family story in hindi : रेखा 2 बच्चों की मां जरूर बन गई थी, लेकिन अपनी खूबसूरती और शारीरिक कसावट की वजह से वह वास्तविक उम्र से कम की दिखती थी. तभी तो गांव का ही रहने वाला 18 वर्षीय मंजीत उस पर फिदा हो गया था. वह अपनी कार से रोजाना रेखा को उस के औफिस छोडऩे जाने लगा. इसी दौरान इस एकतरफा प्यार ने रेखा पर ऐसा खूनी वार किया कि…
दिन के 9 बजने को आए थे. झज्जर जिले के गांव बहू में रहने वाले रवि की पत्नी रेखा ने जल्दीजल्दी घर के काम निपटा लिए थे और काम पर जाने के लिए तैयार होने लगी थी. उस की एक नजर दीवार पर टंगी घड़ी पर थी. जैसे ही घड़ी ने सवा 9 बजाए, रेखा अपना बैग कंधे पर टांग कर घर से बाहर हो गई. वह लंबेलंबे कदम बढ़ाते हुए घर से कुछ दूर बने बस स्टाप पर आ गई और बस का इंतजार करने लगी. समय धीरेधीरे आगे बढ़ रहा था. बस उसे दूरदूर तक आती हुई नजर नहीं आ रही थी.
रेखा के माथे पर पसीने की बूंदें चमकने लगीं, क्योंकि 10 से ज्यादा का समय हो गया, किंतु बस नदारद थी. ‘इस मुई बस के चक्कर में मुझे रोज ही काम पर पहुंचने में लेट होना पड़ता है.’ वह झल्लाते हुए बड़बड़ाई. अभी तक उस बस स्टाप पर रेखा अकेली ही खड़ी थी, कोई दूसरा व्यक्ति वहां नहीं आया था. रेखा की झल्लाहट बढऩे लगी. आज उस बस का दूर तक कोई अतापता नहीं था, जो रोज 10 बजे तक बस स्टाप पर आ जाती थी. ‘लगता है आज बस खराब हो गई है, मुझे अब पैदल ही झाड़ली के एनटीपीसी पावर प्लांट तक जाना पड़ेगा. क्योंकि वह उसी प्लांट में नौकरी करती थी. मौसम बड़ा ठंडा है.
लेकिन घबराहट में मुझे पसीने छूटने लगे हैं, लगता है किसी दिन मुझे इस बस के चक्कर में काम से हाथ धोना पड़ेगा.’ सोचते हुए रेखा ने दूरदूर तक सुनसान नजर आ रही उस डामर की सड़क पर कदम बढ़ा दिए. सफर लंबा था. अभी वह थोड़ी ही दूरी पार कर पाई थी कि पीछे से उसे किसी गाड़ी का हार्न सुनाई दिया. रेखा ने पीछे मुड़ कर देखा. यह एक कार थी, जो उसी की साइड पर आ रही थी. रेखा जल्दी से सड़क से नीचे कच्चे राह पर उतर गई. कार तेजी से आ कर उस के बराबर में रुक गई. ब्रेक लगने से कार के टायर सड़क पर रगड़ खा गए थे और उस में से अजीब सी आवाज आई थी. रेखा की ओर की खिड़की खुली और उस में से एक युवक का सिर बाहर निकला. यह युवक 18-19 साल का युवा ही नजर आता था.
”आज बस नहीं आई है क्या, जो तुम पैदल ही सफर करने के लिए निकल गई हो?’’ उस युवक ने पूछा.
रेखा उसे देख कर उपेक्षा से कंधे झटक कर बोली, ”बस खराब हो गई होगी. मैं काम पर जाने के लिए लेट हो रही हूं, इसलिए पैदल जाना पड़ रहा है.’’
”आओ, मेरी कार में बैठ जाओ, मैं तुम्हें तुम्हारे काम पर पहुंचा देता हूं.’’ युवक ने कहा.
”नहीं, मैं पैदल ही चली जाऊंगी.’’ रेखा ने गंभीरता से कहा और आगे बढ़ गई.
”मैं तुम्हारे लिए अजनबी हो सकता हूं रेखा, लेकिन मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूं. आओ कार में बैठ जाओ.’’
युवक की बात पर रेखा चौंकी, ”तुम मुझे कैसे जानते हो, मेरा नाम भी तुम्हें मालूम है.’’
