 वर्षीया शनाया काटवे मूलरूप से उत्तरी कर्नाटक के धारवाड़ जिले की हुबली की रहने वाली थी. वह मां सोनिया काटवे और पिता बलदेव की इकलौती संतान थी. इस के अलावा काटवे दंपति की कोई और संतान नहीं थी. एक ही संतान को पा कर दोनों खुश थे और खुशहाल जीवन जी रहे थे. लेकिन बेटे की चाहत कहीं न कहीं पतिपत्नी के मन में बाकी थी. पतिपत्नी जब भी अकेले में होते तो एक बेटे की अपनी लालसा जरूर उजागर करते. आखिरकार उन्होंने फैसला किया कि वे एक बेटे को गोद लेंगे, अपनी कोख से नहीं जनेंगे. जल्द ही काटवे दंपति की वह मंशा पूरी हो गई. गोद लिया भाई था राकेश उन्होंने अपने एक रिश्तेदार के बेटे को कानूनी तौर पर गोद ले लिया और पालपोस कर उसे बड़ा किया. तब राकेश साल भर का रहा होगा. काटवे दंपति के गोद में राकेश पल कर बड़ा हुआ.

उन की अंगुलियां पकड़ कर चलना सीखा. सयाना और समझदार हुआ तो मांबाप के रूप में उन्हें ही सामने पाया. वही उस के मांबाप थे, राकेश यही जानता था. उन्होंंने भी शनाया और राकेश के बीच कभी फर्क नहीं किया. लेकिन शनाया जानती थी कि राकेश उस का सगा भाई नहीं है, उसे मांबाप ने गोद लिया है. बचपन से ही शनाया राकेश से नफरत करती थी, उस से चिढ़ती थी. चिढ़ उसे इस बात से हुई थी कि उस के हिस्से की आधी खुशियां और सुख राकेश की झोली में जा रहे थे. शनाया फुरसत में जब भी होती, यही सोचती कि वह नहीं होता तो जो सारी खुशियां, लाड़प्यार राकेश को मिलता है, उसे ही नसीब होता. लेकिन उस के हिस्से के प्यार पर डाका डालने न जाने वह कहां से आ गया.

यही वह खास वजह थी जब शनाया बचपन से ले कर जवानी तक राकेश को फूटी आंख देखना नहीं चाहती थी. उस से नफरत करती थी. लेकिन इस से राकेश को कोई फर्क नहीं पड़ता था कि शनाया उसे प्यार करती थी या नफरत. वह तो उस की परछाईं को अपना समझ कर उस के पीछे भागता था, उसे बहन के रूप में प्यार करता था. क्योंकि उस के मांबाप ने उसे यही बताया था. खैर, शनाया और राकेश बचपन की गलियों को पीछे छोड़ अब जवानी की दहलीज पर खड़े थे. जिस प्यार को मांबाप ने दोनों में बराबर बांटा था, दोनों के अपने रास्ते अलगअलग थे. हुबली से ही स्नातक की डिग्री हासिल कर शनाया काटवे की बचपन से रुपहले परदे पर स्टार बन कर चमकने की दिली ख्वाहिश थी.

अपने सपने पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करती थी. इस के लिए उस ने मौडलिंग की दुनिया को सीढ़ी बना कर आगे बढ़ना शुरू किया. शनाया बला की खूबसूरत और बिंदास लड़की थी. अपनी सुंदरता पर उसे बहुत नाज था. आदमकद आईने के सामने घंटों खड़ी हो कर खुद को निहारना उस के दिल को सुकून देता था. यही नहीं, जीने की हसरत उस में कूटकूट कर भरी थी. उस के खयालों में नियाज अहमद काटिगार सुनहरे रंग भर रहा था. अमीर बाप की बिगड़ी औलाद था नियाज हुबली का रहने वाला 22 वर्षीय नियाज अहमद अमीर मांबाप की बिगड़ी हुई औलाद था. बाप के खूनपसीने से कमाई दौलत यारदोस्तों में दोनों हाथों से पानी की तरह बहा रहा था. उन यारदोस्तों में एक नाम शनाया काटवे का भी था.

नियाज के दिल की धड़कन थी शनाया. उस के रगों में बहने वाला खून थी शनाया. शनाया के बिना जीने की वह कभी कल्पना नहीं कर सकता था. शनाया और नियाज एकदूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते थे. दोनों की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी. शनाया की खूबसूरती देख कर नियाज घायल हो गया था. वह पहली नजर में ही शनाया को दिल दे बैठा था. उठतेबैठते, सोतेजागते, खातेपीते हर जगह उसे शनाया ही नजर आती थी. ऐसा नहीं था कि मोहब्बत की आग एक ही तरफ लगी हो. शनाया भी उसी मोहब्बत की आग में जल रही थी. मोहब्बत की आग दोनों ओर बराबर लगी थी. एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें दोनों ने खाईं और भविष्य को ले कर सपने देख रहे थे.

खुले आसमान के नीचे अपनी बांहें फैलाए नियाज और शनाया भूल गए थे कि उन का प्यार ज्यादा दिनों तक चारदीवारी में कैद नहीं रह सकता. वह फिजाओं में खुशबू की तरह फैल जाता है. शनाया और नियाज की मोहब्बत भी ज्यादा दिनों तक छिपी नहीं रही. शनाया के भाई राकेश काटवे को बहन के प्रेम की सूचना मिली तो वह आगबबूला हो गया था. उस ने अपनी तरफ से सच्चाई का पता लगाया तो बात सच निकली. बहन को हिदायत दी थी राकेश ने शनाया एक मुसलिम युवक नियाज अहमद से प्यार करती थी. उस ने बड़े प्यार से एक दिन बहन से पूछा, ‘‘यह मैं क्या सुन रहा हूं शनाया?’’

‘‘क्या सुन रहे हो भाई, मुझे भी तो बताओ.’’ शनाया ने पूछा.

‘‘क्या तुम सचमुच नहीं जानती कि मैं क्या कहना चाहता हूं?’’ वह बोला.

‘‘नहीं, सचमुच मैं नहीं जानती, आप क्या कहना चाहते हो और मेरे बारे में आप ने क्या सुना है?’’ शनाया ने सहज भाव से कहा.