युवक ने बताया, ”मैं बहू गांव में ही रहता हूं, तुम्हारा घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं है.’’ युवक ने बताया, ”मैं ने तुम्हें कई बार हाटबाजार में देखा है. एक ही गांव का हूं, इसलिए नाम भी जानता हूं. संकोच मत करो, मैं गांव के नाते से तुम्हारी मदद करना चाहता हूं, ज्यादा सोचोगी तो लेट हो जाओगी काम से.’’
रेखा को युवक की बात पर विश्वास करना पड़ा. वैसे भी उसे काम पर पहुंचने में देर हो रही थी. वह कार में बैठ गई. युवक ने उसे अपनी बाईं ओर बिठा लिया था. कार को युवक ने तेजी से आगे बढ़ा दिया. थोड़ी देर तक दोनों मौन रहे, फिर रेखा ने ही मुंह खोला, ”तुम मेरा नाम जानते हो, लेकिन तुम ने अपना नाम नहीं बताया मुझे.’’
”मेरा नाम मंजीत है.’’ युवक बोला.
”क्या करते हो मंजीत?’’
”फिलहाल कुछ नहीं. अभी मैं ने 12वीं पास की है. सोच रहा हूं कालेज में दाखिला ले लूं.’’
”अच्छा विचार है, आजकल पढऩेलिखने से ही अच्छी नौकरी मिलती है. तुम किसी कालेज में एडमिशन ले लो.’’
”हां.’’ मंजीत ने धीरे से कहा और कार की विंडस्क्रीन से बाहर देखने लगा. कुछ ही दूरी पर झाड़ली पावर प्लांट नजर आ रहा था. कार जब वहां पहुंची तो रेखा ने जल्दी से कहा, ”मंजीत, यहीं कार रोक दो. मैं यहीं पर काम करती हूं.’’
मंजीत ने कार एक साइड कर के रोक दी. रेखा दरवाजा खोल कर नीचे उतरी और उस ने शिष्टाचार दिखाते हुए मंजीत का मुसकरा कर शुक्रिया किया, फिर अपने काम पर झाड़ली पावर प्लांट की तरफ बढ़ गई. मंजीत कुछ देर तक रेखा को देखता रहा, जब वह आंखों से ओझल हो गई तो उस ने कार को घुमा लिया और वापस गांव की ओर लौटने लगा. उस के जेहन में रेखा को ले कर तरहतरह के विचार आने लगे थे. रेखा बला की हसीन और भरेपूरे बदन की युवती थी. वह उस के मन को भा गई थी. मंजीत उसे अपने दिल में जगह देने का सपना संजोने लगा.
इस के बाद वह अकसर रोजाना ही अपनी कार से रेखा को बस स्टाप से एनटीपीसी पावर प्लांट तक छोडऩे जाने लगा. इस तरह दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई. शाम ढलने को थी. भैंसें चराने वाला चरवाहा अपनी भैंसों को ले कर अब गांव के लिए लौट जाने की तैयारी करने लगा था. उस ने पेड़ के सहारे रखा लट्ठ उठाया और उठ कर खड़ा हो गया. भैंसें अभी भी खेतों में चर रही थीं. उस ने उन्हें इकट्ठा करना शुरू किया और पानी पिलाने के विचार से उन्हें पास में ही स्थित तालाब की तरफ हांक कर ले आया. जैसे ही वह तालाब पर पहुंचा, उस के मुंह से चीख निकल गई.
तालाब की सतह पर एक युवती की लाश तैर रही थी. चरवाहा बुरी तरह घबरा गया. वह कुछ क्षण बुत बना वहां खड़ा लाश को देखता रहा. फिर गांव की तरफ दौड़ पड़ा. यह झज्जर जिले का ही रुडिय़ावास गांव था, जो हरियाणा के झज्जर जिले के अंतर्गत आता है. चरवाहा यहां अकसर भैंसें चराने आता रहता था, इसलिए वह गांव के चौकीदार को अच्छी तरह जानता था. चरवाहे को चौकीदार गांव की चौपाल पर हुक्का पीता हुआ मिल गया. वहां गांव के कुछ बड़ेबूढ़े भी बैठे हुए थे. बदहवास हालत में चरवाहे को वहां भागता हुआ आया देख कर चौकीदार उठ कर खड़ा हो गया. उस ने उसे देख कर हैरानी से पूछा, ”क्या हुआ, तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’
”चाचा…म..मैं ने तालाब में एक युवती की लाश देखी है.’’ चरवाहे ने हांफते हुए बताया.