‘‘उस नियाज से तुम दूरी बना लो, यही तुम्हारी सेहत के अच्छा होगा. मैं अपने जीते जी खानदान की नाक कटने नहीं दूंगा. अगर  तुम ने मेरी बात नहीं सुनी या नहीं मानी तो यह नियाज मियां के सेहत के लिए अच्छा नहीं होगा.’’ भाई के मुंह से नियाज का नाम सुनते ही शनाया के होश उड़ गए.

‘‘जैसा तुम सोच रहे हो भाई, हमारे बीच में ऐसी कोई बात नहीं है. हम दोनों एक अच्छे दोस्त भर हैं.’’ शनाया ने सफाई देने की कोशिश की, लेकिन वह घबराई हुई थी.

‘‘मेरी आंखों में धूल झोंकने की कोशिश मत करना. तुम दोनों के बारे में मुझे सब पता है. कई बार मैं ने खुद तुम दोनों को एक साथ बांहों में बांहें डाले देखा है. जी तो चाहा कि तुम्हें वहीं जान से मार दूं, लेकिन मम्मीपापा के बारे में सोच कर मेरे हाथ रुक गए. तुम अब भी संभल जाओ. तुम्हारी सेहत के लिए यही अच्छा होगा. नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा हो सकता है, जो न मैं जानता हूं और न ही तुम, समझी.’’

‘‘प्लीज भाई, मम्मीपापा से कुछ मत कहना,’’ शनाया भाई के सामने गिड़गिड़ाई, ‘‘नहीं तो उन के दिल को बहुत ठेस लगेगी. वे मेरे बारे में क्या सोचेंगे. मेरी उन की नजरों में सारी इज्जत खत्म हो जाएगी. प्लीज…प्लीज… प्लीज, मम्मीपापा से कुछ मत कहना, मेरे अच्छे भाई.’’

‘‘ठीक है, ठीक है, सोचूंगा. मुझे क्या करना होगा लेकिन तुम ने अपनी आदत में बदलाव नहीं लाया तो सोचना कि मैं तुम्हारे लिए कितना खतरनाक बन जाऊंगा, मैं खुद भी नहीं जानता.’’

राकेश ने शनाया को प्यार से समझाया भी और धमकाया भी. उस के बाद उस ने मम्मीपापा से बहन की पूरी हकीकत कह सुनाई. बेटी की करतूत सुन कर वे शर्मसार हो गए. मांबाप ने भी बेटी को समझाया और नियाज से दूर रहने की सलाह दी. वैसे भी शनाया भाई से छत्तीस का आंकड़ा रखती थी. उस के मना करने के बावजूद राकेश ने उस के प्यार वाली बात मांबाप से बता दी थी.  यह सुन कर उस के सीने में भाई के प्रति नफरत की आग धधक उठी थी. प्यार की राह का कांटा बना राकेश राकेश बहन के प्रेम की राह का कांटा बना हुआ था. राकेश के कई बार समझाने के बावजूद शनाया ने नियाज से मिलना बंद नहीं किया था. इसे ले कर दोनों में अकसर झगड़े होते रहते थे.

रोजरोज की किचकिच से शनाया ऊब चुकी थी. वह नहीं चाहती थी कि उस के और उस के प्यार के बीच में कोई कांटा बने. भाई की टोकाटोकी से तंग आ कर शनाया ने उसे रास्ते से हटाने की खतरनाक योजना बना ली. शनाया ने अपनी अदाओं से प्रेमी नियाज अहमद को उकसाया कि अगर मुझे प्यार करते हो तो हमारे प्यार के बीच कांटा बने भाई राकेश को रास्ते से हटा दो, नहीं तो मुझे हमेशा के लिए भूल जाओ. नियाज अहमद शनाया से दूर हो कर जीने की कल्पना भी कर नहीं सकता था. उस ने प्रेमिका का दिल जीतने के लिए राकेश को रास्ते से हटाने के लिए हामी भर दी. इस खतरनाक योजना को अंजाम देने के लिए उस ने अपने 3 साथियों तौसीफ चन्नापुर, अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला और अमन गिरनीवाला को शमिल कर लिया.

इस के बाद राकेश को रास्ते से हटाने की योजना बनी. खतरनाक योजना खुद शनाया ने ही बनाई. इसे 9 अप्रैल, 2021 को अंजाम देने की तारीख तय की गई. उस दिन उस ने अपनी नई फिल्म ‘आेंडू घंटेया काठे’ की प्रमोशन रखवाई थी. चतुर शनाया ने इसलिए यह तारीख निर्धारित की थी ताकि उस पर किसी का शक न जाए और रास्ते का कांटा सदा के लिए हट भी जाए. यानी सांप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे. योजना के मुताबिक, 9 अप्रैल, 2021 को शनाया काटवे फिल्म प्रमोशन के लिए जब पार्टी में पहुंची, तभी उस ने नियाज अहमद को फोन कर के बता दिया कि राकेश पार्टी में नहीं आएगा, वह घर पर अकेला है. मांबाप भी पार्टी में आए हुए हैं. यही सही वक्त है, काम को अंजाम दे दो.

घर पर ही किए थे राकेश के टुकड़े शनाया की ओर से हरी झंडी मिलते ही नियाज अहमद, साथियों के साथ अमन गिरनीवाला की हुंडई कार ले कर पार्टी वाली जगह पहुंचा. वहां से शनाया की मारुति रिट्ज कार ले कर रात साढ़े 8 बजे उस के घर पहुंचा. उस की कार नियाज अहमद खुद ड्राइव कर रहा था. उस कार में नियाज के साथ तौसीफ चन्नापुर बैठा था जबकि अमन गिरनीवाला की हुंडई कार में अलताफ तैजुद्दीन मुल्ला सवार था. खैर, रात साढ़े 8 बजे जब नियाज शनाया के घर पहुंचा तो राकेश काटवे घर पर ही था. नियाज ने कालबैल बजाई तो राकेश ने दरवाजा खोल दिया. सामने नियाज को देख कर वह चौंक गया. इस से पहले कि वह सावधान हो पाता, नियाज और उस के साथी अचानक उस पर टूट पड़े.