”लाश!’’ चौकीदार घबरा कर बोला, ”सुबह तो तालाब में कुछ नहीं था.’’
”मैं ने अपनी आंखों से देखी है.’’ चरवाहे ने कहा, ”तुम चल कर देख लो.’’
लाश की बात सुन कर वहां बैठे गांव वाले भी घबरा कर खड़े हो गए. चौकीदार के साथ वह लोग भी तालाब की तरफ चल पड़े. चरवाहा भी उन के पीछे था.
कुछ ही देर में वह सब तालाब पर पहुंच गए. वास्तव में तालाब में एक युवती की लाश तैर रही थी.
रुडिय़ावास गांव के चौकीदार और गांव वाले बुजुर्गों ने उस युवती की लाश को ध्यान से देखा.
वह जवान और सुंदर थी. पेट में पानी चले जाने की वजह से लाश फूल कर पानी के ऊपर तैरने लगी थी.
”यह गांव की तो नहीं है चौधरी.’’ एक बुर्जुग बोला, ”मुझे तो लग रहा है किसी ने इसे मार कर यहां ला कर डाल दिया है.’’
”ऐसा ही लग रहा है ताऊ.’’ दूसरा व्यक्ति जो उम्र में इन से कम लग रहा था, अपनी बात कहता हुआ चौकीदार की तरफ घूमा, ”भाई, तुम पुलिस थाना साल्हावास में इस लाश की खबर दे दो. पुलिस तहकीकात कर लेगी कि यहां यह लाश कैसे आई.’’
चौकीदार ने सिर हिलाया और जेब से मोबाइल निकाल कर उस ने थाना साल्हावास से संपर्क कर लिया. कुछ देर घंटी बजती रही फिर किसी ने काल अटेंड की, ”हैलो! मैं थाना साल्हावास से एसएचओ हरीश कुमार बोल रहा हूं. आप को किस से बात करनी है?’’
”मैं साल्हावास गांव का चौकीदार बोल रहा हूं साहब. यहां तालाब में एक युवती की लाश तैर रही है.’’
”लाश!’’ दूसरी ओर एसएचओ चौंके, ”लाश तुम ने देखी है क्या?’’
”हां साहब, मैं इस समय तालाब के किनारे पर ही खड़ा हूं. लाश अभी भी तालाब में तैर रही है.’’ चौकीदार ने बताया.
”तुम वहीं रहो. मैं आधा घंटा में वहां पहुंच रहा हूं.’’ एसएचओ हरीश कुमार बोले. चौकीदार ने मोबाइल स्विच्ड औफ किया और मोबाइल को जेब में डाल लिया.
अब तक इस लाश की खबर गांव रुडिय़ावास में फैल गई थी. गांव के तमाम लोग वहां लाश देखने के लिए आ कर इकट्ठा हो गए. चौकीदार ने सभी को तालाब से दूर खड़े रहने की हिदायत दे दी. सभी लाश को बड़ी हैरानी से देख रहे थे. अभी तक एक भी ऐसा व्यक्ति सामने नहीं आया, जो मृतका को पहचानने का दावा करता हो. पुलिस वहां पौना घंटा में पहुंची. सूरज इस बीच पश्चिम दिशा में आ चुका था और अस्त होने जा रहा था. रोशनी घटने लगी थी, लेकिन अभी लाश दूर से भी देखी जा सकती थी. एसएचओ ने उस युवती की लाश को पानी से निकलवाने के बाद उस का बारीकी से निरीक्षण किया.
वह युवती गोरे रंग की बेहद खूबसूरत थी. नाकनक्श सांचे में ढले प्रतीत हो रहे थे. मृतका के शरीर पर कहीं भी चोट का निशान नजर नहीं आ रहा था. कपड़े भी सहीसलामत दिखाई दे रहे थे. ऐसा नहीं लग रहा था कि किसी ने इस के साथ जोरजबरदस्ती की हो और फिर मार कर फेंक दिया हो. डैडबौडी पर कहीं भी खरोंच के निशान नहीं थे. एसएचओ ने अनुमान लगाया कि इस का गला दबा कर मारा गया है. यह आपसी रंजिश का मामला नजर आता था. जांच पूरी कर लेने के बाद एसएचओ ने कागजों की खानापूर्ति की और फिर ऊंची आवाज में वहां मौजूद लोगों से पूछा, ”क्या आप में से कोई इस युवती को पहचानता है?’’
”नहीं साहब.’’ कई स्वर एक साथ उभरे.
लाश की जामातलाशी में भी कुछ हाथ नहीं आया था. एक प्रकार से उस मृतका की शिनाख्त नहीं हो पाई थी. एसएचओ हरीश कुमार ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए झज्जर के सरकारी अस्पताल में भिजवा दिया.
यहां के काम को पूरा कर के उन्होंने चौकीदार से पूछा, ”तुम्हें इस लाश की जानकारी कैसे मिली थी?’’
”यह चरवाहा यहां भैंसें चराने आया हुआ था साहब, इस ने ही तालाब में इस की लाश देखी और मुझे इत्तला देने दौड़ता हुआ गांव रुडिय़ावास पहुंच गया.’’ चौकीदार ने बताते हुए चरवाहे के कंधे पर हाथ रख दिया.
”तुम यहां भैंसें चराने कब से आते हो?’’
”मैं सर्दी में यहां आता हूं साब, गरमी में मैं गांव बहू के खेतों में जानवर चरा लेता हूं. मैं ने आज शाम को घर जाने से पहले भैंसें इकट्ठी कीं और इन्हें पानी पिलाने के लिए तालाब पर आया तो उस लाश तैरती देखी थी.’’
”दिन भर तुम यहीं थे आज?’’ एसएचओ ने पूछा.
”जी हां.’’ चरवाहे ने बताया, ”लेकिन मैं ने दिन में इधर किसी को भी नहीं देखा है.’’
”तुम यहां कितने बजे आ गए थे?’’
”मैं दोपहर में एक बजे यहां भैंसें ले कर आया था. तब से कोई इधर आया ही नहीं.’’
”शायद हत्या कहीं और कर के कोई यहां लाश फेंकने आया होगा तो वह एक बजे से पहले आया होगा.’’ एसएचओ हरीश कुमार ने गंभीर स्वर में कहा, ”अब तुम अपना नामपता दरोगाजी को लिखवा दो और चले जाओ. जरूरत पडऩे पर तुम्हें याद कर लिया जाएगा.’’
”ठीक है साहब.’’ चरवाहे ने धीरे से कहा और भैंसें ले कर वह गांव बहू की ओर रवाना हो गया. रुडिय़ावास गांव के लोग भी गांव में लौट गए. एसएचओ जीप में सवार हुए और थाने की तरफ रवाना हो गई.
हरियाणा के झज्जर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव बहू का रहने वाला रवि 4 मई, 2025 को बारबार घड़ी देख रहा था. घड़ी शाम के 7 बजा रही थी. उस की पत्नी रेखा 6 बजे तक रोज ड्ïयूटी से लौट कर घर आ जाती थी, लेकिन उस दिन एक घंटा ऊपर हो गया था, वह काम से घर नहीं लौटी थी. रवि के माथे पर अब चिंता की रेखाएं उभरने लगी थीं. घड़ी ने जब साढ़े 7 बजाए तो वह पत्नी रेखा की तलाश में पैदल ही बस स्टाप की तरफ बढ़ गया.
बस स्टैंड दूर था और अंधेरा भी घिर आया था. रवि जब बस स्टैंड पर पहुंचा तो वहां गहरा सन्नाटा फैला हुआ था. दूरदूर तक कोई इंसान वहां नजर नहीं आ रहा था. रवि परेशान हालत में घर लौट कर आया तो रेखा अभी तक घर नहीं पहुंची थी.
‘कहां रह गई यह… साढ़े 8 से ऊपर का समय हो गया. पहले तो वह कभी इतनी देर घर से बाहर नहीं रही.’ रवि बड़बड़ाया और उस ने अपने छोटे भाई को बताया कि रेखा घर नहीं आई है आज.
”कहीं वह अपने मायके में तो नहीं चली गई है भैया!’’ नवीन (काल्पनिक नाम) ने कहा, ”आप उन के घर फोन कर के पूछो. हो सकता है वहीं गई हों.’’