नियाज ने गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. फिर लाश को ठिकाने लगाने के लिए नियाज ने अपने साथ लाए धारदार चाकू से राकेश के शरीर को 5 टुकड़ों में काट दिया और फर्श पर पड़े खून को एक कपड़े से साफ कर साक्ष्य मिटा दिए. फिर एक पैकेट में सिर और दूसरे पैकेट में बाकी अंग रख कर चारों लोग 2 गाडि़यों में सवार हो कर देवरागुडीहल जंगल की तरफ रवाना हो गए. नियाज ने राकेश का कटा सिर जंगल में फेंक दिया और दोनों कार वहीं छोड़ कर चारों गदग रोड जा पहुंचे. वहां एक कुएं में कटे अंग डाल कर सभी फरार हो गए.

शनाया काटवे ने मौत की परफैक्ट प्लानिंग की थी. लेकिन वह यह भूल गई थी कि अपराधी कितना ही चालाक क्यों न हो, कोई न कोई सुराग छोड़ ही जाता है. शनाया ने भी वैसा ही किया. वह कानून के लंबे हाथों से बच नहीं पाई और पुलिस के हत्थे चढ़ गई. सभी अभियुक्तों से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. Hindi love Stories

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

UP Crime : तकिए से मुंह तब तक दबाया जब तक पत्नी की सांसें थम नहीं जाएं

UP Crime : सरकारी स्कूल की शिक्षिका चंदा अय्याश पति संजय लूथरा को अपनी आदतें सुधारने के लिए समझाती थी, लेकिन संजय अपने दोस्त डा. रजत भारद्वाज के साथ घर में ही बाहरी लड़कियों को बुला कर अय्याशी करता था. एक दिन चंदा ने उन्हें रंगेहाथ पकड़ लिया. फिर…

उस समय सुबह के करीब 4 बज रहे थे. इतनी सुबह मोबाइल की घंटी बजने पर मोहित ने काल रिसीव करने से पहले सोचा कि सुबहसुबह किस का फोन आ गया? उस ने काल रिसीव कर जैसे ही हैलो कहा. दूसरी ओर से उस के जीजा संजय लूथरा की भर्राई आवाज सुनाई दी, ‘‘रात को चंदा का कोलेस्ट्राल बढ़ने से अटैक पड़ गया, जिस से उस की मौत हो गई.’’ चंदा मोहित की बहन थी. यह सुनते ही मोहित के मुंह से चीख निकल गई. मोहित की चीख सुन कर घर वालों की नींद टूट गई. पता नहीं सुबहसुबह मोहित क्यों रो रहा है, यह जानने के लिए सभी उस के कमरे की ओर दौड़े.

मोहित ने उन्हें बताया कि बहन चंदा की मौत हो गई है. संजय का फोन आया था. यह सुनते ही घर में कोहराम मच गया. यह बात 21 फरवरी, 2021 की है. यह दुखद खबर मिलने के बाद चंदा के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा घर के अन्य लोगों के साथ सुबह ही खतौली से मेरठ के शास्त्रीगनर स्थित चंदा की ससुराल जा पहुंचे. वहां घर के बाहर टेंट लगा था और बैठने के लिए कुरसियां लगी थीं. 38 वर्षीय शिक्षिका चंदा का शव बैड पर पड़ा था. लाडली बेटी के शव को देखते ही मां सुनीता, पिता ओमप्रकाश, बहन ज्योति व भाई मोहित बिलखने लगे. मायके वालों ने शव को गौर से देखा. शव पर चोटों के निशान देखते ही घर वालों ने हंगामा कर दिया.

पति संजय पर चंदा की हत्या का आरोप लगाते हुए मोहित ने पुलिस को सूचना दे दी. कुछ देर में थाना नौचंदी पुलिस शास्त्रीनगर थानाप्रभारी प्रेमचंद्र शर्मा ने हंगामा कर रहे मृतका के घर वालों को शांत कराया. हंगामे की जानकारी होने पर सीओ (सिविल लाइंस) देवेश सिंह फोरैंसिक टीम के साथ  घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. इस बीच वहां काफी भीड़ जमा हो गई. चंदा के मायके वालों ने आरोप लगाया कि चंदा की उस के पति संजय ने पीटपीट कर हत्या की है. उस के शरीर पर चोट के निशान भी हैं. मायके वालों ने बताया कि पति संजय की गंदी आदतों का चंदा विरोध करती थी. इस बात को ले कर दोनों के बीच झगड़ा रहता था.

पुलिस ने किसी तरह समझाबुझा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. पुलिस संजय को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. चूंकि मृतका एक शिक्षिका थी, इसलिए सूचना मिलने पर मुजफ्फरनगर शिक्षक संघ के अध्यक्ष बालेंद्र सिंह अपने साथियों संजीव, ओमप्रकाश, अभिषेक, सुमित, नीतू, रजनीश, अशोक, मनीष आदि के साथ थाने पहुंच गए और दोषी के खिलाफ काररवाई की मांग की. पूछताछ में संजय ने पुलिस को बताया, ‘‘रात करीब ढाई बजे चंदा को हार्ट अटैक आया था. इस के चलते वह बैड से नीचे गिर गई और उस की मौके पर ही मौत हो गई.’’

पुलिस को मृतका की जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली, उस में हत्या का कारण स्पष्ट नहीं था. तब पुलिस ने संजय को निर्दोष मानते हुए क्लीन चिट दे दी और थाने से छोड़ दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई संदिग्ध  पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतका के शरीर की चोटों का कोई उल्लेख ही नहीं किया गया था. वहीं हत्या का कारण जानने के लिए मृतका के विसरा को सुरक्षित रखवा दिया गया. इस से नौचंदी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठने लगे. मृतका के मायके वालों का आरोप था कि चंदा के शरीर पर चोट के निशान थे. उन का जिक्र पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्यों नहीं किया गया. और पूरी जांच किए बिना ही नौचंदी पुलिस ने उस के पति संजय को क्लीन चिट कैसे दे दी?

मृतका के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा का आरोप था कि मर्डर प्रीप्लान हुआ है. क्योंकि चंदा की मौत होने के बाद उस का जल्दी अंतिम संस्कार करने की पूरी तैयारी संजय ने पहले से ही कर ली थी. यहां तक कि श्मशान घाट तक शव ले जाने के लिए शव वाहन भी मंगा लिया था. मायके वालों की शिकायत पर एसएसपी अजय साहनी ने मामला अपने हाथ में ले कर जांच शुरू कराई. उन्होंने संजय के जब्त किए गए मोबाइल की जांच की जिम्मेदारी नौचंदी थाने के इंसपेक्टर (क्राइम) राम सजीवन को सौंपी. उन्होंने इस मोबाइल को जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया. फोरैंसिक जांच में खुलासा हुआ कि मोबाइल से फोटो घटना वाली रात ही डिलीट किए गए थे.