रवि ने मोबाइल निकाल कर झज्जर जिले के ही कड़ौधा गांव में रहने वाले रेखा के पापा अजमेर को काल लगा दी. रेखा से उस की शादी 8 साल पहले हुई थी, जिस के 2 बच्चे भी हैं. दूसरी ओर घंटी बजी और फिर काल उठा ली गई, ”हां दामादजी, कैसे फोन कर रहे हो? घर में सब ठीकठाक है न?’’ अजमेर ने पूछा.
”सब ठीक है पापा.’’ रवि जल्दी से बोला, ”क्या रेखा वहां पहुंची है? अभी तक वह काम से नहीं लौटी है.’’
”नहीं दामादजी, रेखा तो यहां नहीं आई.’’ अजमेर के स्वर में परेशानी के भाव थे, ”रेखा से तुम्हारी कहासुनी हुई थी क्या?’’
”नहीं पापाजी, वह सुबह अच्छे मूड में काम पर निकली थी.’’ कहने के बाद रवि ने फोन काट दिया.
”नवीन, रेखा कडौधा में नहीं गई है. उस के पापा ने बताया है.’’ रवि चिंतित स्वर में बोला, ”तुम अपनी भाभी के काम पर झाड़ली जा कर पता लगाओ, यारदोस्तों से भी कहो, वह रेखा को ढूंढें. मुझे तो बहुत घबराहट हो रही है.’’
”आप बैठ जाइए, आप की तबियत वैसे भी ठीक नहीं रहती है. मैं झाड़ली में पावर प्लांट पर जा कर मालूम करता हूं. 1-2 दोस्तों को भी साथ ले जाऊंगा. हो सकता है भाभी का ओवरटाइम चल रहा हो.’’ नवीन ने कहा और घर से साइकिल ले कर निकल गया.
नवीन ने झाड़ली जा कर पावर प्लांट में भाभी रेखा के बारे में मालूम किया तो उसे बताया गया कि रेखा आज तो काम पर आई ही नहीं थी. नवीन हैरान रह गया. उस ने सुबह भाभी रेखा को बैग कंधे पर टांग कर काम के लिए घर से निकलते देखा था. अगर वह काम पर नहीं पहुंची तो फिर कहां चली गई. नवीन अपने एक दोस्त श्याम को साथ ले कर आया था. वह उस के साथ भाभी को तलाश करने लगा. झाड़ली की तरफ आने वाले रास्ते के दोनों ओर उन्होंने अच्छी तरह देखा कि कहीं रेखा भाभी का सुबह रास्ते में एक्सीडेंट वगैरह न हुआ हो. वह रेखा को तलाश करते हुए गांव बहुलौर आए. गांव में भी रेखा की ढूंढाढांढी चलती रही, लेकिन उस का कहीं पर भी पता नहीं चला.
रेखा की तलाश करते हुए सुबह हो गई. पूरा घर और पड़ोसी पूरी रात रेखा को ढूंढते रहे, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला. किसी पड़ोसी ने अपने वाट्सऐप पर सुबह एक युवती के शव का फोटो देखा. वह रेखा लग रही थी. उस ने यह बात नवीन और रवि को बताई तो उन्होंने वाट्सऐप पर पुलिस की ओर से शेयर की गई उस युवती की तसवीर को देख कर पहचान लिया कि वह रेखा ही है. तसवीर एक मृत युवती की थी और पुलिस की ओर से इस मृत युवती की पहचान करने की अपील की गई थी. रेखा की यह तसवीर देखते ही घर में कोहराम मच गया. सभी रोने लगे. थोड़ी देर बाद नवीन, रवि और 2-3 पड़ोस के लोग साल्हावास थाने के लिए एक ट्रैक्टर से निकल गए. रेखा की यह तसवीर वाट्सऐप पर यहीं के थाने से शेयर की गई थी.