वह फोटो पुलिस ने रिकवर कराए तो पुलिस के पांव तले जमीन खिसक गई. उन फोटो से पूरे केस का परदाफाश हो गया. उन में से एक फोटो में एक व्यक्ति बैड पर लेटी चंदा का तकिए से मुंह दबाता हुआ नजर आ रहा था. इस के बाद एसएसपी ने चंदा के पति संजय को दोबारा हिरासत में ले कर उस से गहनता से पूछताछ की. संजय खुद को निर्दोष बताता रहा. वह एक ही राग अलापता रहा कि चंदा की मौत हार्ट अटैक से हुई थी. पुलिस ने संजय को मोबाइल से रिकवर फोटो दिखाया, जिस में चंदा की तकिए से मुंह दबा कर हत्या की जा रही थी. फोटो देखते ही संजय के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं. पूछताछ के दौरान वह सवालों में घिर गया. आखिर में उस ने पत्नी चंदा की

हत्या का आरोप अपने दोस्त डा. रजत भारद्वाज पर लगाते हुए चंदा की हत्या की सच्चाई उगल दी. एसएसपी अजय साहनी ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का परदाफाश 24 फरवरी, 2021 को आयोजित प्रैस कौन्फ्रैंस में कर दिया. एसएसपी ने 2 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी. पुलिस ने दोनों की निशानदेही पर तकिया, नशीली गोलियां और कपड़े बरामद कर लिए. दोनों से चंदा हत्याकांड के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने चंदा की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया. हत्याकांड के पीछे अपनी अय्याशी के रास्ते की कांटा बनी पत्नी चंदा को हटाने और उस के बीमे की धनराशि हड़पने की योजना थी.

इस षडयंत्र में जागृति विहार निवासी दोस्त डा. रजत भारद्वाज भी शामिल था. उसी ने हत्या की सुपारी ली थी.  इस हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह इस तरह निकली—

टेंट कारोबारी संजय लूथरा की शादी करीब 9 साल पहले 2012 में खतौली के अशोक मार्केट निवासी ओमप्रकाश अरोड़ा की बेटी चंदा के साथ हुई थी. चंदा खतौली के लौहड्डा स्थित प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात थी. चंदा और संजय लूथरा के दांपत्य जीवन में काफी पहले खटास आ चुकी थी. वर्ष 2015 में दोनों के बीच संबंध काफी बिगड़ गए, तब दोनों के बीच तलाक भी हो गया था. तलाक के बाद चंदा अपने 3 साल के बेटे को ले कर मायके चली गई थी. 6 महीने तक दोनों अलग रहे. परिवार की पंचायत में समझौता होने और संजय द्वारा माफी मांगे जाने के बाद  फिर से दोनों ने कोर्ट मैरिज की और साथ रहने लगे.

कुछ दिन सब ठीकठाक रहा. इस के बाद संजय अपनी बुरी आदतों से बाज नहीं आया. वह अपने बचपन के दोस्त डा. रजत भारद्वाज के साथ घर पर फिर से बाहरी युवतियों को लाने लगा. एक दिन चंदा स्कूल से लौटी तो घर का नजारा देख कर शर्म से पानीपानी हो गई. घर में एक बाहरी युवती के साथ संजय और उस का दोस्त डा. रजत मौजूद था. उस ने दोनों को घर में अय्याशी करते रंगेहाथों पकड़ लिया. चंदा ने दोनों को जम कर खरीखोटी सुनाई. उस ने कहा, वह पहले भी इस गलत काम के लिए मना कर चुकी है लेकिन तुम लोगों पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

चंदा बनी अय्याशी में रोड़ा उस समय तो संजय खून का घूंट पी कर रह गया, पर रात में उस ने चंदा की बेरहमी से पिटाई की. यह बात घटना से लगभग डेढ़ महीने पहले की थी. अपनी अय्याशी में रोड़ा बनने वाली पत्नी को उस ने रास्ते से हटाने का फैसला ले लिया. संजय ने चंदा की हत्या की योजना बनाने के बाद उस का 50 लाख रुपए का जीवन बीमा भी करा दिया था, ताकि उस की हत्या के बाद ऐश की जिंदगी जी सके. पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए संजय ने पूरी प्लानिंग की. संजय की अपने पड़ोसी और बचपन के दोस्त डा. रजत भारद्वाज पर 1.35 लाख की रकम उधार थी, जिसे माफ करने की एवज में संजय ने रजत को अपनी पत्नी चंदा की हत्या के लिए राजी कर लिया.

कुछ दिनों से चंदा बीमार चल रही थी. संजय डा. रजत से ही उस का इलाज करा रहा था. इस का फायदा उठाते हुए 20 फरवरी, 2021 को डा. रजत ने संजय को नशीली गोलियां देते हुए रात को दवा के बहाने खिलाने की सलाह दी. घटना वाली रात पौने 2 बजे डा. रजत उस के घर पहुंच गया. इस से पहले ही संजय अपनी पत्नी को नशीली गोलियां खिला कर सुला चुका था. डा. रजत ने बैड पर सो रही चंदा के मुंह पर तकिया रखा और फिर जान निकलने तक दबाए रखा. नींद व नशे में होने के कारण वह विरोध भी नहीं कर सकी. इस दौरान संजय ने घटना के फोटो खींच लिए थे. लेकिन जानकारी होने पर डाक्टर ने वे फोटो तत्काल डिलीट करा दिए. संजय को उम्मीद थी कि कत्ल का उस का मास्टर प्लान राज ही रहेगा. लेकिन कहते हैं न कि गुनाह कभी छिपता नहीं और गुनहगार कभी बचता नहीं. आखिर कत्ल

का राज उस की जेब में रखे मोबाइल में ही मिल गया. पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों संजय लूथरा और डा. रजत भारद्वाज को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया. इसी के साथ इस मामले में आननफानन में मृतका के पति को क्लीन चिट देने वाले इंसपेक्टर नौचंदी प्रेमचंद्र शर्मा की भी एसएसपी द्वारा जांच कराई जा रही थी. कथा लिखने तक चंदा का 8 वर्षीय बेटा अपनी नानी के पास रह रहा था. UP Crime

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Story Hindi : जिसे सबने मरा समझ लिया था, वह अचानक निकली जिन्दा

हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर की रहने वाली 20 साल की सिमरन दुबे आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. पढ़ाई के साथसाथ वह एनएसएस (नेशनल सर्विस स्कीम) यानी राष्ट्रीय सेवा योजना की सदस्य भी थी. यह संस्था अपने सदस्यों का कैंप लगवाती है, जिस में समाजसेवा कराई जाती है. इस में जिस लड़के या लड़की का काम अच्छा होता है, उसे कालेज की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाता है.