उधर जब पुलिस को मृत युवती की पहचान कराने में सफलता नहींमिली तो उस का फोटो गांव वालों के वाट्सऐप पर शेयर कर दिया. इस के अलावा किसी सूत्र की तलाश में 2 कांस्टेबल रुडिय़ावास भेजे गए. उन्हें वहां तालाब के किनारे घास में एक महिला का पर्स मिला था. उस पर्स में एक आईकार्ड मिला, जो एनटीपीसी पावर प्लांट झाड़ली का था. इस से अनुमान लगाया गया कि मृत मिली वह युवती इस पावर प्लांट में नौकरी करती थी. एसएचओ झाड़ली जा कर इस आईकार्ड के बारे में मालूम करना चाहते थे कि उस से पहले एक कांस्टेबल ने अंदर कक्ष में आ कर बताया, ”सर, एक ट्रैक्टर में कुछ ग्रामीण लोग थाने आए ओर वह आप से मिलना चाहते हैं.’’
एसएचओ उठ कर बाहर आ गए. ट्रैक्टर से आए लोग उतर कर उन के पास आ गए. उन्हें ‘रामराम’ करने के बाद नवीन ने आगे आ कर बताया, ”साहब, हम गांव बहू से आए हैं. वाट्सऐप पर जिस युवती की लाश का फोटो शेयर किया गया है, पहचान के लिए वह मेरी भाभी रेखा से मिलतीजुलती है. मेरी भाभी रेखा कल शाम को काम से घर नहीं लौटी है.’’
”क्या? तुम्हारी भाभी रेखा झाड़ली में एनटीपीसी पावर प्लांट में नौकरी करती थी?’’ एसएचओ हरीश कुमार ने पूछा.
”हां साहब,’’ नवीन ने कहा.
”तो हमें जो लाश रुडिय़ावास तालाब में मिली है, वह रेखा की है. हमें एक पर्स तालाब के पास से मिला है. उसे पहचान कर बताओ क्या वह पर्स तुम्हारी भाभी रेखा का ही है.’’ कहने के बाद एसएचओ ने कांस्टेबल को कक्ष में रखा पर्स ले कर आने को कहा.
कांस्टेबल वह पर्स उठा लाया तो नवीन ने देखते ही बता दिया, ”यह पर्स मेरी भाभी रेखा का ही है साहब.’’
”लाश पोस्टमार्टम के लिए झज्जर भेजी गई है.’’ एसएचओ ने बताया, ”तुम यह बताओ कि तुम्हें किसी पर शक है? ऐसा व्यक्ति जो तुम्हारी भाभी से खुंदक रखता हो.’’
नवीन कुछ देर के लिए सोच में पड़ गया फिर बोला, ”ऐसा तो कोई व्यक्ति नहीं था साहब, मेरी भाभी लड़ाकू टाइप की नहीं थी. वह किसी से ज्यादा वास्ता भी नहीं रखती थी.’’
”लेकिन कोई ऐसा व्यक्ति तुम्हारी भाभी की जिंदगी में जरूर रहा है नवीन, जिस ने किसी बात पर उस की हत्या कर दी और लाश को रुडिय़ावास में ले जा कर तालाब में फेंक दिया.’’ एसएचओ ने बहुत गंभीर स्वर में कहा, ”तुम्हारी भाभी अकेली तो रुडिय़ावास नहीं जा सकती.’’
”ऐसा कौन हो सकता है साहब!’’ नवीन ने दिमाग पर जोर डाला फिर जैसे कोई तसवीर उस की आंखों के सामने उभरी. नवीन ने राजदाराना अंदाज में कहा, ”साहब, आजकल भाभी किसी की कार में बैठ कर झाड़ली पावर प्लांट पर जाने लगी थी. मैं ने खुद भाभी को उस कार में बस स्टैंड से बैठते हुए कई बार देखा था. शुरू मे मुझे लगा कि गाड़ी पावर प्लांट वालों की ओर से लगाई गई है, उस में पावर प्लांट में काम करने वाले और भी वर्कर आते होंगे, लेकिन बाद में मुझे संदेह हुआ कि कार में सिर्फ भाभी ही बैठती है, दूसरा कोई और नहीं.’’
”कार किस रंग की है?’’
”रंग को छोडि़ए साहब, मैं ने उस कार का नंबर दिमाग में बिठा रखा है. मैं इस के विषय में मौका देख कर भाभी से पूछताछ करने वाला था कि यह हादसा हो गया.’’
”मुझे कार का नंबर बताओ.’’ एसएचओ ने उत्सुकता से पूछा.
नवीन ने कार का नंबर बता दिया, जिसे एसएचओ हरीश कुमार ने डायरी में नोट कर लिया. फिर उन्होंने एक कांस्टेबल के साथ इन लोगों को झज्जर के सरकारी हौस्पिटल जाने के लिए भेज दिया और केस डायरी में अज्ञात के खिलाफ रेखा की हत्या का मामला दफा दर्ज कर लिया.