एसडी कालेज का बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा कृष्ण देशवाल एनएसएस का अध्यक्ष था. इसी साल जनवरी महीने में एसडी कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. उसी दौरान सिमरन दुबे की मुलाकात कृष्ण देशवाल से हुई तो दोनों में अच्छी जानपहचान हो गई. थाना नगर के ही मोहल्ला बराना की रहने वाली ज्योति भी सिमरन के साथ आर्य डिग्री कालेज में पढ़ती थी. दोनों में पटती भी खूब थी. उस से भी कृष्ण की दोस्ती हो गई थी.

5 सितंबर, 2017 की शाम 4 बजे के करीब सिमरन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उस ने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘हैलो सिमरन, मैं एसडी कालेज से कृष्ण देशवाल बोल रहा हूं, तुम कैसी हो?’’

‘‘नमस्ते सर,’’ चहकते हुए सिमरन ने कहा, ‘‘मैं तो अच्छी हूं सर, आप बताइए आप कैसे हैं?’’

‘‘मैं भी ठीक हूं, यह बताओ कि तुम इस समय क्या कर रही हो?’’

‘‘घर पर हूं सर, कोई काम है क्या? अगर कोई काम हो तो कहिए, मैं आ जाती हूं.’’ सिमरन ने कहा.

‘‘दरअसल, मिलिट्री के कुछ अधिकारी शहर में आ रहे हैं. उन के लिए जीटी रोड पर स्थित गौशाला मंदिर परिसर में कैंप लगाना है. अगर तुम आ जाओ तो मेरा काम काफी आसान हो जाएगा. ज्योति भी आ रही है. कालेज के कुछ अन्य लड़के भी आ रहे हैं.’’

‘‘ठीक है सर, ऐसी बात है तो मैं भी आ जाती हूं.’’

‘‘ओके, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’ कृष्ण ने कहा और फोन काट दिया.

कृष्ण देशवाल से बात होने के बाद सिमरन जल्दी से तैयार हो कर घर वालों से कालेज जाने की बात कह कर निकल पड़ी. करीब घंटे भर बाद वह कृष्ण द्वारा बताए गौशाला मंदिर पहुंच गई. ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थी. उसे देख कर सिमरन का चेहरा खिल उठा.

दोनों सहेलियां एकदूसरे के गले मिलीं और आपस में बातें करने लगीं. दोनों बातें कर रही थीं कि तभी कृष्ण सिमरन के लिए एक गिलास में कोल्डिड्रिंक ले आया. सिमरन ने उन्हें भी पीने को कहा तो दोनों ने एक साथ कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. इस के बाद सिमरन आराम से कोल्डड्रिंक पीने लगी.

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मंदिर के कमरे में लाश

कृष्ण देशवाल, सिमरन दुबे और ज्योति जिस कमरे में ठहरे थे, उस के बगल वाले कमरे में कंप्यूटर सिखाया जाता था. कंप्यूटर सिखाने का यह काम पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डा. वाई.डी. त्यागी द्वारा चलाई जा रही एनजीओ के अंतर्गत होता था. कंप्यूटर सिखाने के लिए वंदना को रखा गया था.

जिस कमरे में कृष्ण, ज्योति और सिमरन ठहरे थे, वह अंदर से बंद था. इस से वंदना को थोड़ी हैरानी हो रही थी. उन से नहीं रहा गया तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद खुला तो उस में से एक लड़का और लड़की बैग लिए बाहर निकले.

दोनों बाहर से कमरा बंद करने लगे तो वंदना ने उन से उन के साथ की एक अन्य लड़की के बारे में पूछा. वे बिना कुछ कहे चले गए तो वंदना ने इस बात की सूचना मंदिर के पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दे दी. वेदप्रकाश को मामला गड़बड़ लगा तो उन्होंने अपने भतीजे अभिनव को हकीकत पता करने के लिए भेजा.

अभिनव हौल से होता हुआ उस कमरे पर पहुंचा, जिसे लड़का और लड़की बाहर से बंद कर गए थे. दरवाजा खोल कर जैसे ही वह अंदर पहुंचा, वहां की हालत देख कर वह चीखता हुआ बाहर आ गया. उस की चीख सुन कर वंदना भी घबरा गई. वह अभिनव के पास पहुंची. उस के पूछने पर अभिनव ने बताया कि कमरे में एक लड़की की लाश पड़ी है.

अब वंदना की समझ में सारा माजरा आ गया. अभिनव ने यह जानकारी पुजारी वेदप्रकाश तिवारी को दी तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर दिया. पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा यह सूचना थाना चांदनी बाग पुलिस को दे दी गई. सूचना मिलते ही थाना चांदनीबाग के थानाप्रभारी संदीप कुमार पुलिस बल के साथ गौशाला मंदिर पहुंच गए.

उन के पहुंचने से पहले पुलिस चौकी किशनपुरा के चौकीप्रभारी वीरेंद्र सिंह वहां पहुंच चुके थे. संदीप कुमार और वीरेंद्र सिंह ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. मृतका के गले पर गला दबाने का स्पष्ट निशान था. इस का मतलब हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के चेहरे को तेजाब डाल कर झुलसा दिया गया था. शायद हत्यारे ने पहचान मिटाने के लिए ऐसा किया था.

कमरे में एक लेडीज पर्स मिला.  पुलिस ने उस पर्स की तलाशी ली तो उस में से आर्य डिग्री कालेज का एक आईडी कार्ड मिला, जिस पर ज्योति लिखा था. उस पर पिता का नाम, पता और फोन नंबर भी लिखा था. पिता का नाम रामपाल था. वह थाना नगर के मोहल्ला बराना में रहते थे. एसआई वीरेंद्र सिंह ने फोन कर के रामपाल को वहीं बुला लिया.

रामपाल ने गौशाला मंदिर आ कर कमरे में मिली लाश को देखा तो फफकफफक कर रोने लगे. लाश उन की बेटी ज्योति की थी. शिनाख्त न हो सके, इस के लिए हत्यारों ने तेजाब डाल कर बड़ी बेरहमी से उस के चेहरे को झुलसा दिया था.

घटना की सूचना पा कर एसपी राहुल शर्मा, सीआईए-3 प्रवीण कुमार और डीएसपी जगदीश दूहन भी घटनास्थल पर आ गए थे. घटनास्थल के निरीक्षण के दौरान पुलिस ने देखा कि कमरे में पड़े डबल बैड का गद्दा उठा कर नीचे फर्श पर बिछाया गया था. लाश को उसी पर लिटा कर उस के चेहरे पर तेजाब डाला गया था. तेजाब से मृतका का चेहरा तो बुरी तरह झुलस ही गया था, गद्दा भी काफी दूर तक झुलस गया था.

मृतका की चुनरी और चप्पलें भी वहीं पड़ी थीं. बचाव के लिए मृतका ने हाथपांव चलाए थे, जिस से उस के चश्मे का एक शीशा टूट गया था. पुलिस ने कंप्यूटर की शिक्षा देने वाली वंदना से पूछताछ की तो उस ने बताया था कि शाम 4 बजे वह वहां आई तो कम्युनिटी हौल के दोनो दरवाजे अंदर से बंद थे. करीब 15 मिनट तक दरवाजा खटखटाने के बाद 19-20 साल की एक लड़की ने दरवाजा खोला.

लड़की के साथ एक लड़का भी था. वह हौल के कोने में बने कमरे का दरवाजा बंद कर रहा था. वंदना ने उस के साथ आई दूसरी लड़की के बारे में पूछा तो वह उसे धमका कर लड़की के साथ चला गया. लड़की सलवार सूट पहने थी, जबकि लड़का जींस और टीशर्ट पहने था.

फैल गई सनसनी

लड़के और लड़की के पास बैग थे. उन्होंने एकएक पौलीथीन भी ले रखी थी. लड़के के हाथ में ड्यू (कोल्डड्रिंक) की एक बोतल भी थी. वदंना को शक हुआ तो उस ने अपनी शंका पुजारी को बताई. इस के बाद पुजारी ने अपने भतीजे को भेजा तो कमरे में लाश होने का पता चला. इस तरह लाश बरामद होने से शहर में सनसनी फैल गई थी.

क्योंकि गौशाला मदिर अति सुरक्षित माना जाता था. हैरानी की बात यह थी कि दोनों लड़कियों और लड़के के वहां आने की जानकारी पुजारी को नहीं थी. मंदिर में सीसीटीवी कैमरे भी नहीं लगे थे कि उसी से लड़के और लड़की के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस ने कमरे में मिला सारा सामान जब्त कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था. इस के बाद रामपाल की ओर से हत्या का मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने ज्योति की लाश उस के पिता रामपाल को सौंप दी तो उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

महिला आयोग भी सक्रिय

इस हत्याकांड की सूचना राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रेखा शर्मा को मिली तो उन्होंने भी घटनास्थल की दौरा किया. वह पुलिस अधिकारियों से भी मिलीं और ज्योति के घर वालों से भी. उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि पुलिस ने 48 घंटे के अंदर हत्यारे को गिरफ्तार करने का भरोसा दिया है. इस मामले में तेजाब का उपयोग किया गया था. जबकि कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर रोक लगा रखी है. यह भी जांच का विषय था कि रोक के बावजूद हत्यारे को तेजाब मिला कहां से?

अगले दिन पुलिस ने मृतका ज्योति के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर अंतिम फोन अटावला गांव के रहने वाले राजेंद्र देशवाल के बेटे कृष्ण का आया था. काल लिस्ट देख कर पुलिस हैरान थी. दरअसल, दोनों के बीच 14 से 15 हजार सैकेंड बात की गई थी.

पुलिस तुरंत ज्योति के घर पहुंची और रामपाल से कृष्ण् के बारे में पूछा. उस ने बताया कि कृष्ण ज्योति के कालेज में आताजाता था, दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. उन में अच्छी दोस्ती भी थी.

पुलिस को इस बात पर हैरानी हुई कि कृष्ण ज्योति का अच्छा दोस्त था और उस के घर भी आताजाता था. लेकिन उस की हत्या की बात सुन कर उस के घर नहीं आया था. कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी ने ज्योति की हत्या की हो और फरार हो गया हो.

पुलिस को कृष्ण देशवाल पर शक हुआ तो उस के बारे में पता करने उस के घर पहुंच गई. घर वालों से पता चला कि वह 5 सितंबर से ही घर से 1 लाख 35 हजार रुपए ले कर गायब है. इस बात से पुलिस का शक यकीन में बदल गया. पुलिस को लगा कि ज्योति की हत्या में कृष्ण का ही हाथ है. घर वालों से पुलिस को पता चला कि कृष्ण के घर वाले भैंसों के खरीदने और बेचने का व्यवसाय करते थे. वे पैसे उसी के थे, जिन्हें कृष्ण ले कर भागा था.

इस बीच पुलिस को पता चल गया कि उस दिन कृष्ण के साथ जो लड़की थी, वह सिमरन दुबे थी. पुलिस दोनों के फोटो ले कर गौशाला मंदिर पहुंची तो फोटो देख कर वंदना ने बताया कि उस दिन यही दोनों कमरे से निकले थे.

इस से साफ हो गया कि ज्योति की हत्या कृष्ण और सिमरन ने ही की थी. इस के बाद पुलिस ने उन के फोटो अखबारों में छपवा कर उन के बारे में बताने वाले को ईनाम की भी घोषणा कर दी.

पुलिस कृष्ण और सिमरन दुबे की तलाश में जीजान से जुटी थी कि सिमरन के पिता अतुल दुबे थाना नगर पहुंचे और उन्होंने कृष्ण देशवाल के खिलाफ सिमरन के अपहरण की तहरीर दे दी. उन का कहना था कि उन की बेटी के चरित्र पर जो लांछन लगाया गया है, वह सरासर गलत है. सिमरन ऐसी घिनौनी हरकत कतई नहीं कर सकती.