एसएचओ ने एसआई को बुला कर उसे नवीन द्वारा नोट कराए कार का नंबर दे कर कहा कि वह मालूम करें कि यह कार किस के नाम से रजिस्टर्ड है. एसआई ने एक घंटे में ही उस कार के नंबर से उस के मालिक का नामपता मालूम कर लिया और एसएचओ को जानकारी दे दी. यह कार गांव बहू के एक व्यक्ति के नाम रजिस्टर थी, जिस का नाम जयपाल (काल्पनिक) था. गांव बहू का नाम सुन कर एसएचओ हरीश कुमार बुरी तरह से चौंके. रेखा भी तो गांव बहू की ही थी. एसएचओ तुरंत 4 कांस्टेबल साथ ले कर उस व्यक्ति से मिलने गांव बहू के लिए चल पड़े, जिस के नाम से कार का रजिस्ट्रैशन था. वह व्यक्ति गांव बहू में अपने घर पर ही मिल गया.
पूछताछ करने पर उस ने कहा, ”साहब, यह कार मेरे ही नाम से है, लेकिन मैं ने यह अपने भांजे मंजीत को दे रखी है. मेरी बहन आजकल बीमार रहती है. मेरे जीजा का 2021 में रोड एक्सीडेंट हो गया था. उन के बाद अपनी बहन के घर की मैं ही देखभाल करता हूं. कार मैं ने इसलिए दी कि मंजीत अपनी मम्मी को इलाज के लिए अस्पताल ले जाए और ले कर आए. क्या कुछ एक्सीडेंट कर दिया मंजीत ने?’’
”नहीं. बात कुछ और है, तुम हमें अपनी बहन के घर ले चलो. हमें मंजीत से कुछ पूछताछ करनी है.’’ एसएचओ ने कहा.
जयपाल एसएचओ को अपनी बहन के घर ले गया. यहां मंजीत के बारे में पूछने पर मालूम हुआ कि वह कल से कहीं गया हुआ है. कार घर पर खड़ी कर गया है.
एसएचओ का शक मंजीत पर गहरा हो गया. उन्होंने मंजीत का फोटो मंजीत की मम्मी से मांगा और उसे ले कर थाने लौट आए. उन्होंने मंजीत का फोटो मुखबिरों को दिखा कर उन्हें मंजीत की टोह लेने के काम पर लगा दिया. मुखबिर अपने काम में लग गए. एसएचओ खुद मंजीत के मिलने वाली संभावित स्थानों पर दबिश देने लगे.
काफी भागदौड़ करने के बाद मंजीत 10 मई, 2025 को एक मुखबिर की काल आने के बाद पकड़ लिया गया. उसे थाना साल्हावास लाया गया. वह अभी 18 वर्ष का युवा था. वह काफी डरा हुआ था. उस से कड़ी पूछताछ शुरू की गई तो उस ने रेखा की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.
”तुम ने रेखा की हत्या क्यों की?’’ एसएचओ हरीश कुमार ने पूछा.
”सर, यह सुनने से पहले आप मेरे प्रेम की दास्तां सुन ले, आप को मालूम हो जाएगा, मुझे रेखा की हत्या क्यों करनी पड़ी.’’ मंजीत ने गंभीर स्वर में कहा और बगैर इजाजत मिले वह अपनी प्रेम कहानी के पन्ने खोलने लगा.
”सर, मैं गांव बहू का रहने वाला हूं, रेखा भी इसी गांव की थी. मैं ने उसे कई बार देखा था. उस का पति शराबी और कामचोर था, इसलिए रेखा ने घर चलाने के लिए झाड़ली पावर प्लांट में साफसफाई का काम पकड़ लिया था. वह रोज बस से झाड़ली जाती थी. एक दिन वह मुझे गांव के बाहर बस स्टाप पर परेशान हालत में मिली थी. उस दिन बस खराब थी, आई नहीं थी.’’
मंजीत ने आगे बताया, ”मैं ने रेखा को कार में लिफ्ट देनी चाही. काफी नानुकुर के बाद वह मेरी कार में बैठी. मैं उसे झाड़ली छोड़ कर आया. उस दिन के बाद से मैं हर रोज रेखा को उस के काम पर छोडऩे जाने लगा. साथ मिला तो मेरे दिल में रेखा के लिए प्यार का अंकुर फूट गया. मैं रेखा को चाहने लगा. उस का खयाल रखने लगा.
”मुझे अपने पापा रामपाल के एक्सीडेंट क्लेम का रुपया मिलता था. मेरे मामा हरपाल भी मदद करते थे. मैं उन पैसों में से रेखा को गिफ्ट वगैरह देने लगा तो धीरेधीरे रेखा भी मेरी तरफ झुक गई. हम दोनों प्यार करने लगे.’’
मंजीत कुछ देर के लिए रुका, फिर सांसें दुरुस्त कर के आगे बताने लगा.
”सर, रेखा को मैं सच्चा प्यार करने लगा था. वह 2 बच्चों की मां जरूर थी, लेकिन लगती नहीं थी. मैं रेखा को अपनी बनाने का ख्वाब सजाने लगा था कि एक दिन यानी 4 मई, 2025 को मैं ने रेखा को अपनी कार में बस स्टाप से बिठाया तो वह काफी खुश थी.
”मैं ने उस से खुशी का कारण पूछा तो उस ने कुछ नहीं बताया. कार चलाते हुए मैं ने यूं ही रेखा का मोबाइल हाथ में ले लिया और उसे औन किया तो उस में किसी के साथ रेखा की चैटिंग देख कर चौंक पड़ा. मैं ने रेखा से पूछा कि वह किस के साथ चैटिंग कर रही थी?
”रेखा ने मुझे जवाब नहीं दिया. मैं ने कहा तुम मेरे सामने उस युवक को काल लगा कर बात करो, लेकिन रेखा ने यह कह कर बात समाप्त करनी चाही कि वह उस युवक से मिल कर काल आदि करने के लिए मना कर देगी. चूंकि मेरे मन में शक घर कर गया था, इसलिए मैं रेखा पर दबाव बनाने लगा कि वह उस युवक से मेरे सामने बात करे.’’
मंजीत ने गहरी सांस ली, ”रेखा नहीं मानी सर. मैं ने गुस्से में उस का फोन छीन कर तोड़ डाला. इस बात पर रेखा को गुस्सा आ गया. उस ने मुझे थप्पड़ मार दिया. कोई लड़की लड़के को थप्पड़ मारेगी तो कहां बरदाश्त होगा. मैं ने क्रोध में रेखा की चुन्नी से उस का गला घोंटना शुरू कर दिया.
”कार मैं ने सड़क के किनारे खड़ी कर दी थी. यहां गहरा सन्नाटा था. मैं ने क्रोध में रेखा का गला इतनी जोर से दबाया कि उस की सांसें थम गईं. वह मर गई तो मैं बुरी तरह घबरा गया. मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूं.
”मैं काफी देर तक बेमतलब कार को सड़क पर दौड़ाता रहा, फिर मैं रुडिय़ावास की ओर चला गया. वहां एक तालाब मुझे दिखाई दिया. यहां सन्नाटा था. मैं ने रेखा की लाश उस तालाब में फेंक दी और उस का बैग झाडिय़ों में डाल कर वापस गांव बहू आ गया.
”यहां घर पर मैं ने कार खड़ी की और राजस्थान भाग गया. एक हफ्ते बाद मैं गांव की तरफ लौटते वक्त मुखबिर द्वारा पहचान लिया गया और मुझे पकड़ लिया गया. मैं रेखा की हत्या का गुनाह कुबूल करता हूं.’’
चूंकि मंजीत ने गुनाह कुबूल कर लिया था और रेखा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हो गया था कि उस की मौत गला घुटने से हुई है. एसएचओ हरीश कुमार ने दोबारा मंजीत को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस ने मंजीत की कार, रेखा का बैग और मोबाइल जो टूटी दशा में था, जब्त कर लिया. रेखा की लाश उस के फेमिली वालों को सौंप दी. वह लोग रेखा का अंतिम क्रियाकर्म करने में व्यस्त हो गए. अपने से कम उम्र के लड़के की ओर रेखा ने झुक कर अपना विवेक, पति और बच्चे खोए और भरी जवानी में ही वह प्रेमी के हाथों अपना जीवन गंवा बैठी. family story in hindi