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उन का यह भी कहना था कि उस दिन कमरे में जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन की थी. लेकिन उन की बात कोई मानने को तैयार नहीं था. उन का कहना था कि मृतका के कान की बाली और हाथ में बंधा धागा सिमरन का नहीं था. इस पर पुलिस का कहना था कि कृष्ण और सिमरन को साथ जाते वंदना ने देखा था, इसलिए उन की बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता.

पुलिस पहुंची शिमला

पुलिस कृष्ण और सिमरन की लोकेशन पता कर रही थी. लेकिन फोन बंद होने से उन की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जैसे ही फोन चालू हुआ, उन की लोकेशन शिमला की मिल गई. लोकेेशन मिलते ही सीआईए-3 प्रवीण कुमार टीम के साथ शिमला रवाना हो गए. स्थानीय पुलिस की मदद से उन्होंने होटलों की तलाशी शुरू कर दी. सैकड़ों होटल की तलाशी के बाद पुलिस टीम उस होटल तक पहुंच गई, जहां दोनों ठहरे थे.

लेकिन जब होटल की रजिस्टर चैक किया गया तो कृष्ण और सिमरन के नाम से यहां कोई नहीं ठहरा था. पुलिस की निगाह श्याम और राधा नाम के उन दो ग्राहकों पर टिक गई, जिन का पता पानीपत का था.

यहीं दोनों से चूक हो गई थी. उन्होंने होटल के रजिस्टर में नाम तो श्याम और राधा लिखाए थे, लेकिन पता नहीं बदला था. बस इसी से पुलिस को शक हुआ, इस के बाद पुलिस कमरे पर पहुंची तो पुलिस को देख कर दोनों सन्न रह गए. कृष्ण नीचे फर्श पर बैठा था, जबकि ज्योति बैड पर लेटी थी.

मरने वाली ज्योति नहीं सिमरन

जिस ज्योति को लोग मरा समझ रहे थे, दरअसल वह जिंदा थी. मंदिर के कमरे से जो लाश मिली थी, वह ज्योति की नहीं, बल्कि सिमरन दुबे की थी. पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर के पानीपत ले आई. उन्हें जब एसपी राहुल शर्मा के सामने पेश किया गया तो वह भी हैरान रह गए.

राहुल शर्मा ने ज्योति के पिता रामपाल को बुला कर ज्योति को उन के सामने खड़ा किया तो बेटी को जिंदा देख कर वह सिर थाम कर बैठ गए. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में कृष्ण और ज्योति ने सिमरन की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद 8 तिसंबर को अदालत में पेश कर के विस्तारपूर्वक पूछताछ एवं सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने उन्हें 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में सिमरन की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

20 साल की सिमरन दुबे हरियाणा के जिला पानीपत के थाना नगर के मोहल्ला आजादनगर के रहने वाले आलोक दुबे की बेटी थी. वह 4 भाईबहनों में सब से बड़ी थी. वह आर्य डिग्री कालेज में बीए के दूसरे साल में पढ़ रही थी. उसी के साथ थाना नगर के ही बराना की रहने वाली ज्योति भी पढ़ती थी. दोनों पक्की सहेलियां तो थीं ही, एनएसएस की सदस्य भी थीं.

बात इसी साल जनवरी की है. एसडी डिग्री कालेज का एनएसएस का कैंप आर्य डिग्री कालेज में लगा था. कैंप का अध्यक्ष एसडी कालेज में पढ़ने वाला कृष्ण देशवाल था, जो बीए फाइनल ईयर में पढ़ रहा था. वह गांव अटावला का रहने वाला था. उस के पिता राजेंद्र देशवाल भैंसे खरीदनेबेचने का काम करते थे.

कृष्ण 2 बहनों का एकलौता भाई था. बहनें उस से छोटी थीं. घर में बड़ा और एकलौता बेटा होने के बावजूद वह जिम्मेदारी से काम नहीं करता था. पुलिस के अनुसार, जब कृष्ण स्कूल में पढता था, तब उस ने खुद के अपहरण का ड्रामा रचा था. वह दिन भर इधरउधर घूमा करता था. आर्य कालेज में लगे कैंप के दौरान ही उस की मुलाकात सिमरन और ज्योति से हुई थी. पहली ही नजर में ज्योति उस के मासूम चेहरे पर दिल दे बैठी.

कृष्ण ने ज्योति की आंखों से उस के दिल की बात पढ़ ली.  छरहरे बदन और तीखी नयननक्श वाली ज्योति भी उसे भा गई थी. इस के बाद अकसर दोनों की मुलाकातें होने लगीं. जल्दी ही उन की ये मुलाकातें प्यार में बदल गईं.

दोनों एकदूसरे से दीवानगी की हद तक प्यार करने लगे. जल्दी ही हालात यह हो गई कि अब वे एकदूसरे को देखे बिना नहीं रह सकते थे. अब इस का आसान तरीका था, वे शादी कर लें जिस से दोनों एकदूसरे की आंखों के सामने बने रहें.

ज्योति और कृष्ण की जातियां अलगअलग थीं. इसलिए ज्योति जानती थी कि उस के घर वाले कभी भी कृष्ण से उस की शादी नहीं करेंगे.

जबकि वह कृष्ण के बिना रह नहीं सकती थी. यही हाल कृष्ण का भी था. इसलिए उस ने ज्योति से भाग चलने को कहा. लेकिन ज्योति ने उस के साथ इसलिए भागने से मना कर दिया, क्योंकि इस से उस के घर वालों की बदनामी होती.

सहेली को बनाया शिकार

इस के बाद उन्होंने एक साथ रहने के बारे में सोचाविचारा तो उन के दिमाग में आया कि क्यों न वे अपनी कदकाठी के 2 लोगों की हत्या कर के उन के चेहरे तेजाब से इस तरह झुलसा दें कि कोई उन्हें पहचान न पाए. इस के बाद वे उन्हें अपने कपड़े पहना कर अपने आईकार्ड, फोन वगैरह वहां छोड़ देंगे, ताकि लोगों को लगे कि उन की हत्या हो चुकी है.

ज्योति की सहेली सिमरन दुबे उसी की कदकाठी की थी. वे उसे जहां बुलाते, वह वहां आ भी जाती. इसलिए सिमरन की हत्या की योजना बन गई. अब कृष्ण की कदकाठी के लड़के को ढूंढना था.

कृष्ण के लिए यह कोई मुश्किल काम नहीं था. 5 सितंबर को एनएसएस के कैंप के बहाने कृष्ण ने सिमरन और रमेश को फोन कर के गौशाला मंदिर के पहली मंजिल स्थित कमरे पर बुला लिया.

कृष्ण दाढ़ी नहीं रखे था, जबकि रमेश रखे था. इसलिए कृष्ण ने उस से दाढ़ी बनवा कर आने को कहा. लेकिन वह गोहाना मोड़ पर पहुंचा तो वहां कोई सैलून नहीं था, इसलिए उस ने फोन कर के कृष्ण को यह बात बताई तो उस ने उसे आने से मना कर दिया. रमेश वहीं से लौट गया. लेकिन सिमरन कृष्ण और ज्योति के जाल में फंस गई.

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सिमरन दुबे गौशाला मंदिर पहुंची तो कृष्ण और ज्योति वहां पहले से ही मौजूद थे. ज्योति को देख कर सिमरन बहुत खुश हुई. उस ने यह खुशी उस के गले मिल कर जाहिर की. गौशाला मंदिर पहुंचने से पहले ही कृष्ण ने कोल्डड्रिंक, नींद की गोलियां और तेजाब की व्यवस्था कर रखी थी. इन्हें वह अपने साथ लाए बैग में छिपा कर लाया था.

नींद की गोली मिली कोल्डड्रिंक पिलाई

कृष्ण ने सिमरन को नींद की गोलियां मिली कोल्डड्रिंक पीने को दी तो उस ने उन से भी कोल्डड्रिंक पीने को कहा. दोनों ने कहा कि उन्होंने अभीअभी पी है. कोल्डिड्रिंक पीने के कुछ देर बाद सिमरन की आंखें मुंदने लगीं. फिर वह बेहोश सी हो कर नीचे फर्श पर लेट गई. इस के बाद ज्योति ने उस के दोनों पैर पकड़ लिए तो कृष्ण ने उस का गला घोंट दिया.

इस तरह सिमरन को मौत के घाट उतार कर ज्योति ने उसे अपने कपड़े पहना दिए और उस के चेहरे पर तेजाब डाल कर झुलसा दिया. वह ज्योति है, यह साबित करने के लिए उस ने अपना आईकार्ड और मोबाइल फोन उस के पास छोड़ दिया, ताकि लोग इसे ज्योति समझें.

सिमरन की हत्या करने के बाद ज्योति और कृष्ण कमरे से बाहर आए और औटो से पानीपत रेलवे स्टेशन पहुंचे. उस समय वहां कोई टे्रन नहीं थी, इसलिए वे बसस्टैंड गए. वहां से चंडीगढ़ की बस पकड़ कर वे अगले दिन जीरकपुर पहुंच गए. अगले दिन अखबार में ज्योति की हत्या का समाचार छपा तो दोनों निश्चिंत हो गए कि हत्या का शक सिमरन पर किया जाएगा.

उन्होंने आराम से जीरकपुर के एक मौल में शौपिंग की और शिमला जा कर बसस्टैंड के नजदीक होटल रौयल में कमरा ले कर ठहर गए.

पुलिस उन के पीछे पड़ी है, इस का अंदाजा उन्हें बिलकुल नहीं था. पुलिस ने उन की तलाश में शिमला में 2 घंटे में सैकड़ों होटल छान मारे थे. जब पुलिस रौयल होटल में पहुंची तो पुलिस को देख कर सारा स्टाफ भाग गया. पुलिस को कमरा नंबर भी पता नहीं था. आखिर आधे घंटे की मशक्कत के बाद एक कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो अंदर कृष्ण और ज्योति मिले.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद सिमरन के घर वाले बेटी की हत्या के शोक में डूब गए थे. जबकि आलोक दुबे घटना वाले दिन से ही कह रहे थे कि मरने वाली ज्योति नहीं, उन की बेटी सिमरन है. लेकिन कोई उन की बात मानने को तैयार नहीं था.

ज्योति के जिंदा बरामद होने के बाद पुलिस आलोक दुबे और उन की पत्नी ऊषा को मधुबन ले गई, जहां डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए. रिपोर्ट आने के बाद निश्चित हो जाएगा कि गौशाला मंदिर के कमरे में मिली लाश सिमरन की ही थी.

पुलिस की लापरवाही

सिमरन हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ कर पुलिस भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन इस में पुलिस की लापरवाही भी नजर आ रही है. शिमला के होटल में आईडी के रूप में कृष्ण और ज्योति ने अपने आधार कार्ड जमा कराए थे, वे आधार कार्ड श्याम और राधा के नाम से थे. साफ था कि वे फर्जी थे.

पुलिस ने जब कृष्ण से उन के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि आधार कार्ड उस के दोस्त देव कपूर ने जयपुर से बनवाए था. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है. अब पुलिस आधार कार्ड बनाने वाले को गिरफ्तार करना चाहती है.

पुलिस सिमरन का मोबाइल फोन बरामद करना चाहती है, जिस के बारे में कृष्ण और ज्योति कभी कहते हैं कि शिमला में झाडि़यों में फेंक दिया है तो कभी कहते हैं कि रास्ते में फेंक दिया था. इस के अलावा यह भी पता लगाया जा रहा है कि उन्होंने तेजाब और नींद की गोलियां कहां से खरीदी थीं.

इन के बारे में उन का कहना है कि तेजाब गुंड़मंडी से लिया था, जबकि नींद की गोलियां अपने एक रिश्तेदार के मैडिकल स्टोर से मंगवाई थीं.

रिमांड खत्म होने के बाद पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

प्रेम की अंधी गली में फंस कर ज्योति और कृष्ण ने जो कदम उठाया, आखिर उस से उन्हें क्या मिला. उन्होंने जो अपराध किया है, वे कानून की नजरों से बच नहीं पाएंगे. लेकिन अगर बच भी गए तो शायद ही समाज उन्हें सुकून से रहने दे. Story Hindi